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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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दीदी की छोटी छोटी झांट वाली चूत



मित्रो, मेरा नाम निक्कू है मगर नाम बदला हुआ है. असली नाम लिखने का मन नहीं है.
इसका कारण मेरा डर है कि कहीं मुझे जानने वालों को इस कहानी का पता ना चल जाए.

मैं एक छोटे से शहर से हूँ.
यहां सयुंक्त परिवार होते हैं.
मेरे परिवार में मेरे मम्मी-पापा, उनके दो भाई और उनके परिवार हैं.

यह सेक्स कहानी मेरे पापा के बड़े भाई यानि मेरे ताऊजी की बड़ी बेटी की है. मैंने बड़ी दीदी की चूत का मजा कैसे लिया, यही बताया है.

आज से 15 साल पहले जब मेरी दादी का निधन हुआ तो उनके क्रियाकर्म के लिए सब लोग एकत्र हुए और ये तय हुआ कि जब तक सारी विधि खत्म नहीं हो जातीं, सब लोग घर में ही रुकेंगे.
उस समय मैं 24 साल का था. मेरी एक नयी गर्लफ्रेंड बनी थी, जिसकी मखमली चूत को मैं हर दो तीन दिन में बड़ी मस्ती से चोदता था.

मैं ये नहीं बोलूँगा कि मेरा लंड 8-9 इंच लंबा है या 4 इंच मोटा है या मैं एक घंटे तक चूत चोद सकता हूँ.
बस इतना मान लीजिए कि मालिक ने जो दिया, ऐसा दिया है कि अपने साथी को एक बार भी निराश नहीं किया है.

अब जिसे हर तीसरे दिन चूत चाहिए हो, उसे बारह दिन कुछ ना मिलने वाला हो, तो आप समझ सकते हैं कि उसके दिल पर क्या बीतेगी.
फिर भी मैं अपनी किस्मत को रोते, अपना लंड हाथ में पकड़े हुए घर पर रुका रहा.

पहले दिन शाम तक मेरे ताऊ की दोनों बेटियां अपनी अपनी ससुराल से आ चुकी थीं.

बड़ी दीदी से मेरी बहुत अच्छी बनती थी. वो मुझे हमेशा से पसंद रही हैं.
हों भी क्यों ना … उनकी 6 फुट की हाइट, तने हुए 34 इंच के चूचे और 38 इंच के भरे भरे चूतड़, किसी को भी पागल बनाने के लिए काफ़ी थे.

हालांकि उस समय तक कभी मैंने उनके साथ सेक्स के बारे में सोचा नहीं था.
जो भी हो, मुझे उस वक़्त पता नहीं था कि ये सब कुछ बदलने वाला है और मैं इन 34 इंच के मोटे मोटे मम्मों को तसल्ली से दशहरी आम की तरह चखूँगा.

तो हुआ यूं कि रात में सब लोग अपने सोने का इंतज़ाम देखने लगे.

मैं, मेरी दीदी और बुआ घर के आंगन में सोने लगे.
सब दिन भर के थके थे, तो लेटते ही नींद लग गयी.

मेरी दीदी को साड़ी और सलवार कमीज़ दोनों पहनना पसंद हैं.
पर वो उस दिन ससुराल से आई थीं, तो साड़ी में थीं.

मैं और दीदी एक तकिए पर सर रख कर लेटे थे क्योंकि हम दोनों को ही इस तरह से चीजें साझा करना पसंद था.

रात में मुझे चादर लेकर सोने की आदत है, चाहे गर्मी हो या सर्दी … और ये सब जून के महीने में हुआ था, तो मौसम ठीक-ठाक था.

थोड़ी देर की नींद के बाद मेरे सपने में मेरी गर्लफ्रेंड आ गयी और मैंने उसके 36 इंच बूब खूब मज़े से दबाने शुरू कर दिए.

मैंने सपने में देखा कि थोड़ी देर के बाद एक बूब उसकी पिंक ब्रा से बाहर निकाला और उसका ब्राउन निप्पल बड़े मज़े से पीने लगा; साथ ही साथ मैं उसकी चूत पर हाथ भी फिराने लगा.
उस वक़्त ये महसूस ही नहीं हुआ कि ये सपना है.

अचानक से मेरी गर्लफ्रेंड ने मेरा वो हाथ पकड़ कर, जिससे मैं बूब दबा रहा था और निप्पल पी रहा था, ज़ोर से हिलाया.
मैं एक बार में नहीं माना तो उसने फिर से वही किया.

इस बार मेरी आंख खुल गयी और मैं क्या देखता हूँ कि मेरा एक हाथ मेरी दीदी की चूत रगड़ रहा था और दूसरा उसके मम्मों दबा रहा था.
मेरे मुँह में मेरी दीदी का काला निप्पल था.

असल में मैंने अपने दीदी का बूब इतनी ज़ोर से दबा दिया था कि उनकी नींद खुल गयी थी और वो मुझे दूर करने की कोशिश कर रही थीं.

अब जब मेरी नींद खुली और ये सब देखा तो ये सोच कर मेरी गांड फट गयी कि अब तो बहुत मार पड़ेगी और घर से भी निकाला जाऊंगा.
रही सही कसर ये होगी कि दीदी से कभी बात नहीं होगी.

ये सब ख्याल इतनी तेज़ी से दिमाग़ में आए कि मेरे हाथ जहां थे, वहीं रह गए. ये सब सोच कर मेरे आंसू आने लगे.

दीदी एक सेकेंड में सब समझ गईं, उन्होंने सबसे पहले मेरे हाथ अपने शरीर से हटाए, अपने बूब को ब्रा के अन्दर किया.
फिर चुप कराने के लिए मुझे गले से लगा लिया.

जैसे ही उन्होंने गले लगाया, मेरे आंसू और तेज़ हो गए.
उन्होंने मुझे चुप कराया और समझाया कि कोई बात नहीं, इस उम्र में ऐसा हो जाता है.

उन्होंने मुझे जोर से गले से लगा लिया.
बस यही वो ग़लती थी, जिसने हमारी चुदाई कहानी की नींव रखी.

जब 30 सेकेंड्स में ये समझ आ गया कि दीदी किसी को कुछ नहीं बताएंगी तो दिमाग़ और लंड फिर से सेक्स मांगने लगा.
अब जिसके सामने रसमलाई पड़ी हो, वो कहीं और क्यों जाएगा मिठाई खाने.

अब तक हम दोनों की नींद जा चुकी थी, बस एक दूसरे से चिपके लेटे हुए थे.
मेरे हाथों ने दीदी के शरीर पर फिर से घूमना शुरू कर दिया और इस बार दीदी ने एक चांटा लगा दिया.

ना धीरे ना तेज़ … बस इतना कि आवाज़ ना हो … और मुझे वॉर्निंग मिल जाए.
पर दोनों टांगों के बीच वाले जनाब को जब एक बार ये समझ आ जाए कि सामने एक चूत है और थोड़ी मेहनत से मिल सकती है, तो वो पूरे जी जान से कोशिश करता है.

उस रात मैंने कुछ और नहीं किया, लेकिन अगले पूरे दिन दीदी से बात नहीं की.

शुरू में दीदी को लगा कि मैं शायद अपराध बोध में हूँ तो छुप रहा हूँ.
लेकिन जल्दी ही उनको भी समझ में आ गया कि मेरे मन में कोई ग्लानि नहीं है बल्कि मैं उनको चोदने की फिराक़ में हूँ.

शाम तक बात ना करने के बाद, सब खाना खाकर सोने की तैयारी करने लगे.
सोने के लिए फिर से मैं और दीदी साथ में लेट गए.

बस इस बार लेटते ही दीदी ने कान में बोल दिया कि उनको मेरे हाथ उनके मम्मों या चूत के आस पास ना मिलें वरना मेरे लिए अच्छा नहीं होगा.

आज दीदी सलवार कमीज़ में थीं तो उनकी गांड बड़ी लग रही थी और मम्मों का आकार भी बड़ा मस्त लग रहा था.

हमारे लेटते ही हल्की हल्की बारिश शुरू हो गयी और लाइट चली गयी.
बारिश आधा घंटा में रुक गयी लेकिन हल्की सी ठंडक हो गयी और लाइट भी नहीं आई.

थोड़ी देर बाद मुझे महसूस हुआ कि दीदी की बड़ी सी गांड मेरे लंड से चिपकी पड़ी थी और ऐसा महसूस होते ही मेरी नींद उड़ गयी.
अब तो मुझे हर हाल में दीदी के शरीर से मज़े लेने थे.

मैंने धीरे से अपनी चादर दीदी के ऊपर डाल दी और उसके साथ ही अपना एक हाथ दीदी के सीने पर रख दिया.
हाथ रखते ही दीदी थोड़ा हिलीं.
लेकिन उनको लगा कि मैं नींद में हूँ तो वो फिर से सो गईं.

थोड़ी देर बाद मैंने धीरे धीरे उनके बूब को दबाना शुरू कर दिया.
कुछ देर दबाने के बाद मैंने एक बूब को ही उनकी कमीज़ और ब्रा से आज़ाद कर दिया और बड़े आराम से पीने लगा.

शायद दीदी को नींद में ऐसा लगा कि वो अपने घर में जीजाजी के साथ लेटी हैं तो उन्होंने मुझे दूसरा बूब भी पकड़ा दिया.

कुछ देर पीने के बाद दीदी ने मेरे एक हाथ को पकड़ कर अपनी चूत पर रख दिया और मैं उसे सलवार के ऊपर से ही मसलने लगा.
आज महसूस हुआ कि दीदी की चूत पर थोड़े बाल भी थे, जो शायद 10-12 दिन पहले शेव हुए थे.

कुछ देर सलवार के ऊपर से चूत का जायजा लेने के बाद मेरा लालच बढ़ा तो मैंने अपना हाथ सलवार के अन्दर करना चाहा.

हाथ पेट से थोड़ा नीचे गया ही था कि दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और पकड़ते ही शायद उनकी नींद खुल गयी.
अगले ही पल उनको पता लग गया था कि वो नींद में कुछ ग़लत कर बैठी थीं.

आंख खुलते ही उन्होंने अपने मम्मों को कपड़ों में अन्दर किया और मेरे हाथ को सलवार की इलास्टिक से बाहर निकाल दिया.
लेकिन अब तो शेर जाग चुका था और बिना शिकार किए वापसी उसे पसंद नहीं.

दीदी ने दो मिनट मुझे गुस्से से देखा और मेरी तरफ करवट करके लेट गईं.
मैंने भी सोच लिया था कि अब जो भी हो, इस चूत के अन्दर दूध की धार बहा कर ही मानूँगा.

जैसे ही कुछ सेकेंड्स बीते, मैंने दीदी का मुँह पकड़ा और किस करना शुरू कर दिया.
किस करते करते ही मैंने दीदी की सलवार में हाथ डाला और पैंटी के अन्दर से उनकी चूत सहलाने लगा.

जैसे ही हाथ लगा, समझ आ गया था कि दीदी की चूत अपना प्री-कम छोड़ चुकी थी.
मैंने एक उंगली चूत के अन्दर सरका दी और उसी से चोदने लगा.

अब तक दीदी का विरोध थोड़ा कम हो चुका था तो उन्होंने मुझे प्रत्युत्तर में किस करना शुरू कर दिया.
ये हरी झंडी सा इशारा मिलने के बाद मैंने फिर से दूध मसलना और उनको पीना शुरू कर दिया.

लेकिन सबके होते हुए चुदाई नहीं हो सकती थी तो बस यही सब पूरी रात चला और अगले 2-3 रात भी.

चौथे दिन ताईजी ने मुझे बुलाया और कहा कि मुझे दीदी को मार्केट लेकर जाना था कुछ शॉपिंग के लिए … और फिर उन्हें अपने दूसरे घर को भी चैक करना था क्योंकि वो कुछ दिनों से बंद था.
मैं और दीदी बाइक से चले तो दीदी ने कहा- पहले घर चलेंगे, वहां से कुछ सामान लेना है.

कुछ मिनट में जब हम दोनों घर पहुंचे, तो दीदी ने लॉक खोला और हम अन्दर दाखिल हो गए.
मैं बाहर वाले रूम में बैठ गया और दीदी ने कहा- मैं 2 मिनट में वॉशरूम से आ रही हूँ.

उनके जाने के बाद मैं धीरे से उठा और वॉशरूम के पास आ गया.
दरवाजे की कुण्डी नहीं लगी थी और दीदी आराम से कमोड पर बैठकर सुसु कर रही थीं. उनकी मूतने की आवाज़ इतनी तेज़ थी कि मेरे कानों तक आ रही थी.

आवाज़ सुन कर मेरा देखने का मन हुआ, तो मैं दरवाजे के ज़्यादा पास चला गया और इतने में उन्होंने दरवाज़ा खोल दिया.

दरवाज़ा खुलते ही उसके बाहर मुझे देखा और वो हंसने लगीं.
दीदी बोलीं- अपनी तसल्ली के लिए ही हम यहां आए हैं.

यह सुनते ही मेरे चेहरे पर भी मुस्कुराहट आ गयी.

दीदी आज साड़ी में थीं, तो उन्होंने सबसे पहले टॉयलेट में ही साड़ी उतार दी.
उस समय मेरे सामने दीदी ब्लाउज और पेटीकोट में थीं.

पेटीकोट कमर तक चढ़ा हुआ था, पैंटी पैरों में पड़ी थी और उनके गोरे गोरे चूतड़ नज़र आ रहे थे.

दीदी ने मुझसे पूछा कि क्या मैं सब उतार दूँ?
मैंने मना कर दिया वरना मैं क्या उतारता.

उन्होंने पैंटी पहनी, पेटीकोट नीचे किया और हम दोनों उनके बेडरूम में आ गए.

बेडरूम में आते ही मुझसे रुका नहीं गया, तो मैंने उनको किस करना शुरू कर दिया.
दीदी ने भी पूरा साथ दिया.

क्या रसीले होंठ थे.
कुछ देर मैं उनके होंठ पीता ही रहा.

कुछ देर बाद मैंने उनके गले और कान के पीछे किस करना शुरू किया तो उनकी सिसकारी निकलना शुरू हो गयी.
धीरे धीरे नीचे आते आते मैंने अपने पसंदीदा फलों यानि उनके मम्मों पर डेरा जमा लिया.

पहले तो उनके बूब को ब्लाउज के ऊपर से ही मुँह में ले लिया, फिर ब्लाउज को दूर किया और सफेद ब्रा में सजे दो बड़े बड़े अनारों का रस चखना शुरू कर दिया.
मेरे चूसने से उनकी ब्रा गीली हो गयी और निपल्स तन गए.
फिर जैसे ही मैंने उनकी ब्रा का हुक खोला, दो बड़ी बड़ी फुटबॉल मेरे चेहरे से आ लगीं.

आज दूसरी बार मैंने दीदी के ब्लैक निपल्स को देखा था. आज ट्यूबलाइट की रोशनी में उनके दूध इतने चमक रहे थे कि मेरी आंखें चौंधिया गईं.
मैंने फिर से एक आज्ञाकारी बच्चा बनते हुए उनके दूध पीने शुरू किए.

पांच मिनट के बाद मैंने धीरे से उनके पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया\.
अब उनके शरीर पर सिर्फ़ एक लाल रंग की पैंटी थी जो आगे से गीली हो चुकी थी.

दीदी ने मुझे अपने से दूर किया और मेरे सारे कपड़े उतार दिए.

मेरा लंड देख कर दीदी को ऐसी खुशी हुई, जैसे एक बच्चे को कोई खिलौना मिल गया.
दीदी ने जल्दी से अपना मुँह खोला और लॉलीपॉप चूसने लगीं.

भगवान कसम … दीदी ने मेरी गर्लफ्रेंड को पीछे छोड़ दिया और सिर्फ़ एक मिनट में मेरे लंड ने अपना रस छोड़ दिया.
लेकिन दीदी ने उसे वेस्ट नहीं जाने दिया और सारा का सारा रस पी गईं, जिसका स्वाद उन्हें बड़ा पसंद आया.

ये सब होने के बाद हमने कुछ देर रेस्ट किया और फिर से शुरू हो गए.

इस बार जब तक मैं बड़ी दीदी की चूत पर पहुंचा, दीदी की हालत खराब थी और मेरा लंड 90 डिग्री का कोण बना रहा था.
लेकिन जल्दी कुछ खराब ना कर दे, ये सोच कर मैंने पहले आराम से दीदी की चूत को पैंटी के ऊपर से चूसा और फिर वो नज़ारा देखने के लिए धीरे से पैंटी को नीचे किया, जिसका इन्तजार मैं 3 दिन से कर रहा था.

पैंटी नीचे करते ही ख़ज़ाना मेरे सामने था.
जैसा मेरा अनुमान था, हल्की हल्की झांटें और हल्का गहरापन लिए दीदी की चूत भी मेरे लंड का इंतज़ार कर रही थी.

दीदी की चूत को उंगली से खोला तो अन्दर से लालिमा नज़र आई और मैं उसे किस करने झुक गया.

चूत को किस करते ही दीदी ने मेरे सर ऊपर नहीं आने दिया और मैंने अपनी जीभ से उसको चाटना शुरू कर दिया.
जल्दी ही एक बूँद, दो बूँद करते करते दीदी की चूत से झरना फूट गया, जिसे मैं आराम से पी गया.

बड़ा अच्छा टेस्ट था.
अब दीदी तैयार थीं चूतभेदन के लिए … और मैं अपना भाला लिए.

पहले पारंपरिक स्टाइल में करना मुझे ठीक लगा तो मैंने दीदी को बेड पर लेटने को कहा और उनकी टांगें अपने कंधे पर रख लीं.
धीरे धीरे मेरा लंड उनकी चूत को किस करने जा रहा था.

जैसे ही पहली बार मैंने लंड चूत पर लगाया, दीदी के शरीर की झनझनाहट महसूस की.
कुछ सेकेंड्स के लिए अपने लंड चूत के मुँह पर रगड़ा, तो दीदी के चेहरे पर झुंझलाहट नज़र आई और उन्होंने मेरे चूतड़ पकड़ कर मुझे अपनी ओर खींचा.

ऐसा करते ही मेरा लंड उनकी प्यारी सी चूत में घुस गया.
अब दरवाजे से अन्दर घुस गया तो पूरी सराय देखना ही है, यही सोच कर दो तीन धक्के लगाए और लंड चूत में फिट कर दिया.
इधर दीदी ने अपने होंठ काट लिए और बगैर चूत पर ज़्यादा दबाव डाले, मैंने उनकी चूचियों पर किस करना शुरू कर दिया. अब मैं उनके मम्मों को जोर जोर से पीने लगा.

कुछ सेकेंड्स के बाद दीदी ने कमर हिलाई, तो अहसास हुआ कि अब कार्यवाही आगे बढ़ सकती है, तो शुरू शुरू में धीरे धक्के देना शुरू किए.
उसका जवाब दीदी ने नीचे से धक्के लगाकर दिया.

फिर मैंने अपनी पैसेंजर ट्रेन को शताब्दी बनाया और स्पीड पकड़ी.
कुछ देर सीधा ठोकने के बाद मैंने दीदी को घोड़ी बनाया और पीछे से डाला.

इस पोज़ में उनकी चूत देख कर मेरी आह निकल गयी.
क्या मखमली गांड थी मेरे सामने.

गांड के छेद में उंगली घुसाई तो वॉर्निंग मिली कि इस छेद पर सिर्फ़ उनका हक़ है, वो किसी को ना मिला है और ना मिलेगा. मुझे सिर्फ़ आगे वाले छेद पर फोकस करना था.

मैंने अपनी स्पीड बढ़ाई और कुछ देर में ही मेरे घोड़े ने सांस लेनी शुरू की.

तो मैंने दीदी से पूछा कि मलाई कहां टपका दूँ?
उन्होंने कहा- अन्दर ही टपका दे!

बस 10-12 धक्कों में ही दीदी और मैं एक साथ ढेर हो गए और बेड पर पड़कर ज़ोर ज़ोर से सांस लेने लगे.
कुछ देर आराम करके हम दोनों का फिर से मूड बन गया तो एक जल्दी वाला राउंड खेल कर हमने सब साफ सफाई की और मार्केट निकल पड़े.

उसके बाद हर दूसरे दिन हमने घर को संभाला.
जब तक कि उनके जाने का टाइम नहीं हो गया.

फिर एक बार मैंने उन्हें उनकी ससुराल में भी चोदा.
लेकिन उसके बाद वो प्रेगनेन्ट हो गईं और धीरे धीरे बिज़ी भी.
 

junglecouple1984

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मौसी की चूत की महक ने गर्म किया



दोस्तो, अभी मेरी सगी मौसी की उम्र कुछ 47 साल की होगी और तब उनकी उम्र शायद 44 या 45 की थी जब मैंने उन्हें पहली बार चोदा था.

मुझे हमेशा उन पर एक सेक्स आकर्षण था और मैं सोचता था कि एक ना एक दिन मैं उन्हें ज़रूर चोदूंगा.

उनकी शादी के कुछ समय बाद ही उनका तलाक भी हो चुका था क्योंकि उनके पति का कोई और लड़की के साथ शारीरिक संबंध था.

वो थोड़ी मोटी हैं लेकिन बहुत गोरी हैं. लम्बे बाल और चुचे भी बड़े बड़े हैं. लेकिन मुझे फिगर के साईज़ का सही से कोई अंदाज़ा नहीं है.
उनका एक बेटा था लेकिन वो अपने पिता के पास रहता था और कभी कभी मौसी से घर पर आकर अपनी मां से मिला करता है.

मैं मौसी के पास रहता हूँ और वो मुझे अपने बेटे से भी ज़्यादा प्यार करती हैं. मैं उनसे जो भी मांगू, वो मुझे लाकर देती हैं.
वो बहुत अमीर भी हैं क्योंकि उनके तलाक के कारण उन्हें एक मोटी रकम मिली थी.
गांव में उनका एक शानदार घर भी है जो उन्होंने किराए पर दिया हुआ है.

मैं नहीं जानता कि उन्हें सेक्स में ज्यादा रूचि है कि नहीं.
मैं हर रोज़ रात में अपने रूम में सोने से पहले उनके दिए हुए लैपटॉप में ब्लूफिल्म देखता रहता हूँ.

मस्त चुदाई वाली फिल्म देख कर मुठ मारना और फिल्मों में चुदाई के तरह तरह से आसन देखना मुझे बहुत अच्छा लगता है.
मेरे रूम से जो बाथरूम है, वो उनके रूम से भी जुड़ा हुआ है और बाथरूम में दो दरवाज़े हैं.

जब भी कोई भी बाथरूम में जाएगा, वो अन्दर से दोनों दरवाज़े लॉक करेगा, तभी बाथरूम यूज करेगा.
मैं रात को बाथरूम में जाकर उनकी पैंटी में अपना लंड रगड़ कर अपना रस उनकी पैंटी से पौंछता हूँ.
यह मैं हर दिन, रात को सोने से पहले पैंटी सेक्स करता हूँ और कभी कभार अगर उनकी पैंटी नहीं मिले, तो मैं बाथरूम में ही वीर्य गिरा देता हूँ.

फिर एक दिन अचानक से मौसी का पैंटी रखना बंद हो गया और उनके स्वाभाव में भी बदलाव आ गया.
वो हमेशा मुझसे गुस्से से बात करने लगीं.

करीब दो हफ्ते बाद जब मौसी मुझे सुबह उठाने आईं तो मैं उठ गया और उनकी तरफ देखे बिना मैं फ्रेश होने चला गया.

किचन के पास डाइनिंग टेबल पर गया तो देखा कि उनका मूड कुछ अलग किस्म का था.
यह मूड पिछले दो हफ्तों में आज मुझे बदला हुआ लग रहा था.
वो मुस्कुरा कर बात कर रही थीं.

नाश्ता करते करते हम दोनों इधर उधर की बातें कर रहे थे.
हमारी ये बातें पढ़ाई के बारे में और उनके मिलने वालों के बारे में थीं और उनकी पार्टी वगैरह की बातें भी हो रही थीं.

फिर उन्होंने पूछा- बेटा आज रविवार है. आज क्या तेरी कहीं पर ट्यूशन है?
मैं- नहीं मौसी, आज कहीं पर ट्यूशन नहीं है … क्यों?

मौसी- नहीं, मैं सोच रही थी कि अगर आज हम लंच बाहर करें और कहीं पर घूमने चलें तो कैसा होगा … क्योंकि मैं बहुत बोर हो रही हूँ. फिर हम शाम को फिल्म देखते हुए घर पर लौटेंगे.
मैं- ठीक है, मौसी मैं तैयार हो जाता हूँ और आप भी तैयार हो जाइए.
मौसी- ठीक है बेटा.

फिर हम लोग एक मॉल में गए. वहां पर मौसी ने कुछ शॉपिंग की.
मुझे कंप्यूटर गेम्स का बहुत शौक था तो उन्होंने मुझे 4 गेम्स खरीद कर दिए.

फिर हम दोनों ने मॉल में पिज़्ज़ा खाया और फिल्म देखने हॉल में घुसे तो फिल्म शुरू होने में अभी भी 20 मिनट बाकी थे.
हम बातचीत करने लगे.

तभी अचानक से मौसी ने कहा कि बेटा एक बात पूंछू … सच सच बताएगा?
मैं- हां मौसी पूछो ना.

मौसी- तू मेरी पैंटी से हर रात को खेलता था ना?
उनकी बात सुनकर मैं बहुत डर गया और एसी में बैठकर भी मुझे पसीना आने लगा.

उन्होंने कहा कि बेटा रिलॅक्स हो जा और सच सच बोल दे, मैं कुछ नहीं कहूँगी.
मैं- वो मौसी … हां मैं वो पैंटी सेक्स करता था.

मौसी- क्या करता था?
मैं- मैं वो मुठ मारा करता था … लैपटॉप में ब्लू फिल्म देखने के बाद. मौसी मुझे माफ़ कर दो प्लीज और मैं अब कभी भी नहीं करूंगा. मुझे बस एक बार माफ़ कर दो … मौसी प्लीज़ गुस्सा मत होना.

मौसी- अरे बेटा रिलॅक्स … कोई बात नहीं, मैं भी कभी कभी रात को चूत में उंगली करती हूँ. यह तो सभी करते हैं, इसमें गुस्सा होने की क्या बात है?

मुझे उनके मुँह से चुत में उंगली करने की बात इतनी आसानी से कह देने पर जरा आश्चर्य हुआ.
पर मैंने कुछ भी रिएक्ट नहीं किया.

मैं- थैंक्स मौसी … सही में आप बहुत अच्छी हो मौसी.
मौसी- चल ठीक है बेटा.

फिर मैंने ये बहुत अच्छा मौका समझा कि उन्हें आसानी से पटाया जा सकता है और उनकी चुदाई की जुगाड़ सैट की जा सकती है.

फिल्म शुरू होने के बाद मैं जानबूझ कर उन्हें दिखा दिखा कर अपने लंड को सहलाने और दबाने लगा.
मौसी भी मुझे तिरछी नजरों से बार बार देख रही थीं.

कुछ देर बाद मैं बिंदास लंड बाहर निकाल कर उसकी मुठ मारने लगा.
मौसी मेरे लंड को देखने लगीं.

करीब दस मिनट के बाद मैं झड़ने वाला था तो मैंने मौसी से कहा- मौसी मैं टॉयलेट होकर आता हूँ.

मौसी- क्यों, थोड़ी देर और रुक जा ना … इंटरवेल के बाद में जाना.
मैं- नहीं मौसी, मुझे अभी जाना है.

मौसी ने मेरा हाथ पकड़ कर बैठा लिया और कहने लगीं.
मौसी- क्यों बेटा अगर इतनी जल्दी है तो पैंटी उतार कर दूं क्या?

मैं उनकी बात सुनकर डर गया और मौसी से बोला- नहीं मौसी ऐसी कोई बात नहीं है.
उन्होंने कहा- कोई बात नहीं, चल मैं भी चलती हूँ तुम्हारे साथ.

फिर वो बाहर आईं और मुझसे बोलीं- तू यहीं पर रुक बेटा, मैं लेडिज टॉयलेट में जाकर पैंटी उतार कर लाती हूँ.

मैं- क्या सच में मौसी आप मुझे पैंटी लाकर दोगी?
मौसी- हां रुक, मैं लाती हूँ.

फिर वो अन्दर गईं और मैं टेंशन फ्री हो गया था.
मौसी बाहर आईं और उन्होंने मेरे हाथ में चुपके से अपनी पैंटी को पकड़ा दिया.

फिर मैं अन्दर गया तो मैंने देखा कि उनकी पैंटी थोड़ी भीगी हुई थी.
मैं समझ गया कि वो भी गर्म हैं.

उनकी पैंटी पर मैंने अपना वीर्य डाल दिया और बाहर आकर चुपके से मौसी को पैंटी वापस दे दी.

मैंने सोचा कि वो अपने बैग में रख लेंगी लेकिन वो अन्दर टॉयलेट में जाकर पहन कर वापस आ गईं और मुझसे बोलीं- मैंने पहन ली है.

मैं इस बात से और भी ज्यादा उत्तेजित हो गया.

उन्होंने मुझसे कहा- तूने तो पूरा गीला कर दिया.

तभी मैं हंस दिया और कहा- मौसी मैं एक बात बोलूं तो आप बुरा तो नहीं मानोगी ना?
मौसी- अरे नहीं बिल्कुल नहीं … बेझिझक बोल दे.

मैं- मौसी, आपने कहा कि आप भी कभी कभी चूत में उंगली करती हो … तो आप भी मेरी अंडरवियर में वो सब कुछ कर लिया करो न!
मौसी- वाह बेटा … तू तो सच में बड़ा हो गया. लेकिन मैं वो सब नहीं करूंगी. मैं तेरी मौसी हूँ, यह नहीं हो सकता.

मैं- लेकिन क्यों मौसी, अगर मैं कर सकता हूँ तो आप क्यों नहीं?
मौसी- चल ठीक है लेकिन तेरी मम्मी, पापा या किसी और को भी इस बारे में पता नहीं लगना चाहिए … ठीक है?
मैं- चलो ठीक है मौसी.

फिर हम दोनों फिल्म देखकर घर वापस आए और रात का खाना बाहर से मंगवा लिया.
खाना के बाद जब रात को सोने जा रहा था तो मैंने मौसी से उनकी पैंटी मांगी.

उन्होंने मुझे अपनी पैंटी के साथ ब्रा भी देकर कहा- पैंटी में तो तू कर चुका है, मेरी ब्रा क्यों बाकी रहे?
मैं उन्हीं के सामने उनकी ब्रा को सूंघने लगा तो वो शर्मा कर चली गईं.

थोड़ी देर बाद उन्होंने मेरे रूम में नॉक किया, तब मैं उनकी ब्रा को अपने लंड पर रगड़ रहा था.
मैंने तुरंत टावल पहना और दरवाज़ा खोला तो देखा कि वो नाईटी में हैं और मेरी तरफ वासना से देख रही हैं.

मौसी ने कहा- मुझे अपना अंडरवियर दे दो, मुझे कुछ काम है.
मैंने कहा- काम अच्छे से करना मौसी.

वो हंसने लगीं और मेरा अंडरवियर लेकर चली गईं.

कुछ दिन ऐसे ही बीत गए.
मैं भी हर रोज़ कम से कम दिन में दो बार उनसे उनकी पैंटी और ब्रा मांगता और वो उठाकर दे देतीं.

वो रात को मेरे रूम से मेरा अंडरवियर ले जातीं. कभी कभी तो वो कहीं बाहर जाने से पहले भी अपना रस मेरे अंडरवियर में डाल देतीं और मुझे देकर चली जातीं.

कभी कभी में स्कूल जाने से पहले मैं उनसे अपना अंडरवियर मांगता और पहन लेता था जो हमेशा गीला रहता था.
मैं उन्हें कह देता कि मौसी मुझे गीली अंडरवियर पहनने की आदत हो गयी है.
उन्होंने कहा- हां मुझे भी.

फिर एक दिन लंच टाईम पर मैंने उनसे कहा- मौसी, एक बात कहूँ अगर आप बुरा ना मानो तो?
मौसी- हां बोल ना?

मैं- मौसी वो मुझे आपको देखना है।
मौसी- तो देख ना, मैं तो तेरे सामने ही बैठी हूँ और इस बुड्ढी को देखकर क्या करेगा?

मैं- नहीं मौसी, आप मुझे बुड्ढी नहीं लगतीं बल्कि सेक्सी लगती हो. मुझे आपकी खुशबू बहुत पसंद है, जो पैंटी में सूंघता हूँ. वैसे भी मुझे आपको सू सू करते हुए देखना है.
मौसी- नहीं … यह नहीं हो सकता है.

मैं- नहीं मौसी, सच में मुझे देखना है … प्लीज.
मौसी- ठीक है, फिर कल सुबह देख लेना, मैं दरवाज़ा खुला छोड़ दूँगी.
मैं- आपको बहुत बहुत थैंक्स मौसी.

मौसी- फिर मैं भी तुझे जो कहूँगी, वो करना पड़ेगा … सोच ले.
मैं- आपके लिए कुछ भी करूंगा मौसी.

मौसी- ठीक है … शुभ रात्रि.
फिर हम सोने चले गए.

सुबह मैं जल्दी जाग गया और देखा कि बाथरूम का दरवाज़ा खुला है तो मैं दौड़ कर गया और देखा कि मौसी अपना लोवर उतार रही थीं.
उन्होंने मुझे देखा और कहा- बेटा उठ गया … चल आ जा.
मैं उन्हें देख कर मुस्कुरा दिया.

वो टॉयलेट कमोड पर बैठ गईं और मूतने लगीं.
मैं झुककर उनकी झांटों से भरी हुई चूत को देखता रहा. मैं और पास में जाकर देखने लगा और सूंघने लगा.

उन्होंने कहा- क्या कर रहा है, यह गंदी चीज़ है.
मैंने कहा- नहीं, मुझे यह बहुत अच्छी लगती है.

उन्होंने कहा- बेटा मेरी पैंटी रखी हुई है, तू उसे ले जा सकता है.
मैंने कहा- मौसी में इधर ही मुठ मार लूँ?
उन्होंने कहा- हां.

मैं तुरंत पैंट उतार कर उनकी पैंटी को सूंघने लगा और चाटने लगा.
वो हैरान होकर मुझे पैंटी सेक्स करते देखती रहीं.

मैं उनकी पैंटी में अपना लंड रगड़ रहा था और वो देख रही थीं.

फिर वो अचानक से खड़ी हो गईं.
तो मैंने कहा- मौसी, मुझे आपकी गांड को देखकर झड़ना है. प्लीज़ आप ऐसे ही रहिए.
उन्होंने कहा- ठीक है, जरा जल्दी कर.

मैं जब झड़ने वाला था तो उनकी गांड में अपना लंड सटा कर उनके छेद के बाहर ही झड़ गया.

उन्होंने मेरा वीर्य अपनी गांड और चूत पर मल लिया और ऊपर से पैंटी पहन ली.
फिर वो मेरे लंड को दबा कर बाहर चली गईं.

उसके बाद मैं और मौसी एक दूसरे के सामने नंगे ही रहने लगे लेकिन दोस्तो, मौसी ने मुझे अभी तक चुदाई नहीं करने दी.
 

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ठरकी बुआ की मस्त चुदाई




फ्रेंड्स, मेरा नाम सन्नी है और मेरी उम्र 21 साल है.
मैं एक हेयरड्रेसर हूँ.

मेरी एक बुआ हैं, जिनका नाम सीमा है. वो 36 इंच के मम्मों वाली 45 साल की मस्त सेक्सी शादीशुदा औरत हैं.

ये सेक्सी बुआ चुदाई कहानी करीब 3 साल पहले की है जब मैं हेयरड्रेसर का कोर्स सीख रहा था.
उस समय मुझे सिर्फ़ थ्रेडिंग करना ही बहुत अच्छे तरीके से आता था.

मेरे घर में जितनी भी महिलाएं हैं, उन सबकी आइब्रोज भी मैं ही बनाता था.
इसी कारण से वो कहीं बाहर पार्लर में अपनी आइब्रोज बनवाने नहीं जाया करती थीं.
अगर कहीं पार्लर चली भी गईं, तो आईब्रो के अलावा बाकी का काम वैक्सिंग फेशियल आदि करवाने ही जाती थीं.

इसी कारण से मेरी बुआ जी को भी मेरे ही हाथों से अपनी आइब्रोज थ्रेडिंग और फुल फेस थ्रेडिंग करवाना पसंद था.

मेरी बुआ जी का हमारे घर से कोई 5 किलोमीटर दूर है.
जब मैं शाम को अपनी क्लास पूरी करके घर आया, तो मेरी बुआ जी का मुझे कॉल आया.

बुआ जी- हैलो सन्नी बेटा.
मैं- हां बुआ जी, बोलिए?

बुआ जी- क्या तुम अभी अर्जेंट मेरे घर में आ सकते हो?
मैं- हां बुआ जी, क्या हुआ?

बुआ जी- बेटा बात यह है कि कल मुझे अपनी फ्रेंड के यहां शादी में जाना है. मेरी आइब्रोज की ग्रोथ काफ़ी बढ़ गई है. मुझे आइब्रोज बनवाना था.
मैं- ओके बुआ जी, मैं आता हूँ.

फिर मैंने कॉल कट किया और फ्रेश होकर अपने गाड़ी से बुआ जी के घर के लिए निकल गया.

कुछ ही देर में मैं अपनी बुआ जी के घर पहुंच गया.
मैंने डोरबेल बजाई.

थोड़ी देर में बुआ जी ने दरवाजा खोला.
मैं तो बस बुआ जी को देखता ही रह गया.

क्या मस्त लग रही थीं उस दिन बुआ जी.
उन्होंने पिंक कलर का बेबीडॉल वाला हाफ गाउन भी पहन रखा था जिसमें उनके बूब्स गांड और बगलों के बाल साफ साफ दिख रहे थे.
शायद उन्होंने अन्दर ब्रा और पैंटी भी नहीं पहनी थी.

उनके घर में उस दिन कोई भी नहीं था.

मुझे देखते ही बुआ जी ने मुझे गले से लगाया और मैं उनके बूब्स को अपने छाती में महसूस करने लगा था.

फिर हम दोनों अन्दर गए.
हमारे बीच यहां-वहां की बातें शुरू हो गईं.

कुछ देर बाद बुआ जी ने कहा- चलो अभी थ्रेडिंग करना स्टार्ट करते हैं.
बुआ जी मुझे अपने रूम में लेकर गईं और वहां वो चेयर में बैठ गईं.

मैंने अपना बैग खोला और उसमें से टेल्कम पाउडर निकाला. बुआ जी की आइब्रोज में पाउडर लगाया और उनकी थ्रेडिंग करना शुरू कर दिया.
फ़िर मैंने बुआ जी से उनकी आइब्रोज को स्ट्रेच करने के लिए कहा, तो उन्होंने वैसा ही किया.
इससे उनके दोनों हाथ ऊपर हो गए. इस वजह से उनकी बगलों के बाल और उनके बूब्स साफ़ दिख रहे थे.

मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया और शायद उन्होंने इस बात को नोटिस कर लिया था.
उसके बाद वो जानबूझ कर गर्मी का बहाना करके अपने मम्मे दिखा रही थीं और मेरी पैंट में खड़े लंड को देख रही थीं.

बातों ही बातों में उनकी आइब्रोज बन कर तैयार हो गईं.
उनकी आइब्रोज बन जाने के बाद उनका चेहरा काफ़ी सेक्सी लग रहा था.

उन्होंने कहा- सन्नी बेटा जरा अपर लिप्स भी थ्रेडिंग कर दो न प्लीज़!
मैंने हां कहकर काम चालू कर दिया.

बुआ मुझसे बात कर रही थीं और मुझे बुआ के मुँह से बास भी आ रही थी.
हालांकि मैंने उन्हें इस बारे में कुछ नहीं कहा, क्योंकि मुझे लगा कि वो शायद मेरी इस बात से बुरा मान जाएंगी.

कुछ ही देर में उनके अपर लिप्स भी बन गए.
अब बुआ जी बोलीं- सन्नी बेटा, मैं कल शादी में हाफ़ ब्लाउज और साड़ी पहन कर जाऊंगी. मेरे बगल के बाल भी काफ़ी बढ़ गए हैं, तो इन्हें भी निकाल दो प्लीज़.

मैंने हां कह कर अपने बैग से शेविंग किट निकाली और उनकी बगल में क्रीम लगाना शुरू किया.
बगल में से भी बहुत गंदी बदबू आ रही थी.

मैंने जैसे तैसे करके बगल की शेविंग कर दी. अब मुझे उनकी बगलें और चेहरा पूरा चिकना लगने लगा था.
मेरा लंड अभी भी खड़ा ही था.

ये सब देखकर बुआ जी ने मौके का फायदा उठाया और कहा- बेटा एक बात कहूँ, बुरा तो नहीं मानेगा न!
मैंने कहा- नहीं बुआ जी, आप कहिए!

बुआ जी- सन्नी प्लीज़ मेरी जाँघों के बाल भी निकाल दो प्लीज़.
इतना कह कर उन्होंने अपने गाउन को ऊपर कर दिया और मुझे अपनी चूत दिखा दी.
पहले तो मैं सन्न रह गया कि बुआ मुझे अपनी चूत दिखा रही हैं.

वो बोलीं- क्या हुआ सन्नी, क्या तू अपने प्रोफेशन में चूत के बाल नहीं साफ़ करता है?
मैंने कहा- नहीं बुआ, अभी मुझे किसी ने ऐसा काम करने के लिए नहीं कहा.

बुआ हंसी और बोलीं- अरे तू तो इतना चिकना लौंडा है … तेरे हाथ से तो लड़कियां और औरतें बड़े मजे से अपनी झांटें बनवाएंगी.

मैं समझ गया कि बुआ की चूत में चुल्ल होने लगी है.
मेरा लंड भी फुंफकार मार रहा था.

बुआ के चुचों ने मुझे पहले से ही गर्म कर दिया था और अब तो उनकी चूत को ही नंगी देख लिया था.

बुआ अपनी चूत सहलाती हुई बोलीं- मेरी झांटें बना कर अपनी प्रेक्टिस कर ले!
मैंने लंड सहलाते हुए बुआ को देखा और कहा- मेरा पहली बार है न बुआ, तो मुझे कुछ अजीब सा लग रहा है.

बुआ मेरे लंड को देखती हुई बोलीं- हां, वो तो तेरा हथियार बता रहा है कि उससे रहा नहीं जा रहा है. चल आजा, तू पहले मेरी झांटें तो साफ़ कर. फिर तेरे हथियार का भी कुछ देखती हूँ.

मुझसे भी रहा नहीं गया, मैंने तुरंत ही बुआ जी को गोद में उठाया और उन्हें बेड पर लिटा दिया.

उनके गाउन को मैंने ऊपर कर दिया और शेविंग करना शुरू कर दिया.
उनकी झांटें साफ़ करने के बाद अब बुआ जी की सेक्सी चूत मेरे सामने थी और पूरी क्लीन चकाचक थी.

उनकी झांटें साफ़ करने के बाद बुआ जी की सेक्सी चूत मेरे सामने थी और पूरी क्लीन चकाचक थी.
मुझसे रहा नहीं गया और मैं ‘आय एम सॉरी बुआ …’ कहते हुए उनके ऊपर चढ़ गया.

मैं अपना मुँह उनके मुँह में डालते हुए किस करने लगा.
उनके मुँह से बदबू भी आ रही थी तो मैंने जल्द ही अपना मुँह हटा दिया.

मैंने लंड निकाला और थोड़ा थूक लगा कर बुआ जी की चूत में पेल दिया.

एकदम से लंड पेला तो बुआ जी चीख उठीं और बोलीं- साले ठरकी … इतनी ज़ोर से भी कोई चूत में लंड डालता है क्या … थोड़ा आराम से चोद साले कमीने!
मैं हंस दिया मगर लंड पेले पड़ा रहा.

वो कराहने लगीं और मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं.

मैंने उनकी एक चूची को अपने मुँह में दबाया और निप्पल पकड़ कर खींचा.
उससे वो फिर से उन्ह आंह करने लगीं.

मैंने लंड फंसाए हुए ही बुआ के दूध चूसना शुरू कर दिए.
मैं बारी बारी से दोनों मम्मों के निप्पलों को अपने होंठों से पकड़ कर खींचता और छोड़ देता.

बुआ जी कुछ ही देर में लंड से होने वाले दर्द से निजात पा गईं और कमर हिलाने लगीं.
मैंने ये देखा, तो फिर से लंड को दाब दे दी.
मेरा लंड चूत में और अन्दर सरक गया.

बुआ कसमसाईं और बोलीं- ज़रा रुक कर ले … आह मेरी बहुत दिनों से चुदाई नहीं हुई है.
मगर अब मैंने उनकी एक नहीं सुनी और उन्हें चोदता रहा.
धीरे धीरे करके मेरा लंड चूत में सटासट चलने लगा और बुआ को भी मजा आने लगा.

वो भी नीचे से गांड उठा उठा कर लंड से टक्कर लेने लगीं.
कुछ ही देर में न जाने कैसे, बुआ जी की चूत से खून निकलने लगा और सफेद पानी भी निकल गया.

वो झड़ गयी थीं तो वो मुझे हटाने लगीं.
अब तक मेरी ठरक कुछ हद तक कम हो चुकी थी लेकिन लंड अभी भी तनतना रहा था.

मैंने भी हार नहीं मानी और बुआ जी को उठा कर पेट के बल लिटा दिया.
मैंने उनसे डॉगी स्टाइल में होने को कहा.

अब वो भी मेरा पूरा सहयोग कर रही थीं.
मैंने बुआजी की गांड में थप्पड़ मार मार कर उसे लाल कर दिया.

बुआ जी आह आह कर रही थीं और कह रही थीं कि चमाट मत मार साले, गड़बड़ हो जाएगी.
मैंने उनकी एक न सुनी और अपनी धुन में लगा रहा.

मैंने अपने लंड का सुपारा बुआ जी की गांड में सैट किया और अपना बड़ा लंड बुआ जी की गांड में तेज़ी से पेल दिया.
वो चिल्ला दीं- उई मादरचोद … आह साले … मेरी गांड फाड़ दी भैन के लंड!

मैंने और तेज रफ़्तार से उनकी गांड मारना चालू कर दिया.
वो कराहने लगीं मगर मैंने एक बात महसूस की कि बुआ गांड मराने में उतना नहीं चिल्ला रही थीं, जितना चूत में लंड लेने में चिल्लाई थीं.
शायद वो अपनी गांड में कुछ न कुछ डालती रहती थीं.

कुछ ही देर में मैं झड़ने ही वाला था.
वो भी समझ गई थीं.

दस बारह झटके मारकर मैं उनकी गांड में ही झड़ गया.
मैंने बुआजी की गांड से अपना लंड निक़ाला, तो देखा कि मेरा लंड उनके गू से सना हुआ है.
ये देख कर मुझे गुस्सा आ गया और मैं बुआ जी के ऊपर चिल्लाने लगा.

इतने में बुआजी ने मुझसे कहा- तुमने मेरी गांड के ऊपर इतनी ज़ोर से थप्पड़ मारे कि मुझे संडास आ गई थी. मैं तुम्हें मना भी कर रही थी, मगर तुमने मेरी एक न सुनी और गांड मारने में लगे रहे.

मैंने एक कपड़े से लंड पौंछा और बुआ के बाल पकड़ कर उन्हें झुका दिया.
बुआ हंसने लगीं और मुझे रूकने का कहने लगीं.

मैंने उनके बाल पकड़ कर अपना लंड उनके मुँह में डाल दिया और चुसवाने लगा.
वो लंड निकालने की कोशिश करने लगीं मगर मैंने उनके मुँह को ही पेलना चालू कर दिया और कुछ ही देर में मैं फिर से उनके मुँह के अन्दर झड़ गया.

बुआ जी मुझसे छूट कर बाथरूम में चली गईं और फ्रेश होकर आईं.
वो मुझसे कहने लगीं- सन्नी बेटा, मेरी प्यास बुझाने के लिए थैंक्यू. तुम्हारे फूफा जी का तो अब उठता भी नहीं है. न जाने कबसे, मैं लंड की भूखी थी.

मैंने बुआ से कहा- अरे बुआ, मुझे पता ही नहीं था कि आपको लंड नहीं मिलता है. अब आप फ़िक्र मत करना. अब मैं आपकी हर बार चुदाई करूंगा. बस, आप मुझे फोन कर दिया करना.
बुआ जी ने मुझे सीने से चिपका लिया.

मैंने उसके कान में कहा- बुआ, आपकी चूत चुदाई से ज्यादा मजा गांड मारने में आया.
वो हंस दीं और बोलीं- हां, तेरे फूफा जी को बैकडोर ज्यादा पसंद आता था.

उसके बाद से सीमा बुआ जी मेरे साथ बहुत मस्ती से पेश आने लगी हैं.
मैंने भी उनका नाम सीमा ठरकी रख दिया है.

अब जब भी मुझे मौका मिलता है … या बुआ फोन करती हैं.
मैं सीमा ठरकी की चुदाई बड़े इत्मीनान से करके आ जाता हूँ.
 

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भाभी की चुदास मेरे लंड से मिटी



दोस्तो, मेरा नाम काशिफ़ है.

मेरी भाभी का नाम लैला है. वो 24 साल की है. उसकी शादी को 3 साल हुए हैं.

भाभी जान सेक्स कहानी इन्हीं लैला भाभी जान की है.

पहले मैं अपनी भाभी को बहन की नज़र से देखता था.
मेरा उसके साथ करीब दो साल तक ऐसा ही चलता रहा.

मैं और भाभी आपस में बहुत हंसी मज़ाक करते रहते थे. मैं उसके काम में हाथ बंटा देता था, जैसे झाड़ू लगाना, कपड़े धोने आदि मैं उसकी मदद कर देता था.
जब वो कपड़े धोती थी, मैं साइड में कुर्सी लगाकर बैठ उसके साथ हंसी मज़ाक किया करता था.

एक रविवार मैं को ग्यारह बजे तक सोया हुआ था.
अचानक भाभी जान आई और मुझे उठा कर बोली- उठो भाई, चलो कपड़े धुलवाने में मेरी मदद करो.
मैं उठा और फ्रेश होकर आ गया.

मैंने कहा- बताओ क्या करना है?
फिर उसने मुझे वॉशिंग मशीन के पास खड़ा रहने को कहा.

मैं खड़ा था और भाभी कपड़े धो रही थी.
अचानक से मेरी नज़र मेरी भाभी की सलवार पर गई. उसने सफ़ेद रंग की सलवार पहनी थी, वो बिल्कुल झीनी थी और पूरी गीली हो गई थी.
मैंने निगाहें हटा लीं.

फिर उसने कहा- थोड़ा हटो, मैं कपड़ों को सर्फ में भिगो रही हूँ.
मैं वहां से हट गया.

उसने अपनी कमीज़ को आगे से समेटा और कपड़ों को सर्फ में भिगोने लगी.
वो झुक कर कपड़े टब में रगड़ रही थी कि मेरी नज़र उसकी गांड पर जा पड़ी.

मैं हक्का-बक्का रह गया क्योंकि भाभी ने पैंटी नहीं पहनी थी और उसकी गांड एकदम साफ दिखाई दे रही थी.

मैंने सोचा कि ये अपनी भाभी जान है यार, नज़र हटा लेनी चाहिए.
मैं वहां से अन्दर चला गया.

भाभी ने अन्दर से आवाज़ दी तो मैं वहां चला गया.

मैंने बोला- क्या हुआ भाभीजान?
भाभी बोली- वॉशिंग मशीन का पानी निकाल दो यार … कहां भाग रहे हो?

मैं वहीं खड़ा हो गया.
भाभी उसी जगह उसी पोजीशन में कपड़े धो रही थी.
उसकी गांड गजब हिल रही थी और मेरा दिमाग खराब हो रहा था.

मैं फिर भी खड़ा रहा.

कुछ देर बाद भाभी थोड़ा पीछे को हो गई.
मेरी नज़र पुन: उसकी गांड पर जा पड़ी और इस बार मेरा लंड खड़ा हो गया.

वो पीछे से मुझसे बार बार टच हो रही थी.
मेरे दिमाग़ का संतुलन बिगड़ गया और मैंने धीरे से भाभी की गांड पर कोहनी की साइड से टच कर दिया.

भाभी का कोई रेस्पॉन्स नहीं मिला.

फिर मैंने अपना एक हाथ एकदम से उसकी गांड पर रख कर दबाया और झट से हटा लिया.
मेरे इस एक्शन से भाभी एकदम पलट कर मुझे देखने लगी.

मेरा दिल धक धक कर रहा था कि अब क्या होगा?
भाभी कुछ कहेगी?

मेरी बदहवासी देख कर भाभी ने पूछा- क्या हुआ, निकल गया पानी?
उसके इस डायलॉग से मैं सकपका गया कि भाभी ये क्या कह रही है … कौन सा पानी निकल गया.

फिर मैंने खुद को होश में लाते हुए बात को समझा कि भाभी वाशिंग मशीन के पानी निकलने की कह रही है.
मैंने कहा- बस थोड़ा सा समय और लगेगा.

भाभी बोली- ठीक है, तुम नहा लो, फिर मैं नहाऊंगी.
मैं नहाने लगा.

उस वक्त भाभी की गांड मेरी आंखों के सामने से नहीं हट रही थी.
मैंने बाथरूम में अन्दर आकर मुठ मार ली.
लंड ने कुछ ज्यादा ही पानी छोड़ा था.

अब मेरा मन बदलने लगा था.
मुझे अपनी भाभी में एक माल नजर आने लगा था.

कुछ देर बाद भाभी नहाने बाथरूम में गई थी तो मैं सोचने लगा कि भाभी की नहाते में वीडियो बनाई जाए.

मैंने इधर उधर देखा कि कोई है तो नहीं.
उस वक्त भाई दुकान गए थे, अम्मी अब्बू ऊपर थे.

मैं सीढ़ियों पर गया और बाथरूम की जाली से चुपके से वीडियो बनाने लगा.
कुछ मिनट तक मैंने मोबाइल में वीडियो बनाई और हट गया.

मैंने वीडियो को देखा तो भाभी के बोबे बहुत बड़े थे.
मैं उसके बोबे देख देख कर मैंने मुठ मारना चालू कर दी.

फिर तो मुझे भाभी की जवानी सताने लगी और मैंने न जाने कितनी ही बार भाभी की चूचियों को देख कर मुठ मारी.

मैं इसी बीच भाभी के बाथरूम में नहाते वक्त की कई बार वीडियो भी बनाता रहा.
मेरी नजरें भी अब भाभी के बदन को निहारने लगी थीं और मौका मिलते ही मैं उसके जिस्म से अपने हाथ टच कर देता था.

एक दिन मेरे भाई ने कहा- मेरा काम अब इंदौर से चलेगा. करीब तीन महीने तक मैं वहीं रहूँगा.
घर में सबके सामने इंदौर जाने का तय हुआ और भाई जान इंदौर चले गए.

उन्होंने भाभी को उसके मायके छोड़ दिया.
ऐसे दो महीने निकल गए.

फिर अम्मी अब्बू मुझे बोले- अपनी भाभी को उसके मायके से लिवा लाओ.
मैंने कहा- ठीक है.

भाभी का फोन आया- तुम आ रहे हो ना मुझे लेने?
मैंने कहा- हां भाभी, मैं आ रहा हूँ.

मैं वहां गया और उसको लेकर आ गया.
भाभी रास्ते में कहने लगी- काशिफ़, तेरे भाई जान को आने में अभी और टाइम लगेगा, वो नासिक चले गए हैं. मेरा तो मन ही नहीं लगेगा.

मैंने कहा- अब क्या करेंगी आप. उनको 2-4 दिन के लिए बुला लो.
भाभी बोलीं- वो नहीं मान रहे हैं. वो कह रहे हैं कि काम कंप्लीट करके ही आएंगे. उधर पैसे अच्छे मिल रहे हैं.
मैंने कहा- ठीक है भाभी, अब क्या कर सकते हैं.

फिर ऐसे ही हंसी मज़ाक करते हुए हम दोनों घर आ गए.

दूसरे दिन मेरे अम्मी अब्बू का अस्पताल जाने का तय था.
अम्मी को खुद का चैकअप करवाना था और अब्बू उन्हें साथ लेकर जा रहे थे.

अब्बू ने मुझसे कहा- हम दोनों बाहर जा रहे हैं. हॉस्पिटल में तुम्हारी अम्मी का चैकअप करवाना है. हमें कुछ दिन लगेंगे. क्या तुम भी साथ चलोगे?

मैंने कहा- नहीं, आप भाभी को ले जाओ.
भाभी बोलीं- मैं भी नहीं जा रही हूँ.
अम्मी बोलीं- कोई बात नहीं, तुम दोनों घर पर रहना.

अब्बू ने भी अम्मी की बात मान ली.

मैं उन दोनों को मैं बस में बिठा कर आ गया.

अब भाभी और मैं घर में अकेले रह गए थे.
हम दोनों अच्छे से रहने लगे.

भाभी और मैं मिल कर सारे काम करते, खाना आदि भी मिल कर बनाते.

अब भाभी मेरे साथ कुछ ज्यादा ही बिंदास रहने लगी थी.

एक दिन बाद मेरे दोस्त अचानक से मेरे घर आ गए.
मैं उनको देखकर बहुत खुश हो गया.

लेकिन वो सब घूमने के लिए मुझे ले जाने आए थे. मगर जब उन्हें जानकारी लगी कि मैं घूमने नहीं जा सकता हूँ तो एक दोस्त ने मुझसे कहा कि भाई अब 3 दिन तेरे साथ इधर ही रहेंगे.

मैं खुश हो गया और उनको बिठाकर अन्दर जाकर भाभी से कहा कि मेरे दोस्त आए हैं. वो सब 3 दिन तक यही रहेंगे.
इस भाभी कुछ नहीं बोली, उसका मुँह बन गया था

मैंने कहा- भाभी, क्या हुआ आप खुश नहीं हो क्या?
भाभी ने कहा- ऐसी बात नहीं है, लेकिन ऐसे किसी को यहां इतने दिन रखना ठीक नहीं है. उनको होटल में रहने का कह दो.

मैंने कहा- क्यों?
भाभी बोली- अच्छा छोड़ो रहने दो. तुम कुछ नहीं समझते. मैं चाय बनाती हूँ.

मैंने कहा- ठीक है.
भाभी बोली- कितने कप बनाना है?

मैंने कहा- छह कप.
मैं दोस्तों के पास बाहर चला आया.

कुछ देर में भाभी चाय लेकर बाहर आई.
सबने भाभी से नमस्ते की और हम सब साथ में बैठ कर चाय पीने लगे.

कुछ देर बाद सबने साथ में खाना खाया और सो गए.
अगले दिन भाभी अपने रात के कपड़ों में ही कपड़े धोने के लिए आ गई.

मैं वॉशिंग मशीन की आवाज़ सुनकर उठ गया और मैंने अपने दोस्तों को उठाया.
एक दोस्त शुभम नहीं उठ रहा था.
वो कहने लगा- सोने दे यार.
मैंने कहा- ठीक है.

फिर सब फ्रेश होकर आ गए.
मैंने कहा- तुम लोग घूमने जाओ. मैं और शुभम बाद में एक साथ आ जाएंगे.
वो लोग चले गए.

मैं भाभी के पास आया, तो भाभी उसी पोजीशन में खड़ी हुई थी. बल्कि आज उसकी गांड की दरार और भी ज्यादा कामुक लग रही थी. मेरा लंड खड़ा हो गया.
तभी शुभम उठ कर वहां आ गया.

उसने भी भाभी को ऐसे ही देख लिया.
मेरा लंड तो खड़ा ही था. मैं उसे देख रहा था.
शुभम की नज़र मेरी भाभी की गांड पर ही थी.

फिर शुभम ने कहा- मुझे फ्रेश होना है.
मैंने कहा- भाभी के साइड से निकल जा, बाथरूम उधर ही है.
वो साइड से निकलते हुए भाभी की गांड पर हाथ फेरता हुआ निकल गया.

भाभी एकदम से खड़ी हो गई और इधर उधर देखने लगी.
भाभी ने मुझे देखते हुए कहा- मैं शुभम भैया के लिए चाय बनाती हूँ.

ये कह कर वो किचन में चली गई.
फिर शुभम नहा कर आया और उसने कहा- मैं घूमने जा रहा हूँ.

मैंने कहा- रुक, मैं भी चलता हूँ.
उसने कहा- भाभी अकेली है घर पर, तू यहीं रुक!

भाभी ने कहा- हां सही है … आप जाओ शुभम भैया. मुझे इससे काम भी है.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.

वो चला गया. मैं भाभी की तरफ देखने लगा कि क्या काम है.
भाभी ने कुछ नहीं कहा, वो नहाने जा रही थी.

उसने मुझे मुस्कुरा कर देखा और बोली- मुझे छोड़ का किधर जा रहे थे?
मैं भी कुछ नहीं बोला बस ऊपर गया.

भाभी नहाने घुस गई और मैं उसकी नहाने की वीडियो बनाने लगा.
तभी मैंने सामने देखा, तो शुभम वहीं सड़क पर खड़ा था और सब देख रहा था.

उसे देख कर मैं हक्का बक्का रह गया.

शुभम अन्दर आया और मुझसे कहने लगा- बेटा, तूने तो भाभी का सब कुछ कई बार देख लिया होगा. अब मुझे भी देखने दे.
उसने मेरे हाथ से मोबाइल ले लिया और वीडियो देखने लगा.

मैंने घबराते हुए कहा- भाई किसी को मत बोलना प्लीज़.
उसने कहा- हां नहीं बोलूँगा यार, बस वीडियो पूरा देख लेने दे.

मैंने उसे भाभी को नहाते हुए वाली दो वीडियो और भी दिखाईं.
उसने कहा- आह ग़ज़ब की गांड और बोबे हैं तेरी भाभी के!

मैंने कहा- भाई अब किसी को बोलना मत!
शुभम ने कहा- कभी सवारी नहीं गांठी क्या?

मैंने कहा- अबे भोसड़ी के, मेरी हिम्मत ही नहीं होती और तू सवारी गांठने की बात कर रहा है.
अभी मैं और शुभम ये बात कर ही रहे थे कि भाभी नहा कर बाहर आ गई.

वो हम दोनों को देख कर बोली- क्या हुआ … गांठने की क्या बात हो रही है … और शुभम भाई आप घूमने नहीं गए?

मैंने घबरा कर कहा- वो बस जा ही रहा है भाभी.
शुभम ने कहा- हां भाभी, वो मुझे इससे कुछ पूछना था इसलिए वापस आ गया.

वो बाहर चला गया.
भाभी चली और उसने मेन दरवाजा बंद कर दिया.

वो चलती हुई मेरे पास आई और बोली- बहुत हुआ … अब मुझे ही कुछ करना पड़ेगा क्या?
मैंने भाभी को देखते हुए कहा- मतलब?

उसी पल भाभी ने अपनी नाइटी को उठाते हुए उसे अपने जिस्म से अलग कर दिया और अपनी चूचियां हिलाती हुई बोली- ले सामने से देख ले ना … वीडियो में क्या रखा है?
मैं घबरा गया और भाभी के सामने झुक कर माफ़ी मांगने लगा.

भाभी ने मुझे उठाया और अपने गले से लगा लिया.
मैं समझ नहीं पा रहा था कि भाभी क्या चाह रही है.

तभी भाभी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए और एक हाथ से मेरे लंड को टटोलती हुई बोली- तू शुरू से ही चूतिया है या अभी हो गया है?
मैं समझ गया कि भाभी का मूड चूत चुदाई का बन गया है.

मैंने भी उसे चूमते हुए कहा- मैं समझ नहीं पाया था भाभी कि आप क्या चाहती थीं.
भाभी- अब तो समझ गया है ना!

भाभी जान सेक्स का मजा चाहती थी तो बस हम दोनों गुत्थम गुत्था हो गए.
अगले कुछ ही पलों में मैंने खुद को नंगा कर दिया और भाभी को चोदने में लग गया.

कुछ देर बाद भाभी मेरे लंड पर कूद रही थी और अपने दूध मुझे चुसा रही थी.

वो बोली- आज अपने सारे दोस्तों को घर से दफा करो और उसके बाद मेरी जवानी की आग को ठंडी करो.
मैंने कहा- ठीक है भाभी.

मैंने भाभी की चुदाई का मजा लेने लगा और कुछ देर बाद हम दोनों संतुष्ट होकर अलग हो गए.

शाम को मैंने अपने दोस्तों से कह दिया कि मेरी अम्मी की तबियत खराब हो गई है और मुझे भाभी को लेकर शहर जाना है. प्लीज़ तुम लोग कहीं होटल में शिफ्ट हो जाओ.

वो सब चले गए.
उसके बाद जब तक अम्मी अब्बू नहीं आ गए, तब तक हम दोनों देवर भाभी ने खुल कर चुदाई का मजा लिया.

उसके बाद अभी भी मैं भाभी को हचक कर पेलता हूँ और वो मुझे खूब प्यार करती हैं.
 

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रंडी अम्मी और बहन की चूत चुदाई -1



हाय, मैं आपका दोस्त असलम. मैं फ्री सेक्स कहानी पर रेग्युलर कहानी पढ़ता हूँ. इधर की रसीली सेक्स कहानी पढ़ने के बाद मेरा भी मन हुआ कि मैं अपनी रंडी की चुदाई की कहानी आपके सामने पेश करूं.

दोस्तो, मैं पर्दानशीं परिवार से हूँ. आप तो जानते ही होंगे कि पर्दानशीं औरतें कितनी ज्यादा सेक्सी होती हैं. मेरी फैमिली में मेरी अम्मी अब्बू बहन और मैं हम चार ही हैं.

यह रंडी की चुदाई की कहानी मेरी अम्मी की चुदाई की है. मेरी अम्मी का नाम यास्मीन है. अम्मी की उम्र 41 साल है, लेकिन उनकी फिगर 34-32-36 को देख कर ऐसा लगता है कि अम्मी अभी 32 साल की ही हैं.

मेरी बहन सबीना 19 साल की है. उसका फिगर 32-26-34 का है. वो भी बड़ी हॉट है.

मेरे अब्बू की घर में ही मोबाइल की दुकान थी और हम जहां रह रहे थे, वहां की बस्ती में सभी जातियों के लोग रहते थे. अब्बू की मोबाइल दुकान काफी अच्छी चलती थी.

फिर एक दिन अब्बू को हार्ट अटैक आया और उस वजह से उनका इंतकाल हो गया. मैं तब पढ़ता था.

अब्बू के इंतकाल के बाद घर चलाने की जिम्मेदारी अम्मी पर आ गई. अब मेरी अम्मी अब्बू की दुकान पर बैठने लगी थीं. अब्बू की दुकान पर मोबाइल की बिक्री और रिचार्ज ही होता था, रिपेयरिंग का काम नहीं होता था. इसलिए अब मेरी अम्मी दुकान पर सिर्फ मोबाइल बेचने का काम करने लगी.

मैं भी स्कूल से आने के बाद अम्मी के साथ दुकान पर बैठने लगा था. लेकिन मेरा दुकान में कुछ खास ध्यान नहीं होता था. इस वजह से अम्मी मुझसे बोलती थीं कि बेटा तू अभी अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे.

जब से मेरी अम्मी दुकान पर बैठने लगी थीं, तब से हमारी दुकान और भी अच्छे से चलने लगी थी. सभी लोग हमारी दुकान से ही रिचार्ज करवाते.

अब मेरी अम्मी में भी बदलाव आने लगा था. अम्मी टाईट कपड़े पहन कर दुकान में बैठने लगी थीं. वो अब अक्सर लैंगिंग्स कुर्ती पहनने लगी थीं. उनकी इस तरह की ड्रेस में उनका सेक्सी जिस्म और भी उभर कर सामने दिखने लगा था. उनकी कुर्ती काफी खुले गले की होती थी, जिससे उनके मस्त चूचे साफ़ दिखते थे. वो कुर्ती के ऊपर दुपट्टा भी नहीं डालती थीं.

उनके अन्दर ये बदलाव देख कर मेरे मन में शंका होने लगी थी. लेकिन मैं अपनी अम्मी के बारे में कुछ भी गलत नहीं सोचता था. मैं उन्हें देख कर अपना सर झट देता कि ये मेरा वहम है, अम्मी एकदम पाक साफ़ हैं. मैं अपने दिल को ऐेसे ही समझा लेता और उनकी तरफ से कुछ भी ऊटपटांग सीचना बंद कर देता था.

फिर एक दिन मेरे स्कूल का एक दोस्त धीरज मुझसे बोला- असलम मुझे एक एड्रेस तो बता यार.
मैं धीरज से बोला- हां पूछ न!

उसने मुझे वो एड्रेस बताया, तो मैं सन्न रह गया. वो तो मेरे घर का अड्रेस था. मैं मन ही मन सोचने लगा कि यह मेरे घर का पता क्यों पूछ रहा है.

मैंने धीरज से पूछा- अरे तुझे इस एड्रेस पर क्या काम है?
तब धीरज मुस्कुराता हुआ बोला- इस पते पर एक रंडी रहती है, मुझे उसे चोदने जाना है.

उसके मुँह से मैंने ये सुना तो ऊपर से नीचे तक पूरा हिल गया. मैंने मन में सोचने लगा कि इसका मतलब ये हुआ कि या तो मेरी अम्मी या बहन को ही ये रंडी कह रहा है. उन दोनों में से कौन ऐसा हो सकता है.

मैंने धीरज को एड्रेस समझा दिया और उससे पूछा- तू कब जाएगा?
वो बोला- आज स्कूल के बाद जाऊंगा.

मैंने सोच लिया कि मैं भी चुपचाप घर जाऊंगा और देखूंगा कि मामला क्या है. स्कूल छूटने से कुछ पहले मैं अपने घर के लिए निकल गया और घर में बिना आहट किए, मैं अन्दर जाकर छिप गया.

मैंने अम्मी के कमरे के अन्दर झांकने की जगह देखना शुरू की, तो पीछे खिड़की का एक कांच जरा सा टूटा हुआ था. जिसमें से रूम का पूरा नजर देखा जा सकता था. अन्दर क्या बात होती, ये मैं साफ़ सुन भी सकता था.

तभी मैंने देखा कि अम्मी एक टाईट लैगी और कुर्ती पहने हुए घर में काम कर रही थीं. आज मेरी अम्मी ने एक बहुत ही पतले कपड़े की सफ़ेद रंग की कुर्ती पहनी थी और ऊपर से एक ओढ़नी डाल रखी थी. उस समय मेरी बहन ने जींस टॉप पहना हुआ था.

थोड़ी देर में दरवाजा की खड़कने की आवाज आयी. तो मेरी बहन ने आगे जाकर दरवाजा खोला.

सामने धीरज था.
मेरी बहन उसे देख कर मुस्कुराई और बोली- अन्दर आ जाओ.

धीरज अन्दर आया, तो बहन ने दरवाजा बंद कर दिया. अब अम्मी और बहन दोनों कमरे में थीं और धीरज उनके सामने बैठ गया था.

मेरी अम्मी ने उससे सीधे सीधे कहा- मुझसे करना है, तो 3000 लगेंगे और बेटी से करना है, तो 5000 खर्च करना पड़ेंगे.
धीरज ने बेशर्मी से पूछा- दोनों से करूंगा, तो कितना लोगी?
अम्मी ने पेशेवर रंडी के जैसे कहा- हम दोनों से करोगे तो 8 हजार लगेंगे.

धीरज बोला- मुझे आपसे करना, मैं आज 4000 रूपए लेकर ही आया हूँ.
अम्मी बोलीं- ओके … सबीना तू अन्दर जा.

सबीना रूम में चली गई. अब अम्मी और धीरज ही कमरे में रह गए थे. धीरज उठ कर खड़ा होने लगा.

मेरी अम्मी धीरज से बैठने को बोलीं और खुद जाकर उसकी गोदी में बैठ गईं. अम्मी ने अपनी ओढ़नी हटा दी. धीरज मेरी अम्मी के चूचों को दबाने लगा.

वो मेरी अम्मी के एक दूध का निप्पल मींजता हुआ बोला- बड़े मस्त दाने हैं आपके.

मेरी अम्मी ने मुस्कुरा कर धीरज की शर्ट के बटन खोले और उसे उतार दिया. फिर अम्मी ने अपनी कुर्ती उतार दी. अम्मी अब लैगी और ब्रा में ही रह गई थीं. धीरज मेरी अम्मी को किस करने लगा.

अम्मी मस्त आवाजें निकालने लगीं- उम्म … ममह.
धीरज मेरी अम्मी के होंठ काट रहा था.

फिर धीरज ने मेरी अम्मी की लैगी भी उतार दी और अम्मी ने धीरज की पैंट और अंडरवियर दोनों उतार दीं. मेरी अम्मी अब सिर्फ एक लाल रंग की पैंटी में थीं. उनका जिस्म बेहद कामुक था. एक बार को तो मेरा लंड भी फुंफकार मारने लगा. मैं अपने लंड पर हाथ फेरने लगा.

फिर धीरज मेरी अम्मी की गांड पर हाथ घुमाते हुए बोला- आंटी आप बहुत सेक्सी हो.

अम्मी धीरज का लंड हिलाने लगीं. थोड़ी ही देर में धीरज का लंड पूरा खड़ा हो गया. धीरज का लंड 6 इंच का था.

अम्मी उसका लंड देख कर बोलीं- अभी छोटा है.
धीरज बोला- हां आंटी, अभी आपकी चुत में कुछ बार घुसेगा … तो बड़ा और मोटा हो जाएगा.
अम्मी हंस कर बोलीं- हां ये तो है, मगर तेल से मालिश कराया करो, तो जल्दी बड़ा हो जाएगा.

तब धीरज बोला- क्या आप लंड की मालिश करती हो आंटी!
अम्मी बोलीं- हां मैं करती हूँ, लेकिन उसका पांच सौ रूपए एक्स्ट्रा चार्ज लगता है.
धीरज बोला- ठीक है आंटी आज आप मेरे लंड की मालिश भी कर दो.
अम्मी धीरज से बोलीं- ठीक है, तुम सीधे लेट जाओ.

मेरी अम्मी ने पास रखी तेल की बोतल ली और लंड पर तेल टपका कर मालिश करने लगीं.

धीरज के मुँह से गर्म आवाजें निकलने लगीं- आह … आह … बड़ी मस्त मालिश करती हो आंटी. आज पहली बार किसी लड़की ने मेरा लंड हाथ में लिया है.
अम्मी हंसने लगीं.
धीरज मेरी अम्मी से बोला- जरा रगड़ कर मजा दो न मेरी जान. मुँह में भी लो ना मेरी जान.
अम्मी- सब होगा … मैं फ्री का पैसा नहीं लेती हूँ.

अम्मी ने मेरे दोस्त के लंड की मस्त मालिश की. वो अब धीरज का लंड चूसने भी लगीं.

धीरज के मुँह से मादक कराहें निकलने लगीं- आह … ऊफ्फ … बड़ा मजा आ रहा है जान.
वो सीत्कार किए जा रहा था क्योंकि धीरज पहली बार लंड चुसवा रहा था.

मेरी अम्मी लगभग बीस मिनट तक धीरज का लंड चूसती रहीं. धीरज के लंड ने लावा उगल दिया और उसने मेरी अम्मी के मुँह में ही अपने लंड का पानी छोड़ दिया. अम्मी ने उसका पूरा वीर्य खा लिया और लंड को चूस चाट कर एकदम साफ़ कर दिया.

फिर धीरज ने कहा- मैं आपकी चुत चाटना चाहता हूँ.
अम्मी बोलीं- बड़े शौक से चाटो, मैंने कब मना किया है.

अपनी चुत खोलकर अम्मी लेट गईं और धीरज मेरी अम्मी की चूत चाटने लगा.
अम्मी को चुत चटवाने में मजा आने लगा था, वो अपनी गांड उछाल उछाल कर मेरे दोस्त से अपनी चूत चटवा रही थीं.

धीरज मेरी अम्मी की चुत में अपनी पूरी जीभ डाल कर मजे से चुत चूस रहा था. वो मेरी अम्मी की गांड में उंगली भी डाल रहा था.

लगभग दस मिनट तक चुत चाटने बाद मेरी अम्मी धीरज के मुँह में झड़ गईं. धीरज ने मेरी अम्मी की चुत का सारा नमकीन रस चाट लिया.

वो अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए बोला- आह आंटी … आपकी चुत का रस बड़ा नमकीन है. मैंने आज चुत का रस पहली बार पिया है.
अम्मी हंस कर बोलीं- हर बार पिया कर, तेरी बॉडी भी बन जाएगी. इसमें बड़ा प्रोटीन होता है.
धीरज ने हंस कर मेरी अम्मी के दूध दबाए और बोला- तभी लंड का रस आपकी जवानी पर असर दिखा रहा है.
अम्मी भी हंस दीं.

कुछ देर यूं ही एक दूसरे को चूमने चाटने के बाद वे दोनों फिर से गर्म हो गए.

अब मेरी अम्मी बिस्तर पर चित लेट गईं और धीरज मेरी अम्मी की चूत में लंड डालने लगा. वो साला पहली बार चुत चुदाई कर रहा था, तो उसका लंड चुत के अन्दर ठीक से जा ही नहीं पा रहा था. उसका लंड अभी कोरा था. वो पहली बार किसी की चुत में लंड पेल रहा था.

कुछ देर तक धीरज मेरी अम्मी की चुत में लंड घुसेड़ने की कोशिश करता रहा.

तब अम्मी ने झुंझला कर धीरज का लंड हाथ में पकड़ा और अपनी चूत पर सैट करके कहा- अब डाल भी दे ना!

धीरज ने धक्का देकर अपना लंड चुत में घुसा दिया. लंड अन्दर घुसा तो अम्मी को चैन मिल गया मगर धीरज की दर्द से आह निकल गई. उसकी आंखें मुंद गई थीं.

अम्मी समझ गई थीं, वो बोलीं- थोड़ा अन्दर बाहर कर, तेरा दर्द खत्म हो जाएगा. आज तेरे लंड का धागा टूटा है.

वो मेरी अम्मी की चुत में लंड आगे पीछे करने लगा. तीन चार झटकों में ही उसे मजा आने लगा और वो बोला- आह .. आंटी आपकी भट्टी बड़ी गर्म है.
मेरी अम्मी ने कहा- जरा देर यूं ही लंड अन्दर पड़ा रहने दे, इसकी गर्मी का मजा ले ले.

धीरज से लंड अन्दर पड़ा रहने दिया. उसे चुत की गर्मी बेहद मजा दे रही थी.

फिर वो लंड चुत में अन्दर बाहर करने लगा. शुरू में वो मेरी अम्मी को धीमे धीमे चोदने लगा.

करीब पचास धक्कों के बाद मेरी अम्मी बोलीं- आह साले अब जोर से अन्दर बाहर कर … मुझे भी आग लग रही है.
धीरज ने मेरी अम्मी के चूचे मसले और चुदाई की स्पीड तेज कर दी.

मगर मैं देख रहा था कि मेरी अम्मी को धीरज के 6 इंच के लंड से कोई असर ही नहीं हो रहा था. अम्मी मजे से हंसते हंसते उससे चुदवा रही थीं.

लगभग बीस मिनट बाद धीरज ने अपने लंड का पानी मेरी अम्मी की चूत में छोड़ दिया और उनके ऊपर ढेर हो गया.

वो एक मिनट बाद मेरी अम्मी के ऊपर से उठ कर उनके बाजू में लेट गया. मेरी अम्मी की प्यास शायद अभी बुझी ही नहीं थी. इसलिए मेरी अम्मी फिर से उसका लंड हिलाने लगीं.

कुछ दस मिनट में धीरज का लंड फिर से खड़ा हो गया. अब अम्मी औंधी लेट गईं और धीरज ने ऊपर चढ़ कर मेरी अम्मी की चौड़ी सी गांड में लंड पेल दिया. वो मेरी अम्मी की गांड मारने लगा .. और गपागप करते हुए अम्मी की गांड ठोकने लगा.

दस मिनट तक गांड मारने बाद धीरज के लंड का पानी निकलने लगा और उसने सारा लंड रस मेरी अम्मी की मखमली गांड में ही छोड़ दिया.

वो लंड निकाल कर हांफता हुआ बोला- आंटी, बहुत मस्त लगा, अगली बार आपकी बेटी को चोदूंगा. लेकिन मुझे आप अपनी ऐसे में ही एक फोटो दोगी?
अम्मी हंस कर बोलीं- क्यों फोटो का क्या करेगा? क्या रात को फोटो देख कर मुठ मारेगा!
धीरज हंसने लगा और बोला- हां वो भी करूंगा और आपके लिए एक ग्राहक भी लाऊंगा.

अम्मी ने ग्राहक की बात सुनी तो बोलीं- हां … अभी ही खींच लो.
धीरज ने अपने मोबाइल से मेरी अम्मी की नंगी फोटो खींच ली और कपड़े पहन लिए.

फिर उसने अम्मी को चुदाई के पैसे दिए और चला गया.
 

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रंडी अम्मी और बहन की चूत चुदाई -2




जैसा कि आपको मालूम है कि मेरी फैमिली में मैं, मेरी अम्मी यास्मीन और बहन सबीना … हम 3 लोग ही रहते हैं.
अम्मी की उम्र 42 साल है, लेकिन वो 32 की ही लगती हैं. अब अम्मी का फिगर 38-34-40 हो गया है.
पहले अम्मी का फिगर 34-32-36 का था और बहन का 34-28-36 का हो गया है.

आज की माँ बहन चुदाई कहानी में मैं आपको बताऊंगा कि मैंने अपनी घर की दोनों रंडियां कैसे चोदीं.
आप सब लड़के लंड हिलाने तैयार हो जाएं और लड़कियां अपनी अपनी चूत में उंगली डालने को तैयार हो जाएं.

एक दिन मैंने अपने दोस्त धीरज से बोला- यार, मुझे भी लड़की चोदनी है.
तब धीरज बोला- जिन रंडियों के पास जाता हूँ, उधर तू भी चला जा. बहुत मजा देती हैं.

लेकिन धीरज यह नहीं जानता था कि वो जिन रंडियों की बात कर रहा है. वो मेरी अपनी अम्मी बहन हैं.

मैंने भी सोच लिया था कि बस मुझे बुर चोदनी है.
इसलिए मैंने धीरज से कहा- हां ठीक है, तू इन दोनों को बुक कर दे.

धीरज ने मेरी अम्मी को फोन किया.
लेकिन अम्मी का नम्बर बंद आ रहा था तो उसने मेरी बहन सबीना को फोन किया.
धीरज ने फोन स्पीकर पर रखा था.

सबीना- हैलो धीरज जानू, कैसे याद किया?
धीरज- बस मूड हुआ जान … वैसे बड़ी रंडी का नंबर बंद आ रहा है, कहां है भोसड़ी वाली?

सबीना- अरे, अम्मी ग्राहक के साथ हैं.
धीरज- अच्छा, दोनों खूब मजे कर रही हो. वैसे मुझे भी तुम दोनों को बुक करना है. मेरा एक दोस्त है, उसे दोनों से मजे लेने हैं … कितना लोगी?

सबीना- अम्मी फ्री होते ही मैं फोन करवाती हूँ. वो ही बता सकती हैं.
इतनी बात करके सबीना ने फोन रख दिया.

फिर लगभग आधा घंटा बाद अम्मी ने धीरज को फोन किया.

धीरज मोबाइल पर नम्बर देखता हुआ बोला- ले, बड़ी वाली रंडी का फोन आ गया.

अम्मी- हैलो धीरज, बुकिंग करवाना है क्या?
धीरज- हां रांड, बोल कितना लेगी … मेरा खास दोस्त है.

अम्मी- हम दोनों साथ के 12,000 लूँगी. फुल मजा के साथ फुल नाइट … बोल?
मैंने इशारे से हां बोल दिया.

धीरज- ठीक है, मैं पैसे ऑनलाइन ट्रांस्फर करता हूँ और आज की बुकिंग नोट कर ले.
अम्मी- ठीक है. तेरे दोस्त की कुछ फर्माइश … जैसे कपड़े कौन से पहनने हैं या और कुछ?

धीरज- वो मैं पूछ कर बताता हूँ.
उसने फोन काट दिया.

मैंने धीरज से कहा- जो बड़ी वाली है, वो जींस टॉप और दूसरी स्कर्ट मिडी में.
धीरज ने फिर से अम्मी को फोन लगाया और बोला- तू जींस टॉप में और तेरी छकड़ी स्कर्ट मिडी में होना मांगता.
अम्मी ने ओके बोला.

अब मैं शाम को घर गया लेकिन आज एक बेटा या भाई नहीं … ग्राहक बन कर रंडी चोदने गया था.

मैंने अपने मुँह पर कपड़ा बांध रखा था और काला चश्मा लगाया हुआ था ताकि वो दोनों मुझे एकदम से न पहचान सकें.

पहुँच कर मैंने बेल बजाई.
अम्मी ने धीरज को जो कोड दिया था कि जो भी आए, वो ‘बड़ी छोटी रंडी’ बोले.
मैंने कोड बोला.

मेरे मुँह से वो सुनकर अम्मी सहज हो गईं और मेरी तरफ मुस्कुरा कर देखने लगीं.

मैं उनको नजरअंदाज करते हुए अन्दर आ गया.
मैंने अपना दुपट्टा हटा दिया था और चश्मा भी हटा दिया था.

अम्मी ने दरवाजा बंद कर दिया और तभी मेरी बहन रूम से बाहर आ गई.

वो अपनी धुन में बोलती हुई आई- आओ जी.
लेकिन मुझे देख कर वो भी चौंक गई.

वो मेरी तरफ सवालिया नजरों से देख ही रही थी कि मैंने फिर से कोड बोला.
अम्मी ने भी मुझे देख लिया था.

मेरे मुँह से कोड सुन कर मेरी अम्मी बहन से बोलीं- आज यह ग्राहक बन कर आया है.
इतने में धीरज ने मेरे फोन पर कॉल किया.

धीरज- हैलो असलम, पहुंच गया ना?
मैं- हां.

फिर धीरज बोला- फोन स्पीकर पर कर!
मैंने फोन स्पीकर पर कर दिया.

धीरज- यह असलम मेरा दोस्त है, इसे सही से खुश कर देना.
ये कह कर उसने फोन रख दिया.

अब अम्मी बोलीं- मतलब आज तू हम दोनों का ग्राहक है तो हम दोनों तुझे खुश करेंगी. क्या लेंगे असलम जी, गर्म ठंडा या दोनों?
मैंने अपनी बहन को अपने पास खींचा और उसे सीने से लगा कर कहा- दोनों लूँगा.

मैं अपनी बहन सबीना को किस करने लगा- उउमम्माह … ऊम्माआ!
उसकी जीभ से जीभ मिला कर किस करने लगा और वो भी मेरी जीभ का रस पीने लगी.

हम दोनों 5 मिनट किस करने बाद अलग हो गए.

मैं सोफ़े पर अम्मी के बाजू में जाकर बैठ गया और बहन से बोला- चल डांस कर.
मेरी बहन ‘बेबी डॉल तू सोने दी …’ वाले गाने पर डांस करने लगी और मैं अपनी अम्मी के टॉप के ऊपर से उसके मम्मों को दबाने लगा.

अम्मी का भी एक हाथ मेरी जींस पर आ गया, जिससे मेरा लंड जल्दी से खड़ा हो गया.
मैंने अम्मी को अपनी गोद में खींचा और उनके गाल पर किस किया.
वो मेरे साथ चुम्बन करने में मस्त होने लगीं.

हम दोनों सबीना के डांस का मजा लेने लगे.

उसी बीच अम्मी शराब की बोतल और गिलास पानी नमकीन वगैरह ले आईं.
तीन पैग बना कर हम तीनों दारू का मजा लेने लगे.

मेरी बहन सबीना नाचती हुई आती और मेरी गोद में बैठ कर एक सिप लेकर वापस नाचने लगती.
अम्मी ने सिगरेट सुलगा ली थी और उस एक सिगरेट से ही हम तीनों बारी बारी से धुंआ उड़ा कर मजा लेने लगे थे.

मैं इसी तरह से अपनी बहन सबीना से 15 मिनट तक डांस कराता रहा. मेरा लंड एकदम कड़क हो गया था.
हम तीनों के बीच एकदम सहजता हो गई थी.

भाई बहन और मां बेटे का रिश्ता अब रंडी और कस्टमर के रिश्ते में बदल गया था.
मैंने हल्के नशे में हिलते हुए अम्मी के दूध दबा कर उनसे कहा- मेरे कपड़े उतार रंडी.

अम्मी ने मेरे कपड़े उतार दिए.
मैं पूरा नंगा हो गया.
मेरा लंड देख कर मेरी अम्मी और बहन हंसने लगीं.

बहन बोली- अबे साले, यह कोई लंड है … ये तो केवल 4.5 इंच की लुल्ली है.
मैंने कहा- साली रंडियो, हंसो मत अभी अन्दर जाएगा तब मालूम चलेगा.

सबीना हंसती रही.
मैं अम्मी से बोला- यास्मीन, रांड तू मेरे लंड की वैसे मालिश कर, जैसे तू धीरज के लंड की करती है.

मेरी अम्मी यास्मीन मेरे लंड की मालिश करने लगीं.
मेरा लंड कुछ और तन गया.

उसके बाद मैंने सबीना और यास्मीन से अपना लंड चुसवाया.
वो दोनों घुटने के बल बैठ कर मेरा लंड चूसने लगीं.

कुछ मिनट बाद मेरे लंड से पानी की पिचकारी निकली और दोनों के चेहरों पर जा लगी.

यास्मीन ने अपनी ब्रा से मेरा लंड साफ कर दिया और मैं सोफ़े पर टांगें पसार कर बैठ गया.
सबीना को अपनी गोद में लेकर उसके मम्मों को चूसने लगा और यास्मीन लंड की मालिश करने लगी.

दस मिनट में मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.
अब मैंने यास्मीन को बेड पर सीधा लेटने को कहा और उसकी टांगें खोल कर उसके ऊपर चढ़ गया.

मैंने अपना लंड यास्मीन की चूत पर सैट कर दिया और पेला तो लंड किसी ढीले छह सूत के बोल्ट के जैसे दस सूत के नट में सटक कर घुस गया.
मैंने अन्दर बाहर करते हुए अपनी अम्मी को चोदना शुरू कर दिया.

साथ ही मैंने सबीना से यास्मीन के मुँह पर बैठने को कह दिया.
यास्मीन सबीना की चूत चाटने लगीं.

मैं यास्मीन की चूत चुदाई में लग गया.
चूंकि मैं एक बार झड़ चुका था तो काफी देर तक अपनी अम्मी यास्मीन की चूत चोदता रहा.

उसके बाद जब मेरा पानी निकलने को हुआ तो मैंने अपनी अम्मी यास्मीन की चूत में ही लंड रस निकाल दिया.
अब मैं बेड पर सीधा लेट गया और सबीना अपनी ब्रा से मेरा लंड साफ करने लगी.

मैंने सबीना से लंड की मालिश करने को कहा.
वो लंड हिलाने लगी और उसकी मालिश करने लगी.

कुछ मिनट में मेरा लंड फिर से तन गया.

मैंने सबीना से कहा- चल अब तू मेरे लंड पर बैठ जा और अपनी चूत रगड़.
सबीना ने मेरे लौड़े पर अपनी चूत सैट की और मेरा लंड छेद में सैट कर लिया.

लंड चूत में घुस गया और मेरी बहन मेरे लौड़े पर उछल उछल कर चूत चुदवाने लगी.
मैं अपनी अम्मी यास्मीन को अपने मुँह पर बैठा कर उसकी फटी हुई भोसड़ी को चाटने लगा.

अम्मी की चूत गजब की मजा दे रही थी.
एकदम गर्म और मखमल सी लग रही थी.

उधर सबीना मेरे लौड़े पर अपनी चूत रगड़ कर चुदाई करवा रही थी.
वो अपनी चूत को लगभग बीस मिनट तक रगड़ती रही.

सबीना की चूत चुदाई से मेरे लंड ने पानी छोड़ा तो मैंने अपनी बहन सबीना की चूत के अन्दर ही पिचकारी मार दी.

सबीना लंड रस को अपनी चूत में लेकर मेरे ऊपर से उठ गयी.
उस हटता देख कर अम्मी यास्मीन भी मेरे मुँह से उठ गईं.

अब हम तीनों ने ड्रिंक करने लगे.

यास्मीन और सबीना बोलीं- क्या मस्त चुदाई हुई.
मैं बोला- हां साली, मेरे घर की दोनों रंडियां मस्त चुदवाती हैं.

सबीना पैग चुसकती हुई बोली- भाई तेरा लंड छोटा है.
वो ये कह कर हंसने लगी.

मेरी अम्मी यास्मीन बोलीं- अरे मैं मालिश करके इस बड़ा कर दूंगी. तू देखना कितना तगड़ा लंड हो जाएगा. घोड़ा जैसा हो जाएगा.

इस तरह की बातें करते हुए हम तीनों ने दो दो पैग ले लिए.
इसी बीच अम्मी सिगरेट के कश भी लेती रहीं.

उसी सिगरेट से मैंने और सबीना ने भी धुंआ उड़ाया.

अब मैंने सबीना को उल्टा लेटा दिया और सबीना की गांड में अपना लंड सैट कर दिया.
सबीना को मेरा टोपा चुभने लगा.

मैंने पहली बार गांड में लंड डाला था, वो भी अपनी बहन की गांड में.
सच में गांड में लंड देने में बड़ा मस्त लगा.

मेरी बहन मेरे लंड से गांड मराने में कराहने लगी.
मुझे मजा आने लगा.
मैं तेजी से सबीना की गांड मारने लगा.

मैंने लगभग 30 मिनट तक अपनी बहन की गांड मारी और अपना पानी सबीना की गांड में छोड़ दिया.

मैं पेट के बल लेट गया था और अम्मी यास्मीन मेरी पीठ पर चढ़ कर नुरू मसाज के जैसे मेरा बदन चूम रही थीं और अपने मम्मों से मेरी पीठ की मालिश कर रही थीं.

कुछ देर बाद मैंने अपनी अम्मी यास्मीन को घोड़ी बना दिया और अम्मी की गांड में लंड डाल कर उनकी गांड मारने लगा.
अम्मी की गुदगुदी गांड में लंड अन्दर बाहर होने गप्प गपा गप की आवाज गूंज रही थी.

मैंने अपनी अम्मी यास्मीन की चूचियां भींचते हुए उनकी काफी देर तक गांड मारी. फिर अम्मी की गांड में मेरा पानी छूट गया और मैंने उनकी गांड को चिकनी कर दिया.
इस तरह माँ बहन चुदाई की मस्ती चलने लगी.

रोज रात में मैं अपनी अम्मी और बहन को चोदने लगा.

मैं अपनी अम्मी यास्मीन से लंड की मालिश करवाता.
लगभग 30 दिन में मेरे लंड में बहुत फर्क़ आ गया.
मेरा 4.5 इंच का लंड अब 7 इंच हो गया था.

कभी कभी धीरज भी आता और कभी धीरज के साथ कोई और भी आता.
उस वक्त मैं घर से गोल हो जाता.

फिर एक दिन धीरज आया, मैं उस वक्त घर पर ही था.
उसे पता चल गया कि यह दोनों रंडियां मेरी अम्मी और बहन हैं.

धीरज बोला- साले तूने तो अपनी मां बहन चोद दी. वैसे ये दोनों हैं ही इतनी कातिल कि इनकी चूत गांड का दीवाना तो सारा शहर हो जाएगा.

उस दिन मैंने धीरज के साथ मिलकर अपनी अम्मी और बहन के मजे लूटे.

हम चारों ने दारू और सिगरेट के साथ ग्रुप सेक्स का मजा लिया.
तभी धीरज को एक आइडिया आया.

वो अम्मी से बोला- यास्मीन, तू जिस तेल से मालिश करती है, उसे ऑनलाइन बेचना शुरू कर.
अम्मी ने पूछा- वो कैसे?

तब धीरज बोला- सेक्स साईट पर अपने तेल की डिटेल डाल, जैसे हिन्दी वाली फ्री सेक्स कहानी या Xforum जैसी वर्ल्ड फेमस साइट पर डाल.
उसने पूरा तरीका समझाया तो अम्मी मान गईं और वो अपने मसाज ऑइल को ऑनलाइन बेचने लगीं.

उससे उनके पास मालिश करवाने के लिए भी मेल आने लगे.
न जाने कितने ग्राहक चोदने भी आने लगे.
कभी मैं अम्मी और अपनी बहन के लिए ग्राहक लेकर आता, कभी धीरज लाता.

उसी दौरान मेरी बहन सबीना दो बार प्रेगनेंट भी हुई और बच्चा गिरवाना पड़ा.
 

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सगी मामी की वासना जगा कर चूत चुदाई



मेरा नाम रॉकी है. यह बदला हुआ नाम है.

यह कहानी उस वक्त शुरू हुई थी जब मैं गर्मियों की छुट्टी में दिल्ली में अपनी नानी के घर रहने आया हुआ था.

मेरे मामा ऑफिस में जॉब करते हैं और घर पर नानी और मामी रहती हैं.
नानी की तबियत ठीक नहीं रहती थी, तो वो ज्यादातर लेटी रहती थीं.

उस दिन घर में मैं, मामी व नानी ही थे, मामूजान अपनी जॉब पर गए थे.
नानी सोई हुई थीं.

ये बात उस वक्त की है, जब लोग सीडी प्लेयर पर ही मूवी देखा करते थे.

उस दिन मैं भी सीडी प्लेयर पर मूवी देख रहा था.
साथ में मामी बैठी थीं जो नानी की मालिश कर रही थीं.

मूवी खत्म हुई तो मैं दूसरी मूवी देखने के सीडी के डिब्बे में देखने लगा.

उस समय मेरे हाथ सीडी के डब्बे में जो मूवी हाथ लगी, वो एक ब्लू फिल्म थी.
उसके ऊपर एक नंगी लड़की की फोटो लगी थी, जिसे देख कर मैं समझ गया कि ये एक ब्लू-फिल्म की सीडी है.

मैंने उसे सीडी को एक ओर रख दिया और एक दूसरी सामान्य मूवी लगा कर देखने लगा.

इतने मामी ने नानी की मालिश खत्म की और ऊपर अपनी वाली फ्लोर पर चली गईं.
नानी सो गई थीं.

अब जब मामी कमरे में नहीं थीं तो मेरे मन में आया कि क्यों न मैं ब्लू फिल्म देखूं.
मैंने देर न करते हुए ब्लू फिल्म लगा दी और म्यूट करके देखने लगा.

मैं सेक्स मूवी देखने में इतना मस्त हो गया कि ये भी याद न रहा कि कोई मुझे देख भी सकता है.

वही हुआ भी … मामी कब ऊपर से नीचे आ गईं, मुझे पता ही नहीं लगा.
उन्होंने भी चुपके से फिल्म देखना शुरू कर दी थी और एकटक देखती रहीं.

कुछ देर बाद जब मेरी नजर मामीजान पर पड़ी तो मैंने देखा कि मामी फिल्म देख रही थीं और वो अपनी टांगों के बीच में अपना हाथ रगड़ रही थीं.
उनकी आंखों में वासना साफ़ साफ़ झलक रही थी.

उसी वक्त मेरी नजरें मामी की नजरों से मिलीं और वो एकदम से सकपका गईं.
मैंने भी तत्काल मूवी को बंद किया और टीवी पर चैनल लगा दिया.

तब मैंने खिसियाते हुए कहा कि ये टीवी पर आ रही थी.
मामी उस वक्त सहमी हुई थीं तो शायद उन्हें भी लग रहा होगा कि कैसे बात को खत्म किया जाए.

उन्होंने कुछ भी नहीं कहा और वो अन्दर चली गईं.

उनके जाने के बाद एक पल के लिए गांड तो मेरी भी फट गई थी कि ये क्या बवाल हो गया.
पर ज्यादा कुछ हुआ नहीं क्योंकि मामी ने बाद में भी मुझसे कुछ नहीं कहा था.

फिर उनकी एक बात मुझे और भी याद आ गई.
वो अक्सर मुझसे पूछती रहती थीं कि तेरी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं.
उससे मुझे लगा कि मामी इस बात को समझती हैं कि मैं जवान हो गया हूँ.

ऐसे ही कुछ दिन तक चलता रहा.
मैं मौका पाते ही मूवी को लगा देता और देखता रहता.

एक दिन मैं और मामी बैठ कर हंसी मजाक कर रहे थे.
उन्होंने मुझसे कहा- रॉकी, वो उस दिन वाला चैनल लगा कर तो देख, क्या पता वो वाली मूवी आ रही हो.

मैंने मामी की तरफ देखा.
तो उन्होंने आंख दबा दी.

मैंने रिमोट से चैनल बदलने का ड्रामा किया और कहा कि मामी चैनल पर तो उस जैसी मूवी आ नहीं रही है … कहो तो सीडी लगा दूँ?

वो मेरी तरफ देख कर मुस्कुराने लगीं और बोलीं- मतलब तू उस दिन भी सीडी प्लेयर पर देख रहा था न!
मैंने भी कह दिया- हां, वो तो मैंने सीडी लगा रखी थी पर आपसे झूठ बोल दिया था.

इस पर मामी ने कहा- अच्छा … तो फिर से एक बार लगा कर दिखा ना!
मैंने देर न करते हुए पोर्न मूवी की सीडी लगा दी और मामी के साथ बैठ कर देखने लगा.

उसमें एक नीग्रो एक कमसिन लौंडिया के ऊपर चढ़ा हुआ उसे दबादब चोद रहा था.
मामी उस काले हब्शी का लौड़ा देख कर मस्त हो रही थीं, उनका मूड लगातार सेक्सी होता दिख रहा था.

पर मेरी इतनी हिम्मत नहीं हो रही थी कि मामी के ऊपर हाथ डाल सकूँ.

चुदाई की फिल्म सामने चल रही थी. बाजू में मामी बैठी थीं.
मेरा लंड तो सलामी देने लगा था.

मैं धीरे से मामी और करीब सरक आया.

मैंने उनसे कहा- देखो ना मामी, ये कालिया कैसे उस गोरी की ले रहा है! क्या मामू भी आपकी ऐसे ही लेते हैं?
मामी ने फिल्म देखते हुए वासना भरी आवाज में कहा- तेरे मामू तो मुझे सीधा लिटा कर ही लेते हैं.

उनकी इस बात से मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ गई और मैंने मामी के चूचे पर हाथ रख दिया.
कमाल की बात ये हुई कि मामी ने मेरे हाथ को हटाया नहीं.

उन्होंने एक बार मेरी तरफ देखा और मुस्कुरा कर वापस फिल्म देखने लगीं.
ये देख कर मैंने हल्के हल्के से उनके चूचे दबाने शुरू कर दिए.

अब मामी को मजा आने लगा था, वो गर्म होने लगी थीं.
उनकी भी सांसें तेज़ हो रही थीं.

मेरा भी लंड खड़ा हो रहा था.
मैंने उनको अपनी बांहों में खींच लिया और चूमने लगा.

बाजू में नानी सो रही थीं तो मामी की गांड फट गई कि कहीं लफड़ा न हो जाए.

वो मुझसे छूट कर नानी की तरफ देखने लगीं.
मैं समझ गया कि मामी की चूत तो लंड के लिए मचल रही है लेकिन गांड फटने के कारण मामला सैट नहीं हो पा रहा है.

अभी मैं कुछ सोचता कि मामीजान की कैसे लूँ, तभी मामी उठीं और वहां से जाने लगीं.

मैंने धीमे से पूछा- मामी कहां जा रही हो?
मामी ने कहा- ऊपर अपने कमरे में.

मैंने पूछा- क्या मैं भी आ जाऊं?
तो मामी ने आंखों से इशारा कर दिया कि हां आ जाओ.

ये कह कर वो अपने कमरे में चली गईं.

मैं भी देर न करते हुए सीधा मामी के कमरे में चला गया.

मामी अपने बेड पर लेटी हुई थीं.
मेरी मामी देखने में कोई ज्यादा सुंदर नहीं थीं और न ही गोरी चिट्टी थीं.
मगर उनका जिस्म बड़ा ही भरा हुआ और मस्त था.

फिर उस वक्त मेरे लिए तो वो किसी कैटरीना कैफ से कम भी नहीं थीं.
लंड को छेद की जरूरत थी और हाथों को मम्मों की!

मैं उनके पास उनके बेड पर बैठ गया और उनके एक चूचे पर हाथ फेरने लगा.

इससे मामी को मजा आने लगा और उन्होंने अपनी आंखों को बंद कर लिया.
इससे मेरी हिम्मत और भी ज्यादा बढ़ गई.

अब मैंने मामी के चूचे उनकी कमीज के नीचे से हाथ डाल कर दबा दिए.
ये मेरे लिए पहली बार था, जब मैंने ऐसा किया था.

मामी के 36 साइज के चूचे मेरे हाथ में नहीं आ रहे थे.
मैंने मामी की कमीज ऊपर उठा दी.
और पहली बार जिंदगी में मैंने किसी औरत के नंगे चूचे देखे थे.

मैंने देर न करते हुए उनके निप्पल को मसलना शुरू कर दिया और जल्दी से एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसना शुरू कर दिया.

मामी सीधा लेटी हुई बस मजा ले रही थीं.

फिर मैंने धीरे से मामी की सलवार का नाड़ा खोल दिया.
इस पर मामी ने मुझसे कुछ नहीं कहा.

मैंने देखा कि मामी ने नीचे पैंटी नहीं पहनी है और उनकी चूत पर हल्की हल्की झांटें भी उगी हैं.

उस वक्त उनकी वो झांटें मेरे लिए मायने नहीं रखती थीं क्योंकि उससे पहले मैंने किसी की भी चूत नहीं देखी थी और ना ही मुझे चूत चोदने का कोई अनुभव था.

मामी मेरे सामने आधी नंगी लेटी हुई थीं
उनकी सलवार घुटनों से नीचे थी और कमीज चूचे से ऊपर.
ये कहो कि मामी बीच में से नंगी और ऊपर नीचे से छुपी हुई थीं.
जैसा कि असल जिंदगी में होता है.

मैंने कहा- मामी, मेरा खड़ा हो गया है.
ममी ने कहा- तो बैठा ले ना. खुली तो पड़ी है मेरी. आ जा जल्दी से.

ये कह कर मामी ने मुझे अपनी चूत के सामने आने को कहा.
मैंने उनकी टांगें फैलाईं और अपना लंड उनकी चूत पर रख कर उसे अन्दर करने लगा.

जैसा कि मैंने कहा, मुझे चुदाई का कोई भी अनुभव नहीं था, तो मेरा लंड मामी की चूत में नहीं जा रहा था.

अब मामी ने मेरा लंड पकड़ कर खुद अपनी चूत के मुँह पर लगाया और कहा कि अब कर अन्दर.

मैंने देर न करते हुए अपने लौड़ा मामी की चूत के अन्दर कर दिया.
सच कहूं दोस्तो, उनकी चूत इतनी गर्म थी कि पूछो मत.
मेरे लंड को ऐसा लगा मानो किसी खौलती चीज में मुँह डाल दिया हो.
मेरा लौड़ा अन्दर जाते ही जैसे जलने लग गया था.

मामी ने भी हल्के से आह की आवाज निकाली और गांड हिलानी शुरू कर दी.

मैंने भी आगे पीछे होना शुरू किया और मामी ने मजे लेना शुरू कर दिया.
मामी बोलीं- जरा रोज रोज से रगड़ ना … तेरा मस्त है.

मैंने कहा- मुझे तो बड़ी आग सी लग रही है. अन्दर से कितनी गर्म हो आप!
वो बोलीं- हां, तेरा मामू चढ़ा नहीं है ना काफी दिनों से. चल जल्दी जल्दी चोद और जरा दूध भी चूस ले अनाड़ी चोदे.

मैंने मामी के मुँह से दूध चूसने का सुना तो अप्पना मुँह उनके एक थन पर लगा दिया और खींचते हुए चूसने लगा.
साथ में लंड भी चूत में मस्त चल रहा था.

सच में दूध चूसते हुए चूत चुदाई करने में बड़ा मजा आ रहा था; अन्दर तक सनसनी हो रही थी.

कुछ पल बाद जब मुझे अहसास हुआ कि मैं चुदाई कर रहा हूँ, तो भेजा चलना शुरू हुआ.
मैं आंख खोल कर मामी को देखने लगा.

मामी बस अपने होंठ काटती हुई मेरी कमर को पकड़े हुई थीं और मुझे अपने ऊपर खींच छोड़ रही थीं.
उनकी टांगें भी हवा में उठी हुई थीं.

मगर वो सब नहीं हो रहा था, जैसा सेक्स कहानी में पढ़ता था या ब्लू फिल्म में देखता था.
उस तरह से मामी ना तो आह्ह्ह आआआई कर रही थीं और ना ही कुछ और बोल रही थीं.

सच बताऊं तो उस समय समझ आया कि ये उन्ह आह आदि सब बातें कहने की होती हैं … असली चुदाई में ऐसा कुछ नहीं होता है.
मैंने धक्के लगाना शुरू कर दिया था और मामी आंखें बंद करके बस धक्कों का मजा ले रही थीं.

मेरे हर धक्के के साथ मामी के हिलते हुए चूचे मुझे और भी ज्यादा मस्त कर रहे थे.
मुझे धक्के लगाते हुए करीब 5 मिनट हो चुके थे.

मैं नहीं जानता था कि मामी इस बीच झड़ चुकी थीं या नहीं झड़ी थीं लेकिन मेरा माल निकलने वाला था.

मैंने धक्के मारते मारते मामी की चूत में ही सारा माल निकाल दिया और वहीं मामी के ऊपर थक कर लेट गया.

सच कहूं तो में नहीं जानता था कि चुदाई कैसे करते हैं या इसमें पहले क्या करना चाहिए.

इसके बाद मैं उठा और मैंने अपना मुरझाया हुआ लंड बाहर निकाला और अपने कपड़े पहनने लगा.

मामी ने भी अपने कपड़े सही किए और मेरे साथ ही नीचे आ गईं.
 

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भाभी ने घर बुलाकर चूत की भूख मिटवाई



मैं प्रवीण, नवी मुंबई का रहने वाला हूं। मैं एक मिडल क्लास फैमिली से हूं और 29 साल का हूं।
मेरा लंड 6 इंच साइज का है जो किसी भी भाभी या औरत को संतुष्ट कर सकता है।

मैं जो भी आपको बता रहा हूं, सब सच बता रहा हूं। अब मैं अपनी टॉपलेस भाभी बूब्स की कहानी की शुरुआत करता हूं।

उस दिन सुबह से ही बारिश हो रही थी।
मैंने पूरा दिन बारिश के थमने का इंतजार किया लेकिन वह नहीं थमी।

लेकिन मुझे जरूरी सामान लाना था तो मैं देर रात में बारिश में ही काम से निकल गया।

लेकिन जब मैं बाहर निकला तो देखा कि पड़ोस की अश्विनी भाभी और उनके पति बाहर कहीं से घर लौट रहे थे।
वे दोनों ही पूरी तरह से भीग गए थे।

मैंने सोचा कि वह अंदर चले जाएंगे लेकिन दोनों परेशान लग रहे थे।
भाभी तो ठंड से कांप रही थी।
उनके पति भी काफी कांप रहे थे।

जब वो लोग अंदर नहीं गए तो मैंने पूछ लिया- क्या हुआ भाभी? परेशान लग रहे हो आप दोनों?

फिर भाभी बोली- हां, हमारे घर की चाबी कहीं खो गई है, पता नहीं कहां रास्ते में गिरी या कहीं और छोड़ आए, कुछ समझ नहीं आ रहा है क्या करें।

अब दोनों एक दूसरे को जिम्मेदार ठहरा रहे थे।
फिर दोनों में कहा-सुनी होने लगी।

इधर मेरा ध्यान भाभी के जिस्म पर चला गया जो पूरा भीग गया था।
उनकी भीगी हुई साड़ी में उनका 38-34-38 का फिगर साफ उभर आया था।

भाभी के भीगे हुए ब्लाउज में उनकी छाती की घाटी बहुत ही कामुक लग रही थी।
उनके निप्पलों की घुंडियां उभर आईं थीं।

मैंने मौके का फायदा उठाने की सोची।
मैं बोला- कोई बात नहीं भाभी, जो हो गया सो हो गया, आप दोनों अभी आपस में एक दूसरे को क्यों दोष दे रहे हैं, जब तक कोई समाधान नहीं हो जाता आप मेरे घर आइये न! कपड़े बदल लीजिए, नहीं तो आप दोनों बीमार पड़ जाएंगे।

मेरी इस बात पर दोनों शांत हो गए।
पहले तो भाभी मना करने लगी लेकिन मैंने कह दिया कि घर में मेरी मम्मी की साड़ी वो पहन सकती हैं।
फिर काफी मनाने के बाद भाभी मान गई।

भाभी और उनके पति अंदर आए।
मैंने उनको पौंछने के लिए तौलिया दिया।

उनके पति ने जल्दी से कपड़े बदले और ताला तोड़ने के लिए बोलकर बाहर निकल गए।
भाभी को मैंने साड़ी लाकर दी और मैं भी बाहर चला गया।

वहां उनके पति मकान का ताला तोड़ने में लगे थे।
ताला काफी भारी था जो आसानी से टूटने वाला नहीं लग रहा था।

मैंने कहा- भैया, आप थोड़ा रुको, मैं अंदर से हथोड़ी लेकर आता हूं।

मेरे सब घरवाले उस वक्त तक सो चुके थे, बस मैं ही जाग रहा था।

जब मैं अंदर गया तो भाभी बाथरूम में से निकल रही थी।
उसने केवल पेटीकोट पहना हुआ था।

जैसे ही भाभी ने मुझे देखा वो शरमा गई और फिर से अंदर घुस गई।
लेकिन इस दौरान मुझे भाभी का ऊपर का हिस्सा नंगा मतलब टॉपलेस भाभी बूब्स दिख गये।

मेरे अंदर एकदम से वासना जाग गई।
मैंने टॉपलेस भाभी की नंगी बूब्ज़ देख ली थीं और उनको पीने और दबाने के लिए मैं जैसे अब सारी हदें पार करने के लिए तैयार हो गया था।
अब उनको पूरी नंगी देखने की लालसा मेरे मन में आ गई थी।

मैं बाथरूम में जाकर उनको देखना चाहता था लेकिन अंदर से एक डर भी लग रहा था।

पर तभी बाहर से भैया ने आवाज दी तो मुझे हथोड़ी लेकर जाना पड़ा।

भैया ने कई चोट जोर से मारी और ताला टूट गया।
वो अंदर चले गए।

मेरे मन में अभी भी भाभी के लिए वासना के भाव थे।
मैं भाभी को नंगी देखना चाहता था।

जब मैं अंदर गया तो वो साड़ी पहन चुकी थी।
मैंने उनसे कहा- ताला टूट गया है और भैया आपकी राह देख रहे हैं।

भाभी थोड़ी सी शर्मिंदगी में वहां से चली गई।

उस रात को मुझे नींद नहीं आई।
भाभी की चूचियां रातभर मुझे जगाती रहीं।
नंगी चूचियों को सोचकर मैंने कई बार मुठ भी मारी।

फिर अगले दिन भाभी ने मुझे अपने घर बुला लिया।
मैं भी शरमा रहा था और भाभी की आंख में आंख नहीं मिला पा रहा था।

फिर भाभी ने मेरे हाथ में साड़ी थमा दी जो मुझे मम्मी को वापस लौटानी थी।

मैं जाने लगा तो भाभी बोली- कल रात को जो कुछ भी देखा था वो भूल जाना।
तो मैं चुपचाप वहां से आ गया।

लेकिन मुझे उस रात को भी नींद नहीं आ रही थी।
फिर अगले ही दिन भाभी हमारे घर आ गई।

उसने मम्मी से कहा कि उनके पति 3 दिन के लिए गांव जा रहे हैं और वह घर पर अकेली नहीं रह सकती है।
वो मम्मी से बोली कि वो मुझे उनके साथ सोने के लिए कहें।

यह सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे।
मैं तो चाहता ही यही था कि भाभी के साथ वक्त बिताने का मौका मिले ताकि मैं भाभी को नंगी देख सकूं, उनकी चूचियां पी सकूं।

उधर भाभी के मन में भी कुछ ऐसा ही भाव मैं महसूस कर पा रहा था क्योंकि वो बार बार मुझे देखकर मुस्करा रही थी।
मुझे पता चल गया था कि आग दूसरी तरफ भी बराबर की लगी है।

भाभी ने बताया था कि भैया रात 10 बजे जाने वाले हैं।

मैं 10.30 बजे भाभी के घर चला गया।
भाभी उस वक्त पेटीकोट में थीं और एकदम से कयामत लग रही थीं।
उनके ब्लाउज में उनके चूचे एकदम से कसे हुए थे।

तनी हुई चूचियां देखकर मेरा तो मन डोलने लगा।
उनकी चूचियों की घाटी एकदम से गहरी लग रही थी।

भाभी ने मुझे दरवाजा अंदर से बंद करने को कहा।
जैसे ही मैं दरवाजा अंदर से लॉक करके पलटा तो भाभी ने मुझे वहीं रोक लिया और दरवाजे से मुझे सटाकर मेरे गले से लिपटने लगी।

उन्होंने मेरे हाथ अपनी कमर में रखवा लिए और मेरी गर्दन को चूमने लगी।
मैं तो समझ ही नहीं पाया कि एकदम से ये क्या हो गया; मैं बस भाभी के प्यार में खोता चला गया।

दो मिनट बाद ही हम बुरी तरह से एक दूसरे के होंठों को चूस रहे थे।

लगभग 15 मिनट तक हम दोनों एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे।

फिर मैं उनकी गर्दन को चूमते हुए नीचे आने लगा, उनकी चूचियों की घाटी को चाटने लगा, उसे चूमने लगा; भाभी के बूब्स में मुंह मारने लगा।

मुझसे रुका न गया और मैंने उनके ब्लाउज को फाड़ दिया।
टॉपलेस भाभी के बूब्स बाहर निकाल कर मैं उन पर टूट पड़ा।

मैं एक एक हाथ में एक एक चूचे को थामते हुए उन्हें बारी बारी से पीने लगा।
उनको चूसते हुए काटने लगा।

भाभी की सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह आराम से … ऊईई … आउच .. धीरे से … आह्ह … अम्म्म … होह … आईह्स … आआह।
हम दोनों पागल से होते जा रहे थे।

मैंने अब नीचे से भाभी का पेटीकोट उठा दिया और हाथ सीधा चूत पर रख दिया।
भाभी ने नीचे से पैंटी भी नहीं पहनी थी।

नंगी चूत पर हाथ लगते ही मैं तो पागल सा हो गया। तेजी से मैं भाभी की चूत को रगड़ने लगा।

उनकी चूत पूरी गीली हुई पड़ी थी।
मुझे लग रहा था कि भाभी पहले से ही चुदाई के बारे में सोच रही थी।

मैंने चूचियों को पीना जारी रखा और एक उंगली नीचे से चूत में डाल दी।
मैं अब चूत में उंगली करने लगा और भाभी की टांगें और ज्यादा खुलने लगीं।
उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी।

वो मेरे हाथ को चूत पर दबाते हुए और ज्यादा अंदर तक उंगली लेने की कोशिश कर रही थी।

भाभी की चुदाई की प्यास भी बढ़ती जा रही थी।
मेरा लंड भी एकदम से तना हुआ था और भाभी की चूत में जाकर उसकी गर्मी महसूस करने के लिए मरा जा रहा था।

इतने में ही भाभी ने मेरा लंड पकड़ लिया और उसको सहलाने लगी।
मुझे अब और ज्यादा मजा आने लगा।
लेकिन मैं ज्यादा देर अब रुक नहीं पा रहा था।

उधर भाभी की चूत भी पानी पानी हो चुकी थी।
इससे पहले मैं कुछ बोलता, भाभी ही बोल पड़ी- बस चोद दो ना अब प्रवीण, आह्ह … मेरी चूत अब और नहीं रुक सकती! डाल दो इसमें अपना लंड!
मैंने कहा- हां भाभी, मैं भी आपकी चूत में लंड देकर चोदने के लिए मरा जा रहा हूं।

भाभी ने इतना सुनते ही मुझे बेड पर खींच लिया और अपने ऊपर लेकर लेट गई।
हम दोनों बुरी तरह से एक दूसरे के होंठों को चूसने लगे।

दो मिनट तक होंठों और चूचियों को पीने के बाद मैंने भाभी की टांगों को फैलवा दिया।
मैंने उनकी दोनों टांगें चौड़ी कर दीं और अपने लंड पर थोड़ा थूक गिराकर उसे टोपे पर रगड़ लिया।

थोड़ा सा थूक मैंने भाभी की चूत के मुहाने पर भी रगड़ दिया।
वैसे भाभी की चूत को चिकनाई की जरूरत नहीं था क्योंकि वो पहले से ही इतनी चिकनी हो चुकी थी।

फिर मैंने लंड का टोपा उनकी चूत पर सेट कर दिया और भाभी के ऊपर लेट गया।
धीरे धीरे मैंने धक्के लगाना शुरू किया और मेरा लंड भाभी की चूत में प्रवेश कर गया।
भाभी की आह्ह … निकल गई और उन्होंने मुझे हटाने की कोशिश की।

लेकिन मुझे तो मजा आ गया.
भाभी की गर्म चूत में लंड देकर मैं तो जैसे स्वर्ग पा गया था।

मैंने भाभी की चूचियों को पीना शुरू कर दिया और तेजी से उनको दबाते हुए मैं धक्के देने लगा।
धक्के अभी काफी धीमे थे।

मैंने भाभी को चोदना शुरू कर दिया और कुछ ही देर बाद भाभी भी लंड का मजा लेने लगी।
अब उन्होंने मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया और मेरी पीठ को सहलाने लगी।

मुझे चोदते हुए 2-3 मिनट ही हुए थे कि भाभी के मुंह से सिसकारियां निकलने लगीं- आह्ह … ओह्ह … आह्ह … अम्म … और अंदर प्रवीण … आह्ह … बहुत मजा आ रहा है … पहली बार चुदने में इतना मजा ले रही हूं … आह्ह … तुम्हारे भैया तो 2 मिनट में ही खत्म हो जाते हैं … और चोदो जानू … आह्ह … चोदते रहो।

भाभी की ऐसी कामुक बातें सुनकर मेरा भी जोश बढ़ता जा रहा था।
मैं भाभी की चूत में तेजी से धक्के लगाने लगा।

अब भाभी को हल्का दर्द होने लगा वो थोड़ी धीरे करने के लिए कहने लगी।

लंड तेजी से भाभी की चूत में अंदर बाहर हो रहा था; चूत से पच पच की आवाज होने लगी थी।

अब मैं नीचे झांक कर भाभी की चूत में अपना लंड जाते हुए देख रहा था।
ये देखकर मेरा मजा और ज्यादा बढ़ रहा था।
लंड उनकी चूत को फैलाता हुआ अंदर बाहर हो रहा था।

भाभी ने अब मेरी गांड को थाम लिया और धक्कों में मदद करने लगी।

फिर मुझे ऐसा लगा जैसे भाभी की चूत ने मेरे लंड को और ज्यादा जोर से जकड़ लिया।
अब लंड को और भी मजा मिल रहा था।

लेकिन मेरा पानी अब छूटने के कगार पर पहुंच गया था।
दो मिनट के बाद मैंने कंट्रोल खो दिया और वीर्य भाभी की चूत में गिरने लगा।

उधर भाभी के बदन में भी झटके लगने लगे।

कई झटकों के साथ मैंने सारा माल भाभी की चूत में भर दिया।

हम दोनों का जिस्म पसीने से तरबतर हो गया था।
भाभी के बाल बिखर गए थे और माथे पर पसीना आ गया था।
मेरे माथे पर भी पसीना आ गया था।

चुदाई के बाद हम दोनों की सांसें बहुत तेजी से चल रही थीं।

फिर धीरे धीरे हम दोनों शांत हो गए और ऐसे ही लेटे हुए सो गए।
रात को जब आंख खुली तो भाभी नंगी मेरे से चिपकी हुई थी।

मैंने एक बार फिर से उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया।

भाभी की नींद भी कुछ देर में टूट गई और एक बार फिर से मैंने भाभी की चुदाई कर डाली।
दूसरा राउंड 30 मिनट तक चला।

फिर हम सो गए।

सुबह फिर उठकर मैं अपने घर लौट आया।
लेकिन अब भाभी दिन में भी मेरे पास मैसेज करती रही।

दूसरी रात को जब पहुंचा तो हमने पहले दिन से भी ज्यादा जोशीला सेक्स किया।

भैया 2-3 दिन के बाद आने वाले थे इसलिए उन दिनों में मैंने भाभी को खूब चोदा।
हम दोनों ने ही चुदाई का भरपूर मजा लिया।

तब से भाभी के साथ चुदाई का सिलसिला चल पड़ा।

जब भी भाभी को जरूरत होती है, वह मुझे बुला लेती है और मैं भी भाभी को जमकर चोदता हूं।
 

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विधवा मामी की होटल में चूत चुदाई



मित्रो, मेरा नाम रवि है. मैं 29 साल का लंबा चौड़ा मर्द हूँ.

ये पोर्न मामी फक कहानी मेरी दूर की मामी मीनू की है.
घटना मेरे भाई के शादी से दो दिन पहले की थी.

मामी दिल्ली से हमारे घर आ रही थीं.
उनका ट्रेन का ये सफ़र 4 घंटे का था.

मैं उन्हें स्टेशन से लेने के लिए घर से गाड़ी लेकर निकल गया.
जैसे ही वो आईं तो मैंने उन्हें देख कर नमस्ते की और गाड़ी में उनका सामान रख कर आगे बैठा लिया.

उन्होंने एक पंजाबी सलवार सूट पहना हुआ था.
उनकी हाइट पांच फुट आठ इंच की थी और एकदम भरा हुआ बदन, जैसे पॉर्न फिल्म्स में MILF होती हैं.
लाल रंग के सूट में वो एकदम बवाल लग रही थीं.

उस टाइम दोपहर हो रही थी. ठंड का मौसम था.
वैसे ही उनसे बात होती रही.

इतने में वो बोलीं- मुझे हील्स लेने हैं, कोई अच्छी सी शॉप पर ले चलो.
मैं उन्हें लेकर चला गया.

जैसे ही मैं उनको लेकर शॉप में पहुंचा तो करीब करीब सभी लोग हम दोनों को देखने लगे.
हम दोनों ही औसत से कुछ ज्यादा ही ऊंचे और आकर्षक लग रहे थे.

उन्होंने हील्स चैक करने के लिए अपने हील्स उतारे तो मैं उनके गोरे और चिकने पांव देख कर पागल हो गया.
एकदम मक्खन से मुलायम और सफ़ेद पैर देख कर मैं सुधबुध खो बैठा था.

मैं ये सोच कर उनके पांव देख रहा था कि पैर ऐसे हैं तो चूत कैसी होगी.
ये सब सोचते ही मेरा लंड खड़ा होने लगा.

उन्होंने मेरे खड़े होते लंड को नोटिस कर लिया लेकिन कोई प्रतिक्रिया नहीं दी.
कुछ देर बाद उन्होंने अपने लिए हील्स ले लिए और वापिस आकर गाड़ी में बैठ गईं.

अब वो बोलीं- तुम मेरे पैरों को इतने गौर से क्यों देख रहे थे?

मुझे नहीं रहा गया और मैंने ये सोच कर बोल दिया कि जो होगा देखा जाएगा- मामी, आपके पांव इतने सुन्दर हैं कि मेरा मान कर रहा था, मैं आपकी हील्स की जगह होता. सच में मामी आप बहुत सुन्दर हैं. आपसे एक बारी प्यार करने का मन है.
वो हंसी और बोलीं- हम्म … अच्छा ये इरादा है?

चूंकि उनके पति अब इस दुनिया में नहीं थे.
मैंने कहा- हां आपका क्या इरादा है?

वो वासना से मेरी तरफ देख कर बोलीं- यही मेरा भी है. मगर अभी नहीं!
मैंने बहाने बनाकर उन्हें मनाया.
वो कुछ देर के बाद मान गईं.

फिर मैंने घर पर फोन किया और बोल दिया- मामी का फोन आया है, वो कल आएंगी और मैं अपने काम से बाहर जा रहा हूँ.
मामी ने मुझे ऐसा फोन करते हुए देखा तो वो मुस्कुराने लगीं.

मैंने एक 5 स्टार होटल में सूइट बुक किया और रेड लेबल व्हिस्की की बोतल ले ली.
हम दोनों होटल के कमरे में चले गए.

रूम में जाते ही मैं मामी के गले लग गया.
वो भी एकदम टाइट हग करने लगीं.
मुझे मस्त फील हुआ.

मुझे उनके हग करने से ही पता लग गया था कि मामी भी प्यार के लिए तड़प रही हैं.
क्योंकि पति के ना होने पर आप लोग एक स्त्री की विरह को समझ सकते हैं.

फिर हमारा आलिंगन कुछ ढीला हुआ और चूमाचाटी शुरू हो गई.
शुरुआत धीमी रफ्तार से हुई और हम दोनों एकदम वाइल्ड होते गए.

उनके दोनों होंठों मेरे होंठों के अन्दर फंसे थे.
हम एक दूसरे के मुँह में जीभ डाल कर चूसने लगे थे.

मेरे दोनों हाथ उनके चूतड़ों को मसल रहे थे.
उनका एक हाथ मेरे बालों में था और दूसरा लंड पर चल रहा था.

हम एक दूसरे के होंठों को चूसते रहे.
कुछ ही पलों में हम दोनों का मुँह लाल हो गया था.

फिर मुझसे रुका नहीं गया.
मैंने उनको दीवार के साथ उल्टा खड़ा किया और बिना सलवार उतारे उनके चूतड़ों में मुँह डाल दिया.
दो मिनट बाद उन्होंने रुकने को बोला और कहा- अभी रुको जरा सब्र करो, बहुत मज़ा आएगा.

मैं ऊपर उठा और मामी को किस करने लगा.
मामी ने मुझे हटाया तो मैं एक ओर हुआ और वो सोफे पर बैठ गईं.

अब मैंने पैग बनाए और हम दोनों चियर्स करके सिप लेते हुए बातें करने लगे.

तीन तीन पैग के बाद मैंने खेल शुरू किया.
चौथा पैग बना कर मैं उनके सामने नीचे बैठ गया.

वो बोलीं- नीचे क्यों बैठे हो?
मैं बोला- मामी आपको प्यार जो करना है. आपके शरीर का हर एक अंग मुझे चूमना है.

ये सुन कर वो गर्म हो गईं.

अब मैंने नीचे बैठे बैठे उनका एक पांव उठाया और उसको हील्स के ऊपर से ही किस किया.
आह … क्या मस्त खुशबू थी उनके हील्स और पांव की!

फिर मुँह से ही मैंने उनकी हील्स को खोला और पैरों को चूमने लगा.
पैर के अंगूठे को और बारी बारी से सभी उंगलियों को, उनके पूरे पंजे को चूमता चला गया.
इससे मामी भी सिहर उठी थीं.

फिर उन्होंने दूसरे पांव में हील्स पहने हुए ही मेरी गर्दन के पीछे करके डाल दिया.
मुझे अपने पैर से नीचे झुकाया और दूसरे पांव पर मेरा मुँह लगा दिया.

मैं पागल हो रहा था.
वो बोलीं- यू आर माय टॉय ब्वॉय नाव.

उन्होंने हील्स से मेरे मुँह को ऊपर किया और दूसरे पांव से एक थप्पड़ जैसा मारा, फिर अपनी हील्स मेरे मुँह में अन्दर डाल दी.

मैं बता नहीं सकता कि मैं कितना उत्त्तेजित हो चुका था.
उन्होंने दोनों पांव मुँह पर रख कर रब किए और एक को अन्दर मुँह में डाल दिया.

फिर एकदम आगे आईं और मेरा कान खींच कर मेरे मुँह पर ज़ोर से थप्पड़ दे मारा.
अगले ही पल मामी ने मुझे अपनी ज़ीभ चुसवाने के साथ साथ किस करना शुरू कर दिया.

आह … मैंने जो सोचा था, ये उससे कुछ बढ़कर ही हो रहा था. मेरा लंड फटने को तैयार था.
उन्होंने मुझे ऊपर उठाया और किस करते करते सोफे पर उनके ऊपर आ गया.

फिर मैंने उन्हें गोदी में उठाया और बेड पर लेटा दिया.
वो बोलीं- रवि, आई लव यू … बस आज मुझे जी भर के प्यार करो. मैं बहुत प्यासी हूँ.

मैंने उनका कमीज उतारा, लाल ब्रा उतारी. एकदम गोल और टाइट चूचियां मेरे सामने थीं.
मुझसे रहा नहीं गया; मैं लपक कर दबाने और चूसने लगा. मामी के दूध खींच खींच कर चूसने लगा.
वो अपने मुँह से ‘आह आह आअहह …’ करने लगी थीं.

फिर मैं अपने दांतों से मामी की चूचियों के दोनों निप्पलों को बारी बारी से खींचने लगा और चूसने लगा.
मामी भी मुझे अपने सीने में दबा कर दूध चुसवाने का मजा दे रही थीं और ले रही थीं.

मैं और वो एकदम सेक्स में सातवें आसमान में उड़ रहे थे.
फिर उनकी गर्दन के नीचे किस करने लगा.
वो एकदम पागल सी होने लगीं.

मैं उन्हें यूं ही किस करता हुआ उनके पेट पर आ गया और सलवार उतार दी. मैं मामी की मक्खन सी जांघों को चाटने और काटने लगा.

वो अपने पैर फैला कर मुझे अपनी जांघों के बीच दबाती हुई पागल होने लगीं.
चाटते चाटते मैं उनके नीचे आ गया और पैरों को प्यार करने लगा.

उसके बाद मैंने उन्हें बेड पर उल्टा कर दिया.
उनकी गांड की खुशबू ली और दांतों की मदद से मामी की पैंटी को खींच कर उतार दिया.

अब मामी पूरी नंगी थीं.
मैं उनके पांव से लेकर गांड तक अपनी जीभ को रगड़ता हुआ लाया और गर्दन तक ले गया.

वो एकदम पागल हो गयी थीं और तड़प रही थीं.
फिर में नीचे हुआ और गांड चाटने लगा.

आह क्या खुशबू थी मामी की गांड की!
मैं उनके चूतड़ों पर बाईट करने लगा और मैंने उसी बीच मामी की गांड में अपनी एक उंगली डाल दी.

गांड में उंगली पाते ही वो एकदम से सिहर उठीं और उनके मुँह से एक मादक सिसकारी निकल गई.
मामी बोलीं- आह बस कर बाबा … दर्द होता है.
तो मैं बोला- दर्द में ही तो मज़ा है.

मैं उनके हाथ पीछे करके उनकी गांड चाटता रहा, फिर उनको सीधा कर दिया.
मामी को सीधा करते ही उन्होंने मुझे अपने ऊपर लिया और रसभरी स्मूच दे दी.

उन्होंने मुझसे नंगा होने का बोला.
मैं झट से नंगा हो गया और मैंने सीधा उनकी चूत पर मुँह रख दिया.

अपने दोनों हाथों से टाँग खोल कर चूत चाटनी शुरू कर दी.
वो अपने दोनों हाथ से मेरे मुँह को अपनी चूत में दबाने लगीं.

मामी की चूत का स्वाद इतना मस्त था कि क्या बताऊं.
वो खुद भी कमर ऊपर उठा उठा कर चूत चुसवाने लगीं.

कुछ मिनट बाद मामी की चूत का पानी निकल गया.
मेरे मुँह में ही उनकी चूत का पानी आया था, तो मैं पीता चला गया.

चूत का रस पीने के बाद मैं उन्हें स्मूच करने लगा.

अब वो मेरे ऊपर आ गईं और ज़ीभ से चाटती हुई मेरे लंड तक आ गईं.
मेरा लंड पकड़ कर बोलीं- आज बहुत सालों बाद लंबा लंड मिला है.

उन्होंने ये कह कर मेरे लंड को मुँह में ले लिया और पूरा लंड हलक तक लेकर चूसने लगीं.
वो मेरे लंड को कुल्फी की चूस रही थीं.

फिर ज़ीभ से लंड के टोपे को चाटा और चूसने लगीं.

कुछ पल बाद मामी ऊपर उठीं और मुझे किस करने लगीं.
मैंने उन्हें नीचे किया और उनकी चूत में अपना लंड सैट करने लगा.

मामी ने मेरे हाथ को हटाया और बोलीं- अपने आप सैट होने दो.
लंड ने चूत का मुँह खुद ही खोज लिया और गांड उठा कर मैंने लंड हल्का सा अन्दर पेल दिया.

मोटे लंड का मोटा सुपारा प्यासी चूत में घुसा तो उन्होंने एकदम ज़ोर से सिसकारी ली.
मामी बोलीं- आह आहह … जन्नत मिल गई … आह रुकना मत … पेलते जाओ!

ये कह कर उन्होंने मुझे ज़ोर से पकड़ लिया.

मैंने फिर से एक झटका दिया और अपना लंड अन्दर पेल दिया.
इसी तरह चार धक्कों में मैंने पूरा लंड अन्दर पेल दिया.

वो दर्द के मारे लंबी लंबी सांसें लेने लगीं और मेरी कमर पर नाखून मारने लगीं.
मैं झटके मारता रहा और उन्हें चोदते हुए किस करता रहा.

हर झटके का मज़ा अलग ही था.
मैं कभी चूची पीता, कभी होंठ … और कभी कान में जीभ डाल देता.

कुछ 10-15 मिनट के बाद वो किस करती हुई मेरे ऊपर आ गईं और लंड पर बैठ कर कूदने लगीं.

लंड चूत के अन्दर खलबली मचा रहा था तो मामी ज़ोर ज़ोर से चिल्लाने लगीं ‘आअहह अहह अआह आअह …’

फिर 10 मिनट कूदने के बाद वो मेरी छाती पर सर रख कर शांत हो गईं.
मामी बोलीं- तुझे और करना हो तो आ जाओ.

मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और चूत में लंड ठांस दिया.
मैं उनकी गांड में उंगली करते हुए उन्हें चोदने लगा.

वो मस्ती से चिल्लाती रहीं- आह कम ऑन बेबी … आह फास्ट आआहह फक मी बेबी फास्ट!
मैं भी फुल स्पीड में चोदता रहा.

मुझे गांड में उंगली करने से रोकने के लिए वो अपने हाथों को पीछे को लाईं तो मैंने दोनों हाथों को पकड़ कर कमर के पीछे किया और तेज तेज झटके मारने लगा.

उन्हें और ज्यादा दर्द होने लगा.
मामी बोलीं- अब रुक भी जाओ यार!

मैं कहां रुकने वाला था, उनकी चूत में लंड पेलता गया.

ठप ठप की आवाज़ आती रही.

फिर मैंने उनके बाल खींचे और किस करते हुए चोदने लगा.
पोर्न मामी फक से दर्द से पीछे घूमी और मेरे होंठ को खा गईं.

काफी देर तक जोरदार तरीके से चुदने के बाद मामी फिर से झड़ गईं.
मैंने तुरंत अपना लंड निकाला और उन्हें नीचे फर्श पर बैठा कर लंड मुँह में डाल कर चोदने लगा.

कुछ देर में मैंने उनके मुँह में ही रस छोड़ दिया.
वो सारा माल पी गईं.

मैंने उन्हें गोदी में उठाया और सोफे पर नंगा करके बैठा लिया.
मैं पैग बनाया और वो मेरे कंधे पर सर रख कर भावुक होने लगीं.

मैं एक हाथ से उनकी गोरी गोरी चूचियों को मसलता रहा और उन्हें किस करता रहा.
फिर वो उठीं और वॉशरूम में मूतने के लिए जाने लगीं.

मैंने उन्हें पकड़ा और उनके साथ अन्दर चला गया.
वो बोलीं- क्यों आए हो … अभी बाहर निकलो. मैं पेशाब तो कर लूँ.

मैंने कहा- प्यार का आखिरी पड़ाव अभी बाकी है.
वो बोलीं- वो क्या?

मैं बिना बोले फर्श पर सीधा लेट गया.
वो बोलीं- उठो.
मैंने कहा- आप मेरे मुँह में सुसु करो. मैं पियूंगा सारी!

वो हैरान हो गईं.
मैंने कहा- कुछ मानती हैं तो कर दो.

कुछ देर बाद वो मान गईं.
फिर मुँह पर बैठने से पहले मामी ने पैर मेरे मुँह को दबाया और बोलीं- तू कुत्ता है मेरा … पालतू कुत्ता!
मैं बोला- जी मालकिन!

ये कहते ही मुँह पर चूत रख कर पेशाब करना शुरू कर दी.
मुझे एक पल के लिए टेस्ट अज़ीब सा लगा लेकिन फिर भी मैं पूरा मूत पी गया.

फिर पोर्न मामी चूत मुँह पर रगड़ने लगीं और उठ गईं.

मुझे कुत्ता बनाकर मेरे कान पकड़ कर टॉयलेट से बाहर ले आईं.
मैं कुत्ते की तरह चलता हुआ बाहर आ गया.

मैं बाहर आकर उनके पैरों में सर रख कर चाटने लगा. उन्होंने पैग बनाया और अपने पैरों से मेरे मुंह को रगड़ती रहीं.

पूरी रात ऐसे ही पोर्न मामी फक चलता रहा.
मेरा 3 साल पुराना सपना आख़िर पूरा हो गया.
 

junglecouple1984

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सेक्सी मामी स्लीपर बस में चुद गयी - 1




मैं मनु राजस्थान के एक छोटे से गाँव का रहने वाला हूँ. मेरी उम्र 26 साल है और मैं मेडिकल के क्षेत्र में जॉब करता हूँ.
मार्केटिंग के कारण मेरा ज़्यादातर घूमने फिरने का काम रहता है, जिसके चलते मैं महीने में दो तीन बार काम के सिलसिले में अपनी ननिहाल भी जाता हूँ.

ननिहाल में मेरी दो मामी, उनके दो बच्चे और नानी रहती हैं.
बड़े मामा कलकत्ता में … और छोटे मामा चेन्नई में जॉब करते हैं.

मेरी बड़ी मामी की उम्र 37 साल है और छोटी मामी की उम्र 30 साल है.

यह बस Xxx कहानी मेरी और छोटी मामी की है.

छोटी मामी दिखने में बला की खूबसूरत और सेक्सी माल हैं.
साढ़े पाँच फुट की हाईट के साथ उनकी 34-32-36 की फिगर किसी का भी मन विचलित कर देती थी और उन्हें देखते ही पानी निकालने लायक़ हो जाती थी.

मैं और मामी दोस्त की तरह ही रहते थे.
पर हम कभी इतना क्लोज नहीं आ सके थे कि हमारे बीच शारीरिक रिश्ते बन सकें.

हालांकि मैं मामी को सदा ही चुदाई भरी नज़रों से देखता था.
किसी न किसी बहाने से उन्हें छूना, छुप छुप कर उनके दूध और गांड देखना मेरे प्रिय शगल थे.
तब भी मैं इससे ज़्यादा नहीं कर पाया.

फिर एक दिन मामी की मां की तबीयत ख़राब हो गई, जिसके कारण उन्हें दिल्ली ले जाना पड़ा.
दो दिन बाद मामी का दिल्ली जाने का प्लान बना, पर समस्या ये थी कि मामी जाएं किसके साथ. घर में कोई मर्द तो था नहीं … और नानी को उन्हें अकेले भेजने में डर लगता था.

उसके अगले दिन मेरा भी ननिहाल जाने का प्रोग्राम बना.
जब मैं वहाँ पहुंचा, तो छोटी मामी अपना बैग जमा रही थीं.

मैं नानी के पास बैठ कर बातें कर रहा था तो नानी ने मुझे समस्या बताई और कहा- अगर तू दो दिन के लिए अपनी मामी के साथ चला जाए, तो भगवान तेरा भला करेगा.
यह सुनकर मेरी तो बांछें खिल गईं और मैंने मन ही मन कहा कि भगवान ने तो भला कर ही दिया है.

मैंने नानी से कहा- ठीक है नानी जी, मैं मामी के साथ चला जाऊँगा.
इसके बाद मैंने अपने घर फ़ोन लगाकर सारी बात बता दी और दिल्ली जाने की तैयारी करने लगा.

मामा के गाँव से दिल्ली सड़क मार्ग से जाने पर दस घंटे लगते हैं.
उधर से दिल्ली जाने का साधन सिर्फ़ बस है.

मैंने शाम को स्लीपर बस में एक डबल बर्थ वाली स्लीपर बुक करवा दी.

अगले दिन नानी और बड़ी मामी ने हमें विदा किया.
हम दोनों स्टेंड पर बस के आने का इंतजार कर रहे थे.

मैंने देखा कि मामी थोड़ी टेंशन में थीं तो मैंने मामी के कंधे पर हाथ रखकर उन्हें ढाँढस दिया.

मामी को छूने मात्र से ही मेरा लंड अपनी औक़ात पर आ गया और पैंट के उभार से दिखने लगा कि लंड बाबू तन्नाने लगे हैं.

मैं अपने बैग से लंड के उभार को छुपाने लगा था लेकिन मामी की नज़रों से नहीं छुपा सका.
मामी ने मुझे लंड को पैंट में एडजस्ट करते देख लिया और अपनी नज़रें घुमा लीं.

मैंने देखा तो उनकी मुस्कान मुझसे छुप न सकी.

अभी मैं उनसे कुछ कह पाता कि इतने में बस आ गई और मैं और मामी बस में आकर अपनी सीट ढूंढ कर बैठ गए.
हमारी स्लीपर सबसे लास्ट में ऊपर वाली थी जो मैंने जानबूझकर कर बुक की थी.

बस चल पड़ी.

मैं और मामी इधर उधर की बातें करने लगे, साथ ही मैंने कानों में इयरबैंड लगा कर अपने मोबाइल में रॉमांटिक मूवी चला ली और देखने लगा.

थोड़ी देर बाद मामी बोली- जब तक नींद नहीं आती … मुझे भी टाईम पास करना है.
उस समय रात के 9:30 बज रहे थे, तो मैंने इयरबैंड में से एक साईड का बैंड मामी के कान में लगा दिया और हम दोनों मूवी देखने लगे.

अब 10 बज चुके थे और बस में भी अब अंधेरा हो गया था.
बस अपनी रफ़्तार पर थी.
हम दोनों भी लेट गए थे.

अब आपको पता ही इयरबैंड कितना छोटा होता है, जिसका एक साईड मामी के कान में था और दूसरी तरफ का बैंड मेरे काम में था. हमारे सिर आपस में लगे हुए थे और मेरा लंड आपे से बाहर हो रहा था.
मैंने जिस हाथ से फोन पकड़ रखा था, वो मामी के साइड वाला हाथ था.

मैंने आइडिया लगा कर मामी से कहा- मेरा ये हाथ दुखने लगा है, तो आपके सिर के नीचे लगा लेता हूँ.
मामी ने एक बार मुझे देखा और फिर अपना सिर उठा दिया.

अब मेरी बांह मामी की गर्दन के नीचे थी और मेरा हाथ मामी के कंधे के पास था.

अचानक मूवी में एक रोमांटिक सीन आया और मेरा हाथ मामी के कंधे पर चला गया.
मामी ने मेरी तरफ़ देखा, पर मैं मूवी में ही नज़रें जमाए रहा.

मामी भी वापस मोबाइल में देखने लगीं.
फिर एक किसिंग सीन ने वो किया, जिसके लिए मैं तड़प रहा था.

किसिंग सीन चलते ही मैंने मामी के कंधे को थोड़ा दबाया और दबाते दबाते पीठ भी सहलाने लगा.
मैंने देखा तो मामी ने अपनी आंखें बंद कर रखी थीं और उनका हाथ मेरे पेट को छूना चाह रहा था पर शर्म ने मामी को रोक रखा था.

मैं हाथों को चलाते हुए मामी के 32 साईज़ के मम्मों की बाउंड्री तक पहुंचा तो मामी ने करवट ले ली.
उन्होंने कहा- मुझे नींद आ रही है, मैं सो रही हूँ … तुम देखो मूवी!
तो मैंने भी कहा- मुझे भी सोना ही है.

मैं मोबाइल को साइड में रखकर मामी की तरफ़ मुँह करके सो गया और खिड़की से आ रही रोशनी में मामी का चेहरा देखने लगा.
फिर मेरी नज़र मामी के उठते चूचों पर गई जो सांस के साथ ऊपर नीचे हो रहे थे.

मुझसे रहा नहीं गया और मेरा हाथ स्वत: ही मामी के पेट पर जा पहुंचा.
मामी ने साड़ी पहनी थी जिसमें उनका पेट नाभि से थोड़ा नीचे तक नंगा ही था.

मामी के पेट को छूते ही मुझमें एक करंट सा दौड़ पड़ा और मेरा लंड उफान मारने लगा.
और मामी को भी एक छोटी सिसकारी के कंपकंपी हुई.

मैं मामी के पेट को धीरे धीरे सहलाने लगा.
मामी की सांसें तेज तेज चलने लगीं.

मैं भी समझ गया कि आग दोनों तरफ़ लगी है.
अचानक से मामी ने करवट बदली और मेरी तरफ़ पीठ करके सो गईं.

मैं सरका और धीरे से मामी के पेट पर हाथ रख दिया. साथ ही अपने शरीर को मामी के शरीर से सटा दिया, जिससे अब मेरा लंड मामी की गांड से छू रहा था.
मामी के पेट को सहलाते हुए मैं जैसे ही मामी के चूचों पर पहुंचा, मामी ने मेरा हाथ पकड़ लिया लेकिन हटाया नहीं … वहीं पकड़े रखा.

तभी मैंने महसूस किया कि मामी के हाथ का दबाव मेरे हाथ पर बढ़ रहा था.
मैंने अपने लंड को मामी की गांड पर दबाया और उसी स्थिति में मामी को अपनी बांहों में जकड़ लिया.

मामी ने भी मेरा हाथ छोड़ दिया और मैं मामी के चूचों पर टूट पड़ा.
मैं अपने हाथों से चूचों का कचूमर सा बनाने लगा.

मामी की कामुक सिसकारियां भी बढ़ती जा रही थीं.

मैंने पीछे से मामी के ब्लाउज़ को खोल दिया और चूचों को आगे से दबाते हुए नंगी पीठ पर उन्हें चूमने लगा.

धीरे धीरे मेरा दूसरा हाथ साड़ी के ऊपर से मामी की चूत को सहलाने लगा.
मैंने धीरे धीरे साड़ी पेटीकोट को ऊपर किया और पैंटी के ऊपर से चूत को सहलाने लगा.

पैंटी के ऊपर से ऐसा लग रहा था, जैसे में किसी मख़मली गद्देदार चीज़ को मसल रहा हूँ.

इतने में मामी का हाथ पीछे की ओर आया और उन्होंने मेरी पैंट का बटन खोल दिया और बॉक्सर के ऊपर से ही मेरे लंड को सहलाने लगीं.

मैंने मामी को अपनी ओर घुमाया और उनके होंठों को अपने होंठों के बीच ले लिया.

अब मैं उनके मस्त गुलाबी होंठों का रस पीने लगा.
चूमते हुए ही मैंने मामी की साड़ी, पेटीकोट और ब्रा निकाल दी और मामी ने मेरी टी-शर्ट और पैंट निकाल दी.

अब मैं और मामी सिर्फ़ एक एक कपड़े में थे.
फिर मैं 69 पोजीशन में आया और मामी की पैंटी उतार दी.

चूत अपने रस से पूरी तरह भीग चुकी थी और रस बाहर की ओर टपक रहा था.

ऐसा लग रहा था जैसे मामी एक बार झड़ चुकी हों.

मामी की रसभरी चूत अपनी आंखों के आगे देख मुझसे रुका नहीं गया और मैंने अपना मुँह मामी की चूत पर लगा दिया.
इससे मामी एकदम से सिहर उठीं मगर मैंने मुँह नहीं हटाया बस मामी की कचौड़ी सी फूली चूत को चाटने लगा.

मामी भी अपनी मादक सिसकारियां दबाने लगीं ताकि आवाज़ बाहर ना जा सके.
हालांकि दोनों ओर की खिड़की बंद थीं और पर्दे भी लगे हुए थे, पर सुरक्षा जरूरी थी.

जब सिसकारियां मामी के आपे से बाहर होने लगीं तो मामी ने मेरा बॉक्सर निकाल कर मेरा खड़ा लंड अपने मुँह में भर लिया और बेक़ाबू होकर मेरे लंड को गले तक ले जाने लगीं.
एक समय ऐसा आया कि मेरे लंड को मामी ने अपने मुँह में ज़ोर से दबा लिया और उनकी चूत का रस मेरे मुँह में भर गया.

मामी इतनी ज़ोर से झड़ी थीं कि उनके नाखून मेरी पीठ पर चाकू की तरह चुभते से महसूस हुए.

मैं सीधा हुआ और मामी के दूध पीने लगा.
मामी खुद अपने हाथों से मुझे अपने दोनों दूध बारी बारी से चुसवा रही थीं और उनकी आह आह मुझे मस्त कर रही थी.

थोड़ी ही देर बाद मामी फिर से गर्म हो गईं और मेरे कान में धीरे से ‘प्लीज.‘ बोलीं.
मैं समझ गया कि असल युद्ध अब करना है.

मैं मामी के ऊपर आया और मामी की गीली चूत से अपने लंड को टच किया.
मैंने जैसे ही लंड को चूत के द्वार पर रखा, मामी ने सिसकारी लेते हुए मेरी गर्दन को नीचे खींचा और मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूसने लगीं.

मेरी गांड पर हाथ रखकर मुझे नीचे की ओर धकेलने लगीं.
मैंने भी मौक़ा पाकर चूत पर अपने लंड से एक प्रहार किया और एक ही झटके में तीन चौथाई लंड मामी की चूत में पेल दिया था.

इस चोट से मामी की एक चीख निकली और मेरे होंठों में दब कर रह गई.
मामी की आंखों से आंसू टपक रहे थे.

मैंने धीरे धीरे लंड को अन्दर बाहर करना शुरु किया और धीरे धीरे पूरा लंड जड़ तक ठांस दिया.
मामी भी होंठ छोड़कर धीरे धीरे सिसकारियां लेने लगीं और अपनी कमर उठाकर साथ साथ चलाने लगीं.

कुछ देर के धक्कों के बाद मैं मामी की पीठ की ओर आ गया और पीछे से उनकी चूत में लंड दे दिया.
फिर एक पैर को थोड़ा ऊपर उठाकर धक्के देने लगा.

मामी आह आह करती हुई खुद अपने चुचे दबाने और पीने लगीं.

इस आसन में दस मिनट तक चुदाई होने के बाद मामी ने मुझे चित लेटाया और मेरे ऊपर चढ़ गईं.
मेरे लंड को मामी ने अपनी चूत के मुहाने पर सैट करके धीरे धीरे लंड पर बैठने लगीं.

अब मामी के साथ मेरी भी सिसकारियां निकलने लगीं.
मामी के ऊपर से लगने वाले धक्कों के साथ मैं भी नीचे से धक्के लगाने लगा और बची हुई कसर बस की तेज रफ़्तार से लगने वाले झटकों ने पूरी कर दी.

कुछ 5-7 मिनट लंड पर उछलने के बाद मामी और मेरे झटकों की स्पीड भी तेज हो गई और एक तेज सिसकारी के साथ मामी कंपकंपाते हुए झड़ने लगीं.
चूत में मचे हुए उस लपलपाते घमासान से मेरा लंड भी दो तीन तेज धक्कों के साथ अपना लावा मामी की चूत में छोड़ने लगा.

इस घमासान युद्ध के बाद मामी मेरे ऊपर ही निढाल होकर पड़ी रहीं.
हमारी तेज तेज निकलती सांसें आपस में मिलती जा रही थीं.

थोड़ी देर बाद लंड सिकुड़ कर चूत से बाहर निकल आया.
मेरा और मामी के रस से मेरा लंड और मेरी जांघें पूरी तरह भीग चुकी थीं.

फिर मामी उठीं और अपनी पैंटी से चूत को पौंछ कर मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया.
वो लंड पर लगा हम दोनों का मिश्रण आइसक्रीम की तरह चाटकर चाट गईं और वापस से मेरे सीने पर सर रखकर सो गईं.

इस घमासान के दौरान हमारे बीच कोई बातचीत नहीं हुई.
मैं और मामी एक दूसरे की तरफ़ देखकर सिर्फ़ मुस्कुराते हुए अपने कपड़े पहनने लगे और वापस उसी अवस्था में लेट गए.

हमने समय देखा तो रात के 12:30 बज रहे थे.
मैं और मामी एक दूसरे की बांहों में ही सो गए.
पता नहीं हमारी आंख कब लगी.

सुबह 7 बजे हम दिल्ली पहुंच गए.
मामी ने मुझे उठाया.

दस घंटे के उस सफ़र में चुदाई के बाद ये पहली वार्तालाप हुई जिसमें मैंने मामी से पूछा- रात कैसी रही?
मामी- रात तो अच्छी रही, पर ये सिर्फ़ एक इत्तिफ़ाक़ था. इसके बारे में किसी को पता नहीं चलना चाहिए.
मैंने मामी को प्रॉमिस किया और उन्हें एक किस कर दिया.

हमारा स्टॉप आ चुका था.

हम उतर कर सीधे हॉस्पिटल गए और मामी की मां से मिले.
उनकी तबीयत में सुधार कम था, तो हमें दो दिन और हॉस्पिटल में रुकना पड़ा.

हॉस्पिटल में मामी की छोटी बहन, बड़ा भाई और भाभी भी आए हुए थे.
फिर मैंने हॉस्पिटल में चुदाई की मामी की, जिसकी भनक मामी की भाभी को भी लग गई.
 
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