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junglecouple1984

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-1




कहानी शुरू करने से पहले मैं आपका परिचय से करा देती हूँ… मेरा नाम सोनाली है, उम्र चालीस साल है. मेरे पति का नाम रवि है, रवि एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करते हैं और हर महीने टूर के लिए कुछ दिन घर से बाहर रहते हैं।
मेरे दो बच्चे हैं, एक बड़ा लड़का रोहन अठारह साल का है और मेरी एक बेटी अन्नू उससे दो साल छोटी है।

मैं आपको अपने बारे में बता दूँ कि मेरा रंग एकदम गोरा है और मेरा 36-28-36 का फिगर बहुत ही कातिलाना है… मेरे स्तन अभी तक कसे हुए हैं और उन पर मेरे लाल निप्पल ऐसे लगते हैं जैसे कि रसगुल्ले पर गुलाब की पत्ती चिपकी हो… मेरे नितम्ब भी बहुत कसे हुए और गोल हैं, जो भी उन्हें देखता है, उनके लंड उनकी पैंट में ही कस जाते हैं।

मैं आपको बता दूं कि मेरी बढ़ती उम्र के साथ मेरा बदन और भी ज्यादा कामुक और हसीन लगने लगा है क्योंकि मैं अपने शरीर पर अच्छा खासा ध्यान देती हूँ, निरंतर योग और व्यायाम से मैंने अपने शरीर को ऐसा बनाया है. समय-समय पर निखार के लिए मसाज पार्लर भी जाती हूँ।

आपको कहानी के पात्रों का परिचय करा देती हूँ… आलोक मेरे जेठ जी का लड़का है और उसकी बड़ी बहन स्वाति की अभी हाल ही में शादी हुई है।

स्वाति की शादी के बाद स्वाति और उसके पति अनिल ने हनीमून ट्रिप प्लान किया था, उनके साथ आलोक, रोहन, अन्नू और मेरी बड़ी बहन का लड़का रोहित भी जा रहे थे। क्योंकि इस फैमिली ट्रिप में केवल बच्चे ही थे तो परिवार वालों ने उनके साथ किसी बड़े सदस्य को भी भेजना जरूरी समझा तो उन्होंने बच्चों के साथ मेरे और रवि के जाने की बात कही… पर रवि अपने ऑफिस के काम के चलते हुए बिजी थे तो उन्होंने जाने से मना कर दिया।

अब मुझे ही उन लोगों के साथ जाना था क्योंकि बच्चों ने ही मुझे ले जाने के लिए परिवार वालों से जिद की थी.
मैं आप सबको बता चुकी हूँ कि मैं अपने घर वालों की हमेशा से ही लाडली रही हूँ… खासकर के बच्चों की… क्योंकि मैं उन पर किसी भी तरह की रोक टोक नहीं लगाती हूँ!

अगले दिन सुबह हम लोगों की ट्रेन थी… तो रात को सब लोग मेरे घर पर आ गए, हम लोगों ने खाना खाया और फिर सब लोग सोने चले गए।

रोहित और आलोक, रोहन के साथ उसके कमरे में सो गए और स्वाति अनिल के साथ हॉल में सो गई.

मेरा रूम उनके बाजू में ही था… रात को जब सामान पैक करने के बाद मैं बिस्तर पर लेटी, तभी आलोक आ गया।
उस वक्त मैं नाइटी में थी… और जैसा आप लोगों को पता ही है कि मैं नाइटी के अंदर कुछ नहीं पहनती हूँ, जिस वजह से मेरा एक एक अंग गाउन में उभर रहा था।

मैं और आलोक एक दूसरे को देख कर मुस्कुराने लगे… वह भी केवल हाफ पैंट में ही था.
रवि भी हमारे बगल से ही बैठे हुए थे.
तभी आलोक बोला- चाची, मुझे थोड़ा दूध चाहिए!
तो मैं उठ कर किचन की तरफ जाने लगी।

आलोक भी मेरे पीछे-पीछे किचन में आ गया. मैं आलोक के लिए दूध गर्म कर रही थी, तभी आलोक ने पीछे से आकर मुझे अपनी बाहों में जकड़ लिया और मेरे गाउन के अंदर हाथ डालकर मेरे मम्मों को मसलने लगा।

आलोक का लंड बिल्कुल तन चुका था और मेरी गांड की दरार से टकरा रहा था.
तभी मैं पीछे पलटी और आलोक से कहा- अभी नहीं आलोक, कोई देख लेगा!
तो आलोक बोला- ठीक है चाची जी… पर एक गुड नाईट किस तो मिल ही सकती है ना?
और इतना बोलकर आलोक ने अपने होंठ मेरे होंठों के ऊपर रख दिए और मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया।

हम दोनों एक दूसरे होठों का रसपान कर रहे थे… एक दूसरे को चुंबन करने में हम इतने मशगूल हो गए कि गैस पर रखा हुआ दूध भूल गए, तभी दूध गर्म होकर बाहर गिरने लगा और फिर हम दोनों एक दूसरे से अलग हुए.
जाते-जाते आलोक ने मेरी चूत को सहला दिया जिससे मेरे अंदर चुदाई का कीड़ा गुनगुनाने लगा।

आलोक को दूध दे कर मैं वापस कमरे में आ गई और गेट बंद कर लिया.
इससे पहले कि मैं बिस्तर पर जाती, रवि मेरे पास आए और मुझे गेट के सहारे टिका कर मेरे होठों को चूमने लगे।
मैंने कहा- आराम से करो, बच्चे भी पास में ही हैं, कुछ सुन लिया तो जाने क्या सोचेंगे!
रवि ने कहा- बच्चे क्या सोचेंगे… वे भी अब समझदार हो गए हैं, उन्हें पता है कि एक पति और पत्नी बंद कमरे में क्या करते हैं!

मैंने रवि को पीछे धक्का देते हुए खुद से अलग कर दिया और बिस्तर पर जाकर लेट गई। मैंने रवि से कहा- तुम्हें शर्म नहीं आती… खुद इतने बड़े हो गए हो और बच्चों जैसी बातें करते हो… स्वाति और अनिल अभी हॉल में सो रहे हैं, वे सुन लेंगे तो क्या सोचेंगे?

रवि ने कहा- कुछ नहीं सोचेंगे… बल्कि हमारी चुदाई की आवाज सुनकर उनकी चुदाई शुरू हो जाएगी।
मैंने रवि को हल के स्वर में डांटते हुए कहा- चुप रहो तुम…
रवि भी बिस्तर पर आकर मेरे पास लेट गए और कहने लगे- अब ज्यादा नखरे मत दिखाओ… वैसे भी अब अगले 10 दिन तक में बिना तुम्हारी चुदाई के ही रहने वाला हूँ…

मेरा भी चुदने का मूड था तो मैंने कहा- ठीक है बाबा… नाराज मत हो… कर लो अपनी मन की इच्छा पूरी… पर आराम से करना।
मेरे इतना बोलते ही रवि मेरे गाउन को उतारने लगे और अगले ही पल में उन्होंने मुझे ऊपर से लेकर नीचे तक पूरी नंगी कर दिया… और खुद भी बिल्कुल नंगे होकर मेरे ऊपर लेट गए।

रवि इतने उत्तेजित थे कि कुछ सुनना ही नहीं चाहते थे, मेरे ऊपर लेटते ही उन्होंने मेरे शरीर को चूमना शुरू कर दिया. पहले तो रवि ने मेरे गालों पर किस करना शुरू किया और फिर जैसे ही उन्होंने मेरे होंठों को चूमा तो मैं भी उत्तेजित होने लगी।

काफी देर तक रवि ने मेरे होंठो को चूमा, इस बीच रवि के हाथ लगातार मेरे मम्मों का मर्दन किए जा रहे थे. इस लगातार मर्दन से मेरे मम्मे एकदम सख्त और लाल पड़ गए थे, मैं कराह रही थी।

रवि का लंड खड़ा हो चुका था और मेरी चूत पर रगड़ खा रहा था जिससे मेरी चूत गीली होने लगी.
जैसा कि आप सब लोगों को पता ही है कि मेरे मम्में मेरे शरीर का मुख्य आकर्षण केंद्र हैं तो इसलिए चुदाई के दौरान सबसे पहले मेरे मम्मों पर ही जोर आजमाइश की जाती है और मुझे भी यह पसंद है।

रवि ने मेरे मम्मों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने लगे, जब रवि ने मेरे निप्पल काटे तो मैं सनसना गई… मैं सिसकार कर बोली- और जोर से काटो!
फिर रवि के हाथ धीरे धीरे मेरी टांगों की तरफ बढ़ने लगे और जब रवि ने मेरी गोल मोते चूतड़ पकड़ कर दबाए तो मैं बोली- मेरी चूचियों को और जोर से चूसो।

मुझे बहुत मजा आ रहा था क्योंकि रवि मुझे बहुत ही प्यार से चोदते हैं, वे मुझे चोदते समय बिल्कुल भी दर्द का अनुभव नहीं होने देते.
कुछ देर तक रवि ने मेरे मम्मों को भरपूर तरीके से चूसा और दबाया. मेरे पति को चूत चाटना पसंद नहीं है और ना ही वह मुझसे अपना लंड चूसवाते हैं।

फिर रवि मेरे ऊपर से उठ गए और गद्दे के नीचे से कंडोम निकालकर अपने लंड पर चढ़ाने लगे पर मैंने उन्हें कंडोम चढ़ाने से रोक दिया… आज मेरा मूड कुछ अलग ही था आज मैं रवि के लंड को चूसकर उनको बहुत मजा देना चाहती थी।

रवि कंडोम का पैकेट लेकर मेरे पास आए और मुझसे कहने लगे- क्या हुआ सोना… मुझे रोक क्यों दिया?
मैंने हंसते हुए उनकी बात को अनसुना कर दिया और फिर उनका हाथ पकड़ कर रवि को बिस्तर पर लेटा दिया।

रवि पीठ के बल बिस्तर पर लेटे हुए थे, मैंने उनके होठों पर एक किस की और फिर उनकी टांगों के बीच में आकर घोड़ी बनकर बैठ गई. मेरे भरे हुए नग्न शरीर के कारण रवि का लंड सातवें आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था. मैंने रवि के लंड को अपने हाथ में लिया और उसे अपने हाथों से सहलाते हुए अपने मुंह में ले लिया।

रवि को मेरा ऐसा करना बड़ा ही अजीब लगा क्योंकि मैं बहुत कम ही उनका लंड चूसती थी. पर रवि समझ गए थे कि मैं यह सब इसलिए कर रही हूँ ताकि अगले कुछ दिनों तक रवि को मेरी कमी ना खले।

मैं रवि के लंड को अपने मुंह में लेकर चूस रही थी, मेरे थूक की वजह से रवि का लंड पूरा गीला हो चुका था जिस कारण गूँ-गूँ और फिचर-फिचर की आवाज़ आ रही थी.
जवाब मैं रवि ने भी अपने लंड से मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया।

फिर रवि ने कहा- मैं और इंतज़ार नहीं कर सकता सोना… मैं बहुत उत्तेजित हूँ… अब मुझे चोदने दो!
मैंने भी देर ना करते हुए रवि के लंड को अपने मुंह से बाहर निकाला और उनके बगल में जाकर सीधी लेट गई.

हालांकि मेरे चूसने की वजह से रवि का लंड बिल्कुल गीला था…पर फिर भी उन्होंने अपने लंड पर कंडोम चढ़ा लिया… चुदाई के दौरान रवि सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं।
फिर रवि ने अपने दोनों हाथों से मेरी टांगों को फैलाया और अपने लंड को मेरी चूत के छेद पर रखकर अंदर की तरफ धक्का देने लगे.
रवि का लंड रोहन और आलोक की अपेक्षा थोड़ा बड़ा और मोटा है इसीलिए मुझे रवि के साथ चुदाई के दौरान थोड़ा सा मीठा दर्द महसूस होता है। रवि का लंड मेरी चूत में घुसते ही मैं कराह उठी और बोली- उईईई… माँ… उम्म्ह… अहह… हय… याह… जरा धीरे… रवि… आवाजें बाहर जा रही होंगी.

रवि को इन सब से कुछ लेना-देना नहीं था, वे बेफिक्र होकर मेरी चुदाई कर रहे थे।
उत्तेजना के कारण मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं झड़ने लगी… मेरी चूत से रस की धार बाहर बहने लगी पर रवि का लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था.
चुदाई के कारण हो रही ‘फच-फच’ की आवाजों से पूरे रूम का वातावरण गर्म होने लगा.
तभी रवि ने मुझे उठाया और उठाकर घोड़ी बना दिया।

हमारे बेड के सामने ही ड्रेसिंग टेबल रखी हुई थी, जब मैं घोड़ी बनी तब मेरा मुंह ड्रेसिंग टेबल के ही सामने था और मैं शीशे में ऐसे ही अपने नंगे बदन को निहारने लगी.
मेरे बाल खुले हुए थे और मेरे बाए कंधे की तरफ थे… मेरे दोनों मम्मे मेरे वक्ष से नीचे की तरफ लटक रहे थे।
बीवी की चुदाई की कहानी आप Xforum सेक्स स्टोरीज डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं!

तभी रवि पीछे से मेरी गांड की तरफ गए, अपने लंड को मेरी चूत पर रख दिया और अपना पूरा लंड एक ही बार में मेरी गुलाबी चूत में पेल दिया.
‘हाय…! रवि…’ मेरे मुँह से आनन्द भरी सीत्कार निकल गई और मैं उस धक्के से आगे की तरफ हो गई।

रवि मुझे चोदते हुए बोले- सोना… तुम्हारी चूत तो बहुत गर्म हो रही है.
और फिर अपना लंड मेरी चूत के अंदर बाहर घुसेड़ने लगे और मैं अपने नंगे मम्मे और कमर को हिलते हुए शीशे में देख रही थी… मैं आह भरते हुए कराहने लगी- हाँ… और अंदर… रवि!
रवि भी अपने लंड को हर धक्के के साथ मेरी चूत की गहराइयों में उतार रहे थे.

लगातार चुदाई के कारण मैं दोबारा झड़ने लगी और चिल्लाते हुए बोली- चोदो… मुझे… आहहहह… मेरी चूत…
हम चुदाई में इतने लीन हो गए थे कि यह भी भूल गए थे कि हमारे घर पर मेहमान आए हुए हैं।

रवि ने पीछे से अपने हाथों से मेरे मम्मों को मसलना शुरू कर दिया… मुझे रवि के हाथ अपनी छाती पर आग की तरह महसूस हो रहे थे जिस वजह से मैं और गर्म होने लगी। मेरी चूत के अंदर रवि के लंड के झटके और तेज़ हो गए और मैं फिर से चीखने लगी- और… जोर से चोदो मुझे रवि… आहहहह… मैं फिर से झड़ रही हूँ… जानू… अपना यह पूरा लंड मेरी चूत में पेल दो!

मेरी बेहद गर्म और टाइट चूत उनके लन्ड को कसकर जकड़े हुए थी… पर वे अभी तक झड़े नहीं थे और उनका लंड अभी भी मेरी चूत के अंदर ही था।

थोड़ी देर तक धक्के मारने के बाद रवि बोले- मैं झड़ रहा हूँ…
और फिर रवि अपने गर्मागर्म रस की पिचकारी चूत के अंदर कंडोम में ही छोड़ने लगे.
जब रवि पूरी तरह से स्खलित हो गए तो उन्होंने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल दिया और फिर उठकर बाथरूम चले गए।

मैं वैसे ही नंगी बिस्तर पर उल्टी लेटी रही.
मैं बहुत थक चुकी थी.

जब रवि बाथरुम से बाहर आए तो उन्होंने मुझे उठाया और फिर मैं भी उठकर बाथरूम जाकर अपनी चूत को साफ करने लगी।
वापस आकर मैंने केवल अपना गाउन पहना और फिर यह देखने के लिए कि सब लोग सो गए या नहीं… मैं दरवाजा खोल कर बाहर गई.
और सब तो सो गए थे… पर स्वाति और अनिल अभी तक नहीं सोए थे… वे कुछ बातें कर रहे थे।

मैंने उन दोनों से कहा- साढ़े बारह बजने को हैं… और तुम लोग अभी तक नहीं सोए? हमें कल जल्दी जाना है…
तो वे दोनों मुस्कुराने लगे और स्वाति मुझसे हंसते हुए बोली- चाची… आप क्यों नहीं सोई अभी तक?
उनकी मुस्कुराहट देखकर मैं सब समझ गई, मैंने स्वाति से कहा- बस थोड़ा सामान पैक कर रही थी… अब सोने ही जा रही हूँ!

और फिर मैं उन लोगों को गुड नाइट बोलकर रूम में आ गई और सो गई।

आगे की कहानी अगले भाग में।
 

junglecouple1984

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-2



उम्मीद है कि आपको पिछले भाग की तरह यह भाग भी पसंद आएगा।
अब आगे:

अगले दिन सुबह मैं जल्दी उठ गई और फिर सब लोगों को उठा दिया, हम सब लोग तैयार हुए और फिर रवि हम सब को रेलवे स्टेशन छोड़ आए.
हमारी ट्रेन सुबह छह बजे थी.

थोड़ी देर बाद ट्रेन आ गई और हम लोग ट्रेन में बैठ गए।
रात को दस बजे हमारी ट्रेन नैनीताल पहुँच गई… हमने वहां से टैक्सी बुक की और अपने होटल में पहुंच गए. अनिल ने होटल ऑनलाइन ही बुक किये थे तो हमें जाते ही वहाँ तीन कमरे मिल गए।

हमने अपने अपने कमरे चुन लिए. स्वाति और अनिल एक कमरे में… आलोक और रोहित एक कमरे में थे और रोहन, अन्नू और मैं… हम तीनों एक ही कमरे में रुक गए क्योंकि हमारा रूम थोड़ा बड़ा था।

सफर के कारण हम लोग पसीने से नहा रहे थे… तभी आलोक हमारे कमरे में आया, बोला- चलो, सब लोग स्वीमिंगपूल में नहाने चलते हैं।
मैंने आलोक से कहा- कहाँ है पूल… और इतनी रात को कौन-कौन जा रहा है?
आलोक ने कहा- अरे चाची जी… यहीं होटल में ही है… और सब लोग नहाने जा रहे हैं… आप भी चलो।
मैंने कहा- नहीं… मैं नहीं जा रही… तुम लोग जाओ।

सब लोग जाने के लिए तैयार हो गए और मुझसे भी चलने के लिए जिद करने लगे तो मैंने सभी को समझाते हुए कहा- ना ही मेरे पास स्विमिंग कॉस्ट्यूम है और ना ही मुझे तैरना आता है..
तभी स्वाति और अनिल मेरे रूम में आ गए।

अनिल ने मुझसे कहा- आपको जो ठीक लगे… आप वह पहन कर चल सकती हैं… और हम लोग तो बस वहां मस्ती करने जा रहे हैं!
अनिल के कहने पर मैं भी चलने के लिए तैयार हो गई।

सब लोग चलने के लिए तैयार थे… रोहन, आलोक, रोहित और अनिल सभी ने केवल हाफ पैंट ही पहने हुए थे… अन्नू ने भी एक टी-शर्ट और एक हॉट पैंट पहना हुआ था… स्वाति भी टी-शर्ट और कैपरी में थी।

मेरे पास पहनने के लिए केवल एक गाउन ही था जो मुझे रात मैं पहनना था. मैंने स्वाति को अपनी यह दुविधा बताई तो स्वाति ने अपनी एक नाइटी लाकर मुझे दे दी और मुझे वह पहनने के लिए कहा।

स्वाति की नाइटी केवल घुटनों तक ही थी और आर्मलेस थी… उस नाइटी को कमर पर बांधने के लिए एक रिबन लगी हुई थी.
बच्चों के सामने इसे पहनने में मुझे थोड़ी हिचकिचाहट हो रही थी… पर बच्चों को इसमें कोई प्रॉब्लम नहीं थी।

हम सब रूम से निकलकर स्विमिंग पूल पहुंच गए और फिर सब लोग पूल में उतर कर नहाने लगे… रात के समय केवल हम लोग ही पूल में नहा रहे थे, और कोई नहीं था… बस पास में बेंच पर एक आदमी बैठा हुआ था.
हम सब लोग पूल में नहाने लगे, हम सब लोग साथ में ही नहा रहे थे।

सब लोग पूरी तरह से गीले थे… गीली होने की वजह से मेरी नाइटी मेरे शरीर से बिल्कुल चिपक गई… मेरे साथ साथ अन्नू और स्वाति दोनों की टीशर्ट भी उनके मम्मों से चिपकी हुई थी जिसमें से हम सभी के उभार साफ नजर आ रहे थे.

तभी आलोक और रोहन दोनों ने हम लोगों के पास आकर हमें पानी में इधर-उधर खींचना शुरू कर दिया और मेरे साथ मस्ती करने लगे।

रोहन भी मेरे पास आया और मुझसे कहा- मम्मी… मैं आपको तैरना सिखाता हूँ।

मैंने कहा- हां… ठीक है.. जब तक हम इस होटल में हैं, तुम लोग मुझे तैरना सिखा दो।

रोहन मेरे पीछे आ गया और वह मुझसे चिपक कर खड़ा हो गया. रोहन का लंड भी टाइट हो गया था और फिर वो अपने लंड को मेरी गांड पर घिसने लगा… हम लोग चार फीट गहरे पानी में थे… पानी में होने की वजह से ना किसी को कुछ दिख रहा था… ना ही कुछ समझ आ रहा था।

रोहन ने मुझे मेरे हाथ फैलाने के लिए कहा… फिर रोहन ने अपने एक हाथ को मेरी कमर पर रखा और दूसरे हाथ से मेरे हाथ को पकड़ लिया… फिर वह मुझे तैरना सिखाने लगा… रोहन पीछे से अपने लंड से बॉक्सर में ही मेरी गांड पर झटके देने लगा।
मैंने रोहन से धीरे से कहा- अभी रुक जाओ…यह सही वक्त नहीं है कोई देख लेगा…
रोहन भी हल्के स्वर में बोला- मम्मी, आप बस तैरने पर अपना ध्यान लगाओ बाकी सब मुझ पर छोड़ दो…
और फिर वो झटकों के साथ साथ मुझे पानी के अंदर हाथ पैर चलाना सिखाने लगा।

तभी मेरी नज़र सामने बैंच पर बैठे उस आदमी पर गई जो कि शुरू से ही हम लोगों को नहाते हुए देख रहा था… उस आदमी की नज़र मेरी और और लड़कियों की तरफ ही थी।

तभी हम दोनों की नज़रें आपस मे टकरा गई… और वो मेरी तरफ घूरते हुए मुस्कुरा दिया.
जवाब में मैंने उस आदमी से नज़र हटा ली.

रोहन मेरे पीछे ही था और मेरे हाथों को पकड़ा हुआ था…तभी उसके झटके तेज हो गए और वो झड़ने लगा।
मैंने रोहन से कहा- रोहन खाली हो गया क्या तेरा?
तो रोहन ने कहा- हाँ मम्मी, मुझसे कंट्रोल ही नहीं हुआ…

उत्तेजना के कारण मेरी चूत भी पानी छोड़ रही थी।
ग्यारह बजने को थे… फिर हम लोग पूल से वापस अपने अपने रूम में आ गए. अन्नू रोहन और मैं तीनों ही गीले थे. रूम में आकर हम लोग खुद को पौंछने लगे. तब तक अन्नू बाथरूम से कपड़े बदलकर आ गई और फिर स्वाति के रूम में चली गई।

अब मैं और रोहन ही रूम में बचे थे, रोहन ने अन्नू के जाते ही गेट को लॉक कर दिया और मेरे हाथ से टॉवल लेकर बिस्तर पर फेंक दिया.
मैं कुछ बोलती, उससे पहले ही रोहन ने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया… फिर रोहन ने मेरी नाइटी को खोलकर उतार दिया।

मैं बस ब्रा और पैंटी में ही खड़ी थी. मेरे होंठ रोहन की गिरफ्त से छूटते ही मैंने रोहन से कहा- रोहन बेटा, तू तो इतना उतावला हो रहा है जैसे मैंने कभी तुझे चोदने ही नहीं दिया ।
रोहन बोला- ऐसी बात नहीं है मम्मी… आज जब से आपको पूल में नहाती हुई देखा है.. मुझसे रहा ही नहीं जा रहा।

मैंने हँसते हुए रोहन को अपने गले से लगा लिया. रोहन के दोनों हाथ मेरी कमर से होते हुए मेरी पीठ पर लिपटे हुए थे, मैंने रोहन से कहा- मेरा राजा बेटा अपनी मम्मी से इतना प्यार करता है?
रोहन ने हां में सर हिला दिया।

तभी रोहन ने पीछे से ही मेरी ब्रा के हुक को खोल दिया और मेरी ब्रा को खींचता हुआ मुझसे दूर हो गया. मैं अधनंगी थी और अपने स्तनों को देखने लगी… फिर मैंने रोहन की तरफ देखते हुए उसे कहा- रोहन, बहुत शरारती हो गया है तू?
और फिर हम दोनों हँसने लगे।

हम दोनों अभी भी गीले थे… रोहन मेरे पास आया और मेरे मम्मों पर एक चुम्मी देते हुए मेरी पैंटी को भी उतार दिया… मेरी नाइटी, ब्रा और पैंटी वही जमीन पर पड़ी हुई थी… मैं बिल्कुल नंगी रोहन के सामने खड़ी थी और फिर रोहन टॉवल लेकर मेरे नंगे शरीर को पौंछने लगा.
फिर मैंने भी झुककर रोहन की हाफ पैंट को उतार दिया… और फिर रोहन की चड्डी को भी उतार दिया.

कपड़ों से आजाद होते ही रोहन का लण्ड फनफनाने लगा।
पूल में झड़ने की वजह से रोहन की चड्डी और उसका लण्ड दोनों ही उसके वीर्य से लथपथ थे.

मैं जमीन पर घुटनों के बल बैठ गई और मैंने रोहन के गीले लण्ड को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया… वीर्य के कारण लण्ड का स्वाद काफी अच्छा लग रहा था।

फिर हम दोनों उठ कर बिस्तर पर लेट गए, रोहन मेरे ऊपर आकर आकर 69 की पोजीशन में लेट गया… फिर रोहन ने मेरी चूत को चाटना और चूसना शुरू कर दिया.
रोहन का लण्ड मेरे मुंह के सामने था तो मैंने भी रोहन के लण्ड को अपने मुंह मे भर लिया और उसे चूसने लगी.
रोहन ने उत्तेजित होकर अपने लण्ड से मेरे मुंह को चोदना शुरू कर दिया।

रोहन अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था… मेरी चूत काफी देर से पानी छोड़ रही थी तो मैं ज्यादा देर तक नहीं टिक पाई और झड़ने लगी… मेरी चूत से रस की धार बहने लगी जिसे रोहन ने चाटना शुरू कर दिया।

चूत चाटने के बाद रोहन मेरे ऊपर से उठ गया और अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर निकाल कर अपने हाथों से पकड़कर सहलाते हुए मुझसे बोला- मम्मी… अब बताओ, किस पोजीशन में चुदना पसंद करोगी आप?

मैंने रोहन से बिना कुछ कहे अपनी दोनों टांगों को फैला दिया… रोहन को मैंने चुदाई का काफी ज्ञान दिया है… अब वो काफी अनुभवी हो गया है.
मेरे टाँगें फैलाते ही वो मुस्कुराते हुए मेरी टांगों के बीच आकर घुटनों के बल बैठ गया और फिर मेरी दोनों टाँगों को पकड़कर अपनी कमर के बगल में ले गया. इससे मेरी दोनों जाँघें रोहन की कमर पर टिक गई और मेरी कमर बिस्तर से थोड़ी ऊपर हवा में झूलने लगी।

रोहन ने देरी न करते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत पर टिकाया और एक जोरदार धक्के के साथ अपना करीब सात इंच लम्बा और दो इंच मोटा लण्ड मेरी चूत में उतार दिया जो सीधा मेरी बच्चेदानी से जा टकराया.
रोहन के इस धक्के के साथ मैं भी चीखते हुए आगे गिर पड़ी।

मैंने दर्द में चीखते हुए रोहन से कहा- उइईईई…माँ… मर गई…मैं… रोहन… तेरी माँ हू मैं… कोई किराये की वेश्या नहीं हूँ जो इतनी बेदर्दी से धक्के मार रहा है… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ओह्ह…मम्मा…

रोहन ने कहा- सॉरी मम्मी… आज मैं बहुत हॉर्नी हो रहा हूँ… अगर मुझे पता होता कि आपको दर्द होगा तो मैं धीरे से ही धक्के मारता!
इतना बोलकर रोहन ने मुझे चोदना शुरू कर दिया।

रोहन का लण्ड मेरी चूत की गहराई को छूता हुआ वापस बाहर आकर दोबारा मेरी चूत की गहराई में उतर जाता. मैं भी रोहन के हर धक्कों पर अपनी कमर उछाल कर रोहन को ओर उत्तेजित कर रही थी।

रोहन लगातार मेरी चूत के अंदर अपने लण्ड से वार कर रहा था… मैं भी चुदाई का मजा लेते हुए सिसकार रही थी- आहह… रोहन… बस ऐसे ही… चोद मुझे…चोद दे… मेरी चूत को अपने इस मोटे लंड से… और ज़ोर से… और ज़ोर से… हाँ बेटा.. ऐसे ही… बस ऐसे ही चोद मुझे… आहहहह… रोहन.. मेरे लाल… चोद डाल अपनी मम्मी को… आहह…

तभी रोहन ने मेरे मटकते हुए पेट को चाटना शुरू कर दिया और फिर मेरी नाभि में थूक दिया और फिर मेरी नाभि को चाटते हुए नाभि को जीभ से कुरेदने लगा.
ये सब मुझे काफी उत्तेजित कर रहा था।

कुछ देर की चुदाई के बाद मैं झड़ने को हुई तो मैं रोहन से बोली- उफफ्फ़… रोहन… ओह्ह… माय्य… गॉडड… फ़क्क… मीईई… रोहन… मैं झड़ने वाली हूँ… उफ्फ़… आहह… चोद दे अपनी माँ की चूत…
और फिर मैं झड़ने लगी।

रोहन अभी तक मेरी चुदाई कर रहा था पर मैं थक चुकी थी, मैंने अपना शरीर ढीला छोड़ दिया.
रोहन समझ गया था कि मैं अब थक चुकी हूँ तो उसने अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया।

रोहन मुझसे बोला- मम्मी… बहुत दिनों से मैंने आपकी गांड नहीं मारी है…
और फिर उसने अपना लण्ड वैसे ही मेरी चूत से निकालकर मेरी गांड के छेद पर लगाया और फिर अपने लण्ड को मेरी गांड में डालने लगा।

रोहन का लण्ड गीला था… पर मेरी गांड भी कसी हुई थी क्योंकि मैं कभी कभार ही अपनी गांड के अंदर लण्ड लेती हूँ।

गीला होने की वजह से रोहन के लण्ड का सुपारा तो अंदर चला गया पर मेरी कसी हुई गांड में लंड को और अंदर डालने के चक्कर में रोहन झड़ने लगा… झड़ते वक्त रोहन ने अपना शरीर मेरे ऊपर रख दिया और ऊपर से ही गांड पर झटके देने लगा।

सुपारा अंदर होने की वजह से रोहन का वीर्य मेरी गांड के अंदर ही भर गया. झड़ने के बाद रोहन ने अपने लंड को बाहर खींच लिया और मेरी बगल में आकर लेट गया.
रोहन के लंड निकालते ही उसका वीर्य मेरी गांड से बहकर बाहर आने लगा जिसे रोकने के लिए मैं उलटी होकर लेट गई।

हम दोनों निढाल होकर बिस्तर पर लेटे हुए थे… रोहन मुझसे आकर चिपक गया और मेरे बालों को हाथ से सहलाने लगा।

मैंने रोहन से कहा- रोहन… भर गया तेरा मन… या अभी भी कुछ बचा है… और आज तो गांड मारने से पहले ही तू आउट हो गया।
रोहन ने कहा- आपकी गांड बहुत कसी हुई है मम्मी… और मैं तब ही झड़ने वाला था जब मैंने आपकी चूत से लण्ड निकाला था।

फिर मैंने रोहन से कपड़े पहनने के लिए कहा और मैं खुद को साफ करने के लिए नंगी ही उठकर बाथरूम जाने लगी।

रोहन ने अपने साफ कपड़े पहन लिए और मैं जमीन से सभी कपड़े उठाकर बाथरूम चली गई.
रोहन का वीर्य मेरी गांड से निकलकर मेरी जांघों पर आ रहा था.

मैं शावर चालू करके उसके नीचे नहाने लगी.
तभी मुझे रूम की घंटी की आवाज़ सुनाई दी.. पर मैंने उस पर गौर नहीं किया।

मुझे नहाने में थोड़ी देर लग गई… नहाने के बाद मुझे याद आया कि जल्दी में मैं अपनी ब्रा, पैंटी और गाउन बाहर ही छोड़ आई हूँ…
तो मैंने रोहन को आवाज़ लगाते हुए कहा- रोहन, मेरे कपड़े बैग पर ही रह गए है… जरा मुझे दे तो जा?

मैं बिल्कुल नंगी गीली ही खड़ी थी… अपने बदन को पौंछने के लिए मेरे पास टॉवल भी नहीं था… तभी बाथरूम के गेट पर दस्तक हुई।

मैंने तुरंत ही दरवाज़ा खोल दिया…और सामने रोहित मेरे कपड़े लिए हुए खड़ा था… मैं बिल्कुल नंगी उसकी आँखों के सामने खड़ी थी और उसकी नज़र मेरे नंगे बदन पर टिकी थी।

रोहित को सामने देख मैं घबरा गई और गेट के पीछे चली गई… मैंने गेट के पीछे से ही अपने एक हाथ से रोहित से कपड़े ले लिए और फिर गेट बंद कर दिया।
मैंने जल्दी से अपने कपड़े पहने और बाहर आ गई.
रोहित वहीं बेड पर बैठा हुआ था.

अभी जो हुआ था… उसके बारे में कुछ भी बात करने के लिए नहीं था… और हम दोनों नज़रें भी नहीं मिला पा रहे थे पर फिर भी मैंने रोहित से पूछा- रोहन कहाँ है?
रोहित ने कहा- वो आलोक भैया के साथ गया है।

इससे पहले कि मैं उससे कुछ कहती, रोहन और अन्नू रूम में आ गए… फिर मैंने रोहित से कोई बात नहीं की.
कुछ देर बाद रोहित अपने रूम में चला गया और फिर हम तीनों भी सो गए.

मैं बिस्तर के कोने से सो रही थी… अन्नू बीच में थी और रोहन दूसरे कोने पर!

मुझे नींद नहीं आ रही थी… मैं तो बस यही सोच रही थी ‘जाने रोहित क्या सोच रहा होगा…उसे भी खुद पर ग्लानि हो रही होगी?’
वैसे रोहन और रोहित हर बात आपस मे शेयर करते है तो मैंने सोचा कि कल में रोहन से इस घटना के बारे में बात करुँगी.
यही सब सोचते सोचते मैं सो गई।

आगे की कहानी अगले भाग में…
 

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-3




आशा करती हूँ कि पिछले भागों की तरह आपको यह भाग भी काफी पसंद आएगा।
अब आगे:

अगले दिन सुबह दस बजे तक हम सब लोग नहा धोकर तैयार हो गए, फिर हमने होटल में नाश्ता किया और फिर हमने होटल से ही एक एक्स यू वी कार बुक कर ली… जो हमने वहाँ की ज्यादातर जगह घूमने के लिए बुक की थी।

कैब अपने सही समय पर हमें लेने पहुंच गई, हम उसमें नैनीताल घूमने निकल गए।
आलोक सबसे आगे बैठा हुआ था… अनिल, स्वाति, अन्नू और रोहित बीच वाली सीट पर बैठे थे… और मैं और रोहन सबसे पीछे बैठे हुए थे… बिल्कुल आमने सामने वाली सीट पर!

मैं रोहन से कल रोहित और मेरे साथ हुई घटना के बारे में बात करना चाहती थी… वैसे तो रोहित मुझसे बहुत मस्ताता था पर कल हुई घटना के बाद से रोहित ने मुझसे बात नहीं की थी।

शायद रोहित ग्लानि के कारण कुछ बोल नहीं पा रहा था और मैं भी उसे कुछ कहने में असमर्थ थी… यह तो हम दोनों ही जानते थे कि जो कुछ भी हुआ अनजाने में ही हुआ था।

रोहन और रोहित दोनों हम उम्र थे और वे मौसेरे भाई होने से ज्यादा अच्छे दोस्त थे… इसीलिए मैंने रोहन को इस बारे में बताना उचित समझा। मैंने रोहन को इशारे से अपनी तरफ बुलाया तो वो अपनी सीट से उठकर मेरे बगल में आकर बैठ गया और बोला- क्या बात है मम्मी?

मैंने उसे धीमी आवाज़ में बोलने का इशारा किया और फिर रोहन को कल उसके जाने के बाद हुई घटना के बारे में बताया…
यह सब सुनकर रोहन बोला- मम्मी… मैं रोहित को समझाऊँगा कि वो यह सब ज्यादा सिरियस ना ले… यह सब बस एक भूल थी।
मैंने रोहन से कहा- रोहन… कहीं वो यह न समझे कि मैं तुझे दिखाने के लिए बाथरूम में नंगी खड़ी थी।

रोहन ने कहा- मम्मी… मैं कुछ समझा नहीं?
मैंने रोहन से कहा- रोहित ये ना सोचे कि अगर मेरी जगह रोहन होता तो वो भी मुझे नंगी देख लेता।
रोहन ने कहा- आप चिंता मत करो मम्मी… हम दोनों काफी फ्रैंक हैं… मैं उससे सीधा यही पूछ लूंगा।

मैंने कहा- अच्छा… कितने फ्रैंक हो तुम लोग?
रोहन बोला- इतने कि हम एक दूसरे से सभी बाते शेयर करते हैं… चाहे वो चुदाई की हो या लड़की बाजी की… हम लोग साथ में पोर्न देखते हैं… और कभी कभी एक दूसरे की मुठ भी मार देते हैं।
मैंने चौंक कर रोहन से कहा- क्या… मैं तो उसे बहुत भोला समझती थी.. और तुम दोनों ये गलत हरकतें भी करते हो?

रोहन ने कहा- मैंने कहा था ना आपसे कि हम बहुत फ्रैंक हैं… और इसमें गलत क्या है मम्मी… आप ही कहती हो कि कभी कभी मुठ भी मार लेनी चाहिए।
मैंने रोहन से कहा- जैसा तुम्हे ठीक लगे करो… पर उससे इस बारे में बात जरूर कर लेना…
रोहन हाँ बोल कर सामने अपनी सीट पर बैठ गया।

रोहित के बारे में यह सुनकर मुझे बड़ा अजीब लगा क्योंकि वो मेरे साथ बिल्कुल बच्चों वाली हरकतें करता था जो मुझे काफी पसंद था… पर अब मेरा रवैया भी रोहित के प्रति बदल गया।

थोड़ी देर बाद हम लोग गोरखालैंड पहुंच गए… और सब लोग वहाँ घूमने लगे.
उसके बाद भी हमने दो तीन जगह घूमी और फिर शाम को छह बजे तक हम वापस होटल आ गए।

होटल से आने के बाद हम लोग फ्रेश हुए और फिर सब लोगों का मार्किट जाने का प्लान बना.
पर मैंने उनके साथ जाने से मना कर दिया क्योंकि कार में सफर करते करते मेरा मन भारी हो गया था।

सब लोग बाजार घूमने चले गए… मैं अपने रूम में अकेली ही थी और बोर हो रही थी तो मैंने एक स्लीवलेस और डीप नैक ब्लाउज वाली साड़ी पहनी जिसमें से मेरे आधे मम्मे बाहर को आ रहे थे और फिर मैं नीचे जाकर होटल रिसेप्शन के पास पड़े हुए सोफे पर बैठ गई।
मैं वहाँ पर रखी हुई मैगज़ीन पढ़ने लगी.

तभी एक आदमी मेरे पास आकर बैठ गया… मैंने उसकी तरफ देखा भी नहीं था।
उस अनजान आदमी ने मुझे ‘हैलो’ कहा…
मैंने नज़र उठा कर उसकी तरफ देखा… यह वही आदमी था जो हमें कल पूल में नहाते वक्त घूर रहा था… उसकी उम्र कुछ तेंतीस-चौंतीस के आसपास थी और देखने में भी वह काफी आकर्षक था।

मैंने भी प्रतिउत्तर में उसे ‘हैलो’ बोला.
फिर उसने मुझे पूछा- आप यहाँ घूमने आए हैं क्या?
मैंने कहा- हाँ… मैं अपने बच्चों के साथ आई हूँ… और आप?

तो उसने कहा- मैं काम के सिलसिले से यहाँ आया हूँ और आज रात को ही वापस जा रहा हूँ.
फिर वो बोला- वैसे मेरा नाम आदित्य है!
और अपना एक हाथ मेरी तरफ बढ़ा दिया।
मैंने उससे हाथ मिलाते हुए कहा- मैं सोनाली हूँ… और हाउसवाइफ हूँ।

आदित्य की नज़र मेरे अधनंगे मम्मों पर ही थी… जिसे मैंने नोटिस कर लिया.
उसका इस कदर मुझे घूरना मुझे उत्तेजित करने लगा.

तभी आदित्य बोला- वैसे आप काफी खूबसूरत हैं… और कल स्विमिंग पूल में तो आप और भी ज्यादा क़यामत लग रही थी।

एक अजनबी के मुख से ऐसा सुनना मुझे काफी अजीब लग रहा था पर साथ ही उसके शब्द मुझे काफी उत्तेजना दे रहे थे… मैंने आदित्य की बात पर मुस्कुराते हुए उसे धन्यवाद कहा। मैं समझ रही थी कि ये मेरे कामुक बदन का भोग लगाना चाहता है और शायद मैं भी यही चाहती थी और इसके लिए तैयार थी.

मेरी साड़ी मेरी नाभि से काफी नीचे बंधी हुई थी जिससे आदित्य मेरी नाभि के साफ दर्शन कर रहा था.
मेरा सर चकरा रहा था तो मैं अपने माथे को हाथ से दबाने लगी।

आदित्य ने मुझसे पूछा- सोनाली जी, आप ठीक तो हैं ना?
मैंने कहा- मेरा सर चकरा रहा है और थोड़ा दर्द भी हो रहा है।

तो आदित्य ने कहा- आप मेरे रूम में चलिए… मेरे पास टेबलेट रखी हुई है.
तो मैंने मना कर दिया।
आदित्य ने कहा- सोनाली जी… मुझ पर विश्वास रखिये… और आपको दवा की जरूरत है… आपके साथ वाले लोग भी बाहर गए हुए हैं और आप बिल्कुल अकेली हैं तो इसी बहाने हम लोग थोड़ी और बातें कर लेंगे।

आदित्य के ज्यादा जोर देने पर मैंने उसे कहा- आदित्य आप सेकण्ड फ्लोर पर मेरे ही रूम में आ जाइये… तब तक मैं अपने कपड़े भी चेंज कर लूँगी।
आदित्य वहाँ से उठकर अपने रूम में चला गया और मैं अपने रूम में आ गई.

मैं रूम में जाकर बिस्तर पर अपने हाथों को फैलाकर से उल्टी होकर गिर पड़ी।
मैंने गेट लॉक नहीं किया था.

तभी दरवाज़े पर एक दस्तक देते हुए आदित्य ने दरवाजा खोल दिया… दरवाज़ा खुलते ही मैंने तिरछी नज़र से देखा तो आदित्य मेरी गांड के उभार को घूर रहा था.
मैं उठकर बैठ गई और आदित्य से बोली- आ गए आप…!
मैंने आदित्य को अपने साथ बेड पर बिठा लिया.

तभी आदित्य ने मुझे एक टेबलेट देते हुए कहा- सोनाली जी… आप ये टैबलेट खा लीजिये।
मैंने वो टेबलेट खा ली और फिर हम दोनों लोग बातें करने लगे.

मैंने आदित्य से पूछा- क्या तुम शादीशुदा हो?
आदित्य ने कहा- हाँ… मेरी शादी अभी एक साल पहले ही हुई है।

टैबलेट खाने के बाद मेरा सर और भारी होने लगा… मैंने आपना गाउन उठाया और बाथरूम जाते हुए आदित्य से कहा- दो मिनट रुको… मैं अभी चेंज करके आती हूँ.
आदित्य ने कहा- ठीक है।

मैंने बाथरूम में जाकर साड़ी, ब्लाउज उतार दिया और गाउन पहन लिया.
मुझे हल्का नशा सा होने लगा… बाथरूम से बाहर आते ही मेरे कदम डगमगाने लगे… जैसे तैसे मै बिस्तर पर आकर लेट गई।

मैंने आदित्य से कहा- आदित्य, ये तुमने मुझे कोन सी टेबलेट खिला दी… मेरा सर बहुत भारी हो रहा है.
आदित्य ने कुछ नहीं कहा.
थोड़ी देर में मुझे पूरी तरह से नशा हो गया… मुझे कुछ भी होश नहीं था, मैं कुछ भी बड़बड़ाने लगी।

आदित्य उठकर मेरे पास आया और बोला- आप ठीक तो हैं ना?
मुझे नहीं पता कि मैंने उसकी बात का क्या जवाब दिया… मेरे साथ जो हो रहा था… मैं वो सब देख तो रही थी… पर कुछ समझ नहीं पा रही थी, ना ही कुछ बोल पा रही थी।

तभी आदित्य ने मेरे गाउन को उतारना शुरू कर दिया… उसने मेरे गाउन को उतार कर नीचे फेंक दिया… मैं बस ब्रा पैंटी में ही थी.
फिर आदित्य ने मेरी ब्रा उतार दी और मेरे मम्मों को मसलने लगा… वो अपने एक हाथ से मेरे मम्मे मसल रहा था. उसने अपने दूसरे हाथ से मेरी पैंटी को मेरी जांघों तक नीचे कर दिया।

मैं किसी लाश की तरह पड़ी हुई थी.
आदित्य ने मेरे मम्मे अपने मुँह में लिए और उन्हें काटने लगा… जैसे ही उसने मेरे निप्पल को काटा, मैं दर्द के मारे ‘आईई… ‘ करते हुए चीख पड़ी।

आदित्य ने मेरी तरफ देखा, उठ कर मेरे मुँह के पास आ गया और फिर उसने मेरे होंठों को अपने होंठों में रखकर चूमना शुरू कर दिया… वो मेरे मुँह के अंदर थूककर मेरी जीभ को चाटने लगा।

फिर आदित्य खड़ा हुआ और अपने कपड़े उतार कर नंगा हो गया… फिर उसने अपने खड़े लंड को अपने हाथों में लिया और मेरे होंठों पर अपने लण्ड का सुपारा रगड़ने लगा।

थोड़ी देर तक अपना सुपारा रगड़ने के बाद आदित्य ने मेरे मुँह को खोला और अपने लण्ड को मेरे मुँह में डालकर मेरे मुँह को चोदने लगा… मैं नीचे थी और आदित्य मेरे ऊपर… उसका लंड मेरे मुंह को गले तक चोद रहा था… थूक में लिसने की वजह से मेरे मुँह से ‘गूँ… गूँ…’ की आवाज़ आ रही थी.

तभी आदित्य में अपना पूरा लंड मेरे गले में उतार दिया और वहीं रुक गया।
उसका लण्ड बहुत लम्बा था.. और काफी मोटा भी… मेरे गले में लंड अटकने की वजह से मैं सांस नहीं ले पाई और अपने हाथ पैरों को पटकने लगी… ना मैं चीख पा रही थी और ना ही उसे रोक पा रही थी… मेरी आँखों से आंसुओं की धार बहने लगी।

जब आदित्य को लगा कि अब मैं और नहीं सह सकती तो उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से बाहर खींच लिया… लण्ड बाहर निकलते ही मैं बिस्तर पर झटके खाते हुए… .लम्बी लंबी सांसें लेने लगी। मेरे लिए यह अनुभव किसी मृत्यु से कम नहीं था।

आदित्य ने उठकर मुझे पलटा दिया… अब मेरी गांड आदित्य के सामने थी… वो उठकर मेरी गांड की तरफ आया और मेरे चूतड़ों को मसलने लगा… फिर उसने मेरे चूतड़ों पर जोर जोर से थप्पड़ मारना शुरू कर दिया… पर मुझे इस दर्द का कोई अनुभव नहीं हो रहा था।

आदित्य ने उठकर मेरी कमर के नीचे तीन तकिये लगा दिए… जिससे मेरी गांड ऊपर को उठ गई… पर मेरे मम्मे बिस्तर पर ही थे और मेरा मुँह बाएं तरफ था… गांड उठने के साथ ही मेरी चूत भी पीछे की तरफ उभर आई।

आदित्य ने भी जल्दबाजी करते हुए मेरी चूत में अपनी दो उंगलियां घुसेड़ दी और बहुत ही तेजी से वो मेरी चूत को उंगलियों से चोदने लगा.
तभी उसने अपने दूसरे हाथ की दो उंगलियों को थूक लगाते हुए मेरी गांड के छेद में डाल दिया।

आदित्य के दोनों हाथ मेरी गांड और चूत की चुदाई कर रहे थे… इस दोहरी उंगली चुदाई में मुझे बस हल्का दर्द हो रहा था… जिसे मैं झेल रही थी… कुछ देर की चुदाई के बाद मैंने झड़ना शुरू कर दिया… आदित्य अभी भी अपनी उंगलियां चूत और गांड के अंदर बाहर कर रहा था… इसी कारण जब मैं झड़ने लगी तो मेरी चूत से रस बाहर गिरने लगा… और फिर आदित्य ने अपनी उंगलियों को बाहर निकाल कर मेरी चूत का रस चाटना शुरू कर दिया।

अब आदित्य उठा और अपने दोनों हाथों से मेरी गांड के छेद को खोलने लगा… जब मेरी गांड का गुलाबी छेद हल्का सा खुल गया तो उसने अपने लण्ड के सुपारे को मेरी गांड के छेद में फंसा दिया और फिर मेरे दोनों चूतड़ों को आजाद कर दिया।

फिर आदित्य ने मेरी कमर को दोनों तरफ से अपने हाथों से पकड़ा और फिर जोर लगाया… उसका आधे से ज्यादा लण्ड मेरी गांड के अंदर समा गया. उम्म्ह… अहह… हय… याह… तभी उसका लण्ड दूसरे जोरदार धक्के के साथ मेरी गांड को भेदता हुआ पूरा अंदर घुस गया.
मुझे असहनीय पीड़ा हुई पर… इस बार मेरे शरीर ने मेरा साथ छोड़ दिया था… मैं चीख तक नहीं पाई… बस मेरी आँखों से आंसुओं की मोटी धार बहे जा रही थी।

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गोली के नशे के कारण ना तो मैं कुछ बोल पा रही थी… और ना ही कुछ होने से रोक सकती थी… मेरे शरीर के साथ साथ… मेरी जुबान को भी लकवा मार गया था।
आदित्य अपने पूरे जोर से मेरी गांड को चोद रहा था… उसका लण्ड मेरी गांड के अंदर तक जा रहा था… थोड़ी देर बाद उसने अपना लण्ड गांड से बाहर निकाला और फिर एक धक्के के साथ ही मेरी चूत में उतार दिया… रोज की चूत चुदाई के कारण मुझे चूत के अंदर लण्ड लेने में ज्यादा दर्द नहीं हुआ।

आदित्य घुटनों के बल बैठकर अपना लण्ड मेरी चूत के अंदर बाहर कर रहा था… इस एक तरफा चुदाई में आदित्य किसी सांड की भांति मुझे चोद रहा था… उसका लंड बड़ी तेजी के साथ मेरी चूत की चुदाई कर रहा था।

काफी देर की चुदाई के बाद उसका लण्ड मेरी चूत के अंदर ही झटके खाने लगा… आदित्य मेरी चूत के अंदर ही झड़ने लगा… उसका गरम वीर्य सीधा मेरी बच्चेदानी में ही जा रहा था… इतनी देर की चुदाई में शायद मैं भी झड़ चुकी थी।

जब आदित्य का पूर्ण रूप से वीर्य स्खलन हो गया… तो उसने अपना लंड मेरी चूत से बाहर निकाल लिया… फिर वो उठा और उसने दो टैबलेट निकाल कर मेरे मुँह में डाल दी. उनमें से शायद एक पेनकिलर थी और एक नींद की… और फिर ऊपर से मुझे पानी पिला दिया।

मैं अभी ही उसी अवस्था मे लेटी हुई थी… उल्टी और कमर के नीचे तकिये लेकर!
आदित्य मेरे बगल में आकर लेट गया… मेरी नज़रें उसी की तरफ थी… और फिर मैं वैसे ही पड़े पड़े सो गई।

अगले दिन सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं अन्नू और रोहन के साथ सो रही थी… मैंने खुद को देखा तो मैं गाउन पहने हुए थी और अंदर ब्रा पैंटी भी पहनी थी।

पर फिर मैं वैसे ही लेटी रही और पिछली रात के बारे में सोचने लगी… मुझे कल के बारे में कुछ भी स्पष्ट याद नहीं था और न ही मुझे कोई दर्द हो रहा था… बस कुछ तस्वीरें सी चल रही थी दिमाग के अंदर… और यह कहानी उन्ही तस्वीरों के आधार पर है।
जो भी हुआ… गत रात में हुई मेरी गांड और चूत की चुदाई के बारे में सोच कर मेरे लबों पर एक मुस्कान सी आ गई…

आगे क्या हुआ… कहानी के अगले भाग में…
 

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-4




आशा करती हूँ कि पिछले भागों की तरह यह भी आपको पसंद आएगी।

अभी तक आपने पढ़ा कि मैं अपने बेटे रोहन, बेटी अन्नू, मेरे जेठ का बेटा आलोक, आलोक की नवविवाहिता बहन स्वाति और स्वाति के पति अनिल, मेरी बहन का बेटा रोहित… के साथ नैनीताल घूमने आई हुई हूँ. पिछली रात मैं होटल में एक अनजान आदमी आदित्य से चुदी.

अब आगे-
अगले दिन सुबह जब मेरी नींद खुली तो मैं अन्नू और रोहन के साथ सो रही थी… मैंने खुद को देखा तो मैं गाउन पहने हुए थी और अंदर ब्रा पैंटी भी पहनी थी।
पर फिर मैं वैसे ही लेटी रही और पिछली रात के बारे में सोचने लगी।

मुझे कल के बारे में कुछ भी स्पष्ट याद नहीं था और न ही मुझे कोई दर्द हो रहा था… बस कुछ तस्वीरें सी चल रही थी दिमाग के अंदर… और यह कहानी उन्ही तस्वीरों के आधार पर है।
जो भी हुआ… गत रात में हुई मेरी गांड और चूत की चुदाई के बारे में सोच कर मेरे लबों पर एक मुस्कान सी आ गई।

थोड़ी देर बाद रोहन भी जाग गया. मैं रोहन और अन्नू के बीच में ही सो रही थी तो रोहन मुझसे लिपट गया, उसने अपने हाथ मेरी कमर पर रख दिये और मैंने रोहन की तरफ करवट ले ली।
करवट लेते ही रोहन ने मेरे होंठों पर एक चुम्मी दी और मुझसे बोला- गुड मॉर्निंग मम्मी…
मैंने भी मुस्कुराते हुए रोहन को गुड मोर्निंग कहा।

फिर रोहन ने कहा- मम्मी कल आपकी तबियत ठीक तो थी ना?
मैंने उसे पूछा- क्यों.. क्या हुआ?
तो रोहन ने कहा- कल जब हम लोग वापस आए थे..तो आप बहुत गहरी नींद में सो रही थी.. और दरवाज़ा भी लॉक नहीं था।
मैंने कहा- मैं बस थोड़ा थक गई थी शायद… इसलिए गहरी नींद में सोई हुई थी।

रोहन ने कहा- मम्मी.. कल मैंने रोहित से बात की थी।
मैंने पूछा- अच्छा.. क्या बात हुई तुम लोगों के बीच में?
रोहन ने कहा- मम्मी मैंने उससे बातों में पूछा कि तूने कभी किसी नंगी औरत या नंगी लड़की को देखा है.. तो रोहित बोला कि उसने कई बार अपनी मम्मी (यानि कि मेरी बहन) को नंगी देखा है।

मैंने रोहन से कहा- तो तूने क्या कहा रोहित से?
रोहन ने कहा- मम्मी फिर मैंने भी उसे बता दिया कि मैंने भी आपको कई बार नंगी देखा है।
मैंने रोहन पर गुस्सा करते हुए कहा- रोहन पागल हो गया है क्या तू… ऐसा बोलने की क्या जरूरत थी तुझे?
रोहन ने कहा- मम्मी, जरूरत थी तभी तो मैंने उसे यह सब बोला। उसके बाद रोहित ने खुद ही मुझसे बोल दिया कि परसों उसने गलती से आपको नंगी देख लिया था… तो मैंने उसे समझा दिया कि आप भी उसकी माँ जैसी हो.. और इतनी छोटी सी बात का कोई बुरा नहीं मानता है।
मैंने रोहन से कहा- चल ठीक है.. अब जो हुआ उसे भूल जाओ.. अब आगे के बारे में सोचो।

तभी अन्नू भी सोकर उठ गई, उसके बाद हम लोग तैयार होने लगे।

जब मैं नहाने जा रही थी तभी रोहित रूम में आ गया। हम दोनों की नज़रें आपस में टकरा गई..अब रोहित मुझे एक लड़के की तरह नहीं बल्कि एक मर्द के रूप में नज़र आ रहा था क्योंकि जब से रोहन ने मुझे उन दोनों के कारनामे बताये हैं तब से मेरा नजरिया रोहित के प्रति पूर्ण रूप से बदल चुका है।

तभी रोहित ने मुझसे कहा- मौसीजी… मेरी तबियत ठीक नहीं है, मैं आप लोगों के साथ घूमने नहीं चल पाऊँगा।
सब लोग तैयार हो चुके थे.. आलोक, स्वाति और अनिल बाहर हमारा ही इंतज़ार कर रहे थे… क्योंकि रोहित की तबियत ठीक नहीं थी तो मुझे भी उसकी देखभाल के लिए वही रुकना पड़ा।

सब लोगों के जाने के बाद रोहित मेरे ही रूम में आ गया. मैं अभी भी कल रात वाला गाउन और कपड़े पहने हुए थी। मैंने उसे एक टेबलेट लाकर दी और उसे वही आराम करने के लिए कहा।
रोहित वहीं सो गया.

मैं भी अकेली बोर हो रही थी तो मैं भी रोहित के साथ बेड पर लेट गई और थोड़ी देर बाद मैं भी सो गई।

करीब दो बजे मेरी नींद खुली… रोहित उस वक्त अपना मोबाइल चला रहा था… मैंने रोहित से पूछा- रोहित, अब तबियत कैसी है?
रोहित ने मेरी तरफ देखा और कहा- अब मैं ठीक हूँ मौसी!
तभी रोहित की नज़र मेरी जाँघों की तरफ गई और उसने अपनी नजरें झुका ली… तभी मुझे पता लगा कि लेटने की वजह से मेरा गाउन मेरी जाँघों तक चढ़ा हुआ था जिसके अंदर से मेरी पैंटी भी आराम से देखी जा सकती थी।

मैं रोहित की तरफ देखते हुए खुद को ठीक करते हुए बिस्तर से उठ गई. मेरी नज़र रोहित की पैंट की तरफ गई क्योंकि उसका लंड खड़ा हो चुका था और वो उसे अपने हाथों से छिपाने की नाकाम कोशिशें कर रहा था। शायद वो काफी देर से मेरी जांघों और पैंटी को निहार रहा था।

रोहित का खड़ा लंड देखकर मुझे कल की चुदाई की याद आने लगी… और अब मेरी भी चूत में खुजली होने लगी।
रोहित भी काफी सुंदर और आकर्षक लगता है पर वो रोहन से भी करीब एक साल छोटा है।

उसके बाद हम दोनों आपस में बाते करने लगे। जब रोहित को लगा कि मैं परसो के बारे में उससे नाराज़ नहीं हूँ तो उसने मुझसे कहा- मौसीजी उस दिन के लिए सॉरी… वो सब एक गलतफहमी की वजह से हुआ था।
मैंने रोहित से कहा- कोई बात नहीं…
और हंसते हुए रोहित से बोली- अब जो देखना था… वो तो तूने देख लिया।
मेरी बात सुनकर रोहित भी मुस्कुरा दिया और बोला- मौसी वैसे आप अभी तक बहुत सुंदर और सेक्सी हो… काश आपको फिर से एक बार और उस हालत में देख सकूं।

रोहित की बात सुनकर मेरे ऊपर भी चुदास हावी होने लगी और मैंने कहा- अच्छा… बड़ा देखने का मन है तेरा… अभी ही दिखा दूँ क्या और वैसे मेरे अलावा किस किस को नंगी देख लिया है तूने?
रोहित ने कहा- कभी कभी मम्मी जब नहाकर आती है तो मेरे सामने ही कपड़े बदल लेती हैं… तभी उनको देख लेता हूँ और मैं भी नहाकर उनके सामने ही कपड़े बदल लेता हूँ।

तो मैंने कहा- मुझे पूजा (मेरी बहन और रोहित की माँ) से तेरी शिकायत करनी पड़ेगी… बहुत गलत बातें सीखने लगा है तू!
फिर मैंने रोहित से कहा- रोहित मैं नहाने जा रही हूँ… अगर कहीं जाना हो तो बता कर जाना… नहीं तो किसी और की नज़र मुझ पर पड़ जाएगी।
रोहित ने कहा- मौसीजी चलिए ना हम पूल में नहाएंगे!

मेरा भी पूल में नहाने का मन था तो मैंने उसे हाँ बोल दिया।

फिर रोहित ने मुझे कहा- मौसी पर मेरी एक शर्त है… आप पूल में गाउन पहन कर नहीं जाओगी।
मैंने रोहित से कहा- तो फिर मैं क्या पहनूँगी रोहित?
रोहित ने वही दीवार पर टंगी अन्नू की स्कर्ट और लो टीशर्ट की तरफ इशारा करते हुए कहा- आज आप ये कपड़े पहनोगी।

मैंने उसे मना कर दिया.

पर फिर रोहित ने मुझे अपनी कसम दे दी तो ना चाहते हुए भी मुझे वो कपड़े पहनने के लिए हाँ बोलना पड़ा।
मैं उन कपड़ो को लेकर बाथरूम जाने लगी तो रोहित ने मुझे रोक लिया और बोला- यहीं बदल लीजिये ना मौसी प्लीज?

रोहित के ज्यादा जोर देने पर मैं मान गई… वैसे भी वो मुझे नंगी देख ही चुका था और मैं भी गर्म हो रही थी।
मैंने कहा- चल ठीक है… अब तुझसे भी क्या शर्माना… तू भी अपने कपड़े बदल ले।
रोहित ने कहा- मौसीजी… पहले आप बदलिए फिर मैं अपने रूम में जाकर बदल लूंगा।
मैंने कहा- तेरे कहने पर मैं तेरे सामने ही कपड़े पहन रही हूँ और तू मुझसे शर्मा रहा है… मैं भी तेरी माँ जैसी हूँ… तुम मेरे सामने भी बदल सकते हो… चलो यहीं बदलो… देखो, मैं भी तुम्हारे सामने ही बदल रही हूँ।

मैंने रोहित का जवाब सुने बिना ही अपने गाउन को खोल दिया जो मेरे हाथों और पैरों से सरकता हुआ जमीन पर गिर पड़ा। मैंने अंदर काले रंग की ब्रा पैंटी पहनी हुई थी, गाउन के उतरते ही मेरा चमकदार संगमरमरी बदन रोहित के सामने उजागर हो गया, रोहित बिना अपनी आँखें बंद किये मेरे बदन को टकटकी लगाए घूर रहा था।

मैंने देर न करते हुए अन्नू की स्कर्ट और टीशर्ट को पहन लिया। अन्नू की स्कर्ट तो मुझे जाँघों तक आ गई पर उसकी टीशर्ट मेरे स्तनों को मुश्किल से ढक पा रही थी और मेरे पेट तक ही आ रही थी।
काली स्कर्ट और सफेद टीशर्ट के बीच में मेरी नंगी कमर किसी चांद से कम नहीं लग रही थी.

यह सब देखकर रोहित का लंड अपने उफान पर आ गया और पैंट के ऊपर से उसका उभार साफ दिख रहा था।

कपड़े पहनकर मैंने रोहित से कहा- मेरा तो हो गया… अब तेरी बारी है।
रोहित ने कहा- मौसी, मैंने अंदर चड्डी नहीं पहनी है।
मैंने कहा- अच्छा तो ये बात है, तूने भी तो मुझे नंगी देखा है… अब शर्मा मत… मैं भी तुम्हारी मम्मी जैसी हूँ और तुम मेरे बेटे जैसे हो… हमें एक दूसरे को नंगा देखने में शर्म कैसी?

रोहित ने मेरी बात सुनते ही अपना लोवर उतार दिया… लोवर उतरते ही उसका खड़ा मोटा लंड फनफनाता हुआ बाहर आ गया… मेरी नज़र तो रोहित के लंड पर ही टिकी रह गई… इतने मोटे लंड को देखकर मेरी चुदाई करने की इच्छा फिर से जागृत हो गई।
रोहित ने अपना बॉक्सर उठाया और पहनने लगा.

मैंने छेड़ते हुए रोहित से कहा- तुम तो काफी बड़े हो गए हो रोहित!
और अपने होठों पर जीभ फिरते हुए एक चुदासी मुस्कान रोहित को दे दी।

फिर हम लोग पूल में आ गए… थोड़ी भीड़ थी इसलिए हम लोग ज्यादा देर वहाँ नहीं रुके और वापस अपने रूम में आ गए।
हम दोनों बिल्कुल खामोश थे।

मैंने रोहित से कहा- हमें यहाँ फिर से नहा लेना चाहिए रोहित…
और इतना बोलते ही मैंने अपनी टीशर्ट और स्कर्ट उतार दी। मैंने रोहित से कहा- रोहित क्या तुम मेरे साथ नहाना चाहोगे क्योंकि मुझे अपनी पीठ पर साबुन लगवाना है तो बेहतर होगा हम दोनों साथ में ही नहा लेते हैं।

रोहित भी मेरे नंगे जिस्म को देखने के लिए काफी उत्तेजित था… उसने तुरंत हाँ कर दी।
पर मैंने कहा- रोहित तुम ये बॉक्सर पहनकर मेरे साथ ठीक से नहीं नहा पाओगे।
रोहित ने भी चतुराई दिखाते हुए कहा- हाँ.. मौसी पर आप भी अपनी ब्रा पैंटी पहनकर मेरे साथ ठीक ने नहीं नहा पाओगी.. आपको भी ये उतारनी पड़ेंगी।
मैंने कहा- ठीक है… मैं भी उतार देती हूँ!

और इतना बोलकर मैंने अपनी ब्रा का हुक खोलकर उसे नीचे गिरा दिया और फिर अपनी उंगलियों से खींचकर पैंटी को भी उतार दिया.
रोहित मेरे नंगे जिस्म, मेरी नंगी चुची, मेरी नंगी चुत को देखकर बिल्कुल ठगा सा रह गया। मैंने उसे होश दिलाते हुए कहा- अब तू अपना बॉक्सर खुद उतारेगा या मैं उतारूं?
रोहित अभी भी थोड़ा शर्मा रहा था पर फिर उसने अपना बॉक्सर उतार दिया.

उसका लंड अभी भी खड़ा था… जाहिर सी बात थी यह सब मेरे नंगे बदन के कारण ही था। उसका खड़ा लंड देखकर मैं समझ गई कि रोहित क्यों इतना शर्मा रहा है.

मैंने रोहित से उसके लंड की तरफ इशारा करते हुए कहा- तो क्या तुम इसलिये इतने शर्मा रहे हो… अरे बेटा यह तो प्राकृतिक है… और मुझे खुशी है कि ये सब मेरी वजह से हो रहा है… मतलब अब तुम बिल्कुल जवान हो चुके हो।

फिर हम दोनों बाथरूम में आ गए. आते ही मैं सीधा बाथटब में लेट गई और हाथ देकर रोहित को भी अंदर बुला लिया. मैंने रोहित के हाथ में साबुन देते हुए कहा- मेरी पीठ पर मल दो इसे!
मैं अपना चेहरा पानी से बाहर निकालकर टब में उल्टी लेट गई और रोहित मेरी कमर को अपनी टाँगों के बीच में रखकर मेरी गांड पर बैठ गया.. रोहित का लंड तो शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था… ऊपर से मेरी नंगी पीठ का स्पर्श उसे और उत्तेजित कर रहा था। उसका लंबा लंड उचक-उचक कर अपनी मौसी की गांड को छूने की कोशिश कर रहा था।

तभी उसका लंड मेरी गांड के छेद पर टकरा गया…जिस कारण मैं चिहुँक गई और रोहित से बोली- अभी मुझे पीछे कुछ टकराया है।
रोहित सकपका गया और उसने अपना लंड पीछे लेते हुए कहा- माफ करना मौसीजी…गलती से टच हो गया।
मैंने रोहित को समझाते हुए कहा- इसमे कोई गलत बात नहीं है कि हमारे शरीर के हिस्से आपस में टकरा जाए।

मैं भी अब सीधी बैठ गई और रोहित के हाथों से साबुन लेकर बोली- लाओ मैं भी तुम्हारी पीठ पर साबुन लगा देती हूँ!
फिर मैंने रोहित की पीठ और फिर उसकी छाती पर भी साबुन मल दिया.
साबुन लगते वक्त मेरे मम्मे रोहित के शरीर से रगड़ खा रहे थे।

मैंने रोहित से कहा- रोहित, अब मेरी छाती पर साबुन लगाने की तुम्हारी बारी है.
तो रोहित शर्मा गया पर उसने अपने हाथों में साबुन ले लिया और फिर उसने मेरे उरोजों को अपने हाथों में भर लिया और उन पर साबुन लगाने लगा.
रोहित का सपना आज सच हो रहा था।

हम दोनों बिल्कुल नंगे तो थे ही और अब आपस में काफी खुल चुके थे, मैंने रोहित के खड़े लंड को अपने हाथों से टटोलते हुए कहा- तुम अपने सामान को ठीक से साफ नहीं करते क्या… देखो तो ये कितना काला हो रहा है…लाओ मैं इसे साफ कर देती हूँ।

मैंने अपने हाथों में साबुन लगाया और अपने दोनों हाथों से रोहित के लंड को अपने हाथों में भर लिया और उसे रगड़ने लगी.
रोहित काफी उत्तेजित हो गया, उसने भी अपने हाथों से मेरी चूचियों को उमेठना शुरू कर दिया. हम दोनों भली भांति जानते थे कि अब हम दोनों रुकने वाले नहीं है।

रोहित के लंड को सहलाने से उसने सिसकारियां भरनी शुरू कर दी- आहहहहह मौसी… रूक्को… मैं झड़ने वाला हूँ… आपके हाथ गंदे हो जाएंगे।
मैंने रोहित से कहा- रोहित अगर तुम चाहो तो मेरे मुँह में भी झड़ सकते हो।
रोहित ने कहा- क्या सच में मौसी… आप मेरा वीर्य अपने मुँह के अंदर लेना चाहोगी?

मैंने तुरंत अपनी जीभ बाहर निकालते हुए रोहित के लंड को चाटना शुरू कर दिया और फिर उसके लंड को मुँह के अंदर भर लिया ‘उमम्म… उम्म…’ की आवाज़ के साथ रोहित का लंड मेरे मुँह को चोदने लगा.
रोहित अपने चरम पर ही चल रहा था, उसने मेरे चूचों को जोर से खींचते हुए मेरे मुँह में ही झड़ना शुरू कर दिया ‘आहह… मममा… सस्सी… ये लो… मैं तो गया…
और फिर उसके लंड से पिचकारियां निकलने लगी, मेरा मुँह रोहित के स्वादिष्ट वीर्य से पूरा भर गया, जिसे मैंने अंदर गटक लिया।

झड़ने के बाद रोहित ने मुझे अपनी बांहों में भर लिया और बोला- मौसी… जिंदगी में पहली बार मैं किसी के मुंह में झड़ा हूँ… और मजा भी बहुत आ रहा था।
मैंने रोहित की बातों को सुनकर उसके माथे पर एक चुम्बन दिया और उससे कहा- ये तो अभी मजे की शुरूआत है… अगर तुम चाहो तो आगे और भी मजा आएगा तुम्हें!
रोहित ने कहा- सच मौसी… आप बहुत अच्छी और सेक्सी हो, काश हम लोग हमेशा ऐसे ही रह सकते साथ में… तो कितना मजा आता।

मैंने रोहित से पूछा- रोहित कभी सेक्स किया है तूने… या किसी को करते हुए देखा है?
रोहित ने कहा- कभी किया तो नहीं है पर मम्मी पापा को कई बार करते हुए देखा है मैंने!
मैंने रोहित को हल्की सी चिमटी काटते हुए कहा- सच में बहुत बदमाश है तू… अपने मम्मी पापा को भी नहीं छोड़ा।

रोहित का लंड फिर से खड़ा हो गया, उसने अपने लंड को हाथ में लेकर कहा- मौसीजी अब आगे का मजा भी दे दीजिए ना मुझे!
मैंने कहा- अब क्या सारे मजे यही टब में लेगा… चल अंदर चलते हैं।

फिर मैंने अपने नंगे जिस्म को टब से बाहर निकाला और रोहित मेरा हाथ पकड़कर मुझे अंदर ले गया।

रूम में जाकर मैं गीली ही बिस्तर पर पीठ के बल लेट गई, मैंने रोहित को मेरी तरफ बुलाया और अपनी टाँगें फैलाते हुए कहा- अब चूसने की बारी तेरी है।

रोहित मेरी टाँगों के बीच आकर बैठ गया और अपने होठों को मेरी चूत पर रख कर चुम्मियां देने लगा… और फिर रोहित अपनी जीभ से मेरी चूत को कुरेदने लगा।

जैसे ही रोहित ने अपनी जीभ से मेरी चूत को रगड़ा, मैं चिल्लाई- और जोर से चूस मेरी चूत… को…
रोहित अभी नया खिलाड़ी था तो उसे तैयार करने के लिए उसका आत्मबल भी बढ़ाना जरूरी था।

कुछ देर बाद मैं भी अपने चरम पर आ गई और मेरी चूत से पानी का ज्वालामुखी फट पड़ा, मैं भी चिल्लाते हुए बोल रही थी- रोहित… मैं झड़ी.. उइई… माँआआआँ… उम्म्ह… अहह… हय… याह… मेरी… चूस ले मुझे… पी जा मेरा पानी… आआहहह…

जब मैं पूरी तरह से झड़ गई तो रोहित ने अपना मुँह मेरी चूत पर से हटाया, उसका चेहरा मेरे पानी से सन चुका था, उसने भी जी भरकर मेरा पानी पिया था।
मैंने रोहित से कहा- रोहित, अब अपना लंड मेरी चूत के अंदर डाल दो।

रोहित ने वैसा ही किया, वो मेरे ऊपर लेट गया और अपने लंड को चूत पर रगड़ने लगा. मैं अपने हाथों से रोहित के लंड को पकड़कर अपनी चूत पर सेट कर अंदर डालने लगी और फिर रोहित से धक्का देने के लिए कहा।
रोहित ने अपने लंड पर दबाव देते हुए कहा- मौसी… आपकी चूत बहुत टाइट है और मुझे भी हल्का दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- तुम्हारा लंड है ही इतना मोटा… कि तुम्हें मेरी चूत इतनी कसी हुई लग रही है… और फिर पहली बार करने में थोड़ा दर्द तो होता ही है… और मेरी चूत भी अंदर से फटे जा रही है।

मैंने फिर से रोहित से कहा- अब रुको मत रोहित… अपना लंड मेरी चूत की गहराइयों में उतार दो…. एक ही बार में घुसेड़ दो इसे मेरी चूत के अंदर!
यह सुनकर रोहित ने एक जोरदार धक्का मारा और पूरा का पूरा लंड मेरी चूत में पेल दिया.
मैंने चीखते हुए रोहित से कहा- और अंदर तक डाल अपने लंड को!

रोहित ने भी अब मेरी जोरदार चुदाई शुरू कर दी, वो अपने गहरे और लंबे धक्कों के साथ मेरी चूत को चोद रहा था।
कुछ देर की जोरदार चुदाई के बाद मैं भी झड़ने को हुई तो मेरे मुंह से बस सिसकारियां ही निकल रही थी ‘आआआअह्ह्ह.. चोद मुझे बेटा… चोद डाल… और अन्दर डाल… अपना लंड… चोद मुझे… चोद मुझे… आआआह्ह्ह… डाल अपना मोटा लंड अपनी मौसी की चूत में… आहहह… आहह्ह… मैं भी झड़ने वाली हूँ… आहह… पेल दे और अंदर…’
और फिर मैंने भी झड़ना शुरू कर दिया।

रोहित भी फिर ज्यादा देर तक नहीं टिक पाया और उसने भी जोरदार धक्कों के साथ मेरी चूत में झड़ना शुरू कर दिया। जब उसका पूरा गर्म वीर्य मेरी चूत में समा गया तो उसने अपना लंड बाहर खींच लिया… मेरी चूत के पानी की वजह से वो किसी तारे के समान चमक रहा था।

हम दोनों शांत होकर बिस्तर पर लेट गए.

रोहित ने मुझे चूमते हुए कहा- मौसी, काश मैं आपको रोज चोद सकता… तो कितना मजा आता।
रोहित की बात सुनकर मैं मुस्कुराते हुए बिस्तर से उठ कर बाथरूम चली गई और खुद को साफ करने लगी। रोहित ने भी तब तक अपने कपड़े पहन लिए।

शाम के सात बजने को थे और सब लोग भी आने वाले थे… मैं भी कपड़े पहनकर तैयार हो गई… फिर हम दोनों आपस में बातें करने लगे।

मैंने रोहित से पूछा- तूने अपने मम्मी पापा की चुदाई करते हुए देखा है… तो फिर तेरा भी मन होता होगा ना अपनी माँ की चुदाई करने का?
रोहित ने कहा- हाँ होता तो बहुत है… पर मम्मी के साथ ये सब कर पाना नामुमकिन है… तो बस हिला कर ही काम चला लेता हूँ।

हम दोनों बात कर ही रहे थे कि तब तक सब लोग आ गए… और फिर हम सब लोग खाना खाकर अपने अपने रूम में चले गए।

आगे क्या हुआ… आगे की कहानी अगले भाग में…
 

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-5




मेरी कहानी में आपने पढ़ा कि कैसे परिस्थितियों के चलते मेरे और मेरी बहन के बेटे रोहित के साथ शारीरिक संबंध बने।

अब आगे:

रोहित के साथ चुदाई करने के बाद हम लोग तैयार होकर कमरे में बैठकर बाते करने लगे।
मैंने रोहित से पूछा- तूने अपने मम्मी पापा की चुदाई करते हुए देखा है… तो फिर तेरा भी मन होता होगा ना अपनी माँ की चुदाई करने का?
रोहित ने कहा- हाँ होता तो बहुत है… पर मम्मी के साथ ये सब कर पाना नामुमकिन है… तो बस हिला कर ही काम चला लेता हूँ।

हम दोनों बात कर ही रहे थे कि तब तक सब लोग आ गए और फिर हम सब लोग खाना खाकर अपने अपने कमरों में चले गए।
रात को रोहन और अन्नू रूम में आकर मेरे साथ बेड पर लेट गए।

तभी रोहन ने पूछा- मम्मी आपका आज का दिन कैसा रहा? आप तो यहां पर बोर होती रही होंगी और हम लोगों ने तो आज बहुत मस्ती की… मैं तो इतना थक गया था कि चल भी नहीं पा रहा हूं सही से।
अन्नू भी बोली- मम्मा सच में आज तो आपको चलना ही था… आपने मिस कर दिया आज।

मैं उन दोनों के बीच में लेटी हुई थी। मैंने अपने दोनों हाथो से अपने बच्चों के सर को सहलाया और उनसे कहा- तुम लोग अच्छे से एन्जॉय करो। रोहित की तबियत ठीक नहीं थी वरना मैं भी चल देती।
थोड़ी देर तक इधर उधर की बाते करने के बाद अन्नू और रोहन सो गए।

मेरी भी नींद लगने ही वाली थी कि तभी मेरे फोन पर एक मैसेज आया। मैंने फ़ोन उठाकर देखा तो वो मैसेज आलोक का था, उसने मुझे गुड़ नाईट विश किया था। फिर मैंने भी आलोक को मेसेज किया।
आलोक- गुड़ नाईट चाची।
मैं- गुड नाईट।
आलोक- आपको जगा तो नहीं दिया मैंने?
मैं- अभी तो मैं सोई भी नहीं हूं… तो तू जगाएगा कैसे।
आलोक- मुझे भी नींद नहीं आ रही… क्या हम लोग होटल की छत पर चल सकते हैं, थोड़ी फ्रेश हवा भी मिल जाएगी।

मैंने मोबाइल में समय देखते हुए उसे रिप्लाई किया- अभी एक बजने वाला है इतनी रात को ऊपर जाना ठीक नहीं होगा।
आलोक- अरे मैं हूं ना चाची… आप तो बेवजह डर रही हो।

आलोक के मनाने पर मैं मान गयी और अपने बच्चों को देखते हुए धीरे से बेड से उठकर रूम के बाहर आई और दरवाजा बाहर से लॉक कर दिया। आलोक रूम के बाहर खड़ा हुआ मेरा ही इन्तजार कर रहा था।
फिर हम दोनों लिफ्ट से टॉप फ्लोर पर गए, और वहाँ से सीढ़ियाँ चढ़कर ऊपर छत पर पहुँच गए।

होटल सिटी से थोड़ा दूर था और सात फ्लोर का था तो आसपास कोई घर या होटल इतने ऊंचे नहीं थे। छत पर हम दोनों के अलावा कोई नहीं था तो छत पर आते ही आलोक ने एक बार छत का मुआयना लिया और फिर उसने छत के दरवाजे को लॉक कर दिया ताकि कोई ऊपर ना आने पाए।

छत पर बिल्कुल अंधेरा था तो मैं आलोक से साथ ही खड़ी थी। बरसात का सीजन चल रहा तो आसमान में बादल छाए हुए थे जिस वजह से चंद्रमा की रोशनी भी नहीं आ रही थी।
आलोक को गेट बंद करते देख मैंने कहा- आलोक क्या कर रहे हो? अगर किसी को ऊपर आना हुआ हो तो?
आलोक ने कहा- इतनी रात को सब अपनी पत्नी और गर्लफ्रेंड के साथ सेक्स कर रहे होंगे… कोई आएगा तो खोल देंगे।

फिर आलोक मुझे वहाँ से एक कोने में ले आया। वहाँ से नीचे देखने पर आसपास का नज़ारा स्ट्रीटलाइट की पीली रोशनी में बड़ा ही प्यारा लग रहा था।

मैं बॉउंड्री से टिककर बाहर के नजारे देख रही थी, तभी आलोक ने पीछे से आकर मुझे जोर से जकड़ लिया, उसका जकड़ना इतना तेज था कि मेरे मुंह से ‘आआ आआहहह हहह…’ निकल गयी।
आलोक का लंड बिल्कुल खड़ा हो चुका था जो कि मुझे साफ-साफ मेरी गांड की दरार में महसूस हो रहा था, आलोक ने मेरी गर्दन को पीछे से चूमना शुरू कर दिया।

मैंने सिसकारियां भरते हुए उसे कहा- इतना जोर से क्यूँ पकड़ा है मुझे… आआहहह…
आलोक ने कहा- चाची, आप इतने दिनों बाद मुझे मिली हो इसीलिए आज मैं आपको अपनी बांहों में कस कर रखना चाहता हूं.
और इतना बोलते ही उसने अपने दोनों हाथों से मेरे गोल चूचों को मसलना शुरू कर दिया।

मैं उस समय नाईट गाउन पहनी हुई थी जो की बूब्स से लेकर कमर तक चैन के साथ अटैच थी और अंदर केवल पैंटी ही पहनी हुई थी क्योंकि सोने के लिए मैंने अपनी ब्रा निकाल दी थी। आलोक भी टीशर्ट और कैप्री में था।

गर्दन पर चुम्बन की वजह से मैं काफी गर्म हो गयी थी। तभी आलोक ने मेरे गाउन की चैन को खोलकर बूब्स तक नीचे कर दिया और अपने दोनों हाथ मेरे गाउन के अंदर डाल कर मेरे मम्मों का मर्दन करने लगा।
आलोक अपने हाथों से मेरे निप्पल्स को मरोड़ रहा था और मेरी गर्दन को चूम रहा था।

फिर आलोक ने मुझे अपनी तरफ घुमाया और मेरे होंठों को चूमने लगा। मेरे मम्में मेरे गाउन से बाहर निकले हुए थे जो कि अब आलोक की छाती में समा रहे थे। आलोक ने भी अपनी टीशर्ट उतार दी और फिर से मुझे अपनी बांहों में जकड़ कर मेरे होंठों को चूमने लगा।

मुझे आलोक का गठीला बदन अपने मम्मों पर महसूस हो रहा था।

आलोक ने मुझे किस करते हुए अपने हाथों को मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरे गाउन को मेरी जांघों के ऊपर की तरफ खींचने लगा। आलोक ने मेरे गाउन को मेरी कमर तक ऊपर उठा दिया औऱ फिर अपने एक हाथ को मेरी पैंटी के अंदर डालकर मेरी गांड की गोलाई और चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

आलोक ने फिर आगे से अपने दूसरे हाथ से मेरी पैंटी को नीचे सरका दिया और अपनी सीधे हाथ की दो उंगलियों को मेरी चूत में डालकर अंदर बाहर करना शुरू कर दिया। मेरे जेठ के बेटे आलोक ने मेरे होंठों को छोड़कर अब मेरे मम्मों से रसपान करना शुरू कर दिया। आलोक किसी जानवर की भांति मेरे मम्मों को चूस रहा था और मेरे निप्पल्स भी चबा रहा था।
मैं बस ‘आआहहह… उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊऊह…’ ही कर रही थी क्योंकि अब और कुछ मेरे बस में नहीं था।

तभी आलोक ने अपने दूसरे हाथ से मेरी गांड के छेद को चौड़ाया और अपनी बडी उंगली को मेरी गांड के अंदर डाल दिया जिस वजह से मैं थोड़ा ऊपर की तरफ उछल गयी। मैं काफी उत्तेजित हो गयी थी क्योंकि मेरे दोनो छेद आलोक की उंगलियों द्वारा चोदे जा रहे थे।

थोड़ी देर तक ऐसा करने के बाद उसने मेरी चूत से अपनी उंगलियाँ बाहर निकाल ली पर मेरी गांड को वह अभी थी अपनी उंगली से चोद रहा था। फिर आलोक ने मुझे बाउंड्री वॉल से टिकाया और मेरे उठे हुए गाउन को मेरे हाथों में पकड़ा दिया और खुद घुटनों के बल बैठ कर मेरी चूत को चाटने लगा।

आलोक की जीभ का स्पर्श मेरी चूत के अंदर होते ही मैंने झड़ना शुरू कर दिया और मैंने गाउन को अपने हाथों से छोड़कर आलोक के सिर को पकड़ लिया और अपनी चूत को झटकों के साथ आलोक के मुँह पर रगड़ना शुरू कर दिया।
मैंने सिसकारते हुए अपना सारा पानी आलोक के मुंह पर छोड़ दिया जिसे आलोक ने बिल्कुल चाटकर साफ कर दिया।

आलोक उठ कर खड़ा हो गया और मेरी गांड से अपनी उंगली निकालकर मुझसे बोला- आई लव यू चाची… आपका पानी बड़ा ही स्वादिष्ट है आज बड़े दिनों बाद पीने का मौका मिला।

मैंने भी हँसते हुए उसे कहा- लव यू टू आलोक… अब जो भी करना है जल्दी कर… काफी रात हो गयी है।

मेरी टाँगें और मम्मे अभी भी खुले हुए थे और रात के समय ठंडी हवा लगने के कारण मैं कांपने लगी। आलोक ने बिल्कुल भी देरी ना करते हुए अपनी कैप्री उतार दी। उसने अंदर चड्डी नहीं पहनी थी। कैप्री उतरते ही उसने अपना खड़ा लंड मेरे हाथ में थमा दिया जिसे मैंने सहलाना शरू कर दिया।

मैंने भी आलोक के लंड को गीला करने के लिए नीचे बैठकर उसे चूसना शुरू कर दिया। आलोक के लंड से वीर्य जैसा चिपचिपा पानी निकल रहा था जिसे मैंने अपने मुंह में लेकर सोख लिया। करीब दो मिनट तक लंड चूसने के बाद मैंने उसके लंड को अपने मुंह से निकाल दिया।

मेरी चूत भी पानी छोड़ने की वजह से काफी गीली हो चुकी थी। फिर आलोक ने मुझे दीवाल से टिकाया और मेरे गाउन की पूरी चैन को खोल दिया जिससे मेरा गाउन मेरी टांगों से नीचे गिर गया।
अब मैं पूरी तरह से नंगी हो चुकी थी और बाहर चल रही ठंडी हवा मेरे रोम रोम को उत्तेजित कर रही थी। मुझे ऐसा करते हुए डर भी लग रहा था क्योंकि खुले में चुदाई करने का ये मेरा पहला अनुभव था… पर जब कामुकता हावी हो जाती है तो क्या सही है और क्या गलत… कुछ समझ नहीं आता है।

आलोक ने मुझे टिकाकर खड़ा किया और फिर मुझसे सटकर ही उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ना शुरू कर दिया और फिर धीरे धीरे उसने अपने लंड का सुपारा मेरी चूत के अंदर कर दिया।
आलोक ने मेरे होंठों को अपने होंठों से बांध लिया और पूरी दम के साथ उसने अगले धक्के में अपना पूरा लंड मेरी चूत में भर दिया। मेरे होंठों को चूमने की वजह से में चीख नहीं पाई लेकिन मेरी घुटी हुई आवाज भी आसपास गूंज गयी और अपने पैर की उंगलियों के बल खड़ी हो गई।

मैं आलोक के होंठों को चूमना छोड़कर दर्द से सिसकार उठी- ऊऊह्ह माँ… उम्म्ह… अहह… हय… आआहह…
मैंने आलोक को हल्की आवाज में डाँटते हुए कहा- पागल हो गया है क्या… अभी मैं चीख पड़ती तो किसी को पता चल जाता।
पर आलोक ने मेरी बातों को अनसुना कर दिया और फिर से मेरे होंठों को चूमना शुरु कर दिया।

आलोक अब जोर जोर के धक्कों के साथ अपने लंड को अंदर बाहर करने लगा, मैं भी अपनी कमर उठा उठा कर आलोक के लंड से चुद रही थी।
हम दोनों के नंगे बदन की गर्मी उस ठंडी हवा में एक दूसरे को साफ महसूस हो रही थी।
थोड़ी देर तक इसी तरह लगातार चोदने के बाद मैं थक गई तो मैंने आलोक से पोजीशन बदलने के लिए कहा।

आलोक ने वैसे ही अपना लंड मेरी चूत में झटके मरते हुए कहा- चाची, छत ज्यादा साफ नहीं है, वरना हम यहीं लेट कर चुदाई करते। पर तुरंत ही उसके मन मैं एक विचार आया और उसने मुझसे बाउंडरी पर हाथ रखकर खड़े होने के लिए कहा।
मैं आलोक की बात मानते हुए अपने दोनों हाथों को सामने बाउंडरी के ऊपर रख कर खड़ी हो गयी। इस वज़ह से मेरी गांड और कमर पीछे की तरफ को उभर आई ऒर सामने से मुझे बाहर का सारा नजारा दिखाई दे रहा था।

अगर ऊँचाई ज्यादा न होती और दिन का समय होता तो सड़क चलते आदमी मेरे नंगे झूलते हुए मम्मों को देख सकता था। पर अभी अंधेरा इतना था कि किसी को कुछ दिखाई नहीं दे सकता था।

इस तरह झुककर खड़े होने की वजह से मैं किसी डॉगी की पोजीशन में थी। अब आलोक ने पीछे से आकर अपने लंड को मेरी चूत पर लगाया और इस बार उसने हल्के हल्के धक्कों के साथ अपने लंड से मेरी चूत को अंदर तक चीर दिया।

आलोक ने अपने धक्कों की गति को बढ़ा दिया… जिस वजह से मेरा शरीर उसके हर धक्कों के साथ आगे पीछे होने लगा और मेरे कसे हुए मम्मे भी मेरे शरीर के साथ झूलने लगे। आलोक ने अपने हाथों को आगे बढ़ाकर मेरे दोनों मम्मों को पकड़ कर मसलना शुरू कर दिया। मेरे मुँह से हल्की हल्की सीत्कार ‘आआहहह… आआऊऊहहह… ओह आलोक… और जोर से चोदो मुझे… फ़क मी हार्डर..’ आसपास के माहौल को और भी गर्म कर रही थी।

काफी देर तक इसी तरह चोदने के बाद मैं अपने चरम पर पहुँच गई और मैंने अपनी चूत से आलोक के लंड पर दबाव बनाते हुए झड़ना शुरू कर दिया। मेरी चूत से निकलता हुआ पानी मेरी टांगों से बहता हुआ नीचे तक पहुँच रहा था। आलोक अभी भी मेरी चूत मार रहा था पर अब चुदाई की आवाज़ें कुछ बढ़ सी गयी थी।

तभी आलोक ने मेरी चूत से अपना लंड निकाला और नीचे झुककर मेरी रिसती हुई चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ का स्पर्श मेरी चूत को अलग ही शांति प्रदान कर रहा था। उसने मेरी जांघों को भी चाटकर साफ कर दिया।

आलोक ने अपने मुँह को मेरी चूत से हटाते हुए मेरी गांड के पास लाया और अपने थूक से मेरी गांड को गीला करना शुरू कर दिया।
मैं समझ गयी कि अब आगे क्या होगा।
मैंने पीछे मुड़कर आलोक को मुस्कुराते हुए कहा- आगे से मन नहीं भरा जो अब पीछे की तरफ जा रहे हो?

आलोक ने कहा- चाची… अगर आपकी गांड नहीं चोद पाया तो फिर मेरे इतने दिनों का इन्तजार बेकार ही रह जाएगा।
मैंने उसकी बात पर हँसते हुए कहा- हां कर ले… पर जरा आराम से करना!
और फिर वापस उसी अवस्था में आ गयी।

आलोक ने आगे बढ़ते हुए अपने लंड को मेरी गांड के छेद पर टिकाया और बड़े ही प्यार के साथ उसे अंदर डालने लगा। मेरी गांड के लाल छेद को भेदते वक्त मेरी आँखें बंद हो गईं और मेरे माथे पर दर्द के कारण शिकन आने लगी क्योंकि मैं जब कभी ही अपनी गांड चुदवाया करती थी और आलोक का लंड भी कुछ ज्यादा ही मोटा था।

आलोक ने धीरे धीरे से अपना लंड मेरी गाण्ड में डाल दिया और फिर उसने धक्के देना शरू कर दिये. आलोक का लंड जितनी गति से मेरी गांड के अंदर होता मैं उतना मस्त हो जाती।
उसने काफी देर तक मेरी गांड को उसी अवस्था में चोदा। फिर जब वो झड़ने को हुआ तो उसने अपने धक्कों को दोगुनी रफ्तार के साथ मेरी गांड मारने लगा और अंततः उसने ‘आआहहह… चाची… मैं गया… आपकी… गांड… के… अंदर…’ कहते हुए अपना गर्म वीर्य कई पिचकारियों के साथ मेरी गांड के अंदर त्याग दिया।

झड़ने के बाद आलोक अकड़कर मुझसे वैसे ही लिपट गया। कुछ ही देर बाद उसने अपने लंड को बाहर निकाल लिया। फिर हम दोनों ने अपने कपड़े पहने और खुद को ठीक किया.
आलोक का वीर्य मेरी गांड से रिसकर बाहर आने लगा. पर मैं इतना थक चुकी थी कि खुद को साफ करने की हिम्मत नहीं जुटा पायी।

उसके बाद हम दोनों नीचे आ गए और अपने अपने रूम में आकर सोने लगे। मैं भी धीरे से बेड पर जाकर रोहन और अन्नू के बीच लेट गयी। थोड़ा हलचल होने की वजह से रोहन ने नींद में करवट लेते हुए मुझे खुद से लिपटा लिया और फिर मैं भी वैसे ही सो गई।

उस रात के बाद हम लोगो को चुदाई करने का समय ही नहीं मिल पाया और फिर सफर के खत्म होने के बाद हम लोग वापस अपने घर आ गए। अब बस मैं थी, रोहन था और मेरे पति।
 

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-6




जैसा कि आप सबने मेरी पुरानी कहानियों को पढ़ा और जाना कि कैसे परिस्थितियों के चलते मेरे सम्बन्ध मेरे बेटे रोहन, भतीजे आलोक और मेरी बहन के बेटे रोहित के साथ शारीरिक सम्बन्ध में बदल गए।

अगर आपने मेरी पुरानी कहानियों को नहीं पढ़ा तो आप ऊपर दी हुई लिंक से उन्हें पढ़ सकते हैं।

अब आगे की कहानी:

हमारे फैमिली ट्रिप को हुए थोड़ा समय बीत चुका था और सभी अपनी अपनी जिंदगी जी रहे थे। रोहन कॉलेज के दूसरे साल में आ गया था। रोहित ने भी अपनी स्कूल की पढ़ाई पूरी कर ली थी।

मेरी बहन पूजा थोड़े पिछड़े इलाके से थी तो वहाँ कोई अच्छा कॉलेज नहीं था इसलिए हम लोगों ने तय किया कि रोहित मेरे शहर में रहकर अपनी ग्रेजुएशन पूरी करेगा।

मेरी बहन पूजा अपने बेटे रोहित को होस्टल में रहने के लिए बोल रही थी क्योंकि उसे लग रहा था कि शायद वो हम पर बोझ ना बन जाए।
तो मैंने पूजा से कहा- यहाँ पर इतनी जल्दी अच्छा होस्टल नहीं मिलेगा और फिर जब मेरा घर है यहाँ … तो हॉस्टल क्यों भेज रही हो रोहित को?
मेरे काफी समझाने के बाद पूजा ने कहा- जब तक कोई अच्छा हॉस्टल नहीं मिल जाता तब तक रोहित तेरे साथ रह लेगा।
सब कुछ फाइनल होने के बाद रोहित दूसरे दिन हमारे यहां आने वाला था।

अगले दिन सुबह उठकर मैंने रवि और अन्नू के लिए लंच बनाया और वो लोग ऑफिस और स्कूल के लिए निकल गए। नौ बजे चुके थे… रोहन दस बजे तक कॉलेज निकल जाता था पर आज उसे रोहित को स्टेशन लेने जाना था इसीलिए आज वो कॉलेज नहीं गया था।

मैं रोहन के कमरे में गयी और दरवाज़ा खटखटाया. रोहन सो रहा था तो उसने दरवाज़ा खोलने में जरा देर कर दी। रोहन के दरवाज़ा खोलते ही मैं कमरे के अंदर आई, तब तक रोहन भी वापिस बिस्तर पर लेट गया. वो केवल अंडरवियर में ही था।
मैं भी बेड पर उसके पास जाकर लेट गई और उसके माथे पर किस करते हुए कहा- गुड मॉर्निंग… उठ गया मेरा राजा बेटा।
रोहन ने भी मुस्कुराते हुए मुझे गुड मोर्निंग कहा और मेरे होंठों को चूमने लगा।

रोहन ने अपने एक हाथ से मेरा हाथ पकड़कर चड्डी के ऊपर से ही अपने लण्ड पर रख दिया। मेरे हाथ रखते ही रोहन के लण्ड ने फैलना शुरू कर दिया और देखते ही देखते पूरा खड़ा हो गया और उसका ऊपरी भाग बॉक्सर से बाहर निकल आया।
रोहन अभी भी मुझे चूम रहा था और मैं अपनी आँखें बंद किये इन सबका मजा ले रही थी। तभी रोहन ने मेरे गाउन के ऊपर के बटन को खोल दिया. मैं गाउन के अंदर ब्रा नहीं पहनती इसलिए मेरे कसे हुए मम्में बाहर निकल आए और रोहन ने उन्हें दबोचना शुरू कर दिया।

तभी मैं होश में आई और रोहन से कहा- बेटा उठो और जल्दी से फ्रेश हो जाओ, नहा लो … हम उसके बाद ही करेंगे।
रोहन ने कहा- अभी क्या प्रॉब्लम है मम्मी?
मैंने रोहन से मजाक में हस्ते हुए कहा- अभी तेरी मुँह से स्मेल आ रही है.
और फिर हम दोनों हँसने लगे।

रोहन ने मेरे मम्मों पर एक चुम्बन किया और उठकर बाथरूम की तरफ जाने लगा और मुझसे बोला- चलिए ना मम्मी … साथ नहाएंगे।
मैंने कहा- अभी नहीं रोहन… मुझे अभी काफी काम खत्म करने हैं और अभी दो बजे रोहित भी आ जाएगा।
मेरे समझाने पर रोहन नहाने चला गया। मैंने भी खुद को ठीक किया और रोहन के रूम की सफाई करने के बाद घर के और कामों में लग गयी।

कुछ देर बाद रोहन ने मुझे आवाज़ दी। मैंने कमरे में जाकर देखा तो रोहन बिल्कुल नंगा खड़ा हुआ था। मैंने रोहन से पूछा- क्या हुआ? माँ के साथ मजे करने के चक्कर में बड़ी जल्दी नहा लिया।
रोहन- ऐसी बात नहीं है मम्मी… मेरी दोनों अंडरवियर गीली पड़ी हुई हैं… अब क्या पहनूँ?
तभी मुझे याद आया कि मैं कल रोहन के कपड़े धोना भूल गयी थी। मैंने रोहन से कहा- अब तो कोई एक्स्ट्रा भी नहीं है तेरे लिए… तू एक काम कर तब तक मेरी पैंटी पहन ले।

मेरी इस बात पर हम दोनों हंसने लगे।

रोहन ने कहा- चलिए ठीक है आज यह भी ट्राई कर लेते हैं।
मैंने रोहन को अलमारी से लाल रंग की एक पैंटी लाकर दी, रोहन ने उसे पहन लिया। पैंटी पहनने के कारण रोहन का लण्ड फिर से खड़ा हो गया जो पैंटी के बाहर आ गया।

रोहन ने कहा- मम्मी आपकी पेंटी बहुत सेक्सी है पर मुझे थोड़ा अजीब लग रहा है इसमें!
मैंने कहा- कोई बात नहीं, आदत पड़ जाएगी!
और मैं अपने बेटे के लंड को पेंटी के ऊपर से ही पकड़ कर सहलाने लगी।
रोहन ने भी समय ना गंवाते हुए मेरे गाउन को खोल कर नीचे फेंक दिया। मैं अब केवल काली पैंटी में रोहन के सामने थी।

फिर रोहन मुझे अपने साथ बेड पर ले गया। रोहन बेड पर खड़ा हो गया और उसने पेंटी के बीच से लंड को बाहर निकाला और मेरे मुंह की तरफ से लाकर खड़ा हो गया मैं रोहन का यह इशारा समझ चुकी थी और घुटनों के बल बैठ कर उस के लंड को अपने मुंह में भर लिया।
मैं रोहन का लंड बड़े ही प्यार से चूस रही थी और रोहन भी आँखें बंद किये ‘आआआहहह… मम्मी… उफ्फ… खा लो मेरा… आआआह… मम्मी… तुम्हारा मुँह…’ कर रहा था।

थोड़ी देर की चूसाई के बाद मैंने रोहन का लण्ड मुँह से निकाल दिया और हाथों में लेकर सहलाने लगी। फिर मैंने भी उठकर अपनी पैंटी उतार दी और अपने नंगे जवान बेटे का हाथ पकड़ा और सीधे बिस्तर पर लेट गयी।

मैं बिस्तर पर जाकर पीठ के बल जा लेटी और अपनी टांगें चौड़ी कर बाहें फैलाकर बोली- आ जा मेरे लाडले!
रोहन भी इशारा पाकर मेरी चूत के पास अपना मुंह लेकर गया और अपनी खुरदुरी जीभ से उसे चाटने लगा।

रोहन की जीभ ने जब मेरी चूत की पंखुड़ियों को छुआ तो मेरी तो जान ही निकल गयी। मैंने अपना सिर उठाया जिससे मैं अपनी चुसाई देख सकूँ। मैं कुलबुलाई- आआआहह… रोहन… अपनी जीभ मेरी चूत में जहाँ तक डाल सकते हो डाल दो… हाँ … तुम बहुत अच्छा कर रहे हो।
मुझे काफी मजा आ रहा था जिसके कारण मेरी जांघों ने खुद-ब-खुद रोहन के सर को कस कर जकड़ लिया। मुझे अपनी चूत से हल्का सा बहाव महसूस हुआ पर कुछ ही क्षण में मैं एक ज्वालामुखी की तरह फ़ट पड़ी… ऐसा पानी छूटा कि बस… “अरे बेटा… मैं झड़ी… झड़ी रे माँआआआँ मेरी… चूस ले मुझे… पी जा मेरा पानी… मॉय डियर… मेरे बेटे… आआ… आआआहह… हहह… हाआआआ आआ…”

जब रोहन मेरा पानी पीकर उठा तो उसके मुंह का आसपास का हिस्सा मेरे पानी से बुरी तरह गीला था जिसे उसने वही पड़ी मेरी पैंटी से पौंछकर साफ कर लिया। मैं निढाल पड़ी हुई… तेज साँसों और बन्द आंखों के साथ रोहन के साथ आगे होने वाली क्रियाओं का इंतजार कर रही थी।

फिर रोहन मुझे उठाकर खुद नीचे पीठ के बल लेट गया और मैं उसके ऊपर आकर आ गई। मैंने अपनी दोनों टांगों को रोहन की कमर के बगल में डाल दिया और जिससे मेरी चूत रोहन के लण्ड के बिल्कुल ऊपर थी।

जैसा कि आप लोगो को पता ही है कि इस अवस्था में जाँघें बहुत दर्द करती हैं … इसलिए मैंने सपोर्ट के लिए अपने दोनों हाथों को रोहन के सीने के पास रख दिया। मेरे बूब्स को अपनी आँखों के पास झूलते देखकर रोहन ने उन्हें पकड़ा और मेरे निप्पल को अपने मुंह में लेकर चूसने लगा।

रोहन ने साथ ही अपने लण्ड का सुपारा मेरी चूत पर सेट किया और अपने हाथ से पकड़कर उसे मेरी चूत के अंदर करने लगा। सुपारे के अंदर घुसते ही वो रूक गया… शायद आगे के लिये वो मेरी सहमति मांग रहा था।

मैंने अपने मम्मों को रोहन के सीने पर दबाते हुए अपना शरीर रोहन के शरीर पर रख दिया और अपने हाथों से उसके सर को सहलाते हुए कहा- अब रुको मत बेटा और एक ही बार में बाकी का लंड घुसेड़ दो अपनी मम्मी की चूत में …
और मैं उसके होंठों को चूमने लगी।

यह सुनकर रोहन ने एक जोरदार शॉट मारा और पूरा का पूरा मूसल मेरी चूत में पेल दिया।
मैं चीखी- और अंदर …
और वापस उसी पुरानी अवस्था में आ गयी।

फिर तो रोहन ने आव देखा न ताव और अपने लंड से मेरी चूत की जबरदस्त पिलाई शुरू कर दी। रोहन ने गहरे व लम्बे धक्कों की ऐसी झड़ी लगाई कि मेरे मुँह से चूँ तक न निकल पायी।

कुछ समय बाद जब मैं अपने चरम पर पहुँची तो अपनी सिसकारियों को न रोक सकी- आअहह… रोहन… बस ऐसे ही… चोद मुझे… और जोर से… और अंदर तक… हाँ बेटा… ऐसे ही… चोद… उफ्फ… ऊईई… माँ… मैं गयी… उफ्फ…
मैं जब झड़ी तो मुझे लगा कि शायद मैं मर चुकी हुँ… मेरा अपने शरीर पर कोई जोर नहीं था… मेरे शरीर में एकदम कांटे से चुभने लगे… मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरी चूचियों में पिन घुसी हुई हों…
और मैं रोहन के ऊपर गिर पड़ी।

रोहन के मोटे लण्ड की भीषण पिलाई ने मुझे अंदर तक चीर दिया था… इतनी बुरी तरह झड़ने के बाद मेरा दिमाग सुन्न हो गया था.
पर जैसे ही मैंने होश संभाला तो पाया कि रोहन का लण्ड अभी भी मेरी चूत की असीमित गहराई को चूमने के लिये लगा हुआ था।

रोहन भी अब ज्यादा देर तक ना ठहर सका और उसने भी मेरे अंदर झड़ना शुरू कर दिया। रोहन के गर्म वीर्य की पिचकारियों ने मेरे अंदर गर्मी भरने का काम किया… मैं और रोहन पसीने से बिल्कुल लथपथ चिपके पड़े हुए थे।
थोड़ी देर आराम के बाद मैं रोहन के ऊपर से उठी और अपनी पैंटी उठाकर रोहन के वीर्य से सने हुए लण्ड को साफ करने लगी. रोहन को साफ करने के बाद मैंने खुद को भी उसी पैंटी से साफ किया और अपने नंगे बदन के ऊपर अपना गाउन डाल लिया।

दोपहर के बारह बजने को थे… मैंने रोहन से कहा- बेटा, अब कपड़े पहन ले और फिर लंच करके रोहित को लेने स्टेशन चले जाना।

रोहन ने उठकर वापस से मेरी लाल पैंटी पहन ली और उसके ऊपर से कपड़े भी पहन लिए। कुछ देर बाद रोहन स्टेशन चला गया और मैं भी सभी काम निपटा कर नहाने चली गयी।

आगे की कहानी अगले भाग में।
 

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-7




अब तक आपने पढ़ा कि मेरे पति के जाते ही मेरे बेटे रोहन ने किस तरह मेरी चुदाई की और मेरी पैंटी पहनकर रोहित को लेने स्टेशन चला गया।

अब आगे:

कुछ देर बाद दरवाजे की घंटी बजी तो मैं समझ गयी कि रोहन रोहित को लेकर आ चुका है.
मैंने दरवाजा खोला तो सामने रोहन खड़ा हुआ था.

वो अंदर आया और बोला- रोहित ऑटो से आ रहा है.
मैंने पूछा- क्यों?
तो रोहन ने जवाब दिया- सामान ज्यादा था तो बाइक पर नहीं आ पा रहा था. इसलिए ऑटो करना पड़ा.
और फिर हम दोनों दरवाजे पर खड़े होकर रोहित का इंतजार करने लगे।

कुछ ही पल में रोहित का ऑटो घर के दरवाजे पर आकर रुका. रोहन सामान लेने के लिए ऑटो की तरफ चल दिया.
रोहित भी ऑटो से उतरकर सामान उतारने लगा. रोहित और रोहन दोनों सामान लेकर अंदर आने लगे.
अंदर आते समय जब रोहित की नज़र मुझसे टकराई तो उसने हँसकर मुझे आंख मार दी।

रोहित के अंदर आते ही मैंने दरवाज़ा बन्द कर दिया। दरवाज़ा बन्द करते ही जैसे ही में पीछे मुड़ी रोहित ने मुझे कसकर गले लगा लिया और मेरे होंठों को चूम लिया.
रोहन तब तक अंदर जा चुका था।

मैंने रोहित को खुद से अलग करते हुए पूछा- सफर कैसा रहा?
रोहित ने कहा- मौसी … जब से ट्रेन में बैठा हूँ, आप ही के ख्यालों में खोया हुआ हूं.
और फिर मेरा हाथ पकड़कर उसने अपनी पैंट के उभार पर रख दिया।

रोहित का लण्ड खड़ा हुआ था पर जीन्स के अंदर वो जिस तरह कसा हुआ था उसे देखकर मालूम हो रहा था कि वो दर्द भी कर रहा होगा।

मैंने मुस्कुरा कर रोहित के लण्ड को उसकी जीन्स के ऊपर से ही दबा दिया और कहा- अंदर जाकर ढीले कपड़े पहन लो जिससे तुम्हें और इसे दोनों को आराम मिले.
और फिर हम दोनों बातें करते करते अंदर आ गए।

रोहित को अभी कुछ दिन रोहन के साथ ही रूम शेयर करना था. रोहित अपना सामान रोहन के रूम में व्यवस्थित करने लगा और रोहन भी उसकी मदद कर रहा था।

मैंने उन दोनों से कहा- तुम दोनों फ्रेश हो जाओ. तब तक मैं खाना तैयार करती हूं.
और मैं वहाँ से किचन में आ गयी और खाना तैयार करने लगी.

जून का महीना था तो गर्मी भी अपने चरम पर थी. खाना बनाते बनाते मैं खुद पसीने से नहा रही थी, ऊपर से मेरा गाउन भी शरीर से चिपका जा रहा था।

हर दिन की तरह जब घर पर कोई नहीं रहता था या सिर्फ रोहन ही रहता था तो मैं बिना गाउन के ही घर के काम करती थी. बस अधनंगे अपने जिस्म को ढकने के लिए एक दुपट्टा डाल लेती थी।
पर अब रोहन के साथ रोहित भी था घर पर. तो यह सब करना तो मुश्किल ही था.

कुछ देर बाद रोहित किचन में आया और दरवाज़े पर खड़ा होकर मेरी तरफ देखने लगा।
मैंने रोहित की तरफ देखा.

वो एक स्लीवलेस टीशर्ट और बॉक्सर में खड़ा हुआ मुझे देख रहा था.
मैंने रोहित की तरफ देखते हुए कहा- बस दस मिनट में खाना तैयार हो जाएगा. अभी रोटियाँ बन रही है. फिर खाकर आराम से सो जाना।
रोहित- मौसी आप आराम से अपना समय लीजिये. कोई जल्दी नहीं है।

मैंने पूछा- और रोहन क्या कर रहा है?
रोहित- वो रूम में ही है.
और इतना बोलते ही वो मेरे पीछे आकर खड़ा हो गया और मेरी कमर को अपने हाथों में कसकर जकड़ लिया।

मैंने कहा- क्या कर रहे हो रोहित? अभी मुझे काम करने दो. और अभी मैं पसीने से भी तर हूँ. तुम भी गंदे हो जाओगे।
रोहित- आप अपना काम कीजिये मौसी … मेरी वजह से आपको बिल्कुल भी परेशानी नहीं होगी. मैं तो बस आपको थोड़ा प्यार करना चाहता हूं. औऱ रही बात आपके पसीने की … तो इसकी खुशबू तो मुझे पागल कर रही है।

मेरी किचन घर के सबसे पिछले हिस्से में थी.और किचन का प्लेटफार्म दरवाज़े के बायी तरफ था. प्लेटफॉर्म की दीवार पर ही एक खिड़की लगी हुई थी वेंटिलेशन के लिए। पर उस खिड़की से घर के अंदर का भी सब दिखता था. जैसे रूम में कौन जा रहा है या कौन आ रहा है।

मैंने रोहित से कहा- अभी रोहन आ जाएगा तो क्या करोगे?
रोहित- रोहन जब कमरे से बाहर निकलेगा तो मैं आपसे अलग हो जाऊँगा.
और इतना बोलकर वो मेरी गर्दन पर आ रहे पसीने को चाटने लगा और मेरी गर्दन को चूमने लगा।

मैंने कहा- ये क्या कर रहे हो? पसीना भी कोई चाटता है भला … और हां … खिड़की से बाहर नज़र लगाए रखना. वरना रोहन भी देख लेगा कि भांजे और मौसी के बीच ये कैसा प्यार है।
रोहित ने मेरे कान के निचले हिस्से को मुंह में लेकर चूसते हुए हामी में अपना सिर हिला दिया।

मैंने रोहित से कहा- जो भी करना है, ऊपर ऊपर से ही करना. अभी आगे बढ़ने का सही समय नहीं है।
हम दोनों इतने धीमे धीमे बाते कर रहे थे कि हमारी आवाज़ हम दोनों के अलावा कोई और सुन भी नहीं सकता था।

रोहित करीबन छह फीट का था रोहन के बराबर. पर मेरी लम्बाई उन दोनों से ही कम थी। रोहित मुझे अभी भी कस कर जकड़ा हुआ था और उसका खड़ा लण्ड मुझे अपनी पीठ के निचले हिस्से पर महसूस हो रहा था मेरी गांड से कुछ इंच की ऊँचाई पर।

रोहित ने फिर धीरे धीरे मेरे गाउन को टांगों से ऊपर उठाना शुरू कर दिया.
मैंने अपने एक हाथ से रोहित का हाथ रोककर उससे कहा- बस ऊपर से ही … कपड़े सही करने में भी समय लगता है।
रोहित ने कहा- मौसी बस कमर तक ही उठाऊँगा. और किसी के आने से पहले ही आपका गाउन नीचे हो जाएगा. आप चिंता मत कीजिये।

मैंने वापस अपना हाथ उसके हाथों से हटा लिया और फिर से रोटियां बेलने लगी।

रोहित ने मेरा हाथ हटते ही जल्दी से मेरे गाउन को मेरी कमर तक उठा दिया. मैं अपना सिर झुकाकर अपनी नंगी टांगों और उसके बीच मेरी काली पैंटी, जो मेरे अधनंग शरीर मेरे जननांग और मेरी गांड को ढके हुए थी, को देख रही थी।

रोहित मेरी नंगी जांघों पर हाथ फेरने लगा और फिर मेरी पैंटी की इलास्टिक में उंगली डाल कर मेरी कमर के इर्दगिर्द घुमाने लगा। उसने फिर तेजी से मेरी पैंटी को जाँघों तक नीचे कर दिया और फिर अपना कठोर हाथ मेरी तपती हुई मुलायम चूत पर रख दिया।

खुद को नंगी होती हुई देख मैं वैसे ही काफी उत्तेजित हो गयी थी और फिर रोहित की उंगलियों का स्पर्श अपनी चूत पर पाकर मैं बेकाबू होने लगी और कामवासना में मेरे मुंह से ‘आआह हहऊ श्सहह’ निकल गया।

रोहित ने फिर अपने बॉक्सर को भी आगे की साइड से थोड़ा नीचे कर लिया. इतना कि बस उसका लण्ड ही बाहर निकला हुआ था।

उसने मेरी पीठ पर चूमते हुए एक हाथ को मेरी कमर से नीचे ले जाकर चूत को सहलाना शुरू कर दिया और दूसरे हाथ से अपने लण्ड को मेरी जाँघों के बीच में घुसेड़ना शुरू कर दिया।

मैंने उसकी कोशिश को देखते हुए अपनी टांगों को थोड़ा फैला दिया जिससे उसका लण्ड मेरी जाँघों के बीच में पूरी तरह से फिट हो गया. जैसे ही मुझे लगा कि अब रोहित का लण्ड बिल्कुल फिट है तो मैंने वापस से अपनी जाँघों को वापस चिपका लिया जिससे रोहित का लण्ड मेरी जांघों के बीच में ही जकड़ गया।

मैंने रोहित से कहा- अब मैं इससे ज्यादा आगे कुछ और नहीं कर सकती।
रोहित का मन तो मेरी चूत चोदने का था पर मेरे इस बर्ताव से उसके तो सपने ही धरे रह गए।

रोहित ने कहा- कोई नहीं मौसी … अभी ऐसे ही सही. पर अगली बार जब मौका मिलेगा और हम दोनों अकेले होंगे तब आज की भी कसर पूरी करूंगा.
और यह बोलते हुए उसने अपने लण्ड को जाँघों में ही आगे पीछे करना शुरू कर दिया।

रोहित बड़ी ही सादगी से मेरी जाँघों को चोद रहा था औऱ मेरी चूत से खेल रहा था.
मैं भी अपनी जाँघों के बीच रोहित के कड़क लण्ड को रगड़ खाते महसूस कर उत्तेजित हो रही थी।

रोहित ने अपने दूसरे हाथ को भी मेरी कमर पर लपेट लिया और मेरी पीठ गर्दन और कानों को चूमते हुए अपनी उंगलियो को मेरी चूत पर फिरा रहा था. वो अपनी उंगलियों को मेरी चूत में डालने की कोशिश तो कर रहा था. पर पीछे से उसके हाथ जो मेरी बांहों के नीचे से होते हुए मेरी कमर को घेरे हुए थे, इतनी नीचे तक नहीं आ पा रहे थे. इसीलिए उसे बस मेरी चूत को ऊपर से सहलाना पड़ रहा था।

रोहित अपने लण्ड को पूरी तरह मेरी जाँघों के बीच से आगे पीछे कर रहा था. जब उसका लण्ड पूरी तरह से मेरी जाँघों को भेदकर आगे जाता … तो उसके लण्ड का सुपारा मेरी कोमल चूत को नीचे से चूमता हुआ आगे आता और फिर वापस चला जाता।

मेरी चूत और उससे रिसता हुआ पानी … रोहित के लण्ड को हर बार एक गीला चुम्बन दे रही थी और अगला हर चुम्बन पहले से अधिक गीला और गर्म था. इसका यह परिणाम था कि रोहित और मेरी सांसे पहले से तेज और गरम हो गयी थी।

मेरा सारा ध्यान अब रोहित के लण्ड पर था जिससे मेरी काम करने की तेजी भी बहुत कम हो गयी थी. रोटियां बनाना उनको सेकना … इन सब में मुझे काफी समय लग रहा था. एक बार तो मेरा मन कर रहा था कि सारे काम यहीं रोक दूँ और खुल कर चुदाई करूँ!
पर मुझे खुद पर काबू पाना था।

भले ही उस दिन मैं रोहित के आने से कुछ देर पहले ही रोहन से चुदी थी पर रोहित ने मेरी वासना को फिर से पंख दे दिए थे।

कुछ देर बाद रोहित ने अपने लण्ड को वैसे ही आगे पीछे करते हुए अपने हाथों को मेरी कमर से हटाया और मेरी पैंटी को वापस से पहनाने लगा। आगे से तो मेरी पैंटी मुझे ठीक आ गयी पर रोहित का लण्ड मेरी जाँघों में फसा होने के कारण पीछे से मेरी पैंटी मेरे नितम्बों के नीचे ही थी।

मुझे समझ नहीं आया कि रोहित ये क्या कर रहा है. शायद वो अब यहीं रुकना चाहता था.
पर रोहित अभी भी मेरी जंघाओं को चोद रहा था.
और फिर वो तेजी बढ़ाते हुए अपना लण्ड जल्दी जल्दी चलाने लगा।

मैं समझ चुकी थी कि अब रोहित का स्खलन होने वाला है.
रोहित ने भी अपना लण्ड मेरी जाँघों के बीच से बाहर निकाला और मेरी गांड की दरार में अपने लण्ड का सुपारा ऊपर नीचे करने लगा. सीधे खड़े होने के कारण मेरे उभरे हुए नितम्बों में रोहित के लण्ड का सुपारा कहीं गायब ही हो गया था.

परंतु कुछ ही पलों में मुझे मेरी गांड के छेद पर लण्ड के सुपारे के साथ थोड़ा गीलापन भी महसूस हुआ.
और फिर रोहित ने हल्के झटकों के साथ अपना वीर्य स्खलन शुरू कर दिया।

‘आहाह हहह … उहह हहह …’ गर्म वीर्य का स्पर्श अपने शरीर पर पाकर मेरा मन में सिसकारियां फूटने लगी.
एक के बाद एक झटके और हर झटके के साथ वीर्य की धार निकल रही थी जो मेरे नितम्बों की दरार से बहते हुए मेरी चूत पर आ रही थी और वहाँ से नीचे गिर रही थी.

अब मुझे समझ में आया कि रोहित ने मुझे वापस पैंटी क्यों पहना दी थी।

रोहित के लण्ड ने करीब सात-आठ वीर्य की पिचकारियाँ चलाई थी. इतना वीर्य स्खलन कि मेरी गांड और चूत दोनों बुरी तरह उसके वीर्य से भीग चुके थे. चूत से वीर्य की गिरती हुई बूंदें मेरी पैंटी पर जमा हो रही थी।

झड़ने के बाद रोहित ने अपने लण्ड के गीले सुपारे को मेरे नितम्बों पर मलकर साफ कर लिया और अपना बॉक्सर ऊपर करके मुझे मेरी पैंटी को ठीक से पहना दिया और मेरे गाउन को वापस नीचे कर दिया।

सब कुछ व्यवस्थित करने के बाद रोहित मेरी पीठ को फिर से चूमने लगा.

मैंने कहा- कितना माल जमा कर रखा था तूने रोहित? मुझे पूरा गंदा कर दिया. अब मुझे फिर से नहाना पड़ेगा।

रोहित ने कहा- मौसी, जबसे मुझे पता चला कि होस्टल लेने से पहले मैं आपके घर रहूंगा, तब से मैंने अपने लण्ड को सिर्फ आप ही के लिये तैयार रखा था. कि जब आप मिलोगी तो आपकी चूत को अपने वीर्य से भर दूंगा पर आपने तो मेरी मेहनत ही बेकार कर दी।

मैंने हँसते हुए कहा- कोई बात नहीं राजा … तेरी मेहनत अभी बेकार नहीं गयी है. मेरी पैंटी और टांगों के बीच बह रही है।
मेरी इस बात पर हम दोनों हँसने लगे.

मैंने रोहित से कहा- अब जाओ और अपना सामान बाथरूम में जाकर ठीक से साफ कर लो. अब तो मैं तुम दोनों को खाना खिलाने के बाद ही नहाऊंगी।
रोहित मेरे होंठों पर एक चुम्बन देते हुए अपने रूम की तरफ चला गया.

मेरी टांगों के बीच गीली पैंटी की ठंडक मुझे मेरी चूत और जाँघों पर महसूस हो रही थी. ऐसी चिपचिपाहट में रहना थोड़ा अजीब था.
अगले दो-तीन मिनट में खाना तैयार हो गया।

मैंने खाना डाइनिंग टेबल पर लगाया और दोनों लड़कों को आवाज़ दी.
कुछ ही देर में दोनों आ गए और फिर हम तीनों ने मिलकर खाना खाया और इधर उधर की बातें की।
फिर मैंने खाना खिलाकर उनको सोने के लिये कहा और अपने रूम में आ गयी।

रूम में आते ही मैंने अपना गाउन उतार दिया और ब्रा पैंटी मैं ही ड्रेसिंग टेबल के सामने खड़ी होकर अपनी हालत देखने लगी।
मेरी पैंटी पूरी तरह भीगी हुई थी और मेरी जाँघों चूत और नितम्बों से चिपक गयी थी। मेरी जाँघों पर भी वीर्य का थोड़ा गीलापन महसूस हो रहा था।

मैंने देर ना करते हुए खड़े खड़े ही अपनी पैंटी को उतारा और उसे उल्टा करके देखने लगी.

रोहित का वीर्य अभी तक उसमें भरा हुआ था. मैं पैंटी को थोड़ा और ऊपर अपने चेहरे के पास लायी और अपनी नाक से उसे सूंघने लगी.
जैसे ही वीर्य की सुगंध मेरे नथुनों में समायी… आआआहह हहहह … कितनी मादक खुशबू थी.

मैंने कुछ और पल उसको सूंघा और फिर अपनी जीभ निकालकर, जहाँ जहाँ वीर्य का कुछ हिस्सा बचा हुआ था, वहां से उसे चाटने लगी।

मैं रोहित की मेहनत को ऐसे ही बर्बाद नहीं जाने देना चाहती थी. मलाई समान वीर्य का स्वाद भी काफी स्वादिष्ट था. धीरे धीरे करके मैंने अपनी पैंटी पर से सारा वीर्य चाट लिया.
फिर मेरी नज़र शीशे में से मेरी चूत पर गयी जो कि शायद अभी भी रोहित के रस से गीली थी।

मैंने कमर के बल नीचे झुककर अपनी पैंटी को अपने सीधे हाथ में लिया और अपनी टांगों के बीच लेजाकर अपनी गांड को पैंटी से पोछते हुए नीचे अपनी चूत तक को साफ किया और फिर अपनी ब्रा को उतारकर बेड पर फेंकते हुए अपनी पैंटी को हाथ में लेकर बिल्कुल नंगी बाथरूम के अंदर नहाने चली गयी।

नहाने के बाद मैं अंदर आयी और खुद को टॉवल से पोछ कर साफ पैंटी और ब्रा पहनकर ऐसे ही बिस्तर पर लेट गयी।

तभी मुझे याद आया कि ट्रिप के दौरान जब रोहित ने मुझे नंगी देख लिया था तो मेरे कहने पर रोहन ने रोहित से बात की थी और मुझे बताया था कि वो दोनों काफी फ्रैंक हैं और कभी कभी एक दूसरे की मुट्ठी भी मार देते हैं।

मैं सोचने लगी कि क्या आजकल के लड़के … और वो भी कजिन भाई आपस में ऐसा कर सकते हैं. और यहाँ तक कि उन दोनों में ये भी बात हुई थी कि उन दोनों ने अपनी अपनी मम्मियों को नंगी देखा है.
मेरे लिए बच्चों द्वारा अपनी मम्मियों को नंगी देखना कोई बड़ी बात नहीं थी. मुझे याद है जब मेरा बेटा रोहन मुझे अपने पापा से चुदते हुए खिड़की से देखता था।

अगर आपने भी ऐसा कुछ देखा है तो आप मुझे एक छोटा सा लेख लिखकर बता सकते हैं.

पर आपस में एक दूसरे की माँ के बारे में ऐसी बातें करना और एक दूसरे के गुप्तांगों को सहलाना थोड़ा अजीब लगता है.
और अब तो वे दोनों साथ ही रहने वाले थे … अब ना जाने और क्या क्या गुल खिलाने वाले थे।
यह कोई चिंताजनक बात नहीं थी … मैं तो बस यह सब देखने की जिज्ञासा रखती थी।

मैंने रोहन से इस बारे में बात करने का फैसला किया. मैं रोहन से वो हर बात जानना चाहती थी जो उन दोनों में होती थी.
इसी कशमकश मैं मेरी नींद लग गयी।

कुछ देर बाद जब डोरबेल बजी तो मेरी नींद खुल गयी.

आगे की मौसी की चुदाई कहानी अगले भाग में!

 

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पारिवारिक चुदाई की कहानी-8




मेरी पिछली कहानी

में आपने पढ़ा कि उत्तेजनावश किस तरह रोहित ने मेरी जांघों को चोद कर अपने लण्ड को शांत किया।

अब आगे:

कुछ देर बाद जब डोरबेल बजी तो मेरी नींद खुल गयी. समय देखा तो पांच बजने को थे और ये समय अन्नू के स्कूल से लौटने का था। मैंने उठकर वापस से वही गाउन पहन लिया और दरवाज़ा खोलकर अपनी बेटी को अपनी बांहों में लेकर अंदर आयी।

अन्नू के रूम में जाने के बाद मैंने सबके लिए चाय बनाई और फिर हम सबने खूब बातें की.

कुछ देर बाद अन्नू और रोहित टीवी देखने हॉल में चले गए और कमरे में मैं और रोहन ही थे।

मुझे इस विषय में बात करने के लिए इससे बेहतर समय नहीं मिल सकता था। मैंने रोहन से अपने मन की बात बता दी, कहा- मैं वाकयी देखना चाहती हूं कि तुम दोनों क्या करते हो।
रोहन मेरी बात सुनकर बोला- मम्मी हम दोनों एक दूसरे को दोस्त से भी बढ़कर मानते हैं. और आज रात मैं आपको हम दोनों के बीच क्या होता है, वो सब कुछ दिखाऊँगा और सुनाऊँगा भी।

मैंने कहा- कैसे?
रोहन ने कहा- वो आप मुझ पर छोड़ दो. पापा साढ़े ग्यारह बजे तक सो जाते हैं. मैं आपको उसके बाद वीडियो कॉल करूँगा. आप बस कॉल पिक कर लेना और सब कुछ देखना और सुनना।

रोहन मेरे सामने ही उठा और अपने बैग से टेबलेट निकाला. और उसे उसने अपने बिस्तर के पीछे लगी हुई कांच की अलमारी में किताबों के बीच रख दिया.
फिर मुझसे कहा- मम्मी, यहाँ से आपको सब दिखाई भी देगा और सुनाई भी देगा।

मैंने रोहन की समझदारी की दाद देते हुए शाबाशी दी और फिर उठकर घर के काम करने लगी।

रात होने को आई तो रवि भी आफिस से वापस आ गए और फिर मैं रात के खाने की तैयारियाँ करने लगी।

रात को दस बजे तक हम सब लोग खाना खा कर फ्री हो गए. फिर ग्यारह बजे के आसपास सब लोग अपने अपने रूम में सोने चले गए।

मैं रूम में थोड़ा देर से पहुँची ताकि रवि सो जाए और मैं रोहन को वीडियो कॉल कर सकूं और हुआ भी ऐसा ही।

मैं बैडरूम के अंदर कुर्सी पर बैठी हुई थी. तभी रोहन का वीडियो कॉल आया. उसने रोहित के बाथरूम जाते ही कॉल ऑन कर दिया और वापस से टेबलेट को वैसे ही सेट कर दिया।

तभी रोहित भी आकर रोहन के बगल में लेट गया. दोनों लड़के बॉक्सर में थे।
तभी रोहन ने बात स्टार्ट करते हुए कहा- रोहित … मैंने जो मंगाया था, वो लाया है?

रोहित- हाँ … लाया हूँ.
इतना बोलकर रोहित ने अपने मोबाइल में कुछ खोजना शुरू कर दिया.
जब वो मिल गयी तो उसने रोहन को दिखाते हुए कहा- ये लो।

रोहन ने रोहित के मोबाइल को अपने हाथों में लेकर कहा- आहह यार … दिन बना दिया तूने तो!
वो कोई फ़ोटो थी … जब रोहन ने उसे ज़ूम किया तब मुझे हल्का सा दिखा कि वो किसी की नंगी तस्वीर है.

उसने एक के बाद एक कई तस्वीरें देखी और वापस रोहित को मोबाइल देते हुए कहा- मौसी तो बहुत मस्त दिखती हैं।

मुझे यह समझते देर नहीं लगी कि वो नंगी फ़ोटो मेरी बड़ी बहन पूजा की थी.
रोहन ने फिर रोहित से कहा- रोहित … तूने अपनी और मेरी मम्मी दोनों को नंगा देखा है. दोनों में ज्यादा सेक्सी कौन है?

मैं दोनों की बातों को बड़ी ही हैरानी से सुन रही थी और उनका लुत्फ उठा रही थी।

रोहित ने दो पल सोचते हुए कहा- वैसे तो सोनाली मौसी बहुत सेक्सी हैं. पर मेरी मम्मी का फिगर मौसी से ज्यादा है तो मम्मी भी कुछ कम नहीं हैं।

मेरी बड़ी बहन पूजा मुझसे दो साल बड़ी है और उसका शरीर मुझसे ज्यादा भरा और गदराया हुआ है. इसमें कोई शंका की बात नहीं थी कि रोहित बिल्कुल सही कह रहा था. मैंने भी कई बार पूजा दीदी को कपड़े बदलते हुए देखा था. उनके मम्में मेरे स्तनों की तुलना में काफी बड़े पर थोड़े लटके हुए हैं. जबकि मेरे बोबे कसे हुए पर उनसे थोड़े छोटे हैं।

रोहित का जवाब सुनकर रोहन ने उसे छेड़ते हुए कहा- हाय मम्मी के आशिक!
और दोनों हँसने लगे।

फिर रोहन ने अपने मोबाइल पर एक पोर्न लगाई और दोनों उसे देखने लगे. पोर्न देखते देखते दोनों ने बॉक्सर के ऊपर से ही एक दूसरे का लण्ड सहलाना शुरू कर दिया।

पोर्न खत्म होने के बाद रोहन ने अपना मोबाइल एक तरफ रख दिया। रोहित अभी भी लेटा हुआ था लेकिन रोहन उठ कर रोहित की टांगों के पास बैठ गया. फिर उसने एक एक करके रोहित के सभी कपड़े उतार दिए.
और आखिर में उसकी चड्डी उतारकर उसके खड़े लण्ड को भी आजाद कर दिया।

अब बारी रोहित की थी.
रोहित को नंगा कर रोहन उसके लण्ड की मुट्ठी मारते हुए खुद बिस्तर पर लेट गया. फिर रोहित भी उसी तरह रोहन के कपड़े उतारने लगा।

पर रोहन का बॉक्सर उतारते ही वो चौंक गया. क्योंकि उस समय रोहन मेरी दी हुई लाल पैंटी पहने हुए था. और उसके खड़े लण्ड का सुपारा पैंटी के ऊपर से बाहर निकला हुआ था. जैसा कि आप लोग जानते हैं कि पैंटी का साइज मर्दों की चड्डी से काफी छोटा होता है।

रोहित ने आश्चर्यचकित होते हुए रोहन से कहा- रोहन, ये तुम किसकी पैंटी पहने हो?

रोहन ने कहा- आज मेरी चड्डी साफ नहीं थी तो मम्मी की पैंटी पहन ली है।
रोहित ने पूछा- क्या उन्हें पता है?
तो रोहन ने उत्तर दिया- हाँ … मम्मी ने ही दी है पहनने के लिए।

कुछ पल सोचने के बाद रोहित ने कहा- लगता है मौसी काफी घुली मिली हुई है तेरे साथ!
और फिर उस लाल पैंटी को रोहन की टांगों से खींचकर अलग कर दिया।

रोहन को नंगा कर रोहित उसके ऊपर लेट गया. दोनों के नंगे जिस्म आपस में रगड़ खा रहे थे और उन दोनों के लण्ड भी एक दूसरे को ठोकर दे रहे थे. रोहन रोहित के नीचे था.

फिर दोनों ने एक दूसरे के चेहरे को चूमना शुरू कर दिया। फिर रोहित नीचे की तरफ होते हुए रोहन की छाती तक आया और उसके छोटे छोटे निप्पलों को चूसने लगा. साथ ही वो अपना लण्ड रोहन से लण्ड से रगड़ रहा था.

इस खेल में दोनों ठंडी ठंडी आहें भर रहे थे।

कुछ देर बार रोहित रोहन के शरीर से अलग हो गया. अब रोहन उठा और उसने रोहित को अपने नीचे लेटाकर उसके शरीर से खेलना शुरू कर दिया. वो भी रोहित के निप्पल्स, उसके पेट को चूम रहा था … साथ ही उसके लण्ड को भी हिला रहा था।

फिर कुछ ऐसा हुआ जो कि मेरे लिए कल्पनामात्र ही हो सकती थी.

रोहित उठा, उसने रोहन को टांगें फैलाकर बिठा दिया और खुद उसकी टांगों के बीच आकर घुटनों के बल बैठ गया और झुककर रोहित के लण्ड को अपने मुंह में ले लिया।

कैमरे से दृश्य कुछ ऐसा था कि रोहन अपनी टांगें फैलाये अपने हाथों को बिस्तर पर टिकाकर सीधा बैठा था. उसका चेहरा कैमरे के सामने था और रोहित के उठे हुए नितम्ब भी.

मैं रोहित को रोहन का लण्ड चूसते हुए तो नहीं देख पा रही थी पर जिस तरह से उसका मुंह ऊपर नीचे हो रहा था; उससे तो यही लग रहा था।

थोड़ी लण्ड चुसाई के बाद रोहन ने अपने हाथ से रोहित के सर को अपने लण्ड पर दबा दिया जिससे रोहन का लण्ड रोहित के गले तक घुस गया.

रोहित इसके लिए तैयार नहीं था; उसने अपने मुंह से लण्ड को निकालते हुए जोर जोर से खाँसना शुरू कर दिया और रोहन से कहा- क्या कर रहे हो ये … जितना जाएगा उतना ही तो मुँह में ले पाऊँगा!
रोहन ने कहा- सॉरी यार, मुझसे कंट्रोल नहीं हुआ।

रोहित ने कहा- ठीक है … हम दोनों ये काफी समय से करते आ रहे हैं … पर तूने आज तक मेरा लण्ड नहीं चूसा … और मैं तेरा लण्ड इसीलिए चूस लेता हूं कि मुझे तेरा लण्ड बहुत सेक्सी लगता है. मैं ही नहीं किसी का भी मन कर जाए इसे चूसने का!
और वो फिर से रोहन का लण्ड चूसने लगा।

उन दोनों की बातें सुनकर और उन्हें देख देख कर मैं भी उत्तेजित हो रही थी और मेरी चूत भी भीग रही थी. जिसका अंदाजा मुझे अपनी गीली पैंटी का स्पर्श पाकर हो रहा था.

रोहित द्वारा रोहन की लण्ड चुसाई देखकर मुझे भी रोहन के लण्ड की चुसाई याद आ गयी.
‘आआ अअहह हहह … रोहन का गोरा मोटा लण्ड … गोरी चमड़ी से ढका हुआ उसका सुपारा और उस चमड़ी पर चमकती हुई हरी नसें’

जब रोहन का लण्ड पूरा खड़ा हो जाता था तो उसका सुपारा चारों तरफ से सफेद खाल से घिरा रहता था, बस थोड़ा ऊपरी हिस्सा ही नज़र आता था जो केवल चुदाई और चुसाई के समय ही बाहर निकलता था.

शायद रोहित सही कह रहा था कि कोई भी उसका लण्ड चूसना चाहेगा।

कुछ देर बाद रोहित ने अपने मुंह से लण्ड को निकाला. दोनों लड़के उठ कर बैठ गए और एक दूसरे के सामने घुटनों के बल खड़े होकर एक दूसरे की मुट्ठी मारने लगे.

दोनों के लण्ड एक दूसरे के सामने थे और तेजी से एक दूसरे की मुट्ठी मार रहे थे.

एकाएक रोहन ने झटकों के साथ झड़ना शुरू कर दिया. उसके वीर्य की धार लण्ड से निकलकर सीधे रोहित के पेट कमर के नीचे के हिस्से पर गिर रही थी. यहाँ तक कि वो अपने जिस हाथ से रोहित के लण्ड को सहला रहा था वो भी उसके खुद के वीर्य से गीला हो गया।

रोहन के गर्म वीर्य को अपने शरीर पर पाकर रोहित भी नहीं टिक पाया और उसके लण्ड ने भी अपना वीर्य उगल दिया. और उसने भी रोहन के शरीर को भिगा दिया.

दोनों के शरीर वीर्य से लथपथ थे. उनके वीर्य की कुछ बूंदें बेडशीट पर भी गिर गयी थी. पर वे दोनों इस बात से अनजान थे … और मैं भी।

झड़ने के बाद दोनों अलग हो गए और उसी तरह बिस्तर पर पीठ के बल लेट गए.

कुछ देर बाद दोनों लोग उठकर बाथरूम जाने लगे.
रोहित के बाथरूम जाते ही रोहन ने कैमरे की तरफ फोन काटने का इशारा किया और वो भी बाथरूम की तरफ चला गया।

मैंने कॉल डिसकनेक्ट करते हुए मोबाइल में समय देखा तो साढ़े बारह बजने को थे.

उन दोनों को देखकर मैं भी गर्म हो चुकी थी.
कमरे की लाइट बन्द थी तो मैं धीरे से सोफे से उठी और बिस्तर पर आकर बैठ गयी।

मैंने अपने गाउन की चैन खोलकर अपने गाउन को मम्मों तक नीचे किया. और अपने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा के हुक को खोलते हुए उसे अपने शरीर से अलग कर दिया और वहीं पास टेबल पर रख दिया और वापस से गाउन ठीक करके बिस्तर पर लेट गयी।

मुझे नींद नहीं आ रही थी और ऊपर से मेरे शरीर की गर्मी मुझे चुदाई के लिए उकसा रही थी.

मैंने सिर घुमा कर देखा तो मेरे पति रवि मेरी तरफ पीठ करके लेटे हुए थे. मैं सरक कर उनके पास गई और उनकी पीठ से चिपक कर सोने लगी.
मेरा हाथ उनके हाथों के ऊपर से होता हुआ उनकी छाती को छू रहा था।

मेरी नाक से निकलती हुई गर्म सांसें रवि की गर्दन पर पड़ रही थी और मेरे मम्में उनकी पीठ पर दब रहे थे.

कुछ समय बाद जब रवि को इसका अहसास हुआ. तो उन्होंने मेरी तरफ करवट लेते हुए मेरी तरफ देखा और मुझे जागता हुआ पाकर मुझसे पूछा- क्या हुआ … अभी तक जाग रही हो?
मैंने कहा- कुछ नहीं … बस नींद नहीं आ रही।

मेरी बात सुनकर उन्होंने मेरे सिर को उठाकर अपने एक हाथ को मेरे सिर के नीचे लगा दिया. और दूसरा हाथ गाउन के ऊपर से ही मेरी पीठ पर फेरने लगे और अपने होंठों से मेरी आँखों और माथे को चूमते हुए मुझसे बोले- कोई बात नहीं … अभी आ जाएगी नींद।

रवि का इस तरह प्यार जताना मुझे काफी पसंद आया और मैंने प्रतिउत्तर में अपने होंठों से उनके होंठों को चूम लिया. मस्ती में उन्होंने भी वापस मेरे होंठों पर एक जोरदार चुम्बन दे दिया.

कुछ देर ऐसा ही चला. दोनों एक दूसरे को एक से बढ़कर एक चुम्बन दे रहे थे … नींद तो मानो कब की गायब हो चुकी थी दोनों की।

फिर मैंने अपनी गाउन की चैन को अपने पेट तक पूरा खोल दिया. चैन खोलते ही मेरे मम्मे गाउन से बाहर आ गए. मैंने रवि का हाथ पकड़कर उसे अपने गाउन के अंदर अपनी कमर पर रख दिया।

रवि भी आगे का इशारा समझकर मेरी नंगी पीठ को सहलाने लगे. कभी वो मेरे उरोजों को दबाते … कभी उनके निप्पल्स खींचते और उन्हें चूमते … तो कभी मेरी नाभि की गहराई तक अपनी उंगली डालकर उसे कुरेदते।

इन सबके कारण मेरी हल्की उफ्फ्फ … हइईई की सीत्कार निकल रही थी. मेरा हाथ भी रवि के पेट से होता हुआ उनके पायजामे के अंदर उनकी चड्डी में चला गया.
आआअअ अअअहह … उनके खड़े लण्ड का स्पर्श पाकर मैंने उसे अपने हाथों में जकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

अब शायद आगे बढ़ने का समय आ चुका था. रवि उठकर बैठ गए … उन्होंने अपने कपड़ों को उतारकर वही बिस्तर पर डाल दिये.
और फिर मेरे पति ने मेरे गाउन को मेरी टांगों से उठाना शुरू किया और मेरी कमर पर लाकर रुक गए.
फिर मेरी पैंटी को भी मेरी टांगों से निकालकर अलग कर दिया।

स्थिति कुछ ऐसी थी कि मैं बिस्तर पर लेटी हुई थी … कमर से नीचे तक बिल्कुल नंगी; जिससे मेरी गोरी लम्बी टांगें और उसके बीच मेरी गीली चूत जिस पर हल्के हल्के रुई जैसे बाल … ऊपर से मेरा गाउन वी शेप में खुला हुआ था जिससे मेरे मम्मे बाहर निकले हुए थे और नीचे नाभि तक आते आते मेरा गाउन बंद था।

रवि ने मेरी टांगों के पास आकर मेरी एक टांग उठाई और दूसरी टांग को फैलाकर दूर कर दी. मेरी उठी हुई टांग को अपने हाथों से पकड़कर दूसरे हाथ से अपना लण्ड मेरी चूत पर लगाकर उसे अंदर करने लगे. कुछ ही सेकंड में मेरे पति मेरी चूत की गहराई में अपने पूरे लण्ड को उतार दिया।

रवि का लण्ड चूत में जाते ही मैं कराह उठी- आआ आहहह हह … रवि … ऊउफ़्फ़!

अभी बस लण्ड घुसा ही था; चुदाई तो शुरू भी नहीं हुई थी और मैं बिल्कुल पागल सी सिसकार रही थी.
मैंने अपनी आँखें बंद की और रवि के लण्ड पर अपनी चूत को दबाते हुए उन्हें चुदाई आरंभ करने का इशारा दिया।

बस फिर क्या था … रवि के धक्के और मेरी सिसकारियां … जितने तेज रवि के धक्के हो रहे थे, उतनी तेज मेरी सिसकारियां।

मेरा मुँह बन्द करने के लिए रवि ने अपना एक हाथ बिस्तर पर रखा और दूसरा हाथ मेरी टांग से उठाकर मेरी कमर पर रख दिया. इससे मेरी टांग उनकी दोनों बाजुओं के बीच कैद हो गयी और फिर नीचे झुककर मेरे होंठों को चूमते हुए अपने लण्ड को मेरी चूत के अंदर बाहर करने लगे।

हमारी जिह्वायें एक दूसरे के मुख को खंगाल रही थी और गीले होंठों की तपिश … पुच पुच की आवाज़ें कर रही थी.

काफी देर की चुदाई के बाद मैं अपने होंठों को अलग करते हुए सिसकारती हुई बोली- आअह्ह ह्ह्ह … हाए … आअह्ह … चोद दीजिये … जोर से … और जोर से … उफफ्फ … मेरा भी निकलने वाला है … हाए मारिये मेरी चूत … ऐसे ही … ऐसे ही … हाँ!

एकाएक मैंने झड़ना शुरू कर दिया. मेरी रस की गर्मी और गीलापन ज्यादा देर तक रवि झेल नहीं पाए और जल्द ही वे भी झड़ने लगे- आआआ अह्हह ह्ह्ह ह्ह्हह … मेरा भी निकल रहा है … मेरा भी निकल रहा है.
और मेरी चूत को अपने गर्म वीर्य की धाराओं से भरने लगे।

झड़ने के बाद रवि ने मेरी पैंटी उठाई और पैंटी को मेरी चूत के नीचे रखते हुए अपना लण्ड मेरी चूत से बाहर निकालने लगे।

वीर्य से भीगे लण्ड के निकलते ही मेरी चूत से रस का एक सैलाब बाहर आया. जिसे रवि ने पैंटी से पौंछ कर साफ कर दिया और फिर अपने लण्ड को भी उसी पैंटी के सूखे हिस्से से पौंछकर उसे जमीन पर डाल दिया।

रवि ने मेरा गाउन वापस से ठीक कर दिया. मैं लेटी हुई मुस्कुराती हुई ये सब देख रही थी..

और फिर रवि अपनी चड्डी पहनकर मुझे अपने सीने से लगाकर लेट गए.
कुछ देर बाद उनकी बांहों में लेटे ही मुझे नींद आ गयी।
 

junglecouple1984

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मेरी वासना और पागल भिखारी का लंड-1



नमस्कार मैं आपकी सुरभि पांडेय, उम्र वही जो चाह आज के नवयुवकों की यानि कि 29 वर्ष।

मेरे बारे में बस इतना जान लीजिए कि मेरा अपना तो पता नहीं पर लड़कों की नजर में मैं पूरी जन्नत थी। उसकी वजह थी मेरा शरीर!

मेरा बदन पूरा भरा हुआ गुदगुदा बदन है. जो भी मुझे देखे, बस अपने बिस्तर पर लिटाने का ख्वाब देख ले। मेरे बदन के दो सबसे आकर्षक हिस्से है पहला मेरे स्तन, जो 34C के आकार के हैं. और इतनी चुदाई के बाद भी ढीले नहीं पड़े हैं.

और दूसरा सबसे आकर्षित करने वाला भाग है मेरी जाँघें.
पता नहीं … मेरी जांघों में ऐसी क्या बात है … पर आज तक जितनों से भी चुदी हूं सब मेरी जाँघों से लिपटे रहते हैं और सब मेरी मोटी और ऊपर की ओर उठी हुई जाँघों की प्रशंसा जरूर करते हैं।

मैंने अपनी जवानी में 20 वर्ष की उम्र तक कभी भी चुदाई का मौका नहीं छोड़ा। यहां तक कि मैं एक बार अर्धवार्षिक परीक्षा में पास होने के लिए 52 वर्षीय हेमन्त सर का लंड चूस कर माल पी गयी थी.

पर उसके बाद कभी मैंने उन्हें लिफ्ट नहीं दी क्योंकि मेरे पीछे लड़कों की फौज थी और नए व मोटे लंड की कोई कमी नहीं थी.

लेकिन शादी के बाद ये सब कम होता चला गया. मेरा जीवन काफी बदल गया था।
मेरे पति एम आर हैं जो बदन से खूब हट्टे कट्टे हैं और सिर्फ बदन से ही नहीं, उनके लिंग का साइज भी 8 इंच है और सबसे बड़ी बात वो चुदाई के बहुत शौकीन भी हैं।

उनसे शादी के बाद मैंने वो सारे चुदाई के आसन भी सीखे, जो शादी से पहले कभी किये सुने भी नहीं थे। हम पूरी रात में 3 से 4 बार सेक्स करते। मुझे किसी तरह की कोई दिक्कत नहीं थी।

मुझे तो मनचाहा पति मिल गया था जो मेरी गांड और चूत के छेद में कोई अंतर नहीं समझता था। वो जितना प्यार मेरी चूत से करते, उससे भी कहीं ज्यादा प्यार वो मेरी गांड को देते।
दोनों को ही अपने लन्ड व जीभ से भरपूर प्यार करते।

जबसे मेरी शादी हुई थी उनकी चुदाई पाकर मैं और गदराए गुलाब की तरह खिल गयी थी। मेरे निप्पल पहले से मोटे व बड़े हो गए थे। आखिर हों भी क्यों न … पूरी रात छोटे बच्चों की तरह उसे चूसते रहते।

खैर हमारी प्यार भरी जिंदगी खूब मजे से चल रही थी.

पर शादी के लगभग एक वर्ष बाद उनका तबादला लखनऊ हो गया। मैंने उनसे मुझे साथ ले जाने की बात की पर उन्होंने यह कहकर टाल दिया कि मां पिताजी के साथ कौन रहेगा, उनका ख्याल कौन रखेगा और मैं हर शनिवार को तो आऊंगा।

शुरू में तो वो अपने वादे पर कायम रहे, पर धीरे धीरे वो महीने में एक बार आने लगे। वो जब भी आते हम रात को सोते नहीं, पूरी रात में 4 से 5 बार सेक्स करते. पर पूरे महीने की आग एक रात में थोड़ी न मिटती है।

फिर धीरे धीरे उनका आना और कम होता गया। एक बार वो लगातार 3 महीने घर नहीं आये, मैं फ़ोन पर उनसे बात कर उंगली कर लेती. खाली समय में Xforum पढ़ कर चूत में 3 से 4 उंगलियाँ सुपुर्द कर देती. पर उंगली य बैंगन कभी लन्ड की जगह नहीं ले सकते।

जब वो 3 महीने घर नहीं आये, उसी दौरान एक ऐसा वाकया हुआ जिसे याद करके मैं आज भी रोमांचित य उत्तेजित हो जाती हूँ. मेरी कहानी उसी घटना के बारे में है।

उस दिन पिताजी और माताजी को दर्शन के लिए चित्रकूट निकलना था. तो मैंने जल्दी से सारी पैकिंग कर दी. खाना आज सुबह ही बना दिया था।
11 बजे तक मां पिताजी खा पीकर ट्रेन पकड़ने के लिए निकल पड़े। अब उन्हें अगले दिन आना था।

मैं भी खा पीकर 12 बजे दोपहर तक बिस्तर पर आ गयी।

आज मेरे मन में अजीब सी हलचल हो रही थी, सुबह से ही चूत ने अपना मौसम बना लिया था। मेरे मन में अब बस एक बात थी कि पतिदेव के पास फ़ोन करूँगी और खूब सारी गंदी बातें करके चूत में उंगली करूँगी. पर आज उनका भी दिमाग खराब था, मेरे 10 फ़ोन के बावजूद उन्होंने कॉल नहीं रिसीव की।
मुझे गुस्सा आ गया था, पर क्या करती।

मैं रसोई से एक मूली ले आयी और Xforum पर गंदी चुदाई की कहानियां पढ़ने लगी। पढ़ते पढ़ते कब सिसकारी लेते हुए मैंने चूत में मूली पेवस्त कर ली मुझे पता ही नहीं चला. हवस पूरी तरह मुझ पर हावी थी.
ऐसे करते करते ही मैं तेज सिसकारी लेते हुए बिस्तर पर झड़ गयी।

कुछ देर ऐसे ही निढाल पड़ी रही फिर भीगी हुई मूली को चूसते हुए बाथरूम की तरफ चल दी. पूरे शरीर में गर्मी का अहसास हो रहा था।

बाथरूम में फ्रेश होकर मैंने चेंज किया, एक ढीली मैक्सी डाली और बाहर आई।
घड़ी में देखा तो 2 बजने को थे।

मैं बोर हो रही थी तो बाहर बालकॉनी में आई तो देखा कि पास के सभी छोटे बच्चे एक फटे पुराने कपड़े पहने हुए पागल को मार रहे थे।
मैंने उन बच्चों को डांटा तो वे भाग गए और वो पागल मेरे घर के नीचे आकर हाथ जोड़कर खड़ा हो गया।

मुझे उस पर बहुत दया आयी, मैं नीचे गयी, उसे वहीं बैठने का इशारा किया।
उसने बताया कि उसे भूख लगी है।
खाना अभी भी बचा हुआ था तो मैं अंदर से खाना ले आयी।

मैं उसे खाना दे ही रही थी कि तभी मेरी नजर उसके फटे हुए पैंट से लटकते हुए लन्ड पर गयी, मैं तो सिहर गयी। उसका सोता हुआ लन्ड भी 6 इंच से ज्यादा ही था। मेरा गला ही सूख गया। मैं उसे बिना खाना दिए, खाना वहीं छोड़कर घर की तरफ लपकी।
मुझे नहीं पता कि मैंने ऐसा क्यों किया, पर उस वक्त मुझे यही सूझा।

मैं लगभग 5 मिनट अंदर ही रही, फिर मैं बाहर निकली ये देखने कि वो गया या अभी है।
वो वैसा ही बैठा था, उसने खाना भी नहीं लिया था।

मैंने उसके चेहरे को देखते हुए पूछा- खाना नहीं है क्या?
उसने फिर अपने हाथ फैला दिए।

मैं उसके थोड़ा पास गई, बर्तन से खाना निकाल कर पत्तल पर रखा। मेरी नजर उसके मोटे लन्ड पर ही रुक जा रही थी। उसका लन्ड मेरे पति से काफी बड़ा था।

मेरे अंदर झुरझुरी सी हो रही थी, मैं ये मौका खोना नहीं चाहती थी। मैंने सोचा अगर इसे चोदना नहीं भी आता होगा तो कम से कम इतना मोटा लन्ड अपने जीवन में चूस तो लूँगी।
Xforum की सारी कहानियां मेरे दिमाग में घूम रही थी।

मैंने अपने आस पास देखा, एक दो छोटे बच्चों के अलावा कोई नहीं था। मेरी Xforum ने कहा कि इससे अच्छा मौका नहीं मिलेगा।
मैंने उसके खाने की थाली उठा ली और कहा- अंदर बैठकर खाओ, यहां धूप है।

वो बिना कुछ बोले उठ गया और पीछे पीछे आ गया। वो खाना खाने लगा.
वो खाना खा रहा था और मैं आगे का प्लान बना रही थी कि कैसे इसके लन्ड को मुँह में लेकर चूस सकूँ।

मैंने बात आगे बढ़ाने के लिए उससे कहा- आज कुछ ज्यादा ही गर्मी है.
उसने सिर्फ हाँ में सिर हिला दिया।

मुझे मेरा प्लान बेकार होता दिख रहा था. पर मैंने भी ठान लिया था कि किसी भी कीमत पर ये मौका जाने नहीं दूंगी।
मैंने कहा कि मुझे तो बहुत गर्मी लग रही है,मैं ये उतार देती हूं.
ऐसा कहते हुए मैंने सिर के ऊपर से मैक्सी निकाल दी।
बहुत हिम्मत दिखाई थी मैंने … अब मैं सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थी उसके सामने।

मेरे 34″ की चूचियों ने अच्छे अच्छे को हिला दिया था, ये कैसे बच पाता। मुझे उसके लन्ड में थोड़ी हरकत महसूस हुई। मुझे थोड़ी खुशी मिली.

पर मेरी खुशी तुरन्त गम में तब्दील होने लगी जब वो खाना खत्म करके बाहर की तरफ जाने लगा।
एक पल के लिए मुझे लगा कि सब खत्म!

मैं उस हाल में थी कि बाहर भी नहीं जा सकती थी। मैंने उसे वहीं से आवाज दी कि कपड़े लोगे? साहब के कपड़े।
उसके कदम ठिठक गए।

मैंने उसे अंदर आने का इशारा किया, वो फिर आ गया।
अब मेरा प्लान तैयार था।

मैं तुरंत अलमारी से 2 अच्छे कपड़े ले आयी और उसके सामने रख दिये।
मैंने उससे कहा- ये साहब के कपड़े हैं. इन्हें ऐसे नहीं पहनना, पहले नहा लो। ठंडा पानी है, नहा लो फिर पहनो।
वो बस देख रहा था.

मैंने हिम्मत करके उसका हाथ पकड़ा और बाथरूम की तरफ ले गयी. मैं खुद शॉवर ऑन कर दिया और उससे कपड़े उतारने को बोला।

मैं जल्दी से मेन गेट की तरफ गयी और उसे अंदर से बंद किया और वापस उसके पास आ गयी।

अब तक वह शर्ट उतार चुका था पर पैंट पर हाथ भी नहीं लगाया था। मैं झुक कर घुटनों के बल उसके पास बैठ गयी। मेरी नाक उसके पैंट की चैन के पास थी. पैंट के ऊपर से ही उसके लन्ड की बदबू मेरे नथुनों में घुसी जा रही थी। उसके चेहरे की तरफ देखते हुए मैंने उसके पैंट की बटन खोल दी, पैंट तुरन्त पांव में आ गिरी।

उसकी फ़टी हुई चड्डी में से उसके लन्ड के आगे का हिस्सा बाहर निकला हुआ था। मैंने जल्दबाजी नहीं की, उसे नहाने का इशारा किया.
वो शॉवर के नीचे आ गया।

अब उसके भीगी हुई चड्डी में उसका मोटा सांड सा लण्ड चिपका हुआ था। मौका देखकर मैंने भी अपनी ब्रा उतार दी और अपने 34 के चूचों को आजाद कर दिया. और धीरे धीरे मैं भी शावर के नीचे आ गयी।

मेरे हिलते हुए विशालकाय चूचों ने उसके लन्ड की हालत खराब कर दी थी। उसका मूसल जैसा लन्ड बाहर आने को तड़प रहा था। जब मैंने उसके हाथ अपने चूचियों पर रखे तो वो मचल पड़ा। उसने बिना कुछ बोले पूरी ताकत से मेरी चूचियों को भींचना शुरू कर दिया।

उसके हाथों की सख्ती से तो मैं पागल हो गयी, मैं तेजी से सीत्कार लेने लगी। मेरी चूत में चीटियों का झुंड रेंगने लगा था।
मैंने समय न गंवाते हुए तुरन्त पेटीकोट को शरीर से अलग किया और उसका सिर पकड़ कर पैंटी के ऊपर से ही अपनी जाँघों के बीच में दबा दिया।

वो पागल बहुत ही मंझा हुआ खिलाड़ी था, शायद वह चूत के चक्कर में ही पागल हुआ होगा। उसने अपनी नुकीली जीभ निकाल कर पैंटी के ऊपर से ही मेरी चूत को कुरेदने लगा। उस ठंडे पानी में खड़ी होकर भी मैं आग की तरह गर्म थी।

मैंने पैंटी को नीचे खिसका दिया. अब वो पूरी तरह से मेरी चूत का रसास्वादन कर रहा था और मैं पूरी ताकत से उसका चेहरा अपनी चूत में दबा रही थी। आखिरकार मेरे सब्र का बांध टूटा और मैं अपनी चूचुकों को बुरी तरह मसलते हुए उसके चेहरे पर गर्म लावा की धार छोड़ दी.

वो अब भी चूत छोड़ने को राजी नहीं था, वो चूत के रस की एक एक बूंद को चाट गया। मैं निढाल होकर बाथरूम में किनारे की ओर बैठ गयी।

उसने अब रंग दिखाना शुरू किया था, उसने अपना अंडरवियर नीचे कर दिया.

बाप रे बाप … ऐसा लग रहा था जैसे किसी इंसान को गधे का लन्ड दे दिया गया हो. खड़े होने पर उसके लन्ड का साइज 9 इंच था। उसका लन्ड किसी गुस्साए नाग की तरह फुफकार मार रहा था।
उसका लन्ड देखकर ही मेरे होश उड़ गये थे.

फिर मैं घुटनों के बल चलती हुई उसके लन्ड के पास आई और बगल में रखा हुआ साबुन लेकर उसके लन्ड पर रगड़ने लगी. उसके लन्ड को अच्छी तरह से धोने के बाद मैंने उसे पीछे गांड से पकड़ा और लन्ड के टोपे को अपने होंठों में जकड़ा और धीरे धीरे उसके मूसल लन्ड पर अपनी जीभ फिराने लगी।

मैं भी पुरानी रंडी थी, मर्द को काबू में करना जानती थी। मैंने उसके लन्ड को मुठ्ठी में लिया और उसके आंड पर जीभ फिराने लगी।
उसकी आंखें बंद होती चली गयी।

मैंने उसके पूरे आंड को मुँह में समा लिया और रसगुल्ले की तरह चूसने लगी. जादू तो तब हुआ जब मैंने उसके लन्ड को मुठियाते हुए एक उंगली उसके गांड के छेद पर लगा दी।

उसने मेरी मुट्ठी में ही लन्ड की स्पीड दुगुनी कर दी। इसी तरह मैं उसका लन्ड चूसती रही.

बमुश्किल मैं उसका आधा लन्ड ही मुख में ले पा रही थी. आधा लंड ही मेरे गले तक जा रहा था।

लगभग 10 मिनट की लन्ड चुसाई के बाद वो तूफान की तरह फट पड़ा। ऐसा लग रहा था जैसे वर्षों से उसका माल न छूटा हो.
मेरे पूरे मुंह नाक और होंठों पर उसका गाढ़ा माल था। उसका माल से सना हुआ लन्ड, जिसकी नसें फूली हुई थी और भी डरावना लग रहा था।

मैंने अपने फ़ोन से उसके लन्ड की कुछ तस्वीरें ली, फिर उसके लन्ड को अच्छी तरह से धुलवा कर उसे बाहर ले आयी और उसे अपने पति के कपड़े दिए पहनने के लिये.

उसे रूम में लाकर बेड पर बैठाया और फ़ोन देखा तो पतिदेव के 15 मिस्ड कॉल्स पड़ी थी।

मैंने पहले मां बाऊजी को कॉल किया क्योंकि मेरे दिमाग में रात का सीन साफ था, मैं इस मौके का पूरा फायदा लेना चाहती थी।
माँ ने तो साफ कह दिया कि वो अब कल दोपहर से पहले नहीं आ सकेंगी।

अब मैंने पति देव को कॉल किया तो उन्होंने पहले बात न करने के लिए क्षमा माँगी और उन्होंने हिदायत दी कि घर का दरवाजा अंदर से बंद रखूं।
मैंने कहा- आप चिंता न करें, वो दोपहर से बंद कर रखा है मैंने।
उनसे बात करके मैंने उन्हें तसल्ली दी कि मैं पूरी तरह सुरक्षित हूँ, फिर फ़ोन रख दिया।

अब मेरा रास्ता क्लियर था, तभी दरवाजे की घंटी बजी, मैं बुरी तरह डर गई।

मैंने जल्दी से अपने लण्डधारी यार को बाथरूम में छिपाया फिर कपड़े सही करते हुए गेट पर गयी।

गेट पर देखा तो पड़ोस वाली आंटी की बेटी मिष्टी खड़ी थी, उसे फावड़ा चाहिए था। मैंने उसे फावड़ा लाकर दिया और फिर गेट लॉक कर दिया और वापस अपने यार के पास पहुंची।

उन कपड़ों में वह मुझे मेरे पति परमेश्वर ही दिखाई पड़ रहा था। मैंने उसे होंठों पर एक जोरदार किस दी. बदले में उसने मेरी गांड को दबा दिया. मैं मुस्करा दी.

मुझे पता था कि मेरी आज की रात में कुछ खास होगा।

इन सब हरकतों में कब 6 बज गए पता ही नहीं चला। मैं उसे किस देकर किचन की ओर बढ़ गयी. अब समय था कुछ बनाने का।

उससे मैंने चाय के लिए पूछा तो उसने मना कर दिया और मेरी चूचियों की तरफ इशारा किया।
मैंने जवाब दिया कि जल्दी क्या है आज तो रात अपनी है.

ऐसा कहकर मैं किचन में आ गयी और गैस ऑन करके दूध रख दिया.
पर मेरे आशिक़ को तो जैसे चैन ही नहीं था, उसने पीछे से आकर मेरे स्तनों पर हमला बोल दिया, उन्हें दबाने लगा। वो मेरी गर्दन पर चूमने लगा।

अपनी गांड पर गर्म लन्ड का एहसास पाकर मैं भी आपा खोने लगी। मैं गैस पर रखे दूध को भूल गयी.
अरे जब अपना खुद का दूध उबाल पर हो तो गैस पर रखा दूध किसे याद रहता है।

वो मेरे दूधों से मैक्सी के ऊपर से ही खेल रहा था। उसके दोनों हाथ दूध से फिसलते हुए मेरी उठी हुई गोल गांड पर आकर रुक गए. वो मेरी गांड को किसी नर्म आटे की तरह गूँथने लगा। मेरी गांड से खेलते हुए वह बीच बीच में मेरे निप्पल्स मरोड़ देता, मेरी तो जान ही निकल जाती पर उसी सिसकारी में सेक्स का सारा मजा होता है।

मेरी गांड से खेलते हुए उसने मैक्सी को पीछे से ऊपर उठा दिया और मेरी गदरायी हुई नर्म गांड को कसी हुई गुलाबी पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा. फिर उसने मुझे कमर से पकड़ कर 90° डिग्री पर झुका दिया। मैं झुक गयी, मेरे हाथ किचन की रेलिंग पर आ गये।

उसने मेरी पैंटी को गांड से अलग कर दिया और उसे नीचे की ओर खिसका दिया। अब मेरी गोल, गोरी व उठी हुई गांड उसकी आँखों के सामने नंगी थी। मेरी गांड को देखकर वो पागल हो गया, उसने मेरी गांड पर चुम्मियों की बौछार कर दी। मेरी पूरी गांड को चूमने लगा।

चूमते हुए वो मेरी गांड के दोनों हिस्सों के बीच की दरार में अपनी जीभ फिराने लगा और घाटी में थूक की लड़ी बहा दी जो दरार से बहते हुए गांड के छेद पर जा रही थी।
मैं बस आंख बंद करके मन्द मन्द सिसकारी लेते हुए मजे लूट रही थी।

घाटी में थूकते हुए उसी घाटी के सहारे वो गांड के छेद तक पहुंच गया और अपनी जीभ गांड के छेद पर टिका दी।
गजब का एहसास होता है जब कोई गांड के छेद पर अपनी जीभ लगाकर उसे कुरेदता है.

और वो तो मेरी थूक से लथपथ गांड को ऐसे चाट रहा था मानो किसी जन्मों के भूखे को मीठी खीर मिल गयी हो।
वो पूरी शिद्दत से गांड के छेद को चूस रहा था.

कुछ देर चाटने के बाद उसने अपने लण्ड को पैंट से आजाद किया और मुझे घुमाकर मेरे होंठों पर रख दिया। मैंने जल्दी से अपनी जीभ उसके लण्ड के टोपे पर लगा दी और उस पर जीभ फिराने लगी।

उसने लण्ड मेरे मुंह में डालना शुरू कर दिया, मैं समझ गयी। मैंने जल्दी से थूककर उसका लण्ड गीला किया।
उसने मुझे वापस उसी अवस्था में झुका दिया 90 डिग्री पर और खुद घुटनों के बल आ गया और एक बार फिर से मेरी गांड के छेद को चूमते हुए उस पर थूकने लगा.

मेरी गांड को फिर से गीला करके वह उठा और अपने गीले लण्ड को मेरी गांड के छेद पर टिका दिया। उसके लण्ड के आगे का हिस्सा मेरी गांड पर किसी गर्म लोहे के छूने का अहसास दे रहा था। मैं अपने निप्पलों को धीरे धीरे दबा रही थी और मैंने अपनी आंखें बंद कर रखी थी।

उसने मेरा हाथ चूचियों से हटाया और अपने हाथों से निप्पल को मरोड़ते हुए एक जोरदार शॉट मारा.
उसका लगभग 4 इंच लण्ड एक बार में अंदर चला गया, मैं दर्द से चिहुंक गयी. पर उसके मजबूत हाथों ने मुझे पकड़ रखा था, मेरी आँखों से आंसुओं की धार निकल गयी.

लगभग 2 मिनट तक मेरी चूचियों से खेलने के बाद उसने दूसरा शॉट मारा. इस बार उसका आधा लण्ड मेरी गांड में समा गया. वो मेरी चूचियों को मींजता रहा. जब मुझे थोड़ा आराम मिला तो उसने अपनी कमर को हिलाना शुरू किया.

वैसे तो मैं बहुत चुदी थी और मेरी गांड भी खूब चली थी. पर इसका लन्ड किसी गधे के माफिक था जो किसी को भी रुला सकता था.
पर ऐसा लण्ड किसी किसी किस्मत वाली को ही नसीब होता है।

वो धीरे धीरे अपनी कमर की रफ्तार बढ़ा रहा था. अब मुझे भी मजा आ रहा था और मुझे भी किस्मत से मिले इस लण्डधारी के लण्ड का पूरा स्वाद लेना था तो मैं भी अपनी कमर हिलाने लगी. और धीमे धीमे पीछे को तरफ धकेलने लगी।

कुछ ही देर बाद उसका पूरा लन्ड मेरी गांड में अंदर बाहर होने लगा। अब मुझे बहुत मजा आने लगा था. उसने अपने लण्ड की स्पीड बहुत तेज कर दी. मैंने भी अपनी कमर की स्पीड बढ़ा दी।
वो जितनी तेजी से धक्के देता, मैं उतनी ही तेजी से गांड को पीछे की तरफ धक्का देती।

दोनों की इस धक्का मुक्की ने किचन को छप थप, छप थप, छप थप की आवाजों से मग्न कर दिया था।

उसका मोटा लन्ड मुझे बहुत मजे दे रहा था। वो मेरी गांड के मजे ले रहा था पर मेरी एक उंगली मेरी चूत के चक्कर काट रही थी. मेरी चूत से उबलती हुई पानी की धार मेरी मोटी जाँघों से होकर नीचे फ़र्श तक जा रही थी।

मैं बीच बीच में चूत से उंगली निकाल कर अपने मुख में लेकर पानी का स्वाद ले लेती। इन्ही सब के दरम्यान लगभग 10 मिनट बाद उसने अपने धक्कों की स्पीड बहुत ही तेज कर दी और जोर जोर से आहें भरने लगा।

अब मैं समझ गयी कि उसका माल निकलने वाला है.
मैंने झट से दांव बदला और लण्ड को गांड से अलग करके झट से अपने मुख में भर लिया।

अगले ही पल 5 से 7 झटकों के बाद उसके लण्ड ने गर्म पिचकारी छोड़ दी और उसका सारा गर्म लावा मेरे मुंह के अलावा मेरे होंठों पर आ गिरा। मैंने उसके वीर्य की एक एक बूंद को चाट कर साफ कर दिया।

चूंकि अब रात हो गयी थी तो अब खाना बनाने का वक्त आ गया था.
पर अब मेरे पैर कांप रहे थे, मैं सीधे बैडरूम में गयी और बिस्तर पर पड़ गयी. मेरी सांसें तेज चल रही थी।

कुछ ही पल बाद वो बैडरूम में दाखिल हुआ और मेरे बगल आकर लेट गया. हम दोनों ने कसकर एक दूसरे को बांहों में जकड़ा और होंठों को एक कर दिया. फिर बहुत देर तक हम एक दूसरे से चिपक कर लेटे रहे.

और इसी बीच मुझे कब नींद आ गयी, पता ही नहीं चला।

मेरी नींद 2 घंटे बाद खुली तो देखा कि वो अभी भी मेरे बगल सो रहा था।
घड़ी में देखा तो 9 बज रहे थे।

मैं धीरे से उठी और बाथरूम की तरफ गयी। बाथरूम में फ्रेश होकर बाहर आई, कपड़े सही करके बाल बांधे।

बैडरूम से जाकर फ़ोन लिया तो पापा व पतिदेव दोनों के फ़ोन आये थे। मैंने पति को फ़ोन लगाया तो उधर से उन्होंने सवाल किया कि कितनी बार फ़ोन किया कहाँ थी?
मैंने बात सम्हालते हुए जवाब दिया कि किचन में खाना बना रही थी, फ़ोन बैडरूम में था।
उन्होंने कहा- ठीक है, तुम घर पर अकेली हो इसलिए पड़ोस की सरिता आंटी को बोल दिया है, वो आती ही होंगी, रात में वो तुम्हारे पास ही रहेंगी।

मेरे तो होश ही उड़ गये थे। मैंने कितना प्लान किया था रात को लेकर … मेरी चूत तो अभी भी सूखी ही थी. पर इन्होंने तो सारे प्लान पर पानी फेर दिया था।
वो उधर से हेलो हेलो बोल रहे थे.
मैंने ‘ठीक है’ कहकर फोन रख दिया।

मैंने जल्दी से उसको नींद से उठाया और बाहर जाने को बोला. उसकी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। मैंने उसे जल्दबाजी में पूरी बात समझायी. पर उसका भी जाने का मन नहीं हो रहा था।

मैं सोचने लगी, आखिरकार एक खुरापाती विचार ने मेरे दिमाग में जन्म लिया।
 

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मेरी वासना और पागल भिखारी का लंड-2



अब उसके आगे:

मेरा लण्डधारी यार मेरी गांड का सुख भोग चुका था पर अभी मेरा मन उससे भरा नहीं था।
सच कहूं तो ऐसे लण्ड किस्मत वाली औरतों को ही मिलते हैं और मैं ये मौका हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी.

पर मेरे पति के फोन कॉल से मेरा सारा प्लान चौपट होता दिख रहा था क्योंकि उन्होंने मेरी पड़ोस की आंटी सरिता आंटी को बोल दिया था रात मेरे साथ रुकने को।

मैंने बेमन से अपने यार को जाने को कह दिया पर तभी मेरे दिमाग में एक आईडिया ने जन्म लिया। मैं उसे छत वाले कमरे में ले गयी जो नॉर्मली स्टोर रूम के तौर पर प्रयोग किया जाता था। उस कमरे में हम पुरानी चीजों य फिर ऐसी चीजें जो उस वक्त काम में न आती हों, जैसे एक्स्ट्रा टेबल, पुराने कपड़े इत्यादि ये सब स्टोर रूम में रख देते थे।

मैंने उसे स्टोर रूम में लिटा दिया और उसे अच्छे से समझा दिया कि जब तक मैं न आऊं, आवाज न करना और न ही यहां से कहीं जाना।
वो समझ चुका था.

मैंने स्टोर रूम का दरवाजा बाहर से बंद किया और जल्दी से नीचे आ गयी। अपने प्लान को सफल करने के लिए मुझे बाजार भी जाना था. पर बाजार हमारे घर से थोड़ा दूर था और मेरा निकलना भी उचित नहीं था।

हमारे घर से एक गली छोड़ कर ही मेडिकल स्टोर था, वो मेरी जान पहचान वाले का ही था. मैंने वहां जाने का फैसला लिया और तेजी से उस तरफ बढ़ चली।

किस्मत से मेडिकल शॉप अभी भी खुली थी। मैंने शॉप से एक पत्ता नींद की दवा ली और लौटते हुए बगल की ही दुकान से चॉकलेट ले ली।

मैं जल्दी से घर पहुंची, सरिता आंटी अपने घर से निकल ही रही थी।
आंटी ने मुझसे पूछा- इतनी रात को कहां गयी थी?
मैंने बताया- सर में बहुत दर्द है तो सर दर्द की दवा लेने गयी थी।
उन्होंने यकीन कर लिया।

हम दोनों घर आ गए और उन्होंने खाने के बारे में पूछा.
तो मैंने बोला- बस खीर बनाने जा रही थी, ज्यादा भूख नहीं है।

उन्होंने किचन में मेरी मदद की, दोनों ने मिलकर खीर बनाई.
पर मेरा ध्यान मेरे स्टोर रूम में बंद खजाने पर था।

मैंने दोनों के लिए खीर परोसी और चुपके से उनके हिस्से की खीर में नींद की दो गोलियां मिला दी। दोनों खीर लेकर टीवी के सामने बैठकर खाने लगी.

खीर खत्म होने के कुछ ही मिनट के बाद आंटी को जोरों की नींद आने लगी।
मैंने आंटी को बोला- आप चल कर लेटिये, मैं बस थोड़ी देर टीवी देखकर आती हूं।
नींद से आंटी की आंखे बंद हो रही थी, आंटी बैडरूम में जाकर लेट गयी।

अगले दस मिनट में ही मैं आंटी के पास थी और उन्हें बुला कर चेक कर रही थी कि नींद गहरी है य नहीं।
मैंने उन्हें पकड़ कर हिलाया भी पर आंटी को कोई फर्क नहीं पड़ा।
अब मैं निश्चिंत थी कि आंटी अब सुबह से पहले नहीं उठने वाली।

मैंने पतिदेव को फ़ोन लगाया और बताया कि हमने खाना खा लिया है और हम दोनों सोने जा रही हैं।
पति ने कहा- अपना ख्याल रखना.
और फ़ोन कट कर दिया।

अब मैं हर तरफ से निश्चिंत थी।

मैं आईने के सामने गयी और एक एक करके अपने सारे कपड़े उतार दिए और खुद के नंगे बदन को आईने में घूर रही थी। सच कोई भी मर सकता था मेरे इस हुस्न के लिए। बिना कपड़ों के मैं किसी भी पोर्न एक्ट्रेस से ज्यादा हॉट लग रही थी.

फिर मैंने अपने पतिदेव की फेवरेट गुलाबी रंग की ब्रा पैंटी का सेट निकाल कर पहना। मेरे पति कहते थे कि इस ब्रा पैंटी में मैं मुर्दों को भी उठने पर मजबूर कर सकती हूं।

खैर यही पहन कर मैं छत पर गयी अपने आशिक के पास … मैंने स्टोर रूम का दरवाजा खोला.
वो जल्दी से उठ बैठा, मानो मेरा ही इंतजार कर रहा हो।

मैंने स्टोर रूम की लाइट ऑन की. वो तो मुझे देखता ही रह गया. उसके लण्ड को खड़े होने में कुछ सेकंड ही लगे होंगे. उसका लण्ड पैंट के ऊपर से ही चीख चीख के अपना साइज बता रहा था।
उसके लण्ड को मैंने मुठ्ठी में दबोच लिया, उसका लण्ड और फनफना उठा। उसके होंठों पर एक जोरदार किश चिपका दी मैंने और उसके हाथ अपने दोनों नर्म गांड पर टिका दिए।

उसने भी किश करते हुए ही गांड को सहलाना शुरू कर दिया और पैंटी के अंदर से मेरी गांड की गोलाई की माप लेने लगा।

हम दोनों की गर्म सांसें एक दूसरे से टकरा रही थी, अब वो मेरे होंठों को अपने दांतों से काटने लगा था, मुझे दर्द हो रहा था. पर पता नहीं क्यों मैं उसे मना नहीं कर पाई क्योंकि मुझे उस दर्द में ही मजा आ रहा था।

उसकी उंगलियां हरकत कर रही थी. उसके दाएं हाथ के बीच की उंगली ने मेरे गांड के छेद पर गिरफ्त बना ली थी। वो जब भी उस उंगली पर जोर देता, उँगली मेरे गांड के छेद में थोड़ी सी जगह बना लेती और मैं थोड़ा और ऊपर उठकर उसको किश करने लगती।

जब जब वो उंगली पर जोर लगाता था किश करने का मजा ही दुगुना हो जाता।

इसी तरह किश करते हुए हमने 15 मिनट बिता दिए। हमने किश बन्द की और उसके नीचे के कपड़ों को उसके बदन से अलग कर दिया। अब उसका मूसल जैसा लण्ड हवा में बिना किसी सहारे के झूल रहा था.
आह! क्या खूबसूरत दृश्य था।
उसका लण्ड देखकर पृथ्वी की किसी भी स्त्री का मन डोल जाता। मेरा परम सौभाग्य था जो यह लण्ड मेरे सामने बिना कपड़ों के झूल रहा था।

मैंने उसके नग्न लण्ड को पकड़ा और आगे आगे गांड मटकाते हुए उसे लगभग खींचती हुई ले जाने लगी. वो मेरे पीछे पीछे सीढ़ियों से उतरने लगा। हम टीवी हॉल में पहुंचे और उसे सोफे पर धक्का दे दिया।
वो सोफे पर अपने लण्ड को सहलाते हुए बैठ गया।

मैंने टीवी ऑन किया और एक गाने पर उसके सामने थिरकने लगी.

मेरे हिलते हुए बूब्स और पतली कमर देखकर उसका लण्ड कुलांचें मार रहा था।
अचानक ही वह उठा और मेरे उरोजों को ताकत से मसल दिया. मेरी तो आह ही निकल गयी.

फिर वह मुझे पीछे से पकड़कर गर्दन पर चुम्बन करते हुए मेरे 34 के उरोजों को मसलने लगा। मेरा नाचना गाना बन्द हो गया. अब मैं सिर्फ आहें भर रही थी। चूचियों को दबाते हुए वह अपना लण्ड मेरी गांड पर दबा रहा था, मेरी चूत से पानी रिस रहा था।

मैंने पीछे से ही उसका लण्ड मुट्ठी में ले लिया और हिलाने लगी। उसका लण्ड भयावह रूप धारण कर चुका था।

उसने मेरी चूचियों से हाथ हटाया. मैंने उसे फिर से सोफे पर बिठा दिया और उसके हवा में लहराते लण्ड के पास बैठ गयी।

उसके लण्ड की भीनी भीनी खुश्बू मेरे नाक में जा रही थी। मैंने नाक को बिल्कुल करीब ले जाकर लण्ड के आगे का हिस्सा खोला, आह! क्या सुगन्ध थी जो मेरे कलेजे तक समा गई।

अब मैंने उसके लण्ड के आगे के हिस्से को अपने नर्म गुलाबी होंठों में जकड़ लिया और उसका रसास्वादन करने लगी। वो धीरे धीरे लण्ड को आगे की तरफ धक्का देने लगा। मैं मजे लेकर उसके लण्ड को चूस रही थी क्योंकि ऐसा खूबसूरत लण्ड नसीब वालों को ही मिलता है।

तभी मुझे चॉकलेट की याद आयी, मैं जल्दी से किचन में आई और चॉकलेट लिया और वो चॉकलेट को खोलकर उसके लण्ड पर थोड़ा सा लगाती फिर लण्ड चूसती, फिर लगाती फिर चूसती, सच में क्या मजा आ रहा था।

मैं उसका लण्ड इतने चाव से चूस रही थी कि मानो मैंने जीवन में पहली बार लण्ड पाया हो और यह धरती का आखिरी लण्ड हो।

लगभग पन्द्रह मिनट लण्ड चूसने के बाद वह अचानक से उठ खड़ा हुआ और उसने मेरे सर के बाल पकड़ कर पीछे की तरफ खींच दिए और कुत्तों की तरह तेजी से मेरे मुंह में धक्के देने लगा. एक बारगी तो मेरी सांस ही अटक गई।

यही कोई बीस पच्चीस झटकों के बाद उसका गाढ़ा अमृत मेरे मुंह में घुलने लगा। कसम से क्या स्वाद था … जो भुलाये नहीं भूलता।
उसने अपने लण्ड को दबा दबाकर एक एक बूंद मेरे मुंह में गिरा दी।
मैंने भी मजे से एक एक बूंद को गले के नीचे उतार लिया।

वो थक कर सोफे पर बैठ गया था, पर अब मजे लेने की बारी मेरी थी क्योंकि मेरी आग अभी भी जल रही थी।

मैंने ब्रा पैंटी के ऊपर से ही मैक्सी डाली और बैडरूम में गयी और आंटी को आवाज लगाई, फिर उनको हिला कर देखा, आंटी वैसे ही सोती रही। मैं जल्दी से बाहर आई और सीधे किचन में जाकर शहद की शीशी निकाली और फिर अपने शरीर को कपड़ों से मुक्त कर दिया।

मैंने अपनी खिली हुई चूत पर नजर डाली, मेरी चूत चुदाई के लिए लाल हो रही थी। मेरे 34 साइज के चूचे किसी फुटबॉल की माफिक हवा में तने थे। मैंने अपनी चूची की घुंडीयों को मसल कर एक आह भरी और अपने मदमस्त चूतड़ों को मटकाते हुए अपने पागल प्रेमी के पास चल दी।

वो अभी भी उसी सोफे पर बैठा हुआ था, उसकी निगाहें मेरे हवा में लहराते स्तनों पर टिक गई थी. मानो उसकी निगाहें कह रहीं हों कि ये स्तन तो सिर्फ उसी के लिए बनाए गयें हों.

पर अब बारी चूचियों की नहीं थी। मैंने अपनी चूत पर शहद की बरसात की और अपने उस हवशी प्रेमी को धक्के से उसी सोफे पर लिटा दिया, फिर एक पांव उसके शरीर के ऊपर से सोफे पर रखा और दूसरे पांव को फर्श पर ही टिका दिया और इस तरह मेरी चूत उसके मुंह से कुछ ही फासले पर रह गयी।

मैंने यह फासला खत्म करते हुए अपनी शहद से सनी हुई चूत को उसके होंठों से लगा दिया। उसने अपनी जीभ लपकायी औऱ चूत का रसास्वादन शुरू किया। उसकी गर्म जीभ का एहसास पाते ही मेरे निप्पल्स और तन गए।

मैं अपनी चूचियों को खुद ही भींचने लगी। उसने चूत चाटने की गति थोड़ी तेज की और जीभ को अंदर तक डालने लगा। मैं तो पागल ही हो गयी थी, मेरे पूरे बदन में आग सी गर्मी दौड़ रही थी। मैं अपनी पूरी चूत उसके मुंह में समा देना चाहती थी.

वो अपने तीखे दांत मेरी चूत में धँसाने लगा, मानो ये चूत न हो पाव भाजी के दो टुकड़ें हों। मुझे भी अपनी पाव भाजी उसे खिलाने में बहुत मजा आ रहा था।

मैंने उसके चेहरे की तरफ देखा, वो पूरी लगन से चूत चाटने में लगा हुआ था। मेरी चूत से निकलता हुआ पानी उसके मुहं के लार से मिलता हुआ, उसके होंठों के किनारे से बह रहा था। वो बीच बीच में अपने हाथों से मेरे निपल्स मरोड़ देता, इससे चूत चुसाई का मजा दोगुना हो जाता।

अब मेरी चूत लण्ड मांग रही थी, जीभ उसके लिए पर्याप्त नहीं थी। मैंने उसके लण्ड को टटोला, उसका लण्ड भी पूरा तन चुका था और चुदाई के लिए तैयार था.

पर तभी मेरे खुरापाती दिमाग में एक और खतरनाक आईडिया आया। मैंने उसके मुंह से चूत हटाई और उसका हाथ पकड़कर उसे लेकर बेडरूम की तरफ चल दी।

उसे बेडरूम के दरवाजे पर खड़ा करके एक बार आंटी को हिलाया और पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद उस चोदू को अंदर आने का इशारा किया।

उससे पहले उसके मूसल जैसे लण्ड ने कमरे में प्रवेश किया। मैं बिस्तर पर आंटी के बगल घुटनों के बल झुक गयी और अपनी गांड मटका कर उसे न्यौता दिया।

मेरा निमन्त्रण तो उसे मेरी तरसती हुई चूत में लण्ड डालने के लिए था पर उसने मेरी गांड के फांकों को अलग किया और मेरी खिली हुई गांड के छेद पर जीभ टिका दी।
मैंने इसका विरोध भी नहीं किया क्योंकि गांड चूसने में उसका जवाब नहीं था.

वो गांड के कोनों में जीभ फिरा रहा था और मैं आंटी के बगल झुककर सिसकारियाँ भर रही थी। उसने मेरी गांड के छेद को थूक से भर दिया था।

अचानक उसने मुझे पलट दिया और मुझे पीठ के बल पट कर दिया और मुझे अपनी तरफ खींच लिया।
अब मेरा पूरा बदन बिस्तर पर था और गांड का हिस्सा बिस्तर से बाहर हवा में था।

मैंने अपनी दोनों टांगों से उसकी कमर में कैंची बांध ली। अब परीक्षा का समय था, उसके लण्ड का टोपा मेरे चूत के मुहाने पर था। मैं पागल हो रही थी उसका हल्लबी लण्ड लेने को!

पर मेरा पागलपन तुरन्त उतर गया जब उसका लण्ड पहले ही झटके में मेरी आधी चूत में समा गया।
मेरी चूत उसका इतना मोटा लण्ड झेलने के मूड में नहीं थी.

नतीजा ये हुआ मैं कराह उठी, मैं एक झटके में बेड से ऊपर उछल गयी। मैंने उसके हाथों पर अपने नाखून धंसा दिए। मैंने अपने पैरों की कैंची खोल दी पर उसने मेरी जांघों को दबोच रखा था, मैं पीछे नहीं जा सकी।

मेरे सामने रोने के अलावा कोई चारा नहीं था। मेरी आँखों से आंसू छलक पड़े।

वो आगे की तरफ झुका और मेरी गर्दन पर धीरे धीरे काटने लगा। इससे मेरा थोड़ा ध्यान भटका.

फिर वो धीरे धीरे नीचे आया और मेरी चूचियों को चूमने चूसने लगा। इससे मैं थोड़ा नशे में आई और उसके सर पर हाथ फेरने लगी और चूत को ढीला छोड़ दिया।

पांच मिनट बाद वो किसी मंझे हुए खिलाड़ी की तरह धीरे धीरे अपनी कमर चलाने लगा। उसके बाद उसने अपना पूरा लण्ड डालने में पांच मिनट लगा दिए। अब मुझे भी अच्छा लगने लगा था। मैं भी मंद मंद सिसकारियां लेकर कमर हिला रही थी। मैंने फिर से अपने पैरों की कैंची बनाकर उसके कमर में फंसा दी।

कुछ देर इसी तरह धक्के खाने के बाद हमने पोजीशन बदली। उसे बिस्तर पर लिटाकर मैं उसके रॉकेट से खड़े लण्ड की सवारी करने लगी और आसमान की ऊंचाइयों को छूने लगी।

मैं तेजी से ऊपर जाती और उससे भी तेजी से नीचे आती, जब मेरी नर्म गांड के दोनों गोले तेजी से उसकी जांघों से टकराते तो थप-थप की आवाज आती।

उसका लण्ड झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा था, हम लगभग आधे घंटे से चुदाई कर रहे थे, मेरी चूत में जलन होने लगी थी।

अंत में मैंने मेरा प्रिय आसन डॉगी स्टाइल चुना।

वो बेड से नीचे उतर गया और मैं बेड के किनारे पर आ गयी। मैं बेड पर घुटनों के बल झुक गयी और उसने अपना लण्ड मेरी चूत में लगा दिया और खुद भी झुककर मेरे चूचियों को कस कर पकड़कर छप-छप, छप-छप की आवाज से धक्के लगाने लगा।

आज मैं पूरी जिंदगी का सुख एक साथ भोग रही थी।

उसने मेरे स्तनों को छोड़ दिया और दोनों हाथों से मेरे बाल पकड़ कर अपनी तरफ खींच लिया। मेरी भारी भरकम चूचियाँ उसके हर दमदार धक्कों के साथ हवा में झूल रही थी।

दो तीन मिनट बाद ही मेरा शरीर ऐंठने लगा, मेरी चूत में चींटियों का झुंड एक साथ चल पड़ा. मैं चीखने लगी, मैंने आंटी की भी परवाह नहीं की। मेरी चूत से कामरस की नदी बहने लगी।

मुझे झड़ती देख उसने भी अपनी गति दुगुनी कर दी। बीसियों झटकों के बाद वह काम्पने लगा और मेरी नंगी पीठ से चिपक गया और मेरी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा।

उसके लण्ड ने मेरी चूत में ही अपना ज्वालामुखी छोड़ दिया। दोनों के कामरस एक होकर मेरी जांघों से होते हुए बहने लगा।

मैं बिस्तर पर गिर गयी, वो भी निढाल होकर मेरे ऊपर ही लेटा रहा. उसका लण्ड अभी भी मेरे चूत के अंदर ही था।
आज मेरी आत्मा तृप्त हो गयी थी।

उस पूरी रात में हमने तीन बार चुदाई की। पूरी रात इतनी थकान होने के बावजूद मैं सोई नहीं थी क्योंकि मुझे इस चमत्कारी लण्ड के मजे लेने थे।

सुबह 5 बजे मैंने घर का गेट खोलकर उसे घर के बाहर किया और घर के बाहर ही उसे अंधेरे में पांच मिनट तक किश किया, फिर मैंने उसे अलविदा कहा और अपने कमरे में आ गयी।

नींद की गोली की वजह से आंटी जी सुबह 8 बजे उठी, उन्होंने मुझे उठाया पर मैं सोती ही रही।
सच कहूं तो मुझसे उठा नहीं जा रहा था।

मैं सोती रही जब तक कि दोपहर 2 बजे मां बाऊजी घर आ गए और रिंग बेल बजाने लगे।

मैंने जाकर गेट खोला और सर दर्द का बहाना बता कर फिर वापस आकर लेट गयी।

ये चुदाई मेरे लिए यादगार रही।
 
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