अपडेट 126
देवा बड़ी आस लगाता हुआ अपनी माँ रत्ना से पूछता है की आखिर शालु और नीलम क्या कह कर गए है सुबह.......
रत्ना देवा को देखती है और कहती है… “बात साफ़ साफ़ करके गए है वह…”
देवा डर जाता है, “मतलब क्या साफ़ करके ?”
रत्ना: “मतलब यह की आखिर कितनी जल्दी यह शादी करायी जा सकती है……………”
और यह कहते हुए रत्ना मुस्कुराती है…
देवा रत्ना की बात को समझने में थोड़ा समय लगाता है और उसकी मुस्कान से समझ जाता है।
देवाचौंकते हुए) “क्या”
रत्ना हँसने लगती है, “हाँ बेटा, तुम दूल्हे राजा बनने वाले हो बहुत जल्द…नीलम को हमारा रिश्ता क़बूल है…”
देवा को यह सुनकर ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहता और वो तुरंत उठकर अपनी माँ को गले से लगा लेता है…।
“माँ सच्ची कह रही हो न…।”
रत्ना “मुची…”
देवा का तो ख़ुशी का कुछ ठिकाना ही नहीं रहता वो वही खड़ा नाचना शुरू कर देता है यह जानकार की नीलम ने हाँ कर दी है शादी के लिए और उसका और उसकी माँ के बीच के रिश्ते को भी क़बूल कर लिया है।
देव, “माँ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है की नीलम को हमारा रिश्ता क़बूल है…यह कैसे हुआ ”
रत्ना: “हैरान तो मै भी हूँ, जब सुबह माँ बेटी आये तो मुझे लगा की क्या होगा, मै तो नीलम से नजर तक नही मिला पा रही थी, कुछ देर बाद सब बाते खुलकर सामने आने लगी, फिर नीलम ने मेरा हाथ पकड लिया और मुझसे कहा की वो समझती है मेरे दर्द को इसलिए उसे हमारे बीच के रिश्ते से कोई नाराजगी नहीं है…”
देवा रत्ना की बातो को गौर से सुनता है और जान कर थोड़ा हैरान भी होता है की नीलम ने ऐसा कहा।
रत्ना:“उसे तुमसे कोई शिकायत नही, वो जानती है की तुम उसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हो, और जो हमारे बीच चल रहा है उसका उसकी जिंदगी पर असर ज्यादा नहीं पड़ने वाला…।वह तुमसे अब भी उतना ही प्यार करती है देवा…”
देवा मन ही मन शेरा वाली का धन्यवाद करता है और उस औरत की बातो को याद करता है की उसने बिलकुल सही कहा था अपने प्यार पर भरोसा रखने वाली बात के बारे में।
देवा की ख़ुशी उसकी आँखों से निकलते ख़ुशी के आँसुओ से भी पता लग रही थी।