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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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चलती ट्रेन में बहन की सीलफाड़ चुदाई


मेरा नाम राहुल है, मैं दिल्ली में रहता हूँ.
मेरे परिवार में 4 लोग हैं. मैं मम्मी पापा और मेरी बहन रेनू.

रेनू दी मुझसे 4 साल बड़ी हैं. वे दिखने एकदम हीरोइन लगती हैं.
उनके फिगर का साईज 34-30-36 उन्हें बड़ा ही मस्त माल बनाता है.

रेनू दीदी अपनी पढ़ाई पूरी करके जॉब के लिए ट्राई कर रही थीं.
तभी उनका इन्टरव्यू पुणे में एक कंपनी से कॉल आया.
पुणे में हमारा एक फ्लैट पहले से ही है जो खाली रहता है.

रेनू दी ने मुझसे साथ चलने के लिए कहा.
पापा ने हमारी टिकट करंट में एसी फर्स्ट में दो बर्थें बुक करवा दी और हम लोग शाम को ट्रेन में बैठ गए.

हम दोनों स्टेशन पर अपने एसी फर्स्ट वाले कूपे में चले गए.
ये दो बर्थ वाला कूपा था.

टीटीई से अपने टिकट चैक करवा कर हम दोनों अन्दर आ गए और कूपा अन्दर से लॉक कर लिया.

अब हम दोनों बात करने लगे.

बातों बातों में दीदी ने पूछ लिया- तेरी कोई गर्लफ्रैंड है?
मैं- नहीं.

दीदी- साले झूठ मत बोल, इतना हैंडसम होने के बाद भी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है … क्यों?
मैं- आपके जैसी कोई आज तक मिली ही नहीं.

दीदी मुस्करा कर बोलीं- अच्छा बेटा मेरे जैसी का क्या मतलब?
मैंने कहा- दीदी आपके जैसी सुंदर लड़की नहीं मिली.

दीदी ने सेक्सी स्माईल दी और हम लोग खुल कर बात करने लगे.

मैंने कहा- शायद ऊपर वाला हमें कोई सिग्नल दे रहा है.
दीदी बोलीं- क्या सिग्नल?
तभी मैंने दीदी का चेहरा अपने दोनों हाथों में पकड़ा और बोला- दीदी आई लव यू.
दीदी ने भी ‘आई लव यू टू.’ बोला.

मैं- दीदी मैं आपसे वो वाला प्यार करता हूँ.
दीदी- कौन सा वाला!

‘दीदी मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूँ.’
दीदी बोलीं- पागल हो गए हो क्या … मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ.

मैंने कहा- तो क्या हुआ दीदी आप बताइए. दीदी आपका सेक्स करने का मन नहीं करता क्या?
वे बोलीं- करता तो है लेकिन तुम मेरे भाई हो. मैं तुम्हारे साथ नहीं कर सकती.

मैंने कहा- दीदी, कहीं बाहर जाकर करोगी तो बदनामी होगी और कोई ब्लैकमेल भी कर सकता है. आप घर में ही कर लो ना!
दीदी चुप हो गईं.

मैं दीदी के पास जाकर बैठ गया और उनके होंठों पर होंठ रख दिए.
अब दीदी भी मेरा साथ देने लगीं.

मेरा हाथ उनके बूब्स पर चल रहा था.
दीदी एक टॉप और जींस पहनी हुई थीं.

मैंने अपना हाथ दीदी के टॉप में डाल दिया और उनके एक दूध को दबाने लगा.
वे नशीली आंखों से देखती हुई बोलीं- कपड़ों के ऊपर से मजा लेना है क्या?

मैंने दीदी का टॉप उतार दिया.
अब दीदी मेरे सामने ब्रा और जींस में थीं.

शायद पहली बार किसी और ने उनके साथ ऐसा किया था.
उनका मखमल सा जिस्म चमक रहा था.

मैं उनके होंठों को चूस रहा था और ब्रा के ऊपर से ही बूब्स दबा रहा था.

कभी दीदी आह आह कर देतीं, तो मुझे जोश आ जाता था.
अब मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी और पैंट भी. मैं केवल नेकर में था.

दीदी का हाथ मेरे नेकर के ऊपर से ही लंड पर था.
मैंने दीदी की पैंट खोल कर उतार दी. दीदी मेरे सामने ब्रा और पैंटी में थीं.

मैं बता नहीं सकता कि मेरी बहन क्या कांटा माल लग रही थी.
उनके जिस्म को देख कर मैं पागल हुआ जा रहा था.

तभी दीदी खड़ी हुईं और उन्होंने मेरा नेकर उतर दिया.
मेरा लंड फनफना कर बाहर आ गया.

‘राहुल तेरा लंड तो बहुत ही बड़ा है.’
वे घुटनों के बल बैठ कर मेरे लौड़े को मुँह में लेने लगीं.

मैं सातवें आसमान पर था. मत पूछो कि कितना ज्यादा मजा आ रहा था.

एक गदराई हुई बहन अपने भाई के लंड को चूस रही थी.
मैं मादक आवाज में सीत्कार कर रहा था- आह दीदी, कितना अच्छा चूसती हो … तुम मस्त हो मेरी बहना … आह आह आह चूस लो मेरे लौड़े को … आह मजा आ गया.

कुछ मिनट दीदी ने मेरा लंड चूसा.
उसके बाद मैंने दीदी को उठाया और गले से लगा लिया.

पीछे हाथ ले जाकर मैंने अपनी बहन की ब्रा का हुक खोल दिया.
मैंने अपनी दीदी की चूचियों को आजाद कर दिया और उन्हें एक छोटे बच्चे की तरह पीने लगा.

मैं दीदी की चूचियां पी रहा था. दीदी के मुँह से आई आह यस … उह्ह्ह्ह हम्म्म आह आह की आवाज निकली जा रही थी.
वे बोली जा रही थीं- आह चूसो मेरे बहनचोद भाई आह … पी जा साले इनका सारा रस.

अब मैंने दीदी को बर्थ पर लिटा लिया और उनकी पैंटी भी उतार दी.
हम दोनों भाई बहन पूरे नंगे थे और ट्रेन भी अपनी फुल स्पीड में चल रही थी.

दीदी बोले जा रही थीं- आह राहुल अब रहा नहीं जा रहा है … मुझे चोद दो प्लीज … मेरी चूत में अपना लंड डाल दो.
मैंने भी देर करना उचित नहीं समझा. मैं दीदी के मुँह के आगे लंड लाया और बोला- लौड़े को गीला करो दीदी.

दीदी ने तुरंत मेरा लंड मुँह में लेकर अच्छे से गीला कर दिया.
मैंने उनकी दोनों टांगें फैलाईं और एक झटका दे मारा.

मेरा टोपा उनकी चूत में चला गया और दीदी की बुरी तरह चीख निकल गई- आआ … आह्हह निकालो इसे … फट गई मेरी.

वे लगभग रोने लगीं और कसमसा कर ऊपर को होने लगीं.
पर मेरी पकड़ काफी मजबूत थी, तो उनसे हिलना भी नहीं हो पाया.

‘मुझे छोड़ दो प्लीज … मैं मर जाऊंगी निकालो इसे … मुझे नहीं चुदना.’ दीदी की आंखों से आंसू आ रहे थे.
मैं उसी पोजीशन में रुका रहा, उनके होंठों को चूसता रहा और बूब्स को दबाता रहा.
इससे दीदी का दर्द कुछ कम हुआ.

मैंने दूसरा झटका दे मारा.
इस वजह से पूरा लंड दीदी की चूत को चीरता हुआ चला गया.

दीदी बेहोश हो गईं.

मैंने दीदी की चूत से बिना लंड निकाले बिना पास में रखी पानी की बोतल से उनके मुँह पर पानी गिरा दिया.
तभी दीदी होश में आ गईं और रोने लगीं.

मैं भी उनके बूब्स को हल्के हल्के दबा रहा था.

थोड़ा दर्द कम हुआ तो मैं अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.
अब रेनू दीदी को भी चूत चुदवाने में मजा आने लगा था.

वे भी अपनी गांड उठा उठा कर मेरा साथ देने लगीं और कहने लगीं- आह्ह्ह मेरे राजा चोद दे अपनी बहन को … फाड़ दे मेरी चूत को आह यस आआहह मेरे बहन के लौड़े भाई … और तेज और तेज पूरा अन्दर तक डाल मादरचोद … फाड़ दे भोसड़ी के … आह आज मैं तेरी बहन नहीं … तेरी रखैल हूँ पूरा अन्दर तक डाल … गाभिन कर दे मुझे … चोद चोद कर मां बना दे साले … आज से तेरी रंडी हूँ मैं … मार मेरी चूत आह्ह मेरे राजा और तेज पेल … कितना मजा आ रहा है भाई का लंड लेने में आआह्हह अह्ह्ह उह्ह्ह्ह्ह.

मैं भी जोश में आकर जोर जोर से पेले जा रहा था- हां, साली कुतिया तू मेरी रंडी है आज से … तेरी चूत और गांड दोनों फाड़ूँगा बहन की लौड़ी रंडी … अब तक कहां थी साली छिनाल … आआह्ह उह्ह्ह मेरी जान.

रेनू दीदी दो बार झड़ चुकी थीं.
मेरा भी होने वाला था.

‘मेरा रस आने वाला है मेरी जान कहां लेगी?’
रेनू दीदी बोलीं- मेरी चूत को भर दो आज अपने माल से आह.

ये सुनकर मैं बिंदास हो गया और कुछ ही झटकों के बाद मैं निढाल होकर अपनी बहन के मम्मों पर गिर गया.
Xxx ट्रेन फक के बाद कब हम दोनों नींद के आगोश में चले गए, हमें पता भी नहीं चला.

फिर सुबह 4 बजे मेरी आंख खुली. मैंने देखा कि दीदी अभी भी सो रही थीं.

मैंने नेट पर देखा तो हम लोग पुणे पहुंचने वाले थे.

मैंने दीदी को उठाया.
वे उठीं तो उनसे चला भी नहीं जा रहा था.
उन्होंने अपनी ब्रा पैंटी टॉप और जींस पहन ली.

मैं उन्हें सहारा देकर वॉशरूम ले गया और उन्हें साफ किया.

सुबह हो गई थी. हमारा स्टेशन भी आ गया था.

तब हम दोनों उतरे और हमने एक टैक्सी की और अपने फ्लैट की तरफ चल दिए.

फ्लैट की लिफ्ट तक दीदी को मैं सहारा देकर ले गया.

फ्लैट में जाते ही मैंने दरवाजा बंद कर दिया.

मैंने पीछे से दीदी के बूब्स पकड़ लिए.
‘राहुल कम से कम ठीक से बैठने तो दे.’

मैंने दीदी से कहा- दीदी आप अपना टॉप उतार दो.

दीदी मना करने लगीं और सोफे पर जाकर बैठ गईं.

मैंने दीदी से पूछा- दीदी चुदाई में मजा आया ना!

यह कहते हुए मैंने अपनी बहन के मम्मों पर किस कर दिया.
दीदी बोलीं- बहुत ज्यादा मजा आया. काश मैं तेरा लंड लेकर हमेशा घूमूँ. हमेशा तेरा लंड मेरी चूत में पड़ा रहे.

‘तो देर किस बात की, खोलो अपनी चूत … डाल लंड देता हूँ!
‘अभी नहीं, पहले फ्रेश हो लेती हूँ … फिर कहीं घूमने चलेंगे. रात को मस्ती करेंगे.’

‘चलो आज साथ नहाते हैं.’ मैंने कहा.
दीदी बोलीं- ठीक है, पर तुम मुझे वॉशरूम में चोदोगे नहीं पहले वादा करो.

मैंने कहा- ओके प्रोमिस.
फिर मैंने दीदी का टॉप उतारा, पैंट उतारी … ब्रा और पैंटी भी उतार दी.

दीदी ने भी मेरे सारे कपड़े उतार दिए.
मैं दीदी को गोद में उठा कर वॉशरूम में ले गया.

अपनी सगी बहन की चूची और चूत पर साबुन लगा कर अच्छे से नहलाया और उन्होंने मेरे लंड पर साबुन लगा कर मुझे नहलाया.

फिर हम लोग नहा कर बाहर आ गए.
मैंने दीदी से कपड़े पहने से मना कर दिया और हम दोनों एक दूसरे का जिस्म पौंछ कर ऐसे ही बाहर आ गए.
अब हमें भूख भी लगने लगी थी.

मैंने खाना ऑर्डर कर दिया.
खाना खाने के बाद दीदी ने कहा- चलो मूवी देखने चलते हैं.
मैंने ओके कह दिया.

दीदी ने पूछा- क्या पहन कर चलूँ?
‘जो जल्दी खुल जाए, वो पहन लो.’

दीदी ब्रा पहनने लगीं.
मैंने मनाकर दिया.

दीदी ने एक गाउन पहन लिया, बिना ब्रा और पैंटी के.
उसमें आगे पूरे बटन थे. कोई सा बटन खोल कर कुछ भी कर सकते थे.

दीदी के निप्पल साफ दिख रहे थे.
फिर दीदी ने एक दुपट्टा डाल लिया और हम लोग चल पड़े.
मैंने लास्ट कॉर्नर की दो सीटें बुक करा ली थीं.

मूवी भी बड़ी ही सेक्सी थी. उसमें ज्यादा भीड़ भी नहीं थी.
पूरे हॉल में 20 लोग रहे होंगे.

मैंने अंधेरा होते ही अपनी दीदी के बूब्स दबाने चालू कर दिए.
दीदी की चूत पर हाथ रख दिया.

दीदी ने मना कर दिया.
वे बोलीं- मेरा गाउन खराब हो जाएगा.

मैं भी नहीं चाहता था कि दीदी को कोई दिक्कत हो.
इंटरवेल में मैं टिश्यू पेपर ले आया.

वे बोलीं- इसका क्या करेगा?
मैं बोला- अभी पता चल जाएगा.

दीदी जाकर पहले बैठ गईं.
मैंने नीचे से बटन खोलना शुरू कर दिया.

दीदी बोलीं- क्या कर रहे हो?
मैंने पेट तक बटन खोल दिए और कहा- जरा उछलो.

वे उचकीं, तो मैंने उनका गाउन पीछे से उठाया दिया और चूत में उंगली करने लगा.
दीदी ने सेक्सी स्माइल दे दी.

उन्होंने भी मेरा लंड निकाल लिया.
मैंने दीदी से कहा- चूसो.

वे बोली- यहीं?
मैंने कहा- हां.

वे लंड चूसने लगीं.
मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा.
मैं दीदी के मुँह में और दीदी सीट पर झड़ गईं.

दीदी मेरा सारा माल पी गईं.
फिर मैंने टिश्यू पेपर से दीदी का मुँह और जांघें पौंछ दीं.

बाद में हम दोनों घर के लिए निकल गए.
दूसरे दिन दीदी ने इंटरव्यू दिया और सिलेक्ट हो गईं.

हम लोगों को जब मौका मिलता है, घर में चुदाई का मजा आने लगता है.

एक दिन दीदी ने पापा से कहा- राहुल को भी मेरे साथ वहीं भेज दो. राहुल वहीं पढ़ता भी रहेगा और मेरे साथ रहने के लिए भी कोई मिल जाएगा.

पापा मान गए और मेरा दाखिला वहीं एक कॉलेज में करवा दिया.
अब हम दोनों भाई बहन बिंदास चुदाई का मजा लेते हैं.

दीदी अपने लिए कोई बाहरी लंड भी फ्लैट में ले आती हैं या कभी मैं किसी लड़की को ले आता हूँ.
हम दोनों भाई बहन ग्रुप सेक्स का मजा भी ले लेते हैं.
 
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junglecouple1984

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मेरी सगी दीदी की चूत


मेरा नाम जय शर्मा है, मैं मध्यप्रदेश के भोपाल शहर में रहता हूं।
मेरे परिवार में हम चार लोग रहते हैं मम्मी पापा, दीदी और मैं!

दीदी का नाम रानी है, वे मुझसे कई साल बड़ी हैं.

बात उन दिनों की है जब दीदी की जवानी की शुरुआत थी.
उस समय हम गांव में रहा करते थे.

वहाँ मेरी दीदी की सखी कमला भी हमारे घर के पास रहती थी।

एक दिन ऐसा हुआ कि जब मम्मी पापा किसी काम से शहर गए हुए थे.

तब दीदी और उनकी सहेली को पता नहीं क्या सूझा, वे दोनों मुझे मेरे घर के अंदर ले गई.

मैं बहुत नादान था.
कमरे में ले जाकर पहले दीदी ने मेरी पैंट उतारी और मुझे नंगा कर दिया.
उसके बाद दीदी ने भी सलवार का नाड़ा खोला, मेरे सामने दीदी बिल्कुल पेंटी में थी.

फिर धीरे धीरे दीदी ने पेंटी भी उतार दी।
तब मैंने देखा कि दीदी की चूत में हल्के हल्के बाल हैं और मेरे लंड में कुछ भी बाल नहीं हैं.

मैं बस कुछ समय दीदी की चूत को देखता ही रहा.
फिर दीदी ने चूत की तरफ इशारा करते हुए कहा- हाथ से रगड़ इसे!
लेकिन मैंने डर के मारे कुछ नहीं किया.

तब दीदी बिस्तर पर लेट गयी और अपनी सहेली को इशारा लिया.
दीदी की सहेली भी वहीं थी तो उसने मुझे पकड़ कर दीदी के ऊपर लिटा दिया।

उसने मेरे लण्ड को पकड़ कर दीदी की चूत की दरार में रखा.

दीदी ने अपने चूतड़ उछाल कर मेरे लंड को अपनी चूत में लेना चाहा.
पर मेरा लण्ड खड़ा नहीं था इसलिए दीदी की चूत के अंदर जा नहीं रहा था.

फिर मुझे खड़ा करके दीदी की सहेली ने मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसा तो मेरा लंड खडा हो गया.
इस तरह से मेरे लण्ड को खड़ा करके फिर मेरे लण्ड को दीदी की चूत के सामने रखा और मुझे उन्होंने धक्का लगाने को कहा.

उनके कहने पर मैंने धक्का लगाया तो दीदी की चूत के अंदर मेरा लण्ड चला गया.

उस समय मुझे बहुत तकलीफ हुई और मेरे लंड की सील दीदी की चूत ने तोड़ी.
फिर मैंने दीदी की चुदाई की.

उसके बाद दीदी ने उनकी सहेली कमला को कपड़े उतारने को कहा.
कमला भी मेरे सामने नंगी हो गई, मैंने कमला की भी चुदाई की।

सेक्सी हॉट गर्ल की चुदाई से मैं बहुत थक गया था.

वो मेरी पहली चुदाई थी, उस समय मुझे चुदाई के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था।

उसके बाद पता नहीं क्या हुआ, दीदी ने दोबारा मेरे साथ वो सब नहीं किया.

फिर मैं बड़ा हुआ, तब दीदी की चुदाई के बारे में सोचकर मन ही मन खुश हुआ करता था.

एक बार मेरे पेपर चल रहे थे, तब मैं आंगन बैठ कर पढ़ रहा था.
मेरे घर के आंगन में ही बाथरूम बना हुआ था.

आपने देखा होगा कि गांव का बॉथरूम जो बिना दरवाजे का होता है और ऊपर से पूरा खुला हुआ!
हमारा बाथरूम लकड़ी की फट्टियों से बना हुआ था.

मैं बिल्कुल बॉथरूम के दरवाजे के सामने की ओर ही बैठा था।

तब दीदी कपड़े लेकर नहाने के लिए मेरे सामने बॉथरूम के अंदर चली गई।

फिर दीदी ने जैसे ही कमीज उतारी, तब मैंने जैसे ही दीदी को ब्रा में देखा, मेरे लण्ड में मानो तूफान आ गया हो.

इसके बाद दीदी ने जैसे ही सलवार उतारी और दीदी केवल पैंटी में हो गई, उनकी गोरी गोरी जाँघों को देखकर मैं तो पागल हो गया था.

दीदी ने मेरी तरफ ध्यान नहीं दिया था, उन्होंने सोचा कि मैं पढ़ाई कर रहा हूँ.
फिर दीदी ने जैसे ही ब्रा उतारी तो मेरी नज़र नंगी दीदी के बदन से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी।

दीदी के बूब्स बिल्कुल बड़े बड़े मेरे सामने आ गए.
तो दीदी के मम्मे देखकर मेरा बहुत बुरा हाल हो गया था क्योंकि मैं पहली बार इतने बड़े मम्मे देख रहा था.
पिछली बार जब दीदी मेरे सामने नंगी हुई थी तो उनके मम्मे इतना बड़े नहीं थे.

अब मेरा तो पूरा ध्यान दीदी के ऊपर था।

पता नहीं कैसे मुझे दीदी ने उनको घूरते हुऐ देख लिया और अपने स्तन छुपाने लगी.
फिर वे मेरी तरफ पीठ करके नहाने लगी जिससे मुझे उनके बूब्स नहीं दिख पा रहे थे।

अब मैं निराश होकर पढ़ाई करने लगा.
पर मेरा तो पढ़ाई में बिल्कुल ध्यान नहीं लग रहा था, बस दीदी के बड़े बड़े दूढ ही आँखों के सामने तैरते दिख रहे थे।

अब मैं दीदी के बारे में बहुत गंदा गंदा सोचने लगा था।
जब भी दीदी नहाने जाती, मैं उनको नंगी देखने की पूरी कोशिश करता रहता और देख भी लेता था.

मैंने मुठ मारना भी शुरू कर दिया था.

समय बीतता गया, दीदी की पढ़ाई पूरी हो गई थी और दीदी की शादी हो गई.

अब मुझे दीदी के बूब्स देखने को नहीं मिल पा रहे थे।

दीदी की शादी को तीन महीने ही हुऐ थे कि जीजा की मृत्यु किसी कारणवश हो गई और दीदी हमारे घर फिर से आ गई.

पर अब मुझसे दीदी का चेहरा देखा नहीं जा पा रहा था क्योंकि वे हमेशा उदास रहती थी।
इसलिए मैं दीदी को नहाते हुई भी नहीं देख सकता था, अब मेरा भी मन नहीं करता था.

फिर धीरे धीरे समय बीतता गया.
दीदी भी सबकुछ भूल गई थी और हंसती हुई खुश रहने लगी थी.

दीदी ने आगे की पढ़ाई करना चालू किया और उनकी नौकरी लग गई।
उनकी नौकरी भोपाल में थी।

तब मम्मी पापा ने मुझे दीदी के साथ रहने के लिए बोला और मैं उनके साथ रहकर ही पढ़ाई करने लगा।

दीदी जॉब पर चली जाती और मैं कॉलेज चला जाता।
ऐसा रोज होने लगा.

फिर एक दिन दीदी नहाने के लिए बॉथरूम गई हुई थी तब उसके फोन पर व्हाट्सएप मैसेज आया.
मैसेज में ‘hi sona’ लिखा था.

तब मैसेज देखकर मेरी आंखें तेज हो गई. शायद वह मैसेज दीदी के बॉयफ्रेंड का था।
अब मैं दीदी के बारे में फिर से गलत सोचने लगा था।

एक दीदी और मैंने खाना खाया और मैं मेरे कमरे में सोने चला गया और दीदी उनके कमरे में चली गईं.

तकरीबन रात के 1 बजे रहे होंगे जब मैं पानी पीने के लिए उठा.
तब दीदी के कमरे से मुझे कुछ अजीब सी आवाजें सुनाई देने लगी.
पर मुझे उनकी आवाज साफ सुनाई नहीं दे रही थी।

फिर मैंने कान लगा कर सुना तो ‘आह! ओह! अहा!’ की आवाज सुनाई दी.
तो मैंने सोचा कि दीदी बहुत दिन से नहीं चुदी होगी इसलिए उंगली कर रही होगी.

पर मुझे उनके आवाज के साथ किसी और की आवाज सुनाई दी.
तब मुझे पक्का भरोसा हो गया कि दीदी किसी मर्द के साथ चुदाई करवा रही होगी।

फिर मैं धीरे से दीदी के कमरे की खिड़की के पास गया.
खिड़की के अंदर मुझे साफ साफ दिखाई दे रहा था.

जैसे ही मैंने अंदर देखा तो अंदर का नजारा बिल्कुल देखने लायक था।

दीदी घोड़ी बनी हुई थी और उनका बॉयफ्रेंड धर्मेंद्र दीदी की चुदाई कर रहा था.
धर्मेंद्र से दीदी ने मुझे एक बार मिलाया था।

कुछ समय बाद धर्मेन्द्र ने लण्ड दीदी की चूत से बाहर निकाला और दीदी के सामने लण्ड किया और दीदी को चूसने के लिए कहा.
तो दीदी ने तुरंत उसका लण्ड मुंह में ले लिया और चूसने लगी।

दीदी का यह रूप देखकर मेरे लण्ड में भी आग लग चुकी थी.
अब दीदी बिल्कुल रण्डी की तरह धर्मेंद्र का लण्ड चूस रही थी।

कुछ समय तक लण्ड चूसने के बाद उसने दीदी को फिर से घोड़ी बनाया और दीदी की बालों को पकड़ कर चुदाई करने लगा।
दीदी के मुंह से ‘आह ओह … माई गोड … फक मी’ की आवाज आने लगी.

दीदी ओर धर्मेंद्र की चुदाई काफी देर तक चली.
फिर धर्मेन्द्र ने दीदी की चूत के अंदर अंदर से लंड निकाला और दीदी के मुंह के अंदर पूरा वीर्य दीदी के मुंह में छोड़ दिया.

इसके बाद दोनों आपस में लिपट के सो गए।

जब मैं सुबह उठा तो दीदी बहुत खुश लग रही थी.

शायद मेरे कारण उनकी चुदाई नहीं हो पा रही थी।
पर रात की चुदाई के बाद दीदी बहुत खुश थी।

इसबात को 15 दिन गुजर गए.
शायद धर्मेंद्र किसी काम से शहर से बाहर गया होगा।

एक दिन जब सुबह दीदी नहाने गई तब उनकी मोबाइल में मैसेज आया कि वह आज सुबह भोपाल पहुंचने वाला है.
मैसेज पढ़ कर मैंने दीदी का मोबाईल वहीं रखा और बाहर चला गया.

कुछ टाइम बाद जब मैं रूम में गया तब तक दीदी नहाकर तैयार हो गई थी और नौकरी के लिए निकल गईं थी।

मुझे पता था कि दीदी की आज दमदार चुदाई होगी क्योंकि पूरे 15 दिन के बाद दोनों मिल रहे थे।

मेरा मन कॉलेज में नहीं लग रहा था इसलिए मैं कॉलेज से घर जल्दी आ गया.

जब मैं घर पहुंचा तो घर का ताला खुला हुआ था.
फिर मैंने धीरे से दरवाजा को धक्का दिया तो दरवाजा खुल गया।

जैसे ही मैं अंदर गया तो अंदर का नजारा कुछ और ही था.
दीदी धर्मेन्द्र का लौड़ा चूस रही थी.
वे बिल्कुल नंगी थी दीदी की चूत बिल्कुल चिकनी थी, शायद आज दीदी चूत की शेविंग की होगी.

मुझे देखकर दीदी घबरा गई और अपने बदन को छुपाते हुए धर्मेंद्र के पीछे छुप गई।

मैं दीदी को इस हालत में देखकर घबरा गया और मुझे देख धर्मेन्द्र ने अपने कपड़े पहने और भाग गया।

दीदी ने मुझसे ‘आइंदा ऐसा कभी नहीं होगा’ करके माफ़ी मांगी।
वे मुझसे नजर नहीं मिला पा रही थी।

ऐसे ही 1 महीना बीत गया.

फ़िर मैंने दीदी के बारे में सोचा कि दीदी को भी किसी मर्द की बहुत जरूरत है जिससे वह अपनी चाहत पूरी करे।
मैंने दीदी से बात करने की सोची।

2 दिन के बाद एक बार मैं दीदी के बारे में सोचकर मुठ मार रहा था और झड़ गया और वैसे ही सो गया, मुझे कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह दीदी मेरे कमरे में आकर पौंछा लगाने लगी.
मेरा लण्ड लोवर से बाहर था.

दीदी ने जैसे ही मेरा लौड़ा देखा, देखती ही रह गई और हाथ से टच भी कर रही थी.
शायद बहुत दिन हो गए थे धर्मेंद्र और दीदी के चुदाई को … इसलिए मेरा लौड़ा देखकर दीदी सब कुछ भूल गई थी।

दीदी मेरा लौड़ा हिलाने लगी थीं पर कुछ समय बाद दीदी रूम से बाहर चली गईं।

दिसम्बर का महीना आधा बीत चुका था, तब बहुत जोर की ठंड चल रही थी. मेरी छुट्टियां पड़ गयी थी.

अब हम भी गांव जाने की सोचने लगे और अपनी अपनी सामान को पैक करने लगे क्योंकि हमारी बस शाम 7 बजे वाली थी इसलिए जल्दबाजी में हम कंबल रखना भूल गए.
वैसे मैंने एक कंबल रख लिया था पर दीदी ने नहीं रखा था.

बस में हमारी स्लीपर सीट थी.
जैसे ही बस में बैठे, ठंड बहुत तेज लगने लगी थी.

फिर दीदी ने बैग चैक किया तो कंबल नहीं मिला और हम दोनों एक दूसरे को देखने लगे.
तब मैं जो कंबल लाया था, वही हम दोनों ने ओढ़ लिया.

फिर बस करीब 10 बजे एक ढाबे में रुकी.
तब पता चला कि बस 30 मिनट तक यहाँ रूकेगी.

तब सभी लोगों ने ढाबे में खाना खाया और बस के चलने का इंतजार करने लगे.

बस 10:30 बजे ढाबे से निकली और अब सभी लोगों को नींद आने लगी थी.
सब अपनी अपनी सीट पर आराम करने लगे थे.
दीदी और मैं भी कंबल ओढ़कर सो गए.

करीब 2 बजे रात को मेरी आंख खुली.
तब दीदी मेरी तरफ पीठ करके सो रही थी.
वे मुझसे बिल्कुल चिपकी हुई थी इस कारण मेरा लण्ड खड़ा होने लगा और दीदी की गांड में जाने को होने लगा.

कुछ टाइम बाद दीदी ने करवट बदली और मेरे तरफ चेहरा करके सोने लगी.
फिर मैं भी करवट बदल का दीदी की तरफ पीठ करके सो गया।

कुछ समय बाद दीदी मेरे ऊपर हाथ रख दिया.
मैंने कोई 15 मिनट तक मैंने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी तो दीदी मेरे लोवर में मेरा लौड़ा सहलाने लगी.

मुझे भी नींद नहीं आ रही थी इसलिए मैं भी जागा हुआ था.
अब मेरा लंड भी खड़ा हो गया था तो दीदी समझ चुकी थी कि मैं जागा हुआ हूं।

दीदी कंबल के अंदर से मेरा लौड़ा चूसने लगी.
मुझे तो जन्नत जैसा लगने लगा था.

कुछ समय दीदी मेरा लौड़ा चूसने के बाद दीदी बिल्कुल मेरे सामने साइड आ गई और सोने लगी.
नीचे से दीदी बिल्कुल नंगी थी, मेरा लौड़ा पूरा खड़ा था.

दीदी की चूचियां भी बाहर थी. दीदी ने मेरा सर अपने बूब्स के पास किया और मेरे मुंह में निप्पल देकर चुसवाने लगी.

अब दीदी ने मेरे लण्ड को पकड़ कर चूत के सामने सेट किया और अंदर लेने के लिए आगे हुई.
पर मेरा लौड़ा दीदी की चूत के अंदर नहीं जा रहा था.

ऐसे ही दीदी ने 4-5 बार प्रयास किया पर मेरा लंड बार बार फिसल रहा था।

फिर मुझसे भी रहा नहीं गया और मैंने जोर का झटके के साथ दीदी की चूत के अंदर लौड़ा पेल दिया।
जिससे दीदी चीख पड़ी और और रोने लगी- भाई प्लीज निकालो!

मैं सुनने के मूड में नहीं था.

मैंने धर्मेंद्र और दीदी की चुदाई याद करके बहुत देर तक दीदी की चुदाई की अलग अलग पोजिशन में रात भर की।
 
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भाभी की कामवासना देवर के लौड़े से बुझी



दोस्तो, मैं वैभव चौधरी!
मैं हरियाणा का जाट हूँ और जाटों के जैसा ही मेरा लंबा चौड़ा शरीर है.

आपको मैं अपनी प्यासी भाभी की चुदाई की कहानी सुना रहा हूँ.

मैं फौज में भर्ती होने के लिए कोशिश कर रहा था.
मेरे कुछ दोस्त भी फौज में भर्ती होने के लिए खेल के माध्यम से अपनी तैयारी कर रहे थे.

मैं कुश्ती लड़ने की प्रेक्टिस कर रहा था.
मेरा कद भी अच्छा खासा था और पहलवानी करने के कारण मैं किसी सांड से कम नहीं लगता हूँ.

मेरी उम्र भी तब 22 साल की थी तो मुझे देख कर लड़कियों के अलावा गांव की भाभियां भी आहें भरती थीं.

मैं इस बात से नावाकिफ रहता था और अपनी ही मस्ती में मगन रहता था.

मेरी दिनचर्या भी कुछ ऐसी थी कि सुबह सुबह घर के पीछे बने खुले आँगन में लंगोट पहन कर मुगदर घुमाता, दंड पेलता और उठक-बैठक लगाता.

उसके बाद मेरी मां या भाभी भैंस का दूध काढ़ कर ले आती थीं, तो कच्चा ही एक लीटर दूध गटक लेता था.

फिर घर से निकल कर अखाड़े चला जाता था, तो उधर कुश्ती की प्रेक्टिस होती और दस बजते बजते गांव के तालाब पर हम सारे पहलवान नहाने चले जाते.

उधर एक तरफ गांव की भाभियां कपड़े आदि धोने को बैठी रहती थीं तो उनकी तरफ से हम लड़कों के ऊपर छींटाकशी की जाती थी.
जिसका हम लोग बुरा नहीं मानते थे.

मुझे समझ ही नहीं आता था कि ये लोग खास तौर से मेरा नाम लेकर ही अधिकांश कमेंट्स क्यों करती हैं.

इस बात को लेकर एक दिन मैंने अपने दोस्त जोगेंदर से बात की.
उसने बताया- अबे तू क्या एकदम चूतिया है!

मैंने कहा- क्यों भाई इसमें चूतिया वाली क्या बात है?
उसने हंस कर कहा- वो सब तेरी बॉडी पर फिदा हैं. इसीलिए तो तेरे ऊपर कमेंट्स करती हैं.

मैं अब तक समझता था कि इनकी तो शादियां हो चुकी हैं और ये सब अपने पति के साथ ही मस्त रहती होंगी.
मुझे सपने में भी गुमान नहीं था कि भाभियों को भी मेरे जैसे लड़कों को देख कर मजा आता होगा.

उस दिन जोगेंदर ने मुझे फोन में Xforum साइट खोल कर दिखाई और मैं उधर हजारों की तादाद में सेक्स कहानी देख कर हैरान हो गया.

वस्तुतः उसी दिन मुझे सेक्स के बारे में सही से समझ आई थी.
फिर तो देसी भाभी चुदाई कहानी को पढ़ कर मुझे सब समझ में आने लगा कि मामला क्या है.

तब भी मैं अपनी पहलवानी में लगा रहा और अब तालाब पर भाभियों की छींटाकशी सुनकर मैं मुस्कुरा देता था.

उधर एक दिन सोहनी भाभी जो कि मेरे पड़ोस में रहती थीं, उन्होंने मुझे अकेला पाकर एक ऐसी बात कह दी कि मैं भौचक्का रह गया.

उन्होंने कहा- ऐसे सांड से शरीर का क्या फायदा कि तुझे कोई चाचा कहने वाला ही पैदा नहीं हो पा रहा है!
मैं उनकी बात को समझा नहीं!

मैंने सोहनी भाभी से पूछा- इससे मेरे सांड से शरीर का क्या मतलब हुआ भाभी?
वो हंस कर बोलीं- तू गंवार ही रहेगा.

मैंने उनसे तफ़सील से पूछना चाहा तो उन्होंने कह दिया- अपनी भाभी से ही पूछ लियो.
मैं अभी कुछ और पूछता कि सोहनी भाभी अपने कपड़े उठा कर चली गईं.

मैं असमंजस की स्थिति में सर खुजाता हुआ अपने घर आ गया. मुझे समझ ही नहीं आया कि भाभी प्रेगनंट होना चाहती हैं मुझसे!

घर पर देखा तो मां और पिताजी बड़े भैया को लेकर बड़बड़ कर रहे थे.
मेरे भाई को शराब पीने की लत लगी थी और वह सुबह से ही दारू पी लेते थे.

घर में भाभी अन्दर थीं और भैया नशे में टल्ली पड़े थे.
मैंने मां को चुप कराया तो वे किसी तरह से चुप हुईं.

फिर सब लोग अपने अपने काम पर लग गए.
पिता जी बाहर निकल गए और मां भाभी के साथ मिलकर गृहस्थी का काम समेटने लगीं.

मैं आँगन में फिर से नहाने लगा क्योंकि तालाब के पानी से नहाने के बाद घर में हैंडपंप के पानी से नहा कर ही मुझे चैन मिलता था.

नहा धोकर मैंने मां से खाना लगाने का कहा तो अहसास हुआ कि मां भाभी पर कुछ बड़बड़ा रही थीं.

उसमें मुझे कुछ बच्चा की बात समझ में आई.
तभी मुझे सोहनी भाभी की बात याद आ गई और मैंने कान खड़े करके उन दोनों की बात सुनना शुरू कर दी.

भाभी ज्यादा कुछ नहीं बोल रही थीं.
वे बस सुबक रही थीं और अपने भाग्य को कोस रही थीं.

कुछ देर बाद मां ने मुझे खाना परोसा और खाना खाकर मैं बरामदे में पड़ी चारपाई पर लेट गया.

कुछ देर बाद मां घर से बाहर चली गईं.
वे जाते जाते ये कह गई थीं कि आने में देर हो जाएगी.

उनके जाने के कुछ देर बाद भाभी मेरे करीब आईं और बैठ कर कहने लगीं- तुम्हें तो घर की किसी बात से कुछ लेना देना है ही नहीं?
मैंने उठकर बैठते हुए कहा- मैं समझा नहीं भाभी, आप क्या कह रही हैं?

भाभी ने कहा- मां जी को पोता चाहिए और तेरे भैया किस हाल में रहते हैं ये तुझे मालूम है!
मैंने कहा- हां भाभी, पर मैं उन्हें कैसे समझाऊं?

भाभी ने इसी तरह से गोल-मोल बातें करके मुझे समझाने की कोशिश की मगर मैं उस वक्त वास्तव में नहीं समझ सका था कि भाभी मुझसे चुदना कहती हैं.

वो तो हुआ यूं कि भाभी के जाने के बाद मैंने मोबाईल में Xforum की सेक्स कहानी पढ़ी और अचानक से देवर भाभी सेक्स कहानी खुल गई जिसमें एक भाभी अपने देवर से चुद कर बच्चा पैदा करती है.

सेक्स कहानी पढ़ कर मेरा दिमाग मानो खुल सा गया था.
बस उसी दिन से मैं भाभी को सेक्स के नजरिए से देखने लगा.

मेरी छिपी नजरों को भाभी ने भी पढ़ना शुरू कर दिया था.
मगर घर में कोई ऐसा अवसर नहीं मिल रहा था, जब मैं भाभी से कुछ कह सकूँ.

हालांकि अभी खुल कर सेक्स के बारे में भाभी से कुछ भी कहना इसलिए भी ठीक नहीं लग रहा था क्योंकि मुझे नहीं पता था कि भाभी मुझसे चुदवाने के लिए राजी हैं या नहीं!

एक दिन की बात है, पिता जी और मां दूसरे गांव में किसी रिश्तेदारी में जाना था.

भाभी सुबह से भैंसों की जिम्मेदारी पूरी करके निकल गई थीं.
मुझे लगा कि वे तालाब पर गई होंगी.

मैं अखाड़े से निकल कर तालाब पर नहाने जाने को हुआ ही था कि पिताजी का फोन आ गया- हम दोनों निकल रहे हैं. तू खेत पर चला जा और जाकर देख ले कि मवेशी खेत में तो नहीं घुस गए हैं.

मैंने हामी भर दी और खेत पर आ गया.
वहां देखा तो कोई मवेशी नहीं थे.

हमारे खेत पर एक कमरा बना हुआ था. जिसमें हम लोग खेती के काम के बाद आराम करते थे.
मैंने सोचा कि चलो आ ही गए हैं, तो नहाने से पहले थोड़ी देर आराम ही कर लेता हूँ.

जैसे ही मैं कमरे में पहुंचा और देखा कि उधर मेरी भाभी सिर्फ़ पेटीकोट और ब्लाउज में ही लेटी सो रही हैं.
उन्हें ऐसे पड़ा देखकर मेरा लौड़ा फटने लगा.

मैंने पहले तो भाभी को धीमे से आवाज दी मगर उन्होंने कोई प्रतिक्रिया नहीं की.

अब मैंने उनके सामने बैठ कर उनके पेटीकोट को उठाकर देखा तो उन्होंने नीचे कुछ नहीं पहना था, वे बिल्कुल नंगी थीं.
उनकी झांटों वाली फूली चूत साफ़ नज़र आ रही थी.

मैंने हाथ अन्दर डाला और उनकी चूत पर जैसे ही हाथ रखा, तो उन्होंने एक मस्त सिसकारी ली और जाग गईं.
मैं घबरा गया.

मगर उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए.
भाभी मेरे होंठों का रसपान करने लगीं.
मैं भी लग गया.

थोड़ी देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.

उसके बाद उन्होंने ख़ुद को मुझसे अलग किया और कहा- अपने कपड़े उतारो और मुझे चोद दो.
मैंने कहा- पहले बूब्स तो चूसने दो!

ये कह कर भाभी का ब्लाउज उतार दिया.
उन्होंने ब्रा नहीं पहनी हुई थी, उनके नंगे बूब्स मेरे सामने थे.

मुझसे रहा नहीं गया मैंने उनके बूब्स दबाना शुरू कर दिए.
उनके मुँह से मादक सिसकारियां निकल रही थीं जो मुझे पागल कर रही थीं.

वे कह रही थीं- आह मसल डालो इन्हें और खूब चूस डालो … आह अपनी रखैल बना लो … आज मुझे रौंद डालो … मैं तुमसे कब से चुदवाना चाहती थी, पर तुम समझ ही नहीं रहे थे. आज मेरी तमन्ना पूरी कर दो मेरे राजा.

मुझे तो भाभी के दूध बड़ा पागल कर रहे थे. मुझे बड़े बड़े बूब्स बहुत पसंद हैं, उनकी बात ही कुछ अलग होती है.

Xforum की सेक्स कहानी पढ़ने के बाद से तो मैं तालाब पर भी नहाती भाभियों के थन ही देखता रहता था.

मैं भाभी के बूब्स दबाने लगा.

फ़िर मैंने उनके एक मम्मे को मुँह में ले लिया और उनके कड़क निप्पल को चूसने लगा.
साथ ही मैं अपना दूसरा हाथ भाभी की चूत पर ले गया.

उनकी चूत पूरी गीली थी, ऐसा लग रहा था कि दरिया बह गया हो.

मैंने कहा- क्या हुआ भाभी, परनाला सा क्यों बह रहा है?
उन्होंने कहा कि मैं जिन्दगी में पहली इतनी झड़ी हूँ.

मैंने कहा- क्यों भैया नहीं चोदते?
उन्होंने कहा- तेरा भाई जब होश में रहेगा, तब चोदेगा ना. जब कभी चोदेगा भी तो डालते ही ठंडा पड़ जाता है. मुझे कुछ होता ही नहीं है.

अब मैं समझ गया था कि आज भाभी को चोदने में मजा आने वाला है.

तभी भाभी ने मुझसे कहा- कपड़े उतारो.
मैंने कहा- आप ही उतार दो.

उन्होंने मेरी शर्ट उतार दी.
उसके बाद पैंट मैंने उतार दी.
अब मैं सिर्फ अंडरवियर में था, उसमें मेरे लौड़े ने तंबू बनाया हुआ था.

भाभी ने अंडरवियर के ऊपर से मेरा लंड पकड़ लिया.

पहली बार किसी ने मेरा लंड पकड़ा था तो बहुत मजा आ रहा था.

फिर उन्होंने इलास्टिक को अपनी उंगलियों से नीचे किया तो मेरा 7.5 इंच लंबा और 2.5 मोटा लंड भाभी के सामने खड़ा था.

उन्होंने कहा- आह ये बहुत बड़ा है … ये तो मेरी चूत का भोसड़ा बना देगा.
मैंने कहा- आप आयी ही हो भोसड़ा बनवाने.

उन्होंने हंस कर कहा- चाहे आज मेरी चूत फट ही क्यों न जाए, पर आज मैं इससे चुदकर ही रहूँगी.
मैंने कहा- पहले इसे खुश तो करो.

वे मेरी बात समझ गईं और मेरे लंड के सुपारे को चूसने लगीं.

मैं तो अलग ही दुनिया में सैर करने लगा था.
आज पहली बार में ही कोई औरत मेरे लंड को चूसने लगी थी.

उन्होंने मेरा लंड ऐसा चूसा कि मुझसे रहा नहीं गया.
मैंने लंड चुसवाना छोड़ कर उनको सीधा लिटा दिया और उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं भाभी की चूत पर अपना लंड रगड़ने लगा.
उनसे भी रहा नहीं गया और उन्होंने कहा कि अब डाल भी दो.

मैंने भाभी की बात मान ली और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर एक जोरदार धक्का लगा दिया.

भाभी की चूत गीली होने के कारण मेरा आधा लंड उसकी चूत में उतरता चला गया.

‘आई मर गई … आह साले ने फाड़ दी!’ भाभी की चीख निकल गई और उनकी आंखों से आंसू बहने लगे क्योंकि उनकी चूत बहुत टाइट थी.

दोस्तो, मुझे नहीं लगता कि किसी भी चूत ढीली हो सकती है क्योंकि वो बनी ही इसलिए होती है. वो चुदने के बाद फिर से जैसी की जैसी हो जाती होगी.

कुछ देर रुकने के बाद भाभी थोड़ी ठीक हुईं, तो मैंने दूसरा झटका मारा.
इस बार मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया.

भाभी ने मुझे कसके पकड़ लिया जैसे कह रही हों कि समा जाओ मुझमें.
मैं भी समाना चाहता था.

अब मैंने झटके देने शुरू किए.
मेरे हर झटके के साथ भाभी की सिसकारियां मुझे मदहोश कर रही थीं.

भाभी बोल रही थीं- आह सी आह वैभव डार्लिंग चोदो मुझे … आज अलग दुनिया में पहुंचा दो.

मैं- भाभी फिर कैसा लगा मेरा लंड!
भाभी- आह आह आह आह … बहुत मजा आ रहा है … चोदते रहे, अपनी रंडी को चोद कर ठंड कर दो. आह वैभव तुमने मुझे अपने लौड़े का दीवाना बना लिया है.

मैंने भाभी को दस मिनट तक उसी पोजीशन में चोदा.
वे एक बार झड़ चुकी थीं.

फिर मैंने भाभी से पोजीशन बदलने को कहा.

अब मैं लेट गया और भाभी मेरे ऊपर चढ़ गईं.
उन्होंने अपनी चूत में मेरा लंड पकड़ कर डाला और उछलने लगीं.

वे चुदने के साथ साथ मेरे होंठों को अपने मुँह में भरने लगीं.
दोस्तो, यह मेरी मनभावन पोजीशन है.

भाभी के मुँह से फिर से सिसकारियां निकलने लगी थीं.
इसका मतलब वे फिर से गर्म हो गई थीं और झड़ने के करीब थीं.

वे लगातार बोल रही थीं- मेरी जान फाड़ दो मेरी चूत को!
उनके ये शब्द मेरे जोश को बढ़ा रहे थे.

लगातार आधा घंटा चोदने के बाद मेरा माल निकलने को हुआ.
मैंने भाभी से कहा- मैं निकलने वाला हूं.
वे बोलीं- अन्दर ही निकाल दो, मैं बहुत प्यासी हूं. तुम्हारा बच्चा अपनी कोख में लेना चाहती हूँ.

कुछ झटके देने के एक सिसकारी के साथ मेरा स्खलन हो गया और उनकी पूरी चूत भर गई.

भाभी ने मुझे अपनी बांहों में लपेट लिया और मेरे होंठों को लगातार 5 मिनट तक चूसती रहीं.

फिर मुझे अलग करती हुई भाभी बोलीं- आज तुमने मुझे वो ख़ुशी दी है, जिसे पाने के लिए मैं न जाने कबसे तड़प रही थी.

तब हम दोनों ने एक बार और चुदाई की और खेत पर बने हौद में ही नहाने लगे.

उसके बाद हम दोनों ने बहुत बार चुदाई की.
उसी पखवाड़े में भाभी की माहवारी रुक गई, भाभी प्रेगनंट हो गई थीं और मेरे लंड से उनको एक बच्चा होने वाला था.

समय के साथ भाभी की गोद भर गयी.
 

junglecouple1984

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भाई और बहन का समागम


मेरा नाम रोहित (बदला हुआ) है और मैं जयपुर जिले (राजस्थान) का रहने वाला हूं।

यह कहानी सच है या झूठ … यह सिर्फ मुझे पता है और जिसके साथ घटित हुई उसे पता है.
इसलिए मैं आपका अधिक समय खराब नहीं करना चाहता और कहानी शुरू करता हूं।

यह बहन भाई चुदाई की कहानी मेरी और मेरी बुआ की लड़की के बीच बने संबंधों पर आधारित है.
उसका नाम पारुल है. (बदला हुआ)

यह कहानी तब शुरू होती है जब मेरी उम्र 20 साल की थी यानि आज से ठीक 4 साल पहले।

मेरे शरीर में नई नई जवानी आई थी और लंड किसी भी लड़की या औरत के बूब्स और गांड देख कर खड़ा हो जाया करता था।

मैं यह नहीं लिखूंगा कि मेरा लंड बहुत मोटा और बहुत लंबा है.
बल्कि मेरा एक नॉर्मल लंड है जो किसी भी चूत की प्यास को आसानी से बुझा सके, जिसकी लंबाई 5.5 इंच और मोटाई 2 इंच है।

मैंने अभी तक 2 कुंवारी और 3 शादीशुदा चूतों को चोदा है जिसमें मेरी बुआ, चाची और भाभी भी शामिल है.
उनके बारे में फिर कभी बात करूंगा।

यह कहानी मेरी पहली चुदाई के बारे में है.

मेरी बहन की उम्र उस वक्त उम्र 18 साल की थी।
शुरू से ही हम दोनों खूब मस्ती किया करते थे।

जब भी वह गर्मियों की छुट्टियों में रहने के लिए आया करती थी।

लेकिन साल 2018 में वह आई जब हम 4 साल बाद मिले थे, वह 4-5 दिन रुकने आई थी बुआ के साथ!
हम भाई बहन से ज्यादा दोस्त बन कर रहते थे और यह बात हमारी पूरी फैमिली जानती है.

जैसे ही वह आई उसको देख के ही लंड ने सलामी देनी चालू कर दी क्योंकि उसके शरीर में पहले के मुकाबले अब काफी ज्यादा भरावट आ गई थी।

4 साल पहले उसे देखा था तब वह छोटी दिखती थी लेकिन इन 4 साल में उसके शरीर ने काफी ग्रोथ की थी।

उससे पहले मेरे मन में उसके लिए कभी भी उसके बारे में गंदे या बुरे ख्याल नहीं आए थे.
लेकिन उस दिन जब देखा तो मेरे जिस्म में झुरझुरी सी दौड़ गयी.

उसका फिगर उस वक्त 32-30-32 था जो मुझे बाद में उसके ब्रा और पैंटी से मालूम चला था।

जिस दिन वह आई, उसी रात वह मेरे साथ बिस्तर पे लेटी थी और सोने की तैयारी हो रही थी।
बगल वाले कमरे में मम्मी पापा सो रहे थे जबकि बुआ हाल में सो रही थी।

शुरू से ही हमारी अच्छी बॉन्डिंग होने से हम एक दूसरे को छेड़ रहे थे और बात भी कर रहे थे।
मैं उसके हाथों को सहला रहा था और वह भी मेरे बालों में हाथ फेर रही थी।

मैंने उससे पूछा- बहना कोई बॉयफ्रेंड बनाया या नहीं?
तब उसने कहा- लड़के तो खूब पीछे पड़े रहते हैं\ लेकिन मुझे अपने करियर पर ध्यान देना है. इन सबके लिए तो पूरी लाइफ पड़ी है।

फिर उसने मुझे पूछा- तूने गर्लफ्रेंड बनाई या नहीं?
मैंने कहा- अभी तक तो कोई भी नहीं है।

ऐसे ही बात करते करते और उसके हाथ सहलाते सहलाते मेरा हाथ गलती से उसको बूब्स को लगा तो उसने कुछ नहीं कहा।
मेरी हिम्मत बढ़ गई और मैं भी अब जानबूझ के उसके बूब्स को टच करने लगा।

शायद उसे भी अच्छा लग रहा था क्योंकि वह भी अपना हाथ मेरे सर से उतार कर मेरे सीने पे चलाने लगी।

धीरे धीरे मैं उसका दायां बूब पूरा दबाने लगा.
वह हल्के हल्के सिसकारियां लेने लगी और साथ ही खुद का हाथ मेरे सीने से नीचे ले जाकर मेरे पजामे के ऊपर से ही सहलाने लगी।

ऐसा करते करते हम दोनों नजदीक आए और किस करने लगे।

काफी देर तक हमारी किस चली.

उसके बाद मैंने उसका टॉप उतार दिया और ब्रा में बूब्स निकल कर चूसने लगा।
उसे बहुत ही मजा आ रहा था।

फिर मैंने भी अपने कपड़े उतार दिए और उसके भी … हम दोनों नंगे हो गए।

उसका गोरा बदन और 32″ के चूचे और 32″ की ही गांड देख कर लंड और मुंह दोनों से लार टपकने लगी।

फिर मैं उसे किस करते हुए धीरे धीरे नीचे की तरफ आने लगा और उसकी कुंवारी अनछुई चूत को सूंघने लगा।
पसीने और चूत के पानी की मिली जुली (जिसे खुशबू तो नहीं कहेंगे) स्मेल काफी अच्छी आ रही थी।

मैंने उसकी चूत की फांकों को धीरे से अलग किया और सीधा अपनी जीभ उसने घुसा दी.
आहाह … क्या टेस्ट आ रहा था.

जितना मजा पोर्न विडियो देख कर नहीं आया, उससे कहीं ज्यादा उसकी चूत को चूसने और चाटने में आ रहा था।
जब उसकी चूत पूरे तरीके से गीली हो गई तब मैंने अपना लंड उसके मुंह में दिया.

पहले तो उसने बहुत नाटक किए लेकिन जब मैंने थोड़ी विनती की तो उसने थोड़ी देर मुंह में लंड चूसा।

उसके बाद मैंने उसे बेड पे लिटाया.
मैंने पास में पड़ी वैसलीन की डिब्बी से उसके चूत और मेरे लंड पे थोड़ी सी वैसलीन लगाई.

फिर मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया लगाया जिससे उसकी चूत उभर के ऊपर आ गई.
तब मैं अपना लंड उसकी चूत में डालने लगा।

जैसे जैसे लंड अंदर जाता गया, उसका दर्द बढ़ता गया और उसके आंखों में से आंसू और चूत से खून दोनों बहने लगे।

जब लंड पूरा अंदर चला गया, तब 5 मिनट तक मैं उसके ऊपर ऐसे ही लेटा रहा और उसके दर्द कम होने का इंतजार करने लगा।

लंड ने उसकी चूत में सही से जगह बना ली और वह भी नीचे से अपनी गांड हल्के हल्के उछालने लगी.
तब मैं भी धीरे धीरे धक्के लगाने लगा।
उसे बहन भाई चुदाई में दर्द तो बहुत हो रहा था लेकिन मजा भी बहुत आ रहा था.
हर धक्के का जवाब वह नीचे से बराबर दे रही थी।

5 मिनट बाद उसकी एक हल्की सी आह निकली और उसने पानी छोड़ दिया।

चूत ज्यादा गीली होने के कारण उसमें से पच पच की आवाज आने लगी जिसे सुनकर हम दोनों बहुत हंसने लगे।

मैं अपना लंड बाहर निकाल कर उसकी चूत को फिर से चाटने लगा.

2 मिनट बाद मैं फिर से लंड को उसकी चूत में प्रवेश करके धक्के लगाने लगा.
उसे दर्द अब पहले से कम हो रहा था और मजा पहले से भी ज्यादा आ रहा था।

ऐसे ही हमें सेक्स करते हुए 15 मिनट हो चुके थे.
अब मैं भी अपनी चरम सीमा पर आ गया और वह भी दूसरी बार पानी छोड़ने के करीब आ पहुंची।

मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ती गई और 5 मिनट बाद कोई 70-80 धक्के लगाने के बाद उसकी चूत में अपना सफेद गाढ़ा वीर्य गिरा दिया और साथ ही उसकी चूत ने दुबारा पानी छोड़ दिया.
फिर मैं थोड़ी देर उसके ऊपर ही लेटा रहा।

थोड़ी देर बाद जब लंड सिकुड़ कर अपने आप उसकी चूत से बाहर या गया तब मैं भी उसके ऊपर से उतर के साथ में लेट गया।

हमारी सांसें बहुत तेज चल रही थी लेकिन मन में सुकून और खुशी दोनों ही थी पहले सेक्स की।

उसकी चूत में वीर्य गिराने से वह थोड़ा नाराज हो गई.
मैंने उसे समझाया कि सुबह गोली लाकर दे दूंगा.
तब जाकर वह मानी।

फिर हमने एक दूसरे को किस किया और एक दूसरे को बाहों में लेकर पूरी रात नंगे ही सो गये।

सुबह शायद बुआ को हम पे शक हो गया था जिसके बारे में अगली कहानी में लिखूंगा।

सुबह 9 बजे उठे फ्रेश होकर सबसे पहले मेडिकल से उसके लिए दर्द निवारक और गर्भ निरोधक गोली लाकर दी जिससे हम दोनों को किसी प्रकार की दिक्कत ना हो।

दिन भर वह आराम करती रही.
शाम होते होते उसका दर्द भी गायब हो चुका था और वह फिर से लंड लेने के लिए तड़पने लगी।

उसकी तबियत को देखते हुए मेरी बुआ ने कहा- आज वह रात को मेरे साथ सो जायेगी.

यह सुनते ही उसका मूड ऑफ हो गया।

फिर मैंने कहा बुआ से- बुआ जी, मैं हूँ ना, मैं ध्यान रखूंगा इसका!
पारुल ने भी मेरा साथ दिया- मम्मी, रोहित भैया को सो जाने दो मेरे पास! मैं ठीक हूँ अब!

बुआ ने मुझे तिरछी नजरों से देखा और ‘ठीक है’ बोल कर चली गई।

उस रात सबके सोने के बाद हमने फिर से किसिंग चालू कर दी, अबकी बार किस 15 मिनट तक चला।

बीच में हमारी सांसें रुकने को होती तो तो थोड़ा रुक के फिर से किस करना चालू कर देते।

किस करने के बाद हमने आज एक दूसरे के कपड़े उतारे.

कपड़े उतारने के बाद मैंने आज उसको आज अच्छे से तड़पाने का सोचा.
इसलिए मैं उसके पूरे बदन पे किस करने लगा, जहाँ जगह मिलती वहाँ किस करता सिवाय उसकी चूत के!

वह बार बार कहने लगी- भाई प्लीज … मेरी चूत ने क्या बिगाड़ा है तुम्हारा? उसे भी प्यार कर लो!
मैं बोला- अभी उसका टाइम नहीं आया है!

कोई 20 मिनट तक उसके पूरे बदन को चाटने चूसने और चूमने के बाद वह इतना उत्तेजित हो गई कि बिना चूत को छूए वह झड़ गई और हांफने लगी।

फिर उसके बाद मैंने उसे मेरा लंड हाथ में दिया और बोला- थोड़ा प्यार इसे भी दे!

उसने थोड़े नाटक ज़रूर किए लेकिन वह जल्दी मान गई और लंड को चूसने लगी.
आज उसके लंड चूसने का तरीका कल से अलग था. जैसे कोई एक्सपर्ट हो गई एक ही दिन में।

मुझे इतना आनंद आया कि मैं 10 मिनट में ही उसके मुंह में झड़ गया और वह सारा माल पी गई.

मैंने उससे पूछा- एक ही दिन में ये कहाँ से सीखा?
उसने बताया- आज दिन में में बोर हो रही थी तो पोर्न वीडियो देखे. उनसे मुझे मालूम चला कि लंड को कैसे चूसते हैं. अभी ट्राई किया तो अच्छा लगा इसलिए मैं करती गई और रुकी नहीं।

मैंने पूछा- तो पहले क्यों नाटक कर रही थी?
तब वह बोली- आप जब मनाते हो ना मुझे … तब मुझे अच्छा लगता है. इसलिए मैं थोड़ा नाटक करने लगी।

10 मिनट आराम करने के बाद हम दोनों फिर से तैयार हो गए सेक्स करने के लिए!

मैंने पारुल से कहा- बहन, थोड़ा सा गीला कर दे!
उसने बिना एक पल की देरी किए लंड मुंह में लिया और खूब सारा थूक निकाल के गीला कर दिया.

फिर मैंने उसे बोला घोड़ी बनने को कहा.
वह जल्दी से बन गई.

मैं उसके पीछे गया और लंड एक ही बार में सीधा अंदर घुसा दिया.
उसकी हल्की सी सिसकी निकली.
कुछ पल रुक कर मैंने धक्के लगाने चालू कर दिए।

वह हर एक धक्के का उसी लय में बराबर साथ दे रही थी.

60-70 धक्के लगाने के बाद उस पोजिशन में थकान होने लगी तो मैंने उसे बोला पोजिशन चेंज करने को!
और मैं नीचे लेट गया।

उसके बाद उसे ऊपर लंड पे बिठाया और नीचे से धक्के लगाने चालू किए.
इस पोजीशन में लंड आसानी से पूरा चूत में जा रहा था और मजा भी दोनों को बहुत आ रहा था।

नीचे से मैं उसके बूब्स को दबा रहा था और वह उछल उछल के लंड को चूत से अंदर बाहर कर रही थी.

10-12 मिनट तक करने के बाद वह थकने लगी तो मैंने उसे बेड पे लिटा दिया और मैं उसके ऊपर आ गया.

उसके पैर मैंने चौड़े किए और लंड सीधा चूत में घुसा के स्पीड से धक्के लगाने लगा।

इस दौरान वह एक बार झड़ चुकी थी और कल की ही तरह आज भी चूत में से पच पच की आवाज आ रही थी.

जैसे ही मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ाई, उसकी सिसकारियां भी बढ़ने लगी.

मैं बोला उसे चुप रहने को … कहीं बुआ को ना पता लग जाए!
वह बोली- कोशिश पूरी कर रही हूँ लेकिन हो नहीं रहा।

फिर मैंने उसके मुंह से अपना मुंह लगाया और धक्के लगाने लगा.
और तभी पारुल दूसरी बार झड़ गई.
उसके गर्म पानी जैसे ही मेरे लंड को छुआ, मेरे लंड ने भी हथियार डाल दिए और मैंने लंड बाहर निकाल के सारा माल उसके पेट पे गिरा दिया जिससे कुछ बूंदें उछल कर उसके बूब्स पे भी जा गिरी जिसे उसने अपने बूब्स पे ही मसल दिया।

मैंने हल्की सी नजर दरवाजे पे डाली तो कोई परछाई सी दिखी मुझे!
मैंने नजरंदाज किया उसे और हम दोनों कल की तरह एक दूसरे को बाहों में लेकर सो गए।

उस दिन के बाद से जब भी हम दोनों मिलते हैं तो खूब चुदाई करते हैं।

मैं उसे अब तक 30-35 बार चोद चुका हूँ और कई बार गांड भी मारी है.
जिससे उसका फिगर बढ़ कर 34-32-34 हो गया।

ऐसे ही चलता रहा तो जल्द ही उसकी गांड 36″ की होने वाली है।
 
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भाई की रखैल बनने का मजा


उन दिनों मैं 19 साल की कमसिन सेक्सी माल लड़की थी और मेरा बड़ा भाई 21 साल का बांका जवान लड़का था।

एक दिन घर में मम्मी पापा नहीं थे, वे दोनों एक रिश्तेदार के यहाँ गए थे दूसरे शहर में … और दो दिन में लौटने वाले थे।

मेरा भाई कई बार मौका पाकर मुझे एकान्त में ले जाकर मेरी चूची को जोर से दबा देता था या मेरी गांड में चिकोटी काट लेता था।

उस दिन मैं स्कूल से ब्रेक में घर आ गयी और फिर वापस स्कूल जाने का मेरा मन नहीं था।

घर आकर देखा तो मेरा भाई कुर्सी पर बैठकर पढ़ाई कर रहा है और सामने के टेबल पर अपने पैर फैला कर बैठा है।

मौका देखकर उसने मुझे आती देखकर उसने लुँगी हटाकर अपना लंड मुझे दिखाया.
वो सेक्स करना चाहती था मैं पर तब मैं ‘हट’ बोलकर अंदर चली गयी।

फिर मैंने अपना स्कूल ड्रेस चेंज करके स्कर्ट और लांग ब्लाउज पहन ली।

मुझे भी उसका लंड देखकर चुदने का मन होने लगा।
मैंने भी अपनी सहेलियों से चुदाई के कई किस्से सुन रखे थे।

मैं वापस बाहर के कमरे में गयी और दरवाजा बंद करके अपने भाई के कमरे में चली गई।

उसने फिर लुँगी हटाकर अपना लंड दिखाया तो मैंने हाँ में सिर हिला दिया।
मेरा इशारा पाते ही उसने मेरी कमर पर हाथ रखकर अपनी ओर खींच लिया।

मैं करीब आकर हाथ से उसके लंड को आगे पीछे करने लगी।

उसने कहा- धीरे करो!
और वह स्कर्ट के ऊपर से मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा।

फिर उसने अपनी लुँगी और हटा दी और मेरा हाथ पकड़कर लंड को धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा।

वह अपना एक हाथ स्कर्ट के नीचे ले जाकर मेरा गांड मसलने लगा, फिर पैंटी में हाथ घुसाकर गांड पर हाथ फेरने लगा।

पहले उसने फ्रॉक के ऊपर से मेरी चूची मसली, फिर मेरी फ्रॉक उतारने लगा, इसमें मैंने भी उसकी मदद की।

अब उसने मेरी पैंटी सरका कर उतार दी और स्कर्ट ऊपर करके मेरी मोटी और नंगी गांड से खेलने लगा।

मैंने भी उसका टीशर्ट उतार दिया और अपनी स्कर्ट खोलकर उसका लुँगी खीचकर उसे नंगा कर दिया।

अब मेरी देह पर सिर्फ टॉप फ्रॉक था.

उसने कहा- इसे भी हटा लो।
तो मैंने कहा- प्यार से करना।

उसने मेरी गांड पकड़कर मुझे अपने से सटा लिया और किस करने लगा।
किस करते समय मेरे गाल, होंठ और गले को चूम रहा था और मेरी चूची दबाते हुए कहा- प्यार से चोदूँगा तुझे रानी।

फिर मैंने अपना फ्रॉक निकाल दिया।

अब हम दोनों नंगे थे और दोनों की देह एक दूसरे से सटी हुई थी।
उसके झांटों वाले लंड से मैं खेल रही थी. उसका काला 6 इंच का काला लंड फ़नफना रहा था और टोपा लाल होकर चमक रहा था।

भाई मेरी छोटी चूत जिस पर छोटी झाँटें थी, की फांकों को अलग करके उंगली कर रहा था, साथ में मेरी चूची और निप्पल को चाट और काट रहा था।

अब वह मेरी चूत चाटने और जीभ अंदर करने लगा और मैं गर्म होने लगी।

उसने मुझे भी अपना लौड़ा चूसने को कहा।
मैंने थोड़ा सा उसका टोपा चाटा और कहा- अच्छा नहीं लग रहा है।

फिर वह किचन में जाकर दूध की मलाई लाया और मेरी चूची, चूत और गांड की फांकों में लगाकर चाटने लगा।
भाई अपने लंड पर भी मलाई लगाकर मुझसे लंड चटवाने लगा।

अब हम दोनों गर्म होने लगे थे।

उसने मुझे उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी गांड के नीचे तकिया लगा दिया।

अब वह अपने कड़क लंड पर नारियल तेल लगाने लगा, मैं तो एकदम गीली हो गयी थी।

भाई मेरी टांगें फैलाकर अपना लंड मेरी चूत की फांकों में घुसाकर मुझे चोदने लगा।
उसका लंड मेरी चूत को रगड़कर मजा देने लगा।

वह मेरी गांड और चूची को मसलकर मजे ले रहा था.

फिर वह अपना गांड हिला हिला कर मुझे घपाघप चोद रहा था।
मैं भी अपनी गांड हिला हिलाकर फच फच चुदवा रही थी।

उसने पूछा- मजा आ रहा है मेरी रानी?
तो मैंने कहा- हाँ रे कुत्ते हाँ!

अब हम लोग गाली दे देकर चुदाई का खेल खेल रहे थे.

भाई- चुदा मेरी कुतिया मादरचोद!
मैं- चोद रे हरामी बहनचोद!
भाई- साली रंडी बना के चोदूँगा रे छिनाल!
मैं- साले भड़ुवे चोद अपनी रंडी की चूत!

भाई- फाड़ दूँ तेरी चूत?
मैं- हाँ जानू, अब मैं तेरी माल हूँ, मजे लो मेरी चूत के!

अब हम झड़ने वाले थे.
मुझसे अलग होकर उसने मुझे डॉगी बनाया और पीछे से मेरी गांड थपथपाते हुए मेरी चुदाई करने लगा।

फिर वह मुझे अपने ऊपर लिटाकर मुझे चोदने को बोला.
मैं भी उसके ऊपर बैठकर अपने हाथ से उसका लंड अपने चूत में घुसाने लगी और गांड हिला हिला कर उसे चोदने लगी।

अब हम दोनों झड़ने वाले थे।

उसने मुझे अपना अंडकोश चूसने को बोला और मेरी चूची चूसते हुए अपना पानी निकाल दिया।

थोड़ी देर हम साथ में लेटे रहे, फिर एक साथ बाथरूम में नहाकर कपड़े पहन लिए।

हमारी चुदाई दो दिनों तक अलग अलग अंदाज में चलती रही।

एक दिन घर पर अकेले रहने पर मेरे भाई ने मुझे अपना लंड दिखाकर बोला- लोगी इसको?
मेरे हां में सर हिलाने पर उसने मुझे अपनी ओर खींच लिया और एक हाथ कमर पर रखकर दूसरे हाथ से मेरी गांड सहलाने लगा।

मैं उसके लंड से खेलने लगी और वो मेरे गांड और चूत से!

हम लोगों ने एक दूसरे को नंगा किया और लिपट चिपट कर एक दूसरे से खेलने लगे।

फिर मेरे भाई ने मुझे लिटाया और मेरी गांड के नीचे तकिया रख दिया.
मेरी चूत, जिस पर छोटे छोटे झांट थे, की फांकों को फाड़कर उँगली अंदर बाहर करने लगा।

फिर उसने अपने लंड पर नारियल का तेल लगाकर अपना लंड मेरे चूत में डाल दिया और गांड हिला हिलाकर चोदने लगा।
बीच बीच में वह मेरी छोटी चूचियों को मसलने और चूसने लगा।

मैं भी मस्ती में आने लगी और वह ठप ठप चोदने लगा।
अब मैं उसको गालियाँ देने लगी- चोद साले बहनचोद … अपनी रंडी को चोद!
वह भी कहने लगा- हाँ रे साली चुदा मादरचोद रंडी … मेरे लौड़े से चुदा।

फिर उसने मुझे ऊपर के पोजीशन में लगाकर मेरी गांड पकड़कर हिला हिला कर चोदा।
उसका लौड़ा मेरी चूत को रगड़ता तो मुझे मजा आता था।

दोपहर को शुरू हुआ Xxx ब्रो सेक्स का खेल शाम तक चला फिर हम लोगों ने नहाकर कपड़े पहन लिए।

शाम में मेरा भाई सेक्स कहानी की एक किताब लाया और मुझे पढ़ने के लिए दी।

उस किताब में बाप-बेटी और भाई-बहन की भी बहुत सी कहानियों के साथ कई फोटो थे।
फोटो में चुदाई के कई आसन भी थे।

रात में खाना खाने के बाद भाई ने मुझे एक पैकेट दिया और कहा- इसे पहन लेना, रात का मजा इसके साथ लेंगे।
यह कहकर मुझे सटा लिया और मेरी चूची दबाने लगा।

मैंने कहा- धीरे दबाओ, तुम्हारे काटने से दर्द हो रहा है और 2-3 घण्टे की चुदाई से चूत भी सूज गयी है।
फिर उसने मेरी गांड दबाकर कहा- आज रात में इसके मजे लेंगे।
तो मैंने भी चिहुँक कर कहा- तुम्हारी माल हूँ, जैसे चाहे वैसे चोद लेना।

जब मैंने अपने रूम में जाकर पैकेट खोला तो देखा कि वह थोंग पैंटी है. उसे पहनने से मेरी पूरी गांड दिखाई दे रही थी और आगे में भी सिर्फ चूत की जगह ढकी थी।
उससे मेरी छोटी झांट भी बाहर आ गई थी।

मैं उन कहानियों को पढ़कर और फोटो को देखकर गीली होने लगी।
फोटो में डौगी चुदाई और लेस्बियन के भी फोटोज थे।

थोड़ी देर के बाद मेरा भाई मेरे कमरे में आया तो हाथ में जिन का क्वाटर और सिगरेट भी लाया था।

मैं लेटकर उन किताबें को पढ़ रही थी।
आकर उसने मेरा स्कर्ट ऊपर कर दिया और थोंग वाले पैंटी के ऊपर से मेरी गांड पर हाथ फेरने लगा और फ्रॉक ऊपर करके मेरी चूची मसलने लगा।

मैंने उठकर अपने कपड़े उतार दिए, सिर्फ थोंग में रही.
और भाई को भी कपड़े उतारने के लिए बोली।

एक बार फिर हम नंगे थे.

हम ड्रिंक्स और सिगरेट पीने लगे।

पीने के क्रम में वह मेरी चूची और चूत के ऊपर जिन डालकर चाटने लगा.
और मैं भी उसकी देह और लंड पर जिन डालकर चाटने लगी।

फिर उसने मुझे उल्टा लिटाकर मेरे पेट के नीचे तकिया रख दिया और मेरी गांड के फांकों में उंगली लगाकर गांड की छेद से खेलने लगा।

थोड़ी देर के बाद वह मेरी गांड के छेद में नारियल तेल लगाने लगा और थोड़ा तेल अपने लंड पर भी लगाया।

फिर पीछे बैठकर उसने अपना लंड मेरी गांड में घुसा दिया और लेटकर मेरी गांड चोदने लगा।

चोदते समय भाई मेरी चूचियाँ मसल रहा था और कान, गाल और गले को भी चाट रहा था।

हम लोग फिर गाली देकर चुदाई खेलने लगे।

भाई- मस्त गांड है मेरी रंडी कुतिया!
मैं- चोद ले साले रंडीबाज भड़ुवे अपने कुत्ती की गांड!

भाई- मस्त गांड है, मजा आ रहा है, चोद के लंड अटका दूँगा कुतिया तेरी गांड में!
मैं- चोद ले बहनचोद अपनी रंडी की गांड!

इस तरह एक घण्टे की चुदाई के बाद हम थककर नंगे ही सो गए।

अभी भी हमारे पास एक दिन और था और मैंने स्कूल न जाकर मजा लेने का ही मन बनाया।

पिछली रात में मैंने भाई से जमकर गांड मरवाई फिर थक कर हम नंगे ही सो गए।

सुबह उठकर हम लोग फ्रेश हुए।

हमारे पास अब अकेले रहने का सिर्फ एक ही दिन था, शाम में मम्मी-पापा लौटकर आने वाले थे।

फ्रेश होने के बाद मैंने देखा कि भाई कुर्सी पर बैठकर पेपर पढ़ रहा है और अपनी टांग टेबल पर फैलाए हुए है।

मैंने जाकर उसके हाथ से पेपर हटा दिया और उसके गोद में जाकर बैठ गयी।
फिर मैं उसके गले में हाथ डालकर उसे किस करने लगी।

अब वह भी मुझे किस करने लगा और मेरा फ्रॉक उठाकर मेरी चूचियों से खेलने लगा।

हम लोग फिर से नंगे हो गए और भाई मुझे चाटने और चूमने लगा।
मैं उसका लंड चूसकर उसे चुदाई के लिए तैयार करने लगी।

कुछ देर के बाद भाई ने मुझे बिस्तर पर लिटा दिया और मेरी चूत को जमकर चाटने और चूसने लगा।

एक घण्टे की चुदाई के बाद हम लोग नहाने चले गए।
नहाते समय एक दूसरे के पूरे बदन पर साबुन लगाकर आपस में देह रगड़कर खेलने लगे।

भाई ने मेरी मस्त चूत और चूची पी और बाथरूम में चूत और गांड को चोदा।

मेरी गांड चोदते समय वह मेरी चूचियों को आगे से पकड़कर मुझे पेलता रहा और गालियाँ देता रहा।
मैं भी उसे गालियाँ दे देकर चुदवाती रही।

इस तरह हमारे दो दिन बीत गए।
 
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हस्तमैथुन के चक्कर में जीजी की चूत मिली


मैं राहुल मेरठ शहर से हूँ. मैं दिखने में साधारण सा ही हूँ.

मेरे परिवार में हम 5 लोग हैं, मम्मी पापा और मेरे भाई बहन.

ऐसे तो मुझमें कुछ भी खास नहीं है, पर एक चीज जो मुझे औरों से अलग बनाती है, वह है मेरे सेक्स अनुभव!

तो चलिए मेरा सबसे पहला स्खलन कैसे हुआ, कहानी शुरू करते हैं.

यह बात तब की है, जब मैं 12वीं क्लास में था.
मैं खासा गबरू लगने लगा था और सेक्स की दुनिया से एकदम गाफिल था.

सामने से लड़कियां निकलती थीं तो मुझे कोई अहसास ही नहीं होता था कि ये मुझ जैसे युवा के लिए देखने वाली आइटम है.
भले ही उसके दूध बड़े हों, तने हों … गांड मटक रही हो, मेरे लौड़े पर झांट असर नहीं होता था.

एक दिन मेरी क्लास में दो लड़के आपस में मुठ मारने के बारे में बात कर रहे थे और वह ये नहीं जानते थे कि पीछे बैठा मैं ये सब बड़े ध्यान से सुन रहा हूँ.
वह कल के अपने झड़ने के बारे में बात कर रहे थे.

उनमें से एक बता रहा था कि कैसे उसने पानी निकाल कर चैन की सांस ली.
तो दूसरा बोला कि मुझे तो मुठ मारकर बहुत अच्छी नींद आती है.

मैंने भी सोचा कि ये दोनों दिक्कतें तो मुझे भी हैं पर उससे भी बड़ी दिक्कत ये थी कि मुझे मुट्ठ मारना नहीं आता था.
ये सब कैसे किया जाता है और इसको करने के लिए क्या मारना पड़ता है जिससे मुट्ठ मार ली जाए.

अब मैंने तिकड़म लगाकर उनमें से एक को पटाया और पूछा- कैसे करते हैं ये सब?
उसने पूछा- क्या कैसे करते हैं?
मैंने उससे पूछा- वही मुट्ठ मारना … वह कैसे करते हैं?

हम दोनों स्कूल में कुछ और छात्रों के बीच उससे ये सवाल पूछ रहा था.
तो वह एकदम से सकपका गया और मेरा हाथ पकड़ कर एक तरफ खींचता हुआ ले जाने लगा.

मैंने कहा- क्या हुआ भाई … ऐसे क्यों खींच रहे हो?
उसने फुसफुसाते हुए कहा- अबे मरवाओगे क्या … सबके बीच में भी कहीं ऐसी बात की जाती है?

मैं समझ गया कि इसका मतलब हुआ कि ये गोपनीय बात है.

उसने एक ओर ले जाकर मुझे बताया – जब कोई ना देख रहा हो … और पहली बार कर रहे हो, तो लंड को तेल में चुपड़ लो और लंड की खाल को तब तक आगे पीछे करते रहो, जब तक कि उसमें से पानी ना निकल जाए.

यह बात मेरे दिमाग में बैठ गई.
फिर भी मैंने पूछा कि इसे ही मुट्ठ मारना कहते हैं?
वह अपना सर पीटता हुआ बोला- हां मेरे बाप … इसे ही मुट्ठ मारना कहते हैं. अब तू जा इधर से और इस बात की चर्चा किसी से भी नहीं करना.

अब यहां से शुरू होता है मेरा पहला सेक्स एनकाउंटर.

हुआ यूं कि जल्द ही मुझे वह टाइम मिल गया जिस समय में मैं घर में बिल्कुल अकेला था.

माफ़ कीजिए, मैं आपको बताना भूल गया कि हम अपनी ताई के मकान में रहते थे.
उनके कमरे का गेट और हमारे कमरे का गेट बस एक छोटी सी गैलरी से जुड़े हुए थे.

मैं कमरे में नीचे से नंगा लंड पर तेल लगाए मुट्ठ मारने के ख्यालों में बिजी था कि तभी मेरी नजर मेरे कमरे के गेट पर चली गयी जिसके बीच की झिरी में से कोई मुझे देख रहा था.

यह जानकर मेरे तो पैरों तले जमीन खिसक गयी, पर मैंने ना घबराते हुए कच्छा पहना और गेट खोल दिया.
मैं क्या देखता हूँ कि यह तो मेरी मुँह बोली बुआ की बेटी हैं जो तीन बच्चों की मां हैं, यानि मेरी छुटकी जीजी हैं.

दरवाजा खुला और वह अन्दर आ गईं.
अन्दर आते ही उनका पहला सवाल था कि क्या कर रहा था?

मैंने कहा- कुछ भी नहीं!
वे बोलीं- फिर आधा नंगा क्यों है?
मैं बोला- गर्मी लग रही थी.

उसी पल एक जोरदार तमाचा मुझे मारते हुए जीजी बोलीं- तेरे को क्या आधे शरीर में ही गर्मी लगती है? सच सच बता … नहीं तो मामा को फोन करती हूँ.
वे मामा को यानि मेरे पापा को फोन करने की कह रही थीं.
मेरी तो बिल्कुल ही फट गयी थी.

अब मैंने रट्टू तोते की तरह स्कूल की बात जीजी को सुना दी.

मैंने सोचा कि ये सुनकर तो मेरे और लगेंगे, पर जो उन्होंने बोला, वह मेरे तो पल्ले ही नहीं पड़ा.
एक तो तमाचे की गूँज और दूसरा बाप से मार का डर!

वे बोलीं- फिर क्या हुआ, निकल गया पानी?
मैंने कहा- नहीं निकला.

वे बोलीं- क्यों?
मैंने कहा- अभी ही शुरू किया था कि आपको देख लिया और आप अन्दर भी आ गईं.

वह बोलीं- तो उसमें क्या देर लगती है?
तब मैंने बोलना शुरू किया- मेरा खड़ा तो हो गया था, लेकिन आगे क्या करूँ, कुछ समझ में ही नहीं आया.

तब जीजी बोलीं- तेल लगाते ही तू जब लेट गया था, मैं तब से ही तुझे देख रही थी. तेरा खड़ा तो किसी रॉड की तरह रहता है, पर तुझमें कुछ कमी है. सोच कि तूने कभी किसी औरत को नंगी देखा है … मतलब वह सोच कि उसके दूध या सुसू!

मैं नहीं बोला.
तो वे हंसने लगीं और बोलीं- मेरे बुद्धू भाई, तू इतना बड़ा हो गया है कि 7 इंच का लंड लिए घूम रहा है और अब तक किसी को नहीं देखा.
मैंने कहा- सच में जीजी मैंने किसी को ऐसे नहीं देखा है.

वे बोलीं- दूध तो किसी बच्चे को पिलाते हुए भी दिख जाते हैं.
मैंने कहा- मेरा तो कभी ध्यान ही नहीं गया.
वे बोलीं- फिर क्या करेगा मुट्ठ मार के?

मैंने कहा- करना है … मतलब करना है जीजी. मुझे आज पानी निकालना ही है.
मैं इतना इसलिए बोल गया क्योंकि वे मुझसे नॉर्मल होकर बात कर रही थीं तो मुझमें ये सब कहने की हिम्मत आ गयी थी.

फिर जीजी बोलीं- निकालना ही है, तो मैं मदद कर दूंगी. पर बस एक ही बार. बाद में फिर कभी मुझे मत बोलना.

अब आप सब तो जानते ही हैं कि ये कैसी लत है. दरअसल जीजी तो मुझे फंसा कर अपने लिए जुगाड़ बना रही थीं.
मैंने हामी भरते हुए जीजी से वायदा किया.

वे आगे बोलीं- तू ऐसा कर, तायी जी के कमरे का गेट लगा कर आ जा.
मैं गया और फटाफट से गेट लगा आया.

अब जीजी बोलीं- जैसा मैं कहती हूँ, तू वैसा कर. तेरा पानी भी निकल जाएगा और तुझे मुट्ठ भी नहीं मारनी पड़ेगी.
मैंने कहा- ठीक है.

वह बोलीं- सबसे पहले अपने लंड को कपड़े से साफ कर.
मैं करने लगा, तो मैंने देखा कि जीजी अपनी साड़ी में हाथ डालकर अपनी पैंटी उतार रही हैं. उन्होंने पैंटी निकाल कर एक ओर रखी और ब्लाउज के हुक खोलने लगीं.

मैंने अपना लंड हिलाते हुए कहा- जीजी हो गया साफ!
वे बोलीं कि हो गया तो जरा रुक.

अब उन्होंने अपनी साड़ी पेट तक मोड़ ली और सीधी लेट गईं.

वह अपने हाथ से अपनी चूत की फांकों को अलग अलग करती हुई बोलीं- इसमें अपना लंड डाल कर आगे पीछे होना ही तुझे!

मैंने वैसा ही किया.
मैं घुटनों के बल बैठा और जीजी की चूत में अपना लंड पेल कर रुक गया.

जीजी की चूत में लंड डालते ही मुझे अच्छा लगने लगा और गर्म भी.
उधर जीजी के मुँह से भी आह निकल गई.

अभी तक भी मुझे यह नहीं पता था कि जीजी मुझ नासमझ से अपनी चूत चुदवा रही हैं … बल्कि मैं तो ये सोच रहा था कि कब मेरा पानी निकलेगा और मुझे अच्छी नींद आएगी.
मैंने लंड पेला तो मुझे उनकी चूत की गर्मी का अहसास हुआ.

लंड के धागे के टूटने से अजीब सा दर्द हो रहा था जो कि मीठा भी था और दर्द भी हो रहा था.

कुछ ही देर में मुझे जीजी के हाथ का स्पर्श मेरी गांड पर हुआ.
मैंने जीजी की आंखों की तरफ देखा, तो शायद वह आंखें मूँदे हुई मेरे लंड से मजा ले रही थीं.

मैंने लंड को जरा सा और अन्दर पेला, तो मुझे बड़ी तेज पीड़ा हुई. तब भी मैं लगा रहा.
कुछ ही देर बाद मुझे मजा मिलने लगा.

उधर जीजी चिल्लाती रहीं- आह और जोर से … और जोर से.
मैं लगा रहा.

अब मुझे भी अच्छा लग रहा था.
जीजी के झूलते हुए चूचे, चिकनी चूत में सरपट दौड़ता मेरा लंड … इसलिए मैं भी लगा रहा.
अब मुझे मजा आने लगा तो मैंने पता नहीं कैसे … पर उनके एक चुचे को मुँह में भर लिया और उसे जोर जोर से चूसने लगा, दूसरे को भींचने लगा.

जीजी की चूत से फच फच की आवाज़ आ रही थी. वे झड़ चुकी थीं.

मैंने पूछा- जीजी मेरा पानी कब निकलेगा?
जीजी बोलीं- तेरा पहली बार है ना … इसलिए पूरी बॉडी से घूम कर आने में टाइम लगेगा.

अब साला ये पानी पूरी बॉडी से किस तरह से घूम कर आता है, मुझे समझ ही नहीं आया.
पर जो भी हो, मुझे भी अब फुल मजा आ रहा था.

तभी जीजी बोलीं- रुक जरा … मैं घोड़ी बन जाती हूँ, इससे तेरा काम जल्दी हो जाएगा.
मैं खुश हो गया कि चलो फाइनली पानी निकल ही जाएगा.

अब जीजी घोड़ी बन गईं और मैं उन्हें चोदने लगा.
जीजी की चूत से अब भी फच फच की आवाज़ आ रही थी, पर अब पहले से कम आ रही थी.

जीजी बार बार झड़ कर टूट चुकी थीं तो बोलीं- मेरा हो गया, अब हट जा.
मैंने कहा- मेरा तो अभी भी नहीं निकला.

वे हैरान थीं और मैं परेशान.
आखिरकार वे बोलीं कि इधर आ.

मैं उनके सामने आ गया और वह मेरे लंड के सुपारे को पूरा बाहर निकाल कर मुँह में भरने लगीं.
जीजी लंड चूसे जा रही थीं.

मुझे तकलीफ तो हो रही थी, पर हॉट कज़िन सिस Xxx में मजा भी आ रहा था.

उसी समय मेरी आंखें बंद हो गईं और मेरे दिमाग में अभी जो हुआ, वह सब घूमने लगा यानि अब मेरे पास एक गंदी सोच थी, जिसकी वजह से मुझे जिस चीज की कमी थी. वह मिल गई थी.

मुझे जिसका इंतजार था, वह हो गया यानि पानी … जी हाँ वह निकल गया.

मेरे लौड़े का पानी जीजी के होंठों से बह कर गले तक जा रहा था.

अब जीजी बोलीं- जो हमने किया, उसे चुदायी कहते हैं. तुम्हारे हथियार को लंड … और मेरे पास जो है, उन्हें चूत और चूची बोलते हैं. अगर तुमने आज की बात किसी को बताई, तो मैं सबको बताऊंगी कि तुम मेरे आने से पहले क्या कर रहे थे.

मैंने कसम खायी और अपने कपड़े पहन लिए.
उसके बाद जीजी ने मेरा पानी निकलवाने में मेरी कई बार मदद की.
 

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जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए- 1



मेरा नाम सैम है. मैं अपनी फैमिली के साथ मुम्बई में रहता हूं. हम लोग दक्षिण मुम्बई में एक फ्लैट में रहते हैं.

मेरी फैमिली में मेरी मां (41), पिताजी (48) और मेरी दो बड़ी दीदी रहते हैं. बड़ी वाली दीदी का नाम पूनम है. उनसे छोटी दीदी रोशनी है. अब उन दोनों की शादी हो चुकी है.
मेरे पिताजी एक सरकारी विभाग में अफसर हैं.

ये कहानी तब की है जब मैं 19 साल का था और मेरी दोनों बहनें क्रमश: 24 और 23 साल की थीं.
मैं तब कॉलेज के दूसरे साल में था और पत्राचार के माध्यम से पढ़ाई पूरी कर रहा था.

हमारी फैमिली शुरू से ही खुले विचारों की रही है. उस वक्त मेरी दोनों बहनों की शादी हो चुकी थी. रोशनी दीदी अमेरिका में थी और पूनम दीदी बैंगलोर में रहती थी.

दोनों की शादी के बाद घर एकदम खाली खाली हो गया था. शादी के पहले हम तीनों एक ही बेडरूम शेयर किया करते थे. अब उनके जाने के बाद वो बेडरूम मेरा हो गया था.

मैं उस बेडरूम में अब आराम से पोर्न मूवी देख सकता था. मैं अक्सर मनोहर कहानियां और काफी सारी अडल्ट मैगजीन लाकर अपने बेड के नीचे रखता था. फिर रात में उनको पढ़ते हुए आराम से मुठ मारा करता था.

फिर मेरे पिता जी ने मुझे जॉब पर लगवा दिया. मैंने कॉमर्स से कोर्स कर रहा था तो अकाउंटेंट की जॉब आराम से मिल गयी थी. अब मैं ऑफिस जाने लगा था.

एक दिन जब मैं जॉब से लौटा तो मेरे मम्मी पापा सो रहे थे. मैं अपने रूम में गया तो बड़ी दीदी वहां पर पहले से ही बैठी थी.
मैंने चौंक कर कहा- दीदी, आप कब आईं?
दीदी- आज सुबह ही आई थी. तू तब तक ऑफिस जा चुका था.

बड़ी दीदी बैंगलोर से मुम्बई आई थी.

मेरी नजर दीदी के बदन पर गयी. उसने एक पारदर्शी नाइटी पहनी हुई थी. उसमें से उसकी ब्रा और पैंटी साफ झलक रही थी.
जैसे ही मैं आगे बढ़ा तो दीदी ने मुझे गले से लगा लिया. मैं भी उनके गले से लगा तो उनके चूचे मुझे मेरे सीने पर महसूस हुए.

आज मुझे दीदी के चूचे टच होने से करंट सा लग रहा था.
फिर मैंने भी उनको कस कर बांहों में भर लिया और मेरा लंड उनकी चूत वाले एरिया पर उनकी पैंटी के ऊपर सटा दिया.
कुछ ही सेकेण्डस् के अंदर मेरा लौड़ा पूरा तन गया था.

फिर उसने गले से हटाया और बोली- क्या बात है … आज बहुत लेट हो गया तू?
मैंने कहा- हां दीदी, वो आज एक टैक्स रिटर्न फाइल करनी थी तो इसलिए लेट हो गया.
वो बोली- ठीक है, तू नहा ले. मैं तेरे लिए तब तक खाना लगा देती हूं.

मैं उसके बाद फिर नहाने चला गया.

अब मेरे ख्यालों में दीदी का वही सेक्सी बदन घूम रहा था जिसको मैंने कुछ देर पहले पारदर्शी नाइटी के अंदर ब्रा और पैंटी में देखा था.

अंदर जाकर मैं दीदी को सोचकर मुठ मारने लगा.
मुझे अंदर गये हुए काफी टाइम हो गया तो दीदी ने बाहर से पुकारा- क्या बात है सैम, तुझे इतना टाइम कब से लगने लग गया नहाने में?

मैं बोला- बस आ रहा हूं दीदी.
मैंने मुठ पूरी भी नहीं मारी और माल निकाले बिना ही मैं नहाकर बाहर आ गया.

रात में शॉवर लेने के बाद मैं अंडरवियर नहीं पहनता हूं. मेरी हमेशा से यही आदत रही है.

फिर मैं बाहर आया और मैंने कॉटन की एक ट्रैक पैंट पहन ली.

मेरी पैंट में मेरा लंड अभी भी तनाव में था. मेरा लंड मेरी ट्रैक पैंट में से भी साफ दिख रहा था.
मुझे लगा कि दीदी लंड देख लेगी तो मैं जल्दी से आकर डाइनिंग टेबल पर बैठ गया.

दीदी पहले से ही वहां बैठी हुई मेरा इंतजार कर रही थी.

मगर मेरे बैठने से पहले ही दीदी ने मेरे लंड के उभार को देख लिया था.
उसने कुछ रिएक्ट नहीं किया.

जब वो खाना परोसने लगी तो उसकी नाइटी के ऊपर वाले दो बटन मैंने खुले हुए देखे जिनमें से दीदी की चूचियां झांक रही थीं.
उनके चूचों के बड़े बड़े उभार साफ नजर आ रहे थे.

दीदी के चूचों को देखकर मेरा लंड फिर से मुंह उठाने लगा.
मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था.

फिर वो मेरे सामने ही बैठ गयी.

कुछ देर बाद वो बोली- तुझे और कुछ चाहिए है क्या?
मैंने कहा- हां, मुझे एक गिलास पानी दे दो दीदी.

वो मेरे लिये पानी का गिलास लेकर आई.

जब वो गिलास रखने लगी तो उसकी चूचियों का क्लीवेज मुझे साफ नजर आया.

उसने मेरी पैंट में उठे मेरे लंड को देख लिया.
मेरा एक हाथ मेरे लंड पर था और मेरी नजर दीदी की चूचियों पर थी.
उसने देख लिया था कि मैं भी उसकी चूचियों को घूर रहा हूं.

फिर वो मेरे सामने जाकर बैठ गयी.

कुछ देर बाद उसने फिर से पूछा- और कुछ चाहिए?
मैं- नहीं दीदी, बस!
दीदी- क्या बात है, आजकल तू खाना भी कम ही खाने लगा है.
मैं- नहीं दीदी, रात में पढ़ना होता है इसलिए इस टाइम कम ही खाता हूं.

वो बोली- ठीक है, तो मैं तेरा बचा हुआ खाना फ्रिज में रख देती हूं.
वो उठी और बाकी बचा हुआ खाना फ्रिज में रख आई.

फिर वो हमारे रूम में चली गयी.
चूंकि घर में एक ही रूम था और मम्मी पापा हॉल में सोते थे. पहले हम तीनों भाई बहन इसी रूम में सोते थे.

बहनों की शादी के बाद मैं रूम में अकेला रहने लगा था.
मगर जब भी घर में कोई बाहर से आता या मेरी दीदी लोग आते तो उसी रूम में सोया करते थे.
इसलिए दीदी को भी आज उसी रूम में सोना था क्योंकि वो कमरा हम तीनों का ही था.

फिर मैंने अपना खाना खत्म किया और हाथ धोकर अपनी किताब उठा ली.

मैं किचन में ही बैठकर पढ़ने लगा क्योंकि रूम में दीदी पहले से जाकर लेट गयी थी.
रात के 12 बजे तक मैं किचन में ही बैठकर पढ़ता रहा.

जब मुझे बहुत नींद आने लगी तो मैं किचन की लाइट बंद करके रूम में चला गया.
मैं बिना आवाज किये रूम के पास पहुंचा और धीरे से दरवाजा खोला क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि दीदी जाग जाये.

जब मैंने दरवाजा खोलकर अंदर झांका तो मेरी आंखें फटी की फटी रह गयी.
दीदी की नाइटी उनके चेहरे पर पड़ी हुई थी और वो अपनी चूत में दो उंगलियां डालकर अंदर बाहर कर रही थी.

दीदी की 36 की साइज की चूची जो बिल्कुल गोरी थी, मुझे साफ साफ दिखाई दे रही थी.

इस हाल में दीदी को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैं अपनी आंखें फाड़कर दीदी की चूत की तरफ देख रहा था.

चूंकि दीदी की आंखें उनकी नाइटी के नीचे ढकी हुई थी तो वो मुझे देख नहीं सकती थी.

वो अपनी उंगलियों से अपनी चूत को चोदे जा रही थी.
मैं वहीं पर खड़ा होकर अपने लंड को मसलने लगा.

मेरा मन कर रहा था कि मैं ही अपना लंड दीदी की चूत में डाल दूं और उसकी चूत की प्यास मिटा दूं.

मगर मैं हिम्मत नहीं कर पाया और वहीं पर खड़ा रहकर अपने लंड को मसलने लगा.

कुछ देर तक दीदी तेजी से अपनी चूत में उंगली चलाती रही और अपनी चूत के दाने को जोर जोर से रगड़ती रही.
फिर एकदम से उसकी चूत से पानी निकला और एक लम्बी आह्ह … के साथ दीदी शांत होती चली गयी.

जब उसने आंखें खोलीं तो मुझे सामने देखकर वो हैरान हो गयी.
वो शर्म से उठी और चुपचाप बाथरूम में जाने लगी.

मगर उसकी नजर मेरे तने हुए लंड पर थी जिसको वो घूरते हुए जा रही थी.

फिर वो बाथरूम में घुस गयी.
मैं बेड पर लेट गया.

मगर मेरे अंदर हवस भरी हुई थी; मेरा लंड खड़ा ही रहा.

आज जो नजारा मैंने देख लिया था उसके बाद तो मुझे चैन नहीं आने वाला था.

बीस मिनट हो गये. दीदी अभी तक बाहर नहीं आई थी.

मैं बेड पर लेटा हुआ दीदी के बाहर आने का इंतजार कर रहा था.
मेरी नजर बाथरूम के दरवाजे पर ही लगी हुई थी.

वो कुछ देर के बाद बाहर निकली तो मैं जाग रहा था.

दीदी- तू अभी तक सोया नहीं है क्या?
मैं- नींद नहीं आ रही थी.
दीदी- कल ऑफिस नहीं जाना है क्या?

मैं- नहीं, कल मेरी छुट्टी है.
दीदी- तो क्या पढ़ रहा था अभी तक?
मैं- इकोनॉमिक्स की किताब पढ़ रहा था. आपसे एक बात पूछूं?

दीदी- हां पूछो.
मैं- अभी जो आप कर रही थी वो क्या था?
दीदी- वो मैं तुझे बाद में बताऊंगी.
मैं- अभी क्यों नहीं बता सकती?

दीदी- तू भी तो जवान हो गया है. तेरी भी तो गर्लफ्रेंड होगी. तुझे भी तो पता होगा ये सब!
मैं- हां है मेरी गर्लफ्रेंड, लेकिन मैंने उसको कभी ऐसे करते नहीं देखा.
दीदी- कितनी गर्लफ्रेंड हैं तेरी?
मैं- एक ही है।

वो बोली- कभी उसके साथ कुछ किया है तूने?
मैं- उसके साथ तो कुछ नहीं किया है, हां मगर मेरे ऑफिस की एक कुलीग (सहकर्मी) है जिसके साथ मैंने ऑफिस में सेक्स किया है.

दीदी- वाह … गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स किया नहीं और अपनी ऑफिस की लड़की से सेक्स कर लिया!
मैं- दीदी, उसका पति मर्चेंट नेवी में है. वो उसको समय नहीं दे पाता है.
दीदी- अच्छा।

मैं- दीदी एक बात बोलूं?
दीदी- हां बोल.
मैं- आपकी पुस्सी से बड़ी पुस्सी थी उस ऑफिस वाली लड़की की. आपकी पुस्सी में तो दो उंगली भी बहुत मुश्किल से जा रही थी.

दीदी- अच्छा … तो तूने मेरी पुस्सी का साइज भी देख लिया?
मैं- हां, तो आप भी तो दोनों टांगें खोलकर सामने ही उंगली कर रही थीं. सामने से सब कुछ दिख रहा था.

दीदी- सच बता तूने कितनी लड़कियों के साथ सेक्स किया है?
मैं- बस एक के साथ ही.

वो बोली- कितनी बार सेक्स किया है उसके साथ?
मैं- 6 से 7 बार किया है दीदी.
दीदी- उसके घर में कौन कौन है?

मैं- वो और उसका पति ही हैं. वो मर्चेंट नेवी में है और 6 महीने में एक बार ही घर आता है.
दीदी- हम्म … ठीक है।

फिर मैं बोला- दीदी, आपके बूब्स तो बहुत प्यारे हैं.
दीदी- तूने मेरे बूब्स कब देख लिये?
मैं- जब आप खाना परोस रही थी तो उस समय झुकते हुए मुझे आपकी चूची दिख गयी थी.

वो बोली- तू बहुत बदमाश हो गया है.
मैं- आप भी तो बहुत खूबसूरत हो गयी हो.
दीदी- हां हां पता है. तू भी तो जवान हो गया है.

मैं- वो कैसे?
दीदी- तेरी पैंट में बने टैंट से पता लग जाता है.
मैं- ओह्ह … तो आपने भी मेरा टैंट देख लिया है!

दीदी- तेरे टैंट को देखकर मेरे जिस्म में आग लग गयी थी. मैं यहां बेड पर लेटी हुई उसी आग को शांत कर रही थी.
मैं- और जो आग मेरे अंदर लगी हुई है उसका क्या?
दीदी- अपना हाथ जगन्नाथ! बाथरूम में जाकर हिलाकर आ जा!

मैं- दीदी, आप ही अपने हाथ में लेकर हिला दो ना मेरे इस लंड को?
दीदी- तेरा दिमाग खराब हो गया है.
मैं- क्यूं दीदी, लंड देखकर आप अपनी चूत में उंगली कर सकते हो लेकिन उसी लंड को अपने हाथ में लेकर नहीं हिला सकते?

दीदी- अगर किसी ने गलती से भी देख लिया तो बहुत बदनामी होगी. हम भाई बहन हैं, न कि पति-पत्नी!
मैं- मगर पति के साथ भी तो आप करती होगी. मेरे साथ करने में क्या दिक्कत है. वैसे भी यहां कौन देखने वाला है, हम लोग अपने ही घर में हैं. अपने ही रूम के अंदर हैं. हम कुछ भी कर सकते हैं. आओ ना दीदी … प्लीज।

ये कहते हुए मैंने दीदी का हाथ पकड़ लिया और अपनी ट्रैक पैंट पर रखवा दिया.

दीदी मेरी ट्रैक पैंट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगी.
उसने एक दो बार सहलाया और फिर से हाथ हटा लिया.

मैं बोला- अब क्या हुआ?
दीदी- मुझे शर्म आ रही है कुत्ते. बहुत बेशर्म हो गया है तू!
मैं- लंड को देखते हुए तो आपको शर्म नहीं आ रही थी. वही तो लंड है ये.

अब मैंने एक बार फिर से दीदी का हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रखवा दिया.

अबकी बार उसने हाथ नहीं हटाया और मेरे लंड को मेरी ट्रैक पैंट के ऊपर से ही सहलाने लगी.
दीदी के कोमल हाथ का स्पर्श पाते ही मेरा लंड एकदम से टाइट हो गया.

मेरे लंड की गर्मी दीदी मेरी ट्रैक पैंट के ऊपर से ही महसूस कर रही थी.
कुछ देर वो मेरे लंड को सहलाती रही.

मेरा लंड ऐसा सख्त हो गया था जैसे वो हड्डी का बना हुआ हो. बहुत ज्यादा कठोर हो गया था.

फिर दीदी ने मेरी ट्रैक पैंट के अंदर हाथ डाल दिया.
अब मेरा लंड दीदी के हाथ में था.

वो उस समय काफी मस्ती में लग रही थी.
मैंने देखा कि अब दीदी की आंखें बंद हो गयी थीं.
वो मेरे लंड को पकड़ने का पूरा मजा ले रही थी.

मैंने अपना एक हाथ दीदी के दायें बूब्स पर रख दिया और हल्के से दबा दिया.
दीदी के मुंह से आह्ह … की आवाज निकली जिसने मुझे और गर्म कर दिया.
मैंने अपना दूसरा हाथ भी दीदी के बूब्स पर रख दिया और दबाने लगा.

अब हम दोनों एक साथ ही एक दूसरे को गर्म कर रहे थे.

कुछ देर के बाद मैंने दीदी की नाइटी उसके सिर पर से निकाल दी.
अब दीदी के बदन पर ब्रा और पैंटी थी.

मैंने उन दोनों को भी निकलवा दिया और उसको पूरी की पूरी नंगी कर दिया.

वो मेरे सामने नंगी लेट गयी और मुझे मेरी ट्रैक पैंट की ओर इशारा किया.
मैंने भी अपनी लोअर निकाली और पूरा नंगा होकर दीदी के पास चला गया.

दीदी मेरे बेड पर पूरी नंगी पड़ी हुई थी और उसका गोरा नंगा बदन बल्ब की रोशनी में बहुत ही आकर्षक लग रहा था.

मेरे लंड में जोर जोर से झटके लग रहे थे.
मैं चाहता था कि मैं दीदी के मुंह में लंड देकर चुसवाऊं.

अपनी ऑफिस की लड़की की चुदाई करते हुए भी मैं उससे बहुत समय तक अपना लंड मुंह में देकर ही चुसवाया करता था.
मुझे लंड को मुंह में देकर चोदने में बहुत मजा आता था.

फिर मैंने अपने लंड को दीदी के मुंह के पास कर दिया तो दीदी मना करने लगी.
उसने मेरे लंड को चूसने से मना कर दिया.

मगर मैंने रिक्वेस्ट की और फिर लंड को उसके होंठों पर टच करने लगा.
उसको थोड़ा अच्छा लगा.

अब दीदी ने अपना मुंह खोल दिया और मैंने अपना लंड दीदी के मुंह में दे दिया.
दीदी मेरे लंड को मस्त होकर चूसने लगी.

जिस तरह से दीदी मेरे लंड को चूस रही थी उसको देखकर लग रहा था कि उसको लंड चूसना बहुत अच्छा लगता है.
मुझे पता था कि दीदी मेरे जीजू का लंड भी बहुत मजा लेकर चूसती होगी.

मेरा हाथ अब दीदी की चूत पर पहुंच गया.
ऊपर की ओर दीदी मेरे लंड को मुंह में लेकर चूस रही थी और नीचे मैं उसकी चूत को अपने हाथ से सहला रहा था.

दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और चूत बिल्कुल ही साफ थी.

फिर मैं दीदी के मुंह में लंड दिये हुए उसके बगल में ही लेट गया.
मैंने अपने हाथों की उंगलियों से दीदी की चूत की दोनों फांकों को फैला दिया और मैं उसमें जीभ डालकर चाटने लगा.

जब मैंने जीभ दीदी की चूत में दी तो पता लगा कि दीदी की चूत पहले से ही अंदर से गीली हुई पड़ी थी.
मैं दीदी की चूत के रस को चाटने लगा.

जैसे जैसे मैं चूत को चाटकर साफ करता था वैसे ही दीदी की चूत और ज्यादा रस छोड़ देती थी.
मैं बार बार चाट रहा था और फिर से रस निकल आ रहा था.
मुझे ऐसा करते हुए बहुत मजा आ रहा था.

दीदी अब जोश में आती जा रही थी.
उसकी चूत में मेरी जीभ खलबली मचा रही थी.

वो मेरे लंड को अब और जोर जोर से चूसने लगी थी.
कुछ ही देर में दीदी अपनी चूत को मेरे मुंह पर धकेलने लगी थी.

एक हाथ से उसने मेरे लंड को पकड़ कर मुंह में लिया हुआ था और दूसरे हाथ से वो अब मेरे सिर को पकड़ कर चूत की ओर धकेलते हुए अपनी चूत पर दबा रही थी जिससे मेरी जीभ दीदी की चूत के अंदर और अंदर तक घुस जाती थी.

मैं भी जैसे दीदी की चूत को खा जाना चाहता था.
दीदी मेरे लंड को बहुत तेजी से चूस रही थी और मुझसे अब कंट्रोल नहीं हो पा रहा था.

कुछ देर के बाद दीदी ने मेरे लंड को मुंह से निकाल दिया और बोली- मैं झड़ने वाली हूं सैम!
मैंने भी हांफते हुए कहा- मेरे मुंह में ही झड़ जाओ दीदी.

फिर दीदी ने दोबारा से मेरे लंड को मुंह में भर लिया और तेजी से चूसने लगी.
मैं भी दीदी की चूत को दोगुनी तेजी के साथ चाटने लगा.
कुछ पल के बाद ही दीदी ने मेरे सिर को अपनी चूत पर जोर से धकेला और उसकी चूत से पानी छूटने लगा.

दीदी की चूत का पानी मेरे मुंह में जाने लगा.
मैं दीदी की चूत का गर्म गर्म रस पीकर और ज्यादा कामुक हो गया.

पूनम दीदी के बदन में झटके लग रहे थे.
उसने बहुत सारा पानी छोड़ा और मैंने उसकी चूत का सारा रस चाट चाटकर साफ कर दिया.

मेरे लंड को चूसने की स्पीड अब दीदी ने कम कर दी और उसका पूरा बदन पसीने में हो गया.
फिर मैं उठा और जोर जोर से दीदी के मुंह को चोदने लगा.

अब मेरा भी निकलने वाला था तो मैंने दीदी से पूछा- कहां पर निकालना है?
तो दीदी ने भी लंड को मुंह से निकाल कर कहा- मेरे मुंह में ही गिरा दो.

फिर मैं तेजी से दीदी के मुंह को लंड से चोदने लगा और मेरा माल भी दीदी के मुंह में गिरने लगा.
मैं भी झड़कर शांत हो गया.

उसके बाद हम दोनों ही ढीले पड़ गये और आराम से बेड पर लेट गये.
दीदी मेरी लेफ्ट साइड पर लेटी हुई थी.

मैंने दीदी के कान में धीरे से कहा- आप बहुत गर्म हो दीदी. आपकी चूत से बहुत ही मस्त खुशबू आती है. जीजू तो बहुत किस्मत वाले हैं जो उनको आपकी चूत रोज चाटने के लिए मिलती है. वो तो पूरी उम्र आपकी चूत के मजे ले सकते हैं.

वो मेरी तरफ देखकर बोली- तुम्हारे जीजू को मेरी चूत चाटने में कोई इंटरेस्ट नहीं है. उसने कभी भी मेरी चूत नहीं चाटी है. वो दस मिनट से ज्यादा कभी नहीं कर पाता है. आज तक वो अपना लंड पूरा का पूरा मेरी चूत में उतार भी नहीं पाया है.

ये सुनकर मैं दीदी की ओर देखने लगा.
दीदी ने मेरी तरफ देखा और फिर अपनी पलकें झपकाते हुए मेरे गाल पर किस कर दिया.
मुझे बहुत अच्छा लगा और फिर मैंने दीदी के गाल पर किस कर दिया.

उसके बाद मैंने दीदी के होंठों पर अपने होंठ रख दिये.

कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे और फिर धीरे धीरे हम दोनों गर्म होने लगे.

मेरा हाथ दीदी की चूत पर पहुंच गया.
दीदी का हाथ भी मेरे लंड पर आ गया था, वो मेरे लंड को सहलाने लगी.

मैं अब दीदी के बूब्स को छेड़ते हुए उसकी चूत को सहलाने लगा.
अब वो सिसकारने लगी थी.

फिर मैंने दीदी की चूत में उंगली अंदर डाल दी और चूत में चलाने लगा.
एकदम से दीदी के मुंह से निकला- आह्ह … सैम थोड़ा धीरे कर!

मैंने दीदी की चूत में अपनी उंगलियां अंदर बाहर करना चालू रखा.
मुझे अब दीदी की चूत में उंगलियों से चोदने में ज्यादा ही जोश चढ़ रहा था.
मैं तेजी से उसकी चूत में उंगलियों को अंदर बाहर करने लगा.

दीदी के मुंह से निकल रही दर्द भरी सिसकारियां सुनकर मैं और तेजी से दीदी की चूत को कुरेदने लगा और वो देखते ही देखते बहुत गर्म हो गयी.
दीदी का हाथ अब मेरे लंड पर तेज तेज चल रहा था.

जब दीदी से रहा न गया तो दीदी बोली- आह्ह … सैम .. ऊईई … अब मेरी चूत में लंड डाल और मेरी चूत में लगी आग को शांत कर। मेरे पूरे बदन में सेक्स की आग लगी हुई है. मुझे चोदकर शांत कर दे सैम … मेरी चूत की आग को लंड के पानी से बुझा दे.

मुझे भी दीदी को ऐसी चुदासी हालत में देखकर मजा आ रहा था और मैं उसकी चूत चोदने के लिए तैयार हो गया.
इसके बाद क्या हुआ? वो अगले भाग में!
 

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जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए- 2


कहानी के पिछले भाग

में मैंने आपको बताया था कि एक दिन अचानक बड़ी दीदी पूनम घर आ गयी.
रात को मैंने उसको चूत में उंगली करते हुए देखा तो मेरा लंड भी खड़ा हो गया और मैंने दीदी को नंगी कर लिया.
फिर हम दोनों ने एक दूसरे गुप्तांगों को चूसा और रस पीया. हम दोनों फिर से गर्म हो गये.

अब आगे

मैं भी अब दीदी की चुदाई करने के लिए पूरी तरह से तैयार था.
मैंने भी अब अपने लंड पर थूक लगाया और पूरा लंड पर मल दिया.
अब मैंने थोड़ा और थूक लिया और दीदी की चूत के लिप्स पर लगा दिया.

दीदी भी अब चुदाई के लिए तैयार थी.

मैंने दीदी की चूत पर लंड को रखा और उसकी चूत के छेद को रगड़ने लगा.
मैं दीदी के ऊपर लेट गया और उसके होंठों को चूसते हुए मैंने दीदी की चूत में एक जोर का धक्का मारा.

मेरा आधा लंड दीदी की चूत में प्रवेश कर गया.
दीदी की आंखें फैल गयीं और वो दर्द में छटपटाने लगी; उसकी आंखों में आंसू आ गये.

मैं दीदी की चूत में लंड देकर कुछ देर तक उसके ऊपर ऐसे ही शांत पड़ा रहा और उसके होंठों को चूसता रहा.

कुछ समय बाद मैंने उसके होंठों से अपने होंठों को हटा लिया.

दीदी को मौका मिलते ही वो बोली- बहुत दर्द हो रहा है सैम! तुम अपना लंड एक बार बाहर निकाल लो.
मैंने दीदी की बात का कोई जवाब नहीं दिया और उसकी चूचियों से अपनी छाती को सटाये हुए लेटा रहा.

मैं उसकी गर्दन पर होंठों से चूसते हुए लंड को उसकी चूत में धीरे धीरे आगे पीछे करने लगा.
धीरे धीरे मैं उसकी चूत में लंड को चलाता रहा और वो शांत होती चली गयी.

दो मिनट के बाद फिर से मैंने दीदी के होंठों पर अपने होंठों को रख लिया और उनको चूसते हुए दीदी को जोर जोर से धक्के देने शुरू कर दिये.
अब मेरा लंड दीदी की चूत में और अंदर घुसने लगा.

वो फिर से कराहने लगी लेकिन मैं धीरे धीरे करके दीदी की चूत में लंड फंसाता रहा और मैंने लंड को दीदी की चूत में पूरा का पूरा उतार दिया.

मेरा 7 इंच का लंड अब मेरी बहन की चूत में पूरा का पूरा उतर चुका था.
मेरा लंड शायद दीदी की बच्चेदानी तक पहुंच गया था.

दीदी ने मुझे जोर से भींच लिया था.
वो दर्द को सहन करते हुए मेरे लंड को अपनी चूत में अंदर तक सेट करने की कोशिश कर रही थी.

पूरा लंड अंदर तक घुसाने के बाद मैं एक बार फिर से शांत हो गया और दीदी के ऊपर ही आराम से लेटा रहा.
फिर मैंने दो मिनट के बाद फिर से लंड को आगे पीछे करना शुरू किया.

थोड़े समय के बाद दीदी भी मेरा साथ देने लगी.

अब दोनों एक दूसरे को चूमने लगे और बांहों में कसने लगे.
धीरे धीऱे हम दोनों एक दूसरे में समाते जा रहे थे.

ऐसे ही होते होते मेरी स्पीड अपने आप बढ़ने लगी और चुदाई अब जोरों से चलने लगी.
हम दोनों चुदाई में मस्त हो गये थे. दीदी अपनी चूत को मेरे लंड की तरफ धकेल रही थी.

मैं दीदी की चूत में गच गच करके लंड को पेल रहा था.
चोदते हुए अचानक मुझे कुछ आहट का अहसास हुआ.
मैंने पीछे गर्दन घुमाकर देखा तो रूम का दरवाजा हल्का सा खुला हुआ था.

पता नहीं क्यों मुझे ऐसा लगा कि कोई हमें छुपकर देख रहा था.

मगर जब मैंने देखा तो दरवाजे पर कोई भी नहीं था.

इस बारे में मैंने दीदी से कुछ नहीं कहा.
मैंने दीदी की चुदाई जारी रखी.

अब मैं तेजी से दीदी की चूत में लंड को अंदर बाहर कर पा रहा था.
दीदी भी पूरे जोश में थी और अपनी टांगें फैलाकर आराम से पूरा का पूरा लंड अपनी चूत में अंदर बाहर होने दे रही थी.

मैं दीदी की चूचियों को मुंह लगाकर पीने लगा.
दीदी के बूब्स के निप्पल एकदम से कड़क हो गये थे.
जब मैंने उनको दांतों में भींचकर देखा तो वो काफी कसे हुए लग रहे थे.

अब मैं धीरे धीरे दीदी के बूब्स के निप्पलों को हल्के हल्के काटने लगा.
दीदी जोर से सिसकारने लगी- आह्ह … सैम … क्या कर रहा है … आह्ह … तेज तेज चोद … आह्ह .. पी जा मेरे बूब्स को … जोर जोर से पीते हुए चोद भाई।

मैं दीदी की बातें सुनकर और ज्यादा जोश में चोदने लगता था और मैं भी अब धीरे धीरे झड़ने के करीब पहुंच रहा था.
फिर जब दीदी की चुदाई करते हुए 10 से 12 मिनट हो गये तो मैंने हांफते हुए दीदी के कान में कहा- दीदी … मेरा निकलने वाला है.
दीदी बोली- तू अंदर ही निकाल दे.

ये सुनकर मैंने पूरी स्पीड में दीदी की चूत में धक्के लगाने शुरू कर दिये.
उस समय दीदी की चूत कुछ ज्यादा ही टाइट होना शुरू हो गयी थी. शायद वो भी अपने क्लाइमेक्स बिंदू पर पहुंच रही थी.

उसकी चूत मेरे लंड पर जकड़ रही थी.
दीदी की चूत एकदम से मेरे लंड को कसने लगी तो मैं समझ गया कि अब दीदी किसी भी वक्त झड़ सकती है.

फिर उसके कुछ पल बाद ही दीदी ने मुझे अपनी तरफ खींच कर मुझे अपने बदन से लिपटा लिया और मेरी पीठ पर नाखून से गड़ाने लगी.

मेरी दीदी की चूत का गर्म झरना मुझे मेरे लंड पर महसूस हुआ और इसी अहसास को पाकर मेरे लंड से भी मेरा वीर्य छूटने लगा.
मैं और दीदी दोनों ही साथ साथ झड़ने लगे और फिर झटके देते हुए शांत हो गये.

झड़ने के बाद दीदी और मैंने एक दूसरे को कसकर बांहों में जकड़ लिया.
कुछ समय तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हम दोनों अलग हुए और दीदी ने मेरी टीशर्ट से अपनी चूत को साफ किया.
फिर उसने मेरे लंड को भी साफ कर दिया.

उसके बाद दीदी बाथरूम में चली गयी. मैं उठा और मैंने जल्दी से अपने रूम का दरवाजा बंद कर दिया क्योंकि दरवाजा हल्का खुला हुआ था.
थोड़ी देर के बाद दीदी बाथरूम से बाहर निकल आई.

दीदी के आने के बाद मैं बाथरूम में गया और मैंने भी अपने आप को साफ किया.
जब मैं बाहर आया तो दीदी ने अपनी नाइटी पहन ली थी.

मैंने भी बाहर आकर अपने शॉर्ट्स पहन लिये.

अब हम दोनों थक गये थे और दोनों को ही नींद आ रही थी.
मैं अपने बेड पर सोने के लिए चला गया और दीदी अपने बेड पर सो गयी.

अगले दिन मेरी छुट्टी थी; मैं देर तक सोता रहा.

मगर दीदी भी देर तक सोती रही क्योंकि वो भी रात की चुदाई में काफी थक गयी थी.

मेरी आंख सुबह के 8.30 बजे खुली थी और दीदी तब तक सो रही थी.

मैंने देखा कि उसकी नाइटी उसके पेट पर थी.
उसने नीचे से पैंटी नहीं पहनी थी और जिसके कारण उसकी चूत साफ दिख रही थी.

रात की चुदाई के बाद दीदी की चूत काफी मस्त लग रही थी और वो अभी भी हल्की सूजी हुई थी.
मेरा लंड दीदी की चूत को देखकर फिर से खड़ा होने लगा था.

उठकर मैं दीदी के पास गया और उसकी चूत पर किस कर दिया.
फिर मैंने दीदी की चूत पर हल्के हल्के से जीभ फेरना शुरू कर दिया.

वो नींद में थी और मुझे दीदी को ऐसे नींद में खुली चूत के साथ देखकर बहुत उत्तेजना हो रही थी.

मेरी जीभ उसकी चूत पर चलने लगी तो उसने नींद में ही अपने टांगें खोल लीं.
मेरी जीभ अब दीदी की चूत में अंदर भी जा सकती थी क्योंकि चूत खोलकर दीदी ने मेरी जीभ के लिए रास्ता दे दिया था.

मुझे भी जोश आ गया और मैं कुत्ते की तरह दीदी की चूत को जीभ से चाटने लगा.

इतने में ही दीदी की नींद खुल गयी और वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत चटवाने लगी.

फिर वो अपनी चूत में मेरे होंठों को दबाने लगी.

उसके बाद वो उठी और उसने मेरे शॉर्ट्स में हाथ डाल दिया, अंदर हाथ डालकर उसने लंड को हाथ में पकड़ कर देखा.

मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था.
दीदी मेरी तरफ देखकर मुस्कराई और फिर उसने मेरे लंड को मेरे शॉर्ट्स में सहलाना शुरू कर दिया.

दीदी चुदासी हो गयी थी और अब उसकी चूत उससे कह रही थी कि उसको लंड चाहिए.
इसलिए दीदी ने मेरे कान में चुपके से कहा- अब मेरे ऊपर आ जा!

मैंने दीदी की नाइटी को और ऊपर तक उठा दिया जिससे उसकी चूचियां भी अब नंगी हो गयीं.
रात से ही दीदी ने चूचियों पर ब्रा नहीं पहनी थी.

मैंने अपने शॉर्टस को भी उतार दिया.
दीदी ने मेरे तने हुए लंड को सहलाया और फिर उसकी चमड़ी को खींचकर सुपारा पूरा बाहर निकाल दिया.
फिर उसने झुक कर मेरे लंड के सुपारे को किस कर लिया.

अचानक से उसने मेरे लंड के सुपारे पर होंठ खोले और लंड को मुंह में भर लिया.

दीदी के गर्म मुंह में लंड गया तो मैं एकदम से आनंद में हो गया.
वो मेरे लंड को मस्ती में चूसने लगी और मेरी आंखें बंद हो गयीं.

कुछ देर चूसने के बाद दीदी लेट गयी और अपनी चूत में लंड डालने के लिए इशारा किया.
मैंने अपना लंड दीदी की चूत के मुंह पर रखा और एक धक्के में लंड को जड़ तक दीदी की चूत में डाल दिया.

दीदी ने दर्द को बर्दाश्त करने के लिए अपने मुंह पर अपना ही हाथ रख लिया.
लंड अंदर घुसते ही मैं दीदी की चूत में धक्के मारने लगा और एक बार फिर से सुबह सुबह दीदी की चुदाई शुरू हो गयी.

रात की चुदाई के बाद अब आराम मिल गया था और मुझमें नयी ऊर्जा आ गयी थी और मैं दीदी को नये जोश के साथ चोद रहा था.
अब दीदी की चुदाई करने में ज्यादा मजा आ रहा था.

चुदते हुए अब दीदी ने भी अपनी गांड उठाकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया.
चोदते हुए ही मैं दीदी के बूब्स को चूसने लगा.

दीदी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं.
अब उसको चूत और चूचियों पर दोनों जगह ही मजा मिल रहा था.

मैंने दीदी के मुंह पर हाथ रखते हुए इशारा किया कि आवाज ज्यादा तेज न निकाले वर्ना मां सुन लेगी.
दीदी ने आवाज को धीमी किया और फिर आराम से चुदवाने लगी.

मैं भी दीदी को मस्त होकर चोदने लगा.

15-20 मिनट के लगभग चुदाई चली और फिर हम दोनों झड़कर शांत हो गये.

मैंने लंड का पानी दीदी की चूत में ही छोड़ दिया.
फिर मैं उठकर फ्रेश होने लगा.

जब मैं नहा धोकर बाहर आया तो दीदी अभी भी वैसे ही चूत फैलाये हुए लेटी हुई थी.
वो शायद फिर से सो गयी थी.

मैंने दीदी को हल्के से हिलाया तो वो उठ गयी और नंगी ही बाथरूम में चली गयी.
उसके बाद मैंने अपने कपड़े पहन लिये.

मैंने धीरे से अपने रूम का दरवाजा खोला और फिर बाहर आ गया.

उस वक्त मम्मी रसोई में काम कर रही थी.
मुझे देखकर मां बोली- उठ गया बेटा? आज बहुत देर तक सोया है तू? रात में देर से सोया था क्या?

मां मेरी तरफ देख रही थी और मुझे घबराहट सी हो रही थी क्योंकि मां ऐसे सवाल अक्सर नहीं पूछा करती थी.
मैं दीदी की चुदाई करके आया था और घबरा रहा था.

फिर मुझे ध्यान आया कि रात में मुझे कुछ शक भी हुआ था कि कोई जैसे हमें भाई बहन को चुदाई करते देख रहा हो.
कहीं मां ने देख तो नहीं लिया?

सोचकर मैंने किसी तरह से जवाब दिया- हां, रात में देर तक पढ़ाई कर रहा था और लेट सोया था.
मां बोली- ठीक है, तुझे काफी भूख लगी होगी. नाश्ते में क्या दूं तुझे? और ये तेरी ट्रैक पैंट पर क्या लग गया है?

मैं- पता नहीं, शायद कुछ चिकना पदार्थ गिर गया है, शायद तेल गिर गया होगा.
मां बोली- ये सफेद रंग का तेल कौन सा है?
मैं- मम्मी आप खुद ही आकर देख लेना. मुझे नहीं पता कि क्या लगा हुआ है.

मां बोली- ठीक है, बाद में चेक करूंगी. पहले तुझे नाश्ता दे देती हूं.
फिर मां ने मुझे एक बड़े गिलास में दूध भरकर दिया. फिर एक अंडे की ऑमलेट बना कर दी और साथ में दो परांठे भी दे दिये.

मैं बोला- क्या बात है मां, आज इतना टेस्टी और पोषक खाना?
मां बोली- आजकल तू इतनी मेहनत जो कर रहा है! जॉब भी करता है. देर रात तक पढ़ाई भी करता है.
मैं- थैक्स मां!

कुछ देर के बाद फिर दीदी भी खाने की मेज पर आ गयी.
दीदी- मां मुझे बहुत भूख लगी है. जल्दी से कुछ खाने का दो.
मां- हां बेटा, तू बैठ. मैं तेरे लिए नाश्ता लेकर आती हूं.

उस समय दीदी ने एक गहरे गले का टॉप और मिनी स्कर्ट पहना हुआ था.
मैं दीदी को देखकर अपने लंड पर हाथ फेरने लगा.

दीदी ने मुझे मेरे लंड पर हाथ फिराते हुए देख लिया और मुस्कराने लगी.

तभी मॉम दीदी के लिए नाश्ता लेकर आ गयी.
दीदी और मैं एकदम से संभल गये.

मॉम- तू भी आज काफी देर तक सो रही थी?
दीदी- हां मां, रात को बहुत अच्छी और गहरी नींद आई.

मॉम- हां, आज तो तू एकदम से फ्रेश लग रही है.
दीदी- कल रात को मैंने बहुत ही सुंदर सपना देखा.
मॉम- भगवान तेरे हर सपने को पूरा करे.
दीदी- हां मां, बस आपका आशीर्वाद चाहिए.

उसके बाद मॉम रसोई में चली गयी और मुझसे कहा कि नाश्ता करने के बाद बाजार से कुछ सब्जी और सामान ले आना. कुछ नॉनवेज भी लाना है.

मैं बोला- क्या बात है मां … आज तो नॉनवेज बनाओगी?
वो बोली- हां, तुझे प्रोटीन की बहुत जरूरत है, इतनी मेहनत जो कर रहा है.

मां की बातें सुनकर मैं सोच में पड़ गया था कि आज वो कुछ ज्यादा ही सोच रही है मेरे बारे में!
मैं सोच में पड़ गया और मां बोली- क्या सोच रहा है?
मैंने कहा- कुछ नहीं, मुझे पैसे दे दो. मैं मार्केट जा रहा हूं.

फिर मां ने अपने ब्लाउज में से एक सिंगल चाबी निकाली और मेरे हाथ में देते हुए कहा कि अलमारी से ले लो.
मैंने अलमारी खोलकर दो हजार रूपये निकाल लिए और कुछ पैसे मां से कहकर जेब खर्च के लिए भी रख लिये.

मैं बाजार में चला गया.

जब मैं वहां से सामान लेकर वापस आया तो मां और दीदी दोनों ही हॉल में बैठी हुई कुछ बातें कर रही थीं.

मैंने सामान को किचन में रखा और फ्रिज से पानी की एक ठंडी बोतल निकाली.

फिर मां बोली- अपनी बहन को बाइक पर कहीं बाहर घुमाकर ले आ. ये यहां पर बैठी हुई बोर हो रही है.
मैं- आज तो काफी गर्मी है मां बाहर … शाम को चले जायेंगे और कोई अच्छी सी मूवी देखकर आयेंगे.

तभी दीदी बोली- हां भाई, मूवी देखे हुए तीन महीने हो गये हैं. आज मूवी देखने ही चलेंगे.
उसके बाद मैंने ओके कहा और फिर मैं अपने रूम में जाकर बेड पर लेट गया.

कुछ देर के बाद दीदी भी रूम में ही आ गयी.
दीदी ने स्कर्ट काफी छोटी पहनी हुई थी. उसकी गांड भी मुझे साफ दिख रही थी.

ये देखकर मेरे लंड में फिर से हलचल होने लगी.
मैं दीदी के सामने ही अपने लंड को सहलाने लगा.

दीदी ने मुझे लंड सहलाते हुए देख लिया और फिर मुस्कराने लगी.

उसको मुस्कराते देखकर मैं उसके पास गया और उसको साइड वाली दीवार के साथ सटा दिया.
मैंने दीदी की स्कर्ट में हाथ डाला और उसकी पैंटी को नीचे कर दिया.
फिर मैं दीदी के पैरों में बैठ गया, दीदी की चूत पर मुंह लगाकर उसकी चूत को चाटने लगा.

धीरे धीरे दीदी की सिसकारियां निकलने लगीं.

उस वक्त घर में केवल मैं, दीदी और मां ही थे. पापा तो सुबह ऑफिस के लिए निकल जाते थे.

मैं दीदी की चूत को चाटता जा रहा था और वो जोर जोर से सिसकारने लगी.
मैं- थोड़ा धीरे आवाज करो दीदी, मां सुन लेगी.
दीदी- सुनती है तो सुनने दे. तू चाट यार … मजा आ रहा है.

फिर मैं दीदी की चूत को चाटने लगा.
दीदी को बहुत मजा आ रहा था और मैं भी उसकी चूत को चाटने का पूरा मजा ले रहा था.

वो मेरे सिर को पकड़ कर अपनी चूत में दबाये जा रही थी.

अब दीदी से रहा नहीं जा रहा था. वो सिसकारते हुए बोली- सैम. चोद दो मुझे. मुझे अब तेरा लंड चाहिए है. मेरी चूत को लंड चाहिए है. चोद मुझे सैम!
मैं- दीदी, मेरा लंड तो हमेशा से ही तुम्हारा है.

हम दोनों तेज आवाज में बातें कर रहे थे.
शायद मां को हमारी आवाज सुन गयी थी.

मैं दीदी को बांहों में उठाकर बेड पर लेकर गया और मैंने उसे बेड पर लिटाया.
उसकी टांगें जमीन पर थीं और उसकी गांड बेड के कोने पर टिकी हुई थी.

फिर मैंने उसकी टांगों को अच्छी तरह से चौड़ी करके खोला और उसकी चूत को चाटने लगा.
दीदी जोर जोर से सिसकारने लगी.

इस पोजीशन में मेरी जीभ दीदी की चूत में अंदर तक जाकर चाट रही थी.
दीदी की गर्म चूत की गहराई में जीभ देकर मैं भी पागल सा होने लगा था अब!

वो सिसकारते हुए बोली- आह्ह … चूसो और जोर से चूसो. खा जा मेरी चूत को! तेरे जीजा के लंड में तो दम नहीं रहा है. तू ही मुझे अब प्रेग्नेंट कर दे. मुझे चोदकर अपने बच्चे की मां बना दे।

उसकी चूत को चाटना मैंने जारी रखा.
कुछ देर तक चूत चाटने के बाद मैंने अपनी लोअर उतार दी और अपने लंड को सहलाने लगा.

अब दीदी ने हाथ आगे बढ़ाकर मेरे लंड को पकड़ लिया और मेरे लंड को सहलाने लगी.

वो मेरे लंड को सहलाती रही और मैं उसकी चूचियों को दबाने लगा, उसकी चूचियों को जोर जोर से भींचने लगा.

फिर मैंने उसको बेड पर दोबारा से लिटाया और हम 69 की पोजीशन में आ गये.

मैं दीदी की चूत को फिर से चाटने लगा और दीदी मेरे लंड को चूसने लगी.
हम दोनों फिर से एक दूसरे को चूसने और चाटने में खो ही गये.
दोनों के मुंह से पूच .. पूच .. आह्ह … मुच .. म्च्च … की आवाज हो रही थीं.

हम दोनों काफी देर तक एक दूसरे के गुप्तांगों का रसपान करते रहे.
दीदी- बस कर अब … मेरी चूत में अब लंड डाल दे.
मैं- दीदी, थोड़ी और चाटने दो प्लीज … बहुत मजा आ रहा है. उसके बाद मैं पक्का चोदूंगा.

दीदी- नहीं, अब मुझे तेरा लंड चाहिए. तेरे लंड का पानी अपनी चूत में गिरवाना है. इस बार अपने ससुराल लौटने से पहले मैं प्रेग्नेंट होना चाहती हूं.
मैं- आप चिंता मत करो दीदी, अगर हमारा प्रेम मिलाप इसी तरह से चलता रहा तो तुम जरूर प्रेग्नेंट हो जाओगी.

वो बोली- अब तू अपने जीजा की तरह केवल बातें ही करता रहेगा या फिर मुझे चोदेगा भी?

उसकी बात सुनकर मुझे भी जोश आ गया.
मैंने अपना लंड दीदी की चूत पर सटा दिया और एक ही धक्के में आधे से ज्यादा घुसा दिया.

दीदी के मुंह से आह्ह … निकल गयी लेकिन वो आवाज को अंदर ही दबा गयी.
फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और फिर से एक धक्का मारा और मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में चला गया.

चूत में पूरा लंड डालकर मैं तेजी से धक्के मारने लगा.
दीदी भी अपनी टांगों को मेरी कमर पर लपेट कर चुदने लगी.

मैंने दीदी को पागलों की तरह चोदना शुरू कर दिया.
दीदी जोर से सिसकारती रही और मैं उसे चोदता रहा.

थोड़ी देर के बाद दीदी झड़ गयी और मैं उसकी चूत में अभी भी धक्के लगाता रहा.
उसके पांच मिनट बाद मेरा भी वीर्य निकलने को हो गया.
मैंने दीदी से कहा- निकलने वाला है मेरा माल … अब कहां गिराना है?

वो बोली- अंदर ही निकाल अपना माल. मैं तेरे बीज को अपनी चूत में लेकर अपने गर्भ में पहुंचाना चाहती हूं ताकि मैं भी मां बन सकूं.
मैं अब पूरी ताकत के साथ दीदी की चूत में धक्के लगाने लगा.

फिर मैं चोदते हुए दीदी की चूत में ही झड़ गया.
दीदी भी चुदकर शांत हो गयी.

मैं भी जोर जोर से हांफ रहा था और अपनी सांसों को सामान्य करने की कोशिश कर रहा था.

रात से लेकर दोपहर तक के समय में ये दीदी की तीसरी चुदाई थी.
मैं भी थक गया था.

उसके बाद दीदी 20 दिनों तक हमारे यहां रही. मैं और दीदी रोज चुदाई करते थे.

रविवार को मॉम और डैड दोनों बाहर चले जाते थे. फिर हम दिन भर चुदाई करते थे.

इस तरह से मैंने अपनी बहन की चूत की चुदाई न जाने कितनी बार की.
 

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जीजू दीदी को पति वाला सुख नहीं दे पाए- 3


कहानी के पिछले भाग

में आपको बताया था कि जीजू से सेक्स का पूरा मजा ना मिलने पर दीदी ने मुझे अपना जिस्म दिखा कर लुभा लिया था और मैंने अपनी दीदी के साथ 20 दिनों तक संभोग किया था.

अब आगे

दीदी की ससुराल से फोन आया था कि उनके ससुर जी की तबीयत कुछ ठीक नहीं है और उनको हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है.
इस खबर को सुनकर मां ने मुझे दीदी को घर छोड़ने और दीदी के ससुरजी की तबीयत देख आने के लिए कहा क्योंकि पिताजी जा नहीं सकते थे.

हम दोनों ने विदर्भ एक्सप्रेस में अपनी सीट बुक की.
ये वीटी स्टेशन से सुबह 7.40 को निकलती है और दूसरे दिन दोपहर के बाद बंगलोर पहुंच जाती है.

हमारी टिकटें फर्स्ट एसी कोच में पिताजी ने सरकारी कोटे में कराई हुई थीं. ये एक अलहदा केबिन में थीं

हम दोनों का जब घर से निकलने का समय हो रहा था, तो दीदी बेडरूम में जल्दी जल्दी रेडी हो रही थीं.
दीदी ने लेमन येल्लो कलर की साड़ी नाभि से नीचे बांधती हुई पहनी थी.

उनका ब्लाउज लो-कट था और उनके बूब्स आधे से ज्यादा बाहर दिख रहे थे.
दीदी स्वर्ग की अप्सरा लग रही थीं.
मेरा जी कर रहा था कि खड़े खड़े ही दीदी को चोद डालूं.
मगर मजबूरी थी क्योंकि घर में मां थीं.

मैंने दीदी को अपनी बांहों में ले लिया और उनके मम्मों पर किस करने लगा.
दीदी भी मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को हाथ से सहलाने लगीं.

मैंने दीदी के ब्लाउज को थोड़ा सा ऊपर किया और उनके बूब्स को चूसने और दबाने लगा.
दीदी भी सिसकारियां भरने लगीं- आ आह, सैम प्लीज़ अभी नहीं, रात भर तो तूने सोने नहीं दिया … और अभी फिर से चालू हो गया. सुन, ट्रेन में पहले हम सोएंगे और फिर हम ये सब रात में करेंगे. मौक़ा मिला तो ट्रेन में तू मुझे चोद लेना.

मैंने दीदी को चुम्मा लेकर छोड़ दिया.
जैसे ही मैं दीदी से अलग हुआ, मां रूम में आ गईं.

मुझे ऐसा लगा कि मां ने ये सब देख लिया था.
मां ने दीदी की तरफ देखा और बोलीं- आज मेरी बेटी बहुत सुन्दर लग रही है. किसी की नज़र ना लग जाए.

फिर मां ने पलट कर मेरी तरफ देखा और फिर मेरी पैंट में बने तंबू की तरफ देखने लगीं.

वो खड़े लंड को नजरअंदाज करती हुई बोलीं- ट्रेन में इसका ध्यान रखना … और इसे जो चाहिए, वो सब कुछ देना. सब कुछ माने सब कुछ!
मैंने भी उत्तर दिया- मां आप चिंता मत करें. दीदी को मैं सब कुछ पेट भरके दूँगा, जितना मांगेंगी, उससे ज़्यादा दूँगा.
मैं दीदी की ओर देख कर हंसने लगा.

फिर मैंने मां के पैर छुए और दीदी ने मां से विदा ली.
अब हम दोनों घर से निकल गए.

मैंने घर पर टैक्सी बुला ली थी.
हम दोनों वीटी स्टेशन की ओर जाने लगे. हम दोनों टैक्सी में पीछे की सीट पर बैठे थे लेकिन उधर हमने कोई हरक़त नहीं की क्योंकि ये टैक्सी ड्राइवर हमेशा हमारे घर के पास ही खड़ा होता है.

जब हम वीटी स्टेशन पहुंचे और दीदी टैक्सी से उतरीं, तो वहां खड़े सभी टैक्सी ड्राइवर के लंड दीदी को सलामी देने लग गए थे.

एक ड्राइवर की दीदी की ओर पीठ थी.
उसके एक साथी ने उससे कहा- पलट कर देख बे लौड़े … क्या माल आया है. एकदम कड़क माल है.

मैं ये सब टैक्सी में बैठे बैठे देख रहा था.
कुछ देर ये सब देखने के बाद में टैक्सी से नीचे उतरा और सामान लेकर प्लेटफॉर्म नंबर नौ की तरफ चल पड़ा.

दीदी के हाथ में एक पौलिथिन का बैग था जिसमें खाने का सामान था.
दीदी आगे आगे चल रही थीं और मैं उसके पीछे पीछे.

ट्रेन प्लेटफॉर्म पर लगी हुई थी.
हम अपनी बोगी के पास पहुंचे.
वो फर्स्ट एसी का केबिन वाला कोच था.

वो केबिन सिर्फ़ दो लोगों के लिए था. पहले दीदी केबिन के अन्दर गईं और पीछे पीछे मैं दाखिल हो गया.
हम दोनों ने कोई भी ऐसी हरकत नहीं की कि कोई कुछ भी सोचे.

हमने अपना सामान एड्जस्ट किया और रिलॅक्स होकर बैठे ही थे कि टीटीई आ गया.
उसने जैसे ही दरवाजा ओपन किया, दीदी एकदम से बोल पड़ीं- आपको डोर नॉक करके अन्दर आना चाहिए. आपको कोई मैनर्स हैं या नहीं… ऐसे कोई केबिन में दाखिल होता है क्या?

टीटीई की तो हालत खराब हो गयी थी.
एक तो दीदी इतनी खूबसूरत दिख रही थीं और फिर इतना कड़क बोली थीं.

टीटीई- आई एम सॉरी मैडम, आगे से मैं ध्यान रखूँगा.
दीदी ने ‘आगे से ध्यान रखूँगा… ’ वाली लाइन को सुन कर मुझे अर्थपूर्ण तरीके से देखा.
मैं भी मुश्किल से अपनी हंसी दबा पाया.

टीटीई ने हम दोनों से आइडेंटिफिकेशन प्रूफ मांगे और फिर वो टिकट व सीट कन्फर्म टिक करके चला गया.
जाते समय एक बार फिर से उसने दीदी को सॉरी बोला और दरवाजा लगा कर चला गया.

उसके जाने के बाद हमने दरवाजे की सिटकनी को बंद किया और लम्बी सांस लेकर बैठ गए.
दीदी ने पानी की बोतल निकाली और पानी पीने लगीं.

कुछ समय बाद ट्रेन स्टेशन से निकल गई.
अगला स्टेशन दादर आया, थाने और कल्याण पहुंच गयी.

कल्याण में ट्रेन 15 से 20 मिनट रुकी और निकल पड़ी.

हमने केबिन में लाइट ऑफ की तो पर्दे डाल दिए जिससे केबिन में 90% अंधेरा हो गया था.
हम दोनों अपनी अपनी सीट पर सो गए थे क्योंकि रात में हमें जागना था.

शाम के 5.30 बजे मेरी आंख खुली तो देखा दीदी सो रही थीं.
मैंने देखा तो दीदी की साड़ी का पल्लू उनके कंधे से सरक कर उनकी गोद में था और उनके बूब्स ब्लाउज से बाहर झांक रहे थे.

मुझे उस समय बहुत नींद आ रही थी तो मैंने अपनी आंखें बंद कर लीं और सो गया.

पिछली रात हम दोनों ने कम से कम तीन घंटे में चार बार सेक्स किया था. हम दोनों ही काफ़ी थक गए थे, इसलिए फिलहाल थकान दूर करना जरूरी था.

फिर अचानक पौने सात बजे ट्रेन किसी स्टेशन पर पहुंच कर रुक गई.

ट्रेन के इंजन ने काफ़ी ज़ोर से सीटी बजाई जिसकी वजह से मेरी और दीदी की आंख खुल गयी.
दीदी ने मेरी तरफ देखा और कहा- सैम, चाय तो लेकर आ जा.

मैंने तुरंत अपना पर्स और चाय का फ़्लास्क लिया और अपने केबिन से बाहर निकल कर आ गया.

उसी समय साइड वाले केबिन से एक औरत भी निकली. उसने भी साड़ी और बहुत लोकट वाला ब्लाउज पहना हुआ था.
मैं एक बार को तो उसे देखता ही रह गया.
उसके ब्लाउज से उसके दूध बड़े सेक्सी लग रहे थे.

मैं प्लेटफॉर्म पर उतरा. मेरे हाथ में फ़्लास्क और पर्स था. मैं तुरंत चाय वाले के पास गया और उससे चार चाय फ़्लास्क में भरने के लिए बोला, साथ ही कुछ समोसे और पकौड़े भी ले लिए.

वो औरत भी मेरे पीछे पीछे आ गई.
उसने पांच चाय और कुछ समोसे व पकोड़े का ऑर्डर किया.

चाय वाला भी उस लेडी के मम्मों को देख कर मजा ले रहा था.

वो औरत बहुत खूबसूरत व कामुक दिख रही थी.
मेरी आंखें तो उसके बूब्स पर चिपक ही गई थीं.

थोड़ी देर बाद मैं अपने केबिन में पहुंचा तो दीदी अभी भी सो रही थीं.
मैंने चाय का फ़्लास्क और समोसे पकौड़े का पैकेट साइड में रखा और केबिन को बंद कर दिया.

केबिन बंद करने के बाद में दीदी के पास गया और उनके होंठों को चूमने लगा.
दीदी कुछ देर तो सोती रहीं, फिर उन्होंने रेस्पॉन्स करना स्टार्ट कर दिया.

अब हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे और एक दूसरे की जीभ को चाट रहे थे.

मेरे हाथ दीदी के उभारों को दबाने लगे.
कुछ ही मिनट में मैंने दीदी का ब्लाउज और ब्रा दोनों को उतार दिया.

मेरी कामुक दीदी अब मेरे सामने टॉपलैस थीं.
दीदी का गोरा बदन पीले की साड़ी में काफ़ी सेक्सी लग रहा था.
मैंने दीदी के एक निप्पल को मुँह में भर लिया और दबाकर चूसने लगा. साथ ही मैं उनके दूसरे दूध के निप्पल को मसलने लगा.

दीदी सीत्कार करने लगीं.
उनकी कामुक आवाज़ धीरे धीरे बढ़ने लगी- आह आह … और जोर से … आह सैम … और जोर से चूसो, मजा आ रहा है आह जल्दी से अपने लंड को मेरी चूत में पेल दो.
सैम- आह बेबी कितनी मस्त चूचियां हैं तुम्हारी … मुझे इन्हें चूसने दो, बहुत मजा आ रहा है.

दीदी- सैम प्लीज़ अपना लंड मेरी चूत में डाल दे यार … मेरी नीचे की आग बहुत भड़क रही है.
सैम- थोड़ा धैर्य रखो मेरी जान … अभी तो पूरी रात बाकी है.

दीदी ने अपने हाथ से मेरी ट्रैक पैंट उतार दी और मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.
अब मेरा लंड भी एकदम टाइट हो गया था.

मैंने दीदी को स्लीपर पर लिटा दिया और उनकी साड़ी और पेटीकोट को उठा कर उनके पेट पर कर दिया.

आज सुबह ही दीदी ने अपनी चूत को अच्छे से साफ़ किया था.
दीदी की चिकनी चूत बहुत सुन्दर लग रही थी.

मैंने अपनी जीभ को दीदी की चूत में डाला और उसे कुत्ते की तरह चाटने लगा.

दीदी अब ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगीं और अपने दोनों हाथों से मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगीं.

कुछ सेकेंड के बाद दीदी की चूत ने पानी छोड़ दिया, कुछ मेरे मुँह में आ गया और कुछ मेरे मुँह पर गिरा था.

मैंने जो कुछ मुँह में गया था, उसे पी लिया और जो चेहरे पर था, उसे अपनी टी-शर्ट से पौंछ कर साफ़ कर लिया.

अब मैंने अपना लंड दीदी के मुँह में दे दिया.
दीदी बर्थ पर बैठ कर मेरा लंड चूस रही थीं.

ट्रेन इस समय अपनी फुल स्पीड पर थी.
मैं अपने हाथों से दीदी के बूब्स दबा रहा था और वे मेरे लंड को चूस रही थीं.

कुछ समय बाद मेरा लंड एकदम टाइट हो गया ओर मैं बोल पड़ा- आह जान … मेरा रस निकलने वाला है.
दीदी ने लंड निकाल कर कहा- मेरे मुँह में ही निकल जा. मुझे भी आज तेरा पूरा पानी पीना है.

कुछ सेकेंड बाद मेरे लंड से एक ज़ोरदार पिचकारी निकली और मैं वहीं सीट को पकड़ कर लटक गया.
दीदी ने मेरा पूरा पानी पी लिया और मेरे लंड को चाट कर साफ़ कर दिया.

मैं अपनी सीट पर बैठ गया और दीदी अपने चेहरे को नैपकिन से साफ़ करके मेरी गोद में बैठ गईं.
हम दोनों ने फ़्लास्क से चाय निकाली और पीने लगे.

दीदी मेरी गोद में ऐसे बैठी थीं कि हमारे चेहरे एक दूसरे के सामने थे.
मैंने चाय का एक सिप लिया और दीदी के एक बूब को चूसने लगा.

फिर मैंने दूसरा घूँट लिया और फिर से दीदी के दूसरे दूध को चूसने लगा.

दीदी- आह … ये क्या कर रहा है?
सैम- चाय में दूध कम है, इसलिए थन से सीधे पी रहा हूँ.

ये बोल कर हम दोनों ज़ोर ज़ोर से हंसने लगे.
दीदी भी खिलखिला कर हंस रही थीं.
जब वो हंसती थीं, तो उनके दोनों गालों में गड्डे पड़ते थे जिससे वो और भी खूबसूरत लगती हैं.

मैं उनकी ओर एकटक देखे जा रहा था.

दीदी- क्या देख रहा है?
मैं- आज बहुत दिनों के बाद मैंने तुम्हें ऐसे हंसते हुए देखा है.
दीदी- हां यार, आज बहुत दिनों के बाद दिल से हँसी हूँ.

कुछ देर बाद मैंने समोसे का पैकेट खोला और हम दोनों समोसे खाने लगे.
सब कुछ कंप्लीट करने के बाद हमने कपड़े पहन लिए.

दीदी ने एक पारदर्शी वन-पीस मिडी पहनी. मैंने अपनी टी-शर्ट और ट्रैक पैंट पहन ली.
अब हम दोनों केबिन से बाहर आए और एक एक करके वॉशरूम यूज करने लगे.

पहले दीदी वॉशरूम में गईं, फिर मैं गया.
जैसे ही मैं वॉशरूम से निकला, तो बाजूवाले केबिन की वो लेडी, दीदी से बात कर रही थी.

जब मैं हमारे केबिन के पास पहुंचा, तो दीदी ने मेरा इंट्रो करवाया.
दीदी- इनसे मिलो … ये शीना जी हैं मुंबई से. और शीना ये मेरा फ्रेंड सैम है.

मैं- हाय शीना.
शीना- हाय सैम.

सैम- आप कहां जा रही हैं?
शीना- बंगलूरू.
दीदी- आप वहां रहती हैं?
शीना- नहीं, मेरा इंटरव्यू है … बस उसी के लिए दो दिन के लिए जा रही हूँ.

सैम- ओके … तो आप दो दिन वापसी करेंगी?
शीना- हां सैम.

मैं- ओके तो वापसी किस ट्रेन से है?
शीना- इसी ट्रेन से.

दीदी- अरे वाह सैम को भी इसी ट्रेन से दो दिन बाद वापसी करना है.
शीना- ओके.

उसके बाद शीना ने हमें बाय कहा और वो अपने केबिन में चली गई.
हम दोनों अपने केबिन में आ गए.

मैंने अन्दर आते ही केबिन का डोर लॉक किया और दीदी की गांड पर हाथ फेरने लगा.
दीदी ने पलट कर मेरी तरफ देखा और अपना वन-पीस ऊपर उठा दिया.

दीदी की पैंटी उनकी गांड में घुसी जा रही थी.
मैंने दीदी की पैंटी को एक झटके में खींचा तो वो उनके पैरों में आ गई थी.

दीदी की गांड देख कर मेरे मुँह में पानी आने लगा.

मैंने दीदी को घोड़ी बना कर उनकी गांड चाटना शुरू कर दिया.
उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं और वो ज़ोर ज़ोर से सीत्कार करने लगीं- आह आह और थोड़ा अन्दर कर ना …. आह मजा आ रहा है … और जोर से चाट.

मैं दीदी की गांड को चूत तक चाटे जा रहा था.
दीदी की चूत पूरी गीली हो गयी थी.

अब मैंने दीदी को और थोड़ा नीचे झुकने के लिए बोला और अपने लंड पर थूक लगा लिया.

दीदी में अपने दोनों हाथों से अपनी गांड को फैला दिया और दीदी की गांड का गड्‍डा थोड़ा सा बड़ा हो गया.
मैं अपने लंड के सुपारे को हॉट बहन की गांड के छेद पर रख कर ज़ोर लगाने लगा.

लंड अन्दर सरका तो मैंने झटका दे मारा.
मेरा लंड एक तिहाई ही अन्दर गया था कि दीदी बोल उठीं- आह सैम, बाहर निकाल इसे, मेरी गांड फट जाएगी … मैं मर जाऊंगी, मुझे बहुत दर्द हो रहा है.
सैम- ओके जान, कोई प्राब्लम नहीं है. फट जाने दो, तभी मजा आएगा.

मैंने इतना बोल कर अपने लंड पर ज़ोर लगाना बंद कर दिया और फिर पीछे से हाथ आगे बढ़ा कर दीदी के निपल्स को अपनी उंगलियों से मसलने लगा.
कुछ मिनिट्स तक मैं दीदी के बूब्स के साथ खेलता रहा, फिर एक ज़ोरदार झटके के साथ लंड को जड़ तक दीदी की गांड में उतार दिया.

दीदी- आह मार डाला रे तूने … सैम फाड़ दी मेरी गांड. आह निकाल बाहर अपने लंड को … नहीं तो लंड काट कर ट्रेन के बाहर फेंक दूँगी साले … आह!
मैं चुपचाप इन्तजार करता रहा.

कुछ समय बाद जब दीदी शांत हुईं तो मैंने अपना लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया.
अब दीदी भी मेरे हर झटके को एंजाय कर रही थीं और मैं दीदी के मम्मों को मसल रहा था.

कोई 15 मिनट तक हॉट बहन की गांड मारने के बाद मैंने अपना पानी दीदी की गांड में ही छोड़ दिया.
दीदी ने भी काफ़ी एंजाय किया.

कुछ मिनट के बाद जब मैंने लंड की तरफ देखा, तो उस पर खून लगा हुआ था.
उसे मैंने नैपकिन से साफ़ कर दिया और इसके पहले दीदी देख पाती कि मैंने उस नैपकिन को बैग में रख दिया.

अब दीदी मेरे ऊपर लेट गईं.
हम दोनों पूरे नग्न थे.

सैम- थैंक्स जान, आज तुम्हारी गांड मारने में बहुत मज़ा आया.
दीदी- मज़ा तो मुझे भी बहुत आया लेकिन शुरुआत में बहुत दर्द हो रहा था. मुझे तो ऐसा लगा था कि खून निकल रहा है.

सैम- जान तुम्हारी गांड तो फटी थी, पर थोड़ी सी … और खून भी निकला था जो मैंने नैपकिन से साफ़ कर दिया था.
दीदी- तेरा लंड है बहुत सख्त है और तू चोदते समय ज़रा भी रहम नहीं करता है. लेकिन तेरे साथ चुदाई करने में मज़ा भी बहुत आता है और संतुष्टि भी प्राप्त होती है.

सैम- जान, तुम्हारी चूत ओर गांड दोनों ही सील पैक थीं और ज़िंदगी में सबसे ज्यादा मज़ा सील तोड़ने में ही आता है.
दीदी- यार पिछले 20 दिन में हम दोनों ने जो मज़ा किया है, वो ज़िंदगी भर याद रहेगा. मुझे पता नहीं था कि तू इतना बड़ा चोदू है.

सैम- मैंने ज़िंदगी में सब से पहले रोशनी दीदी के नाम की मुठ मारी थी. मैं उन्हें रोजाना नहाते हुए देखता था.
दीदी- वो कैसे?

सैम- जब रोशनी दीदी ऑफिस जाने के लिए अल सुबह नहाने जाती थीं तो मैं अपने पुराने मकान से कॉमन बाथरूम में से उन्हें देखता था.
दीदी- तूने कभी रोशनी के साथ भी कुछ किया है क्या?

सैम- एक बार रात में दीदी के बूब्स को मसला था.
दीदी- सच सच बता और किस किस के साथ तूने चुदाई की है?

सैम- आपकी फ्रेंड रचना की बड़ी बहन काजल को चोदा है, जो आज मेरे बच्चे की मां है. उसके हज़्बेंड का तो लंड उठता ही नहीं है. आज भी जब उसका हज़्बेंड टूर पर कहीं जाता है, तो वो मुझे कॉल करती है. अगले महीने 12 को वो बेल्जियम जाने वाला है.

दीदी- तू तो छुपा रुस्तम निकला. तुझे पता है, घर आने से पहले मेरी रोशनी से बात हुई थी और उसने मुझे बताया कि उसके हज़्बेंड का लंड तो सिर्फ़ 4 इंच का है और उसे चुदाई में कोई रूचि नहीं है. रोशनी उसके साथ महीने में एक या दो बार ही संभोग कर पाती है और वो भी 3-4 मिनट में झड़ कर सो जाता है.

सैम- लगता है जीजू के लंड में ही ये प्राब्लम है.
दीदी- तू है ना, तू कब काम आएगा? रोशनी दिसम्बर में इंडिया आ रही है.

सैम- तो आप उनसे पहले ही बात कर लेना. मेरी तो उनसे गांड फटती है.
दीदी- वाह गांड फटती है. साले उसके ही बूब्स प्रेस करता था और उसे ही नहाते हुए देखता था.

ये बोल कर दीदी हंसने लगी.
दीदी उस समय मेरी गोद में बैठी थीं और मेरा लंड खड़ा हो गया था.

दीदी ने उतर कर मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगीं.
थोड़ी देर बाद मैंने दीदी को अपनी गोद में सही से बिठाया और लंड दीदी की चूत में पेल दिया.

अब हम दोनों सीट पर बैठे बैठे ही चुदाई कर रहे थे.
इस पोजीशन में मेरा लंड जड़ तक दीदी की चूत में उतर गया था और दीदी की सिसकारियां निकलना शुरू हो गई थीं- आह आह … और थोड़ा अन्दर तक पेलो … चोदो मुझे आह और अन्दर डालो … पूरा अन्दर डाल दो और अपना बीज भी अन्दर डाल देना.

यह सुन कर मुझे भी जोश आने लगा और मैं भी दीदी को पूरा ज़ोर लगा कर चोदने लगा.
बीस मिनट के बाद मैं दीदी की चूत के अन्दर ही झड़ गया.

इस तरह से हम दोनों ने ट्रेन में कुल 5 बार चुदाई की.

जब ट्रेन बंगलोर पहुंची और हम ट्रेन से उतरे तो सामने शीना खड़ी थी.

शीना- बाइ गाइस. मुझे उम्मीद है कि आप दोनों की यात्रा सुखद रही होगी.
ये कह कर उसने एक स्माइल दीदी को दी.

दीदी- अगर तुम चाहो तो रिटर्न जाते समय तुम भी एंजाय कर सकती हो मेरे फ्रेंड के साथ?
ये बोल कर दीदी मेरी तरफ देखने लगीं.

सैम- अरे वाह … हां क्यों नहीं, शीना मुझे आपका साथ पाकर ख़ुशी होगी.
फिर शीना मुस्कुराई और बिना कुछ कहे वहां से चली गई.

हम दोनों अपना सामान लेकर स्टेशन से बाहर आ गए और टैक्सी लेकर दीदी की ससुराल पहुंच गए.
 
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Dosto mene 60+ story upoad ki hai lakin .. viewers story read to karte hai lakin comments bahot kam kar te hai ..

is se aisa lagta hai ke aap ko story pasand nahi aa rahi ..

please comments kij ye
 
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