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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

andyking302

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मेरा सादर नमस्कार आप सभी से । एक नया कहानी लिखने जा रहा हूँ उमीद है आप सभी को बेहद पसंद आये । पहले तो बात दू की मेरे लिए हिंदी टायपिंग करना थोड़ा मुश्किल है । इसलिये लिखते वक़्त थोड़ा टाइम लगेगा।









कहनी इंकास्ट थीम पर बेस है । कहानी में पारिवारिक रोमान्स होगा ज़्यादातर । जिसमें भोरपुर सेक्स होगा ज़ाज़बाद के साथ । कहानी पूरी तरह से काल्पनिक होगा । आशा है किसी को किसी प्रकर की शिकायत अबसर ना हो ।और लिखीत सब्द मेरे बोहोत सी गलतिया होगी इसलिये पहले ही माफी मांग के रखता हूँ।

आज की विकसीत दुनिया मे बड़ी तेजी से विकाश हो रहा है । जैसे कोई नई टेक्नोलॉजी बाजार में प्रदान होता है ठीक अगले ही दिन उसकी कॉपी पेस्ट सारों तरफ देखा जाता है । थोग भी टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बड़ी तरक्की पा रहा है। सब्जीया भी आज काल टेक्नोलॉजी के द्वारा बनाया जाने लगा है । हर चीज़ में टेक्नोलॉजी की उपसर ऐसे में कोई टेक्नोलॉजी का अच्छाई के निबारण करता है कोई बुराई के लिए ।

आज काल के हर छोटे बड़े गाओ शहर जैसा लगने लगा है । हर तरह की सुविधा जो आ गयी है । जिसके पास कम पैसा है वास् वही थोरा पीछे रह जाते है । लोगो के ज़ाज़बाद धीरे धीरे कम होते जा रहे है। एक दूसरे की प्रति आत्मीयता खत्म होते जा रहे है । एक दूसरे के लिए किसी के पास फुरसत ही नही है ।

वैसे में कोई बन्दा बाइक से कही जा रहा है अगर रास्ते मे कोई दोस्त या कोई खास सड़क पे मिल जाये और सामने वाला बोले भाई तेरे से बेहद जरुरी बात करनी है तो बोलता है भाई वॉचआप कर दियो में चलता हूँ। हर जगह पे टेक्नोलॉजी घुस जाते है।



लेकीन आज भी कुछ गाओ ऐसे है जो अपनी परम्परा अपनी सांस्कृतिक आज तक भूले नही है। भले ही ज़रूरत मंद की टेक्नोलॉजी का ब्याबहार करते हो लेक़िन लेकिन अपनी पूर्बजों की रीति रिवाज परम्परा भूले नही आज भी सच्चें मन से पालन हार है। वरना आज काल तो कागजों पे अपना नाम लिख के शदी कर लेते है और नाम के लिए वास् एक माला।


और ऐसे ही गाँव मे हमरा हीरो रेहता है जिसमे उस गाँव के मिट्टि उस गाँव की प्रकृतिक खुसबू उसके रोगों में कोन कोंन बसता है। अपने मात्र भूमी से इतना प्यार है कि लाख कशिश के बाद भी अपनी आत्मा अपनी गांव में छोड आता है।
Nice bhai
 

andyking302

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अपडेट -१


हमारे हीरो का नाम शिवांश चार्य । शास्त्रों के अनुसर केहेटे है शिवांश बड़े ही शुब दिन और शुभ घड़ी में पैदा हुए है जेइसे त्रिलोक भी चाहते थे कि शिवांश की पैदाइश सूभ ग्रह नसत्र के ताल मिल के साथ शुभ घरी पैदा हो। बड़े ही संत स्वाभाव सतित्र के अपनी दिल की बात मानने वाला । कोई अगर कुछ उल्टा बोले तो उसको भी हाशके के उत्तर देता था। दिखने में भी स्वस्थ सुंदर। हर पल चेहरे पे खुशनुमा रौनक रहता था ।हाल ही में 18 साल का हया हे और बारहवीं की परिक्षा भी दे चुका है।


नागेश्वरी चार्य । 5८ साल की शिवांश की दादी । बोहोत ही कम उम्र शादी हो गई थी इनकी। जैसा नाम वैसा ही इनकी रुतबा । गुस्सैल उग्रवादी स्वभाव लेकिन नेक दिल की थी । शिवांश के बिना एक पल भी नेही रह पाती है।इनके पति यानी शिवांश के दादाजी के 20 साल पहले डायरिया के कारण स्वर्गवास हो सुका है। तब से घर की मुखिया नागेश्वरी ही हैं।

शंकार चार्य । शिवांश के पिता उम्र ४२ साल । ये शहर में आज की स्थिति में बोहोत बड़े बिल्डर हैं । अपने परिवार के प्रति बोहोत शंबेदनशील हैं। लेकिन इसको हमेशा से येयास किस्म के जिंदगी चाहिए थी इसलिये ये शेहेर जा के घर वासा लिया।


रोहिनी चार्य । शिवांश की मां ४० की उम्र में बला की खूबसूरती की मालकिन । हमेशा अपने परिवार की भले के लिऐ इस्सर से प्रथान करने संस्कारी गृहीनी ।












सुप्रिया चार्य । उम्र 20 साल शिवांश से बड़ी । बला की खूबसूरती अपनी मां को तरह जो पढाई से ज़्यादा अपनी जिस्म पे ध्यान देती हे ।

रघुनाथ चार्य । शिवांश के चाचा ।उम्र ३९ साल । बोहत ही मेहनती इन्सान हैं । अपनी जमीन पे खेती वारी करता है ।और गाय भैंसों को पाल के परिवार का पालन हार करता है ।

चमेली चार्य । उम्र ३८ साल । शिवांश की चाची । वैसे तो ये भी बला की खूबसूरत ही लेकिन घर की काम काज के कारण अपनी ध्यान रख नहीं पाती हे ।

शोभा चार्य । 20 साल की कच्ची उम्र । बारहवी के बाद पढ़ाई छोड़ दी । और अपनी दादी और मां का हाथ बताती है ।

अन्य पात्र की परिशय कहानी के माध्यम से आएंगे ।
शानदार intro
 

andyking302

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अपडेट —२




शंकार और रोहिनी जब पहला बच्चा हुए तो वो बोहोत खुश थे लेकीन जब उसे नर्स आके बताती है कि लडकी हुई ही तो वो थोड़ा मायूस हो जाता है लेकीन ऊपरवाले की देन समझ के खुश हो जाता है । वो चहता था को पहला बारिस उसका लड़का हो लेकिन ऊपरवाले की मर्ज़ी के आगे आज तक किसी का चला ही भला । लेकीन जब शिवांश पैदा हुए तो चप्पर फाड़ के नोटों की गड्डी गरीबों के ऊपर निशावर कर देता है और समझ में एक छोटा सा मन्दिर बना देता है।




रोहिनी अपने जिगर की तुड़के को हमेशा सीने में ले के रखती थी । शिवांश अपनी बड़ी बहन के साथ किलकारते हुए बड़ा होने लगा । लेकीन उसके किस्मत में कुछ और लिखा था । जिससे उसको अपनी मां बाप ममता लाड़ प्यार से वंचित होना पड़ा । चार चलो में उसके साथ चार बाद भयानक हादसा हो चुका था । जिससे वो मरते मरते बचा था।


शंकार और रोहिनी अपने बेटे को लेके बेहद ही परेशान हो गए । बुजुर की कथन से दोनो ने शिवांश को एक ज्ञानी ब्रह्मचर्य के पाश ले के गए और शिवांश के साथ हुए घटनाओं के बारे में बिस्तर से बता के उपाय मांगा ।

और ब्रह्मचर्य ने शंकर और रोहिनी को जो कहा उसे सुन के उन दोनो को वोही चेतना खो दिए । ब्रह्मचर्य ने बताया की दोष उनके बेटे शिवांश में नहीं दोष उन दोनो में हे जो कोई पिछली जन्म का पाप ही जो इस जन्म में चुकाना पड़ेगा । दरसल उनके जीवन में पुत्र प्राप्ति का कोई योग नही थे । और अब ऊपरवाले का यही रणमया ही को उनको पुत्र सुख की प्राप्ती नहीं होगी जिसके कारण शिवांश के साथ ऐसे अनहोनी घटना घटते रहेगा और शिवांश की एक दिन मौत हो जायेगा ।


रोहिनी और शंकर रो पड़े ब्रह्मचर्य के पेड़ो में और शिवांश को बचाने का साधन पूछा । तब ब्रह्मचर्य एक ही अंतिम उपाय बताए कि शिवांश को कही दूर भेज दे और उसके कुरी बर्ष यानी की जब तक वो 20 बर्ष ना हो जाए तब तक शंकर और रोहिनी उसे ना मिले यहां तक कि शिवांश का शहरा तक ना देखे ।।

शंकार और रोहिनी निराश हो के घर लौटे । दोनो शिवांश की भविष्यवाणी सुन के परेशान थे । अपने बेटे को कैसे अपने जिंदगी से दूर भेज दे । लेकीन ऐसा नही करेगा तो शिवांश की जान चली जायेगी ।


शंकार ने दिल पे चुरा मार के एक निर्णय लिया की शिवांश को गांव छोड़ आए अपनी मां और भाई के पाश । रोहिनी ने दिल पे पत्थर रख अपनी पति के विचार का पालन किया ।


* उम्र में शिवांश को गांव भेज दिया । जिस वक्त शिवांश के दूध के दात भी गिरे नहीं थे उस वक्त शिवांश को अपनी मां से जुदा होना पड़ा।




नागेश्वरी शिवांश को अपने गोद के पा के बेहद खुश थे । चलेमी की बेटा नहीं था तो वो भी शिवांश को को ही बेटा मान ली । रघुनाथ भी खुश थे अपनी ही खूनी था । और शोभा भी अपने शिवांश को छोटे भाई के रूप में बेहद खुश हुईं ।



सुरू सुरु शिवांश अपनी मां की ममता को याद कर के रोता था । लेकिन नागेश्वरी और चमेली ने शिवांश का कुची वक्त में दिल जीत लिया । और शिवांश भी शोभा की स्वर पकड़ के चमेली को अम्मा और रघुनाथ को बापू बुलाने लगा।

उधर रोहिनी शिवांश की याद में गले से खाना उतार नहीं पा रही थी और इधर शिवांश नागेश्वरी की आंगन में सजीव पेड़ पौधों की तरह बड़ा होने लगा ।
शानदार bhai
 

andyking302

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अपडेट –३




“ओए शिवा आज इतनी सुबह ”

शिवांश के गांव के लोग और घर में में प्यार से शिवा ही बुलाते थे । शिवांश सुबह ७ बजे गायों को खुले खेत में चराने के लिए निकला था और रास्ते में उसका दोस्त सुधीर उसे मिला ।


"और आज में बापू के साथ शहर जा रहा हूं । इसलिए सोचा थोरी जल्दी काम निपटाई जाय " शिवांश अपने दोस्त को बोला


सुधीर शिवांश के साथ ही पढ़ता था । और दोनो अच्छे दोस्त भी थे । लेकिन सुधीर शिवांश की तरह भला भाला लड़का नही था । जहा देखो आवारागर्दी करता रहता था ।


"क्या तु भी । छोटे बच्चों की तरह अपने बापू के साथ घूमता ही । चल आजा मेरे पास दो चिगरेट ही मस्त कस्त मार के पीते ही । सुधीर शिवांश को अपने साथ ले जाना चाहता था

"अबे हरमी कितना बार बोला में ये सब नशा नही करता हूं।फिर भी बोलता ही मुझे । बाद में मिलता हूं मुझे देर हो रही ही"


शिवांश गायों को हूर हूर कर के खेत की तरफ ले जाने लगा। सुधीर पीछे से बोला "जा बे चूतिय बड़ा आया नशा न करने वाला । एक दिन महान आदमी बनेगा जा के"

शिवांश जाते जाते हास के बोला "हां बनूगा ना"





शिवांश जल्दी ही गायों को खेत में बांध के घर चला आया और सीधा नहाने चला गया गुशल खाने । तभी उसकी दादी गुशाल खाने के पास जा के बोली " अच्छे से नहाना । तेरी साबून रह जाती ही पीठ पे । साबुन लगाने के बाद ठिक से पानी डालना होता है । कब शिखेगा तु "

"आप जब ऊपर को निकाल लगी तब अपने आप सीख मिल जायेगी " शिवांश हास के अपनी दादी का मजाक उड़ाया

आंगन में चमेली मसाला सुखा रही थीं और रघुनाथ अपनी बाइक पे उपर ऊपर से कपरा मार रहा था। शिवांश की बातें सुन के दोनो मुंह दबा के हसने लगा


नागेश्वरी जल बुन के पेड़ पटक के बोली " दिन रात जा के तुझे खिला पिला के बड़ा किया अब तूझे बड़ी जल्दी ही मुझे ऊपर पोहोचने की नालायक । और तुम दोनो हास क्या रहे हो तुम दोनो की लड़ प्यार की वजह ही लोंडा बिगड़ गया ही । कहता था ना ज्यादा छुट्ट मत दो । देखो कैसे बिगड़ गया ही" दादी पेड़ पटक के वोह से चली गई ।

चमेली शिवांश को दातने लगा "क्यू अम्मा जी को गुस्सा दिलाते रहते हो अब दिन भर हम पे गुस्सा निकलेगी "


शिवांश गुशल खाने के अंदर से बोला " अरे में तो दादी की टांग खींच रहा था वोही मधु मक्खी की तरह भड़क जाति ही तो में क्या करू"

रघुनाथ बोला " तू भड़काने वाली बात करेगा तो सामने वाला भड़केगा ही ना । अब चल जल्दी से नहा के नाश्ता कर हमे देर हो रही ही "




शिवांश नहा धो के अच्छे से तैयार हो के नाश्ता करता है। नागेश्वरी आंगन में तिपाई पे बैठा थी । शिवांश जाते जाते दादी की तरफ देखा तो दादी गुस्से में मुंह फेर ली । नागेश्वरी अभी भी गुस्सा थी । शिवांश हास हास के रघुनाथ के बाइक पर बैठ के चला गया ।

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andyking302

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अपडेट–४

रहीनाथ और शिवांश दोनो शहर के बिग बाजार पोहोच गए और घर के रेसन पानी से लेकर गाय भैंसों के लिय दाना भी ले लिया और सारा सामान टेम्पो पे घर पोहोछा दिया ।


गर्मी में दोनो बाजार कर के थक गए तो दोनो गन्ने की जूस पीने बैठ गए ।


"शिवा बेटा अब आगे क्या पढ़ाई करना चाहते हो" रघुनाथ गन्ने का जूस पीते हुए पूछा

"बापू मुझे और पढ़ना नहीं है । जितना पढ़ना था पढ़ लिया अब आपके साथ काम करूंगा "

"नही बेटा । वो जमाना गया अब बिना उच्चो शिक्षा के बिना नौकरी मिलना मुश्किल ही । और में भला तूझे अपने साथ क्यू मजदूरी करवाऊंगा । तेरे अम्मा मेरा सपना ही की तू पढ़ लिख कर इंसान बनेगा । बड़ी नौकरी करेगा हमारा नाम रोशन करेगा"

"लेकिन बापू खचरा बेहद होगा । ऊपर से गांव में कोई कालेज भी तो नहीं है ।"

"खर्चे की शिंता मत कर । इसी शहर में सरकारी कालेज है। बाइक से आना जाना करना । आधे घंटे की हो रास्ता है।"

"में सोचूंगा इस बारे मे बापू"

"कोई सोचने की जरूरत नही है मैने कह दिया ना । बास रिजल्ट आते ही तेरा कालेज में दाखिला करा देंगे"।




इधर चमेली घर में पोछा लगा रही थी । लेकीन आज उसका मन उदास थी किसी बात पे गहरी सोच में थी । नागेश्वरी जब चमेली के पॉश से गुजर रही थी तो चमेली की फीका चेहरा देख के पूछ ली "क्या हया तूझे ऐसे क्यू मुंह लटकाए काम कर रही ही । तबियत खराब ही तो जा के अरम कर ना"

"नही अम्मा जी में ठीक हूं बास ऐसे ही"

"रघु से किसी बात पे जगरा हुए ही क्या" माहेश्वरी उसके पास बैठ के बोली

"नही अम्मा। अम्मा एक बात पूछूं"

"हां पूछ ।"

" अम्मा शिवा के विश बर्ष होते ही जेठजी और भावी उसको लेने आएंगे ना" चमेली बड़ी दुख के साथ पूछी


अपनी बहु की सवाल सुन के नागेश्वरी भी मायूस हो गई । कुछ देर छुप रह के बोली " उनकी अमनत ही । कोइ भला अपनी अमानत को ऐसे ही छोर देगा क्या । लेने तो आयेगा ही"

"अम्मा में अपने बेटे के बिना नहीं रह पाऊंगी "

"इसलिए कहा था ज्यादा सीने में भर के लड़ प्यार मत कर । असली मां बाप तो रोहिनी और शंकर है इस बात को कैसे जुठलाएगी । और वो लोग भी कब से तड़प रहे ही अपने बेटे के बिना । बदकिस्मती देखो चेहरा तक देखने को नसीब नही हया आज तक ।" नागेश्वरी के आखें पानिया गई ।


"उनलोगो को भी यही गांवों में रहने को बोल देना "


" शंकर माना करने के बावजूद जगरा कर के शहर चला गया अच्छी ज़िंदगी के लिए । भला अब यह क्यू रहेगा । अभी से आदत डाल लो शिवा के बिना जीने की बाद में काम आएगा । मेरी तो एक पेड़ कबर पे ही है ।"



दादी और अम्मा की बातें शोभा दीवार में चुप के कान लगा के चुन रही थी । उसे भी पता थी सब बातें । वो रूवानी सी हो के नागेश्वरी के आगे आ के बोलने लगी ।" में शिवा को ले के जाने नही दूंगी । मैने भी उसको पाला है"


नागेश्वरी शोभा को हसने के लिए बोली। " तूझे वैसे भी शादी कर के अपनी सुसराल जाना ही । तू क्यू खमखा रो रही ही।"

शोभा गुच्चे में बोली " में कोई शादी वाडी नही करूंगी " और पेड़ पटक के चली गई ।

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andyking302

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अपडेट – ५


शाम ढलने से पहले रघुनाथ और शिवांश घर लौट आते ही । शोभा बेहद खुश थी । क्योंकि की उसे पता थी कि उसके पिता अक्सर महिने में दो या तीन बार बिग बाजार जाते ही जिसमे उसके कोई फरमाइश रहती है पिता से । जैसे कि कोई सिंगर का सामान नई कपड़े वगैरा । आज भी उसके लिए राघुनाथ ने फ्रॉक ले के आया था जो आज कल wrap dress ke नाम से प्रसिद्ध है । और शिवांश के ही पसंद के थे जो को सोभा ने पहले ही कह दी शिवांश को उसके पसंद के लाने को क्योंकि रघुनाथ के पसंद बेकार लगती है उसे ।


रघुनाथ ने अपनी पत्नी के लिऐ बनारसी साड़ी और अपनी मां के लिए कांजीवरम साड़ी ले थे शिवांश के पसंद के । अपनी पत्नी के लिए लाया हया साड़ी अपने पास रख के मां के लिऐ हुए सारी शिवांश को देने को बोला ।


शिवांश सारी पिसे कमर में छुपा के अपनी दादी के कमरे में गया दबे पाव और प्यार से शुर लगाया "दादी ई ई । ओ मेरी प्यारी दादी "


नागेश्वरी ऐसे ही दोपहर का खाना खा के बस बिस्तर पे करवट ली थी लेकिन जैसे ही अपने पोते का मक्खन मार आवाज सुनी वो गहरी नींद की नाटक करने लगी । शिवांश उसके पेड़ो पास बैठ के बोला । " अभी भी गुस्सा हो क्या मेरी जलपरी " और खीक्क खिक्क हसने लगा

नागेश्वरी और जल रही थी लेकिन उसने कोई हरकत नहीं की । शिवांश अपनी दादी की पाव दबाने लगा और बोला । " अरे उठ जाओ आपके लिए कुछ लाया हूं ।"

नागेश्वरी फिर भी नही उठी । तो शिवांश शैतानी मूड में आया तो अपनी दादी की नाक के पास उंलगी रख के बोला " अरे कही सच में निकल तो नही लिए । अरे इससे ज्यादा खुशखबरी और क्या होगी पूरे परिवार के लिऐ "

नागेश्वरी झट पट उठ गई और अपने पोते को बिस्तर पे मुंह के बल झुका के पीठ पे मुक्का बरसाने लगा " नालायक । सैतान जब तक में मार ना जाऊं तूझे चैन नही मिलेगा ना बाधमास "

शिवांश हंसने लगा ।


"हां हां हां बस करो आपके पहले कहीं में ना निकल जाऊं "

नागेश्वरी तब मुक्के बरसना छोर के अपनी खुली बालो को सबरने लगी " तुझे कोई नही सुधार सकता । ला दे मेरा गिफात "

शिवांश हांस के सारी का पेकेट अपनी दादी को देते हुए बोला "कैसा ही । पसन्द आई"

नागेश्वरी सारी खोल के देखने लगी और मुस्कुरा के बोली " वाह सारी तो बेहद अच्छी ले आया लेकीन हरा रंग में क्यू ले आया लाल रांग का नही मिला क्या "

शिवांश अपनी दादी की गाल चूम के बोला " मेरी प्यारी दादी हरा रंग आप पे बेहद झसेंगी । वैसे भी आपके पास लाल रंग की सारी बेहद ही । कभी तो अपने पोते को पसन्द से खुश हो जाओ "

"अरे नही में तो ऐसे ही बोल रही थी । मुझे तुम्हारी पसन्द बेहद पसंद ही जो भी तू ले " और पोते के शर सेहला दिए


" चलो जल्दी से पहन की दिखाओ । आपकी फोटो खींच के अपने कमरे के दीवार में बड़ी सी फ्रेम के आपकी फ़ोटो लगाऊंगा "

"अरे हट मुउया । मेरी फोटो तू अपने कमरे में क्यू लगाएगा " नागेश्वरी शर्मा गई थी ।

" मुझे नींद बेहद लगती है शायद आपकी डरवाना चेहरा देख के मेरी नींद थोड़ा कम हो जाए "


नागेश्वरी चिढ़ गई और पोते को मारने के लिए हाथ आगे की ही थी शिवांश फुर्ती दिखा के हास के भाग निकला । नागेश्वरी अपने पोते के शरारत से मुस्कुरा के खुद को बोली " बेहद सैतन ही "
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andyking302

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अपडेट–६


रात को खाना खा के सब अपने अपने कमरे में चले गए । लेकीन रघुनाथ का मन आज कुछ ज्यादा ही मचल रहा था । वो अपनी पत्नी चमेली के साथ बिस्तर में गुफ्तगू कर रहा था । और चमेली के मोनचोल कमर पर हाथ फिरा रहा था ।


चमेली अपने पति को मुस्कुराती हुई माना कर रही थी ।" हटो जी । मुझे नींद आ रही ही है आज बेहद काम किया ही मैने "

"इसलिए तो थकान दूर कर रहा हूं पगली । श्वर्ण बूटी से शरण ले के आया हूं देखना आज तुझे जन्नत की सैर करवा दूंगा ।" रघुनाथ दिल में शरारत लिए अपने पत्नी को बेहला रहा था ।


"नही जी आज वैसे ही बेहद थकान ही है। स्वर्ण बूटी की ताकत आजमा मुझे और बेहाल नही होना ही । वैसे भी सारी के साथ आपने ब्लाउज नही लाए । इसलिए सजा ही आपकी कुछ नही मिलेगा आज " चमेली नखरा दिखाने लगी

" अरे सारी के साथ तो ब्लाउज का कपड़ा फ्री में मिलता है ना "

"इस सारी में नही थी कोई ब्लाउज का कपड़ा । आपको देखना चाहिए था ना "


"लेकीन मुझे पता नही था । सारी तो आपके लाड साहब ने देख के ली ही मैंने तो बस बिल दिया ही । मेरी गलती थोरी ही गलती अपने लाडले की ना । तो मुझे क्यू सजा दे रही हो "


" मुझे कुछ नही पता । किसने देख के लिया हे मुझे ब्लाउज चाहिए तो चाहिए तब जा बे कुछ मिलेगा वरना चुप चाप सो जाओ "


लेकिन रघुनाथ आज कुछ ज्यादा ही उत्साहित था । वो कहा मानने वाला था दूध के साथ स्वर्ण बूटी का सुरन मिला के केसर के साथ गटक गया और जबदस्ती अपनी पत्नी के ऊपर चढ़ गया । चमेली ने पहले तो मना किया पहले लेकीन अपने पति प्यार को कैसे माना करती उसको भी रघुनाथ ने अपने बसना से गर्म कर दिया था । देर रात तक दोनो ने एक दूसरे को जिस्म से खेल के रगड़ के अपनी अपनी प्यास बुझा के गहरी नींद सो गए ।



हमेसा की तरह शिवांश सुबह ५ बजे उठ के दातुन मुंह में ले के खेत की तरफ गया और ताजगी के केलिए अकरण दूर करते हुए थोरी कसरत कर के नदी किनारे जड़ के आड़ में बैठ के पेट खाली करने लगा । और जब पेट सफा हो गया तो नदी में अपनी तशरीफ धोने लगा । लेकिन उसे किसी कि हसने की आवाज सुनाई दिया ।

वो जाट से पैंट ऊपर कर के इधर उधर देखने लगा । तो पाया की कूची दूर एक औरत गले तक डुबकी लगा के नहा रही थी और शिवांश को देख के हास रही थी । शिवांश शर्म के मारे अपनी पाटलुंग पकड़ के घोड़े की तरह दौर लगाया घर की तरफ ।




शिवांश शर्म के मारे परेशान था अब कैसे वो उस औरत का सामना करेगा । क्यों की वो उस औरत को अच्छे से पहचानता था । गांव की एक शादी शुदा औरत थी जिसका नाम सरला थी । शिवांश यही सोच रहा था की इतनी सुबह कोई नदी में नहाने जाता ही क्या । लेकीन आज के दिन उसको सरमिंडा होना ही लिखा था भाग्य में तो कोई क्या कर सकता ही भला ।



शिवांश सुबह कि घटना को इतनी गंभीरता से लिया की उसने सोचा की सरला अब तक साइड कोई औरतों को बता चुकी होंगी और अब वो दिन में बाहर नही निकलेगा ।


लेकिन जब दोपहर को उसका पिता उसे अंडे लेने को कहा दूकान से तो शिवांश ने सीधा माना कर दिया । रघुनाथ ने वजह पूछा तो शिवांश कोई जवाब नही दे रहा था ।


रघुनाथ ने फिर जोर दे पूछा तो शिवांश ने शर्माते हुए सुबह का घटना बता दिया । और बोला कि वो अब दिन में कभी बाहर नही निकेलगा । रघुनाथ अपने बेटे के भालेपन को देख के पेट पकड़ के हसने लगे । रघुनाथ को इतना हस्ते देख कर चमेली ने पूछा तो रघुनाथ ने उसे भी बता दिया तो चमेली भी हसने लगी । और फिर चमेली ने अपनी सांस को बता दी फिर दादी ने पोती को बता दी ऐसा करते हुए सब मिल के शिवांश के ऊपर हसने लगा ।


शिवांश शर्मिंदा हो के रोंदू सकल बना के कोने में बैठा रहा । इसे देख के चमेली ने बोली " अरे इसमें क्या है । गलती से देख लिया तो देख लिया । लड़का हो के शर्माता है । अरे इतना क्यू दिल पे ले रहा ही "


नागेश्वरी बोली ।" मुझे चटाते रेहतो ना हमेसा । इसलिए तुझे ऊपरवाले ने ऐसा सजा दिया ही । अब छुपा रह नाक घुसा के कही हा हा हां "

शानदार bhai
 

andyking302

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अपडेट–७











तीन दिन हो गए शिवांश घर से नही निकला था उसे अभी भी लग रहा था की बोहोतो को वो बात पता चल गई होगी । दिन भर घर के चोखट पे घूमता रहता था और कभी टीवी देख लेता था । शाम जब अंधेरा हो जाता जब तहेलने निकलता था वैसे भी बाकी लड़कों की तरह किसी पीपल के पेड़ के नीचे या किसी पानवाले की दुकान में अड्डा नही मारता था । जब जरूरत हो तभी बाहर निकलता था ।



शोभा २० बर्ष की हो चुकी थी । दिखने में खूबसूरत थी गांव में गुणवान सरित्र की चर्चा ही थी तो आए इन किसी के द्वारा रिश्ते आते जाते रहते थे । लेकीन नागेश्वरी ने अभी तक किसी भी रिश्ते को ध्यान में नही ली । लेकीन नईगेश्वरी की तजुर्वे वाली परकी नजर में अब सोभा भी को जवानी कुछ ज्यादा ही चूबने लगा है । और इसलिए नागेश्वरी ने अपने बहु बेटे को आदेश दिया की जल्द से जल्द शोभा की किसी अच्छा लड़का देख के शादी कर दी जाय ।




जब शादी करने वाले दलाल के द्वारा खबर फैलाई तो अगले ही दिन शहर से रिश्ता आ गया । लड़का गॉर्वरमेंट प्राइमरी स्कूल में अध्यापक था । खानदानी था धनवान भी था और मेल खाते हुए बंश का था । इससे ज्यादा और नागेश्वरी को क्या चाहिए था वो खुशी से फूले नहीं समा पा रही थी ।




लेकिन शोभा इस बात से बेहद दुखी थी । वो खाना खाना चोर दी । सब समझा रहे थे लेकिन वो है को समझने को तैयार नही ।



तब नागेश्वरी ने आखरी बार अपने शिरंजीव पोते को समझने बेजा । शोभा खान पीना छोड़ के कमरे में बैठी थी । शिवांश उसके पास बैठ जाता है ।


शोभा नाराजगी दिखा के बोली " तू यहां क्यू आया हे । तू तो बेहद उछल रहा था मेरी शादी के नाम पे "


"ऐसी बात नही ही मेरी बहना । में तो तेरी खुशी के लिए नाच रहा था लेकीन मुझे क्या पता था की तुझे शादी से इतना नफरत है "


"तू जा यह से । " शोभा बेहद नाराज थी


"दी कसेकम मुझसे तो नाराज मत हो । मैने क्या किया है । प्लीज मुझसे गुस्सा मत हो ।"

"पहले ये बता तू येहा क्यू आया है ।


"में इसलिए यहां आया हूं की मेरी बहन भुखी क्यू ही । मुझे जानना ही "


"मेरी मर्जी । तू जा यह से "


"ठीक हे । जाता हूं लेकिन आज के बाद में तुमसे कभी बात नही करूंगा अगर मुझसे बात नही की तो " ये बोल के शिवांश उठ गया



शोभा उसका हाथ पकड़ के बिठा दिया और बोली ।" ऐसी घटिया एम्शनल ब्लैकमेल मत कर मेरे साथ बैठ कामिना "

शिवांश मंद ही मंद मुस्कुराया " अच्छा अब बोलो क्यू खाना नही खा रही हे । तुम्हारी वजह से बापू बेहद शिंतित हे और मां के ऊपर गुस्सा निकल रहा हे "


"मुझे अभी शादी नहीं करनी हैं ।"



"क्यों "


"क्यो का क्या मतलब बस नही करनी ही शादी "


" किसी से प्यार करते हो "

"तू मुझे ऐसी वैसी समझता है ।" शोभा चिढ़ गई


"अरे ऐसी बात नही है । देखो कैसी से प्यार करना थोरी गलत होता हे । अगर हे तो मुझे बता दो ना "शोभा की हाथ में हाथ थाम के प्यार से पूछा


"नही री किसी से कोई प्यार यार नही हे । लेकिन इतनी जल्दी शादी नही करना चाहती में । मुझे दर लगता हे किसी पराए के घर में रहना ।पता नही कैसे कैसे लोग होंगे "



"इसलिए कहता हूं सिरियल मत देखा करो । देखो दर बैठ गया न मन में " शिवांश मजाक कर के बोला


"हिहिही । हट पागल कुछ भी ।" शोभा की सूखे होंठों पे मुसकान आ गई

"देखो दादी , मां और बापू कुछ भला सोच के ही रिश्ता टाई किया है । लडके में कुछ तो हे इसलिए हमारी खरुश बुधिया ने पसंद किया है । वरना पहले कितने रिश्ते मुंह पे ठूकरा चुकी है । "


"लेकिन में अभी घर चोर के जाना नही चाहती "

"अच्छा ये बताओ दीदी लड़का पसंद है ।"

शोभा शर्मा गई । और मुस्कुराने लगी


"उम्हु दिल में गिटर बज रहे हे फिर भी बाहर सबको अपने नखरे से परेशान कर रखा हे । दीदी मुझे भी जीजू पसंद हे । हो सकता ही ऐसा जीजू सायेद बाद में ना मिले । और इतना क्यो टैंशन लेती हो । हम क्या तुझे हमेशा के लिए घर से बिदा कर देंगे क्या । जब मन करे आते जाते रहना । और मुझे तो जानते ही मुफ्तखोर हूं । में तो हर महीने तुम्हारे घर जाऊंगा और जीजू को फकीर बना के आ जाऊंगा ""

शोभा मुस्कुराने लगी ।

"दीदी में हूं ना। तुम डरो मत एक न एक दिन सबको शादी करना ही हे । एक बार सोच के देखो हां अगर लड़का पसंद नही ही तो बोल दो । में दादी से कह के शादी केंसेल करवा दूंगा "


" नही । पसंद है" शोभा शर्म से मुंह छुपा ली


शिवांश हिहीही कर के हस्ते हुए शोभा को और शर्मिंदा करने लगा ।



शानदार bhai
 

andyking302

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अपडेट–८

शोभा भी मान गई अब । घर में अब बेटी नई जिंदगी में भेजनी की खुशियां मनाई जा रही थी लेकिन चमेली दुखी भी थी अब अपनी बेटी को पराए घर में बिदा करना होगा । लेकिन संसार की यही रीत है तो हम क्या कर सकते हे ।





माहेश्वरी शिवांश को अब परेशान कर रही थी । जब भी मौका मिलता शिवांश के साथ चेढ़खानी करती थी ।


नागेश्वरी बोलती थी ।" कालिया अब तेरा क्या होगा । अब तो तेरा भी नम्बर लगने वाला है । "





शिवांश बोलता था " बुधिया तू ही न मेरे लिए । मुझे किसी कि जरूरत नही हे । "

नेगेश्वरी उसको बोलती थी " बड़ा आया तू हे न मेरे लिए कहने वाला । नस्ती मुआ आज तक तूने मेरे लिए कुछ किया है जो इतने हक से बोल रहे हो । हमेशा तो ऊपर निकलने की बददुआ देते रहते हो "


" लेकीन हो मोटी चमड़ी की निकलती नही । "

जब ज्यादा हो जाता था तो कभी रागुनाथ या फिर चमेली बीच में पद के बोलती थी " अरे बस करो दादी पोता हो की सच्ची में पति पत्नी । कितना लड़ते रहते हो ।"


लेकिन दोनो दादी और पोता बोहोत धित्त थे ।

"अरे मेरे इतने भी बुरे नही आए की इस चुडैल जैसी बुधिया को अपनी पत्नी मानू" शिवांश नागेश्वरी को और ज्यादा चिढ़ता था

" मेरे भी इतने बुरे दिन नही आए तेरे जैसी नाशपीते को अपना पति मानू " नागेश्वरी भी बराबर जवाब देती थी ।

ऐसे ही पूरी परिवार का मनोरंजन होता रहता था।
जबरदस्त भाई
 

andyking302

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अपडेट –९





रिश्ते टाई हो चुका था बस शादी तारीख तय करना था । वो दिन भी एक दिन आ ही गया । एक शुभ मुहरत देख के लड़के वाले आ ही गए । लडके के मां बाप के साथ उसके भाई बहन के साथ बाकी चाचा चाची मामा मामी वगैरा के बाई परिवार के साथ शिवांश के घर में जमा हुए थे । गांव में किसी का शादी ब्याह का मामला हो और पड़ोसी झांक मारने ना आए। ऐसा कभी हो सकता है भाला । पड़ोसी में से तीन चार औरते मुफत का खाने और मुफात का उपदेश देने आ गए थे ।


मेहमान ज्यादा होने के कारण कमरे तो फूल हो गए थे । बरामदे और आंगन भी मेहमान बिठाया गया । पड़ोसी की औरतों के आने से नागेश्वरी और चमेली को बड़ी राहत मिली नाश्ता वास्ता करा के मेहमान नवाजी करने में ।



पंडित के शुभ दिनांक तय करने से पहले लड़के लड़की को एक आखरी बार मिलाप के लिए कमरे में भेज दिया गया । जब शोभा और उसके होने वाला पति जयश कमरे में बातें कर रहे थे । शिवांश को क्या चूल मची की वो सबके नजरो से बच के घर के पीछे से जा के कमरे की खिड़की के पास जा के कान लगा दी । हालाकि खिड़की में पर्दे लगे हुए थे फिर भी कुछ नजारा दिखा जा सकता था पर्दे की दरार से ।




लेकिन पता नही कैसे ये बात नागेश्वरी को पता चल गई और वो हाथ में चढ़ी ले के शिवांश को पकड़ने चली गई । शिवांश तो मंद मंद मुस्कुराते हुए शोभा की शर्माती हुई लहेजे और जायस के भी शर्म असेहेज बातों पर । इसे पता ही नही चला कब उसकी दादी उसके पीछे खड़ी हो गई चढ़ी के साथ ।



नागेश्वरी अपने शैतान पोते के कान मडोड़ के धीरे से बोली । " नालायक तुझे शर्म नही आती । ऐसे लड़कियों ताक झांक करते हुए । चल निकल इधर से"

"आओ दादी । छोड़ो कान टूट गया आह । माफ कर दो "


" बदमाश तुझे शर्म नही आता ऐसे किसी के ब्यक्तिगत बातें सुनते हुए। वो भी अपने ही बहन और होने वाले जीजू के ।"


" दादी अब तो कान छोरो । आह मईया क्या पकड़ ही दादी आपकी दुख रहा हे ।"


नागेश्वरी शिवांश को वहा से घर के अंदर ले गए और रोसोई में सब्जी काटने का काम लगा दिए और बोली जब तक सब्जी कट नेगी जाति तब तक यहा से हिलना भी मत । और अपने काम करने लगी ।



भले ही शहरी लोंडा था लेकीन जयाश भी शर्मिला था । दो चार क्या पसंद है के जैसे बातें कर के कमरे से बाहर चले गए । और तब पण्डित ने गणना कर के शुभ मूहर्त बताए तारिख के साथ ।


इधर शिवांश सब्जी कटते हुए बरबरा रहा था " ये बुढ़िया ब्रह्मा से अमर होने का वरदान ले के आई लगता है । ऊपर निकलने का नाम भी नही लेती । कमाल की मोटी चमड़ी की ही आज तक हल्की सर्दी बुखार से ज्यादा कोई बीमार नही हुई हैं "


रोचोई में जितने भी काम कर रहे थे सब उसके बातों पर हास रहे थे ।


शादी का डेट फिक्स हो गया था । सब कुछ ठीक ठाक से पूरा दिन निकल गया । और बस इंतजार था शादी के । वो भी जल्दी ही आने वाला था ।
शानदार bhai
 
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