नीलम शालु की बात सुनके थोड़ी हैरत में आ जाती है, भला माँ ऐसी कैसी बात कह रही है।
क्या वो भी यही चाहती है की मै देवा और उसकी माँ के रिश्ते को क़बूल कर लुँ और जो चल रहा है चलने दूँ…
ऐसा सोचते हुए नीलम ने सोचा शायद मुझे माँ से पहले उसके और भाई के बीच हो रही चुदाई की बात करनी चाहिये।
और माँ को यह विश्वास दिलाना चाहिए की मैंने उनके इस रिश्ते को क़बूल कर लिया है तो शायद माँ मुझे यह बता दे की आखिर वो मुझसे देवा और उसकी माँ के रिश्ते को क़बूल करने को क्यों कह रही है…
नीलम: “माँ, इस बात से पहले मै आपसे कुछ और बात साफ़ करना चाहती हूँ…मैं नहीं चाहती की मै आपसे कुछ छुपाऊँ…”
शालु: “ऐसी क्या बात है…”
नीलम ने गहरी साँस लेते हुए कहा… “माँ मुझे आपके और भाई के बीच हो रही उस बात का पता है, और मुझे यह भी पता है की भाभी भी आपका साथ दे रही है…”
शालु की गांड फट गयी नीलम की यह बात सुनकर,, और उसका सर नीचे झुक गया…
नीलम, “मैने सब देख लिया था अपनी आँखों से परसो रात को…इसलिये अगर आप यह बात ध्यान में रखकर बोल रही हो की जैसे नूतन भाभी आपका साथ दे रही है वैसे ही मै भी देवा और रत्ना काकी का दूँ…तो उसके लिए आपको मुझे समझाना होगा की मै ऐसा क्यों करुं…और यह कितना सही होगा…”
शालु नीलम की बात सुन रही थी, पर उसकी सिट्टी पिट्टी गुम थी नीलम की बात से…
नीलम: “माँ आप कुछ बोलो भी…”
शालु: “वोओओओ मैं…वो दरअसल…क्या कहू”
नीलम: “माँ आप फिकर मत करो मै आपके और भाई के बीच जो चल रहा है उसपे कोई सवाल नहीं कर रही हूँ बस मुझे जानना है की जो आप करने को कह रही हो वो सही रहेगा या नहीं…कही ज्यादा गलत तो नहीं हो जाएगा।”
शालु थोड़ी सोच में पड़ गयी थी उसका सर भारी हो गया था, क्युकी नीलम ने अचानक ही जो बोल दिया था इतना…
नीलम समझ रही थी की उसके अचानक सच बोलने से माँ थोड़ी डर गयी है इसलिए वो उससे कहती है…
नीलम: “माँ आप डरो मत मै समझ सकती हूँ की आपकी भी अपनी जरूरतें है, और अपने ही परिवार के लोग काम न आयेंगे तो भला कौन आएगा…मैं यह जान गयी हूँ की परिवार वालो के बीच यह सब होना बहुत कम देखने को मिलता है, पर यह गलत नहीं है…बल्की इसका भी अपना अलग ही मजा आता है…और बदनामी का भी कोई डर नहीं…इसलिये मै आपके लिए खुश हुँ…आप मुझसे बेझिझक बोलिये जो भी बोले…बस मुझे बताइए…”