“उन्ह्ह्हह्ह्ह.........” सलोनी गांड पर बेटे के हाथ को महसूस करते ही ‘आह’ सी भरती है | राहुल नितम्ब की गोलाई पर अपना हाथ फेरता है |
“तुम सच में सेक्सी हो माँ , इतनी सेक्सी कि मैं तुम्हे बता नहीं सकता” माँ की मादक गांड ने राहुल के दिल पे वार किया था | वो फिर से होश खोने लगा था |
“ऊऊऊउम्म्म्मम्मम्मम्म..........” सलोनी फिर से थोड़ी आह भरती है, “मुझे इसका एहसास बहुत प्यारा लगा रहा है, मेरी पेंटी से कहीं ज्यादा आरामदायक है........ और......और.....” सलोनी थोडा पीछे हटती है तो उसका बेटा उसकी गांड से हाथ हटा लेता है और उसकी कमर को थाम लेता है | सलोनी तब तक पीछे होती है जब तक उसकी उभरी गांड अपने बेटे के लंड को चूम नहीं लेती | सलोनी अपनी गांड को हलके से लंड पर दबाती है और उसका बेटा अपने लंड को माँ की गांड पर |
“उन्न्न्नम्मम्मम्ममह्ह्ह्हह....... हाएएएएए.........”, सलोनी बेटे की तरफ मुंह घुमाती है, “और मैने सच कहा था, तुम्हारे अंडरवियर में से सच में बहुत अच्छी खुशबू आ रही थी, शायद तुमने इसमें कुछ गिराया था....... मुझे लगता है दोपहर को कुछ गिराया होगा” सलोनी की बात से राहुल के गाल लाल होने लगते हैं |
“बता ना क्या गिराया था तूने अपने अंडरवियर में” सलोनी बेहद कामुक आवाज़ में लौड़े पर गांड दबाती बोलती है |
“तुम भी ना मम्मी........” राहुल और भी शर्मा जाता है | मगर वो अपनी कमर पीछे नहीं हटाता बल्कि उसे हल्का सा और दबाता है | उसका लंड कूल्हों की खाई के बीच धंसता जा रहा था | सलोनी को एहसास होता है कि सिचुएशन फिर से पहले वाली होती जा रही है | खुद उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी | मगर अभी सही समय नहीं था अभी उन्हें कुछ देर इंतज़ार करना था इसीलिए वो जिस तरह पीछे को हुई थी उसी तरह आगे को बढ़ गई | राहुल का लंड उसके नितम्बो की घाटी में से निकला तो बुरी तरह से झटके मार रहा था |
“तुम तो कहते थे घर के काम में मेरी मदद करोगे, यह मदद करोगे, मुझे भी काम नहीं करने देते, जब देखो अपने इसको घुसा देते हो मेरी ....” सलोनी राहुल को डांटने के स्वर में बोलती है |
“वो मम्मी....वो मम्मी” राहुल शर्मिंदा था और अपनी मम्मी की इस अचानक तबदीली से हतप्रभ भी |
“इधर आओ ...और यह सलाद काटो, सब्जी बन गई है, मैं रोटी पका लेती हूँ” सलोनी बेटे का उतरा हुआ चेहरा देखकर चह्कती है, “खाली पेट मेहनत नहीं की जाएगी.... ..पहले पेट पूजा फिर......बाकी खाने के बाद” |
“जी मम्मी” राहुल बुझे मन से बोलता है, “उफ्फ्फ्फ़ कैसी ज़ालिम औरत है मेरी मम्मी” जितना उस समय राहुल को अपनी माँ पर प्यार आ रहा था उतना गुस्सा भी |
सलोनी राहुल के उतरे चेहरे को देखती है तो वो मुंह घुमा कर होंठ काटती हंसती है “बेचारा” अपने मन में दोहराती है