रुक्मिणी तो मदहोशी से आँखें बँद करके सिसकरियाँ लेते हुए अपनी चुचियाँ मसलने लगी और कमर उठा के देवा के हाथ पे चूत दबाते हुए बड़बड़ायी, “मुझे... कुँवारी बोलता है...... मुझे चुदाई का कोई मौका नहीं मिला नहीं तो मैं.... कुँवारी...जैसी रहती क्या ?”
फिर हँसने लगी और और हँसते हुए ही आगे बोली, “शायद तेरे जैसा तगड़ा लौड़ा नहीं मिला... इसलिए यह टाईट है... (हिच्च...) और शायद इसी वजह से मैंने खुद को और साथ में अपनी बेटी के साथ भी तुझसे चुदवाया ना?”
देवा ने एक हाथ से अपना लंड रुक्मिणी की चूत पे रखा और फिर दूसरे हाथ से रुक्मिणी के दोनों हाथ पकड़ के ऊपर कर के बोला, “रूकू तू हमेशा खुश रहेगी मेरी रंडी बनके... बहनचोद... तेरी जैसी मस्त और बिंदास औरत को पैर की जूती बना के ही चोदना चाहिए। साली... इतने साल से तेरी गरम चूत को जिस तगड़े लंड की तालाश थी वो अब खतम हो गयी... मेरी रंडी बनके तू ने वो तालाश खुद खतम की है। आज के बाद तुझे कभी भी प्यासी नहीं रहना पड़ेगा मेरी छिनाल... तू चाहेगी तो एक साथ तुझे और तेरी बेटी की गाँड मारूँगा”
रुक्मिणी अपनी चूत ऊपर उठा के देवा के लंड से भिड़ाती हुई बोली, “डाल दे अपना लौड़ा मेरी चूत में और चोद के मेरी चूत की गरमी निकाल दे... अब तेरे जैसे मस्त लौड़े से मेरी चूत चुदेगी तो मेरी प्यास ज़रूर मिटेगी... देवा अब आज के बाद मैं और मेरी बेटी रानी तेरी रंडियाँ बन गयी हैं... तू जब.. जितना भी चाहे हमें चोद।”
देवा ने अपना लंड रुक्मिणी की चूत पे रख के रुक्मिणी की चूत का मुँह खोला और फिर अपना लंड अंदर घुसेड़ने लगा। उसका लंड ज़रा मुश्किल से अंदर घुस रहा था। जैसे-जैसे देवा ने ज़ोर लगाया, उसका लंड रुक्मिणी की चूत में घुसने लगा। रुक्मिणी की चूत एक दम गीली हो गयी थी, इसलिए फिर १-२ धक्कों में देवा का पूरा लंड रुक्मिणी की चूत में घुस गया। लंड पूरा घुसने के बाद देवा रुक्मिणी के हाथ छोड़ के उसके निप्पल चूसते हुए रुक्मिणी को दनादन चोदने लगा।
रुक्मिणी भी नीचे से कमर उठा-उठाके चुदवाने लगी और देवा से बोली, “हाँ डाल साले... और अंदर पेल लंड... चोद मुझे... जी भर के मेरी चूत चोद... ऊफ्फ्फ्फ्फफ क्या मस्त लंड है तेरा भोंसड़ी के... बेरहमी से चोद मेरी चूत।”