• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

Yogibaba00007

Active Member
831
2,291
124
aap bari naughty hoo... naageshwari .... haan wo toh main hoon hee.. tabhi toh dadajee ke bahane tujhko chadhwa rahi hoon... sala mike testing karte karte yeh tharkee budhiya mike pakar ke hello jaroor bol degi... garmi mein besharmi... ab saal ka chuunu hain kee nunnu... itna garmi mein kaise so shakta hain.... Dadajee hote toh titar bitar karte mujhe.... isko baba kamdev ka taang chhitrasan wala yogasan sikha do... taango ke beech garmee kuchh jyada lag rahi hain...

muh mein thukne pe iska sugbuga raha hain... pehle pata hota toh kab ka thuk deti... lekin budhiya ne toh bas chus ke chhor diya....
Guruji pranam.... :laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :laughing: :applause: :applause: :applause: :applause: :applause: .....dil khush kar diya....:thankyou:
 
  • Like
  • Love
Reactions: Naik and aalu

Yogibaba00007

Active Member
831
2,291
124
बहुत बढिया जा रहे हो भाई
बहुत ही मस्त और शानदार अपडेट है
मजा आ गया :applause: :applause:
अगले धमाकेदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Thanks dost:applause::applause::thankyou:
 
  • Like
Reactions: Naik

Yogibaba00007

Active Member
831
2,291
124
अपडेट–२१






शोभा की मेहंदी के रस्म निभाने का दिन भी गया । सुबह से लोग घर के चौखड़ पे इधर से उधर भाग दौर कर रहे थे । रस्म निभाने का सभी सामान पहले से तैयार थी । शादी के संगीत गा रहे थे सारे औरते ढलक के साथ । कुछ छोटी और कुछ शोभा की शहेली नाच रहे थे । मेहंदी के दिन खास कर औरतों की ही हे । मर्द लोग बाहर ही थे । लेकीन शिवांश किसी न किसी बहाने घर के अंदर ही मंडरा रहे थे । तो सभी औरते मिल कर उसे चिढ़ाने लगे की तू यह औरतों के बीच क्या कर रहा हे तुझे भी मेहंदी लगवानी है क्या । बेचारा शिवांश मुंह छुपा औरतों के बीच से भाग निकला । और खेत की तरफ निकला ।


पूरा दिन खेत में ही निकला मजदूरों के साथ हाथ बताते हुऐ । शाम को जब घर आया तो उसे चमेली ने डांटा की ऐसे कोई दिन भर घर से बिना खाएं पिए बाहर रहता है क्या । और उसके लिए बसा के रखा खाना गर्म कर के खिलाया ।




दूसरे दिन शादी थी । सुबह शोभा की हल्दी की रसम निभाया जा रहा था । और उसके लिए एक चीज़ की जरूरत पर गई थी । डूबा घास की । शिवांश की एक मामी ने डूबा घास लाने भेजा उसे ।



शिवांश दुर्बा घास की खोज में घर के पीछे लगे बाग मे गया जहा आम , कट्ठल , लिच्छी , जमीन और अन्य फल की पेड़ लगे हुऐ थे । शिवांश बाग से डूबा घास ढूंढ के दुर्बा घास तोड़ रहा था ।


नागेश्वरि भी दूरबा घास लाने बाग में गई थी । उसे पता नही थी की शिवांश पहले से ही वहा पे घास लाने गया था । बाग में अपने पोते को देख उसके पास जा के बोली " तू पहले से ही आ गया था "


"हां । अब आए हो तो आप भी दो चार तोड़ लो "


" नही तू तोड़ मूझसे झुका नही जा रहा हे । काम करते करते लगता हे कमर में लचक आ गई "


शिवांश को सैतानी सुंजी और उसने अपनी दादी की पेड़ो के नीचे देखते हुए डरा हुए सकल बनाने लगा । नागेश्वरि भी अपने पोते को देखने लगी इससे पहले की वो कुछ सोच पाते शिवांश ने जोर से चिल्ला के दो कदम पीछे आया । " दादी सांप "


नागेश्वरि की जान निकल के गले तक आ गई थी । वो डरते हुए " आऊ " कर के चिल्लाते हुए पोते की तरफ भागी ।


शिवांश खुद को रोक नहीं पाया और हां हां हां हां कर के हसने लगा । नागेश्वरि को तब एहसास हुए उसका नालायक पोता इसके साथ मझक कर रहा था ।



नागेश्वरि नागिन की तरफ गुस्से में फरफराने लगी और सारी उठा के पोते के पीछे भागी " तूझे तो आज में जान से मार दूंगी रुक तू "


शिवांश को इतना हांसी आ रहा था वो भाग ही नेगी पाया और दादी उसको पकड़ के उसके पीठ पे मारने लगी । दादी पोता मस्ती में खोए हुए थे उधर सब इंतजार में थी की दुर्वा घास पोहोचेगा ।




शिवांश हस्ते हंसते शांत हो गए अपनी दादी की मार खा के और नागेश्वरो भी मारना छोड़ दी । नागेश्वरी की मन चंचल हो उठी और उसने आस पास नजर फिरते हुए शिवांश को एक बड़े आम के पेड़ के नीचे ले जा के बोली " चल एक जल्दी से चुम्मा दो "


शिवांश बोला । " दादी इस वक्त यहां पे । नही दादी रात को दूंगा "

" देता है या नही " माहेश्वरी सख्ती दिखा के बोली

" दादी आप डराओ मत । में आपसे नही डरता । "


माहेश्वरी बिना कुछ बोले अपने पोते को बाहों में भर के शर उठा के शिवांश के होंठों पे होंठ लगा दी । शिवांश भी अपनी दादी की होंठ में होंठ मिला देते हैं । दोनो धीरे धीरे एक दूसरे की होंठों से रस पान करने का लुफ्त उठाने लगे । शिवांश भी दो दिन में अपनी दादी के साथ चुम्बन करना सीख गया था ।



दोनो मधुर चुम्बन में लुफ्त थे । नागेश्वरि अपने पोते को बाहों में ले के उसके पीठ पे हाथ से पकड़ रखे थे और शिवांश अपनी दादी के चेहरे को दोनो हथेली पे ले के छापर चोपोर चुम्मा ले रहा था । एक दूसरे की लाली मां भी जीव से स्वाद लेते हुए पी रहे थे । बेहद दी मधुर दृश्य था ।




दोनो की सांस तेज़ चलने लगे । एक दूसरे की नसीली आखों में देखने हुए दोनो ने होंठ अलग कर लिए ।


नागेश्वरि पोते के गहरी आखों में देखते हुए बोली । "शादी में कोनसा सारी पहनू बता "

" वोही जो पिछली बार लाया था हरा वाला । उसपे आप बेहद खूबसूरत लगेगी " शिवांश हांस के बोला

" और ब्लाउज "

" ब्लाउज भी हरा वाला ही पहनना सारी के रंग से मिला के "


" और उसके अंदर ब्रा कौनसी रंग की पहनूं " धीरे से बोल के सैतनी मुसकान दे के पोते के जवाब का इंतजार करने लगी


शिवांश शर्म से नजरे झुका लिया और बोला । " क्या दादी । आप बोहोत बेशरम हो गई हो । कुछ भी पहन लेना "

" कुछ भी क्यू । बोल ना कौनसी रंग का पहनु "

" हारा वाला ही पहनना " शिवांश शर्म के बोला

" मेरे पास हरा रंग का नही हे "

शिवांश कुछ सोच के प्यार से बोला । " मुझे क्या पता हे आपके पास कौनसी कलर का ब्रा है "

" ये भी सही हे । तूझे पता कैसे होगा जब की तूने कभी देखा ही नहीं मेरी ब्रा । अच्छा मेरे पास लाल , सफेद , और काली रंग की है अ
ब बोलो कौनसी पहनूं "

" ऊम । लाल रंग की पहनना । और अच्छे से सजना में आपकी फोटो निकलूंगा । " और अपनी दादी की होंठ टपक से चूम के भाग निकला ।



नागेश्वरि बस मुस्कुराती रह गई । दोनो कैसी प्रेमी की तरह व्येबहर कर रहे थे । शिवांश तो बेचारा सीधा साधा सा रबर कि तरह था जैसे खींच के बंध दो वो ऐसे ही रहेगा । दादी की माया में बेचारा बिना जाने ही दिल दे बैठा था दादी को । और नागेश्वरी अपनी मनसूबा में इतनी बेहेक गई की अपने पोते साथ यौन हरकत करने में भी बुरा नही लग रही थी बल्कि वो सारी मर्यादा भुल बे पोते को जी भर के प्यार करना चाहती थी ।
 

Yogibaba00007

Active Member
831
2,291
124
अपडेट –२२










शाम को
दुल्हन खल को सजाया जा रही थी बाकी रस्मों रिवाज के साथ । सभी औरतें सज धज के तैयार हुई थी और मन में यही थी की आज मेरे जैसा कोई खूबसूरत नही लग रही है । शादी का भी देख रहा था और मेहमानों का स्वागत भी कर रहा था अपने बापू के साथ । बीच बीच में केट्रिन की तरफ जा के देख रहा था की खाना कैसा बन रहा हे । और जो खा रहे थे उनको पूरी सुबिधा मिल रहा हे या नही वो काम भी देख रहा था । और शादी ब्याह कुछ मिले न मिले लेकिन सराबी जरूर मिलते थे । उन सराबियों को शिवांश संभाल रहा था ।




और इसी बीच बस उसकी नजरे दादी को ही ढूंढ रहा था । बस मन की इस्सा यही था की उसकी खूबसूरत दादी उसके नजरों के सामने ही रहे । कोई मर्तबा अपनी दादी से आमना सामना हुआ किसी काम से या इधर उधर जाते हुऐ । और जब दोनो के नजरे मिलती थी दोनो के होंठों पे एक अलग ही प्यार भरी मुस्कान निकल आते थे । और एक दूसरे की नजरे मिलते ही चंचल भाव आ जाते थे मन में ।




रात के १० बज रहे थे। कूची देर में बारात आने वाला था। शिवांश परेशान था क्यू की वो अपनी दादी की फोटो नही निकल पा रहा था। कोई मौका ही नही मिल रह था उसे ।


और वो अधर्य हो के अपनी दादी के पास गई । जहा दुल्हन बैठी थी सज साबर के और उसके पास कोई औरते थे । जिसमे एक उसकी प्यारी दादी भी थी । और अपनी दादी से सबके सामने बोला । " दादी फोटो निकलने दो ना "



उसका कहने का लहजा बोहोत मासूम था और दृश्य ही ऐसी बनी थी की वोह जिसने भी सुना सभी हसने लगे । ये देख के शिवांश तो शर्म से पानी पानी हो गया है की नागेश्वरि भी शर्म से अपनी पल्लू से मुंह ढकने लगी।




सभी औरतें कुछ न कुछ दादी पोते की जोड़ी बना के और शिवांश के नकल उतर के खूब हसने लगा । शोभा भी बोल रही थी शिवा मेरी फोटो निकालना छोड़ तू दादी की फोटो निकलने के पीछे पड़ा है आज तो दादी से थोड़ा दूर रह तू शिंता मत कर में दादी को अपने साथ दहेज में नही ले जाऊंगी । सारों तरफ से शिवांश हसी का पात्र बन गया था । शिवांश वोह से भाग निकला। लेकिन नागेश्वरि को बोहोत बुरा लग रही थी।



नाहेश्वरी से रहा नही गया और उसने किसी को बिना बताए वाहा से खिचक गई और अपने पोते को ढूंढ के दूर से इसारे से समझा दिया की मेरे पीछे आना लेकिन दूर से ।


शिवांश भी खुशी से अपनी दादी का पीछा करने लगा । नागेश्वरी सबकी नजर से बच के पोडोस वाली के घर में गई । इस घर में एक प्राणी भी नही थी सबके सब शादी में थे । दोनो दादी और पोता पोडोसी के घर में थे । लेकिन घर में ताला लगा हुए था ।


नागेश्वरि ने बरामदे में पोते को अपने पास खटिया में बिठा ली और पोते गाल शहला के बोली । " मेरा बच्चा। तूझे दादी की फोटो निकालना है । में भी भूल गई थी । माफ करना उम्माह " और गाल चूम ली



" कोई बात नही दादी । चलो अब पोज जो में फोटो खींचता हूं "


नागेश्वरि ने कोई पोज में अपनी फोटो निकली पोते के मोबाइल से । शिवांश बोला " दादी पाओद करो "

" पाऊद । ये क्या होता हे भाई " नागेश्वरि को कुछ समझ नही आई


शिवांश ने अपनी दादी को पाऊड करना सिखाया और एक साथ कोई सेल्फी लिया । दोनो ने ।


" अभी तक तुमने कुछ कहा नहीं की किसी लग रही हूं " नागेश्वरी अदाह दिखाते हुए बोली ।


" बोहोत खूबसूरत लग रही हो"


नागेश्वरि से रहा नही गया और अपने पोते को पागलों की तरह चूमने लगा कभी चेहरे पे कभी माथे पे और फिर होंठों से होंठ मिला दी । शिवांश भी जोश में आ के अपनी दादी को सक्रोध से चूमने लगा । दोनो मुंह से उम्ह्ह उन और होंठ चूसने की च्राप चप चप आवाजे निकाल रहे थे ।




जब दोनो के सांस अटके तब दोनो एक दूसरे से अलग हो गए । दोनो आंखे लाल सुर्ख हो गए थे । छाती ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही थी । शिवांश ने अपनी दादी की जिस्म की खुशबू और परफ्यूम की खुशबू सुंख के मधोश हो गया था ।


" लाल रंग की ब्रा पहनी हे देखोगे " नागेश्वरि धीमे से बोली

शिवांश शरमा के अपनी निचले होंठ दांत में काट के छोटे बच्चो की तरह नजरे झुका ना में शिर हिलाने लगा । नागेश्वरि मुस्कुराने लगी और बोली । " देख लो । तूने कभी मेरी ब्रा नही देखी हे ना " । बोल के अपनी ब्लाइसेट के सारे हुक खोल के दोनो तरफ फैला के अपनी ठोस छाती ब्रा में कैद दिखाने लगी ।

शिवांश नजरे उठा के अपनी दादी बड़े बड़े चूचियों को देख के फिर नजरे हटा लेता था ।
 

prkin

Well-Known Member
5,394
6,129
189
अति सुंदर।
योगी बाबा।
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,382
9,015
159
Dost aapka comment bohot achcha laga ..bohot hi uttsah dene wali comment thi.........



Aapki asuvidha janak baat ko me samjh sakta hoon ......lekin kya hi ki mujhe thori problem hoti he ........me jab likhta hoon to me word count nehi karta .... matlab ye nehi sochta ki itne word me scene khatam kar doon ...apne jehen me dimag jo aata he wo likhte jaate huun..........aur isi wazah Aisa ho jata he ki usme se 4,5 update ban sakti he .......thori dikkat hoti he copy past karna .......aur update bhi had se bada ho jata he.......me itna achcha writer nehi hoon.....nehi hoon matlab kuch bhi nehi ...Bas ye hai dusro ki story padh ke khud ko bhi likhne ka man kiya baas aise hi likh deta hoon....achche sabdawali se do line ko ek line kar doon ...ye mujhe nehi aata ...itna manage karna nehi aata ....... readers ko kya pasand aata he ...aur us hisab se itna work nehi aata ....baas jo jehen me jitna kalpanik tarike se kar pata hoon utna hi baas.............







Ab se me do do update de diya karunga ek saath..........mujhe bhi thora page badhna he ..... viewers badhenge achcha lagta he ye dekh ke .....



Aap ko kisi baat ka bura lage to rahe dil se maafi chahta hoon ........baas asha karta hoon ki aap mujhe mujhe samjhenge.......thank you dost

Yogi Ji jaise aapka man kare waise likho ..
maine toh bus aapko sujhav diya tha.. usko anaytha naa len, bahut badhiya likh rahe ho aap or aise likhte raho …

👏🏻👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷🌷
 

sunoanuj

Well-Known Member
3,382
9,015
159
Bahut hee behtareen update …

👏🏻👏🏻👏🏻🌷🌷🌷
 
Top