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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2019 ~ Entry Thread ★☆★

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Lefty69

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A(nother) Doctor Is Missing, presumed Dead.

"
I don't deserve to be this lucky."

Dr. Vaidya smiled as he looked at his life. He was blessed with extraordinary skills that within 2 years of practice he was the most sought surgeon in the city with everyone praising him to sky. He smiled as his next patient Sanjana sat on the examination table.

Then the gods spit in his face. Sanjana screamed Rape and his world fell apart. 15 days of accusations, abuse and Media Trial later Sanjana agreed to settle for 50 lakh. Dr. Vaidya knew that he could pay but would never recover. He sat in his car and drove. Too soon he reached the ghats where accidents are common and mostly fatal. The mirror showed Dr. Vaidya smile for the last time.
-___________
"You can cry all you want but I know you love me."
Sameer wrapped her naked body as she howled her anger at him to the world. Dr. Joshi just smiled as he finished up the mother's Cesarean section. Dr. Sameer Potnis told people he was from Solapur but Dr. Joshi knew the truth. This gifted man fr
 
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डबल क्रॉस
"डोंट वरी, अब मैंने काम अपने हाथों में लिया है ना, मतलब तुम सिर्फ सेलिब्रेट करो." मैंने पुरे आत्मविश्वास के साथ कहा.

"अब मेरे से कुछ भी नहीं हो पायेगा... तुहि एक मेरी आखरी आशा है...." प्रसिद्ध बिझनेसमैन मुस्तफा अली अपनी दलीलें दे रहा था. दुनिया अगर उसको बिझनेसमैन समझ रही होगी, तो भी उसकी सफलता का कारण मुझे अच्छी तरह से पता है. साला, स्मगलर था, ड्रग्ज से लेकर ह्यूमन ट्रैफिकिंग तक सभी धंदे करता था. पिछले हफ्ते उतारे गए आर.डी.एक्स. के स्टॉक से भी इसका कोई ना कोई तो संबंध जरूर होगा, एवं इसने ही वो स्टॉक कहीं छिपाया होगा, ऐसी खबर अंडरवर्ल्ड में थी.... लेकिन आज वो किसी सर कटे मेमने की तरह अपनी दलीलें मुझे सुना रहा था. उसका कारण भी बोहोत पेचीदा था.

सुबह उसके ऑफिस में घुसकर किसी ने उसको धमकी दे गया था, 'चौबीस घंटे में अगर उसने उसके सभी काले धंधो का सबुत सरकार के हवाले नहीं किया, तो वो उसे उसके ऑफिस मेँ सबके सामने उड़ानेवाला था. उड़ानेवाला मतलब सही में टपका देनेवाला था. बम था उसके पास. अगर बात कुछ अलग होती तो मैं यह बात हंसकर उड़ा देता. साला इतनी देशभक्ति किस्में उभर आयी है..? लेकिन मुस्तफा जैसा आदमी अभी घबराया हुआ था, उसकी बात में मुझे पूरी सच्चाई नजर आ रही थी. नहीं तो उसकी इतनी मैनपॉवर को छोड़कर पैसे खर्च करने के लिए वो मेरे पास ही क्यों आता...?

"साला इधर, सामने की खुर्सीपर बैठकर धमकी दे गया मुझे, और मैंने कुछ भी नहीं किया." मुस्तफा की आवाज से वो साउंडप्रूफ कमरा भी दहल गया.

"अरे, लेकिन इतनी सेक्युरिटी में से उसने बम अंदर लाया ही कैसे..?" अपने मन का सवाल आख़िरकार मैंने उससे पूछ ही लिया.

"ये बात तो मेरे भी पल्ले नहीं पड़ी. सी.सी.टी.व्ही. फुटेज में और सेक्युरिटी चेकिंग में कुछ संदेहजनक दिखा नहीं, लेकिन फिर भी वह ऐसे सामने ग्रेनेड लेकर बैठा था." ठंडे कमरे में भी अपने माथेपर आया हुआ पसीना पोछते हुए मुस्तफा ने कहा. यही आदमी इधर बैठकर आरामसे किसी के भी खून के ऑर्डर्स देता होगा. मुझे तो मजा आ रहा था उसे इस हालत में देखकर.

"अच्छा, इसका मतलब उसने ग्रेनेड लाया था..? तो फिर ठीक है."

"क्या ठीक है..? अरे, तेरी जेब का आर्मी किट अगर मेरे आदमियों को मिलता है, तो एक ग्रेनेड नहीं मिल सकता..? इंपॉसिबल..!" सिक्युरिटी के मामले में मुस्तफा सतर्क था....

"सही कहा... लेकिन आर्मी किट मेरे साथ था, ये बात तू भूल रहा है." मैंने कुटिल मुस्कान लिए कहा.

"व्हॉट डु यू मीन..? ग्रेनेड कैसे भी लाया हो लेकिन अपने साथ ही लाया होगा न उसने..?" मुस्तफा अपने धंदे का किंग था, लेकिन फिर भी उसे इतनी छोटीसी चीज कैसे पता नहीं चली.

"मैं बताता हूँ, बम पहले आया और बाद में वो शख्स..."

"तू फिक्शन स्टोरी बता रहा है क्या मुझे..?" मुस्तफा ने अविश्वास जताते हुए कहा.

"फिक्शन वगैरा कुछ नहीं, सीधी-साधी सिम्पल ट्रिक है."

"क्या कर सकता है वो..? और वो भी कैमरा से बचकर..?"

"तेरी बिल्डिंग के रेलिंगपर कैमरे है, सेक्युरिटी चेक्स पर है और तुझे उनपर आँख मूंदकर भी विश्वास है."

"तुझे सही में क्या बताना है वो साफ़-साफ़ शब्दों में बता."

"सिम्पल है, कैमरे को एकसोअस्सी के कोण में घूमकर देखने में तिस सेकण्ड लग जाते है. चौंककर मत देख. आते समय ही मैंने ये बात नोट की. इन तिस सेकंड में कोई भी रेलिंगपारसे ग्रेनेड अंदर फेंक सकता है..?"

"क्या..! मारना चाहता है क्या तू..? ग्रेनेड फूटेगा नहीं क्या..?"

"तुझे ग्रेनेड के बारे में क्या पता... ग्रेनेड की पिन जबतक निकाली नहीं जाती, तबतक ग्रेनेड एक शुद्ध पत्थर होता है. हाँ कभी दुर्घटना हो सकती है. लेकिन पिन निकलती नहीं तब तक ग्रेनेड नहीं फूटता. उसने पहले ग्रेनेड अंदर फेंका, मे बी उसने पहले से ही जगह देखली होगी, और बाद में अंदर आ कर उसने बम उठा लिया हो. सो सिम्पल..!"

"अभी के अभी उधर गार्ड्स खड़े करने के लिए कहता हूँ." तुरंत फोन का क्रैडल उठाकर मुस्तफा ने कहा.

"वेट. लेकिन मुझे एक बात बता, अगर को ग्रेनेड फुट गया होता, तो भी तेरा ज्यादा नुकसान नहीं होता. इस साउंडप्रूफ केबिन के अंदर का चेंबर भी तो साउंडप्रूफ होगा, ये पता है मुझे."

"लेकिन इधर अगर बम फटता तो, पोलिस, न्यूज सभी लोगो का जमावड़ा इधर होता, और मुझे शान्ति से बिझनेस करना है." उसकी ये दलील कुछ हजम नहीं हुयी.

"तो भी एक शंका तो रह ही जाती है. वो इधर से जाते समय तू उसका कुछ नहीं बिगड़ सका, ये बात तो तू मुझे अब मत बता."

"यस, उसके इधर से बहार निकलते ही मैंने उसके पीछे गार्ड्स को सावधान किया, लेकिन वो कहीं मिला नहीं. इन्फैक्ट, मुझे तो लग रहा है वो अभी भी कहीं इसी बिल्डिंग में छुपा हो." मुस्तफा के डर का कारण ये था क्या.....??

"ओके, अब मैं निकलता हूँ. वो अब तुझ तक नहीं पहुँच सकता, इसका इंतजाम अब मैं खुद करूँगा." इतना कहकर सामने रखा हुआ नोटों से भरा बैग मैंने उठा लिया.

पार्किंग-लॉट के कार की तरफ जाते समय मुझे मेरे नसीबपर गर्व महसूस हो रहा था. कभी एक समय ४-५ हजार रुपयों के लिए खून करनेवाला में, आज करोड़ों का मालिक था, वो भी एकदम कम समय में, मैंने ये मुक्काम हासिल किया था.

'साला ज़िन्दगी में कब क्या हो जाए कुछ कह नहीं सकते.' कार के दरवाजे अनलॉक करते समय मैंने खुदसे ही कहा.

एक सफाईदार टर्न लेकर मैंने अपनी कार बहार निकाली. गिनकर ग्यारह घंटे बचे थे. उतने समय में मुझे अपना काम पूरा करना ही था. घर जाने का विचार मैंने अपने दिमाग से निकाल कर कार को यू टर्न दिया, और मिरर में देखा. एक भी कार मेरे पीछे मुड़ी नहीं. कुटिल मुस्कान मेरे चेहरे पर छा गयी. चलो, कम से कम मुस्तफा को इतनी अकल तो थी. वक्त ज्यादा न गँवाते हुए मैंने कार को स्पीड दी और उधर के लिए रवाना हुआ, उस जगह जिधर इस सबकी शुरुवात हुयी थी. भूतपूर्व वांटेड कहकर मुहं छिपाकर घूमनेवाला लखन सिंघका 'लकी' बनने की शुरुवात. मुझे आजभी वो दिन याद आ रहा है.........

*********************************************

भाग-भागकर मेरी सांसें फूली हुयी थी, दिल की धड़कने इतनी बढ़ गयी थी की उनका आवाज, रेलवे की आवाज से भी भयानक लग रहा था. मैंने वापस पीछे मुड़कर देखा, दूरतक कोई हलचल दिखाई नहीं दे रही थी. मैंने अपनी स्पीड थोड़ी कम की. शायद मैंने उनको मात दे दी थी. लेकिन कहीं दूर से कुत्तों के भोंकने की आवाजें आने लगी. इसकी माँ की..., मैं इनको कैसे भूल गया..? मैं जिधर भी जाऊ तो भी ये मेरी गंध सूंघकर वहां तक आ ही जायेंगे. एक गलती, मुझे ऐसे जंगलो में भागने को मजबूर कर रही थी, सिर्फ एक गलती. साला, पीछे के दरवाजे पर छुपा हुआ मामू मुझे दिखा नहीं. खंजर बूढ़े के आरपार करते वक़्त तक मुझे उसका अंदाजा तक नहीं था. लेकिन ये सब करते हुए उसने मुझे देख लिया और अब ये स्थिति उत्पन्न हुयी. पूरा शहर छुपने के लिए कम पड़ने लगा.

खुनी था में... और वो भी एक मंत्रीका खून किया था मैंने. अरेस्ट वगैरा नहीं, सीधा ठोकने के ऑर्डर्स मिले थे मुझे. जगहजगह छापे पड़ रहे थे, उसमें से जैसे-तैसे जान बचाकर मैं इधर भागा, इस जंगल में. लेकिन मेरा पीछा अभी भी जारी था. परिस्थिति बोहोत हादसे ज्यादा ख़राब थी. सामने जो कुछ भी हो लेकिन में भाग रहा था. जीने की आशाही छोड़ी थी लेकिन फिर भी मैं उस अंधेरे गुफा में प्रविष्ट हुआ. डर भी नहीं लग रहा था. कोई जानवर अंदर होगा, कोई सांप या फिर उससे भी भयानक प्राणी.... ना..!! इसकी मुझे कोई परवाह नहीं थी. गुफा का आखरी सिरा आने तक में भागता रहा. सामने की दिवार पर टकराने के बाद दूसरी गलती का एहसास हुआ. अब मैं एक अँधेरी गुफा में कैद था. दरवाजे से बस वो कुत्ते अंदर छोड़ने बाकी थे. बास... खींचकर ले जाते मुझे वो.

लेकिन मैंने इधर-उधर कुछ टटोलना शुरू किया और धप्प... अंदरहि किधर तो पानी का एक कुंड था. नाक-मुहं में पानी जाने तक अंदर डूबा रहा. हाथ-पैर चलाकर जल्द से जल्द पानी से बहार आने का प्रयास किया, लेकिन सर किसी पत्थर से टकरा गया..! ऐसा लगा अब इधर ही मैं मर जाऊँगा... लेकिन मैंने अपना प्रयास बंद नहीं किया. बार-बार हाथ-पैर चलाने लगा, आख़िरकार मेरा सिर पानी के ऊपर आया. टटोलते हुए में पत्थर का सहारा लेते हुए ऊपर आया.

वो एक अँधेरी गुफा अब पहले जैसी दिखाई नहीं दे रही थी. दीवारें नीले रंगों में चमक रही थी, उसपर चांदी के कण भी चमक रहे थे. किसी शाम, समंदर किनारे आसमान दिखाई दे वैसा ही कुछ वहां पर लग रहा था. उन दृश्योंपर से मेरी निगाहें हट नहीं रही थी. दाएं, बाएं जहाँ भी देखो सिर्फ वही मंत्रमुग्ध कर देनेवाला दृश्य. मुझे तो चक्कर आनेवाली थी. ये कुछ तो अजीब प्रकरण लग रहा था. मैंने बहार जानेका रास्ता ढूंढने का प्रयास किया. इधर बोहोत घबराहट और धोका फील हो रहा था. पैरो के निचे की जमीन कपटी लग रही थी. मेरे आगे के कदम किसी ब्लैक-होल में गिरेंगे ऐसा ही मुझे बार बार महसूस हो रहा था. शिट, मैं जिस गुफा में गया था वो ये गुफा नहीं थी. ये जगह लगता है कोई अलग दुनिया की लग रही थी, शायद भ्रम पैदा करनेवाली.

जिस तालाब से मैं इधर आया उसको मैं वापस खोजने का प्रयास लगा. लेकिन इस कपटी जमीनपर वो आसान काम नहीं था. दिशाओं का भूलभुलैया हो रहा था. किधर जाना है ये भी पता नहीं चल रहा था. कुछ मिनट पहले मैं अपनी जान बचाने के लिए जिस गुफा में घुसा था, अब उसमें से बहार निकलने के लिए भी जान जोखिम में डालनी जरुरी थी. कुछ प्रयास करने के बाद हाथों को पानी का स्पर्श हुआ और मेरी जान में जान आयी. वापस एकबार उस तालाब में कूदकर अभी की साईड पीछे छोड़कर मैं तैरने लगा. यक़ीनन अभी में पहलेवाली गुफा में बाहर निकलनेवाला था.

पानी पर आखरी का जोरदार प्रहार करते हुए में खुली जगह आया और एक जोरदार सांस ली. ऊपर के साफ़ नीले आसमान की तरफ मेरी नजरें गयी... 'आसमान..?' मुझे तो उस गुफा से बाहर निकलना चाहिए था..! ये सरपर नीला आसमान कैसे..?

मन में पनप रहे विचार बाजू में रखकर मैंने अपनी निगाहें चारों तरफ दौड़ाई. कुंआ होगा शायद. ऊपर चढ़कर जाने के लिए पत्थरों की सीढियाँ भी थी. चलो आख़िरकार बाहर तो आया. सामने का जंगल वही था लेकिन फर्क सिर्फ इतना था की अब में दूसरी तरफ आया था, मतलब मेरा पीछा भी अब टल गया था. गिरते पड़ते में जंगल के बाहर जाने का रास्ता ढूंढने लगा.

*********************************************

"आज तारीख क्या है..?" सामने के आदमी को मैंने सवाल पूछा.

"सात.." और वो वापस झपकी लेने लगा.

शाम से मैंने ये सवाल ना जाने कितनो को पूछा होगा. सही कहूँ तो 'आया दिन गया' इस टाइप के मेरे जैसे आदमी को एक सवाल पूछने की जरुरत नहीं थी. लेकिन शाम होते ही जंगल से रस्ते पर मतलब सिटी बाहर के मैदान के नजदीक मैं जहाँ खड़ा था, अंधेरे में अचानक आसमान में आतिशबाजी शुरू हुई. ऐसी ही कल भी शुरू थी. किसी नेता का जन्मदिन था. मुझे मालुम होनेका कारण मतलब मैंने इसकी सुपारी इधर ली थी. तब मन में पनप रहे सवाल अभी भी दिमाग में घूम रहे थे. क्या साला खर्चा करते है..! इधर कितने लोग जन्मे. यह बात किसी को पता नहीं, और इनका जन्मदिन मतलब किसी त्यौहार से कम नहीं. लेकिन तुरंत आज अचानक कोनसा कार्यक्रम हो रहा है इधर..??

"क्या बे..? क्या विचार है..? किसीका बटुआ मारने का इरादा है..?" आवाज से ये कोई मामू लग रहा था. सीने में एक ठंडी सिरहन दौड़ गयी. मन में पनप रहे भाग जाने के विचार को छोड़कर मैंने धीरे से मुड़कर देखा, हवलदार हँस रहा था.

"देख, आज दादा का जन्मदिन है. अगर इधर कुछ गड़बड़ करने गया तो समझ लेना ओखली में खुद मुहँ घुसाने जैसा होगा." उसने मुझे समझाया.

"दादा का जन्मदिन कल था, आज वापस कैसे..?"

"क्या पी कर आया है क्या... भोसड़ीके..? आजही है... आज की तारीख सात.."

इसकी माँ की... ये क्या झोलझाल है..? मुझे अच्छे से पता है. कल इधर ही जन्मदिन मनाया गया था. और मैं दावे के साथ कह सकता हूँ की मैंने इधरहीच उसकी सुपारी ली थी, वो भी कल. अचानक मुझे एक बात याद आयी.....

सुबह से मेरी जान पर आये पुलिस आज मुझे अनदेखा क्यों कर रहे है..? मैंने और ५-६ लोगों को आजकी तारीख पूछी.

आज सात, मतलब कल आठ..! कल मैं इस खून के लफड़े में फंसनेवाला था. लेकिन मैं ऐसे एक दिन पीछे कैसे आया..?

दिन भर के घटनाक्रम को याद करने लगा. उस गुफामें कुछ तो गड़बड़ थी. मैंने कुछ तो ऐसा सफर तय किया था की, मैं एक दिन भूतकाल में पीछे आ गया था. एक स्वर्ण अवसर... अगर मैंने वो सुपारी नहीं ली तो. वैकल्पिक रूप से एक दिन पीछे जीना पड़े तो भी चलेगा. मैंने ऐसा ही किया. उसके बाद मैं बोहोत बार उस गुफा में आया गया. कितने बार इधर से उधर और उधर से इधर सफर किया. ज्यादा सावधानी से और एक बात गौर की, उस दूसरे चमकती गुफा में दो रास्ते थे, एक वापस आ रही थी और दूसरी उस कुआ की तरफ जा रही थी. दूसरे रास्ते से अगर सफर किया तो में एक दिन पीछे जा रहा था, और वही सफर उल्टा किया तो वर्तमान में वापस.....

क्या होगा उधर..? कोई ब्लैक होल..? या फिर एक अलग डायमेंशन...?

जो कुछ भी था, उसपर बोहोत मथापछि करने के बाद मुझे उसका फायदा नजर आया. छोटे छोटे लोट्टो गेम्स मैं एकदिन पहले जाकर नंबर निकालकर जितना शुरू किया. बोहोत आसान था. आजके रिजल्ट्स देखने के और एक दिन पीछे जाकर वो नंबर्स पर पैसे लगाने का, दूसरे दिन पैसे लेने के लिए हाजिर.

दिन अच्छे से गुजर रहे थे, लेकिन हाथों में इतना बड़ा अवसर होते हुए इन छोटी-मोटी सफलता से मन नहीं भर रहा था. और अब तो लोट्टोवाले भी मुझे संदिग्ध नजरों से देखने लगे थे. आख़िरकार बोहोत सोचने के बाद मैंने एक नया धंदा शुरू किया. बोहोत सारा पैसा और धोका ना के बराबर. मैं सही मायने में सुपरकिंग हो गया था.

समजो, अगर
तुमको आज अचानक किसी से नुकसान हो रहा है..? नो प्रॉब्लम..! मैं एक दिन पीछे जाकर काम तमाम कर दूंगा. वापस भूतकाल बदलने से वर्तमान काल में सिर्फ थोडासा फर्क पड़ता हैं, मतलब अगर तुमको कुछ नुकसान ही नहीं हो रहा हो, तो आप मुझे बुलाओगे नहीं. मतलब आज मैं सेफ. ठीक है, अगर ज्यादा कुछ बड़ा प्रॉब्लम हुआ तो उसका भी सोल्यूशन है मेरे पास, मैं खुद एक हफ्ता पीछे जा कर पूरा एक दिन गुजारकर आया हूँ. मतलब सिर्फ सुनिश्चित करने के लिए. ये ऐसा जोखिमभरा काम करने के लिए मैंने पैसे भी ज्यादा लेने लगा था और वो भी एडवांस. और काम हो जाने के बाद आप मुझे ढूंढ भी नहीं सकते. अर्थात, आप ने दिया हुआ पैसा किधर गया यह भी आपको पता नहीं चलेगा.

*********************************************

निशान लगाया हुआ पेड़ पीछे जाने के बाद आगे एक माईलस्टोन के नजदीक मैंने गाडी जंगल में घुसाई. कितनी बार आया था मैं इधर की अब मुझे, गाडी छुपाने की जगह, अंदर के जगह की पूरी तरह से मालूमात हो गयी थी. गाडी की चाबी मैंने निर्धारित पेड़ के निचे रखकर आगे निकल गया. अपने विचारों में खोया रहने के बाद भी झाड़ियों में से दिखाई देनेवाले सड़कपर अभी एक गाडी मेरी नजरों से ओझल हो गयी. देखकर मेरी सांसें ही अटक गयी, शरीर किसी पत्थर की तरह हो गया, इतनी सावधानी बरतने के बाद भी किसी ने देख लिया की क्या...? लेकिन नहीं, कोई तो इन वादियों में हल्का होने के लिए आया होगा, उसके लिए इधर एकांत बोहोत है.... कितनी बार ऐसा होता है... अपने मन में अगर कुछ हो तो ऐसा डर लगना स्वाभाविक हैं. वैसे भी मेरे भेद को जानना किसी के बस की बात नहीं थी. मैं अपने काम में लग गया....

वापस गाडी तक आते आते अँधेरा हो गया था. चिंता की कोई बात नहीं. मेरा काम कल सुबह का था, आज नहीं. पूरी रात घर के बहार ही एक होटल में रहा. रिस्क नहीं लेनी चाहिए. क्या पता घर पर मैं ही रहा तो..? वैसे कोई धोका नहीं था. मेरे धंदे मेरी दिमाग में पक्के फिट थे. हम एकदूसरे की सामने आ भी गए तो भी कोई मलाल नहीं था, लेकिन मैंने ये हमेशा टाल दिया.

सुबह होने से पहले ही चेकआउट करके मैं मुस्तफा के हेडऑफिस बिल्डिंग के सामने खड़ा रहा. अंदर गया नहीं, क्यूंकि आज उसने मुझे अंदर खड़ा भी नहीं किया होता. शांति से सोचकर मैंने उसके बिल्डिंग के सामने की बिल्डिंग अपने काम के लिए चुन ली. फ़िलहाल बंद ही थी, क्योंकि काम चल रहा था. कोई भी दिक्कत नहीं थी. सबसे ऊपर के फ्लोर पर पहुँचकर मैंने अपनी केस-बैग ओपन की. टेलिस्कोपिक गन असेंबल करते समय मुस्तफा ने मुझे सी.सी.टी.व्ही. से लिया हुआ उस व्यक्ति का फोटो बाहर निकाला. गन असेंबल्ड करते करते मैंने उस व्यक्ति का चेहरा अपने दिमाग में फिट कर लिया. आज वो जो कुछ भी करनेवाला था उसके ऊपर मात करने के लिए मैं भविष्य से एक दिन पीछे आ गया था. एक आखरी बार टेलिस्कोप में से देखकर एडजेस्टमेंट ठीक है या नहीं ये देखा. अब सिर्फ राह देखनी थी.

'वो' आया, टेलिस्कोप से दूरसे ही स्पष्ट दिखाई दिया वो. थोडासा बोझिल मनसे, चलते समय सर झुका हुआ... बिच-बिच में अगलबगल अपनी नजरें घुमा रहा था जैसे की किसी को खोज रहा हो. धमकी वगैरा देने की हिम्मत इसको देखकर ही नहीं लग रही थी. लेकिन कभी कभी जो दीखता है वो असल में होता नहीं. उसको उड़ाना मेरा काम था. उस काम के मैंने पैसे लिए थे. बाकी किसी से मुझे लेना देना नहीं था. उसके रेंज में आने तक मैंने राह देखि. आया..आया, वो रायफल की रेंज में आया. सायलेंसर लगा हुआ था इसलिए मैं ज्यादा दूर से निशाना लगानेवाला नहीं था. वक़्त भी बोहोत था और शिकार भी सामने था. मेरे अंदाज से उसने पहले पूरी बिल्डिंग की एक परिक्रमा करनी चाहिए थी. नहीं तो वो अंदर ग्रेनेड कैसे फेंकता..? लेकिन इधर ऐसा कुछ नहीं दिख रहा था. सामने के पान टपरिपर थोड़ी देर रूककर उसने मुस्तफा के ऑफिस की तरफ अपनी कदमें मोड ली. अपनी जेब में कुछ ढूंढता हुआ वो आगे बढ़ रहा था. अभी वक़्त बोहोत कम था. वैसे भी वो मेरी तरफ मुहं किये चल रहा था इसलिए मैं आसानी से निशाना लगाकर उसको मार सकता था. मेरे हाथ की मांसपेशियाँ एकदम सख्त होने लगी और मैंने उसके सीने पर निशाना लगाया. बस सेकंडभर झटका लगने जैसा उसका शरीर हिला. गोली का इम्पैक्ट भी उतना ही होगा. धीरे से उसके सीने से खून बाहर आते हुए दिखाई दिया. कुछ तो गलती हुयी.... शायद उसके बगल के आदमी का उसको थोडासा धक्का लगा, गोली सीधा उसके सीने के आरपार होकर वो पत्थर की तरह निचे गिरना चाहिये था. लेकिन निशाना एखाद सेंटीमीटर से चूक गया. उसने उसका दाया हाथ कुछ क्षण के लिए अपने सिनेपर दबाये रखा. क्या हुआ है इसका अंदाजा लगाने का प्रयास कर रहा होगा शायद. सही कहूं तो मेरा काम हो चूका था. उसके जीने की कुछ भी आशा नहीं थी.

रास्ते के लोगों का वहां जमावड़ा हो रहा था. मुझे निकल जाना चाहिये था; लेकिन मुझे कुछ तो गड़बड़ होने की आशंका हो रही थी. इसलिए मैं उधर गौर से देख रहा था. निचे गिरते गिरते उसने अपनी जींस की जेब में हाथ डाला, कुछ तो निकालने का प्रयास शुरू था. कम हो रहे अपनी साँसों के साथ उसने अपनी जेब से अपना हाथ बहार निकाला....

इसकी माँ की मुस्तफा, उसने मुझे गलत जानकारी दी थी. सामने का आदमी ग्रेनेड लेकर नहीं आया था. सही है.. वो सिक्योरिटी चेक्स से छूट गया इसमें कोई नयी बात नहीं है. उसने अपनी जेब से बाहर निकाले हाथ में कार 'की' दिख रही थी, लेकिन वो असलियत में क्या था ये मुझे तुरंत पता चला.

'मुस्तफा.... मादरचोद... इसका मतलब वो आर.डी.एक्स की खबर सही थी..!' जोर-जोरसे चिल्लाया मैं, लेकिन कर्णबधीर करनेवाले विस्फोट की आवाज में मेरा आवाज वहीँ का वहीँ दब गया. 'उसने' आख़िरकार रिमोट का बटन दबा दिया.

बोहोत बड़ी गलती हो गयी थी. ऐसी गलती, जो मैं कभी सुधार नहीं सकता... कभी नहीं.

अंधेरे खायी मैं गिरते समय मेरे आखरी विचार....

आखरी..?

अं... हं..., दिमाग को बोहोत बड़ा आघात करनेवाली और एक बात महसूस हो रही थी, उस आखिर के कुछ क्षणों में कोने में खड़ा मुस्तफा अली मुझे देखकर दिल से हँस रहा था...

दिमाग मैं तुरंत बिजली कड़की, कल जंगल में दिखी गाडी... डॅम इट, मुस्तफा तूने अच्छा डबल क्रॉस किया मुझे...

सामने जलते हुए अपने लाखों के माल को तबाह होते हुए देखकर मुस्तफा मुस्कुरा रहा था, वैसे भी डिपार्टमेंट को उसपर शक तो आया ही था, जाने दो माल गया तो क्या हुआ..!!, लेकिन उसके बदले उसने बोहोत बड़ी कमाई पा ली थी. बोहोत दिनों से उसको मेरे ऊपर शक था, बोहोत बार मेरा पीछा करने के बाद उसे मेरा सीक्रेट पता चला. आगे का काम बोहोत आसान था, एक डमी शिकार.... और थोडीसी कल्पना-शक्ति.....

मुस्तफा खुद भूतपूर्व शार्प-शूटर था. छुपकर गोली चलने की कोनसी जगह सही होगी ये उसे आसानी से पता थी... उसके सभी अंदाज आज सही निकले.

मनसे हँसकर वो वापस निकल गया.... मुझे डबल क्रॉस करते हुए.

उसी जंगल की तरफ.....

समाप्त.
by Pawan
 
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Bhram

Banned
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Finding Love
She walked into her lonely apartment. Ajax, her cat nuzzled her leg in his usual greeting. She headed to her cabinet and cabinet and poured herself a glass of wine, which she took in one gulp. In a daze she flopped down on her sofa, absent-mindedly stroking Ajax's head when he had climbed on her lap.

She was still reeling from the news. Sara Carey could hardly believe the news when she had heard it. Chad Green was going to have his rehabilitation in her clinic and she would be his caseworker. She didn't know how to react to this. All those years ago, she had loved him from afar, and he didn't even know that she was alive. Chad was a huge football star now, or at least was until that unfortunate incident on the field several months ago. She leaned back against the couch and remembered back to a time when she was a fourteen-year-old freshman in high school.

She was short and obese, her mousy brown hair hung limply in greasy clumps against her forehead. She wore braces, and had a terrible case of acne. She had been dubbed as scary Carey but some of the more cruel kids in school. Sara's only redeeming quality were her huge chocolate brown eyes. She was shy and kept to herself going through the mundane routine of high school when she really just wanted to end it all.

One day she had been in a bit of a daydream when she was on her way to class and ran right smack into a brick wall. He books went flying everywhere. The brick wall had turned out to be Chad Green, the school's golden boy. He was the big man on campus. Chad was a senior, and the star quarterback, track champion, and best all around. Sara had secretly had a crush on him since she had spied him in the halls. He was every teenage girl's fantasy will his blonde wavy mane, that was bit too long, his perfect white teeth that lit his entire face when he smile, the ice blue eyes, and the cute dimples that gave him a boyish look of mischief that melted many hearts.

He was around six and a half feet and very muscularly built. The best part about him in Sara's eyes was that he seemed to be a genuinely nice guy, which was so rare in one so popular. Sara scrambled to pick her books up and he helped silently. When all her books were collected, he handed them over to her and gave that smile melted her heart. She blushed furiously, turning a bright pink.

"If you walk around like that you'll probably run into something a lot more solid next time," he scolded gently. He handed her books back, and walked off. She couldn't believe that he actually talked to her. Chad Green had talked to her! Sara walked on cloud nine that day, of course it meant nothing to him. Besides, his girlfriend was Clair Thomas, head cheerleader, best dressed and most beautiful. She was also an all around bitch. Sara could never understand why it seemed that nice guys always ended up with bitchy girlfriends.

Sara had the misfortune of having gym class with Clair, who went out of her way to laugh at the ugly fat girl. Sara was ashamed to take a shower after gym because her eyes would always stray to Clair's perfect, goddess-like body, and then look down at her squat body. She found ways to make sure she was the last one in and the first one out of the showers to avoid the ridicule that Clair inflicted. It just didn't seem fair that she had never done anything to this girl but yet she hated Sara for the simple fact that she was not pretty and popular like herself.

The salt on the wound for Sara was that she had Chad believing that she was all goodness and sunshine. Men were such idiots sometimes. That night in her bed, she tossed and turned, thinking about her run in with Chad. She felt hot and uncomfortable especially... down there. She pushed away her covers away from her body. Instinctively she pulled up her nightshirt and put her hand in her panties. She had never done anything like this before.

She knew about masturbation, had in fact just had a lecture about it in Sex Education class, but it was something that she didn't think she would be into, but here she was, trying to relieve the hot feeling in her vagina. She pulled her panties down to her waist and squeezed the outer lips roughly. She closed her eyes and moaned. If she imagined hard enough she could visualize that her hands were Chad's gently easing into the slit between her legs. Her fingers captured her throbbing clit, twisting and squeezing it, while she thrashed uncontrollably on the bed. She had to bite her lip to prevent herself from crying to loudly, as not to wake her parents.

She had never experienced such sensations before. She thought about what it would be like if Chad were lying next to her and as she thought this she slipped a finger into her wet sheath. She gasped slightly at the tightness and the slight discomfort, but as she work the finger in and out the pleasure overcame any discomfort. Her other hand slid up to one of her young breasts. Simultaneously playing with a nipple and fingering herself, she had her very first orgasm.

"Chad" she whispered in the dark as she convulsed with pleasure. She feel asleep soon after, with a smile on her face. From then on she followed Chad's career closely. She went to his every football, game and sometimes she like to imagine that he could actually see her in the stands and it inspired him to play better although she knew this was a foolish fantasy. She sometimes saw him in the halls and there was never a flicker of recognition in his eyes, which was a bit disappointing but he always smiled back when she smiles at him. Sara collected every news clipping that appeared in the local paper about him and put it in a special scrapbook. When he won an athletic scholarship at one of the top schools in the country, no one was prouder than Sara.

Of course it pained her that Clair followed him to that same school the following year when she graduated but there was nothing that could be done about that. Sara still kept tabs on his college career. She eventually went on to college herself and lost the fat and acne. Her braces came off and although she would never win and beauty pageants she was attractive when she put forth the effort to make herself so.

Sara became an avid Monday night football watcher when Chad became one of the top quarterbacks in the country, making millions. She knew that Chad was living the all-American dream, he had married his high school sweetheart Clair, and had a son. Sara was just happy knowing that Chad was happy. She knew that her love for him would never be returned, but that was okay; life was good.

She had a good job as a physiotherapist which she enjoyed. She dated occasionally but no one ever quite measured up and in the back of her head she knew it was because on Chad. Sometimes at night when she couldn't sleep, she would touch herself and think of him. That still gave her the same pleasure that it had ten years earlier, when she was fourteen.

She would never forget the day she had read the news in the paper about the tragic death of his wife and son in a car accident. Her heart ached for him. She took time off from work and immediately flew to where the funerals would be held. Of course the service was not open to the public, but she needed to be close to him in his time of needed to be close to him. She waited across the street during the funeral and as the procession came out, her eyes were on her beloved Chad who looked so torn apart. It had taken all of her will power not to rush over to him and throw herself in his arms.

She went back home that night and said a little prayer for him. Tragedy soon struck, two months later, when on the field, he was sacked so violently that the impact of the fall broke his neck. The first diagnosis was that he would never walk again, and Sara had cried herself to sleep that night, but weeks later after two operations, word was out that there was a chance for him to walk again, although his football career was over. Now here she sat not knowing how she would react seeing him face to face after so many years. One thing was certain, she would do anything in her power to make sure that he walked again. What else could she do? She loved him.
 
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Lovegaand

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KALA BHENSA ....
Hello dosto mera nam kapil chudhary hai. Dosto me haryana ke hisaar jila me rehta hu.dosto ye meri phli story hai.i hope apko achi lage meri ye khanni.

Mere papa ka nam ramveer chudhary hai.aur mere papa ka bhut nam hai aur gaav aur kasbe ke jane mane chere hai. Dosto papa ek vyapari hai.aur hamari doodh ki dairy hai.papa ke paas 15bhens hai .aur hmari kafi jmin hai.papa ka nam thik thak hai gaav me .sab unko chudhary shaab khkar bulate hai.hum ek jaat family se blong kaarte hai.papa ke paas 3tractor ek bulllero car.1bullet puarni wali.hai.papa ki age 45sal hai.dosto meri age abhi 18sal ki hai.
Mera ek bada bhai bhi hai.lekin uski dimagi halat thik nhi hai.mera bhai half mental hai.bachpan se hi mera bhai esa hi peda hua tha. Bss hmare ghar me chinta ki vja mera bhai hi bna rhta hai.hum sab usse bhut pyar krte hai.lekin uska dimaag abhi bhi 5sal k bache ki trah chalta hai.
Bhai ki age 23sal hai.
Dosto meri mummy ka nam rajjo devi
Pura nam rajni hai .lekin papa aur baki ristedaar padoasn mummy ko raajo hi bulate hai.aur baki k log mummy ko chaudhrayn bulate hai.
Mummy ki umar 42sal hai.

Adikhtar log jante honge ki jaato ki kad kathi kesi hoti hai.masaalaa

Mere pitaji ki hight 6foot pgl bhai ki hight bss thodi si kam .aur meri hight bhi 6foot se jada thi.aur yhaa tak ki meri mummy ki hight bhi 5.7inch hogi.
Hum ek typical jaat family se belong krte hai.
Papa mummy dono hi bhut gusse wale hai .aur hamari language bhi haryana wali khdi boli hai.ek dum khdi.

Papa ya toh kurta pajama phlte hai .
Ya fir dhoti kurta.
Me toh modern kpde hi phnta hu .
Maa jadatar haryana ki traditonal drss lehnga choli ya suit salwar sauit kurti kbhi kbhi saree phnti hai.2w2sźs

Hamara ghar 400 gaz me bana hua hai. 200gaj me hmara ghar piche se
Pkkaa bana hua hai.aur aage se kh,,,uĺa hua hai.bhut bda chuk hai jhaa hmari bhens rehti hai.aur ek samne ka plot bhi hamara hai 300gaj ka jhaa raat ko bhens bandti hai.dosto bhenso ka sara kaam papa hi sambalte hai .
Aur mummy bhi sambhalti hai.aur doodh batne me jata hu bike par .hamara dodh bhut dur dur tak jata hai.khul mila kar humko kisi baat ki kami nhi hai aur hum thaat se rehte hai.jese gaav kasbe ki life hoti hai vese hi rehte hai.

Harama sara ghr doodh k vyapar se hi chalta hai..mene abhi last yr 12th class me fail hogya islte dobara me 12th class me padh rha hu...
Papa muje bhut pdai likhai k leye daat lgate hai...par me theraa jhaat buddi mera dimaag toh ghutno me rehta hai...aur sochta hu muje padh likh kar kya krna hai papa ne itna sabkuch mere leyw kar rakha hai..
Dosto ye baat aaj se 3 saal phle ki hai.. uss time me 10th class me tha.
Aur usss tym haramre yhaa 5bhens hua karti thi..mtlb uss tym bhi kaam thik taa lekin itna thik nhi tha jitna aaj hai aaj haarama kaam kafi bda hochuka hai...
Dosto uss tym bhi papa ka bhut rutbba tha..esi koe bat ni thi...
Jesa ki mene apko btya mummy aur papa dono hi bhenso ka kaam sambhalte thi...mummy ka kam tha
Bhenso kaa dudh niklana gobar uthana aur unke kannde bnana ...
Aur khet se fansso k leye hara chara lana ..aur buusse ki bongi se unke leye fussaa lana ...papa ka bhi dosto bhnso ka dudh kadna nehlana vgrra vgeraa...
Dosto sardiyo ka time tha..dec ka mhina thaa..raat se hmari ek bhehs rank rhi thi ...mtlb apni awaj me chilaa rhi thi..dosto esa islye hota hai bufffelos ke sath jab unko gyaban hona hota hai...mtlb sal me bhens ya koe aur janwar esa krte hai...jab unko male ke sath samnband bnana hota hai milan krna hota hai..jab koe mail bhensaa akke piche se unke piche chadata hai....
Mummy chulle par roti bnaa kar papa ko khila rhi thi..mummy ne vhi haryanvi kpde ghagra chuli phnni hue thi...mummy ne makke di roti aur sarso ka saaag bnaya thaa....
Lo ji bhens sor mjaa rhi hai...lgta hai..gyaban ka tym hogya ...iska papa bole haan nyee karvani pdegi kal...
Kal bhensaawale ko bulata hu....
Dosto ye sab me bachpan se dekhta arhaa tha .. jab bhens ko naya karana hota hai toh papa kisi behnsaa baggi wale ko bulate hai ....male buffalo..
Papa usko pese dete hai ...aur voh bhensa wala apna bhensas male bufffleo lekar hmare ghr aataa hai ..aur jis bhens ko jrurt hoti hai ..uske uper apna bhensa ko chdvata hai...hmare yhaa kuch saal se ek hi behnsaa wlaa arha thaa.joh gaav ke paas hi rehta tha jiske pass 2 male buffelo thi...jiska nam tha Amjad khuresi...amjeed bheed bakrya palata tha ...aur saman donne ke leye baggi bhi thi jisse voh bhesaa k sath bnad kar chalata tha...aur apna pet palta tha...amjad uss tym 28sal ka mulla tha hattaa kataa nojavaan thaa...kurta pajama phnta tha ...
Amjad shadisuada thaa..
Dosto agle din papa amjad ke yhaa bike par usko bulane k leye chle gye ...
Papa k bulane k ek gnte baad subaha 7bje tak amjad apna behnsaa lekar hmare ghar me agya...amjad bhut bar hmare ghar aya hua tha phle bhi...
Mtlb sal me 2-3baar ...amjad ghar aya aur mummy se ram ram ki chudran ram ram ..ram ram bhiyA ..
Mummy ne jbab deya....mummy abhi bhi ghagra choli me thi..
Me bhi school jane k leye tyar horha thaa..amjad ne male buffleo ko ghr k bhar bnad deya ...fir papa uss behns ko bhar lekar aye ...joh raat bhar chilaa rhi thi..usko bhar lakar papa ne tight banad dwya...dosto me uss tym 10th classs me tha ...lekin sex k bare m itna abhi pta nhi thaa ...lekin muje acha lgta tha ...jab hmare ghr ye kaam hota tha..aur mene kye baar kutte kutyaa ko bhi ese hi krte hue dekhaa tha...aur gye baar bandar bandriya ko bhi karte hue dekhaa tha...abhi tak mene muth marna start ni keya thaa... me vhi khule me beth kar chai ki chuski lerhaa thaa aur dekh rhaa tha..mummy bhi vhi thi .aur papa ki help krva rhi thi...mumy ne uper choli aur niche ghagra phnaa hua tha ...ghagra dosto ghutno se thoda niche hota hai ...aur niche paro me pajeb aur ladies jhutya phnni hue thi...choli mane puri baju ki shirt ..aur sir par odhni chunni....sutti pkde wali....


Papa ne bhens ko baand deya tighty..
Bhensya chlane lgi... papa bolo jaa bhai amjad leaaa apna behnsaa male buffelo.... amjad kuch der me hi bhar se apne kale mote taji tandrust bhense ko ....ghr k ander lekar aya..
Bhensya dar rhi thi...mummy bhens ko chara khila rhi thi...usko pyar se shlaa rhi thi....amjad bhense ko hmari bhns k piche lekar agya....aur voh bhensaa hmari bhens ki gaand ke piche muhhh krke ...uski gaaand ko sungw lgaa ..bhensya apni puch lgatar hila rhi thi...male ne apni apni jeeb nikali aur bhens ki gaand chatne lgaa..aur bhut tej tej chilane lgaa...
Tbhi mene dekhaa ki uss male bhnse ka niche se bhut bdaaa ek dum laal gajar nikl kar bhar agye..dosto actully ye chij male buffelo ka laund thaa...
Dosto jab mene dekha toh meri jaatni maaa bhi uss gajar ko dekh rhi thi..
Bde dyaan se ...tbhi male buffelo ne apne agge ke 2 pair bhens ke upper chad kr uski pith par rakh deye...
Aur agge ko hogya bhensya bidkne lgi...amjad mummy papa sb vhi khde thi...male ki gajar aur jada bhar ko nikl gye ...bhensya jhaa se mutti thi..
Vha uski gajar touch hone lgi....dosto jb ye seen horha tha.amjad meri maa ko dekh rha tha..meri maa ka dyaan uss male ki gajar par thaa..bhensaa
Uski chut me apni hajar dapne ki koshis krne lga...lekin uski gajar chedd me nhi jarhi thi..bhensaa pure josh me thaa...bhensaa hawa me hi aage ko push hone lgaa..lekin chut me gajar nhi gye...bhensya bdi bidak rhi thi...bhense ne apne agge k pair usse utra aur bdi tej tej chilane lgaa....amjad bhense ko thoda dur legya ..ek round chakkr khilane k leye....meri maa uss bhnsya ko shlla rhi thi...bhens ne fir mut krdeya...amjad dobara male ko uske pass laya ...bhense ne uski chut sungi ..aur uske pesaab ko jeeb se chatne lgaa..apni bdi si jeeb se ...meri maa bdi gore se usse dekh rhi thi..kuch der chatne k baaad bhensa fir uske uper chadd gya..aur fir agge piche hone lgaa.lekin laund abhi bhi ni ander gya...iss bar amjad side se aya aur uss bhense ka gajar pkd kr apne hath se ....uski chut se set kardya bhense ne ek jordar dkka mara uski puri gajar bhns ki chut me ander ...bhens ka fir se mutt nikl gya..meri maa ka chera ekdum lal thaa.. uss tym maa bdi srm fill kr rhi thi...jb amjad ne esa keya toh mummy aur amjad ki ek dusre se ankh mil gye ..amjad k chere par smile thi...maa ne turnt apni njr vha se htai...ab bhensa lgatar uss bhnsya k uper chdaa rha aur agge piche hota rhaa...meri maa ak anjan mrd k samne khdu hue ye seen dekh rhi thi...amjad bar bar papa ki njro se bach kr meri maa ko gagra choli se uper se niche tk dekhta ..maa ki pajeb dekhta ..jhuti me pair dekhta..aur meri maa k motw mote boobs dekhta...niche se 1foot tk nangi taang dekhta..

Bhensa abhi tk chda hua tha aur agge piche horha tha..bhensya chilaa rhi thi ...mB ki gajar fb k ander thi...dosto mb ka mtlb hai male buffelo aur fb ka mtlb hai female bufelo..
Mb puri trahh bhens ko chod rha tha..jisko meri maa dekh rhi thi..aur amjad meri maa ko dekh rha tha..
Dosto meri mummy ki hight bhut achi thi..aur sarir me jese jaat hote hai..
Ekdum tandrust khye peye ghr ki meri maa ...meri maa ki 3 chij sbse jada akasrshit krti thi...phla uski lambai...
Dusra uski unki chatti ...mote mote boobs ..aur fir sbse bdya chij meri maa ki gaand jam maa chlti thi ..toh gagre suit me se alg hi dikhai deti thi... baar bar voh amjad meri maa ko uper se niche tak niharta ...
Dosto amjad ek shadi sudaa admi tha..
Lekin kisi phlwan se km ni thaa 6 foot se jyda lamba ....ek pathan ki aullad tha ...tagda tandurst chere par muchh ..baju tagdi...dosto haryana me log ese hi hote hai...doodh ghee chaach pekarr..aur vese bhi amjad me bakra murka bhensaa sab apne ghr me hi palta tha...dosto amjad ki abhi 3saal phle shsdi hue thi..amjad ke 4 chote chote bachhe bhi thi..joh lgatar amjad ne keye thi..2 bachhe judwaa aur 2 alag alg...dosto aap soch skte hai...joh admi 3 sal me 4 bachhe peda kar skta hai..voh kitna takadwar hogaa.....amjad hmesaa apne sir par muslim safed jali wali topi phnne rhta tha..aur blue colour ki chek wali taimaad phnta thaa...
Din me bhensa buggi se saman ko laad kar dhota thaa.aur dusra kam uska yhi tha...apne male bhense se vyapariyo ki bhenso ka milan karvana ..
Dosto amjad ke bhense ko 3min hogye thi...hmari bhens ke uper chdai krte hue...amjad ka ye bhensaa bhut jydaa tagda tha...bilkul amjad ki trahh..ptaa nhi gaav ki kitni female bhenso ko isne apni gajar ke niche laya tha...bhens ki chut me se uska mutt nikl rha tha..mummy ki njr bhens ki chut wali jgaa par thi...jhaa bar bar bhense ki laal kajar bhens ki chut ko faad rhi thi....
Amjad tirchi njr se meri jaatni maa ko dekhta jab papa ka dyan udar ki side hotaa..kbhi kbhi meri maa ki njr bhi amjad se mil jati....
Aur maa ekdum njr hta leti.....
Bhensiya chilane lgi..ekdum se bhensaa aur tej tej dhkke marne lgaa..aur ekdum se bhensaa jor jor se chlane lgaa aur fir bhensya k uper hi rukh gya...bhens ki chhut se ab mut aur ek white gaddhi chej ka mixran niklne lgaaa...
Bhensaa ekdum se bhens k uper se utraa jese hi niche utraa bhens ki chut se dher saara safed maaal niche udel gya...aur bhense ki gajar ab dhere dhere choti hone lgi...mtlb ander jane lgi...aur kuch der me dikhni bnd hogyee...amjad ke bhense ne hmari bhens ki chut me apna bij daal deya thaa.....ab amjad bhense ko bhaar bhuggi se bandne gyaa....
Papa bhi bhens ko vhaa se dusri jgaa bandhne legye...

Amjad bhensa bhand kar wapss hmare ghar me agya...
Papa maa se bole kapil ki maaa pani pilaa bhai amjad ko ...mummy mtk mtk kar apni bde chutado ko naturally joh chlte waqt hilte thi....unko left right krke ...rasoiee me jane lgi...
Aur ek lota me pani bhar ke 2 piital ke class lekar bhar aye ..amjad aur papa bhaar charpai par bethe hukkaa kinch rhe thi....aur amjad 502 ki biddi pee rhaa thaa..dosto abhi amjad ne apne hath bhi ni dhoye thi... jis hath se amjad ne apne bhense ka gajar pakad kar bhensiyaa ki chut me dala thaa..dosto papa ek alag khat par bete thi amjad alag aur hukkaa bitch mr thaa..mtlb papa aur amjad apne samne bethe thi..bitch me gap thaa.

Mummy lutyaa me pani lekar ayee..aur dono khtya ke bitch me agye..phle mummy ne ek glass leya aur papa ko pani dene ke leye thoda sa jhuki ..ab mummy ki gaand amajd ke biklul muhh ke pass thi..mummy papa k leye lutya se class me pani kar rhi thi...mummy ki moti gaand uss sutti lenhnge me se amjad ko dikh rhi thi...dosto meri maa kis pose me thi ..apko kese decribe kru...amjad ki njr meri maa ke ubharte hue pichwadw se hi chipak hye....

Dosto meri jaatni maa ghagra choli phn kr subha subha papa aur amjad ko pani dene k leye gye...aur papa ko pani dene k leyw jhuki ..ab mummy ki moti gaand ab amjad k muhh k pass thi ghagra mw se mummy ki gaaand jhukne ki vja se ab amjad ki naak k pass thi...ye seen dekh kar dosto amjad ka dimaag khrb hogyaa...amjad ki njr ab mummy ki ubharti hue moti gaand par thi ..joh amjad k biklul kreeb thi..dosto mummy ke choli ke 2buuton khule hue thi... dosto mummy ne papa ko pani deya ..fir amjad ko pani dene k leye mudi dosto ab amjad aur javed ka muhh apne samne thaa..
Papa piche se bole le bhai amjad pani pee mummy amjad ki side jhuki dosto ab mummy ka clevage saaf dikh rhaa tha..mummy ki gherye choli me saaf saaf nijr arhi thi...mummy ne glass me pani keyaa aur boli le bhiyaa amjad panni pee ...mummy ne amjad k hatho me glass deyaa dosto jese hi mummy n amjad ko glass pkdya amjad aur mwri maa ka hath ek dusre se touch hogya..amjad ka gnda hath thaa usi haath se usne apne bhense ka laund pkd kar hmari bhens ki chut m ghusya thaa...jese maa aur amjad ka hath ekdusre se ghisaa dono ki njr ek baar ko apas me mil gye...mummy ne fir apni njr htaa li..amjad bola lao chudhrayn lao...dosto amjad k face par ek muskan thi...aur ek sarart thi...papa nummy se bhole jao bhai amjad k leye kuch khaane k pinne ka lao...mummy boli k piega bhai ..matta piegaa k dudh piegaa k chach .. .mummy ab vha se siddi hogye ...aur mtk mtk kr rasoie ki traf jane lgi....
Papa bole k piega bhai amjd btaa ko ni rhaa..areee chudhary ji bss tmne itni puch kr muj greeb ko ijjat de di...bss ab m chlu aap agyaa de do bss...papa bole je koe baat na hoti bhai amjad bhai tu chaudhary ke yhaa bethaa hai...bina kuch khye peye toh jaanne na denge tuje....aur papa aur amjad hasne lge hahaahaa....
Dosto ek dum se hmari vhi bhenhs jor jor chilane lgi...papa bole m dekh kr ataa hu...maa rasoe me thi...dosto gaav ki kitchn aap jante hi ho khuli hue hoti hai...mittti ka chulla bna hota h ...maa bhi vhi bethi thi....aur chach matta bnaa rhi thi jisse kuch log lasssi bhi bolte hai....jab papa gye toh amjad mummy ko dekh rha tha...maa apne kaam m lgi hue thi...mummy ka voh badan ghagra choli me gjb lg rha tha....dur se hi mummy k clevage dikh rhi thi....

Abhi papa tabele me gye hue thi...
Mummy ne ek glass m lassi li aur amjad ki chaarpai ki traf mtk mtk kr payal chnka kr amjad k pass hath m glass lekar anne lgi...kuch hi der me amjad k pass phuch gye aur boli le bhaii thndi tnhdi mkkn wali lassi pe le...aur amjad ko dene k leye aage jhuki.....

Dosto mummy k clevage saaf amjad ko dikh rhaa thaa amjad ki gndi njar meri jaatni maa par thi...uske muhh me pani agyaa thaa...amjad meri maa rajjo ki gherye ko naap rha thaa..
Mummy ka gole muhhh matte par moti bindi ankho m ghr ka kajol ek dum gora aur mature cheraa ....dosto meri maa ka badan kaam kar kar k aur dudh ghee khakar ek dum ghatila aur chikna hogya thaa..khi bhi body m jada mass ni thaa..sarir k hisaab se uthna hi maas puri body m fit thaa...
Uss tym maa 40k kareeb thi...dosto joh 40 me ek maturty body aur face par dikhti hai uski ek alg hi ronak hoti hai.....

Mummy amjad buggi wale ko lassi dene ke leye jhuki papa bhenso k table me thi...le bhai amjad lassi ..amjad mummy ki chuchi ki gherae ko dekhta rhaa...
Aur fir hath me mummy ne use glaas pakdayaa ..is bar amjad ne mummy ka hath ka hisaa kuch jyda hi chuu leya unni gnde hatho se... dosto usne meri jaatni maa ke hatho ko fir se chuaa aur iss baar kuch second tak chuaaa...maaa ne jydaa gur nhi keyaa....uske baad dosto maa ne use glaas deya aur piche mudi vhaa papa ka pani ka jhunta glass jamin par rakhaa tha mummy ne amjad ki side se dusri side muhhh keyaa..aur dosto mummy ne apne mote mote taji chutaad amjad ki side kar leye...
Dosto iss bar mummy ne glass jmin se uthana thaa ...

Mummy iss bar kuch jyda hi jhuki maa k chutaad ab ghagra me se bilkul amjad k kareeb thi..amjaad ne jb dyaan se dekha toh usse mummy k chutaado ki moti moti faank alg alg dikhai dene lgi ..aur gaand ki daraar bhi saaf ghaghrw se dikhai dene lgi..
Dosto amjad bhut hi khela khya admi thaa jawan thaa pathan thaa..amjad ko ye smjte der na lgi..ki meri maa rajjo joh amjad k samne jhuki pdi h usne ghagre k niche kachhi ni phnni ...
Only uske madak bdan gatile bdn ko bss ek sutti kpde k ghagre ne chupaa rakhaa h ... dosto real m mummy kivoh pose dekhne lyk thi ..ksi ka bhi laund khda krne lyk thi.. amjad ka bhi uski sutti langot me laund khdaa hogya...aur uske chaq wale taymad me tambu bn gyaa..dosto amjad ne esa kaam keyaa jiski koe kalpana bhi ni karskta ...amjad ne jldi se lassi ka glaas khtm keyaa...dosto kuch hi second me.....mummy abhi jhukibhue thi.... mummy k chutaad amjad k bhut kareeb thi...dono khaato k bitch space bhut kam thaa...dosto ekdum se amjad apni khaat se uthaa aur jese hi amjad khaat se uthaa uska aage ka bhaag sidee maa ki gaand se takra gya...uska tana hua laund meri maa ki gaand se touch hogyaa aur maa ko eshaas hogyaa..dosto meri jaatni maa ekdum se siddi hue..aur amjad ki traf dekhaa isse phlr kuch bol pati...dosto amjad ne maa se khaa achaa chudrayn ji aab me chalta hu...aur dosto amjad ke chere pe ek alg hi sarat thi .....dosto itna bol kr amjad vha se nikl gyaa..dosto kuch der maa vhi khdi rhi...dosto aaj bhut saal baad maa k sarir par kisi gair mrd ka esaas hua thaa..maa k leye ye ek alg hi anubhav thaa..amjad jate jate maa ko apne laund ki lambai aur grmi kaa esaas krva chuka thaa..slow mostion me dosto smjata hu....
Maa chuki hue hai...uski chutaad bhaar hai ...amjad ka laund khdaa hai..jese hi amjad uthha hai...uska laund uski taymadd me se hi maa ki chutaad ki daraar me ko touch krta hai...dosto ma k ghagre ka kpda aur amjad ki tymad ka kpda dono hi sutti aur khafi ptle thi...isi leyee maa ko amjad k laund ki grmi ka esaash hogyaa thaa...
Dosto amjad sidaa ghar se nikl gya thaa..ese hi din ghujrate gye....kuch hafte baad ... hmari ek bhenhs aur ese hi chlane lgi...pura din se chilla rhi thi...mtlb usko bhi ab ek male bhense ki need thi....mummy papa raat ko baat kr rhi thi...lekin papa ko kl subha 4 bje ki train se merrut jana tha nye bhensya lene ....papa bole bhgwan me toh jarha hu ...ek kaam kr kl tu kapil k sath amjad k yha chli jana aur usko bula kar bhensya ko krva dena papa ne muje bulya kapil ji papa bete kl amma k sath uss amjad k yha chle jana aur bol k anaa thik h papa...mummy k chere par kuch alg hi bhaav tha amjad ka nam sun kr ..muje bhi vhi baat yaad agyee..
Fir hum sb sogye..next day papa kb nikl gye pta ni chla me sokar uthaa ...mummy boli uth gye mharaj jldi su chaa pee le fir chlna h ....mummy ne aaj ghagra choli phni thi ...aur kuch jada hi saji hue thi....
Mummy boli ab uthaa m usko bula bhi laye .... chai pee le aur jldi bhar ajaa...amjad dosto apna vhi bhensa lekar agya thaa...mummy boli ki iske papa toh h ni amjad bhiyaa ek kam kro ander hi leao apne bhense ko bhar kon lakke bhandega mtlb tabele k ander .....thik hai chudrayn ...mummy mtk mtk kr tablele m jane lgi...dosto meri toh ankho m nind bhari hue thi...aur jpki arhi thi....kuch 15 min baad meri nind fir se khuli mummy ab table m thi amjad bhi apna bhensa lekar table m ja chuka thaa..m jldi se utha aur muhh dhoya aur table m jane lgaa...dosto m jese hi ander jane ko hua ....dosto amjad ka bhensa ander bhens k uper chda hua thaa...aur brns k sath sambhog kr rha thaa...aur dosto dusri traf jhaa bhens khanaakhati hai omg khol ki traf mummy jhuki hue thi uska ghagra kmar tak thaa ..aur piche amjad mummy ki chutar rha tha..







 
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Milan2010

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Title : Khwaab-Ek Haqiqat

“hahahahaha” kaano me charo aur se hasne ki awaaz sunayi de rahi thi, lekin sirf hasna kaafi nahi tha..hasne ke saath saath log tarah tarah ke taane bhi maar rahe the

“ohhh pagaaal” “are tere piche toh dekh” “are baby, kya mast maal hai tu” “are thodi si juk toh jaa” vaha maujud log isi prakar ke kahi sare taane uss ladki ko de rahe the

Baat sirf hasne aur taane sunne takk sahi thi, Lekin shayad itna kaafi nahi tha, piche se ek ladka uss ladki ke pass aata hai aur use halke se dhakka marker vaha se chala jaata hai

Dhakka lagne ki vajah se voh ladki khud ko sambhal nahi paati aur voh side me kichad me gir jaati hai

Uss ladki ko ese kichad me gira dekh, vaha maujad har insaan uspar hasne lagta hai


Tabhi achanak se ek ladka joro se chillate hue uth jaata hai “sshhhhhrrrrrreeyyyyyyyaaaaaaaaa” aur voh joro se hanfne laga

Awaaz sunkar uss ladke ki maa daudti hui uske kamre me aati hai, voh fauran bed par baitte hue pyaar se apne bete ke sar par haath firate hue kehti hai “beta, chup hoja, sab thik ho jayega”

Voh ladka bhi apne aap ko rok nahi paata, voh rote hue hi apne maa ke gale lag jaata hai aur kehta hai “maa, aisa kyu hota hai..?? kya kasur tha meri SHREYA ka..??”

Maa “koi Kasur nathi tha, please beta tu chup hoja, sambhal khud ko” voh iske alawa aur kuch nahi kehti, bas nam aankho se apne bete ke sar par haath firati rehti hai aur voh vahi par baithi rehti hai jabtak uska beta vapas so nahi jaata

Next Day
Subah ke karib 9 baj rahe the, voh ladka apne bed par baithe hue Shreya ki yaado me khoya hua tha, voh din use ache se yaad tha jab voh Shreya ko pehli baar mila tha

Karib 6 mahine pahle, college ki canteen me Aarav apne dosto ke saath baitha hua tha, voh log vanha par aati jaati ladkiyo par comments kar rahe the, aur masti kar rahe the

Tabhi aarav ka dost Piyush kehta hai “bhai, voh dekh, kya mast maaal hai yaar”

Aarav bhi puchta hai “kanha bhai, kanha muje bhi bata mai bhi dekhu”

Piyush apne haath se ishara karte hue kehta hai “are bhai, voh dekh uss white gaadi ke pass”

Aarav ki najar uss ladki par padti hai, toh voh khud ko rok nahi paata “haa yaar, hai toh mast patakha, chal jaakar dekhte hai”

Piyush haste hue kehta hai “hahahah, bhai dhyan se kahi use phodne ke baare me toh nahi soch raha”

Aarav “are nahi yaar, chal toh sahi” aur fir voh apne dosto ke pass saath uss ladki ki aur chala jaata hai

Uss ladki ne white top aur black jeans pehna hua tha, chehre par makeup naa hone ke bawjood bhi voh bahut hi pyaari lag rahi thi, patle se honth, naak par half-ring aur aankho par chashme uski khubsurati ko aur badha rahe the

Voh ladki kaano me handsfree lagaye hue dheere dheere gaana gun-gunate hue chal rahi thi, tabhi achanak se uski najar ek chote se kutte ke bache par padi, jo apne liye khaana dhund raha tha..yaa shayad peene ke liye paani

Puppy ko dekhkar voh ladki vahi par ruk jaati hai, aur voh vahi par uss kutte ke pass baith gayi, kaano mese handsfree nikalkar usne apne bag se tiffin nikala aur kholkar uss kutte ke bache ke samne rakh diya

Voh bacha bhi khaane ko sungkar tiffin-box se khaane laga aur voh ladki vahi par apne ghutno ke bal baithe baithe uss kutte ko ese khaata dekh rahi thi

Ab college me koi achi ladki dikhe aur ladko ke uspar comments naa ho aisa ho hi nahi sakta, yanha par bhi kuch aisa hi hua, vanha par kuch ladke iss ladki par tarah tarah ke comments maar rahe the, par voh ladki inn sab ko unsuna kar uss kutte ke bache ko hi dekhe jaa rahi thi

Usne dekha ki bache ne khana khatam kar liya hai toh usne apne bag se paani ki bottle nikali aur tiffin ko paani se bhar diya
Paani peene ke baad voh kutte ka bacha pyaar se uss ladki ki aur dekhta hai, ki achanak se voh ladki vahi par side me rahe kichad me gir jaati hai

Kichad me girne ki vajah se uska white top pura bigad chuka tha, aur iss ladki ki aise halaat dekh vanha par mujud har ek insaan uss par has raha tha


“aarav, aarav, aarav” kehte hue ek ladki Aarav ko hosh me laata hai “kanha kho gaya bhai..?? aur tune yeh kya haalat bana rakhi hai”

Aarav piyush ko dekhkar khush bhi tha, aur thoda dukhi bhi, voh piyush ke sawaal ka jawab diye bina dusra sawaal karta hai “bhai, kya humne jo kiya voh sahi tha..??”

Piyush “kis baare me..?? tuje ho kya gaya hai..??”

Aarav “Shreya, uske saath humne uss din bahut galat kiya tha”

Piyush “bhai, uss din ke liye hum sab ne uss maafi bhi mangi thi, yaad haina tuje..??”

Aarav “haa, par Shreya ke saath jo hua, voh nahi hona chahiye tha, uss bichari ka kya dosh tha..?? bas itna hi ki voh har kisiki madad karti thi..?? kya hua uske saath aisa”

Piyush “aarav, I am sorry, mai janta hu Shreya ke saath jo bhi hua voh bahut hi galat tha, par jo hua use toh hum badal nahi sakte, aur tumhare yeh sab karne se voh vapas toh nahi aayegi na..??”

Aarav vese hi ruansi awaaz me kehta hai “toh mai kya karu bhai, tu hi bata..?? muje bilkul bhi acha nahi lag raha”

Piyush “aarav, mere bhai, mai bas itna kehna chahunga ki sab se pehle toh tu khud ko sambhal, aur kuch khale bhai, aunty ne bataya tune 3 din se kuch bhi nahi khaaya hai, aur agar sach me tu Shreya ke liye kuch karna chahta hai, toh kuch aisa karna hoga jo uski yaado ko taaja rakhe, sabko pata chalna chahiye ki Shreya sahi thi..aur hum sab galat”

Aarav “aisa toh kya karu mai, muje toh kuch samaj me nahi aa raha”

Piyush “sabse pehle toh tu jo khud ke saath kar raha hai, voh band kar, Shreya yeh kabhi nahi chahegi ki usne jis ladke se pyaar kiya hai voh iss tarah se haar jaaye”

Khair kuch der ke baad Piyush vanha se chala jaata hai, aur aarav firse Shreya ki yaado me kho jaata hai

Aarav aaj kaafi khus tha, apne birthday par uske papa se nayi bike dilayi thi, jise paakar uski khushi ka koi thikana nahi tha, voh apni bike lekar mall jaa raha tha, nayi bike milne ki khushi par Aarav apne dosto ko treat dene vala tha
Raste me uski najar vapas se usi ladki par padti hai, jo shayad college jaa rahi thi, Aarav ne uss ladki ko dekh Bike slow kar di, voh aaj ek budhi aurat ko rasta cross karvane me madad kar rahi thi

Aarav yeh dekh side me ruk jaata hai, pata nahi kyu, par aaj pehli baar uss ladki ko dekh aarav ka dil joro se dhadkne lagta hai, aur uske chehre par ek muskurahat aajati hai
Achanak se ek rickshaw vala piche se aata hai aur aarav ki bike se takra jaata hai, aarav kuch samaj paata uske pehle hi voh vahi par gir gaya, aur sadak par girne ki vajah se Aarav ke sar par ek chota sa pathar ghus jaata hai jiss vajah se khoon nikalne laga

Bike girne ki awaaz sunkar vanha maujad sabhi logo ka dhyaan aarav ki aur gaya, yanha tak ki voh ladki bhi aarav ki aur dekhti hai, aur voh bhi chalte hue aarav ke pass aagayi

Voh rickshaw vala bhi apne auto se utarkar Aarav ke pass aata hai, aur aarav ko khada kar usse maafi mangne lagta hai

Aarav ka aaj mood bahut hi acha tha, voh rickshaw vale ko jaane ke liye keh deta hai, aur vanha par khadi bheed alag alag tarah ki baate karne lagti hai, par inn sab logo ki baato ko ansuna kar voh ladki aarav ke pass aati hai, jo apni bike ko khadi kar dekhne lagta hai

Voh ladki “suniye, aap thik toh haina..??”

Aarav ke kaano me itni pyaar awaaz sun voh turant piche mudkar dekhta hai, voh ladki Aarav ke thik samne khadi thi “haan, mai thik hu”

Voh ladki “apke sar par chot lagi hai” kehte hue voh apne bag se ek band-aid nikal kar deti hai

Aarav apne sar par haath rakhte hue kehta hai “are yeh toh kuch nahi hai, thik ho jayegi”

Voh ladki “yeh Band-Aid laga dijiyega, varna infection ho sakta hai”

Aarav bhi uss ladki se band-aid lete hue kehta hai “aap hamesa hi ese sab ki madad karti hai..??”

Voh ladki masum sa chehra banate hue puchti hai “kya matlab..??”

Aarav “maine aapko kahi baar college me dekha hai, aap hamesa sabki madad karti hai, voh chote chote kutto ke bacho ko akshar khaana khilati hai, aur aaj bhi aap uss budhi aurat ki madad kar rahi thi”

Voh ladki “aapne yeh sab kab dekha..??”

Aarav “ji mai bhi aap hi ki college ka student hu, par shayad aapne muje pehchana nahi”

Voh ladki “shayad, pata nahi, mai college me kisi par dhyaan nahi deti”

Aarav “haa, muje pata hai, par aapne muje jawab nahi diya..??"

Voh ladki sawaliya bhari najro se dekhte hai toh Aarav kehta hai “yahi ki aap hamesa sabki madad kyu karti hai..??”

Lekin shayad uss ladki ko yeh baat pasand nahi aayi, voh bina kuch kahe vanha se bhagte hue chali jaati hai, par aarav, voh uss ladki ki aankho mese aaye hue aansuo ko dekh leta hai aur sochne lagta hai ki usne aisa toh kya puch liya jo voh ladki ese bina kuch kahe bhag gayi

Khair, aarav bhi fir vanha se mall me chala jaata hai, apne dosto ke saath hote hue bhi aaj voh unke saath nahi tha, yeh baat Piyush jaan jaata hai, par voh kuch kehta nahi hai

Dusre din college me inn sab ka same routine tha, Aarav apne dosto ke saath tha, par aaj bhi uska dhyaan kahi aur tha, Piyush se ab raha nahi jaata toh voh Aarav ko lekar ek thoda bahar aata hai, yeh kehkar ki voh sabke liye cold-drinks lene jaa raha hai

Piyush “aarav, tuje hua kya hai..?? do din se tera dhyaan kahi aur hai”

Aarav thoda shock hote hue “nahi toh..?? muje kya hoga”

Piyush “abe ghonchu, bhai hu tera, chal ab nautanki mat kar, sidhe sidhe bata kya baat hai..??”

Aarav “uhmm, voh ladki yaad hai”

Piyush sawaliya bhari najro se dekhte hue puchta hai “konsi ladki be..??”

Aarav “are yaar vahi bhai”

Piyush “uss ladki ka naam, ata pata,figure vigure kuch toh bata, mai din me 100 ladkiya dekhta hai, muje kese yaad hoga”

Aarav abhi bhi uss ladki ko dhund raha tha, voh kehta hai “are bhai vohi yaar, uss din voh jo uss kutte ke bache ko khaana khila rahi thi”

Piyush “acha voh, kichad vali, uski tuje kya jarurat pad gayi”

Aarav thoda gusse se dekhta hai “bhai, tu janta hai use ya nahi..??”

Piyush ke chehre par iss waqt asamaj bhav the, voh kehta hai “shant mere bhai, shant, haa janta hu use, uska screw thoda dheela hai, uske saath raat-rangin karne ka plan hai kya..??” voh masti karte hue kehta hai

Aarav “tujse jitna pucha hai utna bata”

Piyush ne aaj se pehle Aarav ko iss tarah nahi dekha tha, voh bas itna kehta hai “nahi bhai, uske baare me bas itna pata hai ki voh kaafi alag hai, aur log uska hamesa majak banate hai”

Aarav “fir toh tujse baat karna hi bekar hai” ki tabhi uski najar uss ladki par padti hai, use dekh Aarav bhagte hue uss ladki ke pass jaata hai

Aarav “hey miss, I am sorry, voh mera aapko hurt karne ka koi irada nahi tha”

Achanak se aarav ko apne samne dekh voh ladki thodi chaunk jaati hai, fir thoda normal hote dekh “it’s okay”

Aarav “hey please, dekhiye I am really sorry, shayad maine kuch galat…”

Voh ladki aarav ki baat ko katte hue kehta hai “nahi nahi, aapne kuch galat nahi kaha, voh bas...” itna kehkar voh chup ho jaati hai

Aarav “voh bas kya..??”

Voh ladki “kuch nahi, jaane dijiye”

Aarav “agar aap nahi batana chahti hai toh koi baat nahi, bas dil kar raha tha aapse sorry kehna hai toh maine keh diya”

Voh ladki “ji nahi, aisi baat nahi hai, voh bas mai kisi se baat nahi karti toh thoda ajeeb lag raha hai, aur muje lectures ke liye late bhi ho raha hai”

Aarav “mai samaj gaya, agar yahi baat hai toh aaj sham ko 6 baje mai aapka college ke bahar CCD ke pass wait karunga”

Voh ladki sawaliya najro se dekhti hai “par kyu..??”

Aarav “kuch hai, jo aapse kehna hai, aur aapki baat bhi sunni hai”

Voh ladki “okay” bas itna kehkar voh vanha se chali jaati hai, aur vahi aarav intezaar karne lagta hai sham hone ka

Piyush iss waqt aarav se baat nahi karta, kyunki voh janta tha ki waqt aane par Aarav khud use bataega, toh voh bhi baaki sab ke saath masti karne lagta hai

Sham ke 6 baj chuke the, karib 10 min ke baad Aarav ko voh ladki dikhayi deti hai, aarav aaj bahut hi khush tha, voh uss ladki ko dekh turant apne bike se niche aajata hai aur kehta hai “thanks, aane ke liye”

Voh ladki “ji kahiye”

Aarav “coffee..??”

Voh ladki “thanks, par aaj nahi”

Aarav “okay”

Kuch der voh dono hi chup khade the, voh ladki apni najre jukaye hue khadi thi, aur vahi Aarav uss ladki ko bas dekhe hi jaa raha tha, kuch der ke baad Voh ladki khud kehti hai “voh…aap kya keh rahe the”

Aarav “aap kal ese kyu chali gayi thi..??”

Voh ladki “actually, aaj se pehle kisine bhi mujse aisa nahi pucha tha”

Aarav “mai kuch samja nahi”

Voh ladki “actually, sab log mere majak banata hai, hamesa se muje tang karte hai, jab bhi mai kisi ki madad karti hu toh sab log muje pagal kahta hai, ab aap hi bataye..kya kisi ki madad karna galat baat hai..??”

Uss ladki ne Aarav ko ek aisa sawaal kiya tha, jiske liye Aarav taiyaar nahi tha, use toh bas aayashi karna, logo ko tang karne me jyada maja aata tha..shayad yahi vajah thi ki Aarav iss sawaal ka jawab nahi de paa raha tha, voh hakalte hue kehta hai “nahi, koi galat baat nahi hai, par aajke time me yeh sab koi nahi karta na..shayad isiliye kisiko samaj me nahi aata ki kisiki madad karna kitna acha hota hai” aarav ne kehne ko toh keh diya tha, par use iss baat ka koi ehsas nahi tha

Voh ladki “thanks”

Tabhi vahi par ek gaay thi jo kachre mese kuda khaa rahi thi, usse dekhkar voh ladki kehti hai “voh dekhiye, hamare liye toh voh ek prani hai, aur uske jeene ya marne se hume koi farak nahi padta” thoda rukkar kehti hai “aaj hamare hi vajah se uss bejum prani ko plastic ki theliya khaani pad rahi hai, hum insaano ne pehle hi unse unka ghar cheen liya hai, hamari tarah uss prani ko jyada kuch nahi chahiye, bas sirf khaana hi toh chahiye, lekin use toh voh bhi nahi milta, voh bichare kuch bol nahi paate..par dard toh unko bhi hota hai..sirf plastic khakar unhe gujara karna padta hai, vese toh hum apne liye bahut paise udate hai, toh kya usme se thoda sa bachakar unke liye khaana laakar nahi khila sakte..?? aaj hume haroj pizza khana hai, burger khaana hai, par ekdum hume bhi inki tarah kisine kude mese khaane ke liye plastic diya jaaye toh hume kesa lagega..??” voh thodi si ruansi ho jaati hai

Aarav bhi aaj toh uss ladki ki baato ko gaur se sunn raha tha, uss ladki ki baat ne aaj aarav ke dil ka haal badal diya tha, voh bhi ek pal ke liye uss ladki ki baato par sochne lagta hai

Aarav “yeh toh aapne sahi kaha, iss baare me maine kabhi nahi socha tha”

Yeh sunkar voh ladki ki aankhe firse nam ho jaati hai, jise dekhkar aarav kehta hai “are please please, aap roega nahi, I am sorry agar maine kuch galat keh diya ho toh”

Voh ladki “nahi nahi, mai ro nahi rahi, yeh bas khushi ke aansu hai, shayad aapke dost aapka intezaar kar rahe hai” voh piche khade ladko ki aur ishara karte hue kehti hai

Aarav bhi unn ladko ki aur dekhkar kehta hai “tum sab jao me baad me aata hu” aur uske baad voh ladke chale jaate hai

Voh ladki “aapko aisa nahi karna chahiye tha, aap lucky hai ki aapke dost hai”

Aarav “isme lucky kesa..?? dost toh har kisike hote hai”

Voh ladki “nahi, mere koi dost nahi hai”

Aarav “par kyu..??”

Voh ladki “sab kehte hai ki mai bahut sochti hu, toh kisiko mera saath acha nahi lagta”

Aarav “galat kehte hai sab, aap sach me bahut jyada achi hai, bas isiliye sab aisa kehta hai”

Voh Ladki “nahi, muje pata hai, dekhona..maine bhi aapko kitna bada lecture de diya”

Aarav “voh lecture nahi tha, actually muje aaj ehsaas hua ki ek praani hona kitna muskil hai” voh thoda rukkar kehta hai “anyways, ab dost ki baat nikali hai toh, kya aap meri dost banogi..??”

Voh ladki ajeeb sa muh banate hue puchti hai “kya sach me aap muje apni dost banana chahte hai..??”

Aarav “muje toh laga tha ki hum pehle se hi dost hai” fir voh apna haath aage badhata hai

Voh ladki bhi ek pyaari si smile dete hue aarav se haath mila deti hai, aur aarav haste hue kehta hai “mai bhi kitna buddhu hu, aapse dosti karli..par maine aapna naam bhi nahi bataya, I am Aarav”

Voh ladki “I am Sreyashi”

Iss din se Aarav aur Sreyashi ke dosti ki shuruwat ho gayi, voh dono haroj college ke baad mila karte the, unn dono ko hi ekdusre se pyaar ho gaya tha

Yeh baat Piyush samaj jaata hai, toh voh aarav ko samjata hai “bhai, ab toh tuje use bata dena chahiye”

Aarav “kya batau.??”

Piyush “yahi ki tu usse pyaar karne laga hai”

Aarav “nahi bhai, yeh mujse nahi hoga, voh bichari bahut hi sidhi ladki hai, aur tuje pata haina ki humne uske saath kya kiya tha”

Piyush “haa yaad hai bhai, aur sach kahu toh muje bahut hi sharmindgi ho rahi hai, hum kitne galat the, hume aisa nahi karna chahiye, par bhai..tu uss baat ko bhul jaa, tuje apne dil ka haal use batana hoga, I am sure voh bahut hi khush ho jayegi”

Piyush ke bahut jidd karne par Aarav maan jaata hai, aur voh Sreyashi ko raat ko dinner ke liye puchta hai, dinner karne ke baad voh dono ek park me ghum rahe the

Aarav “Shreya, mai bahut dino se yeh baat kehna chah raha tha, par samaj me nahi aa raha ki kese kahu..??”

Shreya “konsi baat aarav..??”

Aarav “pata nahi tum muje kese maaf karogi, par agar aaj nahi kaha toh sayad mai kabhi nahi keh paunga”

Shreya ka dil joro se dhadak ne lagta hai, voh thoda darte hue kehti hai “please aarav, kahi tum mujse tang toh nahi aaye na..?? kahi tum hamari dosti toh..” voh kehte hue joro se rone lagti hai “muje pata tha, mujse koi dosti nahi karta, sab muje chodkar chale jaate hai, yanha tak ki mamma, papa bhi muje chodkar chale gaye”

Aarav bina kuch soche samje turant Shreya ko apne gale laga deta hai, voh use tight hug karte hue kehta hai “nahi Shreya..bilkul bhi nahi, bas chup hoja, mai tujse dosti kabhi nahi todne vala”

Shreya vese hi aarav ke gale lage hue kehti hai “sach na aarav..?? tu majak toh nahi kar raha na..??”

Aarav “nahi Shreya, mai majak nahi kar raha, mai bhala tujse kyu dosti todu..??”

Shreya “toh fir tune aisa kyu kaha..??”

Isspar aarav khud ko Shreya se alag karta hai, aur apne ghutno ke bal baith te hue kehta hai “Shreya, muje nahi pata ki tumhe yaad hai ya nahi, par ek din maine bhi tumahra majak banaya tha, maine baaki logo ki tarah tumhe tang kiya tha, aur uss din tumhe dhakka dene vala bhi mai hi tha, par ab nahi..ab mai badal chuka hu, muje apni galti ka eshsaas hai, mai bas tumse uss din ke liye maafi maangna chahta hu, please sreyashi, please muje maaf kar dena” uski aankho me halke aansu aajate hai aur uski aawaaz me bhari paan bhi saaf sunayi deta hai

Shreya vahi uske pass baith jaati hai, aur kehti hai “aarav, muje toh yaad bhi nahi hai voh din, par muje acha laga ki tumne mujse sach kaha, ab please tum sad naa ho”

Aarav “pakka na tum naraaz nahi ho..??”

Shreya “haa baba, mai pakka naraaz nahi hu”

Aarav “ek aur baat hai jo mai tumse kehna chahta hai”

Shreya “konsi baat”

Aarav “Shreya, voh voh, pata nahi mai kese kahu par”

Shreya “haa bolona”

Aarav pyaar se uski ko aankho me dekhta hai, halki halki bearish ki boonde ke saath thandi thandi hawa chal rahi thi, Aarav kuch der ke liye Shreyashi ke pyaare se chehre me kho saa jaata hai
Hawa ki vajah se Shreyashi ke baalo ki julfe uske chehre par aa rahi thi, toh aarav ne bade pyaar se apne haatho se voh uski julfo ko hata deta hai

Iss waqt dono mese koi bhi kuch nahi bol raha tha, Sreyashi bhi Aarav ki aankho me hi dekhe jaa rahi thi, dono ki dil ki dhadkan puri raftar me thi ki voh dono hi ekdusre ke dil ki dhadkan ko mehsus kar paa rahe the

Aarav apna chehra niche karte hue kehta hai “nahi Shreya, mai nahi keh paunga”

Shreya pyaar se apne haatho ko aarav ke chehre par rakhkar apni aur karti hai aur uski aankho me dekhte hue kehti hai “aarav, keh bhi do”

Yeh baat Shreya ne itne pyaar se kahi ki Aarav khud ko rok nahi paaya, “Shreya..mai tumse bahut bahut pyaar karta hu, mai khud nahi janta ki yeh kab hua, bas muje tumhare saath rehna acha lagta hai, tum bahut hi khubsurat ho, tum nahi janti par tumne muje jeene ki vajah di hai, sahi mayne me muje jeena tumne sikhaya hai, mai bas itna kehna chahunga ki mai apni puri life tumhare saath jeena chahta hu, I want to marry you Sreyashi..?? kya tum meri life partner banna pasand karogi”

Shreya yeh sunkar bahut hi jyada khush ho jaati hai, aaj se pehle itni jyada khushi pehle kabhi nahi hui thi, voh bina kuch kahe Aarav ke gale lag jaati hai “haa aarav, mai bhi tumse pyaar karti hu, and yes, mai tumhari life partner jarur banungi”

Aarav “I love you Sreyashi”

Shreya “I love you too Aarav” aur aarav use kaske apne baanho me bhar leta hai

Uss din se Aarav aur Shreya dono hamesa saath rehne lage, yanha tak ki Aarav aur uske dosto ne bhi Shreya se maafi mangi aur unhone bhi Shreya ke saath dosti kar li thi
Shreya ki baate unhe bhi ache lagti thi, aur voh log bhi dheere dheere sab ki madad karne lage the

Karib 4 mahine ke baad, Aarav aur Shreya ghum rahe the, aur tabhi Shreya ki najar ek kutte par padi, jo chot lagne ki vajah se dard ke maare chikh raha tha, Voh aarav ko paani laane ke liye kehti hai aur voh khud uss kutte ke pass chali jaati hai

Aarav paani ki bottle lekar jab laut raha tha, toh uski najar samne thi, Shreya pyaar se uss kutte ke pair ko dekh rahi thi, voh kutta dard ke maare uchal pada aur uske uchal ne ki vajah se Shreya chaunk gayi aur thodi piche ho gayi

Achanak se ese piche hone par use ehsas nahi raha ki voh sadak par aagayi hai, aur vaha sadak par ek truck wrong side se full speed me ek dusri truck ka overtake kar raha tha toh voh Shreya ko kuchalta hua aage badh gaya

Shreya thodi uchalkar aage ki aur giri, uske chehre par har jagah se khoon beh raha tha, aur uski aankho ardh khuli thi aur voh aarav ki aur hi dekh rahi thi, usne pyaar se apne haath ko upar uthaya aur fir achnaak se voh gir pada

Vahi aarav kuch bhi samaj nahi paa raha tha, voh bas ek tak apne pyaar ko apni aankho ke samne marte dekh raha tha par voh kuch naa kar paaya, uska pyaar usko chodkar hamesa hamesa ke liye jaa chuka tha


Yeh din yaad aate hi Aarav ki aankho se aansu nikalne lagte hai, voh kuch der rota hai, aur fir khud ko sambhalta hai aur ready Hokar voh college chala jata hai
Vaha apne dosto se milkar kuch decide karta hai, aur voh log Dean ke pass jaate hai, aur Aarav unhe sab kuch samja deta hai, aur voh sabko dusre din OAT me aane ke liye kehta hai

Agle din Dean ke kehne par sabhi students aur staff vale OAT me aajate hai, Aarav stage par khade hue kehna shuru karta hai

“friends, and faculty members, aap sab jante honge ki kuch din pehle hamare college ki ek student ka accident hua tha, aur usme usne apni jaan ganwa di thi. Ab aap sabhi soch rahe honge ki voh ladki kaun hai, par mai yaad dilau toh aap sab hi uss ladki ko jaante hai, bas farak itna hai bahut hi ham log hai jise uss ladki ka naam pata hai, kyunki akshar hum sab uss ladki ka majak uadaya karte the, use pagal kaha karte the, par kabhi kisine uss ladki ko janne ki koshish nahi ki” voh rukkar kehta hai “par maine jaana hai use, aap jante hai ki voh sabhi ko ignore kyu karti thi..?? kyu voh sabse alag rahti thi, aur itna sab kuch sunne ke baad bhi voh khamosh kyu thi..?? kyunki aap sabki duniya ya yu kahi ham sab ki duniya uski duniya se alag thi..aap sab ke saath hamesa koi na koi rehte hai..chahe friends ho ya fir chahe mom dad, par uske saath koi nahi tha” “lekin fir bhi voh yeh sab naa sochte hue voh bas ek chiz sochti thi, hum toh insaaan hai, hamare pass toh sab kuch hai, par iss duniya me hum akele nahi hai..hamare alawa hamari duniya me bejuban praani bhi rehte hai, jinki jindagi humne tabaah kar di hai”

“ab aap soch rahe honge ki mai kiski baat kar raha hu, mai baat kar raha hu unn janwaro ki jinka ghar humne ujada hai, paid podho se bhare jungle ko tabah kar humne yeh patharo ka jungle banaya hai, hume khaane ke liye bahut si alag alag chize milti hai..badle me unn janwaro ko kya milta hai..?? haamre liye pack kiye gaye khane ke plastic ke wrappers, voh log bejuban hai, kuch keh nahi sakte..toh voh plastic khakar bhi apna gujara kar lete hai. Abhi pichle hafte hamare sehar ka kya haal hua tha yeh aap sab hi jaante hai, pollution itna jyada badh gaya tha ki saans lena muskil ho gaya tha, hum apne gharo me AC me rehna pasand karte the..par kabhi socha hai ki unn bicharo par iss ka kya asar hota hoga..?? voh chahe jiye yaa mare..hume unse koi matlab nahi hai, kyunki hamara toh unse koi naata hi nahi haina..?? kyunki hamare liye bas janwaar hai jo sadak par ghumte hai, aur hume pareshan karte hai”

“agar hamari relatives ya family mese koi marta toh hume dukh hota hai, hamare sine me dard hota hai, jab hum chot lagti hai toh hume ehsaas hota hai, par unn bejubano ka kya..?? kya unka jeewan jeewan nahi hai..?? kya unke seene me dil nahi hai..?? kya unhe dard nahi hota..?? humne bahut kuch unn janwaro se chiin liya hai, bahut kuch nahi..sab kuch toh chin liya hai humne unka, toh ab kya hum insaan aage aakar unn janwaro ke liye kuch kyu nahi kar sakte..?? voh aakhir hamare jese AC ghar, tarah tarah kapde aur pizza burger toh nahi mangte na.?? voh humse jyada kuch nahi chahte, chahte hai toh bas humse thoda sa pyaar, toh kya hum unn janwaro ke liye itna bhi nahi kar sakte..??”

“khair aap sab kya sochte hai mai nahi janta, par mai aage aaunga, mai ladunga unn sab ke liye, jyada toh mai kuch nahi kar sakta, bas unn sab ko dhang ka khaana mile itna karne ki koshish jarur karunga, aur uske liye mai aur mere dost ek NGO chalu kar rahe hai, jo har jarur mand logo ki madad karega, fir chahe voh insaan ho ya janwaar, aao sab mera saath de yaa naa de, bas ek request jarur karunga ki aap unke liye kuch kar nahi sakta toh unhe bhala bura kehne ka bhi koi haq nahi hai”

Itna bolne ke Aarav Sreyashi ke photo ke pass jaata hai, aur kehta hai “Shreya, I promise, tumne jo socha tha, voh mai kabhi marne nahi dunga, tum nahi ho toh kya hua, tumhari yaade hai mere pass, aur tumhari har baat muje yaad hai, I Promise you, mai uss har kisiki madad karunga, jise madad ki jarurat hogi” uski aankho se aansu behne lagte hai

Piyush uske pass aakar kehta hai “aarav, she will be very proud, koi tera saath de yaa naa de, Mai tere saath, aur hum sab dost tere saath hai”

Aarav “thanks dosto, thank you very much”

Tabhi College ka Dean aarav ke pass aata hai, “aarav, yeh bahut hi acha vichar hai, NGO ke liye 50% fund college provide karegi, GOOD LUCK”

Aarav “thank you sir, Thank you so much”

Dean “toh kya socha hai, NGO ka naam kya hoga”

Aarav “sir, Shreya hamesa kehti thi, Youth are the answer for everthing, so I guess YOUNGISTAAN”

Dean “it will be perfect, and see, college ka har youth tumhare saath hai”

Aarav ne dekha ki vaha bahut se ladke aur ladkiya NGO me aane ke liye taiyaar the, aur yeh dekh Aarav khush ho jaata hai, aur voh Shreya ki tasweer ki aur dekhne lagta hai

THE END













 
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Bhram

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Path of life
She had watched him forever; he had grown up in the shack on the shore, and she watched as he learned to mend nets, caulk boats, cure fish. She watched his first steps, his joyous run, the muscles in his back under the summer sun.

She desired him, wanted him, and had been weaving her spells since his adolescence.

He didn't notice. His family had been fisherfolk, and he himself could conceive of no other life. He went to sleep every night with the ocean's sound, and woke up to it. He never noticed the slight crusting of salt on his skin. Nothing made him happier than to take his boat onto the water, spending the day fishing, and returning to shore in the late afternoon. He would finish his chores watching the sun on the water, dancing and flashing, a path he would walk one day.

His father told him about the sun path. "When you are very old," he said, "and past your work; when everything aches and hurts and breathing is pain, you will walk the path to the sun."

He'd listened, wide-eyed, and asked, "But what happens when you get to the sun, Father?"

His father had just smiled. "No one knows, son," he had answered. "I just know that your grandfather went, and his father."

"What about Mother?" the boy had asked. "And grandmother?"

"They walk the path to the moon," his father had answered. "No one knows what happens there, either."

It was a mystery, and he forgot it. Mysteries had no place in a life in the sun, and his life was one of sunny days. He worked with his father, then took the boat out alone, when his father stayed on shore. He watched his father grow very old, and eventually walk the path. He was sad, and a little lonely, but he continued his days, in the sun.

He had never married, but didn't feel the lack. There were women in the village who saw to his needs, and he was generous to them. One bore him a daughter, and he provided generously for her, too. He didn't love any one of them, but was fond of them all.

He didn't know that was part of the spell. She had seen to it, the minute his muscles caught the sun, and she had melted.

He grew older, and she watched his hair silver, and whiten. She watched his face line, and his hands grow gnarled. He never stooped, but she became aware of the mornings when his joints would stiffen and pain him. She heard his coughing, and waited.

One evening he stood at the edge of the water, as he had so often, and he saw her.

"Come to me," she said, holding out her hand.

"Who are you?" he asked, his eyes wide.

"Your love," she answered, moving closer. The gold and silver beads of her dress flashed; the soft white underdress floated about her ankles. Her hair was gold, pure fiery gold, and her skin was soft and a golden color.

He looked, really looked at her, and saw the sunset, the path, and his foot went forward and he was on it, walking to her. Walking to the sun, who stayed just out of reach, just one hand's breadth beyond him. She laughed, and teased him, and he grinned, laughing himself. His footstep quickened - he didn't feel the pain fall away from him, the stiffness. He didn't see the smoothing of his face, or his hair turning dark again. Of course, he didn't notice he wasn't breathing, either, just laughing, and at the very west of the world he caught her.

"I've waited for you," she said, her hands warming his neck, his back and shoulders.

"I've known you forever," he whispered, his mouth on hers, hot and demanding.

"You have," she answered him, hand warming his flesh, the clothing gone. No more sturdy sweaters and wool trousers; he was bare, as he was born, and strong, and his penis was hard . . . she lay back, pulling him with her, into the soft white foam, open and warm and wet for him, and he drove into her, hard.

They loved long and forever. He drove into her, her hips met his, thrust for thrust. She moved, he was on his back, she rode him, controlling him. Again and again he came; his seed mingling with her foamy moisture, flowing from the bed about them.

He never noticed a need for food, or drink, or sleep. He joined with the sun's daughter, and loved her. The world was lost to him.

His young daughter mourned him, though, and moved into the cottage he left her. She mended nets for a living, and cured fish, and never married, though she had a lover, and a son. She never noticed, either, the young man in silver, standing on the moonpath, weaving his spells about her.
 
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Chutiyadr

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वो कौन थी ??

दोपहर का समय था और मधु अभी अपने कमरे में थी, वह गहरी नींद से जागी थी,दवाइयां उसे सुलाये रखते हैं,उसने देखा कि खिड़की के पास एक औरत खड़ी है ,उस औरत ने मधु की ही नाइटी पहन रखी थी,मधु गुस्से से आग बबूला हो चुकी थी….

"तुम तुम फिर से आ गयी,आज तो मैं तुम्हे छोडूंगी नहीं .और ये ये नाईटी ,??? ये मेरी है तुमने इसे पहनने की हिम्मत कैसे की "

वो औरत बस मुस्कुराते हुए मधु को देखती है ,

"अरे मधु तुम क्यों अपना खून जला रही हो अगर आकाश ने सुन लिया ना तो तुम्हे फिर से दवाइया खिला देंगे "

उसकी बात सुनकर मधु बुरी तरह से चिल्लाई ...

"निकल जाओ यंहा से मैं पागल नहीं हु जो सच और भ्रम को ना पहचान पाउंगी ,तुमने मेरे आकाश को मेरे खिलाफ भड़काया है .."

लेकिन उसका उस औरत पर कोई भी असर नहीं हुआ बल्कि वो और जोरो से हंसी ....

"अच्छा तो बुलाओ अपने आकाश को हम भी तो देखे की वो किसकी साइड लेता है ,तुम्हारी या मेरी,तुम्हारा पति मेरे हुस्न का दीवाना है मधु "

यह कहकर उसने अपने जिस्म से वो नाईटी निकाल दी ,उसका गोरा जिस्म जैसे किसी संगमरमर की तरह चमकने लगा था ,दूध से मखमली जिस्म एक अलग ही छटा बिखेर रही थी ...वो पूर्ण नग्न हो चुकी थी जिसे देखकर एक बार के लिए मधु भी आश्चर्य में पड़ गई थी की क्या कोई इतना सुन्दर भी हो सकता है ,उसके लाल होठ ऐसे थे जैसे अभी अभी उसने खून का सेवन किया हो ,आंखे काली और गहरी थी ,लम्बे बाल उसके कमर को छू रहे थे ,उसके उठे हुए नितम्भ किसी भी मर्द की सबसे बड़ी कमजोरी हो सकते थे ,मधु कुछ देर के लिए ही सही लेकिन उसके सम्मोहन से नहीं बच पाई ,लेकिन अचानक ही उसे याद आया की इस औरत का सम्मोहन उसके पति पर भी छाया हुआ है ....

वो बौखला सी गई और चिल्लाई …

"आकाश ,रूपा ....यंहा आओ जल्दी "

मधु अपना पूरा जोर लगाकर चिल्लाई थी

लेकिन सामने खड़ी हुई औरत बस जोरो से हँस रही थी ..लेकिन मधु की आवाज सुनकर उसका पति आकाश वंहा दौड़ा चला आया और साथ ही उसकी नौकरानी रूपा भी

"क्या हुआ मधु तुम ऐसे क्यों चिल्ला रही हो "

आकाश के चेहरे में चिंता की लकीरे झूल गई

"वो वो देखो ना वो औरत फिर से यंहा आयी है तुम मुझे धोखा दे रहे हो ना आकाश ,तुम इससे प्यार करते हो क्योकि ये मुझसे ज्यादा खूबसूरत है ..."

मधु खिड़की की तरफ उंगली दिखने लगी जंहा वो औरत खड़ी थी ,वो औरत नग्न थी और बस मुस्कुरा रही थी

"कहा ??? ,तुमने दवाई खाई थी ???"

आकाश ने उसकी बात को ध्यान दिए बिना कहा

"तुम मेरी बात क्यों नहीं सुनते देखो वो तो खड़ी है और उसने मेरी नाईटी भी पहनी थी वो देखो पड़ी है .."

"मधु ये नाइटी तुमने रात में पहनी थी ,और वंहा कोई भी नहीं है सच सच बताओ की तुमने दवाई खाई थी की नहीं "

इस बार मधु चुप हो गई उसने रूपा की ओर देखा

"क्या तुम्हे भी वो नहीं दिख रही थी ??"

"मेडम आप टाइम पर दवाई खा लिया करो ना,वंहा कोई भी तो नहीं है "

मधु ने कुछ देर तक उस औरत को देखा वो मुस्कुरा रही थी

"मैंने कहा था ना मधु की मैं सिर्फ तुम्हारी कल्पना हु "

मधु रो पड़ी

"मैं इतनी गलत कैसे हो सकती हु ,नहीं तुम कल्पना नहीं हो सकती तुम हकीकत हो ,आकाश तुम मुझे इस औरत के लिए धोखा दे रहे हो ना ,मेरे साथ ऐसा मत करो आकाश मैं पागल हो जाउंगी "

आकाश ने मधु को अपने बांहो में भर लिया

"नहीं मधु तुम जानती हो की मैं तुमसे कितना प्यार करता हु,यंहा कोई भी नहीं है बस तुम्हारी कल्पना ही है ,हम कल डॉ मिश्रा के पास चलेंगे ओके .."

मधु आकाश से बेहद प्यार करती थी ,उसके लिए ये सोचना भी मुश्किल था की आकाश उसे धोखा दे रहा होगा लेकिन वो क्या करती ,उसने इस औरत को ना जाने कितने बार अपने बेडरूम में देखा था ,अधिकतर जब वो सुबह उठती थी या फिर दोपहर में सो कर उठती थी ,हर बार मधु चीखती चिल्लाती ,घर के नौकरो को तो जैसे इन सबकी आदत ही पड़ चुकी थी ......


मधु ऐसे ही आकाश की बांहो में थी और वो औरत मुस्कुराते हुए बाहर निकल गई ,मधु उसको जाते हुए देखते रही थी ,तभी पीछे से राजू आया जो की घर का नौकर था ..

"अरे मेमसाहब को क्या हो गया "

"कुछ नहीं इनका वही पुराना तमाशा है "रूपा ने मुँह सिकोड़ते हुए कहा

मधु की नजर राजू पर पड़ी

"राजू तुमने भी अभी किसी को इस कमरे से जाते हुए नहीं देखा "

राजू कुछ देर तक मधु को देखता रहा ,उसे मधु की ऐसी हालत देखकर बहुत ही दुःख होता था ,वो मधु को तब से जानता था जब वो कालेज में थी और एक खुशमिजाज लड़की हुआ करती थी .....

"मेमसाहब आप दवाइया समय से लिया करो ,आपकी ये हालत मुझसे देखी नहीं जाती "

राजू के आँखों में आंसू आ गए थे ,वो तुरंत ही वंहा से निकल गया ...


****************

"आकाश तुम एक बार फिर से सोच लो ,मधु का हेल्यूजीनेशन(जो नहीं है उसे देखना ) बढ़ता ही जा रहा है ,और मेरे हॉस्पिटल में वो सुरक्षित भी रहेगी मैं उसके हर सुविधा का ध्यान रखूंगा ,यंहा उसे कोई भी तकलीफ नहीं होगी "

डॉ स्वरुप मिश्रा शहर के ही नहीं बल्कि पुरे देश के जानेमाने मनोचिकित्सक थे ,साथ ही साथ वो मधु की माँ सविता के स्कुल के दोस्त भी थे ,आज आकाश के साथ साथ सविता भी वंहा मौजूद थी ,उसकी आंखे आकाश की बाते सुनकर नम थी ,वो बस सिसक रही थी ..

"नहीं डॉ मैंने मधु का साथ निभाने की कसम खाई है और मैं उस वचन को कैसे तोड़ सकता हु ,बस मुझे दुःख इस बात से होता है की मधु मुझपर ही शक करती है ,"

आकाश की आंखे नम हो गई थी ,सविता ने उसके कंधे पर हाथ रखा

"बेटा तुम जैसा जीवनसाथी तो किस्मत वालो को ही मिलता है ,मैं तुम्हारी भावनाओ को समझ सकती हु ,तुमने मधु के लिए क्या नहीं किया ,ये जानते हुए भी की उसे ये बिमारी है तुमने उससे शादी की उसे बेइंतहा प्यार दिया और बदले में तुम्हे क्या मिला ,तुमने अपने पारिवारिक सुख का ही बलिदान दे दिया ,बेटा ये सब तुम कब तक सम्हला पाओगे ,मधु को हॉस्पिटल में दाखिल करवा दो और तुम भी दूसरी शादी कर लो तुम्हारी ये हालत मुझसे देखी नहीं जाती "

सविता के अंदर का दर्द मानो फुट पड़ा था ,उसके आंसुओ ने सभी दिवार तोड़ दिए वो बहने लगे थे ..

"ये कैसी बात कर रही हो माँ जी ,मधु मेरे लिए कोई जिम्मेदारी नहीं है जिसे मैं सम्हला ना पाऊ,वो मेरा प्यार है और जब तक मैं सही सलामत हु मैं उसे अपने से दूर नहीं करूँगा ,वो जैसे भी है मेरी है, मैं ख्याल रखूँगा वो कहीं नहीं जाएगी मेरे साथ ही रहेगी ,ये मेरा अंतिम फैसला है "

इतना कहकर वो डॉ की केबिन से बहार चला गया जंहा पर मधु उसका इंतजार कर रही थी .........

"कितनी नशीब वाली है मधु की उसे आकाश जैसा पति मिला है "

आकाश के जाते ही डॉ मिश्रा बोल उठे

"हां स्वरुप कभी कभी मैं भी ये सोचती हु की अगर उस हादसे के बाद आकाश मधु के जीवन में नहीं आता तो बेचारी का क्या होता "

"सावित, अकसर ऐसे हादसे इंसान को तोड़ जाते है ,और उस समय मधु की उम्र ही क्या थी ,एक हसती खेलती लड़की की ये दशा हो जाएगी सोच भी कौन सकता था,आकाश ने ना सिर्फ मधु को सम्हला बल्कि तुम्हारा पूरा कारोबार भी सम्हाल रहा है,सच में वो हिरा ही है "

सविता ने भी डॉ की बात पर अपना सर हिलाया ..


**************************


"विनय भइया मुझे वो लड़की फिर से दिखी ,लेकिन मेरी बात कोई भी नहीं मानता सब मुझे ही पागल समझते है ,मुझे फिर से मिश्रा अंकल के पास ले गए थे ,वो तो मुझे अपने हॉस्पिटल में भर्ती करवाना चाहते थे लेकिन आकाश ने मना कर दिया ,भैया मैं उस पागल खाने में नहीं जाने वाली "मधु का चेहरा रोने जैसा हो गया

मधु अपने बेडरूम में रखे सोफे पर बैठी थी उसके बाजु में एक २५ साला का लड़का बैठा था , बेहद ही हेंडसम दिखने वाला वो लड़का एक ब्लैक कलर की टी-शर्ट और ब्लू जींस में था ,टी-शर्ट से उसके डोले शोले भी झांक रहे थे ..

"अरे मेरे होते हुए तुझे कौन कहीं भेज सकता है मैं उन लोगो को मार नहीं डालूंगा ,और कौन कहता है की तू पागल है , मिश्रा अंकल को तो बस माँ से मिलने का बहना चाहिए इसलिए तुझे बार बार बुलाते है,आखिर बचपन का प्यार जो है "

विनय की बात को सुनकर मधु जोरो से हंसी ,ना जाने कितने समय बाद वो इतने जोरो से हंसी थी,हसते हसते उसके आँखों में आंसू आ गए और वो विनय के सीने से जा लगी ...

"आप मुझे दूर मत जाया करो आप ही तो हो जो मुझे हँसा सकते हो ,बाकियो के लिए तो मैं पागल ही हु "

विनय ने भी उसके बालो में अपना हाथ फेरा

"नहीं मेरी बहन तू पागल नही है ,मेरी बहादुर बहन, उस हादसे का सदमा तुझे हो गया था ,जिसके कारण तू पापा को देखती थी लेकिन अब तू पूरी तरह से ठीक है ,"

"लेकिन आप मुझसे दूर क्यों चले गए ??"

मधु के स्वर में नाराजगी थी

"अरे मैं तुझसे दूर कहा गया हु ,आता तो हु ना तुझसे मिलने के लिए और उस हादसे के बाद से तो मैं भी टूट ही गया ,पापा क्या चले गए हमारी तो जिंदगी ही उजाड़ गई ,और तूने उस चूतिये से शादी जो कर ली जिसे मैं बिलकुल भी पसंद नहीं करता था "

विनय की बात सुनकर मधु ने अपना मुँह फुलाया ..

"आप को आकाश क्यों पसंद नहीं है ,कालेज में भी आप उसे धमका देते थे आखिर वो अच्छा लड़का है ,मुझसे बेहद प्यार भी करता है देखो कितना ख्याल भी रखता है मेरा "

"अच्छा ये क्या ख्याल रख रहा है वो तेरा, दिन भर तो तुझे दवाई दे कर सुला देता है ,और वो लड़की, उसे भूल गई क्या ,आकाश को मैं कालेज से जानता हु , तुझसे नहीं हमारे पैसे से प्यार है उसे,और पापा के जाने के बाद तो उसे वो मौका मिल गया ना ,माँ ने भी बिना कुछ सोचे तेरी शादी उसके साथ करवा दी क्योकि तुझे स्किजोफ्रीनिया हो गया था और तू पापा को देखती थी "

विनय ने गुस्से से कहा

"भैया आप भी ना ,चलो अब गुस्सा थूक दो ,मुझे पता है की आकाश मुझसे प्यार करता है,और रही उस लड़की की बात तो हां ये बात तो सही है लेकिन मुझे तो लगता है की वो लड़की ही आकाश को फंसा रही है ,आप आकाश से बात करके देखो ना "

विनय ने अपना सर पकड़ लिया

"तुझे ना प्यार का भूत चढ़ गया है आंख में पट्टी बांध ली है तूने ,अरे लड़की तेरे बेडरूम में रहती है इसका मतलब समझती है ??"

मधु फिर से खमोश हो गई लेकिन फिर कुछ देर सोचकर बोली

"मुझे सच में यकीन नहीं होता की आकाश मुझसे धोखा करेगा ,प्लीज् कुछ करो ना भईया ,उस लड़की के बारे में पता करो ना ,क्या पता वो सच ना हो ,या बस मेरी कल्पना ही हो,अगर ऐसा हुआ तो?,जैसे मैं पापा को देखती थी ,हो सकता है ना .."

विनय सोच में पड़ गया

"हूउउ हो तो कुछ भी सकता है बहन ,चल मैं उसके बारे में पता लगाऊंगा तू फिक्र मत कर"

"भईया मुझे बहुत डर लगता है ,अगर वो सच में असली होगी तो ,तो मैं अपने को कैसे सम्हाल पाऊँगी ,और अगर वो मेरी कल्पना हुई तो ...."

मधु बोलते हुए ही काँप गई

"भईया क्या मैं सच में पागल हु .."

विनय ने मधु को जोरो से अपने बांहो में जकड़ लिया

"नहीं मेरी बहन रो नहीं, तू पागल नहीं है ,तू बस हिम्मत रख तेरा भाई सब कुछ ठीक कर देगा,वो सच हो या कल्पना मुझसे वादा कर की तू डरेगी नहीं ,जानती है ना की जब तू डरती है तो तुझे कितनी तकलीफ होती है ,मैं तुझे ऐसे तकलीफ में नहीं देख सकता ,वादा कर की तू डट कर मुकाबला करेगी डरेगी नहीं "

विनय ने अपना हाथ आगे किया और मधु ने उसका हाथ थाम लिया ,अब मधु के होठो में हलकी मुस्कान थी

"मैं वादा करती हुई भइया "

"गुड अब एक किस दे "

मधु ने विनय के गाल में एक किस लिया और विनय खड़ा हो गया

"भइया आप जा रहे हो ?? इतनी जल्दी "

"हां पता भी तो करना है ना उस लड़की के बारे में "

"ओके जल्दी आना ,यंहा कोई मेरे साथ नहीं रहता ,और आकाश तो अपने काम में ही बीजी रहते है ,आप मेरे साथ रहते हो तो मुझे हिम्मत मिलती है "

विनय भी मुस्कुरा उठा

"ओके मेरी जान तुझसे दूर तो मैं भी नहीं रह सकता ,कल ही आता हु तुझसे मिलने "

जाते जाते विनय ने मधु के सर में एक किस किया और वो वंहा से निकल गया.....


*********************

दूसरे दिन विजय फिर आया

"भाई आज फिर मैंने सुबह उस लड़की को देखा लेकिन सबने उसे मेरी कल्पना कहकर नकार दिया ,वो लड़की मुझपर हंसती है ,मेरा मजाक उड़ाती है "

मधु का रोना विनय से देखा नहीं गया और उसने मधु को अपने सीने से लगा लिया ..

"मैंने फैसला कर लिया है मधु अब बहुत हो गया अब आकाश और उस लड़की का फाइनल टेस्ट करना ही पड़ेगा "

मधु विनय से अलग होकर उसे देखने लगी ,"

"मतलब ??"

"मतलब तुझे याद है की मेरे पास एक पिस्तौल थी जिसे मैंने पापा के डर से तुझ दे दी थी और तूने उसे अपने पास छिपा कर रखा था .."

मधु को याद आया ये बहुत पुरानी बात थी लेकिन विनय ने कभी उससे उसकी पिस्तौल नहीं मांगी थी

"आप करने क्या वाले हो भइया"

मधु किसी आशंका से भर गई थी ,

"मैं नहीं तू करेगी "

मधु के चेहरे का रंग उड़ता गया वही विनय के चेहरे में मुस्कान और भी गाढ़ी हो गई ...

********************

एक सुबह फिर मधु ने उस औरत को अपने कमरे में पाया लेकिन इस बार उसे अपने भाई विनय की बात याद आ गई ,उसने अपनी हिम्मत नहीं खोई ना ही वो चिल्लाई ,वो औरत भी मधु को देखकर मुस्कुरा रही थी ..

"नाम क्या है तुम्हारा ??"

मधु ने बड़े ही प्रेम उसे पूछा

"जो मान लो मैं तुम्हारी कल्पना मात्र हु "

"तुम मेरी कल्पना हो इसलिए मैं तुम्हे छाया कहूँगी"

मधु ने फिर प्यार से कहा,बदले में वो भी मुस्कुराई

"तो तुमने मान लिया की मैं तुम्हारी कल्पना हु .."

छाया के होठो की मुस्कान गहरा गयी वही मधु अब भी सहज ही थी

"मेरे मानने या ना मानने से क्या होता है ,दुनिया तो यही मानती है .."

"ओह तो तुम दुनिया की मानने लगी ??"

"नहीं अभी नहीं मैंने तुम्हे एक गोली मारूंगी अगर तुम जिन्दा बच गई तो समझो की तुम कल्पना हो वरना तुम खुद समझदार हो "

इस बार मधु के होठो में एक मुस्कान थी वही छाया के चेहरे में खौफ फ़ैल गया था ..

"नहीं मधु ये क्या बोल रही हो "

मधु ने अपने बिस्तर के निचे से एक पिस्तौल निकाली और सीधे छाया पर तान दिया ..तभी कमरे का दरवाजा खुला

"मधु ये तुम क्या कर रही हो "

आकाश चिल्लाया साथ ही रूपा भी थी ..

"बस सच और कल्पना का फैसला "

"तुम पागल हो गई हो इधर दो मुझे गन"

आकाश उसकी और ही बढ़ रहा था लेकिन मधु ने आकाश पर ही गन तान दी

"नहीं आकाश आज तुम बिच में नहीं आओगे अगर ये सही होगी तो ये बच जाएगी वरना तुम सब मरोगे "

मधु की ऐसी बात सुनकर सभी के चेहरे का रंग ही उड़ गया वही छाया आकर सीधे आकाश के सामने खड़ी हो गई ..

"अब चलाओ गोली "

छाया ने कहा ,वही आकाश और रूपा एक साथ चिल्ला पड़े

"नहीं मधु नहीं "

वही छाया चिल्लाई

"चलाओ मधु "

मधु के चेहरे में एक मुस्कान आ गई और धाय .........

पूरा घर गोली की आवाज से गूंज उठा था …

गोली सीधे छाया के कंधे पर लगी ,और वो बहार की ओर भागने लगी

"मधु पागल हो गई हो क्या ,ये क्या पागलपन है छोडो ये जिद "आकाश चिल्लाया

लेकिन मधु जोरो से हंसी

"वाह आकाश वाह क्या खेल खेला है तुमने ,इस औरत के लिए मुझे धोखा दे दिया ,मैं तुमसे कितना प्यार करती थी और तुम ..??"

"मधु मैं आज भी तुमसे प्यार करता हु " आकाश ने उसे शांत करने के लिए कहा,लेकिन जैसे वो कुछ भी सुनने को तैयार ही नहीं थी

"मुझे उसी दिन समझ जाना चाहिए था जब मैंने तुम्हारे कपडे में वो लम्बा बाल देखा था "

आकाश का चेहरा पीला पड़ गया था ,

" मैं तुम्हारे शारीरिक जरूरतों को पूरा नहीं कर पाती क्या इसलिए तुमने ये सब किया या फिर मेरे मेरी दौलत से तुम गुलछर्रे उड़ा रहे हो ,भइया ने तुम्हारे बारे में सही कहा था "

धाय

ये गोली सीधे आकाश के सीने में जा लगी

"मधु .."आकाश कुछ बोलना चाहता था लेकिन उससे पहले रूपा बोल पड़ी

"मेमसाहब इन्होने जो किया उसकी सजा मुझे मत दीजिये मैंने कुछ भी नहीं किया है .ये सब करने के लिए इन्होने ही कहा था ."

वो काँप रही थी ,लेकिन मधु उसकी बात सुनकर मुस्कुरा उठी

"तुझे तो सजा मिलेगी रूपा तूने भी तो इस आदमी का साथ दिया था ,मुझे पागल दिखाने में तुले थे ना तुम लोग "

धाय धाय 2 सीधे रूपा के छतियो को चीरते हुए निकल गई वो वही ढेर हो गई ..आकाश में जान अभी भी बाकि थी ..

"मधु तूम सच में पागल हो ,हां मैंने तुमसे धोखा किया लेकिन तुम्हारा भाई .."

धाय ...

एक गोली फिर से आकाश के सीने में जा लगी वो वही चित हो गया था और मधु के मन में एक गहरी शांति ने घर कर लिया



..

************

क्राइम ब्रांच के हेडक्वार्टर में जंहा मधु को पूछताज के लिए लाया था मधु इन्वेस्टीगेशन रूम में बैठी हुई थी ,उसके सामने की कुर्सी पर विनय बैठा था ,मधु के पारिवारिक रुतबे को देखकर उसे थोड़ी छूट दी गई थी ..

"देखा मैंने कहा था न की आकाश तुझे धोखा दे रहा है "

मधु के चेहरे में कोई दुःख नहीं था ,बस हलकी सी उदासी थी

"हां भइया आपने सही कहा था ,वो लड़की सीधे आकाश के सामने आ कर खड़ी हो गई और जैसे ही मैंने उसके कंधे में गोली मारा वो चीख पड़ी और वंहा से भागने लगी ,मुझे समझ आ चूका था की आकाश मुझे धोखा दे रहा है इसलिए मैंने पूरी गोली उसपर और रूपा पर उतार दिया ,आखिर वो भी तो मिली थी इस खेल में "

मधु ने एक गहरी साँस ली ,विनय ने मधु के हाथो में हाथ रख दिया

"तू फिक्र मत कर जो हुआ अच्छे के लिए हुआ ,हम बेस्ट वकील लगाएंगे और साथ ही मिश्रा अंकल कुछ न कुछ जुगाड़ तो कर ही लेंगे तुझे पागल बना के सजा से बचाने का "

मधु विनय की बात पर जोरो से हंस पड़ी ,वही तो था जो उसे सबसे ज्यादा समझता था..उसके दिल में आकाश को मारने का कोई भी दुःख कही भी नहीं था काश वो अपने भाई के बात को पहले ही मान लेती ,

"अच्छा भइया वो लड़की कौन थी "

"समझ ले जिसे उसने कहा था वो छाया थी "

मधु हलके से मुस्कुराई

"छाया लेकिन किसकी ??"

मधु सोच में पड़ गई,

"आकाश की स्कूल वाली गर्लफ्रेंड याद है "

अचानक से मधु की आंखे चमक गई,

"ओह भइया मैं आजतक क्यों समझ नहीं पाई ,उसने एक बार फोटो दिखाई थी ,मैं उसे पहचान कैसे नहीं पाई "

विनय उसकी बात सुनकर हंस दिया

"क्योकि तू प्यार में थी ..चल अब चलता हु कमिश्नर अंकल के कहने पर इंस्पेक्टर ने स्पेशल परमिशन दी थी मिलने की अब जाना होगा "

विनय की बात सुनकर मधु मन मसोज कर रह गई..

थोड़ी देर बाद इंस्पेक्टर संजय सिंह वंहा आया

"क्यों मधु मिल लिया अपने परिवार से "

"जी इंस्पेक्टर ,थैंक्स"

"अरे इसमें थैंक्स की क्या बात है,कमिशनर साहब का इस्पेसल आदेश था " वो थोड़ा सा हंसा

"आपने आने में थोड़ी देर कर दी वरना मैं आपको विनय भइया से मिलवाती "

"अरे मिल लेंगे कभी, अभी तो तुम्हे हमारे साथ ही रहना है ,अच्छा अब थोड़ा काम कर ले "

"बिलकुल लेकिन मेरे भइया से जरूर मिलना वो बहुत ही अच्छे है ,मेरा सबसे ज्यादा ख्याल वो ही रखते है "

इंस्पेक्टर मधु की प्यारी बातो को सुनकर मुस्कुराया, वही उसे इस भोली भली सी लड़की की दशा को देखकर दया भी आ रही थी ,कैसे एक इंसान इतनी मासूम सी लकड़ी को इस तरह से धोखा दे सकता है ,इंस्पेक्टर ने अपने मन में ही सोचा ,

"लगता है तुम अपने भाई से बहुत प्यार करती हो "

"जी हा बहुत ,काश मैंने उनकी बात सुनी होती तो आज ये दिन नहीं देखना पड़ता "

मधु ने एक गहरी साँस ली

"कोई बात नहीं मधु तुम्हारे परिवार ने शहर का सबसे बड़ा वकील किया है ,और डॉ मिश्रा भी तो तुम्हारे साथ है उनका सरकारी हॉस्पिटल के डॉ से भी अच्छा रिलेशन है वो तुम्हे बचा ही लेंगे ,तुम फिक्र मत करो और जो हुआ वो डिटेल में मुझे बताओ "

डॉ मिश्रा ने इंस्पेक्टर को मधु के बारे में ये बता दिया था की वो हैल्युजीनेशन की मरीज है ,और इसके पति ने इसे बहुत सारी गलत दवाइया भी खिलाई है जिससे मधु के दिमाग में गहरा असर हुआ है ,ये सब सुनने के बाद इंस्पेक्टर के मन में हमदर्दी और भी बढ़ गई थी

"जरूर सर ,मैं सब कुछ बताती हु और आप बहुत ही अच्छे हो ,जब भइया आएंगे तो मैं उन्हें भी आपके बारे में बताउंगी और आपसे मिलकर आपका धन्यवाद करने कहूँगी "

मधु की बात सुनकर इंस्पेक्टर फिर से मुस्कुरा उठा

"हां भाई बिलकुल मिलवाना अपने भाई से अब शुरू करे ?"


वो पेन कॉपी पकड़ कर बैठ गया ...



*******************

सविता ,डॉ स्वरुप मिश्रा और इंस्पेक्टर संजय सिंह अभी क्राइम ब्रांच के हेडक्वार्टर में बैठे थे,जंहा मधु को पूछताज के लिए लाया था,उनके साथ ही मशहूर वकील अविनाश शर्मा भी थे..

"डॉ साहब आप लोग बिलकुल भी फिक्र ना करे ,मैंने केस अच्छे से स्टडी किया है और सरकारी डॉ के रिपोर्ट के आधार पर मधु को मानसिक चिकित्सालय ही भेजा जायेगा जेल नहीं ,वंहा मधु की अच्छी देखरेख का जिम्मा हमारा है "अविनाश शर्मा ने कहा

"जी डॉ साहब ,केस साफ है और साथ ही आकाश के नौकर राजू का भी बयान है हमारे पास की आकाश, मधु से धोखा कर रहा था ,और उसे कई ऐसी दवाइया भी खिला रहा था जिससे मधु हमेशा ही सोई रहे और कमजोर होती जाए और वो अपनी मनमानी कर सके,उसने सिर्फ आपके दौलत की खातिर मधु से शादी की थी ,और वो तो कभी चाहता ही नहीं था की मधु ठीक हो जाए ,उसने राजू को मुँह खोलने पर जान से मरने की धमकी दी थी साथ ही उसके परिवार को भी खत्म करने की धमकी दी थी ..वो बेचारा चाहते हुए भी मधु को कुछ नहीं बोल पाया "

सभी शांत थे तभी इंस्पेक्टर बोल उठा

"ऐसे डॉ साहब मधु तो इतनी प्यारी लगी ,इतनी प्यारी लड़की को आखिर कौन सा रोग हो गया है और कैसे .."

उसकी बात सुनकर डॉ ने एक गहरी साँस ली और बोलने लगा

"इंस्पेक्टर साहब जैसे आपको पहले ही बताया था की उसे स्किज़ोफ्रेनिआ है और वो उन लोगो को भी देखती है जो असल में नहीं है मतलब की काल्पनिक व्यक्तियों से बात करती है ,बात तब की है जब उसके बर्थडे के दिन ही उसके पापा का कार एक्सीडेंट हुआ और उस एक्सीडेंट में उसके पिता और भाई मारे गए "

इंस्पेक्टर को जैसे एक झटका लगा

"रुकिए क्या कहा अपने भाई ..??"

"जी विनय ,मधु उससे बेहद ही प्यार करती थी ,वो तब महज 25 साल का ही था ,बहुत ही हेंडसम नौजवान था ,वो भी मधु से बहुत ही प्यार करता था "

डॉ बोल रहे थे लेकिन इंस्पेक्टर ने मानो कुछ भी नहीं सुना हो ,वो दौड़ते हुए इन्वेस्टीगेशन रूम की ओर गए ,

मधु सामने रखी कुर्सी को देखकर बात कर रही थी ,

"देखो भइया कहा था न मैंने ये इंस्पेक्टर साहब है ,बहुत ही अच्छे है ,इंस्पेक्टर साहब ये मेरे भइया विनय "

इंस्पेक्टर बस बिना हिले उसे देखता ही रहा.........


*****************

पुलिस रिपोर्ट में लिखे कुछ पॉइंट

मधु के पास से Colt Single Action Army पिस्तौल बरामद की गई ,जो 6 कार्टेज वाली पिस्तौल है ,

5 गोली चलाई गई एक दिवार पर लगी,2 आकाश के सीने में और 2 रूपा को लगी ...

नौकर राजू के बयान ये था की आकश का रूपा के साथ नाजायज सम्बन्ध थे और वो मधु की दौलत पर ऐयासी की जिंदगी जी रहा था ,मधु को आकाश के व्यवहार पर शक होने लगा था तब से आकाश मधु को हमेशा नींद की दवाइया खिलाकर रखता था...


समाप्त
NOTE - दोस्तों मैंने पूरी कोशिस की है की इस स्टोरी का end आप लोगो को आसानी से समझ में आ जाये ,फिर भी अगर किसी पाठक को समझ ना आये तो आप मुझे मेसेज करके पूछ सकते है ...धन्यवाद
 
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Rbcl.007

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DOSTI , PYAR AUR JINDEGI
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Jindegi maine aise bohat se waqt aate haine jab ham wo kar dete haine jo hamein nahini karna chaiye hota hai. Wo pal hota hai ki ham khade ho ke samna karein aur bol sake ki jo ho raha hai wo galat hai par log kya kahenge ye soch ke ham chup ho jate haine .Par jindegi bhar hamare dimag main ye khayal aata hai ki kash uss din thoda himmat dikhaya hota .Ham duniya ko hamre najar se dekhte hain aur sochte haine duniya bhi wohi kare but duniya hamko ek apni alag hi najar se dekhti hai aur problem yeh hai ki hamein na chahte hue bhi duniya ka niyam ko maan na padta hai .Dosti yeh ek aisa word hai jisse describe nahini bas feel aur nibhaya jaat hai but hamare duniya aaj bhi dosti ko ek alag hi najar se dekhti hai . Ladka , ladka ya phir ladki ,ladki dosti kare to thik hai par janha pe ladka aur ladki ki dosti ki baat aati hai hamar duniya chahe jitna modern hone ki baat kare apna asli rang dikhana suru kar deta hai . Yeh story bhi aise hi do jindegi ke bare maine hai jo shayad kuch aur khwaisein paal rahe the par duniya ke isi ghatiya khel ne unka jindegi ko alag hi mod pe le aaya . Mera naam Vikas hai bachpan se apne hisab se duniya ko dekha hai chahe phir koi mujhe sahi kahe ya kharap . School maine mere bohat se dost the aur maine bhi sab se ghulmilkar rehta tha . Ladke dost mere jitney karib the utne hi ladkiyan. Maine kabhi farak nahini karta tha ki ye ladka yeh ladki hai ya phir log kya sochenge .maine toh school maine bhi ladkiyon se choti choti baton maine ladh jaata tha .Teachers aur log bhi kehte the ki ladkiyon se duri banake rakh unse ladka hoke kyun ladhta hai jhagadta hai .par maine kabhi iss baat pe dhyan nahin diya shayad mere dimag maine kabhi ye khayal hi nahini aaya tha ya phir maine uss time kuch jada hi bachkana tha yeh sab chiz samjhne ke liye .waise toh jada tar school ke ladkiyon se maine ache se rehta tha par ek ladkithi sonali .pata nahini shayad wo kis mitti ki bani thi ya phir bilkool meri jaise thi use bhi duniya ka koi fikar nahini thi ki koi kya bolega .shayad isiliye hamre bich ka jhagda aur ladhai pure school maine charcha pe the .matlab ek doosre se ham itna hate karte the ki ek bahana nahini chhod te the ek doosre ko beizzati karne ko .

Iska ko wajha nahini tha ki ham ek doosre se k yun itna nafrat karte the na hi ham donoko ye yaad tha ki ham sab se pehle kab ladhe the par han yeh jaroor yaad tha ki aisa shayad hi koi din gaya ho jab ham na ladhe ho .10th class ke ,mid term maine hi wo school change karliya koi family problem ke chal te . Kasam se pura din maine khusi se nacha tha jab ye khabar mujhe pata chala . Uske jaane k eek hafte tak toh doston ko maine jamke treat diya par dhire dhire mujhe uski kami satane lagi . Mujhe khud bhi pata nahini tha ki aisa kyun ho raha hai , mujhe toh khush hona tha ki sonali school chod ke chali gayee .par shayad ab meri yeh aadat ho chuki thi ki uss se ladhta rahun aaj uske na hone se maujhe akelapan mehsoos hone laga tha . School maine sab shock main the ki achanak mujhe kya ho gaya jo hamesha hasta khelta ur chilata rehta tha ab wo bilkool chup sant aur kisi se jada baat nakrne wala bacha ban gaya tha .kasam se jitna mera 1 dinmaine complain hoti thi school maine wo next dedh saal maine na hui .ab 12th khatam ho gaya ab results aaneke baad maine college maine admission bhi kar liya .Ab maine thoda thoda change raha tha logon se batein bhi dhang se karne laga tha aur milne julne laga tha .

Ab meri college life sahi chal rahi thi .bich bich maine sonali ki khabar liya karta thaw o apne mama ke gaon maine hii reh rahi thi aur wanhi pe ek college maine admission bhi le liya tha . College suru hue lag bhag 3 mahine ho gaye the ki ek din mujhe mere ek dost ne mujhe bataya ki sonali ne college change kar li hai aur hamare college maine admission le liya hai . Ab mera science stream tha aur sonali ki arts toh hhum kabhi mil hi nahini paye the . Kyun ki arts aur science ki timing hamare college maine thoda differ karta tha . Jab maine yeh khabar suna ki sonali isi college maine admission liya hai pata nahini mera pura body hil gaya . Mujhe pata nahini tha maine khush hun ya uske aajane gussa hun .but ek bohat hi strange feeling aa rahi thi uss se kaise milun bas ehi khayal tha dimag maine aa rah tha .

Aise hi ek din main ecollege se lot raha tha to meri bike puncture ho gaya to mujhe puncture thik karane jane pada toh maine kafi late ho gaya tha . Ab jab maine lot rah that oh mujhe ek jagah ek cycle khadi hui dikhi road pe ladies cycle thi aur collge bag bhi cycle maine rakha hua tha . Maine bike wanhi rok diya aur aass pass dekhne laga .Aur jo mujhe doubt tha wohi hua tha road se thode dur ek ladki khadi thi aur usse ghere 4 ladke ,aur wo log uss ladki ko pareshan kar rahe the .Maine ussi aur badhne laga .Mere awaj se do ladke meri aur aane lage aur do wanhi uss ladki pass reh gaye .jab wo log thoda pass aye to unmaine se ek ladke ko maine janta tha junior tha wo mera .

Vikas :- oye kya kar rahe ho be tum yanha

Ladke 1 :- oye nikal yanha se teri matalab ki baat nahini hai .

Ladka 2:- vikas bhai kuch nahini raju uss ladki se pyar karta hai to bas usse propose kar raha hai

Vikas:- han toh yeh jagha he propose karne ki .Ek toh sham ka waqt ha aur upar se wo ladki akeli kal usse

Propose karne ko bol de nahini to ladki se mera baat karwa de phir maine chala jaunga

Aur maine ussi aur badhhne lag jaata hun .wo dono mere piche bol rahe the ki main wapas chala jaun. Tabhimaine un logon ke pass ponhach jata hun to kasam se ek pal ke liye maine chonk jaata hun kyun ki mere samne sonali khadi thi .wo bhi mujhe dekh rahi thi .

Ladka3:- oye tu yanha kya kar rah he vikas.

Vikas:- vikram ,chal kya rah he yanha pe .

Ladka3(vikram):-tere matlab ki kuch nahini he tu jaa maine bass sonali ko propose kar rah tha .

Vikas:- par wo toh interested nahini lag rahi hai.

Vikram- wo abhi thodi naraj he mujh se tu ja maine usse mana loonga .

Mujhe bhi lagta hai ki chalo sonali aur iskimatter hai maine chal ajat hun .tabhi mujhe sonali ke aankhon maine aansoo dikhte haine aur wo mujhe hi dekh rahi thi uski annken mano mujhe bohat kuch keh rahi thi .uske kapde ke halt se saf pata chal rah tha ke ksi ne usko jabrdasti khich ke lay hai .pata nahini uss pal mere andar kya hua mujhe laga ki isse yanha se le ke jaana he che kuch bhi ho jaye .

Vikas :- sun vikram maine isse leke jaa rah hun tujhe jo baat karni he phone pe kar lena ya phir kal college maine abhi bohat late ho gaya hai.

Vikram:- dimag mat kharab kar ek baar bol diya na sunai nahini de raha hai.

Vikas:- maine usse leke jaa rah hun jo karna hai kar le .sonali chal mere sath .

Vikram:- bohat galat kar raha he bol raha hai tu .

,aine phir bhi uske baat nahini suntan hun aur sonali ke hath pakad ke chalne lagta hun .tabhi vikram mere gale ko pakad leta hai aur chehre pe kas k eek mukka marta hai .to maine bhi usse maarne lag jata hun .tab wo teen bhi aajate haine .. Aur hamare bich mara mari hone lagte haine .tabhi wanhi pass maine jaate kuch log wanha pe aajate haien aur sab sulta dete haine.phir maine sonali ko bolta hun ghar jaane ke liye .maine bhi uske pich epich ebike chalake uske ghar tak jaata hun phir usse chod ke maine wapas apne ghar aajata hun . Actually maine mujhe bohat maar padi thi mare chere se khun nikal raha tha . Ghar maine pooche to bol diya football field maine thoda hatapayee ho gaya.but raat ko sonali ke ghar wale hamare ghar aaye toh ghar maine pata chal gaya .par maine unse nahini mila jab wo log aaye maine chup chap nikal gaya . Bas aise hi uske baad kuch din beet gaye. Ham dono raste maine mil te to the par sirf ek doosre ko dekh ke chale jaate the .ek ajeeb si khamoshi aagayee thi hamari bich. Sonali ke ghar wale mujhe boaht baar mujhe phon ekarte the aur bulat ebhi the par maine avoid kar deta tha har baar .

Aise hi kuch din bit gaye or meri college maine abhi life sahi chal rahi thi . Maine jada tar sonali ke samne jaana avoid kar rah tha ,pata nahinikyun ek ajeeb si feeling aati thi .isss bich maine Ritu naam ki ek ladki ke sath relation maine tha .Iss bar kuch reason ke chal te collge sports ko cancel kar diya tha aur uske badle picnic ke liye association raji ho gayee thi .Nov ka mahina tha hamare college ke taraf se 2bus hue the ,ek sundar si waterfall ke pass ham jaa rahe the .subha ke 10 baje ke aass paass ham log ponhach gaye . Ab boys aur girls kea lag alag camp lag diye gaye aur teacher ne sab ko warning de diya ki koi akele ghumne nahini jaye . Par ham to waise bhi ladke log konsa teacher ke warning sun te the ,toh after non ke 4 baje ke aass pass maine akela nikal gaya ghoomne . Ab mujhe aise hi ghoomte ghoomte 1 ghanta ho gaya tha tab maine dekha aage hamare college girls ke ek group bridge ke pass khade hoke waterfall ko dekh rahe hain mujhe pyaas bohat lagi thi to maine socha unse pani maang leta hun . Jab maine unke pass ponhach ne wala hota hunt oh achanak wo sab chilane lagjate haine .Maine bhi bhag ke uss aur jaata hun ,chilane se mujhe pata lag gay tha ki koi ladki pani maine gir gayee hai.

Maine bhag ke wanha ponhch aur pani maine kood gaya jada pani nahini tha kamar tak tha par pani ka flow bohat jada tha .maine dekhta hun ki wo ladki koi aur nahini sonali hai . Wo bridge lakdi aur bamboo ka ban hua tha aur sonali piller se nikla hua ek lakdi ko pakde rakhha tha .kyun ko usko pani kamar se kafi jada upar tak aarah tha tohkhade hona musqeel tha .maine sonali ke pass ponhcha aur hath pakadke kheech laya aur ek hath se piller ko pakad ke usko pani se bahar ane ko sahar diya .Jab sonali bahar nikal aayee toh maine bhi bhar aane lag atabhi meri balance bigad gayee aur maine pani maine behne laga ,mujhe swimming ache se nahini aati thi par tab tak aur bhi ladke aagye the jinhon emujh ebachaya .Baad maine teacher se mujhe aur sonali ko bohat daant padi .baad maine jab sonali beth ke ro rahi thi toh aaj maine peheli baar himmat karke uske pass gaya aur uss se baat karna laga. Aaj pehli baar maine uss se bina ladhe baat kar rah tha . Jab hum ghar wapas aaye toh uske ghar walon ko pata chala iss bare maine toh wo log mujhe bohat shukriya kiya aur gali bhi diya ki agar swimming nahini aati thi to pani maine kuda kyun.

Ab mer asonali se milna julna badh gaya tha aur uske ghar aanajan bhi badh gay tha agle 1mahine ke andar ham dono ko ki kabham itne ache dost ban gaye ki ek dusre ki bina reh bhi nahini sakte the .kabhi kabhi ham dono ko soch ke bhi hasi aati thi ke bachpan se itna ladhne ke baad kaise ham achanak itne ache dost ban gaye .ab mujhe pat chala mere andar jo ajeeb feeling ho rahi thi isss liye ki maine aur sonali ladhte ladhte kab itne close ho gaye ki hamri dushmani ab dosti maine badal gayee .

Ek din sonali ni mujhe apne BF se bhi milaya , rajesh naam tha uska .Bohat hi acha banda tha wo . Dhire life aage badhti rehti hai ab mere aur Ritu ke bich jhagda badhne lag gay tha ,wo hamesha mere aur sonali ko dobt karti rehti thi ki hamare bich kuch seen chal raha hai . Maine usse samjh samjh ake thak chuka tha ki aisa kuch nahini hai. Par wo maan nahini rahi thi bohat mushqil ke baad maine usse man paya . Iss bich ek achi baat ye hui ki sonali ne apne ghar maine apne pyar ke bare maine bat diya .pehele to wo log maan nahini rahe the par bohat samjhaneke baad maan gaye . Uss din rat ko mujhe sonalika phone aaya .Usne mujhe batya ki ghar wale maan gay ehai uske aur rajesh ki pyar ko aur jaldi date fix karenge sagai ka . Aur usne y ebhi bataya ki uske ghar walon ko lag rah tha ki wo aur maine pyar karte haine isiliye wo iss shadi ke liye maan nahini rahe the .phir ussne bohat muskil se ghar walon ko manaya .maine bhi usse bataya ki Ritu bhi yehi bol rahi thi . Phir ham dono ne yeh thik kiya ki aage se ham kam mila karenge aur ek doosre ki life jada interference nahini karenge . Isi se ham dono ka love life v thik rahegi .

Hamre 7th semistar ke baad sonali ka shagai ho gaya rajesh se . Ab maine bhi thoda pressure maine aagya tha sonalika toh life set hoo gay ab mujhe apna bhi dekhna hai .maine Ritu se iss bare maine bat kit oh usne batay ki abhi time hai itni jaldi kya hai ghar walon ko batane maine .Mujhe laga ye bhi thik hai .Par mujhe dhire dhire asli baat pat chalne lagi ki Ritu ka kisi aur se affair tha iss liye wo mujhe ghar pe baat karne se rok liya tha .kuch din ken ok jhonk ke baad hamar breakup ho gaya . Uss time maine bohat pareshan rehne laga tha kyun ki ek to sar pe final 8th semistar tha usi time breakup ka pain aur shayd mujhe jo nahini karna tha maine wo karne lag tha .Ab iss time dost ki bohat jad need hoti hai jisse aap apne dil ki baten bata sako to maine phir se sonali se baaten karne laga .

Hamare college ka study trip jane wala tha aur sab final year ke student jaa bhi rah ethe kuch ruk gaye the exam ke pressure maine par mujhe sonali ne kaha ki mujhe jana chahiye . Toh maine bhi chal gaya ,jo shayd meri jindegi ka sabse galat decscion tha . Hamara grop jis hotel maine us maine kafi bhid hoti thi kyun ki paass mainehi ek acha tourist place bhi tha .Rat ko bahar ghoomte ghoomte meri najar Ritu pe pada wo apne bf ke sath make out kar rahi thi .shayd ye log bhi usi hotel maine stay kar rahe the .

Jis dukh aur gum ko bhoolne maine yanha aay tha wo ab kai guna badh chukka tha .maine wanhi ek ped ke pass beth gay aur fut fut ke rone laga . Tabhi mere kandhe pe ek hath mehsoosh hua maien palat ke dekh atoh wo sonali thi .wo mere pass beth ke mujhe samjhane lagi par maine uss halt maine nahini tha ki kuch samjh paun .Ritu se maine bohat pyar karta tha aur aaj ye sceen dekh ke maine khud ko control nahinikar pa eaha tha .tabhi sonali ne mujhe gale lagake chup karane laga dhire dhire maine ab normal hone lag sonali ke samjhane se ab maine chup ho gay tha .wo bilkool ek maa jaise apne bache ko samjhati thi waise hi mujhe samjha rahi thi . Aaj uss maine mujhe ek dost ke sath sath ek maa bhi najar aa rahi thi .usne mujhe samjhaya ki mujeh bhi ab Ritu ko bhul ke aag badhna hoga .maine bhi sonali ke liye iss baat pe raji ho gaya. Aur phir ham log wapas aagaye hotel iss baat se anjan ek anjana bawandar janam le chukka hai .

Vikram bhi aaya hua tha iss trip maine aur uss time sonali ko picha kar rah tha .jab usne mujhe aur sonali ko gale lagye hu edekha toh usne hamar photo le liya tha . Ab jab ham trip se wapas aake ponhache to bahamara wait kar rah tha .vikram ne wo photo rajesh ko bhej diya tha aur apne aur se jhooti batein jod ke bhi suna diya tha .Rajesh ne bohat hungama kiya mere aur sonali ke lakh samjhane ke baad bhi wo nahini maana . Ulta usne mujhe kah ki meri Ritu se isiliye break up hogay ki Ritu ko meri aur sonali ke bare maine pata chal gaya tha .haum dono aur hamare parivaaron ke lakh samjhane par rajesh nahini samjha aur shagai tod diya .ab ye baat bohat had tak badh gayee thi aura as pass main ebhi fail gayee thi .To ab sonali ke ghar wale mere ghar wale se baat karne lage ki ham bachon ka shagai kar lete haine ab logon ko kon itna samjhaye . Sonali ke gharwalo ka kehna tha ki unhe rajesh waise bhi pasand nahini tha . Aur iss baar na hi mere ghar wale nahi sonali ke ghar wale hamare ek bhi baten suni aur jabrdasti hamara shagai kar diya .ham dono toh mano jaise shock maine the ki aakhir ye hua toh hua kya .ham dono ko ye samjh nahini aarah tha ki galti kiski thi aur aakhir ham kyun logon ke kehne se ham kyun qurbaani dai.

Par dekhte dekhte kab hamari shagai bhi haogyee aur jadbaji maine unhone hamar shadi bhi 6 mahine baad rakh diya .Aaj ke time hamari shadi ho gaye hai ham dono ab thoda sambhal chuke haine .Ab ham donoki life bhi sahii cahl rahi hai lagbhag par aaj bhi hamdonoke bich ek anjana na baya kar sakne wala dard hai kya yehi hamar future tha .kuch logo ke sochne sa hamra life ka pura najariya hi badal gaya

Kya problem hamare duniya ki baat baat pe sab broad minded hone ka daba karte haine aise dikahte haine ki duniya ka sabse uch bichardhara wale ham hi hai par jab ladke aur ladki ki baat aati ahi to pura duniya aankh band karke purane khayalat ko saamne le aati thi .aare kam se kam dhang ke khayalaat to le aao hamre purano maine bhi kitne kahaniya hai janha pe ek ladka aur ladki kitne ache dost hua karte the kisi desh ke raja ur doosre desh ke rani apne shadi ke baad bhi dost hote the aur dosti ki mishalen pesh kiya karte the .par galti logonki nahini hai hamare ye bollywood industry ki hai “koi ladka aur ladki kabhi dost nahini ho sakte “kyun bhai kya sirf ahi ek rist bacha hai kya aankhon se wo parda uthao .bollywood maine ladka ur ladki ke dosti ke upar jitney bhi movie banaye haine sab maine donoko aakhir maine pyar ho jaat ahi .to kya kiya tumne wohi baaten prove kardiya na aakhir kaar jo duniya bol rahi thi .Log agsar kehte haine ki dosti ke naam pe pyar ko badnaaam mat karo par ye koi nahini bolt aki pyar ko dosti ke naam deke jo log duniya ke njar se bachne ki kosish karte haine unke chalet baki sabke dosti pe bhi duniya usinajar se dekhne lagti hai. Ki dosti kuch nahini ye sab pyar ko chupa ke rakh rahe haine .do movie ki aapko example de raha hun ek hai “maine pyar kiya “ aur doosra movie “Rudramahadevi” dono movie maine bhi ek lead actor tha aur ek lead actress thi ek maine dosti ko pyar maine badal ke dikah diya ki naji bhai log ye dosti kuch nahini hoti ek ladka ur ladki hamesha pyar karte haine .Aur doosre movie maine dikahya gaya ki ek ladka aur ladki ajeban dost hi rehte haine ..aisa kyun ,kabhi socha hai kyun ki ek story ham logon ne likah hai duniya ko achi lage iss najar se aur doosri actual life maine ghati hai. Par nahini ham to pyar ke naam pe dosti ko bhi kharap karenge .

Chalo ham sonali aur maine to sambhal gaye par najane kitne vikas aur sonali duniya ke dar se apne dosti ka ya toh gala ghot dete haien ya phir hamare tarha na chahte hue bhi riston ka aanchl odh lete haine takikoi sawal na uthaye .Kabhi sochna aaj ham har tarha se aage badhneaur hamare soch badalne ki baat kar rahe hain par kya iss soch ko ham badal nahini sakte . Ye sirf ek kahani nahini thi ye ek aaina hai ki sab log plz uss mindset maine mat raho ki “ek ladka aur ladki kabhi dost nahini ho sakte “ barna najane kitne dosti ka gal ghoot jaye ga . Agar ye kahani ek bhi logo ki jehanmaine thoda sa bhi badlab la paya ya logo ko mind set badal paya toh sab se jad aham khus honge

Aapke apne VIKAS aur SONALI .


 
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mysteryman

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chal rahi hein hamari sansein uski muskurahat ke liye,
vrana niyota to yamraaj ne bohot din pahle bheja tha,
''pyar'' ye ek sabd hai to bohot chhota par jo iska matlb samajh jaye vo insan vohot bada ho jata hai....
lekin baat yahi hai ki iska matlb har koi nhi samajh sakta...kyonki jis insan ko ''pyar '' bachpan se hi mila hota hai vo iski ahmiyat nhi samajh pata or jis insan ko ''pyar'' nhi mila vo bhi iska sahi matlab nhi samajh sakta...shayad bohot sare log meri is baat se ittfak na rakhte hon....or rakhein bhi kyon sabhi ki apni apni soch hai ....chalo bhailog ab story par aate hein....
ye 11 class ka pahla din tha jaisa ki sabhi schools mai hota hai class mai kuchh naye bachhon ka admission bhi hua hota hai yahan bhi kuchh aisa hi tha...class mai bohot sare ladke ladkiyon ka admission bhi hua hota hai...
class mai teacher aaye or aaj class ki sari benches bhari hui thi sirf ek ko chhodkar ...
aisa isliye kyonki teachers ka manna tha ki vishal jiske bhi pass baithega vo use padne nhi dega....halanki aisa nhi tha ki vishal pafne mai hoshiyar na ho vo hamesha class ke top 3 mai rhta tha....lekin vo thoda khurapati tha...
class chalu hui...teacher padane lage....
teacher...what is accounts??? teacher ne students se question puchha...
vishal....accounts is a subject
uska ye answer sun ke puri class mai thahake guzne lage lekin tabhi ek ladki class mai aayi lekin teacher ne late hone ki bajah se use class mai allow nhi kiya...
fir teacher ne puri class se accounts ki complete definition puchhi lekin koi nhi bata paya....
to tabhi bo gate par khadi ladki ne bohot ho speed mai answer diya jisko sunke teacher bhi uski tareef karne laga....or usse uska naam puchha to
ladki...mera naam GUNGUN HAI...
ab class mai seet to ek hi khali thi to vo vishal ke pass jakar baith gyi...
aaj bohot din baad koi vishal ke pass baitha tha....lekin uski awaz or vo khud itni pyari thi ki vishl bas use dekhta aut sunta rhta tha usse kuchh nhi kahta tha....
jab vo usse puchhti aise kyon dekh rha hai to vo jhenp jata ....
aise hi din bitne lage dono ek dusre ke bare janne lage ab dono dost ban gye the ...class mai besak seat khali hon par Gungun ab usi ke pass akar baith ti thi...
वो कब आम से खास हुए और कब खास से जीने की आश हुए ,,,
हमें पता ही नहीं चला हम कब बीमार और कब लाश हुए ।।।।

jab ek ladka or ladki dost bante hein to unme se jyadar ek ko pyar ho jata hai jabki dusra us riste ko sirf dosti ki tarah leta hai yahan bhi kuchh aisa hi hua...
khair waqt beet gya or class 11 khatam hone ko aayi exam bhi hue result wala din bhi aa gya...
exams mai Gungun ne school or class mai top kiya to wahi vishal bhi kuchh kam nhi tha uski bhi class mai 3 rd position aayi...
school mai result declaration ke baad se hi dono ek dusre ko sabse pahle milna chahte the..
lekin ham jaisa sochte hein vaisa hota kahan...udhar bhi aisa hi hua....jab vishal gunu se milne gya to pahle vo teacher's ke sath busy thi baad mai use uski friends ne ghere rakha...
tabhi atul vishal ke pass aagya...
atul...sale kuchh na pada kuchh na pada kr ke top kar diya...party kab de rha hai bsdk...
vishal...jab papa bol dega tab
itne mein or bhi dost aa jate hein or vishal ki is baat par hasne lagte hein.....or vo bhi party mangne lagte hein...
vishal...puri saal mehnat maine ki to party mujhe milni chahiye ....
aise hi nom jhok chalti rhi or fir vo sabhi chale gye fir vishal ki hi class ki ek ladki aa kar vishal se baat karne lagti hai...
or tyming to dekhiye tabhi gungun ki nazar vishal par pad jati hai...
vishal ko kisi ladki ke sath dekhkar pta nhi kyon gungun ko kuchh achha nhi lagta or vo wahan se chali jati hai....
school ki chhuti ho gyi or sabhi apni apni bus mein pahunch gye....
(ek baat jo mai batana bhul gya vo ye hai ki dono ek hi route se aate hein lekin alag alag bus or dono ke gahr mein bhi koi bus 5-6 km ka antar hai)
ye baat yahan isliye batai gui hai kyonki aaj gungun vishal ki bus mein jaa rhi thi....
aur is se bhi badi baat ye hui ki ladka( vishal) hamesha bus mai udham aut sarartein kartr jata tha vo aaj bilkul sant baitha tha jiske pechhe wajah ye thi ki gungun aaj uski seat par uske sath baithi thi....
bus school se nikali or bachhon ki baton ke sath sath vishal or gungun ki bhi batein shuru hui....
vishal...congrats gunu...
gungun....achha ji ....to ab time mila hai tumhe...
vishal...mene to tera bohot wait kiya lekin tu free hi kahan thi...jab dekho tab koi na koi laga hi hua tha....
gungun...oh aisa kya tu bhi to busy tha SAPNA(jiske sath vishal ko batein karte dekha tha gunu ne) ke sath...
vishal____________(silent)
gungun....pta nhi yaar par kyon tujhe uske sath dekh ke mere ko achha nhi laga....
vishal...(man mein) han jaise mujhe maja aata ho tumhe or ladkon ke sath dekhkar...
vishal...mtlb....
gunu.....pta nhi yaar bas achha nhi lagta...
kuchh der ke liye dono mai koi baat nhi hui...
fir achanak gungun ko pta nhi kya sujha ki usne vishal ka hath pakad liya....
vishal ki feeling us din esi thi ki shyd wo khud kisi ko bata nahi pa rha tha.... or bas fr gunu ki trf dekhe hi jaa rha tha...... poore raaste me uska haath gunu k hath me thaaa or sivaay uske wo ksi or ko nahi dekh rha tha...fr dekhte hi dekhte gunu ka stop aa gya or fr use jana pda lkin us din vishal k chre pe ek ajib si khushi thi..
ab aaj jab vishal ghr phucha to bhut khus thaa... lkin wo ek sach se anjaan tha jo shhd use bhut dukh dene wala tha.... chlo uski aage bt krnege...

fr wo agle din jb schl gaye to fr se hth pkd kr aithe the aur rojana aese hi baithhte the....
fr whi huaa jiska dr thaa...
vishal ki feelngs uske le badh gai or use gunu se pyr ho gaya or usne ab apne pyar ka izhaar krne ka soch lia thaaa.....
ek din dono baat kar rhe the ki dono hi ek baat kahte hein ki ''mujhe tumhe kuchh batana''...
fir dono hi chup ho jate vishal kuchh bolne wala hota hai ki gungun bhi kuchh bolne ko hoti hai...
vishal...aisa kro pahle tu bata.....
[on the basis or movies and serials vishal soch rha tha aisa tab hi hota hai jab dono ek dusre ko izhar karne wale hote hein...ye sochkar vo man hi man bohot khush hota hai....]
gunu...vishal mujhe pyaar ho gya hai....
ye baat sunkar vishal ki khushi ka thikana nhi rhta usne jo socha tha use ab yakeen bhi ho gya tha ki gungun bji usse pyar karne lagi...
gunu...tumhe pata hai mai ye baat tumhe sabse pahle bata rhi hun...mujhe veer se pyar ho gya hai... i am in love with him...


jaise hi gungun ne kisi or ladke ka naam liya to vishal ke sir pe jaise pahad hi tut gya...

akhir tute bhi kyon na jab aap kisi se pyar karte hon vahi insan aap se kahe ki mujhe kisi or se pyar ho gya hai to jara sochiye aap par ky bitegi vahi thi vahi vishal par beet rhi thi...


usko jo khushi thi vo ab gam mai badal chuki thi...

gunu...kya hua kahan gya or ye kesi ajeeb si sakal bana rha he.....khush nhi he kya tu
vishal(man me)
वो हारकर किसी गैर को अपना दिल हमसे ही हमारे दिल का हाल पूछने आए हैं,,,
ये तो वही बात हुई जनाब कत्ल को अंजाम देकर ज़नाजे में मौत की वजह पूछने आए हैं।।।

vishal--- are nhi yaar mai to bohot khush hu ki akhir tujhe tera pyar mil gya.....
ye baat kah ke vo sant ho gya uska dil jor jor se ro rha tha ankhein bhi rona chahti thi lekin uske chahre par ek udaseen muskan thi...
gunu... ooo pagal kaha kho gya achha tu bta tujhe kya batana.....
vishal--- mu....mujhe kya batana tha.....
gunu--- (uske kandhe par thappad marte hue) bola to tha yaar.....
vishal---yaar teri baat sun ke itni khushi hui ke mai bhul gya kya bolna tha....vese koi imp baat nahi thi....
or isi dauran gunu ka stop aa gya or vo vishal ko bye bolkar chali gyi.....
ab bus almost khali thi bs 4-5 hi log the uske jaane ke baad vishal sabse last bali seat pe chala gya or apne aap ko akela pakar uski ankho se anshu chalak pade aur ab uske dil mai jo dard tha vo bahar aa rha tha...vi itna roya ki use pta hi nhi chala ki uska stop gya lagatar bajti horn ki awaz se usko thoda hosh aaya or vi bina kisi or ki taraf dekhe bus se bahar chala gya....
ghar pe jake bhi usne kuchh nhi khaya or sidha jake ped pe pad gya or rota rha jab uski ankh agli baar khuli to raat ho chuki thi....
sabhi usse tarah tarah ke sawal puchh rahe the lekin uska dhyan nhi tha vo bilkul tut chuka tha ek pal mai ek aise ladke ke chahre se muskan gayab hi gyi jiska lahza hi mazakiya kism ka tha.....
jaha vo pahle hasta hua schl jata tha ab uske chahre pe udasi rahti thi par kahte hein na ki pyar badi kutti chiz he.....jese hi gunu bus mai aati thi uske udas chahre pe phir bhi use dekhkar muskan aa jati thi.....
हम जिस दिन हाल अपने दिल का उनके दिल को बताते,,,
वो किसी गैर की हो गई मेरे साथ मुस्कुराते मुस्कुराते ।।
khair iske baad bhi vo gunu se ektarfa pyar karta rha or hamesha har muskil mai uske sath rahta usko jab jarurat hoti vo uski help karta ye baat baad mai gunu ko bhi pta chal gyi ki vishal usse pyar karta he....usne vishal ko kaha bhi ki vo usse pyar nhi kar skti vo kisi or se pyar karti he.....
vishal ne iska koi jawab nahi diya or sochta rha ki vo gunj ko itna pyar dega ki ekna ek din vo uske pyar ko samjhegi... .
"kitna mushil hota hoga us insan se pyar karna jab pta ho ki usse hame hamdardi tak vapas nahi milegi"
fir vishal or gunu ke bich galatfahmiyo ka daur chala or dono mai baat chit pahle kam hui phir bohot kam hui or 12 ke boards ke baad to halat bad se badtar ho gye.....
lekin kuchh hai jo ab bhi nhi badla he vo hau vishal ka gunu ke liye pyar uske liye feelings uske liye jo dil mai special jagah thi ohhh sorry sorry vishal bhai maaf karna dil mai jagah nhi pura ka pura dil hi gunu ka he......
to be continued forever.........
 

Casinar

Dimaagh ka garam, Dil ka naram
Divine
18,429
125,583
259
The Devil Who Destroyed My Life
Shanaya, was a very beautiful young girl, well mannered, cultured, and very well raised by her mother. She had passed her 12th but did not wish to continue with studies. She was not career oriented. Her dream was to be a housewife, to have a home, to raise kids. She was the perfect girl men would want to have in their homes. Moreover, there was a special reason behind this, and that was Avinash, whom she was in love with for the past 2 years.
They loved each other but Shanaya loved Avinash much more, Avinash knew that too well. Shanaya’s mother knew her daughter’s choice so despite that she got marriage proposals from other better people the mother refused as she loved her daughter too much and wanted to please her by getting her married to Avinash.
The wedding took place when Shanaya was 19 years old. Avinash was then 22. He also had only his mother at home. So Shanaya got another mother in Avinash’s house. Both mother-in-law and daughter-in-law got along very well. Avinash’s mother loved Shanaya like her own daughter which she never had.
Since they were both too young, they decided not to have kids during the first 4 years, although Shanaya wanted to raise kids Avinash thought the other way, he said he wanted to live and be alone with Shanaya for the next four years so that no kids disturb their love life. Shanaya agreed as she was too happy to have a husband who loved her that much.
**************************************************************
At The Rehabilitation Centre
It was the place where the drug addicts, raped girls, broken family children and divorced parents met, accompanied by expert counsellors, people who helped to rehabilitate, to start life anew. To face the world, to get confidence back, to trust again, and to live again.
In order to get used to each other, to make acquaintances, the experts called one person per day to talk and relate about his/her problems and how they overcame it, what they went through and why they are here. This exercise was done to help others present there to know that they are not alone to suffer and face such situations.
Everyone present in that vast room believed that his/her case, or his/her story was the toughest and most difficult one. Each believed that he/she had undergone the toughest situation in life. So, by sharing their stories and moments of life they came to know each other and learn that no one is spared of such hard hits from fate.
This day it was the turn of Shanaya to come in front and talk to tell all others about her story. She took a deep breath and looked in the face of the lady expert who by the sign of her head asked her to start to talk. And Shanaya looked at about 1200 people sitting in front of her amongst were men, women, boys and girls of all age group.
Shanaya started to talk facing the audience;
“He was the most beautiful gift God had given me. I loved him with all my heart, or I should say with all my soul. We got married 5 years ago, I was then 19 and he 22. Everything was going fine. My mother-in-law loved me too much. In the absence of Avinash she took great care of me and I never missed my mother or should I say I completely forgot my mother and that home where I was born and lived for 19 years. That much love was bestowed on me in the house I came to live after wedding Avinash. I was so happy, thanked my good fortune, felt so much blessed to have got such a mother-in-law and husband.
First two years all went fine. I was overjoyed, felt very lucky, was always happy and never missed anything. I believed I was the luckiest person on earth.
It all started the second year after our wedding. There was a devil, a demon’s eye casted on me and on the house, I was living. That devil started slowly, little by little, bit by bit snatching away my happiness, my love, destroying my life and that of my old mother-in-law.
In the beginning I thought it was something temporary and will soon stop and go away. Never ever thought that will lead us to this day.
One evening Avinash came home and looked weird. When I talked to him like I used to all joyous, he looked at me as if he was looking at a stranger. I asked him what was wrong, either he was tired and wanted to rest he did not reply and went to sit aloof.
I went to tell my mother-in-law about his weird behaviour and she told me not to worry men are like that he will come to you when he will need you. So, I did not pay heed and kept on with the house chores.
He did not take dinner that night and slept without even touching me which happened the first time after 2 years of married life. For me that was something very abnormal and the next day when he went to work, I talked about it to his mother who again told me not to worry everything will be fine. She knew how dearly I loved him and she always prayed for both of us to stay happy ever. She was over 60 years old but was still going strong, doing yoga and all that, and all her hair were still dark, not a single white hair on her head without using any hair dye. One or two of her eyebrows only were white which I always pulled out when they grew long.
The next day I had decided to talk to Avinash about his behaviour when he would be back from work. And when he came, he was even more weird than the day before. He did not talk even a single word; his mouth was like tight closed and could not open. I talked to him, questioned him but got no answer, he was avoiding me and walked away each time that I talked. He was like hiding something. I got afraid and asked myself either he was having an affair. Did he have any other woman outside? I got very worried and my heart pounded thinking about that so I started crying telling that to his mother who then went to talk to him.
But he was deep asleep without having dinner.
Days went by and he had started keeping distance with me, no love making, no conversations, not even with his mother, he was remaining in his shell. He was such a loving person, he loved me so much, he was so very much caring and I missed those affectionate moments. I really loved him and wanted him to be like he was before. I was not understanding what was going on, when questioned he blankly replied all is ok, not to worry etc.
The third year he started staying at home, absent from his job. He had such a good post in an office, he was almost the assistant manager, was to be promoted soon but, the change in his behaviour seemed that he will never achieve that post. Now, when he was absent from work, he did not stay inside the house but was always out, we did not know where he was going, that made my doubt grow even more that he was having an affair, he surely had a woman outside was my argument with his mother.
And the day his mother talked about his behaviour, he shouted at her. He had never done that before. I had never in my life ever seen him talking in a loud voice, but that day it was clear shouting, it seemed he was in a rage, as though, he was going to fight with his hands with his mother. I was afraid for the first time in my life seeing him that way.
Later that evening I approached him and asked him calmly if he was unwell. He only moved his head sideways to mean no. I then asked him what was the matter, why he is not going to the office to which he harshly answered,
“Mind your own business and leave me alone!”
That was the first time he talked to me that way which made me cry. When I was crying my mother-in-law came to comfort me by holding me in her arms and caressing my head. At least I had someone in the house to whom I could turn to when needed.
It took us about a few months to discover that he was taking drugs. We were not aware what he was taking but we knew it was drug. He was addicted and could not stay without that thing.
When that thing was missing in his blood, or body he turned nervous, very agitated and made lots noise, shouted, walked from here to there, smashed things in the house, smashed crockeries, kicked this and that, and looked at us with eyes which made us afraid.
Still I loved him more than anything in the world. When he slept, I caressed his hair, kissed him, caressed his cheeks, looked after him like he was my baby.
He lost his job after 5 months. He was of course sacked as he was unable to concentrate at work. We tried hard to know what he consumed as drug but never found anything with him ever.
I felt my world was lost. My dreams shattered. I did not know what to do, where to go, with whom to ask advice.
One month after being sacked from his work all his savings ended and he sold his car. His mother and I tried hard to talk to him, asked him to tell us which drug he was taking, we promised him not to shout at him, but we would help him to get out of that but he said he was not taking any drugs.
I was a housewife, newly married, I did not go out of the house that much, I was not even used to the people around. So, I really did not know what to do. I asked my mother-in-law to seek advice from other people, from people she knew, from other elders. But she was ashamed to let people now that his son was taking drugs.
And gradually stuffs from the house started missing, he started selling things from inside the house to buy his drugs. The first thing to disappear was the music system, then the laptop and mobiles. He was selling them in less than half its price.
This went on for almost a year and I was like fed up. I was often crying, yelling, shouting my woes out. And one day all my jewelleries disappeared. All were my wedding gifts, some from my parents some from his mother, he sold all of them to buy his drugs.
His mother told me to leave him and go to my mother’s place. But I could not do that as I loved him too much, he was part of my life, part of my own self, I could not live without him; and then I had great hope that he will soon stop and come back to his normal self again. I had hope and was waiting for the day he will come and tell me he has had enough of all those shits and he wanted to live normal like all of us, I was waiting and kept waiting.
I started praying, my prayers were only for him, I begged God to save him, to show him the right path, to bring him back to us, to make him leave that demon which was the drug.
He later started being violent, he was such a cool and lovely person, I had never seen him violent, but the first time he raised hands on me and got me wounded by tearing my ear as he needed the earring I was wearing, he sold them to buy his drugs.
After a year our house was almost empty. He sold everything in the house, the sofas, tables, chairs, fridge, TV, we had one new bed which was not ever used, he sold that too. In the house only two chairs, two bed and a table were left. The house looked like a nude child. His mother and I both cried. We could not stop him selling all that furniture an all because he started getting nervous and became too violent, and threatened to hit and even used a knife to threaten both me and my mother-in-law.
And one day I succeeded to find a pill in his trousers’ pocket. I took that and went to the pharmacists to enquire. I was told that it was synthetic drug. A mixture of few drugs like cocaine, morphine, marijuana all chemically prepared in a lab to imitate the real drugs which had drastic effect in the brain. These drugs had new and different behaviour. Those drugs were created in illegal labs and it was almost impossible to know their strength and ingredients. I was also told that few have been proven to contain poisonous molecules. I was shocked. My Avinash was destroying himself. Went to tell all that to my mother-in-law who only cried as response. I told her to go and look for and ask with people about any disintoxication centre if available around. My mother-in-law was still too worried to let people be aware about the drug matter to the neighbourhood. So, I decided to have a move on my own.
One early morning I left home and went to search for the centre where drug addicts are treated. I asked in the nearby police station, and fortunately a kind cop helped me by writing down the address of a place.
Reaching there I explained the logistics that I won’t be able to convince my husband to come there, I asked their help to take him there. They promised me they will come the next day, but they asked me to put it to Avinash’s ear that he need to be disintoxicated.
That day when I was back home, I found my mother-in-law crying sitting on the stairs. Upon asking she told me all her jewelleries are being sold by Avinash. All her old gold bangles, necklace etc. were all sold. We both cried for a while and I told her about the centre. We found hope. I felt peace inside that he will now be cured and all our pains will soon end.
That night I talked to him about the disintoxication centre and told him that he needed to go there to get cured. To my surprise, he held me and started crying and like a small child he sobbed saying that he is since long wishing to get out of this, he could no more bear all that and wanted to be back to normal. He cried a lot; his mother heard and came to join us and all three we cried and waited for the next day with the great hope.
Avinash made me weak by crying like that. But I was too happy to know that he himself wanted to get out of that, he had no issue but he was happy that I was trying to get him out of that shit. That night I dreamed that we were again living happily like before, we were having a normal life, he was fine, was working and buying back all the things he had sold from the house.
But the next morning when I woke up, he was nowhere to be found. By 11 the officers came to look for him but he was not there.
Anyhow I went with them in their ambulance like vehicle and was able to spot on Avinash in the corner of a street. He was drugged already. The officers knew; as they told me, as soon as a drug addict gets up the first thing to have in the morning is their dose otherwise, they will feel sick.
He was taken to the centre where he spent 3 long months to get detoxified. His mother and I visited him every day. The first week he was very nervous and violent, he was shaking, had fits and even fell unconscious several times a day. But gradually recovered.
And after three months he was back home as normal as he was years ago.
He cried looking at the empty house as he knew he had sold everything himself. He apologized to me and his mother, he cried a lot like a small child and said he will work hard and buy back all that he has sold. Both me and her mother felt very happy and I thanked God that my Avinash was back like he was before.
He was caring and loving again like before. My joy had no bound. I was extremely happy. He started looking for a job. Every morning he left home seeking a job but always returned sad and discouraged. I and her mother were there to support him by encouraging him to be patient and wait for the moment to come.
But only three weeks, just three weeks he was fine and one evening he was back home drugged again! He relapsed only after three weeks. I could not believe that, I felt a terrible blow, I cried very loudly, I shouted to him and he punched me several times on the face. I was knocked down. His mother came to save me from his hits, he was kicking me at the moment she intervened to take me away from there. Into her room she cleaned my face and again asked me to leave him and go back to my mother’s place.
But I still had hope, I wanted to see my Avinash back, I wanted my love back, I wanted him to make me pregnant, I wanted to be the mother of his child, I could not leave him. My love for him was pure and true, I could not live without him despite that he was violent towards me, it was not him, it was the drug that was making him hit me, my Avinash could never hit me I knew that. I had hope again. I wanted to take him back to the centre to detoxify him once more….
I talked to him the next day, asked him to go to the centre again. He refused saying it was of no use since he has re started, he said the drug was more powerful than the detoxification.
This continued for next several months. He was again a drug addict. A hardcore one. It was the fourth years after our wedding…. He was selling even my clothes now to buy his drugs, then he started stealing his mother’s money. She was saving for our children and Avinash started stealing her hard earned and saved money…..
The days he was not getting the drugs he started being very violent, he shouted, he cried, he scratched his body all along, he scratched so much that he removed his skin and it started bleeding, he ran to the toilets dozens of times saying he had diarrhoea, he was very very nervous and irritated.
His mother was getting her pension every month and he started snatching her pension money to buy his drugs…. I decided to take a job, but my mother-in-law told me not to do that or else he will take all my salary to buy his drugs. I had to run the kitchen, to buy the food, but she told me she can give me a lunch and dinner daily, she hindered me to get a job as by doing that I will contribute in Avinash destruction by giving him money to buy drugs…. She was right, and I was helpless.
Several months went by, he started stealing in the neighbourhoods, in the shops, everywhere, he did his best to get money for his drugs…..
And one evening he beat his old mother when she refused to give him her pension money….. I ran to save her, I was in between him and my mother-in-law, even I got several blows while saving her… and that very day, once Avinash turned his back while my mother-in-law took and knife and hit on Avinash’s back 11 times, she pushed me when I tried to come in between, even my hand got cuts with the knife she was holding firmly in her hand….with the very first blow only Avinash was down on the floor, but she went on hitting again and again, blood oozing from each part she was stabbing, she went on and on shouting, yelling these words, ‘I should have killed you the day you were born, I raised you with all my love, cared for you, made you a man and today you hit on me, you steal my hard earned money, you hit your young helpless wife, you drug addict, we do not need you, we can live on our own you do not deserve to be on planet earth, you are a burden, go away, leave us, let us live in peace, go to hell!!’
And dear audience, look at the last row, in your right, the old woman in white sari is my dear, loving mother-in-law, she is not sad for having killed her son, she is sad having given birth to him…. The judge pronounced death sentence for her, but when I explained to the judge, all that I just explained you, the judge changed the sentence by saying that the old mother was harassed by a drug addict and it was in an act of self-defence that the son got killed, and my mother-in-law was set free. This is our story; this is what we went through with an addicted person. We understand there could have been other ways to stop that, but circumstances never give the opportunity to decide, it all happened abruptly.
I wanted to raise children, when I see what my mother-in-law went through, I feel I am better alone, why to raise a child whom one day I will get to kill like that. God knows why he did not let me have his kids, who knows his child would have become like him? So, I am happy without them. I request you all look well upon your children, not only when they are kids but when they are grownups too. Be vigilant, watch out the devil named drug is around to snatch your dear and loved ones from you.”
The End.
 
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