अपडेट –१७
नागेश्वरि शरमा गई । और वो अपने पोते की तरफ करवट ले के प्यार से शिवांश के आखों में देख के बोली ।" तूझे में कैसी लगती हूं"
" अच्छी लगती हो क्यू"
" क्या में तुझे खूबसूरत लगती हूं । में भी क्या पूछ रही हूं इस उम्र में कहा खूबसूरत लगूंगी "
" अरे नही सचमे आप बेहद खूबसूरत लगती हो दादी ।"
" सच"
" आपकी कसम दादी । आप अपनी उम्र से दस साल चोटी लगती हो । अम्मा की बड़ी बहन लगती हो ।"
पोते के मुंह से अपनी खुबसर्ती की तारीफ सुन के नागेश्वरी की गोरे गाल पे लालिमा चाह गई । और दुल्हन की तरह शरमाने लगी ।
" उम बात क्या ही दादी । आज इतनी अच्छी मूड में हो। इतनी प्यारी प्यारी बातें कर रहे हो । कही किसी से प्यार तो नही गया । " शिवांश बड़े नटखट हो रहा था
" है कोई । " नागेश्वरि शरमा गई
शिवांश एक दम अपनी दादी के पास सांश से सांश मिलाते हुए करीब आ के आखों में आखें डाल के बोला । " अच्छा कोई ही वो खुशनसीब जरा बताओ ना दादी"
माहेश्वरी के दिल मचल रही थी इसे बेहद अच्छा लग रहा था अपने पोते से झूठ मूठ का ईश्क लड़ने में और उसने अपनी नाक से शिवांश के नाक रगड़ के प्यार से बोली ।" तुम हो वो "
शिवांश नागेश्वरि की होंठो की तरफ गौर से देखने लगा । एक पल के लिए नागेश्वरी की दिल की धड़कन बढ़ गई ये सोच के की कही शिवांश उसकी होंठ ना चूम ले । लेकिन जब शिवांश के मुंह ये सुना " दादी आपकी तो छोटे छोटे मूसे है" वो एक दम से शर्मा गई और करवट ले के मुंह फिर ली । शिवांश जोर जोर से हसने लगा ।
" हा हा । दादी सुनो ना । सच में नाराज तो नही हो गई दादी । अरे में तो ऐसे ही मजाक कर रहा था । थोड़े थोड़े छोटे छोटे तो सबके होते हे । हा हा । इधर देखो ना "
लेकिन नागेश्वरि नही पलती तो शिवांश उसके ऊपर चढ़ गया और अपनी दादी की चेहरे को दोनो हाथो से पकड़ के माथा चूमने लगा फिर गाल चूमने लगा फिर आखें चूमने लगा । चूम चूम के पूरा चेहरा चुम्बन से खिला दिया । शिवांश का प्यार एक दम निच्छल प्यार था । लेकिन नागेश्वरि उसके प्यार को कुछ अलग ही नजरिए से देख रही थी ।
नागेश्वरि शिवांश के आखों में झांकते हुए बोली । " मुझे तुम्हारे दादाजी की याद आ रही हे "
" कोई नही दादी में हूं ना " शिवांश अपनी दादी को संतना देते हुए बोला
" कहते हे पोता अपनी दादी को दादाजी वाला प्यार दे सकता है । आज तुम भी मुझसे अपनी दादाजी वाला प्यार दो ना "
" ओह ऐसी बात हे । ठीक हे आज में दादाजी बन जाता हूं " ये बोल के शिवांश अपनी दादी की बगल में से हाथ घुसा के कस के पकड़ लिया ।
माहेश्वरी भी अपने पोते की गले में बाहें डाल के भींच लिया और एक ऊंह कर के अंगराई ली । नागेश्वरि भावनाओं बेह के अलग ही दिशा में चली गई थी खुद की ही खून के रिश्ते से लांघ पोते के बाहों में मचल रही थी । आंखे मोधोशी से सुर्ख लाल हो चुकी थी पलके उलट रही थी चेहरे लाल पर गई थी । शरीर पोते के बाहों में भींचना चाह रही थी सांसे तेज हो उठी थी दिल की धड़कने बढ़ रही थी । और कामुक स्वर में पूछ रही थी पोते से " मेरा बच्चा तुझे कुछ गर्मी जैसा महसूस हो रहा है "
शिवांश ने जो वास्तविक रूप में मेहसूस किया वोही बता दिया " हां दादी आपकी बदन बेहद गर्म है । आपको बुखार तो नही ही न "
" नही बेटा । ये बुखार नही हे । ये तड़प है । सालो से अकेली पड़ गई हूं "
दोनो पोते और दादी की आंखे एक दूसरे को देख रहे थे । जहा एक दूसरे के प्रति कितना प्यार हे वो मेहसूस हो रही थी
" दादी हम ने ना । हमारे होते हुए आप कैसे अकेले पड़ गई " शिवांश बोला
" अच्छा इसलिए कभी मेरे साथ सोने नही आया । बचपन में कभी कभी आते थे फिर भी रात को रो रो के अम्मा अम्मा कर के अपनी मां के पास चले जाते थे । पता ही में कितना अकेला महसूस करती हूं । तूझे क्या पता अपनी दादी की तकलीफ का तुझे तो बस मुझे ऊपर भेजने की देर हे " नागेश्वरि अपने पोते नर्म नश पे घायल कर रही थी । और बेचारा बिना कुछ समझे बस अपनी दादी की बातों में पिघल रहा था । लेकिन नागेश्वरि मुंह से भी दिल से निकली हुई बात ही निकल रही थी । उसे खुद को होश नही थी की वो कुछ ज्यादा ही बहक रही है ।
" सॉरी दादी । में गधा हूं ना । लेकिन आप भी तो मुझे बुला सकती थी अपने पास सोने को "
" नही बेटा प्यार मांग के प्यार पाने से ज्यादा बिना मांगे प्यार मिलने से खुशी में बेहद अंतर हे । "
" अच्छा जो भी हो अब तो आ गया हूं ना अब रोज में आपके सोऊंगा और आपको बेहद प्यार दूंगा अब तो मुस्कुरा दो " शिवांश अपनी दादी को मुस्कुरा के देखने लगा
नागेश्वरि के होंठों पे मुसकान आ गई । और पोते के बालों को सहलाने लगी और बोली । " एक बात बता तू मुझे कितना प्यार करता हे "
" दुनिया में सबसे ज्यादा "
" अम्मा से भी ज्यादा "
अब शिवांश फांस गया था । वो मुस्कुराने लगा और कुछ सोच के दौतिक जवाब देते हुए बोला " दोनो से बेहद ज्यादा प्यार करता हूं आपसे भी और अम्मा से भी "
नागेश्वरि हास पड़ी " छुपा क्यू रहा हे । में समझती हूं मां बेटे का प्यार क्या होता हे । कोई न मुझे कोई फर्क नही पड़ता की तू अपनी अम्मा से थोड़ा कम प्यार करेगा तो भी में खुस हूं " और अपने मन में बोली तेरी मां तो कोइ और है जब ये बात पता चलेगी तो पता नहीं वो दिन क्या होगा ।
"आप बेहद समझदार हो दादी । लेकिन में आपके बिना भी में जी नही पाऊंगा । आपसे बेहद प्यार करता हूं "
" अच्छा अगर में तुम्हे काहू की तू मुझसे शादी कर लो " माहेश्वरी घुमा घुमा के बातो के जाल में फांस के पोते का मजा ले रही थी
" हा कर लूंगा " शिवांश हास के बोला
" तू ये मत समझ की में मजाक कर रही हूं । तू जानता ही में थोरी पागल हूं । ऊपर से तेरे दादाजी के बिना इतने साल गुजर दिए दिल में बड़ी अरमान के जी भर के प्यार पाने को । सच में कर लूंगा "
" हा कर लूंगा ना " शिवांश हांस के बोला
माहेश्वरी अपने पोते का हाथ अपनी शर पे रख के बोली ," अब कसम खा के बोल सच में शादी करेगा "
शिवांश बस मुस्कुराए जा रहा था । अब उसे कोई जवाब बन नही पा रहा था । अब अपनी दादी की कब्जे में बेचारा पूरी तरफ फस गया ।
" क्यूं । क्या हो गया । जूठे अब बोलती बन हो गई । अब बता " नागेश्वरि उसे आंखे दिखाने लगी
" दादी ऐसा थोरी होता हे । कोई अपनी दादी से कैसे शादी कर सकता है । "
" नही कर सकता है लेकिन प्यार तो कर सकता है । प्यार के लिए कही पर भी माना नही हे । मूझसे दादाजी वाला प्यार तो करेगा ना "
" हां करूंगा ना । "
" तूझे पता भी है दादाजी वाला प्यार कैसा होता हे । ऐसे ही हवा में फेके जा रहे हो फेकू "
" नही पता । लेकिन आप बताना कैसा होता हे और वैसा ही प्यार करता जाऊंगा आपसे "
" अच्छा देखा जायेगा समय आने पर । पहले ये बता तू मुझपे बिस्वास और भोराषा करता हे ना "
" हुम । ये भी कोई पूछने की बात है आंख बंद कर के बिस्वश और भोरोसा करता हूं "
" ऐसे नही मेरी कसम खा के बोलो "
शिवांश अपनी दादी की शर पे हाथ रख के बोला " में कसम खा के कहता हूं मुझे आप पे पूरा भोरोषा और विश्वास हे "
" ये हुई न बाद । तो सुनो हमारे वंश में एक पुराना बीमारी हे और वो बीमारी तुम्हे भी है । लेकिन तुम शिंत्ता मत करो मुझे ठीक करना आता हे । में ठीक कर दूंगा "
" कोन सी बिमारी हे दादी "
" सब पता चलेगा अभी बेहद रात हो गई हे । चलो सो जाओ "
नागेश्वरि शिवांश को कारवाट में चाटी से लगा के चुलाने लगी उसके बालों पे हंगलिया फिरा के । शिवांश भी अपनी दादी की निर्मल पयार पा कर जल्दी सो गया।।।