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I know devil bhaiChill Karo bhai sab apne hai yaha per dil pe mat lo baat
Lagta hai tum coments padh kar niraas ho gaye mitraBhai kuch jyada hi expect Kar Liya main ne sayad
Dekhna kya hai bhai chutiyon ka kam hai story pe comments karna
Ham ko toh patching nahi tha story pe comments Dene sa tejsvi banter Hai , mujhe jarurat bhi nahi hai bhai and ki ,,,jhelne ka sawal hi nahi utha kyonki mujhe jo story acchi lagti hai main vo hi padhta hu aur comments bhi.
bhai writer ko padhne do aap ko badhne ki kya zarurat hai bhai , writer ko jawab Dena hai ki nahi wo writer jane
Aapne ko jo sahi comment lage ush pe reply do
sahi kaha bhai writer ko chutiya review Dena bekar hai
Mast update tha broUPDATE 47
पायल –(गुस्से में) तू अपने आप को समझता क्या है इतना सब हो गया एक बार भी मुझे बताना जरूरी नहीं समझा तूने....
राज –मेरी बात तो सुन यार....
पायल –नहीं सुन्नी बात तेरी मुझे बोलता है तू मेरी बहन और दोस्त दोनो है और मुझी से बात छुपाता है तू....
राज – (हाथ जोड़ के) माफ कर दे यार गलती हो गई मेरे से....
पायल –(अपने हाथ जोड़ के) तू क्यों हाथ जोड़ता है माफ तू मुझे कर दे गलती मेरी थी तेरे इतना सब करने के बाद भी मैं तेरे पास आ गई तेरा हाल जानने....
राज – अरे मेरी मां प्लीज बात को समझ यार मेरी आंखों में पट्टी थी देख तभी तो चश्मा लगाए हुआ हूँ धूप में डॉक्टर ने बोला है यार और वैसे भी गुस्सा करना ही तुझे तो इस अभय पर कर पट्टी मेरी आंख में थी लेकिन ये तो बता सकता था तुझे पूछ इसने क्यों नहीं बताया तुझे....
राज की बात सुन पायल को अभय का ध्यान आया....
पायल –(गुस्से में अभय से) इससे मै कभी बता नहीं करूंगी तेरे से ज्यादा इसकी गलती है....
अभय –(चौक के) AAAAAYYYYYEEEEEE पायल मेरी बात तो सुन ले प्लीज....
पायल –(गुस्से में) भाड़ में जा तू , पहले भी तू बिना बताए चला गया था और इस बार तो तुम सब ने मुझे बताना जरूरी नहीं समझा और सही भी है क्यों बताओगे मुझे लगती क्या हूँ मै तुम सबकी (नीलम से) चल नीलम कोई मतलब नहीं इस चारो से अपना आज से....
बोल के गुस्से में पायल हाथ पकड़ के नीलम को लेके चली गई क्लास में जबकि अभय , राज , लल्ला और राजू ये चारो मू खोले खड़े रह गए....
अभय –(पायल को जाता देख गुस्से में) किसके पेट में दर्द हो रहा था जिसने पायल के सामने सब कुछ बोल दिया बे....
लल्ला – माफ करना यार मुझे मालूम नहीं था कि पायल को इन हादसों के बारे में तुम लोगो ने कुछ नहीं बताया है अभी तक....
राज –(गुस्से में) अबे गधा प्रसाद ये क्या किया तुने बे अबे लौड़ेचंद बोलने से पहले हमसे पता तो कर लिया होता तेरे चक्कर में कितना कुछ सुना के चली गई पायल....
राजू – (गुस्से में) अबे तुम लोगो का समझ में आता है इसमें मेरी क्या गलती थी जो अपने साथ नीलम को लेके चली गई पायल....
अभय – (अपने सिर में हाथ रख के) ये क्या मुसीबत मिल गई यार कैसे मनाऊं उसे....
राजू – भाई तुझे जो करना है कर लेकिन कुछ तो कर दे यार तेरे चक्कर में नीलम को भी मिलने नहीं देगी पायल मेरे से....
अभय – अबे यहां मेरी मुसीबत का हल नहीं निकल रहा अब तेरी मुसीबत का हल कहा से लाऊं मै....
लल्ला – अगर तुम लोग बोलो तो मैं जाके बात करू पायल से....
राज – चुप बे तू तो अपनी चोंच बंद रख सब तेरी वजह से हुआ है बे....
अभय – छोड़ यार चल चले क्लास में....
लल्ला –(बीच में तीनों से) अबे वो देख....
लल्ला की बात सुन राजू , राज और अभय ने पलट के देखा वहां पर पूनम थी जो अमन से बात कर रही थी दूर से देख रहे थे चारो दोनो बात कर रहे थे साथ ही साथ पूनम रो रही थी अमन के सामने लेकिन अमन अजीब तरह से बात कर रहा था जिसके बाद अमन निकल गया वहां से पूनम को अकेला रोता छोड़ के चलते चलते अमन चारो के बगल से निकल के क्लास में चला गया जिसके बाद....
राजू – ये पूनम और अमन में ऐसी क्या बात हो गई जिस वजह से पूनम रोने लगी....
राज – जाने दे यार अपने को क्या चल चलते है क्लास में....
बोल के चारो क्लास में चले गए जहां पर आज पायल और नीलम कोने में अलग बैठे थे उसके आस पास की जगह खाली नहीं थी मजबूरन चारो अलग जगह बैठ गए टीचर आए क्लास चलती रही इंटरवल होते ही सब बाहर निकल गए क्लास से बाहर निकले ही थे तभी कॉलेज का पिऊन तेजी से बाहर जाने लगा जिसे देख....
राज –(पिऊन से) अरे चाचा क्या बात है इतनी जल्दी में कहा भागे जा रहे हो....
पिऊन – गजब हो गया राज वो पूनम बिटिया पास के बने कुवै में कूद गई....
राज – (चौक के) क्या लेकिन क्यों चाचा क्या बात है....
पिऊन – पता नहीं राज बेटा ये तो अच्छा हुआ कि तेरे बाबा ने देख लिया और तुरंत कुवै में कूद के पूनम बिटिया को बचा लिया अस्पताल ले गए उसे....
चारो दोस्त खड़े पिऊन की कही बात सुन रहे थे जिसके बाद पिऊन चला गया प्रिंसिपल के ऑफिस में....
अभय – चल देखते है क्या बात है पता तो चले....
ये चारो निकल गए अस्पताल की तरफ इनके पीछे कुछ और भी लोग थे जो बाते सुन रहे थे वो भी अस्पताल की तरफ निकल पड़े अस्पताल आते ही देख पूनम बेड में लेती है बगल में सत्या बाबू और डॉक्टर खड़े बाते कर रहे थे....
डॉक्टर – (सत्या बाबू से) अब ये ठीक है आप चाहे थोड़ी देर बाद घर ले जा सकते है इसे....
सत्या बाबू –(हाथ जोड़ के) जी धन्यवाद डॉक्टर साहेब....
बोल के डॉक्टर चला गया....
सत्या बाबू –(पूनम के सिर में हाथ फेर के) क्या बात है बेटी इस तरह अचानक तूने ये कदम क्यों उठाया....
पूनम –(रोते हुए) 2 दिन से मां की तबियत बहुत खराब है बाबा इलाज के लिए पैसे नहीं है हमारे पास मैने ठाकुर साहब से भी मदद मांगी लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की कॉलेज में दोस्तो ने भी मना कर दिया मदद करने से क्या करती बाबा डॉक्टर ने बोला इलाज नहीं हुआ तो मां मर जाएगी....
सत्या बाबू – बेटा कम से कम हमे बता देती गांव वाले सब अपने है बेटा खेर कोई बात नहीं तू घर चल मै देखता हु तू बिल्कुल भी परेशान मत हो कुछ नहीं होगा तेरी मां को....
अस्पताल के कमरे के बाहर खड़े सारी बातें सुन रहे थे चारो दोस्त और बकी के लोग भी फिर वहा से निकल आए सब कॉलेज की तरफ जहा क्लास शुरू हो गई थी कॉलेज खत्म होते ही सब बाहर खड़े आपस में बात कर रहे थे....
राज – बहुत बड़ी गलती कर दी यार उसी वक्त पूनम से बात कर लेते तो ये सब ना होता....
अभय – एक बात समझ में नहीं आई पूनम ने बोला वो मदद मांगने गई थी ठाकुर से उसने मना क्यों किया और कॉलेज में भी मदद मांगी उसने अमन से और उसने भी....
राजू – दोनो बाप बेटे मतलबी है एक नंबर के....
तभी अभय की नजर पड़ी पायल की दोस्त नूर पे तुरंत उसके पास जाके....
अभय –(नूर से) नूर....
नूर–(अभय को देख) हा क्या बात है....
अभय –पायल कहा है....
नूर –घर चली गई आज जल्दी (मुस्कुरा के) कोई काम था क्या....
अभय – हा यार बात करनी थी बहुत नाराज है मेरे से प्लीज मदद करदे ना....
नूर –(मुस्कुरा के) बदले में मुझे क्या मिलेगा....
अभय – तू जो बोल दे दूंगा प्लीज मदद करदे यार....
नूर –ठीक है शाम को बगीचे में टहलने जाने वाले है हम लोग वही आ जाना बात करने....
अभय – ठीक है शुक्रिया....
नूर – अभी से शुक्रिया किस लिए पहले तेरा काम हो जाए फिर....
अभय – ठीक है....
बोल के दोनो निकल गए अपने अपने घर की तरफ अभय हवेली में आते ही हॉल में संध्या और चांदनी को अपने सामने पाया....
संध्या –(अभय को देख ललिता को आवाज दे के) ललिता....
ललिता – हा दीदी....
संध्या – पानी तो लादे अभय के लिए....
ललिता –(मुस्कुरा के) अभी लाई दीदी (अभय से) लल्ला तू बैठ मै पानी लाती हु....
अभय – आप परेशान मत होइए मैं....
ललिता –(अभय के गाल पे हाथ फेर के) इसमें परेशानी कैसी तू बैठ मै अभी पानी लाती हु....
बोल के ललिता चली गई पानी लेने....
चांदनी – कैसा रहा आज कॉलेज का दिन....
अभय – अच्छा था दीदी....
ललिता –(पानी देते हुए अभय को) लल्ला मैने सुन आज कुछ हुआ था कॉलेज में....
संध्या – (हैरानी से) क्या हुआ था कॉलेज में....
अभय – वो सरपंच की बेटी पूनम ने आत्महत्या करने की कोशिश की....
संध्या और ललिता एक साथ –(हैरानी से) क्या....
चांदनी – लेकिन बात क्या थी....
अभय – उसकी मां की तबियत खराब है काफी इलाज के लिए पैसे नहीं थे इसीलिए खेर अब ठीक है वो सत्या बाबा ने उसे अस्पताल में इलाज करवाया और ले गए उसे अपने साथ....
अभय की बात सुन संध्या ने तुरंत ही गीता देवी को कॉल लगाया....
संध्या – दीदी आप कहा हो....
गीता देवी –(कॉल पर) अभी अस्पताल में हूँ उर्मिला को लेके आई हूँ....
संध्या – अब कैसी है उर्मिला....
गीता देवी – डॉक्टर इलाज कर रहा है उसका....
संध्या – दीदी डॉक्टर से मेरी बात हो सकती है अभी....
गीता देवी – हा रुक मै बात कराती हु तेरी....
बोल के डॉक्टर को अपना फोन देके....
डॉक्टर – प्रणाम ठकुराइन....
संध्या – प्रणाम डॉक्टर साहब अब कैसी है उर्मिला....
डॉक्टर – इन्फेक्शन हो गया है उसे काफी इलाज चल रहा है अभी.....
संध्या – आप उसका इलाज करिए पैसे की चिंता मत करिएगा वो मैं देख लूंगी बस उसे जल्दी ठीक कर दीजिए....
डॉक्टर – जी ठकुराइन मै देख लूंगा....
बोल के कॉल कट कर दिया....
ललिता – क्या कहा डॉक्टर ने दीदी....
संध्या –(सारी बात बता के) जल्दी ठीक हो जाएगी उर्मिला....
ललिता – बेचारी का पति भी चला गया दोनो मां बेटी जाने किस हाल में होगे....
संध्या – कोई बात नहीं उर्मिला ठीक हो जाय फिर कोई दिक्कत नहीं होगी उन्हें घर खर्च के लिए....
अभय –(इतने देर से सभी की बात सुन रहा था) पूनम , रमन के पास मदद के लिए गई थी लेकिन उसने मना कर दिया मदद के लिए और आज कॉलेज में अमन ने भी मना किया पूनम को मदद के लिए....
संध्या –(अभय की बात सुन गुस्से में) आने दो दोनो को हवेली बात करती हूँ उनसे आज....
मालती –(किचेन से बाहर आते हुए अभय को देख) तू आ गया जाके फ्रेश होजा खाना तैयार है साथ में खाते है सब....
अभय – (चांदनी से) दीदी मां कहा है आई नहीं अब तक....
चांदनी –मां थाने में है कुछ अफसर आए हुए है शहर से रात में आ जाएगी....
तभी शनाया भी आ गई कॉलेज से....
शनाया – आज देर हो गई कॉलेज में काफी काम था....
संध्या – कोई बात नहीं जाके फ्रेश होले खाना तैयार है साथ में खाते है....
बोल के अभय और शनाया अपने कमरे में चले गए तयार होके सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त रमन और अमन हवेली में आ गए तभी....
संध्या – (रमन से) कहा थे आज तुम....
रमन – भाभी खेती देखने गया था मैं....
संध्या – गांव में क्या हुआ पता है तुम्हे कुछ....
रमन – हा भाभी पता चला उर्मिला के बारे में बेचारी का पति चल गया इसी दुख में शायद....
संध्या –(बीच में बात काट के अमन से) और तू कहा था....
अमन – ताई मा मै कॉलेज में था....
संध्या –(रमन और अमन दोनो से) पूनम मदद मांगने आई थी तुम दोनों के पास अपनी मां के लिए तब कहा थे तुम....
रमन – (हड़बड़ा के) वो....भाभी....मै....वो....
संध्या – (गुस्से) क्या मै वो क्या बोलना चाहते हो सीधे सीधे बोलो तुम दोनो ने क्यों नहीं मदद की पूनम की बताया था न उसने तुम दोनो को उर्मिला के लिए....
अमन – ताई मां मै कॉलेज में था कैसे करता मदद उसकी....
संध्या –(गुस्से में) मदद कैसे करता या तूने साफ माना कर दिया मदद के लिए (रमन से) और तुमने भी रमन क्यों किस लिए क्या इसीलिए तुमने जिम्मेदारी ली थी गांव वालो की जिसे इस तरह निभा रहे हो तुम....
रमन – वो बच्ची है मुझे लगा झूठ....
संध्या –(गुस्से में) तुमसे अब यही उम्मीद की जा सकती है रमन (अमन से) और तू कॉलेज का बहाना बना रहा है मेरे से और अपने आप को ठाकुर बोलता है इस तरह करते है हम ठाकुर अपने ही गांव के लोगों के संग (किसी को कॉल मिला के) हेल्लो राज....
राज – जी ठकुराइन....
संध्या – राज शाम को तुम राजू और लल्ला हवेली आना गीता दीदी के साथ कुछ बात करनी है....
राज – जी ठकुराइन हम आजाएंगे....
बोल के कॉल कट कर दिया....
अभय – सब को किस लिए बुलाया....
संध्या – गांव जो भी चल रहा है इसीलिए....
मालती – दीदी गीता दीदी का समझ आया लेकिन राज , राजू और लल्ला को किस लिए....
संध्या – वो शाम को पता चल जाएगा तुम सबको....
मालती – हम्ममम....
ललिता – ठीक है दीदी चलिए अब आराम करिए आप की दवा का वक्त हो गया है (रमन और अमन से) बैठो खाना खा लो दोनो जल्दी से....
बोलके दोनो बैठ गए खाना खाने जबकि अभय दोनो को देख हल्का मुस्कुरा के संध्या को गोद में लेके सीढ़ियों से कमरे में जाने लगा साथ में चांदनी भी सीढ़ियां चढ़ते वक्त संध्या सिर्फ अभय को देख रही थी....
संध्या –(मन में – एक वो वक्त था जब तुझे अपनी गोद में लेके पूरी हवेली घूमा करती थी मेरी गोद से एक पल के लिए भी तुझे उतार देती तो रोने लगता था आज तेरी गोद में खुद को पाके लगता है बस इसी तरह तेरी गोद में जिंदगी कट जाएं मेरी)....
अपने मन में सोचते सोचते पता नहीं चला कब संध्या का कमरा आ गया अभय ने संध्या को बेड में बैठा के जाने लगा तभी....संध्या –(अभय का हाथ पकड़ के) थोड़ी देर रुक जा....
अभय –(अपना हाथ संध्या के हाथ में देख बगल में बैठ के) कोई काम है....
संध्या – नहीं बस थोड़ी देर बैठ जा मेरे साथ....
चांदनी –(दवा और पानी देके संध्या को) पहले दावा लेलो आप मौसी....
दावा लेके ग्लास साइड में रख.....
अभय –(संध्या से) वो पूनम जो है....
संध्या – हा हा बोल पूनम क्या....
अभय – रमन और उर्मिला का नाजायज संबंध है पूनम कोई और नहीं रमन और उर्मिला की बेटी है....
संध्या –(चौक के) क्या....
अभय –मैने अपनी आखों से देखा और सुना है रमन और उर्मिला को बात करता हुआ....
संध्या –(हैरानी से) लेकिन (कुछ सेकंड चुप रह के) तूने बताया क्यों नहीं मुझे....
अभय – अभी कुछ दिन पहले पता चला है मुझे....
संध्या –(गुस्से में) यकीन नहीं होता मुझे रमन इतना घटिया इंसान निकले गा....
अभय – गांव में खंडर के पास पुलिस को ड्रग्स का कच्चा माल मिला है वो रमन का था साथ ही डिग्री कॉलेज बनवाने के उसका मेन मकसद यही था ताकि डिग्री कॉलेज में अपना ड्रग्स वहां रख सके....
संध्या –(अभय की बात सुन अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान रमन ये सब भी करता था मेरे पीठ पीछे कही कॉलेज बन जाता तो बाबू जी का नाम मिट्टी में मिल जाता....
अभय – साथ ही पुलिस तुझे गिरफ्तार करती....
संध्या –(चौक के) मुझे किस लिए....
अभय – रमन ने तेरे से झूठ बोला था डिग्री कॉलेज उसने दादा के नाम से नहीं कराया था वो तेरे नाम से कराया था उसने....
संध्या –(गुस्से में) रमन भी बाकियों की तरह लालची निकला उसे बाबू जी के नाम की कोई परवाह नहीं सिर्फ अपनी लालच के लिए इस हद तक गिर गया है रमन....
चांदनी –मौसी हॉस्टल में अभय ने ही इसीलिए शंकर और मुनीम को बांध के रखा था जिसके चलते अभय को इन सब के बारे में पता चला है....
संध्या –(चांदनी की बात सुन अभय को देख उसके हाथ में अपना हाथ रख रोते हुए) देखा ना तूने सब प्लीज अभय तू भले जो कर मेरे साथ लेकिन मुझे छोड़ के मत जाना मै अकेली हो गई हु पूरी तरह कोई अपना नहीं मेरा अब तेरे सिवा....
रोते हुए अभय के सीने पर अपना सिर रख दिया जिसके बाद अभय ने हाथ आगे कर संध्या के सर पे रखने जा रहा था लेकिन शायद अपनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था ऐसा करने पर तभी चांदनी ने अभय के कंधे पर अपना हाथ रखा जिसे अभय ने देखा तब चांदनी ने हा में सिर हिला के इशारा किया....
अभय –(संध्या की सिर पर हाथ रख) तू परेशान मत हो मै कही नही जाऊंगा यही रहूंगा सब ठीक कर दूंगा मै....
संध्या –(अभय की बात सुन अपना सिर ऊपर उठा के) तू सच बोल रहा है ना....
अभय –(संध्या के गाल से आंसू साफ कर) हा मै सब संभालूंगा तू आराम कर शाम को मिलता हूं मै....
बोल के अभय चला गया कमरे से बाहर सीधा अपने कमरे में कमरे से बाहर निकल बिना ये देखे कि कोई दरवाजे पर खड़ा इनकी सारी बात सुन रहा है अभय के जाते ही शनाया , मालती और ललिता कमरे में आके....
ललिता –(संध्या के पास आके गले लग के रोते हुए) मुझे माफ कर दो दीदी मुझे नहीं पता था इन सब के बारे में अनजाने में कितना बड़ा पाप कर बैठी मै....
संध्या –(आसू पोछ के) भूल जा ललिता होनी को कोई नहीं बदल सकता है अपने आप को दोष मत दे....
ललिता – कैसे ना दोष दूं दीदी मेरी वजह से अभय आपसे दूर हो गया....
शनाया – (ललिता के कंधे पे हाथ रख के) जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता है ललिता दीदी आज को सही कर सकते है हम.....
ललिता – मै अभय को सारा सच बता दूंगी आज ही....
चांदनी – नहीं आप ऐसा कुछ नहीं करोगे....
ललिता – लेकिन क्यों चांदनी....
चांदनी – यही कोशिश मैने भी की थी लेकिन नतीजा हम देख चुके है इस बारे में मैने मां से भी बात की थी....
संध्या – फिर क्या कहा शालिनी ने....
चांदनी – मां ने कहा अभय को सच को खुद पता करने दो अगर हम इस तरह बीच में आयेगे इससे अभय को यही लगेगा कि ये सब मौसी के कहने पर किया जा रहा है इसीलिए अभय को सच का खुद पता लगाने दो....
ललिता – लेकिन वो कैसे पता लगाएगा.....
चांदनी – (मुस्कुरा के) वो पता लगाएगा नहीं बल्कि पता लगा रहा है काफी हद तक करीब आ गया है सच के अभय....
मालती –(इतनी देर से चुप चाप बाते सुन रही थी सबकी) बस जल्दी से सब ठीक हो जाए हवेली पहले जैसे हूँ जाय यही दुआ है ऊपर वाले से....
इधर ये सब आपस में बात करने में लगे थे उधर अभय अपने कमरे में बेड में लेटा अभी जो हुआ उसके बार में सोच रहा था तभी सोनिया कमरे में आई....
सोनिया – (अभय को बेड में लेटा देख) हेल्लो अभय....
अभय –(सोनिया को देख) अरे आप कोई काम था....
सोनिया – अभय तुमने काम के लिए कहा था लेकिन अब हम हवेली में आगए है तो काम का क्या होगा....
अभय –हा उसके लिए मै भूल गया था एक मिनिट रुको आप....
बोल के अभय किसी को कॉल मिलता है....
अलीता – हा अभय कैसे हो तुम....
अभय – मै ठीक हु अली....सॉरी मेरा मतलब भाभी....
अलीता – (अभय से भाभी सुन आंख से आसू की एक बूंद निकल आई साथ मुस्कुरा के) कोई बात नहीं अभय अच्छा लगा मुझे , बताओ आज कैसे याद किया अपनी भाभी को....
अभय – भाभी आपने कहा था सिक्कों के लिए जब इसे बेचना हो तो आपको बतादूं....
अलीता – हा याद है मुझे....
अभय –भाभी एक सिक्के के कितने मिलेगे पैसे....
अलीता – तुम्हारे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गए....
अभय –(कुछ बोलता तभी उसके मोबाइल में मैसेज आया जिसमें लिखा था SIX HUNDRED CARORE CREDIT जिसे देख चौक के) भाभी ये तो....
अलीता –(मुस्कुरा के) तुमने भाभी बोला ना मुझे इस खुशी मेरी तरफ से मेरे प्यारे देवर के लिए....
अभय –लेकिन भाभी....
अलीता – (बीच में) अपनी भाभी से पैसे लेने में शर्म आ रही है क्या....
अभय –(मुस्कुरा के) नहीं भाभी , THANK YOU SOOO MUCH BHABHI....
अलीता – वेलकम मेरे प्यारे देवर जी , तुम्हे जब भी कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो बस बता देना तुम्हारे भाई और भाभी हाजिर है तुम्हारे लिए हमेशा....
अभय – (मुस्कुर के) जी भाभी....
अलीता – वैसे आज अचानक से क्या करने का सोचा है तुमने....
अभय –भाभी वो सोनिया के काम के लिए कुछ सामान और जगह चाहिए थी इसीलिए मैने सोचा गांव में अस्पताल को और ज्यादा सुविधा मिले गांव वालो को ताकि और डॉक्टर बुला सके इसमें सोनिया बेस्ट रहेगी....
अलीता – बहुत अच्छा सोचा है तुमने अभय मै कुछ लोगो को साथ लेके आऊंगी परसो गांव तुम्हे जो भी जैसा काम करवाना हो उनसे करवा सकते हो....
अभय – जी भाभी....
थोड़ी देर बात करके दोनो ने कॉल कट कर दिया....
अभय –(सोनिया से) परसो भाभी आ रही है गांव आपका काम परसो से शुरू हो जाएगा....
सोनिया –(मुस्कुरा के) ठीक है....
बोल के सोनिया चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही अभय बेड में वापस लेट गया जबकि इन सब से कुछ दूरी पर एक औरत अपने सामने बैठे आदमी से बात कर रही थी....
औरत – मुनीम का समझ में आया लेकिन शंकर को क्यों मारा तुमने....
आदमी – ताकि देखने वाले को लगे ये सब अभय का किया धारा है....
औरत – अभय को हल्के में मत लेना तुम वो पहले जैसा मासूम बच्चा नहीं रहा रमन और शंकर ने कोशिश की थी रस्ते से हटाने की अभय को लेकिन उसका उल्टा हो गया सब....
आदमी – जनता हूँ इसीलिए मुनीम और शंकर को मार के उनके हाथ में पहेली छोड़ के आया हूँ देखते है अभय पहेली को सुलझा के क्या करता है अब....
औरत – (हस्ते हुए) मैने अपना मोहरे का इस्तमाल करना शुरू कर दिया है क्या पता जरूरत पड़ जाए उसकी....
आदमी – आपको लगता है आपका मोहरा किसी काम का है....
औरत – काम का नहीं बहुत काम का है मेरा मोहरा वैसे भी उन लोगो की नजरों में वो किसी काम का नहीं है लेकिन हमारे काम का जरूर है वो....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे जबकि इस तरफ हवेली में दिन में किसी ने आराम नहीं किया था शाम होते ही अमन जल्दी से निकल गया हवेली से बिना किसी की नजर में आए उसे डर था कही आज की बात को लेके संध्या उसकी क्लास फिर से ना लगा दे जब की रमन शाम के वक्त हाल में बैठा हुआ था और इस तरफ....
चांदनी –(अभय के कमरे में आके) अभय....
अभय –(आंख बंद कर बेड में लेटा था चांदनी की आवाज सुन एक दम से बेड से उठ के) हा दीदी कोई काम था....
चांदनी –(मुस्कुरा के) क्या बात है तूने आराम नहीं किया आज....
अभय – नहीं दीदी मै आराम कर रहा था बेड में बस आपकी आवाज सुन उठ गया....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय को गले लगा के) तूने आज बहुत अच्छा काम किया मां होती तो बहुत खुश होती....
अभय – मैने ऐसा कुछ नहीं किया दीदी....
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है चल शाम जो गई है मौसी को नीचे ले चलना है....
अभय – ठीक है दीदी चलो आप मै आता हो हाथ मू धो के....
अभय की बात सुन चांदनी मुस्कुरा के बाहर चली गई संध्या के कमरे में उसके जाते ही अभय थोड़ी देर में संध्या के कमरे में आ गया जहा शनाया , मालती , ललिता और चांदनी पहले से बैठे थे जिन्हें देख....
अभय – आप सब यहां पर....
मालती – हा दीदी के साथ बाते कर रहे थे हम चल तू दीदी को नीचे ले चल मै चाय बनती हु सबके लिए गीता दीदी आती होगी....
बोल के अभय ने संध्या को गोद में उठा के नीचे ले जाने लगा साथ में बाकी सब नीचे आ गए नीचे आते ही सामने देख जहां गीता देवी , राज , राजू और लल्ला हॉल के सोफे में बैठे थे संध्या को अभय की गोद में देख गीता देवी के साथ बाकी तीनों के चेहरे में मुस्कान आ गई....
गीता देवी –(अभय के पास आ सिर हाथ फेर के संध्या से) कैसी है तू....
संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक हूँ दीदी आप कैसे हो....
गीता देवी – तुझे देख के मै भी बहुत खुश हु....
इसके साथ अभय ने संध्या को सोफे में बैठा के राज , राजू और लल्ला के साथ बैठ गया गीता देवी संध्या के साथ बैठ के....
गीता देवी – तूने शाम को अचानक से बुलाया कोई खास बात है क्या....
संध्या – हा दीदी (राज , राजू और लल्ला से) तुम तीनों से एक काम है मुझे....
तीनों साथ में – जी ठकुराइन बताए हम कर देगे काम....
संध्या –(मुस्कुरा के) कल से चांदनी गांव की लिखा पड़ी का काम संभाल रही है और तुम तीनों अपनी पढ़ाई के साथ तुम तीनों को गांव में जो भी जैसा भी चल रहा है खेती से लेके हर छोटे काम की सारी डिटेल देनी होगी मुझे मंजूर है तुम तीनों को....
संध्या की बात सुन राज , राजू और लल्ला तीनों एक दूसरे को देखने लगे जिसे देख....
गीता देवी – एक दूसरे को क्या देख रहे हो अभय भी साथ रहेगा तुम तीनों के चारो की चांडाल चौकड़ी साथ में सम्भल पाओगे या नहीं बस इतना बताओ जल्दी....
राज –(तुरंत ही) तैयार है हम ठकुराइन....
राजू –(मन में – ये कमीने को सिर्फ भाभी दिख रही है बस और खुद तो कूद रहा है कूवे में साथ में हमें भी कहा फंसा दिया ऊपर वाले)....
लल्ला – (मन में – गधा मुझे बोलता है अब देखो खुद कोहलू का बैल बनने जा रहा है गधा कही का)....
अभय – (मन में – वाह बेटा वाह सब समझ रहा हू दीदी के साथ घूमने को मिल रहा है ऐसा मौका कैसे गंवाएगा तू सत्यानाश जाय इसका आज पायल से मिलना था जाने कैसे मनाऊं उसे ये सोच रहा था यहां ये अपना जुगाड बनाने में लगा हुआ है)....
गीता देवी की बात सुन इधर ये तीनों मन ही मन में राज को कोस रहे थे जबकि राज तीनों को उनके नाम लेके बुला रहा था जैसे ही राज ने तीनों के कंधे पर हाथ रखा तीनों एक साथ....
राजू – कमीना....
लल्ला – गधा....
अभय – सत्यानाश....
तीनों ने एक साथ मू से शब्द निकले जिसे बाकी सब सुन के समझ के हसने लगे वही....
राज – (चौक के) क्या बोल रहे तुम तीनों यार....
अभय – (हड़बड़ा के) क्या कहा तूने सुना नहीं यार....
राज – हा यार मैने भी ध्यान नहीं दिया...
लल्ला – मैने भी राज फिर से बोल जरा....
राज – अबे मै बोला कल से तयार रहना ठकुराइन ने काम बताया है उसे करने के लिए....
राजू – यार बात तो सही है लेकिन तू तो जनता है दो दिन बाद मेला शुरू हो रहा है और राम लीला भी शुरू हो रही है तू तो जनता है उसमें मै ओर लल्ला भाग लेते है....
राज – अबे तो राम लीला में रात में जाना होता है तुम दोनो को और रही मेले की बात वहां कौन सा रोज जाते है हम सब (संध्या से) ठकुराइन आप निश्चित रहिए हम चारो सब सम्भल लेगे काम को अच्छे से (हस के चांदनी से) कल से कॉलेज के बाद मै आपके साथ रहूंगा हर वक्त (फिर सबको देख) मेरा मतलब है काम देखेंगे गांव का हम सब....
राज की बात सुन जहां सब अपने मू पे हाथ रख हस रहे थे वही चांदनी हल्का मुस्कुरा के हा में सिर हिला दिया जबकि राजू , अभय और लल्ला घूर के राज को देख रहे थे जिसे देख....
संध्या –(अपनी हसी को कंट्रोल करके) ठीक है कल से गांव के काम की जिम्मेदारी तुम सब की रहेगी वैसे शाम हो गई है अगर तुम लोग घूमने जाना चाहो तो जा सकते हो....
संध्या की बात सुन....
राज –(चांदनी से) आइए चांदनी जी हम दोनों चलते है घूमने गांव....
गीता देवी –(हस्ते हुए) ओए चांदनी कल से जाएगी गांव का काम देखने और घूमने तो तुम चारो जा रहे हो हैं ना....
राज – (मन में – धत तेरे की) वो हा मा मेरा मतलब वही था गलती से चांदनी का नाम ले लिया (अभय , राजू और लल्ला से) चलो चलते है हम लोग....
मालती – (हस्ते हुए) पहले चाय तो पी लो तुम सब फिर जाना....
मालती की बात सुन चारो सबके साथ चाय पी के निकल गए गांव घूमने....
इन चारों के जाते ही रमन गुस्से में अपना मू बना की निकल गया हवेली से बाहर इनके जाते ही हवेली के हाल में हसी गूंज उठी सबकी एक साथ....
संध्या –(चांदनी से) कल से काम पे ध्यान देना सिर्फ समझी....
चांदनी –(शर्मा के सिर नीचे कर) जी मौसी....
ललिता – (हस्ते हुए) जाने दो दीदी छेड़ो मत बेचारी को आप देखो कैसे शर्मा रही है....
ललित की बात पर सब हसने लगे जबकि ये चारो हवेली से बाहर निकलते ही....
अभय –(राज से) अबे कौन से जनम की दुश्मनी का बदला ले रहा है तू हमसे....
राज –(चौक के) क्या बकवास कर रहा है बे....
राजू –(गुस्से में) ये बात तुझे बकवास लग रही है....
राज –(चौक के) अबे अब तुझे क्या हो गया बे....
लल्ला –(राज को अपनी तरफ घूमा के) अबे तुझे चांदनी भाभी के साथ टाइम बिताना है तो बीता हमे क्यों बीच में घसीट रहा है बे....
राज –(बात सुन हस्ते हुए) अबे वो तो काम के लिए बोल हैं ना ठकुराइन ने इसीलिए....
राजू – अच्छा काम अबे ये बता काम करेगा कौन तू तो करने से रहा क्योंकि तू तो बिजी रहेगा भाभी के साथ लेकिन बलि के बकरे हम तीनों जरूर बनेंगे इसमें....
अभय – (राजू की बात सुन) अबे बनेंगे नहीं बना दिया है इसने हमें बकरा बलि का देखना ये खुद दीदी के साथ चिपका रहेगा जोक की तरह सारा काम हमसे करवाएगा....
राज – अबे तुम तीनों मेरी लंका क्यों लगने में लगे हो बे ठकुराइन को बोल सकते थे तुम सब....
राजू –(हस्ते हुए) क्या खाक बोलते हम उससे पहले तूने खड़े होके बोल दिया हम सब काम सम्भल लेगे क्यों भूल गया इतनी जल्दी....
राजू की बात सुन राज हल्का हस अपना सिर खुजा के हंसता रहा....
राजू – (अभय से) अभय मैने बोला था तेरे को एक दिन ये मजनू भाभी के चक्कर में हम तीनों फसाया देख कर दिया इसने....
अभय –अबे मै ये सोच रहा हु पायल को कैसे मनाऊं लेकिन इसने कौन से झमेले में फंसा दिया यार....
राज –(अभय के कंधे पर हाथ रख के) तू चिंता मत कर मैं बात करूंगा पायल से मान जाएगी मेरी बात....
लल्ला – हा हा जैसे सुबह कॉलेज में तेरी बात मानी थी पायल ने उल्टा तेरी बोलती बंद कर दी उसने....
अभय – तुम लोग लगे रहो आपस में मै चला पायल को मनाने कल मिलता हु कॉलेज में....
बोल के अभय चला गया पायल के पास जहां पे पायल , नूर और नीलम बगीचे में घूम रहे थे तभी अभय पायल के पीछे से नूर और नीलम को इशारा करता है ताकि पायल से थोड़ी दूर जाय दोनो जिससे अभय अकेले में बात कर सके पायल से नूर इशारा समझ के पायल को पेड़ के नीचे बैठा के नीलम को एक तरफ चलने का इशारा किया जिससे नीलम जैसे ही निकली वहा से पायल कुछ बोलने को हुई थी तभी....
अभय –(पायल के पास आके) पायल....
पायल – तू यहां पर तुझे कैसे पता चला मै यहां हूँ....
अभय –(मुस्कुरा के) बस पता चल गया....
पायल – क्यों आए हो यहां....
अभय – तेरे से बात करने आया हु....
पायल – मुझे नहीं करनी बात तेरे से....
अभय – (अपने कान पकड़ के) माफ कर दे प्लीज पायल....
पायल – (मू बना के) बड़ा आया माफी मांगने वाला नहीं करती माफ जा जो करना है कर ले....
अभय – ऐसा मत बोल पायल देख उस वक्त हालत ही कुछ ऐसे थे....
पायल – क्या मै तेरी कुछ नहीं जो इतनी बड़ी बात छुपाई मेरे से....
अभय – एक बार तू बात सुन ले मेरी फिर भी लगे मै गलत हु तो कभी बात मत करना मुझसे....
पायल – बोल क्या बात है....
अभय –(राज , चांदनी और संध्या के एक्सीडेंट की बात से लेके किडनैप तक पूरी बात बता के) क्या अभी भी तुझे लगता है इसमें सारी गलती मेरी है....
पायल – (सारी बात सुन के) अब ठकुराइन कैसी है....
अभय – ठीक है अभी....
पायल – मै कल मा बाबा के साथ हवेली जाऊंगी मिलने ठकुराइन से....
अभय – (पायल की बात सुन) अब तो नाराज नहीं है ना तू....
पायल –(मू बना के) बड़ा आया मनाने वाला मुझे तू पहले मुझे अच्छी सी चूड़ियां लाके दे....
अभय – अच्छा बाबा ठीक है तू जो बोल वैसे चूड़ियां लाके दूंगा तुझे....
पायल – तू जानता है ना कौन सा रंग पसंद है मुझे....
अभय –(मुस्कुरा के) वही जो मुझे पसंद है परसो से मेला शुरू हो रहा है मेले में तुझे तेरी पसंद की चूड़ियां दिलवाऊंगा मै कसम से....
पायल –(मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है जब चूड़ियां दिलवाएगा मुझे तब माफ करूंगी तुझे....
बोल के पायल तेजी से चली गई नीलम और नूर के पास उनके पास जाते ही तुरंत निकल गई तीनों अपने घर की तरफ....
अभय – (पायल के तेजी से जाता देख मुस्कुरा के) YE LADKI KA CHAKKAR BAHUT DANGER HAI RE BABA
.
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जारी रहेगा![]()
Pahle hua tha but gussa tikta hi nahi hai demag me jyada DerLagta hai tum coments padh kar niraas ho gaye mitraLekin aisa hona nahi chahiye
Wo kua hai ki tum abhi noob ho to yaha ke rivaaj jaante nahi ho
yaha per aise hi taang khichaai chalti rehti hai,
Per ek baat jaroor kahuna ki reader or writer me hamesha fark hota bai
Reader kuch suggest to kar sakta hai per apni marji nahi chala sakta, so moral of the story is enjoy karo or padho
![]()
Lagta hai tum coments padh kar niraas ho gaye mitraLekin aisa hona nahi chahiye
Wo kua hai ki tum abhi noob ho to yaha ke rivaaj jaante nahi ho
yaha per aise hi taang khichaai chalti rehti hai,
Per ek baat jaroor kahuna ki reader or writer me hamesha fark hota bai
Reader kuch suggest to kar sakta hai per apni marji nahi chala sakta, so moral of the story is enjoy karo or padho
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Thank you sooo much beatrix broMast update tha bro
Koi bat nahi bhaiPahle hua tha but gussa tikta hi nahi hai demag me jyada Der,,,,BTW story pe comments mera point of view hota hai bas aur kuch nahi aur main koi writer to hu nahi ki bolu story me ye hona cahiye,,ishe badal do .
And sorry for that my behavior like this (kyonki main aysa hi hu)
Shaandaar update tha dear bro, thank you. Ab se kya kya hota hai aur honewaala hai, dekhne Ko milenge aanewaale updates dwara jinks intezaar rahega Besabri se hamein, Bhai.UPDATE 47
पायल –(गुस्से में) तू अपने आप को समझता क्या है इतना सब हो गया एक बार भी मुझे बताना जरूरी नहीं समझा तूने....
राज –मेरी बात तो सुन यार....
पायल –नहीं सुन्नी बात तेरी मुझे बोलता है तू मेरी बहन और दोस्त दोनो है और मुझी से बात छुपाता है तू....
राज – (हाथ जोड़ के) माफ कर दे यार गलती हो गई मेरे से....
पायल –(अपने हाथ जोड़ के) तू क्यों हाथ जोड़ता है माफ तू मुझे कर दे गलती मेरी थी तेरे इतना सब करने के बाद भी मैं तेरे पास आ गई तेरा हाल जानने....
राज – अरे मेरी मां प्लीज बात को समझ यार मेरी आंखों में पट्टी थी देख तभी तो चश्मा लगाए हुआ हूँ धूप में डॉक्टर ने बोला है यार और वैसे भी गुस्सा करना ही तुझे तो इस अभय पर कर पट्टी मेरी आंख में थी लेकिन ये तो बता सकता था तुझे पूछ इसने क्यों नहीं बताया तुझे....
राज की बात सुन पायल को अभय का ध्यान आया....
पायल –(गुस्से में अभय से) इससे मै कभी बता नहीं करूंगी तेरे से ज्यादा इसकी गलती है....
अभय –(चौक के) AAAAAYYYYYEEEEEE पायल मेरी बात तो सुन ले प्लीज....
पायल –(गुस्से में) भाड़ में जा तू , पहले भी तू बिना बताए चला गया था और इस बार तो तुम सब ने मुझे बताना जरूरी नहीं समझा और सही भी है क्यों बताओगे मुझे लगती क्या हूँ मै तुम सबकी (नीलम से) चल नीलम कोई मतलब नहीं इस चारो से अपना आज से....
बोल के गुस्से में पायल हाथ पकड़ के नीलम को लेके चली गई क्लास में जबकि अभय , राज , लल्ला और राजू ये चारो मू खोले खड़े रह गए....
अभय –(पायल को जाता देख गुस्से में) किसके पेट में दर्द हो रहा था जिसने पायल के सामने सब कुछ बोल दिया बे....
लल्ला – माफ करना यार मुझे मालूम नहीं था कि पायल को इन हादसों के बारे में तुम लोगो ने कुछ नहीं बताया है अभी तक....
राज –(गुस्से में) अबे गधा प्रसाद ये क्या किया तुने बे अबे लौड़ेचंद बोलने से पहले हमसे पता तो कर लिया होता तेरे चक्कर में कितना कुछ सुना के चली गई पायल....
राजू – (गुस्से में) अबे तुम लोगो का समझ में आता है इसमें मेरी क्या गलती थी जो अपने साथ नीलम को लेके चली गई पायल....
अभय – (अपने सिर में हाथ रख के) ये क्या मुसीबत मिल गई यार कैसे मनाऊं उसे....
राजू – भाई तुझे जो करना है कर लेकिन कुछ तो कर दे यार तेरे चक्कर में नीलम को भी मिलने नहीं देगी पायल मेरे से....
अभय – अबे यहां मेरी मुसीबत का हल नहीं निकल रहा अब तेरी मुसीबत का हल कहा से लाऊं मै....
लल्ला – अगर तुम लोग बोलो तो मैं जाके बात करू पायल से....
राज – चुप बे तू तो अपनी चोंच बंद रख सब तेरी वजह से हुआ है बे....
अभय – छोड़ यार चल चले क्लास में....
लल्ला –(बीच में तीनों से) अबे वो देख....
लल्ला की बात सुन राजू , राज और अभय ने पलट के देखा वहां पर पूनम थी जो अमन से बात कर रही थी दूर से देख रहे थे चारो दोनो बात कर रहे थे साथ ही साथ पूनम रो रही थी अमन के सामने लेकिन अमन अजीब तरह से बात कर रहा था जिसके बाद अमन निकल गया वहां से पूनम को अकेला रोता छोड़ के चलते चलते अमन चारो के बगल से निकल के क्लास में चला गया जिसके बाद....
राजू – ये पूनम और अमन में ऐसी क्या बात हो गई जिस वजह से पूनम रोने लगी....
राज – जाने दे यार अपने को क्या चल चलते है क्लास में....
बोल के चारो क्लास में चले गए जहां पर आज पायल और नीलम कोने में अलग बैठे थे उसके आस पास की जगह खाली नहीं थी मजबूरन चारो अलग जगह बैठ गए टीचर आए क्लास चलती रही इंटरवल होते ही सब बाहर निकल गए क्लास से बाहर निकले ही थे तभी कॉलेज का पिऊन तेजी से बाहर जाने लगा जिसे देख....
राज –(पिऊन से) अरे चाचा क्या बात है इतनी जल्दी में कहा भागे जा रहे हो....
पिऊन – गजब हो गया राज वो पूनम बिटिया पास के बने कुवै में कूद गई....
राज – (चौक के) क्या लेकिन क्यों चाचा क्या बात है....
पिऊन – पता नहीं राज बेटा ये तो अच्छा हुआ कि तेरे बाबा ने देख लिया और तुरंत कुवै में कूद के पूनम बिटिया को बचा लिया अस्पताल ले गए उसे....
चारो दोस्त खड़े पिऊन की कही बात सुन रहे थे जिसके बाद पिऊन चला गया प्रिंसिपल के ऑफिस में....
अभय – चल देखते है क्या बात है पता तो चले....
ये चारो निकल गए अस्पताल की तरफ इनके पीछे कुछ और भी लोग थे जो बाते सुन रहे थे वो भी अस्पताल की तरफ निकल पड़े अस्पताल आते ही देख पूनम बेड में लेती है बगल में सत्या बाबू और डॉक्टर खड़े बाते कर रहे थे....
डॉक्टर – (सत्या बाबू से) अब ये ठीक है आप चाहे थोड़ी देर बाद घर ले जा सकते है इसे....
सत्या बाबू –(हाथ जोड़ के) जी धन्यवाद डॉक्टर साहेब....
बोल के डॉक्टर चला गया....
सत्या बाबू –(पूनम के सिर में हाथ फेर के) क्या बात है बेटी इस तरह अचानक तूने ये कदम क्यों उठाया....
पूनम –(रोते हुए) 2 दिन से मां की तबियत बहुत खराब है बाबा इलाज के लिए पैसे नहीं है हमारे पास मैने ठाकुर साहब से भी मदद मांगी लेकिन उन्होंने कोई मदद नहीं की कॉलेज में दोस्तो ने भी मना कर दिया मदद करने से क्या करती बाबा डॉक्टर ने बोला इलाज नहीं हुआ तो मां मर जाएगी....
सत्या बाबू – बेटा कम से कम हमे बता देती गांव वाले सब अपने है बेटा खेर कोई बात नहीं तू घर चल मै देखता हु तू बिल्कुल भी परेशान मत हो कुछ नहीं होगा तेरी मां को....
अस्पताल के कमरे के बाहर खड़े सारी बातें सुन रहे थे चारो दोस्त और बकी के लोग भी फिर वहा से निकल आए सब कॉलेज की तरफ जहा क्लास शुरू हो गई थी कॉलेज खत्म होते ही सब बाहर खड़े आपस में बात कर रहे थे....
राज – बहुत बड़ी गलती कर दी यार उसी वक्त पूनम से बात कर लेते तो ये सब ना होता....
अभय – एक बात समझ में नहीं आई पूनम ने बोला वो मदद मांगने गई थी ठाकुर से उसने मना क्यों किया और कॉलेज में भी मदद मांगी उसने अमन से और उसने भी....
राजू – दोनो बाप बेटे मतलबी है एक नंबर के....
तभी अभय की नजर पड़ी पायल की दोस्त नूर पे तुरंत उसके पास जाके....
अभय –(नूर से) नूर....
नूर–(अभय को देख) हा क्या बात है....
अभय –पायल कहा है....
नूर –घर चली गई आज जल्दी (मुस्कुरा के) कोई काम था क्या....
अभय – हा यार बात करनी थी बहुत नाराज है मेरे से प्लीज मदद करदे ना....
नूर –(मुस्कुरा के) बदले में मुझे क्या मिलेगा....
अभय – तू जो बोल दे दूंगा प्लीज मदद करदे यार....
नूर –ठीक है शाम को बगीचे में टहलने जाने वाले है हम लोग वही आ जाना बात करने....
अभय – ठीक है शुक्रिया....
नूर – अभी से शुक्रिया किस लिए पहले तेरा काम हो जाए फिर....
अभय – ठीक है....
बोल के दोनो निकल गए अपने अपने घर की तरफ अभय हवेली में आते ही हॉल में संध्या और चांदनी को अपने सामने पाया....
संध्या –(अभय को देख ललिता को आवाज दे के) ललिता....
ललिता – हा दीदी....
संध्या – पानी तो लादे अभय के लिए....
ललिता –(मुस्कुरा के) अभी लाई दीदी (अभय से) लल्ला तू बैठ मै पानी लाती हु....
अभय – आप परेशान मत होइए मैं....
ललिता –(अभय के गाल पे हाथ फेर के) इसमें परेशानी कैसी तू बैठ मै अभी पानी लाती हु....
बोल के ललिता चली गई पानी लेने....
चांदनी – कैसा रहा आज कॉलेज का दिन....
अभय – अच्छा था दीदी....
ललिता –(पानी देते हुए अभय को) लल्ला मैने सुन आज कुछ हुआ था कॉलेज में....
संध्या – (हैरानी से) क्या हुआ था कॉलेज में....
अभय – वो सरपंच की बेटी पूनम ने आत्महत्या करने की कोशिश की....
संध्या और ललिता एक साथ –(हैरानी से) क्या....
चांदनी – लेकिन बात क्या थी....
अभय – उसकी मां की तबियत खराब है काफी इलाज के लिए पैसे नहीं थे इसीलिए खेर अब ठीक है वो सत्या बाबा ने उसे अस्पताल में इलाज करवाया और ले गए उसे अपने साथ....
अभय की बात सुन संध्या ने तुरंत ही गीता देवी को कॉल लगाया....
संध्या – दीदी आप कहा हो....
गीता देवी –(कॉल पर) अभी अस्पताल में हूँ उर्मिला को लेके आई हूँ....
संध्या – अब कैसी है उर्मिला....
गीता देवी – डॉक्टर इलाज कर रहा है उसका....
संध्या – दीदी डॉक्टर से मेरी बात हो सकती है अभी....
गीता देवी – हा रुक मै बात कराती हु तेरी....
बोल के डॉक्टर को अपना फोन देके....
डॉक्टर – प्रणाम ठकुराइन....
संध्या – प्रणाम डॉक्टर साहब अब कैसी है उर्मिला....
डॉक्टर – इन्फेक्शन हो गया है उसे काफी इलाज चल रहा है अभी.....
संध्या – आप उसका इलाज करिए पैसे की चिंता मत करिएगा वो मैं देख लूंगी बस उसे जल्दी ठीक कर दीजिए....
डॉक्टर – जी ठकुराइन मै देख लूंगा....
बोल के कॉल कट कर दिया....
ललिता – क्या कहा डॉक्टर ने दीदी....
संध्या –(सारी बात बता के) जल्दी ठीक हो जाएगी उर्मिला....
ललिता – बेचारी का पति भी चला गया दोनो मां बेटी जाने किस हाल में होगे....
संध्या – कोई बात नहीं उर्मिला ठीक हो जाय फिर कोई दिक्कत नहीं होगी उन्हें घर खर्च के लिए....
अभय –(इतने देर से सभी की बात सुन रहा था) पूनम , रमन के पास मदद के लिए गई थी लेकिन उसने मना कर दिया मदद के लिए और आज कॉलेज में अमन ने भी मना किया पूनम को मदद के लिए....
संध्या –(अभय की बात सुन गुस्से में) आने दो दोनो को हवेली बात करती हूँ उनसे आज....
मालती –(किचेन से बाहर आते हुए अभय को देख) तू आ गया जाके फ्रेश होजा खाना तैयार है साथ में खाते है सब....
अभय – (चांदनी से) दीदी मां कहा है आई नहीं अब तक....
चांदनी –मां थाने में है कुछ अफसर आए हुए है शहर से रात में आ जाएगी....
तभी शनाया भी आ गई कॉलेज से....
शनाया – आज देर हो गई कॉलेज में काफी काम था....
संध्या – कोई बात नहीं जाके फ्रेश होले खाना तैयार है साथ में खाते है....
बोल के अभय और शनाया अपने कमरे में चले गए तयार होके सबने साथ में खाना खाया खाते वक्त रमन और अमन हवेली में आ गए तभी....
संध्या – (रमन से) कहा थे आज तुम....
रमन – भाभी खेती देखने गया था मैं....
संध्या – गांव में क्या हुआ पता है तुम्हे कुछ....
रमन – हा भाभी पता चला उर्मिला के बारे में बेचारी का पति चल गया इसी दुख में शायद....
संध्या –(बीच में बात काट के अमन से) और तू कहा था....
अमन – ताई मा मै कॉलेज में था....
संध्या –(रमन और अमन दोनो से) पूनम मदद मांगने आई थी तुम दोनों के पास अपनी मां के लिए तब कहा थे तुम....
रमन – (हड़बड़ा के) वो....भाभी....मै....वो....
संध्या – (गुस्से) क्या मै वो क्या बोलना चाहते हो सीधे सीधे बोलो तुम दोनो ने क्यों नहीं मदद की पूनम की बताया था न उसने तुम दोनो को उर्मिला के लिए....
अमन – ताई मां मै कॉलेज में था कैसे करता मदद उसकी....
संध्या –(गुस्से में) मदद कैसे करता या तूने साफ माना कर दिया मदद के लिए (रमन से) और तुमने भी रमन क्यों किस लिए क्या इसीलिए तुमने जिम्मेदारी ली थी गांव वालो की जिसे इस तरह निभा रहे हो तुम....
रमन – वो बच्ची है मुझे लगा झूठ....
संध्या –(गुस्से में) तुमसे अब यही उम्मीद की जा सकती है रमन (अमन से) और तू कॉलेज का बहाना बना रहा है मेरे से और अपने आप को ठाकुर बोलता है इस तरह करते है हम ठाकुर अपने ही गांव के लोगों के संग (किसी को कॉल मिला के) हेल्लो राज....
राज – जी ठकुराइन....
संध्या – राज शाम को तुम राजू और लल्ला हवेली आना गीता दीदी के साथ कुछ बात करनी है....
राज – जी ठकुराइन हम आजाएंगे....
बोल के कॉल कट कर दिया....
अभय – सब को किस लिए बुलाया....
संध्या – गांव जो भी चल रहा है इसीलिए....
मालती – दीदी गीता दीदी का समझ आया लेकिन राज , राजू और लल्ला को किस लिए....
संध्या – वो शाम को पता चल जाएगा तुम सबको....
मालती – हम्ममम....
ललिता – ठीक है दीदी चलिए अब आराम करिए आप की दवा का वक्त हो गया है (रमन और अमन से) बैठो खाना खा लो दोनो जल्दी से....
बोलके दोनो बैठ गए खाना खाने जबकि अभय दोनो को देख हल्का मुस्कुरा के संध्या को गोद में लेके सीढ़ियों से कमरे में जाने लगा साथ में चांदनी भी सीढ़ियां चढ़ते वक्त संध्या सिर्फ अभय को देख रही थी....
संध्या –(मन में – एक वो वक्त था जब तुझे अपनी गोद में लेके पूरी हवेली घूमा करती थी मेरी गोद से एक पल के लिए भी तुझे उतार देती तो रोने लगता था आज तेरी गोद में खुद को पाके लगता है बस इसी तरह तेरी गोद में जिंदगी कट जाएं मेरी)....
अपने मन में सोचते सोचते पता नहीं चला कब संध्या का कमरा आ गया अभय ने संध्या को बेड में बैठा के जाने लगा तभी....संध्या –(अभय का हाथ पकड़ के) थोड़ी देर रुक जा....
अभय –(अपना हाथ संध्या के हाथ में देख बगल में बैठ के) कोई काम है....
संध्या – नहीं बस थोड़ी देर बैठ जा मेरे साथ....
चांदनी –(दवा और पानी देके संध्या को) पहले दावा लेलो आप मौसी....
दावा लेके ग्लास साइड में रख.....
अभय –(संध्या से) वो पूनम जो है....
संध्या – हा हा बोल पूनम क्या....
अभय – रमन और उर्मिला का नाजायज संबंध है पूनम कोई और नहीं रमन और उर्मिला की बेटी है....
संध्या –(चौक के) क्या....
अभय –मैने अपनी आखों से देखा और सुना है रमन और उर्मिला को बात करता हुआ....
संध्या –(हैरानी से) लेकिन (कुछ सेकंड चुप रह के) तूने बताया क्यों नहीं मुझे....
अभय – अभी कुछ दिन पहले पता चला है मुझे....
संध्या –(गुस्से में) यकीन नहीं होता मुझे रमन इतना घटिया इंसान निकले गा....
अभय – गांव में खंडर के पास पुलिस को ड्रग्स का कच्चा माल मिला है वो रमन का था साथ ही डिग्री कॉलेज बनवाने के उसका मेन मकसद यही था ताकि डिग्री कॉलेज में अपना ड्रग्स वहां रख सके....
संध्या –(अभय की बात सुन अपने सिर में हाथ रख के) हे भगवान रमन ये सब भी करता था मेरे पीठ पीछे कही कॉलेज बन जाता तो बाबू जी का नाम मिट्टी में मिल जाता....
अभय – साथ ही पुलिस तुझे गिरफ्तार करती....
संध्या –(चौक के) मुझे किस लिए....
अभय – रमन ने तेरे से झूठ बोला था डिग्री कॉलेज उसने दादा के नाम से नहीं कराया था वो तेरे नाम से कराया था उसने....
संध्या –(गुस्से में) रमन भी बाकियों की तरह लालची निकला उसे बाबू जी के नाम की कोई परवाह नहीं सिर्फ अपनी लालच के लिए इस हद तक गिर गया है रमन....
चांदनी –मौसी हॉस्टल में अभय ने ही इसीलिए शंकर और मुनीम को बांध के रखा था जिसके चलते अभय को इन सब के बारे में पता चला है....
संध्या –(चांदनी की बात सुन अभय को देख उसके हाथ में अपना हाथ रख रोते हुए) देखा ना तूने सब प्लीज अभय तू भले जो कर मेरे साथ लेकिन मुझे छोड़ के मत जाना मै अकेली हो गई हु पूरी तरह कोई अपना नहीं मेरा अब तेरे सिवा....
रोते हुए अभय के सीने पर अपना सिर रख दिया जिसके बाद अभय ने हाथ आगे कर संध्या के सर पे रखने जा रहा था लेकिन शायद अपनी हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था ऐसा करने पर तभी चांदनी ने अभय के कंधे पर अपना हाथ रखा जिसे अभय ने देखा तब चांदनी ने हा में सिर हिला के इशारा किया....
अभय –(संध्या की सिर पर हाथ रख) तू परेशान मत हो मै कही नही जाऊंगा यही रहूंगा सब ठीक कर दूंगा मै....
संध्या –(अभय की बात सुन अपना सिर ऊपर उठा के) तू सच बोल रहा है ना....
अभय –(संध्या के गाल से आंसू साफ कर) हा मै सब संभालूंगा तू आराम कर शाम को मिलता हूं मै....
बोल के अभय चला गया कमरे से बाहर सीधा अपने कमरे में कमरे से बाहर निकल बिना ये देखे कि कोई दरवाजे पर खड़ा इनकी सारी बात सुन रहा है अभय के जाते ही शनाया , मालती और ललिता कमरे में आके....
ललिता –(संध्या के पास आके गले लग के रोते हुए) मुझे माफ कर दो दीदी मुझे नहीं पता था इन सब के बारे में अनजाने में कितना बड़ा पाप कर बैठी मै....
संध्या –(आसू पोछ के) भूल जा ललिता होनी को कोई नहीं बदल सकता है अपने आप को दोष मत दे....
ललिता – कैसे ना दोष दूं दीदी मेरी वजह से अभय आपसे दूर हो गया....
शनाया – (ललिता के कंधे पे हाथ रख के) जो हो गया उसे बदला तो नहीं जा सकता है ललिता दीदी आज को सही कर सकते है हम.....
ललिता – मै अभय को सारा सच बता दूंगी आज ही....
चांदनी – नहीं आप ऐसा कुछ नहीं करोगे....
ललिता – लेकिन क्यों चांदनी....
चांदनी – यही कोशिश मैने भी की थी लेकिन नतीजा हम देख चुके है इस बारे में मैने मां से भी बात की थी....
संध्या – फिर क्या कहा शालिनी ने....
चांदनी – मां ने कहा अभय को सच को खुद पता करने दो अगर हम इस तरह बीच में आयेगे इससे अभय को यही लगेगा कि ये सब मौसी के कहने पर किया जा रहा है इसीलिए अभय को सच का खुद पता लगाने दो....
ललिता – लेकिन वो कैसे पता लगाएगा.....
चांदनी – (मुस्कुरा के) वो पता लगाएगा नहीं बल्कि पता लगा रहा है काफी हद तक करीब आ गया है सच के अभय....
मालती –(इतनी देर से चुप चाप बाते सुन रही थी सबकी) बस जल्दी से सब ठीक हो जाए हवेली पहले जैसे हूँ जाय यही दुआ है ऊपर वाले से....
इधर ये सब आपस में बात करने में लगे थे उधर अभय अपने कमरे में बेड में लेटा अभी जो हुआ उसके बार में सोच रहा था तभी सोनिया कमरे में आई....
सोनिया – (अभय को बेड में लेटा देख) हेल्लो अभय....
अभय –(सोनिया को देख) अरे आप कोई काम था....
सोनिया – अभय तुमने काम के लिए कहा था लेकिन अब हम हवेली में आगए है तो काम का क्या होगा....
अभय –हा उसके लिए मै भूल गया था एक मिनिट रुको आप....
बोल के अभय किसी को कॉल मिलता है....
अलीता – हा अभय कैसे हो तुम....
अभय – मै ठीक हु अली....सॉरी मेरा मतलब भाभी....
अलीता – (अभय से भाभी सुन आंख से आसू की एक बूंद निकल आई साथ मुस्कुरा के) कोई बात नहीं अभय अच्छा लगा मुझे , बताओ आज कैसे याद किया अपनी भाभी को....
अभय – भाभी आपने कहा था सिक्कों के लिए जब इसे बेचना हो तो आपको बतादूं....
अलीता – हा याद है मुझे....
अभय –भाभी एक सिक्के के कितने मिलेगे पैसे....
अलीता – तुम्हारे अकाउंट में पैसे ट्रांसफर हो गए....
अभय –(कुछ बोलता तभी उसके मोबाइल में मैसेज आया जिसमें लिखा था SIX HUNDRED CARORE CREDIT जिसे देख चौक के) भाभी ये तो....
अलीता –(मुस्कुरा के) तुमने भाभी बोला ना मुझे इस खुशी मेरी तरफ से मेरे प्यारे देवर के लिए....
अभय –लेकिन भाभी....
अलीता – (बीच में) अपनी भाभी से पैसे लेने में शर्म आ रही है क्या....
अभय –(मुस्कुरा के) नहीं भाभी , THANK YOU SOOO MUCH BHABHI....
अलीता – वेलकम मेरे प्यारे देवर जी , तुम्हे जब भी कभी भी किसी भी चीज की जरूरत हो बस बता देना तुम्हारे भाई और भाभी हाजिर है तुम्हारे लिए हमेशा....
अभय – (मुस्कुर के) जी भाभी....
अलीता – वैसे आज अचानक से क्या करने का सोचा है तुमने....
अभय –भाभी वो सोनिया के काम के लिए कुछ सामान और जगह चाहिए थी इसीलिए मैने सोचा गांव में अस्पताल को और ज्यादा सुविधा मिले गांव वालो को ताकि और डॉक्टर बुला सके इसमें सोनिया बेस्ट रहेगी....
अलीता – बहुत अच्छा सोचा है तुमने अभय मै कुछ लोगो को साथ लेके आऊंगी परसो गांव तुम्हे जो भी जैसा काम करवाना हो उनसे करवा सकते हो....
अभय – जी भाभी....
थोड़ी देर बात करके दोनो ने कॉल कट कर दिया....
अभय –(सोनिया से) परसो भाभी आ रही है गांव आपका काम परसो से शुरू हो जाएगा....
सोनिया –(मुस्कुरा के) ठीक है....
बोल के सोनिया चली गई अपने कमरे में उसके जाते ही अभय बेड में वापस लेट गया जबकि इन सब से कुछ दूरी पर एक औरत अपने सामने बैठे आदमी से बात कर रही थी....
औरत – मुनीम का समझ में आया लेकिन शंकर को क्यों मारा तुमने....
आदमी – ताकि देखने वाले को लगे ये सब अभय का किया धारा है....
औरत – अभय को हल्के में मत लेना तुम वो पहले जैसा मासूम बच्चा नहीं रहा रमन और शंकर ने कोशिश की थी रस्ते से हटाने की अभय को लेकिन उसका उल्टा हो गया सब....
आदमी – जनता हूँ इसीलिए मुनीम और शंकर को मार के उनके हाथ में पहेली छोड़ के आया हूँ देखते है अभय पहेली को सुलझा के क्या करता है अब....
औरत – (हस्ते हुए) मैने अपना मोहरे का इस्तमाल करना शुरू कर दिया है क्या पता जरूरत पड़ जाए उसकी....
आदमी – आपको लगता है आपका मोहरा किसी काम का है....
औरत – काम का नहीं बहुत काम का है मेरा मोहरा वैसे भी उन लोगो की नजरों में वो किसी काम का नहीं है लेकिन हमारे काम का जरूर है वो....
बोल के दोनो जोर से हसने लगे जबकि इस तरफ हवेली में दिन में किसी ने आराम नहीं किया था शाम होते ही अमन जल्दी से निकल गया हवेली से बिना किसी की नजर में आए उसे डर था कही आज की बात को लेके संध्या उसकी क्लास फिर से ना लगा दे जब की रमन शाम के वक्त हाल में बैठा हुआ था और इस तरफ....
चांदनी –(अभय के कमरे में आके) अभय....
अभय –(आंख बंद कर बेड में लेटा था चांदनी की आवाज सुन एक दम से बेड से उठ के) हा दीदी कोई काम था....
चांदनी –(मुस्कुरा के) क्या बात है तूने आराम नहीं किया आज....
अभय – नहीं दीदी मै आराम कर रहा था बेड में बस आपकी आवाज सुन उठ गया....
चांदनी –(मुस्कुरा के अभय को गले लगा के) तूने आज बहुत अच्छा काम किया मां होती तो बहुत खुश होती....
अभय – मैने ऐसा कुछ नहीं किया दीदी....
चांदनी –(मुस्कुरा के) ठीक है चल शाम जो गई है मौसी को नीचे ले चलना है....
अभय – ठीक है दीदी चलो आप मै आता हो हाथ मू धो के....
अभय की बात सुन चांदनी मुस्कुरा के बाहर चली गई संध्या के कमरे में उसके जाते ही अभय थोड़ी देर में संध्या के कमरे में आ गया जहा शनाया , मालती , ललिता और चांदनी पहले से बैठे थे जिन्हें देख....
अभय – आप सब यहां पर....
मालती – हा दीदी के साथ बाते कर रहे थे हम चल तू दीदी को नीचे ले चल मै चाय बनती हु सबके लिए गीता दीदी आती होगी....
बोल के अभय ने संध्या को गोद में उठा के नीचे ले जाने लगा साथ में बाकी सब नीचे आ गए नीचे आते ही सामने देख जहां गीता देवी , राज , राजू और लल्ला हॉल के सोफे में बैठे थे संध्या को अभय की गोद में देख गीता देवी के साथ बाकी तीनों के चेहरे में मुस्कान आ गई....
गीता देवी –(अभय के पास आ सिर हाथ फेर के संध्या से) कैसी है तू....
संध्या – (मुस्कुरा के) ठीक हूँ दीदी आप कैसे हो....
गीता देवी – तुझे देख के मै भी बहुत खुश हु....
इसके साथ अभय ने संध्या को सोफे में बैठा के राज , राजू और लल्ला के साथ बैठ गया गीता देवी संध्या के साथ बैठ के....
गीता देवी – तूने शाम को अचानक से बुलाया कोई खास बात है क्या....
संध्या – हा दीदी (राज , राजू और लल्ला से) तुम तीनों से एक काम है मुझे....
तीनों साथ में – जी ठकुराइन बताए हम कर देगे काम....
संध्या –(मुस्कुरा के) कल से चांदनी गांव की लिखा पड़ी का काम संभाल रही है और तुम तीनों अपनी पढ़ाई के साथ तुम तीनों को गांव में जो भी जैसा भी चल रहा है खेती से लेके हर छोटे काम की सारी डिटेल देनी होगी मुझे मंजूर है तुम तीनों को....
संध्या की बात सुन राज , राजू और लल्ला तीनों एक दूसरे को देखने लगे जिसे देख....
गीता देवी – एक दूसरे को क्या देख रहे हो अभय भी साथ रहेगा तुम तीनों के चारो की चांडाल चौकड़ी साथ में सम्भल पाओगे या नहीं बस इतना बताओ जल्दी....
राज –(तुरंत ही) तैयार है हम ठकुराइन....
राजू –(मन में – ये कमीने को सिर्फ भाभी दिख रही है बस और खुद तो कूद रहा है कूवे में साथ में हमें भी कहा फंसा दिया ऊपर वाले)....
लल्ला – (मन में – गधा मुझे बोलता है अब देखो खुद कोहलू का बैल बनने जा रहा है गधा कही का)....
अभय – (मन में – वाह बेटा वाह सब समझ रहा हू दीदी के साथ घूमने को मिल रहा है ऐसा मौका कैसे गंवाएगा तू सत्यानाश जाय इसका आज पायल से मिलना था जाने कैसे मनाऊं उसे ये सोच रहा था यहां ये अपना जुगाड बनाने में लगा हुआ है)....
गीता देवी की बात सुन इधर ये तीनों मन ही मन में राज को कोस रहे थे जबकि राज तीनों को उनके नाम लेके बुला रहा था जैसे ही राज ने तीनों के कंधे पर हाथ रखा तीनों एक साथ....
राजू – कमीना....
लल्ला – गधा....
अभय – सत्यानाश....
तीनों ने एक साथ मू से शब्द निकले जिसे बाकी सब सुन के समझ के हसने लगे वही....
राज – (चौक के) क्या बोल रहे तुम तीनों यार....
अभय – (हड़बड़ा के) क्या कहा तूने सुना नहीं यार....
राज – हा यार मैने भी ध्यान नहीं दिया...
लल्ला – मैने भी राज फिर से बोल जरा....
राज – अबे मै बोला कल से तयार रहना ठकुराइन ने काम बताया है उसे करने के लिए....
राजू – यार बात तो सही है लेकिन तू तो जनता है दो दिन बाद मेला शुरू हो रहा है और राम लीला भी शुरू हो रही है तू तो जनता है उसमें मै ओर लल्ला भाग लेते है....
राज – अबे तो राम लीला में रात में जाना होता है तुम दोनो को और रही मेले की बात वहां कौन सा रोज जाते है हम सब (संध्या से) ठकुराइन आप निश्चित रहिए हम चारो सब सम्भल लेगे काम को अच्छे से (हस के चांदनी से) कल से कॉलेज के बाद मै आपके साथ रहूंगा हर वक्त (फिर सबको देख) मेरा मतलब है काम देखेंगे गांव का हम सब....
राज की बात सुन जहां सब अपने मू पे हाथ रख हस रहे थे वही चांदनी हल्का मुस्कुरा के हा में सिर हिला दिया जबकि राजू , अभय और लल्ला घूर के राज को देख रहे थे जिसे देख....
संध्या –(अपनी हसी को कंट्रोल करके) ठीक है कल से गांव के काम की जिम्मेदारी तुम सब की रहेगी वैसे शाम हो गई है अगर तुम लोग घूमने जाना चाहो तो जा सकते हो....
संध्या की बात सुन....
राज –(चांदनी से) आइए चांदनी जी हम दोनों चलते है घूमने गांव....
गीता देवी –(हस्ते हुए) ओए चांदनी कल से जाएगी गांव का काम देखने और घूमने तो तुम चारो जा रहे हो हैं ना....
राज – (मन में – धत तेरे की) वो हा मा मेरा मतलब वही था गलती से चांदनी का नाम ले लिया (अभय , राजू और लल्ला से) चलो चलते है हम लोग....
मालती – (हस्ते हुए) पहले चाय तो पी लो तुम सब फिर जाना....
मालती की बात सुन चारो सबके साथ चाय पी के निकल गए गांव घूमने....
इन चारों के जाते ही रमन गुस्से में अपना मू बना की निकल गया हवेली से बाहर इनके जाते ही हवेली के हाल में हसी गूंज उठी सबकी एक साथ....
संध्या –(चांदनी से) कल से काम पे ध्यान देना सिर्फ समझी....
चांदनी –(शर्मा के सिर नीचे कर) जी मौसी....
ललिता – (हस्ते हुए) जाने दो दीदी छेड़ो मत बेचारी को आप देखो कैसे शर्मा रही है....
ललित की बात पर सब हसने लगे जबकि ये चारो हवेली से बाहर निकलते ही....
अभय –(राज से) अबे कौन से जनम की दुश्मनी का बदला ले रहा है तू हमसे....
राज –(चौक के) क्या बकवास कर रहा है बे....
राजू –(गुस्से में) ये बात तुझे बकवास लग रही है....
राज –(चौक के) अबे अब तुझे क्या हो गया बे....
लल्ला –(राज को अपनी तरफ घूमा के) अबे तुझे चांदनी भाभी के साथ टाइम बिताना है तो बीता हमे क्यों बीच में घसीट रहा है बे....
राज –(बात सुन हस्ते हुए) अबे वो तो काम के लिए बोल हैं ना ठकुराइन ने इसीलिए....
राजू – अच्छा काम अबे ये बता काम करेगा कौन तू तो करने से रहा क्योंकि तू तो बिजी रहेगा भाभी के साथ लेकिन बलि के बकरे हम तीनों जरूर बनेंगे इसमें....
अभय – (राजू की बात सुन) अबे बनेंगे नहीं बना दिया है इसने हमें बकरा बलि का देखना ये खुद दीदी के साथ चिपका रहेगा जोक की तरह सारा काम हमसे करवाएगा....
राज – अबे तुम तीनों मेरी लंका क्यों लगने में लगे हो बे ठकुराइन को बोल सकते थे तुम सब....
राजू –(हस्ते हुए) क्या खाक बोलते हम उससे पहले तूने खड़े होके बोल दिया हम सब काम सम्भल लेगे क्यों भूल गया इतनी जल्दी....
राजू की बात सुन राज हल्का हस अपना सिर खुजा के हंसता रहा....
राजू – (अभय से) अभय मैने बोला था तेरे को एक दिन ये मजनू भाभी के चक्कर में हम तीनों फसाया देख कर दिया इसने....
अभय –अबे मै ये सोच रहा हु पायल को कैसे मनाऊं लेकिन इसने कौन से झमेले में फंसा दिया यार....
राज –(अभय के कंधे पर हाथ रख के) तू चिंता मत कर मैं बात करूंगा पायल से मान जाएगी मेरी बात....
लल्ला – हा हा जैसे सुबह कॉलेज में तेरी बात मानी थी पायल ने उल्टा तेरी बोलती बंद कर दी उसने....
अभय – तुम लोग लगे रहो आपस में मै चला पायल को मनाने कल मिलता हु कॉलेज में....
बोल के अभय चला गया पायल के पास जहां पे पायल , नूर और नीलम बगीचे में घूम रहे थे तभी अभय पायल के पीछे से नूर और नीलम को इशारा करता है ताकि पायल से थोड़ी दूर जाय दोनो जिससे अभय अकेले में बात कर सके पायल से नूर इशारा समझ के पायल को पेड़ के नीचे बैठा के नीलम को एक तरफ चलने का इशारा किया जिससे नीलम जैसे ही निकली वहा से पायल कुछ बोलने को हुई थी तभी....
अभय –(पायल के पास आके) पायल....
पायल – तू यहां पर तुझे कैसे पता चला मै यहां हूँ....
अभय –(मुस्कुरा के) बस पता चल गया....
पायल – क्यों आए हो यहां....
अभय – तेरे से बात करने आया हु....
पायल – मुझे नहीं करनी बात तेरे से....
अभय – (अपने कान पकड़ के) माफ कर दे प्लीज पायल....
पायल – (मू बना के) बड़ा आया माफी मांगने वाला नहीं करती माफ जा जो करना है कर ले....
अभय – ऐसा मत बोल पायल देख उस वक्त हालत ही कुछ ऐसे थे....
पायल – क्या मै तेरी कुछ नहीं जो इतनी बड़ी बात छुपाई मेरे से....
अभय – एक बार तू बात सुन ले मेरी फिर भी लगे मै गलत हु तो कभी बात मत करना मुझसे....
पायल – बोल क्या बात है....
अभय –(राज , चांदनी और संध्या के एक्सीडेंट की बात से लेके किडनैप तक पूरी बात बता के) क्या अभी भी तुझे लगता है इसमें सारी गलती मेरी है....
पायल – (सारी बात सुन के) अब ठकुराइन कैसी है....
अभय – ठीक है अभी....
पायल – मै कल मा बाबा के साथ हवेली जाऊंगी मिलने ठकुराइन से....
अभय – (पायल की बात सुन) अब तो नाराज नहीं है ना तू....
पायल –(मू बना के) बड़ा आया मनाने वाला मुझे तू पहले मुझे अच्छी सी चूड़ियां लाके दे....
अभय – अच्छा बाबा ठीक है तू जो बोल वैसे चूड़ियां लाके दूंगा तुझे....
पायल – तू जानता है ना कौन सा रंग पसंद है मुझे....
अभय –(मुस्कुरा के) वही जो मुझे पसंद है परसो से मेला शुरू हो रहा है मेले में तुझे तेरी पसंद की चूड़ियां दिलवाऊंगा मै कसम से....
पायल –(मुस्कुरा के) अच्छा ठीक है जब चूड़ियां दिलवाएगा मुझे तब माफ करूंगी तुझे....
बोल के पायल तेजी से चली गई नीलम और नूर के पास उनके पास जाते ही तुरंत निकल गई तीनों अपने घर की तरफ....
अभय – (पायल के तेजी से जाता देख मुस्कुरा के) YE LADKI KA CHAKKAR BAHUT DANGER HAI RE BABA
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जारी रहेगा![]()