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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

Yogibaba00007

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kitchne kee garmee dadi ke badan kee garmee badha dee hain... akhir ab ek had paar hone kee kagar par aa hi chuke hain.... yeh nasamajh itne issare bhi na samjhega.... ab toh himalay kee ghaati ke bhi darshan hone lage... uske beech yeh apna tower lahrayega...

dada jaisa pyar... uski halat tab kaisi hogi jab wo samjhega wo kis prakar ka pyar chahti hain usse.... aaj kee raaat bari zalim hain...
Guruji pranam:applause::applause::applause::applause::applause::thankyou:
 
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Yogibaba00007

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अपडेट –१९








" आपको ही चक था गर्मी में सोने का । अब भुगतो मुझे तो आदत हे "

" ओए लड़के तेरी दादी किसी से कम नही हे । में भी सेह सकती हूं गर्मी इतने सालो से अकेली ही गर्मी सहती आती हूं " नागेश्वरि की इशारा कुछ और थी



लेकिन अनाड़ी पोता के पल्ले नहीं पड़े । नागेश्वरि पोते के नजर को बारीकी से ध्यान दे रही थी । कोई बार शिवांश के नजर उसकी कामुक छाती उसकी कामुक बदन पे गिरते हुए पाए लेकिन उसे ऐसा नही लगा पोते के आखों को देख की उसके मन कोई यौन भावनाएं आए हो वो एक दम साधरण था । नागेश्वरि मन में सोचने लगी कितना रिझा रही हूं बदन दिखा दिखा के । बाहों में खुद को भींचवा रही रगड़वाई रही लेकिन इसे मेरे बदन के प्रति जरा भी आकर्षित नही दिखाई दिए । इतनी भी बूढ़ी भी नही हूं की किसी को रिझा न सकू । अभी तक माशिक आया हे मेरे उस हिसाब से जवानी भरी परी ही मेरे अंदर । पैंट में हरकत होना तो दूर इस तो कुछ वैसा भाव अनुभव नही हुए । अब क्या इसके पैंट उतार के हिला के देखू । नही नही इससे आगे मैं जा नही सकती ।




" चल झूठी । पंखा तो सालो से है आपके कमरे में । में बचपन से देखते आया हूं । "


" मेरे भले पोते । तू इतना क्यो भोला हे री । थोड़ा तो चालक बन " नागेश्वरि शिवांश के ठंडी हिला के बोली



" हट्ट में बहत चालक हूं " शिवांश खुद पे गौरव करते हुए जवाब दिया


" पता है तेरे दादाजी होते तो क्या करते "


" क्या करते "

" अभी के अभी मेरे ऊपर चढ़ जाते "


शिवांश झट से अपनी दादी की मनचल जिस्म के ऊपर चढ़ के दादी की आखों में मुस्कुराते हुए देखने लगा ।" लो चढ़ गया अब खुश "




नागेश्वरी को उसके मासूम चेहरे को और उसके बच्चो जैसे हरकत पे हास पड़ी और बोली । " फिर बत्ती बुझा के तितर बितर प्यार करते मुझे हां "


शिवांश हास के बोला । " दादाजी ओल्ड मॉडल का था इसलिए सरमाते थे । में बत्ती नही बुझाऊंगा में न्यू मॉडल का हूं ना । में रौशनी में ही प्यार करूंगा " ये बोल के नागेस्वरी के गाल माथा पे पूरे चेहरे पे चूम चूम के बोला । " लो अब खुश "


नागेश्वरी जोर से हास पड़ी और पोते के चेहरे को अपनी हथेली पे ले के प्यार से अपनी प्यासी होंठ उसके होंठों पे चुवाह के थोड़ा गीला कर के बोली । " दादाजी ऐसे भी प्यार करते ते "




शिवांश पहली बार दादी से इतना शरमा गया की अपनी दादी को चाटी पे मुंह छुपा के बोला ।" दादी में सचमुच का दादाजी थोरी हूं । "


नागेश्वरी हस के बोली " तो क्या हया पोता और दादी के बीच इतना तो चलता है ।" और अपनी मन में बोली "शरमा गया । दिल में जवानी है इसके । "


" आप बेहद नॉटी हो रहे हो । दिनवे दिन साथिया जा रहे हो "


नागेश्वरि झूठा नाराजगी दिखा के शिवांश को अपने ऊपर से हटा के खटिया से उठ " बेहद हो गया तू मुझसे प्यार नही करता । सब झूठा नाटक ही तेरा "


नागेश्वरि दूसरे खटिया पे जा के लेट गई । शिवांश भी उसकी खटिया में जबरदस्ती घुस गया और मानने लगा अपनी दादी को " प्लीज दादी ऐसा मत करो । अब इतना नाराज मत हो । अच्छा नेगी लगता "


" तू जा रो जा के सो जा । मेरे पास मत आ जरा सा कदर नही ही अपनी बूढ़ी दादी की " और मुंह फुलाए पोते से मुंह फेर ली।


 

Yogibaba00007

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अपडेट –२०






शिवांश अपनी दादी को अपनी तरफ घुमा के मासूम चेहरा बना के बोला । " माफ कर दो ना । मुंह से निकल जाता हे । लेकिन दिल नही कहा ये तो आप समझती हो न । प्लीज मेरी प्यारी दादी माफ कर दो "


नागेश्वरि पोते के आखों में नखरे से देख के बोली ।" एक शर्त पर "

" हां बोलो क्या शर्त है । एक नही दस शर्त मंजूर हे मुझे " शिवांश खुश हों कर बोला



" एक चुम्मा दो "


शिवांश झट से दादी के गाल गीले कर दिए । नागेश्वरि बोली " यह नही होंठो पे " और अपनी होठों की तरफ इशारा की


शिवांश शर्म के नजरे चुराने लगा । नागेश्वरि बोली " दे रहे हो या में कमरे से निकल जाऊं और जा के मस्सर के साथ सो के बीमार पर जाऊं "



नागेश्वरि के तीर साथिक निसाने पे लग चुकी थी । शिवांश धीमे से बोला ।" दादी में सच मच का दादाजी नही हूं "



नागेश्वरि थोरी सख्ती से बोली । " हा जानती हूं । लेकीन पोता और दादी के बीच होंठों पे चुम्मा देने से क्या होता हे । ये कोई गलत बात नही है । चलो जल्दी से दे दो नही तो मुझे इस बार सच में गुस्सा आ जायेगा "



शिवांश बेचारा शर्म से भीगी बिल्ली बन गया लेकिन अपनी दादी की फरमाइस कैसे ठुकरा दे वो । शर्म के घुट पीते हुए आंखे बंद कर के हल्के से अपनी होंठ अपनी दादी के गुलाबी होंठों से शुभा दिया । नागेश्वरि मुस्कुराते हुए अपनी होंठ खोल दी और चालाकी से अपने पोते का निचले होंठ अपनी दोनो होंटों के बीच दबा के प्यार से चूसने लगा ।


बेचारा शिवांश जिंदगी में कभी पहली बार चुम्बन का असली मतलब समझ रहा था और पहेली एहसास भी । उसके जिस्म के नशों में कामुकता की आनंद के लहर दौड़ने लगे थे । बेचारा दादी की इतनी गहरी चुम्बन से दिल मचल उठा था । लेकिन इसी दर से जरा भी अपनी भावनाएं जाहिर नही होने दी की उसकी दादी उसके बारे में गलत ना समझे । उसके मन में तो यही था उसकी दादी उसे सच्चे मन से प्यार दे रही हे । और बदले मे वो उत्तेजित भाव दिखाएगा तो उसकी दादी के नजरों में वो गिर जायेगा ।




दोनो को एक दूसरे की मुंह के गरमाहट एहसास हो रहे थे । शिवांश के होठ तो बच स्थिर थे लेकिन नागेश्वरि अपनी अभिज्ञता दिखते हुए पोते के होंठों के रस पी रही थी ।


जब दोनो के सांसे हुंह हुंह कर तेज चलने लगे तो दादी ने पोते होंठो से होंठ अलग का के बोली । " चलो सो जाओ । बोहोत रात हो गया । "



शिवांश बिना एक लफ्ज कहे अपनी दादी छाती में सर रख के सो गया ।
 

Raj 88

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अपडेट –२०






शिवांश अपनी दादी को अपनी तरफ घुमा के मासूम चेहरा बना के बोला । " माफ कर दो ना । मुंह से निकल जाता हे । लेकिन दिल नही कहा ये तो आप समझती हो न । प्लीज मेरी प्यारी दादी माफ कर दो "


नागेश्वरि पोते के आखों में नखरे से देख के बोली ।" एक शर्त पर "

" हां बोलो क्या शर्त है । एक नही दस शर्त मंजूर हे मुझे " शिवांश खुश हों कर बोला



" एक चुम्मा दो "


शिवांश झट से दादी के गाल गीले कर दिए । नागेश्वरि बोली " यह नही होंठो पे " और अपनी होठों की तरफ इशारा की


शिवांश शर्म के नजरे चुराने लगा । नागेश्वरि बोली " दे रहे हो या में कमरे से निकल जाऊं और जा के मस्सर के साथ सो के बीमार पर जाऊं "



नागेश्वरि के तीर साथिक निसाने पे लग चुकी थी । शिवांश धीमे से बोला ।" दादी में सच मच का दादाजी नही हूं "



नागेश्वरि थोरी सख्ती से बोली । " हा जानती हूं । लेकीन पोता और दादी के बीच होंठों पे चुम्मा देने से क्या होता हे । ये कोई गलत बात नही है । चलो जल्दी से दे दो नही तो मुझे इस बार सच में गुस्सा आ जायेगा "



शिवांश बेचारा शर्म से भीगी बिल्ली बन गया लेकिन अपनी दादी की फरमाइस कैसे ठुकरा दे वो । शर्म के घुट पीते हुए आंखे बंद कर के हल्के से अपनी होंठ अपनी दादी के गुलाबी होंठों से शुभा दिया । नागेश्वरि मुस्कुराते हुए अपनी होंठ खोल दी और चालाकी से अपने पोते का निचले होंठ अपनी दोनो होंटों के बीच दबा के प्यार से चूसने लगा ।


बेचारा शिवांश जिंदगी में कभी पहली बार चुम्बन का असली मतलब समझ रहा था और पहेली एहसास भी । उसके जिस्म के नशों में कामुकता की आनंद के लहर दौड़ने लगे थे । बेचारा दादी की इतनी गहरी चुम्बन से दिल मचल उठा था । लेकिन इसी दर से जरा भी अपनी भावनाएं जाहिर नही होने दी की उसकी दादी उसके बारे में गलत ना समझे । उसके मन में तो यही था उसकी दादी उसे सच्चे मन से प्यार दे रही हे । और बदले मे वो उत्तेजित भाव दिखाएगा तो उसकी दादी के नजरों में वो गिर जायेगा ।




दोनो को एक दूसरे की मुंह के गरमाहट एहसास हो रहे थे । शिवांश के होठ तो बच स्थिर थे लेकिन नागेश्वरि अपनी अभिज्ञता दिखते हुए पोते के होंठों के रस पी रही थी ।


जब दोनो के सांसे हुंह हुंह कर तेज चलने लगे तो दादी ने पोते होंठो से होंठ अलग का के बोली । " चलो सो जाओ । बोहोत रात हो गया । "



शिवांश बिना एक लफ्ज कहे अपनी दादी छाती में सर रख के सो गया ।
Super
 

Yogibaba00007

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Yogibaba mitr … aapki khani bahut hee jabardast hai or update bhi regularly de raho

👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷

bus ek kami hai ek update ek scene ko pura nahin karte agar aisa ho jaye toh kahani or bhi gajab ho jayegi …

👌👌👌
Dost aapka comment bohot achcha laga ..bohot hi uttsah dene wali comment thi.........



Aapki asuvidha janak baat ko me samjh sakta hoon ......lekin kya hi ki mujhe thori problem hoti he ........me jab likhta hoon to me word count nehi karta .... matlab ye nehi sochta ki itne word me scene khatam kar doon ...apne jehen me dimag jo aata he wo likhte jaate huun..........aur isi wazah Aisa ho jata he ki usme se 4,5 update ban sakti he .......thori dikkat hoti he copy past karna .......aur update bhi had se bada ho jata he.......me itna achcha writer nehi hoon.....nehi hoon matlab kuch bhi nehi ...Bas ye hai dusro ki story padh ke khud ko bhi likhne ka man kiya baas aise hi likh deta hoon....achche sabdawali se do line ko ek line kar doon ...ye mujhe nehi aata ...itna manage karna nehi aata ....... readers ko kya pasand aata he ...aur us hisab se itna work nehi aata ....baas jo jehen me jitna kalpanik tarike se kar pata hoon utna hi baas.............







Ab se me do do update de diya karunga ek saath..........mujhe bhi thora page badhna he ..... viewers badhenge achcha lagta he ye dekh ke .....



Aap ko kisi baat ka bura lage to rahe dil se maafi chahta hoon ........baas asha karta hoon ki aap mujhe mujhe samjhenge.......thank you dost
 
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