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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

Yogibaba00007

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अपडेट -१


हमारे हीरो का नाम शिवांश चार्य । शास्त्रों के अनुसर केहेटे है शिवांश बड़े ही शुब दिन और शुभ घड़ी में पैदा हुए है जेइसे त्रिलोक भी चाहते थे कि शिवांश की पैदाइश सूभ ग्रह नसत्र के ताल मिल के साथ शुभ घरी पैदा हो। बड़े ही संत स्वाभाव सतित्र के अपनी दिल की बात मानने वाला । कोई अगर कुछ उल्टा बोले तो उसको भी हाशके के उत्तर देता था। दिखने में भी स्वस्थ सुंदर। हर पल चेहरे पे खुशनुमा रौनक रहता था ।हाल ही में 18 साल का हया हे और बारहवीं की परिक्षा भी दे चुका है।


नागेश्वरी चार्य । 5८ साल की शिवांश की दादी । बोहोत ही कम उम्र शादी हो गई थी इनकी। जैसा नाम वैसा ही इनकी रुतबा । गुस्सैल उग्रवादी स्वभाव लेकिन नेक दिल की थी । शिवांश के बिना एक पल भी नेही रह पाती है।इनके पति यानी शिवांश के दादाजी के 20 साल पहले डायरिया के कारण स्वर्गवास हो सुका है। तब से घर की मुखिया नागेश्वरी ही हैं।

शंकार चार्य । शिवांश के पिता उम्र ४२ साल । ये शहर में आज की स्थिति में बोहोत बड़े बिल्डर हैं । अपने परिवार के प्रति बोहोत शंबेदनशील हैं। लेकिन इसको हमेशा से येयास किस्म के जिंदगी चाहिए थी इसलिये ये शेहेर जा के घर वासा लिया।


रोहिनी चार्य । शिवांश की मां ४० की उम्र में बला की खूबसूरती की मालकिन । हमेशा अपने परिवार की भले के लिऐ इस्सर से प्रथान करने संस्कारी गृहीनी ।












सुप्रिया चार्य । उम्र 20 साल शिवांश से बड़ी । बला की खूबसूरती अपनी मां को तरह जो पढाई से ज़्यादा अपनी जिस्म पे ध्यान देती हे ।

रघुनाथ चार्य । शिवांश के चाचा ।उम्र ३९ साल । बोहत ही मेहनती इन्सान हैं । अपनी जमीन पे खेती वारी करता है ।और गाय भैंसों को पाल के परिवार का पालन हार करता है ।

चमेली चार्य । उम्र ३८ साल । शिवांश की चाची । वैसे तो ये भी बला की खूबसूरत ही लेकिन घर की काम काज के कारण अपनी ध्यान रख नहीं पाती हे ।

शोभा चार्य । 20 साल की कच्ची उम्र । बारहवी के बाद पढ़ाई छोड़ दी । और अपनी दादी और मां का हाथ बताती है ।

अन्य पात्र की परिशय कहानी के माध्यम से आएंगे ।
 
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Yogibaba00007

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technology bhai ab ek jaroorat ban gayee hain... bina uske aadmi apang mehsoos karta hain... maine doosro ko dosh kaise doon main khud iski aadat lag gayee hain... jitni teji se internet kee speed badh rahi hain... utni hi jyada logo ispe nirbhar hote jaaa rahe hain... ab toh second bhar kee doori nahin rahti hain phone aur insan ke beech....

beshak yeh ek khoobshoorat gaon hoga jahan pe abhi bhi is abhishap ya vardan se door hain... lekin sach kahe toh ab gaon bhi acchuta na raha... khair hame toh uss larkee kee zindagi mein jana hain jahan pe wo logo ke pass abhi bhi jaa ke milta hain na kee phone ke jariye....
:yes1::thankyou::applause::applause::applause::applause::thanks::welcome1:
 

Riitesh02

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हमारे हीरो का नाम शिवांश चार्य । शास्त्रों के अनुसर केहेटे है शिवांश बड़े ही शुब दिन और शुभ घड़ी में पैदा हुए है जेइसे त्रिलोक भी चाहते थे कि शिवांश की पैदाइश सूभ ग्रह नसत्र के ताल मिल के साथ शुभ घरी पैदा हो। बड़े ही संत स्वाभाव सतित्र के अपनी दिल की बात मानने वाला । कोई अगर कुछ उल्टा बोले तो उसको भी हाशके के उत्तर देता था। दिखने में भी स्वस्थ सुंदर। हर पल चेहरे पे खुशनुमा रौनक रहता था ।हाल ही में 18 साल का हया हे और बारहवीं की परिक्षा भी दे चुका है।


नागेश्वरी चार्य । 56 साल की शिवांश की दादी । बोहोत ही कम उम्र शादी हो गई थी इनकी। जैसा नाम वैसा ही इनकी रुतबा । गुस्सैल उग्रवादी स्वभाव लेकिन नेक दिल की थी । शिवांश के बिना एक पल भी नेही रह पाती है।इनके पति यानी शिवांश के दादाजी के 20 साल पहले डायरिया के कारण स्वर्गवास हो सुका है। तब से घर की मुखिया नागेश्वरी ही हैं।

शंकार चार्य । शिवांश के पिता उम्र 47 साल । ये शहर में आज की स्थिति में बोहोत बड़े बिल्डर हैं । अपने परिवार के प्रति बोहोत शंबेदनशील हैं। लेकिन इसको हमेशा से येयास किस्म के जिंदगी चाहिए थी इसलिये ये शेहेर जा के घर वासा लिया।


रोहिनी चार्य । शिवांश की मां 42 की उम्र में बला की खूबसूरती की मालकिन । हमेशा अपने परिवार की भले के लिऐ इस्सर से प्रथान करने संस्कारी गृहीनी ।












सुप्रिया चार्य । उम्र 20 साल शिवांश से बड़ी । बला की खूबसूरती अपनी मां को तरह जो पढाई से ज़्यादा अपनी जिस्म पे ध्यान देती हे ।

रघुनाथ चार्य । शिवांश के चाचा ।उम्र 45 साल । बोहत ही मेहनती इन्सान हैं । अपनी जमीन पे खेती वारी करता है ।और गाय भैंसों को पाल के परिवार का पालन हार करता है ।

चमेली चार्य । उम्र 42 साल । शिवांश की चाची । वैसे तो ये भी बला की खूबसूरत ही लेकिन घर की काम काज के कारण अपनी ध्यान रख नहीं पाती हे ।

शोभा चार्य । 20 साल की कच्ची उम्र । बारहवी के बाद पढ़ाई छोड़ दी । और अपनी दादी और मां का हाथ बताती है ।

अन्य पात्र की परिशय कहानी के माध्यम से आएंगे ।
Accha update hai bhai lekin dadi aur baap ke bich sirf 9 saal ka antar hai usko sudhar lo. Baap ko 44 45 dadi ko 60 aisa kuch.
 

aalu

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इनके पति यानी शिवांश के दादाजी के 20 साल पहले डायरिया के कारण स्वर्गवास हो सुका है।
diarrohea ... kya yaar ugrawadi dadi ke standard ke hissab se beemari toh bara sochte... yeh toh wahee baat ho gayee kee launda bawashir kee operation mein mar gaya...
 

Yogibaba00007

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शंकार और रोहिनी जब पहला बच्चा हुए तो वो बोहोत खुश थे लेकीन जब उसे नर्स आके बताती है कि लडकी हुई ही तो वो थोड़ा मायूस हो जाता है लेकीन ऊपरवाले की देन समझ के खुश हो जाता है । वो चहता था को पहला बारिस उसका लड़का हो लेकिन ऊपरवाले की मर्ज़ी के आगे आज तक किसी का चला ही भला । लेकीन जब शिवांश पैदा हुए तो चप्पर फाड़ के नोटों की गड्डी गरीबों के ऊपर निशावर कर देता है और समझ में एक छोटा सा मन्दिर बना देता है।




रोहिनी अपने जिगर की तुड़के को हमेशा सीने में ले के रखती थी । शिवांश अपनी बड़ी बहन के साथ किलकारते हुए बड़ा होने लगा । लेकीन उसके किस्मत में कुछ और लिखा था । जिससे उसको अपनी मां बाप ममता लाड़ प्यार से वंचित होना पड़ा । चार चलो में उसके साथ चार बाद भयानक हादसा हो चुका था । जिससे वो मरते मरते बचा था।


शंकार और रोहिनी अपने बेटे को लेके बेहद ही परेशान हो गए । बुजुर की कथन से दोनो ने शिवांश को एक ज्ञानी ब्रह्मचर्य के पाश ले के गए और शिवांश के साथ हुए घटनाओं के बारे में बिस्तर से बता के उपाय मांगा ।

और ब्रह्मचर्य ने शंकर और रोहिनी को जो कहा उसे सुन के उन दोनो को वोही चेतना खो दिए । ब्रह्मचर्य ने बताया की दोष उनके बेटे शिवांश में नहीं दोष उन दोनो में हे जो कोई पिछली जन्म का पाप ही जो इस जन्म में चुकाना पड़ेगा । दरसल उनके जीवन में पुत्र प्राप्ति का कोई योग नही थे । और अब ऊपरवाले का यही रणमया ही को उनको पुत्र सुख की प्राप्ती नहीं होगी जिसके कारण शिवांश के साथ ऐसे अनहोनी घटना घटते रहेगा और शिवांश की एक दिन मौत हो जायेगा ।


रोहिनी और शंकर रो पड़े ब्रह्मचर्य के पेड़ो में और शिवांश को बचाने का साधन पूछा । तब ब्रह्मचर्य एक ही अंतिम उपाय बताए कि शिवांश को कही दूर भेज दे और उसके कुरी बर्ष यानी की जब तक वो 20 बर्ष ना हो जाए तब तक शंकर और रोहिनी उसे ना मिले यहां तक कि शिवांश का शहरा तक ना देखे ।।

शंकार और रोहिनी निराश हो के घर लौटे । दोनो शिवांश की भविष्यवाणी सुन के परेशान थे । अपने बेटे को कैसे अपने जिंदगी से दूर भेज दे । लेकीन ऐसा नही करेगा तो शिवांश की जान चली जायेगी ।


शंकार ने दिल पे चुरा मार के एक निर्णय लिया की शिवांश को गांव छोड़ आए अपनी मां और भाई के पाश । रोहिनी ने दिल पे पत्थर रख अपनी पति के विचार का पालन किया ।


* उम्र में शिवांश को गांव भेज दिया । जिस वक्त शिवांश के दूध के दात भी गिरे नहीं थे उस वक्त शिवांश को अपनी मां से जुदा होना पड़ा।




नागेश्वरी शिवांश को अपने गोद के पा के बेहद खुश थे । चलेमी की बेटा नहीं था तो वो भी शिवांश को को ही बेटा मान ली । रघुनाथ भी खुश थे अपनी ही खूनी था । और शोभा भी अपने शिवांश को छोटे भाई के रूप में बेहद खुश हुईं ।



सुरू सुरु शिवांश अपनी मां की ममता को याद कर के रोता था । लेकिन नागेश्वरी और चमेली ने शिवांश का कुची वक्त में दिल जीत लिया । और शिवांश भी शोभा की स्वर पकड़ के चमेली को अम्मा और रघुनाथ को बापू बुलाने लगा।

उधर रोहिनी शिवांश की याद में गले से खाना उतार नहीं पा रही थी और इधर शिवांश नागेश्वरी की आंगन में सजीव पेड़ पौधों की तरह बड़ा होने लगा ।
 
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aalu

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daadi ko pote se bara lagao hain.... ek pal bhi saath na chhorti hain... ishara kidhar hain... :crazy2: ...
waise dadi aur baapu ke umar ka antar toh mujhe bhi bara kam laga... ab 9 saal kee umar mein maa ban gayee thee ka... sala aisa paap na kar dena... mana kee papi hum shab hain lekin kayde mein... ya phir wo budhau inka launda hee na ho toh alag baat hain...

khair baapu tharkee aadmi hain... aur jaa ke bas gaya hain sahar mein... toh idhar dadi aur pota toh door ho gaye honge ya phir isse bhi gaon mein chhor diya... bahiniya maal hain aisa lagta hain... sala mata jee sanskari grihani hain... yeh xforum pe sala shab sanskari mata ne utpat machaya hua hain....:hehe: shab ke shab anaconda nikal gayee pooja paath karte karte...:D..

ab chicha sanskari launda hain ya phir yeh bhi bade bhaiya ke pad chinha pe chal pare hain... khair intro badhiya tha ab kahani ka intejar hain...
 

Yogibaba00007

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daadi ko pote se bara lagao hain.... ek pal bhi saath na chhorti hain... ishara kidhar hain... :crazy2: ...
waise dadi aur baapu ke umar ka antar toh mujhe bhi bara kam laga... ab 9 saal kee umar mein maa ban gayee thee ka... sala aisa paap na kar dena... mana kee papi hum shab hain lekin kayde mein... ya phir wo budhau inka launda hee na ho toh alag baat hain...

khair baapu tharkee aadmi hain... aur jaa ke bas gaya hain sahar mein... toh idhar dadi aur pota toh door ho gaye honge ya phir isse bhi gaon mein chhor diya... bahiniya maal hain aisa lagta hain... sala mata jee sanskari grihani hain... yeh xforum pe sala shab sanskari mata ne utpat machaya hua hain....:hehe: shab ke shab anaconda nikal gayee pooja paath karte karte...:D..

ab chicha sanskari launda hain ya phir yeh bhi bade bhaiya ke pad chinha pe chal pare hain... khair intro badhiya tha ab kahani ka intejar hain...
Mujje bhi baad me ehsaas huya।।। Ab adjust kar diya he।।।Sayed ab sahi he।।।waise thanks bhai ।।।।hasa diya
 

Yogibaba00007

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“ओए शिवा आज इतनी सुबह ”

शिवांश के गांव के लोग और घर में में प्यार से शिवा ही बुलाते थे । शिवांश सुबह ७ बजे गायों को खुले खेत में चराने के लिए निकला था और रास्ते में उसका दोस्त सुधीर उसे मिला ।


"और आज में बापू के साथ शहर जा रहा हूं । इसलिए सोचा थोरी जल्दी काम निपटाई जाय " शिवांश अपने दोस्त को बोला


सुधीर शिवांश के साथ ही पढ़ता था । और दोनो अच्छे दोस्त भी थे । लेकिन सुधीर शिवांश की तरह भला भाला लड़का नही था । जहा देखो आवारागर्दी करता रहता था ।


"क्या तु भी । छोटे बच्चों की तरह अपने बापू के साथ घूमता ही । चल आजा मेरे पास दो चिगरेट ही मस्त कस्त मार के पीते ही । सुधीर शिवांश को अपने साथ ले जाना चाहता था

"अबे हरमी कितना बार बोला में ये सब नशा नही करता हूं।फिर भी बोलता ही मुझे । बाद में मिलता हूं मुझे देर हो रही ही"


शिवांश गायों को हूर हूर कर के खेत की तरफ ले जाने लगा। सुधीर पीछे से बोला "जा बे चूतिय बड़ा आया नशा न करने वाला । एक दिन महान आदमी बनेगा जा के"

शिवांश जाते जाते हास के बोला "हां बनूगा ना"





शिवांश जल्दी ही गायों को खेत में बांध के घर चला आया और सीधा नहाने चला गया गुशल खाने । तभी उसकी दादी गुशाल खाने के पास जा के बोली " अच्छे से नहाना । तेरी साबून रह जाती ही पीठ पे । साबुन लगाने के बाद ठिक से पानी डालना होता है । कब शिखेगा तु "

"आप जब ऊपर को निकाल लगी तब अपने आप सीख मिल जायेगी " शिवांश हास के अपनी दादी का मजाक उड़ाया

आंगन में चमेली मसाला सुखा रही थीं और रघुनाथ अपनी बाइक पे उपर ऊपर से कपरा मार रहा था। शिवांश की बातें सुन के दोनो मुंह दबा के हसने लगा


नागेश्वरी जल बुन के पेड़ पटक के बोली " दिन रात जा के तुझे खिला पिला के बड़ा किया अब तूझे बड़ी जल्दी ही मुझे ऊपर पोहोचने की नालायक । और तुम दोनो हास क्या रहे हो तुम दोनो की लड़ प्यार की वजह ही लोंडा बिगड़ गया ही । कहता था ना ज्यादा छुट्ट मत दो । देखो कैसे बिगड़ गया ही" दादी पेड़ पटक के वोह से चली गई ।

चमेली शिवांश को दातने लगा "क्यू अम्मा जी को गुस्सा दिलाते रहते हो अब दिन भर हम पे गुस्सा निकलेगी "


शिवांश गुशल खाने के अंदर से बोला " अरे में तो दादी की टांग खींच रहा था वोही मधु मक्खी की तरह भड़क जाति ही तो में क्या करू"

रघुनाथ बोला " तू भड़काने वाली बात करेगा तो सामने वाला भड़केगा ही ना । अब चल जल्दी से नहा के नाश्ता कर हमे देर हो रही ही "




शिवांश नहा धो के अच्छे से तैयार हो के नाश्ता करता है। नागेश्वरी आंगन में तिपाई पे बैठा थी । शिवांश जाते जाते दादी की तरफ देखा तो दादी गुस्से में मुंह फेर ली । नागेश्वरी अभी भी गुस्सा थी । शिवांश हास हास के रघुनाथ के बाइक पर बैठ के चला गया ।

 
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