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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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Story3 :- सास, ननद और भाई भौजाई का मजेदार सेक्स



अब तक आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी
सासू मां के बाद ननद भौजाई का मजेदार सेक्स
में पढ़ा था



मेरी सासू मां और मैं कैसे एक दूसरे को चूम रहे थे.
दूसरे रूम में मेरी ननद श्रेया सोई हुई थी. उसने अपना जेंडर बदलवा लिया था और बीती रात को अपने लंबे मोटे लंड से मेरी चूत की चुदाई की थी.

अब आगे गर्ल सेक्स चेंज कहानी:

हम दोनों सास बहू की आवाजों से श्रेया की नींद खुल चुकी थी.
उसने नींद खुलते ही आवाज़ लगाई- भाभी आप कहां हो?
फिर वह बुदबुदाने लगी कि भाभी कहां चली गईं.

उसकी आवाजों से मुझे कुछ पता नहीं चला और ना ही मेरी सास ने श्रेया की आवाज़ सुनी.
क्योंकि हम दोनों ही एक दूसरे के साथ अपने लेस्बियन सेक्स में इतने ज़्यादा पागल हो चुके थे कि कुछ होश ही नहीं था.

उस वक्त हम दोनों बिल्कुल नंगे बेड पर एक दूसरे को चाट चूम रहे थे.

तभी मेरी ननद ने कमरे में एंट्री मारने के लिए दरवाजे को हल्का सा धक्का दिया तो वह वहीं ठिठक गई.

उसने दरवाजे पर आकर चुपके से कमरे के अन्दर का नजारा देखा तो वह शॉक्ड हो गई.

उस समय मैं और सास 69 में लगे थे.
मैं सास के ऊपर थी और वे मेरे नीचे अपनी चूत पसारे पड़ी थीं.

मैंने उसी समय श्रेया को देख लिया और उसको वापिस जाने का इशारा कर दिया.
मगर उस छिनाल ने अपने सिर को ना में हिला दिया.

फिर मैंने सास की चूत चाटते हुए देखा कि श्रेया भी नंगी हो गई और उस कुतिया ने अपना लंड निकाल कर मुठ मारना चालू कर दिया था.
तभी सासू मां बोलीं- चल जल्दी से उस दिन जैसे लगा चूत से चूत को … और रगड़ दे मेरी जान!

श्रेया अपनी मां की आवाज को सुनकर समझ गई कि अब हम दोनों सास बहू अपना आसान बदलेंगी.
वह छिप गई और जब उसने सासू मां का चेहरा देखा तो वह दंग रह गई.

वह सोचने लगी कि मेरी मां भी ऐसा कर रही हैं, तो उसने सब कुछ भूल कर फिर से मुठ मारनी शुरू कर दी.

उसने देखा कि हम दोनों कैसे चूत से चूत रगड़ कर मजा ले रही हैं तो उसने भी अपनी टी-शर्ट उतार दी और सिर्फ पैंटी पहन कर रूम में आ गई.

सासू मां उसे देख कर डर गईं और बोलीं- बेटा तुम … बेटा सॉरी.
इतने में श्रेया ने उनके मुँह पर हाथ रखा और बोली- मुझे भी आप दोनों को जॉइन करना है.

मां ने हाथ हटाया और बोलीं- नहीं बेटा, मुझसे गलती हो गई.

तभी श्रेया ने अपने लौड़े पर हाथ फेरा तो मां की नज़र उसकी उभरी हुई पैंटी पर टिक गई.
वे अजीब सी नजरों से देखने लगीं.

तभी श्रेया ने अपनी पैंटी निकाल दी और सास के मुँह पर पैंटी रख दी.
सास ने अपनी बेटी की टांगों के बीच में लंड देखा तो एक पल के लिए वे भी कोमा में होने जैसी हो गईं.

फिर हम दोनों ने मां को सब बताया.

उन्होंने पूछा- तुम लोगों ने कल रात को सेक्स किया था क्या?
हमारा हां में जबाव सुनकर वे बोलीं- हे भगवान, ये तो गजब हो गया!

अब तक श्रेया शुरू हो गई थी.
उसने अपनी मां का मुँह पकड़ कर लंड चुसवाना शुरू कर दिया.
बस कुछ ही सेकेंड के बाद सासू मां भी उसका साथ देने लगीं.

मैंने भी देर नहीं की.
मैं नीचे लेट कर सासू मां की चूत के पास पहुंच गई और चूत चाटने लगी.

मुझे आज उनकी चूत का पानी कुछ ज्यादा ही अच्छा लग रहा था. आज से पहले मुझे उनकी चूत चाटने में इतना मजा कभी नहीं आया था, जितना आज आ रहा था.

सामने मां बेटी थीं मगर आज मां अपनी बेटी के लंड को चूस रही थी.
ये एकदम नया अहसास था.

थोड़ी देर बाद श्रेया मां के मुँह में ही झड़ गई.
फिर हम सब लेट गए और हम दोनों सास बहू ने देखा कि श्रेया का लंड अभी भी तना हुआ है. जबकि श्रेया आंख मूँद कर सो चुकी थी.
मैं और सासू मां बात करने लगे.

सासू मां बोलीं- मुझे इसके लंड को अपनी चूत के अन्दर लेना है.
मैंने कहा- तो दिक्कत क्या है मां. जाओ खड़ा तो है ही … चढ़ जाओ घोड़े पर … अपनी बेटी के खड़े लौड़े पर.

सासू मां ने भी देर ना करते हुए छलांग सी लगाई.
वे ऐसे झपटीं जैसे पहले कभी लंड देखा ही नहीं हो.

सासू माँ लपक कर लंड के ऊपर आ गईं और लंड को पकड़ कर टांगों के बीच में डाल लिया, चूत में लंड लिया और झटका दे दिया.

श्रेया का आधा लंड चूत के अन्दर चला गया.
मां ने अपने हाथ पैर सब मोड़ लिए, उन्हें इतना मजा आने लगा जैसे उन्होंने कभी लंड लिया ही ना हो.

ऐसे करते करते दो तीन झटके नीचे को लगाए और बेटी का पूरा लंड सास की रसीली चूत में घुस गया.

जब पूरा लौड़ा गटक लिया, तब सासू मां कराहती हुई बोलीं- उई मां, कितना बड़ा लगवाया है इसने!

तभी श्रेया उठ गई और बोली- अरे मेरी हॉर्नी मॉम … आप लेटो, मैं ऊपर आती हूँ.

श्रेया ने मां को उठाया और बेड पर चित लेटा दिया.
उनकी दोनों टांगों को उठा कर अपने कंधों पर रखा और अपनी टांगों को फैला दिया.

श्रेया मुझसे बोली- चल भाभी, मेरा लंड डाल मां की चूत में!
मैंने ननद का लंड पकड़ कर सास की चूत के अन्दर डाल दिया.

मुझे यह सीन देखने में इतना मजा आ रहा था कि क्या बताऊं.

मैं सोच रही थी कि सासू मां को अपनी बेटी से चुदाई करवाने में कितना मजा आ रहा होगा.
तो मैं भी जल्दी से उठी और सासू मां के ऊपर बैठ कर अपनी चूत चटवाने लगी.

कुछ मिनट के बाद श्रेया ने मुझे खुद के ऊपर बिठा कर चोदा.
मुझे चोदते समय वह अपनी मां की चूत को चाट रही थी.

ऐसा करने के बाद श्रेया आउट ऑफ कंट्रोल हो गई थी.
उसने मेरी चूत में अपने लंड का सारा माल डाल दिया.

चुदाई के बाद हम सभी आराम करने लगे.

फिर मैं नहाने जाने लगी तो मैंने देखा कि मेनडोर न जाने कैसे खुला रह गया था.

उसी वक्त मेरे पति के बॉस का फोन आया- आपके पति घर आए हैं, जरा उनसे बात कराना. वे फोन यहीं भूल गए थे.

मुझे यह अटपटी सी बात कुछ समझ में नहीं आई.
मैंने फोन काट दिया और नहाने लगी.

हम सब अभी सामान्य हो चुके थे.
जबकि आपस में हम तीनों ऐसी हो गई थीं कि किसी के भी साथ कुछ भी कर लो … कोई फर्क पड़ने वाला नहीं था.

मेरे पति के आने का टाइम हो गया था.
पति आए और सबसे मिले.

हम दोनों ने सब वैसे ही सामान्य रह कर खाना खाया.
ऐसे ही शाम को सोने का टाइम हुआ, तो हम अभी प्लान कर रहे थे कि अभी कैसे क्या करना है.

तभी सासू मां बोलीं- मैं तो अभी घर जा रही हूँ, अब कल करेंगे. हम कल हमारे घर ही आ जाना. आज तुम्हारे पापा भी दो दिनों के लिए बाहर चले जाएंगे.

उसी समय मेरे पति ने मुझे आवाज़ लगाई.
मैं गई तो बोले- तुम सब सुबह क्या कर रही थीं?
तो मैं घबरा कर बोली- कुछ नहीं, बस बैठे थे. बातें कर रहे थे.

तभी उन्होंने मुझे पकड़ा और बेड पर पटक दिया.
उन्होंने कहा- मुझे सब पता है.

मैंने बोला- सॉरी जी, गलती हो गई. आगे से नहीं करूंगी.
वे बोले- जानेमन डरती क्यों हो, बस मेरी एक मदद कर दो.

मैं बोली- जी हां बोलिए!
वे बोले कि मुझे मां की चूत मारनी है!

पहले तो मैं चौंक गई. फिर मैंने सोचा कि जब इनको सब कुछ पता है ही तो खेल हो जाने दो.
मैंने कहा- लाइए फोन दीजिए.

मैंने मम्मी को फोन लगाया ‘सासू मां पापा चले गए?’
वे बोलीं- हां चले गए, आ जाओ अगर अभी आना है. सारी रात मज़े करेंगे.

मैंने कहा- मम्मी मज़े आज हम चारों मिल कर करेंगे!
मम्मी बोलीं- चारों मतलब … चौथा कौन?
मैं बोली- आपका बेटा.

मां बोलीं- वह कैसे!
मैंने बताया कि उनको हमारे बारे में सब पता है. वे कह रहे हैं कि बस मुझे अपनी मां की चूत चोदनी है.

मां बोली- अरे, मैं उसकी मां हूँ.
मैंने कहा- श्रेया भी तो आपकी बेटी है.

मां बोलीं- हां यह तो है. मगर ये सब कैसे होगा?
मैं बोली कि अभी इनको आपके घर भेजती हूँ. हम दोनों भी साथ में आएंगी. सब मज़े करेंगे.

मां बोलीं- ठीक है आ जाओ.
हम घर को लॉक लगा कर सासू मां के घर आ गए.

मैंने देखा कि मां बाहर ही बैठी थीं.
वे हम सबको आया देख कर खुश हो गईं और सबको अन्दर ले गईं.

मैंने अन्दर जाते ही श्रेया से कहा- श्रेया तुम दो मिनट रूम के बाहर बैठो.
श्रेया बोली- ओके भाभी.

वह बाहर चली गई.

मैंने मां और पति से कहा- जल्दी से दोनों अपने कपड़े खोलो.
पति बोले- मां कसम से कह रहा हूँ, मैं बचपन से पापा और आपको सेक्स करते देखता था. मुझे आप इतनी ज्यादा पसंद हो कि अभी आपसे शादी कर लूं.

हम सब हंसने लगे.

वे दोनों गले लगे और किस करनी शुरू कर दी.
धीरे धीरे वे दोनों नंगे हो गए.

सासू मां ने ब्रा पैंटी नहीं पहनी थी तो मैं बाहर आ गई.

श्रेया बाहर नहीं थी.

मैंने दूसरे रूम में देखा कि श्रेया नंगी पड़ी थी.
हम दोनों भी शुरू हो गए.

तभी सासू मां और पति आए.
वे बोले- आज की रात सास और बहू दूसरे रूम में रहो. आज की रात मेरी और श्रेया की!

श्रेया बोली- हां, वैसे भी मेरी गांड में खुजली हो रही है. मार लो भाई.
उसे क्या पता था कि मेरे पति के दिमाग़ में क्या है.

हम दोनों सास बहू दूसरे रूम में गए और इधर पति और श्रेया किस कर रहे थे.
दोनों के लंड तने थे.

तभी पति बोले- श्रेया एक बात बोलूं, किसी को मत बोलना. आज तुम एक बार मेरी गांड मार दो प्लीज.
श्रेया हंस कर बोली- भाई, तुम भी मेरे जैसे ही निकले. आ जाओ भाई, तुम जल्दी से आ जाओ.

वे घोड़ी बन गए और श्रेया ने लंड घुसाया.
उसका मोटा लंड मेरे पति की गांड में जा ही नहीं रहा था.

श्रेया ने तेल उठा कर अपने लंड पर लगाया और अपने भाई की गांड में भी.

फिर उसने लंड डाला. बड़ी मुश्किल के बाद लंड को गांड के अन्दर प्रवेश मिला.

मेरे पति ऐसे रिएक्ट कर रहे थे मानो वह गांड नहीं, चूत मरवा रहे हों.

कुछ देर के बाद पति उठे और उन्होंने अपना लंड श्रेया से चुसवाना स्टार्ट कर दिया.
फिर उन्होंने भी अपना लंड अपनी बहन की गांड में डाला. साथ में उसके लंड की मुठ मारना भी स्टार्ट कर दिया.

श्रेया तो पहले ही बहुत गर्म थी.
कुछ ही देर में उसके लंड का लावा मेरे पति के मुँह पर जा गिरा.

पति ने अपना लंड निकाला और श्रेया का लंड मुँह में ले लिया.
भाई ने बहन के लंड का सारा माल चाट लिया.

कुछ देर बाद उन्होंने फिर से अपनी बहन की गांड मारनी शुरू की.

थोड़े टाइम के बाद मेरे पति ने भी अपना पानी अपनी बहन की गांड में ही छोड़ दिया.
फिर वे दोनों उठे और हमारे कमरे में आ गए.

हम दोनों नंगे लेटे थे.

तभी उन्होंने अपनी बहन को इशारा किया.
श्रेया ने मेरी चूत में लंड डाल दिया, पति ने मां की चूत में.
ऐसे ही हम चारों ने रात भर सेक्स किया.

हम सब अभी भी मिल कर सेक्स करते हैं.
 
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junglecouple1984

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प्यासी मामी की चूत चुदाई कर प्यास बुझाई- 1



मेरा नाम अजय है, मैं कानपुर का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 21 साल है. मैं अभी ग्रेजुएशन कर रहा हूँ.
मेरा कद 6 फुट है और मैं जिम भी जाता हूँ.

जैसा कि मैंने आपको अपनी रूचि बताई कि मुझे शादीशुदा लड़कियां ज्यादा पसन्द आती हैं इसलिए ये फॅमिली फक़ स्टोरी भी मेरी सगी मामी की चुदाई की कहानी है.

मेरी मामी की उम्र करीब 30 साल की होगी. मामी गोरे रंग की हैं और न ज्यादा पतली, न ज्यादा मोटी, एकदम परफेक्ट फिगर की जवान औरत हैं.
उनका एक 4 साल का बेटा भी है.

बात उस टाइम की है जब मेरे नाना नानी के घर उनके बड़े की बेटी की यानि मेरे बड़े मामा की बेटी की शादी होने वाली थी.

मेरा ननिहाल थोड़ा सा गांव जैसे क्षेत्र में है. नाना किसानी करते हैं और बड़े मामा उनका साथ देते हैं. छोटे मामा बाहर शहर में रहकर जॉब करते हैं.

शादी की तैयारी के कारण में मेरी मम्मी ने मुझे नानी के घर जाने को कहा क्योंकि वहां कोई हेल्प के लिए चाहिए था.
इसलिए मैं अगले दिन ही चला गया और शाम तक पहुंच भी गया.

उधर की आबोहवा मुझे बहुत ही मस्त लग रही थी और काफी अच्छा लग रहा था.
वहां के खुले खेत और ठंडी हवा मुझे एक अलग ही मस्ती दे रही थी.

मैं वहां गया तो सबसे मिला.
मैंने छोटी मामी को देखा, वो साड़ी में थीं.
उन्होंने मेरा हालचाल पूछा.

उस वक़्त तक मेरे अन्दर उनके लिए सेक्स जैसी कोई भावना नहीं थी.
मैंने उनसे पूछा- छोटे मामा नजर नहीं रहे हैं मामी?

तो उन्होंने बताया- वो शहर में ही हैं, जल्द ही आ जाएंगे.
फिर मैं नहा धोकर खाना खाने आ गया और खाना खाने के बाद सोने चला गया.

अगले दिन से मैं शादी की तैयारी में लग गया.
ऐसे ही कुछ दिन बीत गए.
शादी का दिन नजदीक रहा था.

एक दिन ज्यादा काम न होने की वजह से मैं घर में ही था.
वो दोपहर का टाइम था.

नाना, नानी, बड़े मामा सब खेत पर गए थे.
बड़ी मामी खाना खा कर सो रही थीं.

जिन दीदी की शादी होने वाली थीं, वो अपने रूम में अपने होने वाले दूल्हे से प्यार मुहब्बत की बातें कर रही थीं.

मैं अकेले बोर हो रहा था, तो सोचा कि क्यों न टिंकू के साथ खेल लूँ.
टिंकू छोटी मामी का लड़का है.

उसके साथ खेलने के लिए मैं मामी के कमरे की ओर जाने लगा.
उनका कमरा ऊपर की मंज़िल पर था.

मैं दरवाजे के पास पंहुचा ही था कि मैंने मामी को फ़ोन पर रोते हुए सुना.
इससे मैं हैरान हो गया कि आखिर क्या बात है.

थोड़ी देर में मुझे पता चल गया वो मामा से बात कर रही हैं.
शायद मामा को आने में कुछ दिन और लग रहे थे.
मामी को ये बात पसंद नहीं आयी.

मैं आपको बता देना चाहता हूँ कि मामा पिछले 4 महीने से शहर में ही थे. इन चार महीनों में वो दो बार ही घर आए थे.
खैर … मैं वहां रह कर घर के अन्दर की बात जानने लगा था.

मामी से मेरी अच्छी बनती थी, उनसे खूब बातें होती थीं.
उनके लिए कोई था तो मैं, जिससे वो एक दोस्त की तरह थोड़ा बात कर सकती थीं.

फिर दूसरे दिन सब लोग को बाजार कपड़े लेने जाने को हुए.
हम सब एक कार में जाने वाले थे.

सबने शॉपिंग की, उसमें काफी देर हो गयी थी.
खरीदारी से निपटते निपटते शाम हो गयी थी.

हम सब लौट रहे थे.
मामी मेरे बगल में बैठी थीं. कार के अन्दर अंधेरा था.

तभी ड्राइवर ने एक कट मारा, जिस वजह से मामी मेरी तरफ झुक गईं और उनके संतरे जैसा एक चूचा मेरी कोहनी से लग गया.
आह क्या ही बताऊं दोस्तो … मस्त फीलिंग थी.

उस वक़्त मैंने तो नज़रअंदाज़ कर दिया.
वो भी हंस कर बोलीं- ये ड्राइवर भी कैसे गाड़ी चला रहा है.

फिर थोड़ी देर बाद बातें करते करते उनका हाथ मेरी जांघ पर आ पड़ा.
मैंने इस चीज़ को सामन्य रूप से लिया.

फिर कुछ देर बाद हम सब घर पहुंच गए.
घर आने के बाद मामी अपने रूम में चली गईं और मैं सामान उतरवाने लगा.

रात में सोते वक़्त मैं इस छोटी सी घटना को फिर से याद करने लगा.
मैंने बार बार सोचा.
फिर मैंने अपने कपड़े खोल कर लंड सहलाया और मामी को याद करके मुठ मार दी.

अब मेरा ध्यान मामी की तरफ देखने का नजरिया बदल गया था.
मैं उन्हें दिन दिन भर निहारने लगा था, हमेशा ही उन्हें ढूंढने लगा था और ख्याली पुलाव पकाने लगा था.

शादी का दिन आ गया.
मामा भी आ गए थे. मामी खुश थीं क्योंकि उनके वो आ गए थे.

उस दिन मामी ने बहुत ही सुन्दर लहंगा पहना था. एकदम बवाल लग रही थीं.
मगर ये सब मेरे मामा को कहां दिखता था. मामा ने मामी लिफ्ट नहीं दी तो मैंने ही अपनी आंखें सेंक लीं.

मामा मामी से कुछ भागे भागे से रह रहे थे, बार बार किसी का फ़ोन आता और वो फोन पर बात करने लगते.

शादी हो रही थी, सब कुछ सही चल रहा था.

मामी मेरे सामने आईं.
उन्होंने कहा- अरे अजय, आपने मेरे साथ एक भी फोटो नहीं खिंचवाई, चलो मेरे साथ खिंचवाओ.

मैं मामी के साथ उनके रूम में गया, वहां थोड़ी शांति थी.
वहां मैंने अपने फ़ोन से मामी और अपनी खूब सारी फोटो ले लीं.

मामी तो काफी मूड में थीं, बहुत चिपक कर फोटो खिंचवा रही थीं.
फ़ोटो लेते वक्त उनके भरे हुए चूचे मेरे हाथ से सीने से टच हो रहे थे और कभी हाथ मेरे ऊपर रख कर सेल्फी ले रही थीं.

ऐसे ही रात बीती, शादी हो गयी.
विदाई भी हो गई.

सारे मेहमान भी जाने लगे.

मैं सो गया और दोपहर में उठा.
उठ कर खाना खाया और मामी के रूम की तरफ जाने लगा.

मैंने देखा कि टिंकू एक तरफ खेल रहा था और मामी बेड पर बैठ कर सिसक सिसक कर रो रही थीं.
मैं जल्दी से उनके पास गया और उनसे पूछा- क्या हुआ मामी … आप क्यों रो रही हैं?

उन्होंने थोड़ी देर में बताया- तुम्हारे मामा चले गए. कल ही आए था और आज ही चले गए. ऐसा कौन सा जरूरी काम करते हैं. एक हफ्ता भी मेरे लिए नहीं रुके, मैं क्या करूं?
मैं उनको दिलासा दिलाते हुए चुप करा रहा था.

तभी उन्होंने अपना सर मेरे सीने पर रख दिया और रोने लगीं.
मैंने उनसे कहा- जरूर कोई इमरजेंसी रही होगी.

फिर उन्होंने जो कहा, मैं सुन कर दंग रह गया.

मामी ने कहा- तुम्हारे मामा का चक्कर चल रहा है. वो जहां काम करते हैं, वहीं कोई लड़की है. उसी से चल रहा है.
मैं क्या बोलता, कुछ देर रुक कर मैं वहां से अपने कमरे में चला गया.

मुझे मामी के लिए बहुत बुरा लग रहा था.
उनके लाइफ में प्यार की बहुत कमी थी.
मैंने उनका दिल बहलाने का सोच लिया और उनसे खुल कर बातें करने लगा.

दोपहर में उनके रूम में टिंकू, वो और मैं सब साथ में थे.
मामी और मैं फ़ोन में लूडो खेल रहे थे.

मैं जीतने लगा, तभी वो मेरा फ़ोन लेकर भागने लगीं.
तो मैं बोला- मामी ये गलत बात है, मैं जीत रहा हूँ.

पर वो मस्ती में रूम में भागने लगीं और मैं उनके पीछे.
टिंकू हम दोनों को देख कर ताली बजा रहा था.

तभी मामी बेड पर चढ़ गईं और मैं भी उनके पीछे आ गया.
वो बेड पर लेट गयीं और फ़ोन को मेरी पहुंच से दूर करने लगीं.

मैं फोन को लेने के चककर में उनसे छीना झपटी करने लगा.
इस वजह से हम दोनों लगभग लिपट चुके थे और हमें कोई होश ही नहीं रह गया था.

तभी अचानक से सब सामान्य हुआ तो देखा कि हम दोनों एक दूसरे से लिपटे हुए हैं.

हम दोनों जल्दी से उठे, फिर थोड़ा ड्रामा करते हुए मैंने कहा- ठीक है आप जीत गईं. अब कुछ खिलाओ, मुझे भूख लगी है.
उन्होंने खाना खाने की बात कही और बोलीं- तुम यहीं बैठो, मैं यहीं लाती हूँ.

ऐसा कह कर मामी अपनी साड़ी ठीक करती हुई बाहर चली गईं.

मैं और मामी बहुत ज्यादा घुल मिल गए थे. मैं उनके जाते ही उनके जिस्म के स्पर्श और खुशबू को याद करने लगा. मेरा लंड खड़ा होने लगा था.

खाना खाकर मैं उधर ही लेट गया.
मामी अपना काम करने बाहर चली गईं.

जब मैं उठा तो शाम हो चुकी थी.
मैं उठ कर छत पर आ गया.

उधर देखा मामी वहीं थीं.

हम दोनों छत पर टहलने लगे थे, बात करने लगे थे.

शाम गहराई तो गांव की लाइट सब तरफ जलने लगी थी.
बड़ा ही खूबसूरत नज़ारा था, दूर आसमान में चाँद उगने लगा था.

हम दोनों बातें कर रहे थे.

मैंने कहा- सच में आज बड़ा बढ़िया मौसम लग रहा है. ऐसे में कॉफ़ी मिल जाती तो मजा आ जाता!
मामी बोलीं- मैं अभी बना लाती हूँ.

वे नीचे गईं और जल्दी से दो मग में कॉफ़ी बना लाईं.
हम दोनों कॉफी पीते हुए बातें कर रहे थे.

उन्होंने मुझे बताया कि अजय आज इतने महीनों में मैं पहली बार इतना खुश हुई हूँ. तुम्हारे मामा तो घर आते नहीं हैं और घर में ऐसा कोई दोस्त नहीं है, जिससे मैं अपने दिल की बात कर सकूँ.
मैंने कहा- अरे मामी, सब ठीक हो जाएगा.

उन्होंने बताया- एक पत्नी के लिए उसका पति सब कुछ होता है, लेकिन मेरी जिंदगी में ये सुख नहीं है. लेकिन तुम आए और तुमने मुझे थोड़ी खुशी दे दी.
ये सब सुन कर मैं भी खुश हुआ.

वो शाम एकदम टाइटैनिक मूवी की तरह थी. सुरीली हवा चल रही थी. हम दोनों नज़ारे देख रहे थे.
मामी बहुत खुश थीं.

तभी उन्होंने मेरी ओर देखा.
मेरी आंखों में मैंने उनकी आंखों में एक प्यास देखी, वो अधूरापन देखा.

उन्होंने मुझे उम्मीद की नज़र से देखा.
मैं उनकी आंखों में खोने लगा.

हम दोनों करीब होने लगे. हम दोनों एक दूसरे में खोने से लगे.

फिर न जाने क्या हुआ कि हम दोनों एक दूसरे की ओर खिंचते चले गए.
मुझे उनकी सांसें महसूस होने लगीं, मेरे शरीर में एक अजीब सी कंपकंपी सी होने लगी.

हम दोनों काफी करीब हो चुके थे. मैंने उनके प्यासे नर्म गुलाबी होंठों पर अपने होंठों को धीरे से रख दिया.
समय रुक सा गया था.

मेरे एक हाथ ने उन्हें कमर से पकड़ रखा था. वो मदहोशी में मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा रही थीं.
दोस्तो वो पल, वो लम्हा बहुत ही हसीन था.

मैं उस लम्हे को कभी हवस की नज़र से नहीं देखूंगा, वो लम्हा कुछ ऐसा था कि एक प्यासे को कुंआ मिल गया हो; एक उम्मीद मिल गयी हो.
मुझे उनसे प्यार होने लगा था.

थोड़ी देर बाद हम दोनों होश में आए.
उन्होंने मुझसे नज़रें नहीं मिलाईं और वहां से कप लेकर जल्दी से नीचे चली गईं.

मैंने भी दूसरी तरफ मुँह कर लिया.
वो चली गयी थीं, मैं उनकी कमी का अहसास करते हुए छत पर टहलता रहा.
काफी देर बाद मैं नीचे गया.

मामी मुझसे शर्मा रही थीं और दूर थीं.
उन्होंने मुझे खाना दिया और मेरी ओर देखा.

मैंने उनको पढ़ा, उनकी आंखें मुझसे कुछ चाह रही थीं.
पर मैंने सर नीचे किया और खाना खाने लगा.
मामी से बहुत देर से बात नहीं हुई थी.

फिर मैं सोने चला गया.
मुझे नींद नहीं आ रही थी.

बहुत टाइम हो गया. रात के एक बज गए थे.
मैं सिर्फ आज के दिन की हुई बातों को ही सोच रहा था और यही हाल शायद उनका भी था.

मैं करवट बदल रहा था मगर नींद नहीं आ रही थी.

थोड़ी देर बाद मेरे फोन की लाइट जली.
मैंने देखा कि मामी का मैसेज आया है.

उसमें लिखा था कि मुझे नींद नहीं आ रही है, अजीब सा लग रहा है. बिल्कुल भी ठीक नहीं लग रहा है. क्या तुम थोड़ी देर के लिए मेरे रूम में आ सकते हो.
मैंने ओके का रिप्लाई दिया और चला गया.

दरवाजा खुला ही था, मैं अन्दर गया.
अन्दर हल्की रोशनी थी. वो बेड पर लेटी थीं.

उन्होंने हल्की आवाज में दरवाजा बंद करने को कहा और मैंने कर दिया.

दोस्तो, मैं समझ तो गया था कि आज मामी की चूत का भोसड़ा बनाने का समय आ गया है.
लेकिन जब तक चूत में लंड नहीं घुस जाता, तब तक कुछ भी कहना ठीक नहीं था.

मैं फॅमिली फक़ स्टोरी के अगले भाग में आपको आगे की घटना बताऊँगा.
तब तक आप कमेंट्स करना न भूलें.
 
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junglecouple1984

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प्यासी मामी की चूत चुदाई कर प्यास बुझाई- 2



अब तक आपने पढ़ा था कि मैं मामी के बुलाने पर उनके कमरे में आ गया था और उनके ही कहने पर मैंने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया था.

अब आगे

यह माहौल रोज की तरह नहीं था. अजीब सी शांति थी. मन में कुछ था और हम दोनों कुछ और कहना चाह रहे थे.

टिंकू गहरी नींद में सो रहा था.

हम दोनों ने थोड़ी देर बातें की.
फिर मैं थोड़ी देर लेटने के लिए सामने सोफे पर लेट गया.

हम दोनों के अन्दर बहुत कुछ चल रहा था, पर कह नहीं पा रहे थे.

वो अपने बेड पर लेटी थीं और मेरी तरफ मुँह करके मुझे देख रही थीं.
मैं सोफे पर लेटा था और उनकी तरफ मुँह करके उन्हें देख रहा था.

हमारे बीच थोड़ी सी बातें हुईं, उसी अवस्था में.
एक ने जवानी के दहलीज पर कदम रखा था और एक जवानी के चरम पर थी.

हम दोनों एक ही कमरे में थे और वो हसीन रात हम दोनों को सुलगा रही थी.
वो मुझे प्यासी निगाहों से देख रही थीं और मैं भी उन्हें ही देख रहा था.

ऐसे ही वक़्त बीत रहा था.
ये तो साफ हो गया था कि इस कमरे में मेरे आने की वजह कुछ और है.
वो अंगड़ाइयां ले रही थी और प्यार की भूखी थीं.

उनके अन्दर महीनों से आग लगी हुई थी और मेरे अन्दर भी चिंगारी ने आग का रूप ले लिया था.
अगले ही पल मामी ने अंगड़ाई के बहाने से अपना पल्लू गिरा दिया जिससे उनके नुकीले चूचे उभर कर दिखने लगे थे.

वो अपने जोबन मुझे ही दिखा रही थीं और मैं भी उन्हें ही देखे जा रहा था.

थोड़ी देर बाद पल्लू पेट से भी सरक कर नीचे हो गया था और उनका पूरा पेट मुझे दिख रहा था.
मामी के दूध उनके गहरे गले वाले चुस्त ब्लाउज से बाहर आने को मचल रहे थे.

वो अभी भी मुझे वासना से देख रही थीं.
ये सब एक तरह से मेरे लिए निमंत्रण था कि आओ और मार लो मेरी.

मामी को ऐसा करते देख कर आग को और हवा देने के लिए मैंने उनके सामने अपनी शॉर्ट्स में हाथ डाल दिया और अपने लंड को सहलाने लगा.
वो ये सब देख रही थीं और वो भी तेज सासें ले कर अपनी चूचियों को उभार रही थीं.

अगले ही पल उन्होंने अपना पैर घुटने से मोड़ कर ऊपर कर लिया, जिससे कि उनकी साड़ी और पेटीकोट नीचे सरक आयी.
आह क्या बताऊं दोस्तो, उनकी नंगी और चिकनी जांघें देख कर तो मेरा होश उड़ गया, जिससे मेरे लंड में गजब का तनाव आ गया.

सब कुछ साफ था.
वो नंगी होकर मेरे साथ सोना चाहती थीं और उन्हें आज कोई नहीं रोक सकता था.

अब बहुत हो चुका था.
उन्होंने दर्द भरी धीमी मदहोश आवाज में कहा- मुझे मत तड़पाओ अज्जू, अब आ भी जाओ न!

उनके इतना कहने के बाद मैं उठ गया और उनकी तरफ बढ़ गया.
उन्होंने टिंकू को दूसरे बेड पर लिटा दिया. यह उनके बेड से सटा था.

अपने बेड पर मामी ने मेरे लिए खुद को परोस दिया.

मैं जैसे ही बेड पर आया, हम दोनों ने एक दूसरे को कसके झपट लिया.

बहुत कस के झपटा था हम दोनों ने एक दूसरे को, कस के गले लगाया और बेड पर गोल गोल घूमने लगे.
वो मुझे चूमने चाटने लगीं, जगह जगह मुझे काटने और नाख़ून से नौंचने सी लगीं.

मैंने उनका ऐसा रूप कभी नहीं देखा था.
वो पागल सी हो गयी थीं.

उन्होंने मुझे अपने पैरों से जकड़ कर बांध सा लिया था और मुझे हर जगह चाटने लगी थीं.

मैंने उनके दोनों हाथों को कसके बेड पर दबा दिया और उनको थोड़ा रोक कर चूमना शुरू कर दिया.
उनके कान, गर्दन, हर जगह चूमा.

उनसे भी रहा नहीं जा रहा था.
उन्होंने मुझसे कहा- अज्जू मेरे कपड़े उतारो.

मैंने उनकी साड़ी खोली और पेटीकोट को खोला तो देखा उन्होंने पैंटी नहीं पहनी थी.
फिर ब्लाउज के खोलते ही उनके दूध हिलने डुलने लगे, अन्दर ब्रा नहीं थी.

मैंने उनके सारे कपड़े उतार दिए.
उनकी चूत पर थोड़ी झांटें थीं और बुर तो चिपचिपी हो गयी थी.

मैं ऊपर की ओर गया और उनके दोनों हाथ बेड से लगा कर उनके ऊपर चढ़ गया.

अब मैं उनके एक दूध को पीने लगा, उनके निप्पल को चूस कर नुकीला कर दिया.
फिर निप्पल को जीभ से धीरे धीरे सहलाया, तो वो पागल हो गईं.

उनका शरीर वासना की आग में जल रहा था, उनकी मादक आहें निकल रही थीं- ऊह उन्ह उँहा अई अहह!

मैंने भी उनको कई जगह लव बाईट दिए.
वो बार बार मेरी चड्डी में हाथ डाल रही थीं और मेरी गांड में उंगली कर रही थीं.

मामी ने मेरी चड्डी नीचे की ओर खींच कर उतार देना चाहती थीं.
मैं उठा और बोला- लो अब उतारो.
उन्होंने सरका दी.

मेरा हथौड़े जैसा कड़क लौड़ा एकदम से चड्डी से बाहर निकला.
वो लंड देख कर दंग रह गईं.

मेरे लौड़े पर हरी नसें एकदम फूल चुकी थीं.
मामी का मुँह खुल चुका था और उन्होंने लपक कर मेरा लंड अपने करीब ले लिया.
वो लंड हिलाने लगीं.

शायद वो मुँह में लेने ही वाली थीं.
मैंने कहा- अभी नहीं.

फिर मैंने टी-शर्ट उतारी.

उन्होंने मेरी कसी हुई बॉडी देखी और मुझे छुआ.
मेरे सीने को सहलाया, मेरा पेट ऐसे छुआ जैसे किसी मर्द को वो पहली बार छू रही हों.

फिर उन्होंने खुद को उठा कर मेरे निप्पल पर अपने मुँह को लगा दिया.
मैं सिहर उठा और मामी ने अपने होंठों से मेरे निप्पल को दबा कर चूसा.
मेरी आहें निकलने लगीं.

अब हम दोनों वासना से तप रहे थे.

वो सीधी लेट गईं और अपनी टांगें फैला दीं.
मैं उनके ऊपर चढ़ गया और अपना लंड उनकी गीली बुर पर सहलाने लगा जिससे उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

उन्होंने अपने हाथ से मेरा लंड पकड़ा और अपनी बुर में घुसा लिया.
मैंने भी दाब दे दी और लंड सरक कर अन्दर चला गया.

मैं धीरे धीरे उनकी बुर में लंड को पेलने लगा और उनके दूध को चूसने लगा.
मामी को मजा आने लगा था. वो मेरी गांड पकड़ कर मुझे अपनी चूत में खींच रही थीं.

मैं धक्के मारने लगा.
मामी की चूत गीली हो चुकी थी, इस वजह से छप छप की आवाज गूंजने लगी.
वो तेज आवाज में कराह रही थीं और मेरे बदन को अपने जिस्म से रगड़ रही थीं.

जब मैं उन्हें पेल रहा था तो वो मेरी गांड को जोर जोर से दबा कर ‘हूँ आंह …’ कर रही थी.
ताकि मैं और अन्दर तक उनको पेलूं.

अब मैं भी जानवरों की तरह उनको पेलने लगा था.

कुछ देर बाद मैंने लंड चूत से खींचा तो मामी के चेहरे पर गुस्सा सा झलकने लगा था.
मैंने उनकी टांग पर हाथ मारा और उन्हें कुतिया बनने का इशारा किया.

वो खुश हो गईं और झट से आसन बदल लिया.
डॉगी बना कर मैंने उनकी चूत में लंड पेला और गदीली गांड पर बहुत तमाचे मारे, उनकी गांड को खूब नौचा.

उन्होंने जरा भी नानुकुर नहीं की.
उनकी गोल मटोल गांड लाल हो चुकी थी.

मैं उनके बालों को खींच कर लंड को अन्दर तक पेले जा रहा था- हुंह हुंह हुंह हां हां हां हां आह मादरचोद … ले लंड खा साली.

मेरे मुँह से गाली सुनते ही वो झड़ गई और आह आह करने लगीं.
ये वो दूसरी बार झड़ी थीं.

अब मेरी बारी थी.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनके पेट और चूचों पर अपने लंड का पानी निचोड़ दिया.

हम दोनों थक चुके थे.

मैंने मामी को बांहों में लिया और कम्बल ओढ़ कर अन्दर उनको चूमने लगा.
वो भी मुझे चूमने लगीं.

हम दोनों एक दूसरे की जीभ चूसने लगे, खूब चाटा और काटा भी.
मामी ने अपनी एक टांग मेरे ऊपर रख दी.
मैं उनकी गांड में उंगली डालने लगा.

ऐसे ही हम दोनों किस करते रहे और एक दूसरे की गांड में उंगली करते रहे.

कुछ देर बाद एक बार फिर से चुदाई हुई और हम दोनों सो गए.

भोर हो गयी.
हमारी नींद खुली हम दोनों नंगे एक दूसरे से लिपटे हुए थे, एकदम लॉक थे.
मेरा लंड खड़ा हो चुका था मगर अब अगर पेला पेली करते तो देर हो जाती.

इसलिए मैं नंगा ही उठा और अपने कपड़े लेकर कमरे में चला गया.
मैं उधर सिर्फ चड्डी पहन कर सो गया.

सुबह हो चुकी थी.
अब 9 बज रहे थे.

मामी नहा धो चुकी थीं. उनके चेहरे पर अलग सी संतुष्टि वाली चहक थी.
सब काम खुश होकर रही थीं. बहुत अच्छा दिन था.

मैं नीचे आया, उनको देखा.
उन्होंने मुझे देख कर बहुत प्यारी सी स्माइल दी.

मैं नहाने चला गया.
फिर नाश्ता के लिए आया और टीवी देखने लगा.

बड़े मामा भी टीवी देख रहे थे.
वो आईं, उन्होंने प्लेट रखी और मुझे अपनी चूचियों के दर्शन कराए.

उनकी चूचियों की दरार मुझे दिखी, वो जानबूझ कर हिला कर दिखाने लगीं और कातिलाना स्माइल दे दी.

Xxx फॅमिली पोर्न के बाद अब हमारे बीच कुछ छुपा नहीं था.
हमने नंगे रह कर रात गुजारी थी.

दोपहर हो गयी.

नाना नानी बड़े मामा सब खेत पर गए थे.

अब मुझे मामी और कोई नहीं रोक सकता था.
बड़ी मामी नीचे सो रही थीं. उनकी बेटी की शादी हो गयी थी. छोटे मामा शहर में चक्कर चला रहे थे और यहां मैं अपनी छोटी मामी को पेलूंगा और वो मेरे लौड़े से चूत पिलवाएंगी.

अब दिन हो या रात, मैं उनके पास ही रहता था.
दोपहर में मैं उनके कमरे में चला जाता था.
टिंकू कुछ देर खेलता था और सो जाता था.

उसके सोते ही मैं और मामी एक दूसरे का चूमने लगते थे.
मैं उनके दूध मसलता था, उन्हें चूमता था.
वो मेरा लंड हिलाती थीं और चूसती थीं.

हम दोनों दोपहर में उनके कमरे में तरह तरह के खेल खेलते थे.
कपड़े उतारते थे एक दूसरे की मालिश करते थे, तेल लगाते थे.

कभी कभी मैं सीढ़ियों पर ही उनको गोद में बिठा कर उनको किस करता था और उनका ब्लाउज़ उठा कर उनका दूध पीता था.

हम दोनों को कोई शर्म हया नहीं थी.
जब वो नहाती थीं तो मैं भी बाथरूम में चला जाता था.

सब लोग खाना खाते, मैं किचन में कुछ लेने के बहाने जाता और वहां उनके दूध दबा देता और उनकी साड़ी पेटीकोट उठा कर उनकी चूत में उंगली डाल देता.
छुप छुप कर ऐसी हरकतें करने में हमें मजा आने लगा था.

किसी को पता नहीं था कि हम दोनों क्या क्या करते हैं.

जब कभी सब लोग साथ बैठे हों और लाइट चली जाती थी, तो अंधेरे में हम दोनों किस करने लगते थे और एक दूसरे को छूते थे.
बहुत मस्ती होती थी.

रात में हमेशा मैं उनके कमरे में चला जाता था.
उधर अलग अलग पोजीशन में हम दोनों पेला-पेली करते थे.

सबके सोने के बाद नंगे घर में घूमते, फिर कहीं भी लग जाते और खूब सेक्स करते.
कभी कभी छत पर जा कर नंगे लेट कर तारों को देखते और वहीं चुदाई का मजा करए लगते थे.

जब सब लोग शाम में घर आए होते और उस वक्त कभी कभी हम दोनों खेत घूमने निकल जाते थे.

घूमने के बहाने वहीं खेत में फसलों के बीच हम लोग किस करते और खड़े खड़े सेक्स भी कर लेते थे.
ये सब बहुत ही रोमांचक हुआ करता था.

अब वो मेरे से प्यार करने लगी हैं. मामा घर आएं या नहीं, उनको घंटा फर्क नहीं पड़ता.

कुछ हफ्ते ऐसा ही चला.
अब मैं घर आ गया हूँ.

जब मैं घर वापस आ रहा था, वो बहुत रोई थीं.

आने के पहले वाली रात में हमने कई बार सेक्स किया, रात भर Xxx फॅमिली पोर्न का खेल चला.
न वो ही सोईं और न ही मुझे सोने दिया.
मामी ने रात भर मुझे बांहों में पकड़ कर रखा. मेरा लंड चूसा, हिलाया और बहुत रोई थीं.

उन्होंने मुझसे हर हफ्ते किसी न किसी बहाने आने को कहा था.
मैं जाता भी हूँ और हम खूब सेक्स करते हैं.

टिंकू का बर्थडे भी आने वाला है और मामा भी आएंगे.
मगर मामी ने कहा है कि वो रात में मेरे साथ ही सोएंगी और पेलवायेंगी.

अब उन्हें मामा से कोई दिक्कत नहीं है. जहां उन्हें अपना चक्कर चलाना हो, चलाएं.
 
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Subham

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Maa bete ke upar koi story likhoo vai
 

junglecouple1984

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भाभी की चुत चुदाई औलाद के लिए- 1



नमस्ते दोस्तो, मेरा नाम प्रेम है. यह मेरी पहली सेक्स कहानी है पर यह कहानी एक सच्ची घटना पर आधारित है.

अभी मैं एक बहुत ही बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी मैं काम करता हूं.

यह देवर भाभी की सेक्सी स्टोरी उन दिनों की है जब मुझे बीटेक के लिए दिल्ली के एक आईआईटी कॉलेज में दाखिला मिल गया था.

मेरा एडमिशन कॉलेज में हो चुका था परन्तु अभी वहां जाने के लिए एक महीना का समय था.

उसी समय मेरे एक दोस्त ने मुझे Xforum के बारे में बताया.
पहले मैंने एक दो कहानी पढ़ीं, इन्हें पढ़ने के बाद मुझे आनन्द की अनुभूति हुई और मुझे इतना मजा आने लगा कि अब मैं रोज एक न एक सेक्स कहानी जरूर पढ़ता हूं.

इस देसी भाभी सेक्स कहानी में मैं आपको अपनी भाभी की चुदाई के बारे में बताना चाहता हूं कि मैंने भाभी के साथ किस तरह से चुदाई का मजा उठाया और उनके बांझ होने के दोष को खत्म किया.

उस समय मेरी उम्र इक्कीस साल थी.
मैं देखने में बड़ा ही हैंडसम था. मेरे लंड की लंबाई काफी अच्छी थी और ये तीन इंच मोटा था. मेरी बॉडी भी एथलेटिक थी. सिक्स पैक्स ऐब्स भी थे. मैं स्मार्ट भी था और अब भी हूँ.

पर मैं बहुत ही सीधा था, इतना कि उस समय तक मैंने एक भी गर्ल फ्रेंड नहीं बनाई थी.
ऐसा नहीं था कि मैं बना नहीं पाया.
पर जब भी कोई प्रपोज करती, मैं मना कर देता क्योंकि मुझे पढ़ाई करनी होती थी.

Xforum में सेक्स कहानी पढ़ने के बाद मेरा लड़कियों भाभियों की तरफ आकर्षण बढ़ने लगा था.

मेरी मौसी उत्तर प्रदेश के एक गांव में रहती हैं. मौसा गांव के सरपंच हैं.
उनके दो लड़के हैं. छोटे का नाम रवि है और बड़े का नाम राजू. दोनों दिखने में ठीक-ठाक हैं.

रवि भैया गांव के पास के शहर में आरटीओ में काम करते हैं … और राजू भैया दिल्ली में एक प्राइवेट कंपनी में काम करते हैं.

राजू भैया की शादी अनीता भाभी से हुई. उनकी शादी को चार साल हो गए थे पर उनके अभी तक एक भी बच्चा नहीं हुआ था. जिस वजह से भाभी को अपनी सास से ताने सुनने पड़ते थे.

भईया और भाभी अभी दिल्ली में ही रहते हैं.

मेरे दिल्ली जाने में एक महीने का समय था.
मैं फ्री था तो Xforum पढ़ने में समय पास करने लगा.

सेक्स कहानियों को पढ़ते पढ़ते कब एक महीना निकल गया, कुछ पता ही नहीं चला.

मैंने दिल्ली जाकर कॉलेज के हॉस्टल में ही रहने का सोचा था.
भैया ने तो बहुत कहा … पर पापा ने कहा कि परेशान होने की कोई जरूरत नहीं है. आप लोगों फालतू में ही परेशान होना पड़ेगा.

मैं हॉस्टल में रहने लगा.

एक दिन भैया का कॉल आया कि प्रेम टाइम हो तो आज घर पर आ जाओ. तुमसे कुछ बात करनी है.

मैंने जल्दी से गाड़ी उठाई और उनके घर पहुंच गया.
वहां भाभी ने गेट खोला.

मैं अपनी भाभी को पहली बार देख रहा था.
उन्हें देखते ही मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं.
क्या मस्त लग रही थीं भाभी … ब्लू कलर की साड़ी, ब्लैक ब्लाउज फिगर 34-30-36 का, एकदम कयामत लग रही थीं.
भाभी के चूचे ना ही बड़े … ना ही छोटे.

तभी मेरे कानों में एक मीठी सी आवाज आई- भैया जी, अन्दर तो आइए. क्या यहीं खड़े रहेंगे!

मैं थोड़ा सा हिल गया और अपने आपको संभालते हुए बोला- हंहा हाह … हां भाभी जी.

मैं अन्दर आया तो सामने भैया बैठे थे.
उन्होंने मुझसे बैठने को कहा और मेरे हालचाल पूछने लगे.

फिर इधर उधर की बातें होने लगीं और इसी सबमें दो घंटे बीत गए.

फिर भैया को ध्यान आया कि जिस काम से उन्होंने मुझे बुलाया था वो तो बताना ही भूल गए.
भैया- अरे यार वो ये बताना था कि मेरा प्रमोशन हो गया है.

उनकी बात पूरी होती कि मैंने पहले ही उनको बधाई दे दी.
फिर वो बोले- लेकिन एक समस्या है.

मैंने बोला- वो क्या?
भैया- मुझे एक साल के लिए ट्रेनिंग के लिए यूएस जाना पड़ेगा और तुम्हारी भाभी यहां अकेली रह जाएगी.

मैं- तो क्या हुआ, आप भाभी को गांव भेज दो.
भैया- अरे वो ही तो, तुम्हें पता है कि हमारे कोई बच्चा नहीं है … इस कारण मां का स्वभाव अनीता के खिलाफ ही रहता है. वो हमेशा इसको ताने मारती रहती हैं. फिर अनीता भी जॉब भी छोड़ कर नहीं जाना चाहती.

मैं- तो मैं इसमें क्या कर सकता हूं! मेरे लायक अगर कोई काम हो तो मैं जरूर कर दूंगा.
भैया- अगर तुम्हें ऐतराज ना हो तो तुम यहीं रुक जाओ. सिर्फ एक साल की ही तो बात है.

मेरे मन में तो एकदम उछाल सा आ गया.
पर संभलते हुए मैंने कहा- मैं एक बार पापा से पूछ लेता हूं.

भैया को बस मेरी यही बात पसंद थी कि मैं कोई भी काम बड़ों से पूछ कर ही करता हूं.

तो भैया बोले- वो मैंने पहले ही पूछ लिया, उन्होंने कहा कि मैं शाम को प्रेम को बोल दूंगा. फिर मैंने तुमसे पूछना सही समझा.

ये बात खत्म हुई और मैं कुछ देर बाद भैया के घर से हॉस्टल चला गया.

कुछ देर बाद पापा का फोन आते ही मैंने शाम को हॉस्टल से शिफ्ट कर लिया.

इधर एक कमरे में मैंने अपना सारा सामान सैट कर लिया.
भैया का घर बहुत ही बड़ा था.

ये चार कमरों का मकान था. मेरा कमरा ऊपर वाली फ्लोर पर था. वहां सिर्फ एक बेडरूम था.
बहुत ही शानदार घर था.

सामान सैट करते करते रात हो गई.
मैं नीचे खाना खाने आया.

भाभी खाना बना रही थीं और भैया सामान पैक कर रहे थे.
मैं- भैया कब जाना है?
भैया- कल सुबह की फ्लाइट है.

फिर सभी ने खाना खाया और सोने चले गए.

मेरी नींद करीब एक बजे रात को खुली.

मैं पानी पीने नीचे किचन में गया, तो भैया के रूम से लड़ने की आवाज सुनाई दी.

मैंने ध्यान भी दिया … पर किचन से कुछ सुनाई नहीं दे रहा था.
मैं उनके कमरे के दरवाजे से कान लगा कर सुनने लगा कि क्या चल रहा है.

भाभी- क्या जरूरत ऐसी नौकरी की, वैसे ही तो एक महीने में एक बार कर पाते हैं. ऊपर से अब एक साल. मेरी तो किस्मत ही फूटी है. मुझे पापा की बात मान लेनी चाहिए थी, कम से कम ऐसा मरियल लंड तो नहीं मिलता.
भैया- ज्यादा गर्मी है तेरे अन्दर … तो कोठा खोल ले.

भाभी- तुमसे प्यार करके गलती कर दी.
ये कह कर भाभी रोने लगीं.

भैया उन्हें मनाने लगे.
मैं वापस अपने कमरे में आ गया और भाभी के बारे में सोच सोच कर मुठ मारने लगा.
फिर सो गया.

सुबह जब मेरी नींद खुली, तब सुबह के दस बज चुके थे. आज संडे था इसलिए मुझे कोई चिंता नहीं थी.

फिर याद आया कि आज तो भैया जाने वाले हैं तो मैं भाग कर नीचे आया तो मालूम हुआ कि भैया जा चुके थे.

भाभी- नाश्ता कर लो प्रेम!

जैसे ही मेरी नजर भाभी पर गई, तो मैं फिर से गर्मा गया.
भाभी ने ब्लू जींस और व्हाइट शर्ट पहनी थी. वो एकदम ऐसी हॉट माल लग रही थीं जैसे दिशा पाटनी सामने खड़ी हो.
मैं- हां भाभी, भूख तो बहुत जोर से लगी है.

भाभी ने दो प्लेट में नाश्ता लगाया और हम दोनों नाश्ते के लिए बैठ गए.

अब भाभी बिल्कुल मेरे सामने वाली कुर्सी पर बैठी थी.

मैंने पहली बार इतने करीब से उन्हें देखा था.
मैं तो बस उनके तने हुए चूचे देख रहा था.

भाभी नाश्ता करने में लगी हुई थीं.

जैसे ही उन्होंने मेरी तरफ देखा तो पूछने लगीं- कुछ चाहिए?
मैं- नन ना..ना कुछ नहीं.

मेरी आवाज दब सी गई. वो समझ गईं कि मैं क्या देख रहा हूं, पर उन्होंने कुछ नहीं कहा.

यहां मेरा लंड उफान ले रहा था.
मैंने लंड को हाथों से दबाया, पर वो मेरा लंड था … ऐसे मानने वाला नहीं था.

मैं भाभी से इधर उधर की बातें करने लगा.

मैंने जानबूझ कर कहा- भाभी, भैया का तो प्रमोशन हुआ है, फिर भी आप दोनों लड़ रहे थे!
भाभी- तुम्हें कैसे पता?

मैं- रात में मैं पानी पीने के लिए नीचे आया, तो पता चला कि आप दोनों लड़ रहे थे.
भाभी ने चौंकते हुए कहा- त..त…तो क्या तुमने सारी बातें सुन लीं?

मैंने जानबूझ कर कहा- हां.
भाभी हाथ जोड़कर कहने लगीं कि ये सब किसी को बताना मत प्लीज़ … नहीं तो सब जगह मेरी बेइज्जती हो जाएगी.

मैं- पर ऐसा क्या हुआ जो आपको बच्चा नहीं हुआ?
भाभी को शायद इतनी जल्दी मुझसे ऐसे सवाल की उम्मीद नहीं थी.

वो जवाब देने की जगह रोने लगीं.
मैं उनको चुप कराने के लिए उनके पास आ गया और उन्हें चुप करने लगा.

मैंने पूछा- दिक्कत क्या है भाभी?
भाभी- तुम्हारे भैया का स्पर्म काउंट कम है.

फिर उन्होंने मुझे रिपोर्ट लाकर दिखाई और बोलीं- इसी कारण मैं उनसे लड़ रही थी, पर मैंने तुम्हारे भैया को इसके बारे में अब तक नहीं बताया है.

मुझे मेरा तीर निशाने पर लगता हुआ दिखाई दे रहा था.
मैंने ज्यादा देर ना करते हुए एक और तीर छोड़ा.

मैं- भाभी आप कह रही थीं कि महीने मैं एक दो बार … आप ऐसा ही कुछ बोल रही थीं शायद?
भाभी- तो तुमने वो भी सुन लिया!

मैं- हां, पर मैं किसी को भी नहीं बताऊंगा. आप मुझ पर भरोसा कर सकती हैं. आप मुझे साफ साफ बताएं कि क्या हुआ … शायद मैं आपकी मदद कर पाऊं.
भाभी- व.व.वो … तुम्हारे भैया का छोटा है और पतला है … इस वजह से हमें कोई बच्चा नहीं है. फिर रिपोर्ट तुमने देख ही ली है.

मैं- पर भाभी टेस्ट ट्यूब बेबी भी तो कर सकते हैं न!
भाभी- हां पर स्पर्म डोनेट कौन करेगा. अगर किसी को पता चला, तो तुम्हारे भैया की बदनामी होगी.

अब मैंने डरते हुए कहा- भाभी एक रास्ता है. अगर कोई भरोसे वाला आदमी या आपका दोस्त हो, तो वो ट्राई करके देख सकती हो.
भाभी लगभग चिल्लाती हुई बोलीं- पागल है क्या … तुम मेरे बारे में ऐसा सोच भी कैसे सकते हो!

वे खड़ी हुईं और सीधा कमरे में जाकर दरवाजा बंद कर लिया.

मैं बहुत डर गया और अपने रूम में जाकर लेट गया. मैं सोचने लगा कि अगर भैया को भाभी ने ये सब बता दिया तो … या मेरी मां को बता दिया तो क्या होगा.

फिर कुछ देर बाद न जाने कैसे मेरा हाथ मेरे लंड पर आ गया और मैं एक बार को सब भूल गया कि भाभी के साथ मेरी क्या गड़बड़ हुई थी.

अगले ही पल मेरा लंड भाभी की उठी हुई चूचियों और भरी हुई गांड याद करके तन्ना गया. हाथ लंड पर चलने लगा और कुछ ही मिनट में लंड ने पानी छोड़ दिया.

वीर्य स्खलन के बाद एकदम से थकान हो गई और मेरी आंखें मुंदती चली गईं.
मुझे गहरी नींद आ गई.

सीधा शाम को मेरी आंख तब खुली जब कोई दरवाजा खटखटा रहा था.

मैंने जैसे ही गेट खोला तो सामने भाभी थीं.

मैं- भाभी सुबह वाली बात के लिए क्षमा कर दो, आगे से नहीं होगा.
भाभी- ऐसी कोई बात नहीं है, माफी तो मुझे मांगनी चाहिए थी. मैं फालतू में ही आप पर गुस्सा हो गई.

मैं चुप रहा.

भाभी- वो सब ठीक है, चलो डिनर कर लो … रात हो गई.

मैंने जैसे ही टाइम देखा तो आठ बज रहे थे.

आठ बजे का समय देखा तो मैं एकदम से चौंक कर बोला- अरे इतना समय हो गया … मुझे होश ही नहीं रहा.

भाभी हंसने लगीं और बोलीं- ज्यादा थकान से गहरी नींद आ गई होगी.

मैं भाभी की तरफ देखने लगा.
मुझे समझ नहीं आया कि मुझे थकान हो गई थी, ये भाभी को कैसे पता चला.
कहीं भाभी ने मुझे मुठ मारते हुए देख तो नहीं लिया था.

दोस्तो, भाभी के साथ मैं किस तरह से चुदाई का मजा ले सका और उनके बच्चा न हो पाने की समस्या से उन्हें निजात दिला सका.
ये सब मैं आपको देवर भाभी की सेक्सी स्टोरी के अगले भाग में लिखूँगा. आप मेल और कमेंट्स करना न भूलें.
 
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भाभी की चुत चुदाई औलाद के लिए- 2



अब तक आपने पढ़ा था कि मैं भाभी की याद में मुठ मारकर सो गया था. मुझे शाम को भाभी ने ही जगाया और मेरे साथ मजाक करने लगीं.

अब आगे भाभी की और देवर की चुदाई:

भाभी से बात होने के बाद मैंने सर झटकाया और डाइनिंग टेबल पर आ गया.

जब भाभी ने खाना लगाया और हम दोनों खाने लगे.

भाभी- मैंने उस बारे में काफी सोचा.
मैंने जानबूझ कर पूछा- किस बारे में!

भाभी ने शर्माते हुए कहा- अरे उसी बारे में … मैं तुम्हारे भैया को धोखा तो नहीं दे सकती. अगर किसी को पता चल गया तो और भी ज्यादा दिक्कत होगी … और इज्ज़त का क्या होगा!

मैं- अगर ऐसा नहीं किया तो वैसे भी उनकी इज्जत जानी है. कोई भरोसे वाला नहीं है क्या?

मैंने ऐसा जानबूझ कर कहा, पर भाभी पहले से ही शायद सब सोच कर आई थीं.

भाभी- है तो, पर वो मानेगा क्या?
मैं थोड़ा दुःखी होते हुए बोला- कौन है वो भाग्यशाली!

भाभी- तुम.
ये सुन कर पहले तो मुझे विश्वास ही नहीं हुआ.

मैं- भाभी फिर से बोलना, कुछ सुनाई सा नहीं दिया?
भाभी हंस कर बोलीं- हां तुम.

मैं मन में खुशी के मारे उछल गया. अपने लिए ये सुनते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.

मैं- सच में … भाभी मैं आपके काम में आ सकता हूँ क्या?
भाभी- हां, यहां पर तुम्हारे सिवा कोई नहीं है. वैसे भी तुम एक साल यहां पर रुकने वाले हो तो मैंने सोचा तुम ही सही हो.

मैं अपने आपको संभालते हुए धीमे से बोला- टेस्टट्यूब वाला या सादा.

भाभी ने आंख दबाई और खुल कर बोलीं- पहले तो टेस्टट्यूब का सोचा, पर तुम्हारा तम्बू देख कर मन बदल लिया.

जब भाभी ने ये कहा तो मेरा कौर हाथ में ही रह गया और मैं उनकी तरफ देखने लगा.

भाभी ने मादक अंगड़ाई ली और फिर से आंख दबा दी.

अब मैं सीधा उठा और मैंने भाभी के करीब चला गया.
भाभी मुझे अपने करीब देख कर मुस्कुरा दीं.

मैंने उनके मुँह को अपने हाथ से पकड़ कर अपनी तरफ किया और उनके होंठों पर अपने होंठ रख कर जोरदार किस करने लगा.
भाभी भी मेरा साथ देने लगीं.

पांच मिनट तक हमारा किस चलता रहा.

तभी भाभी को एकाएक होश आया, वो मुझे हटा कर बोलीं- पहले खाना तो खा लो प्यारे देवर जी!
मैंने कहा- मेरा पेट तो अब बाद में भरेगा … चलिए पहले आपका पेट भर दूँ.

भाभी हंसी और बोलीं- तुम्हारे मुँह में किशमिश.
मैंने कहा- हां अब तो मेरे मुँह में तीनों किशमिश होंगी.

भाभी हंसी और बोलीं- तीनों कैसे? दो ही तो होती हैं.

मैंने समझ लिया कि भाभी अपनी चुचियों के निप्पल को किशमिश कर रही हैं.

मैंने कहा- चलो बताता हूँ कि तीसरी किशमिश किधर होती है.

भाभी को मेरी बात से एकदम से ख्याल आ गया और वो खिलखिला कर हंस पड़ीं.

मैंने कहा- आ गया समझ में?
भाभी बोलीं- बड़े बदमाश हो … मेरी नीचे वाली किशमिश तक भी पहुंच गए.

मैंने कहा- मैं बदमाश नहीं हूँ भाभी, आपका प्यारा सा देवर हूँ.
ये कह कर मैंने भाभी को गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया.

मैंने भाभी को चूमा और बिस्तर पर पटक दिया, फिर अपनी टी-शर्ट जैसे ही उतारी.

भाभी- वाओ तुम्हारे तो सिक्स पैक्स एब्स हैं.
मैं- मेरे तो वहां भी सिक्स पैक्स एब्स हैं भाभी.

ये सुन कर वो जल्दी से उठीं और मेरा लोवर उतार कर सीधा लंड पकड़ लिया.

पहले तो कुछ समय तक भाभी लंड को देखती रहीं. फिर बोलीं- इतना बड़ा लौड़ा!
ये कह कर भाभी ने मुँह में लंड ले लिया.

यह मेरा पहला सेक्स अनुभव था तो मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगीं.
मेरी आंखें बंद हो गईं.

वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूस रही थीं. कभी पूरा का पूरा लंड मुँह में ले लेतीं, तो कभी सुपारे पर जीभ फेरने लगतीं.

मैं तो बस आंखें बंद करके आनन्द ले रहा था.

भाभी का मुँह इतना गर्म था कि मेरा लंड उनका मुख चोदन करने लगा.
मैं उनके बाल पकड़ कर आगे पीछे करने लगा.

पता ही नहीं चला कि मेरी गति कब बढ़ गई.
कुछ देर झटके देते ही मेरा वीर्य उनके मुँह में निकल गया. उनका पूरा मुँह भर गया.

भाभी ने मेरा वीर्य पी लिया और लंड चाट कर साफ कर दिया.

अब मेरा लंड मुरझा चुका था.

भाभी बोलीं- देखो तुम्हारा मुरझा गया है … फिर भी 4 इंच का है. इतना तो तुम्हारे भैया का खड़ा होकर होता था. वो भी बिल्कुल पतला सा.
मैं- भाभी, आज तो स्वर्ग की अनुभूति करवा दी आपने … वैसे ये ग़लत है कि मैं पूरा नंगा हूँ और आप अभी तक कपड़ों में हैं.

भाभी- लो तो तुम्हीं उतार लो, मैंने कहां रोका है.

वो सीधी होकर बिस्तर पर लेट गईं.

मैंने जल्दी से भाभी की शर्ट को उनके बदन से अलग कर दिया.

उन्होंने अन्दर ब्लैक कलर की ब्रा पहनी थी. ब्रा में छुपे भाभी के दोनों चूचे मानो अन्दर से बाहर आने को तरस रहे थे.

मैं चूचों को ब्रा के ऊपर से ही दबा रहा था और ब्रा को नीचे सरकाकर उन्हें एकटक देखने लगा.

बिल्कुल रसीले आमों की तरह थे. ना ही बड़े, ना ही छोटे … बिल्कुल नई नवेली दुल्हन की तरह थे जैसे आम अभी पके ना हों.

मैंने जैसे उनके नंगे चूचे दबाया तो एक अलग ही आनन्द की अनुभूति हुई.

बस फिर क्या था … मैं भूखे भेड़िए की तरह टूट पड़ा.
कभी एक दूध चूसता तो दूसरे को दबाता … कभी दूसरे को चूसता और पहले को दबाता. आगे का तो जैसे मैं भूल ही गया कि इसके आगे भी कुछ करना है.

भाभी भी बड़े प्यार से मुझे अपने दूध चुसवा रही थीं.

उनका एक हाथ मेरे सर पर जमा हुआ था और दूसरे हाथ की दो उंगलियों से भाभी मुझे अपना निप्पल पकड़ कर चुसा रही थीं.
मैं भी निप्पल को खींच खींच कर चूस रहा था.

भाभी के कंठ से मीठी आहें और कराहें निकल रही थीं- आं आंह पी लो … मेरी पूरी चूची खा लो देवर जी … आह आज पहली बार मुझे ये सुख मिल रहा है. तुम्हारे भैया ने तो कभी मेरे बूब का स्वाद लिया ही नहीं है. आह काटो मत मेरी जान चूसो आंह आह.

भाभी के दोनों दूध चूसते चूसते मेरा लंड तन कर सलामी देने लगा था और भाभी की चूचियां एकदम लाल पड़ गई थीं.
अब शायद उन्हें दर्द भी होने लगा था.

भाभी थोड़ा कराह कर बोलीं- देवर जी, इनको खाने का इरादा है क्या … दर्द हो रहा है.
मैं- भाभी, अभी तो पता नहीं कहां कहां दर्द होगा.

भाभी- क्या मैं अभी भी भाभी हूं!
मैं- सॉरी जानेमन अब से जानू … ठीक है. मगर अब तुम भी देवर न बोलो मेरी जान.

भाभी- ठीक है … मेरे राजा!
फिर भाभी की टाइट जींस को मैंने एक झटके में उतार फैंका.

उनकी पतली सी बिल्कुल सफेद दूध से भी साफ कमर पर काले रंग की पैंटी थी.
भाभी के शरीर पर एक डोरी वाली पैंटी ही बची थी.

उसको भी मैंने उंगली में फंसा कर अलग कर दिया.

जैसे ही अलग किया प्यारी सी छोटी सी गुलाबी गुलाबी चूत के दर्शन हो गए.

पहले तो मैंने चुत पर हाथ फेरा, फिर उंगली चूत के छेद पर रख कर उसे अन्दर डाल दिया.
जैसे ही उंगली अन्दर डाली, भाभी थोड़ा काम्प सी गईं.

मैं उंगली से भाभी की चूत का जायजा लेने लगा.

भाभी ने कसमसाते हुए कहा- आह मेरे राजा, तुम्हारी तो उंगली ही मेरे लिए मोटी है.
मैंने कहा- अभी सब ठीक हो जाएगा जानू … मेरी उंगली, लौड़ा सब कुछ चुत खा जाएगी. इसके बाद जब तुम्हारे खेत में मैं बीज बोऊंगा न … तो नौ महीने बाद फसल भी इसी छेद से निकलेगी.

भाभी खुश हो गईं और बोलीं- जान, यदि ऐसा हो गया तो मैं सच में तुम्हारी बड़ी आभारी होऊंगी. मैंने कल रात तुम्हारे भैया से बड़ी मुश्किल में दो बार चुदवाया था कि अब साल भर तक चुत में कुछ नहीं जा सकेगा … और उन्होंने भी मेरे अन्दर अपना रस टपकाते हुए कहा था कि भगवान ने चाहा तो इस बार तुम्हारी कोख जरूर भर जाएगी.

ये सुनकर मैंने कहा- जानू, इस बार जब तुम्हारी माहवारी कुछ संकेत दे, तो उसी समय तुम भैया को खुशखबरी दे देना कि उनकी मेहनत सफल हो गई. ताकि तुम्हारा सम्मान बना रहे और तुम मां भी बन जाओ.

भाभी बच्चे की मां बन जाने की बात सुनकर एकदम खुश हो गईं और मुझे चूमने लगीं.

मैंने किस के बाद कहा- जानू, इस बार तुमने मुँह में किशमिश वाली बात नहीं कही?
भाभी हंस दीं और बोलीं- दो किशमिश का मजा तो ले ही चुके हो, अब तीसरी का मजा भी ले लो.

मैंने ये सुनते ही उनकी टांगें खोल दीं और उनकी रस की बूंदों से चमचमाती चुत पर अपना मुँह लगा दिया.

भाभी की आंह निकल गई- आंह मर गई रे … आह मेरी जान चूस लो इस निगोड़ी को … साली बहुत खुजलाती है.

मैंने भाभी की क्लिट को अपने होंठों में दबा कर खींचने लगा और भाभी की आहें जोर से निकलने लगीं.

दो मिनट में ही भाभी की गांड ऊपर उठने लगी और उनके दोनों हाथों ने मेरे सर को अपनी चुत पर दबा लिया.

कुछ ही क्षण में भाभी का बदन ऐंठने लगा और उनकी चुत ने रोना शुरू कर दिया.
चुत रस भलभल करके रिसने लगा और भाभी ने अपने हाथों की मुट्ठियों से चादर को भींच लिया.

मैं भाभी की चुत से टपकते रस को चाटने लगा और उनकी चुत को चाट चूस कर साफ़ कर दिया.

कुछ समय के लिए हम दोनों निढाल होकर लेट गए.

मेरे अन्दर अभी भी जोश था और मैं भाभी के एक दूध में मुँह लगाए उसे चुसक रहा था.

भाभी मेरा सर सहला रही थीं- जान, आज तुमने मुझे बिना चोदे इतना मजा दे दिया … उतना तो मैं दस बार चुद कर भी नहीं ले सकती थी.
मैंने कहा- जानू अभी तो खेल शुरू हुआ है. जब मैं तुम्हें चोदूंगा तब बताना कि कैसा लगा.

इसी तरह की बातों में हमारे बीस मिनट पास हो गए थे.

अब मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया और अपने खड़े लंड को भाभी की चुत पर रगड़ने लगा.
भाभी भी अपनी दोनों टांगें खोल कर अपनी चुत की फांकों में मेरे लंड का सुपारा घिसवा कर मजा लेने लगीं.

मैंने कुछ देर बाद भाभी से कहा- अब मैं अन्दर डाल दूँ या अभी रुकना है?
भाभी बोलीं- डाल दो ना … मेरी चुत में चींटियां रेंग रही हैं.

मैंने सुपारा चुत की फांकों में सैट किया और हल्का सा दाब दे दिया.
मेरा एक चौथाई लंड भाभी की चुत को चीर कर अन्दर घुस गया.

भाभी की चीख निकल गई- आं आंह मर गई जान … मेरी फट जाएगी … आंह धीरे करो.

मैं धीरे धीरे भाभी की चुत को भोसड़ा बनाता गया और मेरा पूरा लंड चुत में पेवस्त हो गया.

कुछ मिनट तक भाभी को बेहद दर्द हुआ, फिर चुदाई का मजा आना शुरू हो गया.

मैंने भाभी को हचक कर चोदा और बीस मिनट बाद अपना लंडरस उनकी चुत में छोड़ दिया.

उस रात भाभी ने मुझसे तीन बाद चुदाई का मजा लिया. फिर हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.

करीब दस दिन तक ताबड़तोड़ चुदाई हुई और जब माहवारी का समय निकल गया, तो भाभी बेहद खुश हो गईं.
उन्होंने भैया को फोन पर मुबारकबाद दी कि उनको बच्चा ठहर गया है.

मैं भाभी के साथ उनके पति के जैसे रहने लगा और नौ महीने बाद भाभी ने एक सुंदर सी बेटी को जन्म दिया.

दोस्तो, ये मेरी देसी भाभी सेक्स कहानी थी.
 
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भाभी माँ का देवर … नादान



दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है और मैं इस वक्त 20 साल का हूँ। मैं Xforum पर कहानियाँ पढ़ता हूँ, पॉर्न भी देखता हूँ और अपनी बड़ी भाभी की चुदाई भी करता हूँ।

अब मर्दों के लंड तो ये इतना सा पढ़ कर ही खड़े हो गए होंगे, सोचने लगे होंगे कि मेरी भाभी दिखने में कैसी है, कैसे मैंने उसे पटाया और कैसे चोदा।
और भाभियों की चूत में भी सुरसुराहट हुई होगी कि हाय … अपने छोटे देवर से चुदवाती है, कैसा मज़ा आता होगा।

चिंता मत कीजिये, मैं अभी आप सब को अपनी सारी कहानी खोल कर सुना देता हूँ।

बात यूं है कि हमारे घर में हम सिर्फ चार लोग थे, माँ पिताजी और हम दो भाई। मगर हम दोनों भाइयों में उम्र का 12 साल का फर्क था। बड़े भैया से मैं बहुत डरता था।

मैं बहुत छोटा था, जब मेरे माँ और पिताजी गुज़र गए। उसके बाद मेरे बड़े भैया ने ही मुझे पाल पोस कर बड़ा किया, मुझे पढ़ाया लिखाया भी।
भाई तब 22 साल के थे जब उन्होंने शादी करी। हमारे घर में मुक्ता, उनकी बीवी, मेरी बड़ी भाभी बन कर आई।

शुरू से ही भाभी ने मुझे अपने बच्चों की तरह ही प्यार दिया। शादी के पाँच छह साल तक सब ठीक चला, मगर न जाने क्यों भाभी के कभी औलाद नहीं हुई। मतलब वो गर्भवती तो होती थी मगर हर बार उनका गर्भपात हो जाता।

वो बहुत रोती बिलखती. मगर भगवान को न जाने क्या मंजूर था।

मैं अपने बड़े भैया को बाबूजी और भाभी को भाभी माँ कहता था। दोनों मुझे अपने बेटे की तरह ही प्यार करते थे और मैं भी दोनों को ही अपने माँ बाप की तरह ही सम्मान देता हूँ, आज भी।

मगर कभी कभी किस्मत आपके लिए बहुत सख्त इम्तिहान लेकर आती है।

शादी के 6 साल बाद ही भैया का एक एक्सीडेंट में इंतकाल हो गया। मैं और भाभी तो बुरी तरह से टूट गए।
खैर भैया एक सरकारी महकमे में काम करते थे, तो भैया की जगह भाभी को नौकरी की ऑफर हुई, तो भाभी ने ले ली।

अब हमारे घर सिर्फ हम दोनों रह गए थे। पहले मैं भाभी माँ कहता था, मगर जब से भैया हमें छोड़ कर चले गए तो उसके बाद मैंने भाभी माँ को सिर्फ माँ कहना शुरू कर दिया क्योंकि वो मुझे अपने बेटे की ही तरह प्यार करती थी. कभी कभी गलती करने पर डांट भी देती थी, मार भी देती थी।

मगर मैं अपनी भाभी माँ की इतनी इज्ज़त करता हूँ, उनसे इतना प्यार करता हूँ कि मैंने कभी उनकी मार का या डांट का बुरा नहीं माना।

हम दोनों माँ बेटे की ज़िंदगी बड़े अच्छे से चल रही थी।

हालांकि कभी कभी मेरे स्कूल के दोस्त मुझे मज़ाक में छेड़ देते थे कि तेरी भाभी तो बड़ी सेक्सी है, या भाभी के साथ क्या क्या करते हो। मगर मैंने उनकी बातों हमेशा सख्ती से काट दिया, तो कुछ समय बाद मेरे दोस्त भी समझ गए कि वो मेरी भाभी नहीं माँ हैं।

मगर उन दोस्तों के साथ मुझे ब्लू फिल्म देखने और हाथ से मुट्ठ मारने की आदत पड़ गई।

बेशक मैंने बहुत सी औरतों और लड़कियों के बारे में सोच कर मुट्ठ मारी थी, मगर मेरी सोच में मेरी भाभी माँ कभी नहीं आई। मैं उनकी इज्ज़त ही इतनी करता था कि कभी सोचा ही नहीं था कि भाभी माँ भी हैं तो एक औरत ही।

फिर एक दिन मेरे जीवन में एक बहुत बड़ी उठा पटक हो गई।
हुआ यूं कि मेरे एक दोस्त ने मुझे एक सेक्सी किताब दी, जिसमे अंग्रेज़ और हब्शी लड़के लड़कियां ग्रुप में एक दूसरे के साथ सेक्स कर रहे थे। उसमें बहुत सी तस्वीरें थी, किसी में कोई लड़की लंड चूस रही है, कोई चुद रही है। कोई लड़का किसी लड़की के मम्मे चूस रहा है, कोई चूत मार रहा है, कोई गांड मार रहा है।

मै उस किताब को अपने घर के ऊपर बने कमरे में ले गया, और अकेला वहाँ बैठ कर उस किताब को देखने लगा। देखते देखते मेरा तो लंड तन गया और मैंने अपना बरमूडा और चड्डी नीचे खिसकाई और लंड निकाल कर हाथ से मुट्ठ मारने लगा।

भाभी नीचे दोपहर का खाना बना रही थी।

एक के बाद एक बढ़िया बढ़िया और सेक्सी पिक्स आ रही थी। मेरा मन बेहद बेताब था, मैं मन ही मन सोच रहा था कि ऐसी ही कोई लड़की या औरत मेरे पास आ जाए जिसे मैं चोद कर अपनी काम वासना की पूर्ति कर लूँ।

मगर औरत मुझे कहाँ मिलती! इसलिए अपने हाथ से मुट्ठ मारना ही मेरा एक मात्र सहारा था। 18 साल का लौंडा, साढ़े 6 इंच का कड़क लंड। मुट्ठ मार कर अपने लंड की चमड़ी के टांके तो मैंने पहले ही तोड़ लिए थे।

कभी उस किताब में नंगी तस्वीरों को देखता, तो कभी आँख बंद करके उन लड़कियों से सेक्स करने के सपने देखता।

दीन दुनिया से बेखबर मैं अपने आप में ही मस्त हुआ मुट्ठ मरने के मज़े ले रहा था कि तभी सामने से आवाज़ आई- प्रदीप, ये क्या कर रहा है?
मैं एकदम से डर के काँप गया।
देखा तो सामने भाभी माँ खड़ी थी।
मेरे तो होश फाख्ता हो गए, क्या करूँ कुछ समझ ही नहीं आया।

इतने भाभी माँ चल कर मेरे पास आई और मेरे हाथ से वो किताब छीन ली- ये कहाँ से लाया?
उन्होंने पूछा।
मैं चुप।
उन्होंने किताब के एक दो पन्ने पलट कर देखे.

मैंने धीरे से अपना तना हुआ लंड छुपाने के लिए अपना बरमुडा और चड्डी ऊपर को खींची तो भाभी ने किताब फेंक कर झट से से मेरा बरमूडा मेरी कमर से पकड़ लिया.

फिर भाभी बोली- अब क्या छुपा रहा है, अब शर्म आ रही है, और ये गंद मंद देखते हुये शर्म नहीं आई? अपने हाथों से अपने जिस्म का नाश करते हुये शर्म नहीं आई? मेरे बच्चे, ये सब करना ठीक नहीं है। इससे आदमी की ताकत खत्म हो जाती है. कल को तेरी शादी होगी तो कमजोरी की वजह से बीवी के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा। तुझे ऐसी गंदी आदत किसने लगा दी? कौन है वो हरामज़ादा, उसको तो मैं ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी।

मैंने अपना बरमूडा थोड़ा ऊपर को सरकाना चाहा तो भाभी माँ ने फिर से बड़ी मजबूती से मुझे रोक दिया।
“क्या ऊपर को खींच रहा है, इतनी देर से मैं सामने खड़ी देख रही थी, तब तो नहीं छुपाया, अब छुपा रहा है। बहुत शर्मिला बन रहा है, हट, छोड़ हाथ!” कहते हुये भाभी माँ ने मेरा बरमूडा और चड्डी फिर से नीचे तक सरका दिया।

मेरा अधखड़ा सा लंड उनके सामने था। भाभी माँ ने बड़ी हसरत से मेरे लंड को देखा और फिर अपने हाथ में पकड़ लिया- कितने साल बाद देखने को मिला.
और ये कहते कहते उन्होंने मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में ले लिया।

मैं एकदम से दूर छिटका- भाभी माँ, ये आप क्या कर रही हो?
वो उठ कर खड़ी हुई, और मेरे पास आ कर बोली- अच्छा, तू गंदी किताब देख कर हाथ से करे तो ठीक और मैं अगर कुछ करना चाहूँ तो गलत?
मैंने कहा- भाभी माँ ये सब गंदी औरतें हैं, इनका कोई दीन धर्म नहीं होता। आपको मैंने हमेशा अपनी माँ माना है, मैं अपनी माँ के साथ ऐसा नहीं कर सकता।

भाभी बोली- अच्छा, तू नहीं कर सकता, और अगर तेरी भाभी माँ कल को किसी गैर मर्द के साथ ऐसा करती है तो तब तू क्या कहेगा?
मैंने कहा- आप ऐसा क्यों करोगी?

वो बोली- क्यों … मैं क्या इंसान नहीं हूँ, मेरा दिल नहीं, मुझे इस सब की इच्छा नहीं होती। और तू तो मेरे घर का है। मेरे पति के वंश का, उनका ही लहू तेरी रगों में भी दौड़ता है। तुम में ही तो मैं तुम्हारे भैया को देखती हूँ। फिर तुम्हारे साथ ये सब गलत कैसे है?

मैंने कहा- नहीं, मैं इसे सही नहीं मानता, जो गलत है सो गलत है।
भाभी बोली- तो ठीक है, मैं तुम्हें ये सब करते देख चुकी, हूँ, और मेरा भी मन चाह रहा है, तो कल को अगर मैं किसी और के साथ ये सब करने लगूँ तो बुरा मत मानना।

मैं तैश में आ गया- आप ऐसा कुछ नहीं करेंगी, आप हमारे घर की इज्ज़त को इस तरह से नहीं लुटा सकती।
वो बोली- अब जब घर वाले ही अपने घर की इज्ज़त को नहीं संभाल सकते, तो कोई न कोई तो बाहर वाला लूट ही लेगा।

असमंजस में फंस गया मैं तो! भाभी माँ तो मन बना चुकी थी, मैं क्या करूँ, अपनी ही माँ समान भाभी के साथ सेक्स करूँ, या फिर उस दिन का इंतज़ार करूँ जिस दिन कोई हरामज़ादा मुझे मज़ाक में बताए कि तेरी भाभी माँ फलां फलां से चुदवा रही है।

मैं बहुत पशोपेश में था।

भाभी माँ बोली- देख, तू मेरा बेटा है, अगर तू ही मेरा ख्याल नहीं रखेगा, तो कौन रखेगा?
मैं इस असमंजस की स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर पाया और रो पड़ा- नहीं माँ, मैंने आपको हमेशा अपनी माँ ही माना है, मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता।

भाभी आगे आई और उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया- न मेरा बेटा, रो मत, रो मत, मैं तेरे साथ हूँ न, क्यों रोता है। अरे पगले इस से पहले दुनिया तेरी भाभी माँ को किसी न किसी तरीके से से फंसा कर खराब करे, अगर तू उसे संभाल ले तो इसमें क्या दिक्कत है। रहेगा तो फिर भी तू मेरा बेटा ही! इसमें कोई बुराई नहीं बेटा, बहुत से देवर भाभी में ऐसा होना आम बात है। अगर सच कहूँ, तो मैंने पहले भी कई बार ऐसा सोचा था, मगर तुमने कभी मेरी तरफ देखा ही नहीं, तो मेरी भी हिम्मत नहीं हुई। आज तुमको इस हालत में देखा तो मुझे सच में बहुत बुरा लगा कि मेरा
बेटा अपने हाथ से अपनी जवानी को क्यों खराब कर रहा है। तुम्हें एक सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है। मैं तुम्हें समझाऊँगी के कैसे अपनी जवानी को बचा कर रखा जा सकता है। बस जो मैं कहती हूँ, तो वो करता जा।

अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े चक्रव्यूह में फंसा खड़ा रहा.

और भाभी माँ ने एक छोटा सा स्टूल खींचा और मेरे सामने उस पर बैठ गई. मेरा बरमूडा और चड्डी दोनों खींच कर बिल्कुल ही उतार दिये भाभी ने … मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और फिर पहले तो उसके टोपे पर चूमा और उसके बाद अपने मुँह में ले लिया.

और ऐसा चूसा कि साला 5 सेकंड में ही मेरे लंड का लोहा बना दिया। पूरा अकड़ कर मेरा लंड जब खड़ा हुआ तो भाभी बोली- वाह क्या शानदार लंड है, ऐसा लंड तो मैं कब से चाहती थी! कब से … आह!

भाभी फिर से मेरा लंड चूसने लगी। उनके मुँह से तो जैसे लार की धार बह रही हो, मेरा लंड मेरे आँड वो सब चाट गई, चूस गई।

फिर वो स्टूल से उतर के नीचे फर्श पर ही बैठ गई और मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया.

और अब मेरा लंड अपने मुँह में लिया तो मेरी कमर को अपने हाथों से आगे पीछे हिलाने लगी.

तो उनका इशारा समझ कर मैंने भी अपनी कमर चालानी शुरू कर दी. और फिर तो मुझे मज़ा ही आ गया, भाभी का मुँह भी किसी चूत से कम नहीं था।
क्या मज़ा आया भाभी का मुँह चोद कर।

मैंने भी भाभी का सर पकड़ लिया और खुद से ही उनके मुँह को चोदने लगा। भाभी ने भी बड़े मज़े मज़े ले ले कर अपने गले तक मेरा लंड लेकर अपना मुँह चुदवाया।

फिर वो उठ कर खड़ी हुई और उन्होंने अपनी टी शर्ट और लोअर उतार दिया। पहली बार मैंने अपनी भाभी माँ को अपने सामने बिल्कुल नंगी देखा।
दूध जैसे गोरे, मोटे बड़े बड़े मम्मे, थोड़े ढलके हुये, मगर हल्के भूरे रंग के निप्पल … छोटे छोटे निप्पल।

मैंने आज तक भाभी माँ को ऐसे देखना तो क्या, कभी उनके बारे में ऐसा सोचा भी नहीं था. मगर आज वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और मैं उनके सामने।

भाभी माँ ने जब मुझे उनके मम्मों को घूरते हुये देखा तो मेरे बिल्कुल पास आई और उनके निप्पल मेरे सीने को छू गए।

वो बोली- क्या देख रहा है मेरा बाबू? मम्मा का दुदु पियेगा? हाँ … भूखू लगी मेरे बाबू को? लो पियो!

और भाभी ने अपना एक मम्मा अपने हाथ में उठा कर मेरी तरफ बढ़ाया और दूसरे हाथ से मेरा सर नीचे को झुकाया.

फिर मैंने भी सारी शर्म लिहाज उतार फेंकी। मैंने भी आगे बढ़ कर भाभी का एक मम्म अपने मुँह से चूसना शुरू कर दिया और दूसरे मम्मे को अपने हाथ से दबाया।
मखमल जैसे नर्म मम्मे।
जितना दबाओ, दिल न भरे! और हल्के नमकीन स्वाद वाले उनके निप्पल, जितना भी चूसो मन न भरे।
मैं तो जैसे अपने होशो हवास ही खो बैठा।

भाभी ने मेरे लंड को सहलाया और बोली- अगर मेरा बाबू मेरा दुदु पिएगा तो बाबू को इसका दुदु अपनी मम्मा को पिलाना पड़ेगा.

और भाभी ने मेरे लंड को खींच कर इशारा किया।
मैंने कहा- भाभी माँ, मैं तो आज से आपका गुलाम! आप जो कहोगी मैं वो करूंगा।
भाभी बोली- तो ठीक है, यहाँ जगह ठीक नहीं है, नीचे चलते हैं, बेडरूम में बिस्तर पर आराम से सब करेंगे।

और भाभी ने अपना लोअर और टी शर्ट फिर से पहनी। मैंने सिर्फ अपना बरमूडा पहना और हम दोनों नीचे बेडरूम में आ गए।

अंदर आते ही भाभी ने अपनी लोअर टी शर्ट एकदम से उतार फेंके और मैं भी नंगा हो गया।

भाभी बिस्तर पर लेट गई और अपने हाथ के इशारे से मुझे बुलाया- आओ मेरे बालम, अपनी प्रियतमा के तन की प्यास बुझाओ।
मैं जा कर भाभी के ऊपर लेट गया।

भाभी ने मुझे कस कर अपने बदन से चिपका लिया और वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।

मैंने भी भाभी के होंठ, गाल, ठुड्डी सब चूसे। भाभी को उसकी गर्दन के आस पास चूमने चाटने से बड़ी गुदगुदी होती थी। जब भी मैंने ऐसा किया, वो बहुत खिलखिला कर हंसी।
तो मैंने कहा- भाभी माँ आगे करें?
भाभी बोली- अगर मैं करूँ तो?
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी … आप कर लो।

भाभी ने मुझे मुझे नीचे लेटाया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई। पहले अपने बाल बांधे, मैंने उनके दोनों मम्मो को अपने हाथों से पकड़ कर दबाया।
और फिर भाभी ने अपने मुँह से काफी सारा थूक लेकर मेरे लंड के टोपे पर लगाया. फिर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया. और जैसे ही भाभी थोड़ा सा नीचे को बैठी, मेरे लंड का टोपा उनकी गुलाबी फुद्दी में घुस गया.

मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गया.

2-4 बार अंदर बाहर करने से ही मेरा सारा लंड भाभी माँ की फुद्दी में समा गया। भाभी माँ मेरा पूरा लंड अपनी फुद्दी में लेकर मेरी कमर पर ही बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।

वो क्या सोच रही थी, मुझे नहीं पता। मगर मैं ये सोच रहा था कि इंसानी रिश्ते कैसे होते हैं, कब इन रिश्तों का क्या रूप बदल जाए कोई कुछ नहीं कह सकता।

अभी सुबह तक जो मेरी भाभी माँ थी, जिसे मैं अपनी पालने वाली माँ मानता था। अब वो मेरी महबूबा थी और मेरा लंड अपनी चूत में लिए बैठी है।

मैं भाभी माँ के मम्मो से खेलता रहा।

भाभी थोड़ा सा आगे को झुकी और फिर वो अपनी कमर आगे पीछे को हिलाने लगी।

सच में इस चुदाई में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। हाथ से मुट्ठ मारना तो इसका 1 प्रतिशत भी नहीं नहीं है।

एक गोरी छिट्टी भरपूर औरत मेरे ऊपर नंगी बैठी मुझे एक उत्तम आनंद दे रही थी।

काफी देर भाभी खुद ऊपर चढ़ कर चुदवाती रही और मैं नीचे लेटा कभी उनको मम्मों से खेलता, कभी उनको चूसता। बीच बीच में भाभी नीचे को झुक कर मेरे होंठ चूसती, अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती।

साला कोई फर्क ही नहीं रह गया था, उनका थूक मेरे मुँह में, मेरा थूक उनके मुँह में।

भाभी की चूत जितना पानी छोड़ रही थी, उनके मुँह से भी उतनी ही लार टपक रही थी। कई बार उनके मुँह से लार मेरे मुँह पर मेरे सीने पर गिरी मगर मुझे कोई ग्लानि महसूस नहीं हुई।
बल्कि मैं तो उनकी टपकती हुई लार को चाट रहा था। उनको होंठों को चूस रहा था, उनके मम्मों पर अपने दाँतों से काट रहा था।

भाभी तड़पती, लरजती, मगर उन्होंने मुझे रोका नहीं।

फिर वो उठी और बोली- चल ऊपर आ!
वो नीचे लेट गई। उन्होंने अपनी टाँगें पूरी तरह से खोली।

हल्की झांट के बीच उनकी साँवली सी चूत, मगर चूत के दोनों होंठों के बीच में से झाँकता गुलाबी रंग का दाना।

मैंने भाभी की चूत के दाने को अपनी उंगली से छूआ।
भाभी ने ‘सी…’ करके सिसकी भरी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा, तो भाभी ने अपने हाथ से पकड़ कर सेट किया, और अगले हल्के से धक्के से मेरा लंड भाभी माँ की चूत में समा गया।
फिर मैंने अपने हिसाब से चुदाई शुरू की, जैसे के मैंने ब्लू फिल्मों में लोगों को करते देखा था। कितनी देर मैं भाभी को बिना रुके बिना झड़े चोदता रहा।

इस दौरान भाभी एक बार बहुत तड़पी थी।
मैंने पूछा- आपका हो गया?
वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ, मेरे यार ने मेरी तसल्ली करवा दी।

उसके कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी मेरा होने वाला है।
भाभी बोली- रुक, अंदर मत करना मेरे मुँह में कर, मुझे तुम्हारा टेस्टी गाढ़ा माल पीना है।

मैंने अपना लंड भाभी की चूत से बाहर निकाला तो भाभी अपने हाथ से मेरे लंड को फेंटने लगी और 2 मिनट में ही जब मेरे लंड से माल गिरने को हुआ, मैंने अपना लंड भाभी के मुँह में घुसा दिया और मेरा सारा माल भाभी माँ के मुँह में झड़ा।

जैसे जैसे एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी भाभी माँ के मुँह में छूटी, वैसे वैसे वो उसे पीती गई।
मैं देख रहा था कि कैसे मेरा माल भाभी माँ के गले से नीचे उतर रहा था।

वो हाथ से मेरे लंड को हिलाती भी रही और जीभ से मेरे लंड को चाटती भी गई, पूरा माल पी गई, और उसके कितनी देर बाद तक मेरे लंड को अपने मुँह में लिए रही।
आखिरी बूंद तक वो पी गई।

जब मेरा लंड ढीला पड़ गया तब उन्होंने अपने मुँह से अपने देवर का लंड निकाला। चूस चूस के मेरे लंड को भाभी ने लाल कर दिया था।

मैंने पूछा- भाभी माँ, कैसा लगा?
वो बड़ी खुश होकर बोली- यार मज़ा आ गया।
मैंने कहा- और मज़ा करोगी?
वो बोली- क्यों नहीं?

मैंने कहा- तो इस बार सारी चुदाई मैं अपने ढंग से करूंगा।
वो बोली- अरे मेरी जान, तेरी रांड हूँ, अब तो मैं! जैसे चाहे चोद ले।

मैं अगली चुदाई के लिए अपने लंड को हिलाने लगा और सोचने लगा, इस बार साली भाभी रांड को घोड़ी बना के नहीं कुतिया बना के चोदूँगा।
 
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junglecouple1984

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