अपडेट–२५
दूसरे दिन शिवांश अपनी दादी से बात करना चाहा तो पाया की उसकी प्यारी दादी बात नही कर रही हे । शिवांश सोचने लगा " दादी सच में नाराज तो नही है "
दिन में कोई बार बात करने की कशिश की लेकिन अपनी अम्मा के रहते वो अपनी दादी को माना भी नही पाया । और रात का इंतज़ार में था ।
जब खाने खा रहे थे । तब रघुनाथ ने दोनो को चुप देख के हांस के बोला " अरे भाई आज इतना संन्नता क्यू है । दोनो पार्टी में ढीसुंग ढीसुंग हुए ही क्या "
चमेलो हास के बोली ।" हां में भी सुबह से देख रही हूं दोनो पार्टी दूर दूर हे । अम्मा जी क्या हया । पोते ने कुछ ज्यादा बोल दिया क्या "हा हा हा
नागेश्वरी नखरा दिखा के बोली " अपने लाडले से ही पूछ लो "
रघुनाथ शिवांश से पूछा " क्यू री नालायक । दादी से क्या कह दिया इतना गुस्सा हे "
शिवांश कुछ नही बोला चुप चाप अपनी दादी को छोर नजरों से देखते हुए खाना खा रहा था । और जब नागेश्वरी की नजरे शिवांश से मिलती तो वो गुस्से से घूर से नजरे फिरा लेती थी । रघुनाथ और चमेली ये देख फीस फीस कर के हास रहे थे ।
जब शिवांश खाने के बाद बाहर थोड़ा टहल के पेसब बेसब कर के सोने के लिए अपनी दादी के कमरे में गया देखा की दरवाजा अंदर से कुंडी लगी हुई हे । शिवांश बड़े प्यार से पुकारने लगा " दादी प्लीज दरवाजा खोल ना । प्लीज दादी "
लेकिन नागेश्वरि दरवाजा नही खोल रही थी । फिर भी शिवांश बार बार दरवाजा खत खटाए जा रह था । कुछ देर बाद चमेली आ के बोली " दादी दरवाजा नही खोलेगी । साइड ज्यादा ही गुस्सा दिला दिया है । चलो सो जाओ "
"नही मुझे अब अकेले सोने की आदत नही हे ।मुझे नींद नही आयेगा ।
" चलो में आज में सो जाती हू तेरे साथ । काल दादी को माना लेना "
फिर चमेली शिवांश के कमरे में अपने बेटे को ले गई और अपने बेटे के साथ सो गई । लेकिन बेचारा शिवांश परेशान था की उसने दादी को सच के नाराज कर दिया है । इधर नागेश्वरी भी तड़प रही की अपने पोते को कुछ ज्यादा ही तड़पा रहा हे । दोनो के आंखों से नींद कछु दूर थे ।
दूसरे सुबह रघुनाथ और चमेली तैयार हो के कही जाने के लिए निकले । ये देख के नागेश्वरी ने पूछा कहा जा रहे हो तो रघुनाथ ने बताया कि वो लोग बैंक जा रहे है कुछ जरूरी काम है और आते वक्त शोभा की सुसराल में भी हो के आएंगे इसलिय उन लोगो को थोड़ा देर होगी ।
जैसे ही ये बात शिवांश के कानो में पड़ी तो वो खुशी से झूम उठा । रघुनाथ और चमेली नाश्ता कर के दोनो बाइक पे निकले ।
बस फिर क्या था शिवांश सांड की तरह अपनी दादी को गोद में उठाया और दादी की कमरे में ले जाने लगा। नागेश्वरी चिल्लाई " छोर मुझे नालायक । नही तो में चिल्ला के पड़ोसी को बुला लूंगी "
लेकिन शिवांश ने उसकी एक ना सुनी और कमरे में ले जा कर बिस्तर पर पटक कर अपनी दादी की ऊपर पागलों को तरह चूमने लगा।
दूसरे सुबह रघुनाथ और चमेली तैयार हो के कही जाने के लिए निकले । ये देख के नागेश्वरी ने पूछा कहा जा रहे हो तो रघुनाथ ने बताया कि वो लोग बैंक जा रहे है कुछ जरूरी काम है और आते वक्त शोभा की सुसराल में भी हो के आएंगे इसलिय उन लोगो को थोड़ा देर होगी ।
जैसे ही ये बात शिवांश के कानो में पड़ी तो वो खुशी से झूम उठा । रघुनाथ और चमेली नाश्ता कर के दोनो बाइक पे निकले ।
बस फिर क्या था शिवांश सांड की तरह अपनी दादी को गोद में उठाया और दादी की कमरे में ले जाने लगा। नागेश्वरी चिल्लाई " छोर मुझे नालायक । नही तो में चिल्ला के पड़ोसी को बुला लूंगी "
लेकिन शिवांश ने उसकी एक ना सुनी और कमरे में ले जा कर बिस्तर पर पटक कर अपनी दादी की ऊपर पागलों को तरह चूमने लगा।