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Incest हाए मम्मी मेरी लुल्ली (Completed With gifs)

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लदन से वीर्य निकलना बंद हो चूका था |
उसने अपना मुख उसके लंड से हटाया |

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मुखरस से भीगा लंड चमक रहा था और अभी भी काफी कठोर था |
सलोनी ने लंड की जड़ को अपनी मुट्ठी में कस अपना हाथ आगे को लाने लगी तो लंड में जमा वीर्य की पतली सी धार निकली |

सलोनी ने फुर्ती से अपनी जिव्हा बाहर निकाली
और लंड को निचे करके उस पतली सी धार को अपनी जिव्हा पर समेट लिया |


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“मम्मी ............मम्मी...” राहुल बार बार सिसक रहा था |

उसने फिर से लंड की जड़ को मुट्ठी में भीचा और हाथ आगे को लाई |
इस बार मगर एक बूँद ही बाहर निकली |
सलोनी ने जिव्हा की नोंक से सुपाड़े के छेद से वो बूँद चाट ली |
“मम्मी .........मम्मी ....” राहुल सिसकता जा रहा था |

सलोनी की जिव्हा पूरे लंड पर घूमने लगी और उसे चाट कर साफ़ करने लगी |
लंड पूरा साफ़ होने के बाद उसने सुपाड़े को अपने होंठो में एक बार फिर से भरकर चूसा
और फिर अपने होंठ उसपे दबाकर एक ज़ोरदार चुम्बन लिया |

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“ओह्ह्ह्ह मम्म्मम्म्म्ममी .... मम्म्मम्म्म्ममी....” राहुल अभी भी सिसक रहा था |

सलोनी ने अपनी जिव्हा अपने होंठो पर घुमाई और वीर्य और मुखरस को अपने मुख में समेट लिया |
फिर उसने अपने हाथ राहुल के हाथों पर रखे जो उसके बालों को मुट्ठियों में भींचे हुए थे |

राहुल को अब जाकर एहसास हुआ कि वो जोश में अपनी माँ के बालों को मुट्ठियों में भर खींच रहा था |

“सॉरी मम्मी ...मुझे मालूम नहीं यह कैसे....” राहुल अपनी माँ के बालों से हाथ हटाता माफ़ी मांगता है |
उसका लंड अब सिकुड़ना शुरू हो चूका था |

“कोई बात नहीं बेटा” सलोनी खड़ी होती बोलती है “मुझे उम्मीद है अब तुम्हारी लुल्ली में दर्द नहीं हो रहा होगा” |

“आं....हां...नहीं .... मेरा मतलब अब दर्द नहीं है मम्मी” राहुल हकलाता हुआ बोलता है |

“गुड अब आराम से निचे आना , में नाश्ता गर्म करती हूँ, कहीं फिर से अपनी लुल्ली ज़िपर में ना फंसा देना” |

राहुल को समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या बोले?
उसे लगा शायद उसकी माँ उसका मजाक उड़ा रही है |
लेकिन वो अपनी माँ की कंपकंपाती आवाज़ में डूबी वासना को नहीं देख पा रहा था |

वरना वो समझ जाता यह उसकी माँ की आवाज़ नही थी
बल्कि कामांध में जल रही एक नारी की उत्तेजना बोल रही थी |
जो उस उत्तेजना को मिटाने के लिए किसी भी हद्द तक जा सकती थी |

“और एक बात और ......” सलोनी दरवाज़े की चौखट पर पीछे को मुड़कर बोलती है,
“अपनी लुल्ली को लुल्ली बुलाना बंद कर ... अब यह लुल्ली नहीं रही ... पूरा लौड़ा बन गई है” कहकर सलोनी कमरे से बहार निकल जाती है |
❤ u bhai
 

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वो अपने निप्पलों को मसलती अपनी जाँघों के बिच में देखती है | जो स्टूल पर बैठे होने के कारण थोड़ी खुली हुई थी | उसकी गोरी चूत के होंठ हलके से खुले हुए थे और अन्दर से उनमें से गुलाबीपन झांक रहा था | वो एक हाथ से अपना निप्पल मसलना चालू रखती है और दुसरे को वो निचे लाती है | वो अपनी मध्यम ऊँगली चूत की लकीर में घुमाती है

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तो उसे एहसास होता है कि उसकी चूत कुछ गीली थी |
वो ऊँगली अन्दर घुसाती है तो ऊँगली रस से भीगी चूत में घुसती जाती है |
‘उफ्फ्फ’ उसकी चूत तो जैसे बरस रही थी |
सलोनी की आंखें बंद हो जाती हैं और उसे वो सुबह का समय याद आता है,
नहीं उसे वो समय याद नहीं आता, उसे और कुछ याद नहीं आता बस उसे याद आता है
तो अपने बेटे का सख्त लंड “हाई कितना मोटा है” वो ऊँगली चूत में चलाती सोचती है,

‘कितना हार्ड था जैसे लोहे का हो, ऐसा मोटा कठोर लंड उसकी चूत में जाएगा तो उसे कैसा लगेगा?
‘उफ्फ्फ्फ़’ वो सख्त लंड तो उसकी चूत को छील देगा,
इतना मोटा लंड उसकी चूत की दीवारों को कैसे रगड़ेगा,
जैसे जैसे अभी उसका बेटा उसके सपने में रगड़ रहा था,
हाँ उसका बेटा जब उसके सपने में उसे किसी सांड की तरह चोद रहा था
तो वो कैसे सिसक रही थी, अगर वो वास्तव में अपना लंड उसकी चूत में घुसाकर उसे चोदेगा
तो उसकी क्या हालत होगी’ सलोनी एक पल के लिए कल्पना करती है कि
अपने बेटे के मोटे तगड़े लंड से चुदवाने में उसे कितना मज़ा आएगा तो
उसके होंठो से एक लम्बी ‘आह्ह’ निकल जाती है |

सलोनी अपनी आँखें खोलती है और आईने में अपनी आँखों में झांकती है
उसे अपनी आँखों में अपने बेटे के लिए असीम वासना तैरती दिखाई देती है और
वो डरकर झटके से आईने से दूर हटकर बाथरूम में चली जाती है |
मुंह पर पानी के छींटे मारती वो खुद से यही दोहरा रही थी कि
उसे खुद पर काबू पाना होगा वरना वो सच में राहुल से चुदवा बैठेगी |

सलोनी एक टीशर्ट और पायजामा डाल लेती है |

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वो ब्रा और पेंटी नहीं पहनती | ‘कितनी गर्मी है, इस गर्मी में वो भला ब्रा और पेंटी कैसे पहने?’ सलोनी की टीशर्ट हालाँकि बहुत ज्यादा टाइट नहीं थी मगर उसके मोटे मोटे मम्मो से उसकी पतली सी टीशर्ट खुद कसी हुई थी ना सिर्फ उसके निप्पल टीशर्ट के ऊपर से अपना आभास दे रहे थे बल्कि मम्मो का पूरा आकार भी टीशर्ट से बाखूबी जान पड़ता था | जब वो थोडा सा भी हिलती डूलती तो उसके मम्मे उसकी टीशर्ट में तूफान मचा देते और उसकी टीशर्ट उसके पायजामे तक नहीं पहुँच रही थी | वो थोड़ी सी छोटी भी थी जिस कारण उसकी नाभि नंगी थी | सलोनी हलका सा शिंगार करती है , गले में मंगलसुत्र डाल और अपनी नाक में बाली डाल लेती है | बालों को वो एक रबड़बंद डाल कर पीठ पीछे लटकने देती है | आईने में एक नज़र डाल वो जल्दी से रसोई की और बढ़ जाती है | उसने कोई खास शिंगार नहीं किया था मगर आईने में डाली एक नज़र से वो जान गई थी कि उसका हुसन कितना क़ातिलाना है और कत्ल होने के लिए उस घर में सिर्फ एक ही शक्स था |

राहुल ने नाश्ते के बाद अपना ज्यादातर समय पड़ाई में बतीत किया था | उसकी माँ ने आज उसे इतना मज़ा दिया था कि उसने सोच लिया था वो अपनी माँ को खुश करने का हर संभव प्रयास करेगा | राहुल कोई बच्चा नहीं था | वो इन्टरनेट के युग में पल बढ़ रहा था | इसीलिए पुरष- नारी के बिच सम्बन्ध और उस सम्बन्ध में समाहित अतिकथनीए आनंद के बारे में भली भांति जानता था | उसने अपने लैपटॉप पर ना जाने कितनी ब्लू फिल्में देखी थी | मगर उसे वास्तविक दुनिया में इसका कोई अनुभव नहीं था | आज से पहले ना उसने कभी अपनी माँ को गलत नज़र से देखा था ना ही उसका इस और कोई ध्यान ही गया था | इसीलिए वो यकीन नहीं कर पा रहा था कि उसकी माँ ने उसका लंड मज़े के लिए चूसा था या वो वास्तव में उसकी पीड़ा का निदान कर रही थी | वो इसी उलझन में था और फैसला नहीं कर पा रहा था कि उसकी माँ ने उत्तेजना के वशीभूत उसका लंड चूसा था या फिर वो मात्र पुत्र मोह में अनजाने में उसकी तकलीफ से परेशान होकर उसका लंड चूस रही थी | बहरहाल वजह कोई भी हो उसे इतना मज़ा आया था जितना आज तक नहीं आया था और फिर उसे अपनी माँ की वो बात याद आती है जब उसने जाने के समय बोली थी, “अब इसे लुल्ली बोलना बंद करो, तुम्हारी लुल्ली अब लौड़ा बन गई है” |

राहुल अपने लंड को अपने हाथ से भींच लेता है | वो सुबह के समय को जैसे ही याद करता है उसका लंड झटके मारने लगता है आखिरकार किसी तरह पड़ाई करके वो लेट गया और सोने की कोशिश करने लगा मगर नींद उसकी आँखों से लाखो कोस दूर थी | जैसे तैसे उसे नींद आई तो उसे सपने में भी अपनी मम्मी दिखाई देने लगी | वो दूर खड़ी अपने बदन से एक एक कपडा उतारते हुए उसे पुकार रही थी | मगर जैसे जैसे राहुल उसकी और बढ़ता वो दूर होती जाती | इसी में राहुल की नींद खुल गई वो नहाने चला गया | नहाकर आया तो उसे तेज़ भूख महसूस होने लगी | किचन से आती बर्तनों की आवाज़ से उसने जान लिया था कि उसकी माँ रसोई में खाना बना रही है | मगर नाजाने क्यों उसे नीचे जाने में शर्म महसूस हो रही थी | वो विचलित सा था | मगर उसकी पुकार जैसे प्रभु ने सुन ली | घर की बेल बजी | थोड़ी देर बाद दरवाजा खुला | कुछ पलों बाद उसकी माँ ने उसे ऊँची आवाज़ में उसको पुकारा |

कोई उससे मिलने आया था, कोन हो सकता था? कोई भी हो अब वो बहाने से निचे जा सकता था | वो निचे गया तो उसने दूर से देखा उसका दोस्त सुशांत खड़ा था ‘ओह मैं तो भूल ही गया आज हमारा क्रिकेट का मैच था’ सुशांत उसकी माँ से बातें कर रहा था | उसने राहुल की और नज़र उठाकर भी नहीं देखा | जब राहुल बिलकुल पास आ गया तब उसने कहा “राहुल यार , क्या तू भी, कब से तेरा इंतज़ार कर रहे हैं, तू आया क्यों नहीं?

“मेरी तबीअत ठीक नहीं थी, सर दर्द था, वैसे भी मेरा मूड नहीं है, तुम लोग खेलो” |

“अरे नहीं यार, तेरे बिना बात नहीं बनेगी, चल ना यार” |

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“नहीं मैं नहीं जा सकता, मैंने तुझे बताया ना कि मुझे सर में बहुत तेज़ दर्द है” राहुल की आँखें अपने दोस्त की आँखों का पिछा कर रही थीं और उसका चेहरा लाल होता जा रहा था |
“प्लीज यार चल ना, तूने प्रॉमिस किया था” |

“बेटा तुम्हारे लिए ऑमलेट सैंडविच बना रही हूँ, कुछ और खाने का मूड तो नहीं है?” सलोनी अपने बेटे की और देखती है |

“नहीं मम्मी मैं सैंडविच ही खाऊँगा, आप को मालूम तो है, मुझे ऑमलेट सैंडविच कितना पसंद है” राहुल अपनी माँ को देखता हुआ नर्म स्वर में बोलता है | सुशांत की वजह से उसका बिगड़ा हुआ मूड अब ठीक होने लगा था |

“बस थोडा सा वेट करो, अभी पांच मिनट में रेडी हो जाएगा. ऑमलेट बन गया, घी बस स्टफिंग ब्रेड्स में डालनी बाकी है” सलोनी कडाही में कड़छी चलाती हुई अपने बेटे को देखती हुई मुस्करा कर बोलती है |

“कोई बात नहीं मम्मी, आप आराम से कीजिए”, राहुल रसोई के काउंटर से टेक लगाए सलोनी को देखता हुआ बोलता है | वो चोर नज़रों से सलोनी को घूर रहा था | सलोनी का रुख दिवार की और था | इसीलिए राहुल उसको सिर्फ एक साइड से ही देख पा रहा था |

आज राहुल को अपनी माँ कुछ ज्यादा ही खुबसूरत दिख रही थी , मानो उसकी सुन्दरता में कई गुना इजाफा हो गया था | सुन्दर तो वो वैसे भी बहुत थी, इतनी सुन्दर कि वो जैसे भी कपडे पहने, नए पुराने , किसी भी स्टाइल में बाल बांधे, वो खुबसूरत ही दिखती थी | उसे सुन्दर दिखने के लिए किसी भी तरह का फैशन करने की या फिर मेकअप करने की जरूरत नहीं थी | राहुल को हैरानी हो रही थी कि उसका इस और पहले धयान क्यों नहीं गया | उसका ध्यान अपनी माँ की उठी हुई टीशर्ट और उसमे से झांकते हुए उसके सपाट दुधिया पेट पर गया | खास करके उसकी नाभि पर, उसका गोरा दुधिया पेट और गहरी नाभि पर जैसे उसकी नज़र जम गयी थी |

“बेटा ऑमलेट तैयार है, साथ में जूस लोगे जा फिर चाय पिओगे” |

“मम्मी मैं चाय पीऊँगा” राहुल डायनिंग टेबल की कुर्सी पर बैठता बोलता है |

राहुल और उसकी माँ दोनों टेबल पर आमने सामने बैठे खाना खा रहे थे | कोई कुछ बोल नहीं रहा था | राहुल का ध्यान बार बार अपनी माँ के चेहरे और उसकी छाती पर चला जाता | यहाँ उसके मुम्मो ने टीशर्ट को ऊपर उठाया हुआ था |

“अगर तुम खेलने जाना चाहते हो तो जा सकते हो, मैं तुम्हे खेलने कूदने से नहीं रोकती, मगर तुम्हे अपनी पढाई का भी धयान रखना चाहिए”, सलोनी राहुल को देखते बोलती है |
“सॉरी माँ अब से गलती नहीं होगी, आगे से पूरा ध्यान रखूँगा”, राहुल सलोनी के चेहरे की और देखता हुआ बोलता है |

“आज तुमने पढाई की थी?” |

“हाँ मम्मी, सुबह से कर रहा था, अभी बस थोड़े से समय के लिए सोया था” |

“गुड, वैरी गुड, फिर तो तुम खेलने जा सकते हो”, सलोनी राहुल की आँखों में देखती बोलती है |

Mast update.
 

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“थैंक यू बेटा, मगर अभी नहीं, यह छोटा सा काम मैं कर लूंगी, तुम ऐसा करो टीवी लगाओ, मैं भी आती हूँ, हम दोनों मिलकर टीवी देखेंगे” |

“नहीं मम्मी, अब से हम दोनों मिलकर काम करेंगे, मैंने आपको कहा था ना” |

सलोनी के चेहरे पर मुस्कुराहट फ़ैल जाती है |

“बेटा यह सिर्फ दो चार बर्तन ही हैं, मुश्किल से पांच मिनट का काम है, मैं खुद कर लूंगी, तुम शाम को खाना बनाने में मेरी मदद करना, अब तुम जाओ और टीवी पर चेक करो, कौन सी अच्छी मूवी लगी है, दोनों मिलकर कोई मूवी देखते हैं” |

“ठीक है मम्मी, जैसा आप कहें”, राहुल अपनी माँ की नंगन नाभि पर एक नज़र डालता है और मुडकर बाहर जाने लगता है |

“एक मिनट बेटा, मुझे तुमसे एक जरूरी बात कहनी थी” अचानक सलोनी राहुल को पीछे से आवाज़ देती है | वो पीछे मुडकर देखता है | उसकी माँ के चेहरे से मुस्कराहट गायब थी | उसका चेहरा कुछ झुका हुआ था और वो बहुत गंभीर जान पडती थी | बल्कि ऐसा लगता था जैसे वो कुछ परेशानी में हो |

“क्या बात है माँ?” राहुल थोडा सा परेशान हो उठता है |

सलोनी कुछ पलों तक चुप रहती है जैसे अपनी बात कहने की हिम्मत जूटा रही हो | फिर वो अपना चेहरा ऊपर उठाकर राहुल की आँखों में देखकर बोलती है |

“बेटा आज सुबह जो कुछ तुम्हारे कमरे में हुआ, मेरा मतलब जो कुछ मैंने किया तुम प्लीज....प्लीज उसका किसी से ज़िक्र नहीं करना, प्लीज बेटा”, सलोनी मिन्नत भरे लहजे में फुसफुसा बोली | शायद वो यह बात बहुत समय से राहुल से कहना चाह रही थी मगर कह नहीं पा रही थी |

“सुबह...सुबह क्या हुआ था? तुमने क्या किया था जो मैं किसी को ना बताऊँ?” राहुल प्लेन लहजे में बोलता है |

“वो सुबह.... सुबह जब मैं तुम्हारे कमरे में आई थी, जब...जब तुम्हारी ज़िपर में...” सलोनी को समझ नहीं आ रहा था कि राहुल जान बुझकर अनजान क्यों बन रहा है |

“मम्मी मुझे कुछ याद नहीं पड़ता, सुबह क्या हुआ था, मुझे तो आपकी बात ही समझ नहीं आ रही”, राहुल का स्वर पहले की तरह प्लेन था | सलोनी और भी परेशान हो उठी थी |

“बेटा तुम समझ क्यों नहीं रहे....उफ्फ्फ्फ़ जब मैंने अपने मुंह में...”

“मम्मी मुझे लगता है, आप मजाक करने के मूड में हो”, राहुल अपनी माँ की बात बीच में काट कर बोला, “सुबह आप मेरे कमरे में मुझे जगाने आई थी और आपने मुझे नाश्ते के लिए बोला था, बस इतनी ही बात थी”, राहुल उसी प्लेन स्वर में बोलता है |

सलोनी को अचानक अपने बेटे की बात समझ में आती है | अब जाकर उसे समझ में आया था वो क्या कहना चाहता था |

“तुम्हे यकीन है बात इतनी ही है” सलोनी अपने हर शक को दूर कर लेना चाहती थी |

“हां माँ, तुम्हे अच्छी तरह से मालूम है, मेरी याददाशत कितनी अच्छी है” राहुल एक पल के लिए चुप हो जाता है, “और हाँ माँ, जैसे आज सुबह कुछ नहीं हुआ था वैसे ही आगे भी कुछ नहीं होगा और मैं कभी...कभी भी कोई बात किसी से शेयर नहीं करूंगा” |

सलोनी गहरी सांस लेती है | उसके होंठो पर मुस्कुराहट लौट आई थी | उसे लगा उसके सीने से कोई भारी बोझ उतर गया था और अब वो निश्चिंत थी | अब वो खुलकर सांस ले सकती थी | उसे अपने बेटे की समझदारी पर गर्व हो उठा और वो इतनी खुश थी कि वो राहुल को शुक्रिया अदा करना चाहती थी मगर सिर्फ लफ़्ज़ों से नहीं | वो अपने बेटे को यताना चाहती थी कि वो उसकी कितनी शुक्रगुजार है |

सलोनी आगे बढ़कर राहुल के सर पर हाथ फेरती है | वो उसके इतने पास थी कि उसके मुम्मे अपने बेटे की छाती से सटे हुए थे | वो धीरे से अपना मुंह आगे करती है और.....
Bhout bariya update👍👍.
 

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राहुल टीवी ओन करता है और रिमोट लेकर चैनल चेंज करने लगता है |
उसका एक हाथ अपने लंड को मसल रहा था |


अभी भी उसे अपने गाल पर अपनी माँ के होंठो की तपिश महसूस हो रही थी |
अभी भी वो अपने सीने पर अपनी माँ के मुम्मो का दवाब महसूस कर सकता था |

अभी भी वो उसके उत्तेजना से कड़े निप्पलों को अपनी छाती में चुभते महसूस कर सकता था |
उसका लंड अभी भी अपनी माँ के नर्म मुलायम पेट के स्पर्श को याद कर झटके मार रहा था |
उस समय उसकी तीव्र इच्छा हो रही थी कि वो बाथरूम में जाकर मुट्ठ मारे | मगर उसकी माँ जल्द ही बर्तन साफ़ करके आने वाली थी |

उसे ज्यादा समय नहीं लगने वाला था |
इसीलिए वो किसी तरह हस्तमैथुन की अपनी ज़बरदस्त इच्छा को किसी प्रकार दबाने का प्रयत्न कर रहा था |
एक बात से उसे राहत महसूस हो रही थी और ख़ुशी भी कि जब उसने अपना लंड अपनी माँ के पेट पर दबाया था तो उसने गुस्सा ज़ाहिर नहीं किया था |
बल्कि उसने खुद अपना पेट उसके लंड पर दबाया था मतलब उसकी माँ उसे पूरी लाइन दे रही थी |
वो फिर से उसके पेट पर अपना लंड दबा सकता था, या फिर शायद उसे इससे बढ़कर कोशिश करनी चाहिए |
अगर मौका मिला तो वो उसकी चूत पर अपना लंड दबा कर देखेगा वो क्या प्रतिकिर्या करती है |
क्या वो भी पहले की तरह वापिस अपनी चूत उसके लंड पर दबाएगी? उसकी माँ उसके लंड पर अपनी चूत दबाएगी

इस सम्भावना मात्र से उसका लंड फिर से झटके मारने लगता है |

उधर सलोनी बर्तन साफ़ करती मुस्करा रही थी |

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आज नाजाने कितने दिनों, कितने महीनों बाद वो खुद को जिंदा महसूस कर रही थी |

आज कितने समय बाद वो अपने बदन में उठती आनंद की उन लहरों को महसूस कर रही थी,
अपने जिस्म में जोश और उत्तेजना के मिलन से पैदा होने वाली विघुत तरंगो का एहसास ले रही थी,
उसे अपने अंग अंग में मस्ती छाती महसूस हो रही थी |
उसे लग ही नहीं रहा था वो पहले वाली चिडचिडी ,उदास, हर वक़्त थकी रहने वाली सलोनी है |
नहीं यह सलोनी और थी, जो जोश से भरपूर थी जो ज़िन्दगी में छिपे उस असीम आनंद को महसूस करना चाहती थी |
जो अपनी ज़िन्दगी के हर पल को मज़ेदार बनाना चाहती थी |
यह सलोनी औरत को मर्द से मिलने वाले चरम सुख को हासिल करना चाहती थी,
हर दिन हर रात, और अगर उसका पति उसे वो सुख नहीं दे सकता था तो वो उसके लिए अपनी जवानी बर्बाद करने वाली नहीं थी,

उसके पास उसका बेटा था, जवान तगड़ा मर्द, हाँ तगड़ा मर्द जिसके पास एक तगड़ा लंड था
जो उसके बाप के लंड से लम्बा था, मोटा था, जो पत्थर की तरह अकड जाता था |
हाँ वो अपने बेटे पर अपनी जवानी लुटाएगी | वो उसे हर दिन उस स्वर्गिक आनंद का एहसास करवाएगी
जो इस दुनिया की कोई औरत नहीं करा सकती और उसका बेटा उसकी सारी इच्छायों की पूर्ती करेगा,
उसकी सारी ख्वाहिशों को पूरा करेगा उसे अपने पति का इंतज़ार करने की कोई आवशयकता नहीं है,
उसे अपना काम प्यारा है तो वो काम करे | उसके पास उसका बेटा है, उसका बेटा, मोटे तगड़े लंड वाला
और उसका मोटा तगड़ा लंड अब हर रोज़ उसकी चूत में जाएगा, उसकी अपनी माँ की चूत में जाएगा,
उसकी माँ खुद अपने हाथों से पकड़ कर उसका लंड अपनी चूत में लेगी |

सलोनी के सर पर फिर से काम चड़ा हुआ था मगर इस बार वो जानती थी
कि अब उसका अपने बेटे से चुदना तय हो चूका है | यह उसका नसीब है और वो यह भी जानती थी कि अ
गर वो एक बार अपने बेटे से चुद गई तो फिर वो हर दिन उससे चुदेगी, बार बार चुदेगी

और अब उसे गलत सही की कोई परवाह नहीं थी | वो उसकी माँ है और हर माँ का फ़र्ज़ होता है
वो अपने बेटे को दिल खोल कर प्यार करे ,उसकी हर जरूरत पूरी करे |

चाहे वो जरूरत कैसी भी क्यों ना हो | वो अपन बेटे की हर जरूरत पूरी करेगी, और
वो भी उसकी हर जरूरत पूरी करेगा | उन दोनों को अब तरसने की कोई जरूरत नही थी और बिलकुल भी नहीं थी |
Wonderful update👍👍.
 

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सलोनी ड्राइंग रूम में आती है तो राहुल सोफे पर बैठे बैठे टीवी के चैनल चेंज कर रहा था |
उसकी माँ सोफे पर उसके पास धम्म से बैठ जाती है |

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“वोही पुरानी घिसी पीटी फिल्मे आ रही है सभी चैनल्स पर” राहुल चैनल चेंज करते बिना अपनी माँ की और देखते बोलता है |

“कोई कॉमेडी लगी है क्या? मेरा कॉमेडी देखने का मूड है,
प्लीज कोई एक्शन जा रोमांटिक मूवी मत लगाना” सलोनी बेटे से सटती हुई बोलती है |

“हुन्ह्ह्हह... जी सिनेमा पर ‘गोलमाल’ लगी है” |

राहुल को अपनी बगल में अपनी माँ के जिस्म से निकलती तपिश महसूस होती है |
पेंट में उसका थोडा सा नर्म पड चूका लंड एक ही झटके में फिर से अपने रूप में लौट आता है |

राहुल फिल्म लगाकर सोफे की पुश्त से सर टिका लेता है और
अपनी टाँगे उठाकर अपने पाँव सामने पड़े टेबल पर रख देता है |
शायद उसने पहले सोचा नहीं था मगर ऐसा करने से उसका अकड़ा हुआ लंड उभर कर सामने आ जाता है |

उसकी पेंट में बना हुआ तम्बू जिसमे कुछ हिल डुल रहा था, सलोनी की नज़रों के सामने था |
सलोनी थोडा सा घूम कर राहुल के कंधे पर सर रख देती है और अपनी टाँगे मोड़ कर अपना वजन राहुल के ऊपर डाल देती है |

वो अपना एक हाथ पीठ पीछे घुमाकर राहुल के कंधे पर और दूसरा सामने उसकी गोद में उसके खड़े लंड से हलकी सी दूरी पर रख देती है |

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राहुल का लंड अपनी मम्मी के हाथ को इतने नजदीक पाकर सांप की तरह फन उठा फुफकारने लगता है
जैसे किसी को डसने के लिए बिलकुल तैयार हो |
यहाँ राहुल का लंड डसने के लिए तैयार था वहीँ उसकी माँ डसवाने के लिए बिलकुल तैयार थी |

दोनों माँ बेटे टीवी देख रहे थे | यहाँ राहुल का रुख सीधा टीवी की और था वहीँ सलोनी का रुख राहुल की और था |

वो उसके कंधे पर सर टिकाए मुंह घुमाकर टीवी देख रही थी |
दोनों टीवी देख रहे थे या फिर टीवी देखने का नाटक कर रहे थे |
अगर टीवी देख भी रहे थे तो उनका ध्यान टीवी से ज्यादा एक दुसरे में था |
राहुल अपने कंधे में अपनी मम्मी के भारी मुम्मो को गड़ता हुआ महसूस कर रहा था |
वो मन ही मन में ख्वाइश कर रहा था कि उसकी माँ उसका लंड पकड़ ले |
सलोनी ने उसका लंड तो नहीं पकड़ा मगर उसका हाथ थोडा निचे को जरूर हो गया और अब खतरनाक हद तक लंड के करीब था |

राहुल को लगा जैसे उसकी माँ उसे तडपा रही है | उसका लंड और भी अकड़ रहा था
जैसे वो सलोनी के हाथों में जाने के लिए तड़प रहा था | सलोनी धीरे धीरे से राहुल का पेट सहला रही थी |

राहुल बैचेनी में धीरे धीरे जानबूझकर अपना कन्धा हिलाता तो वो सलोनी की छाती को दबाता, सहलाता |
राहुल का दिल कर रहा था वो उसकी छाती को अपने हाथ में पकड़ कर उन्हें खूब सहलाए, दबाए,चूमे ,उन्हें मसल मसलकर लाल कर दे |
मगर वो सीधे सीधे अपनी माँ पर हाथ डालने से डरता था |

कुछ देर यूँ ही बैठे रहने के बाद राहुल ने अपना हाथ अपनी माँ के पेट पर रखा और
टीशर्ट के छोटे होने के कारण उसका जो पेट नंगा था उसे धीरे से सहलाया |
सलोनी के जिस्म में हल्का सा कम्पन हुआ जिसे राहुल ने भी महसूस किया | मगर उसने हाथ नहीं हटाया |
वो अपनी माँ की नर्म मुलायम त्वचा को महसूस करता पहले की तरह सहलाता रहा |

उधर राहुल की शुरुआत से सलोनी ने भी आगे बढ़ने का फैसला किया |
उसका हाथ धीरे धीरे निचे जाने लगा | राहुल की धड़कने बढ़ने लगी |
कुछ ही पलों में सलोनी की हथेली का पिछला भाग राहुल के लंड के सुपाड़े को छू रहा था |

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जैसे ही सलोनी की हथेली से राहुल का लंड टच हुआ, राहुल अपनी ऊँगली से अपनी माँ की नाभि कुरेदने लगा |
दोनों की सांसें गहरी हो रही थी | यहाँ राहुल का लंड बुरी तरह से झटके खा रहा था
वहीँ सलोनी की चूत रस से सरोबर हो चुकी थी और उसकी कच्छी और झांगें भीगती जा रही थी |
उसके निप्पल अकड़ चुके थे और राहुल के कंधे पर चूभ रहे थे |
सलोनी थोडा सा ऊपर को उठती है तो राहुल को उसकी गर्म सांस अपनी गर्दन पर महसूस होती है |
Very erotic update.
 

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दोनों माँ बेटे बुरी तरह से उत्तेजित थे | माँ अपने होंठ राहुल की गर्दन से सटा देती है | बेटा सिसक उठता है उसकी एक ऊँगली माँ के पायजामे की इलास्टिक में कमर के एक सिरे से दुसरे सिरे तक पेंटी को टच करती घुमती है | इस बार माँ कराह उठती है | अपनी टांग मोड़ कर बेटे के लंड को अपने घुटने से रगड़ने लगती है |

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बेटा कच्छी के उपर से अपनी माँ की चुत से थोडा ऊपर उंगल से गोल गोल घेरे बनाता है
और अपनी बाजु माँ की गर्दन के पीछे से घुमाकर उसके कंधे से उसके मुम्मे के बेहद करीब रख देता है |
माँ अपने मुम्मो और चूत के इतने करीब बेटे की उँगलियाँ पाकर मदहोश होने लगती है | वो एक तरफ घुटने को आगे बढाती है और दूसरी तरफ से अपनी हथेली को और बेटे के लंड को दोनों के बीच दबा देती है | बेटा कराह उठता है |
माँ बेटे की गर्दन को चूमती हुई उस पर अपनी जिव्हा रगडती है |

बेटे का हाथ सीने पर निचे होता है और मुम्मो की घाटी में उसकी उँगलियाँ दस्तक देने लगती है | माँ हथेली का दवाब देकर घुटने को धीरे धीरे ऊपर निचे करने लगती है | बेटा लगातार कराहने लगता है | वो पायजामे की इलास्टिक को हटाता है | उसकी उँगलियाँ अन्दर तक घुसती जाती हैं और वो अपनी माँ की जांघ को सहलाता है | दुसरे हाथ से मुम्मे के उपरी हिस्से पर उँगलियों से लकीरे खींचता है | माँ अपने होश गंवाने लगती है, ऊँचे ऊँचे सिसकते हुए अपने घुटने को तेज़ और तेज़ बेटे के लंड पर रगडती है | बेटा माँ के सीने उपर उँगलियाँ और नीचे लाता है | अब उसकी उँगलियाँ मुम्मो के गिर्द गुलाबी घेरे के पास तक पहुँच चुकी थी | कामौंध में डूबी माँ के निप्पल बेटे की उँगलियों को अपने इतने नज़दीक पाकर और भी अकड़ जाते हैं | इससे वो उसके हाथ में पहुँचने को बेताब हो बेटे का हाथ पायजामे के अन्दर जांघ के जोड़ से होता हुआ जांघ के मध्य तक जा रहा था और जब भी वो ऊपर आता तो हर बार उसका हाथ रस से भीगी कच्छी पर चूत के करीब और करीब होता जाता | माँ बेटे की गर्दन को हलके से दांतों से काटती है

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| बेटा होशो हवास खो कर माँ के मुम्मे को अपनी हथेली से ढक देता है मगर उसे दबाता नहीं है |

माँ अपना सीना उभार अपने बेटे के हाथ में अपना मुम्मा धकेलती है जैसे उसे दबाने के लिए आमंत्रित कर रही हो |
बेटा हथेली को कस कर दबा देता है | माँ उछल पडती है और हथेली को सीधा करके लंड को पकड़ लेती है
और अपने हाथ को तेज़ी से आगे पीछे करने लगती है |

बेटा मुम्मे को मसलता हुआ माँ के पायजामे के अन्दर अपने हाथ को माँ की चूत की तरफ लाता है
जैसे ही बेटे का हाथ बुरी तरह भीगी हुई कच्छी के ऊपर से अपनी माँ की चूत को छूता है
तो माँ बेटे को लगता है जैसे वो नंगी चूत को छू रहा हो |

“आह्ह्हह्ह्ह्ह......” माँ के मुख से चीख निकलती है और उसका बदन जोर जोर से हिलने लगता है |
माँ सखलित हो रही थी वो चीखती हुई बेटे के लंड को जोर से पकड़ कर खींचती है, मसलती है,
तो बेटा भी माँ के मुम्मे को मुट्ठी में भींच पूरी चूत को कच्छी के ऊपर से हथेली में समेट लेता है |

माँ का बदन ऐंठने लगता है वो ऊपर को उठती है और
अपने नम होंठ अपने बेटे के होंठो पर रख देती है |

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“मम्मम्मम्ममम्मी.....” बेटा इस प्रहार को सहन नहीं कर पाता और पायजामे में उसका लंड वीर्य की फुहारे छोड़ने लगता है |

“बे.....टा.....” माँ बेटे के होंठो पर होंठ दबाती है, सिसकती है |
माँ बेटा दोनों एक दुसरे को आलिंगन में भर लेते हैं |

दोनों ने आज उस चरम सुख को प्राप्त किया था जिसके बारे में लोग सिर्फ सुनते हैं मगर उसे हासिल नहीं कर पाते |

सच में जैसा प्यार एक माँ अपने बेटे को दे सकती है वैसा प्यार एक बेटे को कोई और नहीं दे सकता
Bilkul sahi Maa, Maa hi hoti hai.
 
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राहुल सलोनी की हंसी की आवाज़ सुनता है तो आँखें खोल देता है |
सलोनी का चेहरा उसके चेहरे के सामने था, वो शर्मा जाता है |

“ओए होए, देखो तो साहब को अभी शर्म आ रही है” राहुल के गाल लाल होने लगते हैं |
सलोनी और भी जोर से हंसती है “अभी उठो और जाकर थोडा समय पढाई कर लो,
बाद में रात के खाने की तैयारी करनी है, मैं अभी कपडे धोने जा रही हूँ,
तुम भी अपना अंडरवियर और पेंट उतार कर दे देना और कुछ न्यु पहन लेना” |
इतना कह कर सलोनी उठती है और उठने के साथ राहुल के लंड को अपनी मुट्ठी में भर लेती है
और कस कर मसल देती है |

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“आह्ह्ह्ह...” राहुल सिसक उठता है | उसका लंड इस समय पूरे जोश में था,
जंग लड़ने के लिए बिलकुल तैयार मगर अभी उसे इंतज़ार करना पड़ेगा |
अपनी माँ को जाते हुए राहुल देखता है तो अपने लंड को बड़े प्यार से सहलाता है
“बस थोडा सा सब्र कर जल्द ही तेरी मन की मुराद पूरे होने वाली है |

लंड ने एक जोर का झटका मारा जैसे राहुल की बात से उसे अत्यंत ख़ुशी मिली हो |

राहुल अपनी पेंट और अंडरवियर उतारता है और एक इलास्टिक का पायजामा पहन लेता है |
उसे बहुत शर्म आ रही थी अपनी माँ को अपने वीर्य से खराब कपडे देने में,

इसीलिए वो उन्हें गोल करके इकठ्ठा कर देता है और अपनी माँ के कमरे में जाता है
यहाँ सलोनी अपने कमरे से अटैच्ड बाथरूम में कपडे धो रही थी |
राहुल जैसे ही बाथरूम में पाँव रखता है सामने का नज़ारा देखकर उसके होश गुम हो जाते हैं |
सामने सलोनी राहुल की तरफ पीठ करके खड़ी थी |
उसके बदन पर कपडे के नाम पर एक काली कच्छी थी |

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उसका पायजामा , टीशर्ट उसके पाँव के पास फर्श पर पड़े हुए थे |

वो नल चलाकर बाल्टी में पानी भर रही थी |
राहुल का ध्यान अपनी माँ की गर्दन से होता हुआ नीचे की और आता है |

उसने अभी भी अपने बालों में रबड़ डाली हुई थी |
उसकी माँ की पीठ पर बाल आसमान में बादल की तरह मंडरा रहे थे |
‘उफफ्फ्फ्फ़’ कितनी गोरी थी, एकदम दूध के जैसे , कहीं पर एक निशान तक नहीं था |

राहुल पहली बार अपनी माँ को इस हालत में देख रहा था |
उसके बाल उसकी कमर पर उसके नितम्बो से थोडा सा ऊपर तक आ रहे थे |
कंधो से निचे को आते हुए उसकी कमर अन्दर को बल खाकर पतली हो रही थी और
फिर थोडा निचे जाकर बाहर को बल खाते हुए उसके नितम्बो के रूप में फ़ैल जाती थी |
कच्छी के अन्दर से झांकती उसकी उभरी गोल मटोल गांड राहुल को पुकार रही थी |
उसके नितम्बो को चुमते हुए उसकी कच्छी नितम्बो पर खूब कसी हुई थी और
नितम्बो की घाटी में थोडा सा अन्दर की और समाई हुई थी |

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राहुल का गला खुशक हो गया | उसके गले से आवाज़ नहीं निकल रही थी |
उधर बाल्टी आधी पानी से भर जाती है | सलोनी निचे झुक जाती है,

टांगों के बीच में से उसे कच्छी पर एक बहुत बड़ा गीला धब्बा दिखाई देता है |

यहाँ उसकी कच्छी भीगी होने के कारण इस तरह चूत से चिपकी हुई थी कि
राहुल चूत के होंठो को और उनके बीच हलकी सी दरार तक को देख सकता था |
मगर जिस चीज़ ने सबसे जयादा उसका धयान अपनी और खींचा वो था सलोनी का मुम्मा जो कि झुकने

और एक तरफ को मुडने के कारण निचे को झूलता हुआ
राहुल की आँखों के सामने था, पूरा तरह से बेपर्दा |

“उन्न्नग्गग्ग्ग्गह्ह्ह्ह” ना चाहते हुए भी राहुल के होंठो से तेज़ सिसकी निकल जाती है |

“ओह्ह्ह्हह.... बेटा तुम हो, मुझे मालूम ही नहीं चला, इधर अपने कपडे डाल दो,
मैं धो देती हूँ” सलोनी अनजान बनते हुए बोलती है जैसे राहुल के आने का पता ही ना चला हो | वो उठकर खड़ी हो जाती है |
👋👋👋 shabdh nahi hai tarif ke liye.
 

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राहुल अपनी माँ के करीब जाता है,
इतना करीब कि उसकी गांड उसके अकड़े लंड से मात्र एक हाथ की दूरी पर थी |
उस समय उसकी एक ही ख्वाइश थी अपनी माँ की कच्छी उतार कर उसको उसी तरह घोड़ी बनाने का
जैसा वो अभी अभी बनी हुई थी और फिर उसकी चूत में अपना लंड डालकर उसको चोदने का |

मगर वो उसे चोद नहीं सकता था, कम से कम अभी तो हरगिज़ नहीं |
उसे अभी इंतज़ार करना होगा मगर वो अपनी माँ की नंगी गांड को एक बार छूना जरूर चाहता था |
उसकी नंगी पीठ को सहलाना चाहता था | वो अपना हाथ अपनी माँ के गोल मटोल उभरे हुए दुधीआ नितम्ब की और बढाता है,
उत्तेजना के मारे वो बुरी तरह से कांप रहा था, उसकी उँगलियाँ लगभग अपनी माँ के नितम्ब को छू रही थी |

“बेटा कहाँ खो गये, इधर डाल दो कपडे” सलोनी की आवाज़ से राहुल जैसे नींद से उठता है
और अपना हाथ तुरंत वापिस खींच लेता है मगर घबराहट में उसकी उँगलियाँ धीरे से सलोनी के नितम्बो को सहला देती हैं |

“आँ......हाँ....हाँ मम्मी....” राहुल अपने कपडे फर्श पर फेंक देता है, सलोनी थोडा सा घूमती है
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और राहुल को देखती है जो उसके घूमने के कारण नज़र आ रहे मुम्मे को देखते हुए अपने होंठो पर जिव्हा फेर रहा था |

डार्क गुलाबी रंग का निप्पल अकड़ कर कठोर हो चूका था, राहुल उसे होंठो में भरकर चुसना चाहता था,
काटना चाहता था | इसी बीच सलोनी फर्श पर पड़े राहुल के कपडे उठाने के लिए फिर से झुकती है

तो राहुल का लंड उसकी गांड में धंसता चला जाता है |

“अरे यह क्या.......” सलोनी चौंकने का नाटक करती है, “यह मेरे नितम्बो में क्या चुभ रहा है” कहकर सलोनी सीधी हो जाती है
और राहुल की तरफ घूम जाती है | अब माँ बेटा आमने सामने थे | माँ अपने बेटे के सामने केवल एक कच्छी में थी
और वो भी बुरी तरह से भीगी हुई उसकी चूत के होंठो को स्पष्ट दिखा रही थी |
राहुल की नज़र पहली बार अपनी माँ के नगन मुम्मो पर पडती है |

‘उफफ्फ्फ्फ़’ क्या गोल मटोल भरी मुम्मे थे, सीधे तने और उन पर गुलाबी रंग के कड़क तीखे निप्पल,
राहुल सांस लेना भूल गया था |

“अरे तूने इसे फिर से खड़ा कर दिया, मैंने तुझे पढने के लिए कहा था और

तू इसे खड़ा करके मेरे पीछे चुभा रहा है” सलोनी झूठ मूठ का नाटक करती कहती है,
जैसे बेटे का लंड खड़ा होना उसे पसंद नहीं आया हो |

“सॉरी मम्मी..... सॉरी...अभी जा कर पढता हूँ” राहुल बाहर को भागता है |

“अभी इसे मत छेड़ना सुबह से मेहनत कर रहा है, थोडा आराम करने दो,
रात को बेचारे को फिर से मेहनत करनी पड़ेगी” राहुल के पीछे उसकी माँ चिल्ला कर कहती है |
बेटे की हालत देख सलोनी की हंसी रोके नहीं रुक रही थी | वो आज कुछ ज्यादा ही शरारती बन रही थी |

उसे बेटे को छेड़ने में , उकसाने में एक अल्ग ही लुत्फ प्राप्त हो रहा था |
Gajab update boss.
 

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राहुल कमरे में जाते ही अपनी पेंट नीचे करता है और लंड मुट्ठी में भरकर मसलता है |
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“हाएएएएएएईएएए मम्मी.....म्म्मम्म्मी” उसे सलोनी के तने हुए मुम्मे याद आते हैं, उसे गुलाबी रंग के तीखे निप्पल याद आते हैं |

“उम्म्म्ममम्मम्मम.... मम्म्म्ममी” उसे सलोनी की उभरी हुई गोल मटोल कसी हुई गांड याद आती है |

“आआअह्ह्ह्ह......ऊऊउफ़्फ़्फ़्फ़.....” उसे अपनी माँ की भीगी पेंटी से झांकती चूत की याद आती है |
उसे याद आता है कैसे पेंटी उसकी चूत के होंठो को चूम रही थी, कैसे वो उसके होंठो के बीच की लकीर के अन्दर को घुसी हुई थी |
राहुल अपना हाथ लंड पर चलाता हुआ मुट्ठ मारने लगता है |
मगर तभी उसे याद आता है कि उसकी मम्मी ने उसे क्या कहा था |
उसे अपने लंड को आराम देना चाहिए था | मगर वो खुद पर काबू नहीं कर सकत था,
सलोनी ने जो शो उसे दिखाया था उसे देखने के बाद उसकी उत्तेजना चरम पर पहुँच गई थी |
वो फिर से मुट्ठ मारने लगता है |


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उसके कानों में अपनी माँ के बोल फिर से गूंजते हैं, ‘रात को इसे फिर से बहुत मेहनत करनी है’
राहुल ना चाहते हुए भी अपने लंड से अपना हाथ हटा लेता है |
वो सच में सुबह का दो बार झड चूका था और अगर उसे अब मुट्ठ मारी तो हो सकता है
उसका लंड इतना थकने के बाद रात को जवाब दे जाए और अगर उसे रात को जैसा उसकी माँ ने कहा था
कि बहुत मेहनत करनी पड़ेगी और जो दिन भर की घटनायों को देखते हुए लगभग तय भी लग रहा था तो
कहीं वो अपनी मम्मी के सामने शर्मिंदा ही ना हो जाए | राहुल अपने लंड से हाथ हटा लेता है |
वो बुरी तरह से झटके मार रहा था |
राहुल तकिये पर सर रखकर अपने झटके मारते हुए लंड को देखता है |
लंड का फूला हुआ सुपाड़ा देखते हुए वो कल्पना करता है कि
उसका वो सुपाड़ा अपनी माँ की गुलाबी चूत में घुस रहा है और

उसकी माँ अपने बेटे के लंड को अपनी चूत में लेते हुए सिसक रही है |
वो पूरी नंगी है उसके मुम्मे उभरे हुए हैं, राहुल लंड को चूत में घुसाते उन्हें पकड लेता है और कस कर धक्का मारता है ......
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“आआअह्ह्ह्ह............उफफ्फ्फ्फ़.....बेटा....” उसके कानो में अपनी माँ की सिसकी गूंजती है |
वो कल्पना मात्र से इतना उत्तेजित हो उठा था कि उसके हाथ फिर से अपने लंड पर पहुँच जाते हैं और वो उसे मसलने लगता है | मगर अगले ही पल वो फिर से अपने लंड पर से हाथ हटा लेता है और झटके से उठ खड़ा होता है |
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“मेरे लाल........मेरा बेटा..........हे भगवान............” सलोनी झड़ रही थी |
उसके हाथ उसके अंगो को मसल रहे थे

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और सखलित होते उसके दिल में तीव्र इच्छा उठती है कि उसका बेटा उस समय उसके अंगो को मसले |
अगर राहुल उस समय बाथरूम में होता तो सही इस समय उसका लंड उसकी चूत में होता और सलोनी बेटे से चुद रही होती | रात तक इंतज़ार करना उसके लिए बहुत भारी था | उसका दिल कर रहा था वो उसी समय अपने बेटे के कमरे में जाये और उससे चुदवा ले |

धीरे धीरे सख्लन के ठंडा पड़ने के बाद सलोनी खुद पर काबू पाने में सक्षम हुई |
ठन्डे पानी से नहाकर और सख्लन के पश्चात उसकी गर्मी थोड़ी सी कम हो गई थी |


उसे खुद को व्यस्त करना होगा....... तभी वो चुदवाने की अपनी जबरदस्त इच्छा को दबा सकेगी | वैसे भी शाम तक छे बज चुके थे, रात का खाना बनाने का समय हो चूका था | वो शावर से बाहर निकलती है और तौलिये से बदन पोंछती है | गोरे जिस्म से पानी पोंछते हुए सलोनी यही सोच रही थी कि वो क्या पहने? वो कुछ ऐसा पहनने की फ़िराक में थी जिससे वो राहुल की उत्तेजना को बढ़ाए, उसकी भावनाओं को भड़काए | उसके पास कुछ पारदर्शी कपडे थे मगर नहीं वो कुछ और पहनना चाहती थी | अचानक उसका धयान बाल्टी में पड़े धोये कपड़ों पर जाता है तो उसके होंठो पर मुस्कान फ़ैल जाती है ....उसे अपनी समस्या का हल मिल गया था |

राहुल कंप्यूटर पर नज़रें गडाए बैठा था जब उसे किचन से बर्तन खटकने की आवाजें आती सुनाई देने लगती है | नाजाने राहुल क्या देख रहा था, जा क्या पड़ रहा था कि वो किचन में जाने की अपनी बलवती इच्छा को कुछ देर दबाने में सफल हो गया | स्क्रीन पर जो कुछ भी था शायद राहुल के ख़ास काम का था, राहुल पूरा धयान देकर उसे समझने की कोशिश कर रहा था |

सात बजे के करीब राहुल निचे आता है और सीधे रसोई में जाता है |

“आ गया मेरा राजा बेटा, क्या कर रहा था” सालोनी खाना बनाते हुए बिना दरवाजे की तरफ देखते बोलती है | जब राहुल इतनी देर से निचे नहीं आया था तो उसके मन में चिंता के बादल घिरने लगे थे |

“हाँ मम्मी , वो लैपटॉप पर पढ....” राहुल से बात पूरी नहीं होती | सामने उसकी मम्मी उसके कपडे पहने खड़ी थी | सलोनी ने वही अंडरवियर और शर्ट पहनी थी जो राहुल उसे धोने के लिए देकर आया था |
Maa toh bete ki diwani ho gayi hai.
 
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