hunter49g
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Bahot behtareen zaberdast shaandaar update bhaiअपडेट –१६
दादी पोते दोनो घर पोहौच जाते हे । चमेली अपनी सांस से अकेले में पूछती है " अम्मा क्या सोचा है "
"बहु शिवा को में अपने साथ सुलाया करूंगी और उससे दोस्ती कर लगी । और उसी दोस्तो की तरीके से बात निकल के पता करूंगी "
" ठीक हे । जैसी आपकी मर्ज़ी "
शादी को अब मात्र दस दिन रह गया । माहेश्वरी एक तरफ शादी की तैयारी में लगी हुई थी और एक तरफ पोते की शिन्ता खोखला कर रही थी । दो दिन शिवा को अपने साथ छाती से लगा के बच्ची की तरह सुलाया ।
लेकिन तीसरे दिन उसने कुछ सोचा । और सबसे बड़ी बात उसने मन ये बात ठान ली की " अगर मेरा पोता सोचमे खाली लोटा वाला है तो उसे कैसे भी कर के ठीक करना ही होगा । इसके लिए कुछ मर्यादा का मान उलंघन करना पड़ेगा । लेकिन करना भी ज़रूरी है इसलिए कुछ देर के लिए मुझे पोता दादी की पवित्र रिश्ता भूलना होगा ।
और पिछले दो रातों की तरह नागेश्वरी अपने पोते को बिस्तर पे चुलाया । वो गर्मी के कारण हमेशा पेटीकोट छाती में बंध के सोती थी लेकिन शिवा के साथ सोने के कारण वो पेटीकोट और ब्लाउज में सो रही थी ।
तो वो आज भी ब्लाउज और पेटीकोट में सोई । लेकिन आज वो पोते को सुला नही रहा था । बल्कि करवट ले के पीठ दिखा रही थी ।
शिवांश अपनी दादी से बड़े प्यार से पूछा ।" दादी आज मुझे नही सुलाओगे क्या "
" नही । आज मुझे सुलाओ "
" अच्छा ऐसी बात हैं । आज आपको बच्ची बनना है ठीक हे घूम जाओ "
" नही बच्ची आज नाराज है । "
शिवांश हास पड़ा अपनी दादी नाटक देख के । और दादी को पीछे से कमर में बाहें डाल के पकड़ लिया ।
नागेश्वरि बच्चे की तरह कुनमुनाते हुए बोली " उम ऊ जोर से पकड़ो न "
शिवांश मुस्कुराते हुए नागेश्वरी को जोर से बाहों में भींच लिया । माहेश्वरी को कराह निकल गई ऊंह कर के ।
शिवांश हास के बोला " दादी आप एक दम भूतनी लग रही रही । "
" हा तुझे तो में कभी अच्छा लगती ही नही । हमेशा मुझे बुरा भला कहते हो । मेरी मन को तुम समझते ही नही " माहेश्वरी नाराज होने का नाटक करने लगी ।
शिवांश हास के बोला ।" ओए बुढ़िया ज्यादा नातांकी मत करो । मुझे पता आप मेरी किसी भी बातों को बुरा नही मानते हो और में जो भी उल्टा सीधा बोलता वो तो बस ऐसे ही आपको छेड़ने के लिए । आप भी जानते हो की मेरा मन साफ है और आपके लिए कितना प्यार है । "
नागेश्वरि मंद ही मन हंस रही थी खुशी से लेकिन जाहिर नही होने दे रही थी ।" अच्छा । लेकिन जो भी हो आज सच मे में तुमसे नाराज हूं । अगर मुझसे नाराजगी दूर करना चाहते हो तो मुझे जी भर के प्यार करो "
"अच्छा ऐसी बात है । ठीक हे करता हूं प्यार "
शिवांश अपनी दादी की गाल में गीले गीले पप्पी देने लगा उम्मा उम्मा कर के । और पुरी गाल गिला कर के बोला " अब खुश मेरी प्यारी दादी"
" नही । मुझे और प्यार चाहिए " माहेश्वरी बहाने से अपनी कूल्हे पीछे करते हुऐ शिवांश के लन्ड पे चिपका दीए ।
शिवांश को इस बात का एहसास भी नही हो रहा था । और इसी बात का फायदा उठा के माहेश्वरी हिम्मत जुटा के अपनी गांड़ अपने पोते लन्ड पे हल्के हल्के से घुमा के रगड़ने लगा । जब इस बात का शिवांश को एहसास हुआ तो वो हास के बोला । " दादी कमर क्यू हिला रही हो "
" अरे वो एक पुराना गाना याद आ गई थी अपने आप थिरकने लगी" माहेश्वरी शर्म से पानी पानी हो गई लेकिन उसने फिर भी अपनी गांड़ हिलना बंद नही की
" कौनसा गाना दादी"
" पिया ओ पिया " ऐसे ही कुछ भी बोल दी नागेश्वरी ने
" ऐसा गाना मैने कभी सुना। लगता बाबा अदम जमीन की हे "
शिवांश ने ध्यान दिया की उसकी दादी अभी भी कमर हिलाए जा रही है । तो उसने अपनी दादी की जांघ पे चपात मार के बोला ।" रुको । अगर इतना ही नाचने का मन हो रहा है तो खड़े हों के अच्छे से नाचो ना जरा में भी देखू आप कितना अच्छा नाचती हो "
Bahot zaberdast shaandaar lajawab update bhaiअपडेट –१७
नागेश्वरि शरमा गई । और वो अपने पोते की तरफ करवट ले के प्यार से शिवांश के आखों में देख के बोली ।" तूझे में कैसी लगती हूं"
" अच्छी लगती हो क्यू"
" क्या में तुझे खूबसूरत लगती हूं । में भी क्या पूछ रही हूं इस उम्र में कहा खूबसूरत लगूंगी "
" अरे नही सचमे आप बेहद खूबसूरत लगती हो दादी ।"
" सच"
" आपकी कसम दादी । आप अपनी उम्र से दस साल चोटी लगती हो । अम्मा की बड़ी बहन लगती हो ।"
पोते के मुंह से अपनी खुबसर्ती की तारीफ सुन के नागेश्वरी की गोरे गाल पे लालिमा चाह गई । और दुल्हन की तरह शरमाने लगी ।
" उम बात क्या ही दादी । आज इतनी अच्छी मूड में हो। इतनी प्यारी प्यारी बातें कर रहे हो । कही किसी से प्यार तो नही गया । " शिवांश बड़े नटखट हो रहा था
" है कोई । " नागेश्वरि शरमा गई
शिवांश एक दम अपनी दादी के पास सांश से सांश मिलाते हुए करीब आ के आखों में आखें डाल के बोला । " अच्छा कोई ही वो खुशनसीब जरा बताओ ना दादी"
माहेश्वरी के दिल मचल रही थी इसे बेहद अच्छा लग रहा था अपने पोते से झूठ मूठ का ईश्क लड़ने में और उसने अपनी नाक से शिवांश के नाक रगड़ के प्यार से बोली ।" तुम हो वो "
शिवांश नागेश्वरि की होंठो की तरफ गौर से देखने लगा । एक पल के लिए नागेश्वरी की दिल की धड़कन बढ़ गई ये सोच के की कही शिवांश उसकी होंठ ना चूम ले । लेकिन जब शिवांश के मुंह ये सुना " दादी आपकी तो छोटे छोटे मूसे है" वो एक दम से शर्मा गई और करवट ले के मुंह फिर ली । शिवांश जोर जोर से हसने लगा ।
" हा हा । दादी सुनो ना । सच में नाराज तो नही हो गई दादी । अरे में तो ऐसे ही मजाक कर रहा था । थोड़े थोड़े छोटे छोटे तो सबके होते हे । हा हा । इधर देखो ना "
लेकिन नागेश्वरि नही पलती तो शिवांश उसके ऊपर चढ़ गया और अपनी दादी की चेहरे को दोनो हाथो से पकड़ के माथा चूमने लगा फिर गाल चूमने लगा फिर आखें चूमने लगा । चूम चूम के पूरा चेहरा चुम्बन से खिला दिया । शिवांश का प्यार एक दम निच्छल प्यार था । लेकिन नागेश्वरि उसके प्यार को कुछ अलग ही नजरिए से देख रही थी ।
नागेश्वरि शिवांश के आखों में झांकते हुए बोली । " मुझे तुम्हारे दादाजी की याद आ रही हे "
" कोई नही दादी में हूं ना " शिवांश अपनी दादी को संतना देते हुए बोला
" कहते हे पोता अपनी दादी को दादाजी वाला प्यार दे सकता है । आज तुम भी मुझसे अपनी दादाजी वाला प्यार दो ना "
" ओह ऐसी बात हे । ठीक हे आज में दादाजी बन जाता हूं " ये बोल के शिवांश अपनी दादी की बगल में से हाथ घुसा के कस के पकड़ लिया ।
माहेश्वरी भी अपने पोते की गले में बाहें डाल के भींच लिया और एक ऊंह कर के अंगराई ली । नागेश्वरि भावनाओं बेह के अलग ही दिशा में चली गई थी खुद की ही खून के रिश्ते से लांघ पोते के बाहों में मचल रही थी । आंखे मोधोशी से सुर्ख लाल हो चुकी थी पलके उलट रही थी चेहरे लाल पर गई थी । शरीर पोते के बाहों में भींचना चाह रही थी सांसे तेज हो उठी थी दिल की धड़कने बढ़ रही थी । और कामुक स्वर में पूछ रही थी पोते से " मेरा बच्चा तुझे कुछ गर्मी जैसा महसूस हो रहा है "
शिवांश ने जो वास्तविक रूप में मेहसूस किया वोही बता दिया " हां दादी आपकी बदन बेहद गर्म है । आपको बुखार तो नही ही न "
" नही बेटा । ये बुखार नही हे । ये तड़प है । सालो से अकेली पड़ गई हूं "
दोनो पोते और दादी की आंखे एक दूसरे को देख रहे थे । जहा एक दूसरे के प्रति कितना प्यार हे वो मेहसूस हो रही थी
" दादी हम ने ना । हमारे होते हुए आप कैसे अकेले पड़ गई " शिवांश बोला
" अच्छा इसलिए कभी मेरे साथ सोने नही आया । बचपन में कभी कभी आते थे फिर भी रात को रो रो के अम्मा अम्मा कर के अपनी मां के पास चले जाते थे । पता ही में कितना अकेला महसूस करती हूं । तूझे क्या पता अपनी दादी की तकलीफ का तुझे तो बस मुझे ऊपर भेजने की देर हे " नागेश्वरि अपने पोते नर्म नश पे घायल कर रही थी । और बेचारा बिना कुछ समझे बस अपनी दादी की बातों में पिघल रहा था । लेकिन नागेश्वरि मुंह से भी दिल से निकली हुई बात ही निकल रही थी । उसे खुद को होश नही थी की वो कुछ ज्यादा ही बहक रही है ।
" सॉरी दादी । में गधा हूं ना । लेकिन आप भी तो मुझे बुला सकती थी अपने पास सोने को "
" नही बेटा प्यार मांग के प्यार पाने से ज्यादा बिना मांगे प्यार मिलने से खुशी में बेहद अंतर हे । "
" अच्छा जो भी हो अब तो आ गया हूं ना अब रोज में आपके सोऊंगा और आपको बेहद प्यार दूंगा अब तो मुस्कुरा दो " शिवांश अपनी दादी को मुस्कुरा के देखने लगा
नागेश्वरि के होंठों पे मुसकान आ गई । और पोते के बालों को सहलाने लगी और बोली । " एक बात बता तू मुझे कितना प्यार करता हे "
" दुनिया में सबसे ज्यादा "
" अम्मा से भी ज्यादा "
अब शिवांश फांस गया था । वो मुस्कुराने लगा और कुछ सोच के दौतिक जवाब देते हुए बोला " दोनो से बेहद ज्यादा प्यार करता हूं आपसे भी और अम्मा से भी "
नागेश्वरि हास पड़ी " छुपा क्यू रहा हे । में समझती हूं मां बेटे का प्यार क्या होता हे । कोई न मुझे कोई फर्क नही पड़ता की तू अपनी अम्मा से थोड़ा कम प्यार करेगा तो भी में खुस हूं " और अपने मन में बोली तेरी मां तो कोइ और है जब ये बात पता चलेगी तो पता नहीं वो दिन क्या होगा ।
"आप बेहद समझदार हो दादी । लेकिन में आपके बिना भी में जी नही पाऊंगा । आपसे बेहद प्यार करता हूं "
" अच्छा अगर में तुम्हे काहू की तू मुझसे शादी कर लो " माहेश्वरी घुमा घुमा के बातो के जाल में फांस के पोते का मजा ले रही थी
" हा कर लूंगा " शिवांश हास के बोला
" तू ये मत समझ की में मजाक कर रही हूं । तू जानता ही में थोरी पागल हूं । ऊपर से तेरे दादाजी के बिना इतने साल गुजर दिए दिल में बड़ी अरमान के जी भर के प्यार पाने को । सच में कर लूंगा "
" हा कर लूंगा ना " शिवांश हांस के बोला
माहेश्वरी अपने पोते का हाथ अपनी शर पे रख के बोली ," अब कसम खा के बोल सच में शादी करेगा "
शिवांश बस मुस्कुराए जा रहा था । अब उसे कोई जवाब बन नही पा रहा था । अब अपनी दादी की कब्जे में बेचारा पूरी तरफ फस गया ।
" क्यूं । क्या हो गया । जूठे अब बोलती बन हो गई । अब बता " नागेश्वरि उसे आंखे दिखाने लगी
" दादी ऐसा थोरी होता हे । कोई अपनी दादी से कैसे शादी कर सकता है । "
" नही कर सकता है लेकिन प्यार तो कर सकता है । प्यार के लिए कही पर भी माना नही हे । मूझसे दादाजी वाला प्यार तो करेगा ना "
" हां करूंगा ना । "
" तूझे पता भी है दादाजी वाला प्यार कैसा होता हे । ऐसे ही हवा में फेके जा रहे हो फेकू "
" नही पता । लेकिन आप बताना कैसा होता हे और वैसा ही प्यार करता जाऊंगा आपसे "
" अच्छा देखा जायेगा समय आने पर । पहले ये बता तू मुझपे बिस्वास और भोराषा करता हे ना "
" हुम । ये भी कोई पूछने की बात है आंख बंद कर के बिस्वश और भोरोसा करता हूं "
" ऐसे नही मेरी कसम खा के बोलो "
शिवांश अपनी दादी की शर पे हाथ रख के बोला " में कसम खा के कहता हूं मुझे आप पे पूरा भोरोषा और विश्वास हे "
" ये हुई न बाद । तो सुनो हमारे वंश में एक पुराना बीमारी हे और वो बीमारी तुम्हे भी है । लेकिन तुम शिंत्ता मत करो मुझे ठीक करना आता हे । में ठीक कर दूंगा "
" कोन सी बिमारी हे दादी "
" सब पता चलेगा अभी बेहद रात हो गई हे । चलो सो जाओ "
नागेश्वरि शिवांश को कारवाट में चाटी से लगा के चुलाने लगी उसके बालों पे हंगलिया फिरा के । शिवांश भी अपनी दादी की निर्मल पयार पा कर जल्दी सो गया।।।
Bahot behtareen shaandaar updateअपडेट –१८
शादी को चार दिन रह गए थे मात्र । शादी के कामों का दबाव नागेश्वरी के शिर पे पर गए थे । कुछ करीबी रिश्तेदार भी अपने परिवार के साथ आ गए थे । शिवांश के घर मे अब हर वक्त मच्छी बाजार की तरह चोर रहता । कोई किसी को इधर से बुला कोई किसी को उधर से । कोई आदेश दे रहा हे कोई कर रहा हे कोई सुन रहा हे कोई गप्पे लड़ा रहा हे ।
इसी भाग दौर मे नागेश्वरि अपने पोते पे ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थी । वैसे तो उनकी मनसूबा कुछ और था लेकिन कुछ और हो गया ।
शिवांश सभी मेहमानों को बेहद अच्छे से सटकर कर रहा था सभी उसका मीठे बोल से तारीफ कर रहे थे । ये सुन कर रघुनाथ नागेश्वरि और चमेली की दिल गोद गोद हो रही थी ।
घर में सारे कमरे मेहमान से भरे पड़े थे । इसी का फायदा उठाते हुऐ नागेश्वरि रोसोइ में दो खटिया लगा दिया ये बोल के की वो और उसका पोता सोएगा ।
जैसा मनसूबा था वैसा ही हो रहा था और जब रात के खाने के बाद डकार मार के सोने गए तो नागेश्वरी अपने पोते को इसरे से बुलाते हुए रसोई के दरवाजे की कुंडी अच्छे से लगा दिया ।
शिवांश हास के बोला ।" बस करो दादी आज कल बर्तन चुराने वाले चोर नही रहा । "
" बर्तन के लिए नही ये तुम्हारे लिए । कोई तुम्हे चुरा के ले गया तो में जीते जी मर जाऊंगी " नागेश्वरि अपने पोते के गाल खींच के बोली
" मुझे । में क्या कोई छोटा बच्चा हूं जो कोई भी अचानी से उठा के ले जायेगा "
" ले के भी जा सकता हे कोई भरषा नही हे जिस तरह तू लोगो के दिल जीत लिया हे कोई तुझे पाने के चक्कर में तुझे उठा लिया तो "
" उफ हो दादी आप भी ना कुछ भी सोचते रहते हो । चलो मुझे नींद आ रही है "
खटिया तो लगाए थे एक इस दीवार के पास और एक इस दीवार के पास लेकिन नागेश्वरि पोते के दो फीट चौड़ाई खटिया पे लेट गई "
" दादी गर्मी में मार जाऊंगा । यहां पंखा नही है । उधर जा के सोए ना "
" नही । मुझे तेरे साथ ही सोना है इसलिए तो यहां ले के आया तुझे नही तो आंगन में ही सो जाती तेरे अम्मा के साथ "
" अच्छा एक काम करता हूं । में दोनो खिड़की खोल देता हूं बाहर से ठंडी हवा आयेगी "
" नही रहने दे " नागेश्वरी अपने पोते को बाहों में भर के मन में बोली " मेरा अनाड़ी पोता अगर किसी ने हम दोनो ऐसे लिपटे हुऐ देख लिया ना बबल मैच जायेगा । तूझे तो कुछ समझ ही मेही आता हे ।"
गर्मी बेहद थे । रोचोई भी ज्यादा बड़ा नहीं था । कूची देर में दोनो पसीने पसीने हो गए । लेकिन दादी पोता एक दूसरे को बाहों में से अलग मेही हुए । माहेश्वरी की जिस्म पोते के बाहों में समाते ही थर थराते हुऐ मचल उठी । अपनी भारी चाटी पोते के चौड़े चाटे में धसने के एहसास से ही उसकी बदन रिंगने लगी । मदहोशी से अपने पोते को देखने लगी ।
शिवांश को अभी भी दादी मझकिया अंदाज लग रहा था और वो भी हमेशा की तरफ मझाकिया अंदाज में ही वास्तिकता को स्मरण कर रहा था ।
" दादी । कुछ दिनों से आप बदली हुई लग रही हो । ऐसा हरकत कर रही हो जैसे आप मेरी गर्लफ्रेंड हो " शिवांश मुस्कुरा के बोला
" हां मुझे वोही समझो न । कहा तो था मुझे तेरे दादाजी की बेहद याद आ रही हे । इसलिए तुम्हारे प्यार पाना चाहता हूं "
" अच्छा ये बात हे । में हूं भूल ही गया था । "
माहेश्वरी गर्मी में पसीने से भीग गई थी । उसकी ब्लाउज बगल से पीठ से और छाती के ऊपर के हिस्से गीले हो चुकी थी । उसने इसी शल से उसने ऊंह कर के अंगराई लेते हुए बोली " उफ यह गर्मी मर जाऊंगी री " और अपने पल्लू नीचे गिरा के ब्लाउज के चार हुक में से तीन हुक खोल दिए । जिसकी वजह से उसकी वाक्स ब्रा से बहार आने को उछल रहे थे और उसकी गोरी चाटी पसीने की बूंद से और बहती धर से चमक रही थी । और अपनी बालों को खोल के फैलते हुए बड़ी अदाह से मचलते हुए शिवांश के टी–शर्ट निकल दी ये बोल के की " चलो निकल दो इसे नही तो गर्मी में मर जाओगे "
Bahot behtareen zaberdast shaandaar updateअपडेट –१९
" आपको ही चक था गर्मी में सोने का । अब भुगतो मुझे तो आदत हे "
" ओए लड़के तेरी दादी किसी से कम नही हे । में भी सेह सकती हूं गर्मी इतने सालो से अकेली ही गर्मी सहती आती हूं " नागेश्वरि की इशारा कुछ और थी
लेकिन अनाड़ी पोता के पल्ले नहीं पड़े । नागेश्वरि पोते के नजर को बारीकी से ध्यान दे रही थी । कोई बार शिवांश के नजर उसकी कामुक छाती उसकी कामुक बदन पे गिरते हुए पाए लेकिन उसे ऐसा नही लगा पोते के आखों को देख की उसके मन कोई यौन भावनाएं आए हो वो एक दम साधरण था । नागेश्वरि मन में सोचने लगी कितना रिझा रही हूं बदन दिखा दिखा के । बाहों में खुद को भींचवा रही रगड़वाई रही लेकिन इसे मेरे बदन के प्रति जरा भी आकर्षित नही दिखाई दिए । इतनी भी बूढ़ी भी नही हूं की किसी को रिझा न सकू । अभी तक माशिक आया हे मेरे उस हिसाब से जवानी भरी परी ही मेरे अंदर । पैंट में हरकत होना तो दूर इस तो कुछ वैसा भाव अनुभव नही हुए । अब क्या इसके पैंट उतार के हिला के देखू । नही नही इससे आगे मैं जा नही सकती ।
" चल झूठी । पंखा तो सालो से है आपके कमरे में । में बचपन से देखते आया हूं । "
" मेरे भले पोते । तू इतना क्यो भोला हे री । थोड़ा तो चालक बन " नागेश्वरि शिवांश के ठंडी हिला के बोली
" हट्ट में बहत चालक हूं " शिवांश खुद पे गौरव करते हुए जवाब दिया
" पता है तेरे दादाजी होते तो क्या करते "
" क्या करते "
" अभी के अभी मेरे ऊपर चढ़ जाते "
शिवांश झट से अपनी दादी की मनचल जिस्म के ऊपर चढ़ के दादी की आखों में मुस्कुराते हुए देखने लगा ।" लो चढ़ गया अब खुश "
नागेश्वरी को उसके मासूम चेहरे को और उसके बच्चो जैसे हरकत पे हास पड़ी और बोली । " फिर बत्ती बुझा के तितर बितर प्यार करते मुझे हां "
शिवांश हास के बोला । " दादाजी ओल्ड मॉडल का था इसलिए सरमाते थे । में बत्ती नही बुझाऊंगा में न्यू मॉडल का हूं ना । में रौशनी में ही प्यार करूंगा " ये बोल के नागेस्वरी के गाल माथा पे पूरे चेहरे पे चूम चूम के बोला । " लो अब खुश "
नागेश्वरी जोर से हास पड़ी और पोते के चेहरे को अपनी हथेली पे ले के प्यार से अपनी प्यासी होंठ उसके होंठों पे चुवाह के थोड़ा गीला कर के बोली । " दादाजी ऐसे भी प्यार करते ते "
शिवांश पहली बार दादी से इतना शरमा गया की अपनी दादी को चाटी पे मुंह छुपा के बोला ।" दादी में सचमुच का दादाजी थोरी हूं । "
नागेश्वरी हस के बोली " तो क्या हया पोता और दादी के बीच इतना तो चलता है ।" और अपनी मन में बोली "शरमा गया । दिल में जवानी है इसके । "
" आप बेहद नॉटी हो रहे हो । दिनवे दिन साथिया जा रहे हो "
नागेश्वरि झूठा नाराजगी दिखा के शिवांश को अपने ऊपर से हटा के खटिया से उठ " बेहद हो गया तू मुझसे प्यार नही करता । सब झूठा नाटक ही तेरा "
नागेश्वरि दूसरे खटिया पे जा के लेट गई । शिवांश भी उसकी खटिया में जबरदस्ती घुस गया और मानने लगा अपनी दादी को " प्लीज दादी ऐसा मत करो । अब इतना नाराज मत हो । अच्छा नेगी लगता "
" तू जा रो जा के सो जा । मेरे पास मत आ जरा सा कदर नही ही अपनी बूढ़ी दादी की " और मुंह फुलाए पोते से मुंह फेर ली।
Bahot behtareen shaandaar update bhaiअपडेट –२०
शिवांश अपनी दादी को अपनी तरफ घुमा के मासूम चेहरा बना के बोला । " माफ कर दो ना । मुंह से निकल जाता हे । लेकिन दिल नही कहा ये तो आप समझती हो न । प्लीज मेरी प्यारी दादी माफ कर दो "
नागेश्वरि पोते के आखों में नखरे से देख के बोली ।" एक शर्त पर "
" हां बोलो क्या शर्त है । एक नही दस शर्त मंजूर हे मुझे " शिवांश खुश हों कर बोला
" एक चुम्मा दो "
शिवांश झट से दादी के गाल गीले कर दिए । नागेश्वरि बोली " यह नही होंठो पे " और अपनी होठों की तरफ इशारा की
शिवांश शर्म के नजरे चुराने लगा । नागेश्वरि बोली " दे रहे हो या में कमरे से निकल जाऊं और जा के मस्सर के साथ सो के बीमार पर जाऊं "
नागेश्वरि के तीर साथिक निसाने पे लग चुकी थी । शिवांश धीमे से बोला ।" दादी में सच मच का दादाजी नही हूं "
नागेश्वरि थोरी सख्ती से बोली । " हा जानती हूं । लेकीन पोता और दादी के बीच होंठों पे चुम्मा देने से क्या होता हे । ये कोई गलत बात नही है । चलो जल्दी से दे दो नही तो मुझे इस बार सच में गुस्सा आ जायेगा "
शिवांश बेचारा शर्म से भीगी बिल्ली बन गया लेकिन अपनी दादी की फरमाइस कैसे ठुकरा दे वो । शर्म के घुट पीते हुए आंखे बंद कर के हल्के से अपनी होंठ अपनी दादी के गुलाबी होंठों से शुभा दिया । नागेश्वरि मुस्कुराते हुए अपनी होंठ खोल दी और चालाकी से अपने पोते का निचले होंठ अपनी दोनो होंटों के बीच दबा के प्यार से चूसने लगा ।
बेचारा शिवांश जिंदगी में कभी पहली बार चुम्बन का असली मतलब समझ रहा था और पहेली एहसास भी । उसके जिस्म के नशों में कामुकता की आनंद के लहर दौड़ने लगे थे । बेचारा दादी की इतनी गहरी चुम्बन से दिल मचल उठा था । लेकिन इसी दर से जरा भी अपनी भावनाएं जाहिर नही होने दी की उसकी दादी उसके बारे में गलत ना समझे । उसके मन में तो यही था उसकी दादी उसे सच्चे मन से प्यार दे रही हे । और बदले मे वो उत्तेजित भाव दिखाएगा तो उसकी दादी के नजरों में वो गिर जायेगा ।
दोनो को एक दूसरे की मुंह के गरमाहट एहसास हो रहे थे । शिवांश के होठ तो बच स्थिर थे लेकिन नागेश्वरि अपनी अभिज्ञता दिखते हुए पोते के होंठों के रस पी रही थी ।
जब दोनो के सांसे हुंह हुंह कर तेज चलने लगे तो दादी ने पोते होंठो से होंठ अलग का के बोली । " चलो सो जाओ । बोहोत रात हो गया । "
शिवांश बिना एक लफ्ज कहे अपनी दादी छाती में सर रख के सो गया ।
Thanks dostBahot behtareen zaberdast shaandaar update bhai
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