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Incest ❦वो पल बेहद खूबसूरत होता है❦

andyking302

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अपडेट –२०






शिवांश अपनी दादी को अपनी तरफ घुमा के मासूम चेहरा बना के बोला । " माफ कर दो ना । मुंह से निकल जाता हे । लेकिन दिल नही कहा ये तो आप समझती हो न । प्लीज मेरी प्यारी दादी माफ कर दो "


नागेश्वरि पोते के आखों में नखरे से देख के बोली ।" एक शर्त पर "

" हां बोलो क्या शर्त है । एक नही दस शर्त मंजूर हे मुझे " शिवांश खुश हों कर बोला



" एक चुम्मा दो "


शिवांश झट से दादी के गाल गीले कर दिए । नागेश्वरि बोली " यह नही होंठो पे " और अपनी होठों की तरफ इशारा की


शिवांश शर्म के नजरे चुराने लगा । नागेश्वरि बोली " दे रहे हो या में कमरे से निकल जाऊं और जा के मस्सर के साथ सो के बीमार पर जाऊं "



नागेश्वरि के तीर साथिक निसाने पे लग चुकी थी । शिवांश धीमे से बोला ।" दादी में सच मच का दादाजी नही हूं "



नागेश्वरि थोरी सख्ती से बोली । " हा जानती हूं । लेकीन पोता और दादी के बीच होंठों पे चुम्मा देने से क्या होता हे । ये कोई गलत बात नही है । चलो जल्दी से दे दो नही तो मुझे इस बार सच में गुस्सा आ जायेगा "



शिवांश बेचारा शर्म से भीगी बिल्ली बन गया लेकिन अपनी दादी की फरमाइस कैसे ठुकरा दे वो । शर्म के घुट पीते हुए आंखे बंद कर के हल्के से अपनी होंठ अपनी दादी के गुलाबी होंठों से शुभा दिया । नागेश्वरि मुस्कुराते हुए अपनी होंठ खोल दी और चालाकी से अपने पोते का निचले होंठ अपनी दोनो होंटों के बीच दबा के प्यार से चूसने लगा ।


बेचारा शिवांश जिंदगी में कभी पहली बार चुम्बन का असली मतलब समझ रहा था और पहेली एहसास भी । उसके जिस्म के नशों में कामुकता की आनंद के लहर दौड़ने लगे थे । बेचारा दादी की इतनी गहरी चुम्बन से दिल मचल उठा था । लेकिन इसी दर से जरा भी अपनी भावनाएं जाहिर नही होने दी की उसकी दादी उसके बारे में गलत ना समझे । उसके मन में तो यही था उसकी दादी उसे सच्चे मन से प्यार दे रही हे । और बदले मे वो उत्तेजित भाव दिखाएगा तो उसकी दादी के नजरों में वो गिर जायेगा ।




दोनो को एक दूसरे की मुंह के गरमाहट एहसास हो रहे थे । शिवांश के होठ तो बच स्थिर थे लेकिन नागेश्वरि अपनी अभिज्ञता दिखते हुए पोते के होंठों के रस पी रही थी ।


जब दोनो के सांसे हुंह हुंह कर तेज चलने लगे तो दादी ने पोते होंठो से होंठ अलग का के बोली । " चलो सो जाओ । बोहोत रात हो गया । "



शिवांश बिना एक लफ्ज कहे अपनी दादी छाती में सर रख के सो गया ।
Nice भाऊ
 
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andyking302

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अपडेट–२१






शोभा की मेहंदी के रस्म निभाने का दिन भी गया । सुबह से लोग घर के चौखड़ पे इधर से उधर भाग दौर कर रहे थे । रस्म निभाने का सभी सामान पहले से तैयार थी । शादी के संगीत गा रहे थे सारे औरते ढलक के साथ । कुछ छोटी और कुछ शोभा की शहेली नाच रहे थे । मेहंदी के दिन खास कर औरतों की ही हे । मर्द लोग बाहर ही थे । लेकीन शिवांश किसी न किसी बहाने घर के अंदर ही मंडरा रहे थे । तो सभी औरते मिल कर उसे चिढ़ाने लगे की तू यह औरतों के बीच क्या कर रहा हे तुझे भी मेहंदी लगवानी है क्या । बेचारा शिवांश मुंह छुपा औरतों के बीच से भाग निकला । और खेत की तरफ निकला ।


पूरा दिन खेत में ही निकला मजदूरों के साथ हाथ बताते हुऐ । शाम को जब घर आया तो उसे चमेली ने डांटा की ऐसे कोई दिन भर घर से बिना खाएं पिए बाहर रहता है क्या । और उसके लिए बसा के रखा खाना गर्म कर के खिलाया ।




दूसरे दिन शादी थी । सुबह शोभा की हल्दी की रसम निभाया जा रहा था । और उसके लिए एक चीज़ की जरूरत पर गई थी । डूबा घास की । शिवांश की एक मामी ने डूबा घास लाने भेजा उसे ।



शिवांश दुर्बा घास की खोज में घर के पीछे लगे बाग मे गया जहा आम , कट्ठल , लिच्छी , जमीन और अन्य फल की पेड़ लगे हुऐ थे । शिवांश बाग से डूबा घास ढूंढ के दुर्बा घास तोड़ रहा था ।


नागेश्वरि भी दूरबा घास लाने बाग में गई थी । उसे पता नही थी की शिवांश पहले से ही वहा पे घास लाने गया था । बाग में अपने पोते को देख उसके पास जा के बोली " तू पहले से ही आ गया था "


"हां । अब आए हो तो आप भी दो चार तोड़ लो "


" नही तू तोड़ मूझसे झुका नही जा रहा हे । काम करते करते लगता हे कमर में लचक आ गई "


शिवांश को सैतानी सुंजी और उसने अपनी दादी की पेड़ो के नीचे देखते हुए डरा हुए सकल बनाने लगा । नागेश्वरि भी अपने पोते को देखने लगी इससे पहले की वो कुछ सोच पाते शिवांश ने जोर से चिल्ला के दो कदम पीछे आया । " दादी सांप "


नागेश्वरि की जान निकल के गले तक आ गई थी । वो डरते हुए " आऊ " कर के चिल्लाते हुए पोते की तरफ भागी ।


शिवांश खुद को रोक नहीं पाया और हां हां हां हां कर के हसने लगा । नागेश्वरि को तब एहसास हुए उसका नालायक पोता इसके साथ मझक कर रहा था ।



नागेश्वरि नागिन की तरफ गुस्से में फरफराने लगी और सारी उठा के पोते के पीछे भागी " तूझे तो आज में जान से मार दूंगी रुक तू "


शिवांश को इतना हांसी आ रहा था वो भाग ही नेगी पाया और दादी उसको पकड़ के उसके पीठ पे मारने लगी । दादी पोता मस्ती में खोए हुए थे उधर सब इंतजार में थी की दुर्वा घास पोहोचेगा ।




शिवांश हस्ते हंसते शांत हो गए अपनी दादी की मार खा के और नागेश्वरो भी मारना छोड़ दी । नागेश्वरी की मन चंचल हो उठी और उसने आस पास नजर फिरते हुए शिवांश को एक बड़े आम के पेड़ के नीचे ले जा के बोली " चल एक जल्दी से चुम्मा दो "


शिवांश बोला । " दादी इस वक्त यहां पे । नही दादी रात को दूंगा "

" देता है या नही " माहेश्वरी सख्ती दिखा के बोली

" दादी आप डराओ मत । में आपसे नही डरता । "


माहेश्वरी बिना कुछ बोले अपने पोते को बाहों में भर के शर उठा के शिवांश के होंठों पे होंठ लगा दी । शिवांश भी अपनी दादी की होंठ में होंठ मिला देते हैं । दोनो धीरे धीरे एक दूसरे की होंठों से रस पान करने का लुफ्त उठाने लगे । शिवांश भी दो दिन में अपनी दादी के साथ चुम्बन करना सीख गया था ।



दोनो मधुर चुम्बन में लुफ्त थे । नागेश्वरि अपने पोते को बाहों में ले के उसके पीठ पे हाथ से पकड़ रखे थे और शिवांश अपनी दादी के चेहरे को दोनो हथेली पे ले के छापर चोपोर चुम्मा ले रहा था । एक दूसरे की लाली मां भी जीव से स्वाद लेते हुए पी रहे थे । बेहद दी मधुर दृश्य था ।




दोनो की सांस तेज़ चलने लगे । एक दूसरे की नसीली आखों में देखने हुए दोनो ने होंठ अलग कर लिए ।


नागेश्वरि पोते के गहरी आखों में देखते हुए बोली । "शादी में कोनसा सारी पहनू बता "

" वोही जो पिछली बार लाया था हरा वाला । उसपे आप बेहद खूबसूरत लगेगी " शिवांश हांस के बोला

" और ब्लाउज "

" ब्लाउज भी हरा वाला ही पहनना सारी के रंग से मिला के "


" और उसके अंदर ब्रा कौनसी रंग की पहनूं " धीरे से बोल के सैतनी मुसकान दे के पोते के जवाब का इंतजार करने लगी


शिवांश शर्म से नजरे झुका लिया और बोला । " क्या दादी । आप बोहोत बेशरम हो गई हो । कुछ भी पहन लेना "

" कुछ भी क्यू । बोल ना कौनसी रंग का पहनु "

" हारा वाला ही पहनना " शिवांश शर्म के बोला

" मेरे पास हरा रंग का नही हे "

शिवांश कुछ सोच के प्यार से बोला । " मुझे क्या पता हे आपके पास कौनसी कलर का ब्रा है "

" ये भी सही हे । तूझे पता कैसे होगा जब की तूने कभी देखा ही नहीं मेरी ब्रा । अच्छा मेरे पास लाल , सफेद , और काली रंग की है अ
ब बोलो कौनसी पहनूं "

" ऊम । लाल रंग की पहनना । और अच्छे से सजना में आपकी फोटो निकलूंगा । " और अपनी दादी की होंठ टपक से चूम के भाग निकला ।



नागेश्वरि बस मुस्कुराती रह गई । दोनो कैसी प्रेमी की तरह व्येबहर कर रहे थे । शिवांश तो बेचारा सीधा साधा सा रबर कि तरह था जैसे खींच के बंध दो वो ऐसे ही रहेगा । दादी की माया में बेचारा बिना जाने ही दिल दे बैठा था दादी को । और नागेश्वरी अपनी मनसूबा में इतनी बेहेक गई की अपने पोते साथ यौन हरकत करने में भी बुरा नही लग रही थी बल्कि वो सारी मर्यादा भुल बे पोते को जी भर के प्यार करना चाहती थी ।
शानदार bhai
 
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andyking302

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अपडेट –२२










शाम को
दुल्हन खल को सजाया जा रही थी बाकी रस्मों रिवाज के साथ । सभी औरतें सज धज के तैयार हुई थी और मन में यही थी की आज मेरे जैसा कोई खूबसूरत नही लग रही है । शादी का भी देख रहा था और मेहमानों का स्वागत भी कर रहा था अपने बापू के साथ । बीच बीच में केट्रिन की तरफ जा के देख रहा था की खाना कैसा बन रहा हे । और जो खा रहे थे उनको पूरी सुबिधा मिल रहा हे या नही वो काम भी देख रहा था । और शादी ब्याह कुछ मिले न मिले लेकिन सराबी जरूर मिलते थे । उन सराबियों को शिवांश संभाल रहा था ।




और इसी बीच बस उसकी नजरे दादी को ही ढूंढ रहा था । बस मन की इस्सा यही था की उसकी खूबसूरत दादी उसके नजरों के सामने ही रहे । कोई मर्तबा अपनी दादी से आमना सामना हुआ किसी काम से या इधर उधर जाते हुऐ । और जब दोनो के नजरे मिलती थी दोनो के होंठों पे एक अलग ही प्यार भरी मुस्कान निकल आते थे । और एक दूसरे की नजरे मिलते ही चंचल भाव आ जाते थे मन में ।




रात के १० बज रहे थे। कूची देर में बारात आने वाला था। शिवांश परेशान था क्यू की वो अपनी दादी की फोटो नही निकल पा रहा था। कोई मौका ही नही मिल रह था उसे ।


और वो अधर्य हो के अपनी दादी के पास गई । जहा दुल्हन बैठी थी सज साबर के और उसके पास कोई औरते थे । जिसमे एक उसकी प्यारी दादी भी थी । और अपनी दादी से सबके सामने बोला । " दादी फोटो निकलने दो ना "



उसका कहने का लहजा बोहोत मासूम था और दृश्य ही ऐसी बनी थी की वोह जिसने भी सुना सभी हसने लगे । ये देख के शिवांश तो शर्म से पानी पानी हो गया है की नागेश्वरि भी शर्म से अपनी पल्लू से मुंह ढकने लगी।




सभी औरतें कुछ न कुछ दादी पोते की जोड़ी बना के और शिवांश के नकल उतर के खूब हसने लगा । शोभा भी बोल रही थी शिवा मेरी फोटो निकालना छोड़ तू दादी की फोटो निकलने के पीछे पड़ा है आज तो दादी से थोड़ा दूर रह तू शिंता मत कर में दादी को अपने साथ दहेज में नही ले जाऊंगी । सारों तरफ से शिवांश हसी का पात्र बन गया था । शिवांश वोह से भाग निकला। लेकिन नागेश्वरि को बोहोत बुरा लग रही थी।



नाहेश्वरी से रहा नही गया और उसने किसी को बिना बताए वाहा से खिचक गई और अपने पोते को ढूंढ के दूर से इसारे से समझा दिया की मेरे पीछे आना लेकिन दूर से ।


शिवांश भी खुशी से अपनी दादी का पीछा करने लगा । नागेश्वरी सबकी नजर से बच के पोडोस वाली के घर में गई । इस घर में एक प्राणी भी नही थी सबके सब शादी में थे । दोनो दादी और पोता पोडोसी के घर में थे । लेकिन घर में ताला लगा हुए था ।


नागेश्वरि ने बरामदे में पोते को अपने पास खटिया में बिठा ली और पोते गाल शहला के बोली । " मेरा बच्चा। तूझे दादी की फोटो निकालना है । में भी भूल गई थी । माफ करना उम्माह " और गाल चूम ली



" कोई बात नही दादी । चलो अब पोज जो में फोटो खींचता हूं "


नागेश्वरि ने कोई पोज में अपनी फोटो निकली पोते के मोबाइल से । शिवांश बोला " दादी पाओद करो "

" पाऊद । ये क्या होता हे भाई " नागेश्वरि को कुछ समझ नही आई


शिवांश ने अपनी दादी को पाऊड करना सिखाया और एक साथ कोई सेल्फी लिया । दोनो ने ।


" अभी तक तुमने कुछ कहा नहीं की किसी लग रही हूं " नागेश्वरी अदाह दिखाते हुए बोली ।


" बोहोत खूबसूरत लग रही हो"


नागेश्वरि से रहा नही गया और अपने पोते को पागलों की तरह चूमने लगा कभी चेहरे पे कभी माथे पे और फिर होंठों से होंठ मिला दी । शिवांश भी जोश में आ के अपनी दादी को सक्रोध से चूमने लगा । दोनो मुंह से उम्ह्ह उन और होंठ चूसने की च्राप चप चप आवाजे निकाल रहे थे ।




जब दोनो के सांस अटके तब दोनो एक दूसरे से अलग हो गए । दोनो आंखे लाल सुर्ख हो गए थे । छाती ऊपर नीचे ऊपर नीचे हो रही थी । शिवांश ने अपनी दादी की जिस्म की खुशबू और परफ्यूम की खुशबू सुंख के मधोश हो गया था ।


" लाल रंग की ब्रा पहनी हे देखोगे " नागेश्वरि धीमे से बोली

शिवांश शरमा के अपनी निचले होंठ दांत में काट के छोटे बच्चो की तरह नजरे झुका ना में शिर हिलाने लगा । नागेश्वरि मुस्कुराने लगी और बोली । " देख लो । तूने कभी मेरी ब्रा नही देखी हे ना " । बोल के अपनी ब्लाइसेट के सारे हुक खोल के दोनो तरफ फैला के अपनी ठोस छाती ब्रा में कैद दिखाने लगी ।

शिवांश नजरे उठा के अपनी दादी बड़े बड़े चूचियों को देख के फिर नजरे हटा लेता था ।
शानदार bhai
 
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andyking302

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अपडेट–१३








नागेश्वरी बोली । " देखो ना इतना क्यो शरमा रहे हो । दादी ही तो हूं । दादी की ब्रा देखने में भी तुझे शर्म आती है । अच्छा छू के देखो "

शिवांश न में शिर हिलाने लगा । नागेश्वरी उसका हाथ पकड़ के अपनी चूची के ब्रा के ऊपर से ही चुभने लगी हल्के हल्के । शिवांश अपनी दादी के ब्रा वो भी चूची के ऊपर से छूह के झीजोर गया ।


" अच्छा एक बात बता । तूझे मेरी चुम्मा ले के कैसा लगता हे "

" अच्छा लगता हे " शिवांश शर्म के बोला

" अच्छा मतलब । कैसा अनुभव होता हे । बताओ ना "

" नर्म गिला गिला । पता नही बस आनंद आता हे " शिवांश से और रहा नही गया वो मुंह फेर लिया

नागेश्वरि खटिया पे लेट जाती हे और अपनी खुली छाती दिखा के जो ब्रा में कैद थी । अपनी बाहें फेला के अपने पोते को निमंत्रित करती है " मेरा बच्चा आ जा दादी के अंदर समा जा "

शिवांश अपनी दादी प्यार में खींचा चला गया और दादी के ऊपर गिर गया । नागेश्वरी बोली । " प्यार कर ना दादी को "


शिवांश नागेश्वरी को चूमने लगा तो दादी ने उसके काम में बोली । " बेटा मेरी गर्दन पे और छाती पे चुम्मा दो ना "

शिवांश अपने चढ़ती सांस के साथ तेज निस्सास लेते हुए अपनी दादी की गर्दन और कंधे पे हल्के हल्के चूमने लगा । लेकिन माहेश्वरी उसके गर्दन में अपनी मुंह रगड़ हुए बेतहसा चूम के बोली । " ऊंह बेटा ऐसे प्यार करो "


शिवांश भी वैसे ही जोश में अपनी दादी गोरी चिकनी गर्दन और कंधे पे और छाती पे मुंह रगड़ रगड़ के थोड़ा चाटने की तरीके से चूमने लगा । नागेश्वरि जेनरेटर की तरह भट्ट भट्ट कर के उत्तेजित हो गई और पोते के बालोंट पे उंगलियां सहलाने लगी और आंख बंद कर के कामुक आवाज निकलने लगी " ईससस आहस । आह । उह शिवा आसह । कर के शिवांश अपनी दादी को ऐसे अजीब हरकत करते हुए देख के देखने लगा तो नागेश्वरि अपनी आंखे खोल के उसे प्यार से देख के बोली " क्या हुए ।"

" दादी आप एसी क्यू कर रही हो । चुम्मा लेने से दुखता है क्या "

नागेश्वरी हस पड़ी । और बस पोते को देखने लगी और मन में बोली " उफ ये लड़का भी ना । कुछ भी अंदाजा नही हे ।"



तभी बैंड बाजे की पे पे डिंग डांग आवाज सुनाई दी और नागेश्वरी झट से उठ गई और कपरे सही करती हुई बोली ।" चलो बारात आ गया है। जल्दी चलो । " फिर दोनो दादी पोता अपने घर को लौटे ।







बारात का बड़े अच्छे स्वागत किया गया । और कुछ देर बाद मंडप पे शोभा और जायस की शादी पंडित ने धूम धाम से करा दिया । फिर बिदाई की रस्म । सभी औरते हाओ कर के मुंह खोल दी । कोई करीबी रिश्ते के थे उनकी बात सही है थोड़ा बोहोत रोना लेकिन जिसका कोई संबंध ही नही हे बस जान पहचान है वो औरते भी रोने लगी ।



चमेली और रघुनाथ का रो रो के बुरा हाल था । शोभा ने रोते रोते हे सावल अपनी शिर के ऊपर से पीछे फेकने की अखरी रस्म पूरी करते हुए अपने मां बाप और दादी से रो रो के गले लगी और आखिर में शिवांश के गले लग के खूब रोने के बाद बोली ।" मां और बापू का खयाल रखना और दादी से ज्यादा जगरा मत करना । और हा रोज फोन करना वरना तुझे उठा के ले जाऊंगी "

शिवांश के आखों से आंसू बह रहे थे फिर भी एक मुस्कान के साथ बोला " बड़ा करता हूं दीदी । आप भी अपना खयाल रखना और कुछ असुविधा हो बेजीजक फोनी करना " ए फिर अपने जीजाजी जायस गले मिल के बोला " जीजू आपकी किस्मत अच्छी हे की आपको मेरी नादान बहन जैसी पत्नी मिली हे । जरा सा भी परेशान किया वोहा आके पीट दूंगा । भले ही आप ताकतवर हो लेकिन में भी डरता नही "


जायस शिवांश को गले लगा के बोला ।" अरे सेल साहब डराओ मत सच में दर लगता है । जानता हूं तू अपनी बहन से बेहद प्यार करता हे इसलिए किसी भी चीज कमी महसूस हीन नही दूंगा । बड़ा करता हूं बोहोत काह्याल रखूंगा "



और आखिर में रघुनाथ और चमेली मिल के शोभा बिदा कर देती हे । शोभा कार की पीछे के चीचे से अपनी परिवार रोते हुए देख रही थी जब कार उजल न हो गए ।


एक सुना पान सा हो गया था तब । शिवांश को अपनी बहन के साथ बिताए बसपानी के दिन की याद आ गए जिसमे कुछ यादें ऐसे खास थे जैसे की दोनो कभी बेहद जागते थे और कभी दोनो मिल जाते थे जैसे एक जोड़ी । शिवांश को एक बाद याद आया जब वो एक बार बोहोत बीमार पर गया था तब शोभा एक पल भी उसके साथ नही छोरी थी और 3 दिन तक उसके साथ बॉयल साधा खाना खाती थी और बाद में अगले ही दिन ए बीमार पर गई थी । और शिवांश को बोलती थी " देख अब हम दोनो एक जैसे हे तू भी बीमार में भी बीमार " शिवांश को हसी आ गया ।
शानदार bhai
 
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andyking302

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अपडेट–२५













दूसरे दिन शिवांश अपनी दादी से बात करना चाहा तो पाया की उसकी प्यारी दादी बात नही कर रही हे । शिवांश सोचने लगा " दादी सच में नाराज तो नही है "

दिन में कोई बार बात करने की कशिश की लेकिन अपनी अम्मा के रहते वो अपनी दादी को माना भी नही पाया । और रात का इंतज़ार में था ।


जब खाने खा रहे थे । तब रघुनाथ ने दोनो को चुप देख के हांस के बोला " अरे भाई आज इतना संन्नता क्यू है । दोनो पार्टी में ढीसुंग ढीसुंग हुए ही क्या "


चमेलो हास के बोली ।" हां में भी सुबह से देख रही हूं दोनो पार्टी दूर दूर हे । अम्मा जी क्या हया । पोते ने कुछ ज्यादा बोल दिया क्या "हा हा हा



नागेश्वरी नखरा दिखा के बोली " अपने लाडले से ही पूछ लो "

रघुनाथ शिवांश से पूछा " क्यू री नालायक । दादी से क्या कह दिया इतना गुस्सा हे "

शिवांश कुछ नही बोला चुप चाप अपनी दादी को छोर नजरों से देखते हुए खाना खा रहा था । और जब नागेश्वरी की नजरे शिवांश से मिलती तो वो गुस्से से घूर से नजरे फिरा लेती थी । रघुनाथ और चमेली ये देख फीस फीस कर के हास रहे थे ।





जब शिवांश खाने के बाद बाहर थोड़ा टहल के पेसब बेसब कर के सोने के लिए अपनी दादी के कमरे में गया देखा की दरवाजा अंदर से कुंडी लगी हुई हे । शिवांश बड़े प्यार से पुकारने लगा " दादी प्लीज दरवाजा खोल ना । प्लीज दादी "


लेकिन नागेश्वरि दरवाजा नही खोल रही थी । फिर भी शिवांश बार बार दरवाजा खत खटाए जा रह था । कुछ देर बाद चमेली आ के बोली " दादी दरवाजा नही खोलेगी । साइड ज्यादा ही गुस्सा दिला दिया है । चलो सो जाओ "

"नही मुझे अब अकेले सोने की आदत नही हे ।मुझे नींद नही आयेगा ।

" चलो में आज में सो जाती हू तेरे साथ । काल दादी को माना लेना "


फिर चमेली शिवांश के कमरे में अपने बेटे को ले गई और अपने बेटे के साथ सो गई । लेकिन बेचारा शिवांश परेशान था की उसने दादी को सच के नाराज कर दिया है । इधर नागेश्वरी भी तड़प रही की अपने पोते को कुछ ज्यादा ही तड़पा रहा हे । दोनो के आंखों से नींद कछु दूर थे ।




दूसरे सुबह रघुनाथ और चमेली तैयार हो के कही जाने के लिए निकले । ये देख के नागेश्वरी ने पूछा कहा जा रहे हो तो रघुनाथ ने बताया कि वो लोग बैंक जा रहे है कुछ जरूरी काम है और आते वक्त शोभा की सुसराल में भी हो के आएंगे इसलिय उन लोगो को थोड़ा देर होगी ।



जैसे ही ये बात शिवांश के कानो में पड़ी तो वो खुशी से झूम उठा । रघुनाथ और चमेली नाश्ता कर के दोनो बाइक पे निकले ।


बस फिर क्या था शिवांश सांड की तरह अपनी दादी को गोद में उठाया और दादी की कमरे में ले जाने लगा। नागेश्वरी चिल्लाई " छोर मुझे नालायक । नही तो में चिल्ला के पड़ोसी को बुला लूंगी "


लेकिन शिवांश ने उसकी एक ना सुनी और कमरे में ले जा कर बिस्तर पर पटक कर अपनी दादी की ऊपर पागलों को तरह चूमने लगा।





दूसरे सुबह रघुनाथ और चमेली तैयार हो के कही जाने के लिए निकले । ये देख के नागेश्वरी ने पूछा कहा जा रहे हो तो रघुनाथ ने बताया कि वो लोग बैंक जा रहे है कुछ जरूरी काम है और आते वक्त शोभा की सुसराल में भी हो के आएंगे इसलिय उन लोगो को थोड़ा देर होगी ।



जैसे ही ये बात शिवांश के कानो में पड़ी तो वो खुशी से झूम उठा । रघुनाथ और चमेली नाश्ता कर के दोनो बाइक पे निकले ।


बस फिर क्या था शिवांश सांड की तरह अपनी दादी को गोद में उठाया और दादी की कमरे में ले जाने लगा। नागेश्वरी चिल्लाई " छोर मुझे नालायक । नही तो में चिल्ला के पड़ोसी को बुला लूंगी "


लेकिन शिवांश ने उसकी एक ना सुनी और कमरे में ले जा कर बिस्तर पर पटक कर अपनी दादी की ऊपर पागलों को तरह चूमने लगा।





शानदार bhai
 
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andyking302

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नागेश्वरी चटपटा रही थी लेकिन पोते की पकड़ बोहोत मजबूत थी और नाराजगी का जोश था। शिवांश अपनी दादी की गाल दात से कटने लगा और बोला " बोहोत हो गया । अब जल्दी से माफ कर दो नेगी तो "

" नही तो क्या कर लेगा । " नागेश्वरी अकड़ दिखा के बोली

" नही तो । नही तो " बोल के शिवांश गुस्से से अपनी दादी की दाई चूची हाथो से पकड़ के अपने सख्त पंजों के गिरफ्त में ले के जोर से दबा के बोला " नही तो आपकी दूदू फोड़ दूंगा "


नागेश्वरि दर्द से बिलबिला उठी चिल्लाते हुई " आईईई मर गई में " कर के । और अपनी दाई चूची को सहलाने लगी " शिवांश अभी भी उसे गुस्से से देख रहा था । नागेश्वरी को अपने पोते का गुस्से भरा चेहरा देख हास पड़ी और बोली । " बाप री इतना गुस्सा हे तेरे अंदर । आज तक तो कभी इतना गुस्सा नही किया "


शिवांश बोला " क्यो बात नही की दो दिन तक मुझसे । पता है में कैसे तड़प रहा था "। और ये बोल के बिस्तर से उतर के टेबल के पास गया और वो तेल की बोतल ले अपनी दादी को दे के बोला " लो कर दो मालिश "


नाहेश्वरि हास पड़ी और बोली " आ लेट जा इधर "


शिवांश मुस्कुराते हुए बिस्तर पे चढ़ गया और लेटने से पहले दादी ने उसके टी शर्ट उतार दिए जिससे वो ऊपर से नंगा था । नागेश्वरि बड़ी उत्सुक थी अपने पोते लन्ड देखने के लिए मन में यही सोच रही थी पता नही कैसा होगा । और आराम से उसने अपने पोते पेंट नीचे चरकाने लगी । शिवांश ने अंदर चड्डी नही पहना था । और माहेश्वरी ने पेंट घुटनो तक चढ़का दी ।


नागेश्वरि के दिल धक धक करने लगी अपने पोते नंग वबस्था में देख कर । घने झांटों के बीच सवाल नाग सोया हुआ था ।शिवांश शर्म से अपनी मुंह छुपा लिया दोनो हाथों से। जिससे साइड शर्म के कारण और चिकुड़ी हुई थी उसका नाग ।



नागेश्वरि की गला सुख रही थी । वो भी एक अजीब सी स्थिती में थी । और धीरे धीरे अपने पोते के नाग छुआ । शिवांश अपने लन्ड पे अपनी दादी की हाथो छुए जाने एहसास से कांप उठे और अपनी दोनो टांगे आपस में चिपका लिया । उसके लिए ये पहला अनुभव था ।


नागेश्वरी ने अपनी हाथ पे तेल मलते हुए धीरे धीरे पोते के लन्ड को पकड़ कर सहलाने लगा । सिवांश शर्म से अजीब सी हालत में था । लेकिन उसने न चाहते हुए अपने दादी के द्वारा अपनी लन्ड छुए जाने से आनंद की लहर को अपने रोगी में दोरने से रोक नही पा रहा था । और कूची देर के उसका लन्ड अपने आप सख्त होने लगा ।


जैसे ही नागेस्वारी ने पोते के लन्ड पे हरकत देखा तो उसके होंठो पे मुस्कान तैर गई । और उसने ढेर सारा तेल हाथों में ले के लन्ड को मसलते हुए मुथीयाने लगी । और शिवांश खुद को रोक नही पाया । अपनी जवानी की प्रतीक को पूरी कशिश कर रहा था अपनी दादी से छिपाने की लेकिन नही रोक पाया । और ये सोच के शरमा रहा था की अब उसके खड़े लन्ड को देख के क्या सोच रही होगी।



नागेश्वरी कि मुठ्ठी में तन तन कर के तांडव करने लगे । नागेश्वरी आचार्य थी और खुशी से फुले नही समा पा रही थी । मन में सोचने लगी । पोता तो अपनी दादाजी से भी दो कदम आगे निकला उफ इतना बड़ा सांप लिए घूम रहा था अब तक । और हम खामखा इतना पारीसान हो रहे थे ।



नागेश्वरी मुस्कुराते हुए पोते का लन्ड दोनों हाथों में ले के प्यार से सहलाने लगी । पोते का फौलादी लन्ड देख के अपनी बदन में गर्मी महसूस करने लगी । और उसने शिवांश का चेहरा देखने के लिए उसका हाथ हटा दिया तो शिवांश फिर से तकिया अपनी मुंह पे ले के चेहरा छुपा लिया ।


नागेश्वरी हंसने लगी।
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अपडेट–27





कमरे में गरमाहट बढ़ रही थी । पंखे के हवा भी गर्मी शांत नही कर पा रही । नागेश्वरी पोते के लन्ड के मोटाई अपनी मुट्ठी में मापते हुए मन में बोल रही थी " कितना मोटा हैं मेरे पोते का हाय दईया कितना भारी है । "



नागेश्वरी शिवांश के बगल में लेट के उसके मुंह से तकिया हटा के उसे चूम के बोली " हाय मेरा बच्चा इतना शर्मिला हे री। एक बार दादी की तरफ देख ना"


लेकिन शिवांश अपनी आंखे खोल नही रहा था बास शर्म से मुस्कुराया । नागेश्वरी अपने पोते को गेले लगा कर बोली ।" मेरा बच्चा आज में बोहोत खुश हूं । अपनी दादी से जी भर के प्यार कर । बोहोत प्यासी है तेरी दादी प्यार पाने के लिए "


शिवांश अपने दादी मीठी मीठी बातों में आ के चूमने लगता हे । नागेश्वरी पोते का लन्ड फिर से एक हाथ में ले के सहलाने लगता हे और बोलती " आह मेरा बच्चा । आज खुद को रोक नही पाऊंगी । ऊंह आज तुझे औरतों को कैसे प्यार किया जाता है शिखा दूंगी "


शिवांश बोला " और कैसे प्यार करते हे "


" सब शिखा दूंगी मेरा मुन्ना । पहले मेरी बदन को पूरे जगह पे चुमों " नागेश्वरि बसना में मचल रही थी पोते के जिस्म से जिस्म रगड़वा के


शिवांश ने भी अपनी दादी की बात मान गया और सोचा की इस बार अगर बात नहीं मानूंगा तो फिर और ज्यादा गुस्सा हो गया । और उसे भी अपनी दादी के साथ वो सब करते हुए बोहोत आनंद आ रहा था । शर्म के बाबोजुद वो वोही कर राहा था जो उसकी दादी के रही थी ।


नागेश्वरी ने अपनी ब्लाउज उतार के ब्रा भी उतार दी और हाथ उठा लेट गई । शिवांश अपनी दादी को ऊपर से नंग देख के हकलाने लगा । पहली बार किसी औरत की नंगी चूचियां देख रहा था वो भी अपने दादी की ।


नागेश्वरी उसे ऐसे देख के पूछ ली ।" अच्छी नही है "

" बोहोत अच्छी हे " बोल के शर्मा गया ।


" तो डुडू पियो ना "


शिवांश कांपते हुए अपनी दादी की एक चूची मुंह में ले के बच्चे की तरफ चूसने लगा । नागेश्वरी ने उसे अगला पढ़ाओ शिखते हुए दूसरी चूची खुद ही दबा के मचल के दिखाई और पोते का दूसरी हाथ दूसरी चूची पे रख दी । शिवांश भी ऐसा ही करने लगा एक चूसी चूसते हुए दूसरे को हाथों से मसलने लगा । नागेश्वरी सुख में आईचह कर के सिसकारियां लेने लगी ।



शिवांश अपनी दादी की तरफ देखने लगा तो नागेश्वरि उसके भावना समझ के बोली " बेटा जब औरतें ऐसी अजीब अजीब आवाज़ निकले तो समझ जाना की उसे बोहोत आनंद आ रहा हे "


शिवांश मासूमियत से पूछा " दूदू चूसने पर भी आनंद आता हे "

नागेश्वरी अपने बेवकूफ पोते के ऊपर हास पड़ी और बोली । " बेटा औरतों के जिस भी अंग को चूसोगे चटोगे चुमोगे वो आनंदित हो जायेगी "


शिवांश पूरे शिद्दत से अपनी दादी की चूची को बारी बारी से चूसते हुऐ मसलते हुए दबाते हुए अपना काम कर रहा था और नागेश्वरी जिस्म की आग में तपते हुऐ पोते के सर पकड़ कर जहा मन चूमने लगी लगी । कभी उसकी कंधे पे कभी गर्दन पे कभी छाती पे चटवाने लगी । शिवांश बेहद खुश था । उसे भी बोहोत मजा आ रहा था अपनी दादी को चाट के खाने में ।


चूमते चूमते शिवांश खुदी ही अपनी दादी की उभरी हुई मखमली पेट पे चूमने लगा । और उसे मन किया की दादी की गहरी नाभी में जीव डाल दे और वैसा ही किया । अपनी दादी की गहरी नाभी में गीली जीव घुसा के चाटने लगा और जोश में आ के अपने हाथों से पेट को मसलने लगा ।

नागेश्वरी मछली की तरह छटपटाने लगी और चिल्लाने लगी " हाय दैय्या । उफ हु हु । ओह में मर गई । आह क्या कर दिया तूने आह ।" और अपनी टांगे अपच में चिपका के झांघो से झांघे रगड़ने लगी । उसे अपनी टांगो के बीच चीटिया रेंगती हुई मेहसूस करने लगी । जेसे उसके चूत से पानी रिस रही हो ऐसा महसूस करने लगी ।



शिवांश को लगा उसकी दादी को बहत आनंद आ रहा हे इसलिए उसने और ज्यादा करते हुए अपनी दादी की पेट सख्ती से मसलने लगा । मसलते मसलते गोरा पेट लाल कर दिया उंगलियों के निसान शाप के । दादी भी समझती थी अपने अनारी पोते के दिल की बात इसलिए उसे कोई फर्क नही पड़ा पोते के अच्छे बुरे तरीके से । वल्कि वो और सिसकारियां ले के पोते को जाता रही थी को उसे कीतना मजा आ रहा हे ।

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नागेश्वरि अपनी तड़प को रोक नही पाती हे और उठ के अपनी सारी और पेटीकोट उतार देती हे वो कभी भी पैंटी नहीं पहेनटी थी । वो बिस्तर पे अपनी टांगे खोल के घुटने मोड़ के लेट गई और अपने पोते को बेशर्मी से खिल के अपनी चूत दिखाने लगी । उसकी फूली हुई बड़ी चूत झांटों से भरी थी चूत के दोनो हल्के बेगुनी और गुलाबी रंग की होंठ चिपकी हुई थी जो चिप छिपा चूत रस से चमक रही थी ।

नागेश्वरी बोली । " छू के नही देखोगे । "


शिवांश शर्मा गया लेकिन अब वो भी अपनी दादी की चूत चुने का मन कटने लगा और वो धड़कते दिल को थाम के धीरे से दो उंगली से छू लिया । नागेश्वरी मचल उठी " उईह माहह । अब बर्दास्त नही होता हे। बेटा पेंट उतार दे अपना "


शिवांश कुछ समझ नही पाया क्यू पेंट उतरने को बोल रही है । वैसे भी तो नंगा ही हूं पेंट तो आधा उतर ही चुका हे । उसने पूरा पेंट उतार के बगल रख दिया ।


नागेश्वरि अपने पोते को खींच के अपनी टांगो के बीच लाके के उसके लन्ड को पकड़ के अपनी चूत के मुहाने पे रगड़ के सिसकने लगी " इस आह इस । उह क्या हो गया हे मुझे । उफ "


शिवांश धीरे से बोला ।" दादी हम ये नही कर सकते । पाप चढ़ेगा "

नागेश्वरी थोरी हैरानी में बोली । " क्या नही कर सकते हे। और क्या चढ़ेगा "

शिवांश बोला " यही सेक्स । जो पति पत्नी करते हे । हम नहीं कर सकते । पाप लगेगा "


नागेश्वरी बोहोत गुस्सा हो गई लेकिन अपनी गुस्से को पी के प्यार से समझते हुए बोली " देख बेटा प्यार में कोई पाप नही होता हे। और किसी को खुशी देने से पाप नही लगता हे । मुझे अभी इसकी बोहोत जरूरत हे । सालो से दबा के रखा इस सुख को अब भड़क गई ही तो तड़प से मर जाऊंगी । एक बार मुझे शांत कर दे बेटा "


शिवांश बोला ।" लेकिन इससे तो मेरी पुण्य होगा और आपकी पाप "


नागेश्वरी गुस्से में पिए को घूरने लगी । साइड वो कुछ कहना चाहती थी लेकिन डर से बिलबिला उठी " उईह्ह । आईयायाया मर गई में "


अपनी दादी को गुस्सा होते देख के शिवांश बिना कुछ सोचे समझे अपनी दादी को खुश करने के लिए एक झटके से पूरा लन्ड घुसा दिया । एक तो अनाड़ी था पहला अनुभव था उसे बस घुसाना था घुसा दिया लेकिन झटका इतना दम दर था की नागेश्वरी को लगा एक पल के लिए की उसकी जान निकल गई । पोते का लन्ड चूत की दीवारों को चीरते हुए गहराई में ठोकर मरती हुई मेहसूस से दर से बिल बोला उठी थी।


लेकिन अगले ही पल मुस्कुराते हुए पोते को चूम के बोली " आराम से मेरा शेर । सालो बाद गुफाह में कोई सांप घुसा है । ऊपर से सांप भी हाथी जैसा है । "

शिवांश अपनी दादी की चूत में धीरे धीरे लन्ड अन्दर बाहर करने लगा। उसे अपनी दादी की कसी हुई चूत मे इतना आनंद महसूस हो रहा की वो आंखे बंद कर के अपनी दादी के छाती पे सर रख के आंखे बंद कर पूरा एहसास करते हुऐ दादी को चोदने लगा ।

नागेश्वरी को यौन सुख और पीरा दोनो मिला झूला एहसास हो रहा था । और " आउह मेरा बच्चा । आह । आह " कर के कामुक आहे भरते हुए पोते के सर को सहलाते हुए मन में कहने लगी " कितना मोटा हे । मेरी मुनिया को फैला कर घुस रहा हे और कितना गहरा जाता है उफ दर्द भी देता है मीठा मीठा । काकी तुम्हारा शुकिरिया । तुम्हारी वजह से मुझे अपने पोते से इतना सुख मिल रहा हे । हां है तो गलत ये । लेकिन क्या करू अब हो गया सो हो गया ।


शिवांश मुस्किल से दस पन्द्रह ही धक्के लगाए होंगे की अचानक वो कहने लगा " दादी मुझे कुछ" वो पूरी बात कह भी नही पाया और थर थर कांपते हुए अपनी दादी की चूत में झड़ गया । और हांफने लगा । नागेश्वरी ने महसूस किया की अपनी चूत में उसका पोता ढेर सारा वीर्य चोर दिया हे ।



नागेश्वरी उसे सहला के चूम के बोहोत प्यार करने लगी । लेकिन उसकी गर्मी अभी शांत नही हुई थी । सुरु हुई थी ही उसकी ।


" कैसा लगा मेरा बच्चा " नागेश्वरी पूछी

" बोहोत अच्छा दादी । लास्ट में मेरी जान निकल गया था । " शिवांश शर्माते हुए हास के बोला

" देखा कितना आनंद आता हे । फिर भी ना कर रहे थे । डरो मत कोई पाप बाप नहीं चढ़ेगा हमे । हमारा प्यार सच्चा है । "

" दादी बोहोत हल्का लग रहा है "

" लगेगा ही ना । अपनी दादी के अंदर इतना सारा पानी छोर के गंदा कर दिया " नागेश्वरी झूठा शिकायत करने लगी ।


"सॉरी दादी वो अपने आप हो गया "

नागेश्वरी मुस्कुरा के उसे बोली " अरे बुद्धू मुझे अच्छा लगा । बहत अच्छा महसूस हुए "

" दादी अब क्या आप मां बन जोगी " शिवांश सक के नजर से देखने लगा

" अरे नही । उसके लिए भी सही समय होता हे । अभी वो समय नेहि आया हे मेरा। वैसे भी इस उम्र में गर्भ ठहरना मुस्कील है और तू दर मत मेरे पास एक नुस्का उसे में कभी भी गर्भवती नही हूंगी । तू खुल के प्यार कर सकता है "

" क्या हम आगे भी करते रहेंगे । "

" क्यों बार बार भी नहीं कर सकते हे क्या । अभी और करना होगा मेरी प्यास अभी बुझी नही हे । वो तो तुझे में थोड़ा आराम करने दे रही हूं। अभी देखना कैसे तुझे मेहनत करवाती हूं "


" दादी में दादाजी बन गया ।" शिवांश अपनी दादी की कान में शरारत कर के बोलता है ।

" चल बदमाश । तू जितना शर्मिला और सीधा साधा हे उतना ही शैतान भी हो । हा अगर ऐसे ही अपनी दादी को खुश करते रहोगे तो एक दिन जरूर दादाजी बन जाओगे "
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नागेश्वरि अपने पोते को बिस्तर पे लेटा देती और अपने पोते के टांगो के बिच झुक के लंड मुठ्ठी में ले के चूसने तैयार थी ….ये देख के शिवांश सोचने लगा दादी क्या मेरा लंड चुचेगी उसके लिए एक नया अभिज्ञता था …..उसके ज्ञान में तो प्रेमी या पति पत्नी छुट में सिर्फ लंड दाल कर सेक्स करते हे ……..शिवांश को इस नयी कार्य के हैरत भरी घिनोना सोच आया …...वो अपनी दादी को रोकना चाहा तो नागेश्वरी ने उसका हाथ जकड़ कर उसके सुपारे को चुसके मुस्कुराई ……...शिवांश के नसों में जेइसे तेज़ लहर से आनंद महसूस हुआ …….


नागेश्वरी पोते का गठीला लंड पूरा मुह खोल के चूसने लगी …...नागेश्वरी मन में सोचने लगी कितना चौड़ा हे भारी भारी सा स्वाद आ रहा हे …...नागेश्वरी अपने पोते की खासियद से गर्वित हो गयी…….और लंड को अपनी मुठ्ठी तक होले से चूसने लगी …….शिवांश सुखद आनंद से मुह खोल के कामुक केहेजे से अपनी दादी की लंड चूसती हु कामुक दृश्य देखने लगा…..नागेश्वरी अपने को चेहरे को बिच बिच में देख के मुस्कुरा रही थी ...और खुस हो रही थी अपने पोते को इतने आनंद में देख कर ……..


५ मिनट तक नागेश्वरी पोते का लंड चूसती हे …...और फिर बोलती हे “ उंह मुह दुख गया अब तुम्हारी बारी हे ……..और बिस्तर पे लेट गयी और अपनी तांगे खोल दी …….


शिवांश मुह तकते देखता रहा उसे कुछ समझ नही आया …….ये देख के नागेश्वरी बोली … “क्या हुआ ऐसे क्या देख रहे हो टुकुर टुकुर अब मेरा चुसो”

शिवांश अजीब सी कस्मोकास में अपनी दादी की टांगो के बिच झुक गया और जेइसे ही अपनी दादी की गीली छुट नज़र आई घिन भाब से उक के बोला “दादी गन्दा हे”

नागेश्वरी बोली “वाह भाई जब में तेरा चूस रहा था तब तू मजे ले रहा था …..अब अपनी दादी को मज़े देने की बारी आई तो तुझे घिन आ रहा हे कम्बखत ….ठीक हे मत दे अपनी दादी को मज़ा ऐसे ही तरपते हुए मर जाने दे”...
शिवांश चिढ़ते हुए बोला “करता हु रुको ….हमेसा अकड़ दिखाती रहती हे” और अपनी दादी की ब्लाउज से छुट को अच्छे से पोश के साफ़ किया …….नागेश्वरी पोते की हरकत देख के मुस्कुरा रही थी …..शिवांश घिन भाव को दबा के अपनी दादी की छुट के भोगनसे को जिव निकल के चाटने लगा …..नागेश्वरी योन सुख की दुनिया में चली गयी और उसकी पलके उलट पलट होने लगी …..शिवांश को अजीब सा स्वाद आ रहा था गिला नरम नर्म जो उसके लिए अलग ही एहसास था …...लेकिन अपनी दादी को इतने आनंद में देख कर उसका भी मन किया अपनी दादी को ऐसे ही आनंद देते रहे …..और उसने अच्छे से जिव निकल कर दादी की छुट के मोटे टेढ़े मेढ़े नील गुलाबी होंठ के बिच चाटने लगा …….


नागेश्वरी सालों बाद जिस्म की सुख पा कर कुछ ज्यादा ही उत्तेजित थी …शिवांश को भी छुट चाटने का स्वाद भा गया था ….


कुछ देर बाद नागेश्वेरी बोली “ओह मेरा बच्चा बस अब आ जा दादी के अन्दर समा जा …….

शिवांश अपनी दादी के टांगो के बिच घुटने टेक के अपने लंड को दादी की छुट पे घुसाने को तैयार हुआ …तभी दादी बोली “शिवू पहले थोरा आराम से करना ...नही तो तेरी मर जाएगी”
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अपडेट -३०


शिवांश आराम से कमर आगे की तरफ धकेलता गया और उसका लंड अपनी दादी छुट में पूरा गाएब हो गया ….अपनी दादी के कमर में हाथ रख के धीरे धीरे आगे पीछे होने लगा …...लेकिन जेइसे ही अपनी दादी से नज़रे मिलती तो वो शर्मा के नज़रे झुका लेता था …….दोनों दादी पोते को अत्यंत ही आनंद हो रहा था ……


“आह्स्स्स शिवू ...तुझे अच्चा नही लग रहा हे"

शिवांश शर्म के मारे कुछ बोल ही नही पाया …..और अपनी दादी की बाहों में जा गिरा …….नागेश्वरी पोते को बाहों में भर ली …….पोते को अपनी दादी की संकुरी छुट की कसावट से उतन्न हुई योन आनंद से अस्थिर हो रहा था ,....औरत दादी पोते के लंड को अपनी चुत में घिसती हुई गहराई में महसूस कर सिसिया रही थी…..एक पोता और दादी के बिच काम क्रिरा येही सोच दोनों को और ज्यादा उत्येजित और आनंदित कर रहा था……


शिवांश मज़े से सारी कस्मोकास और संकाश भाव को भूल गया था ...और कभी तेज़ी से झटके मारता था तो कभी धीमे धीमे …दादी की चुत तेज़ झटको से इतनी ज्यादा रगड़ खाती थी की दादी की चींख निकल पड़ती थी और कहती थी “आउह्ह्ह आउह्ह्ह ….ओन्ह्ह शिवा ...आउच आह मर गयी में तो आज ….”


शिवांश अपनी दादी इतना प्यार करना चाहता था की उसने दादी की बदन बाहों भींचने लगा चिकनी कंधे पे मुह रगड़ रगड़ कर चुमते हुए तेज धक्के लगाने लगे…..नागेश्वरी आनंद से इतनी उत्तेजित हो गयी थी वो झटके खा खा के झाड़ रही थी ….अनाड़ी पोते को लगा दादी को बेहद मज़ा आ रहा हे ब्याकुल हो के वो और ज्यादा जोश में और तेज़ी से झाटके देने लगा ….


नागेश्वरी सह नही पा रही थी और पोते पीछे धकेल दिया और हाफ्ने लगी …...शिवांश को लगा उसने दादी को फिर गुस्सा दिलाया और वो मुह लटकाए शर्मिंदा हो गया …..नागेश्वरी को ये बात एहसास हुई और उसने शिवांश को खिंच के बाहों ले के प्यार करने लगी …… “ओह मेरा बच्चा में गुस्सा नही हूँ तुमपे ….तुम अभी नशिखिये हो न इसलिए सामने वाली की भावनाओ को इस वक़्त समझ नही पाओगे ….तुम इतने तेज़ी किया तो मुझे जलन हुई इसलिए धक्का दिया ….नाराज़ मत हो ….चल फिर से कर ….”



शिवांश फिर दादी को चोदने लगा ……. नागेश्वरी पोते को चूमने लगी जिव से जिव रगड़ के चूसने लगी ….शिवांश अपनी दादी को देखने लगा आखों में …..नागेश्वरी पूछी “तुझे मज़ा आ रहा हे …”

शिवांश हलके से मुस्कुरा के सर हिलाया …….नागेश्वरी बोली ….. “कितना” शिवांश पूरा जिव निकल के दादी की गाल पूरा चाट के बोला “इतना”

“तुझे न में अपने जेइसा बेशर्म बनूंगी ….”


शिवांश धीरे धिरे चोद रहा था ….वो मुस्कुरा के बोला “आप बहत कामिनी हो”

वैसे तो जानती थी नागेश्वरी जानती उसका पोता कैसा हे लेकिन चुदाई के दौरान वो ऐसे बोलेगा उसे ये उमीद नही थी …..उसकी आँखे बड़ी हो गयी और बोली…. “हटो …..और करने नही दूंगी हटो"

शिवांश अपनी दादी की गर्दन में काटते हुए बोला … “आपके बहत नखरे हे ...एक बात बोलू आपकी बदन बहत खुबसुरत हे और मुलायम भी ...मन कर रहा हे बाहों में ले के बहत प्यार करू”

शिवांश अपनी दादी को अच्च्चे से चोदने लगा …...नागेश्वरी बोलने लगी मज़े लेती हुई “आइस्स्स आह्ह ….हो रहा हे न ऊंह मेरी तरह बेशर्म …..आन्न्ह्ह मा….मेरा बच्चा अच्छे से करता रेह ….ऊउईह्ह कितना मज़ा आ रहा हे"


शिवांश को अब तक अंदाज़ा नही था की किसी की चुदाई कर के इतना मज़ा आता हे ….अब जब उसे एहसास हुआ वो सब कुछ भूल कर एक अलग ही दुनिया में हे इसी भ्रम में था …...और अपनी दादी को तेज़ तेज़ चोदने लगा …….वो थक चूका था …..उसके नशे से उसका उत्तेजना बहार निकलना चाहता था …...वो दादी की चुत में अपरमपार धक्के लगते हुए झड़ने लगा…..जिससे उसका बदन कांप रहा था और नागेश्वरी उसको शिद्धत से प्यार देने लगी …..


शिवांश बेजान हो के अपनी दादी के ऊपर लेते हुए आँखे बंद कर ली…….
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