देवा नीलम को रत्ना की तरह चोद रहा था। वो ये भूल गया था कि रत्ना की चूत थोड़ी खुली हुई है, और नीलम तो बेचारी कल रात ही औरत बनी है। एक कच्ची कली को भँवरा जब बेरहमी से चूसे, उसका सारा रस एक साथ पीकर उड़ना चाहे तो उस कली की वो हालत होती है, वही इस वक्त नीलम की थी।
नीलम हिल नहीं सकती थी क्योंकी रत्ना उसके पैर के पास बैठकर नीचे से देवा के आंड और नीलम की गाण्ड को चाट रही थी। और बेरहम देवा सटासट अपने लोहे के रोड जैसे लण्ड को अपनी नई नवेली बीबी की चूत में लगातार अंदर-बाहर कर रहा था। वो बस चिल्ला सकती थी, पर उसे भी देवा बीच-बीच में रुक देता, अपने होंठ उसके मुँह में घुसाकर, उसकी आवाज़ भी निकलने से रुक जा रही थी।
नीलम: गूँन्… उंन्ह… गूँन्न…” एक घुटी-घुटी सी आवाज़ के साथ चुदे जा रही थी-“उंन्ह… अह्म्मह… मुझे सांस तो लेने दो जी उंन्ह… अह्म्मह… मम्मी प्लीज़ मेरी गाण्ड को… मेरे चूत पर… आह रहम करो मैं आह्ह्ह्हह… आह्ह्ह्हह… और वो तेज धार के साथ मूतने लगती है। उसका पेशाब सीधा रत्ना के मुँह में गिरने लगता है, जिसे रत्ना बड़े चाव से किसी अमृत के तरह पी जाती है।
रत्ना:“गलप्प्प-गलप्प्प अह्म्मह… मेरे पति और बहू का पानी…” उसके पेशाब में देवा के पानी की भी खुश्बू आ रही थी क्योंकी नीलम का पेशाब देवा के लण्ड से होता हुआ गुजर रहा था, वो नीलम की चूत में सटासट अंदर-बाहर हो रहा था।
नीलम अब थोड़ी खुल चुकी थी। इतना गंदा उसने कभी नहीं सोचा था कि उसकी चूत का पानी उसकी सास पिएंगी और वो खड़े-खड़े देवा के लण्ड के दबाव से चुदते हुए मूतने लगेगी। ये एहसास ही उसे पानी छोड़ने पे मजबूर कर देता है। और वो देवा से चिपक के झड़ने लगती है-“अह्म्मह… उंह्म्मह… जोर से जड़ तक आह्ह्ह्हह… ऐसे ही एक बार आह्ह्ह्हह…” वो झड़ते-झड़ते बस यही चिल्ला रही थी।
जब नीलम पूरा झड़ जाती है तो देवा भी अपना लंड उसकी चूत में से निकल कर रत्ना के मुँह में झड़ने लगा था। दोनों का पानी नीचे बहने लगता है। जिसे रत्ना चाटती जा रही थी-“गलप्प्प-गलप्प्प अह्म्मह…” रत्ना का चेहरा पूरी तरह नीलम के पेशाब और देवा के वीर्य से भीग चुका था।
देवा उसे खड़ा करता है, और शावर के नीचे दोनों के साथ नहाने लगता है। उस दिन से देवा ने रत्ना और नीलम को कपड़े पहनने नहीं दिया। ये सिलसिला पूरी रात चला। वो हर वक्त रूम में नंगे रहते, और देवा किसी ना किसी को चोद रहा होता।