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DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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UPDATE 18


अभय और चांदनी खाने के लिए बैठे थे की तभी रमिया आ गई खाना लेके..

रमिया – (खाना प्लेट में डालते हुए) आपलोग शुरू कीजिए मैं गर्म गर्म रोटी लाती हू (बोल के रमिया चली गई)

चांदनी –(अभय से बोली) ये लड़की खाना बहुत अच्छा बनाती है , ये हॉस्टल में काम करती है क्या

अभय – नही दीदी ये ठकुराइन की हवेली में काम करती है और ठकुराइन ने इसे यहां भेजा है मेरे लिए

चांदनी – (चौकते हुए) क्या , तेरे लिए क्या मतलब इसका

अभय – मेरी पहली मुलाकात पता है ना आपको उसके बाद से इसे भेज दिया ठकुराइन ने यहां पर लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी दीदी आपकी चॉइस भी कमाल की है
अभय की इस बात से रमिया और चांदनी हैरान होगए...तब चांदनी बोली..

चांदनी – मेरी च्वाइस क्या मतलब

अभय – (हस्ते हुए) में जनता हू दीदी इसको ठकुराइन ने नही आपने भेजा है यहां पर

चांदनी – (हैरान होके) तुझे कैसे पता चला इस बात का

अभय – मुझे क्या पसंद है क्या नही पसंद है , सुबह का नाश्ता में क्या खाता हू चाय कैसे पिता हू ये सारी बात मां और आपके सिवा किसी को नही पता है फिर इनको कहा से पता चल गई दीदी बताएं जरा (हसने लगा)

इस बात पर रमिया और चांदनी दोनो जोर से हसने लगे...

चांदनी – (हस्ते हुए) सही समझा तू इसके मैने भेजा था लेकिन हवेली के लिए तेरे लिए नही

अभय – (रमिया से) तो अब तो आप बता दो असली नाम क्या है आपका मैडम

रमिया – (हस्ते हुए) जी मेरा नाम सायरा है मै शुरू से चांदनी के साथ पड़ती आ रहे हू हमने साथ में ही ज्वाइन की पुलिस

अभय – ओह तो आपका नाम सायरा है खुशी हुई मिल कर आपसे दीदी से सुना है आपके बारे में लेकिन देखा आज पहली बार मैने

चांदनी – इसको पहले से ही भेज दिया गया था यहां पर छानबीन करने के लिए केस की

अभय – कॉन से केस की बात कर रहे हो आप दीदी

अभय की इस बात पर सायरा और चांदनी दोनो एक दूसरे को देखने लगे...

अभय – क्या हुआ आप दोनो एक दूसरे को ऐसे क्यों देख रहे हो।

चांदनी – सोच रही हू तुझे बताऊं या ना बताऊं चल तुझे बता देती हू मेरे सुपीरियर ने मुझे यहां का केस हैंडओवर किया है इसीलिए मैं यहां हू ठकुराइन के कैसे को देखने आई हू

अभय – (अपना खाना छोड़ के) क्या ठकुराइन का केस अब ये कहा से बीच में आ गई हमारे

चांदनी – पूरी जानकारी मिलने पर ही कुछ बात बता सकती हू मै अभय अभी के लिए कुछ नही है मेरे पास बताने को तुझे

अभय – दीदी कुछ बताने के लिए है नही या आप बताना नही चाहती हो और क्यों पीछे दो साल से सायरा हवेली में रमिया बन के रह रही है

चांदनी –(मुस्कुराते हुए) अभय कुछ बाते छुपी रहे इसी में भलाई है तेरी , अभी के लिए लेकिन मैं वादा करती हू वक्त आने पर सबसे पहले तुझे ही बताओगी अभी के लिए तू अपनी कॉलेज लाइफ एंजॉय कर और हा एक बात जब मैं बोलो तब तू बता देना सबको अपनी असलियत क्योंकि तब तुझे हॉस्टल में नही हवेली में जाना पड़ेगा रहने के लिए

अभय – लेकिन दीदी आप तो..

चांदनी – (बीच में) प्लीज अभय

अभय – ठीक है दीदी जैसे आप कहो मैं करूंगा

चांदनी – अब चल जल्दी से खाना खा ले मुझे जाना है हवेली में रहने के लिए

अभय – हवेली में क्यों दीदी यहां रहो ना आप मेरे साथ बहुत जगह है यहां पर

चांदनी – नही अभय हवेली के बाहर का रूम दिया गया है बाकी टीचर की तरह जब तक कॉलेज के बाहर टीचर रूम।त्यार नही होते वैसे भी मैं यहां पर कुछ वक्त के लिए कॉलेज में टीचर बन के आई हू

अभय – (हैरान होके) क्या टीचर बन के आए हो आप फिर तो हो गया कल्याण सबका

इस बात पर चांदनी , सायरा और अभय जोर से हसने लगे.... यहां ये सब चल रहा था वही हवेली में संध्या जैसे ही आई...

संध्या – (हवेली के अन्दर आते ही जोर से चिल्लाए) रमन रमन रमन बाहर आओ

संध्या की जोर दार आवाज सुन के हवेली में ललिता , मालती , रमन , अमन और निधि तुरंत दौड़ के बाहर हाल में आ गए सब

मालती – क्या बात है दीदी आप इतना जोर से क्यों चिल्ला रहे हो सब ठीक है ना

संध्या – (मालती बात को अनसुना करके रमन से बोली) किस्से पूछ के तूने एफ आई आर की पुलिस में बता

रमन – (हैरानी से संध्या के देखते हुए) भाभी वो कॉलेज में एक लड़के ने अमन पे हाथ उठाया इसीलिए मैंने..

संध्या – (बीच में बात काटते हुए) ये भी जानने की कोशिश नही की गलती किसी है बस एफ आई आर करवा दी तूने सही भी है तूने भी वही किया जो मैं करती आई थी अभय के साथ बिना जाने उसने गलती की भी है या नही बस लोगो की बात मान के अभय पे हाथ उठा देती थी अब मुझे भी होश आ गया है की सही कॉन और गलत कॉन है और आज गलत अमन है पूछ अपने बेटे से क्या कर के आया है और क्यों मार खा के आया है ये पूछ इससे

रमन , ललिता , मालती , अमन और निधि सभी हैरान हो गए संध्या की बात सुन के खास कर रमन उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे क्या ना करे..

रमन – (संध्या को उलझाने के लिए बोला) लगता है भाभी आज भी तुम उस लौंडे से मिल के आ रही हो इसीलिए ऐसी बहकी बहकी बाते कर रही हो हमसे जब से वो आया है इस गांव में तब से आपके साथ खेल रहा है वो भाभी आप सा...

संध्या – (बीच में बात को काट के) अपनी ये फिजूल की बात मत कर मुझसे रमन तुझे जो कहा है करने को उसको करने के बजाय मुझे उलझाने में लगा है तू लगता है अब तेरे बस का कुछ नही रहा है रमन

इस बातो से रमन की अच्छे से जल गई आज उसका दाव उसके ऊपर चल गया इन सब बात के बाद संध्या ने अमन को बोला...

संध्या – (अमन से गुस्से में) सच सच बता क्या हुआ था कॉलेज में अगर झूठ बोला मुझसे तो अंजाम।तू सोच भी नही सकता क्या होगा

अमन – (डरते हुए) म...म...मैने कुछ नही किया बड़ी....

इसके बाद एक खीच के मारा संध्या से अमन के गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या –(पूरे गुस्से में) कहा था ना मैने तुझे झूठ बोला तो अंजाम क्या होगा तुझे समझ में नहीं आई ना बात मेरी अब सीधे सीधे बोल क्या हुआ था कॉलेज में

अमन – (डरते हुए गाल में हाथ रख के) वो नया लड़का पायल को छेड़ रहा....

एक और पड़ा अमन के दूसरे गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या – (गुस्से में) क्या बोला फिर से बोल एक बार तू

अमन – (रोते हुए) उस नए लौंडे के लिए आप मुझे चाटा मार रहे हो

संध्या – (मुस्कुराते हुए) दर्द हो रहा है तकलीफ हो रही है ना तुझे , बिल्कुल ऐसा ही दर्द अभय को भी होता था जब तेरी झूठी बातो में आके मैं उसपे हाथ उठाती थी लेकिन जितना भी हाथ उठाती ना तो वो उफ करता और ना ही कभी टोकता था मुझे जनता है क्यों करता था वो ऐसा , (रोते हुए) वो प्यार करता था मुझे गलती ना होते हुए भी चुप रहता पलट के कभी नही बोलता और एक तू है सिर्फ दो चाटे में सवाल कर रहा है मुझसे वाह बेटा
संध्या की इस बात पे सब हैरान और आखें फाड़े संध्या को देखे जा रहे थे...

संध्या – (अपने आसू पोंछ अमन से बोली) मैने तुझे माना किया था ना कि पायल के आस पास भी मत जाना तू लेकिन तुझे शायद मेरी ये बात भी समझ नही आई थी इसीलिए आज तेरी वो हालत हुई अब ध्यान से सुन मेरी बात और अपनी बाइक की चाबी मुझे दे क्योंकि अब से तू पैदल ही कॉलेज जाएगा रोज और अगर तेरी तबीयत खराब हुई , या सिर में दर्द हुआ या कोई भी बहाना किया तो तेरा कॉलेज जाना भी बंद फिर तू जाएगा खेतो में मजदूरों के साथ खेती करने समझ आ गई बात

इतना बोल के संध्या सीडियो पे चढ़ते हुए कमरे में जाने लगी....संध्या के जाते ही रमन और ललिता भी पीछे पीछे जाने लगे संध्या के कमरे में जबकि हाल में मालती , अमन और निधि खड़े थे

मालती –(अमन और निधि से बोली) चल जा अपने कमरे में आराम कर दोनो ओर अमन तुझे समझाया था ना फिर भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया तू अब कर बड़ी मां ये ले दो बड़ी मां वो ले दो देख अब तुझे क्या क्या लेके देती है तेरी बड़ी मां जो है वो भी छीन लिया आज तुझसे

बोल के मालती निकल गई कमरे में इसके जाते ही अमन और निधि भी चले गए कमरे में जबकि संध्या के कमरे में...

संध्या – (रमन और ललिता को कमरे में देख के) अब क्या बात है कुछ बोलना रह गया है तुम दोनो को

ललिता – दीदी आखिर आप इस तरह से ये सब क्यों की रहे हो अपनो के साथ

संध्या – (हस्ते हुए) मैं अपनो के लिए ही तो कर रही थी 10 साल पहले , क्या मिला मुझे उसका सिला बता ललिता , तुम दोनो का घर बसा रहे इसीलिए मदद कर रही थी तुम दोनो की उसका क्या इनाम मिला मुझे एक बदचलन मां का खिताब दिया गया मुझे मेरे बेटे से , बहुत बड़ी किमीत चुकाई है मैने ललिता सिर्फ तुम दोनो की मदद करने में चाह के भी किसी को बता भी नही सकती ये बात , (थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली) मुझे जो करना है मै वो करूगी अच्छा रहेगा मेरे बीच में मत आना कोई भी अब मैं किसी की नही सुनने वाली हू जाओ तुम दोनो अपने कमरे में अकेला छोड़ दो मुझे।

बेचारा रमन किसी बहाने से समझने आया था संध्या को लेकिन आज किस्मत उसकी खराब निकली बेचारी ललिता भी कुछ न बोल पाई इस सब में...दोनो अपने कमरे में चले गए जाते ही रमन बोला..

रमन –(गुस्से में) इस औरत का दिमाग बहुत ज्यादा ही खराब हो गया है उस लौंडे की वजह से आज ये पूरी तरह से हाथ से निकल चुकी है मेरे अगर ऐसा ही रहा तो मेरा सारा प्लान चौपट हो जाएगा

ललिता जो इतने देर से रमन की बात सुन रही थी हस्ते हुए बोली...

ललिता – (हस्ते हुए) बहुत शौक था ना तुझे आग से खेलने का देख ले मैने पहले ही कहा था तुझे बुरे का अंजाम बुरा ही होता है अब तू चाह के भी कुछ नही कर सकता है तूने दीदी को इतने वक्त तक जिस अंधेरे में रखा था वो वहा से आजाद हो गई है अब तो मुझे भी यकीन हो गया है वो लड़का कोई और नहीं अभय है जो वापस आगया है अपना हिसाब लेने सबसे इसीलिए दीदी की नही अपनी सोच

रमन – (गुस्से में ललिता का गला दबा के) मैने कभी हारना सीखा नही है समझी तू अच्छे तरीके से जनता हू कैसे उस औरत को बॉटल में उतरना है और....

ललित – (रमन की बात सुन हसने लगी जोर से) बोतल में अब तू उतरे गा रमन तू अभी तक नही समझ पाया बात को क्योंकि तू लालच में अंधा होके तूने एक मां को उसके बेटे के खिलाफ जो किया था देख आज वो सब कुछ साफ हो गया है दीदी की नजरो में वो भी जान चुकी है कितना बड़ा खेल खेला गया है उसके साथ तू शुक्र मना इस बात का अभी तो वो कुछ भी नही जानी है बात जिस दिन वो जान गई असलीयत के बारे में उस दिन तेरी हस्ती मिट जाएगी इस हवेली से हमेशा हमेशा के लिए रमन ठाकुर

रमन – (हस्ते हुए) उससे पहले मैं उस लौंडे को नामो निशान मिटा डालूगा इस गांव से जिसके वजह से ये सब हो रहा है

इतना बोला के रमन ने अपना मोबाइल निकाल के मुनीम को कॉल करने लगा लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ...

रमन –(गुस्से में) ये साला मुनीम कहा मर गया मेरा फोन भी नही उठा रहा है , इसे मैने हैजा था उस लौंडे को मरवाने के लिए अब..

ललिता – (हस्ते हुए) अब तेरा मोहरा भी गायब हो गया लगता है , शायद तूने ध्यान नही दिया तेरा बेटा मार खा के आया है कॉलेज में ऐसे में अगर मुनीम वहा गया होगा तो सोच क्या हुआ होगा उसका...

रमन – (ललिता की बात सुन सोच में पड़ गया फिर उसने फोन मिलाया पुलिस स्टेशन में) हेलो कामरान क्या हुआ इस लौंडे का

कामरान – ठाकुर साहेब ये आपने किस लौंडे से उलझ गए हो जानते हो आज किस्मत अच्छी थी मेरी जो बच गया मैं वर्ना मेरा वर्दी चली जाती

रमन – (हैरानी से) क्या मतलब है तेरा ऐसा क्या हो गया

कामरान – ठाकुर साहब वो लौंडा कोई मामूली लौंडा नही बल्कि डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है
फिर उसने वो सारी बात बताई जो हुआ पुलिस स्टेशन में जिसे सुनते ही ए सी की इतनी ठडक में भी रमन के सिर से पसीने आने लगे बोला.....

रमन – (हैरानी से) ये क्या बोल रहा है तू कही कोई कहानी तो नही सुना दी उसने तुझे

कामरान – पहले मैं भी यह समझ रहा था ठाकुर साहब लेकिन यह सच है अच्छा होगा आप इससे दूर रहे और मुझे इन सब में मत घसीटे
बोल के बिना रमन की बात सुना कामरान ने कॉल कट कर दिया..

रमन – हेलो हेलो

ललिता –(हैरानी से) क्या हुआ

रमन – वो लौंडा डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है लेकिन ये बात समझ नही आई डी आई जी का बेटा यह गांव में पड़ने क्यों आया है

ये दोनो इस बात से अनजान की कोई इन दोनो की बात को काफी देर से कमरे के बाहर खड़ा होके सुन रहा है इन दोनो की बात सुन कर वो शक्स हवेली से बाहर आके किसी को कॉल करता है

शक्स – हा मैं हू गांव में पड़ने एक नया लड़का आया है शहर से उसके बारे में पता लगाना है जरा पता करो कॉन है वो लड़का

सामने से – अचनक से कॉलेज के एक लड़के में इतना इंट्रेस्ट कैसे

शक्स – क्योंकि मुझे यकीन है ये लड़का संध्या का बेटा अभय ठाकुर है

सामने से – (बात सुन के) तेरा दिमाग कही खराब तो नही हो गया मुर्दे कब से जिंदा होने लगे है

शक्स – तुम्हे सच में यकीन है की अभय की मौत जंगल में हुए थी अपनी आखों के सामने मरते देखा था तुमने उसे।

सामने से – मानता हूं एसा कुछ नही देखा था मैंने लेकिन तुम्हे इतना यकीन कैसे है की ये लड़का ही अभय है

शक्स – क्यों की अभी अभी मुझे पता चला है ये लड़का अपने आप को डी आई जी का बेटा बता रहा है

सामने से – क्या ये कैसे हो सकता है उसका कोई बेटा नही है सिर्फ एक बेटी है उसे

शक्स – इसीलिए पता लगाने को बोला तुझे और जरा सावधानी से उस लड़के ने आते ही ठकुराइन को हिला डाला है पुरी तरीके से

सामने से – और अगर ये सच में अभय ही हुआ तो सोचा है फिर क्या होगा

शख्स – (मुस्कुराते हुए) होना क्या है वही होगा इसका जो इसके दादा का हुआ था और इसके बाप का हुआ था मरते दम तक नही जान पाए थे वो दोनो अपनी मौत का कारण

सामने से – ठीक है मैं आज ही उसकी जन्म कुंडली निकलवाने के लिए भेजता हू किसी को

इस तरफ संध्या के कमरे में जब रमन और ललिता चले गए तब संध्या ने चांदनी को कॉल मिलाया....इस वक्त चांदनी , सायरा खाना खा रही थी अभय के साथ टीबीआई चांदनी का फोन रिंग हुआ..

चांदनी – (फोन में नंबर देख के रिसाव किया) हेलो

संध्या – चांदनी मैं बोल रही हूं संध्या

चांदनी – (बिना नाम लिए) जी पहचान गई मैं बताए कैसे याद किया कोई काम था

संध्या – नही चांदनी बस वो...वो...अभय कैसा है तुम्हारे साथ है क्या

चांदनी – (अभय को देख मुस्कुरा के) जी

संध्या – प्लीज मेरा नाम मत लेना कही नाराज न हो जाय मेरा नाम सुन के

चांदनी – जी आप बेफिक्र रहिए

संध्या – कैसा है वो

चांदनी – (अभय को देख के) अच्छा है अभी खाना खा रहे है हमलोग

संध्या – (बस चुप रही)

चांदनी – (आवाज ना आने पर बोली) आज आप फ्री है आपसे मिल के कुछ बात करनी है

संध्या – हा जब तुम बोलो जहा बोलो मैं आजाऊगी

चांदनी – ठीक है मैं आपको कॉल करूगी जल्द ही

संध्या – ठीक है मैं इंतजार करूगी
कॉल कट करते ही चांदनी ने अभय से बोला...

चांदनी – तू कल क्या कर रहा है

अभय – कुछ खास नही दीदी कल संडे है बस जाऊंगा अपने दोस्तो से मिलने

चांदनी – कहा पर

अभय – हम दोस्तो का अड्डा है वही जाऊंगा मिलने उनसे , क्यों कुछ काम है आपको

चांदनी – नही मैं खाना खा के सायरा के साथ काम से जा रही हू फिर शाम को हवेली जाऊंगी आराम करने

अभय – रात का खाना मेरे साथ

चांदनी – आज नही आज मुझे हवेली में मिलना है ठकुराइन से यू ही के साथ खाना है मेरा

अभय – वहा पर खाना भी उसके साथ ठीक है

चांदनी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर रोज मिलोगे तेरे से कॉलेज में चल अब मुस्कुरा दे ज्यादा सोचने लगता है तू

दोनो भाई बहन मुस्कुरा के खाना खाते है फिर चांदनी निकल जाती है सायरा के साथ उसके जाते ही अभय भी त्यार होके निकल जाता है राज से मिलने.....

अब थोड़ा सा पीछे चलते है जब कॉलेज के गेट में संध्या आए थी तब अभय ने राज को बाद में मिलने का बोल के भेज दिया था और राज , लल्ला और राजू निकल गए थे अपने घर की तरफ तभी रास्ते में...

राजू – (राज से) राज क्या लगता है तुझे वो खंडर वाली बात जो अभय ने बोली

राज – यार अभय की बात सुन के शक तो मुझे भी होने लगा है हो न हो कुछ तो चल रहा है वहा पर

लल्ला – तो भाई इसका पता कैसे लगाया जाय दिन में हम जा नही सकते रात को कैसे निकलेंगे घर से क्या बहाना बना के

राज – वहा मैं भी सोच रहा हू (राजू की तरफ देख के) एक बात बता राजू तो तू पूरे गांव की खबर रखता है क्या तूने कभी सुना उस खंडर के बारे में बात करते हुए किसी को कभी भी

राजू – यार गांव में तू जानता है उसके बारे में कोई बात नही करता है (कुछ सोच के) लेकिन मैने ये खंडर वाली बात कही सुनी थी यार

राज और लल्ला एक साथ – क्या कब कहा किस्से सुनी तूने

राजू – यार ये तो याद नही क्या बात हो रही थी लेकिन सरपंच बात कर रहा था किसी से खंडर के लिए

राज और लल्ला एक साथ – क्या सरपंच

राजू – हा यार सरपंच ही कर रहा था बात

राज – समझ में नहीं आ रहा मुझे वो तो ठाकुर संपत्ति है उसके बारे में सरपंच क्यों बात करने लगा

राजू – अबे तुझे नही मालूम वो हरामी सरपंच उस रमन का चमचा है देखा नही था गांव वाले जमीन के लिए सरपंच के आगे गिड़गिड़ा रहे थे तब रमन ठाकुर के साथ कैसे सरपंच हस हस के साथ दे रहा था ये तो अच्छा हुआ अपना अभय आगया और सभी गांव वालो को उनकी जमीन वापस मिल गई

लल्ला – यार बात तेरी सही है लेकिन फिर भी एक शंका है अगर अभय सही है वो खंडर श्रापित जैसा कुछ नही है तो बनवारी चाचा का बेटे बावली हालत कैसे हुई होगी

राज – अब तो ये सारा माजरा खंडर में जाके ही पता चलेगा , राजू एक काम तू अब से अपने कान की तरह आखें भी खुली रख क्या पता सुनने के साथ देखने को मिल जाय कुछ बात और तुम दोनो अपने मोबाइल भी चालू रखना समझे गेम मत खेलते रहना पता चले हम तुझे कॉल करे साला तुम दोनो का मोबाइल बंद हों मैं अभय से मिल के बात करूंगा इस बारे में आज

इस समय शाम होने को थी अभय हॉस्टल से निकल के राज को कॉल करता है उसे आम के बगीचे में मिलने के लिए बुलाता है....

अभय आम के बगीचे में आके टहलता है तभी उसकी नज़र बगीचे के बने कमर में जाती है उसे गुस्से में कमरे को घूर के देखता है मानो जैसे उसका बस ना चले इस कमरे को आग लगा दे इससे पहले अभय कुछ करता या सोचता तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...

अभय – (पीछे पलट के देखते है तो पता है को राज है वो) अरे राज आगया तू

राज – ऐसा कैसे हो सकता है तू बुलाए मैं ना आऊ, देख रहा था तू गुस्से में देख रहा था उस कमरे को क्या बात है अभय कोई बात है क्या

अभय – (उस कमरे को देखते हुए) हा एक पुराना जख्म आज ताजा हो गया इसे देख के यार

राज – क्या बात है अभय बता मुझे

अभय – है बात भाई लेकिन तुझे देख के अब मन शांत हो गया मेरा

राज – (अभय की बात को गौर से सुन कर) चल फिर मेरी साइकिल से चलते है नदी के किनारे वहा हम दोनो के इलावा कोई नही होगा फिर बात करते है

राज और अभय निकल गए नदी के किनारे वहा आते ही एक जग बैठ गए दोनो फिर राज बोला...

राज – हा तो अब बता जरा तू क्यों भाग गया था और कहा था अब तक

अभय – सब आज ही जानना है

राज – बिल्कुल आज और अभी चल बता

अभय – (मुस्कुरा के) चल ठीक है तो सुन......
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
 
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Iron Man

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only_me

I ÂM LÕSÉR ẞŪT.....
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अभय और चांदनी खाने के लिए बैठे थे की तभी रमिया आ गई खाना लेके..

रमिया – (खाना प्लेट में डालते हुए) आपलोग शुरू कीजिए मैं गर्म गर्म रोटी लाती हू (बोल के रमिया चली गई)

चांदनी –(अभय से बोली) ये लड़की खाना बहुत अच्छा बनाती है , ये हॉस्टल में काम करती है क्या

अभय – नही दीदी ये ठकुराइन की हवेली में काम करती है और ठकुराइन ने इसे यहां भेजा है मेरे लिए

चांदनी – (चौकते हुए) क्या , तेरे लिए क्या मतलब इसका

अभय – मेरी पहली मुलाकात पता है ना आपको उसके बाद से इसे भेज दिया ठकुराइन ने यहां पर लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी दीदी आपकी चॉइस भी कमाल की है
अभय की इस बात से रमिया और चांदनी हैरान होगए...तब चांदनी बोली..

चांदनी – मेरी च्वाइस क्या मतलब

अभय – (हस्ते हुए) में जनता हू दीदी इसको ठकुराइन ने नही आपने भेजा है यहां पर

चांदनी – (हैरान होके) तुझे कैसे पता चला इस बात का

अभय – मुझे क्या पसंद है क्या नही पसंद है , सुबह का नाश्ता में क्या खाता हू चाय कैसे पिता हू ये सारी बात मां और आपके सिवा किसी को नही पता है फिर इनको कहा से पता चल गई दीदी बताएं जरा (हसने लगा)

इस बात पर रमिया और चांदनी दोनो जोर से हसने लगे...

चांदनी – (हस्ते हुए) सही समझा तू इसके मैने भेजा था लेकिन हवेली के लिए तेरे लिए नही

अभय – (रमिया से) तो अब तो आप बता दो असली नाम क्या है आपका मैडम

रमिया – (हस्ते हुए) जी मेरा नाम सायरा है मै शुरू से चांदनी के साथ पड़ती आ रहे हू हमने साथ में ही ज्वाइन की पुलिस

अभय – ओह तो आपका नाम सायरा है खुशी हुई मिल कर आपसे दीदी से सुना है आपके बारे में लेकिन देखा आज पहली बार मैने

चांदनी – इसको पहले से ही भेज दिया गया था यहां पर छानबीन करने के लिए केस की

अभय – कॉन से केस की बात कर रहे हो आप दीदी

अभय की इस बात पर सायरा और चांदनी दोनो एक दूसरे को देखने लगे...

अभय – क्या हुआ आप दोनो एक दूसरे को ऐसे क्यों देख रहे हो।

चांदनी – सोच रही हू तुझे बताऊं या ना बताऊं चल तुझे बता देती हू मेरे सुपीरियर ने मुझे यहां का केस हैंडओवर किया है इसीलिए मैं यहां हू ठकुराइन के कैसे को देखने आई हू

अभय – (अपना खाना छोड़ के) क्या ठकुराइन का केस अब ये कहा से बीच में आ गई हमारे

चांदनी – पूरी जानकारी मिलने पर ही कुछ बात बता सकती हू मै अभय अभी के लिए कुछ नही है मेरे पास बताने को तुझे

अभय – दीदी कुछ बताने के लिए है नही या आप बताना नही चाहती हो और क्यों पीछे दो साल से सायरा हवेली में रमिया बन के रह रही है

चांदनी –(मुस्कुराते हुए) अभय कुछ बाते छुपी रहे इसी में भलाई है तेरी , अभी के लिए लेकिन मैं वादा करती हू वक्त आने पर सबसे पहले तुझे ही बताओगी अभी के लिए तू अपनी कॉलेज लाइफ एंजॉय कर और हा एक बात जब मैं बोलो तब तू बता देना सबको अपनी असलियत क्योंकि तब तुझे हॉस्टल में नही हवेली में जाना पड़ेगा रहने के लिए

अभय – लेकिन दीदी आप तो..

चांदनी – (बीच में) प्लीज अभय

अभय – ठीक है दीदी जैसे आप कहो मैं करूंगा

चांदनी – अब चल जल्दी से खाना खा ले मुझे जाना है हवेली में रहने के लिए

अभय – हवेली में क्यों दीदी यहां रहो ना आप मेरे साथ बहुत जगह है यहां पर

चांदनी – नही अभय हवेली के बाहर का रूम दिया गया है बाकी टीचर की तरह जब तक कॉलेज के बाहर टीचर रूम।त्यार नही होते वैसे भी मैं यहां पर कुछ वक्त के लिए कॉलेज में टीचर बन के आई हू

अभय – (हैरान होके) क्या टीचर बन के आए हो आप फिर तो हो गया कल्याण सबका

इस बात पर चांदनी , सायरा और अभय जोर से हसने लगे.... यहां ये सब चल रहा था वही हवेली में संध्या जैसे ही आई...

संध्या – (हवेली के अन्दर आते ही जोर से चिल्लाए) रमन रमन रमन बाहर आओ

संध्या की जोर दार आवाज सुन के हवेली में ललिता , मालती , रमन , अमन और निधि तुरंत दौड़ के बाहर हाल में आ गए सब

मालती – क्या बात है दीदी आप इतना जोर से क्यों चिल्ला रहे हो सब ठीक है ना

संध्या – (मालती बात को अनसुना करके रमन से बोली) किस्से पूछ के तूने एफ आई आर की पुलिस में बता

रमन – (हैरानी से संध्या के देखते हुए) भाभी वो कॉलेज में एक लड़के ने अमन पे हाथ उठाया इसीलिए मैंने..

संध्या – (बीच में बात काटते हुए) ये भी जानने की कोशिश नही की गलती किसी है बस एफ आई आर करवा दी तूने सही भी है तूने भी वही किया जो मैं करती आई थी अभय के साथ बिना जाने उसने गलती की भी है या नही बस लोगो की बात मान के अभय पे हाथ उठा देती थी अब मुझे भी होश आ गया है की सही कॉन और गलत कॉन है और आज गलत अमन है पूछ अपने बेटे से क्या कर के आया है और क्यों मार खा के आया है ये पूछ इससे

रमन , ललिता , मालती , अमन और निधि सभी हैरान हो गए संध्या की बात सुन के खास कर रमन उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे क्या ना करे..

रमन – (संध्या को उलझाने के लिए बोला) लगता है भाभी आज भी तुम उस लौंडे से मिल के आ रही हो इसीलिए ऐसी बहकी बहकी बाते कर रही हो हमसे जब से वो आया है इस गांव में तब से आपके साथ खेल रहा है वो भाभी आप सा...

संध्या – (बीच में बात को काट के) अपनी ये फिजूल की बात मत कर मुझसे रमन तुझे जो कहा है करने को उसको करने के बजाय मुझे उलझाने में लगा है तू लगता है अब तेरे बस का कुछ नही रहा है रमन

इस बातो से रमन की अच्छे से जल गई आज उसका दाव उसके ऊपर चल गया इन सब बात के बाद संध्या ने अमन को बोला...

संध्या – (अमन से गुस्से में) सच सच बता क्या हुआ था कॉलेज में अगर झूठ बोला मुझसे तो अंजाम।तू सोच भी नही सकता क्या होगा

अमन – (डरते हुए) म...म...मैने कुछ नही किया बड़ी....

इसके बाद एक खीच के मारा संध्या से अमन के गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या –(पूरे गुस्से में) कहा था ना मैने तुझे झूठ बोला तो अंजाम क्या होगा तुझे समझ में नहीं आई ना बात मेरी अब सीधे सीधे बोल क्या हुआ था कॉलेज में

अमन – (डरते हुए गाल में हाथ रख के) वो नया लड़का पायल को छेड़ रहा....

एक और पड़ा अमन के दूसरे गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या – (गुस्से में) क्या बोला फिर से बोल एक बार तू

अमन – (रोते हुए) उस नए लौंडे के लिए आप मुझे चाटा मार रहे हो

संध्या – (मुस्कुराते हुए) दर्द हो रहा है तकलीफ हो रही है ना तुझे , बिल्कुल ऐसा ही दर्द अभय को भी होता था जब तेरी झूठी बातो में आके मैं उसपे हाथ उठाती थी लेकिन जितना भी हाथ उठाती ना तो वो उफ करता और ना ही कभी टोकता था मुझे जनता है क्यों करता था वो ऐसा , (रोते हुए) वो प्यार करता था मुझे गलती ना होते हुए भी चुप रहता पलट के कभी नही बोलता और एक तू है सिर्फ दो चाटे में सवाल कर रहा है मुझसे वाह बेटा
संध्या की इस बात पे सब हैरान और आखें फाड़े संध्या को देखे जा रहे थे...

संध्या – (अपने आसू पोंछ अमन से बोली) मैने तुझे माना किया था ना कि पायल के आस पास भी मत जाना तू लेकिन तुझे शायद मेरी ये बात भी समझ नही आई थी इसीलिए आज तेरी वो हालत हुई अब ध्यान से सुन मेरी बात और अपनी बाइक की चाबी मुझे दे क्योंकि अब से तू पैदल ही कॉलेज जाएगा रोज और अगर तेरी तबीयत खराब हुई , या सिर में दर्द हुआ या कोई भी बहाना किया तो तेरा कॉलेज जाना भी बंद फिर तू जाएगा खेतो में मजदूरों के साथ खेती करने समझ आ गई बात

इतना बोल के संध्या सीडियो पे चढ़ते हुए कमरे में जाने लगी....संध्या के जाते ही रमन और ललिता भी पीछे पीछे जाने लगे संध्या के कमरे में जबकि हाल में मालती , अमन और निधि खड़े थे

मालती –(अमन और निधि से बोली) चल जा अपने कमरे में आराम कर दोनो ओर अमन तुझे समझाया था ना फिर भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया तू अब कर बड़ी मां ये ले दो बड़ी मां वो ले दो देख अब तुझे क्या क्या लेके देती है तेरी बड़ी मां जो है वो भी छीन लिया आज तुझसे

बोल के मालती निकल गई कमरे में इसके जाते ही अमन और निधि भी चले गए कमरे में जबकि संध्या के कमरे में...

संध्या – (रमन और ललिता को कमरे में देख के) अब क्या बात है कुछ बोलना रह गया है तुम दोनो को

ललिता – दीदी आखिर आप इस तरह से ये सब क्यों की रहे हो अपनो के साथ

संध्या – (हस्ते हुए) मैं अपनो के लिए ही तो कर रही थी 10 साल पहले , क्या मिला मुझे उसका सिला बता ललिता , तुम दोनो का घर बसा रहे इसीलिए मदद कर रही थी तुम दोनो की उसका क्या इनाम मिला मुझे एक बदचलन मां का खिताब दिया गया मुझे मेरे बेटे से , बहुत बड़ी किमीत चुकाई है मैने ललिता सिर्फ तुम दोनो की मदद करने में चाह के भी किसी को बता भी नही सकती ये बात , (थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली) मुझे जो करना है मै वो करूगी अच्छा रहेगा मेरे बीच में मत आना कोई भी अब मैं किसी की नही सुनने वाली हू जाओ तुम दोनो अपने कमरे में अकेला छोड़ दो मुझे।

बेचारा रमन किसी बहाने से समझने आया था संध्या को लेकिन आज किस्मत उसकी खराब निकली बेचारी ललिता भी कुछ न बोल पाई इस सब में...दोनो अपने कमरे में चले गए जाते ही रमन बोला..

रमन –(गुस्से में) इस औरत का दिमाग बहुत ज्यादा ही खराब हो गया है उस लौंडे की वजह से आज ये पूरी तरह से हाथ से निकल चुकी है मेरे अगर ऐसा ही रहा तो मेरा सारा प्लान चौपट हो जाएगा

ललिता जो इतने देर से रमन की बात सुन रही थी हस्ते हुए बोली...

ललिता – (हस्ते हुए) बहुत शौक था ना तुझे आग से खेलने का देख ले मैने पहले ही कहा था तुझे बुरे का अंजाम बुरा ही होता है अब तू चाह के भी कुछ नही कर सकता है तूने दीदी को इतने वक्त तक जिस अंधेरे में रखा था वो वहा से आजाद हो गई है अब तो मुझे भी यकीन हो गया है वो लड़का कोई और नहीं अभय है जो वापस आगया है अपना हिसाब लेने सबसे इसीलिए दीदी की नही अपनी सोच

रमन – (गुस्से में ललिता का गला दबा के) मैने कभी हारना सीखा नही है समझी तू अच्छे तरीके से जनता हू कैसे उस औरत को बॉटल में उतरना है और....

ललित – (रमन की बात सुन हसने लगी जोर से) बोतल में अब तू उतरे गा रमन तू अभी तक नही समझ पाया बात को क्योंकि तू लालच में अंधा होके तूने एक मां को उसके बेटे के खिलाफ जो किया था देख आज वो सब कुछ साफ हो गया है दीदी की नजरो में वो भी जान चुकी है कितना बड़ा खेल खेला गया है उसके साथ तू शुक्र मना इस बात का अभी तो वो कुछ भी नही जानी है बात जिस दिन वो जान गई असलीयत के बारे में उस दिन तेरी हस्ती मिट जाएगी इस हवेली से हमेशा हमेशा के लिए रमन ठाकुर

रमन – (हस्ते हुए) उससे पहले मैं उस लौंडे को नामो निशान मिटा डालूगा इस गांव से जिसके वजह से ये सब हो रहा है

इतना बोला के रमन ने अपना मोबाइल निकाल के मुनीम को कॉल करने लगा लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ...

रमन –(गुस्से में) ये साला मुनीम कहा मर गया मेरा फोन भी नही उठा रहा है , इसे मैने हैजा था उस लौंडे को मरवाने के लिए अब..

ललिता – (हस्ते हुए) अब तेरा मोहरा भी गायब हो गया लगता है , शायद तूने ध्यान नही दिया तेरा बेटा मार खा के आया है कॉलेज में ऐसे में अगर मुनीम वहा गया होगा तो सोच क्या हुआ होगा उसका...

रमन – (ललिता की बात सुन सोच में पड़ गया फिर उसने फोन मिलाया पुलिस स्टेशन में) हेलो कामरान क्या हुआ इस लौंडे का

कामरान – ठाकुर साहेब ये आपने किस लौंडे से उलझ गए हो जानते हो आज किस्मत अच्छी थी मेरी जो बच गया मैं वर्ना मेरा वर्दी चली जाती

रमन – (हैरानी से) क्या मतलब है तेरा ऐसा क्या हो गया

कामरान – ठाकुर साहब वो लौंडा कोई मामूली लौंडा नही बल्कि डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है
फिर उसने वो सारी बात बताई जो हुआ पुलिस स्टेशन में जिसे सुनते ही ए सी की इतनी ठडक में भी रमन के सिर से पसीने आने लगे बोला.....

रमन – (हैरानी से) ये क्या बोल रहा है तू कही कोई कहानी तो नही सुना दी उसने तुझे

कामरान – पहले मैं भी यह समझ रहा था ठाकुर साहब लेकिन यह सच है अच्छा होगा आप इससे दूर रहे और मुझे इन सब में मत घसीटे
बोल के बिना रमन की बात सुना कामरान ने कॉल कट कर दिया..

रमन – हेलो हेलो

ललिता –(हैरानी से) क्या हुआ

रमन – वो लौंडा डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है लेकिन ये बात समझ नही आई डी आई जी का बेटा यह गांव में पड़ने क्यों आया है

ये दोनो इस बात से अनजान की कोई इन दोनो की बात को काफी देर से कमरे के बाहर खड़ा होके सुन रहा है इन दोनो की बात सुन कर वो शक्स हवेली से बाहर आके किसी को कॉल करता है

शक्स – हा मैं हू गांव में पड़ने एक नया लड़का आया है शहर से उसके बारे में पता लगाना है जरा पता करो कॉन है वो लड़का

सामने से – अचनक से कॉलेज के एक लड़के में इतना इंट्रेस्ट कैसे

शक्स – क्योंकि मुझे यकीन है ये लड़का संध्या का बेटा अभय ठाकुर है

सामने से – (बात सुन के) तेरा दिमाग कही खराब तो नही हो गया मुर्दे कब से जिंदा होने लगे है

शक्स – तुम्हे सच में यकीन है की अभय की मौत जंगल में हुए थी अपनी आखों के सामने मरते देखा था तुमने उसे।

सामने से – मानता हूं एसा कुछ नही देखा था मैंने लेकिन तुम कैसे कह सकती हो की ये लड़का ही अभय है

शक्स – क्यों की अभी अभी मुझे पता चला है ये लड़का अपने आप को डी आई जी का बेटा बता रहा है

सामने से – क्या ये कैसे हो सकता है उसका कोई बेटा नही है सिर्फ एक बेटी है उसे

शक्स – इसीलिए पता लगाने को बोला तुझे और जरा सावधानी से उस लड़के ने आते ही ठकुराइन को हिला डाला है पुरी तरीके से

सामने से – और अगर ये सच में अभय ही हुआ तो सोचा है फिर क्या होगा

शख्स – (मुस्कुराते हुए) होना क्या है वही होगा इसका जो इसके दादा का हुआ था और इसके बाप का हुआ था मरते दम तक नही जान पाए थे वो दोनो अपनी मौत का कारण

सामने से – ठीक है मैं आज ही उसकी जन्म कुंडली निकलवाने के लिए भेजता हू किसी को

इस तरफ संध्या के कमरे में जब रमन और ललिता चले गए तब संध्या ने चांदनी को कॉल मिलाया....इस वक्त चांदनी , सायरा खाना खा रही थी अभय के साथ टीबीआई चांदनी का फोन रिंग हुआ..

चांदनी – (फोन में नंबर देख के रिसाव किया) हेलो

संध्या – चांदनी मैं बोल रही हूं संध्या

चांदनी – (बिना नाम लिए) जी पहचान गई मैं बताए कैसे याद किया कोई काम था

संध्या – नही चांदनी बस वो...वो...अभय कैसा है तुम्हारे साथ है क्या

चांदनी – (अभय को देख मुस्कुरा के) जी

संध्या – प्लीज मेरा नाम मत लेना कही नाराज न हो जाय मेरा नाम सुन के

चांदनी – जी आप बेफिक्र रहिए

संध्या – कैसा है वो

चांदनी – (अभय को देख के) अच्छा है अभी खाना खा रहे है हमलोग

संध्या – (बस चुप रही)

चांदनी – (आवाज ना आने पर बोली) आज आप फ्री है आपसे मिल के कुछ बात करनी है

संध्या – हा जब तुम बोलो जहा बोलो मैं आजाऊगी

चांदनी – ठीक है मैं आपको कॉल करूगी जल्द ही

संध्या – ठीक है मैं इंतजार करूगी
कॉल कट करते ही चांदनी ने अभय से बोला...

चांदनी – तू कल क्या कर रहा है

अभय – कुछ खास नही दीदी कल संडे है बस जाऊंगा अपने दोस्तो से मिलने

चांदनी – कहा पर

अभय – हम दोस्तो का अड्डा है वही जाऊंगा मिलने उनसे , क्यों कुछ काम है आपको

चांदनी – नही मैं खाना खा के सायरा के साथ काम से जा रही हू फिर शाम को हवेली जाऊंगी आराम करने

अभय – रात का खाना मेरे साथ

चांदनी – आज नही आज मुझे हवेली में मिलना है ठकुराइन से यू ही के साथ खाना है मेरा

अभय – वहा पर खाना भी उसके साथ ठीक है

चांदनी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर रोज मिलोगे तेरे से कॉलेज में चल अब मुस्कुरा दे ज्यादा सोचने लगता है तू

दोनो भाई बहन मुस्कुरा के खाना खाते है फिर चांदनी निकल जाती है सायरा के साथ उसके जाते ही अभय भी त्यार होके निकल जाता है राज से मिलने.....

अब थोड़ा सा पीछे चलते है जब कॉलेज के गेट में संध्या आए थी तब अभय ने राज को बाद में मिलने का बोल के भेज दिया था और राज , लल्ला और राजू निकल गए थे अपने घर की तरफ तभी रास्ते में...

राजू – (राज से) राज क्या लगता है तुझे वो खंडर वाली बात जो अभय ने बोली

राज – यार अभय की बात सुन के शक तो मुझे भी होने लगा है हो न हो कुछ तो चल रहा है वहा पर

लल्ला – तो भाई इसका पता कैसे लगाया जाय दिन में हम जा नही सकते रात को कैसे निकलेंगे घर से क्या बहाना बना के

राज – वहा मैं भी सोच रहा हू (राजू की तरफ देख के) एक बात बता राजू तो तू पूरे गांव की खबर रखता है क्या तूने कभी सुना उस खंडर के बारे में बात करते हुए किसी को कभी भी

राजू – यार गांव में तू जानता है उसके बारे में कोई बात नही करता है (कुछ सोच के) लेकिन मैने ये खंडर वाली बात कही सुनी थी यार

राज और लल्ला एक साथ – क्या कब कहा किस्से सुनी तूने

राजू – यार ये तो याद नही क्या बात हो रही थी लेकिन सरपंच बात कर रहा था किसी से खंडर के लिए

राज और लल्ला एक साथ – क्या सरपंच

राजू – हा यार सरपंच ही कर रहा था बात

राज – समझ में नहीं आ रहा मुझे वो तो ठाकुर संपत्ति है उसके बारे में सरपंच क्यों बात करने लगा

राजू – अबे तुझे नही मालूम वो हरामी सरपंच उस रमन का चमचा है देखा नही था गांव वाले जमीन के लिए सरपंच के आगे गिड़गिड़ा रहे थे तब रमन ठाकुर के साथ कैसे सरपंच हस हस के साथ दे रहा था ये तो अच्छा हुआ अपना अभय आगया और सभी गांव वालो को उनकी जमीन वापस मिल गई

लल्ला – यार बात तेरी सही है लेकिन फिर भी एक शंका है अगर अभय सही है वो खंडर श्रापित जैसा कुछ नही है तो बनवारी चाचा का बेटे बावली हालत कैसे हुई होगी

राज – अब तो ये सारा माजरा खंडर में जाके ही पता चलेगा , राजू एक काम तू अब से अपने कान की तरह आखें भी खुली रख क्या पता सुनने के साथ देखने को मिल जाय कुछ बात और तुम दोनो अपने मोबाइल भी चालू रखना समझे गेम मत खेलते रहना पता चले हम तुझे कॉल करे साला तुम दोनो का मोबाइल बंद हों मैं अभय से मिल के बात करूंगा इस बारे में आज

इस समय शाम होने को थी अभय हॉस्टल से निकल के राज को कॉल करता है उसे आम के बगीचे में मिलने के लिए बुलाता है....

अभय आम के बगीचे में आके टहलता है तभी उसकी नज़र बगीचे के बने कमर में जाती है उसे गुस्से में कमरे को घूर के देखता है मानो जैसे उसका बस ना चले इस कमरे को आग लगा दे इससे पहले अभय कुछ करता या सोचता तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...

अभय – (पीछे पलट के देखते है तो पता है को राज है वो) अरे राज आगया तू

राज – ऐसा कैसे हो सकता है तू बुलाए मैं ना आऊ, देख रहा था तू गुस्से में देख रहा था उस कमरे को क्या बात है अभय कोई बात है क्या

अभय – (उस कमरे को देखते हुए) हा एक पुराना जख्म आज ताजा हो गया इसे देख के यार

राज – क्या बात है अभय बता मुझे

अभय – है बात भाई लेकिन तुझे देख के अब मन शांत हो गया मेरा

राज – (अभय की बात को गौर से सुन कर) चल फिर मेरी साइकिल से चलते है नदी के किनारे वहा हम दोनो के इलावा कोई नही होगा फिर बात करते है

राज और अभय निकल गए नदी के किनारे वहा आते ही एक जग बैठ गए दोनो फिर राज बोला...

राज – हा तो अब बता जरा तू क्यों भाग गया था और कहा था अब तक

अभय – सब आज ही जानना है

राज – बिल्कुल आज और अभी चल बता

अभय – (मुस्कुरा के) चल ठीक है तो सुन......
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Super update Bhai 💯
 

Alanaking

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UPDATE 18


अभय और चांदनी खाने के लिए बैठे थे की तभी रमिया आ गई खाना लेके..

रमिया – (खाना प्लेट में डालते हुए) आपलोग शुरू कीजिए मैं गर्म गर्म रोटी लाती हू (बोल के रमिया चली गई)

चांदनी –(अभय से बोली) ये लड़की खाना बहुत अच्छा बनाती है , ये हॉस्टल में काम करती है क्या

अभय – नही दीदी ये ठकुराइन की हवेली में काम करती है और ठकुराइन ने इसे यहां भेजा है मेरे लिए

चांदनी – (चौकते हुए) क्या , तेरे लिए क्या मतलब इसका

अभय – मेरी पहली मुलाकात पता है ना आपको उसके बाद से इसे भेज दिया ठकुराइन ने यहां पर लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी दीदी आपकी चॉइस भी कमाल की है
अभय की इस बात से रमिया और चांदनी हैरान होगए...तब चांदनी बोली..

चांदनी – मेरी च्वाइस क्या मतलब

अभय – (हस्ते हुए) में जनता हू दीदी इसको ठकुराइन ने नही आपने भेजा है यहां पर

चांदनी – (हैरान होके) तुझे कैसे पता चला इस बात का

अभय – मुझे क्या पसंद है क्या नही पसंद है , सुबह का नाश्ता में क्या खाता हू चाय कैसे पिता हू ये सारी बात मां और आपके सिवा किसी को नही पता है फिर इनको कहा से पता चल गई दीदी बताएं जरा (हसने लगा)

इस बात पर रमिया और चांदनी दोनो जोर से हसने लगे...

चांदनी – (हस्ते हुए) सही समझा तू इसके मैने भेजा था लेकिन हवेली के लिए तेरे लिए नही

अभय – (रमिया से) तो अब तो आप बता दो असली नाम क्या है आपका मैडम

रमिया – (हस्ते हुए) जी मेरा नाम सायरा है मै शुरू से चांदनी के साथ पड़ती आ रहे हू हमने साथ में ही ज्वाइन की पुलिस

अभय – ओह तो आपका नाम सायरा है खुशी हुई मिल कर आपसे दीदी से सुना है आपके बारे में लेकिन देखा आज पहली बार मैने

चांदनी – इसको पहले से ही भेज दिया गया था यहां पर छानबीन करने के लिए केस की

अभय – कॉन से केस की बात कर रहे हो आप दीदी

अभय की इस बात पर सायरा और चांदनी दोनो एक दूसरे को देखने लगे...

अभय – क्या हुआ आप दोनो एक दूसरे को ऐसे क्यों देख रहे हो।

चांदनी – सोच रही हू तुझे बताऊं या ना बताऊं चल तुझे बता देती हू मेरे सुपीरियर ने मुझे यहां का केस हैंडओवर किया है इसीलिए मैं यहां हू ठकुराइन के कैसे को देखने आई हू

अभय – (अपना खाना छोड़ के) क्या ठकुराइन का केस अब ये कहा से बीच में आ गई हमारे

चांदनी – पूरी जानकारी मिलने पर ही कुछ बात बता सकती हू मै अभय अभी के लिए कुछ नही है मेरे पास बताने को तुझे

अभय – दीदी कुछ बताने के लिए है नही या आप बताना नही चाहती हो और क्यों पीछे दो साल से सायरा हवेली में रमिया बन के रह रही है

चांदनी –(मुस्कुराते हुए) अभय कुछ बाते छुपी रहे इसी में भलाई है तेरी , अभी के लिए लेकिन मैं वादा करती हू वक्त आने पर सबसे पहले तुझे ही बताओगी अभी के लिए तू अपनी कॉलेज लाइफ एंजॉय कर और हा एक बात जब मैं बोलो तब तू बता देना सबको अपनी असलियत क्योंकि तब तुझे हॉस्टल में नही हवेली में जाना पड़ेगा रहने के लिए

अभय – लेकिन दीदी आप तो..

चांदनी – (बीच में) प्लीज अभय

अभय – ठीक है दीदी जैसे आप कहो मैं करूंगा

चांदनी – अब चल जल्दी से खाना खा ले मुझे जाना है हवेली में रहने के लिए

अभय – हवेली में क्यों दीदी यहां रहो ना आप मेरे साथ बहुत जगह है यहां पर

चांदनी – नही अभय हवेली के बाहर का रूम दिया गया है बाकी टीचर की तरह जब तक कॉलेज के बाहर टीचर रूम।त्यार नही होते वैसे भी मैं यहां पर कुछ वक्त के लिए कॉलेज में टीचर बन के आई हू

अभय – (हैरान होके) क्या टीचर बन के आए हो आप फिर तो हो गया कल्याण सबका

इस बात पर चांदनी , सायरा और अभय जोर से हसने लगे.... यहां ये सब चल रहा था वही हवेली में संध्या जैसे ही आई...

संध्या – (हवेली के अन्दर आते ही जोर से चिल्लाए) रमन रमन रमन बाहर आओ

संध्या की जोर दार आवाज सुन के हवेली में ललिता , मालती , रमन , अमन और निधि तुरंत दौड़ के बाहर हाल में आ गए सब

मालती – क्या बात है दीदी आप इतना जोर से क्यों चिल्ला रहे हो सब ठीक है ना

संध्या – (मालती बात को अनसुना करके रमन से बोली) किस्से पूछ के तूने एफ आई आर की पुलिस में बता

रमन – (हैरानी से संध्या के देखते हुए) भाभी वो कॉलेज में एक लड़के ने अमन पे हाथ उठाया इसीलिए मैंने..

संध्या – (बीच में बात काटते हुए) ये भी जानने की कोशिश नही की गलती किसी है बस एफ आई आर करवा दी तूने सही भी है तूने भी वही किया जो मैं करती आई थी अभय के साथ बिना जाने उसने गलती की भी है या नही बस लोगो की बात मान के अभय पे हाथ उठा देती थी अब मुझे भी होश आ गया है की सही कॉन और गलत कॉन है और आज गलत अमन है पूछ अपने बेटे से क्या कर के आया है और क्यों मार खा के आया है ये पूछ इससे

रमन , ललिता , मालती , अमन और निधि सभी हैरान हो गए संध्या की बात सुन के खास कर रमन उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे क्या ना करे..

रमन – (संध्या को उलझाने के लिए बोला) लगता है भाभी आज भी तुम उस लौंडे से मिल के आ रही हो इसीलिए ऐसी बहकी बहकी बाते कर रही हो हमसे जब से वो आया है इस गांव में तब से आपके साथ खेल रहा है वो भाभी आप सा...

संध्या – (बीच में बात को काट के) अपनी ये फिजूल की बात मत कर मुझसे रमन तुझे जो कहा है करने को उसको करने के बजाय मुझे उलझाने में लगा है तू लगता है अब तेरे बस का कुछ नही रहा है रमन

इस बातो से रमन की अच्छे से जल गई आज उसका दाव उसके ऊपर चल गया इन सब बात के बाद संध्या ने अमन को बोला...

संध्या – (अमन से गुस्से में) सच सच बता क्या हुआ था कॉलेज में अगर झूठ बोला मुझसे तो अंजाम।तू सोच भी नही सकता क्या होगा

अमन – (डरते हुए) म...म...मैने कुछ नही किया बड़ी....

इसके बाद एक खीच के मारा संध्या से अमन के गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या –(पूरे गुस्से में) कहा था ना मैने तुझे झूठ बोला तो अंजाम क्या होगा तुझे समझ में नहीं आई ना बात मेरी अब सीधे सीधे बोल क्या हुआ था कॉलेज में

अमन – (डरते हुए गाल में हाथ रख के) वो नया लड़का पायल को छेड़ रहा....

एक और पड़ा अमन के दूसरे गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या – (गुस्से में) क्या बोला फिर से बोल एक बार तू

अमन – (रोते हुए) उस नए लौंडे के लिए आप मुझे चाटा मार रहे हो

संध्या – (मुस्कुराते हुए) दर्द हो रहा है तकलीफ हो रही है ना तुझे , बिल्कुल ऐसा ही दर्द अभय को भी होता था जब तेरी झूठी बातो में आके मैं उसपे हाथ उठाती थी लेकिन जितना भी हाथ उठाती ना तो वो उफ करता और ना ही कभी टोकता था मुझे जनता है क्यों करता था वो ऐसा , (रोते हुए) वो प्यार करता था मुझे गलती ना होते हुए भी चुप रहता पलट के कभी नही बोलता और एक तू है सिर्फ दो चाटे में सवाल कर रहा है मुझसे वाह बेटा
संध्या की इस बात पे सब हैरान और आखें फाड़े संध्या को देखे जा रहे थे...

संध्या – (अपने आसू पोंछ अमन से बोली) मैने तुझे माना किया था ना कि पायल के आस पास भी मत जाना तू लेकिन तुझे शायद मेरी ये बात भी समझ नही आई थी इसीलिए आज तेरी वो हालत हुई अब ध्यान से सुन मेरी बात और अपनी बाइक की चाबी मुझे दे क्योंकि अब से तू पैदल ही कॉलेज जाएगा रोज और अगर तेरी तबीयत खराब हुई , या सिर में दर्द हुआ या कोई भी बहाना किया तो तेरा कॉलेज जाना भी बंद फिर तू जाएगा खेतो में मजदूरों के साथ खेती करने समझ आ गई बात

इतना बोल के संध्या सीडियो पे चढ़ते हुए कमरे में जाने लगी....संध्या के जाते ही रमन और ललिता भी पीछे पीछे जाने लगे संध्या के कमरे में जबकि हाल में मालती , अमन और निधि खड़े थे

मालती –(अमन और निधि से बोली) चल जा अपने कमरे में आराम कर दोनो ओर अमन तुझे समझाया था ना फिर भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया तू अब कर बड़ी मां ये ले दो बड़ी मां वो ले दो देख अब तुझे क्या क्या लेके देती है तेरी बड़ी मां जो है वो भी छीन लिया आज तुझसे

बोल के मालती निकल गई कमरे में इसके जाते ही अमन और निधि भी चले गए कमरे में जबकि संध्या के कमरे में...

संध्या – (रमन और ललिता को कमरे में देख के) अब क्या बात है कुछ बोलना रह गया है तुम दोनो को

ललिता – दीदी आखिर आप इस तरह से ये सब क्यों की रहे हो अपनो के साथ

संध्या – (हस्ते हुए) मैं अपनो के लिए ही तो कर रही थी 10 साल पहले , क्या मिला मुझे उसका सिला बता ललिता , तुम दोनो का घर बसा रहे इसीलिए मदद कर रही थी तुम दोनो की उसका क्या इनाम मिला मुझे एक बदचलन मां का खिताब दिया गया मुझे मेरे बेटे से , बहुत बड़ी किमीत चुकाई है मैने ललिता सिर्फ तुम दोनो की मदद करने में चाह के भी किसी को बता भी नही सकती ये बात , (थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली) मुझे जो करना है मै वो करूगी अच्छा रहेगा मेरे बीच में मत आना कोई भी अब मैं किसी की नही सुनने वाली हू जाओ तुम दोनो अपने कमरे में अकेला छोड़ दो मुझे।

बेचारा रमन किसी बहाने से समझने आया था संध्या को लेकिन आज किस्मत उसकी खराब निकली बेचारी ललिता भी कुछ न बोल पाई इस सब में...दोनो अपने कमरे में चले गए जाते ही रमन बोला..

रमन –(गुस्से में) इस औरत का दिमाग बहुत ज्यादा ही खराब हो गया है उस लौंडे की वजह से आज ये पूरी तरह से हाथ से निकल चुकी है मेरे अगर ऐसा ही रहा तो मेरा सारा प्लान चौपट हो जाएगा

ललिता जो इतने देर से रमन की बात सुन रही थी हस्ते हुए बोली...

ललिता – (हस्ते हुए) बहुत शौक था ना तुझे आग से खेलने का देख ले मैने पहले ही कहा था तुझे बुरे का अंजाम बुरा ही होता है अब तू चाह के भी कुछ नही कर सकता है तूने दीदी को इतने वक्त तक जिस अंधेरे में रखा था वो वहा से आजाद हो गई है अब तो मुझे भी यकीन हो गया है वो लड़का कोई और नहीं अभय है जो वापस आगया है अपना हिसाब लेने सबसे इसीलिए दीदी की नही अपनी सोच

रमन – (गुस्से में ललिता का गला दबा के) मैने कभी हारना सीखा नही है समझी तू अच्छे तरीके से जनता हू कैसे उस औरत को बॉटल में उतरना है और....

ललित – (रमन की बात सुन हसने लगी जोर से) बोतल में अब तू उतरे गा रमन तू अभी तक नही समझ पाया बात को क्योंकि तू लालच में अंधा होके तूने एक मां को उसके बेटे के खिलाफ जो किया था देख आज वो सब कुछ साफ हो गया है दीदी की नजरो में वो भी जान चुकी है कितना बड़ा खेल खेला गया है उसके साथ तू शुक्र मना इस बात का अभी तो वो कुछ भी नही जानी है बात जिस दिन वो जान गई असलीयत के बारे में उस दिन तेरी हस्ती मिट जाएगी इस हवेली से हमेशा हमेशा के लिए रमन ठाकुर

रमन – (हस्ते हुए) उससे पहले मैं उस लौंडे को नामो निशान मिटा डालूगा इस गांव से जिसके वजह से ये सब हो रहा है

इतना बोला के रमन ने अपना मोबाइल निकाल के मुनीम को कॉल करने लगा लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ...

रमन –(गुस्से में) ये साला मुनीम कहा मर गया मेरा फोन भी नही उठा रहा है , इसे मैने हैजा था उस लौंडे को मरवाने के लिए अब..

ललिता – (हस्ते हुए) अब तेरा मोहरा भी गायब हो गया लगता है , शायद तूने ध्यान नही दिया तेरा बेटा मार खा के आया है कॉलेज में ऐसे में अगर मुनीम वहा गया होगा तो सोच क्या हुआ होगा उसका...

रमन – (ललिता की बात सुन सोच में पड़ गया फिर उसने फोन मिलाया पुलिस स्टेशन में) हेलो कामरान क्या हुआ इस लौंडे का

कामरान – ठाकुर साहेब ये आपने किस लौंडे से उलझ गए हो जानते हो आज किस्मत अच्छी थी मेरी जो बच गया मैं वर्ना मेरा वर्दी चली जाती

रमन – (हैरानी से) क्या मतलब है तेरा ऐसा क्या हो गया

कामरान – ठाकुर साहब वो लौंडा कोई मामूली लौंडा नही बल्कि डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है
फिर उसने वो सारी बात बताई जो हुआ पुलिस स्टेशन में जिसे सुनते ही ए सी की इतनी ठडक में भी रमन के सिर से पसीने आने लगे बोला.....

रमन – (हैरानी से) ये क्या बोल रहा है तू कही कोई कहानी तो नही सुना दी उसने तुझे

कामरान – पहले मैं भी यह समझ रहा था ठाकुर साहब लेकिन यह सच है अच्छा होगा आप इससे दूर रहे और मुझे इन सब में मत घसीटे
बोल के बिना रमन की बात सुना कामरान ने कॉल कट कर दिया..

रमन – हेलो हेलो

ललिता –(हैरानी से) क्या हुआ

रमन – वो लौंडा डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है लेकिन ये बात समझ नही आई डी आई जी का बेटा यह गांव में पड़ने क्यों आया है

ये दोनो इस बात से अनजान की कोई इन दोनो की बात को काफी देर से कमरे के बाहर खड़ा होके सुन रहा है इन दोनो की बात सुन कर वो शक्स हवेली से बाहर आके किसी को कॉल करता है

शक्स – हा मैं हू गांव में पड़ने एक नया लड़का आया है शहर से उसके बारे में पता लगाना है जरा पता करो कॉन है वो लड़का

सामने से – अचनक से कॉलेज के एक लड़के में इतना इंट्रेस्ट कैसे

शक्स – क्योंकि मुझे यकीन है ये लड़का संध्या का बेटा अभय ठाकुर है

सामने से – (बात सुन के) तेरा दिमाग कही खराब तो नही हो गया मुर्दे कब से जिंदा होने लगे है

शक्स – तुम्हे सच में यकीन है की अभय की मौत जंगल में हुए थी अपनी आखों के सामने मरते देखा था तुमने उसे।

सामने से – मानता हूं एसा कुछ नही देखा था मैंने लेकिन तुम कैसे कह सकती हो की ये लड़का ही अभय है

शक्स – क्यों की अभी अभी मुझे पता चला है ये लड़का अपने आप को डी आई जी का बेटा बता रहा है

सामने से – क्या ये कैसे हो सकता है उसका कोई बेटा नही है सिर्फ एक बेटी है उसे

शक्स – इसीलिए पता लगाने को बोला तुझे और जरा सावधानी से उस लड़के ने आते ही ठकुराइन को हिला डाला है पुरी तरीके से

सामने से – और अगर ये सच में अभय ही हुआ तो सोचा है फिर क्या होगा

शख्स – (मुस्कुराते हुए) होना क्या है वही होगा इसका जो इसके दादा का हुआ था और इसके बाप का हुआ था मरते दम तक नही जान पाए थे वो दोनो अपनी मौत का कारण

सामने से – ठीक है मैं आज ही उसकी जन्म कुंडली निकलवाने के लिए भेजता हू किसी को

इस तरफ संध्या के कमरे में जब रमन और ललिता चले गए तब संध्या ने चांदनी को कॉल मिलाया....इस वक्त चांदनी , सायरा खाना खा रही थी अभय के साथ टीबीआई चांदनी का फोन रिंग हुआ..

चांदनी – (फोन में नंबर देख के रिसाव किया) हेलो

संध्या – चांदनी मैं बोल रही हूं संध्या

चांदनी – (बिना नाम लिए) जी पहचान गई मैं बताए कैसे याद किया कोई काम था

संध्या – नही चांदनी बस वो...वो...अभय कैसा है तुम्हारे साथ है क्या

चांदनी – (अभय को देख मुस्कुरा के) जी

संध्या – प्लीज मेरा नाम मत लेना कही नाराज न हो जाय मेरा नाम सुन के

चांदनी – जी आप बेफिक्र रहिए

संध्या – कैसा है वो

चांदनी – (अभय को देख के) अच्छा है अभी खाना खा रहे है हमलोग

संध्या – (बस चुप रही)

चांदनी – (आवाज ना आने पर बोली) आज आप फ्री है आपसे मिल के कुछ बात करनी है

संध्या – हा जब तुम बोलो जहा बोलो मैं आजाऊगी

चांदनी – ठीक है मैं आपको कॉल करूगी जल्द ही

संध्या – ठीक है मैं इंतजार करूगी
कॉल कट करते ही चांदनी ने अभय से बोला...

चांदनी – तू कल क्या कर रहा है

अभय – कुछ खास नही दीदी कल संडे है बस जाऊंगा अपने दोस्तो से मिलने

चांदनी – कहा पर

अभय – हम दोस्तो का अड्डा है वही जाऊंगा मिलने उनसे , क्यों कुछ काम है आपको

चांदनी – नही मैं खाना खा के सायरा के साथ काम से जा रही हू फिर शाम को हवेली जाऊंगी आराम करने

अभय – रात का खाना मेरे साथ

चांदनी – आज नही आज मुझे हवेली में मिलना है ठकुराइन से यू ही के साथ खाना है मेरा

अभय – वहा पर खाना भी उसके साथ ठीक है

चांदनी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर रोज मिलोगे तेरे से कॉलेज में चल अब मुस्कुरा दे ज्यादा सोचने लगता है तू

दोनो भाई बहन मुस्कुरा के खाना खाते है फिर चांदनी निकल जाती है सायरा के साथ उसके जाते ही अभय भी त्यार होके निकल जाता है राज से मिलने.....

अब थोड़ा सा पीछे चलते है जब कॉलेज के गेट में संध्या आए थी तब अभय ने राज को बाद में मिलने का बोल के भेज दिया था और राज , लल्ला और राजू निकल गए थे अपने घर की तरफ तभी रास्ते में...

राजू – (राज से) राज क्या लगता है तुझे वो खंडर वाली बात जो अभय ने बोली

राज – यार अभय की बात सुन के शक तो मुझे भी होने लगा है हो न हो कुछ तो चल रहा है वहा पर

लल्ला – तो भाई इसका पता कैसे लगाया जाय दिन में हम जा नही सकते रात को कैसे निकलेंगे घर से क्या बहाना बना के

राज – वहा मैं भी सोच रहा हू (राजू की तरफ देख के) एक बात बता राजू तो तू पूरे गांव की खबर रखता है क्या तूने कभी सुना उस खंडर के बारे में बात करते हुए किसी को कभी भी

राजू – यार गांव में तू जानता है उसके बारे में कोई बात नही करता है (कुछ सोच के) लेकिन मैने ये खंडर वाली बात कही सुनी थी यार

राज और लल्ला एक साथ – क्या कब कहा किस्से सुनी तूने

राजू – यार ये तो याद नही क्या बात हो रही थी लेकिन सरपंच बात कर रहा था किसी से खंडर के लिए

राज और लल्ला एक साथ – क्या सरपंच

राजू – हा यार सरपंच ही कर रहा था बात

राज – समझ में नहीं आ रहा मुझे वो तो ठाकुर संपत्ति है उसके बारे में सरपंच क्यों बात करने लगा

राजू – अबे तुझे नही मालूम वो हरामी सरपंच उस रमन का चमचा है देखा नही था गांव वाले जमीन के लिए सरपंच के आगे गिड़गिड़ा रहे थे तब रमन ठाकुर के साथ कैसे सरपंच हस हस के साथ दे रहा था ये तो अच्छा हुआ अपना अभय आगया और सभी गांव वालो को उनकी जमीन वापस मिल गई

लल्ला – यार बात तेरी सही है लेकिन फिर भी एक शंका है अगर अभय सही है वो खंडर श्रापित जैसा कुछ नही है तो बनवारी चाचा का बेटे बावली हालत कैसे हुई होगी

राज – अब तो ये सारा माजरा खंडर में जाके ही पता चलेगा , राजू एक काम तू अब से अपने कान की तरह आखें भी खुली रख क्या पता सुनने के साथ देखने को मिल जाय कुछ बात और तुम दोनो अपने मोबाइल भी चालू रखना समझे गेम मत खेलते रहना पता चले हम तुझे कॉल करे साला तुम दोनो का मोबाइल बंद हों मैं अभय से मिल के बात करूंगा इस बारे में आज

इस समय शाम होने को थी अभय हॉस्टल से निकल के राज को कॉल करता है उसे आम के बगीचे में मिलने के लिए बुलाता है....

अभय आम के बगीचे में आके टहलता है तभी उसकी नज़र बगीचे के बने कमर में जाती है उसे गुस्से में कमरे को घूर के देखता है मानो जैसे उसका बस ना चले इस कमरे को आग लगा दे इससे पहले अभय कुछ करता या सोचता तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...

अभय – (पीछे पलट के देखते है तो पता है को राज है वो) अरे राज आगया तू

राज – ऐसा कैसे हो सकता है तू बुलाए मैं ना आऊ, देख रहा था तू गुस्से में देख रहा था उस कमरे को क्या बात है अभय कोई बात है क्या

अभय – (उस कमरे को देखते हुए) हा एक पुराना जख्म आज ताजा हो गया इसे देख के यार

राज – क्या बात है अभय बता मुझे

अभय – है बात भाई लेकिन तुझे देख के अब मन शांत हो गया मेरा

राज – (अभय की बात को गौर से सुन कर) चल फिर मेरी साइकिल से चलते है नदी के किनारे वहा हम दोनो के इलावा कोई नही होगा फिर बात करते है

राज और अभय निकल गए नदी के किनारे वहा आते ही एक जग बैठ गए दोनो फिर राज बोला...

राज – हा तो अब बता जरा तू क्यों भाग गया था और कहा था अब तक

अभय – सब आज ही जानना है

राज – बिल्कुल आज और अभी चल बता

अभय – (मुस्कुरा के) चल ठीक है तो सुन......
.
.
.
जारी रहेगा✍️✍️
Nice update bro
Haveli wo jasoos kaun hai jo call per baat kerke kisi ko abhay ke baare me pta kerne ke liye bol rhi thi ,
 

Bosskhatri

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UPDATE 18


अभय और चांदनी खाने के लिए बैठे थे की तभी रमिया आ गई खाना लेके..

रमिया – (खाना प्लेट में डालते हुए) आपलोग शुरू कीजिए मैं गर्म गर्म रोटी लाती हू (बोल के रमिया चली गई)

चांदनी –(अभय से बोली) ये लड़की खाना बहुत अच्छा बनाती है , ये हॉस्टल में काम करती है क्या

अभय – नही दीदी ये ठकुराइन की हवेली में काम करती है और ठकुराइन ने इसे यहां भेजा है मेरे लिए

चांदनी – (चौकते हुए) क्या , तेरे लिए क्या मतलब इसका

अभय – मेरी पहली मुलाकात पता है ना आपको उसके बाद से इसे भेज दिया ठकुराइन ने यहां पर लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी दीदी आपकी चॉइस भी कमाल की है
अभय की इस बात से रमिया और चांदनी हैरान होगए...तब चांदनी बोली..

चांदनी – मेरी च्वाइस क्या मतलब

अभय – (हस्ते हुए) में जनता हू दीदी इसको ठकुराइन ने नही आपने भेजा है यहां पर

चांदनी – (हैरान होके) तुझे कैसे पता चला इस बात का

अभय – मुझे क्या पसंद है क्या नही पसंद है , सुबह का नाश्ता में क्या खाता हू चाय कैसे पिता हू ये सारी बात मां और आपके सिवा किसी को नही पता है फिर इनको कहा से पता चल गई दीदी बताएं जरा (हसने लगा)

इस बात पर रमिया और चांदनी दोनो जोर से हसने लगे...

चांदनी – (हस्ते हुए) सही समझा तू इसके मैने भेजा था लेकिन हवेली के लिए तेरे लिए नही

अभय – (रमिया से) तो अब तो आप बता दो असली नाम क्या है आपका मैडम

रमिया – (हस्ते हुए) जी मेरा नाम सायरा है मै शुरू से चांदनी के साथ पड़ती आ रहे हू हमने साथ में ही ज्वाइन की पुलिस

अभय – ओह तो आपका नाम सायरा है खुशी हुई मिल कर आपसे दीदी से सुना है आपके बारे में लेकिन देखा आज पहली बार मैने

चांदनी – इसको पहले से ही भेज दिया गया था यहां पर छानबीन करने के लिए केस की

अभय – कॉन से केस की बात कर रहे हो आप दीदी

अभय की इस बात पर सायरा और चांदनी दोनो एक दूसरे को देखने लगे...

अभय – क्या हुआ आप दोनो एक दूसरे को ऐसे क्यों देख रहे हो।

चांदनी – सोच रही हू तुझे बताऊं या ना बताऊं चल तुझे बता देती हू मेरे सुपीरियर ने मुझे यहां का केस हैंडओवर किया है इसीलिए मैं यहां हू ठकुराइन के कैसे को देखने आई हू

अभय – (अपना खाना छोड़ के) क्या ठकुराइन का केस अब ये कहा से बीच में आ गई हमारे

चांदनी – पूरी जानकारी मिलने पर ही कुछ बात बता सकती हू मै अभय अभी के लिए कुछ नही है मेरे पास बताने को तुझे

अभय – दीदी कुछ बताने के लिए है नही या आप बताना नही चाहती हो और क्यों पीछे दो साल से सायरा हवेली में रमिया बन के रह रही है

चांदनी –(मुस्कुराते हुए) अभय कुछ बाते छुपी रहे इसी में भलाई है तेरी , अभी के लिए लेकिन मैं वादा करती हू वक्त आने पर सबसे पहले तुझे ही बताओगी अभी के लिए तू अपनी कॉलेज लाइफ एंजॉय कर और हा एक बात जब मैं बोलो तब तू बता देना सबको अपनी असलियत क्योंकि तब तुझे हॉस्टल में नही हवेली में जाना पड़ेगा रहने के लिए

अभय – लेकिन दीदी आप तो..

चांदनी – (बीच में) प्लीज अभय

अभय – ठीक है दीदी जैसे आप कहो मैं करूंगा

चांदनी – अब चल जल्दी से खाना खा ले मुझे जाना है हवेली में रहने के लिए

अभय – हवेली में क्यों दीदी यहां रहो ना आप मेरे साथ बहुत जगह है यहां पर

चांदनी – नही अभय हवेली के बाहर का रूम दिया गया है बाकी टीचर की तरह जब तक कॉलेज के बाहर टीचर रूम।त्यार नही होते वैसे भी मैं यहां पर कुछ वक्त के लिए कॉलेज में टीचर बन के आई हू

अभय – (हैरान होके) क्या टीचर बन के आए हो आप फिर तो हो गया कल्याण सबका

इस बात पर चांदनी , सायरा और अभय जोर से हसने लगे.... यहां ये सब चल रहा था वही हवेली में संध्या जैसे ही आई...

संध्या – (हवेली के अन्दर आते ही जोर से चिल्लाए) रमन रमन रमन बाहर आओ

संध्या की जोर दार आवाज सुन के हवेली में ललिता , मालती , रमन , अमन और निधि तुरंत दौड़ के बाहर हाल में आ गए सब

मालती – क्या बात है दीदी आप इतना जोर से क्यों चिल्ला रहे हो सब ठीक है ना

संध्या – (मालती बात को अनसुना करके रमन से बोली) किस्से पूछ के तूने एफ आई आर की पुलिस में बता

रमन – (हैरानी से संध्या के देखते हुए) भाभी वो कॉलेज में एक लड़के ने अमन पे हाथ उठाया इसीलिए मैंने..

संध्या – (बीच में बात काटते हुए) ये भी जानने की कोशिश नही की गलती किसी है बस एफ आई आर करवा दी तूने सही भी है तूने भी वही किया जो मैं करती आई थी अभय के साथ बिना जाने उसने गलती की भी है या नही बस लोगो की बात मान के अभय पे हाथ उठा देती थी अब मुझे भी होश आ गया है की सही कॉन और गलत कॉन है और आज गलत अमन है पूछ अपने बेटे से क्या कर के आया है और क्यों मार खा के आया है ये पूछ इससे

रमन , ललिता , मालती , अमन और निधि सभी हैरान हो गए संध्या की बात सुन के खास कर रमन उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे क्या ना करे..

रमन – (संध्या को उलझाने के लिए बोला) लगता है भाभी आज भी तुम उस लौंडे से मिल के आ रही हो इसीलिए ऐसी बहकी बहकी बाते कर रही हो हमसे जब से वो आया है इस गांव में तब से आपके साथ खेल रहा है वो भाभी आप सा...

संध्या – (बीच में बात को काट के) अपनी ये फिजूल की बात मत कर मुझसे रमन तुझे जो कहा है करने को उसको करने के बजाय मुझे उलझाने में लगा है तू लगता है अब तेरे बस का कुछ नही रहा है रमन

इस बातो से रमन की अच्छे से जल गई आज उसका दाव उसके ऊपर चल गया इन सब बात के बाद संध्या ने अमन को बोला...

संध्या – (अमन से गुस्से में) सच सच बता क्या हुआ था कॉलेज में अगर झूठ बोला मुझसे तो अंजाम।तू सोच भी नही सकता क्या होगा

अमन – (डरते हुए) म...म...मैने कुछ नही किया बड़ी....

इसके बाद एक खीच के मारा संध्या से अमन के गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या –(पूरे गुस्से में) कहा था ना मैने तुझे झूठ बोला तो अंजाम क्या होगा तुझे समझ में नहीं आई ना बात मेरी अब सीधे सीधे बोल क्या हुआ था कॉलेज में

अमन – (डरते हुए गाल में हाथ रख के) वो नया लड़का पायल को छेड़ रहा....

एक और पड़ा अमन के दूसरे गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या – (गुस्से में) क्या बोला फिर से बोल एक बार तू

अमन – (रोते हुए) उस नए लौंडे के लिए आप मुझे चाटा मार रहे हो

संध्या – (मुस्कुराते हुए) दर्द हो रहा है तकलीफ हो रही है ना तुझे , बिल्कुल ऐसा ही दर्द अभय को भी होता था जब तेरी झूठी बातो में आके मैं उसपे हाथ उठाती थी लेकिन जितना भी हाथ उठाती ना तो वो उफ करता और ना ही कभी टोकता था मुझे जनता है क्यों करता था वो ऐसा , (रोते हुए) वो प्यार करता था मुझे गलती ना होते हुए भी चुप रहता पलट के कभी नही बोलता और एक तू है सिर्फ दो चाटे में सवाल कर रहा है मुझसे वाह बेटा
संध्या की इस बात पे सब हैरान और आखें फाड़े संध्या को देखे जा रहे थे...

संध्या – (अपने आसू पोंछ अमन से बोली) मैने तुझे माना किया था ना कि पायल के आस पास भी मत जाना तू लेकिन तुझे शायद मेरी ये बात भी समझ नही आई थी इसीलिए आज तेरी वो हालत हुई अब ध्यान से सुन मेरी बात और अपनी बाइक की चाबी मुझे दे क्योंकि अब से तू पैदल ही कॉलेज जाएगा रोज और अगर तेरी तबीयत खराब हुई , या सिर में दर्द हुआ या कोई भी बहाना किया तो तेरा कॉलेज जाना भी बंद फिर तू जाएगा खेतो में मजदूरों के साथ खेती करने समझ आ गई बात

इतना बोल के संध्या सीडियो पे चढ़ते हुए कमरे में जाने लगी....संध्या के जाते ही रमन और ललिता भी पीछे पीछे जाने लगे संध्या के कमरे में जबकि हाल में मालती , अमन और निधि खड़े थे

मालती –(अमन और निधि से बोली) चल जा अपने कमरे में आराम कर दोनो ओर अमन तुझे समझाया था ना फिर भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया तू अब कर बड़ी मां ये ले दो बड़ी मां वो ले दो देख अब तुझे क्या क्या लेके देती है तेरी बड़ी मां जो है वो भी छीन लिया आज तुझसे

बोल के मालती निकल गई कमरे में इसके जाते ही अमन और निधि भी चले गए कमरे में जबकि संध्या के कमरे में...

संध्या – (रमन और ललिता को कमरे में देख के) अब क्या बात है कुछ बोलना रह गया है तुम दोनो को

ललिता – दीदी आखिर आप इस तरह से ये सब क्यों की रहे हो अपनो के साथ

संध्या – (हस्ते हुए) मैं अपनो के लिए ही तो कर रही थी 10 साल पहले , क्या मिला मुझे उसका सिला बता ललिता , तुम दोनो का घर बसा रहे इसीलिए मदद कर रही थी तुम दोनो की उसका क्या इनाम मिला मुझे एक बदचलन मां का खिताब दिया गया मुझे मेरे बेटे से , बहुत बड़ी किमीत चुकाई है मैने ललिता सिर्फ तुम दोनो की मदद करने में चाह के भी किसी को बता भी नही सकती ये बात , (थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली) मुझे जो करना है मै वो करूगी अच्छा रहेगा मेरे बीच में मत आना कोई भी अब मैं किसी की नही सुनने वाली हू जाओ तुम दोनो अपने कमरे में अकेला छोड़ दो मुझे।

बेचारा रमन किसी बहाने से समझने आया था संध्या को लेकिन आज किस्मत उसकी खराब निकली बेचारी ललिता भी कुछ न बोल पाई इस सब में...दोनो अपने कमरे में चले गए जाते ही रमन बोला..

रमन –(गुस्से में) इस औरत का दिमाग बहुत ज्यादा ही खराब हो गया है उस लौंडे की वजह से आज ये पूरी तरह से हाथ से निकल चुकी है मेरे अगर ऐसा ही रहा तो मेरा सारा प्लान चौपट हो जाएगा

ललिता जो इतने देर से रमन की बात सुन रही थी हस्ते हुए बोली...

ललिता – (हस्ते हुए) बहुत शौक था ना तुझे आग से खेलने का देख ले मैने पहले ही कहा था तुझे बुरे का अंजाम बुरा ही होता है अब तू चाह के भी कुछ नही कर सकता है तूने दीदी को इतने वक्त तक जिस अंधेरे में रखा था वो वहा से आजाद हो गई है अब तो मुझे भी यकीन हो गया है वो लड़का कोई और नहीं अभय है जो वापस आगया है अपना हिसाब लेने सबसे इसीलिए दीदी की नही अपनी सोच

रमन – (गुस्से में ललिता का गला दबा के) मैने कभी हारना सीखा नही है समझी तू अच्छे तरीके से जनता हू कैसे उस औरत को बॉटल में उतरना है और....

ललित – (रमन की बात सुन हसने लगी जोर से) बोतल में अब तू उतरे गा रमन तू अभी तक नही समझ पाया बात को क्योंकि तू लालच में अंधा होके तूने एक मां को उसके बेटे के खिलाफ जो किया था देख आज वो सब कुछ साफ हो गया है दीदी की नजरो में वो भी जान चुकी है कितना बड़ा खेल खेला गया है उसके साथ तू शुक्र मना इस बात का अभी तो वो कुछ भी नही जानी है बात जिस दिन वो जान गई असलीयत के बारे में उस दिन तेरी हस्ती मिट जाएगी इस हवेली से हमेशा हमेशा के लिए रमन ठाकुर

रमन – (हस्ते हुए) उससे पहले मैं उस लौंडे को नामो निशान मिटा डालूगा इस गांव से जिसके वजह से ये सब हो रहा है

इतना बोला के रमन ने अपना मोबाइल निकाल के मुनीम को कॉल करने लगा लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ...

रमन –(गुस्से में) ये साला मुनीम कहा मर गया मेरा फोन भी नही उठा रहा है , इसे मैने हैजा था उस लौंडे को मरवाने के लिए अब..

ललिता – (हस्ते हुए) अब तेरा मोहरा भी गायब हो गया लगता है , शायद तूने ध्यान नही दिया तेरा बेटा मार खा के आया है कॉलेज में ऐसे में अगर मुनीम वहा गया होगा तो सोच क्या हुआ होगा उसका...

रमन – (ललिता की बात सुन सोच में पड़ गया फिर उसने फोन मिलाया पुलिस स्टेशन में) हेलो कामरान क्या हुआ इस लौंडे का

कामरान – ठाकुर साहेब ये आपने किस लौंडे से उलझ गए हो जानते हो आज किस्मत अच्छी थी मेरी जो बच गया मैं वर्ना मेरा वर्दी चली जाती

रमन – (हैरानी से) क्या मतलब है तेरा ऐसा क्या हो गया

कामरान – ठाकुर साहब वो लौंडा कोई मामूली लौंडा नही बल्कि डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है
फिर उसने वो सारी बात बताई जो हुआ पुलिस स्टेशन में जिसे सुनते ही ए सी की इतनी ठडक में भी रमन के सिर से पसीने आने लगे बोला.....

रमन – (हैरानी से) ये क्या बोल रहा है तू कही कोई कहानी तो नही सुना दी उसने तुझे

कामरान – पहले मैं भी यह समझ रहा था ठाकुर साहब लेकिन यह सच है अच्छा होगा आप इससे दूर रहे और मुझे इन सब में मत घसीटे
बोल के बिना रमन की बात सुना कामरान ने कॉल कट कर दिया..

रमन – हेलो हेलो

ललिता –(हैरानी से) क्या हुआ

रमन – वो लौंडा डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है लेकिन ये बात समझ नही आई डी आई जी का बेटा यह गांव में पड़ने क्यों आया है

ये दोनो इस बात से अनजान की कोई इन दोनो की बात को काफी देर से कमरे के बाहर खड़ा होके सुन रहा है इन दोनो की बात सुन कर वो शक्स हवेली से बाहर आके किसी को कॉल करता है

शक्स – हा मैं हू गांव में पड़ने एक नया लड़का आया है शहर से उसके बारे में पता लगाना है जरा पता करो कॉन है वो लड़का

सामने से – अचनक से कॉलेज के एक लड़के में इतना इंट्रेस्ट कैसे

शक्स – क्योंकि मुझे यकीन है ये लड़का संध्या का बेटा अभय ठाकुर है

सामने से – (बात सुन के) तेरा दिमाग कही खराब तो नही हो गया मुर्दे कब से जिंदा होने लगे है

शक्स – तुम्हे सच में यकीन है की अभय की मौत जंगल में हुए थी अपनी आखों के सामने मरते देखा था तुमने उसे।

सामने से – मानता हूं एसा कुछ नही देखा था मैंने लेकिन तुम कैसे कह सकती हो की ये लड़का ही अभय है

शक्स – क्यों की अभी अभी मुझे पता चला है ये लड़का अपने आप को डी आई जी का बेटा बता रहा है

सामने से – क्या ये कैसे हो सकता है उसका कोई बेटा नही है सिर्फ एक बेटी है उसे

शक्स – इसीलिए पता लगाने को बोला तुझे और जरा सावधानी से उस लड़के ने आते ही ठकुराइन को हिला डाला है पुरी तरीके से

सामने से – और अगर ये सच में अभय ही हुआ तो सोचा है फिर क्या होगा

शख्स – (मुस्कुराते हुए) होना क्या है वही होगा इसका जो इसके दादा का हुआ था और इसके बाप का हुआ था मरते दम तक नही जान पाए थे वो दोनो अपनी मौत का कारण

सामने से – ठीक है मैं आज ही उसकी जन्म कुंडली निकलवाने के लिए भेजता हू किसी को

इस तरफ संध्या के कमरे में जब रमन और ललिता चले गए तब संध्या ने चांदनी को कॉल मिलाया....इस वक्त चांदनी , सायरा खाना खा रही थी अभय के साथ टीबीआई चांदनी का फोन रिंग हुआ..

चांदनी – (फोन में नंबर देख के रिसाव किया) हेलो

संध्या – चांदनी मैं बोल रही हूं संध्या

चांदनी – (बिना नाम लिए) जी पहचान गई मैं बताए कैसे याद किया कोई काम था

संध्या – नही चांदनी बस वो...वो...अभय कैसा है तुम्हारे साथ है क्या

चांदनी – (अभय को देख मुस्कुरा के) जी

संध्या – प्लीज मेरा नाम मत लेना कही नाराज न हो जाय मेरा नाम सुन के

चांदनी – जी आप बेफिक्र रहिए

संध्या – कैसा है वो

चांदनी – (अभय को देख के) अच्छा है अभी खाना खा रहे है हमलोग

संध्या – (बस चुप रही)

चांदनी – (आवाज ना आने पर बोली) आज आप फ्री है आपसे मिल के कुछ बात करनी है

संध्या – हा जब तुम बोलो जहा बोलो मैं आजाऊगी

चांदनी – ठीक है मैं आपको कॉल करूगी जल्द ही

संध्या – ठीक है मैं इंतजार करूगी
कॉल कट करते ही चांदनी ने अभय से बोला...

चांदनी – तू कल क्या कर रहा है

अभय – कुछ खास नही दीदी कल संडे है बस जाऊंगा अपने दोस्तो से मिलने

चांदनी – कहा पर

अभय – हम दोस्तो का अड्डा है वही जाऊंगा मिलने उनसे , क्यों कुछ काम है आपको

चांदनी – नही मैं खाना खा के सायरा के साथ काम से जा रही हू फिर शाम को हवेली जाऊंगी आराम करने

अभय – रात का खाना मेरे साथ

चांदनी – आज नही आज मुझे हवेली में मिलना है ठकुराइन से यू ही के साथ खाना है मेरा

अभय – वहा पर खाना भी उसके साथ ठीक है

चांदनी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर रोज मिलोगे तेरे से कॉलेज में चल अब मुस्कुरा दे ज्यादा सोचने लगता है तू

दोनो भाई बहन मुस्कुरा के खाना खाते है फिर चांदनी निकल जाती है सायरा के साथ उसके जाते ही अभय भी त्यार होके निकल जाता है राज से मिलने.....

अब थोड़ा सा पीछे चलते है जब कॉलेज के गेट में संध्या आए थी तब अभय ने राज को बाद में मिलने का बोल के भेज दिया था और राज , लल्ला और राजू निकल गए थे अपने घर की तरफ तभी रास्ते में...

राजू – (राज से) राज क्या लगता है तुझे वो खंडर वाली बात जो अभय ने बोली

राज – यार अभय की बात सुन के शक तो मुझे भी होने लगा है हो न हो कुछ तो चल रहा है वहा पर

लल्ला – तो भाई इसका पता कैसे लगाया जाय दिन में हम जा नही सकते रात को कैसे निकलेंगे घर से क्या बहाना बना के

राज – वहा मैं भी सोच रहा हू (राजू की तरफ देख के) एक बात बता राजू तो तू पूरे गांव की खबर रखता है क्या तूने कभी सुना उस खंडर के बारे में बात करते हुए किसी को कभी भी

राजू – यार गांव में तू जानता है उसके बारे में कोई बात नही करता है (कुछ सोच के) लेकिन मैने ये खंडर वाली बात कही सुनी थी यार

राज और लल्ला एक साथ – क्या कब कहा किस्से सुनी तूने

राजू – यार ये तो याद नही क्या बात हो रही थी लेकिन सरपंच बात कर रहा था किसी से खंडर के लिए

राज और लल्ला एक साथ – क्या सरपंच

राजू – हा यार सरपंच ही कर रहा था बात

राज – समझ में नहीं आ रहा मुझे वो तो ठाकुर संपत्ति है उसके बारे में सरपंच क्यों बात करने लगा

राजू – अबे तुझे नही मालूम वो हरामी सरपंच उस रमन का चमचा है देखा नही था गांव वाले जमीन के लिए सरपंच के आगे गिड़गिड़ा रहे थे तब रमन ठाकुर के साथ कैसे सरपंच हस हस के साथ दे रहा था ये तो अच्छा हुआ अपना अभय आगया और सभी गांव वालो को उनकी जमीन वापस मिल गई

लल्ला – यार बात तेरी सही है लेकिन फिर भी एक शंका है अगर अभय सही है वो खंडर श्रापित जैसा कुछ नही है तो बनवारी चाचा का बेटे बावली हालत कैसे हुई होगी

राज – अब तो ये सारा माजरा खंडर में जाके ही पता चलेगा , राजू एक काम तू अब से अपने कान की तरह आखें भी खुली रख क्या पता सुनने के साथ देखने को मिल जाय कुछ बात और तुम दोनो अपने मोबाइल भी चालू रखना समझे गेम मत खेलते रहना पता चले हम तुझे कॉल करे साला तुम दोनो का मोबाइल बंद हों मैं अभय से मिल के बात करूंगा इस बारे में आज

इस समय शाम होने को थी अभय हॉस्टल से निकल के राज को कॉल करता है उसे आम के बगीचे में मिलने के लिए बुलाता है....

अभय आम के बगीचे में आके टहलता है तभी उसकी नज़र बगीचे के बने कमर में जाती है उसे गुस्से में कमरे को घूर के देखता है मानो जैसे उसका बस ना चले इस कमरे को आग लगा दे इससे पहले अभय कुछ करता या सोचता तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...

अभय – (पीछे पलट के देखते है तो पता है को राज है वो) अरे राज आगया तू

राज – ऐसा कैसे हो सकता है तू बुलाए मैं ना आऊ, देख रहा था तू गुस्से में देख रहा था उस कमरे को क्या बात है अभय कोई बात है क्या

अभय – (उस कमरे को देखते हुए) हा एक पुराना जख्म आज ताजा हो गया इसे देख के यार

राज – क्या बात है अभय बता मुझे

अभय – है बात भाई लेकिन तुझे देख के अब मन शांत हो गया मेरा

राज – (अभय की बात को गौर से सुन कर) चल फिर मेरी साइकिल से चलते है नदी के किनारे वहा हम दोनो के इलावा कोई नही होगा फिर बात करते है

राज और अभय निकल गए नदी के किनारे वहा आते ही एक जग बैठ गए दोनो फिर राज बोला...

राज – हा तो अब बता जरा तू क्यों भाग गया था और कहा था अब तक

अभय – सब आज ही जानना है

राज – बिल्कुल आज और अभी चल बता

अभय – (मुस्कुरा के) चल ठीक है तो सुन......
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जारी रहेगा✍️✍️
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Nice update....
 

DEVIL MAXIMUM

"सर्वेभ्यः सर्वभावेभ्यः सर्वात्मना नमः।"
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Likh to achchha rahe ho lekin story padhne ka maza kharab ho ja raha hai
Kyonki update bahut late aa Raha hai
Permanent yaha per job + ache salary jisse mai apne sath apne ghr ka kharcha chala skoo aap dilwa do mujhe yaha per wada krta ho pehle se dosra din bad me aayga usse pehle story ka update aajaya krega
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Ab batao aap
 

Rekha rani

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UPDATE 18


अभय और चांदनी खाने के लिए बैठे थे की तभी रमिया आ गई खाना लेके..

रमिया – (खाना प्लेट में डालते हुए) आपलोग शुरू कीजिए मैं गर्म गर्म रोटी लाती हू (बोल के रमिया चली गई)

चांदनी –(अभय से बोली) ये लड़की खाना बहुत अच्छा बनाती है , ये हॉस्टल में काम करती है क्या

अभय – नही दीदी ये ठकुराइन की हवेली में काम करती है और ठकुराइन ने इसे यहां भेजा है मेरे लिए

चांदनी – (चौकते हुए) क्या , तेरे लिए क्या मतलब इसका

अभय – मेरी पहली मुलाकात पता है ना आपको उसके बाद से इसे भेज दिया ठकुराइन ने यहां पर लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी दीदी आपकी चॉइस भी कमाल की है
अभय की इस बात से रमिया और चांदनी हैरान होगए...तब चांदनी बोली..

चांदनी – मेरी च्वाइस क्या मतलब

अभय – (हस्ते हुए) में जनता हू दीदी इसको ठकुराइन ने नही आपने भेजा है यहां पर

चांदनी – (हैरान होके) तुझे कैसे पता चला इस बात का

अभय – मुझे क्या पसंद है क्या नही पसंद है , सुबह का नाश्ता में क्या खाता हू चाय कैसे पिता हू ये सारी बात मां और आपके सिवा किसी को नही पता है फिर इनको कहा से पता चल गई दीदी बताएं जरा (हसने लगा)

इस बात पर रमिया और चांदनी दोनो जोर से हसने लगे...

चांदनी – (हस्ते हुए) सही समझा तू इसके मैने भेजा था लेकिन हवेली के लिए तेरे लिए नही

अभय – (रमिया से) तो अब तो आप बता दो असली नाम क्या है आपका मैडम

रमिया – (हस्ते हुए) जी मेरा नाम सायरा है मै शुरू से चांदनी के साथ पड़ती आ रहे हू हमने साथ में ही ज्वाइन की पुलिस

अभय – ओह तो आपका नाम सायरा है खुशी हुई मिल कर आपसे दीदी से सुना है आपके बारे में लेकिन देखा आज पहली बार मैने

चांदनी – इसको पहले से ही भेज दिया गया था यहां पर छानबीन करने के लिए केस की

अभय – कॉन से केस की बात कर रहे हो आप दीदी

अभय की इस बात पर सायरा और चांदनी दोनो एक दूसरे को देखने लगे...

अभय – क्या हुआ आप दोनो एक दूसरे को ऐसे क्यों देख रहे हो।

चांदनी – सोच रही हू तुझे बताऊं या ना बताऊं चल तुझे बता देती हू मेरे सुपीरियर ने मुझे यहां का केस हैंडओवर किया है इसीलिए मैं यहां हू ठकुराइन के कैसे को देखने आई हू

अभय – (अपना खाना छोड़ के) क्या ठकुराइन का केस अब ये कहा से बीच में आ गई हमारे

चांदनी – पूरी जानकारी मिलने पर ही कुछ बात बता सकती हू मै अभय अभी के लिए कुछ नही है मेरे पास बताने को तुझे

अभय – दीदी कुछ बताने के लिए है नही या आप बताना नही चाहती हो और क्यों पीछे दो साल से सायरा हवेली में रमिया बन के रह रही है

चांदनी –(मुस्कुराते हुए) अभय कुछ बाते छुपी रहे इसी में भलाई है तेरी , अभी के लिए लेकिन मैं वादा करती हू वक्त आने पर सबसे पहले तुझे ही बताओगी अभी के लिए तू अपनी कॉलेज लाइफ एंजॉय कर और हा एक बात जब मैं बोलो तब तू बता देना सबको अपनी असलियत क्योंकि तब तुझे हॉस्टल में नही हवेली में जाना पड़ेगा रहने के लिए

अभय – लेकिन दीदी आप तो..

चांदनी – (बीच में) प्लीज अभय

अभय – ठीक है दीदी जैसे आप कहो मैं करूंगा

चांदनी – अब चल जल्दी से खाना खा ले मुझे जाना है हवेली में रहने के लिए

अभय – हवेली में क्यों दीदी यहां रहो ना आप मेरे साथ बहुत जगह है यहां पर

चांदनी – नही अभय हवेली के बाहर का रूम दिया गया है बाकी टीचर की तरह जब तक कॉलेज के बाहर टीचर रूम।त्यार नही होते वैसे भी मैं यहां पर कुछ वक्त के लिए कॉलेज में टीचर बन के आई हू

अभय – (हैरान होके) क्या टीचर बन के आए हो आप फिर तो हो गया कल्याण सबका

इस बात पर चांदनी , सायरा और अभय जोर से हसने लगे.... यहां ये सब चल रहा था वही हवेली में संध्या जैसे ही आई...

संध्या – (हवेली के अन्दर आते ही जोर से चिल्लाए) रमन रमन रमन बाहर आओ

संध्या की जोर दार आवाज सुन के हवेली में ललिता , मालती , रमन , अमन और निधि तुरंत दौड़ के बाहर हाल में आ गए सब

मालती – क्या बात है दीदी आप इतना जोर से क्यों चिल्ला रहे हो सब ठीक है ना

संध्या – (मालती बात को अनसुना करके रमन से बोली) किस्से पूछ के तूने एफ आई आर की पुलिस में बता

रमन – (हैरानी से संध्या के देखते हुए) भाभी वो कॉलेज में एक लड़के ने अमन पे हाथ उठाया इसीलिए मैंने..

संध्या – (बीच में बात काटते हुए) ये भी जानने की कोशिश नही की गलती किसी है बस एफ आई आर करवा दी तूने सही भी है तूने भी वही किया जो मैं करती आई थी अभय के साथ बिना जाने उसने गलती की भी है या नही बस लोगो की बात मान के अभय पे हाथ उठा देती थी अब मुझे भी होश आ गया है की सही कॉन और गलत कॉन है और आज गलत अमन है पूछ अपने बेटे से क्या कर के आया है और क्यों मार खा के आया है ये पूछ इससे

रमन , ललिता , मालती , अमन और निधि सभी हैरान हो गए संध्या की बात सुन के खास कर रमन उसे कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे क्या ना करे..

रमन – (संध्या को उलझाने के लिए बोला) लगता है भाभी आज भी तुम उस लौंडे से मिल के आ रही हो इसीलिए ऐसी बहकी बहकी बाते कर रही हो हमसे जब से वो आया है इस गांव में तब से आपके साथ खेल रहा है वो भाभी आप सा...

संध्या – (बीच में बात को काट के) अपनी ये फिजूल की बात मत कर मुझसे रमन तुझे जो कहा है करने को उसको करने के बजाय मुझे उलझाने में लगा है तू लगता है अब तेरे बस का कुछ नही रहा है रमन

इस बातो से रमन की अच्छे से जल गई आज उसका दाव उसके ऊपर चल गया इन सब बात के बाद संध्या ने अमन को बोला...

संध्या – (अमन से गुस्से में) सच सच बता क्या हुआ था कॉलेज में अगर झूठ बोला मुझसे तो अंजाम।तू सोच भी नही सकता क्या होगा

अमन – (डरते हुए) म...म...मैने कुछ नही किया बड़ी....

इसके बाद एक खीच के मारा संध्या से अमन के गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या –(पूरे गुस्से में) कहा था ना मैने तुझे झूठ बोला तो अंजाम क्या होगा तुझे समझ में नहीं आई ना बात मेरी अब सीधे सीधे बोल क्या हुआ था कॉलेज में

अमन – (डरते हुए गाल में हाथ रख के) वो नया लड़का पायल को छेड़ रहा....

एक और पड़ा अमन के दूसरे गाल में चाटा CCCCCHHHHHAAAATTTTAAAAAKKKKK

संध्या – (गुस्से में) क्या बोला फिर से बोल एक बार तू

अमन – (रोते हुए) उस नए लौंडे के लिए आप मुझे चाटा मार रहे हो

संध्या – (मुस्कुराते हुए) दर्द हो रहा है तकलीफ हो रही है ना तुझे , बिल्कुल ऐसा ही दर्द अभय को भी होता था जब तेरी झूठी बातो में आके मैं उसपे हाथ उठाती थी लेकिन जितना भी हाथ उठाती ना तो वो उफ करता और ना ही कभी टोकता था मुझे जनता है क्यों करता था वो ऐसा , (रोते हुए) वो प्यार करता था मुझे गलती ना होते हुए भी चुप रहता पलट के कभी नही बोलता और एक तू है सिर्फ दो चाटे में सवाल कर रहा है मुझसे वाह बेटा
संध्या की इस बात पे सब हैरान और आखें फाड़े संध्या को देखे जा रहे थे...

संध्या – (अपने आसू पोंछ अमन से बोली) मैने तुझे माना किया था ना कि पायल के आस पास भी मत जाना तू लेकिन तुझे शायद मेरी ये बात भी समझ नही आई थी इसीलिए आज तेरी वो हालत हुई अब ध्यान से सुन मेरी बात और अपनी बाइक की चाबी मुझे दे क्योंकि अब से तू पैदल ही कॉलेज जाएगा रोज और अगर तेरी तबीयत खराब हुई , या सिर में दर्द हुआ या कोई भी बहाना किया तो तेरा कॉलेज जाना भी बंद फिर तू जाएगा खेतो में मजदूरों के साथ खेती करने समझ आ गई बात

इतना बोल के संध्या सीडियो पे चढ़ते हुए कमरे में जाने लगी....संध्या के जाते ही रमन और ललिता भी पीछे पीछे जाने लगे संध्या के कमरे में जबकि हाल में मालती , अमन और निधि खड़े थे

मालती –(अमन और निधि से बोली) चल जा अपने कमरे में आराम कर दोनो ओर अमन तुझे समझाया था ना फिर भी अपनी हरकत से बाज नहीं आया तू अब कर बड़ी मां ये ले दो बड़ी मां वो ले दो देख अब तुझे क्या क्या लेके देती है तेरी बड़ी मां जो है वो भी छीन लिया आज तुझसे

बोल के मालती निकल गई कमरे में इसके जाते ही अमन और निधि भी चले गए कमरे में जबकि संध्या के कमरे में...

संध्या – (रमन और ललिता को कमरे में देख के) अब क्या बात है कुछ बोलना रह गया है तुम दोनो को

ललिता – दीदी आखिर आप इस तरह से ये सब क्यों की रहे हो अपनो के साथ

संध्या – (हस्ते हुए) मैं अपनो के लिए ही तो कर रही थी 10 साल पहले , क्या मिला मुझे उसका सिला बता ललिता , तुम दोनो का घर बसा रहे इसीलिए मदद कर रही थी तुम दोनो की उसका क्या इनाम मिला मुझे एक बदचलन मां का खिताब दिया गया मुझे मेरे बेटे से , बहुत बड़ी किमीत चुकाई है मैने ललिता सिर्फ तुम दोनो की मदद करने में चाह के भी किसी को बता भी नही सकती ये बात , (थोड़ी देर चुप रहने के बाद बोली) मुझे जो करना है मै वो करूगी अच्छा रहेगा मेरे बीच में मत आना कोई भी अब मैं किसी की नही सुनने वाली हू जाओ तुम दोनो अपने कमरे में अकेला छोड़ दो मुझे।

बेचारा रमन किसी बहाने से समझने आया था संध्या को लेकिन आज किस्मत उसकी खराब निकली बेचारी ललिता भी कुछ न बोल पाई इस सब में...दोनो अपने कमरे में चले गए जाते ही रमन बोला..

रमन –(गुस्से में) इस औरत का दिमाग बहुत ज्यादा ही खराब हो गया है उस लौंडे की वजह से आज ये पूरी तरह से हाथ से निकल चुकी है मेरे अगर ऐसा ही रहा तो मेरा सारा प्लान चौपट हो जाएगा

ललिता जो इतने देर से रमन की बात सुन रही थी हस्ते हुए बोली...

ललिता – (हस्ते हुए) बहुत शौक था ना तुझे आग से खेलने का देख ले मैने पहले ही कहा था तुझे बुरे का अंजाम बुरा ही होता है अब तू चाह के भी कुछ नही कर सकता है तूने दीदी को इतने वक्त तक जिस अंधेरे में रखा था वो वहा से आजाद हो गई है अब तो मुझे भी यकीन हो गया है वो लड़का कोई और नहीं अभय है जो वापस आगया है अपना हिसाब लेने सबसे इसीलिए दीदी की नही अपनी सोच

रमन – (गुस्से में ललिता का गला दबा के) मैने कभी हारना सीखा नही है समझी तू अच्छे तरीके से जनता हू कैसे उस औरत को बॉटल में उतरना है और....

ललित – (रमन की बात सुन हसने लगी जोर से) बोतल में अब तू उतरे गा रमन तू अभी तक नही समझ पाया बात को क्योंकि तू लालच में अंधा होके तूने एक मां को उसके बेटे के खिलाफ जो किया था देख आज वो सब कुछ साफ हो गया है दीदी की नजरो में वो भी जान चुकी है कितना बड़ा खेल खेला गया है उसके साथ तू शुक्र मना इस बात का अभी तो वो कुछ भी नही जानी है बात जिस दिन वो जान गई असलीयत के बारे में उस दिन तेरी हस्ती मिट जाएगी इस हवेली से हमेशा हमेशा के लिए रमन ठाकुर

रमन – (हस्ते हुए) उससे पहले मैं उस लौंडे को नामो निशान मिटा डालूगा इस गांव से जिसके वजह से ये सब हो रहा है

इतना बोला के रमन ने अपना मोबाइल निकाल के मुनीम को कॉल करने लगा लेकिन कॉल रिसीव नहीं हुआ...

रमन –(गुस्से में) ये साला मुनीम कहा मर गया मेरा फोन भी नही उठा रहा है , इसे मैने हैजा था उस लौंडे को मरवाने के लिए अब..

ललिता – (हस्ते हुए) अब तेरा मोहरा भी गायब हो गया लगता है , शायद तूने ध्यान नही दिया तेरा बेटा मार खा के आया है कॉलेज में ऐसे में अगर मुनीम वहा गया होगा तो सोच क्या हुआ होगा उसका...

रमन – (ललिता की बात सुन सोच में पड़ गया फिर उसने फोन मिलाया पुलिस स्टेशन में) हेलो कामरान क्या हुआ इस लौंडे का

कामरान – ठाकुर साहेब ये आपने किस लौंडे से उलझ गए हो जानते हो आज किस्मत अच्छी थी मेरी जो बच गया मैं वर्ना मेरा वर्दी चली जाती

रमन – (हैरानी से) क्या मतलब है तेरा ऐसा क्या हो गया

कामरान – ठाकुर साहब वो लौंडा कोई मामूली लौंडा नही बल्कि डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है
फिर उसने वो सारी बात बताई जो हुआ पुलिस स्टेशन में जिसे सुनते ही ए सी की इतनी ठडक में भी रमन के सिर से पसीने आने लगे बोला.....

रमन – (हैरानी से) ये क्या बोल रहा है तू कही कोई कहानी तो नही सुना दी उसने तुझे

कामरान – पहले मैं भी यह समझ रहा था ठाकुर साहब लेकिन यह सच है अच्छा होगा आप इससे दूर रहे और मुझे इन सब में मत घसीटे
बोल के बिना रमन की बात सुना कामरान ने कॉल कट कर दिया..

रमन – हेलो हेलो

ललिता –(हैरानी से) क्या हुआ

रमन – वो लौंडा डी आई जी शालिनी सिन्हा का बेटा है लेकिन ये बात समझ नही आई डी आई जी का बेटा यह गांव में पड़ने क्यों आया है

ये दोनो इस बात से अनजान की कोई इन दोनो की बात को काफी देर से कमरे के बाहर खड़ा होके सुन रहा है इन दोनो की बात सुन कर वो शक्स हवेली से बाहर आके किसी को कॉल करता है

शक्स – हा मैं हू गांव में पड़ने एक नया लड़का आया है शहर से उसके बारे में पता लगाना है जरा पता करो कॉन है वो लड़का

सामने से – अचनक से कॉलेज के एक लड़के में इतना इंट्रेस्ट कैसे

शक्स – क्योंकि मुझे यकीन है ये लड़का संध्या का बेटा अभय ठाकुर है

सामने से – (बात सुन के) तेरा दिमाग कही खराब तो नही हो गया मुर्दे कब से जिंदा होने लगे है

शक्स – तुम्हे सच में यकीन है की अभय की मौत जंगल में हुए थी अपनी आखों के सामने मरते देखा था तुमने उसे।

सामने से – मानता हूं एसा कुछ नही देखा था मैंने लेकिन तुम कैसे कह सकती हो की ये लड़का ही अभय है

शक्स – क्यों की अभी अभी मुझे पता चला है ये लड़का अपने आप को डी आई जी का बेटा बता रहा है

सामने से – क्या ये कैसे हो सकता है उसका कोई बेटा नही है सिर्फ एक बेटी है उसे

शक्स – इसीलिए पता लगाने को बोला तुझे और जरा सावधानी से उस लड़के ने आते ही ठकुराइन को हिला डाला है पुरी तरीके से

सामने से – और अगर ये सच में अभय ही हुआ तो सोचा है फिर क्या होगा

शख्स – (मुस्कुराते हुए) होना क्या है वही होगा इसका जो इसके दादा का हुआ था और इसके बाप का हुआ था मरते दम तक नही जान पाए थे वो दोनो अपनी मौत का कारण

सामने से – ठीक है मैं आज ही उसकी जन्म कुंडली निकलवाने के लिए भेजता हू किसी को

इस तरफ संध्या के कमरे में जब रमन और ललिता चले गए तब संध्या ने चांदनी को कॉल मिलाया....इस वक्त चांदनी , सायरा खाना खा रही थी अभय के साथ टीबीआई चांदनी का फोन रिंग हुआ..

चांदनी – (फोन में नंबर देख के रिसाव किया) हेलो

संध्या – चांदनी मैं बोल रही हूं संध्या

चांदनी – (बिना नाम लिए) जी पहचान गई मैं बताए कैसे याद किया कोई काम था

संध्या – नही चांदनी बस वो...वो...अभय कैसा है तुम्हारे साथ है क्या

चांदनी – (अभय को देख मुस्कुरा के) जी

संध्या – प्लीज मेरा नाम मत लेना कही नाराज न हो जाय मेरा नाम सुन के

चांदनी – जी आप बेफिक्र रहिए

संध्या – कैसा है वो

चांदनी – (अभय को देख के) अच्छा है अभी खाना खा रहे है हमलोग

संध्या – (बस चुप रही)

चांदनी – (आवाज ना आने पर बोली) आज आप फ्री है आपसे मिल के कुछ बात करनी है

संध्या – हा जब तुम बोलो जहा बोलो मैं आजाऊगी

चांदनी – ठीक है मैं आपको कॉल करूगी जल्द ही

संध्या – ठीक है मैं इंतजार करूगी
कॉल कट करते ही चांदनी ने अभय से बोला...

चांदनी – तू कल क्या कर रहा है

अभय – कुछ खास नही दीदी कल संडे है बस जाऊंगा अपने दोस्तो से मिलने

चांदनी – कहा पर

अभय – हम दोस्तो का अड्डा है वही जाऊंगा मिलने उनसे , क्यों कुछ काम है आपको

चांदनी – नही मैं खाना खा के सायरा के साथ काम से जा रही हू फिर शाम को हवेली जाऊंगी आराम करने

अभय – रात का खाना मेरे साथ

चांदनी – आज नही आज मुझे हवेली में मिलना है ठकुराइन से यू ही के साथ खाना है मेरा

अभय – वहा पर खाना भी उसके साथ ठीक है

चांदनी – (मुस्कुरा के) तू चिंता मत कर रोज मिलोगे तेरे से कॉलेज में चल अब मुस्कुरा दे ज्यादा सोचने लगता है तू

दोनो भाई बहन मुस्कुरा के खाना खाते है फिर चांदनी निकल जाती है सायरा के साथ उसके जाते ही अभय भी त्यार होके निकल जाता है राज से मिलने.....

अब थोड़ा सा पीछे चलते है जब कॉलेज के गेट में संध्या आए थी तब अभय ने राज को बाद में मिलने का बोल के भेज दिया था और राज , लल्ला और राजू निकल गए थे अपने घर की तरफ तभी रास्ते में...

राजू – (राज से) राज क्या लगता है तुझे वो खंडर वाली बात जो अभय ने बोली

राज – यार अभय की बात सुन के शक तो मुझे भी होने लगा है हो न हो कुछ तो चल रहा है वहा पर

लल्ला – तो भाई इसका पता कैसे लगाया जाय दिन में हम जा नही सकते रात को कैसे निकलेंगे घर से क्या बहाना बना के

राज – वहा मैं भी सोच रहा हू (राजू की तरफ देख के) एक बात बता राजू तो तू पूरे गांव की खबर रखता है क्या तूने कभी सुना उस खंडर के बारे में बात करते हुए किसी को कभी भी

राजू – यार गांव में तू जानता है उसके बारे में कोई बात नही करता है (कुछ सोच के) लेकिन मैने ये खंडर वाली बात कही सुनी थी यार

राज और लल्ला एक साथ – क्या कब कहा किस्से सुनी तूने

राजू – यार ये तो याद नही क्या बात हो रही थी लेकिन सरपंच बात कर रहा था किसी से खंडर के लिए

राज और लल्ला एक साथ – क्या सरपंच

राजू – हा यार सरपंच ही कर रहा था बात

राज – समझ में नहीं आ रहा मुझे वो तो ठाकुर संपत्ति है उसके बारे में सरपंच क्यों बात करने लगा

राजू – अबे तुझे नही मालूम वो हरामी सरपंच उस रमन का चमचा है देखा नही था गांव वाले जमीन के लिए सरपंच के आगे गिड़गिड़ा रहे थे तब रमन ठाकुर के साथ कैसे सरपंच हस हस के साथ दे रहा था ये तो अच्छा हुआ अपना अभय आगया और सभी गांव वालो को उनकी जमीन वापस मिल गई

लल्ला – यार बात तेरी सही है लेकिन फिर भी एक शंका है अगर अभय सही है वो खंडर श्रापित जैसा कुछ नही है तो बनवारी चाचा का बेटे बावली हालत कैसे हुई होगी

राज – अब तो ये सारा माजरा खंडर में जाके ही पता चलेगा , राजू एक काम तू अब से अपने कान की तरह आखें भी खुली रख क्या पता सुनने के साथ देखने को मिल जाय कुछ बात और तुम दोनो अपने मोबाइल भी चालू रखना समझे गेम मत खेलते रहना पता चले हम तुझे कॉल करे साला तुम दोनो का मोबाइल बंद हों मैं अभय से मिल के बात करूंगा इस बारे में आज

इस समय शाम होने को थी अभय हॉस्टल से निकल के राज को कॉल करता है उसे आम के बगीचे में मिलने के लिए बुलाता है....

अभय आम के बगीचे में आके टहलता है तभी उसकी नज़र बगीचे के बने कमर में जाती है उसे गुस्से में कमरे को घूर के देखता है मानो जैसे उसका बस ना चले इस कमरे को आग लगा दे इससे पहले अभय कुछ करता या सोचता तभी किसी ने पीछे से अभय के कंधे पर हाथ रखा...

अभय – (पीछे पलट के देखते है तो पता है को राज है वो) अरे राज आगया तू

राज – ऐसा कैसे हो सकता है तू बुलाए मैं ना आऊ, देख रहा था तू गुस्से में देख रहा था उस कमरे को क्या बात है अभय कोई बात है क्या

अभय – (उस कमरे को देखते हुए) हा एक पुराना जख्म आज ताजा हो गया इसे देख के यार

राज – क्या बात है अभय बता मुझे

अभय – है बात भाई लेकिन तुझे देख के अब मन शांत हो गया मेरा

राज – (अभय की बात को गौर से सुन कर) चल फिर मेरी साइकिल से चलते है नदी के किनारे वहा हम दोनो के इलावा कोई नही होगा फिर बात करते है

राज और अभय निकल गए नदी के किनारे वहा आते ही एक जग बैठ गए दोनो फिर राज बोला...

राज – हा तो अब बता जरा तू क्यों भाग गया था और कहा था अब तक

अभय – सब आज ही जानना है

राज – बिल्कुल आज और अभी चल बता

अभय – (मुस्कुरा के) चल ठीक है तो सुन......
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जारी रहेगा✍️✍️
Awesome update,
Ramiya bhi undercover officer nikli Chandni ki bheji huyi, aur abhay ne apne sharp mind se phle hi samjh liya tha is bat ko,
Chandani apne ek maksad se gav aayi hai Sandhya ko lekr shayad uske sasur pati ki mout aur bete ke gayab hone ko lekr aur purane khandhar me ho rhi gatividhi ke maddenajaar,
Kahani me Sandhya ke alawa bhi bahut sauspance ho gaye hai
Udhar Sandhya ne sabki class laga rakhi hai haweli me,
Aman ko do thappad laga kr shayad Sandhya apne karmo ka paryshchit krna chah rahi hai lekin kar nhi pa rhi uski usi samay sab kabul name ke karan Aman ke parti uska payar hi samne aaya
Raman ko warning bhi bahut kuchh kah rhi hai bite huye aur aane wale kal ki kahani
Sandhya ke raman ko kahna ki usne uske priwar ko bachane ke liye badchalani ma ka khitab pa liya ye ek alag hi siyapa hai uska ab
Aisa kya hai jisse Raman ke sath sambandh banake wo unka priwar bacha rahi thi,
Last me wo ladies malti lag rahi hai jo apna ek alag hi sajis rach rahi hai aur khud ka hath bta rhi hai abhay ke dada aur bap ki mout ke pichhe ,
Abhi abhay ke sab kahani bhi use malum hai
Sab taraf mohare baitha diye gaye hai
Shah aur mat ka game shuru hai ab koun kisko mat deta hai dekhna hoga
 
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