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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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मेरा भानजा भी है और बेटा भी



कानपुर के इंडस्ट्रियल एरिया में हमारी पेन्ट फैक्ट्री है जिसे मैं व पापा देखते हैं. हमारे घर में मम्मी, पापा, मैं, मेरी पत्नी नीरा व मेरा छह वर्षीय बेटा संजू है.

मुझसे चार साल छोटी मेरी बहन आशा की शादी दो साल पहले हुई थी. आशा की ससुराल दिल्ली में है, उनका मार्बल का बिजनेस है. शादी के दो साल होने के बाद भी उसका कोई बच्चा नहीं है. इसी बात को लेकर आशा की सास ने ताने मारना शुरू कर दिया है.

पिछले हफ्ते आशा हमारे घर रहने के लिए आई है. चार छह महीने बाद आशा लगभग दस दिन के लिए मायके आती है फिर उसका पति अशोक उसे लेने आ जाता है.

इस बार आशा ने नीरा को बताया कि उसकी सास बहुत ताने मारती है. आशा का कहना था कि बच्चा नहीं हो रहा है तो इसमें मेरा क्या दोष है? अशोक शराब पीकर आता है और सो जाता है. दस पांच दिन में कभी मेरे पास आता भी है तो नशे में होने के कारण कुछ कर भी नहीं पाता है. मैं यह बात अपनी सास को बताऊँ तो घर में बखेड़ा खड़ा हो जायेगा.

उसकी सारी बातें सुनकर मेरी बीवी नीरा ने उससे कहा कि मैंने ऐसी ही एक कहानी Xforum पर पढ़ी थी जिसमें मायके आई हुई लड़की अपने भाई से चुदवा कर गर्भ धारण कर लेती है और ससुराल में सुखी जीवन व्यतीत कर रही है. तू इतनी हिम्मत कर सकती है?

यह सुनकर आशा की आँखें फटी रह गईं और कुछ देर तक सोचने के बाद बोली- अगर मैं हिम्मत कर भी लूँ तो क्या भइया ऐसा कर पायेंगे? हम दोनों एक दूसरे का सामना कैसे कर पायेंगे?
नीरा ने उससे कहा- अब अगर तू हिम्मत कर रही है तो मैं कुछ न कुछ करती हूँ ताकि तेरा काम हो जाये.

रात का भोजन करने के बाद जब नीरा बेडरूम में आई तो मैं लेटकर अपना मोबाइल चेक कर रहा था. नीरा ने लाइट बंद कर दी. नाइट लैम्प की रोशनी में मैंने देखा कि नीरा ने अपना गाउन उतार दिया, अब वो ब्रा और पैन्टी में थी.
नीरा अक्सर ऐसा करती थी, यह इस बात कि इण्डीकेटर है कि आज चुदाई होगी.

मैंने भी मोबाइल रख दिया और नीरा को अपनी ओर खींच लिया. नीरा को अपने सीने से लगाते हुए मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया. नीरा की चूचियां सहलाते हुए मैं नीरा के होंठ चूसने लगा. नीरा ने अपना हाथ मेरे लण्ड पर रख दिया. नीरा के हाथ फेरने से मेरा लण्ड टनटनाने लगा.

नीरा की पैन्टी उतारने के लिए मैंने हाथ बढ़ाया तो उसने रोक दिया और मेरा लोअर नीचे खिसकाकर मेरा लण्ड चूसने लगी.
मैं उठा, अपनी टी शर्ट और लोअर उतार कर पूरी तरह से नंगा हो गया और नीरा की पैन्टी उतार कर उसकी टांगों के बीच आ गया.
तभी नीरा उठी और एक मिनट में आई कहते हुए कमरे से अटैच्ड बाथरूम में चली गई.
जितनी देर में वो पेशाब करके आई उतनी देर में मैंने अपने लण्ड पर कोल्ड क्रीम चुपड़ ली.
नीरा बाथरूम से लौटकर आई और बेड के पास खड़ी हो गई.

“क्या हुआ?” कहते हुए मैंने उसे बेड पर खींचा और उसकी टांगों के बीच आ गया. नीरा की चूत पर हाथ फेरते हुए मैंने चूत के होंठ फैला कर अपने लण्ड का सुपारा रख दिया. नीरा की कमर पकड़ कर मैंने लण्ड को नीरा की चूत में धकेल दिया.

अपना लण्ड नीरा की चूत के अन्दर बाहर करते करते मैं उसकी चूचियां मसलने लगा. न जाने क्यों ऐसा लगा कि नीरा की चूचियां पहले से कुछ छोटी हो गई हैं और टाइट भी. लेकिन जब चुदाई चल रही हो तो ऐसी बातों पर ज्यादा ध्यान नहीं जाता.

नीरा को चोदते चोदते मेरे डिस्चार्ज का समय आ गया तो मैंने नीरा की टांगें अपने कंधों पर रख लीं और फुल स्पीड से चोदने लगा. लण्ड का सुपारा फूलकर संतरे जैसा हो गया था. एक समय आया कि मेरे लण्ड से फव्वारा छूटा और नीरा की चूत मेरे वीर्य से भर गई.

डिस्चार्ज होते ही हमेशा की तरह नीरा के शरीर पर पसर गया. उसके बदन की खुशबू कुछ बदली हुई लग रही थी.
मैंने नीरा के गाल थपथपाते हुए पूछा- क्या बात है, एकदम से चुप क्यों हो गई हो?

इतना सुनते ही नीरा सिसकने लगी. उसकी आवाज भी कुछ बदली हुई थी, वो उठी और बाथरूम में चली गई.

बाथरूम से वापस लौटकर नीरा मुझसे लिपट गई और बेतहाशा चूमने लगी. नीरा ने निढाल पड़े मेरे लण्ड पर हाथ फेरकर खड़ा करना शुरू कर दिया.
मैंने कहा- क्या बात है, अभी दिल नहीं भरा?
इतना कहकर मैंने नीरा की चूची पर हाथ रखा तो चौंका, अभी तो इतनी टाइट थीं, अब ढीली कैसे हो गईं?

मैंने नीरा से कहा- यार, मैं नशे में तो नहीं हूँ लेकिन कुछ गफलत में जरूर हूँ. तुम्हारी चूचियां, तुम्हारे बदन की खुशबू बदली बदली सी क्यों है?

मेरे टनटनाते हुए लण्ड की खाल आगे पीछे करते हुए नीरा बोली- खुशबू नहीं बदली, मैं ही बदल गई थी.

इसके बाद नीरा ने मुझे सारी बात बता दी और यह भी बता दिया कि बाथरूम के उधर वाले दरवाजे से आशा अन्दर आकर खड़ी थी. जब तुम चोदने के लिए आतुर थे तो पेशाब करने के बहाने बाथरूम जाकर मैंने आशा को भेज दिया था.

इतना कहते कहते नीरा ने मेरे लण्ड का सुपारा चाटना शुरू कर दिया और थोड़ी देर बाद अपनी टांगें फैला कर मेरे ऊपर आ गई. घुटनों के बल खड़ी नीरा ने अपनी चूत के लबों को फैलाया और मेरे लण्ड के सुपारे पर बैठ गई.

आशा की चुदाई होते देखकर नीरा गीली हो चुकी थी अतः मेरा लण्ड आसानी से नीरा की चूत के अन्दर हो गया.
नीरा को चोदते हुए मैंने महसूस किया कि आशा की चूत नीरा की चूत की अपेक्षा टाइट है.
बहन को चोदने की ग्लानि से बाहर आते हुए मैं आशा को चोदने की प्लानिंग करने लगा.

मैंने नीरा से कहा- आज तुमने जो किया, कुछ अच्छा नहीं किया. भाई बहन के रिश्ते को दागदार कर दिया.
नीरा ने जवाब दिया- मैं मानती हूँ कि यह गलत हुआ लेकिन इससे किसी का घर बसता हो तो बुरा भी नहीं है. और हाँ, आशा इतवार तक यहां है, अब इन चार दिनों में उसको जमकर चोदो ताकि वो गर्भवती हो जाये.

अपनी बीवी नीरा को चोदते चोदते अगले दिन का कार्यक्रम हम लोगों ने तय कर लिया.

सुबह नहा धोकर नाश्ते के लिए मैं टेबल पर पहुंचा तो मम्मी, पापा व आशा पहले से ही बैठे थे. आशा मुझसे नजर नहीं मिला रही थी, इसका फायदा उठाते हुए मैंने उसका एक्सरे कर डाला. आशा की कद काठी तो लगभग नीरा जैसी ही थी लेकिन उसका रंग काफी गोरा था. बाकी आशा की चूचियां और चूत नीरा से बेहतर हैं इसका अन्दाज मुझे हो ही चुका था.

नाश्ता करते समय मैं रात को होने वाली चुदाई को लेकर उत्साहित था. नाश्ता करके मैं और पापा फैक्ट्री चले गए.

शाम को हम लोग घर लौटे, खाना खाया और सोने के लिए मैं कमरे में आ गया.
नाइट लैम्प की रोशनी में मैंने देखा कि आशा गाउन पहन कर लेटी है. मैंने अपने कपड़े उतार दिये और पूरी तरह से नंगा होकर बेड पर पहुंच गया. आशा ने आँखें बंद कर रखी थीं. आशा के गाउन के बटन खोलकर उसके शरीर से अलग किया तो आशा पूरी तरह से नंगी हो गई, उसने ब्रा और पैन्टी नहीं पहनी थी.

आशा की एक चूची अपने मुंह में लेकर मैंने उसकी चूत पर हाथ फेरना शुरू किया, कुछ ही देर में आशा गमकने लगी, वो बुरी तरह से चुदासी हो रही थी.
अपना मुंह आशा के कान के पास ले जाकर मैंने धीरे से कहा- शर्माओ मत. चुदवा रही हो तो खुलकर चुदवाओ ताकि तुम्हारा उद्देश्य तो पूरा हो सके.

मेरे इतना कहते ही आशा मुझसे लिपट गई और मेरे होंठ चूसने लगी. आशा अपनी चूत को मेरे लण्ड से सटाकर रगड़ने लगी. जब आशा ज्यादा चुदासी हो गई तो उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और मेरे लण्ड का सुपारा अपनी चूत के मुंह पर रख दिया.

आशा को पीठ के बल लिटाकर मैंने उसके चूतड़ों के नीचे एक तकिया रखा और उसकी टांगें फैला दीं. 69की पोजीशन में आते हुए अपना लण्ड आशा के मुंह के पास रखकर मैंने कहा- इसे गीला कर दो ताकि आसानी से चला जाये.

“कल बहुत दर्द हुआ था, भइया.”
“क्यों? पहली बार चुदवाई थी क्या?”
“नहीं, भइया. मगर आपका वो काफी बड़ा है और मोटा भी.”

“ये क्या भइया भइया लगा रखी है? और क्या बता रही है कि आपका वो बड़ा मोटा है. ये ‘वो’ ‘वो’ क्या होता है?”
“तुम्हारा लण्ड बहुत बड़ा और मोटा है, विजय. अशोक का लण्ड तुम्हारे लण्ड से छोटा है और पतला है इसलिए मेरी चूत में दर्द हो रहा था.”
“तो मना कर देती.”
“मना कर देती तो चुदती कैसे?”
“खैर, अब तुम आराम से मजे ले लेकर चुदवाओ. तुम कहो तो लाइट ऑन कर दूँ.”
“कर दो, विजय. मैं भरपूर उजाले में तुमसे चुदवाना चाहती हूँ. मैं देखूँ तो कि तुम चोदते हुए कैसे दिखते हो?”

मैंने उठकर लाइट जला दी. लाइट जलाकर वापस मुड़ा तो नंगी आशा को देखकर मैं दंग रह गया, वो बहुत गोरी और सुन्दर थी. आशा की चूचियां नोकदार थीं और गुलाबी निप्पल्स तने हुए थे.

जैसे आशा को देखकर मैं दंग रह गया था, वैसे ही मेरा लण्ड देखकर आशा दंग रह गई और बोली- विजय, तुम्हारा लण्ड तो ब्लू फिल्म के नायक जैसा है.

बेड पर पहुंच कर मैंने अपना लण्ड आशा के मुंह में दे दिया. जब लण्ड मूसल की तरह टाइट हो गया तो मैंने आशा के चूतड़ों के नीचे तकिया रखा और लण्ड का सुपारा आशा की चूत के मुंह पर रखकर धक्का मारा तो मेरा लण्ड आशा की चूत में समा गया. लण्ड अन्दर जाते ही आशा अपने चूतड़ उचकाने लगी.

मैंने अपनी ट्रेन आशा की चूत में चला दी और धक्के मारते मारते मंजिल पर जा पहुंचा. जब मेरे लण्ड से फव्वारा छूटा तो आशा बोली- तुम चोदते हो तो लगता है कि तुम्हारा लण्ड बच्चेदानी के अन्दर तक चला जायेगा और जब डिस्चार्ज करते हो तो पूरी चूत भर जाती है जबकि अशोक तो दो तीन बूंद वीर्य टपकाता है.

उस रात मैंने आशा को तीन बार चोदा और अशोक के आने तक लगातार धुआंधार चोदा. जिस दिन अशोक को आना था, मैंने आशा से कहा- अशोक आ जाये तो कोशिश करके एक बार जरूर चुदवाना ताकि गर्भवती होने पर उसे लगे कि बच्चा उसका है.

निर्धारित समय पर अशोक आया, हमारे घर दो दिन रूका और आशा को लेकर चला गया. समय आने पर आशा ने एक बेटे को जन्म दिया जो मेरा बेटा भी है और मेरा भांजा भी.



 
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junglecouple1984

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मैं और मेरी प्यासी चाची-1




दोस्तो,
मेरा नाम मनु (बदला) है, मैं 21 वर्षीय सामान्य दिखने वाला लड़का हूँ, मेरी लम्बाई 5 फीट10 इंच है, औसत शरीर और
लंड की लम्बाई लगभग 7 इंच है।

आज मैं आपको अपने जीवन की एक सच्ची दास्तान सुनाने जा रहा हूँ जिसे सुनकर लड़कियों की बुर में खुजली होने लगेगी और लड़कों के लंड सलामी देने लगेंगे।

बात तब की है जब मैं अपने घर पर रहता था और हाई सेकेण्डरी में पढ़ रहा था।
मेरे चाचा की शादी हुए लगभग 6 साल हो चुके थे और अभी तक उनको बच्चा नहीं था।

मेरी चाची की उम्र तब यहीं कोई 25 साल थी। लम्बाई करीब 5 फीट 5 इंच, उभरा हुआ बदन, फिगर 34-30-36 है।

तब वह ज्यादा चुदी नहीं थी क्योंकि मेरे चाचा काम की वज़ह से अक्सर बाहर रहते थे।

मेरे मन में उनके लिए ऐसा कोई विचार नहीं था। मेरी चाची मुझसे एक दो बार ब्लू फिल्म देखने के लिए कह चुकी थी तभी से मैं उनके बारे में गन्दा सोचने लगा।

उन दिनों मेरे यहाँ घर बन रहा था तो सारा परिवार एक ही कमरे में रहता था।

हुआ यूँ कि एक दिन घर पर कोई नहीं था और हम लोगों का मूवी देखने का मन था। तब हमारे यहाँ डीवीडी प्लेयर नहीं था तो मैं गाँव में किसी के यहाँ से डीवीडी ले आया।

वो उस दिन भी ब्लू फिल्म लगाने की बात कर रही थी।
मैंने वो फिल्म गाँव में कई दुकानों पर खोजी पर मिली नहीं।

फिर भी मैं एक दो मूवीज लाया और उस देखने लगे।

एक मूवी थी द जंगल लव, उसमें कई जगह इंटिमेट सीन आते तो हम एक दूसरे को बहुत ध्यान से देखते फिर मुस्कुरा देते।

मूवी ख़त्म हो गई तो मैं और चाची एक ही बिस्तर पर सो गए क्योंकि वहाँ दो ही बिस्तर थे और दूसरे पर मेरे भाई सो रहे थे।

चाची सो गई पर मेरी आँखों से नींद गायब थी। मैं तो उनको चोदने का मौका खोज रहा था।

फिर मुझे एक शरारत सूझी, मैंने चाची के बायें हाथ को सहलाना शुरू कर दिया कि अगर बुरा लगेगा तो डांटेंगी पर कुछ नहीं किया तो मेरी हिम्मत और बढ़ गई, अब मैं उनकी गर्दन सहलाने लगा।

फिर भी वो कुछ नहीं बोली तो मैं अब उनके बूब्स दबाने लगा।
अचानक वो उठी और मुझसे चिपक गई और मुझे चूमना शुरू कर दिया। मैं भी उनसे चिपक कर उनको स्मूच करने लगा।
काफी देर से सहलाने के कारण अब वो बर्दाश्त के बाहर थी, वो जोर जोर से चिल्लाने लगी- आह ऊह सी सी…

मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो कहने लगी- दर्द हो रहा है।

मैंने सोचा ‘बिना कुछ किये कैसे दर्द हो रहा है?’

यह मेरा पहली बार था, वो कहने लगी- जल्दी डालो, बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने सोचा बिना किये दर्द हो रहा है तो करने पर तो और होगा इसलिए मैं हिचकिचा रहा था लेकिन वो जबदस्ती करने लगी।

मैंने डरते हुए उनकी साड़ी ऊपर की और बुर की फांकों को खोल के अपना लंड सटा दिया उनकी बुर जैसे भट्ठी तप रही थी और एक बार झड़ चुकी थी।

मैंने जैसे ही लंड बुर में डाला एक जोर की चीख चाची के मुख से निकली, मैंने अपने होंठ चाची के होंठों से सटा दिए ताकि शोर न हो।

अब मैं चाची को जोर जोर से चोद रहा था और बीच बीच में उनके दूध भी पी रहा था।

चाची के मुंह से मादक सिसकारियाँ निकल रही थी
आह आह.. उम्म्ह.. उईइ.. धीरे… धीर्रररे… सी… स्स्स्स्सि!

करीब 5 मिनट में मैं उसकी बुर में ही झड़ गया पर मेरा लंड अब भी कड़क था और अपने काम पर लगा था।
मैं रुका नहीं बल्कि और तेज़ी से अन्दर बाहर करने लगा।

करीब दस मिनट बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए और मैं चाची
के ऊपर ही निढाल पड़ गया। वो मेरे बालों में हाथ फेरने लगी और मुझे किस करने लगी।
फिर मैं नीचे बिस्तर पर आ गया और हम किस करते रहे।

फिर चाची ने मुझसे वादा लिया कि मैं यह बात किसी को न
बताऊँ।
और मैंने आज तक किसी को नहीं बताया!

उसके बाद मैंने उसी रात उसकी तीन बार चुदाई की।

उसके बाद भी कई बार मैंने उसकी भिन्न भिन्न पोजीशन में चुदाई की।
ये सब अपनी अगली कहानी में शेयर करूँगा।
 
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junglecouple1984

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मैं और मेरी प्यासी चाची-2



अभी तक आपने पढ़ा कि पहली बार मैंने चाची को फिल्म देखने के बाद कैसे चोदा.

अब आगे:

दोस्तो, आप लोगों को जैसा कि मैंने पहले ही बताया था कि मेरे यहां पर नया मकान बन रहा था तो जगह की बहुत प्रॉब्लम थी, परिवार के हम सारे लोग एक ही कमरे में सोते थे.

मैं, मेरा भाई, मम्मी और चाची. चाची और मेरा छोटा भाई एक बिस्तर पर सोते थे. माँ और बड़ा भाई एक पर और मैं बगल में एक बड़े से बॉक्स पर सो जाता था.

जिस बॉक्स पर मैं सोता था, वो बॉक्स और चाची का बिस्तर बगल बगल में था और चाची एकदम बॉक्स के बगल में लेटती थी. मैं और चाची हमेशा एक दूसरे के उल्टे ही सोते थे. सबके सोने के बाद मैं बॉक्स पर लेटे हुए ही चाची के पैरों को अपने पैरों से सहलाने लग जाता था.

चाची को गर्म करने के लिए मैं ऐसा करता था. उस रात भी मैंने ऐसा ही किया. पहले मैंने उनके पैरों के नीचे के हिस्से को सहलाया और फिर धीरे धीरे उनकी केले के तने जैसी और मक्खन के जैसी मुलायम जांघों से होते हुए, उनकी साड़ी को अपने पैर से ऊपर खिसका दिया.

जल्दी ही चाची की सांसें मुझे भारी होती हुई सुनाई दी. दो मिनट के बाद ही चाची के मुंह से सिसकारी निकलने लगी थी. गर्म होकर चाची ने खुद ही अपनी पैंटी को उतार दिया. पैंटी के उतरने के बाद मैं अपने पैर का अंगूठा चाची की बुर में देकर सहलाने लगा.

अंगूठा उनकी मखमली और चिकनी चूत में आगे पीछे करते हुए मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने अंगूठे को पूरा चाची की चूत में डाल कर तेजी से उनकी चूत को कुरेदना शुरू कर दिया.

ऐसा करते करते चाची की हालत खराब होने लगी. उनका शरीर अकड़ने लगा. चाची की चूत बहने लगी. उनका कामरस बह कर मेरे अंगूठे को भिगोता हुआ उनके पेटीकोट पर फैलने लगा. चाची झड़ गयी थी. मन कर रहा था चाची की चूत में मुंह देकर उनकी चूत के सारे रस को चाट कर मजा लूं.

मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. लंड में जैसे तूफान उठा हुआ था. फिर वो उठी और मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी. मुझे मजा आने लगा. मैंने अपनी निक्कर को जांघों तक नीचे कर लिया और अंडरवियर को भी थोड़ा और सरका लिया जिससे चाची के हाथ को मेरे लंड को सहलाने और हिलाने के लिए पर्याप्त जगह मिल जाये.

लंड को हाथ में लेकर कुछ देर सहलाने के बाद उन्होंने मेरे लंड को मुंह में ले लिया. चाची मेरे लंड को मुंह में लेकर चूसने लगी. चूसते चूसते ही वो लंड को हल्का सा दांतों से काट भी रही थी. थोड़ी ही देर में उनका जोश बहुत ज्यादा बढ़ गया.

वो इतनी जोर से मेरे लंड को चूस रही थी कि जैसे मेरे लंड को खा ही जायेगी. चाची इतनी जोर से और मजा लेकर लंड को चूस रही थी कि मैं पांच मिनट भी उनके सामने टिक नहीं पाया. मैंने अपने खड़े लंड का गर्म गर्म लावा उनके मुंह में छोड़ दिया.

मैंने चाची के सिर को लंड पर दबा दिया और एक एक बूंद उनके गले तक जाने दी. जब तक पूरा लंड बूंद बूंद करके निचोड़ न दिया तब तक मैंने अपने लंड को चाची के मुंह से बाहर नहीं निकाला और चाची के सिर को अपने लौड़े पर दबाये रखा.

चाची भी मेरे लंड के सारे रस को पी गयी. उसके बाद हम दोनों एक दूसरे को लम्बी किस करके अपने अपने बिस्तर पर सो गये. असली कहानी अगली सुबह के वक्त शुरू हुई.

दोस्तो, मेरा ऐसा मानना है कि सुबह के समय में सेक्स करने का मजा ही कुछ और है. मेरे हिसाब से सेक्स करने के लिए सुबह का समय बहुत ही उत्तम होता है. उस समय पर सेक्स के लिए एक फ्रेश जोश होता है. शरीर के हर एक अंग की नसों में एक स्फूर्ति और ताजगी सी भरी होती है. इसलिए सुबह के समय में इन्सान ज्यादा कामुक रहता है.

सुबह की नींद भी बहुत ही गहरी और मीठी होती है. अगली सुबह 4 बजे के करीब मेरी आंख खुल गयी. मेरा लंड पहले से ही अकड़ा हुआ था. मैं लपक कर चाची के बेड पर पहुंच गया. हैरानी की बात थी कि चाची भी उठी हुई थी. वो शायद मेरे ही आने का इंतजार कर रही थी. बाकी के सब लोग गहरी नींद में खर्राटे ले रहे थे.

उनके बिस्तर पर पहुंच कर मैं चाची के ऊपर लेट गया. उनको बेतहाशा चूमने लगा. सबसे पहले उनका माथा, उसके बाद उनकी पलकों को प्यार से चूमा. फिर उनके होंठों को चूमा. उनके होंठ बहुत ही रसीले लग रहे थे. मैं बयां नहीं कर सकता उस वक्त चाची के होंठों का रस पीने में कितना मजा आ रहा था.

चाची के होंठों को चूसते हुए मैं अपनी जीभ उनके मुंह में डाल कर उनके मुंह की गहराई को नापने लगा. उनकी जीभ को मुंह से चूसते हुए मैं इतनी जोर से उनकी लार को खींच रहा था कि चाची की सांसें उखड़ने लगीं.

फिर मैंने उनकी कान की लौ को चूसना शुरू कर दिया. इससे चाची बेचैन हो उठी. उन्होंने मेरी निक्कर को खींच दिया और मेरे अंडरवियर के ऊपर से मेरे लंड को मसलने और सहलाने लगी. उनके मुलायम से हाथ का स्पर्श मिलते ही मेरा लंड एकदम से जैसे भड़क सा गया.

उसके बाद मैंने उनकी चूचियों को चूसना स्टार्ट कर दिया. उनकी रसीली चूची इतनी मस्त थी कि उनके बारे में सोचकर ही मेरे मुंह में पानी आ जाता है. चूचियों को मुंह में लेते ही चाची के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं. मगर वो खुद को काबू में रखने की पूरी कोशिश कर रही थी.

जब उनसे रुका न गया तो चाची ने मेरे लंड को हाथ से पकड़ कर खुद ही अपनी चूत पर सेट करवा दिया. वो मेरे लंड को अपनी चूत में लेने के लिए मचल गयी थीं. मगर मैं भी पूरा हरामी था. मैं चाची को और ज्यादा तड़पाने का मजा ले रहा था.

मैं उनके चूचे को ही चूसता रहा. बीच बीच में उनके निप्पल को भी काट रहा था. वो बस धीरे से आह्ह … आऊच … सस्स … आह्ह करके रह जाती. मगर अब बात उनके काबू से बिल्कुल ही बाहर हो चुकी थी. वो और ज्यादा तड़प बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी.

जब मैंने चाची को पहली बार चोदा था तो उसके बाद से मैं भी काफी बोल्ड हो गया था. मुझे इस बात का डर भी नहीं लग रहा था कि बगल में ही मेरा भाई सोया हुआ है. मैं अपनी मस्ती में उनकी चूचियों को पी रहा था और मेरी प्यासी चाची तो जैसे मेरे गर्म लंड से चुदने के लिए मरी ही जा रही थी.

इसी तरह हम दोनों एक दूसरे को काफी देर तक चूसते रहे. समय भी काफी बीत चुका था. बगल में सोये दूसरे लोगों के उठने का भी डर था क्योंकि मां तो सुबह में जल्दी ही उठ जाती थी. इस बात को मैं भी जानता था और चाची भी अच्छी तरह समझती थी. इसलिए बिना वक्त गंवाये चाची ने मुझे पलटा और मेरे ऊपर आ गयी.

चाची ने खुद ही अपने हाथ से मेरे लंड को अपनी चूत पर लगाया और अपनी चूत को मेरे लौड़े पर सेट करके बैठने के लिए तैयार हो गयी. जब लौड़ा चाची की चूत के मुंह पर अच्छी तरह से लग गया तो चाची ने अपना वजन मेरे लंड पर दे दिया और उनकी चिकनी चूत में मेरा लौड़ा उतर गया, या यूं कहें कि उनकी चूत मेरे लौड़े पर बैठती चली गयी.

आह्ह … बहुत ही मादक और उन्माद से भरा पल था वो. चाची की गर्म चूत में मेरा गर्म लौड़ा जाते ही जैसे स्वर्ग सा मिल गया मुझे. ऐसा ही हाल चाची का भी था. उनके चेहरे पर लंड लेने के लिए हाव भाव अलग से ही आनंद के रूप में दिखाई दे रहे थे.

घप्प-घप्प की आवाज के साथ मेरा लंड चाची की चूत की गहराई को मापने लगा. चाची भी मेरे लंड पर मस्ती में उछलने लगी. मगर वो मजबूर थी कि वो इस चुदाई के आनंद को सिसकारियों के रूप में बयां नहीं कर सकती थी.

चाची मस्त होकर मेरे लंड पर उछल रही थी. ऐसा लग रहा था कि हम दोनों जैसे सुबह की सैर पर निकले हैं. अब वो गांड उठा उठा कर मुझे ही चोदने लगी. उनकी जुल्फें मेरे चेहरे पर बिखर चुकी थीं. वो गांड को उछाल उछाल कर मेरे लंड पर हल्की सी पट-पट की आवाज के साथ पटक रही थी.

लंड जब चूत में उतर जाता तो चाची इधर उधर हिलते डुलते हुए लंड का पूरा मजा चूत में फील कर रही थी. जब वो थक जाती तो रुक कर मेरे चेहरे को चूमने लगती और चूत में लंड लिये हुए अपनी चूत को दायें बायें हिलाने लगती जिससे उनको बीच में कुछ आराम मिल जा रहा था.

जब चाची रुक गई तो मैं नीचे से धक्के लगाने लगा और नीचे से उनकी चूत को चोदते हुए मैं उनकी चूचियों को भी पीने लगा. बीच बीच में उनकी चूचियों से मुंह हटा कर मैं चाची के होंठों में जीभ डाल दे रहा था. मेरी जीभ भी जैसे चाची के मुंह को चोद रही थी. इतनी तेजी के साथ मैं उनके मुंह में जीभ को चला रहा था.

करीब 10-15 मिनट तक ऐसे ही मदहोश कर देने वाली चुदाई चली. जल्दी ही मैं झड़ने के करीब पहुंच गया. चाची भी शायद झड़ने ही वाली थी. उनकी उखड़ती सांसें और उनकी चूत के मेरे लंड पर गहरे हो रहे धक्के इस बात का सुबूत थे कि वो भी स्खलन के करीब पहुंच चुकी है.

फिर मैंने एकाएक चाची के चूचे को कस कर मुंह में लेकर काट लिया और जोर से उनकी चूत में धक्के लगाने लगा. दो-तीन धक्कों के बाद ही मेरा लंड और लंड के साथ साथ पूरा शरीर जैसे अकड़ने लगा. मेरे लंड से वीर्य की धार पिचकारी के रूप में चाची की चूत में पचर-पचर करके अंदर गिरने लगी.

इसी दौरान चाची के मुंह से भी सीत्कार निकल पड़ा जिसको वो दबा गयी. उसने तुरंत मेरे होंठों पर अपने होंठों को रख दिया और चाची की चूत का गर्म पानी मुझे अपने लंड को भिगोता हुआ महसूस हुआ. दोनों जैसे पूरी तरह से संतुष्ट हो गये थे और एक दूसरे के जिस्म के अंदर ही घुस जाना चाह रहे थे.

कुछ देर तक एक दूसरे के ऊपर हम लेट कर मजा लेते रहे. तभी मेरे भाई के खांसने की आवाज हुई और मैं तपाक से उठ कर अपने बॉक्स पर पहुंच गया. चाची ने भी जल्दी से अपनी मैक्सी को सही कर लिया और मैंने अपनी निक्कर को ऊपर कर लिया और दोनों लेट कर सोने का नाटक करने लगे.

इस तरह से चाची के साथ चुदाई का मजा लेना मेरी रोज की दिनचर्या बन गयी थी. चाची भी अपनी चूत चुदवाने के लिए हमेशा ही तैयार रहती थी. उन दिनों मैं चाची की चूत को चूसने और उनकी चूत का रस चाटने के लिए बहुत पागल रहता था. मगर चाची के चूचों को चूसते ही वो मुझे चोदना शुरू कर देती थी और मैं उनकी चूत के रसपान से वंचित रह जाता था.

फिर एक दिन मैंने उनकी चूचियों पर ज्यादा ध्यान न देकर सीधा उनकी चूत की ओर मुंह कर लिया. उस दिन मैं पूरा मन बना चुका था कि आज तो चाची की चूत का रस पीना ही है. मैंने जोर जोर से उनकी चूत को चूसना शुरू कर दिया.

वो मुझे हटाने की कोशिश कर रही थी लेकिन मैंने अपना मुंह जैसे चाची की चूत में चिपका ही लिया था. मैं जोर जोर से अपनी जीभ को चाची की चूत में चलाता रहा. जब तक कि चाची की चूत ने अपना नमकीन और स्वादिष्ट रस छोड़ नहीं दिया मैंने दम नहीं लिया.

जैसे ही चाची की चूत से रस निकला मैंने उनकी चूत के रस की एक एक बूंद को चाट चाट कर अंदर पी लिया. उस दिन मुझे बहुत संतुष्टि मिली. जिस तरह से चाची मेरे वीर्य को पी कर संतुष्ट हो रही थी मैंने भी चाची की चूत का रसपान किया. बहुत मजा आया दोस्तो मेरी चाची के साथ मुझे.
 
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चाचा दुबई में.. चाची मेरे लंड के नीचे




मेरा नाम आलम है, मैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहता हूं.

यह कहानी मेरी और मेरी चाचीजान की है जिनका नाम जरीना है. उनकी उम्र 32 साल है लेकिन वो देखने में किसी जवान लड़की से कम नहीं लगती हैं. मेरी चाची का फिगर 34-30-36 का होगा. उनका एक 3 साल का बच्चा है, जो अपनी अम्मी की तरह क्यूट है. वो मुझसे काफी घुल मिल गया है.

उनके शौहर सऊदी में रहते हैं और दो साल में एक बार आते हैं. तो आप खुद समझ सकते हैं कि उनकी अपने शौहर के बिना कैसे गुजरती होगी.
उनके घर का ज्यादातर बाहर का काम में ही करता हूं, जैसे सब्जी लाना, उनके बेबी को बाहर घुमाने ले जाना आदि. पहले तो मैं उन्हें अपनी अम्मी के समान ही समझता था, लेकिन एक दिन की घटना ने मुझे बदल के रख दिया.

यह बात कुछ दिन पहले की है. उस दिन सन्डे था तो मेरी स्कूल की छुट्टी थी, मैंने अपनी अम्मी से बोला कि मैं चाचीजान के यहाँ जा रहा हूँ.
और सुबह सुबह ही चाची के यहाँ चला गया. चाची के घर में अन्दर जाने के बाद देखा कि उनका बेबी तो सो रहा है मगर जरीना चाची नहीं दिखाई दे रही हैं.

तभी बाथरूम से पानी गिरने की आवाज सुनाई दी, मैं समझ गया कि जरीना चाची नहा रही हैं.
मैं ज़ोर से बोला- मैं भी सोचूँ चाची कहाँ चली गईं.
चाची भी बाथरूम से ही बोलीं- तुझको छोड़ कर कहाँ जाऊँगी.
मैं उनकी इस बात को सुन कर हंसने लगा.

तभी चाची ने कहा- आलम मैं तौलिया तो वहीं रख कर भूल आई हूँ, मुझे जरा तौलिया उठा कर दे देना.
मैं चाची के रूम से तौलिया ले आया और बाथरूम के बाहर खड़े होकर बोला- अब आपको अन्दर आकर कैसे दूँ?
चाची बोलीं- तू तो मेरे बेटे जैसा है, फिर शरम कैसी?

इतना कह कर उन्होंने अपना हाथ बाथरूम के दरवाजे में थोड़ी जगह करके बाहर निकाला और मैं उन्हें तौलिया पकड़ा ही रहा था, मगर उनके साबुन लगे होने के कारण उनका पैर स्लिप हो गया और वो बाथरूम में ही फिसल गईं.

उन्हें चोट लग गई तो वे ज़ोर से दर्द की वजह से चिल्लाने लगीं कि आलम बेटा मुझे बहुत दर्द हो रहा है, मैं उठ कर खड़ी नहीं हो पा रही हूं, अन्दर आकर मेरी हेल्प करो.
मैं बोला कि आप कपड़े पहन लो, फिर मैं अन्दर आऊं.
तो उन्होंने कहा कि मेरे हाथ में दर्द बहुत है, मैं कपड़े नहीं पहन पाऊँगी, मैं तौलिया लपेट लेती हूँ.
मैंने कहा- ठीक है.

और उन्होंने जैसे तैसे तौलिया लपेटी तो मैं अन्दर गया तो देखा कि चाची का शरीर आधे से ज्यादा दिख रहा है, उनके चूचे बड़े होने के कारण तौलिया में छुप नहीं पा रहे थे और उनकी चिकनी जाँघें ऊपर तक साफ दिखाई दे रही थीं.

ये नजारा देख कर मेरी तो हालत ही खराब हो गई. मैंने जैसे तैसे अपने आपको कंट्रोल किया और चाची को बोला- आप मेरे कंधे पे हाथ रख कर रूम तक चलो.
उन्होंने मेरे सहारे चलने की कोशिश की, मगर उनके पैर ने उनका साथ ना दिया और वो गिरने लगीं तो मुझसे बोलीं- तुम मुझे अपनी गोद में उठा कर ले चलो.

इतना सुन कर मेरा दिल और जोर से धड़कने लगा. आज तक मैंने किसी औरत को इतने करीब से कभी नहीं छुआ था और फिर औरत भी पूरी हुस्न की मालकिन, जिसको देख कर ही अच्छे अच्छे लोगों की हालत खराब हो जाए.
मैं कुछ सोचने लगा तो चाची बोलीं- इतना शर्माओ मत, मुझे बहुत दर्द हो रहा है और वैसे भी यहाँ कोई नहीं है, जो तुम्हें देख लेगा.

चाची की ये बात सुन कर मुझमें थोड़ी हिम्मत आई और मैंने चाची को अपनी गोदी में उठा लिया. मेरा एक हाथ उनकी पीठ से होकर उनके चूचे तक था और दूसरा उनकी कमर के नीचे था.
जब मैंने चाची को उठाया तो चाची बोलीं- आलम बेटा, मुझे कस के पकड़ना, गिरा मत देना.

इतना सुनते ही मैंने उन्हें और जोर से पकड़ लिया. अब उनके चूचे मेरे हाथों को महसूस कर रहे थे. सच में क्या मस्त चूचे थे.. वैसे भी आधे से ज्यादा तौलिया से बाहर थे. मैं चाची को बाथरूम से उठा कर उनको रूम में ले गया और बेड पर लिटा दिया.
चाची बोलीं- शुक्रिया आलम, तुमने मेरी इतनी हेल्प की.
मैंने कहा- चचीजान, इसमें शुक्रिया वाली क्या बात ये तो मेरा फर्ज़ था.

उन्होंने कहा- फिर एक काम और कर दो, मेरे पैर और हाथ में बहुत दर्द हो रहा है, थोड़ी तेल की मालिश कर दो.
मैंने कहा- ठीक है.
उन्होंने कहा- अल्मारी में तेल की शीशी रखी है, निकाल लाओ.

मैं तेल की शीशी निकाल लाया और चाची से पूछा कि कहां पर दर्द हो रहा है.
उन्होंने कहा कि हो तो पूरी बॉडी में रहा है, मगर तुम जहाँ भी लगा पाओ.
मैं बोला कि ठीक है, देखते हैं कहाँ कहाँ लगा पाऊँगा.

मैंने हाथ पर थोड़ा सा तेल लिया और चाची की टांग के निचले हिस्से घुटने पर लगाने लगा. थोड़ी देर वहाँ पर मालिश करने के बाद चाची ने कहा कि थोड़ा और ऊपर लगाओ, वहाँ ज्यादा हो रहा है.
फिर मैंने तौलिया को थोड़ा और ऊपर सरकाया और जैसे ही वहां पर हाथ रखा चाची ने आँख बंद कर लीं और मुझसे बोलीं कि तुम मालिश बहुत अच्छी तरह करते हो.
मैंने कहा- हाँ, आपने कभी मौका ही नहीं दिया.
चाची मुस्कुरा कर बोलीं- आज मौका मिला है, कर दो अच्छी तरह से..

मैं मन में बुदबुदाया कि हां आज तो मौके पर चौका मारूँगा डियर चाची. फिर मेरा हाथ धीरे धीरे और ऊपर उनकी टाँगों के बीच स्पर्श करने लगा और चाची मदहोश होने लगीं और मेरा हाथ ज़ोर ज़ोर से दबाने लगीं. उनकी वासना जो बहुत समय से सोई हुई थी, जागने लगी. एक मीठी धारा का प्रवाह उनके शरीर में पानी की तरह बहने लगा था. मैं भी अपनी सारी हदें तोड़ने के लिए बेकरार था, बस उस तौलिया की सरहद मुझे उनसे दूर किए हुए थी.

मेरी उंगलियां अब कुछ ज्यादा ही शरारत करने लगीं थीं, चाची का दर्द भी शायद जा चुका था. मेरे हाथ अब चाची की चूत के आस पास ही मालिश कर रहे थे. शायद आज ही चाची ने नीचे के बाल साफ किए थे, तभी उनकी चूत की दरार किसी मखमल से कम नहीं लग रही थीं. जैसे जैसे मेरे हाथ उनकी चूत को स्पर्श करते, उनकी मादक चीख निकल जाती.

अब चाची की चूत में रस बहने लगा था जो किसी रसीले आमरस की तरह मेरे हाथ को महसूस हो रहा था.

चाची मस्ती में आँख बंद किए हुए थीं और दोनों हाथों की मुट्ठी ज़ोर से बंद किए हुए थीं. शायद अब उनके सब्र का बांध टूटने को तैयार था और उस बाँध के टूटने पर यक़ीनन मेरा डूबना भी तय था.
मेरी भी हालत खराब होने लगी थी. मेरे पेंट का उभार कुछ ज्यादा ही होने लगा था.
चाची ने अब अपने पैर घुटनों तक ऊपर उठा लिये, जिससे उनके पैरों में मेरा लंड स्पर्श करने लगा. मेरे हाथ उनकी चूत की और मेरा लंड उनकी टाँगों की मालिश कर रहे थे.

अब उनकी जुबान पर बस मेरा ही नाम ‘आलम आह ऊह ऊई..’ के साथ निकल रहा था.
उन्होंने मुझसे कहा कि ऊपर भी मेरे दर्द हो रहा है.. यहाँ भी मालिश कर दो.
मैंने पूछा- कहाँ पे?
वो बोलीं- कंधे से पेट तक..
इतना सुनना ही था कि मैंने झट से कहा- जरूर.. आप जहां बताओ, वहाँ करेंगे.

मैं तो चाची के इस निमंत्रण का इन्तजार ही कर रहा था. मैं इसी स्थिति में थोड़ा और ऊपर होकर उनकी कमर के बिल्कुल नजदीक आकर उनसे चिपक गया और थोड़ा सा तेल हाथों में लेकर उनके कंधे पर लगाने लगा. कन्धे पर तेल लगाने की वजह से मेरे हाथ उनके चूचे जो आधे से ज्यादा खुले थे, उनपे टच हो रहे थे और नीचे मेरा लंड उनकी चूत में घुसने को बेकरार था. जैसे जैसे मैं ऊपर उचक कर कंधे पर तेल लगाता, वैसे वैसे मेरा लंड उनकी चूत में चुभता जाता और चाची की सिसकारियाँ बढ़ती जातीं.

अब चाची पूरी तरह से मेरे आगोश में समाना चाहती थीं. मेरे हाथ कंधे से हट कर चाची के घुटनों की तरफ आकर कुछ शरारत करना चाह रहे थे. इतने में चाची का हाथ मेरे हाथों की तरफ बढ़ा, मुझे लगा शायद चाची मुझे रोकेंगी, लेकिन ये मेरी सोच से उल्टा हुआ और चाची ने मेरा हाथ पकड़ कर खुद ही अपने दूध पर रख कर एक दूध दबा दिया.

ये तो जैसे मुझे क्रिकेट की फ्री हिट मिल गई हो, फिर मेरे हाथ पूरी तरह से चाची के चूचे पर थे.

क्या बताऊँ यारो, कितने सॉफ्ट और मुलायम चूचे थे. बस चाची के मम्मों को पी जाने का जी चाहता था. मेरे हाथ अब उनके चूचों को गेहूँ के आटे की तरह गूंध रहे थे और चाची भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थीं. मैं इसी इन्तजार में था, मैंने चाची को बोला कि ये तौलिया तेल लगने से खराब हो जाएगी, क्या इसे मैं हटा दूँ?

चाची बोलीं- जरूर.. जैसा तुम्हें ठीक लगे.

मैंने जरा भी देर न करते हुए तौलिए को उस मखमली बदन से दूर किया और अब मेरे सामने पूरी तरह से नंगी चाची थीं. शायद खुदा ने उन्हें फुर्सत में तराशा था.
चाची मुझसे बोलीं- तुम्हारी भी शर्ट और पेंट खराब हो जाएगी, तुम भी उतार दो.
मैं बोला कि मेरे दोनों हाथों में तेल लगा है, चाची तुम खुद उतार दो.

वो शर्ट उतारने के लिए मेरे सीने के करीब आ गईं. जैसे ही उन्होंने 2 बटन खोले, मैंने आगे बढ़ कर उनके होंठों को चूम लिया.
चाची बोलीं- थोड़ा सब्र तो करो मेरे राजा, अब मैं तुम्हारी ही रानी हूँ.
फिर उन्होंने मेरी शर्ट उतार कर पेंट उतारने के लिए हाथ बढ़ाया, जो मेरे तने हुए लंड में टच हुआ.

चाची बोलीं- अब तो तू पूरा जवान हो गया है.
मैंने कहा- हां फिर भी आप ने इतना तड़फाया भी है.
वो बोली- आज नहीं तड़पाउंगी.
इतना सुनना ही था कि मैंने अपने होंठ चाची के होंठों से जोड़ दिए और उनके होंठों का रस पीने लगा.

अब मैं भी सिर्फ अंडरवियर में था, चाची ने मेरा लंड हाथ में लेकर दबाना शुरू कर दिया. शायद चाची चुदाने को पूरी तरह से तैयार थीं. मैंने भी चाची को किस करते करते बेड पर लिटा दिया.

चाची ने मेरी अंडरवियर उतार दी. मेरा 7 इंच का मोटा लंड चाची के चेहरे से टच हो रहा था. चाची ने मुँह खोला और अच्छे से लंड चूसने लगीं. इधर मेरे हाथ चाची की चूत की उंगलियों से चुदाई कर रहे थे.

उनकी चूत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी. अब मैंने चाची की टांगें उठा कर अपने कंधों पर रख लीं और अपना लंड चाची की चूत पे सैट करके हल्का सा धक्का लगाया ही था कि चाची की चीख निकली- उई अम्मी.. मर गई…
शायद इतने दिनों की लंड की भूखी होने के कारण उन्हें दर्द का एहसास होने लगा था.

मैं धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करता रहा, कुछ देर बाद चाची से मैंने पूछा- अब कैसा लग रहा है.. दर्द तो नहीं हो रहा है?
चाची बोलीं- आलम मेरे राजा अब बहुत अच्छा लग रहा है.. आज मुझे इतना चोदो कि मैं तुम्हारी हमेशा के लिए रखैल बन जाऊँ.

यह सुन कर तो मेरे लंड में और भी ज्यादा ताक़त आ गई. मैंने ज़ोर से धक्का मारा और मेरा लंड पूरा चाची की चूत में घुस गया. अब मै ज़ोर ज़ोर से चाची को चोद रहा था और चाची के चूचे किसी बॉल की तरह ऊपर नीचे होते जाते थे.

करीब 15 मिनट के बाद मुझे लगा कि मैं अब झड़ने वाला हूँ. मैंने लंड चूत से निकाल कर चाची के चूचे के ऊपर सारा पानी गिरा दिया. चाची ने अपनी बॉडी पर मेरे लंड रस को मल लिया.

इसके बाद मैं चाची के पास ही लेट गया. कुछ देर बाद उठ कर चाची के बाथरूम में नहाने के बाद अपने कपड़े पहन कर घर वापस जाने लगा, तो चाची बोलीं- आलम तुम मालिश बहुत अच्छी तरह से करते हो. कल फिर आकर कर देना.

इस तरह से चाची के संग चुदाई की शुरूआत हुई, इसके बाद तो चाची की मालिश और चुदाई का काम रोज का हो गया था.

 
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आपा यानि बहन के साथ सुहागरात


मेरा नाम आलम है, मैं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहता हूं.

यह मेरी दूसरी सेक्स कहानी है मेरी और मेरी चचेरी बहन की… जिसका बदला हुआ नाम रज़िया है!
उसके बारे में बता दूं कि वो रँग में तो थोड़ी साँवली है मगर उसका हुस्न ऐसा कि कोई भी उसे देखे तो उसका पानी पानी हो जाए!
उसकी उम्र 28 साल है, उसकी अभी शादी नहीं हुई है, उसका फ़िगर 34-30-36 का है, उसका फिगर मुझे सही से इसलिए पता है क्योंकि मेरी जनरल स्टोर की शॉप है और मेरी चचेरी बहन रज़िया मेरे से ही ब्रा और पैन्टी ले जाती है और वो ज्यादातर नेट वाली ही ब्रा पैन्टी पसंद करती है. माह में 2 बार वो ब्रा पैन्टी खरीदती है. पता नहीं उसे इन सबका कितना शौक है!

खैर अब मैं कहानी पर आता हू!

वो ज्यादातर सलवार सूट ऐसा पहनती है जिसमें उसके हर अंग का उभार साफ साफ दिखाई दें! देखने में मेरी बहन किसी रंडी से कम नहीं लगती है. बड़े गले का सूट पहनती है वो जिससे उसके मम्मे बाहर निकलने के लिए बेताब रहते हैं! मेरा तो दिल करता है बस अभी पकड़ के चूस जाऊँ!

मैं उसके घर जाता रहता हूँ जिस कारण मुझे उसके हुस्न के दीदार होते रहते हैं. मैं अपनी चचेरी बहन की चुदाई करना चाहता रहा था मगर कभी मौका नहीं मिला. और काफी दिन हो गए थे चाची की चूत मारे हुए भी तो कब तक मुट्ठी मार के काम चलाता यार!
वो मेरी बहन थी इसलिए ये काम थोड़ा मुश्किल था!

लेकिन अगर शिद्दत से चाहो तो हर काम आसान हो जाता है. मैं जब भी उसके घर जाता और मेरी चचेरी बहन रज़िया मेरे सामने झुक कर झाड़ू लगाती हुई मिल जाती तो मुझे तो जन्नत के दीदार हो जाते. उसके 34 साइज़ के दूध देख कर मेरा तो लंड खड़ा हो जाता और फिर घर आ कर मैं उसके नाम की मुट्ठी मारता!
ऐसा बहुत दिन तक चलता रहा, अब मैं और बर्दाश्त नहीं कर पा रहा था.

मैंने एक आइडिया सोचा कि कैसे रज़िया कि जवानी का रस पिया जाए! वैसे भी उसका निकाह तय हो चुका था और दो महीने बाद उसका निकाह था. और मैं उसकी शादी से पहले ही उसके साथ सुहागरात मनाना चाहता था… एक रात के लिए उसका पतिदेव बन जाना चाहता था.

एक दिन सुबह मैं उसके घर गया तो वो मुझसे बोली- आलम, आज मैं शॉप पर शॉपिंग करने आऊँगी, कुछ सामान लेना है!
उसकी मॉम बोली- तो उसमें क्या… ले आना, वैसे भी तो लाती रहती हो!
मैंने कहाँ- हाँ हाँ आंटी, अपनी ही शॉप है, उसमें क्या कहना!

मैंने रज़िया से कहा- दोपहर के बाद आना, ठीक रहेगा!
उसने कहा- ठीक छोटे भाई!
मैंने स्माइल दी और मैं अपनी शॉप पर आकर सोचने लगा कि कैसे रज़िया को पटाया जाए! मुझे जल्दी करना होगा वर्ना उसकी शादी हो जाएगी और मेरी हसरत अधूरी रह जाएगी.

फिर दोपहर का टाईम हो गया और मैं खाना खाने घर चला गया और शॉप नौकर के सहारे छोड़ दी. फिर खाना खा कर शॉप पे आकर रज़िया के बारे में सोचने लगा और नौकर को खाना खाने भेज दिया.
और तभी मन में एक विचार आया, मैं उठा और उठ कर जो नेट वाली ब्रा का न्यू सामान आया था, चेक करने लगा, उसमें बहुत अच्छी अच्छी टाइप की नेट वाली ब्रा थी! मैंने कुछ ब्रा के डिब्बे 32 साइज़ के लिए और कुछ 34 साइज़ के लिए फिर दोनों के साइज़ वाले लेबल आपस में बदल दिये!
और बैठ कर रज़िया आपा का इन्तजार करने लगा.

अचानक से रज़िया आपा आ गयीं.
मैंने कहा- बहुत देर बाद आई हो?
उसने कहा- काम था!
मैंने कहा- अच्छा!

फिर वो बोली- थोड़ा सामान दे दो!
मैंने कहा- बताओ?
उन्होंने एक रेड कलर की लिपस्टिक, क्रीम, पाउडर वगैरा लिया, मेरे मन में आया कि लगता है प्लान फेल हो गया, वो ब्रा और पैन्टी नहीं ले जाएँगी!
इतना सोच रहा था कि रज़िया आपा बोली- जोड़ दो, टोटल कितने पैसे हुए हैं?
यह सुन कर तो मैं अन्दर ही अन्दर उदास सा हो गया. मैंने टोटल किया तो 165 रुपये बने तो उन्होंने मुझे 500 का नोट मुझे दिया.

मैं बोला- आज तो बड़े सस्ते में काम हो गया, आपका इतने दिन बाद आई हो आपी, फिर भी?
तो वो बोली- अच्छा ब्रा और पैन्टी में कुछ न्यू आया है क्या?
मैंने कहा- हाँ, बहुत अच्छी अच्छी तरह की आई हुई हैं!
वो बोली- तो दिखा दो!

मैं तो इसी इन्तजार में ही था… ‘पूरा प्लान बना के रखा है मेरी जान!’ मैं मन में सोचने लगा!
वो बोली- क्या सोच रहे हो?
मैंने कहा- कुछ भी नहीं आपा!

फ़िर मैं वही डिब्बे ब्रा के उठा लाया जो थे तो 32 साइज़ के लेकिन उन पर लेबल 34 साइज़ का लगा था!
मैं बोला- अप्पी 34 लगती है ना?
वो बोली- इतनी जल्दी भूल जाओगे तो कैसे काम चलेगा?
मैं मुस्कुरा दिया!

और वो डिब्बे उसके सामने रख दिए, वो उसमें से पसंद करने लगी.
उसने एक पिंक और एक रेड कलर की ब्रा निकाली और मुझसे बोली- इसी कलर की पैन्टी भी निकाल दो.
मैंने नेट वाली मिलती जुलती पैन्टी मिला के दे दी और फिर उसके रूपय भी ले लिए और वो फिर घर चली गयी!

मैं फिर अपने काम में व्यस्त हो गया और आहिस्ता आहिस्ता शाम हो गयी और मैं रज़िया के बारे में ही सोचता रहा!
और सुबह उठ कर उसके घर गया. मुझे यक़ीन था कि रज़िया अप्पी मुझसे ब्रा के बारे में जरूर कुछ बोलेंगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ, शायद मॉम की वजह से उसने कुछ नहीं कहा!
फिर मैं घर आया और तैयार होकर शॉप के लिए निकल गया!

शॉप पे जाके बैठा ही था कि मेरा मोबाइल फोन बजा, मैंने निकाल कर देखा तो रज़िया अप्पी का फोन था! उनका नंबर देखते ही मेरे मुखड़े पर मुस्कान आ गयी!
मैंने फोन रिसीव किया और बोला- क्या हुआ अप्पी, कैसे याद किया?
वो बोली- ये ब्रा तुमने कितने नंबर की दी थी मुझे?
मैं बोला- देखो उस पे साइज़ लिखा होगा!

उसने ब्रा शायद हाथ में ही ले रखी थी, वो बोली- लिखा तो 34 ही है! लेकिन ये मेरे नहीं आ रही है बहुत टाइट हो रही है इसका हुक भी नहीं लग रहा है!
मैंने कहा- फोन कट करो, जहाँ से माल आता है, मैं वहाँ पता करके अभी कॉल करता हूं तुम्हें… ठीक?
वो बोली- ओके!

मैंने फोन कट किया और मेरे मन में लड्डू फूटने लगे थे और अप्पी के बारे में सोच कर ही मेरा लंड खड़ा हो गया! मैंने लंड हाथ में पकड़ा और सहलाते हुए कहा- रुक जा बेटा, थोड़ा सबर तो कर, रज़िया तेरी ही है!
फिर कुछ देर बाद अप्पी को फोन करके बताया कि उन्होंने बोला है कि सही से चेक करो, थोड़ा आगे पीछे करके पहनो, सबका साइज़ सही है, जब 34″ लिखा है तो 34 ही है!
मुझे तो पता ही था कि साइज़ तो पर्फेक्ट है, ये तो मेरा किया कराया है!
तो अप्पी बोली- बहुत ट्राई किया, नहीं आ रही है सही मॉम भी घर पे नहीं है जो उनकी हेल्प ले लूँ!
मैंने कहा- मॉम कहाँ गयीं?
तो अप्पी बोली- नानी के घर!

इतना सुन कर तो मुझे बिलकुल कंट्रोल नहीं हो रहा था, दिल कर रहा था अभी घर जाकर उसे चोद दूँ जाकर!
मैंने कहा- ओके, मैं शाम को आकर देख लूंगा कि क्या कमी है!
रजिया बोली- हाँ, तुम्ही देखना आकर… पता नही कहाँ से बेकार का माल ले आए? कलर और डिजाइन इतनी अच्छी और साइज़ पता नहीं कैसा!
मैं हंस कर फोन पर ही बोला- लगता है एक रात में ही तुम मोटी हो गयी हो!
उसने ‘पागल’ कह कर फोन कट कर दिया!

अब मेरा शॉप पे बिल्कुल भी मन नहीं लग रहा था, बस मैं इस इन्तजार में था कि जल्दी से रात हो और मेरी अधूरी वासना को पूरा करने का मौका मिले!
फिर शाम हुई, आज मैंने टाईम से पहले ही शॉप क्लोज कर दी और घर की तरफ निकल पड़ा. दिल में बस एक तमन्ना थी ‘रज़िया अप्पी!’

मैं घर आकर फ्रेश हुआ और खाना खा कर मॉम को बोला- मैं फ्रेंड के घर जा रहा हूँ, पार्टी है, थोड़ा लेट आऊंगा!
क्यूंकि रज़िया अप्पी आर्मी में थे तो वो बाहर ही रहते थे और उसकी छोटी बहन मॉम के साथ नानी के घर गयी थी! तो मुझे पूरा चांस था कि आज तो रज़िया के साथ सुहागरात मनेगी जरूर!

मैंने अप्पी के दरवाजे पर जाकर बेल बजाई तो आवाज आई- कौन?
मैंने कहा- आलम!
वो बोली- आती हूं!

उसने आकर दरवाज़ा खोला, वो रेड कलर का टाइट सूट पहने थी, देख कर मेरे मुँह में पानी आ गया और मैं अंदर आ गया.
मैं बोला- हाँ तो बताओ आपी, तुम्हारी क्या प्रॉब्लम है?
वो बोली- हाँ रुको, लाती हूँ!
रजिया ने अंदर से दोनों ब्रा के डिब्बे लाकर मेरे हाथ में दे दिए.
मैंने खोलकर देखा तो बोला- देखो लिखा तो 34″ ही है, लो सही से चेक करो जाकर!
वो बोली- कर चुकी हूँ! नहीं आ रही है.
मैंने कहा- करो तो?
वो बोली- ओके लाओ… क्या तुम्हारे सामने ही चेक करूँ!

मैंने दोनों ब्रा उसे दे दी उसे और वो अन्दर रूम में लेकर चली गई और कुछ देर बाद बाहर आई मैंने गौर से देखा तो शर्ट से उसके बूब्स साफ दिख रहे थे. यह नज़ारा देख कर तो मेरे अंदर करंट दौड़ गया!
शायद जल्दी में वो अपनी ब्रा पहनना भूल गयी थी!

बाहर आते ही मेरे हाथ में ब्रा फेंक दी और बोली- लो चेक कर ली, नहीं आई!
मैंने कहा- रेड वाली ट्राई करो, शायद इसी का नंबर चेंज हो!

वो अंदर गयी और अंदर से ही उसने आवाज़ लगायी- देखो आके… तुम मानते भी नहीं हो!
मैं जैसे ही रूम में दाखिल हुआ, मेरी तो जान ही निकल गयी, अप्पी नीचे तो सलवार पहने थी लेकिन ऊपर ब्रा पहनने की कोशिश कर रही थी आगे से boobs पूरे छुपे थे लेकिन पीछे अपने हाथों से हुक लगाने की कोशिश कर रही थीं! लेकिन हुक लगता भी कैसे बूब्स 34 इंच के और ब्रा 32 इंच की… ब्रा उन बूब्स पर कैसे फिट आती!

मैंने उसकी पीठ के करीब आकर कहा- थोड़ा और खींचो, लग जाएगा हुक इतना सुनते ही अप्पी बोली बोल रहे हो, ख़ुद ना हेल्प कर दो!
इतना सुनना ही था कि मुझे तो जैसे आमंत्रण मिल गया हो, मैं तो इस पल का वर्षों से इन्तजार कर रहा था! वो कहते हैं ना ‘जिसे शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है.’

मैंने अपने हाथ में दोनों ब्रा के हुक लिए और थोड़ा ज़ोर लगाया मगर हुक नहीं लग पाया लेकिन मेरे हाथों के स्पर्श से अप्पी थोड़ा बहकने लगीं!
मेरा हाथ हुक खींचने के कारण मेरी उंगलियाँ उनकी नंगी पीठ में चुभ रहीं थीं!
वो बोली- बस देख लिया कितनी छोटी ब्रा दे दी!
बोली- इतनी अच्छी डिज़ाइन है, मुझे पसंद भी बहुत आई लेकिन पता नहीं कैसा साइज़ है!
मैंने कहा- आ जाएगी ब्रा लेकिन तुम कुछ कहना ना!
बोली- कैसे? लगाओ हुक, हम भी तो देखें!

इतना सुना ही था, मैंने एक हाथ में मेरे ब्रा का हुक था और दूसरा हाथ मेरा अप्पी के बूब्स पे पहुंच गया और बूब्स ज़ोर से दबा दिए मैंने!
वो बोली- क्या भाई, ये क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- अपने ग्राहक की प्रॉब्लम सॉल्व!
मैंने पूरी तरह से उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया.

पहले तो अप्पी बोली- छोड़ो मुझे, कोई आ जाएगा, और मैं तुम्हारी बहन हूँ.
मैंने कहा- हाँ… लेकिन आज तुम मेरी वाइफ बनोगी!

थोड़ी देर तो उसने मेरा विरोध किया लेकिन वो भी शायद बहुत प्यासी थी, 28 की उम्र तक उसे लंड का स्वाद चखने को नहीं मिला! अब वो गरम हो गयी और उसने सारे शरीर का भार मेरे शरीर पर छोड़ दिया! मैंने ब्रा छोड़ दी और अब मेरे दोनों हाथ उसके बूब्स को मसल रहे थे और ब्रा सरक कर नीचे गिर गई.
अब मेरा लंड पूरी तरह से टाइट हो चुका था जो सलवार के ऊपर से ही अप्पी की गांड में घुसना चाह रहा था. मेरा एक हाथ अप्पी की सलवार का नाड़ा खोलने की योजना बना रहा था!

मैंने झट से उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया जिससे उसकी सलवार सरक कर नीचे गिर गई, अब वो सिर्फ पैन्टी में थी, मैंने रज़िया अप्पी को अपनी तरफ मुखड़ा करके घुमा लिया और अपना हाथ पैन्टी में डालना चाहा तो अप्पी के हाथ ने मेरा हाथ पकड़ कर रोक लिया. मैंने अपने होंठ अप्पी के होंठों से मिला दिए और उनका रस पीने लगा जिस से उसके हाथ की पकड़ ढीली होने लगी और वो पूरी तरह से गर्म हो चुकी थी!

मेरा हाथ तुरंत मेरी बहन की पैन्टी में प्रवेश कर गया, वहां तो पहले से ही सैलाब आया था, उसकी चूत पूरी तरह से भीग चुकी थी और अब तो बस वो चुदने को बिल्कुल तैयार थी! मैंने जैसे ही चूत पे हाथ रखा… क्या बताऊँ यारो, वो फूली हुई गुजिया जैसी चूत थी जिसे मैंने कस कर रगड़ा.
अब उसकी आवाज़ बदल चुकी थी और उउई उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह उउई जैसी आवाज़ निकलने लगी थी!

अब मैं सुहागरात मनाने के लिए बिल्कुल तैयार था, मैं उसे उठा कर उसकी मॉम के बेड पे ले गया जहां वर्षों पहले उसकी माँ ने सुहागरात मनाई होगी!
मैंने उसे बेड पर फेंका. वो बोली- प्यार से भाई!
मैं पूरा कट्टर मर्द की तरह उस पर टूट पड़ा और उसकी पैन्टी को फाड़ के फेंक दिया.
अप्पी बोली- मेरी न्यू वाली पैन्टी तुमने फाड़ दी!
मैंने कहा- जानेमन आज से तू मेरी वाइफ है, मैं तुझे अच्छी अच्छी पैन्टी ला के दूँगा, अपनी तो शॉप ही है!

फ़िर मैं अपनी बहन की चूत को चाटने लगा जिसमें से अमृत बह रहा था, मैं उस अमृत को पीए जा रहा था! फिर मैंने अप्पी को अपनी तरफ खींचा और उसके मुंह में अपना लंड देकर उसे बोला- चूस मेरी रंडी… बहुत दिन तड़पया तुमने!
और मेरा 7 इंच का मोटा लंड वो मुँह में ‘ऊउन हूंन…’ करके चूसे जा रही थी और मैं उसके बूब्स से खेल रहा था.

फिर मैंने उसे लिटाया और उसकी चूत पर लंड का टोपा रखा और जोर लगाया, वो पूरी तरह से कुँवारी थी तो उसे थोड़ा दर्द हुआ.
वो बोली- बेबी आराम से… आज रात मैं तुम्हारी ही हूँ!

मैंने ज़ोर का धक्का मारा और आधा लंड अंदर हो गया, अप्पी की तो चीख ही निकल गयी! फिर मैं धीरे धीरे अंदर बाहर करता रहा. जब उसकी चूत खुलने लगी तो मैं ज़ोर ज़ोर से धक्के मारने लगा और अप्पी का भी अब दर्द जा चुका था और उसे भी मज़ा आने लगा था!
अब वो मुझे सइयां कह कर बुला रही थी- चोदो मेरे सइयां… आज शादी से पहले मेरी सुहागरात है!
और कुछ देर चोदने के बाद वो झड़ गयी और मैं भी झड़ने वाला था तो मैंने अपना पूरा वीर्य अपनी बहन की चूत में ही छोड़ दिया!

मैं उसी के पास लेटा रहा. और कुछ देर बाद टाईम देखा तो 1 बज चुका था! मैं उठा और अपने कपड़े पहनने के बाद अप्पी से बोला- कैसी रही तुम्हारी सुहागरात की ट्रेनिंग?
बोली- ट्रेनिंग नहीं, रियल सुहागरात थी!
 
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चूत चाटने का ख्वाब पूरा हुआ



यह कहानी है मेरी और एक अनजान औरत की या यूँ कहें तो एक हुस्न की मल्लिका की है। मैं एक स्टूडेंट हूँ और कॉम्पिटिशन क्लास की तैयारी कर रहा हूं। आप सबको तो पता ही होगा कि ये एक्जाम अपने शहर से काफी दूर होते हैं। इसलिए काफी दूर-दूर तक भी जाना पड़ जाता है।

पिछले दिनों मेरा एक पेपर लखनऊ से कुछ दूर बाराबंकी में था मेरे और दोस्तों का पेपर भी था. लेकिन लक बाई चांस कहें या कुछ भी उन सबका लखनऊ में ही था.

तो मैं अपने दो दोस्तों के साथ सुबह ही घर से तैयार होकर बस से निकल लिया.

जून का महीना था इसलिये गर्मी बहुत ही ज्यादा थी। इसलिए मैं सिर्फ एक हल्की टी शर्ट और जीन्स ही पहन कर घर से निकला था. हम लोग 11 बजे लखनऊ पहुँच गए पेपर का टाइम 2 बजे था इसलिए मैं अपने दोस्तों को बाय बोलकर बाराबंकी की बस पकड़ने निकल लिया।

जब बाराबंकी की बस की तरफ गया तो देखा उसमें बहुत ही ज्यादा भीड़ थी सारी सीट पहले ही बुक हो चुकी थीं और बहुत से लोग खड़े भी थे।

मुझे पेपर के लिए लेट हो रहा था इसलिए मैं ना चाहते हुए भी उस बस में चढ़ गया। जब बस में चढ़ा तो खड़े लोगो से बस भरी हुई थी.
मेरे चढ़ते ही बस चलने लगी. और बहुत से लड़के जो शायद पेपर ही देने जा रहे थे मेरे पीछे आकर खड़े हो गए जिसकी वजह से मुझे बस में आगे की तरफ बढ़ना पड़ा।

जब मैं आगे की तरफ बढ़ा तो मेरी नज़रें अचानक से रुक सी गयीं, मैंने देखा कि कोई एक कातिलाना फ़िगर की कोई मालकिन आंटी कहें या भाभी खड़ी थी. लेकिन मैं सिर्फ अभी उनको पीछे की तरफ से ही देख पाया था लेकिन पीछे से देख कर ही मुझे अंदाजा हो गया कि ये औरत अच्छे अच्छों के लंड खड़े कर सकती है।
उठी हुई गाण्ड … उफ्फ!

खैर मैं अभी उस औरत से थोड़ी सी दूरी पर ही था लेकिन उसके शरीर की महक मुझे अपनी और आकर्षित कर रही थी।

तभी एक स्टॉप पर बस रुकी और कुछ भीड़ और ज्यादा बढ़ गयी जिस कारण मुझे थोड़ा धक्का सा लगा और मेरा और उस औरत का एक हल्का सा स्पर्श हो गया जिसकी वजह से उसने मुझे मुड़ कर देखा और हल्के से गुस्से वाले अंदाज में आँखें दिखाई।

लेकिन मैंने इशारे में ही कहा कि पीछे से धक्का लगा है. तो उसने हल्की सी स्माइल दी और फिर आगे की तरफ अपना चेहरा कर लिया।
लेकिन उसका चेहरा देख कर अंदाजा हो गया कि आंटी की उम्र 40 के आस पास होगी.

लेकिन उन्होंने अपने आपको इतनी अच्छी तरह से सँवारा था कि वो बिल्कुल एक नयी नवेली दुल्हन की तरह लग रही थी।

वो मोटी-मोटी आँखें, दूध सा गोरा चेहरा, टमाटर जैसे गाल और पतले पतले सुर्ख लाल लिपस्टिक से रंगे हुए होंठ और बहुत कड़क से लग रहे थे. उसके लगभग 34″ के चूचे, उठी हुई गाण्ड, मैं तो देखकर ही मदहोश सा हो गया।
काश इस औरत को चखने का मौका मिल जाए तो जिंदगी सफल हो जाए।

खैर भीड़ की वजह से अब मैं उस आंटी से बिल्कुल चिपक कर ही खड़ा था. जैसे जैसे बस में ब्रेक लगती तो मैं आंटी की गाण्ड से हल्का सा छू जाता. उफ्फ … क्या मस्त गान्ड थी यार!

जब बार बार मैं उससे रगड़ रहा था तो अब शायद उसको भी मज़ा आ रहा था। तभी वो भी कुछ नहीं बोल रही थी.
मैं इस बात का फायदा उठाना चाहता था लेकिन फिर डर भी रहा था कि कहीं वो कुछ कहने ना लगे तो मेरी तो इज्ज़त के तो लौड़े लग जाएंगे।

लेकिन अब मेरी हिम्मत बढ़ती जा रही थी और मुझे पता भी नहीं चला कब मेरे हाथ मेरे काबू से बाहर होने लगे थे।

मेरे हाथों पर से ही मेरा कंट्रोल ख़त्म होता जा रहा था और मेरा हाथ उसकी साड़ी के ऊपर से ही उसके चूतड़ों को सहलाना चाह रहे थे. फिर एकदम से मैंने हाथ उसकी जाँघ पे रख दिया.

उसकी सिल्क की साड़ी और उस साड़ी में वो ‍मखमली बदन … जैसे ही मैंने हाथ रखा मेरे तो लंड में बढ़ोतरी सी होने लगी. जिस वजह से मैं थोड़ा हॉट मूड में आ रहा था. लेकिन मुझे जरूरत थी तो उस अनजान आंटी के साथ की।

वो आंटी भी बहुत मुझे बहुत दिनों की प्यासी लग रही थी. शायद आज मेरी किस्मत साथ देने वाली थी तभी तो जब मैंने हाथ उसकी जाँघ पर रखा तो उसने मुझे कुछ ना बोला. जिससे मेरी हिम्मत तो बहुत ज्यादा ही बढ़ गयी.

अब मैं उसके चूतड़ों की हल्के हाथ से मालिश भी करना चाह रहा था।

अब मैं उनके जिस्म को अपने कब्जे में लेना चाहता था। आंटी को भी शायद अब मज़ा आने लगा था अभी मेरे हाथ उसकी चिकनी जाँघ पर ही थे. अब मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा था मैं उसकी गांड की हाथों से मालिश करना चाहता था.

अचानक ड्राइवर ने ब्रेक मारी तो बस की ब्रेक जैसे ही लगी तो मेरे हाथों की गाड़ी स्टार्ट सी हो गई और सीधे उसके फूले हुए चूतड़ मेरे हाथ में आ गए. मैंने आंटी के चूतड़ ज़ोर से दबा दिए जिससे आंटी चौंक सी गयी और उसकी आवाज़ आह‍हह करके निकल गई।

लेकिन वो कुछ भी नहीं बोली. आंटी ने मेरी तरफ देख कर अपने होंठों को अपने दांतों में दबा लिया. शायद मेरा उसके चूतड़ों को दबाना बहुत अच्छा लगा. तभी वो मेरा साथ देना चाहती थी।

यह मेरे लिए ग्रीन सिग्नल की तरह था. अब तो मुझे क्रिकेट की फ्री हिट की माफिक आज़ादी मिल गयी. अब मेरा लंड और ज्यादा टाइट होने लगा था।

आप लोग तो जानते ही होंगे 23 की उम्र में कैसी चाहत होती है चूत की! कि बस मिल जाए एक बार!
और फिर ऐसी रस भरी जवानी की कोई आंटी मेरे इतने करीब हों तब तो ना इंसान संभल सकता है और ना उसका लण्ड!

आंटी भी अब मूड में आती जा रही थी. गर्मी की वजह से मेरे और आंटी दोनों के बदन में पसीना टपकने लगा था. चेहरे से होते हुए पसीना आंटी के ब्लाउज से होता हुआ उनकी की ब्रा में जा रहा था।
पसीने वजह से हम दोनों ही पूरी तरह से भीग चुके थे।

लेकिन तभी कंडक्टर की आवाज आई- उतरो उतरो सब लोग … बस यहीं खाली होगी.
मैंने पूछा तो उसने बताया कि बस अड्डे नहीं जाएगी बस! आगे जाम बहुत है, सबको यहीं उतरना पड़ेगा।

यह सुनकर तो जैसे मेरे अंदर से पूरा जोश ही निकल गया. यार इतना मज़ा आ रहा था!

फिर मैंने जल्दी से हाथ उसकी गांड से हटाया और नीचे उतरने लगा. लेकिन मेरी नज़रें उस अनजान औरत को ही घूरे जा रही थी।
और वो आंटी भी चुपके चुपके मेरी तरफ देख रही थी. शायद मेरी तरह उसकी भी प्यास अधूरी ही रह गई थी.

अब सब लोग बस से नीचे उतर कर बाराबंकी शहर की तरफ चलने लगे. मैं उस हुस्न की मल्लिका के पीछे ही थोड़ी दूरी पर चल रहा था. मेरा लण्ड अब भी थोड़े मूड में था।

मैं उसके पास ही चल रहा था लेकिन कुछ बोलने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी.

तभी वो आंटी अचानक से रुकी और मेरे पास आकर बोली- कहाँ रहते हो तुम?
यह सुनकर तो मेरी ख्वाहिश ने फिर से जन्म सा ले लिया। मैं बोला- मैं इस शहर का नहीं हूँ. यहां मेरा एक्जाम है, वही देने आया हूँ.

तो आंटी बोली- कितने बजे है पेपर?
मैं बोला 2 बजे से 5 बजे तक!

आंटी मेरे साथ साथ ही चल रही थी और बातें भी करती जा रही थी जैसे कि मैं उनके साथ ही हूँ।

फिर आंटी बोली- पेपर के बाद क्या कर रहे हो?
मैंने बताया- घर वापस चला जाऊंगा.
आंटी ने कहा- बहुत रात हो जाएगी घर पहुँचते पहुँचते!

उन्होंने एक कागज निकाल कर उसपर अपने घर का एड्रेस लिख दिया और बोली- अगर चाहो तो मेरे यहाँ रुक सकते हो, मैं अकेली ही रहती हूँ।
इतना सुनकर तो मेरी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा.
और आंटी वही से ऑटो पकड़ कर अपने घर की तरफ चल दीं.

अब मैंने घड़ी की तरफ देखा तो टाइम 1 के ऊपर हो चुका था. अब मुझे अपना एक्जाम सेंटर भी ढूंढना था.

मैंने एक ऑटो वाले को रोका और अपना एडमिट कार्ड दिखा कर उसी स्कूल चलने को बोला।

मेरे मन में अभी भी उसी आंटी का ख्याल ही बार बार आ रहा था कि जल्दी से शाम हो फिर शायद मेरी ख्वाहिश मुकम्मल हो जाए.

2 बजे एक्जाम शुरु हुआ, जैसे तैसे मैंने वो तीन घंटे गुजारे और एक्जाम हाल से बाहर आकर एक चैन की साँस ली.

फिर मैंने वो पर्ची बैग से निकाली और हाथ में पकड़ कर ऑटो के करीब गया। ऑटो वाले से पूछा- यह एड्रेस यहां से कितनी दूर है और कितने पैसे लोगे?
उसने पूछा- अकेले हो?
मैंने कहा- हाँ!

तो वो बोला- दूर है यहाँ से, बुकिंग पे जाएगा ऑटो, 150 रुपये लगेंगे.
मैंने कहा- ठीक है, चलो!

मेरी आँखों में तो वही बस वाला ही लम्हा आए जा रहा था कि कैसे मैं आंटी के इतने करीब था यार!
पूरे रास्ते मेरे दिल में सिर्फ और सिर्फ आंटी ही का ख्याल रहा. तभी ऑटो वाले ने ऑटो रोक के कहा- इस गली के अंदर ऑटो घूम नहीं पाएगा, आपको यहीं उतरना पडे़गा.

उतर कर मैंने उसको रुपए दिए और गली में आ गया. मैंने देखा कि उस गली में बहुत अच्छे अच्छे मकान बने थे.
मैंने पर्ची पर देखा तो मकान नंबर 12 था. मैंने जाकर देखा, दरवाजा बंद था और बेल लगी थी. मुझे थोड़ा डर भी लग रहा था कि कही आंटी ने मज़ाक ना किया हो, ये किसी और का घर हो।

लेकिन फिर आंटी का वो आग लगा देने वाला फ़िगर मुझे याद आ गया. मैंने थोड़ी हिम्मत करके एक बार बेल बजाई लेकिन कोई आवाज नहीं आई.
फिर जैसे ही दोबारा बेल बजानी चाही, दरवाजा हल्का सा खुला.
तो मैंने देखा उफ्फ … वही आंटी भीगे हुए बालों में पिंक कलर की साड़ी और उसके अंदर ब्लैक कलर का लो कट वाला ब्लाउज पहने हुए मेरे सामने आयी. उनके दूध से भी सफेद गोरे गोरे चूचे जो क्लीवेज में दिख रहे थे, देख कर मेरा तो दिल ज़ोर ज़ोर से धड़‍कने लगा.

वो बोली- अंदर आ जाओ।

मैं डर डर के अंदर जाने लगा तो वो बोली- डरो मत, यहां कोई भी नहीं है.
और उन्होंने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया।

आंटी बोली- तुम्हें आने में तकलीफ तो नहीं हुई? और कैसा हुआ तुम्हारा पेपर?
मैंने कहा- ठीक हुआ!

वो बोली- जाओ फ्रेश हो लो, तुम पसीने में भीगे हुए हो.
मैंने बताया- मेरे पास कपड़े नहीं हैं चेंज करने के लिए!
वो बोली- रुको, मैं देती हूँ!

वो रूम से एक लोअर और एक हल्की सी टीशर्ट ले आयीं जिसे लेकर मैंने बाथरूम में जाके चेंज कर लिया।

आंटी बोली- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है?
मैंने बोला- नहीं!
वो बोली- क्यूँ?
मैंने कहा- मुझे लड़कियां नहीं, औरतें पसंद हैं आपकी जैसी!

वो मुस्कुराईं और बोली- मुझे बना लो फिर अपनी गर्लफ्रेंड!
मैंने कहा- बनाने तो आया हूँ! और आपके घर में कौन कौन है?
आंटी बोली- एक बेटा है, वो लखनऊ में हॉस्टल में रहता है और हसबैंड बिज़नस के सिलसिले में ज्यादातर बाहर ही रहते हैं.

मैंने कहा- आप इतनी खूबसूरत हैं और इतनी सेक्सी भी! आपका दिल नहीं करता कि कोई आपको रोज प्यार करे?
आंटी बोली- करता तो बहुत है. लेकिन मैं अपने पति को धोखा नहीं देना चाहती!
तभी मैंने कहा- इसमें धोखा कैसा? इंसान की ये भी एक जरूरत है।

वो मुस्कुराईं और बोली- हां पगलू!
और वो मुझसे बोली- तुम टीवी देखो, मैं खाना बनाने जा रही हूँ। बताओ तुम्हें खाने में क्या पसंद है?
मैंने झट से बोल दिया- आप!
आंटी बोली- अच्छा खा लेना!
और इतना बोल के मुस्कुरा के किचन में चली गईं।

मैं टीवी तो देखने लगा मगर मेरे मन में सिर्फ आंटी का ही ख्याल बार-बार आ रहा था।

मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मेरे कदम अब रसोई की तरफ बढ़ने को मजबूर हो रहे थे कि ऐसा मौका कहाँ मिलेगा मुझे।
मैं ना चाहते हुए भी अचानक से खड़ा हुआ और टीवी को चलता हुआ छोड़कर किचन में पहुंच गया.

वहां जाकर देखा तो आंटी मेरी तरफ पीठ करके खड़े होकर खाना बना रहीं थीं. मैं उनके पीछे खड़े होकर कुछ देर उनको देखता रहा.

वो जैसे जैसे कुछ उठाने के लिए इधर उधर होतीं तो उनकी मस्त गाण्ड मटक-मटक कर मुझे अपनी और आकर्षित करने लगी।
इतनी उठी हुई और सेक्सी गांण्ड मैंने पहले कभी नहीं देखी थी।

फिर मुझसे रहा नहीं गया और मैंने जाकर पीछे से आंटी को जोर से हग कर लिया जिसकी वजह से उनकी आअह ह की आवाज निकल गई.
आंटी मुझसे बोली- क्या कर रहे हो? थोड़ा रुक तो जाओ, खाना तो बनाने दो.
वो मुझे हटाने की कोशिश कर रही थीं.

मैंने कहा- मुझसे अब और सबर नहीं हो रहा है. और मुझे खाना नहीं, आपको खाना है.
इतना कह कर मैंने और जोर से आंटी को जकड़ लिया और उनकी गर्दन पर खूब किस करने लगा.

अब मेरा लण्ड टाइट हो चुका था जो आंटी की गाण्ड में चुभ रहा था जिससे आंटी भी अब बहकने लगी थीं। उनका विरोध धीरे धीरे समाप्त होता जा रहा था. उनके सेक्सी जिस्म पर मेरी हुकूमत होती जा रही थी।

मैंने आंटी को कमर से खूब टाइट पकड़ा था। अब आंटी का विरोध खत्म होते ही मैंने अपने दोनों हाथों में आंटी के कड़क और रसीले बूब्‍स ले लिए. जिन्हे मैं ज़ोर ज़ोर से दबाने लगा.
इसकी वजह से आंटी की आवाज उह आआहह ओह करके निकलने लगी थी जो मेरे लण्ड को और ज्यादा टाइट करने वाली थी।

अब आंटी अपने जिस्म को पूरी तरह से मेरे हवाले कर चुकी थीं.

फिर मैंने उन्हें अपनी गोद में उठा लिया तो आंटी बोली- कहाँ ले जा रहे हो?
मैंने कहा- तुम्हारे बेड पर जिस पे तुम अपने पति से चुदती हो!

और मैंने आंटी को ले जाकर बेड पे लिटा दिया. मैं उनकी साड़ी और पेटिकोट को घुटनों तक ऊपर करके टांगों पर किस करने लगा.
क्या बताऊँ यार … कितनी चिकनी टांगें थी आंटी की!
मैं नीचे पैरों से घुटनों तक किस कर रहा था।

फिर मैंने आंटी की साड़ी निकाल दी. अब वो सिर्फ ब्लाउज और पेटिकोट में रह गयी.

लो कट वाले ब्लाउज में आंटी की चूची देख कर मुझसे रहा नहीं गया. मैंने आंटी का ब्लाउज भी खोल दिया और पेटिकोट का नाड़ा मैंने हाथ से खोला ही था कि आंटी ने अपने पैरों से ही अपना पेटिकोट निकाल दिया.

अब आंटी सिर्फ ब्रा और पेंटी में थी.

मैं ब्रा के ऊपर से ही आंटी के बूब्‍स चूसने लगा. और फिर मैंने ब्रा पकड़ कर एक झटका मारा तो ब्रा का हुक टूट गया और आंटी की चूचियां पूरी नंगी हो गयी.
यार कितने सेक्सी रस भरे दूध थे गोरे गोरे!

मैंने एक स्तन अपने मुँह में रख लिया जो आधे से ज्यादा मेरे मुँह से बाहर ही था. मुझे अंदाजा हो गया आंटी के बूब्‍स 36+ के हैं।

फिर बारी बारी से मैंने दोनों बूब्‍स खूब चूसे मैं उनके निप्पल को दाँतों में दबाए था जिससे आंटी की सिसकारियाँ अब पूरे रूम में गूंजने लगीं थीं.

अब मैं उनकी गर्दन से किस करता हुआ उनकी कमर और पेट पर भी खूब गीली गीली किस कर रहा था और उनकी पेंटी के पास अपना मुंह ले आया.
मैं बहुत ज्यादा ही हॉट हो चुका था।

फिर आंटी बोली- किस ही करोगे क्या?
मैंने कहा- हाँ, ऐसा किस कि आप मेरी हो जाओगी हमेशा के लिए!
“अच्छा कैसे?”

इतना सुनकर मैंने आंटी की काली पेंटी के ऊपर से ही चूत पे अपनी जुबान लगाई. आंटी की आह हाहा ह उउःह जैसी आवाजें मुझे और ज्यादा ही गर्म करने वाली थी।

फिर मैंने दाँतों से पकड़ कर आंटी की पेंटी खींच दी वो मेरी कल्पना मेरी फैंटसी अब हकीकत में बदलने वाली थी.

आंटी की रस भरी चूत अब बिल्कुल मेरे मुँह के पास ही थी. एक मदहोश करने वाली महक आंटी की चूत से निकल रही थी.
शायद अब आंटी चुदने के लिए तैयार हो चुकी थी तभी उनकी चूत गीली हो चुकी थी.

अब मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की किनारी पर रख दी और चाटने लगा. आंटी ने भी टाँगें थोड़ी चौड़ी कर दी जो मुझे चूत का रस पीने का आमंत्रित कर रही थी।

फिर मैं भी पूरी जुबान चूत में डाल कर ज़ोर ज़ोर से चाट रहा था.
अब आंटी पूरी तरह से चुदने को तैयार थी लेकिन मैं उनकी चूत का रस ही पीने में मस्त था।

आंटी बोली- मुझे भी तो मौका दो.
इतना सुनते ही मैं 69 की पॉजिशन में आ गया. अपनी पैंट और अंडरवियर निकाल कर मैंने आंटी के मुँह के पास अपना लण्ड किया.

आंटी ने खुद मेरा पूरा लंड मुंह में ले लिया और जोर जोर से चूसने लगी। आंटी बहुत अच्छी तरह से मेरा लण्ड पूरा अंदर ले लेके चूस रही थी।

मैं आंटी की चूत चाट रहा था और वो मेरा लण्ड लॉलीपॉप की तरह चूस रही थी.
आंटी की चूत जितनी गीली हो रही थी मुझे चूसने में उतना ही मज़ा आ रहा था।

अब मेरा लिंग अपनी परम उत्तेजना पर आ चुका था.
फिर मैं आंटी के मुँह से अपना लिंग निकाल कर आंटी की रस भरी चूत की तरफ आ गया और पास में पड़ी हुई अपनी पैंट से कंडोम का पैकेट निकाला जो मैंने रास्ते में लिया था।

आंटी ने देखा तो बोली- ये लगा के करोगे?
मैंने कहा- हाँ!
आंटी बोली- नहीं मेरे राज़ा, ऐसे ही करो, अपना पूरा वीर्य मेरी चूत में ही जाने देना.

इतना सुनते ही मैंने कंडोम का पैकेट वहीं डाल दिया और आंटी जी की दोनों टाँगें पकड़ कर अपने और पास खींच लिया। मैं अपना लण्ड आंटी की चूत पे रखकर हल्का सा रगड़ने लगा.
आंटी तो बिना पानी के जैसे मछली तड़पती है वैसे ही तड़पने लगी, बोली- और ना तड़पाओ मेरे राज़ा जी!

फिर मैंने ज़ोर लगाया और लण्ड अंदर डाला.
इतनी उम्र की होने के बाबाजूद आंटी की चूत अभी भी काफी टाइट थी।

अब मैं अपनी रफ्तार बढ़ाने लगा था जिसकी वजह से आंटी आआ हहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… हऊऊह जैसी आवाजें निकाल रही थी.
अब वो भी मेरा पूरा साथ देने लगी थी और अपनी टाँगें फैला कर पूरा अंदर ले रही थीं।

अब मैं पॉजिशन बदलना चाह रहा था।

फिर मैं आंटी की चूत से अपना लण्ड निकाल कर बेड पर लेट गया और आंटी को मेरे लण्ड पर बैठने को कहा.
आंटी तो उस समय जैसे मेरी गुलाम हो गयी हों!
वो तुरंत ही मेरे लण्ड पर बैठ गयीं और मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर चूत के मुहाने पर रखा और थोड़ा ऊपर नीचे हुईं।

फिर आंटी ज़ोर ज़ोर से कूद कूद कर लण्ड का मज़ा ले रही थीं और उनके पपीते जैसे चुचे मेरे हाथ में और लण्ड आंटी की चूत में था.
मैंने आंटी को झुका कर उनके बूब्‍स को मुँह में ले लिया और खूब चूसने लगा ‘आहह’

आंटी भी खूब सेक्सी आवाजें ‘आऊच ऊहह … मेरे राज़ा जी … चोदो खूब चोदो!’ करके चिल्ला रही थीं।
पूरी शिद्दत के साथ मैं आंटी की चूत में अपना लण्ड पेल रहा था और अपना अधूरा ख्वाब मुकम्मल कर रहा था।

पूरे रूम में सिर्फ चुदाई की आवाजें ही गूंज रही थीं.
15 मिनट तक चोदने के बाद अब मैं झड़ने वाला था.
और आंटी भी अब शायद झड़ने वाली थी, तभी होंठों को दाँतों में दबा रही थीं।

फिर मैं अचानक से झड़ गया और पूरा वीर्य आंटी की चूत में ही छोड़ दिया. आंटी को मैंने अपने ऊपर लिटा लिया और उनके लब मुँह में लेकर चूसने लगा.

और फिर हम दोनों ऐसे ही एक दूसरे के चिपक कर सो गए.

सुबह जब मेरी आँख खुली तो आंटी बेड पर नहीं थी. मैंने रूम से बाहर आकर देखा तो आंटी रसोई में ब्रेकफास्ट तैयार कर रही थी।

मैंने जाकर आंटी को एक प्यारा सा हग किया और बोला- मेरी गर्लफ्रेंड, कैसी रही रात?
आंटी बोली- बहुत ही अच्छी! तुम एक दिन और रुक जाओ ना!
मैंने कहा- नहीं! फिर आप याद करना, मैं आपका गुलाम हाज़िर हो जाऊंगा.

 
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मामी की बहन की चूत की खुजली




हाय दोस्तो, मैं राजू गोरखपुर का रहने वाला हूँ, ये मेरा सच्ची सेक्स कहानी आज से एक साल पहले की है.

मैं अपने बारे में बता दूं कि मेरी लंबाई साढ़े पांच फिट है. मेरे लंड का साइज भी बड़ा मस्त है, ये 6 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है. मैं रेलवे में जॉब करता हूँ. मेरी मामी की एक बहन की चुदाई की कहानी कैसे बन गई आज यही लिख रहा हूँ.

मेरी मामी की तीन बहनें और हैं. मेरी मामी का मायका मेरे गाँव के पास वाले गाँव में ही है सिर्फ 6 किलोमीटर की दूरी पर!

मैंने मामी की तीसरे नम्बर की बहन कामिनी की चुदाई की है. मेरी कामिनी रानी 5 फिट लम्बी है. उसकी बड़ी बड़ी चूची, गोल मटोल गांड ऐसे मादक हैं, जो किसी बूढ़े के लंड में भी आग लगा दें. वो एक सेक्सी और गदराई जवानी की मालकिन है.

उस समय मेरा मन करता था कि किसी लड़की से बात करूं, बांहों में भरकर ढेर सारा प्यार करूं … किस करूं. मगर कोई नहीं थी और चुत चोदने का मन करता था, तो मुठ मार लेता था.

ऐसे ही दिन कट रहे थे कि तभी एक दिन भगवान ने मेरी इच्छा सुन ली. जिसने मेरी जिंदगी में खुशियां भर दीं.

ये बात उस दिन की है, जब मेरी मामी अपने मायके आई हुई थीं. मैं मामी से अक्सर फोन पर बात कर लेता था.
तो मैं फोन पर मामी से बात कर रहा था कि तभी उनकी बहन कामिनी उनके पास आ गई और पूछने लगी कि वो किस के साथ बात कर रही है.

मामी ने उसे मेरे बारे में बताया और मुझे भी अपनी बहन के बारे में थोड़ा बहुत बताया.

एक दिन मैं ट्रेन से अपनी डयूटी पर जा रहा था. अचानक एक नए नंबर से कॉल आई. मैंने पूछा- कौन?

तो उसने बताया- मैं पारस की मौसी.
मैं तुरन्त पहचान गया. मेरे मामा के लड़के का नाम पारस है जिसे मैं बहुत लाड़ दुलार करता हूँ.

मैंने पूछा- नंबर कहां से मिला?
उसने बताया- दीदी के मोबाइल से चुराया.
मैंने सोचा कि लगता है मेरे भूखे लंड की खुराक इसी के पास है. जैसे उसने नंबर चुराने की बात कही, मैं समझ गया, ये माल जल्दी चुदने के लिए तैयार हो जाएगी.

मैंने बहुत देर तक बात की और बात करते करते आई लव यू बोल दिया.
इसका उसने कोई जवाब नहीं दिया. आवाजें भी साफ नहीं आ रही थीं, सो कल फोन करने के लिए बोलकर फोन रख दिया.

उसकी सेक्सी आवाज सुनकर मेरे लंड में तूफान आ गया था. मैंने ट्रेन में कई बार मुठ मारी, लेकिन लंड महाराज शांत होने का नाम नहीं ले रहे थे.

इसके दो दिन तक उसका फोन नहीं आया, तो मैंने सोचा लगता है, ‘आई लव यू’ कहने से नाराज हो गई. कहीं अपनी दीदी को ना बोल दे.

ये सोच कर मेरी गांड फटने लगी कि इससे तो मेरी बहुत बदनामी होगी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. वो मुझसे कैसे आकर्षित हो गई थी, ये अलग किस्सा है. वो मैं फिर कभी लिखूंगा. हालांकि अब तक न तो उसने मुझे देखा था और न ही मैंने उसे देखा था.

तीसरे दिन उसका कॉल आया. मैंने पूछा- नाराज हो गई थी क्या?
तो उसने पूछा- किस बात के लिए नाराज होऊंगी?
मैंने कहा- फिर तुमने फोन क्यों नहीं किया?
उसने कहा- टाइम नहीं मिला.

मुझे समझ आ गया कि ये नाराज नहीं है. फिर मैं बोला- आई लव यू कामिनी.
उसने बहुत प्यार से सेक्सी अंदाज में ‘आई लव यू टू मेरे राजा’ का जबाव दिया.

इतना सुनते ही मेरे लंड में तूफान आ गया, मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.

मैं बोला- रानी अब जीना तुम्हारे साथ, मरना तुम्हारे साथ.
उसने भी जवाब दिया- हां राजा, अब जीना तुम्हारे साथ!

अभी तक हम दोनों आमने सामने मिले भी नहीं थे.

अब हमारी रोज बात होने लगी. हम दोनों रात रात भर बात करते थे. मुझे कामिनी से बहुत ज्यादा प्यार हो गया था. अब मेरा उसके बिना चैन से जी पाना मुश्किल हो गया था. मैं उससे बहुत दूर था इसलिए मिल नहीं पा रहा था.

हम दोनों सेक्स की बातें भी करने लगे थे. उसकी सेक्स भरी बातें मुझे पागल बना देती थीं. उसकी उत्तेजक सेक्सी आवाजें मेरे लंड में ऐसा तूफ़ान खड़ा कर देती थीं कि मैं एक ऱात में 10-10 बार मुठ मारता, फिर भी मुझे शांति नहीं मिलती.
बात करते करते हम लोग इतना गरम हो जाते थे कि एक साथ मुठ मारते थे. उधर वो चुदने के लिए इतना बेचैन थी कि फोन पर ही चुदाई करवा लेती.
मैं उसकी चुत चुदाई के लिए दिन-रात बेचैन रहने लगा था.

वो अपनी चुत में उंगली घुसाकर बोलती- पेलो राजा … आह … आह … आह … बहुत मजा आ रहा है … चोदो … और जोर … से … आह मेरी चुत के मालिक … चोद कर मेरी चुत का भोसड़ा बना दो.

इधर मैं भी चोदने के लिए बेचैन था. मैं इधर से उसे बोलता- हां ले रानी … मैं तेरी चुत में लंड पेल रहा हूँ. … आह. … तेरी चुत है और गांड इतनी कसी हुई है. … तेरी बुर को आज चोद कर फाड़ दूंगा.

फिर वो बोलती- आह इतनी अन्दर तक पेल रहे हो … क्या मार ही डालोगे … धीरे धीरे पेलो … बहुत दर्द हो रहा है … आह सैयां धीरे धीरे चोदो.
हम लोग ऐसे फोन सेक्स करते करते झड़ जाते थे.

एक दिन मैंने उसे कहा- यार, अब तो सच में तेरी चूत पेलने को बेचैन हूँ मैं.
वो बोली- तुम ही मेरी जिंदगी के मालिक मेरे जिस्म के मालिक हो, ये जवानी अब तुम्हारी है, इसे जैसे चाहो चाटो, चोदो पेलो, लेकिन धोखा मत देना. मैं सारी जिंदगी तुमसे चुदवाना चाहती हूँ. अगर ऐसा नहीं हुआ, तो मैं जहर खा लूंगी.
मैंने उसे विश्वास दिलाया कि ऐसा कभी नहीं होगा, तुम सारी जिंदगी इस लंड की मालकिन रहोगी. मेरा लंड सिर्फ तुम्हारी चुत का गुलामी करेगा. तुम इसे जैसे चाहो चूमो, चाटो, चूसो … ये सिर्फ तुम्हारा है.

फिर हम लोगों ने मिलने के लिए प्लान बनाया. दस दिन में प्यार और चुदाई का खुमार इतना चढ़ गया कि हम दोनों सारी हदें पार करने लगे थे. लंड बुर आपस में मिलने के लिए बेचैन हो गए थे.

मेरे लंड की बेचैनी और रानी की बुर की आग शांत करने के लिए हमने प्लान बनाया कि कहां और कब मिलना है. हमने कामिनी के घर ही मिलने का तय किया.

उन दिनों फसल कटाई का काम चल रहा था तो सब लोग दिन भर खेतों में रहते थे. हमने तय किया कि कामिनी पेट दर्द का बहाना बना कर घर में ही रुक जायेगी. और मैं उसके घर पहुँच जाऊँगा.

मैंने काम से छुट्टी ले ली और अगली सुबह मैं घर फ्रेश हुआ और नाश्ता करके कामिनी के बुलावे का इन्तजार करने लगा. मेरा लंड कामिनी की बुर चोदने के लिए बेचैन था.

तभी सुबह साढ़े नौ के करीब कामिनी का फोन आया- घर पर अब कोई नहीं है, आ जाओ.

दिन में किसी के घर जाना, वो भी अपने माल से मिलने, तो खतरा पूरा रहता है. मेरे मन में डर लगने लगा लेकिन फिर भी हिम्मत करके मैं बाइक से उसके घर के लिए निकल पड़ा.
रास्ते में दारू का पैग लगा लिया ताकि डर नहीं लगे.

मैंने उसका घर भी नहीं देखा था. उसी से फोन पर पूछ कर उसके घर के सामने पहुंच गया.

उसने हाथ हिलाकर इशारा किया. तो मैंने उसे देखते ही अंदाजा लगा लिया कि मेरी परी यही है. उसने भी मुझे पहचान लिया था क्योंकि मैंने पहले ही बता दिया था कि मैंने किस रंग के कपड़े पहने हैं. उसने भी बता दिया था, जिससे पहचानने में परेशानी नहीं हुई..

मैं इधर उधर देखता हुआ बड़ी सावधानी से उसके घर में चला गया. उसे ध्यान से देखने लगा कि एक 5 फिट का सांवला, गदराया सा जिस्म, कटीली आंखें, बड़ी बड़ी चूचियां देखते ही मेरा लंड फुंफकार मारने लगा.

उसके घर में कोई नहीं था. वो मुझे अन्दर ले गयी. उसने मुझे पति मानकर मेरे पैर छुए. मैंने उसे गले से लगा लिया. वो भी मुझसे चिपक गई.

गले लगते ही उसके कोमल जिस्म से आती खुशबू ने मुझे ऐसा मदहोश किया कि मेरा लंड खड़ा हो गया.

उसने मुझे अलग किया मेरे लिए पानी बिस्किट ले आयी. मैं बिस्किट मुँह में लेकर आधी उसे खिलाई, अपने मुँह में पानी भर कर उसे पिलाया. हम साथ में एक चारपाई पर बैठ गए. कुछ प्यार भरी बातें की.

फिर धीरे से मैंने अपना एक हाथ उसकी जांघों पर रखकर उसे सहलाने लगा. जिससे वो मचलने लगी.

कभी मैं उसकी चूचियों को सहलाता, तो वो और मचलने लगती और मुझे कस कर पकड़ लेती. मैं धीरे धीरे उसके पूरे शरीर पर हाथ चलाने लगा, जिससे वो और बेताब होने लगी. उसकी चुत से पानी रिसने लगा.

उसने भी जोश में आकर मेरे बालों को सहलाया, मेरी छाती पर अपना मुँह लगाकर मेरे छोटे छोटे दानों को जोर जोर से चाटने और काटने लगी. इससे मैं बहुत उत्तेजित हो गया और उसे वहीं पटक कर उसके ऊपर चढ़ गया. उसकी चूचियों को जोर जोर से चूसने लगा. एक हाथ से बुर को मसलने लगा.

उसके मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं- आह राजा और जोर से दबाओ … आह बहुत मजा आ रहा … सारा रस चूस लो … आज पेल कर बुर का भोसड़ा बना दो … राजा मुझे अपनी रखैल बना कर जीवन भर चोदो … आज से मैं तुम्हारी रंडी हूँ.

कामिनी मेरी जान, पूरे जोश में मेरे लंड को मसल रही थी, पूरे शरीर को नौंच खसोट रही थी. मेरे लंड का बुरा हाल हो गया था. लंड फूलकर लोहे का रॉड हो गया था.

अब कामिनी खुद बोली- राजा चलो अन्दर कमरे में चलो … मेरी चूत में अपना लंड डालकर अपनी जीवन भर के लिए रखैल बना लो.

अपने लंड बुर की हवस में मैं हम ये भी भूल गए थे कि घर का कोई सदस्य आ गया, तो क्या होगा. हम दोनों अपनी वासना के तृप्ति के लिए कमरे के अन्दर चले गए और अन्दर से कुंडी लगा दी.

अन्दर जाते ही मैंने कामिनी को पूरे जोश में पीछे से पकड़ लिया. मैंने उसका कमीज ऊँचा किया तो उसका पेट नंगा हो गया. कामिनी मेरी बांहों में कसमसा कर रह गयी. मैं उसके पेट, पीठ को चाटने लगा.


जब उससे बर्दाश्त नहीं हुआ तो कामिनी मुझसे अलग हो गई और झट से मेरी पैंट को खोलकर मेरी जांघों को चूमने चाटने लगी. उसने मेरे लंड की मुठ मारना शुरू कर दिया.

मैंने कहा- मेरे लंड और आंड चूसो.
उसने कहा- जो आदेश मेरे मालिक.

ऐसा बोलकर उसने मेरे लंड को ऐसा चूसा कि मेरा पानी निकाल दिया. झड़े हुए लंड पर लगा मेरा सारा पानी चाट कर साफ कर दिया.

फिर मैंने उसे खड़ा कर दिया. उसका कमीज निकाल कर उसे नीचे लिटा दिया. मैंने उसके होंठ गाल को चाट चाट कर लाल कर दिया.
जैसे ही मैंने उसके गले पर चाटना शुरू किया, वो पागल होने लगी चिल्लाने लगी- आह जल्दी से पेलो राजा … अब घुसा दो अपना लंड मेरी चूत में.

मैं उसे आराम से तड़पा कर चोदना चाहता था … क्योंकि वो 19 साल की नई कली और पूरी तरह से सीलपैक माल थी.

मैं उसकी बातों को अनसुनी करके उसकी रसीली चुचियों पर आ गया. मैंने उसकी ब्रा को फाड़ कर निकाल दिया और चूचियों को नौंचने लगा … धीरे धीरे सहला कर रस पीने लगा. उसके चूचे इतने मुलायम थे कि जैसे मक्खन हों. मैं खूब दबा दबा के चूची पीने लगा.

साथ ही मैं एक हाथ से उसकी चिकनी बुर को सहलाने लगा, इससे वो और भी पागल हो गई और चिल्लाने लगी … हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगी- अब चोद दो राज … पेल कर गांड भी फाड़ दो राज … अब मत तड़पाओ प्लीज़ आह मां मार डाला … आह … आह जल्दी पेलो!

पर मैं उसे तड़पाता रहा. फिर मैंने उसकी सलवार और पैंटी उतार दी. अब वो पूरी नंगी मेरे सामने चुदने के लिए मचल रही थी. उसकी नंगी चुत को देख कर मैं पागल सा हो गया. एकदम चिकनी चुत मुझे वासना के भंवर में खींच रही थी.

मैंने उससे चुत की चिकने होने का पूछा, तो उसने बताया कि कल तुम्हारे लिए तैयार की है.

जिंदगी में पहली बार मैंने किसी की चूत देखी थी, वो भी 19 साल की गदराई हुई कली जैसे चुत मेरे लंड के मरी जा रही थी.

मैंने उसकी चुत को जैसे ही हाथ से सहलाया, कामिनी पूरी तरह गनगना गई. मेरा हाथ उसकी चुतरस से पूरा भीग गया. मैंने उसे सूंघ कर देखा तो बहुत अच्छी महक आ रही थी.

मैंने चुत को चाटा, तो बहुत टेस्टी लगा.

इसके बाद मैंने कामिनी के पैर को ऊपर उठा दिए, जिससे उसकी चुत खुलकर सामने आ गई. चुत की मांग में एक छोटा सा चना बराबर मांग टीका अपनी छटा बिखेर रहा था. कमसिन फांकों के बीच एक हल्का सा छेद दिख रहा था. जो केवल मूतने के लिए मुश्किल से ही खुलता था.

मैंने जैसे ही उसकी चुत पर मुँह लगाया. वो जोर से ‘आह..’ के साथ उछल पड़ी. मैं उसकी चुत को जोर से चाटने लगा. कामिनी की बुर खूब पानी छोड़ रही थी. मैं सारा मधु पीता गया.

कामिनी अपनी गांड उछाल उछाल कर अपनी चुत को मेरे मुँह पर रगड़ रही थी और चिल्ला रही थी- आंह उंह … आह. … आह … खा जाओ चुत को … मेरे राजा बहुत मजा आ रहा है … अब जल्दी से लंड पेलो … मुझसे रहा नहीं जाता … आई लव यू राज … कहां से सीखा ये सब … आंह मेरी चुत से मूत निकलने वाला है … जल्दी मुँह हटाओ राजा.

मैं समझ गया कि अब चुत झड़ने वाली है. मैंने बोला कि तुम मेरे मुँह में मूतो.

तभी एक कंपकंपी के साथ कामिनी ने मेरे मुँह को अपनी चुत में दबा लिया- आह राजा. … आह … मजा आ गया … आह … यस. … जिन्दगी भर पेलना.. … आह.
उसका शरीर निढाल पड़ गया. वो मुझसे चिपक गई.

जिंदगी में किसी नंगी जवान लड़की को चिपका कर सोने में जन्नत के सुख का आनन्द मिल रहा था.

कुछ पल बाद मैंने कामिनी को खड़ा कर दिया और उसके पूरे शरीर को सहलाने लगा. उसके नंगे जिस्म को देख कर मैं उसे यहां वहां चाट रहा था.

अब कामिनी शर्माने लगी थी. फिर भी धीरे धीरे वो लंड को सहलाने लगी. उसे फिर से जोश चढ़ने लगा. मैंने उसे घोड़ी बना दिया और उसकी गांड को खूब मस्ती में सहला सहला कर चाटा.

इसके बाद मैंने उसे नीचे लिटा दिया और उसकी चुत को चाटने लगा, जिससे वो एकदम से गरमा गई.

उसने मुझे लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गई. मेरे लंड को चाट कर गीला कर दिया और अपनी बुर को लंड पर घिसने लगी. वो इतनी अधिक चुदासी हो गई थी कि खुद गांड को धकेल कर लंड को अन्दर घुसवाने की कोशिश करने लगी.

उसकी चुत टाइट होने के वजह से लंड ने मना कर दिया. वो नाकाम होकर नीचे लेट गई.

मैं कामिनी के ऊपर चढ़ कर लंड को उसकी चुत पर रगड़ने लगा. वो पूरे जोश में आकर चिल्लाने लगी- आंह जल्दी चोदो … फाड़ दो मेरी बुर को.

मैं बोला- रानी पहली बार है, थोड़ा दर्द होगा … बर्दाश्त कर लेना, चिल्लाना मत … नहीं तो कोई सुन लेगा.
कामिनी बोली- मैं हर दर्द सह लूंगी, बस अब जल्दी पेलो … मेरी बुर में बहुत खुजली हो रही है.

वो मेरे लंड को पकड़ कर बुर में घुसाने की कोशिश करने लगी. मैं भी कामिनी की चुत में अपना लंड घुसाकर अपनी बेचैनी खत्म करना चाह रहा रहा. क्योंकि अब तक चूमा चाटी से हम दोनों इतना बेचैन हो गए थे कि एक पल बिना चोदे नहीं रह सकते थे.

मैंने कामिनी के दोनों पैर अच्छे से फैला कर लंड को बुर के मुहाने पर सैट कर दिया. उसके जिस्म के ऊपर अच्छे से चढ़ गया और मुँह में मुँह डाल कर चाटने लगा … ताकि दर्द से चीखने की आवाज बाहर न जाए.

मैंने कामिनी से पूछा- तैयार हो मेरी जान?
उसने कहा कि मैं तो कब से तैयार हूँ … अब जल्दी पेल दो राजा मेरी चूत की प्यास बुझा दो … तुमने बहुत तड़पा लिया अब जल्दी से लंड पेलो … आह.

जैसे ही मैंने चुत पर लंड का दबाव बनाया, वैसे ही घर का दरवाजा किसी ने खटखटा दिया. खड़े लंड पर धोखा हो गया था. इसे ही असली केएलपीडी कहते हैं.

हम दोनों के अरमानों पर पानी फिर गया. हड़बड़ाहट में हम दोनों ने कपड़े पहने. कामिनी ने जाकर दरवाजा खोला. मैं सीढ़ियों पर छिपने लगा.

हम दोनों का सारा जोश उतर चुका था. मैं सोचने लगा कि आज इज्जत और जान दोनों की मां चुद गई.
पर शुक्र रहा कि दरवाजे पर कोई और नहीं, बल्कि उसकी छोटी बहन मधु थी. उसे देख कर मेरी जान में जान आई. उसने हम लोगों को देख लिया था.

उसने मुझसे कुछ नहीं कहा, परन्तु अपने बहन को ‘रंडी’ कह कर दूर हट गई.

मैं कामिनी को किस करके वहां से निकल आया.
 

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रसीली चाची की चूत का रस निकाला



मेरा नाम दीप है, मैं अलीगढ़ से हूँ. मेरे लंड का साइज़ 7 इंच है. मेरा रंग गेहुँआ है.

मैं आज अपनी एक बहुत सेक्सी चाची की चुदाई की कहानी सुना रहा हूं. ये चाची मेरे एक दूर के रिलेशन में आती हैं.

हुआ यूं कि चाची के पति फौज में हैं और वो उनको शांत नहीं कर पाते हैं. इसलिए वो अपनी शारीरिक भूख से परेशान थीं.

शुरुआत में मुझे ये बात नहीं मालूम थी. मैं बस उनकी तरफ बड़ा आकर्षित था. चाची मुझसे व्हाट्सएप पर बातें किया करती थीं, तो कभी कभी वो मेरे सामने रो दिया कर दी थीं. मैं उनको चुप करा देता था.

ऐसे ही एक दिन मैं उनसे चैट पर बात कर रहा था, तो वो रोने लगीं.

मैंने उनको चुप कराया, तो वो अपनी सेक्स की भूख की बात कहने लगीं.

अब आप जानते ही हैं कि जब कोई आपकी चाहत आपके सामने सेक्स की भूख को लेकर रोए तो आपका लंड खड़ा हो जाना लाजिमी है.

उनकी बातों से उनका दर्द मुझे समझ आने लगा. मैंने उनसे इस बारे में खुल कर बात की, तो चाची ने अपनी सारी कहानी मुझसे कह दी.

अब मैं उनकी बात को समझ गया था और उनको हर तरह से साथ देने की बात करने लगा था. इसी तरह हमारी बातें धीरे-धीरे बहुत आगे बढ़ गई थीं.

चाची दिल्ली में रहती थीं और मैं अलीगढ़ में रहता था. हमारी बातें अब तक सिर्फ व्हाट्सएप पर ही हुआ करती थीं.

एक दफा मैंने उनसे कहा- चलो चाची हम मिल लेते हैं.
चाची ने हामी भर दी.

जब तक हमारा मिलना नहीं हुआ, तब तक हम दोनों वीडियो कॉल करके एक दूसरे से खुल कर सेक्स की बात करने लगे थे. वो मेरे सामने ब्रा पैंटी में आ जाती थीं और मैं उनको अपना लंड दिखा कर फोन पर ही चोद देता था. इस तरह से हम दोनों एक दूसरे को शांत कर देते थे.

वीडियो कॉल में जब मैं उनको लंड दिखाता था, तो वो मुझे अपनी चूत दिखाने लगती थीं. मैं मुठ मार कर उनके सामने वीर्य निकाल देता था और वो अपनी चुत में उंगली करके झड़ जाती थीं.

हम दोनों एक दूसरे को ऐसे ही शांत कर रहे थे. इस सबसे उनके अन्दर इतनी आग बढ़ गई थी कि वो सेक्स करने के लिए मुझसे भी ज्यादा वो तड़पने लगी थीं.

चाची मुझसे कहती थीं- जान, जल्दी से मेरे पास आ जाओ और मुझे चोद दो … मेरी चूत मार लो … मेरी गांड मार लो … मेरी चूत को भर दो … मैं बहुत प्यासी हूं … मुझे ऐसे चोदो कि मैं बस तुम्हारी हो जाऊं … तुम अपना लंड मेरे मुँह में दे दो.

वो मुझसे ऐसी ऐसी बातें किया करती थीं कि मुझसे रहा ही नहीं जाता था.
मैं भी उनसे ऐसी ही बातें किया करता था- डार्लिंग, मैं तुम्हारी इस चुत की गर्मी को एक बार में ही शांत कर दूंगा. आप कहो तो मैं अभी आ जाऊं दिल्ली!

वो मुझसे मना कर दिया करती थीं कि आप अभी रहने दो, मैं खुद ही आ जाऊंगी.

फिर एक दिन एक वक्त आ ही गया कि हमारा मिलन हो गया. चाची मुझसे मिलने के लिए बहाने से अलीगढ़ में अपने किसी रिलेशन के यहां आ गई थीं.

उन्होंने मुझसे फोन करके कहा कि चलो अलीगढ़ में ही मिल लेते हैं.

हम दोनों ने प्लान बनाया कि कैसे मिला जाए. चाची ने अपने घर पर बहाना किया था कि मैं अपनी सहेली से मिलने जा रही हूं. ये कह कर चाची मुझसे मिलने आ गईं.

हम दोनों अलीगढ़ में मिले. मैं उनको लेने गया. वो अपनी कार से आई थीं, तो उन्होंने मुझे कार में बिठाया और हम दोनों एक होटल में चले गए.

दोस्तो, मैंने उनको इस रूप में पहली बार देखा था. वैसे भी मैं उन्हें काफी टाइम बाद सामने से देख रहा था. उनका फिगर देखकर मेरे लंड से तो पानी ही निकल गया था.

उनका कामुक फिगर क्या बताऊं यार … कितना मस्त था. चाची की चूचियां 34 इंच की एकदम भरी हुई थीं. गांड 36 इंच की तरबूज सी उठी हुई थी और क़मर तो उनकी इतनी बलखाती हुई थी कि एक झटके में ही मेरा लंड चुत में सैट हो जाता.

आप खुद ही समझ लो कि चाची कमर एकदम जीरो साइज की थी.

मैंने पहले ही एक रूम बुक किया हुआ था. हम दोनों रूम में गए और दरवाजा बंद करते ही मैं शुरू हो गया. मैं चाची को किस करने लगा. चाची भी मुझसे चुम्बक सी चिपक गई थीं.

किस करते करते ही हमें दस मिनट हो गए. इसी बीच हमारे कपड़े कब उतर गए, हमें पता ही नहीं चला. मेरे बदन पर सिर्फ अंडरवियर रह गया था और उनके तन पर ब्रा और पेंटी रह गई थी.

ब्रा पैंटी में कसी हुई उनकी चूची और गांड को देख कर मेरा लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह सख्त हो गया था.

मैं बहुत जल्दी करने में लग गया. मेरा मन कर रहा था कि अब देर कैसी, चाची को पास पटक कर चोद ही दूं, अभी के अभी चाची की चुत में लंड डाल दूं.

लेकिन मैंने जल्दी करना सही नहीं समझा क्योंकि लड़की हो, आंटी हो या भाभी हो … आराम से उसकी चुदाई करना चाहिए.

मैंने उनकी ब्रा उतारी, तो उनके चूचे जैसे ही आजाद होकर उछल पड़े. मेरा मन खुश हो गया. मैंने झट से चाची की एक चूची को अपने मुँह में दबा लिया और चचोरने लगा. चाची की दूसरी चूची को मैं हाथ से दबाने में लग गया.

बस चाची के मुँह से निकलने लगा- उई म..माँ … हां खा जाओ जान इनको … साले बहुत तड़पाते हैं. ये तुम्हारे लिए ही तने हैं … आह चूस लो इनको … सारा रस निचोड़ लो इनका.

मैं उनके चूचे चूसने में लगा हुआ था और वो अपना एक हाथ मेरे अंडरवियर में डालकर मेरे लंड को सहला रही थीं.

हम दोनों अपने काबू में ही नहीं थे. सातवें आसमान पर उड़ रहे थे.

मैंने चाची के होंठों से होंठ लगाए और किस करने लगा. चाची भी अपनी जीभ को मेरे मुँह में ठेले दे रही थीं. मैं उनकी जीभ को पूरी मस्ती से चूस रहा था.

दोस्तो, वैसे भी मुझे गर्म माल को किस करना बहुत ज्यादा पसंद है. खासकर जब सामने कोई आंटी होती है या भाभी, तो मैं पूरी मस्ती से चुसाई करता हूँ.

कुछ ही देर में चाची पानी पानी हो गईं और जल्दी चोदने का कहने लगीं.

मैंने उनकी पैंटी उतार दी और अपनी 2 उंगलियां उनकी चुत के अन्दर डाल दीं.

वो सिसकारियां लेने लगीं. मैंने उंगलियों से ही चाची को झड़ने पर मजबूर कर दिया.

चाची गांड दबाते हुए चिल्ला रही थीं- आह मेरी जान … अब बस करो … पहले लंड डाल दो … बस जल्दी करो.
मैंने कहा- रुक जाओ जान … अभी तो मजा आना शुरू हुआ है … इतनी जल्दी कैसे खत्म कर दूं. आप बार-बार थोड़े नहीं मिल रही हो मुझे.

मैंने उंगलियों से ही उनको दो बार झाड़ दिया. उनका दो बार में ही इतना अधिक रस निकला कि बेड की चादर तक गीली हो गई.

उन्होंने मेरे अंडरवियर को उतारा और मेरा लंड मुँह में लेकर चूसने लगीं. मुझे लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था.

उन्होंने थोड़ी देर तक मेरे लंड को चूसा, फिर बोलीं- जानू मुझसे नहीं रहा जा रहा है … इस लौड़े को जल्दी से अन्दर डाल दो.

मैंने उनको बेड पर चित लेटा दिया और चाची की टांगों के बीच में आ गया. जैसे ही मैंने अपना लंड चाची की चुत पर लगाया, उन्होंने आह करते हुए आंखें बंद कर लीं.

चाची ने एक जोर की सांस ली और मैंने धीरे धीरे करके अपना पूरा लंड चाची की चुत में घुसा दिया. वो एकदम मस्त होकर आवाज करने लगीं- आह … जानू आज से मैं बस तुम्हारी हो गई … मुझे जब चाहे तब चोद लेना … आज से मैं तुम्हारी रंडी हो गई … मुझे तुम जब भी बुलाओगे, मैं चुदने चली आऊंगी. तुम्हारा लंड खाने आ जाऊंगी!

मेरी चाची कामुकता के अधीन लगातार बोल रही थी- आंह … चोद दो मुझे … आह ऐसे ही और जोर से चोदो … मेरा पति मुझे बिल्कुल नहीं चोदता … आह … घुसा दो पूरा लंड मेरी चुत में … भर दो चुत को … उन्ह. … आज इस चुत को भोसड़ा बना दो … आह चोद चोद इसे ढीली कर दो. मैं आज से तुम्हारी दीवानी हो गई.

चाची के मन में जो आ रहा था, वे बके जा रही थीं. मैं उनकी चुत में लगातार लंड अन्दर बाहर करने में लगा था.

वो इतनी अधिक सेक्सी थीं कि मैं हैरान हो गया था. इससे पहले मैंने और भी भाभियों और आंटियों को चोदा था, उनमें मुझे उतना मजा नहीं आया था, जितना चाची की चुदाई में आ रहा था. मैं अपना लंड उनकी चुत में फुल स्पीड से अन्दर बाहर कर रहा था और उनको ताबड़तोड़ पेल रहा था. चाची का एक चूचा मेरे मुँह में दबा हुआ था और मैं एक हाथ से खुद को साधे हुए उनके दूसरे चूचे को खूब जोर से मसल रहा था.

अपनी सेक्सी चाची के मदमस्त चूचों को दबाने और चूसने में मुझे इतना मजा आ रहा था कि जैसे कोई रबड़ की बॉल मिल गई हो.

कुछ देर बाद चाची झड़ गईं, तो मैंने अपना लंड निकाल कर उनके मुँह में दे दिया और वो लंड चूसने लगीं.

मैं अभी बाकी था, तो कुछ देर बाद मैंने फिर से चाची की चुदाई शुरू कर दी. हम दोनों को सेक्स करते करते आधा घंटा हो चुका था और वो अब तक तीन बार झड़ चुकी थीं. उनके पानी से पूरी बेडशीट और मैं भी गीला हो चुका था. उनकी और मेरी आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था. थप थप की आवाजें मदमस्त माहौल पैदा कर रही थीं.

दूसरी तरफ चाची की कामुक आवाजें भी बड़ा मजा दे रही थीं- आह … और जोर से चोदो जानू … मुझे चोद दो … मेरी चूत में घुस जाओ … मेरी चूत में आग लगी है … आह आज से यह तुम्हारी चाची नहीं तुम्हारी रखैल है … खूब चोदो इसको.

जब चाची चौथी बार झड़ीं, तो मैंने अपना लंड उनकी चूत से निकाल कर उन्हें पेट के बल लिटा दिया और साइड करके पीछे से उनकी चूत में लंड डाला और एक हाथ आगे ले जाकर उनकी चूत के दाने को रगड़ने लगा.

दोस्तो, चूत मारते समय जब आप चुत को उंगली से रगड़ते हो, तो लड़की को डबल मजा आता है.

मेरे होंठ चाची के कंधे पर जमे हुए थे और मैं धक्के पर धक्के मारता जा रहा था. चाची को इतना मजा आ रहा था दोस्तों कि वो बस यही कहे जा रही थीं कि मेरी चूत मारते रहो जान … मुझे बहुत मजा आ रहा है. न जाने कितने दिन बाद ऐसा मजा आ रहा है … और जोर से चोदो … आहं खा जाओ मुझे … और तेज धक्के मारो.

कोई दस मिनट तक मैं उनकी चुत को पीछे से चोदता रहा. तभी चाची फिर से झड़ गईं.

अब मैंने अपना लंड निकाल कर उनको घोड़ी बना लिया. चाची अब चुदाई के रुकने का कहने लगी थीं.

मैंने चाची से कहा- मैं अब अपना लंड तुम्हारी गांड में डाल रहा हूं.
वो बोली- जान … जरा धीरे करना, मैंने पहले कभी गांड में नहीं करवाया. पहले मेरे बैग से तेल की शीशी निकाल लो.

मैंने लंड पर थोड़ा सा ऑयल लगाया और धीरे-धीरे उनकी गांड में लंड डाल दिया मुझे चाची की चूत मारते मारते काफी देर हो गई थी … और मैं भी झड़ने वाला था. जैसे ही मैंने अपना लंड उनकी गांड में डाला, तो मैं कुछ ही देर में चाची की गांड में ही झड़ गया. चाची की चिल्लपौं भी हुई लेकिन जल्दी झड़ने से वो शांत हो गईं.

जब मैं झड़ा, तो मैंने देखा कि मुझे लगभग एक घंटा हो गया था. मुझे बहुत मजा आया.

मैं चाची की गांड में लंड डाले हुए ही उनके ऊपर ही लेट गया. वो कहने लगीं- जानू मेरी गांड में दर्द रहा है. अपना लंड बाहर निकाल लो.

मैं उनके ऊपर से उतर गया और साइड में लेट गया. मैं चाची को किस करने लगा और उनके मम्मों को सहलाने लगा.

वो कहने लगीं- बाबू तुम तो बहुत मजा देते हो … तुम मुझे पहले क्यों नहीं मिले.
मैंने कहा- मुझे भी तो पहले आप नहीं मिलीं.

हम दस मिनट तक किस करते रहे. उसके बाद मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. हम दोनों चुदाई से पहले बाथरूम में चले गए और एक साथ नहाने लगे.

मैंने एक बार वहीं बाथरूम में चाची की चुदाई की और इस बार उनकी चूत में ही अपना पानी छोड़ दिया.

चाची मुझसे बड़ी खुश थीं. उस दिन हम दोनों रात में होटल में ही रुके और मैंने उनको पांच बार आगे से बजाया … दो बार चाची की गांड भी मारी.
 
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पहली चुदाई में चाची को चोदा


मेरा नाम छुपा रुस्तम (बदला हुआ) है. मेरी उम्र 27 साल है और मैं मुंबई का रहने वाला हूँ.

यह मेरी सच्ची सेक्स कहानी है. ये कहानी मेरी चाची और मेरे बीच की है, मैंने कैसे चाची को चोदा. मैं आप सभी को बताना चाहता हूँ कि मेरा अपना घर भी होने के बावजूद भी मैं ज्यादातर मेरे चाचा और चाची के घर पर ही रहता हूँ. मेरे और चाचा के घर के बीच लगभग 4 किलोमीटर की दूरी है.

मैं आप सभी को अपनी चाची के बारे में बता देना चाहता हूँ. मेरी चाची का नाम मीना (बदला हुआ) है. उनकी उम्र 32 साल की है. चाची की फिगर 34-28-36 है और वो दिखने में भी काफी सेक्सी हैं … उनका रंग हल्का सा सांवला है.

ये बात उन दिनों की है, जब मैं बी.कॉम के फाइनल ईयर में था. मैं एक सामान्य परिवार से हूँ, हमारा घर भी इतना बड़ा नहीं है. हम सभी नार्मल चॉल में रहते हैं. हमारे घर के 2 दरवाजे हैं.

हुआ यह कि एग्जाम के कारण मैं पढ़ाई करने जल्दी उठ जाया करता था. मुझे सुबह जल्दी उठकर पढ़ने की आदत थी. इसी तरह में एग्जाम के दिन रोज जल्दी उठ कर अपनी पढ़ाई करता था. मैं बाहर के कमरे में पढ़ता था और अन्दर के कमरे में चाची सोई रहती थीं. उनका बाथरूम भी अन्दर के कमरे में ही था और उसके बगल में ही दूसरा दरवाजा था.

एक दिन हुआ यूं कि मुझे लगा कि शायद अन्दर चाचा वाले कमरे में कोई घुसा है. मगर अन्दर चाचा और चाची ही सोते हैं, इसलिए मैंने अन्दर देखना उचित नहीं समझा.

चूंकि चाचा रोज सवेरे काम के लिए निकल जाते हैं. तो एक बार तो मन हुआ कि चाचा चले गए होंगे, इसलिए अन्दर देख लूं, मगर फिर मैं रह गया. बाद में मैंने अन्दर जाके देखा, तो वहां कोई नहीं था. चाची बाथरूम में नहा रही थीं.

मैं फिर से बाहर आकर अपनी पढ़ाई करने लगा. दो दिनों के बाद मुझे फिर से लगा कि अन्दर कोई है.

चाचा जा चुके थे तो मैं इस बार उसी समय देखने अन्दर चला गया. उस दिन भी अन्दर कोई नहीं था. चाची बाथरूम में नहा रही थीं.

मुझे कुछ शक सा होने लगा. मुझे लगा कि चाची के साथ बाथरूम में कोई है. मैंने बाथरूम के दरवाजे से कान लगा कर सुनने का प्रयास किया, मगर कोई ख़ास मालूम न हो सका.

फिर मैंने एक तरकीब निकाली. जब चाची मार्केट में शाम को सब्जी लेने चली गईं, उसी समय मौका देखकर मैंने बाथरूम के दरवाजे पर एक छोटा सा छेद बना दिया.

अब मुझे अगले दिन का इंतज़ार था. अगले दिन मैं जल्दी से उठकर इंतज़ार कर रहा था और थोड़ी देर बाद जब मुझे अहसास हुआ कि कोई अन्दर है, तब मैं दबे पांव बाथरूम की तरफ बढ़ने लगा. मैंने बाथरूम में किए अपने उसी छोटे से छेद में से झांक कर देखा. अन्दर का नज़ारा देखकर तो मेरे पांव तले से जमीन खिसक गयी. अन्दर मेरी चाची पूरी नंगी थीं और कोई मेरी चाची के चूचे दबा रहा था. उसका एक हाथ चाची की चुत में था और चुत सहला रहा था.

मगर वो कौन था, मुझे अभी तक पता नहीं चल सका था. क्योंकि वो छेद की तरफ पीठ किए हुए खड़ा हुआ था. मैं कोशिश करता रहा कि उस आदमी का चेहरा मुझे दिख जाए.

कुछ देर बाद आखिरकार मुझे उसका चेहरा दिख ही गया. वो कोई और नहीं बल्कि हमारे ही पड़ोस में रहने वाले एक अंकल थे. मैंने देखा कि बड़े मज़े से वो अंकल जी मेरी चाची की चुत चोदने की कोशिश कर रहे थे.

पहले तो मुझे बहुत गुस्सा आया. मेरा मन तो कर रहा था कि अभी दोनों को रंगे हाथ पकड़ लूं, मगर डर भी लगा कि कहीं चाची की बदनामी ना हो जाए.
मैं वहां से चला गया.

उस दिन मेरा पढ़ाई में भी नहीं लग रहा था. मैंने पहले कभी अपनी चाची को गलत नज़रिये से नहीं देखा था. लेकिन बार बार चाची के चूचे और उनकी चुत में होती हुई उंगली दिख रही थी, जिससे मुझे चाची की मस्त जवानी भी लुभाने लगी. उनकी प्यास को किसी दूसरे के लंड से बुझते देख कर मुझे भी लगने लगा कि मुझे भी बहती गंगा में डुबकी लगा लेनी चाहिए.

मैं सोचने लगा कि जब चाची को लंड की जरूरत है ही, तो क्यों न उनके सामने अपना लंड पेश कर दिया जाए और इसी बहाने चाची के हुस्न का मजा उठाया जाए. मगर मुझे अन्दर से डर भी लग रहा था कि चाची मेरी किसी ऐसी वैसी हरकत से नाखुश होकर मेरी शिकायत मेरी मम्मी से ना कर दें.

हालांकि नतीजा ये निकला कि अब मेरा अपनी चाची को देखने का नज़रिया बदल चुका था. मैंने चाची पर नज़र रखना शुरू कर दिया. जब चाची मार्केट जाती थीं तब वो उन पड़ोसी अंकल से मिला करती थीं. ये बात मुझे तब पता चली, जब मैंने एक दिन चाची का पीछा किया था.

अब तो मुझसे भी रहा नहीं जा रहा था. मुझे भी चाची को चोदना था. मैंने इससे पहले कभी भी सेक्स नहीं किया था, सिर्फ सन्नी लियोनि या अन्य पोर्न स्टार्स के सेक्स वीडियो ही देखे थे.

मैं चाची को चोदने के लिए अलग अलग तरकीब सोचने लगा था. इसी सोच विचार के चलते अब मैं अपने बनाए हुए उसी छेद से हर रोज चाची को नहाते हुए देखने लगा था. मैंने कई बार चाची के नाम से अपना लंड भी हिलाया.

एक दिन सुबह मैं रोज की तरह चाची को नहाते देख रहा था. तब मैंने देखा कि चाची अपनी चुत को उंगली से सहला रही हैं और टूथ ब्रश के हैंडल को अपनी चुत के अन्दर बाहर कर रही हैं.

उस दिन मुझसे रहा नहीं गया, मुझे चोदने का बहुत मन कर रहा था. मैंने सोचा कि जो होगा देखा जाएगा. बस मैंने हिम्मत करके बाथरूम का दरवाजा खटखटा दिया और वहीं खड़ा हो गया.

चाची ने आवाज़ लगायी- कौन?
मैंने जवाब दिया- चाची, एक मिनट जरा काम है.

चाची ने अपने सेक्सी जिस्म पर तौलिया लपेटा और दरवाज़ा खोल दिया.
मैंने चाची से कहा- मैंने आपको चुत में उंगली करते देखा है और मुझे ये भी पता है कि बाजू वाले अंकल से आपका चक्कर चल रहा है. कई बार मैंने आप दोनों को बाथरूम में एक साथ देखा है.

इतना सुनकर चाची ने बाथरूम का दरवाजा तुरंद बंद कर दिया. उनकी इस प्रतिक्रिया से मैं एकदम से डर गया. मुझे इस बात की उम्मीद ही नहीं थी कि ऐसा कुछ भी हो सकता था.

जब चाची नहाकर बाहर आईं, तो मेरी तो फटी पड़ी थी. मैं तो उनसे नज़रें भी नहीं मिला पा रहा था.

दोपहर को जब मैं खाना खाकर बैठा हुआ था, तब चाची मेरे पास आईं और मेरे पास बैठ गईं.

पहले कुछ समय तक हम दोनों चुप बैठे रहे. फिर चाची ने अचानक से रोना शुरू कर दिया और कहने लगीं कि सुबह वाली बात यानि कि मेरा पड़ोसी के साथ चक्कर है, तुम किसी से नहीं कहना … नहीं तो मेरी जिन्दगी खराब हो जाएगी.

मैंने कुछ नहीं कहा, बस उनकी बात को सुनता रहा.

चाची ने आगे कहा- तेरे चाचा मुझको समय ही नहीं दे पाते हैं. जब वो रात को घर आते हैं, तब खाना खाकर सो जाते हैं. उनको चुदाई करने का कोई ज्यादा शौक नहीं है. जब नयी-नयी शादी हुई थी, बस तभी वो मुझे जमकर चोदते थे. मगर अब वो मुझे टच भी नहीं करते हैं. मुझे बिना चुदाई के ही रहना पड़ता है. इस वजह से मुझे ऐसा करना पड़ा.

मैं समझ गया कि चाची को सेक्स करने का बहुत मन होता है. उसी कारण मजबूरन उनको पड़ोस वाले अंकल से सेक्स करवाना पड़ा.

मैंने जब उनके मुँह से चुदाई जैसे शब्दों का प्रयोग सुना तो मैंने हिम्मत बढ़ाई और उनसे पूछ लिया कि तो अब तक उन अंकल से कितनी बार चुदाई करवा चुकी हो?
फिर उन्होंने सब कुछ मुझे बता दिया कि कब, कहां और कितनी बार दोनों ने मज़े किए.

ये सुनकर मेरी हिम्मत बढ़ गयी और मैंने कहा- मुझे भी आपसे सेक्स करना है.
चाची पहले तो मना करने लगीं. वो बोलने लगीं- नहीं ये सब चाची भतीजा चुदाई गलत है.
मैंने उनको समझाया- चाची अगर आप मुझसे सेक्स करोगी, तो घर की बात घर में ही रहेगी.

चाची चुप हो गईं और सोचने लगीं. वो थोड़े समय तक कुछ नहीं बोलीं. उसी का मौका उठाते हुए मैंने चाची के होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उनको कसकर जकड़ लिया.

इसका चाची ने भी कोई विरोध नहीं जताया. तो मैं समझ गया कि लाइन क्लियर है. अब मैंने अपना एक हाथ चाची के मम्मों पर रख दिया और उन्हें दबाने लगा.

जैसा कि मैंने ऊपर भी बताया था कि मैंने कभी सेक्स नहीं किया था, मगर सेक्स के वीडियो बहुत देखे थे … उस कारण मुझे सेक्स का काफी ज्ञान था.

चाची ने कहा- पहले जाकर दरवाजा बंद करो … ताकि कोई आ ना जाए.
मैं झट से उठ कर घर का मेन दरवाजा बंद कर दिया. इस समय वैसे भी हमारे अलावा कोई घर पर होता नहीं, चाचा तो सवेरे ही काम पर निकल जाते हैं और रात को ही लौटते हैं.

मैंने जाकर दरवाजा बंद किया. फिर बिना समय गंवाए मैं चाची का ब्लाउज निकालने लगा. मैं पहली बार किसी औरत के साथ ऐसा कर रहा था.

तभी चाची ने अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया. उनका हाथ का अपने लंड पर अहसास होते ही मानो मुझे जन्नत ही मिल गयी. चाची मेरी पैन्ट के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं. मेरा लंड आकार लेने लगा … जिसे देख कर चाची की आंखों से वासना टपकने लगी.

फिर हमने एक दूसरे के कपड़े निकाले. मैंने चाची का नंगा जिस्म सामने देखा तो मैं तो मानो पागल ही हो गया. चाची ने मुझे अपनी छाती से चिपका लिया. मैंने भी उनकी चूची के निप्पल को अपने होंठों में दबाया और चूचे चूसने में लग गया.

चाची के मुँह से गरमागरम आहें निकलने लगीं. मैं तो बौरा गया था … बस चूचों को चूसने में जन्नत महसूस कर रहा था.

तब चाची बोलीं- अब आगे कुछ करोगे या मम्मों के साथ ही खेलते रहोगे. यहां मेरे से रहा नहीं जा रहा है … जल्दी से मेरी चुत में अपना लंड घुसेड़ दो.

इस पर मैंने चाची से अपना लंड चूसने को कहा तो चाची मना करने लगीं और बोलीं- मैंने कभी लंड नहीं चूसा है.
मगर मुझे तो चाची की चुत चाटने का मन कर रहा था और मैंने उनको खींचकर चित्त की पोजीशन में लिटा दिया. मैंने चाची की चुत को चाटना शुरू कर दिया.

पहले तो चाची कहने लगीं- आह छोड़ो … ये सब क्या कर रहे हो.
मगर मैं उनकी चुत पर अपने मुँह को लगाए ही रहा. कुछ पल बाद उन्हें भी मज़ा आने लगा. उनके मुँह से आवाज आने लगी. मुझे भी अच्छा लगने लगा.

फिर चाची बोलीं- अपने मन की कर ली हो, तो अब मेरे मन की भी कर दो … मुझसे रहा नहीं जा रहा है … क्यों मुझे तड़पा रहे हो.

मैंने समय नहीं गंवाते हुए अपने लंड का सुपारा चाची की चुत पर रख दिया और धीरे से अन्दर पेल दिया.

चाची ने आह की आवाज करते हुए मेरे लंड को खा लिया. मैं लंड को धीरे धीरे अन्दर बाहर करने लगा और दोनों हाथों से चाची के मम्मों को दबाने लगा. साथ ही मैं चाची को किस किए जा रहा था.

कुछ समय ऐसा ही चलता रहा. फिर हमने अपनी पोजीशन बदल ली.
अब चाची मेरे ऊपर आकर मेरे लंड पर बैठ गईं और गांड ऊपर नीचे करते हुए चुदाई करवाने लगीं.

करीब दस मिनट तक चुदाई चली. मुझे ऐसे लगा कि अब मेरा निकलने वाला है. मैंने चाची को बताया कि चाची मेरा होने वाला है … जल्दी बताओ … रस कहां निकालूं.
चाची ने मुस्कुरा कर कहा- हां, मेरा भी हो गया. तुम अपना रस मेरे अन्दर ही छोड़ दो.

बस इतना सुनते ही मैंने आंख बंद करके फ्रंटियर एक्सप्रेस दौड़ा दी. मुश्किल से बीस धक्के मारने के बाद मैंने अपना सारा माल उनकी चूत में ही छोड़ दिया. चाची चुदने के बाद बहुत खुश लग रही थीं.
इस तरह से मैंने पहली बार चाची को चोदा. उन्होंने कहा- ऐसी चुदाई मैंने अब तक नहीं की.
चाची मेरे लंड की तारीफ करने लगीं.

हम दोनों ऐसे ही नंगे थोड़े समय तक पड़े रहे.
मैंने पूछा- आपका कब हो गया था?
चाची ने कहा- चुदाई के समय मेरा दो बार पानी निकला था.

वो बहुत खुश थीं. मैंने देखा कि उनकी आंखों से आंसू आने लगे थे. वो रो रही थीं.
मैंने उन्हें चुप कराया और पूछा- क्या हुआ चाची?
चाची कहने लगीं कि ये सब जो मैं कर रही थी … मेरा उन पड़ोसी अंकल के साथ रिश्ता बना हुआ था, वो मेरी मज़बूरी थी.

मैंने चाची को किस करके कहा कि अब आपको कहीं जाने की जरूरत नहीं है. आपको जब मन किया करे, तब आप मेरे पास आ सकती हो.
चाची मुझसे लिपट गईं.

उस दिन एक घंटे में हम चाची भतीजा ने दो बार चुदाई का मजा लिया.

इसके बाद मैंने चाची को लंड चूसने के अलावा और भी बहुत कुछ सिखा दिया है. मैंने चाची को चोदा, खूब खूब चोदा.
 
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सेक्सी चाची की चूत गांड चुदाई



दोस्तो, मेरा नाम संजय है.

मैं पहले आपको अपने बारे में बता देता हूँ, मेरी उम्र 22 साल है. मैं रोज जिम जाता हूँ, इसलिए मेरी बॉडी बहुत हट्टी-कट्टी है. मेरा लंड, साइज में 6 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा है.

इस कहानी की हीरोइन मेरी चाची हैं, जो कि दिखने में बहुत मस्त लगती हैं. उनका फ़िगर 36-34-38 का है. उनकी गांड उभरी हुई है और उनके बूब्स तो बहुत ही बड़े बड़े हैं.

चाची के दो छोटे छोटे बच्चे भी थे, पर चाची तो ऐसे लगती थीं कि अभी कॉलेज में पढ़ती हों और अभी उनकी शादी भी न हुई हो.

यह कहानी तब की है, जब मैंने 12 वीं के एग्जाम दिए थे. अभी रिजल्ट नहीं आया था, तो अभी मैं गर्मियों की छुट्टी में खाली था. चाचा जी बिज़नेस करते थे, इसलिए उनको काम से बाहर जाना पड़ता था. चाचा के बाहर चले जाने से चाची घर में अकेली रह जाती थीं.

मैं हमेशा चाची को चोदने के बारे में ही सोचता रहता था. मैं चाची का नाम लेकर बहुत बार मुठ भी मार चुका था. मैं चाहता था कि चाची मेरे लंड के नीचे आ जाएं. जब चाची हमारे घर आतीं, तो मैं चाची को हवस भरी नज़रों से देखता रहता. चाची को भी ये पता चल गया था … लेकिन वो कुछ नहीं बोलती थीं.

एक दिन चाचा जी को अपने काम से 10 दिन के लिए बाहर जाना था तो वो मुझे बोलकर गए कि अपनी चाची का ध्यान रखना और मेरे घर ही सो जाना.
चाचा की यह बात सुनकर मैं खुशी से उछल पड़ा. मैंने सोचा कि अब मैं चाची तो चोद सकता हूं.

फिर मैं शाम को चाची के घर गया, तो चाची ने दरवाजा खोला और मुझे अन्दर बुला लिया. आज तो चाची मुझे बहुत ज्यादा सेक्सी लग रही थीं. मैं अन्दर जाकर बैठ गया और टीवी देखने लगा.

चाची नहाने चली गईं. मैं अकेला बोर हो रहा था क्योंकि चाची के बच्चे भी सोये हुए थे. मैंने फिर अपना फ़ोन निकाला और पोर्न मूवी देखने में लग गया और मेरा लंड खड़ा हो गया. अचानक से चाची बाहर आईं, तो मैंने मूवी बन्द कर दी.

चाची बोलीं- संजय अब तू भी नहा ले.
मैंने कहा- ठीक है.

जब मैं खड़ा हुआ, तो चाची मेरा 6 इंच का लंड देख रही थीं, जो कि पूरा तना हुआ था.

चाची ने मेरे खड़े लंड को देखा और कुछ नहीं बोला. मैं लंड अडजस्ट करते हुए नहाने चला गया. मेरे दिमाग में प्लान बन गया था. मैं जानबूझ कर बाथरूम में गिर गया और मैंने चाची को आवाज देकर मुझे उठाने को बोला. मैंने बाथरूम का दरवाजा खोल दिया और तौलिया लपेट लिया.

चाची ने बाहर से आवाज दी.
मैंने कहा- चाची, मुझसे चला भी नहीं जा रहा है. बाथरूम का दरवाजा खुला है, आप प्लीज़ मेरी हेल्प करो.

चाची ने दरवाजे में धक्का दिया, दरवाजा खुल गया. उन्होंने मुझे अपना सहारा देकर बाहर निकाला. वो मुझे बेडरूम में ले आईं और मुझे बेड पर लिटा दिया.

मैंने दर्द से कराहते हुए कहा- चाची, मेरी जांघ में बहुत दर्द हो रहा है.
चाची बोलीं- अपना टॉवल खोलो.

मेरी तरकीब काम कर रही थी, मैं भी यही चाहता था. मैं नादान बनकर बोला- चाची आपके सामने कैसे?
चाची बोलीं- चुपचाप अपना तौलिया खोल … मैं तेल लेकर आती हूँ और तेरी जांघ की मालिश करती हूँ … उससे तेरा दर्द कम हो जाएगा.

मैं मन ही मन बहुत ज्यादा खुश था. मैंने अपना तौलिया खोला और बेड पर रख दिया. चाची जब आईं, तो मैं नंगा लेटा हुआ था और जानबूझ कर आह … आह … चिल्ला रहा था, ताकि चाची को लगे कि मुझे सच्ची में दर्द हो रहा है.

चाची मेरे पास आईं, तो मैंने कहा- लाओ चाची … मैं खुद ही तेल लगा लेता हूं.
चाची बोलीं- चुपचाप लेटा रह.

मैं चुप कर गया, लेकिन जब चाची ने अपने कोमल कोमल हाथों से मेरी जांघ की छुआ … तो मेरे लंड ने टाइट होना शुरू कर दिया. कुछ ही पलों मेरा 6 इंच की लंड पूरा खड़ा हो गया.

चाची मेरे लंड की ओर ही देख रही थीं और मेरी तरफ देख कर मुस्कुरा भी रही थीं. मैं समझ गया कि चाची को मेरा लंड पसंद आ गया है.
मैंने आह … आह … करते हुए लंड की तऱफ इशारा करते हुए कहा- चाची, यहां पर भी दर्द हो रहा है … प्लीज़ यहां भी लगा दो.

चाची ने मेरी ओर देखकर स्माइल की और मेरे लंड की मालिश करने लगीं. जब चाची ने मेरे लंड पर अपना हाथ लगाया, तो मुझे बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. लेकिन मैं चाहता था कि चाची मेरा लंड चूसें. शायद चाची भी यही चाहती थीं.

मैं चाची से बोला- चाची, दर्द कम नहीं हो रहा.
तो चाची हंस कर बोलीं- मुँह से कर देती हूं. तभी इसका दर्द खत्म हो सकेगा.

मुझे चाची का इरादा पता चल गया था. मैंने कहा- चाची मुँह से कैसे करोगी?
तो चाची ने मेरे मुँह पर हाथ रख दिया और मेरे लंड तो अपने मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैं ‘आ … हा … हा हा …’ जैसी सिसकारियां लेते हुए मजे ले रहा था. मैंने थोड़ी हिम्मत करके चाची के चुचे को पकड़ लिया और दबाने लगा. चाची ने मेरी ओर देखा और मुझे आंख मारते हुए कहा- अब दर्द कैसा है?
मैं दांत निकालते हुए हंस दिया.

फिर मैंने कुछ देर चाची के चुचे दबाये और थोड़ी देर लंड चुसवा क़र चाची को खड़े होने का इशारा किया.

मैं तो पहले से नंगा था. फिर मैंने चाची की नाइटी भी उतार दी. चाची सिर्फ ब्रा पेंटी में आ गईं. फिर मैंने चाची की ब्रा को पकड़कर फाड़ दिया और चाची के चूचों को आज़ाद कर दिया. चाची के गोरे गोरे चुचे मस्त लग रहे थे. मैं चाची के चूचों को पीने और काटने में लग गया, जिससे चाची गर्म होना शुरू हो गईं.

कुछ देर चुचे पीकर मैंने चाची को बेड पर लेटा दिया और पैंटी के ऊपर से ही चूत को चाटना शुरू कर दिया.

चाची की चूत पानी छोड़ रही थी, जिससे उनकी पेंटी पूरी गीली हो चुकी थी. मैंने चाची की पैंटी उतार दी और जीभ पूरी अन्दर तक डालकर चूत चाटने लगा. चाची ‘हां … यह … उई..’ जैसी सिसकारियां ले रही थीं.

फिर हम दोनों 69 के पोज़ में आ गए. चाची मेरे ऊपर लेट कर मेरा लंड चूसे जा रही थीं और मैं चाची की चूत पी रहा था.

चाची की चूत बहुत टाइट थी, ऐसा लग रहा था, जैसे चाची ज्यादा बार चुदी ही न हों. चाची की बॉडी अकड़ रही थी … मतलब चाची अब झड़ने वाली थीं कुछ ही पलों में चाची झड़ गईं और मैं चाची का सारा पानी पी गया.
उसके कुछ पल बाद में भी चाची के मुँह में झड़ गया.

चाची ने मेरा लंड चूस चूस कर पूरा साफ कर दिया और लगातर लंड चूसती रहीं. इससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया. चाची अब उठीं और मुझे किस करके बोलीं- संजय, मैं तेरे लंड के लिए बहुत दिनों से प्यासी हूँ. आज अपनी चाची की प्यास बुझा दो.
मैं बोला- हां क्यों नहीं चाची … ये लंड आपका ही तो है.

चाची बोलीं- संजय, तेरे चाचा की लुल्ली से मुझे मजा ही नहीं आता और उनका दो मिनट में ही पानी निकल आता है.
मैंने कहा- चाची अब चाचा 10 दिन आने वाले नहीं हैं, इन दस दिनों में हम खूब चुदाई करेंगे.

इतना बोल कर मैं चाची पर झपट पड़ा और चाची को लिटा कर उनकी चूत चाटने लगा.
चाची बोलीं- अहह … खा जाओ मेरी चूत को मेरे राजा.

मैं दस मिनट तक चाची की चूत चाटता रहा. चाची फिर से गर्म हो गईं.
चाची बोलीं- संजय बहुत ही गयी चुसाई … अब थोड़ी चुदाई भी करो … मैं तुम्हारे लंड से चुदना चाहती हूँ.

मैंने चाची की चूत पर अपना लंड सैट किया और ज़ोर के झटके से अपना 6 इंच का आधा लंड चाची की चूत में पेल दिया. चाची की चूत बहुत टाइट थी, इसलिए चाची की चीख़ निकल आयी.

फिर मैंने एक झटका मारा और मेरा पूरा लंड चाची की चूत में चला गया. चाची बहुत चिल्ला रही थीं ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ शायद चाचा की लुल्ली काफ़ी छोटी होगी, इसलिए चाची की चूत बहुत टाइट थी.

मैं चाची की परवाह किये बिना जोर जोर से झटके मार रहा था. चाची थोड़ी चिल्ला रही थीं … लेकिन कुछ देर बाद चाची की चीखें सिसकारियों में बदल गईं. चाची अब गांड उठा उठा मुझसे चुदवा रही थीं.

कोई दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने लेट कर चाची को मेरे ऊपर उछल उछल कर लंड लेने को बोला. चाची झट से चुत में लंड लेकर उछलने लगीं. इस पोजीशन में हम दोनों को भी मज़ा आ रहा था. मेरा पूरा लंड चाची की चूत में जा रहा था. मैं चाची की चूचियों को दबा दबा कर मजा ले रहा था.

दस मिनट के बाद चाची झड़ने को हो गईं. मैंने चाची को लेटा दिया और लंड बाहर निकाल कर चाची को आराम से झड़ने दिया.

अब मैं भी झड़ने वाला था, तो मैंने चाची को अपना लंड चूसने को बोला. चाची ने 2-3 मिनट मेरा लंड चूसा, तो मैं झड़ गया और चाची मेरा सारा पानी पी गईं.

फिर हमने 10 मिनट आराम किया. मैं चाची से बोला- चाची अब मुझे आपकी गांड भी मारनी है.
चाची बोलीं- मैं अब तुम्हारी हूँ … गांड भी मार लो, पर मैंने पहले कभी गांड नहीं मरवाई … इसलिए धीरे धीरे करना.
मैं बोला- ठीक है चाची.

मैंने चाची को मक्खन लाने को बोला. चाची जाकर रसोई से मक्खन लेकर आईं. मैंने चाची को घोड़ी बना दिया और गांड को खोलकर अन्दर मक्खन भर दिया. अपने लंड पर भी मैंने मक्खन लगा लिया.

चाची की गांड खोलकर मैंने धीरे से अपना लंड लगाया और एक झटका मार कर थोड़ा सा लंड अन्दर पेल दिया. चाची की गांड तो चाची की चूत से भी ज्यादा टाइट थी. उनकी आह निकल गई.

फिर मैंने एक जोर के झटके के साथ अपना पूरा लंड अन्दर घुसा दिया तो चाची चिल्ला कर बोलीं- संजय धीरे धीरे करो … मेरा पीछे का पहली बार है.
मैंने अपना लंड बाहर निकाला और लंड पर मक्खन लगा कर धीरे धीरे पूरा लंड अन्दर डाल दिया. फिर मैं लंड को अन्दर बाहर करने लगा. इस तरह चाची को भी मजा आने लगा था.

थोड़ी देर बाद मैंने अपनी स्पीड बढ़ा ली और चाची अम्म … अम्म … अहह … जैसी सिसकारियां लेने लगीं.

अब चाची भी अपनी कमर हिला कर मेरा साथ दे रही थीं. हम दोनों को बहुत ज्यादा मजा आ रहा था. चाची को पहली बार इतना बड़ा लंड जो मिला था.

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद मैं एक बार फिर से झड़ने वाला था. मैं चाची की गांड में ही झड़ गया और मैं चाची के ऊपर ही गिर गया.
हम दोनों बहुत ज्यादा मजा आया. चुदाई के बाद चाची के चेहरे पर एक अलग ही खुशी थी. फिर हम दोनों ने एक बहुत लंबा किस किया और हम दोनों साथ में नहाए.

चाची की चूत थोड़ी सूज गयी थी. चाची बोलीं- मेरी चूत थोड़ी दर्द दे रही है … पर मजा भी बहुत आया है.
फिर हम दोनों बिना कपड़ों के ही एक दूसरे से चिपट कर सो गए.

जब तक चाचा नहीं आये, उतने दिन हमने जी भरके चुदाई का मजा लिया. अब जब भी चाची कहीं बाहर जाते … तो हम चाची भतीजा बहुत चुदाई करते हैं.
 
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