एक बात यंहा ध्यान देने वाली थी... वैभव बाग में आएगा ये बात बस रजनी जानती थी... उसी को उसने बाग में आने को कहा तो फिर उस नकाबपोश और लास्ट के 2 नकाबपोश पहने साये को इसकी खबर कैसे लगी.... अब ये मत कहना वो वँहा बच अचानक से आये थे... क्योंकि पहले वाले साये को वैभव को बार बार वँहा से जाने को कहना और फिर अंत मे उन दो साये से वैभव को बचाना... जरूर कुछ तो गड़बड़ है..
खैर आप ही जानो क्या लिंक जोड़ते हो इसका पर जवाब तो चाहिए ही
Shukriya swati madam,,,,,
Main bilkul bhi nahi kahuga ki wo log bas achanak hi waha aaye the. Balki ye kahuga ki thoda aur gaur karne ki zarurat hai,,,,
Ji bilkul swati madam, link to judega hi. Pahle raayata failaao aur fir use achhi tarah se ponchha maar maar kar saaf bhi karo. Yahi to sab karte hain, hai na,,,,
अंत मे मुंशी के घर आकर, मुंशी की बीवी के साथ प्यार भरी बातें... और कुछ अय्याशी भी
खाना खाकर सोने के बाद धुआं धुआं और चीख...
फ़ॉर next
Baad muddat ke to aurte mili hain use. Uske jaisa insaan ab aurto ko kaise chhod sakta hai,,,,
ना जाने कैसे धुआं धुआं हो गई ज़िन्दगी शुभम,
हमने तो बहारे जीस्त को शोलों से बचा रखा था।।