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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

Sanskari Larka

Sᴀk†Lᴀน𝖓da
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Awesome story.
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Yogibaba00007

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अपडेट–१३








नागेश्वरी बोली । " देखो ना इतना क्यो शरमा रहे हो । दादी ही तो हूं । दादी की ब्रा देखने में भी तुझे शर्म आती है । अच्छा छू के देखो "

शिवांश न में शिर हिलाने लगा । नागेश्वरी उसका हाथ पकड़ के अपनी चूची के ब्रा के ऊपर से ही चुभने लगी हल्के हल्के । शिवांश अपनी दादी के ब्रा वो भी चूची के ऊपर से छूह के झीजोर गया ।


" अच्छा एक बात बता । तूझे मेरी चुम्मा ले के कैसा लगता हे "

" अच्छा लगता हे " शिवांश शर्म के बोला

" अच्छा मतलब । कैसा अनुभव होता हे । बताओ ना "

" नर्म गिला गिला । पता नही बस आनंद आता हे " शिवांश से और रहा नही गया वो मुंह फेर लिया

नागेश्वरि खटिया पे लेट जाती हे और अपनी खुली छाती दिखा के जो ब्रा में कैद थी । अपनी बाहें फेला के अपने पोते को निमंत्रित करती है " मेरा बच्चा आ जा दादी के अंदर समा जा "

शिवांश अपनी दादी प्यार में खींचा चला गया और दादी के ऊपर गिर गया । नागेश्वरी बोली । " प्यार कर ना दादी को "


शिवांश नागेश्वरी को चूमने लगा तो दादी ने उसके काम में बोली । " बेटा मेरी गर्दन पे और छाती पे चुम्मा दो ना "

शिवांश अपने चढ़ती सांस के साथ तेज निस्सास लेते हुए अपनी दादी की गर्दन और कंधे पे हल्के हल्के चूमने लगा । लेकिन माहेश्वरी उसके गर्दन में अपनी मुंह रगड़ हुए बेतहसा चूम के बोली । " ऊंह बेटा ऐसे प्यार करो "


शिवांश भी वैसे ही जोश में अपनी दादी गोरी चिकनी गर्दन और कंधे पे और छाती पे मुंह रगड़ रगड़ के थोड़ा चाटने की तरीके से चूमने लगा । नागेश्वरि जेनरेटर की तरह भट्ट भट्ट कर के उत्तेजित हो गई और पोते के बालोंट पे उंगलियां सहलाने लगी और आंख बंद कर के कामुक आवाज निकलने लगी " ईससस आहस । आह । उह शिवा आसह । कर के शिवांश अपनी दादी को ऐसे अजीब हरकत करते हुए देख के देखने लगा तो नागेश्वरि अपनी आंखे खोल के उसे प्यार से देख के बोली " क्या हुए ।"

" दादी आप एसी क्यू कर रही हो । चुम्मा लेने से दुखता है क्या "

नागेश्वरी हस पड़ी । और बस पोते को देखने लगी और मन में बोली " उफ ये लड़का भी ना । कुछ भी अंदाजा नही हे ।"



तभी बैंड बाजे की पे पे डिंग डांग आवाज सुनाई दी और नागेश्वरी झट से उठ गई और कपरे सही करती हुई बोली ।" चलो बारात आ गया है। जल्दी चलो । " फिर दोनो दादी पोता अपने घर को लौटे ।







बारात का बड़े अच्छे स्वागत किया गया । और कुछ देर बाद मंडप पे शोभा और जायस की शादी पंडित ने धूम धाम से करा दिया । फिर बिदाई की रस्म । सभी औरते हाओ कर के मुंह खोल दी । कोई करीबी रिश्ते के थे उनकी बात सही है थोड़ा बोहोत रोना लेकिन जिसका कोई संबंध ही नही हे बस जान पहचान है वो औरते भी रोने लगी ।



चमेली और रघुनाथ का रो रो के बुरा हाल था । शोभा ने रोते रोते हे सावल अपनी शिर के ऊपर से पीछे फेकने की अखरी रस्म पूरी करते हुए अपने मां बाप और दादी से रो रो के गले लगी और आखिर में शिवांश के गले लग के खूब रोने के बाद बोली ।" मां और बापू का खयाल रखना और दादी से ज्यादा जगरा मत करना । और हा रोज फोन करना वरना तुझे उठा के ले जाऊंगी "

शिवांश के आखों से आंसू बह रहे थे फिर भी एक मुस्कान के साथ बोला " बड़ा करता हूं दीदी । आप भी अपना खयाल रखना और कुछ असुविधा हो बेजीजक फोनी करना " ए फिर अपने जीजाजी जायस गले मिल के बोला " जीजू आपकी किस्मत अच्छी हे की आपको मेरी नादान बहन जैसी पत्नी मिली हे । जरा सा भी परेशान किया वोहा आके पीट दूंगा । भले ही आप ताकतवर हो लेकिन में भी डरता नही "


जायस शिवांश को गले लगा के बोला ।" अरे सेल साहब डराओ मत सच में दर लगता है । जानता हूं तू अपनी बहन से बेहद प्यार करता हे इसलिए किसी भी चीज कमी महसूस हीन नही दूंगा । बड़ा करता हूं बोहोत काह्याल रखूंगा "



और आखिर में रघुनाथ और चमेली मिल के शोभा बिदा कर देती हे । शोभा कार की पीछे के चीचे से अपनी परिवार रोते हुए देख रही थी जब कार उजल न हो गए ।


एक सुना पान सा हो गया था तब । शिवांश को अपनी बहन के साथ बिताए बसपानी के दिन की याद आ गए जिसमे कुछ यादें ऐसे खास थे जैसे की दोनो कभी बेहद जागते थे और कभी दोनो मिल जाते थे जैसे एक जोड़ी । शिवांश को एक बाद याद आया जब वो एक बार बोहोत बीमार पर गया था तब शोभा एक पल भी उसके साथ नही छोरी थी और 3 दिन तक उसके साथ बॉयल साधा खाना खाती थी और बाद में अगले ही दिन ए बीमार पर गई थी । और शिवांश को बोलती थी " देख अब हम दोनो एक जैसे हे तू भी बीमार में भी बीमार " शिवांश को हसी आ गया ।
 

Yogibaba00007

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अपडेट–२४




शोभा के ससुराल जाने के बाद चमेली बेहद शिंटित रहती थी । जब 15 दिन बाद सब मिलके शोभा के ससुराल जा के दोनो परिवार मिल के आए और अपनी बेटी खुश देख के चमेली फिर माहोल में आने लगी । शिवांश भी कशिश करता शोभा की कमी न हो । इसलिए कभी कभी अपनी अम्मा के साथ खाना बनाने में या कोई छोटी मोटी काम में हाथ बताती था ।





और एक नागेश्वरि पोते के परीक्षण लेने में लगे हुए थे । जिसमे दोनो दादी पोता अपने आपके मर्यादा लांघते जा रहे और किसी को पता भी नही चल रहा था दोनो दादी पोते के बीच प्यार के आड़ में कौनसा खेल चल रहा हे । चमेली अपने बेटे के प्रगति विवरण जानने के लिए अपनी सांस से पूछती तो नागेश्वरी बात घूमा के सब सही होने का झांसा देती थी । चमेली अपनी सांस की अंध विश्वास पात्र थी । इसलिए जो बोले मान जाति थी ।





नागेश्वरि को पूरा विश्वास हो चुकी थी की शिवांश को यौन का विपरीत लिंग का आकर्षण होता है । बस अब उसे पता करना था की शिवांश के लोटे में पानी ही के नही ।



नागेश्वरी ने एक अलग ही योजना बनाया । उसने एक दिन एक बॉटल में कुछ करवा पानी जैसा भर के लाई और साथ में एक तेल की बोतल । सभी खा पी के सो चुके थे । शिवांश ने अपनी दादी के हात मै वो सब चीज़ें देख के बोला " दादी ये क्या हैं बॉटल में ।"


"तूझे कहा था ना । हमारी एक खानदानी बीमारी हे । ये उसकी ही दावा हे "


" अच्छा दादी आज तक आपने मुझे बीमारी का नाम नही बताई । जरा बताओ तो कौनसी बिमारी हे हमें"


नागेश्वरि पोते के पास बैठ के बोली । " ध्यान से सुन । हमारे खानदान में मर्दों का बच्चा ना होने का बीमारी हे । तेरे दादाजी को भी ये बीमारी थी उनको एक हकीम ने ये दबा दी हे तब जा के तेरे बापू हुए है। फिर ये बीमारी तेरे बापू को भी लगी तब ये दबाई फिर लाई गई और तबसे थोड़ा संभल के रखा हे । अब तुझे इसमें एक बॉटल का पानी पीना पड़ेगा और एक लगाना पड़ेगा । चल पी "


शिवांश ने एक बॉटल से पानी पिया और करवाया से मुंह भींच के बुरा सा मुंह बना के बोला । " कितने दिन तक पीने होगा ये "

" बस एक बार ही पीना हे । बस ये मालिश तीन–चार दिन तक करना हे " नागेश्वरि शरारत भरी मुसकान देने लगी


शिवांश तेल की बॉटल हाथ में ले के पूछा " कहा मालिश करना है दादी । "


" वोह पे । तेरी पूपू पे । " नागेश्वरी मुस्कुराने लगी


लेकिन शिवांश की आंखे आचार्य से बाहर निकल गए । उसे जेसे सदमा लगा हो और कुछ अनसुना सुन लिया हो ।

नागेश्वरि तेल की बॉटल ले के बोली " ला में मालिश कर देता हूं"

शिवांश झट से पीछे हो के बोला ।" नही नही दादी में कर लूंगा बाद में "


नागेश्वरि बोली । " अरे इसका रस्म है । ये मालिश घर की औरतों से करवानी होती है । तेरी अम्मा तो मुझे करने को बोली हे अब मुझे ही करना होगा । आ इधर "



शिवांश बिस्तर से उठ के दूर हो गया उसका गला सुख रहा था । क्यो की हैरान और सोक में था की उसकी दादी उसके लन्ड का मालिश करेंगी । उसके लिए ये असंभव था और ना ना में गर्दन हिला रह था


" इधर आ । कहा भाग रहा हे । बीमारी ठीक करना ज़रूरी है । दर मत आजा । "

लेकिन शिवांश दादी के पास नही गया तो नागेश्वरि बिस्तर से उतर गई उसे पकड़ के पास लाने की और शिवांश फुर्ती से दरवाजा खोल और अपने कमरे की तरफ भागा और अपने कमरे के खुद को बंद कर लिया । नागेश्वरि कुछ पल भूत की तरह खड़ी रही । उसे बोहोत गुस्सा आ रहा था एलिन बाद पोते की ऐसे हरकत देख के खुद ही हंसने लगी ।
 
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prkin

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अपडेट–२५




शोभा के ससुराल जाने के बाद चमेली बेहद शिंटित रहती थी । जब 15 दिन बाद सब मिलके शोभा के ससुराल जा के दोनो परिवार मिल के आए और अपनी बेटी खुश देख के चमेली फिर माहोल में आने लगी । शिवांश भी कशिश करता शोभा की कमी न हो । इसलिए कभी कभी अपनी अम्मा के साथ खाना बनाने में या कोई छोटी मोटी काम में हाथ बताती था ।





और एक नागेश्वरि पोते के परीक्षण लेने में लगे हुए थे । जिसमे दोनो दादी पोता अपने आपके मर्यादा लांघते जा रहे और किसी को पता भी नही चल रहा था दोनो दादी पोते के बीच प्यार के आड़ में कौनसा खेल चल रहा हे । चमेली अपने बेटे के प्रगति विवरण जानने के लिए अपनी सांस से पूछती तो नागेश्वरी बात घूमा के सब सही होने का झांसा देती थी । चमेली अपनी सांस की अंध विश्वास पात्र थी । इसलिए जो बोले मान जाति थी ।





नागेश्वरि को पूरा विश्वास हो चुकी थी की शिवांश को यौन का विपरीत लिंग का आकर्षण होता है । बस अब उसे पता करना था की शिवांश के लोटे में पानी ही के नही ।



नागेश्वरी ने एक अलग ही योजना बनाया । उसने एक दिन एक बॉटल में कुछ करवा पानी जैसा भर के लाई और साथ में एक तेल की बोतल । सभी खा पी के सो चुके थे । शिवांश ने अपनी दादी के हात मै वो सब चीज़ें देख के बोला " दादी ये क्या हैं बॉटल में ।"


"तूझे कहा था ना । हमारी एक खानदानी बीमारी हे । ये उसकी ही दावा हे "


" अच्छा दादी आज तक आपने मुझे बीमारी का नाम नही बताई । जरा बताओ तो कौनसी बिमारी हे हमें"


नागेश्वरि पोते के पास बैठ के बोली । " ध्यान से सुन । हमारे खानदान में मर्दों का बच्चा ना होने का बीमारी हे । तेरे दादाजी को भी ये बीमारी थी उनको एक हकीम ने ये दबा दी हे तब जा के तेरे बापू हुए है। फिर ये बीमारी तेरे बापू को भी लगी तब ये दबाई फिर लाई गई और तबसे थोड़ा संभल के रखा हे । अब तुझे इसमें एक बॉटल का पानी पीना पड़ेगा और एक लगाना पड़ेगा । चल पी "


शिवांश ने एक बॉटल से पानी पिया और करवाया से मुंह भींच के बुरा सा मुंह बना के बोला । " कितने दिन तक पीने होगा ये "

" बस एक बार ही पीना हे । बस ये मालिश तीन–चार दिन तक करना हे " नागेश्वरि शरारत भरी मुसकान देने लगी


शिवांश तेल की बॉटल हाथ में ले के पूछा " कहा मालिश करना है दादी । "


" वोह पे । तेरी पूपू पे । " नागेश्वरी मुस्कुराने लगी


लेकिन शिवांश की आंखे आचार्य से बाहर निकल गए । उसे जेसे सदमा लगा हो और कुछ अनसुना सुन लिया हो ।

नागेश्वरि तेल की बॉटल ले के बोली " ला में मालिश कर देता हूं"

शिवांश झट से पीछे हो के बोला ।" नही नही दादी में कर लूंगा बाद में "


नागेश्वरि बोली । " अरे इसका रस्म है । ये मालिश घर की औरतों से करवानी होती है । तेरी अम्मा तो मुझे करने को बोली हे अब मुझे ही करना होगा । आ इधर "



शिवांश बिस्तर से उठ के दूर हो गया उसका गला सुख रहा था । क्यो की हैरान और सोक में था की उसकी दादी उसके लन्ड का मालिश करेंगी । उसके लिए ये असंभव था और ना ना में गर्दन हिला रह था


" इधर आ । कहा भाग रहा हे । बीमारी ठीक करना ज़रूरी है । दर मत आजा । "

लेकिन शिवांश दादी के पास नही गया तो नागेश्वरि बिस्तर से उतर गई उसे पकड़ के पास लाने की और शिवांश फुर्ती से दरवाजा खोल और अपने कमरे की तरफ भागा और अपने कमरे के खुद को बंद कर लिया । नागेश्वरि कुछ पल भूत की तरह खड़ी रही । उसे बोहोत गुस्सा आ रहा था एलिन बाद पोते की ऐसे हरकत देख के खुद ही हंसने लगी ।

Update ka number galat ho gaya hai Yogi Baba
 

aalu

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yeh sirf usse sambhog gyan ya kahe rati gyan bhar dene tak na raha .... nageshwari karne to bas nirakshan hi aayee the lekin... itne warsho tak bina purush ke saath aur un dono kee beech ke waise halat uske kadam thahrne na de rahe hain... wo ab khud ko uski premi maan baithi jis tarah se aam ke baag mein usne shivansh ko chuma waise toh koi kishoravastha kee umar kee larkiya karti hain... wo apne pote ke saath ussi kee umar kee ho ke jee rahi hain... aur shiva ke liye toh yeh shabnaya hain... jo bhi ho raha hain sharm toh aa rahi hain lekin achha bhi utna hi lag raha hain... aur isse sahi galat bhi kyun lagega jab,,, isse sahi galat ka gyan dene waali hi uske saath yeh shab kar rahi hain .,,, yeh toh bas maze kee duniya mein kho raha hain apni dadi ke saath... dekhte hain yeh aag kahan jaa ke thamti hain... ab toh kisi premi jore kee tarah ek doosre ke pasand naa pasand tak puchhne lage...

dadi lagta hain pote ke pyar mein kuchh jyada hi risk utha rahi hai shaadi ka mahaul hain bhanti bhanti ke log hote hain kisi ne bhi dekh liya toh na jaane kya baat banegi... shayad yeh feeling aisa hee hain koi bhi achhuta na rahta hain chahe umra ka koi bhi parav kyun na ho...
 
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