“थैंक यू बेटा, मगर अभी नहीं, यह छोटा सा काम मैं कर लूंगी, तुम ऐसा करो टीवी लगाओ, मैं भी आती हूँ, हम दोनों मिलकर टीवी देखेंगे” |
“नहीं मम्मी, अब से हम दोनों मिलकर काम करेंगे, मैंने आपको कहा था ना” |
सलोनी के चेहरे पर मुस्कुराहट फ़ैल जाती है |
“बेटा यह सिर्फ दो चार बर्तन ही हैं, मुश्किल से पांच मिनट का काम है, मैं खुद कर लूंगी, तुम शाम को खाना बनाने में मेरी मदद करना, अब तुम जाओ और टीवी पर चेक करो, कौन सी अच्छी मूवी लगी है, दोनों मिलकर कोई मूवी देखते हैं” |
“ठीक है मम्मी, जैसा आप कहें”, राहुल अपनी माँ की नंगन नाभि पर एक नज़र डालता है और मुडकर बाहर जाने लगता है |
“एक मिनट बेटा, मुझे तुमसे एक जरूरी बात कहनी थी” अचानक सलोनी राहुल को पीछे से आवाज़ देती है | वो पीछे मुडकर देखता है | उसकी माँ के चेहरे से मुस्कराहट गायब थी | उसका चेहरा कुछ झुका हुआ था और वो बहुत गंभीर जान पडती थी | बल्कि ऐसा लगता था जैसे वो कुछ परेशानी में हो |
“क्या बात है माँ?” राहुल थोडा सा परेशान हो उठता है |
सलोनी कुछ पलों तक चुप रहती है जैसे अपनी बात कहने की हिम्मत जूटा रही हो | फिर वो अपना चेहरा ऊपर उठाकर राहुल की आँखों में देखकर बोलती है |
“बेटा आज सुबह जो कुछ तुम्हारे कमरे में हुआ, मेरा मतलब जो कुछ मैंने किया तुम प्लीज....प्लीज उसका किसी से ज़िक्र नहीं करना, प्लीज बेटा”, सलोनी मिन्नत भरे लहजे में फुसफुसा बोली | शायद वो यह बात बहुत समय से राहुल से कहना चाह रही थी मगर कह नहीं पा रही थी |
“सुबह...सुबह क्या हुआ था? तुमने क्या किया था जो मैं किसी को ना बताऊँ?” राहुल प्लेन लहजे में बोलता है |
“वो सुबह.... सुबह जब मैं तुम्हारे कमरे में आई थी, जब...जब तुम्हारी ज़िपर में...” सलोनी को समझ नहीं आ रहा था कि राहुल जान बुझकर अनजान क्यों बन रहा है |
“मम्मी मुझे कुछ याद नहीं पड़ता, सुबह क्या हुआ था, मुझे तो आपकी बात ही समझ नहीं आ रही”, राहुल का स्वर पहले की तरह प्लेन था | सलोनी और भी परेशान हो उठी थी |
“बेटा तुम समझ क्यों नहीं रहे....उफ्फ्फ्फ़ जब मैंने अपने मुंह में...”
“मम्मी मुझे लगता है, आप मजाक करने के मूड में हो”, राहुल अपनी माँ की बात बीच में काट कर बोला, “सुबह आप मेरे कमरे में मुझे जगाने आई थी और आपने मुझे नाश्ते के लिए बोला था, बस इतनी ही बात थी”, राहुल उसी प्लेन स्वर में बोलता है |
सलोनी को अचानक अपने बेटे की बात समझ में आती है | अब जाकर उसे समझ में आया था वो क्या कहना चाहता था |
“तुम्हे यकीन है बात इतनी ही है” सलोनी अपने हर शक को दूर कर लेना चाहती थी |
“हां माँ, तुम्हे अच्छी तरह से मालूम है, मेरी याददाशत कितनी अच्छी है” राहुल एक पल के लिए चुप हो जाता है, “और हाँ माँ, जैसे आज सुबह कुछ नहीं हुआ था वैसे ही आगे भी कुछ नहीं होगा और मैं कभी...कभी भी कोई बात किसी से शेयर नहीं करूंगा” |
सलोनी गहरी सांस लेती है | उसके होंठो पर मुस्कुराहट लौट आई थी | उसे लगा उसके सीने से कोई भारी बोझ उतर गया था और अब वो निश्चिंत थी | अब वो खुलकर सांस ले सकती थी | उसे अपने बेटे की समझदारी पर गर्व हो उठा और वो इतनी खुश थी कि वो राहुल को शुक्रिया अदा करना चाहती थी मगर सिर्फ लफ़्ज़ों से नहीं | वो अपने बेटे को यताना चाहती थी कि वो उसकी कितनी शुक्रगुजार है |
सलोनी आगे बढ़कर राहुल के सर पर हाथ फेरती है | वो उसके इतने पास थी कि उसके मुम्मे अपने बेटे की छाती से सटे हुए थे | वो धीरे से अपना मुंह आगे करती है और.....