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Thanks dostBahot khub..aise hi updates dete rahiye
Thanks dostBahot khub..aise hi updates dete rahiye
Guruji pranamkitchne kee garmee dadi ke badan kee garmee badha dee hain... akhir ab ek had paar hone kee kagar par aa hi chuke hain.... yeh nasamajh itne issare bhi na samjhega.... ab toh himalay kee ghaati ke bhi darshan hone lage... uske beech yeh apna tower lahrayega...
dada jaisa pyar... uski halat tab kaisi hogi jab wo samjhega wo kis prakar ka pyar chahti hain usse.... aaj kee raaat bari zalim hain...
Superअपडेट –२०
शिवांश अपनी दादी को अपनी तरफ घुमा के मासूम चेहरा बना के बोला । " माफ कर दो ना । मुंह से निकल जाता हे । लेकिन दिल नही कहा ये तो आप समझती हो न । प्लीज मेरी प्यारी दादी माफ कर दो "
नागेश्वरि पोते के आखों में नखरे से देख के बोली ।" एक शर्त पर "
" हां बोलो क्या शर्त है । एक नही दस शर्त मंजूर हे मुझे " शिवांश खुश हों कर बोला
" एक चुम्मा दो "
शिवांश झट से दादी के गाल गीले कर दिए । नागेश्वरि बोली " यह नही होंठो पे " और अपनी होठों की तरफ इशारा की
शिवांश शर्म के नजरे चुराने लगा । नागेश्वरि बोली " दे रहे हो या में कमरे से निकल जाऊं और जा के मस्सर के साथ सो के बीमार पर जाऊं "
नागेश्वरि के तीर साथिक निसाने पे लग चुकी थी । शिवांश धीमे से बोला ।" दादी में सच मच का दादाजी नही हूं "
नागेश्वरि थोरी सख्ती से बोली । " हा जानती हूं । लेकीन पोता और दादी के बीच होंठों पे चुम्मा देने से क्या होता हे । ये कोई गलत बात नही है । चलो जल्दी से दे दो नही तो मुझे इस बार सच में गुस्सा आ जायेगा "
शिवांश बेचारा शर्म से भीगी बिल्ली बन गया लेकिन अपनी दादी की फरमाइस कैसे ठुकरा दे वो । शर्म के घुट पीते हुए आंखे बंद कर के हल्के से अपनी होंठ अपनी दादी के गुलाबी होंठों से शुभा दिया । नागेश्वरि मुस्कुराते हुए अपनी होंठ खोल दी और चालाकी से अपने पोते का निचले होंठ अपनी दोनो होंटों के बीच दबा के प्यार से चूसने लगा ।
बेचारा शिवांश जिंदगी में कभी पहली बार चुम्बन का असली मतलब समझ रहा था और पहेली एहसास भी । उसके जिस्म के नशों में कामुकता की आनंद के लहर दौड़ने लगे थे । बेचारा दादी की इतनी गहरी चुम्बन से दिल मचल उठा था । लेकिन इसी दर से जरा भी अपनी भावनाएं जाहिर नही होने दी की उसकी दादी उसके बारे में गलत ना समझे । उसके मन में तो यही था उसकी दादी उसे सच्चे मन से प्यार दे रही हे । और बदले मे वो उत्तेजित भाव दिखाएगा तो उसकी दादी के नजरों में वो गिर जायेगा ।
दोनो को एक दूसरे की मुंह के गरमाहट एहसास हो रहे थे । शिवांश के होठ तो बच स्थिर थे लेकिन नागेश्वरि अपनी अभिज्ञता दिखते हुए पोते के होंठों के रस पी रही थी ।
जब दोनो के सांसे हुंह हुंह कर तेज चलने लगे तो दादी ने पोते होंठो से होंठ अलग का के बोली । " चलो सो जाओ । बोहोत रात हो गया । "
शिवांश बिना एक लफ्ज कहे अपनी दादी छाती में सर रख के सो गया ।
Dost aapka comment bohot achcha laga ..bohot hi uttsah dene wali comment thi.........Yogibaba mitr … aapki khani bahut hee jabardast hai or update bhi regularly de raho
bus ek kami hai ek update ek scene ko pura nahin karte agar aisa ho jaye toh kahani or bhi gajab ho jayegi …