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कहानिया और कुछ नहीं ब्लकि वो आईना होती है जो हम देख नहीं पाते. मैंने हमेशा कहा है कि कहानिया कभी आसमान से नहीं आती वो हर समय हमारे आसपास गली मोहल्ले मे बनतीं बिगड़ती रहती हैUPDATE 8
वो लड़का रास्ते पर चलते चलते गांव को देखने लगा
लड़का – आज भी वही खुशबू जो बरसों पहले आया करती थी खेतो की वही सड़क वही आम का बगीचा कुछ भी नही बदला सिवाय इस सेल फोन टावर के सिवा कुछ भी नया नहीं है यहां जाने मेरे अपने मुझे आज भी पहचान पाएंगे की नही (मुस्कुराते हुए रास्ते पर चलने लगा चलते हुए कई जगहों से गुजरा जहा उसने देखा खेल कूद का मैदान को देख मुस्कुराते हुए आगे बड़ा और फिर आई नदी जिसे देख हसने लगा)
अंत में सड़क के तीन मोहाने पर पहुंच कर उसके सामने अमरूद का बड़ा सा बगीचा नजर आया उसे देखते ही उसने अपना बैग सड़क पे रख दिया और पेड़ के सामने जाके खड़ा होगया उस पेड़ पे हाथ रख के जैसे कुछ याद करने लगा और तभी उसकी नीली आखों से आसू की एक बूंद निकल आई
लड़का – (हल्की मुस्कुराहट के साथ) बहुत पुराना याराना है तुझसे मेरा बरसों के बाद भी भूले से भी नही भूला मैं तुझे (इतना बोलते ही जाने कैसा गुस्सा आया उसने तुरंत एक पंच उस पेड़ में मार दिया पांच पड़ते ही पेड़ में हल्की दरार आगयी साथ ही उस लड़के को भी हाथ में खरोच लग गई उसके बाद वो लड़का वापस आया रास्ते की तरफ आते ही झुक के जैसे ही अपना बैग उठाया तभी पीछे से कार के हॉर्न के आवाज आई जिसे सुन के
लड़का –(हस्ते हुए) आ गई मेरी ठकुराइन (बोल के कार की तरफ पलट गया)
जी हा ये कार संध्या ठाकुर की थी जो इस वक्त ललिता और मालती के साथ हवेली को लौट रही थी
वो लड़का अपने कदम उस कार की तरफ बढ़ाते हुए नजदीक पहुंचा। और कार के कांच को अपनी हाथ की उंगलियों से खटखटाया कांच निचे होते ही उसके कानो में एक आवाज गूंजी...
संध्या –"कौन हो तुम? कहा जाना है तुम्हे?
और तभी संध्या उस लड़के की नीले आखों को गौर से देखने लगी संध्या उसकी आखों को खो सी गई थी की तभी
मालती – कौन है दीदी?"
एक और आवाज ने उस लड़के के कानो पर दस्तक दी। वो देख तो नहीं सका की किसकी आवाज है, पर आवाज से जरूर पहेचान गया था की ये आवाज किसकी है। पर इससे भी उस लड़के को कोइ फर्क नही पड़ा।
संध्या --"एक लड़का है, कहा जाना है तुम्हे? नए लगते हो इस गांव में
लड़का –(संध्या की बात सुन मुस्कुरा के बोला) मुझे तो आप नई लगती है इस गांव में मैडम नही तो मुझे जरूर पहेचान लेती। मैं तो पुराना चावल हूं इस गांव का। और आप... आप तो इस गांव की बदचलन...आ...मेरा मतलब बहुत ही उच्च हस्ती की ठाकुराइन है। हजारों एकड़ की जमीन है। और आपका नाम मिस संध्या सिंह है। जो बी ए तक की पढ़ाई की है, और वो भी नकल कर कर के पास हुई है। नकल करने वाला कोई और नहीं बल्कि आपके पतिदेव ठाकुर मनन सिंह जी थे। क्या इतना काफी है मेरे गांव का पुराना चावल होने का की कुछ और भी बताऊं।"
संध्या के कान में ऐसी फड़फड़ाती हुई जैसे चिड़िया उड़ गई हो और मुंह खुला का खुला साथ ही आंखो और चेहरे पर आश्चर्य के भाव वो आंखे फाड़े लड़के को बस देखती रह गई...और उस लड़के ने जब संध्या के भाव देखे तो, उसने कांच के अंदर हाथ बढ़ाते हुए संध्या के आंखो के सामने ले जाकर एक चुटकी बजाते हुए...
लड़का --"कहा खो गई आप मैडम? आपने कहीं सच तो नही मान लिया? ये मेरी आदत है यूं अजनबियों से मजाक करने की।"
संध्या होश में तो जरूर आती है, पर अभी भी वो सदमे में थी में थी। पीछे सीट पर बैठी मालती, ललिता का भी कुछ यूं ही हाल था। तीनो को समझ में नहीं आ रहा था की, ये सारी बाते इस लड़के को कैसे मालूम? और ऊपर से कह रहा है की ये मजाक था। संध्या का दिमाग काम करना बंद हो गया था,।
संध्या --" ये...ये तुम मजाक कर ...कर रहे थे?
लड़का --(मन ही मन गुस्से के साथ होठो से मुस्कुरा कर बोला) मैडम कुछ समझा नहीं, आप क्या बोल रही है? वर्ड रिपीट मत करिए, और फिल्मों के जैसा डायलॉग तो मत ही बोलिए, साफ साफ स्पष्ट शब्दों में पूछिए।"
संध्या --"मैं कह रही थी की, क्या तुम सच में मजाक कर रहे थे?"
लड़का --"मैं तो मजाक ही कर रहा था, मगर अक्सर मेरे जानने वाले लोग कहते है की , मेरा मजाक अक्सर सच होता है।"
संध्या , ललिता और मालती अभि भी सदमे में थे। तीनो लड़के के चेहरे को गौर से देख रही थी, पर कुछ समझ नहीं पा रही थी। बस किसी मूर्ति की तरह एकटक लड़के को देखे जा रही थी।
लड़का --"मुझे देख कर हो गया हो तो, कृपया आप मुझे ये बताएंगी की , ठाकुर परम सिंह इंटरमीडिएट कॉलेज के लिए कौन सा रास्ते पर जाना होगा?"
तिनों के चेहरे के रंग उड़े हुए थे, पर तभी संध्या ने पूछा...
संध्या --"नए स्टूडेंट हो ?"
लड़का – (मुस्कुरा के) ये कोई टूरिस्ट प्लेस तो है नही जो कंधे पर बैग रख कर घूमने आ जायेगा कोई।" जाहिर सी बात है मैडम आज से कॉलेज स्टार्ट हुए है तो, इस गांव में स्टूडेंट ही आयेंगे ना।
संध्या --"बाते काफी दिलचस्प करते हो।"
लड़का --"अब क्या करू मैडम , जब सामने इतनी खूबसूरत औरत हो तो दिलचस्पी खुद ब खुद बढ़ जाती है।, वैसे (सीरियस होके) मेरा नाम अभय है। अच्छा लगा आपसे मिलकर संध्या जी।"
ये नाम सुनते ही, पीछे बैठी ललिता और मालती फटक से दरवाजा खोलते हुए गाड़ी से नीचे उतर जाति है। और बहार खड़े अभि को देखने लगती है। संध्या की तो मानो जुबान ही अटक गई हो, गला सुख चला। तीनो के चहरे की हवाइयां उड़ चुकी थी, और संध्या का चेहरा तो देखन लायक था , इस कदर के भाव चेहरे पर थे किं शब्दों में बयां करना नामुमकिन था।
अभय –(मन में) अभि तो शुरुवात है मेरी ठाकुराइन आगे ऐसे ऐसे झटके दूंगा सबको की, झटको को भी झटका लग जायेगा।
अभय --"क्या बात है मैडम, कब से देख रहा हूं,बोल कुछ नही रही हो, सिर्फ गिरगिट की तरह चेहरे के रंग बदल रही हो बस। लगता है इस चीज में महारत हासिल है आपको
संध्या सच में गहरी सोच में पड़ गई थी, वो कुछ समझ नहीं पा रही थी , उसका सिर भी दुखने लगा था। वो कार के अंदर बैठी होश में आते हुए बोली...
संध्या --"आ जाओ बैठो , मैं तुम्हे...हॉस्टल तक छोड़ देती हूं।"
अभय --"ये हुई न काम की बात
फिर (अभय कार में बैठ जाता है)
ललिता और मालती भी सदमे में थी। तो वो भी बिना कुछ बोले कार में बैठ गई। कर हॉस्टल की तरफ चल पड़ी। संध्या चला तो रही थी कार, पर उसका ध्यान पूरा अभय पर था। वो बार बार अभय को अपनी नज़रे घुमा कर देखती । और ये बात अभय को पता थी..
अभय --"मैडम अगर मुझे देख कर हो गया हो तो, प्लीज आगे देख कर गाड़ी चलाए, नही तो अभि अभि जवानी में कदम रखा है मैने, बिना कच्छी कली तोड़े ही शहीद ना हो जाऊ,।
ये सुनकर संध्या के चेहरे पर मुस्कान फैल गई। उसके गोरे गुलाबी गाल देख कर अभय बोला...
अभि --"लगता है खूब बादाम और केसर के दूध पिया है आपने?"
संध्या --(ये सुनकर बोला) क्यूं? तुम ऐसे क्यूं बोल रहे हो"
अभि --"नही बस आपके गुलाबी गाल देख कर बोल दिया मैने, वैसे भी इतनी बड़ी जायदाद है, आपकी बादाम और केसर क्या चीज है आपके लिए।"
संध्या --(अभय की बात सुनकर कुछ सोचते हुए बोली) क्यूं क्या तुम्हारी मां तुम्हे बादाम के दूध नही पिलाती है क्या?"
अभय –(ये सुन कर जोर से हंसने लगा) हाहाहाहाहा हाहाहाहाहा कॉन जन्म देने वाली मां हाहाहाहाहा
संध्या --(अभय को इस तरह हंसता देख संध्या आश्चर्य के भाव में बोली) क्या हुआ कुछ गलत पूंछ लिया क्या और मैं कुछ समझी नहीं, जन्म देने वाली तो मां ही होती है।"
अभि --"इसी लिए आपको बि ए कि डिग्री के लिए नकल करना पड़ा था। मैडम, खैर छोड़ो वो सब , तुम जन्म देने वाली मां की बात कर रही थी ना। तो बात ये है की अगर मेरी मां का बस चलता तो बादाम और केसर वाली दूध की जगह जहर वालीं दूध दे देती। थोड़ा समय लगा पर मैं समझ गया था (गुस्से में) इस लिए तो मैं अपनी मां को ही छोड़ कर भाग गया था घर से
संध्या --(झटके से कार को ब्रेक लगा के बोली) अपनी मां को छोड़ कर भाग गए तुम लेकिन ये... ये ...ये भी तो हो सकता है की तुम्हे अपनी मां को समझने में भूल हुई हो।"
अभय–(संध्या की बात सुनकर, मन ही मन मुस्कुरा के) बिल्कुल सही लगा मेरा दाव बस एक और दाव और फिर गुस्से में बोला) पहेली बार सुन रहा हूं की, एक बच्चे को भी अपनी मां को समझना पड़ता है , तुम्हे इतनी भी अकल नही है की मां बेटे का प्यार पहले से ही समझा समझाया होता है।"
अभय –(कहते हुए जब संध्या की तरफ देखा तो उसकी आंखो से आसुओं किंधरा फुट रही थी। ये देख कर अभय हैरान हुआ और मन में बोला) ये तो सच में रोती है यार
संध्या – अगर तुम्हे बुरा ना लगे तो कुछ पूछ सकती हूं
अभय --"नही, कुछ मत पूछो, तुमने ऑलरेडी ऐसे सवाल पूछ कर हद पार कर दी है। मैं यह पढ़ने आया हूं, और मै नही चाहता की मेरा दिमाग फालतू की बात में उलझे।"
संध्या – नही मैं ये कहना चाहती थी की, अगर तुम्हे हॉस्टल में तकलीफ हो तो , मेरे साथ रह सकते हो।"
अभय --"जब 9 साल की उम्र में घर छोड़ा था , तब तकलीफ नहीं हुई तो अब क्या होगी? तकलीफों से लड़ना आता है मुझे मैडम मैं दो रोटी में ही खुश हु, आपकी हवेली के बादाम और केसर के दूध मुझे नही पचेगा। और वैसे भी तुम्हारा कोई बेटा नहीं है क्या? उसे खिलाओ पराठे देसी घी के भर भर के ।"
संध्या खुद खुद को संभाल नहीं पाई और कार से रोते हुए बाहर निकल जाति है...
ये देख कर अभय भी गुस्से में अपना बैग उठता है और कर से बाहर निकल कर अपने हॉस्टल की तरफ चल पड़ता है, अभय को बाहर जाते देख, खामोश बैठी मालती की भी आंखो में आसुओं की बारिश हो रही थी, वो बस अभय को जाते हुए देखती रहती है.....
पर अभय एक बार भी पीछे मुड़ कर नहीं देखता...
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जारी रहेगा
साथ में एक रिक्वेस्ट है सबसे की प्लीज अब कोई भी जल्दी अपडेट देने की बात मत करना क्यों की कल मॉर्निंग से मैं काम।में बिजी हो जाएगा
अभी मैं 3 से 4 दिन के लिए फ्री था इसलिए कंटीन्यू अपडेट दिया मैने
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अपडेट आएगा लेकिन 2 से 3 दिन में
Thank you sooo much Shanu bhaiJabardast update bhai![]()
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Ji bhai sahi kaha aapneकहानिया और कुछ नहीं ब्लकि वो आईना होती है जो हम देख नहीं पाते. मैंने हमेशा कहा है कि कहानिया कभी आसमान से नहीं आती वो हर समय हमारे आसपास गली मोहल्ले मे बनतीं बिगड़ती रहती है
Jin ko story se dikkat ho g$$#d faad do unki bhaiKoi baat nahi enjoy karo mitraWaise bhi wo sab coments tumhare liye thode the, is kahani per bohot se maharthi hai hai jinko is poori story se hi dikkat hai, jab se devil ne likhna start kiya tab se koi na koi usko ungli karke paresaan kar hi raha tha, 2 ko to ban bhi kar diya fir bhi kisi or id se aata hai koi unme se
So this guy doesn’t feel anything for Manan Thakur also, because Sandhya comes along with Manan Thakur and after knowing Shanaya is sister of sandhya Thakur he is saying he doesn’t have any feelings about her…if so he doesn’t have any feelings for his father also and about himself also he got birth from Sandhya’s womb, she nurtured him with love and care…and had trust and faith in him so made locket of key to get the treasure hidden by his grandfather…if she was like him or like in his thought she would have put it on the aman…this character named Abhaya will never understand what his mother is and how she has been up to here…when they were unknown about eachother’s relationship having sex was natural but even after knowing she is his mother’s sister is worst that too pretending he has no relation with his mom is worst…give some light in his life…story is now in single track no progress in thought of this guy is worst…UPDATE 46
सोनिया जो अलीता के साथ गांव आई थी उसे हवेली में छोड़ अलीता और अर्जुन निकल गए अपनी मंजिल की तरफ और राज अपने घर जबकि इस तरफ अपने कमरे में खड़ा अभय कभी अपने बेड को देखता जिसमें वो अकेला सोता था तो कभी अपनी टेबल कुर्सी को जिसमें वो पढ़ाई करता था और फिर उसकी नजर पड़ी खिड़की पर जहा पर अक्सर रात में खड़ा रह कर आसमान को देखता रहता था अभय इस बात से अंजान की उसे कमरे के बाहर दरवाजे पर व्हील चेयर पर संध्या मुस्कुराते हुए कमरे में खड़े अभय को देख रहे थी तभी चांदनी आई और पीछे से अभय के कंधे पे हाथ रख....
अभय –(मुस्कुरा के) कितना सुंदर है न आसमान का ये नजारा दीदी देखो तारों को कैसे चमक रहे है....
चांदनी –(मुस्कुरा के) हम्ममम , तुझे अच्छा लगता है ये नजारा....
अभय –(मुस्कुरा के) हा दीदी मेरी तन्हाई का यही तो साथी रहा है मेरा रोज रात में घंटों तक इसे देखता रहता था....
चांदनी – रोज रात का क्या मतलब है तेरा....
अभय – इस कमरे में अकेले नींद नहीं आती थी मुझ दीदी उसके बाद इन्हीं तारों को देख अपनी रात गुजारा करता था....
चांदनी – ऐसी क्या बात थी तुझे यहां नींद नहीं आती थी कितना सुन्दर कमरा है तेरा....
अभय – कमरा कितना भी सुन्दर क्यों ना हो दीदी जहा अपनो का साथ होता है तो एक कमरे का मकान भी स्वर्ग से कम नहीं होता उसके लिए लेकिन मेरे केस में तो सब कुछ उल्टा सुलटा रहा है आज इस कमरे में आते ही कुछ पुरानी यादें ताजा हो गई मेरी या ये कहना सही होगा पुराना जख्म की याद आ गई....
चांदनी – (कंधे पर हाथ रख के) तू ज्यादा मत सोच बीते वक्त को बदल नहीं सकता कोई लेकिन आने वाले वक्त तो अच्छा बना सकते है हम अपना....
अभय – हम्ममम , दीदी एक बात समझ में नहीं आ रही है मुझे....
चांदनी – कौन सी बात अभय....
अभय – हॉस्टल में शंकर और मुनीम है ये बात मुझे पता थी मां को और मेरे दोस्तो को लेकिन फिर भी आज अचानक से वो दोनों मारे गए दीदी आपको क्या लगता है इस बारे में....
चांदनी – (कुछ सोचते हुए) पता नहीं अभय यही बात तो मुझे भी समझ में नहीं आ रही है....
अभय – दीदी सच सच बताओ मुझे आप क्यों आय हो इस गांव में क्या मकसद है आपका किस बात की खोज बीन कर रहे हो आप और कौन है आपका CBI CHIEF....
चांदनी –(हस्ते हुए) OH MY GOD , OH MY GOD इतने सवाल एक साथ एक सास में , तुझे क्या जानना है इस बारे में मैने बोला था ना तुझे इस बारे में सोचने की जरूरत नहीं है समझा तुझे कोई छू भी नहीं सकता है मौत को भी मेरी लाश के ऊपर से गुजर के जाना होगा तेरे पास....
अभय –(जल्दी से चांदनी के मू पे हाथ रख के) आप तक मौत आय उससे पहले मै उस मौत को मार दूंगा दीदी , दोबारा आप ऐसी बात मत बोलना....
अभय की बात सुन चांदनी अभय के गले लग जाती है....
चांदनी – तू मुझसे कभी दूर मत जाना....
अभय –(हस के) आपकी शादी के बाद....
चांदनी – शादी के बाद भी साथ रहेगा तू मेरे....
अभय – तब तो आप गांव में रहने की आदत डाल लो दीदी क्योंकि मैं तो ठहरा गांव का आदमी शहर मेरे बस का नहीं....
चांदनी – हा मुझे भी यही लगता है गांव की आदत डालनी पड़ेगी मुझे....
अभय – (हस के) तो मैं मां को बोल दूं आपको राज पसंद है....
चांदनी –(अभय के पीठ में हल्का हाथ मर के) चुप कर बड़ा आया बात करने वाला , पहले सब कुछ ठीक हो जाने दे फिर जो मन आय वो करना....
यहां पर ये दोनों भाई बहन आपस में लगे हुए थे वहीं अवश्य के कमरे के दरवाजे के बाहर संध्या उनकी सारी बात सुन रही थी साथ में ललिता और शनाया थी ललिता व्हीलचेयर लेके चली गई संध्या के कमरे में....
ललिता –(संध्या को उसके कमरे में लाके उसके आसू पोछ) दीदी बस मत रो अब देखो आ गया ना वो हवेली थोड़ा वक्त दो उसे सब ठीक हो जाएगा....
शनाया – (संध्या के कंधे पे हाथ रख के) ललिता बिल्कुल सही बोल रही है संध्या इस तरह हिम्मत मत हार तू मै तो कहती हु मौका पाके तू अभय को सच बता दे सारा....
संध्या – लेकिन क्या वो मानेगा बात मेरी....
ललिता – क्यों नहीं मानेगा वो आपकी बात दीदी हम है ना आपके साथ....
संध्या – सच जान कर कही फिर चला गया तो....
शनाया – देख संध्या एक ना एक दिन सच बताना ही है उसे तो अभी क्यों नहीं बता देती देख गांव वालो का जब खाना रखा था यहा तब वो बात कर रहा था ना अच्छे से तेरे से लेकिन राजेश की वजह से सब गड़बड़ हो गया इससे पहले फिर से कुछ हो तू बता दे उसे सच मेरी बात मान ले संध्या....
ललिता – दीदी मेरी जिंदगी तो बर्बाद हो गई है पति बेकार और बेटा वो भी किसी काम का नहीं बस निधि वक्त रहते सम्भल गई है दीदी अभय को संभालना होगा अब आप वक्त मत गंवाओ बिल्कुल भी....
शनाया और ललिता की बात सुन संध्या ने भी कोई फैसला ले लिया था हवेली में रात हो गई रमन और अमन घर आ गए आते ही ललिता ने सब बात दिया जिसे सुन....
रमन – (हवेली के हॉल में) इतना सब हो गया और किसी ने मुझे एक कॉल तक नहीं किया....
ललिता – अभय ने सब सम्भाल लिया यहां के हालात को....
रमन –(अभय को देख) ये अभी तक यहां क्यों रुक हुआ है गया क्यों नहीं ये यहां से....
शालिनी –(रमन के पीछे से हवेली के गेट से अन्दर आते हुए) मैने रोका है इसे ठाकुर साहब....
रमन –(अपने सामने शालिनी को देख) आपने रोका मै समझा नहीं कुछ....
शालिनी – शायद आपको पता नहीं है कि आपका मुनीम और सरपंच शंकर मारे जा चुके है....
रमन –(हैरानी से) क्या लेकिन ये कैसे और किसने मारा उन दोनों को....
शालिनी – ये तो पता नहीं लेकिन दोनों की लाश हॉस्टल से मिली थी....
रमन –(चौक के) हॉस्टल में क्या कर रहे थे दोनो....
शालिनी – पता नहीं शायद किसी की कुंडली खोल रहे होगे दोनो साथ में (अभय से) अभी बेटा तुझे क्या लगता है क्या कर रहे होगे वो दोनो हॉस्टल में....
अभय (अभी) – मां वो दोनो कुंडली खोल रहे थे किसी की....
शालिनी –(रमन से) सुना अपने ठाकुर साहब जाने किसके बारे में बता रहे थे जो अचानक से मारे गए दोनो , खेर चलिए खाना खाते है बहुत भूख लगी है मुझे....
बोल के शालिनी निकल गई अभय के पास जहां सब लोग अपने कमरे से आए थे हॉल में खाना खाने के लिए रमन अपनी कुर्सी में बैठ गया था संध्या आज साइड में बैठी थी तभी अभय बैठने के लिए जगह देख रहा था तभी....
संध्या –(अभय को देख) सुनो (अपने बगल वाली कुर्सी पर इशारा करके) इसमें बैठो....
ठीक उसी के बगल वाली कुर्सी में शालिनी बैठी थी उसने हल्का सा इशारा किया अभय को तब अभय जाके बैठ गया उस कुर्सी पर जहा पर हवेली का मालिक बैठा करता था मतलब संध्या बैठती थी....
संध्या –(अभय के बैठते ही रमन को देखते हुए अभय से) अब से तुम यही बैठना....
अभय बिना कोई जवाब दिए चुप बैठा रहा सबने धीरे धीरे खाना शुरू किया खाने के बाद हर कोई अपने कमरे में जाने लगा तभी....
ललिता –(अभय से) लल्ला खाना कैसा बना था....
अभय – अच्छा था....
ललित –(मुस्कुरा के) लल्ला एक काम करदेगा मेरा....
अभय – हा बताओ आप....
ललिता – लल्ला तू दीदी को उनके कमरे में छोड़ दे प्लीज....
अभय – जी....
जी बोलते ही अभय उठाने जा ही रहा था कि तभी....
औरत – प्रणाम मालकिन....
आवाज सुन हवेली के दरवाजे की तरफ सब देखने लगे तभी....
संध्या – अरे लक्ष्मी मां आप कब आई....
लक्ष्मी – मालकिन अभी अभी आई हू जा रहे थे कुलदेवी के मंदिर पर सोचा रस्ते में आपको प्रणाम करते चले....
संध्या – (मुस्कुरा के) आपका स्वागत है गांव में अम्मा (लक्ष्मी) तो कल से तैयारी शुरू कर रहे हो....
लक्ष्मी – जी मालकिन लेकिन आपको क्या हो गया आप इसमें (व्हील चेयर) में क्यों बैठे हो....
संध्या – कुछ खास नहीं अम्मा सीडीओ से गिर गई थी पैर में सूजन आ गई थी तो डॉक्टर ने चलने को मन किया है कुछ दिन के लिए तो इसमें ही यहां वहां हो लेती हूँ....
लक्ष्मी – अपना ख्याल रखिए मालकिन वैसे कल से मेले की सारी तैयारी शुरू हो जाएगी दो दिन बाद मेला जो है अच्छा मालकिन मै चलती हूँ जल्दी मिलेगे....
संध्या –(लक्ष्मी को रोक के) अम्मा (लक्ष्मी) एक मिनिट रुक जाओ (अभय से) मेरे कमरे की अलमारी से पैसे ला दोगे....
अभय – मै दूसरों की चीजों को हाथ नहीं लगाता....
ललिता – चला जा लल्ला....
तभी ललिता के पीछे शालिनी ने आंख से हल्का सा इशारा किया जिसके बाद....
अभय – कितने पैसे देने है इनको....
संध्या – अलमारी में 500 की गड्डी पड़ी है एक देदे इनको....
संध्या की बात सुन अभय सीडीओ से अपने कमरे में गया अपने बैग से 500 की एक गड्डी लाके लक्ष्मी को देके....
अभय –(पैसे देते हुए) ये लो अम्मा....
लक्ष्मी –(मुस्कुरा के अभय से पैसे लेके उसके सिर पे हाथ रख) जुग जुग जियो बेटा हमेशा खुश रहो तुम....
बोल के लक्ष्मी चली गई उसके जाते ही....
शालिनी – ये कौन थी संध्या....
संध्या – ये लक्ष्मी मां है बंजारन है हर साल गांव में मेले शुरू करने से पहल यही से मिलते हुए जाती है हमसे....
शालिनी –(चौक के) मेला कब शुरू होगा....
संध्या – दो दिन बाद शुरू होगा मेला....
शालिनी – हम्ममम (अभय से) अभी ऊपर कमरे में छोड़ दो संध्या को प्लीज....
शालिनी की बात सुन संध्या को गोद में उठा के कमरे में ले जाने लगा कमरे में आते ही अभय ने संध्या को बेड में लेटा के जाने लगा....
संध्या – अभय सुन....
अभय –(संध्या की आवाज सुन रुक के) क्या....
संध्या – तुझसे कुछ जरूरी बात करनी है....
अभय – देख मै मां के कहने पे आया हु हवेली मुझे कोई शौक नहीं था यहां आने का और तुझे जो बात करनी है मां से बोल दे बता देगी मुझे....
संध्या – नहीं मुझे सिर्फ तुझे बतानी है एक बार मेरी बात सुन ले....
तभी रमन अपने कमरे में जा रहा था इन दोनों की आवाज सुन संध्या के कमर एमे आके....
रमन – भाभी आप किसके मू लग रही हो जब नहीं सुनी बात उसे आपकी तो क्यों पीछे पड़े हो इसके आप जाने दो इसे....
संध्या – तू अपने कमरे में जा रमन मेरे बीच में मत पढ तू....
रमन – भाभी ये लौंडा इतनी बतमीजी से बात कर रहा है आपसे और आप मुझे जाने को बोल रहे हो....
संध्या – देख रमन मुझे तुझसे कोई बात नहीं करनी तू निकल मेरे कमरे से हमारे बीच में बोलने की कोई जरूरत नहीं है तुझे....
अभय –(दोनो की बात सुन) बस करो ये ड्रामा मेरे सामने करने की जरूरत नहीं है ये सब बहुत अच्छे से समझता हो मै....
बोल के बाहर जाने लगा तभी....
संध्या –(तुरंत बेड से अपने पैर जमीन में रख भाग के अभय का हाथ पकड़ के जमीन में गिर के रोते हुए) सुन ले मेरी बात एक बार फिर भले चले जा मै नहीं रोकूंगी तुझे....
अभय रुक के संध्या की बात सुन उसे गोद में उठा बेड में बैठा के....
अभय –(रमन से) तुम जाके अपने कमरे में आराम करो....
रमन – वर्ना....
अभय –(रमन की आखों में आंखे डाल के) वर्ना वो हॉल करूंगा जिंदगी भर के लिए कमरे से बाहर निकलने को तरस जाएगा तू और ये बात तू अच्छे से जनता है....
अभय की बात सुन रमन चुप चाप संध्या के कमर से बाहर निकल गया उसके जाते ही....
अभय –(संध्या से) आखिर क्यों तू मेरे पीछे पड़ी है मेरा बचपना तो बर्बाद कर दिया तूने तुझे समझ क्यों नहीं आती है बात मेरी बहुत मुश्किल से संभला हूँ मैं तू जानती है अगर मुझे मां (शालिनी) और दीदी (चांदनी) ये दोनो ना मिले होते तो शायद मैं कब का मर गया होता या फिर होता कही गुमनामी की जिंदगी जी रहा होता अभी भी बोलता हूँ तुझे समझ बात को मेरी मेरे दिल में तेरे लिए कुछ भी नहीं है में सब कुछ भुला के आगे बढ़ गया हूँ....
संध्या –(रोते हुए) तू तो आगे बढ़ गया लेकिन मैं कहा जाऊं मैं उस दिन से लेके आज तक वही रुकी हुई हूँ सिर्फ तेरे इंतजार में....
अभय –(संध्या की बात सुन आंख से एक बूंद आंसू आ गया) काश तू उसी दिन आ गई होती मेरे पास तो शायद आज....
बोलते बोलते अभय का गला भर आया जिसके बाद अभय निकल गया संध्या के कमरे से चला गया अपने कमरे में उसके जाते ही....
शनाया –(संध्या के कमरे में आके आसू पोछ गले लगा के) चुप हो जा तू....
संध्या – तुने सुना न क्या कहा उसने....
शनाया – हा सुना मैने सब तू घबरा मत में हूँ न तेरे साथ में बात करती हु अभय से....
संध्या – नहीं तू मत जाना कही ऐसा ना हो वो तुझे भी गलत समाज बैठे....
शनाया – ऐसा कुछ नहीं होगा तू चिंता मत कर (संध्या को पानी पिला के) तू आराम कर बस बाकी मुझपे छोड़ दे सब कुछ....
बोल के शनाया संध्या को बेड में लेता लाइट , कमरे का दरवाजा बंद करके बाहर निकल गई सीधा चांदनी के पास जहां शालिनी और चांदनी सोने की तैयारी कर रहे थे....
शालिनी –(शनाया को देख) आओ शनाया मै तुम्हारे पास आ रही थी....
शनाया – मेरे पास कोई काम था आपको....
शालिनी – कोई काम नहीं बस कमरे में सोने को लेके....
शनाया – ओह में भी यही बताने आई थी मैं संध्या के साथ सोने जा रही हू आप दोनो यही सो जाओ साथ में वैसे भी अभय भी अपने कमरे में सोने गया है....
शालिनी – अभय सोने चला गया जल्दी आज....
शनाया – हा कॉलेज भी जाना है कल इसीलिए....
शालिनी – अरे हा में तो भूल ही गई थी उसके कॉलेज का ठीक है कल बात करूंगी उससे....
बात करके शनाया कमरे से निकल गई सीधा अभय के कमरे में दरवाजा खटखटा के.....
अभय –(कमरे का दरवाजा खोल सामने शनाया को देख) अरे आप आइए....
शनाया –(कमरे में आके) कैसे हो तुम....
अभय – मै ठीक हु आप बताए आप तो भूल ही गई जैसे मुझे....
शनाया – ऐसी बात नहीं है अभय....
अभय – तो बात क्या है वहीं बता दो आप कब तक छुपाओगी बात को....
शनाया – भला में क्यों छुपाओगी बात तुमसे....
अभय – ये तो आपको पता होगा....
शनाया – तुम इस तरह से बात क्यों कर रहे हो मुझसे....
अभय – ये सवाल मेरा होना चाहिए आपसे प्यार का दिखावा करते हो और खुद दूर हो जाते हो किसके कहने पर किया अपने ऐसा बोलो....
शनाया – अभय ऐसी कोई बात नहीं है....
अभय – अगर ऐसी बात नहीं है तो क्यों झूठ बोला आपने की आप मुझसे प्यार करते हो....
शनाया –(आंख में आसू लिए)मैने कोई झूठ नहीं बोला तुमसे अभय मै सच में प्यार करती हु लेकिन....
अभय – लेकिन क्या यही की मेरे पास कुछ नहीं है आपको देने के लिए इसीलिए....
शनाया – (अभय के गले लग के) मैने सच बोला था मैं प्यार करती हु तुझसे आज भी करती हूं हमेशा करती रहूंगी, मुझे कुछ नहीं चाहिए तुझसे....
अभय –(गले लगी शनाया के सिर पे हाथ फेरते हुए) तो किस बात से डरती हो क्या पायल के लिए डर लगता है , मैने कहा था ना मैं सम्भल लूंगा पायल को वो मान जाएगी बात मेरी इसके इलावा अगर कोई और बात हो तो बताओ मुझे....
शनाया –(गले लगे हुए ना में सिर हिला के) कोई बात नहीं है बस एक बात बोलनी है....
अभय – एक शर्त पर....
शनाया – क्या....
अभय –(शनाया के आसू पोछ अपने बेड में लेटा खुद बगल में लेट के) अब बोलो क्या बोलना है....
शनाया – अगर किसी ने हमें एक साथ ऐसे देख लिया तो....
अभय –(कमरे का दरवाजा लॉक करके) अब ठीक है जो भी आएगा उसे दरवाजा खटखटाना पड़ेगा पहले....
शनाया –(हस्ते हुए) तुम बहुत तेज हो गए हो....
अभय –(हस्ते हुए) आपकी संगत का असर है मैडम (शनाया के गल पे हाथ रख) अब बताइए क्या बात है....
शनाया – कोई बात नहीं है अभय....
अभय – सिर्फ एग्जाम होने की वजह से आप मेरे पास नहीं आई ये वजह तो नहीं हो सकती है....
शनाया –(मुस्कुरा के) अच्छा उस रात तुम्हारे पास नहीं आई इसीलिए बोल रहे हो तुम....
अभय – (मुस्कुरा के) बिल्कुल भी नहीं अगर ऐसा होता तो आप आज भी नहीं रुकती मेरे पास चलो अब बता भी दो बात को अगर सच में आप प्यार करती हो मुझसे....
शनाया –(मू बना के) तुम बार बार ऐसा क्यों बोल रहे हो प्यार नहीं करती मै तुमसे....
अभय –(मुस्कुरा के) फिर क्या बोलू बताओ आप....
जवाब में शनाया चूमने लगी अभय को जिसमें अभय पूरा साथ दे रहा था शनाया का
काफी देर तक एक दूसरे को चूमने के बाद शनाया हल्का मुस्कुरा के अपनी नाइटी उतार दी उसी बीच अभय ने अपने कपड़े उतार दिए
यू जिसके बाद शनाया अभय के गले लेग्स चूमे जा रही थी और अभय ने मौके पर शनाया की ब्रा खोल दी
अपने बेड में लेटा के एक हाथ से शनाया की कच्ची में छिपी चूतपर हाथ फेरने लगा
तो दूसरे हाथ से बूब्स पे हाथ फेरने लगा इस दोहरे हमले से शनाया का शरीर तिलमिला रहा था
शनाया की तिलमिलाहट देख अभय ने अपना मू शनाया के बूब्स में रख चूसने लगा जिस वजह से शनाया को अंजना सा एक नया एहसास मिल रहा था
बस प्यार से अपने कोमल हाथों से अभय के गालों पे हाथ फेर रही थी जो इस वक्त बूब्स चूसने में लगा था
यू जिसके बाद अभय अपना मू हटा के अपने हाथ को शनाया के कमर से नीचे ले जाके पैंटी को पकड़ नीचे कर दिया जिसमें शनाया ने मुस्कुरा के अपनी कमर उठा के साथ दिया
शनाया की साफ चूत देख अभय ने फौरन ही छूट को प्यार से चूम लिया
जिस वजह से शनाया को अपने शरीर में एक झटका सा लगा कुछ बोलने को हुई थी शनाया लेकिन ये मौका उसे ना मिल पाया क्योंकि अभय चूत को चूमने के साथ अपनी जबान को तेजी से चलने लगा जिस वजह से शनाया नए एहसास के आनंद के मजे में खो गई
अभय के चूत चूसने की तेजी से शनाया उस आनंद में इतना खो गई उसे पता भी नहीं चला कि कब उसका हाथ अभय के सर पे चला गया
एक हाथ से अभय के सर को अपनी चूत में दबाए जा रही थी तो दूसरे हाथ से बेड शीट पर अपनी मुट्ठी का ली थी उसने
जिसके बाद अभय चूत से मू हटा के शनाया के पेट से उसकी गर्दन तक अपनी जबान चलते हुए हुए ऊपर आके दोनो ने होठ मिल के एक दूसरे को चूमने लगे
जिसके बाद शनाया धीरे से नीचे जा के अभय के अंडरवियर को नीचे कर लंड पर अपनी जबान चलाने लगी
और तुरंत अपने मू में ले लिया
लंड को चूसने के दौरान अभय ने एक हाथ शनाया के सर पे रखा तो दूसरे हाथ से उसकी मोटी गांड़ पर फेरने लगा
अभय अपने बेड में बैठ गया और शनाया पेट के बल लेट अभय के लंड को लॉलीपॉप की भाटी चूस जा रही थी इस आनंद में अभय भी अपने हाथ से शनाया की गांड़ में चारो तरफ घुमाए जा रहा था
कुछ देर में अभय खुद टेडा लेट के शनाया को अपने ऊपर लाके 69 की पोजीशन में दोनो एक दूसरे के अंगों का मजा ले रहे थे
लेकिन अभय की जबान ने पहले की तरह अपना कमल फिर दिखाया जिस वजह से शनाया को फिर से झटका लगा
शनाया – (मदहोशी में) तुम कमाल के हो अभय तुमने तो मुझे हिला डाला सिर से पाओ तक....
अभय –और आप भी कम कहा हो....
बोल के मुस्कुराते हुए शनाया घूम के अभय के ऊपर आ गई आते ही अभय के लंड को अपनी चूत में लेने लगी धीरे धीरे दर्द को सहते हुए नीचे हों एलजी जिसमें अभय ने शनाया की कमर को कस के पकड़ शनाया को ऊपर नीचे करने लगा
धीरे धीरे दर्द का एहसास के जाने से शनाया कमर को तेजी से ऊपर नीचे करने लगी साथ ही अभय इसमें पूरी मदद करने लगा शनाया कि
अपनी काम लीला में दोनो पूरी तरह खो चुके थे
कभी एक दूसरे को बेइंतहा चूमते साथ एक दूसरे के अंगों को सहलाए जा रहे थे
इसी बीच शनाया के ऊपर नीचे होने की रफ्तार कम पड़ने लगी जिसके बाद अभय ने शनाया को पलट उसके ऊपर आके मोर्चा संभाला
और लंड को चूत में डाल के तेजी से हचक के चोदने लगा शनाया को
आज शनाया को जिंदगी के सीसीएस असली आनंद की प्राप्ति हो रही थी
ओए जिसका एहसास अभय को भी मिल रहा था दोनो की सिसकियां और थप थप की आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी
एक दूसरे को अपनी बाहों में जैसे समाने में लगे हुए थे दोनों
इतनी देर की मेहनत रंग लाने लगी दोनो की
दोनो एक दूसरे को चूमते हुए परम आनंद की कगार में आ गए
अभय और शनाया ने एक साथ चरमसुख को प्राप्त कर लिया जिसके बाद....
शनाया –(लंबी सास लेते हुए) तुम सच में बहुत वाइल्ड हो गए थे....
अभय –(लंबी सास लेते हुए) मजा नहीं आया आपको....
शनाया –(मुस्कुरा के) बहुत मजा आया मुझे आज पहली बार सेक्स में , मुझे तो पता ही नहीं था इतना मजा भी आता है इसमें....
अभय –(मुस्कुरा के) लगता है आपने पहली बार किया है आज....
शनाया – हा अभय मैने आज से पहले कभी ऐसा सेक्स नहीं किया था....
अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा फिर कैसा किया था सेक्स अपने....
शनाया – मै जब भागी थी घर से जिस लड़के के साथ तब मंदिर में शादी की थी हमने उसके बाद वो मुझे अपने दोस्त के घर में ले गया था वहां पर हमने बस उस रात वक्त बिताया था लेकिन वो सेक्स नहीं कर पा रहा था और तब मुझे पता नहीं था इतना सेक्स के बारे में बस उस रात के बाद जब सुबह मेरी नींद खुली देखा वो गायब हो गया मैने सोचा गया होगा खाने को लेने लेकिन वो वापस नहीं आया लेकिन उसका दोस्त और उसकी बीवी आ गए घर वापिस तब उसने भी पता लगाया लेकिन कही पता ना चला उसका उसके बाद मुझे पता चला जब मैने अपना सामान देखा जेवर पैसे सब गायब थे बाकी का तो तुम जानते हो....
बोलते बोलते शनाया कि आंख से आसू आ गए थे....
अभय –(शनाया के आंख से आसू पोछ के) भाड़ में जाए वो अब से उसके बारे में आपको याद करने की कोई जरूरत नहीं है अब से मै हूँ आपके साथ हमेशा के लिए....
शनाया –(गले लग के) तुम मुझे छोड़ के नहीं जाओगे ना....
अभय –(मुस्कुरा के) जिसकी कसम खिला दो मै हमेशा साथ रहूंगा आपके....
शनाया –(अभय का हाथ अपने सिर में रख के) कसम खाओ मेरी मै जो बोलूंगी मानोगे तुम और करोगे भी....
अभय –(मुस्कुरा के) इसमें कसम देने की क्या जरूरत है....
अभय की बात पर शनाया घूर के देखने लगी अभय को जिसे देख....
अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा बाबा मै कसम खाता हु जो भी बोलोगी मै वही करूंगा और मानूंगा भी (शनाया के सिर से हाथ हटा के) अब खुश हो आप....
शायना –(मुस्कुरा अभय के गले लग के) हा बहुत खुश हूँ , अब से तुम किसी को नहीं बताओगे हमारे रिश्ते के बारे में पायल को भी नहीं....
अभय –(चौक के) लेकिन....
शनाया –(अभय के मू पर उंगली रख के) अभी मेरी बात पूरी नहीं हुई चुप चाप सुनो मेरी बात बस....
शनाया की बात सुन हा में सिर हिला के....
शनाया – अब मैं जो बोलने जा रही हू वो तुम्हे मानना पड़ेगा समझे तुम संध्या से इतना रुडली (Roodli) बात जो करते हो वो सही नहीं है समझे मां है वो तुम्हारी....
शनाया की बात सुन अभय घूरने लगा....
शनाया –(अभय के घूरने को समझ उसके गाल पे हाथ रख के) अभय दुनिया में गलती इंसान से ही होती है मानती हूँ संध्या से गलती हुई है इसका मतलब ये तो नहीं उसे एक मौका भी ना दिया जाएं प्लीज मत कर उसके साथ ऐसा जैसी भी सही भले तू मा नहीं मानता उसे लेकिन वो भी इंसान ही है ना तुझे क्या लगता है कि शालिनी जी को अच्छा लगता होगा जब संध्या के सामने तू उसे मा बोलता है ,सच बोलना तुम अभय....
अभय –मै मानता हु बात ये सच है लेकिन एक बात ये भी सच है मैने उसे मां मानना बहुत पहले छोड़ दिया था....
शनाया –(अभय के कंधे पे हाथ रख) तो ठीक है भले तू उसे अपना कुछ नहीं मानता लेकिन अब से तू संध्या के साथ सही से पेश आएगा क्या मेरे लिए इतना कर सकता है तू....
अभय –(हल्का हस के) आपके लिए कुछ भी करूंगा मै....
शनाया –THATS LIKE MY LOVE....
अभय –(मुस्कुरा के) अच्छा मैने तो आपकी बात मान ली अब एक सच आप भी बताओ मुझे....
शनाया –हा पूछो ना जो मन में आय सब बताओगी तुम्हे....
अभय – वो क्या लगती है आपकी जो उसके लिए इतना कर रहे हो आप....
शनाया –(अभय का सवाल सुन हसी रोक के) अगर मैं बता दूं तो तू दूर तो नहीं जाएगा मुझसे....
अभय –(शनाया का हाथ अपने हाथ में लेके) वादा किया है हमेशा आपके साथ रहने का चाहे कुछ भी हो जाय हमेशा आपसे प्यार करता रहूंगा और साथ रहूंगा....
शनाया –(अपनी आंख बंद करके) संध्या मेरी सगी जुड़वा बहन है अभय....
इसके बाद शनाया चुप हो गई बिना अपनी आंख खोले जिससे अभय का रिएक्शन ना देख सके तभी....
अभय –(शनाया के गाल पे हाथ रख के) तो अब तक छुपाया क्यों आपने मुझसे....
शनाया जिस बात के डर से उसे लगा कि अभय का रिएक्शन कही अलग न हो लेकिन जिस तरह से अभय का जवाब आया उसे सुन अपनी आंख खोल के....
शनाया –(हैरानी से अभय को देखते हुए) तुम इस तरह....
अभय –(शनाया हाथ पकड़ के) जब मैने आपसे कहा कि मैं उसे मां नहीं मानता तो फिर उस हिसाब से आप मेरी क्या हुई कुछ नहीं बल्कि आप सिर्फ मेरे लिए वैसी हो जैसे मैं पायल को मानता हूँ बस....
अभय की बात सुन शनाया गले लग गई अभय के....
अभय –(सिर पे हाथ फेर के) चलिए सो जाइए अब सुबह कॉलेज भी जाना है हमे....
शनाया –मै अपने कमरे में जा रही हू....
अभय –क्यों यही सो जाइए ना....
शनाया – नहीं अभय संध्या को मेरी जरूरत पड़ सकती है तुम जानते हो ना उसकी हालत....
अभय –हम्ममम....
शनाया बोल के बेड से उठ जैसे ही जमीन में पैर रखा तुरंत बेड में बैठ गई....
अभय –(शनाया को संभालते हुए) इसीलिए बोल रहा था यही सो जाओ आप....
शनाया –(मुस्कुरा के) बड़ा पता है तुम्हे , मै नहीं रुकने वाली....
अभय –(मुस्कुरा के अपने बैग से पैंकिलर पानी के साथ शनाया को दे के) इसे लेलो आप सुबह तक आराम हो जाएगा आपको....
उसके बाद अभय ने खुद शनाया को कपड़े पहना दिए जिसके बाद....
शनाया –(अभय के गाल में किस करके) GOOD NIGHT MY LOVE....
अभय – GOOD NIGHT LOVE....
बोल के शनाया संध्या के पास चली गई संध्या के बगल में लेट ही उसे पता चल गया संध्या गहरी नींद में सो रही है जिसके बाद शनाया भी सो गई अगले दिन सुबह सब तयार होके नीचे हॉल में आ गए अभय अपने कमरे से निकला तभी....
शालिनी –(अभय से) नींद अच्छी आई तुझे....
अभय –जी मां....
शालिनी – (प्यार से अभय के सर पे हाथ फेर के) संध्या को नीचे ले चल तू मै उसे बाहर लेके आती हु....
शालिनी बोल चांदनी के साथ संध्या के कमरे में चली गई जहां संध्या बैठी थी शनाया बाथरूम से निकल रही थी उसकी अजीब चाल देख....
शालिनी –तुझे क्या हुआ शनाया ऐसा क्यों चल रही हो....
शनाया –(मुस्कुरा के) बाथरूम में पैर स्लिप हो गया था मेरा तभी....
शालिनी –तुम ठीक हो ना नहीं तो आज कॉलेज मत जाओ....
शनाया –नहीं दीदी मै ठीक हु पैन्किलर लेलूगी ठीक हो जाएगा जल्दी ही....
शालिनी –ठीक है (संध्या से) तुम तयार नहीं हुई चलो मैं तैयार करती हु....
संध्या –अरे नहीं दीदी मै तैयार हो जाऊंगी खुद....
शालिनी –(मुस्कुरा के) हा हा पता है चल मै तैयार करती हु तुझे जब ठीक हो जाना फिर खुद होना तयार....
संध्या को तैयार करके चारो एक साथ कमरे से बाहर निकले जहा अभय बाहर इंतजार कर रहा था चारो के बाहर आते ही अभय से संध्या को अपनी गोद में उठा सीडीओ से नीचे आने लगा इस बीच संध्या हल्का मुस्कुरा के सिर्फ अभय को देखे जा रही थी जिसे देख शालिनी , चांदनी और शनाया मुस्कुरा रहे थे कुर्सी में बैठा के अभय खुद बगल में बैठ गया जहा ललिता और मालती खुश थे अभय को इस तरह देख के नाश्ता परोस के सबने खाना शुरू किया इस बीच संध्या नाश्ता कम अभय को ज्यादा देख रही थी....
चांदनी –(धीरे से संध्या को) मौसी आपक अभय अब यही रहेगा हमेशा के लिए dont worry आप नाश्ता करो बस....
संध्या –(हल्का हस के) हम्ममम....
नाश्ते के बाद चांदनी हवेली में रुक गई संध्या के साथ शालिनी अपने साथ अभय ओर शनाया को लेके कॉलेज की तरफ निकल गई रस्ते में....
शालिनी –अभय आज से तू अकेला कही नहीं जाएगा....
अभय –(मुस्कुरा के) मा आप बिल्कुल भी परेशान मत हो कुछ नहीं होगा मुझे....
शालिनी – तुझे कोई एतराज है अकेले बाहर न जाने से....
अभय –(शालिनी के हाथ में अपना हाथ रख के) मां किसी में इतनी हिम्मत नहीं आपके बेटे को छू भी सके कोई मै जनता हूँ आप कल के हादसे से परेशान हो....
शालिनी –तू समझ नहीं रहा है अभय वो जो भी है वो....
अभय –(बीच में बात काट के) यही ना कि उसने मुझे ओपिन चैलेंज दिया है....
शालिनी –(हैरानी से) तू ये कैसे कह सकता है....
अभय –(हस के) तुम्हारा करीबी राजदार नाम ढूढना तुम्हारा काम , इस खेल के हम दो खिलाड़ी देखते है क्या होगा अंजाम , यही लिखा था न उस कागज में मां , मै अच्छे से समझ गया था उसे पढ़ के की उसने मुझे चैलेंज दिया है....
शालिनी –(कुछ सोच के) आखिर कौन हो सकता है वो....
अभय –ये बात तो पक्की है मां वो जो भी है मुझे जनता है अच्छे से....
शालिनी –(अभय की बात सुन) मुझे लगता है अभय गांव में अब सबको पता चल जाना चाहिए तू कौन है....
अभय –नहीं मां....
शालिनी –लेकिन क्यों बेटा....
अभय –मां मुझे लगता है वो जो भी है वो भी यही चाहता है कि पूरे गांव को पता चल जाय मेरे बारे में....
शालिनी – (चौक के) क्या मतलब है तेरा और वो क्यों चाहेगा कि तेरे बारे में पूरे गांव को पता चले इसमें उसका क्या फायदा....
अभय – यही बात तो मुझे समझ नहीं आ रही है मां....
तभी कॉलेज आ गया अभय और शनाया उतर के जाने लगे तभी शालिनी ने अभय को अपने पास बुलाया....
अभय – हा मा....
शालिनी – तू गन रखता है अपने पास आज भी....
अभय –हा मा रखता हु....
शालिनी – प्लीज ध्यान रखना अपना देख तुझे कुछ हो गया तो....
अभय –(बीच में बात काट के) मां उस पहेली का जवाब पता है आपको क्या है....
शालिनी –क्या जवाब है उस पहेली का....
अभय –पहेली (वो हो सकता है निर्दई नाजुक या नेत्रहीन , पर जब वो छीन जाता है तो हिंसा होने लगती है संगीन) जवाब है INSAAF....
शालिनी –(हैरानी से) किस चीज का INSAAF मांग रहा है वो....
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जारी रहेगा![]()
Ji bhai kahi per kuch galti hue hai mere se update me jis wajh se aapne jo bat boli wo bilkul sahi haiUpdate 9 कहानी को हल्का कर दिया अभय के अंदाज ने अभी नहीं दिखाना था ये सब
Ignore Maro baekar ki baato ko bhaiJin ko story se dikkat ho g$$#d faad do unki bhai![]()
Bat intresting hai hai aapki lekin mujhe abhi tak ye nahi samj aaya ki aapne story such me sahi se read ki hai nahi agar esse me mera jawab se shayd he satisfy ho sko aapSo this guy doesn’t feel anything for Manan Thakur also, because Sandhya comes along with Manan Thakur and after knowing Shanaya is sister of sandhya Thakur he is saying he doesn’t have any feelings about her…if so he doesn’t have any feelings for his father also and about himself also he got birth from Sandhya’s womb, she nurtured him with love and care…and had trust and faith in him so made locket of key to get the treasure hidden by his grandfather…if she was like him or like in his thought she would have put it on the aman…this character named Abhaya will never understand what his mother is and how she has been up to here…when they were unknown about eachother’s relationship having sex was natural but even after knowing she is his mother’s sister is worst that too pretending he has no relation with his mom is worst…give some light in his life…story is now in single track no progress in thought of this guy is worst…