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Fantasy ♥माया♥ (Maya)

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Iron Man

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naag.champa

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Kahin Bhai aapka ishara shemale ya phir male in female disguise to nahi .
Yeh to Champa madam hi bata sakti hain.
Agle Update ka besabri se intzaar .
जी नही, फीमेल इन दिसग़ज़ या फिर शी-मेल नही... इसका उत्तर आपको अगले अध्यायों में मिलेगा... और यही मेरी परीक्षा की घड़ी भी है।
 

naag.champa

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Khuchh to raaz chhipe hai maathakurain me jisse wo ek kuwari ladki apni vasna mitana chahti hai .
Baki to champa ji btayengi
जी हां। अगला अपडेट मैं जल्द पोस्ट करूँगी।
 

naag.champa

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अध्याय ९


“क्या देख रही है लड़की? मेरी कटी हुई जीभ?”

मैंने फटी फटी आंखों से उनकी तरफ देखते हुए स्वीकृति में अपना सर हिलाया|

“हा हा हा हा| कोई बात नहीं मैंने जादू टोना और तंत्र विद्या सीखने के लिए बहुत ही कम उम्र में ने अपनी जीभ इस तरह से कटवा कर अपना खून चढ़ाया था- उन अंधेरे में रहनेवाली आत्माओं को… उन जादू टोने वाली रूहानी ताकतों को… जिनसे मुझे ऐसी जादुई ताकतें मिल सके... लेकिन यह फिर एक दूसरी लंबी कहानी है… इसके साथ-साथ जैसे जैसे मैं बड़ी होती हुई मुझे एहसास हुआ कि मर्दों की तुलना में मुझे लड़कियां ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने एक सिद्धि और प्राप्त की…”

“कौन सी?” मैंने पूछा

माँठाकुराइन ने कहा, “एक ऐसी शक्ति जिससे मैं अपना भगांकुर बड़ा कर सकती हूं... मेरा भगांकुर बड़ा होकर लंबा होकर बिल्कुल एक आदमी की लिंग की तरह बन जाता है…”

माँठाकुराइन की बातें सुनकर मैं बिल्कुल हक्की बक्की रह गई थी पर मैंने पूछा, “क्या मतलब?”

“हा हा हा हा… मैं जानती थी कि तू अचंभे में पड़ जाएगी... बस तू इतना समझ ले की लड़कियों की चुत (भग) के ऊपरी हिस्से में एक मटर जैसा दाना सा होता है- उसे कहते हैं भगांकुर... इस भगांकुर की तुलना एक आदमी के लिंग से की जा सकती है... लेकिन तू तो एक लौंडिया ही है, तू क्या करेगी इंसान की शरीर रचना* के बारे में जानकर... तू लौंडिया है बस लौंडिया ही बन कर रह... पर अब तू नादान तो नहीं रही… बड़ी हो गई है... सबकुछ जान चुकी है… बस यह समझ ले कि मैंने वह सिद्धि प्राप्त कर ली है जिससे मैं अपना भगांकुर जब चाहे तब एक आदमी के लिंग की तरह बड़ा कर सकती हूं और उसे किसी भी औरत यह लड़की की चुत (भग) में डाल के उसके साथ मैं बिल्कुल आदमियों की तरह सहवास कर सकती हूँ और वही आज तेरे साथ मैं वही करूंगी... मुझे तंत्र मंत्र जादू टोने के लिए कभी कभार ऊर्जा की जरूरत पड़ती है... जिसे मैं तुझ जैसी लड़कियों के साथ सहवास करके प्राप्त करती हूं... वैसे तो मैं कई लड़कियों को अपने साथ बहला-फुसला करके या फिर सम्मोहित करके अपने घर ले आती थी और मेरा काम हो जाने के बाद, उन्हें दूर कहीं छोड़ आती थी और यह जरूर ठीक कर लेती थी कि बाद में उन्हें कुछ भी याद न रहे... आज तू मेरी है... आज मैं जो भी चाहती हूं, उसे वसूल करूँगी... तू तो जवान है... सुंदर है और सबसे बड़ी बात कुंवारी है... बड़े दिनों बाद मुझे तुझ जैसी लड़की मिली है... मैं जी भर के तुझे प्यार करूंगी... भोगुंगी तुझे… लेकिन तुझे सब कुछ याद रहेगा क्योंकि मैं यह जान गई हूं तुझे भी इसमें बड़ा मजा आने वाला है, क्योंकि दूसरी लड़कियों से थोड़ी अलग है... तेरे मन का झुकाव औरतों के तरफ भी है, तू उनकी खूबसूरती की तारीफ करती है… उनका साथ तुझे अच्छा लगता है… अगर कोई खूबसूरत है तू उसकी खूबसूरती की कद्र करती है… मैं जानती हूं तू और लड़कियों से बिल्कुल अलग है... शायद तुझे नहीं पता लेकिन तू इस बात को मान ले कि तू भी मेरी तरह समकामी है… मेरे साथ बड़ा मज़ा आएगा तुझे… मैं तुझे एक औरत का और एक मर्द का दुगना मजा दूंगी…”

“लेकिन...”, मेरे दिमाग में एक वाजिब सा सवाल था... उसे माँठाकुराइन भांप गई...

“चिंता मत कर... तेरे पेट में बच्चा नही आएगा...” माँठाकुराइन ने कहा, “इसके लिए तुझे एक मर्द की ही ज़रूरत पड़ेगी.... बाकी मैं भी एक औरत ही हूँ बस उम्र की वजह से मेरा मासिक रुक गया है.... हा हा हा मैने तो सिर्फ़ अपने भगांकुर अंग का विकास किया है.... देखेगी?”

यह कहकर उन्होंने अपने दो टांगों के बीच से वह कपड़ा हटा दिया और जो मैंने देखा उसे देखकर मैं दंग रह गई... मैंने देखा उनकी योनि बिल्कुल बाकी औरतों की तरह ही है... लेकिन उसके अंदर से एक लंबी सी, मोटी सी गुलाबी रंग की नली की तरह कुछ निकल आया है…

यही था उनका विकसित भागंकुर जिसे वह एक लिंग की तरह इस्तेमाल कर सकती थी…

कहां तो मैं यौनाग्नि में तड़प रही थी... कहाँ तो मैं सोच रही थी यहां इस वक्त अगर कोई मर्द होता तो कितना अच्छा होता... लेकिन जो मैंने देखा जो समझा उसकी मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... बड़े ताज्जुब की बात थी, लेकिन अंदर ही अंदर मुझे ना जाने क्यों इस बात की खुशी थी कि चलो, अब इतनी देर बाद मेरे अंदर जलती हुई आग को कोई बुझा सकेगी…

माँठाकुराइन ने कहा, “घबरा मत तू इसे हाथ में लेकर देख सकती है…”

मैंने उत्सुकतावश उनके उस अंग अपने हाथ में लिया| वह गीला गीला सा था... चिपचिपा सा… लिजलिजा सा था... उस पर शरीर के अंदर के रस लगे हुए थे... मुझे यह समझते देर न लगी कि कुछ ही देर में माँठाकुराइन अपना यह अंग मेरे भग में घुसा देंगी- वैसे ही जैसे एक आदमी एक औरत योनांग में अपना लिंग घुसा देता है- खैर मन ही मन मैं भी तो यही चाहती थी कि आज कोई ना कोई मेरे साथ सहवास करे... मेरे अंदर की प्यास को बुझा सके आखिर मैं बड़ी हो चुकी हूँ... मेरी जवानी का फल पक चुका है...

मैं एक अजीब सी प्यासी निगाहों से माँठाकुराइन की ओर देख रही थी… माँठाकुराइन मुझे देख कर मुस्कुरई… उन्हें शायद पता चल गया था कि अब देर नहीं करनी चाहिए…. उन्होंने मुझे पकड़कर धीरे-धीरे लिटा दिया फिर बड़े प्यार से मेरे चेहरे को सहलाने लगी और मेरे होठों को चूमने लगी…

वह तो खुद अध-लेटी अवस्था में बैठी हुई थी लेकिन मैं बिल्कुल खुली की खुली- नंगी उनके बगल में लेटी हुई थी…

वह मुझे चूमती गई है चाटती गई है... मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरती रही... मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह मेरे बदन में कुछ ढूंढ रही थी... और ना जाने क्यों मुझे ऐसा भी लग रहा था कि शायद उसे वह मिल गया था... लेकिन नहीं... वह रुकी नहीं वह मारे बदन पर हाथ फेरती गई… मानो जो उसे खजाना मिल गया था... उसे वह परख कर देखना चाहती थी…

“कितनी अच्छी है तू... कितनी प्यारी है तू... उम्र के हिसाब से तेरे बदन का विकास भी अच्छी तरह से हुआ है.... क्या लंबे बाल है तेरे घने- मुलायम और रेशमी... क्या बड़े-बड़े कसे कसे तने तने से दुद्दु (स्तन) है तेरे... तेरे बदन से और तेरे बालों से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है... तेरे कूल्हे भी सुडौल और मांसल है...” माँठाकुराइन बोलती गई, “जब मैंने पहली बार तुझे गुसलखाने में नहाते हुए देखा था, तो तेरी पीठ मेरी तरफ थी… लेकिन तब से ही मैं तुझे सामने से नंगी देखने के लिए तड़प रही थी… अच्छा हुआ आज तो मेरे साथ लेटी हुई है.... कुछ ही देर में मैं तुझ जैसी एक खिलती कली को एक अच्छा सा फूल बना दूंगी मेरे ऊपर भरोसा रख… मैं तेरी जिंदगी को एक नया मोड़ देने वाली हूं… पर हां; काश मैं तुझे पाल पाती”, यह कहकर उन्होंने अपनी कटी हुई थी उससे मेरे होठों को और मेरे गालों को कई बार चाटा मानो शायद वह मेरे बदन का स्वाद लेना चाहती थी…

मेरे अंदर कामना की आग बढ़ती जा रही थी... मेरी सांसे गहरी और लंबी हो रही थी और अब तो आवेग से मैं थोड़ा थोड़ा काँपने भी लगी थी... लेकिन माँठाकुराइन कहां रुकने वाली थी? उन्होंने मुझे प्यार करना जारी रखा.... मेरे पूरे बदन पर हाथ फेरती गई... और उसके बाद मेरे स्तनों को सहलाते हुए एक स्तन की चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी... और ऐसा करते हुए उनका एक हाथ मेरे दो टांगों के बीच में चला गया, वह मेरे भग को सहला सहला कर देख रही थी... मेरा भग गीला हो चुका था... रस छोड़ रही थी मैं... उन्हें पता चल गया कि अब मैं संभोग के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी हूं... अब देर नहीं करनी चाहिए…

मेरे से भी अब रहा नहीं जा रहा था मैं छटपटाने लगी थी... मैं चाहती थी कि माँठाकुराइन ऐसा कुछ करें जिससे मुझे थोड़ी शांति मिले...

मैंने अपनी कांपती हुई आवाज में आखिर बोल ही दिया, “माँठाकुराइन, कुछ कीजिए ना... मेरे बदन में आग सी जल रही है...”

“मैं जानती हूँ लड़की... यह आग मैंने ही जानबूझकर लगाई है...”

मुझे ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा वह धीरे-धीरे उठ कर बैठ गई और उन्होंने मेरी टांगों को पकड़कर काफ़ी फैला दिया... मेरी दोनो टाँगों के बीच अब इतना फासला था कि वह उनके बीच मे आ सके... उन्होने वैसा ही किया…

जादू टोने तंत्र मंत्र से तब्दील किया हुआ उनका भगांकुर अब - खड़ा और सक्त चुका था… बिल्कुल एक कृत्रिम लिंग जैसा…

उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरे यौनंग के अधरों को हल्के से थोड़ा खोला और उसके बाद उन्होंने अपने कृत्रिम लिंग जैसे रुपांतरित भागंकुर को मेरी योनि से छुयाया… बाहर बहुत तेज़ बिजली चमकी और कहीं से बहुत ज़ोरों से बादल गरजने की आवाज आई... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि वह बिजली जमीन पर ना गिर कर शायद मेरे ऊपर गिरी हो... मैं फिर से काँप उठी और न जाने क्यों मैंने अपनी कमर ऊपर उठा दी…

बस सर फिर क्या था माँठाकुराइन ने अपना रूपांतरित भगांकुर मेरे यौनंग के अंदर घुसा दिया…

इससे पहले कभी भी मेरे नारीत्व का उल्लंघन नहीं हुआ था, आज पहली बार था कि किसी दूसरे व्यक्ति का कठोर अंग मेरे कोमल अंग के अंदर घुसा हुआ हो… इसलिए मैं दर्द से कराह उठी… मेरी कौमार्य की झिल्ली फट गई…

माँठाकुराइन ने अपना अंग मेरे अंदर कुछ देर तक ऐसे ही रख छोड़ कर मेरे ऊपर लेटी रहीं... मैं उनके नीचे उनका वज़न से दबी हुई थी और एक कटी हुई मुर्गी की तरह छटपटा रही थी.... कुछ देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही अपने नीचे दबा के रखा और उसके बाद उन्होंने अपना भगांकुर निकाल लिया फिर एक लंबी सी सांस ली और दोबारा उन्होंने अपना अंग मेरे यौनांग में घुसा दिया…

“कितनी ताज़ी और कसी कसी-कासी सी है तू, वाह मजा आ गया…” माँठाकुराइन ने कहा और वह दुबारा मेरे उपर लेट गई… मेरे यौनांग में उनका अंग घुसा हुआ था और उनकी वज़न से मेरा शरीर दब रहा था... लेकिन यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... इससे पहले मुझे ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था... यह बिल्कुल नया नया लग रहा था|

माँठाकुराइन करीब दो मिनट तक मेरे ऊपर चुपचाप ऐसे ही लेटी रही| फिर उन्होंने मेरे से कहा, “चल लड़की अपना जीभ तो निकाल…”

मैंने वैसा ही किया| उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुंह के अंदर ले कर चूसने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे हिलने लगी और शुरू कर दी अपनी मैथुन लीला… मैने उनको कस कर जकड लिया…

सच कहूं तो इससे पहले मैंने किसी के साथ यौन संबंध नहीं बनाया था, हलाकि ऐसे ख्याल मेरे दिल में आते रहते थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक औरत जिसने अपना भागंकुर एक लिंग की तरह तब्दील किया हो; वह मेरी जवानी का लुफ्त उठाएगी... और मुझे भी एक अंजाने एहसास से भर देगी... पर इससे पहले मैं एक कुंवारी लड़की थी इसलिए माँठाकुराइन के लगाए हुए धक्के और उनका तब्दील किया हुआ भगांकुर जो कि फिलहाल मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... उससे मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन एक अनजानी संतुष्टि मिल रही थी.... इसलिए मैं कसमसाती रही- छटपटाती रही और माँठाकुराइन मेरे साथ मैथुन करती रही...

थोड़ी देर तक ऐसा चलने के बाद मानो मुझे ऐसा लगने लगा कि अब सबकुछ ठीक हो गया है.... मुझे अब इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी लेकिन माँठाकुराइन ने अपने मैथुन की गति बढ़ा दी… कुछ देर के लिए तो मुझे थोड़ा सुकून का एहसास हुआ लेकिन उसके बाद मुझे लगने लगा कि मेरा दम घुटने लगा है... ऐसा प्रतीत होने लगा कि मेरा पूरा शरीर उत्तेजना में शायद फट जाएगा ... पर माँठाकुराइन नहीं रुकी, उसका रूपांतरित भागंगकुर तेजी से मेरी योनि के अंदर अपनी क्रिया करता रहा... मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर ही थी को वह शायद अपने पूरे चाव से उसे चूसे जा रही थी…

और फिर अचानक मुझे लगा कि मेरी पूरी दुनिया में एक विस्फोट सा हुआ मेरा बदन दो तीन बार सिहर उठा और उसके बाद न जाने में एक अनजानी सुख सागर में डूब सी गई… लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरा यौनंग जिसने माँठाकुराइन के भगांकुर को निगल रखा था उसमें एक अजीब तरह का स्पंदन और संकुचन सा हो रहा है मानो मेरा यौनंग माँठाकुराइन के उस अंग को काटने की कोशिश कर रहा हो…

माँठाकुराइन ने और थोड़ी देर मेरे साथ मैथुन किया और उसके बाद वह भी ढीली पड़ गई और उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग कर लिया और थोड़ा सुसताने लगी फिर धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि उनका भगांकुर अब शिथिल पड़ने लग गया है…

उन्होंने अपना बदन मेरे बदन से अलग कर लिया और मेरे बगल में लेट गई फिर मेरे बालों को पकड़ कर के मेरा सिर अपने स्तनों के पास ले गई... मुझे उनका इशारा समझ में आ गया मैं उनकी एक स्तन की चूची अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और दूसरे स्तन की चुचि से खेलने लगी... माँठाकुराइन मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से को बड़े प्यार से सहलाने लगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था…

क्रमश:


* प्रासंगिक उदाहरण
Clitoris-vs-penis-anatomy.png
Original Image credit:
https://smilemakerscollection.com/wp-content/uploads/2018/02/Clitoris-vs-penis-anatomy.png
 
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अध्याय ९


“क्या देख रही है लड़की? मेरी कटी हुई जीभ?”

मैंने फटी फटी आंखों से उनकी तरफ देखते हुए स्वीकृति में अपना सर हिलाया|

“हा हा हा हा| कोई बात नहीं मैंने जादू टोना और तंत्र विद्या सीखने के लिए बहुत ही कम उम्र में ने अपनी जीभ इस तरह से कटवा कर अपना खून चढ़ाया था- उन अंधेरे में रहनेवाली आत्माओं को… उन जादू टोने वाली रूहानी ताकतों को… जिनसे मुझे ऐसी जादुई ताकतें मिल सके... लेकिन यह फिर एक दूसरी लंबी कहानी है… इसके साथ-साथ जैसे जैसे मैं बड़ी होती हुई मुझे एहसास हुआ कि मर्दों की तुलना में मुझे लड़कियां ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने एक सिद्धि और प्राप्त की…”

“कौन सी?” मैंने पूछा

माँठाकुराइन ने कहा, “एक ऐसी शक्ति जिससे मैं अपना भगांकुर बड़ा कर सकती हूं... मेरा भगांकुर बड़ा होकर लंबा होकर बिल्कुल एक आदमी की लिंग की तरह बन जाता है…”

माँठाकुराइन की बातें सुनकर मैं बिल्कुल हक्की बक्की रह गई थी पर मैंने पूछा, “क्या मतलब?”

“हा हा हा हा… मैं जानती थी कि तू अचंभे में पड़ जाएगी... बस तू इतना समझ ले की लड़कियों की चुत (भग) के ऊपरी हिस्से में एक मटर जैसा दाना सा होता है- उसे कहते हैं भगांकुर... इस भगांकुर की तुलना एक आदमी के लिंग से की जा सकती है... लेकिन तू तो एक लौंडिया ही है, तू क्या करेगी इंसान की शरीर रचना* के बारे में जानकर... तू लौंडिया है बस लौंडिया ही बन कर रह... पर अब तू नादान तो नहीं रही… बड़ी हो गई है... सबकुछ जान चुकी है… बस यह समझ ले कि मैंने वह सिद्धि प्राप्त कर ली है जिससे मैं अपना भगांकुर जब चाहे तब एक आदमी के लिंग की तरह बड़ा कर सकती हूं और उसे किसी भी औरत यह लड़की की चुत (भग) में डाल के उसके साथ मैं बिल्कुल आदमियों की तरह सहवास कर सकती हूँ और वही आज तेरे साथ मैं वही करूंगी... मुझे तंत्र मंत्र जादू टोने के लिए कभी कभार ऊर्जा की जरूरत पड़ती है... जिसे मैं तुझ जैसी लड़कियों के साथ सहवास करके प्राप्त करती हूं... वैसे तो मैं कई लड़कियों को अपने साथ बहला-फुसला करके या फिर सम्मोहित करके अपने घर ले आती थी और मेरा काम हो जाने के बाद, उन्हें दूर कहीं छोड़ आती थी और यह जरूर ठीक कर लेती थी कि बाद में उन्हें कुछ भी याद न रहे... आज तू मेरी है... आज मैं जो भी चाहती हूं, उसे वसूल करूँगी... तू तो जवान है... सुंदर है और सबसे बड़ी बात कुंवारी है... बड़े दिनों बाद मुझे तुझ जैसी लड़की मिली है... मैं जी भर के तुझे प्यार करूंगी... भोगुंगी तुझे… लेकिन तुझे सब कुछ याद रहेगा क्योंकि मैं यह जान गई हूं तुझे भी इसमें बड़ा मजा आने वाला है, क्योंकि दूसरी लड़कियों से थोड़ी अलग है... तेरे मन का झुकाव औरतों के तरफ भी है, तू उनकी खूबसूरती की तारीफ करती है… उनका साथ तुझे अच्छा लगता है… अगर कोई खूबसूरत है तू उसकी खूबसूरती की कद्र करती है… मैं जानती हूं तू और लड़कियों से बिल्कुल अलग है... शायद तुझे नहीं पता लेकिन तू इस बात को मान ले कि तू भी मेरी तरह समकामी है… मेरे साथ बड़ा मज़ा आएगा तुझे… मैं तुझे एक औरत का और एक मर्द का दुगना मजा दूंगी…”

“लेकिन...”, मेरे दिमाग में एक वाजिब सा सवाल था... उसे माँठाकुराइन भांप गई...

“चिंता मत कर... तेरे पेट में बच्चा नही आएगा...” माँठाकुराइन ने कहा, “इसके लिए तुझे एक मर्द की ही ज़रूरत पड़ेगी.... बाकी मैं भी एक औरत ही हूँ बस उम्र की वजह से मेरा मासिक रुक गया है.... हा हा हा मैने तो सिर्फ़ अपने भगांकुर अंग का विकास किया है.... देखेगी?”

यह कहकर उन्होंने अपने दो टांगों के बीच से वह कपड़ा हटा दिया और जो मैंने देखा उसे देखकर मैं दंग रह गई... मैंने देखा उनकी योनि बिल्कुल बाकी औरतों की तरह ही है... लेकिन उसके अंदर से एक लंबी सी, मोटी सी गुलाबी रंग की नली की तरह कुछ निकल आया है…

यही था उनका विकसित भागंकुर जिसे वह एक लिंग की तरह इस्तेमाल कर सकती थी…

कहां तो मैं यौनाग्नि में तड़प रही थी... कहाँ तो मैं सोच रही थी यहां इस वक्त अगर कोई मर्द होता तो कितना अच्छा होता... लेकिन जो मैंने देखा जो समझा उसकी मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... बड़े ताज्जुब की बात थी, लेकिन अंदर ही अंदर मुझे ना जाने क्यों इस बात की खुशी थी कि चलो, अब इतनी देर बाद मेरे अंदर जलती हुई आग को कोई बुझा सकेगी…

माँठाकुराइन ने कहा, “घबरा मत तू इसे हाथ में लेकर देख सकती है…”

मैंने उत्सुकतावश उनके उस अंग अपने हाथ में लिया| वह गीला गीला सा था... चिपचिपा सा… लिजलिजा सा था... उस पर शरीर के अंदर के रस लगे हुए थे... मुझे यह समझते देर न लगी कि कुछ ही देर में माँठाकुराइन अपना यह अंग मेरे भग में घुसा देंगी- वैसे ही जैसे एक आदमी एक औरत योनांग में अपना लिंग घुसा देता है- खैर मन ही मन मैं भी तो यही चाहती थी कि आज कोई ना कोई मेरे साथ सहवास करे... मेरे अंदर की प्यास को बुझा सके आखिर मैं बड़ी हो चुकी हूँ... मेरी जवानी का फल पक चुका है...

मैं एक अजीब सी प्यासी निगाहों से माँठाकुराइन की ओर देख रही थी… माँठाकुराइन मुझे देख कर मुस्कुरई… उन्हें शायद पता चल गया था कि अब देर नहीं करनी चाहिए…. उन्होंने मुझे पकड़कर धीरे-धीरे लिटा दिया फिर बड़े प्यार से मेरे चेहरे को सहलाने लगी और मेरे होठों को चूमने लगी…

वह तो खुद अध-लेटी अवस्था में बैठी हुई थी लेकिन मैं बिल्कुल खुली की खुली- नंगी उनके बगल में लेटी हुई थी…

वह मुझे चूमती गई है चाटती गई है... मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरती रही... मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह मेरे बदन में कुछ ढूंढ रही थी... और ना जाने क्यों मुझे ऐसा भी लग रहा था कि शायद उसे वह मिल गया था... लेकिन नहीं... वह रुकी नहीं वह मारे बदन पर हाथ फेरती गई… मानो जो उसे खजाना मिल गया था... उसे वह परख कर देखना चाहती थी…

“कितनी अच्छी है तू... कितनी प्यारी है तू... उम्र के हिसाब से तेरे बदन का विकास भी अच्छी तरह से हुआ है.... क्या लंबे बाल है तेरे घने- मुलायम और रेशमी... क्या बड़े-बड़े कसे कसे तने तने से दुद्दु (स्तन) है तेरे... तेरे बदन से और तेरे बालों से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है... तेरे कूल्हे भी सुडौल और मांसल है...” माँठाकुराइन बोलती गई, “जब मैंने पहली बार तुझे गुसलखाने में नहाते हुए देखा था, तो तेरी पीठ मेरी तरफ थी… लेकिन तब से ही मैं तुझे सामने से नंगी देखने के लिए तड़प रही थी… अच्छा हुआ आज तो मेरे साथ लेटी हुई है.... कुछ ही देर में मैं तुझ जैसी एक खिलती कली को एक अच्छा सा फूल बना दूंगी मेरे ऊपर भरोसा रख… मैं तेरी जिंदगी को एक नया मोड़ देने वाली हूं… पर हां; काश मैं तुझे पाल पाती”, यह कहकर उन्होंने अपनी कटी हुई थी उससे मेरे होठों को और मेरे गालों को कई बार चाटा मानो शायद वह मेरे बदन का स्वाद लेना चाहती थी…

मेरे अंदर कामना की आग बढ़ती जा रही थी... मेरी सांसे गहरी और लंबी हो रही थी और अब तो आवेग से मैं थोड़ा थोड़ा काँपने भी लगी थी... लेकिन माँठाकुराइन कहां रुकने वाली थी? उन्होंने मुझे प्यार करना जारी रखा.... मेरे पूरे बदन पर हाथ फेरती गई... और उसके बाद मेरे स्तनों को सहलाते हुए एक स्तन की चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी... और ऐसा करते हुए उनका एक हाथ मेरे दो टांगों के बीच में चला गया, वह मेरे भग को सहला सहला कर देख रही थी... मेरा भग गीला हो चुका था... रस छोड़ रही थी मैं... उन्हें पता चल गया कि अब मैं संभोग के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी हूं... अब देर नहीं करनी चाहिए…

मेरे से भी अब रहा नहीं जा रहा था मैं छटपटाने लगी थी... मैं चाहती थी कि माँठाकुराइन ऐसा कुछ करें जिससे मुझे थोड़ी शांति मिले...

मैंने अपनी कांपती हुई आवाज में आखिर बोल ही दिया, “माँठाकुराइन, कुछ कीजिए ना... मेरे बदन में आग सी जल रही है...”

“मैं जानती हूँ लड़की... यह आग मैंने ही जानबूझकर लगाई है...”

मुझे ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा वह धीरे-धीरे उठ कर बैठ गई और उन्होंने मेरी टांगों को पकड़कर काफ़ी फैला दिया... मेरी दोनो टाँगों के बीच अब इतना फासला था कि वह उनके बीच मे आ सके... उन्होने वैसा ही किया…

जादू टोने तंत्र मंत्र से तब्दील किया हुआ उनका भगांकुर अब - खड़ा और सक्त चुका था… बिल्कुल एक कृत्रिम लिंग जैसा…

उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरे यौनंग के अधरों को हल्के से थोड़ा खोला और उसके बाद उन्होंने अपने कृत्रिम लिंग जैसे रुपांतरित भागंकुर को मेरी योनि से छुयाया… बाहर बहुत तेज़ बिजली चमकी और कहीं से बहुत ज़ोरों से बादल गरजने की आवाज आई... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि वह बिजली जमीन पर ना गिर कर शायद मेरे ऊपर गिरी हो... मैं फिर से काँप उठी और न जाने क्यों मैंने अपनी कमर ऊपर उठा दी…

बस सर फिर क्या था माँठाकुराइन ने अपना रूपांतरित भगांकुर मेरे यौनंग के अंदर घुसा दिया…

इससे पहले कभी भी मेरे नारीत्व का उल्लंघन नहीं हुआ था, आज पहली बार था कि किसी दूसरे व्यक्ति का कठोर अंग मेरे कोमल अंग के अंदर घुसा हुआ हो… इसलिए मैं दर्द से कराह उठी… मेरी कौमार्य की झिल्ली फट गई…

माँठाकुराइन ने अपना अंग मेरे अंदर कुछ देर तक ऐसे ही रख छोड़ कर मेरे ऊपर लेटी रहीं... मैं उनके नीचे उनका वज़न से दबी हुई थी और एक कटी हुई मुर्गी की तरह छटपटा रही थी.... कुछ देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही अपने नीचे दबा के रखा और उसके बाद उन्होंने अपना भगांकुर निकाल लिया फिर एक लंबी सी सांस ली और दोबारा उन्होंने अपना अंग मेरे यौनांग में घुसा दिया…

“कितनी ताज़ी और कसी कसी-कासी सी है तू, वाह मजा आ गया…” माँठाकुराइन ने कहा और वह दुबारा मेरे उपर लेट गई… मेरे यौनांग में उनका अंग घुसा हुआ था और उनकी वज़न से मेरा शरीर दब रहा था... लेकिन यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... इससे पहले मुझे ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था... यह बिल्कुल नया नया लग रहा था|

माँठाकुराइन करीब दो मिनट तक मेरे ऊपर चुपचाप ऐसे ही लेटी रही| फिर उन्होंने मेरे से कहा, “चल लड़की अपना जीभ तो निकाल…”

मैंने वैसा ही किया| उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुंह के अंदर ले कर चूसने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे हिलने लगी और शुरू कर दी अपनी मैथुन लीला… मैने उनको कस कर जकड लिया…

सच कहूं तो इससे पहले मैंने किसी के साथ यौन संबंध नहीं बनाया था, हलाकि ऐसे ख्याल मेरे दिल में आते रहते थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक औरत जिसने अपना भागंकुर एक लिंग की तरह तब्दील किया हो; वह मेरी जवानी का लुफ्त उठाएगी... और मुझे भी एक अंजाने एहसास से भर देगी... पर इससे पहले मैं एक कुंवारी लड़की थी इसलिए माँठाकुराइन के लगाए हुए धक्के और उनका तब्दील किया हुआ भगांकुर जो कि फिलहाल मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... उससे मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन एक अनजानी संतुष्टि मिल रही थी.... इसलिए मैं कसमसाती रही- छटपटाती रही और माँठाकुराइन मेरे साथ मैथुन करती रही...

थोड़ी देर तक ऐसा चलने के बाद मानो मुझे ऐसा लगने लगा कि अब सबकुछ ठीक हो गया है.... मुझे अब इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी लेकिन माँठाकुराइन ने अपने मैथुन की गति बढ़ा दी… कुछ देर के लिए तो मुझे थोड़ा सुकून का एहसास हुआ लेकिन उसके बाद मुझे लगने लगा कि मेरा दम घुटने लगा है... ऐसा प्रतीत होने लगा कि मेरा पूरा शरीर उत्तेजना में शायद फट जाएगा ... पर माँठाकुराइन नहीं रुकी, उसका रूपांतरित भागंगकुर तेजी से मेरी योनि के अंदर अपनी क्रिया करता रहा... मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर ही थी को वह शायद अपने पूरे चाव से उसे चूसे जा रही थी…

और फिर अचानक मुझे लगा कि मेरी पूरी दुनिया में एक विस्फोट सा हुआ मेरा बदन दो तीन बार सिहर उठा और उसके बाद न जाने में एक अनजानी सुख सागर में डूब सी गई… लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरा यौनंग जिसने माँठाकुराइन के भगांकुर को निगल रखा था उसमें एक अजीब तरह का स्पंदन और संकुचन सा हो रहा है मानो मेरा यौनंग माँठाकुराइन के उस अंग को काटने की कोशिश कर रहा हो…

माँठाकुराइन ने और थोड़ी देर मेरे साथ मैथुन किया और उसके बाद वह भी ढीली पड़ गई और उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग कर लिया और थोड़ा सुसताने लगी फिर धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि उनका भगांकुर अब शिथिल पड़ने लग गया है…

उन्होंने अपना बदन मेरे बदन से अलग कर लिया और मेरे बगल में लेट गई फिर मेरे बालों को पकड़ कर के मेरा सिर अपने स्तनों के पास ले गई... मुझे उनका इशारा समझ में आ गया मैं उनकी एक स्तन की चूची अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और दूसरे स्तन की चुचि से खेलने लगी... माँठाकुराइन मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से को बड़े प्यार से सहलाने लगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था…

क्रमश:


* प्रासंगिक उदाहरण
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304
अध्याय ९


“क्या देख रही है लड़की? मेरी कटी हुई जीभ?”

मैंने फटी फटी आंखों से उनकी तरफ देखते हुए स्वीकृति में अपना सर हिलाया|

“हा हा हा हा| कोई बात नहीं मैंने जादू टोना और तंत्र विद्या सीखने के लिए बहुत ही कम उम्र में ने अपनी जीभ इस तरह से कटवा कर अपना खून चढ़ाया था- उन अंधेरे में रहनेवाली आत्माओं को… उन जादू टोने वाली रूहानी ताकतों को… जिनसे मुझे ऐसी जादुई ताकतें मिल सके... लेकिन यह फिर एक दूसरी लंबी कहानी है… इसके साथ-साथ जैसे जैसे मैं बड़ी होती हुई मुझे एहसास हुआ कि मर्दों की तुलना में मुझे लड़कियां ज्यादा पसंद है इसलिए मैंने एक सिद्धि और प्राप्त की…”

“कौन सी?” मैंने पूछा

माँठाकुराइन ने कहा, “एक ऐसी शक्ति जिससे मैं अपना भगांकुर बड़ा कर सकती हूं... मेरा भगांकुर बड़ा होकर लंबा होकर बिल्कुल एक आदमी की लिंग की तरह बन जाता है…”

माँठाकुराइन की बातें सुनकर मैं बिल्कुल हक्की बक्की रह गई थी पर मैंने पूछा, “क्या मतलब?”

“हा हा हा हा… मैं जानती थी कि तू अचंभे में पड़ जाएगी... बस तू इतना समझ ले की लड़कियों की चुत (भग) के ऊपरी हिस्से में एक मटर जैसा दाना सा होता है- उसे कहते हैं भगांकुर... इस भगांकुर की तुलना एक आदमी के लिंग से की जा सकती है... लेकिन तू तो एक लौंडिया ही है, तू क्या करेगी इंसान की शरीर रचना* के बारे में जानकर... तू लौंडिया है बस लौंडिया ही बन कर रह... पर अब तू नादान तो नहीं रही… बड़ी हो गई है... सबकुछ जान चुकी है… बस यह समझ ले कि मैंने वह सिद्धि प्राप्त कर ली है जिससे मैं अपना भगांकुर जब चाहे तब एक आदमी के लिंग की तरह बड़ा कर सकती हूं और उसे किसी भी औरत यह लड़की की चुत (भग) में डाल के उसके साथ मैं बिल्कुल आदमियों की तरह सहवास कर सकती हूँ और वही आज तेरे साथ मैं वही करूंगी... मुझे तंत्र मंत्र जादू टोने के लिए कभी कभार ऊर्जा की जरूरत पड़ती है... जिसे मैं तुझ जैसी लड़कियों के साथ सहवास करके प्राप्त करती हूं... वैसे तो मैं कई लड़कियों को अपने साथ बहला-फुसला करके या फिर सम्मोहित करके अपने घर ले आती थी और मेरा काम हो जाने के बाद, उन्हें दूर कहीं छोड़ आती थी और यह जरूर ठीक कर लेती थी कि बाद में उन्हें कुछ भी याद न रहे... आज तू मेरी है... आज मैं जो भी चाहती हूं, उसे वसूल करूँगी... तू तो जवान है... सुंदर है और सबसे बड़ी बात कुंवारी है... बड़े दिनों बाद मुझे तुझ जैसी लड़की मिली है... मैं जी भर के तुझे प्यार करूंगी... भोगुंगी तुझे… लेकिन तुझे सब कुछ याद रहेगा क्योंकि मैं यह जान गई हूं तुझे भी इसमें बड़ा मजा आने वाला है, क्योंकि दूसरी लड़कियों से थोड़ी अलग है... तेरे मन का झुकाव औरतों के तरफ भी है, तू उनकी खूबसूरती की तारीफ करती है… उनका साथ तुझे अच्छा लगता है… अगर कोई खूबसूरत है तू उसकी खूबसूरती की कद्र करती है… मैं जानती हूं तू और लड़कियों से बिल्कुल अलग है... शायद तुझे नहीं पता लेकिन तू इस बात को मान ले कि तू भी मेरी तरह समकामी है… मेरे साथ बड़ा मज़ा आएगा तुझे… मैं तुझे एक औरत का और एक मर्द का दुगना मजा दूंगी…”

“लेकिन...”, मेरे दिमाग में एक वाजिब सा सवाल था... उसे माँठाकुराइन भांप गई...

“चिंता मत कर... तेरे पेट में बच्चा नही आएगा...” माँठाकुराइन ने कहा, “इसके लिए तुझे एक मर्द की ही ज़रूरत पड़ेगी.... बाकी मैं भी एक औरत ही हूँ बस उम्र की वजह से मेरा मासिक रुक गया है.... हा हा हा मैने तो सिर्फ़ अपने भगांकुर अंग का विकास किया है.... देखेगी?”

यह कहकर उन्होंने अपने दो टांगों के बीच से वह कपड़ा हटा दिया और जो मैंने देखा उसे देखकर मैं दंग रह गई... मैंने देखा उनकी योनि बिल्कुल बाकी औरतों की तरह ही है... लेकिन उसके अंदर से एक लंबी सी, मोटी सी गुलाबी रंग की नली की तरह कुछ निकल आया है…

यही था उनका विकसित भागंकुर जिसे वह एक लिंग की तरह इस्तेमाल कर सकती थी…

कहां तो मैं यौनाग्नि में तड़प रही थी... कहाँ तो मैं सोच रही थी यहां इस वक्त अगर कोई मर्द होता तो कितना अच्छा होता... लेकिन जो मैंने देखा जो समझा उसकी मैंने उम्मीद भी नहीं की थी... बड़े ताज्जुब की बात थी, लेकिन अंदर ही अंदर मुझे ना जाने क्यों इस बात की खुशी थी कि चलो, अब इतनी देर बाद मेरे अंदर जलती हुई आग को कोई बुझा सकेगी…

माँठाकुराइन ने कहा, “घबरा मत तू इसे हाथ में लेकर देख सकती है…”

मैंने उत्सुकतावश उनके उस अंग अपने हाथ में लिया| वह गीला गीला सा था... चिपचिपा सा… लिजलिजा सा था... उस पर शरीर के अंदर के रस लगे हुए थे... मुझे यह समझते देर न लगी कि कुछ ही देर में माँठाकुराइन अपना यह अंग मेरे भग में घुसा देंगी- वैसे ही जैसे एक आदमी एक औरत योनांग में अपना लिंग घुसा देता है- खैर मन ही मन मैं भी तो यही चाहती थी कि आज कोई ना कोई मेरे साथ सहवास करे... मेरे अंदर की प्यास को बुझा सके आखिर मैं बड़ी हो चुकी हूँ... मेरी जवानी का फल पक चुका है...

मैं एक अजीब सी प्यासी निगाहों से माँठाकुराइन की ओर देख रही थी… माँठाकुराइन मुझे देख कर मुस्कुरई… उन्हें शायद पता चल गया था कि अब देर नहीं करनी चाहिए…. उन्होंने मुझे पकड़कर धीरे-धीरे लिटा दिया फिर बड़े प्यार से मेरे चेहरे को सहलाने लगी और मेरे होठों को चूमने लगी…

वह तो खुद अध-लेटी अवस्था में बैठी हुई थी लेकिन मैं बिल्कुल खुली की खुली- नंगी उनके बगल में लेटी हुई थी…

वह मुझे चूमती गई है चाटती गई है... मेरे पूरे बदन पर हाथ फिरती रही... मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद वह मेरे बदन में कुछ ढूंढ रही थी... और ना जाने क्यों मुझे ऐसा भी लग रहा था कि शायद उसे वह मिल गया था... लेकिन नहीं... वह रुकी नहीं वह मारे बदन पर हाथ फेरती गई… मानो जो उसे खजाना मिल गया था... उसे वह परख कर देखना चाहती थी…

“कितनी अच्छी है तू... कितनी प्यारी है तू... उम्र के हिसाब से तेरे बदन का विकास भी अच्छी तरह से हुआ है.... क्या लंबे बाल है तेरे घने- मुलायम और रेशमी... क्या बड़े-बड़े कसे कसे तने तने से दुद्दु (स्तन) है तेरे... तेरे बदन से और तेरे बालों से एक अजीब सी मदहोश कर देने वाली खुशबू आती है... तेरे कूल्हे भी सुडौल और मांसल है...” माँठाकुराइन बोलती गई, “जब मैंने पहली बार तुझे गुसलखाने में नहाते हुए देखा था, तो तेरी पीठ मेरी तरफ थी… लेकिन तब से ही मैं तुझे सामने से नंगी देखने के लिए तड़प रही थी… अच्छा हुआ आज तो मेरे साथ लेटी हुई है.... कुछ ही देर में मैं तुझ जैसी एक खिलती कली को एक अच्छा सा फूल बना दूंगी मेरे ऊपर भरोसा रख… मैं तेरी जिंदगी को एक नया मोड़ देने वाली हूं… पर हां; काश मैं तुझे पाल पाती”, यह कहकर उन्होंने अपनी कटी हुई थी उससे मेरे होठों को और मेरे गालों को कई बार चाटा मानो शायद वह मेरे बदन का स्वाद लेना चाहती थी…

मेरे अंदर कामना की आग बढ़ती जा रही थी... मेरी सांसे गहरी और लंबी हो रही थी और अब तो आवेग से मैं थोड़ा थोड़ा काँपने भी लगी थी... लेकिन माँठाकुराइन कहां रुकने वाली थी? उन्होंने मुझे प्यार करना जारी रखा.... मेरे पूरे बदन पर हाथ फेरती गई... और उसके बाद मेरे स्तनों को सहलाते हुए एक स्तन की चूची को अपने मुंह में लेकर चूसने लगी... और ऐसा करते हुए उनका एक हाथ मेरे दो टांगों के बीच में चला गया, वह मेरे भग को सहला सहला कर देख रही थी... मेरा भग गीला हो चुका था... रस छोड़ रही थी मैं... उन्हें पता चल गया कि अब मैं संभोग के लिए बिल्कुल तैयार हो चुकी हूं... अब देर नहीं करनी चाहिए…

मेरे से भी अब रहा नहीं जा रहा था मैं छटपटाने लगी थी... मैं चाहती थी कि माँठाकुराइन ऐसा कुछ करें जिससे मुझे थोड़ी शांति मिले...

मैंने अपनी कांपती हुई आवाज में आखिर बोल ही दिया, “माँठाकुराइन, कुछ कीजिए ना... मेरे बदन में आग सी जल रही है...”

“मैं जानती हूँ लड़की... यह आग मैंने ही जानबूझकर लगाई है...”

मुझे ज्यादा दिन इंतजार नहीं करना पड़ा वह धीरे-धीरे उठ कर बैठ गई और उन्होंने मेरी टांगों को पकड़कर काफ़ी फैला दिया... मेरी दोनो टाँगों के बीच अब इतना फासला था कि वह उनके बीच मे आ सके... उन्होने वैसा ही किया…

जादू टोने तंत्र मंत्र से तब्दील किया हुआ उनका भगांकुर अब - खड़ा और सक्त चुका था… बिल्कुल एक कृत्रिम लिंग जैसा…

उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरे यौनंग के अधरों को हल्के से थोड़ा खोला और उसके बाद उन्होंने अपने कृत्रिम लिंग जैसे रुपांतरित भागंकुर को मेरी योनि से छुयाया… बाहर बहुत तेज़ बिजली चमकी और कहीं से बहुत ज़ोरों से बादल गरजने की आवाज आई... लेकिन मुझे ऐसा लग रहा था कि वह बिजली जमीन पर ना गिर कर शायद मेरे ऊपर गिरी हो... मैं फिर से काँप उठी और न जाने क्यों मैंने अपनी कमर ऊपर उठा दी…

बस सर फिर क्या था माँठाकुराइन ने अपना रूपांतरित भगांकुर मेरे यौनंग के अंदर घुसा दिया…

इससे पहले कभी भी मेरे नारीत्व का उल्लंघन नहीं हुआ था, आज पहली बार था कि किसी दूसरे व्यक्ति का कठोर अंग मेरे कोमल अंग के अंदर घुसा हुआ हो… इसलिए मैं दर्द से कराह उठी… मेरी कौमार्य की झिल्ली फट गई…

माँठाकुराइन ने अपना अंग मेरे अंदर कुछ देर तक ऐसे ही रख छोड़ कर मेरे ऊपर लेटी रहीं... मैं उनके नीचे उनका वज़न से दबी हुई थी और एक कटी हुई मुर्गी की तरह छटपटा रही थी.... कुछ देर तक उन्होंने मुझे ऐसे ही अपने नीचे दबा के रखा और उसके बाद उन्होंने अपना भगांकुर निकाल लिया फिर एक लंबी सी सांस ली और दोबारा उन्होंने अपना अंग मेरे यौनांग में घुसा दिया…

“कितनी ताज़ी और कसी कसी-कासी सी है तू, वाह मजा आ गया…” माँठाकुराइन ने कहा और वह दुबारा मेरे उपर लेट गई… मेरे यौनांग में उनका अंग घुसा हुआ था और उनकी वज़न से मेरा शरीर दब रहा था... लेकिन यह सब मुझे बहुत अच्छा लग रहा था... इससे पहले मुझे ऐसा एहसास कभी नहीं हुआ था... यह बिल्कुल नया नया लग रहा था|

माँठाकुराइन करीब दो मिनट तक मेरे ऊपर चुपचाप ऐसे ही लेटी रही| फिर उन्होंने मेरे से कहा, “चल लड़की अपना जीभ तो निकाल…”

मैंने वैसा ही किया| उन्होंने मेरी जीभ को अपने मुंह के अंदर ले कर चूसने लगी और फिर धीरे-धीरे उन्होंने अपनी कमर को ऊपर नीचे ऊपर नीचे हिलने लगी और शुरू कर दी अपनी मैथुन लीला… मैने उनको कस कर जकड लिया…

सच कहूं तो इससे पहले मैंने किसी के साथ यौन संबंध नहीं बनाया था, हलाकि ऐसे ख्याल मेरे दिल में आते रहते थे, लेकिन मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि एक दिन एक औरत जिसने अपना भागंकुर एक लिंग की तरह तब्दील किया हो; वह मेरी जवानी का लुफ्त उठाएगी... और मुझे भी एक अंजाने एहसास से भर देगी... पर इससे पहले मैं एक कुंवारी लड़की थी इसलिए माँठाकुराइन के लगाए हुए धक्के और उनका तब्दील किया हुआ भगांकुर जो कि फिलहाल मेरी योनि के अंदर बाहर हो रहा था... उससे मुझे थोड़ी तकलीफ हो रही थी लेकिन एक अनजानी संतुष्टि मिल रही थी.... इसलिए मैं कसमसाती रही- छटपटाती रही और माँठाकुराइन मेरे साथ मैथुन करती रही...

थोड़ी देर तक ऐसा चलने के बाद मानो मुझे ऐसा लगने लगा कि अब सबकुछ ठीक हो गया है.... मुझे अब इतनी तकलीफ नहीं हो रही थी लेकिन माँठाकुराइन ने अपने मैथुन की गति बढ़ा दी… कुछ देर के लिए तो मुझे थोड़ा सुकून का एहसास हुआ लेकिन उसके बाद मुझे लगने लगा कि मेरा दम घुटने लगा है... ऐसा प्रतीत होने लगा कि मेरा पूरा शरीर उत्तेजना में शायद फट जाएगा ... पर माँठाकुराइन नहीं रुकी, उसका रूपांतरित भागंगकुर तेजी से मेरी योनि के अंदर अपनी क्रिया करता रहा... मेरी जीभ उनके मुँह के अंदर ही थी को वह शायद अपने पूरे चाव से उसे चूसे जा रही थी…

और फिर अचानक मुझे लगा कि मेरी पूरी दुनिया में एक विस्फोट सा हुआ मेरा बदन दो तीन बार सिहर उठा और उसके बाद न जाने में एक अनजानी सुख सागर में डूब सी गई… लेकिन मैंने महसूस किया कि मेरा यौनंग जिसने माँठाकुराइन के भगांकुर को निगल रखा था उसमें एक अजीब तरह का स्पंदन और संकुचन सा हो रहा है मानो मेरा यौनंग माँठाकुराइन के उस अंग को काटने की कोशिश कर रहा हो…

माँठाकुराइन ने और थोड़ी देर मेरे साथ मैथुन किया और उसके बाद वह भी ढीली पड़ गई और उन्होंने अपना मुंह मेरे मुंह से अलग कर लिया और थोड़ा सुसताने लगी फिर धीरे-धीरे मुझे लगने लगा कि उनका भगांकुर अब शिथिल पड़ने लग गया है…

उन्होंने अपना बदन मेरे बदन से अलग कर लिया और मेरे बगल में लेट गई फिर मेरे बालों को पकड़ कर के मेरा सिर अपने स्तनों के पास ले गई... मुझे उनका इशारा समझ में आ गया मैं उनकी एक स्तन की चूची अपने मुंह में लेकर चूसने लगी और दूसरे स्तन की चुचि से खेलने लगी... माँठाकुराइन मेरे दो टांगों के बीच के हिस्से को बड़े प्यार से सहलाने लगी, मुझे बहुत अच्छा लग रहा था…

क्रमश:


* प्रासंगिक उदाहरण
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Awesome update.
Kai kahani me lesbian ya dildo se jude sex kahani padji par pahli bar padh raha ki kale jadu se aurat ko ling hua aur usne mardo jaisa sex kiya .
 
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Awesome update.
Kai kahani me lesbian ya dildo se jude sex kahani padji par pahli bar padh raha ki kale jadu se aurat ko ling hua aur usne mardo jaisa sex kiya .
आपके मूल्यवान कमेंट के लिए धन्यवाद Ironman,

आज से बहुत साल पहले मैं और मेरी कुछ सहेलियां कॉलेज की लाइब्रेरी में बैठकर कुछ किताबें पढ़ रही थी, उसके बाद रात को चुपके चुपके बीयर पीते पीते मेरे दिमाग में यह ख्याल आया था और जैसे ही मैंने इसका जिक्र अपनी सहेलियों से किया तो सब के सब ठहाका मारके हंस पड़े थे... और उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं इस कांसेप्ट को लेकर के एक कहानी क्यों न लिख दो... लेकिन उस वक्त पढ़ाई का बहुत प्रेशर था, कैरियर बनाने की चिंता लगी रहती थी; इसलिए उन दिनों मैंने ऐसी कोई कहानी लिखना सखी, पर इस घटना के काफी समय बाद मैंने यह कहानी लिखी थी और इसको मैंने आप सबके सामने प्रस्तुत किया|

आशा है, मेरी फैंटेसी आप लोगों को भी अच्छी लगी होगी|
 

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आपके मूल्यवान कमेंट के लिए धन्यवाद Ironman,

आज से बहुत साल पहले मैं और मेरी कुछ सहेलियां कॉलेज की लाइब्रेरी में बैठकर कुछ किताबें पढ़ रही थी, उसके बाद रात को चुपके चुपके बीयर पीते पीते मेरे दिमाग में यह ख्याल आया था और जैसे ही मैंने इसका जिक्र अपनी सहेलियों से किया तो सब के सब ठहाका मारके हंस पड़े थे... और उन्होंने मुझसे कहा था कि मैं इस कांसेप्ट को लेकर के एक कहानी क्यों न लिख दो... लेकिन उस वक्त पढ़ाई का बहुत प्रेशर था, कैरियर बनाने की चिंता लगी रहती थी; इसलिए उन दिनों मैंने ऐसी कोई कहानी लिखना सखी, पर इस घटना के काफी समय बाद मैंने यह कहानी लिखी थी और इसको मैंने आप सबके सामने प्रस्तुत किया|

आशा है, मेरी फैंटेसी आप लोगों को भी अच्छी लगी होगी|
Ha achhi lagi.
Aapki ek fantasy puri ho gayi??
 

naag.champa

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अध्याय १०

उस रात माँठाकुराइन ने मेरे साथ कुल तीन बार सहवास किया... दूसरी और तीसरी बार मुझे इतनी तकलीफ नहीं हुई जितनी कि पहली बार हुई थी... उसके बाद पता नहीं कब मैं सो गई थी| जब उठी तो मैंने देखा कि दिन चढ़ आया है|

मैं उठ कर बैठी और मैंने देखा की चटाई पर जगह-जगह मेरे खून के धब्बे बने हुए थे, माँठाकुराइन ने जब अपना भागंकुर मेरे भग में घुसाया था, तब मेरी कौमर्य झिल्ली फट गई थी… और यह खून के धब्बे उसी का नतीजा था… मैं थोड़ा मुस्कुराई और मैंने सोचा अब मैं खिलती हुई कली से एक फूल बन चुकी हूं... मैं अपनी ज़िंदगी की एक सीधी और चढ़ चुकी हूँ…

लेकिन कल रात जो मेरे साथ हुआ, उसकी वजह से मेरे बदन में हल्का हल्का दर्द सा महसूस हो रहा था| खासकर दो टांगों के बीच में... मेरे गुप्तांग में... कि इतने में पता नहीं कब माँठाकुराइन की भी नींद खुल गई थी|

मैं आगे की तरफ झुकी हुई थी| मेरे खुले बालों से मेरे चेहरे का एक तरफ ढक सा गया था| मैं मन ही मन मुस्कुराती हुई अपने कोमल अंग को सहला रही थी...

उन्होंने मेरे चेहरे से मेरे बाल हटाए और मेरे गालों को चूमा| मैं जैसे ही उनकी तरफ देखी, उन्होंने प्यार से मेरा चेहरा अपनी दोनों हथेलियों में लेकर मेरे होठों को चूमा और फिर अपनी जीभ से चाटा...

बीती रात की गर्मी मेरे अंदर शायद अभी भी बची हुई थी| इसलिए मैंने अपना मुंह खोल कर उनकी जीभ को अपने मुंह के अंदर के ले कर और चूसने लगी…

कुछ देर बाद उन्होंने मेरे से कहा, “तेरी जवानी का स्वाद तो मैंने चख लिया लड़की… बहुत अच्छा लगा मुझे... लेकिन मुझे एक चीज और भी चाहिए वह मैं तुझे वक्त आने पर ही बताऊंगी… फिलहाल तुझे अपनी छाया मौसी के साथ अपनी जिंदगी बितानी है... और आज के बाद एक बात का साफ साफ ध्यान रखना लड़की, तू अब वैसी नहीं रही जैसा पहले थी आज के बाद ना तो यह तेरी छाया मौसी है और ना ही तू इस की भांजी... आज के बाद से तुम दोनों का रिश्ता बिल्कुल बदल गया है| तेरी छाया मौसी अब तेरी मालकिन है, और तू उसकी नौकरानी- एक दासी, एक बांधी समझ ले एक रखैल है| तेरी छाया मालकिन तुझसे जैसा जैसा कहेगी, आज के बाद तुझे बिल्कुल वैसा वैसा ही करना होगा। आज के बाद तेरी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद है- अपनी छाया मालकिन का ख्याल रखना, उनकी उनकी सेवा करना और उन को खुश रखना... मैंने अपनी तांत्रिक शक्तियों से ऐसा इंतजाम कर दिया है कि एक महीने के अंदर अंदर तेरी छाया मालकिन का भागांगकुर भी एक पुरुष के लिंग की तरह विकसित हो जायेगा- जैसा कि मेरा हो चूका है- वह भी मेरी तरह तेरे भाग में अपना रूपांतरित भागांगकुर को तेरे भाग में भग में डालकर मैथुन कर पाएगी।।। इसलिए याद रखना, लड़की तू तेरी मालकिन की रखैल है... इसलिए अपनी मालकिन को यौनरूप से संतुष्ट करना भी तेरा कर्त्तव्य है… इसलिए चिंता मत कर तेरे बदन की जो भूख है वह ऐसे ही नहीं मरेगी... मैंने कहा ना? मुझ पर भरोसा रख; मैं तेरी जिंदगी बदल दूंगी...”

न जाने क्यों मुझे ऐसा लग रहा था की माँठाकुराइन मेरे से यह कहना चाह रही हैं कि आज के बाद मुझे और विनम्र हीन और आज्ञाकारी बनकर रहना होगा मुझे अपनी सारी शर्मो-हया को त्यागना होगा और इस लिहाज़ से मुझे अब ज़्यादातर समय नंगी ही रहना होगा...



हाँ, माँठाकुराइन ने जैसे मेरे उपर एक जादू सा कर दिया था... मैं पूरी की पूरी उनके वश में थी...

***

माँठाकुराइन हमारे घर कुल तीन दिन तक रुकी| इन तीन दिनों में हर रात को उन्होंने मुझसे छाया मौसी की मालिश करवाई फिर उन्होंने खुद अपनी मालिश करवाई और उसके बाद उस दिन रात की तरह मुझे अपने साथ लेकर सोई और मेरे साथ लगातार उन्होंने सहवास भी किया...

अब तो मुझे इसकी लत लग गई थी| माँठाकुराइन को यह समझ में आ गया था, उन्होंने कहा कि वह कुछ महीनों बाद फिर हमारे घर आएँगी… लेकिन इस बार वह छाया मौसी के जोड़ों का दर्द का इलाज करने नहीं आएँगी… बल्कि उन्होंने मुझसे जो वादा किया था वो निभाने आएगी… ताकि छाया मौसी भी इस काबिल हो सके वह मेरे बदन की भूख को मिटा सके...

***

छह महीने बीत गये... माँठाकुराइन हमारे घर आई थी... इस बार वह करीब एक हफ्ता हमारे घर रुकीं... उसके एक महीने के अंदर ही मैंने छाया मौसी के अंदर एक बदलाव सा देखा... छाया मौसी अब इस काबिल हो चुकी थी कि वह मुझे यौनरूप से खुश रख सके… माँठाकुराइन ने अपना वादा पूरा कर दिया था... छाया मौसी का भागंकुर भी अब विकसित हो चुका था| वह भी अब उसे मेरे भग एक लिंग की तरह घुसा कर मैथुन कर सकती थी… न जाने वह मुझ गरीब से अब माँठाकुराइन क्या मांगने वाली थी?

पर कभी कबार मैं सोचती हूँ….

माँठाकुराइन तो एक समकामी औरत थी और पेशे से जादू टोने वाली एक तांत्रिक| तांत्रिक लोगों के तौर-तरीके कुछ और ही होते हैं| वह समाज से लगभग अकेले अपनी ही दुनिया में अलग रहते हैं और माँठाकुराइन जैसी तांत्रिक महिला भी अकेली ही रहा करती थी|

शायद इसीलिए उस रात को उन्हें मेरे सहारे की... मेरी जवानी की जरूरत पड़ी थी... जो उन्हें मिल गई... लेकिन छाया मौसी उनकी बातों आख़िर में क्यों आ गई?

एक आम लड़की की तरह शायद कुछ दिनों बाद मेरी भी शादी हो जाती| तब मुझे भी अपने ससुराल चले जाना पड़ता| क्या छाया मौसी चाहती थी कि मैं अभी कुछ और सालों तक उनके साथ ही रहूं, उनकी देखभाल करूँ और उनका अकेलापन दूर करती रहूं?

जाते जाते माँठाकुराइन ने कहा था कि उनको मुझसे एक और चीज की भी जरूरत है... कहीं उन्होंने ऐसा ही कुछ छाया मौसी से भी तो नहीं कह रखा था?

मैंने छाया मौसी की तरफ एक बार देखा, उनकी सेहत में काफी सुधार आया था, वह रसोई घर में बैठकर सब्जियां काट रही थी और बीच-बीच में अपने गले में पहने हुए चाँदी के लॉकेट को सहला रही थीं|

जहाँ तक मुझे पता है, यह लाकेट उन्होने बचपन से पह्न रखा था पर उनका का नाम लिखा हुआ था- छाया...

पता नहीं शायद कभी ना कभी मुझे इन सवालों का जवाब जरुर मिलेगा…

तभी तेज हवा सी चली और मेरा ध्यान जासे पहले की तरह भटकने लगा….

मुझे अचानक से ध्यान आया… अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... उसके बाद मुझे छाया मौसी का हाथ भी बटाना है और फिर रात को उनकी सेवा भी करनी है... उनकी सेवा का ख्याल मन में आते ही मुझे महसूस होने लगा कि पेट के निचले हिस्से में थोड़ी गुदगुदी सी महसूस होने लगी… मेरी यौनांग के आस-पास का हिस्सा गीला व थोड़ा चिपचिपा सा लग रहा है…

फिर से तेज़ हवा का एक झोंका आया… और मुझे यह एहसास हुआ खड़े खड़े ना जाने मैं क्या सोच रही थी... अभी घर के बहुत सारे काम बाकी पड़े हैं... मुझ रखैल को तो अभी अपनी छाया मौसी की सेवा करनी है... उन्हें शिकायत का कोई मौका नहीं देना है... उनको और माँठाकुराइन को हमेशा खुश रखना है|

मुझे सब कुछ त्यागना होगा... अपना सारा गर्व... अपना सारा सनमान... माँठाकुराइन के अनुसार जब तक मैं घर के अंदर हूं, मुझे उन लोगों के सामने बिल्कुल नंगी होकर रहना पड़ेगा और हां मुझे तो अपने बालों को भी बांधने की इजाजत नहीं है...

फिलहाल मैं एक जवान सुंदर लड़की हूं... मेरा भविष्य मेरे दो टांगों के बीच में ही है... मेरा तन मन धन सब कुछ छाया मौसी और माँठाकुराइन के अधीन है|

-x-x-x- समाप्त -x-x-x-
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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बहुत सुंदर.............. एक अनूठी........अविस्मरणीय कथा
आपका अंदाज ही निराला है
 
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