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★☆★ Xforum | Ultimate Story Contest 2023 ~ Reviews Thread ★☆★

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Trinity

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Darkk Soul

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Story- " शैली "
Writer- Darkk Soul.


सबसे पहले तो आपका आभार जो आपने मेरे फरमाइश पर एक नही बल्कि दो कहानी यहां पोस्ट किया।
आप की यह स्टोरी हाॅरर बेस्ड स्टोरी थी। कहानी बहुत ही बेहतरीन थी और लेखन शैली हमेशा की तरह खूबसूरत।

आप शायद इस थ्रेड पर मौजूद सभी राइटर्स मे एक मात्र राइटर होंगे जो प्रोफेशनल राइटर है। इस कारण आप से अपेक्षाएं भी हम रीडर्स को और भी अत्याधिक हो जाती है ।
और इस बार भी आपने हमे निराश नही किया।

कहानी मे डर का एहसास तो कोई खास नही लगा लेकिन घटना दर घटना कौतुहल फैक्टर काफी भरा पड़ा था। लास्ट पैराग्राफ तक सोचते रहे कि ' शैली ' के साथ आखिर हुआ क्या था और क्या वो स्वस्थ हो पायेगी !
क्लाइमेक्स का सीन्स जरूर थोड़ा हाॅरर भरा था लेकिन इस राज से पर्दा हटा ही नही कि शैली आखिर गई तो कहां गई !
उनकी शरीर बरामद ही नही हुई थी।

मुझे लगता है क्लाइमेक्स मे या तो उसे मृत दिखा देते या पुरी तरह स्वस्थ। इससे ' शैली ' की कहानी का या तो एक सुखद अंत होता या कोई दुखद।

वैसे कहानी बहुत ही अच्छी थी और मुझे बहुत पसंद आया।

सर्वप्रथम तो आपको बहुत धन्यवाद की आपने बारीकी से रिव्यू किया..और अच्छा किया.

जी, कहीं न कहीं मेरे मन में दो कहानी पोस्ट करने का विचार पनप रहा था जो अंततः फलीभूत हुआ आप लोगों के उत्साहवर्धन से.

अब आते हैं आपके इस विचार पर की कहानी का अंत सुखद या दुःखद, कुछ होना चाहिए था. अर्थात या तो शैली पूर्णतया स्वस्थ हो जाती या फिर मृत. यानि की एक 'निश्चितता' होनी चाहिए थी... राइट??

पर.... (यहाँ 'पर' शब्द पर ध्यान दीजिएगा...)

पर क्या हो यदि कहानी की कोई 'निश्चितता' ही न हो?? हर कहानी, चाहे वो किसी भी श्रेणी / वर्ग की हो, क्या हमेशा उसका एक 'निश्चित' अंत संभव है? क्या हमेशा हर प्रश्न का एक ही निश्चित उत्तर संभव है? और यदि है, तो कैसा होगा की प्रश्न तो बड़ा तार्किक व सटीक है... पर उसका उत्तर नहीं है.. और यदि उत्तर है भी... तो उत्तर को सही तरह से देने का माध्यम या उपाय नहीं है.

क्या व कैसा हो यदि किसी प्रश्न का आधार या स्वयं उत्तर ही 'आशा एवं अपेक्षा' हो?

मैंने यही करने का प्रयास किया है... शैली किसी चीज़ के वशीभूत है और वो सरलता या शीघ्रता से ठीक नहीं होने वाली; किंतु मैं स्वयं और सुधीर ने उसके ठीक हो जाने की 'आशा' नहीं छोड़ी है... और 'आशा' है की प्रिय पाठकगण भी ऐसी ही 'आशा' करेंगे.


एकबार फिर से आपके बहुमूल्य समय एवं सुंदर विश्लेषण के लिए आपका हृदय की गहराईयों से बहुत बहुत धन्यवाद. 🙏 😊
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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कहानी- कमबख्त इश्क
रचनाकार- IMUNISH महोदय

बहुत ही बेहतरीन कहानी महोदय।
एक बात मेरी समझ मे नहीं आई कि जब आप इतनी अच्छी रोमांटिक कहानी लिख सकते हैं तो फिर क्यों आप हमेशा सेक्स कहानियां ही लिखते हैं ये कहानी आपकी पिछली दोनों कहानियों से बहुत अच्छी है लेकिन अफसोस कि ये तीसरी कहानी होने के कारण प्रतियोगिता में शामिल नहीं हो पाएगी।

कहानी कॉलेज के समय के इर्द गिर्द घूमती है। कॉलेज में पढ़ने वाले बच्चों के सामने क्या क्या परेशानियां आती हैं कैसे कैसे मस्ती और हुड़दंग कॉलेज में होती है। बहुत अच्छी तरह से दर्शाया है आपने, लेकिन आपने सलीम और रजत के अलावा कहानी के वर्णनकार का नाम ही नहीं लिखा है।

जैनब के अब्बू का अपनी बेटी के नाम का खत सलीम के लिए लिखना और सलीम का इस बात का पता लगाना सच मे अच्छा था। साथ ही सलीम और गुमनाम वर्णनकार के बीच का संवाद बहुत बढ़िया था। इसके अलावा सलीम का साइकिल पर अपना बोरिया बिस्तर बांधकर एक मकान से दूसरे मकान पर जाना एकदम वास्तविक प्रतीत हुआ।​
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
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कहानी- खेल वक्त का
रचनाकार- Sanki Rajput महोदय


बहुत बढ़िया कहानी लिखी आपने, लेकिन कहीं कहीं आपने जो अल्पविराम और पूर्ण विराम का उपयोग किया है उसके चलते कहानी पढ़ने पर निरंतरता में बाधा उत्पन्न होती है क्योंकि पूर्णविराम और अर्धविराम का उपयोग सही जगह नहीं किया गया है।

कहानी आरुष और प्रगति की है जो एक दूसरे से प्रेम करते हैं मुझे नहीं लगता कि प्यार को समझने के लिए या समझाने के लिए इतना भारी भरकम शब्दों का उपयोग किया जाए जो पाठकों को समझने में परेशानी हो साथ ही आपने कहानी में इतने ज्यादा उतार चढ़ाव दिखाया है कि पढ़ते हुए थोड़ी बोरियत होने लगती है। इसे साधारण शब्दों का प्रयोग करके अच्छे तरीके से लिखा जा सकता था।
 
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सर्वप्रथम तो आपको बहुत धन्यवाद की आपने बारीकी से रिव्यू किया..और अच्छा किया.

जी, कहीं न कहीं मेरे मन में दो कहानी पोस्ट करने का विचार पनप रहा था जो अंततः फलीभूत हुआ आप लोगों के उत्साहवर्धन से.

अब आते हैं आपके इस विचार पर की कहानी का अंत सुखद या दुःखद, कुछ होना चाहिए था. अर्थात या तो शैली पूर्णतया स्वस्थ हो जाती या फिर मृत. यानि की एक 'निश्चितता' होनी चाहिए थी... राइट??

पर.... (यहाँ 'पर' शब्द पर ध्यान दीजिएगा...)

पर क्या हो यदि कहानी की कोई 'निश्चितता' ही न हो?? हर कहानी, चाहे वो किसी भी श्रेणी / वर्ग की हो, क्या हमेशा उसका एक 'निश्चित' अंत संभव है? क्या हमेशा हर प्रश्न का एक ही निश्चित उत्तर संभव है? और यदि है, तो कैसा होगा की प्रश्न तो बड़ा तार्किक व सटीक है... पर उसका उत्तर नहीं है.. और यदि उत्तर है भी... तो उत्तर को सही तरह से देने का माध्यम या उपाय नहीं है.

क्या व कैसा हो यदि किसी प्रश्न का आधार या स्वयं उत्तर ही 'आशा एवं अपेक्षा' हो?

मैंने यही करने का प्रयास किया है... शैली किसी चीज़ के वशीभूत है और वो सरलता या शीघ्रता से ठीक नहीं होने वाली; किंतु मैं स्वयं और सुधीर ने उसके ठीक हो जाने की 'आशा' नहीं छोड़ी है... और 'आशा' है की प्रिय पाठकगण भी ऐसी ही 'आशा' करेंगे.


एकबार फिर से आपके बहुमूल्य समय एवं सुंदर विश्लेषण के लिए आपका हृदय की गहराईयों से बहुत बहुत धन्यवाद. 🙏 😊
रियल लाइफ मे कुछेक चीजें ऐसी होती है जो हमारे लिए हमेशा एक अनसुलझा सवाल जैसा होता है।
लेकिन कहानी चाहे छोटी हो या बड़ी , उसका अंत सुखान्त हो या फिर दुखान्त , एक तो होता ही है। जब कहानी के निष्कर्ष मे कोई सवाल पैदा हो जाता है तो इसका मतलब कहानी का ' द एंड ' अभी होना बाकी है।

बहुत बढ़िया लगा आपसे बाते कर। अगर सम्भव हो तो आप " नदी का रहस्य " के सेकेंड पार्ट लिखिए। :D
बहुत खुबसूरत कहानी थी वह।
 

Mahi Maurya

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कहानी- शुरुआत:- एक अंत की
रचनाकार- Rekha rani महोदया


कहानी बहुत अच्छी है और ये कहानी बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है लेकिन कहानी के शुरू में मानशी के साथ क्या हुआ था ये आपने बताया नहीं।

एक औरत को अपने पति से रुपया पैसा, मान सम्मान, एक अच्छा घर, एक अच्छी जिंदगी के साथ शरीरिक सुख भी चाहिए होता है। जब औरत का पति उसे शारीरिक सुख नहीं देता तब भी औरत बर्दास्त कर सकती है, लेकिन जब पति शारीरिक सुख न देने के बाद भी उसकी इज़्ज़त नहीं करे तो औरत बर्दास्त नहीं कर पाती और वो बदचलन बनने पर मजबूर हो जाती है। कहीं न कहीं औरत की बदचलनी में पुरुष का भी हाथ होता है।

रेखा जो एक पढ़ीलिखी और पेशे से वकील है वो कैसे अपने बेटे से संबंध बनाने के लिए तैयार हो गई समझ से परे है, क्योंकि माँ बेटे का रिश्ता सबसे पवित्र रिश्ता है। बेटे के प्रति आकर्षण एक अलग विषय है लेकिन उसके साथ सेक्स कर लेना एक जघन्य अपराध है।

संजय भी यहां कम दोषी नहीं है। उसने अपनी पत्नी को कभी वो सुख दिया ही नहीं जिसकी वो कामना करती थी। मुझे लगता है कि एक बार रेखा को संजय किसी और मर्द के साथ बर्दास्त भी कर सकता था, लेकिन खुद के बेटे के साथ अपनी पत्नी को उस अवस्था मे देखकर वो अपना आपा खो बैठा और उन दोनों के साथ अपने आपको भी खत्म कर लिया।
 

erriction

Eric
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Parkas...tum nhi sudhroge na...tumhari copy krne ki adat gyi nhi...tumne se coment copy kr liya...anyway thnks ..
बहुत ही शानदार 😊😊😊
अपने आप में एक नया विषय है कोई भी मझा हुआ लेखक इस तरह की नींव पर कहानी रूपी मकान खड़ा करने की हिम्मत नहीं करता
मै आपके हौसले की दाद देना चाहूंगा कि परिणाम की आशा ना करते हुए आपने इतना टीपीकल् विषय पर कहानी लिखी
जब हम किसी जीव की या किसी जानवर की हत्या जाने या अंजाने में करते है तो उस जानवर की मनोस्थिति की परवाह ना करते है क्योंकि हम जानवर नहीं मनुष्य है हमारे सौचने की शक्ति केवल हम तक ही सीमित रहती है वो सौच केवल हमारे मनोरंजन हमारे सुख हमारे दुःख तक ही सीमित रहती है और मैं यह समझता हूँ ये ही मनुष्य का स्वभाव है 🙏🙏
आपने गागर में सागर भरने की कोशिश की जिसमें आप काफी सीमा तक सफल रहे🙏🙏🙏🙏
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
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कहानी : शैली
लेखक : Darkk Soul

सबसे पहले शुरू करता हूँ लेखनी से - साफ़ सुन्दर भाषा का प्रयोग, और देवनागरी में लेखन! इसके कारण कहानी पढ़ने में बहुत आनंद आया।
सुपर-नेचुरल थीम (जादू / टोना / टोटका) की कहानियाँ कम ही पढ़ता हूँ, क्योंकि उनमे सर पैर नहीं होता। लेकिन इस कहानी में वो दिक्कत नहीं आई, क्योंकि कहानी के मध्य में वो सब शुरू हुआ - तब तक कहानी में इतनी रूचि आ गई थी कि रोका नहीं गया :)
शैली की हालत देख कर ऐसा ज़रूर लगा कि वो चाहती नहीं थी अपने में ऐसा परिवर्तन - क्योंकि सुधीर के लिए उसके अंदर भावनाएँ अभी भी शेष थीं। इसलिए उन दोनों के लिए दुःख हुआ। अंत में सुधीर की अवस्था वही हुई, जो इस परिस्थिति में किसी भी पति की होती! और अच्छा किया कि इस कहानी का आदि - अंत लिखने और अनावश्यक आख्यान देने से आप बचे! कहानी की रोचकता उससे और भी बढ़ गई!

बहुत ही सुन्दर कहानी! मेरे ख्याल से ये शीर्ष कहानियों में शुमार होनी चाहिए! 👍
 

avsji

कुछ लिख लेता हूँ
Supreme
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कहानी : चरित्रहीन
लेखिका : Mahi Maurya

शब्द कम पड़ रहे हैं माही जी! आपने क्या लिख डाला है! बहुत बहुत सुन्दर लेखन!
बस, मन में इतनी सी बात आई, कि थोड़ी छोटी होती कहानी - शायद इसलिए कि नयन के कष्ट मुझसे और नहीं देखे गए!
पग पग छली गई लड़की - मन के एक अकुलाहट आने लगती है कि क्यों हो रहा है उसके साथ यह सब? क्यों होना चाहिए यह सब उसके साथ?!

इसी शीर्षक पर मैंने भी एक कहानी लिखी थी कभी! इसलिए मेरा थोड़ा लगाव भावनात्मक भी है!
अंततः - निश्चित रूप से शीर्ष की तीन कहानियों में यह होनी ही चाहिए! :)
 
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Mahi Maurya

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कहानी- शैली
रचनाकार- Darkk Soul महोदय


बहुत ही बेहतरीन और शानदार कहानी की शानदार प्रस्तुति।
आज के समय मे भले ही विज्ञान की तरक्की के कारण लोग ये मानने लगे हैं कि ऊपरी दोष/हवा(ये शब्द गांव देहात में प्रयोग किया जाता है) जैसा कुछ नहीं होता, लेकिन ये सत्य नहीं है। ऐसी भी चीजें होती हैं हमने खुद अपनी आंखों से देखा है खुद महसूस किया है इसको।
एक सच्ची बात हमारे यहां मशहूर है। इलाहाबाद में आज भी जब किसी को सांप काटता है तो तुरंत एक विष मांगी जाती है कि अगर ये ठीक हो गया तो मद्दु बाबा का पानी पिलाएंगे। सबसे बड़ी बात ये कि जिस आदमी को सांफ काटा रहता है वो ठीक भी हो जाता है तब भी उसे मद्दु बाबा का पानी पिलाने के लिए ले जाने पर उस क्षेत्र से एक किलोमीटर पहले ही उस आदमी की हालत ऐसी हो जाती है जैसे उसे अभी अभी किसी सांप ने डसा है।

कहानी जादू टोने टोटके पर आधारित है, लेकिन फिर भी कहीं से ऐसा नहीं लगा कि इसका जबरन प्रयोग हुआ है कहानी में। शैली के ऊपर भले ही बाहरी दोष है इसलिए वो अप्रत्याशित हरकत करने लग जाती है लेकिन उसके दिल मे अभी भी सुधीर के लिए बहुत प्यार है।

अपनी पत्नी की ऐसी हालत देखकर सुधीर का परेशान होना जायज है क्योंकि वो भी शैली से बहुत प्रेम करता है। इसका विज्ञान में कोई इलाज नहीं होता। सुधीर को पंडित जी की उस भभूति ने बचा लिया शैली से, लेकिन शायद शैली उस ऊपरी दोष के भेंट चढ़ गई।
 

Mahi Maurya

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कहानी- हजारों फांसले ऐसे थे
रचनाकार- Royal Lover महोदय


कहानी साधारण थी लेकिन अच्छी कही जा सकती है जिसे और अच्छे तरीके से लिखा जा सकता था। कहानी में स्थिति के अनुसार शायरी का खूबसूरती से उपयोग किया गया है।

कहानी एक ऐसे व्यक्ति की है जो एक लड़की को बहुत प्रेम करता था, जबकि लड़की उसे धोखा देती है लेकिन इल्जाम लड़के पर लगा देती है। मतलब कि लड़के का प्यार एक तरफा था। जब प्यार एकतरफा होता है तो बहुत खतरनाक होता है उसी का परिणाम था कि लड़के ने न सिर्फ लड़की की हत्या की बल्कि उसके घरवालों को भी मार दिया और खुद पुलिस की गोलीबारी में मारा गया।

प्रेम के नाम पर अपने प्रेमी और प्रेमिका की हत्या कर देना कतई सही नहीं है। क्योकि इसे प्यार नहीं पागलपन कहा जाता है। अगर लड़के का प्यार एकतरफा था तो उसे लड़की के बारे में सोचना छोड़कर अपनी आगे की ज़िंदगी के बारे में सोचना चाहिए था।
 
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