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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

andyking302

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अपडेट–१०









"सुनो । कहा हो " रोहिनी ने चिढ़िया उतरते हुए अपने पति को आवाज लगाई


"हां बोलो । क्या हुए भाई । लाडली ने फिर कुछ किया क्या ?" शंकर आर्मचेयर पे पीठ टिका कर अखबार खोल के समासर पढ़ने में व्यस्त था



"और क्या हो सकता है । कॉलेज न्यासियों के तरफ से फोन आया हे । आपकी लाडली फिर किसी लड़के की मिडल स्टाम तोड़ दी ही लात मार कर । जाइए जल्दी जाइए "




शंकर घर में पहनावे में ढीले ढाले कुता पायजामा में ही मोबाइल हाथ में लिए निकल पड़े । और डर्वर को जल्दी चलने को बोल रहे थे ।


कूची देर में शंकर इनवर्सिटी में पोहोश जाते हे । और सीधा कन्वरेंस रुम एंटर करते हे जहां बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज के सारे मेम्बर और प्रिंसिपल बाकी टीचर्स बैठे हुए शंकर का इंतजार कर रहे थे । और एक तरफ शुप्रिया अपनी टॉम बॉय बेबाक और बोल्ड अंदाज में खड़ी थी । जेसे उसे किसी बात का न पछतावा ही और ना ही किसी बात का दर हे ।



शंकर को देख सारे लोग खड़े हो गए और इत्जत देते हुए उन्हें बैठने को बोले । शंकर अपनी बेटी सुप्रिया गुस्से से घूरते हुए सामने चेयर पे बैठ जाते हे । सुप्रिया शहर झुका लेती है ।


ट्रस्टीज की एक मैंबर बोलता हे ।" शंकर जी चोटी मुंह बड़ी बात लेकिन अब हमसे न संभाला जायेगा ये मामला । मामला इस बार हद से ज्यादा बढ़ चुका है "


शंकर बोला " इस बार किया क्या है इसने "


तब वाइस प्रिंसिपल बोले " सर अभी अभी एक लड़के को बुरी तरह से घायल कर चुका है । लड़का सीरियस कंडीशन में हॉस्पिटल में ऐडमिट है "

प्रिंसिपल बोले " देखिए शंकर जी आप इतने बड़े सक्सेसफुल बिस्नेसममेन में है । आपने इस कालेज में बोहोत से डोनेशन दिए है और आए दिन किसी भी कार्य के लिए स्पॉन्सर करते हे । प्यारा कॉलेज आपका मान रखता है । और मजबूरी में हमने कॉलेज की तरफ से डिसिशन लिया हे की हम आपके बेटी सुप्रिया को इस कॉलेज में अब पढ़ने नही दे सकते हे ।" प्रिंसिपल एक गहरी सांस लेता है और दर से शंकर के प्रतिक्रिया का इंतजार करते हे ।


तभी शुप्रीय बोलती हे । " ओह झाड़ू । हलवा समझा हे क्या बे । मुझे कॉलेज से निकलेगा । "


शंकर गुस्से में टेबल पे हाथ मार के बोला " व्हाट नॉनसेन ! इस डिश एये तू टॉक ! क्या यही शिखाए मैने । बड़ो को कैसे सम्मान करना चाहिए पता नही हे क्या ।"


सारे लोग एक पल के लिऐ सहम जाते है शंकर के गुस्से को देख के लेकिन सुप्रिया को कोई फर्क नही पड़ा ।



शंकर बोला " देखिए में आप लोगो के से हाथ जोड़ के माफी मांगता हूं । मुझमें ही कोई कमी रह गई हे अपनी बेटी को सिस्ताचार देने में । "


प्रिनिपल बोला " प्लीज सर आप माफी मांग के हमे शर्मिन्दा न करे "

शंकर बोला " देखिए अभी इसे कालेज से निकाल देंगे तो पढ़ाई पे असर पड़ेगा । और रेसिट्रेशन भी इसी कॉलेज से हुआ है तो बोहोत मुस्किले आयेगी दूसरे कॉलेज में एडमिशन करवाने में । देखिए उस लड़के से और उसके परिवार वालो से में माफी मांगूंगा और इलाज का सारा खर्चा उठाऊंगा । प्लीज मेरी बात को समझने की कोशिश कीजिए "


वाइस प्रिंसिपल बोला " सर हमे बेहद दुख के साथ कहना पड़ रहा है के"

उसके बात पूरी होने से पहले प्रिंसिपल बोला ।" सर हमारी भी कॉलेज एक रेपुटेशन बचानी है । हम भी मजबूर हे लेकीन आपका मान रखते हुए हम सुप्रिया को एक आखरी चैन देते है । प्लीज आपसे गुजारिश हे की आप अपनी बेटी को थोड़ा समझाएगा "


शंकर बोला " बेहद बेहद धन्यवाद आपका प्रिंसिपल साहब । में पूरी गेरंती लेता हूं कि अगली बार कोई शिकायत का मौका नही आयेगा मेरी बेटी को तरफ से "




और शंकर अपनी बेटी को ले के बाहर आ जाते हे। शंकर और सुप्रिया दोनो कार में बैठ जाते हे । ड्राइवर कार चलाने लगता हे । शंकर काफी गुस्से में था । मुंह फुलाए बैठा था ।


कुछ देर दोनो बाप बेटी चुप चाप कार के खिड़की के बाहर देखते हुए बैठे रहते हे । अचानक दोनो ठहके लगा के हसने लगते हे पागलों की तरह ।



शंकर हास हास के बोलता हे " हा हा हा हा । तूने फिर से एक लड़के को पीट दिया "


सुप्रिया हास के बोलती हे " पापा मैंने इस लड़के को ऐसी जगह मारि हे साइड वो अब किसी काम का नही रहेगा । उसके अंडे फूट चुकी होंगी हा हा हा हा"


शंकर बोला " तू भी न बेटी । ऐसे मत मार किसी को कि वो जिंदगी बाहर बद्दूया देते रहे । देख तुझे अपने गुस्से पर कंट्रोल करना होगा वरना ऐसे कब तक तुझे बचाते रहेगें । "


शुर्पिया बोली " पापा में क्या करू । गुस्सा आ हो जाता हे । कंट्रोल ही नही होता हे । और हां मम्मी से बचा लेना "

शंकर बोला " अरे नही । तूझे बचाने के शक्कर मे में बली का बकरा बन जाता हुं । तूझे जितना नही दादत्ती उतना ज्यादा तो मुझे सुनना पड़ता हे ।

सुप्रिया मासूम सा चेहरा बना के बोलता हे " प्लीज पापा । आप नही बचाएंगे तो और कौन बचाएगा मुझे । प्लीज़ पापा मेरे
अच्छे पापा " शंकर को मासूमियत की जाल में फंसते हुए गोदी में बैठ गया ।

शंकर भी हमेशा अपनी लाडली के ऊपर लडडू हो जाते हे ।" ठीक हे । लेकीन प्रोमिस कर अगली बार कोई शिकायत नहीं आनी चाहिए कॉलेज से । अब तक तू ३६ लड़कों पीट दिया हे इस वाले को मिला के "

सुप्रिया शंकर के गाल चूम के बोली " पिंकी प्रोमिस मेरे गोलू मोलू स्वीट पापा "
शानदार bhai
 

andyking302

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अपडेट–११





यहां रोहिनी परेशान हो के खुदसे बड़बड़ाए जा रही " पता नही इस लड़की ने अब क्या कर दिया हे । कितना भी समझाओ समझती नही । हे भगवान प्लीज मेरी बेटी को थोड़ा सतबुद्धि दे । अब तो उसके बाहर जाते ही दर लगा रहता हे की कोई मुसीबत खरी कर ना आई हो " और उसकी नजर दीवार पे टांगे बड़े से फोटो फ्रेम में पड़ी



जिसमे वो अपने बेटे को गोद के लिए हुए हे और बगल में शंकर सुप्रिया को गोद में लिए हुए हे । वो उस फोटो के पास चली जाती हे और फोटो पे अपने बेटे के मासूम चेहरे के ऊपर छुने लगती है । और उसके आंखों से धरा धर आसूं निकलने लगते हे । और सुबक सुबक के बोलती हे " मेरा बच्चा । अब रहा नही जाता बच जल्दी से आ के अपनी मां की छीने में लग जा "





कुछ देर बाद शंकर और सुप्रिया दोनो घर पोहोछ जाते हे लेकीन दोनो घर में घुसते ही सोक जाते हे । क्यो की रोहिनी हाथ में चढ़ी ले के बैठी थी । शंकर भी सुप्रिया से गुस्सा होने का नाटक चालू करता है । और बोला गुस्से से " चलो जाओ अंदर कमरे में । आज से तेरा स्कूल कॉलेज घूमना फिरना सब बंद । आज के बाद कमरे से एक कदम भी बाहर पेड़ मत रखना बरना "




शुप्रिय छोटा मुंह बना के कमरे की तरफ जाने लगता हे लें आज दोनो बाप बेटी बकरे की तरह हलाल होने वाला था । रोहिनी शुप्रियां के पिछे भागते हुए चढ़ी से मारने लगी ।" बोहोत हो गई तेरी बदमासी अब रोक लगाने ही होगा । आज बताती हूं तुझे में क्या चीज़ हूं "



शुप्रिया चिल्लाते हुए तेज भाग के चढ़ी चढ़ते हुए अपने कमरे में घुस के रोहिनी के मुंह पे दरवाजा बंद कर के किसी तरह जान बचा ली ।


रोहिनी दरवाजा पीट पीट के गुस्सा निकल रही थी । और जब उसे लगा कि अब शुप्रिया दरवाजा नही खोलेगी तो नीचे आए । उसका गुस्सा आज सातवे आसमान पर था । अचानक अपने पति शंकर के ऊपर चीज़ फेकने लगी " आप भी कुछ कम नहीं हे । आपकी ही हद से ज्यादा लाड प्यार की वजह हे महारानी बिगड़ गई हे । "


शंकर चिल्लाते हुए खुद को बचाते हुए बाहर भागने लगा " अरे मार गया री । आउच लग गई मां । बचाओ कोई " शंकर अपना भारी पेट हिलाते हुए किसी तरह जान बचा के भगा ।





रोहिनी एक दम काली माता की तरह लग रही थी जैसे उसके शरीर में आदि मां की शक्ति आ गई हे । चीजों तोड़ फोड़ करने लगी । और गुस्से हैंह हैंह कर के हाफने लगी ।



और पूरे हाल में घूमते हुए नौकरों को बोली ।" खबर दर अगर आज से किसी ने दोनो बाप बेटी को खाना दिया तो । उसके में हाथ काट दुंगी । बोहोत हो गया अब मुझसे झेला नही जाता । इस लड़की ने मकड़ी की तरह खा गईं हे मुझे । सुन बेटी अगर कमरे से बाहर निकला तो तेरी सच में जान ले लूंगी में"




शुप्रिया आज बेहद दर गई अपनी मां को इतने गुस्से में देख के । मन में कहने लगी " बेटा आज तो में गई । मदर इंडिया आज हिटलर बन गई । आज तो पापा को भी नही छोरा उनको भी पटका । पता नही पापा कहा भाग गए



और अपनी पापा को फोन लगाता है ।


" हेल्लो बेटा । क्या हुए "

"पापा आप कहा हो "

" मत पूछ बेटा । दोरते दोरते पाण्डे अंकल के यह आ गया "

" पापा लगता हे आज तो एटम बॉम में बड़ा धमाका कर दिया "

" हां बेटी । आज तो मुझे भी पड़ी । बेटा तू अपनाखायल रखना । जब तक एटम बॉम रख में नही मिटा जाता में नही आऊंगा "

" लेकिन पापा मेरा क्या होगा"

" बेटा जिंदगी मे पहली बार बोलता हूं अब में तेरी कोई मदद नहीं कर पाऊंगा । वरना पक्का मेरा गर्दन कटा जायेगा "

" पापा"

शंकर फोन काट चुका था । सुप्रिया सोचने लगी अब मेरा क्या होगा पापा तो जान बचा के निकल लिए।
शानदार जबरदस्त भाई
 

andyking302

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Bhai is ladki ko akal diyi hey ki nhi bhagwan ne sala sabko zandu bana rahi hey
अपडेट –१२





ईधर सब शादी की तैयारी में लगे हुए थे । शिवांश तो कुछ ज्यादा ही फुर्ती दिखा के काम कर रहा था । वो हर सुबह रोज की काम निपटा के लकरिया काटता था ताकि शादी के भोज के लिए कोई कमी न हो ।


एक दिन नागेश्वरी पोरोसी के कीर्तन पे गई शाम को । वोहा उसने एक बुधिया मिली जो ७५(75) की उम्र थी । नागेश्वरी की उस बुढ़िया से पुरानी जान पहचान ही थी और रिश्ते में भी लगता था । नागेश्वरी उसे काकी बुलाती थी । दोनो बाकी औरतों के साथ कीर्तन गए रहे थे । लेकिन दोनो में बातों के सिलसिले से कीर्तन गाना ही भुल गए ।



" सुना है पोती का होने वाला पति शहर में मास्टर हे " बुधिया पूछ रही थी ।

" हा काकी । आप बताओ कैसे हो आपके पोते का तो दुसरा बच्चा हुए है । आप तो फिर से परदादी बन गई हो" नागेश्वरी बोली


"हा क्या करें । पोता कंडोमिया पहनना भुल गया था । इसलिए फिर से बन गई पर दादी " बुढ़िया बोहोत नॉटी थी

नागेश्वरी हसने लगी मुंह पे हाथ रख के


"मेरी छोर अपनी बता। तेरा पोता कैसा है "

" अरे मेरा पोता । एक दम बड़हिया है एक दम तंदुरुस्त हे । भैंसों का दूध पी के पहलवान बन गया हे " नागेश्वरी गर्व से जवाब देती हे।


"अरे दूर से तो पिटल लोटा भी अच्छा ही दिखता । लेकीन इसके अंदर पानी ही की नही ये तो नही दिखता है ना । और बदकिस्मती से कही छेद न निकल जाए "

" क्या मतलब है काकी आपका । में कुछ समझी नही" माहेश्वरी कुछ समझ नही पाई

" कोई दोनो से में इसी फिराक मे थी की इस बारे में तुझसे बाते करूं । लेकिन क्या करू अब उम्र हो गई हैं खटिए से उठ नही पता ना"


" में अभी भी नही समझी काकी । जरा खुल के बताइए ना" नागेश्वरी भ्रमित हो गई थी


" अरे तेरे पोते के बारे में बात कर रही हूं । दिखने मे तो घोड़े जैसा हो गया हे लेकिन अन्दर घोड़े जैसा ज्वाला ही भी के नही "

" मतलब" नागेश्वरी अब चिढ़ रही थी काकी की उलटी सीधी बातों मे

" तू भी एक नम्बर की गाढ़ी हे । पता है इस उम्र में लड़के क्या क्या गुल खिलाता है ।"

" अरे नही नही । मेरा पोता ऐसा नही है । वो तो बेहद भला है । बेहद नेक दिल का पोता हे मेरा "


" भला हे इसलिए तो बोल रही हूं । पता है तेरे पोते से कितनी चारी लड़किया लाइन मरती है । लेकिन तेरा पोता किसी को घास नही डालती । लड़कियों के नाम से ही चिढ़ जाता हे । मेरा छोटा वाला पोता सुधीर अब तक बजाने कितने कली को फूल बना चुका है । तेरे पोते का ही दोस्त है । सुना है तेरा पोता लड़की देखते ही भाग जाता है । ये भी बताते हे तेरे पोते के अंदर वो वाली बात नही है । लड़कियों को देख के उसे कुछ अनुभब ही नही होता हे ।"


" अरे नही ये आप कैसी बातें करते हे । मेरा पोता लड़कियों से दूर भागता है इसलिए की वो शुशील और संस्कारी लड़का हे उसे मैंने पाल पोच के बड़ा किया हे" नागेश्वरी गुस्सा हो गई


" लगता हे तेरे आखों पे पोते के मासूमियत ने पट्टी बंधी हे । देख नागेश्वरी लौंडा कितना भी शरीफ ज्यादा हो खाली लोटा काम नही चलता । अरे काल को अगर उसकी शादी हो गए और अगले ही दिन उसकी लुगाई भाग गई और तेरे पोता नामर्द हे बोल के धिंदोरा पिटेगी तब क्या होगा । सारी मान मर्यादा मिट्टी में मिल जायेगा । इसलिए समय रहते अपने पोते की ज़िंदगी बचा ले "




जिस तरह बुढ़िया बोल रही नागेश्वरी भी आखिर में दर गई । और ना चाहते हुए भी उसका मन विचलित हो गया ये सोच के अगर शिवा सच में नामर्द निकला तो । वो वोही दर के पसीने पसीने हो गए । और उसे एक पल भी रुका नही गया और किसी को बिना बताए
घर चली आई ।
शानदार bhai
 

andyking302

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अपडेट –१३








दो दिन तक नागेश्वरी न ठीक से सो पा रही थी और न ही ठीक से खा पा रही थी । बस पोते का चेहरा देख के यही सोचती रहती थी की काकी की बात झूठ निकले । और मेरा पोता फल फुल देने वाला वारिस निकले ।



नागेश्वरी को ठिक से खाना न खाते हुए देख के चेमेली एक दिन रात के सोने के समय नागेश्वरी की कमरे में आई । और पूछ ली तबियत तो ठीक हे ना ।

नागेश्वरी भी हास के जवाब दी ।" हा सब ठीक हे । मुझे क्या हो सकता है । कही अपने बेटे की तरह ये सोच के खुस तो नही हो रही है की अम्मा बीमार हो के जल्दी से मार जाए "


" क्या अम्मा । शुभ शुभ बोला करिए । दो तीन दिनों से देख रही हूं आप कुछ परेशान नजर आ रही हे । बताइए ना क्या समस्या आ गई है ।"

" अरे ऐसी कोई बात नही है। जाह जा के सो जाओ । मेरा बेटा बैचेन हो रहा होगा तेरे ऊपर चढ़ने के लिए " माहेश्वरी अपनी बहु की मजे लेने लगी

" धेत्त अम्मा । आप भी ना । बताइए ना क्या बात है ।" चमेली शर्मा गई

" अरे कुछ नही । बस ऐसे ही ।"

" अम्मा "

" तू सुने बिना नही जायेगी न ।"

" नह"

"बेटी बात जरा टेढ़ा हे । "


" क्या बात है अम्मा कोई बड़ी समस्या ही क्या " चमेली बात सुने बिना ही घबरा रही थी ।


" बात हमेरे शिवा के बारे में हे"

" क्या । कुछ हुआ हे क्या उसे "

" देखा तू पहले ही घबरा गई । इसलिए बता नही रहा था " नागेश्वरी बोली


" क्या हया हे । बताइए ना" चेमेली आतुर हो रही थी

नागेश्वरी उसे सारी बात बता देती है । और अब चमेली भी परेशान हो गई । अपने जिगर के टुकरे की ये बात जान के ।


" अम्मा जी अब क्या करे " चमेली परेशान हो कर बोली

" यही तो समझ नही आ रहा है की करे तो क्या करे "



कुछ पल दोनो चुप हो के एक दूसरे की मुंह ताकते रह गए । नागेश्वरी कुछ सोछ के बोली । " बहु शिवा के सारे कपड़े तो तू ही धोती हे "


" हां । पर क्यू अम्मा "

" जब तू उसके कच्छे या पैंट धोती हो तब क्या कच्छे और पैंट पे उस हिस्से पे गीलापन या कोई दाग धब्बा देखा हे " नागेश्वरी ऐसे नजरों से देखने जैसे चमेली हां बोलने वाली हो

" नही अम्मा " लेकिन चमेली के मुंह से ना निकली

" जरा याद कर के बता "

" नही अम्मा । मुझे ऐसा कुछ मिला होता तो मुझे जरूर याद रहती और एहसास होता की मेरा बेटा जवान हो गया"


" अरे जवान तो गया हे डरी मुचे भी आने लगे है लेकिन मर्द बन रहा हे की नही । यही समस्या है बेटी " नागेश्वरी परेशान हो गई ।



" अगर बात सोच निकली तो । मुझे तो बेहद दर लग रहा हे "

" अरे तू शिंटा मत कर में हूं ना । कुछ न कुछ उपाय जरूर होगा "

" बच्चों के बापू को बता दू । "

" अरे नही रघु शादी की काम के आप धाप ऐसे ही परेशानी हे । ऊपर से ये बता के उसे और परेशान करना सही नहीं होगा । हम दोनो मिल के कुछ उपाय ढूंढ लेंगे । "


" उसे डाक्टर के पास ले चले क्या "

" अरे गाधी ऐसे डाक्टर के पास नही ले जा सकते । पहले हम पता करना होगा । फिर कुछ वैसा निकला तो डाक्टर के पास ले जायेंगे । तू परेशान मत हो सब ठीक होगा में हूं ना । जा जा के सो जा "



चमेली अपने कमरे में सोने चली गई । और पूरी रात नागेश्वरी सोचती रही और फिर कुछ निर्नाय लिया ।
शानदार bhai
 

andyking302

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अपडेट –१४




शादी भी नजदीक आ रही थी शादी को बस १५ दिन मात्र रह गए थे । एक एक कर के सारे सामान के जुगर करने में लगे थे सभी और शोभा खुद शोभा बढ़ाने में लगी हुई थी नए नए तरीकों से नुस्खे अजमती थी कैसे चहरा खिल उठे । शिवांश भी अपने बापू के काम मे हाथ बताते हुए पूरा साथ दे रहा था ।


और इसी नागेश्वरी किसी को मालूम दिए बिना एक बड़ी मिशन पे लगी हुई थी । उसका मिशन भी जैम्स बॉन्ड के मिशन कुछ कम नहीं थी ।




एक दिन दोपहर नागेश्वरी नहा रही थी । और उसने अपने साथ कपरे ले जाना भूल गई थी । तो नहाने के बाद वो आवाज लगा रही थी ।

बदकिस्मती से ना चमेली घर में थी ना शोभा थी घर में । शिवांश शादी के पत्र पे निमंत्रण करने वालो के नाम लिख रहा था । उसे अपनी दादी को आवाज सुनाई दी । और कमरे में से ही चिल्ला के बोले ।" क्या हुआ बुढ़िया । क्यो चिल्ला रही हे "


" तेरी मां और बहन कहा मर गई ।कबसे आवाज दे रही हूं "


" मरने नही गई है । मां दीदी को ब्यूटी पर्लर ले के गई है । "


अचानक नागेश्वरी की दिमाग कुछ उथल उठल विचार आया और वो मंद ही मंद मुस्कुराती हुई चिल्लाई " जरा मेरे कपरे लाना । में भूल गई " और अपनी गीली पेटीकोट छाती से और चरका दी । जिससे उसकी बड़ी बड़ी अनार की दरार गीलेपन से चमकती हुई दिखाई देने लगी वैसा भी सफेद रंग की पेटीकोट गीले होने के कारण उसकी गदराई हुई गोरी बदन पे चिपक के शरीर की आकर साफ दिखाई दे रही थी और उसकी बड़ी बड़ी दोनो अनार की अंगूर साफ साफ तने हुए दिखाई दे रही थी ।



कुछी देर में शिवांश अपनी दादी के लिए कपरे ले गया । जहा नागेश्वरी घुसल खाने के दरवाजा खोल के अपनी गदरईहुई कामुक जिस्म की प्रदर्शन कर के खाड़ी थी ।


शिवांश हैंडपंप के ऊपर कपरे रख के बोला ।" बस दिन आ रहा हे बुढ़िया । देखने ऐसे ही भूलते भूलते आप टपक से निकल जाएगी " शिवांश दादी को चिढ़ाने लगा


लेकिन आज दादी गुस्सा नही हुई । उल्टा मुस्कुरा के " तूझे क्या लगता हे में तुझे छोर के चली जाऊंगी । जोक की तरह चिपक के रहूंगी । " बोल कर जीव बाहर निकल के पोते को चिढ़ाने लगी

शिवांश हैंडपुप से पानी निकल के हाथ में पानी ले के अपनी दादी की तरफ फेक के भाग निकला । नागेश्वरी इसके नजरे को बारीकी से पीछा किया । इसे एक पल भी नेगी लगा की उसके पोते के नजर उसकी मांसल बदन पे गया हो और न ही आखों में किसी प्रकार की चंचलता हे । माहेश्वरी सोचने लगी इसे नंगा हो के भी दिखाओ तो भी साइड अपने मन में कामुक भाव नही आयेगा । उफ मैया अब इस पोते का क्या करू । कैसे पता करू वो मर्द हे की नही ।






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अपडेट–१५





नागेश्वरी दूसरे दिन एक नई मंसूबा बना के शिवांश से बोली । " चलो बेटा हम बाकी बचे पत्र को गांव में जितने भी जान पहचान के हां उन सबके घरों में दे आते है "



शिवांश भी अपनी दादी के साथ निकल पड़ा और पत्र में जिस जिस का नाम था उन सबके घरों में पत्र देते फिर रहा था दोनो दादी पोता ।



घर लौटते समय नागेश्वरी बड़ी चालाकी से घुमा घूम के पूछने लगी " अच्छा शिवा एक बात पूछूं "

" हा पूछो । एक क्या दस पूछो ना "

" तूझे मुखिया की बेटी किसी लगती है" नागेश्वरी गौर से शिवांश के चेहरे को देख के भापने लगी

" कैसी लगती है कामतलब "

" मतलब की तुझे वो पसंद है या नही "

" क्या मतलब हे की पसंद है या नही । मुझे क्यू वो पसंद होगी " शिवांश अपनी दादी की तरफ देखने लगा


" मुखिया उसकी बेटी का रिश्ता तेरे साथ करवाना चाहता हे "


" क्या । नही । मुझे कोई शादी वाडी नही करनी हे । "

नागेश्वरी की मन छोटा होने लगा ।" तूझे कोई पसंद है। इस उम्र में तो लड़के को कोई न कोई लड़की पसंद होता ही हे ।"


" नही मुझे कोई पसंद नही है । मुझे लड़कीयों से चिढ़ होती है । " बुरा सा मुंह बना के जवाब दिया


" अरे भला लड़की से तुझे क्यू चिढ़ होने लगा । क्या तुझे औरतें पसंद है" इस आशा में नागेश्वरी खुश हो रही थी साइड उसके पोते को औरते पसंद हे ।


" क्या । कैसी बातें कर रही हो दादी । मुझे औरतें क्यू पसंद आने लगा भला । लगता हे आपकी उम्र हो गई है साथिया गई हो । चलो घर जा के आपको अच्छे बादाम का दूध पिलाऊंगा "


" तो तुझे लड़किया देख के दिल में कुछ नही होता हे क्या। शरीर में कोई गर्मी सा मेहसूस भी नही होता हे क्या । कुछ करने का भी मन नही करता हे क्या । क्या कभी शादी नही करेगा क्या "


" क्या बहकी बहकी बातें कर रहे हो । नही में शादी नही करूंगा । मुझे ये सब पसंद नही है । में आपके साथ अम्मा और बापू के साथ ही बेहद खुश हूं । और ज्यादा जबरदस्ती करोगे तो भाग जाऊंगा । देख लेना "





नागेश्वरी अब और परेशान हो गई । सोचने लगी इसे मेरी बात का मतलब समझ आ रहा था या नही । इस उम्र में तो इन सबका ज्ञान आ जाना चाहिए था । लेकिन बातों से नही लगता को इसे मेरी बात को गहराई समझ आया होगा । और अगर जान बूझ के अनजान बनने का नाटक करता तो में इसकी आंखे देख की ही मुझे पता चल जाता । वैसे तो इसकी रोग रोग से वाकिफ हूं लेकिन इसके लोटे में भरा हुआ हे या नही ये समझ नही आ रहा हे । वैसा कोई हरकत करे तो पता चले ।




शिवंश को इस उम्र जितना ज्ञान होना चाहिए उतना हो गया था । लेकिन उसका दिल दिमाग इतना साफ था की उसके बारे में कभी सोचता ही नही था । उसे कुछ आइडिया भी नही था की उसकी दादी उससे उस तरीके की बाते कभी पूछ सकती है इसलिए वो उस तरीके सोचा भी नही और अपनी दादी की बातों का कोई मतलब समझ ही नही पाया ।
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अपडेट –१६






दादी पोते दोनो घर पोहौच जाते हे । चमेली अपनी सांस से अकेले में पूछती है " अम्मा क्या सोचा है "

"बहु शिवा को में अपने साथ सुलाया करूंगी और उससे दोस्ती कर लगी । और उसी दोस्तो की तरीके से बात निकल के पता करूंगी "


" ठीक हे । जैसी आपकी मर्ज़ी "




शादी को अब मात्र दस दिन रह गया । माहेश्वरी एक तरफ शादी की तैयारी में लगी हुई थी और एक तरफ पोते की शिन्ता खोखला कर रही थी । दो दिन शिवा को अपने साथ छाती से लगा के बच्ची की तरह सुलाया ।


लेकिन तीसरे दिन उसने कुछ सोचा । और सबसे बड़ी बात उसने मन ये बात ठान ली की " अगर मेरा पोता सोचमे खाली लोटा वाला है तो उसे कैसे भी कर के ठीक करना ही होगा । इसके लिए कुछ मर्यादा का मान उलंघन करना पड़ेगा । लेकिन करना भी ज़रूरी है इसलिए कुछ देर के लिए मुझे पोता दादी की पवित्र रिश्ता भूलना होगा ।



और पिछले दो रातों की तरह नागेश्वरी अपने पोते को बिस्तर पे चुलाया । वो गर्मी के कारण हमेशा पेटीकोट छाती में बंध के सोती थी लेकिन शिवा के साथ सोने के कारण वो पेटीकोट और ब्लाउज में सो रही थी ।


तो वो आज भी ब्लाउज और पेटीकोट में सोई । लेकिन आज वो पोते को सुला नही रहा था । बल्कि करवट ले के पीठ दिखा रही थी ।


शिवांश अपनी दादी से बड़े प्यार से पूछा ।" दादी आज मुझे नही सुलाओगे क्या "

" नही । आज मुझे सुलाओ "

" अच्छा ऐसी बात हैं । आज आपको बच्ची बनना है ठीक हे घूम जाओ "



" नही बच्ची आज नाराज है । "

शिवांश हास पड़ा अपनी दादी नाटक देख के । और दादी को पीछे से कमर में बाहें डाल के पकड़ लिया ।


नागेश्वरि बच्चे की तरह कुनमुनाते हुए बोली " उम ऊ जोर से पकड़ो न "


शिवांश मुस्कुराते हुए नागेश्वरी को जोर से बाहों में भींच लिया । माहेश्वरी को कराह निकल गई ऊंह कर के ।

शिवांश हास के बोला " दादी आप एक दम भूतनी लग रही रही । "

" हा तुझे तो में कभी अच्छा लगती ही नही । हमेशा मुझे बुरा भला कहते हो । मेरी मन को तुम समझते ही नही " माहेश्वरी नाराज होने का नाटक करने लगी ।


शिवांश हास के बोला ।" ओए बुढ़िया ज्यादा नातांकी मत करो । मुझे पता आप मेरी किसी भी बातों को बुरा नही मानते हो और में जो भी उल्टा सीधा बोलता वो तो बस ऐसे ही आपको छेड़ने के लिए । आप भी जानते हो की मेरा मन साफ है और आपके लिए कितना प्यार है । "


नागेश्वरि मंद ही मन हंस रही थी खुशी से लेकिन जाहिर नही होने दे रही थी ।" अच्छा । लेकिन जो भी हो आज सच मे में तुमसे नाराज हूं । अगर मुझसे नाराजगी दूर करना चाहते हो तो मुझे जी भर के प्यार करो "


"अच्छा ऐसी बात है । ठीक हे करता हूं प्यार "

शिवांश अपनी दादी की गाल में गीले गीले पप्पी देने लगा उम्मा उम्मा कर के । और पुरी गाल गिला कर के बोला " अब खुश मेरी प्यारी दादी"



" नही । मुझे और प्यार चाहिए " माहेश्वरी बहाने से अपनी कूल्हे पीछे करते हुऐ शिवांश के लन्ड पे चिपका दीए ।


शिवांश को इस बात का एहसास भी नही हो रहा था । और इसी बात का फायदा उठा के माहेश्वरी हिम्मत जुटा के अपनी गांड़ अपने पोते लन्ड पे हल्के हल्के से घुमा के रगड़ने लगा । जब इस बात का शिवांश को एहसास हुआ तो वो हास के बोला । " दादी कमर क्यू हिला रही हो "

" अरे वो एक पुराना गाना याद आ गई थी अपने आप थिरकने लगी" माहेश्वरी शर्म से पानी पानी हो गई लेकिन उसने फिर भी अपनी गांड़ हिलना बंद नही की


" कौनसा गाना दादी"

" पिया ओ पिया " ऐसे ही कुछ भी बोल दी नागेश्वरी ने

" ऐसा गाना मैने कभी सुना। लगता बाबा अदम जमीन की हे "

शिवांश ने ध्यान दिया की उसकी दादी अभी भी कमर हिलाए जा रही है । तो उसने अपनी दादी की जांघ पे चपात मार के बोला ।" रुको । अगर इतना ही नाचने का मन हो रहा है तो खड़े हों के अच्छे से नाचो ना जरा में भी देखू आप कितना अच्छा नाचती हो "

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नागेश्वरि शरमा गई । और वो अपने पोते की तरफ करवट ले के प्यार से शिवांश के आखों में देख के बोली ।" तूझे में कैसी लगती हूं"


" अच्छी लगती हो क्यू"

" क्या में तुझे खूबसूरत लगती हूं । में भी क्या पूछ रही हूं इस उम्र में कहा खूबसूरत लगूंगी "


" अरे नही सचमे आप बेहद खूबसूरत लगती हो दादी ।"

" सच"


" आपकी कसम दादी । आप अपनी उम्र से दस साल चोटी लगती हो । अम्मा की बड़ी बहन लगती हो ।"


पोते के मुंह से अपनी खुबसर्ती की तारीफ सुन के नागेश्वरी की गोरे गाल पे लालिमा चाह गई । और दुल्हन की तरह शरमाने लगी ।


" उम बात क्या ही दादी । आज इतनी अच्छी मूड में हो। इतनी प्यारी प्यारी बातें कर रहे हो । कही किसी से प्यार तो नही गया । " शिवांश बड़े नटखट हो रहा था


" है कोई । " नागेश्वरि शरमा गई


शिवांश एक दम अपनी दादी के पास सांश से सांश मिलाते हुए करीब आ के आखों में आखें डाल के बोला । " अच्छा कोई ही वो खुशनसीब जरा बताओ ना दादी"

माहेश्वरी के दिल मचल रही थी इसे बेहद अच्छा लग रहा था अपने पोते से झूठ मूठ का ईश्क लड़ने में और उसने अपनी नाक से शिवांश के नाक रगड़ के प्यार से बोली ।" तुम हो वो "


शिवांश नागेश्वरि की होंठो की तरफ गौर से देखने लगा । एक पल के लिए नागेश्वरी की दिल की धड़कन बढ़ गई ये सोच के की कही शिवांश उसकी होंठ ना चूम ले । लेकिन जब शिवांश के मुंह ये सुना " दादी आपकी तो छोटे छोटे मूसे है" वो एक दम से शर्मा गई और करवट ले के मुंह फिर ली । शिवांश जोर जोर से हसने लगा ।




" हा हा । दादी सुनो ना । सच में नाराज तो नही हो गई दादी । अरे में तो ऐसे ही मजाक कर रहा था । थोड़े थोड़े छोटे छोटे तो सबके होते हे । हा हा । इधर देखो ना "


लेकिन नागेश्वरि नही पलती तो शिवांश उसके ऊपर चढ़ गया और अपनी दादी की चेहरे को दोनो हाथो से पकड़ के माथा चूमने लगा फिर गाल चूमने लगा फिर आखें चूमने लगा । चूम चूम के पूरा चेहरा चुम्बन से खिला दिया । शिवांश का प्यार एक दम निच्छल प्यार था । लेकिन नागेश्वरि उसके प्यार को कुछ अलग ही नजरिए से देख रही थी ।

नागेश्वरि शिवांश के आखों में झांकते हुए बोली । " मुझे तुम्हारे दादाजी की याद आ रही हे "


" कोई नही दादी में हूं ना " शिवांश अपनी दादी को संतना देते हुए बोला


" कहते हे पोता अपनी दादी को दादाजी वाला प्यार दे सकता है । आज तुम भी मुझसे अपनी दादाजी वाला प्यार दो ना "


" ओह ऐसी बात हे । ठीक हे आज में दादाजी बन जाता हूं " ये बोल के शिवांश अपनी दादी की बगल में से हाथ घुसा के कस के पकड़ लिया ।


माहेश्वरी भी अपने पोते की गले में बाहें डाल के भींच लिया और एक ऊंह कर के अंगराई ली । नागेश्वरि भावनाओं बेह के अलग ही दिशा में चली गई थी खुद की ही खून के रिश्ते से लांघ पोते के बाहों में मचल रही थी । आंखे मोधोशी से सुर्ख लाल हो चुकी थी पलके उलट रही थी चेहरे लाल पर गई थी । शरीर पोते के बाहों में भींचना चाह रही थी सांसे तेज हो उठी थी दिल की धड़कने बढ़ रही थी । और कामुक स्वर में पूछ रही थी पोते से " मेरा बच्चा तुझे कुछ गर्मी जैसा महसूस हो रहा है "


शिवांश ने जो वास्तविक रूप में मेहसूस किया वोही बता दिया " हां दादी आपकी बदन बेहद गर्म है । आपको बुखार तो नही ही न "



" नही बेटा । ये बुखार नही हे । ये तड़प है । सालो से अकेली पड़ गई हूं "

दोनो पोते और दादी की आंखे एक दूसरे को देख रहे थे । जहा एक दूसरे के प्रति कितना प्यार हे वो मेहसूस हो रही थी


" दादी हम ने ना । हमारे होते हुए आप कैसे अकेले पड़ गई " शिवांश बोला

" अच्छा इसलिए कभी मेरे साथ सोने नही आया । बचपन में कभी कभी आते थे फिर भी रात को रो रो के अम्मा अम्मा कर के अपनी मां के पास चले जाते थे । पता ही में कितना अकेला महसूस करती हूं । तूझे क्या पता अपनी दादी की तकलीफ का तुझे तो बस मुझे ऊपर भेजने की देर हे " नागेश्वरि अपने पोते नर्म नश पे घायल कर रही थी । और बेचारा बिना कुछ समझे बस अपनी दादी की बातों में पिघल रहा था । लेकिन नागेश्वरि मुंह से भी दिल से निकली हुई बात ही निकल रही थी । उसे खुद को होश नही थी की वो कुछ ज्यादा ही बहक रही है ।


" सॉरी दादी । में गधा हूं ना । लेकिन आप भी तो मुझे बुला सकती थी अपने पास सोने को "


" नही बेटा प्यार मांग के प्यार पाने से ज्यादा बिना मांगे प्यार मिलने से खुशी में बेहद अंतर हे । "

" अच्छा जो भी हो अब तो आ गया हूं ना अब रोज में आपके सोऊंगा और आपको बेहद प्यार दूंगा अब तो मुस्कुरा दो " शिवांश अपनी दादी को मुस्कुरा के देखने लगा


नागेश्वरि के होंठों पे मुसकान आ गई । और पोते के बालों को सहलाने लगी और बोली । " एक बात बता तू मुझे कितना प्यार करता हे "

" दुनिया में सबसे ज्यादा "

" अम्मा से भी ज्यादा "


अब शिवांश
फांस गया था । वो मुस्कुराने लगा और कुछ सोच के दौतिक जवाब देते हुए बोला " दोनो से बेहद ज्यादा प्यार करता हूं आपसे भी और अम्मा से भी "

नागेश्वरि हास पड़ी " छुपा क्यू रहा हे । में समझती हूं मां बेटे का प्यार क्या होता हे । कोई न मुझे कोई फर्क नही पड़ता की तू अपनी अम्मा से थोड़ा कम प्यार करेगा तो भी में खुस हूं " और अपने मन में बोली तेरी मां तो कोइ और है जब ये बात पता चलेगी तो पता नहीं वो दिन क्या होगा ।


"आप बेहद समझदार हो दादी । लेकिन में आपके बिना भी में जी नही पाऊंगा । आपसे बेहद प्यार करता हूं "


" अच्छा अगर में तुम्हे काहू की तू मुझसे शादी कर लो " माहेश्वरी घुमा घुमा के बातो के जाल में फांस के पोते का मजा ले रही थी


" हा कर लूंगा " शिवांश हास के बोला

" तू ये मत समझ की में मजाक कर रही हूं । तू जानता ही में थोरी पागल हूं । ऊपर से तेरे दादाजी के बिना इतने साल गुजर दिए दिल में बड़ी अरमान के जी भर के प्यार पाने को । सच में कर लूंगा "

" हा कर लूंगा ना " शिवांश हांस के बोला

माहेश्वरी अपने पोते का हाथ अपनी शर पे रख के बोली ," अब कसम खा के बोल सच में शादी करेगा "



शिवांश बस मुस्कुराए जा रहा था । अब उसे कोई जवाब बन नही पा रहा था । अब अपनी दादी की कब्जे में बेचारा पूरी तरफ फस गया ।


" क्यूं । क्या हो गया । जूठे अब बोलती बन हो गई । अब बता " नागेश्वरि उसे आंखे दिखाने लगी


" दादी ऐसा थोरी होता हे । कोई अपनी दादी से कैसे शादी कर सकता है । "

" नही कर सकता है लेकिन प्यार तो कर सकता है । प्यार के लिए कही पर भी माना नही हे । मूझसे दादाजी वाला प्यार तो करेगा ना "

" हां करूंगा ना । "

" तूझे पता भी है दादाजी वाला प्यार कैसा होता हे । ऐसे ही हवा में फेके जा रहे हो फेकू "

" नही पता । लेकिन आप बताना कैसा होता हे और वैसा ही प्यार करता जाऊंगा आपसे "


" अच्छा देखा जायेगा समय आने पर । पहले ये बता तू मुझपे बिस्वास और भोराषा करता हे ना "

" हुम । ये भी कोई पूछने की बात है आंख बंद कर के बिस्वश और भोरोसा करता हूं "

" ऐसे नही मेरी कसम खा के बोलो "

शिवांश अपनी दादी की शर पे हाथ रख के बोला " में कसम खा के कहता हूं मुझे आप पे पूरा भोरोषा और विश्वास हे "


" ये हुई न बाद । तो सुनो हमारे वंश में एक पुराना बीमारी हे और वो बीमारी तुम्हे भी है । लेकिन तुम शिंत्ता मत करो मुझे ठीक करना आता हे । में ठीक कर दूंगा "

" कोन सी बिमारी हे दादी "

" सब पता चलेगा अभी बेहद रात हो गई हे । चलो सो जाओ "



नागेश्वरि शिवांश को कारवाट में चाटी से लगा के चुलाने लगी उसके बालों पे हंगलिया फिरा के । शिवांश भी अपनी दादी की निर्मल पयार पा कर जल्दी सो गया।।।






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शादी को चार दिन रह गए थे मात्र । शादी के कामों का दबाव नागेश्वरी के शिर पे पर गए थे । कुछ करीबी रिश्तेदार भी अपने परिवार के साथ आ गए थे । शिवांश के घर मे अब हर वक्त मच्छी बाजार की तरह चोर रहता । कोई किसी को इधर से बुला कोई किसी को उधर से । कोई आदेश दे रहा हे कोई कर रहा हे कोई सुन रहा हे कोई गप्पे लड़ा रहा हे ।




इसी भाग दौर मे नागेश्वरि अपने पोते पे ज्यादा ध्यान नहीं दे पा रही थी । वैसे तो उनकी मनसूबा कुछ और था लेकिन कुछ और हो गया ।



शिवांश सभी मेहमानों को बेहद अच्छे से सटकर कर रहा था सभी उसका मीठे बोल से तारीफ कर रहे थे । ये सुन कर रघुनाथ नागेश्वरि और चमेली की दिल गोद गोद हो रही थी ।



घर में सारे कमरे मेहमान से भरे पड़े थे । इसी का फायदा उठाते हुऐ नागेश्वरि रोसोइ में दो खटिया लगा दिया ये बोल के की वो और उसका पोता सोएगा ।



जैसा मनसूबा था वैसा ही हो रहा था और जब रात के खाने के बाद डकार मार के सोने गए तो नागेश्वरी अपने पोते को इसरे से बुलाते हुए रसोई के दरवाजे की कुंडी अच्छे से लगा दिया ।




शिवांश हास के बोला ।" बस करो दादी आज कल बर्तन चुराने वाले चोर नही रहा । "


" बर्तन के लिए नही ये तुम्हारे लिए । कोई तुम्हे चुरा के ले गया तो में जीते जी मर जाऊंगी " नागेश्वरि अपने पोते के गाल खींच के बोली

" मुझे । में क्या कोई छोटा बच्चा हूं जो कोई भी अचानी से उठा के ले जायेगा "


" ले के भी जा सकता हे कोई भरषा नही हे जिस तरह तू लोगो के दिल जीत लिया हे कोई तुझे पाने के चक्कर में तुझे उठा लिया तो "


" उफ हो दादी आप भी ना कुछ भी सोचते रहते हो । चलो मुझे नींद आ रही है "



खटिया तो लगाए थे एक इस दीवार के पास और एक इस दीवार के पास लेकिन नागेश्वरि पोते के दो फीट चौड़ाई खटिया पे लेट गई "


" दादी गर्मी में मार जाऊंगा । यहां पंखा नही है । उधर जा के सोए ना "


" नही । मुझे तेरे साथ ही सोना है इसलिए तो यहां ले के आया तुझे नही तो आंगन में ही सो जाती तेरे अम्मा के साथ "


" अच्छा एक काम करता हूं । में दोनो खिड़की खोल देता हूं बाहर से ठंडी हवा आयेगी "

" नही रहने दे " नागेश्वरी अपने पोते को बाहों में भर के मन में बोली " मेरा अनाड़ी पोता अगर किसी ने हम दोनो ऐसे लिपटे हुऐ देख लिया ना बबल मैच जायेगा । तूझे तो कुछ समझ ही मेही आता हे ।"



गर्मी बेहद थे । रोचोई भी ज्यादा बड़ा नहीं था । कूची देर में दोनो पसीने पसीने हो गए । लेकिन दादी पोता एक दूसरे को बाहों में से अलग मेही हुए । माहेश्वरी की जिस्म पोते के बाहों में समाते ही थर थराते हुऐ मचल उठी । अपनी भारी चाटी पोते के चौड़े चाटे में धसने के एहसास से ही उसकी बदन रिंगने लगी । मदहोशी से अपने पोते को देखने लगी ।


शिवांश को अभी भी दादी मझकिया अंदाज लग रहा था और वो भी हमेशा की तरफ मझाकिया अंदाज में ही वास्तिकता को स्मरण कर रहा था ।

" दादी । कुछ दिनों से आप बदली हुई लग रही हो । ऐसा हरकत कर रही हो जैसे आप मेरी गर्लफ्रेंड हो " शिवांश मुस्कुरा के बोला


" हां मुझे वोही समझो न । कहा तो था मुझे तेरे दादाजी की बेहद याद आ रही हे । इसलिए तुम्हारे प्यार पाना चाहता हूं "


" अच्छा ये बात हे । में हूं भूल ही गया था । "


माहेश्वरी गर्मी में पसीने से भीग गई थी । उसकी ब्लाउज बगल से पीठ से और छाती के ऊपर के हिस्से गीले हो चुकी थी । उसने इसी शल से उसने ऊंह कर के अंगराई लेते हुए बोली " उफ यह गर्मी मर जाऊंगी री " और अपने पल्लू नीचे गिरा के ब्लाउज के चार हुक में से तीन हुक खोल दिए । जिसकी वजह से उसकी वाक्स ब्रा से बहार आने को उछल रहे थे और उसकी गोरी चाटी पसीने की बूंद से और बहती धर से चमक रही थी । और अपनी बालों को खोल के फैलते हुए बड़ी अदाह से मचलते हुए शिवांश के टी–शर्ट निकल दी ये बोल के की " चलो निकल दो इसे नही तो गर्मी में मर जाओगे "
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" आपको ही चक था गर्मी में सोने का । अब भुगतो मुझे तो आदत हे "

" ओए लड़के तेरी दादी किसी से कम नही हे । में भी सेह सकती हूं गर्मी इतने सालो से अकेली ही गर्मी सहती आती हूं " नागेश्वरि की इशारा कुछ और थी



लेकिन अनाड़ी पोता के पल्ले नहीं पड़े । नागेश्वरि पोते के नजर को बारीकी से ध्यान दे रही थी । कोई बार शिवांश के नजर उसकी कामुक छाती उसकी कामुक बदन पे गिरते हुए पाए लेकिन उसे ऐसा नही लगा पोते के आखों को देख की उसके मन कोई यौन भावनाएं आए हो वो एक दम साधरण था । नागेश्वरि मन में सोचने लगी कितना रिझा रही हूं बदन दिखा दिखा के । बाहों में खुद को भींचवा रही रगड़वाई रही लेकिन इसे मेरे बदन के प्रति जरा भी आकर्षित नही दिखाई दिए । इतनी भी बूढ़ी भी नही हूं की किसी को रिझा न सकू । अभी तक माशिक आया हे मेरे उस हिसाब से जवानी भरी परी ही मेरे अंदर । पैंट में हरकत होना तो दूर इस तो कुछ वैसा भाव अनुभव नही हुए । अब क्या इसके पैंट उतार के हिला के देखू । नही नही इससे आगे मैं जा नही सकती ।




" चल झूठी । पंखा तो सालो से है आपके कमरे में । में बचपन से देखते आया हूं । "


" मेरे भले पोते । तू इतना क्यो भोला हे री । थोड़ा तो चालक बन " नागेश्वरि शिवांश के ठंडी हिला के बोली



" हट्ट में बहत चालक हूं " शिवांश खुद पे गौरव करते हुए जवाब दिया


" पता है तेरे दादाजी होते तो क्या करते "


" क्या करते "

" अभी के अभी मेरे ऊपर चढ़ जाते "


शिवांश झट से अपनी दादी की मनचल जिस्म के ऊपर चढ़ के दादी की आखों में मुस्कुराते हुए देखने लगा ।" लो चढ़ गया अब खुश "




नागेश्वरी को उसके मासूम चेहरे को और उसके बच्चो जैसे हरकत पे हास पड़ी और बोली । " फिर बत्ती बुझा के तितर बितर प्यार करते मुझे हां "


शिवांश हास के बोला । " दादाजी ओल्ड मॉडल का था इसलिए सरमाते थे । में बत्ती नही बुझाऊंगा में न्यू मॉडल का हूं ना । में रौशनी में ही प्यार करूंगा " ये बोल के नागेस्वरी के गाल माथा पे पूरे चेहरे पे चूम चूम के बोला । " लो अब खुश "


नागेश्वरी जोर से हास पड़ी और पोते के चेहरे को अपनी हथेली पे ले के प्यार से अपनी प्यासी होंठ उसके होंठों पे चुवाह के थोड़ा गीला कर के बोली । " दादाजी ऐसे भी प्यार करते ते "




शिवांश पहली बार दादी से इतना शरमा गया की अपनी दादी को चाटी पे मुंह छुपा के बोला ।" दादी में सचमुच का दादाजी थोरी हूं । "


नागेश्वरी हस के बोली " तो क्या हया पोता और दादी के बीच इतना तो चलता है ।" और अपनी मन में बोली "शरमा गया । दिल में जवानी है इसके । "


" आप बेहद नॉटी हो रहे हो । दिनवे दिन साथिया जा रहे हो "


नागेश्वरि झूठा नाराजगी दिखा के शिवांश को अपने ऊपर से हटा के खटिया से उठ " बेहद हो गया तू मुझसे प्यार नही करता । सब झूठा नाटक ही तेरा "


नागेश्वरि दूसरे खटिया पे जा के लेट गई । शिवांश भी उसकी खटिया में जबरदस्ती घुस गया और मानने लगा अपनी दादी को " प्लीज दादी ऐसा मत करो । अब इतना नाराज मत हो । अच्छा नेगी लगता "


" तू जा रो जा के सो जा । मेरे पास मत आ जरा सा कदर नही ही अपनी बूढ़ी दादी की " और मुंह फुलाए पोते से मुंह फेर ली।


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