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Incest हाय रे ज़ालिम.....

Rakesh1999

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देवा और पप्पू बात करते है।
 
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Rakesh1999

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रत्ना ने सारे पकवान गरम किये और देवा को बुलाया…
छोले भठूरे…हलवा…पनीर……खीर…सब देवा का मनपसंद खाना उसके आगे रत्ना ने बड़े प्यार से सजाया…
देवा ने यह सब देखा और रत्ना से कहा… “इतना सारा कैसे खाउंगा माँ।”
रत्ना:“तुम्हारे अकेले के लिए नहीं है मै भी तो हूँ…”
और रत्ना हँसने लगी…
रत्ना को हँसते देख देवा खाने बैठा…
उत्सुक्ता के मारे देवा की भूख भी कम हो गयी थी।
उसने थोड़ा बहुत खाया और हाथ मुँह धो कर आ गया,
रत्ना ने भी तब तक ख़तम कर लिया था खाना…
देवा: “माँ अब बताओ न…”
रत्ना: “क्या बताऊं…”
देवा:“अरे आप जानती हो। मैं बहुत डर रहा हुँ माँ…”
रत्ना को भी लगा की देवा आज दुखी तो है ही और डर भी रहा है…
रत्ना: “अभी जरा फुर्सत से बताऊँगी बेटा…तुम खेतो पे क्यों नहीं हो आते तब तक…मैं जरा काम निपटा लुँ घर के…”
और रत्ना जल्दी से उठ कर सारे बर्तन जमा करने लगी।देवा: “क्या माँ, यहाँ जान निकल रही है…नीलम ने आज मुझे देखा भी नहीं…”
रत्ना:“देवा, अभी मुझे काम करना है दोपहर में बताऊँगी खाने पे…जाओ अब तुम खेतो पे…”
और रत्ना रसोई में चलि जाती है…
देवा अपनी उक्सुकता पे काबू करते हुए खुद से वायदा करता है और उस औरत की बात को याद करता है… “अपने प्यार पर भरोसा रख…”
देवा घर से एक दुखि ह्रदय के साथ खेतो की तरफ रवाना होता है…
खेतो पर पहुँच कर देवा ट्रेक्टर निकाल कर हल चलाता है काफी घण्टो की मेंहनत करके देवा के पसीने निकल जाते है तो वो पास ही के पेड़ के नीचे जा कर लेट जाता है…
उसकी आँख लग जाती है।
देवा उस पेड़ के निचे बहुत आराम महसूस करता हुआ नींद के आग़ोश में चला जाता है।
कुछ देर बाद बारिश शुरू हो जाती है जिससे उसकी नींद खुल जाती है…
देवा बारिश से बचने के लिए खलियान में चला जाता है।
जहां खेतो में काम करने का सामन खाद वग़ैरह रखी रहती है।
खालियान भी कुछ ख़ास अच्छा नहीं बना हुआ था।
छत से पानी तपक रहा था।
देवा खैर जमीन पर जाकर बैठ जाता है और पिछले कुछ दिनों को याद करने लगता है की कैसे उसकी जिंदगी ने एक अलग ही मोर ले लिया है।
देवा इस सोच में डूबे हुए अपनी किस्मत को कोसता है की…
“अगर नीलम मुझसे दुर हो गयी तो मै कैसे जियूँगा…।।मर जाऊंगा मै तो नीलम के बिना…”
और देवा फिर से रोने लगता है।
 

Rakesh1999

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कुछ पल रोने के बाद देवा को फिर से उसी औरत की बात याद आ जाती है और वो रोना बंद कर देता है,
और वही बैठे बारिश के रुकने का इन्तजार करता है…
लगभग आधे घंटे चलि बारिश की वजह से खेत में काम करना आज मुमकिन नहीं था।
इसलिये देवा ने अपने घर लौटने का फैसला लिया और चल दिया।
रास्ते में उसके कान में किसी की आवाज पड़ी जो उसका नाम ले रही थी।
देवा ने पीछे मुड़कर देखा तो यह वैध जी की बहु किरण थी।
किरण देवा को देखकर मुस्करायी, देवा के चेहरे पर का भाव नहीं बदला।
किरन :“कैसे हो देवा…”
देवा:“ठीक हूँ…”
किरण: “भाभी को तो याद ही नहीं करते अब, पदमा में ही लगे रहते हो क्या…”
देवा:“नहीं भाभी वो तो पेट से है वैसे भी, और ऐसा कुछ नहीं है…मै तो आपसे कुछ दिन पहले मिलने की सोच ही रहा था पर क्या करता काम से फुर्सत नहीं मिलति, रात को थक कर सो जाता हूँ…”
किरण: “पदमा को पेट से तो होना ही था। आखिर इतना तगड़ा लंड जो मिला था…”
किरण ने देवा के लंड पर हाथ चलाते हुए कहा।
देवा:“यह क्या कर रही हो तुम यहाँ खुले आम…”
देवा किरण का हाथ झटक कर हटा देता है।
किरण हँसती है, “शर्म आ रही है तुम्हे यहां तो आओ घर चलते है मेरे…”
देवा “नहीं इस समय मन नही है मेरा, कुछ दिन में आता हूँ।”
और देवा किरण को पीछे छोड आगे बढ़ जाता है।
किरण को थोड़ा बुरा लगता है पर उसे भी लगता है की देवा इस वक़्त परेशान है।
उसके चेहरे के हाव भाव से।
देवा भारी मन के साथ अपने घर की तरफ चलते जा रहा था।
किरण से मिलने के बाद उसका मन और भारी हो गया था।
ये याद करके की उसने अपनी माँ और नूतन के अलावा भी कितनी सारी औरतो के साथ सम्बन्ध बनाये है।
नीलम को जब पता चलेगा तो वो अपने प्यार के बारे में क्या क्या सोचेगी…
देवा घर पहुँच जाता है और रत्ना उसका स्वागत करती है।
रत्ना: “आओ…खाना तैयार है, हाथ मुह धो आओ…”
देवा हाथ मुँह धोके आ जाता है।
रत्ना और देवा साथ खाना खाते है…
खाना खाते हुए देवा रत्ना से फिर से पूछता है…
“माँ अब तो बताओ की क्या बात हुई थी…”
 

Rakesh1999

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अब क्या होगा ?

कहानी जारी रहेगी।अपडेट भी जल्दी देने की मैं कोशिश करूँगा।कहानी आपलोगों को कैसी लगी ।अपने विचार अवश्य दें।thanks.
 
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Rakesh1999

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Rakesh1999

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Rakesh1999

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Kabir

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Rakesh1999

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देवा बड़ी आस लगाता हुआ अपनी माँ रत्ना से पूछता है की आखिर शालु और नीलम क्या कह कर गए है सुबह.......

रत्ना देवा को देखती है और कहती है… “बात साफ़ साफ़ करके गए है वह…”
देवा डर जाता है, “मतलब क्या साफ़ करके ?”
रत्ना: “मतलब यह की आखिर कितनी जल्दी यह शादी करायी जा सकती है……………”
और यह कहते हुए रत्ना मुस्कुराती है…
देवा रत्ना की बात को समझने में थोड़ा समय लगाता है और उसकी मुस्कान से समझ जाता है।
देवाचौंकते हुए) “क्या”

रत्ना हँसने लगती है, “हाँ बेटा, तुम दूल्हे राजा बनने वाले हो बहुत जल्द…नीलम को हमारा रिश्ता क़बूल है…”
देवा को यह सुनकर ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं रहता और वो तुरंत उठकर अपनी माँ को गले से लगा लेता है…।
“माँ सच्ची कह रही हो न…।”
रत्ना “मुची…”
देवा का तो ख़ुशी का कुछ ठिकाना ही नहीं रहता वो वही खड़ा नाचना शुरू कर देता है यह जानकार की नीलम ने हाँ कर दी है शादी के लिए और उसका और उसकी माँ के बीच के रिश्ते को भी क़बूल कर लिया है।
देव, “माँ मुझे तो यकीन ही नही हो रहा है की नीलम को हमारा रिश्ता क़बूल है…यह कैसे हुआ ”
रत्ना: “हैरान तो मै भी हूँ, जब सुबह माँ बेटी आये तो मुझे लगा की क्या होगा, मै तो नीलम से नजर तक नही मिला पा रही थी, कुछ देर बाद सब बाते खुलकर सामने आने लगी, फिर नीलम ने मेरा हाथ पकड लिया और मुझसे कहा की वो समझती है मेरे दर्द को इसलिए उसे हमारे बीच के रिश्ते से कोई नाराजगी नहीं है…”
देवा रत्ना की बातो को गौर से सुनता है और जान कर थोड़ा हैरान भी होता है की नीलम ने ऐसा कहा।

रत्ना:“उसे तुमसे कोई शिकायत नही, वो जानती है की तुम उसे अपनी जान से ज्यादा प्यार करते हो, और जो हमारे बीच चल रहा है उसका उसकी जिंदगी पर असर ज्यादा नहीं पड़ने वाला…।वह तुमसे अब भी उतना ही प्यार करती है देवा…”
देवा मन ही मन शेरा वाली का धन्यवाद करता है और उस औरत की बातो को याद करता है की उसने बिलकुल सही कहा था अपने प्यार पर भरोसा रखने वाली बात के बारे में।
देवा की ख़ुशी उसकी आँखों से निकलते ख़ुशी के आँसुओ से भी पता लग रही थी।
 
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