Naik
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Bahot sahiअपडेट –२२
शाम को दुल्हन खल को सजाया जा रही थी बाकी रस्मों रिवाज के साथ । सभी औरतें सज धज के तैयार हुई थी और मन में यही थी की आज मेरे जैसा कोई खूबसूरत नही लग रही है । शादी का भी देख रहा था और मेहमानों का स्वागत भी कर रहा था अपने बापू के साथ । बीच बीच में केट्रिन की तरफ जा के देख रहा था की खाना कैसा बन रहा हे । और जो खा रहे थे उनको पूरी सुबिधा मिल रहा हे या नही वो काम भी देख रहा था । और शादी ब्याह कुछ मिले न मिले लेकिन सराबी जरूर मिलते थे । उन सराबियों को शिवांश संभाल रहा था ।
और इसी बीच बस उसकी नजरे दादी को ही ढूंढ रहा था । बस मन की इस्सा यही था की उसकी खूबसूरत दादी उसके नजरों के सामने ही रहे । कोई मर्तबा अपनी दादी से आमना सामना हुआ किसी काम से या इधर उधर जाते हुऐ । और जब दोनो के नजरे मिलती थी दोनो के होंठों पे एक अलग ही प्यार भरी मुस्कान निकल आते थे । और एक दूसरे की नजरे मिलते ही चंचल भाव आ जाते थे मन में ।
रात के १० बज रहे थे। कूची देर में बारात आने वाला था। शिवांश परेशान था क्यू की वो अपनी दादी की फोटो नही निकल पा रहा था। कोई मौका ही नही मिल रह था उसे ।
और वो अधर्य हो के अपनी दादी के पास गई । जहा दुल्हन बैठी थी सज साबर के और उसके पास कोई औरते थे । जिसमे एक उसकी प्यारी दादी भी थी । और अपनी दादी से सबके सामने बोला । " दादी फोटो निकलने दो ना "
उसका कहने का लहजा बोहोत मासूम था और दृश्य ही ऐसी बनी थी की वोह जिसने भी सुना सभी हसने लगे । ये देख के शिवांश तो शर्म से पानी पानी हो गया है की नागेश्वरि भी शर्म से अपनी पल्लू से मुंह ढकने लगी।
सभी औरतें कुछ न कुछ दादी पोते की जोड़ी बना के और शिवांश के नकल उतर के खूब हसने लगा । शोभा भी बोल रही थी शिवा मेरी फोटो निकालना छोड़ तू दादी की फोटो निकलने के पीछे पड़ा है आज तो दादी से थोड़ा दूर रह तू शिंता मत कर में दादी को अपने साथ दहेज में नही ले जाऊंगी । सारों तरफ से शिवांश हसी का पात्र बन गया था । शिवांश वोह से भाग निकला। लेकिन नागेश्वरि को बोहोत बुरा लग रही थी।
नाहेश्वरी से रहा नही गया और उसने किसी को बिना बताए वाहा से खिचक गई और अपने पोते को ढूंढ के दूर से इसारे से समझा दिया की मेरे पीछे आना लेकिन दूर से ।
शिवांश भी खुशी से अपनी दादी का पीछा करने लगा । नागेश्वरी सबकी नजर से बच के पोडोस वाली के घर में गई । इस घर में एक प्राणी भी नही थी सबके सब शादी में थे । दोनो दादी और पोता पोडोसी के घर में थे । लेकिन घर में ताला लगा हुए था ।
नागेश्वरि ने बरामदे में पोते को अपने पास खटिया में बिठा ली और पोते गाल शहला के बोली । " मेरा बच्चा। तूझे दादी की फोटो निकालना है । में भी भूल गई थी । माफ करना उम्माह " और गाल चूम ली
" कोई बात नही दादी । चलो अब पोज जो में फोटो खींचता हूं "
नागेश्वरि ने कोई पोज में अपनी फोटो निकली पोते के मोबाइल से । शिवांश बोला " दादी पाओद करो "
" पाऊद । ये क्या होता हे भाई " नागेश्वरि को कुछ समझ नही आई
शिवांश ने अपनी दादी को पाऊड करना सिखाया और एक साथ कोई सेल्फी लिया । दोनो ने ।
" अभी तक तुमने कुछ कहा नहीं की किसी लग रही हूं " नागेश्वरी अदाह दिखाते हुए बोली ।
" बोहोत खूबसूरत लग रही हो"
नागेश्वरि से रहा नही गया और अपने पोते को पागलों की तरह चूमने लगा कभी चेहरे पे कभी माथे पे और फिर होंठों से होंठ मिला दी । शिवांश भी जोश में आ के अपनी दादी को सक्रोध से चूमने लगा । दोनो मुंह से उम्ह्ह उन और होंठ चूसने की च्राप चप चप आवाजे निकाल रहे थे ।
जब दोनो के सांस अटके तब दोनो एक दूसरे से अलग हो गए । दोनो आंखे लाल सुर्ख हो गए थे । छाती ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही थी । शिवांश ने अपनी दादी की जिस्म की खुशबू और परफ्यूम की खुशबू सुंख के मधोश हो गया था ।
" लाल रंग की ब्रा पहनी हे देखोगे " नागेश्वरि धीमे से बोली
शिवांश शरमा के अपनी निचले होंठ दांत में काट के छोटे बच्चो की तरह नजरे झुका ना में शिर हिलाने लगा । नागेश्वरि मुस्कुराने लगी और बोली । " देख लो । तूने कभी मेरी ब्रा नही देखी हे ना " । बोल के अपनी ब्लाइसेट के सारे हुक खोल के दोनो तरफ फैला के अपनी ठोस छाती ब्रा में कैद दिखाने लगी ।
शिवांश नजरे उठा के अपनी दादी बड़े बड़े चूचियों को देख के फिर नजरे हटा लेता था ।
Mast update bhai shaandaar