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TheBlackBlood

शरीफ़ आदमी, मासूमियत की मूर्ति
Supreme
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कब? क्यों? कैसे?
─────────────




इंस्पेक्टर श्रीकांत ने तीसरी मंज़िल की खुली हुई खिड़की को देखने के बाद नीचे पड़ी लाश पर दृष्टि डाली। आस पास काफी भीड़ जमा थी। पिछले एक घण्टे से वो वारदात की जांच कर रहा था। सुबह कॉल सेंटर के मालिक द्वारा उसे वारदात की सूचना मिली थी।

"ओके, मान लिया कि तुम लोगों ने इस आदमी को पहली बार ही देखा है।" फिर वो सामने खड़े लोगों से बोला───"मगर ये कन्फर्म हो चुका है कि ये आदमी उस खिड़की से ही नीचे गिरा है जहां पर तुम्हारा कॉल सेंटर है। सवाल है कि जब तुम लोगों ने इसे पहली बार ही देखा है तो ये कॉल सेंटर में पहुंचा कैसे और वहां क्या करने गया था?"

कॉल सेंटर वालों ने एक बार फिर से वही बताया जो वो पहले भी बता चुके थे। यानि उनमें से किसी को भी पता नहीं है कि मरने वाला कौन है और उनके कॉल सेंटर में कैसे पहुंचा था?

इंस्पेक्टर कुछ पलों तक उन्हें देखता रहा, फिर पुनः तीसरी मंज़िल की तरफ बढ़ चला। दो पुलिस वाले लाश के पास ही खड़े रहे जबकि कॉल सेंटर वाले उसके पीछे चल पड़े थे।

इंस्पेक्टर पहले भी कॉल सेंटर का मुआयना कर चुका था लेकिन दुबारा ये सोच कर आ गया था कि शायद ग़लती से कुछ छूट गया हो उससे। ख़ैर मुआयना करते हुए वो खिड़की के पास पहुंचा।

खिड़की के पल्लों पर उंगलियों के निशान वो पहले भी देख चुका था। खिड़की के अंदर की तरफ बिल्कुल पास में ही जूतों के निशान भी थे। ऐसा लगता था जैसे खिड़की से गिरने अथवा कूदने से पहले मरने वाला यहीं पर खड़ा था। इसके अलावा कुछ भी स्पष्ट रूप से नज़र नहीं आ रहा था। संभव था फिंगर प्रिंट्स वालों को कुछ मिल जाए। रूम में एक तरफ कुर्सियां और डेस्क पर कंप्यूटर्स रखे हुए थे।

"तुम लोगों के अनुसार खिड़की हमेशा की तरह अंदर से बंद थी?" इंस्पेक्टर ने पूछा───"और यहां की हर चीज़ अपनी जगह पर ठीक वैसी ही है जैसी तुम लोग कल रात छोड़ कर गए थे? यानि मरने वाले ने यहां की किसी भी वस्तु को हाथ तक नहीं लगाया?"

"उसने हाथ लगाया था या नहीं ये तो हम नहीं जानते सर।" वहां खड़े लोगों में से एक ने कहा───"लेकिन इतना देख चुके हैं कि यहां हर चीज़ अपनी जगह पर ही है।"

इंस्पेक्टर ये पहले भी देख चुका था। सच में ऐसा कुछ भी नहीं था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि अगर सब ठीक ही है तो मरने वाला यहां आया किस लिए था? क्या खिड़की से कूद कर सिर्फ अपनी जान देने के लिए?

तभी फिंगर प्रिंट्स विभाग वाले आ गए। इंस्पेक्टर ने उन्हें कुछ ज़रूरी निर्देश दिए। फिर वो कॉल सेंटर वालों से मुखातिब हुआ।

"मृतक को देख कर साफ पता चलता है कि उसको मरे हुए क़रीब पांच या छह घंटे हो चुके हैं।" फिर उसने कहा───"इसका मतलब उसकी मौत रात के एक या डेढ़ बजे के क़रीब हुई। तुम लोगों के बयानानुसार कॉल सेंटर का ये रूम रात ग्यारह बजे बंद हो गया था तो फिर वो आदमी रूम में पहुंचा कैसे?"

"हम सच कह रहे हैं सर।" एक दूसरे व्यक्ति ने कहा───"जब सर ने लॉक लगाया था तब अंदर कोई नहीं था। उसके बाद हम सब यहां से नीचे चले गए थे। वो आदमी कब आया और कैसे रूम में पहुंचा इस बारे में हमें कुछ भी पता नहीं है। सुबह जब हमने यहां लाश पड़ी देखी तो घबरा गए, फिर सर ने थाने फ़ोन किया।"

"रूम की चाबी किसके पास होती है?"

"आनंद सर के पास।" एक लड़की ने बगल से खड़े आनंद की तरफ इशारा किया।

"ये सच है सर।" आनंद ने कहा।

"यहां की कोई दूसरी चाबी?

"नो सर।" आनंद बोला───"चाबी एक ही है और वो मेरे पास ही होती है।"

"कमाल है।" इंस्पेक्टर ने कहा───"इकलौती चाबी सिर्फ तुम्हारे पास थी। कोई नकली चाबी बरामद नहीं हुई तो क्या यहां का लॉक उसने जादू से खोला था?"

कोई कुछ ना बोला, जबकि श्रीकांत ने कहा───"मुझे तो ये लग रहा है प्यारे कि तुम उसे अच्छी तरह जानते थे। रात उसे ले कर तुम यहां वापस आए। यहां तुम दोनों में झगड़ा हुआ। गुस्से में आ कर तुमने उसे खिड़की से धकेल दिया। फिर सुबह थाने फोन कर के खुद को इनोसेंट दिखा दिया।"

"ऐसा नहीं है सर।" आनंद ने कहा───"सच यही है कि हम में से कोई भी उसे नहीं जानता।"

"रूम का लॉक चाबी से ही खोला गया था।" इंस्पेक्टर दरवाज़े की तरफ देखते हुए बोला───"पहले भी चेक किया था और अब भी चेक कर चुका हूं। की-होल में ऐसा कोई निशान नहीं है जिससे ये कहा जा सके कि किसी ने उसे ज़बरदस्ती खोलने की कोशिश की है। ज़ाहिर है लॉक उसकी असल चाबी से ही खोला गया है और तुम खुद क़बूल कर चुके हो कि चाबी तुम्हारे पास ही होती है।"

"मेरा यकीन कीजिए सर।" आनंद ने कहा───"सबके साथ जाने के बाद मैं वापस यहां आया ही नहीं।"

इंस्पेक्टर ये सब पहले भी पूछ चुका था। मरने वाले से अगर सच में उनमें से किसी का संबंध होता और रात यहां कोई झगड़ा हुआ होता तो हाथा पाई भी हुई होती। हाथा पाई में किसी को तो चोट लगती ही जबकि ऐसा कुछ नहीं था। मरने वाले की बॉडी में चोट का कोई निशान नहीं था और ना ही कॉल सेंटर वालों के। हैरानी की बात ये भी थी कि कोई सुसाइड नोट भी नहीं मिला था।

इंस्पेक्टर वापस नीचे आ गया। लाश औंधे मुंह पड़ी हुई थी। सिर फट गया था जिसके चलते ढेर सारा ख़ून ज़मीन पर फैला हुआ था। जिस्म की कई हड्डियां टूट गईं थी। इंस्पेक्टर बखूबी समझता था कि तीसरी मंज़िल से गिरने पर किसी भी इंसान की यही दशा होती। ख़ैर, पंचनामा करने के बाद उसने लाश को पोस्ट मार्टम के लिए भेज दिया और ख़ुद मरने वाले की जांच पड़ताल में लग गया।

✮✮✮✮

तीन दिन बाद।
इंस्पेक्टर श्रीकांत थाने में बैठा मरने वाले की पोस्ट मार्टम रिपोर्ट देख रहा था। इन तीन दिनों में उसने काफी कुछ पता लगाया था। कॉल सेंटर में काम करने वालों से मरने वाले का कोई संबंध नहीं था। आनंद पर उसे शक था लेकिन उसका भी उससे कोई संबंध नहीं था।

रिपोर्ट में मौत को सुसाइड ही बताया गया था क्योंकि उसके मरने की कोई संदिग्ध वजह नहीं मिली थी। बॉडी में कहीं भी हाथा पाई से संबंधित चोट के निशान नहीं थे, ना ही किसी दूसरे व्यक्ति के कोई फिंगर प्रिंट्स मिले थे। अगर किसी ने उसे धक्का दिया होता तो खिड़की पर उसका जिस्म टकराता जिससे उसके जिस्म के किसी न किसी हिस्से पर खरोंच जैसे निशान बन जाते जोकि नहीं थे।

मृतक का नाम अभिनव बेनिवाल था। घर से सम्पन्न था। दिल्ली के जनकपुरी में उसका घर था। परिवार में उसकी विधवा मां और एक बहन है। बहन उम्र में उससे बड़ी एवं शादीशुदा है जबकि वो खुद तीस की उमर का अविवाहित था। अरुण नाम का एक दोस्त था जिससे कभी कभार ही उसका मिलना होता था।

इंस्पेक्टर थोड़ी देर पहले ही अभिनव के घर से दूसरी बार पूछताछ कर के आया था। वो जानना चाहता था कि मामला सुसाइड का ही है या सोच समच कर किए गए मर्डर का? उसने दोनों मां बेटी से पूछताछ की थी। बहन से तो कुछ ख़ास पता नहीं चला था लेकिन मां से ज़रूर उसे कुछ बातें पता चलीं थी। इस वक्त उसके ज़हन में उसकी मां की बातें ही गूंज रहीं थी।

"बाप के गुज़र जाने के बाद वो पूरी तरह आज़ाद हो गया था।।" अभिनव की मां ममता ने दुखी भाव से कहा───"कोई काम नहीं करता था, बस इधर उधर घूमता रहता था। क़रीब तीन महीने पहले अचानक से उसमें एक अजीब सा बदलाव देखा था।"

"कैसा बदलाव?"

"एकदम से उसका घूमना फिरना बंद हो गया था।" ममता ने कहा───"पहले तो थोड़ा बहुत बाहर निकलता भी था लेकिन फिर अपने कमरे में ही बंद रहने लगा था।"

"आपने उससे इसकी वजह नहीं पूछी थी?"

"पूछा था।" ममता ने कहा───"पहले तो टालता रहा, फिर जब मैंने गुस्सा किया तो बताया कि वो माया नाम की एक लड़की से प्रेम करने लगा है।"

"ओह! तो लड़की का मामला था।" इंस्पेक्टर ने कहा───"लेकिन इसके लिए उसे कमरे में बंद रहने की क्या ज़रूरत थी?"

"बड़ी ही अजीब कहानी थी उसकी।" ममता ने कहा───"और उससे भी अजीब थी वो लड़की। मेरे बेटे पर उसने जाने ऐसा क्या जादू कर दिया था कि वो बावला सा हो गया था। अपने कमरे में बंद हो कर उसे फ़ोन लगाता रहता मगर उसका फ़ोन कभी न लगता। चार पांच दिन में वो लड़की खुद ही रात को उसे फ़ोन करती थी तभी वो उससे बात कर पाता था। उसने बताया था कि अपनी बीमार मां का इलाज़ करवाने के लिए वो कॉल सेंटर में नौकरी करती है। मेरा बेटा उसके लिए बहुत संजीदा हो गया था। उसका हर दुख दूर करना चाहता था। यहां तक कि उसकी मां का इलाज़ भी करवा देने की बात कहता था लेकिन वो कलमुंही ना तो कभी उससे मिलने को राज़ी होती थी और ना ही कोई मदद के लिए। मेरा बेटा उससे शादी करने को कहता तो साफ इंकार कर देती थी। मुझे समझ नहीं आता था कि जब उसे मेरे बेटे की भावनाओं से कोई मतलब ही नहीं था तो वो उसे फ़ोन ही क्यों करती थी?"

"तो क्या वो कभी मिली नहीं आपके बेटे से?"

"ना, कभी नहीं।" ममता ने कहा───"अभी एक हफ़्ता पहले उसने फ़ोन किया था। मेरा बेटा तो उसका फ़ोन आने से बड़ा खुश हुआ था लेकिन फ़ोन पर माया का रोना बिलखना सुनते ही उसकी खुशी पल में ही ग़ायब हो गई थी।"

"ऐसा क्यों?" इंस्पेक्टर चौंका───"वो रो क्यों रही थी?"

"मेरे बेटे के पूछने पर उसने बताया कि उसकी मां उसे अकेला छोड़ के इस दुनिया से चली गई है।" ममता ने कहा───"उसी दिन उसने बताया था कि उसकी मां को असल में कैंसर था। फिर कहने लगी कि अब वो भी अपनी मां के बिना जीना नहीं चाहती है। मेरा बेटा उसकी ये बात सुन कर तड़प उठा था। उससे मिन्नतें करने लगा था कि वो ऐसा न करे। उसे बताए कि वो कहां है? वो आएगा और उसका हर दुख दूर कर देगा।"

"तो क्या फिर माया ने बताया कि वो कहां है?"

"हां, उस रात पहली बार उसने बताया था कि वो उसे कहां मिलेगी।" ममता ने कहा───"मेरा बेटा उस रात बड़ा ही खुश था। सुबह नौ बजे भागता हुआ उसके पास गया था। मैं भी ये सोच के ख़ुश हो गई थी कि आख़िर इतने समय बाद वो मेरे बेटे को मिल ही जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। उस दिन मेरा बेटा अकेला ही वापस आया और मुझसे लिपट कर खूब रोया था।"

"इसका क्या मतलब हुआ?" इंस्पेक्टर ने पूछा───"क्या उस दिन माया मिली नहीं थी उसे।"

"हां।" ममता ने कहा───"मेरा बेटा उसकी बताई हुई जगह पर जब पहुंचा तो वो वहां पर नहीं थी। अपनी जो पहचान उसने बताई थी उस पहचान की कोई लड़की नहीं थी वहां। उसका कोई दूसरा फोन नंबर भी नहीं था मेरे बेटे के पास इस लिए वहीं पर तलाश करता रहा था उसे। डेढ़ दो घंटे की खोज में भी जब वो कहीं न मिली तो मेरा बेटा लुटा पिटा सा वापस आ गया था।"

"बड़े हैरत की बात है।" इंस्पेक्टर ने कहा───"क्या फिर दुबारा आपके बेटे की बात हुई थी उससे?"

"मेरी जानकारी में तो नहीं हुई थी।" ममता ने कहा───"लेकिन शायद कल हुई थी। तभी तो वो कल रात क़रीब साढ़े ग्यारह बजे यहां से चला गया था। मैंने पूछा तो बोला किसी काम से बाहर जा रहा हूं। मुझे नहीं पता था कि मेरा बेटा हमेशा के लिए मुझसे दूर जा रहा था।"

इतना कह अधेड़ उम्र की ममता फूट फूट कर रो पड़ी। ख़ैर, इंस्पेक्टर ने उससे अभिनव के कुछ फ़ोटो ग्राफ्स लिए और साथ ही उसका मोबाइल फ़ोन भी। अभिनव की लाश से सिर्फ उसका पर्स मिला था, जिसके अंदर मौजूद आधार कार्ड से ही उसकी पहचान हुई थी।

"सर!" हवलदार की आवाज़ सुन इंस्पेक्टर वर्तमान में आया───"ये अभिनव के फ़ोन की कॉल डिटेल्स हैं।"

इंस्पेक्टर कॉल डिटेल्स देखने लगा। उसमें सबसे ज़्यादा एक ही लैंड लाइन नंबर पर कॉल के आने जाने का विवरण था। पिछले तीन महीने में एक ही नंबर से अभिनव को ढेर सारे कॉल आए थे।

"इसमें जिस नंबर से अभिनव को उस रात कॉल किया गया था।" हवलदार ने कहा───"वो उसी कॉल सेंटर का है सर जहां की खिड़की से कूद कर उसने अपनी जान दी थी।"

"हां, और यही वो नंबर भी है जिस पर अभिनव ने बार बार कॉल किया था।" इंस्पेक्टर ने कहा───"ये अलग बात है कि उसका कॉल एक बार भी नहीं लगा।"

✮✮✮✮

"तुम तो कह रहे थे प्यारे कि तुममें से कोई भी मरने वाले को जानता ही नहीं है?" इंस्पेक्टर ने आनंद के साथ बाकी सबको भी घूरते हुए कहा───"जबकि सच ये है कि तुममें से कोई न कोई उसे अच्छी तरह जानता है।"

"ये आप क्या कह रहे हैं सर?"

"पुलिस से झूठ बोलने का अंजाम बहुत बुरा होता है।" इंस्पेक्टर ने सख़्त भाव से कहा───"अगर अपना भला चाहते हो तो सब कुछ सच सच बता दो वरना सच उगलवाने के बहुत से तरीके हैं मेरे पास।"

"हम आपसे कुछ भी नहीं छुपा रहे सर।" आनंद ने कहा───"हमारा यकीन कीजिए।"

"ख़ामोश।" इंस्पेक्टर ज़ोर से दहाड़ा───"तुम समझते हो कि मैं यूं ही भोंक रहा हूं? तुम्हें बता दूं कि जिस व्यक्ति की लाश मिली थी उस व्यक्ति को तुम्हारे इसी कॉल सेंटर से फ़ोन किया जाता था और फ़ोन करने वाली एक लड़की थी जिसका नाम माया है। अब तुम लोग सच सच बताओ कि तुममें से माया कौन है?"

इंस्पेक्टर की बातें सुन कर सबको मानों सांप सूंघ गया। डरे सहमें से सब एक दूसरे का चेहरा देखने लगे। फिर एकदम से सबकी निगाहें आनंद पर जा कर ठहर गईं।

"ये सब तुम्हारी तरफ देख रहे हैं मतलब तुम इस बारे में कुछ तो जानते हो।" श्रीकांत ने आनंद से कहा───"अगर ऐसा है तो एक पल की भी देरी किए बिना रेडियो की तरह बताना शुरू कर दो।"

"बात वो नहीं है सर जो आप समझ रहे हैं।" आनंद ने कहा───"असल में माया नाम की जिस लड़की की आप बात कर रहे हैं उसने दो साल पहले इसी खिड़की से कूद कर सुसाइड कर लिया था।"

"क्या??" इंस्पेक्टर बुरी तरह चौंका───"तुम्हारा मतलब है कि माया नाम की लड़की इस दुनिया में है ही नहीं?"

"यही सच है सर।" आनंद ने कहा───"ये कॉल सेंटर मेरे पापा का था। उस समय मैं स्टडी के लिए बाहर रहता था। उनके टाईम पर ही दो साल पहले माया ने सुसाइड किया था। पुलिस केस भी हुआ था लेकिन क्योंकि इसमें मेरे पापा का कोई फाल्ट नहीं था इस लिए केस रफ़ा दफा हो गया था। फिर तीन महीने बाद पापा का कार एक्सीडेंट हो गया। इलाज़ के दौरान ही उनकी मौत हो गई। उनके गुज़र जाने पर ये कॉल सेंटर बंद हो गया था। अभी आठ महीने पहले ही मैंने इसे खोला है। आस पास के लोगों से सुनता आया हूं कि आज भी माया की आत्मा यहां भटकती है। जब उस आदमी ने भी खिड़की से कूद कर जान दे दी तो मैं ये सोच के घबरा गया था कि कहीं ये सब सच में माया की आत्मा ने ही तो नहीं किया है? मैं नहीं चाहता था कि ये घटना आत्मा से जुड़ जाए और मेरा कॉल सेंटर बंद हो जाए। इसी लिए आपसे नहीं बताया था।"

"आत्मा वात्मा सब बकवास है।" इंस्पेक्टर ने कहा───"कॉल डिटेल्स के अनुसार उस रात सवा ग्यारह बजे तुम्हारे कॉल सेंटर से उस माया ने अभिनव को फोन किया था। तुम सबके अनुसार उस रात ग्यारह बजे यहां लॉक लग गया था। अब सवाल ये है कि जब तुम लोग यहां थे ही नहीं तो यहां के फोन से अभिनव को कॉल किसने और कैसे किया?"

"अगर ये सच है सर।" आनंद ने कहा───"तो फिर माया की आत्मा ने ही उस रात उसको कॉल किया होगा। वो एक आत्मा है तो उसके लिए किसी को यहां से कॉल करना भला कैसे मुश्किल होता?"

"आत्मा जैसी कोई चीज़ नहीं होती प्यारे।" श्रीकांत ने कहा───"मुझे पूरा यकीन है कि तुम में से ही कोई है जिसने माया बन कर अभिनव को कॉल किया था। दुश्मनी के चलते उसकी हत्या करने के लिए उसे यहां बुलाया और फिर धक्का दे कर खिड़की से नीचे गिरा दिया। अभी भी वक्त है, जिसने भी ये किया है वो सामने आ जाए वरना अच्छा नहीं होगा किसी के लिए।"

"ये तो ग़लत है सर।" विवेक नाम के लड़के ने कहा───"अगर आपको किसी पर शक है तो आप सिर्फ उसे ही पकड़िए ना।"

"वो तो मैं पकड़ूंगा ही।" कहने के साथ ही श्रीकांत आनंद से बोला───"और तुम ये बताओ कि कॉल सेंटर खोल रखा है लेकिन यहां एक भी सीसीटीवी कैमरा नहीं लगवा रखा, क्यों?"

"ज़रूरत ही नहीं महसूस की थी सर इस लिए नहीं लगवाया था।" आनंद ने कहा───"लेकिन अब लगता है कि काश! लगवाया होता। कम से कम आपको ये तो नज़र आ जाता कि उस रात हम में से कोई यहां आया था या नहीं।"

तभी रूम में हवलदार हांफता हुआ आया। उसे देखते ही श्रीकांत ने कहा───"तुम कहां ग़ायब थे?"

"माफ़ करना सर! वो मैं इस बिल्डिंग के सामने जो मोबाइल का शो रूम है वहां चला गया था।"

"वहां क्या करने गए थे?"

"शो रूम के बाहर मैंने सीसीटीवी कैमरा लगा देखा था सर।" उसने कहा───"मैं ये सोच के ख़ुश हो गया था कि कैमरे में ज़रूर उस रात की वीडियो फुटेज़ रिकार्ड हुई होगी। यही देखने वहां चला गया था लेकिन...।

"अटक क्यों गए?"

"वीडियो फुटेज़ के अनुसार ये लोग सच कह रहे हैं। मेरा मतलब है कि उस रात यहां से जाने के बाद इनमें से कोई भी वापस नहीं आया था। फुटेज़ में मैंने साफ देखा है कि अभिनव अकेला ही यहां आया और फिर खिड़की से नीचे गिरा।"

"ऐसा कैसे हो सकता है?" इंस्पेक्टर ने पूछा───"तुमने वीडियो फुटेज़ ठीक से तो देखी है ना?"

"एक बार नहीं बल्कि तीन तीन बार देखा है सर।"

"हैरत की बात है। अगर अभिनव अकेला ही यहां आया था तो वो रूम के अंदर कैसे दाख़िल हुआ होगा?"

"अब तो मानना ही पड़ेगा सर कि ये सब आत्मा ने ही किया है।" आनंद बोल पड़ा───"उसने यहां के फ़ोन से कॉल कर के अभिनव को यहां बुलाया। अपनी शक्ति से रूम का लॉक खोला। उसके बाद माया की आत्मा ने उसे खिड़की से कूद जाने को कहा होगा। वो डर के मारे माया की आत्मा का विरोध नहीं कर सका होगा?"

"मान लेते हैं प्यारे कि ये सब उसी ने किया होगा।" श्रीकांत ने कहा───"लेकिन सवाल ये है कि उसने अभिनव के साथ ही ऐसा क्यों किया? आख़िर अभिनव से क्या दुश्मनी थी उसकी? दूसरी बात, दो साल पहले ऐसा क्या हुआ था कि माया ने इस खिड़की से कूद कर सुसाइड कर लिया था?"

"इस बारे में मुझे कुछ नहीं पता सर।" आनंद ने कहा───"पापा ने मुझे इस बारे में कुछ नहीं बताया था। हो सकता है कि पुलिस फ़ाइल में उसकी कोई जानकारी दर्ज़ हो।"

"अगर माया के सुसाइड का मामला सच है तो ज़रूर दर्ज़ होगी।" श्रीकांत ने कहा───"फिलहाल चलते हैं प्यारे। इस संबंध में अगर कुछ पता चला तो तुम्हें दुबारा कष्ट देने आएंगे।"

✮✮✮✮

एक हफ़्ते बाद।
इंस्पेक्टर श्रीकांत ने एक मकान की डोर बेल बजाई। क़रीब तीस बत्तीस की उमर वाली औरत ने दरवाज़ा खोला। जैसे ही उसकी नज़र श्रीकांत पर पड़ी तो वो बुरी तरह चौंकी। चेहरे का रंग भी उड़ गया।

"इ..इंस्पेक्टर साहब आप? यहां?" फिर उसने हकलाते हुए श्रीकांत से पूछा।

"क्यों? होश उड़ गए ना मुझे यहां देख कर?" श्रीकांत ने जानदार मुस्कान के साथ उससे कहा───"होता है, अक्सर ऐसा ही होता है मेरे साथ। मैं जब अचानक ही किसी जिन्न की तरह किसी के सामने प्रकट हो जाता हूं तो सामने वाले के ऐसे ही होश उड़ जाते हैं। ख़ैर, क्या मैं अंदर आ सकता हूं?"

सामने खड़ी औरत उसके इस अंदाज़ पर बौखला सी गई किंतु फिर जल्दी ही खुद को सम्हाल कर उसे अंदर आने को कहा।

"कौन आया है मीना?" अंदर कमरे से निकलते हुए एक व्यक्ति ने पूछा।

अभी वो आगे और भी कुछ कहने वाला था कि तभी उसकी नज़र इंस्पेक्टर पर पड़ गई। उसे देखते ही वो अपनी जगह पर मानों जाम सा हो गया।

"कैसे हो आनंद प्यारे?" श्रीकांत ने जैसे मज़ा लेते हुए कहा───"हमें यहां देख होश क्यों गुम हो गए हैं तुम्हारे?"

"स...सर आप यहां क..कैसे?" वो बुरी तरह हकलाया।

"कैसे क्या डियर?" श्रीकांत ने कहा───"हमने तो उस दिन ही तुमसे कहा था कि अगर कुछ पता चला तो तुम्हें दुबारा कष्ट देने आएंगे, सो आ गए।"

"क...क्या मतलब है आपका?" आनंद के माथे पर पसीना उभर आया।

"क्या अब भी नहीं समझे?" श्रीकांत सोफे पर बैठ गया───"अगर ऐसा है तो अव्वल दर्ज़े के लंपट हो प्यारे।" कहने के साथ ही वो औरत की तरफ घूमा───"आप ही इन्हें समझाइए कि हम यहां पर क्यों और कैसे पधार गए हैं?"

औरत, जिसका नाम मीना था उसने असहाय भाव से आनंद की तरफ देखते हुए कोई इशारा किया। इशारा समझते ही आनंद का चेहरा उतर गया।

"तो आपको पता चल गया?" फिर वो सोफे पर ढेर सा हो कर बोला───"लेकिन कैसे? हमसे तो कहीं कोई ग़लती ही हुई नहीं थी।"

"जो ख़ुद को ज़रूरत से ज़्यादा स्मार्ट समझते हैं उन्हें अक्सर ये ख़ुशफहमी रहती है कि उनसे कभी कोई ग़लती हो ही नहीं सकती।" श्रीकांत ने कहा───"जबकि उनकी सबसे बड़ी ग़लती इस ख़ुशफहमी में रहना ही होती है। ख़ैर, इतना तो मैं भी मानता हूं कि माया के किरदार का सहारा ले कर बड़ा अच्छा गेम खेला आप दोनों ने लेकिन ये खेल खेलते हुए उस सच को भूल गए जो जग ज़ाहिर है। यानि सच को कभी कोई छुपा नहीं सकता, जुर्म को कोई पचा नहीं सकता।"

"पर हमसे आख़िर क्या ग़लती हुई?" आनंद बोल पड़ा───"और आप सच तक कैसे पहुंच गए?"

"सच कहूं तो जिस तरह से तुमने अभिनव की हत्या को माया की आत्मा का किया धरा बता कर सुसाइड साबित करवा दिया था।" श्रीकांत ने कहा───"उससे उस समय मेरा दिमाग़ भी चकरा गया था। तुमने माया की आत्मा का ज़िक्र तब किया जब तुम समझ गए कि मुझे अभिनव और माया के फ़ोन कॉल्स का पता चल गया है। उस समय उसकी आत्मा का ज़िक्र करके तुम अपने जुर्म को छुपा भी देना चाहते थे और मुझे यकीन भी दिला देना चाहते थे कि ऐसा माया की आत्मा ने ही किया है। फिर मैंने माया की केस फ़ाइल चेक की। मैं ये देख कर चकित रह गया कि वास्तव में दो साल पहले माया नाम की लड़की ने तुम्हारे कॉल सेंटर की खिड़की से कूद कर आत्महत्या की थी। ज़ाहिर है ये सच जानने के बाद मुझे यकीन सा हो गया कि शायद माया ने ही आत्मा बन कर अभिनव की इस तरह से जान ली है। अजीब स्थिति हो गई थी। ख़ैर प्रमाण भले ही ऐसे मिले थे लेकिन मन नहीं मान रहा था कि ऐसा किसी आत्मा ने किया होगा।"

"फिर?"

"फिर क्या?" श्रीकांत ने कहा───"मैं भी इतना जल्दी आत्मा की थ्योरी को मानने वाला नहीं था, सो लग गया तहक़ीकात करने। बार बार तुम्हारा ख़याल आ रहा था तो मैंने तुम्हारा ही पीछा करना शुरू किया। मुझे बिल्कुल भी अंदाज़ा नहीं था कि असल में खेल कुछ ऐसा हो सकता है। तुम्हारा पीछा किया तो चौथे दिन मुझे ये देख कर झटका लगा कि तुम्हारा संबंध इन मोहतरमा से है। मैं सोच सोच के परेशान हो गया कि अभिनव की शादी शुदा बहन का तुमसे क्या संबंध हो सकता है?"

"ओह! तो मीना को मेरे साथ देख लेने से आपके मन में शक पैदा हुआ?" आनंद को जैसे अब समझ आया।

"बिल्कुल।" श्रीकांत मुस्कुराया───"मेरी आंखों ने तुम्हारे साथ उसे देखा जिसकी मैं कल्पना ही नहीं कर सकता था। ख़ैर, जब मीना जी को तुम्हारे साथ देखा तो सोचने लगा कि आख़िर इनका संबंध तुमसे क्यों और कैसे हो सकता है? अपनी तरफ से पता करना शुरू किया तो जल्दी ही सच का पता चला। मीना जी असल में अपने पति से तलाक़ लेने वालीं थी और कहने की ज़रूरत नहीं कि पति से तलाक़ लेने के बाद वो तुम्हारे साथ अपनी नई लाइफ़ शुरू करने वालीं थी। ख़ैर ऐसा तो दुनिया में होता ही रहता है लेकिन मैंने सोचा कि इनकी लाइफ़ में तुम्हारा अस्तित्व कब क्यों और कैसे आया? मुझे यकीन हो चुका था कि मामला जितना सीधा नज़र आ रहा है उतना है नहीं।"

"इनका तो पता चल गया था, फिर मैंने सोचा कि तुम्हारी भी कुंडली चेक की जाए।" कुछ पल रुक कर इंस्पेक्टर ने फिर से कहना शुरू किया───"और जब चेक किया तो पता चला कि तुम्हारी स्थिति भी कुछ ख़ास नहीं है। अपने पिता की मौत के बाद तुमने किसी तरह अपनी पढ़ाई पूरी की और फिर एक मामूली सी कंपनी में जॉब करने लगे। वहां से पैसे कमा कर आठ महीने पहले पिता का कॉल सेंटर फिर से खोल दिया मगर तुम सिर्फ इतने से ही ख़ुश नहीं थे। तुम्हें बहुत कुछ चाहिए था, पर बहुत कुछ पाने के लिए बहुत कुछ करना भी पड़ता है। इत्तेफ़ाक़ से पांच महीने पहले तुम्हारी मुलाक़ात मीना जी से हुई। इसे ऊपर वाले का चमत्कार कहें या कोई संयोग कि इनको भी तुम पहली ही नज़र में भा गए। हालाकि ये शादीशुदा थीं लेकिन पति से नाख़ुश थीं। इन्हें भी बहुत कुछ चाहिए था। ख़ैर जब तुम दोनों मिले तो जल्दी ही दोस्ती हो गई और फिर जल्दी ही वो दोस्ती लैला मजनूं के माफिक प्यार में बदल गई। तुम दोनों प्रेमी अपनी लाइफ़ के बारे में सोचने लगे। मीना जी तुम्हें अपने और अपने परिवार के बारे में बता चुकीं थी। जब तुम्हें पता चला कि इनका भाई अभी अनमैरिड है और बेकार ही फिरता है तो तुम्हारे दिमाग़ में एक प्लान आया। तुमने मीना जी को भी प्लान के बारे में बताया। मीना जी तैयार तो हुईं लेकिन डर भी रहीं थी कि कहीं हत्या जैसे जुर्म में पकड़ी न जाएं। ऐसे में सपने तो चूर चूर होते ही साथ में जेल भी जाना पड़ता। मीना जी का डर देख तुम्हारे हौंसले भी जवाब दे गए।"

"आप तो ऐसे बताए चले जा रहे हैं जैसे ये सब आपने अपनी आंखों से देखा है।" आनंद बोल पड़ा।

"टैलेंट प्यारे टैलेंट।" श्रीकांत मुस्कुराया───"तिल का ताड़ और राई का पहाड़ बना देने में हमें महारत हासिल है। ख़ैर आगे सुनो, तुम दोनों डर तो गए थे लेकिन अभिनव की सारी संपत्ति हड़प लेने का लालच कुछ ऐसा था कि उसको मारने का फिर से कोई उपाय सोचने लगे। तब तुम्हें अचानक से उस घटना की याद आई जो दो साल पहले तुम्हारे पिता के कॉल सेंटर में हुई थी। माया नाम की लड़की जिसने कॉल सेंटर की खिड़की से कूद कर आत्महत्या कर ली थी। उसकी केस फ़ाइल के अनुसार वो किसी लड़के से प्रेम करती थी। लड़के ने पहले तो उसे खूब लूटा और फिर जब मन भर गया तो छोड़ दिया। माया ये सब बर्दास्त न कर सकी और घोर पीड़ा के चलते आत्महत्या कर ली। तुमने उसी लड़की को आत्मा बनाने का सोचा और उसी के द्वारा अभिनव की जान लेने का प्लान बनाया। ये खेल शुरू करने से पहले तुमने उस लड़की की आत्मा को आस पास देखे जाने की अफ़वाह फैलाई। अपने स्टाफ वालों के कानों में भी इस बात की भनक डाली।"

"आप भूल रहे हैं कि अभिनव माया नाम की लड़की से फोन पर बात किया करता था।" आनंद ने कहा───"क्या आप बता सकते हैं कि ऐसा कैसे संभव था?"

"बिल्कुल बता सकते हैं प्यारे।" इंस्पेक्टर ने कहा───"ये सारा ड्रामा तुमने तीन महीने पहले क्रिएट किया था और उसी समय तुमने माया के किरदार के लिए एक ऐसी लड़की को चुना जो कोई और नहीं बल्कि मीना जी ही थीं।"

"ये आप कैसे कह सकते हैं कि वो मैं ही थी?"

"बहुत ही बचकाना सवाल है मीना जी।" श्रीकांत ने कहा───"जब मुझे आनंद के साथ आपके संबंधों का पता चला तो ज़ाहिर है उसी वक्त मुझे आप पर भी शक हो गया था। अपने शक की पुष्टि के लिए मैंने गुप्त रूप से दुबारा जांच शुरू की।"

"ओह!"

"माया की आत्मा वाली अफ़वाह आनंद ने कॉल सेंटर के आस पास के लोगों तक पहुंचाई थी।" श्रीकांत ने कहा───"जबकि आत्मा जैसी बातें ऐसी होती हैं जो एक ख़ौफ के रूप में दूर दूर तक के लोगों की जानकारी में भी होती हैं। मैंने जब जांच पड़ताल की तो कॉल सेंटर के आस पास के लोगों के अलावा बाकी कहीं भी किसी को इस बारे में पता नहीं था। ज़ाहिर है ऐसे में मेरे मन में शक पैदा हो ही जाना था। उसके बाद जब मुझे तुम दोनों के संबंध का पता चला तो मैं ये भी सोचने लगा कि मीना जी की भी इस खेल में भूमिका ज़रूर है। अपने स्टाफ में से किसी लड़की को तुम माया बना नहीं सकते थे क्योंकि इससे तुम्हें अपने भेद खुल जाने का डर रहता। मैं समझ गया कि माया के किरदार के लिए तुम्हारी नज़र में मीना जी से परफ़ेक्ट कोई हो ही नहीं सकता। मैंने गुप्त रूप से फिंगर प्रिंट्स विभाग के दो आदमियों को काम पर लगाया। उनका काम था बाथरूम, सीढ़ियां और छत के हर हिस्से से फिंगर प्रिंट्स लेना। इस बीच यहां आ कर मैं मीना जी के फिंगर प्रिंट्स भी ले गया। कुछ ही समय में मुझे फिंगर प्रिंट्स वाले उन आदमियों का कॉल आया। उन्होंने बताया कि मैंने उनको मीना जी के जो फिंगर प्रिंट्स दिए थे वो उनके द्वारा लिए गए फिंगर प्रिंट्स से मैच कर गए हैं। बस, साबित हो चुका था कि मीना जी इस खेल में पूरी तरह शामिल थीं। यानि ये भी साबित हो चुका था कि मीना जी ही असल में माया बनी हुईं थी और अपने ही भाई को रात में कॉल सेंटर के फोन से कॉल करतीं थी। वैसे ज़रा ये तो बताइए मीना जी कि माया बन कर अपने ही भाई को अपने प्रेम जाल में फंसाने का कैसे सोच लिया था आपने? क्या आपको ये ख़याल नहीं आया कि वो आपका अपना ही भाई है?"

"आया था।" मीना ने कहा───"लेकिन मैं सचमुच में उसकी प्रेमिका तो नहीं थी ना? मैं तो बस अपने एक ख़ास मक़सद के लिए ही उसे माया बन कर फंसा रही थी।"

"हां ये तो सही कहा आपने।" श्रीकांत ने कहा───"ख़ैर ये बताइए कि कॉल पर आप अपने भाई से ऐसी क्या बातें करती थीं जिसके चलते वो माया के प्रेम में इस हद तक बावला हो गया था?"

"अपने भाई को मैं अच्छी तरह जानती थी।" मीना ने कहा───"वो बहुत ही भावुक किस्म का था। कॉलेज लाइफ़ में वो एक लड़की के प्रेम में पड़ कर पागल सा हो गया था। संयोग देखिए कि उस लड़की का नाम भी माया था। उस समय मेरी शादी नहीं हुई थी तो मैंने ही सम्हाला था उसे। माया नाम की लड़की से हमेशा ही वो अट्रैक्ट होता था, ये अलग बात है कि वो उस नाम से नफ़रत भी उतनी ही करता था। जब मैं माया बनी और उसे कॉल किया तो मैंने उससे कॉल सेंटर के तौर तरीके में ही अपना नाम माया बता कर बात शुरू की। मैं जानती थी कि माया नाम सुनते ही उसको झटका लगेगा और वो कुछ देर के लिए सुन्न पड़ जाएगा। वही हुआ, उसके बाद जब मैंने मधुर स्वर में पुकारा तो उसे होश आया। होश में आते ही उसने नफ़रत से माया को यानि मुझे उल्टा सीधा बोलना शुरू कर दिया। मैं शांति से सुनती रही। जानती थी कि जब तक उसके अंदर का गुबार निकल नहीं जाएगा तब तक वो मेरी कोई बात नहीं सुनेगा। ऐसा ही हुआ, कुछ देर में जब वो शांत हुआ तो मैंने बड़े प्यार से कहा कि लगता है आपने मुझे कोई और ही समझ लिया है सर। मैं तो एक मामूली सी लड़की हूं जो कॉल सेंटर से बोल रही हूं। ये सुनते ही उसे अपनी ग़लती का एहसास हुआ और मुझसे माफ़ियां मांगने लगा। उस पहले दिन मैंने उससे बड़ी ही सहानुभूति के साथ बातें की। उसे भी अच्छा लगा। मेरे थोड़ा सा ही ज़ोर देने पर वो अपनी पूर्व प्रेमिका के बारे में बताने लगा। कभी दुखी हो जाता तो कभी गुस्से से भर उठता। मैंने उसे समझाया कि माया नाम की हर लड़की वैसी नहीं होती जैसी वो समझते हैं। फिर प्लान के अनुसार मैंने भी उसको बताया कि मैं भी एक लड़के से बहुत प्यार करती थी। उससे शादी करना चाहती थी लेकिन वो मेरा सब कुछ लूट कर चला गया। अभिनव को इस बात से मेरे लिए बहुत बुरा लगा। पहले मैं उसको दिलासा दे रही थी अब वो मुझे देने लगा था। ख़ैर उस दिन इतनी ही बातें हुईं। आख़िर में उसने कहा कि मुझसे बात कर के उसे बहुत अच्छा लगा है। वो हर रोज़ मुझसे बात करने के लिए मेरा नंबर मांगने लगा तो मैंने कहा कि मैं ही उसे फ़ोन किया करूंगी।"

"तो इस तरह से आपने अपने ही भाई को फंसाना शुरू किया?" श्रीकांत ने कहा───"ख़ैर ये बताइए कि माया के रूप में आप उसकी हर बात से इंकार क्यों करतीं थी और उसे मेंटली टॉर्चर क्यों करतीं थी?

"माया के रूप में उसकी बात मान लेने का मतलब था अपना ही खेल बिगाड़ लेना।" मीना ने कहा───"मैंने उसे माया का दीवाना बनाया। उसको तड़पाया ताकि वो ऐसी हालत में पहुंच जाए कि माया बन कर मैं उससे जो भी करने को कहूं वो बिना सोचे समझे करने को उतारू हो जाए। आख़िर में यही तो हुआ। उस रात जब मैंने उसे कॉल सेंटर से फ़ोन किया तो वो बिना सोचे समझे मेरी बताई हुई जगह पर यानि कॉल सेंटर पहुंच गया था।"

"क्या हुआ था उस रात?"

"प्लान के अनुसार।" आनंद ने कहा───"जब सारा स्टाफ बाहर आ गया तब मैंने सबकी आंखों के सामने रूम को लॉक किया। हमेशा की तरह वो सब आपस में हंसी खुशी बातें करते हुए चल पड़े थे। मैंने सबकी नज़र बचा कर रूम की चाबी दरवाज़े के पास ही मैट के नीचे छुपा दी। उसके बाद मैं भी सबके साथ नीचे आ गया था।"

"इसके आगे का काम मेरा था।" मीना ने कहा───"मैं पहले ही बगल वाली बिल्डिंग के छत के रास्ते वहां पहुंच गई थी। जैसे ही ये लोग गए मैंने हमेशा की तरह मैट के नीचे से चाबी निकाली और रूम में चली गई। उसके बाद मैंने उसी फ़ोन से अभिनव को कॉल किया जिससे मैं अक्सर करती थी। कई दिनों बाद मैंने उसको कॉल किया था इस लिए वो बड़ा खुश हो गया था। पिछली बार मैं जान बूझ कर उसे नहीं मिली थी और वो आईएसबीटी में घंटों मुझे खोजता रहा था। कॉल रिसीव करते ही वो पूछता चला गया कि मैं कहां चली गई थी, मुझे उसने बहुत खोजा वगैरह वगैरह। मैंने उससे कहा कि मैं एक मुसीबत में फंस गई थी इस लिए उसको मिल नहीं पाई थी। मेरी बात सुन कर वो चिंतित हो उठा। बोला मैं अभी तुमसे मिलना चाहता हूं। इधर मैं भी उसे बुलाना ही चाहती थी। अतः उसे कॉल सेंटर का पता बताया और कहा कि वो अकेला ही आए क्योंकि मुझे ख़तरा है और किसी पर भी भरोसा नहीं है। उसने मुझे फ़िक्र न करने को कहा और बोला जल्दी ही पहुंचूंगा। बस, उसके बाद मैं उसके आने का इंतज़ार करने लगी।"

"बगल वाली बिल्डिंग की छत के रास्ते क्यों गईं थी आप?" श्रीकांत ने पूछा───"क्या सामने शो रूम के बाहर लगे सीसीटीवी कैमरे की वजह से ऐसा किया था?

"हां, हमें पता था कि सामने शो रूम के बाहर कैमरा लगा हुआ है।" मीना ने कहा───"अगर मैं उस रास्ते से बिल्डिंग में जाती तो कैमरे में क़ैद हो जाती।"

"उसके बाद क्या हुआ?।" श्रीकांत ने पूछा───"इतना तो पक्का था कि आपको देखते ही अभिनव के होश उड़ जाने थे क्योंकि आप उसे माया नहीं बल्कि उसकी सगी बहन जो नज़र आतीं।"

"बिल्कुल।" मीना ने कहा───"और सच कहूं तो यही सोच कर मुझे टेंशन भी होने लगी थी लेकिन अब पीछे भी नहीं हट सकती थी। ख़ैर अपना चेहरा मैंने दुपट्टे से ढंक लिया था। रूम की लाइट पहले से ही बंद थी। वो दरवाज़ा खोल कर कमरे में आया। खिड़की के पास खड़ी मेरी धड़कनें ज़ोरों से चलने लगीं थी। उसने आते ही इधर उधर देखा और माया कह कर मुझे पुकारा। बहुत ही व्याकुल लग रहा था वो। तीन महीने में पहली बार उसको अपनी माया को देखने का मौका मिला था। ज़ाहिर है नॉर्मल हालत तो हो ही नहीं सकती थी उसकी। उसके पुकारने पर जब मैं न बोली तो वो और भी ज़्यादा व्याकुल, परेशान और चिंतित हो उठा और माया माया कह कर पुकारने लगा। तब मैंने धीरे से आवाज़ बदल कर कहा कि मैं यहीं हूं लेकिन उससे मिलने की हालत में नहीं हूं। जिनसे मुझे ख़तरा था वो मेरी अस्मत लूट कर यहां से चले गए हैं। मेरी ये बात सुन कर वो बुरी तरह तड़प उठा। फिर सहसा वो लाइट जलाने को कहने लगा तो मैंने फ़ौरन मना कर दिया। मैंने कहा अब ना तो मैं उसके देखने लायक हूं और ना ही उसके क़ाबिल हूं। उसको और भी तोड़ने के लिए ये भी कहा कि इस बार मैं हमेशा के लिए उसकी बन जाना चाहती थी पर मेरी बुरी किस्मत ने ऐसा होने नहीं दिया। मेरी ये बातें सुन कर वो दुखी हो के बोला कि मेरे साथ जो हुआ है उसका उसे बहुत दुख है लेकिन वो फिर भी मुझे अपनी बनाएगा। मुझसे शादी करेगा। मैं जानती थी कि ऐसा वो ज़रूर करेगा इस लिए मैंने अगला दांव फेंका।"

"कैसा दांव?"

"उसे आजमाना शुरू किया मैंने।" मीना ने कहा───"उससे कहा कि तुम ऐसा इस लिए कह रहे हो क्योंकि इस वक्त मुझे अंधेरे में ठीक से देख नहीं पा रहे हो। अगर उजाले में मेरी बुरी हालत देखोगे तो तुम्हारा प्यार छू मंतर हो जाएगा। तब तुम मुझसे घृणा करने लगोगे। मेरी बात सुनते ही वो तड़प कर बोला कि ऐसा वो कभी सोच ही नहीं सकता। मैंने कहा कि मुझे अब भरोसा नहीं है। मुझे तो मेरी किस्मत पर पहले भी भरोसा नहीं था और अब जब मैं इतनी बुरी हालत में हूं तो कैसे भरोसा कर लूं कि मेरी इस हालत को देख कर भी तुम मुझे अपना बना लोगे? मेरी ये बात सुन कर उसने तड़प कर पूछा कि कैसे भरोसा करोगी? तब मैंने कहा कि अगर सच में तुम मुझसे प्यार करते हो तो बताओ कि इस वक्त मेरे कहने पर तुम क्या कर सकते हो? उस पर मानों जुनून सवार हो चुका था इस लिए बिना सोचे समझे बोला कि मेरे कहने पर वो कुछ भी कर सकता है। यही तो चाहती थी मैं। कुछ पलों तक मैंने सोचने का नाटक किया और फिर उससे कहा कि मेरे कहने पर क्या तुम खिड़की से कूद सकते हो? अगर ऐसा करोगे तो मान लूंगी कि तुम सच में मुझे दिल से चाहते हो। उस वक्त मुझे लगा था कि कहीं मैंने उसको ऐसा बोल कर ग़लती तो नहीं कर दी है? हो सकता है कि एकदम से उसका विवेक जाग जाए और वो सोचने लगे कि मैं उसे ऐसा करने को कैसे कह सकती हूं? मगर मेरी उम्मीद के विपरीत अगले ही पल उसने कहा ठीक है। अगर मुझे उसके ऐसा करने पर ही भरोसा होगा तो वो खिड़की से ज़रूर कूदेगा।"

"यकीन मानिए इंस्पेक्टर।" मीना ने एक लंबी सांस ली───"सच में वो ऐसा ही करने चल पड़ा था। मैं सांसें रोके उसकी परछाईं को ही देख रही थी। वो खिड़की की तरफ बढ़ने लगा तो मैं वहां से दूर हट गई। बाहर चांद की धींमी रोशनी थी। वो खिड़की खोल कर उसमें चढ़ गया और अपने दोनों पैरों के बल बैठ गया। फिर अचानक से बोला क्या अभी भी मेरे प्यार पर भरोसा नहीं है? उसकी इस बात से मुझे एकाएक झटका सा लगा। उड़े हुए होश एकदम से ठिकाने पर आए। मैंने सोचा कि ऐसा वो इसी लिए कह रहा है क्योंकि कहीं न कहीं वो भी ये देखना चाहता है कि क्या मैं इसके बाद भी उसे कूद जाने को कहूंगी? यानि अगर मैं कहूंगी तो उस सूरत में शायद उसकी चेतना जागृत हो जाएगी। अभी तक तो उसने अपने प्रेम के हाथों मजबूर हो कर ही ये सब किया था लेकिन इसके आगे हो सकता है कि उसका विवेक जाग जाए। मुझे लगा अगर उसने ऐसा सोच लिया तो खेल बिगड़ जाएगा। अब मैं ये भी नहीं कह सकती थी कि हां कूद जाओ, लेकिन ये भी संभव था कि वो बिना मेरे कहे कूदे भी ना। अजीब दुविधा हो गई थी। अचानक ही मुझे ख़याल आया कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा मुझे। उधर जवाब की प्रतीक्षा में वो मुझे ही देखे जा रहा था। अंधेरे में उसको मैं परछाईं जैसे ही दिख रही थी। मैं दबे पांव उसके पास पहुंची। इससे पहले कि उसके मन में किसी भी तरह की बात आती मैंने झट से अपने दोनों हांथ बढ़ाए और उसे धक्का दे दिया। यकीनन उसे अपनी माया से ऐसी उम्मीद नहीं रही होगी लेकिन मैं माया थोड़े ना थी बल्कि मैं तो माया के रूप में उसकी वो बहन थी जो उसकी हत्या करने ही आई थी।"

"वाह! बहुत खूब।" इंस्पेक्टर बोल पड़ा───"आपके जैसी बहन से ही ऐसे कर्मकाण्ड की उम्मीद की जा सकती है। वैसे, उस वक्त क्या एक पल के लिए भी आपको ये ख़याल नहीं आया था कि जिसे आप धक्का देने वाली हैं वो आपका एक ऐसा भाई है जो किसी अंजान माया से इस हद तक प्रेम करता है कि उसके कहने पर खिड़की से कूद जाने को भी तैयार है? ख़ैर, अपने ही भाई की हत्या कर के उसकी संपत्ति को पाना चाहा आपने लेकिन क्या ये सच में मिल जाएगी आपको? हर्गिज़ नहीं, बल्कि मिलेगी तो सिर्फ सज़ा...कानूनन फांसी की या फिर उम्र क़ैद।"

इंस्पेक्टर की बात सुन कर जहां आनंद शोक सागर में डूब गया वहीं मीना फूट फूट कर रो पड़ी। श्रीकांत ने फ़ोन द्वारा लेडी पुलिस को बुलाया। थोड़ी ही देर में मीना और आनंद को गिरफ़्तार कर वो ले चले। पीछे ड्राइंग रूम में शायद कभी न ख़त्म होने वाला सन्नाटा छा गया।



───༻"समाप्त"༺───
 

Damon_Salvatore

I am vengeance
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...RAGE...

I never thought my life would take such a dark turn. I was happily married to the love of my life, Sarah. We had been together for five years, and I thought we were perfect for each other. But all that changed when I found out she was cheating on me.

It all started when I noticed Sarah was acting strange. She was always on her phone, texting someone and being secretive about it. I tried to ignore it at first, thinking maybe she was just busy with work. But the more I paid attention, the more I realized something was off.

One day, I decided to confront her about it. I asked her who she was texting all the time, and that's when she broke down and confessed. She had been seeing another man behind my back. I was devastated. How could she do this to me? I thought we were happy together.

I was consumed with anger and betrayal. I couldn't believe she would cheat on me like this. I felt like my whole world was crashing down around me. But instead of wallowing in self-pity, I decided to take matters into my own hands.

I found out who the other man was and where he lived. I waited until Sarah told me she was going to meet him one night, and that's when I made my move. I followed her to his house, my heart pounding with rage.

When I saw them together, laughing and kissing, I couldn't control myself any longer. I stormed into the house, my mind clouded with fury. I grabbed a knife from the kitchen and confronted them both. They looked at me in shock, fear in their eyes.



I didn't hesitate. I plunged the knife into Sarah's chest, watching as the life drained from her eyes. Then, I turned to her lover and did the same. I felt a sick sense of satisfaction as I watched them both bleed out on the floor.
The crime scene was a chilling tableau of betrayal and rage. As I stood there, surrounded by the aftermath of my actions, a sickening realization washed over me. I had become the monster I never thought I could be.

**Me:** "How could you do this to me, Sarah? After everything we've been through, after all the love and trust I gave you, you threw it all away for him!"

**Sarah:** "I'm sorry... I didn't mean for it to happen like this."

**Me:** "Sorry? Sorry doesn't bring back the five years of my life I wasted on you. Sorry doesn't erase the pain and betrayal I feel right now."

As my anger boiled over, I could feel the darkness consuming me, clouding my judgment and fueling my desire for revenge.

**Me:** "You both deserve to pay for what you've done. You deserve to feel the same pain and betrayal that I've felt."

With a trembling hand, I reached for the knife, my mind ablaze with fury. I didn't even realize what I was doing until it was too late.

**Sarah's Lover:** "Please... don't do this. We'll leave, we'll never bother you again. Just let us go."

But it was too late for pleas and apologies. In that moment, all I could see was red, all I could feel was the burning desire for vengeance.

**Me:** "You made your choice, now you have to live with the consequences."

And with that, I struck, plunging the knife into Sarah's chest with a force fueled by years of pain and betrayal. As her lifeless body slumped to the ground, I turned to her lover, a twisted smile playing on my lips.

**Me:** "Your turn."

The look of horror on his face as I brought the knife down one final time will stay with me forever. It was a moment of madness, a moment of blind rage and unfathomable darkness.

But as I sit here now, reflecting on the events that led me to this point, I can't help but feel a sense of remorse. I may have avenged my pain, but at what cost? Two lives lost, and my own soul stained with the blood of my actions.

**Me:** "I never thought I was capable of something like this. I never thought I could become a murderer."

But in the end, that's exactly what I am. A murderer consumed by his own darkness, haunted by the memories of that fateful night. And as I wait to face the consequences of my actions, I can only hope that someday, somehow, I'll find a way to forgive myself.

As I stood there, covered in their blood, I realized what I had done. I had taken two lives in a fit of rage and revenge. I knew there was no going back from this, no way to undo what I had done.

But in that moment, I didn't care. All I could think about was the pain and betrayal I had felt, and how I had finally taken my revenge. I knew I would have to pay for my actions, but in that moment, it didn't matter. All that mattered was the sweet taste of vengeance.
As I sat in the police station, waiting to be taken away in handcuffs, I couldn't help but feel a sense of numbness. I had let my emotions get the best of me, and now I was facing the consequences of my actions. I knew I would spend the rest of my life behind bars, haunted by the memories of that fateful night.

I had lost everything - my wife, my freedom, my sanity. All because of a moment of blind rage and betrayal. I had become a monster, consumed by my own darkness.

As I reflect on my life now, I can't help but feel a sense of regret. Regret for the lives I took, for the pain I caused, for the person I had become. I know I can never undo what I did, but I can try to make amends in whatever way I can.
I may never be able to forgive myself for what I did, but I can strive to become a better person. To learn from my mistakes and never let my emotions control me again. To find a way to move forward, even in the darkest of times.

And maybe, just maybe, I can find a way to forgive myself. To let go of the darkness that consumed me and find a sliver of light in the shadows. But until then, I will carry the weight of my sins, a constant reminder of the darkness that lies within us all.
I will never forget the pain and betrayal that led me down this dark path. But I can choose to learn from it and strive to be a better person moving forward. I can choose to seek help, to work on my anger and forgiveness, and to find a way to make peace with the past. I may never fully forgive myself, but I can choose to live a life that honors the memory of those I have lost. And maybe, just maybe, I can find a way to forgive myself and let go of the darkness that once consumed me
 

JOKER.

But Not clown..
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**Chapter 1: Bekarar Milan**


Chandni raat ki chamakti hui raunak ke beech, ek purane haveli ke paas, Priya ekant mein apne aap ko kho gayi. Uski kadam ki dhool, haveli ke prachin darwaze tak pahunchne ka ek kadam tha. Jab wah vahaan pahunchti hai, use ek aakarshan mehsoos hota hai, jaise kuch usse bulata ho.

Uski ankhein mandir ke prangan ki taraf jaati hain, jahan chandni ki kirnein mandir ki prachin divya murtiyon ko sajati hain. Tabhi, uska dhyan ek aadmi par padta hai, jo andheron mein khada hai. Uski anokhi aankhon mein ek agyaat raaz hai, jo Priya ko kheench leta hai.

**Priya:** "Aap yahan itni der raat ko kya kar rahe hain?"

Aadmi, jise Priya ab Arjun jaan leti hai, muskurata hai, uski muskurahat mein ek anokhi pehel saaf dikhayi deti hai.

**Arjun:** "Main yahan mandir ki sundarta dekhne aaya hoon. Lekin mujhe lagta hai, kuch aur bhi khoj raha hoon, shayad aapse mulaqat karne ka mauka."

Priya ke chehre par ek anokha muskurahat hoti hai, jaise kuch uske dil mein khil utha ho. Unka milan ek naye safar ki shuruaat hai, jise unhone kabhi socha bhi nahi tha.

**Chapter 2: Aghori Baba Ka Rahasya**

Arjun aur Priya ke beech ki prem kahani shuru hoti hai, lekin unke prem mein aghori baba Niranjan ka bada haath hota hai. Jab unki prem kahaniyaan khilne lagti hain, tab baba unke zindagi mein ek naya mod lekar aate hain.

Niranjan baba, ek aghori sanyasi, hamesha se aatmaon aur shaktiyon ke raaz ko jaante the. Jab unka dhyan Arjun aur Priya ki taraf jaata hai, tab unhe andar ke raaz ka samay aata hai.

**Niranjan Baba:** "Yeh mandir aur yahan ki aatmaon ke raaz khatarnak hain. Tum dono ko inmein uljhanon ka samna karna hoga."

Arjun aur Priya ko baba ki chetavani pe vishwas nahi hota, lekin unka pyaar aur vishwas badhta jaata hai. Jab baba unhe samjhaate hain ki unke safar ka uddeshya kya hai, tab unhein apne prem aur saahas mein aur bhi vishwas hota hai.

**Chapter 3: Bhootiya Mahal**

Ek raat ko, Arjun aur Priya ne himmat karke ek purane haveli ke andar kadam rakha, jise suna tha ki wahaan bhooton ki aatmaen basi hui hain. Jab un dono ne haveli ke andar pravesh kiya, tab unke saamne ek daravna drishya aaya.

Haveli ke andar ka mahaul andhkaar se bhara hua tha, aur khamoshi mein ek ajeeb si dabaav mahsus hota tha. Har kadam par, daravne chitron se bhari hui diwarein thi, jo unhe aisa lag raha tha ki kisi bhi samay unke saath kuch bura ho sakta hai.

Priya ki aankhein kisi anjaane daravne chehre ke peeche jaa kar ruk jaati hain, jab woh mehsoos karti hai ki unhe kuch dekh raha hai. Arjun uske paas jaata hai aur usse haveli ke kona-kona ghumane ka sujhav deta hai.

**Arjun:** "Priya, yeh bahut khatarnak jagah hai. Humhein yahaan se jaldi nikalna chahiye."

Priya, dar se thartharati hui, Arjun ke saath kaafi kareeb hoti hai, uska saath dete hue.

**Priya:** "Nahi Arjun, humein yeh jagah ke raaz ko suljhaana hoga, varna yeh bhoot hamare peeche pad jaayenge."

Unki aawaz mein thodi si darr aur bahaduri dono mehsoos hoti hai, jab woh apne dar ke bawajood aage badhte hain, tayyar woh kisi bhi khatra ka saamna karne ke liye.

**Chapter 4: Samna Bhatakti Aatma Se**

Jab Arjun aur Priya haveli ke raaz ko suljhaane mein jutte, tab unka samna ek bhayanak bhatakti aatma se hota hai, lekin is baar unke saath ek chhota sa comedy ka bhi tark hota hai.

Jab woh andar ka mahaul explore karte hain, tab unhe ek purani kursi mil jaati hai, jo lagta hai ki kisi bhoot ne baithi thi. Arjun ise dekhte hi uchhal pade:

**Arjun:** "Priya, dekho! Yeh hai bhooton ki khaali kursi! Lagta hai koi bhoot yahaan intezaar kar raha hai, ki koi uske saath chai peene aaye!"

Priya, Arjun ki masti par hansti hai, lekin andar ki daravni hawa unke jism mein ek ajeeb si thandak bhar deti hai. Phir, ek bhootni ki tasveer se unka samna hota hai, jo deewar par latki hui hai. Arjun ise dekhte hi apne comic timing par koi galatfehmiyan door karne ka prayaas karta hai:

**Arjun:** "Priya, dekho! Bhootni bhi apni selfie lene mein lagi hui hai! Yeh toh sach mein photogenic hai!"

Priya muskurati hai, lekin unki muskurahat mein thodi si chinta bhi hai. Unka pyaar unke mazaakon ko samajhta hai, lekin andar ki gaharaaiyon mein kuch aur hai, jo unhein dekhna hai.

**Chapter 5: Safalta Ki Jeet**

Ant mein, Arjun aur Priya ki himmat aur saahas ka parinaam hota hai, jab unhone bhatakti aatma se samna kiya aur haveli ke raaz ko suljha diya. Is chapter mein, safalta ke jashn ka anand hota hai, lekin comedy ka tadka bhi shamil hota hai.

Jab Arjun aur Priya ne bhooton se ladai ladhi aur unhein parast kiya, tab unka khushi aur excitement had se zyada hoti hai. Priya, Arjun ki taraf muskurati hai aur uske kandhe par haath rakhti hai.

**Priya:** "Arjun, humne yeh raaz suljha diya hai. Main tum par garv karti hoon."

**Arjun:** "Aur main bhi, Priya. Tumhare bina main yeh kaam kabhi nahi kar paata."

Unka romance mehsoos hota hai, lekin phir se ek chhota sa comedy ka tark hota hai. Jab un dono ne haveli se bahar nikla, tab unke dost unhein milte hain aur unka swagat karte hain.

**Dost:** "Arrey Arjun bhai, Priya bhabhi, tum log haveli ke bhooton se kaise bach gaye? Tum dono toh hero-heroine ban gaye ho!"

Arjun aur Priya dono ek doosre ko dekhte hain aur phir ek doosre par hans dete hain, jaise ek filmi scene ho raha ho. Unka safar ab aage badhta hai, lekin unke beech ka pyaar aur dosti hamesha bana rahega, chahe kuch bhi ho.
 

Damon_Salvatore

I am vengeance
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..Yeh Baarishein..

Baarish ek kaafi lambee arshe ke chalne ke garmi ke mausam ke baad jab paheli baarish ki bundee padti hai..

Aur iss taptii jameen ko ye sukoon deti hai to aisa lagta hai ki..jaise kisi kaafi naaraz saksh ka kisi chotti bachhi ne achank se haath tham liya ho..

Aur usse ye itminaan dilaaya ho ki..kuch nahi hota sab thik ho jaayega..

Baarish ye kabhi kisi kisaan ki umeed banti hai..jisne kabhi apne kheeto me fasal lagayi ho jismein..usne apni bitiyaa ke padhai ke beej booye ho..

To kabhi kisi ke liye adarak wali chaye aur pakoodo ke bhaane..

To kabhi kisi ke liye office naa jaane ka kaaran..

To kabhi kisi ke liye issi baarish mein bedhadak ho ke naachte hue apne bachpan ko dobaara jeene ki wajah…

Magar Suyesh ke liye..kisi bhuli bisari yaad ki ek sandook ki chabhi thi..

Suyesh mohodye..

Himachal ke ek chote se sehar mein unka ek ghar tha..aur uske bhaiya ki waha sabse badi medical store..

Ye dawaayio ki dukaan naa akshar muje umeedo ka ghar lagti hai..jaha har mareez apne thik hone ki chahat liye aata hai..aur uske bhaiya ki dukaan ne to pure sehar ko swasth rakha tha saheb..

Kahte the ki jis marz ki dawa aapko pure himachal me naa mile..wo aap ko yaha jaroor milegi..aur ye kissa 2017 ki baarish ka hai..

Garmiyo ki chuttiyo ke baad aaj Suyesh wapas school jaa raha tha..aur class 10th ka pahela din uske baste mein cover lagi nayi kitaabe..copyies aur iss saal board mein 90% se jyada laane ka khwab tha..

Aur bagal mein uski cycle hum chote sehar walo ke liye naa yaar humari pehali cycle..humari zindagi ki paheli cheezo mein se sabse ajeez hoti hai..aur school cycle se jana ek tarah ka atrangi shock..khair mai thodi durr he paunchaa tha aur achanak se baarish ka aagman ho gya tha..aur wo uss saal ki paheli jhama jham barrish..thi..

Mai kisi tarah beegte bhaagte bachte bachaate school paunch gya..

Cycle stand se school tak ke rashtee mein..mai ek shed ke niche baitha itezaar karne laga..apne bachpan ke yaar aakash ka..par har baar ki tarah aakash aaj bhi late..mai usse idhar udhar ho ke dekh he raha tha ki saamne se..

Red rang ke chaate ke andar se ek khubsurat si awaaz aati hai..

Ki suniyee..aap chahe to iss chaate mein aa sakte hai..

Humn..actually mai naa apne ek friend ka wait kar raha hu..maine aisa kaha..

Achha ok..i just wanted to help..have a nice day aur itnaa kah ke wo aage badh gyi..

Mai kuch der bas sonchta hu aur..thoda sochne ke baad usko awaaz de he deta hu..

Suniyee..

Lagta hai ki aaj wo nahi aayega..kya ab bhi chal sakte hai hum..

Aur jawab mein wo muskuraate hue kahti hai kyo nahi..aur phir hum dono chalne lagte hai..ek chatee ke neeche apne school ki taraf..joordar barish aas pass..ek chatee mein hum dono..kuch der chup rehne ke baad

Mai chuppi todte hue kahta hu ki..

Waise kabhi pahle tumhe school mein dekha nahi tumhe..new admission..??


Ladki - jii..Papa ka new-2 transfer hua hai aur papa tourism department mein hai naa..to humaare transfers hote rehte hai..waise I am in class 10th waise tum kab se iss school mein ho..

Me - Main to iss school mein nurcerry se hu.. Aur mai bhi matlab..

Matlab 10th mein he hu.. 10th A


Ladki - Waoo 10th A mujhe bhi same he section allot hua hai..well in that case welcome in D.A.V Public school..miss umberella..you will absolutely love this school..main kahta hu..

Aur jawab mein..wo kahti hai..yakinan..

Thankyou Mr. …..?????

Aur meri taraf dekhne lagti hai..aur jawab mein

Me - Suyesh..

Thankyou Mr Suyesh mohoday..

Aur tumhara naam..??

Iss sawaal ke suru hote he.. Aakash ne peeche se aa ke Suyesh ko pakad liya tha aur..kahta hai ki..

Kyon be dhokebaaz..ruk nahi sakta tha thoda..badi jaldi thi tujhe nayi class attend karne ki..

Suyesh jawab mein kahta hai ki..

Oooo ultaa choor kotwaal ko daate..beta tu to kabhi time pe aa nahi sakta..ek to sala itni teez baarish upar se ye saari uniform..geeli ho chuki hai aur..

Aur achha sun..issee mil..aur jaise he wo dono palat ke dekhte hai..Ms. Umberella jaa chuki thi..

Aakash puchta hai kon be..???

Pata nahi sala kisse baate karta rehta hai..

Suyesh kahta hai mai naam he puch raha tha tu tapak pada

Waise apni he class mein hai..assembley ke baad milaata hu..bahut cute hai..

Aree..aree..areee..

Ragistaan mein bhi phool khil gye..bhai ko koi bandi pasand aa gyi..kya..??

kab kaise kaha..kaise hua bhai..

Suyesh jawab mein kehta hai saale drama queen chal sab bataata hu..assembely ke baad pahle period mein class Teacher aayi..aur kaha ki..

We have a new student in our class..students please welcome..

Kritika..

Aur phir kritika ne apna intro diyaa..uss ek see deedh min ke intro mein unhone apne pichale school ke baare mein bataya..aur ye bhi bataya unhe iss sehar ki baarishe kitni pasand hai..

Iss pure intro ke dauraan suyesh ki nazare kewal Kritika pe he thi..

Dheere-2 waqt gujraa..

Kritika aur Suyesh ki dosti gehri hoti chali gyi..

Suyesh dheere-2 himmat jutaa raha tha..ki wo ek na ek din wo kritika ko bol he dega ke wo..

Miss Umberella usse kiti pasand hai..


usse judii uski har ek cheez uski handwritting..uske baalo ke clip ka colour..uski gheel se kaalo aankhe..uske chahre ke upar aati baalo ki wo zulfee..uske khamiya..uski khubiyaa..uskaa sab kuch..


Jab zulfee giraa ke wo palke jukaati h..ke jab wo zulfee giraa ke wo palke jukaati h..saansein to chalti h par jaan nikal jaati h


Par wo kabhi kah he nahi paya..aur kisi na kisi dar ke karan dekhte he dekhte 1 saal guzar gya aur ek saal baad 10th ke khatam hote he kritika ke dad ka firse transfer..ho gya..

Aur jab tak ye baat suyesh ko pata chali kaafi deer ho chuki thi..

Kritika sehar chood ke jaa chuki thi..par aaj uss baat ko lagbag kai saal beet chuke hai..kamaal hai naa itnee saal baad bhi har baarish wo malaal wo ghaaw aaj bhi hara kar jaati hai..jiski choote itne saal pahele lagi thi..

Kamal hai naa ki is zakham ki dawa to mr. mohodye ke bhaiya ke us medical store me bhi nahi milti..khair..suyesh ko puraa yakin hai ki ek din..ek naa ek din usse kritika jarror mil jayegi

Kahi kisi anjaan mood pe kisi baarish ke dauraan apna red umberella liye aur puchegi ki..

Suniyee aap chahe to iss chaate mein aa sake hai


The End...
 

Damon_Salvatore

I am vengeance
Staff member
Moderator
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259
..Maine Jab Dekha Tha Tujhko..


Anjaan chehro ke samandar mein..anjaan chehro ke samandar mein..mujhe thaame ek patwaar ban baitha..masroofiyat bharee iss hapte mein..fursat bharaa aitwaare ban baithaa..adhuri kahaaniyo mein akshar ye sehar gunehgaar ban baithaa..aur hazaaro-2 ranjisee paale is sehar se..ye sehar mera yaar ban baitha..
To aaj jis sehar ke baare mein jo baat hogi..wo sehar hai delhi..aur delhi ke baare mein ek baat bata du aap ko..delhi ki baarish aur delhi ki thandh jab bhi padti hai to kamar todd padti hai..
aur ek baat..kehni h aap logon se..ya to aap ko delhi see muhabbat hogi..yaa aapko delhi mein muhabbat hogi..magar hogi jarror..
Ishq..bagawat..sab kuch sametee ye sehar..
To kuch mahine pahle mai apna client ka audit ka kaam khatam kr ke..delhi airport jaa raha tha…Toh cab ki khidki se bahar dekhte-2 mai ne..iss sehar ki chaka chaundh bhari in imaarto ko dekh ke ye sochne laga yaar..in bade seharoo mein thode se waqt mein kitnaa kuch badal jaya karta hai..ki achanak se mausam badi tezzi se badal baithaa aur bee mausam jhilmil-2 baarish hona suru ho gyi.. aur thik itefqan radio pe Jubin Nautiyal sir ka..wo gaana baj gya..

Maine jab dekha tha tujhko..raat bhi woh yaad hai mujhko..taare ginte ginte so gaya
dil mera dhadka tha kass ke..kuch kaha tha tune hass ke..main usi pal tera ho gaya..

Aur phir bas..iss gaane ke bajtee he..bada saa yaado ka package..mere dil mein yani yaha..deliver ho chuka tha...


Few Year back


To baat ek arshe pahle ki hai..mai siya se milne delhi gya tha..aur woh delhi mein raha karti thi..plan kuch ye tha ki aane jaane ki train ki ticket..ek din ka stay, jisme mujhe siya ko bataana hai ki..mai..uske liye kya feel karta hu..
To ye tai kiya ki India gate lounge ke saamne mai chalte-2 apne dil ki baat baya kar jaaunga aur chai peete-2 jaan jaaunga ki siya ke Dil me.. mere liye kya hai..
Kuch der baad aayi wo..aur aate he wo boli..Kii..
Heyy..Hii..
Aur meri taraf dekh ke he boli..
Ab Muhh band kar lo.. apna..Rishi warna koi makkhi ghuss jayegi..

Maine kaha..humn..

(kya kahe kuch kaha nahi jaata..dard hai kuch lekin saha nahi jaata.. muhabbat ho gyi h tumse is kadar..ki tumse mile iss kadar raha nahi jaata..)

Waise tumhare sehar mein sab kuch itnaa dur hai kya..kaafi waqt lag gya tumko yaha aane mein..to usne kaha ki nahi yaar..aisi baat nahi hai..aisa hai naa ki tumse milne se pehle hazaaro kaam aa pade..to wahi dheere-2 short out kar rahi thi plus..
Plus subeh se ye zukham hai..chinkee ruk nahi rahi subeh se..aur tum delhi mein ho..kisi se milne aaye ho..??
Maine kaha nahi ki..
Nahi mera ek dost hai..kai dino se bimaar hai..bas ussi se milne aaya tha..waise walk pe chale..
To usne kaha ki..sure..
To phir usne kaha ki ab kaisa hai tumhara dost..
Maine kaha ab..ab..wo too bilkul thik hai..
Phir usne pucha aur..aur batao kaisa hai sab family mein..mummy..papa..bhaiya sab kaise hai..
To maine kaha ki papa akshar apni govt, job mein he busy rehte hai..aur bhaiya bhi apni medical shop mein he rehte h jayadatar..
Haa..
Maa..bahut yaad kar rahi thi tumhe..to bolne lagi ki..
haaye..
Mai bhi aunty ko naa.. bahut miss karti hu..wo naa meri favourite h..
Mere andar se awaj aai..ki..aur mai..matlab mai bhi to unhi ke DNA ka bana hu naa..
Mujh mein kya khot rah gyi thi bhai..par maine bola..
haa
Mummy bhi tumhe bahut yaad karti hai..infact tum bhi unki he favourate ho..
To usne kaha ki agli baar..aana naa..to apni mummy ko jaroor saath mein le ke aana..
Mai unhe pura delhi ghumaaungi..
To maine kaha ki..are madam aap kahe to puri baraat le aau mummy ke saath..
Ek baar kahiye to sahi..
Par maine jawab diya..
humn jaroor..
To maine kaha ki tum batao tumhari life.. aur sab kaisa chal raha hai..
To usne kaha ki life to bahut mast bahut smooth chal rahi hai..I mean delhi thoda alag sehar hai yaha ke logon ki vibe thodi different hai..plus mere college ka hot crowed..aur ye bolte-2 use ek bahut jooro see chinkk..aa gyi..
Aur phir wo meri taraf dekh ke boli..
Suno tum aaj mujhse thoda door he raho..
Tumhe bhi zukham lag jaayega..
Mere andar se phir awaz aai..
Madam aapko pata hai aap ki smile kiti infectatious hai.??
Tum jitni cute ho naa I am sure tumhare kitaano bhi utne he cute honge..
To mujhe jyada koi harz nahi hai..
Par maine pata hai kya jawab diya..mai aisa bolna chahtaa tha..lekin kaha nahi..aur jawab diya..
NO..NO..don't worry I have strong immune system..
Strong immune system..??
Cheee..
Matlab uske carring attitude ke badle mein.. Maine human attony pel dii..
Phir kya..phir picturo ki baate suru ho gyi..
Rahul..raj..shakaal..mogambo..raani..wonder women..batman..superman..
Jo ho sakta tha wo sab..sab kuch detail me discuss hua..aur baat karte-2 usne bola..
Mujhe Jubin Nautiyal ka ye gaana..
Lut Gye..bahut pasand hai..
Aur uski har playlist mein top mein rehta hai..phir dheere-2 waqt guzarne laga..
Mere jaane ka waqt hone laga usne kaha ki..
Mai tumhe station tak choodh aati hu..
Aur phir mujhe kya aitraaz tha..
Phir wo mujhe station tak chodne aayi..ab dekho..
Train ka gate..
Mai..aur woh..
Indian education system se le ke bollywood tak humne sab disscuss kar liya tha..
Shiwaay main point ke..
To mujhe laga ki isse pahele train nikal jaaye..bol he dena chahiye..
To ek lambi saansh bhari..aur kaha ki tum..
Tum yaar bahut pasand ho mujhe..
And I'm aware mai jaanta hu ki..hum dono ki zindagi ka life style aapas mein kitaa alag-2 hai..
Hum log alag-2 sehar mein alag-2 khwaabo ko persue kar rahe hai..aur aage bhi..milne ke itnee jyada chances nahi hai..par magar..
Magar is waqt past aur present mein tum mujhe sabse jyada pasand ho aur yahi sach hai..
Jawab mein wohh bas aise he..wo meri aankho ko dekhti rahi..
Uski aankho mein lag bhag saare jawab thee..aur saath mein ek sawal bhi..
Kya..
Kya he jarrori tha yaar..matlab ki achha khassa yaarana chal raha tha..kyon pyaar muhabbat beech mein le aaye..
Ki tabhi signal ho gya..
Dheere-2 train aage badhne lagi aur..maine usse zor se gale lagaya..aur bas itnaa kaha
aur kaha ki suno..
suno tension nahi hai..
Mai tum par khud ko kabhi thopungaa nahi..
Mujhe tumhe paane ya naa paane ki hasrat nahi h..kyonki tumse pyaar karne ke liye..mujhe tumhari he jarrorat nahi h..mera yakeen maano..mai tumse durr reh kr bhi khush rah sakta hu..tumhari aankho me jo paani bhara h usme besudhh machli ki tarah bah sakta hu..tumhare liye kuch ghante kya puri zindagi ka sukoon ye wo intezaar hai..haan ye sach hai..mujhe tumse ek tarfa muhabbat hai..
aur phir mai train me baith ke chala gya..
Jaise he train chalne lagi..dheere-2 speed pakadne lagi pata nahi ek andar se bechaini hone lagi ki yaar..
Kuch to mil jaaye ki koi to kuch to..
I just wanted..something that I can hold too.. which can remind me her presence around me..
Matlab mai..mai..kya aagle station pe utar jaau kya.??
Kya karu mai..
Kya mai wapas..se chala jaata hu delhi..nahi..ek kaam karta hu..
Yaar shit..shit..Ek photo...bada common sense ka question laga ki yaar ek photo bhi nahi li maine..
Ki tabhi achanak ek zoor si cheenkh..
Mai apni he seat pe baitha..jaeb se rumaal nikaala..
Naak pochhi..aur..
Aur bas train ko sar pat chalta dekhta reh gya..
Phir achnak se cab wale ne break maara aur bola bhaiya delhi airport aagya..
Wapas chale kya..
To baat bas itni si hai..
Ki aaj app jab bhi mera phone uthaayenge..
Aur meri play list dekhenge..
No. 1 pe jo gaana rahega Jubin Nautiyal sir ka Lut Gye..he paayenge..

Maine jab dekha tha tujhko..raat bhi woh yaad hai mujhko..taare ginte ginte so gaya
Dil mera dhadka tha kass ke..kuch kaha tha tune hass ke..main usi pal tera ho gaya..
Aasmano pe jo khuda hai..Usse meri yahi dua hai..
Chand ye har roz main dekhu..Tere sath mein..
Aankh uthi mohabbat ne angdai li.
.Dil ka sauda hua chandani raat me..Oh teri nazaro ne kuch aisa jadoo kiya..Lut gaye hum to pehli mulakaat me..
Ek baat aur uske kitaanu sach me bahut cute thee yaar..


The End...
 

Kala Nag

Mr. X
4,152
16,161
144
दंश
====

शाम के छह बज रहे थे, पटनायक लॉ फार्म के परिसर में शहर के मशहूर वकील विश्वंभर नाथ पटनायक अपनी गाड़ी में प्रवेश करता है l ड्राइवर उतर कर पीछे की डोर खोलता है l विश्वंभर गाड़ी से उतरता है तो देखता है, ऑफिस के बाहर उसे स्वागत करने के लिए उसके जूनियर और स्टाफ सब खड़े थे l विश्वंभर को देखते ही सभी ताली बजा कर स्वागत करते हैं l सबका अभिवादन स्वीकारते हुए विश्वंभर आगे बढ़ता है, दरवाजे के पास उसकी सेक्रेटरी उसे फूलों का बहुत बड़ा गुलदस्ता देती है l जिसे लेकर विश्वंभर ऑफिस के अंदर आता है l अंदर का नज़ारा भी अद्भुत था l ऑफिस के अंदर बहुत सारा डेकोरेशन हुआ था l बीचों-बीच टेबल पर एक शैम्पेन की बोतल रखा हुआ था l जिसे देख कर विश्वंभर सेक्रेटरी से पूछता है

-"यह क्या है सुनीता"

-"सर आज आपकी इतनी बड़ी जीत पर सेलिब्रेशन तो बनता है"

-"ओके देन, लेट्स सेलेब्रिट टु गेदर"

विश्वंभर शैम्पेन की बोतल उठाता है और उसकी ढक्कन को खोल देता है l पॉप की आवाज़ से ढक्कन उछल कर निकल जाता है और झाग के रुप में कुछ शैम्पेन बाहर निकल कर फर्श पर गिर जाते हैं l सुनीता एक ट्रे में कुछ ग्लासेस लाती है जिसमें विश्वंभर शैम्पेन उड़ेल कर भरने लगता है l सभी मौजूद लोग ग्लास उठा कर चियर्स करते हैं और घुट भरने लगते हैं l ग्लास के ख़तम होने के बाद सबको थैंक्स कर विश्वंभर अपनी केबिन में आता है और इंटरकॉम उठा कर एक स्पीड डायल करता है l थोड़ी देर के बाद सुनीता अंदर आती है l

-"सुनीता आज की सारी एपॉइंटमेंट कैंसिल कर दो l

-" क्यूँ सर"


- "देखो आज मेरा पूरा परिवार, घर पर मेरा इंतजार कर रही होगी l चूँकि आज केस का फैसला आ गया तो जैसे कि मैंने उनसे प्रॉमिस किया था ; अगर जीत हुई तो मैं सबको बहुत बढ़िया होटल में डिनर करवाऊंगा l"

-"कोई बात नहीं सर, ऐकचुयली मुझे सुबह ही आपके घर से इंस्ट्रक्टशन आ गया था, इसलिए मैंने पहले से ही आपकी सभी एपॉइंटमेंट कैंसिल कर दिया था l पर"

-" पर, यह पर को बीच में क्यूँ लेकर आ गई तुम"

-" बाहर एक लेडी बैठी हुई हैं, बहुत मोटी आसामी लग रही हैं l वह आप ही की इंतजार कर रही हैं, इन फैक्ट वह शैम्पेन की बोतल उन्हीं की तरफ से थी "

-" ह्वाट, वह शैम्पेन बोतल तुम लोग नहीं लाए थे"

-" आई एम सॉरी सर, बट (सुनीता खामोश हो जाती है, फिर थोड़ी देर बाद) सर सिर्फ पाँच मिनट के लिए, उनसे आप मिल लीजिए"

जवाब में विश्वंभर कुछ नहीं कहता पर अपना सिर हिला कर अपनी सहमती देता है l सुनीता बाहर चली जाती है l थोड़ी देर बाद विश्वंभर की केबिन का डोर खुलती है, एक आवाज आती है

-" मे आई कॉम ईन"

-" येस प्लीज"

वह औरत अंदर आती है l विश्वंभर उसे उपर से नीचे तक अपनी वकालत की तजुर्बे से स्कैन करता है l बमुश्किल वह औरत चालीस या बयालीस वर्ष की होगी या फिर उससे भी ज्यादा हो सकती है l भारी भरकम शरीर, चेहरा और गाल इतनी फूली हुई है कि गर्दन दिख नहीं रही थी l

-" नमस्ते" (वह औरत कहती है)

-" जी नमस्ते, कहिए मैं क्या सेवा कर सकता हूँ l"

-" जी पहले आप मुझे बैठने के लिए कह सकते हैं"

-"ओह सॉरी, प्लीज" सीट की तरफ इशारा करता है"

वह औरत सीट पर बैठने के बाद अपना वैनिटी पर्स खोलती है l उसमें से अपनी दस्तखत की हुई एक ब्लैंक चेक निकाल कर विश्वंभर की ओर बढ़ा देती है l विश्वंभर अपनी हाथ में ब्लैंक चेक लेता है और देख कर हैरान होता है पर चेक लेकर उस औरत से कहता है

-" देखिए मिसेज़"

-" मिसेज़ नहीं मिस, ऐकचुयली आई एम अनमैरेड ; बट हैव अ चाइल्ड l आई एम अ सिंगल मदर"

-" ओ, आई एम सॉरी"

-" नो नो डोंट बी, कोई बात नहीं, मैंने आपको चेक दे दिया है ; आप जब चाहें जितना चाहें रकम भर सकते हैं, पर हर हाल में आपको जितना होगा"

-"बुरा ना मानें तो एक बात पूछूं"

-" जी बेशक, पूछिये"

-" इस शहर में और भी वकील होंगे, मुझसे बेहतर, नामचीन, फिर आप मेरे पास क्यूँ आयीं"

-"हाँ, सवाल वाज़िब है पर वह क्या है कि दो ऐसे प्रोफेशनल्स हैं जिनसे कभी झूठ नहीं बोलना चाहिए l पहला तो डॉक्टर और दुसरा होता है वकील l डॉक्टर मर्ज की दवा और इलाज कर सकता है और वकील कोई भी जुर्म हो बाहर निकाल सकता है "

-" हाँ बात तो सही है पर मुझे अबतक मेरे सवाल का जवाब नहीं मिला"

-" ज़वाब है प्रोफेशन, उस प्रोफेशन का एप्रॉन l जिसकी एप्रॉन का रंग जितनी गाढ़ी आई मिन गहरी हो उस पर भरोसा करना चाहिए l"

-"जैसे कि"

-"जैसे कि डॉक्टर, उसका प्रोफेशन उसके एप्रॉन की तरह साफ हो तो उस पर आँखे मूँद कर भरोसा किया जा सकता है l और वकील, उसकी प्रोफेशन उसकी एप्रॉन की तरह गाढ़ी काली होगी तो उस पर भरोसा किया जाना चाहिए l "

उस औरत का ज़वाब विश्वंभर को पसंद नहीं आया l पर चूँकि उसके हाथ में एक ब्लैंक चेक था इसलिए थोड़ा संभल कर बैठता है फिर सवाल करता है

-" यह कंप्लीमेंट था या ताना दे रहीं हैं "

-“कंप्लीमेंट, मैं कंप्लीमेंट दे रही हूँ l आपको ताना क्यूँ लगा, आपके बारे में शहर में कौन नहीं जानता ; कोई भी रेप का केस आए तो आप रेपिस्ट के लिए मुकद्दमा लड़ते हैं और जीतते भी हैं l कोई मर्डर का केस आए तो मर्डर्रर का केस हाथ में लेते हैं और जीतते भी हैं l कोई करप्शन का केस आए तो आप उस करप्ट आदमी का केस लड़ते हैं और जीतते भी हैं l मैंने ब्लैंक चेक दिया है तो जाहिर है कि मेरा केस उन्हीं केटेगरी में आती होगी"

-" ओके ओके, आई एक्सेप्ट योर कंप्लीमेंट, बट ईफ यु डोंट माइंड, मैंने अपनी फॅमिली से वादा किया है कि आज की शाम उनके नाम "

-" जानती हूँ, पर मेरी केस भी उतनी ही इंपोर्टटेंट है "

-" ओके देन ह्वाट इज़ योर केस"

-" बता तो दूंगी पर जैसा कि आप ने कहा कि आज की शाम आप अपने फॅमिली के नाम किया हुआ है"

-" हाँ आपने मुझे प्रोफेशनल भी कहा है, याद है"

-“ हाँ, पर पटनायक बाबु आपकी प्रॉब्लम की मेरे पास सोल्यूशन है, आप चाहें तो मेरी केस डिटेल्स डिस्कस कर सकते हैं और आप अपने फॅमिली के पास पहुँच भी सकते हैं"

-" कैसे"

-" आप चाहें तो मैं और आप एक गाड़ी में जाएंगे, आपके घर l रास्ते में ही हमारी मंज़िल आ जाएगा l इस बीच आप मेरी केस की डिटेल्स जान लेंगे, फिर मैं उतर जाऊँगी आप अपनी फॅमिली के पास चले जाइएगा" (उस औरत की प्रस्ताव पर विश्वंभर की भौहें तन जाती हैं, वह औरत मुस्करा कर कहती है ) नहीं नहीं मैं आपकी कोई किडनैपिंग नहीं करने वाली हूँ l आप चाहें तो, मैं और आप, आपकी गाड़ी में चलेंगे, पर शर्त यह है कि गाड़ी आप ड्राइव करेंगे और आपका ड्राइवर पीछे पीछे मेरी गाड़ी लेकर फॉलो करेगा l इस बीच हम केस की डिटेल्स पर बात कर लेंगे"

उस औरत की बात सुन कर विश्वंभर मुस्करा देता है l अपना सिर हिला कर सहमति देता है l औरत को इशारा करता है और दोनों केबिन से निकल कर अपनी अपनी गाड़ियों के पास आते हैं l बाहर आकर विश्वंभर देखता है उसके ऑडी के पास एक रोल्स रॉयस खड़ी है l उसे समझते देर ना लगी कि वह रोल्स रॉयस उस औरत की है l विश्वंभर उस औरत से कहता है

-" एक्सक्युज मी, एक काम करते हैं l हम आपकी गाड़ी में चलते हैं, मेरा ड्राइवर आपकी गाड़ी को फॉलो करते हुए पीछे पीछे आयेगा l उसके बाद अपनी मंजिल आप उतर जाइएगा और फिर मैं"

-"आप अपनी फॅमिली के पास" (विश्वंभर की बात पुरी होने से पहले वह औरत कहती है)

-" जी"

-“तो फिर आइए, मेरे गाड़ी में सफर तय करते हैं"

विश्वंभर अपने ड्राइवर को हिदायत देकर उस औरत की गाड़ी में बैठ जाता है l वह औरत ड्राइविंग सीट पर बैठी हुई थी l विश्वंभर जैसे ही गाड़ी में बैठ जाता है l औरत गाड़ी स्टार्ट कर रोड पर आ जाती है l गाड़ी के अंदर विश्वंभर बात को शुरू करता है l

-" तो केस क्या है"

-"मैं जुर्म को ब्रीफ किए देती हूँ, आप तय कर लीजिए केस क्या हो सकता है"

-" हूँ, ठीक है; शुरु कीजिए"

-" जरुर, तो व्याक्या कुछ यूँ शुरु होती है ; एक कॉलेज है जहाँ एक लड़की पढ़ रही है l उसका नाम है दिव्या l कॉलेज में पढ़ने वाले सभी मानते हैं और कहते भी हैं कि वह बहुत खूबसूरत है l जाहिर है कि जहाँ खूबसूरत लड़की होगी वहाँ हवस की जीभ लपलपाने वाले भी होंगे और थे भी l हर कोई अपनी अपनी किस्मत आजमाना चाहता था l दिव्या को अपने नीचे लाने के लिए l अब दिव्या भी दुनिया जहान को देख रही थी, इसलिए वह भी बहुत सावधान रहती थी l खुद को बचाए रहती थी l वह एक पढ़ाकु ग्रुप की सदस्य बन गई, जो कॉलेज में पढ़ाई खुब करते थे और कभी कभी मस्ती भी करते थे l उस ग्रुप में कुछ सीनियर भी थे l एज युज्वल इस उम्र में होता है, दिव्या की उस ग्रुप में एक क्रश भी था l उसका नाम बीपीन है, और उसी ग्रुप में एक और लड़का भी था जिसका नाम है विवेक जो दिव्या पर फिदा था l

अब भले ही दिव्या एक अच्छी ग्रुप की सदस्या थी पर लड़के भी तो चंचल मन के होते हैं l विवेक भी उनमें से था l वह बीपीन से जेलॉस था इसलिए दिन रात एक ही बात सोच रहा था कि किसी भी तरह से दिव्या को अपने नीचे लाना है l"

-" एक मिनट (बीच में विश्वंभर टोकता है) यह कोई रेप वाली क्राइम है क्या"

-" वकील साहब,(औरत ज़वाब देती है) आप इतने उतावले ना हो ; कहानी ख़तम हो जाने दीजिए फिर नतीजे पर पहुँचते हैं"

-" ओके ओके, प्लीज कैरी ऑन"

-" तो जैसा कि मैंने कहा विवेक का एक ही सपना था l किसी तरह दिव्या को अपने नीचे लाना l वह दिन रात इसके लिए प्लान करने लगा, कुछ दिनों में कॉलेज में छुट्टियाँ शुरु होने वाली थी ; उसी दौरान अपनी प्लान के तहत एक दिन अपने ग्रुप में एक प्रस्ताव रखा

विवेक - हैलो दोस्तों..

सभी - हाय...

विवेक - नर्सों छुट्टी शुरु हो रही हैं ; क्या क्या प्लान है...

किसीने कहा छुट्टी में गाँव जाएगा तो किसी ने कहा ट्रिप में आउटिंग जाएगा इत्यादि इत्यादि l

बीपीन - क्यूँ तेरा क्या प्लान है...

विवेक - यार... सभी लोग कहीं ना कहीं चले जाएंगे... नर्सों छुट्टी भी है... और इत्तेफाक से मेरा जन्म दिन भी है... तो क्यों ना साथ में सेलिब्रेट करें...

बीपीन - वाव इट्स अ ग्रेट आइडिया... कहाँ करेंगे...

विवेक - मेरे डैड के फार्म हाऊस में... क्या कहते हो दोस्तों...

दिव्या - नहीं नहीं.. मैं इवनींग पार्टी अटेंड नहीं कर सकती...

विवेक - अरे कोई नहीं... हम दिन के दोपहर को लंच पार्टी रखते हैं...

सभी चियर्स करते हैं l तय दिन को दिव्या एक गाउन पहन कर अच्छे से तैयार हो कर विवेक के दिए हुए पते पर दोपहर को पहुँच जाती है l फार्म हाऊस के बाहर बहुत सी गाड़ियां पार्क की हुई थी l उसे लगता है कि वह देर से पहुँची l दरवाजे पर पहुँच कर घंटी बजाती है l दरवाजा खुलता है, विवेक दिव्या को देख कर खुश होता है

विवेक - अरे दिव्या... तुम... आओ आओ..

दिव्या - हैप्पी बर्थडे विवेक... (कह कर गिफ्ट विवेक के हाथ में देती है)

विवेक - थैंक्यू... आओ अंदर आओ..

दिव्या अंदर आकर देखती है कि कोई दोस्त अभी तक पहुँचे नहीं थे l वह हैरान होती है l उसकी हैरानगी को समझ कर विवेक कहता है

विवेक - अरे चिंता मत करो... अभी थोड़ी देर में सभी पहुँच जाएंगे... बी रिलेक्स... (कह कर टीवी ऑन कर देता है, टीवी पर टॉम एंड जेरी की कार्टून चलने लगती है l दिव्या सोफ़े पर बैठ जाती है ) दिव्या...

दिव्या - हाँ...

विवेक - मैं तैयार हो लेता हूँ... (कह कर फ्रिज से कोल्ड ड्रिंक निकाल कर दिव्या के सामने रख देता है) तुम बाहर धूप में आई हो... यह पी लो... तब तक मैं तैयार हो जाता हूँ...

विवेक अंदर चला जाता है l दिव्या कॉल्ड ड्रिंक की ढक्कन खोल कर पीने लगती है l ड्रिंक ख़तम होने के बाद बोतल नीचे रख देती है l तभी टीवी पर पोर्न फिल्म चलने लगती है l दिव्या को गुस्सा आता है वह उठने की कोशिश करती है l पर उसका सिर चकराने लगती है वह दुबारा सोफ़े पर गिर जाती है l वह देखती है कमर पर सिर्फ टावल लपेटे विवेक कमरे में आता है l

विवेक - जानती हो दिव्या... कॉलेज का हर लड़के का एक ही सपना है... तुमको अपने नीचे लाना... यहाँ तक कि... बीपीन भी तुम्हें अपने नीचे लाना चाहता था... पर उससे पहले मैं तुम्हें अपने नीचे लाना चाहता था.... इसलिए मैंने अपना झूठा बर्थडे का प्लान बना कर तुम्हें आज डेट ड्रग पीला दिया है...

दिव्या - यु... स्कौंड्रल...

विवेक - अरे मैं अकेला नहीं... आज़ तुम भी एंजॉय करोगी... वैसे तुम मुझे शुरु से ही अनछुई.. छुई-मुई सी लगती हो...

तब तक टीवी पर चुदाई की दृश्य चलने लगती है जिसमें चीखें चिल्लाने की आवाजें आने लगती है, विवेक एक कुटिल मुस्कान के साथ अपना टावल निकाल देता है, विवेक अब आदम कद नंगा था l विवेक दिव्या का गाउन उठा कर पैंटी खिंच देता है l दिव्या के पैर फैला कर कहता है l

विवेक - वाव... दिव्या... क्या बात है... तु तो एकदम सील पैक निकली... आह... मज़ा आएगा...

इतना कह कर सोफ़े पर ही दिव्या को सुला देता है l

-" स्टॉप इट" (विश्वंभर चिल्लाता है)

-" क्या हुआ पटनायक बाबु" (गाड़ी रोक कर औरत पूछती है)

-" यु रास्कल लेडी, कौन है तु? तु यह सब कैसे जानती है? कमिनी मेरी ही कहानी तु मुझे सुना रही है"

-" उप्स, तो क्या यह आपकी कहानी है !"

-" बोल तु कौन है? कहीं तु मेरा स्टिंग ऑपरेशन तो नहीं कर रही है"

-" नहीं पटनायक नहीं, मैं कोई स्टिंग ऑपरेशन नहीं कर रही l आज से बाइस साल पहले जो कालिक तुने मुझ पर लगाई थी आज उसी कहानी को दोहराया गया है l मैं ही दिव्या हूँ, दिव्या प्रिय दर्शीनी l

विश्वंभर - ह्वाट... तुम दिव्या हो... आई कांट विलीव...

-" हाँ विश्वंभर मैं ही दिव्या हूँ, हाँ बस छरहरी या छुई-मुई नहीं रही l क्यूंकि उस दिन तुमने अपनी विष से जो दंश दिया वह मेरी जेहन और जिंदगी को तार तार कर गया l हाँ विश्वंभर उस दिन के बाद मुझे खुद से घिन आ गई l मेरे पिता को मालुम हुआ तो समाज के डर से चुप रहने को कहा l पर दिल पर ग़म का बोझ सह ना पाए इसलिए मुझे और मेरी माँ को अकेला छोड़ चल बसे l उनके देहांत के बाद मुझे मालूम हुआ कि मेरे पेट में तुम्हारा विषांश बीज बन कर पल रहा है l माँ ने बहुत कहा पर मुझे पता नहीं क्या हुआ समाज के हर मर्द से नफरत हो गई l मैंने शादी नहीं की और तुम्हारे विषांश को जन्म देकर अपनी संस्कारों सहित बड़ा करने लगी l मर्दों से नफरत को आधार बना कर मैंने रेस्तरां की चेन, पैकर्स और मूवर्स की चेन खड़ी कर दी l बहुत कामयाब हुई, चूँकि शरीर से कोई लगाव नहीं था इसलिए आज ऐसी मोटी भद्दी हूँ l जानते हो जब कोई न्याय नहीं करता तब प्रकृति न्याय करती है l तुम सांप थे अपनी जहर से मुझे बहुत बड़ा दंश दिया और तुम्हारा विषांश, तुम्हारा सपोला जो मेरे पेट में पल रहा था, जन्म लिया l आज तुम्हारा उसी विषांश ने तुम्हारे उसी सपोले ने तुम्हारा ही इतिहास को दोहराया है l उसने भी बिल्कुल उसी तरह से एक लड़की को जन्म दिन का झांसा देकर अपना हवस के विष का दंश दिया है l

-" ओह हो हो, हा हा हा (विश्वंभर ठहाके मार कर हँसने लगता है) तो तुम्हारे कहने का मतलब हुआ कि तुम्हारी कोख में मैंने अपने विषांश का बीज बोया और उसी विषांश ने किसी छुई-मुई को दंश दिया है, हा हा हा हा"

-" तुम किस बात के लिए हँस रहे हो"

-" अब समझा तुमने मुझे ब्लैंक चेक क्यूँ दिया, हा हा हा l"

-" अच्छा ;क्यूँ दिया"

-" इससे पहले के लड़की के परिवार वाले आकर कुछ करें तुमने सीधे इस मामले के एक्सपर्ट को होने वाले केस की जानकारी और रकम दे दी l जाहिर है हर कोई तुम्हारे बाप जैसे नहीं होते l तुम्हारे बाप को मेरे बाप ने पैसों की ऑफर की थी पर तुम्हारे बाप ने पैसों की ऑफर ठुकरा दिया था l तुम्हें डर है कि वही बात रिपीट ना हो जाए l क्यूँ सही कहा ना "

-" तुमने बिल्कुल वकील की समझ लगा कर बात कही है l"

गाड़ी रुकती है l विश्वंभर देखता है दिव्या उसे एक सरकारी हस्पताल में लाई है l विश्वंभर पूछता है

-" यह हम कहाँ आ गए"

-" जब मुझे बेटा हुआ तो मैंने उसका लालन पालन बड़े संस्कारों सहित किया था l पर मेरे संस्कारों पर तुम्हारे खुन का असर भारी पड़ गया l मेरे बेटे ने, नहीं नहीं तुम्हारे सपोले ने जिस लड़की को दंश दिया है l मैंने उसे बेहोशी की हालत में इस हस्पताल में एडमिट करा दिया "

-" ह्वाट द फक, बेवक़ूफ़ औरत ऐसे में लकड़ी को उसके घर भेज देना चाहिए था l अब यह पुलिस केस बन जाएगा"

-" इसीलिए तो तुम्हारे मुहँ पर बैंक चेक मारा है l उस लड़की, यहाँ के डॉक्टर, पुलिस और केस को तुम्हें हैंडल करना है, और याद रहे, तुम्हें हर हाल में जितना है"

-" ऑफ कोर्स, मैं चाहे जैसा भी हूँ, अपने क्लाइंट के लिए ट्रस्टवर्दी हूँ l डोंट वरी नाउ योर सन इज़ ईन सेफ हैंड l"

-" ओके देन स्पेशल कैजुअलटी वार्ड, रुम नंबर 205 में लकड़ी अंडर ट्रीटमेंट है l तुम उससे मिल लो क्यूंकि थोड़ी देर बाद पुलिस भी पहुँचने वाली है l"

-" क्यूँ तुम नहीं जाओगी"

-" नहीं, फ़िलहाल मैंने प्रकृति का इस तरह का न्याय देख कर बहुत हैरान हूँ, अब बस यह देखना चाहती हूँ के तुम इस केस को कैसे डील करते हो, कैसे जीतते हो l"

-" ओके"

कह कर विश्वंभर दिव्या की गाड़ी से उतरता है l दिव्या उसे वहीँ छोड़ कर गाड़ी लेकर चली जाती है l विश्वंभर अपनी जेब से वह ब्लैंक चेक निकाल कर देखता है l एक गहरी मुस्कान के साथ चेक को अपने जेब में रखता है l अपनी गाड़ी की ड्राइवर को वहीँ रुकने को कह कर उस कमरे की ओर जाने लगता है l कमरे के सामने पहुँच कर पर्दा हटाता है l बेड पर सोई लड़की को जैसे ही देखता है वह चौंक जाता है l उसकी आँखे बड़ी हो जाती हैं l क्यूँकी लड़की कोई और नहीं उसकी अपनी बेटी निवेदिता थी l निवेदिता को ट्रीटमेंट कर रहे डॉक्टर विश्वंभर के पास आता है l

-" पटनायक बाबु, आप यहाँ"

-" यह ल ल लड़की"

-" इस लड़की को ड्रग्स देकर दुष्कर्म किया गया है l दिव्या मैडम ने इसे यहाँ एडमिट कर दिया था l बोले इस लड़की की पहचान ढूंढ कर उसके परिवार वालों को इन्फॉर्म करेंगी l अभी थोड़ी देर पहले उनका फोन आया था l इसलिए हमने पुलिस को सूचना दे दी है l पुलिस आती ही होगी"

विश्वंभर की आँखों के आगे अंधेरा सा छाने लगा था l वह वार्ड के बाहर आ जाता है l उसके कानों में दिव्या के कहे कुछ बातेँ गूँज रही थी l सांप का बेटा सपोला, प्रकृति का न्याय, दंश और आख़िर में तुम्हें हारना नहीं है हर हाल में जितना है l कुछ पुलिस वाले उस वार्ड की ओर आते देखता है l विश्वंभर के सीने में दर्द सा उठने लगता है वह अपने दाएँ हाथ को सीने पर ले जाता है l उसके कानों में दिव्या की आवाज़ गूंजने लगती है "तुम्हें जितना है" l वह किससे जीतेगा, उसकी कौनसी वज़ूद जीतेगी l क्या बाप की तरह जीत पाएगा l समाज के एक आम आदमी की तरह जीत पाएगा l बेटी से या समाज से क्या कहेगा निवेदिता को दंश देने वाला उसका ही सपोला है, उसका ही विषांश है l
 

Niks77kill

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Khoj

"Hello.. Kya mai andar aa sakta hu.." Deepak ne andar mojoud shaks se pucha.
"Aao.."
Deepak ne thode hichkichate kadmo se kamre mai entry li. Uska dil dhak-dhak kar rah tha. Ye kisi office ka cabin tha aur andar betha aadmi yaha ka boss tha. Usne Deepak ki taraf dekhe bina use samne mojoud kursi par bethne ka ishara kiya.
"Hello sir.. Mera naam Deepak hai.." Deepak kursi par bethte huye bola.
"Faltu baaton ke liye time nahi hai mere paas.. Seedhe mudde par aao.. Kya kaam hai.." Vikram ne bade hi rukhe andaz mai uska swagat kiya. Wo un logo mai se tha jo logo ki surat or unke pehnawe ko dekhkar unki kundali jaan lete hai. Aur Deepak par ek nazar dalte hi use malum chal gaya ki ye koi sadharan aadmi hai koi VIP nahi.
Vikram ki baat sunkar Deepak or jyada sakpaka gaya. Usne apni jebein totalna shuru kiya or apni shirt ki jeb se ek tasveer nikali.
"Sir kya aap is ladke ko jante hai??" Wo tasveer Vikram ki taraf badhate hute Deepak bola.
Vikram ne wo tasveer uthayi or jameen par fekte huye security wale ko awaaz lagayi.
"Guarddd..."
Vikram ka ye bartav dekhkar Deepak buri tarah seham gaya or usne wo photo jameen se utha li.
Guard bhagta hua andar aaya.
"Jiii Sirr.."
"Tumko kitni baar bola hai aise hi kisi ko andar mat aane diya karo.. Dhyan kaha hai tumhara.. Is aadmi ko kisne andar aane diya.." Deepak ki taraf ishara karte huye Vikram chillaya.
"Sorry Sirr.. Wo.. Ji main.. Sir mai bathroom gaya tha bas ek minute ke liye.. Utne mai hi ye aadmi andar aa gaya hoga.." Guard ne safayi di.
"Utha ke bahar feko isko abhi ke abhi.. Suresh Sir bas aane hi wale honge.." Vikram ko guard ki safayi se koi matlab nahi tha.
"Sir meri baat to suniye.." Deepak mimiyata reh gaya lekin Vikram to abtak masroof bhi ho chuka tha. Guard ne uski baah pakdi or use lagbhag ghaseet-te huye bahar le aaya.
"Kya re bhosdike.. Meri naukri khayega kya.. Andar kaise gaya tu.." Guard bahar aakar Deepak par barasne laga.
"Are bhaiya mujhe to bas itna janna tha ki sir is ladke ko jante hai kya.." Apni jeb mai mojoud photo guard ko dikhate huye Deepak bola.
"Ye ladka.. Isliye Sir itna bhadak gaye tere upar.. Ise kaun nahi janta is office mai.. Par tujhe kya kaam hai isse.." Us photo ko dekhkar guard bola.
"Tumhe malum hai ye kaha rehta hai??" Deepak ko ek halki si ummid mili.
"Pata nahi.. Par tu is ladke ko kaise janta hai.." Guard ne ulta sawal kiya.
"Ye haramjada meri naabalig beti ko lekar bhaga hai.. Mai ise pichhle 7 mahine se dhund raha hu.. Kisi jankaar se malum pada ki ye ladka yaha kaam pe laga hai.." Deepak ne poori baat batayi.
"Ohhh betichod.. To chori karne ke sath-sath ye lafanga ladkiya bhi bhagata hai.."
"Kya matlab.."
"Are ye sach hai ki ye bhosdiwala yaha kaam karta tha.. 6 mahine pehle hi aaya tha.. Par Vikram sir ne ise ek din dhakke maarkar nikal diya.. Mahina bhar kareeb ho gaya.. Bahut hungama hua tha.. Police case bhi hua tha.. Pata chala isne company ke khaato se kuch raqam gayab kari thi.."
"Achha..."
"Tum ek kaam karo.. Govind-Ganj thane chale jao.. Waha tumhe iski poori khabar mil jaygi.."
"Shukriya bhaiya.. Aur pareshani ke liye maaf karna.. Meri beti ka mere alawa aur koi nahi hai.. Use dhundte-dhundte mai pareshan ho chuka hu.." Deepak ne guard ke hath pakadte huye use dhanyawad diya.
"Ha thik hai thik hai.. Jao ab yaha se.. Agar Vikram Sir ne phirse tumhe yaha dekh liya to meri naukri bhi kha jayenge.."
Ye sunkar Deepak turant waha se chala gaya. Akhirkar 7 mahino mai pehli baar use koi ummid ki kiran nazar aayi thi.

Deepak Haryana ke Jhajiri Gaav ka rehne wala sidha-saada aadmi tha. Uski biwi ki maut uski beti Rajni ko janam dete waqt atyadhik khoon behne se ho gayi thi. Rajni or Deepak ka ek-dusre ke alawa or koi nahi tha. Bachpan se Deepak ne hi Rajni ka paalan-poshan apni hesiyat se badhkar hi kiya tha. Usne dusri shadi karne ke bare mai socha par sauteli maa Rajni ke sath kaisa vyavahar karegi yahi sochkar usne dusri shadi nahi ki.
Rahul Rajni ki class mai padhta tha aur uska eklauta dost tha. Dono ki aapas mai khoob jamti thi. Rajni uske sath sab share karti thi aur Rahul Rajni ke sath. Rajni ki dukhbhari kahaniya sunkar kab Rahul ko Rajni se pyar ho gaya use pata hi nahi chala.

"Inspector Saab.." Deepak ne thane mai Inspector Nitin ko dekhkar awaaz di.
"Ha bolo.. Kya baat hai.."
"Saab mai is ladke ko dhund raha hu.." Apni jeb se Rahul ki photo nikalkar usne Inspector ko dikhayi.
"Kaun hai ye?? Tumhara beta??" Inspector ne pucha.
"Nahi saab.. Ye ladka 7 mahine pehle meri naabalig beti ko lekar ke bhaga hai.. Aaj mujhe pata chala ki Nero Company mai isne kuch khato ki her-fer ki thi jiske liye isko yaha thane laya gaya tha.. Kareeb ek mahina pehle.."
"Achha.. Tum yaha delhi ke to nahi lagte.. Kaha ke ho.. Aur apne local thana mai iske khilaf FIR karayi??"
"Gaya tha saab report karane par unhone ki nahi.. Bole ladki apni marzi se bhagi hai.. Aur bhi bahut kuch bola saab.." Kehte huye Dhiraj ki aankho mai ansoo aa gaye.
"Chalo koi baat nahi hum dekhte hai.."
Nitin ne apne office mai jakar Nero Company ki case-file mangwayi aur us par nazarein ghumate huye bola, "Ha ladka to yahi hai.. Mukul Tyagi ke naam se FIR hai iski.. Yahi naam hai na iska??"
"Nahi saab.. Rahul naam hai iska.. Rahul Tyagi.. Yaha shyad jhuthe naam se kaam kar raha tha.."
"Hmmm.. Mujhe yaad aa raha hai ab.. Isko humne hirasat mai to liya tha par iski to jamanat ho chuki hai.. Usi din.. Koi ladki aayi thi ek vakeel ke sath iski jamanat dene.."
"Saab yahi ladki thi kya??" Apne phone mai Rajni ki photo dikhate huye Deepak ne pucha.
"Ha shayad yahi thi.." Rajni ki photo ko dhyan se dekhte huye Nitin bola. Use thoda antar to laga par itna nahi ki wo pehchan hi na paye.
"Iska pata likha hai kya saab apki report mai??"
"Ha ye paas mai hi ek basti hai.. Shahpur Basti.. Waha makan no. 46 mai kiraye pe reh raha hai.. Shyad tumhari beti bhi wahi ho.. Chalo aa jao.. Abhi tumhari beti tumhe wapas dilwate hai.."
"Shukriya saab.. Aapka bahut bahut dhyanwad.." Deepak uske hath jodte huye bola.
"Wese tumhe pata hai tumhari beti pet se hai??" Chalte hute Inspector Nitin ne pucha.
"Kyaa??" Deepak ko mano kato to khoon nahi ye sunkar.
"Ha jab wo us ladke ki bail karwane aayi thi tab garbhwati thi.. Mujhe yaad hai uska shyad 8va ya 9va mahina chal raha tha.." Ye sunkar Deepak ka dil baith gaya.

Police jeep mai 2 hawaldar ke sath Nitin Shahpur Basti mai Deepak ko lekar pahuch gaya. Waha puchtach karne par unko makan no. 46 mil gaya.
Unhone darwaza khatkhataya to ek adhed umra ki mahila ne darwaza khola.
"Mukul hai??" Nitin ne us mahila se pucha.
"Wo ladka to apni gharwali ko lekar pichhle mahine hi yaha se chala gaya.." Us mahila ne uttar diya.
"Kaha gaya wo pata hai??"
"Mereko kya malum.. Sala mera kiraya bhi nahi dekar gaya.. Ek din uski lugayi ke dard uthe aur wo use lekar hospital chala gaya.. Uske baad dono lautkar hi nahi aaye.."
"Aur unka saman??" Deepak ne pucha.
"Maine 10 din intezar kiya.. Lekin jab dono ki koi khabar nahi aayi to mai unka jo saman bik sakta tha wo bech di.. Or baki ka fenk diya.."
Uska jawab sunkar Deepak ki jaagti huyi ummid phir toot gayi.
"Us ladke ka number hai tumhare paas??"
"Ha hai par wo bhi tabse band hi aa raha hai.. Maine khud darzano baar usko phone kiya par har baar band hi aata hai.."
"Koi baat nahi.. Tum number do.. Hum usko servilance par laga denge.. Jis din bhi wo number active hoga hume uski location mil jaygi.."
Us aurat se mukul urf rahul ka number lekar Nitin Deepak ko santaavna dete hute bola, "Tum chinta mat karo.. Hum us ladke aur tumhari beti ko dhund lenge.."
"Ji saab.." Deepak bas itna hi keh paya.
Inspector Nitin apne hawaldaro ke sath waha se chala gaya lekin Deepak to jaise jadwat ho gaya tha. Usne us aurat ka darwaza phir khatkhataya.
"Are tumko bola na.. Mujhe nahi malum wo ladka kaha hai.." Wo aurat Deepak se khijte huye boli.
"Kya aapke paas unka kuch saman baki hai?? Kuch bhi??" Deepak ne usse pucha.
"Ha kuch kagaz-wagaz hai.. Ruko abhi lakar deti hu.."
Itna kehkar wo aurat ghar mai wapas chali gayi or thodi der baad ek file si lekar aayi.
"Ye kuch kagaz pade hai unke jinko bechke bhi kuch ni milta.. Bas raddi ki tarah pade hai.."
Deepak ne wo file us aurat ke hath se jaise hi chhin li aur un kaagazo ko dhyan se dekhne laga. Kuch naukri ke ad the, kuch khane ke bills the, kuch medical reports thi to kuch dawaiyo ke prescriptions the aur aise hi kuch kaagaz the.
Wo file Deepak ko dekar wo aurat ghar mai wapas chali gayi aur Deepak ko waha ghar ke bahar akela chhod diya. Andar aakar usne raahat ki saans li aur andar mojoud Rahul aur Rajni ki tarf chintit nazron se dekha.

Un dawaiyo ke prescriptions mai adhiktar to bekar aur kachhe hi the lekin ek prescription printed tha jo kisi Dr Surbhi ka tha. Prescriprion ke hisab se Dr Surbhi ek ob-gyn thi jo Ganga Govt Hospital mai appointed thi. Deepak ko laga uski beti ko lekar Rahul ho-na-ho Dr Surbhi ke paas hi gaya hoga. Wo turant Ganga Hospital jane ke liye nikal pada.
"Dr Surbhi hai??" Deepak ne hospital ke counter par pucha.
"Dr Surbhi abhi patients dekh rahi hai.. Tumhara appointment hai??" Counter par mojoud nurse ne jawab diya.
"Nahi par mujhe unse bahut urgent milna hai.." Deepak ne jawab diya.
"Kya kaam hai unse?? Wait karo abhi tum.." Nurse ne jawab diya.
Kareeb ek ghante tak Deepak wahi counter ke paas hi betha raha lekin Dr Surbhi se uski mulaqat nahi huyi.
"Suno..." Nurse ne Deepak ko awaaz lagayi.
"Dr madam free ho gayi??" Deepak ne pucha.
"Ha mam abhi free hai koi appointment nahi bachi hai abhi filhal.. Tum ab unse mil sakte ho.. Unka cabin aage se left ki taraf hai.."
"Shukriya.." Kehte huye Deepak Dr Surbhi ke cabin ki taraf nikal gaya.
"Dr sahiba.." Cabin mai mojoud lady doctor ko dekhkar Deepak andar aaya.
"Ji aaiye.. bataiye kya problem hai.." Surbhi ne pucha.
"Ji madam wo aap is ladki ko janti hai??" Apne phone mai Rajni ki photo dikhate huye Deepak ne pucha.
"Ji.. Par aap kyu puch rahe hai??" Surbhi ne pucha.
"Ji ye meri beti hai.. Pichhle 7 mahino se lapata hai.. Ek ladka ise yaha delhi bhaga laya hai.." Deepak ki ankho mai ansoo aa chuke the ye baat kehte huye.
"Ohhh.. I am so sorry.. Kya janna hai aapko iske bare mai.." Surbhi ne uski halat dekhkar uski madad karna hi uchit samjha.
"Mujhe bas ye janna hai ki meri beti kaha hai.. Kya aap bata sakti hai??"
"Ha ye ladki ne abhi kuch din pehle hi ek ladki ko janam diya hai.. Aap nana ban gaye ho.." Surbhi ne Deepak ko khushkhabri sunayi. Ye sunkar Deepak ko khushi aur udaasi dono hi mehsoos hone lage.
"Kya aapko pata hai meri beti ab kaha hai?? Mai abhi unke purane ghar gaya tha Shahpur Basti mai to waha pata chala ki wo logo ne wo ghar chhod diya hai.."
"Chhod diya hai?? Par mai to abhi 3 din pehle hi Rajni aur uski bachhi se milkar aayi hu usi basti mai.. Uski bachhi ko thoda rash ho gaye the jinhe dekhne ke liye mujhe waha bulaya tha usne.."
Ye sunkar Deepak ko dhakka sa laga. Matlab wo aurat jhuth bol rahi thi ki Rahul aur Rajni ne wo ghar chhod diya hai. Wo hospital se wapas Shahpur Basti ki taraf chal diya. Use us aurat par bahut gussa aa raha tha.
Usne basti pahuchkar wapas us aurat ka darwaza khatkhataya aur is baar badi besabri ke sath.
"Tum phir aa gaye.." Us aurat ne Deepak ko dobara dekha to sakpaka gayi.
"Ha.. Kyuki mujhe pata hai meri beti aur wo ladka yahi hai.." Us aurat ko dhakka dekar Deepak jabran andar ghus gaya. Mahaul bigadta dekh us aurat ne turant 100 number dial kar diya. Us par dhyan diye bagair Deepak badhawas sa ghar mai idhar-udhar dekhne laga.
"Rajni.... Rajni..." Wo awaaz lagata hua ek se dusre kamre mai dekh raha tha.
Rajni kisi kamre mai nahi thi. Use phir hatasha hone lagi. Tabhi usne dekha ghar mai sabse piche ki taraf ek kamra hai jispar bahar se taala laga hua hai.
"Meri beti isi kamre mai hai na.. Kholo is kamre ko.." Deepak ne us aurat se pucha jo ghabrayi-si uske piche hi ghum rahi thi.
"Are isme kuch nahi toota-foota furniture kabaad pada hai.. Koi nahi hai isme.." Us aurat ne jawab diya.
"Maine bola kholo isko..." Itna kehte huye Deepak us darwaze ko jor-jor se dhakelne laga.
"Are tod doge kya.. Bola na koi nahi hai andar.." Us aurat ne Deepak ko rokne ki koshish ki lekin usne use jhatak diya aur jor-jor se darwaza peetne laga. Purane ghar ka purana darwaza tha akhir jawab de hi gaya.
Darwaza khulte hi Deepak andar gaya to waha sach mai hi toota-foota furniture, gadde, kapde ki gathriya aadi pade the. Par iske sath hi waha do log bhi the ek kone mai dare-sehme se. Unki goad mai ek bachha bhi tha jo itna shor-sharaba sunkar rone laga tha.

"Rajniiii.." Rajni ko dekhkar Deepak ki khushi ka thikana nahi tha.
"Papaa.." Rajni ke muh se bas itna hi nikla.
Itne mai police waha pahuch gayi.
"Saab.. Meri beti mil gayi saab.." Inspector Nitin ko dekhkar Deepak bola.
"Is lady ne complaint file ki hai ki tum jabardasti iske ghar mai ghus aaye ho.." Nitin ne Deepak se kaha.
"Mujhe karna pada saab.. Mujhe pata chala ki ye aurat jhuth bol rahi thi ki ye dono yaha se chale gaye hai.."
"Ye sach hai??" Uski baat sunkar Nitin ne us aurat se pucha.
"Saab mujhe is ladki ne hi bola tha aisa kehne ko.. Ye apne baap ke sang nahi jana chahti.."
"Kyu Rajni.. Tum apne papa ke sang nahi jana chahti??" Us lady ki baat sunkar Nitin ne Rajni se pucha.
"Nahi Sir.. Mai Rahul ke sath hi rehna chahti hu.." Rajni ne masumiyat ke sath jawab diya. Uska jawab sunkar Deepak ko bada aghaat sa mehsoos hua.
"Par tum naabalig ho Rajni.. Tumhe apne papa ke sath hi jana hoga.." Nitin ne Rajni se kaha.
"Nahi Sir.. Mai naabalig nahi hu.. 18 ki ho chuki hu.. Abhi 2 mahine baad 19 ki ho jaungi.." Rajni ne kaha.
"Ye sach hai??" Nitin ne Rajni ki baat sunkar Deepak se pucha.
"Ji saab.."
"Tumne jhut bola humse.. Kyu??"
"Kyuki ye aadmi utna bhola aur utna sharif nahi hai jitna dikhta hai.." Itni der se chup khada Rahul bola.
"Sir ye aadmi Rajni ko humesha se hi apni patni ki maut ka jimmedar manta raha hai.. Ye Rajni ko khub marta-peetta hai.. Samaj ko dikhane ke liye pyar ka dhong karta hai par ghar mai use bilkul bhi izzat nahi deta.. Balki.."
"Balki kya.." Nitin ne pucha. Deepak kuch kehna chah raha tha lekin Nitin ne use ishare se chup kara diya.
"Sir ye bachhi jo abhi Rajni ki goad mai hai meri nahi hai.. Balki is haiwan ki hai.. Isne apni hi beti Rajni ke sath.." Kehte huye Rahul fafak-fafak kar ro pada.
Ye sunkar Nitin ke pairo tale jamin khisak gayi. Rajni bhi ab rone lagi thi. Deepak se to kuch bolte hi nahi ban raha tha.
"Ye sach hai Rajni??" Nitin ne Rajni se pucha.
Rajni ne bas ha mai sir hila diya. Ye dekhkar Nitin ko bahut tez gussa aaya aur usne Deepak ke ek jordar tamacha maar diya.
"Tumhe sharam nahi aayi.. Apni hi beti ka rape kiya tumne.. Aur yaha jhuth pe jhuth bole ja rahe the.."
"Meri baat suniye saab.."
"Kuch nahi sunna mujhe.. You are under arrest.." Kehte huye Nitin ne Deepak ko hathkadi pehna di or ghasitte huye ghar ke bahar le aaya.
"Saab.. Saab.." Iske aage Deepak kuch bol hi nahi paya. Nitin ne use police jeep mai dala or waha se lekar chala gaya.
Piche reh gaye bas Rajni or Rahul jinke chehre par aaj ek alag hi santushti thi kyuki wo akhirkar ab azaad the. Rahul ne pyar se apni bachhi ke sir par hath fera aur bola, "Ab tumhe kabhi koi pareshan nahi karega Rajni.. Hum ab azaad hai.."
"Sorry papa.." Rajni bas itna hi bol payi aur Rahul ke sath ghar ke andar chali gayi.
 

Samar_Singh

Keep Moving Forward
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Baat Ek Raat Ki


"Dhyan se sune, pichle kuch dino se richard colony ke aas paas tourist logo ki hatya ki ghatnaye ho rahi hai, ab tak 4 logo ki hatya ho chuki hai, police ko shak hai ki ye kisi sirphire serial killer ka kaam hai, Police ne apni patrolling badha di hai, sath hi logo ko bhi savdhan rehne ko aur kisi anjan par bharosa na karne ki salah di hai."

"Uttrakhand Police sadaiv aap ki raksha mein."



Local radio par news telecast ho rahi thi, jaise hi ye khabar sab dosto ne suni to ek baar ko hairan ho gye, kyoki voh sab richard colony hi jaa rhe the.


"Bhenchod ye kya bol rahe hai radio par." Pritam ne pucha.


"Are kuch nhi Sir, kuch tourist aaye the, aapas me ladai ho gyi, ek dusre ki jaan le li, ye to faltu ki afvahe hai, main khud roz kai tourist yahan lata hu, mujhe to aaj tak kuch aisa nahi laga." Driver ne kaha.


Ubad khabad pahadi rasta tha, uspar musladhar barish se rasta kichad se bhar gaya tha. Driver bahut sambhal kar gadi chala raha tha. Lekin phir bhi gaadi ek gaddhe me gyi aur ek zor ka jhatka sabko laga.


'Dhachhhh....'


"Aahhh....bhaiya thoda aaram se chalao mera sar itna zor se roof me laga hai." Meera ne kaha.


“Isse jyada dheere chalaunga to phir gadi aage hi nhi badegi.”


Gaadi aage badhti hai, aage ek police check post aati hai, yahan se richard colony ka area shuru hota tha.


Driver gaadi rok deta hai aur sheesha niche karta hai, ek police wala uske paas aata hai.


"Kahan jaa rahe ho itni raat me?"Police wala puchta hai.


"Tourist hai Sir, barish ki vajah se late ho gye."


Police wala apne haath me pakdi torch jalata hai aur sabke chehro par marta hai, vo sabko dekh kar samajh jata hai.


Kabeer, Sheetal, Pritam, Nidhi, Vinay aur Meera sab bas aaram se bethe the.


"Hmm! ID aur Licence dikhao."


Driver apna licence use dikhata hai.


"Hmm, thik hai tum log jaa sakte ho."


"Umm.. Sir, hamne news me suna tha ki yahan koi serial killer ghum raha hai, kya ye sach hai'' Vinay ne police wale se pucha.


"Haa, ab tak to yahi lagta hai, waise aap log richard colony mein kahan jaa rahe ho."


"Dalhousie Point" Vinay ne kaha.


"Udhar to ab tak aisa koi mamla nahi hua, sare murder backyard point par hue hai."


"Phir theek hai." Vinay ne kaha.


"Phir bhi savdhan rehna, ye mera number hai, koi problem ho to aap call kar sakte hai."


(Police vala apna no. unhe deta hai)


Barish tez ho rahi thi, barish ki bunde tip tip karke tezi se gir rahi thi, uss police wale ne ek raincoat pehna hua tha, aur andhere ki vajah se uska chehra bhi thik se nahi dikh rha tha.


Tabhi Meera zor se chikhi.

"Aaaahhhhhh..."


Achanak tez gadgadahat ke sath bijli chamki aur uski roshni me ek pal ke liye sabki najar police wale ke chehre par gyi.


Uske chehre par ek bada chot ka nishan tha aur sath me uski hari ankhen uss roshni me aur darawani lag rahi thi....Meera to use dekh kar itna dari ki uski chikh nikal gayi.


Sabka dhyan uss par gya.


"Kya hua madam?"


Apni saanson ko kabu karte hue.


"Kuch nahi, mujhe bas iss bijli se darr lagta hai."


Muskurate hue " haha barish se darti Hain aur yahan ghumne aayi hai."


"Ab hum jaa sakte hai kya sir?"


"Haa haa bilkul"


Police la aage checkpost se barricade hatane ko kehta hai.


Gaadi checkpost se aage badh jaati hai.


"Tumne to kaha tha ki wo log aapsi jhagde me maare gaye the, lekin police to kuch aur hi keh rahi thi."Pritam ne kaha.


"Are Sir ab jaisa humne suna aapko bta diya, waise bhi police ne kaha na ki sare murder backyard point par hue, backyard point aur Dalhousie Point me 5 km ka distance hai." Driver ne kaha.


Richard colony Uttrakhand ke Uttarkashi district me ek chota sa hill station tha jise britishers ne banwaya tha, aur ab ek famous tourist place ban gaya tha. Yahan ki khasiyat thi Victorian style architecture me bane ghar, jahan log pahadon ki khubsurti me kuch din bitane aate the.


Sheetal - vaise aur kitna vakt lagega cottage tak pahuchne me?


Driver - Vaise to 10 minute ka rasta hai lekin barish ki vajah se 30 minute to lagenge.


Vidhi - kya hua kabeer tum kuch nahi bol rahe…


Kabeer - hmm? nahi kuch nahi, bas thodi si bechaini ho rahi thi isliye.


Meera - ohh...shayad motion sickness ki vajah se hogi.


Sheetal - Tum thodi der so sakte ho Kabir, you'll feel better, jab pahuch jayenge to main tumhe utha dungi.


Kabeer - hmm...(nods)


Kabeer abhi sone vala hota hai ki uski nazar car ki window se bahar jati hai.

road ke dono taraf ped the, ghane andhere me unn pedo ki aakriti bhi bhayanak lag rahi thi.


Lekin kabir unhi pedo ki gaadi se chalte hue dekh rha tha ki achanak use unn pedo ke bich koi khada hua dikhai deta hai.


Itni durr se andhere me ye kehna namumkin tha tha ki vo parchai kiski hai, lekin uski aakriti se vo koi ladki lag rahi thi.


Vo parchai kabeer ko hi hath hilakar alvida kar rahi thi.


"Kon thi voh, aur iss sunsan ilake me kya kar rahi thi, kya voh meri hi taraf bye kar rahi thi.


Huhhhh....ek gehri saans lete hue.


"Kya mujhe inn logo ko batana chahiye?"


"Guys maine abhi vahan ek ladki ko dekha."


"Ladki ko kahan par?" Pritam ne pucha


"Vahan udhar pedo ke pass" chalti car se ishara karte hue.


Pritam - Sale tujhe bhi bina piye chad gyi hai.


Kabir - lekin vahan sach me koi tha.


Driver - arey sir aise raat me junglo me alag alag chize najar aa jati hai unpar dhyan mat dijiye. Lijiye hum bhi pahuch gye.


Driver ne gaadi ko ek cottage ke samne jakar roka, ye old Victorian style 2 manzila lakdi se bane ghar the jinhe cottage kehte the.


Barish kuch kam ho gyi thi, sabhi car se utre aur Ghar ke darvaje par jakar khade ho gye. Driver ne gaadi side me lagayi aur aakar gahre ka taala khola. Sab log andar aa gye.


Ghar me pura andhera tha, drive ne gate ke piche se light on ki. Ye light kafi halki jal Rahi thi, roshni sirf itni hi thi ki kisi ko rasta chalne phirne me dikkat na ho. Kafi hadd tak ek haunted house jaisa tha. Khair log isi mahol me rehne ke liye to paise dete the.


Driver - ye lijiye sir, ye hai aapka Ghar ab 2 din Tak jo chahe kijiye koi rokne vala nahi.


Pritam - hmm acha hai, aas paas koi nahi rehta.


Driver - ye tourist place hai sir, to logo ki privacy ka kafi khyal rakha jata hai. Agla cottage kuch aadha km dur hai.


Vinay - hmm acha hai ab koi tension nahi, 2 din bas maje hi maje.


Driver - Okay Sir ab main chalta hu, mujhe kuch aur kaam bhi hai...Mera no. to aapke paas hai, koi jarurat ho to call kijiyega. Main kal aapko Lake ghumane leke chalunga.


Pritam - hmm thik hai, ab jao.


Pritam -(sabse) okay to kafi raat ho gyi hai...around 10:00 PM, Aaj rest karte hai phir kal chalenge lake aur trekking karne.


Nidhi - yes, kal bahut maja ayega.


Meera - vaise bhi main bahut thak gyi hu, mujhe neend aa rahi hai.


Sheetal - okay phir apne apne room choose kar lo.


Sheetal aur Kabir dono akele the to unhone alag alag room liya first floor par, jabki pritam aur vidhi ek room aur vinay aur meera ne ek room liya ground floor par.


Driver ghar ke bahar nikal kar gaadi ke paas gya aur jakr car ki diggi kholi, samne padi cheez ko dekhkar uske chehre par ek katilana muskan aa gyi. Usne vo kulhadi uthai aur aage ki seat par aakar baith gya aur car ghar se durr le gya.


Sabhi dost apne apne room me lete the, lambe safar ki vajah se bahut jaldi vo log so gaye the. Lekin kabir ko aankhon se neend gayab thi abhi bhi uski ankho ke samne se vo manzar nahi ja rha tha jab usne uss parchai ko hath hilate hue dekha tha. Na jane kyu chahakar bhi vo use apne dimag se hata nahi paa raha tha.


Khair usne baith par letne ko koshish ki aur uski ankhe band hone lagi.

Vo abhi 5 minute hi leta tha ki uski aankhe band hone lagi.


“What have I become?

My sweetest friend

Everyone I know

Goes away in the end” (kabir ke phone ki ringtone bajti hai)


Vo apna mobile uthakar dekhta hai to uski girlfriend Priya ki 15 missed call aayi hui thi, vo use call back karne vala hota hai lekin phir kuch sochkar phone bed par fek deta hai.


"Uhmmm, bahut akadti hai naa, ab call hi nahi uthaunga, karti rahe call, jab tak khud se akar sorry nahi bolegi, koi baat nahi karni tumse"(akele khud se bolta hai)

Call phir aata hai, lekin isbar silent hone ke karan ringtone nahi bajti, screen par calling interface aa raha tha"♥️PRIYA♥️".

Kabeer ki aankh khulti hai to woh apna phone check karta hai, vo call history check karta hai Priya ki 16 missed call thi lekin sabhi call 1 mahine pehle ki thi, uss din se Priya ne usse koi baat nahi ki.


Pritam gehri nind me so raha tha jab vidhi ki nind kisi awaz se khulti hai. Vo uthkar beth jati hai.


“Ye awaz kaisi hai?, jaise koi billi doodh pi rahi ho. Lekin yahan?”


“Chalkar dekhti hu.”


Vidhi uthkar bahar aa jati hai. Hall me dekhti hai ki main gate khula hua tha aur awaz bahar se aa rhi thi.


Vo uss taraf badhne lagti hai, billi ke dudh pine ki awaz tez hoti jaa rhi thi. Jab vo gardan me pahuchi to dekha ki ped ke pass koi pada hua tha aur do billi ke bacche uske pass kuch kar rhe the.


Vidhi ko ab darr lagne laga tha, lekin phir bhi vo aage badhi kuch aur kareeb jakar usne dekha ki kisi ladki ki lash vahan padi thi aur ek billi ka bacha uski gardan chat rha tha do dusra uski kamar ko, ladki bilkul bejan padi thi.


Vidhi ne ek baar socha ki yahi se laut jaye aur sabko bulakar laye, lekin usne pehle khud dekhne ka sochkar aage badh gyi, jab vo uss lash ke kareeb pahuchi to uski haddiya tak jamm gyi. Vo awaz dudh pine ki nahi balki khoon chatne ki thi.


Vo dono billi ke bache uss ladki ke shareer ka khoon pi rahe the lekin sabse jyada darr use laga jab usne ladki ka uska chehra dekha.

Vo khud ki lash ko dekh rahi thi,woh billi ke bache uska khoon pi rahe the, vo vahi sann reh gyi.


Vo sadme se ladkhada ke gir padi. Jab usne dubara samne dekha to vahan koi lash nahi thi, sirf dono billi ke bacche apas me khel rahe the. Vo dono use ghur kar dekhne lage, jaise vidhi ka vahan aana unhe pasand nahi aaya ho.


Abhi vo uthati

ki tabhi use apne piche kisi ka ahsas hua, uski gardan ke pass saans lene ki awaz aa rhi thi.


“Haaahufffffff…”


"Kaisi ho Vidhi?"


Ye awaz...iss awaz ko bahut ache se janti thi.


Darr ki vajah se vidhi ki ek bhayanak chikh vatavaran me gunj gyi.


“aaahhhhhh..”


Ki tabhi zor se kulhadi ghumi aur khachak....ek vaar me vidhi ki gardan jameen par padi thi...tab uski nazar samne uss shakhs par gyi.


“sheeee.."


Iss bhayanak chikh se sabki nind khul gyi....sab bhagte hue....gardan me aaye to samne ka manjar dekh kar pagal se ho gye....vidhi ka sar alag aur dhad alag pada tha aur vahi dono billi ke bacche ek sar ko kha rha tha dusra uski dhad ko kha rha tha....


Meera - ahhhhhhhhhh.....vidhhhiiii…


Uski sarkari lash ko dekhkar uske zinda hone ki koi umeed karna pagal pan tha.


"Ye sab kaise hua" Kabir ne pucha.


"Pritam tum the naa vidhi ke sath"Vinay ne kaha.


"Pta nahi main bhi chikh sunakr hi aaya, jab main utha to vidhi vahan nahi thi."


"We have to call the police" Kabir ne kaha.


Kabir police ko bulane ke liye phone nikalta hai lekin uska phone switch off tha, ye badi ajeeb baat thi, kyoki thodi der pehle tak uska phone full charge tha.


Vo sheetal se uska phone mangta hai, sheetal ke chehre par koi expression nahi the. Vo apna phone deti hai to uski bhi battery khatam ho chuki thi.


Vo vinay se uska call mangta hai, same problem usme bhi thi, Pritam bhi apna phone check karta hai aur Meera bhi apna phone check karti hai, sab iss bat se bahut hairan the ki ek sath sabke phone kaise switch off ho sakte hai. Meera ki ro rokar buri halat thi, baki sab dare hue aur pareshan the.


Pehle hame andar chalna chahiye, yahan kuch gadbad hai.


Vidhi ki lash ko bhi andar le chale kya...

Nahi police aayegi to investigate karegi, hum koi chedchad nahi kar sakte...


Sheetal meera ko khichkar andar le aati hai, baki sab bhi andar aate hai.


Sabki ankhi se nind gayab thi, unki ek dost ki sar kati lash bahar padi thi, aise me nind aana sambhav nahi tha.


Meera ro rokar so gayi thi, lekin baki sab jage hue the…


“Kahin ye uss serial killer ka kam to nahi hai..”


“Mujhe bhi aisa lagta hai..”


“Kya kare, kisi se madad mange..”


“Hamare phone switch off hai, car driver leke gaya hai, akele kahi jana khatre se Khali nahi hai”


To phir


“Subah tak intezar karna hi ek rasta hai.”


Aaj ki raat bahut lambi thi…


Sheetal akar Kabir ke pass beth gyi....usne Kabir ka hath apne hatho me liya.


“Mujhe bahut darr lag raha hai, Kabir”


“Kuch nahi hoga.”


“Bas hame subah tak intezar karna hai..”


Isi tarah bethe inhe 2 ghante se jyada hi gye, koi kuch bolne ki halat me nahi tha.


Kabir aur Pritam ko bhi halki halki nind aane lagi thi...vo jagne ki koshish kar rahe lekin shareer ke aage haar gye...vinay ab tak jaga hua tha…


Sheetal uthi aur kamre ki tarah jane lagi..

Kahan jaa rhi ho sheetal…


“Washroom ja rhi hu, tum sona mat..”


“Nahi main jaga hua hu, dhyan rakhna..”


“Hmm..”


Sheetal upar nahi gyi, voh Meera aur vinay vale kamre me gyi.


Vinay betha hi tha kiii....uske kano me gaane ki awaz aayi..


“Gumnaam hai koiii....

Anjan hai koiii....

Kisko khabar kon hai vohhh..

Badnaam hai koiii....”


Usne samne upar ke floor par dekha to ek ladki khadi hui thi...lekin andhere me uska chehra nahi dikhai de rha tha...uski laal ankhe andhere me bhi chamak rhai thi...na jane unn aankho me kaisa sammohan tha ki vinay khud na khud uthkar uski taraf chal pada.


Sidiyo se upar jate hue vo sheetal ke kamre me pahucha, kamre me akar uska sammohan tuta. Vo hairan tha ki abhi to vo niche tha phir achanak yahan kaise pahuch gya.


"Vinayyyyy....come to me...dekho main tumhara wait kar rhi hu....aao naa"


Ye awaz khidki ke pass se aa rhi thi...woh thuk gatakte hue uss taraf badha....khidki khuli hui thi…


Usne apna sar khidki se bahar nikal kar niche dekha to samne jameen par nidhi ki lash abhi bhi vaise hi padi thi.


Use apni dayi taraf kuch mehsus hua usne udhar dekha to vahan kuch nahi tha, phir jab bayi taraf dekha to vahan bhi kuch nahi tha.


Abhi woh wapas jane ki sochta ki use apni gardan aur pith par kuch gilapan mehsus hua...jab usne hath laga kar dekha to wo khoon tha.


Isse pehle ki vo piche mudkar dekhta uski gardan par kisi ke hatho ki pakad kasti chali gayi..uska dum ghutne laga...phir ek tez dard ki lehar uske sharir me daud gyi...use apni gardan me betahasha dard ho raha tha....vo dard se chahtpatane laga...uski tadapti pure ghar me gunj gyi...


Pritam, Kabir aur Meera ki ye awaz sunke nind tuti to dekha ki sheetal aur vinay vahan nahi hai.


Kabir aur Pritam daudti hue upar aaye, sheetal ke room me enter karte hi unhone vinay ko khidki ke bahar aadha latka paya. Unhone use pakadkar andar khicha to use dekhkar unki Jaan sookh gyi...vinay ka pura chehra khrab hua pada tha, use pehchanna mushkil tha. Uski gardan ka adha hissa chira hua tha jaise kisi janwar me kha liya ho.


Meera kamre me dakhil hui aur uske piche sheetal kamre me aayi.


Meera vinay se pyar karti thi uski to ye dekhkar hi halat kharab ho gayi...vo apna aapa kho baithi.


Woh zor zor se chikne chillane lagi rone lagi...usne idhar udhar ka saman uthakar fekna shuru kar diya...vo chikh rahi thi...chilla rahi thi...bed ke pass lage bade se shishe ke paas jakar usne zor zor se use marna shuru kar diya.


Kabir aur Pritam to samjh hi nahi paa rahe the ki ye hi kya raha hai...sheetal vahan chupchap khadi thi.


"Hum Marne wale hai, voh hame bhi maar dega, hum sab marenge...koi nahi bachega'' inhi baaton ko vo baar baar bol rahi thi.


Vo apna aapa kho bethi thi, uska mental breakdown ho gya tha..


“Sheetal tum khade hokar kya kar rhi ho, jakar use sambhalo…”


Sheetal Kabir ki baat sunke Meera ke paas jati hai, aur use kaske pakad leti hai lekin Meera pagal si ho gyi thi...vo zor zor se sheetal ko dhakka dekar usse alag hone ki koshish kar rahi thi.. sheetal ne use ek thappad markar chup karaay aur boli.


"Kuch nahi hoga...hame thik hai...shant ho jao.”


Sheetal ne ghurkar meera ki ankho me dekha...lekin Meera ne sheetal ko zor se dhakka diya aur usse chudakar bhagi...vo bhagakr usi khidki ke paas gayi.


Isse pehle ki vo kuch kar pate meera ne uss khidki se niche chhalang laga di.


Ek zor se dhappp...ki awaz hui aur Meera ki jaan vahi nikal gyi…


Kabir sheetal aur pritam ba ye sirf teen bache the, kuch hi der me unke teen dost berehmi se mare jaa chuke the..ab unhe vishwas tha ki koi unhe bhi maar dega...lekin vo kuch karne yaa sochne samjhne ki halat me nahi the…


"Koi hum sabko marna chahta hai." Main kehta hu yahan se nikalte hai"


“Bahar jayenge to khatra jyada hoga”


“Yahan konsa safe hai hamare teeno dost yahi mare gaye na...chalo bhag chalte hai.”


“Jayenge kaha inn pahado me.”


“Usi ghar me chalte hai ji yahan se sabse paas hai yahan koi na koi to hoga…”


Maine yahan ka map dekha tha aane se pehle... agar hum teeno jungle se shortcut le to 2 km aage jakar hame main road mil jayegi aur wahan se police tak pahuchana asan hoga…


Abhi ye teeno baat hi kar rahe the ki kamre me halchal hui...vinay ki lash hil rahi thi yaa yu kahe ki vo khada hone ki koshish kar rha tha...ye dekhkar teeno bahut dar gye.


Ye teeno kuch karte usse pehle inhone unki najar khidki lar gyi jahan vidhi ki sar kati lash khidki se andar aane ki koshish kar rahi thi.


Ye sab dekhkar Pritam ka peshab pant me hi nikal gya... sheetal sunn ho gyi.


Pritam foran vahan se uthkar sheetal ko apne samne se dhakka dekar bhaga.


Kabir ne bhi sheetal sheetal ka hath pakda aur use pakadkar vahan se bhaga.


Bhagte bhagte voh log uss Ghar ke paas pahuche lekin vahan kuch nahi tha vo band pada tha....teeno ne apne piche vinay aur vidhi ko aate dekha to.


“Jaldi se jungle ki taraf.”


Teeno jungle ki taraf bhage…


“Ye kya hai....vo Zinda kaise ho sakte hai…”



“Woh zinda nahi hai…”


“Kya matlab zinda nahi hai”


“Tumhe dikh nahi rha ki voh uski gardan katne ke baad kaise chal paa rhi hai?”


Teeno andhadhund jangal me bhag rahe the, ab to shayad ye main road ke raste se bhi bhatak chuke the.


Teeno ko bhagte bhagte bahut der ho chuki thi, Kabir ne piche dekha to ab vidhi aur vinay ki zinda lash bhi inka picha nahi kar rahi thi. Kabir ne Pritam aur Sheetal ko rukne ko kaha.


“Kya hua”


“Shayad ab vo picha nahi kar rahe aur hum jungle me bhatak chuke hai, thoda ruk ke sochte hai.”


“Pritam khush ho gya, ab hum bach jayenge.”


“Yaa phir ab maut khud samne aa gyi hai”

Sheetal ki iss baat par Kabir aur Pritam ne use dekha to sheetal ki aankhe laal ho rakhi thi.


Usne apne hath me ek badi si lakdi pakdi hui thi. Pritam uske pass hi khada tha usme voh lakdi puri takat se Pritam ki ankh me maari.


Uski bhayanak chikh jangal me gunj gyi.

Kabir unse thodi durr khada tha usme ye nazar dekha to hakka bakka reh gya.


Pritam niche girkar tadap rha tha. Sheetal ne phir ek baar uss lakdi ka vaar uski gardan par kiya.


Uski gardan se khoon uchhakar sheetal ko bhiga rha tha aur voh bina dekhe lagatar vaar kiye jaa rhi thi.


Voh vaar karti rahi jab tak Pritam ki gardan fatkar uske sharir se alag nahi ho gayi.


Sheetal ne ab Kabir ki taraf dekha.


“Sheetal…sheetal ye sab tumne kiya?” “Sheetal!” “Sheetal”


“Sheetal nahi Priya hu main”


Ye sunkar Kabir kuch soch nahi paa rha tha, usne jab sheetal ki ankho ko dekha to use Priya nazar aayi.


Uske sar me tez dard hone laga, ek ek karke uske samne se uski aur Priya ki jindagi guzarne lagi…



Priya ek chote shahar ki ladki thi, jo kai bade sapne lekar Delhi padhne aayi thi. Delhi ke sabse bade Trinity College me use admission mila tha.


College me akar uski dosti sabse pehle Sheetal se hui. Kuch hi vakt me vo aur sheetal best friend ban gayi. Sheetal ke hi karan uski dosti Kabir, Pritam, Vinay, Vidhi aur Meera se hui.


Jald hi inn sabka apna group ban gaya, college aur college se bahar sab sath me hi rehte, ghumte, party karte the.


Inhi mulaqaton mein Kabir aur Priya ek dusre ke kareeb aa rhe the, Priya ko kabir acha lagne laga tha aur Kabir bhi Priya ki khubsurti aur sadgi par dil de betha tha.


Ab Priya ko itna intezar sheetal ka nahi hota tha jitna Kabirr ka hota tha, college me padhai ho ya kisi party me dono aksar sath hi hote, dono ek dusre ko samjhne aur jan ne ki koshish karte.


Lekin ab tak sab kuch jaan pehchan aur dosti tak hi tha, kuch bhi khulkar jaban par nahi aaya tha.


Ek din priya sab dosto ke sath delhi ghumkar apne hostal vapas aa rhi thi, car kabir chala rha tha, gaadi ko hostal ke gate ki jagah sheetal ne main road par rukava liya, jahan se hostal kuch metre ki duri par tha.


Kabir priya ko hostal gate tak chodne jana chahta tha lekin gaadi vahi drive kar rha tha isliye pritam ne kaha ki vo priya ko chor aayega. Kabir bhi ispar kuch nahi bola aur pritam priya ke sath chal pada, gaadi se kuch dur ye aaye the ki pritam ne priya ka hath pakad liya.


Usme halka drink kar rakha tha, vo ek powerful rich background se aata tha aur dikhne me bhi acha tha, isliye usne college time me kai ladkiyo ke sath relation banaye the.


Usne Priya ka hath pakad liye aur bola.


"Priya main tumse kuch kehna chahta hu, pls mana mat karna."


"Kya kehna hai, pehle mera hath chodo."


"Nahi Priya ab main ye hath jindagi bhar nahi chodna chahta."


"Main tumse bahut pyar karta hu, tumhari khubsurat ne mujhe pagal kar diya hai, pls mere pyar ko apna lo.”


"Pritam dekho main tumhe sirf apna dost manti hu, main tumse koi pyar vyar nahi karti.(ye kehkar vo apna hath jhatak kar chuda leti hai.)”


"Kyu Priya, main tumhe bahut khush rakhunga, ek baar meri ho jao please main tumhare bina jee nahi sakta."


Yeh keh kar usne priya ke chehre ko pakda aur apne hoth priya ke hotho par rakh diye.


Ye sab ekdum se hua ki priya ko kuch samjh nahi aaya, usne pritam ko dhakka dekar khud se alag kiya aur ek jhannatedar thappad uske gaal par mara.


"Tumhari himmat kaise hui mujhe kiss karne ki, Aaj ke baad apni shakal bhi dikhai naa to hath kaatkar gaand me daal dungi samjhe."


Ye kehkar priya apne hostal gate ki taraf badh gyi.


Priya ne itna zor se thappad mara tha ki Pritam ka sara nasha utar gya, vo sadak par dekhne laga ki kahi kisine use thappad khata to nahi dekh liya. Uske chehre par gussa tha.


"Ye thappad yaad rahega Priya"


Iss baat ko kuch din bit gye, Priya ne kuch din ke liye unn sabse duri bana li, Kabir priya se na milne ke karan pareshan tha. Vo Priya ko apne dil ki baat batane ka faisla kar chuka tha.


Kuch din baad sheetal usse milne aayi.


Sheetal - kaha behen, aaj kal milti bhi nahi, itni busy ho gyi kya padhai me.


Priya - nahi yrr bas thodi tabiyat thik nahi thi, aur vaise bhi main padhne hi to aayi hu yahan.


Sheetal - haa vo to thik hai, lekin aaj college to ayegi naa. 2 din se college bhi nahi aayi.


Priya - haa sure, jarur aaungi.


Sheetal ke jane ke baad priya taiyar hokar college ke liye nikal padi.


Priya ko aaya hua dekhkar kabir bahut khush tha, Aaj usne apne dil ki baat kehne ka faisla kar liya tha. Jyadatar samay priya class me aur sabke sath hi busy thi, pritam ko vo puri tarah se ignore kar rahi thi.


Phir Kabir ko mauka mila jab sab logo ne movie dekhne Jane ka plan banaya par Priya ne mana kar diya.


Kabir ne bhi ghar par bahut jaruri kaam hone ka bahana karke mana kar diya. Sab dost movie ke liye chale gye lekin Kabir vapas college aa gya aur Priya ko canteen me paya.


Priya - arey Kabir , tum nahi gye movie ke liye.


Kabir - nahi Mera Mann nahi tha, voh Priya mujhe tumse ek jaruri baat karni thi.


Priya - haa bolo na.


Kabir - yahan nahi hum backyard gardan me chale, vahan koi nahi hoga.


Priya ne ek baar Kabir ko dekha lekin phir kuch sochkar haa kar di.


Dono gardan me pahuche.


Priya - hmm bolo kya baat karni thi.


Kabir Priya ke samne ghutno par beth gya aur apne piche se ek red rose nikal kar priya ke samne kar diya.


Kabir - Priya I love You. Main tumse bahut pyar karta hu. Kya tum mujhe apna boyfriend banaogi.


Priya ke liye ye sabse Khushi ka pal tha, use bhi Kabir bahut pasand tha, upar se Kabir ne bahut romantic aur politely use prapose Kiya tha. Usne bhi turant haa bol diya.


Ab inn dono ki pyar ki gaadi chal padi, ab dono group me kam aur ek dusre ke sath jyada rehte. Akele ghumte, akele padhte jaise inhe kisi aur ki jarurat nahi thi.


Ye sab jab baki dosto ko pta chala unhe bhi bahut khusi hui lekin Pritam ke tab badan me aag lagi hui thi.


Ek to Priya ka thappad upar se uski bajay kabeer se pyar ye sab usse sehen nahi ho rha tha.


Isi tarah college me 2 saal nikal gye, Pritam ne apne kiye ki maafi Priya se maang li aur sheetal ke samjhane par Priya ne bhi use maaf kar diya ye keh kar ki aisi harkat dubara na ho.


Kabir aur Priya harr vakt sath rehte, sath ghumte, party karte.Lekin dono ab tak physical nahi hue the.


Priya kabir ko kabhi kiss se aage badhne nahi deti thi, jabki uss soch ka ladka tha ki agar pyar hai to shadi hone na hone se kya fark padta hai, vo priya se shadi ke liye mana nahi karta tha lekin vo physical relationship banane ke liye ab intezar nahi karna chahta tha.


Isi baat par ek din kabir aur priya me ek din kaha suni ho gyi aur kabir uss se jhagad ke apne ghar chala gaya.


Priya iss baat se udas thi, tab sheetal ne use apne sath party me chalne ko bola. Kabir vahan nahi aaya tha, Priya baar baar kabir ko phone kar rahi thi, lekin Kabir phone kaat raha tha.


Arey tu yahi bethi hai aa dance karte hai

nahi yaar tu kar ek to ye Kabir phone nahi utha raha.


Koi baat nahi utha lega tu bhi to faltu ke nakhre karti hai, use choot de degi to kya ghat jayega.


Yrr tu phir bakwas karne lagi, main nahi kar sakti aise. College khatam hone par karenge na shadi tab jo karna hai kar le but tab tak wait nahi kar sakta.


Teri marzi jo kar, ye le tu juice pi phir dance karenge.


Sheetal priya ko juice pila deti hai, phir dono dance karne lagti hai. Pritam aur Vinay durr se inhe dekh rahe the.


Thodi der baad priya ko chakkar aane lagte hai, sheetal priya ko pakadkar ek room me liya deti hai.


“ Lo tumhara kaam mene kar diya hai”


“ Thanks sheetal, Aaj iska ras pikar main uss thappad ka badla lunga, vaise tumne hamari madad kyo ki”


“ Because of that bitch kabir mujhse durr ho gya, maine use har jagah help ki aur usne mere pyar par kabza kar liya”


“Bas mujhe pictures de dena, tabhi to kabir isse alag hoga phir main use kisi aur ke paas nahi jane dungi”


Subah jab Priya ki ankh khuli to use apne sharir me dard ho raha tha, usne khud ko dekha to use raat ki sab baatein yaad aa gayi. kaise dance karte hue use chakkar aaye aur phir vo iss kamre me pahuchi uske baad ki baat use thik se yaad nahi thi.


Lekin use pta tha ki Pritam hi uske room me aaya tha aur apni halat se use pta tha ki uske sath kya hua hai.


Uski ankho se ansu nikal pade vo bethe bethe roti rahi.Lekin phir uski ankhe gusse me laal ho gyi.


Usne apne kapde pehne aur kamre se bahar nikli. Hall me hi Pritam, Vinay, Sheetal aur Vidhi bethe hue the.


Usne sabse pehle jakar sheetal ko thappad mara.


“Main tumhe apna bestfriend manti thi aur tumne itna ghatiya kaam kiya.


“ Relax priya kya ho gaya hamne just enjoy kiya hai”


Main tum sab ko chhodungi nahi.


“Aisa bhi kya ho gaya, maine to dono ke sath enjoy kiya hai '' vidhi ne kaha.


Sab hans pade “hahahahaha”..


Priya ko unki hasi chubh rahi thi. Usne gusse me paas pada chaku utha liya. Aur pritam par hamla kar diya pritam ne use pakda aur uske hath se chali chhin ne ki koshish ki, isi koshish me chaku priya ke pet me laga. Bahut jyada khoon behne se uski maut ho gyi.

Priya ki lash se apna necklace nikalte huye, “tu iss gift ke layak nahi thi kutiya.”



Pritam ne apne paise aur baap ki power ke dum par police ko priya ko missing report ke upar koi bhi karyavahi karne se rok liya, kuch din me baat aayi gayi ho gayi. Kuch waqt tak kabir ne priya ko dhundhne ki koshish ki phir vo bhi move on kar gaya.


Sab mare jaa chuke the. Ab kabeer ke samne sirf sheetal khadi thi.


Priya jisne sheetal ko apne kabu me kar rakha tha.


"Everything happened because of this bitch, now it's her time to pay back".


Phir sheetal apni ek ungali apni aankh ki taraf le jati hai, aur aankh ke bilkul paas lejakar rok leti hai.


"Kabeer, pls mujhe bacha lo, help me kabeer, plssssss..... Aaaahhhhhhhhh.”


Ye kehkar vo khud se apni ek ankh phod deti hai.


Kabeer ki to ye dekhke hi phat gyi thi, use samajh nahi aa rha tha ki vo kya kare...sheetal ko marne de yaa use bachaye...lekin uski khud ki jaan bhi khatre me thi. Vo kuch sochkar sheetal ke pass jata hai.


Sheetal jameen par beth kar zor zor se chikh rahi thi, uski cheekh pure jangal me dehshat paida kar rhi thi.


Jaise hi kabeer uske paas pahucha sheetal yani Priya ne apne paas padi lakdi uthai aur ghumakar use kabir ke pair me vaar kiya.


Aadhi lakdii kabeer ki jangh me ghus gyi, uski ek bhayanak cheekh ne jangal ki Shanti ko cheerkar rakh diya.


“Haaa....Aaahhhh.....Aaahhhh....Aaaahhh.”


Kabeer chikhte hue piche jakar gira....


"Tu bachayega ise....iss kutiya ko bachana hai naa tujhe le bacha."


"Kabeer pls help me kabeer, mujhe bacha lo, ye mujhe maar degi."


Sheetal rote hue kabeer se use bachane ki bhikh maang rahi thi, lekin kabeer khud apne aapko sambhalne ki halat me nahi tha, uski jangh se khun pani ki tarah beh rha tha.


Dard se uski jaan nikal rahi thi, jameen par pade pade vo sivay sheetal ko dekhne ke kuch nahi kar sakta tha.


Sheetal abhi ek baar aur use help ke liye bolti hai, ki tabhi.


"Kabeer bachao mujhe..."


Abhi yahi shabd sheetal ne kahe the ki vo ek baar phir se ek angutha apni dusri ankh me zor se mar leti hai, uski aankh se khoon favvare ki tarah nikalta hai.


Haaaaaaaaaaaaa…


Aaaahhhhhhhhh....


Sheetal ka gala chikh chikh kar phat gya tha, use sab dikhna band ho gya tha, iss pal vo sirf apni maut chahti thi.


Vo tadap tadap kar dheere dheere mar rahi thi…


Kabeer ki aankhein band hone lagi, vo ab himmat haar chuka tha, Priya ka dard jiska kuch hadd tak vo bhi jimmedar tha, uske dosto ka dhokha, iss bhayanak raat ki yadein, uske dosto ki dardnak maut sab kuch uski aankho ke samne se gujar rha tha aur ab dheere uski aankhe band ho gyi. Vo hamesha ke liye so chuka tha.


Tabhi kabir ki aankhen khul jati hai.


“Huhhhhh....huhhhh.....huhhhhh....”


Uski saansein bahut tez chal rahi thi, Dil ki dhadkan hadd se jyada badi hui thi...woh apne aas paas dekhta hai to vo abhi bhi car me tha. Aur Richard colony ki tarah jaa rha tha.


Use yaad aata hai ki uski tabiyat khrab thi isliye sheetal ne use nind lene ki salah di thi...


"Tum thik to ho na Kabir, kya hua tum itni zor se sanse le rahe ho.”Sheetal ne pucha.


"Huhh? Nahi kuch nahi...mai...main..thik hu..ha..main thik hu. Bas ek bahut bura sapna dekha tha, isliye."


"Ohhh..koi baat nahi, hum abhi 5 minute me pahuch jayenge."


"Kya ye sab ek sapna? Haa, aisa sapna, aisa laga jaise sab sach me hua ho, pehle kabhi koi sapna itna real nahi laga.”


Barish ab kam ho gyi thi, kabeer ka shreer pasine se bhiga hua tha, usne ek najar driver ko dekha jiska pura dhyan car chalane par tha.


Phir uski najar dusri taraf car ke bahar gyi, to uski jaan uske halak me aa gyi, vahi parchai jise usne sapne me dekha tha, usi tarah uski taraf hath hilakar bye kar rhi thi. Uske hath pair vahi jam gye, ye sab kuch vaisa hi tha jaisa sapne me dekha tha.


Usne himmat karke piche dekha to sheetal use muskura ke dekh rahi thi, lekin jis chiz ne uski jaan nikali vo thi, sheetal ke gale me pehna vahi necklace jispar sapne me priya ka khoon laga tha.


Vo zor se chikh na chahta tha, lekin uski zuban ko jaise lakwa maar gaya tha vo kuch bol nahi paa raha tha, voh uss car se kudkar bhag Jana chahta tha, lekin uske hath pair jaise jam gye the. Vo unhe hila tak nahi paa rha tha.


Sheetal ke chehre par muskurahat, uske gale me voh necklace tha par voh ankhein vo ankhein Priya ki thi, jisme sirf use maut ki dehshat najar aa rhi thi. Car aage badh rahi thi, apne akhiri safar ke anjam ki taraf....




2 din baad

Sirf uttrakhand me hi nahi balki pure desh me sabhi news channel aur akhbaro me ek hi khabar thi, ki uttrakhand ki Richard colony me ghumne gye 6 dosto ki berahmi se hatya kar di gyi.


Police ne serial killer ko pakad liya hai, jo vahi driver tha jo.unn sab ko richard colony lekar aaya tha. Dalhousie Point me 6 logo ki jaan li aur ek ladki ki hatya backyard point par ki. Halaki ek hi raat me kis tarah usne do alag alag jagah par katle aam kiya ye police ke liye rahasya bana hua hai....
 

Black

Some people's misery is some people's dream
Prime
10,659
32,203
259
BATTLE FOR THE EARTH


PART 1

ADIRSHI
jab adirshi ki aankh khuli
toh chaaro taraf laashein padi hui thi
woh chaaro taraf dekhne laga
bachche budhe jawan sab buri tarah se zakhmi the
kayi toh mar bhi chuke the
use cheekhein bhi sunayi nahi de Rahi thi
dimaag ne kaam karna band kar diya tha
kaafi jyada zakhmi ho chuka tha woh

woh apni jagah se utha
aur phir malbe ko uthane ki koshish karne laga
malbe ke neeche bahut aadmi dabe pade the
ro rahe the dard se tadap rahe the

lekin adirshi kuchh bhi nahi kar sakta tha
ek maamuli insaan kar bhi kya sakta tha
badi badi buildings ke neeche dabe log
jo bach gaye the
woh sab cheekh rahe the
apno ko yaad kar rahe the
adirshi ki aankhon mein aansu aagaye
woh jinhein bacha sakta tha
unhein bacha Raha tha
tabhi ek aur building gidne lagi
adirshi ne dekha
ki kuchh bachcho us building ke
neeche khade hain
jo building gidne waali thi
adirshi cheekhte hue bhaaga

ek mahina pehle


aur tabhi uski najar ek budhe aadmi pe padi
woh chaunk gaye


adirshi ek multi national company ke maalik
billionaire the lekin play boy nahi
lekin kisi cheez se lagaw bhi nahi tha


ab adirshi ke bunglow ke chaaro taraf tight security thi
agar koi chhipke bhi ghusne ki koshish karta
toh maara jaata

adirshi
kaun ho tum

mere naam toh kayi hain
lekin tum mujhe elder bula sakte ho

adirshi
andar kaise aaye

elder
bas yahi batane aaya hoon
ki bahut jald earth ko koi apna Ghulam bana lega
woh yahan apne logo ko basayega
insaano ko apna Ghulam banayega
Aur insaano ki yeh earth uski ho jaayegi
uska yahi kaam hai
woh bas poori galaxy ko apna Ghulam banana chahta tha

adirshi
dafa ho jaao

elder
jaisi tumhari marzi

aur elder apni jagah se gayab ho gaya
jaise woh gayab hua
adirshi chaunk gaya

use kuchh bhi samajh nahi aaya

tabhi sensor Baja

adirshi ne apna vigilante suit pehna
aur nikal gaya
apne city mein hote hue
crimes ko rokne
dark knight the na


Himalaya parvat

AAGASTHYA
yeh dusre planet ke hain
alien hain
aur apni prajati ke akayle praani hain

power's
Superhuman strength
Tactile Telekinesis
Heat Vision
X-ray vision
Kryptonite
Telepathy
Time travel
Invulnerability
Super smell
Telekinesis
Superhuman speed
Flight
Healing factor
Shapeshifting
Longevity
Superhuman Breath
Superhuman Stamina
Superhuman vision
Eidetic memory
Intellect
Nigh-invulnerability
Superhuman intelligence

Aagasthya barfeele pahado ke beech
barf pe leta hua dum maar raha tha
tabhi uski najar ek aadmi pe padi

woh chaunk gaya
kyunki itne saalo mein aaj tak kabhi usse koi Milne nahi aaya tha
aur Naa woh kisi se milna chahta tha
woh toh bas akayla rehna chahta tha

aagasthya angdai lete hue utha
aur saamne khade budhe ko dekhne laga

aagasthya
kuchh khaayega buddhe

elder muskura diya

elder ne aagasthya se bhi wohi kaha
jo usne adirshi se kaha tha

aagasthya
duniya Marti hai toh marne do
mujhe usse kya
hazaaro saalo se apni maut ke intezar mein hoon
achcha hai sab mar jaayenge
main bhi mar jaaunga
kam se kam koi toh hoga
jo mujhe maar dega

elder
toh tum yeh chahte ho
ki sab mar jaayein
tum bhi mar jaao

aagasthya
haan

elder
aur agar main tumse kahu
ki woh bhi mar jaayegi

aagasthya
kaun

elder
wohi jiske punarjanam ka intezar tum pichhle ek hazaar saal se kar rahe ho

aagasthya apni yaado mein khota chala gaya
ek hazar saal ka intezar khatam hone waala tha
uske chehre pe halki si muskurahat aagayi

elder
toh Kya tum use nahi bachaoge

elder
use toh main bacha hi lunga
lekin baakiyon ko nahi bachaunga

elder
uski maut tay hai

yeh sunte hi palak jhapakte hi
aagasthya elder ke saamne pahunch gaya
aur usne elder ke gale ko pakadne ki koshish ki
lekin pakad nahi paaya
kyunki uska hath elder ki gardan ke paar ho gaya

tabhi aagasthya ki najar kisi pe padi

aagasthya
ab yeh kaun hai


kuchh der baad elder aagasthya aur adirshi ek sath baithe the

aagasthya
naam kya bataya us saale madarchod paagal ka

elder
darkseid

aagasthya
kab attack hoga earth pe

elder
aaj se theek ek mahine baad
tumhein inhein tayyar karna hoga


elder ne chutki bajayi
aur table pe kayi photo's aagayi

aagasthya
jab itni power's hain
toh screen hi chala dete na

elder
humare jamane mein photo's hi chalte the

Aagasthya un photos ko dekhne laga

siraj Patel
werewolf
damha
Rocky
aashna
riky
cheekku
Samar Singh
jasien

aagasthya ki najar ek photo pe padi
jasien yeh kya lund jaisi shakal hai saale ki
aur naam lund ke tope jaisa hai

elder
control
yeh bahut hi jyada serious matter hai

aagasthya
damha
yeh insaan hai ya panda

elder
insaan hi hai
lekin ladte samay panda ban jaata hai

aagasthya
khadani dukaan chalate hain
bade Shareef aur izzatdaar aadmi hain

yeh kya likha hai

aagasthya ne woh phirse padha
aur apni aankhein band karke
zor se apni gardan hilayi
aur phir kholke dekha


petticoat mein ghusne ki aadat hai
kya matlab hai is baat ka

elder
wohi Jo tum samajh rahe ho

aagasthya
wtf

phir aagasthya ki najar
siraj Patel ki photo pe padi
billionaire play boy philanthropist
inhone apne liye ek suit banaya hai
ek armour suit
suit power's
superhuman strength and durability, flight, and an array of weapons.

samaj mein bahut rutba hai
lekin
aur aagasthya ki aankhein badi ho gayi

aagasthya
yeh kya bakchodi hai
yeh lactating women's ka doodh Peete hain

adirshi
kaise kaise log rehte Hain yahan par

Werewolf
janab ki age 40 saal hai
lekin abhi bhi 20 saal ke dikhte hain
ek baar koi ladki dekhe
toh bhool nahi paaye
ladkiya iski deewaani hain
jahan se guzarte hai
ladkiya iske pyar mein gid jaati hain
kayi girlfriend's hain
kisi ladki ko koi problem bhi nahi hai
sab milke baantke khaati hain inhein
woh bas inhein chahti hain
iske liye kuchh bhi kar sakti hain
inke liye
power's
Superhuman Stamina
Superhuman Durability
Night vision
Hand-to-hand combat
Healing factor
Immortality

aagasthya
immortality

adirshi
pehle nahi thi
lekin jabse experiment hua hai
tabse ho gaya hai

elder
humare jamane mein ladkiya kitni achchi
suljhi aur Shareef thi
aaj dekh lo sab mil baantke khaati hain

aagasthya
control

elder
control


Rocky
pehle yeh bahut kamzor hua karte the
lekin hausla kisi chattan jaisa tha
army mein bharti hue
aur phir inpe experiment Kiya gaya
tabse yeh super soldier ban gaye
lekin phir kuchh Aisa hua
jisse yeh desh ke sabse bade Don ban gaye
lekin Inka man Don banne se bhi bhar gaya
ab sab kuchh chhodke job karte hain
power's
body's strength, speed, agility, endurance, reflexes, reaction time, and natural self-healing ability to the peak of human physical perfection
Rocky ko sex karne ka bahut shauk hai
bas sex milna chahiye
phir kunwari ho shaadi shuda ho
mahila ho ya phir budhi

aagasthya
budhi

aagasthya ne elder ki taraf dekha
yeh kaisi team banayi hai be
sab ke sab tharki hi hain
mujhe nahi banani team
main akayle nipat lunga darkseid se


elder
control

aagasthya
control

aashna
Amazon princess
bahut saalo pehle ek insaan se pyar ho gaya tha
aur yeh us insaan ke sath aagayi
lekin phir us insaan ki age hui
woh budha hua
aur mar gaya
tabse aashna earth pe hi hain
power's
Superhuman strength, speed, stamina, durability, senses, agility, and reflexes
Flight
Divine lightning manipulation
Energy Absorption and projection (via channeling through her bracelets)
Magic
Astral Projection
Animal Empathy
Regenerative healing factor
Immortality
Master martial artist and hand-to-hand combatant
Weapon proficiency
wonder woman


riky
ek normal insaan
jise apni jindagi mein khushiya chahiye
lekin Khushiya Kahan kisi ki sagi hui hain
hansi majak karne waale insaan
power's
Superhuman speed
Flight
Teleportation
Electromagnetism Manipulation
Energy absorption and redirection
God blast
Intelligence
Superhuman Stamina
Superhuman strength
Weather control
Durability
Electricity
Electrokinesis
Energy sensing
Healing
His warrior madness increases his power
Mjolnir control
Speed
Strength
Diseases
Force field
Godlike strength
Invulnerability
Longevity

kayi sau saal pehle ek hammer aasmaan se inke gaon mein gida tha
pata nahi kitne logo ne use uthane ki koshish

ek din kuchh log ek ladki ki izzat lootne ki koshish kar rahe the
woh cheekhti rahi chillati rahi
lekin uski awaj kisi tak nahi pahunchi
subah uski ped se latki laash mili

riky ki aankhon mein aansu aagaye
woh buri tarah se bechain ho utha tha
aur phir hammer ne use chuna
hammer uske hath mein aate hi uske andar Thor ki power's aagayi
aur phir riky ne un ladko ko jaan se maar diya
Thor

cheekku
ek number ka simp
jahan ladki dekhi nahi
bas usse pyar ho gaya
phir usse pyar bhari baatein
aur phir chutiya katwana hi inka kaam hai
ek din yeh apne father ki lab mein
the
tabhi lightning inpe gidi
aur yeh flash ban gaye
power's
super speed, intangibility, superhuman agility, time travel, creates and controls lightning
the flash

Samar Singh
cheekku ke bachpan ke dost
har samay cheekku ko latadna fatkarna
hi inka kaam tha
power's
Superhuman strength, intelligence, durability, endurance, speed, agility, and senses.
Telepathic control of all aquatic life.
Divine empowerment.
Weather manipulation and electricity manipulation via trident.
the Aqua man

aur aakhir mein jasien
kisi ko bhi inka parichay Dene ki jarurat nahi hai
sab jaante hain inhein
power's
bas ek hi hai
healing power's
aur inki body immortal hai
matlab inki gaand mein danda daalenge
dard hoga
lekin kuchh der baad dard khatam ho jaayega
koi bhi kisi bhi stage mein ho
use heal kar sakte hain
lekin hain ek number ke harrafa
maar khaana gaali sunna
inka roz ka kaam hai
ek baar yeh joker ke hatte chadh Gaye the
pata nahi joker ne inke sath kya kya kiya.tabse koi bhi baat poori nahi bolte
one liner hain

sirf werewolf ke paas hi healing factor hai


aagasthya
ise main team mein nahi rakhunga
sabke paas power's toh hain

elder
darkseid maar maar ke adhmara kar dega
woh itna powerfull hai
ki kisi bhi planet ko destroy kar sakta hai

aagasthya
yeh sab pehle bhi ho chuka hai kya
jo tum itne sure ho

elder ki aankhon mein aansu aagaye
woh apni yaado mein khota chala gaya

adirshi
haan ho chuka hai


elder adirshi aur aagasthya
teeno damha ke address pe pahunch chuke the

adirshi aur aagasthya dono ke hosh udd gaye

dukaan ke andar kone mein
damha pata nahi kiske petticot mein ghuse hue the

woh mahila uttejna mein bhar rahi thi

elder
sima jee parnaam

sima jee ke hosh udd gaye
aur woh apni saari uthayi
aur peechhe ke gate se bhaag gayi

damha ne jaise hi
teen anjaan logo ko dekha
woh nervous ho gaye
Shareef aadmi the na

adirshi ne damha ko bata diya
jo hone waala tha

damha
theses petticoatiz villains

damha tayyar ho gaye


phir woh chaaro pahunche
werewolf ke paas

jasien takatki lagake werewolf ko dekhne laga

werewolf ne use apne claws dikhaye

werewolf
door rahiyo


aagasthya
control

werewolf
control

adirshi
toh kya socha tumne

werewolf
sochna kya hai
jab duniya hi nahi bachegi toh main bachke kya karunga

phir woh sab pahunche
aashna ke paas
aashna ko pehle se pata tha
ki kya hone waala hai
IQ level jyada tha na unke andar

jasien bina palke jhapkaye aashna ko dekh raha tha

elder
biwi ke lund
aashna jee ko nahi dekhega tu

jasien ghabra gaya
sorry

aagasthya
control

elder
control

phir riky Samar aur cheekku bhi aagaye

cheekku toh aashna pe lattu ho gaya
woh unke aage peechhe karta rehta tha

tabhi damha aur Samar ek sath bol pade
these petticotiz logiz

ab bas bache the siraj Patel

yeh sab pahunche
siraj Patel ke paas

siraj Patel jab room se bahar nikle
toh unke munh pe doodh laga hua tha

elder ne aagasthya ki taraf dekha
control

aagasthya
control

siraj
kya chahiye tum sabko

elder ne sab kuchh bata diya

siraj Patel
theek hai
tum sabpe main itna ehsaan toh kar hi sakta hoon main

jasien
namaste sir

siraj
namaste namaste
doodh peeyoge

jasien
kiska

siraj
ek 70 saal ki budhiya ka

elder
control

siraj
control

ek hafte baad
sab ek jagah ikattha ho chuke the

cheekku baar baar aashna ki taraf hi dekh raha tha
aashna bhi samajh Rahi thi
lekin cheekku uske saamne abhi bachcha tha

tabhi jasien Samar ka trident uthake usse khelne laga

Samar
yeh kya kar raha hai
yeh khelne ki cheez hai

jasien
chup

Samar gusse mein jasien ki taraf badha

tabhi damha bol pade
bachcha hai ignore Karo

Samar ne apna trident wapas liya
aur jasien ko ghurne laga

jasien
namaste sir

adirshi ne jasien ko ignore Kiya

jasein aagasthya se
namaste sir

aagasthya
yeh hath dekh raha hai
gaand mein daalke munh se nikaal dunga
happ

jasien apne munh pe ungli rakhke khada ho gaya


elder
darkseid ke paas teen sena hai
ek jo aasmaan se humla karegi
ek jo zameen se humla karegi
aur ek woh khud

adirshi
main werewolf Rocky aashna
damha cheekku zameen pe hi rahenge
aagasthya riky Samar Siraj
chaaro aasmaan mein rahenge

jasien
aur main

adirshi
cheekku ghayalo ko safe jagah pahunchayega
aur tum unhein heal karoge

jasien
aapke paas no power's

adirshi jasien ko ghurne laga
dus kaale negro ko bulwake
tumhari tashreef ki kutayi karwa doon

jasien
sorry

cheekku
ek baat batao kaaliye buddhe
tumhare paas kaunsi shaktiya hain

elder
story likhne ki

cheekku
kya matlab

elder
jyada dimaag mat chalao
aur ab lag jaao kaam pe

adirshi
pehle humein yeh pata karna hoga
ki pehla attack kahan hoga
humein woh jagah khaali karwani hogi

woh sab elder's ki taraf dekhne lage

elder
meri taraf mat dekho
mera kaam tha
tum sabko ek sath laana
ab mere jaane ka time ho gaya

damha ne apni gardan hilayi
aur bola
these petticotiz logiz

elder gayab ho chuka tha

jasien aashna ki sword se khelne laga

aashna
khelne ki cheez nahi hai
jo tum khel rahe ho

jasien
gm

aashna bade hi gusse mein jasien ko dekhne lagi

Rocky
gaand mein jo daal le

jasien
galat


PART 2

darkseid god of evil
uski sena ke do senapati the
aur ek salahkaar
lord of black magic
dark witch
pehli general power girl
dusra general Steppenwolf
galaxy ki koi bhi shakti use nahi Hara sakti thi
woh itna powerfull tha ki akayle kisi bhi planet ki poori population ko apne hatho se maar sakta tha

Steppenwolf
my lord hum tayyar hain
bas aapke hukm ka intezar hai

darkseid
Steppenwolf tumne humein kayi baar niraash kiya hai
agar tum is baar agar nakam hue
toh hum khud tumhein apne hatho se maarenge

Steppenwolf
jee my lord

darkseid
jaao aur jeetke aana

Steppenwolf nikal gaya
apni sena ke sath
planet saakkar pe

chaaro taraf se cheekhne ki awajein aarahi thi
sab bhagwan ko yaad kar rahe the
lekin unhein bachane koi bhagwan nahi aaya
aur poori population ko maar diya gaya
kisi ko bhi nahi chhoda gaya
ek aurat apne bachche ko apne seene se lagake bhaag rahi thi
tabhi Steppenwolf ne apne weapon se us aurat ke kandhe pe vaar kiya
us aurat ke sharir ke do tukde ho gaye

aur phir Jo log maare gaye the
woh parademons mein badal gaye

jab woh wapas aaya
darkseid ne use shabashi bhi nahi di
jis wajah se Steppenwolf buri tarah se bechain ho gaya
use apne maalik ko khush karna tha
woh planets ke baare mein pata karne laga
ki aur Kaun kaun se planet's hain
jinhein woh khatam kar sakte hain
tabhi use earth ke baare mein pata chala
earth ek aisi jagah Jahan insaan rehte the
jinki aukaat Steppenwolf ke saamne keede makode jaisi thi
Steppenwolf muskura diya
kyunki uska dhyan sabse jyada insaano ne is liye kheencha tha
kyunki woh insaan kabhi bhi ummid karna nahi chhodte the

Steppenwolf
hum insaano ki ummid ko kuchlenge

Steppenwolf ne darkseid ko apna plan bataya

Steppenwolf
anti life equation mil chuki hai
my lord ab poori galaxy aapki mutthi mein hogi

darkseid
ab Is poore universe ka bhagwan banne se mujhe koi nahi rok paayega
Jeet ke aana
kyunki agar tum jeetke nahi aaye


Steppenwolf
mera sar aapke pairo mein hoga maalik

aur phir Steppenwolf nikal pada
apni sena ke sath

Earth
attack day

Steppenwolf ki Sena earth pe aachuki thi
aasmaan mein bhi thi
log chaaro taraf cheekhte hue bhaag rahe the
para demons unhein aise maar rahe the
jaise woh sab cheenti ke saman ho


tabhi aasmaan mein ek plane dikha
plane ke neeche ka hissa khula

aagasthya ne Steppenwolf ko dekha
aur udte hue uske paas pahuncha
usne Steppenwolf ko punch maarne ki koshish ki
Steppenwolf ne douch kiya
aur ek punch aagasthya ko maara
aagasthya ne douch kiya
aur apna sar Steppenwolf ke sar pe maara
Steppenwolf kisi building se ja takraya
woh building neeche gidne lagi
pata nahi kitne log mar rahe the
kitne log ghayal ho rahe the

aaj tak kabhi cheekku ne kisi ko marte nahi dekha tha
woh buri tarah se ghabra gaya tha
itni saari laashein dekhke uski aankhein nam ho gayi thi

Samar ne cheekku ke kandhe pe hath rakhkha

tabhi kuchh parademons ne cheekku pe humla karne ki koshish ki
Samar cheekku ke saamne aagaya
aur usne apna trident un parademons ke seene mein ghusa diya

Samar
logo ko bacha cheekku
tu jitni der karega
utne log marenge

cheekku ne daudna shuru kiya
aur bina ruke daudta raha
woh jinhein bacha sakta tha
unhein bacha Raha tha

Steppenwolf aur aagasthya ek dusre ko maarne mein Lage hue the

Steppenwolf
Kryptonian aaj tumhein bhi tumhare logo ke paas pahuncha denge

iske aage Steppenwolf kuchh bol nahi paaya
aagasthya ne use punch maarna shuru kar diya
Steppenwolf buri tarah se bhanna gaya
aur aagasthya ko zameen pe patak
aur uske chehre pe punch maarne laga

aur tabhi Aagasthya ki aankhon se red laser nikli aur Steppenwolf peechhe hat gaya

parademons laakho mein the

aashna apni sword se parademons ko kaate Jaa Rahi thi
lekin woh itne the ki rukne ka naam nahi le rahe the

tabhi ek parademon adirshi ke paas pahuncha
adirshi ne apni gun chalayi
gun se wire nikalke ek building ki deewar mein ghus gaya

parademon ne apne gun se uspe vaar kiya
tabhi aashna ne adirshi ke saamne aagayi
aashna ne apne bangles bajaye
aur parademons door Jaa gida

werewolf jitno ko maar sakta tha maar raha tha

damha
these parademons doggiz

aur damha apne panda avatar mein aagaya
aur parademons ko utha utha ke patakne laga

adirshi
riky kya kar rahe ho
bijliya gidao in sabpe

riky
ok chief

siraj
tayyar rehna dosto
party leke aaraha hoon

ek dragon jitna bada parademon siraj ke peechhe udte hue aaraha tha

jasien ka moot nikal gaya

jasien
mujhe Ghar jaana hai

Samar
yahan gand marwane aaya tha phir
chup reh warna trident Teri gaand mein daal dunga

jasien
chup

adirshi
cheekku jasien ko yahan se leke jaao
ghayalo ke paas
unhein yeh heal karega

Rocky
abe yeh saala doodh peeke paagal ho gaya hai
abe saale ise yahan kyun leke aara hai


aur tabhi woh giant parademon in sabke kareeb aane laga

adirshi
aagasthya help karoge

aagasthya Steppenwolf se lad raha tha
yahan meri gand fati hai
Tumhari madad kahan se karu

adirshi.. aashna

aashna
main nahi AA sakti


Rocky
yeh blackwa ko main chhodunga nahi

adirshi
yeh tum kisse baatein kar rahe ho

Rocky
kisi se nahi

tabhi damha saamne aagaya

damha
aao beta aao
tumhein tumhari Amma ke bhosde mein aaj ghusata hoon

adirshi..damha

damha ke paas jaise hi giant parademons aaya
usne ek punch maara uske munh pe

parademons ki cheekh nikal gayi
aur woh dard se tadap utha
damha uske upar kood gaya
aur uske patak patak maarne laga

yeh dekhke sab chaunk Gaye

jaise damha ne giant parademon ko maara
baaki parademons ne damha ki taraf daud laga di

damha
the parademons logiz

aur phir damha unhein maarne laga
jo aata damha use ek hi punch mein khatam kar deta

aagasthya Steppenwolf ek dusre ko maar rahe the
unke raaste mein jo bhi cheez aarahi thi
woh tabah ho rahi thi
tabhi Steppenwolf ne aagasthya ka pair pakadke use ek building ki taraf fenka
aagasthya apne aapko control nahi kar paaya
aur kayi logo se takrane laga
unke chithde udd gaye
aagasthya ne jab yeh sab dekha
toh woh gusse se paagal ho gaya
use ladayi hinsa khoon in sabse nafrat thi

woh pagalo ki tarah Steppenwolf ki taraf uda
aur phir Jo usne Steppenwolf ko maarna shuru kiya
Steppenwolf ki hawa nikal gayi
aaj usne pehli baar apne maalik ki jagah kisi ko aise ladte dekha tha
usne aagasthya ke humlo se bachne ki koshish ki
lekin Bach nahi paaya


wohin dusri taraf kuchh logo ko parademons maarne ki koshish kar rahe the
woh log apni jaan bachane ke liye
idhar udhar bhaag rahe the

tabhi wahan werewolf pahunch gaya

parademons werewolf ki taraf badhe
jaise hi pehla parademon werewolf ke paas pahuncha
werewolf ne apne claws uski gardan mein ghusa diya
aur phir werewolf ne parademons ko maarna shuru kiya

wohin riky Steppenwolf ki Sena pe hawa mein hi bijli gida raha tha
jo parademons udd sakte the
unhein woh aasmaan mein hi maar raha tha
chaaro taraf tabahi machi hui thi

cheekkku bhaagte bhaagte thak gaya tha

siraj bhi jitno ko maar sakta tha
maar raha tha

Steppenwolf haar chuka tha
uski aadhi se jyada sena mar chuki thi
aur tabhi woh ladte hue gayab ho gaya
baaki bache parademons bhi uske sath hi bhaag Gaye


kayi ghanto tak malbo ko hatate rahe aagasthya aashna damha aur riky

pata nahi kitni laashein aaj dekhi thi
un sabne

dekhte hi dekhte raat ho chuki thi
government ke.log baaki heroes sab lage hue the
sabse jyada dukh aagasthya ko tha
Steppenwolf se ladte hue
uski wajah se pata nahi kitne log mare the

Rocky ek jagah baitha hua kuchh soch Raha tha
tabhi aashna uske paas baith gayi

aashna
kya hua aise chup kyun baithe ho

Rocky
bas yeh soch Raha hoon
ki jab darkseid ko maarunga
toh uska chehra kaisa hoga

aashna
darkseid ko tum kya
hum mein se koi nahi maar sakta
pata hai kyun
kyunki woh is duniya mein sabse jyada shaktishali hai
maa mujhe humesha ek kahani sunati thi
ek baar darkseid ne earth pe humla Kiya tha
tab har planet ke protestors ne uska saamna karke use haraya tha
aur phir woh kabhi wapas nahi aaya
old god's khud usse darte hain



PART 3

sab base pe pahunch chuke the
tabhi elder unke saamne aagaya

adirshi elder ko ghurne laga

adirshi
pichhli baar kya hua tha
tum toh future se aaye ho
future mein kya hua

elder
wohi Jo tum sapno mein dekhte ho
koi bhi earth ko bachane ke liye aage nahi aaya
aur aaj dekho
aaj Steppenwolf ko jeetna nahi tha
lekin woh bhaag Gaya
tum sabne use bhaga diya

aagasthya
aage kya hoga

elder
agar main tumhein bata dunga
toh yeh sab hoga hi nahi

siraj
idhar aao dekho toh
humein kya dikh Raha hai

jaise hi woh sab siraj ke paas pahunche
un sabne screen pe dekha
woh sab shocked ho gaye

damha
oh I love doodhpeeta logiz

woh kya hai ek parademon ko siraj ne pakadke uske brain mein ek device fit kar diya tha
ab woh Jahan tha
wahan ka nazara yeh log saaf dekh paa rahe the

adirshi
yeh tumne kab Kiya

siraj
jab tum sab unhein maarne mein Lage the
unhein maarne se kya hoga
unke maalik ko maarna padega na

adirshi
pata chala.woh kahan se aaye the

siraj
kar raha hoon.kuchh samay lagega
pata chal jaayega

cheekku zakhmi tha
tabhi jasien ne uski kamar pe hath rakh diya

cheekku buri tarah se baukhla gaya
Abe gaandu paagal hai kya saale yeh kya kar raha hai

tumhein chot
healing

cheekku
ek toh apne munh se yeh loda nikaalke baat kar
poori baat nahi boli jaati

elder
uski galti nahi hai
joker ne uske sath kuch Aisa Kiya tha
jiske baad woh Aisa ho gaya hai

adirshi
aur log chahiye humein
itne se toh kaam nahi chalega

Rocky
tum chup kyun baithe ho

werewolf
ek hi tareeka darkseid se jeetne ka

Rocky
kya

werewolf
humein uske ghar mein ghuske use maarna hoga

Rocky
main tayyar hoon


aashna
bahut din ho gaye
kidney khaaye hue

yeh sunke sab aashna ki taraf dekhne lage

cheekku

kii kii kii kidney khaaye hue

Samar bhi ghabra Gaya tha


aashna
I mean to say
duniya ko bachaye hue
bahut din ho gaye

elder man mein
haaye main mar jaaun

cheekku
lekin wahan jaayega kaun

yeh sunke sab cheekku ki taraf dekhne lage

cheekku
main nahi jaaunga

adirshi
tum hi jaaoge
aur koi jaayega toh pakda jaayega

cheekku
aur agar main pakda gaya toh

Samar
main apni Jaan deke bhi tujhe bachaunga

cheekku
hat saale
tu bachayega nahi marwa dega


yeh sunke Samar hans pada


cheekku
lekin main jaaunga kaise

adirshi
elder teleport hoke tumhein
darkseid ke planet pe chhod aayega

yeh sunke sab elder ki taraf dekhne lage

elder ne cheekku ke kandhe ko pakda
aur woh dono darkseid ke planet pe pahunch gaye

cheekku
ek baat batao buddhe
tumhein toh pata hoga
ki main zinda bachunga ki nahi
tum future dekh sakte ho
kya main mar jaaunga
abhi toh maine sex bhi nahi kiya

elder
don't worry
sab kuchh ho jaayega

cheekku
kya matlab sab kuchh ho jaayega
buddhe
sex ya phir maut

aur elder ke jaane ke baad
flash chaaro taraf dekhne laga

flash nikal gaya
darkseid ke mahal ki taraf

wohin dusri taraf Steppenwolf zakhmi haalat mein Steppenwolf ke saamne ghutno ke bal baitha tha

darkseid
tum kisse puchhke Gaye the
earth pe

Steppenwolf
my lord anti life equation earth pe hi hai

darkseid yeh sunke chaunk gaya
woh apni yaado mein khota chala gaya
kayi hazaar saal pehle darkseid ne earth pe attack Kiya tha
tab god's of Olympus
Amazonians
asgardians
atlantians
kryptonians
aur earth ke mighty warriors ne use Hara ke bhaagne pe majbur kar diya tha
tabse woh badle ki aag mein jal Raha tha
woh jaanta tha jab tak aagasthya zinda hai
tab tak woh earth pe attack nahi kar sakta


tabhi darkseid ke kaano mein
dark witch ki awaj padi
my lord

darkseid ne Steppenwolf ki taraf dekha
power girl dark witch tum dono Steppenwolf ke sath jaao
aur earth ko tayyar karo
hum aarahe hain

power girl aur dark witch ne sar jhuka diya
Steppenwolf ke saamne

cheekku chhipke yeh sab dekh raha tha
lekin use ab dar nahi lag raha tha
woh aankhein faad faad ke power girl ke jism ko dekh raha tha

cheekku
oh god ek baar dila de
phir utha liyo

tabhi darkseid ko kuchh mehsus hua
aur darkseid ne omega beam ka use Kiya
woh cheekku ki taraf badhne lagi

cheekku buri tarah se ghabra gaya
tabhi usne soch liya
ki power girl ko use impress karna hoga

usne daudna shuru kiya
aur omega beam ko confuse kar diya
beam ek para demons ko jaake lagi

yeh dekhke dark witch muskura di

dark witch
my lord ise maariye mat
yeh humare bahut kaam aasakta hai

cheekku ne jab dark witch ko gaur se dekha
uski aankhein badi ho gayi
jitni sunder power girl thi
usse kayi jyada sunder dark witch thi
farq sirf itna tha
ki power girl ke bade bade the

aur yahin cheekku se galti ho gayi
dark witch ne cheekku ko qaid kar Diya
apni shakti se
cheekku usmein se bahar nikalne ki koshish karne laga
tabhi cheekku ko bijli ka tez jhatka laga
uski cheekh nikal gayi
aur woh behosh ho gaya

jab uski aankh khuli
toh woh bandha hua tha
usne apne aapko kholne ki koshish ki
lekin nahi khol paaya

tabhi darkwitch wahan aagayi

darkwitch
ek insaan ke paas aisi shakti
bahut ajeeb baat hai

cheekku bechare ke pair kaanp rahe the
dar ke maare

darkwitch ne cheekku ke dimaag mein ghusne ki koshish ki
jaise hi yeh cheekku ko mehsus hua
usne apne sochne ki speed badha di
darkwitch ka sar ghum gaya

darkwitch
toh tum aise nahi maanoge

kuchh der baad wahan kayi anges aagayi

cheekku ki aankhein fati ki fati reh gayi
unki khubsurti dekhke
poora rom rom khil utha uska

aur phir angels ne cheekku ke sath wohi Kiya jis kaam ke liye woh aayi thi

cheekku ki aahein gunj uthi

aur tabhi dark witch cheekku ke dimaag mein ghusi
aur use tatolne lagi
lekin use yahi pata chala
ki cheekku ko power's kaise mili
aur kuch nahi

tabhi use koi budha aadmi dikha

darkwitch chaunk gayi
kaun ho tum

elder
kaanp kaahe rahi ho

darkwitch
maine puchha kaun ho tum

elder
biyaah ho gaya hai tumhara


darkwitch elder pe humla Kiya
apni shaktiyo se
lekin uski shaktiya elder ki body ke paar chali gayi

elder
shukar manao
hum aashna jee se pyar karta hoon
warna hum tumhein batata
ki hum kaun hoon
happ

aur darkwitch ke sharir ne jhatka khaaya
aur woh wahan se chali gayi

angels ka kaam khatam ho gaya tha
cheekku ki aankhein khuli ki khuli reh gayi thi
aaj tak kabhi usne sex nahi kiya tha
aur aaj ek sath 5 angels ke sath usne sex kiya tha
bhale hi woh bandha tha
lekin woh ehsaas

tabhi woh angels demons mein badal gayi
woh pata demon's the

cheekku ki cheekh nikal gayi
para demon's chale gaye

cheekku rote hue
yeh kya hua main toh lut gaya barbaad ho gaya
buddhe Teri gaand faad dunga main



earth
siraj Patel
apni armour army banane mein lage hue the

adirshi jaanta tha ki uske paas power's nahi thi
bas thi toh sirf himmat
lekin himmat se Jung nahi jeeti Jaa sakti
isi liye usne apni team ke ek ek member's ka DNA mix karke ek serum bana raha tha
bas us serum mein siraj Patel ka DNA nahi tha
kyunki woh norma insaan the
aur na jasien ka tha
wajah batane ki jarurat hai

riky apni thunder power's ko badhane ke liye
dhyan laga Raha tha

damha bhaiya bas thuns rahe the

aashna aagasthya aur Samar Singh teeno training kar rahe the
ek dusre ke sath


tabhi wahan elder cheekku ko leke prakat ho gaya

cheekku ab bhi ro Raha tha

riky
cheekku kya hua ro kyun Raha hai

cheekku rote hue riky se lipat gaya

Samar
abe bolega bhi
ya phir

cheekku ne rote hue sab bata diya

Rocky
haan toh sex karte samay toh
woh sab ladki hi thi
ismein rone ki kya baat hai

cheekku
mujhe marna hai
main ab nahi jeena chahta

werewolf
ro toh aise rahe ho
jaise tumhari maar li gayi ho
bachcho ki tarah rona band karo

Rocky
ab dard hua hai bechare ko roye bhi na

cheekku
buddhe main tujhe jaan se maar dunga

elder
maine kya kiya

tabhi jasien cheekku ke paas aaya

jasien
heal kar dunga

cheekku
happ gaandu saale
bhakk yahan se

jasien
main toh help

elder
jaao jaake baitho alag

jasien
lekin

elder gusse mein
biwi ke lund tu jaayega ki nahi

jasien
jaata hoon

aagasthya
control

elder
control

kuch der baad

siraj
ek baat batao
elder tumne ise wahan bheja kyun tha

elder
mujhe cheekku ke sar se sex ka bhoot utaarna tha
uska dhyan ab sirf aane waali Jung pe hoga

ek mahine baad
battle for the earth day

darkwitch power girl aur Steppenwolf apni army ke sath earth pahunch chuke the

itne parademons aakash mein the ki suraj ki raushni bhi dharti pe nahi pahuch paa Rahi thi
kitne hi planet ko darkseid ne khatam Kiya tha
un sab planet's ke rehne waale
ab parademons ban chuke the


Steppenwolf
jaao aur tadpao insaano ko
jaan se mat maarna
inki cheekhein nikalni chahiye


aur phir parademons nikal pade

tabhi Steppenwolf ki najar aagasthya pe padi

Steppenwolf
kryptonian

adirshi
riky aur Samar tum dono us bade bable waali ko pelo
aagasthya aur aashna dono Steppenwolf ko pelenge
Rocky main werewolf baakiyo se niptenge
aur damha

damha
I will fuck these parademons logiz

jasien
aapke paas no power's

adirshi
ek kaam Karo cheekku
ise Steppenwolf ke paas chhod aao

jasien
sorry


cheekku
aur main kya karu

Adirshi
sabse pehle jasien ko base pe le jaao
aur phir
jitne insaano ko bacha sakte ho bachao
unhein yahan se jasien ke paas le jaao
yeh unhein heal karega

cheekku Siraj se
aap kya karoge

siraj
party

aur agle kuchh minutes baad aasmaan mein armour suits ki army aasmaan mein dikhayi dene lagi

jo parademons ko khatam kar rahi thi

Rocky
blackwa kahan hai re

adirshi
ab yeh blackwa kaun hai

Rocky
hai koi

buddhe

buddha saamne aagaya

Rocky
koi advice

elder
hawas se jyada Jung pe dhyan dena

Rocky ne bura sa munh banaya

aur phir elder wapas gayab ho gaya

Steppenwolf udta hua aagasthya ki taraf badhne laga

Aagasthya ne aashna ki taraf dekha
woh muskura di

aur ab yuddh shuru ho chuka tha

kuchh parademons werewolf ke paas pahunche
werewolf ne unhein khatam kar diya

damha parademons ko aise maar raha tha

jaise woh keede makode ho


aashna ne apni sword se Steppenwolf pe vaar kiya
Steppenwolf ne douch kiya
lekin aagasthya punch maar chuka tha
Steppenwolf door jaake gida

wohin dusri taraf riky aur Samar dono power girl ke bable dekh re the

power girl
tum insaano ka kuchh nahi ho sakta

Samar
agar hum itne hi neech hain
toh yahan apni gaand dene kyun aayi ho

yeh sunke powergirl gusse mein Samar ke paas pahunchi
aur use punch maari
Samar door jaake ek building pe gida

riky ne apna.hammer powergirl ki taraf fenka
woh side ho gayi
tabhi hammer wapas uske sar ke pichhle hisse mein laga
powergirl gusse mein riky ke paas pahunchi

aur ab shuru hui
riky aur powergirl ke beech ladayi
dono ek dusre ko maare Jaa rahe the
Samar bhi aagaya tha
aur woh bhi powergirl pe humla kar raha tha

aagasthya aashna Steppenwolf se ladne mein lage hue the

Rocky werewolf aur adirshi teeno parademons se ek sath lad rahe the

tabhi giants parademons ki entry Hui
aur sath mein darkseid ki bhi

jaise hi aashna aur aagasthya ne darkseid ko dekha
dono aankhein badi ho gayi

Steppenwolf ko toh woh Hara nahi paa rahe the
ab darkseid bhi aagaya tha

cheekku ghayalo ko bachane mein laga hua tha
woh unhein jasien ke paas leke Jaa Raha tha

ek ladki zakhmi haalat mein thi
jasien ne uske bable pe hath rakh diya
use heal karne ke liye
usne jasien ke ando ko pakadke bheench diya

ladka
saale gaandu heal karna hai toh tameez se kar
mar jaaungi lekin tujhe nahi dungi

siraj Patel ne darkseid ko dekha
aur uske paas pahunch gaya

darkseid
siraj Patel achcha hua tum aagaye
hum tumse kabse milna chahte the

siraj
tum mujhe jaante ho

darkseid
jo khaas hote hain
unhein main jaan hi leta hoon

siraj
yahan se chale jaao

darkseid
humein bhejke dikhao

aur phir darkseid ne siraj pe attack Kiya
kuchh hi der mein siraj ka armour destroy ho gaya
siraj zameen pe pada tha
tabhi darkseid ne apni axe se siraj ko maarne ki koshish ki

aur tabhi damha beech mein aagaya

darkseid aur damha ladne Lage
lekin darkseid ki physical strength itni thi
ki woh Planet ko destroy kar sakta tha apne hatho se

kuchh der mein damha pe zameen pe pada tha
zakhmi haalat mein

werewolf Rocky aur adirshi teeno darkseid ki taraf bhaage

darkseid
kamzor insaano tumhein haar maan leni
chahiye kyunki tum humse nahi Jeet sakte

werewolf ne darkseid pe humla Kiya
lekin darkseid ne apni omega beam use ki
aur werewolf neeche gid pada

Rocky ka bhi wohi haal hua

siraj ke kaano mein awaj aayi
boss kayi missiles humari taraf badh Rahi hain

siraj ne ek udte hue armour ki taraf apna hath kiya
woh armour udta hua siraj Patel ki taraf aaya

aur Siraj ab us armour mein tha
woh un missiles ki taraf chal pada

ab bache the adirshi aur darkseid

darkseid ne adirshi pe humla Kiya
lekin adirshi ne uske hath ko pakda
aur use ek punch maara

darkseid peechhe ho gaya
ek aam insaan ne use chhua tha
woh gusse se gurraya

aur adirshi pe attack karne laga
adirshi abhi cheekku ki power's use kar raha tha
woh bas Bach Raha tha
aur tabhi adirshi ne aagasthya ki power's use ki aur darkseid ko punch maara
dark seid ne Adirshi ke hath pe axe maara
adirshi ka hath katke neeche gid Gaya

aur ab darkseid ka nishaana tha adirshi ka sar

adirshi ne jo khud pe experiment kiye the
usse use power's mil gayi thi
lekin woh kuchh Seconds ke liye un power's ko lagatar use kar sakta tha

tabhi werewolf ne darkseid ki gaand mein apna claws ghusa diya

darkseid cheekh pada

aur tabhi adirshi ne darkseid ki body mein kuchh inject kar diya
darkseid ne adirshi ko punch maara
adirshi behosh ho gaya
aur phir darkseid ne werewolf ki gardan pakadke ukhaad di

yeh dekhke aagasthya gusse mein cheekhte hue
darkseid ki taraf uda

aur phir darkseid aur aagasthya ke beech jo ladayi Hui usmein bas log marte gaye
dono ek dusre pe attack kar rahe the

aashna akayli padd gayi thi
Steppenwolf ne apni axe se aashna pe vaar kiya
aashna ke kandhe pe axe laga
aur woh door jaake gidi

Rocky
kaaliye agar aisi hi maut likhni thi
toh saale mujhe story mein daala hi kyu


siraj Patel ne missiles ko rok liya tha

darkseid ne aagasthya ko maar diya
aur phir baaki ke heroes ko bhi
aur phir usne anti life equation activate karta usse pehle hi
cheekku ne daudna shuru kiya
aur woh samay mein peechhe jaane laga

battle for the earth se ek din pehle

tabhi sab chaunk gaye
kyunki ab do do cheekku the

future cheekku
sab maare gaye
buddhe yeh kaisa plan banaya tha

adirshi
kya darkseid ki body mein maine virus inject kiya tha

future cheekku
haan lekin uska kuchh nahi bigda

aagasthya
hum sab maare gaye

future cheekku rote hue
haan

aagasthya ne adirshi ki taraf dekha

adirshi
ab ek hi raasta hai
humein Lucifer ko aazaad karna hoga

aagasthya chaunkte hue
tum Lucifer ko jaante ho

adirshi
haan

aagasthya
buddhe use bulao

elder
mere bas ka nahi hai
use sirf jasien bula sakta hai

aagasthya
kya matlab
woh gaandu kaise bula sakta hai

Elder
uske paas unlimited healing power hai
jo Lucifer ko bulane ke liye kaafi hai

Rocky
aur agar Lucifer nahi aaya toh

elder
kahin ban na ho jaaun

elder ne jaisen ko bulaya
aur usse bola ki kuchh baatein bole

jasien
nahi nahi nahi
main nahi bolunga
Lucifer mujhe maar denge

elder
Aisa kuch nahi hoga
tum chinta mat karo

ab jasien ne woh sab bolna shuru kiya
kuchh der baad Lucifer prakat ho gaya

Lucifer ne chutki bajayi
aur jasien gayab ho gaya apni jagah

Lucifer
gift sweekar hai humein

aur phir Lucifer ne baaki heroes ki taraf apna hath kiya
sab ek ho gaye
sabki body merge ho chuki thi

Lucifer
the annihilator


phir se earth pe humla hua

lekin is baar chaunkne ki baari Steppenwolf ki thi
kyunki wahan sirf ek hi insaan tha
Steppenwolf kuchh samajh paata
usse pehle hi uski army ka khatma ho gaya
uski ship ka.khatma ho gaya

aur phir the annihilator ne Steppenwolf ko maar maar ke adhmara kar diya
aur phir maar diya

powergirl aur darkwitch ne bhaagne ki koshish ki

lekin bhaag nahi paaye
aur unki cheekh nikal gayi
pata nahi unke sath kya Kiya
the annihilator ne

aur jab darkseid aaya
toh apni sena ki haalat dekhke chaunk gaya
kyunki uski saari sena ne Earth pe attack Kiya tha

powergirl aur darkwitch dono apne lord ko dekhte hi apne apne aapko chhipane lagi

aur tabhi darkseid ki najar annihilator pe padi

darkseid
kaun ho tum

annihilator
Tera baap Teri maa ka yaar
biwi ke lund aao aaj tumhein dikhate hain ki baap kaun hai

darkseid ne annihilator pe attack Kiya
annihilator ko pata tha
ki yahan agar Jung hui thi
woh saare insaan maare jaayenge
annihilator ne darkseid ka gala pakda
aur use earth ke bahar le gaya
aur phir ladayi honi shuru hui dono ki
kayi planet's tabah hue
dono ne ek dusre ko maar maarke adhmara kar diya tha
dono mein se koi rukne ka naam nahi le Raha tha

lekin darkseid bas duniya ko Ghulam banana chahta tha
aur wohin the annihilator ka ek hi maqsad tha duniya ko bachana
aur Jeet annihilator ki hui aakhir mein
annihilator ne darkseid ko aakhir mein cheerke rakh diya

aur phir woh wapas earth pe aaya
sab apne apne roop mein aagaye the

aur ek dusre ke sath baithke khaana khaa rahe the

Rocky
waise buddhe ek baat samajh nahi aayi
ki tumhne humari madad kyun ki


buddhe ne muskura diya

meri zindagi mein bahut andhera tha
main poori tarah se toot chuka tha
mere andar jeene ki ichchha nahi bachi thi
bas isi ka intezar rehta tha
ki kab maut aajaye
aur mujhe is jeevan se mukti mile
phir tum sab mujhe mile
aur maine dobara hansna seekha
khush rehna seekha
ab main udaas nahi hota hoon
kyunki tum sab mere sath ho
tum sabke sath baatein karke apne ghum bhool jaata hoon
tum sab mere jeevan ka atoot hissa ban chuke ho
SHUKRIYA TUM SABKA

aur phir elder gayab ho gaya.....
 
92
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34
LOVE or LUST


Flat ki saaf safai karke thaka hua bistar me leta tha chuki aaj hi mai Banglore se Gurgaon shift hua. Neend ne kab gher liya pata bhi nahi chala. Phone ring hone ke karan meri neend tuti, ghadi ki taraf najar gayi to sham ke 5 baj chuke the. Maine phone utha ke dekha to Shivansh ka phone tha, maine call pickup kiya…

Shivansh: Kutte waha pahuch gaya aur phone bhi nhi kiya.
Mai: Bhai bahut thak gaya tha, to neend aa gyi thi.
Shivansh: Gajab aadmi ho be tum wahan pahuchate hi chudai suru.
Mai: Behenchod bas tujhe mai chuddakad hi dikhata hun. Flat ki saaf safai kar raha tha to thak gaya tha.
Shivansh: Acha tab thik hai, mujhe laga ki jo bhi ladki dikhi set kiya aur phir uspe apna set kiya… yahi chalu hoga.
Mai: Tera bhai badal gaya hai ab. Bs ab sacche pyar ki talash hai aur aisi ladki jiska dil bada ho.
Shivansh: To fir Tanya ko kyu chhor diya, uska to sabkuch bada tha… hahaha.
Mai: Bakchodi mat kar, wo apne maa baap ko nirash nahi karna chahti thi. To maine bhi force nahi kiya.
Shivansh: Acha wo sab chhor, koi problem to nhi aayi flat mein.
Mai: Are nahi bhai, aur Thank You flat dilane ke liye.
Shivansh: Acha chal thik mai rakhta hu.

Aur phir Shivansh ne call cut kar diya. Hum dono bachpan se sath hi padhe hain aur yahan tak ki ek hi college attend ki hai. Ek saal pahle hum dono ko ek hi company me Banglore me job mili thi. Ye flat uske mama ka tha, wo is me rah rahe the to jab mujhe Gurgaon ki MNC se offer aya to Shivansh ne mujhe yahan shift karwa diya. Thoda apne bare me bata deta hu. Mera naam Deep Shukla hai meri age 23 saal hai. Mujhe gym karne ka shauk hai to iske karan kafi fit hu aur apni maa ki kripa se kaafi handsome bhi. Height bhi thik thak hai.

Maine apni maa ko call kiya aur kuch der unse baat ki. Fir fresh hoke bahar dekha to halki halki barish ho rahi thi, mausam bahut hi jyada sexy tha. Niche thodi hi dur ek chai ki dukan dikhi to chai peene ka mann aur badh gaya. Maine bina der kiye turant niche pahuch gaya. Us dukan me ek 35-40 saal ka vyakti baitha hua tha, jisne apna naam Santosh bataya.

Mai: Bhaiya ek chai dena, ekdum kadak.
Santosh: Chotu bhaiya ko ek chai do.
Ek 18 saal ka ladka kulhad me chai nikal ke di maine ek sip li. Chai wakai kaafi achi thi.
Mai: Ek no. ki chai hai bhaiya.
Santosh: Dhanyawad bhaiya. Waise aap yahan pahli baar dikh rahe hain.
Mai: Han aaj hi shift hua hun samne wale apartment me (maine ishara karte huye bataya).
Santosh: Acha, waise aap ka subh naam kya hai.
Mai: Deep.. ek cigarette dena.

Mai chai pikar cigarette fukane laga. Tabhi ek cab aati hai aur apartment ke samne rukti hai aur usase ek aurat utarti hai mera dhyan uski taraf khich jata hai. Kasam se maine aisa sexy maal aaj tak nahi dekha tha. Uski height 5’5'' ke karib thi, 30 saal ke karib age hogi uski, uske bade boobs aur hips, gora badan, chehara aisa ki jise dekhne matr se lund khada ho jaye, kamar patli to nahi thi magar pet ekdum flat tha, usne asmani rang ki sadi pehan rakhi thi aur backless blouse. Aaj tak maine aisa kabhi feel nahi kiya tha mann kar raha tha yahin pakad ke ekdum ragad ke chod du. Mera mann behkane laga. Maine dekha to Santosh bhi ankhe faad ke dekhe ja raha tha.

Mai: Santosh bhaiya ye aurat kaun hai?
Santosh: Ye, Kusum ji hain aapke hi apartment me rehti hai 3rd floor par.
Mera bhi flat 3rd floor pe tha aur mere samne ek flat tha matlab ki ye kamukta ki devi meri padosan hai.
Mai: Badi khabar rakhte ho.
Santosh: Khabar rakhne wali cheez hi hain kusum ji. Par bechari ka pati Rakesh ek number ka darubaaz hai.
Mai: Acha.
Maine cigarette ko feka aur kuch chewing gums liye, aur 100 ki note Santosh ko pakada di.
Santosh: Bhaiya abhi to chhutta nahi hoga.
Mai: Are jama rakho yaar tum kahin thodi na bhage ja rahe ho.

Aur mai kusum ke piche kisi bhaware ki tarah piche chal diya. Wo lift ke andar ja chuki thi aur lift ka darwaja band hi hone wala tha ki mai daud ke use band hone se rok liya aur mai bhi andar chala gaya. Lift ke andar perfume ki mithi khushbu aa rahi thi. Fir maine Kusum ko niche se upar dekha uske hath me 2 thaile the. Uff pani me bhigne ki wajah se uska badan bahut kamuk lag raha tha. Uska pallu gira hua tha, deep cut blouse hone ki wajah se uska cleavage saaf dikh raha tha. Mann kar raha tha abhi daba du. Meri najar uske ubharo se hat nahi rahi thi aur mai uske boobs ko ghurate hu gungunane laga itna ki use sunai de…
Ye hasin wadiyan yeh khula aasman.

Ksusm: Kuch kaha aapne.
Mai: Ji nahi, By the way, I'm Deep.
Maine handshake ke liye hath aage badha diya.
Mai: Oh sorry.. Dijiye bag mai le leta hu , wo ghur kar mujhe dekhne lagi… aurate bhi na…
Hamara floor aa gya tha lift ka darwaja khula aur wo bahar nikal gayi jaise hi mai bahar nikla wo piche mud kar ghoor ke dekhne lagi jaise puch rahi ho peecha kyu kar rahe.

Mai: Beauty queen aapka peecha nahi kar raha, samne wale flat me aaj hi shift hua hun. Ab to daily milan hoga padosi jo hain (maine ankh marte huye bola)

Mai apne room me jakar kapde change kiye T-shirt aur shorts pehan li. Thodi der TV dekhi, aur sath me hi khana order kar diya. Mai khana khakar leta tha, bas kusum ka gathila badan dimag me ghoom raha tha. 11 baj chuke the, meri ankh lagne lagi thi ki mujhe jagadne ki awaj sunai di.

Bahar jakar dekha to Rakesh, Kusum ko flat se bahar nikal ke corridor me baal pakde huye ghasit raha tha, uske hath me ek plastic ki pipe thi aur bahut gandi galiyan de rha tha. Pata nahi mere dil me ek dard bhar utha jaise koyi meri biwi ke baal pakada hua ho. Mujhe bahut gussa aaya maine Rakesh ko pakda aur use dhakel diya.

Rakesh: Chinal ruk tujhe abhi batata hu.

Rakesh ne kafi pee rakhi thi aur jaise hi wo kusum ko marne ke liye badha to mai kusum ko pakad ke apni baho me chhupa liya aur wo plastic ki pipe peeth me itni tej lagi ki meri karib karib jaan hi nikal gayi. Mai Kusum ki ankhon me dekha to uski ankhon me ansun the mujhe uspar bahut jyada pyar aa raha tha. Mujhe pata nhi kya hua maine chehra pakad ke uske ansun poch diye. Wo mere agosh se nikal gayi.

Rakesh fir se marne ke liye aage badha
Rakesh: Rand sali, ab tune apne liye ek dalal bhi rakh liya.
Mujhe itna sunte huye kafi gussa aaya aur wo Kusum ke upar pipe se marne hi wala tha ki maine pipe pakad li Kusum dar ke mare baith gayi thi. Mujhse apna gussa control nhi huya aur maine Rakesh ko bahut jor se ek thappad mara
Mai: Madarchod, chala ja nhi to yahin tera keema bana dunga.
Rakesh bhi ham dono ko gandi gandi gali bakte huye flat ke andar chala gya aur darwaja band kar liya. Kusum wahin baithe baithe ro rahi thi.
Mai: Divorce kyu nhi de deti aap.
Kusum(ansu pochte huye): Divorce dekar jaungi bhi kahan. Ye samaj jeene dega tab na.
Mai: Koyi baat nhi chaliye andar baith jaiye.

Maine sahara dekar kusum ko uthane ki kosis ki par wo andar jane ke liye taiyyar hi nhi thi. Maine bahut koshish par thak ke andar chala gaya. Par mujhe kusum ki chinta ho rahi thi. Adhe ghante ke baad mai jakar dekha wo farsh par leti huyi thi. Maine uska hath pakad ke andar aane ko bola usne hath jhitak diya. Mai andar gaya ek gadda aur ek chadar le aaya aur usko Kusum ke upar rakh diya.

Mai: Andar nhi aana kam se kam ye kapde to le lo, nhi to thand lag jayegi.
Wo use fold karke mujhe wapis dene wali thi shayad.
Mai: Kusum, please..
Apna naam mere muh se sunte hi uski shakal dekhne layak thi, mujhe hasi aa gayi.
Mai: Sorry.. Wo niche Santosh ne aapka naam bataya. Aur aapko kuch chahiye ho to bula lijiye ga. Good Night.

Mai andar to aa gya par meri neend gayab ho gayi thi, dil me bechaini si ho rahi thi. Idhar udhar karwat palatate mujhe neend aa hi gayi. Subah utha to peeth me dard ho raha tha. Uth ke sheeshe me dekha to peeth par pipe lagne ki wajah se neeli ho gayi thi. Chhune me bhi dard ho raha tha. Fresh hokar, maine nashta kiya, tabhi meri doorbell baji, dekha to kusum kapde liye khadi thi

Mai: Neend kaisi thi?
Kusum: Aapki meharbani se theek thi.
Mai: Aap police me complain kyu nahi karti aur aapke bache wagaira?
Kusum: Meri koi aulad nahi hai, aur aise insan ke sath mai chahati bhi nahi.
Aur fir wo chal deti hai, tabhi mera dhyan uski thirakte gand ki taraf jati hai aur sare pyar wale emotion ek taraf ho jate hain aur hawas havi ho jati hai. Jaise hi kusum apne darwaje ke paas pahuchti hai to palat kar muskurate huye thanks bolti hai. Aur mera dil pighal jata hai

Mai(khud se): Deep dil na laga, wo shadi shuda hai.
Mai: Bas thanks, kabhi chai shai ke liye bhi puch lijiye.
Kusum(chaukati hui): Abhi?
Mai: Nahi sham ko, abhi to mai office nikal raha hu. Bye.

Aise hi 1 week nikal gaya. Ab Kusum thoda bahut khulne lagi thi, uske pati aur uska is beech 3 baar jhagda hua. Usase baat karke pata chala ki wo garib ghar ki thi aur uske pati sarkari babu hai, uske sasur ne uski sundarta dekh ke shadi ke liye apne bete ke liye hath manga tha. Rakesh daily nashe me dhutt ghar aata hai.

Aaj saturday hone ki wajah se office band tha. Mai subah subah, bahar jakar kachori aur jalebi lekar aaya. Kusum ke flat ka darwaja khatkhataya, jab usne khola to shampoo ki bahut bhini khusbu aa rhi thi.
Mai: Itni subah naha chuki?
Kusum: Puja karna hota hai to naha leti hun.
Mai: Plate wagaira nikaliye, aapke liye kachori laya hu.
Kusum: Mere liye ya apne liye?
Mai: Dono ke liye.

Fir ham dono dining table par baith ke nashta karne lage.
Mai: Waise pata hai kisi bhi khubshurat cheez ke upar asmani colour bahut jachta hai.
Kusum: Aur aapko aisi hi asmani rango me wadiyan bahut pasand hain.
Usne mujhe uske boobs ko ghurate huye pakad liya, maine bhi muskura diya.
Mai: Waise ye phool bahut murjhaya sa rehta ha, bahar ki hawa lage to shayad khi jaye. To aap kya bolti ho is Kusum ko khilne ke liye kuch kare.
Kusum apne dono hath chin pe rakhte huye utsukta se puchati hai: Jaise?
Mai: Movie dekhne chalein?
Kusum: Aaj?
Mai: Aur nahi to kya.
Kusum: Lekin.. mai… kaise?
Mai: Lekin wekin kuch nahi. Jaldi se ready ho jana hai.
Aur mai uth ke chal deta hu aur darwaje ke paas pahuchate hi…
Mai: Agar laal saree ho to wahi pehnana.
Kusum: Aise hukum apni biwi pe jamaiyega.

Mai muskura deta hu aur jaakar ready ho jata hu karib adhe ghante ke baad aakar Kusum ka wait karne lagta hu.
Jab wo apne flat se bahar nikalti hai to mai unhe dekhakar apna aapa hi kho dene wala tha. Kasam se unke samne heroine fail thi. Laal saree me kya hi kayamat lag rahi thi.
Mai: Aap mera dil loot ke hi manogi hai na.
Kusum: Ye kaunsi tarif huyi?
Mai: Tumhari khubsurti shabdo me bayan nahi kar sakta… maine kusum ko apne bahon me kheech liya aur bola… mera bas chale to abhi tumhe apni biwi bana lu.
Kusum isase jhenp si gayi aur wo mujhase chhutate huye boli: Chalein.

Hum dono movie dekhne gaye, aur kayi jagah ghume, aate waqt sham ho gayi. Aaj ke din ki wajah se ham dono aur ghul mil gaye. Jab wo andar jane lagi to maine bye bola..
Kusum: Thank you so much… Mujhe aaj se pahle jindagi me isase jyada maja kabhi nahi aaya.
Mai: Abhi to aapko bahut maje dene hai. (kusum ke boobs ko ghurate huye bola)
Kusum: Nahi baba mujhe aur koi maja nahi chahiye.
Aur wo gate band karke andar chali gayi.

Aise hi 3 hafte aur nikal gaye aur hum dono kafi ghul mil gaye the. Kafi kusum ke sath dinner ke liye to movie ke liye bahar jane laga. Meri pyas uske jism ke liye aur jyada badhne lagi, jise kusum bhi meri ankhon me saaf dekh sakti thi. Fir ek din hum dono park me baithe huye the aur kusum mere kandhe me apna sir rakh kar baate kar rahi thi. Tabhi usne achanak pucha

Kusum: Deep tum mujhse pyar karte ho?
Mai ye sawal sunke jhenp sa gaya par mujhe khusi bhi huyi maine han me sar hila diya.
Kusum: Mujhse ya mere jism se?
Mai is sawal ke liye tayyar nahi tha.
Kusum: Batao Deep.
Mai: Sach bolu ya jhut.
Kusum: Mujhe sach sunana hai.
Mai: Sach kahu to mujhe tumse pyar ho gaya hai aur bahut jyada yahan tak ki biwi bnane ke khayal aane lage hain, par jaise hi tumhare jism ko dekhta hu to pata nhi kyu… mai sach bol raha mujhe aisa kabhi mehsus nahi hua… Par tumhara jism dekh ke meri vasna badh jati hai. Tumhare liye meri hawas haavi ho jati hai mann karta hai ki…

Kusum(meri taraf dekhte huye): Kya mann karta hai…

Mai: Mann karta hai ki… (Maine kusum ki kamar pakad ke apni taraf khich liya aur kamar pakde rakha)... Ye tumhare badan ko ragad ke sari khushboo nichod lu.

Kusum: Acha…

Mai: Sorry kusum ab mujhse control nahi hoga.

Mai kusum ko lip kiss karne laga pahle to wo hotho ko jakre rakhi par kuch hi pal me hotho ko khol diya… Wo kiss me sath to nahi de rahi thi lekin virodh bhi nahi kar rahi thi… Kitne rasile hoth the mann kar raha tha bas ise hi peete jau.

5 min baad Kusum ne mujhe dhakka diya aur bola,

Kusum: Log dekh rahe hain. Aur late ho rahe hain ghar chalein.
Mai: Matlab ghar chal kar kare?(muskura kar maine pucha)
Kusum: Jyada dimag mat chalao. Chalo jaldi.

Ham apne apartment aa gye aur lift me kuch bache the to maine kusum ke kaan me dhire se bola
Mai:Agar tum agli baar mere samne aayi to agar maine apna control kho diya to sachi wahin tumhe patak ke wahin chod dunga.

Kusum apni badi badi ankhein karti huyi mujhe dikhati hai aur mai muskura deta hu. Fir wo apne room chali jati hai. Mai kuch din usko avoid karne lagta hun taki apne upar kuch kabu bnaye rakhu… Fir ek din raat ko 10 baje doorbell bajti hai… maine jakar dekha to Kusum thi usne black color ki translucent nighty pehni huyi thi. Uski bra aur panty usase jhalak rahe the. To maine Kusum ko maine apni or jor se kheecha.

Mai: To finally aaj apne jism ko bharta bnwane ke liye ready ho gyi ho. Tumhara pati kahan gaya.
Kusum: Wo gawn gaye hain.

Maine kusum ko god me uthaya, gate lock karke andar le jakr bed me patak diya.

Mai: Rani aaj mai tujhe jannat dikhata hu… Bahut tadpa hu tere is jism ke liye. Thoda dard sahna hoga, aur tujhe wo sab karna hoga jaisa mai kahunga.
Kusum: Aapke liye kuch bhi sah sakti hu… aur aapko jo bhi karna hai jaise bhi karna hai kar sakte hain, aaj bas mai tumhari hu.

Mai uske upar janwaro jaisa tut padta hu uske boobs nighty ke upar se hi khub tej masal deta hu. Uski dard se cheekh nikal jati hai.

Kusum: Aaram se jaan, mai kahan bhagi ja rhi hun.
Mai: Aaj mai nhi rukne wala kusum, tera ye jism masalne ko kitna tadpa ab tujhe kaise btau.

Maine uski nighty utar di aur apna t shirt aur shorts bhi utar diya. Maine usko pakda aur wildly kiss karne laga, kabhi mai uski jeebh chusta to kabhi wo meri. Meri nazar uski gand ki taraf gayi maan kiya abhi land daal ke faad du. Maine uttejit hoke usko jabardasti ghodi banaya aur uske gaand me jor jor se 5-6 thappad mare. Kusum ki dard se cheekh nikal gayi.

Maine uske boobs ko fir maslne start kar diye.
Mai: Jaan mann karta hai tujhe beech chaurahe me nangi karke chodu. Tu kya maal hai ab kya btau. Tujhe chodane ko kitne tarsate honge tujhe pata bhi nhi.

Kusum: Aah aaram se… aah… shayad mai aapka hi intajar kar rahi thi… aah.

Fir maine uski bra nikal ke fek di… uske bade boobs, edum tight the, brown nipple… maine kusum ko lita diya aur ek nipple choosne laga aur ek hath se doosra boob maslne laga… wo dard bhari aahein bhar rahi thi.

Maine apna underwear utara mera lund ekdum tight tha.
Mai: Chus meri rani.
Kusum: Maine kabhi ye nahi kiya hai, aur aapka kafi bada hai.
Mai: Mai sab sikha dunga chinta kyu kar rahi hai.

Maine uske hothon ko chuma fir uske chehare par lund ghumane laga. Fir uske muh me apna lund daal diya, use chusana to nhi aata tha par supade ko lollipop jaise chus rahi thi. Karib 5 min baad maine uski panty utari to uski chut ekdum bheeg chuki thi. Kya hi pyari chut thi par jyada chudi nhi thi. Mai uski chut chatne laga aur kusum mere baal sehlate huye aahein bharne lagi.
10 min baad uska sarir akad gaya aur jhad chuki thi. Mai usko upar aakar chumane laga.

Mai: Ab thoda aur dard ke liye ready ho ja rani.

Usne han me sar hila diya, maine usko litaya aur uske upar let ke uske muh me lund dala aur uske muh ko chodane laga. Uske gale tak lund utar raha tha. Uski sans fulne lagi to wo mujhe hath se rokne ki kosis kar rahi thi par main nahi ruka. 5 min baad maine usko ghodi banaya aur uski chut ke upar lunda ghisne laga. Aur fir maine uske sath rough chudai start kar di. Uski ankhein raham ki bheekh mang rahi thi par Kusum kuch nahi bol rahi thi aur uska jism dekh ke hawas itni hawi ho gayi thi ki maine use aur ragad ke chodne laga.

Uska pura sarir laal ho gaya tha, karib 40 min baad mai uski choot me jhad gya, kusum bhi 5-6 baar jhad chuki thi. Uski uthane tak ki bhi himmat nhi thi. Maine usko apni baho me bhar ke usko chuma
Mai: Kaisa laga meri jaan.
Kusum: Jitna maja aaya usase jyada dard mila.
Mai muskura ke uske hotho ko chum liya.
Mai: Tujhe mai apni biwi banakar rahunga aur jindagi bhar aise dard dunga.
Kusum: Sachii… mai aise dard ke liye taiyyar hu.

Fir uske boobs me maine apna sar rajh liya wo mere baal sehla rahi thi, mujhe itna sukun apni jindagi me kabhi nahi mila tha … aur naa hi itni achi kabhi neend aayi thi.

To yahan se meri jindagi ka ek naya adhyay shuru ho gaya tha. Kusum ke liye mera love ya fir lust havi tha ye to mujhe pata nhi par ab mai uske bina nhi ji sakta tha.
 
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