अपडेट–८
शोभा भी मान गई अब । घर में अब बेटी नई जिंदगी में भेजनी की खुशियां मनाई जा रही थी लेकिन चमेली दुखी भी थी अब अपनी बेटी को पराए घर में बिदा करना होगा । लेकिन संसार की यही रीत है तो हम क्या कर सकते हे ।
माहेश्वरी शिवांश को अब परेशान कर रही थी । जब भी मौका मिलता शिवांश के साथ चेढ़खानी करती थी ।
नागेश्वरी बोलती थी ।" कालिया अब तेरा क्या होगा । अब तो तेरा भी नम्बर लगने वाला है । "
शिवांश बोलता था " बुधिया तू ही न मेरे लिए । मुझे किसी कि जरूरत नही हे । "
नेगेश्वरी उसको बोलती थी " बड़ा आया तू हे न मेरे लिए कहने वाला । नस्ती मुआ आज तक तूने मेरे लिए कुछ किया है जो इतने हक से बोल रहे हो । हमेशा तो ऊपर निकलने की बददुआ देते रहते हो "
" लेकीन हो मोटी चमड़ी की निकलती नही । "
जब ज्यादा हो जाता था तो कभी रागुनाथ या फिर चमेली बीच में पद के बोलती थी " अरे बस करो दादी पोता हो की सच्ची में पति पत्नी । कितना लड़ते रहते हो ।"
लेकिन दोनो दादी और पोता बोहोत धित्त थे ।
"अरे मेरे इतने भी बुरे नही आए की इस चुडैल जैसी बुधिया को अपनी पत्नी मानू" शिवांश नागेश्वरी को और ज्यादा चिढ़ता था
" मेरे भी इतने बुरे दिन नही आए तेरे जैसी नाशपीते को अपना पति मानू " नागेश्वरी भी बराबर जवाब देती थी ।
ऐसे ही पूरी परिवार का मनोरंजन होता रहता था।