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रजनी : "हाँ .......साब के रसगुल्ले तू चूस....बिरजू के गुलाब जामुन मैं चुसूंगी.......''
दोनो की हँसी निकल गयी इस बात पर....और दोनो एक दूसरे को देखकर काफ़ी देर तक हंसते भी रहे.... और हंसते-2 जब दोनो की नज़रें इस बार आपस मे मिली तो अगले ही पल , एक झटके में रजनी ने पिंकी को अपने उपर खींच लिया और उसके होंठो पर अपने होंठ रखकर उन्हे चूसने लगी....पिंकी भी पागलों की तरह अपनी गोरी मेमसाब् के रसीले बदन को उपर से नीचे तक मसलते हुए, उनके होंठों का रस पीने लगी....रजनी ने आनन फानन में उसकी साड़ी को खींचकर निकाल फेंका... उसके कसे हुए ब्लाउज़ को खींचकर चिथड़े -2 करके फाड़ दिया और फटी हुई ब्रा को भी एक झटके में खींचकर तोड़ दिया...पेटीकोट और पेंटी का भी वही हश्र हुआ....1 मिनट के अंदर उसका कसा हुआ बदन पूरा नंगा होकर रजनी के सामने था...और अब दोनो एक दूसरे के शरीर को ऐसे चाट रहे थे मानो खा ही जाएँगे एक दूसरे को.अब सच में उस कमरे का तापमान पहले से काफ़ी बढ़ चुका था...जो एक आने वाले तूफान का संकेत था.
*************** अब आगे *************** रजनी ने जब पिंकी की चूत को देखा तो एक बार के लिए उसकी सिहरन सी निकल गयी.....
चूत पर घने बालों का गुच्छा लटक रहा था उसकी...
जैसे बरसों से काटे ही ना हो वहाँ के बाल..
उसे याद आया की वो भी तो ऐसी ही थी शादी से पहले तक... जब उसने जवानी में कदम रखा था तब से लेकर शादी तक उसने भी अपनी चूत के बालों को काटा नही था...
वो तो सहेलियो के कहने पर उसने चूत सॉफ करवाई थी सुहागरात के लिए वरना उसे अपने बालों से बहुत प्यार था...
उसके बाद उसे कभी मौका ही नही मिला बाल बड़ाने का,वो खुद ही काट दिया करती थी उन्हे ताकि सफाई बनी रहे और राजेश को बुरा ना लगे...... पर उन बालों की गर्मी का एहसास अलग ही हुआ करता था उन दिनों। आज वैसे ही बाल पिंकी की चूत पर देखते ही वो और ज़्यादा उत्तेजित हो गयी और एक ही बार में उसे बिस्तर पर धकेलकर उसने अपना चेहरा उन बालों पर रख दिया...
एक अजीब सी गंध आ रही थी उनमें से...
पसीने और पेशाब की मिली जुली गंध मिलकर एक नशा सा उत्पन कर रहे थे....
और उस नशे में डूबती हुई रजनी ने अपने होंठ खोलकर उसकी चूत पर रखे और उसे चूसने लगी....
और जब उसकी चूत की नर्मी महसूस हुई तो उसकी चूसने की गति और भी ज़्यादा बढ़ गयी.
और शायद ये पिंकी के साथ पहली बार था जब उसकी चूत को कोई चूस रहा था....
क्योंकि गीली जीभ के एहसास ने उसकी चूत से गर्म पानी के फव्वारे निकालने शुरू कर दिए थे.
''आआआआआआआहह मेंमसाआआआआआआअब्ब्ब........ ये.....ये तो बहुत मजेदार है....... अहह..... मेरे मर्द ने तो आज तक सिर्फ़ इसमें अपना लॅंड ही डाला है..... उम्म्म्मममममममममममम..... आअज्जजज...... आाज पहली बार....... किसी ने मुँह लगाया है यहाँ..... अहह......... कसम से......... बहुत मज़ा...... आआईयईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई....... आआआहह ..... आआआआआ रहाआआआआआअ है...................... अहह मेंसाआआआआअब्ब्ब्ब चूसो ना ....और ज़ोर से चूसो........''
और रजनी को तो जैसे कोई छुपा हुआ खजाना मिल गया था.... वो खजाना जिसे बरसों से किसी ने निकाला नही था....
और जिसे वो अब अपनी जीभ के फावड़े से खोदकर निकाल रही थी...
उफफफफफफफफफफफफफ्फ़....
कितना नशा भरा हुआ था पिंकी की चूत में ...
जैसे पुरानी शराब का कोई ड्रम खोल दिया हो.....
उसमें से शराब रिस-रिसकर बाहर निकलती जा रही थी और रजनी उस शराब को पीकर मस्त हुए जा रही थी.
लेकिन वो ये नही जान पाई की उसकी खुद की शेम्पेन बहे जा रही है उसकी चूत से और बर्बाद हुए जा रही है. पर पिंकी वो कैसे बर्बाद होने देती.....
उसने जब देखा की गाड़े रस की धार निकालकर मेमसाब की जाँघो से होती हुई नीचे गिर रही है तो उसने तुरंत उनकी जांघे पकड़ कर अपनी तरफ खींची और उनकी चूत को अपने मुँह के उपर लाकर पटक लिया....
आज उसका भी पहली बार था इस तरह से किसी दूसरी औरत की चूत का जाम पीना....
लॅंड तो उसने कई बार चूसा था बिरजू का पर चूत रस चखने का पहला मौका था.
दोनो 69 की पोज़िशन में थी..... रजनी तो अपनी जीभ से खोद-खोदकर उसकी चूत की मलाई चाट रही थी और उसकी देखा देखी पिंकी ने भी उसी अंदाज से अपने होंठ और जीभ को उस काम पर लगा दिया और उसे जोरों से चूसने लगी...
उफ़फ्फ़......
क्या चटपटा सा स्वाद था उसका....
एकदम नमकीन पानी था मेमसाब की चूत का....
जैसे जल्जीरा पी रही हो वो....
उपर से एकदम चिकनी चूत ..... उसे ऐसा लग रहा था जैसे किसी चिकने हीरो के होंठो को चूस रही थी वो.... एक बार उसे जब स्वाद आने लगा उस पानी का तो वो रुकी ही नही....
चूत क्या उसके आस पास का सारा हिस्सा और जाँघो तक को वो चाट गयी....
जितना हो सकता था उतना उसने उस जल्जीरे को इकट्ठा किया और पी गयी.
दोनो उस खेल को करीब 10 मिनट तक खेलती रही और फिर उनके अंदर कुछ उबलने सा लगा...
जैसे कोई ज्वालामुखी...
और लगभग एक साथ ही उस ज्वालामुखी ने उनकी चूत पर दस्तक दी और जो पानी रिस-2 कर निकल रहा था वो एक ही बार में तूफान बनकर बाहर की तरफ बह निकला......
दोनो के चेहरे उस बौछार से गीले हो गये पर उन्होने चूत को चूसना और पानी को पीना नही छोड़ा.
और करीब 5 मिनट बाद एक दूसरे को अच्छी तरह से सॉफ करने के बाद वो दोनो एक दूसरे की बाहों में ऐसे चिपककर लेट गयीं जैसे बरसों पुराने प्रेमी हो...
पिंकी : "वाह मेमसाब ......ये जो तरीका आज आपने बताया है वो करके मज़ा आ गया....मुझे तो लगता था की सिर्फ़ मरद औरत ही इस खेल में मज़े करते है पर अब लगता है की इस खेल में इंसानो ने और भी ज़्यादा तरक्की कर ली है...'' इतना कहकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगी...
रजनी : "पर मर्द के लंड का अपना ही मज़ा होता है....''
पिंकी (मंद मंद मुस्कुराते हुए) : "सही कहा मेमसाब ....उसका तो अलग ही मज़ा है....लंबा लंड जब चूत में अंदर तक जाकर रगड़ पैदा करता है तो शरीर से धुंवा सा निकालने लगता है....मन करता है की बस वो लंड ऐसे ही अंदर बाहर होता रहे....होता रहे...होता रहे...''
कहते -2 जैसे वो किसी ख्वाब में खो गयी.... और उस ख्वाब में राजेश उसकी चूत का धनिया बुरी तरह से पीस कर उसकी चटनी बना रहा था...
और वो सोचकर ही उसके मुँह से एक दबी हुई सी सिसकारी निकल गयी…
‘’आआआआअहह’’
और फिर जब उसने आँखे खोलकर रजनी की तरफ देखा तो वो उसे ही देखकर मुस्कुरा रही थी….
वो शायद समझ चुकी थी की वो राजेश के लॅंड के बारे में ही सोच रही थी..
रजनी : “अंदर बाहर होने में मज़ा आता है जब लॅंड लंबा और गोरा हो….जैसे तेरे साब का है….लेगी क्या ??’’
ये तो जैसे एकदम खुल्ला ऑफर ही दे डाला था रजनी ने …
और पिंकी पीछे क्यों रहती भला जब साब की बीबी ही सामने से ऑफर दे रही है
‘’हाँ हाँ क्यों नही मेमसाब …..ऐसा हो गया तो मज़ा ही आ जाएगा…मैं आपके घर का काम फ्री में कर दिया करूँगी…..’’
रजनी भी हंस पड़ी उसकी दिलदारी सुनकर…. राजेश के लॅंड के लिए तो वो अपनी जेब से पैसे देने तक के लिए तैयार थी
रजनी : “तू उसकी चिंता मत कर….मैं तेरा काम भी करवा दूँगी और तुझे अलग से पैसे भी दूँगी….बस तू वैसा करी रह जैसा मैं बोलू….’’
पिंकी का चेहरा चमक उठा….वो बोली “ ठीक है मेमसाब ….आप मेरा काम कारवओ, मैं आपका करवा दूँगी….’’
रजनी : “मेरा…..मेरा कौनसा काम….??’’
पिंकी : “अर्रे वही….बिरजू वाला…’’
कहकर वो ज़ोर-2 से हँसने लगी….उसके साथ-2 रजनी भी उसका साथ देते हुए हँसने लगी