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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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बीवियों की अदला बदली-2


आपने मेरी पिछली कहानी

बीवियों की अदला बदली-1

में पढ़ा कि हम दो सहेलियों बीच किस तरह से सॉफ्ट स्वैपिंग हुई।
हम दोनों ने एक ही बेड पर एक दूसरे के सामने अपने अपने हसबैंड से चुदवाया था और बिंदास चुदवाया था।
उन दोनों ने भी बड़ी मस्ती से अपनी अपनी बीवी जम कर चोदी थी।

मैंने शबनम को उसके शौहर से चुदवाती देखा और उसने मुझे मेरे पति से चुदवाते हुए देखा।
इस तरह हमारे बीच अब शर्म लिहाज़ या झिझक की कोई गुंजाइश नहीं रही।

हम लोग खुल कर बातें भी करते रहे।
गन्दी गन्दी बातें यहाँ तक कि लण्ड, बुर, चूत, भोसड़ा की भी बातें करते रहे और खूब एन्जॉय करते रहे।

अब फुल स्वैपिंग के लिए शनिवार को हम सबको इकट्ठा होना था।
हम लोग उसी दिन का बड़ी बेकरारी से इंतज़ार करने लगे।

फिर वह दिन आ गया.
और शनिवार को मैं अपने पति राज के साथ शबनम के घर पहुँच गयी।
वे लोग हमारा इंतज़ार कर ही रहे थे।

मैं इस बात से खुश थी कि आज राज और संजय एक ही बेड पर एक दूसरे की बीवी चोदेंगे।

शबनम ने ड्रिंक्स का प्रोग्राम रखा था तो हम लोगों ने ड्रिंक्स एन्जॉय करना शुरू कर दिया।
साथ साथ बातें भी होने लगीं।

मेरे मन में था कि आज हम दोनों एक दूसरे के पति से खूब जम कर चुदवायेंगी।
उस दिन मैंने संजय का लण्ड बड़ी नजदीक से देखा था पर उसका मज़ा नहीं ले पाई थी।

इसी तरह शबनम की भी नज़रें मेरे पति के लण्ड पर लगी रही थी।
उसने भी राज का काला लण्ड बड़ी नजदीक से देखा था पर उससे चुदवा नहीं पाई थी।

इसलिए हम सब आज के प्रोग्राम से बहुत ही उत्साहित थे।

बातें आगे बढ़ीं तो फिर तह तय किया गया कि फुल स्वैपिंग तो जरूर होगी.
पर अलग अलग यानि दोनों मरद एक दूसरे की बीवी चोदेंगे पर अलग अलग कमरे में।

मुझे लगा कि शायद अब भी कहीं कोई झिझक किसी कोने में छिपी हुई है।
जब तक यह झिझक, यह शर्म निकल नहीं जाएगी तब तक एक ही बेड पर फुल स्वैपिंग का पूरा मज़ा नहीं आएगा।
फुल स्वैप्पिंग का तभी मज़ा आता है जब दोनों कपल एकदम बिंदास बेशरम, बेहया और बेझिझक हों।

मैंने कहा- ठीक है, हम लोग अलग अलग कमरे में एक दूसरे के हसबैंड से चुदवाकर मज़ा लेगीं।

ड्रिंक्स लेने के बाद मैं शबनम के पति संजय के साथ कमरे में चली गयी और शबनम मेरे पति राज़ के साथ दूसरे कमरे में!
दोनों ही कमरे अगल बगल थे।

जैसे ही मैं कमरे में दाखिल हुई, वैसे ही संजय ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया।
मैं भी उसकी बाँहों में समा गयी।
वह मेरी चुम्मियाँ लेने लगा और मैं उसकी चुम्मियाँ लेने लगी। वह मुझे प्यार करने लगा मैं उसे प्यार करने लगी।

संजय ऊपर से ही मेरे बूब्स मसलने लगा और मैं भी उसकी जाँघों पर हाथ फिराने लगी।
फिर मेरा हाथ उसके लण्ड से टकरा गया; मुझे मालूम हो गया कि लण्ड खड़ा है।

मैं मस्त होती गयी।
वैसे तो मैं शादी के पहले चुदी हुई थी लेकिन शादी के बाद आज मैं पहली बार किसी पराये मरद की बाहों में थीं।
मुझे यह एहसास अंदर तक गुदगुदा रहा था, मुझे मज़ा दे रहा था, मेरी फैंटेसी पूरी हो रही थी।

संजय मेरे कपड़े उतारने लगा और मैं संजय के कपड़े।
हम दोनों एक दूसरे को नंगे देख चुके थे पर छूकर नहीं देखा था, मज़ा लेकर नहीं देखा था।

मैं जब पूरी नंगी हुई तो संजय मेरे मम्मे दबाने लगा चूमने लगा और मेरे चूचुक चाटने लगा, मेरे पूरे नंगे जिस्म पर हाथ फिराने लगा।
वह मेरी चूत सहलाने लगा और बोला- सुनीता, तू माँ की लौड़ी बहुत खूबसूरत है, बहुत सेक्सी है, बहुत हॉट है। मैंने कई बार तेरे नाम का मुट्ठ मारा है बहनचोद। मैंने तुझे बहुत दिनों से अपनी बाहों में लेना चाहता था. आज मेरी इच्छा पूरी हुई।

मैंने कहा- यार संजय, मैं तुम्हें दिलोजान से चाहती हूँ, तुम्हें नंगा देखना चाहती थी, तेरे लण्ड से खेलना चाहती थी और आज मेरी इच्छा पूरी हो रही है। आज तुम भोसड़ी के संजय, मेरे आगे बिलकुल नंगे हो। आज तेरा यह मादरचोद लण्ड मेरे हाथ में है।

संजय का डार्क ब्राउन कलर का लण्ड मुझे बहुत ही प्यारा लग रहा था।
लण्ड का साइज तो 7″+ था और मोटा भी गज़ब का था. लण्ड का अंडाकार सुपारा बहुत ही खबसूरत था।

उधर शबनम भी बुरचोदी मेरे पति के नंगे बदन से खेलने लगी थी, उसके लण्ड का मज़ा लेने लगी थी।
उसे मेरे हसबैंड का काला लण्ड बहुत ही पसंद आ गया था।

मेरा पति तो शबनम का पहले से ही दीवाना था।
यह बात उसने ही मुझे बाद में बताई।

शबनम बहन की लौड़ी एकदम गोरी गोरी मस्त मस्त बड़ी बड़ी चूचियों वाली और मतवाली गांड वाली औरत है; एकदम रंडी है हरामजादी!
उसके जिस्म में सेक्स कूट कूट कर भरा हुआ है।
राज तो इसीलिए शबनम की ब्यूटी का गुलाम है।

इधर मैं बड़े गौर से संजय का लण्ड देख रही थी।

फिर क्या … मैंने लण्ड बड़े प्यार से पकड़ कर अपने माथे पर लगाया, अपनी आँखों पर लगाया, अपनी नाक पर घुमाया और फिर अपने होंठों पर रख लिया।

मैंने प्यार से लण्ड की चुम्मी ली, उसे पुचकारा और जबान निकाल कर लण्ड का टोपा चाटा।
मेरे पूरे बदन में खलबली मच गयी।
इतना प्यारा और मस्तमौला लण्ड मैं पहली बार देख रही थी।

मैंने लण्ड अपने मम्मों पर खूब रगड़ा, खूब मस्ती की। निप्पल और लण्ड की खूब मजे से लड़ाई करवाई।
बड़ा मज़ा आया।

फिर मैं चढ़ बैठी संजय के ऊपर और रख दी अपनी चूत उसके मुंह पर!
मैं झुक कर चाटने लगी उसका लण्ड!
वह मेरी बुर चाटने लगा।

हम दोनों 69 की पोजीशन में हो गए।
मुझे ऐसा करना बहुत अच्छा लगता है।
हम दोनों इस पोजीशन का मज़ा काफी देर तक लेते रहे.

संजय बुर चाटने में माहिर तो था ही … वह अपनी जबान घुसा घुसा कर मेरी चूत का मज़ा लेने लगा।
साथ ही साथ मेरी गांड भी चाटने लगा।

मैं लण्ड चाटने में माहिर थी तो लण्ड बड़ी मस्ती से चाट रही थी।
लण्ड पर थूक थूक कर चाट रही थी। लण्ड की लार मेरे मुंह की लार से मिलकर एक नया स्वाद बना रही थी।

वह बोला- सुनीता, तू भोसड़ी की बहुत अच्छी तरह लण्ड चाटती है। इस तरह तो किसी भोसड़ी वाली ने मेरा लण्ड नहीं चाटा। तू तो बड़ी मस्ती लड़की है, यार!

मैं उसकी गालियां सुनकर और उत्तेजित हो गयी।

संजय मुझसे ज्यादा उत्तेजित हो गया; उसने मुझे अपनी तरफ घसीट लिया और मेरी गांड के नीचे तकिया लगा कर मेरी चूत थोड़ा ऊपर कर दी।
उसने मेरी दोनों टाँगें फैलाकर अपने कंधे पर रख लीं, लण्ड मेरी चूत पर टिका दिया, फिर गच्च से पेल दिया लण्ड पूरा का पूरा अंदर!

मेरे मुंह से निकला- हाय रे … बड़ा मोटा लण्ड है तेरा बहनचोद? एक ही बार में तूने पूरा घुसा दिया लण्ड! तुझे रहम नहीं आता माँ के लौड़े, साले हरामी गांडू?

फिर वह धच्च धच्च चोदने लगा मेरी बुर और मैं बिंदास चुदवाने लगी।
मुझे वह मज़ा मिलने लगा जो पहले कभी नहीं मिला।

पराये मरद का लण्ड इतना मज़ा देता है यह बात मुझे उस दिन मालूम हुई।
मेरे मन में आया कि शबनम भी भोसड़ी वाली इसी तरह से मेरे पति राज के लण्ड का मज़ा ले रही होगी.

मैं मस्ती में बोलने लगी- हाय मेरे राजा, खूब चोदो मुझे, फाड़ डालो मेरी बुर, चीर डालो मेरी चूत! ये बुरचोदी बहुत दिनों से तेरे लण्ड के लिए तड़प रही थी. आज इसको खूब मज़ा आ रहा है।
वह बोला- तू चिंता न कर सुनीता, तू तो साली एकदम रंडी है … बहुत बड़ी छिनार है तू … तुझको तो पटक पटक के चोदूंगा, रंडी की तरह चोदूंगा। तूने मुझे बहुत तड़पाया है। मैंने बहुत इंतज़ार किया तेरी बुर का!

उसने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी और मेरे मम्मों पर प्यार से थप्पड़ भी मारने लगा।
फिर उसने मुझे पीछे से डॉगी स्टाइल में चोदा।

मुझे भी यह स्टाइल बहुत पसंद है और मैंने खूब मज़ा लिया।

कुछ देर में मैं खलास हो गयी.
मुझे लगा कि वह भी झड़ने वाला है तो मैंने लण्ड मुट्ठी में लिया और 4 /6 बार मुट्ठ मारा तो वह मेरे मुंह में ही झड़ गया।
मैंने उसका वीर्य खूब मजे से पिया और सुपारा चाट चाट कर मज़ा लिया।

कुछ देर बाद मैं बाहर निकली तो इत्तिफ़ाक़ से शबनम भी चुदवाकर बाहर आ गयी।
वह बोली- हाय सुनीता, तेरे मियां राज ने मेरी चूत का खूब बाजा बजाया। फाड़ डाला मेरी बुर … धज्जियाँ उड़ा दीं उसने मेरी चूत की! मेरी गांड में तो पहले उंगली की और फिर घुसा दिया अपना मोटा मादरचोद लण्ड। मुझे चुदाने में इतना मज़ा पहले कभी नहीं आया। उसका काला लण्ड मेरी चूत में ही नहीं मेरे दिल में भी घुस गया है बहनचोद। अब मैं सोच रही हूँ कि मुझे पहले दिन से ही तेरे हसबैंड से चुदवा लेना चाहिए था। मैं तो तेरे पति के लण्ड की गुलाम हो गई हूँ यार!

इस तरह संजय भोसड़ी वाले ने मुझे रात में 4 बार चोदा।
उधर शबनम भी बुरचोदी मेरे पति से 4 बार चुदी।

मुझे इतना तो मालूम हो गया की शबनम माँ की लौड़ी बड़ी जबरदस्त चुदक्कड़ औरत है।
इस तबके की औरतें तो ग़ैर मर्दों से चुदवाने में बड़ी एक्सपर्ट होती हैं।
शबनम तो शादी के पहले से ही खूब चुदी हुई थी।

फुल स्वप्पिंग दोबारा

एक हफ्ते बाद हम लोग फिर मिले।
इस बार सबने ठान लिया कि आज एक ही बेड पर राज और संजय दोनों एक दूसरे की बीवी चोदेंगे।
बीवियां बुरचोदी एक ही बेड पर एक दूसरे के पति से झमाझम चुदवायेंगी।

हम चारों अब एक दूसरे से पूरी तरह खुल चुके थे।

मैं मिनी स्कर्ट में थी और शबनम काले बुर्के और हिजाब में!

मैं अपने पति राज के साथ सोफा पर बैठ गयी और शबनम अपने शौहर के साथ हमारे सामने सोफा पर बैठ गयी।
फिर ड्रिंक्स चालू हो गयी और खूब अश्लील बातें भी।

माहौल धीरे धीरे गरमाने लगा; शबनम का बुर्का हिजाब उतर गया.

थोड़ा नशा चढ़ा तो संजय ने मुझे पकड़ कर अपने बगल में बैठा लिया और मेरे पति राज ने उसकी बीवी शबनम अपने बाजू में बैठा लिया।
राज संजय की बीवी की चुम्मियाँ लेने लगा, उसके गाल चूमने लगा उसके बदन पर प्यार से हाथ फेरने लगा।

इधर शबनम का पति संजय मेरी चुम्मियाँ लेने लगा, मुझे प्यार करने लगा, मेरे मम्मे दबाने लगा और मेरी गांड पर हाथ फिराने लगा।

हम दोनों एक दूसरे के पति की बाँहों में मस्ती करने लगी, चूमा चाटी करने लगीं.

एक नया माहौल पैदा हो गया; एक नए तरीके का मज़ा आने लगा।

तभी संजय ने मुझे अपने गोद में उठाकर बेड पर पटक दिया।
राज ने भी शबनम को उठा कर उसी बेड पर लिटा दिया और उसके पूरे बदन से प्यार करने लगा।

मेरा पति राज तो शबनम पे पहले ही मर मिटा था।
धीरे धीरे दोनों एक दूसरे की बीवी के कपड़े उतरने लगे, उन्हें नंगी करने लगे.

हम दोनों भी एक दूसरे के पति के कपड़े उतार कर उन्हें नंगा करने लगीं।
बस 2 मिनट में हम चारों लोग नंगे हो चुके थे।

मैंने संजय का लण्ड पकड़ लिया और संजय ने मेरे बूब्स और चूत।

उधर शबनम ने राज का लण्ड पकड़ लिया और राज ने उसके मम्मे और उसकी चूत!

सच बताऊँ दोस्तो, मैं शबनम के हाथ में अपने पति का लण्ड देखकर बहुत खुश हुई।
शबनम भी अपने पति का लण्ड मेरे हाथ में देख कर बहुत खुश हुई।

हम दोनों एक दूसरे के पति का लण्ड आमने सामने चाटने लगीं और चूसने लगीं।
उन्हें भी एक दूसरे की नंगी बीवी के बूब्स दबाने में और चूत सहलाने में बड़ा मज़ा आने लगा।

संजय और राज दोनों भी बुर चाटने के लिए उतावले हो रहे थे।

फिर मैं संजय के साथ 69 बन कर ओरल सेक्स का मज़ा लेने लगी और शबनम मेरे पति के साथ 69 बन कर।

हम चारों बड़ी देर तक इसी पोजीशन में रहे।
69 सबको अच्छा लगता है।

राज तो बुर के साथ साथ शबनम की गांड भी चाटने लगा।

फिर थोड़ी देर बाद राज ने पीछे से लण्ड पेल दिया शबनम की चूत में!
वह भी बुर चोदी कुतिया बन कर फचर फचर चुदवाने लगी।

राज उसकी गांड पर थप्पड़ मारने लगा; उसकी गांड में उंगली डाल डाल कर मस्ती करने लगा।
उसकी गांड बहन चोद लाल हो गयी।
वह बोला- साली कुतिया हरामजादी, तू तो बहुत बड़ी रंडी है … चुदक्कड़ है तू! ग़ैर मर्दों के लण्ड की चटोरी है तू, बड़ी मस्त है … तेरी माँ की चूत … आज मैं तेरे जिस्म का पूरा मज़ा लूंगा, हर जगह पेलूँगा लण्ड … नोच डालूँगा तेरे जिस्म का हर एक टुकड़ा। तू मुझे बहुत अच्छी लगती है रंडी!

राज उसे चोद भी रहा था और उसको गालियां भी खूब सुना रहा था। राज वाकयी बड़े जोश में था, वह घूम कर शबनम की गांड चाटने लगा.

शबनम ने फिर लण्ड मुंह में डाला और चूसने लगी।
उसने साबित कर दिया कि वह सच में एक अव्वल दर्जे की रंडी है।
वह सच में बहुत हॉर्नी हो चुकी थी।

उसके बाद राज ने उसकी टांगें फैलाई, अपने कंधे पर रखा और लण्ड गच्च से पेल दिया अंदर … धकाधक चोदने लगा उसकी बुर!
वह उसकी बड़ी बड़ी नाचती हुई चूचियों पर मारने लगा प्यार से थप्पड़!

राज को इस समय दुनिया में कुछ और नहीं दिखाई पड़ रहा था, सिर्फ शबनम की चूत दिख रही थी।

दोनों पसीने पसीने हो गए लेकिन चुदाई बंद नहीं की।

मेरे पति राज का यह पागलपन मुझे बहुत अच्छा लग रहा था।

शबनम की मेरे पति के लण्ड से चुदती हुई बुर मुझे बड़ा मज़ा दे रही थी।

उधर संजय मेरी चूत चाटते हुए मेरी गांड में उंगली भी करने लगा।
मैं उसका लण्ड बड़ी मस्ती से चाट रही थी और चूस भी रही थी।

उसका डार्क ब्राउन कलर का 7″+ का मोटा लण्ड मेरी आँखों में समा गया था। एकदम चिकना लण्ड बहन चोद बड़ा हैंडसम लग रहा था।
मैं लण्ड का सुपारा आम की गुठली की तरफ बार बार मुंह से निकालती और फिर मुंह में घुसा लेती।

लण्ड भी मादरचोद आम की तरह रसीला था।
उसने तो मेरी चूत में अपनी जबान ऐसे घुसेड़ दी जैसे कोई लण्ड घुसेड़ता है।
यानि जबान से ही चोदने लगा मेरी बुर!

वह बोला- सुनीता, तू भी बड़ी मस्त और हॉट औरत है. आज मैं तेरी चूत का खूब बाजा बजाऊंगा।
उसने भी मुझे आगे से चोदा मेरी दोनों टांगें अपने कंधे पर रख कर मेरे चूतड़ों को अपने हाथों से उठा कर घुसा दिया लण्ड मेरी चूत में!

वह मार दनादन चोदे जा रहा था। वह लण्ड पूरा का पूरा अंदर घुसेड़ रहा था।

कुछ देर बाद उसने मुझे भी कुतिया बनाकर चोदना शुरू किया।

संजय बोला- यार राज, मुझे तेरी बीवी चोदने में बड़ा मज़ा आ रहा है। इसकी टाइट चूत बड़ा मज़ा दे रही है।
राज बोला- हां यार, मुझे भी तेरी बीवी चोदने में असली मज़ा आ रहा है। अपनी बीवी के आगे दूसरे की बीवी चोदना बड़ा मजेदार होता है।

संजय ने कहा- अरे यार, अपनी बीवी को किसी और से चुदवाकर दूसरे की बीवी चोदना बड़ा मज़ा देता है।
राज ने फिर कहा- हां यार, अब तो मैं कई लोगों से अपनी बीवी चुदवाऊंगा और उनकी बीवियां चोदूंगा।

यह बात मेरे दिल में बैठ गयी और मैं अंदर ही अंदर बहुत खुश हुई।
इतने में संजय के लण्ड ने उगल दिया मेरे मुंह में वीर्य … जिसे मैं बड़े प्यार से पी गयी।

तब मैंने देखा कि शबनम भी मेरे पति का झड़ता हुआ लण्ड पी रही है।

खलास तो हम दोनों पहले ही हो चुकी थीं।

फिर हमने कुछ देर के लिए इंटरवल मनाया और नंगे नंगे ही मनाया अपनी अपनी ख़ुशी ज़ाहिर की।
बहुत मज़ा आया।

शबनम बोली- यार, मुझे तो अपने मियां के सामने तेरे मियां से चुदवाने में ज़न्नत का मज़ा आया।
मैंने कहा- हां यार, एक ही बेड पर कपल की अदला बदली ( couple swapping ) का मज़ा ही कुछ और होता है। आज हम लोगों को वाइफ स्वैपिंग का पूरा आनंद आ रहा है।

कुछ देर में लण्ड फिर टनटनाने लगे, चूत फिर कुलबुलाने लगी और निपल्स भी तन कर खड़े हो गए।

इस दूसरे राउंड में राज ने शबनम की बुर भी चोदी और उसकी गांड में भी ठोका लण्ड।
शबनम अब गांड मरवाने में एक्सपर्ट हो चुकी थी.

दूसरे राउंड में मैं संजय के ऊपर चढ़ गयी, उसके लण्ड पर बैठ गयी, झुक कर अपनी गांड पटक पटक कर उसका लण्ड चोदने लगी।
वह भी मस्ती से चुदवाने लगा अपना लण्ड।
मैं उसके लण्ड पर कूदने लगी।

उधर राज इस बार शबनम के चेहरे पर झड़ गया।
मुझे यह देख कर उस पर प्यार आ गया और तब मैंने भी राज के लण्ड का वीर्य शबनम के साथ चाटा और फूल मज़ा लिया।

संजय जब झड़ा तो शबनम ने मेरे साथ झड़ता हुआ लण्ड बड़े प्यार से चाटा बिल्कुल वैसे ही जैसा ब्लू फिल्म में होता है।
हम दोनों मस्त हो गई।

राज तो शबनम की गांड के पीछे लगा रहा इसलिए उसने तीसरे राउंड में भी शबनम की गांड मारी और फिर उसकी गांड के ऊपर ही झड़ गया।

तीसरे राउंड में भी हमने पहले 69 किया और फिर खूब घपाघप चुदाई करवाई।

हम दोनों बीवियों की चूत का बाजा भी खूब बजा और गांड की भी खूब ठुकाई हुई।

राज शबनम की चूचियों पर झड़ा और संजय मेरे मुंह पर!

फिर हम दोनों ने मिलकर दोनों लण्ड का वीर्य मस्ती से पिया भी और चाटा भी।

उसके बाद लगभग सुबह के 4 बजे मैं नंगी नंगी शबनम के पति संजय के साथ सो गयी और शबनम मेरे पति राज के साथ नंगी नंगी सो गयी।
 

junglecouple1984

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बिहारी आंटी की चूत गांड में मेरा लंड


दोस्तो, मेरा नाम पीयूष है. मैं नागपुर में रहता हूँ.
मेरी उम्र 21 साल है. मैं दिखने में एवरेज लड़का हूँ. रंग सांवला है और शरीर से दुबला पतला हूँ.

मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं थी तो मैं पॉर्न देख कर लंड हिलाता था. मुझे हस्तमैथुन की आदत पड़ गई थी. मैं एक हफ्ते में 3-4 बार लंड हिलाता था.

मेरे घर में मैं और मेरी मम्मी पापा रहते हैं.
पापा एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करते हैं और मम्मी स्कूल टीचर हैं.

हमारे घर के दूसरी मंजिल को हमने रेंट पर दिया है. वहां एक बिहारी अंकल संजय कुमार और आंटी सरिता रहती हैं.
अंकल भी कंपनी में जॉब करते हैं और आंटी हाउस वाइफ हैं.

कहानी इन्ही आंटी की है.

आंटी की उम्र 48 की है, पर वे दिखने में 40 साल की लगती हैं.
उनके बड़ी बड़ी गांड … बड़े बड़े बूब्स ऐसे, जैसे फुटबॉल छाती पर रखकर घूमती हों.

वे उम्र के हिसाब से कुछ अधिक मोटी हो गई हैं … लेकिन दिखने में मस्त हैं.

करीब एक साल पहले वो अंकल हमारे घर रहने आये थे.
पहले कभी मैंने आंटी को गलत नजर से नहीं देखा था.
वे हमारे घर में आती थीं … मम्मी से बातें करतीं … मुझसे भी बातें करतीं.

एक दिन दोपहर क़रीब एक बजे मैं कॉलेज से घर आया और खाना खाकर पढ़ाई करने लगा.

कुछ देर बाद याद आया कि ऊपर कपड़े सुखाने डाले हैं, सूख गए होंगे तो मैं कपड़े उठाने ऊपर आ गया.

मैं जैसे ही कपड़े उतारने लगा, मुझे आंटी के बाथरूम से सिसकारी की आवाज आई.

मैं धीरे से बाथरूम के पास गया और दरवाजे पर बने एक छेद मैं अन्दर देखने लगा.
अन्दर का नजारा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

अन्दर आंटी पूरी नंगी बैठी थीं.
वे एक बैंगन को अपनी चूत में डालकर अन्दर बाहर कर रही थीं और आंखें बंद करके धीमी आवाज में सिसकरियां ले रही थीं.

फिर अपनी चूत से बैंगन बाहर निकाल कर आंटी उसको मुँह से चाटतीं और वापस चूत में डाल लेतीं.
मैं उनको देख कर अपना लंड बाहर निकाल कर हिलाने लगा.

आंटी का बदन पानी से गीला था, बिखरे बाल और उनको पसीना भी आ रहा था.
तो बड़ा ही कामुक दृश्य था.

आंटी का गोरा और मोटा पेट नीचे झूल रहा था इसलिए मुझे सिर्फ़ आंटी की झांट के बाल दिख रहे थे.
उनकी बगलों पर भी बाल थे.

कुछ देर बाद आंटी दीवार से लग कर लेट गईं और जोर जोर से बैंगन अन्दर बाहर करने लगीं.
अब उनकी काली चूत भी मुझे दिखने लगी थी.

कुछ देर बाद ही आंटी का पानी निकलने लगा और एक हाथ से वो अपने रस को निकाल कर दूसरे हाथ पर लेने लगीं.
फिर वे उस पानी को मुँह में डालकर पीने लगीं.
बाद में उन्होंने हथेली से पूरे चेहरे पर चूत का पानी लगा लिया.

फिर उन्होंने अपनी चूत को धोकर साफ किया और नहाने लगीं.

इतने में मेरा पानी निकलने लगा.
जैसे ही मेरे वीर्य की एक बड़ी बूंद जमीन पर गिरी तो मेरे कदमों की हल्की सी आवाज आई.
आंटी की नज़र दरवाजे की तरफ गई. मुझे लगा कि उन्होंने छेद पर मुझे देख लिया है.
मैं तुरंत डर कर नीचे आ गया.

मैं थोड़ा डरा हुआ था.
कहीं आंटी ने मुझे देख तो नहीं लिया?
दिन भर मैं वही सोचता रहा.

शाम को आंटी हमारे घर आईं और मम्मी से बातें करने लगीं.
मैं उन्हें बीच बीच में देख रहा था तो आंटी भी मेरी तरफ देख लेती थीं.

मैंने महसूस किया कि आज आंटी मुझे अलग ही नजरों से देखने लगी थीं.
उस दिन से कुछ ऐसा हुआ कि आंटी बातों ही बातों में मुझे टच कर लेती थीं.

ऐसे ही कुछ दिन गुजर गए.
हमारे बीच सब अच्छा चल रहा था.

अब मेरे मन में आंटी के लिए चुदाई की भावना उत्पन्न हुई और मैं आंटी को अपनी कल्पनाओं में याद करके अपना लंड हिलाने लगा था.

एक दिन मैं कॉलेज से आया और खाना खाकर टीवी देखने लगा.
उसी समय आंटी नीचे आईं और मुझसे बोली- बेटा पीयूष, जरा ऊपर आना. एक काम है तुमसे.
मैं- जी ठीक है आंटी, चलिए.

हम दोनों ऊपर गए.

उनको बेड के अन्दर से कुछ सामान निकलवाना था तो मैंने बेड को ऊपर करके पकड़े रखा और आंटी ने अन्दर से एक बोरी निकाली.

मैं जाने वाला था तभी उन्होंने कहा- थोड़ा रुक जाओ, मैं चाय बना रही हूँ … पीकर जाना.
तो मैं रुक गया.

मैं सोफे पर बैठा था और आंटी किचन में गई थीं.

तभी मेरी नज़र बेड पर तकिए पर गई.
वहां साइड में एक लंबा बैंगन रखा था.

मैंने पास जाकर देखा तो बैंगन पर वैसलीन सी लगी हुई थी.
तकिए की एक साइड में आंटी की चड्डी रखी दिखी.

मैं समझ गया कि आंटी ने अभी चूत को शांत किया है और चड्डी भी नहीं पहनी है.

ये सब देख कर मेरा लंड टाइट हो गया.
मैंने सोचा कि आंटी की चुदाई करने का यही अच्छा मौका है.

मैं सोचने तो लगा था, पर मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.

तभी आंटी चाय लेकर आईं और हम दोनों चाय पीने लगे.
मेरे दिमाग में तो चुदाई का ख्याल चल रहा था. मेरा लंड टाइट हो गया. मेरी पैंट में टेंट बन गया था और मैं सोफे पर रखा कुशन को अपनी गोद में रख कर लौड़े को छुपाने लगा.

आंटी ने देख लिया था.
मैं चुपचाप चाय पीने लगा.

आंटी- क्या हुआ, इतने शांत क्यों बैठे हो?
मैं- कुछ नहीं आंटी.

आंटी- अच्छा एक बात बताओ, तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं!
मैंने शर्माते हुए कहा- नहीं नहीं आंटी … ऐसा कुछ नहीं है.

आंटी- तो मतलब तुमने अभी तक कुछ नहीं किया?
मैं- क्या मतलब आंटी?

आंटी- कुछ नहीं … वो हमारे बिहार में तुम्हारी उम्र के लड़कों के तो बच्चे तक पैदा हो जाते हैं.

मैं शर्मा कर इधर उधर देख रहा था.

तभी आंटी ने मेरी जांघ पर हाथ रखा और बोलीं- उस दिन तुमने हमारे बाथरूम में क्या देखा?
मैं अब थोड़ा डर गया- कुछ भी तो नहीं, कौन सी बात कर रही हैं आप?

आंटी मेरी जांघ को हाथ से दबाकर बोलीं- अच्छा तुम्हें कुछ याद नहीं … बड़े भोले बनते हो!

इतना बोलते ही आंटी ने मेरे लंड को पकड़ा और बोलीं- ये क्यों खड़ा है?
मैं इधर उधर देखने लगा. मुझे बहुत शर्म आ रही थी.

तभी आंटी ने अपनी हाथों से मेरा चेहरा अपनी तरफ किया और मेरे होंठों के पास आकर किस करने लगीं.

आंटी मेरे होंठों को चूसने लगीं.
और मैं सिर्फ़ आंख बन्द करके चुंबन का अहसास कर रहा था.

आंटी- तुम भी करो ना … जैसे मैं कर रही हूँ.
अब मैं भी उनके होंठों को चूसने लगा.
हम दोनों कुछ मिनट तक किस करने में लगे रहे.

तभी आंटी मेरे गले को चूमने लगीं और एक हाथ से मेरी पैंट का बटन खोलने लगीं.

उन्होंने पैंट को नीचे कर दिया.
फिर वे मेरी टी-शर्ट निकालने लगीं.
अब मैं ऊपर से नंगा था और मेरी पैंट घुटनों तक नीचे थी.

मेरा लंड चड्डी में टेंट बना रहा था.
आंटी मेरी छाती को चूमने लगीं और अपने होंठों से मेरे निप्पल को चूसने लगीं.

फिर नीचे बैठ कर मेरी चड्डी नीचे कर दी.
अब मेरा लंड आजाद हो गया था.

मेरा लम्बा काला लंड देख कर आंटी ने झट से उसे मुँह में भर लिया और चूसने लगीं.

आंटी- आह क्या मस्त लंड है रे तेरा. इतना बड़ा तो तेरे अंकल का भी नहीं.
उन्होंने लंड पर थूका और उसे फिर से मुँह में लिया.

आज पहली बार मेरा लंड कोई चूस रहा था.
मैं अपनी आंख बन्द करके मजे ले रहा था. मुझे ऐसे लग रहा था, जैसे मैं स्वर्ग में हूँ.

तभी आंटी ने मेरे हाथ पकड़ कर अपने मम्मों पर रख दिए और मैं दबाने लगा.

मेरा पानी निकलने वाला था; मैंने सिसकारी लेना शुरू किया तो आंटी जोर जोर से सर हिलाकर लंड चूसने लगी थीं.

चप चप की आवाज़ आ रही थी.

तभी मैंने उनके मुँह में अपना पानी छोड़ दिया और वो पीने लगीं.
आंटी ने लंड को चाट कर साफ कर दिया.
मेरा लंड अब थोडा ढीला पड़ गया था.

तभी आंटी मेरा हाथ पकड़ कर बेड की और ले गईं और अपनी नाईटी ऊपर करके लेट गईं, उन्होंने अपने पैर फैला दिए- मैं जैसा बोलूँ, वैसा करना. मेरी चूत को ऊपर से चाटो.

मैं झुक कर चाटने लगा.
मुझे अजीब लग रहा था, पर मेरा पहली बार था तो मैं चाटने लगा.

आंटी- आहा उह आह … चाट चूत में थूक और चाट.
मैं वैसा ही करने लगा.

आंटी- ऊह आहा पीयूष आहा पीयूष चाट … चूत को फैलाकर अन्दर उंगली डाल और चाट!

मैं चूत में उंगली करके चाटने लगा.
फिर मैंने उनकी चूत को फैलाया और जीभ अन्दर डालकर चाटने लगा.
उनकी बड़ी सी चूत का छेद खुल गया था.

तभी उन्होंने तकिए के पास का बैंगन उठाया और मेरे हाथ में देकर कहा- ये डाल अन्दर … और चाटना चालू कर … आह उह!

मैं वैसा ही करने लगा.
उनकी चूत में बैंगन डाल कर जोर जोर से चूत चोदने लगा.

कुछ देर बाद आंटी बोलीं- जल्दी से तू मेरे मुँह की तरफ अपने पैर कर!
मैंने उनकी तरफ पैर करके 69 की पोजीशन बना ली.

आंटी ने मेरा लंड मुँह में भर लिया, वे लंड चूसने लगीं.
थोड़ी ही देर बाद मेरा लंड टाइट हो गया.

आंटी- आह आह पीयूष … अब डाल दे लंड अन्दर … रहा नहीं जाता.

मैं उठा और अपनी पैंट और चड्डी पूरी निकाली और उनकी चूत के पास लंड लेकर आ गया.

आंटी ने मेरा लंड छेद पर रखा और कमर को पकड़ कर कहा- अन्दर डाल दो … और चोदो मेरी चुत!

मैंने लंड को उनकी चूत में डाला और चोदने लगा.
आंटी- आहा पीयूष आह धीरे आह.

आंटी ने मुझे अपने ऊपर को खींच लिया और मुँह पकड़ कर होंठों पर किस करने लगीं.
मैं जोर जोर से चोदने लगा. आंटी की नाईटी दिक्कत कर रही थी तो मैंने उसे ऊपर उठाया और सर की तरफ से निकालने लगा.
उन्होंने निकल जाने दी.

मैं आंटी के ऊपर चढ़ा था और आंटी ने मेरी पीठ को पकड़ कर जकड़ रखा था.
आंटी के मोटे और गोरे बदन पर मैं पतला सा लड़का कबड्डी खेल रहा था.

मैं अब धीरे धीरे धक्के दे रहा था और आंटी के बड़े बूब्स दबा रहा था.
हम दोनों पसीने से भीग गए थे.

आंटी- आहा उह आह चोद आहा थोड़ा
जोर से पेल … उई आह.
मैं जोर जोर से चुदाई करने लगा.
तभी आंटी की बॉडी में जैसे करंट सा दौड़ने लगा.

वो ‘आह आह पीयूष आह …’ की सिसकारियां लेती हुई कांपने लगी थीं.

मुझे उन्होंने अपनी ताकतवर टांगों में एकदम से भींच लिया था और तभी आंटी की चूत से उनका गाढ़ा पानी निकलने लगा.
मुझे अपने लौड़े पर आग सी लगती महसूस हुई.

वे निढाल हो गईं और मैं पूरे जोर से उन्हें चोदने लगा.

पूरे रूम में पच पच की आवाज़ आ रही थी और आंटी सिसकारियां लेती हुई कांप रही थीं.
वे मेरा नाम ले रही थीं.

तभी उन्होंने मुझे अपनी ऊपर से हटाया और लंड के पास आकर चूसने लगीं.

फिर वे वापस लेट कर पैर ऊपर करके चोदने को कहने लगीं.
मैं फिर से चोदने लगा.

मेरा एक हाथ आंटी की जांघों पर था और एक हाथ से उनके बूब्स दबाकर चूस रहा था, साथ ही अपनी क़मर हिलाकर आंटी को चोद रहा था.
मैंने स्पीड बढ़ा दी और आंटी की चूत में ही झड़ गया.

फिर लंड निकाल कर आंटी के मुँह के पास ले गया.
आंटी लंड को चूसने लगीं, उन्होंने लंड चाट कर साफ कर दिया.

वे मुझे भी चूत चाटने को बोलीं.
मैं चूत के पास गया और चाटने लगा.
आंटी की चूत से पानी बह रहा था; चादर पर भी स्पर्म गिरा था.

मैंने चूत चाट कर साफ की और हम दोनों किस करने लगे.

आंटी- मजा आया?
मैं- बहुत मजा आया.

आंटी- चलो बाथरूम में चलो. हम दोनों नहाते हैं.

मैंने टॉवल लपेट ली और अब मैं आंटी के साथ बाथरूम में आ गया और नंगा हो गया.

हमने नहाना शुरू किया.
आंटी ने मेरे शरीर पर साबुन लगाया और मैंने उनके.

हम दोनों नहाने में मस्ती कर रहे थे.

उन्होंने मेरे लंड पर साबुन लगाया और मैंने उनकी चूत पर. फिर एक दूसरे से चिपक कर नहाने लगे.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया तो मैंने आंटी की चूत में पेल डाला.

साबुन लगा होने के कारण लंड पूरा अन्दर बाहर सटासट आ जा रहा था.

तभी आंटी मूतने लगीं.
मैं उन्हें चोदे जा रहा था.

आंटी- आहा आहा … बस करो अब आहा!
मैं- आंटी एक बार बस और!

मैं जोर जोर से चोदने लगा.

मुझे आंटी ने नीचे बैठाया और लंड को चूत में डालकर ऊपर नीचे होने लगीं.
उनकी पीठ मेरी तरफ थी.

आंटी एक हाथ से अपने बूब्स दबा रही थीं और एक हाथ से मेरी जांघों को पकड़ कर झूला झूल रही थीं.

मैंने उनकी बड़ी गांड़ को फैलाया, तो उनकी गोरी गांड का काला छेद दिखने लगा.
वो बहुत टाइट था.
मेरे हाथ में साबुन लगा था, तो मैंने एक उंगली गांड में डाल दी.

आंटी- आहा क्या कर रहा है. गांड में मत डाल!
मैं- आंटी बहुत मजा आया है, एक बार गांड भी मारने दो ना!

आंटी- गांड में बहुत दर्द होता है, मगर मैं तेरे लिए हर दर्द सह लूंगी. पर अभी नहीं. तेरा पहली बार है. गांड में डालेगा तो तेरे लंड में जलन होगी, क्योंकि मेरी गांड टाइट है. अभी कुछ दिन चूत को ही चोद.

तभी मैं झड़ गया और आंटी मेरे ऊपर से उठ गईं.
फिर 69 में होकर हम दोनों ने चूत और लंड को चूसकर साफ किया.

मैं तभी आंटी के मुँह में मूतने लगा.
आंटी ने मजे से मुँह खोला और मूत पीने लगीं.

उन्होंने लंड को पकड़ कर अपने चेहरे को भी गीला किया और मूत से नहाने लगीं.

फिर हम दोनों ने पानी से नहाया और मैं कपड़े पहन कर नीचे आ गया.

तब 3:30 बजे थे.
मैं बहुत खुश था.
फाइनल मुझे चूत चोदने मिल गई थी.

उस दिन के बाद जब भी मेरा मन करता, मैं आंटी को चोद लेता.

आंटी ने मुझसे गांड भी मरवाई थी.
पर आंटी भी बहुत चालू चीज थीं; ये मुझे उस रात को पता चला था.

हुआ यूं कि एक दिन अंकल की नाइट शिफ्ट थी तो मैं खुश था.
मैंने सोचा था कि मम्मी पापा के सोने के बाद मैं ऊपर जाकर आंटी को चोदूंगा.

रात के एक बजे तक मैं जागा रहा, फिर मुझे लगा अब मम्मी पापा सो रहे होंगे तो मैं उनके कमरे में बिना देखे ऊपर चला गया.

मैं आंटी को आवाज देने वाला था कि अन्दर से मुझे पच पच की आवाज़ आई.

मैंने खिड़की की दरार से अन्दर देखा, तो पापा और आंटी पूरे नंगे थे.
आंटी डॉगी स्टाइल में पापा से चुद रही थीं.

मेरे पापा आंटी को गाली दे देकर चोद रहे थे- साली रंडी … तेरी चूत की आग मैं बुझाऊंगा. तेरा पति गांडू है, जो तेरी प्यास नहीं बुझा पाता. उसकी भी गांड मारूंगा.
पापा गांड पर थप्पड़ मार मार कर चोद रहे थे.

वे बाद में आंटी के मुँह में झड गए.

मैं नीचे आकर सोने लगा.
पर मुझे नींद नहीं आ रही थी.

फिर पापा के नीचे आने की आवाज आई तो मैं थोड़ी देर बाद ऊपर गया.
आंटी सो रही थीं.

मैंने एक आवाज दी तो वो देखने लगीं.

आंटी- तू इतनी रात को कैसे आया?
मैं- मेरी नींद खुली थी और चोदने को मन किया, तो आ गया.

आंटी- अभी नहीं, अभी मेरा मन नहीं है.
मैं- प्लीज आंटी बस एक शॉट मारूंगा.
आंटी मान गईं.

मैं अन्दर गया, आंटी नाईटी उठा कर लेट गईं.
तो मैं बोल- आंटी ऐसे नहीं, डॉगी स्टाइल में लूँगा.

आंटी डॉगी स्टाइल में हो गईं.
उन्होंने चड्डी नहीं पहनी थी और चूत के ऊपर पापा का पानी लगा था.

मैं- आंटी, आपकी चूत पर तो स्पर्म लगा है. आपने चुदाई की क्या?
आंटी- वो तेरी अंकल ड्यूटी जाते समय चोद कर गए थे.

मैंने लंड डाला और चोदने लगा.

मैं आंटी की गांड पर थप्पड़ मार कर चोद रहा था.
जैसी पापा ने गालियां दी थीं, मैंने वो ही रिपीट कर दीं.

आंटी- अच्छा तुझे पता चल गया कि मैं तेरे पापा से चुदवाती हूँ.
मैं- हां अभी कुछ देर पहले ही देखा था. कब से चुदवा रही हो?
आंटी- आज दूसरी बार था.

मैं आंटी को चोदने लगा.
क़रीब 10 मिनट बाद मेरा पानी निकला.

अब आंटी रात को पापा से चुदवाती हैं और दिन में मेरे से.

 
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नयी नवेली भाभी की चुदाई का पहला मजा


दोस्तो, मेरा नाम राज है और मैं उत्तर प्रदेश के मथुरा से हूं।
मेरी उम्र 26 साल है।


जब मेरे ताऊ के लड़के की शादी हुई थी।
मेरी नयी भाभी आई थी और मैं भी जवानी की हवस में गोते लगा रहा था।

देखते ही देखते भाभी की चुदाई के ख्याल मेरे मन में आने लगे।
अब बात यहां तक पहुंच चुकी थी कि रात में भाभी को याद करके मैं मुठ भी मारने लगा था।

उनका बाथरूम मेरे कमरे के सामने ही था।
जब भी वह नहाने जाती तो मैं उसको चुपके से देखा करता था।

भाभी के बूब्स का साइज 36 के लगभग था।
उसकी गांड भी एकदम से शेप में थी।
मन करता था कि वहीं जाकर चोद आऊं।

ऐसे ही सपनों में 6 महीने मैंने मुठ मारकर निकाल दिए थे।

फिर बुआ के यहां से खबर आई कि फूफाजी चल बसे।
सभी घर वाले वहीं जा रहे थे।

घर में सिर्फ मैं और भाभी ही थे।
दिन ऐसे ही बेचैनी में निकल गया।
फिर रात आयी।

वे दिन सर्दियों के थे।

रात के 10 बजे थे और मैं भाभी को याद करके लंड को सहला रहा था; धीरे धीरे टोपा आगे पीछे करते हुए वासना का मजा ले रहा था।

तभी एक आहट हुई।
मैंने ध्यान दिया तो बाथरूम का दरवाजा खुला था।

जरूर भाभी पेशाब करने आयी होगी, मेरे मन में ख्याल आया।
मैंने देर न की और दो पल के भीतर ही बाथरूम के पास जा खड़ा हुआ।

अंदर से भाभी की चूत से निकल रहे मूत की सी-सी की आवाज आ रही थी।
यह सुनकर मेरा लंड तो वहीं तन गया।

थोड़ी सी और हिम्मत की और मैंने अंदर झांक कर देखा।
भाभी अपनी मैक्सी उठाकर मूत रही थी।

मुझे चूत तो नहीं दिखी, लेकिन भाभी की गांड जरूर दिख गई।

मैं वहीं पर लंड को लोवर के ऊपर से ही सहलाने लगा।

मूतने के बाद भाभी चूत को धोने लगी।
मेरा बड़ा मन कर रहा था कि मैं ही भाभी की चूत को जाकर धो दूं; चूत को छूने का मौका भी मिल जाएगा।

फिर वह उठकर बाहर आने लगी तो मैं थोड़ा पीछे हो गया और दोबारा से बाथरूम की ओर आने लगा।

जैसे ही वह निकली, उसने मुझे आते देखा।
भाभी समझ गई कि मैं भी पेशाब करने आ रहा हूं।

मैं घुसने ही वाला था अंदर तो भाभी ने पूछ लिया- नींद नहीं आ रही है क्या?
मैंने भी हां में सिर हिला दिया।
वह बोली- पता नहीं, ये लोग कब तक वापस आएंगे।

मैंने कहा- वह तो अब सुबह ही आएंगे वापस।
भाभी बोली- तो फिर मैं कुछ देर तुमसे ही बात कर लेती हूं। मुझे भी नींद नहीं आ रही है।
मैं- हां भाभी, कोई बात नहीं।

भाभी मेरे रूम में आ गई।
अब हम यहां-वहां की बातें करने लगे।

भाभी और मेरे बीच पहली बार इतनी लम्बी बात हुई थी, वरना बहुत कम बात हुई थी अब तक।

वह पूछने लगी- राज, तुम तो मुझसे बिल्कुल ही बात नहीं करते। बाकी घर वाले सब बात करते हैं। ऐसा क्यों?
मैं बोला- नहीं भाभी, ऐसी तो कोई बात नहीं है।

जब से भाभी मेरे रूम में आई थी, मेरा लंड बैठ नहीं रहा था।
मैं भाभी के सामने उसे छुपाने की पूरी कोशिश कर रहा था।

फिर मैंने सोचा कि अगर आज हिम्मत नहीं की तो पता नहीं फिर कब ऐसा मौका हाथ लगे।

वासना के जोश में आकर मैंने भाभी से पूछ ही लिया- भाभी, आपको एक बात कहूं तो बुरा तो नहीं मानोगी?
वह बोली- नहीं, कहो?

मैं बोला- भाभी, आप मुझे बहुत पसंद हो।
तभी भाभी ने मेरे लंड की ओर देखा।
तो मैंने झट से उसपर टीशर्ट से ढक लिया।

शायद भाभी मेरे इरादे समझ गई थी।
वह उठकर जाने लगी।
मुझे लगा कि वह नाराज हो गई है, और सबको इस बात के बारे में बता देगी।

मैंने एकदम से भाभी का हाथ पकड़ कर उसे रोक लिया।

वह बोली- क्या कर रहे हो राज?
मैंने कहा- आपको मेरी बात का जवाब देना होगा भाभी।

वह बोली- क्या कहूं, ऐसे कोई बोलता है क्या। मुझे कुछ ठीक नहीं लग रहा ये!
मैं- लेकिन आपने कहा था कि आप मेरी बात का बुरा नहीं मानोगी।
वह बोली- मैं कुछ समझ नहीं पा रही हूं। मुझे जाने दो।

अब मैं जान गया कि भाभी का भी मन है कि वह मेरे साथ सेक्स करे।
लेकिन वह कह नहीं रही है।

मैंने कहा- आप नहीं जानतीं, मैं आपको कितना लाइक करता हूं। देखो मेरी क्या हालत हो गई है भाभी।

कहते हुए मैंने भाभी का हाथ लोवर में तने मेरे लंड पर रखवा दिया।
भाभी ने हैरानी से मेरी ओर देखा।

लेकिन जैसे उनके बदन में वासना की लहर सी दौड़ गई।
वह हाथ हटाने लगी तो मैंने उसका हाथ लोअर के अंदर ही डलवा दिया।

अब भाभी के हाथ में मेरा लंड था।
लंड एकदम से तना हुआ था।

वह बोलीं- क्या कर रहे हो ये, पागल हो गए हो क्या? किसी ने देख लिया तो?
मैं बोला- मेरे प्यार को ठुकराओ मत भाभी। नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगा।

वह बोलीं- सच्ची! इतना प्यार करते हो?
मैंने कहा- आजमाकर देख लो।

भाभी- तो दिखाओ फिर!
मैंने लोअर पूरा नीचे कर दिया और उसके साथ अंडरवियर भी।
मेरा लौड़ा फनफना रहा था।

भाभी का हाथ पकड़ कर मैंने अपना लंड उसके हाथ में पकड़ा दिया।
अब भाभी ने भी लंड से हाथ नहीं हटाया।
तो मैंने उसको अपनी ओर खींचते हुए बांहों में जकड़ लिया।

तभी भाभी ने मेरी आंखों में देखा और हम दोनों के होंठ आपस में मिल गए।
हम दोनों एक दूसरे के होंठों को खाने लगे।

15 मिनट लम्बा चला यह चुम्बन।

फिर जोश में मैंने भाभी को बेड पर गिरा लिया और उनकी मैक्सी के ऊपर से चूचों को दबाने लगा।
भाभी सिसकार उठी- आह्ह … आराम से दबाओ राज, दर्द होता है ऐसे। कहीं भागी थोड़ी जा रही हूं!

फिर मैंने उनकी मैक्सी की डोरी को खोल दिया और सामने से भाभी की चूचियों को नंगी कर लिया।
उनकी मोटी मोटी गोरी चूचियां देखकर मैं पगला गया।

मैं चूचियों पर टूट पड़ा और हाथों से भींचते हुए जैसे उनका दूध निकालते हुए पीने लगा।

मैंने उसके दोनों बूब्स को बारी बारी चूसा और चूस चूसकर लाल कर दिया।
भाभी के निप्पल एकदम से कड़े हो गए।

चूचियों को चूसते हुए मेरा हाथ भाभी की चूत पर जाकर सहलाने लगा।

भाभी की चूत गीली हो चुकी थी।
सेक्स में गर्म होकर भाभी की चूत पानी छोड़ना शुरू कर चुकी थी।
मुझे गीली चूत को सहलाने और रगड़ने में और ज्यादा मजा आ रहा था।

अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था।
मैंने कच्छा निकाल दिया और लंड को भाभी की चूत पर रगड़ने लगा।

मैं चूत के छेद में लंड को घुसाने की कोशिश कर रहा था।
लंड लेकिन चूत पर से बार-बार फिसल जा रहा था।

भाभी हंसती हुई बोली- क्या हुआ राज?
मैंने कहा- कुछ नहीं भाभी, पहली बार कर रहा हूं, पता नहीं है कि कैसे करते हैं।
वह बोली- आओ मैं सिखाती हूं।

भाभी ने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ कर अपनी चूत पर सेट करवा लिया।
फिर उसने धक्का देने के लिए कहा।

मैंने जोर लगाया तो लंड अब चूत में घुस गया।
भाभी की हल्की सी आह्ह निकल गई।
वह मुझे हटाना चाह रही थी लेकिन फिर शायद दर्द को बर्दाश्त करके रुक गई।

अब मैं भाभी की चूत में लंड को अंदर डाले हुए धीरे-धीरे धकेलने की कोशिश करने लगा।
लंड हल्का सा अंदर बाहर चल रहा था।

फिर और गहराई में जाने लगा।

अब लंड लेते हुए भाभी को मजा आने लगा।
उसके मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … अह्ह … राज … आह्ह … अच्छा लग रहा है … अम्म … ओह्ह।

मुझे भी भाभी की चूत चुदाई करने में बड़ा मजा आ रहा था; बस भाभी की चूत को खोदने का मन कर रहा था।

मैं तेजी से चोदने लगा तो भाभी को दर्द होने लगा।
उसका मूड अचानक खराब हो गया।

फिर वह उठकर बाथरूम में चली गई और दो मिनट बाद मुझे बुलाया अंदर!

मैं अंदर गया तो वह समझाने लगी कि ऐसे नहीं करते हैं, अगर मजा लेना है तो बहुत आराम आराम से करते हैं, एकदम मजा ले लेकर।
भाभी पूरी नंगी थी।

फिर वह बोली- चल दोबारा से शुरू करते हैं।

भाभी ने मुझे पकड़ा और किस करने लगी।
वह मेरे पूरे बदन को चूम रही थी।

दोस्तो, अब तो मैं बेहाल सा होने लगा था।
भाभी मेरी गर्दन, छाती और लंड पर भी किस कर रही थी। मेरे लंड की नसें फूलकर जैसे फटने को हो गईं।

वह नंगे बदन को मेरे बदन से रगड़ने लगी।
मैं तो बेकाबू सा होने लगा।

फिर वह घुटनों के बल बैठकर लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी।

दोस्तो, मुझे इतना मजा आ रहा था कि मैं आपको बता नहीं सकता हूं।
आज भी जब मुझे वह सीन याद आता है तो मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि भाभी के जैसा लंड कोई नहीं चूस सकता है।

जब भाभी को लगा कि मैं अब झड़ जाऊंगा तो उसने लंड को चूसना बंद कर दिया।

अब वह उठ खड़ी हुई।
मैं भी अब भाभी के बदन को चूमने लगा।
उसकी गर्दन, चूची, पेट और चूत पर किस करने लगा।

वह भी चुदासी होने लगी।

मैंने फिर जोर से बूब्स को निचोड़ते हुए पीना शुरू कर दिया।
उसके बाद मैं चूत को चाटने लगा।

न्यू भाभी को भी चूत चटाई में भी मस्त मजा आ गया।
उसने अपनी टांगें फैला लीं और घुटनों के बल बैठाकर मेरे मुंह पर चूत को रगड़ने लगी।

फिर उसने एक टांग मेरे कंधे पर रखते हुए गर्दन पर लपेट ली और चूत को मुंह की ओर धकेलने लगी।
ऐसा लग रहा था कि भाभी अपनी चूत मुझे खिला रही हो।
मुझे भी गजब का मजा आ रहा था।

वह लगातार सिसकारियां ले रही थी और अचानक से उसकी चूत ने पानी छोड़ दिया और मेरे होंठ उसमें चुपड़ गए पूरे!
मैंने चूत का पानी होंठों से खूब चाटा।

फिर वह बोली- चल अब डाल दे।
भाभी मेरे सामने घोड़ी बन गई।

मैंने चूत पर लगाकर लंड का धक्का मारा और भाभी की चीख निकल गई।
वह बोली- हरामी, अभी तो समझाया था कि आराम से करना है!
मैं- सॉरी भाभी।

फिर मैं भाभी की चूत में धीरे धीरे धक्के देने लगा।
कुछ देर में उसे मजा आने लगा।
वह आह्ह … आह्ह … ऊह्ह ओह्ह … करते हुए चुदने लगी।

मेरी जांघें भाभी के चूतड़ों से टकरा रही थीं।
बाथरूम में पट पट की आवाज गूंजने लगी।
ऐसा लग रहा था जैसे पोर्न फिल्म लाइव चल रही हो।

‘पट-पट आह्ह … आह्ह … पट-पट पट-पट … आईई आह्ह आईई’ जैसी आवाजें हम दोनों के जोश को और ज्यादा बढ़ा रही थीं।

भाभी अब अपने चूतड़ मटकाते हुए चुद रही थी।
गांड को पीछे धकेल रही थी और लंड पूरा गहराई तक उतरवा रही थी।

20 मिनट की चुदाई के बाद चूत से जोर जोर की फच-फच की आवाज आने लगी।
मैं लंड की रेलम पेल भाभी की चूत में किए जा रहा था।

तब मैं बोला- भाभी! मेरा माल छूटने वाला है!
वह बोली- अंदर ही छोड़ना।

फिर 2-4 धक्कों के बाद मैं स्खलित होना शुरू हो गया।
मैं झटके देता हुआ स्खलित होता रहा और भाभी की कमर पर झुक गया।

उधर भाभी की चूत से भी गर्म गर्म पानी छूट रहा था।
ऐसा मजा मैंने कभी अनुभव नहीं किया था।

जब मैंने अपना लन्ड भाभी की चूत से निकाला तो भाभी के पैर कांप रहे थे।

भाभी की चूत लाल होकर फूल गई थी।
वह बोली- तो तू कमाल का घोड़ा है रे! बहुत ताकत वाला घोड़ा है।

फिर हम दोनों शॉवर में नहाने लगे और नहाते हुए किस करने लगे।

नहाने के बाद मैं भाभी को नंगी ही गोद में उठाकर बेडरूम में लाया।

बेड पर आकर हम फिर एक-दूसरे से लिपटने लगे।

रात में हमने 4 बार सेक्स किया।

भाभी बहुत खुश दिख रही थी।
अगले दिन उसके चेहरे पर जैसे एक मादकता फैली हुई थी।

उस दिन भाभी के साथ पहली चुदाई की शुरुआत हुई।
उसके बाद जब भी मौका मिलता, मैं और भाभी चुदाई के पूरे मजे लेने लगे।

भाभी ने मुझे चुदाई के सारे गुर सिखाए।
अब मैं चुदाई में एक्सपर्ट हो गया हूं।

तो दोस्तो, ।
उम्मीद है आपको ये कहानी पसंद आई होगी।
 

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जयपुर वाली मामी की चूत चुदाई


दोस्तो, मेरा नाम आदित्य है और मैं इंदौर का रहने वाला हूँ.
मेरी हाइट 5 फुट 10 इंच है, रंग गोरा है.

क्योंकि मैं जिम जाता हूँ इसलिए मेरी बॉडी चुस्त और मस्त है.

मामी जयपुर की रहने वाली हैं.
उनका नाम मुग्धा है. वे दिखने में बड़ी ही सेक्सी लगती हैं.

उनका कद थोड़ा कम है … पाँच फिट दो इंच का ही है. उनकी फिगर साइज बहुत धांसू है … ये 34-28-36 की है.
आप इस फिगर से अंदाज लगा सकते हो कि वे कितना सेक्सी माल है.

मैं एक बात बता दूं कि वे हमेशा योगा करती हैं, इसलिए अपने इस फिगर को मैंटेन रखने में सफल हैं.

वे घर में हमेशा अकेली ही रहती हैं क्योंकि उनके पति यानि मेरे मामा मिलिट्री में हैं.
वे साल में 2 से 3 बार ही घर आ पाते हैं.

उनकी एक बेटी है, जो अभी 5 साल की है और स्कूल जाने लगी है.

हुआ यूं कि मेरी जॉब जयपुर में एक बड़ी सी कंपनी में लग गयी.
मैंने जब यह बात अपनी मामी को बताई कि मेरी जॉब जयपुर में लगी है तो वे बोलीं कि तुम्हें घर किराये पर लेने की कोई जरूरत नहीं है. तुम यहां मेरे पास आ जाओ. मैं वैसे ही अकेली बोर हो जाती हूँ. तुम्हारे आने मुझे भी थोड़ी कंपनी मिल जाएगी.

मैंने पहले तो मना कर दिया कि आप मेरी तकलीफ क्यों उठाएंगी!
पर उन्होंने कहा- मैं कुछ नहीं जानती. तुम मेरे घर आ रहे हो, मतलब आ रहे हो.
वे जिद करने लगीं.
तब मैंने भी उन्हें हां कर दिया और अगले दिन जयपुर आ गया.

जयपुर आते ही मैं अपने मामा के घर गया और वहां मामी ने मेरे आने की खुशी में मुझे अपने गले से लगा लिया.
वे कहने लगी- तुम आ गए, बड़ा सुकून मिल गया.

उनके गले से लगते ही मेरा लंड जींस के अन्दर से ही मामी की चूत को सलामी देने लगा.

शायद ये अहसास मामी को हो गया था कि मेरा लंड खड़ा हो गया है.
वे तुरंत मुझसे दूर हट गईं और बोलीं- आओ, अन्दर आ जाओ.

दोस्तो, मैं आपको बताता चलूँ कि उस वक्त तक मामी को लेकर मेरे दिमाग में कोई भी गलत बात नहीं आई थी.

मैं अन्दर आया और बाथरूम में चल गया.
उधर मैंने लौड़े को समझाया कि साले हर जगह खड़े नहीं हुआ जाता.
वह बड़ी मुश्किल में बैठ पाया.

फिर मैं फ्रेश होकर बाहर आ गया.
तब तक मामी खाना लगा चुकी थीं.

मामी ने भी अभी नहीं खाया था तो वे भी मेरे पास अपना खाना लगा कर बैठ गईं.

वे मुझसे दुनिया जमाने की बात करने लगीं.
बात बात में वे मेरी निजी जिंदगी की बातें भी करने लगीं.

वे बोलीं- आदि तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने कहा- नहीं मामी जी.
वे मुस्कुराने लगीं.

मैंने पूछा- क्या शादी से पहले आपका भी कोई बॉयफ्रेंड था?
तब उन्होंने कहा- अब क्या बताऊं … हां मेरा एक बॉय फ्रेंड था, जो बिल्कुल तुम्हारे जैसा दिखता था.

मैंने हंस कर कहा- तो फिर आप उससे शादी क्यों नहीं की?
मामी जी ने कहा- मेरे घर वाले नहीं माने … और मेरी शादी तुम्हारे मामा से करा दी.

मेरे मुँह अचानक निकल गया कि क्या उसने आपके साथ वे सब भी किया था?

मामी एक पल चुप रहीं, फिर धीरे से बोलीं- यह बात किसी को मत बताना, ये बात हमारे बीच ही रखना.
मैंने कहा- हां ठीक है, ये बात किसी को पता नहीं चलेगी!

तब उन्होंने कहा- हां, मेरे ब्वॉय फ्रेंड ने मेरे साथ वे सब किया था और मैं एक महीने की प्रेग्नेंट भी हो गयी थी. फिर मैंने एबॉर्शन करवा दिया और एबॉर्शन के तुरंत बाद मेरी शादी तुम्हारे मामा से हो गयी. मैं यहां चली आयी.

मैंने कहा- मामी जी, आप तो अपने जमाने की शेरनी थीं, आपके पास कितना साहस था!

अब तक मेरा खाना खत्म हो गया था. मैं हाथ धोकर अपने रूम में चला गया.

वहां बेड पर लेट कर मैं मामी के बारे में सोचने लगा कि मामी इतनी बड़ी खिलाड़िन थीं.
यह सोचते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.
मैं अपने लौड़े के ऊपर हाथ फेरने लगा.

मुझे नींद नहीं आ रही थी तो मैं उठ कर बैठ गया और अपना लैपटॉप ओपन करके एक ब्लू फिल्म चला कर चुदाई देखने लगा.

मैं उस पोर्न वीडियो में इतना खो गया था कि दरवाजा बंद करना भूल गया था.
जब मैं उत्तेजित हुआ तो अपनी पैंट खोल कर लंड की मुठ मारने लगा.

तभी मामी भी वहां दरवाजे के पास आ गईं और मुझे पता ही नहीं चला था कि मामी दरवाजे के पास खड़ी हैं.

मैं अपने लंड की दुनिया में ही खुश था.
मेरी आंखें बंद थीं.

तभी मामी अन्दर आ गईं और मेरे लंड को पकड़ कर उसे अपने मुँह में रख लिया.
वे मेरे लंड को चूसने लगीं.

अचानक मामी के ऐसे हमले से मैं एकदम से चौंक गया.
मैंने आंखें खोल कर देखा कि मामी मेरे लंड को चूस रही थीं.
वे बिल्कुल एक पोर्न एक्ट्रेस के जैसे लंड चूस रही थीं.

जब तक मैं उन्हें कुछ कहता, तभी वे खड़ी हो गईं और मेरी शर्ट के बटन खोलने लगीं.

मैं भी समझ गया कि आज रबड़ी खाने को मिल रही है, तो खुद से क्यों मना करूँ.
मैंने भी हाथ बढ़ाए और उनके ब्लाउज के बटन खोलने लगा.

मामी मुस्कुरा दीं और मैंने अगले कुछ ही पलों में उनकी साड़ी और पेटीकोट भी हटा दिया.
मेरे सामने मामी जी ब्रा पैंटी में आ गई थीं.

मैंने उन्हें अपनी बांहों में भरा और उनकी ब्रा का हुक खोलने लगा.

अब तक हम दोनों ही बहुत ज्यादा चुदासे और गर्म हो चुके थे.
मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था.

मैं सीधा मामी की चूत के ऊपर टूट पड़ा और पैंटी के ऊपर से चूत को चाटने लगा.
मैंने उनकी पैन्टी भी खोल दी और अब वे मेरे सामने बिल्कुल नंगी थीं.

उनका गोरा बदन, चौंतीस इंच की चूचियां और सुडौल गांड को देख कर मेरा खुद से काबू हट गया.

हम दोनों जल्द ही 69 की पोजीशन में आ गए और एक दूसरे के लंड और चूत को चाटने लगे.

मामी की चूत बिल्कुल गुलाबी दिख रही थी.
उनकी चूत के ऊपर एक डिजायन में सैट की हुई झांटें देख कर मेरा लंड और जोर से टाइट हो गया.

मैंने उतेजना से उनकी चूत के अन्दर अपनी जीभ को घुसा दिया.
मैं चूत के लिप्स चूसने लगा.

तभी मैं मामी के मुँह के अन्दर झड़ गया.
मामी मेरा वीर्य पी गईं और वे भी दो मिनट बाद झड़ गईं.
उनका सारा रज मैं पी गया.

फिर हम दोनों ऐसे ही 69 पोजीशन में बेड के ऊपर पड़े रहे.

कुछ 5 मिनट बाद मामी मेरे सिकुड़े हुए लंड को देख कर चूसने लगीं.

मैं भी कहां पीछे रहने वाला था, मैं भी उनकी चूत के ऊपर टूट पड़ा और चूत को जोर जोर से चूसने लगा.
मैं कभी कभी अपनी जीभ से चूत के दाने को चूसता, तो कभी उंगलियों से चूत में अन्दर बाहर करता.

करीब 5 मिनट बाद मैंने मामी से कहा- मुग्धा रानी … अब और नहीं रुका जा रहा है. मुझे तुम्हारी चूत में मेरा लंड चाहिए.
मुग्धा ने कहा- आदि हां अब मुझ से भी रहा नहीं जाता है. मुझे भी तुम्हारा ये मोटा लंड चाहिए. आओ और चोदो अपनी प्यासी मामी की चूत को!

तभी मैं उठा और मामी को नीचे लिटा कर उनकी दोनों टांगों को अपने कंधे के ऊपर रख लीं.
सामने खुली चूत लपलप कर रही थी.
चूत के पास मैं अपना लंड रगड़ने लगा.

तभी मामी ने कहा- आदि अब और मत तड़पाओ अपनी मामी को … अब जल्दी से पेल दो ना!

मैं उन्हें और तड़पाने के लिए नीचे झुक गया और चूत को चूसने लगा.

तभी मामी बोलीं- पेल भी दो अब अपने लंड को!

मैं खड़ा हुआ और चूत का होल देख कर अपना लंड चूत के अन्दर पेल दिया.

पहली बार में मेरा लंड का आधा हिस्सा चूत के अन्दर चला गया.

मामी चिल्लाने लगीं- निकालो अपने लंड को … निकालो … आह.
पर मैं पूरा ढीठ था.

मैंने फिर से एक और धक्का मार दिया.
इस वजह से उनकी चूत में मेरा पूरा लंड घुस गया था.

मैं धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा.

मामी ने सिसकारियां लेना शुरू कर दीं- ओह आह मां उह!
मैंने अपनी स्पीड को बढ़ाया और जोर जोर से मामी की चूत को चोदने लगा.

कुछ देर बाद मैंने पोजीशन को चेंज किया और अब मामी को अपने ऊपर आने को कहा.

मामी मेरे ऊपर चढ़ गईं और अपनी चूत लौड़े पर सैट करके ऊपर नीचे होने लगीं.

मैंने भी उनके उछलते हुए दोनों मम्मों को दोनों हाथों से पकड़ लिया और जोर से दबाने लगा.
इस वजह से वे जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं.

फिर दस मिनट के बाद मैंने कहा- मामी, मेरा छूटने वाला है … कहां लेना चाहोगी?
मामी ने कहा- मेरी चूत में आग लगी है, तुम अन्दर ही डाल दो.

मैंने अपना वीर्य चूत के अन्दर डाल दिया और उसी समय मामी भी मेरे लंड के ऊपर झड़ गईं.
वे मेरे ऊपर ऐसे ही गिर गईं.

हम दोनों भी उसी पोजीशन में सो गए.

करीब एक घंटा के बाद मेरी नींद खुली.
मैंने देखा कि मामी मेरे साइड में अपनी गांड ऊपर उठा कर सोयी हुई हैं.

तब मैंने सोचा कि चूत का तो किस्सा तो खत्म हो चुका है. अब इनकी गांड की बारी है.

मैं उठा और वेसलीन लाकर अपने लंड के ऊपर लगाने लगा.
फिर अपना लंड मामी की गांड के सामने लाकर उन्हें थोड़ा हिलाया.
मेरा लंड बड़ा हो गया था.

मैंने मामी को उठा कर उनकी गांड के छेद के ऊपर लंड सैट कर दिया.
फिर एक जोरदार धक्का दिया जिससे मामी की नींद पूरी तरह से खुल गयी.

वे दर्द से तड़फ कर कहने लगीं- ये क्या कर रहे हो आदि … मत करो प्लीज मत करो.

मामी रोने लगीं पर मैंने उनकी एक भी ना सुनी.
एक बार फिर से मैंने एक और धक्का दे दिया जिससे अब मेरा लंड का टोपा मामी की गांड के अन्दर था.

मैंने एक और धक्का दिया.
मेरा आधा से ज्यादा लंड मामी के गांड में था.

मैं धीरे धीरे अपने लंड को आगे पीछे करने लगा और मामी को डॉगी स्टाइल में गांड मारने लगा.
कुछ देर बाद मामी का विरोध थोड़ा कम हो गया था और वे मेरा साथ देने लगी थीं.

मैंने आव देखा ना ताव … सीधा एक और तगड़ा धक्का दे मारा और उनकी गांड को जोर जोर से चोदने लगा.

मामी को भी अब मज़ा आ रहा था.
करीब 10 मिनट बाद में मामी की चूत में लंड डाला और चोदने लगा.

करीब 5 मिनट बाद मैंने उनकी चूत में अपना माल गिराया और उनको अपनी बांहों में लेकर सो गया.
अब तो मैं मामी के घर में हूँ और उनको रोज़ चोदता हूँ.

बस मामा के घर होने पर हम ये सब नहीं कर पाते हैं.
पर मामा के जाने के बाद उनको में रोज़ चोदता हूँ.
 

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दीदी ने मुझसे अपनी कुंवारी चूत चुसवाई



मेरा नाम राजीव है. मेरी फैमिली में चार लोग हैं.
मेरे अलावा मम्मी पापा और दीदी.

दीदी मुझसे दो साल बड़ी हैं. उनका नाम लूसी है.
मेरी दीदी दिखने में बहुत मासूम लगती हैं.

वे देखने में बहुत सुंदर हैं, बहुत ही ज्यादा गोरी हैं और थोड़ी चबी भी है.
उनकी हाइट कम है, लेकिन देखने में बहुत आकर्षक हैं.
उनको देखकर किसी की भी नियत ख़राब हो सकती है.

दीदी बी.कॉम के फाइनल ईयर की स्टूडेंट हैं.
मैं एक मेडिकल स्टूडेंट हूँ.

यह कहानी दीदी की पुसी लिक करके मजा लेने की है.

दीदी मुझको बहुत प्यार करती हैं.
हम दोनों में बहुत प्यार है. हम दोनों एक ही रूम में अलग अलग बेड पर सोते हैं और वहीं अपनी पढ़ाई भी करते हैं.

दीदी ने मुझको पढ़ाई में बहुत हेल्प की है.
ऐसे में दीदी के प्रति मेरे मन में कभी भी बुरा ख्याल नहीं आया था.

कभी कभी पढ़ाई करते करते मैं दीदी के बेड पर ही सो जाता था.
दीदी भी मुझको नहीं उठाती थीं और मुझको अपने बिस्तर पर ही सोने देती थीं.
ऐसा अक्सर होता रहता था.

यह बात कुछ दिन पहले की है.

एक दिन ऐसे ही दीदी के साथ ही सोया हुआ था.
उसी वक्त मेरी नींद किसी वजह से खुल गई.
मैंने देखा कि दीदी अपना एक पैर मेरे शरीर पर चढ़ा कर लेटी हुई हैं और मुझे जोर से पकड़कर सो रही हैं.

यह मुझको जरा अजीब सा लग रहा था लेकिन मैंने दीदी को ऐसे ही सोने दिया.

ऐसे सोने में मुझको भी अच्छा लग रहा था कि कोई लड़की मुझको अपनी बांहों में सुला रही है.

वह रात तो ऐसे ही बीत गई लेकिन एर अन्दर हलचल मच गई थी और उस दिन शायद पहली बार मैंने अपनी दीदी के जिस्म की गर्माहट का अहसास किया था.

उसके बाद जब भी मैं दीदी के साथ सोता तो इस बात को देखता था कि मेरी दीदी मेरे साथ ऐसे ही चिपक कर सोती थीं.
मुझको भी बहुत मज़ा आने लगा था और ऐसे में मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

शुरुआत में तो नहीं लेकिन बाद में मैं कुछ ही देर में अपनी चड्डी में ही झड़ जाता था.
इतना सब होने के बाद भी मैं दीदी के साथ कुछ नहीं करता था.

कुछ दिन ऐसे ही ये सब चलता रहा.
मैं भी दीदी को इस बारे में कुछ नहीं बोलता और न ही दीदी कुछ बोलतीं.

फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था.
इस बार मैंने जानबूझ कर दीदी के ऊपर अपना पैर चढ़ा दिया और एक हाथ दीदी के बूब्स पर रख दिया.

जब उनकी तरफ से कोई प्रतिकार नहीं हुआ तो मैंने उनका एक दूध दबा भी दिया.

दीदी अभी भी कोई रियेक्ट नहीं कर रही थीं.
इससे मेरा मनोबल और बढ़ गया.

मैंने कुछ देर बाद अपना एक हाथ दीदी की पैंटी में डाल दिया और उनकी चूत सहलाने लगा.

दीदी आराम से सो रही थीं और कोई रियेक्ट भी नहीं कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने दीदी को हिलता हुआ सा देखा तो अपनी दम साधे उसी पोजीशन में लेटा रहा.
तभी दीदी ने अपने पैरों को थोड़ा और फैला दिया, इससे उनकी चूत सहलाने में मुझे आसानी हो गई.

मेरा हाथ अभी भी दीदी की पैंटी में ही घुसा हुआ था तो मैंने उनकी फैली हुई टांगों के बीच चिकनी चूत को और आसानी से सहलाना शुरू कर दिया.

कुछ देर बाद दीदी की चूत गीली हो गयी और दीदी झड़ गईं.

उनके झड़ते समय उनका जिस्म थोड़ा अकड़ भी गया था, जिसे मैंने बखूबी महसूस भी किया था.

इससे मुझे बेहद सनसनी हुई थी और मैं भी अपने लौड़े को हिला कर सो गया था.

ऐसे ही ये सब बहुत दिन तक चलता रहा.
अब भी हम दोनों इससे आगे नहीं बढ़ रहे थे.
न ही दीदी की तरफ से कुछ सिग्नल मिल रहा था और न ही मैं कुछ ज्यादा कर पा रहा था.

फिर एक दिन पढ़ाई करते करते मैं दीदी के पास ही सो गया.
रात के दो बजे के आसपास मेरी नींद खुल गई.

दीदी मुझको पकड़ कर आराम से सो रही थीं.
मैंने दीदी को साइड में कर दिया और उठ कर लाइट ऑन की, उन्हें एक बार गौर से देखा.
आज दीदी नाइटी पहन कर सोई थीं.

मैं बाथरूम में जाकर पेशाब करके वापस आकर दीदी के पास ही लेट गया.

कुछ देर बाद मैंने दीदी की नाइटी को उठाया तो देखता ही रह गया.
दीदी ने आज पैंटी नहीं पहनी थी.

मैं आज पहली बार किसी लड़की की नंगी चूत देख रहा था.
दीदी की चूत पर एक भी बाल नहीं था और एकदम पिंक चूत थी.

चूत देख कर मन कर रहा था एक किस ले लूँ … पर डर लग रहा था कि अगर दीदी जाग गईं तो मेरी तो कहानी लिख जाएगी.

हालांकि मुझको पता था कि दीदी को सब पता है, वे सोने का नाटक कर मजे लेती हैं.
तब भी मेरी गांड फट रही थी.

कुछ देर तक मैंने सोचा, फिर दीदी के पैरों के बीच में आ गया.
मैंने दीदी के पैर फैला कर उनकी चूत पर एक किस किया.

किस करते समय मैंने ध्यान से देखा कि दीदी के पूरे शरीर पर करंट सा दौड़ गया था.
मैं रुक गया.

फिर कुछ पल बाद देखा कि दीदी बड़े आराम से अपनी चूत खोले सो रही हैं.

अब मैं दीदी की चूत को अच्छे से देखने लगा.
उनकी चूत बहुत टाइट थी और चूत की फाँकें बहुत मोटी थीं.

दीदी की चूत का छेद बहुत छोटा सा था; यानि दीदी अभी तक किसी से नहीं चुदवाई थीं.

यह देख कर मैं बहुत खुश हुआ कि दीदी की चूत की सील मैं ही तोड़ूँगा.

उसके बाद मैंने दीदी की चूत को दो तीन बार चूमा मगर दीदी ने अपनी आंखें नहीं खोलीं और न ही कुछ प्रतिक्रिया की.

मैंने अपनी जीभ से चूत को चाट लिया … तब भी कुछ नहीं हुआ.
बस मैं समझ गया कि दीदी सोने का ड्रामा कर रही हैं और चूत का काम चौबीस किया जा सकता है.

मैं अब बिंदास अपनी बहन की चूत को चूसने लगा था.
दीदी की चूत की बड़ी ही कामुक खुशबू थी जो मुझको मदहोश कर रही थी.
मैं भी मस्त होकर चूत चूसने में लगा था.

उसी दौरान एक बार तो दीदी के मुँह से आह भी निकल गई थी लेकिन मैंने देखा कि दीदी अपनी आंखों को जोर से बंद की हुई हैं.
इससे सब समझ में आ गया कि दीदी जाग रही हैं और अपनी चूत चुसाई का मजा ले रही हैं.

फिर चूत चूसते चूसते देखा कि दीदी के शरीर में ऐंठन आने लगी है और दीदी जोर जोर से सांस लेने लगी हैं.
मैं समझ गया दीदी झड़ने वाली हैं.

फिर 5 मिनट बाद दीदी झड़ गईं और मेरे मुँह में उनके नमकीन माल का बाद ही मस्त स्वाद आया.
मुझे बहुत मज़ा आया.

मैंने दीदी की चूत की पूरा पानी चाट चाट कर पी लिया और बाद में भी दीदी की चूत को चूसता रहा.

कुछ देर बाद मैं अपना लंड दीदी के चूत पर रगड़ने लगा, दीदी की चूत के छेद में लंड सैट कर अन्दर डालने लगा.
अब दीदी ने करवट ले ली.

शायद दीदी अभी अपनी चूत में लंड नहीं लेना चाहती थीं; वे अभी सेक्स नहीं करना चाहती थीं … बस अपना चूत चुसवा कर मजे लेना चाहती हैं.

मैंने भी उनकी भावना को समझा और उनकी चूत देख कर अपना लंड हिलाया और माल निकाल कर दीदी के बाजू में ही सो गया.

दीदी ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया.
हम दोनों भाई बहन सो गए.

अगली रात फिर से मैंने दीदी की चूत चूसी और उन्हें झाड़ कर चूत का रस चाट लिया.

ऐसे ही हम दोनों भाई बहन का चूत चुसवाने का खेल चलता रहा.

फिर एक दिन मैं दीदी के पास सोया हुआ था.

दीदी रात में नाइटी पहन कर सोने लगी थीं लेकिन आज दीदी ने पैंटी भी पहनी थी.
मैँ दीदी के बूब्स दबाने लगा और उनके एक दूध को नाइटी के ऊपर से ही चूसने लगा.

फिर मैंने दीदी की गर्दन में किस किया और उनके होंठों को चूम लिया.

इसके बाद मैं दीदी की नाइटी उतारने लगा तो देखा कि दीदी खुद से अपना जिस्म उठा कर नाइटी उतारने में मेरी हेल्प कर रही हैं.
मैंने दीदी की नाइटी को उतार दिया.

मेरे सामने मेरी दीदी ब्रा और पैंटी में थीं. उनकी ब्रा और पैंटी दोनों रेड कलर की थीं और दीदी बहुत सेक्सी लग रही थीं.
ऐसा लग रहा था मानो हुस्न की परी मेरे सामने लेटी हुई है.

मैंने दीदी की ब्रा को भी उतार दिया.
उनके दोनों दूध एकदम तने हुए थे.

मैंने दीदी के मम्मों को खूब चूसा और मसल मसल कर लाल कर दिया.

दीदी आंख बंद करके मजे ले रही थीं उनकी हल्की हल्की आह आह भी निकल रही थी.
उसके बाद मैं अपनी दीदी की पैंटी उतारने लगा.

दीदी ने अपनी गांड उठा कर पैंटी उतरवाने में भी हेल्प की.
अब दीदी बिल्कुल नंगी थीं.

मैंने अपनी दीदी के पूरे शरीर को किस किया और बाद में मैं दीदी की चूत को चूसने लगा.

दीदी अपने मुँह को जोर से हाथ से दबा कर रखी थीं ताकि कामुक सिसकारियां ना निकलें.
तब भी थोड़ी तो निकल ही जा रही थीं.

कुछ देर बाद दीदी ने अपनी चूत की मलाई मेरे मुँह में ही छोड़ दी और मैं दीदी की चूत का खट्टा रस पी गया.

दीदी की चूत चूसे जाने से पूरी लाल हो गई थी.
अब मैंने दीदी की चूत के ऊपर ही अपना लंड हिलाना चालू किया और मुठ मार कर उनकी चूत के ऊपर ही टपका कर नंगा सो गया.

फिर से कुछ दिन तक हम दोनों भाई बहन का ऐसे ही ये खेल चलता रहा.

सुबह सोकर उठने के बाद हम दोनों भाई बहन ऐसे रहते थे मानो हम दोनों कुछ करते ही नहीं हैं.
मतलब एकदम नार्मल रहते थे.

फिर एक दिन मैंने दीदी की चूत चूस कर आधे रास्ते में छोड़ दी.
दीदी व्याकुल हो उठीं.

मैंने उनके दूध चूसना शुरू किए और उसके बाद उनके कान को चूसते हुए कहा- दीदी, मुझे लंड अन्दर पेलना है.
दीदी कुछ नहीं बोलीं.

मैंने दांव खेला और कहा- यदि चूत चुसवानी है तो लंड भी चूसना पड़ेगा!
दीदी ने अब भी कुछ नहीं कहा.

मैंने कहा- मैं लेट रहा हूँ तुम मेरे लंड को चूसो.
ये कह कर मैं लेट गया.

कुछ मिनट बाद दीदी ने अपने हाथ से मेरे लौड़े को सहलाया.
मैंने टांगें फैला दीं.

दीदी ने अपनी जीभ से लंड के सुपारे को चाटा तो पापा कसम लंड हिचकोले खाने लगा.
और दीदी ने मेरे लौड़े को चूसना शुरू किया तो मैंने उनके सर पर हाथ रख कर लंड पर दबा दिया.

दीदी गोंगों करने लगीं.
यह मेरी चाल थी कि दीदी मुझसे कुछ कहें.

वही हुआ दीदी ने लंड से मुँह हटाया और बोलीं- चूस तो रही हूँ. तुम मुझे दबाओ नहीं!
मैंने भी कहा- अब जब लंड चूत को चूसना ही है तो क्यों न एक साथ चूसें?

दीदी कुछ नहीं बोलीं, बस मुस्कुरा दीं.
मैंने दीदी को अपनी बांहों में भर लिया और उन्हें प्यार करने लगा.

दीदी बोलीं- ये सब किसी को बताना नहीं!
मैंने कहा- यह भी कोई बताने वाली बात है क्या?

वो हंस दीं और हम दोनों 69 में आकर एक दूसरे का लंड चूत चूसने लगे.
दोस्तो, हम दोनों भाई बहन में अब खुल कर चुसाई चलने लगी थी.

दीदी अभी चुदाई करवाने के मूड में नहीं हैं. मगर उन्होंने वादा किया है कि चूत की ओपनिंग वो मेरे लौड़े से ही करवाएंगी.
 
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भाभी की चूत में लंड से पिचकारी मारी



हाय दोस्तो, मैं अभिषेक अपनी सेक्स कहानी लेकर हाजिर हूँ.
मेरी उम्र 23 वर्ष है, मैं महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले का रहने वाला हूँ।
मेरी हाइट 6 फुट है, रोजाना जिम जाता हूं … इसलिए सेहत काफी मस्त है।

मेरा लंड 7 इंच लंबा और 2.5 इंच मोटा है. एक बार कोई मुझसे चुदा ले, वो खुद मुझे दुबारा बुला लेती है.

मैं इस सेक्स कहानी में जिन पात्रों के नाम लिख रहा हूँ, उनके नाम बदल रहा हूँ. क्योंकि मैं नहीं चाहता कि किसी के व्यक्तिगत जीवन में कोई परेशानी आए।

मैं जहां रहता हूं. वो अपार्टमेंट वाला एरिया है।
हमारे पड़ोस में एक राजस्थानी फैमिली किराए पर रहने आयी थी.
उनको यहां शिफ्ट हुए अभी 9 महीने ही हुए थे.
उस फैमिली में पति-पत्नी, भैया के पिताजी और उनका बच्चा था।

भाभी अंजलि की उम्र 23 साल थी वो गृहिणी थी।
भैया राजेश घर में पिछले 4.5 साल से टाईल्स लगाने का काम करते थे. उनका बच्चा गोलू डेढ़ साल का था।

उनके ससुर जो मेरे दादाजी के ही उम्र के थे 75 साल के रहे होंगे. उनका पूरा परिवार हमारे बाजू के ही फ्लैट में ही रहता था.

हमारे घर में किचन की टाइल्स बदलवानी थी तो हमने वो काम भैया से ही करवाया था.
इसलिए हमारी उनसे अच्छी जान पहचान हो चुकी थी.

मेरी छोटी बहन और अंजलि भाभी आपस में काफी अच्छी सहेली बन चुकी थीं.
भाभी का फिगर 34-28-36 का था और उनकी हाईट भी काफी अच्छी थी. वो 5 फुट 7 इंच की हैं।

भाभी को अगर कोई एक बार भी देख ले, तो गारंटी है कि वो मुठ मारे बिना नहीं रह सकता।
मेरी भी भाभी से अच्छी खासी जमती थी. मेरी बहन को बच्चों से बहुत लगाव होने के कारण वो हमेशा गोलू के साथ खेलती रहती थी।

भैया और मेरी उम्र में ज्यादा अंतर नहीं होने के कारण कभी कभी हम साथ बैठ कर बियर पी लेते थे।

होली वाले दिन भैया के पिताजी होली के लिए अपने बड़े बेटे के पास गांव गए हुए थे.
इधर उनके घर में भैया और भाभी और उनका बच्चा ही था।

होली वाले दिन सभी ने मिलकर होलिका दहन किया और दूसरे दिन धूलिवंदन वाला दिन था।

भैया ने मुझे पहले ही बता दिया था कि धूलिवंदन वाले दिन मेरे फ्लैट में पीने प्रोग्राम रखते हैं।
मैंने भी हां कर दी।

हम दोनों ने सबके साथ थोड़ी होली खेली और भैया के फ्लैट में पीने के लिए बैठ गए।
भाभी नीचे सबके साथ होली खेल रही थीं।

मैं सिर्फ बियर पीता था इसलिए मैंने सिर्फ एक बियर पी और भैया ने खुद के लिए दारू के दो पैग गटक लिए.

अपना प्रोग्राम रोक कर हम दोनों नीचे आए और सबके साथ डांस किया, होली खेली और 12 बजे फिर से ऊपर आकर पीने बैठ गए.

भैया ने देखते ही देखते 6 पैग पी लिए जबकि मेरी अभी दूसरी बियर ही चल रही थी।
तभी घर की घंटी बजी.

मैंने उठ कर दरवाजा खोला तो देखा अंजलि भाभी आयी हुई थीं।
उनका पूरा भीगा बदन और अंग से चिपके हुए कपड़े देख कर मेरी उन पर से नजर ही नहीं हट रही थी।

भाभी ने मेरे सामने हाथ हिलाए और पूछा- क्या हुआ?
मैंने कहा- कुछ नहीं.

फिर वो अन्दर आ गईं.

भैया ने भाभी से पूछा- गोलू कहां है?
वो बोलीं- अभिषेक जी के घर है, वो वहीं सो गया है।

भैया ने कहा- तुम एक काम करो, थोड़े से पापड़ तल दो.
भाभी ने जब तक पापड़ तले, तब तक भैया को अच्छा खासा नशा हो चुका था.

मेरी दूसरी ही बियर चल रही थी।
भाभी पापड़ लेकर आईं और हमें पापड़ देकर चली गईं।

भैया को बहुत ज्यादा चढ़ गई थी. उन्होंने पैग पूरा खत्म किया और वहीं बैठे बैठे सोफे पर लुढ़क गए.

मैंने बियर खत्म की और पेशाब के लिए बाथरूम में गया.
बाथरूम का दरवाजा खुला ही था. मेरे धक्का देने से ही पूरा खुल गया।

मैंने देखा कि बाथरूम में भाभी पूरी नंगी थीं और शॉवर ले रही थीं.
उन्हें पता भी नहीं चला कि मैं कब अन्दर आ गया हूं।

मैं बाहर आ गया और सोचने लगा।
भाभी दुधारू चूचियां देख कर मेरे लंड महाराज अंगड़ाई लेने लगे.

कुछ देर सोचने के बाद मैंने भी भाभी को पेलने का मन बना लिया और अपने सारे कपड़े निकाल कर बिल्कुल नंगा होकर बाथरूम में चला गया.
भाभी शॉवर के नीचे अपनी चूत में उंगली कर रही थीं.
मैं अन्दर आया और कुंडी लगा कर भाभी को पीछे से जाकर जकड़ लिया।

भाभी को लगा कि ये भैया ही हैं, वो बोलीं- यार कितनी पीते हो. कब से मेरे नीचे आग लगी पड़ी है।

मैं कुछ नहीं बोला और पीछे से गर्दन चूमने लगा, अपने एक हाथ से बूब्स और एक हाथ से चूत सहलाने लगा.

मेरी हाइट और बॉडी थोड़ी भैया जैसी है, तो भाभी को नहीं पता चला कि मैं कौन हूँ.

मैंने उनके कान के नीचे किस की और चूत सहलाने लगा.
भाभी गर्म हो गईं.

मैंने उन्हें वैसे ही घोड़ी की तरह झुकाया और पीछे से लंड चूत पर लगा कर जोर से धक्का दे मारा.

भाभी की चीख निकल गयी.
लड की मोटाई से भाभी को शक हुआ.
उन्होंने जल्दी से आगे को होकर अपनी चूत से मेरा लंड बाहर निकाला और पलट गईं।

मुझे देख कर वो घबरा गईं और टॉवल लेकर लपेट लिया।
मैं वैसे ही नंगा भाभी के सामने खड़ा था।

मैंने भाभी से माफी मांगी और कहा- सॉरी भाभी, मैं पेशाब करने आया था. आपको नंगी नहाते हुए देख कर मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।

भाभी बोलने लगीं- तुम यहां से बाहर निकलो पहले … वरना मैं सबको बता दूंगी.
मैं भाभी से माफी मांगने लगा- भाभी, आप इतनी सेक्सी हो, मुझसे रहा नहीं गया।

भाभी बोलीं- ये आपने अच्छा नहीं किया. मैं शादीशुदा हूँ. आपको ऐसे करते शर्म नहीं आई? मैं सबको बता दूंगी।

मैं भाभी से माफी मांगने लगा.
लेकिन भाभी मान ही नहीं रही थीं।

मैं बोला- भाभी मैं आपके पैर पड़ता हूँ, प्लीज ये बात किसी को मत बताना. हम दोनों ही बदनाम हो जाएंगे.
इतना कहते ही मैंने भाभी के पैर पकड़ लिए।

जैसे ही मैं झुका मेरी नजर भाभी की चिकनी चूत पर गई और चूत देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया।

एक बात ये है कि मुझे चूत चाटना बहुत पसंद है।
मैंने टॉवल के नीचे घुस कर भाभी की चूत में मुँह घुसेड़ा और उनकी चूत चाटने लगा.

भाभी मेरे बाल पकड़ कर मुझे दूर करने की कोशिश कर रही थीं और न जाने क्या क्या बोल रही थीं कि मैं चिल्ला कर सबको बुला लूँगी … हटो यहां से!

मगर मैं चूत चाटने में लगा हुआ था।
मुझे भी समझ में आ गया था कि भाभी को अपनी चूत में मेरा मोटा लंड लेकर मजा आ गया है और चाटने से उनकी चूत की आग फिर से सुलग उठी है.

ये चिल्लाने की कह भर रही हैं और चिल्ला नहीं रही हैं इसका मतलब ये हुआ कि भाभी को चुदवाने का मन तो है लेकिन ये ड्रामा कर रही हैं.

मैंने ये सोचा तो उनकी तौलिया खींच कर हटा दी और उन्हें फर्श पर लिटा कर उनकी चूत को चूसने लगा.

इससे धीरे धीरे भाभी गर्म होती जा रही थीं. और उनके जो हाथ मेरे बालों को पकड़ कर मुझे दूर कर रहे थे, अब वही हाथ मुझे चूत की तरफ खींच रहे थे।

कुछ देर बाद भाभी कहने लगीं- अब क्या चाटते ही रहोगे?
यह सुनकर मैं ऊपर आ गया और भाभी को किस करने लगा.
भाभी भी मेरा साथ दे रही थीं.

मैंने कहा- भाभी, जरा मेरा चूस देतीं तो मुझे भी मजा आ जाता।
ये कह कर मैं उठ गया और वो जमीन से उठ कर घुटनों के बल बैठ गईं।

उन्होंने मेरे लंड को देखा और उसे चाटने लगीं.
कुछ ही देर में पूरा लौड़ा उनके मुँह की गर्मी का मजा उठा रहा था और एकदम लोहा हो गया था.

मैंने भाभी को गोद में उठा लिया और लिप किस करने लगा.
फिर नीचे से लंड सैट करके उन्हें चोदने लगा.

लंड चूत में गया तो भाभी जी आह आह करने लगीं.
मैंने उन्हें सामने की दीवार से टिकाया और दबादब चोदने लगा.

उन्हें मेरे साथ सेक्स करने में बहुत मजा आ रहा था। वे भी अपनी गांड को आगे पीछे करके लंड पर झूला झूल रही थीं.

मैंने उन्हें चोदते हुए पूछा- भाभी, कैसा लगा मेरा?
वे कुछ नहीं बोलीं बस कमर को हिलाती हुई चुदवाती रहीं.

मैंने कहा- एक बार मुँह से कुछ कहो तो जानेमन.
वे बोलीं- आपको समझ नहीं आ रहा है कि मैं मजा ले रही हूँ?

मैंने कहा- आपकी चूत बहुत कसी हुई है.
वे बोलीं- मेरे पति का पतला है ना … और आपका मोटा है.

मैं उन्हें चोदते हुए यही सब बातें करता रहा।

अब मेरे स्खलन का समय आ गया था.
मैंने भाभी को चोद कर अपने लंड की पिचकारी उनकी चूत में ही खाली कर दी.

हम दोनों थक गए थे।

मैंने भाभी से पूछा- मजा आया?
अब भाभी ने खुल कर कहा- बहुत ज्यादा … आज तक किसी ने मेरी चूत ही नहीं चाटी. इतना मजा तो मुझे आपके भैया के साथ भी नहीं आया. आपके भैया वैसे भी मुझे कहां खुश करते हैं। जब से गोलू हुआ है, तब से काम पर से आने के बाद खाना खाकर सो जाते हैं। मुझे वो सुख देते ही नहीं हैं।

मैंने कहा- भाभी अब मैं हूँ ना!
भाभी ने कहा- ये क्या भाभी भाभी लगा रहा है। आज से मैं आपकी अंजू हूँ.
मैंने भी कहा- अंजू डार्लिंग, अब से तुम भी मुझे तुम ही कहना … आप नहीं!
‘ओके मेरे तुम!’

उसके बाद मैंने भाभी को चूमना चाटना फिर से चालू कर दिया.
हम दोनों 69 में आकर एक दूसरे को मजा देने लगे।

कुछ देर के बाद मैं सीधा होकर भाभी को किस करने लगा और उन्हें फिर से शॉवर के नीचे खड़ा करके चोदने लगा।

भाभी अब घोड़ी बनकर चुदाई करवा रही थीं.
उसके बाद वो मेरे लंड पर भी सवारी करने लगीं।
उस समय मैंने भाभी की चूची को मुँह में दबाया तो दूध की धार मुँह में आने लगी.

वे मुझे मना करने लगीं कि ये मेरे बच्चे के लिए है.
उसके बाद मैंने उनका दूध नहीं चूसा.

वे मेरे लौड़े से उठ कर फिर से चूत चुसवाने लगीं.
फिर कुछ देर बाद वो वापस लौड़े के नीचे आ गईं.

उस दिन मैंने बाथरूम में ही भाभी को तीन बार चोदा; होली सेक्स का मजा लिया और घर आ गया।
आगे से जब भी भैया घर पर नहीं होते, मैं भाभी की चुदाई में लग जाता.

कभी किचन, तो कभी बेडरूम, तो कभी सोफे पर … अब तो भाभी को चूत चटवाने का ऐसा चस्का लगा है कि मुझसे चूत चटवाये बिना चुदवाती ही नहीं हैं।

 

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युवा मौसी को सैट करके खूब चोदा– 1



मैं रोहित 22 साल का बिंदास लौंडा हूं. मेरा हथियार 6 इंच लंबा है जो किसी भी चूत में गदर मचाने के लिए काफी मस्त और असरदार है.

मुझे अक्सर गदराई हुई मस्त औरतें बहुत ज्यादा पसंद आती हैं.
ऐसी बिंदास औरतों को देखकर मेरा लंड फनफना उठता है.

अभी कुछ दिनों पहले ही मेरी कल्पना मौसी हमारे घर आई थीं. उनके साथ मौसी के बच्चे भी थे, जो 5 व 7 साल के थे.

मौसी को देखते ही मेरा लंड ठनक उठा.
आज मैं मौसी को दो साल बाद देख रहा था. मौसी के गोरे चिकने जिस्म, बड़े बड़े बोबे और फूली हुई मस्त गांड को देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया.

मौसी अन्दर आईं और मैंने स्माइल देकर मौसी का स्वागत किया.
कुछ देर बात करने के बाद मौसी आराम करने चली गईं.

कल्पना मौसी लगभग 34 साल की हैं. उनका पूरा जिस्म भरा भरा सा है. मौसी कातिलाना जिस्म की मालकिन हैं.
उनके बड़े बड़े दूध और फूली हुई गांड हर किसी को भी लंड मसलने पर मजबूर कर सकती है.

मौसी के बोबे लगभग 34 साइज के हैं. वो हमेशा अपने बोबों को अच्छी तरह से ढककर रखती हैं, जिससे उनके बोबों की झलक देख पाना मेरे लिए बहुत मुश्किल था, पर मम्मों के उभार को छिपा पाना किसी भी महिला के लिए नामुमकिन होता है. इसलिए मैंने समझ लिया था कि मौसी की चूचियाँ जरूर चूसनी हैं.

मौसी की चिकनी कमर की 30 इंच की साइज है और उनकी सेक्सी गांड लगभग 36 इंच साइज की है.
साड़ी में मौसी की गांड बहुत मटकती हुई नज़र आती है.

फिर शाम को हम पार्क में घूमने निकल गए. बच्चे पार्क में खेल रहे थे और मैं मौसी के साथ बातचीत कर रहा था.
मेरी हवस भरी नज़रें हॉट मौसी की जवानी पर टिकी हुई थीं. मैं मौसी के बोबों को ताड़ने की कोशिश कर रहा था.

तभी मौसी ने पल्लू को अच्छी से ठीक किया और बोबों को ढक लिया.
खैर … मैंने हिम्मत नहीं हारी और उनसे बात करता रहा.

फिर हम घर लौटे और रात को मौसी जल्दी ही सो गईं.
इधर मैं रातभर मौसी को चोदने के ख्यालों में खोया रहा और लंड को मसलता रहा.
अब सुबह हो चुकी थी मेरी नींद खुली तो ख्यालों में मौसी ही थीं और मैं उन्हें याद करके अपना लंड मसलने लगा था.

लंड एकदम कड़क हो गया था और मैं आँख बंद करके बेसुध होकर अपने लंड से खेल रहा था.
तभी अचानक से मौसी मेरे रूम में आईं और उन्होंने मेरी चादर को खींच दिया.

“रोहित … उठ, कब तब सोता रहेगा. अब तो उठ जा!”
जैसे ही मौसी ने चादर को खींचा, तो उनकी नज़र मेरे खड़े हुए मोटे तगड़े लंड पर पड़ी.

मौसी मेरे हाथ में लंड देखते ही सकपका गईं.
वे मुझे कहकर तुरंत वापस चली गईं- उठकर बाहर आ जा … चाय तैयार है.

मगर मैं अपने लंड को ठंडा होने के बाद ही बाहर गया.
मौसी किचन में ही थीं.

मैं बहुत ज्यादा शर्मिंदगी महसूस कर रहा था.
तभी मौसी की सेक्सी गांड को देखते ही मेरा लंड फिर से तन गया.

मौसी ने मुझे चाय पकड़ा दी.
तभी मौसी की नज़र फिर से मेरे लंड के तम्बू पर पड़ गई.
मौसी ने कुछ नहीं कहा और वो अपना काम करने लगीं.

फिर ऐसे ही दिन निकल गया.

अब एक तरफ तो मुझे डर भी लग रहा था लेकिन दूसरी तरफ मौसी को चोदने की इच्छा भी हो रही थी.
समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या करूँ?

मौसी मुझसे कटी कटी सी रह रही थीं.
तभी मैंने मौका देखकर मौसी से सॉरी बोला.

“कोई बात नहीं रोहित, इस उम्र में ऐसा होता है. लेकिन फिर भी तुझे थोड़ा ध्यान रखना चाहिए.”
“हां मौसी, अब ऐसा नहीं होगा.”

मौसी ने मुझे माफ़ कर दिया था लेकिन मेरा लंड उनकी चूत मांग रहा था.
मैं बहुत परेशान हो रहा था. मेरा लंड मौसी के साथ संबंध बनाने के लिए तड़प रहा था.

मैं मौसी को रोज हवस भरी नज़रों से ताड़ रहा था.
मौसी भी मेरी हवस भरी नज़रों को पढ़ रही थीं.

फिर एक दिन मौसी टीवी देख रही थीं. उनके साथ मेरी बहन और बच्चे भी बैठे हुए थे.

मैं खड़ा होकर मौसी को ताड़ रहा था. वो बार बार मुझसे नज़रें चुरा रही थीं.

फिर कुछ देर बाद मेरी बहन उठकर रूम में चली गई.
तभी मैंने मौके की नजाकत को समझा और मैं उठकर मौसी के पास जाकर बैठ गया.

अब मैं धीरे धीरे मौसी के हाथ और कलाई को टच करने लगा.

तभी मौसी ने हँसते हुआ कहा- रोहित टीवी देख चुपचाप!
“देख तो रहा हूँ मौसी.”

अब मौसी का हाथ मेरे हाथ में था. मैं उनके हाथ को मसल रहा था.
“सभी यहीं हैं यार … ये क्या कर रहा है तू!”
उन्होंने जैसे ही ये कहा, मेरी बाँछें खिल गईं.

“तो फिर आप अन्दर चलो ना मौसी.”
तभी मौसी ने कहा- ज्यादा शैतान मत बन … वर्ना सब कुछ तेरी मम्मी को बता दूँगी. आजकल तेरे दिमाग में क्या चल रहा है? सब जानती हूँ मैं!
मैं- जब आप सब जानती हो तो फिर इतना क्यों तड़पा रही हो मौसी?

मौसी- जो तू चाहता है, वो नहीं हो सकता. अब मुझे ज्यादा छेड़ मत!
मैं- छेड़ना तो पड़ेगा मौसी. वर्ना आप थोड़े ही मानोगी.

अब मैं मौसी को बेडरूम में ले जाने की कोशिश कर रहा था लेकिन मौसी जाने को तैयार नहीं हो रही थीं.

फिर बहुत देर बाद मौसी ने बच्चों को सुला दिया और खुद भी सो गईं.
मैं लंड पकड़कर इधर उधर टहल रहा था लेकिन लंड को मौसी की चूत में डालने का मौका नहीं मिल रहा था.

शाम को मम्मी मार्केट चली गईं और मेरी बहन मौसी के बच्चों के साथ छत पर खेल रही थी.
मौसी उस टाइम बेडरूम में कुछ काम कर रही थीं.

बस फिर क्या था … मैं झट से मौक़ा देखकर मौसी के रूम में घुस गया और मैंने मौसी को दबोच लिया.
मेरी इस हरकत से मौसी एकदम से चौंक गईं. वो मुझे दूर हटाने की कोशिश करने लगीं- रोहित पागल हो गया क्या? छोड़ मुझे.
मैं- मौसी, अब मैं और सब्र नहीं कर सकता.

मैंने मौसी के बोबों को ज़ोर से दबा दिया.
आह … बहुत ही मस्त बोबे थे मौसी के!

इधर मेरा लंड मौसी की गांड में घुसने के लिए दबाव बनाने लगा था.
मैंने मौसी को बेड पर पटक दिया.
मौसी की डर के मारे गांड फटने लगी.

“रोहित … कोई आ जाएगा!”
मैं- कोई नहीं आएगा मौसी.

मैंने फटाफट से मौसी के लाल गुलाबी रसीले होंठों पर मेरे प्यासे होंठ रख दिए और मैं ताबड़तोड़ मौसी के होंठों का रस पीने लगा.

“ऑउच्च पुच्च ऑउच्च पुच्च पुच्च …” की आवाज़ों से कमरा गूँजने लगा.

उधर मैं मौसी के बोबों को रगड़ता हुआ मौसी के गुलाबी होंठों की चाशनी पी रहा था. इधर मेरा लंड मौसी की चूत ढूंढने में लगा था.

मैं मौसी की चूत में लंड डालता, उससे पहले ही सीढ़ियों से नीचे आने की आवाज़ आई.
उसी पल मौसी ने मुझे धक्का देकर दूर हटा दिया और उन्होंने अपनी साड़ी और ब्लाउज ठीक कर लिया.

फिर जल्दी ही वो रूम से बाहर भाग गईं.
साला आज भी मेरा लंड मौसी को चोदे बिना ही रह गया.

शाम को मौसी मुझसे गुस्सा करती हुई नज़र आ रही थीं.
“मैं कह रही थी ना कि कोई आ जाएगा … लेकिन तू तो मेरी बात ही नहीं सुन रहा था!”
मैं- सॉरी मौसी, मैं कुछ ज्यादा ही जल्दबाज़ी में था.

“ऐसी कौन सी जल्दबाज़ी यार … अगर रितिका सब कुछ देख लेती तो मेरी कितनी बदनामी होती?”
मैं- हां मौसी, सब कुछ बिगड़ जाता.

“अब मेरे साथ ऐसी कोई हरकत मत करना.”
मौसी मुझसे बहुत ज्यादा नाराज़ थीं.

अब मुझे मौसी की चूत मिलना भी मुश्किल नज़र आ रही थी.
फिर दो दिन ऐसे ही निकल गए.
मेरा लंड अभी भी प्यासा ही था.

मौसी अपनी चूत देने के मूड में नज़र नहीं आ रही थीं.

इस घटना के तीसरे दिन घर में और मेहमान आ गए. अब घर में जगह की कमी के कारण मम्मी ने मौसी के सोने का जुगाड़ ऊपर वाले कमरे में कर दिया.

मेरे सोने का जुगाड़ भी मौसी के पास वाले रूम में ही था.

रात को खाना खाने के बाद मौसी बच्चों को साथ लेकर रूम में आ गईं.
मौसी अब भी मुझसे नाराज़ थीं.

कुछ देर बाद बच्चे सो गए और मौसी मोबाइल चलाती रहीं.

मुझे हॉट मौसी की जवानी की सोच सोच कर नींद नहीं आ रही थी.
मैं हिम्मत करके मौसी के रूम में चला गया और मौसी से इधर उधर की बातें करने लगा.

मैं बेड के दूसरी ओर लेटकर मौसी को ताड़ रहा था. मेरा लंड मौसी की चूत के लिए फनफना रहा था.

फिर मैंने हिम्मत की और उठकर मौसी की बगल में लेट गया.
मैं मौसी को चोदने के लिए उतावला हो रहा था.

मैंने मौसी के बोबों पर हाथ रख दिया और धीरे धीरे मौसी के बोबों को मसलने लगा.
मौसी ने कोई प्रतिकिया नहीं दी, वे मोबाइल चलाती रही.

मैं मौसी के पेटीकोट में हाथ डालने लगा.

“रोहित, तू फिर से शुरू हो गया ना! मैंने तूझे समझाया था ना?”
“हां यार … लेकिन आज तो पूरा मौका है ना … अब आज तो आप मुझे मेरी प्यास बुझाने का मौक़ा दे दो!”

वे कुछ नहीं बोलीं, शायद उनका भी मूड बन गया था.
ऐसा सोचते ही मैंने मौसी के पेटीकोट में हाथ घुसा दिया और उनकी चूत मसलने लगा.

मौसी की चूत भट्टी की तरह जल रही थी.
अपनी चूत पर मेरा हाथ पाकर भी वो बिल्कुल चुप थीं. इसका मतलब साफ था.

इधर मेरा लंड मौसी की गांड में रगड़ खाने लगा.

तभी मैंने मौसी के बोबों को बुरी तरह से भींच दिया.
“ईससस्स …” एकदम से मौसी की सिसकारी निकल पड़ी.

मौसी मेरे हाथ को दूर हटाने लगीं- रोहित यार मत कर … मैं तुझे मना कर चुकी हूं!
“मौसी आप अब जो भी समझो, लेकिन अब मैं आपसे दूर नहीं रह सकता.”
यह कहकर मैंने मौसी को ज़ोर से कस लिया.

मौसी की खामोशी मेरे लंड को उकसाने लगी और मैंने मौसी की चूत को ज़ोर से कुरेद डाला.

“आईईईई सिसस्स … ओह रोहित मान जा ना यार.”
अब मौसी की ना में मुझे हां नज़र आ रही थी.

मैं मौसी की चूत और बोबों को बुरी तरह से मसलने लगा.
मौसी धीरे धीरे सिसकारियां भरने लगीं; उनका विरोध खत्म हो गया था और टांगें फैल गई थीं.

तभी मैंने मौसी को सीधा किया और मैं फटाक से मौसी के ऊपर चढ़ गया.
मैंने जल्दी से मौसी के रसीले गुलाबी होंठों पर मेरे प्यासे होंठ रगड़ दिए और ताबड़तोड़ मौसी के होंठों का रस पीने लगा.

कुछ ही देर में मौसी की चूत की आग भड़कने लगी और मौसी भी मेरे होंठों को अपने होंठों में फंसाने लगीं.

रूम आउच पुच्च पुच्च ऑउच्च पुच्च की आवाज़ों से गूंज उठा.
अब मुझसे से सब्र नहीं हो रहा था.

मैं मौसी के ब्लाउज के हुक खोलने लगा लेकिन मौसी ने मुझे रोक दिया- यहां बच्चे सो रहे हैं.
तो मैं मौसी का इशारा समझ गया और मैं तुरंत मौसी का हाथ पकड़कर उन्हें मेरे रूम में ले आया.

मैंने मौसी को फटाफट से बेड पर पटक कर उनके ब्लाउज के हुक खोल दिए और ब्रा को ऊपर सरका कर मौसी के बोबों को नंगा कर दिया.

“ओह मौसी बहुत ही मस्त बोबे हैं आपके … आह आज तो पूरा निचोड़ डालूंगा इनको.”

मैंने मौसी के बोबों को ज़ोर से अपनी दोनों हाथ की मुट्ठियों में कस लिया और बुरी तरह से मौसी के बोबों को निचोड़ने लगा.

मौसी के बोबों को इस तरह से दबाने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था.

“ओह मौसी! बहुत ही शानदार बोबे हैं आपके आहा!”
“धीरे धीरे दबा रोहित. क्या आज ही इनको उखाड़ने का इरादा है?”
“हां मौसी.”

मैं झमाझम मौसी के बोबों को मसल रहा था.
मौसी दर्द के मारे ऊँह ऊँह कर रही थीं.

कुछ देर में ही मौसी के बोबे लाल हो चुके थे.
मैंने जल्दी से मौसी के एक रसीले बोबे को मुँह में दबा लिया और किसी भूखे जानवर की तरह चूसने लगा.
मेरा दूसरा हाथ दूसरे बोबे की माँ चोदने में लगा था.

“आहा … मौसी बहुत ही मस्त स्वाद है आपके बोबे का आह मैं तो पागल सा होने लगा हूँ.”

यह सुनकर मौसी भी मेरे सर को थाम कर मुझको दूध पिलाने लगीं.

मैं फुल स्पीड में मौसी के बोबों का स्वाद ले रहा था.

दोस्तो, कल्पना मौसी सैट हो गई थीं अब उनकी चूत चुदाई की कहानी अगले भाग में लिखूँगा.
 

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युवा मौसी को सैट करके खूब चोदा– 2



दोस्तो नमस्कार!
मैं रोहित आपको अपनी कल्पना मौसी की जवानी को भोगने और चोदने की सेक्स कहानी से रूबरू करा रहा था.

कहानी के पहले भाग
मौसी की जवानी ने लंड हिला दिया
में अब तक आपने पढ़ा था कि कल्पना मौसी मुझसे सैट हो गई थीं और मैं उनके ऊपर चढ़ कर उनके दूध चूस रहा था.

अब आगे :

“ओह रोहित, चूस और चूस आहा! बहुत मज़ा आ रहा है आहा उन्ह.”
“हां मौसी … आज तो मैं आपके बोबों को पूरा पी जाऊंगा.”

तभी मैंने मौसी के बोबों को ज़ोर से झंझोड़ा और बुरी तरह से उन्हें मुँह में दबा डाला- उफ … बहुत रसीले हैं मौसी … आह!
“सिस्स … ये तो बाद में भी चूस लेना रोहित पहले तेरा हथियार अन्दर डाल दे यार … बहुत खुजली हो रही है. अब मुझसे और कंट्रोल नहीं हो रहा है.”
“हां मौसी, बस थोड़ी देर और रुक जाओ.”

मैंने मौसी के बोबों को थोड़ी देर और निचोड़ा और निशान दूसरी जगह लगाने के काम में लग गया.

मेरे लंड को मौसी की सबसे अनमोल चीज़ से मिलाने की बारी आ चुकी थी.

मैं फटाफट से मौसी की टांगों में आ गया और उनकी टांगों को ऊपर उठाकर उनकी चड्डी उतार कर फैंक दी.
मौसी की चड्डी खुलते ही चूत से महक मेरे नथुनों में नशा घोलने लगी.

मैंने भी अपना पजामा खोलकर मेरे मोटे तगड़े हथियार को बाहर निकाल लिया.

मैं मौसी की टांगों को ऊपर उठाकर उनकी गर्मागर्म चूत में लंड सैट करने लगा.
मुझे मौसी की चूत के आस-पास घनी झांटों का जंगल महसूस होने लगा.

“मौसी आप अपने खेत की फसल तो काट लिया करो.”
“हां यार, अबकी बार मैं काटना ही भूल गई. बहुत टाइम हो गया.”

मैंने मौसी की चूत के छेद में लंड सैट कर दिया और मौसी की टांगों को मेरे कंधों पर रखकर एक ज़ोर का झटका लगा दिया.

एक ही झटके में मेरा लंड मौसी की चूत के कसे हुए छेद को चीरता फाड़ता हुआ पूरा अन्दर घुस गया.

मेरे लंड के एक ही वार से मौसी सहम उठीं- अआईई मम्मी मर्रर्र गईईई … आईई आई ओह रोहित आई मेरी फट गई!
मेरा मोटा लंबा हथियार मौसी को बहुत भारी लगा.

मैं मौसी की टांगों को पकड़ कर चूत में लंड ठोकने लगा.
आहा … मौसी की चूत में घुसकर मेरे लंड को बहुत ज्यादा आराम मिल रहा था.
मुझे मौसी को चोदने में बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.

मौसी की दर्द भरी सिसकारियां कमरे में गूँजने लगी थीं- आई आह आई ओह धीरे धीरे आई … मर गई रे!
मैं बोला- एक बार चूत में लंड ठोकने के बाद कौन धीरे धीरे चोदता है यार?

खैर … मौसी को सब कुछ याद होते हुए भी वो धीरे धीरे चोदने के लिए कह रही थीं.

मैं तो मौसी को झमाझम बजा रहा था.
मेरे लंड के हर एक झटके के साथ ही मौसी के बोबे ज़ोर ज़ोर से हिल रहे थे.

“आईई आह्ह आह्ह आह्ह सिअस्स उँह आह्ह आह्ह सिसस्स ओह रोहित बहुत दर्द हो रहा है!”
“थोड़ा दर्द तो होता ही है मेरी कप्पो.”

कुछ देर बाद मौसी अकड़ने लगीं और कुछ ही पलों में मौसी की चूत में भूचाल आ गया.
उनकी चूत से गर्मागर्म लावा बाहर फूट पड़ा.

कूलर की ठण्डी हवा में मौसी पसीने से तरबतर हो चुकी थीं.

मेरा लंड मौसी के गर्मागर्म लावा में सन गया और लंड और भी अधिक गुस्सा करने लगा, अब मौसी की चूत के फटे हुए ज्वालामुखी में घमासान मचाने लगा.

थोड़ी देर बाद मैंने मौसी को बांहों में कस लिया और उनके पसीने से गीले जिस्म से चिपक कर उनकी गीली चूत में लंड ठोकने लगा- ओह मौसी बहुत मस्त हो आप … आह्ह बहुत मज़ा आ रहा है.

“आईई आई सिसस्स आह उन्ह … बस ऐसे ही चोद दे मुझे … आह्ह बहुत आराम मिल रहा है.”

मैं गांड हिला हिलाकर मौसी की चूत का भोसड़ा बनाने में लगा हुआ था.
मेरा मोटा लंबा हथियार मौसी की चूत की बखिया उधेड़ रहा था.

मौसी लगातार भावनाओं में बहती जा रही थीं.
वे अब फिर से गर्मा गई थीं और गांड उठाया कर मेरा लंड अपनी चूत में ठुकवा रही थीं- ओह मेरे राजा … ऊँह ओह सिससस्स आह्ह ज़ोर ज़ोर से पेल अपनी कप्पो रानी को … आह्ह उँह आज रुकना मत ईस्सस्स!

मैं अपनी पूरी झींक लगा कर कप्पो मौसी की चूत का कबाड़ा बनाने लगा हुआ था.

“ओह रोहित मर गईईई मैं तो.” तभी मौसी ने जोर से मेरी पीठ पर नाख़ून गाड़ दिए और कुछ ही पलों में मौसी फिर से पानी पानी हो गई थीं.
उनकी चूत फिर से सफ़ेद गाढ़े माल से भर चुकी थी.

मैं मौसी की चूत में ज़ोर ज़ोर से धक्के मार रहा था.
आज मेरा लंड रोके से भी नहीं रुक रहा था.
मैं कप्पो मौसी को ताबड़तोड़ बजाए जा रहा था.

मेरा लंड मौसी की हालत खराब कर चुका था.
मैं लंड की प्यास में उनको जमकर चोद रहा था.

“ओह मेरी जान … साले रुक जा … तूने कोई दवा खाई है क्या आह तुझे क्या मज़ा मिल रहा है … जरा सांस तो लेने दे. आह साले मेरी चूत को ढोलक सी बजाए जा रहा है.”
“आज मत रोको मेरी मौसी जान … आज तो आपकी चूत की खैर नहीं.”

लंड की लगातार पड़ती चोटों से मौसी की चूत फिर से लंड का सामना करने लगी.

यह कुदरत का कमाल है कि औरत एक बार के स्खलन से खत्म नहीं होती, वो वापस लंड से सामना करने लगती है.

“हां मेरे राजा, खूब बजा अपनी रानी को.” मौसी की चूत की आग उन्हें और ज्यादा उकसा रही थी.
ज़ोरदार ठुकाई के साथ उनकी चूत की आग और ज्यादा बढ़ती जा रही थी.

फिर बहुत देर की ताबड़तोड़ ठुकाई के बाद मेरा लंड हिचकोले खाने लगा.
मैं समझ गया था कि अब मेरा माल निकलने वाला है.

तभी मैंने मौसी की चूत में लंड ठहरा दिया और उनको ज़ोर से भींच लिया.

अगले कुछ ही पलों में मेरे लंड के उबाल से मौसी की चूत लबालब भर गई.

“ओह रोहित.” मौसी ने मुझे सीने से चिपका लिया.

सेक्सी मौसी की चूत चुदाई के बाद थोड़ी देर तक हम दोनों ऐसे ही चिपके हुए पड़े रहे.

पहले राउंड की ठुकाई के बाद मौसी बहुत ज्यादा थक चुकी थीं.
उन्होंने अपने कपड़े ठीक कर लिए और वापस अपने कमरे में जाने लगीं.

मैंने उन्हें हाथ पकड़ कर रोका और अपने पास खींच लिया.
मौसी मना करने लगीं और वो एक बच्चों को देखने जाने के लिए कहने लगीं.

मैंने उन्हें कसम दे दी और वो एक बार अपने बच्चों को देख कर वापस आ गईं.
उनके वापस आने का मतलब था कि वो मेरे लंड की मजबूती से खुश थीं और दुबारा चुदाई का सुख लेना चाहती थीं.

इधर मेरे लंड में बहुत ज्यादा आग बाकी थी.
उनके वापस आते ही मैं फिर से मौसी के गुलाबी होंठों पर बची हुई लिपस्टिक को चूसने लगा.

ऑउच्च पुच्च पुच्च ऑउच्च की आवाजें फिर से कमरे में गूँजने लगीं.
माहौल फिर से गर्म होने लगा था.

मैं रगड़ कर मौसी के होंठों को चूस रहा था.
अब मैं नीचे को सरका और मौसी के चिकने गले पर टूट पड़ा. मैं मौसी के गले पर ताबड़तोड़ किस करने लगा.

किस करने से मौसी की चूत फिर से भड़कने लगी.
मौसी भी मुझे अपनी बांहों में फंसाने लगीं.

इधर मेरा लंड फिर से लोहे की रॉड बनने लगा था.
मैं मौसी के बोबों की ओर लपका और मैंने दोनों बोबों को अपनी मुट्ठियों में भींचकर ज़ोर से मसल डाला.

“आई ओह मेरे राजा थोड़े आराम से. ये कहीं भागकर नहीं जा रहे हैं. यहीं तो हैं.”
“हां मेरी कप्पो रानी लेकिन मैं क्या करूं … मुझसे सब्र ही नहीं हो रहा है.”

मौसी बार बार मुझे बोबों को धीरे धीरे दबाने के लिए बोल रही थीं लेकिन मैं अपनी पूरी ताकत से मौसी के बोबों को निचोड़ रहा था.

“तू तो आज मेरे बोबों को तोड़कर ही मानेगा!”
“हां कप्पो डार्लिंग!”

मैंने मौसी के बोबों को मसल मसल कर बुरी तरह से निचोड़ डाला.

उनके मम्मों को पिलपिला करने के बाद मैंने मौसी के ब्लाउज और ब्रा को खोलकर उनके जिस्म से निकाल फेंका.

मेरी मौसी ऊपर से पूरी नंगी हो चुकी थीं.
मैं मौसी के रसीले आमों पर टूट पड़ा और उनके एक आम को अपने मुँह में दबाकर बोबे का स्वाद लेने लगा.

मौसी मेरे बालों को सहलाती हुई अपने दोनों बोबों का रस बारी बारी से मुझे पिला रही थीं.
मैं भी रगड़ रगड़ कर उनके बोबों को चूस रहा था.

“ओह रोहित, चूस ले आज जितनी तेरी मर्ज़ी हो आह्ह.”

मैंने बहुत देर तक मौसी के बोबों को झंझोड़ा.
उसके बाद मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया.

मौसी मेरा इरादा समझ चुकी थीं कि मैं उन्हें पूरी नंगी करना चाहता हूँ.
तभी मौसी ने गांड ऊपर उठा दी- हूँ … ले!

मैंने फटाक से मौसी की साड़ी और पेटीकोट और एक साथ खोल फेंका.
मैं मौसी को पूरी नंगी कर चुका था.

मैं उनकी मोटी मोटी चिकनी जांघों को किस करने लगा.
आहा … बहुत ही मलाईदार जांघें थीं मौसी की!
मैं तो पागल सा होने लगा.

मैंने थोड़ी देर तक मौसी की चिकनी जांघों पर किस किए और उनकी गांड के नीचे एक तकिया लगा दिया.

फिर उनकी टांगों को फैलाकर मैं चूत पर टूट पड़ा.
उनकी मादक चूत की कामुक गंध मुझे बौराए जा रही थी.
मैं मदांध होकर मौसी की चूत चाटने लगा.

मौसी की चूत की भीनी भीनी खुशबू मुझे पागल करने लगी.
उनकी गर्मागर्म चूत चाटने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.

मौसी भी धीरे धीरे अपनी गांड हिलाती हुई कामुक सिसकारियां ले रही थीं- ईसस्स ओह आह्ह ईस्स … उन्ह ओह मेरे राजा आह्ह मज़ा आ रहा है … और दबाकर चाट मेरी चूत … ईस्स!

मैं बुरी तरह से मौसी की चूत पर मुँह रगड़ रहा था.
गुलाबी चूत को चाटने मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.

मौसी कामातुर होकर बेड की चादर को मुट्ठियों में भींच रही थीं.

जल्दी ही मेरी जीभ चूत के ग़ुलाबी दाने को कुरेदने लगी.

“उन्हहः हः रोहित … वहां मत चाट … मेरा पानी निकल जाएगा … आह्ह.”
मौसी मुझे अपनी चूत से दूर हटाने की कोशिश करने लगीं लेकिन मैं उनकी चूत पर जम चुका था.

मैं सबड़ सबड़ कर चूत चाट रहा था.
मौसी अपनी टांगों को इधर उधर फेंक रही थीं.

तभी उन्होंने मेरे सर को पकड़ लिया और ज़ोर से उनकी चूत पर दबा दिया.
कुछ ही पलों में मौसी का पानी निकल गया.

मैं मौसी की चूत से निकलने वाले नमकीन और गर्मागर्म पानी को चाटने लगा.

मैंने थोड़ी ही देर में चूत को चाटकर साफ कर दिया.

मेरा लंड अब फिर से मौसी की चूत में घुसने के लिए कुलाँचें भर रहा था.
मैंने जल्दी से उनकी टांगों को अपने दोनों कंधों पर रखा और तुरन्त ही लंड को चूत के छेद में घिसने लगा.

“आह … साले बहुत शैतान है तू, मेरी छोटी सी बात भी नहीं मानी. पानी निकालकर ही माना मेरा.”
“चूत का पानी निकालने के लिए शैतान तो बनना ही पड़ता मौसी.”

तभी मैंने ज़ोर का झटका मारा और मेरा लंड मौसी की चूत में दनदनाता हुआ घुस गया.

लंड पेल कर मैं फिर से ज़ोर ज़ोर से झटके मारकर मौसी को बजाने लगा.

मेरे लंड के वार से मौसी फिर से हवा में उड़ने लगीं- आई ईस्स … आह्ह आह्ह उँह एकदम से पेल दिया … आह साले जरा तो रहम कर अपनी मौसी की चूत पर … आज ही इसका भोसड़ा बना देगा क्या?
मैंने कहा- जब दो दो औलादें चूत से निकाल दीं, तब चूत ढीली नहीं हुई तो मेरा लंड कैसे चूत का भोसड़ा बनाएगा?

मौसी हंस कर बोलीं- तू दिमाग से पैदल है मेरी जान … और लंड से मजबूत है. मेरी चूत से मेरी औलादों ने मुँह बाहर नहीं निकाला है … मेरे दोनों बच्चे ऑपरेशन से पैदा हुए हैं.
अब मुझे मौसी की कसी हुई चूत का राज मालूम पड़ा था.

मेरे लंड के हर एक झटके से मौसी की चूत बुरी तरह से घायल हो रही थी. मेरा लंड मौसी की चूत की जड़ तक वार कर रहा था.

“ओह मेरे राजा! बहुत आह्ह मज़ा आ रहा है … ओह आह्ह आज बहुत टाइम बाद मुझे आज चुदवाने में इतना मज़ा आ रहा है … आह्ह आह्ह और ज़ोर ज़ोर से चोद मुझे.”
“हां मेरी रानी … आज तो तुझे पूरी रात भर बजाऊंगा.”

मौसी घपाघप मेरा लंड चूत में ले रही थीं.
मैं भी ताबड़तोड़ मौसी की चूत में लंड पेल रहा था. दोनों तरफ बराबर आग लगी हुई थी.

ताबड़तोड़ ठुकाई से मौसी की चूत की आग और ज्यादा भड़क चुकी थी.
तभी मौसी का पानी निकल गया.

दोस्तो, आपको मौसी की चुदाई की कहानी में मजा आया होगा. अपने कमेंट्स से मुझे बताएं.

अभी सेक्सी मौसी की चूत चुदाई चालू है.
उसके बाद उनकी गांड चुदाई की कहानी भी बाकी है. वो मैं अगले अंक में लिखूँगा.
 
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युवा मौसी को सैट करके खूब चोदा– 3



फ्रेंड्स, मैं रोहित आपको अपनी कल्पना मौसी की चुदाई की कहानी सुना रहा था.

कहानी के दूसरे भाग

में अब तक आपने पढ़ा था कि कल्पना मौसी को पूरी नंगी करके मैंने चोदना शुरू किया, तो कुछ ही देर में वो झड़ गई थीं.
लेकिन मेरे लंड की भूख अभी इतनी जल्दी कैसे शांत होने वाली थी.

अब आगे:

मेरे लंड के झटकों से मौसी की चूत का पानी उछल उछल कर बाहर आने लगा. मेरे ज़ोरदार झटकों से बेड बुरी तरह से हिल रहा था.

“आईई आह्ह आह्ह ईसस्स आह आह्ह उन्ह ओह रुक जा बदमाश.”

मैं नहीं रुका और मौसी दोबारा से गर्मा गईं. इस तरह से मैंने मौसी को बहुत देर तक ऐसे ही बजाया.

अब मैं फिर से मौसी के ऊपर चढ़ गया और लंड पकड़ कर मौसी के मुँह में देने लगा.

मौसी मेरा इरादा समझ गईं और उन्होंने मुँह खोल दिया.
मैं आगे झुककर मौसी के मुँह में लंड पेल कर घपाघप करने लगा.

मौसी के मुँह को चोदने में मुझे चूत चोदने सा मज़ा मिल रहा था.

मैं गांड हिला हिलाकर मौसी के मुँह में लंड पेले जा रहा था- ओह मौसी आह्ह!

इस वक्त मौसी के मुँह की ठुकाई का गज़ब का माहौल बन रहा था.

मैंने मौसी के मुँह में लंड पेलने के बाद उनको पलट दिया.

अब मेरे सामने मौसी की गोरी चिकनी पीठ और मस्त शानदार गांड थी.

मैं लंड की तड़प मिटाने के लिए तुरंत मौसी पर चढ़ गया और उनके कंधों और कानों को चूमने लगा.

“उन्हह ईस्स आह्ह.”

मैं बड़ी बेताबी से मौसी के सेक्सी जिस्म को चूम रहा था.
इधर मेरा लंड मौसी की गांड में घुसने के लिए दबाव बना रहा था.

“पुच्च पुच्च आउच पुच्च पुच्च” की आवाजें ज़ोर ज़ोर से कमरे में गूंज रही थीं.
मैं मौसी के जिस्म को चूमने चाटने में पागल हो रहा था.

जल्दी ही मौसी की चिकनी पीठ मेरे थूक से गीली हो चुकी थी.

मैं कामांध सांड सा लगा हुआ था.
मुझे यूं लग रहा था कि आज के बाद मौसी की चूत कभी नहीं मिलेगी या ये ही दुनिया की आखिरी चूत है.

मैं मौसी के चिकने और सेक्सी चूतड़ों पर चुम्मियाँ करने लगा.

आहा … बहुत ही गज़ब के चूतड़ थे मौसी के … एकदम गोल, सुडौल और चिकने.
मैं बुरी तरह से मौसी के चूतड़ों को किस कर रहा था.

तभी मौसी गांड को इधर उधर हिलाने लगी लेकिन मैंने उनकी गांड को दबा दिया.

फिर कुछ ही देर में मौसी की गांड को किस करके मेरा लंड तृप्त हो गया.
अब मौसी को घोड़ी बनाकर बजाने का प्लान मेरे दिमाग में घूमने लगा.

मैंने मौसी से घोड़ी बनने के लिए कहा.

“अब मुझे घोड़ी भी बनाएगा क्या?”
“हां मौसी.”

“ऐसे ही चोद ले ना मेरे राजा. क्यों मुझे और परेशान कर रहा है?”
“मौसी मुझे आपको घोड़ी बनाने की बहुत इच्छा हो रही है. प्लीज बनो ना घोड़ी!”

अब मौसी बेचारी क्या करतीं, वो मेरी ज़िद के आगे झुक गईं और तुरंत बेड पर घोड़ी बन गईं.

“ले, चढ़ जा अब अपनी घोड़ी पर.”

मैंने झट से मौसी की चूत में लंड सैट कर दिया और मौसी की कमर को पकड़ कर ज़ोर से उनकी चूत में लंड ठोक दिया.

चूत में लंड की दस्तक होते ही मौसी की फिर से चीख निकल पड़ी “आईई , आह्ह … ओह मेरे राजा.”

मेरा लंड एक ही झटके में पूरा मौसी की चूत में घुस चुका था.

मैं मौसी की कमर पकड़ कर दे दनादन करते हुए उन्हें चोदने लगा.

मेरा लंड झमाझम मौसी की चूत में अन्दर बाहर हो रहा था. मौसी मेरे लंड के झटकों के साथ ही बुरी तरह से हिल रही थीं.

“आई आह उईई … ओह मेरे राजा.”
“हां मेरी रानी, तुझे घोड़ी बनाकर पेलने में बहुत ही मज़ा आ रहा है … आह्ह.”
“जैसी तेरी मर्ज़ी हो, वैसे बजा ले तेरी रानी को. मैं तो आज तुझसे चुदकर धन्य हो रही हूं.”

मैं ज़ोर जोर से मौसी की चूत में लंड पेल रहा था.

मौसी को घोड़ी बनाकर बजाने में मुझे बहुत ही ज्यादा मज़ा आ रहा था.
मेरा लंड मौसी की चूत के गुलाबी हिस्से को बाहर निकालने लग गया था.

मेरे लंड की ठुकाई से मौसी बुरी तरह से पसीने पसीने हो रही थीं लेकिन चूत की आग बुझाने के लिए मौसी आज सब कुछ सहने को तैयार थीं.

तभी कुछ देर बाद मौसी कांपने सी लगीं और जल्दी ही मौसी की चूत में से गर्मागर्म लावा फूट पड़ा.

मेरे लंड के धक्कों से मौसी का लावा नीचे टपकने लगा.
मौसी की दर्द भरी सिसकारियां माहौल को और ज्यादा गर्म कर रही थीं- आह्ह आह्ह आह्ह … ईस्स आह्ह ओह मेरे राजा.

मैं मौसी को पूरी ताकत से बजा रहा था.
मौसी की चूत से गर्मागर्म माल निकल कर उनकी जांघों से होता हुआ बेड की चादर पर गिर रहा था.
वे दर्द से कराहती हुई जमकर चूत में लंड ले रही थीं.

थोड़ी देर बाद मैं मौसी को बेड से उतारकर नीचे ले आया.
वे बेड को पकड़कर फिर से घोड़ी बन गईं.

मैं फिर से मौसी को बजाने लगा.

“आह्ह आह्ह आह्ह … रोहित बहुत अच्छा लग रहा है … आह्ह.”
“अच्छा तो लगेगा ही मौसी … मेरा इतना मस्त हथियार जो है.”
“हां मेरे राजा.”

मैं गांड हिला हिलाकर मौसी की चूत में जमकर लंड ठोक रहा था.

तभी मौसी को अजीब सी सिहरन सी हुई और ताबड़तोड़ ठुकाई के बाद वो फिर से पानी पानी हो गईं.
मैं मौसी की चूत को बुरी तरह से पेल चुका था.

अब मेरी नज़र मौसी की गांड पर टिकने लगी.

मैं बेड पर बैठ गया और मौसी से लंड चूसने के लिए कहा.

मौसी नीचे बैठ गईं और मेरे लंड को हाथ में लेकर मसलने लगीं.

“बहुत ही मस्त हथियार है यार … तेरा तो झड़ने का नाम ही लेता है!”
“हां मौसी, अब से ये सिर्फ आपका है … जब मन करे, तब मांग लेना. मेरा हथियार हमेशा आपके लिए तैयार रहेगा.”

“अच्छा!”
“हां मौसी.”
“टाइम आने दे, फिर देखती हूं मैं!”
“हां हां … देख लेना.”

तभी मौसी ने मेरा लंड मुँह में लिया और लपालप मेरे लंड को चूसने लगीं.

मैं मौसी के बालों को सम्हाल रहा था.
वे झमाझम मेरे लंड को चूस रही थीं.

मौसी को देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वो लंबे टाइम से लंड की भूखी हों.
वे भूखी शेरनी की तरह मेरे लंड पर टूट रही थीं.

“ओह मौसी, बहुत अच्छा लग रहा है. आह्ह बस ऐसे ही मज़े देती रहो. ओह मौसी आप तो गज़ब की खिलाड़िन निकलीं.”

धीरे धीरे मौसी की स्पीड बढ़ती जा रही थी.
वे चूस चूसकर मेरे लंड को गीला कर चुकी थीं.

मैंने भी लंड को मौसी के लिए फ्री छोड़ दिया था- ओह मौसी, जितनी मर्ज़ी हो उतनी देर तक चूसो. मुझे कोई जल्दबाज़ी नहीं है.

मौसी अलग अलग तरीके से मेरा लंड चूस रही थीं.
उनके लंड चूसने की स्टाइल का मैं भी कायल हो रहा था.

लंड चूसने के लिए मौसी में अलग जोश चढ़ा हुआ था.

अब मैं खड़ा हो गया और मौसी के मुँह में लंड ठोक दिया और खड़े खड़े उनके मुँह को चोदने लगा.

मौसी चुपचाप मुँह में लंड ठुकवा रही थी.
तभी मेरा लंड हिचकोले खाने लगा और मैंने झट से मौसी के मुँह लंड फंसा दिया.

मौसी मेरे लंड को बाहर निकालने की कोशिश करने लगीं लेकिन मैंने लंड बाहर निकाला ही नहीं.

कुछ ही पलों में मेरे लंड का माल निकल गया.
अब बेचारी मौसी क्या करतीं … मजबूरी में मौसी ने मेरे लंड का पूरा माल पी लिया.

कुछ देर बाद मैंने लंड को बाहर निकाला.

“कमीने, बाहर ही निकाल देता ना?”
“बाहर निकालता तो फिर आप मेरे लंड का रस कैसे पीतीं? और आपको लंड का रस पिलाना ज़रूरी था मौसी.”

“बहुत कमीना निकला तू.”
यह कह कर मौसी फिर से मेरा लंड चूसने लगीं और कुछ देर में ही मौसी ने मेरा लंड खड़ा कर दिया.

अब मैंने मौसी को खड़ा किया और फिर से मौसी को घोड़ी बनने के लिए कहा.

“अभी तो थोड़ी देर पहले ही तूने घोड़ी बनाया था, अब फिर से घोड़ी?”
“हां मौसी.”

मौसी फिर से बेड को पकड़ कर घोड़ी बन गईं.
मैं मौसी की गांड में लंड सैट करने लगा, तभी मौसी मेरा इरादा समझ गईं और खड़ी हो गईं.

“रोहित यार, मैं गांड में नहीं डलवाऊंगी.”
“डालने दो ना मौसी. आपकी गांड मारने की मेरी बहुत ज्यादा इच्छा हो रही है.”

“नहीं यार गांड में बिल्कुल नहीं. बहुत दर्द होता है गांड में … इसके बदले तू जितनी तेरी मर्ज़ी हो उतनी चूत चोद ले, मैं बिल्कुल भी मना नहीं करूँगी.”
“चूत तो मैंने बहुत देर तक चोद ली मौसी. अब तो बस आपकी गांड ही बाकी है. अब गांड तो आपको देनी ही पड़ेगी.”

“नहीं यार रोहित, प्लीज मेरी गांड मत ले.”
“गांड तो लेनी ही पड़ेगी मौसी.”

मौसी गांड देने के लिए बार बार मना कर रही थीं लेकिन फिर मैंने मौसी को गांड मराने के लिए पटा ही लिया.

अब मौसी फिर से घोड़ी बन गईं.
मैं मौसी की गांड के सुराख़ में थूक लगाकर लंड सैट करने लगा.

“धीरे धीरे डालना रोहित. मुझे तो बहुत डर लग रहा है.”
“चिंता मत करो मौसी. मैं आराम से डालूंगा.”

अब मेरा लंड मौसी की गांड में सैट हो चुका था.
मैंने उनकी कमर को कसकर पकड़ा और एक ज़ोर के झटके से मौसी की गांड में लंड ठोक दिया.

गांड में लंड ठुकते ही मौसी ज़ोर से चीख पड़ीं- आईईई मम्मी मर्र गईई रे आईई ओह रोहित बहुत दर्द हो रहा है … आई बाहर निकाल ले लंड!

मैंने लंड बाहर निकाला और फिर से मौसी की गांड में लंड ठोक दिया.
मैं मौसी की कमर पकड़ कर ताबड़तोड़ गांड मारने लगा.

मौसी की टाइट गांड मारने में मुझे बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था.

दर्द के मारे मौसी का हाल बेहाल हो रहा था- आई आईई आईई ईई आह्ह धीरे धीरे डाल मेरे राजा … आई आई आह्ह … तुझे आज अपनी रानी को मारने का ही इरादा है क्या?
“ज़ोर ज़ोर से ही डालने दे मेरी रानी. तेरी गांड मारने में बहुत मज़ा आ रहा है. आह्ह बहुत मस्त गांड है.”

ताबड़तोड़ धक्कमपेल से मेरा लंड अब मौसी की गांड के अंतिम छोर तक पहुँच चुका था.
मैं मौसी की गांड मारने का पूरा मज़ा ले रहा था.

मेरे लंड का कहर वो ज्यादा देर तक नहीं झेल पाईं और कुछ ही देर में मौसी की चूत से गाढ़ा पानी नीचे बहने लगा.

मेरे लंड की ताबड़तोड़ ठुकाई से जल्दी ही मौसी का पानी निकल चुका था मगर मैं अभी भी मौसी की गांड में दे दनादन लंड पेल रहा था.

मौसी की दर्द भरी चीखें मेरे लंड को और ज्यादा उकसा रही थीं- आईईई आह्ह उन्ह ओह राजा … तूने तो मेरी गांड को भी नहीं छोड़ा … वो भी मार ली.

“हां मेरी रानी, तुझे मज़ा तो आ रहा है ना?
“हूं … अब आने लगा है. पहले बहुत दर्द हुआ.”
“चल फिर तो अच्छा है.”

मैं मस्ती से मौसी की गांड ठुकाई कर रहा था.
मेरी मौसी भी मज़े से गांड मरवा रही थीं.

आंटी ऐनल फक़ से उनकी दर्द भरी चीखें अब मस्ती से आह्ह आह्ह में बदल चुकी थीं.

मैंने बहुत देर तक मौसी की गांड मारी.
फिर मैं मौसी को उठाकर वापस बेड पर ले आया और उनकी टांगों को खोल दिया.

मैंने तुरंत मौसी की चूत के छेद में लंड फंसाया और फिर से मौसी को ताबड़तोड़ चोदने लग गया.

मेरा लंड फिर से मौसी की चूत में घमासान मचाने लगा- आह्ह आह्ह सिसस्स आह्ह आह्ह सिसस्स उन्ह ओह आह्ह!

मौसी की चुदकर हालत खराब हो चुकी थी.
अब तो मौसी के जिस्म में मेरे लंड को झेलने की ताकत ही नहीं थी.

इधर मेरा लंड रुकने का नाम नहीं ले रहा था.
तभी एक बार फिर से मौसी का पानी निकल गया.

मेरा लंड फिर से मौसी की चूत के पानी में भीग चुका था- आह्ह आह्ह सिसस्स आह्ह ओह उन्ह बसस्स्स रोहित अब मत चोद!
“बसस्स थोड़ी देर और मौसी.”

मैं बहुत देर तक मौसी को बजाता रहा.
फिर मैंने लंड को मौसी की चूत में लंड के पानी छोड़ दिया.

मैं पसीने से लथपथ होकर मौसी के जिस्म से लिपट गया.

बहुत देर तक हम दोनों लिपटे रहे.

आज मैं मौसी को चोदक़र बहुत खुश था और मौसी भी मुझसे चूत की आग बुझवाकर बहुत खुश थीं.

कुछ देर बाद मौसी ने उठकर फर्श और चादर पर लगे दागों को साफ किया.

इसके बाद मौसी वापस उनके कमरे में जाने लगीं लेकिन मैंने उनको नहीं जाने दिया.
मौसी एक बार चुपके से अपने बच्चों को देख कर वापस आ गईं और मेरे साथ ही नंगी सो गईं.

सुबह होते होते मैंने मौसी को एक बार फिर से बजाया.

मुझसे जल्दी से चुदवाकार मौसी कपड़े उठाकर उनके कमरे में चली गईं.

मैं गहरी नींद में सो गया. कब सुबह हुई, मुझे पता ही नहीं चला.
 

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फार्म हाउस में घमासान सामूहिक चुदाई


मैं रेहाना हूँ दोस्तो, 25 साल की एक मदमस्त शादीशुदा औरत। मैं एक पढ़ी लिखी, खूबसूरत और हॉट बीवी हूँ।
मेरा ताल्लुक एक बड़े खानदान से है।

मैं अपने काम में बहुत तेज हूँ, बोलती भी खूब हूँ और समझदार तो बेमिसाल हूँ।
हां, मैं मुंहफट भी हूँ, निडर भी और बोल्ड भी हूँ। आप इसे अच्छाई है कहें या बुराई … मुझे गालियां देने का बड़ा शौक है।

मुझे सबसे ज्यादा मज़ा सेक्स में आता है।
मैं सेक्स करती भी खूब हूँ और करवाती भी खूब हूँ। मुझे सेक्स की बातें करना बहुत अच्छा लगता है।

अब मेरी कहानी का मजा लें.

मेरी शादी अभी कुछ दिन पहले ही हुई है। मैं अपनी सुहागरात मनाकर आजकल अपने मायके आई हुई हूँ.

मेरी खाला जान की बेटी सुहाना है वह भी मेरी ही उम्र की है और उसकी भी शादी अभी 2 महीने पहले ही हुई है। वह भी अपनी सुहागरात मनाकर आई है।
इसी तरह मेरी फूफी जान की बेटी तराना भी अपनी सुहागरात मनाकर अभी कल ही अपनी ससुराल से आई है।

हम तीनों आपस में पक्की सहलियां हैं। हमारा तालमेल बहुत अच्छा है। हम एक दूसरे से कुछ भी नहीं छुपातीं, सब एक दूसरे को खुल्लम खुल्ला बता देतीं हैं।
यहाँ तक की कब हमने क्या किया? कब हमने अपनी झांटें बनाई? कब किसका लंड पकड़ा? कब किससे कैसे चुदवाया? कब किसके लंड का मुठ मारा वगैरह वगैरह सब बता देतीं हैं।

इसीलिए हम जब मिलतीं हैं तो दिल खोल कर बातें करतीं हैं।

एक दिन हम तीनों मिल कर बातें करने लगीं.
बातें बड़ी मजेदार होने लगीं।

इसी बीच मैंने पूछा- यार सुहाना, सुना है कल तूने अपनी माँ चुदवाई?
वह बोली- हां यार, तूने सही सुना है। कल रात को मैं अपने देवर के साथ बिस्तर पर लेटी थी। मेरे बगल में मेरा देवर लेटा था। तो फिर रात में मेरा हाथ अपने आप ही उसके लंड पर चला गया। मैंने उसका नाड़ा खोला और लंड बाहर निकाल कर सहलाने लगी, लंड खड़ा होने लगा। उधर वह भी भोसड़ी का मेरी अम्मी की चूचियाँ दबाने लगा और फिर अपना हाथ अम्मी की चूत पर ले गया। अब इधर मैं उधर अम्मी बीच में मेरा देवर! मैं उसका लंड चाटने लगी तो वह मेरी अम्मी की चूत चाटने लगा। मेरी नज़र जब अम्मी के भोसड़े पर पड़ी तो मैं समझ गयी कि उसका भोसड़ा कुछ ज्यादा ही चुदासा है। फिर मैंने उसका लंड अपनी माँ के भोसड़ा पर टिका दिया और ऊपर से उसके चूतड़ दबा दिया। लंड गच्च से घुस गया मेरी माँ की चूत में।
तो अम्मी बोली- अरे बुरचोदी सुहाना, लगता है कि आज तू अपनी माँ चुदवा कर ही मानेगी।
मैंने कहा- हां अब तो मैं चुदवा कर ही मानूंगी तेरी चूत। जानती हो अम्मी जान, मैंने क्यों पेला अपने देवर का लंड तेरी चूत में? क्योंकि उस दिन तुमने अपने देवर का लंड मेरी चूत में पेला था। उस दिन तूने मेरी चूत फड़वाई थी तो आज मैं तेरी चूत फड़वाऊंगी।
अम्मी मेरी बात पर हंसने लगीं बोली तू भी बुरचोदी सुहाना बिल्कुल मेरी ही तरह है।

मैंने कहा- यार तराना, लगता है तू भी अपनी माँ चुदवाकर आई है?
वह बोली- हां यार, बिल्कुल चुदवाकर आई हूँ। जब से मैं ससुराल से आई हूँ तबसे हर रोज़ रात में मैं किसी न किसी की चूत चुदवा रही हूँ। लंड पेल रही हूँ किसी न किसी की चूत में! कल मैंने अपने मामू जान का लंड अपनी भाभीजान की चूत में पेला था। भाभीजान के लिए उसका लंड नया था और मामू जान के लिए उसकी चूत नई थी। दोनों ने खूब एन्जॉय किया। आज मैं अपने खालू का लंड अपनी माँ की चूत में पेल कर आई हूँ। पहले तो खालू ने मुझे चोदा, पूरा लौड़ा पेल पेल कर चोदा। तब अम्मी जान घर पर नहीं थीं। जब वह आईं तो मैंने मौक़ा देख कर खालू का लंड अम्मी की चूत में घुसा दिया। मेरे और अम्मी के बीच में लंड की पेला पेली होती रहती है।

मैंने कहा- यार, माँ तो मैं भी चुदवाती हूँ अपनी! हमारे घर में अक़सर सामूहिक चुदाई होती है। अब सुनो यहाँ हम तीनों हैं लेकिन शौहर किसी का नहीं है। चुदासी मैं भी हूँ और चुदाई तुम दोनों भी हो। तो फिर क्यों हम तीनों एक साथ चुदाई का मज़ा लें?

सुहाना बोली- हां यार रेहाना, तू सही कह रही है। हम सबने अपनी अपनी चूत खूब चुदवाई तो है पर हमेशा अलग अलग? मुझ नहीं मालूम कि तू कैसे चुदवाती है और तराना कैसे चुदवाती है। तुमको नहीं मालूम कि मैं कैसे चुदवाती हूँ? क्यों न हम लोग एक दूसरी से कुछ सीखें? पर यह सब होगा कहाँ, रेहाना?

मैंने कहा- हमारा एक फार्म हाउस है। वहां सारा इंतज़ाम है। बस हमें लंड का इंतज़ाम करना है बाकी सब फोन पर ही हो जायेगा।
तराना बोली- एक लंड तो मेरे बहनोई इमरान का लंड है।
सुहाना बोली- एक मेरे देवर रज़ा का लंड है.
तब मैंने भी कहा- एक लंड मेरे ननदोई अरमान का है।

सुहाना बोली- तो फिर हम सब अम्मी से यह कह कर की हम एक पार्टी में जा रहीं हैं कल सवेरे ही आएंगीं, फार्म हाउस पहुँच जातीं हैं।
तराना बोली- हां बिल्कुल सही है। अम्मी जान तो खुद ही भोसड़ी वाली किसी न किसी से चुदवाने के जुगाड़ में होंगी। मैं जानती हूँ कि मेरी अम्मी जान पराये लंड की कितनी बड़ी दीवानी हैं।

सुहाना बोली- मेरी अम्मी जान तो बुरचोदी कभी कभी दूध वाले और सब्जी वाले से भी चुदवा लेती है।

हम तीनों हंस पड़ीं।

फिर मैंने फ़टाफ़ट सब इंतज़ाम कर लिया ड्रिंक्स का भी, चुदाई के सारे सामान का भी और डिनर का भी।

फार्म हाउस की चाभी मेरे पास ही थी, हम तीनों उसमें दाखिल हो गयीं और साथ में हमारे अपने अपने लंड वाले लड़के भी।
यानि अरमान, रज़ा और इमरान।

हम सब एक जगह टेबल पर गोल बनाकर बैठ गए।
इधर हम तीनों ने ड्रिंक्स के पैग बनाये सबको पकड़ा दिया।

अब हम सब ड्रिंक्स के साथ बातें करने लगे।
होना क्या है यह तो सबको मालूम ही था पर थोड़ा मस्ती करना भी जरूरी था।

हम लड़कियां लड़कों को बड़े गौर से देखने लगीं और वो लोग भी हमको बड़े गौर से घूर घूर कर देखने लगे।

मेरा टारगेट था रज़ा और इमरान का लंड!
सुहाना का टारगेट था इमरान और अरमान का लंड!
तराना का टारगेट था रज़ा और अरमान का लंड।

रज़ा मेरी और तराना की चूत के जुगाड़ में था.
अरमान भी सुहाना और तराना की चूत में लंड पेलने के फ़िराक में था.
इमरान भी इसी तरह सुहाना की चूत और मेरी चूत जल्दी से जल्दी चोदने के चक्कर में था।

उत्तेजना सबकी बढ़ रही थी।
चूत सबकी गर्म हो चुकी थी और लंड सबके पजामा के अंदर करवटें बदलने लगे थे।

मैंने कहा- रज़ा, तूने अपनी भाभी यानि सुहाना की चूत चोदी है? अगर चोदी है तो तुम सुहाना की चूत या चूची की कोई ऐसी निशानी बताओ जिससे मालूम हो तुमने वाकई इसकी चूत चोदी है।
वह बोला- सुहाना भाभी की चूत के दाहिनी तरफ एक काला मस्सा है।

मैंने कहा- सुहाना, अब तुम वह मस्सा हम सबको दिखाओ?
उसने दिखाया।
मस्सा वाकयी था।

सबने तालियां बजाईं।

मैंने कहा- इमरान, अब तुम तराना की कोई निशानी बताओ।
वह बोला- तराना भाभी की बाईं चूची के ठीक नीचे एक काला तिल है।

तराना ने वह तिल दिखाया तो सबने खूब तालियां बजाईं।

फिर सुहाना ने पूछा- अरमान अब तुम अपनी रेहाना भाभी की कोई निशानी बताओ?
वह बोला- रेहाना भाभी की गांड के छेद से एक इंच ऊपर की तरफ एक काला तिल है। यह शायद रेहाना भाभी को भी नहीं मालूम! मैं जब एक दिन उसे पीछे से चोद रहा था तब मैंने देखा।

फिर मैंने अपनी गांड सबको दिखाई।
तिल वाकयी था।
मुझे भी पहली बार इसकी जानकारी हुई।
सबने खूब तालियां मारीं।

अब माहौल बुरी तरह गर्म हो चुका था।

मैंने तो सुहाना के देवर रज़ा के पाजामे में हाथ डाल दिया।
सुहाना ने तराना के बहनोई के पजामा में हाथ घुसेड़ दिया और तब तराना ने मेरे ननदोई अरमान के पजामा का नाड़ा खोला और गप्प से हाथ घुसा दिया।

हम तीनों अंदर ही अंदर लंड पकड़ कर सहलाने लगीं और एक दूसरे को देख देख कर मुस्कराने लगीं।
फिर एकदम से सबने पजामा खोल कर फेंका और लंड बाहर खींच लिया।
तीनों लंड फनफनाकर खड़े हो गए।

हम तीनों लंड बड़े प्यार से पकड़ कर आगे पीछे करने लगीं; मुट्ठी में लेकर लंड ऊपर नीचे करने लगीं.

पहली बार हम लोग तीन तीन टनटनाते हुए लंड एक साथ देख रहीं थीं तो एक्साइटमेंट और बढ़ गयी।

फिर उन तीनों ने मिलकर हम तीनों के कपड़े उतार फेंके।
हम लोग भी बड़ी बेशर्मी से नंगी हो गयीं।

तीन तीन मस्त जवान खूबसूरत बीवियां एक साथ नंगी नंगी देख कर सबके लंड में गज़ब का उछाल आ गया।

रज़ा बोला- रेहाना भाभी, तुम तो बिल्कुल सारा अली खान जैसी दिख रही हो। इतनी बड़ी बड़ी चूचियों की और मस्तानी चूत की मालकिन हो तुम!
इमरान बोला- हाय मेरी सुहाना भाभी, तुम भी एकदम नूरा फ़तेही लग रही हो? मन करता है कि 3-4 लंड तेरे जिस्म के हर छेद में घुसा दूँ।
तब तक अरमान बोला- वाह मेरी तराना भाभी जान, तुम तो कियाना आडवाणी लग रही हो। खुदा कसम बहुत हॉट लग रही हो तुम। मन करता है कि तुम्हें दिन रात चोदता रहूं … पेलता रहूं तेरी चूत में लंड पे लंड!

मैं सुहाना के देवर का लंड चूसने लगी, सुहाना तराना के बहनोई का लंड चूसने लगी और तराना मेरे ननदोई का लंड चूसने लगी।
हम एक दूसरे को लंड चूसते हुए देखने लगीं और जानने भी लगी कि कौन किस तरह से लंड चूसती है.

सुहाना का देवर मेरी चूत चाटने लगा, मेरी गांड चाटने लगा, मेरी बूब्स चाटने लगा, मेरी जाँघों पर और मेरी चूत के चारों तरफ अपनी जबान फिराने लगा।
मैं भी बड़े मजे से उसके लंड से खेलने लगी।

मुझे ग़ैर मर्दों के लंड से खेलने में बड़ा मज़ा आता है।

तब तक आधी रात हो चुकी थी।
रात में चुदाई का खेल बहुत ज्यादा अच्छा लगता है; रोमांस दूना हो जाता है।

मैंने पूछा- रज़ा, तुम अपनी भाभी सुहाना की चूत के अलावा और किस किस की चूत चोदते हो?
वह बोला- मुझे जिसकी चूत मिल जाती है उसकी चूत चोद लेता हूँ। दोस्तों की बीवियां भी चोदता हूँ और उनकी बहनों की चूत भी!

मैंने फिर पूछा- अपनी माँ को किसी और से चुदवाते हुए देखा है कभी?
वह बोला- हां, दो बार देखा है। मेरी माँ बड़ी चुदक्कड़ है। उसने मुझे भी फूफी का भोसड़ा चोदते हुए देखा है।

इन बातों ने माहौल को और गर्मा दिया।

फिर रज़ा ने पेल दिया लंड मेरी चूत में और भचाभच चोदने लगा।
इमरान सुहाना की चूत चोदने लगा और अरमान ने तराना की चूत में लंड पेल दिया।

तराना भी रंडी की तरह चुदवाने लगी।

अब कमरे में तीन तीन चूत एक साथ चुदने लगीं।

मुझे अपनी चूत के अलावा दूसरे की चूत चुदती हुई देखने में और मज़ा आने लगा।
यह मज़ा सिर्फ सामूहिक चुदाई में ही आता है और सामूहिक चुदाई के लिए फार्म हाउस से बढ़िया कोई और जगह नहीं है, एकदम एकांत है जहाँ हम लोगों के अलावा और कोई नहीं है।
पूरी आज़ादी है यहाँ चुदाई की!

चुदाई इतनी मस्त हो रही थी कि हम सबके मुँह से कुछ न कुछ मस्ती के बोल निकल ही रहे थे।

क्या बोल निकल रहे थे, आप भी सुनिए:

हाय मेरे देवर राज़ा … फाड़ डालो मेरी बुर … चीर डालो मेरी चूत चोदी बुर … वाओ क्या लौड़ा है तेरा भोसड़ी का अरमान … मुझे अपनी बीवी समझ कर चोदो … पूरा लौड़ा घुसा घुसा के चोदो … हाय रे मुझे चोदो … मेरी माँ चोदो, मेरी बहन की चूत ले लो … खूब चोदो यार … जितना तेरी गांड में दम हो उतना चोदो …

आज मैं तेरी चूत ढीली करके ही उठूंगा, भोसड़ी वाली … तू बहुत चुदक्कड़ है चूत चोदी रेहाना, तेरी माँ का भोसड़ा … खूब हचक हचक के चोदूँगा तुझे … मेरी गांड में पेल दो लंड … किसी दिन तेरी ननद की चूत चोदूंगा, रेहाना मैं उसे जानता हूँ …

पहले मेरी चूत ठीक से चोद ले मादर चोद … तुम चाहो तो मेरी गांड मार लो मेरे राज़ा … मैं तेरी बीवी हूँ यार मुझे उसी तरह चोदो … आज मुझे मालूम हुआ कि हर बीवी भोसड़ी वाली ग़ैर मरद से चुदवाती है … पीछे से चोदो यार … लंड पे बैठा के चोदो मझे … लौड़ा जल्दी जल्दी पेलो यार … मेरे मुंह में झड़ जाओ … मेरे मम्मों पर गिरा दो लंड का माल … तेरा दिमाग नहीं तेरा लंड चाटूँगी यार … तेरे लंड का टोपा बड़ा मस्त है यार अरमान!

चुदाई की रफ़्तार बढ़ गयी।
बड़ी घमासान चुदाई हो रही थी।
हम सबकी चूत का बाजा एक साथ बज रहा था।

कोई रंडी भी इतनी मस्ती से नहीं चुदवा सकती जितनी मस्ती से और जितनी बेशरमी से हम तीनों पराये मर्दों से भकाभक चुदवा रहीं थीं।

सुहाना बोली- हाय रेहाना, तू भोसड़ी की चुदाई में अव्वल है। तू ही हरामजादी हम सबकी चूत फड़वा रही है। तराना के बहनोई ने फाड़ डाला है मेरी चूत!

तराना बोली- अरे यार, मेरी भी चूत चीर के रख दी है रेहाना के ननदोई ने। इसके लंड ने बहनचोद अंदर तक घुस के चोदा है मुझे! मेरी चूत का हलवा बन गया है यार!

मैंने कहा- इधर मेरी चूत देखो … सुहाना के देवर के लंड ने कितनी तहस नहस कर दिया है। ससुरी पहचान में ही नहीं आ रही है कि ये मेरी चूत है भी या नहीं? क्या हाल हो गया है इसका?

इन बातों से चुदाई अब अपनी चरम सीमा तक पहुँच गयी.
फिर एक एक करके सबकी चूत खलास होने लगीं और सबके लंड भी झड़ने लगे।
हम सबने झड़ते हुए लंड चाटने का मज़ा लिया।

उसके बाद सबने नंगे नंगे ही डिनर लिया और फिर एक घंटे के बाद चुदाई की दूसरी पारी शुरू की।

इस पारी में सुहाना ने मेरे ननदोई का लंड पकड़ा और आहिस्ते आहिस्ते हिलाने लगी।
लंड एक मिनट में ही तन कर खड़ा हो गया।

उसे सुहाना ने चूमा और बोली- हाय रेहाना, तेरे ननदोई का लण्ड तो मेरे जेठ के लंड जैसा है। वह भी देखने में बिल्कुल इसी लंड की तरह लगता है।

सुहाना ने लंड कई बार चूमा चाटा और उसके टट्टे भी चूम कर मज़ा लिया।
अरमान ने भी सुहाना की चूत चाट चाट कर खूब मस्ती की।

दोनों भोसड़ी वाले मियां बीवी की तरह चिपके हुए थे।
कुछ देर बाद अरमान ने सुहाना की चूत में लौड़ा पेला और दनादन चोदने लगा।

मैंने तराना के बहनोई का लंड अपने हाथ में लिया और उसने मेरी चूचियाँ थाम लीं, बोली- रेहाना भाभी, तेरी चूचियाँ बिल्कुल मेरी फूफी जान की चूचियों जैसी हैं बड़ी बड़ी और एकदम सख्त!
ऐसा कह कर उसने लंड मेरी मम्मों के अंदर घुसा दिया।

मैंने भी अपने मम्मे दोनों तरफ से दबाकर लंड के लिए एक सुरंग बना दी।

बस लंड भोसड़ी का उसी के अंदर आने जाने लगा।
इस तरह चुदने लगीं मेरी चूचियाँ।
लंड जब ऊपर आता तो मैं जबान से उसका सुपारा चाट लेती।
मुझे बड़ा अच्छा लग रहा था।

फिर उसने लंड नीचे खींचा और गप्प से चूत में घुसा दिया।

मैंने कहा- हाय मेरे इमरान राजा, मुझे खूब अच्छी तरह चोद। तूने तराना की चूत चोदी है वैसे ही मेरी भी चूत चोद। मुझे अपनी बीवी समझ। मैं तेरी चूतचोदी भाभी हूँ मुझे चोद!

वह भी जोश में था तो जल्दी जल्दी लंड अंदर बाहर करने लगा।

तराना उधर माँ की लौड़ी सुहाना के देवर रज़ा का लंड चूसने में जुटी हुई थी।
टट्टे भी चूस रही थी और लंड का टोपा भी।

तराना बोली- यार रज़ा, तेरा लंड मुझे बड़ा प्यारा लग रहा है। एक दिन मेरे घर आना, मैं इसे अपनी ननद की चूत में पेलूँगी।

रज़ा ऐसा सुनकर बड़ा उत्तेजित हो गया और फिर धकाधक चोदने लगा तराना की फुद्दी!

इस तरह सेक्सी गर्ल्स ने खूब जम कर मस्ती की।
रात भर सबके लंड का मज़ा लिया।

फिर हम सबने यह तय किया कि अगले शनिवार को हम सब एक दूसरे के मियां से चुदवायेंगी और इस तरह की सामूहिक चुदाई का सिलसिला जारी रखेंगी।
 
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