fountain_pen
Prime
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Story - फक्त एक ख्वाहिश fountain_pen
Main teen din se review karne ki kosis kar raha hun aur 3 bar story bhi padh chuka hun ... Shyad is waqt uljhi chijen main nahi samjh pa raha hun ..
Aakhri me wo dono jab ghumne gaye the .. jahan ye samwad aaya ab hum dobara nahi milenge .. aur fir kahani kuch dango ke piche back chali gayi ..
Main ye kadi jod nahi pa raha hun ... Yadi aap thoda highlight kar denge ... Aur ye bhi ki amne samne baithe 2 log video confrance me kaise pahunch gaye ...
To bahut kuch clear ho jayega ...
माफ करना भाई, आपकी परेशानी मैं समझ सकता हूँ। दरअसल इक-दो वजह रही इस कहानी को जल्दबाजी़ में निबटाने की, assassin भाई से पूछा है उसके सोल्यूशन के बारे में।
इन वजहों से अलग आपके सवालों पर अपन बात जरूर कर सकते हैं।
पहला, अपराजिता ने एकाएक अपना रास्ता क्यूं बदल लिया।
दूसरा, दंगों का बीच में आना.
वैल, अपराजिता के बाबा को समर का हमेशा सुर्खियों में रहना पसंद नहीं था, जिसका इज़हार उन्होंने समर को हास्पिटल में गालियां सुनाकर कर दिया।
दंगों वाला पार्ट इस कहानी का बहुत अहम और इमोशनल हिस्सा था जो मैंने जानबूझकर इसलिए हटा दिया, शायद किसी को वो आबजेक्शनेबल लगे, और ये ही बडी़ वजह रही कि मैं जो चाहता था वो कहानी में ठीक से रख नहीं पाया। मसलन शिवानी का समर से अलग होना मगर उसके डैड का समर के साथ रहना......
वीडियो कांफ्रेस वाला कोई मसला नहीं है, काम में व्यस्तता की वजह से दोनों ज्यादातर फोन पर कनैक्टिड रहते, इक दिन अपराजिता के बाबा को इन दोनों के रिश्ते के बारे में पता लगा, अपने बाबा की मंजूरी न मिलने पर उसने समर के साथ अपना रिश्ता खत्म किया और वहां से कहीं और चली गई।
इसके बाद की कहानी थोडी़ कंट्रोवर्शियल हो सकती थी जिसके बारे में ना चाहते हुए भी मैंने बस थोडी़ सा ही लिखा(दंगा वाला पार्ट)।
उम्मीद है इस कहानी को लेकर आपके काफी उलझने क्लीयर हो गई होंगी।
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