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Incest ❣️ घर की ज़िम्मेदारी ❣️ [Completed]

आप की पंसदीता लड़की/औरत

  • सुमित्रा

    Votes: 35 50.7%
  • पारुल

    Votes: 30 43.5%
  • नेहा

    Votes: 4 5.8%

  • Total voters
    69

Underground Life

Your Cute Smile Make Me Melt Like Ice
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Update 11

**रात के 11 बजे ट्रेन में**

पहला आदमी – ध्यान से भाई...कोई जल्दबाजी नहीं....

दूसरा आदमी – हा... हा... तू अपना काम देख...

सूरज पारुल की हवा में लहरा रही जुल्फो को निहार पारुल की और प्यार से देख रहा था...पारुल के तन बदन को ठंडी हवाएं और अथिक निखार रही थी...उसके वहा में लहरा रहे बाल जैसे किसी समंदर की लहरे हो...उसकी गहरी काली आखें हर लहर के साथ बंद होती...और उसके होठों पे एक प्यारी सी मुस्कुराहट ले आती... सूरज का बड़ा मन हो गया था की पारुल को अपनी बाहों ने भर ये सफर को और यादगार बना दे...पर एक अजीब सी जीजक शर्म उसे ये करने से रोक देती...वही पारुल का भी दिल उसे बार बार बोल रहा था कि उसे सूरज अपनी गर्म बाहों में कस के थाम ले...और वो फिर से सूरज के सीने पे सर रख बाकी की यात्रा तय करे... सूरज के दिल के पास उसे कितना सुकून मिला था उसे याद आ रहा था...और यही सोच वो शर्म से लाल हो जाती...सूरज का कोई जवाब या हरकत ना करने पे एक पल ke लिए तो उसे हुआ की खुद उठ के अपने पति की गोद में चली जाई...पर बिचारी हिम्मत नही कर पाई...पारुल से ये दूरियां अब सही नही जा रही थी... एक सुहागन स्त्री के लिए अपने पति का ऐसा व्यवहार गवारा नहीं था...पारुल का बड़बोला पन उसे ज्यादा रोक नही पाया वो बोली....

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पारुल – (पारुल की आखें नम थी) आप हमे इतना अनदेखा क्यों कर रहे हो...

सूरज – ऐसा कुछ नही भाभी....

पारुल – (गुस्सा होके..और रोते हुए) देखिए हम आप की भाभी नही अब ये बात आप समझ लीजिए... हम यहां सब भुला के एक नई शुरुआत करने वाले थे...और आप बार बार हम सब याद दिला देते हो... क्या हमे उनकी याद नही आती...लेकिन आप का दिल न दुखी इस लिए हम आप के सामने ऐसे...पर आप को क्या है....(रोते हुए)

सूरज अपनी पत्नी के मुंह से ये सब सुन किसी पत्थर जैसे जम के सब सुन रहा था...उसका दिल जोर से धड़क रहा था...

सूरज – भा...पारूलजी...में कोशिश कर रहा हु...आप रो क्यों रही हो...

पारुल – हा हम जानते है...हम आप से बड़े हे...आप के काबिल नही...आप को क्यों हम अच्छे लग सकते है...आप को तो नेहा से प्यार है...वो कहा हम कहा...हम तो गांव की अनपढ़ गंवार लड़की है...

सूरज – पारूलजी ये क्या बोल रही हो आप...मेने ऐसा कभी नहीं सोचा.... बल्कि आप तो....(सूरज बोलता हुआ रुक गया...)

पारुल – क्या....(गुस्सा दिखाते हुए)

सूरज – पारूलजी... हा मेरा पहला प्यार नेहा थी...लेकिन क्या आप पता है मेने उस में आप की झलक देखी थी...में उस में आप को ही खोज रहा था... हा...आप को जब पहली बार मैने देखा था में आप की खूबसूरती और संस्कार का दीवाना बन बैठा था...बाद में पता चला आप मेरी नही हो सकती... उस दिन से में हर लड़की में आप को ही खोज रहा था...और अब जब आप सिर्फ मेरी हो...में किसी और के बारे में सोच भी केसा सकता हु...

सूरज अपनी बर्थ से खड़ा हो कर पारुल की... आखों में आंखे डाल उसे अपने दिल की बात बता रह था...सूरज पारुल के एक दम करीब आके बैठा और दोनो इतना करीब थे की एक दुसरे की तेज सासो की गर्माहट साफ महसूस कर रहे थे...अपने पति को अपने इतना पास आते देख पारुल की आखें शर्म से झुक गई...

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सूरज ने अपना एक हाथ पारुल की पतली सी कमर पे रख दूसरे हाथ से अपनी चांद सी खूबसूरत जीवन संगनी के शर्म से झुके हुए चहरे को ऊपर उठा के उसे निहारने लगा...पहली बार सूरज अपनी भाभी और अब अपनी पत्नी को इतना पास से एक टक निहार रहा था...चांद में बेशक कही डाग थे लेकिन अपनी पत्नी पारुल के चांद से गोरे मुख पे एक डाग न था...सूरज की नजर अपनी पत्नी के गुलाब की पंखुड़ी जैसे गुलाबी होठ पे गई...पारुल की आखें बंद हो गई थी...वो उसका भरा सीना तन के ब्लाउज को जेसे फाड़ देने की फिराक में था... सूरज के सीने पे पारुल के उभरे सुडोल उरोज लग रहे थे और दोनों को ये स्पर्श उत्तेजित कर रहा था...आंखे बंद होते ही पारुल का दिल अपने पति के होठों को अपने करीब आता देख...पा के तड़प रही थी...उसे इस नई होने वाले होठों के मिलन के बारे में सोच कर ही लज्जा की मारी.. काप उठी थी...

तभी सूरज को किसी के आने की आहट सुनाई दी...और सूरज अपनी बर्थ पे बैठ गया...पारुल की हालत जैसे बिन पानी की मछली जैसी हो उठी...उसके मुंह पे अपने निराशा साफ जलक रही थी....वो हड़बड़ा गई ये सोच के की क्या सोच रहा होगा सूरज उसके बारे... उसे अपना होस संभाल के रखना चाहिए था...वो कैसे इतना करीब आने वाली थी सूरज के...इतना क्यों बहक रही हैं वो...


वही सूरज भी अपन होस में आते ही फिर से अपने आप को ही गलत समझने लगा की वो अपनी भाभी के इतना करीब क्यों गया...उसे पारुल में अचानक ही अपनी भाभी नजर आने लगी...वो बैचेन हो उठा...सूरज का जैसे दम घुट रह था...वो खड़ा हो के बाहर जानें लगा...की वो एक आदमी से टकरा गया...लेकिन वो आग बड़ गया...जैसे ही वो ट्रेन के दरवाजे पे गया...उसके सर को कोई पकड़ के पटक दिया... सूरज की आखें बंद होने लगी...

दूसरा आदमी – ये तो खुद ही अपनी जाल में आ गया...

दोनो मिल के सूरज के हाथ पैर बांध दिए और उसके मुंह को बंद कर दिया...और सूरज को होस में ले आई पानी डाल के...

पहला आदमी – कहा भाई कहा जा रहे थे आप अपने माल को ऐसे अकेला छोड़ के...

दूसरा आदमी – चल कोई नही अब हम हैं न भाभी के साथ सुहागरात मनाने के लिए...

पहला आदमी – क्या बे लोड़े इतना क्यों गुस्सा हो रहा... तू भी देख सकता है अपनी पत्नी को दो मर्द के साथ संभोग करते... आज कल तो सब पति का ये सोच ही खड़ा हो जाता है.... हा हा...

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दूसरा – देख देख कैसे घूर रहा है जैसे अभी हमे मार ही डालेगा... साले नल्ले नामर्द अपनी जोरू को तो बचा नही पायेगा और हमे गुस्सा दिखा रहा है...

पहला आदमी – चल भाई ज्यादा समय नहीं...चल पहले उसे तैयार करते है फिर इसे ले आएंगे...

दोनो सूरज को टॉयलेट में डाल दिए...

पहला आदमी – चल तू भाभी को तैयार कर में यही रह के पहरा दे रहा...

पारुल का दिल बैचेन हो रहा था "अभी तक क्यों नही आई वो" पारुल अचानक ही उस काले पतले से आदमी को उसे घूरता अजीब सा महसूस हुआ...उसे अब डर लगने लगा था...की दूसरे ही पल वो अपना रुमाल निकल पारुल के मुंह पे रख उसे बेहोश कर देता है...वो उस बर्थ पे लेटा देता है और पारुल की खूबसूरत आखों में खो गया..."कितनी प्यारी लड़की है सोते हुए तो किसी राजकुमारी जैसी लगती है..."

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वो आदमी गहरी सोच में चला गया...और उसे पारुल में उसका पहला प्यार दिखने लगा......"कितनी प्यारी हो तुम... चाह के भी तुम से कोई नफरत नहीं कर सकता..." वो वही बैठ पारुल के सर को अपने हाथों से उठा के अपनी गोद में रख उसके बालो को सहलाने लगा...पारुल का मासूम सा चेहरा उसे अपना दीवाना बना बैठा था अब वो नही चाहता था कि पारुल के साथ कुछ भी गलत हो...अब वो पारुल को अपनी पत्नी के रूप में देखने लगा...और पारुल का मुलायम हाथ अपने हाथ में लेकर उसे चूम लिया..और अब वो अपने काले फटे हुए होठ पारुल के नाजुक गुलाबी रंग के होठों पे रखने को उतावला होते हुए अपना सर नीचे कर धीरे धीरे पारुल के करीब आ रहा था... उसे पारुल के बदन से एक कामुक सुगंध आ रही थी... और उसे और अधिक पागल बना रही थी..

To be continued......
 
Last edited:

Vishalji1

I love women's @ll body part👅lick(peelover)
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Le bhai Suraj ke ghar me kand hone se pehle Neha ke ghar me kand ho gya wo bhi bap ne hi kiya
 
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Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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Updated 04

उस रात जब सूरज और पारुल घर से निकले थे...गांव में....
सुमित्रा अपने घर के काम कर उसके कमरे की और जाने लगी... बाहर हल्की हल्की बारिश चालू थी.. मौसम में एक बदामोशी सी छाई हुई है...उसकी आंखों में चमक थी...वो कमरा खोल अंदर आते ही पहले खिड़की दरवाजे बंद कर.. अपने पति की और प्यार से देखते हुए एक एक कर अपनी सारी को अपने गोरे मखमले बदन से अलग कर दी... सुमित्रा किसी अप्सरा से अधिक कामुकता कमरे में फेला रही थी जैसे अपने पति की सालो की तपस्या उसे आज तोड़नी हो...

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सुमित्रा के सुडोल स्तन इसके ब्रा के बिना पहले हुए ब्लाउज में जैसे घुटन महसूस कर रही रहे थे और उन्हें बस बाहर आना था...

सामने बैठे सूरज के पापा अपनी किताब पड़ने में व्यस्थ थे... वो किताबी किरदारों में खोए हुए थे और अपनी खूबसूरत प्यारी पत्नी को रोज की तरह आज भी नजरंदाज कर रहे थे...लेकिन आज जैसे सूरज की मां बेहत अथिक उत्तेजित हो रही थी....

सूरज की मां को वो रात रात याद आ गई जब शादी के पूरे 6 महीनो बाद जब उसके पति ने उसके साथ कोई संबंध न बनाया वो कैसे खुद ही अपनी मां की सिखाई बात के मुताबिक अपने ब्लाउस को खुला कर उसके पति के पास सो गई थी और फिर जैसे तैसे उसके गुस्सेल सख्त लेकिन एक दम न समझ और सरमले औरतों के साथ... उन्होंने उसके स्तनों को हाथ लगाया और फिर... तो विक्रम अपनी पत्नी की जवानी देख पागल हुआ और सुमित्रा की थोड़ी साथ सहकार से पहला मिलन कर बैठा....

पति को पड़ने देते हुए सुमित्रा अपने ब्लाउज के कुछ बटन खोल उसके पति की और हो कर लेट गई... और पेटीकोट घुटनों तक ले आई...अगर कोई और होता तो अभी तक सुमित्रा को निचोड़ के रख दिया होता...

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अब था तो विक्रम भी एक मर्द ही... हा अंदर से बहोत कामुक कल्पनाएं करता था.. पर अपनी पत्नी के साथ किताबो और फिल्मों में जैसे करते हे वैसे उसे संभोग क्रिया करने में मन ही मन सपने देखता पर... सूरज के पापा थे एक दम सरमिले औरतों के साथ... कभी अपनी पत्नी को भी सभोग के लिए बोल नही पाते...नही वो सामने से इस में दीनचस्पी दिखाते... उन्होंने एक ऐसी छवि बना रखी थी बाहर निकल की वो अब बंद कमरे में अपनी पत्नी के साथ भी वैसे ही रहते जैसे बड़े संत महात्मा हो...लेकिन वो थे नही...और ये बात बिचारी सूरज की मां को भी न पता थी... नहीं तो वो इतने सालो से अपनी काम इच्छा को हर रोज मार न देती....

विक्रम का लिंग उसे उत्तेजित करने लगा था फिर भी वो अपने स्वभाव में के कारण पत्नी ने खुले ब्लाउज में से बाहर आ रहे स्तन को देख बोला

विक्रम – ये क्या है... तुम्हे कितनी बार बोलूं... कपड़े सही कर के सोया करो कोई देख लेगा तो क्या इज्जत रह जाएगी...

सुमित्रा – (नाराजगी और कामुकता के साथ) कोई नही देख रहा उन्हे... दरवाजा खुला थोड़ी है..और वैसे भी घर में सिर्फ जेठ जी है... देखिए ना जी इन्हे..(ब्लाउज के और बटन खोल के) कितने भारी हो गई है दर्द हो रहा है आप जरा देखिए तो कही फिर से दूध तो नहीं आने लगा..(हस के बोली)

विक्रम – (विक्रम के मुंह में पानी आने लगा था उसकी पत्नी के सुडोल स्तन महीनो बाद देख..वाकई में स्तन और भारी लग रहें थे उसे) क्या भाग्यवान क्यू मजाक करती हो...(थोड़ा मजाक करते हुए) अगर तुम्हे दूध आ रहा हो तो अपने बेटे को पिला देना...(हस के)

सुमित्रा – (हस के) अगर आप को नही चाइए मेरा दूध तो सुरज को पीला दू...पर आज तो वो नही यहां...तो आप ही...

कही तो ये बात विक्रम ने मजाक में थी पर दुसरे ही पल उसके आखों के सामने उसका बेटा उसकी पत्नी की गोद में स्तनपान करता हुआ दिखने लगा...वो एक दम से उत्तेजित हो उठा...उसे अपनी किताब में पड़ी हुई एक कहानी याद आ गई जिस में एक मां अपने बेटे को बड़े होने तक स्तनपान कराती थी....

विक्रम – मुझे क्या जो करना है करो बस मुझे पड़ने दो अभी...

सुमित्रा – (अपने पति को परेशान करते हुए छेड़ते हुए) अच्छा ठीक है जी जेठ जी के पास जा रही हु आज खाना भी काम खाए थे उन्हे पीला के आई...(और मन ही मन बहुत हस दी) (हा सुमित्रा को अपने पति को इसे परेशान करना पड़ा भाता था और ऐसा करने से गुस्सा हो के विक्रम भी अपनी शर्म तोड़ उसे अच्छे से निचोड़ निचोड़ के चोदता था)

विक्रम – क्या बोल रही हो यार तुम...कुछ तो शर्म करो दो बच्चो की मां हो... तुम्हे ऐसा हसी मजाक अब सोभा नहीं देता...

सुमित्रा – में मजाक नहीं कर रही मेरे भोले पति देव...(गंभीरता भरे स्वर में बोली) वो भी तो जेठानी जी के जाने के बाद अकेले है..और आप भी बोलते ही भईया का खास ख्याल रखूं...अब उनका हे ही कोन....

विक्रम – (सुमित्रा की बातो को सच मान के एक दम मायूस होकर) क्या बोल रही हो तुम....

सुमित्रा – (मन में आज क्या हुआ इन्हे गुस्सा नही हो रहे) (वो अपना छेड़ना जारी रखती है) मौसी बोल रही थी पहले के समय गांव में ये सब होता था...अब जेठ जी को भी तो सहारा चाइए...

विक्रम – (अपने बड़े भाई की बहोत इज्जत और प्यार करता था इस लिए और उसकी किताबो की कहानी ने उसे इतना गुस्सा नही होने दिया... लेकिन वो अपनी पत्नी के मुंह से ये सुन बहोत अथिक सदमे में पहुंच गया और निराश होकर बोला) जैसा तुम्हे ठीक लगे सूरज की मां...

सुमित्रा को भी बुरा लगा उसके पति को इसे देख वो...एक दम से उसके पति के उपर चढकर लेट गई और विक्रम की बाहों में घुस गई...और विक्रम को यहां चूम के बोली....

सुमित्रा – कितने भोले हो आप...इतने साल हो गई एक मजाक भी नही समझ पाते...

विक्रम – (राहत की शास लेता हुआ अपनी फूल सी पत्नी को अपनी बाहों में अर्ध नंगी देख...उसे अपनी और खींच.. सुमित्रा के गुलाबी गालों को चूम के फिर मरोड़ के प्यार करता हुआ बोला) मेरी नटखट बदमाश सूरज की मां...

कुछ देर दोनो एक दुसरे को सहलाते हुए प्यार में डूब गई...
दोनो किसी नाग नागिन जैसे एक दूसरे से चिपक गई थे...

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सुमित्रा – (सुमित्रा अपनी टांगे अपनी पति पर चढ़ा के) आह सूरज के पापा आज कितने महीनो बाद आप ने मुझे अपनी बाहों में आने दिया हे...आप इतना क्यों तड़पा रहे हो मुझे...में काम आग में जल न जाऊ....

विक्रम सुमित्रा को थोड़ा सा अपनी बाहों से बाहर निकल बोला...

विक्रम – सूरज की मां पता नही लेकिन आज कल तुम पहले से भी ज्यादा गरम रहने लगी हो क्या हुआ ही तुम्हे... उम्र के साथ तुम्हारी काम इच्छा और बड़ रही है... देखो तो इन्हें लगता है जैसे और बड़े और कस गई हो...और विक्रम सुमित्रा के काम आग में एक दम कस चूक स्तनों को सहला देता है....

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सुमित्रा – आह आह जी अपना बना लो सूरज के पापा कितने महीनो से आप ने ठीक से हाथ तक नहीं लगाया... देखिए ना कितने अथिक संवेदनशील हो गई है... आह जैसे आप का... उह.... आह...

विक्रम ने अब बाते न करना सही समझा और वो सुमित्रा के पहले से खुले बटन ब्लाउज को और खोल एक अंगूर के दाने जैसे निपल को अपने मुंह में भर... सुमित्रा का पेटीकोट उसकी कमर तक ऊपर ले आया...

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सुमित्रा को अपने पति का हाथ अपनी गीली योनि पे महसूस हुआ और उसकी धड़कने तेज हो उठी... विक्रम को भी अपनी पत्नी के स्तन पीने में बड़ा आंनद आ रहा था...वो बीच में निप्पल को काट लेता और सुमित्रा की तेज आह बाहर तक पहुंच जाती...अब विक्रम ने एक उंगली भी अपनी पत्नी की योनि में उतार दी थी....सुमित्रा काम आग में इतना पागल हो गई की भूल ही गई की उसके घर में एक और मर्द भी सो रहा था...

विक्रम अब अपना लिंग बाहर निकल धीरे से सुमित्रा की योनि पे रख देता है और कुछ देर रुक के बोला...कमरे में एक दम शांति हो गई...

विक्रम – भग्व्यवान तैयार रहो...आवाज इतना मत करना...

सुमित्रा अपनी योनि पर घिस रहा था उसमे में ही डर गई थी ...

सुमित्रा – सूरज के पापा आप इतने समय बाद करते हो तो ये फिर से कस जाती है में क्या करू...अब धीरे से अंदर करो... आह...

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सुमित्रा – सूरज के पापा बस कीजिए में मर जाउंगी डालिए भी अब...ये क्या क्या करते हो आप...किताबे कम पड़े... आह...

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सुमित्रा – अह्ह्ह्ह आह आऊउच...सूरज के पापा निकल दो... आह में मर न जाऊं...

लिंग के योनि में प्रवेश के साथ ही सुमित्रा की ऐसी स्थिति हो उठी जैसे पहली बार अपनी सील टूटका रही हो... दुसरे कमरे में सो रहा उसका जेठ भी अपनी नींद से उठ खड़ा हुआ और अपनी भाभी (बहु) के कामुक सिसकारियां सुन अपने लिंग को पकड़ हस्त मैथुन करने से खुद को रोक न सका...और पानी निकलते ही पछतावे में डूब गया...वही सुमित्रा का दर्द से हाल बेहाल था जो धीरे धीरे कर एक मीठे दर्द में बदल गया... हा थी तो दो बच्चो की मां ही...

हर धक्के के साथ सूरज की मां एक कामुक दर्द भरी आह से पूरे घर को उत्तेजित कर देती...भालो से भरी छूत में आज एक लिंग उसकी खुजली मिटा रहा था...

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सूरज की मां के हाव भाव इतने कामुक थे की आप का लिंग उसके लिए एक बार में खड़ा हो उठे आप खुद ही देखे...साथ में दोनो अपनी महीनो की आग को बुझाने के लिए एक दुसरे को चूम रहे थे सहला रहे थे...






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दोनो पति पत्नी अपने चरम सुख प्राप्त कर एक दूसरे में समां गई...और जब सो गई उन्हे भी पता न चला.
sexy update.
 
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