देवा सबसे पहले नीलम की पेशानी, फिर गाल, फिर नाक, फिर होंठ, फिर गर्दन, फिर हल्के गुलाबी निपल को मुँह से चूमे चाटे चला जा रहा था। उसकी इस हरकत से जहाँ नीलम के जिस्म में कंपकंपी मची हुई थी, वहीं रत्ना अपनी चूत को रगड़े बिना नहीं रह पा रही थी।
रत्ना देवा के पायजामे का नाड़ा खोल देती है। और देवा का तना हुआ लण्ड उसके मुँह के सामने आ जाता है। वो बिना डरे उसके लण्ड को अपने गले तक उातरती चली जाती है-“गलप्प्प-गलप्प्प-गलप्प्प उंन्ह… गलप्प्प-गलप्प्प…”
हैरत की बात तो ये थी कि इस सबके दौरान कोई भी किसी से बातें नहीं कर रहा था। वो सिर्फ़ पूरे जोश के रंग में रंगना चाहते थे। उन्हें किसी चीज़ की कोई फिकर नहीं थी।
देवा नीलम के पेट तक पहुँच चुका था, वो उसकी छोटी सी नाभी में अपनी जीभ डाले उसे कमर उठाने पे मजबूर कर रहा था।
नीलम जानती थी कि देवा आगे क्या करने वाला है? और वो इसके लिये तैयार भी थी। जैसे ही देवा के लबों ने नीलम की कुँवारी चूत को पहली बार छुआ, नीलम के रोम-रोम में बिजली की लहर दौड़ गई। वो अपने दोनों हाथों से देवा के सिर को अपनी चूत पे दबाने लगती है।
देवा पहली बार नीलम के साथ ये सब कर रहा था और उसे इस सब में बहुत मज़ा आ रहा था। एक तरफ रत्ना देवा के लण्ड को अपने मुँह में से निकालने को तैयार नहीं थी।
वहीं दूसरी तरफ देवा नीलम की चूत को अपनी जीभ से चाटे जा रहा था। इस सब बातों से दूर कि बेचारी नीलम जिसकी चूत को वो खुद भी कभी कभार ही छूती थी, क्योंकी उसकी चूत बहुत सेंसटिव है। जब भी नीलम नहाते वक्त अपनी चूत को छूती तो दो मिनट में ही उसका पानी निकलने लगता था। और यहाँ तो देवा किसी भूखे कुत्ते की तरह नीलम की चूत को चाटे जा रहा था-“गलप्प्प गलप्प्प-गलप्प्प…”
पूरे रूम में नीलम की सिसकारियों की आवाज़ गूँज रही थी।
देवा का लण्ड एक झटका मारता है, और उसका गाढ़ा पानी रत्ना के मुँह को भरने लगता है।