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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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पापा के दोस्त के घर में चूत चुदाई का घमासान- 1



यह एक ऐसी हस्बैंड फ्रेंड सेक्स कहानी है, जिसे पढ़ कर लौंडे बिना मुठ मारे … और लौंडियां अपनी चूत में उंगली किए बिना नहीं रह पाएंगी.

मेरी फैमिली काफ़ी धनाढ्य और खुली मानसिकता वाले हैं.
सेक्स से सम्बन्धित बातों को लेकर हम सब एकदम खुले हुए हैं.

मेरे पापा मिस्टर प्रभात कुमार एक सफल बिजनेसमैन हैं और मम्मी सन्ध्या एक हाउस वाइफ हैं. मेरी मम्मी कभी कभी पापा को उनके बिजनेस में हेल्प भी करती हैं.
उनकी मदद किस तरह की होती है, ये मुझे बताने की जरूरत नहीं है, आप लोग खुद ही समझ सकते हैं.

जब पापा की कोई डील फाइनल नहीं हो रही होती थी, तब मम्मी अपनी जवानी का जादू बिखेर कर उस डील को पापा को दिलवा देती थीं.

मेरी बड़ी बहन जिज्ञासा एक एनजीओ में सामाजिक सेवा कर रही है.
उसकी शादी की बातें भी चल रही हैं.

मेरे माता पिता काफी उच्च शिक्षा प्राप्त हैं. फिर भी मेरी फैमिली काफ़ी चुदक्कड़ है और सभी लोग सेक्स का मज़ा भरपूर लेते हैं.

अभी मेरे पापा 43 साल के हैं जबकि मेरी मम्मी 42 साल की हैं लेकिन वो लगती 28 साल की हैं.

मेरी मॉम नियमित रूप से योग और एरोबिक्स करती हैं.
कभी कभी तो नए लोग मेरी मम्मी और मेरी बहन को छोटी और बड़ी बहन समझ कर ग़लती कर देते हैं.

दोस्तो, मेरी एक आदत है कि अगर मैं कुछ पाने की ठान लेता हूँ, तो मैं पागल कुत्ते की तरह उसके पीछे पड़ जाता हूँ.
इसी लिए मेरी लाइफ स्टाइल में बड़ा सुधार भी आया है.

ये बात पिछले साल की सर्दियों की है. उस समय क्रिसमस का मौका चल रहा था.

उन दिनों मैं कैम्पस इंटरव्यू की तैयारी कर रहा था.
मेरी सर्दियों की छुट्टियां हुई थीं.

उस साल मेरे पापा और मम्मी शिमला जाने की प्लानिंग कर रहे थे.
पापा और मम्मी ने मुझे और दीदी को ये बात बताई, पहले तो मैंने ये कह कर मना कर दिया कि मैं अभी इंटरव्यू के लिए काफ़ी मेहनत कर रहा हूँ, मैं नहीं जा सकता हूँ. आप लोग मेरे बिना ही चले जाओ.

पापा ने कहा- बेटा सन्नी, हम लोग तेरे बिना ये ट्रिप एंजाय नहीं कर पाएंगे.
मम्मी और दीदी ने भी मुझे काफ़ी मनाने की कोशिश की.

मैं और ज्यादा इमोशनल अत्याचार सह नहीं पाया और मैंने हां कह दिया.

दोस्तो, उन दिनों मेरी सेक्सुअल लाइफ एकदम बकवास हुई पड़ी थी.
मैंने मुठ मारना भी छोड़ दिया था क्योंकि मैं अपने करियर के बारे में काफ़ी गम्भीर था.

मैं सेक्स करना और मुठ मारने को एक गलत आदत समझता हूँ.
खैर इस बकचोदी को बाद में लिखूंगा.

हम लोग क्रिसमस के दो दिन पहले शिमला के लिए रवाना हुए.
मम्मी ने शॉर्ट कुर्ती और जींस पहनी हुई थी.

पापा ने अपने दोस्त मिस्टर इन्द्रेश को कॉल करके बता दिया था.

मिस्टर इन्द्रेश मेरे पापा के कॉलेज के टाइम के दोस्त थे.
उनकी पत्नी मिसेस रूचिका भी मेरे पापा और मम्मी को कॉलेज के टाइम से जानती थीं.

मिस्टर इन्द्रेश का शिमला में होटल बिजनेस था और वो काफ़ी धनाढ्य थे.
मेरे पापा ने उनकी फैमिली को कई बार मदद की थी.

एक बार इन्द्रेश अंकल का बिजनेस जब घाटे में चल रहा था तो पापा ने उनकी आर्थिक मदद की थी.

दूसरी बार मिस्टर इन्द्रेश का बेटा ईशान जब शराब के नशे में अपनी लाइफ बर्बाद कर रहा था, तब मेरे पापा ने ही उसे गाइड करके उसे अपनी तरह एक सफल बिजनेसमैन बना दिया था.

तीसरी बार मिस्टर इन्द्रेश की बेटी कशिश की शादी की समस्या चल रही थी, उसका एनआरआई पति उसे छोड़ देना चाहता था.
मेरे पापा ने उस समस्या को भी हल कर दिया था और कशिश की शादीशुदा जिंदगी को एक नया रास्ता दिखाया था.

इसलिए इन्द्रेश और उनका परिवार मेरे पापा और मम्मी को बहुत चाहते थे.

हम लोग शिमला स्टेशन से सीधा इन्द्रेश अंकल के घर की तरफ चले.

वहां पर उनकी फैमिली ने हम सभी का गर्मजोशी से स्वागत किया.
मिस्टर इन्द्रेश का घर किसी फाइव स्टार होटल से कम नहीं था.

उनके घर में इन्द्रेश अंकल, रूचिका आंटी के अलावा उनकी बहू रुखसार भी थी.
ईशान बिजनेस के सिलसिले में अमेरिका गया था.

उसी दिन शाम को कशिश अपनी ससुराल से आने वाली थी.

शाम को हम लोग बातें कर रहे थे, तभी कशिश भी घर पहुंच गई थी.
वो हम लोगों से मिल कर बहुत खुश हुई. उसने मुझे कसके अपने गले से लगाया.

मुझे उसके बड़े बड़े बूब्स का अहसास हुआ.
वो मुझसे दो साल बड़ी थी. इसलिए मैं उसे दीदी बुला रहा था.

उसने मुझे झप्पी देते हुए मेरे गाल पर एक पप्पी भी दे दी.

कशिश- सन्नी, कितना बड़ा हो गया रे … लगता है हम सबको तो भूल ही गया!
मैं- क्या बात कर रही हो दीदी! आपको कैसे भूल सकता हूँ.

मेरी दीदी जिज्ञासा इन्द्रेश अंकल के घर ना रुक कर अपने एनजीओ के काम से चली गयी.

खाना खाकर मैं रात को अपने कमरे में सोने चला गया. कशिश दीदी और रुखसार भाभी अपने कमरे में टीवी देख रही थीं.
पापा मम्मी और इन्द्रेश अंकल, रूचिका आंटी मेरे कमरे से लगे हुए एक बड़े से हॉल में टीवी देख रहे थे और गप्पें मार रहे थे.

मुझे नींद नहीं आ रही थी. मैं दरवाज़े पर कान देकर हॉल में होने वाली बातों को आसानी से सुन पा रहा था.

रूचिका आंटी मेरे पापा से बोल रही थीं.

रूचिका आंटी- प्रभात, कॉलेज के टाइम मैं आपको मुझे चोदने का काफ़ी मौका मिला, फिर भी आपने उसका फायदा नहीं उठाया. मैं तो इसी लिए आपसे नाराज़ हूँ.
पापा- भाभी, एक तो इन्द्रेश मेरा सबसे अच्छा दोस्त आपको प्यार करता था, दूसरी बात मैं सन्ध्या डार्लिंग (मेरी मम्मी) के प्यार में पागल था.

मैं उनकी ये बात सुन कर शॉक्ड हो गया.
अब मुझसे रहा नहीं गया और मैं उठ कर दरवाजे के की-होल से उन्हें देखने लगा.

रूचिका आंटी- पर आज तो पूरा मौका मिला है … आज तो मुझे चोद डालो प्लीज़. आज सन्ध्या भी कुछ नहीं बोलेगी.
आंटी ने सन्ध्या की तरफ आंख मारते हुए कहा.
उनकी इस बात से सब लोग हंसने लगे.

मैं दरवाजे के की होल से झांकने में लगा था मगर वहां से सब कुछ अच्छे से दिखाई नहीं पड़ रहा था तो मैं एक टेबल के ऊपर चढ़ कर रूम के रोशनदान की तरफ से अन्दर झांकने लगा.

मैंने देखा एक तरफ चिमनी में आग जल रही थी.
उन लोगों ने फर्श पर नीचे ही एक गद्दा बिछाया हुआ था, उसी पर सब लोग बैठे थे.

एक तरफ रूचिका आंटी पापा को पागलों की तरह किस कर रही थीं.
उन्होंने गोल्डन कलर का टाइट शॉर्ट कुर्ता और चूड़ीदार पजामा पहना था.
उसमें वो काफ़ी सेक्सी माल लग रही थीं.

रूचिका- प्रभात आप मेरे मम्मों को दबाओ न प्लीज़ … कब से मेरे मम्मों को आपके हाथों का इन्तजार था.
पापा रूचिका आंटी के मम्मों को उनकी कुर्ती के ऊपर से दबाने लगे थे.
उनके दबाने से रूचिका आंटी को मजा आने लगा था.

रूचिका- एक मिनट रूको डार्लिंग. अभी पूरा मजा लो न.

ये बोल कर उन्होंने अपनी कुर्ती खोली और अपनी टाइट सिल्क ब्रा को निकाल फैंका.
उनके गोरे और बड़े बड़े मम्मे बाहर निकल आए.

पापा- अरे वाह भाभी, क्या बात है … आपकी साइज़ तो मेरी बीवी से काफ़ी बड़ी हो गयी है. लगता है इन्द्रेश इन पर काफ़ी मेहनत करता है.
रूचिका- मेरे दूध आपको अच्छे लगे … तो देखते क्या हो जानू … टूट पड़ो न मेरी चूचियों पर. आज ये आपको मस्त कर देंगी.

पापा ने उनकी एक तरफ़ की चूचि को हाथ में पकड़ा और आटे की तरह गूँथना शुरू कर दिया.
वो आंटी की दूसरी चूचि को अपने मुँह में लेकर खा रहे थे.

दस मिनट बाद रूचिका आंटी ने पापा की पैंट और अंडरवियर निकाल कर एक तरफ फेंक दी.

फिर रूचिका आंटी किसी सड़क छाप रंडी की तरह पापा के बड़े लंड को मुँह लेकर चूसने लगीं.
वो पापा के लौड़े को आइसक्रीम की तरह चूस रही थीं.

पापा- ऊ भाभी … मेरी प्यारी भाभी, आपके होंठ मदहोश कर देने वाले हैं.

रूचिका आंटी की लाल लिपस्टिक ने पापा के लंड को बंदर के लंड की तरह लाल बना दिया.

फिर 5 मिनट बाद रूचिका आंटी ने खुद ही उठ कर अपनी पजामी निकाल दी.
अब उनके शरीर पर एक लाल रंग की सिल्की पैंटी ही बची थी.

पापा ने आंटी को चित लिटाया और अपनी जीभ रूचिका आंटी की चूत पर पैंटी के ऊपर से फेरने लगे.
अगले ही झटके में पापा ने उनकी पैंटी भी निकाल फैंकी.

अब वो एकदम मादरजात नंगी थीं.
क्या दूधिया बदन था आंटी का!

पापा फिर से उनकी चूत चाटने लगे.
रूचिका आंटी चिल्ला चिल्ला कर अपनी चूत चटवा रही थीं- आह उई मां … कितना मज़ा आ रहा है … आज मेरी चूत को खा जाओ प्रभात डार्लिंग … ये भोसड़ी का मेरा गांडू पति मेरी चूत को चाटता ही नहीं मादरचोद!

मैं ये सुनकर हैरान था कि आंटी सबके सामने अपने पति को गाली दे रही थीं.

फिर दस मिनट बाद आंटी की चूत झड़ने की पोजीशन में आ गई और उनके मुँह से गर्म आवाजें निकलने लगी- आआहह … जानू … मैं झड़ने वाली हूँ … आह मैं तो गई जानू!

ये कह कर रूचिका आंटी ने अपनी चूत से फव्वारा छोड़ दिया.
उनकी चूत से बहुत सारा पानी निकलने लगा और पापा ने आंटी की चूत में मुँह अड़ा दिया और वे रूचिका आंटी की चूत का सारा पानी पी गए.

रूचिका- प्रभात प्लीज़ … अब मुझे चोद डालो डार्लिंग. मुझसे अब रहा नहीं जाता!

पापा ने भी बिना देर किए अपना मोटा लंड रूचिका आंटी की चूत पर लगा दिया और एक जोरदार झटके से पूरा का पूरा लंड अन्दर पेल दिया.
आंटी की जोरदार चीख निकल गई- आई मर गई आह जान … क्या मूसल घुसा है आज … आह मजा आ गया मेरी जान!

फिर पापा ने रूचिका आंटी की टांगें फैला कर उनकी चूत का भोसड़ा बनाना चालू कर दिया.
वो ताबड़तोड़ आंटी को चोदने लगे.

रूचिका आंटी हस्बैंड फ्रेंड सेक्स का चिल्ला चिल्ला कर मजा ले रही थीं- उई ईईई … मादरचोद … धीरे से चोद … बहनचोद अभी सारी रात पड़ी है. मुझे भी अपनी बीवी समझ मेरी जान!

पापा आंटी के चिल्लाने की बिना परवाह किए हुए मज़े ले लेकर उन्हें चोद रहे थे.

पूरे रूम में फ़चाफच की मधुर आवाज़ गूँज रही थी.

दूसरी तरफ मम्मी, इन्द्रेश अंकल के लंड को ज़ोर ज़ोर से हिला रही थीं.
इन्द्रेश अंकल को शर्म आ रही थी.

इन्द्रेश- भाभी प्लीज़.
मम्मी हंसती हुई बोलीं- इन्द्रेश भाई, आप भी बच्चों की तरह बन रहे हो … देखो न आपकी बीवी और मेरे पति मज़े से चोदा चोदी का खेल रहे हैं.

यह कह कर मम्मी ने अपनी लंड मुठियाने मारने की स्पीड बढ़ा दी.
इन्द्रेश अंकल चिल्लाते हुए- आह सन्ध्या भाभी … धीरे से करो प्लीज … आह मेरा केला छिल जाएगा आह!

कुछ मिनट बाद इन्द्रेश अंकल के लंड की मां चुद गई.
‘ऊह भाभी मैं तो गया … आह.’ यह कह कर 5-6 शॉट में ही इन्द्रेश अंकल ने अपनी मलाई निकाल दी.

अंकल के लंड से रबड़ी टपकाने के बाद मम्मी ने अपनी कुर्ती ब्रा और जींस निकाल फैंकी.
अब वो सिर्फ़ चड्डी में थीं.

फिर उन्होंने अपनी चूचियां इन्द्रेश अंकल के मुँह में दे दीं- इन्द्रेश जानू, लो मेरी चूचियों को खाओ … इनका रस चूसो.
इन्द्रेश अंकल मज़े से मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियों का आनन्द उठाने लगे.

मम्मी ने अपने हाथों से इन्द्रेश अंकल के लंड को सहला कर फिर से खड़ा कर दिया.
 

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पापा के दोस्त के घर में चूत चुदाई का घमासान- 2



अब तक आपने पढ़ा था कि मेरे पापा के दोस्त इन्द्रेश और उनकी बीवी रूचिका आंटी, मेरे मम्मी पापा के साथ सेक्स कर रहे थे.
पापा ने आंटी को चोदना चालू कर दिया था और मम्मी ने इन्द्रेश अंकल का लंड सहलाना शुरू कर दिया था.

अब आगे मॉम हॉट फ्रेंड सेक्स कहानी:

मेरी मम्मी ने इन्द्रेश अंकल को सोफे पर बैठा कर उनको कंडोम पहनाया
और उनके लौड़े के ऊपर चढ़ कर घोड़े की सवारी की तरह उन्हें चोदने लगीं.

वो नज़ारा वाकयी देखने लायक था.

मम्मी की बड़ी बड़ी चूचियां उनके हर धक्के के साथ ज़ोर ज़ोर से हिल रही थीं.
मेरा लंड ये नजारा देख कर खड़ा हो गया और मुझे मुठ मारने का मन हो गया.

इन्द्रेश अंकल लगभग रोते हुए अपने लंड को मां बहन करवा रहे थे- आह सन्ध्या भाभी, प्लीज़ थोड़ा आहिस्ता करो … मेरा लौड़ा दु:ख रहा है.

उधर मम्मी पूरे मूड में थीं. वो आज अंकल के लंड को बख्शने के मूड में नहीं दिख रही थीं.

मम्मी ने गाली दी- चुप रह साले … तेरी भड़वी बीवी मेरे पति के बड़े लंड से मज़े से चुद रही है. तुझे तो शर्म आनी चाहिए मादरचोद.
यह कह कर मम्मी किसी चुदासी रांड की तरह अपनी गांड हिलाने की रफ़्तार बढ़ाने लगीं.

थोड़ी ही देर में इन्द्रेश अंकल ने अपना सारा माल मम्मी की चूत में छोड़ दिया.
लंड पर कंडोम लगा था तो उन्हें कोई डर नहीं था.

दूसरी तरफ रूचिका आंटी- प्रभात डार्लिंग, आज आप मेरी गांड भी मार दो प्लीज. मेरा गांडू पति कभी मेरी गांड नहीं मारता.
उन्होंने पापा का लंड अपनी चूत से बाहर निकाल दिया और खड़ी हो गईं.

वो नंगी ही जाकर थोड़ी वैसलीन और तेल ले आईं. उन्होंने अपने हाथ से ही तेल को पापा के लंड पर मला और वैसलीन को उंगली में भर कर अपनी गांड के छेद में लगा लिया.

रूचिका आंटी ने पापा को एक लिपकिस करते हुए कहा- मेरी गांड तैयार है मेरे जानू … बस जरा आहिस्ते से मेरी गांड में अपना लंड पेलना.

पापा ने रूचिका आंटी की गांड में थूक कर अपना लंड उनकी गांड के छेद पर लगा दिया.
अभी आंटी सम्भल पातीं कि पापा ने एक जबरदस्त धक्का लगा दिया.

रूचिका आंटी की गांड फट गई.
वो चीखती हुई कराहीं- आह मर गई भोसड़ी के … मैंने कहा था ना … धीरे से डालना … मादरचोद … मेरी फाड़ दी कमीने ने … आह थोड़ा प्यार से गांड चोद न!
पापा- आह साली भड़वी रंडी रूचिका, तेरी गांड तो बहुत टाइट है. लगता है तेरी गांड कोई नहीं मारता है. तुम्हारी कुंवारी जैसी गांड का तो आज मैं भोसड़ा बना दूँगा.

तभी मैंने ध्यान दिया कि उनके रूम की तरफ किसी की चलने की आवाज़ सुनाई पड़ने लगी.
मैं जल्दी से उतरा और अपने कंबल में आकर सोने का नाटक करने लगा.
दूसरी तरफ से आवाज़ आ रही थी.

कशिश दीदी, पापा और इन्द्रेश अंकल के रूम में चली आई थीं- अरे वाह, इधर तो गजब की चुदाई लीला चल रही है. मेरे बिना चोदा चोदी खेल रहे हो आप लोग!

वो मेरे पापा को एक फ्रेंच किस देती हुई बीच में आ गईं.

‘क्यों मम्मी, अंकल से अकेले मज़े ले रही हो?’
रूचिका आंटी हंसती हुई बोलीं- हां बेटा, तू भी आ जा … और रुखसार क्या कर रही है … उसे भी बुला ला.

कशिश- रुखसार भाभी तो अपनी चूत में उंगली कर रही हैं … आज भैया नहीं है ना!
रूचिका आंटी- अरे उसे ऐसा करने की क्या ज़रूरत है. चल जल्दी से जा और उसे भी बुला ला. आज घर में नए नए लंड आए हैं.

कशिश दीदी मेरी मम्मी के पास जाती हुई बोलीं- सन्ध्या आंटी, मेरे पापा पर थोड़ा रहम खाओ.
मम्मी- आ जा कशिश … आ जा बेटा, अपने पापा का लंड चूस ले.

कशिश दीदी इन्द्रेश अंकल का लंड अपने मुँह में लेकर ज़ोर ज़ोर से चूसने लगीं.
इन्द्रेश अंकल थोड़ा कसमसाते हुए- हाय बेटी आह छोड़ दे … ये क्या कर रही हो?

कशिश- रूको न पापा, आपका लंड टाइट हो गया है. मैं इसे ढीला करने के लिए आपकी बहू रुखसार को बुला कर लाती हूँ. आज आप उसको चोद डालना.
इन्द्रेश- चल हट साली.

फिर इन्द्रेश अंकल रूचिका आंटी के पास आ गए.

मेरे पापा आंटी की गांड मार रहे थे.
इन्द्रेश अंकल ने अपनी बीवी रूचिका आंटी को लिप किस करते हुए कहा- डार्लिंग, हमारी बेटी और बहू भी चुदने के लिए आ रही हैं … क्या करें? लंड तो कम पड़ जाएंगे.

रूचिका- बात तो सही है. प्रभात और सन्ध्या तुम बताओ क्या करें?
मम्मी- सन्नी दूसरे कमरे में सोया है. वो साला चुदाई के खेल में सब जानता है, लेकिन बेचारा आजकल इंटरव्यू के चक्कर में काफ़ी टेंशन में रहता है. तुम उसे बुला लो, शायद वो हमारी मदद कर दे.

रूचिका- हां मैं कोशिश करके देखती हूँ.
मम्मी पापा दोनों एक साथ बोले- हां ठीक है.

मेरे रूम का दरवाज़ा अन्दर से लॉक नहीं था. मैं जल्दी से कंबल के अन्दर घुसा और सोने का ढोंग करने लगा था.
रूम की लाइट ऑफ थी.

तभी मेरे रूम का दरवाजा खुला और रूचिका आंटी अन्दर आ गईं- सन्नी बेटा सो गए हो क्या?
मैंने जागने का नाटक करते हुए कहा- क्या हुआ आंटी?
रूचिका- बेटा मैंने एक बुरा सपना देखा और मेरी नींद खुल गई. फिर देखा कि तेरे इन्द्रेश अंकल ज़ोर ज़ोर से खर्राटे मार रहे हैं. मैं उनके साथ सो नहीं पा रही थी. फ़िर मैंने सोचा कि आज मैं तेरे साथ यहां पर सो जाती हूँ.

मैं- ठीक है आंटी.
मुझे थोड़ा अटपटा सा लग रहा था क्योंकि मैं कंबल के अन्दर सिर्फ़ अंडरवियर में था.

आंटी मेरे कंबल के अन्दर आ गईं और मेरे जिस्म से चिपक गईं.
रूचिका आंटी पूरी नंगी ही थीं.

मेरे शरीर में करेंट दौड़ गया.
वो मेरे लंड पर हाथ फेरने लगीं.

रूचिका आंटी- बेटा ये क्या है, मैं नंगी आई हूँ और तू अंडरवियर पहन कर सो रहा है.
ये कह कर वो मेरे अंडरवियर को निकालने की कोशिश करने लगीं.

मैंने भी मेरी गांड ऊंची उठा दी, जिससे उन्होंने मेरे अंडरवियर को निकाल कर फैंक दिया.
मैंने कहा- आंटी, आप ये क्या कर रही हैं?

रूचिका आंटी मुझे लिप किस करती हुई और मेरे लंड को पकड़ कर ज़ोर ज़ोर से हिलाती हुई बोलीं- बेटा, मुझे तुम्हारा ये लंड बहुत पसंद है. आज मुझे इसे अपनी चूत में लेने का मन है.

ये कह कर वो मेरे ऊपर आ गईं और मेरे पूरे शरीर को चाटने लगीं.
मैं पूरा गर्म हो उठा.

रूचिका- सन्नी बेटा तुझे बुखार है क्या?
मैं- आंटी इतनी ओवेरक्टिंग भी मत करो. आपको सब कुछ पता है.
रूचिका- तो चलो हम लोगों के साथ चुदाई करो.

मैं कुछ सोच कर उनके साथ चला गया.
उधर मम्मी, पापा की गोद में बैठ कर चुद रही थीं.

रूचिका आंटी भी इन्द्रेश अंकल से जाकर लिपट गईं.

मैं- ये क्या है आंटी … मुझे यहां लाकर खुद अंकल से चिपक गईं?
कशिश- मैं और भाभी हैं न तेरे लौड़े के लिए सन्नी.

मैंने देखा कि बगल वाले रूम से कशिश दीदी और रुखसार भाभी मेरे पास आ गईं.

कशिश- सन्नी तुम लेट जाओ … मैं तुम्हारे लंड की सवारी करूंगी.
रुखसार- आह देख तो कशिश, कितना बड़ा लंड है इसका!

ये कह कर वो ज़ोर ज़ोर से मेरा लंड चूसने लगी.
मैं तो मानो सातवें आसमान पर था.

कशिश- भाभी, मैं पहले चुदवाऊंगी.
रुखसार- थोड़ा तो रहम कर कशिश … आज ही तो तू अपने पति से चुद कर आई है. मुझे देख, तेरे भैया तो कब के गए हुए हैं. मैं तेरी तरह रोज़ रोज़ थोड़ी चुदवा पाती हूँ.

ये कहकर रुखसार भाभी मेरे लंड के ऊपर चढ़ गईं.
उन्होंने अपना अनारकली सूट उतारा नहीं था.
भाभी ने अपनी सलवार और चड्डी थोड़ी नीचे खिसकाई और मेरे खड़े लंड के ऊपर अपनी चूत को लगा कर बैठ गईं.

लेकिन बाहर से उनके शरीर का एक भी अंग नहीं दिख रहा था.
शायद अपने ससुर जी और सासू मां के वहां पर होने की वजह से उन्होंने ये तरीका अपनाया था.

रुखसार भाभी की चूत काफ़ी टाइट थी. वो एक प्यासी और चुदासी बाघिन की तरह मेरी लंड की सवारी कर रही थीं.

मैं – भाभी मुझे आपकी चूची देखनी हैं.
रुखसार- छी: देवर जी, आपको शर्म नहीं आती.

मैं- ओहहो भाभी जान … शर्म की बात तो आप करो ही मत. आप अपनी सलवार हटा कर नीचे जो कारनामा कर रही हैं… वो क्या है?
कशिश- चलो भाभी अब ज्यादा नाटक नहीं करो. उसे आप अपनी बड़ी बड़ी चूचियों का दर्शन करवा ही दो.

रुखसार- मैं ये सवारी नहीं रोकने वाली … कशिश, तू ही मेरे कपड़े उतार दे.
कशिश दीदी ने रुखसार भाभी का कुर्ता उतारा और उनकी सिल्की ब्रा खोल कर दूर फैंक दी.

हैरानी की बात यह थी कि भाभी ब्रा वहां से सीधे इन्द्रेश अंकल के मुँह के ऊपर जा पड़ी.
रूचिका आंटी- ये लो जी अपनी बहू की ब्रा सूँघो.

इन्द्रेश अंकल रुखसार की ब्रा को सूंघते हुए मूड में आ गए और रूचिका आंटी की चूत में धक्कों की बारिश करने लगे.

रूचिका- आह मेरे दल्ले पति … भोसड़ी के अपनी बहू को चोदना है क्या?
इन्द्रेश अंकल- हां मेरी रंडी.

मैं रुखसार भाभी की स्पीड के साथ मैच नहीं कर पाया और झड़ गया.
फिर कशिश दीदी ने मेरा लंड चूस कर कुछ ही मिनट में खड़ा कर दिया.

कशिश- चल सन्नी, हम लोग खड़े खड़े चुदाई करते हैं.
उन्होंने सबको आवाज़ देते हुए कहा- देखो मम्मी पापा, सन्ध्या आंटी, प्रभात अंकल … अब सन्नी और मैं कैसे खड़े खड़े चोदने का खेल खेल रहे हैं.

मैं अपने खड़े लंड के साथ खड़ा था और कशिश दीदी मेरे सामने की तरफ खड़ी थीं.
उन्होंने मेरा लंड अपनी चूत में लिया. मेरे पीछे रुखसार भाभी आ गईं और मुझे पीछे से हग करके हल्का सा धक्का दे डाला. मेरा खड़ा लंड कशिश दीदी की चूत की गहराई में घुस गया.

कशिश दीदी चिल्लाती हुई- आअह मम्मी, मैं मर गई … साली हरामन रुखसार भाभी.

मैंने हल्के हल्के स्ट्रोक देने शुरू कर दिए.
सब लोग चिल्ला रहे थे- कम ऑन सन्नी … कम ऑन कशिश.

अब मैं और कशिश दीदी खड़े खड़े ही एक दूसरे को ज़ोर ज़ोर से चोदने लगे थे.
मैं कशिश दीदी की एक टांग उठा कर उनकी चूत का भोसड़ा बनाने पर तुला था.

कुछ 15 मिनट बाद:

मैं- दीदी … आह मेरा निकलने वाला है … आअहह.
कशिश- साले आह टपका दे मेरी चूत के अन्दर अपने मूसल का माल. आह मैं तो पहले ही झड़ चुकी हूँ.

मैंने 6-7 करारे शॉट मारे और अपने लंड का सारा माल कशिश दीदी की चूत के अन्दर छोड़ दिया.

उसके बाद मैंने रुखसार भाभी की गांड भी खड़े खड़े ही मारी.
फिर भी मैं प्यासा था.

दूसरी तरफ सब लोग थक कर सो रहे थे.

मैं रूचिका आंटी के पास आ गया और बोला- चलो ना आंटी मेरी रूम में … साथ में सोते हैं.
रूचिका आंटी मेरा इशारा समझ गईं.

हम दोनों दरवाज़ा अन्दर से बंद करके कंबल के अन्दर आ गए.

मैं मेरी प्यारी रूचिका आंटी की चूत को घंटे भर पेलता रहा.
मॉम हॉट फ्रेंड कसमसाती रहीं.

रूचिका आंटी रिक्वेस्ट करती हुई बोलीं- बेटा प्लीज मैं मर जाऊंगी … थोड़ा धीरे धीरे पेलो न. इतने तेज धक्के से मेरी चूत का मलीदा बन जाएगा.

मैं रात भर रूचिका आंटी को पेलता रहा और जब मेरा पूरा माल निकल गया.
मैंने अपना लंड रूचिका आंटी के चूत में अन्दर उसी तरह पेले हुए ही सो गया.

उसके अगले दिन रूचिका आंटी ठीक से चल नहीं पा रही थीं.

इसी तरह मेरा और मेरे परिवार का शिमला ट्रिप मज़े से कटा.
 

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चाची को उनके भाई से चुदते देखा



दोस्तो, मैं आपका दोस्त सन्नी सिंह, आज मैं आपको सुनाऊंगा मेरे परिवार की कहानी. इन सब कहानियों को सुनाने के लिए मैं अपने परिवार के अलग-अलग सदस्यों से आपको परिचित करवाऊंगा. आज की कहानी मैं अपनी चाची से शुरू कर रहा हूँ. शारदा मेरी सगी चाची नहीं है, बल्कि मेरे पापा के चाचा के बेटे की बहू है, उसकी आयु 40 साल है लेकिन शरीर की बनावट ऐसी कि बुड्ढों का भी हाल-बेहाल कर दे. कहानी में और भी पात्र हैं, उनका परिचय उनके आगमन के साथ ही मिल जायेगा।

शारदा चाची का घर मेरे ही नगर में कुछ ही दूरी पर है. उनके घर में चाचा-चाची के अलावा उनकी दो बेटियां और एक बेटा है. बड़ी बेटी ममता की शादी हाल ही में हुई है. दोनों बेटियां भी चाची पर गई हैं. कैसै गई हैं आप समझ ही गये होंगे. छोटी बेटी प्राची तो और भी सुंदर और जबरदस्त माल लगती है. चाची का लड़का एकदम रंडीबाज है और मैं जानता था कि अगर उसे मौका मिलेगा तो वो खड़े-खड़े तीनों ही मां- बेटियों को चोद डालेगा. चाचा भी कुछ कम नहीं थे, परिवार में शायद ही कोई बचा हो जिसे उन्होंने नहीं चोदा हो.

मेरे परिवार में मैं, मेरे पापा और मेरी मां, मेरे बड़े भैया, भाभी और एक बहन भी है जिसकी शादी हो गई है. पूरा खान-दान बहुत ही बड़ा है.

बात उस दिन से आरम्भ होती है जब दो दिन बाद ममता की शादी थी. हर कोई भागा-दौड़ी में लगा था. मैं और मेरे कुछ दोस्त भी काम में लगे थे. काम में क्या लगे थे, शादी में आयी चाची की तरफ से आयी हुई लड़कियों और औरतों को ताड़ रहे थे.

साला चाची के खानदान की क्या लड़कियां, क्या औरतें … सब एक से बढ़कर एक!
मुझे लगा कि चाची ने हमें देख लिया था. उनकी पारखी नजरों को समय नहीं लगा यह जांचने में कि हमारी नजरें क्या कर रही हैं.
शारदा चाची- सन्नी, दोस्तों से ही बातें करता रहेगा या कुछ काम भी करेगा?
मैंने मन ही मन सोचकर कहा- चाची आपका तो सारा काम कर दूं आप करने तो दो?
मैंने मन की हवस के आवेग से अपने मन की बात चाची के मन तक पहुंचाने की कोशिश की. मगर ऐसा तो संभव नहीं हो सकता था. मैंने भोला सा चेहरा बनाकर चाची की बात का जवाब अगले ही पल दिया.

“हां चाची बोलिये, मेरे साथ ये मेरे दोस्त भी शादी में हाथ बंटाने आये हैं.”
शारदा चाची- हां-हां मुझे सब पता है कि तुम लोग क्या कर रहे हो!
और एक शरारती मुस्कान आ गयी उनके चेहरे पर यह बात कहते-कहते।
मैं- नहीं नहीं चाची, हम लोग तो बारात के स्वागत की बात कर रहे थे क्योंकि जो दूल्हा है वो भी हमारे ही दोस्तों में से है.
शारदा चाची- सब जानती हूं मैं, चलो जाकर धर्मशाला में व्यवस्था देखो और अपने चाचा का हाथ बटाओ. चाची ने बनावटी गुस्से में कहा।
मैं- जाते हैं चाची।

सभी दोस्त धर्मशाला की ओर प्रस्थान कर गये. रास्ते में मुझे इन्दु (मेरी मंगेतर) का फोन आया.
मैंने दोस्तों से कहा- तुम लोग चलो, मैं आता हूं.
राम (मेरा दोस्त)- हां भई हां, चलो भाभी का फोन आ गया. अब दोस्तों की जरुरत नहीं.
ऐसा बोल कर वो लोग धर्मशाला की ओर चले गये.

मैं फोन पर- हां जी बोलिये, कैसे याद आई हमारी?
इन्दु- जब से सगाई हुई है दिन में आप ही आप याद आते हो.
मैं- अच्छा जी, सिर्फ दिन में ही या रात में भी? कभी रात में भी याद कर लिया करो हमें. हम तो आपको हर रात ही याद करके सोते हैं. मगर आप केवल हमें दिन में ही याद करते हो.
इन्दु – नहीं आप तो मुझे हमेशा ही याद आते रहते हो. हर समय, हर घड़ी …

तभी मैंने देखा कि चाची घर के पीछे बने स्टोर की तरफ जा रही थी (उनके घर के पीछे तीन स्टोर बनाये थे जिन्हें उन्होंने साफ सफाई करके चाची के परिवार वालों को रहने के लिये दिया था शादी में) लेकिन अभी थोड़ी ही देर पहले मैंने चाची के भाई कपिल को उधर जाते देखा था. फिर मैंने मन में सोचा कि भाई बहन हैं. बाकी परिवार वाले भी होंगे वहां पर, कुछ लेन-देन या रीति-रिवाज की बातें हो रही होंगी शायद!

मैंने वापस फोन पर बात करते हुए इन्दु से कहा- ओहो … तो ये बात है, लेकिन यार, जब तुम मिलती हो तो कुछ करने नहीं देती.
इन्दु- सब्र रखिये साहब, शादी के बाद सब कुछ कर लेना. उससे पहले कुछ भी नहीं.
मैं- क्या यार … शादी तो एक साल बाद होनी है. तब तक क्या मुझे अपने दिल को अपने हाथ से ही बहलाना पड़ेगा?
इन्दु- मतलब?
मैं- कुछ नहीं. मैं तो बस ऐसे ही मजाक कर रहा था. मगर यार तुम सच में शादी के बाद ही अपने बदन को छूने दोगी क्या?
इन्दु – जी, बिल्कुल सही समझा आपने. तब तक फोन पर काम चलाइये.

तभी एक आवाज आई- सन्नी, तुमने कपिल अंकल को देखा क्या? और शारदा जीजी भी नहीं दिख रही हैं?
मैंने सोचा- अब ये कौन है साला? आराम से बात भी नहीं करने देते. पीछे मुड़ कर देखा तो वो रमा थी कपिल की पत्नी.
मैं पहले तो बोलने वाला था कि दोनों स्टोर की तरफ गये हैं फिर कुछ सोच कर बोला- नहीं, मुझे तो नहीं पता!
रमा- पता नहीं कहां गये दोनों, कल भी तो ऐसे ही गायब हो गये थे.
मैंने फोन पर इन्दु से कहा- अच्छा मैडम, थोड़ा काम है, कोई बुला रहा है, जाना पड़ेगा, लव यू.
इन्दु- मुझसे भी ज्यादा जरूरी काम है क्या?
मैं- नहीं यार, लेकिन शादी वाले घर में सौ काम होते हैं।

मैं अब ये सोच रहा था कि शारदा चाची और उनका भाई अकेले स्टोर में क्या कर रहे होंगे. यही सोच कर मैंने ईंदु को प्यार से बोला- प्लीज यार समझा करो।
इन्दु- समझ गई, मैं तो मजाक कर रही थी, ओके लव यू …
मैं- लव यु टू! और मैंने फोन काट दिया.

फिर कुछ सोच कर अपने चारों तरफ देखा कि कोई मुझे देख तो नहीं रहा है ना और मैं चुपके से स्टोर की तरफ जाने लगा.
पहले स्टोर को ताला लगा था, दूसरे को भी ताला लगा था. तीसरे स्टोर का दरवाजा दूसरी तरफ से था. मैंने सोचा कि मुझे वहम हुआ है. किस बात का वहम हुआ था मुझे आप सब भी समझ ही गए होंगे!
जैसे ही मैं मुड़ कर जाने को हुआ तो मुझे एक चीख जैसी आवाज सुनाई दी. मैं वापस मुड़ कर तीसरे स्टोर की तरफ गया तो देखा कि वो अंदर से बंद था.

मेरा शक यकीन में बदल गया. स्टोर में कोई खिड़की नहीं थी. दरवाजे पर कान लगा कर ध्यान से सुना तो यकीन और पक्का हो गया कि ये लोग पक्का चुदाई ही कर रहे थे. शायद इसीलिये उन लोगों ने इसी स्टोर को चुना था. मैं हताश हो गया और सोचा कि ये तो हाथ में आया मौका निकल गया लाईव चुदाई देखने का.
फिर कुछ सोचने लगा, आज मेरी किस्मत मुझ पर मेहरबान थी. गौर से देखा तो लगा कि शायद दरवाजा पूरी तरह से बंद नहीं हुआ था. एक लम्बी लकड़ी से दूर से दरवाजे को हिलाया तो वो हल्का सा खुल गया और जितना खुला उतना मेरे लिये काफी था.

मैंने दरवाजे के पास जाकर उस जगह में से देखा तो दोनों की पीठ दरवाजे की तरफ थी. शारदा चाची घोड़ी बनी हुई थी और उनका भाई कपिल उन्हें पीछे से चोद रहा था!
मैं ये मौका गंवाना नहीं चाहता था. फटाफट अपना मोबाइल निकाला और उसे साइलेंट मोड पर किया और चुदाई की रिकार्डिंग करने लगा. ऐसे मौके भला छोड़ने के होते हैं क्या … वाह रे मेरी किस्मत! क्या मस्त चुदाई का सीन चल रहा है अंदर और मुझे लाइव देखने का मौका मिल रहा है.

शारदा चाची- और जोर से कपिल, और जोर से … शादी में बहुत थक गयी हूं, तू पूरी थकान उतार दे मेरी आज. कल भी रमा के आने की वजह से चुदाई पूरी नहीं हो पाई, आज चोद मुझे … चोद बहनचोद … चोद!
कपिल- शारदा, मुझे भी रमा को चोदने में उतना मजा नहीं आता जितना मजा तुझे और ममता को चोदने में आता है. ले मेरी रंडी बहन … मैं झड़ने वाला हूं.
शारदा चाची- चोद साले … ‘अपनी बेटी’ को चोद कर बड़ा खुश हो रहा है, साले … झड़ जा मेरी चूत में ही …

उनकी बात सुनकर मैं सोच में पड़ गया- कपिल ने कहा ममता को चोदा, चाची ने कहा ‘अपनी बेटी’ को चोदा? ममता कहीं कपिल और शारदा चाची की औलाद तो नहीं?
मैं दिमाग के घोड़े दौड़ाने ही लगा था और अगले ही पल सब कुछ साफ हो गया.
कपिल- ले मैं आ गया!
और ऐसा बोल कर वो चाची की चूत में ही झड़ गया.

“शारदा, क्या तूने कभी किसी को बताया है कि ममता मेरा बीज है?”
चाची- इसमें बताना क्या है? इन्हें तो पक्का पता है कि ये तीनों औलादें उनकी नहीं हैं. वो चोदते तो जबरदस्त हैं पर बाप नहीं बन सकते. इसीलिये ममता तुम्हारा बीज है. प्राची देवर जी का और विकास का पता नहीं किसकी औलाद है! इतने लंड खाये हैं इस चूत ने कि पता नहीं किसका है … बडे़ जेठ जी का है या छोटे जेठ जी का? या पापा का! क्योंकि विकास जब पैदा हुआ तो उस समय इन दोनों से बहुत चुदवाया करती थी मैं!

बड़े जेठ जी का नाम सुनते ही मेरा माथा ठनका, मैंने सोचा- बड़े जेठ जी यानि कि मेरे पापा ने भी बहती गंगा मे हाथ धोये हैं!

तभी चाची बोली- मेरा बस चले तो मैं सब से चुदवा लूं और सबसे पहले उस सन्नी से ही चुदवा लूँ, साले की नजरें हमेशा मेरे मम्मों और गांड पर ही टिकी रहती हैं. साला घर की सब औरतों को आँखों ही आखों में चोद चुका है वो. मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि वो कैसे चोदता होगा, उसका अंदाजा उसके बाप की चुदाई से लगा सकती हूं. उसका बाप भी जब चोदता था तो खटिया भी रहम की भीख मांगने लगती थी. मैं तो फिर भी इंसान थी. एक बार चुदवाने के बाद दो दिन तक बराबर नहीं चल पाती थी मैं.

अपने बाप की तारीफ सुन कर मैं खुश हो गया कि पापा भी चुदाई के माहिर खिलाड़ी हैं.
चाची- चल, दूसरा राउंड करते हैं!
कपिल- ठीक है, लेकिन पहले इसे मुंह में ले कर खड़ा तो करो?

चाची ने कपिल का लंड मुंह में लिया और लपालप लॉलीपोप की तरह कपिल के लंड को चूसने लगी.
कपिल- आह … शारदा ऐसे ही … चूसो ऐसे ही … और उस रमा को भी सिखाओ कि लंड कैसे चूसते हैं … आह!
चाची भी एक मंझी हुई खिलाड़ी की तरह लंड को पूरा मुंह में लेकर चूसे जा रही थी.

पांच मिनट तक लंड चूसने के बाद चाची बोली- चल अब चोद जल्दी से … बहुत देर हो जायेगी तो कोई ढूंढता हुआ आ जायेगा.
कपिल ने फटाफट अपने लंड को हाथ में लेकर थोड़ा सा हिलाया और झट से चाची की चूत में घुसा दिया.
चाची चिल्लाई- मां … मर गई! बहनचोद … एक ही झटके में पूरा डाल दिया. अगर फट गई तो लेने के देने पड़ जायेंगे.

कुछ ही पल के विराम के बाद फिर से वही चुदाई का घमासान चालू हो गया. चाची सिसकारती हुई, चीखती हुई चुदवा रही थी. तभी चाची पलटी और उसने धीरे से लंड बाहर निकाल कर पकड़ लिया और खड़ी हो गई और फिर हाथ से सहलाने लगी.
कपिल भी उसकी जीभ को, होंठों को चूमते हुए उसके निचले भाग की तरफ़ बढ़ने लगा. पहले गले पर, फिर और भी नीचे और फिर उसकी उभरी हुई छाती पर चूमने लगा. उसकी सांसें तेज हो उठीं. उसकी छाती तेजी से ऊपर-नीचे होने लगी थी. फिर उसकी पूरी चूचियों पर हाथ फ़िरा-फ़िरा कर उसे दबाने लगा. उसके मुख से आनन्द भरी सिसकारियाँ निकलने लगीं. उसे बहुत अच्छा लग रहा था.
शारदा चाची अपनी पिछाड़ी (गांड) को मटकाते हुए सिसकारियाँ ले रही थी- ओह भाई, तुम बहुत सता रहे हो. ह्हाई … आऐ … ईईइ … स्स्स … इसी प्रकार से अपनी बहन की गरमाई हुई बुर को चाटते रहो चूसते रहो. मुझे बहुत मजा आ रहा है … ओह भाई … तुम कितना मजा दे रहे हो. ओहहह … चाटो … मेरी जान, मेरे कुत्ते, मेरे हरामी बालम!
चाची का ऐसा रूप देखकर मैं तो हैरान रह गया. सच है कि चुदाई अंदर के असली इसांन को बाहर ले आती है. मैंने भी चाची का एक अलग ही रूप देखा था आज.
कपिल- आज तू मुझको जब तक गन्दी-गन्दी गालियाँ न बकने लगेगी तब तक तेरी बुर को चचोरता रहूँगा साली. मेरी रंडी बहनिया, मेरी कुतिया!

और ऐसा कहते हुए कपिल ने अपनी जीभ उसकी बुर में ठेल दी. वो अब बहुत तेज सिसकारियाँ ले रही थी- मेरी जान तुम मुझे पागल बना रहे हो … उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह मेरे चोदू भाई! हाँ ऐसे ही, ऐसे ही … ओह्ह, ओह्ह, चूसो मेरी बुर को … ईई … इह्ह … मेरी बुर की धज्जियाँ उड़ा दो. साली इसकी पत्तियों को अपने मुँह में भर कर ऐसे ही चाटो मेरे राजा!! ओह डियर … बहुत अच्छा कर रहे हो तुम …! मेरी बुर के छेद में अपनी जीभ को पेलो और अपने मुँह से चोद दो मुझे!
शारदा चाची लगातार गालियाँ बकती जा रही थी- हाय मेरे चोदू भाई! मेरी बुर के होंठों को काट लो और अपनी जीभ को मेरी बुर में पेलो … ओह मेरे चोदू भाई. ऐसे ही प्यार से … हां, ऐसे ही! ओह … खा जाओ मेरी बुर को, चूस लो इसका सारा रस!
उसके मुख से लगातार सीत्कारें निकल रही थीं, मुझे भी उसकी सीत्कारों को सुन कर बहुत ही मजा आ रहा था और साथ ही डर भी लग रहा था कि कहीं कोई आ न जाये, पर ये दोनों लगे हुये थे अपनी कामवासना की सैर करने में. मैं भी सीन का मजा लेने में लगा हुआ था.

शारदा चाची – मैं गई … गई … गईई राजा … ओह बुर चोदू … देख मेरी बुर … पी मेरे पानी को, हाय पी जा इसे! ओह पी जा मेरी बुर से निकले रस को … सीईईई … भाई मेरे .. बुर से निकले स्वादिष्ट माल को पी जा प्यारे भाई!
उसकी बुर फड़फड़ा रही थी और उसकी गांड में भी कम्पन हो रहा था.

फिर शारदा चाची ने मुँह घुमा कर लंड को देखा और बोली- सच में तुमने मुझे बहुत सुख दिया. ओह डियर तुम्हारा लंड तो एकदम लोहे की रॉड जैसा खड़ा है. ओह डार्लिंग आओ … जल्दी आओ, तुम्हारे लंड में खुजली हो रही होगी … मैं भी तैयार हूँ. आओ भाई चढ़ जाओ अपनी बहन की बुर पर और जल्दी से मेरी बुर चोद दो. चलो जल्दी से चुदाई का खेल शुरू करें.
कपिल- अब मैं तुम्हें चोदूँगा मेरी प्यारी बहनिया. मेरे लंड को लेने के लिए तैयार हो जा मेरी रंडी.
यह कह कर कपिल ने अपने मोटे लंड को अपनी दीदी की बुर के ऊपर रगड़ना शुरू किया.

शारदा चाची को लंड बुर में लेने की बेचैनी भी हो रही थी. वह बुर उछाल रही थी और सिसयाते हुए बोलने लगी- ओह मेरे बहनचोद भाई. अब देर मत करो, मैं अब गर्म हो गई हूँ, अब जल्दी से अपनी इस छिनाल बहन को चोद दो और प्यास बुझा लो. ओह भाई, जल्दी करो और अपने लंड को मेरी बुर में पेल दो. कपिल ने अपने खड़े लंड को उसकी गीली बुर के छेद के सामने लगा दिया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना पूरा लंड उसकी बुर में एक ही धक्के में पेल दिया.
उसके मुख से एक आह निकली- आई ईईई … मादरचोद, बिल्कुल रांड समझ कर ठोक दिया अपना हथियार. माँ म्म्म … मर गई ईईई … मेरी फट जाएगी कुत्ते, जरा धीरे नहीं पेल सकता था हरामी!
कपिल- अभी तो शुरुआत है शारदा. अभी तो तेरी बुर में 3 इंच तक ही घुसा है. अरे अभी तो कह रही थी चोद दो!

धीरे-धीरे शारदा चाची ने दर्द कम होने का नाटक करते हुए अपनी गांड को उछालते हुए अपने भाई के लंड को अपनी बुर में लेना शुरू कर दिया.
कपिल अपना लंड एक आध इंच बाहर निकालता और फिर से अंदर डाल देता. फिर अचानक एक धक्के में पूरा 8 इंच का मोटा लंड शारदा चाची की छोटी सी बुर में घुसेड़ दिया.

आख़िर शारदा चाची का दर्द थोड़ा कम होने लगा, उनको अब थोड़ा थोड़ा मज़ा आ रहा था. अब लंड बुर में अंदर बाहर हो रहा था. हर एक धक्के पर शारदा चाची का मज़ा ज़्यादा हो रहा था.
वो सिसकारियाँ भरने लगी- आअहह … आआहह … मम्म्मम … आआ आआआ … आआआ … अह्ह।
चाची सिसकारते हुए बोल रही थी- ओह भाई, ऐसे ही, ऐसे ही अपनी दीदी की चूत चुदाई कर, हाँ-हाँ और जोर से, इसी तरह से ज़ोर-ज़ोर से धक्का लगाओ भाई, इसी प्रकार से चोदो.

कपिल- हाय मेरी रंडी बहना, तुम्हारी बुर कितनी गर्म है, ओह मेरी प्यारी बहन, लो अपनी बुर में मेरे लंड को … ओह ओह …
कपिल उसकी बुर की चुदाई अब पूरी ताक़त और तेज़ी के साथ कर रहा था.
शारदा चाची- और ज़ोर से चोद मुझे, बहन की बुर को चोदने वाले बहन के लौड़े हरामी, और ज़ोर से मार, अपना पूरा लंड मेरी बुर में घुसा कर चोद कुतिया के पिल्ले … सीई … ईईई मेरा निकल जाएगा.

कपिल अब और ज़ोर-ज़ोर से धक्का मारने लगा. अपने लंड को पूरा बाहर निकाल कर फिर से उसकी गीली बुर में पेल देता.
चूतड़ों को नचा-नचा कर आगे-पीछे की तरफ धकेलते हुए लंड को अपनी बुर में लेते हुए सिसिया रही थी शारदा चाची. मेरी चुदक्कड़ चाची चुदाई के पूरे मजे ले रही थी. मेरा लंड तो मेरी पैंट को फाड़ कर बाहर आने के लिए मुझे ही गालियाँ देने लगा था. मन कर रहा था कि चाची की बुर की चुदाई को देखते हुए वहीँ पर अपने लंड के माल को झाड़ लूँ. ऐसी ब्लू फिल्म तो मैंने कभी टीवी पर भी नहीं देखी थी.

मैंने धीरे से अपनी पैंट की चेन के ऊपर से अपने खड़े लंड को सहला दिया. मेरा लंड तो उनकी चुदाई देख-देख कर दर्द करने लगा था. एक बार तो सोचा कि फिल्म की शूटिंग रोक देता हूँ और यहीं पर मुट्ठ मार लेता हूँ. ऐसा मौका फिर पता नहीं कब मिलेगा. मगर अचानक ही अंदर से फिर आवाज आनी शुरू हो गई और मेरा ध्यान फिर से उनकी चुदाई पर चला गया.
शारदा चाची- चोद मेरे राजा … बहन के लंड … और ज़ोर से चोद … ओह … मेरे चुदक्कड़ बालम.

मादक सीत्कारें भरते हुए अपने दांतों को भींच कर और चूतड़ों को उचकाते हुए वो झड़ने लगी. कपिल भी झड़ने ही वाला था. उसके मुख से भी झड़ते समय की सिसकारियाँ निकल रहीं थीं.

कपिल- ओह मेरी रांड … लंडखोर … कुतिया … साली मेरे लिए रूक … मेरा भी अब निकलने ही वाला है … ओह … रानी मेरे लंड के पानी को भी अपने बुर में ले … ओह ले … ओह सीईईई …
कपिल ने भी आआहह … आआअहह करके झड़ना शुरू कर दिया और अपना वीर्य शारदा चाची की बुर में निकालना शुरू कर दिया. दोनों निढाल होकर गिर पड़े. पांच मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद चाची उठ कर अपने कपड़े पहनते हुए बोली- जो मजा चीखते-चिल्लाते हुए चुदाई करवाने में है वो कहीं और नहीं है.
कपिल- सही कहा, जब तुम ये दर्द होने का नाटक कर के चिल्लाते हुए चुदवाती हो, तब अपार आनंद आता है.
शारदा चाची- चल अब चलते हैं, एक घंटा हो गया. साले बहनचोद ये परिवार वाले हमें चुदाई का मजा ज्यादा देर नहीं लेने देंगे और कहीं न कहीं ढूंढ रहे होंगे. तुम्हारी वह बीवी भी तो हमारी चुदाई में अड़ंगा डाल देती है बार-बार.

कपिल और शारदा चाची बाहर निकलने ही वाले थे इसलिए तब मैं भी वहीं से भागा, लेकिन भागने के कारण जो आवाज हुई उसकी वजह से शायद शारदा चाची का ध्यान दरवाजे की तरफ गया और दरवाजा हल्का खुला हुआ देख कर वह तुरंत समझ गई होगी कि कोई देख रहा था.

मैं आगे की तरफ आकर धर्मशाला की तरफ ये सोचते-सोचते बढ़ गया कि चलो चाची का काम आज रात को ही कर देते हैं. बहुत चुदास भरी है साली के अंदर.
 

junglecouple1984

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OK ... update soon
54) पापा के दोस्त के घर में चूत चुदाई का घमासान- 1 - https://xforum.live/threads/all-short-story-collected-from-net.116206/post-7512831

55) पापा के दोस्त के घर में चूत चुदाई का घमासान- 2 - https://xforum.live/threads/all-short-story-collected-from-net.116206/post-7512836

56) चाची को उनके भाई से चुदते देखा - https://xforum.live/threads/all-short-story-collected-from-net.116206/post-7512846
 

junglecouple1984

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Bahut mast mast stories upload ker rhe ho Bhai.. keep going 👌👌
Thank you for your reply ..
 

junglecouple1984

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फूफी ने फड़वाई मुझसे अपनी बिटिया की कुंवारी फुद्दी


मेरा नाम सफी है दोस्तो, मैं 22 साल का एक हट्टा कट्टा नौजवान हूँ। मेरा कद 5′ 10″ है और बदन एकदम कसरती है।
मैं पढ़ा लिखा नहीं हूँ लेकिन छोटा मोटा अपना धंधा करता हूँ।

मेरा कुनबा जरूर बड़ा है पर सब लोग अपने अपने घर में अलग अलग रहते हैं।
सब लोगों के घर आस पास ही हैं और सबका एक दूसरे घर में खूब आना जाना रहता है।

मेरी रहीमा फूफी जान बहुत ही खूबसूरत, हंसमुख और हाज़िर जवाब हैं।
मैं उन्हें बहुत पसंद करता हूँ।

वे एकदम खुल कर बोलतीं हैं, गन्दी गन्दी बातें करतीं हैं और बीच बीच में कभी कभी लंड, बुर, चूत भी बोल देती हैं।
मादरचोद, बहन चोद तो उसके मुंह से निकला ही करता है।

मुझे ये सब सुनकर बड़ा मज़ा आता है।
मैं फूफी के मुंह से गन्दी गन्दी बातें सुनने के लिए उनके पास अक्सर जाया करता था।

उनके मम्मे बहुत बड़े बड़े हैं। मेरा मन उनके मम्मो में लंड पेलने का हो जाता था।
उनकी मस्तानी गांड देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता था।

मैं उसे सच में एकदम नंगी देखना चाहता था।

एक दिन जब उसके घर गया तो उसकी देवरानी मिली मुझसे!
मेरा काँटा फूफी की देवरानी से भिड़ा हुआ था।
वह मेरा लंड पकड़ती थी और मैं उसकी उसकी चूचियाँ दबाता था।

उसने हाथ बढ़ाकर मेरा लंड पकड़ लिया और बोली- जानता है सफ़ी, तेरी फूफीजान बुरचोदी ग़ैर मर्दों से खूब चुदवाती है। उसे लंड लेने का जबरदस्त शौक है। बड़ी चालू चीज है तेरी फूफीजान!
मैंने कहा- अरे मुझे यह सब नहीं मालूम था।

वह बोली- तुम संभल रहना, किसी दिन तेरा भी लंड पकड़ लेगी वह भोसड़ी वाली।
मैंने कहा- मैं तो चाहता हूँ कि वह जल्दी से जल्दी मेरा लंड पकड़ ले।

वह बोली- अच्छा तो फिर मैं कुछ ऐसा करूंगी कि वह कल तुझे खुद बुलायेगी और तेरा लंड पकड़ लेगी। एक बात और तू जान ले कि तेरी फूफी जान भोसड़ी वाली मेरे शौहर का लंड लेती है अपनी चूत में।
मैंने कहा- तो फिर तुम क्या करती हो?
वह बोली- मैं भी उसके शौहर का लंड लेती हूँ अपनी चूत में!

अब मुझे फूफी जान की करतूत मालूम होने लगी।
मैं मन ही मन फूफी से एकदम बेशर्म होने लगा।

एक दिन मैं घर से निकला तो एक कोने में उसकी बेटी सबा को अपनी सहेली से बात करते हुए देख लिया मैंने!
फिर क्या … मैं छिप कर उनकी बातें सुनने लगा।

फूफी जान की बेटी सबा भी बेहद खूबसूरत है। वह भी 20 साल की एकदम टनाटन कुंवारी फुद्दी है।
उसे देख कर मेरा लंड खड़ा हो जाता है।

वह अपनी सहेली से कह रही थी- यार, मेरी अम्मी जान बड़ी चुदक्कड़ है। कल रात मैंने उसे नंगी होकर चाचू का लंड चूसते हुए देखा। कुछ देर बाद उसने लंड जब अम्मी के भोसड़ा में पेला तो मेरी चूत गीली हो गयी। मैंने एक बार और अम्मी को गैर मरद से चुदवाते हुए देखा है।

उसकी सहेली बोली- अरे यार सबा, ऐसा तो हर घर में होता है। सबकी अम्मियाँ गैर मर्दों के लंड रात में लेतीं हैं. मैं तो हर रोज़ रात में अपने घर में यही देखती हूँ। अब तो मैंने भी धीरे धीरे कुनबे के लंड लेना शरू कर दिया है। मैं दो लंड का मज़ा ले भी चुकी हूँ।

उन दोनों की बातों ने मेरे लंड में आग लगा दी।
मैंने सोच लिया कि एक दिन मैं सबा की कुंवारी फुद्दी में लंड जरूर पेलूँगा।

दूसरे दिन फूफी ने मुझे दोपहर दो बजे अपने कमरे में बुला लिया।
मैं ख़ुशी ख़ुशी उसके पास पहुँच गया।

मुझे देख वे हंसकर बोली- अरे सफ़ी आ जा, तू मेरे घर आता है और बिना मुझसे मिले चला जाता है। मुझे मालूम ही नहीं होता कि तू कब आया और कब चला गया। आज तुम्हें मैंने एक खास मकसद के लिए बुलाया है।
मैंने कहा- जी फूफी जान, बताओ मुझे किसलिए बुलाया है?
वे बोली- अरे बरखुरदार, सुना है कि तू मर्द हो गया है?

मैं बोला- हां फूफी जान, मर्द तो हो गया हूँ मैं!
वे बोली- पर मुझे कैसे मालूम कि तू मर्द हो गया है बेटा सफ़ी?
मैंने कहा- मैं कह तो रहा हूँ कि मैं मर्द हो गया हूँ। यकीन करो न फूफी जान!

वे बोली- मर्द होने की पहचान मर्द के लंड से होती है बेटा सफ़ी। जब तक मैं तेरा लंड पकड़ कर देख नहीं लेती तब तक मुझे यकीन नहीं होगा कि तू मर्द हो गया है। मैं मर्दों को उनके लंड से पहचानती हूँ। इसलिए तू मुझे खोल कर दिखा अपना लंड, मैं पकड़ कर देखूंगी तेरा लंड!

फूफी ने इंतज़ार नहीं किया और उठ कर मेरी कमीज उतार दी और मेरे पजामा का नाड़ा खोलने लगीं।

मैंने कहा- ऐसे में मैं नंगा हो जाऊंगा फूफी जान!
वे बोली- नंगा करूंगी तभी तो लंड पकडूँगी. नंगा करके तेरा लंड पकड़ कर देखूंगी। मर्द कभी शर्माता नहीं है बेटा सफ़ी। तू बहनचोद क्यों शर्मा रहा है?
मैंने कहा- ऐसा है तो फिर तुम भी नंगी हो जाओ न फूफी जान। मैं भी तुम्हें नंगी देखना चाहता हूँ।

वे बोली- तू भोसड़ी का बड़ा चालाक है। अच्छा, ले देख ले मेरे बड़े बड़े दूध।

फूफी ने अपना ब्लाउज़ खोल कर फेंक दिया तब उसकी मस्तानी चूचियाँ मेरी आँखों के सामने छलक पड़ी।
मैंने उन्हें दबोच लिया।

इतने में मेरा पजामा नीचे गिर पड़ा और मेरा लंड तन कर उसके आगे खड़ा हो गया।

वे मेरा लंड पकड़ कर बोली- हायल्ला … क्या मस्त लौड़ा है तेरा मादरचोद! तू सच में मर्द हो गया है। चूत क्या भोसड़ा चोदने वाला हो गया है तेरा लंड बेटा सफ़ी! सच बताऊँ … तेरे फूफा के लंड से बड़ा है तेरा लंड; उससे ज्यादा मोटा है तेरा लंड. मुझे नहीं मालूम था कि इतना बढ़िया लंड मेरे घर में ही है।

फूफी जान ने मेरे लंड की कई चुम्मियाँ लीं, सुपारा जबान निकाल कर चाटा और बोली- यार सफ़ी, मैं तेरे लंड की गुलाम हो गयी हूँ।

तब तक मैंने फूफी का भोसड़ा खोल कर बाहर निकाल लिया।
अब वे मेरे आगे एकदम नंगी हो गई।

मेरी तमन्ना पूरी हो रही थी।
42 साल की मस्त जवान सेक्सी और एकदम हॉट थी मेरी फूफी जान।
वे नंगी बहुत ज्यादा ही सेक्सी और हॉट लग रही थी।

मेरा लंड साला काबू के बाहर हुआ जा रहा था।

मैंने उन्हें सामने पड़ी कुर्सी पर बैठा दिया और खुद उसके सामने खड़ा हो गया।
तब मैंने कहा- मैं सबसे पहले आपके बड़े बड़े मम्मे चोदूंगा फूफी जान!

मैंने लंड दोनों मम्मों के बीच में पेल दिया.
तो उन्होंने भी अपने हाथों से मम्मों को दबाकर एक सुरंग बना दी।
मेरा लंड बस उसी सुरंग में आने जाने लगा।
मैं सुरंग को चूत समझ कर चोदने लगा।

लंड जब ऊपर जाता तो वे लंड का सुपारा चाट लेती।
उनका ऐसा करना मेरे अंदर और जोश पैदा करने लगा।

मैं जल्दी जल्दी उसकी रसीली चूचियाँ चोदने लगा।
इंग्लिश में इसे TIT FUCKING कहते हैं।

वे बोली- हायल्ला बड़ा मज़ा आ रहा है बेटा सफ़ी। इस तरह तो मेरे दूध आज तक किसी ने भी नहीं चोदे। मुझे बड़ा मज़ा आ रहा है। और चोद, खूब चोद इन्हें, आज पहली बार लंड मिला है इन्हें। लौड़ा पूरा पेल पेल के चोद। शाबाश बेटा, तेरे लंड में बड़ी ताकत है। तू सच में बड़ा जबरदस्त मर्द बन गया है।

मैं इतना ज्यादा उत्तेजित हो गया कि मेरे लंड ने उगल दिया सारा वीर्य उसकी चूचियों पर।
फूफी जान मेरा झड़ता हुआ लंड चाटने लगी.

मैंने कहा- माफ़ करना फूफीजान, मैं जल्दी झड़ गया.
वे बोली- पहली बार ऐसा ही होता है बेटा! चिंता न करो दूसरी पारी में मेरा भोसड़ा बड़ी देर तक चोदोगे तुम!

फिर मैं बाथरूम गया और वहां से आकर थोड़ा आराम करने लगा।

कुछ देर बाद उसकी बेटी सबा आ गई।
वह कुछ ज्यादा ही मूड में नज़र आ रही थी।

उसे नहीं मालूम था कि मैं अंदर बिस्तर पर लेटा हूँ।
आते ही वह अपनी अम्मी से उलझ गयी और बोली- अम्मी जान, मैं तुमसे एक बात कहना चाहती हूँ।
फूफी बोली- हां बोलो क्या कहना चाहती हो तुम बेटी सबा?

सबा- देखो, अब मैं पूरी तरह जवान हो गयी हूँ, अम्मी जान। मुझे भी चाहिए लंड, लंड और लंड! मेरे कॉलेज में सभी लड़कियां लंड की बातें करती हैं और मैं चूतिया बनी हुई सुना करती हूँ, कुछ बोल ही नहीं पाती. लड़कियां सब मुझ पर हंसती हैं, कहती हैं कि सबा तो अभी बच्ची है। इसे तो दूध पीना आता है लंड पीना अभी आता ही नहीं। इस तरह कॉलेज में मेरी खूब खिल्ली उड़ाई जाती है। समझ में आया भोसड़ी वाली अम्मीजान?

फूफी- तो लड़कियां लंड के बारे में क्या बातें करती हैं कॉलेज में?
सबा- लंड की बातें करती हैं और क्या? लंड के साइज की बातें करती हैं। कोई कहती है मेरे भाईजान का लंड बड़ा मोटा है, कोई कहती मेरे जीजू का लंड लोहे की तरह सख़्त है, कोई कहती मेरे अब्बू का लंड 9″ का है, कोई कहती है मैं आज अपने खालू का लंड पी कर आयी हूँ. कोई कहती है मैंने कल अपने चचा जान से रात भर चुदवाया। लेकिन मेरे मुंह से कुछ निकलता ही नहीं क्योंकि मैंने आज तक कोई लंड पकड़ा ही नहीं। जल्दी से मुझे लंड पकड़ाओ अम्मी जान. नहीं तो मैं कुछ कर बैठूंगी. मैं और ज्यादा दिन तक इंतज़ार नहीं कर सकती।

मैं बिस्तर पर पड़े पड़े सब सुन रहा था, सो नहीं रहा था।

सबा की बातें सुनकर मेरा लंड तमतमा गया।
शाम को मैं जब उठा तो फूफी ने मुझे चाय दी और नाश्ता करवाया।

वे बोली- सफ़ी आज रात को तुम यहीं रहना मेरे साथ ही सोना।
मैंने कहा- ठीक है फूफी जान, मगर मैं अभी अपने काम से जा रहा हूँ। रात को 10 बजे मैं आ जाऊँगा।

मैं वहां से निकल पड़ा।

शाम 9 बजे जब फूफी और उसकी बेटी सबा आमने सामने बैठी थीं.
तो फूफी ने पूछा- ये बता तू भोसड़ी वाली सबा, तूने सच में अभी तक कोई लंड नहीं पकड़ा?
वह बोली- पकड़ा तो है पर ठीक से नहीं पकड़ पायी कोई भी लंड! पड़ोसी अंकल का लंड पकड़ा तो पकड़ते ही आंटी आ गयी तो अंकल भाग गया। फिर एक दिन खाला के बेटे का लंड पकड़ा तो चुदवा नहीं पाई क्योंकि वह भोसड़ी का मेरे हाथ में ही झड़ गया। मैं वैसी ही सूखी साखी रह गयी।

फूफी ने कहा- इसका मतलब तेरी कुंवारी फुद्दी की सील अभी टूटी नहीं है।
सबा बोली- बिल्कुल नहीं टूटी। जानती हो अम्मी जान. मैंने दो बार तेरा भोसड़ा चुदते हुए देखा है। सच बताऊँ मेरी बुर चोदी अम्मी जान, तुझे तो अपनी चूत की परवाह है मेरी चूत की नहीं.
फूफी ने कहा- अगर तूने मुझे गैर मरद से चुदवाते हुए देखा तो फ़ौरन मेरे पास आई क्यों नहीं? मेरी चूत से लौड़ा निकाल कर अपनी चूत में लिया क्यों नहीं?

सबा बोली- मुझे डर लग रहा था और शर्म भी आ रही थी।
फूफी ने कहा- डरेगी तो जवानी का मज़ा नहीं ले पायेगी। शरमायेगी तो बिना लंड के रह जाएगी पगली। जवानी का मज़ा लेना है तो लौड़ा लपक कर बड़ी बेशर्मी से पकड़ लेना चाहिए। बोल्ड बनो, बेशरम बनो, गन्दी गन्दी बातें करो और लौड़ा रंडियों की तरह लपक कर पकड़ो। पहले अपनी माँ चोदो फिर दुनिया की माँ चोदो।

मुझे इन सब बातों का पता बाद में चला।

मैं रात को 10 बजे आ गया।
फिर हम तीनों ने एक साथ खाना खाया और बिस्तर पर आ गए।

फूफी बोली- सफ़ी तुम सबा को कितना जानते हो?
मैंने कहा- सबा तो एक बहुत अच्छी लड़की है। बड़ी सीधी सादी है।

फूफी बोली- ये भोसड़ी की सीधी सादी नहीं है, बड़ी हरामजादी है बदचलन है. मेरी चुदाई छुप छुप कर देखती है। सबा की माँ का भोसड़ा!
सबा बोली- अरे भाईजान, तेरी फूफी जान तो बड़ी चुदक्कड़ औरत है। पराये मर्दों के लंड खाती है।

बस इतने में ही महफ़िल गर्म हो गयी.
फूफी ने अपनी बेटी का हाथ मेरे पाजामे में डाल दिया और बोली- बेटी सबा, अब तू निकाल कर दिखा मुझे अपने भाई जान का लंड? तू लंड लंड चिल्ला रही थी अब लंड तेरे हाथ में है।

सबा ने लंड सच में बाहर निकाल लिया।
मेरा लंड तो पहले से खड़ा था।
सबा बोली- बाप रे बाप, इतना बड़ा लंड? इतना मोटा लंड तो पड़ोसी का भी नहीं था। मज़ा आ गया अम्मी जान इतना बड़ा लंड पकड़ कर!

उसने मेरा लंड खूब चूमा।

तब तक फूफी ने उसके कपड़े उतार दिये, उसे पूरी तरह नंगी कर दिया।

मैं सबा को पूरी नंगी देख कर और ज्यादा उत्तेजित हो गया।
तब तक फूफी जान भी नंगी हो गईं और वे भी सबा के साथ मेरा लंड चाटने लगीं।

अब माँ बेटी दोनों नंगी नंगी मेरा लंड चाटने लगीं।
मैं तो पहले से ही पूरा नंगा था।

दोनों एक दूसरे के मुंह में मेरा लंड घुसेड़ने लगीं।
माँ लंड चाटती तो बेटी मेरे पेल्हड़ चाट लेती और जब बेटी लंड चाटती तो माँ मेरे पेल्हड़ चाट लेती।

मुझे तो अपार आनंद आ रहा था।
मेरा तो माँ बेटी को एक साथ लंड चटाने का पहला मौक़ा था।
दोनों भोसड़ी वाली बड़े शिद्दत से और बड़े प्यार मोहब्बत से मेरा लंड चाट रही थीं।

फूफी बोली- बेटी सबा, तू तो बुरचोदी बड़ी अच्छी तरह से लंड चाट लेती है। कहाँ से सीखा लंड चाटना?
सबा बोली- तुम्हें लंड चाटते हुए देखा था न … बस तुम्ही से सीख लिया मैंने लंड चाटना मेरी चुदक्कड़ अम्मी जान!

मुझे सबा की बुर बड़ी प्यारी लग रही थी तो मैं उसकी बुर चाटने लगा।
सबा को डबल मज़ा मिलने लगा और मुझे भी!

मेरा माँ बेटी को एक साथ चोदने का पहला मौका था।
मेरा लंड साला एकदम ताव पर था। मैं बहुत ज्यादा उत्तेजित था।

जब सबा ने बड़ी देर तक मेरा लंड चूसा और चाटा, उसे घुमा घुमा कर बड़े प्यार से देखा तब फूफी जान बोली- बेटा सफ़ी, अब पेल दे तू सबा की बुर में अपना लंड, इसकी बुर अभी कुवांरी है। तोड़ दे इसकी चूत की सील। इसकी चूत पकी हुई है। चोद डाल इसकी पकी हुई बुर। मेरे सामने फाड़ मेरी बिटिया की बुर!

मैं तो इसी इंतज़ार में था।
फूफी भी मुझसे अपनी बिटिया की बुर चुदवाना चाहती थी।
वे भी जोश में थी, अपनी बेटी की चुदती हुई बुर देखना चाहती थी।

फूफी ने मेरा लंड पकड़ा और सबा की चूत पर टिका दिया।
फिर उन्होंने मेरे चूतड़ एकदम से दबा दिये तो लंड गच्च से घुस गया सबा की चूत में!

सबा चिल्ला पड़ी- उई माँ मर गई मैं … फट गयी मेरी चूत! बड़ा मोटा है भाई का लंड अम्मी जान! बड़ा दर्द हो रहा है। बड़ा बेरहम है भाई तेरा लंड! एक ही बार में पूरा घुसा दिया लंड तूने।

फूफी बोली- अभी तो तू लंड लंड चिल्ला रही थी। अब लंड मिला तो माँ चुदने लगी तेरी? गांड फटने लगी तेरी? अब मामूल हुआ कि लंड क्या चीज है?

फिर मैंने 10-12 बार लंड अंदर बाहर किया तो उसे अच्छा लगने लगा।
वह बोली- हाय, अब आ रहा है मज़ा, अब पूरा पेल दो लंड भाई जान, जल्दी जल्दी चोदो!

अपनी कमर कमर हिला हिला कर सबा चुदवाने लगी।
उसके मुंह से निकला- अम्मी जान, तू बहुत हरामजादी है, अपने सामने बिटिया चुदवा रही है।
फूफी बोली- बिटिया की माँ की चूत … तू भी तो नंगी होकर अपनी माँ के सामने बड़ी बेशर्मी से चुदवा रही है। तू तो मुझसे ज्यादा हरामजादी है बुरचोदी सबा! मुझे तो सच में अपनी बेटी चुदाने में ज़न्नत का मज़ा आ रहा है।

मैं अपना पूरा लंड पेल पेल कर उसे चोदने लगा।

फूफी जान बीच बीच में मेरा लंड सबा की बुर से निकाल निकाल चाटने लगीं।

सबा का यह पहला मौक़ा था।
वह बहुत उत्तेजित थी तो वह जल्दी ही खलास हो गयी।

अब तक वह बड़ी बेशर्म और निर्लज्ज हो चुकी थी; एकदम रंडी बन चुकी थी।

उसे अम्मी की बात याद थी कि जवानी का पूरा मज़ा लेना है तो एकदम बेशर्म बन जा गन्दी गन्दी बातें कर और निडर होकर सबके लंड का पूरा मज़ा ले।

फिर उसने अपनी बुर से लंड निकाल कर अपनी अम्मी की बुर में पेल दिया और बोली- अब मैं चोदूँगी तेरा भोसड़ा अम्मी जान। तूने अपनी बेटी की बुर फड़वाई, अब मैं अपनी अम्मी का भोसड़ा फड़वाऊंगी।

फिर क्या … मैं फूफी का भोसड़ा घपाघप चोदने लगा। पूरा लौड़ा पेल पेल कर चोदने लगा और सबा मेरे पेल्हड़ सहलाती हुई अपंनी माँ का भोसड़ा चुदवाने लगी।

मुझे फूफी की चूत चोदने में उतना ही मज़ा आ रहा था जितना मज़ा मुझे उसकी बेटी की चूत चोदने में आ रहा था।

फिर जब मैं झड़ा तो दोनों माँ बेटी ने मेरा झड़ता हुआ लंड बड़े प्यार से चाटा।

सबा बोली- अब मैं सबके लंड का मज़ा लूंगी और सबके लंड को मज़ा दूँगी।

फूफी जान सबा के गाल थपथपाकर कर बोली- तेरी माँ का भोसड़ा बेटी सबा!
सबा ने भी उसी लहज़े में जबाब दिया- तेरी बेटी की माँ की चूत अम्मी जान!
 
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