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Incest हाए मम्मी मेरी लुल्ली (Completed With gifs)

Nevil singh

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‘हे भगवन! अब वो क्या करेगी? अब वो कैसे अपने बेटे का सामना करेगी? वो उसके बारे में क्या सोचता होगा? नहीं नहीं उसको मालूम था मैं उसके लंड की पीड़ा का निदान कर रही थी’, सलोनी खुद को तस्ल्ली देती है, ‘नहीं सलोनी, तुम असल में अपने बेटे के मोटे लंड को देखकर बहक गई, तुम उससे मज़े लेने लगी, सलोनी का मन मश्तिष्क वाद प्रतिवाद कर रहा था’ यह सब सोचते हुए एकदम से वो परेशान हो उठी थी |

जो बात उसे हैरान कर रही थी कि वो अपने ही बेटे पर मोहित हो गई थी | लेकिन क्यों और कैसे? उसकी कैसे का जवाब तो उसके पास था, मगर क्यों का जवाब वो ढूंड रही थी | उसने आज से पहले कभी भी अपने बेटे को गलत निगाह से नहीं देखा था तो आज फिर अचानक कैसे वो एकदम से उसके साथ सारी हद्दें पार करने को तैयार हो गई?

इस क्यों का जवाब शायद उसके पती के अचानक छुट्टियों में घुमने जाने का प्रोग्राम कैंसिल करने से था | वो नाजाने कितने दिनों से तैयारी कर रही थी | उसने कितनी इच्छाएं पाल रखी थी | पिछले दो साल से उसके पति ने छुट्टी नहीं ली थी और वो महीनो से प्लानिंग कर रहे थे | सलोनी के मन को कितना चाव चढ़ा हुआ था | उन्हें बस इंतज़ार था तो राहुल को स्कूल से छुट्टियाँ होने का | फिर वो किसी हिल स्टेशन पर जाने वाले थे, पूरे एक महीने के लिए | इस एक महीने उसका मूड फुल मस्ती करने का था | ऐसा नहीं था कि सलोनी का पति उसका ख्याल नहीं रखता था | वो तो उसकी हर जरूरत को हर शौंक को पूरा करने कि कोशिश करता था | वो तो उसकी शरीरक जरूरतों को भी हमेश पूरा करने की कोशिश करता था और करता भी क्यों नहीं, सलोनी जैसी खूबसूरत औरत किस्मत से मिलती है | मगर समस्या यह थी कि वो दिन भर के काम से शरीरक और मानसिक रूप से इतना थक जाता था कि वो सलोनी को उस तरह चोद नहीं पाता था, जिस तरह वो चुदवाना चाहती थी | सलोनी के बदन में इतनी कसावट थी कि जितना उसको मसलो उतनी ही उसमें कसावट बढती जाती थी | वो तो चाहती थी कि उसका पति उसे पूरी रात मसल मसल कर चोदे | मगर काम के बोझ के नीचे दबे उसके पति में इतनी हिम्मत कहाँ रह पाती थी |
आखिरी बार सलोनी और उसका पति तब बाहर गये थे | जब राहुल दस बरस का था | उस बात को बीते आठ साल गुज़र चुके थे | अब राहुल बारहवी में पड रहा था | सलोनी को आज भी वो समय याद आता था | जब कुलु मनाली की हसीं वादियों में उसने और उसके पति ने एक महीना बिताया था | उफ़ कैसे दिन थे! रात दिन उसका पति उससे चिपका रहता था | घंटो उसकी चूत चाट चाट कर उसको चोदता था | उसको इतना चोदता था कि वो बस-बस कर उठती थी | वो हसीं समय गुज़रे छे साल हो चुके थे, वो बाहर नहीं गए थे | इस विच हर साल उसका पति साल में तीन चार वार थोड़ी थोड़ी कर छुट्टियाँ लेता मगर उस थोड़ी समय में वो कहीं घुमने नहीं जा सकते थे | ऊपर से राहुल का स्कूल भी होता था और अब तो उसने पिछले दो साल से कोई छुट्टी नहीं ली थी |

इस बार उनका पक्का प्रोग्राम था | वो कैसे कैसे ख्वाब देख रही थी | छुट्टियों में रातें रंगीन करने के वो अपने पति से खुल कर खूब चुदवाने वाली थी | वो पूरी रात उससे चुदवाने वाली थी अलग अलग आसनों में | उसके पति ने भी ऐसी ही इच्छा ज़ाहिर की थी | रोज़ वो उसे बताता था कि वो छुट्टियों में किस किस तरह से उसे चोदने वाला था और जब वो समय पास आया तो उसके पति को जाना पड़ा | सलोनी के सारे ख्वाब टूट गए अब वो बाहर नहीं जा सकते थे | चाहे वो दो महीने छुट्टी लेने वाला था मगर तब राहुल का स्कूल शुरू हो जाने वाला था | जो मज़ा दिल्ली की गर्मी से दूर कहीं पहाड़ी वादियों में मस्ती करने से मिलने वाला था वो घर पर नहीं मिलने वाला था | शायद इसीलिए सलोनी आज अपने आप पर काबू नहीं रख पाई थी | इतने समय से दबी इच्छाएं पूरी ताकत से सामने आ गई थीं और सलोनी चाह कर भी खुद को रोक ना सकी जब उसके बेटे का तगड़ा लंड उसके सामने आया | वो अपनी इच्छायों की पूर्ती के लिए राहुल की और झुक गई |
dahkti update.
 

Nevil singh

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“आआह्ह्ह” सलोनी लम्बी लम्बी सिसकियाँ भर रही थी | उसके हाथ बेड पर टिके हुए थे | वो बेड के पास चौपाया बनकर खड़ी थी | बल्कि यूँ कहा जाए वो बेड के किनारे घोड़ी बनी हुई थी और पीछे उसका पति उसकी कमर थामे उसकी चूत में लंड पेले जा रहा था |

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हर धक्के पर सलोनी कराह रही थी |
वो अपना सर बेड पर टिका देती है और
धक्कों के कारण झूल रहे अपने मम्मों को मसलने लगती है |

“ऊऊफ़्फ़्फ़्फ़” आज तो बहुत मज़ा आ रहा है |
कैसे उसके पती का लंड उसकी चूत में पूरी गहराई तक घुस रहा था
और वो कितने ज़ोरदार धक्के मार रहा था |
सलोनी अपने पति की उस ताबड़ तोड़ चुदाई से बहुत ज़बरदस्त आनंद महसूस कर रही थी |
वो अपने पति को कुछ कहना चाहती थी |
शायद उसकी इस ज़ोरदार मेहनत के लिए उसकी तारीफ करना चाहती थी |
वो चाहती थी कि वो अपने पति की आँखों में झांकें जो हमच-हमच कर उसको चोदे जा रहा था |
सलोनी धीमे धीमे अपना सर पीछे की और घुमाती है |
अचानक उसे अपनी ज़िन्दगी का सबसे बडा झटका लगता है |
उसके पीछे खड़ा उसको चोदने वाला उसका पति नहीं था बल्कि उसका बेटा राहुल था
जो अपनी माँ की चूत में किसी सांड की तरह लंड पेले जा रहा था |
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“नहीईईइईईईई” सलोनी चीख पड़ती है |

मगर यह क्या? वो तो अपने कमरे में अकेली थी अपने बेड पर, बिलकुल नंगी, एक ही पल में सुबह की सारी घटनाएं उसकी आँखों के आगे घूम जाती हैं | वो सपना देख रही थी | नहाने के बाद जब वो बेड पर लेटे लेटे अपनी सोचो में गुम थी तो उसे नाजाने कब नींद आ गई | दोपहर के दो बजने को आए थे | उसे राहुल को खाना देना था | उसे खुद भी भूख महसूस हो रही थी | एक ठंडी आह भरकर सलोनी बेड से उठ जाती है और शिंगार के लिए शीशे के सामने बैठ जाती है | वो अपने बालों से तौलिया हटा देती है | अब वो नंगी आईने के सामने बैठी थी और उसके बाल उसकी पिठ पर लटक रहे थे | सलोनी खुद को आईने में निहारती है | उसकी नज़र अपने चेहरे पर पड़ती है तो उसे अपनी आँखों में कुछ लाली नज़र आती है | शायद पिछली कई रातों से ठीक से ना सो सकने की वजह से था | वो अपने खुबसूरत मुख को निहारती रहती है | वो अब भी इतनी सुन्दर थी कि किसी का भी दीन इमान डोल सकता था | उसकी नज़र निचे की और जाती है तो उसे अपने भारी मम्मो के निप्पल तने हुए महसूस होते हैं | वो अपनी उँगलियों से अपने मम्मो को छूती है | वाकई में उसके निप्पल तने हुए थे | शायद सपने की वजह से | ‘उफ्फ्फ्फ़’ उसका बेटा उस पर जादू किए जा रहा था | उसके सपनो में भी आने लगा था या फिर खुद उसकी खवाहिश इतनी जोर पकड़ चुकी थी कि वो सपनो में भी अपने बेटे से चुदवाने लगी थी ना के अपने पति से |
jalti update.
 

Nevil singh

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वो अपने निप्पलों को मसलती अपनी जाँघों के बिच में देखती है | जो स्टूल पर बैठे होने के कारण थोड़ी खुली हुई थी | उसकी गोरी चूत के होंठ हलके से खुले हुए थे और अन्दर से उनमें से गुलाबीपन झांक रहा था | वो एक हाथ से अपना निप्पल मसलना चालू रखती है और दुसरे को वो निचे लाती है | वो अपनी मध्यम ऊँगली चूत की लकीर में घुमाती है

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तो उसे एहसास होता है कि उसकी चूत कुछ गीली थी |
वो ऊँगली अन्दर घुसाती है तो ऊँगली रस से भीगी चूत में घुसती जाती है |
‘उफ्फ्फ’ उसकी चूत तो जैसे बरस रही थी |
सलोनी की आंखें बंद हो जाती हैं और उसे वो सुबह का समय याद आता है,
नहीं उसे वो समय याद नहीं आता, उसे और कुछ याद नहीं आता बस उसे याद आता है
तो अपने बेटे का सख्त लंड “हाई कितना मोटा है” वो ऊँगली चूत में चलाती सोचती है,
‘कितना हार्ड था जैसे लोहे का हो, ऐसा मोटा कठोर लंड उसकी चूत में जाएगा तो उसे कैसा लगेगा?
‘उफ्फ्फ्फ़’ वो सख्त लंड तो उसकी चूत को छील देगा,
इतना मोटा लंड उसकी चूत की दीवारों को कैसे रगड़ेगा,
जैसे जैसे अभी उसका बेटा उसके सपने में रगड़ रहा था,
हाँ उसका बेटा जब उसके सपने में उसे किसी सांड की तरह चोद रहा था
तो वो कैसे सिसक रही थी, अगर वो वास्तव में अपना लंड उसकी चूत में घुसाकर उसे चोदेगा
तो उसकी क्या हालत होगी’ सलोनी एक पल के लिए कल्पना करती है कि
अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड से चुदवाने में उसे कितना मज़ा आएगा तो
उसके होंठो से एक लम्बी ‘आह्ह’ निकल जाती है |

सलोनी अपनी आँखें खोलती है और आईने में अपनी आँखों में झांकती है
उसे अपनी आँखों में अपने बेटे के लिए असीम वासना तैरती दिखाई देती है और
वो डरकर झटके से आईने से दूर हटकर बाथरूम में चली जाती है |
मुंह पर पानी के छींटे मारती वो खुद से यही दोहरा रही थी कि
उसे खुद पर काबू पाना होगा वरना वो सच में राहुल से चुदवा बैठेगी |

सलोनी एक टीशर्ट और पायजामा डाल लेती है |

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वो ब्रा और पेंटी नहीं पहनती | ‘कितनी गर्मी है, इस गर्मी में वो भला ब्रा और पेंटी कैसे पहने?’ सलोनी की टीशर्ट हालाँकि बहुत ज्यादा टाइट नहीं थी मगर उसके मोटे मोटे मम्मो से उसकी पतली सी टीशर्ट खुद कसी हुई थी ना सिर्फ उसके निप्पल टीशर्ट के ऊपर से अपना आभास दे रहे थे बल्कि मम्मो का पूरा आकार भी टीशर्ट से बाखूबी जान पड़ता था | जब वो थोडा सा भी हिलती डूलती तो उसके मम्मे उसकी टीशर्ट में तूफान मचा देते और उसकी टीशर्ट उसके पायजामे तक नहीं पहुँच रही थी | वो थोड़ी सी छोटी भी थी जिस कारण उसकी नाभि नंगी थी | सलोनी हलका सा शिंगार करती है , गले में मंगलसुत्र डाल और अपनी नाक में बाली डाल लेती है | बालों को वो एक रबड़बंद डाल कर पीठ पीछे लटकने देती है | आईने में एक नज़र डाल वो जल्दी से रसोई की और बढ़ जाती है | उसने कोई खास शिंगार नहीं किया था मगर आईने में डाली एक नज़र से वो जान गई थी कि उसका हुसन कितना क़ातिलाना है और कत्ल होने के लिए उस घर में सिर्फ एक ही शक्स था |

राहुल ने नाश्ते के बाद अपना ज्यादातर समय पड़ाई में बतीत किया था | उसकी माँ ने आज उसे इतना मज़ा दिया था कि उसने सोच लिया था वो अपनी माँ को खुश करने का हर संभव प्रयास करेगा | राहुल कोई बच्चा नहीं था | वो इन्टरनेट के युग में पल बढ़ रहा था | इसीलिए पुरष- नारी के बिच सम्बन्ध और उस सम्बन्ध में समाहित अतिकथनीए आनंद के बारे में भली भांति जानता था | उसने अपने लैपटॉप पर ना जाने कितनी ब्लू फिल्में देखी थी | मगर उसे वास्तविक दुनिया में इसका कोई अनुभव नहीं था | आज से पहले ना उसने कभी अपनी माँ को गलत नज़र से देखा था ना ही उसका इस और कोई ध्यान ही गया था | इसीलिए वो यकीन नहीं कर पा रहा था कि उसकी माँ ने उसका लंड मज़े के लिए चूसा था या वो वास्तव में उसकी पीड़ा का निदान कर रही थी | वो इसी उलझन में था और फैसला नहीं कर पा रहा था कि उसकी माँ ने उत्तेजना के वशीभूत उसका लंड चूसा था या फिर वो मात्र पुत्र मोह में अनजाने में उसकी तकलीफ से परेशान होकर उसका लंड चूस रही थी | बहरहाल वजह कोई भी हो उसे इतना मज़ा आया था जितना आज तक नहीं आया था और फिर उसे अपनी माँ की वो बात याद आती है जब उसने जाने के समय बोली थी, “अब इसे लुल्ली बोलना बंद करो, तुम्हारी लुल्ली अब लौड़ा बन गई है” |

राहुल अपने लंड को अपने हाथ से भींच लेता है | वो सुबह के समय को जैसे ही याद करता है उसका लंड झटके मारने लगता है आखिरकार किसी तरह पड़ाई करके वो लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा मगर नींद उसकी आँखों से लाखो कोस दूर थी | जैसे तैसे उसे नींद आई तो उसे सपने में भी अपनी मम्मी दिखाई देने लगी | वो दूर खड़ी अपने बदन से एक एक कपडा उतारते हुए उसे पुकार रही थी | मगर जैसे जैसे राहुल उसकी और बढ़ता वो दूर होती जाती | इसी में राहुल की नींद खुल गई वो नहाने चला गया | नहाकर आया तो उसे तेज़ भूख महसूस होने लगी | किचन से आती बर्तनों की आवाज़ से उसने जान लिया था कि उसकी माँ रसोई में खाना बना रही है | मगर नाजाने क्यों उसे नीचे जाने में शर्म महसूस हो रही थी | वो विचलित सा था | मगर उसकी पुकार जैसे प्रभु ने सुन ली | घर की बेल बजी | थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला | कुछ पलों बाद उसकी माँ ने उसे ऊँची आवाज़ में उसको पुकारा |

कोई उससे मिलने आया था, कोन हो सकता था? कोई भी हो अब वो बहाने से निचे जा सकता था | वो निचे गया तो उसने दूर से देखा उसका दोस्त सुशांत खड़ा था ‘ओह मैं तो भूल ही गया आज हमारा क्रिकेट का मैच था’ सुशांत उसकी माँ से बातें कर रहा था | उसने राहुल की और नज़र उठाकर भी नहीं देखा | जब राहुल बिलकुल पास आ गया तब उसने कहा “राहुल यार , क्या तू भी, कब से तेरा इंतज़ार कर रहे हैं, तू आया क्यों नहीं?

“मेरी तबीअत ठीक नहीं थी, सर दर्द था, वैसे भी मेरा मूड नहीं है, तुम लोग खेलो” |

“अरे नहीं यार, तेरे बिना बात नहीं बनेगी, चल ना यार” |

“नहीं मैं नहीं जा सकता, मैंने तुझे बताया ना कि मुझे सर में बहुत तेज़ दर्द है” राहुल की आँखें अपने दोस्त की आँखों का पिछा कर रही थीं और उसका चेहरा लाल होता जा रहा था |
“प्लीज यार चल ना, तूने प्रॉमिस किया था” |
jakhmi update.
 

Nevil singh

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“मैने एक बार बोल दिया ना कि मैं नहीं जाऊँगा” राहुल एकदम भड़क कर बोला | उससे बर्दाश्त नहीं हो रहा था कि सुशांत उसकी माँ के बदन को घूर रहा था | राहुल की कडकती आवाज़ की और सलोनी का धयान भी गया | उसे भी मालूम था सुशांत उसके बदन को घूर रहा था | जब उसकी नज़र राहुल की नज़र से मिली तो उसने उसकी आँखें गुस्से से जलती हुई देखी | उसे माज़रा समझने में देर ना लगी | हालाँकि एक पल के लिए उसके दिल में आया कि उसे अपने बेटे को जलाना चाहिए, बहुत मज़ा आएगा, मगर राहुल का गुस्से से लाल चेहरा देख वो मुड़ी और रसोई में चली गई | उसके होंठों पर मुस्कान थी |


“अरे इस तरह भड़क क्यों रहा है, नहीं जाना तो मत जा, मैं तो तुझे दोस्त मानता था, इसीलिए बुलाने आया था, मुझे क्या पता था.....”

“क्योंकि मेरे बार बार कहने पर भी तुझे समझ नहीं आ रहा और मैं तुझे साफ साफ़ बता दूं , अब मैं खलेने नहीं आया करूँगा, मैंने दूसरा ग्रुप ज्वाइन कर लिया है, या शायद मैं घर पर कंप्यूटर पर गेम खेल लिया करूँगा, इसीलिए मुझे बुलाने आने की जरूरत नहीं है, छुट्टियों के बाद स्कूल में मिलेंगे” राहुल अपने दोस्त की बात काटकर बीच में बोला |
सुशांत को एक पल के लिए यकीन नही हुआ | मगर जब राहुल ने आगे बढ़कर दरवाज़ा खोला और उसकी और अर्थपूर्ण नज़रों से देखा तो वो समझ गया कि उसकी और राहुल की दोस्ती ख़त्म हो गयी है | वो घर से बाहर चला जाता है | राहुल दरवाज़ा बंद करके रसोई में जाता है | यहाँ उसकी माँ के पेट में हँसते हुए दर्द होने लगा था | राहुल की पदचाप सुनकर उसने मुंह दूसरी और घुमा लिया | कहीं वो उसे हँसते हुए ना देख ले | वो खुद पर काबू पाने की कोशिश कर रही थी | उसे यकीन नहीं हो रहा था उसका बेटा उसको लेकर इतना जल सकता था |

राहुल रसोई में से पानी का गिलास लेकर पानी पिने लगा | ‘ऊउन्ह्ह्ह’ गला साफ़ करके सलोनी राहुल को देखती है | अब उसका चेहरा कुछ नार्मल लग रहा था | नाजाने क्यों उसे राहुल का चेहरा इतना प्यारा लगा कि उसका दिल किया वो उसे आगे बढ़कर चूम ले | राहुल के दोस्त के आने से इतना अच्छा जरूर हो गया था कि घर में छाई गंभीरता, चुप्पी टूट सी गई थी | मौन भंग हो गया था | सलोनी और राहुल दोनों पहली बार खुल कर सांस ले पा रहे थे | सुबह जो कुछ हुआ था उससे उन दोनों का धयान हट गया था |
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Nevil singh

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“बेटा तुम्हारे लिए ऑमलेट सैंडविच बना रही हूँ, कुछ और खाने का मूड तो नहीं है?” सलोनी अपने बेटे की और देखती है |

“नहीं मम्मी मैं सैंडविच ही खाऊँगा, आप को मालूम तो है, मुझे ऑमलेट सैंडविच कितना पसंद है” राहुल अपनी माँ को देखता हुआ नर्म स्वर में बोलता है | सुशांत की वजह से उसका बिगड़ा हुआ मूड अब ठीक होने लगा था |

“बस थोडा सा वेट करो, अभी पांच मिनट में रेडी हो जाएगा. ऑमलेट बन गया, घी बस स्टफिंग ब्रेड्स में डालनी बाकी है” सलोनी कडाही में कड़छी चलाती हुई अपने बेटे को देखती हुई मुस्करा कर बोलती है |

“कोई बात नहीं मम्मी, आप आराम से कीजिए”, राहुल रसोई के काउंटर से टेक लगाए सलोनी को देखता हुआ बोलता है | वो चोर नज़रों से सलोनी को घूर रहा था | सलोनी का रुख दिवार की और था | इसीलिए राहुल उसको सिर्फ एक साइड से ही देख पा रहा था |

आज राहुल को अपनी माँ कुछ ज्यादा ही खुबसूरत दिख रही थी , मानो उसकी सुन्दरता में कई गुना इजाफा हो गया था | सुन्दर तो वो वैसे भी बहुत थी, इतनी सुन्दर कि वो जैसे भी कपडे पहने, नए पुराने , किसी भी स्टाइल में बाल बांधे, वो खुबसूरत ही दिखती थी | उसे सुन्दर दिखने के लिए किसी भी तरह का फैशन करने की या फिर मेकअप करने की जरूरत नहीं थी | राहुल को हैरानी हो रही थी कि उसका इस और पहले धयान क्यों नहीं गया | उसका ध्यान अपनी माँ की उठी हुई टीशर्ट और उसमे से झांकते हुए उसके सपाट दुधिया पेट पर गया | खास करके उसकी नाभि पर, उसका गोरा दुधिया पेट और गहरी नाभि पर जैसे उसकी नज़र जम गयी थी |

“बेटा ऑमलेट तैयार है, साथ में जूस लोगे जा फिर चाय पिओगे” |

“मम्मी मैं चाय पीऊँगा” राहुल डायनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठता बोलता है |

राहुल और उसकी माँ दोनों टेबल पर आमने सामने बैठे खाना खा रहे थे | कोई कुछ बोल नहीं रहा था | राहुल का ध्यान बार बार अपनी माँ के चेहरे और उसकी छाती पर चला जाता | यहाँ उसके मुम्मो ने टीशर्ट को ऊपर उठाया हुआ था |

“अगर तुम खेलने जाना चाहते हो तो जा सकते हो, मैं तुम्हे खेलने कूदने से नहीं रोकती, मगर तुम्हे अपनी पढाई का भी धयान रखना चाहिए”, सलोनी राहुल को देखते बोलती है |
“सॉरी माँ अब से गलती नहीं होगी, आगे से पूरा ध्यान रखूँगा”, राहुल सलोनी के चेहरे की और देखता हुआ बोलता है |

“आज तुमने पढाई की थी?” |

“हाँ मम्मी, सुबह से कर रहा था, अभी बस थोड़े से समय के लिए सोया था” |

“गुड, वैरी गुड, फिर तो तुम खेलने जा सकते हो”, सलोनी राहुल की आँखों में देखती बोलती है |

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Nevil singh

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नहीं माँ, मेरा दिल नहीं कर रहा, वैसे भी मैंने फैसला कर लिया है, घर पर रहकर खूब पढ़ाई करूँगा और....और घर के काम काज में आपकी मदद करूँगा”, राहुल आखिरी लाइन झिझकते हुए बोलता है |

“तुम सारा दिन घर पे रहकर पढ़ाई करोगे और घर के काम में मेरी मदद करोगे?......रियली!" सलोनी हैरानी भरे स्वर में बोलती है, “मुझे अपने कानो पर विश्वास नहीं हो रहा, क्या मैं जान सकती हूँ इस एकदम से ह्रदय परिवर्तन की वजह क्या है?” सलोनी का स्वर उपहास भरा था |

“ऐसे ही मम्मी.... मैंने देखा है......आप सार दिन घर पे.... अकेले रहते हो और आपको कितना .....कितना काम अकेले करना पढता है, इसीलिए मैंने सोचा, आप की काम में मदद कर दूंगा और....और ...” राहुल से आगे बोला नहीं जा रहा था |

“और? और क्या?” सलोनी धीमी सी आवाज़ में बोलती है |

“और ...और आपको कंपनी भी मिल जाएगी, आपका अकेलापन भी दूर.......दूर हो जाएगा”, राहुल थूक गटकता है | उसके दिल की धडकन बहुत तेज़ -तेज़ चल रही थी, “मैं भी ....आपके साथ .....आपके साथ समय बिताना चाहता हूँ” |

“तुझे सच में मेरे अकेलेपन की चिंता है? तू सच में मेरे साथ समय बिताना चाहता है?” सलोनी की आवाज़ और धीमी हो गई थी |

“हाँ मम्मी, सच में पढाई के बाद जो भी समय बचेगा, उसमे घर के काम में आपकी मदद करूँगा, आप जो भी कहेंगी, जैसे भी कहेंगी, वैसे ही करूँगा”, राहुल ने जोशीले स्वर में कहा |

“मुझे यकीन नहीं हो रहा, कहीं तुम मजाक तो नहीं कर रहे”, सलोनी जानती थी उसका बेटा झूठ नहीं बोल रहा | मगर वो उसके मुंह से सुनना चाहती थी |

“बिलकुल भी नहीं मम्मी, आपकी सौगंध! मैं बिलकुल भी मजाक नहीं कर रहा” |

“और क्या तू सारा दिन घर पर अपनी मम्मी के साथ बोर नहीं होगा”, सलोनी उसी तरह की धीमी और कामुक सी आवाज़ में बोलती है |

“उन्ह्ह्हह नहीं मम्मी, मैं आपके साथ भला बोर क्यों हूँगा, आपके साथ मुझे बहुत अच्छा लगता है मम्मी, सच में”, राहुल के वो अलफ़ाज़ सलोनी को बहुत प्यारे लगे और उसका दिल किया वो आगे बढ़कर अपने बेटे को चूम ले |

“सब बातें हैं, मुझे लगता है, तू मुझसे दो तीन दिन में ही उब जाएगा” सलोनी ने कहा |

“उफ्फ्फ मम्मी अब आपको कैसे यकीन दिलाऊँ, मुझे कोई फ़ोर्स थोड़े ना कर रहा है, मैंने अपनी मर्ज़ी से फैसला किया है, और इसीलिए किया है कि आप मुझे बचुत अच्छी लगती हो” |

राहुल धडकते दिल से कह तो गया | मगर अपनी माँ की प्रतिकिर्या को लेकर वो बहुत डर गया था | सलोनी ने भी अपने बेटे के स्वर में कम्पन और डर को महसूस किया | वो अपना खाना छोड़ खड़ी हो गई | राहुल की जान पे बन आई | मगर उसकी माँ सिर्फ टेबल पर आगे को झुकी

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और उसके हाथ को अपने हाथ में ले लिया | झुकने से उसके मुम्मो का काफी हिस्सा टीशर्ट के खुले हुए दो बटनों से दिख रहा था और वैसे भी झुकने की वजह से वो उसकी टीशर्ट को कुछ ज्यादा ही फैला रहे थे | राहुल की पेंट में उसका लंड तम्बू बन चूका था |

“मुझे मालूम है तुम दिल से कह रहे हो .........मुझे तुम पर पूरा यकीन है बेटा, मुझे भी तुम्हारे साथ समय बिताना बहुत अच्छा लगता है, तुम भी मुझे बहुत अच्छे लगते हो बेटा” सलोनी बिना रुके बेटे को प्यार भरे मीठे स्वर में बोलती है |

राहुल को अपनी माँ की बात इतनी अच्छी लगी कि उसका चेहरा खिल उठा और उसे देखकर उसकी माँ का | दोनों के चेहरे पर मुस्कुराहट थी | दोनों अन्दर से बहुत खुश थे |

सलोनी वापिस कुर्सी पर बैठ गई और बाकी का खाना खाने लगी | राहुल का धयान रह रहकर सलोनी के चेहरे तो कभी उसके सीने पर चला जाता | उसे लग रहा था जैसे उसकी माँ की सुन्दरता पल प्रतिपल बढती जा रही थी | उसका सांस लेना, खाना खाना , बात करना, हर काम से, उसकी हर छोटी से छोटी सी हरकत से उसे अपनी माँ की सुन्दरता झलकती दिखाई दे रही थी | आज कुछ खास ही बात थी, वो खास बात क्या थी, वो यही देखने की कोशिश कर रहा था | शायद उसका चेहरा आज खिला हुआ था और उसके होंठो की वो प्यारी सी मुस्कुराहट उसकी सुन्दरता को बढ़ा रही थी | नहीं, उसकी माँ सदेव ही इतनी सुन्दर थी मगर आज रूप कुछ ज्यादा ही दमक रहा था या फिर उसके देखने की नज़र बदल गई थी | उसने गहनों के नाम पर कान में झुमके, नाक में बाली और गले में मंगलसूत्र डाला हुआ था | उसकी तीखी नाक में डाली बाली उसके चेहरे की शोभा बढ़ा रही थी, चेहरे को कितना सुन्दर............नहीं सुन्दर तो वो बिना बाली के भी दिखती है | फिर क्या, किस लफ्ज़ से उसका रूप.....हाँ ...हाँ....उसकी नाक की बाली उसके चहरे को कितना सेक्सी दिखा रही थी, कितना कामुक दिखा रही थी |

सलोनी का गोल गोरा चेहरा बेहद गोरी रंगत लिए था और उसके गोल गोरे चेहरे पर उसकी नाक की बाली सच में बेहद सेक्सी दिख रही थी बल्कि उसकी बाली से उसका रूप, चेहरा सेक्सी दिख रहा था | अगर कोई कसर थी तो उसकी टीशर्ट के खुले बटनों ने पूरी कर दी थी | उसके मुम्मो का हल्का सा ऊपरी हिस्सा और दोनों मुम्मो के विच की खाई बेहद कामुक दिख रही थी मगर जो चीज़ उनकी कामुकता बढ़ा रही थी वो थी दोनों मुम्मो के बीच की खाई में लटकता उसका मंगलसुत्र | गोरे गोरे मुम्मो को जैसे काला मंगलसूत्र चूम रहा था, सहला रहा था |

अब जाकर उसे समझ आया कि आज उसकी माँ उसको इतनी सुन्दर क्यों दिख रही थी | उसने अपनी माँ की सुन्दरता को हमेशा देखा था | मगर सुबह के हादसे के बाद आज उसका धयान पहली बार इस और गया था कि वो कितनी कामुक दिखती है | उसकी हर अदा कामुकता से भरपूर थी | जिस तरह वो चाय की चुस्कियां ले रही थी, जिस तरह उसके सुर्ख होंठो से चाय का प्याला छूता जा रहा था | जिस तरह सांस लेने से उसका ब्रा रहत सीना हल्का सा ऊपर उठता था | जिस तरह वो विच विच में उसकी और देखकर मुस्करा देती थी.....उफ्फ्फ्फ़ उसकी माँ का बदन कितना कामुक है! कैसे उसके अंग अंग से मादकता बरस रही थी |

सलोनी के रूप की चमक ने उसके बेटे को अपने मोहपाश में बांध लिया था, वो जैसे सम्मोहित हो चूका था |

सलोनी चाय की चुस्कियां लेती बीच बीच में राहुल की और देख लेती थी | जो उसे अपलक घूरे जा रहा था | वो उसकी नज़रों की तपिश अपने चेहरे और सीने पर महसूस कर रही थी | वो राहुल की आँखों से उसके चेहरे से जान सकती थी उसका बेटा उसके हुसन का दीवाना बन चूका है | वो देख सकती थी कि वो उसके चेहरे की बारीक़ से बारीक़ रेखाओं की और धयान से देख रहा था, वो देख सकती थी कैसे उसकी आँखें उसकी सांस लेने से ऊपर निचे होते उसके मम्मो के साथ ऊपर निचे हो रही थी | सलोनी यहाँ एक तरफ अपने हुसन के इतने जबरदस्त प्रभाव से खुश थी, अपने हुसन पर अभिमान कर रही थी | वहीँ उसे कुछ लज्जा सी भी महसूस हो रही थी कि उसका बेटा अपनी हमउम्र की लड़कियां छोड़ अपनी 38 बर्षीए माँ पे आशिक हो रहा था, उसे कुछ शर्म सी आ रही थी |

सलोनी प्लेट और कप्स उठाकर सिंक में डाल देती है | सलोनी पानी चलाती है तो राहुल उसके पास आकर खड़ा हो जाता है |

“लाओ मम्मी, मैं बरतन साफ़ करने में तुम्हारी मदद करता हूँ” |
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Nevil singh

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“थैंक यू बेटा, मगर अभी नहीं, यह छोटा सा काम मैं कर लूंगी, तुम ऐसा करो टीवी लगाओ, मैं भी आती हूँ, हम दोनों मिलकर टीवी देखेंगे” |

“नहीं मम्मी, अब से हम दोनों मिलकर काम करेंगे, मैंने आपको कहा था ना” |

सलोनी के चेहरे पर मुस्कुराहट फ़ैल जाती है |

“बेटा यह सिर्फ दो चार बर्तन ही हैं, मुश्किल से पांच मिनट का काम है, मैं खुद कर लूंगी, तुम शाम को खाना बनाने में मेरी मदद करना, अब तुम जाओ और टीवी पर चेक करो, कौन सी अच्छी मूवी लगी है, दोनों मिलकर कोई मूवी देखते हैं” |

“ठीक है मम्मी, जैसा आप कहें”, राहुल अपनी माँ की नंगन नाभि पर एक नज़र डालता है और मुडकर बाहर जाने लगता है |

“एक मिनट बेटा, मुझे तुमसे एक जरूरी बात कहनी थी” अचानक सलोनी राहुल को पीछे से आवाज़ देती है | वो पीछे मुडकर देखता है | उसकी माँ के चेहरे से मुस्कराहट गायब थी | उसका चेहरा कुछ झुका हुआ था और वो बहुत गंभीर जान पडती थी | बल्कि ऐसा लगता था जैसे वो कुछ परेशानी में हो |

“क्या बात है माँ?” राहुल थोडा सा परेशान हो उठता है |

सलोनी कुछ पलों तक चुप रहती है जैसे अपनी बात कहने की हिम्मत जूटा रही हो | फिर वो अपना चेहरा ऊपर उठाकर राहुल की आँखों में देखकर बोलती है |

“बेटा आज सुबह जो कुछ तुम्हारे कमरे में हुआ, मेरा मतलब जो कुछ मैंने किया तुम प्लीज....प्लीज उसका किसी से ज़िक्र नहीं करना, प्लीज बेटा”, सलोनी मिन्नत भरे लहजे में फुसफुसा बोली | शायद वो यह बात बहुत समय से राहुल से कहना चाह रही थी मगर कह नहीं पा रही थी |

“सुबह...सुबह क्या हुआ था? तुमने क्या किया था जो मैं किसी को ना बताऊँ?” राहुल प्लेन लहजे में बोलता है |

“वो सुबह.... सुबह जब मैं तुम्हारे कमरे में आई थी, जब...जब तुम्हारी ज़िपर में...” सलोनी को समझ नहीं आ रहा था कि राहुल जान बुझकर अनजान क्यों बन रहा है |

“मम्मी मुझे कुछ याद नहीं पड़ता, सुबह क्या हुआ था, मुझे तो आपकी बात ही समझ नहीं आ रही”, राहुल का स्वर पहले की तरह प्लेन था | सलोनी और भी परेशान हो उठी थी |

“बेटा तुम समझ क्यों नहीं रहे....उफ्फ्फ्फ़ जब मैंने अपने मुंह में...”

“मम्मी मुझे लगता है, आप मजाक करने के मूड में हो”, राहुल अपनी माँ की बात बीच में काट कर बोला, “सुबह आप मेरे कमरे में मुझे जगाने आई थी और आपने मुझे नाश्ते के लिए बोला था, बस इतनी ही बात थी”, राहुल उसी प्लेन स्वर में बोलता है |

सलोनी को अचानक अपने बेटे की बात समझ में आती है | अब जाकर उसे समझ में आया था वो क्या कहना चाहता था |

“तुम्हे यकीन है बात इतनी ही है” सलोनी अपने हर शक को दूर कर लेना चाहती थी |

“हां माँ, तुम्हे अच्छी तरह से मालूम है, मेरी याददाशत कितनी अच्छी है” राहुल एक पल के लिए चुप हो जाता है, “और हाँ माँ, जैसे आज सुबह कुछ नहीं हुआ था वैसे ही आगे भी कुछ नहीं होगा और मैं कभी...कभी भी कोई बात किसी से शेयर नहीं करूंगा” |

सलोनी गहरी सांस लेती है | उसके होंठो पर मुस्कुराहट लौट आई थी | उसे लगा उसके सीने से कोई भारी बोझ उतर गया था और अब वो निश्चिंत थी | अब वो खुलकर सांस ले सकती थी | उसे अपने बेटे की समझदारी पर गर्व हो उठा और वो इतनी खुश थी कि वो राहुल को शुक्रिया अदा करना चाहती थी मगर सिर्फ लफ़्ज़ों से नहीं | वो अपने बेटे को यताना चाहती थी कि वो उसकी कितनी शुक्रगुजार है |

सलोनी आगे बढ़कर राहुल के सर पर हाथ फेरती है | वो उसके इतने पास थी कि उसके मुम्मे अपने बेटे की छाती से सटे हुए थे | वो धीरे से अपना मुंह आगे करती है और.....
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Nevil singh

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सलोनी राहुल के कन्धों को थाम धीरे से मुख आगे लाती है | राहुल के होंठ सूखने लगते हैं, दिल की धडकने तेज़ होने लगती हैं, सलोनी के होंठ बिलकुल राहुल के होंठो के सामने आ जाते हैं, मुश्किल से उन दोनों के होंठो के बीच एक इंच का फासला होगा | राहुल के सीने में उसका दिल ‘धम्म-धम्म’ धड़क रहा था | उसके चेहरे पर अपनी माँ की गर्म साँसे पड रही थी | पेंट में उसका लंड तम्बू बना देता है | सलोनी कुछ सेकंड्स के लिए राहुल की आँखों में आँखें डाल कर देखती है जब उसके होंठ राहुल के होंठो के साथ लगभग टच कर रहे होते हैं |

सलोनी धीमे से चेहरा दाईं और घुमाती है | उसके होंठ हल्के से राहुल के होंठो से रगड़ खाते हैं | वो राहुल के दायें गाल पर अपने तपते हुए होंठ लगा देती है |

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राहुल को अपना गाल जलता हुआ महसूस होता है | वो उत्तेजना में अपनी कमर थोड़ी सी आगे करता है तो पायजामे में उसका लंड अपनी माँ के नंगे पेट पर दबता है | सलोनी अपने पेट पर लंड की चुभन महसूस करके होंठो को राहुल के गाल पर दबाती है और अपनी जिव्हा राहुल के गाल पे फेरती है | फिर वो धीमे से अपने होंठ राहुल के गाल से हटाकर उसके कान के पास ले जाती है और सरगोशी करने के अंदाज़ में बोलती है |

“शुक्रिया बेटा, मैं तुम्हे बता नहीं सकती, तुमने मेरे दिल से कितना बड़ा बोझ उतार दिया है”, सलोनी एक पल के लिए चुप होती है फिर लगभग ना सुनने वाली आवाज़ में धीरे से फुसफुसाती है |

“मुझे तो मालूम भी नहीं था कि मेरा बेटा जवान हो गया है और इतना समझदार भी” सलोनी फिर से एक पल के लिए चुप होती है और फिर से फुसफुसाती है, “अगर ऐसे ही समझदारी दिखाओगे तो मैं वादा करती हूँ, तुम्हे छुट्टियों में बहुत मज़ा आने वाला है” |

सलोनी राहुल के कंधे पकड अपना पेट उसके लंड पर दबाती है जो अब झटके मार रहा था और फिर से अपने बेटे के गाल पर एक भीगा चुम्बन देकर उससे चेहरा दूर हटा लेती है | राहुल का चेहरा लाल हो चूका था, उत्तेजना के मारे उसका बुरा हाल था | लंड पेंट में झटके पे झटके मार रहा था | सलोनी नज़र नीची करके उसकी पेंट में बुरी तरह झटके मार रहे लंड को देखती है तो उसकी कामरस से गीली चूत में सनसनी होने लगती है |

“तुम जाकर टीवी लगाओ, मैं अभी आती हूँ” सलोनी मुस्कराती हुई उसे बोलती है और पीछे को मुडकर वो खुद सिंक के पास चली जाती है | राहुल को कुछ लम्हे होश में आने को लगते हैं | फिर वो खुद को संभालता है और ड्राइंग रूम में चला जाता है |
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Nevil singh

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राहुल टीवी ओन करता है और रिमोट लेकर चैनल चेंज करने लगता है |
उसका एक हाथ अपने लंड को मसल रहा था |


अभी भी उसे अपने गाल पर अपनी माँ के होंठो की तपिश महसूस हो रही थी |
अभी भी वो अपने सीने पर अपनी माँ के मुम्मो का दवाब महसूस कर सकता था |
अभी भी वो उसके उत्तेजना से कड़े निप्पलों को अपनी छाती में चुभते महसूस कर सकता था |
उसका लंड अभी भी अपनी माँ के नर्म मुलायम पेट के स्पर्श को याद कर झटके मार रहा था |
उस समय उसकी तीव्र इच्छा हो रही थी कि वो बाथरूम में जाकर मुट्ठ मारे | मगर उसकी माँ जल्द ही बर्तन साफ़ करके आने वाली थी |

उसे ज्यादा समय नहीं लगने वाला था |
इसीलिए वो किसी तरह हस्तमैथुन की अपनी ज़बरदस्त इच्छा को किसी प्रकार दबाने का प्रयत्न कर रहा था |
एक बात से उसे राहत महसूस हो रही थी और ख़ुशी भी कि जब उसने अपना लंड अपनी माँ के पेट पर दबाया था तो उसने गुस्सा ज़ाहिर नहीं किया था |
बल्कि उसने खुद अपना पेट उसके लंड पर दबाया था मतलब उसकी माँ उसे पूरी लाइन दे रही थी |
वो फिर से उसके पेट पर अपना लंड दबा सकता था, या फिर शायद उसे इससे बढ़कर कोशिश करनी चाहिए |
अगर मौका मिला तो वो उसकी चूत पर अपना लंड दबा कर देखेगा वो क्या प्रतिकिर्या करती है |
क्या वो भी पहले की तरह वापिस अपनी चूत उसके लंड पर दबाएगी? उसकी माँ उसके लंड पर अपनी चूत दबाएगी
इस सम्भावना मात्र से उसका लंड फिर से झटके मारने लगता है |

उधर सलोनी बर्तन साफ़ करती मुस्करा रही थी |

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आज नाजाने कितने दिनों, कितने महीनों बाद वो खुद को जिंदा महसूस कर रही थी |
आज कितने समय बाद वो अपने बदन में उठती आनंद की उन लहरों को महसूस कर रही थी,
अपने जिस्म में जोश और उत्तेजना के मिलन से पैदा होने वाली विघुत तरंगो का एहसास ले रही थी,
उसे अपने अंग अंग में मस्ती छाती महसूस हो रही थी |
उसे लग ही नहीं रहा था वो पहले वाली चिडचिडी ,उदास, हर वक़्त थकी रहने वाली सलोनी है |
नहीं यह सलोनी और थी, जो जोश से भरपूर थी जो ज़िन्दगी में छिपे उस असीम आनंद को महसूस करना चाहती थी |
जो अपनी ज़िन्दगी के हर पल को मज़ेदार बनाना चाहती थी |
यह सलोनी औरत को मर्द से मिलने वाले चरम सुख को हासिल करना चाहती थी,
हर दिन हर रात, और अगर उसका पति उसे वो सुख नहीं दे सकता था तो वो उसके लिए अपनी जवानी बर्बाद करने वाली नहीं थी,

उसके पास उसका बेटा था, जवान तगड़ा मर्द, हाँ तगड़ा मर्द जिसके पास एक तगड़ा लंड था
जो उसके बाप के लंड से लम्बा था, मोटा था, जो पत्थर की तरह अकड जाता था |
हाँ वो अपने बेटे पर अपनी जवानी लुटाएगी | वो उसे हर दिन उस स्वर्गिक आनंद का एहसास करवाएगी
जो इस दुनिया की कोई औरत नहीं करा सकती और उसका बेटा उसकी सारी इच्छायों की पूर्ती करेगा,
उसकी सारी ख्वाहिशों को पूरा करेगा उसे अपने पति का इंतज़ार करने की कोई आवशयकता नहीं है,
उसे अपना काम प्यारा है तो वो काम करे | उसके पास उसका बेटा है, उसका बेटा, मोटे तगड़े लंड वाला
और उसका मोटा तगड़ा लंड अब हर रोज़ उसकी चूत में जाएगा, उसकी अपनी माँ की चूत में जाएगा,
उसकी माँ खुद अपने हाथों से पकड़ कर उसका लंड अपनी चूत में लेगी |

सलोनी के सर पर फिर से काम चड़ा हुआ था मगर इस बार वो जानती थी
कि अब उसका अपने बेटे से चुदना तय हो चूका है | यह उसका नसीब है और वो यह भी जानती थी कि अ
गर वो एक बार अपने बेटे से चुद गई तो फिर वो हर दिन उससे चुदेगी, बार बार चुदेगी
और अब उसे गलत सही की कोई परवाह नहीं थी | वो उसकी माँ है और हर माँ का फ़र्ज़ होता है
वो अपने बेटे को दिल खोल कर प्यार करे ,उसकी हर जरूरत पूरी करे |
चाहे वो जरूरत कैसी भी क्यों ना हो | वो अपन बेटे की हर जरूरत पूरी करेगी, और
वो भी उसकी हर जरूरत पूरी करेगा | उन दोनों को अब तरसने की कोई जरूरत नही थी और बिलकुल भी नहीं थी |
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Nevil singh

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सलोनी ड्राइंग रूम में आती है तो राहुल सोफे पर बैठे बैठे टीवी के चैनल चेंज कर रहा था |
उसकी माँ सोफे पर उसके पास धम्म से बैठ जाती है |

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“वोही पुरानी घिसी पीटी फिल्मे आ रही है सभी चैनल्स पर” राहुल चैनल चेंज करते बिना अपनी माँ की और देखते बोलता है |

“कोई कॉमेडी लगी है क्या? मेरा कॉमेडी देखने का मूड है,
प्लीज कोई एक्शन जा रोमांटिक मूवी मत लगाना” सलोनी बेटे से सटती हुई बोलती है |

“हुन्ह्ह्हह... जी सिनेमा पर ‘गोलमाल’ लगी है” |
राहुल को अपनी बगल में अपनी माँ के जिस्म से निकलती तपिश महसूस होती है |
पेंट में उसका थोडा सा नर्म पड चूका लंड एक ही झटके में फिर से अपने रूप में लौट आता है |

राहुल फिल्म लगाकर सोफे की पुश्त से सर टिका लेता है और
अपनी टाँगे उठाकर अपने पाँव सामने पड़े टेबल पर रख देता है |
शायद उसने पहले सोचा नहीं था मगर ऐसा करने से उसका अकड़ा हुआ लंड उभर कर सामने आ जाता है |
उसकी पेंट में बना हुआ तम्बू जिसमे कुछ हिल डुल रहा था, सलोनी की नज़रों के सामने था |
सलोनी थोडा सा घूम कर राहुल के कंधे पर सर रख देती है और अपनी टाँगे मोड़ कर अपना वजन राहुल के ऊपर डाल देती है |
वो अपना एक हाथ पीठ पीछे घुमाकर राहुल के कंधे पर और दूसरा सामने उसकी गोद में उसके खड़े लंड से हलकी सी दूरी पर रख देती है |

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राहुल का लंड अपनी मम्मी के हाथ को इतने नजदीक पाकर सांप की तरह फन उठा फुफकारने लगता है
जैसे किसी को डसने के लिए बिलकुल तैयार हो |
यहाँ राहुल का लंड डसने के लिए तैयार था वहीँ उसकी माँ डसवाने के लिए बिलकुल तैयार थी |

दोनों माँ बेटे टीवी देख रहे थे | यहाँ राहुल का रुख सीधा टीवी की और था वहीँ सलोनी का रुख राहुल की और था |
वो उसके कंधे पर सर टिकाए मुंह घुमाकर टीवी देख रही थी |
दोनों टीवी देख रहे थे या फिर टीवी देखने का नाटक कर रहे थे |
अगर टीवी देख भी रहे थे तो उनका ध्यान टीवी से ज्यादा एक दुसरे में था |
राहुल अपने कंधे में अपनी मम्मी के भारी मुम्मो को गड़ता हुआ महसूस कर रहा था |
वो मन ही मन में ख्वाइश कर रहा था कि उसकी माँ उसका लंड पकड़ ले |
सलोनी ने उसका लंड तो नहीं पकड़ा मगर उसका हाथ थोडा निचे को जरूर हो गया और अब खतरनाक हद तक लंड के करीब था |
राहुल को लगा जैसे उसकी माँ उसे तडपा रही है | उसका लंड और भी अकड़ रहा था
जैसे वो सलोनी के हाथों में जाने के लिए तड़प रहा था | सलोनी धीरे धीरे से राहुल का पेट सहला रही थी |

राहुल बैचेनी में धीरे धीरे जानबूझकर अपना कन्धा हिलाता तो वो सलोनी की छाती को दबाता, सहलाता |
राहुल का दिल कर रहा था वो उसकी छाती को अपने हाथ में पकड़ कर उन्हें खूब सहलाए, दबाए,चूमे ,उन्हें मसल मसलकर लाल कर दे |
मगर वो सीधे सीधे अपनी माँ पर हाथ डालने से डरता था |
कुछ देर यूँ ही बैठे रहने के बाद राहुल ने अपना हाथ अपनी माँ के पेट पर रखा और
टीशर्ट के छोटे होने के कारण उसका जो पेट नंगा था उसे धीरे से सहलाया |
सलोनी के जिस्म में हल्का सा कम्पन हुआ जिसे राहुल ने भी महसूस किया | मगर उसने हाथ नहीं हटाया |
वो अपनी माँ की नर्म मुलायम त्वचा को महसूस करता पहले की तरह सहलाता रहा |
उधर राहुल की शुरुआत से सलोनी ने भी आगे बढ़ने का फैसला किया |
उसका हाथ धीरे धीरे निचे जाने लगा | राहुल की धड़कने बढ़ने लगी |
कुछ ही पलों में सलोनी की हथेली का पिछला भाग राहुल के लंड के सुपाड़े को छू रहा था |

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जैसे ही सलोनी की हथेली से राहुल का लंड टच हुआ, राहुल अपनी ऊँगली से अपनी माँ की नाभि कुरेदने लगा |
दोनों की सांसें गहरी हो रही थी | यहाँ राहुल का लंड बुरी तरह से झटके खा रहा था
वहीँ सलोनी की चूत रस से सरोबर हो चुकी थी और उसकी कच्छी और झांगें भीगती जा रही थी |
उसके निप्पल अकड़ चुके थे और राहुल के कंधे पर चूभ रहे थे |
सलोनी थोडा सा ऊपर को उठती है तो राहुल को उसकी गर्म सांस अपनी गर्दन पर महसूस होती है |
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