• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

★☆★ XForum | Ultimate Story Contest 2024 ~ Entry Thread ★☆★

Status
Not open for further replies.

manu@84

Well-Known Member
8,455
11,827
174
:: पेटकोट वाले लड़के :: (वास्तविक तथ्यों पर आधारित)

" कल रात कहानी की contest thread पर चिट चैट करते हुए मुझे पता चला कि हमारी खूबसूरत X-forum की दुनिया में कुछ युवा लड़के, लड़कियों की ID बनाकर फोरम के अखंड सिंगल, भोले भाले लड़कों का चूतिया काट कर मजे ले रहे है। जब मै इस विषय की गहराई में गया तो पता चला कि हमारे फोरम के अलावा अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर ये पेटीकोट वाले लड़के, सीधे साधे लड़कों की फीलिंग्स के साथ खेल कर उनको लूट रहे है। मै अपनी इस कहानी के माध्यम से उन पेटकोट वाले लड़कों को संदेश देना चाहता हूँ कि सुधर जाओ वरना " एक दिन ना पेंट पहनने के लायक रहोगे..ना ही पेटीकोट....., अंत में सिवाय पछतावे के कुछ नहीं बचेगा। "😜

जिला भाटिण्डा, पंजाब, में एक सिख महेंद्र सिंह, वो जब जब अपने बेटे के बारे शराब् पीते हुए सोचता तो खुद को कोसता और कहता कि साला उस रात मैने कॉकटेल नही पी होती तो ये ऐसी "औलाद" पैदा नही होती।

महेंद्र सिंह अपनी पत्नी सरनाम कौर
और इक्लौते बेटे शेखर के साथ खेतीबाड़ी कर चैन से गुजर बसर करता था, समय के साथ साथ उसका बेटा भी बड़ा हो रहा था!

" अमूमन सिख/सरदारों के बच्चे लंबे तगड़े, हट्टे कट्टे, बड़ी-बड़ी दाढ़ी मूछ, सर पर पगड़ी बांधे आम तौर पर देखने को मिलते है। लेकिन महेंद्र सिंह का बेटा इसके उलट था।

उसका बेटा शेखर, गोरा, सुंदर बड़ी-बड़ी क़ाली आँखे, तीखे नैन नकश्, छरहरा बदन, लड़कियों के तरह चिकने हाथ पैर, शरीर पर सर के बालों के जूड़े के अलावा चेहरे पर दाढ़ी मूंछ के रोये तक नही आये थे। उसकी आवाज में भी वो अन्य सरदारों के लौंडो की तरह भारीपन नही था, उसकी आवाज लड़की की तरह सुरीली पतली होने की वजह से सभी को भ्रमित सी कर देती।

सर पर बंधे जूड़े / पगड़ी को खोल कर अगर सिर्फ उसके चेहरे को कोई देखे तो उसे एक खूबसूरत अप्सरा की तरह दिखाई दे। अपने इक्लौते बेटे की यही शारीरिक रूप और बनावट सरदार और सरदारनी की सबसे बड़ी चिंता का विषय बनी हुई थी।

शेखर का एक पक्का दोस्त था सिराज दोनों जिगरी यार थे। दोनों ही बड़े शरारती थे, शेखर की लड़कियों की तरह आवाज होने की खूबी का फायदा दोनों दोस्त मजे मस्ती के लिए खूब उठाते। जब कभी ये किसी भीड़ भरे माहौल में ये गुजरते तो शेखर लड़कियों की आवाज निकाल कर prank करता और दोनों दोस्त खूब मजे लेते।

धीरे धीरे इन्होंने लड़कियों के फोटो लगा कर फर्जी सोशल मीडिया ID बनाकर लौंडो से दोस्ती करना शुरु किया उन्होंने कुछ नियम बनाये थे - सबसे पहले किसी दिल टूटी हुयी लड़की/स्त्री, की शायरी का स्टेट्स डालते। फिर लौंडो की request आना शुरू हो जाती, फिर ये उनसे थोड़ी देर चिट चैट में पूरी डिटेल पूछ लेते। इनके शिकार दिल टूटे आशिक, छोटी छोटी नोकरिया करने वाले, थकेले-अकेले टाइप के लड़के होते।

इन्होंने उन लड़को को बात करने का एक निश्चित समय दे रखा था। उनसे कहते कि ये मेरे घर का फोन है, सभी use करते है, तुम कोई मैसेज, काल मत करना जब मै फ्री होऊँगी तो सामने से मैसेज करूँगी। सुबह-सुबह 5-6 बजे गुड मॉर्निंग मैसेज कर बिंदास मजे से सोते। सुबह 5-6 बजे का लड़की का gm मैसेज पढ़ कर लौंडो का पूरा दिन ही बन जाता।

कभी कभी शेखर फोन पर अपना नाम 'शिखा' बता कर लड़कियों की आवाज में बात करता और उनसे पेटीम के QR भेज पैसे ऐंठता। रकम कोई ज्यादा नही होती तो ठगे गए लोंडे अपना चूतिया कटवा कर बस चुप हो कर किसी से कोई शिकायत नही करते। इनके झांसे में कई बार अधेड़ उम्र के लोग भी फँस जाते...! ऐसे ही इनकी मस्ती भरी जिंदगी ऐश से गुजर रही थी।

कुछ महीनों बाद इनके के झांसे मे एक राजस्थान का एक 'सनकी राजपूत' लड़का 'राजीव' आ गया। बिना मांगे ही 25-50 हजार रुपये उसने दो तीन दिन की 5-6 घंटे की चॅटिंग में इन्हे दे दिये। वो एक दिल टूटा आशिक था। और उसे शिखा/शेखर से बात करते हुए बड़ा सुकून मिलता।

सिराज ने शेखर को राजीव के साथ अब बातें बंद कर ब्लॉक करने को बोला, लेकिन ज्यादा पैसे के लालच मे उसने सिराज की बातों को अनुसुना करना शुरु कर दिया। और राजीव के साथ फोन पर वॉइस काल में बात करना शुरु कर दी। फलस्वरूप राजीव ने उसके खाते में 1-2 लाख रुपये, महंगी महंगी ड्रेस और गिफ्ट के लिए रुपए देना शुरु कर दिया।


और एक दिन राजीव ने उसे वीडियो काल पर बात करने को कहा, शिखा/शेखर मना नही कर पाया और उसने उस रात अपने सर के जूड़े को खोल कर अपने चेहरे को बालों के साये में आधा अधूरा दिखाते हुए बात की। शिखा/शेखर के बालों के साये में आधे अधूरे चेहरे पर ही राजीव इतना मोहित हो गया कि उसने शिखा/शेखर को शादी का प्रस्ताव दे दिया।

शादी का प्रस्ताव सुनकर शेखर को झटका लगा, और उसने फोन काट दिया वो समझ गया, उसका बहुत ही जल्द पर्दाफ़ाश होने वाला है और वो बड़ी मुसीबत में फसने वाला है। और राजीव से बात करना बंद कर दिया। लेकिन उसका no. ब्लॉक नही किया। उसके मेसेज आते उन्हे पढ़ता लेकिन जबाब नही देता।

उधर मैसेज का जबाब न मिलने से राजीव की हालात खराब हो रही थी, और वो फिर से किसी दिल टूटे आशिक की तरह बहुत ही दुखी रहने लगा। राजीव के माँ बाप खुले विचारों वाले थे अपने जवान बेटे को इस हालत में देख कर उन्होंने राजीव को एक दिन समझाया कि तुम इस तरह घुट घुट क्यों जी रहे हो। तुम एक 'राजपूत' हो अगर उस लड़की से सच्चा प्यार करते हो और वो भी तुमसे प्यार करती हैं तो जाओ उसे 'भगा' कर 'शादी' कर यहाँ ले आओ। हम कानून-पुलिस सब से निबट लेंगे।

राजीव बाप के द्वारा भरे हुए जोश के साथ तुरंत बैंक खाते के माध्यम से शिखा/शेखर का घर पता निकाल लिया और चल दिया अपनी fortuner गाड़ी लेकर पंजाब अपनी 'जान' से मिलने।

सुबह करीब 9-10 बजे वो शेखर के घर पहुँच गया। और किसी फिल्मी हीरों की तरह बेधड़क शेखर के घर में घुस गया। शेखर के बाप से जब उसकी बात हुयी तो उन्होंने बताया कि उनके तो कोई बेटी,है ही नही, आप गलत पते पर आये हो। ये सुन कर राजीव सोच में पड़ गया और ये सोच कर घर से बाहर आकर खड़ा हो गया कि हो सकता, गलत पते पर आ गया हू ... वो बड़ी मायूसी से शेखर के घर की ओर देख रहा था।

नीचे घर में ये सब ड्रामा चल रहा था उस वक्त शेखर छत पर नहा रहा था। जब वो नहा कर अपने खुले बालों को सुखाते हुए जैसे ही छज्जे से नीचे झाँका तो राजीव और शेखर ने एक दूसरे को देख लिया।


राजीव भागता हुआ वापस घर में घुस गया और शेखर नीचे अपने कमरे में दरवाजा बंद कर छिप गया। राजीव दरवाजे को जोर जोर पीट्टते हुए 'शिखा दरवाजा खोलो' कहने लगा।

ये शब्द सुनते ही शेखर के माँ बाप समझ गये हो गया कांड, लग गये लोंडे.. शेखर जो इतने दिनों से ऐश भरी जिंदगी जी रहा था उसकी वजह उन्हे समझ आ गयी थी... उनका बेटा लड़को को लड़कियों की तरह बात कर चूतिया काट रहा था। उन्हे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अब क्या कहे और क्या करे...????

कुछ देर बाद शेखर ने दरवाजा खोला...और कमरे से बाहर आया !

राजीव उसे एकटक ऊपर से नीचे तक देख रहा था। मर्दाने पंजाबी सलवार कुर्ते में खुले बड़े बड़े बालों के साथ छरहरा बदन, चिकना चेहरा, गोरा रंग, बड़ी बड़ी आँखे, लड़कियों के तरह हाथ पैर...अगर उसके दो सुडॉल् स्तन् लगा दिये जाये पूरी तरह लड़की दिखे।

इधर चेहरे पर डर के साथ शेखर भी, राजीव को देख रहा था।

राजीव को कुछ समझ नहीं आ रहा था वो क्या कहे और क्या करे। वो बड़ी जोर से हँसने लगा, साला में जिसे लौंडिया समझ कर प्यार करता रहा वो तो लोंडा निकला... दुनिया का सबसे बड़ा चूतिया हू मै। एक लड़का मेरा चूतिया काट कर हजारों-लाख रुपये मेरे से लेता रहा और मै देता गया, बिना ये जाने कि वो कौन है।

राजीव को शेखर से ज्यादा गुस्सा खुद पर आ रहा था। उसे पैसों की फिकर नही थी, उसे इस बात का डर लग रहा था कि उसके बाप और मेवाड के लोगों को पता चलेगा कि 'राजपूत परिवार का एक लड़का' जिसको पागलो की तरह प्यार करता था वो, लड़की नही लड़का है। और राजपूतों को लोंडा 'गांडू' है...???

काफी देर हँसने-रोने के बाद राजीव बोला ना ही मुझे कोई पुलिस केस करना है और ना ही पैसे चाहिए.... मुझे बस अपने बाप और मेवाड की नजरों में जलील नही होना है। अब मेरे पास दो ही रास्ते है, पहला कि राजपूतो की तरह अपनी शान और आन के लिए तुम सब को गोली मार दू.... किसी को कुछ भी पता ही नही चलेगा।

और बेटा दूसरा... शेखर के बाप ने डरते हुए पूछा???


तुम शेखर.... शिखा जो भी हो लड़की बनकर अभी मेरे साथ मेरे घर चलो, दो तीन हफ्तों तक मेरे माता पिता के साथ मेरी पत्नी होने का ड्रामा करोगे? मैं उन्हें कह दूंगा कि मैंने तुमसे शादी कर ली है. और फिर २-३ हफ्ते बाद वापस यहाँ आ जाना । कुछ महीनो बाद मैं उन्हें कह दूंगा कि हमने डाइवोर्स ले लिया है. फिर वो मेरे पीछे नहीं पड़ेंगे.”,

“राजीव. ये कैसे हो सकता है? तुमको तो पता है कि मैं लड़का हूँ. एक असली लड़की नहीं हूँ मैं. उन्हें सच पता चल गया तो?”, शेखर ने कहा. 'इस तरह किसी को बेवकूफ बनाने का विचार अब उसे डरा रहा था' ?

“यार शेखर. किसी को कैसे पता चलेगा? तुम्हारे किसी भी लड़की की तरह इतने लम्बे घने बाल है. अभी तक चेहरे पर दाढ़ी मूंछ का रोवा तक नही है. और तुम अपनी आवाज़ को लड़की की आवाज़ में बदलने में एक्सपर्ट भी हो. एक बार खुद को आईने में देखो तो सही .. किसी को गलती से भी डाउट नहीं होगा कि तुम लड़की नहीं हो.

“बेटा शेखर .. प्लीज़ मान जाओ. नही तो ये सनकी राजपूत हम सब को अभी मार डालेगा। शेखर के बाप ने डरते हुए कहा।

अपने किये पर शर्मिंदा और माँ बाप की जिंदगी बचाने के लिए वो बोला ठीक है, मुझे मंजूर है।

ये सुनते ही राजीव की जान में जान आ गयी थी. लेकिन ये मर्दानी आवाज दोबारा मत बोलना आज से तुम एक पूरी तरह शिखा बन कर ही मेरे साथ रहोगे।

“मुझे पत्नी बनने के लिए ढेर सारी महँगी साड़ियाँ चाहिए!”, शेखर हँसते हुए से बोला.

“बस इतनी सी बात. तुम्हे जितनी साड़ी पेटीकोट लेना है ले लेना। हम यहाँ से सीधे दिल्ली जायेंगे, तुम्हे जो चाहिए खरीद लेना. हमारे पास बस १ दिन है तैयारी के लिए. हम समय व्यर्थ नहीं कर सकते.”, राजीव ने कहा.

बेचारा शेखर… उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो इस बात को लेकर खुश हो या फिर चिंतित. पर अब तो उसने पत्नी बनने के लिए हाँ कर दी थी।

कुछ घंटो बाद वो दिल्ली पहुँच गए पर इस वक़्त शिखा बनकर नहीं शेखर बनकर सीधा वो एक होटल चले गए.

“राजीव.. मेरे ख्याल से अच्छा होगा कि शौपिंग के लिए जब हम जाए तो मैं शिखा बनकर चलू तुम्हारे साथ. वरना एक आदमी बनकर अपनी साड़ी के टेस्ट बताने में मुझे संकोच भी होगा और दूकान वाले भी मन ही मन डाउट करेंगे.”, शेखर ने राजीव से कहा.

“जैसा तुम्हे ठीक लगे. वैसे भी अच्छा होगा कि हम दोनों अब पति-पत्नी की तरह बर्ताव करना शुरू कर दे तो मेरे माँ बाप के सामने हम रेडी रहेंगे. वैसे भी तुम्हारे अलावा किसी लड़की के साथ मैंने समय नहीं बिताया है. मुझे पता भी नहीं कि पत्नी के साथ कैसे रहते है. मैंने कभी उस तरह से सोचा नहीं न.”, राजीव ने कहा.

बिना समय व्यर्थ किये शेखर ने बाथरूम जाकर कपडे बदले और शिखा के रूप में आ गयी. उसने एक मॉडर्न कुर्ती पहनी थी लेग्गिंग्स के साथ और हाथ में एक मैचिंग क्लच भी था जिसे उसने एक बड़े पर्स में रख दिया. और एक हल्का सा नेचुरल लुक देने वाला मेकअप किया था.

बाथरूम से शिखा बाहर आई तो राजीव उसे देखते रह गया और बोला, “क्या बात है मेरी पसंद इतनी बुरी नही है? ये कपडे और सामान बड़े अरमानो के साथ तुम्हारे लिए ही लाया था?”

“डिअर… इस कुर्ती के साथ तो मैं चप्पल भी पहन सकती हूँ.”, शिखा ने प्यार से राजीव से कहा।

राजीव ने भी बिना और सवाल किये शिखा का हाथ पकड़ा. दोनों कमरे से निकलने ही वाले थे कि शिखा ने रुकने को कहा. “क्यों क्या हो गया अब?”, राजीव ने पूछा.

“रुको तो ज़रा. अब मैं तुम्हारी पत्नी हूँ तो मुझे और तुम्हे साथ में पति पत्नी की तरह चलना चाहिए न?”, शिखा हँसते हुए बोली. और फिर राजीव की बांह को अपने दोनों हाथो से पकड़ कर उसके बेहद करीब आ गयी. इतने करीब कि उसके नकली मगर नर्म नर्म स्तन राजीव की बांह से दबने लगे.
पर शिखा के नकली स्तनों के स्पर्श के बावजूद राजीव पर ज़रा भी फर्क नहीं पड़ा।

“अच्छा अब दूसरी दूकान चले?”, शिखा ने राजीव से कहा.

“दूसरी? अभी तुम्हे और भी शौपिंग करना है?”, राजीव ने अचरज से कहा.

“ऑफ़ कोर्स! अभी तो शौपिंग शुरू हुई. अभी तो बहुत सी साड़ियाँ खरीदनी है.”, शिखा बोली.

“कितनी और लेनी है?”, राजीव ने अपने सर पर हाथ रख थक हार कर पूछा.

“कम से कम १२ और! मैं एक भी साड़ी रिपीट नहीं करूंगी.?”

राजीव को अब समझ आ रहा था कि पति बनने का रोल करना तो उसके लिए भी मुश्किल होगा.

“आह.. खाना खाकर मज़ा आ गया. अब तो मैं बस कपडे बदलकर सोने वाला हूँ.”, राजीव ने होटल के कमरे में वापस आकर कहा. पूरे दिन में उन दोनों ने आज १८ साड़ियाँ खरीदी थी और फिर कई साड़ियों के लिए तो ब्लाउज भी सिलाने थे. इतने सारे ब्लाउज के डिजाईन चुनने में और टेलर को अपना नाप देने में ही शिखा ने २-३ घंटे लगा दिए थे. दिन भर की शौपिंग के बाद खाना खाकर अब दोनों थक हार कर वापस आये थे.

“ठीक है तुम कपडे बदल लो. मैं भी बदल लेती हूँ.”, शिखा तो जैसे पूरी तरह लड़की बनकर रम चुकी थी. इस वक़्त तो वो अपनी सभी साड़ियों को एक बार फिर निकाल कर बारीकी से निरिक्षण कर रही थी. कुछ देर के बाद शिखा बिस्तर पर से उठी और एक हाथ में नाइटी लेकर बाथरूम चली गयी.

जब वो बाथरूम से निकली तो राजीव डबलबेड के दुसरे सिरे पर लेट चूका था. शिखा तो अपनी नाईटी पहनी हुई बहुत ही खुबसूरत लग रही थी. आखिर उसकी नाईटी भी बड़ी सेक्सी थी. उसका बदन लगभग एक औरत की भाँती ही लग रहा था. पर फिर तुरंत ही उसने अपनी बांह के अन्दर हाथ डाला और अपनी ब्रा का हुक खोलकर ब्रा निकालने लगी. उसकी ब्रा बहुत सेक्सी थी. यदि राजीव की जगह कोई और आदमी होता तो वो तो उतावला हो जाता. पर फिर ब्रा के साथ साथ शिखा के नकली स्तन भी बाहर निकल गए और वो राजीव के बगल में आकर बैठ गयी.

“तुमने ब्रा क्यों उतार दी?”, राजीव ने पूछा.

“ओहो. दिन भर के बाद रात को हर लड़की बिना ब्रा के सोती है. कम्फ़र्टेबल लगता है.”, शिखा बोली और अपनी ब्रा और स्तनों को बगल के ड्रावर में रखने लगी.

बिना स्तनों के उभार के भी शिखा एक रूपमती औरत लग रही थी. पर कुछ और भी था जो उसके स्त्री रूप से थोडा भिन्न था. उसकी नाईटी में निचे की ओर उसके लिंग का उभार दिख रहा था. नहीं वो तना नहीं था पर उभरा हुआ था.

“तुमने पेंटी भी नहीं पहनी है?”, राजीव ने पूछा.

“नहीं… नाईटी में मुझे खुला खुला सोना अच्छा लगता है. वैसे भी सब कुछ तो ढका हुआ है फिर पेंटी की क्या ज़रुरत? मैं तो कहती हूँ तुमको भी कभी नाईटी ट्राई करनी चाहिए राजीव”, शिखा मुस्कुराकर बोली और फिर लेटकर रजाई के अन्दर घुस गयी.

राजीव मन ही मन कुछ सोचते हुए पलटकर गुड नाईट कह कर सो गया. वो बहुत थक गया था. अब कुछ न ही सोचे तो अच्छा है. पर उसे इस वक़्त भी एहसास हो रहा था कि पत्नी साथ हो तो जीवन कैसे बदलता है. क्या वो सचमुच ये झूठ-मुठ की शादी में अपने माता पिता के सामने एक पति होने का नाटक कर सकेगा? शेखर तो जैसे पत्नी के रोल के लिए पूरी तरह तैयार लग रहा था, पर क्या वो तैयार था?

आखिर वो घडी आ ही गयी थी. जब शिखा राजीव के घर उसकी पत्नी के रूप में कदम रखने वाली थी। अब तक तो सब ठीक था पर शिखा अब नर्वस होने लगी थी. अब तो उसकी असली परीक्षा शुरू होने वाली थी. उसने अपनी साड़ी को देखा और सोचने लगी कि यह साड़ी अपने सास ससुर के समक्ष पहली बार आने के लिए सही है या नहीं.

चेहरे से ही थोड़ी घबरायी हुई लग रही थी वो. शिखा ने एक भारी भरकम साड़ी पहनी थी जो एक बहु के लिए बिलकुल सही थी जो अपने सास ससुर से पहली बार मिलने वाली थी. हाथ में कंगन भी थे जो राजीव ने उसे खरीद के दिए थे. पर न जाने शिखा कहाँ खो गयी थी.

इस वक़्त अचानक से ही शिखा की जगह शेखर था. बाहर तन पर तो साड़ी थी पर मन एक पुरुष का था .. शेखर का. “ये क्या कर रहा है शेखर?”, उसके मन ने उससे कहा. जिस साड़ी में शिखा इठलाती हुई आई थी और जो गर्व से अपने बड़े से मंगलसूत्र को पहनकर पत्नी बन इठला रही थी, उसी औरत की जगह अब शेखर था…

एक आदमी जो उस साड़ी को पहनकर बहुत असहज महसूस कर रहा था. वजनी स्तन और ऊपर से भारी साड़ी शेखर को विचलित कर रही थी. इतना विचलित की शेखर उस साड़ी को उतारकर अब बस शर्ट पेंट पहनकर वहां से बस निकल जाना चाहता था. और उसके चेहरे से उसकी असहजता राजीव से छुपी न रही.

“क्या बात है शिखा. परेशां दिख रही हो तुम”, राजीव ने पूछा. “नहीं कुछ नहीं”, शेखर ने किसी तरह जवाब दिया. पर ये क्या उस खुबसूरत लड़की से इतनी मर्दानी आवाज़? वो आवाज़ सुनकर तो राजीव भी आश्चर्य में था. बीते दिन में शिखा के मुंह से उसने मर्दानी आवाज़ नहीं सुनी थी.

शेखर भी ये समझ गया था. उसने एक बार फिर लड़की की आवाज़ निकालने की कोशिश की और कहा, “नहीं कुछ बात नहीं है.” पर उसकी आवाज़ थोड़ी मर्दानी और थोड़ी लड़की का मिक्स थी. शेखर के अंग अंग में डर के मारे रोंगटे खड़े हो गए थे. इतने समय से शिखा के रुप में वो पूरी तरह औरत की तरह सोच रहा था पर अचानक ही वो एक बार फिर मर्द बन चूका था.

एक साड़ी पहना हुआ मर्द. जहाँ पहले स्त्री के हाव-भाव उसके लिए बिलकुल आसान थे अब वो सिर्फ एक औरत होने का नाटक करने की कोशिश कर रहा था. वो कोशिश करता रहा कि एक बार फिर शिखा वापस आ जाए पर वो वापस नहीं आई. एक मर्द राजीव को अपने पति के रूप में देखकर उसे खुद से शर्म आने लगी कि वो इस बात के लिए तैयार कैसे हो गया.

और तभी २ लोगो की आकृति उनके सामने दिखने लगी. राजीव के चेहरे के उत्साह को देखकर शेखर को समझ आ गया था कि यही उसके सास ससुर है. शेखर की कमर पर पेटीकोट और साड़ी उसे बहुत टाइट और भारी लगने लगी. वो असहज होकर अपनी साड़ी संभालने लगा. और सामने जो औरत उसकी ओर आगे बढती हुई दिखाई दी… उसे देखकर तो ऐसा लगा जैसे किसी टीवी के सास बहु के सीरियल की तरह की एक अमीर घराने की सास उसके सामने निकल आई हो. भारी साड़ी, भारी गहने और गोल-मटोल शरीर...।

उस सास को देखकर तो शेखर अपने ससुर की ओर देखने की भी नहीं सोच पा रहा था. वो दोनों अब राजीव और शेखर के बहुत करीब थे. राजीव के इशारे से उसे समझ आ गया था कि उसे एक बहु की तरह झुककर अपने सास ससुर के पैर छूने है. पर हाय यह क्या… झुकते ही उसका एक नकली स्तन ब्रा से निकल कर सरककर बीच में आ गया. किसी तरह तो शेखर ने झुके झुके ही अपने स्तन को वापस सही जगह लाया और यही उम्मीद किया कि किसी ने उसे ऐसा करते देखा न हो.

“वाह मेरी बहु रानी तो बहुत सुन्दर है”, शेखर की सास ने उसके चेहरे को हाथ लगाते हुए कहा. बहुरानी शब्द सुनकर ही जैसे शेखर अन्दर ही अन्दर चिढ गया. पर उसकी सास इस वक़्त रुकने कहा वाली थी. उसने शेखर की साड़ी के पल्लू को शेखर के सर के ऊपर रखते हुए उसके पल्लू के दुसरे छोर को उसके ब्लाउज पर से ढंकते हुए शेखर के हाथ में पकडाती हुई बोली,

“तुम बहुत सुन्दर हो बहु. पर एक औरत और भी सुन्दर लगती है जब उसके सर घूँघट से ढंका हुआ हो!” जहाँ शेखर की सास यह कह कर मुस्कुरा रही थी वहीँ शेखर को अंदाजा हो रहा था कि अगले १४ दिन उसके लिए आसान नहीं होने वाले है.

फिर सभी वहां से सामान लेकर घर के अंदर जाने लगे. साड़ी और हील में शेखर को चलने में न जाने क्यों दिक्कत हो रही थी.
उसके भारी स्तन जो उससे जगह पर संभल नहीं रहे थे वो और मुसीबत बने हुए थे. साड़ी की गर्मी में उसके ब्लाउज में उसे बहुत पसीना भी आ रहा था. आखिर में परेशान होकर बाथरूम चला गया.

उसने झट से अपने ब्लाउज को खोला ताकि कुछ हवा लग सके और उसका पसीना सूखे. उसने बहुत सेक्सी ब्रा पहन रखी थी. पर अब ब्रा उसकी परेशानी का सबब थी. कम से कम कुछ देर के लिए उसके सीने को खुला खुला महसूस हुआ तो उसे अच्छा लगने लगा. वो अपना पल्लू हिलाते हुए अपने सीने पर हवा करने लगा.

वो ज्यादा देर बाथरूम में रह भी नहीं सकता था. उसने अपनी ब्रा का स्ट्राप को थोडा और जोर से कस दिया ताकि उसके स्तन जगह पर टीके रहे. १४ दिनों की उसकी मुसीबत की तो यह बस शुरुआत ही थी. उसने अपनी ब्लाउज के हुक लगाये और एक पल चैन की सांस लेते हुए वहीँ शीशे के सामने खड़ा रहा.

“बहु… ओ बहु..”, उसे बाहर से उसकी सास की आवाज़ आई तो उसने झट से अपने ब्लाउज को आँचल से ढंका और सर पे एक बार फिर घूँघट लेकर बाहर आ गया. आओ बहु खाना लग गया है।

“खाना खाकर.... बहु तुम अपनी सास से कुछ दिनों में मारवाड़ी खाना बनाना सिख लेना. असली मज़ा तो उसी में है.”, ससुर ने जब शेखर से कहा तो शेखर से कुछ और न कहा गया. खाने के बाद उसके सास ससुर अपने कमरे में आराम करने चले गए।

किसी तरह सास ससुर की सेवा करते हुए उसका दिन बिता और फिर थक हारकर वो कुछ कपडे जैसे पेटीकोट और ब्रा वगेरह जिसे उसने मशीन में धोये थे उन्हें लेकर कमरे में आया जहाँ राजीव बिस्तर पर आराम से लेटा हुआ था. उसने उन कपड़ो को बिस्तर पर रखते हुए राजीव से कहा,

“सुनो तुम इन कपड़ो को तह करने में मेरी मदद करोगे प्लीज़?” बेचारी शिखा को दिन भर काम करते देख राजीव ने भी उसकी मदद करने की सोचा. और उन कपड़ो में सबसे पहले तो अपनी पत्नी की ब्रा को पकड़ा और बोला, “शिखा तुम्हारी ब्रा तो बहुत बड़ी है यार. और सुन्दर भी.”

राजीव की बात सुनकर शेखर खीज सा गया. और उसने एक दूसरी ब्रा उन कपड़ो से निकालकर राजीव को पकडाई. “ये तो बहुत ही बड़ी है यार.”, राजीव बोला. “हाँ… इसमें मेरे साइज़ के ३ औरतों के स्तन आ जायेंगे. तुम्हारी माँ की ब्रा है ये”, शेखर ने कहा.

शिखा की बात सुनते ही राजीव सकपका गया और वो ब्रा तुरंत उसके हाथ से छुट गयी. “ये मुझे देने की क्या ज़रुरत थी. तुम ही संभालो इन कपड़ो को.”, राजीव बोला.

“ठीक है.”, शेखर ने कहा. “मैं बाथरूम से कपडे बदलकर आती हूँ.”, उसने आगे कहा और अपना ब्लाउज उतार कर अलमारी से नाईटी निकालकर बाथरूम चला गया. न जाने क्यों आज राजीव का अपनी पत्नी शिखा के ब्लाउज को पकड़ने का मन कर गया. उसने उसे अपने हाथो में पकड़ा तो उसे ब्लाउज की आस्तीन में अन्दर पसीने से गिला धब्बा दिखाई दिया. बेचारी शिखा ने दिन भर मेहनत जो की थी.

भले शेखर एक औरत के रूप में औरतों वाले डीयो लगाए था पर राजीव ने जब उस ब्लाउज की आस्तीन को सुंघा तो उसे एक मर्दानी पसीने की गंध आई. वहीँ शेखर बाथरूम में साड़ी और पेटीकोट उतारकर नाईटी पहन रहा था. बिना ब्रा और बिना पेंटी के नाईटी पहनना आज उसकी मजबूरी थी. दिनभर टाइट ब्लाउज और भारी स्तनों और साड़ियों से वो आज़ाद होना चाहता था.

अब नाईटी में खुला खुला उसे बहुत अच्छा लग रहा था. कपडे बदलकर जैसे ही वो कमरे मे आया तो राजीव थोडा सकपका गया और उसने तुरंत ही अपने हाथ से ब्लाउज को साइड में रख दिया. पर शेखर इन सबसे अनभिग्य था और वो अपनी साड़ी पेटीकोट ब्लाउज वगेरह को बिना समेटे ही उठाकर एक कोने में रखकर सो गया.

उसके लिए अगला दिन और मुश्किल होने वाला था. उसी बिस्तर के दूसरी ओर राजीव कमरे की धीमी धीमी रौशनी में शेखर को नाईटी में उसकी नितम्ब को देख कुछ सोच रहा था. उसका मन कर रहा था कि वो शिखा की कमर को पकड़ कर थोडा सहलाए. पर बिना कुछ किये वो बेताबी में सोने की कोशिश करता रहा.

जब एक आदमी सुबह सुबह उठे तो उसे क्या होता है? यदि उसने अपने शरीर की उत्तेजना का अंत न किया हो तो सुबह सुबह उसका लिंग खड़ा होता है. और ऐसा ही हाल शेखर का था. उसकी नाईटी में उसका लिंग पूरी तरह से उसकी नाज़ुक नाईटी में तना हुआ था. वो अब भी नींद में था और शेखर नींद में आंहे भर रहा था और न जाने किन सपनो में खोया हुआ था.

पर तभी अलार्म बजा तो उसकी नींद खुली. उस वक़्त सुबह के ६ बजे थे. उसका लिंग तना हुआ था जिसको वो चाह कर भी छुपा नहीं सकता था. उसे एक बार फिर जल्दी से उठकर एक बहु के रूप में अपना दिन शुरू करना था. उसे अपने लिंग का एहसास था जिसकी वजह से उसी थोडा शर्म भी आ रही थी. फिर भी वो उठा और अपने लम्बे बालो को अपनी उँगलियों से सवारकर एक बालो का जुड़ा बनाकर अपने पैरो को अपने शरीर के करीब मोड़ कर अपने तने हुए लिंग को छुपाने की असफल कोशिश करने लगा. राजीव ये सब देख रहा था पर उसने कुछ कहा नहीं. “तुम इधर मत देखो जी.”, एक पल को तो जैसे शेखर के अन्दर शिखा वापस आ गयी थी जो शर्माते हुए बोल रही थी.

शर्माते हुए वो उठी तो उसके साथ उसका खड़ा लंड उसकी नाईटी को उठाकर उसे साथ उठ खड़ा हुआ. शिखा के मन करने पर भी राजीव उसे मुस्कुराते हुए देख रहा था. शर्माती हुई शिखा बाथरूम में पहुंची. वो जल्दी से नाईटी उतार कर शावर में जा पहुंची. गरम पानी उसके लिंग पर बहने लगा तो वो उसे छूने लगी. पानी के असर से उसका लिंग का तनाव थोडा कम हुआ. फिर बालो को सुखाकर एक पेंटी और ब्रा पहनकर वो कमरे में आ गयी. राजीव अब भी उसकी पेंटी को घुर रहा था. पर उसे अनदेखा कर शिखा अपनी साड़ी पहनने लगी. एक बार फिर बहु बनने को तैयार.

सज्धज कर जब शिखा बाहर निकली तो उसकी सास पहले से ही तैयार बैठी हुई थी. उनको देखकर तो यकीन ही नहीं होता था कि कोई इतने सवेरे ऐसे तैयार भी हो सकता है. सास को देखते ही एक बार फिर शिखा न जाने कहाँ रफूचक्कर हो गयी और एक बार फिर रह गया था शेखर एक औरत के लिबास में. “माँ जी. मैं अभी नाश्ता बनाती हूँ आप सभी के लिए.”, शेखर ने घूँघट के साथ अपनी सास से कहा. तो सास मुस्कुरा दी और बोली, “हाँ चल. मैं भी तुझे जरा सिखाती हूँ कि मेवाड के परिवार की बहु कैसे नाश्ता बनाती है”

एक आदमी के लिए बहु बनना बहुत मुश्किल होता है. यदि इस वक़्त वो दिल से शिखा होती तो वो बड़ी खुश होती पर इस वक़्त तो शेखर था जो बहु होने का रोल अदा कर रहा था. नाश्ता बनाते हुए जाने अनजाने में उसकी सास के स्तन उसकी बांह को छुआ जाते थे. टेंशन में होते हुए भी उन स्तनों के स्पर्श से शेखर पर कुछ असर होने लगता. उसका दिमाग सोचने लगता कि उनके स्तन दबाकर कितना मज़ा आता.

उसे ऐसा नहीं सोचना चाहिए पर एक आदमी का दिमाग कुछ भी कभी भी सोच सकता है. उसकी साड़ी के अन्दर उसका लंड खड़ा होने लगा था. पर फिर भी किस्मत से भारी साड़ी और भारी पेटीकोट की वजह से उस लंड का उभार बाहर नहीं दिख रहा था.

सभी को नाश्ता कराने के बाद जब राजीव ऑफिस चला गया

तो शेखर की सास ने उससे कहा, “बहु.. चल मैं तुझे वो साड़ियाँ दिखाती हूँ जो मैं तेरे लिए लेकर आई हूँ.” “और फिर एक साड़ी मैं तुझे पहना भी दूँगी. तुझे मारवाड़ी तरह से साड़ी पहनना नहीं आता होगा न.”

हाय… यदि शेखर का लंड एक बार फिर खड़ा हो गया तो जब उसकी सास अपने हाथो से उसे साड़ी पहना रही होगी?, ये सोचकर ही शेखर की चिंता बढ़ गयी. पर उसके पास कोई चारा नहीं था. अन्दर कमरे में शेखर की सास ने उसे ढेर सारी साड़ियाँ दिखाई जिसमे से शेखर ने एक उस वक़्त पहनने के लिए पसंद की. वैसे तो सभी साड़ी एक से बढ़कर एक सुन्दर थी पर उसने जान बुझकर ऐसी साड़ी पसंद की जिसका पेटीकोट सबसे ज्यादा भारी था और जिसमे खूब सारी चुन्नटें थी. शायद इनके पीछे उसका लंड छिप जाए. नयी साड़ी पहनने के पहले शेखर बाथरूम में जाकर अपनी पेंटी के ऊपर २ पेंटी और पहन आया ताकि लंड पर काबू रख सके. और फिर उसने वो भारी पेटीकोट पहना. जितना वो अपने लंड के बारे में सोचता वो और खड़ा होने लगता.

फिर भी किसी तरह हिम्मत कर वो बाहर आया जहाँ उसकी सास अपने हाथ में साड़ी पकडे खड़ी थी. और फिर बिना समय व्यर्थ किये वो शेखर की कमर पर अपने हाथो से साड़ी लपेट कर ठूंसने लगी. शेखर का इस वक़्त बुरा हाल था. उसकी सास के उसकी कमर पे नाजुक स्पर्श से उसका लंड उफान पर था. किस्मत से पेटीकोट और ३ पेंटीयाँ उस उफान को काबू में रख पा रही थी. कब कब ये साड़ी पहनाना पूरा हो यह सोचकर ही उसके ब्लाउज के अन्दर उसके पसीने छुट रहे थे और ब्लाउज का अस्तर उस पसीने से भीग रहा था. कहीं उसकी सास को उसके पसीने की खुशबु न आ जाए वरना उसकी सास को शक हो सकता है.

इसी चिंता में जैसे ही उसकी सास ने साड़ी पहना कर उसके सर पर घूँघट रखा तो उस घूँघट को अपने हाथ से पकड़ कर शेखर की जान में जान आई. उसे आगे से इसी तरह से अच्छी तरह से साड़ी पहननी होगी क्योंकि वो दोबारा अपनी सास के द्वारा साड़ी पहनाने का रिस्क नहीं ले सकता था.

अब जब चैन की सांस वो ले चूका था तो खुद को आईने में देख वो अपने रूप पर इठ्लाने लगा. वो सचमुच बेहद सुन्दर मारवाड़ी बहु लग रहा था. शिखा एक बार फिर उस पर हावी हो रही थी जो अब उस रूप में गहरी सांसें ले रही थी.

शेखर इस वक़्त अपने रूप पर इठलाना चाहता था पर उसकी सास की उस पर नज़र उसे थोडा नर्वस कर रही थी. “बहु बस एक कमी लग रही है”, उसकी सास ने शेखर से कहा. “क्या कमी है माँ जी?”, उसने किसी तरह पूछा. अभी भी औरत की आवाज़ निकाल कर एक बहु की तरह बर्ताव करना शेखर के लिए मुश्किल था.


“मारवाड़ी बहु बिना नथ के पूरी नहीं होती. तूने अपने नाक में छेद क्यों नहीं करवाया है? हम लोग अभी जाकर तेरी नाक छिदा कर आते है.”, सास के मुंह से ये बात सुनकर शेखर के पैरो तले जमीं खिसक गयी.

शेखर ने कान में तो छेद कराये थे और क्योंकि लडको में भी ये फैशन होता है तो उसे कान के छेद से कोई प्रॉब्लम नहीं थी. पर नाक के छेद? अपनी सास को लाख समझाने के बाद भी उसकी सास नहीं मानी. बल्कि वो नाराज़ होने लगी थी. और इसी मजबूरी में शेखर अपनी सास के साथ शौपिंग मॉल आ गया, जहाँ अब वो अपनी नाक छिदने का इंतज़ार कर रहा था. वहां औरतों और लोगो के बीच वो भारी साड़ी पहने राजपूतो की बहु के रूप में बिलकुल अलग लग रहा था.

उसकी सास की वजह से उसे सर पर घूँघट भी रखना पड़ा था सो अलग. वहां लोग उससे तरह तरह के सवाल कर रहे थे. और वो अपना घूँघट और साड़ी संभाले उनके जवाब दे रहा था. भारी पायल और उसकी चूड़ियों की खनक और इस तरह से साड़ी पहने वो सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर रहा था. अब बस वो कैसे भी ये नाक छिदा कर वहां से जल्दी से जल्दी जाना चाहता था. कान के छेद कराने के अनुभव से तो वो इस दर्द से वाकिफ था. और फिर जैसे ही उसके नाक का छेद हुआ। सास ने पर्स से पैसे दिए और अपनी सास के साथ कार में वापस आ गया.

घर पहुँचते ही शेखर को एक बड़ी सी गोल नथ पहनाई गयी तो उसकी सास बेहद खुश हो गयी. पर अभी तो अध दिन ही गुज़रा था. बाकी पूरे दिन वो अपनी सास के साथ किचन में खाना बनाते रहा और अपनी सास और ससुर की सेवा करता रहा. नाक में दर्द की वजह से उसे बार बार अपनी नथ संभालनी पड़ रही थी. पूरी तरह औरत के दर्द से गुज़र रहा था शेखर.

किसी तरह दिन गुज़रा और रात को राजीव घर पर आये तो अपने पति और सास ससुर को खाना खिलाने के बाद शेखर अपने कमरे में आ गया. अपनी पत्नी को नथ पहने देख राजीव को बड़ा अच्छा लगा.

वहीँ शेखर जिसने सोचा था कि वो ये दिन शिखा बनकर ख़ुशी से गुजारेगा उसके लिए भी ये सब आसान नहीं था. वो शिखा की तरह बिलकुल महसूस नहीं कर पा रहा था. भले पूरे समय वो एक खुबसूरत बहु की तरह सजा होता था पर उसका मन बिलकुल आदमी की तरह ही सोच रहा होता था.

अगले दिन की शुरुआत भी कुछ अलग नहीं थी. सुबह से उठकर उसे बहुत सारा खाना बनाना था. शेखर की सास के कहने पर उसने आज और भी ज्यादा भारी साड़ी और पुश्तैनी भारी गहने पहनी हुई थी. इतनी भारी की उसकी मर्दानी कमर भी नाज़ुक लगने लगी थी और दर्द करने लगी थी. उसे राजीव पर गुस्सा भी आ रहा था कि वह तो ऑफिस चला जाता है पर शेखर को घर में अकेले ही बहु बनकर इतना सब कुछ करना पड़ता था.

रात को राजीव ऑफिस से घर आये तो बहुत देर हो चुकी थी. तब तक वो सिसकते हुए सो चुकी थी. नींद में कई बार दो शरीर एक दुसरे के पास आ जाते है. भले वो कुछ करे न.

ऐसा ही शेखर और राजीव के साथ हुआ था. सुबह जब उन दोनों की नींद खुली तो शेखर राजीव की बांहों में था. और राजीव का खड़ा लंड शेखर यानी शिखा की नितम्ब पर जोर से टकरा रहा था और राजीव के हाथ शेखर की रेशमी साड़ी पर थे और उसके होंठ शेखर की ब्लाउज में खुली हुई पीठ से लगे हुए थे. नींद खुलते ही जैसे ही शेखर को ये एहसास हुआ और वो ज़रा होश में आया तो वो झट से उठकर बिना कुछ कहे अपनी साड़ी संभालते हुए बाथरूम आ गया. उसे समझ नहीं आ रहा था कि किसी से कहे तो कहे क्या. ये औरत का रूप उसके लिए कितनी मुसीबत बन गया था.

शेखर और राजीव दोनों को पता था कि सुबह की उस अनजाने में नींद में हुई गलती से दोनों के बीच एक अनकहा टेंशन था. इस वजह से दोनों ने ज्यादा बातें नहीं की और राजीव अपने ऑफिस जल्दी ही चले गए. वहीँ शिखा घर पर अपने सास ससुर की बाकी दिन की तरह सेवा करती रही. शिखा की सास उससे दिन भर कुछ न कुछ करवाती रहती थी. मुश्किल से दोपहर में आधे घंटे की नींद का उसे मौका मिला था पर फिर उसकी सास की आवाज़ से उसे उठाना पड़ा था. उसकी नाक में नथ पहनकर अभी भी दर्द था.

पर पिछले कुछ दिनों में उसे लगने लगा था कि राजीव भी उसके शरीर की तरफ आकर्षित होने लगा था. उसे समझ नहीं आ रहा था कि ऐसा कैसे हो सकता है. राजीव तो जानता है कि वो एक लड़का है. और उसके सामने एक लड़की और एक पत्नी बनकर रह रहा था. उसे ये नहीं समझ आ रहा था कि राजीव का किस वजह से आकर्षण है.

वैसे तो ये दिन शेखर/शिखा के लिए उतना बुरा नहीं था. सास ससुर की सेवा तो वो रोज़ की तरह ही कर रही थी. पर इस वक़्त तक शिखा के अन्दर छुपा हुआ शेखर इन सब से तंग आ चूका था.

और उस दिन जब राजीव ऑफिस से घर देर से पहुँच कर कमरे में आये तो शिखा का गुस्सा उन पर टूट पड़ा. “कहाँ थे तुम इतनी देर तक? मैं यहाँ दिन भर तुम्हारे माँ बाप की सेवा कर रही हूँ और तुम घर पर समय पर भी नहीं आ सकते?”, शिखा का चेहरा एक गुस्से से भरी पत्नी की तरह तमतमा रहा था.

“ओहो शिखा. तुम तो जानती हो कि आज के दिन हफ्ते में एक बार हम सब ऑफिस के बाद खाने के लिए बाहर जाते है. तुम तो जानती हो कि उस पार्टी में देर हो जाती है.”, राजीव ने एक अजीब सी मुस्कान के साथ जवाब दिया. वैसी मुस्कान जो आदमी शराब पीकर देता है.

“तुम शराब पीकर आये हो?”, शिखा और गुस्से से भड़कने लगी तो राजीव ने गुस्से से भरी शिखा को अपनी बांहों में पकड़ लिया.

“शिखा तुम तो मेरी पत्नी की तरह गुस्सा कर रही हो. शराब ही तो पि है. ऐसा क्या बुरा किया?”, राजीव ने कहा और शिखा को बांहों में लेने लगा.

“मुझे छोडो राजीव”, शिखा राजीव की बांहों से बाहर निकलने की कोशिश करने लगी.

“तुम बीवी बनकर सचमुच बहुत खुबसूरत लग रही हो शिखा”, नशे में धुत राजीव शिखा को और जोर से पकड़ने लगा और उसे चूमने की कोशिश करने लगा. राजीव अब शिखा की नितम्ब को बहुत जोर जोर से अपने हाथ से दबा रहा था और अपने खड़े लंड को शिखा के शरीर से दबा रहा था.

“छोडो मुझे राजीव.”, शिखा खूब कोशिश कर खुद को छुडाने लगी. “मै लड़का हू राजीव. तुम मेरे साथ ऐसा नहीं कर सकते.”, शिखा गिडगिडाने लगी.

पर राजीव कहाँ मानने वाला था. उसने शिखा को और मजबूती से पकड़ लिया और उसकी साड़ी पर हाथ फेरते हुए शिखा के लंड को अपने हाथ से पकड़ कर बोला.

“हाँ तुम लड़के हो. पर तुम किसी लड़की से कम नहीं हो डार्लिंग.”, राजीव हँसने लगा. शिखा/शेखर का चेहरा अब लाल हो गया था.

“डार्लिंग मैं कबसे तुमको प्यार करना चाहता हूँ. तुम इस तरह मुझसे दूर न भागो.”, राजीव शिखा से कहने लगा.

“राजीव प्लीज़.. मैं तुमसे भीख मांगती हूँ.”, शिखा सचमुच राजीव के सामने कमज़ोर पड़ गयी थी क्योंकि राजीव जो भी हो एक मजबूत राजपूत मर्द था जिसकी गिरफ्त से छूटना शिखा के लिए मुश्किल था.

राजीव ने ज़बरदस्ती शिखा को बिस्तर पर उल्टा लिटाया और उसकी साड़ी उठाने लगा. उसके पेटीकोट के अन्दर हाथ डालकर शिखा की पेंटी उतारने लगा. शिखा के दोनों हाथ उसकी पीठ के पीछे राजीव ने अपने एक हाथ से मजबूती से पकडे हुए था. और वहां शिखा असहाय ही लेटी हुई थी जिसकी पेंटी अब उतर चुकी थी और साड़ी पेटीकोट राजीव ने कमर तक उठा लिया था.

“नहीं राजीव”, शिखा एक बार फिर बोली.

“डार्लिंग. तुम चिंता मत करो. तुम्हे भी मज़ा आएगा. मैं धीरे धीरे…”, राजीव ने कहा और उसने शिखा/शेखर की गांड में अपना लंड डाल दिया. शिखा के मुंह से एक धीमी सी दर्द भरी कराह निकली. पेटीकोट पहनकर शिखा सचमुच अब एक औरत की मुश्किलों को खुद महसूस कर रही थी. और राजीव अपना लंड शिखा की गांड में जोर जोर से अन्दर बाहर करने लगा. बेचारी शिखा अब कुछ और नहीं कर सकती थी. और वो बस इस बुरे समय के ख़तम होने का इंतज़ार करने लगी....!

जब राजीव ने अपनी हवस पूरी कर ली तब वो शिखा के बदन से उठकर अलग हुआ और शिखा को उल्टा पलट कर लिटा दिया. “मैं तुम्हे भी खुश करूंगा मेरी शिखा डार्लिंग.”, राजीव ने कहा और एक बार फिर शिखा की साड़ी उठाकर शिखा के लंड को हिलाने लगा. एक कमज़ोर औरत सा अनुभव करती हुई शेखर का लंड इस वक़्त कैसे खड़ा होता भला? और ऐसे ही कोशिश करते करते राजीव वहीँ उसकी गोद में सो गया. और शिखा वहां बस लेटी रही.

आखिर में उसने 'पेटीकोट वाले लड़के' होने का सबसे बुरा रूप देख ही लिया था. शेखर अब एक औरत होने के सबसे बड़े सुख और दुःख दोनों को समझ चूका था.

जो शेखर के साथ हुआ उसके बाद उसके शरीर के उस हिस्से में दर्द होना स्वाभाविक था. अब तो उसकी चाल भी बदल गयी थी. उस दर्द की वजह से वो पैर फैलाते हुए चल रहा था. किसी तरह उस दर्द के साथ उठकर अपने मर्दाने कपड़े पहनकर रात के अंधेरे में इतनी दूर निकल गया कि उसकी परछाई भी किसी को दिखाई ना दे।



समाप्त..
 

Aslam 67

Active Member
697
1,642
124
"SALMAN KA JAADUI BRACELET"

MAIN CHARACTER -SALMAN KHAN, SHAHRUKH KHAN,GAURI KHAN,SHERA,KARAN JOHAR, ANUSHKA, DEEPIKA,ALIA,TAAPSEE.
JAISA KI AAP SAB JANTE HI BOLLYWOOD KE SUPERSTAR SALMAN KHAN PICHLE KAAFI SAALON SE APNE HAATH MEIN IK NEELE RANG KA BRACELET PEHENTE HAI.LEKIN YE KOI AAM BRACELET NAHI HAI.BALKI ISS BRACELET MEIN IK BUTTON HAI JO KI TIME KO ROK DETA HAI AUR SALMAN KE ALAWA SAB KO FREEZE KAR DETA HAI.AUR YADI SALMAN CHAHE TOU KISI KO BHI UNFREEZE YA DUBARA FREEZE KAR SAKTE HAI.ISS RAAZ KE BAARE MEIN SALMAN KE GHAR WAALO KO BHI NAHI PTA.SIRF 2 HI LOG ISS RAAZ KO JAANTE HAI .IK HAI SHERA AUR DUSRA KARAN JOHAR.KARAN AUR SALMAN HAAL HI MEIN IK NAYI FILM KE BAARE MEIN DISCUSS KAR RAHE THE .ISSI DORAAN SALMAN NE KARAN KO ISS BRACELET KA RAAZ BTAYA THA.

SAB JAANTE HAI KI SAAL 2023 SRK KA COMEBACK YEAR THA.SRK KI 3 FILMEIN RELEASE HUI AUR TEENO BLOCKBUSTER SAABIT HUI.WAHI SALMAN KI TIGER3 SE SABKO BOHOT UMMEED THI LEKIN WO KUCH KHAAS KAMAAL NAHI KAR PAYI.AUR SRK KE CAMEO NE SALMAN KI SAARI LIMELIGHT CHEEN LI THI.ISSI WAJAH SE SALMAN KO SRK SE JALAN HONE LAGI THI.HAR BADA DIRECTOR SALMAN KO APNI FILMON SE NIKAAL KAR SRK KO LENA CHAHTE THE.
TOU AB MAIN STORY PAR AATE HAI.SRK KI WIFE GAURI KA BIRTHDAY THA.SRK KE BACHE VACATION PAR GAYE THE.ISSILIYE SRK NE MANNAT MEIN IK CHOTI SI PARTY ORGANISE KI THI .AUR PARTY MEIN SIRF APNE KAREEBI DOSTON KO INVITE KIYA THA.INME SAAMIL THE SALMAN,KARAN , DEEPIKA,ALIA,ANUSHKA, TAAPSEE AUR KUCH AUR DOST.SRK KARAN AUR SALMAN AAPAS MEIN BAAT KAR RAHE THE.
KARAN - KYA BAAT HAI SHAHRUKH BOHOT ACHI PARTY ORGANISE KI HAI.
SRK- ARRE KARAN MAUKA HI DOUBLE KHUSI KA HAI.
SALMAN- DOUBLE KHUSI MATLAB.
SRK - MATLAB IK TOU GAURI KA JANAMDIN AUR DUSRA KI ISS SAAL MERI 4 FILMEIN RELEASE HUI AUR UNMEIN SE 3 BLOCKBUSTER SAABIT HUI.
SALMAN - 4 KONSI BHAI.3 HI FILMEIN AAYI TERI TOU ISS SAAL .
KARAN - HN SRK.JAWAN PATHAAN AUR DUNKI .3 HI TOU HAI.
SRK- TIGER3 BHUL GAYE .
K- ARRE WOH TOU SALMAN KI THI .
SRK - ARRE SALMAN KO KISI NE DEKHA BHI USS FILM MEIN.
YEH KEHKAR SRK HASNE LAGTA HAI.KARAN BHI THODA HASTA HAI . SALMAN KO YE BAAT BOHOT BURI LAGI THI.LEKIN FIR BHI WO SMILE KARTA HAI.
GAURI -CHLO BABY CAKE CUT KARTE HAI.
SRK GAURI KE PAAS CHLA JAATA HAI . SALMAN KO AB BOHOT GUSSA AA RAHA THA.WO APNE BRACELET KA BUTTON DABATA HAI AUR TIME RUK JAATA HAI AUR SAB FREEZE HO JAATE HAI.AB SALMAN SRK KI TARAF BADHNE LAGTA HAI.TABHI USKI NAJAR GAURI PAR PADTI HAI.GAURI BOHOT SEXY LAG RAHI THI . SALMAN KA LUND KHADA HO JAATA HAI.SALMAN SHERA AUR KARAN KO UNFREEZE KAR DETA HAI.KARAN KO TOU SAB JAANTE HAI WO IK NUMBER KA GAY HAI SRK KO DEKHKAR USKA LODA BHI UCHLANE LAGTA HAI.KYUNKI AAJ TAK USNE SRK SE GAAND MARWAYI THI AAJ PEHLI BAAR USKE PAAS GAAND MAARNE KA MOUKA THA.SALMAN AUR KARAN GAURI AUR SRK KO ANDAR BEDROOM MEIN LE JAATE HAI.SALMAN GAURI KE HAATH BED SE BAANDH DETA HAI AUR USKI AANKHO PAR PAATI LGA DETA HAI.KARAN JALDI SE SRK KO NANGA KARTA AUR KHUD BHI NANGA KAR DETA HAI AUR DOGGY STYLE POSTION MEIN SRK GAAND MAARNE LAGTA HAI.SALMAN YEH DEKHAR HAS RAHA THA .
K- SALMAN LAGTA HAI ISNE PEHLE BHI APNI GAAND MARWAYI HAI .15MIN SRK KI GAAND MAARNE KE BAAD KARAN SRK KI GAAND MEIN HI JHAD JAATA HAI.AB SALMAN APNE SAARE KAPDE UTAARKAR GAURI KO KISS KARNE LAGTA HAI .AUR USKE MOMMO KE SAATH KHELNE LAGTA HAI.AB SALMAN IK-IK KARKE GAURI KE SAARE KAPDE UTAAR DETA HAI AUR USSE NANGA KAR DETA HAI.KARAN NE GAURI KO PEHLE BHI NANGA DEKHA THA KYUNKI JAB SRK AUR GAURI SEX KARTE THE KARAN SRK LUND CHUS KAR KHADA KARTA THA. ISLIYE USSE KOI DHAKKA NAHI LAGTA .SALMAN GAURI KI CHUT PAR LUND SET KARTA HAI .
AUR IK DHAKKE MEIN PURA LUND ANDAR DAAL DETA HAI.THODE DHAKKE MAARNE KE BAAD SALMAN GAURI KO UNFREEZE KAR DETA HAI.
GAURI-AHHH BABY DHEERE KARO.PLEASEEE.
YEH SUNKAR KARAN HASNE LAGTA HAI.
G-OHHH KARAN TUM BHI YAHI HOOO.
K-HN MAIN BHI YAHI HUN.
ITNA KEHKAR WO APNA LUND SRK KE MUH MEIN DAAL DETA . SALMAN YE DEKHKAR SMILE KARTA HAI.
G-OHHH PARTTY KAB KHATAM HUII MUZHE KUCHH PTAA HI NAHII CHLA OHH.
K-TUMHI HI TOU HUM DONO KO AANDAR LAYI THI.
G-OHHH BABY TUMM KUCH BOL KYUUU NAHII RAHEE AAHHH.OHHHH YESSS.
SALMAN DHAKKE TEZZ KARR DETAA HAI.
20MIN BAAD SALMAN AUR GAURI IK SAATH JHAD JAATE HAI.KARAN BHI SRK KE MUH MEIN JHAD JAATA HAI.SALMAN GAURI KI AANKHO SE PATTI HTA DETA HAI.GAURI IKDUM SE CHOUNK JAATI HAI.SALMAN USSE FIRSE FREEZE KAR DETA HAI.AB SALMAN KARAN UN DONO KO SAAF KARKE DUBAARA KAPDE PEHNATE HAI.AUR UNHE BAAHAR LEKAR AATE HAI.BAAHAR AAKAR WO DEKHTE HAI KI SHERA NE ALIA DEEPIKA AUR TAAPSEE KO PURI TARAH NANGI KIYA HUA THA .AUR WO TEENO KO GHODI BNAKAR CHOD RAHA THA.THODI DER BAAD WO TEENO KE MUH PAR JHAD JAATA HAI.
FIR WO TEENO KO SAAF KARKE DUBARA KAPDE PEHNA DETA HAI .AB SALMAN DUBARA TIME START KARTA HAI.SAB FIRSE UNFREEZE HO JAATE HAI.GAURI KI NAJAR SEEDHE SALMAN PAR JAATI HAI USSE KUCH SAMAJH NAHI AA RAHA THA.SRK KO BHI GAAND MEIN BOHOT DARD HO RAHA THA.SALMAN AUR KARAN MAN HI MAN HASS RAHE THE.THODI DER GAURI CAKE CUT KARKE ANDAR CHALI JAATI HAI.SALMAN BHI PARTY SE JALDI NIKAL JAATA HAI.
 

Sanki Rajput

Abe jaa na bhosdk
5,735
14,474
174
"Bikhade hai Sach ya Sabut ?"

Tez raftaar se chalti ek gaadi, jiske andar ek shakhs gusse mein bhara hua tha, jo apne gusse ko stearing par nikalte hue bol raha hota hai

"Aaj ye pratik apne bhai ki wajah se bach gaya,nahi to saale ki taange tod ke fikwa deta."

Subah....9 baje.

Sadak ke kinare ek gaadi ulti padi thi aur waha police ki chaanbin chal rahi thi. Uss sadak ke aage hi kuch duri par jo gaav padta tha ussi gaav ke log bhi the waha jinse police puch tachh kar rahi thi accident ko lekr.

Sabhi ne naa me hi jawab diya tha ki hume kuch nhi pata ,lekin haa ek dhaabe waali ke yaha kaam karne wale ne bataya inspector ko
"Saab kal yaha se bike se jate hue maine yaha se aage ek dusri car ruki hui dekhi thi."

Inspector ne puchte hue bola "dusri gaadi se matlab ? Ye jis gadi ka accident hua hai wo nhi thi kya ?"

Ussne jawab dete hue kaha"nahi saab ye to gaadi nhi thi maine dekha tha"

Inspector ne fir puchha"to waha jo tha uss car ke saath uska chehra wagera dekha tha ?"

"Nhi saab,waha to koi tha hi nhi,bas car ki light band chalu-band chalu ho rahi thi"

Inspector ye sun wapas mud kar accident scene par aa gaya aur wo kuch soch raha hota hai ki piche se constable puchta hai "Dhiraj sir ye accident hi hai aap itna kyu soch rahe hai"

Dhiraj ne usse ignore kar order dete hue bola "jaakr sab clue forensic bhejwao aur wo death body bhi aur jara pata lagao kaun tha ye"

Dhiraj ne apne dimaag se filhaal samjhauta kiya aur forensic team ko sabhi clues aur details ke saath bhejne ka aadesh dena hi sahi smjha.

2 din bitne ke baad, forensic report aayi aur usme kuch Gaadi se nikle fingerprints aur DNA samples se, ek ladke ka pata chala jiska naam Ravi tha. Ravi ko gaav ke kuch logon ne pehle bhi gaadi chalate hue dekha tha.Ravi ke baare me padhte hi inspector ki aankhe chamak gayi.

Dhiraj ne Ravi ke peechhe ki khoj shuru ki, lekin Ravi ka koi pata nahi mila. 6 din bit chuke the,ek din, accident ke pass wale local dhaaba ke malik ne usse bataya ki Ravi ne unke paas subah ko aaya tha nashta karne.

Dhabe wale se fir pata karne ki koshish ki ravi ke adress ya detail lene ki to jawab naa hi me aaya dhabe wale ka aur waha kaam karne wale ladke ka bhi.

"Sahab hum nhi jaante hai, kyunki wo jabhi aata hai to nayi gaadi se aata hai."

Jo sun uska dimag saare clue ko milane laga shuru se. Unki investigation aur tej ho gayi thi naye clues ke saath.

Ek din, jab wo forensic report ko dubara se dekh raha the, unhe ek chhota sa detail notice hua - ek microfiber ka tukda, jo shayad gaadi ke seat par tha.

Is chhote se clue ne unhe ek naye track par le jaane mein madad ki. Wo sochne lage ki shayad is microfiber ke tukde se kuch aur clue mil jaye, aur wahi uski nayi investigation ki shurwuat thi.

Wo chahata to ravi ke photo ko faila bhi sakta tha lekin ye case ke liye bohot mushkil saabit hota kyuki satark hone me samay nhi lagta mujhrim ko.

Issliye Usne har jagah jahan se Ravi guzra tha ya ruka tha, usse wapas revisit kiya,uska contact number pata karne ki koshish ki par kuch haath nhi laga. Haa do jagah alag alag mila usse contact details ravi ke jo pahle ki tarah band the.

Dusre din usse phone aaya police station se ki ek garage ka location mila hai general store wale se jisne uss garage me kaam karne wale ko dekh rakha tha ravi ke saath.


Turant wo thode der me garage pahuncha apne do aur officers ke saath jaha unhe waha, alag alag gaadi ke parts dikhe jispar kuch workers paint kar rahe the aur welding ki awaaz tezz aa Rahi thi.


Waha kaam kar rahe admi se kah kar garage ke maalik ko bulawaya. Aur sakht lahje mein bolte hue garage ke malik ko photo dikhate hue puchta hai, "Kya tum Ravi ko jaante ho ya nahi? Aur yaad rakhna, jhooth bolne ki jurrat bhi nahi karna."


Garage ke malik thoda dar kar bolta hain, "Ji, nhi sahab, nhi janta hu mai aut ye hai kaun."

Dhiraj ko uske vyavhaar mein kuch ajeeb sa lag raha tha.

Usne socha ki shayad garage me kaam kar rahe admiyo se hi sahi jaankari mil sakti hai. Usne waha kaam kar rahe admiyo ko bulawya.


Usne unhe tez nigaah se dekha aur phir apne sawaal shuru kiye, "Kya tum logo me se kisi ne bhi issko yaha aate hue dekha hai kabhi ? Ye uski photo hai"

Photo dekh kar sabne naa me sir hilaya lekin unme se ek ladka garage ke maalik ki taraf dekh raha tha.jo bhanpte hi inspector ne tikhi nazro se ghura uss maalik ko aage badh

**Phatakk**

Ek jhannatedhar thappad pada garage wale ko aur tab Dhiraj bola "uthao isko aur daalo gaadi me,aur station leke chalo"


"Aur haa jo jante ho iske baare me, wo bata do chup chap, warna sidha andar jaoge."

Jo sun ek ladka unme se thoda darte hue bola, "Ji, maine isko ekaadh baar aate hue dekha hai"


Dhiraj jo dhyaan se sun raha tha, aage batane ke liye kehta hai, "Acha, tumne inhe milte hue dekha hai? Toh ye yaha kyu aata tha kuch pata wagera hai ?"

Ladka, jo ab thoda confident lag raha tha, photo ki taraf ishara karte hue kehta hai, "Ji, sahab, ye aksar yaha aate the aur mujhe bhi jaante the. Aur maine kuch raat ko unhe kuch containers load karte dekha hai kuch dafa."

Dhiraj jo ab is naye raaz ke saamne tha, woh abhi kuch bolta ki tabhi uski nazar uss ladke ke haath pe jaati hai jaha tatoo bana tha jo aadha hi tha, jise nazarandaaz kar wo puchta hai
"Kya tumhe yaad hai ki ye kahan le jaate the containers? Aur kya tumne dekha ki unka use kis cheez ke liye kiya ja raha tha?"

Ladka,jaeab dete hue bolta hai "Ji, sahab, mujhe yaad hai ki maalik in containers ko kisi dusre area mein le jaate the. Lekin mujhe unka use ya kis cheez ke liye kiya ja raha tha, ye nahi pata."

Dhiraj ko ab yakeen ho gaya ki kuch toh gadbad hai, woh sochne lagta hai ki shayad ye containers aur unke use mein kisi illegal activity ka koi connection ho. Ab usko aur gehraai se investigation karni hogi, taaki sachai saamne aaye aur woh case solve kar sake.

Police station wo pahucha ladke ke saath to dekha andar jaake ki andar to bin bataye marammat chal rahi thi,uss garage wale ki.

Tab dhiraj unn police walo se puchta hai "kuch baka isne ya sirf pit rahe ho"

Ek Constable bolta hai "Sir isne bataya to lekin vishwash nhi hua iss liye pitna band nhi kiya"

Usne nigahe tikhi karte hue pucha "kya bataya isne?"

Constable batata hai
"Sir isne bataya ki isne ravi ke saath chori ki gaadiyon ki deal kar rakhi thi,aur jo bhi chori ki gaadiyan aati thi to ye kharidta tha. Aur yaha tak ki illegally toll naka paar bhi karwata hai ye njaane kaise?"

Ye sun chup raha aur fir wo bola "khair sab case solve ho jaayega aaj,adress mil gaya hai ravi ka"


Uss garage wale ladke se adress lekr wo ek karkhane ke pass pahuchta hai kuch police karmiyo ke saath.
Jaha unhe bahut gandi badbu aa rahi thi jaise haddi ko jalaya hua ho badi maatra me yahan.

Dhiraj aur uske saath aaye police waalo ne apne naak rumaal se baandhna hi sahi smjha aur andar badhe aur toh bilkul hi shanti thi par jaise jaise wo aage badhte hai unhe kuch khaulte hue kisi chiz ki awaaz si aani shuru hui,aur garmi badh rahi thi hawa me har kadam ke saath.

Wo aage badhkar jaise hi karkhane ke corridor se hall me ghuste hai dang rah jaate hai,maathe se aa rahe pasine aur saamne ka drishya unhe ubharne nhi de raha tha kyunki unke saamne,ek admi, bade container ke upar latka hua tha. Unki nigahein us bade se container ki taraf jaati hain,jaha koi chemical khaul Raha tha.


Dhiraj, jo ab tak ki poori investigation aur samajhdari se kaam kar chuke the, samajh gaye ki ye koi mamuli maamla nahi hai. Unhone turant apne saathiyon ko savdhaan Kiya aur aage badhte hue container ke saamne aaye jaha unhe wo admi behosh dikha jiske muh me kuch lagaya hua tha aur uske chamre jal chuke the aadhe.



Dhiraj ne jaldi se kaha "uppar jao hook ke pass jaldi usse nikalo waha se upar se"

Teen police karmi bhaage waha se aur uppar jaha se wo latka hua tha usse hook ko uppar ki ore khich kar nikala.

Tab Dhiraj bola "bahar le chalo isse yaha se warna aur bigad jayegi tabiyat iski.Wo log usse bahar lekr aaye aur gaadi se paani ki bottle laakr usske muh par aur haatho par aur pairo par giraya jaha ke chamre jal chuke the.

Usske muh me lage ball ko nikala to inspector shock ho gaya aur waha aur sab bhi kyuki wo ravi tha.

Ravi khanste hue utha aur chikkhne laga dard se aur jab uski Nazar apne saamne khade police waalo par gayi to uska chikkhna chilana tham sa gaya aur uthne ki koshish karne laga wo.

Par dhiraj ne usse coller pakad ke uthaya aur sakht lahaje me bola "ye sab majhara kya hai jaldi bata,wo highway wala accident tune hi kiya tha n?"

Uske saath aaye hue police usse rokte hai bolte hai "sir abhi haalat kharab hai iski hospital le chalte hai pahle"

Jispe jawab dete hue bola usne "nahi bilkul nhi jab tak nhi bolega ye tab tak nhi"

Aur ye kahte hi pant se belt nikal kar uske jale hue hisso par barsane shuru kar diye,ravi ki cheekh gunj rahi thi jiske muh me wapas wo ball jaisa mask thush diya aur tab marna shuru Kiya.

Ravi apne muh se mask jaise taise nikaalte hue bolta hai "saab sab vatata hu saab maaro mat mar jaunga saab"

Rukte hue Wo bola "chal jaldi bol"

Ravi ne batana shuru kiya "wo murder maine hi kiya tha,wo mai drug smuggles me involve hu aur jab Mai ek din party me tha night out pub me to waha washroom me uss shakhs ne hume dekh liya tha drugs ke bags exchange karte hue aur tab humne usse smjha diya paise de kr lekin humara usse maarne ka plan tha kyuki raaz khul jaate humare issliye truck se thokr marwa kar phir chhori ki car se takkar mar di."



Ye sab sunte, dhiraj ne usse utha kar le jaane ko kaha aur gaadi me baith usse hospital me legaye, aur sabhi police walo ko wahi chhor kar police station aa kar wo apne cabin me chair par baith gaya aur file lekr notify karne laga jo kuch der karne ke baad
"Haash..case solve ho hi Gaya aakhirkaar"

Aur ye kahte hue aankhe band kar li usne ki tabhi usse ravi ke haath me bane ek tatoo ki yaad aayi jo aadhi jal chuki thi lekin wahi tatoo usne kahi to dekha tha lekin kaha tabhi uske sarir me ek sihran si daur padi aur wo uth kar bhagte hue investigation room ki ore gaya. Jaha aate hi,garage owner jaha tha uss me gaya aur jaise hi wo andar ghusa uske kadam ladkhada ke piche ho gaye.Samne ek officers ki lash table pe padi hui thi jiske kaan me pen ghusha pada tha jiske samne hi uss garage owner bhi pada hua tha,jiske muh se khun bah raha tha.

Unke pass ladkhadate kadmo se pahuchte hue usne dekha to garage owner ki aankhe chalu-band ho rahi thi jise dekh usne jaldi se phone nikala hi tha ki wo garage owner bol pada "saahab tum ravi ko bachao warna kabhi nhi pakad paoge asli muzhrim ko.Apko jisne adress bataya uski baato pe badi galti ki vishwash kar ke...agaar pakd bhi lete usse to koi fayda nhi hota..."

Thoda ruk gaya wo aur khun muh se ugalte hue bola fir "kyuki gawahi Dene wala kabhi sach hi nhi bolta apne bhai ke liye"

aur tabhi uska phone baja jise kampte hatho se usne uthate hue kaan pe lagaya

"Hello sir...sir mai Head constable abhilas sir...sir wo garage wala ladka khuni hai sir garage wala ladka jisne apko address diya tha usne ravi ko maar diya aur humare do constable ko bhi,sir jaldi pahuchiye sir jald....i"

Phone kat gaya, wo jaldi se ladkhadate kadmo se bahar bhagne ko hua ki piche se phir wo garage owner bol pada "nashmukhi hospital..jaao..s"

Aage kuch na bol paya wo,chupi si chaa gayi waha.

Dhiraj bhaga bahar ki ore hospital ke liye.

*1 saptah baad.. "Nashmukhi Hospital"*

" Pratik tha uska naam,uski mental illness bohot hi jyada kharab thi,ektarah se kaho to uska dimag pe uska thoda sa bhi control nhi tha.wo duniyaa me ek hi admi se pyaar karta hai apne bhai se aur kisi se bhi nhi,uske bhai ne uske har chiz me saath Diya tha. Mujhe aaj bhi yaad hai kuch saal pahle , gusse me jab usne apne bhai ke pet me kaichi ghusa diya tha lekin fir bhi uske bhai ne uss ghatna ke baad bhi uska saath nhi chhora."

"Uska physical condition baakiyo ki tarah normal tha par mind pe uska control nhi tha,usse jo pasand aata wo karta tha kabhi kabhi to uske mental health pe sawal uth jate the ki usse maar diya jaaye lekin nhi kiya gaya ye...lekin aap ye kyu puch rahe hai Mr. Dhiraj?


THE END....
 

Vega Star

Active Member
934
9,351
124
Title: Bhagyashree ka bhagya.

Ye kahani ek Bhagyashree namak ladki ki hai, ek chote se saher me uska janm hua tha, mata pita dono khubsurat hone se usko bhi jaise roop ka vardan mila tha, Mata ka naam Surekha aut pita ka naam Vishal tha. Uske janm ke sath hi uske pita ko ek bahot bada contract mila jis se ghar me khusi ki laher daud gayi. Ma ne bade pyar se uska naam Bhagyashree rakkha, jiska matlab hota hai ‘sab ka subh bhagya’. Bachpan achchhe se guajara, achchhe school me padhayi karne ko mili. Wo khud padhne me bahot hoshiyar thi, class me hamesha aval hi aati thi. Pita ka business bhi badhta gaya, jiske karan wo logo ki najaro me aa gaya. Ek aurat jiska naam Kaveri tha jo Vishal ki dur ki ristedar thi, usne apani beti niska nam Lavanya tha uska upayog kar ke Vishal ko fasaya, Vishal bhi jaise us Lavanya ke mohpas me bandh gaya. Thode hi mahino me usne Lavanya par bahot sara paisa kharch kar diya. Ghar me hamesha jaghde hone lage. Aise me Bhagyashree ki maa bhi chal basi. Kaise chal basi ye kisi ko samaj nahi aaya.
Bhagyashree tab sirf 12 sal ki thi. Lavanya uski sauteli maa ban kar ghar me aa gayi. Vaise bhi use Bhagyashree se koi lena dena nahi tha, wo aksar use marti pit ti. Do char sal aise hi gujar gaye, itni kathinayi yo ke bavajud Bhagyashree ne 10 vi me pure jille me aval aake dikhaya. Paper me naam bhi aaya. Logo ne ghar aa kar Vishal ko bahot badhayia di. Lavanya jal bhun gayi. Dusare din se hi wo hath dho kar uske pichhe pad gayi, agar wo padhne bethti to bhi wo uski kitabe fenk deti, Bhagyashree apane bhagya ko kosti rehti, aur apani maa ko yaad kar ke roti rehti. Ek din uske bhagya ne thoda sath diya aur jab uski sauteli maa use mar rahi thi tabhi Vishal bhi vaha aa gaya. Aisa nahi tha ki wo ye sab janta nahi tha, par wo Lavanya ke aage bebas tha. Jab wo ghar aaya to Lavanya chilla rahi thi,
Lavanya : Aaj ke baad agar kitabo ko hath bhi lagaya na to tere hath jala dungi, pata nahi apani maa ke sath mar kyu nahi gayi, yaha mere shine par mug dal ne bethi hai. Agar ghar ka kaam nahi karegi to yaha rehne ko bhi nahi milega, bas muft ki rotiya todni hai.
Vishal : (Wo ander aa gaya, usne apani beti ko sahara diya aur uthaya, akhir tha to wo ek baap hi, apani beti ke dukh se wo pighal hi gaya)Kya kar rahi ho tum? (Usne chilla kar kaha)
Lavanya : (Us se bhi unchi awaj me chillate hue)Mere samne unchi awaj karne ki himmat kaise hui tumhari, marna chahte ho muje, hath laga kar dikhao, abhi ke abhi jail na bhijwadiya to mera naam badal dena.
Vishal vaise bhi kuchh nahi kar sakta tha, usne apani beti ko waha se dur bhej diya, uska admission ek hostel me karwa diya, tab se wo waha padhne lagi, uski maa se chhup chupa kar hi Vishal paise bhej pata tha to Bhagyashree ke pas jyada paise hote bhi nahi the. Uske roop se akarshit ho kar kayi ladkone use prapose kia tha, par usne hamesa mana kar diya tha, waise bhi use bahot dar lagta tha, koi ladka uske pass aata aut use baat karta to bhi wo kanpne lagti. Uski ek saheli thi Mahima, wo bahot pakki saheli thi uski, uske sath hi padhti thi. Halaki Mahima ka ek ladke ke sath chakkar chal raha tha. Par wo hamesha Bhagyashree ki madad karti, aise hi 12 th bhi khatam ho gaya, jille me aval aane ke sath hi rajya me bhi usne achchhe marks laye the, sab keh rahe the ki ye to doctor hi banegi, par uski aisi kismat kaha, doctor ban ne ke liye dher sare paise lagte hai. 12 th ke exam ke baad chhuttion me Mahima apane ghar chali gayi thi, aaj marksheet lene aayi thi. Bhagyashree to apane ghar jati hi nahi thi. Uske itne achchhe result ke bavajud uske pita milnenahi aaye the, ha phone par baat jarur hui thi.
Mahima : (Aa kar uske gale mili)Kaisi hai meri chammak chhallo?
Bhagyashree : (Wo bhi use dekh kar bahot khus ho gayi thi)Tu sudhregi nahi. (Kehte hue uske gale lag gayi, kitne dino se wo apane kamare me hi thi, waise bhi wo kahi aati jati nahi thi, kitabe hi uski best friend ban gayi thi)
Mahima : Congratulation. (Uske result ki badhayi dete hue)
Bhagyashree : Tuje bhi badhayi, pass to ho hi gayi. (Usne jaise taunt mara)
Mahima : Apane liye to yahi bahot hai yaar, muje kaha naukari karni hai, Sandeep kamayega, muje to bas ghar hi sambhalna hai na. (Sandeep uska boyfriend tha, wo college me padhta tha). Achchha sun, meri us se baat hui hai, aaj hum milnewale hai, tu aayegi?
Bhagyashree : Me kyu aau, aur waise bhi muje kabab me haddi ban ne ka shauk nahi hai.
Mahima : Are koi haddi vaddi nahi, uska ek dost bhi aa raha hai, to wo bol raha tha ki apani kisi dost ko le aana.
Bhagyashree : Tuje sharm nahi aati aisa kehte hue, me nahi aanewali.
Mahima : Are wo achchha ladka hai, me mili hu us se bhi, sach kehti hu, agar Sandeep se pehle me us se mili hoti na to me hi propose kar deti usko, tere type ka hi hai, padhayi me aval.
Bhagyashree : To bhi kya, muje nahi milna, muje apana career banana hai, tuje apane chakkar mubarak.
Mahima : Are me koi chakkar chalane ko thodi na keh rahi hu, bas mil us se, agar achchha lage to baat karna, warna apani kitab le le, beth ke padhna. Garden me hi milnewale hai, koi room me nahi, is bahane share bhi ho jayegi teri, kab tak is chardiwari me ghusi rahe gi.
Bhagyashree : Par... (Mahima ne use kuchh bolne hi nahi diya aur wo use jabardasti, apane sath le hi gayi, jab wo dono garden pahuche to dopahar ka time tha, is time jyadatar ladke ladkia hi us garden me hote the, itne dino baad Mahima apane BF se mili thi to sabke samne hi uske gale lag gayi, Bhagyashree bhi sharma gayi, usne ek najar us ladke ko bhi dekha, achchhi hight, gora rang, halki halki dahdi muchh, wo bhi uski tarha hi sharmindagi mehsus kar raha tha.)
Sandeep : Hi, Bhagu (Mahima use issi naam se bhulati thi)
Mahima : Aiiii, shirf me isse is naam se bula sakti hu, tum nahi. (Aise hi halki fulki masti chalti rahi)By the way, ye Bhagyashree hai, aur ye Krishna hai.

images-33

(Mahima ne dono ko milaya, dono ne ek dusare ko hello kaha)Dekh Bhagu, mene kaha tha na, bilkul tere type ka hai, uske hath me bhi kitab dikh rahi hai na. (Wo hasne lagi, dono sharmane lage) Tum dono betho, hum abhi aate hai. (Wo dono kuchh kehte us se pehle hi dono rafuchakkar ho gaye, ab ye dono wahi murti bane khade the, kya kahe kya bole kuchh samaj nahi aa raha tha)
Krishna : Hi (Bol ke fir ruk gaya)Sorry me jyada bolta nahi hu. Wo jabardasti muje le aaya.
Bhagyashree: (Sharmate hue)Muje bhi (Fir dono shant ho gaye)Please bethiye na.
Krishna : Aap bhi bethiye. (Wo dono beth gaye,

images-20

images-32

par kya baat kare kuchh samaj nahi aa raha tha, tabhi garden me shor gul hone laga, kuchh log, yaha waha se hath me jhande liye garden me dakhil ho gaye the, wo log sabko ek jagah ikattha karne lage, Indono ko bhi kuchh samaj nahi aaya, kuchh log unke pass aaye aur unhe bhi le jane lage)
Krishna : Kya baat hai?
Ek aadmi : Chup chap chalo. (Krishna ko koi dar nahi tha, par Bhagyashree dar rahi thi)
Krishana : Aap dariye maat, me hu na. Aiye, dekhte hai kya majra hai. (Sab waha ikatthe ho gaye, Mahim aur Sandeep bhi the, us giroh ka ek aadmi bola)
Aadmi : Tum jise logo ne hi desh ka mahaul bigad ke rakkha hai, kahi bhi suru ho jate ho, agar itni hi aag lagi hai to shadi kyu nahi kar lete. Aaj tum logo ki shadi hi karwadete hai. (Ek ladke ki aur issara karte hue)Do inhe. (wo ladka hath me sindur ki dibbi le kar aage aaya, ye dekh kar hi kuchh ladke waha se dum daba kar bhagne lage. Unhe pakadne ki koshis ki par wo jaise taise bhag hi gaye.
Aadmi : (Ladkio ko)Dekha, aise darpok hote hai ye, jimmedari leni nahi hai, sirf maze karne hai.
Krishna : Dekhiye, jaisa aap samaj rahe ho waisa nahi hai, (Dari hui Bhagyashree uske sath hi khadi thi)Hum log aan hi mile hai, hum ek dusare ko jante bhi nahi hai, aap puchh lo inhe (Sandeep aur Mahima ki aur issara kia to unhone bhi haa me shir hilaya)
Aadmi : Hume bevakuf samja hai kya, do unhe, aur ab koi bhi ghagne ki koshis kare to tange tod dena. (Wo ladka ek ek couple ke pass gaya, ladko ne dar ke mare ladkio ki mang bhar di, wo Sandeep ke pass bhi gaye to usne bhi Mahima ki mang bhar di, ab wo Krishna ke pass aaye)
Krisna : (Sakhti se)Me nahi karnewala, tumhe jo karna hai kar lo. (Waha mahol garam hone laga, amne samne jhpa japi hone lagi)
Sandeep : Kar de na bhai, kuchh nahi hoga. (Krishna ne gusse se use dekha, wo dara hua tha)Kyu pange leta hai yaar, me keh raha hu na, abhi kar de. (Krishna ne ek najar Bhagyashree ko dekha, wo dari hui thi aur usko dekh rahi thi, aur kabhi un logo ko, Krishna ne ek bar ankh band ki aur gehri sans li aur ek chutki sindoor liya aru Bhagyashree ki mang bhar di, unlogo ka kaam ho gaya tha)
Aadmi : (Jate hue un ladkio se)Ab dekhna in ladko ka roop, kitna sath dete hai tumhara. (Kehte hue wo log waha se nikal gaye)
Sandeep : Chalo yaar, yaha se. (Ye dono ek flate me sath me rehte the)
Krishna : Kaha?
Sandeep : Apane flat me aur kaha, ye log aise jayengi kya. (Krishna kuchh nahi bola, sab waja se flat me aa gaye)Khali mood kharab kar diya salo ne. (Wo wahi sofe par beth gaya, Mahima bathroom me chali gayi, wo pehle bhi waha aa chuki thi, jab wo bahar aayi to usne sindoor dho diya tha)
Mahima : Ja, Bhagu, tu bhi saaf kar le, natak karwate hai khali. (Bhagyashree ne Krishna ki aur dekha, dono ki najar mili, Bhagyashree khadi hui aur najare jhukaye bathroom me chali gayi, Mahima sabke liye chai banane lagi, wo chai bana kar bhi wapas aa gayi par Bhagyashree abhi bhi nahi aayi thi, usne darwaja khatkhataya)Bhagu, bahar aa, chai ban gayi hai. (Thodi der baad darwaja khula to usne dekha ki sindoor abhi bhi wahi hai, wo najare jhukaye khadi thi)Kya hua Bhagu, saaf nahi kia, (Wo us se lipat kar rone lagi, wo use chup karwane lagi)Are kyu itna serious ho rahi hai, is se kya ho gaya yaar, me aur Sandeep to kal ja kar shadi karnewale hi hai, fir bhi mene saaf kar diya na. Is se kuchh nahi hota yaar, sab maan ne wali baat hoti hai. (Wo ro rahi thi)Achchha thik hai, abhi chai pi le, baad me kar lena. (Bhagyashree ne apana chehra pochha, gardan jukaye hue hi usne chai pi, Krishna use hi dekh raha tha, use apane maa- baap dikhayi dene lage, wo apane pitaji ka gussa janta tha, aur wo aisi shadi ke kitne khilaf hai wo bhi wo janta tha, wo apane vicharo me hi khoya hua chai pi raha tha)
Chai pine ke bad bhi wo hi bahesh chalti rahi, Mahimane bahot samjane ki koshis ki par wo maan hi nahi rahi thi, aise hi bahesh karte karte kab raat ho gayi pata hi nahi chala.
Mahima : (Halke gusse se)Tuje jo karna hai kar, (Sandeep ko)Tum khana le aao, kitna time ho gaya hai, hostel bhi nahi ja sakenge. (Sandeep aur Krishna chale gaye, Mahima fir samjane lagi, bahar Sandeep bhi Krishna ko samja raha tha)
Sandeep : Sorry yaar, meri wajah se tu is lafade me pad gaya, kya hota hai yaar, sirf sindoor laga lene se kya shadi ho jati hai, tu tension maat le, sab thik ho jayega. (Krishna kuchh nahi bol raha tha, wo bas apane khayalo me hi tha, wo khana le kar wapas aa gaye, sabne khana kaya, abhi bhi Mahima uske mathe se sindoor mitane me kamiyab nahi hui thi, Khana khane ke baad bhi bahes chalti rahi)
Mahima : ( Ab use bhi gussa aa raha tha)Tuje jo karna hai kar, ab sindoor lagwahi liya hai aur tuje lagta hai ki shadi ho gayi to ja suhagrat bhi mana le, chalo sandeep, hum sote hai, waise to me iske sath hi sonewali thi par jab ye hi nahi maan rahi to muje kya, manaye apani suhagraat. (Wo kamare me chali gayi, Sandeep bhi pichhe pichhe chala gaya)
Ab wo dono hall me akele the. Bhagyashree abhi bhi najare jhukaye bethi thi, ansu beh beh ke khatam ho chuke the. Krishna use hi dekh raha tha, na chahte hue bhi uski tulna karne laga, Bhagyashree sach me bahot hi jyada khubsurat thi, bina makeup ke bhi wo kisi bhi model ko maat de sakti thi. Pata nahi usko kya suji thi ki aaj usne laal rang ka hi dress pehna hua tha, dono ko kuchh bhi samaj me nahi aa raha tha, kamare me sirf shanti hi shanti thi. Adha ghanta bit chuka tha, tabhi unhe kamare se siskia sunayi dene lagi. (Shhhhhhh aaahhhhhh shhhhhhhhh.) Bhagyashree sankuchane lagi, Krisna ko bhi sharm aane lagi. Awaje itni clear thi ki sab samaj aa raha tha. Waha bethna bhi muskil ho raha tha.
Krishna : Aap room me so jaiye, me yahi so jata hu.
Bhagyashree : Hmmm. (Bas itna bol kar kamare me chali gayi, darwaja band kia par kundi nahi lagayi, pata nahi uske ander kya chal raha tha, wo bistar me ja kar let gayi, aur apane nashib ke bareme sochne lagi, adha ghanta aur bit gaya, bahar Krishna apana shir pakad kar betha tha, kamare se aati awaje bhi band ho gayi thi, wo sofe me lete lete soch raha tha, uske samne baar baar Bhagyashree ka chehra aa raha tha. Usne kamare ke darwaje ko dekha, abhi tak usne Bhagyashree se koi baat nahi ki thi, wo utha aur darwaje ki aur badha, par fir ruk gaya. Wo darwaje ke pass hi khada tha, ander koi awaj nahi thi. Bhagyashree ne ahat suni to wo satark ho gayi aur shir utha kar, usne darwaje ke niche se aati roshni me kisi ki parchhayi dekhi, fir kadmo ki ahat dur jane lagi, usne fir shir niche rakh diya. Thodi der baad fir ahat hui, usne fir dekha, aur tabhi darwaja khulne laga, uski dhadkan badhne lagi, Krishna ko bhi yakin nahi ho raha tha ki darwaja khula hi hai. Usne darwaja khola to dekha ki Bhagyashree bistar par bethne lagi hai. Wo thodi der wahi khada raha. Wo ghutne mode bethi us pyari si ladki ko dekh raha tha, wo dhime kadmo se ander aaya, bistar ke pass khada ho gaya. (Bhagyashree apane ghutne par shir rakh kar dusari aur dekh rahi thi)
Krishna : (Hichkichate hue)Aap sindoor saaf kyu nahi kar rahi hai? (Waha fir khamoshi chha gayi, Bhagyashree ne koi jawab nahi diya, Wo himmat kar ke wahi thodi dur beth gaya)Aapne jawab nahi diya.
Bhagyashree : (Apane ansu pochte hue)Bas aise hi. (Usne sapat sa uttar diya)
Krishna : Aap mere bareme kuchh bhi nahi janti hai, me kon hu, kya hu, kuchh bhi nahi. (Fir khamoshi chha gayi)Mere gharwale nahi manege. (Usne apana dar jataya, Bhagyashree ke ankh se ansu fir chalak pade, roni awaj me boli)
Bhagyashree : Meri kismat hi kharab hai (Wo subakne lagi)
Krishna : Please aap roiye maat. (Usne dekha ki wo apane ansu pochh rahi hai, par dekh dusari aur hi rahi thi) Me apaki bhavna samajti hu, par kya kar shakte hai.
Bhagyashree : (Uski aur nam akhose dekhte hue)Me aapse kuchh nahi keh rahi, na apko dosh de rahi hu, mere bhagya me yahi likha tha, me aapko nahi rokungi, na hi aapke pichhe aungi, me apane tarike se ji lungi, aap fikar maat kariye.
Krisha : Aap ye keh rahi hai na ki aap ye sindoor mita degi aur apani jindagi me aage badh jayegi. (Use yakin to nahi tha par fir bhi puchha)
Bhagyashree : (Usne Krishna ki ankho me dekha, fir apane chehre par makkamta la kar)Nahi, me isse kabhi nahi mitaungi, meri ksimat ne faisala kar diya hai, me ji lungi.
Krishna : (Usne ghutne par rakkhe uske hath par hath rakh diya)Me nahi kar paunga, mere papa nahi manenge.
Bhagyashree : Koi baat nahi, aapko unhe kuchh batane ki jarurat bhi nahi hai, muje ek sapana samaj kar bhul jana, me fir kabhi aapko nahi dikhungi, ye mera wada hai.
Krishna : Shree, kyu kar rahi ho aisa (Bhagyashree ne Krishna ko dekha, usne usko kisi aur naam se bulaya tha, wo uski ankho me pyar aur bebasi dono dekh rahi thi)
BShree : Aap chinta maat kariye, kaha na mene. Jo hona tha wo ho gaya, shayad yahi meri niyati hai, na mene kuchh kia na aapne, jo hona tha wo ho gaya. (Krishna uski aur khiska)
Krishna : (Ek gehri sans le kar, jise ki koi faisla le liya ho)Waise ek baat kahu? (BShree ne uski aur dekha, wo muskura raha tha)Agar aaj hamari shadi hui hai to fir ye raat to hamari suhagrat hui na) (Ye sun kar Bhagyashree buri tarha se sharma gayi, use apane kano par yakin nahi ho raha tha, wo bawari ho kar uske chehre ko dekhne lagi, Krishna ke chehre par ek man mohak muskan thi, Bhagyashree sharma gayi, aur dusari aur dekhne lagi)Kyu ab kya hua, sab itni der se samja rahe hai fir bhi tum apane faisale par atal ho, to bivi hi hui na meri, aur agar me pati hu tumhara to haq hai mera. (Usne Shree ki bah par sehlaya, uska pura badan kanp gaya, koi ladka pehli bar uske badan ko sparsh kar raha tha, uski sanse tej hone lagi, Krishna ne uska chehra pakada aur apani aur ghumane laga, wo sharma rahi thi to iss aur chehra nahi kar rahi thi, par Krishna ki takat ke aage uski ek na chali, usne chehra ghuma liya par ankhe band hi rakkhi) Ankhe kyu band rakkhi hai Shree, muje apani bivi ko dekhna hai, ji bhar ke dekhna hai, ankhe kholo. (Usne bade pyar se kaha, to Shree ne sharmate hue apani ankhe kholi, dono ki ankhe apas me jaise baat kar rahi thi, Krishna ne uske hath ko apane hath me tham liya)Ab shayad bahot der ho gayi hai par fir bhi me puchhna chahta hu, kya me tumhe pasand hu? Kya sach me tum muje apane pati ke roop me pana chahti ho? (Shree ne najare jhuka li)Aise nahi Shree, meri ankho me dekh kar kaho, kya me tumhe pasand hu, ya iss majboori ki wajah se tum muje apana pati bana rahi ho? (Bhagyashree ko bhi pata tha ki ye prashna kitna mahetvapurna hai, usne bahot pyar se dekha, aur apani komal awaj me kaha)
Bhagyashree: Pata nahi meri kismat ko,mere bhagya ko muj par kyu taras aa gaya jo usne aapko mere jiwan me bheja, me abhi bhi keh rahi hu, aap koi gila maat rakkho, me jara sa bhi dosh nahi dungi aapko, agar aapne nahi bhi apanaya to jara sa bhi malal nahi rakhungi, aapko jara sa bhi nahi koshungi, yakin kijiye mera, me bhagwan ki saugandh kha kar kehti hu, me nahi chahti ki meri wajah se apke jiwan me koi bhi musibat aaye.
Krishna : Mene kabhi socha nahi tha ki meri itni khubsuart bivi hogi. (Bhagyashree to use hi dekh rahi thi, uski bato ka to jaise koi asar hi na hua tha, uski baat sun kar wo bahot jyada sharma gayi, wo use bistar par letane laga aur sath me wo bhi side me letne laga, Bhagyashree ki dhadkane to itni tej ho chuki thi ki dil abhi bahar uchal padega, wo bas use dekh raha tha, halki light jali hui thi waha, Bhagyashree najarebhi nahi mila pa rahi thi, par chehre par muskan gehri thi)
Krishna : Shree, (Uske chrehre par halke se ungli firate hue)Me bahek raha hu Shree, ye khusbu muje pagal kar rahi hai, agar kuchh ho gaya aur hum na mil paye to?
Bhagyashree : Jyada mat sochiye, jo bhagya me hai wo ho kar rahe ga, aaj to hum sath hai na, aap mere pati hai aur hamesa rahenge. (Usne bade pyar se kaha)
Krishna : Shreee... (Kehte kehte wo uske hotho par jhuk gaya, dono hi pehli bar kiss kar rahe the, thodi der kuchh galti hui par fir dono ko samaj me aa gaya aur dono ek dusare ke hotho ko chumne lage,

kiss-gif-7


Bhagyashree uski bah sehla rahi thi, Krishna bas hotho se kiss kar raha tha, thodi der dono aise hi kiss karte rahe, kiss ke baad jab Krishna ne uski ankho me dekha to wo bade pyar se boli)
Bhagyashree : Darwaja band kiya hai na? (Krisna ek dum se hasne laga, wo bhi hasne lagi, wo utha aur darwaja band kar ke wapas aa gaya, Bhagyashree abhi bhi leti hui hi thi, wo uske bajume aakar let gaya, aur uski ankho me dekhne laga, wo bhi use dekh rahi thi)
Krishna : Muje kuchh nahi aata shree, mene ye kabhi nahi kia hai. (Usne halke tanav se kaha)
Bhagyashree : (Pehle to sharma gayi aur dusari aur dekhne lagi, fir halke se nakhare se, uski aur dekha)Aapko kya lagta hai, muje sab aata hai.
Krishna : Koi gadbad ho gayi to?
Bhagyashree : (Use ek aur sharm aa rahi thi, to dusari aur achchha bhi lag raha tha ki use itna achchha pati mila hai)Koi baat nahi, galtio se sikhlenge. (Usne sharma kar kaha).
Krishna : Aap bahot pyari ho, aur samajdar bhi.
Bhagyashree : Please muje, tum keh kar hi bulaiye. (Usne sharma kar kaha)
Krishna : (Muskurate hue)Tum sachme bahot pyari ho Shree. (Kehte hue fir wo thoda upar hua aur uske rasile najuk hotho ko chusne laga, is bar usne un kathor stan par bhi hath rakh diya, pehli bar wo kisi ladki ke is ang ko chhu raha tha, us narm- kathor stan ko sehlate hi uske ander chingariya futne lagi, (Shree pehle thoda chaunki par fir shant ho gayi aur use karne diya jo wo karna chahte hai, pehli bar koi uske sath ye sab kar raha tha, uski sanse bhari hone lagi thi, uske stan ko wo masal raha tha, sathme use kiss bhi kar raha tha, uske liyeye aanand anokha tha, uska sharir puri tarha se gangana gaya, wo machal rahi thi,) wo niche ki aur badhne laga aur uske gale ko kiss karte hue use chatne laga)
Bhagyashree : Shhhhhh ahhhhhhhhhhh. (Uski garam siskia Krishna ko pagal kar rahi thi, wo aur tivrata se use chatne laga aur akhir kar muh uske unnat stan par pahuch gaya aur uspe apana shir ragadne laga, Shree bekabu ho rahi thi, wo uske balo ko khinch rahi thi use sehlha rahi thi, uski jhangho ke bich bhi sarsarahat hone lagi thi, wo apani jhanghe aapas me ragad rahi thi)Shhhhhh krishna shhhhhh ahhhhhh shhhhhhhh Krishna shhhhhhhhh. (Krishna bhi bekabu hone laga aur ek hath se uska kurta upar karne laga, jis se uska pet nanga ho gaya, us sapat aur smooth pet ko wo sehlane aur masalne laga, Shree uchal rahi thi)Shhhhhh shhhhh maat karo Krishna shhhh muje kuchh ho raha hai shhhhhhhhh. (Krishna bhi bekabu ho raha tha, wo uske kurte me apana hath dalne laga, uske hath bra me kaid ek stan par pahuch gaye to wo use masalne laga, Shree ko dard hone laga to wo kurte ke upar se hi uska hath pakdne lagi)Shhhhh aahhhhh dard ho raha hai shhhhhh ahista karo shhhhhhhh (Par wo to jaise pagal ho gaya tha, wo dusare stan par hath le gaya aur use masalne laga)Mumiiiiii shhhhhhh dhireeeee shhhhhh dard......shhhhhhhh ahisata shhhhhhh. (Usne hath bahar nikala aur kurta upar karne laga, par wo upar ho hi nahi raha tha)
Krishna : (Hanfte hue)Isse utaro na. (Shree ko bahot sharm aa rahi thi, par wo bhi bahot jyada garm ho gayi thi, wo beth gayi aur palat te hue boli)
Bhagyashree : Pichhe chain hai. (Sharm ke marer wo bas itna hi bol payi, Krishna ne dekha aur chain ko niche khinch diya, use safed bra ka strap najar aaya, wo us nangi pith ko chatne laga)Shhhhhhh, (Wo kurte ko upar karne laga to usne bhi apane hath utha kar uski sahayta ki, usne kurte ko side me fenk diya, pehli bar wo ladki ko is awastha me dekh raha tha, bra me kaid uski nangi pith ko dekh kar us se raha nahi gaya, wo use chatne laga aur sath me apane hath aage le ja kar uske stan ko masalne laga, dard ke bavajud Shree bahot garm ho rahi thi)Shhhhhh maaaaa shhhhhhh ahista dabao shhhhhhh dard ho raha hai shhhhhhh. (Wo fir hath piche le gaya aur uski bra ko kholne ka prayas karne laga, par us se khul nahi rai thi, to usne Shree ko apani aur ghuma diya, wo uske samne bra me thi,

images-36

wo is behad khubsurat ladki ko is roop me dekh kar achambit tha, pyare sa chehra lal ho chuka tha, aur adhe nange stan uske samne the, Shree usko aise dekhte dekh sharmane lagi)
Aisa to tha nahi ki wo dono is bat se anjan the, chahe na chahe par adhura hi sahi par gyan to mil hi jata hai, dono in sambandho ke bare me jante hi the par kabhi unme dilchaspi nhi li thi, aaj achanak wo aise mod par aa gaye the ki dono is awastha me the. Krish ko laga ki wo pure kapado me hai to wo sharma rahi hai to usne apana shirt nikal diya aur sath me baniyan bhi, Shree chor najaro se use dekh rahi thi, uske dil me bhi kayi arman jag chuke the, apani anchhuyi kaya ko wo aaj kisi ke naam kar dena chahti thi, abhi ek din bhi nahi hua tha use jane hue aur wo uske samne apane antarvastro me thi. Wo apane hath se apane aapko dhakne ki nakam koshis kar rahi thi. Krishna ke sudridh sarir ko dekh kar uske komal maan me tarange uthne lagi thi, wo jise apana pati man chuki thi use dekh kar use apane bhagya par naz ho raha tha, wo sabkuchh luta dena chahti thi, chahe fir jo bhi anjam ho. Krishna uske najdik aaya aur use apane gale se laga kar sehlane laga, adhese jyada nanga upari bhag ek dusare ke sampark me aane se dono ki kamagni badh chuki thi. Krishna ne fir use dur kia aur use dekhne laga, wo hadse jyada khubsurat bala sharm ki chadar odhe bethi thi. Bas chhune bhar ki deri thi, wo apani sari sharm lutane ko aatur thi. Wo uske kaan me bola.
Krishna : Apani bra utaro jaan, mujse nahi khul rahi. (Koi pehli bar use is sambodan se bula raha tha, wo anand se bhari hui thi, sharmate hue usne apane hath piche kia aur apni bra ke huk khol diye, Krisna to jaise isi intejar me tha, use baho me bharte hue us nangi pith par wo sakhti se apane hath ghumane laga, jaise har jagah ko chhu kar mehsus karna chahta ho, Shree ne bhi apane chittchor ko apani najuk baho me bhar liya, uske garm sharir ke har maspeshi ko wo apani unglio se tatolne lagi, sanso ki awaj to dur se bhi koi sun sakta tha, Krishna ne uski bra ko kandhe se nikal diya, ab wo upar se puri nirvastra thi.

326598135-5sy8niddbbyw

Use itni sharm aa rahi thi ki wo Krishna se chipak gayi, uske anchhuye kathor stan uski sakht chhati me dhas gaye, Krishna bhi us nukele stan ko apani chhati me mehsus karne laga, ab wo bahot jyada uttejit ho chuka tha, uska lund puri aukat me tha, usne Shree ko niche letaya aur uske upar ho gaya, abhi bhi dono ne niche vastra pehne hue the, Dono pairo ke bich aa kar Krishna ne apani kamar daba di jis se uska lund pair failaye leti apani bharya ki anchhuyi yoni se ragad khane laga. Is anubhav se to Shree pagal hone lagi, pehli bar uski yoni par aisa anubhav ho raha tha, usne ek tej siski nikali.
Bhagyashree : Shhhhhhhhh, margayiiiiiii.
Krishna : (Use chumte hue)Dard ho raha hai bettu? (Use laga ki uski pant ki zip lag rahi hogi to usne apani pant nikal di, ab wo sirf underwer me aa gaya tha, fir wo uske pairo ke bich aa gaya, ab wo halke halke apana lund us yoni wale bhag par ragadne laga)Ab dard ho raha hai?
Bhagyashree: Shhhhhhhh naaaaaaa shhhhhhhhhh aaahhhh jaaaanuuu shhhhhhhh(Jaise jaise uski yoni par gharsan ho raha tha wo siskia le rahi thi aur sath me apani kamar uchak rahi thi)
Krishna : (Uske kaan chumte hue)Salwar utardu?
Bhagyashree : Haaaaaaaaa.... (wo ab puri tarha garm ho chuki thi, Krishna beth gaya, usne salwar ko dekha par kaha se khulti se samaj nahi aaya, Shree uski uljan samaj gayi, usne apana hath badhaya aur niche chhupe nade ko nikal kar khinch diya, uski salwar dhili ho gayi, Krisna ne der na karte hue use nikal di aur pairo se alag kar di, wo apane pari chipka ke apane aapko chhupane lagi to krishna ne use rok diya)
Krishna : Muje dekhna hai. (Use sharm to itni aa rahi thi ki puchho mat par fir bhi wo sidhi leti rahi apani jhanghe apas me chipkaye hue, Krishna is adhbhut navyovana ko dekh raha tha, bedag jism tha uska, bahot gori thi wo, jhanghe aur sharir pure santulit the, patali kamar aur niche ka bhag side se faila hua tha, panty par bane tricon par ander chupe khajane ka spast abhas tha, panty gili ho chuki thi aur chipak gayi thi. Fule hue hotho ke bich lakir bhi dikhayi de rahi thi, ye uski jindagi ka pehla pal tha jab wo ladki ko is awastha me dekh raha tha, wo najdik se dekhne ke liye jhuka to uske nathuno me ek ajeeb si gandh bhar gayi, wo itna akarshit hua ki wo apani naak ko najdik le gaya aur jor se sans le kar use sunghne laga, shree uski harkate mehsuskar rahi thi, wo uski yoni ko sungh raha tha, usne apani yoni chupane ko apana hath badhya par usne uska hath pakad liya, wo jorjor se sungh raha tha, wo sharm se dohri hoti ja rahi thi, usne ankhe band kar li aur chaddar ko mutthi me pakad liya, wo ab jibh se chatne laga, wo aas pass bhi chat raha tha, Shree bin pani ki machali ki bhati tadap rahi thi. Tabhi wo uski panty ko utarne laga to ek bar to usne apani panty pakad li, wo ruk gaya aur use dekhne laga to usne use chhod di, panty uske pairo se bahar nikal chuki thi, wo puri nangi leti thi, uski himmat nahi ho rahi thi ankh kholne ki. Tabhi usne mehsus kia ki Krishna uth gaye hai, usne apani ankho ko thoda khol kar dekha to wo apani underwear nikal rahe the, jaise hi underwear niche hua uski jaan halak me aa gayi, waha ek bade dande ke akar ka ang tha jo lamba aur mota tha, uska gala sukh gaya, wo darne lagi ki ye uske ander kaise jayega. Krishna pura nanga ho kar betha to wo sikudne lagi, aur apani yoni ko chhupa ne lagi.
Krishna : Kya hua jaan?
Bhagyashree : (Halke dar se)Wo bada hai.
Krishna: to?
Bhagyashree : Waha jagah nahi hai. (Usne darte hue kaha)
Krishna : Muje dekhne do (Wo uske pairo ko failane laga to wo use khol nahi rahi thi)Agar tumhe dar lag raha hai to nahi karunga, muje dekhne to do. (Wo abhi bhi hichkicha rahi thi, par Krishna ne pair faila diye, uske samne wo adbhut ang tha, kale baal the,

images-42

gore hoth apas me chipke hue the, wo kanp raha tha, usne kanpte hatho se use chhua, aur use halke halke sehlane laga jaise uske chhune se wo tut jayegi. (Shree ko bhi achchha lagne laga aur usne apane pari dhile chhod diye) Krishna ne dono hatho se wo hoth felaye to ek chhota sa gulabi chhed najar aaya, waha chhote chhote hoth the, waha se ras nikal raha tha, wo bawala hone laga, wo jaise jaise use dekh raha tha, wo uttejana se bhar raha tha, uske aise chhune se Shree bhi uttejit ho rahi thi, Krishna se raha nahi gaya aur wo jhuk gaya aur us khajane ko chumne aur chatne laga, us ke ander se nikalta ras use diwana bana raha tha, wo jhangho ko pakad kar use chus raha tha chat raha tha. Shree ki to halat kharab thi, wo tadap rahi thi, us se bardast nahi ho raha tha, wo apani chut ko hatana chahti thi par usne sakhti se uski jhanghe pakad rakkhi thi, wo bas uchhal kud kar rahi thi. Thodi hi der baad Krishna uske pair failate hue uske upar aa gaya aur uske hotho par tut pada, wo bhi us se puri tarha se lipat gayi, niche lund aur chut apas me mel milap kar rahe the, waha chikna ras beh kar pura bistar gila kar raha tha.)Mujse raha nahi ja raha Shree, shhhh sab karte hai, ho jayega (Usne samjaya, Shree to pagal hi ho chuki thi)
Shree : Haaaaa shhhh kar lo. (Krishna ne ek pal bhi na gawaya usne yoni par lund tikaya, aur jor se daba diya, kismat achchhi thi to sahi jagah par lund tha aur lund kadak itna tha ki jara bhi na hila aur us chhed ko fadte hue ander ghus gaya)

horny-teen-missionary-sex-gif-3


Oooooo maaaaaaaaa (Uski chikh nikal gayi, baju me soye dono hadbada ke jag gaye, unje saman nahi aaya ki kya hua, yaha Krishna ne fir dhakka mar diya tha)Maaaaaaa mar gayiiiiiiiiiiiii (waha dono samaj gaye ki kya hua hai to wo aise hi lete rahe)Mar jaungi me shhhhhhh bahot dard ho raha haiiiiiiiii maaaaaaaaa. (Krishna bhi dar gaya aur apana lund bahar nikalne laga)Aiiiiiiiii (Wo wahi ruk gaya, uska lund bahot sankare chhed me fas gaya tha, jise wo nikal bhi nahi pa raha tha, usne Shree ko dekha)
Krishna : Sorry shree, wo fas gaya hai, nikal nahi raha hai (Shree roye ja rahi thi, dard uske chehre par dikh raha tha, wo uska shire sehlane laga usko shant karne laga, par uska lund puri aukat me hi raha, wo apani jeet mana raha tha, thodi der baad Shree shant hui, Krishna bhi use shant karwane ke liye chum raha tha, sehla raha tha, Ansuo se bhari ankho se usne Krishna ko dekha, usko apani chhoti si chut me dasa wo danda mehsus ho raha tha, usko dekhte hue Krishna bola)Me nikal ta hu, usne fir try kia, par na nikala, is khel me bar bar lund halka sa hi sahi par ander bahar hone laga, dhire dhire chut ne fir se chikna ras chhodna suru kar diya, Jab Krishna apana lund khichne laga to Shree ne uski kamar pakad li, wo use nikalne se mana karne lagi, Krishna ne ascharya se use dekha to wo sharma gayi, Krishna ko bhi maja aa raha tha, wo halke halke apani kamar hilane laga,

horny-teen-missionary-sex-gif-6

kafi der tak aisa chala, ab Shree siskia le rahi thi)Tumhe achchha lag raha hai? (Shree ne sharmate hue ha me shir hilaya, Krisna uske hotho par tut pada, shree ne bhi apana pura pyar lutana chalu kar diya, halke halke dhakko se suruat ho gayi thi,


Nude-sexy-girl-love-making-missionary-pose

jo kab lambe dhakko me badal gaye dono ko pata hi nahi chala, ek dusare ko chumte chat te dono apani manjil ki aur badh rahe the, pehli bar ka exitment tha, 10 min me hi shree aapane charam par pahuch gayi,aur Krishna bhi bardast nahi kar paya, usne bhi apana virya ander bhar diya)

tumblr-o1zkxdsi-HG1uhm7wco1-500

Krishna upar se utha, usko apane lund me jalan ka ehsas ho raha tha, wo chil gaya tha, jab uski najar niche padi to wo dar gaya, waha khun faila hua tha. Abhi bhi yoni se lal ras tapak raha tha. Shree ne jab dare hue Krishna ko dekha to wo bhi dar gayi, wo uthne ko hui par dard itna tha ki wo uth hi nahi payi.
Krishna : Tum leti raho. (Usne tauliya lapeta aur Shree ko chaddar odhayi aur bahar chala gaya, baju ka darwaja khatkaya to Mahima bahar aayi, wo krishna ka dara hua chehra dekh ke boli)
Mahima : Kya hua?
Krishna : wo shree. (Wo bas itna hi bol paya, Mahima us room me daud ke chali gayi, sab dekh kar wo bahot khus thi, usne Shree ko sambhal liya, use pain killer di, Ek ghante baad Krishna ander aaya aur Chintit ho kar Shree se puchha)Tum thik ho? (Shree ne sharma kar ha kaha, Krisna ko rahat hui, wo turant uski bagal me let gaya aur use bahome bhar ke baate karne laga. Shree ko bhi achchha laga)
Dusare din subah dono hostel gaye, waha se Shree ke kapade liye, usne apane I card ki copy di aur ek chitthi jisme likha tha ki Shree uski patni hai aur wo use apane ghar le ja raha hai. Jab dono ghar pahuche to uske pitaji bahar hi mil gaye. Apane bete ke sath ek ladki ko dekh kar pehle wo gussa ho gaye, Krisna ne sab vistar se bata diya aur kaha ki Shree use janti bhi nahi thi par wo is bane riste ko hamesa nibhane ko taiyar thi, to wo use nahi chhod sakta. Uske pitaji bhi maan gaye, waise bhi wo Shree itni pyari thi ki wo mana kar hi nahi paye.
Kuchh salo me hi Bhagyashree ke shree charan kamalo se us ghar me bhi khushali aa gayi, waise bhi Krishna bade ghar ka iklouta beta tha, jamin jaydad bahot the, par Bhagyashree ke bhagya se sab duguna choguna ho gaya, wo ek Gynec surgen ban gayi aur Krishna IAS officer. Uske pitaji bhi bade neta ban gaye. Uske do bachche bhi hue.
Uske mayke me uske chale jane se barbadi chha gayi, Uske papa ko lut kar Lavanya kisi ke sath bhag gayi, wo unhe bhi apane ghar le aayi.
Bhagyashree sach me Bhagyalakshmi thi, Krishna apani bivi se behad pyar karta tha aur us par apani jaan luta ta tha, Bhagyashree bhi apne pati ki jaise parchchhyi ban gayi thi, har kadam par uske sath khadi rehti.
 

deeppreeti

Active Member
1,681
2,319
144

प्रेमगीत

टीवी पर एक डांस वाला प्रेमगीत आया और मेरे कानो में वह शब्द गूँज गए

"ओह, यह मेरा पसंदीदा गाना है" उसने कहा। "मेरे साथ नाचो।" फिर वह आखिरी शब्द। "कृपया" !

मेरा नाम दीपू है मेरे कानो में जो शब्द गूँज रहे थे वह शेरोन के थे। उसका नाम शेरोन है। हम पड़ोसी थे और हमारे माता पिता अच्छे मित्र थे ।

मैं तब सिर्फ अठारह साल का ही हुआ था, हम दोनों के माता पिता को एक पुराने पड़ोसी के अंतिम संस्कार के लिए शहर से बाहर जाना पड़ा। मेरी और शेरोन की परीक्षा सर पर थी और हम जाना नहीं चाहते थे, इसलिए उन्होंने हम दोनों को आपसी देखभाल करने के लिए साथ रहने के लिए छोड़ दिया। हमे शुक्रवार की रात को एक साथ रहना था। हमे ये विचार पसंद नहीं आया, लेकिन फिर इसे स्वीकार कर लिया।

वह 20 साल की थी, कॉलेज में पढ़ती थी, पतली, लंबे, काले बालों वाली। मैंने उसे अक्सर उसकी सहेलियो के साथ पड़ोस में घूमते हुए देखा था। मुझे लगा कि वह खूबसूरत थी। नहीं, मेरी दृष्टि में तो वह देवी थी। हालाँकि मैंने कई युवा महिलाओं के बारे में कल्पनए की थी, लेकिन शेरोन मुझे मेरी पहुँच से बहुत दूर लगती थी इतनी कि मैंने उसके बारे में सपने भी नहीं देखे थे।

माता-पिता के जाने के बाद, मैंने अपने पढ़ाई जारी रखी और फिर हम दोनों ने कुछ सामान्य काम किये जैसे टीवी देखना और कुछ देर घर के बाहर आंगन में खेले और जब पसीने में भीग गए तो अंदर जाकर बाद में मोनोपली खेले । उसकी पसीने में भीगी टीशर्ट उसके बदन और स्तनों से चिपक गयी । मैं उसके स्तन। मैं स्पष्ट रूप से उसके स्तन का आकर देख सकता था और जब हम फर्श पर पालथी मारकर बैठे थे, फिर उसकी छोटी स्कर्ट के अंदर देखने से खुद को नहीं रोक सका । उसकी पैंटी के सामने उभरा हुआ उसका टीला सफ़ेद देख सकता था। जितनी देर हम वहाँ बैठे रहे, मेरा इरेक्शन और भी अधिक बढ़ गया। वहाँ उपलब्ध मंद रोशनी में मैं उसकी पतली पैंटी के बीच से उसकी दरार देख सकता था।

फिर टीवी पर यही डांस वाला गाना आया था । "ओह, यह मेरा पसंदीदा गाना है" उसने कहा। "मेरे साथ नाचो।" फिर उसके आखिरी शब्द थे। "कृपया" !

मैं लड़की के साथ धीमे नृत्य के लिए, ऐसे अनुरोध को कैसे अस्वीकार कर सकता था। एक खूबसूरत लड़की के साथ नृत्य, मैं उठा और उसकी ओर पीठ करके खड़ा हो गया, अपने कंधों को झुकाकर अपनी चट्टान जैसी कठोर छड़ी को छिपाने का रास्ता खोजने की कोशिश कर रहा था। वह मेरे पास आई और मेरे कंधों पर हाथ रखकर मुझे घुमा दिया।

मैंने अपने हाथ उसकी कमर पर रखे और उन्हें पीछे उसके छोटे हिस्से तक सरका दिया। जब वह मेरे करीब आई तो मैं उन भावनाओं पर विश्वास नहीं कर सका जो मुझ पर हावी हो गईं। हमारे चेहरे आमने-सामने थे। उसके गोल छोटे-छोटे स्तन मेरी छाती से दब गये। मुझे लगा कि मैं जन्नत में हूँ।

जब हम धीरे-धीरे संगीत की धुन पर थिरक रहे थे तो मैंने जितना संभव हो बिना उसे अपने तीव्र इरेक्शन का एहसास कराए, शारीरिक संपर्क बनाए रखने की कोशिश की। लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसने काम किया, क्योंकि मैं महसूस कर सकता था कि उसका बदन मेरे लिंग के बिलकुल पास था, मुझे स्पर्श कर रहा था। जब भी मैंने दूर जाने की कोशिश की तो उसने मुझे कसकर पकड़ लिया। हम नाचते रहे और अंततः गीत समाप्त हुआ। हम फिर से उसी स्थिति में खेलने के लिए बैठ गए।

एक बार उसने अपनी स्थिति बदल ली और मुझे और भी अधिक संपूर्ण दृश्य दिया। मैं ढीले-ढाले स्कर्ट में से उसका लगभग पूरा टीला देख सकता था। जल्द ही, मेरे लिए इसे सहन करना बहुत मुश्किल हो गया। मैंने पीने के लिए कुछ लेने जाने का बहाना किया। इसके बजाय, मैं रसोई से होते हुए बाथरूम में भाग गया। वहाँ मैंने अपनी पैंट खोली और टॉयलेट में बैठ गया। मैं अपने अंदर के दबाव को कम करने की कोशिश करने लगा।

मैं एक अनुभवी हस्तमैथुनकर्ता तो नहीं था, लेकिन अपने लिंग से बालो को साफ़ रखता था । मैंने कुछ समय पहले ही इसकी तकनीक का उचित विकास किया था। मैं शौचालय में काफी समय से था कि अचानक दरवाज़ा, जिसे मैंने जल्दबाजी में बंद करने की उपेक्षा की थी, खुला और वहाँ वह सीधे मुझे और विशेष रूप से मेरे कठोर, खड़े और लगभग बालों रहित लंड को देख रही थी। उसने कहा, "क्षमा करें, क्षमा करें, मुझे नहीं पता था कि आप यहाँ हो।" और दरवाज़ा बंद कर दिया। जब वह चली गई तो मैंने उसकी खिलखिलाहट सुनी। मेरा उत्साह शर्मिंदगी में ख़त्म हो गया, मैं लाल चेहरे के साथ शर्माता हुआ हाल में लौट आया।

उसने सीधे मेरी आँखों में देखा। "मुझे खेद है, दीपू। वाक़ई। क्या आप मुझे माफ करोगे?"

मैं बस सिर हिला सका और महसूस किया कि मेरा चेहरा और अधिक गर्म हो गया है।

"मैं तुमसे कुछ पूछना चाहती हूँ।" वह रुकी और दूर से अपने होंठ चाटने लगी । "क्या मैंने तुम्हारे साथ ऐसा किया? तुम्हें पता है, तुम उत्तेजित हो गए थे?"

मैंने फिर से सिर हिलाया, अब मैं उसकी आँखों में देखने में असमर्थ था। लेकिन मैंने उसे देखा फिर से उसकी स्कर्ट को देखने लगा।

"कैसे?"

मैंने धीरे से उसकी बड़ी-बड़ी आँखों की ओर देखा। वह गंभीर लग रही थी। पर चहरे पर उत्सुकता थी जिससे लगा मुझे अपमानित नहीं करना चाहती थी ।

"मैंने क्या किया?" वह मुस्कुराई और बोली। "मुझे यह जानना है...वह यह जानकारी मुझे भविष्य में लड़कों के मामले में मदद कर सकती है।"

मैंने अपनी शर्मिंदगी पर थोड़ा काबू पाया और मुस्कुराया। मैंने उसके स्तनों और जांघों की ओर इशारा किया। वह समझ गई.

उसने नीचे देखा तो उसके फ्लॉपी स्कर्ट के पैर खुले हुए थे। "अरे बाप रे!" उसके एक हाथ ने उसके मुँह को ढँक दिया और दूसरे हाथ को उसकी टाँगों के बीच फँसा दिया ताकि खुले हिस्से को कस दिया जाए और मेरा नजारा बंद हो गया। फिर वह हँसी और शांत हो गई। "मुझे लगता है कि अब बहुत देर हो चुकी है।"

उसकी आँखें चमक उठीं। उसने उसी गंभीर भाव से मेरी ओर देखा। मैं बता सकता था कि वह कुछ सोच रही थी।

"क्या मैं इसे दोबारा देख सकती हूँ?"

अब चेहरा लाल होने की बारी उसकी थी। उसने नीचे मेरी ओर देखा और अपनी निगाहें वहीं टिकाए रखीं, इसमें कोई संदेह नहीं रह गया कि वह क्या चाहती थी।

निःसंदेह, मेरे अंदर के उत्तेजित युवक ने कुछ ही सेकंड के विचार में किसी भी अवरोध पर काबू पा लिया। उस उम्र में, मैं कुछ भी करने को तैयार थी जिसका सम्बंध सेक्स से हो, खासकर विपरीत लिंग से। मैं खड़ा हुआ, अपनी पैंट खोली और अपने लिंग को आज़ाद करने के लिए अपना अंडरवियर नीचे खींचा, हस्तमैथुन करते पाए जाने के सदमे के कारण अभी भी लंगड़ा रहा था। वह वहीं बैठ गई और अपनी आँखें चौड़ी और मुँह खोलकर उसे देखती रही। "मैंने पहले कभी असली नहीं देखा, केवल छोटे लड़के। तुम निश्चित रूप से छोटे लड़के नहीं हो।"

मुझे नहीं पता था कि वह सच कह रही थी या नहीं, लेकिन इससे मुझे एहसास हुआ बेहतर। वह मेरी तारीफ कर रही थी कि मेरे पूरे आठ इंच के बाल रहे होंगे और आधार के चारों ओर दो दर्जन से भी कम काले घुंघराले बाल उगे थे। वह तुरंत ही बड़ा होकर खड़ा होने लगा।

दिखाओ ना... क्यों शर्मा रहे हो।"

उसके बार-बार कहने पर मैंने धीरे से अपनी पेण्ट और अंडरवियर नीचे कर दीये और अपने लिंग को बाहर ले आया जो कि इन सब बातों के दौरान काफी कड़ा हो गया था। मेरा लिंग सामान्य युवा था पर एकदम साफ सुथरा था।

शेरोन अपनी उत्सुकता ना रोक पायी और बोली- "क्या मैं इसे छू सकती हूँ?"

मेरे उत्तर का इंतज़ार किये बिना उसने अपना हाथ सीधा लिंग पर रख कर उसे महसूस करना शुरू कर दिया फिर उसने अपने नाज़ुक हाथों को लंड की लम्बाई पर आगे बढ़ाया और अपनी उंगलियों से शाफ्ट को हल्के से रगड़ा। । थोड़ी ही देर में मेरा लिंग इतना कड़ा हो गया जैसे कि फट जाएगा। मेरे लिंग के ऊपरी भाग में मुझे हल्का दर्द का अनुभव हुआ। मुझे लगता है इसके पहले शायद दो या तीन बार मैंने अपने लिंग को इतना कड़ा महसूस किया था। उसके हाथों का स्पर्श पाकर आज जैसी अनुभूति शायद पहले कभी नहीं हुई थी। वह बार-बार मेरे लिंग की तारीफ करती और हल्के-हल्के सहलाती जा रही थी। मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मेरे लंड ने पलट कर पागलों की तरह झटका मारा।

उसने धीरे से मेरे से लिंग के अग्रभाग पर अपनी हथेलियों का प्रेशर बढ़ा दिया। उसके इस कार्य से उत्तेजना की एक तीव्र लहर मेरे शरीर में दौड़ गई. मेरा शरीर बुरी तरह कांप रहा था। उसने अपना कार्य जारी रखा और धीरे-धीरे मेरे और पास आ गई. पास आने के बाद उसने अपना बाया हाथ अपनी जांघों के बीच से हटा लिया और मेरे कान में धीरे से कहा ..."अपनी आँखें बंद कर लो।"

उसने मेरे लिंग को सहलाना जारी रखा। जब वह लिंग की चमड़ी को पीछे की तरफ खींचती थी तो शिश्नाग्र में बहुत सनसनाहट होती और हल्का दर्द भी होता। चमड़ी को पीछे करके उसने जब सुपाड़े को छुआ तो मेरी जान ही निकल गयी। अग्रभाग इतना संवेदनशील था कि उसे सीधा सहलाना मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था। वह अपने हथेली में मेरे अत्यंत सख्त हो चुके लिंग को पकड़कर आगे पीछे करने लगी। मैं आनंद की पराकाष्ठा में था। उसके हल्के धक्के ने मुझे उससे भी अधिक तेज़ी से किनारे की ओर ला दिया, जितना मैंने कभी अनुभव नहीं किया था। वह मुस्कुरा रही थी और मुझे नहीं पता की वह क्यों खुश थी।

मैंने अपनी शर्ट उतार दी और अपनी पैंट पूरी तरह से उतार दी, मैं गर्व से नग्न खड़ा था, लेकिन मैं इतना हिल रहा था कि मैं मुश्किल से सीधा खड़ा रह सका।

"क्या मेँ आपको देख सकता हूँ?" मैंने पूछ लिया।

इस बार वह कुछ भी कहने से कतरा रही थी। वह एक मिनट तक इसके बारे में सोचती रही। फिर उसने सिर हिलाया। उसने एक पल के लिए मुझे छोड़ा और खड़ी हो गई। उसकी टी-शर्ट उतर गई और फिर उसकी स्कर्ट। वह वहीं खड़ी रही और कुछ देर तक सोचती रही और फिर अपनी ब्रा उतारकर फर्श पर गिरा दी। उसके गोल स्तन उसकी छाती पर अपना उभार दर्ज करा रहे थे, नुकीले शंकु, जिनमें निपल्स काफ़ी चिपके हुए थे। मेरी नजर उसकी सफेद पैंटी पर पड़ी जो अंगों को ढक रही थी, मैं देखने के लिए बेताब हो रहा था। ऐसा लग रहा था कि उसकी योनि बाहर निकली हुई है और उसकी टांगों के बीच में एक उभार बन गया है। उसकी पतली जाँघें इतनी दूर-दूर थीं कि उसके घुटनों के आपस में जुड़े होने पर भी, मैं उनके बीच काफ़ी दिन का प्रकाश देख सकता था। सोच-समझकर हरकत करते हुए, उसने अपनी पैंटी नीचे सरका दी और अपनी चूत मेरे सामने प्रकट कर दी। उसके ऊपर केवल काले बालों की थोड़ी-सी रेखा थी और उसके सारे आकर्षण दिखाई दे रहे थे। मैं उसके गुलाबी भीतरी होंठों को बाहर झाँकते हुए देख सकता था।
आज अचानक नारी शरीर के नग्न देख समझ ही नहीं आ रहा था कि क्या देखूं क्या छोडू। दिल की धड़कन तेज हो गयी थी। मेरा लिंग भी स्तब्ध खड़ा था । बायोलॉजी की क्लास से स्तन और योनि के बारे में थोड़ा बहुत पढ़ा था पर इस तरह लड़की के नग्न अंगो का दर्शन अप्रत्याशित था। सामने सुन्दर और सुडौल शेरोन की उस मदमस्त जवानी, जिसे देख बिना हाँथ लगाये स्वतः ही लिंग की धड़कन बढती गयी ।

उसका पेट और वक्षस्थल अलग दिखाई दे रहे थे। वक्षस्थल उभरा हुआ और पेट सपाट था। उसका कद लगभग 5 फीट 4 इंच था। वह सामान्य लड़कियों से थोड़ी मोटी थी। मैं उसके छोटे-छोटे स्तनों की खूबसूरती को निहार रहा था। मैं उसे देख कर मुस्कुराया और वह भी मुझे देखकर वैसे ही मुस्कुराई।

मेरा लिंग तो इस परिस्थिति में पहले ही तन कर खड़ा था और बड़ा हो चुका था उसकी नजरे लिंग पर-पर ही टिकी हुई थी। मैं भी उसे एकटक देख रहा था लगभग एक मिनट तक देखने के बाद मैं धीरे-धीरे उसके पास गया "शेरोन तुम बहुत ही खूबसूरत हो मैं तुम्हें जी भर कर देखना चाहता हूँ।"

मैंने सहारा उसे देकर सोफे पर लिटा दिया। उसके पैरों को छुआ। धीरे-धीरे हाथ उसकी जांघों तक आ गए. उन्होंने अपने गाल जांघों पर सटा दिए और पूछा ..."क्या लड़कियाँ इतनी कोमल होती है?" ।

मैं उसकी यनि से अपनी नजरें नहीं हटा पा रहा था । बहुत देर तक उसे देखते रहा ।

"क्या मैं इसे छु सकता हूँ?"

फिर उसने सर हिलाया और मैंने उसे छुआ। उसने जानबूझकर अपनी जांघें अलग कर दी। मैं आश्चर्य से देखता रहा । अपनी उंगलियों से योनि का स्पर्श किया । पहले उन्होंने अपनी बड़ी ऊँगली से दरार को ऊपर से नीचे तक छुआ। अगली बार ऊँगली का दबाव थोड़ा बढ़ाया तो दरार अपने आप फैल गई उन्हें अंदर और भी गीलापन महसूस हुआ। हमारी उंगलियों के 3 भाग होते हैं अपनी ऊँगली का पहला भाग दरार के अंदर डाल दिया था। जैसे ही उंगली भग्नासा, (मुझे इसके बारे में तब तक पता नहीं था) से टकराई वह तड़प उठी। मैंने अपनी उंगली पीछे कर ली। भग्नासा से नीचे आने के बाद ऊँगली योनि के छेद में जाने लगी।

मैंने दरार के दोनों होंठों को अब अपने दोनों हाथों के अंगूठे और तर्जनी-तर्जनी से और फैलाने की कोशिश की ताकि उस अनजानी गुफा के रहस्य से परिचित हो सकु । दरार को फैलाते ही अंदर गुलाबी गुफा दिखाई देने लगी ।

गुफा के शीर्ष पर स्थित भग्नासा को मैंने बहुत ध्यान से देखा। मैं डॉक्टर तो तरह उसका मुआयना कर रहा था। वह आँखे ब्नद कर लेट गयी । मैंने ओंठ सटा कर योनि पर एक चुंबन किया ।

मेरा लिंग पूर्ण तनाव में था। वह सोफे पर बैठ गई, फिर शेरोन ने आगे होते हुए, मुझे छूने के लिए हाथ बढ़ाया, अपनी हथेली मेरे लिंग पर-पर रख दी और प्यार से सहलाने लगी। मैं सातवें आसमान पर पहुँच चुका था। परंतु जितना ही उसके हाथ उसे सहलाते वह और तन जाता। जब उसने ऐसा किया, तो मुझे लगा कि मेरे अंदर दबाव बढ़ रहा है। उसके कोमल हाथों ने मेरे लिंग को ऐसे पकड़ लिया जैसे वह उससे प्रार्थना कर रही हो। मैं सिहर उठा और मेरे अन्दर जैसे भूचाल आ गया हो। मेरे वीर्य की पिचकारियाँ निकलीं और उसकी छाती, पेट और जाँघों पर गिरीं। जब तक मेरा चरमोत्कर्ष समाप्त नहीं हो गया तब तक वह मेरे लिंग को मसलती रही। मेरे घुटने मुड़ गए और मैं फर्श पर बैठ गया।

उसने अपनी छाती पर चारों ओर चिपचिपे सफेद दागों को रगड़ा और मेरे शुक्राणु को महसूस करने और सूंघने के लिए उंगलियाँ ऊपर उठा ली। उसने मेरी ओर प्रश्न भरी आँखों से देखा। "मुझे नहीं पता था कि आप ऐसा करने के लिए पर्याप्त उम्र के हो।"

"मुझे नहीं पता था कि तुम इसमें मेरी मदद करोगी।" मैंने जवाब दिया।

हम दोनों हंस पड़े।

"यह नहाने का समय है।" उसने फिर से एक बड़ी लड़की की तरह घोषणा की। फिर वह उसके शरीर पर फैले सफेद वीर्य के छींटों को देखकर मुस्कुरायी। "चलो नहा लें।" वह खड़ी हुई, मुझे अपने पैरों पर खींच लिया और जोर से गले लगा लिया, अपने निपल्स को मेरी छाती में दबा दिया और मेरे वीर्य को हम दोनों पर फैला दिया।

मैं स्वर्ग में था। मैं उसे जाने नहीं देना चाहता था। मुझे बहुत गर्म और मुलायम महसूस हुआ। हमारे शरीर सिर से पाँव तक संपर्क में रहे। मैंने उसे अपने पास रखा और सहजता से उसके चेहरे, गर्दन और कंधों की त्वचा के हर इंच को चूम लिया। ऐसा करने से उसने मुझे और भी करीब और कस कर गले लगा लिया।

हम शॉवर में गए और एक-दूसरे को बड़े ध्यान से नहलाया, प्रत्येक ने एक-दूसरे के शरीर का सूक्ष्मता से अध्ययन किया। जब वह झुकी और मेरे लिए अपने नितम्बो के गाल फैलाए तो मैंने उसके नितंबों को कोमलता से धोया। मैं उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया और उसने अपनी चूत मेरे धोने के लिए खोल दी। मैंने बारीकी से ध्यान दिया और यह सुनिश्चित किया कि उसकी चूत के मनमोहक दृश्य को पीते हुए मैंने सब कुछ साफ कर लिया। उसने मेरे लिए भी ऐसा ही किया और जब मेरे लंड को धोने का समय आया तो उसने कुछ ही समय में मुझे फिर से खड़ा कर दिया।

उसने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे हॉल से नीचे मेरे शयनकक्ष में ले गई। मैं केवल मूर्खतापूर्वक अनुसरण कर सका। जब हम वहाँ पहुँचे, तो वह मेरी ओर मुड़ी और मुझे फिर से गले लगा लिया। उसने मेरी आँखों में देखा और अपना चेहरा मेरे चेहरे के करीब ले आई।

आख़िरकार, हमारे होंठ मिले और हम चुंबन करने लगे। मेरे लिए एक और पहली बार। यह एक वास्तविक चुंबन था। मुझे बिल्कुल नहीं पता था कि क्या करना है और ऐसा लग रहा था जैसे वह भी वास्तव में नहीं जानती थी। लेकिन हम कामयाब रहे और हमारे अंतर्ज्ञान ने थोड़ी मदद की। मैंने अपनी जीभ से उसके होंठों का स्वाद चखा और उसने भी मेरे साथ वैसा ही किया। हमारी जीभ की नोकें बीच में कहीं मिल गईं। जब हमने चुंबन तोड़ा, तो मैंने फिर से उसके गाल, उसकी ठुड्डी, उसकी गर्दन, उसके कंधे, उसकी छाती को चूमना शुरू कर दिया।

जब मैं उसके सीने के पास पहुँचा तो उसने एक लंबी आह भरी। मुझे लगा कि मैं कुछ हद तक सही कर रहा हूँ । मैंने उसके स्तन तक चूमा और एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसा। उसने फिर आह भरी और थोड़ा-सा कराह उठी। अब मुझे पता था कि मैं अच्छा कर रहा हूँ। मैंने उस निपल को छोड़ा और दूसरे को चूसने लगा। उसने मेरा सिर कस कर अपनी छाती पर खींच लिया। मैंने जितना हो सके उतना ज़ोर से चूसा, मैं इसे खींच कर निगल जाना चाहता था। वह बहुत प्यारी थी।

वह बिस्तर पर बैठ गई और मैं उसके पास बैठ गया, अभी भी उस निप्पल को चूस रहा था, अपनी जीभ से गुदगुदी कर रहा था। उसने हल्की-सी गुर्राहट निकाली और पूरी तरह से वापस बिस्तर पर लेट गई।

"दीपू?" उसने पूछा। "क्या आप पहले कभी किसी लड़की के साथ रहे हैं?"

"नहीं, किसी बड़ी लड़की के साथ नहीं।" मैंने जवाब दिया।

"क्या तुम कभी किसी लड़के के साथ रही हो?"

"किसी बड़े लड़के के साथ नहीं।" उसने मुझे उत्तर दिया।

वह जानती थी कि मुझे एक पुरुष जैसा महसूस कराने के लिए क्या कहना है, भले ही मुझे एक पुरुष बनने के लिए लंबा सफर तय करना था।

"स्कूल में लड़के सोचते हैं कि मैं बदसूरत, बहुत पतली और सपाट छाती वाली हूँ मुझे कभी किसी लड़के को चूमने का मौका भी नहीं मिला। किसी ने भी मुझे चूमने की कोशिश नहीं की।"

मैं उसके बगल वाले बिस्तर पर बैठ गया। मैंने मन में सोचा, यह बहुत बुरा है कि स्कूल में लड़कों को कभी उसे इस तरह नग्न देखने का मौका नहीं मिला। "तुम सुंदर हो।" मैंने उसे सच-सच बता दिया। "काश मेरी उम्र इतनी होती कि मैं तुम्हारा बॉयफ्रेंड बन पाता।"

"आप अब तक अच्छा काम कर रहे हैं।" वह मुस्कुराई और एक बार फिर मुझे अपने पास खींचने के लिए आगे बढ़ी। हम वापस लेट गए और उसने मुझे चूमते हुए अपने पैर फैला दिए। मेरा एक पैर उसके पैरों के बीच चला गया। उसने मुझे कसकर गले लगा लिया और अपनी योनि को मेरी जाँघ पर रगड़ने के लिए अपने कूल्हों को ऊपर धकेल दिया। फिर से, सहज भाव से, न जाने उसे क्या अच्छा लगा, मैंने अपने पैर से उसकी योनि पर पीछे की ओर दबाव डाला। वह मेरे पैर को जोर-जोर से और तेजी से भींचने लगी। मुझे नहीं पता था कि क्या सोचूं। उसने हमारा चुम्बन पकड़ लिया और हमारे होंठ एक साथ मिलाकर कराहने लगी। वह नीचे पहुँची और अपने लिंग के विरुद्ध मेरे पैर को जोर से खींच लिया। फिर वह स्थिर होकर स्थिर हो गई, उसका शरीर चट्टान की तरह सख्त हो गया और मेरे पैर से टकराने लगा।

उसने सांस नहीं ली। वह नहीं हिली। फिर उसने एक जोर के झटके के साथ अपनी सांस छोड़ी और निढाल होकर गिर पड़ी। तब तक, मुझे नहीं पता था कि लड़कियाँ भी चरमोत्कर्ष पर पहुँच सकती हैं, लेकिन मुझे लगा कि उसके साथ भी ऐसा ही हुआ है।

मैं फिर से उसे चूमने लगा। यह इतना गर्म और मीठा था कि मैं उसे पूरी तरह से चूमना चाहता था। मैंने फिर से उसके ओंठो से शुरुआत की, फिर उसकी गर्दन धीरे-धीरे उसके प्यारे शरीर पर काम किया। शेरोन वहीं लेटी रही, आँखें बंद करके, अपनी साँसें लेने की कोशिश कर रही थी। आख़िरकार, मैं उसकी चूत के ऊपर था, मेरी नाक बालों की पतली जगह पर थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी गंध सूंघी, युवा लड़की मेरे लिए कुछ नई चीज़ के साथ मिश्रित थी, एक महिला का संकेत। मैंने अंदर के छोटे होंठों को बाहर निकाल कर चूमा और वह उछल पड़ी। मैंने उसका स्वाद लेने के लिए अपनी जीभ बाहर निकाली जैसे ही मैंने उन्हें फिर से चूमा, उसने अपनी टाँगें चौड़ी कर दीं और। उसकी चूत खुल गयी और मैं सब कुछ देख सका। मैं उसकी योनि का छोटा-सा छेद देख सकता था। बेशक, मैंने सारी बातें सुनी थीं, लेकिन मुझे अभी भी यकीन नहीं था कि इसका सबसे अच्छा उपयोग कैसे किया जाए। फिर, मेरी स्वाभाविक वृति मदद करने लगी। जब मैंने अपनी जीभ उसके मुलायम, मांसल हिस्सों पर ऊपर से नीचे फिराई तो उसकी भारी, गर्म खुशबू मेरी नाक में भर गई।

जब मैं वापस उसके भगशेफ तक पहुँचा (मुझे इसके बारे में बहुत बाद में पता चला) ,

मैंने उसकी मांसल चोटी को अपने मुँह में लेकर चूसा, ठीक वैसे ही जैसे मैंने उसके निपल्स को चूसा था। उसने अपनी टाँगें और भी फैला दीं और मेरा सिर कसकर अपनी ओर खींच लिया। मुझे लगा कि उसे यह पसंद आया और उसने इसे और भी जोर से चूसा और जीभ से दबाया। शेरोन ने हवा के भारी घूंट लेने शुरू कर दिए और फिर धीरे-धीरे चिल्लाने लगी।

"ईईईईई। ईईईईई। ईईईईई!" वह सख्त हो गई और फिर से हिल गई। मैं तब तक चाटता रहा जब तक उसने मुझे दूर नहीं धकेल दिया।

मैं उठा और उसकी आँखों में फिर से देखा और उसकी आँखों के कोनों में हल्के से आँसू देखे।

"मैंने कभी नहीं सोचा था कि मैं इतना अच्छा महसूस कर सकती हूँ।" वह सिसकने लगी। "बड़े लोग हमें इस बारे में जानने से रोकने की कोशिश क्यों करते हैं?"

मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैंने बस उसके गर्म, परिपूर्ण शरीर की ओर हाथ बढ़ाया, उसे फिर से चूमा और उसे कसकर पकड़ लिया।

मैंने हमारे शरीरों को एक साथ, गर्मजोशी साझा करते हुए, अपने ही विचारों में खोए हुए, कई मिनटों तक हलकी रोशनी में आराम करने दिया,। थोड़ी देर में हम खेल-खेल में बिस्तर पर इधर-उधर लोटने लगे। मैं अपनी पीठ के बल लेट गया और वह मेरे ऊपर आ गई। हमने एक दुसरे को कुछ और बार चूमा और उसके पूरे शरीर को रगड़ा, कम से कम उन हिस्सों को जहाँ तक मैं पहुँच सका। मेरे हाथों ने उसके नितंबों को पकड़ लिया और उन्हें अलग कर दिया। मैंने उसकी दरार में एक उंगली डाली और उसकी गांड के छेद की थोड़ी मालिश की और उसे उसकी योनि तक डुबोया, जिससे उसकी कुछ मुक्त रूप से बहने वाली चिकनाई बाहर आ गई। मैं भी इसके बारे में ज्यादा नहीं जानता था, लेकिन मुझे लगा कि यह मेरे अपने प्री-कम तरल पदार्थ जैसा कुछ चिकना था। इससे मुझे उसकी गांड के छेद में एक बार में थोड़ी उंगली डालने में मदद मिली। मैं चूत के बारे में उतना नहीं जानता था। लेकिन उसने इसे पसंद किया ये उसकी कराहो से पता चल रहा था ।

उसने अपने कूल्हों को ऊपर-नीचे हिलाना शुरू कर दिया, ऐसा लग रहा था कि वह और भी अधिक मेरी उंगली अपने अंदर लेना चाहती है। जब वह वापस आई तो उसकी योनि मेरे लंड से ज़ोर से रगड़ी, जो उसके पेट से दब गया था। यह मेरे लिए थोड़ा असुविधाजनक था, इसलिए मैंने नीचे हाथ बढ़ाया और उसे उसकी जाँघों के बीच खड़ा कर दिया।

जब मैंने उसे छोड़ा, तो लंड ने उसकी गर्म, गीली चूत की दरार पर थप्पड़ मारा। उसने उसके कूल्हों को और भी जोर से मेरे अंदर दबा दिया। वह चारों ओर घूमने लगी और मुझे उसके नितंब में अपनी उंगली रखने में कठिनाई हो रही थी। मैंने उसे बाहर निकाला और थोड़ी देर के लिए बस उसकी पीठ को रगड़ा।

उसकी ऊपर-नीचे हरकतों से उसका फिसलन भरा रस मेरे शाफ्ट पर फैल गया। उसने ऊंचे स्वर में विलाप करना शुरू कर दिया और एक और संभोग सुख में फिर से अकड़ गई। उसकी हरकतों के कारण मेरे लिंग का सिर उसके गर्म छोटे छेद के प्रवेश द्वार पर टिक गया। मुझे एक क्षण के लिए ऐसा महसूस हुआ कि सिर एक तंग, गर्म जगह पर फिसल गया है, जब तक कि उसकी हरकतों ने उसे फिर से बाहर नहीं निकाल दिया। उसका चरमोत्कर्ष कम हो गया और उसने मुझे चूमा, जबकि उसके कूल्हों ने धीमी गति से हिलना शुरू कर दिया। प्रत्येक झटके के साथ मेरे लिंग का सिर इस गर्म, गीले, तंग छोटे छेद में और अंदर चला गया और फिर वापस बाहर आ गया। मुझे यकीन नहीं था कि क्या हो रहा था, लेकिन मैं इसे रोकना नहीं चाहता था। हमारे चुंबन को तोड़े बिना, उसने मेरे मुँह में कराह दी और हर बार मुझे थोड़ा और गहराई में ले जाकर अपनी हरकत जारी रखी। थोड़ी ही देर में मुझे पता चल गया कि मैं उसके शरीर के अंदर पूरी तरह से दबा हुआ हूँ।

"दीपू," आख़िरकार उसने चुम्बन तोड़ दिया। "मेरे अंदर तुम्हारी कितनी उंगलियाँ हैं?" मैंने उसे दिखाने के लिए अपने हाथ ऊपर उठाये कि वहाँ कोई ऊँगली नहीं है।

"मुझे लगता है कि हम चुदाई कर रहे हैं।" उसने कहा और अपनी हरकत बढ़ा दी। "मैंने सूना था कि पहली बार में बहुत दर्द होता है। मैं बस खिंचा हुआ महसूस कर रही हूँ। इसमें बिल्कुल भी दर्द नहीं हुआ!"

मैं पहली बार के सेक्स के बारे में पूरी तरह से अनभिज्ञ था और अब मेरा लंड इस खूबसूरत, मेरे से बड़ी उम्र की लड़की के अंदर गहराई तक दबा हुआ था, जो सेक्स के बारे में मेरे जितना ही कम जानती थी। मैं स्वर्ग में था।

कुछ ही समय में मेरे अंदर दबाव पैदा हो गया और मुझे वह परिचित, जलती हुई गर्म अनुभूति महसूस हुई। मेरे ऑर्गेज्म से मेरा शरीर फूट पड़ा। उसके अंदर बहुत सारा वीर्य जमा हो गया होगा क्योंकि मैं महसूस कर सकता था कि हमारा रस मेरी गेंदों और बिस्तर पर टपक रहा है। मैं वहीं लेटा रहा, जबकि वह मेरे लिंग को अपनी चोटिल और दुखती श्रोणि पर घिसती रही और फिर वह अकड़ गई और फिर से कांपने लगी। वह मेरे ऊपर गिर पड़ी। उसे पकड़कर, मैं इस अद्भुत, मधुर, सुंदर, गर्म, छोटी महिला के नरम, प्यारे खर्राटों को सुनते हुए सो गया।

अगली सुबह मैं उठा तो मैं उसी स्थिति में था और वह मेरे ऊपर सो रही थी। मुझे पेशाब करना था और उसका वजन मेरी थोड़ी भी मदद नहीं कर रहा था। मैंने धीरे से उसे एक तरफ घुमाया और उसके नीचे से निकल गया। मैंने नीचे देखा और पेट के बल नग्न अवस्था में लेटी हुई इस खूबसूरत युवा महिला का दृश्य मेरे मस्तिष्क और हृदय पर अंकित हो गया। आज भी जब भी मैं अपनी आँखें बंद करता हूँ तो मैं उसे देखता हूँ। मैं अभी भी अपने प्रेमिकाओ की तुलना मेरे बगल में उसके शरीर की अनुभूति से करता हूँ।

मैं चुपचाप बाथरूम में चला गया और एक शक्तिशाली धारा छोड़ दी। जब मैंने काम पूरा कर लिया, तो मैंने एक वॉशक्लॉथ निकाला, उसे गर्म पानी से भिगोया और ध्यान से अपने लंड, अंडकोषों और पेट से हमारे प्यार के जमे हुए सबूत और उसके कौमार्य के रक्त को हटा दिया। जब मैंने ऊपर देखा, तो वह फिर से दरवाजे पर थी। मैं हँसे बिना नहीं रह सका। उसने मुझे एक बार और बाथरूम में पकड़ लिया था।

"रास्ते से हट जाओ, मुझे पेशाब करना है!" वह मुझसे आगे निकल गई। मैं सदमे में वहीं खड़ा रहा। मेरे लिए एक और पहली बार। एक वयस्क महिला... लड़की...ठीक मेरी आँखों के सामने ... मेरा सर चक्कर खा गया। बेशक, मैं फिर से सख्त होने लगा। वह खड़ी हुई और मेरे पास आई।

"मुझे भी धो दो प्लीज़।"

जैसे ही वह काउंटर पर झुकी और अपने पैर फैलाए, मैंने उसके कपड़े को गर्म किया। मैं उसके सामने घुटनों के बल बैठ गया और एक हाथ से उसकी चूत के होंठों को खोल दिया। अंदर, मैं उसमें से अपना कुछ सफेद वीर्य रिसता हुआ देख सकता था और उसके पतले गुलाबी आंतरिक होंठों के बाहर और उसके कुछ विरल बालों में, मैं हमारे रस की सूखी परत महसूस कर सकता था। मैंने उसे सावधानी से धोया, नहीं चाहता था कि खुरदरे कपड़े से उसे असुविधा हो।

जब मेरा काम पूरा हो गया, तो मैं अपने सामने आए प्रलोभन का विरोध नहीं कर सका। मैंने अपनी बाहें उसके पैरों के चारों ओर लपेट लीं और उसकी योनि को अपने चेहरे पर खींच लिया। मेरी जीभ बाहर निकली और उसकी कोमल परतों में फिसल गई। बस एक नये स्वाद का संकेत था। उसने मुझे कान से पकड़ा और खड़ा कर दिया। फिर मेरी खूबसूरत शेरोन ने मेरा हाथ पकड़ा और मुझे वापस बिस्तर पर ले गई।

उसने मुझे अपनी पीठ के बल नीचे धकेल दिया और मेरे पैरों के बीच चढ़ गई, मेरा खड़ा लिंग उसके चेहरे से केवल कुछ इंच की दूरी पर था। उसने मेरे लंड को अपने हाथ में लिया और ध्यान से देखा। ऐसा लग रहा था जैसे वह फिर से किसी चीज़ के बारे में गहराई से सोच रही हो। जैसे ही उसने अपना सिर नीचे किया और मेरे लिंग के सिर पर एक चुंबन दिया, उसकी अभिव्यक्ति दृढ़ संकल्प में बदल गई। मैंने प्रतिक्रिया में झटका दिया और खिलखिला दिया।

फिर उसने अपनी जीभ निकाल डाल कर एक बार चाटा। उसकी आँखें बंद हो गईं और वह स्वाद पर ध्यान केंद्रित कर रही थी, जैसे कोई बढ़िया वाइन का स्वाद ले रहा हो। उसका मन पक्का हो गया, उसने अपने होंठों को सिर के चारों ओर लपेट लिया और खुद को धीरे-धीरे नीचे किया, जब तक कि लगभग आधा उसके मुँह में नहीं चला गया, फिर वापस ऊपर आ गई।

"अरे वाह?" मैं कराह उठा। "यह शानदार है। कभी मत रुकना"

"आपने यह मेरे लिए किया। मैंने सोचा कि मैं यह आपके लिए करूंगी।" और फिर उसने अपना सिर नीचे करते हुए अपनी जीभ को मेरे लिंगमुंड और शाफ्ट के चारों ओर घुमाना शुरू कर दिया।

बस एक या दो मिनट में ही उसने अपना शरीर इधर-उधर घुमा लिया, मेरे डिक को अपने मुँह से कभी नहीं छोड़ा। उसने मेरे शरीर के दोनों ओर अपने घुटने रख दिए और उसकी खूबसूरत योनि मेरे चेहरे के ठीक ऊपर थी। मैं ऊपर पहुँचा, उसके कूल्हों को पकड़ा और उसे अपने मुंह के पास नीचे खींच लिया। मेरी नाक उसकी ताजा, साफ, गुलाबी, उभरी हुई गुदा पर टिकी हुई थी। किसी गंध की अनुपस्थिति ने मुझे और भी अधिक उत्तेजित कर दिया। मैंने उसकी योनि की दरार से लेकर उसकी मीठी स्वाद वाली गांड के छेद और पीठ तक पूरी लंबाई को चाटा। बस कुछ ही मिनटों में मुझे पता चल गया कि मैं फिर से विस्फोट करने वाला हूँ। मैंने उसे चेतावनी देने का फैसला किया।

"मैं सहने वाला हूँ!"

"नहीं, नहीं, अभी नहीं।" उसने मुझे छोड़ा और बिस्तर पर लेट गयी, घुटने ऊपर किये और पैर फैलाए हुए, अपनी योनि के होंठों को आमंत्रण के रूप में खुला रखा। "मुझे इस तरह चोदो।" उसने आदेश दिया।

मैंने बिना समय बर्बाद किए उसकी टांगों के बीच में आ गया। उसने मेरा लंड पकड़ लिया और मुझे अपनी गीली सुरंग में खींच लिया। मैं आपे से बाहर हो रहा था। इस बार मैं देख सकता था कि क्या हो रहा था। मैंने धीरे-धीरे उसमें प्रवेश किया और वापस बाहर खींच लिया, प्रत्येक झटके के साथ थोड़ा और गहराई तक जाता रहा, ठीक वैसे ही जैसे हमने पहली बार किया था। जल्द ही लंग पूरी तरह से दफना दिया।

"मुझे जोर से और तेजी से चोदो!"

मैंने ऐसा ही किया, लगभग पूरा रास्ता खींच कर वापस उसमें गहराई से समा गया। मैंने अपना शरीर उसके शरीर पर लिटा दिया और उसे पूरे दिल से चूमा। उसने अपनी टाँगें मेरे चारों ओर लपेट लीं और हर धक्के के साथ मुझे पीछे धकेलती रही। कुछ बार, मैं एक झटके से चूक गया और मेरा लंड उसकी दरार से फिसलता हुआ बाहर आ गया, जिससे हमारे चिकने तरल पदार्थ उसकी दरार के एक सिरे से दूसरे सिरे तक फैल गए। उसके हाथ नीचे पहुँचा मुझे वापस अंदर ले गयी और मैंने फिर से शुरू कर दिया।

मेरे हाथ उसके प्यारे छोटे नितंबों तक गए, प्रत्येक के साथ एक गाल पकड़ा। मैंने अपनी बीच वाली उंगली उसकी दरार में और नीचे उसकी गुदा की ओर सरका दी, जो अब उसकी योनी से निकलने वाले रस के कारण फिसलन भरी थी। मैंने इसे उंगली से रगड़ा।

"हे भगवान, !" वह कराह उठी और मुझ पर और जोर से चिल्लाई। फिर अपने लंड को उसकी चूत में पेलते हुए उसके नितंबों को निचोड़ा और फिर मैंने उसके घुटनों को उसके कंधों तक धकेल दिया। अब मुझे उसकी शानदार चूत के दर्शन हो रहे थे और मेरा लंड उसके आश्चर्यजनक रूप से कसे हुए मांस से घिरा हुआ दिख रहा था।

मैंने पहले की तरह धीरे-धीरे अंदर-बाहर करना शुरू किया और अपने अंगूठे से उसकी भगनासा को रगड़ा।

वह रॉकेट की तरह उड़ गई. "ईईईईई। ईईईईईई। ईईईईई।" वह पूरे बिस्तर पर झटके मारते हुए चिल्लायी। यह मेरे लिए बहुत ज्यादा था। मेरा लिंग पूरा फूल गया और पूरी ताकत से पंप हो गया, मैंने मेरे अंडकोषों को खाली कर दिया और मेरे बीज को उसके पेट में पंप कर दिया।

धीरे-धीरे हम अपने चरमोत्कर्ष से तनाव मुक्त हो गए। मैं अपने ऊपर गिर गया, मेरा लिंग सिकुड़ गया और धीरे-धीरे उससे बाहर निकल गया। मैं पूरी तरह से निढाल होकर उसके पास लेटा रहा।

हमारी आँखें पूरे प्यार और विश्वास के साथ एक-दूसरे पर टिकी थीं। वह गंभीरता से बोलने लगी।

"दीपू, तुम्हें पता है कि यह हमारा रहस्य है। अगर हमारे माता-पिता या हमारे किसी दोस्त को कभी पता चला, तो हम इसका अंत कभी नहीं सुन पाएंगे।" शेरोन कुछ सेकंड के लिए चिंतित दिखीं। "अगर मैं अब गर्भवती हूँ, हे भगवान, मुझे आशा है कि नहीं ऐसा नहीं होगा, चिंता मत करो। । मुझे लगता है कि सब ठीक है। अभी कुछ दिन पहले ही मेरी माहवारी खत्म हुई है।"

वह मधुरता से मुस्कुराई और जारी रखी। "हम हमेशा दोस्त रहेंगे। आप जानते हैं कि हमारे बीच कुछ खास है। मैं आपकी पहली हूँ। आप मेरे पहले हो। वे इसे हमसे कभी नहीं छीन सकते।"

"मुझे पता है।" मैंने जवाब दिया। "मैं तुम्हारे लिए बहुत छोटा हूँ। अगर तुम्हारे दोस्तों को पता चला कि तुमने मेरे जैसे छोटे लड़के के साथ सम्बंध बनाए हैं तो वे तुम्हें दुखी कर देंगे।"

"नहीं," उसने मुझे सुधारा। "तुम एक लड़के से ज़्यादा एक पुरुष हो। आप एक लड़की को विशेष महसूस करा सकते हैं। आप जानते हैं कि एक लड़की को उसके शरीर के बारे में और प्यार करने के बारे में अच्छा महसूस कैसे कराया जाए और अब मुझे पता है कि मैं किसी लड़के को कैसे संतुष्ट कर सकती हूँ! मैं तुम्हारी ऋणी हूँ।"

हमारा पहला सेक्स अनुभव खत्म हो गया था। मैं जानता था, शेरोन यह जानती थी । हमने सफ़ाई की, कपड़े पहने, जब मेरे लोग घर पहुँचे, वह अपने घर चली गयी, कुछ समय ये थोड़ा चुभा।

मैंने महसूस किया की मेरी आंखों से आंसू बह रहे हैं। मैं उसके साथ प्रेम में था। मैं अब भी लेकिन तभी बैडरूम से आवाज आयी "दीपू मेरा गाना आया और तुमने मुझे नहीं बुलाया। चली उठो मेरे साथ नाचो" शेरोन ने आदेश दिया। मैं जैसे अपने ख़याल से बाहर निकला हम साथ में नाचने लगे।

हम वर्षों तक दोस्त बने रहे, हमने कई बार फिर से प्यार किया और हमे आपस में प्यार हो गया। फिर शादी कर ली अब हम कई वर्षों से एक साथ हैं। लेकिन उसने अपना वादा निभाया। हम साथ हो और जब भी ये गाना बजता है तो हम साथ में जरूर नाचते है।

एक प्रेमगीत ने प्रेम के बीज रोप दिए।
 

Aladdin_

Demon 😈 prince🤴
3,697
12,961
144
---
mami - ji







I am Alaadin✨

hey guys toh kaise hai aap log..... mai haazir hoon..... aapke liye ek tadakta bhadakta sa short story leke......

toh chaliye shuru karte hai... 🫸🫷
introduction.....



Reshma - ek vidhwa aurat.....



manjari- dusri vidhwa aurat..... Reshma ki sautan..... lekin dono ki aapas mein acchi banti hai...


mami ji - Reshma ki mami.....

Nisha - anaath ladki hai jisko Reshma ne apne ghar par rakha hua hai.... ye ab ghar ki sadasya hi ban chuki hai....

Preeti - manjari ki beti..


toh ab story shuru karte hai...

Reshma aur bimla...... mami ji ke ghar gayi thi..... mamaji ke death ho jaane ke karan..... aaj mama ji ke mrityu bhoj ke baad Reshma aur manjarighar wapas lautne vali thi....


Reshma aur bimla.... mami ke ghar se wapas aane ke liye apne apne samaan pack karne lagi....

manjari- haaiii re Reshma..... bahut din ho gaye tere mami ke yaha..... yaha rahte hue ek apna pan sa ho gaya hai sabke sath....

teri mami badi acchi hai bechari 🥲 ka pati mar gaya.....

Reshma - haa jiji.... mami acchi toh hai.... lekin ab honi ko kaun taal sakta hai 🥲

manjari- sahi kaha tune Reshma.... chal mai thoda mami ji se milke aati hu phir chalte hai...

Reshma - Aree ruko na jiji mai bhi bas ye kapde daal loo bag mein phir mai bhi chalti hu mami ji se antim bhet karne....


manjari- accha thik hai jaldi kar....

Reshma ne jaldi jaldi kapde bag mein daale

Reshma - lo chalo jiji ho gaya ab chalte hai mami ji ke pass....


manjari- haa chal.....

manjariaur Reshma dono mami ji ke pass chale gaye milne....

mami ji jo ki khaat pe baithi hui thi...

Reshma - mami... O... mami...

mami - haa bitiya.....

Reshma - mami.... ab hum bhi chalte hai yaha aaye bahut din ho gaya hai ghar akela chhod ke aaye hai....

mami - thiik hai bitiya jaa.....

Reshma - ji Paaylaagu....

mami - khus rah bitiya....

manjari- paay laagu mami....

mami - tu bhi khus rah....

manjari- accha ab nikalte hai....

manjariaur Reshma dono apna apna jhola utha ke chal dete hai bus 🚍 stand ki orr


Reshma - mami bechari kitni dukhi thi na hamare jaane ki baat sunke....

manjari- haa re Reshma..... mami ka aur hai hi kaun is duniya mein..... jo baache hai voh toh abhi kuch dino mein yaha se chale jayenge phir toh bechari akeli rah jayegi..... pehle toh mama ji thea lekin ab akeli kaise kaategi apni jindagi...

Reshma - nhi nhi.... jiji.... mai maanti hu ki mami ke bete unse alag rahte hai lekin voh apni maa ko aise yaha akele chhod ke nhi jayenge.....


manjari:- kaash tu jo kah rahi hai voh sach ho.... ye le bus bhi aa gayi 🚍....


manjariaur Reshma bus mein chad ke aane lagte hai..... bus ab aage badhne lagti hai....

idhar.... sanju ko jaise he pata chala ki aaj mallu maa aur manjarikaki aa rahi hai usne toh aaj jamke aane vaale kuch dino ki kasar ek saath kajri kaki faguna nani aur dadi ki maar maar ke poori kar di.... kya pata kal karne ko mile na mile.... teeno apni sooji hui choot ko garam paani se sekte hue rah gayi aur sanju un teeno ko aise he chhod ke haveli ke liye nikal gya......


bus apni raftaar pe thi..... ki tabhi ek aawaz hui....

manjari- Reshma... Reshma... kya baj raha hai...

Reshma - jiji.... voh phone aa raha kisi ka....
lagta hai sanju ka he hoga...


manjari- accha.... mai toh dar he. gayi thi...

Reshma - ruko mai dekhti hu....
lekin ye phone 📱 kaha gaya....

tabhi peeche wali seat se....

kahi ye toh nhi......
dono peeche palat ke dekhti hai....
Reshma & manjarijaise he peeche palat ke dekhti hai voh dono hakki bakki rah jaati hai.... 😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳😳

Reshma & manjari- ek saath - mami ji aap....

mami - ji haan mai....

Reshma - aap yaha kaise..... aur aap bus mein kab chadhi..

mami - Aree bitiya voh jab tum dono ghar se nikle na toh maine dekha ki tum jaldbaazi mein apna phone 📱 vahi ghar pe bhool aayi ho toh mai tumhe ye phone dene ka bolke tumhare peeche peeche aa gayi aur mai jab tumhe phone dene bus 🚍 stand par pahuchi toh dekha ki bus toh chalne lagi hai toh mai peeche ke darwaje se chad gayi aur tumhare peeche ki seat pakad li....


Reshma - oh accha.... accha... lekin mami ab aap ghar kaise jaogi....

mami - Aree kaisi baat karti hai.... ab kya tu apni mami ko bus se vapas uske he ghar bhejegi apne ghar nhi le jaayegi kya....

Reshma - nhi nhi mami le jaungi na kyu nhi le jaungi mai toh bas aise he puuchh rahi thi...

manjari- haa mami ji Chalo aap bhi hamare sath maja aayega vaha....

mami - chalne ke liye he toh aayi hu.....

Reshma ;- accha mami ji mobile dena jara pata chale kiska phone aa raha tha....

mami - haa ye le.....

mami ke hath se Reshma phone le leti hai..
Reshma - Aree...

manjari:- kya hua...

Reshma - isme toh kisi ka missed call nhi dikha raha phir phone baja kaise tha...

manjari- oooffffhhh ho Reshma tu bhi na alarm ⏰ baja hoga.....

Reshma - haa ho skta hai... mai bhi na kitni buddhu ho....

manjari- accha mami ji aap bataiye kuch apni puraani kisse kahani.....

phir mami ji ne kisse kahani sunane ki jo shuruaat ki voh seedha bus 🚍 ke stand pe aake he band hui.....

mami - aa gaya kya....

manjari- haa mami ji aa gyaa... aapke kahani sunke rasta kaise beet gaya kuch pata he nhi chala..

Reshma - sach mein mami ji ....

mami - chalo chalo ab utarte hai....

teeno bus se utar gayi.... aur jungle ke raste se hote hue ghar ki taraf badhne lagi....

thodi der mein hi voh ghar pahuch gaye..... viase bhi raat ho chuki thi toh sabhi..... so gaye......

agle raat thandi ke karan sabhi aag sek rahe hote hai...

Reshma - jaa Nisha bitiya...
mami ji ko bhi jaa bula le, aag sekne ke liye...

Nisha - ji maaji abhi jaati hu....

Nisha uth ke mami ji ko bulaane chali jaati hai....

Nisha mami ji ko diye gaye kamre ki taraf jaa rahi hoti hai.....
Nisha - mami ji.... mami ji....

mami ji jo andar tv 📺 pe kuch dekh rahi hoti hai...

mami ji - haaa.....

Nisha room ke andar pahuch jaati hai...
Nisha - mami ji kya kar rahe ho aap...??

mami ji - mai.... !! mai toh tv 📺 dekh rahi hu... tum batao tum yaha kaise...??

Nisha - ... voh mami ji aapko hai na, Reshma maaji bula rahi .....

mami ji - accha.... Tu chal mai aati hu....
Nisha - accha...
Nisha jaise he jaane ke liye ghumti hai.... uski nazar room mein lage mirror par padti hai...
Nisha ( mann mein) - ye mirror mein.... ************ aisa kaise ho skta hai .....

mami ji - kya hua beti....

Nisha - kuch nhi....

mami ji - tum jao mai tv band karke aati hu...

Nisha -ji...
Nisha vaha se chali gayi....



thodi der baad jab sabhi aag sek rahe thea tab mami ji aati hai...

mami ji - kya hua Reshma beti.... Nisha kah rahi thi ki tum bula rahi ho mujhe....

Reshma - haa mami ji... voh maine he Nisha ko aapko bulane bheja tha... ki aapko bula laaye taaki aap bhi aag sekk sake....

mami ji - aag... 🔥..... 😳....

Reshma - haa.... aaiye na mami ji baithiye... yaha aag sekte sekte baatien karte hai .....

mami ji - 😕 a.. a.. a... nhi bitiya... tum log hi aag sek lo.... mujhe ye sab aacha nhi lagta.....

manjari- Aree mami ji.... baithiye na thodi der baat kariye humse bhi.....

mami ji - kahi aur baith ke baat kare kya...

Preeti - yaha kyu nhi baith rahi mami ji...

Reshma - yaha accha lag raha hai mami ji aag ke saamne baithne se mst.... garam garam....

mami ji - nhi nhi... yaha nhi...

Nisha - kyu kya hua mami ji yaha kyu nhi baith rahi aap.... kahi aag se darr toh nhi gayi na....

mami ji - 😳..... nhi... nhi... aisi koi baat nhi hai...

Preeti - toh phir kyu nhi baith rahi mami ji baithiye na....

mami ji - voh kya hai na bitiya.... aag ke paas dhuaan udta hai aur tum log toh meri halat dekh hi rahe ho mai hoon ek budhiya.... is umar mein duaan bardaasht nhi ho pata mujhse.... saans lene mein thodi dikkat hoti hai mai toh bas isliye hi mana kar rahi thi... lekin ab tum log itni zidd kar rahe ho toh chalo baith jaati hu....

Reshma - sorry mami ji... aur aapko yaha baithne ki koi jarurat nhi hai... aapko jaha comfortable ho aap vahi pe jaake baitho....

mami ji - shukriya bitiya....

mami ji chali gayi apne kamre mein....



agle din....

Reshma...... aur manjaridhoop shekkk rahi thi....
Nisha - kya baat hai aaj dono ek sath dhoop sekne ka maja le rahi.....

Reshma - haa... beti... dekh na thand kitni jayada badh gayi hai..... dhoop ke bina rahna bhi mushkil ho raha hai...... yaha dhoop mein mast body garm garam ho rahi... maja aa raha hai....

Nisha - haa... accha toh mujhe bhi lag raha....

manjari- Aree Nisha... ye Preeti kaha hai....

Nisha - kaki... voh pados mein kajri kaki ke yaha gayi thi ......

manjari- accha......

Nisha - kuch kaam tha kya aapko Preeti se...

manjari- nhi... nhi... aisa kuch kaam nhi tha mai toh bas usko dhoop sekne ke liye bula rahi thi....

Nisha - accha...

Reshma - mami... ji... kaha hai Nisha beti....

Nisha - voh apne kamre mein hi hongi.... vahi toh baithi tv dekhte rehti hai.....

manjari- haaa.... sach mein pata nhi mami ji... itna tv kaise dekhne lag gayi.... jab unke yaha gaye thea tab toh nhi dekhti thi....


Reshma - unke yaha gaye thea toh itne saare log ke sath baat karne mein hi din guzar jaata hoga unka aut mamaji ke maut ka bhi toh asar hua raha hoga.... isliye us time nhi dekhti hongi.... ya phir ab mamaji ke jaane ke baad khud ko akela mehsoos kar rahi hongi isliye shyd tv dekh ke apne mann ko bahla rahi ho....

manjari- haa... ho skta hai...
sun Nisha beti.. ek kaam kar jaa... jaake.... mami ji ko bula laa yaha dhoop ki dhoop sekaayi ho jayegi.. aur baat chit bhi kar lenge....


Nisha - thik hai mai abhi jaati hu....

Nisha seedhiyon se utarte hue.... mami ji ke kamre mein jaati hai.....

Nisha ( mann mein) - apni naak sikodte hue - uuuummmhhhhh.... chii... kitni badboo aa rahi hai is kamre se....... lagta hai yaha koi chuha mara hoga......

Nisha - mami... ji... Aree.. o... mami ji kidhar hai aap..... mami ji....

mami ji jo tv dekh rahi thi....

mami ji - kya hua....

Nisha -; chaliye aapko manjarikaki bula rahi kuch baat chit karni hai unko aapse....

mami ji - thik hai.... Tu chal mai aayi....

Nisha vaha se chali gayi....

Nisha bhi dhoop sekhne ke liye chhat pe aa gayi...

thodi der mein mami ji..... bhi aa gayi....
manjari- Aree mami ji.... aiye... aiye.... aap bhi thoda dhoop sekk lijiye..... mast lag raha hai dhoop....

mami ji - nhi... beta.... mujhe allergy hai... dhoop se tum log hi seko..... kuch baat chit karni thi na tumhe batao.....

manjari- Aree.. mami ji hum toh aise hi baat chit karna chahte thea aapko aaye itne din ho gaye thik se baith ke kabhi baat hi nhi ho paayi isliye....

mami ji - accha.... toh batao kya baat karni hai...

Reshma - Aree mami apni voh vali kahani sunao na jo bachpan mein sunaya karti thi.... bhoot vali....

mami ji - bhoot vali ka naam sunke thoda chauk gayi..

manjari- kya hua mami ji aap chuak kyu gayi.....

mami ji - nhi nhi kuch nhi... .

Nisha - toh phir sunaiye na....

mami ji - thik hai ab tum log itni zidd kar hi rahe ho toh thik hai..... lekin abhi nhi raat mein...... raat mein horror kahani sunne ka maja hi kuch aur aata hai.....

malati - accha.... thik hai hum sabhi ko intezaar rahega raat ka.....

mami ji ab phir se neeche tv 📺 dekhne chali jaati hain...

thodi der baad Reshma aur manjarimami ji ke pass aate hai...

manjari- mami ji... chaliye nahane chalte hai..

Reshma ( dheere se) - pair dabaane ka kya hua...

manjari( dheere se) - Aree aise hi pilpila gayi hai.... agar jayada jorse pair daba diya toh toot jayega inka pair isliye rahne de... 😄

Reshma - accha... 😁...


Reshma - haa mami ji chaliye chalte hai.. nahane 🚿


mami ji - meri aaj thodi tabiyat kharaab lag rahi mai aaj nhi jaa paungi.... mai aaj naha li toh mujhe bahut tezz bhukhaar ho jayega...

manjari- accha... thik hai phir aap rhn do hum dono hi chale jaate hai..

manjariaur Reshma dono nahane chali jaati hai

manjariaur Reshma dono abhi nahane ke liye nadi ke pass pahuchi thi ki tabhi... Reshma ke phone pe kisi ka call aata hai.

Reshma - hello...
haaa..... kyaaa..... kab.... lekin.... toh... iska mtlb.... lekin..... 🤯😰😱😨😰😢😭......

phone 📱 kat jaata hai.....

manjari- kya hua maalti... kiska phone tha aur tum aise chuak kyu gayi....... aur tum itni dari sahmi hui kyu ho.....

Reshma... - ... didi.... baat hi kuch aisi hai ki agar aap bhi sunogi toh aapke bhi hosh udd..... jayenge.......

manjari- aakhir baat kya hai.. jaldi bata...
manjari--


Reshma - didi... abhi... abhi.... dinu ka phone aaya tha...

manjari- dinu vahi na tumhari mami ji ka beta...

Reshma - haa...

manjari- kya bol rha tha mami ji ko lene aa raha hai kya...

Reshma - didi.... yahi toh baat hai... aaj mami ji ki terhavi hai....

manjari- kya..... ye kya kar rhe hai voh log jinda aadmi ka bhi koi terhavi karta hai bhala...

Reshma - jinda nhi.... mar chuke hue ka kiya jaata hai didi.... aur dinu ne kaha ki us din hamare vaha se nikalne ke baad hi mami ji bhi mar gayi.... isliye dinu ne hamien phone bhi kiya....... voh bus mein jo phone aaya tha voh dinu ka hi tha jisko mami ji ne nhi uthaya tha.... aur dinu bata raha tha ki voh jab bhi phone karta hamein batane ke liye phone uthta aur kat jaata....

manjari- iska mtlb.....

Reshma - iska mtlb voh mami ji ka bhoot hai jo hamare yaha aakar rah raha hai...

manjari- tabhi... tabhi... voh dhoop mein bhi nhi aa rahi thi aur naahi aag ke kareeb aa rahi thi... maine suna hai bhoot log aag se darte hai...


Reshma - haa.... hamein jaldi hi kuch karna hoga....

manjari- lekin ye baat smjh nhi aayi ki mami ji ki aatma yaha kya karne aayi hai.... kahi hamein maarne toh nhi aayi...

Reshma - nhi... maarne toh nhi aayi hogi varna ab tak maar chuki hoti... lekin jo bhi ho voh hai toh ek aatma hi uska khaatma karna hi hoga.... chalo jaldi pandit ji ke pass chalte hai.....

Reshma aur manjarinaha dhoke jaldi se pandit ji ke yaha chale gaye....

Reshma - pandit ji.... pandit ji.... humein bacha lijiye...

pandit - kya hua....

manjarisaari baat pandit ji ko batane lagti hai...

pandit - voh aatma abhi itni taakatvar nhi hai isliye voh tumhara koi ahit nhi kar rahi.... lekin aaj se theek 2din baad jab amavasya ki voh kaali raat aayegi tab us aatma ko poori shaktiyaan mil jayegi uske baad pata nhi voh kya karegi... usse pehele hi us aatma ka khaatma karna hoga....

ye sun manjariaur Reshma ghabra gaye...

Reshma - kuch bhi kijiye... pandit ji lekin mere parivaar ko bachaiye....

pandit - daro nahi.... ye bhabhoot lo aur isko le jaakar us pret aatma ke kamre ke bahar ek rekha kheench do.... jisse voh abhi us kamre se bahar nhi nikal paayegi....

aur mai ye tabiz de raha hu ye tabiz ghar ke sabhi dhaaran kar lena taaki voh agar us rekha ko paar bhi kar jaaye toh aap log ko koi nuksaan na pahucha sake...

mai yaha se us aatma ko nast karne ki vidhi doodhta hu... ab aap log jaiye... yaha se....

Reshma aur manjarighar aa jate hai....
Reshma.... jaldi se mami ji jis kamre mein ruki thi us kamre ke bahar bhabhooti se rekha bana deti hai...

aur phir Nisha aur Preeti ke pass chali jati hai...

Reshma - Nisha Preeti dono kaan khol ke meri baat suno..... jo ye mami ji banke yaha aayi hai na voh koi insaan nhi balki ek bhoot hai.... jo pata nhi kis maqsad se yaha aayi hai...

Preeti - kya....
manjari- haa... phir manjarisaari baat batati hai...

Preeti - ab kya karenge....

Reshma - humne pandit ji se baat ki hai voh isko maarne ka upaay dhoond rahe hai.... tab tak ke liye hamari suraksha ke liye unhone ye tabiz di hai...... ye humein pehnna hai......

mona ( mann mein) - agar maine ye tabiz pehna toh mai gayi.... nhi.. nhi.. mai ye nhi pehn skti..... aur inhone bhi ye pehna aur mujhe touch kiya toh meri asliyat inke saamne aa jayegi..... mai aisa nhi hone dungi....

Preeti - ruko... ruko... pehle jisko jisko bhi mootna vagerah hai voh nipta lo..... uske baad hi pehnna....

sabhi... haa.. haa... yahi thik rahega...
sabhi mootne chale gaye...
mona vapas aa gayi aur usne sabhi tabiz ko ek kapde se pakd kr toilet?? mein flush kar diya aur uski jagah apni jadu se dusra same to same tabiz vaha pe rakh diya aur chali gayi....

phir sabhi aa gaye.... aur sabhi he ek ek tabiz uthaya aur apne apne baaju mein baandh liya.... aur ek chain ki gehri saans li....


raat ko sabhi khana khane lage.... aaj khana dene koi nhi gaya mami ji ke pass....

mami ji - aaj koi khana dene nhi aaya... chalo mai khud chlke dekhti hu...

mami ji apne kamre se jaise hi apna pair aage badhaane ko hui unka pair 🦶 bhabhoot se banayi gayi rekha par pada aur unko bahut jor ka jhatka haaye joro se laga... 😅

mami ji... - aaaaahhhhhhhh... ye kya hua.... mujhe itna tezz current kaha se laga....

mami ji ne haar nhi maani ek prayaash aur kiya..... phir se jhatka khaa ke apne kamre mein fekaa gayi... 😂

mami ji ko ab sab smjh aa gaya...

mami ji... - Reshma... beta... maalti....

Reshma ki gaand phatt gayi....
manjari- jaa.. Reshma teri mami tujhe bula rahi hai...

Reshma - koi meri mami oova nhi hai voh... voh ek bhootni hai... mai nhi jaa rahi....

manjari- dekh jaa.. na nhi toh voh gussa ho jayegi toh hamrai saamat aa jayegi...

Reshma - thik hai mai jaa rahi lekin akele nhi jaungi... aap bhi sath chalo...

manjari- na baaba naa.... mai nhi jaane vali.. Tu Nisha ya Preeti kisi ko leke jaa...

Preeti - na baba na mai bhi nhi jaane vali...

Reshma - Nisha beti Tu toh chal...

Nisha - thik hai kaki chaliye...

Nisha aur Reshma dono mami ji ke kamre ke pass pahuche....

Reshma - kya hua mami ji.. kuch chahiye tha kya...

mami ji - beti.... bhook lagi thi aaj khana nhi diya.....

Reshma - Nisha beti mami ji ko bhook lagi hai khana le aao....

Nisha - ji maaji...

Reshma - Aree ruk... akeli kaha jaa rahi hai tujhse akele laaya nhi jayega mai bhi aati hu....

Reshma Nisha ke sath khisak li...

mami ji... - Reshma sun to... kahti rah gayi... 🥲

manjari- kya hua.... kyu bula rahi thi voh bhootni...

Nisha - khaana maang rahi hai... mai aur maaji vahi lene aaye hai... mujhe toh darr lag raha... darrke maare mai apne nakhoon chaba rahi 🥺🥲
manjari- jao.... jao... jaldi deke aao... lekin ek minute... bhoot log khana khate hai kya... unke pass toh body hi nhi hoti toh khana jata kaha hai...

Reshma - abhi ye sab sochne ka time nhi hai... jaldi se usko khana deke aate hai...

Reshma aur Nisha khana leke mami ji ke kamre ke pass pahuch jaati hai....

mamiji... - beti.... Reshma.... ye raakh ( bhabhoot) kyu laga rakha hai kamre ke bahar.....

Reshma - voh fashion hai mami ji... aap khana khao... ye lo... bhabhoot ke upar se par karke jaldi se hath kheench liya....

mami ji... - Aree.. aaj aise kyu khana de rahi ho... aao andar aao thoda der baitho mere sath baat karenge khate khate..


Reshma - nhi.. nhi.. mujhe nind aa rahi mami ji... aap khana khao... aur tv dekho mai chali sone...
agar aapko kuch chahiye hoga toh ghar mein hai aapko chhod ke hum 4 log hum chaaro mein se kisi ko bhi mat kehna.... byeee...


Reshma Nisha ka hath pakd ke jaldi se vaha se bhaag gayi..

mami ji... - lagta hai inko meri sacchai pata lag gayi.... ab kya karu... inko aise toh nhi chhod skti....

Reshma tezzi se daudhte hue aake table se takra jaati hai...

Reshma - aah... saali.. mami... tere chakkar mein mai takra gayi.... teri toh.. bhoot banke tujhe mere hi ghar aana tha kya.... aur didi aap aapko bada sauk tha na mami ji ke sath time bitaane ka jao ab kyu nhi ja rahi...

manjari- Aree uske pass jaane se accha mai is thand ke mausam mein raat ko nahana pasnd karungi voh bhi garam paani se 🥲

Preeti - chalo jaldi jaldi khao piyo aur so jao...

Nisha - mai kya kah rahi thi ki jab tak pandit ji is mami ka game nhi baja lete tab tak hum sabhi kyu na haveli mein jaake rahe.... kab tak yaha dar ke rahenge...

manjari- good idea. 💡..
Reshma - nhi... 😟very good idea...
chalo sabhi... abhi ke abhi..
chaaro raat ko hi ghar chhodkr apni padosan kaveri ke ghar sone chale gaye......





agli subah... pandit ji ka phone aaya...
Reshma phone ki ghanti sunke uthi....
Reshma - ji pandit ji kahiye...
pandit - turant mere ghar aa jaiye...

sabhi ke sabhi... sataak se pandit ke ghar aa dhamke...

pandit - itni jaldi..... abhi abhi toh maine phone kaata tha abhi 1 minute hi hua hoga...

Reshma - maut ke darr se toh gadha bhi ghoda ban jaata hai hum toh phir bhi insaan hai pandit babu...

pandit - accha accha...
toh maine aap log ko isliye bulaya hai kyuki mujhe tod mil gaya hai us bhoot ka...

toh dekhiye karna kya hai....
bhoot jo hota hai voh air ke form mein hota hai toh aapko kya karna hai ki na voh jo hota hai na gandagi saaf karne ka kya bolte hai usko....

Preeti - mujhe pata hai mujhe pata hai...

pandit ; haa batao beti...

Preeti - mai nhi bataungi...

pandit - Aree bata do beti bhagwaan tumhara bhala karega...

Preeti - accha bata doo kya...

pandit - haa batao beti..

Preeti - thenga mai nhi bataungi...

manjari- Aree bhosdimaari... bata na....

Preeti - bata toh rahi ho daat kyu rahi ho...

manjari- kya jab hum mar jaayenge tab batayegi...

Preeti - nhi ab bataungi....

manjari- haa toh bata jaldi...

Preeti - pandit ji aap tide ki baat kar rahe hai na...

pandit ji ye sunte hi apna maatha peette hue... " lo chud gayi bhais paani mein... " 🙃

Preeti - nhi hai kya....

pandit - nhi.... kuch aur hai voh... jo farsh ki gandagi saaf karta hai na..... kone kone ko saaf karta hai...

Preeti - toh tide bhi toh kone kone ko saaf karta hai na pandit ji....

pandit - beta... beta... beta... tum rehne do tumse na ho paayega....

koi toh yaad karo kya kahte hai usko...
Nisha - haa pandit ji.. mujhe yaad aaya.... maine uska upyog kiya bhi hai haveli mein...

pandit - yahi hai yahi hai voh jo sabko bacha skti hai us bhootni se batao beta... kya kahte hai usko... tumne toh uska prayog bhi kiya hai haveli mein.....

Nisha - uska naam hai....

pandit - haa.. haa beta jaldi batao...

Nisha - uska naam hai...

pandit - haa... bolo beta jaldi....

Nisha - uska naam kuch.... L se toh tha.....

pandit - haa bolo beta jaldi.....

Nisha - lundzol.... daane daane mein 99.9% kitaanu... maare....

pandit ( mann mein) - Tu banegi kutiya.... jawani mein... hatt tere maa ki...

Reshma - Kya hua pandit ji ye bhi nhi hai kya....

pandit - Aree nhi nhi.. nhi....

manjari- toh phir kya hai....

Reshma - ek minute mujhe yaad aa raha hai... maine bhi kiya hai iska upyog....

pandit - haa vahi hai vahich hai jaldi batao...

Reshma - pochaa......

pandit ( mann mein) - iski bur mein pochhaa maaru.... iski toh...


manjari- sahi hai kya pandit ji....

pandit - Aree.... nhi re..... voh jo electricity se chalta hai na....

Preeti - mujhe pata lag gaya...

pandit - haa batao batao...

Preeti - hair dryer...

pandit ( mann mein) - apni gaand mein thoos le usko...

Preeti.. - kya hua...

pandit - Aree jo hawa ko kheechta hai na ki hawa fekta hai beti...

Nisha - haa yaad aa gaya..

pandit ka dimaag garam ho chuka tha...

pandit - mat bata rehne de.... galat hi bolegi...

Nisha - Aree suniye toh sahi... vacuum cleaner hai na...

pandit - haa... yahi toh hai voh... yahi... kabse yahi toh sunna chahta tha mai....

toh kya karna hai aap log ko ki vaccum cleaner mein se us air ke form mein jo bhootni hai usko pakdna hai vaccum cleaner ke andar aur phir us vaccum cleaner pe ganga jal chidak denge phir usko petrol ⛽ daal ke jala denge....

Reshma - chaliye toh phir......

sabhi pandit ji ke sath ghar ki taraf badh chalte hai...

aadhe raste mein
pandit - ek minute.... vaccum cleaner hai aap log ke pass...

Preeti - haa hai.... haveli mein....

pandit - haveli toh dur hai ghar mein nhi hai... kya...

Reshma - ghar mein toh nhi hain..

Preeti - hai... na... pass mein hi hai ek...

Reshma - kaha hai....

Preeti - mujhe maloom hai kaki.... mai leke aati hu... aap log jaldi jaaiye....

Preeti vaha se khisak leti hai... aur pandit ke ghar pahuch jaati hain

Preeti - panditaayin ji... voh aapka vaccum cleaner kaha hai pandit ji mangwa rahe hai...

panditaayin - ye raha... le jao...

Preeti ne utha liya vaccum cleaner.... aur chal padi ghar ke liye...

ghar pe idhar pandit ke sath sabhi pahuch gaye thea Preeti bhi vaccum cleaner leke aa gayi...

pandit - lao.. lao.. lao... Aree.. vaah... kya damdaar vala vaccum cleaner leke aayi ho tum toh... mehnga lagta hai...

Preeti - ji....

pandit - ye company meri favorite hai aur iska performance bhi accha hai..

Reshma - ab baatien band kariye pandit ji aur kaam shuru kariye...

pandit - ji.. ji.... pandit ne vaccum cleaner ka wire switch board mein ghuseda aur on kiya... aur mami ji ke kamre mein vaccum cleaner leke ghus gaya.....

mami ji tv dekh rahi thi...... pandit ji ne vaccum cleaner on kar diya.. aur vaccum cleaner ke on hote he mami ji.....
aaaahhhhh.... kya... kar raha hai ye pandit... mat kar aisa... aaahhhhhhhh..... kahti rahi... lekin pandit ji ne jab tak usko poora vaccum ke andar tak thoos nhi diya vaccum cleaner band nhi kiya.... jaise hi mami hi poori ki poori vaccum cleaner ke andar ghus gai pandit ne lote mein rakhe ganga jal ka chhidkaav vaccum cleaner pe kiya aur phir kaha.


pandit - petrol leke aao...

Preeti abhi laayi...
Preeti daudhte hue pandit ke ghar pahuch gayi..

Preeti - panditaayien ji...

panditaayin - ab kya kaha hai unhone...

Preeti - petrol mangvaaya hai...

panditaayin - gaadi se nikaal ke le jaao...

Preeti - ji...
Preeti ne ab pandit ji ke bike ka saara petrol ⛽ nikaal liya aur ek dibbe mein bhar ke chal padi...

pandit - ji... aa gyi tum...

Preeti - haa... ye lijiye.... petrol....

pandit - vaah... vaah... itna petrol se toh ye aaram se nipat jayegi...
chalo shuru karte hai....
pandit ne Preeti ko petrol chhidakne ko kaha

Preeti - nhi nhi pandit ji ye shub kaam aap apne hatho se kariye..

pandit bhut khus hua Preeti ki baat se....
Preeti ka is prakaar pandit ko importance dena accha laga pandit ji ko...

pandit - badi nek bacchi ho tum Preeti... khus raho... khub khus raho... saari vayvastha chutki bajate hi kar deti ho....

pandit ne ab vaccum cleaner pe petrol chhidakne ke baad aag laga di..... vaccum cleaner dhoo dhoo karke jalne laga uske sath mami ji ka bhoot bhi jal ke mukt ho gaya ...

pandit - lo ho gaya aapke bhoot ka kriyakaram

ab mai chalta hu.... lekin Reshma beti mai kahna chahta hu ki ye jo kuch bhi hua hai ye sab hona Preeti bitiya ke bhaag daud ke bina asambhav tha... iski hi mehnat se sab hua hai...

accha ab mai chalta hu....

pandit apne ghar ke liye nikal gaya .

Reshma - vaise Preeti ek baat bata..... ye vaccum cleaner aur petrol Tu laayi kaha se aur tere pass paise kaha se aaye....

Preeti - pandit ji ke yaha se....

manjari- kyaa....

Preeti - haa... maine unke ghar mein dekha tha vaccum cleaner voh bhi acchi quality ka.... toh mami ji jaise bhoot ko toh koi accha vaccum cleaner hi pakad skta hai na... aur petrol bhi maine pandit ji ke gaadi ka nikaal liya... vaise bhi toh pandit ji kahi jaate vaate hai nhi....

Reshma - voh pandit abhi teri kitni tareef karke gaya hai jab usko pata chalega toh voh toh duniya chhod ke hi chala jayega... 😂
sabhi hasne lagi....

pandit ji idhar chutiyaan hilaate hue ghar pahuchte hai...

pandit ji - Aree bhagyvaan.... kaha hai

panditaayien - aa gaye aap...

pandit - haa...

panditaayien - vaccum cleaner kaha hai...

pandit - apni jagah pe hoga mujhse kyu pooch rahi ho...

panditaayien - apni jagah pe toh nhi hai aapne hi toh Preeti ko bheja tha vaccum cleaner lene...

pandit - maine kab bheja... iska mtlb voh vaccum cleaner hamra tha.....

panditaayien - haa... aur phir petrol lene bhi behja tha

pandit - kya.... petrol bhi mera tha... 103 rs liter petrol aur 10000 ka vaccum cleaner maine apne hatho se phoonk diya.....

pandit ko attack aa gaya... 🤣

aur pandit vahi nipat gaya 😁.......


--------------- The - End -----------------

keep supporting..... keep loving 🩷......
keep liking..... keep smiling😊.........


--------
जर्रा नवाजी के लिए शुक्रिया.........

aapka apna bhai... Aladdin👳🐒🧞‍♂️...


save-2024-02-29-14-25-52

 

Mr. Magnificent

Marathi section king
Supreme
4,921
3,472
144
Order Order


Subah ke 11 baj rahe the aur is waqt indrapur ka session court logo ki bheed se khacha khach bhara hua tha, Shahar ke famous businessman Sunil Chakraborty ka khoon hua tha aur us khun ka aarop laga tha Ajay par jo mehaj 30 saal ka naujawan tha, 55 saal ke Sunil chakraborty shahar ki ek jani mani hasti the aur isi liye is case ko lekar logo me kafi jyada interest tha, upar se Ajay ki or se ye case Viraj jagtap jaisa naya wakil sambhalne wala tha jiska mukabla tha jane mane sarkari wakil Advocate Thakur ke sath, Advocate Thakur pichle kayi varsho se sarkari wakil the aur court se unhone kayi aaropiyo ko fasi bhi dilwayi thi. Is case ki kamal ki baat ye thi ke Sunil Chakraborty ki biwi Roma is case me eye witness thi, Roma Sunil ki dusri patni thi, apni pehli patni ke marne ke baad Sunil ne apne se 25 saal chhoti Roma se shadi ki thi aur unke shadi ko abhi bas 3 saal hi huye honge ke ye sab ho gaya tha.

Case kuch aisa tha ke Ajay jispar khun ka iljam laga tha wo Sunil Chakraborty ke ghar ke paas hi rehta tha aur peshe se ek driving school me instructor tha, uska Chakraborty’s ke ghar aana jana tha aur jis din khun hua us din subah Ajay Sunil ke ghar par gaya tha, us waqt Roma nahane gayi huyi thi aur Sunil apni study me kaam kar rahe the, Roma ke ghar kaam karne wali shantabai ne Ajay ke liye darwaja khola tha aur use andar aane kaha tha aur khud kuch kaam se bahar chali gayi thi.

Kuch samay baad Roma naha kar baahar aayi, Ajay waha hai iski use bhanak bhi nahi thi Ajay ko waha dekh wo thoda chauki, use Ajay ki aankho me kuch alag hi bhav dikh rahe the, Ajay ne bhi dekha ke Roma ghar me akeli hi thi, Sunil kamre hai use pata nahi tha aur ye dekh ke wo Roma se chipakne laga tha, usne uske sath jabardasti karne ki koshish bhi ki wahi Roma apne aap ko usse bacha rahi thi lekin Ajay par hawas ka bhoot sawar tha aur tabhi sunil waha aa pahuche aur unhone Ajay ko rokne ki koshish ki, Ajay aur unke beech kuch hathapayi huyi aur Ajay ne unpar chaku se hamla kar diya,

Roma ne Ajay ko rokne ki koshish ki lekin usne use bhi dhakka de diya, Roma bachte huye study se baahar aayi aur usne darwaja band karke police ko phone lagaya, police ne maukaye wardaat par pahuch kar Ajay ko daboch liya aur sari procedure nipta kar uspar case file kar diya tha, jis chaku se khun hua tha uspar Ajay ki ungliyo ke nishan mile the aur police ne ye sab sabut court ke saamne pesh kiye the, Ajay is case me puri tarah fas chuka tha aur ab Advovate Thakur jaise wakil se use bachana mushkil kaam tha wahi sare sabut Ajay ke khilaf hai aise me use bachane ke liye Viraj Jagtap ko kafi mehnat karni thi, ab bas court me judge ke aane ki raah chal rahi thi.

Thode hi samay me judge sahab ke aane ki ghoshna huyi aur pure courtroom me shanti chha gayi aur judge ke apni jagah par baith te hi court ki karyawahi shuru huyi, case ki ghoshna hote hi police ne Ajay ko aaropi ke katghare me lakar khada kar diya jiske baad judge me sarkari wakil ko witness lane kaha aur gawahi ka daur shuru hua.

Pehla gawah tha Chakraborty ke ghar me kaam karne wali shantabai, apne naam ka pukara hote hi wo witness box me aakar khadi ho gayi aur sach bolne ki kasam khate sath hi advocate Thakur ne usse sawal puchna shuru kiya.

“aapka naam?”

“shantabai kadam”

“aap kitne salo se Sunil ke ghar par kaam kar rahi hai?”

“yahi pichle kuch 10 saalo se”

“aap aaropi ko pehchanti hai?”

“ha, inka naam Ajay hai”

“8 February ko aapki inse mulakat huyi thi?”

“ha us din wo subah aaye the unhe Roma madam se milna tha, maine hi unke liye darwaja khola tha”

“uske baad kya hua?”

“maine unhe baithne kaha jiske baad mujhe kuch kaam tha to main kaam se bahar chali gayi, jab wapis aayi to maine dekha ke ghar par police thi aur sahab ka khun ho gaya tha aur police ne Ajay ko pakda tha”

“fir police ne aapka statement liya?”

“ha”

“theek hai mujhe aur kuch nahi puchna” itna bol kar Thakur apni jagah par baith gaye

“Any cross??” judge ne Viraj ko dekha to wo apni jagah se utha aur usne shantabai se sawal puchna shuru kiya

“shantabai mujhe bataiye jab bhi Ajay aata tha to use madam se milna hota tha ya sahab se?”

“Madam car chalana sikh rahi thi to wo madam se hi milne aate the”

“Madam aur Ajay ke bich baat chit hoti thi?”

“Ha bahtu jyada, sahab ghar par nahi hote the tab dono ghanto baate karte rehte the”

“Madam aur Ajay tumhare samne baate karte the?”

“Nahi, madam ki ek study hai dono wahi baith kar baate karte the”

“Madam ne kabhi tumhare samne Ajay ke bare me kuch kaha? Ya tumhe un dono ka behavoiur khatka?”

“Nahi aisa to kuch nahi hua”

“Ok shantabai mujhe batao 8 February ko jab subah Ajay waha aaya aur tumne uske liye Darwaja khola tab kitne baj rahe the?”

“mujhe lagta hai us waqt subah ke 10.30 baj rahe the”

“Court ko tumhe kya lagta hai wo nahi janna hai, us waqt exact kitne baj rahe the wo batao, tumhare police ko diye bayan me tumne kaha hai ke jab tumne Ajay ke liye Darwaja khola to subah ke 11 baj rahe the, iska matlab tumne police se jhuth kaha tha?”

Ab shantabai ghabra gayi

“Nahi nahi sajab ab yaad gaya, Ajay aaya tab subah ke 10.30 nahi 11 baj rahe the”

“To fir abhi 10.30 kyu kaha? Jhuthi gawahi dena gunah hai jaanti ho na acche se soch kar batao Ajay kitne baje aaya tha?”

Viraj ne awaj chadhate huye pucha

“sahab galti se 10.30 nikal gaya tha, us waqt 11 baje rahe the”

Ispar Viraj hasa

“shukriya, shantabai sach batane ke liye, my lord please note this, jis waqt mera client ghanasthal par pahucha us waqt 11 baj rahe the”

“Ab mujhe batao, Chakraborty ke ghar aane wale har insan ke liye darwaja tum hi kholti ho?”

“Nahi, main agar kaam me hu to madam bhi darwaja khol leti hai”

“iska matlab Ajay ke waha aane se pehle koi aur bhi waha aaya ho jiske liye madam ne darwaja khola ho aur tumhe pata bhi na ho”

“agar aisa kuch hai to mujhe uske bare me pata nahi”

“tumhe nahi pata iska ye matlab nahi ke koi aaya hi nahi hoga, hai na?”

“ha”

“ab mujhe batao Ajay ke waha aane ke baad tum bahar gayi thi wo kyu?”

“madam ne mujhe unke kisi kaam se baahar bheja tha”

“my lord please note this, Roma ne khud shantabai ko bahar bheja tha, that’s all from my cross” itna bol kar Viraj apni jagah par baith gaya

Ab witness box me is ghatna ki eye witness aur Sunil Chakraborty ki patni Roma ko bulaya gaya jisne Ajay ko apne pati ko maarte apni aankho se dekha tha, Roma ke witness box me aate hi sabki najar usi par thi, safed rang ki saree matching blouse, is sadhe se pehrav me bhi wo alag ki khubsurat dikh rahi thi

“aapka naam?”

“Roma Chakraborty”

“aaropi aur aapki mulakat kaise huyi?”

“mere pati Sunil ke sath Ajay ek bar hamare ghar aaya tha, mujhe driving seekhni thi aur wo ek driving school me trainer tha, iske alawa wo hamare gaon se tha jiske chalte hamari pehchan badhi, wo aksar ghar aaya karta tha, wo akela hi rehta tha isiliye kayi baar hum use khane par bhi bulate the, Sunil aksar kaam ke silsile me baahar rehte the aise me Ajay ke hone se mujhe bhi company mil jati thi lekin kuch dino baad mujhe aisa mehsus hone laga ke Ajay ke man me mere liye kuch galat khayal the, shayad main usse has kar baat kar leti hu iska usne galat matlab nikal liya tha”

“aur aisa aapko kyu lagta hai?”

“Ajay aksar tab hi aata tha jab mere pati ghar par nahi hote the, kuch na kuch bahane se mujhe chhune ki koshish karta tha, use meri bahut chinta hai aisa jatata tha, hamesha meri tarif karna mujhe messages bhejna, jaise hi mujhe ye sab samajh aaya maine use ye sab band karne kaha bhi tha jiske baad usne mujhse mafi bhi mangi thi, mujhe laga ye sab ab khatam ho gaya hai mere uske man me mere liye jo vaasna thi wo shayad ab bhi thi”

“kya aap court ko batayengi ke 8 February ko jab aaropi aur aapki mulakat huyi tab asal me kya hua tha?”

“Us din karib 10.30 ke aaspaas main nahakar baahar aayi to apni study me Ajay ko baitha dekh main chauki, wo waha aaya hai mujhe nahi pata tha us din mujhe wo kuch alag lag raha tha, ‘Roma main tumse bahut pyar karta hu tumhare bina nahi reh sakta’ aisa wo kuch badbadane laga tha maine use samjhane ki bahut koshish ki lekin wo sunne samajhne ki haalat me nahi tha, mere karib aate huye usne mujhe baho me bhar liya tha aur mere sath jabardasti karne ki koshish karne laga tha, maine shantabai ko awaj lagane ki koshish ki to usne bataya ke wo bahar gayi hai aur ab meri madad ko koi nahi ayega, mere pati apne room me kaam kar rahe the Ajay waha hai shayad unhe bhi pata nahi tha mere chikhne ki awaj sun wo waha aaye aur jo ho raha tha dekh kar wo bahut jyada bhadak gaye aur Ajay ko mujhse dur hatane lage lekin Ajay us din hawas me andha ho gaya tha usne mere pati par hamla kar diya, wahi table par ek chaku Rakha hua tha jisse usne unpar waar kiye, maine bachana chaha to usne mujhe dhakka de diya, main apni jaan bacha kar baahar aayi aur wo room ka darwaja baahar se band kar diya aur police ko phone kiya, police ne aakar use hirasat me le liya aur police ke sath aaye doctor ne bataya ke mere pati ab is duniya me nahi rahe the” ye sab batate huye us ghanta ki yaad se Roma rone lagi thi.

“your witness” aisa bol kar Thakur ne Viraj ki or ishara kiya aur apni jagah jakar baith gaye aur Viraj puchtach karne ke liye khada hua

“Roma madam, Sunilji ki pehle shadi ho chuki thi aur wo aapse umra me 25 saal bade the, aisa hote huye bhi aapne unse shadi kyu ki?”

“Objection you honor, is sawal ka is case se koi lena dena nahi hai” Viraj ke sawal par thakur ne objection uthaya

“Objection sustained!”

Fir Viraj ne agla sawal pucha

“Madam aapke pati aapse 25 saal bade the aur jaisa aapne abhi bataya wo kaam me busy rehte the to unke aur aapke sambandh kaise the?”

“mere pati khule vicharo wale the, dusro ka man padhna jaante the aur main unke sath shadi ke bandhan me bahut khush thi”

“abhi aapne bataya ke Ajay aapko driving sikhata tha kayi baar aapke ghar bhi aaya tha, aap log aapki study me ghanto baate karte the to fir is sab me aapko uske sath kabhi koi galat anubhav nahi aaya?”

“nahi, shuruwat me uska behaviour normal tha usme aisa kuch nahi tha jispar doubt ho”

“to fir achanak aisa kya hua ke uske man me aapke liye abhilasha nirman huyi?”

“is bare me main kya bata sakti hu?”

“main batata hu, aapka uske sath freestyle se rehna bolna isme se kuch signals aaropi ko milte gaye, wo aapko message karta tha to aap bhi jawab dete the, aapke late night chats hote the, aur aapke isi freeness ke chalte wo aapki or akarshit hone laga”

“Objection your honor, defence fijul me witness ko badnaam karne ki koshish kar rahe hai, in sab bato ka is case se kya lena dena” Advocate Thakur

“Mr. Viraj aapko kya kehna hai saaf bataiye?” judge ne pucha

“my lord mujhe bas itna kehna hai ke ho sakta hai witness ka behavior aaropi ko apni or akarshit karne wala raha ho, taali kabhi ek hath se nahi bajti hai Ajay aur Roma madam me messages check kiye jaye to ye sab saaf ho sakta hai lekin police ne wo nahi kiya”

Viraj ki baat sun Roma boli

“maine ye baat pehle hi clear kar di thi isiliye bhale hi use mere behaviour se galat fehmi huyi ho lekin maine wo baat saaf kar di thi, ha ye sach hai ke maine use kaam ke silsile me kayi baar call aur messages kiye the”

Roma ke jawab se advocate Thakur khush ho gaye aur cross examination fir se shuru hua

“Madam jis din khun hua, yani 8 February ko jab aapki aur Ajay ki mulakat huyi tab kitne baje the?”

“mujhe lagta hai us waqt 10.30 baje the”

“are you sure? Acche se soch ke bataiye”

“main ekdum sure hu, main jab nahane gayi tab 10.20 ho rahe the aur mujhe nahane me 10 min ka waqt lagta hai”

“okay to aapke hisab se aaropi sadhe dus baje aapke ghar me tha fir usne jab aap par jabardasti karne ki koshish ki tab kya waqt ho raha tha?”

Is sawal se Roma thoda chidh gayi thi

“mujhe nahi pata, aise waqt koi ghadi dekhta hai kya”

“aaropi ne jis chaku se aapke pati par hamla kiya wo use sath laya tha?”

“nahi wo chaku mere study table par tha”

“badhiya, yani Ajay us chaku se hamla kar sake isiliye to aapse use nahi rakha tha naa?”

“main kyu rakhugi? Meri kharab kismat ke wo use mila”

“your honor ye baat bahut jaruri hai ke jis chaku se khun hua wo Ajay ka nahi tha, Ajay ke man me khun karne ka koi bhi khayal hota to wo waha tayari ke sath jata”

Viraj ne kaha aur aage bolne laga

“Roma madam, Ajay ne jab aapke pati par hamla kiya tab aap unki madad ke liye gayi fir Ajay ne aapko dhakka de diya aur aap apne pati ko waise hi chhod kar bahar aa gayi aur bahar se darwaja band kar diya aise se to aapke pati uske chungul me fas gaye the aisa nahi lagta aapko?”

“us waqt mujhe jo sahi laga maine kiya warna wo mujhe bhi maar sakta tha”

“abhi aapne aisa kaha ke Ajay ko aapne apni study me dekha tab 10.30 baj rahe the jiske baad jab ye sab kuch takriban 15-20 minute me hua hoga yani kisi bhi haal me aap 11 baje tak Ajay ko room me band karke bahar aa chuki thi right. Lekin police ke record me aisa likha hai ke unhe aapka phone 11.25 ko aaya tha to ye 25 min aap kya kar rahi thi? Itni der me kisi ko madad ke liye kyu nahi bulaya? Ya apne pati ki marne ki raah dekh rahi thi?”

“Objection your honor, defence mere witness ko samay ke fer me uljha kar confuse kar rahe hai, koi bhi normal insan time ka aisa hisab nahi rakhta hai usme bhi jo haalaat the ye sab dhayn me rakhna mushkil hai” Thakur

“My lord shantabai ne ye Kabul kiya hai ke usne jab Ajay ke liye darwaja khola tab 11 baj rahe the aur Roma madam ke hisab se wo 10.30 baje unki study me tha, ye gap is case ke liye bahut important hai”

“Objection overruled!” “

“Mera aisa manna hai ke Ajay ke waha pahuchne se pehle hi Sunil Chakraborty ka khun ho chuka tha jab 11 baje mera client waha pahucha to agle 25 min use us sab me fasane me gaye aur isiliye kaam ke bahane se shantabai ko bahar bheja gaya police ko late phone kiya gaya haina Mrs Roma?”

Ab Roma ghabra rahi thi, use pasina aa raha tha, usne apne rumal se pasina pocha, ek bar Sarkari wakil ko dekha aur boli

“dekhiye maine jo bhi kaha hai sab waise hi hua hai, maine khud Ajay ko mere pati par chaku se vaar karte dekha hai, maine police ko phone karne me bhi deri nahi ki, wo time hi aisa tha main ghabra gayi thi isiliye ghadi ki or dekh kar time note karne ka waqt nahi tha” Roma ne kaha

“my lord aaropi ka ghanta sthal par aane ka time aur gawaho ka bataya time isme bahut antar hai ise note kiya jaye, main court se request karta hu ki agar jaruri jo to Roma madam ko wapis witness box me bulane ki mujhe permission di jaye”

“Courts accepts this request, court is adjourned for the day”

Jiske baad Roma witness box se bahar aayi, ek sidhi si dikhne wali case ko Viraj ne prosecution ke liye mushkil bana diya tha….


***

Case ki agli sunwai par logo ki bheed bhi jyada thi, Advocate Thakur apne witnesses se charcha kar rahe the wahi Viraj apne aaj ke arguments ke bare me soch raha tha, kuch hi samay me judge sahab aa gaye the aur court ki karyawahi shuru huyi, aaj ki shuruwat is case ho handel karne wale inspector Aslam sheikh ki gawahi se huyi

Advocate thakur ne inspector ko unki case finding court ko batane kaha aur unhone gawahi dena shuru kiya

“Roma madam ka hame phone aaya aur hamne turant action liya, aaropi ko hamne waardat ki jagha se hi arrest kiya, waha ka panchnama kiya, jis chaku se khun hua tha uspar Ajay ke ungliyo ke nishan saaf the sath hi aaropi ke shirt par lage khun ke chhite Sunil ke khun se match kar rahe the iske alwa sab kuch Roma ji ki aankho ke samne hua tha, is case me aur investigate karne jaisa kuch nahi tha, aaropi ke man me Roma ke liye kaambhavna thi, usne unke sath jabardasti karne ki koshish ki aur is sab me Sunil ne apni biwi ko bachana chaha to use gusse me unka khun kar diya, Roma madam ki wajah se wo pakda gaya aur is mamle me sabhi sabut humne court me jama kar diye hai.”

“matlab Ajay ne hi khun kiya hai aisa aapka kehna hai?”

“Ha, Sunil Chakraborty ka khun Ajay ne hi kiya hai”

“that’s all. Your witness” itna bol ke thakur apni jagah par baith gaye

Jab Viraj ne cross shuru kiya tab court room ekdum shant tha

“shiekh sahab aap hindi filme dekhte hai?”

“ha dekhta hu kabhi kabhi”

“filmo me hame dikhta hai ke kayi baar aarop kisi par hota hai lekin gunah kisi aur ne kiya hota hai”

“filmo me manoranjan ke liye kuch bhi bata sakte hai”

“nahi aisa nahi hai, filme bhi real life se inspired hoti hai, mera bolne ka matlab hai ke police ne is case ko bas ek or se dekha hai, kayi baar jaisa dikhta hai hota nahi hai, bas ungliyo ke nishan khun ke daag aur Roma madam ka bayan ispar adharit kaam hua hai, ab ye sabit ho raha hai ke Ajay to 11 baje waha pahucha tha aur khun uske pehle hua hai yani koi use fasana chah raha hai aur khuni koi aur hi hai, is taraf se police ne socha hi nahi jo hona chahiye tha, Ajay ko khun karna hota to wo puri tayari ke sath jata lekin aisa nahi tha”

“arey lekin aropi waha 10.30 ko pahucha tha 11 baje nahi, aur Roma par jor jabardasti karte huye use Chakraborty sahab ne roka isiliye usne unhe maara aur akhir me khun usne hi kiya hai”

“agar aisa hai to Roma madam ne aapko 11.25 ko itna late phone kyu kiya? Wo agar samay par phone kar deti to shayad Sunil bach sakte the ye baat aapke dhyan me nahi aayi ya aapne najarandaj kar di?”

Is sawal par inspector chup ho gaye kuch samay shanti me bita aur us shanti ko bhang karte huye Viraj bola

“my lord is sab se ek baat saaf hai, police investigation sahi tarike se nahi huyi hai, inspector aap ja sakte hai”

Uske baad ke witness the doctor sharma jinhe witness box me advocate thakur sawal puchne lage

“doctor kya aap bata sakte hai Sunil ki maut kaise huyi?”

“Tez dhar wale chaku se unke sharir par dil ke paas aur pet par var kiye gaye the jisse bahut jyada khun behne se unki maut huyi”

Cross examination me Viraj ne unse pucha

“Doctor kya aap bata sakte hai Sunil ki maut kar huyi thi yani kitne baje huyi thi?”

“main jab waha pahucha tab 11.40 ho rahe he, maine jab unhe check kiya to wo mar chuke the, unka khun bahut jyada beh gaya tha, exact time batana mushkil hai lekin mere hisab se unki maut 10.40 se 11 ke bich me huyi hai”

“matlab Sunil ki maut 11 ke pehle huyi ye confirm hai?”

“ha ye ekdum confirm hai”

“that’s all aap ja sakte hai”

“The court us adjurned for the day”

Ab prosecution ke sare witness ho chuke the aur ab defence ki or se speed driving school ke malik, vishwasrao ki gawahi honi thi

***

Aaj court me pair rakhne ki bhi jagah nahi thi, Sunil murder case media ke through bahut famous ho gaya tha, kam experience ke bavjud Viraj ne is case ko bahut acche se handel kiya tha jiski sab taraf tarif ho rahi thi aur ab wo aaj court me kya karne wala hai is taraf sabki najar lagi huyi thi

Theek 11 baje court ki karyawahi shuru huyi aur driving school ke malik vishwasrao witness box me aaye aur Viraj unse sawal puchne laga

“aapka naam?”

“Vishwasrao Deshmukh”

“aap kya kaam karte hai?”

“mera ek driving school hai”

“aap Ajay ko jaante hai?”

“ha wo pichle 5 saalo se as a trainer hamare school me kaam kar raha hai”

“uske bare me uske behaviour ke bare me aap bata sakte hai?

“acha ladka hai aur as a trainer bhi uska report bahut accha hai”

“ab aap mujhe bataiye 8 February ko Ajay subah kitni baje aapke driving school ne nikla?”

“Ajay us din subah hamare driving school se barabar 10.50 ko nikla tha”

“my lord please note this, driving school se Sunil Chakraborty ka ghar 4-5km ke distance par hai, two wheeler se ye distance paar karne me sadharan 8-10 minute ka waqt lagta hai, aise me mera client kisi bhi haal me 11 baje se pehle waha pahuch hi nahi sakta tha sath hi shantabai ki gawahi me bhi wo waha 11 baje pahucha tha ye saaf hai”

Jiske baad Viraj Sarkari wakil ko dekhte huye bola “your witness”

Aur ab Advocate Thakur cross examination karne wale the

“Mr. Deshmukh aapka driving school Shahar ka jana mana driving school hai kya aap batayenge aapke paas kitne trainer hai?”

“8”

“aur har trainer kab aata hai kab jata hai ye aap khud dekhte hai?”

“Ji nahi”

“to fir Ajay ke jane waqt aapke dhyan me kaise reh gaya?”

“uska reason aisa hai ke us din Ajay ko subah 10 baje hi jana tha lekin wo customer ke sath training ke liye jo gaadi lekar gaya tha wo raaste me hi band ho gayi thi aur dusri gaadi lekar main khud uski madad ke liye gaya tha, gaadi repair karke jab hum laute to 10.45 ho rahe the isiliye uske jane ka waqt mujhe yaad hai”

“mera aisa kehna hai ke aap aaropi ko bachane ke liye ek man ghadant kahani bana rahe hai” Thakur thode gusse me bole jispar vishwasrao ne kaha

“mujhe jhuth bolne ki koi jarurat nahi hai, hamare paas biometric se har trainer ke aane jane ka samay note kiya jata hai aap chahe to use dekh sakte hai”

Ispar thakur kuch nahi bole

“theek hai aap ja sakte hai” itna bol kar wo apni jagah par baithe, wo chidd gaye the, is case ne ek alag hi mod le liya tha

Judge sahab Viraj ki or mude aur puchaa

“aapko aur koi witness pesh karna hai?”

“mujhe Ajay ke kuch sawal karne hai”

Aur judge ki permission milte hi Viraj ne sawal karna shuru kiya”

“Ajay mujhe batao Roma madam aur tumhari jaan pehchan kaise huyi aur tum logo ke actual sambandh kaise the?”

“Roma ke pati sunil hamare driving school me aaye the, bato bato me pata tha chala ke wo mere hi gaon se the, Roma ko gaadi chalana seekhna tha aur special tution chahiye thi aur main unke ghar ke paas hi rehta tha, ab chuki Roma ko special training chahiye tha to unhone mujhe ghar par bula liya, main manta hu ke pehli baar dekhne me hi Roma mujhe acchi lagi thi, usme uska swabhav uska rehna bolna ekdum free tha, usme driving sikhte huye hum paas aane lage aur dheere dheere bahut jyada hi paas aa gaye the, ham ekdusre se messages dwara baat karne lage the, mere messages ko udhar se aata response dekh main bahut khush tha.

Usme ek din usne mujhse kaha ke uske pati hamesha kaam me busy rehte hai use jara bhi samay nahi dete aur use mere jaise ek acche dost ki jarurat thi, ye sunne ke baad main uski or aur bhi jyada khicha jane laga, mujhe lagne laga tha wo mujhse pyar karne lagi hai aur uski apne pati se banti nahi thi, ham sath ghumte the drink lete the, mujhe uske sath me ek alag hi Khushi mehsus hoti thi aur aise me achanak ek din maine use ek ladke ke sath dekha, jis hisab se wo baat kar rahe hai usse saaf tha ke wo ekdusre ke bahut jyada close the, maine unpar najar rakhna shuru kar diya tha aur tab mere ye dhyan me aaya ke wo log aksar mila karte the, matlab saaf tha wo apne pati ko dhoka de rahi thi aur sath sath mujhe bhi, Roma ke us dost ka naam Vishal tha aur uski aur Roma ki uski shadi se pehle se dosti thi”


“jis din ye ghanta huyi us din tum Sunil ke ghar kyu gaye the?”

“mujhe 7 February ko Roma ka phone aaya tha, usne mujhe agle din subah 10 baje uske ghar aane kaha tha”

“matlab sab kuch pata hote huye bhi tumhari Roma se dosti kayam thi?”

“sir, main Roma ke pyar me itna kho gaya tha ke use mana nahi kar paya aur aaj pachta raha hu”

“khair tum waha gaye the ye to sach hai ab waha hua kya ye batao”

“main theek 11 baje waha pahucha, shantabai me mere liye darwaja khola aur madam nahane gayi hai tum baitho aisa bol ke wo baahar chali gayi, kuch hi samay me mujhe study me se Roma ki ghabrayi huyi awaj sunai di aur main uski study me gaya aur jab main waha pahucha maine dekkha ke uska pati Sunil waha jamin par pada tha aur uske sine me chaku ghusa hua tha, main idhar udhar dekha lekin Roma waha kahi nahi thi, mujhe laga ghar me kuch lootere ghus aaye hai, main sunil ke paas gaya, wo shayad jinda ho is Umeed se maine wo chaku nikalne ki koshish ki aur utne me Roma waha aayi aur boli ‘Ajay ye tumne kya kar diya, tumne mere pati ko maar diya, main… main abhi police ko phone karti hu’ maine use samjhane ki bahut koshish ki lekin usme meri ek nahi suni aur tabhi kisi ne piche se mujhe dhakka diya aur main sidha Sunil ki lash par ja gira aur unka khun mere kapdo par lag gaya, aur tab mujhe awaj aaya ‘darling ab aage ka kaam police karegi chalo bahar chalte hai’ maine dekha to wo vishal tha un dono ne bahar jakar darwaja band kar diya tha, main samajh gaya tha ke main fas chuka hu, sir main sach keh raha hu maine ye khun nahi kiya hai mujhe fasaya ja raha hai”

Ajay ne hath jod kar ruasa hote huye kaha aur Viraj ne use shant kiya aur Sarkari wakil ki or dekh kar bola

“your witness”

Advocate Thakur cross ke liye khade huye aur sawal puchna shuru kuya

“Mr. Ajay aapne kabhi koi crime story likhne ki koshish ki hai?”

“nahi” Ajay ko sawal ka matlab nahi samjha

“to try karna badhiya likhenge aap, ek pal ko to mujhe bhi aapki kahani me sacchai lagi lekin kanun sabut mangta hai court me baato par faisla nahi hota, aapne to maana hi hai ke aap Roma ke pyar me pagal ho chuke the aur aapko usme kisi ka bhi hastkshep bardasht nahi tha aur isiliye aapne Roma ke pati Sunil ka nirmamta se khun kar diya, Roma aapse acche se pesh aayi iska ye matlab nahi ke aap uska aapne hisab se matlab nikaloge upar se aapne ek manghadant kahani rach kar ek mahila ke charitra par ungli utha di lekin is baat par koi yakin nahi karega, mujhe aur kuch nahi puchna hai”

“My lord prosecution ne ab tak pesh kiye huye sabot aur sabhi gawaho ki gawahi se ye baat saaf sabit hoti hai ke Sunil Chakraborty ka khun Ajay ne hi kiya hai, kayiyo ka khun karne ke piche ka motive paisa ya ladki hi hoti hai aur yaha wajah thi Sunil ki patni ke liye Ajay ki kaamvasna, usne khud kaha hai ke wo usse pyar karta tha, 8 February ko jab wo waha pahucha tab use laga ke Roma waha akeli hai aur isiliye usne apna hetu sadhya karne ke liye Roma par jabardasti karne ki koshish ki aur jab Sunil use rokne lage tab wo gussa ho gaya aur usne nirmamta ke sath unki hatya kar di, hamne is mamle me sare sabot court me pesh kar diye hai, main court se request karta hu ke IPC dhara 302 ke tehat aaropi ko kathor se kathor saja di jaye”

Itna bol kar sarkari wakil baith gaye jiske baad Viraj apni jagah se utha aur argument shuru kuya

“my lord aapke saamne aayi ye case ekdum alag hai, upar se dekhne par kisi ko bhi aisa lag sakta hai ke Ajay ne hi khun kiya hai lekin asal baat aisi nahi hai balki mere client ko fasaya ja raha hai , ab pehli baat to Ajay ne ye bataya ke Roma ne uski or dosti ka hath badhaya tha aur unme dosti huyi, dono dost the aur aise me agar Ajay ko Roma ke sath kuch bhi karna hota to uske paas bahut se mauke the aur shayad Roma bhi isme use na rokti, my lord Roma aur Ajay ke call records se ye saaf pata chalta hai ke dono aapas me kitne close the fir achanak Ajay ka uske ghar jakar uske sath jabardasti karne ki koshish karna itna hi nahi to uske pati ka khun karna sense hi nahi banata, jin din khun hua us din Ajay waha isiliye gaya tha kyuki Roma ne use bulaya tha, agar use uske pati ka khun karna hota to wo puri tayari ke sath jata lekin jis chaku se Sunil ka khun hua wo Ajay ka tha hi nahi, aur sabse important baat ye Sunil ki maut 8 February ko subah 10.30 se 11 ke bich huyi hai matlab jab mera client waha pahucha tab wo already mar chuke the aur ye itni important baat police investigation se chhut gayi, dekha jaye to is case ki puri chhan bin karna police ka kaam tha lekin investigation one sided huyi hai, police ne Ajay ki baat suni hi nahi use apni baat rakhne ka mauka hi nahi diya, wo to hamare paas court hai hai kanun hai jo kar kisi ko apni baat rakhne ka haq deta hai isiliye mera court se nivedan hai ke mere client ki baato par gaur kiya jaye,

Prosecution ko lagta hai ke mere client kahani bana rahe hai lekin sach bhi kabhi kabhi kahani jaisa lag sakta hai, mere client ne vishal ko ghatnasthal par dekha hai, Roma aur uska dost vishal inhone sath me mil kar Sunil ko planning ke sath mara hai aur mere client ko usme fasane ki koshish ki hai aur yahi pura case hai my lord.

Your honor mera client nirdosh hai, uska apradh bas itna hai ke wo Roma jaisi chatur mahila ke jhase me aa gaya, mylord Sunil ka khun to hua hai ab wo kisne kiya aur aur usme mere client ko kyu fasaya ja raha hai ye janna bhi jaruri hai isiliye main court se gujarish karta hu ke Roma ji ko fir se witness box me bulaya jaye”

Jiske baad Roma ke naam ka puraka hua aur wo majburi se witness box me aakar khadi huyi, courtroom ekdum shant tha aur Viraj ne aage bolna shuru kiya

“Roma madam, shantabai ne apni gawahi me bataya tha ke aapne use kisi kaam se bahar bheja tha aisa kya jaruri kaam tha kya aap court ko batayengi?”

Roma ghabrayi aur usne madad ki aas me sarkari wakil ko dekha aur uski pareshani samajh kar wo bole

“objection mylord, irrelevant question”

“Objection sustained!”

Tab Viraj wapis bola

“Theek hai mujhe jawab mil gaya, main batata hu, Ajay ko is case me fasane me koi rukawat na aaye isiliye aapne jaan bujh kar shantabai ko baahar bheja, ab Roma madam ye bataiye aapne Ajay ko 7 February ko call kiya tha?”

“mujhe yaad nahi ke maine koi phone kiya tha ya nahi”

“madam aapki yaddasht aapko dhoka de rahi hai” fir Viraj ne apni jeb se ek phone nikala aur bola, “my lord ye mere client Ajay ka phone hai isme 7 February ko sham ko 6 baje Roma ke phone se call aaya tha matlab Ajay sahi keh raha hai”

Ab Sarkari wakil uth gaye aur bole

“Roma ke call se ye sabit nahi hota ke use use bulaya tha”

“Ha ab Roma ji ki kismat ke us call ka koi recording nahi hai lekin inhe to yaad hoga, Roma madam kyu kiya tha call?”

“mujhe yaad nahi”

“theek hai mat bataiye waise bhi Ajay dost tha aapka baate karne kiya hoga”

“dekhiye meri aur uski koi dosti nahi thi, wo jhuth bol raha hai meri acchai ka fayda le raha hai”

“Roma ji, Ajay ke phone me aise kayi messages hai jo ek vivahit mahila kisi avivahit purush ko nahi bhejti hai, aap kab mile kaha kaha mile uske sab records hai Ajay ke paas jisse aap mukar nahi sakti, accha wo chhodo, ab important baat par aate hai, main jo sawal puchunga uska sahi jawab dena, vishal naam ka aapka koi dost hai? Aur 8 February ko Ajay ke aane se pehle aapke yaha aaya tha?

“Objection you honor, mere kabil dost is case ko alag hi taraf lekar ja rahe hai”

“Mr. Viraj aapko vishal ko is case me lana hai?

“My lord Roma ji is case ki mahatvapurn kadi hai aur unki gawahi me ka jhuth maine aapke saamne sabit kar diya hai, Ajay ka kehna hai jab Roma use room me band kar rahi thi tab vishal waha maujud tha, shayad ye khun usi ne kiya ho aur Roma use bachane jhuth keh rahi ho”

“Objection overruled!”

“boliye Roma ji”

“vishal mera dost hai aur uska isse kuch lena dena nahi hai” Roma ne chidh kar kaha

“aap jhuth bol rahi hai, apne se 25 saal bade Sunil ne aapne shadi ki paiso ke liye, Sunil apne kaam ki wajah se aapko waqt nahi de pate the isiliye shadi ke bad bhi aapke aur vishal ke sambandh shuru the aur tum dono ne mil kar Sunil ke khun ka soch samajh kar plan banaya, iske liye ek bakra chahiye tha isiliye aapne apni khubsurti ke jaal me Ajay ko fasaya, usse dosti ki aur Sunil ka khun karke uska iljam dala Ajay par, bas Ajay ki kismat acchi thi ek wo us din deri se waha pahucha aur isiliye aapka plan fasa fir bhi aapne use is case me atka di diya, lekin Sunil ke maut ka waqt aur Ajay ke waha pahuchne ka waqt is taraf kisi ka dhyan hi nahi gaya upar se is baat ko police ne bhi najarandaj kar diya, ab batao Ajay ki kya galti thi is sab me?”

Viraj ke shabdo se Roma darr gayi thi use pasina aane laga tha, gala sukh gaya tha pair kaamp rahe the, Viraj ne uske liye pani mangwaya,

“lo thoda pani pi lo”

Fir Viraj ne wapis bolna shuru kiya

“ab aap batayengi sach kya hai ya main batau?”

“tum bas mujhe badnaam karne ye sab keh rahe ho” Roma ne kaha lekin andar se kafi dari huyi thi

Tabhi Viraj ka assistant waha aaya aur usne ek pendrive use diya, use lekar Viraj hasa aur bola

“Roma devi ab tum ek minute me bologi, aapko shayad pata nahi hota lekin aapke pati ne ek detective hire kiya tha aur ghar me ek chhipa hua camera bhi tha, unhe shak tha ke aap unhe dhoka de rahi hai, us camera me aapki puri kartut record huyi hai, ye recorning mushkil se nikali hai ab kya kehna hai aapko?” wo pendrive dikhate huye Viraj ne kaha

Ab Roma bahut jyada darr gayi thi, chehre par expressions badalne lage the aur samyam chhut raha tha

“ha hata diya hamne use raaste se, mujhe mukti chahiyie thi usse, meri jindagi narak bana di thi usne, uska shabhav me hi shak tha aur ye camera wagaira laga kar usne ye baat sabit kar di hai” itna bol ke wo witness box me hi baith kar rone lagi, ye khulase se court me maujud sabhi log achambit the aur advocate thakur ke chehre par gussa tha baad me uske samne pendrive pakde Viraj bola

“sorry madam, maine jhuth kaha, aapke ghar me koi chipa hua camera nahi tha, thank you Roma madam, akhir aapne sach bol hi diya”

Fir judge ki or dekhte Viraj bola

“sorry your honor lekin witness ke muh se sach ugalwane ka mere paas dusra raasta nahi tha”

Itna bol ke wo niche baith gaya, sab logo ki najar Viraj par thi aur sabki aanko me uske liye tarif ke bhav the aur ab case ka faisla ho chuka tha aur judge ne judgement padhna shuru kiya

“Is court ke saamne pesh kiye huye sabhi sabuto aur gawaho ko maddenajar rakhte huye ye court is natije par pahuchi hai ke aaropi Ajay ye ghatnastlal par Sunil ka khun hone ke baad pahucha tha ye baat sabit karke me defence safal rahi hai, police ne is case ko aur acche se investigate karne ki jarurat thi lekin waisa hua nahi ye is court ka manna hai, Mrs. Roma ne court ke saamne jhuti gawahi dekar court ko gumrah karne ki koshish ki hai, ye court aaropi Ajay ko nirdosh maante huye baijjat bari karti hai sath hi ye aadesh deti hai ke Roma aur unke dost vishal ki acche se puchtach kar unke khilaf case banaya jaye, ye court defence lawyer Mr. Viraj Jagtap ko badhai deti hai ke unhone na sirf apne client ka bachav kiya balki asli gunahgaro ko bhi court ke saamne lakar court ki madad ki,

The Court is adjurned till next hearing”

End.
 

Shetan

Well-Known Member
14,472
38,469
259
खोटा सिक्का (comedy story )




दोस्तों ये कहानी प्रतियोगिता से बाहर ही है. तो प्लीज इसमें खामिया निकालने मे वक्त जायर मत करना. ये सिर्फ आप सब के मनोरंजन के लिए ही है. वो क्या है की दिमाग़ मे बहोत उथल पुथल है. कहानी ना लिखने पर दिमाग़ फट सकता है. इस लिए 3 rd story सिर्फ आप सब के मनोरंजन के लिए.





नवाब साहब बस मे तो चढ़ गए. पर उन्होंने ये नहीं देखा की जेब मै खुले पैसे है या नहीं. नवाब साहब अपने ससुराल से लोट रहे थे. आजमगढ़ से लखनऊ तक के बस के सफर मे सडक के गढ़ो से हिचकले खाते नवाब साहब बस यही सोच रहे थे की अच्छा है. खर्चा बच गया. वो अपनी बेगम को उसके मायके छोड़ने गए हुए थे. अपने ससुराल वो बढ़िया मीठाई के बदले सस्ती सी जलवबी ले गए थे. नवाब साहब वैसे तो काफ़ी धनवान थे.

पर जितने धनवान वो उतने ही कंजूस भी थे. हमेसा खर्चा बचाने और दुसरो पे डालने के चक्कर मे रहते थे. वो मन ही मन खुश होते मुस्कुरा रहे थे. अच्छा है. खर्चा बच गया. तभी बस के कंडक्टर ने उनकी खुशियों पर ग्रहण लगाया. ग्रहण इस लिए क्यों की पैसे जो खर्च होने थे. टिकट जो खरड़ना पड़ रहा था.


कंडक्टर : बताइये श्रीमान. कहा का टिकट कटे???


नवाब साहब ने सर ऊपर उठाया. और कंडक्टर को देखा. काला मोटा नाटा पसीने से लटपट आदमी खाखी कपड़ो मे सर पर ही खड़ा था.


कंडक्टर : टिकट लीजिये श्रीमान.


नवाब साहब : (पान चबाते) मुजे नहीं लगता की मे 40 किलो का भी होऊंगा. बच्चों जितना तो हु मे. और बचे की कहे की टिकट.


नवाब साहब का कहना भी सही था. 4.2 फिट की हाईट वाले नवाब साहब सूखे मरियल से थे. तेज़ हवा जो चल जाए तो खुद को ही डर लगने लगता. कही उड़ ना जाए. इस लिए नवाब साहब जेब मे कलम रखते थे. ताकि दबाव बरकरार रहे. पर कंडक्टर ने भी तगड़ा जवाब दिया.


कॉन्डक्टर : छोटे बच्चों को लोग अपनी गोद मे बैठकर ले जाते है. जाइये आप भी किसी की गोद मे बैठ जाइये. नहीं तो टिकट खरीदीये.


नवाब साहब ने अपना मुँह सिकोड़ा. अब बड़े आदमी को गोद मे कौन बैठाएगा. वो अपने कोट की ऊपर वाली जेब मे हाथ डालते है. और पांच रूपए की नोट निकलते है.


कॉन्डक्टर : अरे अरे. लखनऊ तक का 10 पैसा होता है. अब बाकि का छुट्टा हम कहा से लाए.


इस बार तो दुबले पतले नवाब साहब मे भी गर्मी आ गई. पान खाते हुए भी वो गुर्रा उठे.


कॉन्डक्टर : ला हॉल बिला कु वत. अब हम कहा से छूटा पैसा लाए. चलिए दीजिये अब टिकट.


छोटे बम के बड़े धमाके को देख कर कॉन्डक्टर भी थोडा सहेम गया. और टिकट काट ते हुए जितना खुला पैसा था. वो नवाब साहब को दे दिया. मगर उन खुले पेसो मे एक एक रूपए का सिक्का खोटा था. जिसकी जानकारी नवाब सहाब को नहीं थी. नवाब साहब अब भी खुश थे. उनकी जेब मे अब भी चार रूपए 90 पैसे सलामत थे. शाम हो गई. नवाब साहब भी लखनऊ पहोच गए. उतारते ही नवाब साहब ने अपनी जेब मे हाथ डाला. नवाब सहाब की आदत थी. वो सफर के अंत मे हमेशा अपनी जेब चैक करते. पर जेब चैक करते नवाब साहब के चहेरे पर छोटी सी सिकन आ गई. 50 पैसे का एक सिक्का खोटा निकला. पुरे 50 पैसे का नुकशान..

बाप रे बाप. ये तो नवाब साहब के बरदास बस के बाहर था. नवाब साहब रस्ता तलाश करने लगे. अब कैसे नुकशान से बच्चा जाए. नवाब साहब ने देखा. एक ठेले पर गरमा गरम समोसे बन रहे थे. नवाब साहब के चहेरे पर मुश्कान फिर लोट आई.


नवाब साहब : (मन मे) चले नवाब नुकशान को नफा मे बदलने.


नवाब साहब लहेराते लम्बे कदमो से चलते हुए ठेले पर पहोच गए.


नवाब साहब : (पान चबाते) हा तो बरखुरदार कैसे दिये समोसे.

समोसे वाला : 5 पैसे के 3 है जनाब.

नवाब साहब : ओह्ह्ह... बड़े महेंगे नहीं है. हनारे ज़माने मे तो 1 पैसे मे हम भर पेट बिरयानी खा लिया करते थे. और अब देखो. 5 पेसो के सिर्फ 3 समोसे. बहोत महेगाई बढ़ गई है.

समोसे वाला : हुजूर आज कल तो एक पैसे मे 1 किलो आलू नहीं मिलते. भर पेट खाना कहा मिलेगा. खाना है तो खाइये. वरना आगे बढिये.

नवाब साहब : अरे ऐसे कैसे बात कर रहे हो. जब आए है तो खाने के लिए ही तो आए है.

समोसे वाला : हा तो बोलिये कितने लगाए???

नवाब साहब : 3 ही लगाए.


समोसे वाला एक बड़े से दोने मे 3 समोसे रख कर उसपर चटनी डालने लगा.


नवाब साहब : थोड़ी और डालिये.


समोसे वाले ने थोड़ी और चटनी डाली.


नवाब साहब : थोड़ी और...


उसने थोड़ी और डाली.


नवाब साहब : थोड़ी और...

समोसे वाला : जनाब आप सिर्फ 3 समोसे खा रहे हो. और चटनी इतनी चाहिए जैसे जमात जिमा रहे हो.


नवाब साहब बेशर्मी से मुश्कुराते दोने को हाथो मे लिए समोसे खाने लगे. आंखे बंद किये समोसे के जायके का लुफ्त उठा रहे हो. पिचका हुआ मुँह तो किसी पशु की तरह जुगाली कर रहा था. खाने के बाद समोसे वाले ने जग से पानी डाल कर नवाब साहब के हाथ धुलवाए. पर पैसे देने की बारी आई तो नवाब साहब ने वही खोटी अठन्नी आगे कर दी. और दए बाए देखने लगे. पर जान कर भी अनजान बन ने का क्या फायदा.


समोसे वाला : (झटका) जनाब ये अठन्नी तो खोटी है.


नवाब साहब भी जैसे उन्हें पता ही ना हो. अनजान बन ने लगे.


नवाब साहब : अमा क्या बात करते हो जनाब. ठीक से देखो. कही तुम्हे कोई गलत फेमि तो नहीं हो रही है.


समोसे वाले ने वो अठन्नी नवाब साहब के हाथो मे रख दी.


समोसे वाला : (ताना) आप ही देख लीजिये जनाब. हमें तो आप खुला पैसा दे दीजिये.


नवाब साहब को दिल पर पत्थर रखना पड़ा. और पेसो की बदली करनी पड़ी. नुसका काम ना आया. वो समोसे वाले को पैसे तो दे देते है. पर अब खोटी अठन्नी को बदला कैसे जाए. नवाब साहब को एक पान की दुकान दिखाई दी. नवाब साहब सोचने लगे की इस बार कही वो पकड़े ना जाए. पर पान तो खाना ही था. नवाब साहब एक बार फिर अपनी किश्मत आजमाने के लिए उस पान की दुकान की तरफ चल दिये.


नवाब साहब : एक बनारसी पान लगाओ बरखुरदार. तमाकू चुना जरा तेज़.



नवाब साहब को हर चीज ज्यादा ही चाहिए थी. वो भी वाजित दामों मे ही. पान वाले ने पान बनाया. और नवाब साहब की तरफ अपना हाथ बढ़ाया. नवाब साहब ने भी अपना मुँह खोला. और गप से पान मुँह मे घुसेड़ दिया.


नवाब साहब : (मुँह मे पान तुतलाते) कितने पैसे हुए बरखुरदार???

पान वाला : जनाब आधा पैसा.

नवाब साहब : (मुँह मे पान तुतलाते) एक और बांध दीजिये बरखुरदार.


पान वाले ने एक और पान बनाकर बांध दिया. और नवाब साहब को पकड़ा दिया. जब पैसे देने की बारी आई तो नवाब साहब ने वही अठन्नी पान वाले को पकड़ा दी. खुला पैसा है या नहीं ये बताने के बजाय पान वाले ने पहले ही बता दिया.


पान वाला : जनाब ये अठन्नी तो खोटी है.


नवाब साहब पान की पिचकारी साइड मे मरते हुए फिर वैसे ही नकली भाव देते है. जैसे उन्हें पता ही ना हो.


नवाब साहब : क्या कहे रहे हो बरखुरदार.


अब नवाब साहब के पास कोई चारा नहीं था. उन्हें खुले पैसे देने ही पड़े. नवाब साहब का दूसरा पेत्रा भी फेल हो गया. एक खोटी अठन्नी ने नवाब साहब को परेशान कर दिया. नवाब साहब वहां से चुप चाप निकाल लिए. वो घर जाने के बजाय बाजार मे ही टहल ने लगे. उस अठन्नी के कारण नवाब साहब का घर जाने का मन ही नहीं हो रहा था. शाम ढल गई. और अंधेरा हो गया.

वक्त ज्यादा ही बीतने लगा. पर कोई तरकीब ही नहीं सुझ रही थी. तभी नवाब साहब की नजर एक लॉज के बोर्ड पर पड़ी. 7 पेसो मे भर पेट खाना. सुध और शाकाहारी. नवाब साहब सोचने लगे. 7 पैसे मे भर पेट खाना.... भूख भी लगने लगी थी. नवाब साहब कब से घूम रहे थे. समोसे तो कब के पच गए. नवाब साहब ने होटल को गौर से देखा. भीड़ बहोत थी.

लोग जल्दी मे निकालने की कोशिश कर रहे थे. यही मौका हे नवाब. चल बेटा आज यही भोजन किया जाए. नवाब साहब होटल की तरफ चल दिये. वो जाकर बैठ गए. उन्हें बैठने के लिए जगह भी मिली पर एक टेबल पर 6 लोग बैठे. नवाब साहब समेत. नवाब साहब कभी दए देखते तो कभी बाए. तो कभी सामने. गरीबो के बिच नवाब साहब. पर चुप रहे. भैया खोटा 50 पैसे का सिक्का जो चलना था. बगल मे बैठे एक आदमी से नवाब साहब थोड़ी गुफ़्तगू करने की कोसिस करते हे.


नवाब साहब : 7 पैसे मे भर पेट खाना. हमारे ज़माने मे तो सिर्फ 2 पेसो मे नल्ली निहारी मिलती थी.


पास वाला आदमी जैसे गुस्से मे हो. वो बस गर्दन घुमाकर बस नवाब साहब की तरफ देखता है. नवाब साहब बस गला खांगलते हुए उस से नजरें हटा लेते है. तभी बगल वाला आदमी हाथ ऊपर कर के अपने भोजन का आर्डर देता है.


आदमी : (चिल्ला कर) मेरी 1 थाली लगाना.

आदमी2 : (चिल्ला कर) एक मेरी भी.

आदमी 3 : (चिल्ला कर) एक मेरी भी.


नवाब साहब ने भी अपना ऑर्डर दे दिया. पर आवाज देते उनकी पोल खुल गई.


नवाब साहब : एक मेरी भी.


बोलते हुए नवाब साहब अपना पान निगल गए. और उन्हें खांसी आने लगी. और वो खाँसने लगे. पास बैठे आदमी ने तुरंत ताना मरा.


आदमी : बड़ा आया नल्ली निहारी खाने वाला.


पर नवाब साहब कुछ ना बोले. सामने थालिया आना शुरू हो गई. जब नवाब साहब के सामने जब थाली आई. तब उसे देख कर नवाब साहब के तो मानो तोते ही उड़ गए. 2 रोटी, साथ एक मुंग की सब्जी. सलाद के नाम पर थोड़ी सी मूली. हा... नवाब साहब का चहेरा देख कर बगल वाले आदमी ने उनका जरूर मज़ाक उड़ाया. नवाब साहब भी नवाब साहब थे.

वो तो शुरू ही हो गए. भैया 50 पैसे का खोटा सिक्का जो चलना था. ऊपर से नवाब साहब थे बड़े कंजूस. पैसा वसूल के चक्कर मे दुबली पतली बॉडी ने जम के मीटर खिंचा. वो 7 रोटी तो खिंच गए. जो उनकी कैपेसिटी से ज्यादा ही थी. ऐसे मे बगल वाले आदमी ने ताना भी मार दिया.


आदमी : अरे चाचा इसी को नल्ली निहारी समझ रहे हो क्या??? सिर्फ 7 पैसे दे रहे हो. रोटी तुम 25 की खा गए.


पर बेजती मंजूर थी नवाब साहब को. लेकिन पैसा जाए वो नहीं. नवाब साहब ने ठूस ठूस कर पूरी 10 रोटियां पेल दी. अब आई पैसे देने की बारी. जब वो अपना हाथ धो रहे थे. तब देखा काउंटर पर बहोत भीड़ थी. नवाब साहब भी पहोच गए. बड़ी मुश्किल से नवाब साहब ने भीड़ मे अपना हाथ बढ़ाया. और वही अठन्नी आगे कर दी. जब तक खुले पैसे नहीं आए तब तक भीड़ से नवाब साहब हिचकले ही खाते रहे. नवाब साहब काउंटर पे बैठे उस आदमी की तरफ बड़ी गौर से देख रहे थे.

उस सेठ ने नवाब साहब की अठन्नी ले भी ली. और 4 सिक्के नवाब साहब के हाथ मे थमा भी दिये. 2 सिक्के 20 पैसे के. एक सिक्का 2 पैसे का और एक 1 पैसे का. मुट्ठी बंद करते नवाब साहब तुरंत ही बाहर निकाल गए. बाहर आते नवाब साहब मुश्कुराने लगे. भैया 50 पैसे का खोटा सिक्का नवाब साहब ने चला दिया. पर जैसे को तैसा तो कुदरत का नियम है.

जब बाहर आकर नवाब साहब ने मुट्ठी खोली तो 20 पेसो के दोनों सिक्के खोटे निकले. नवाब साहब अब क्या करोगे हा हा हा.
 

roman

Active Member
1,161
1,985
159
ROMANCE :-
PYAR KI EK KAHANI




Ek ladka samundar ke kinale betha hua tha. Uske ek hath me daru ke bottle tha aur ankhe bhigi huyi thi, wo samunder me uth ti huyi rehero ko dekh raha tha tabhi uske hontho se anayas he nikal geya.

Ye kaisa nagma hai,

Saam hai suhani, hawa hai mastana.

Hath me hai sarab,

Gaam bhot sara….



Tabhi waha ek aur ladka aaya aur pehere ladke paas he bethgeya kuch time baad us pehere ladke ke kandhe pe hath rakh ke bola.

Ladka 2 :- laksh ye sarab pina band kar yaar, teri esa halat dekh ke pta hai humara kya halat ho raha hai

Laksh :- kya karu pramod life ne esa raho me khada kardiya, ji paraha hu ya mar paraha hu

Pramod :- chod na yaar sab sahi hojayega

Laksh :- ( hantho me halka muskan liye )


Ye raho asan nahi,

Marna to aasan hai.

Magar yu ghut ghut ke jina,

100 mout se muskil hai

Pramod laksh ki ye baat sun ke uske taraf dekhta rehegeya aur man me sochne laga. Tujhe kese samjhau yaar tujhe iss tarha dekh ke mera kiya halat horaha hai, tujhe khud ko sambalna hoga jo galat hua hai use sahi karna hoga.

Pramod :- ( geheri sans leke, asman ko dekhte huye ) laksh tujhe pata hai, insan ki sabse badi galti kya hai

Laksh :- ( pramod ki baat sunke uske taraf apne adh khuli ankho se dekhta reheta hai )

Pramod :- insan tab harta hai jab wo soch leta hai, uske hath me kuch nahi

Laksh :- phir tu he bata me kiya karu, kese btau use ko maine kuch nahi kiya, wo to meri baat he nahi sunti

Pramod :- wo teri baat nahi sunti, isliye tu use manana bhi chod diya hai, tujhe pta hai aaj kaal ke jamane me log pyar ke liye kya kuch kardete hai

Laksh :- ( kuch time sochne ke baad ) kya karu yaar me bhi uske aage jata hu to, wo mujhse naraj hoke mujhse dur chalijati hai. Uski ye narajigi mujhe tir tir marti hai yaar.

Pramod :- sun tu agar uski kuch time ki narajigi ko agar apna har maan lega tab, tum dono jindagi bhar ese he ghut ghut ke jite rahoge.

Laksh :- ( geheri sans chod ke ) tu sahi bolta hai yaar, mujhe kushish karna band nahi karna chahiye.

Pramod :- ye hui na sher wali baat…




Tu bhi dikhade,

Tu wo sher hai,

Jo pyar me pagl hai

Pramod ki esi baat sunke waha ek hasi ka gunj chut geya. Jaha thodi pehere gaam ka mahal tha abhi waha hasi ka khilkali sunai dene laga. Ese he kuch time pramod ne laksh ko samjane ke baad dono apne hotel ke room me chale geye.



( laksh aur pramod dono bohot ache dost the. Dono abhi graduate ke final year me the dono clg ke hostal me rehete hai )



Subha laksh jaldi uth geya aur clg ke liye reddy hoke clg ke nikal geya. Aaj ka laksh kaal ke hale huye laksh se alag tha, kaal jo laksh hara hua toota hua tha aaj wo laksh ke ankho me alag sa chamak tha, hare huye baji ko jitney ka daam tha.



Laksh apne bike se clg jaraha tha tabhi usne dekha traffic me red signal tha. Wo waha ruka raha, tabhi waha ek ccute si bachi aayi aur bolne lagi…

Bachi :- bhaiya bhaiya, ye fool le ro na, apke gf ko bohot pasand ayegi.

Laksh us bachi ki cute si awaj sun ke us ki taraf dekha aur bola

Laksh :- apka naam kya hai little princess

Bachi :- bhaiya, mera naam rani hai

Laksh :- rani, bohot pyara naam hai

Rani :- bhaiya ye fool ke guldaste re lo na, apke gf ko boht pasand ayegi

Laksh :- ek fool dasta kitna daam hai

Rani :- bhaiya ye fool dasta baas 50 rupees ka hai

Laksh :- mujhe ek fool dasta dedo


Laksh ek fool dasta le rata hai aur us bachi ko 100 rupee ka note deta hai.

Rani :- bhaiya mere paas change nahi hai

Laksh :- koi baat nahi, tum rakh ro baki ke paisa

Rani :- thanku bhaiya

Laksh :- koi baat nahi


Tabhi traffic ka signal green hojata hai aur waha se sab chale jate hai, laksh bhi bachi ke sir ke upper hath firake waha se chala jata hai.



Laksh waha se siddha clg jata hai aur clg ke parking me gadi khada karke clg ke apne room ke taraf jane lagta hai, jab wo apne clg ke room ke undar jata hai tab uske najar ek khubsrat ladki ke uppar jata hai. Wo chalta hua jake us ladki ke paas beth jata hai



Jab wo us ladki ke paas jake beth jata hai tab, wo ladki laksh ke taraf dekhti hai aur us table se uthne lagta hai, magar tabhi laksh us ladki ka hath pakad ke betha deta hai..



Ladki :- laksh chodo mera hath

Laksh :- kyu chodu Rashmi

Rashmi :- tum ye hak kho chuke ho laksh, tumne mere sath dhoka kar ke man nahi bhara jo tum phirse tumhara chehera leke mere paas agye

Laksh :- ( rashmi ki baat sun ke udas hojata hai magar chehere me muskan rakh ke bolta hai )


Maine to baas pyar kiya hai,

Pyar karne ware dhoka nahi karte,

Jo Dhaka kare wo kabhi pyar nahi karte.

Pyar me hojata hai galat fahmi,

Magar he sanam me ye wada karta hu,

Tumhe dhoka dene se pehere meri mout hojaye.



Rashmi :- ( laksh ki esi baat sunke use dekhti hai magar use dekh ke uske sath huyi dhoke ki baat yaad ajati hai ) tum esi baat karke ab mujhe fasa nahi sekte, chodo mera hath mujhe jana hai.



Magar laksh uska hath nahi chodta. Aur uske tarak dekhta reheta hai. Tabhi class me teacher ajate hai, teacher ko dekh ke Rashmi man maishi ke sath wohi laksh ke paas beth jata hai. Esa hota hua dekh ke laksh man me bohot khushi meheshus karta hai. Teacher apna padhana chalu karte hai magar laksh abhi bhi Rashmi aur dekhta reheta hai. Laksh ki esa ghurna Rashmi ko uncomfetable feel karti hai.

Rashmi :- ( dhire se ) ese ghurna band karo

Laksh :- (dhire se ) kyu

Rashmi :- ( dhire se ) tum class padhne ke liye aate ho padhai karo na, ese ghur kyu rahe ho

Laksh :- ( dhire se ) tum tumhara pdhai karo, me mera pdhai kar rah ahu

Rashmi :- tum tumhara konsa padhai kar rahe ho

Laksh :- me mera pyar ki padhai kar raha hu


Abhi ye dono baat kar he rahe the tabhi teacher ki najar in dono ko khada karte hai aur class se bahar bhej dete hai. Bahar aane ke baad bhi indono ki tutumeme chalu reheti hai. Rashmi jaha jati hai piche piche laksh bhi pohanch jati hai. Thak har kar Rashmi canten me jake beth jati hai. Laksh bhi Rashmi ke paas he chair me beth jata hai.

Rashmi :- ( gusse me ) tum mere piche piche kyu aarahe ho, tumhe ek bal bolne se baat samjh me nahi aati, mujhe tumhare cheheera dekhna pasand nahi

Laksh :- thik hai me tumhara chehera dekh leta hu


( Abhi ye dono baat kar rahe the tabhi inke paas monty ajata hai, ye bhi same class me hai magar ye kabhi class nahi karta ese he clg me ghumta reheta hai. Ye man me he Rashmi ko pyar karta hai. Uske liye kuch bhi kar sekta hai )

Monty :- laksh tum Rashmi se dur raho tumhe saram nahi aati dhoka karne ke baad chehera uthake ajate ho

Laksh :- ( gusse me ) tum kan hote ho hum dono ke bich me bolne ware, hum dono bf,gf ke bich jo bhi hoga hum sambal lenge. Tum ab ja sekte ho.




( Monty laksh ka ye roop dekh ke dang rehejata hai, aur sochne lagta hai, aaj laksh ko kya hua hai, kaal tak jo sir jhuka ke mera baat suntan tha aur bolne ke bhi himmat nahi karta tha aaj isko kya hua. Abhi monty ye sab soch he raha tha tabhi laksh bolta hai )

Laksh :- tum abhi tak gaye nahi yaha se, pta nahi kaha kaha se dono pyar karne ware logo ke bich ajate hai




Laksh ki esa dil me chaku marne wari baat sun ke gusse me monty chala jata hai, monty ke jane ke baad Rashmi boti hai

Rashmi :- band karo tumhara ye bakwas tumhe saram nahi aati ye sab bolte huye ( ankho me name ke sath bolti hai ) me to tumhe jinsagi se jada pyar karta tha, magar tumne kya kiya mere sath dhoka ( esa bolke wo rone lagti hai )

Laksh :- ( Rashmi ka hath apne dono hath me pakad ke ) Rashmi tum mere ankho me dekho tumhe lagta hai me tumhare sath dhoka kar sekta hu

Rashmi :- ( laksh ke anko me dekhne lagti hai jisme uske liye pyar he pyar tha kuch time baad apne ankhe laksh ke ankho se hata ke bolti hai ) maine khud ke ankho se dekha hai mona ke sath kiss karte huye

Laksh :- ( pyar bhari awaj me ) mujhe ek mouka to do Rashmi me tumhe sabit kaldunga ye sab chal mon aka hai. Baas ek mouka dedo mujhe.

Rashmi :- thik hai diya tumhe ek mouka, magar tum kya karoge

Laksh :- isme tumhe bhi mera sath dena hai




Uske baad laksh Rashmi ke kaan me kuch keheta hai jise sun ke Rashmi bade bade ankhe karke laksh ke taraf dekhti hai, pehere to Rashmi mana karti hai magar laksh ke samjhane se maan jati hai.

Saam ko clg khatam hone ke baad kuch ladkiya ek sath hansi majjak kar ke ghar ja rahe the. Unme se ek ladki mona bhi thi. Kuch time aage jane ke baad ek sunsan ilaka start hojata hai. Us sunsan ilake me laksh bike upper betha hua tha. Un ladkiyo ko apne taraf aate huye dekh ke laksh bike se niche utar ti hai aur mona ke paas jake bolta hai, mona mujhe tumse kuch baat karni hai

Mona :- haa bolo

Laksh :- ekere me baat karni hai

Laksh ki baat sun ke baki ladkiya mona ko bye bolke chale jate hai, unlogo ke jane ke baad laksh mona se keheti hai

Laksh :- tumne mere sath esa kyu kya mona , main to tumhe pyar nahi karta hu phir tumne Rashmi ko kyu bola ki me tumhe pyar karta hu

Mona :- ( haste huye ) tumhara aukat bhi hai mujhe pyar karne ki

Laksh :- phir tumne Rashmi se esa kyu bola

Mona :- are wo to monty ne mujhe ye acting karne ko paise diya tha isliye me ye nattak kar raha tha

Laksh :- tumhe saram nahi aati ye sab karte huye

Mona :- mujhe kyu saram ayegi, mujhe paisa milla aur maine mera kaam kiya

Laksh :- magar monty ne tumhe ye natak karne ke liye kyu kaha tha.

Mona :- mujhe kya pta

Laksh :- tum Rashmi ke aage sachai btado

Mona :- kyu btau me, mera kaam khatam bande khatam, tumhe aur Rashmi kan ho ye main nahi janti

Iske aage mona aur kuch bolti uske gaal me ek thapad pada, marne wara aur koi nahi Rashmi thi, ek ke baad ek thapad ese he 4 thapad marne ke baad Rashmi ne bola

Rashmi :- tum mere najar se aage chare jao nahi to tumhara jaan lerunga

Uske baad mona waha se chaligai, mona ke jane ke baad Rashmi mere gale lag gayi aur rone lagi. Rote huye bolne lagi mujhe maaf kardo laksh sab meri galti hai mujhe maaf kardo. Badi muskil se maine Rashmi ki rona band karwaya.


Agre din pramod aur laksh dono ne monty ko bohot mara. Monty ne apni galti ke liye laksh aur Rashmi se mafi manga. Ese he laksh aur Rashmi ka galat fahmi dur hogya aur phir se pyar asman me udne laga….



 

jass_Nav

Active Member
1,015
1,546
144
Ajeeb Dasstahh hai yeh ..

Mera naam Supriya hai , Meri Age 19 sall Aur Mai America k shehr california sey hu mey hmare ghar pr mumy papa aur mera ek judwa bhai Ashish jo ki mere sey 2 minutes shota hai , inke sath rehti hu aur ek Mera bda bhai Arjun jo ki 24 sall k hai wo apni job ki vjah sey dusre city new york mey rehte hai , humey America gye huye 10 sall ho chuke hai aur hum sab ko citizenship v mil gyi hai , aur mai pizza hut pr job k sath sath computer engineering ki pdahi v krti hu ,
ab kahani pr atti hu yeh baat hai tbki jub maa ney hum sabko mnaya k sub iss sall shutti lenge aur india jayegay kyuki maa ko unkey pariwar behen bhaiyo sey milna thaa pichle 10 sallo sey hum india nai gye the , mama ji aur massi ji jub v phone pr baat krtey to bahut pyar krtey the mujhko khass kr shotey mama ji sumit bchpn mey v mere ko bahut pyar krtey har zidd purri krte the meri ,
Khair hum ney plan bnaya aur pehle to hum sab jaa hi rahey the k papa k sathiyo ney unsey pehle hi shuttiya le li to unko shutti nai mili ab ja to fr wo job chor dete ja fr jana cancel to unka jana cancel ho gya fr arjun bhaiya ney v bol diya k mai aur papa next year jayegay app jaa aao iss barr mtlb 2 bnde cancel ho gye to fr mai ashish aur maa tino janey india aaye 1 month k liye ,
humne decide kiya k mama ji k yaha hi rahegay kaffi smay baad hum aa rahey they to mama ji humey delhi airport sey lene aye taxi mey , pehle to unhone maa ko kaffi derr tak hugg ki aur dono ki akho mey assu aa gye fr ashish aur mujhe v kas kr hugg kiya mama ji ney kitni bdi ho gyi hai rey tuu, bilkul meri shatti ki tarf dekh kr bolaa mama ji ney
aapki jaankari k liye btadu k mera figure 34-30-34 hai kyuki mai running vgaira krti thi to accha maintain tha , meri akhe bahut khubsurat hai yeh comliment mujhe hmesha milta thaa, Rang gorra tikhi naak aur us din mainey apni shatti ko bda dikhane k liye padded bra tshirt k niche sey pehni hui thi aur hipster type ki penty thi halaki mai jyadatr thong v pehnti thi ,
khair to mama ji ka ese bolna aur dekhna mujhe kaffi ajeeb lga fr hum taxi mey bethe aur 6-7 ghnte baad hum mama ji k ghar pahunch gye raste mey thodi nind v ayi aur khana v khaya aur mai hmesha ki trah pictures aur video v bnati gyi ,Ghar pahunchkr humney dekha to sab kuch chnaged tha bdey mama aur shote mama ka ghar ab alag alag huya pda tha wich mey deewar thi kuch new bna tha kuch purana hi abhi wese ka wese tha jesa humney dekha tha to bdey mama ji mami ji unke 2 bche wo alag rehte they aur shota mama (sumit) alag , dono kheti ka kaam krtey the , sumit mama ji abhi kuware the 32 sall ki age aur ek good maintained body thi unkii , hmara smaan nikala gya aur mai washroom mey jakr naha kr kpdey change krli , aur maa aur ashish v fr humney khana khaya aur bdey mama ji ki yaha gye waha pr humney unko unke liye laye huye gifts vgaira dikhaye aur battey krney lgey ab raat ho chuki thi to maa boli k mai jaa rahi hu udhr tum dono khelo betho aur baad mey aa jana ,ashish aur mama ji ka ldka playstation pr game khelte rahey mai ab boured c hogyi to mai boli k mai v jaakr rest krti hu tum aa jana ashish tbhi bdey mama ji ney main door locked krdiya tha to mujhe boley k tu shatt sey chli ja kyuki dono tarf seedi bni hui thi aur shat pr koi v deewar nai thi to mai shat pr sey jese hi sumit mama ji wali side gyi to dekh kr hairan reh gyi seedi k sath roshandaan mey sey maa ghutno ko niche lgakr mama ji ka lund choose rahi thii maa ney black bra pehni hui thi maa ka figure size 36-34-36 thaa aur age 42 sall thi , bahut hi khoobsurat aur juicy sa badn thaa meri mom ka , lekin mujhe akho pr vishwas nai ho raha tha k mama ji k sath yeh sab,
Mama ji 10 sall ho gye appko gye huye tb sey ab tk sex nai kiya mene aur jese appko bola tha shaddi v nai ki abhi tak , sirf appka hi hu aur hmesha rahuga , Maa - Lekin bhai sey tere jhagde ki vjah to bhabi k sath tera pkda jana thaa naa
Mama ji hass diye aur bole uss kuttey ney bta diya tujhe
Maa - haa tbhi bta diya tha tere kaarname jo tu nayi nayi ldkiya latta tha mere bheje pese sey tbhi tujhe pese bhejne bnd kiye the
Mama ji - to yeh nai btaya k uske dono bche v mere hai mai na hota to uski koi aullad na hoti khair chodo aur baat bdltey huye wo jb mene ajj supriya ko dekha to mujhe tu wo jawani time yaad aagyi ek dum teri copy hai wo boltey boltey maa ko bed pr bitha kr tangey khol kr fuddi ko chaatney lg gye , bilkul tere jese boobs hai wohi gand ka ubbar
yeh sunn kr ab mujhe v kuch kuch honey lgA ab esa lg raha tha k mama ji chaat maa ko rahey hai ja mujhe , maine phone nikala aur video bnane lgi , tbhi mama ji boley k uski v mai ese chatugaa aur hairani ki baat yeh thi maa apne mjey mey ahhhh ummmm kr rahi thi aur unhe koi fark nai pd raha tha k mama ji unki beti k barey mey kya bol rahey hai
Maa - jldi kro bche aa jayegay bahut time ho gya
fr mama ji ney lagbhag 10 minute tak bhukhe sher ki trah choda maa ko kbhi ghodi bna kr kbhi leyta kr maa ki to jese sasey foolney lgi kyuki mama ji rukk hi nai rahey the bs positions change kr rahey the ,ab mere v kaffi khujli honey lgi aur mera mn krney lga k mai v mza kru
mama ji -ab poora mahina roj lunga teri
maa- haa mujhe v itna mza bahut time k baad aya hai
aur mama ji ne maa k pith k upr sara mall nikal diya aur maa ney ese hi apna suit thik kiya aur salwar pehnli fr dono normal hokr beth gye , mai chup chap apne room ki tarf gyi aur apne makeup k smaan mey sey lipstick 💄 nikali jo ki ek vibrator kaa kaam v krti thi mtlb mera sex toy tha aur usko apne clit k upr lgakr maine khud ko shannt kiya, pr mujhe nind bilkul v nai aa rahi thi kyuki dinag ney mama ji k wo bol aur maa aur mama ji ki tasveer aa rahi thi baar baar aur mai khud ko touch krke feel kr rahi thi k kya sach mey meri gand ka ubbar itna hai k mama ji ney notice kiya hai ,ese hi sochte sochte mujhe nai pta chla k mujhe kb nind aa gyi ,
agli subah ab sab kuch bdl chuka tha mai baar baar notice kr rahi thi mama ji aur maa ko pr wo dono normally baatchit kr rahey the, aur mama ji bahane bahane sey mujhe touch kr lete to meri body mey ek alag sa current daud jatta , ese hi do tin din idhr udhr aney janey mey nikal gye aur ab mai mama ji ki aur aakarchit honey lg gyi thi , fir ek raat jb hum bhai behen so gye to mujhe kuch awaj c aai aur maine uth kr dekha to maa aur mama ji usi room mey chudai kr rahey the ab to jese mere andr ki aag ney yeh soch liya k mama ji ka lund to ab meri chut mey v jayega hi ,
hawas hadh paar chuki thi uss raat bdi mushkil sey shaant krke soi, agli subah uthi to mama ji khet ko ja rahey the to mene v sath janey ki jidd ki to wo bole k jaldi sey ajao , tbhi ashish v aa gya bola mai v jauga to fr mene activa scooty chlane ki jidd ki aur agey beth gyi ab ashish ko mama ji ney uttar diya k tu baad mey jana abhi isko lekr jaat hu fr akkr tumhe le jauga , ashish gussa ho gya aur chla gya room mey , mainey night suit hi pehna huya tha naa koi penty aur na hi koi bra ek makhmal ki trah mulaim pjama aur meri navel tak kaa shirt jesa matching top aur mai mama ji k agey beth gyi , to mama ji ney scooty start kiya aur bilkul meri sath satak kr beth gye , ab body mey current daudney lga ,maine thodi try ki pr mujhe samj ni aya k kese chlayu to mama ji ko bola k aap hi chlao pehle mai dekhti hu ab unka lund sakht ho raha tha aur mai feel kr rahi thi itna mota aur lamba lund ahhh mama ji drive krney lge aur ab mene jra sa uth kr lund ko apne chutado k bich mey set kr liya , aur mai thoda upr uth kr piche aur agey ko hokr mama ji k lund k upr apne chutad ferne lgi, meri body ki mai bahut care krti thi isi liye ek dum soft and silk c body thi to mai drive krne lgi to mama ji ko bola k mujhe peyt sey pkd lo aur top thoda upr tha to nange badn pr mama ka hath tha ab mai pani chod rahi thii itne bdey bdey hath mere peyt ko dba rahey the shayid mama ji v samj gye the k mai kya chahti hu kyuki unke mn mey v to wohi sab thaa ,aur mene scooty sey dhyan ko htake usko khet mey uttar diyaa aur hum dono gir gye aur hasney lgey jor jor sey halaki jyada chot nai lgi pr mere knee k upr kaffi dard huya to mama ji boley k chl khet pass hai waha jakr dekhte hai,
waha pahunche to moter chal rahi thi aur khet ko pani jaa raha tha ek chota sa room tha andr ek purani c charpayi thi
mama- lao dekhta hu ghutna thik to hai
mai- haa thik hi hai aur apna pjama upr kiya ghutne tk to mama ji ney hath lgaya to mainey btaya k haa yaha dard hai ahhhhhh tbhi mama ji ney hath sey thodi malish c krdi aur bole thik hai jyada serious nai hai aur ghunte sey pjame ko niche khich diya usme sirf ilastic thi nadda mene bandha nai thaa to pjama upr sey niche ko khisk gya aur top to pehle hi navel tk tha ab scene yeh tha k jango tak pjama aur navel tak top tha mere vich mey sey mai nangi ho gyi thi bilkul mama ji k chehre k pass
mama- ek dum meri fuddi k upr halke halke ballo ko dekh kr bchi ko kya chaddi kyu ni pehnti
mai - raat ko kon pehnta hai bol kr pjama upr kiya aur mama ji ek tuk dekh rahey the muhh mey sey thuuk ko andr lejaney k awaj v sunai di aur maine bola mujhe susu aai hai kaha jau to wo bole udr us side khet mey jaa , mujhe darr lg raha agr kuch kaat liya mujhe to
mama- mai yehi hu darr mt
mai gyi aur khet mey susu krney lgi mama ji k bilkul sahmne ab to mama ji ko bilkul ishara mil gya k mai aur wo dono same hi chahte hai to unhone ass pass dekh kr apna lund nikal kr meri tarf krke mootna shuru kiya ,door sey v itna bda lg raha tha lund meri to susu rukk gyi aur uth kr mai mama ji k pass aa gyi unhone mootna bnd krke mujhe bola pkdlo dekh kya rahi ho tumhara hi hai
mai- mera ja mom ka v
mama - ab to tumhara hi hai usme kaha wo baat
maine lund ko hath mey liya to mama ji ney mujhe utha liya aur jese ek sher apne shikar ko khich kr le jatta hai ese mujhe uss shote sey room mey le aye aur charpai pr leyta diya khud k kpde khole aur mujhe chaatnaa shuru kr diya mere gulabi hotho sey lekr meri garden ko poori tra jeeb sey chaata aur mere top ko uttar diya ab mere goal goal boobs mama ki giraft mey the aur kya khela mama ji ney kabhi nipples ko bite krte kbhi side mey dannto sey kya btau zindgi ka mja hi usme thaa, unhoney meri navel mujhe back sey mtlb body ka ek ek part chusa aur chatta kuute ki trah aur mai baar baar pani chod rahi thi mama ji ney pajama niche kiya aur jor sey thapad maara meri fuddi k upr mai tadaf uthi aur mama ji ab poore garm ho chuke the aur unkaa rang ek dum lall ho gya thaa aur wo fuddi ko chusney aur chattney lg gye ahhhhhhh mama ji ahhhhhhhh meri jaan tu bahut raseeli hai itnaa swaad mujhe teri maa sey nai mila kabhi ahhhhh ungli daal kr andr sey mera pani nikal nikal kr choose rahey the ufffffff kyamat ho tum mere badan ko ek dum jese nichod sa diya ho kyuki abhi tk mai 3 waar pani chod chuki thii aur esa pehli war huya thaa k mai 3 vaar jhd gyi hu aur abhi tak chudi v nai thi tbhi maine mama ji ko thak gye dekha aur unko khda kiya unka lund ghunte niche lga kr chusna chalu kiya ahhhhhh itnaa bda kese huya mama ji yeh ahhhhhh uffffffffff
mama- teri maa ki aur teri mami ki chut maar maar kr , bs dono ki li apne, nai ese to ginti hi nai hai kitni aurate aur ldkiya chod chuka hu mai , aur mai lund ko side sey jeeb sey topey sey acche sey choose kr mama ji ko mja de rahi thi aur wo meri tarf ek janwar ki trah dekh rahey the kyuki unka rang lall aur akhe bdi ho chuki thi ab mai poora muh mey lene ki koshish krne lgi pr kaha jana tha itna bda fr kuch der choose kr ab meri leytne ki baari thi aur mai leyt gyi fr mama ji ne lund chut pr rakha aur thuk lgakr andr thoda sa kiya k mere hosh udd gye jese kisi ney loha ghusa diya ho ,halaki mai pichle kai sallo sey khudko toy sey chodti rahi thi pr yeh ek alag chij thi asli tkda lund meri najuk c chut ko cheer raha tha meri akhe bahar aa gyi aur mai chikhhhnaa chah rahi thi pr meri awaj galey mey sey bahr nai aa rahi thi kyuki mama ji ne kuch iss trah sey mujhe face aur galey sey pkda huya thaa ahhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhhh
maine chudwane ki koshish ki aur mai bol rahi thi k mai mr jaugi ese pr tkde mard kaha aurat ki sunnte hai mai to thi v bachi mama ji ney poora lund ghusa k dpa dap peylna shuru kr diya jese ki koi randi lekr aye hai mai samj nai pa rahi thi kyuki dard sey meri jaan nikal rahi thi aur ek ajeeb sa mjaa mujhe mera dard bhula v raha tha
mama ji ab apne jeeb k sath mera face chaat rahey the jeeb nikal nikal kr pr abhi tak jhtko ki na to speed kam hui thi naa hi mera dard ab jb ek dum sey mama ji ney hath choda meri garden sey to mai bahut jorr sey chillaaiiiii ahhhhhhhhhh mr gyiiiii aur mamaji ko laat sey side kr diya aur dekha k meri fudii ka kuch aur hi bna pda thaa ituu c thi meri fuddi khul kr bhosda bn gya thaa mai baar baar pani chod rahi thi chudte huye itna pani to kbhi nai nikala thaa , khoon v tapk raha thaa wich sey hi mama ji ka maal v nikal raha tha jb mene uthne ki koshish ki to jese tango mey jaan hi nai thii , aur mai leyt gyi ab mama ji bina kuch boley lund firse ghusa diye iss baar jese kam dard huya pr wo itni tej lund andr bahr krne lge k unkiii sasss fuull rahi thi aur mujhe ab mja aney lgaa aur mai ahhhhmmm ahhmmmm yesssss krke unkaa sath dene lagi thodi derr baad unkaa fr sey ho gya aur wo v chut k andr hi ab tisra round start krdiya mama ji ney jese ki ajj mujhe wo randi bna kr hi dum lenge tkreeban 10 mint tak fr sey choda aur pani fr sey andr nikal diya aur mama ji khud niche girr gye unki shaaati mey tejj dard honey lga
mai bdi mushkil sey uthi aur dekha sara maal fuddi mey sey tapk raha tha apna pjama uthaya aur pehn liya ese hi mall aur khoon pjame ko v lg gya
mama ji ko dekha to wo jameen pr girey huye the unkaa hath dil pr thaa
mama ji - supriyaa kehte hi behosh sey ho gye
mai apna top utha kr pehni aur ab thoda sa saaf dikhai diya mujhe to dekha k mama ji ko heart attack aya huya tha kyuki unko dil mey tej dard ho raha tha aur unko pehle v heart attack ho chuka tha ek baar
ab mujhe thoda sa samj aney lga aur mene mama ji ki shaati ko dbaya jorr jorr sey lekin kuch nai huya aur fr mene unka mobile 📱 phone dundha jo ki nai mila mtlb wo sath nai laey the mai v phone ghar pr bhul gyi thi to mai bahr gyi aur ass pass dekha door tak koi nai dikha andr mama ji poore nange lete huye the unki sass bilkul v chl nai rahi thi fr mene bahr jakr scooty start ki aur jese jese mama ji ney btaya thaa usko chlane lagi aur vadi road pr pahunch gyi jo ki ghar ki tarf jaati thi, ab mere dimag mey sirf mama ji ko bchana chl raha tha aur poori race ghumadi scooty ki aur mujhe break ka kuch nai pta tha to sahmney sey aa rahi ek roadways ki bus jo ki tej speed pr aa rahi thi sey jakr takraa gyi bilkul sahmney sey takrai to takr itni jyada jabrdast thi k mere chithdey udd gye aur usi waqt meri jaan nikal gyi ,
mtlb mai usi waqt mr chuki thi aur mai khud ko khoon sey lathpath dekh rahi thi usi bus k andr sey jiske sath mai takrai thi , kuch der baad bdey mama ji waha aye aur unhe baat krte suna to pta chla k sumit mama ji v mr gye hai heart attack ki vjah sey fr mene usi bus sey sab kuch dekha k kese meri body ko lejaya gya do ghnte baad ambulance sey aur pta nai kyu mai us bus sey nikal nai paa rahi thi unhi mama ji k mall aur mere khoon sey gnde huye kpdo mey driver k pass wali seat pr bethi aur tkreeban do dino baad us bus ko waha sey htaya gya aur repair krwaya gya aur wo firse usi mere gao waley road pr aati jaati hai mai ajj tak usi roadways ki bus mey hu unhi kpdo mey aur bahr nai nikal pa rahi hu aur mujhe ab gharwalo ki v koi jaankari nai hai mai waha pr yaha death hui thi rukne k liye isi bus sey bahut accident krwa di hu driver k dimag mey ghuss kr aur bahut sarri deaths v hui hai pr koi v meri tra is bus mey kaid nai huya abhi tak,
ek din mene iss likhne waley ldke ko bus mey xforum pr story likhte huye dekha to mene iske dimag mey ghuss kr yeh story likhwai hai,jub mai yeh story dimag sey likhwa rahi hu tb v mai bus mey hu bus ka number PB10CT€£€€£ .mera mn sex k liye v bahut tadf raha hai .iss number ki bus dikhe to aa jana mai yehi hu abhi v 19 ki aur 34-32-34 figure ki pr zinda nai hu , mujhe nai pta yeh silsila kb tk chalegaa shayid iss baat k bahr aney sey mai v bus sey bahr aa jau isi asss sey appki supriyaa..
 
Status
Not open for further replies.
Top