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Thriller 100 - Encounter !!!! Journey Of An Innocent Girl (Completed)

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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अध्याय 27 भाग:- 5




मै:- किमिने हो एक नंबर के.. दरवाजा तो लगा लिया करो कम से कम..



रवि:- वो हम दरवाजे से ही पूरे जोश में गए थे तो लगाने का मौका ही नहीं मिला.. एक राउंड खत्म करके दरवाजा ही लगाने आया था पहली फुरसत में.. छोड़ो भी गुस्सा.. और क्यों आयी थी वो बताओ..


मै:- नाह !!! किसी काम से भी आयी हूं मै, लेकिन अब तुम्हारे साथ कहीं नहीं जाना..


रवि:- "फर्क ये नहीं पड़ता कि कौन अपनी निजी जिंदगी में कैसा है और क्या करता है.. फर्क इस बात से पड़ता है कि वो मेरे लिए कैसा है.. मेरे लिए अच्छा है तो अच्छे ही कहूंगी.. बाकी इस दुनिया मे अच्छे लोग है कि कितने जिसे अच्छा कह सकूं.." कुछ याद आया...


मै:- तुम्हारी आदत गई नहीं ना मेरी ही बातो को मेरे खिलाफ इस्तमाल करने की.. हम्मम ! सॉरी, मुझे तुम्हारी उस निजी बात पर ज्यादा ध्यान नहीं देना चाहिए था.. डिस्को जाने का मन था लेकिन अब मूड ऑफ हो गया..


रवि ने फिर जिद पकड़ ली.. और हारकर मैंने भी हां कह दी.... एक बात जो उसने बीच मे बिल्कुल सही कहा था, "तुम्हे यदि मै गलत लगता तो तुम रुककर मुझे सुनती नहीं'.. जो की सही था...


खैर मै रवि के साथ डिस्को के लिए निकल गई.. रास्ते में मैंने जिज्ञासावश पूछ लिया... "ये बताओ की मंत्री की कितनी आइटम के साथ तुम सो चुके हो"..


रवि:- सभी.. पहले वो लेता है फिर मै.. या फिर मंत्री के जिस भी करीबी की इक्छा हो.. उस लड़की को उस हिसाब से पेमेंट मिल जाती है..


मै:- क्या पेमेंट होती है, किसी एक के साथ जाने की..


रवि:- सबकी अलग-अलग होती है... चमरी और परफॉर्मेंस के हिसाब से दाम तय होता है.. वैसे मंत्री के लिए जो बुलाई जाती है वो 20 हजार कम से कम लेती है.. सब हाई प्रोफ़ाइल कॉल गर्ल होती है.. कोई सामान्य जीवन में स्ट्रगलिंग मॉडल होती है तो कोई किसी ऑफिस की खूबसूरत एम्प्लोई…


मै:- वो कमा तो रहीं है फिर ये जिस्मफोशी का धंधा..


रवि:- वर्तमान समय में ये उनके लिए मज़े के साथ पैसे कमाने का जरिया है.. जिन्हे यहां के नाईट लाइफ की लत लगी है, फिर लाख रुपया महीने का कमाना, मानो उनके लिए 1000 रूपए महीना कमाकर खर्च चलाने जितना है..


मै:- है दिखावे की ज़िन्दगी ने सबको पागल बाना रखा है... अच्छा रवि एक बात बताओ.. मेरा क्या रेट होगा..


रवि अपना एक हाथ स्टेरिंग से हटाकर अपना माथा पीटते... "मै गलत थोड़े ना कहता हूं कि तुम पागल हो.. उमाशंकर यदि ये सब सुन लेता, तो खड़े-खड़े आत्महत्या कर लेता..


मै:- वो मासूम है तभी तो उसे मै मिली और तुम्हे मिलेगी कोई तुम्हारे जैसी.. बिल्कुल ओपन खयालात..


रवि:- कमाल का कॉम्प्लीमेंट था..


मै:- खुद 56 भोगी और दुल्हन की ख्वाइश घरेलू.. देख लेना मेरा श्राप है, तुम्हे तो 36 घर संभालने वाली लड़की मिलेगी.. जैसा तुम्हारा आवारा नेचर है..


रवि:- साला जिंदगी में कभी शादी ही नहीं करूंगा..


मै:- हां लेकिन अपनी छिछोडी हरकतों से बाज न आना... मुझे तो समझ में नहीं आ रहा की मै एक निर्लज, चमड़ी प्रेमी के साथ कर क्या रही हूं..


मै अपनी बात कहकर ख़ामोश हो गई, रवि भी ख़ामोश ही था.. अचानक ही हम दोनों जोड़ से हंसने लगे.. हंसते हुए रवि कहने लगा... "आवारा ही सेर्टीफाई कर दो.. वैसे तुमने अपना रेट पूछा था ना"..


मै:- कमीने अचानक से पीछे की बात कहां अभी उठा लाए..


रवि:- तुम्हे अपनी मार्केट वैल्यू जाननी थी ना..


मेरे हाथ में मेरा हैंडबैग था उसी से रवि को पिटती हुई.. "मेरी मार्केट वैल्यू लगा रहे, जो करोड़ यूं फेंककर आ गई थी"


मै हांफती हुई सीधी बैठी.. रवि मुझे छेड़ते हुए कहने लगा.. "20 से 30 हजार बन संवर कर, झल्ली मे 5 हजार"..


मै रवि को घूरती हुई... "चलती गाड़ी से फेंक दूंगी तुम्हे.. चुप हो जाओ"..


रवि:- क्यों अब जवाब दे रहा हूं तो मिर्ची क्यों लग रही, या फिर खुद की कीमत करोड़ों मे आकी थी..


मै खुद पर थोड़ा अतिट्यूड लाती... "मेरी तो वो भी कीमत है तुम्हारी तो ज़ीरो वैल्यू है रवि.. शून्य"..


रवि:- मुझे क्या करना वल्यू लेकर... मैंने अपनी कीमत थोड़े पूछी थी..


मै:- ओ ले ले.. जे अंगूर तो खट्टे हो गए... क्यों रवि बाबू.. सर जाओगे चौराहे पर, तब कोई हंटर वाला आकर गुलाम मजदूर ही बनाएगा..


रवि:- जी नहीं, फिर तुम भुल मे हो...


मै:- बाना लो कहानी.. मै सुन रही हूं..


रवि:- नहीं रे सच्ची, बंधुआ मजदूर नहीं.. कीमत सेक्स अपीज की ही लगेगी.. हां लेकिन वन टाइम कीमत..


मै:- अच्छा.. और क्या कीमत होगी तुम जैसे थरकियो की..


रवि:- 40 हजार से 50 हजार दिनार..


मै:- कुछ भी, खाड़ी के देश में मर्दों की कमी हो गई जो भाड़े पर मर्द ले जाएंगे.. वो भी उनके कंजर्वेटिव समाज में..


रवि:- बंद दरवाजे के पीछे कितनी खुली कहानी लिखी जाती है वो तुम कभी यहां से बाहर निकलेगी तब ना पता चलेगा... सुनो वैसे लड़को को वहां के सेख उठाते है.. वो लड़के और लड़कियों दोनो के शौकीन होते है.. अच्छा गबरू मिल जाए तो कमाल की कीमत मिलती है...


मै:- "यक्कक .. पैसे वाले कैसे-कैसे शौक पालते है.. आज की शाम ही घटिया हो गई.. रवि, कुछ ऐसी जगह चलो जहां मन थोड़ा बहल जाए.. लेकिन डिस्को नहीं..


डिस्को का प्लान कैंसल हो गया.. वहां से हम दोनों इंडिया गेट पहुंच गए.. जहां लोग अपने कला का प्रदर्शन कर रहे थे.. कोई म्यूज़िक बजाकर शानदार ग्रुप डांस कर रहे थे, तो कोई बेली डांस की प्रैक्टिस.. रात थोड़ी और गहरी हुई फिर भुरम-भुरम करते बाइकर्स पहुंच गए और वो सब अपने कला का प्रदर्शन करने लगे...


क्या नजारा था, मै तो खुश हो गई.. और इतनी ज्यादा खुश की मै रवि से धन्यवाद कहती हुई कहने लगी... "जितनी घिनौना अनुभव तुम्हारे कमरे से लेकर रास्ते तक में हुआ था.. उसे अब शांति मिल गई"..


रवि:- साथ डिनर करने चले क्या..


मै:- बिल्कुल...


हमने साथ में डिनर किए.. कुछ पुरानी और कुछ नई बातो के साथ, मै 2 बजे अपने फ्लैट पहुंच चुकी थी... अगली सुबह जब मै पहुंची तो मेरे पास एक पुरा कंक्रीट प्लान था जो कि इस दीवाली धमाल से लेकर न्यू ईयर तक मचाने वाले था..


मै मंत्री जी से ऑफिस में मिली, तभी कह दी "एक मीटिंग चाहिए दीवाली से लेकर न्यू ईयर नाईट हिलाने के लिए.. कल रात से ही दिमाग में घूम रहा है".. चूंकि सन्डे ऑफिस बंद थी, इसलिए मंत्री जी ने कह दिया कि किसी भी सोमवार को मीटिंग संभव नहीं है.. और मीटिंग में उमाशंकर का भी रहना जरूरी है.. तुम अपने हिसाब से मीटिंग प्लान कर लो..


मै कुछ नहीं कही और केवल हामी भर दी.. उसी शाम उमाशंकर का कॉल आ गया.. वो पूछने लगा कि अब तक मै उसे कॉल क्यों नहीं की..


मै, थोड़ा आश्चर्य से... "सुबह ही तो बाते हुई थी".


उमाशंकर:- नहीं मीटिंग के लिए कॉल क्यों नहीं की.. अब मुझे मेरे ही ऑफिस से पराया कर रही हो..


मै:- ये क्या उल्टा सीधा बोल रहे हो.. मीटिंग का प्रस्ताव देना मेरा काम है, उसमे कौन होगा कौन नहीं, वो तो सर डिसाइड करेंगे...


उमाशंकर:- हां तो उन्होंने बोला था ना मुझसे कॉर्डिनेट करके सोमवार छोड़कर मीटिंग फाइनल कर लेने, फिर कॉल क्यों नहीं की.. क्या मेरे बिना ही मीटिंग करने का इरादा है..


मै:- तुम्हे आज ये हुआ क्या है.. तुम इतने दिन बाद घर गए हो.. मै तुम्हारी छुट्टियां कैसे बर्बाद कर दूं.. इवेंट तो दिसंबर तक होते रहेंगे...


उमाशंकर:- हां जानता हूं, और ये भी की तुम ये मीटिंग मेरे आने के बाद ही करोगी, चाहे जब मै आ जाऊं छुट्टी से.. बस यही तो अखर रहा है..


मै:- हुंह !!! जिस बात पर खुशी होनी चाहिए वो अखर रहा है.. मुझे की.. तुमने मेरा दिल दुखा दिया.. बात मत करना हफ्ते भर...


उमाशंकर:- सुनो मेनका..


मै:- कितना चिल्ला रहे हो, लाइन पर ही हूं..


उमाशंकर:- जिंदगी में आज तक कभी कोई मेरे बारे में इतना सोचने वाला नहीं हुआ और वो भी बिना बताए कि तुम हर पल मेरे लिए कितना केयरिंग हो. मै गधा था जो तुम्हे कभी अपनी भावना ना दिखा सका ना जता सका.. मै परसो पहुंच रहा हूं..


मै:- आराम से उमा.. कोई जल्दी नहीं है.. मै हूं तुम्हारे साथ... और परसो लौटे तो मुझे बुरा लगेगा.. कम से कम रविवार तक रुको.. तब लगेगा की मैंने योजना पूरे सही वक्त पर बनाया, वरना दिल में कसक सी रहेगी की तुम्हारी छुट्टी बर्बाद कर दी.…


उमाशंकर मुस्कुराते हुए हामी भर दिया.. मै अगले एक हफ्ते तक कंक्रीट प्लान बनाती रही. अभी मै लाइब्रेरी के पास वाले फ्लैट में ही रुक रही थी. 22 सितंबर को भाभी पहुंच गई और वो मिलकर गांव के लिए निकल रही थी. दुर्गा पूजा शुरू होने वाला था, त्योहारों का सीजन आ रहा है.. इसलिए गांव जाना थोड़ा जरूरी हो गया था...


मै हामी भरती हुई भाभी के गले लग गई.. गले लगकर मै थोड़ी देर तक रोती ही रही. उन्होंने पहले मेरे आशु पोछे फिर अपने हाथ मेरे सर पर फेरती हुई कहने लगी मुझे ड्रॉप कर दो...


हम दोनों बात करते हुए चले जा रहे थे.. इसी बीच भाभी ने उमाशंकर के बारे में पूछ ली.. मैंने कह दिया की मार्च 2016 के बाद तो मै सीए फाइनल दूंगी, लेकिन उससे पहले मै अपने भाई-बहन के बीच उससे रिंग की अदला-बदली तो कर ही सकती हूं...


भाभी, मुझे देखकर हंसती हुई कहने लगी.. "तेरी खुशी वापस लौट रही है... मै बता नहीं सकती कितनी खुश हूं.. क्या करूं इन आशुओं का... जो गम मे भी छलकते है और खुशी मे भी.. ये मेरे जिद्दी आंसू. जब मै अपने घर विदा हो रही थी, तब नहीं छलके थे... लेकिन आज मै अपनी मां के दर्द को मेहसूस कर सकती हूं..."

"बेटी को पराया होते देख उनको कैसा मेहसूस हुआ होगा.. पत्थर दिल थी मै और शादी के दूसरे ही दिन एक मां... ये एहसास ही अलग था.. जानती है जब तूने अपने हाथो से हार पहनाया, ये कहकर की भाभी ये मेरा गिफ्ट है.. मै बता नहीं सकती की वो कैसे क्षण थे मेरे लिए... ज़िन्दगी में पहली बार किसी ने निह स्वार्थ भावना से तोहफा दिया था... तेरा वो प्यारा छोटा सा मासूम चेहरा, और जिंदगी में पहली बार मेहसूस करना की वाकई मे बिना स्वार्थ के भी एक दुनिया है..."

"तू जानती है तेरे लगभग सभी गिफ्ट मैंने संभाल के रखे है.. वो मुझे अपने जान से भी ज्यादा अजीज है... तू बस अपना ख्याल रख, बाकी कोई साथ खड़ा रहे की ना रहे. मै रूपा मिश्रा, जब तक जीवित हूं.. मै किसी की भी आंखें नोचकर बाहर निकालने में सक्षम हूं.. फिर चाहे वो किसी भी प्रोफाइल का क्यों ना हो.."


मै उनकी बात सुनकर कार आगे बढ़ा नहीं पाई, वहीं किनारे मे कहीं खड़ी करके भाभी से लिपटकर ना जाने कितनी देर तक रोती रही... भाभी ने मुझे पानी पिलाया, खुद भी शांत हुई और मुझे भी शांत करवाई.. मै उन्हे स्टेशन छोड़कर वापस आ गई...


29 सितंबर तक उमाशंकर लौट आया. जैसे ही मुझे ऑफिस से रिलीफ मिली, मै तो सीधा गई 3 दिन की छुट्टी पर और बोल दिया "बापू के जन्मदिवस पर मीटिंग रखेंगे... इस दीवाली शयाम प्रसाद शुक्ला की गूंज पूरे भारत मे होगी.. और साल के पहले दिन का जलसा ऑर्गनाइज होगा शयाम प्रसाद शुक्ल के नाम पर.. बस इस बार अनलिमिटेड एस्टीमेट होना चाहिए.."


मेरे जोश और उत्साह को देखकर मंत्री जी व्यंग करते हुए कहने लगे… "उमाशंकर तुम्हारी होने वाली बीवी मुझे कंगाल कर देगी..."


उमाशंकर:- मेरे भी शादी पर ग्रहण है सर.. इसके परिवारवाले कह रहे है सीए क्लियर होने के बाद..


मै:- दिल छोटा क्यों करते हो.. उन्हे जो करना है वो करेंगे लेकिन हम आपस में अंगूठी तो बदल ही सकते है..


उमाशंकर:- कब..


मै:- मेरा भाई मैक्स अपनी गर्लफ्रेंड के घर जाएगा, बंगलौर से 17 किलोमीटर है.. हम सब भाई बहन छुट्टी पर होंगे वहीं पर.. ऑफिस में एडवांस 23 दिसंबर से लेकर 5 जनवरी की छुट्टी की अर्जी डाल दो..


मंत्री जी:- तो फिर पागलपन कार्यक्रम का क्या होगा..


मै:- वाईफाई हमने जाकर लगवाया था क्या सर.. सब पैसे का कमाल था.. बंगलौर में आपकी पार्टी का कारपोरेटर बना, 1 बाय इलेक्शन जीत लिए, लेकिन हम गरीब मुलाजिम को कुछ नहीं..


मंत्री:- अरे बाप रे… अच्छा क्या चाहिए वो बताओ..


मै:- आपका आशीर्वाद और अपने दामाद को एक जन्नतेदार कार दो.. अच्छा लगेगा आपकी बेटी इनके साथ बाइक पर घूमे...
Behad hi shandar or jabardast update
 

Guffy

Well-Known Member
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Maine phele bhi dekhi thi yeh story lekin naam ki wajah se piche hat gaya tha ki aap bhi bakiyo ki tarah ab bass sex likahne mein dilchaspi le rahe ho lekin abhi 4 din phele jab start ki toh puri padh hi dali akhir mein

Story ke baare mein thodi si meri ray


Story start mein laga ki yeh toh sex story hai jisme sex hi hoga lekin jaise jaise aage badhi story apne lay mein ki padhane mein alag hi maza aa gaya aur last tak jaate jaate hamesha ki tarah dimag ka bharta ho gaya lekin padh ke maza jarur aaya bass ravi aur uma shankar ka aisa nahi socha the ki yeh nikalege aur jo menika ne game chala uska bhi thoda sa hint agar story mein hota woh alag tha liyakat ne jab logo ko mara tha usko puri tarah describe karna tha neta ji aur liyakat ka murder kaise huwa woh bhi describe karte toh jayada maza aata but overall story lajawab thi
 
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इसे मेनका की कहानी कहें या सियासत की गंदी राजनीति...... जहां एक लड़की मेनका जो दुसरों के लिए अच्छाईयों का एक मिसाल पेश करती है वहीं लियाकत अली , श्याम प्रसाद शुक्ल जैसे लोग सियासत की गंदगी पेश करते हैं ।

लियाकत अली के बारे में पहले से ही पता चलता था कि वो गलत आदमी है जिसने अपनी राजनीतिक कैरियर के लिए अपने बाप और भाइयों के साथ विश्वासघात किया ।
लेकिन ये नहीं जानता था कि रवि और उमाशंकर भी निकृष्ट किस्म के लोग थे ।

मेनका के कैरेक्टर को बहुत ही सुन्दर तरीके से दिखाया गया है । उसकी नकुल के साथ जुगलबंदी अद्भुत थी । उसने वृद्ध लोगों को ही सहारा नहीं दिया बल्कि सब इंस्पेक्टर नितिन और वृद्ध लायब्रेरियन की भी अलग अलग तरीकों से मदद की ।

इस स्टोरी को पढ़ते वक्त कभी इमोशनल हुआ तो कभी आप के इतने अधिक जानकारियां होने पर खुशी भी महसूस हुआ ।
( मुझे तो लगता है कि आप जरूर एक बेहतरीन सेल्स मैन होंगे ..... इतना सार्थक तथ्य कौन देता है भला ! )
वाक चातुर्य , कीन फाॅर साईट , प्लानिंग , मृदु भाषी.... यही सब तो एक अच्छे सेल्स मैन की पहचान है जो कि आप अपने कहानियों में प्रयोग करते हैं ।

नैन भाई !
कहानी के अंतिम पड़ाव में अच्छा खासा सस्पेंस भी डाल दिया ।इस कहानी के द्वारा आप की अन्य काबिलियत के बारे में पता चला... कृषि क्षेत्र की जानकारी , राजनीतिक जानकारी , कामर्स से सम्बंधित जानकारी , हिंदी साहित्य की जानकारी..... बहुत ही ज्ञानी व्यक्ति है आप !

अज्ञेय जी की रचना " अपने अपने अजनबी " और मैथिली शरण गुप्त की " अयोध्या " का जिक्र आप के हिंदी साहित्य के जानकारी को प्रदर्शित करता है ।

एक बेहतरीन कहानी के लिए आप को बहुत बहुत आभार nain11ster भाई ।
 

The Immortal

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Hello Everyone :hello:
We are Happy to present to you The annual story contest of Xforum "The Ultimate Story Contest" (USC)..

Jaisa ki aap sabko maalum hai abhi pichle hafte he humne USC ki announcement ki hai or abhi kuch time Pehle Rules and Queries thread bhi open kiya hai or Chit chat thread toh pehle se he Hind section mein khulla hai.

Iske baare Mein thoda aapko btaadun ye ek short story contest hai jisme aap kissi bhi prefix ki short story post kar shaktey ho jo minimum 700 words and maximum 7000 words takk ho shakti hai. Isliye main aapko invitation deta hun ki aap Iss contest Mein apne khayaalon ko shabdon kaa Rupp dekar isme apni stories daalein jisko pura Xforum dekhega ye ek bahot acha kadam hoga aapke or aapki stories k liye kyunki USC Ki stories ko pure Xforum k readers read kartey hain.. Or jo readers likhna nahi caahtey woh bhi Iss contest Mein participate kar shaktey hain "Best Readers Award" k liye aapko bus karna ye hoga ki contest Mein posted stories ko read karke unke Uppar apne views dene honge.

Winning Writer's ko well deserved Awards milenge, uske aalwa aapko apna thread apne section mein sticky karne kaa mouka bhi milega Taaki aapka thread top par rahe uss dauraan. Isliye aapsab k liye ye ek behtareen mouka hai Xforum k sabhi readers k Uppar apni chaap chhodne ka or apni reach badhaane kaa.

Entry thread 7th February ko open hoga matlab aap 7 February se story daalna suru kar shaktey hain or woh thread 21st February takk open rahega Iss dauraan aap apni story daal shaktey hain. Isliye aap abhi se apni Kahaani likhna suru kardein toh aapke liye better rahega.

Koi bhi issue ho toh aap kissi bhi staff member ko Message kar shaktey hain..

Rules Check karne k liye Iss thread kaa use karein :- Rules And Queries Thread.

Contest k regarding Chit chat karne k liye Iss thread kaa use karein :- Chit Chat Thread.

Regards :Xforum Staff.

 

nain11ster

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waise gouri ki soch pagalpan nahi balki ushe samaaj seva garib, dukhi jaruratmando panah dena unka khayal rakhna hai...
Oh so ek aur Aashiq menka ki jindegi mein dastak de raha hai aur yeh kya menka ne bhi ushe apna liya...
are dhett teri ki... pehle enquiry toh kar leti pagli :doh:
baad mein phir se pachtana na pare....
roopa bhabhi.... are yaar isko bhi abhi yeh hona tha... jaldi se check up kar treatment le le... kyunki iski nanad urf beti menka ko phir se prem rog lagi hai... Agar iske chalte phir se fanshi ya dukhi huyi toh roopa bhabhi ki jarurat hogi ishe..
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
Wo pura active thi.... Aapne shayad ant tak ye feel kiya ho ... Roopa bhabhi rocks... Baki sab shock
 

nain11ster

Prime
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yeh joh nayi baatein aur chije ho rahi hai menka ki life mein yeh aane wale tufan ka sandesha hai.. Kyunki ki
Pehli baat nain11ster ke stories mein agar hero bahot der baad aaye aur lage ki woh bas hero ka kirdaar bas naam bhar ke liye nibha raha hai toh samajh jaana chahiye kuch toh gadbar hai... joh dikh raha hai woh hai nahi...
waise kuch naye kirdaar bhi aaye jaise woh anita lekin woh side character hai...
dusri baat ek boring si life-style tab aati hai pramukh kirdaar ke liye jab bahot badi ghatna ghat chuki ho... jo ki ghat chuki hai menka ki life mein.... lekin yahan ek twist yeh bhi hai ki pehle wala kand totally clear nahi hua hai puri tarike se jaise writer sahab ki baaki stories dekhne ko milti hai... yaani ki sabse badi kand abhi ghatne ko baaki hai....

Khair... let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:

Isss baar writer sahab ne readers ko feel karne chhod diya tha ki pure mamle me wah kya sochte hain :D... Aur may be ek kand dusre se jude hon... Jinka anth me khulasa hona hai
 

nain11ster

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ek baat to tay hai chaahe duniya idhar ki udhar hi jaaye par roopa bhabhi kabhi menka ko akeli nahi chhodegi... Agar musibat aayi toh pehle woh jaake samne kadi ho jayegi..
CA banne ki baad shaadi par rings badal lenge... lekin bangalore mein hi kyun, apne gaon apne ghar mein kyun nahi... aur ab jab shaadi tay ho gayi hai, menka apne ghar bhi jaa sakti hai... yaa phir jidd ke chalte nahi jaa rahi hai... kya abhi bhi manmutav hai apni maa se ..
waise share mind ki hai menka .. chupi huyi baaton ko bhi catch kar leti hai...
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill.. :applause: :applause:
Areeee banglore me ring badlana matlab aapas me chupke chupke jiska ki koi charcha mukhya shadi ki rashmon me na ho... Wo live purpose ke waqt jo dibba se nikal kar dete hain ring wo concept tha :D... Baki kahani ka ant dekhte hain aapke liye kya laya
 

nain11ster

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jindgi joh apne ya joh log aapke paas hai sabki apni ek alag alag hi mahattva hoti hai... waise toh keh dete hai bhai hoke bhi pita jaisa farj nibhaya ya didi hoke maa jaisi ya phir dost hoke bhi bhai ya behen se bhi badhkar hai... lekin yeh "JAISE" hai, par hai nahi... thik waise nakul jaisa koi ban bhi jaye menka ke liye lekin woh nakul nahi hoga... uski kami khalegi hi menka ko... aur aaj uska jikar hone par rona aaya of course royegi akhir parchayi hai nakul..
well Diwali sab ke liye khushiya leke aayi...
bhai bahano ko ek side rakhte hai.. lekin yeh joh menka gharwalo( mata - pita) ko chhod baaki ke kirdaaro ko zyada importance de rahe yeh kuch thik nahi lag raha...
chaahe kuch bhi ho jaaye mata pita se kaisi narazgi.. are do baatein suna denge.. sun lo..
Par yun ghar na jana... abhiman karne ki bhi hadd hoti hai...
Khair ab sabki apni marji
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
Well said ... Nakul aur menka ko samjhne ke liye shukriya
 
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