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कोई दोस्त जिसको कंप्यूटर के बारे ने जानकरी रखने वाला अगर मुझे थोरा जानकारी दे तो बहत मेहेरबानी होगी .....हां लेकिन बोहत की कम बजट का ...फिलहाल फ़क़ीर हूं.......शुक्रिया दोस्तो०
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वेलकम दोस्तBahut ache Pratiksha me ..
Superअपडेट–२६
नागेश्वरी चटपटा रही थी लेकिन पोते की पकड़ बोहोत मजबूत थी और नाराजगी का जोश था। शिवांश अपनी दादी की गाल दात से कटने लगा और बोला " बोहोत हो गया । अब जल्दी से माफ कर दो नेगी तो "
" नही तो क्या कर लेगा । " नागेश्वरी अकड़ दिखा के बोली
" नही तो । नही तो " बोल के शिवांश गुस्से से अपनी दादी की दाई चूची हाथो से पकड़ के अपने सख्त पंजों के गिरफ्त में ले के जोर से दबा के बोला " नही तो आपकी दूदू फोड़ दूंगा "
नागेश्वरि दर्द से बिलबिला उठी चिल्लाते हुई " आईईई मर गई में " कर के । और अपनी दाई चूची को सहलाने लगी " शिवांश अभी भी उसे गुस्से से देख रहा था । नागेश्वरी को अपने पोते का गुस्से भरा चेहरा देख हास पड़ी और बोली । " बाप री इतना गुस्सा हे तेरे अंदर । आज तक तो कभी इतना गुस्सा नही किया "
शिवांश बोला " क्यो बात नही की दो दिन तक मुझसे । पता है में कैसे तड़प रहा था "। और ये बोल के बिस्तर से उतर के टेबल के पास गया और वो तेल की बोतल ले अपनी दादी को दे के बोला " लो कर दो मालिश "
नाहेश्वरि हास पड़ी और बोली " आ लेट जा इधर "
शिवांश मुस्कुराते हुए बिस्तर पे चढ़ गया और लेटने से पहले दादी ने उसके टी शर्ट उतार दिए जिससे वो ऊपर से नंगा था । नागेश्वरि बड़ी उत्सुक थी अपने पोते लन्ड देखने के लिए मन में यही सोच रही थी पता नही कैसा होगा । और आराम से उसने अपने पोते पेंट नीचे चरकाने लगी । शिवांश ने अंदर चड्डी नही पहना था । और माहेश्वरी ने पेंट घुटनो तक चढ़का दी ।
नागेश्वरि के दिल धक धक करने लगी अपने पोते नंग वबस्था में देख कर । घने झांटों के बीच सवाल नाग सोया हुआ था ।शिवांश शर्म से अपनी मुंह छुपा लिया दोनो हाथों से। जिससे साइड शर्म के कारण और चिकुड़ी हुई थी उसका नाग ।
नागेश्वरि की गला सुख रही थी । वो भी एक अजीब सी स्थिती में थी । और धीरे धीरे अपने पोते के नाग छुआ । शिवांश अपने लन्ड पे अपनी दादी की हाथो छुए जाने एहसास से कांप उठे और अपनी दोनो टांगे आपस में चिपका लिया । उसके लिए ये पहला अनुभव था ।
नागेश्वरी ने अपनी हाथ पे तेल मलते हुए धीरे धीरे पोते के लन्ड को पकड़ कर सहलाने लगा । सिवांश शर्म से अजीब सी हालत में था । लेकिन उसने न चाहते हुए अपने दादी के द्वारा अपनी लन्ड छुए जाने से आनंद की लहर को अपने रोगी में दोरने से रोक नही पा रहा था । और कूची देर के उसका लन्ड अपने आप सख्त होने लगा ।
जैसे ही नागेस्वारी ने पोते के लन्ड पे हरकत देखा तो उसके होंठो पे मुस्कान तैर गई । और उसने ढेर सारा तेल हाथों में ले के लन्ड को मसलते हुए मुथीयाने लगी । और शिवांश खुद को रोक नही पाया । अपनी जवानी की प्रतीक को पूरी कशिश कर रहा था अपनी दादी से छिपाने की लेकिन नही रोक पाया । और ये सोच के शरमा रहा था की अब उसके खड़े लन्ड को देख के क्या सोच रही होगी।
नागेश्वरी कि मुठ्ठी में तन तन कर के तांडव करने लगे । नागेश्वरी आचार्य थी और खुशी से फुले नही समा पा रही थी । मन में सोचने लगी । पोता तो अपनी दादाजी से भी दो कदम आगे निकला उफ इतना बड़ा सांप लिए घूम रहा था अब तक । और हम खामखा इतना पारीसान हो रहे थे ।
नागेश्वरी मुस्कुराते हुए पोते का लन्ड दोनों हाथों में ले के प्यार से सहलाने लगी । पोते का फौलादी लन्ड देख के अपनी बदन में गर्मी महसूस करने लगी । और उसने शिवांश का चेहरा देखने के लिए उसका हाथ हटा दिया तो शिवांश फिर से तकिया अपनी मुंह पे ले के चेहरा छुपा लिया ।
नागेश्वरी हंसने लगी।
Bahot behtareen shaandaar mazedaar update bhaiअपडेट–२५
दूसरे दिन शिवांश अपनी दादी से बात करना चाहा तो पाया की उसकी प्यारी दादी बात नही कर रही हे । शिवांश सोचने लगा " दादी सच में नाराज तो नही है "
दिन में कोई बार बात करने की कशिश की लेकिन अपनी अम्मा के रहते वो अपनी दादी को माना भी नही पाया । और रात का इंतज़ार में था ।
जब खाने खा रहे थे । तब रघुनाथ ने दोनो को चुप देख के हांस के बोला " अरे भाई आज इतना संन्नता क्यू है । दोनो पार्टी में ढीसुंग ढीसुंग हुए ही क्या "
चमेलो हास के बोली ।" हां में भी सुबह से देख रही हूं दोनो पार्टी दूर दूर हे । अम्मा जी क्या हया । पोते ने कुछ ज्यादा बोल दिया क्या "हा हा हा
नागेश्वरी नखरा दिखा के बोली " अपने लाडले से ही पूछ लो "
रघुनाथ शिवांश से पूछा " क्यू री नालायक । दादी से क्या कह दिया इतना गुस्सा हे "
शिवांश कुछ नही बोला चुप चाप अपनी दादी को छोर नजरों से देखते हुए खाना खा रहा था । और जब नागेश्वरी की नजरे शिवांश से मिलती तो वो गुस्से से घूर से नजरे फिरा लेती थी । रघुनाथ और चमेली ये देख फीस फीस कर के हास रहे थे ।
जब शिवांश खाने के बाद बाहर थोड़ा टहल के पेसब बेसब कर के सोने के लिए अपनी दादी के कमरे में गया देखा की दरवाजा अंदर से कुंडी लगी हुई हे । शिवांश बड़े प्यार से पुकारने लगा " दादी प्लीज दरवाजा खोल ना । प्लीज दादी "
लेकिन नागेश्वरि दरवाजा नही खोल रही थी । फिर भी शिवांश बार बार दरवाजा खत खटाए जा रह था । कुछ देर बाद चमेली आ के बोली " दादी दरवाजा नही खोलेगी । साइड ज्यादा ही गुस्सा दिला दिया है । चलो सो जाओ "
"नही मुझे अब अकेले सोने की आदत नही हे ।मुझे नींद नही आयेगा ।
" चलो में आज में सो जाती हू तेरे साथ । काल दादी को माना लेना "
फिर चमेली शिवांश के कमरे में अपने बेटे को ले गई और अपने बेटे के साथ सो गई । लेकिन बेचारा शिवांश परेशान था की उसने दादी को सच के नाराज कर दिया है । इधर नागेश्वरी भी तड़प रही की अपने पोते को कुछ ज्यादा ही तड़पा रहा हे । दोनो के आंखों से नींद कछु दूर थे ।
दूसरे सुबह रघुनाथ और चमेली तैयार हो के कही जाने के लिए निकले । ये देख के नागेश्वरी ने पूछा कहा जा रहे हो तो रघुनाथ ने बताया कि वो लोग बैंक जा रहे है कुछ जरूरी काम है और आते वक्त शोभा की सुसराल में भी हो के आएंगे इसलिय उन लोगो को थोड़ा देर होगी ।
जैसे ही ये बात शिवांश के कानो में पड़ी तो वो खुशी से झूम उठा । रघुनाथ और चमेली नाश्ता कर के दोनो बाइक पे निकले ।
बस फिर क्या था शिवांश सांड की तरह अपनी दादी को गोद में उठाया और दादी की कमरे में ले जाने लगा। नागेश्वरी चिल्लाई " छोर मुझे नालायक । नही तो में चिल्ला के पड़ोसी को बुला लूंगी "
लेकिन शिवांश ने उसकी एक ना सुनी और कमरे में ले जा कर बिस्तर पर पटक कर अपनी दादी की ऊपर पागलों को तरह चूमने लगा।
दूसरे सुबह रघुनाथ और चमेली तैयार हो के कही जाने के लिए निकले । ये देख के नागेश्वरी ने पूछा कहा जा रहे हो तो रघुनाथ ने बताया कि वो लोग बैंक जा रहे है कुछ जरूरी काम है और आते वक्त शोभा की सुसराल में भी हो के आएंगे इसलिय उन लोगो को थोड़ा देर होगी ।
जैसे ही ये बात शिवांश के कानो में पड़ी तो वो खुशी से झूम उठा । रघुनाथ और चमेली नाश्ता कर के दोनो बाइक पे निकले ।
बस फिर क्या था शिवांश सांड की तरह अपनी दादी को गोद में उठाया और दादी की कमरे में ले जाने लगा। नागेश्वरी चिल्लाई " छोर मुझे नालायक । नही तो में चिल्ला के पड़ोसी को बुला लूंगी "
लेकिन शिवांश ने उसकी एक ना सुनी और कमरे में ले जा कर बिस्तर पर पटक कर अपनी दादी की ऊपर पागलों को तरह चूमने लगा।
Bahot behtareen shaandaar mazedaar lajawab update bhaiअपडेट–२६
नागेश्वरी चटपटा रही थी लेकिन पोते की पकड़ बोहोत मजबूत थी और नाराजगी का जोश था। शिवांश अपनी दादी की गाल दात से कटने लगा और बोला " बोहोत हो गया । अब जल्दी से माफ कर दो नेगी तो "
" नही तो क्या कर लेगा । " नागेश्वरी अकड़ दिखा के बोली
" नही तो । नही तो " बोल के शिवांश गुस्से से अपनी दादी की दाई चूची हाथो से पकड़ के अपने सख्त पंजों के गिरफ्त में ले के जोर से दबा के बोला " नही तो आपकी दूदू फोड़ दूंगा "
नागेश्वरि दर्द से बिलबिला उठी चिल्लाते हुई " आईईई मर गई में " कर के । और अपनी दाई चूची को सहलाने लगी " शिवांश अभी भी उसे गुस्से से देख रहा था । नागेश्वरी को अपने पोते का गुस्से भरा चेहरा देख हास पड़ी और बोली । " बाप री इतना गुस्सा हे तेरे अंदर । आज तक तो कभी इतना गुस्सा नही किया "
शिवांश बोला " क्यो बात नही की दो दिन तक मुझसे । पता है में कैसे तड़प रहा था "। और ये बोल के बिस्तर से उतर के टेबल के पास गया और वो तेल की बोतल ले अपनी दादी को दे के बोला " लो कर दो मालिश "
नाहेश्वरि हास पड़ी और बोली " आ लेट जा इधर "
शिवांश मुस्कुराते हुए बिस्तर पे चढ़ गया और लेटने से पहले दादी ने उसके टी शर्ट उतार दिए जिससे वो ऊपर से नंगा था । नागेश्वरि बड़ी उत्सुक थी अपने पोते लन्ड देखने के लिए मन में यही सोच रही थी पता नही कैसा होगा । और आराम से उसने अपने पोते पेंट नीचे चरकाने लगी । शिवांश ने अंदर चड्डी नही पहना था । और माहेश्वरी ने पेंट घुटनो तक चढ़का दी ।
नागेश्वरि के दिल धक धक करने लगी अपने पोते नंग वबस्था में देख कर । घने झांटों के बीच सवाल नाग सोया हुआ था ।शिवांश शर्म से अपनी मुंह छुपा लिया दोनो हाथों से। जिससे साइड शर्म के कारण और चिकुड़ी हुई थी उसका नाग ।
नागेश्वरि की गला सुख रही थी । वो भी एक अजीब सी स्थिती में थी । और धीरे धीरे अपने पोते के नाग छुआ । शिवांश अपने लन्ड पे अपनी दादी की हाथो छुए जाने एहसास से कांप उठे और अपनी दोनो टांगे आपस में चिपका लिया । उसके लिए ये पहला अनुभव था ।
नागेश्वरी ने अपनी हाथ पे तेल मलते हुए धीरे धीरे पोते के लन्ड को पकड़ कर सहलाने लगा । सिवांश शर्म से अजीब सी हालत में था । लेकिन उसने न चाहते हुए अपने दादी के द्वारा अपनी लन्ड छुए जाने से आनंद की लहर को अपने रोगी में दोरने से रोक नही पा रहा था । और कूची देर के उसका लन्ड अपने आप सख्त होने लगा ।
जैसे ही नागेस्वारी ने पोते के लन्ड पे हरकत देखा तो उसके होंठो पे मुस्कान तैर गई । और उसने ढेर सारा तेल हाथों में ले के लन्ड को मसलते हुए मुथीयाने लगी । और शिवांश खुद को रोक नही पाया । अपनी जवानी की प्रतीक को पूरी कशिश कर रहा था अपनी दादी से छिपाने की लेकिन नही रोक पाया । और ये सोच के शरमा रहा था की अब उसके खड़े लन्ड को देख के क्या सोच रही होगी।
नागेश्वरी कि मुठ्ठी में तन तन कर के तांडव करने लगे । नागेश्वरी आचार्य थी और खुशी से फुले नही समा पा रही थी । मन में सोचने लगी । पोता तो अपनी दादाजी से भी दो कदम आगे निकला उफ इतना बड़ा सांप लिए घूम रहा था अब तक । और हम खामखा इतना पारीसान हो रहे थे ।
नागेश्वरी मुस्कुराते हुए पोते का लन्ड दोनों हाथों में ले के प्यार से सहलाने लगी । पोते का फौलादी लन्ड देख के अपनी बदन में गर्मी महसूस करने लगी । और उसने शिवांश का चेहरा देखने के लिए उसका हाथ हटा दिया तो शिवांश फिर से तकिया अपनी मुंह पे ले के चेहरा छुपा लिया ।
नागेश्वरी हंसने लगी।
Thanks dostBahot behtareen shaandaar mazedaar update bhai
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