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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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Mast collection bro. I found a couple of stories posted by me ( copy paste type) too in this thread. But all are good stories. One request, kindly add some couple/ cuckoldry stories as well so this thread will then have all popular category stories.
Bicks
Hi bro, as my thread name .. All story collected from net ...
 

junglecouple1984

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सोसाइटी वाली भाभी की चूत चुदाई


नमस्ते, मैं गुजरात से अर्जुन हूँ. मेरी उम्र 25 साल की है.

मैं आपको जो कहानी बताने जा रहा हूँ, वह दो साल पहले की एक सच्ची घटना है.

उस समय मेरी सोसाइटी में एक नई भाभी रहने आई थीं.
मुझे वे बड़ी ही मस्त आइटम सी लगी थीं.
उनकी उम्र करीब 27 साल की थी और उनका एक बच्चा भी था.

भाभी उनके पति और एक बेबी मतलब तीन लोग ही रहते थे.
वे दिन पर दिन मुझे बहुत हॉट लगने लगी थीं.

मुझे उनको देख कर ही मन हो गया था कि भाभी लौड़े के नीचे लेने लायक माल हैं.

अब मैं उनको सैट करके चोदने की सोच रहा था कि भाभी को कैसे पटाऊं.

मैंने भाभी को पटाने के लिए सबसे पहले उन पर नजर रखनी शुरू की ताकि मैं उनकी दिनचर्या समझ सकूँ और उसी के अनुसार भाभी को सैट करने की प्लानिंग करूं.

तब मैंने देखा कि वे रोज शाम को अपनी सहेली के साथ छत पर बैठा करती थीं.
मैं भी अपने घर की छत से उनको लाइन मारने लगा था.

थोड़े ही समय में उन्हें पता चल गया कि मैं उनको लाइन मार रहा हूं.
ऐसे थोड़े दिन तक मैंने भाभी को लाइन मारी.

एक दिन सर्दी ज्यादा थी तो सब सोसाइटी वाले लोगों ने अपने घर के दरवाजे बंद कर रखे थे.

मैं भाभी के घर के पास खड़ा हो गया.
वे जैसे ही बाहर आईं, मैंने उनको अपना फोन नंबर दे दिया और उनसे कॉल करने के लिए बोला.

नंबर देकर मैं इस बात का इंतजार कर रहा था कि कब भाभी का कॉल आए और मैं उनसे बात करूं.
पर उनका कॉल नहीं आया.

अगली सुबह 11 बजे एक नए नंबर से कॉल आया तो मैं समझ गया कि यह उनका ही कॉल होगा.
मैंने लपक कर कॉल उठाया.

सामने से भाभी की आवाज आई ‘हैलो!’
मैंने भी हैलो कहा.

वे मुझसे पूछने लगीं- नंबर क्यों दिया था?
मैंने कहा- मुझे आपसे दोस्ती करनी है.

पहले तो वे बोलीं- मुझे किसी से दोस्ती-वोस्ती नहीं करनी.

वे फोन काटने ही वाली थीं कि मैंने कह दिया कि जब आपको दोस्ती नहीं करनी थी, तो फोन ही क्यों किया?
इस पर वे जरा सकपका गईं और लड़खड़ाती हुई आवाज में बोलीं- व्वो मैंने समझा कि तुम्हें कोई काम होगा!

मैंने कहा- यदि मुझे काम होता, तो मैं आपसे सामने से बात करता न! फोन नंबर क्यों देता?
वे कुछ नहीं बोलीं.

मैंने कहा- आप भी बात को समझने की कोशिश कीजिए कि मैं आपसे सिर्फ दोस्ती के लिए ही तो कह रहा हूँ … कोई गलत काम करने के लिए थोड़े ही कह रहा हूँ.
वे चुप रहीं और मैं समझ गया कि मेरा दांव चल गया है.

अब मैं उनसे थोड़ी देर इधर उधर की बात करता रहा.

फिर भाभी बोलीं- मैं अब बाद में बात करूंगी. अभी मेरी सहेली आ गई है.
मैंने भी नमस्ते कह कर फोन कट कर दिया.

फ़िर शाम को वापस उनका कॉल आया और हम दोनों बात करने लगे.

मैंने उनसे पूछा- भाभी जी आप एक बताओ कि क्या मैं आपको बुरा लड़का लगा हूँ?
वे कहने लगीं- नहीं, ऐसी तो कोई बात नहीं है.

इस पर मैंने वापस दांव खेलते हुए कहा- तो फिर मुझसे दोस्ती करने में आपको क्या दिक्कत है?
भाभी ने हंस कर कहा- ठीक है बाबा, मैं तुमसे दोस्ती करती हूँ.

चूंकि उन्होंने हंस कर कहा था तो मैंने भी उनसे हंस कर कहा- तो फिर कभी आओ हमारे घर?

वे हंसने लगीं और बोलीं- घर बुला कर क्या करोगे?

मैंने कहा- आप जो बोलोगी, मैं वो कर सकता हूँ. वैसे मैं तो आपको चाय नाश्ते के लिए बुला रहा था.

भाभी फिर से हंसी और कहने लगीं कि तुम बहुत शातिर हो.
मैंने कहा- भाभी जी, मैं बहुत अच्छा इंसान हूँ और आपको कभी दुखी नहीं करूंगा.

इस तरह से हम दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.

अब वे छत पर जब अकेली होतीं तो मुझे हंस कर देखतीं और फोन पर मीठी मीठी बातें करतीं.

उनकी प्यास मुझे समझ आने लगी थी कि भाभी जी को लंड की जरूरत है.

एक दिन मेरे घर कोई नहीं था.
मैंने उनसे कहा- आप मेरे घर आ जाओ.
वे बोलीं- क्या खिलाओगे?
मैंने कहा- आप आएं तो सही, मैं आपको ताजे फल खिलाऊंगा.

वे बोलीं- फल में तो मुझे सिर्फ एक ही फल अच्छा लगता है.

मैंने कहा- क्या अच्छा लगता है.
वे बोलीं- तुम बताओ?

मैंने झौंक में कह दिया- केला.
वे हंसने लगीं और बोलीं- तुमको कैसे पता?

मैंने कहा- मेरे पास जादू की शक्ति है, मैं उससे समझ जाता हूँ कि सामने मेरी दोस्त को क्या पसंद है.
वे बोलीं- ऐसा जादू तो मुझे भी आता है.

मैंने कहा- अच्छा! तो बताओ फिर कि मुझे कौन सा फल अच्छा लगता है?
वे बोलीं- मुसम्मी!

मैंने मन ही मन समझ लिया कि भाभी तो सही पटरी पर दौड़ रही हैं.

तो मैंने कहा- अरे वाह भाभी जी आपको कैसे पता चला कि मुझे रसीली मुसम्मियां चूसने में बहुत मजा आता है?

वे हंसने लगीं और कहने लगीं- अब मैं तुम्हारे घर आकर बताती हूँ कि मैं ये सब कैसे जान जाती हूँ. अब बस तुम मुझे जल्दी से घर बुलाओ.

मैंने कहा- आपका स्वागत है. अभी ही आ जाओ मेरे घर में भी कोई नहीं है.
वे बोलीं- कैसे आऊं … कोई देख लेगा.
मैंने कहा- कोई नहीं देखेगा.

वे बोलीं- यार डर लगता है कि कहीं कोई कुछ कहने न लगे कि मैं तुम्हारे घर क्यों गई थी.
मैंने कहा- ओके आप ऐसा करना कि अपने घर से एक थैले में कुछ कपड़े लेकर आना. ताकि कोई देखे, तो उसे लगे कि आप कुछ काम से जा रही होंगी.

यह बात उनको जम गई.
वे मान गईं.

मैं भी बाहर का दरवाजा खोल कर घर के आगे वाले कमरे में खड़ा हो गया.

वे जैसे ही मेरे घर में आईं, मैंने दरवाजा बंद कर दिया और बिना एक पल की देर किये उन्हें पकड़ कर चुंबन करने लगा.

भाभी भी प्यासी थीं, तो मेरा साथ देने लगीं.

मैंने उनको बिस्तर पर धक्का दे दिया और उनके स्तन दबाने लगा.
साथ ही मैं भाभी के पूरे बदन पर हाथ घुमा रहा था.

चुंबन करते करते ही मैंने भाभी के कपड़े उतारने शुरू कर दिए.

भाभी ने एक लोअर और टी-शर्ट पहन रखी थी.
मैंने उनकी टी-शर्ट को कमर से दोनों तरफ से उठाया और उनके सर की तरफ से उठाते हुए उतार दी.

उन्होंने भी अपनी टी-शर्ट ऐसे उतरवा ली मानो वो उन्हें चुभ रही हो.
टी-शर्ट को हटाते ही भाभी मेरे सामने एक काले रंग की ब्रा में आ गईं.

भाभी गजब माल लग रही थीं.

मैंने उनकी आंखों में देखा तो उन्होंने अपनी जीभ को अपने होंठों पर अश्लील भाव से फिराई और अपनी चूचियों को हिला कर कहा- मुसम्मी चूसोगे?

इस पर मैंने कोई जबाव नहीं दिया और उनकी ब्रा का एक कप नीचे करके उनकी चूची पर अपना मुँह लगा दिया.

भाभी की आह की मीठी सी आवाज निकल आई और वे मेरे सर को पकड़ कर अपने मम्मे चुसवाने लगीं- आह चूस लो देवर जी … बहुत दिनों से इनको किसी ने देखा ही नहीं है.
मैंने कहा- क्यों … भैया कुछ नहीं करते क्या?

वे बोलीं- वो यदि कुछ करते होते तो मैं तुम्हें फोन ही न लगाती!
अब मामला एकदम साफ हो गया था.

भाभी को लंड की दरकार थी और मैं उन्हें अपने शिकार के जैसे मिल गया था.

मतलब ये कि मैंने भाभी को नहीं फंसाया था, भाभी ने मुझे फंसाया था. उनका दांव चला था … न कि मेरा.
मैं सब भूल कर बस भाभी के स्तन चूसने लगा.

कुछ ही देर में मैंने उनको पूरी नंगी कर दिया.
उन्होंने भी मेरी शर्ट खोल दी.

भाभी ने मुझे अपनी बांहों में बाहर लिया और उनके हाथ मेरी पीठ पर घूमने लगे.

इस पोजीशन में उनके दोनों दूध मेरे सीने में गड़ रहे थे.
उसी दौरान भाभी का एक हाथ मेरे लौड़े पर आ गया.

मैंने कहा- पैंट खोल कर केला चूस लो भाभी!
भाभी बोलीं- मैंने पहले कभी नहीं किया.

मैंने कहा- ओके, फिर रहने दो.
वे बोलीं- सॉरी.

कुछ देर तक हम दोनों एक दूसरे को गर्म करते रहे.

फिर वे बोलीं- अब पेल दो.
उनकी चूत गीली हो गई थी.

मैंने चुदाई की पोजीशन बनाई और अपना लंड भाभी की चूत पर रख दिया.
उन्होंने भी अपनी टांगें फैला दी थीं और मेरे लौड़े को अपने हाथ से पकड़ कर चूत की गली में सैट कर दिया था.

मैं दाब देते हुए थोड़ा सा लंड अन्दर डाला, तो वे कराह उठीं- आंह यार … दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- क्यों हो रहा है?

वे बोलीं- मेरे पति के लंड से तुम्हारा बड़ा है … उसी वजह से दर्द हो रहा है.

फिर मैं धीरे धीरे करने लगा और साथ में भाभी को किस भी करने लगा.

मेरा आधा लंड उनकी चूत में घुस गया था और उसी समय मैंने एक जोर का शॉट मार दिया.
मेरा पूरा लौड़ा भाभी की चूत को चीरता हुआ अन्दर चला गया.

वे चिल्ला उठीं- उई मां मर गई … आह यार धीरे करो न … मेरी चूत चिर सी गई है.
मैंने इस बार उनकी बात को नजरअंदाज किया, लौड़े को जरा सा बाहर निकाला और फिर से ठोकर मार दी.

भाभी भी समझ गई थीं कि अब मैं जंगली जानवर बन गया हूँ … तो वे भी बस कराहती रहीं और लौड़े को अपनी चूत में अन्दर लेती रहीं.

थोड़ी देर में भाभी का दर्द कम हो गया.
और मैं अब फुल स्पीड में भाभी की चुदाई करने लगा.

थोड़ी देर में वे झड़ गईं.

फिर मैंने उनसे डॉगी स्टाइल में आने को कहा.
वे कुतिया बन गईं.

मैंने पीछे से उनके बाल पकड़ कर चूत में लंड डाला और जोर जोर से चुदाई करने लगा.
वे आह अह कर रही थीं.

दस मिनट तक धकापेल करने के बाद मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूँ तो मैंने भाभी से कहा- कि कहां निकलूं?
भाभी- अन्दर ही निकाल दो.

मैं भाभी की चूत में ही झड़ गया और उनके बाजू में गया.

कुछ समय बाद मैं वापस उनके स्तन दबाने लगा और उनको फिर से गर्म कर दिया.
मेरा लंड भी खड़ा हो गया.

इस बार मैंने भाभी के दोनों पैर अपने दोनों कंधों पर रखे और लंड को चूत में धीरे से सरका दिया.
उनकी चूत मेरे लौड़े की साइज़ के अनुसार खुल गई थी, तो इस बार भाभी को ज्यादा तकलीफ नहीं हुई.

हालांकि मैंने अभी सुपारे को ही पेला था.
भाभी को लगा कि लंड ने जगह बना ली है.

तो उन्होंने जोश में कह दिया- एक बार में ही पूरा पेल दो.

मैंने पूरे जोश में अपना लंड भाभी की चूत में पूरा पेल दिया.
वे एकदम से चिल्ला दीं और मैंने उनकी चुदाई करना चालू कर दी.

थोड़ी देर में भाभी को अच्छा लगने लगा और उनकी कामुक आवाजें निकलने लगीं- आह आह आआह … मजा आ रहा है.
वे इस बार पांच मिनट में ही झड़ गईं.

मैं उनकी चुदाई करता रहा.

फिर मैंने उनसे कहा- भाभी मैं नीचे लेटता हूँ, आप मेरे ऊपर आ जाओ.

वे मेरे ऊपर आकर चूत में लंड डाल कर धीरे धीरे मेरे लंड पर बैठ गईं और मैं दोनों हाथों से उनके दूध पकड़ कर दबाते हुए मसल रहा था.

कुछ देर बाद भाभी ने जो स्पीड पकड़ी, तो मैंने उनकी गांड पकड़ ली और नीचे से धक्के देने लगा.

इस तरह से चुदाई करने में बहुत मजा आ रहा था.

दस मिनट की चुदाई में वे थक गईं ओर बोलीं- तुम मेरे ऊपर आ जाओ.
मैंने कहा- ओके.

मैंने वापस मिशनरी पोज बनाया और भाभी के ऊपर चढ़ कर उनकी चूत में लंड पेल दिया और चुदाई करने लगा.
मैं फुल स्पीड में चुदाई कर रहा था और उनके स्तन भी चूस रहा था.

कुछ मिनट बाद मैंने भाभी से कहा- मैं निकलने वाला हूँ.
वे कहने लगीं- हां रस अन्दर ही निकाल दो.

मैं भाभी की चूत में ही निकल गया और उनके ऊपर ही लेट गया.

थोड़ी देर बाद भाभी बोलीं- अब मुझे जाना होगा. मेरा बेबी जागने वाला ही होगा.
वे उसे सुला कर आई थीं.

मैंने भाभी को किस किया और उनको घर जाने के लिए बोल दिया.
 

junglecouple1984

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बड़ी बहन को पटाया और चोदा



मेरा नाम सतीश (बदला हुआ) है. मैं इन्दौर का रहने वाला हूँ पर पढ़ाई के चलते दिल्ली होस्टल में रहता हूँ.
मेरी उम्र 22 साल, कद 5 फुट 6 इंच है.
मेरे परिवार में मम्मी पापा, बड़ा भाई और दो बड़ी बहन हैं.
दोनों बहनों की शादी हो गई है और बड़ा भाई पढ़ाई के सिलसिले में बाहर रहता है.

बड़ी बहन का नाम रेखा (बदला हुआ) है.
उसका कद 5 फुट 4 इंच और उम्र 30 वर्ष है, रंग गोरा और फिगर 34 28 34 है.
और छोटी बहन का नाम पूनम (बदला हुआ) है, कद 5 फुट 5 इंच उम्र 27 वर्ष रंग गोरा और फिगर 34-30-36 इंच है.

मेरी दोनों बहनें ऐसी हैं कि जिन्हें देखकर बूढ़े से बूढ़े व्यक्ति का लंड खड़ा हो जाए.

बात 1 साल पहले की है जब त्यौहार के चलते सब लोग घर पर इकट्ठा हुए थे.
पर बड़े जीजा जी काम के चलते और भाई अपने इंटरव्यू के चलते नहीं आ पा रहे थे.

सुबह की बात है, बड़ी दीदी नहा कर हॉल में तैयार होने लगी जहां पर मैं पहले से ही मौजूद था.

लाइट के सामने खड़े होने के कारण पेटीकोट में उसकी सफेद जांघें और टाइट गांड साफ साफ दिखाई दे रही थी.
और उनके बड़े और गोल गोल मम्मे मुझे अपनी ओर आकर्षित किए जा रहे थे.

इसी घटना के चलते मेरा नजरिया मेरी बहन के लिए बदल गया और मैं अपनी बहन को चोदने के बारे में सोचने लगा.
पर भाई बहन के रिश्ते की वजह से मैं कुछ भी नहीं कर सकता था.

फिर मैंने सोचा कि क्यों नहीं अपनी बहन को ही चुदने के लिए तैयार किया जाए!

तो मैंने अपनी बहन की सहेली रचना के नाम से एक फेक फेसबुक अकाउंट बनाया और उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज दी.

कुछ समय बाद बहन ने फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट की और मैसेज किया और कहा- रचना कैसी हो?
मैं (रचना)- बस अच्छी हूं और तुम कैसी हो और कहां हो?
मेरी बहन रेखा- बस कट रही है. अभी तो गांव में घर पर हूं.

मैं (रचना)- क्या फट रही है? किसने फाड़ दी तेरी?
रेखा- अरे फट नहीं, कट रही है. फाड़ने वाला कौन है?

मैं (रचना)- क्यों फाड़ने वाले जीजा जी कहां चले गए?
रेखा- अरे यार, वे तो काम के चलते बाहर ही रहते हैं. दो-तीन महीने में ही घर पर आना होता है.

मैं (रचना)- अरे तभी तो तुम्हारी बातों में मिठास नजर नहीं आ रही!
रेखा- अरे ऐसा कुछ नहीं है यार! वह तो बस यूं ही! और तुम अपना सुनाओ, हमारे जीजा जी कहां हैं? वे तुझे खुश रखते हैं या नहीं?

मैं (रचना)- अरे अब मुझसे भी क्या छुपाती हो. मैं तुम्हारे बचपन की सहेली हूं, तुम्हारी बातों में सेक्स की कमी अलग झलक रही है. जहाँ तक मेरी बात रही तो मेरे पति भी तो बाहर ही रहते हैं पर मैं उनकी कमी खलने नहीं देती हूँ.

रेखा- अरे, सेक्स नहीं, बस समय कम बिता पाते हैं. और तुम्हारे पति बाहर रहते हैं तो तुम कैसे उनकी कमी खलने नहीं देती हो!

मैं (रचना)- है एक सीक्रेट … पर एक बात पूछूं तुमसे सच-सच बताना?
बहन- हां पूछो!

मैं (रचना)- सच-सच बताओ तुम्हारा चुदने का मन नहीं करता है क्या?
रेखा- हां करता तो है पर कर भी क्या सकती हूँ?

मैं (रचना)- किसी और से चुद लो!
रेखा- कैसी बातें कर रही हो किसी और से कैसे?

मैं (रचना)- क्यों तुम्हारा पति या फिर मेरा पति 2- 3 महीने बिना किसी को चोदे रह सकते हैं क्या, तुम ही बताओ?
रेखा- हां, मर्द तो होते ही हैं कुत्ते की पूंछ … इतना समय बिना चोदे तो रह नहीं सकते!

मैं (रचना)- तो सोचो जब वे और किसी को चोद सकते हैं तो हम भी तो किसी और से चुद सकती हैं.
रेखा- हां, बात तो तुम सही कह रही हो. पर किसी और से किससे?

मैं (रचना)- किसी बाहर के लड़के को पटा लो!
रेखा- नहीं यार, उसमें पकड़े जाने और ब्लैकमेल का डर होता है.

मैं (रचना)- वह तो तुम सही कह रही हो.
रेखा- कोई और उपाय बताओ ना जिससे कि मेरी भूख शांत हो जाए!

मैं (रचना)- एक उपाय तो है जिसका उपयोग मैं खुद के लिए भी करती हूं पर तुम शायद कर नहीं पाओगी!
रेखा- बता ना यार, मैं सब करने की कोशिश करूंगी.

मैं (रचना)- लगता है चुदने की कुछ ज्यादा ही खुजली मची हुई है तेरी चूत में!
रेखा- सच बताऊं तो हां … अभी बिना चुदे रहा नहीं जाता. बता ना और यार तू क्या करती है?

मैं (रचना)- पहले एक वादा कर कि मैं जो बताऊंगी तू उसे करने की पूरी कोशिश करेगी.
रेखा- हां, बता यार … मैं हर संभव प्रयास करूंगी.

मैं (रचना)- तो सुन तू अपने भाई से चुदाई करवा ले!
रेखा- क्या बात कर रही है? तू पागल तो नहीं हो गई? भाई के साथ कोई ऐसा करता है क्या?

मैं (रचना)- मैं तो करती हूं. देख इसमें कई फायदे हैं, एक तो तेरा भाई किसी को बताएगा नहीं और ब्लैकमेल करने कभी कोई डर नहीं है और साथ ही साथ पकड़े जाने का भी नहीं. और तो और … वह तेरी हर बात मानेगा.
रेखा- हां बात तो तेरी सही है. पर भाई के साथ? तू पागल है. कोई और उपाय हो तो बता.

मैं (रचना)- देख मेरे पास तो यही एक उपाय है जिसे मैं भी काफी समय से आजमा रही हूं. और यह सुरक्षित भी है. और रही बात तेरी ना करने की … तो तड़पती रह चुदने के लिए! देख एक तो तेरा भाई जवान भी है और वह भाई होने से पहले एक जवान लड़का है जिसकी भी कुछ जरूरतें होती हैं.

रेखा- हां वह तो सब ठीक है. पर भाई के साथ कैसे?
मैं (रचना)- देख तूने वादा किया था और अब तू अपना वादा तोड़ रही है!

रेखा- चल ठीक है, मैं कोशिश करके देखती हूं. और ठीक लगा तो ही करूंगी वरना नहीं! पर कैसे देखूँ कि वह भी मुझे चोदना चाहता है?
मैं (रचना)- अपने भाई को रिझा, उसे अपनी ओर आकर्षित कर, अपने मम्मे हिला उसके सामने और देख क्या वह भी तुझे चोदना चाहता है!

रेखा- अच्छा मैं प्रयास करके देखती हूं. चल ठीक है, मैं बाद में बात करती हूं.

फिर मैं अपने रूम में सोफे पर बैठ कर मोबाइल चलाने लगा.

तभी दीदी रूम में आकर झाड़ू लगाने लगी और अचानक से उनकी साड़ी नीचे फर्श पर जा गिरी जिससे उनके 34″ के दूध साफ साफ नजर आने लगे जिन्हें देख कर मैं स्तब्ध रह गया.

इसकी वजह से मेरा लंड खड़ा होने लगा.

फिर अचानक से दीदी मेरे पास आई और कहने लगी- सोफे के पीछे काफी धूल हो गई है!
और वह झुक कर पीछे धूल साफ करने लगी जिसकी वजह से उनकी चूचियां मेरे मुंह से लगने लगी.

मैंने कहा- क्या कर रही हो दीदी? जरा मुझे तो देखो!
तो उन्होंने कहा- रुक जा … जरा धूल साफ करने दे!

मैंने भी जोश में आकर उनकी दोनों चूचियां पकड़कर भींच दी.
तो उसके मुंह से आह निकल गई.

पर उसने कुछ नहीं कहा.
जिस्मानी गर्मी की वजह से मेरा लंड पूरा आकार ले चुका था.

जब दीदी जाने को हुई तो उनकी साड़ी सोफे में फंस जाने से वह अचानक से मेरी गोद में आ गिरी, जिसकी वजह से मेरा खड़ा हुआ लंड उसकी गांड की दरार फंस गया.

मैंने कहा- दीदी, क्या कर रही हो? मेरे ऊपर से उठो!
तो कहने लगी- बस अभी साड़ी निकाल लूं जरा!
और जोर-जोर से बैठे-बैठे गांड को मटकाने लगी.

जिसकी वजह से मैं वासना के रस में भीग गया.
मैंने भी मौके का फायदा उठाते हुए उसकी कमर को पकड़ कर नीचे से एक जोरदार झटका दे मारा जिसकी वजह से लंड गांड से जा टकराया जिसकी वजह से उसका मुंह खुल गया और सिसकारी निकल गई.

पर मैंने उसे सॉरी कहा.
तो उन्होंने ‘कोई नहीं’ कहते हुए एक प्यारी सी स्माइल पास की और वहां से चली गई.

उसके कुछ समय बाद दीदी का मैसेज आया- यार रचना, मेरा छोटा भाई तो बड़ा ठरकी है. वह तो अपनी बड़ी बहन को ही चोदना चाहता है. वह तो अच्छा हुआ घर पर सब थे. नहीं तो वरना आज ही पटक कर वह मेरी चुदाई करता

मैं (रचना)- अच्छा, अब तू ही सोच ले कि तुझे भाई से चुदना है या फिर जीजा जी का इंतजार करना है.

दीदी- नहीं यार, अब नहीं रहा जाएगा. उसका लंड तो मेरी गांड में आज घुस ही गया था. अगर घर पर कोई नहीं होता तो शायद मैं भी खुशी खुशी चुदवा लेती. बस अब तो तू यह बता कि उससे कैसे चुदवाया जाये कि उससे कहना ना पड़े!

मैं (रचना)- जब कोई घर पर ना हो तब कुछ ऐसा करना कि वह ना चाह कर भी तुझे चोद दे और तू ना चाह कर भी चुद जाए!

उसके बाद मैं शाम को खाना खाकर दिन की सब बातों को याद करते करते ना जाने कब सो गया.

सुबह उठकर देखा तो छोटी दीदी जा चुकी थी, घर पर केवल मम्मी पापा और बड़ी दीदी ही थे.

उसके बाद मैं नाश्ता करके दोस्तों के साथ बाहर घूमने चला गया.
जब शाम को मैं आया तो देखा मम्मी पापा कहीं जा रहे थे.

मेरे पूछने पर उन्होंने बताया कि नानी की तबीयत खराब है तो उन्हीं से मिलने जा रहे हैं. जल्दी ही वापस आ जाएंगे.
और मुझे कहा कि घर पर ही दीदी के साथ रहना.

शाम को दीदी ने खाना बनाया और हमने साथ में खाया.

उसके बाद मैं टीवी देखने लगा.
तभी फेसबुक पर मैसेज आया- यार रचना, आज घर पर कोई नहीं है. कुछ बता जिससे कि चुदाई हो सके!

मैं (रचना)- देख चुदाई तुझे करवानी है तो तू जाने तुझे क्या करना है. बस यही कहूंगी कि मौका अच्छा है, हाथ से मत जाने देना. बेस्ट ऑफ लक!

कुछ समय बाद दीदी हॉल में आई और वहां पर पडे बेड पर बैठ गई और टीवी देखने लगी/

थोड़ी देर के बाद उसने कहा- सतीश, आज शरीर ज्यादा काम करने की वजह से कुछ ज्यादा ही दर्द कर रहा है. क्या तुम मेरे पैर दबा दोगे?

मैंने कहा- क्यों नहीं दीदी, आप पेट के बल लेट जाओ, मैं दबा दूंगा.

उसके बाद दीदी पेट के बल लेट गई और मैंने धीमे-धीमे हाथों से पैरों को दबाना चालू कर दिया और साथ ही साथ हल्के हाथों से सहलाने लगा जिसका दीदी प्रतिक्रियात्मक मजा लेने लगी.

कुछ समय इसी तरह चलने के बाद दीदी बोली- मैंने सुना है कि मसाज कराने से दर्द बहुत जल्दी सही हो जाता है. तेरा क्या ख्याल है?
मैं- हां सुना तो मैंने भी यही है!

दीदी- तो ऐसा कर मेज पर रखे हुए तेल से मालिश कर दे जरा!
मैं- ठीक है दीदी अभी करता हूं!

उसके बाद मैंने तुरंत पैरों तेल लगा कर हल्के हाथों से मालिश करना शुरू कर दी.
दीदी- जरा घुटनों के ऊपर भी कर देना, काफी दर्द हो रहा है.

उसके बाद में घुटनों के ऊपर कोमल हाथों से मालिश करने लगा जिसका दीदी बखूबी मजा उठा रही थी.

दीदी- अरे कहीं नाइटी तेल से खराब खराब तो नहीं हो रही है?
मैं- हां बिगड़ तो रही है थोड़ी बहुत!
दीदी- तो ऐसा कर नाइटी को निकाल दे.
मैं- क्या निकाल दूं?
दीदी- हां निकाल दे जिससे सही से मालिश हो जाए!

फिर मैंने नाइटी को एक झटके में निकाल दिया अब दीदी मेरे सामने सिर्फ ब्रा और पेंटी में लेटी हुई थी और मैं मालिश करने लगा.
तभी दीदी बोली- जरा कमर पर भी कर देना!

उसके बाद हल्के हाथों से कमर पर मालिश करने लगा.

दीदी- अरे जरा पीठ और गर्दन पर भी मालिश कर देना, बहुत दर्द हो रहा है आज पूरे शरीर में!
मैं- ठीक है दीदी, करता हूं!

उसके बाद मैं पीठ और गर्दन पर मालिश करने लगा.
जिससे दीदी धीमी आवाज में मदहोशी में आवाजें निकालने लगी.

कुछ समय इसी तरह चलने के बाद दीदी बोली– ब्रा का हुक भी खोल देना. कहीं तेल से ना खराब हो जाए!
मैंने दीदी की बात को अनसुना कर दिया.

तभी दीदी बोली- सुना नहीं तूने, ब्रा को निकाल दे. नहीं तो तेल से खराब हो जाएगी!
मैं- पर दीदी, इससे तो आप ऊपर से नंगी हो जाओगी?
दीदी- तो क्या हुआ … कोई देख थोड़ी रहा है यहां पर! और फिर मालिश भी अच्छे से कर सकता है तू!

उसके बाद मैंने दीदी की ब्रा को निकाल फेंका.
अब दीदी मेरे सामने ऊपर से पूरी तरह नंगी और नीचे सिर्फ पेंटी में लेटी हुई थी.
जिसे देखकर मैं अपना आपा खोने लगा.

मेरा लंड पैंट फाड़ने के लिए तैयार था जो उनकी गांड से लगातार रगड़ खा रहा था.
जिसका दीदी गांड उठा कर बखूबी मजा उठा रही थी.

तभी दीदी बोली- मेरा एक काम करेगा?
मैंने कहा- हां दीदी, कहो तो आप?

दीदी- मेरे चूतड़ों की मालिश कर देगा क्या प्लीज?
मैं- क्या चूतादों की? पर मैं कैसे कर सकता हूं?

दीदी- जैसे अभी कर रहा है. बहुत दर्द हो रहा है पिछवाड़े में! कर दे ना प्लीज अब तो बस यही दर्द रह गया है!
मैं- ठीक है दीदी अभी कर देता हूं.

तभी दीदी ने अपनी पेंटी को भी निकाल दिया और पैरों को फैलाकर आंखें बंद करके लेट गई.

मैंने भी समय के मिजाज को देखते हुए अपने सारे कपड़े निकाल दिये और नंगा होकर मालिश करने लगा.

मेरे सामने दीदी की गोरी चूत खुलकर सामने थी.
चूत रस से अभी तक पूरी भीग चुकी थी जो मुझे अपनी ओर चाटने के लिए लालायित कर कर रही थी.

पर मैंने अपने आप को संभाला और गांड पर मालिश करना जारी रखा.

अब दीदी पूरी तरह गर्म हो चुकी थी, मुंह से ‘आह आह … उई माँ’ की आवाजें निकालने लगी.
मैंने पूछा- क्या हुआ दीदी?
तो बोली- कुछ नहीं, दर्द काफी है ना … इसलिए थोड़ा आराम मिला है!

कुछ समय तक यूं ही दीदी की गांड को टटोलने के बाद मैंने अपनी एक उंगली चूत में डाल दी जिससे दीदी की आह निकल गई.
पर उसने कुछ नहीं कहा.

अब हम दोनों के लिए अपने आप को संभाल पाना मुश्किल था.
मैंने उंगली को चूत के अंदर बाहर करना चालू कर दिया जिससे दीदी मजे के सातवें आसमान पर सवार होने लगी.

अब मैंने अपनी दो उंगली चूत में डाल दी और अंदर बाहर करने लगा.

कुछ समय बाद मैंने जीभ चूत में डाल दी जिससे दीदी सिसकारने लगी और कहने लगी- उई मां मर गई!
और अपने हाथ से पकड़ कर मेरे मुंह को चूत पर दबाने लगी.

कुछ समय बाद दीदी ने उठकर अपने होंठ मेरे होठों पर रख दिए और चूमने लगी.
मैंने भी उनकी दोनों चूचियां को मसलते हुए होठों को चूमने लगा.

10 मिनट जोरदार चुसाई के बाद दीदी बोली- अब रहने दे, होठों में दर्द होने लगा है!

फिर दीदी बोली- अब जैसे पीछे की मालिश की थी, वैसे ही आगे की भी कर दे तो संतुष्टि मिल जाएगी!
मैंने भी कह दिया- दीदी हाथों से करूं या लंड से?

दीदी- पहली बात तो ये कि अब दीदी मत बोल!
मैं- तो क्या बोलूं दीदी?
दीदी- जब काम रानी वाले कर रहा है तो रानी बोल या डार्लिंग! पर दीदी ना बोल! और रही मसाज की बात, तो अब तो तू मेरा राजा है लंड से, मुंह से, हाथों से जैसे भी करना है वैसे कर … बस जल्दी से कर. अब रहा नहीं जाता मेरे राजा!

फिर मैं दीदी की दोनों चूचियों को एक-एक करके चूसने और काटने लगा.
उसकी चूचियां एकदम लाल हो गई.

दीदी- ओ मेरे राजा, अब बजा दे मेरी चूत का बाजा!
मैंने- हां डार्लिंग, अभी लो पहले मेरे लंड को चूसो!

तो दीदी ने चूसने से मना कर दिया.
पर मेरे ज्यादा कहने पर उसने लंड मुंह में ले लिया.

अब मैं पूरे जोश के साथ उसके मुंह को चोदने लगा जिससे गफ्प गफ्प की आवाज आने लगी.
लंड गले मे टकराने से उसकी सांसें थम गई और आंसू बहने लगे.

तो मैंने तुरंत लंड को बाहर निकाल लिया और उसकी चूत को सहलाने लग गया, चाटने और काटने लगा.
जिससे उसकी आवाजें तेज होती जा रही थी- अब घुसा दे चूत में लंड बहनचोद कुत्ता!
मैं- हां कुतिया रंडी, अभी ले …तेरी चूत का बुरा हाल ना किया तो देखना!

और मैं उसकी चूत को पीने लगा.

लुच देर बाद मैंने लंड को सेट कर एक जोरदार झटका दे दिया जिससे आधा लंड दीदी की चूत में घुस गया.
जिससे दीदी की चीख़ निकल गयी- उईई ईई … माँ आहह हह … मार डाला बहनचोद!
मैं- क्यों, तुम तो पहले भी कई बार चुदी हो तो चिल्ला क्यों रही हो?
दीदी- बहनचोद, बहुत दिनों बाद चुद रही हूं. और तेरे जीजा का लंड काफी छोटा है!

मैं- अब ले कुत्तिया रंडी … चूतचोदी, बड़े लंड का मजा!
और मैंने एक और झटका चूत में दे दिया जिससे पूरा लंड घुस गया.
और वो चीखने चिल्लाने लगी.

मैं कुछ समय उसके ऊपर यूं ही लेटा रहा.
दीदी का दर्द कम होने के बाद मैंने लंड को धीमे धीमे चूत में चलाना शुरू कर दिया.

कुछ समय यूं ही चलाने के बाद मैंने झटकों को तेज कर दिया जिसका दीदी गालियां और दे दे चिल्लाकर मजा उठाने लगी.

दीदी- मादरचोद कुत्ता … चोद और तेज … आज अपनी बहन की चूत की प्यास बुझा दे! और तेज! भरता बना दे अपनी बहन की चूत का! ईईई ईईई … ह्म्म्म घघ् … आआह हहह् … ईईई!
कहती हुई दीदी झड़ गई.

जिससे मेरा लंड दीदी की चूत के रस से सन चुका था.

अब दीदी निढाल होकर बिस्तर पर ही लेट गई और मुझे किस करने लगी.

मैंने दीदी की चूचियों को सहलाने और चूसना शुरू कर दिया, साथ ही साथ दीदी की चूत में उंगली चलाना शुरू कर दिया. बाद में मुंह से चाट चाट कर चूत को साफ कर दिया.

अब दीदी फिर से गर्म हो चुकी थी और लंड लेने के लिए तैयार थी.

मैंने कहा- मेरे लंड की रानी, अब पंजाबी कुतिया बनाकर चोदूंगा तुझे!
दीदी- जैसे चोदना है वैसे चोद … मादरचोद अब जल्दी डाल लंड चूत में!

अब मैंने गीली चूत में लंड डाल दिया और पूरे जोश के साथ चोदने लगा.
दीदी गांड उठा उठा कर और चिल्ला चिल्ला कर चुद रही थी.

जोरदार और जबरदस्त 20 मिनट की जुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था.
तो मैंने दीदी से पूछा- दीदी, अपने भाई के लंड का रस को कहां पर लेना पसंद करोगी?
दीदी- डाल दे लंड रस को चूत में ही … और बुझा दे इसकी प्यास!

उसके बाद मैं दीदी की चूत में झड़ गया और निढाल होकर उनके ऊपर ही लेट गया.

कुछ समय बाद दीदी बाथरूम में गई तो मैं भी उसकी गांड के पीछे पीछे चला गया और पीछे से जाकर पकड़ लिया.

दीदी- अरे क्या कर रहा है तू? अब तो छोड़ दे … और कितना करेगा? मन नहीं भरा तेरा? मेरी तो चूत दर्द करने लगी है!

मैं- अरे आप जैसी माल को भी कहीं छोड़ा जाता है क्या? अगर तुम मेरी पत्नी होती तो दिन रात चोदता और तेरी चूत का भोसडा बना देता अभी तक तो!
दीदी- अच्छा अब बना लेना! पर अभी छोड़ दे, दर्द हो रहा है. काफी दिनों के बाद चुदी हूँ ना इसलिए!

मै- अरे कोई अप्सरा को छोड़ता है क्या?
कहते हुए मैंने लंड चूत में डाल दिया और खूब चोदा.

अगले दिन पापा मम्मी के आ जाने से पहले दीदी को दो बार और चोदा.
पर शाम को पापा मम्मी के आ जाने के कारण दीदी की फूली गांड की चुदाई और चुसाई नहीं कर पाया.

पर दीदी के अगली बार घर आने पर वह सपना भी पूरा हुआ.

अब जब भी मुझे और दीदी को मौका मिलता तो खूब चुदाई का आनंद उठाते हैं.
 

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बर्थडे गिफ्ट में मिली मामी की चूत



दोस्तो, मेरा नाम अजय है और मैं मुंबई में जॉब करता हूँ. मेरी उम्र अभी 22 साल की है. मैं दिखने में बहुत ही हैंडसम हूँ. मैं अपनी इसी खूबसूरती का फायदा उठाकर कई भाभियों की जवानी का रस ले चुका हूँ.
यह सेक्स कहानी मेरी और मेरी मामी के बीच की है.

मेरी मामी का नाम कोमल है. उनकी चूचियां 34 इंच की हैं, कमर 30 की और बाहर को निकली हुई मोटी 38 इंच की गांड किसी को भी घायल कर दे, उनकी फिगर ऐसी है.

कुल मिलकर मामी दिखने में एकदम हॉट माल हैं, वे किसी अप्सरा के जैसी दिखती हैं.
सच कह रहा हूँ कि देखने मात्र से किसी का भी हथियार फायरिंग करने लगेगा.

मैं जब भी अपनी ननिहाल जाता तो उनके साथ में ही ज़्यादा समय बिताता था. मैं उनसे अपनी हर बात साझा भी करता था. मैं उन्हें चोद भी चुका था.

जब मैं मुंबई से दिसंबर महीने में घर आया तो करीब एक हफ्ता बीत गया था.
मैं घर पर कम ही रुकता था और अगल बगल के दोस्तों के साथ घूमता रहता था.

एक दिन मेरी मामी ने फोन लगाया- क्या बात है राज, घर आने के बाद मामी को भूल गए हो क्या! मुंबई में थे तो हमारी बहुत याद आती थी और अब जब घर आ गए हो तो कभी फोन पर तक बात नहीं कर रहे हो! मामी को ऐसे ही दूर से पानी पिला रहे हो क्या?

मैंने कहा- नहीं मामी, मैंने सोचा कि मेरा बर्थडे आने वाला है, उसी दिन ही आपके घर घूमने आ जाएं.

मेरा बर्थडे उसी महीने में 26 दिसंबर को था. Xxx मामी चुदाई का मजा उसी दिन लेने का सोचा हुआ था मैंने!
मामी ने कहा- अच्छा तो मतलब उससे पहले नहीं आओगे. अब उसी को पकड़कर बैठ गए हो क्या?

मैंने कहा- नहीं मामी, आएंगे तो जरूर और अब उसी दिन आएंगे.
मामी ने कहा- चलो ठीक है.

फिर मैंने मामी से कहा- अच्छा मामी आप बताओ कि मुझे क्या गिफ्ट मिलेगा?
मामी ने कहा- पहले आ जाओ. फिर जो चाहिए होगा, वह सब मिल जाएगा. परेशान मत हो.

धीरे धीरे समय बीतता गया और वह दिन आ गया.

मैं तैयार होकर घर से इजाज़त लेकर निकल गया और शाम को नानी के घर पर पहुंच गया.

मैंने देखा कि नाना जी घर के बाहर बनी हुई अपनी दुकान पर बैठे थे और नानी मार्केट गई हुई थीं.

मामी घर में अन्दर रसोई में थीं और खाना बनाने की तैयारी कर रही थीं.

तभी नाना ने आवाज़ लगाई- कोमल, अजय आ गया है बेटा … पानी लेकर आओ तो जरा!

मैंने नाना जी से कहा- रहने दो नाना जी, आप दुकान पर ही रहो, मैं मामी से घर में जाकर मिल लेता हूँ.

मामी मुझको देखकर बहुत खुश हुईं और बोलीं- अभी आ रहे हो!

मैंने कहा- हां, अभी ही तो केक काटने का समय आने वाला है. दिन में तो नहीं कटेगा ना!

मामी हंसने लगीं और बोलीं- अच्छा तुम यहीं बैठो. मैं नाश्ता लगा कर ले आती हूँ.

मैंने मामी से कहा- रहने दो मामी जी, आप भी यहीं आकर बैठो, नाश्ता तो होता रहेगा.

वे मेरे पास बैठ गईं.
ऐसे ही हम दोनों में हंसी मज़ाक चल रहा था.

मैंने मामी से कहा- मामी आप तो दिन प्रतिदिन और भी खूबसूरत और हॉट होती जा रही हो.

मामी ने हंसकर कहा- अच्छा! लगता है तुम्हें आज और कोई नहीं मिला, जो मामी को मस्का लगा रहे हो!

तभी नानी आ गईं.
मैंने उनके पैर छुए और उन्होंने हाल चाल पूछा.

फिर केक कटा और सभी लोगों के साथ हंसी मज़ाक हुआ.

मेरे कुछ बचपन के दोस्त भी आ गए थे क्योंकि मैं बचपन से ही नानी के पढ़ रहा था तो बहुत सारे पुराने दोस्त भी थे.

वे सब मुझे बाहर खींच ले गए और मैंने उन्हें पार्टी दी.

फिर जब मैं वापस घर आया तो सब खाना खाकर सो गए थे.
मैं घर में आया तो नाना जी जाग रहे थे.
उन्होंने कहा- अजय तुम्हारी मामी ने तुम्हारा बिस्तर लगा दिया है, जाकर सो जाओ.

मैं अपने लिए लगाए गए बिस्तर पर न जाकर धीरे से मामी के रूम में चला गया और अन्दर जाकर देखा तो कमरे में कम रोशनी वाली लाइट जल रही थी.
मामी सो रही थीं.

मैं मामी के बगल में जाकर लेट गया.
मैंने मामी के कान में कहा- यहां बुलाकर आप सो रही हो. क्या मुझे मेरा गिफ्ट नहीं मिलेगा?
तभी मामी ने कहा- नहीं, मैं जाग रही हूँ. मैं जानती हूँ कि मेरे भांजे अजय का जन्मदिन है और वह बिना मुझसे गिफ्ट लिए कैसे सो सकता है!

मैं धीरे धीरे मामी की साड़ी को हटाने लगा और उनके होंठों पर अपने होंठ रखकर चूसने लगा.
मामी कामुक सिसकारियां लेने लगीं.

उनके होंठों को चूसने में इतना मजा आ रहा था कि क्या ही बताऊं.
लग रहा था कि बस उनके होंठों को काट ही लूं.

कमरे का माहौल भी एकदम कामुक बना हुआ था.

लाल रंग वाली छोटी लाइट जल रही थी और ऊपर से मामी की काली साड़ी में मानो वे कहर बरपा रही थीं.

मैंने मामी से कहा- मामी, आप इतनी हॉट हो कि बस जी करता है कि आपकी पूरी जवानी को चूस लूं. पता नहीं मामा जी आपको छोड़कर मुंबई में कैसे रह लेते हैं.
मामी बोलीं- तुम जैसे भांजे मेरा ख्याल रखने के लिए हैं ना, इसलिए मुझे क्या चिंता!

मैं भी मामी की बातों से खूब मजे ले रहा था और उनकी चूचियों को मसल मसल कर उनका दूध पी रहा था.
ऐसा लग रहा था कोई कुंआ ही प्यासे के पास आकर अपनी प्यास बुझा रहा हो.

मामी को भी अपने दूध पिलाने में खूब मजा आ रहा था और वे मादक सिसकारियां लेती हुई बोल रही थीं- आह चूस ले अपनी मामी के पके हुए आमों को … आह मस्त मजा दे रहा है. बस जल्दी से पेल दो अब रहा नहीं जाता.

मैं- मामी सब्र रखो, आज पूरी रात अपनी है. बस कोई जागे ना.
मामी बोलीं- कोई नहीं जागेगा, सब सो गए हैं और अब तो ये दोनों सुबह ही उठेंगे चाहे बम ही क्यों ना फट जाए.

करीब दस मिनट तक मामी के पके हुए आमों का मजा लेने के बाद मैं मामी के के पेट पर सरक आया और अपनी जीभ फेरने लगा.
मामी अकड़ने लगीं.

मैं धीरे धीरे उनकी चूत तक पहुंच गया. मैं उनकी दोनों टांगों के जोड़ पर ही अपना हाथ फेरने लगा.

मामी अपनी चूत की रगड़ाई से चिल्लाने लगीं- आह अजय, प्लीज़ जल्दी से डाल दो. अब यह सुरसुरी सही नहीं जाती.

मैंने अपना लंड निकालकर उनके हाथ में दे दिया और कहा- लो मामी आपके ताले की चाभी पकड़ो.

अपने हाथ में लंड लेने के बाद मामी उसे मसलने लगीं और बोलीं- अब ये जल्दी से मेरी चूत में पेल दो. मुझसे अब और रहा नहीं जाता.
मामी की ऐसी हालत देखकर मैंने भी देर ना करते हुए उनकी चूत में थूक लगाया और लंड को झटके से पेल दिया.

इससे मामी चिल्ला उठीं और बोलीं- आज रात भर चुदाई करनी है ना … फिर अभी ही फाड़ देगा क्या?
मैंने कहा- मामी, ये रफ़्तार बहुत ज़रूरी है.

मामी बोलीं- पेल तो दिया हैं ना अपनी मामी की चिकनी चूत में अपना लौड़ा, अब क्या करेगा!

मैंने मामी से कहा- मामी, मन करता हैं कि आपकी चूत में लंड डालकर ऐसे ही जीवन बिता दूँ. आपकी चूत और इन पके हुए आमों को ऐसे ही चूसता रहूं.
मामी कसमसाती हुई बोलीं- जितना हो सके, चूस ले और ले ले अपनी मामी की चूत का मजा. मेरी तरफ से यही तेरा गिफ्ट है.

हम दोनों धकापेल में लग गए.
करीब 20 मिनिट की चुदाई करने के बाद मैं झड़ गया और अपनी मामी की चूचियों को चूसने लगा.

मामी अपनी चूचियों के ऊपर ज़ोर ज़ोर से मेरा सर दबा रही थीं.
मैं मानो जन्नत में आ गया था.

कुछ देर बाद मामी ने भी अपना रस मेरे लंड पर छोड़ दिया क्योंकि मैं उनके ऊपर ही चढ़ कर उनकी चूचियों का रस पी रहा था.

करीब 10 मिनट के बाद मामी फिर से जोश में आने लगीं और बोलीं- अजय अब मेरी बारी. तूने मेरी चूत मारी है ना. अब देख मैं तेरे इस औजार को कैसे खड़ा करती हूँ.
मामी ने यह कहा और मेरे लंड को अपने मुँह में भरकर चूसने लगीं.

मैं बहुत उत्तेजित हो रहा था और मामी तो सातवें आसमान पर थीं.
कुछ देर के बाद लंड फिर से तनकर खड़ा हो गया था.

मामी ने कहा- देखा भांजे, तेरी मामी ने कैसे खड़ा कर दिया?

मैं- मामी आपकी तो ये चूचियां, ये लचकती कमर और मोटी गांड को देखकर नाना जी जैसे बूढ़े का भी खड़ा हो जाए. फिर ये तो मेरा जवान लंड है.
वे मुस्कुराने लगीं.

मैंने कहा- मामी, अब मैं आपकी गांड मारना चाहता हूँ.

मामी- हां मार ले भांजे, आज ये तेरी मामी पूरी तरह से तुम्हें संतुष्ट कर देगी.

मैंने मामी को बेड पर उल्टा होने को कहा और उसके बाद अपना लंड उनकी गांड में झटके से पेल दिया.

मामी कराह कर बोलीं- कहीं भागी जा रही हूँ क्या … जरा आराम से चोद ना. इतनी तेज़ी से तो तेरे मामा भी नहीं चोदते हैं.

मैंने मामी से कहा- आप तो उनकी प्रॉपर्टी हो, वे जब चाहे तब इस्तेमाल कर सकते हैं. कैसे भी चुदाई कर सकते हैं. मुझे वह सुख कहां है. मुझे रोज रोज ये घुड़सवारी करनी है.

मामी हंसकर बोलीं- अच्छा तो फाड़ दे अपनी मामी की गांड … निकाल दे अपना सारा जोश … चोद दे मुझको और बुझा दे मेरी प्यास.
मैं पिल पड़ा.

ऐसे ही करीब 20 मिनट तक मैं अपनी मामी की गांड मारता रहा.
फिर जब मेरा वीर्य निकलने वाला था तो मैंने मामी से कहा- अन्दर ही रस छोड़ दूँ?

मामी ने कहा- हां, पर इसे अपनी मामी की चूत में डाल दे.
मैंने लंड गांड से निकाल कर उनकी चूत में फिट कर दिया और झड़ गया.

दो बार की चुदाई के बाद थोड़ी देर तक मैं मामी के रूम में उनके ही ऊपर लेटा रहा और उनकी चूत में उंगली करता रहा.

यूं ही मैं कब सो गया, कुछ पता ही नहीं चला.

सुबह मामी उठीं और बोलीं- अजय कपड़े पहन लो और अपने रूम में जाकर सो जाओ. सुबह होने वाली है.

मैं नंगा ही अपने मामी के साथ में सोया था.

मामी को सुबह सुबह देखकर मेरा फिर मूड होने लगा.
मैंने मामी से कहा- प्लीज़ मामी एक बार और!
मामी बोलीं- अभी नहीं.

मैं मान ही नहीं रहा था.
मैंने मामी के पीछे से जाकर उन्हें पकड़कर कहा- मामी, अपने इस छोटे जनाब को एक बार शांत कर दो. ये अब भी नहीं मान रहा है.

मामी मेरे लंड को पकड़कर बोलीं- रात को चूत और गांड मारने के बाद आराम नहीं मिला!
मैं हंस दिया.

मामी ने कहा- तुमसे पूरी रात अपनी जवानी चुदवाई. फिर भी ऐसे कर रहे हो?
मैंने मामी से कहा- मामी प्लीज़.

मामी बोलीं- ठीक है, अब भोर हो गई है और मैं नहाने जा रही हूँ. चलो वहीं पर करना. यहां तुम्हारे नानी नाना जाग गए तो काम हो जाएगा.

फिर बाथरूम में जाकर Xxx मामी चुदाई का मजा लिया और सारा माल उनके मुँह में ही छोड़ दिया.
कुछ देर बाद सुबह हो गई और नाश्ता करके अपने घर को लौट गया.

घर पर पहुंचने के बाद मामी ने फोन से पूछा कि आराम से पहुंच गए ना!
मैंने कहा- हां पहुंच गया हूँ, मगर आराम नहीं है. आपकी बहुत याद आ रही है.

मामी बोलीं- अजय, मेरा भी हाल बहुत बुरा है.

कुछ देर बात करने के बाद फोन रख दिया और सोचने लगा कि अब जब भी ननिहाल जाऊंगा तो उन्हें जरूर चोदूंगा.
 

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कुंवारी लड़की की चुदाई सगे छोटे भाई के लंड से


दोस्तो, मेरा नाम आफरीन अंसारी है, मेरी उम्र 20 साल है, रंग गोरा है. मैं आज आपको अपनी लाइफ की रियल सेक्स स्टोरी कुंवारी लड़की की चुदाई की बताने जा रही हूँ.

मेरा एक छोटा भाई है जुनैद, जिसकी उम्र 18 साल से कुछ माह ज्यादा है. जिस समय की ये घटना है, उस समय मैं बीएससी के दूसरे साल में थी और मेरा भाई बारहवीं में था. हम दोनों घर पर एक ही कमरे में रह कर साथ साथ पढ़ते थे. कमरे में बेड बड़ा था, इसलिए उसी पर एक साथ सो जाते थे.

एक दिन हम दोनों भाई बहन उसी बेड पर सो रहे थे कि तभी अचानक मेरी आंख खुली और मैंने देखा कि मेरा भाई अपने लंड की खाल को ऊपर नीचे कर रहा था.

मैं अधखुली आंखों से चुपचाप उसे देखती रही. मैंने देखा कि मेरे भाई का मोटा लंड करीब 6 इंच का था, वो बड़ी मस्ती से अपने लंड को हिलाए जा रहा था. कुछ देर बाद मेरे भाई के लंड से पानी निकला और वह कुछ देर बाद सो गया.

जब मैंने देखा कि मेरे भाई का लंड काफी मोटा और लम्बा है, तो उसके लंड को देखकर मेरी नींद उड़ गयी. मैं भी अपनी चुत में उंगली कर लेती थी. मगर मुझे किसी के लंड से चुदने में बड़ा डर लगता था कि कैसे किसी से चुदने की बात कहूंगी.

अपने सगे भाई का मोटा लंड देख कर आज फिर से मेरी वासना जाग गई थी और मैंने सोच लिया था कि कुंवारी लड़की की चुदाई अपने भाई से होकर रहेगी.
मैंने सोचा कि कैसे भी करके अपने भाई से चुदाई करवाऊँगी.

दूसरे दिन जब रात हुई, तो मैंने अपनी पैंटी और ब्रा उतार कर मैक्सी पहन ली और मैं सोने का नाटक करने लगी. मेरा भाई अभी जाग रहा था.

मैंने सोने का ड्रामा करते हुए अपनी मैक्सी धीरे धीरे ऊपर को कर ली और मेरी बुर साफ नजर आने लगी.

जब मेरा भाई मेरी ओर घूमा, तो उसने मेरी सफाचट बुर देख ली. मेरी मस्त जवानी और चिकनी चुत देख कर उससे रहा नहीं गया. वो मेरी चुत को ध्यान से देखने लगा. फिर उसने मेरी आंखों की तरफ देखा.

मैं आंखें मूंदे सोने का ड्रामा कर रही थी. मगर मेरी नजरें छिप कर उसकी हरकतों को देख रही थीं.

मेरा भाई धीरे धीरे मेरे पास आकर लेट गया. उसकी तेज तेज चलती सांसें मुझे साफ़ सुनाई दे रही थीं. मैंने बिंदास सोते हुए अपनी करवट ली, तो मेरी गांड उसकी तरफ हो गई और मेरी नाइटी, मेरी चुत और गांड दिखाते हुए काफी ऊपर को उठ गई. आप यूं समझो कि मेरी नाइटी मेरी कमर तक आ गई थी.

मैं अब सोच रही थी कि मेरी खुली हुई गांड और चुत देख कर उसका लंड झनझना गया होगा.

उसने कुछ देर तक शायद अपना लंड हिलाया, जिससे मुझे उसे बिस्तर पर हिलने का अहसास हुआ. फिर मेरे छोटे भाई ने अपना हाथ मेरी गांड पर रख दिया. मुझे एकदम से झुरझुरी सी हुई मगर मैं दम साधे चुपचाप पड़ी रही, मैंने कुछ भी प्रतिक्रिया नहीं की.

फिर जुनैद धीरे धीरे मेरे चूतड़ सहलाने लगा, मुझे मजा आ रहा था. उसके हाथों की गर्माहट मेरी चुत की जमी हुई मलाई को पिघला रही थी.

फिर उसने हाथ कुछ अन्दर किया और अब जुनैद मेरी पिघलती बुर को ऊपर से सहलाने लगा. मुझे बेहद सनसनी हो रही थी. उसकी हरकतें भी परवान चढ़ने लगी थीं. मुझे ऐसा लग रहा था, जैसे वो अपने एक हाथ से मेरी चुत को सहला रहा है और दूसरे हाथ से अपना लंड हिला रहा है. अब मैंने खेल शुरू करने का मन बना लिया था.

उसकी एक उंगली ने मेरी फांकों के बीचे घुसने का प्रयास किया. तो मैं समझ गई कि इसकी उंगली मेरी गीली चुत महसूस करके मुझे जगा हुआ समझ जाएगी और खेल खराब हो जाएगा.

मैंने एकदम से उठते हुए उससे कहा- जुनैद … ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बड़ी बहन हूँ.

वो मेरे इस तरह से अचानक उठने से एकदम से डर गया. मैंने सही अंदाजा लगाया था. उसका लंड एकदम तना हुआ उसे हाथ में दबा था. जुनैद ने मेरी आंखों का पीछा किया, तो वो अपने लंड को ढांपने लगा.

मैंने उससे गुस्से में कह रही थी तो वो सहम गया था. कि कहीं मैं अब्बू से इस बात की शिकायत न कर दूँ.
वो सर झुका कर बैठ गया.

फिर मैंने पूछा- कल क्या कर रहे थे तुम?
वो कुछ न बोला, वो डरा हुआ था.

मैंने कहा- डर क्यों रहे हो? बताओ … मैं तुम्हें कुछ नहीं बोलूंगी.
पर वो कुछ न बोला.

मैंने भी उससे ज्यादा कुछ नहीं कहा और लेट गई.
वो बैठा रहा.
मैंने उससे कहा- अब लेट जाओ … बैठो क्यों हो?

वो भी मुझसे कुछ दूरी बना कर लेट गया.

हम दोनों लेट गए. मैंने कुछ देर बाद फिर से अपनी आंखें मूंद लीं और अपनी मैक्सी ऊपर को कर ली. मेरी खुली हुई गांड जुनैद की ओर थी.

मेरे ऐसा करने से बिस्तर पर कुछ कम्पन हुआ. मगर वो मेरी तरफ नहीं घूमा. मैंने नंगे ही पड़े रह कर उसे अपनी गांड दिखाने का फैसला कर लिया था.

कुछ पल बाद जुनैद जब मेरी ओर घूमा, तो वो मेरी नंगी गांड देख रहा था. वह समझ गया था कि मैं अपनी बुर की चुदाई करवाना चाहती हूँ. कुंवारी लड़की की चुदाई का सोच कर उसका लंड खड़ा हो गया था.

मैंने उसी समय चित होकर अपनी टांगें खोल दीं और मेरी बुर खुली हवा में अपने भाई के लंड का इन्तजार करने लगी.

मेरी फैली हुई टांगें और खुली हुई सफाचट चूत देख कर वो फिर से गरमा गया. जुनैद धीरे से मेरे पास आया और मेरी बुर सहलाने लगा. मुझे गर्मी आने लगी. मैं चुपचाप सोने का नाटक कर रही थी.

मेरी तरफ से उसने कुछ भी विरोध नहीं देखा, तो मेरा छोटा भाई जुनैद बेख़ौफ़ होकर मेरे मम्मों को दबाने लगा.
मुझे उसके हाथ से अपनी चूचियों को मसलवाने में बड़ा मजा आ रहा था.

मैं घूम गई, तो एक पल के उसकी गांड फटी … लेकिन मैंने जब उससे कुछ नहीं कहा, तो उसकी समझ में आ गया कि उसकी बहन चुदने के लिए मरी जा रही है.

अब उसका लंड मेरी गांड में चुभ रहा था … वो और भी ज्यादा मेरी गांड में घुसा जा रहा था. मगर मुझे उसका लंड बड़ा अच्छा लग रहा था.

वो आगे हाथ करके मेरी चूचियों को मसलने लगा और अपनी गरम सांसें मेरे कान पर छोड़ने लगा.
उसने मुझसे कहा- एक बार मौक़ा दो ना बाजी!
मैंने कुछ नहीं कहा और सीधी लेट गयी.

जुनेद ने मेरी राजी समझ ली और मेरे सामने आकर बैठ गया. मैंने भी आंखें खोल ली थीं और उसके खड़े लंड को देखने लगी थी.

उसने मेरी दोनों टांगों को पकड़ कर फैला दिया. जिससे मेरी गुलाबी बुर उसके सामने खुल गई. मेरी गुलाबी बुर देख कर जुनैद से रहा न गया. वो मेरी बुर पर अपनी नाक रख कर बुर सूंघने लगा. उसकी नाक की नोक मुझे अपनी चुत की मटर पर बड़ी लज्जत दे रही थी.

एक पल बाद जुनैद मेरी बुर को चाटने लगा. उसने अपनी जीभ को मेरी बुर की फांकों में ऊपर से नीचे फेर दिया. बुर चुसाई से मैं ‘आह आह …’ की सिसकारियां भरने लगी.

वो समझ गया कि उसकी बाजी चुदने को रेडी है. ये देख कर उसने मेरी चूची चूसते हुए मुझसे कहा- बाजी, कपड़े उतारो न!

तब मैंने अपनी मैक्सी उतार दी. मैंने नीचे कुछ पहना ही नहीं था. इसलिए अब मैं अपने छोटे भाई के लंड से चुदने के लिए उसके सामने पूरी नंगी पड़ी थी.

मैंने जुनैद की आंखों में देखा, तो उसकी वासना से भरी लाल आंखें मेरी सीलपैक बुर पर ही लगी थीं. मैंने भी उसे मदभरी नजरों से देखा और उसके पेंट के ऊपर से ही उसके लंड को सहला दिया.

जुनैद ने मुझे चुदने के लिए राजी देखा और मेरे हाथ को अपने लंड पर महसूस किया, तो उसने जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दिए.

अब वो भी मेरे सामने एकदम नंगा हो गया था. वो मेरे बाजू में आकर मेरे दूध मसलने लगा. मैंने उसे प्यासी नजरों से देखा, तो उसने झुक कर मेरी एक चूची को अपने मुँह में भर लिया. मेरी मीठी सी सीत्कार निकल गई और मैं मस्त होने लगी.

जुनैद ने अगले एक मिनट में मेरी चूचियों को चूस चूस कर लाल करना शुरू कर दिया था. वो मेरी दोनों चूचियों को बेतहाशा चूस चाट रहा था. अपने हाथों की उंगलियों से मेरे निप्पल मींज रहा था.

अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मैंने कहा- जुनैद, अब मत सताओ … मुझसे रहा नहीं जाता. प्लीज़ मेरे अन्दर आ जाओ.

जुनैद ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी टांगों के बीच आ गया. उसने लंड को बुर के छेद पर रखा और मेरी आंखों में ऐसे देखा … जैसे मुझसे इजाजत मांग रहा हो. मैंने अपनी गांड उठा कर उसे हरी झंडी दे दी और उसी पल मेरे छोटे भाई ने मेरी सीलपैक बुर में लंड ठोक दिया.

उसके लंड का सुपारा मेरी चुत की फांकों में फंस गया था. मैंने हल्का सा दर्द महसूस किया और उसकी तरफ देखा. उसने फिर से एक धक्का लगा दिया और मेरे भाई का आधा लंड मेरी अनचुदी बुर में घुसता चला गया.

उसका लंड मोटा था और मेरी चुत के लिए किसी मर्द का पहला लंड था. मेरी चुत चिर सी गई थी और मुझे बेहद तेज दर्द हुआ. मुझे ऐसा लगा कि किसी ने गरम सरिया मेरी चुत में पेल दिया हो. मेरी सांसें रुकने लगी थीं और मैंने अपने हाथों की मुट्ठियाँ भींच ली थीं. अगले ही पल मैं जोर से चिल्लाने लगी.

मेरी चीख से घबरा कर जुनैद ने अपना लंड चुत से बाहर खींच लिया. मुझे मानो राहत मिल गई थी.

वो मेरी तरफ ऐसे देखने लगा जैसे पूछ रहा हो कि क्या हुआ?

मुझे दर्द तो हुआ था मगर चुत चुदवाने की बड़ी लालसा भी थी. आज मेरे भाई ने मेरी बुर में एक बार अपना लंड पेल दिया था, तो अब मुझे उसी के लंड से अपनी प्यास बुझानी थी. जुनैद मेरे लिए एक सेफ मर्द था. उसके लंड से मैं जब चाहे चुद सकती थी.

कुछ देर बाद मैंने हिम्मत करके उसे फिर से लंड पेलने का इशारा किया.

इस बार उसने पास की टेबल से क्रीम की डिब्बी उठाई और मेरी चुत में उंगली से लगाने लगा. फिर उसने अपने लौड़े पर ढेर सारी क्रीम चुपड़ ली.

मेरा छोटा भाई जुनैद एक बार फिर से मुझे चोदने के लिए रेडी था. इस बार मैंने सोच लिया था कि चाहे कुछ भी हो जाए, मैं चिल्लाऊंगी नहीं.

इस बार जुनैद ने भी लंड को चुत की फांकों में सैट किया और मेरे ऊपर छा गया. उसने लंड को चुत की दरार में लगाए हुए ही मेरे होंठों को अपने होंठों से दबा लिया. मैं समझ गई कि ये अब मुझे चिल्लाने का कोई मौका नहीं देने के मूड में है.

मैंने अपने चूतड़ हिलाए, तो उसने लंड पर दबाव देते हुए एक धक्का लगा दिया. क्रीम की चिकनाई ने काम कर दिया था. उसका पूरा लंड एक ही बात में मेरी बुर में धंसता चला गया. मुझे बहुत तेज दर्द हुआ. मगर जुनैद मेरे मुँह को बंद किये हुए था. मेरे हाथ पांव छटपटाने लगे और मेरी हालत बुरी हो गई. मेरी बुर से खून निकल आया था.

अपना पूरा लंड मेरी चुत में ठांसने के बाद जुनैद कुछ देर रुक गया. कोई बीस सेकंड बाद जुनैद के लंड ने मेरी बुर में स्थान बना लिया था. अब वो हिलने लगा था और मुझे अपनी चुत में मीठा मीठा दर्द होने लगा था.

मेरी छटपटाहट भी कम हो गई थी. तब जुनैद ने मेरे मुँह से अपना मुँह हटा कर मुझे नशीली आंखों से देखा और लंड आगे पीछे करना शुरू कर दिया.

उसके लंड की मोटाई से मुझे अब भी हल्का दर्द हो रहा था मगर जुनैद ने मेरी चूचियों को चूस कर मुझे दर्द की जगह सुख देना शुरू कर दिया था.

एक दो मिनट की चुदाई के बाद मुझे मजा आने लगा था और मैं गांड हिलाते हुए अपने छोटे भाई का मोटा लंड अपनी कमसिन बुर में लेने लगी थी.

अब धकापेल चुदाई का दौर शुरू हो गया था. जुनैद एक मदमस्त मर्द की तरफ मुझे रौंद रहा था. उसके लंड की ताकत के आगे मेरी चुत अब तक दो बार रो चुकी थी … मगर उसकी शैतानी ताकत कम होने का नाम ही नहीं ले रही थी.

उस रात मेरे छोटे भाई ने मुझे जीभर के चोदा और मेरी हालत एक अधमरी कुतिया सी कर दी.

मैंने उससे लरजते होंठों से कहा- जुनैद अब बस कर … मुझे जलन होने लगी है.
जुनैद मुझे चोदता हुआ बोला- बस बाजी … कुछ देर और रुक जाओ.

दो मिनट ताबड़तोड़ लंड पेलने के बाद जुनैद का पानी मेरी बुर में ही निकल गया. वो झड़ने के बाद कुछ देर मेरे ऊपर लेटा रहा.

फिर वो मेरे ऊपर से नीचे उतरा. मैंने अपनी फट चुकी बुर साफ की. वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगा. मैंने भी उसे आंख मार दी.

हम दोनों ने बाथरूम में जाकर एक दूसरे को साफ़ किया और बिस्तर पर आ कर लेट गए.

अगले दिन जुनैद मेरे लिए गोली ले आया. मैंने पूछा- ये काहे की गोली है?
उसने कहा- बाजी, कल आपके अन्दर ही निकल गया था न … कोई लफड़ा न हो जाए, इसलिए ये गोली खा लो.
मैंने मुस्कुरा कर गोली खा ली.

उस दिन से माहवारी के दिनों को छोड़ कर दो महीने तक कोई भी दिन ऐसा नहीं गया था, जब मैं अपने छोटे भाई के मोटे लंड से न चुदी होऊं. हम दोनों भाई बहन रोज चुदाई करते हैं. उसने मेरी गांड भी मारी थी,
 
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जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-1



दोस्तो, मैं अतुल मैं दिल्ली का रहने वाला हूँ. मेरी हाइट लगभग 5 फुट 9 इंच है. वैसे तो मैं सांवले रंग का हूँ, लेकिन लोग कहते है कि मैं बहुत स्मार्ट दिखता हूँ.

यह कहानी तब की है, जब मैं छोटा था और स्कूल में पढ़ता था. उस टाइम हम लोग मामा की शादी में नानी के गांव गए थे. जब हम वहां पहुंचे, तो सबसे पहले मैंने मामा से मामी की फोटो मांगी. उस टाइम मोबाइल फोन का ही चलन नहीं था. तो ये व्हाटसैप आदि भी किधर से होता. यदि ये सुविधा होती तो अब तक मैं दिल्ली में ही मामी की फोटो मंगा सकता था. मामी की फोटो देखने की मेरे अन्दर बड़ी ही उत्सुकता थी.

जब मैंने मामा से फोटो मांगी, तो मामा ने कहा- तुम्हारी नानी के पास है, अन्दर जाकर देख लो.
मैं अन्दर नानी के कमरे में गया, तो वहां पहले से ही मेरे पेरेंट्स मामी की फोटो देख रहे थे.
मैंने भी देखी.

दोस्तो, मामी की फोटो देखते ही मानो मेरे अन्दर करंट सा दौड़ गया था. एक तरफ मेरे मामा जहां 32 साल के काले से और मोटे से इंसान थे, तो वहीं दूसरी तरफ मेरी मामी ने अभी अपनी ग्रेजुएशन के अंतिम वर्ष के एग्जाम दिए थे. वो अभी केवल 21 साल की थीं. उनका फिगर तो ऐसा था कि बस कुछ पूछो ही मत. आप देखते तो एकदम से उनकी पूरी कमर को अपने हाथों में भर कर उन्हने अपने सीने से लगाने का मन बनाने लगोगे.

उनका मुखड़ा इतना अधिक प्यारा था जैसे कोई फिरंगी लड़की हों. वो इतनी ज्यादा गोरी थीं, जैसे दूध में एक चुटकी सिंदूर डाल दिया हो. सच बताऊं, तो उस टाइम मामा को देख कर मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ऐसे काले मोटे भद्दे से दिखने वाले आदमी को इतनी मस्त माल जैसी बीवी कैसे मिल रही है.

मेरी होने वाली मामी के चूचे तो ऐसे उठे हुए थे मानो ब्लाउज फाड़ कर अभी बाहर आएंगे. उस टाइम मेरा लंड तो उनको देखते ही खड़ा हो गया था.
दूसरी तरफ मेरे फैमिली मेंबर सब लोग मामी को देख कर बड़े खुश थे कि चलो बहू सुंदर मिल गई है.

शादी का दिन नजदीक था. तीन दिन बाद वो समय भी आ गया, जब मेरा मामा घोड़ी पर चढ़ने जा रहा था.

मैं और परिवार के कुछ सदस्य मामा के साथ उनकी कार में बैठ गए. बाकी बारात भी शाम के करीब 4 बजे निकल चुकी थी. हम लोग शाम 7 बजे मामी के शहर आ पहुंचे. उन्होंने एक विवाह घर में हम सभी को रोकने की व्यवस्था की थी. सच में बड़ा ही शानदार विवाह घर था.

ऐसा लग रहा था, जैसे मैं किसी आलीशान पंचतारा होटल में आ गया हूँ. उसी विवाह घर में खुले स्थान में पंडाल लगा हुआ था जिधर से शादी का कार्यक्रम होना था.

शाम होते ही हम सभी नाचते गाते बारात लेकर पंडाल में आ गए.

कुछ देर बाद मामी अपनी बहनों और सहेलियों के साथ वरमाला ले कर आईं. उनको देख कर मेरी तो हालत मानो ख़राब ही हो गई थी. मामी को जब सामने से देखा, तो वे फोटो से भी ज़्यादा खूबसूरत लग रही थीं. ऐसा लग रहा था जैसे उनकी वो वाली फोटो अंधेरे में खींची गई थी.

मामी को लाइव सामने देख कर मैं बता नहीं सकता कि मुझे क्या महसूस हो रहा था. स्टेज पर ही मेरे पैंट में तंबू बन गया था.

मेरे मामा की किस्मत पर मैं रश्क कर रहा था. ना जाने मामा अपनी किस्मत कहां से लिखवा कर लाया था. मैं बस यही सोच सोच कर उस वक़्त बहुत दुखी भी था.

मेरे मामा की धूमधाम शादी भी हो गई. बारात मामी की विदा करवा कर वापस आ गई. अब वो रात भी आ गई, जब मेरा मामा, मामी के ऊपर चढ़ने वाला था.

मेरा कमरा मामा के कमरे से लगा हुआ था. या यूं कह लो कि हम दोनों के कमरों के बीच में एक ही दीवार थी, बस कमरे दो थे.

उस रात मुझे रात भर नींद नहीं आई. मैं रात भर बस दीवार पर कान लगा कर कुछ सुनने की कोशिश करता रहा, लेकिन मेरी फूटी किस्मत, मुझे कुछ सुनाई ही ना दिया.

अगले दिन हम जितने भी एक ही उम्र के थे, सब मामी के कमरे में आ गए. हम सब मामी के साथ बात करते रहे. चूंकि मेरा नेचर बहुत फ्रैंक टाइप का था, तो मैं बहुत जल्दी मामी के साथ घुलमिल गया.
मैंने मामी को अपनी दिलफेंक बातों से अपने साथ काफी करीब कर लिया था. उनसे बात करते करते मैं उनका काफ़ी अच्छा दोस्त बन गया था. मामी मुझसे हंस बोल रही थीं.

मेरे मामा सूरत की किसी गारमेंट्स फैक्ट्री में काम करते थे, तो उनको शादी के बाद जल्दी ही निकलना था. दो दिन बाद वो अकेले ही सूरत निकल गए. उनके जाने के कुछ दिन बाद हम लोग भी दिल्ली चले आए.

फिर टाइम यूं ही बीतता गया. मामा की शादी के कुछ साल बाद मोबाइल का जमाना आ गया. मैंने भी एक फ़ोन ले लिया. फोन के जरिए हर जगह फोन पर बातें होना सुगम हो गया.

अब तक मामी के दो बच्चे हो चुके थे और मामी भी मामा के साथ सूरत ही चली गई थीं.

जब भी मेरी मम्मी, मामा-मामी से सूरत बात करती थीं, तो मैं भी फोन पर उनसे बात कर लेता था. मामी मुझे बिल्कुल भी नहीं भूली थीं.

फिर समय ऐसे ही बीतता गया. मैं अब कॉलेज के फर्स्ट इयर में एड्मिशन ले चुका था. इसी के साथ मैंने अब इंटर क्लास की कोचिंग देना भी शुरू कर दिया था. मेरी खुद की कमाई शुरू हो गई थी.

एक दिन मैंने अपनी पहली कमाई से एंड्रॉएड फोन ख़रीदा. उस दिन मैं बहुत खुश था क्योंकि इससे पहले हमारे घर मैं एंड्रॉएड फोन नहीं था. मैंने उस फोन में नेट का रीचार्ज करवा लिया था और अपनी दिल की ख्वाहिशें पूरी करने लगा था.

फिर एक दिन मैं कॉलेज मैं अकेला बैठा था, अचानक ना जाने कहां से मुझे मामी का ख्याल आ गया. मैंने अपनी मामी को फोन लगाया.
उधर से मामी की आवाज आई. मामी बोलीं- हैलो कौन?
मैंने बताया तो उन्होंने एकदम से खुश होते हुए कहा- अरे अतुल कैसे हो … आज इतने दिनों बाद अपनी मामी को कैसे याद कर लिया?

तो मैंने कहा- नहीं मामी … ऐसी तो कोई बात नहीं है … मैंने बात तो आपसे करता ही रहता हूँ. बस कुछ दिन पहले नया फोन लिया था, तो सोचा कि आपसे अपने इस नम्बर से बात कर लूं.
वो भी खुश होते हुए बोलीं- अच्छा क्या बात है … नया फोन किसने दिलाया है?
मैंने कहा- मामी … अपनी कमाई के पैसे से ही खरीदा है.

मैंने मामी के पूछने पर उन्हें अपनी कोचिंग के बारे में बता दिया. फिर मैंने बच्चों के बारे में और मामा के बारे में पूछा.
मामी ने कहा- तेरे मामा अपने ऑफिस गए हैं और बच्चे स्कूल गए हैं.

उनका लड़का करीब 7 साल का हो गया था और लड़की करीब 5 साल की हो गई थी.

इसके बाद हम दोनों रोज करीब आधा एक घंटा बात कर ही लेते थे. उस समय मैं कॉलेज में होता था. मामी घर के सारे काम निपटा कर मुझे मिस कॉल कर देती थीं.

मैं पहली फुर्सत पाकर यहां से उनको कॉल कर लिया करता था. इस प्रकार धीरे धीरे मुझे मामी से बात करने की आदत सी पड़ गई और हम लोग घंटों बात करने लगे थे. हमारी बातों में थोड़ी दिल्लगी भी आ गई थी.

एक दिन मामी ने पूछा- कॉलेज में कितनी लड़कियां पटा ली हैं?
मैंने कहा- कहां मामी … कोई गर्लफ्रेंड है ही नहीं … होती तो क्या आपसे इतनी बातें करता.
इस बात पर मामी हंसते हुए कहने लगीं- तो क्या तू मुझसे गर्लफ्रेंड समझ कर बात करता है?

मेरे मन में तो आया कि हां मामी मैं तो आपको कबसे गर्लफ्रेंड बनाना चाहता हूँ. मगर मैं ऐसा कह नहीं सकता था.

हालांकि इसके बाद से मामी मुझसे खुल कर बात करने लगीं और मुझे भी उनके साथ बिंदास बातें करने में मजा आने लगा.

एक दिन मैंने बातों ही बातों में मामी से उनके सुहागरात वाली रात की बात पूछ ली.
इस पर उन्होंने शरमाते हुए कहा कि मुझे याद नहीं है कि उस रात क्या क्या हुआ था.
मैंने हंसते हुए कहा कि मामा ने तो पलंग ही तोड़ दिया होगा.

इस बात पर वो हंसने लगीं और बोलीं- बड़ा शरारती हो गया है तू … पलंग कैसे टूटता है, अब तो तू ये भी जानने लगा है.
मैंने कहा- हां मामी गर्लफ्रेंड नहीं पटी, तो क्या हुआ … मोबाइल में कई पलंगतोड़ कुश्तियां देख चुका हूँ.

मामी समझ गईं कि मैं ब्लू-फिल्म देखता हूँ.
वो बोलीं- कुश्ती देखने के बाद क्या करते हो?
मैंने भी कह दिया कि हाथ चला लेता हूँ.
मामी बोलीं- हाथ चला लेते हो मतलब क्या करते हो, मैं समझी नहीं साफ़ साफ़ बताओ न.

मैंने बात घुमाते हुए कह दिया कि अरे मामी क्या उल्टा सीधा सोचने लगी हो … मैं ताली बजा कर मजा लेता हूँ.
मामी हंस दीं और बात खत्म हो गई.

इस तरह मैं और मामी बातों में खुलते चले गए. सेक्स आदि की बातें भी होने लगी थीं.

फिर मैंने एक दिन ऐसे ही बातों ही बातों में उनसे पूछा कि मामी जी, अब मामा आपके साथ कितनी बार करते हैं?
उन्होंने कहा- तेरा मतलब सेक्स करने से है?
मैंने धीमे स्वर में हां कहा.

तो वो थोड़ा सा उदास होकर बोलने लगीं कि सच बोलूं तो मेरी शादी तो एक बूढ़े से हो गई है. घरवालों ने उनकी उम्र नहीं देखी. मैं सिर्फ़ 21 साल की ही थी और ये 35 साल के थे. उस टाइम तो थोड़ा बहुत ये कर भी लेते थे, पर अब ये दो महीने में एकाध बार भी कर लें, तो वही बहुत है.

ये बोल कर मामी थोड़ा सा उदास हो गई थीं. ये सब बातें जानकर मुझे मजा भी बहुत आ रहा था और थोड़ा अफ़सोस भी हो रहा था.

मैंने उनसे शादी के पहले के बारे में पूछा, तो बोलीं कि मेरे गांव का एक लड़का मुझसे बहुत प्यार करता था और वो मुझसे शादी भी करना चाहता था. पर मेरे घरवाले नहीं माने. वे बोले कि दूसरी कास्ट में शादी नहीं करेंगे.
मैंने पूछा- अरे … इसमें क्या बात थी.
वो उदास होते हुए बोलीं- काश मैं उस टाइम अपने घरवालों से लड़ी होती, तो आज मेरी ज़िंदगी खुशहाल होती.

मेरे और मामी की उम्र में, उम्र का कम ही फर्क था, तो इस पर मामी बोलीं कि तुम तो मेरी उम्र के ही हो, तुम ही बताओ कि मैं कैसे जी रही होऊँगी.

मैंने कहा- हम्म … मामी इस उम्र में शरीर की भूख मिटानी भी जरूरी है. हमारा क्या है, हम लोग तो हाथ चला कर अपनी आग निकाल लेते हैं … पर आपका तो उस तरह से करना भी आपकी आग को ज़्यादा भड़का देता होगा.
मामी बस एक ठंडी आह भर कर रह गईं.

मैंने उनसे कहा- मामी, मैं आपको एक दोस्त की हैसियत से कुछ कहूँ?
मामी ने हां कहा.
तो मैंने कहा- आप आसपास वहीं देख लो … कोई मर्द तो होगा.
इस पर वो बोलीं- ना रे बाबा ना … कहीं तुम्हारे मामा को पता चल गया, तो मुझे जान से ही मार ही देंगे.

अब बता यहां तक होने लगी थी कि मैं अपनी चुदासी मामी की चुदाई के लिए उनको लंड की तलाश के लिए कहने लगा था.
 
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जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-2



कहानी के पिछले पार्ट में आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मामी ने अपनी ज़िंदगी के बारे में मुझे बताया था. मैं उनको किसी पराए मर्द के साथ सेक्स करने तक की बात कहने लगा था.

अब आगे..

इस तरह की बातों के बाद एक दिन की बात है. मुझे मामी से खबर मिली कि मामा ने सूरत में अपनी जॉब छोड़ दी है और अब वो मामी को लेकर गांव जा रहे हैं.

मैंने मामा से बात की, तो वो बोले कि हां फैक्ट्री मालिक का काम सही नहीं चल रहा है, तो उसने एक महीना का वेतन एड्वान्स देकर बोला है कि आप लोग कहीं और जगह जॉब ढूंढ लो.

मैंने कहा- तो आप गांव क्यों जा रहे हैं? वहां कोई दूसरी जगह काम नहीं मिल रहा है?
उन्होंने कहा- मैंने बहुत कोशिश की, मगर अब मेरा इधर से मन हट गया है. मैं गांव ही जाना चाह रहा हूँ.
मैं उनसे कुछ नहीं कह सका.

कुछ दिनों बाद मामा सूरत से वापस गांव आ गए और गांव में मामी और बच्चों को छोड़ कर मम्मी के कहने पर दिल्ली हमारे पास आ गए. चूंकि मामा को सेल्स में काफी अच्छा अनुभव था. तो पापा ने अपने एक परिचित वाले की गारमेंट की शॉप पर बात करके उनकी नौकरी वहीं लगवा दी.

नौकरी लगने के बाद मामा की लाइफ फिर से गाड़ी पर आ गई थी. मामा हमारे पास ही रहते और इधर से ही अपने काम पर चले जाते. ऐसा करते करते अभी कुछ ही दिन बीते थे.

इन दिनों मामी अब भी रोज रात को मुझसे फोन पर बात करती थीं. मुझसे ही वो मामा के हाल-चाल भी पूछ लेती थीं.

एक रात की बात है. मैं और मामी बात कर रहे थे. रात के करीब 12:30 बज गए थे. इस वक़्त सब कोई घर में सो रहा था और मैं अपने रूम में था.

मैंने पूछा- मामी आप मुझसे मामा के हाल-चाल क्यों पूछती हो, उनसे खुद ही पूछो ना.
वो बोलीं कि जब भी उनसे बात करती हूँ तो उनके पास टाइम ही नहीं होता. एक तुम ही हो, जिससे मैं अपना सारा दुख-सुख कह देती हूँ और मेरा दिल हल्का हो जाता है.

फिर मैंने पूछा- अब आपकी रातें वहां कैसे कट रही हैं?
इस पर मामी बोलीं- कैसी रात कटती हैं … तुम सब समझ ही रहे हो … इस तन्हा रात में मैं तुमसे बात कर रही हूँ. अब तो मेरी लाइफ में सारी रातें काली होना ही लिखी हैं.

मैं समझ गया कि मामी की प्यास अब चरम पर आ गई है.

तभी मामी बोलीं कि तुम बताओ … तुम्हारी रातें कैसे कट जाती हैं?
इस पर मैंने कहा कि बस रोज रात को ब्लू फ़िल्में देख लेता हूँ … और मुठ मार कर सो जाता हूँ. आज रात तो आप से बात कर रहा हूँ … आज फिल्म देखने का कोई मतलब ही नहीं है.

मामी बोलीं- क्यों आज रात मुठ नहीं मारोगे?
मैंने कहा- मामी आज तो ज़रूर मुठ मारूंगा … मेरे 9 इंच के लंड की नसें मानो अब फट कर बाहर आ जाने वाली हैं.
मामी बोलीं- ऐसा क्या हो गया?
मैंने आज खुल कर कह दिया- मुझे आपकी जवानी परेशान कर रही है. मैं आपको चोदना चाहता हूँ.

ऐसा बोलते ही मेरे एक हाथ ने लंड को हिलाना शुरू कर दिया और मेरे मुँह से मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

मेरी बात सुनकर मामी बोलीं- लगता है … तेरी स्थिति मेरी तरह ही है.
मैंने कहा- नहीं मामी, मेरी स्थिति तो आपसे भी बुरी है. आपने तो फिर भी लंड का स्वाद ले लिया है … मैंने तो आज तक किसी के साथ सेक्स ही नहीं किया है.
इस पर मामी बोलीं- तुम अपना लंड किसी की में भी पेल दो, जो भी तेरा नौ इंच का लंड अपनी चुत में लेगी, वो बड़ी खुशकिस्मत होगी. तुम्हें शायद मालूम नहीं है कि 9 इंच का लंड सबके पास नहीं होता है.

इस बात पर मैंने थोड़ी असहजता दिखाई और पूछा- क्यों मामा का इतना लम्बा नहीं है क्या?
वो ‘हुंह..’ करके बोलीं- तेरे मामा का अगर पूरा खड़ा भी हो जाए, तो भी 4 इंच से ज़्यादा बड़ा नहीं होगा.

मैंने अपना लंड सहलाते हुए बोला- तो आप मेरा ही ले लो ना मामी.
इस पर मामी हंस कर बोलीं- मामा को दे दो … मैं उनसे ही ले लूंगी.

मैं हंसने लगा. उधर मामी भी हंसने लगीं. मैंने अपनी मुठ मारने की रफ़्तार बढ़ा दी और आवाजें निकालने लगा.

मामी मुझे गरम करते हुए बोलीं- किसकी में पेल रहा है?
मैंने कहा- मामी, आपकी चुत में पेल रहा हूँ.
मामी मुझे उत्तेजित करते हुए बोलीं- जरा धीरे धीरे कर … मुझे लग रही है.
मैंने कहा- मामी अपने दूध पिलाओ न.
मामी बोलीं- हां पी ले … मैंने कब रोका है … आ जा जल्दी से दोनों चूस ले.

हम दोनों इसी तरह की सेक्सी बातें करते हुए फोन सेक्स करते रहे.

कुछ देर बाद मेरे लंड ने दम तोड़ दिया. मैंने लंड का सारा पानी वहीं बिस्तर पर एक कागज पर गिरा दिया और राहत की सांस भरने लगा.

इस बात का अंदाजा शायद मामी को हो चुका था, तो फिर मुझसे बोलीं- निकाल दिया पानी?
मैंने हैरान होते हुए पूछा- आपको कैसे पता चला?
वो बोलीं- तेरी सांसें बता रही हैं कि तुमने अभी ही अपना पानी निकाला है!

इस पर हम दोनों हंसने लगे. थोड़ी देर बाद हम दोनों ने गुड नाईट बोला और सो गए.

दो दिन बाद मामा की पहली तनख्वाह आ गई, तो वो मम्मी को देने लगे.
मम्मी ने उनको समझाया और बोला- बच्चों और बहुरानी को यहीं लेकर आ जाओ … और यहीं रह कर बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवा दो … क्योंकि बच्चों के स्कूल के दिन खराब हो रहे हैं.

ये बात सुनकर मामा बाहर चले गए. उनके जाते ही मेरे पापा थोड़ा मम्मी से नाराज़ हो गए कि एक तो पहले ही ये हम पर बोझ है और तुम इसकी बीवी बच्चों को भी बुलवाने की कह रही हो?
पापा ये नाराज़गी दिखाते हुए मम्मी से झगड़ने लगे.

पापा ने मामा से तो कुछ कहा नहीं, पर मामा इस बात को समझ ज़रूर गए थे कि अब उनका यहां ज़्यादा दिन रहना ठीक नहीं है.

कुछ ही दिनों में मामा ही ने एक फ्लैट किराए पर ले लिया और अगले महीने ही वो मामी और बच्चों को लेकर उस फ्लैट में रहने आ गए. उनका ये फ्लैट हमारे घर से करीब ही था. हालांकि मुझे ये बात अब तक नहीं मालूम थी.

मम्मी ने मामा को काफी समझाया भी था कि जब घर है ही, तो फिर रेंट पर फ्लैट लेने की क्या ज़रूरत है.
पर मामा बोले- नहीं नहीं … दीदी ऐसी कोई बात नहीं … सूरत में भी तो मैं किराए पर ही रहता था.

मामा की इस बात को सुनकर मम्मी ने उनसे ज्यादा कुछ नहीं कहा.

अब मामी दिल्ली आ गई थीं. उन्होंने अपने परिवार को उस फ्लैट में व्यवस्थित कर लिया.

दो दिन बाद मामी हमारे घर आईं, तो मैं उनका मादक जिस्म देख कर एकदम मस्त हो गया था. हम दोनों एक दूसरे को देख कर बस मुस्कुरा रहे थे. ना ही मामी मुझसे ज़्यादा कुछ बोल रही थीं … और ना ही मेरी हिम्मत हो रही थी कि उनसे खुल कर बात कर सकूं.

मामी ने मुझसे इशारे में एक तरफ आने के लिए भी कहा, मगर न जाने मेरी सारी चंचलता किधर घुस गई थी.

उस दिन मामी चली गईं … मगर मुझे अभी भी नहीं मालूम था कि मामी दिल्ली रहने आ गई हैं. मुझे लगा कि मामी कहीं घूमने जा रही हैं. शाम को मामी नहीं आईं … और मुझे भी कुछ काम लग गया, तो मैंने सोचा कि मामी वापस चली गई हैं.

दूसरे दिन, मैं छत पर बैठा पढ़ रहा था, अचानक मामी छत पर आ गईं. मैं थोड़ा असहज हो गया कि मामी रात को घर पर ही रही थीं और मैंने उनसे बात ही नहीं की.

मामी ने पूछा- तुम फोन पर जैसे हो … रियल में वैसे क्यों नहीं लगते?
मैंने थोड़ा संभलते हुए कहा कि नहीं मामी … ऐसी कोई बात नहीं है.
मामी पूछने लगीं- फिर जैसे फोन पर बात करते हो, सामने से वैसे क्यों नहीं करते.

मामी मुझसे ये सब पूछ रही थीं और मेरी निगाहें अब मामी के उभरे हुए चूचों पर टिक गई थीं. मेरी मामी पहले से थोड़ी सी मोटी हो गई थीं … लेकिन उनकी चूचियां मुझे पहले से भी ज़्यादा मोटी दिख रही थीं. आज मामी लाल रंग की साड़ी और स्लीवलैस ब्लाउज पहने हुए थीं. उनके बदन से वो ड्यू वाली खुशबू हवा में मदहोशी फैला रही थी.

उस मदमस्त कर देने वाली महक से मुझे लग रहा था कि अभी मैं मामी को अपनी बांहों में भर लूं और उनको पूरा का पूरा खा जाऊं.

मुझे इतनी गहरी सोच में डूबा हुआ देख कर मामी ने मुझे हल्का सा धक्का दिया और बोलीं- कहां खो गया?
मैंने मुस्कुराते हुए का कहा- नहीं नहीं … कहीं नहीं … मामी … बस कुछ नहीं.

फिर हम दोनों बातें करने लगे. थोड़ी ही देर में हम दोनों में वो वाली बातें आ गईं, जैसे फोन पर हुआ करती थीं.

मैंने एक बार सीढ़ी से नीचे झांक कर देखा. उधर कोई नहीं था.

मैंने मामी से धीरे से कहा- मामी आपके चुचे सच में कमाल के हो गए हैं … ऐसे लगते हैं, जैसे पके हुए आम हों.
इस पर मामी ने भी मज़ाक करते हुए बोलीं- तो कभी फ्लैट पर इसी बहाने से आ जाइओ. उधर इन आमों का जूस भी पी लेना.

मामी के मुँह से फ्लैट शब्द सुनकर मुझे थोड़ा अचंभा सा हुआ.
मैंने पूछा- फ्लैट … कैसे?
वो बोलीं- हम पास वाले DDA फ्लैट में शिफ्ट हो गए हैं. तेरे मामा ने उसको किराए पर लिया हुआ है.

ये सुनकर मैं एक बार के लिए तो थोड़ा उदास हो गया. पर मामी बोलीं- टेंशन ना ले … सही किया, जो तेरे मामा ने फ्लैट किराए पर ले लिया. अब तेरा 9 इंच का केला मैं आराम से देख सकती हूँ.
मामी ये कहकर हंसने लगीं और जल्दी से अपनी गांड मटकाते हुए नीचे चली गईं.

दोस्तो, ये सुनकर मुझे तो पता नहीं क्या हो गया था. मैंने तो ये बात मामी से मज़ाक में बोली थी, लेकिन मामी के दिमाग में अभी भी मेरे 9 इंच के लंड वाली बात चल रही थी.

ये सोच सोच कर उस रात मैंने दो बार मुठ मारी. अब तो मेरे दिल और दिमाग़ पर बस मामी ही मामी छा गई थीं. मैं सारे दिन हर वक्त सिर्फ़ और सिर्फ़ मामी के ही सपने देखता रहा.

मैं सुबह ही मामी के फ्लैट पर चला गया और मामा व बच्चों से मिल आया. मामा को मुझे उधर पाकर अच्छा लगा.
मैंने मामा से कहा भी कि मुझे तो मालूम ही नहीं चला कि आपने फ्लैट किराए पर ले लिया है. उधर क्या दिक्कत थी?
मामा कुछ नहीं बोले … बस हल्के से मुस्कुरा दिए.

कुछ दिनों बाद ही मामा ने बच्चों को पास के एक स्कूल में एड्मिशन दिलवा दिया और फिर जॉब पर जाने लगे. मेरी मामी से फोन पर रोज बात होती रहती थी.

मामा की जॉब सेल्स की थी और उनकी कंपनी भी काफ़ी दूर थी. मामा सुबह 8 बजे ही घर से निकल जाते थे और लेट नाइट ही घर आते थे.

एक दिन मेरी मम्मी को कुछ सामान मामी को देना था, तो वे बोलीं कि अतुल एक बार मामा को फोन करके पूछ ले कि वो आकर सामान ले जाएं.

मैंने मामा को फोन लगाया और अपनी मम्मी से बात करवाई. फ़ोन स्पीकर पर था, तो मैं भी आवाज़ सुन सकता था.

मामा बोल रहे थे- मैं तो कब का घर से निकल गया हूँ दीदी … तुम अतुल को घर पर भेज देना. उसकी मामी सामान ले लेगी.
मम्मी ने ओके कह कर फोन काट दिया.

फिर उन्होंने मुझसे कहा- तुम ज़रा अपनी मामी को फोन लगा कर पूछ कि वो घर पर है कि नहीं.

ये सब सुन कर मैं मन ही मन बहुत खुश हो रहा था. मैंने फोन लगाया और झट से कहा- मामी जी मेरी मम्मी आपसे बात करेंगीं.

वहां से मामी की आवाज़ आई. वो बोलीं- दीदी जी नमस्ते.
मम्मी ने कहा- थोड़ी देर में मैं अतुल को कुछ सामान देकर भेज रही हूँ … तुम घर पर ही हो ना!
मामी ने कहा- हां दीदी जी … मैं घर पर ही हूँ … मैं कहां जाऊँगी.

मम्मी ने मुझे कुछ सामान दिया और बोलीं कि लो ये सामान मामा के घर देकर आओ.
मैंने कहा कि मैं थोड़ी देर उनके बच्चों के साथ भी खेल लूंगा. … तो मैं देर से ही आऊंगा.
इस पर मम्मी बोलीं- कोई बात नहीं … पर जल्दी आ जइयो.

मैं अन्दर ही अन्दर बहुत खुश हो रहा था.

मैंने मामी के घर जाने की तैयारी की. सबसे पहले मैं वॉशरूम में गया और अपनी झांट के बालों की शेविंग की और मामी के नाम की एक मुठ भी वहां मारी. फिर अच्छे से नहा धोकर सामान लेकर मामी के घर चल दिया.
उस समय दिन के लगभग 11 बज रहे होंगे.

मैं सामान लेकर मामी के फ्लैट के सामने खड़ा था. मैंने घंटी बजाई … बस थोड़ी देर में ही मामी नाइटी में बाहर आ गईं और दरवाजा खोलकर मुस्कुराते हुए बोलीं- आओ अतुल आओ … कैसे हो … मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रही थी.

अब मैं क्या बताऊं मामी को कि मैं कैसा हूँ. बस आपको ही सोच कर मेरा सोच कर ही मेरा लंड फड़फड़ाता रहता है.

मैंने मामी को गौर से देखा, तो ऐसा लगा कि जैसे मामी ने अभी नहाया नहीं था. उनकी अलसाई जवानी इस समय कहर बरपा रही थी.

मामी ने मुझे अपने कमरे में ले जाकर बेड पर बिठाया और मेरे सामने कोल्ड ड्रिंक और नमकीन की प्लेट रखते हुए कहा- अतुल तू ये खा … जब तक मैं नहा कर आती हूँ.
मैंने उनसे पूछा- बच्चे कहां हैं?
मामी जाते जाते बोलीं कि वो तो स्कूल गए हैं … दो बजे तक आएंगे.

उनके इस फ्लैट में उनके रूम में ही बाथरूम लगा हुआ था.

मामी मुझे नमकीन और कोल्डड्रिंक देकर नहाने चली गईं. उनकी मटकती गांड देख कर मेरे दिल में तो जैसे सांप लोट गया था.
 
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जवान मामी की चुत को लंड की जरूरत-3




अब तक आप लोगों ने पढ़ा था कि कैसे मेरे और मामी के बीच बातचीत होना शुरू हुई और मेरे मामा की सूरत से नौकरी छूटने के बाद वो दिल्ली आ गईं. फिर कैसे मैं उनके फ्लैट किसी काम से गया. मामी मुझे बिस्तर पर बिठा कर मेरे सामने कोल्डड्रिंक और नमकीन रख कर नहाने चली गई थीं.

अब आगे:

मुझे उनके बिस्तर से उनके ही बदन की खुशबू आ रही थी. थोड़ी देर बाद वाशरूम से पानी के गिरने की आवाज आ रही थी. मैं समझ चुका था कि मामी नंगी होकर नहाने लगी हैं. नंगी मामी के बदन का सोच कर मेरा हथियार अंगड़ाई लेने लगा. मेरा वॉशरूम में झांकने का मन हुआ, पर एक अनजाना सा डर भी लग रहा था.

फिर मुझे ध्यान आया कि मामी से डरना कैसा … नाराज हुईं, तो पैर पकड़ लूंगा.

ये सोच कर मैं उठ गया और मैंने धीरे से वॉशरूम के पास जाकर उसके दरवाजे की एक झिरी से अन्दर देखने की कोशिश की. मुझे अन्दर हल्का हल्का ही नज़र आ रहा था. धीरे धीरे मुझे अन्दर की सब कहानी समझ आने लगी.

मैंने देखा कि मामी सामने ही मिरर के सामने एक स्टूल पर बैठ कर अपने नीचे कुछ कर रही थीं. अचानक मुझे उनके हाथ में शेविंग ब्रश और मामा का शेविंग रेज़र दिखा. मुझे ये समझते देर ना लगी कि मामी अपने नीचे चुत की शेविंग कर रही हैं.

मैं उनको लगातार झिरी से देखे ही जा रहा था.

थोड़ी देर बाद मामी वहां से हटीं और नहाने लगीं. मामी अन्दर पूरी नंगी नहा रही थीं और वो दरवाजे की तरफ ही देख कर अपने चुचे मसल रही थीं. वो अपनी टांगें फैला कर चिकनी चुत में उंगली कर रही थीं. शायद मामी को पता चल चुका था कि मैं उनको झिरी से देख रहा हूँ.

फिर थोड़ी देर बाद मामी ने ये सब कुछ करना बंद किया और नहाने लगीं. पर इतना देखने में मेरा तो बिलकुल ही बुरा हाल हो चुका था. मेरा लंड तो आज मानो दस इंच का हो चुका था … क्योंकि इससे पहले मैंने सिर्फ़ ब्लू फिल्म में ही चुत देखी थी, पर आज मामी की चुत थोड़ी दूर से ही सही, पर रियल में देख ली थी.

कुछ देर बाद मैं बिस्तर पर आकर लेट गया. एक मिनट देर बाद वॉशरूम का दरवाजा खुला और अन्दर से मामी निकल कर बाहर आ गईं.

मामी जैसे ही बाहर आईं … पूरा रूम मानो खुशबू से भर गया था. मामी ने केवल काले रंग की ब्रा और काले रंग का पेटीकोट पहना था. उनका ये पेटीकोट उनकी ब्रा के ऊपर तक चढ़ा हुआ था जिससे उनकी गोरी पिंडलियां मुझे उत्तेजित कर रही थीं. मामी मुझे एक अलग ही नजर से देख रही थीं.

मैं मामी को देख कर मुस्कुरा दिया.
मामी इठलाते हुए अपने बालों को झाड़ने लगी और मुझसे बात करते हुए पूछने लगीं- और बताओ अतुल … मम्मी पापा कैसे हैं … और घर में सब कैसा चल रहा है?
मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए बोला- सब ठीक ही चल रहा है मामी.

हम दोनों ऐसे ही बात करने करने लगे.

अचानक ही मामी ने कहा- अरे ये क्या … तुमने कोल्ड ड्रिंक और नमकीन नहीं लिया?
मैंने कहा- हां मामी बस खा ही रहा था.

अचानक मामी ने पेटीकोट नीचे करते हुए मुझसे कहा- अतुल ज़रा मेरी ब्रा के सभी हुक सही से लगा देना प्लीज़!
ये बोलते हुए शीशे से ही मामी मुझे इशारे से अपने करीब बुलाने लगीं.

उस वक़्त मैं खड़ा होने की सिचुयेशन में नहीं था … क्योंकि मेरा लंड मेरे पैंट में ही तम्बू बना रहा था. फिर भी मैं खड़ा होकर मामी के सामने आ गया. मैं समझ गया कि मामी शीशे में से ही मेरे खड़े होते लंड को देख रही हैं.

मैंने मामी के ब्रा के हुक को पकड़ा तो दोस्तो पूछो मत … मेरी कितनी बुरी हालत हो गई थी. मामी के सिर के बाल मेरी नाक को छू रहे थे … और उनके बदन की खुशबू मानो मुझे पागल कर रही थी.

मैंने महसूस किया कि मामी थोड़ा पीछे होकर मेरे लंड से अपनी गांड को टच कर रही हैं.
मैं थोड़ा पीछे हो गया और मामी की ब्रा के हुक लगाने लगा.

लेकिन मेरे पीछे होते ही मामी ने भी थोड़ा पीछे होकर मेरे लंड से अपने गांड की दरार को टच किया.

ये सब देखकर तो अब मैं भी नहीं रुका. मैंने उनके दो हुक बंद करते हुए अपने लंड को भी हल्का सा उनकी गांड की दरार में सटा दिया. मेरा लंड मानो फटने को रेडी हो गया था … जैसे अभी तुरंत ही पानी छोड़ देगा. मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मेरे लंड की नसें फट जाएंगी.

मुझे ब्रा के हुक का ध्यान ही नहीं रहा. मैंने आगे हाथ करते हुए हल्के से मामी के चूचों को दबा दिया और उनकी गर्दन पर पीछे से किस किया.

मामी तो मानो इस सबके के लिए जैसे पहले से ही तैयार थीं. मामी ने मेरी गर्दन पकड़ ली और अपनी गर्दन पर फिराने लगीं.

ये होते ही मेरे अन्दर से सारी शर्म-हया निकल चुकी थी. मैंने मामी को उनके पेटीकोट पर से ही रगड़ना चालू कर दिया. उनकी ब्रा, जिसके अभी दो हुक भी सही से नहीं बंधे थे … मैंने उसको उतार कर फेंक दिया. मामी मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट में खड़ी थीं और मैं मामी के सामने अपने जींस टी-शर्ट में था.

मामी ने पलट कर मुझे पागलों की तरह अपनी बांहों में भर लिया और किस करने लगी थीं. मैं भी मामी को पागलों की तरह चाट रहा था.

कोई 5 मिनट की चूमा चाटी के बाद मामी ने मुझे पलंग पर धक्का दे दिया और मेरी जींस निकालने लगीं. मैंने अपनी टी-शर्ट निकाली और जींस भी खोल दी. मैं मामी के सामने सिर्फ़ अंडरवियर में पड़ा था. मामी मेरे सामने सिर्फ़ पेटीकोट में खड़ी थीं. उनकी आंखों में एक मर्दखोर औरत की वासना की लालिमा साफ़ दिख रही थी.

मैं उनके चूचों को सिर्फ सपनों में ही देख कर चूसता था, पर आज मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि असलियत में मेरे सामने उनके नंगे तने हुए चुचे हैं.

उनके बड़े बड़े चुचे देख कर मेरे मुँह में पानी भर आया.
मैंने आव देखा … न ताव … बस उनको अपने ऊपर खींच कर उनके चूचों पर झपट पड़ा. मैंने एक को मुँह में ले लिया और पीने लगा … दूसरे को दबाने लगा.

मामी भी मेरा खूब साथ दे रही थीं. वो मादक सिसकारियां निकाल निकाल कर कहे जा रही थीं- आंह … आह … हां पी ले … आम का रस जितना पीना है … चूस ले..

कुछ देर तक मैं उनको ऐसे ही किस करता रहा और उनके चुचे चूसता रहा. अब मुझे मामी की चुत देखनी थी … तो मैंने मामी से कहा कि मामी अपना पेटीकोट उतारो ना … मुझे आपकी क्लीन शेव्ड चुत देखनी है.

मामी ने मेरी तरफ देखते हुए मुस्कुराते हुए देखा और ये बोलते हुए पेटीकोट उतारने लगीं कि मुझे मालूम था कि तू मुझे वाशरूम के दरवाजे की झिरी से देख रहा है.

फिर कुछ ही पलों में मामी मेरे सामने नंगी खड़ी थीं. आज पहली बार मैंने किसी औरत की चुत लाइव देखी थी. उनकी चुत इतनी गुलाबी थी … मानो मामी ने अपनी चुत में गुलाबी लिपस्टिक लगा रखी हो.

मैंने मामी की चुत पर नाक को रखा और उसको सूंघने लगा. दोस्तों मैं बता नहीं सकता कि मामी की चुत से क्या मस्त खुशबू आ रही थी.

मामी ने भी मुझसे ज़िद की- तू भी मुझे अपना 9 इंच का सांप दिखा न!
बस फिर क्या था … मैंने लंड सहलाते हुए कहा- ढक्कन खोल लो मामी … आपका सांप नीचे खड़ा खड़ा फुंफकार रहा है.

मामी ने मुस्कुराते हुए मेरे लंड को अंडरवियर से सहलाया और अगले ही मेरा अंडरवियर मेरे बदन से अलग नीचे फर्श पर पड़ा था. मेरा 9 इंच का लौड़ा खुले में हाहाकार मचा रहा था. मेरा 9 इंच लम्बा और 3 इंच मोटा लंड उनकी आंखों के सामने फड़फड़ा रहा था

मेरे लपलपाते लंड को देखकर मामी वासना भरी आंखों से बोलीं- हाई रे. … सच में ये तो 9 इंच से कम नहीं है.

बस ये कहते हुए मामी ने मेरा लंड अपने हाथ में ले लिया. वो बोलीं कि हाई कितना कड़क है ये … मैंने तो पहले बार इतना सख्त केला देखा है.
मैंने कहा- केला खा लो मामी … आपके लिए ही छीला है.

मेरे ये बोलते ही मामी ने मेरा लंड पूरा का पूरा अपने मुँह में ले लिया.

आह दोस्तो … मैं बता नहीं सकता कि उस टाइम मुझे कितना मजा आ रहा था.

कुछ पल लंड चूसने के बाद मामी ने मेरी आंखों में झांका, तो मैंने उनकी चुत चूसने के लिए कहा. फिर हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए और एक दूसरे का आइटम चूसने-चाटने लगे. मैं कभी मामी की चुत चाटता, तो कभी मामी के चुचे दबाता. कभी मामी को जांघ पर किस करता. मामी भी मेरा खूब साथ दे रही थीं.

ये करते करते हम दोनों को लगभग बीस मिनट हो चुके थे और अब मैं झड़ने वाला भी था. मैंने उनसे कहा- मैं झड़ने वाला हूँ.
मामी बोलीं- मेरे मुँह में ही झाड़ दे … कितने साल हो गए ये अमृत पिए.

मैंने मामी के मुँह में ही लंड का पानी झाड़ दिया. मामी ने भी मेरा लंड अपने जीभ से पूरा साफ कर दिया. मामी भी झड़ चुकी थीं … मैंने भी उनकी चुत का नमकीन अमृत चाट लिया था.

कुछ देर हम दोनों ऐसे ही नंगे एक दूसरे पर ऊपर पड़े रहे और मामी मुझसे कहती रहीं कि आज ना जाने कितने सालों बाद मुझे बहुत अच्छा लग रहा है. अब तुम्हारे मामा का तो खड़ा भी नहीं होता.
मैंने मामी के माथे पर चूमते हुए कहा- कोई बात नहीं मामी … आपका ये भांजा आपकी सेवा में हमेशा हाज़िर रहेगा.

फिर मैंने घड़ी की तरफ देखा. अभी सिर्फ़ 12:30 ही हुए थे. हम दोनों ने एक दूसरे को किस करना चालू कर दिया.

मैंने मामी को बिस्तर पर लिटा दिया और फ़्रिज़ से एक आइसक्यूब लाकर उनके होंठों से लेकर उनके पैरों तक उस आइसक्यूब को अपने मुँह में लेकर फिराया. फिर उनकी चुत पर जाकर उस आइसक्यूब को वहां पूरा पिघला दिया.

मामी अपनी गर्म चुत पर ठंडे बर्फ के टुकड़े से मचल उठी थीं.

इसके बाद मैंने उनकी बगलों को चाटना चालू किया. धीरे धीरे मैंने मामी के पूरे जिस्म को चाटा.

दोस्तो, मैं आपको बता नहीं सकता कि मुझे उनके जिस्म को चाटने में कितना मजा आ रहा था. वो भी कामातुर रांड की तरह मेरा पूरा साथ दे रही थीं.

थोड़ी देर बाद मामी बोलीं- अब अतुल मुझसे रहा नहीं जा रहा है … अपने इस लंड को मेरी चुत में पूरा डाल दो.

मैंने उनकी चुत में अपनी एक उंगली डाली. उनकी चुत फिर से पूरी गीली हो चुकी थी. मेरी उंगली तुरंत अन्दर तक चली गई. फिर भी मैंने अपने लंड का आकर देखते हुए थोड़ा तेल लिया और अपने लंड के सुपारे पर लगा लिया. थोड़ा तेल मामी की चुत के अन्दर भी मल दिया.

फिर मैंने मामी को चुदाई की पोजीशन में लिटा दिया और उनकी कमर के नीचे एक तकिया लगा दिया, जिससे उनकी चुत अब पूरा खुले में सामने थी.

मैंने अपने लंड के सुपारे को उनकी चुत के मुँह पर लगाया. फिर मामी को अपनी भुजाओं में कस कर दबा लिया और मामी से पूछा- डाल दूँ मामी?
मामी ने आह भरते हुए कहा- पगले देर मत कर. … एक ही बार में पूरा का पूरा लंड डाल दे … फाड़ दे मेरी चुत आज … आज खून निकाल दे इसमें से … आज पूरी की पूरी प्यास बुझा दे अपनी मामी की.

ये सुनते ही में एक पूरी ताक़त लगा कर ज़ोर से धक्का मारा. मेरा लंड मामी की चुत को चीरता हुआ उनके अन्दर चला गया.
मामी के मुँह से चीख निकल गई और वो छटपटाने लगीं ‘आआह … आआह … मर गई..’

मामी चीखते हुए सीधा मेरे गले से लग गईं. मेरा लंड अब भी मामी की चुत में था और मामी की मादक सिसकारियां चीखों के मानिंद निकल रही थीं. इस वक्त रूम का दरवाजा बंद होने के कारण आवाज़ अन्दर तक ही थी. मैंने मामी को कस कर पकड़ कर अपनी बांहों में भर रखा था.

मैंने मामी को देखा, तो उनकी आंखों से थोड़े आंसू निकल रहे थे. लेकिन फिर भी वो लंड को बाहर निकालने को नहीं कह रही थीं.

मैंने धीरे धीरे अपनी कमर आगे-पीछे करनी चालू की और मामी ने भी अपनी कमर आगे-पीछे करनी चालू कर दी.

अब मुझे लग रहा था जैसे मुझसे ज़्यादा मजा मामी को आ रहा है. इसलिए तो आंखों से आंसू निकलने के बाद भी वो मुझसे लंड को बाहर निकालने को नहीं कह रही थीं.

मैंने अपनी कमर को कुछ तेजी से आगे-पीछे करनी चालू कर दी. मामी ने भी अपनी दांतों को भींचते हुए अपनी चुत में मेरे लंड को लेना शुरू कर दिया था.
 
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अब तक आप लोगों ने पढ़ा कि कैसे मैं मामी के घर तक पहुंचा और उनको वाशरूम के दरवाजे की झिरी से नंगा नहाते देखा.
फिर कैसे मैंने मामी के साथ चोदना शुरू किया, मामी मेरे लंड के नीचे बड़ी मस्ती से कराहते हुए मचल रही थीं और अपने दांत भींचे हुए लंड की रगड़ का आनन्द ले रही थीं.

अब आगे:

कुछ ही देर में चुदाई की मस्ती में हम दोनों ही डूब गए. अब तो मामी भी अपनी कमर को काफी तेज गति से आगे-पीछे कर रही थीं.

इस वक्त मुझे बहुत मजा आ रहा था. मैंने अपनी तरफ से धक्के देना जरा कम कर दिए, तो मामी को शायद चुत में मजा कम मिलने लगा. इस समय उनको पूरी ताकत से लंड अन्दर लेना था, इसलिए वो खुद अपनी गांड उछालते हुए धक्का लगाने लगीं.

मैंने और भी मजा लेते हुए अपनी पकड़ को भी थोड़ी हल्का कर दिया. मुझे उनकी चुत में अपना लंड एक पिस्टन की तरह ऐसा फिट सा महसूस होने लगा था, जैसे वो किसी पेंच आदि से चुत में कस दिया गया हो और बिना नट बोल्ट खोले चुत से बाहर ही निकले.

अब मामी खुद पूरी ताकत से नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर मेरे लंड को अपनी चूत में ले रही थीं और लंड मामी की चुत में जड़ तक प्रहार कर रहा था.

वो लंड की चोटों से मस्ती से बोल रही थीं- आह कितना मजा आ रहा है … पूरा अन्दर तक जा रहा है … आह आज फाड़ दे मेरी चुत को अतुल … फाड़ दे इस निगोड़ी को.

तभी अचानक मेरा हाथ नीचे उनकी चुत पर चला गया. मामी की चुत रस छोड़ रही थी. कुछ गीला गीला सा मेरे हाथ में भी लग गया. लेकिन इस गीले पानी में चिकनाहट नहीं थी. मैंने कौतूहलवश हाथ ऊपर करके देखा, तो ये खून था. मतलब आज मेरे मोटे और लम्बे लंड से मामी की चुत से हल्का सा खून भी निकल आया था.

मैंने मामी से कहा- ये क्या है मामी … आपके नीचे से तो खून निकल रहा है.
मामी मस्ती में धकापेल करते हुए बोलीं- हां तेरा मामा साला गांडू … उस मादरचोद का तो खड़ा ही नहीं होता … मुझे उसने दो सालों से नहीं चोदा है … तो खून तो निकलेगा ही ना. मैं कब से सोच रही थी कि तुझसे बोल दूं कि आकर मेरी चुत की प्यास बुझा दे, पर देख ना … प्यास मेरी कहां आकर बुझी.

मैं मामी के मुँह से इस समय एक चुदासी रंडी की भाषा सुनकर बेहद उत्तेजित हो गया था. मैंने भी मामी को गाली देते हुए चोदने का मन बना लिया.

मैंने भी मामी की कमर को अपने हाथों से पकड़ा और उन्हें गाली देते हुए कहा- ले साली छिनाल, मां की लौड़ी … तुझे लंड खाने की अभिलाषा थी न … ले मादरचोदी … लंड खा.
मामी मेरे मुँह से गालियां सुनकर मस्त हो गईं और कहने लगीं- हां अतुल, मुझे अपनी रंडी बना कर चोद दे … तेरे मुँह से मुझे गाली सुनने में बड़ा मजा आ रहा है … चोद हरामी साले कुत्ते चोद मुझे कमीने … फाड़ दे मेरी चुत को … आह मजा आ रहा है.

ये कहते हुए मामी और तेज़ी से झटके मारने लगीं. मैं भी खूब कमर उठा-उठा कर मामी की चुत में झटके मार रहा था.

उसी समय मामी ने मुझसे ऊपर ले लेने के लिए कहा. मैंने मामी की चुत से लंड निकाले बिना ही उनको अपने ऊपर ले लिया. अब मामी मेरे लंड पर बड़ी मस्ती से कूद रही थीं. उनकी मदमस्त चूचियां मुझे लालायित कर रही थीं. मैंने उनको अपनी छाती की तरफ खींचा और उनकी दोनों चूचियों को बार बारी से चूसने लगा और मसलने लगा.

पूरे कमरे में हम दोनों की चुदाई की सिर्फ़ फच-फच की आवाजें आ रही थीं. साथ ही कमरा मामी की मादक सिसकारियों से गूंज रहा था.

कुछ ही देर में मामी चरम पर आ गईं और मेरे लंड पर झड़ कर मेरे सीने पर ही गिर गईं.

मगर मैं अभी बाकी था. इसके बाद मैंने मामी को डॉगी स्टाइल में चोदा. कुछ देर बाद, मैं भी झड़ने को आ गया.

मैंने मामी से पूछा कि मुझे रस निकालना है … किधर लोगी?
मामी बोलीं- तुम अपना माल मेरी चुत में ही छोड़ दो … मेरी चुत बहुत प्यासी है … इसे भी थोड़ा पानी पी लेने दो.

उनके ऐसा बोलते ही मैं मामी की चुत में ही झड़ गया. मेरे साथ वे भी झड़ गईं.

झड़ने के बाद मामी बोलीं- तू कितना अच्छा है रे … और ये तेरा लंड तो सच में महान औजार है. मैंने ऐसा लंड तो ब्लू फिल्म में ही देखा है.

हम दोनों थोड़ी देर यूं नंगे लेटे हुए एक दूसरे को सहलाते रहे और बात करते रहे.

अब घड़ी में एक बज गए थे और बच्चों के आने का टाइम भी हो चला था.

मैंने मामी को ये बताया, तो मामी ने कहा- तू चिंता मत कर … दो बजे तो उनके स्कूल की ही छुट्टी होगी … फिर यहां आते आते उनको आधा घंटा और लग जाता है. हमारे पास तो अभी भी 1.30 घंटा बाकी है.

मैं समझ गया कि अभी मामी एक बार और लंड लेने की फिराक में हैं. मैंने कहा- क्या इरादा हैं जानेमन.
मामी ने मुस्कुराते हुए मुझसे बोला- अतुल मैं एक रिक्वेस्ट करूं?
मैंने कहा- बिल्कुल मामी … एक क्या जितनी मर्ज़ी उतनी कर लो, अब तो आपकी हर ख्वाहिश पूरी करना मेरा फ़र्ज़ है.

इस पर वो हल्के से मुस्कुराते हुए और शर्माते हुए बोलीं कि एक बार पीछे से भी कोशिश कर ना … मुझे अपनी गांड भी मरवा के देखनी है. मैंने तेरे मामा को बहुत बार बोला, लेकिन उनका तो पीछे के गेट पर आते-आते ही दम तोड़ देता है.

उनकी इस बात पर मैं हंसने लगा.

मामी ने मेरे लंड को सहलाते हुए बोला- ये दम तो नहीं तोड़ेगा ना?
वे भी हंसने लगीं.

मैंने कहा- मामी ये गेट तोड़ता है … दम नहीं.
इस पर वो बोलीं- अच्छा जी, चलो देखते हैं कि ये गेट तोड़ता है. … या दम तोड़ता है.

मामी मेरा लंड अपने हाथ में लेकर सहलाने लगीं और थोड़ी देर मैं ही मेरा 3 इंच मोटा और 9 इंच लंबा लंड तैयार था.

यह देख कर मामी ने कहा- तेरा हथियार तो किसी हाथी के लंड के जैसा लग रहा है … कितना मोटा और लंबा है.
ये सुन कर मैं हंसने लगा. मैंने भी मामी से कहा- चलो अब अपना गेट दिखाओ.

मामी पलंग पर लेट गईं और कमर के नीचे उन्होंने तकिया लगा लिया.

मैंने थोड़ा तेल अपने लंड पर लगाया और थोड़ा उनकी गांड पर. मैं मामी की गांड के अन्दर भी उंगलियों से आयिल डाल दिया.

मैंने लंड हिलाते हुए कहा- मामी तैयार हो ना आप … संभल जाओ अब आपकी गांड का गड्डा खुदने वाला है.
मामी बोलीं- अतुल थोड़ा धीरे-धीरे डालियो … अचानक से मत घुसा दियो … नहीं तो मैं मर ही जाऊँगी.
मैंने उनकी गांड को सहलाते हुए कहा- चिंता मत करो मामी … मैं मरने नहीं दूंगा आपको.

मैंने लंड उनकी गांड के छेद पर लगाया और हल्का सा दबाव दिया. मगर ये क्या … मेरा लंड उनकी गांड के अन्दर जा ही नहीं रहा था. वो छेद पर ही मुँह मोड़ देता था. फिर मैंने मामी की गांड पर और ज़्यादा तेल लगाया, लेकिन इस बार भी लंड अन्दर ना जा सका.

मैंने मामी से इसका कारण पूछा, तो मामी बोलीं- गांड और चुत के छेद में बहुत अंतर होता है … चुत पानी छोड़ती है लेकिन गांड नहीं … चिकनाई की कमी की वजह से लंड अन्दर जाने में दिक्कत करता है.

मैंने उनकी बात सुनकर फिर से तेल लगाया और तीसरी बार कोशिश की. इस बार मेरे लंड ने गांड के बाहर ही पानी छोड़ दिया.
इस पर मामी हंसने लगीं और बोलीं- तेरा हथियार भी हार मान गया.

मुझे ये बड़ा अजीब लग रहा था कि ऐसे कैसे हुआ … लंड मामी की गांड में क्यों नहीं जा पा रहा था.
मैंने मामी से कहा, तो वो हंसने लगीं- तू तो कह रहा था कि तेरा लंड गेट तोड़ देता है.
मैंने उनसे कहा- अब मजाक मत करो … आप मुझे नेट पर गांड मारने की विधि देखने दो, फिर गांड मारूंगा.

मामी हंसने लगीं.

फिर हम दोनों ने Xforum पर ‘गांड कैसे मारें’ लेख पढ़ा और फिर समझ आया कि लंड क्यों गांड में नहीं जा रहा था.

हमने वैसा ही किया, जैसा लेख में बताया गया था.

मामी किचन से एक लम्बी मोटी मोमबत्ती लेकर आ गईं. वो मोमबत्ती मेरे लंड जितनी मोटी थी. मामी ने मोमबत्ती को पूरा तेल से चिकना कर लिया और अपनी गांड में भी बहुत सारा तेल लगा लिया. उस मोमबत्ती को मामी ने अपने हाथ से धीरे धीरे अन्दर डाला और कुछ ही पलों में मामी ने धीरे धीरे वो पूरी मोमबत्ती अपनी गांड मैं ले ली.

फिर मामी उस मोमबत्ती को आगे पीछे करने लगीं और देखते ही देखते मामी की गांड में अच्छी चिकनाई और ढीलापन आ गया.

फिर मामी ने कहा- अब डाल अपना लंड मेरी गांड में.

सच में दोस्तो … इस बार मेरा लंड बड़ी आसानी से मामी की गांड थोड़ा सा घुस गया. लंड का टोपा अन्दर जाते ही मामी की कसमसाहट भरी आवाज़ आने लगी और वे बोलीं- धीरे धीरे डालियो … एकदम से नहीं … बहुत दर्द हो रहा है.

मैंने फिर से मामी को अपनी बांहों में जकड़ा और धीरे धीरे से पूरा लंड उनकी गांड में डाल दिया.

सच बताऊं दोस्तो … मामी की चुत मारने से ज़्यादा मजा तो उनकी गांड मारने में आ रहा था. मैंने अपनी कमर धीरे धीरे आगे पीछे करनी चालू की और मामी ने भी अपनी गांड उठा उठा कर लंड को अन्दर बाहर करना चालू किया.

मामी की मस्त आवाजें भी बड़ा सुकून दे रही थीं.

‘आह्ह … ऊह्ह्हह उउफ्फ …’ की सिसकारियों से पूरा कमरा गूंज उठा था. कुछ देर बाद मैंने अपनी पकड़ से मामी को आज़ाद कर दिया. अब मामी उछल-उछल कर मेरे लंड को अपनी गांड में ले रही थीं. मैंने मामी की गांड को कई पोज़ में मारी. पूरे कमरे मैं मानो बस फच फच की आवाज़ और सिसकारियों की आवाज ही आ रही थी.

मैं कुछ देर बाद झड़ने को आ गया, तो मामी बोलीं- अतुल मेरी गांड में ही अपना पानी निकाल दे.
ये सुनते ही मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.

फिर मामी ने मेरे लंड पर लगे पानी को चाट कर साफ़ किया और बोलीं- तू कितना अच्छा है रे.
मैंने भी उनको किस किया और बोला- मामी मुझे इतना खुश करने के लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया. मुझे एक बात पूछने का मन है.
मामी बोलीं- हां पूछ न..!
मैंने कहा- आपकी गांड में लंड देने में बड़ा मजा आया और शायद आपको भी मजा आया, इसका क्या राज है?

मामी हंसने लगीं और बोलीं- मैं पिछले दो साल से नहीं चुदी हूँ. मुझे लगता था कि अगर लम्बा खीरा या बैगन चुत में डाला, तो तेरे मामा को चुदाई करते वक्त ये लगेगा कि मैंने चुत में किसी का मोटा लंड ले लिया है. इसलिए मैंने अपनी गांड में बड़ी बड़ी चीजें डाल कर सुख लिया है. मगर अब तो तेरा मामा चुत चोदता ही नहीं है, तो मैंने तुम्हारा लंड चुत में ले लिया है.

मैं समझ गया कि मामी लंड लेकर बड़ी खुश हैं.

फिर हम दोनों कुछ देर नंगे ही बिस्तर पर पड़े रहे. अब घड़ी की तरफ देखा, तो 2 बज चुके थे.

मैंने और मामी ने अपने अपने कपड़े पहने. कपड़े पहनते हुए हम दोनों एक दूसरे को देख कर बस मुस्कुरा रहे थे.

दोस्तों उस दिन के बाद हमें जब भी मौका मिलता, मैं और मेरी मामी दोनों एक दूसरे को बहुत सारा सुख देते और मज़े करते.
 
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भाभी माँ का देवर … नादान



दोस्तो, मेरा नाम प्रदीप है और मैं इस वक्त 20 साल का हूँ।

बात यूं है कि हमारे घर में हम सिर्फ चार लोग थे, माँ पिताजी और हम दो भाई। मगर हम दोनों भाइयों में उम्र का 12 साल का फर्क था। बड़े भैया से मैं बहुत डरता था।

मैं बहुत छोटा था, जब मेरे माँ और पिताजी गुज़र गए। उसके बाद मेरे बड़े भैया ने ही मुझे पाल पोस कर बड़ा किया, मुझे पढ़ाया लिखाया भी।
भाई तब 22 साल के थे जब उन्होंने शादी करी। हमारे घर में मुक्ता, उनकी बीवी, मेरी बड़ी भाभी बन कर आई।

शुरू से ही भाभी ने मुझे अपने बच्चों की तरह ही प्यार दिया। शादी के पाँच छह साल तक सब ठीक चला, मगर न जाने क्यों भाभी के कभी औलाद नहीं हुई। मतलब वो गर्भवती तो होती थी मगर हर बार उनका गर्भपात हो जाता।

वो बहुत रोती बिलखती. मगर भगवान को न जाने क्या मंजूर था।

मैं अपने बड़े भैया को बाबूजी और भाभी को भाभी माँ कहता था। दोनों मुझे अपने बेटे की तरह ही प्यार करते थे और मैं भी दोनों को ही अपने माँ बाप की तरह ही सम्मान देता हूँ, आज भी।

मगर कभी कभी किस्मत आपके लिए बहुत सख्त इम्तिहान लेकर आती है।

शादी के 6 साल बाद ही भैया का एक एक्सीडेंट में इंतकाल हो गया। मैं और भाभी तो बुरी तरह से टूट गए।
खैर भैया एक सरकारी महकमे में काम करते थे, तो भैया की जगह भाभी को नौकरी की ऑफर हुई, तो भाभी ने ले ली।

अब हमारे घर सिर्फ हम दोनों रह गए थे। पहले मैं भाभी माँ कहता था, मगर जब से भैया हमें छोड़ कर चले गए तो उसके बाद मैंने भाभी माँ को सिर्फ माँ कहना शुरू कर दिया क्योंकि वो मुझे अपने बेटे की ही तरह प्यार करती थी. कभी कभी गलती करने पर डांट भी देती थी, मार भी देती थी।

मगर मैं अपनी भाभी माँ की इतनी इज्ज़त करता हूँ, उनसे इतना प्यार करता हूँ कि मैंने कभी उनकी मार का या डांट का बुरा नहीं माना।

हम दोनों माँ बेटे की ज़िंदगी बड़े अच्छे से चल रही थी।

हालांकि कभी कभी मेरे स्कूल के दोस्त मुझे मज़ाक में छेड़ देते थे कि तेरी भाभी तो बड़ी सेक्सी है, या भाभी के साथ क्या क्या करते हो। मगर मैंने उनकी बातों हमेशा सख्ती से काट दिया, तो कुछ समय बाद मेरे दोस्त भी समझ गए कि वो मेरी भाभी नहीं माँ हैं।

मगर उन दोस्तों के साथ मुझे ब्लू फिल्म देखने और हाथ से मुट्ठ मारने की आदत पड़ गई।

बेशक मैंने बहुत सी औरतों और लड़कियों के बारे में सोच कर मुट्ठ मारी थी, मगर मेरी सोच में मेरी भाभी माँ कभी नहीं आई। मैं उनकी इज्ज़त ही इतनी करता था कि कभी सोचा ही नहीं था कि भाभी माँ भी हैं तो एक औरत ही।

फिर एक दिन मेरे जीवन में एक बहुत बड़ी उठा पटक हो गई।
हुआ यूं कि मेरे एक दोस्त ने मुझे एक सेक्सी किताब दी, जिसमे अंग्रेज़ और हब्शी लड़के लड़कियां ग्रुप में एक दूसरे के साथ सेक्स कर रहे थे। उसमें बहुत सी तस्वीरें थी, किसी में कोई लड़की लंड चूस रही है, कोई चुद रही है। कोई लड़का किसी लड़की के मम्मे चूस रहा है, कोई चूत मार रहा है, कोई गांड मार रहा है।

मै उस किताब को अपने घर के ऊपर बने कमरे में ले गया, और अकेला वहाँ बैठ कर उस किताब को देखने लगा। देखते देखते मेरा तो लंड तन गया और मैंने अपना बरमूडा और चड्डी नीचे खिसकाई और लंड निकाल कर हाथ से मुट्ठ मारने लगा।

भाभी नीचे दोपहर का खाना बना रही थी।

एक के बाद एक बढ़िया बढ़िया और सेक्सी पिक्स आ रही थी। मेरा मन बेहद बेताब था, मैं मन ही मन सोच रहा था कि ऐसी ही कोई लड़की या औरत मेरे पास आ जाए जिसे मैं चोद कर अपनी काम वासना की पूर्ति कर लूँ।

मगर औरत मुझे कहाँ मिलती! इसलिए अपने हाथ से मुट्ठ मारना ही मेरा एक मात्र सहारा था। 18 साल का लौंडा, साढ़े 6 इंच का कड़क लंड। मुट्ठ मार कर अपने लंड की चमड़ी के टांके तो मैंने पहले ही तोड़ लिए थे।

कभी उस किताब में नंगी तस्वीरों को देखता, तो कभी आँख बंद करके उन लड़कियों से सेक्स करने के सपने देखता।

दीन दुनिया से बेखबर मैं अपने आप में ही मस्त हुआ मुट्ठ मरने के मज़े ले रहा था कि तभी सामने से आवाज़ आई- प्रदीप, ये क्या कर रहा है?
मैं एकदम से डर के काँप गया।
देखा तो सामने भाभी माँ खड़ी थी।
मेरे तो होश फाख्ता हो गए, क्या करूँ कुछ समझ ही नहीं आया।

इतने भाभी माँ चल कर मेरे पास आई और मेरे हाथ से वो किताब छीन ली- ये कहाँ से लाया?
उन्होंने पूछा।
मैं चुप।
उन्होंने किताब के एक दो पन्ने पलट कर देखे.

मैंने धीरे से अपना तना हुआ लंड छुपाने के लिए अपना बरमुडा और चड्डी ऊपर को खींची तो भाभी ने किताब फेंक कर झट से से मेरा बरमूडा मेरी कमर से पकड़ लिया.

फिर भाभी बोली- अब क्या छुपा रहा है, अब शर्म आ रही है, और ये गंद मंद देखते हुये शर्म नहीं आई? अपने हाथों से अपने जिस्म का नाश करते हुये शर्म नहीं आई? मेरे बच्चे, ये सब करना ठीक नहीं है। इससे आदमी की ताकत खत्म हो जाती है. कल को तेरी शादी होगी तो कमजोरी की वजह से बीवी के सामने शर्मिंदा होना पड़ेगा। तुझे ऐसी गंदी आदत किसने लगा दी? कौन है वो हरामज़ादा, उसको तो मैं ज़िंदा नहीं छोड़ूँगी।

मैंने अपना बरमूडा थोड़ा ऊपर को सरकाना चाहा तो भाभी माँ ने फिर से बड़ी मजबूती से मुझे रोक दिया।
“क्या ऊपर को खींच रहा है, इतनी देर से मैं सामने खड़ी देख रही थी, तब तो नहीं छुपाया, अब छुपा रहा है। बहुत शर्मिला बन रहा है, हट, छोड़ हाथ!” कहते हुये भाभी माँ ने मेरा बरमूडा और चड्डी फिर से नीचे तक सरका दिया।

मेरा अधखड़ा सा लंड उनके सामने था। भाभी माँ ने बड़ी हसरत से मेरे लंड को देखा और फिर अपने हाथ में पकड़ लिया- कितने साल बाद देखने को मिला.
और ये कहते कहते उन्होंने मेरे लंड का टोपा अपने मुँह में ले लिया।

मैं एकदम से दूर छिटका- भाभी माँ, ये आप क्या कर रही हो?
वो उठ कर खड़ी हुई, और मेरे पास आ कर बोली- अच्छा, तू गंदी किताब देख कर हाथ से करे तो ठीक और मैं अगर कुछ करना चाहूँ तो गलत?
मैंने कहा- भाभी माँ ये सब गंदी औरतें हैं, इनका कोई दीन धर्म नहीं होता। आपको मैंने हमेशा अपनी माँ माना है, मैं अपनी माँ के साथ ऐसा नहीं कर सकता।

भाभी बोली- अच्छा, तू नहीं कर सकता, और अगर तेरी भाभी माँ कल को किसी गैर मर्द के साथ ऐसा करती है तो तब तू क्या कहेगा?
मैंने कहा- आप ऐसा क्यों करोगी?

वो बोली- क्यों … मैं क्या इंसान नहीं हूँ, मेरा दिल नहीं, मुझे इस सब की इच्छा नहीं होती। और तू तो मेरे घर का है। मेरे पति के वंश का, उनका ही लहू तेरी रगों में भी दौड़ता है। तुम में ही तो मैं तुम्हारे भैया को देखती हूँ। फिर तुम्हारे साथ ये सब गलत कैसे है?

मैंने कहा- नहीं, मैं इसे सही नहीं मानता, जो गलत है सो गलत है।
भाभी बोली- तो ठीक है, मैं तुम्हें ये सब करते देख चुकी, हूँ, और मेरा भी मन चाह रहा है, तो कल को अगर मैं किसी और के साथ ये सब करने लगूँ तो बुरा मत मानना।

मैं तैश में आ गया- आप ऐसा कुछ नहीं करेंगी, आप हमारे घर की इज्ज़त को इस तरह से नहीं लुटा सकती।
वो बोली- अब जब घर वाले ही अपने घर की इज्ज़त को नहीं संभाल सकते, तो कोई न कोई तो बाहर वाला लूट ही लेगा।

असमंजस में फंस गया मैं तो! भाभी माँ तो मन बना चुकी थी, मैं क्या करूँ, अपनी ही माँ समान भाभी के साथ सेक्स करूँ, या फिर उस दिन का इंतज़ार करूँ जिस दिन कोई हरामज़ादा मुझे मज़ाक में बताए कि तेरी भाभी माँ फलां फलां से चुदवा रही है।

मैं बहुत पशोपेश में था।

भाभी माँ बोली- देख, तू मेरा बेटा है, अगर तू ही मेरा ख्याल नहीं रखेगा, तो कौन रखेगा?
मैं इस असमंजस की स्थिति को बर्दाश्त नहीं कर पाया और रो पड़ा- नहीं माँ, मैंने आपको हमेशा अपनी माँ ही माना है, मैं ऐसा कभी सोच भी नहीं सकता।

भाभी आगे आई और उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया- न मेरा बेटा, रो मत, रो मत, मैं तेरे साथ हूँ न, क्यों रोता है। अरे पगले इस से पहले दुनिया तेरी भाभी माँ को किसी न किसी तरीके से से फंसा कर खराब करे, अगर तू उसे संभाल ले तो इसमें क्या दिक्कत है। रहेगा तो फिर भी तू मेरा बेटा ही! इसमें कोई बुराई नहीं बेटा, बहुत से देवर भाभी में ऐसा होना आम बात है। अगर सच कहूँ, तो मैंने पहले भी कई बार ऐसा सोचा था, मगर तुमने कभी मेरी तरफ देखा ही नहीं, तो मेरी भी हिम्मत नहीं हुई। आज तुमको इस हालत में देखा तो मुझे सच में बहुत बुरा लगा कि मेरा
बेटा अपने हाथ से अपनी जवानी को क्यों खराब कर रहा है। तुम्हें एक सही मार्गदर्शन की ज़रूरत है। मैं तुम्हें समझाऊँगी के कैसे अपनी जवानी को बचा कर रखा जा सकता है। बस जो मैं कहती हूँ, तो वो करता जा।

अपनी ज़िंदगी के सबसे बड़े चक्रव्यूह में फंसा खड़ा रहा.

और भाभी माँ ने एक छोटा सा स्टूल खींचा और मेरे सामने उस पर बैठ गई. मेरा बरमूडा और चड्डी दोनों खींच कर बिल्कुल ही उतार दिये भाभी ने … मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ा और फिर पहले तो उसके टोपे पर चूमा और उसके बाद अपने मुँह में ले लिया.

और ऐसा चूसा कि साला 5 सेकंड में ही मेरे लंड का लोहा बना दिया। पूरा अकड़ कर मेरा लंड जब खड़ा हुआ तो भाभी बोली- वाह क्या शानदार लंड है, ऐसा लंड तो मैं कब से चाहती थी! कब से … आह!

भाभी फिर से मेरा लंड चूसने लगी। उनके मुँह से तो जैसे लार की धार बह रही हो, मेरा लंड मेरे आँड वो सब चाट गई, चूस गई।

फिर वो स्टूल से उतर के नीचे फर्श पर ही बैठ गई और मेरी कमर को दोनों हाथों से पकड़ लिया.

और अब मेरा लंड अपने मुँह में लिया तो मेरी कमर को अपने हाथों से आगे पीछे हिलाने लगी.

तो उनका इशारा समझ कर मैंने भी अपनी कमर चालानी शुरू कर दी. और फिर तो मुझे मज़ा ही आ गया, भाभी का मुँह भी किसी चूत से कम नहीं था।
क्या मज़ा आया भाभी का मुँह चोद कर।

मैंने भी भाभी का सर पकड़ लिया और खुद से ही उनके मुँह को चोदने लगा। भाभी ने भी बड़े मज़े मज़े ले ले कर अपने गले तक मेरा लंड लेकर अपना मुँह चुदवाया।

फिर वो उठ कर खड़ी हुई और उन्होंने अपनी टी शर्ट और लोअर उतार दिया। पहली बार मैंने अपनी भाभी माँ को अपने सामने बिल्कुल नंगी देखा।
दूध जैसे गोरे, मोटे बड़े बड़े मम्मे, थोड़े ढलके हुये, मगर हल्के भूरे रंग के निप्पल … छोटे छोटे निप्पल।

मैंने आज तक भाभी माँ को ऐसे देखना तो क्या, कभी उनके बारे में ऐसा सोचा भी नहीं था. मगर आज वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी खड़ी थी और मैं उनके सामने।

भाभी माँ ने जब मुझे उनके मम्मों को घूरते हुये देखा तो मेरे बिल्कुल पास आई और उनके निप्पल मेरे सीने को छू गए।

वो बोली- क्या देख रहा है मेरा बाबू? मम्मा का दुदु पियेगा? हाँ … भूखू लगी मेरे बाबू को? लो पियो!

और भाभी ने अपना एक मम्मा अपने हाथ में उठा कर मेरी तरफ बढ़ाया और दूसरे हाथ से मेरा सर नीचे को झुकाया.

फिर मैंने भी सारी शर्म लिहाज उतार फेंकी। मैंने भी आगे बढ़ कर भाभी का एक मम्म अपने मुँह से चूसना शुरू कर दिया और दूसरे मम्मे को अपने हाथ से दबाया।
मखमल जैसे नर्म मम्मे।
जितना दबाओ, दिल न भरे! और हल्के नमकीन स्वाद वाले उनके निप्पल, जितना भी चूसो मन न भरे।
मैं तो जैसे अपने होशो हवास ही खो बैठा।

भाभी ने मेरे लंड को सहलाया और बोली- अगर मेरा बाबू मेरा दुदु पिएगा तो बाबू को इसका दुदु अपनी मम्मा को पिलाना पड़ेगा.

और भाभी ने मेरे लंड को खींच कर इशारा किया।
मैंने कहा- भाभी माँ, मैं तो आज से आपका गुलाम! आप जो कहोगी मैं वो करूंगा।
भाभी बोली- तो ठीक है, यहाँ जगह ठीक नहीं है, नीचे चलते हैं, बेडरूम में बिस्तर पर आराम से सब करेंगे।

और भाभी ने अपना लोअर और टी शर्ट फिर से पहनी। मैंने सिर्फ अपना बरमूडा पहना और हम दोनों नीचे बेडरूम में आ गए।

अंदर आते ही भाभी ने अपनी लोअर टी शर्ट एकदम से उतार फेंके और मैं भी नंगा हो गया।

भाभी बिस्तर पर लेट गई और अपने हाथ के इशारे से मुझे बुलाया- आओ मेरे बालम, अपनी प्रियतमा के तन की प्यास बुझाओ।
मैं जा कर भाभी के ऊपर लेट गया।

भाभी ने मुझे कस कर अपने बदन से चिपका लिया और वो मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगी।

मैंने भी भाभी के होंठ, गाल, ठुड्डी सब चूसे। भाभी को उसकी गर्दन के आस पास चूमने चाटने से बड़ी गुदगुदी होती थी। जब भी मैंने ऐसा किया, वो बहुत खिलखिला कर हंसी।
तो मैंने कहा- भाभी माँ आगे करें?
भाभी बोली- अगर मैं करूँ तो?
मैंने कहा- आपकी मर्ज़ी … आप कर लो।

भाभी ने मुझे मुझे नीचे लेटाया और खुद मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई। पहले अपने बाल बांधे, मैंने उनके दोनों मम्मो को अपने हाथों से पकड़ कर दबाया।
और फिर भाभी ने अपने मुँह से काफी सारा थूक लेकर मेरे लंड के टोपे पर लगाया. फिर मेरा लंड पकड़ कर अपनी चूत पर सेट किया. और जैसे ही भाभी थोड़ा सा नीचे को बैठी, मेरे लंड का टोपा उनकी गुलाबी फुद्दी में घुस गया.

मेरे मुंह से ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ निकल गया.

2-4 बार अंदर बाहर करने से ही मेरा सारा लंड भाभी माँ की फुद्दी में समा गया। भाभी माँ मेरा पूरा लंड अपनी फुद्दी में लेकर मेरी कमर पर ही बैठ गई। हम दोनों एक दूसरे को देख रहे थे।

वो क्या सोच रही थी, मुझे नहीं पता। मगर मैं ये सोच रहा था कि इंसानी रिश्ते कैसे होते हैं, कब इन रिश्तों का क्या रूप बदल जाए कोई कुछ नहीं कह सकता।

अभी सुबह तक जो मेरी भाभी माँ थी, जिसे मैं अपनी पालने वाली माँ मानता था। अब वो मेरी महबूबा थी और मेरा लंड अपनी चूत में लिए बैठी है।

मैं भाभी माँ के मम्मो से खेलता रहा।

भाभी थोड़ा सा आगे को झुकी और फिर वो अपनी कमर आगे पीछे को हिलाने लगी।

सच में इस चुदाई में मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। हाथ से मुट्ठ मारना तो इसका 1 प्रतिशत भी नहीं नहीं है।

एक गोरी छिट्टी भरपूर औरत मेरे ऊपर नंगी बैठी मुझे एक उत्तम आनंद दे रही थी।

काफी देर भाभी खुद ऊपर चढ़ कर चुदवाती रही और मैं नीचे लेटा कभी उनको मम्मों से खेलता, कभी उनको चूसता। बीच बीच में भाभी नीचे को झुक कर मेरे होंठ चूसती, अपनी जीभ मेरे मुँह में डाल देती।

साला कोई फर्क ही नहीं रह गया था, उनका थूक मेरे मुँह में, मेरा थूक उनके मुँह में।

भाभी की चूत जितना पानी छोड़ रही थी, उनके मुँह से भी उतनी ही लार टपक रही थी। कई बार उनके मुँह से लार मेरे मुँह पर मेरे सीने पर गिरी मगर मुझे कोई ग्लानि महसूस नहीं हुई।
बल्कि मैं तो उनकी टपकती हुई लार को चाट रहा था। उनको होंठों को चूस रहा था, उनके मम्मों पर अपने दाँतों से काट रहा था।

भाभी तड़पती, लरजती, मगर उन्होंने मुझे रोका नहीं।

फिर वो उठी और बोली- चल ऊपर आ!
वो नीचे लेट गई। उन्होंने अपनी टाँगें पूरी तरह से खोली।

हल्की झांट के बीच उनकी साँवली सी चूत, मगर चूत के दोनों होंठों के बीच में से झाँकता गुलाबी रंग का दाना।

मैंने भाभी की चूत के दाने को अपनी उंगली से छूआ।
भाभी ने ‘सी…’ करके सिसकी भरी। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा, तो भाभी ने अपने हाथ से पकड़ कर सेट किया, और अगले हल्के से धक्के से मेरा लंड भाभी माँ की चूत में समा गया।
फिर मैंने अपने हिसाब से चुदाई शुरू की, जैसे के मैंने ब्लू फिल्मों में लोगों को करते देखा था। कितनी देर मैं भाभी को बिना रुके बिना झड़े चोदता रहा।

इस दौरान भाभी एक बार बहुत तड़पी थी।
मैंने पूछा- आपका हो गया?
वो मुस्कुरा कर बोली- हाँ, मेरे यार ने मेरी तसल्ली करवा दी।

उसके कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी मेरा होने वाला है।
भाभी बोली- रुक, अंदर मत करना मेरे मुँह में कर, मुझे तुम्हारा टेस्टी गाढ़ा माल पीना है।

मैंने अपना लंड भाभी की चूत से बाहर निकाला तो भाभी अपने हाथ से मेरे लंड को फेंटने लगी और 2 मिनट में ही जब मेरे लंड से माल गिरने को हुआ, मैंने अपना लंड भाभी के मुँह में घुसा दिया और मेरा सारा माल भाभी माँ के मुँह में झड़ा।

जैसे जैसे एक के बाद एक वीर्य की पिचकारी भाभी माँ के मुँह में छूटी, वैसे वैसे वो उसे पीती गई।
मैं देख रहा था कि कैसे मेरा माल भाभी माँ के गले से नीचे उतर रहा था।

वो हाथ से मेरे लंड को हिलाती भी रही और जीभ से मेरे लंड को चाटती भी गई, पूरा माल पी गई, और उसके कितनी देर बाद तक मेरे लंड को अपने मुँह में लिए रही।
आखिरी बूंद तक वो पी गई।

जब मेरा लंड ढीला पड़ गया तब उन्होंने अपने मुँह से अपने देवर का लंड निकाला। चूस चूस के मेरे लंड को भाभी ने लाल कर दिया था।

मैंने पूछा- भाभी माँ, कैसा लगा?
वो बड़ी खुश होकर बोली- यार मज़ा आ गया।
मैंने कहा- और मज़ा करोगी?
वो बोली- क्यों नहीं?

मैंने कहा- तो इस बार सारी चुदाई मैं अपने ढंग से करूंगा।
वो बोली- अरे मेरी जान, तेरी रांड हूँ, अब तो मैं! जैसे चाहे चोद ले।

मैं अगली चुदाई के लिए अपने लंड को हिलाने लगा और सोचने लगा, इस बार साली भाभी रांड को घोड़ी बना के नहीं कुतिया बना के चोदूँगा।
 
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