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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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शरीफ चाची को अपना लंड दिखा कर चोदा-1



दोस्तो … मेरा नाम दीपक सोनी है. मेरी उम्र 23 साल, हाईट 5 फुट 11 इंच है और रंग गोरा है. मैं दिखने में सुंदर हूं और हरियाणा का रहने वाला हूं. मेरे लंड की लम्बाई 6 इंच है और मोटाई 3 इंच है. मैं ये नहीं कहूंगा कि मेरा लंड बहुत बड़ा है, पर फिर भी मेरे लंड ने अच्छी अच्छी औरतों का पानी निकाला हुआ है.

दोस्तो, मैं औरों की तरफ डींगें नहीं हांकता कि मेरा लंड 8 इंच है या 10 इंच का है, जो भी है, यही है. क्योंकि मुझे तो पता है न कि मेरे लंड में कितना दम है. मेरा लंड वो लम्बी रेस का घोड़ा है, ये एक बार चूत या गांड में शुरू हो जाता है, तो रुकने का नाम ही नहीं लेता है.

यह चुदाई की कहानी मेरी और मेरी चाची के बारे में है. मेरी चाची की उम्र 31 साल है. उनकी हाईट 6 फीट के आस पास है. उनके चूचे 34 इंच के एकदम ठोस हैं. चाची की बलखाती कमर 30 इंच की है और गांड 38 इंच की है. चाची का ये साइज मुझे उनको चोदने के बाद में पता चला था.

अब आप अनुमान लगा सकते हो कि 6 फिट की ऊंचाई वाली औरत और उसका इतना भरा हुआ बदन होगा, तो वो औरत कैसी लगती होगी.

सच बताऊं, तो अब भी सोच सोच कर मेरा लंड फटने को हो जाता है कि मैंने इतने हसीन और भरे हुए जिस्म की मालकिन की चुत मारी है.

ये कहानी बिल्कुल सच है, इसमें लिखा हुआ एक एक शब्द सही है.

दोस्तो, मुझे शुरू से ही लड़कियों से ज्यादा औरतों में ही रूचि रही है. ऐसा नहीं है कि मुझे लड़कियां बिल्कुल भी पसंद नहीं हैं, पर औरतें ज्यादा पसंद हैं. उनके बाहर निकलती हुए मोटी मोटी गांड, मोटे मोटे चुचे मुझे पागल कर देते हैं. मुझे ख़ासकर भाभी या शादीशुदा औरतें ज्यादा पसंद थीं … जो मुझसे चार-पांच साल बड़ी होतीं या जिनका शरीर मेरी पसन्द का होता था. उनके मोटे-मोटे होंठ, रंग सांवला हो या गोरा, मगर मम्मों का साइज़ कम से कम 34 इंच का हो. ऐसी औरतों में मेरी ज्यादा रूचि होती थी.

मेरी प्रेमिकाएं भी कई सारी रही हैं और कई औरतों से बात भी होती थी, मगर सेक्स करने का मन उन्हीं के साथ करता था, जिनका जिस्म मेरी पसंद का होता था.

ये बात आज से 4 साल पहले की है उस समय मैं 12वीं में था और ताजा ताजा जवान हो रहा था. मेरे पड़ोस में एक चाची रहती थीं, उनका नाम कविता (बदलता हुआ नाम) है, वो शुरू से ही बहुत ही समझदार और शरीफ किस्म की महिला रही हैं. उनसे मेरा एक अलग सा लगाव रहा है.

हमारे परिवार का शुरू से ही उनके घर आना जाना रहा है. वो मेरी मम्मी की एक बहुत अच्छी सहली भी हैं. जब से मैंने होश संभाला है … मतलब कि जब से लंड ठीक से खड़ा होना शुरू हुआ है, मैं उनको ही देखते आया हूं. मैं शुरू में चाची को सिर्फ प्यार भरी नजरों से देखता था. उस टाइम तक मेरे दिल में उनके लिए कोई गलत विचार नहीं था, बस वो मुझे अच्छी लगती थीं. वो मुझे जो भी काम कहती थीं, मैं उसको तुरंत पूरा करता था, चाहे वो कैसा भी काम हो और किसी भी समय हो.

मुझे पता नहीं क्यों … एक जुनून सा सवार रहता था कि मैं सारा दिन सिर्फ चाची के पास ही रहूँ. मैं भी चाची को अच्छा लगता था और काफी बार वो मुझे बोलती भी थीं कि तू मेरा सबसे प्यारा बेटा है. कभी कभी वो मुझे गले भी लगा लेती थीं, पर उस टाइम तो मुझको इन बातों की समझ ही नहीं थी.

फिर धीरे धीरे टाइम बदलता गया और मैंने 12वीं अच्छे नंबरों से पास कऱके कॉलेज में दाखिला ले लिया. मैं कॉलेज जाने लगा, वहां मेरी दोस्ती अजय नाम के लड़के से हुई और ये दोस्ती मेरे लिए सेक्स के मामले में वरदान साबित हुई.

अजय एक बहुत ही बिगड़ा हुआ लड़का था, पर मुझे वो उस टाइम नहीं लगा. हम दोनों हर रोज सेक्स की किताबें पढ़ते थे. उस टाइम ना तो मेरे पास फ़ोन होता था और सेक्स फिल्म देखना तो बहुत दूर की बात थी. मेरा दोस्त हर रोज एक सेक्स की किताब लाता था, क्योंकि उस टाइम सेक्स की किताबें ही ज्यादा आती थीं. अगर किसी ने पढ़ी होंगी, तो वो मेरी बात अच्छे से समझ सकता है.

इस तरह मुझे मेरे दोस्त के द्वारा ही धीरे धीरे सेक्स का पता लगने लगा. उसने ही पहली बार मुझे मुट्ठी मारना सिखाया और जब मेरा पानी निकला, मैं आप लोगों को पता नहीं सकता दोस्तो कि कितना मजा आया. मेरे तो हाथ पैर ही फूल गए थे और मैं पूरा खड़ा हो गया था. वो पहला अनुभव मुझे आज भी याद है और वो मेरी पहली मुट्ठी मेरे दोस्त ने ही मारी थी.

आप लोगों को तो पता होगा ही, अगर एक बार मुट्ठी मारी, फिर अपने आपको मुट्ठी मारने से रोक पाना बहुत मुश्किल हो जाता है. वो भी किसी दूसरे हाथ से मारी गई हो, तो बात ही क्या है.

उस दिन से मुझे मुट्ठी मारने का ऐसा चस्का लगा कि मैं हर रोज मुट्ठी मारने लगा. मुझे मेरे दोस्त की बदौलत सेक्स का भी अच्छा ज्ञान हो गया था और धीरे धीरे हम दोनों की दोस्ती और भी गहरी होती गई. अब तो वो हर रोज मुझे एक नई सेक्स किताब ला कर देता और मैं उसके घर से भी किताब लाकर पढ़ने लगा.

अब आते हैं चाची जी के मुद्दे पर …

जब धीरे धीरे मेरा चाची को भी देखने का नजरिया बदलने लगा था, तो मुझे बस ये हो गया था कि किसी भी तरह चुत और गांड मारनी है. मैं आप लोगों को एक बात बताना चाहूँगा कि मुझे चुत से ज्यादा गांड मारना ज्यादा अच्छी लगती थी. मैं जब भी किसी महिला को देखता, तो एक बार पीछे मुड़ कर उसकी मटकती हुई गांड को जरूर देखता था.

अब जब भी मैं चाची के पास जाता तो था … पर मेरे देखने का नजरिया बदल गया था. वो जब भी झाड़ू लगातीं या पौंछा लगातीं, तो मेरी नजर या तो उनके चुचों पर होती या फिर गांड पर टिकी रहती.

आप लोगों को पता होगा कि महिलाएं आम तौर पर जब पौंछा लगाती हैं, तो अपना पीछे के हिस्से का सूट उठा लेती हैं. उस समय उनकी गांड की शेप लाजवाब दिखता है. आप कल्पना करो कि मेरी 6 फिट की चाची और वो भी इतनी मस्त गांड और चूचों वाली चाची … उस समय कैसी लगती होगी. मुझे पूरा यकीन है आप लोगों का हाथ अपने आप अपने लंड पर चला गया होगा.

मेरी चाची का यौवन इतना लाजवाब था कि बूढ़े का भी लंड खड़ा हो जाए, फिर मैं तो अभी अभी जवान हुआ था. सोचो कि मेरा क्या हाल हुआ होगा.

मैं हर रोज कम से कम दिन में 4-5 बार उनके घर जाने लगा था, अब तो मुझे बस उनके घर जाने की ही लगी रहती थी.

दोस्तो, आप सबको एक बात और बता दूँ कि जब से मैं अपने दोस्त के सम्पर्क में आया था, तब से इसका असर मेरी पढ़ाई पर भी पड़ा … क्योंकि अब मैं कॉलेज की पढ़ाई की तरफ कम ध्यान था और सेक्स की किताबों की तरफ ज्यादा हो गया था. घर वालों को इस बात की चिंता होने लगी और उन्होंने मेरी टयूशन लगवाने की सोची.

जब बात टयूशन की चली, तो मेरी मम्मी ने कहा कि तेरी चाची ने हिस्ट्री से एम.ए किया हुआ था और तेरे कॉलेज में भी तेरा विषय हिस्ट्री ही है, तो मैं उनसे बात कर लूँ?
चाची का नाम सुनते ही मेरी बांछें खिल गईं.

फिर मेरी मम्मी ने मेरी चाची से इस विषय में बात की और मेरी चाची तुरंत मान गईं. क्योंकि मैं उनके काम आता रहता था और उनको भी दुःख हुआ कि मैं पढ़ाई में पीछे होता जा रहा हूं.
इस तरह मेरा उनके घर टयूशन शुरू हो गया और मैं चाची के पास पढ़ने जाने लगा.

पहले ही दिन चाची ने जाते ही पूछा- क्या बात है दीपू (घर पर मुझे सब प्यार से दीपू ही कहते हैं), आजकल तुम्हारा ध्यान कहां रहता है? कहीं तुम्हें कॉलेज की हवा तो नहीं लग गई?
मैंने कहा- नहीं चाची जी ऐसे तो कोई बात नहीं है.
फिर उन्होंने कहा- देख तू मुझे अपनी चाची नहीं … सिर्फ अपनी दोस्त के जैसी ही समझ.

उनके मुँह से ये सुनते ही मेरे कान खड़े हो गए और मैं उनके मुँह की तरफ देखने लगा.

फिर उन्होंने कहा- ऐसे क्या देख रहा है, कॉलेज में कोई लड़की नहीं देखी क्या, जो इतने गौर से देख रहा है?
मैंने भी बात में बात मिलाते हुए कह दिया- चाची लड़कियां तो बहुत सारी देखी हैं, पर आप जैसे हसीन नहीं देखी.

ये सुनते ही मेरी चाची कातिलाना नजरों से मेरी तरफ देखने लगीं और बोलीं- बेटा, चाची के साथ फ़्लर्ट कर रहा है.

इस समय चाची का ऐसे मेरी तरफ देखना मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे मेरे बदन में चीटियां रेंग रही हों. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था.

फिर चाची रसोई में चली गईं और मुझे पढ़ने का बोल गईं, पर मेरा ध्यान तो पढ़ाई में कम और चाची की मटकती हुई गांड में ज्यादा था. मैं जहां बैठा था, वहा से रसोई बिल्कुल साफ़ साफ़ दिख रही थी. जब चाची नीचे झुक कर कुछ उठातीं, तो मुझे उनकी फूली हुई गांड मस्त लग रही थी. मेरा दिल कर रहा था कि अभी जाकर चाची को पीछे से पकड़ लूं और अपना लंड निकाल कर वहीं चाची की गांड में एक झटके में ही पूरा बैठा दूं. फिर उनकी गांड को पकड़ पकड़ कर जोर से जोर से झटके मारने में लग जाऊं. ये सोचते हुए मैं अपना लंड दबा कर रह जाता था.

इसके बाद चाची जहां कहीं भी जातीं, मेरी नजर सिर्फ उस तरफ ही घूम रही थीं. शायद चाची ने भी मेरी नजर को एक दो बार नोटिस कर लिया था, पर वो बोली कुछ नहीं.

दोस्तो, ऐसे ही दिन निकलते गए और साथ बैठ टाइम निकलते गए, पर अब मुझसे रुका नहीं जा रहा था. मैं कैसे भी करके चाची को पाना चाहता था.

एक दिन की बात है मेरे घर पर कोई नहीं था, किसी की शादी में गए हुए थे और मेरे परीक्षा का समय था तो मुझे नहीं ले गए. जाते जाते मम्मी ने चाची को बोल दिया था कि दीपू घर पर ही है, जब तुम फ्री हो जाओ, तब उसके लिए खाना बना आना और देख लेना कि वो ठीक से पढ़ रहा है या नहीं. ये कह कर मम्मी और पापा चले गए.

मुझे इस बात का पता नहीं था कि मम्मी ने चाची को बोला हुआ है कि वो मुझे आज घर पर आ कर पढ़ाने वाली हैं. मैं तो बस घर पर अकेला होने का फायदा उठा कर सिर्फ अंडरवियर और बनियान में ही घूम रहा था. मैं अपने बेडरूम में जाकर सेक्स की किताबें पढ़ने लगा और लंड को हिलाने लगा. साथ ही साथ तेज आवाज में गाने चल रहे थे.

मुझे ऐसा करते हुए 20 मिनट ही हुई थे कि घर का दरवाजा बजा, पर मुझे सुनाई नहीं दिया. मैं गेट लॉक करना भूल ही गया था. मैं तो सिर्फ अपने लंड को बाहर निकाल कर अपने काम में लगा हुआ था.

दोस्तो, आप विश्वास नहीं करोगे, उस दिन मैं कहानी भी चाची और बेटा के सेक्स की ही पढ़ रहा था. उस स्टोरी में मैं अपनी चाची को ही महसूस कर रहा था और लंड हिला रहा था, पर पता नहीं चाची किस टाइम मेरे बेडरूम के गेट के सामने आ कर खड़ी हो गईं और मुझे मुट्ठी मारते हुए देखने लगीं.

जब मेरी नजर चाची पर गई, तो मैंने देखा कि वो एकटक मेरे खड़े लंड को देखे जा रही थीं. उस समय मैं चाची की आंखों में आज एक अलग ही वासना देख रहा था. जब हमारी नजर एक दूसरे से मिली, तब चाची गुस्से में लाल हो कर वहां से चली गईं.

मुझे समझ नहीं आया कि अभी तो वो मेरे लंड को खाने की नजरों से देख रही थीं और अचानक हमारी नजरें मिलते ही उनको इतना गुस्सा भी आ गया. मुझे बहुत ज्यादा डर लग रहा था कि पता नहीं अब क्या होगा. मैंने तुरंत अंडरवियर ठीक किया और बरमूडा डाला और बाहर आया.

मैंने देखा चाची जी रसोई में खाना की तैयारी कर रही थीं. मैं तो उनसे नजरें ही नहीं मिला पा रहा था.

जब वो मेरे लिए खाना लगा कर लाईं, तब भी मैं नीची नजरें करके बैठा हुआ था. वो मेरे पास आईं और थाली को जोर से रख कर चली गईं.
मैंने सोचा कि बेटा आज गया तू काम से. मैंने जोर नजरों से उनको देखा, तो वो गुस्से में मेरी तरफ ही देखी जा रही थीं.

फिर मैंने सोचा देखा जाएगा, जो होगा सो होगा. अभी बात करनी पड़गी नहीं तो चाची ने ये बात मेरे घर वालों को बता दी, तो तू तो गया काम से.
जब चाची जी मुझे दुबारा रोटी देने के लिए आईं तो मैंने कहा- सॉरी चाची जी.
उन्होंने कुछ नहीं कहा और मेरी तरफ गुस्से से देख कर चली गईं.

मैंने खाना वहीं छोड़ दिया और अन्दर रसोई में ही चला गया. मैं उनके पीछे खड़ा हो गया और फिर से सॉरी बोला.

इस बार चाची बोलीं- मैंने तुझे ऐसा नहीं समझा था कि तू भी ये काम करेगा, तभी तो तुम्हारे नंबर इतने काम आते हैं, यही सब करने तू कॉलेज जाता है क्या?
मैंने कहा- चाची जी प्लीज मुझे माफ़ कर दो … आज के बाद ऐसा कभी नहीं करूंगा.
उन्होंने कहा- नहीं नहीं कर लेना … मैंने कब मना किया है … तुम्हारी जिंदगी है, जो चाहे करो. वैसे तू कब से कर रहा है ये काम?

मैं कुछ न बोला, उन्होंने फिर जोर से बोला- मैं कुछ पूछ रही हूं तुमसे?
मैंने कहा- जब से कॉलेज शुरू हुआ है.
फिर उन्होंने कहा- ये किताबें लाता कहां से है तू?
मैंने कहा- मेरे एक दोस्त से.

फिर उन्होंने खाना बनाना बंद कर दिया और मेरी तरफ मुँह कर लिया. चाची ने अपने हाथों से मेरा मुँह पकड़ लिया और बोलीं- बेटा अभी जिंदगी बहुत पड़ी है ये सब करने की, अभी तुम्हारी उम्र सिर्फ पढ़ाई की है. अगर अभी से अपना पानी खत्म कर दोगे, तो अपनी पत्नी को क्या दोगे?

चाची के मुँह से ये बात सुनते ही मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया, जिसे चाची ने देख लिया था. क्योंकि मेरा लंड बरमूडा में से साफ साफ दिख रहा था.

उन्होंने ये देख कर फिर से मुँह फेर लिया.

मैंने कहा- चाची मैं क्या करूं, अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.
उन्होंने कहा- कोशिश कर और अपना ध्यान पढ़ाई पर लगा.
मैंने कहा- मैं बहुत कोशिश करता हूं.

फिर वो कुछ नहीं बोलीं और खाना बना कर चली गईं. जाते वक्त चाची बोल कर गईं- खाना खा कर पढ़ लेना, सिर्फ कॉलेज की किताबें …
यह कह कर वो मुस्करा कर चली गईं और ये बोल कर गईं- मैं 2 घंटे में आती हूं.

चाची के जाने के बाद मैं एक पल तो उनकी मटकती गांड को याद करता रहा. फिर मुझसे रुका ही नहीं जा रहा था. मैंने खाना खत्म किया और यही सोचने लगा कि अगर चाची ने मुझे मुट्ठी मारते हुए देख लिया था, तो उस समय क्यों नहीं बोलीं.

जब हमारी नजरें मिलीं, उसके बाद ही उनको गुस्सा क्यों आया, कहीं ये तो नहीं था कि उनको भी मेरा लंड पसंद आ गया हो. मैंने उनकी तरफ देख कर गलती कर दी हो?

बस यही सोचते सोचते मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और मैंने सोच लिया था कि जो होगा देखा जाएगा. अब की बार चाची को फिर से लंड दिखाना ही है.

अब तक चाची के आने का समय हो गया था. मैंने एक प्लान बनाया, मुझे पता था कि चाची जरूर वापस आएंगी. मैंने बाहर का मैंने गेट खुला छोड़ दिया और बाथरूम में जाकर नहाने लगा और पूरा नंगा होकर लंड को हिलाने लगा. थोड़ी ही देर में मेरा लंड चाची को याद कर करके खड़ा हो गया और मैं चाची के आने का इंतजार करने लगा.

जैसे ही बाहर के गेट के खुलने की आवाज आई, तो मैं जोर जोर से गाना गाने लगा ताकि उनको पता लगे कि बाथरूम में हूं. मैंने बाथरूम का भी आधे से ज्यादा गेट खोल दिया ताकि मैं चाची को लंड हिलाते हुई दिख जाऊं.

जब चाची अन्दर आईं, तो मैंने अपना लंड बाहर की तरफ कर दिया और मेरे बाथरूम के शीशे से उनको खड़ा लंड दिखने लगा. वो इधर उधर का काम करके बाथरूम की तरफ आ गईं. जब मैंने शीशे से उनको देखा, तो वो लगातार मेरे खड़े लंड को देखे जा रही थीं. मैं उनको ऐसे देखते हुए देख कर उसी समय उनका नाम ले कर जोर जोर से मुट्ठी मारने लगा.

‘आह कविता चाची … आपकी क्या मस्त चूचियां हैं … आह तेरी चूत की बड़ी याद आती है … एक बार दे दो चाची.’

जब मैं चाची का नाम ले कर मुट्ठी मार रहा था, तो मैं शीशे से चाची का हाल भी देख रहा था. चाची भी थोड़ी सी साइड में होकर अपने चूचों को जोर जोर से रगड़ने लगी थीं.

तब मुझे लगा अब मंजिल पास है. दोस्तो … आप विश्वास नहीं करोगे मुझे इतना मजा आ रहा था कि चाची जी मुझे मुट्ठी मारते हुए देख रही थीं और साथ के साथ अपने चूचों को भी रगड़ रही थीं. मेरा पानी निकलने का नाम ही नहीं ले रहा था.

वैसे भी मेरा वीर्य बहुत देर से निकलता है. आज तक मैंने जितनी भी महिलाओं को चोदा है, उन सबका दो बार हो जाता था और मेरा मुश्किल से एक बार हो पाता था.

मैं चाची को अपना मोटा और तगड़ा लंड दिखाए जा रहा था और वो भी लगातार अपने चूचों को रगड़े जा रही थीं.

मुझे मुट्ठी मारते हुए कम से कम 15 से 20 मिनट लग गए थे और तब तक चाची वहीं खड़ी, कभी अपने चुचों को रगड़ रही थीं, तो कभी अपनी सलवार के ऊपर से ही अपनी चुत रगड़ रही थीं. मैं लगातार उनको देख देख कर मुट्ठी मारने में लगा हुआ था. जब मेरा पानी निकला, तो सामने दीवार पर लंड का माल जोर से जा कर चिपक गया. आज मेरा पानी और दिनों से बहुत ज्यादा और बहुत देर तक निकला था.

जब मैं फ्री हो गया, तो मैंने शीशे से देखा कि चाची वहां नहीं थीं. जब मैं नहा कर बाहर आया, तब मैंने देखा चाची मेरी किताबों के पन्ने पलट रही थीं.

मैंने बाहर आते ही पूछा- चाची जी आप कब आईं?
उन्होंने कहा- जब तू बाथरूम में व्यस्त था …

ये कह कर चाची ने एक कातिलाना स्माइल पास कर दी. मैंने उनकी तरफ देखा और कपड़े पहनने अन्दर चला गया था. मैं बाहर आया तब उनके पास ही जांघों से जांघें मिला कर बैठ गया.

शरीफ चाची को अपना लंड दिखा कर चोदा-2



आपने अब तक पढ़ा था कि मैंने चाची को अपना लंड दिखा कर गर्म कर दिया था. मुझे विश्वास हो गया था कि अब चाची मेरे लम्बे लंड को लेने के लिए मचल गई हैं. मैं कपड़े पहन कर चाची के साथ ही सोफे पर उनकी जांघों से जांघें चिपका कर बैठ गया.

अब आगे …

चाची ने भी मुझे दूर बैठने के लिए नहीं बोला. मुझे पता चल गया था कि चाची को मेरा लंड पसंद आ गया है. वो अब गर्म हो चुकी हैं. मेरी नज़रें अभी भी मेरी प्यारी चाची के कसे हुए चूचों पर थीं. इस नजर को चाची भी समझ गई थीं … पर वो कुछ बोली नहीं. शायद उन्हें भी मज़ा आ रहा था.

तभी अचानक से चाची बोलीं- तू बहुत हरामी हो गया है.
मैं बोला- क्यों?
वो बोलीं- फिर से बाथरूम में वही कर आया, मैंने मना किया था ना और वो भी मेरा नाम लेकर … तुझे शर्म नहीं आती, मैं तुम्हारी चाची हूं बेटा और तू मेरा ही नाम ले कर ये कर रहा था.

मैंने आंख मार कर कहा- अगर आपने देख लिया था, तो अन्दर आ जाते न, आपको और अच्छे से दिखा देता, चाची प्लीज बुरा मत मानना, आप मुझे बहुत ज्यादा अच्छी लगती हो … और मैं आपसे बहुत ज्यादा प्यार करता हूं.
चाची ने कहा- ये सब गलत है, मैं तुम्हारी चाची लगती हूं और मैंने तुम्हें कभी भी ऐसी नजरों से नहीं देखा.
मैंने कहा- तो फिर आप बाथरूम में चुपके चुपके क्या देख रही थीं?

चाची जी ने कुछ नहीं बोला और नीची गर्दन कर ली. वो उठ कर घर चली गईं. मुझे मालूम था कि चाची जी शाम को फिर से खाना बनाने के लिए आने वाली थीं.

मैंने सोचा आधा काम तो हो गया है, शायद पूरा काम हो जाए और मुझे चाची चोदने को मिल जाएं.

मैंने एक और प्लान बनाया, जब चाची आने वाली थीं, तो मैंने एक सेक्स किताब टेबल पर रख दी. वो भी चाची और बेटा की सेक्स स्टोरी निकाल कर और मेरे रूम में चला गया.

जब चाची आईं और उन्होंने मुझे आवाज लगाई.
मैंने कहा- अभी आता हूं … चाची आप बैठो.

चाची सोफे पर बैठ गईं और सामने पड़ी किताब को उठा कर पढ़ने लगीं. मैं ऊपर शीशे से सब देख रहा था, थोड़ी ही देर में चाची का मुँह लाल हो गया और वो इधर उधर देख कर अपने चूचों को दबाने लगीं और साथ ही साथ अपनी सलवार में हाथ डाल कर अपनी चुत रगड़ने लगीं.

मुझे लगा अब चाची गर्म हो गई हैं. मैं तुरंत नीचे आया और चाची को देखने लगा. चाची आंखें बंद करके बिल्कुल मगन हो रही थीं.
मैं उनके पास आकर बैठ गया और उनकी जांघ पर हाथ रखते हुए कहा- चाची जी, ये क्या कर रही हो आप?

चाची जी एकदम से डर कर उठीं और हाथ बाहर निकाल कर भागने लगीं.

मैंने तुरंत भाग कर चाची को पीछे से पकड़ लिया. सच में यार चाची तो बहुत ज्यादा गर्म हो गई थीं. वो मुझसे छुड़वाने की कोशिश करने लगी थीं. पर मैंने उनको बड़ी जोर से पकड़ा हुआ था

चाची फिर से बोलीं- बेटा, मैं तेरी चाची हूं, ये सब गलत है.
मैंने कहा- चाची प्लीज अब ये रट छोड़ दो और मुझे भी पता है कि आपकी चुत भी मेरा लंड मांग रही है.
चाची बोलीं- दीपू ये कैसी बात कर रहा है तू? तुम्हें शर्म नहीं आती … मैं तुम्हारी चाची हूं.
मैंने कहा- चाची प्लीज अब ये शर्म को छोड़ कर मजा करो, क्यों अपने आप पर और मुझे पर इतना जुल्म कर रही हो.
चाची ने कहा- दीपू ऐसा नहीं है, मैं सिर्फ तुम्हारे चाचा से ही प्यार करती हूं और उनके अलावा मैंने किसी की तरफ नहीं देखा.

मैं चाची की बात को अनसुना करते हुए पीछे से उनकी गर्दन को चूमने लगा और अपने दोनों हाथ आगे ले जाकर उनके चूचों को जोर से पकड़ कर सूट के ऊपर से ही उनके चूचों के निप्पल को अपने अंगूठे और एक उंगली से धीरे धीरे रगड़ने लगा. इससे उनके मुँह से अजीब अजीब आवाजें निकलने लगीं.

‘सी … ईईई … आहहह … आह..ई … आह … ईश्श्श … नहीं दीपू प्लीज, ऐसा मत कर … मैं मर जाऊंगी … आह … हाय दीपूउउउउ … हाय नहीं दीपू ई. … ई … ई … बस कर बस कर प्लीज मान जा..’

मैं लगातार उनकी गर्दन के पास, उनके कानों की लौ को चाटे जा रहा था और हाथ से उनके चूचों को, कभी निप्पल को रगड़े जा रहा था.

अब चाची से बर्दाश्त नहीं हो रहा था, वो बिल्कुल ढीली पड़ चुकी थीं. मैं चाची के चूचों को छोड़ कर धीरे धीरे उनके सूट को ऊपर करने लगा और उनके नंगे पेट पर हाथ फेरने लगा. धीरे धीरे ऐसा करते हुए मैंने उनका पूरा सूट उनके जिस्म से अलग कर दिया और उनको पता भी नहीं चला कि वो ऊपर से नंगी हो चुकी हैं.

उन्होंने लाल ब्रा डाली हुई थी. वो लाल ब्रा में और भी ज्यादा सेक्सी लग रही थीं.

दोस्तो, उनका दूध से भी ज्यादा गोरा रंग और उसके ऊपर लाल रंग की ब्रा … आह मेरा तो लंड फटने को हो गया था. फिर मैंने चाची को अपनी तरफ घुमाया और उनकी तरफ देखा. उन्होंने अपनी आंखें बंद की हुई थीं. मैं अपने होंठ उनके होंठों के पास लाया, तो उन्हें मेरी गर्म सांसों से अहसास हो गया था कि मैं उनको किस करने करने वाला हूँ.

फिर उन्होंने अपनी आंखें खोलीं और मेरी तरफ देखा. सच यार उनकी आंखें इतनी लाल हो रखी थीं और एक अलग सी वासना दिख रही थी उनकी आंखों में.
मैंने देर न करते हुए अपने होंठ उनके लाल लाल होंठों से मिला दिया.

दोस्तो, ये मेरी जिंदगी का पहला किस था. आप लोगों के सामने बयान नहीं कर सकता, उस समय मुझे इतना अच्छा लग रहा था और मैं लगातार उनके होंठों को चूसे जा रहा था.

अब उन्होंने भी मेरा धीरे धीरे साथ देना शुरू कर दिया था, मैंने अपनी पूरी जीभ चाची के मुँह में दे दी और उनके मुँह में फिराने लगा. चाची भी अपनी जीभ मेरे मुँह में देकर फिराने लगीं. हमारा किस इतना लम्बा चला कि हम दोनों के मुँह से लार तक टपकने लगी थी और मैं चाची की सारी लार चाट गया.

धीरे-धीरे मैंने चाची के पेट को चाटते हुए उनके पूरे पेट को गीला कर डाला. मैंने चाची की ब्रा को उतार कर उनके एक चूचे को तो मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया. मैंने उनके निप्पल को अपने होंठों से पकड़ कर रब करने लगा और साथ की साथ जीभ से भी उनके निप्पल को रगड़ने लगा.

चाची के मुँह से बुरी तरह से कामुक सिसकारियां निकलने लगी थीं- ईश्श्श्श् … आहहह … दीपउउउ … आंह … उंह … हाय राम … क्या मस्त चुचे चूसता है यार तू. … आह मजा आ गया रे … खा जा आज इनको … आंह पूरा का पूरा मुँह में ले दीपू प्लीज.

पूरा कमरा उनकी सिसकारियों से गूंजने लगा था. उनके चुचे इतने मस्त और सेक्सी थे कि उनकी मस्ती को शब्दों में बयान नहीं कर सकता. मैंने एक निप्पल को चूसने के साथ ही दूसरे चूचे को दबाना शुरू कर दिया.

मैं उनके दोनों निप्पलों को बारी बारी मुँह में ले कर अपने होंठों से रब करने लगा, जिससे चाची और भी तिलमिला उठीं.

मैंने उनके चूचों को चूस चूस कर लाल कर दिए, उनके चूचों पर पूरे लाल लाल निशान हो गए थे. फिर मैं नीचे की तरफ बढ़ने लगा. मैंने चाची सलवार का नाड़ा खोल दिया.

तभी अचानक चाची ने मेरे हाथ पकड़ लिए और बोलीं- नहीं दीपू … प्लीज … इससे आगे नहीं, प्लीज मुझे माफ़ कर दे … पर इससे आगे नहीं.
पता नहीं अचानक उनको कहां से होश आ गया या पता नहीं क्या हुआ था, वो मुझे और आगे करने से मना करने लगीं.

मुझे लगा कि बेटा अगर अब पीछे हट गया, तो फिर जिंदगी भर इनकी चुत नहीं मिलने वाली. मैं ऊपर उठ गया और दुबारा से उनके होंठों पर किस करने लगा और उनके चुचे दबाने लगा. इसी बीच में मैंने एक हाथ नीचे ले जा कर उनकी सलवार के ऊपर से ही उनकी चुत को रगड़ना चालू कर दिया और उनको फिर से तैयार करने लगा.

वो लगातार मुझे मना किए जा रही थीं और मैं उनके होंठों पर, उनके गर्दन पर और कान के पास लगातार किस किए जा रहा था.

मेरी इस हरकत पर चाची की और भी गर्म सिसकारी निकलना शुरू हो गईं. चाची ने मेरे बालों को पकड़ कर मेरे होंठों को काटना शुरू कर दिया. चाची पागल हो चुकी थीं. उनकी चूत लगातार पानी छोड़ने लगी थी.

जब चाची से और ज्यादा बर्दाश्त नहीं हुआ, तो मैंने चाची को अपनी गोद में ले लिया और लगातार चूमने लगा. फिर ले जाकर उनके बेड पर पटक दिया.

मैंने चाची के पैरों से फिर शुरूआत कर डाली. मैंने चाची के एक पैर को अपनी छाती पर रख दिया. मैं उसके पैरों के नीचे बैठा हुआ था और उनके पैरों की उंगलियों को मुँह में लेकर चूस रहा था. चाची अपनी आंखें बंद लीं. मैं उनके पैर के अंगूठे को मुँह ले कर चूसने लगा, जिससे चाची तिलमिला उठीं.

उनके मुँह से निकल रहा था- दीपू, चोद दे अपनी चाची को प्लीज … तेरे चाचा से तो ठीक से चोदा नहीं जाता है.

आखिरकार चाची का सच सामने आ ही गया था और उन पर सेक्स हावी हो ही गया था. मुझे मेरे कानों पर विश्वास नहीं हो रहा था कि ये वही चाची हैं क्या?

इतना सुनते ही मेरी उत्तेजना और ज्यादा बढ़ गई और मैं चाची की सलवार को खोलने लगा और जब मैंने सलवार नीचे की … और चुत की तरफ देखा, तो मैं देखता ही रह गया.

चाची ने काले रंग की पैंटी पहनी हुई थी, काली पेंटी में चाची और भी लाजबाब लग रही थीं. मैं चाची की चुत को पैन्टी के ऊपर से ही चाटने लगा, तो वो जोर जोर से तिलमिला उठीं. अब उनसे सहन नहीं हो रहा था, वो मेरे मुँह को पकड़ कर अपनी चुत पर रगड़ रही थीं.

मैंने देर ना करते हुए उनकी पैंटी को निकाल दिया और अब मेरे सामने वो चीज थी, जिसका मुझे कबसे इंतजार था. आखिरकार वो समय आ ही गया था. चाची की बिल्कुल नंगी और लाल लाल चुत, जिस पर एक भी झांट का बाल नहीं था मेरे सामने चुदने को खुली पड़ी थी. इतनी चिकनी चूत देख कर मुझे लगा, जैसे चाची अपनी झांटों को आज ही साफ़ करके आई हों.

मैं धीरे धीरे उनकी चुत पर हाथ फेरने लगा और वो बिन पानी के मछली की तरफ तड़फने लगी और जोर जोर से सिसकारियां लेने लगीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह… ह्म्म्म … अमन्न आह अआआह आह.’
मैं भी चूत के दाने से छेड़खानी करे जा रहा था.

चाची ने कहा- हरामखोर मेरे सारे कपड़े निकाल दिए और खुद ने कुछ ना निकाला.
मैंने कहा- मैंने आपके निकाले है … तो आप मेरे निकाल दो.

चाची एकदम से भूखी शेरनी की तरह उठ कर मेरे कपड़े निकालने लगीं. दो मिनट में ही उन्होंने मेरे सारे कपड़े निकाल दिए. जब चाची ने मेरा अंडरवियर निकाला और मेरा लंड इतने पास से देखा, तो उनकी आंखों में एक अलग ही चमक आ गई थी.

चाची मेरे लंड को जोर जोर से रगड़ने लगीं और बोलीं- मैं तो कल ही मोहित हो गई थी तेरे इतने मोटे लंड पर, मैंने आज तक इतना मोटा लंड कभी नहीं देखा … अब तक कहां छिपा रखा था इस खजाने को.
मैंने कहा- अब ये आपका ही है चाची जी.
उन्होंने लंड सहलाते हुए कहा- हां ये तो है … अब मैं इसे कहीं नहीं जाने दूंगी, अब तो जब भी टाइम लगेगा, मैं हर रोज चुदूँगी इससे.
वे मेरे लंड को जोर जोर से रगड़ने लगीं.

उसी समय मैंने एक उंगली चूत में घुसा दी और अन्दर बाहर करने लगा.
चाची- ओहह्ह … ओह्ह्ह्ह … अह्ह ह्हह … अई … अई…

मैं जल्दी जल्दी चूत में उंगली करने लगा. उंगली खूब अन्दर बाहर करके मजा लेने लगा. चाची की कामुकता भरी चीखें निकालने लगीं. धीरे धीरे उनकी चूत का रस बाहर निकलने लगा. मैं जल्दी जल्दी चाटने लगा.

अब मैंने चाची को अपना लंड हाथ में पकड़ा दिया और लंड चूसने को कहा.

चाची तो जैसे तैयार ही बैठी थीं. हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. चाची मेरे ऊपर थीं और मैं चाची के नीचे था. जब पहली बार चाची ने मेरे लंड की टोपी अपने मुँह में ली, उस टाइम तो मैं समझो स्वर्ग में पहुंच गया था. मैं जोर जोर से चाची की चुत चाटने लगा. मैंने अपनी पूरी जीभ चाची की चुत के अन्दर दे दी.

उसी समय चाची के मुँह से बहुत जोर से सिसकारी निकली- हाय माँआआआ मर गई … आह आह ओह मेरी जान श्श्श्श्श्श यस उन्ह आंह …

चाची भी लगातार मेरे लंड को पूरा मुँह में ले कर चूसने लगीं. वो बार बार मेरा मुँह अपनी चुत पर रगड़े जा रही थीं.

अब चाची लगातार कहने लगी थीं- प्लीज दीपू … यार अब सहा नहीं जाता … डाल दो अपना … मैं तुम्हारे मोटे और लम्बे लंड से चुद कर आनन्द लेना चाहती हूँ.

फिर मैं भी समय की नजाकत को समझते हुए उनके दोनों पैरों के बीच में आ गया. अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा, पर चुत के अन्दर नहीं डाल रहा था. मैं चाची को ओर तरसाना चाहता था. मैं उनकी चुत के दाने को अपने लंड से रगड़ देता, तो कभी उनकी चुत के पास सहलाने लगता.

अब चाची से बर्दाश्त नहीं हुआ तो वो गाली बकने लगीं- दीपू साले हरामी जल्दी से डाल भी दे, मादरचोद … मुझसे अब बर्दाश्त नहीं हो रहा.

फिर मैंने अपने लंड की टोपी उनकी चुत के मुँह पर रख कर एक करारा धक्का लगा दिया. मेरे लंड की टोपी अन्दर चली गई और उसके साथ ही दूसरा करारा झटका लगा दिया, तो मेरा आधा लंड अन्दर चला गया.
उनको इतना दर्द हुआ कि उनकी आंखों से आंसू आ गए थे … क्योंकि उनके पति का लंड कुछ इंच लम्बा ही था. जिस वजह से चाची की चुत का छेद भी ज्यादा बड़ा नहीं हो सका था.

उन्होंने कहा- उई मर गई … साले दीपू अब ये तेरी ही चुत है … प्लीज धीरे धीरे चोद ना यार.

अब मैंने चाची को सॉरी बोला और कहा- अब आराम से डालूंगा.

फिर मैं वहीं रुक गया और उनके चूचों को चूसने लगा, उनके निप्पल को काटने लगा और उनके होंठों को चूसने लगा. जब तक उनको भी कुछ आराम मिल गया था.

फिर मैंने धीरे धीरे करके पूरा लंड उनकी चुत में घुसा दिया, क्योंकि दोस्तों मेरा मानना है कि अगर महिला को दर्द हो रहा है, तो रुक जाओ, मेरा मकसद मजा देना है … न कि दर्द.

जैसे ही उनका दर्द कम हुआ, तो मैंने उनसे पूछा कि आगे की कार्रवाही शुरू की जाए.
चाची ने आंख मार कर कहा- जरूर मेरी जान.

बस फिर धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और फिर जोर जोर से झटके मारने लगा. फिर तो चाची भी अपनी गांड को ऊपर उछाल उछाल कर मेरा साथ देने लगीं.

कुछ ही देर में चाची में पूरा जोश आ गया था, वो ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगी थीं- उईई ईईई … हाय आअहाआआ बाबू आहा मेरी जान ओह्ह्ह श्शह, हाय माँ मर गई … आआअह्ह ह्हह … ईईईई दीपू प्लीज, तुम्हारा लंड बहुत बड़ा और मोटा है तुम्हारे चाचा का तो इसके सामने झांत बराबर है … आह तेरे इस लंड ने तो पूरा मजा दे दिया … इतना मजा मुझे आज तक नहीं आया.

मैंने अपनी स्पीड और तेज कर दी.

चाची मस्ती में बोले जा रही थीं- आआहह … उह्ह्ह ह्ह हां … और ज़ोर से चोदो … और ज़ोर से आईईई … दीपू प्लीज आह … मैं बस तुम्हारी हूं … हां और उह्ह्ह्ह ह्ह ज़ोर से चोद मुझे … उह्ह्ह्ह ह्ह्ह्ह. प्लीज दीपू मुझे अपनी रंडी बना ले यार … आज से तू जो कहेगा, मैं वो करूंगी.

करीब आधे घंटे की लगातार चुदाई में वो तीन बार झड़ गई थीं. मुझे विश्वास ही नहीं हो रहा था कि मैं इतने समय तक रुक पाऊंगा … क्योंकि ये मेरा पहली बार था.

इस दौरान मैंने उनको कम से कम 5-6 आसनों में चोदा और जब मेरा होने को हुआ तो मैंने कहा- चाची मेरा होने वाला है, कहां करूं?
उन्होंने कहा- यार दीपू, प्लीज मेरी चुत में ही डाल दे, बहुत दिन से गर्म गर्म रस नहीं गया है मेरी चुत में.

मैं भी उनकी चूत के अन्दर ही झड़ गया. मैं हांफता हुआ उनके ऊपर ही पड़ गया और कुछ समय तक ऐसे ही रहा.

कुछ देर बाद मैं उठा और उसके बाद मैंने चाची जी की पूरी बॉडी पर किस किया. उसके बाद अब मैं उनका हाथ पकड़ कर अपने लंड पर रखने लगा.
तो चाची बोलीं- क्या बात है लाड़ले … अभी भी दिल नहीं भरा क्या? इतनी जबरदस्त चुदाई करने के बाद भी तू जोर लगा रहा है … मेरा तो एक एक अंग डोल गया है.
चाची ये कह कर हंसने लगीं.

मैंने कहा- आप हो ही इतने लाजवाब और सेक्सी कि पूरी रात और दिन आपकी चुदाई करता रहूँ, तो भी दिल ना भरे.
चाची हंसने लगीं और कहने लगीं- दीपू तुमने आज जो सेक्स का असली मजा दिया है न … वो मजा आज तक मेरे पति ने कभी नहीं दिया. उनका तो लंड भी 3.5 इंच से ज्यादा नहीं है और वो अन्दर डालते ही 8-10 झटकों में ही निकल जाते हैं. पर तुम्हारा तो आज पहली बार था और तुमने इतने देर तक चोदा, आज तुमने मेरी सारी तमन्ना पूरी कर दी. मेरे पति तो चुत को चाटना तो दूर की बात है, उन्होंने तो आज तक मेरी चुत को ढंग से छुआ भी नहीं है. थैंक्यू मेरी जान.

ये कहते हुए उन्होंने मेरे होंठों को काट खाया.

ये बात सच है दोस्तो … आज भी मेरा लंड बहुत देर तक नहीं झड़ता. इस तरह मैंने अपनी शरीफ दिखने वाली चाची को अपना लंड दिखा कर और चोद कर अपना बना लिया.

चाची के साथ मैंने आगे क्या क्या मजे लिए और कैसे मैंने उनकी गांड मारी, वो सब अगली सेक्स कहानी में लिखूंगा. अगर मुझे कोई गलती हो गई हो, तो अपना समझ कर माफ़ कर देना और आप लोगों को मेरी पहली सेक्स स्टोरी कैसी लगी … ये बताना

दोस्तो, इस सेक्स कहानी को लेकर आपको मुझसे क्या कहना है, प्लीज़ मुझे मेल करके जरूर बताएं. चाची की चूत कैसे मिली इसका पूरा विवरण मैं अपने इस सेक्स कहानी के अगले भाग में लिखूंगा.
 
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junglecouple1984

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शरीफ चाची को अपना लंड दिखा कर चोदा-3



आपने मेरी पिछली सेक्स कहानी

में पढ़ा था कि मैंने कैसे मेरी शरीफ दिखने वाली चाची की चुत चोद दी और उन्हें अपनी जुगाड़ बना लिया.

दोस्तो, आप लोगों ने मुझे प्यार और सम्मान दिया है, उसके लिए मैं आप सबका बहुत आभारी हूँ. मुझे बहुत सी महिलाओं के भी ईमेल आए, बहुत सी महिलाओं ने मुझे मिलने को बोला और उनको मेरी स्टोरी बहुत पसंद आयी. मैं आप सबका तहेदिल से धन्यवाद करता हूँ.

मैं आशा करता हूँ कि आप लोगों का प्यार मेरे साथ ऐसे ही बना रहेगा. मैं भी कोशिश करूंगा कि आप लोगों के लिए इससे भी अच्छी व सच्ची सेक्स कहानी लिखता रहूं.

जैसा कि आपने मेरी पहली स्टोरी में पढ़ा था कि कैसे मैंने अपनी शरीफ चाची को चोद कर अपना दीवाना बना लिया था.

मैं और चाची अपनी पहली चुदाई करने के बाद बिस्तर पर नंगे ही पड़े हुए थे और एक दूसरे के अंगों से खेल रहे थे. मैं एक हाथ से चाची के चुचे सहला रहा था और दूसरे हाथ से उनकी चुत को सहला रहा था. मैं अपनी बीच वाली उंगली से उनकी चुत का दाना छेड़ रहा था.

ऐसा करते हुए मेरा लौड़ा फिर से खड़ा हो गया था जिसे चाची देख भी रही थीं और मुस्करा भी रही थीं. साथ ही साथ लंड सहलाते हुए चाची कामुक सिसकारियां भर रही थीं.

चाची बोलीं- मेरी जान इतनी जानदार चुदाई से तेरा मन नहीं भरा क्या, जो तेरा ये मूसल फिर से खड़ा हो गया है?
मैंने कहा- मेरी चाची जान, आपका ये सेक्सी बदन है ही इतना लाजवाब कि मेरा दिल ही नहीं भरता.

उन्होंने कहा- जान, दिल तो मेरा भी नहीं भरा है, तेरा ये मूसल मेरे दिल को ही इतना भा गया है कि बस मेरा दिल अब इससे ही बार बार चुदने का करता है. पर क्या करूं मेरे ठोकू मियां … मैं थक गयी हूँ, मुझे थोड़ा आराम तो कर लेने दे.
मैंने कहा- चाची यार ऐसा ना कहो, अभी तो मैं शुरू हुआ हूँ और आप रुकने का नाम ले रही हो. आप मुझे बहुत मुश्किल से मिली हो, पता है, मैं कब से आपको चोदने की सोच रहा था. पता नहीं कितनी बार मैंने आपके नाम की मुठ मारी है.

ये सुनकर चाची बोलीं- मेरे राजा अब तो मैं तुम्हें मिल गयी ना … अब तो मैं कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. अब मुठ मारने की कोई जरूरत नहीं है.

मैं बस चाची के चुचे जोर जोर से दबाने लगा और चुत को रगड़ने लगा. उनकी चुत भी कुछ ही पलों में फिर से पानी छोड़ने लगी थी.
मैंने गीली चुत में से उंगली निकाली और चाटते हुए कहा- लो … आपकी चुत तो फिर से तैयार हो गयी.
उन्होंने कहा- हां … मेरी जान तुम चुत को तैयार करो … और ये राजी ना हो … ऐसा तो हो ही नहीं सकता.

चाची ये कहते हुए मुझे किस करने लगीं.
मैंने कहा- तो फिर देरी किस बात की है.
चाची ने चुत पसारते हुए आ जाने का इशारा किया.

मैं उनके पैरों के पास जाकर उनके पैरों को चूमने लगा. चाची के पैरों को चूमता हुआ मैं उनके ऊपर छाने लगा.

बस अगले 5 ही मिनट बाद ही हम दोनों 69 की पोजीशन में आ गए. मैंने पूरी जीभ उनकी चुत में दे दी और जोर जोर से चुत को चाटने लगा. उधर चाची भी मेरे पूरे लंड को अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

चाची की चुत पर एक भी बाल न होने के कारण मुझे चुत चाटने में बड़ा मजा आ रहा था. उनकी चुत चाटते हुए मैं कभी कभी अपनी जीभ की नोक से उनके दाने को रगड़ देता था तो वो और भी तड़प जाती थीं.

इस समय चाची के मुँह से बड़ी प्यारी सिसकारियां निकल रही थीं- आहा आहा ईस्सस यस यस दीपू … आआआ ओह माय गॉड दीपू … प्लीज चाट लो मेरी चुत को … अब और बर्दाश्त नहीं हो रहा … आह … कब से तड़फ रही हूँ मैं इस प्यार के लिए … उंह आंह यस यस्सस बेबी …

वो खुद अपनी जीभ की नोक से मेरे सुपारे को चाट रही थीं. ऐसा करते हुए हम दोनों को कई मिनट हो गए थे.

वो जोर जोर से अपनी गांड को ऊपर उठा-उठा कर अपनी चुत चटवा रही थीं. ऐसा लग रहा था, जैसे उनका होने वाला है.

वही हुआ. चाची ‘आआह … उम्म्ह… अहह… हय… याह… यस यस्सस…’ करती हुई मेरे मुँह में ही झड़ गईं. मैं भी उनका पूरा पानी पी गया. चाची की चुत का पानी बहुत ज्यादा टेस्टी था. अब चाची निढाल हो गयी थीं.

चाची ने कहा- यार दीपू … तूने जो मुझे आज सुख दिया है, वो मैंने अपनी जिंदगी में कभी नहीं पाया.
ये कहते हुए चाची जोर जोर से मेरे लंड को रगड़ने लगीं.

मैंने कहा- चाची अब मेरा भी करवाओ ना!
उन्होंने कहा- करा तो मैं दूंगी, पर एक शर्त पर कराऊंगी.
मैंने कहा- वो क्या है जी!
उन्होंने कहा- आज के बाद तू मुझे कभी चाची नहीं बोलेगा.
मैंने कहा- फिर क्या कहना है जी?
उन्होंने कहा- सिर्फ और सिर्फ कविता या जानू … जो तेरा दिल करे … पर चाची नहीं कहना.
मैंने कहा- जो हुकुम मेरी जान.
चाची हंस दीं.

मैंने कहा- जान, मुझे आपको डॉगी स्टाइल में चोदना है.
उन्होंने कहा- अब मैं तुम्हारी हूँ, जैसे चाहे, वैसे चोद लो. बस आज तुम मुझे पूरी तरह अपनी बना लो मेरी जान.

मैंने देर न करते हुए उनको डॉगी स्टाइल में कर लिया. जब चाची डॉगी स्टाइल में आईं तो उनकी गांड बिल्कुल से खुल कर सामने आ गई.

चाची की 38 इंच की गांड को सलवार में देख कर ही मेरा लंड फटने को हो जाता था. आज तो चाची की रसीली गांड मेरे सामने नंगी थी. आप खुद ही सोचो कि मेरा क्या हाल हो रहा होगा. उनकी फूली हुई गांड देख कर मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैं उनकी गांड पर हाथ फिराने लगा और उनकी उठी हुई गांड पर थप्पड़ मारने लगा, जिससे चाची मादक सिसकारियां निकालने लगी थीं.

मैंने कहा- जान, चुत चोदूं या गांड?
उन्होंने कहा- मेरी जान, अब सब कुछ तेरा है, जिसे तू चोदना चाहे, उसे चोद ले, पर यार प्लीज एक बार मेरी चुत को फिर से शांत कर दे. उसके बाद कुछ भी कर लेना.
मैंने कहा- जरूर मेरी जान.

उनकी बाहर आती चुत को देख कर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने फिर से उनकी चुत में जीभ दे दी. मैं अन्दर तक जीभ देकर चुत को जीभ से चोदने लगा.
चाची बुरी तरह छटपटाने लगीं- अआहा आह … आह आहह उहह …

मैं चाची की चूत चाट रहा था और अपनी जीभ से उसे कुरेद रहा था. वो बस गरमागरम सिसकारियां भर रही थीं.

कुछ पल बाद मैंने उंगली में ढेर सारा थूक लिया और चाची की गांड के टाइट छेद में उंगली पेल दी. चाची की गांड बहुत ज्यादा टाइट थी, ऐसा लग रहा था, जैसे आज तक किसी ने छुई ही न हो.

वो एकदम से उछल पड़ीं और बोलीं- ओए … आराम से मेरी जान … मैं क्या कहीं भागी जा रही हूँ.
मैंने चाची की गांड में उंगली चलाते हुए जगह बनाई और इसके बाद मैं जोर जोर से गांड को मसलने लगा.

चाची भी जोर जोर से सिसकारियां लेते हुए बड़बड़ाने लगीं- आंह … कमीने … अब चोद भी दे यार … क्यों तड़फा रहा है मुझे.

मेरा लंड बहुत जोर से तन गया था. मैंने अपना लौड़ा उनकी चुत पर रखा और रगड़ने लगा.

वो बस ‘आआहह … ऊऊहह …’ की आवाजें निकाल रही थीं. उनकी मादक सिसकारियों से पूरा कमरा गूँज रहा था.

तभी मैंने एक जोर का झटका मारा और आधा लंड उनकी चुत में समा गया था और चाची बस ‘आआआ आआ उंहा उई माँ यस एस बेबी … फ़क मी हार्ड..’ बोले जा रही थीं.

मैंने थोड़ा लंड बाहर निकाल कर फिर से एक और जोरदार झटका मारा और पूरा लंड उनकी चुत में समा गया. उनकी सिसकारियों से मेरे अन्दर दुगनी ताकत आ रही थी और मैं उनको जोर जोर से झटके मारते हुए चोदने में लग गया था. मेरे हर झटके के साथ उनके चुचे हवा में झूल रहे थे.

चाची बोले जा रही थीं- आंह चोद मेरी जान दीपू … प्लीज यार अपनी जान को आज दिल लगा कर चोद दे … आंह और इतना चोद कि मैं तुम्हारे सिवा अपने पति से भी ना चुदूं.

मैं लंड पेलने के साथ साथ उनकी उभरी हुई गांड पर थप्पड़ मारे जा रहा था. चाची की गांड लाल हो गयी थी. वो बस अपनी गांड को हिला हिला कर चुदने का मजा ले रही थीं.

हम दोनों को ऐसे ही चुदाई करते हुए 20 मिनट से ज्यादा हो गए थे. फिर मैंने पोजीशन बदली और उनको मेरे ऊपर ले लिया. मैं दोनों हाथों से चाची के मदमस्त चुचे पकड़े और नीचे से लंड के झटके चाची की चुत में देने लगा. वो ऊपर से मेरी छाती को पकड़ कर खुद अपनी गांड उठा उठा कर मेरे लंड पर कूद रही थीं.

चाची चुदते हुए बोलीं- आंह मेरी जान ये मेरी सबसे मस्त पोजीशन है, मुझे ऐसे चुदने में बहुत मजा आता है.

चाची के मुँह से ये सुनते ही मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और गोली की रफ्तार से चाची को चोदने लगा. थोड़ी देर में चाची अकड़ने लगीं. मुझे समझ आ गया कि अब चाची का पानी निकलने वाला है. वो अपनी चुत को मेरे लंड पर रगड़ने लगीं.

वे जोर से जोर सिसकारियां लेते हुए बोलीं- आह … और जोर से चोद दे बाबू … उन्ह … और जोर जोर से चोद, आज मेरी चुत का भोसड़ा बना दे … अंहा आंअह आह सीईई ओह्ह्ह हां चोद चोद और चोद. तूने आज मुझे निहाल कर दिया मेरी जान … मैं गई … आंह!

बस ऐसा कहते हुए वो मेरे ऊपर निढाल हो कर गिर गईं और मैं उनकी कमर पर हाथ फेरने लगा. मैंने हल्के हल्के झटकों के साथ लंड को चुत में खड़ा रखा.

कोई 2 मिनट तक मेरे ऊपर लेटे रहने के बाद उन्होंने मेरे माथे पर किस करते हुए कहा- मेरी जान … आज तुमने मेरी सारी तमन्ना पूरी कर दी. अब मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी हूँ. तुम्हारा जब भी दिल करे, तुम मुझे चोद सकते हो.

ये कह कर वो उठ कर नंगी ही जाने लगीं तो मैंने कहा- अभी कहां जा रही हो?
चाची बोलीं- बाथरूम में जा रही हूँ.
मैंने कहा- डॉर्लिंग अभी मेरे लंड का पानी कहां निकला है.

चाची ने हैरत से मेरी तरफ देखा और बोलीं- तू आदमी है या क्या है. तेरा निकलता ही नहीं है.
मैंने हंस कर कहा- मैं तेरा पक्का चोदू हूँ … जल्दी से चुत धो पौंछ कर आ जाओ … अभी फिर से चुदाई करूंगा.
वो भी हंसते हुए बोलीं- हां, बाथरूम से तुम्हारे लिए चुत साफ़ करके आ रही हूँ.

चाची बाथरूम में जाने लगीं, तो मुझे याद आया और मैंने कहा- रुको मेरी जान … मेरे होते आप पैदल क्यों जा रही हो.

मैंने आगे बढ़ कर चाची को बांहों में उठा लिया और बाथरूम में ले गया. उधर ले जाकर मैंने चाची को शॉवर के नीचे खड़ा करके शॉवर चालू कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए नहाने लगे. मैंने उनकी चुचियों को मुँह में ले कर अच्छे से चूसा और बड़े बड़े निशान कर दिए.

मैंने चाची से कहा- अब बस जानू आपकी चुत धुल गई … जल्दी से घोड़ी बन जाओ … मैं पीछे से लंड पेल देता हूँ.

चाची तैयार हो गईं.

बाथरूम में चाची की चुदाई की कहानी का पूरा मजा अगले भाग में लिखूँगा.





शरीफ चाची को अपना लंड दिखा कर चोदा-4


पिछले भाग

में आपने पढ़ा था कि मेरी पड़ोस वाली चाची को मैं चोद रहा था. वो झड़ गईं, तो उठ कर बाथरूम में चुत धोने जाने लगीं.

मैंने चाची को बांहों में उठा लिया और बाथरूम में ले गया. उधर ले जाकर मैंने चाची को शॉवर के नीचे खड़ा करके शॉवर चालू कर दिया. हम दोनों एक दूसरे के अंगों से खेलते हुए नहाने लगे. मैंने उनकी चुचियों को मुँह में ले कर अच्छे से चूसा और बड़े बड़े निशान कर दिए.

मैंने चाची से कहा- अब बस जानू आपकी चुत धुल गई … जल्दी से घोड़ी बन जाओ … मैं पीछे से लंड पेल देता हूँ.

चाची तैयार हो गईं.

अब आगे:

फिर मैंने उनको वहीं घोड़ी बना करके चाची की चुत में अपना लंड डाल दिया और जोर जोर से चोदने लगा. कुछ देर बाद मैंने चाची का एक पैर टॉयलेट के कमोड पर रखा और फिर से उन्हें चोदने लगा.

इस तरह से लगातार 20 से 25 मिनट तक चाची की चुदाई के बाद जब मेरा होने को हुआ, तो मैंने कहा- जान मेरा होने वाला है … कहां निकालूं?
चाची ने कहा- बाबू प्लीज मेरे मुँह में डालना … मैं तुम्हारा रस पीना चाहती हूँ.

मैंने तेज तेज 8-10 झटके और मारने के बाद लंड को उनकी चुत से निकाला और उनके मुँह में दे दिया. चाची लॉलीपॉप की तरह मेरा लंड चूसने लगीं और उन्होंने मेरा सारा पानी पी लिया. पानी गिरने के बाद भी चाची मेरे लंड के सुपारे को चाटती रहीं और उन्होंने अपनी जीभ से मेरे लंड को पूरा साफ़ कर दिया.

हम कुछ देर बाथरूम में और रुके रहे. फिर नहाने के बाद मैं उनको गोद में उठा कर वापिस बिस्तर पर ले आया.

अब हम दोनों निढाल होकर नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे. कुछ देर ऐसे लेटे रहने के बाद चाची नंगी ही उठ कर रसोई में गईं और मेरे लिए बादाम वाला दूध लेकर आईं.

चाची बोलीं- लो मेरी जान … आज तुमने मुझे पूरी तरह खुश कर दिया.

मैंने उसमें से आधा गिलास चाची को पिलाया और आधा मैंने पिया. दूध पीने के बाद चाची कपड़े पहनने लगीं.

मैंने कहा- जान, ये क्या कर रही हो?
तो उन्होंने कहा- मुझे एक बार घर जा कर आना पड़ेगा, मैं जल्दी ही आ जाऊंगी.
मैंने कहा- यार ,मुझे अभी आपकी गांड भी तो मारनी है.
तो उन्होंने कहा- हां क्यों नहीं मेरी जान. अब मैं सिर्फ और सिर्फ तुम्हारी ही हूँ, पर मुझे एक बार घर जाकर आना है. फिर आते ही शुरू करेंगे.

वो कपड़े पहन ही रही थीं कि घर की घंटी बज गई. हम दोनों को तो पसीने आ गए कि इस समय कौन होगा.

मैंने चाची से रसोई में जाकर कपड़े ठीक करने का कहा और मैं दरवाजा खोले के लिए अपनी अंडरवियर पहनने लगा.

जब मैं अंडरवियर पहन कर गेट खोलने गया, तो देखा कि सामने के घर में रहने वाली भाभी थीं. जब मैंने गेट खोला, तब तक चाची अन्दर रसोई में जा चुकी थीं.

मैंने गेट खोला तो उनका ध्यान सीधा मेरे अंडरवियर में खड़े लंड पर गया. पर अब तक मेरा लंड आधा ही खड़ा रह गया था. उन्होंने मेरे लंड की तरफ देखा और एक कातिलाना स्माइल देते हुए अन्दर आ गईं. मैंने हंस कर भाभी को नमस्ते की. भाभी ने मेरी नमस्ते का जबाव दिया और वो सीधा रसोई की तरफ जाने लगीं.

मैंने कहा- क्या काम है भाभी?
भाभी ने कहा- मुझे थोड़ी चीनी चाहिए.

मैं कुछ बोल पाता, तब तक वो अन्दर जा चुकी थीं. अन्दर चाची सूट ठीक करके, सलवार का नाड़ा बांध रही थीं. उन्होंने चाची को देखा, तो वे एकदम से चौंक गईं भाभी बिना चीनी लिए बाहर वापिस आ गईं. मैं भी सकपकाया हुआ खड़ा था.

एक बार फिर से भाभी ने लंड की तरफ देखा, मगर अब लंड की माँ चुद चुकी थी और वो टुन्नू सा बन कर अंडरवियर में पूरा बैठ गया था.

भाभी ये कहते हुए बाहर जाने लगीं- मैं चीनी लेने बाद में आऊंगी.
मगर जाते हुए भाभी मुझे एक कातिलाना स्माइल दे गईं.

मैं तो इस हरकत से हक्का बक्का रह गया कि ये क्या हो गया. तभी चाची बाहर आईं और बोलीं- अब क्या करें?
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा जान, मैं हूँ ना.
चाची ने कहा- जान क्या करोगे … ये साली तो मुझे बदनाम कर देगी.

मैंने चाची को भाभी के लंड देखने वाली बात बताई और कहा- वो जाते जाते मुस्कुरा कर गई थीं. मुझे लगता है कि भाभी को लंड की जरूरत है.
चाची को एक पल के लिए बुरा लगा, मगर उन्हें अगले ही पल अच्छा लगने लगा.

चाची बोलीं- ठीक है उसे भी जल्दी ही पटा ले … नहीं तो कुतिया जाने किधर किधर भौंक आएगी.
मैंने चाची को बांहों में भरा और उनको चूमते हुए कहा- आप चिंता मत करो जान. मैं सब सम्भाल लूंगा.

चाची एक घंटे बाद आने का प्रॉमिस कर के चली गईं और उनके जाने के बाद मैं ऐसे ही घूमता रहा और बाद में लेट गया.

मैं भाभी के बारे में सोचने लगा कि पता नहीं भाभी मेरे बारे में क्या सोच रही होंगी.

बस ये सोचते सोचते मेरी आँख लग गई और मुझे पता ही नहीं चला कि बाहर का गेट खुला है. एक घंटे बाद वापिस चाची कब आ गईं और आते ही उन्होंने मुझे बांहों में भर लिया और एक हाथ से मेरे लंड पर रगड़ने लगीं … इतना सब कब हो गया, मुझे कुछ भी होश नहीं था.

जब लंड पर चाची का हाथ घूमने लगा. तभी मेरी आँख खुली.

मैंने चाची को जोर से किस किया. फिर मैंने उठ कर अपना मुँह धोया. तब तक चाची रसोई में जाकर मेरे लिए चाय बनाने लगीं. मैंने उनके पास जाकर उनको पीछे से पकड़ लिया और अपना लौड़ा उनकी गांड पर रगड़ने लगा.

मैं चाची की गर्दन पर किस करने लगा और गैस को बंद करके चाची को उठा क़र बेडरूम में ले आया. बस देखते ही देखते मैंने चाची को पूरी नंगी कर दिया और कुत्तों की तरह चाटने लगा. मैंने उनको ऊपर से नीचे तक खूब चाटा. मैं उनके एक एक अंग को निचोड़ देना चाहता था. आज मैं बहुत ज्यादा खुश भी था कि मुझे चाची की गांड मारने का मौका मिलने वाला था.

मुझे चाची की कुंवारी गांड मारने को मिलेगी, ये सोच कर मेरा लंड झूम उठा था. मैंने तुरंत चाची को डॉगी स्टाइल में आने को बोला.

उन्होंने कहा- दीपू प्लीज, मैंने आज तक तेरे चाचा को अपनी गांड टच भी नहीं करने दिया … इसलिए तुम प्लीज़ आराम से करना. तुम्हारा लंड बहुत मोटा और लम्बा है, ये तो मेरी जान ले लेगा … मुझे बहुत डर लग रहा है.
मैंने कहा- डोंट वरी जानू … बिल्कुल आराम से डालूंगा तुमको मालूम भी नहीं चलेगा.

बस मैं भाग कर ड्रेसिंग टेबल से तेल की बोतल उठा लाया और उनकी गांड पर अच्छे से तेल लगा कर गांड को चिकना कर दिया. फिर अपने लंड को भी अच्छे से तेल में भिगो लिया. चाची की गांड में लंड पेलने से पहले मैंने उंगली पर तेल मला और उनकी गांड में रास्ता बनाने लगा … ताकि चाची को ज्यादा दर्द न हो.

मैंने पहले एक उंगली अन्दर दी, फिर धीरे धीरे दो उंगलियां उनकी गांड में डाल दीं. अब चाची भी मस्ती से हल्की हल्की सिसकारियां लेने लगी थीं. चाची ‘अहाह … ओहह … सीईई …’ क़र रही थीं.
जब मुझे लगा कि अब चाची मेरा लंड लेने के लिए तैयार हैं, तब मैंने अपने लंड का सुपारा उनकी गांड पर रखा और धीरे धीरे अन्दर धकेलने लगा. चाची को मोटे सुपारे से दर्द होने लगा और वो कसमसाने लगीं.

मैंने कहा- दर्द हो रहा है क्या जानू?
तो उन्होंने कहा- मेरी जान … तेरे लिए तो मैं सब सहन कर सकती हूँ, तू धीरे धीरे कर.

मैंने धीरे धीरे करके अपना आधा लंड उनकी गांड में डाल दिया और फिर 5 मिनट रुक कर इन्तजार करने लगा. मैं उनको किस करता रहा, दूध दबाता रहा. ताकि चाची का थोड़ा बहुत दर्द कम हो जाए.

कुछ देर बाद मैंने फिर से लंड को सुपारे तक बाहर निकाला कर और लंड पर तेल गिरा कर एकदम से ही पूरा अन्दर पेल दिया. उनकी गांड से फच्च की आवाज आयी.
चाची जोर से उछल पड़ीं, जिससे मेरा लंड बाहर निकलने को हो गया था. तभी मैंने चाची की गांड को जोर से पकड़ कर लंड को अन्दर ही रखा. उनकी आँखों में आंसू आ गए थे.

उन्होंने कहा- उम्म्ह… अहह… हय… याह… दीपू … प्लीज धीरे धीरे डाल …
मैंने कहा- सॉरी चाची.
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं.

बस मैं कुछ पल ऐसे ही रुका रहा और उनकी कमर में किस करता रहा. जब मुझे लगा कि अब चाची नार्मल हो गयी हैं, तो मैंने उनकी गांड को पकड़ कर हल्के हल्के झटके देना शुरू कर दिया.

उनको मजा आने लगा और उनके मुँह से मादक सिसकारियां सुनाई देने लगीं, तब मुझे समझ आ गया कि अब स्पीड बढ़ा देनी चाहिए. बस मैंने चाची की गांड चुदाई की स्पीड बढ़ा दी.

अब चाची भी मस्ती से बोले जा रही थीं- आंह … चोद दे मुझे … उंहह ह्ह … हां चोद देईई ऊऊह ओह्ह्ह यस यस … दीपू तुमने आज मेरी गांड का भी उद्घाटन कर दिया … मुझे खुशी इस बात की है कि ये काम तूने किया है. मुझे नहीं पता था कि गांड मरवाने में भी इतना मजा आता है. अब मैं तुमसे चुत और गांड दोनों ही मरवाया करूंगी.

मैं भी चाची की गांड को और जोर जोर से चोदने लगा. मेरे हर झटके के साथ उनकी कामुक सिसकारियां निकल रही थीं.

लगातार 15 से 20 मिनट गांड चोदने के बाद मैंने चाची की गांड में ही पानी निकाल दिया. इस दौरान चूंकि मैं चाची की चुत में भी उंगली कर रहा था, तो उनका भी 2 बार काम हो चुका था. मैं झड़ने के बाद चाची के ऊपर ही पड़ा रहा. हम दोनों पसीने में लथपथ हो गए थे. कम से कम आधा घंटे तक ऐसे ही पड़े रहने के बाद हमने फिर से चुदाई करनी शुरू कर दी. इस बार मैंने पहले उनकी चुत मारी और फिर गांड मारी. इस बार चाची को भी गांड मरवाने में इतनी तकलीफ नहीं हुई.

उस दिन हमने कम से कम 6 बार चुदाई की. अंत में चाची ने हाथ जोड़ लिए और बोलीं- मेरे बाप … अब तो छोड़ दे मुझे … अब मुझसे चला भी नहीं जाएगा. एक तो तेरा इतना मोटा और लम्बा लंड है और ऊपर से तेरा 40 मिनट से पहले निकलता नहीं है. अब आज और नहीं … अब मैं तुम्हें कल दूंगी.

यह कह कर चाची मेरा खाना बना कर और मुझे लम्बा सा किस देकर चली गई.

इस तरह मैंने चाची की चुत के साथ साथ गांड भी मारी.
 
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Dosto aap ko story kesi lagi .. comments to kijye
 

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मेरी प्यारी चुदासी सासू माँ-1



मेरा नाम विशेष है.. आज मैं आपके सामने अपनी सासू माँ की और अपनी आप बीती डर्टी कहानी पेश करने जा रहा हूँ. मैं आशा करता हूँ कि आप सबको ये सेक्स स्टोरी पसंद आएगी.

मेरी शादी को 5 साल हो गए हैं और मेरी ससुराल मेरे ही शहर में है. मेरे सास ससुर अकेले रहते हैं. मेरी सास मोहिनी, जिनकी उम्र तकरीबन 45 साल होगी. उनकी आयु जरूर पैंतालीस साल की है, मगर वो दिखने में अभी 30-35 की ही लगती हैं. उनका साइज़ 36-30-34 का है. जब भी मैं उनकी उठी हुई गांड को देखता हूँ तो मेरी लार टपकने लगती है. मैं ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ता था, जब उन्हें टच करने का अवसर मिलता. वे भी मेरी तरफ कनखियों से देखती रहती थीं. लेकिन मैं उनकी इस नजर कभी समझ नहीं पाया था.

एक बार मेरे ससुर जी को बाहर उनके बेटे के पास जाना पड़ा तो वो मेरी बीवी को भी अपने साथ ले गए. वे बोले कि चलो तुम्हें भी घुमा लाता हूँ. हालांकि उन्होंने मुझसे भी साथ चलने को कहा था, पर मुझे छुट्टी नहीं मिल रही थी. इसलिए मैंने साथ जाने से मना कर दिया.

मेरी सास मोहिनी ने कहा- ठीक है. मैं दामाद जी का ध्यान रखने के लिए यहीं रुक जाऊंगी. दामाद जी इतने दिन तक यहीं मेरे साथ ही रह लेंगे. मैं रहूँगी तो इनके खाने पीने का ख्याल भी रख लूँगी.
इस बात पर मेरी बीवी और ससुर राजी हो गए.. और अपने जाने की तैयारी करने लगे.

जिस दिन मेरी बीवी और ससुर बाहर गए, मैं और मेरी सास मोहिनी उन्हें स्टेशन छोड़ने गए थे. उनकी शाम को 7.30 बजे की ट्रेन थी. उनकी ट्रेन जाने के बाद स्टेशन पे ही मैं और मेरी सास मोहिनी एक दूसरे को देखने लगे.

मैंने कहा कि अब कहिए मम्मी.. अब क्या प्लान है आगे का.. अब तो आप और हम अकेले ही रह गए हैं.
तो वो बोलीं कि हां आज का खाना बाहर ही खाते हैं.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर हमने एक होटल में डिनर किया और रात करीब 10.30 बजे हम घर पहुंच गए. उस रात मौसम बहुत सुहाना और ठंडा हो रहा था क्योंकि बारिश का मौसम आने ही वाला था, तो हवा भी तेज़ चल रही थी. मेरी कार में अंधेरा था और मेरी सासू मोहिनी मेरे बाजू वाली सीट पर बिंदास बैठी थीं.. उनका पल्लू भी उनके मम्मों से हटा हुआ था, मैं जब भी गियर चेंज करता तो मेरा हाथ उनकी जांघों से टकरा जाता.. और वो हर बार फिर थोड़ी संभल कर बैठने का नाटक करने लग जातीं.

उस दिन मेरी सास मोहिनी ने स्काई ब्लू कलर की साड़ी पहनी हुई थी और स्टेशन की भागदौड़ में उनकी साड़ी उनकी नाभि से भी नीचे हो गयी थी.. इसका उन्होंने ध्यान भी नहीं दिया था.. या वे ध्यान देना नहीं चाहती थीं.

इतने में ही बारिश शुरू हो गयी, तो मैंने कहा- मम्मी जी, कार की खिड़की बंद कर लो, पानी अन्दर आ रहा है.
तो बोली- पहली बारिश है.. और वैसे भी घर ही तो जाना है, भीग जाने दो.
मैंने कहा- ठीक है.

यह कह कर मैंने भी अपनी खिड़की खोल दी. मैंने देखा बारिश की हल्की हल्की बूँदें उनके चेहरे पे पड़ रही थीं और उनके बालों पे ओस की बूँद जैसी लग रही थीं..

घर आते आते वो थोड़ी ज्यादा ही भीग गयी थीं. मैंने कार पोर्च में पार्क खड़ी की और वो घर का गेट खोलने लगीं.

दरवाजे का की-होल थोड़ा नीचे को था. तो सासू को जरा झुकना पड़ा.. और जैसे ही वो झुकीं.. उनका पल्लू पूरा नीचे गिर गया और गांड थोड़ा बाहर को निकल आई. इससे हुआ ये कि उनकी पतली साड़ी में से उनकी पेंटी की आउटलाइन दिखने लगी. जब वे दरवाजा खोल कर पलट कर मुझे अन्दर आने को कहने के लिए घूमी तो मेरे लंड में तो मानो आग लग गई, उनकी आधे से ज्यादा चूचियां ब्लाउज से बाहर दिख रही थीं क्योंकि उन्होंने पल्लू नीचे ही गिरा रहने दिया था.

यह देख कर मेरा तो लंड ही खड़ा हो गया. लॉक खुलते ही हम दोनों घर में घुसे तो घर में भी अंधेरा था. हमारे यहां लाइट की बहुत दिक्कत थी, ज़रा भी हवा चलती तो लाइट गोल हो जाती थी.

उन्होंने कहा- उफ़फ्फ़ … फिर लाइट चली गयी.. अब पता नहीं रात कैसे कटेगी.
तो मैंने कहा- मम्मी चिंता मत करो, मैं साथ हूँ तो आपकी रात खराब नहीं होने दूँगा.
वे हल्की से हंस पड़ीं. मुझे उनकी हंसी में कुछ मतलब समझ आया.

इतने में उन्होंने एमर्जेन्सी लाइट जलाई और मुझे देख कर फिर से हँसने लगीं. वो बोलीं कि मैं कपड़े चेंज कर लेती हूँ, आप बैठो.. फिर आप चेंज कर लेना.
मैंने कहा- ठीक है.

सासू माँ अपने रूम में चली गईं. अंधेरा होने की वजह से उन्हें डर लग रहा था तो वो आवाज देते हुए बोलीं कि मैं दरवाजा बंद नहीं कर रही हूँ क्योंकि मुझे डर लगता है.
मैंने कहा- ठीक है, आप चिंता मत करो. मैं अन्दर नहीं आऊंगा और वैसे भी अगर आ गया तो मुझे अंधेरे में कुछ दिखेगा ही नहीं.
तो इस पर वो बोलीं- वैसे भी बेटा … अब इस उम्र में मेरे पास तुम्हें दिखाने लायक कुछ है भी नहीं.

फिर मैं हंसते हुए ड्रॉइंग रूम में बैठ गया. मगर मेरे दिमाग़ में अभी भी उनका गिरा हुआ पल्लू और बाहर झाँकते दूध और निकली हुई गांड चल रही थी.

इतने में ही उनकी चिल्लाने की आवाज़ आई तो मैं दौड़ कर गया.. और जाते जाते ध्यान आया कि वो कपड़े बदल रही हैं तो मैं दरवाजे पे ही रुक गया.
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो मोहिनी जी बोलीं- अभी मेरे पैर के ऊपर से रेंगते हुए कुछ गया.

मैंने हिचक छोड़ दी और अन्दर आ गया. मैंने देखा कि उनकी साड़ी का पल्लू गिरा हुआ है और उनकी साँसें तेज़ चल रही थीं. इस स्थिति में उनके दूध ऊपर नीचे हो रहे थे. मैंने बाहर से चाँद से आती हुई रोशनी में उन्हें देखा तो वो एकदम परी लग रही थीं.

उनकी लिपस्टिक उनके होंठों पर इतने अंधेरे में भी चमक रही थी और बार बार उनके होंठ मुझे पुकार रहे थे. मैं उनके पास को गया और मैंने कहा- मैं यहीं खड़ा हूँ.. आप कपड़े बदल लो.. मैं इधर नहीं देखूँगा.
वो बोलीं- ठीक है.. आप कहीं मत जाना.

अब मैं बेड पर उनकी तरफ पीठ करके बैठ गया और मुझे उनकी चूड़ियों और गहनों की खनकने की आवाज़ आ रही थी. इतने में मेरे पास उनकी साड़ी उड़ती हुई आई और मेरी गोदी में गिरी. मुझे समझ आ गया कि ये साड़ी उन्होंने मेरी तरफ जानबूझ कर ही फेंकी है.

मैंने थोड़ा सा कनखियों से देखा तो वो पेटीकोट और ब्लाउज में खड़ी अलमारी में से कुछ निकालने की कोशिश कर रही थीं.

मगर उन्हें मिल नहीं रहा था तो वो बोलीं कि बेटा ज़रा मेरे कपड़े निकालने में मेरी मदद कर दो.
मैंने भी हरामी बनने की सोच कर कहा- ठीक है.. अभी निकाल देता हूँ.
मैं उनके पास जाकर खड़ा हो गया तो बोलीं- क्या हुआ निकालो ना?

मैंने हाथ उनकी तरफ बढ़ा दिए.
वो बोलीं- ये क्या कर रहे हो बेटा?
मैंने कहा कि आपने ही तो कहा- कपड़े निकालने में मेरी मदद करो.
तो वो ज़ोर ज़ोर से हँसने लगीं और बोलीं कि अरे बुद्धू बेटा.. मैं ये नहीं.. मैं तो अलमारी से कपड़े निकालने को बोल रही थी.
मैंने कहा- ओह.. मुझे लगा कि शायद आप अपने…

और मैं ऐसा बोलते बोलते चुप हो गया. फिर वो पीछे को, अलमारी की तरफ अपनी पीठ और गांड मेरी तरफ करके घूमी.
फिर पता नहीं क्या हुआ कि वे एकदम से बोलीं- ठीक है मेरे ही कपड़े उतारने में मदद कर दो, बाकी मैं कर लूँगी, मेरा ब्लाउज पीछे से हुक वाला है, बस आप इसे खोल दो.

मेरी तो जैसे लॉटरी लग गयी. मैं उनके पास गया और उनकी पीठ पे हाथ रख कर ऐसी एक्टिंग करी, जैसे मुझे हुक नहीं मिल रहे हो. वो कंधे हिलाने लगीं, उन्हें शायद कुछ अजीब सा लगा हो.

इतने में मैंने उनकी गर्दन पे एक किस कर दिया तो वो एकदम से दूर होके बोलीं- बेटा, ये क्या कर रहे हो?
तो मैंने कहा- आप बहुत सुंदर लग रही हो.. तो मेरी इच्छा हुई कि आपकी सुंदरता के लिए आपको कुछ इनाम दूँ, तो मैंने दे दिया.

वो मुस्कुराईं और उन्होंने मुझे गले से लगा लिया. मेरी सासू माँ के कड़े दूध मेरी छाती से टकराए, तो मैंने उन्हें कसके बांहों में भर लिया और उनके गालों पे किस करने लगा. मैंने उनकी गर्दन पे अपनी उंगलियां चलानी शुरू कर दीं.

अब सब कुछ खुल गया था, मेरी सास मेरे साथ सेक्स करने को मचल रही थीं.

मेरी उंगलियां उनकी गर्दन के पीछे से होती हुई.. आगे उनके ब्लाउज के कोने तक आ गईं. मेरी सास मोहिनी जी की सांसें तेज़ चलने लगीं और उनकी उंगलियों की पकड़ मेरे पे और बढ़ गई. फिर मैंने उनके होंठों पे अपने होंठ रख दिए और हम एक दूसरे की सांसों में खोने लगे. इतने में उन्होंने अपने होंठ खोल दिए और मेरी जीभ उनके मुँह में अन्दर उनकी जीभ से लड़ने लगी. दो पल बाद ही हमारी लार एक दूसरे में मिलने लगीं.

फिर उनके हाथ मेरी पीठ पे रेंगने लगे और उन्होंने मेरी पैन्ट में खुरसी हुई शर्ट बाहर निकाल दी. मैं अपना हाथ उनकी पीठ पे ब्लाउज के नीचे ले गया और उनकी स्किन को छूते ही जैसे उन्हें करेंट सा लगा.

वो थोड़ा सा उचकीं और एक आआ आहह भरी. साथ ही उन्होंने अपनी छातियों को और मेरे करीब कर दिया. फिर मैंने अपने हाथ उनके पेटीकोट के ऊपर से ही उनकी गांड पे ले गया और उंगलियों से जैसे ड्रॉइंग बनाने लगा. वो भी अपनी गांड को इधर उधर हिलाने लगीं.

फिर मैंने अपने एक हाथ उनके दूध पे रख दिया और हल्के हल्के से उनके दूध पे भी ड्रॉइंग सी बनाने लगा.

अब वो पूरी तरह से मेरी हो गई थीं. मैंने उन्हें गोद में उठाया और बेड पे ले गया. इतने में ही लाइट भी आ गयी तो वो शर्मा गईं और अपना मुँह अपने हाथों से छुपाने लगीं.
उनके पैर बेड के बाहर लटक रहे थे. मैंने नीचे फर्श पर बैठे कर उनकी सैंडिल उतार दीं और उनके पैरों को सहलाने लगा.

वो बोलीं कि जब भी तुम मेरे पैर छूते थे.. तो मुझे कुछ अजीब सी फीलिंग होती थी.. आज समझ में आया कि वो सब क्यों होता था. क्योंकि तुम्हारे अन्दर भी उतनी ही आग लगी थी, जितनी कि मेरे अन्दर लगी है.
मैंने कहा- हां..

फिर मैंने उनके पैरों की उंगलियों को चूमना शुरू किया तो वो सिसकारियां लेने लगीं- आहह उम्म्म्म ममम ऊऊहह बेटा.. आज मेरी हर इच्छा पूरी कर दो..
मैंने कहा- हां सासू माँ, आज तो मैं आपकी और मेरी दोनों की हर इच्छा पूरी कर दूँगा.

फिर मैं उनको चूमते हुए थोड़ा ऊपर उनके पैरों की एड़ियों तक आ गया तो उनकी पायल बजने लगी. एक हाथ से मैं उनके पैर पे हाथ फेर रहा था और दूसरे हाथ से मैं उनके पेट पे ड्राइंग सी बना रहा था.
वो अपनी गांड को हिलाते हिलाते उचक रही थीं और मुँह से तरह तरह की आवाजें निकाल रही थी- ह्म्म्म्म म आहह बेटा आअहह ओह…

फिर मैं उनके पास पलंग पे आकर बैठ गया और उन्हें भी उठाकर बिठा दिया. अब उन्होंने अपना काम शुरू किया और मेरी शर्ट के सारे बटन खोल कर मेरी बेल्ट उतार दी. फिर मेरी जीन्स भी खींचने लगीं.. थोड़ी देर में ही मैं उनके सामने सिर्फ़ अपनी जॉकी में था; उन्होंने मेरी अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को पकड़ के सहलाना शुरू कर दिया. तो मेरा लंड फूल के जॉकी से बाहर आने को करने लगा.

वो बोलीं- इसे क्यों क़ैद करके रखा है.. इसे आज़ाद तो कर दो.
मैंने कहा- क़ैद मैंने किया है ताकि तुम्हारे हाथों से आजाद हो सके.

उन्होंने अंडरवियर के ऊपर से ही मेरे लंड को एक किस किया और उनके होंठों की लिपस्टिक का हल्का सा निशान मेरी अंडरवियर पे पड़ गया.
वो अंडरवियर उसके बाद मैंने कभी नहीं पहनी और आज तक संभाल के रखी है.

फिर उन्होंने अपने हाथ मेरी गांड के नीचे से मेरी अंडरवियर के अन्दर डाले और एक ही झटके में मेरा लंड फुदक कर बाहर उनके मुँह के सामने स्प्रिंग की तरह हिलने लगा.

फिर उन्होंने झुक कर कहा- आज मैं तुम्हें बताऊंगी कि मैं क्यों इतने दिनों से तड़प रही थी.
और ऐसा कहते कहते उन्होंने अपनी मुट्ठी में मेरा लंड पकड़ लिया. किसी कॉर्क की बॉटल की तरह मेरा लंड मेरी सास के हाथ में था. दूसरे हाथ से वो मेरे बॉल्स को सहला रही थीं.

‘ह्म्म्म्म .. आआआहह.. साआसूउउउ माँआ आआहह.. मेरी मनमोहिनीई ईईई..’
मेरे कामुक स्वर कमरे में गूंजने लगे.

फिर उन्होंने मेरे प्यूबिक रीजन पे अपने होंठ रख दिए और अपने होंठ वहां फिराने लगीं. इससे मेरे लंड का साइज़ और बढ़ने लगा. धीरे धीरे करते हुए वो मेरे लंड पे आ गईं और फिर उन्होंने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया.

अ.. आहह.. दोस्तो क्या मस्त फीलिंग थी.. मैं शब्दों में बयान तो नहीं कर सकता.. मगर फिर भी कोशिश कर रहा हूँ.. मेरी सासू माँ के गीले गीले मुँह से मेरा लंड और भी गरम हो रहा था और बढ़ता ही जा रहा था. इतना बड़ा मेरा लंड आज तक कभी नहीं हुआ था.

दोस्तो, मेरी सास की चूत चुदाई की डर्टी कहानी पर आपके कमेंट्स चाहूँगा.
 
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junglecouple1984

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मेरी प्यारी चुदासी सासू माँ-2



आपने पढ़ा कि मैं अपनी सास के मुँह में अपना लंड डाल कर मजा ले रहा था.
अब आगे..

मैंने अपने हाथ अपनी सासू माँ के बालों में फंसा लिए और उनका मुँह अपने लंड पे दबाने लगा. फिर मोहिनी जी ने भी अपनी स्पीड धीरे धीरे बढ़ा दी. अब वो पूरा लंड अपने मुँह में ले चुकी थीं.. और उसे अन्दर बाहर करके मुझे मुखचोदन करवा रही थीं.

तभी मेरा बदन अकड़ने लगा और मैंने कहा- बस मम्मी, रुक जाओ … नहीं तो मैं आपको गंदा कर दूँगा.
वो बोलीं- कर दो… आज तो तुम मेरे साथ जो करना चाहो, कर दो… ह्म्म्म्म म.. ऊऊहह दामाआद हो तो ऐसा.. आह.. उहह..
तभी मैंने एकदम से पिचकारी छोड़ दी उनके मुँह में जो सीधे उनके गले में उतर गई. बाद में मेरी सास ने मेरे लंड से जो धीरे धीरे रस बह रहा था, उसे भी चाट के साफ़ कर दिया.
अब उनका चेहरे और गर्दन की स्किन एकदम लाल हो गयी थी.

वो उठीं और जाकर मुँह धोकर फिर से बाथरूम से लिपस्टिक लगा आईं. इसके बाद वे आकर मेरे बगल में लेट गईं.

अब फिर से उन्होंने अपने हाथ धीरे धीरे मेरे सीने पे चलाना शुरू किए और कुछ ही पल बाद वो उठ कर मेरे सीने पे बैठ गईं और मेरे निप्पल को किस करने लगीं. इससे मेरा लंड फिर से तन्नाने लगा. फिर उन्होंने मेरे लंड को हाथ से पकड़ लिया और अपनी उंगलियां मेरी गोटियों और गांड के छेद पे फिराने लगीं.

फिर तो मैंने उन्हें झटके से अपने नीचे लेटा दिया.. और उनके पेटीकोट के ऊपर से ही मैंने अपना लंड उनकी चूत पे दबाने लगा था.

मेरी सास बोलीं- क्या आज मेरे पेटीकोट को भी अन्दर डाल दोगे?
तो मैंने कहा- पेटीकोट ही नहीं उसके नीचे पेंटी भी होगी ना.. वो भी आज डाल दूँगा.. तो मेरा जूस फिल्टर होकर जाएगा.
मेरी इस बात पर हम दोनों ही हँसने लगे.

फिर मैंने उन्हें उल्टा घुमा दिया. अब वो पेट के बल लेटी थीं और मेरे हाथ उनकी पीठ पर से चलते हुए.. उनकी गांड को क्रॉस करते हुए उनके पैरों पर आ गए थे. फिर मैंने उनके ब्लाउज के सारे हुक खोले और उन्हें अपने सामने बिठा लिया. फिर मैंने अपने दोनों हाथ उनके पीछे लेजा कर उनके ब्लाउज को उतार दिया. उन्होंने अन्दर सफ़ेद रंग की ब्रा बहनी थी, जिसके बीच में एक फूल बना था.

उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे कंधे के दोनों तरफ रख दिए और मैं नीच झुक कर उनकी बगलों में घुस कर सूंघने लगा. वही पुरानी उनकी प्यारी से खुशबू पसीने में मिक्स होकर आ रही थी, जो मुझे काफ़ी पसंद थी. मैं अपनी सास की बगलों को चाटने लगा.

फिर वो लेट गईं और मैं उनकी बगलें चाटते हुए उनकी ब्रा के साइड में आ गया. वो मेरे मुँह में देने के लिए अपने दूध उचकाने लगीं. मैं उन्हें किस करते हुए उनकी नाभि तक आ गया.

वॉवव… क्या सीन था. उनकी नाभि के पास पसीने की बूंदें थीं और उनकी नाभि ऐसी चमक रही थी, जैसे कोई सोना धूप में चमचमाता है. मैंने झुक कर अपनी जीभ उनकी नाभि में डाल दी और उन्होंने एकदम से उचक के मेरा सिर पकड़ लिया.. और अन्दर को दबाने लगीं- आआमम्म्म.. क्या कर रहे हो कितना तड़पा रहे हो दामाद जी!

मैंने उनके पेटीकोट के नाड़े में अपनी उंगलियां फंसाईं और उसे खींच दिया. पेटीकोट हटा तो मुझे उनकी रेड और वाइट आदि लाइन्स वाली पेंटी के थोड़े थोड़े दर्शन होने लगे. मैंने अपना हाथ नीचे फिराते हुए उनके पेटीकोट को नीचे को सरकाया और जब मेरा हाथ उनकी पेंटी के ऊपर से उनकी चूत को छूते हुए निकला, तो जैसे वो मर ही गईं.

वो एकदम से सीत्कार करने लगीं- उउफफ्फ़ सीईईईईईई बेटा अब तो कुछ कर ही दो.. आआआअहह..

इस वक्त वो मेरे सामने पसीने में नहाई हुई सिर्फ़ सफेद ब्रा और रेड और वाइट आड़े स्ट्रिप्स वाली पेंटी में लेटी हुई थीं. और वो ऐसे तड़प रही थीं, जैसे कम पानी में कोई मछली तड़फती है. फिर मैंने अपने पैरों की उंगलियां उनकी पेंटी के ऊपर से ही चूत पे रख दीं. वो तो इतनी अधिक चुदासी थीं कि मेरी उंगलियों को ही चुत के अन्दर घुसाने में लग गईं और अपनी गांड मटकाने लगीं.

मैंने उन्हें उठा कर अपनी गोद में बिठा लिया. वो लपक कर मेरी गोदी में आ गईं, उनकी दोनों टांगें मेरी कमर से लिपटी हुई थीं. मैंने उनके होंठों को किस करना शुरू किया और उनको अपने से चिपका कर अपने हाथ उनके पीठ पे फिराने लगा. उनके बालों में हाथ डाल के मैंने उनका सिर पीछे को कर दिया और अपने होंठ उनकी गर्दन पे रख दिया.

फिर धीरे धीरे नीचे उनकी दूध घाटी तक आ गया और उसी वक्त मैंने पीछे से उनकी ब्रा का हुक खोल दिया. उनके कड़क हो चुके मम्मे एकदम से जैसे आज़ाद हो गए और उनकी ब्रा लटक गई. फिर मैंने उसे ऐसे ही लिटा दिया और उनकी ब्रा उतार फेंकी.

वो मेरे सामने मेरी कमर में पैर लपेटे हुए सिर्फ़ पेंटी में लेटी हुई थीं जो गीली होने लगी थी. एक मस्त सी खूशबू पूरे रूम में छा गयी थी. मैंने उनके निप्पलों पर हल्के हल्के से मसाज देनी शुरू की.. और फिर धीरे धीरे अपनी हथेलियों से ग्रिप बनाते हुए उनके दूध पकड़ कर सहलाने लगा साथ ही उनकी नाभि में अपनी जीभ घुसा दी.

अब मेरी जीभ उनकी नाभि और प्यूबिक रीजन में उनकी पेंटी के ऊपर घूम रही थी. अपने हाथ से मैं उनके दूध मसल रहा था और अपनी उंगलियों के बीच में उनके निप्पलों को फंसा फंसा के दबा रहा था. वो अपनी गांड उचका उचका कर मेरे लंड से अपनी चूत को दबा रही थीं.
मैंने उनकी चूत के ऊपर पेंटी के ऊपर से ही अपने होंठ रख दिए.. तो एकदम से मेरी सास की आवाज़ निकल गई- उउऊहफफ्फ़.

वो बोलीं- ऐसा लगा जैसे कि तुमने जलती हुई माचिस की तीली डाल दी हो.. ह्म्म्म्म म.. उम्म्म्म..

मेरे हाथ उनके मम्मों से नीचे होते हुए पीछे उनकी कमर तक पहुंच गए थे और मैंने उनकी जांघों को मसाज करना शुरू कर दिया. फिर मोहिनी ने अपनी टांगें खोल दीं और चौड़ी कर दीं. अब मैं अपने मुँह से उन्हें पेंटी के ऊपर से ही चोद रहा था और वो तड़प रही थीं- हमम्म्म.. बेटा आह आआआअहह आई लव यू.. फक्क मी राजाआ.. आअहह..

मेरे हाथ उनकी जांघों से होते हुए साइड से उनकी पेंटी के अन्दर चले गए. मैंने उनकी पेंटी खींच के उतार दी.
आआआअहह … मोहिनी ने क्या मस्त चूत पाई थी.. उनकी चूत पे एक भी बाल नहीं था… और ऐसी गुलाबी रंगत लिए हुए फूली सी चूत थी कि मेरा लंड बाग़ बाग़ हो गया. इस वक्त मेरी सास की चूत में से पानी सा रिस रहा था, जो उनकी चूत की लाइन से होता हुआ, उनकी गांड के छेद में घुसते हुए बिस्तर पर भी टपक रहा था.

मैं अभी अपनी सास की चूत के दीदार ही कर रहा था कि इतने में ही उन्होंने मेरा मुँह पकड़ कर अपने चूत पे दबा दिया.
“आआआ आअहह उई उम्म्म्म…”
फिर मैंने धीरे से उनकी चूत की फांकों को खोला और अन्दर से उनका चना सा दाना दिखने लगा, तो मैंने अपनी जीभ से उसे छेड़ दिया. वो फिर से तड़प गईं.

मैंने अपनी जीभ उनकी पूरी चूत पे फिरानी शुरू की तो वो उचक उचक के मेरा साथ देने लगीं. मैं साथ साथ अपने हाथों से उनकी जांघें, दूध, बगलें, पेट, गांड सब मसल रहा था.

इतने में ही मेरी सास का बदन टाइट हो गया और एकदम से वो ढीली पड़ गईं. वो झड़ चुकी थीं और उनकी चूत का रस मेरे मुँह में आ रहा था. मुझे ऐसा लग रहा था कि नमकीन अमृत पी रहा होऊं.
मैंने अपनी सास की चूत का पूरा रस पी लिया.. यहां तक कि जो रस चादर पे भी गिर रहा था, वो भी मैंने चाट लिया.

अब मेरी सास मुझसे बोलीं- तुम बहुत नॉटी हो मुझे किए बिना ही ठंडा कर दिया, लेकिन मुझे अभी तृप्ति नहीं मिली है, मैं बाथरूम से आती हूँ. अभी मुझे सूसू आ रही है.
तो मैंने कहा- तो कहीं जाने की क्या ज़रूरत है.. यहीं मैं हुआ ना तुम्हारी टॉयलेट सीट.. आ जाओ.
मेरी सास बोलीं- धत्त् शरम नहीं आती क्या..?
तो मैंने अपनी सास को अपनी तरफ खींचते हुए कहा कि अब भी तुम्हें मुझसे किसी काम में शर्म आएगी क्या?
फिर वो मना करने लगीं, तो मैं ज़िद करने लगा.. अंततः वो मान गईं.

अब मैं नीचे फर्श पर लेट गया. वो 69 में मेरे ऊपर मेरे मुँह पे अपनी चूत लगा कर बैठ गईं और उन्होंने अपने मुँह में मेरा लंड पकड़ लिया.

फिर मेरा इशारा पाते ही उन्होंने एक तेज़ धार छोड़ी, सर्रर्र… करके उनकी पेशाब मेरे मुँह में आने लगी.
“आआआहह मज़ा आ गया मेरी जान.. इतना मज़ा तो किसी कोल्ड ड्रिंक में भी नहीं आता.. जो आपकी इस हॉट ड्रिंक में है मम्मी जी…”

दो पल बाद ही उनकी चूत में से टॉयलेट की बूँद बूँद टपक रही थी.. मगर मैं एक भी बूँद नहीं मिस करना चाहता था, तो मैंने ज़ोर से उनकी चूत पर अपने मुँह का ढक्कन लगा कर पूरा रस चाट लिया.

मैं अब बिस्तर पर आ गया, हल्की होने के बाद वो भी मेरी बाजू में लेट गईं और अपने हाथों से मेरा लंड सहलाते हुए उससे खेलने लगीं.

मेरे हाथ इस वक्त अपनी सास की चूत पे थे और मैं उनकी चूत को सहला रहा था. मैंने धीरे धीरे उनकी चूत पे हाथ फेरते हुए अपनी एक उंगली को उनकी चूत में डाल दी, तो वो थोड़ी उचक कर बोलीं- क्या कर रहे हो यार.. बता दो दिया करो.
मैं उसी एक उंगली को उनकी चूत में अन्दर बाहर करने लगा. चूत कुछ गरम हुई तो मैंने धीरे से अपनी दूसरी उंगली भी डाल दी.

अब वो फिर से गर्म होने लगी थीं, मेरी सास बोलीं- आ जाओ राजा.. अब देर मत करो.
मैंने उन्हें अपने नीचे लिटाया और उनकी दोनों टांगें चौड़ा कर फैला दीं. अपनी उंगलियों से उनकी चूत की फांकों को फैला दिया और अपने लंड का सुपारा मैंने चूत के मुहाने पर रख दिया.

लंड का स्पर्श अपनी चुत पर पाते ही मेरी सास के मुँह से ‘आआआहह..’ निकल गया. वे बोलीं- इस पल के इंतज़ार में न जाने कितने साल गुज़ार दिए दामाद जी.. क्या आपको मेरे इशारे समझ में ही नहीं आ रहे थे?
मैंने कहा- देर से ही सही.. मगर समझ तो गया मेरी जान मोहिनीई. आअहह..

इतने में मैंने एक झटके में ही अपना लंड अपनी सास की चूत की गहराइयों में उतार दिया.
मेरी सास ने मुझे गाली देते हुए ‘आहह साले ह्म्म्म्म .. ऊऊओह..’ भरी और उन्होंने मुझे अपने ऊपर खींच लिया और अपने दूध मेरे मुँह में घुसेड़ कर कहा- लो खा जाओ, पी जाओ.. तुम साले मुझे मम्मी बोलते हो मगर दूध नहीं पियोगे… तो कैसे मैं तेरी मम्मी बनूँगी.

मैंने अपनी सास के दूध चुसकते हुए धीरे धीरे अपने लंड को अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया. मैं एक हाथ से उनके बालों में डाल कर उनकी गर्दन को पकड़े हुए था और दूसरे हाथ से उनके दूध को जड़ से पकड़ कर अपने मुँह में घुसाए हुए खूब ज़ोर ज़ोर से चूस रहा था.

“हम्म्मम.. दामाआआद जीईईई.. बेटाअ राजाआ.. खूब.. चोद दोव आज अपनी सास को.. अपनी बीवी की माँआआअ चोद दोओ.. ”
“मोहिनीईई आआअहह उम्म्म्म.. ऊउउ फफ्फ़ क्या.. मजा आआ.. रहाआ.. है मेरी जान…”

इस तरह की चुदासी आवाजों से कमरा गूंजने लगा. फिर मैं उठ कर बैठा और मैंने दोनों हाथ से अपनी सास के दूध मसलने शुरू कर दिए और बारी बारी से उन्हें चूसने भी लगा. साथ ही लंड के धक्के तो चालू ही थे.

करीब 20 मिनट लंड पेलने के बाद उनकी चूत की तो माँ चुद गयी थी. मेरे लंड को भी उलटी करने का मूड बन गया था. अब हम दोनों ही झड़ने वाले थे. उन्होंने मेरी पीठ पे अपनी पकड़ और मजबूत कर ली और मैंने उनकी गर्दन को ऐसा पकड़ा जैसे कि अब मैं उनकी गर्दन को मरोड़ ही दूँगा. उनके एक दूध को अपने मुँह में भर के ऐसे भींच लिया, जैसे काट कर छाती से अलग ही कर दूँगा.

हम दोनों के शरीर एकदम से एक दूसरे से चिपक गए और कड़क हो गए. बस फिर 2 मिनट के बाद एक तेज सीत्कार के बाद हम दोनों निढाल हो गए. अब हम दोनों एक साथ झड़ चुके थे.

मैं थोड़ी देर ऐसा ही पड़ा रहा और फिर लंड निकालने लगा तो वो बोलीं- ऐसे ही रहने दो.. उसे मेरी पार्किंग में ही रहने दो.. अच्छा लग रहा है.

फिर थोड़ी देर से हम दोनों ने एक और नया सेशन स्टार्ट किया मगर अबकी बार मैंने उन्हें घोड़ी बना कर उनकी चूत में पीछे से लंड डाल दिया और उनके लटकते हुए मम्मों को अपने दोनों हाथों से पकड़ कर मसल दिए.

उस रात हम दोनों ने 5 बार चुदाई की थी. उसके बाद जब तक मेरी बीवी वापस नहीं आ गई, मैं रोज उसकी माँ चोदता रहा.

तो यह थी मेरी सास के साथ मेरी पहली सुहागरात की कहानी.. इसके बाद तो जैसे कुदरत हम पर मेहरबान हो गयी थी, उस टाइम एक महीना हम दोनों एक दूसरे के साथ रहे और फिर थोड़े दिनों बाद राखी पर भी उन्होंने मुझे एक दिन के लिए रहने को बुला लिया था. फिर जब भी मौका मिलता, हम दोनों अपना प्रोग्राम शुरू कर देते.

फिर से एक बार ससुर को बाहर जाना हुआ तो वे मेरी बीवी के साथ मुझे अकेले छोड़ कर चले गए. मेरी सास ने एक हफ्ते के लिए मुझे फिर से अपनी हवस बुझाने के लिए बुला लिया. फिर से मैंने मेरी सास की चुदाई की कहानी लिख डाली.
 
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माँ बेटा सेक्स: बेटे ने मेरी हवस मिटाई -1



प्रिय पाठको, मेरी कहानी माँ बेटा सेक्स की है, मेरा नाम प्रभा है, मैं 37 साल की विधवा हूँ. मेरे 2 बच्चे है, एक बेटा सोनू 19 साल का और बेटी शिवानी उससे छोटी है.

काफी दिनों बाद आज मैंने सोचा कि अभी 20 दिन पुरानी घटना को कहानी के माध्यम से आप लोगों के साथ शेयर करूँ!

तो दोस्तो, आज मैं आपको एकदम सच्ची घटना बताने जा रही हूँ जिसमें मैं और बेटा बेटा सोनू है!

मेरे पिताजी को दारू की लत थी, माँ बचपन में ही चल बसी थी तो मेरे पिताजी ने मेरी शादी किशोरावस्था में ही करवा दी. कुछ साल अच्छे से बीते, सोनू और शिवानी का जन्म हुआ और फिर एक रोज़ मेरे पति का एक एक्सीडेंट के वजह से देहांत हो गया करीब 4 साल पहले!

मैं पूरी तरह टूट चुकी थी लेकिन ससुराल के लोगों ने बहुत मदद की और मैंने एक दुकान खोल ली जिससे हमारा गुजारा अच्छे से चलने लगा.
सब ठीक से चल रहा था लेकिन हर औरत और मर्द की कुछ बुनियादी शारीरिक जरूरतें होती हैं, वहां पर आकर मैं बेबस हो जाती थी, बाहर किसी से सम्बन्ध क्या रिश्ता रखने में भी बदनामी का डर सताता था तो इसी बेबसी को अपनी किस्मत मानकर जीवन काट रही रही थी!

Xforum पर कहानियाँ पढ़ती थी, पोर्न वीडियो देखती थी और उंगली से ही चुत की आग मिटाती थी … लेकिन आखिर कितने दिन?

खैर मैंने दिमाग से ये ख्याल ही उतार दिया था लेकिन करीब एक महीने पहले कुछ ऐसा घटा कि मेरी लालसा बढ़ गयी!

एक रोज़ शिवानी स्कूल गयी थी और मेरा बेटा घर पर ही था, मैं दूकान से जब दोपहर को घर आयी खाना बनाने तो एक चाभी जो मेरे पास रहती थी उससे मैंने दरवाजा खोला और अंदर गयी. अंदर सोनू के कमरे का दरवाज़ा आधा खुला था और वो बिस्तर पे सिर्फ अंडरवियर पहन के लेटा था और अंडरवियर के ऊपर से ही उसका लौड़ा लम्बा मोटा और सख्त है, यह मुझे महसूस हो गया था.

लेकिन आखिर है तो मेरा बेटा … यह सोचकर मैं अंदर चली गयी और खाना बनाकर सीधा बेड पे लेट गयी.
मेरे ख्याल में अब भी वही चल रहा था, मैं चाह कर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.

फिर मैंने Xforum की साइट से माँ की चुदाई श्रेणी से माँ बेटा सेक्स कहानियाँ पढ़नी शुरू कर दी, यकीन मानिये … पढ़ने के बाद मैं खुद के काबू में नहीं रही, मैंने उंगली से अपनी चुत को छुआ तो वो पानी पानी हो चुकी थी.

मैंने उस रोज रात में न खाना बनाया न खाया … मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी … मुझे बस चुदना था अब!

उन कहानियों से मैंने सीखा कि कोई भी रिश्ता हो लेकिन असल रिश्ता सिर्फ एक औरत और मर्द का होता है फिर वो चाहे बेटा हो या देवर!

रात के करीब 12 बज रहे थे, मैंने बहुत सारी पोर्न वीडियो देखी एवं हिंदी सेक्स कहानी पढ़ कर धीरे धीरे मैंने उंगली करनी शुरू कर दी अपनी चुत में … मेरा जोश एकदम बर्दाश्त के बाहर हो रहा था, जी कर रहा था कोई भी मर्द आकर मेरे जिस्म को नोच के खा जाए!

तभी एकाएक सोनू आकर सीधा चढ़ गया मुझ पर … वो भी पूरा नंगा!
मैं अचानक हुए इस हमले से भौचक्की रह गयी और हड़बड़ा कर उसे दूसरी तरफ धकेला और खड़ी हो कर अपनी साड़ी ठीक करने लगी!

इतने में सोनू ने मुझे कस के पकड़ कर बिस्तर पे लिटा दिया और बोला- साली कब से उंगली कर रही है … तुझे तो उंगली करते हुए मैं रोज़ ही देखता हूँ और नंगी नहाती है तब भी दरवाज़े के छेद से तुझे देखता हूँ. माँ-बेटे का रिश्ता भूल कर सिर्फ अपनी हवस मिटा माँ! क्यूंकि मैंने भी आज तक सिर्फ मुठ ही मारी है! आ जा मेरी जान … आज तेरे जिस्म की आग मिटाता हूँ मैं! मुझे अपना बेटा नहीं, अपना पति समझ आज की रात! तुझे दिखाने के लिए ही अंडरवियर में लेटा था!
इतना कहकर सोनू मुझे चूमने लगा और मेरे बूब्स दबाने लगा.

अब मैंने शर्म हया सब त्याग दी, मेरा कण्ट्रोल खुद पे नहीं रहा था, बस अब सामने एक हट्टा कट्टा मर्द दिख रहा था जिसका लौड़ा उसके बाप से भी लम्बा था. मुझे अब अपनी प्यास बुझानी थी और सोनू भी हवसी हो चुका था!

मुझे बचपन से ही ज्यादा जोश आया करता था और मुझे वाइल्ड सेक्स बहुत पसंद है जिससे कि कोई मेरा बदन नोच के खाये!
मैंने कहा- सोनू बेटा, मुझे एक रांड समझ और जो दिल में आये वो कर … मुझे मार, गाली दे, जो मन करे वो कर … बस मेरी आग मिटा मेरे बेटे!

यह सुनकर सोनू ने मेरी ब्लाउज को आगे से खींच कर फाड़ दिया और ब्रा को खोलकर मेरे निप्पल चूसने लगा और बूब्स मसलने लगा.
सोनू- साली रांड … तुझे अब मैं सही में रांड बनाऊंगा आज चोद के … कितना चुदवा सकती है तू सच सच बता?
प्रभा- बेटा, मैं तो दस मर्दों से भी चुदवा लूं, इतना भयानक जोश चढ़ा हुआ है मुझे!

इतना सुनते ही सोनू ने मेरी गांड मसल दी और कहा- साली कुतिया, बदन तो एकदम कसा हुआ है तेरा, सिसकारी जोर जोर से ले मम्मी, मैं चाहता हूँ कि पूरा मोहल्ला आज जान जाए कि तू चुद रही है!
इतना कहकर सोनू ने मेरी साड़ी पूरी खोल दी और पेटीकोट का नाड़ा खोल कर मुझे नंगी कर दिया, सिर्फ पैंटी बची थी जिसने मेरी गीली चूत को ढक रखा था!

फिर मेरे बेटे ने मुझे बेड पे लिटाया और मेरे पूरे बदन को चूमने लग गया एकदम हवसी के जैसे … आखिर पहली बार उसे नंगी औरत मिल रही थी चोदने को!
अब सोनू ने अपनी माँ की दोनों जांघों को चूमा और जांघें फैला कर पैंटी के ऊपर से ही मेरी चुत को चाटने लगा. मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा था तो मैंने सोनू से कहा- बेटा, अपनी माँ की पैंटी उतार के चाट जीभ घुसा के मेरी चुत में!

सोनू ने अपने दांतों से मेरी पैंटी खींच कर उतारी और जैसे ही उसने जीभ मेरी चुत पे लगायी, मेरी हालत ख़राब हो गयी और मैं चिल्ला उठी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहहाह!

मेरी सिसकारी इतनी जोर से निकली कि आवाज सुनते ही आधी नींद में मेरी बेटी शिवानी मेरे कमरे में आ गयी और बोली- क्या हुआ मम्मी?
हम दोनों माँ बेटे अपने काम में लगे हुए थे!
मैंने कहा- कुछ नहीं बेटी, तुम जाओ सो जाओ!
शिवानी- मम्मी, भैया क्या कर रहा है आपके साथ? कपड़े भी नहीं पहने हैं उसने!
मैं- बेटा, वो मुझे प्यार कर रहा है, तुम और बड़ी हो जाओगी, तब तुम भी समझ जाओगी!

शिवानी- मम्मी, मुझे अकेले डर लग रहा था, मैं यहीं तुम्हारे बगल में सो जाऊँ?

अब मैं बड़ी मुसीबत में फंस गयी और न चाहते हुए भी शिवानी को अपने पलंग पर सुला लिया मैंने!

इधर सोनू ने मेरी चुत में अपनी जीभ पूरी पेल रखी थी, चुत से झरने की तरह पानी निकल रहा था!
मैंने कहा – सोनू बेटा, अब चोद मुझे … लौड़ा घुसा अपना अपनी मम्मी की चूत में!
इस पर सोनू ने कहा- साली कंडोम नहीं है, ऐसे ही चोदूँ, चलेगा न?

मुझे लौड़ा जल्द से जल्द अपनी चुत में महसूस करना था तो मैंने कहा- कर न साले, सोच क्या रहा है, कंडोम नहीं है तो उसके बिना चोद!
सोनू- मम्मी, मैं पहले तुम्हारी गांड मारूंगा! कुतिया अपनी गांड देखी है तूने कभी? एकदम गोरी गोरी मोटी फूली हुई है!

मैं गांड मरवाने की शौक़ीन रही हूँ तो मैं तुरंत कुतिया बन गयी और कहा- ले बेटा, मार अपनी माँ की गांड जी भर के!

अब सोनू ने पीछे से मेरी गांड अपना लौड़ा घुसना शुरू किया,इतने सालों बाद लौड़ा घुस रहा था तो मैं होश में थी ही नहीं बिल्कुल,धीरे धीरे कर के उसने अपना पूरा मोटा मुसल जैसा लन्ड मेरी गांड में पेल दिया और मेरे बाल पकड़ के मेरी गांड मरने लगा!

वो पहली बार चोद रहा था तो थोड़ा धीरे धीरे चोद रहा था तो मैंने कहा- बेटा कस कस के मार, इतने आराम से गांड और चुत नहीं मारी जाती है! कस के एकदम रांड समझ के पेल मुझे!
अब सोनू जोश से भर गया और मेरी पीठ पे थप्पड़ मारते हुए मेरे बाल खींच कर मेरी गांड मार रहा था. मैं एकदम भयानक जोश में आ चुकी थी! वासना मेरे सर चढ़ कर बोल रही थी.

तभी शिवानी बोली- भैया, मम्मी को क्यों मार रहे हो? उन्हें दर्द हो रहा है!
सोनू- अरे बहन, प्यार करने का यह एक तरीका होता है, तू बड़ी होगी तो समझ जाएगी!
मैंने कहा- शिवानी बेटा, तुम आंखें बंद कर के सो जाओ, भैया को प्यार करने दो मुझे!

अब सोनू मेरी गांड पर भी थप्पड़ मार रहा था जिससे मेरा जोश और बढ़ता जा रहा था. सोनू ने कहा- साली, तेरी गोरी गांड लाल हो चुकी है मेरे थप्पड़ों से और पीठ भी … अब तेरा बेटा अपनी माँ की चुत का मज़ा लेना चाहता है!
मैंने तुरंत कहा- हाँ बेटा, ले न जितना मज़ा लेना है ले! और अब से जब तेरा दिल करे तब मज़े लेना मेरे बदन का!

इतना कहकर मैं सीधी होकर लेट गयी और सोनू मेरी टांगें उठा कर मेरे ऊपर लेट गया और धीरे धीरे अपना लौड़ा मेरी चुत में घुसाने लगा!

सालों बाद मेरी चुत में लौड़ा घुस रहा था, मेरी चूत पानी से लबालब हो चुकी थी.
पूरा लौड़ा घुसाने के बाद जब सोनू ने चोदना शुरू किया तो मैं सातवे आस्मां की मस्ती पर थी, पूरे कमरे में फच फच की आवाज़ हो रही थी और मेरी सिसकारियाँ गूँज रही थी!

सोनू- ले साली, और कस के चुद तू आज, आज तेरे इस कामुक बदन की आग बुझा ही दूंगा!
मैं- हरामी साले, ये आग सालों की है, इतनी जल्दी नहीं मिटेगी. और कस के दम लगा कर चोद मुझे! साले इतना मोटा मुसल जैसा लौड़ा है तेरा कि लग रहा है कि स्वर्ग में हूँ मैं! और चोद बेटा और कस कस के चोद अपनी मम्मी को!
सोनू- ले साली रांड मां मेरी … और कस कस के ले!

सोनू बहुत बुरी तरह से जानवर जैसे मेरे बदन को नोच रहा था और मुझे वो बहुत ही ज्यादा पसंद आ रहा था! जी कर रहा था आज चुदवा चुदवा के मर ही जाऊँ!

काफी देर तक मेरी चुत चोदने के बाद सोनू ने कहा- मम्मी, मेरा गिरने वाला है अंदर ही!
और मैं इतने जोश में थी कि कुछ कहने की हिम्मत नहीं थी. उसका इतना बोलना था कि मैं परमानन्द को प्राप्त हुई, अपने शिखर पर पहुँच कर मेरा माल गिर गया और ओर्गास्म के साथ ही मैं मछली जैसे छटपटाने लगी. जिसे सोनू समझ गया और मेरी यह हालत देख कर जोश में सोनू का भी गिर गया.

मुझे मालूम था कि मेरे सेफ सुरक्षित दिन चल रहे हैं तो निश्चिंत होकर मैंने अपने अंदर ही गिरवा लिया और मेरा सगा बेटा सोनू मेरे ऊपर ही यानि अपनी सगी नंगी मां के ऊपर लेट गया!

करीब दस मिनट बाद सोनू उठा और चुपचाप अपने कमरे में चला गया!

मैंने उठ कर अलमारी से नाइटी निकाल कर पहनी और लेट गयी.
तभी शिवानी उठ कर बैठ गयी और बोली- मम्मी, भैया ने आपको बहुत प्यार किया न?
मैंने- हाँ बेटी, बहुत ज्यादा खुश कर दिया है, चलो अब सो जाओ तुम भी!

मेरे मन में शक पैदा हो चुका था कि शायद शिवानी सब समझ चुकी है क्यूंकि अब वो कोई बच्ची तो रह नहीं गयी, पूरी जवान हो चुकी है!

खैर इस बारे में फिर न शिवानी ने कुछ कहा, न ही मैंने!
और फिर हम दोनों मां बेटी भी सो गए!

सुबह पांच बजे सोनू ने दुबारा से आकर मेरे जिस्म को नोचा और जमकर अपनी माँ को चोदा पर इस बार उसका माल मैंने अपने मुँह में लेकर पी लिया था!

अब मुझे एक मर्द और मेरे बेटे को जवान औरत मिल चुकी थी और इस तरह से हम अपनी शारीरिक जरूरत यानी कामवासना पूरा करते हैं!

तो मित्रो, आपको मेरी यह माँ बेटा सेक्स की कहानी कैसे लगी मुझे मेल कर के जरूर बताइयेगा,
 
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माँ बेटा चुदाई: बेटे ने मेरी हवस मिटाई -2



तो मेरी पिछली कहानी में आप लोगों ने देखा कि कैसे मुझ विधवा की प्यासी जवानी की जलती आग को मेरे बेटे सोनू ने शांत किया.
अब आगे की कहानी पढ़िए!

उस रात के बाद अब हम दोनों माँ बेटे खुल चुके थे पूरी तरह से! अगले दिन मैं दूकान चली गयी और बेटा कॉलेज चला गया, दिन एकदम सामान्य रोज़ की तरह गया.
लेकिन रात का नशा उतर नहीं रहा था, सच कहूँ तो मुझे पति से भी ज्यादा अपना बेटा पसंद आ रहा था क्योंकि छह फुट का जवान लड़का एकदम हट्टा-कट्टा अगर साथ में चले तो उसकी और मेरी उम्र से ज्यादा फर्क नहीं पता चलता!
खैर अब मुझे बदनामी का भी डर नहीं था चूँकि घर में ही सब मिल गया था मुझे!

शाम को करीब 9 बजे मैं दूकान बढ़ा कर घर आयी, शिवानी अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी और सोनू लैपटॉप में कुछ कर रहा था!
मैं उसके पास गयी और पूछा- क्या कर रहे हो बेटा?
सोनू- मम्मी मुझे एक अंतर्राष्ट्रीय कॉल सेंटर में नौकरी मिली है कोलकाता में, महीने की तनख्वाह है छब्बीस हज़ार रुपये और इंसेंटिव अलग से!
मैंने- यह तो बहुत ख़ुशी की बात है बेटा!

सोनू- माँ, क्यों न हम लोग एक काम करें… यहाँ अब रहने का भी दिल नहीं करता, यह दूकान बेचकर हम कोलकाता ही शिफ्ट हो जाते हैं, मैं तुम और शिवानी! वहां खुलकर अपनी ज़िन्दगी जी भी पाएंगे हम लोग!

हालाँकि बात में दम तो था लेकिन मैं ससुराल वालों की वजह से थोड़ी हिचक रही थी, मैंने सोनू से कहा- बेटा सोचते हैं इस बारे में! इतनी जल्दी तो कोई निर्णय नहीं लिया जा सकता.
इसके बाद मैंने सोनू से कहा- तुम्हें चिकन बहुत पसंद है न?
सोनू- हाँ मम्मी
शिवानी भी बोली- हाँ माँ, आज चिकन बनाया जाए!

मैंने सोनू को अंदर के कमरे में बुलाया और उसे पैसे दिए और कहा- बेटा, चिकन ले आओ, मैं बना देती हूँ!
इस पर सोनू मुस्कुराया और पैसे लेकर बाहर चला गया.

थोड़ी देर में सोनू चिकन लेकर आ गया, मैंने चिकन बनाया और सबसे पहले शिवानी को खिला दिया.
खाना खाने के बाद वो सोने चली गयी हॉल में!
फिर मैंने सोनू से कहा- बेटा, तुम अंदर के कमरे में चिकन लेकर जाओ, मैं अभी आती हूँ!

सोनू अंदर चला गया, घर का सारा काम कर के मैं भी अंदर कमरे में आयी. सोनू बेड पे लेटा हुआ था और चिकन बेड पे ही रखा हुआ था.
मैं भी बेड पर बैठ गयी.

जब तक सोनू के पापा थे, चिकन के साथ एक दो पेग दारू जरूर पीते थे और मुझे भी पिलाते थे.
चिकन तो दिख रहा था लेकिन कुछ कमी लग रही थी और मैं अपने बेटे से दारू की कैसे कहूँ? यह सोच कर मैं सोच में डूबी हुई थी.

तभो सोनू ने कहा- मम्मी, क्या सोच रही हो? खाओ न चिकन, तुम्हें भी तो बहुत पसंद है!
मैं- बेटा, पसंद तो है लेकिन ऐसे सूखा सूखा कुछ अच्छा नहीं लग रहा!
सोनू तुरंत समझ गया और मुझसे तपाक से कहा- मम्मी, क्या तुम पीती भी हो?
मैं- बेटा जब तक तुम्हारे पापा थे, मुझे हमेशा ही पिलाते थे चिकन के साथ!

सोनू हंसने लगा और बोला- चलो, अब पीने के लिए बाहर जाने की जरूरत नहीं … मैं लेकर आता हूँ अभी!

मैंने कहा- नहीं, रहने दे बेटा, अब कहाँ जायेगा!
इस पर वो बोला- अरे माँ, तुम चिंता न करो, मैं अभी लेकर आता हूँ, पीने के बाद रात वाला नशा फिर से चढ़ेगा और जबरदस्त!

सोनू बाहर गया और थोड़ी ही देर में एक ब्लेंडर्स प्राइड की बोतल ले आया, साथ में सोडा भी!
जब तक सोनू बाहर था तो उसे लुभाने के लिए मैंने अपनी पुरानी स्कर्ट और टॉप पहन ली जो सोनू के पापा मुझे पहनाया करते थे सेक्स करने के पहले! लेकिन ऐसे कपड़े पहन कर कभी कमरे से बाहर नहीं गयी थी मैं!

सोनू अंदर आकर बेड पे बैठा और मेरी गोरी चिकनी जाँघें निहारने लगा. मैं समझ गयी कि इसे मेरा बदन बहुत पसंद आ रहा है.
मैं उठी और दो गिलास और बर्फ लेकर आ गयी.

अब हम दोनों मम्मी बेटा बेड पे बैठ गए और मैंने पेग बनाया पटियाला … उसमें बर्फ डाली और सोनू को कहा- मुझे नहीं लगता कि हमें दो गिलास की जरूरत है. एक से ही हम दोनों पियें तो?

सोनू का लौड़ा फनफना के खड़ा हो चुका था, उसने अंडरवियर नहीं पहना था तो मैं साफ़ देख के महसूस कर पा रही थी सोनू के लन्ड को!
मैं समझ गयी कि बेटा अब गर्म हो रहा था. तो पेग उठा कर और एक हाथ में चिकन का लेग पीस लेकर मैं सोनू की जांघों पर बैठ गयी. पहले उसे चिकेन खिलाया, फिर घूँट घूँट कर के उसे पिलाने लगी और खुद भी उसी में से पी और खा रही थी.

बीच बीच में हम दोनों माँ बेटे एक दूसरे के होंठों को भी चूस रहे थे और सोनू ने हाथ मेरे टॉप के अंदर घुसा रखा था और मेरे निप्पलों को मसल रहा था जिससे मैं अब धीरे धीरे गर्म हो रही थी.

एक पेग ख़त्म होने के बाद मैं दूसरे पेग उठाने के लिए उठी तो सोनू ने अपने सारे कपड़े खोल दिए और अपना खड़ा लन्ड मेरी स्कर्ट के ऊपर से ही मेरी गांड के छेद पर भिड़ा दिया.
मेरे मुँह से आउच निकल गया, मैंने जानबूझ कर आज ब्रा और पैंटी नहीं पहनी थी.

मैं पेग बना कर एक हाथ में चिकन लेकर खड़ी होकर अपने बेटे के मोटे मूसल लौड़े को देखने लगी. इतने में सोनू नीचे बैठ गया और मेरी स्कर्ट के अंदर घुस के मेरी चूत अपनी जीभ से चाटने लगा.
मैं कसने लगी थी, मेरी जवानी एकदम उफान मार रही थी, मेरे मुँह से सिसकारियां निकलने लगी अपने आप! मुझसे सहन नहीं हुआ और मैंने आधा पटियाला खुद ही पी लिया और बाकी अपनी स्कर्ट के अंदर डालने लगी जो मेरी चूत तक पहुंच रहा था और वहां से मेरे बेटे के मुँह में!
सोनू अब मेरी चूत से बहती हुई शराब और मेरी चूत के निकलते पानी का एक साथ मज़ा उठा रहा था.

थोड़ी देर बाद सोनू ने मेरी स्कर्ट खींच दी और अपनी ही माँ को नंगी कर दिया और खड़े होकर मुझसे लिपट गया. मैंने भी कस के पकड़ लिया अपने बेटे को और हम एक दूसरे को चूमने लगे थे पागलों के जैसे!

फिर सोनू ने कहा- मम्मी, तुम अपने पूरे नंगे बदन पर शराब गिरा के मुझे पिलाओ, तुम्हारी जाँघें चूसने का दिल कर रहा है!
यह सुनकर मैं और गर्म हो गयी और मैंने शराब अपनी जांघ पे गिरायी जिसे मेरा बेटा चाटता चला गया.

मैं खड़ी ही थी कि अचानक उसने मुझे किस किया और मुझे घुमा दिया और खुद नीचे बैठ गया और मेरी गांड के दोनों पल्लों पर किस करने लगा फिर दांत से काटा.
बेटे के द्वारा गांड पे दांत काटने और मेरी गांड को मसलने पर मेरी चूत से पानी नहीं बल्कि झरना बहने लगा था. मैंने कहा- सोनू बेटा, गांड मारेगा या चूत चोदेगा अपनी माँ की?
सोनू- मम्मी, आज सिर्फ तेरी चूत पेलूंगा मैं … और एक बात कहना चाहता हूँ मम्मी तुझसे … लेकिन एक शर्त है!
मैं- कैसी बात और कैसे शर्त? जो ख़ुशी तू मुझे दे रहा है उसके लिए मुझे तेरी सारी शर्तें और बातें मंजूर हैं. बता जो भी कहना है?

सोनू- रुक फिर … तेरी गांड भी मार ही लेता हूँ… तेरी गांड में अपना लौड़ा डालने के बाद तुझे चोदते हुए बताऊंगा!
मैं- ठीक है बेटा, ले बन गयी मैंने तेरी कुतिया, अब कुत्ता नहीं तू आज सांड बन के मेरी गांड चौड़ी कर दे मेरा राजा बेटा!

सोनू ने फिर मुझे पीछे से मेरी कमर को पकड़ा और एक ही बार में सरसरा के अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में घुसेड़ दिया, मैं चीख पड़ी लेकिन नशे में थी तो दर्द महसूस नहीं हुआ.
अब सोनू मेरी गांड मारते हुए मुझसे बोला- मम्मी, तू मुझे बहुत पसंद है. कोलकाता चल, वहां हमे कोई जानता भी नहीं होगा. वहां ढंग से खुल के दिन रात तेरी जवानी की गर्मी उतारूंगा!

यह सुनकर मेरे जोश की कोई सीमा न रही क्यूंकि मैं दिन रात लन्ड चाहती हूँ अपनी चूत में! मैंने कहा- आअह्ह्ह बेटा, ठीक है! चल, जल्दी से जल्दी मैं भी अपनी जवानी एन्जॉय करना चाहती हूँ! लेकिन वहां अगर कोई पूछेगा तो तेरा बाप कौन है और तेरा मेरा रिश्ता क्या है तो क्या कहेंगे? क्यूंकि मैं जब ज्यादा जोश में आ जाऊँगी तो आवाज़ होगी और पड़ोसी जान जायेंगे!
सोनू- मम्मी साली, तू चिंता मत कर! एक तो बड़े शहर में किसी को किसी से मतलब नहीं होता. अगर कोई पूछेगा भी तो कह देना मैं ही तेरा पति हूँ. जरूरत पड़ी तो शादी कर लेना मुझसे कुछ साल के लिए ताकि तू और मैं दोनों अपनी जवानी के मज़े लूट सकें!

यह बोलकर सोनू ने मेरी गांड से अपना लौड़ा निकला और सीधा खड़े कर के मेरी चूत में पेल दिया और मेरी गांड पकड़ के मुझे गोदी में उठा लिया और मैंने भी तुरंत उसके कंधे पकड़ लिए और हम दोनों एक दूसरे को चूमने लगे!

मैंने कहा- बेटा, तो फिर शर्म किस बात की? वहां कोई हमें पहले से जानता नहीं, तो क्यों न हम दोनों शादी कर लें ताकि समाज में कोई कुछ बोलेगा भी नहीं और हम आराम से मजे लूट सकते हैं. और जब तुझे अपनी सही वाली शादी करनी होगी तो किसी दूसरे सिटी में जाकर बस जायेंगे!
सोनू- एकदम सही कह रही हो तुम मम्मी, यही प्लान करते हैं जल्दी से जल्दी! लेकिन शिवानी को कैसे समझायेंगे?
मैं- उसे मैं समझा दूंगी, तुम चिंता न करो, वो सब समझती है अब, उसको मैं समझा दूंगी पर मुझे तुमसे भी एक चीज़ चाहिए!

अब सोनू ने मुझे बेड पे पटक दिया और मेरे दोनों पैर अपने कंधे पे रख कर मेरी चूत को चोद चोद कर भोसड़ा बनाने लगा और बोला- बोल न मम्मी, क्या चाहिए तुझे?
मैं- मुझे एक बच्चा चाहिए तेरा अपनी कोख में! पहले कुछ साल मेरी जवानी का रास निचोड़ अच्छे से उसके बाद बच्चा टिका देना मेरी कोख में!

इतना सुनते ही उसने मेरे दोनों बूब्स कस के मसल के मेरी चूत को फाड़ डालने के जैसे चोदने लग गया और बोला- मैं भी चाहता हूँ मम्मी कि तू मेरे बच्चे की मम्मी बने!

इतना सुनकर मैं भी अपनी गांड उठा कर अपने बेटे का पूरा साथ दे रही थी अपनी चूत को चुदवाने में और सोनू से कहा- बेटा, बर्बाद कर दे मेरी चूत को! आज इतना कस कस के चोद कि मैं बेहोश हो जाऊँ और मेरी चूत का भोसड़ा बना दे तू आज! चोद साले हरामी रंडी की औलाद, अपनी ही माँ को चोद रहा था है साले मादरचोद… और चोद मुझे! अपनी माँ की जन्म जन्म की जिस्म की आग बुझा दे रे हरामखोर!

मेरा जोश एकदम सातवें आस्मां पे था और शराब का नशा था सो अलग, सोनू भी नशे और जोश से लबालब भरा हुआ था, वो बोला- ले न मम्मी साली, एकदम रांड बना के छोड़ूँगा तुझे, ऐसे पेलूंगा जैसे तुझे पैसे देकर लाया हूँ और चोद चोद के पैसे वसूल करने हैं!
मैंने- हाँ बेटा चोद अपनी माँ की चूत… मज़े ले पूरे मेरी जवानी के!

थोड़ी ही देर में हम दोनों का एक साथ गिर गया मेरी चूत के अंदर ही! मैं तुरंत उठी और पेशाब करके आयी ताकि सोनू का सारा माल निकल जाए!

फिर हम दोनों नंगे ही सो गए और सुबह बहुत लेट उठे. तब तक शिवानी स्कूल जा चुकी थी. हम समझ गए थे कि उसने हम माँ बेटे को नंगे देख लिया है. लेकिन दारू के नशे के कारण हमारी नींद नहीं खुली!
खैर हमारे लिए तो बढ़िया ही था तो हम सुबह नाश्ता वगैरह करने के बाद प्लान बनाने में लगे हुए थे कि अब कोलकाता का प्रोग्राम कैसे क्या होगा और शिवानी को कैसे राज़ी किया जाए!

दो बजे गए और शिवानी स्कूल से आ गयी. वो चुपचाप अंदर आयी और अंदर से आवाज़ दी- मम्मी इधर आओ!
मैं तुरंत उसके पास गयी और पूछा- क्या हुआ बेटी, सुबह तुम बिना नाश्ते किये ही स्कूल चली गयी?
शिवानी- मम्मी, कल रात मैंने सब कुछ देखा था भैया जिस तरह से तुम्हे प्यार कर रहे थे, मुझे अच्छा लगा क्यूंकि पापा के जाने के बाद तुम्हें इतनी खुश मैंने कभी नहीं देखा!

मैंने- बेटी, यह बात किसी को न बताना और अब हम सब कोलकाता चलेंगे!
शिवानी- माँ, जिसमें तुम खुश हो, वही ठीक है, बड़े शहर में जाऊँगी तो मेरी पढ़ाई भी ठीक से होगी. मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगी, आप और भैया को जो ठीक लगे वो कीजिये, मैं आप लोगों का पूरा साथ दूंगी!

यह सुनकर मेरी टेंशन ही ख़त्म हो गयी और मैंने सोनू को भी सब कुछ बताया.

कुछ दिन तक ऐसे ही चला, फिर हम कोलकाता के लिए निकलने का प्लान बनाने लगे, दूकान बेच दी और टिकट भी करवा ली!

तो दोस्तो, माँ की चूत गांड चोदन कहानी का यह भाग आपको कैसा लगा,
 
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junglecouple1984

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Maa beta wala doh
Hi Subham

thanks for your replay & suggestion..

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