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Incest All short story collected from Net

आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

  • माँ - बेटा

  • भाई - बहेन

  • देवर - भाभी

  • दामाद – सासु

  • ससुर – बहु


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junglecouple1984

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बड़ी बहन ने मुझे सेक्स का पाठ पढ़ाया





बहन की चुदाई कोई अच्छी बात नहीं है.
पर जब कोई आदमी नया-नया जवान होता है तो उसका चोदने का मन होता ही है।
कोई-कोई तो अपनी इच्छा दबा लेता है.
पर कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपनी इस इच्छा को दबा नहीं पाते।

ऐसे में उन्हें सिर्फ चूत दिखाई देती है, वह किसी की भी हो।
उन्हें न मां दिखाई देती है, न बहन और न मौसी-काकी।

उन्हीं लोगों में एक मैं भी था।
वैसे बहन को मैंने अपनी इच्छा से नहीं चोदा था; उसने खुद चोदवाया था।
और इसकी शुरुआत भी बहुत पहले हो गई थी।

वैसे मुझे अपना नाम बताने की जरूरत नहीं है। नाम जान कर आप लोग करेंगे ही क्या!
आपको तो मजेदार कहानी चाहिए जिसे मैं अब कहानी लिख रहा हूं।

उस मुझे चुदाई के बारे में किसी को ज्यादा पता नहीं था, इस बारे में कोई खास जानकारी नहीं थी।
बस इतना जानता था कि आदमी के पास लंड होता है और औरत के पास चूत, जिसे आदमी लंड से चोदता है।

कैसे चोदता है, यह भी नहीं पता था।
हां, इतना जरूर पता था कि लंड को चूत में घुसेड़ा जाता है।
कहां और कैसे, यह जानकरी नहीं थी।

चूत में लंड घुसेड़ कर कैसे चोदा जाता है, यह भी नहीं जानता था।
चूत कभी देखी ही नहीं थी, तो कैसे जानता।

यह संयोग ही था कि चूत मिली भी तो आसानी से और घर में ही मिल गई।

शायद मैं भाग्यशाली लोगों में था जो बिना मेहनत किए घर बैठे बहन की मस्त कुंवारी चूत मिल गई थी।

एक दिन शाम को मैं और बहन बाहर वाले कमरे में बैठे पढ़ रहे थे।
दादाजी खेत में पानी देखने चले गए थे।
मां अंदर घर में खाना बना रही थी।

पिताजी शहर में रह कर नौकरी करते थे।
वे शनिवार की शाम को आते थे और सोमवार की सुबह चले जाते थे।

इस तरह घर में मैं, बहन, मां और दादाजी ही रहते थे।

उस दिन शाम को पढ़ते हुए मुझे लगा मेरे पेल्हर में कोई कीड़ा काट रहा है।
मैंने खुजलाया, पर खुजलाने का कोई असर नहीं हुआ।

मुझे बार बार पेल्हर खुजलाते देख बहन ने कहा- क्या हो गया है तुझे, जो बारबार चड्डी के अंदर हाथ डाल कर खुजला रहा है?
“ऐसा लगता है कोई कीड़ा काट रहा है। पर खुजली करने से भी नहीं मान रहा।” मैंने कहा।

“कीड़ा नहीं, किलनी लगी होगी। वही काट रही होगी। वह खुजलाने से नहीं मानेगी। जब तक उसे निकालोगे नहीं, वह इसी तरह काटती रहेगी। उसे खींच कर निकालो, तभी वह निकलेगी।” बहन ने कहा।

मैंने दूसरी ओर मुख करके हाफ पैंट के अंदर झांका।
पर वह दिखाई नहीं दी।

दिखाई दे भी कैसे?
वह होती है गहरे खून के रंग की।
पेल्हर के रंग की होने की वजह से उसमें वह इस तरह छुप जाती है कि जल्दी दिखाई नहीं देती।

मैंने बहुत कोशिश की पर वह दिखाई नहीं दी।
जब दिखाई ही नहीं दे रही थी तो निकालता कैसे?

मैं डर गया और रोने लगा।
बहन ने कहा- लाओ मैं निकाल देती हूं, इसने रोने की कौन सी बात है।

“वहां से कैसे निकालोगी?”
“कहां लगी है, जो मैं नहीं निकाल सकती?” बहन ने डांटते हुए कहा।

बहन मुझसे 2 साल बड़ी थी।
मैं शर्मा रहा था।

उसकी तरफ मुंह करके मैं खड़ा हो गया तो उसने हाथ में टार्च लेकर पैंट की मोहरी उठा कर पेल्हर पर टॉर्च मारी।
पर पैंट टाइट थी इसलिए उसे वह जगह दिखाई नहीं दी, जहां किलनी लगी थी।

तब बहन ने कहा- पैंट नीचे खिसकाओ … किलनी दिखाई नहीं दे रही है।
पैंट नीचे खिसकाने में मैं सकुचाया.
तो उसने खुद ही अपने हाथों से मेरी पैंट खींच दी।
मैं उसके सामने पूरा नंगा हो गया।

वैसे वह मेरी बड़ी बहन थी इसलिए उसके आगे नंगा होने में कोई बुराई नहीं थी।
पर जब लड़का समझदार हो जाए तो बहन के आगे नंगा होने में शर्म तो लगती ही है।

अब तक बहन का इरादा कोई गलत नहीं था।
वह भाई प्रेम में मेरे पेल्हर की किलनी निकाल कर मुझे उस कष्ट से निजात दिलाना चाहती थी जो मुझे परेशान किए था।

तब मुझे क्या पता था कि इसी किलनी की वजह से एक दिन मुझे वह सुख मिलेगा जिसके लिए लड़के छटपटाते रहते हैं।

बहन ने मेरे पेल्हर पर टार्च का उजाला फेंका।
उसे किलनी दिख भी गई।
पर बिना कुछ पकड़े उसे वह खींच नहीं सकती थी।

चूंकि किलनी एकदम लंड के नीचे लगी थी इसलिए उसने मजबूरन मेरा लंड, तब छुन्नी थी. पकड़ा तो वह एकदम से खड़ी हो गई।
मेरी छुन्नी को खड़ी होते देख वह किलनी निकालना जैसे भूल गई और मेरी छुन्नी को हाथ में पकड़े-टकड़े ही बोली- बहन के हाथ में छुन्नी पकड़ा कर इसे खड़ी करते तूझे शर्म नहीं आई?
मैं क्या कहता!
शर्म तो मुझे भी आ रही थी।

मेरी छुन्नी भी अब उतनी छोटी नहीं थी।
इसे आराम से मुट्ठी में ले कर सहलाया जा सकता था।

मेरी बहन किलनी को भूल कर मेरी छुन्नी को मुट्ठी में दबाए देख रही थी।
शायद उसने पहली बार इस तरह छुन्नी या लंड पकड़ा था।

उसे अच्छा लगा था छुन्नी पकड़ना इसलिए वह उसे पकड़े बैठी थी।

जब मैंने देखा कि वह किलनी नहीं निकाल रही तो मैंने कहा- किलनी निकालो न दीदी, वह काट रही है।
“निकालती हूं, इतना परेशान क्यों हो रहा है?”
“काट रही है दीदी!”

उसने मेरा लंड ऊपर कर के किलनी निकाली तो जहां वह घुसी थी, वहां से एक बूंद खून निकल आया।

उसने उंगली से खून पौंछा और लंड उसी तरह पकड़े रही।
जबकि अब उसे मेरा लंड छोड़ देना चाहिए था क्योंकि किलनी तो निकल गई थी।

लंड छोड़ने के बजाय बहन मेरी आंखों में आंखें डाल कर मेरे खड़े लंड को सहलाने लगी।
उसका सहलाना मुझे अच्छा लगा।

मैं लंड छोड़ने की न कह कर चुपचाप खड़ा सहलवाता रहा।
उसके सहलाने से मुझे अजीब सी गुदगुदी हो रही थी।

तब मेरा लंड खुलता नहीं था।
खुलता क्या … मैंने कभी खोला ही नहीं था क्योंकि उसे खोलने के बारे में मुझे पता ही नहीं था।

मेरे लंड को सहलाते-सहलाते बहन ने झटका देकर उसे खोल दिया।
चूंकि लंड कभी खुला नहीं था इसलिए उसमें कचरा जमा था.
जिसके खुलते ही अजीब सी पेशाब जैसी बदबू आई।

बहन ने कहा- इसे कभी साफ नहीं करता क्या?
“इसे कैसे साफ किया जाता है, मुझे पता ही नहीं था।”

कमरे में रखी तेल की कटोरी ले कर उसने लंड के आगे वाले हिस्से में तेल लगा कर एक पुराने कपड़े से पौंछ दिया।
अब मेरा लंड साफ हो गया।

लंड साफ कर के उसने कहा- नहाते समय इसे साफ कर लिया कर!
मैंने हां में सिर हिलाया.

तो उसने कहा- अच्छा लग रहा है? तुम्हारी छुन्नी तो अब बड़ी हो गई है। इसे सहलाने में बहुत अच्छा लगता है। पर यह बात किसी से कहना मत कि मैं तुम्हारी छुन्नी सहला रही थी। तुम्हें भी अच्छा लग रहा है न? अगर तुम किसी से बताओगे नहीं तो मैं तुम्हारी छुन्नी इसी तरह सहलाती रहूंगी। मुझे भी इसे सहलाना अच्छा लग रहा है।

“ठीक है दीदी, मैं किसी से नहीं बताऊंगा।” हां में सिर हिलाते हुए मैंने कहा।

इसके बाद तो यह क्रम बन गया।
जब भी दीदी को मौका मिलता, वह मेरा लंड पकड़ कर सहलाने लगती।

मुझे भी उसके सहलाने में मजा आता था इसलिए मैं आराम से सहलवाता था।

इसी तरह समय बीत गया।
मेरा लंड काफी बड़ा और मोटा हो गया था। मतलब जितना बड़ा सभी का होता है, उतना बड़ा हो गया था।

मेरी बहन मेरा लंड सहलाती जरूर थी, पर उसने कभी उसे झाड़ा नहीं यानी मुट्ठ नहीं मारी।

अब मेरा भी मन उसकी चूत देखने का ही नहीं चोदने का मन होता था.
पर वह मुझसे बड़ी थी इसलिए कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं होती थी।

वह मेरा लंड खड़ा करती, सहलाती और वैसे ही छोड़ देती।
एक दिन उसने कहा- जानते हो, इसमें से पानी भी निकलता है?
“वह कैसे?” मैंने जिज्ञासा से पूछा।
“निकाल कर दिखाऊं?” बहन ने पूछा।
“हां।” मैंने कहा।

अब बहन मेरा लंड पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगी।
मुझे इस बार सहलाने से ज्यादा मजा आ रहा था।

मेरा लंड जब झड़ने को हुआ तो मुझे अजीब सी सिहरन होने लगी।
फिर जब लंड झड़ने को हुआ तो मैं उछलने लगा।
मेरे मुंह से सी…सी… की आवाज निकलने लगी।

उसने कहा- चुप … आवाज नहीं निकलनी चाहिए, वरना मम्मी आ जाएगी तो हम दोनों की पिटाई हो जाएगी।

यह कहते हुए भी उसका हाथ चलता ही नहीं रहा, बल्कि अब और तेजी से चलने लगा था।
आखिर मैं झड़ गया।

मेरे लंड से गीला गीला चिपचिपा सा पदार्थ निकला, जिसे दीदी ने बताया कि इसे वीर्य कहते हैं।

जब मेरा लंड झड़ गया तब मैंने हिम्मत कर के कहा- दीदी एक बात कहूं, डांटोगी तो नहीं?
“कहो, डांटूंगी क्यों?”
“मैं भी आप की वो देखना चाहता हूं।”

“क्या?” उसने मेरी आंखों में आंखें डाल कर शरारत से मुसकराते हुए पूछा।
शायद वह समझ गई कि भाई अब चोदने लायक हो गया है और उसकी चूत चोदना चाहता है।
“आप की वो!”

“यह वो क्या है? मेरे पास तो कोई वो नहीं है।”
दीदी शायद मेरे लंड का पानी देख कर मस्त हो गई थी और वह भी लंड का मजा चूत के अंदर लेकर लेना चाहती थी।

इसलिए अब उसे भी शरारत सूझ रही थी और वह मुझे पूरी तरह खोलना चाहती थी। इसलिए वह इस तरह की बात कर रही थी।

उसने उसी लहजे में कहा- जो देखना है, उसका नाम लेकर बता!
मैं सकुचा रहा था चूत कहने में!

थोड़ी देर मैं कुछ नहीं बोला तो वही बोली- बोल … बोल … शरमा मत। तू जो कहेगा, मैं वह दिखाऊंगी।
बहन के इतना कहते ही मुझमें हिम्मत आ गई।

मैंने कहा- मैं आपकी बुर (चूत) देखना चाहता हूं।

“बहुत दिन लगा दिए यह कहने में? मैं तुझे बहुत पहले ही अपनी बुर दिखाना चाहती थी, पर तूने कभी कहा ही नहीं। अब आज कहा है तो भला क्यों नहीं दिखाऊंगी। ले देख ले खुद ही खोल कर!”

मैंने झट बहन का पायजामा नीचे खिसका दिया।
उसकी चूत सहित गांड खुल गई।

दीदी गोरी थी इसलिए उसकी चूत भी चमक रही थी और चूतड़ भी।
पर चूत पर बाल थे इसलिए स्पष्ट नहीं दिखाई दे रही थी।

उसकी चूत बालों से ढकी थी।
फिर भी बीच वाला हिस्सा तो दिखाई ही दे रहा था।

मैंने पहली बार चूत देखी थी।
बहन की चूत देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया था।
जबकि थोड़ी देर पहले ही बहन ने मुट्ठ मार कर उसका पानी निकाला था।

मैं बहन की चूत देख रहा था तो उसकी नजर मेरे लंड पर थी।
उसके खड़े होते ही वह बोली- चूत देखते ही इसका चोदने का मन हो गया।

चोदने की कौन कहे … मैं तो पहली बार चूत देख रहा था।
मन में लड्डू भी फूट रहे थे कि शायद दीदी चोदवा ले।
पर कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं पड़ रही थी।
बस सारा भरोसा दीदी पर था।

मैं कुछ इसलिए नहीं कह पा रहा था कि कहीं बहन गुस्सा हो गई तो जो मिल रहा है, वह भी मिलना बंद हो जाएगा।

पर भाग्यशाली था मैं!

मेरे खड़े लंड को हाथ में लेकर उसने कहा- बेचारा चूत में घुसने के लिए बेताब हो रहा है।

फिर उसे सहलाते हुए आगे बोली- निराश होने की जरूरत नहीं है बच्चा, तुझे मिलेगी चूत, जरूर मिलेगी चूत!
मैं खुश हो गया।

पर मैंने कभी किसी को चोदा तो था नहीं … इसलिए मन ही मन परेशान था कि अगर दीदी ने चोदवाया भी तो मैं चोदूंगा कैसे?
क्योंकि मैं तो यह भी नहीं जानता था कि चूत में लंड कहां और कैसे घुसेड़ा जाता है।

मैं भले अनाड़ी था … पर दीदी को सब पता था।

यह बात मुझे तब पता चली जब उसने कहा- तुम्हारा लंड बता रहा है कि तुम मुझे चोदना चाहते हो? सचमुच तुम्हारा मन मुझे चोदने का है?

दीदी सब कुछ खुल कर कह रही थी।
उसे कुछ भी कहने में जरा भी शर्म नहीं लग रही थी।

जबकि मैं शर्म, संकोच और डर की वजह से कुछ भी नहीं बोल पा रहा था।

जब उसने पूछा कि क्या मेरा उसे चोदने का है तो मैंने हां में सिर हिला दिया।

तब वह मेरे लंड को मुट्ठी में जोर से दबा कर बोली- साले, तूने मुंह में दही जमा रखी है क्या? इतना बड़ा सिर हिला रहा है। मुंह से बोल कि तेरा मन क्या कह रहा है?
मैंने नजरे झुका कर कहा- हां।

“क्या हां? आगे भी कुछ कहेगा?
“हां, मेरा मन है।” मैंने कहा।

“किस चीज के लिए मन है?” बहन इस तरह के सवाल कर के मेरे अंदर जो झिझक, शर्म थी, शायद उसे दूर करना चाहती थी।

उसने आगे कहा- बोल किस चीज का मन है?
मैं कुछ नहीं बोला.

तो Xxx सिस ने कहा- बोल साले … नहीं तो अपनी चूत तेरे मुंह में रगड़ दूंगी।
मैंने धीरे से कहा- चोदने का!

“ये हुई न बात … साले माल भी खाना चाहता है और मुंह भी छुपाना चाहता है। चोदना तो चाहता है पर पता भी है कैसे चुदाई की जाती है?
“जब कभी किया ही नहीं तो कैसे पता होगा।” मैंने कहा।

“क्या नहीं किया?”
“अरे वही!”
“अरे वही क्या? कहा न कि खुल कर बात करेगा बच्चे तभी चोदने में मजा आएगा।”
“चुदाई भई!” अब मैं खुलने लगा।
“यह हुई न बात … अब इसी तरह बात करना!”

फिर उसने चूत पर हाथ रख कहा- इसे क्या कहते हैं?
मैंने झट कहा- बुर (चूत)
हमारे यहां चूत को बुर ही कहा जाता है।

“इधर देख!” उसने चूत को बीच से फैला कर यानि दोनों फांकों को अलग-अलग करते हुए कहा- इसमें नीचे एक छेद है न, इसी में तुम्हें अपना लंड घुसेड़ना है।” समझ गया न?
“जी समझ गया।”

“तो फिर चल … अब चुदाई का कार्यक्रम शुरु करते हैं।”

इसके बाद पोर्न सिस ने मेरे दोनों हाथ पर रखते हुए कहा- इन्हें धीरे-धीरे दबाते हुए मसल! ज्यादा जोर से मत दबाना, वरना दर्द होगा।

मैं दीदी की चूचियां दोनों हाथ में लेकर दबाते हुए मसलने लगा तो उसने अपने मुंह में मेरे होंठ लेकर चूसना शुरू कर दिया।
अब तो मेरा लंड फनफना उठा।

एक हाथ से मेरे लंड को टटोलते हुए उसने कहा- यह तो साला पूरा डंडे की तरह हो गया है रे! लगता है साली चूत को फाड़ ही डालेगा। आज पहली बार चूत में लंड घुसेगा। संभाल कर धीर-धीरे घुसेड़ना। कहीं फट गई तो परेशानी हो जाएगी।

वह आगे बोली- अच्छा एक काम कर … पहले तू मेरी चूत को गीली कर … इसके लिए तुझे मेरी चूत को चाटना होगा। गीली हो जाएगी तो लंड आराम से घुस जाएगा। चल चाट!
इतना कह कर बहन टांगें फैला कर लेट गई।

मुझे दोनों टांगों के बीच बैठा कर चूत चाटने का इशारा किया।
मैं तुरंत झुक कर उसकी चूत चाटने लगा।

उसने मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा- चूत चाटते हुए खूब थूक छोड़!
मैं थूक निकाल कर उसकी चूत चाट रहा था।

मेरी बहन जल्दी ही गर्म हो गई … चूतड़ उछाल उछाल कर कह रही थी- बहुत अच्छा लग रहा है। और जोर जोर से चाट!
वह मुझे उकसा उकसा कर चूत चटवा रही थी।

उसकी चूत के ऊपर से थूक बहने लगा था।
फिर एक झटके से उठी और मुझे गिरा कर मेरे ऊपर चढ़ गई।

मेरे लंड को मुंह में लेकर खूब थूक लगाया, फिर मेरे लंड कर बैठ कर लंड को छेद पर लगा कर बोली- मैं ऊपर से जोर लगा रही हूं और तू नीचे से लगा। अब लंड को धीरे धीरे चूत के अंदर लेना है।

चूत भी गीली थी और लंड भी।

मेरा लंड बहुत मोटा नहीं था इसलिए आराम से चूत में घुस गया।
वह न चिल्लाई और न ही रोई।

लंड चूत में घुसा तो ऐसा लग रहा था जैसे किसी ने मुट्ठी में पकड़ रखा है।
ऐसा इसलिए था क्योंकि बहन की चूत में उस दिन पहली बार लंड घुस रहा था।
इसके पहले उसने कभी अंगुली तक नहीं डाली थी।

लंड चूत में घुसा तो मुझे स्वर्गिक सुख मिला।
चूत में लंड के घुसते ही दीदी ने मुझे दोनों बांहों से जकड़ कर चिपका लिया और अपने मुंह में मेरे होंठों को चूसने लगी।

थोड़ा चूसने के बाद बोली- तू भी मेरे होंठों को इसी तरह चूस!

फिर उसने मुझे छोड़ कर कहा- मेरी चूचियों को मसलते हुए दबा!
मैंने बहन की चूचियां दबाई तो उसके मुंह से सिसकारी निकल गई।
उसने कहा- आराम से दबा … ये मजा लेने के लिए हैं, तकलीफ देने के लिए नहीं!

इतना कह कर उसने मुझे चूमते हुए कहा- अब चोद मुझे! लंड डाल कर ही न पड़ा रह। चोदेगा, तभी मजा मिलेगा।

मैं धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करने लगा।
ऐसा करने से सचमुच बहुत अच्छा लग रहा था।

ऐसा करने से थोड़ी देर में हम दोनों झड़ गए।

झड़ते ही मैं लस्त होकर दीदी के ऊपर लेट गया तो उसने मुझे चिपका लिया।

इसके बाद तो हम दोनों को जब भी मौका मिलता, दोनों ही चुदाई कर लेते।

जब तक बहन की शादी नहीं हो गई, उसने मुझे कभी चूत के लिए तरसने नहीं दिया।
 

junglecouple1984

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लॉकडाउन में बहन की चूत चुदाई




मेरा नाम प्रिन्स है और मेरी बहन का नाम दीक्षा है.

यह सेक्सी सिस्टर फक स्टोरी तब की है, जब पूरे देश में कोरोना फैला हुआ था.
तब मेरी उम्र 21 साल थी है और मेरी बहन 19 साल की थी.

लॉकडाउन के कारण सभी लोग अपने अपने घर वापस आ रहे थे.
उसी दौरान मेरी बहन भी घर वापस आ गयी.
जबकि मेरे मॉम डैड मुंबई में फंस कर रह गए थे.

मैं और मेरी बहन यूपी में अपने घर पहुँच चुके थे.

सरकार की गाइड्लाइन के अनुसार हम दोनों को चौदह दिनों के लिए क्वॉरंटीन कर दिया गया था.

अब हम दोनों घर पर अकेले रह रहे थे.
हम दोनों के पास कोई काम तो था नहीं तो हम घर पर बोर होने लगे थे.

तब हम दोनों अपना अपना अनुभव आपस में साझा करने लगे, एक दूसरे से सारी बातें बताने लगे.

मेरी बहन ने मुझसे पूछा- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड है?
तो मैंने कहा- हां मेरी एक गर्लफ्रेंड है और तुम्हारा कोई ब्वॉयफ्रेंड?
तो वह बोली- नहीं, मेरा कोई ब्वॉयफ्रेंड नहीं है.

ऐसी ही कुछ बातें करके हम दोनों सो गए.
ऐसे ही 2-3 दिन निकल गए.

चौथे दिन डैड का कॉल आया- हम दोनों घर नहीं आ पाएंगे क्योंकि कोरोना के केस बढ़ रहे हैं और सब लोगों को घर से निकलने से मना कर दिया गया है.
यह बात मैं अपनी बहन को बताने के लिए उसके कमरे में गया.
उधर मैंने देखा कि मेरी बहन कमरे में नहीं है.

उसके बाथरूम में शॉवर चलने की आवाज आ रही थी.

वहां बेड पर उसकी लाल रंग की पैंटी और ब्रा पड़ी हुई थी, साथ में एक डिल्डो भी पड़ा हुआ था.
यह देख कर मैं थोड़ी देर के लिए सन्न हो गया था.

अब मैं बहन के कमरे से निकल गया और अपने कमरे में आ गया.

मैं सोचने लगा कि मेरी बहन डिल्डो इस्तेमाल करती है … इसका मतलब यह हुआ कि यह सेक्स की अभ्यस्त है और बिना चुदाई के इससे रहा नहीं जा रहा है इसलिए यह अपनी चूत में डिल्डो ले रही है.

फिर रात को जब हम दोनों खाना खाने आए तो मैंने उसे बताया कि मॉम डैड नहीं आ पाएंगे क्योंकि उधर केस बहुत बढ़ रहे हैं और सरकार ने निकलने की मनाही की हुई है.

वह बोली- ओह यह तो बड़ी मुसीबत की बात है!
उसके चेहरे को देख कर ऐसा लग नहीं रहा था कि उसे कोई मुसीबत महसूस हो रही है.

फिर मैंने डिल्डो वाली बात कहने की सोची लेकिन न जाने क्या सोच कर चुप रह गया.

अब हमारा खाना खत्म हो गया था और हम दोनों अपने अपने कमरे में चले गए.

पर मेरा दिमाग़ अभी भी डिल्डो वाली बात पर अटका हुआ था.
इसलिए रात को मैं अपनी बहन के कमरे में चोरी से झांकने चला गया.

मैं उसके दरवाजे के की-होल से देखने लगा.

मैंने देखा कि मेरी बहन पूरी तरह से नंगी बेड पर बैठी हुई है और उसने लैपटॉप खोला हुआ है.
यह देखते ही मेरा लंड एकदम से खड़ा हो गया.

फिर मेरी बहन बेड से उठी और अपने फोन से अपनी नंगी पिक्चर्स लेने लगी.

अब मुझसे कंट्रोल नहीं हो रहा था तो मैंने अपना लंड बाहर निकाला और वहीं पर मुठ मारना चालू कर दी.
अपनी बहन का नंगा बदन देखते हुए ही मैंने कुछ ही देर में अपने लंड से वीर्य फेंक दिया.

तभी मेरे कमरे में मेरा फोन रिंग करने लगा, मैं अपने कमरे में आ गया.

यह मेरी गर्लफ्रेंड का कॉल था.
मैंने उससे थोड़ी देर बात की और फ़ोन कट गया क्योंकि मेरी जीएफ भी उन दिनों अकेली नहीं थी तो वह ज्यादा देर बात नहीं कर सकती थी.

मेरा भी ध्यान अभी मेरी बहन के नंगे बदन पर था.
मैं वापस जाकर उसके दरवाजे के की-होल पर अपनी नजरें गड़ा कर देखने लगा.

उसके बूब्स एकदम गोल और कसे हुए थे और उसने अपनी झांटों को दिल के आकार में काट कर सैट किया हुआ था.

यह देख कर मैं एक बार फिर से मुठ मारने लगा.

अगले दिन सुबह मैं अपने कमरे में लेटा हुआ था और अपनी बहन को सोचते हुए मुठ मार रहा था.
तभी वह एकदम से मेरे कमरे के अन्दर आ गयी.

उसने मेरे खड़े लंड को देकह लिया और उसी पल वह वहां से वापस चली गयी.

फिर जब हम ब्रेकफास्ट के लिए आए तो हमने आपस में कोई बात नहीं की.

आज कपड़े धोने की बारी मेरी थी और जब मैं कपड़े लेने के लिए अपनी बहन के पास गया तो मैंने देखा कि उसने योगा शॉर्ट्स पहनी हुई थी और ऊपर एक पारदर्शी टॉप पहना हुआ था, जिसमें उसके बूब्स के निप्पल साफ दिख रहे थे.
मेरा मन कर रहा था कि अभी इसके बूब्स को पकड़ कर दबा दूँ!

मेरा लंड भी खड़ा हो गया था जो मैंने अपने कपड़ों से ढक कर रखा हुआ था.

मेरी बहन ने धोने के लिए अपने कपड़ों के साथ अपनी पैंटी और ब्रा भी दे दी.

उसकी ब्रा पैंटी लाल रंग की थीं.

उसने मेरे हाथ में अपनी ब्रा पैंटी देते हुए कहा- लो जरा अच्छे से धो देना.
शायद वह भी अपने अन्दर वासना का अहसास कर रही थी.

जब मैं वॉशिंग मशीन में कपड़े धो रहा था, तो मेरी बहन मेरे पास आई और मुझ पर पानी गिरा कर हंसने लगी.

यह देख कर मैंने भी उसके ऊपर पानी फेंका और उसे पीछे से पकड़ कर उस पर मग से पानी डालने लगा.

पानी से उसके बूब्स बिल्कुल साफ नजर आने लगे थे.
उसने अन्दर कोई ब्रा भी नहीं पहनी हुई थी.

यह देख कर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया और उसकी गांड की दरार में घुस कर छेद को टच करने लगा.

मुझे उस वक्त ऐसा लगा कि मेरी बहन भी अपनी गांड को मेरे लंड पर रगड़ रही है.
कुछ देर बाद वह वहां से चली गयी.

रात को ख़ाना खाने के बाद जब मैं सोने के लिए गया तो मुझे मेरी बहन के कमरे से कुछ आवाज आने लगी

जब मैंने उसके रूम में देखा तो मेरी बहन पूरी तरह से नंगी थी और अपनी फ़ुद्दी में एक डिल्डो को डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी.

उसके बड़े बड़े बूब्स को देख कर और उसके पूरे नंगे बदन को देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था.
उसकी गुलाबी चूत को देख कर मैं ये सोच रहा था कि काश किसी तरह मैं अपनी बहन की चूत में अपना लंड डाल सकता … और उसे चोद सकता.

उसका बदन एक पॉर्न एक्ट्रेस की तरह खूबसूरत था.
मैंने कभी भी उसके बदन पर ध्यान ही नहीं दिया था.
पर अब मैं चाहता था कि बस एक बार उसके नंगे बदन को छू सकूँ और उसके बूब्स को अपने मुँह में ले सकूं.

मैं अपनी बहन के मम्मों को पीना चाहता था और उसकी चूत को अपने मुँह से चाटना चाहता था.

मैं दरवाजे के पीछे ही मुठ मारने लगा और मुझे यह ध्यान ही नहीं गया था कि दरवाजा खुल गया है और उसने मुझे देख लिया है.
वह अचानक से मुझ पर चिल्लाई और मैं वहां से भाग गया.

पर कहीं ना कहीं मेरी बहन भी लंड की भूखी थी.

अगले दिन सुबह मैं सो रहा था.
तभी मेरी बहन मेरे कमरे में आई और वह मेरे लिए ब्रेकफास्ट लाई.

उसने मुझसे कहा- मेरे रूम का शॉवर खराब हो गया है, क्या मैं तुम्हारे कमरे का शॉवर यूज कर सकती हूँ?
मैंने हां कर दी.

वह शॉवर लेने के लिए बाथरूम में चली गयी और उसने मुझसे कहा कि मेरे कमरे में जाओ और बेड पर एक पैकेट रखा है, उसे ले आओ.

मैं उसके कमरे से वह पैकेट ले आया और उसे दे दिया.
मैंने चैक कर लिया था कि उसमें उसकी पैंटी थी.

उसे पैकेट देते समय मैंने फिर से उसके नंगे बदन को देखा और फिर से मुठ मारने लग़ा.
उसने चुपके से बाथरूम का दरवाजा खोला और पीछे से आकर मेरे लंड को पकड़ लिया.

उसके ऐसा करते ही मेरा पूरा शरीर काँप उठा.
जैसे ही मैं उसकी तरफ पलटा, तो मैंने देखा कि उसने वही पैकेट वाली पैंटी पहनी हुई थी.
वह पैंटी इतनी संकरी थी कि आगे से बस चूत को ढकती हुई उसकी गांड की लकीर में घुसती चली गयी थी.

उसने कहा- क्या तुम मुझे सोच कर मुठ मार रहे थे?
मैं कुछ नहीं कह पाया.

वह अब मेरे लंड को आगे पीछे करने लगी. उसके बूब्स मेरी छाती से टच हो रहे थे.
मुझे उसके मम्मों की गर्मी साफ महसूस हो रही थी.

मेरा माल उसके हाथ पर गिर गया और वह यह देख कर वहां से चली गयी.

अब मैं सोच रहा था कि यह क्या हुआ!
अभी का हादसा यह साफ बता रहा था कि मेरी बहन भी मेरे साथ सेक्स करना चाहती है.

दोपहर के समय जब मैं हॉल में बैठा हुआ था.
तो मेरी बहन मेरे पास आई और सीधे आकर मेरी गोद में बैठ गयी.

उस वक्त उसने स्कर्ट पहनी हुई थी और अन्दर पैंटी भी नहीं थी.

मैं उसकी गांड की गर्मी महसूस कर रहा था.
उसकी गर्मी पाकर मेरा लंड खड़ा हो गया और लंड ने अंगड़ाई लेते हुए उसकी चूत पर अपनी अकड़ दिखाना शुरू कर दी.

वह लंड की अकड़न से शायद सहम गई और मेरी गोद से उठ कर हट गई.
मैं समझ गया कि वह मुझे सिड्यूस कर रही है.

फिर रात को सोने से पहले जब मेरी बहन नहा रही थी तो मैं उसके बेड पर जाकर बैठ गया.

थोड़ी देर बाद वह बाथरूम से नंगी ही बाहर निकल आई.

उसके जिस्म से टपकते हुए पानी की बूंदें देख कर मन कर रहा था कि उसके जिस्म से सारा पानी चाट लूँ!

मुझे देख कर वह हैरान हो गई और उसने पास रखा हुआ तौलिया उठा कर एकदम से अपना बदन ढक लिया.

वह बोली- तुम यहां क्या कर रहे हो?
मैंने कहा- मेरे रूम का एसी खराब हो गया है, इसलिए मैं यहां सोने आया हूँ.

इस पर वह कुछ नहीं बोली.
उसने बस मुझसे यह कहा कि मुझे कपड़े बदलने है इसलिए तुम आंखें बंद कर लो.

अपनी आंखें बंद करने की एक्टिंग की मैंने … और उसको कपड़े पहनते हुए देखने लगा.
मैंने उसके पूरे नंगे जिस्म को देखा.

जब वह पैंटी पहन रही थी, तो एक बार घूमी … उससे उसकी गांड देख कर मैंने सोचने लगा था कि कभी कल्पना ही नहीं की थी कि इसकी गांड इतनी गदराई हुई होगी.

सच में उसके चूतड़ देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया था.

फिर हम दोनों एक ही बेड पर सोने लगे.
सोने से पहले मैंने अपने कपड़े उतारे और लेट गया.

वह आंख बंद करके लेटी थी.

पर मेरा लंड खड़ा था.
मुझसे रहा न गया तो मैं मुठ मारने लगा और उसके बेड पर मुठ मार दी.

जब सुबह हुई तो मैंने देखा कि मेरी बहन मेरी तरफ करवट करके सोई हुई थी और उसकी ब्रा मेरे मुँह के पास थी.

इस बात का फायदा उठाते हुए मैंने उसके क्लीवेज में अपना मुँह दे दिया.
उस वक्त मेरा लंड उसकी चूत को टच कर रहा था.

मैंने अपना लंड हल्का सा उसकी चूत में डालने की कोशिश की, पर टाइट चूत होने के कारण लंड अन्दर नहीं जा सका.

कुछ देर बाद वह उठी और उसने मुझे देखा.
मैं सोने की एक्टिंग करने लगा.

जब उसने देखा कि मैं सो रहा हूँ और मेरा लंड उसके सामने नग्न है तो उसने धीरे से मेरे लवड़े को अपने हाथ में ले लिया और आगे पीछे करने लगी.

लंड एकदम सख्त था तो उसके स्पर्श से रोने लगा.
मेरे लंड से प्रीकम की बूंदें उसके हाथ में लग गईं तो उसने अपने हाथ को जीभ से चाट और बाद में वह झुक कर मेरे लौड़े के टोपे को किस करके उठ गयी.

यह देख कर मैं समझ गया था कि कुछ भी हो, आज मैं अपनी बहन को चोद कर ही रहूँगा

जब मैं खाने के लिए नीचे गया तो मैंने देखा कि मेरी बहन मेरे लिए ख़ाना ला रही थी, पर उसने कुछ भी नहीं पहना हुआ था.
वह पूरी तरह से नंगी थी.

पहली बार मैं उसके बदन को इतने पास से देख रहा था.
उसे तने हुए बूब्स को, उसकी फूली हुई चूत को … उसकी छलकती जवानी को देख कर मैं हतप्रभ रह गया.

वह मुसकुराती हुई मेरे आगे आकर खड़ी हो गयी.
वह नशीली आवाज में मुझसे बोली- क्या तुम दूध पीना चाहते हो?

मैंने उसके मम्मों को देखते हुए कहा- हां.
उसने दूध का गिलास मुझे पकड़ा दिया और हंस कर बोली- लो पी लो!

मैंने कहा- मैं यह दूध नहीं पीना चाहता हूँ, आज तो मैं तुम्हारा दूध पीना चाहता हूँ!
यह सुनकर वह मेरे काफी करीब आई और मुझे पकड़ कर अपने कमरे में ले गयी.

उसने मुझे बेड पर लेटा दिया और बोली- मैं जानती हूँ कि तुम मुझे चोदना चाहते हो. तुम सुबह भी कोशिश कर रहे थे.
मैं कुछ नहीं बोला.

उसने आगे कहा- तुम मेरा दूध पी सकते हो!
यह सुन कर मैं खुश हो गया और मैंने अपने हाथों से अपनी बहन के मम्मों को दबाना शुरू कर दिया.

वह सिसकारी भरने लगी.

ध्यान से देखने पर मुझे पता चला कि उसके एक चूचे पर एक तिल है.
मैंने कहा- तुम्हारे बूब पर एक तिल है!
वह बोली- हां, अभी तुम्हें बहुत कुछ ढूंढना बाकी है.

यह बोलते ही उसने मेरा मुँह अपने बूब के निप्पल से लगा दिया और बोली- तुम जितना चाहे, उतना दूध पी सकते हो.

मैं भी अपने दोनों हाथों से उसके मम्मों को दबाने लगा.
उसके दूध एकदम मक्खन से मुलायम थे.

उसके बाद उसने मेरे लंड को पकड़ा और हिलाती हुई बोली- पहली बार किसी के लंड को हिला रही हूँ, वह भी अपने भाई का. भाई यह कितना बड़ा है और गर्म है!
यह कह कर उसने मेरे लंड के टोपे को अपनी जीभ से टच किया और बोली- कितना नर्म भी है.

यह कह कर वह मेरे लौड़े को जीभ से टुनियाती रही और कुछ ही देर में मेरे लंड से माल निकल गया.
वीर्य उसके मुँह में चला गया.

वह लंड को हाथ सहला कर बोली- इतनी जल्दी?
यह बोलकर वह हंसती हुई वहां से चली गयी.

जब मैं दोपहर में आराम कर रहा था तो मेरी बहन ने मुझे उसके कमरे में बुलाया.

मैं जब वहां गया तो उसने कहा- मैं कुछ ड्रेसेस लाई थी … आज मैं उन्हें पहन रही हूँ. तुम मुझे बताना कि कौन सी ड्रेस मुझ पर सूट करती है.
फिर वह मेरे सामने ही अपने कपड़े उतारने लगी और पूरी तरह नंगी हो गई.

अब वह कातिल निगाहों से मुझे देखती हुई पूछने लगी- बताओ मैं कैसी लग रही हूँ?
उसे नंगी देख कर मेरे लंड ने फिर से सलामी दे दी.

उसने मेरे लौड़े को कड़क होते देखा तो फिर से हंस दी और बेड पर रखी हुई काले रंग की बिकिनी पहनने लगी.

उस बिकनी में मेरी बहन एकदम हॉट माल लग रही थी.

वह बोली- मेरे फोन से मेरी फोटो लो.

मैंने उसका फोन उठाया और उसकी फोटो लेने लगा.
साथ साथ में ही मैं उसके फोटोज को अपने मोबाइल में सेंड करने लगा.

उससे मोबाइल में मैसेज सेंड करने की टोन बज जाती थी, तो वह समझ गई थी कि मैं क्या कर रहा हूँ.

फिर वह बेड पर लेट गई और बोली- आज तुम मेरी मसाज कर दो, सामने टेबल पर तेल रखा हुआ है.

जैसे ही मैं मसाज करने लगा तो मेरी बहन ने कहा- पहले अपने कपड़े उतार दो वर्ना तेल से गंदे हो जाएंगे.

फिर मैं अपने कपड़े उतार कर उसकी मसाज करने लगा.
मैं उसके शरीर की गर्मी को महसूस कर पा रहा था.

कुछ ही देर में उसने अपनी बिकनी भी उतार दी और बोली- अब तुम मेरी पूरी बॉडी की मसाज कर सकते हो.
वह बेड पर नंगी होकर उल्टी लेटी हुई थी और मैं भी नंगा होकर उसके पास खड़ा था.

मेरा लंड भी अब तेल को उसके जिस्म पर मलने लगा था क्योंकि मेरा लंड भी उसके जिस्म से रगड़ खा रहा था.

हम दोनों भाई बहन के रिश्ते से बहुत ऊपर उठ चुके थे.
अब हम दोनों में कोई भी पर्दा नहीं रह गया था.

तभी उसने अपनी करवट बदली और वह चित लेट गई.
उसके ठोस बूब्स मेरे बिल्कुल सामने थे और उसकी चूत भी मेरे लंड की मां चोद रही थी.

मेरा जी कर रहा था कि इसकी चूत को झट से चाट लूँ.
पर मैं सब काम तसल्ली से करना चाहता था.

इसलिए मैंने अपने सारे बदन में तेल लगाया और उस पर चढ़ कर उसे नुरु मसाज देने लगा.

मैं अब अपने शरीर को उसके शरीर पर रगड़ रहा था और उसे अच्छा लग रहा था.

फिर मैं अपने हाथ को उसकी चूत पर ले गया और अपनी उंगली से उसकी चूत को रगड़ने लगा.
उसकी चूत पूरी गीली हो चुकी थी.

मैं नीचे को खिसका और अपनी जीभ से उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया.
वह भी चूत चटवाने के फुल मज़े ले रही थी और कह रही थी- आह भाई … मस्त लग रहा है … बस ऐसे ही करते रहो … आह इसी तरह से मेरी चूत को चाटते रहो … लगे रहो.

कुछ देर तक चूत चटवाने के बाद वह खड़ी हुई और 69 की पोजीशन में आ गई.
उसने मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसना चालू कर दिया और उसी के साथ अपनी चूत चुसवाने के मज़े लेने लगी.

वह मेरे लौड़े पर चुप्पे लगाती हुई बोली- आज मैं अपने भाई के लंड को खा जाऊंगी.

थोड़ी देर बाद मेरी बहन बोली- भाई, क्या तुम आज अपनी बहन की सील तोड़ना चाहते हो?
मैंने हां में जवाब दिया क्योंकि मैं तो सेक्सी सिस्टर फक का मजा लेना चाहता था.

मेरे लंड को अपने हाथ में लेकर वह उस पर अपना थूक लगा कर अपनी चूत में डलवाने की कोशिश करने लगी.

वह बोली- मैं आज अपनी सील अपने ही भाई से तुड़वा रही हूँ … कितना मज़ा आ रहा है.

जैसे ही मैंने अपने लंड को उसकी कुंवारी चूत में पेला, मुझे उसकी चूत की गर्मी महसूस होने लगी थी.
मेरा मन कर रहा था कि कभी भी अपने लंड को अपनी बहन की चूत से बाहर ही नहीं निकालूँ!

हम दोनों ने खुल कर सेक्स किया.
वह भी मेरे लौड़े को पूरा एंजाय कर रही थी और आह आह की आवाज निकाल रही थी.

सेक्स करने के बाद हम दोनों एक साथ ही सो गए.
मेरा लंड अभी भी उसकी चूत में ही था.

अगले दिन हम दोनों ने सारे दिन में 6 बार सेक्स किया.

अब हम दोनों जब चाहे, तब सेक्स कर सकते थे.
मेरी सेक्सी सिस्टर फक में मेरा पूरा साथ दे रही थी.

हम दोनों सूने घर में नंगे होकर घूम रहे थे.
उसे नंगी देख कर मेरा लंड हमेशा ही खड़ा रहता था.

वह जब चाहे मेरे लंड पर आ कर बैठ जाती थी और मैं उसके बूब्स को दबाने लगता था, उसे चोदने लगता था.

हम दोनों भाई बहन एक साथ ही नहाया करते थे.
नहाते समय भी कई बार सेक्स किया करते थे.

अधिकतर बार हम दोनों एक साथ बाथटब में सेक्स किया करते थे.

हर बार चुदाई में नई नई पोज़िशन्स को ट्राइ किया करते थे.
मुझे अपनी बहन के जिस्म से प्यार हो गया था.

फिर कोरोना खत्म हो गया और हमारी आजादी छिन गई.
अब चुदाई छिप कर करनी पड़ती है पर मजा भरपूर आता है.
 

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भाभी को पटाकर गीली चूत चोदी



मेरे घर में मैं मम्मी और भाभी ही रहते हैं. मेरे भैया सउदी अरब में रहते है और मुश्किल से 3 साल में एक बार ही घर आ पाते हैं.
पापा भी हफ्ते बाद ही आते हैं.

यह पोर्न भाभी सेक्स कहानी मेरे और मेरी भाभी की है.

भाई की शादी हुई थी, उसके एक महीने बाद ही वो सउदिया चले गए थे, फिर उनका 2 साल बाद आना हुआ था.
भाभी भी बहुत उदास व परेशान रहती थीं.

भाई जब 2 साल बाद आए तो वो ज्यादा दिन नहीं रुक पाए क्योंकि उनको ज्यादा दिन की छुट्टी नहीं मिली थी.
अगले महीने का ही उनका रिटर्निंग टिकट था तो मुश्किल से ही वो एक महीना घर पर रुक पाए थे.

भैया वापस चले गए.
उनके जाने के बाद भाभी फिर से उदास रहने लगीं.

मैं भी बाहर रह कर पढ़ाई करता था तो भाभी एकदम अकेली पड़ गई थीं.
जब लॉकडाउन लगा तो उसकी वजह से मैं घर आ गया था.

एक दिन मैंने देखा कि भाभी छत पर बैठी थीं और भैया से बात कर रही थीं.
फिर मैं आया तो भाभी ने बात खत्म करके कॉल कट कर दिया.

वैसे तो मेरे मन में भाभी के लिए कोई ग़लत विचार नहीं था लेकिन भाभी बहुत सेक्सी भी थीं तो कभी कभी बस थोड़ा हंसी मज़ाक कर लेता था.

हम दोनों के बीच मजाक की सीमा कुछ बढ़ गई थी तो अब जब भी मुझे उनकी ब्रा की स्ट्रिप दिखती, तो मैं खींच कर छोड़ देता और उन्हें चोट लग जाती.
ये मैंने कई बार कर दिया था.
इससे भाभी को बुरा नहीं लगता था.

एक दिन वो रूम में बैठ कर फोन चला रही थीं.
उनकी ब्रा की स्ट्रिप दिख रही थी तो मैंने पीछे से बेड पर बैठ कर स्ट्रिप खींच दी.

उस दिन मैं भाभी के रूम में था और भाग नहीं पाया क्योंकि भाभी आगे बैठी थीं.
उन्होंने मुझे पकड़ लिया और मुझे धक्का दे दिया.

मैं गिर कर बेड पर लेट गया. मैं उठने की कोशिश करने लगा.
वो मेरे ऊपर चढ़ गईं और मुझसे मज़ाक वाली लड़ाई करने लगीं.

मैं उनसे छूटने की कोशिश कर रहा था.

भाभी मुझे पकड़ कर मेरे ऊपर चढ़ गई थीं और मेरा एक गाल खींचने लगी थीं.
वो मुझे गुदगुदी करने लगीं.

मुझे उनके झुके होने से उनके दूध साफ़ दिखने लगे.
मैंने उनकी कमर ज़ोर से पकड़ कर अपनी तरफ खींचा तो वो मेरे ऊपर कुछ ज्यादा ही झुक गईं और मेरे चेहरे पर उनके दूध दबने लगे.

उन्हें भी मज़ा आ रहा था और मुझे भी!
यार पता नहीं उस वक्त मुझे क्या हो गया … मेरा मूड बनने लगा और मेरा लंड खड़ा हो गया.

भाभी को मेरे कड़क लंड का आभास हो गया … वो एक पल को रुकीं पर अगले ही पल वो मुझे फिर से गुदगुदी करने लगीं.
मैंने उन्हें दबोच लिया तो वो मुझसे छूटने की कोशिश करने लगीं.

वो कहने लगीं- छोड़ दो प्लीज़!
मैंने नहीं छोड़ा.

वो बोलीं- अच्छा सॉरी, चलो अब छोड़ो मुझे जाने दो, काम करना है.
मैंने भाभी को छोड़ दिया और वो चली गईं.
मैं आसपास टहलने निकल गया.
फिर दोपहर को मैं घर आया.

मैं अपने रूम में था.
वो आईं.
उन्होंने मॅगी बनाई थी तो वही लेकर आई और पंखे के नीचे बैठ कर हवा लेने लगीं.
भाभी पसीने से भीग गई थीं तो उनकी स्ट्रिप फिर से दिख गई.

मैंने जोर से खींच दी तो स्ट्रिप टूट गई.
वो मेरी तरफ़ देखने लगीं और बोलीं- कर दिया ना नुकसान, अब भरपाई कौन करेगा?

मैंने बोला- पैसे ले लेना और नई ले लेना ओके.
वो बोलीं- नहीं रहने दो. बड़े आए पैसे देने वाले.

उनकी इस बात से मैंने दूसरी तरफ की स्ट्रिप भी खींच दी.
इस पर भाभी मुझसे फिर से लड़ने लगीं.

आज मैंने शॉर्ट्स पहना था. मैंने भागने की कोशिश की मगर वो मेरे ऊपर चढ़ गईं.
शायद उनको मेरे साथ चिपकने में मज़ा आने लगा था.

फिर से पहले जैसा ही हुआ.
मैंने ज़ोर से कमर पकड़ ली.
वो मेरे ऊपर आ गईं और उनके दूध मेरे मुँह के पास आ गए थे.

उनको मेरी सांसों की गर्मी महसूस हुई तो वो मेरे ऊपर झुक गईं.
उनकी गर्म सांसों से आज मुझे भी अजीब सा लग रहा था.
शायद उन्हें भी मज़ा आ रहा था.

कुछ मिनट ऐसे ही ज़ोर ज़बरदस्ती वाली लड़ाई चलती रही और मेरा फिर से मूड बन गया.

आज भाभी जी भी शायद पूरे मूड में ही थीं.
उनको महसूस होने लगा कि मेरा लौड़ा खड़ा हो गया है.

वो और भी ज़ोर ज़बरदस्ती करने लगीं जिससे हम दोनों में रगड़न कुछ ज्यादा हो गई.

मेरा लंड पूरा तन कर खड़ा हो गया और पूरा साफ़ असर दिखाने लगा.
भाभी थोड़ी ढीली हुईं और मेरे लंड पर थोड़ी सी हिलकर उठने को हुईं.

तभी मैंने उन्हें ज़ोर से खींच दिया और वो मेरे ऊपर आ गिरीं.
इस बार उनका मुँह बिल्कुल मेरे मुँह के पास आ गया.

मेरे ज़ोर से पकड़ने की वजह से वो मुझसे बिल्कुल से चिपक गई थीं, ऐसा लग रहा था मानो वो किस कर रही हों.

यार मेरा बुरा हाल था.
अभी कुछ खेल हो पाता कि तभी मम्मी उन्हें बुलाने लगीं.

फिर भाभी को जाना पड़ा.
लेकिन मुझे आज पूरा यकीन हो गया था कि अब भाभी को भी मज़ा आने लगा है.

मेरा लंड खड़ा था तो मुझसे रहा नहीं जा रहा था. मेरी आज हालत बहुत खराब हो गई थी.
मैं बाथरूम में गया और मुठ मारने लगा.

शाम को मैं चिकन ले आया और मैंने बोला- भाभी, आज आप ही बना दो.
भाभी नॉनवेज नहीं खाती थीं और ना ही बनाती थीं.

लेकिन मैंने बोला तो आज भाभी ने बोला- ठीक है, बना तो दूँगी पर मुझे क्या मिलेगा?
मैं इशारा समझने लगा.

मैंने भी हंस कर जवाब दे दिया- साफ़ बता दो क्या चाहिए, जो भी चाहिए आपको मिल जाएगा.
भाभी बोली- एक बार सोच लो. जो मांगूंगी, देना पड़ेगा.

मैंने कहा- हां ठीक है.
मैं अपने फ्रेंड्स के साथ बाहर चला गया.
फिर शाम को आने में मैं थोड़ा लेट हो गया.

सबने खाना खा लिया था.
मैं देर से आया और अपने रूम में गया तो भाभी खाना लेकर आ गईं.

मैंने आज थोड़ी पी ली थी, तो मुझे शायद थोड़ा सा नशा हो गया था.
ये भाभी को पता लग गया कि मुझे नशा चढ़ा है.

मैंने बोला- भाभी आप खाना रख दो, मैं खा लूँगा.
लेकिन भाभी ने मेरी हालत देख कर कहा- मेरे सामने खाओ, नहीं तो बिना खाए ही सो जाओगे.

मैं खाने लगा.
मैंने भाभी से पूछा- आपने खा लिया है?

भाभी ने कहा- नहीं.
मैंने कहा- मेरे साथ ही खा लो. जाओ अपने लिए भी खाना ले आओ.

भाभी बोलीं- आप खा लो, मैं बाद में खा लूँगी.
मैं उनको अपने हाथ से खिलाने लगा.

उन्होंने मना कर दिया.
वो बोलीं- मैं नॉंनवेज नहीं खाती.

मैंने ज़बरदस्ती करने लगा और बोला- आप नहीं खाओगी तो मैं भी नहीं खाऊंगा.
थोड़ी देर के बाद उन्होंने अपने हाथ से ही खा लिया.

यार मुझे बहुत अजीब लगा कि जो नॉनवेज नहीं खाती हैं, फिर कैसे खा लिया.
कुछ देर बाद उन्होंने मुझे खुद अपने हाथ से खिलाया और खुद भी खाया.

खाने के बाद मैं लेटने लगा.
मैंने ड्रेस भी नहीं चेंज की थी.

मैं अपनी जीन्स उतारने लगा.
भाभी ने इसमें भी हेल्प की.

मुझे शार्ट्स भी पहनाया.
अब मैं लेट गया.

तभी भाभी आईं और मुझे अच्छे से सुला कर एक किस किया और जाने लगीं.
मैंने उनको खींच लिया और मैं भी किस करने लगा.

भाभी बोलीं- शराब क्यों पी ली?
मैंने कहा- यार, दोस्तों ने पिला दी.

वो कुछ नहीं बोलीं.
मैंने भाभी को खींच लिया.

आज हमारे बीच कुछ ज्यादा ही होने लगा.
मैं भाभी को ज़ोर से हग करके किस करने लगा.
भाभी भी कुछ नहीं बोल रही थीं.

अब मुझे पूरा भरोसा हो गया था कि भाभी मुझे बिल्कुल भी मना नहीं करेंगी.

मैंने भाभी कि गर्दन पर किस स्टार्ट कर दिया.
भाभी भी मज़े लेने लगीं.

तभी मैंने उनके मम्मों को दबाना चाहा पर भाभी ने मेरा हाथ पकड़ लिया.

उन्होंने मेरे हाथ को पकड़ा और कहा- ये क्या कर रहे हो?
मैंने अपने हाथ को रोका नहीं और उनके मम्मों की तरफ बढ़ाने लगा.

उन्होंने मुझसे ऐसे बोला जरूर था मगर उनका मुझे मना करने का मन नहीं दिख रहा था.
मैंने कहा- भाभी, प्लीज़ आज थोड़ी हेल्प कर दो. प्लीज़ भाभी, मुझे मत रोको.

वो बोलीं- ठीक है पर ज्यादा कुछ नहीं ओके?
मैंने ओके कहा और उनके ब्लाउज में हाथ डाल दिया.

मुझे जन्नत का सुख मिलने लगा. भाभी के नर्म दूध मुझे लज्जत देने लगे.
मैं उनके दूध जोर से दबाने लगा.

भाभी भी मादक भाव से मेरी तरफ देखने लगीं और उनकी आंखों में वासना साफ़ झलकने लगी.
मैंने उन्हें चूम लिया. भाभी ने भी मेरे चुम्बन में साथ दिया.

थोड़ी देर मैं भाभी को ऐसे ही किस करता रहा और उनके दूध दबाता रहा.
फिर भाभी बोलीं- ब्लाउज उतार दो.

मैंने पीछे से हुक खोल दिया.
भाभी ब्रा में हो गईं.

भाभी बोलीं- रूको, पहले दरवाजा बंद करके आ जाओ.
मैंने बोला- क्यों कौन आ जाएगा? … मम्मी तो सो गई हैं, बाद में बंद कर देना.

ये कह कर मैंने भाभी की ब्रा खोल दी और उनके एक निप्पल को अपने मुँह में भर लिया.
मैं भाभी के दूध चूसने लगा और दूसरे को दबाने लगा.

भाभी भी फुल मूड में आ गई थीं.

मैंने कहा- भाभी आज फुल मस्ती हो जाए.
उन्होंने कुछ नहीं बोला.

मैं समझ गया कि भाभी की तरफ से हां है.
मैं अपना हाथ नीचे लगाया और चूत टटोल कर कहा- यार भाभी आपको तो गीली हो रही है.

वो कुछ नहीं बोलीं.
मैंने भाभी के कान में धीरे से कहा- यार, पहले ही बता देतीं.

अब भाभी बोलीं- दो दिन से तुमने गीला कर दिया था रगड़ कर, आज भी कर दिया. अब इतने नासमझ भी न बनो.
मैंने कहा- तो फिर ठीक है, आज बोला है आपने तो गीला ही नहीं, कुछ और भी होगा.

भाभी मेरा साथ देने लगीं.
उनका हाथ मैंने अपनी अंडरवियर में डाल दिया और कहा- लो पकड़ो इसे!

उन्होंने लंड पकड़ लिया ओर अंडरवियर से बाहर निकाल लिया.
मेरा लंड पूरा खड़ा था.

भाभी बोलीं- थोड़ी शर्म करो, ठीक है मैंने बोला है मगर इतनी बेशर्मी ठीक नहीं है.
मैंने कहा- अब शर्म की बात मत करो.

भाभी- क्यों?
मैंने कहा- जिसने की शर्म उसके फूटे कर्म.
भाभी हंस दीं.

मैं भाभी का पेटीकोट खोलने लगा और साड़ी हटा कर पेटीकोट भी हटा दिया.
अब भाभी पैंटी में थीं.

यार रेड कलर की पैंटी में क्या कमाल लग रही थीं.

मैंने कहा- अब रूको, दरवाजा और खिड़की बंद कर आओ, फिर करना.
भाभी धीरे से इधर उधर देख कर अपने रूम में गईं और नाइटी पहन कर सब दरवाजे बंद करके आईं और कमरे का गेट लॉक करके आ गईं.

आज बस नशे का बहाना था. नशा तो थोड़ा ही था पर मैंने भाभी को ज्यादा दिखाने का नाटक किया था.

भाभी आईं और मेरे सामने नाइटी उतार दी.
मैंने उनको अपनी बांहों में खींचा और उन्हें चूमने लगा, फिर से उनके निप्पलों से खेलने लगा, एक को मुँह में ले लिया और दूसरे को उंगलियों में दबा कर मींजने लगा.
भाभी की आंह आह निकलने लगी.

मैंने उनकी पैंटी भी उतरवा दी.
अब वो बिल्कुल नंगी थीं और मैं गंजी अंडरवियर में था.

उन्होंने मेरे कपड़े उतार दिए और मुझे किस करने लगीं.
हम दोनों को मज़ा आने लगा.

कुछ देर बाद मैंने कहा- भाभी, मेरा थोड़ा सा मुँह में ले लो.
वो मना करने लगीं और कहने लगीं- मुँह में अच्छा नहीं लगता मुझे!

मैंने थोड़ी देर मनाया तो मान गईं और घुटनों के बल बैठ कर मेरा लंड मुँह में ले लिया.
यार बहुत मज़ा आया मुझे … वो बहुत तेजी से लंड चूसने लगीं.

ऐसा लग ही नहीं रहा था कि भाभी को लंड चूसने में मजा नहीं आता.
उनके लंड चूसने से तो ऐसा लग रहा था कि ये तो शादी के पहले से ही लंड चूसने की कला में निपुण थीं.

मैं 69 में आ गया और उनकी चूत में उंगली करना शुरू कर दिया.
वो भी गीली होने लगी थीं, कहने लगीं- अब देर न करो.

मैंने कहा- पहले मुझे भी कुछ कर लेने दो भाभी.
अपना मुँह मैंने उनकी चूत पर रख दिया और एकदम से चूत रगड़ दी.

वो पूरी तरह से मचल गईं.
मैं भाभी की चूत चूसने लगा.

उनकी चूत का टेस्ट बहुत गजब का था. नमकीन अमृत जैसा स्वाद मिल रहा था.
मैंने कहा- अब पेल दूँ क्या?

भाभी बोलीं- क्यों निमंत्रण देना होगा क्या?
मैंने चुदाई की पोजीशन बनाई और अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा.

वो तड़प गईं और बोलीं- अब डाल भी दो.
मैंने एक ही झटके में पूरा लंड चूत में घुसा दिया.

वो तड़प गईं और बोलीं- आराम से करो.
पर मैं उन्हें धकापेल चोदने लगा.

वो भी मज़े लेने लगी और बोलने लगीं- यार, कितने दिन से आपको पटा रही थी.
मैंने कहा- पहले ही बोल देतीं.
वो हंसने लगीं.

मैंने कहा- जब नॉनवेज खाती नहीं थीं, तो क्यों खाया.
भाभी बोलीं- पहले खाती थी मगर बाद में छोड़ दिया था. अब आपके प्यार में खाना पड़ा. मैंने नॉनवेज न खाने की कसम खाई थी.

मैंने कहा- मुझसे सच्चा प्यार करती हो?
भाभी बोलीं- तभी तो चिकन खाकर अपनी कसम तोड़ दी.

अब मैं उन्हें मस्ती से चोद रहा था.
थोड़ी देर के बाद उनका रस निकल गया और वो निढाल हो गईं.

मेरा अभी नहीं हुआ था, मैं भाभी को चोदता ही गया.
वो फिर से चार्ज हो गईं और मज़े लेने लगीं.

वो बोलीं- आज पूरा रस निकाल दो.
मैं और तेज गति से चोदने लगा और अब चरम पर आ गया था.
मेरा भी काम होने वाला था.

मैंने बोला- भाभी, मेरा होने वाला है.
वो बोलीं- तेज़ तेज़ करो.

मैंने तेज़ करने के साथ ही पूछा- कहां लोगी?
पोर्न भाभी सेक्स के नशे में बोलीं- अन्दर ही करो, बहुत दिन से सूखी पड़ी है … आज इसको गीली कर दो.

मैंने फुल स्पीड में किया और मेरा निकल गया. मेरे साथ ही उनका भी एक बार फिर से निकल गया.
थोड़ी देर मैं उनके ऊपर ही पड़ा रहा.

जब हटा, तो वो खड़ी हुईं.
उनकी चूत से रस निकल कर बाहर आ रहा था.
मुझे बहुत अच्छा लगा.

मैंने भाभी से कहा- टपक रहा है … साफ़ कर लो और फिर से आ जाओ अभी मन नहीं भरा.
भाभी बोलीं- अभी फिर से करना है क्या?

मैंने कहा- हां.
भाभी बोलीं- कहीं भागी नहीं जा रही हूँ. कल कर लेना.

मैंने कहा- आओ पहले आज मन भरके कर लेने दो. कल का कल देखा जाएगा.
वो बाथरूम से आईं और हम दोनों थोड़ी देर किस करते रहे.

मैं उनके मम्मों को चूसता रहा, वो अपने हाथ से पकड़ कर अपने चुचे चुसवाती रहीं.

थोड़ी देर में मेरा फिर से खड़ा हो गया.
मैंने कहा- भाभी, फिर से तैयार हो गया.

भाभी बोलीं- तो आ जाओ.
मैं भाभी के ऊपर चढ़ गया.

इस बार बहुत देर तक चुदाई चली.
भाभी भी पूरी खुश हो गई थीं.

इस बार भी मैं रस अन्दर ही छोड़ दिया था.

भाभी पूरी रात मेरे रूम में ही नंगी सोईं.
सुबह जल्दी उठ कर चली गईं और जाते जाते मुझे अंडरवियर भी पहना दिया था.

अगले दिन मैंने पोर्न भाभी की गांड भी मारी.
उस दिन भाभी को ज्यादा दर्द हुआ.

अब लगभग एक साल से ज्यादा हो गया.
मेरा जब मन होता मैं पोर्न भाभी से सेक्स का मजा लेता हूँ.
कभी कभी तो हम दोनों किचन में ही खाना बनाते बनाते सेक्स कर लेते हैं.

वो दवा ले लेती हैं तो बच्चे होने की कोई टेन्शन नहीं रहती.
अब तो इंजेक्शन आ गया है, एक बार लगवाओ और तीन महीने तक खुल कर चुदाई का मजा लो.
 

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जवानी के जोश में भाई बहन की चुदाई



दोस्तो, मैं रोहित हूँ और आप आज एक मस्त सेक्स कहानी पढ़ रहे हैं.
ये ब्रो सिस फुल सेक्स कहानी है उनकी जवानी का प्यार है.

मेरी बहन का नाम पूजा है. हम दोनों तब जवान हो गए थे. मैं 21 का था और मेरी बहन पूजा 19 साल की हो गयी थी.
हम दोनों में जवानी का जोश पैदा होने लगा था.

मेरी बहन के दूध बड़े हो गए थे और जब वो नहा कर अपने बाल झटका देकर सुखाती तो उसे मम्मे मेरे लंड को खड़ा होने पर मजबूर कर देते थे.
कभी कभी उसकी नजरें मेरे खड़े होते लौड़े पर पड़ जाती थीं तो वो भी मुस्कुरा देती थी.

एक दिन शाम के वक़्त बिजली चली गयी थी.
पापा काम पर गए हुए थे और मम्मी खाना बना रही थीं.
मैं घर की छत पर बैठा हुआ था.

तभी मैंने देखा कि मेरी बहन हमारे घर के पीछे वाले खंडहर में चोरी छुपे जा रही थी.
मुझे पहले तो अजीब सा लगा कि ये वहां क्यों जा रही है और इतने अंधेरे में ये उस खंडहर में क्या करने जा रही है.

ये देखने मैं भी उसके पीछे पीछे उस खंडहर के पास चला आया.
जैसे ही मैंने खिड़की से झांका, तो मैंने देखा कि वो उधर एक लड़के के साथ थी और उसका लंड अपने मुँह में लेकर चूस रही थी.

सीन देख कर मैं हैरान हो गया.
मैं समझता था कि मेरी बहन बहुत सीधी सी लड़की है पर वो तो मोहल्ले के लड़कों का लंड चूसने वाली रंडी निकली.

मेरी बहन, जिसे मैं चोदना चाहता था, जिसके मुँह से मैं अपना लंड चुसवाना चाहता था, वो साली किसी और का लंड चूस रही थी.
ये देखकर मुझे गुस्सा आ गया.

पर बाद में ये चीज़ मुझे एक अवसर की तरह लगी.
मैंने सोचा कि मैं मेरी बहन और उस लड़के का वीडियो बनाकर मैं अपनी बहन को इस बात के लिए राजी कर लूंगा कि वो मेरे लंड को भी चूस कर अपनी चूत में लेकर मेरी हर चाहत को पूरा कर दे.

मैं भी अपनी बहन को चोदना चाहता था. उसके मुँह में अपना लंड डालकर उससे चुसवाना चाहता था.
मुझे ऐसे ही किसी मौके की तलाश थी, जिससे मैं अपनी बहन को मुझसे अपनी चूत चुदवाने के लिए सैट कर सकूँ.

अब मैंने मेरी बहन का उस लड़के के साथ लंड चूसते हुए वीडियो बनाया और कोशिश करने लगा कि उन दोनों की सेक्सी आवाजों को भी रिकॉर्ड कर सकूँ.

कुछ देर बाद मुझसे रहा नहीं गया और मैं अपना भाईपना दिखाने अन्दर जाने की सोचने लगा.

मैंने मोबाइल जेब में रखा और ज़ोर से दरवाजे को धक्का देकर अन्दर चला गया.

मुझे आते हुए देख वो लड़का भाग गया और मेरी बहन भी भागने की कोशिश कर रही थी.
पर मैंने उसे पकड़ कर रोक लिया.

वो शर्म से अपना सर झुकाए मेरे सामने खड़ी हो गई.
उसका चेहरा उतर गया था, उसका बदन कांप रहा था.
वो इस बात से डर गयी थी कि कहीं मैं ये सब मम्मी पापा को ना बता दूँ.

मैंने गुस्से में पूछा- ये क्या हो रहा था? तुम हमारे पीठ पीछे मोहल्ले के लड़कों के लंड चूसती फिरती हो.
उसने कोई जवाब नहीं दिया.

मैं गुस्से से चिल्लाया- कुछ बोलो?
उसने डरते हुए जबाव दिया- भैया मुझे माफ़ कर दीजिए, उसने मुझे जींस दिलवाने का कहा था कि मैं तुम्हें जींस दिलाऊंगा और उसके बदले में तुम्हें मेरा चूसना होगा. मैं आगे से ऐसा नहीं करूंगी भैया, बस आप मम्मी पापा को मत बताना.

इतना बोल कर वो वहां से भाग गयी.
मैं घर में गया, तो वो मुझसे नज़र तक नहीं मिला रही थी.

उसी समय बिजली चली गई.
मैंने सही मौका समझा और अपनी बहन को एक कागज में लिख कर कहा कि मुझे घर के पीछे वाले खंडहर में अभी आकर मिलो. अगर तुम नहीं आईं तो मैं तुम्हारा और उस लड़के का वीडियो, जो मैंने तुम्हारे लंड चूसते वक़्त शूट किया था, वो मम्मी पापा को दिखा दूँगा.

वो कागज बहन को देकर मैं खंडहर में चला गया और उसका इंतज़ार करने लगा.

थोड़ी देर के बाद मेरी बहन खंडहर में आ गई और दोबारा मुझसे माफी मांगने लगी.
मैंने गुस्से में पूछा- सच सच बताना अब तक तुम कितने लड़कों से अपनी चूत चुदवा चुकी हो?

उसने डर कर जवाब दिया- भैया किसी से नहीं … इस लड़के ने मुझे जींस का लालच दिया था और कहा था कि शाम को घर के पीछे वाले खंडहर में आ जाना. आप प्लीज़ मम्मी पापा को वो वीडियो मत दिखाना, आप जो कहेंगे, मैं वो करूंगी.
ये कह कर वो मेरे सीने से चिपक गई.

जैसे ही उसने ये कहा कि आप जो कहेंगे मैं वो करूंगी … मुझे लगा कि बहन के साथ अपनी सारी चाहत को पूरा करने का यही सही मौका है.
वैसे भी मैं ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था क्योंकि मुझे अपनी बहन की चूत चोदनी थी.

मैंने गुस्से में उसे दूर करते हुए कहा- मैं जो कहूँगा क्या तुम वो करोगी?
उसने जवाब दिया- हां करूंगी.

मैंने उसकी एक चूची मसलते हुए कहा- तुम मेरी रंडी बन जाओ, मैं किसी से कुछ नहीं कहूँगा.
उसने हंस कर कहा- भैया, पर मैं तो आपकी बहन हूँ.

मैंने कहा- साली, जो सारे सुख तुम किसी और लड़के से चाहती हो, वो मैं भी तुम्हें दे सकता हूँ. बस तुम इस बारे में किसी को कुछ मत कहना और मैं भी तुम्हारी वीडियो किसी को नहीं दिखाऊंगा. आज से तुम मेरी बहन नहीं, मेरी रंडी हो. मैं जो कहूँगा, तुम्हें वो करना होगा. मैं जब कहूँगा, तुम्हें मेरा लंड चूसना होगा. मैं जब कहूँगा, मुझे अपनी चूत को छोड़ने देना होगा. क्या तुम तैयार हो?

उसने सर हिला कर ‘हां …’ में जवाब दिया और बोली- मुझे खुद आपके साथ सेक्स करने का मन था.

मेरी बहन के ये कहते ही मेरा लंड खड़ा हो गया.
मैं अब और इंतज़ार नहीं करना चाहता था.

मैंने अपनी बहन को नीचे बिठाया और अपनी पैंट की ज़िप खोल कर अपना लंड उसके मुँह में डाल दिया.

जैसे ही मेरा लंड मेरी बहन के मुँह में गया, ऐसा लगा मानो मैं स्वर्ग में आ गया हूँ.
मेरी बहन के नाज़ुक हाथों ने मेरे लंड को पकड़ा हुआ था और उसके कोमल होंठ मेरे लंड को चूस रहे थे.

ऐसा लग रहा था जैसे कोई स्वर्ग की अप्सरा मेरे लंड को चूस रही हो.
मैं भी अपने लंड को धीरे धीरे मेरी बहन के मुँह के अन्दर बाहर पेलने लगा.

फिर मैंने मेरी बहन के सर को अपने दोनों हाथों से पकड़ा और उसके मुँह में अपना लंड तेज़ी से घुसेड़ने लगा.
मेरी बहन के मुँह को अपने लंड से चोदने लगा.

मेरी बहन के मुँह से ‘पक … पक … पक …’ की आवाजें आने लगीं.
फिर मैंने अपना लंड पूरा का पूरा उसके मुँह में गले तक घुसा दिया.

उसकी गों गों …’ की आवाजें आने लगीं और आंखों से आंसू निकलने लगे.

तब भी वो पूरी शिद्दत से मेरा लंड चूस रही थी और मेरे आंड सहला रही थी.

ऐसे ही मैं अपनी सगी बहन के मुँह को करीब दस मिनट तक चोदता रहा.

उतने में ही बिजली वापस आ गयी और मुझे और मेरी बहन को वापस घर में जाना पड़ा.

मैं अपनी बहन की चूत को चोदना चाहता था पर बिजली ने सारा प्लान खराब कर दिया.

घर पर जाकर भी मेरे लंड तो पूरी तरह संतुष्टि नहीं मिली थी.
थोड़ी देर के बाद पापा भी घर आ गए और खाने का वक़्त भी हो गया था.

पर मुझे खाने से ज़्यादा मेरी बहन की चूत को चोदने का मन था.

हम सभी ने कुछ ही देर में खाना खा लिया.

अब मम्मी पापा टीवी देख रहे थे.
मेरी बहन किचन में बर्तन धो रही थी.
मैं उसके पास गया और कहा- आज रात को मैं तुम्हारी चूत को चोदना चाहता हूँ. पापा मम्मी के सोने के बाद तुम खंडहर में चली आना.

थोड़ी देर के बाद पापा मम्मी रूम में सोने चले गए.
मेरी बहन भी उन्हीं के साथ रूम में सोने चली गयी.

आधी रात होने के बाद मैं उठकर खंडहर में आ गया और अपनी बहन का इंतज़ार करने लगा.

मैंने उधर दरी बिछा दी थी और उधर ही बहन की चूत चोदने की, फुल सेक्स की तैयारी कर ली थी.
साथ में मैं एक शीशी में तेल भी ले गया था.

थोड़ी देर बाद वो भी आ गयी.
हम दोनों खंडहर के अन्दर आ गए.

मैंने उसको कसकर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठों को किस करने लगा.

वो भी किस में मेरा साथ देने लगी.
ऐसे ही हम थोड़ी देर तक एक दूसरे को किस करते रहे.

फिर मैंने उसके कपड़ों को उतारना शुरू कर दिया.
उसके चूचे पहले से और ज़्यादा बड़े हो गए थे. उसकी बॉडी का फिगर किसी पोर्न ऐक्ट्रेस से कम नहीं था.

मैंने उसके लोअर के साथ साथ पैंटी भी उतार दी.

अब मैं उसका पूरा नंगा बदन देख सकता था. उसकी गुलाबी चूत, उसकी एकदम गोल और बड़ी गांड सच में मस्त थी.
वो किसी अप्सरा से कम नहीं लग रही थी.

मैंने उसे दरी पर लेटा दिया और हम दोनों 69 की पोज़िशन में आ गए.

उसने मेरा लंड अपने मुँह में ले लिया और मैं उसकी चूत को अपनी जुबान से चाटने लगा.
आज से पहले मैंने किसी लड़की की चूत तक नहीं देखी थी और आज मैं अपनी सगी बहन की चूत चाट रहा था.

थोड़ी देर तक हम इसी पोज़िशन को एन्जॉय करते रहे.

फिर फाइनली वो वक़्त आ गया, जिसके लिए मैंने इतना इंतज़ार किया था.
मैंने अपनी बहन को उसके पीठ के बल लिटाया, जिससे उसका मुँह मेरी तरफ रहे.

अब मेरा लंड उसकी चूत को फाड़ने वाला था.
मैंने उसकी चूत पर तेल लगाया और अपने लंड पर भी तेल लगाया.

मैं भूल गया था कि मेरे और मेरी बहन के बीच में क्या रिश्ता है. मैं बस उसे एक रंडी की तरह चोदना चाहता था.
मेरी बहन भी अपने भाई के साथ चुदाई का मजा लेना चाहती थी.

मैंने अपना लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ना शुरू किया.
वो भी उत्तेजित थी और अपनी चूत को मेरे लंड पर रगड़ रही थी.

मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और अपनी पूरी ताक़त के साथ एक ज़ोर का झटका दे दिया.

जैसे ही मैंने अपना लंड उसकी चूत के अन्दर पेला, वो ज़ोर से चिल्ला दी- आआह आह … भैया मर गई … नहीं जा रहा आह बाहर निकालो … आपका लंड बहुत बड़ा है … मेरी चूत फट जाएगी.

उसकी चूत सच में बहुत टाइट थी.
अपनी पूरी ताक़त लगाने के बाद भी मेरा लंड अभी आधा भी अन्दर नहीं गया था.

मैंने कहा- कोई बात नहीं, शुरू शुरू में दर्द होगा, एक बार मेरा लंड पूरा अन्दर चला गया तो फिर दर्द नहीं होगा.

और मैंने दोबारा अपनी पूरी ताक़त से उसको ज़ोर का झटका दिया.

वो दर्द से तड़पने लगी- अया आह फट गई … मां चुद गई मेरी चूत की!
मेरी बहन चिल्लाने लगी, रोने लगी.

पर अभी भी मेरा लंड पूरा उसकी चूत में नहीं गया था.
वो मुझे मेरा लंड निकालने के लिए कह रही थी पर मैं अभी भी संतुष्ट नहीं हुआ था.
इतने इंतज़ार के बाद आया हुआ मौका मैं ऐसे कैसे जाने दे सकता था.

मैंने तीसरी बार उसके मुँह पर हाथ रखा और अपनी पूरी ताक़त से उसकी चूत में अन्दर अपने लंड को घुसेड़ दिया.
वो फिर से चिल्लाने लगी- आह मुझे छोड़ दो … मुझे जाने दो … मेरी चूत फट जाएगी.

मैं और तेज़ी से झटके देने लगा. अपने लंड को ज़ोर ज़ोर से उसकी चूत में घुसेड़ने लगा.
वो दर्द से चिल्ला रही थी और छोड़ देने की कह रही थी.

जितने ज़ोर से वो चिल्ला रही थी, उतने ही ज़ोर से मैं उसको झटके दिए जा रहा था.
कुछ ही देर में उसकी चूत से खून आने लगा. अब चूत में लंड अन्दर बाहर होने लगा था. वो भी शांत होने लगी थी.

मैं दस मिनट तक बहन की चूत चोदी और लंड बाहर खींच कर रस झाड़ दिया.
फुल सेक्स के बाद मैं झड़ कर अपनी बहन के ऊपर ही गिर गया.

कुछ देर बाद हम दोनों घर में आ गए.

उसके बाद दिन में मम्मी पापा काम पर चले जाते थे और मैं अपनी बहन की चुदाई में लगा जाता था.
वो भी मस्ती से चूत खोल कर लंड लेती थी.

इसी तरह मैंने अपनी बहन को जब मेरा मन चाहे, तब रंडी की तरह चोदने लगा.
 
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दूसरी मम्मी को चोदकर अपनी पत्नी बनाया



हैलो फ्रेंड्स,
मेरा नाम अमन है और अभी मैं 22 साल का हूँ.
मैं लखनऊ में रहता हूं.

मेरे घर में मैं मेरी मम्मी, दीदी और पापा रहते हैं.

मेरी दीदी 24 की है और मेरी मम्मी 35 की हैं.
वो देखने में बहुत ही सुंदर लगती हैं.

ये मेरी दूसरी मम्मी हैं. पापा ने मेरी सगी मम्मी के मर जाने के बाद सुधा से शादी करके उन्हें हम दोनों भाई बहन की सौतेली मां बना लिया था.
मेरी मम्मी का नाम सुधा है.

मेरे पापा की जॉब अब मुम्बई में हो गई है. इसलिए वो वहीं रहते हैं और कभी कभी ही आते हैं.
दीदी भी बाहर पढ़ाई करती थीं, तो वो भी बाहर ही रहती थीं.

सिर्फ मैं और मम्मी ही घर में रहते थे.
यह स्टेप मॉम सेक्स कहानी मेरे पापा की इसी दूसरी बीवी की है.

मुझे मम्मी बहुत अच्छी लगती थीं.

मेरी मम्मी बहुत सेक्सी दिखती थीं. उनकी गोल गोल गांड मुझे बहुत अच्छी लगती थी. मैं रोज रात को उनके नाम की मुठ मारता था.

एक दिन मैं घर पर ही था, तो मैंने देखा कि मम्मी ने मैक्सी पहनी हुई थी. उस साटन की मैक्सी में मम्मी बहुत सेक्सी लग रही थीं.
जब वो चलती थीं तो इस मैक्सी में उनकी गांड उछलती हुई बड़ी ही कामुक लग रही थी.
उनकी पैंटी की किनारियां भी साफ़ नुमाया हो रही थीं.

मुझे उनको चोदने का बहुत मन करता था, लेकिन मेरी गांड फटती थी और मैं कुछ कर ही नहीं पाता था.

जिस दिन मैं ज्यादा उत्तेजित हो जाता था, तो बाथरूम में जाकर मुठ मार लेता था.
मेरा मन मम्मी की चुदाई को लेकर काफी बदल गया था और मेरी Xforum हर दिन बढ़ती जा रही थी.

अब मुझे किसी भी तरह से मम्मी की गांड नंगी करके चोदनी ही थी.
मैं सोच रहा था कि चोदना तो तब हो पाएगा, जब नंगी देख लूँ और मम्मी की गांड को नंगी करके कैसे देखूं, कुछ समझ ही नहीं आ रहा था.

मेरी मम्मी का जिस्म काफी मस्त है उनका शरीर चुदाई के लिए काफी आकर्षक था. आस पड़ोस के सभी लड़के उन्हें सेक्सी निगाहों से देखते थे.
मुझे पता था कि मेरे बेटा होने के कारण मुझे अपनी मां के लिए ये सब नहीं सोचना चाहिए, पर क्या करूं, उनकी सेक्सी टांगें देख कर मेरे अन्दर का जवान जानवर जाग जाता था.

मम्मी की नर्म और रस से भरी चूचियों को मैं चूसना चाहता था और उन्हें अपने मर्दाना हाथों से दबाना चाहता था.
मैं हर रात अपनी आंखें बंद करता और मम्मी को चोदने की कल्पना करने लगता.

एक बार मैं रात भर सो नहीं पाया.
सुबह उठा तो मैं बाहर आया और देखा कि मम्मी बाथरूम में नहाने गई हैं.

मैं बाथरूम के पास गया और उन्हें नंगी देखने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं दिखा.
मैंने कमरे में जाकर मुठ मार ली.

दोपहर को मम्मी मार्किट चली गईं.
मैंने जाकर बाथरूम के दरवाजे में एक छेद बना दिया जिससे मैं अन्दर का नजारा देख पाऊं.

अब मुझे इंतज़ार था कि मम्मी बाथरूम में जाएं और मैं उन्हें नंगी देख कर मजा ले लूँ.
उसके बाद मैं अपने कमरे में चला गया.

कुछ समय बाद मम्मी घर पर आ गईं. वो अपने कमरे में गईं और मैक्सी पहनकर बाहर आईं और बाथरूम में चली गईं.
मैं भी ये देख कर झट से बाथरूम के पास गया और छेद में से झांक कर देखा.

मम्मी ने अपनी मैक्सी ऊपर उठाई और पैंटी निकालकर टांग दी.
अब वो मूतने लगीं.

उनकी झांटों वाली चूत देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया. उनकी चुत से मूत की धार निकलती देख कर मेरे अन्दर जैसे करेंट लग गया था.

मूतने के बाद मम्मी उठ गईं.
मैं जल्दी से अपने कमरे में आकर टीवी देखने लगा.

मम्मी ने आवाज देकर कहा- अमन, क्या कर रहे हो?
वो मेरे कमरे में आई और बोलीं- ठीक है तुम टीवी देखो. मैं सोने जा रही हूं.
मैंने कहा- ठीक है मम्मी.

फिर मम्मी चली गईं.
मेरे मन में मम्मी की झांट वाली चूत दिख रही थी.

कुछ सोच कर मैं बाथरूम में आया और मम्मी की पैंटी उतार कर उसको सूंघने लगा और मुठ मारने लगा.

मम्मी की पैंटी में बुर वाली जगह पर कुछ लाल रंग का दाग लगा था. उसे सूंघने में मुझे बहुत नशा आ रहा था.

फिर मैंने अपने लंड का सारा पानी उनकी पैंटी में निकाल दिया और पैंटी को टांग कर अपने कमरे में चला गया.

शाम को मम्मी जब सोकर उठीं तो बाहर आईं.
उन्होंने मुझे बुलाया और कहा- बाजार जाकर सब्जी ले आओ.
मैंने कहा- ठीक है, मम्मी मैं ले आता हूं.

फिर मम्मी बाथरूम में चली गईं.
मैंने दरवाजे से देखा तो मम्मी अपनी मैक्सी ऊपर उठाई हुई बैठी थीं और मूतने लगी थीं.

उनकी झांटों वाली बुर के मुझे फिर से दीदार हो गए.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया था.

मूतने के बाद मम्मी खड़ी हुईं. उन्होंने अपनी पैंटी को उतारा और पहन ली.
मम्मी ने अपनी मैक्सी उठाई, फिर पैंटी के आगे वाले हिस्से को सहलाया और बुदबुदा कर बोलीं- ये भीग कैसे गई, ये तो ऊपर टंगी थी!

मम्मी को कुछ समझ नहीं आया और वो अजीब सा मुँह बना कर बाहर चली आईं.
बाहर आकर मम्मी ने मुझसे कहा- जाओ सब्जी ले आओ.

मैं सब्जी लेने चला गया.
रात को खाना खाकर मैं अपने कमरे में आ गया.

मैं यही सोच रहा था कि मैं मम्मी को चोदूं कैसे.
मम्मी अपने कमरे में सोने चली गई थीं. मैं भी मुठ मारकर सो गया.

अगले दिन मेरे पापा घर आ गए थे. उन्हें आया देख कर मम्मी बहुत खुश थीं.
पापा बोले- मैं सिर्फ 2 दिनों के लिए आया हूँ … बहुत मुश्किल से छुट्टी मिली है. दो दिन बाद मुझे वापस जाना है.

मम्मी ने अपनी जरूरत की कुछ चीजें बताईं.
पापा ने कहा- ठीक है, बाजार चलते हैं.

फिर हम सब लोग बाजार चले गए.
मैं भी गया था.

शाम को हम लोग वापस लौटे.
फिर पापा नहाने चले गए.
मैं भी अपने कमरे में चला गया.

रात को हम लोगों के खाना खाने के बाद पापा ने कहा- मैं तो सोने जा रहा हूँ. बहुत थक गया हूँ.
वो चले गए.

मैं भी अपने कमरे में चला गया.

थोड़ी देर बाद देखा कि सब जगह की लाइट आज जल्दी बन्द हो गई थीं, तो मैं बाहर आ गया.
मैंने देखा कि मम्मी के कमरे की लाइट जल रही है.

मैं जाकर खिड़की से देखने लगा.
मम्मी बिस्तर पर लेटी थीं और पापा उनकी मैक्सी उठा कर लंड डालकर चोदने में लगे थे.

कुछ देर चोदने के बाद पापा लेट गए.
तभी मम्मी बोलीं- आप बहुत जल्दी हो जाते हो … अभी तो मेरा हुआ भी नहीं है!

पापा बोले- अब मैं थक गया हूँ.
मम्मी बोलीं- अब आप अच्छे से चोद भी नहीं पाते हो!

मैं समझ गया कि मम्मी लंड की ज्यादा भूखी हैं.
फिर मैं मुठ मारकर ढीला हुआ और बिस्तर पर जाकर सो गया.

अगले दिन भी ऐसे ही हुआ.
तीसरे दिन पापा चले गए.

अब मैं सोच रहा था कि मम्मी को कैसे चोदा जाए?
मम्मी जब दोपहर में सोने जाती थीं तो अपनी पैंटी बाथरूम में छोड़ जाती थीं.

मैं बाथरूम में गया और उनकी पैंटी में मुठ मार आया.
बाद में मम्मी जब बाथरूम में गईं, तो मैं उन्हें देखने लगा.

मम्मी मूत कर उठीं, पैंटी उठाई तो देखा कि वो भीगी क्यों है.
मम्मी ने अपनी उंगली लगाई और धीमे से बुदबुदा कर बोली- ये तो चिपचिपा सा है … बिल्कुल वीर्य की तरह.

मम्मी समझ गईं कि ये किसने किया होगा.
उन्होंने पैंटी वापस खूंटी पर टांगी और मुस्कुरा दीं.

उनकी मुस्कुराहट देख कर मुझे भी कुछ कुछ लगने लगा कि अब काम फतेह ही सकता है.
फिर मम्मी बाहर आ गईं.

मैं जाकर अपने कमरे में बैठ गया.
मम्मी मेरे कमरे में आईं और बोलीं- आज रात को तुम मेरे कमरे में सो जाना … मुझे अकेले सोने में डर लगता है.

मेरे मन में लड्डू फूट रहे थे.
मैंने कहा- ठीक है मम्मी.

रात को मैं मम्मी के कमरे में सोने चला गया. मम्मी आईं तो मैं उठ बैठा.
मम्मी बोलीं- मुझे तुमसे कुछ बात करनी है.

मैंने कहा- हां बोलो न मम्मी, क्या बात करनी है?
मम्मी बोलीं- मैं जानती हूं कि तुम बड़े हो गए हो. तुम्हारा भी मन करता है.

मैं घबराते हुए बोला- मैं कुछ समझ नहीं मम्मी?
मम्मी मुस्कुराती हुई बोलीं- भोले मत बनो … मैं सब जानती हूं.

मैंने कहा- आप क्या जानती हो?
मम्मी बोलीं- तुम रोज मेरी पैंटी के साथ क्या करते हो?

मैंने सिर नीचे कर लिया.
तो मम्मी ने कहा- इसमें घबराने की कोई बात नहीं है … मैं हूँ न.
मैं उनकी तरफ देखने लगा.

मम्मी बोलीं- तुमने कभी किसी के साथ किया है?
मैं- नहीं मम्मी, कभी नहीं.
मम्मी- ठीक है, मैं सब सिखा दूंगी.

मैं तो खुशी के मारे फूला नहीं समा रहा था.
फिर मम्मी ने मुझे लेटा दिया.

वो मेरे गालों को चूमने लगीं और मेरे होंठों में अपने होंठों डालकर चूसने लगीं.
मैं भी उनका साथ देने लगा.

कुछ देर बाद मम्मी ने मेरा पैंट निकाल दिया. मेरी चड्डी में हाथ डालकर मेरे लंड को बाहर निकाला और सहलाने लगीं.

मम्मी चौंक कर बोलीं- तुम्हारा लंड तो बहुत मोटा है … तुम्हारे पापा से भी अच्छा है.
मैंने कुछ नहीं कहा.

फिर मम्मी मेरे लंड को चूसने लगीं.
मुझे लंड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था.

कुछ देर बाद मैंने मम्मी को बेड पर लेटा दिया. मैंने उनकी मैक्सी को उतार दिया.
उनके दोनों भरे हुए दूध मुझे बहुत अच्छे लग रहे थे.

मैंने उनकी ब्रा निकाल दी और उनके एक दूध को जोर जोर से दबाने लगा और दूसरे को चूसने लगा.

थोड़ी देर मम्मे चूसने के बाद मैंने मम्मी की पैंटी निकाली और उनकी झांटों वाली बुर को चाटने लगा.
मम्मी- अहह अहह अम्म्म अहह अहह.

थोड़ी देर चूत चाटने के बाद मैंने अपना लंड मम्मी की बुर में डाल दिया और मम्मी को चोदने लगा.

मैं उनकी जबरदस्त चुदाई कर रहा था. मैं पहली बार किसी औरत के साथ सेक्स कर रहा था और इसमें सच में बहुत मज़ा आ रहा था.

मम्मी ‘आहह अहह …’ कर रही थीं.
मम्मी बोलीं- तू तो बहुत अच्छे से चोद रहा है … आज मुझे बहुत मजा आ रहा है.
मैंने मम्मी को आधे घंटे तक चोदा.

मैंने मम्मी से कहा- मम्मी मैं अपना पानी कहां डालूँ?
मम्मी बोलीं- अन्दर ही डाल दे … आज मैं तेरा भी पानी पी लूँगी!

फिर मैंने अपना वीर्य मम्मी की बुर में डाल दिया और मम्मी की बगल में लेट गया.
चुदाई के बाद हम दोनों नंगे ही चिपक कर सो गए.

दो घंटे बाद मेरी नींद खुली तो देखा कि मम्मी की गांड मेरी तरफ थी.
मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया.

मैंने मम्मी को उल्टा किया तो मम्मी जग गईं और बोलीं- क्या हुआ?

मैं बोला- मम्मी मेरा फिर से खड़ा हो गया है. मुझे आपकी गांड मारनी है.
मम्मी- नहीं बेटा … उधर बहुत दर्द होगा.

मैं- नहीं होगा मम्मी, मैं धीमे धीमे करूंगा.
मम्मी- अच्छा ठीक है. लेकिन धीमे से करना!
मैं- ठीक है मम्मी!

तब मैं मम्मी की गांड को फैलाकर अपना लंड डालने लगा लेकिन लंड गांड में नहीं जा रहा था.
फिर मैं जाकर तेल लेकर आया और मम्मी की गांड के छेद में लगा कर उसे ढीला कर लिया.

मेरी दो उंगलियां मम्मी की गांड के छेद में आसानी से आने जाने लगी थीं और मम्मी को भी अच्छा लग रहा था.
फिर मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया और मम्मी की गांड में डालने लगा.

मम्मी- बहुत दर्द हो रहा है … धीमे … धीमे कर … आह.
मैंने मम्मी के बड़े बड़े चूतड़ों को फैलाया और अपने लिंग का टोपा अन्दर तक घुसा कर रगड़ता रहा.

मम्मी का छेद काफी टाइट था.
अन्दर का गर्म मांस मेरे लिंग के टोपे को जो आराम दे रहा था, वो बताना काफी मुश्किल है.

धीरे धीरे करके मैं अपना पूरा लंड मम्मी की गांड में घुसेड़ ही दिया और उनकी गांड चुदाई का मजा लेने लगा.

मैंने मम्मी की गांड आधे घंटे तक मारी … फिर उसी में वीर्य गिरा कर कर सो गया.

कुछ देर बाद मैंने उनका शरीर चूमना शुरू किया तो मम्मी ने कहा- बस अब रहने दे … कल चोद लेना. अब तो हम दोनों कभी भी सेक्स कर सकते हैं.

दोस्तो, तभी से आज तक मैं मम्मी को चोदता आ रहा हूँ.
मैंने कभी मम्मी का मुँह चोदा तो कभी स्तनों के बीच लिंग घुसाया और चुत गांड के छेद तो मैंने न जाने कितनी बार चोद डाले.

मैं और मम्मी पति पत्नी की तरह रहते हैं.
मैंने कई औरतों और लड़कियों के साथ चुदाई की है और अब मेरी मम्मी भी एक बड़ी वाली चुदक्कड़ हो गई हैं.
हम दोनों अपने घर में ही लड़के लड़कियों को बुला कर ग्रुप सेक्स का मजा लेने लगे थे.
 

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चचेरे भाई की पत्नी की चूत चोदकर मां बनाया



दोस्तो, मैं अनुज पाटिल, आज पहली बार इस साइट पर अपने साथ घटित एक सेक्स कहानी को लेकर आया हूं.

देसी भाभी पोर्न कहानी में आगे बढ़ने से पहले मैं अपना परिचय दे देता हूँ.
मैं एक 41 साल का आदमी हूँ और मूलतः नागपुर महाराष्ट्र से हूँ. अभी पूरे परिवार के साथ मुंबई में रहता हूँ.

मेरे परिवार में मेरी पत्नी सारिका 38 साल की, बेटा 12 साल का और बेटी 9 साल की है.
मेरे चाचा रोशन 52 साल के हैं, चाची देविका 45 साल की हैं. चाचा का बेटा रवि 28 साल का और उसकी पत्नी मानसी 26 साल की है.

मेरी बहन चंचल 30 साल की है. उसकी शादी हो चुकी है. वो अपने ससुराल में रहती है.

हम सब संयुक्त परिवार हैं और एक साथ रहते हैं.
मगर ज्यादा सदस्य होने के कारण एक हम अलग अलग फ्लैट में रहने लगे.

मैं अपने परिवार के साथ 7वें फ्लोर में और चाचा अपने परिवार के साथ 5 वें फ्लोर में रहने लगे थे.
हमें पैसों की भी कोई कमी नहीं थी, हमारे पास सब कुछ था. हमारा बिजनेस भी बहुत अच्छा चल रहा था.

मगर हमारा सब कुछ काम संयुक्त परिवार की ही तरह होता है.

यह घटना मई 2016 की है. मेरी पत्नी और बच्चे छुट्टियां मनाने नागपुर गए थे तो मेरा खाना पीना सब चाचा जी के घर में ही होता था.

एक दिन रात में मैं खाना खाने गया तो देखा कि रवि कुछ उदास था और चाची भी कुछ सहज नजर नहीं आ रही थीं.
यहां मेरा ही दबदबा चलता था.

मैंने चाची से पूछा- क्या हुआ?
उन्होंने कुछ नहीं बताया.

मैंने भी ज्यादा कुरेद कर नहीं पूछा, चुपचाप खाना खाया और वापस आने लगा.

अचानक चाची की आवाज आई- अनुज रुको.
मैं- क्या हुआ चाची?

चाची- मैं इन दोनों को कहते हुए परेशान हो गई हूँ अनुज!
मैं- क्या हुआ, चाची आप कुछ खुलकर बताएंगी?

चाची- बेटा मुझे कुछ नहीं चाहिए, बस मुझे पोता पोती चाहिए. इन दोनों का बहुत इलाज हो गया, मगर अभी तक कोई काम नहीं बना.
मैं- मैं क्या कर सकता हूँ चाची, अगर इतने इलाज से कोई फायदा नहीं मिला तो रवि को बोलो दूसरी शादी कर ले.

इतना बोल कर मैं वापस अपने फ्लैट में चला आया और टीवी देखकर सो गया.
मैं चाची की बात को भूल गया और नियमित दिनों की तरह अपने बिजनेस में लग गया.

अचानक 15 दिन बाद 4 बजे मानसी की मां, जो नासिक में रहती हैं, उनका फोन मेरे पास आया.
वो बोलीं- बेटा, तुमसे बहुत ही आवश्यक काम है, तुरंत नासिक आ जाओ.

मैंने बहुत पूछा- क्या हुआ?
पर उन्होंने कुछ नहीं बताया.
बस वो बोलीं- बस जल्दी नासिक आ जाओ. मैं सब बताती हूँ.

मैंने भी पैकअप किया और बिना किसी से कुछ बोले 5 बजे अपनी कार लेकर नासिक के लिए निकल गया.
नासिक पहुंचते मुझे 9 बज गए.

उनके घर पहुंच कर घर की बेल को बजाया तो मानसी की मां रूपा ने दरवाजा खोला.

मैं- क्या हुआ, जो आपने इतना अर्जेंट में मुझे बुलाया.
रूपा- अन्दर आओ ना, बैठो फिर बताती हूँ.

मैं घर के अन्दर जाकर सोफे पर बैठ गया.

उनका घर ज्यादा बड़ा नहीं है. एक बेडरूम, हॉल, किचन और बाथरूम ही है.
मेरे बैठने के बाद मानसी ट्रे में पानी लेकर आयी.

मैं चौंक गया- अरे मानसी तुम यहां कब आयी?
रूपा- बेटा, तुम्हारे घर में क्या हुआ, क्या नहीं … ये मैं नहीं जानती. पर मानसी को तुम्हारी चाची ने बच्चा नहीं होने के कारण घर से ये कहकर निकाल दिया है कि ठीक से इलाज कराकर आओ वरना वापस मत आना.

मैं- अरे, इतना सब हुआ और मुझे कुछ मालूम नहीं, मैं तो रोज ही खाना खाने जाता हूं. चाची खाना देती हैं पर किसी ने मुझे कुछ भी नहीं कहा.
मानसी- भैया, मैंने और रवि ने अस्पताल में चेकअप कराया था. मुझमें कोई कमी नहीं है, कमी तो रवि में है. डॉक्टर ने उसे बहुत सारी दवाइयां भी दी थीं.

मैं- हम्म, तो मैं आप सबकी क्या मदद कर सकता हूँ?
रूपा- बेटा, अब तो तुम्हारी चाची मानेगी नहीं … या तो रवि की दूसरी शादी करवा देंगी या फिर मानसी को बच्चा जन्म देना ही पड़ेगा.

मैं- अब इन सब मुश्किलों में मैं क्या बोल सकता हूँ. कुछ मदद करने जैसी स्थिति रहे, तो मैं कुछ कर सकता था.
रूपा- बेटा, तुम्हें हमारी मदद करनी ही पड़ेगी.

मैं- मैं तो तैयार हूँ, पर क्या मदद कर सकता हूँ और कैसे?
रूपा- बेटा कैसे कहूँ, समझ नहीं आ रहा है.

मैं- आप खुलकर कहो, जो भी होगा हम सब आपस में समझ लेंगे.
रूपा- कहीं तुम बुरा मान गए तो?

मैं- आप प्लीज बोलिये, मुझे बुरा नहीं लगेगा.
रूपा- मानसी को बच्चा दे दीजिए, मैं आपके आगे हाथ जोड़ती हूँ.

मैं अचकचा गया- मैं … मैं कैसे बच्चा दे सकता हूँ?
रूपा- प्लीज अनुज मुझे निराश मत करना बेटा. मानसी की कोख में बच्चा डाल दो.

मैं कुछ कुछ समझ रहा था तो मैंने कहा- देखो मां, मैंने मानसी को कभी भी ऐसी गलत नजर से आज तक नहीं देखा.
रूपा- मुझे मालूम है बेटा, मानसी ने मुझे सब बताया है.

मैं- फिर आप क्यों ऐसा करने के लिए कह रही हैं? अगर मानसी की बड़ी बहन शालिनी के लिए ऐसा बोलतीं, तो मैं तैयार हो जाता क्योंकि शादी के समय उन्हें देखकर मुझे बहुत ही अच्छा लगा था और उनके ऊपर दिल आ गया था.

रूपा- बेटा उन्हें भी कर लेना. मैं उसे तुम्हारे लिए तैयार कर लूँगी. पर अभी मानसी को मां बना दो बेटा. मैं तुम्हारे पाँव पड़ती हूँ.
तभी मानसी और उनकी मां दोनों मेरे पैरों में झुक गईं.

मैं- अरे अरे … आप दोनों ये क्या कर रही हो?
मैंने दोनों को उठाया और शांत किया.

मैंने कहा- मुझे सोचने दो. मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा है.
फिर मैं वहां से उठा और बाहर चला आया.

मैंने गाड़ी को स्टार्ट किया ही था कि मानसी की मां दौड़ती हुई आईं.
रूपा- कहां जा रहे हो बेटा हमें ऐसी हालत में छोड़कर?

मैं- मुझे कुछ सूझ नहीं रहा है. आप घर में ही रहो, मैं थोड़ी देर में आता हूँ.

और मैं गाड़ी लेकर आगे निकल गया; मेरा दिमाग काम नहीं कर रहा था.

फिर अचानक मैंने सोचा कि अब जो भी होगा देखा जाएगा, इनकी मदद करनी ही होगी.

मैं सीधा मार्केट गया.
लगभग 10.30. बज रहे थे, मार्केट खुला था.

वहां से मैंने साड़ी और शादी के कुछ सामान ले लिए, मिठाई ले ली और वापस उनके घर आ गया.

मुझे देखते ही मानसी और उनकी मां दोनों बहुत खुश हो गईं.
मानसी की मां बोलीं- मुझे तुम पर भरोसा था कि तुम जरूर वापस आओगे और हमें ऐसे मझधार में नहीं छोड़ोगे.

मैंने वहीं सोफे पर सामान रखा और सिंदूर निकालकर मानसी की मांग में भर दिया.
मानसी और उनकी मां दोनों की आंखों में आंसू छलक आए.

मैं- चलो अब सब शांत हो जाओ, खाना बनाओ.
मैंने उन्हें सामान दे दिया और बोला- ये सब मानसी के बच्चे के लिए कर रहा हूँ और कुछ भी नहीं.

फिर रात में मैंने चाची को फोन करके बता दिया कि मैं काम के सिलसिले में बाहर आउट ऑफ मुंबई आया हूँ. आप लोग खाने पर मेरा इंतजार मत करना.
रात में सब मिलकर खाना खाया.

मानसी की मां मुझसे बोलीं- आप कहीं टहलकर आ जाओ. जब तक मानसी दुल्हन बन कर तैयार हो जाती है.
मैं घूमने चला गया.

वापस आया तो देखा कि मानसी दुल्हन की तरह सजी हुई बेडरूम के पलंग पर बैठी हुई थी.
उसकी मां ने मुझे मानसी की तरफ इशारा किया और अन्दर जाने को कहा.

मैं अन्दर गया दरवाजा और कड़ी लगा कर जैसे ही मानसी के पास पहुंचा, वो एकदम सिमट गई.

मैंने प्यार से उसका घूंघट उठाया और माथे को चूमा.
वो एकदम सिहर सी गयी और मुझसे चिपक गयी.

मैं धीरे धीरे उसका माथा, आंख, गाल को चूमते हुए उसके होंठों को चूमने लगा.

मानसी भी साथ देने लगी, वो मेरी जीभ चूसने लगी.

मैंने धीरे धीरे उसकी साड़ी को निकाल फेंका.
अब मेरे हाथ ब्लाउज के ऊपर से ही उसके मम्मों का मुआयना करने लगे थे.

फिर मैंने उसका ब्लाउज भी निकाल दिया.
अब वो ब्रा और साया में बहुत ही कयामत लग रही थी.

मैं चूमते हुए गले, दूध, पेट और नाभि तक पहुंच गया.
वो वासना से बहुत ज्यादा तड़प रही थी और सीत्कार भर रही थी.

मुझसे भी अब और ज्यादा सहन नहीं हो पा रहा था तो मैं भी अपने पूरे कपड़े उतार कर बिल्कुल नंगा हो गया.

वो मेरा नागराज देख कर सहम सी गयी और अपने हाथों से मुँह छुपा लिया.
मैंने धीरे धीरे उसके ब्रा, साया और पैंटी को भी निकाल दिया.

अब वो भी मेरी तरह मादरजात नंगी थी.
मैं उसे चूमते चूमते नाभि से नीचे आ रहा था और उसकी कामुक सिसकारियां बढ़ती ही जा रही थीं.

जैसे ही मैंने मानसी की अनछुई सी चूत को चूमा, वो एकदम से उछल सी गयी.
उसकी चूत बहुत ही मस्त लग रही थी.

मैंने चूत चूसना शुरू कर दिया.
वो छटपटा रही थी.

मैं जीभ को चूत के अन्दर ले जाकर चूसने लगा.
मैंने एक उंगली को जैसे ही अन्दर घुसाना चालू किया, वो एकदम से अकड़ कर झड़ गयी.

मैं उसकी अमृत सी नमकीन रबड़ी को चूस चूस कर खा गया और चूत को चाट कर साफ कर दिया.

मैं ऐसे ही चूमते चूसते मानसी के 32 साइज के बोबे भी दबाये जा रहा था.

वो फिर से गर्म हो गई.
मानसी की आंखें उत्तेजना में तमतमा सी गयी थीं.

वो बोली- अब और मत तड़पाओ, जल्दी से अन्दर डाल दो.
मैं बोला- क्या डाल दूँ?
वो बोली- अपना वो डाल दो जल्दी.

मुझे भी अब और इंतजार करना मुश्किल हो रहा था.
मैंने अपने लंड को चूत में थोड़ी देर घिसा और जैसे ही लगा कि वो तैयार है, मैंने जोर लगाया और आधा लंड उसकी बहुत टाइट चूत में फंस गया.

मानसी जोर से चिल्लाई- आह मर गई मम्मी … बचाओ मुझे मम्मी.
वो रोने लगी.

मैं उसका मुँह बंद करता, उससे पहले उसकी मां दरवाजे पर दस्तक देती हुई बोली- क्या हुआ बेटा … क्या हुआ?
मैं जोर से गुस्से से बोला- कुछ नहीं मां, आप जाओ और सो जाओ.

रूपा- नहीं, दरवाजा खोलो … मेरी बेटी बहुत रो रही है.
मैं ऐसे ही नंगा उठा और दरवाजा खोल दिया.

वो दरवाजा खुलते ही सीधे अन्दर मानसी के पास दौड़कर आ गयी और बोली- क्या हुआ बेटी, क्यों रो रही है?
मानसी वैसे ही निर्वस्त्र पड़ी थी.
वो बोली- मम्मी बहुत दर्द हो रहा है इनका बहुत बड़ा है.

उनकी मां ने पलटकर मुझे देखा.
मेरा 8 इंच का लंड देख कर उनका भी माथा चकरा गया.
वो बोलीं- बेटा, तुम्हारा बहुत बड़ा है आराम से धीरे धीरे करो ना. एक साथ डालोगे तो मेरी बेटी मर ही जाएगी.

मानसी रोने लगी- मुझे नहीं बनना है मां!
मां बोली- कुछ नहीं होगा बेटा, धीरे धीरे सब दर्द खत्म हो जाएगा.

रूपा ने मुझे आने का इशारा किया और बोलीं- अब आराम से डालो.
उनकी मां उधर ही रुक गईं और मानसी की चूत सहलाने लगीं.

मैं अपना लंड चूत में लगाकर घिसने लगा और धीरे धीरे दबाव बढ़ाने लगा.
मेरा लंड 3 इंच तक घुसने के बाद उसे फिर से दर्द होने लगा.

उसकी मम्मी ने मानसी का एक दूध दबाते हुए उसके होंठ चूसना शुरू कर दिया.

जैसे ही उन्हें लगा कि मानसी को अच्छा लग रहा है, मुझे अन्दर डालने का इशारा कर दिया.
उनकी मम्मी का इशारा पाते ही एक ही झटके में मैंने पूरा लंड अन्दर पेल दिया.

मानसी रोने लगी. उसकी मम्मी ने उसके होंठ चूसकर रोना बंद करवाया.
फिर मुझसे धीरे धीरे चुदाई करने को बोला.

मैंने बहुत देर तक धीरे धीरे किया, फिर लगा कि मानसी का दर्द कम हो गया तो मैंने स्पीड बढ़ा दी और धकापेल चोदना चालू कर दिया.

अब मानसी को भी अच्छा लगने लगा, वो भी मजे से चुदवाने लगी.

उसकी मां ध्यान से मेरे लंड को अन्दर जाते बाहर आते देख रही थी.
मानसी को चोदते हुए 20 मिनट हो गए, वो दो बार झड़ गयी थी.

मेरा भी अब होने वाला था. मैंने भी स्पीड को बढ़ा दिया और 10-12 धक्कों के बाद पूरा वीर्य मानसी की चूत में भर दिया.

इस तरह से मानसी की चूत में मैंने अपना बीज बो दिया था.
उस रात मैंने मानसी की मां की मौजूदगी में मानसी को दो बार चोदा.
 

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सेक्सी चाची ने मेरे लंड की मौज कर दी



नमस्कार दोस्तो, यह कहानी दो-तीन साल पहले की है.
मैं सोनू हूँ. मेरी उम्र 25 साल की है और मैं महेन्द्रगढ़ हरियाणा से हूँ.

ये चुदाई का मजा मेरी पड़ोसन चाची के साथ हुई एक रोमांचक घटना को लेकर लिखी गई है और एकदम सच्ची कहानी है.

चाची की उम्र 35 साल की है.
वो देखने में एकदम कयामत ही हैं. कोई भी उन्हें एक बार देख भर ले, मेरी गारंटी है कि उसका लंड फनफना कर खड़ा न हो ज़ाए तो कहना.

यही मेरे साथ भी हुआ था.
जब से चाची की शादी हुई, तभी से मैं उनको वासना भरी नजरों से देखता आ रहा था.

मन में वासना का सागर हिलोरें मारता, तो मैं चाची की पैंटी को उठा कर सूंघ लेता, ब्रा को सूंघ लेता और लंड हिलाकर खुद को शांत कर लेता.

यदि हाथ से झड़ने में टाइम लगता, तो कभी कभी मैं चाची की पैंटी में ही मुठ मार लिया करता था.

एक दिन मैं उनके बाथरूम में उनकी पैंटी को लंड पर लगा कर मुठ मार रहा था.
और तभी चाची भी बाहर से अन्दर आ गईं.

चाची ने मुझे लंड हिलाते हुए देख लिया था और मेरे लंड पर उनकी पैंटी लिपटी हुई थी, ये भी उन्होंने देख लिया था.

उनको अन्दर आया देखते ही मैं घबरा गया और वहां से बाहर जाने लगा.
चाची ने मुझे पकड़ लिया और गुस्से में पूछा- ये सब करने आता है तू हमारे यहां?

मैंने सॉरी बोला और जैसे तैसे बात खत्म करना चाहता था.

लेकिन चाची गुस्से में थीं और धमकी पर धमकी दिए जा रही थीं.
मैं चुपचाप उनकी डांट खाता रहा और सर झुकाए खड़ा रहा.

फिर जैसे ही चाची ने मुझे छोड़ा, मैं वहां से निकल कर अपने घर आ गया.

उस घटना के बाद काफ़ी दिन तक मैं उनके यहां नहीं गया.
कुछ दिन बाद हमारे परिवार में एक अवसर आया, जब एक जन्मदिन का कार्यक्रम था.

मेरी किस्मत तो देखो, अंत मैं जब सब लोग फंक्शन के लिए जाने लगे तो चाची सामने दिखीं.
उस वक्त तक सब जा चुके थे और मैं व चाची ही जाने को अकेले ही बचे थे.

मेरे पास स्कूटी थी, उन्होंने लिफ्ट मांगी.
उनकी बात सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने उनको अपनी स्कूटी पर बिठाया और चल दिया.

हमारे घर से फंक्शन वाली जगह थोड़ा दूर खुले खेतों में थी.
जैसे ही हम मेन रोड से नीचे उतरे, तो जमीन समतल नहीं थी; जिस वजह से मैंने ब्रेक लगाना शुरू कर दिया.

चाची कुछ नहीं बोलीं और मैंने इस बात का फायदा उठा कर चाची से अपने जिस्म को रगड़ना शुरू कर दिया.
मैंने महसूस किया कि चाची भी मेरी पीठ से अपने मम्मों को रगड़ सुख ले रही थीं.

इससे मेरी हिम्मत जागी और मैंने चाची से बात करना शुरू कर दी.

पहले इधर उधर की बात की फिर मैं मुद्दे पर आ गया.
मैंने कहा- चाची मैं आपको पसंद करता हूँ.

इस पर चाची कुछ पल चुप रहीं और एक लम्बी से सांस लेकर बोलीं- ये सब गलत है, मैं तुम्हारी चाची हूँ. तुम मेरे बारे में ऐसा कैसे सोच सकते हो?

इस बात को लेकर काफी बातचीत हुई आखिर में मैंने उनको जैसे तैसे समझाया और वो मान गईं.
वो बोलीं- ठीक है … लेकिन ये बात हमारे बीच ही रहेगी. तू किसी से भी मेरे साथ अपने सम्बन्धों का जिक्र नहीं करेगा.

चाची के मुँह से इतना सुनते ही मैंने ब्रेक लगाए और पीछे मुँह करके उनके गाल पर एक किस कर दिया.
मेरे एकदम से चूमने से चाची सकपका गईं, फिर हंस कर बोलीं- अरे तू तो बड़ा फास्ट निकला. इतनी जल्दी चुम्मी भी ले ली?

मैंने भी हंस कर कहा- हां चाची, बोहनी करना तो बनता ही था.
चाची हंस दीं और उन्होंने भी मेरे गाल पर किस कर दिया.

उसके बाद हम दोनों फंक्शन में आ गए.

उधर से रात को वापसी में देर हो गई.
मैं ही चाची को वापिस ला रहा था.
चाची खुद भी मेरे साथ ही वापस आना चाह रही थीं.

मैं उनको लेकर आ रहा था तो उन्होंने कहा- रोड खाली है, मुझे भी स्कूटी चलाना सिखा दो.

मैंने उनको आगे बिठाया और पीछे से उनकी गांड से लंड चिपका कर बैठ गया.

अब मैं अपने हाथ आगे करके उनको बताने लगा कि स्कूटी को कैसे चलाते हैं.
वो सब बताते हुए मैं उनके मम्मों को टच करने लगा और गर्दन पर किस करने लगा.

वो खुद भी शायद ये सब चाह रही थीं. इसलिए चाची गर्म हो गईं.

मैं उनके चूचे दबा कर बोला- चाची, यहीं किसी झाड़ी में मजा ले लेने दो न.
चाची हंस दीं और बोलीं- इतनी ज्यादा आग लगी है क्या?

मैंने कहा- हां चाची, मैंने अब तक किसी के साथ सेक्स नहीं किया है.
चाची ये सुनकर शायद ज्यादा खुश हो गई थीं कि आज तो उन्हें कुंवारा लंड मिलने वाला है.

उन्होंने कहा- नहीं इधर ठीक नहीं रहेगा. घर चल कर करेंगे.

मैंने कहा- घर पर तो चाचा आ गए होंगे.
तो चाची बोलीं- हां उन्हें आज रात वापस आना तो है. चलो मैं फोन लगा कर पूछ लेती हूँ.

चाची ने स्कूटी रुकवाई और चाचा को फोन लगाया.

चाची ने हैलो कहा तो चाचा ने कहा- हां सुनीता, मैं कबसे तुम्हारा फोन लगा रहा हूँ. लग ही नहीं रहा था.
चाची ने कहा- अरे वो फंक्शन भी आउट में था न … तो उधर नेट्वर्क की दिक्कत आ रही थी. आपका आने का सब हो गया … कितने बजे कि ट्रेन है?

चाचा बोले- अरे यही बताने के लिए तो फोन कर रहा था कि मैं आज नहीं आ रहा हूँ. तुम इन्जार मत करना और घर में किसी को बुला लेना.
चाची बोलीं- हां ठीक है, मैं सोनू को बुला लूँगी. अभी भी उसी के साथ हूँ, फंक्शन से लौट रही हूँ.

चाचा ने कहा- अच्छा ठीक है. अब मैं फोन रख रहा हूँ.
चाची ने फोन रखा, तो मैंने उन्हें अपनी बांहों में समेट लिया.

वो भी बिंदास मेरी बांहों में झूल गईं और बोलीं- आज रात घर में ही अपनी रासलीला होगी.
मैं खुश था.

फिर जैसे ही हम दोनों घर पहुंचे उन्होंने मेरे घर पर रुक जाने के लिए कहा और मेरी मम्मी ने हामी भर दी.
हम दोनों चाची के घर चले गए.

कमरे में जाते ही मैंने चाची को किस करना शुरू कर दिया.
चाची भी न जाने कबसे प्यासी थीं.

चाचा उनको कम ही चोद पाते थे शायद. चाचा का काम कुछ ज्यादा ही बढ़ गया था.

चूमाचाटी में कब हमारे कपड़े निकल गए, मालूम ही नहीं चला.
चाची काली पैंटी ओर लाल रंग की ब्रा में मेरे सामने खड़ी थीं और मैं अंडरवियर में.

मैंने उनको लेटा दिया और उनके संगमरमर से जिस्म को जगह जगह चूमना चाटना शुरू कर दिया.

मुझसे रहा नहीं जा रहा था तो मैं किस करने के साथ साथ चाची को जगह जगह पर काट भी ले रहा था जिससे चाची की आह आह निकल रही थी.

फिर मैंने चाची की पैंटी और ब्रा निकाल दी.
उनके बूब्स को मुँह में लेकर शुरू किया, तो वो पागल हुई जा रही थीं.

मैं चाची के दूध चूसने के बाद उन्हें चूमता हुआ धीरे धीरे नीचे आया और उनकी चूत पर जीभ रख कर चाटने लगा.
वो एकदम से मचल उठीं और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाती हुई आह आह करने लगीं.

कुछ ही देर में चाची झड़ गईं और मैं उनकी चूत का पानी पीने लगा.
मैंने कुछ ही देर में चाची की चूत चाट कर साफ़ कर दी.
वो पागल हो रही थीं.

उसके बाद उन्होंने मुझे खड़ा किया और मेरा अंडरवियर हटा कर लंड देखने लगीं.

मेरा मोटा लम्बा लंड देख कर चाची हैरान रह गईं और बोलीं- तेरा तो बहुत बड़ा लंड है. उस दिन जब तू बाथरूम में मेरी पैंटी में लंड दबा कर मुठ मार रहा था, तब मैं ठीक से देख ही नहीं पाई थी.
मैंने कहा- यदि आपको मेरा लंड पसंद आया हो, तो इसको मुँह में लेकर प्यार करो.

चाची शायद यही चाह रही थीं. वो झट से मेरे लंड को मुँह में लेकर चूसने लगीं.

मेरा मन फिर से चाची की चूत चाटने का कर रहा था तो मैं उनसे बोला- चाची चलो अपन 69 में करते हैं.
चाची बोलीं- ये 69 क्या होता है?

मैंने कहा- एक दूसरे का आइटम एक साथ चाटने की पोजीशन को 69 कहा जाता है.
चाची- तू तो कह रहा था कि तू कुंवारा है और ये 69 के बारे में कहां से जानता है?

मैंने कहा- चाची, तुम्हारी चूत की याद में मैं बहुत ब्लू-फिल्म देख चुका हूँ. उसी में मैंने 69 का सीन देखा था.
चाची खुश हो गईं और हम दोनों 69 पोज़िशन में आ गए.

मैं चाची की चूत चूसने लगा और चाची मेरा लंड मुँह में लेकर कुल्फी जैसे चचोरने लगीं.
चाची मेरे लंड को अपने हाथ से मुठिया भी रही थीं और मेरे आंड भी सहला रही थीं.

मुझे बड़ी गुदगुदी हो रही थी.
चाची बार बार बस यही कह रही थीं- सोनू तेरा लंड बहुत बड़ा है. तेरे चाचा का तो तेरे लंड से आधा भी नहीं है.

मैंने कहा- मतलब आज तो आपके मजे हो गए चाची?
चाची हंस दीं और बोलीं- तुझे मेरी चूत चाटने में मजा नहीं आ रहा है क्या?

मैंने कहा- चाची, आपकी चूत तो जबरदस्त मलाई वाली चूत है. आज मुझे भी पहली बार चुदाई करने में मजा आ जाएगा.
चाची बोलीं- हां मुझे भी तेरे कुंवारे लंड से चुदने का सुख मिल जाएगा.

इसी तरह की बातचीत करते हुए हम दोनों एकदम चरम पर आ गए और झड़ गए.
हम दोनों ने ही एक दूसरे का पानी पी लिया.

चाची को मेरा लंड का माल इतना स्वादिष्ट लगा कि उन्होंने मेरे लंड का सारा पानी चूसने के बाद भी उसे नहीं छोड़ा.
वो लगातार लंड चूसती रहीं.

इससे नतीजा ये निकला कि मेरा हथियार फिर से खड़ा हो गया.
अब चाची ने मेरे ऊपर चढ़ कर अपनी पोजीशन सैट की और अपनी Xxx देसी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगीं.

मैंने कहा- चाची मेरा पहली बार है … प्लीज़ मुझे अपने ऊपर चढ़ने का मौका दो न!
चाची ने हां कहा और टांगें पसार कर किसी सड़क छाप रंडी की तरह चूत खोल कर लेट गईं.

मैंने उनके ऊपर चढ़ कर बड़े प्यार से उनकी चूत में लंड सैट किया और पेलना शुरू कर दिया.
मेरा लंड मोटा था तो चाची की चूत में बड़ा टाईट जा रहा था.

चाची को भी दर्द हो रहा था. वो आह आह करती हुई चुदने लगी थीं.

धीरे धीरे मैंने पूरा लंड अन्दर पेला और धक्के लगाना शुरू कर दिया.

फिर धीरे धीरे मैंने अपनी स्पीड तेज कर दी और उनकी मादक सिसकारियां निकलने लगीं.

जैसे जैसे लंड अपनी रफ्तार बढ़ा रहा था, वैसे वैसे चाची की आवाज़ भी बढ़ने लगी.

चूंकि मेरा एक बार और चाची का दो बार माल झड़ चुका था तो हमारा सर्कस लंबा चला.

कोई बीस मिनट में चाची एक बार झड़ गईं.
मेरा अभी भी नहीं निकला था.

तो उन्होंने कहा- मैं थक गयी हूँ अब बस कर सोनू!
मैंने लंड चूत से निकाल कर उनके मुँह में दे दिया.

चाची ने लंड चूसा और थोड़ी देर बाद भी जब मैं नहीं झड़ा, तो मैंने उनको घोड़ी बनाया और पीछे से पेलना शुरू कर दिया.
कुछ देर बाद मैंने लम्बे लम्बे झटके लगाने शुरू किए तब जाकर मेरा रस निकला और मुझे शांति मिली.

चाची भी एकदम लस्त हो गई थीं.
उन्होंने मुझे चूमा और हम दोनों यूं ही नंगे लिपट कर सो गए.

उसके बाद हम दोनों को जब भी मौक़ा मिलता तो हम दोनों चुदाई कर लेते.

इसके बाद उन्होंने मुझे अपनी बड़ी बहन से मिलवाया.
वो देखने में ठीक ही थीं, ज़्यादा ख़ास नहीं थीं.

चाची के कहने पर मैं उनसे मिला और उनसे बात करने लगा.

उनके हज़्बेंड नहीं थे और दो बच्चे थे, दोनों स्कूल जाते थे.
सारा दिन वो घर में अकेली रहती थीं.

उस दिन मैं एक जरूरी काम आ जाने से उनके घर से आ गया.
दूसरे दिन उनका मुझे फोन आया और उन्होंने घर आने को बोला.

मैं उनके घर चला गया.
उन्होंने मुझसे बैठने का कहा और वो मेरे लिए चाय बनाने चली गईं.

मैं भी उनके पीछे पीछे चला गया और किचन में उनके पीछे जाकर खड़ा हो गया.

वो मेरे आने से मन ही मन खुश थीं.

मैंने पीछे से उन्हें हग कर लिया और अपने दोनों हाथ उनके चूचों पर रख कर मसलने लगा.
वो मस्त होकर आह आह करने लगीं.

मैं अपना मुँह उनके कान के पास ले जाकर उनके कान की लौ को चुभलाने लगा.
इससे उनकी आंखें बंद हो गईं और वो अपनी Xforum में खो सी गईं.

मैंने किचन में ही एक हाथ नीचे ले जाकर उनकी सलवार का नाड़ा खोल दिया. उनकी सलवार नीचे गिर गई.
अब वो नीचे से सिर्फ़ पैंटी में थीं और ऊपर कुर्ती थी.

मैंने उनकी पैंटी के ऊपर से ही उनकी चूत को सहलाना शुरू कर दिया.
वो अपनी सालों से लंड की भूखी चूत पर मर्दाना हाथ पाते ही एकदम से सिसकारने लगीं.

मैंने चूत से रस निकाला और उंगली को चाट कर चटखारा लिया.

उन्होंने पूछा- कैसा लगा?
मैंने कहा- जबरदस्त स्वाद है आपकी चूत की मलाई का.

वो बोलीं- तो चलो न रूम में चलते हैं. उधर मैं भी तुम्हारे बाबूलाल का रस चख लूँगी.
मैंने हाथ बढ़ा कर गैस बंद कर दी और उनको अपनी गोद में उठा कर रूम में लेकर आ गया.

उनको बिस्तर पर लुड़का कर मैं उनके ऊपर ही चढ़ गया.
मैं चाची की बहन के होंठों से अपने होंठ जोड़ कर उन्हें लिप किस करने लगा.

कुछ ही देर में मैंने उनके कुर्ते को भी निकाल दिया.
अब मेरे सामने वो ब्रा और पैंटी में मचल रही थीं.

मैंने उनके जिस्म पर चुम्बनों की बौछार कर दी और साथ में मैं उनके बदन पर जगह लव बाईट करने लगा.
कुछ ही देर में मैंने उनकी ब्रा भी निकाल दी और उन पर लेट गया.

नीचे से लंड उनकी चूत पर रगड़ने लगा और ऊपर से मुँह से मम्मों को चूसते हुए खींचने लगा.
वो पागल हुई जा रही थीं.

अब मैंने धीरे से लंड को चड्डी से बाहर निकाला और उनकी चूत पर रगड़ने लगा.
मैंने एक झटके से उन्हें उठाया और पलटा कर उनको अपने ऊपर ले लिया.

अब वो मुझे बाईट कर रही थीं और मैं उनकी गांड और चूत को हाथ से रग़ड़ रहा था.
फिर मैंने उनकी पैंटी निकाली और लंड चूत पर टिका कर अन्दर पेल दिया.

उनकी चिकनी चूत थी और मेरा झटका भी जोरदार था.
मेरा मोटा लंड एकदम से Xxx देसी चूत के अन्दर घुस गया.

उनकी चीख निकल गई और वो छटपटाने लगीं.
मैं लंड ठेले हुए रुका रहा और उनके एक दूध को अपने मुँह में दबा कर चूसने लगा.

थोड़ी देर में वो सामान्य हो गईं और लंड के मजे लेने लगीं.
दस बीस धक्कों के बाद तो वो खुद ही ऊपर नीचे होने लगीं.

अब मैंने उनको अपने नीचे लेटाया और ताबड़तोड़ चोदना चालू कर दिया.

दस मिनट में ही उनकी चूत ने पानी छोड़ दिया मगर मैं लगा रहा.

करीब बीस मिनट तक जबरदस्त चुदाई के बाद मैंने लंड का पानी उनके मुँह में छोड़ा और वो सारा लंड रस पी गईं.

उस दिन हम दोनों ने 4 बार चुदाई की और मैं उनके घर से वापस आ गया.

अब जब भी वो मुझे कॉल करती हैं, मैं उन्हें चोदने चला जाता हूँ.

इसके बाद एक दिन मुझे चाची का कॉल आया.
उन्होंने मुझे घर आने को कहा.

मैं गया और चाची को नंगी करके चोदने लगा.
मुझे नहीं मालूम था कि उस दिन उनकी बहन भी उधर ही आई हैं.

आधी चुदाई में उनकी बहन भी नंगी होकर कमरे में आ गईं और हम तीनों ने थ्रीसम सेक्स का मजा लिया.

अब जब भी हम तीनों का मन होता है मैं चला जाता हूँ और चाची व उनकी बहन को एक साथ चोदने का आनन्द ले लेता हूँ.

इसके बाद मेरी चाची ने एक किराएदारनी को भी हमारी चुदाई गैंग में शामिल कर लिया.
 

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बीवी ने मुझे अपनी भाभी की चूत दिलायी




मेरा नाम मनोज शर्मा है।
मेरी शादी को 7 साल हो चुके हैं। मेरी बीवी का नाम विनिता है।

शादी के इतने साल होने के बावजूद भी हम दोनों आज भी एक दूसरे को दिलोजान से प्यार करते हैं।

यह Xxx पोर्न फॅमिली स्टोरी कुछ दिनों पहले की है, मैं शाम को एक दो ड्रिंक करने बाद बाथरूम में नहा रहा था।

अचानक मेरी बीवी ने बाथरूम का दरवाजा खटखटाया।
मैंने तौलिया लपेट कर दरवाजा खोला।

देखा तो सामने मेरी बीवी खड़ी थी और शरारत से मुस्कुरा रही थी।
मैं कुछ समझता … इससे पहले उसने एक झटके में मेरा तौलिया खोल दिया।

मैं बिल्कुल नंगा हो गया था।
मैंने पूछा- रुको यार! क्या कर रही हो?

उसने कोई जवाब नहीं दिया और घुटनों के बल बैठ गयी।
मैं कुछ समझता इससे पहले मेरे आंड (अंडकोष) मेरी बीवी के होठों के अंदर थे।

सच कहूं तो मेरी आत्मा तक आनंद से भर गयी; गजब का आनंद महसूस हुआ।

वो बिल्कुल आम की गुठलियों की तरह मेरे आंड चूसने लगी।
मेरा 6 इंच का लंड टनटनाने लगा।

3-4 मिनट आंड चूसने के बाद उसने गप्प से मेरा लंड अपने मुंह में डाल लिया सटासट चूसने लगी।

मैं उसकी इतनी मेहरबानी को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रहा था; मैं बस मजे से उसे अपना लंड चुसवा रहा था।

मेरे होठों से ‘आहह आहह’ की मस्ती भरी आवाजें निकल रही थी।
फिर मैंने बीवी को थोड़ा विस्मय से देखा तो वो समझ गयी कि मैं इस मेहरबानी की वजह जानना चाहता हूं।

उसने लंड अपने मुंह से निकाला और कहा- अजी कोई खास बात नहीं. लेकिन पिछले 15-20 दिनों से मैंने आपके लंड का पानी नहीं पीया ना … तो आज मेरा मन आपके लंड के नमकीन पानी को पीने का कर रहा था। पिलाओगे या नहीं?

मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- डार्लिंग, मैं तो सारा का सारा तुम्हारा हूं, तुम जो चाहो कर सकती हो!
इतना सुनकर वो सटासट मेरा लंड अपने मुंह के अंदर बाहर करने लगी।

आहह … बड़ा मजा आ रहा था.

अचानक डोरबेल बजी।

“धत्त तेरे की!” मेरी बीवी बोली।
उसने मेरा लंड अपने मुंह से बाहर निकाला।
मैं अपना लंड हाथ में लेकर हिलाने लगा।

मेरी बीवी चिल्लायी- प्लीज यार, अपने पानी को मत निकालना। मैं आपके लंड का पानी अपने मुंह में ही निकालना चाहती हूं। आप एक मिनट रूकना। मैं देख कर आती हूं कि बाहर कौन आया है।
मैंने कहा- लेकिन मेरा लंड एकदम गर्म हो चुका है।
वो बोली- आप बस एक मिनट रूक जाओ, मैं अभी आती हूं। आप बस लंड का पानी मत निकलने देना प्लीज!
उसने हाथ जोड़कर कहा।
मैंने भी हां में सर हिला दिया‌.

मेरी बीवी 10-15 मिनट तक नहीं आयी.
इधर मेरे लंड की हालत खराब हो रही थी।

खैर! 15-20 मिनट इंतजार के बाद मैं टॉवल लपेट कर बाथरूम से बाहर आया।

जैसे ही कमरे के अंदर जाने लगा, तभी मुझे अपनी सलहज (साले की बीवी) यानि अपनी पत्नी की भाभी की आवाज सुनाई दी।
वो मेरी बीवी से बात कर रही थी।
उसने मुझे देख लिया था।

मुझे देख कर उसने हालचाल पूछे।
मैंने भी उनके हालचाल पूछे और कमरे के अंदर चला आया।

3-4 मिनट के बाद नेरी बीवी कमरे के अंदर आयी।
मैंने उसे देखकर बुरा सा मुंह बनाया।

मेरी बीवी ने आव देखा ना ताव और तौलिये में से मेरा लंड निकाल कर अपने मुंह में गप्प से ले लिया।

लंड तो बेचारा पहले से ही बेताब था तो बस 4-5 झटकों में ही एक पिचकारी के साथ अपना पानी मेरी बीवी के मुंह में छोड़ दिया।

उसने भी फटाफट सारा पानी निगल लिया और लंड को चाट कर बिल्कुल साफ कर दिया।
फिर उसने मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा और कहा- मुझे पता है कि लंड जब खड़ा हो जाता है तो फिर पानी निकलने के बाद ही ठण्डा होता है।

“तुम्हें अपने खड़े लंड का पानी इतनी देर तक रोकना पड़ा इसके लिए आइ एम सॉरी!”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया, बस हल्की सी स्माइल कर दी।

फिर मेरी बीवी वहां से चली गयी।

रात के 8 बजने वाले थे।
मैं अपने बेडरूम में पैग लगा रहा था।
मेरी बीवी कमरे में आयी और बोली- खाना तैयार है, चलिए जनाब!

फिर मेरा हाथ पकड़कर मुझे खड़े होने का इशारा किया।
मैं खड़ा होकर उसके साथ चल दिया।

मैंने, मेरी बीवी ने और बीवी की भाभी ने साथ साथ खाना खाया।
फिर मैं छत पर चला गया।

लगभग 10-15 मिनट के बाद मेरी बीवी और उसकी भाभी भी छत पर आ गयी।

मैं व्हिस्की के हल्के से थोड़ा ज्यादा नशे में आराम से छत टहल रहा था।
मेरी बीवी और उसकी भाभी छत पर रखी राउण्ड टैबल के इर्द गिर्द रखी कुर्सियों पर बैठ गयी।

कुछ देर तक वो दोनों आपस में बतियाती रही फिर मेरी बीवी ने मुझे आवाज लगायी- आप भी तो बैठो ना!
फिर उसकी भाभी ने भी कहा- अजी आप भी बैठिये … थोड़ी देर हमारे साथ भी तो बैठिये!

मैं थोड़ा सा हड़बड़ाते हुए उनके पास की कुर्सी पर बैठ गया।

मेरी बीवी और उसकी भाभी आपने सामने बैठी थी तो मुझे उन दोनों के बीच वाली कुर्सी ही खाली मिलनी थी।

हम तीनों आपस में 15-20 मिनट तक घर परिवार के बारे में बात करते रहे।

उसकी भाभी ने मेरे काम धंधे के बारे में पूछा, मैंने भी उनके और उनके परिवार वालों के हालचाल पूछे।
फिर वो दोनों अपनी किसी बात में मशगूल हो गयी, बतियाने लगी।
मैं उन दोनों की बातें सुनने लगा।

मुझे उन दोनों की बाते सुनते बस एक-दो मिनट ही हुए थे कि अचानक मुझे अपनी पैन्ट के जिप वाले हिस्से पर कुछ छुअन सी महसूस हुई।
मैं थोड़ा सा हिला।

अचानक वो छुहन किसी चीज के दबाव में बदल गयी।
मैंने गौर किया तब समझ आया कि वो चीज नहीं किसी के पैर हैं।

मैं अपने आश्चर्य को दबाते हुए बस ये जानने कोशिश कर रहा था कि मेरी बीवी अपनी भाभी की मौजूदगी में ये क्या कर रही है।
वो पैर से 3-4 मिनट तक मेरे जिप वाले हिस्से पर सहलाती रही, दबाती रही।
मेरा लंड तनकर खड़ा था।

अचानक मेरी बीवी बोली- आप लोग कॉल्ड ड्रिंक पियोगे ?
बीवी की भाभी तपाक से बोला- हां जरूर!

मेरी बीवी उठकर नीचे चली गयी।

लेकिन ये क्या … मेरे जिप वाले हिस्से पर अब भी हलचल हो रही थी।

मैं आश्चर्य व संकोच से बीवी की भाभी की तरफ देखने लगा।
उसने मुस्कुराते हुए मुझे देखा।
मैं थोड़ा सा झेंप गया।

वो मेरे जिप वाले हिस्से को सहलाते सहलाते अचानक राउंड टेबल के नीचे बैठ गयी।
फिर आगे सरक कर बिल्कुल मेरे सामने बैठ गयी।
मैं नशे में हैरान सा उसको देख रहा था।

उसने अपने हाथों से मेरी पैन्ट की जिप खोली और अपनी अंगुलियों से मेरा लंड बाहर निकाल लिया; उसको हिलाते हुए मेरी तरफ देखा और मेरे लंड को गप्प से अपने मुंह में डाल लिया।

मेरे सारे शरीर में मस्ती की तरंग सी फैल गयी।
मैं बिल्कुल चुपचाप था।

मेरी बीवी की भाभी मेरे लंड को लॉलीपोप की तरह चूस रही थी।
अचानक मेरी बीवी छत पर आ गयी।

उसके हाथ में ट्रे थी जिसमें तीन ग्लास रखे थे।
लेकिन उसकी भाभी मेरे लंड को छोड़ ही नहीं रही थी।

मैं अपनी बीवी को छत पर देख कर डर गया; मैं घबराकर बोला- छोड़िये, आपकी ननद छत पर आ गयी।
लेकिन मुझे बहुत ताज्जुब हुआ जब मेरे कहने पर भी उसने मेरा लंड अपने मुंह से नहीं निकाला।
वो तो बिना किसी झिझक और डर के मेरा लंड चूसे जा रही थी।

अब मेरी बीवी राउण्ड टेबल के बिल्कुल पास आ गयी थी।
मेरा चेहरा पसीने से भीगने लगा।

मेरी बीवी ने किर्सी पर बैठकर पूछा- भाभी किधर गयी?
मैं मारे घबराहट के बदहवास सा उसके चेहरे को देख रहा था।

मेरी बीवी ने मेरे चेहरे की तरफ गौर से देखा, फिर पूछा- क्या हुआ जी? आप इतना घबराए हुए क्यों हैं? क्या बात है?
मैं घबराहट में मिमियाने लगा।

मेरी बीवी मेरी बात समझ पाती इससे पहले ही उसे ‘पुच्च पुच्च’ की आवाज सुनाई दी।
मेरी बीवी ने फिर से पूछा- क्या चल रहा है? और ये भाभी किधर है?

इतना बोलकर उसने टेबल के नीचे झुककर देखा।
उसकी भाभी के मुंह में मेरा लंड था।

वो देखकर चिल्लायी- भाभी! ये सब क्या हो रहा है? बाहर निकलिये!
उसकी भाभी बाहर निकली।

मेरी तो हालत ही खराब हो चुकी थी; मेरा पूरा बदन पसीने से तरबतर हो चुका था।
गुस्से से लाल होकर मेरी बीवी कभी मेरे चेहरे की तरफ देख रही थी कभी अपनी भाभी के चेहरे को देख रही थी।

लगभग 1-2 मिनट के बाद अचानक जोर से हंसी की आवाज आयी।
मेरी बीवी और उसकी भाभी मेरे चेहरे की तरफ देखकर हंस रही थी।

मेरे तो कुछ भी समझ नहीं आया कि आखिर ये दोनों हंस क्यों रही हैं।
शायद व्हिस्की के नशे के कारण!?

फिर मेरी बीवी मेरे पास आयी और आकर मेरे कान में बोली- अगर आज रात दो-दो चूत चोदने को मिलें तो कैसा रहेगा?
मैं मारे खुशी के बावला होने लगा।

अब मुझे समझ में आया कि ये लंड चूसने वाली घटना उन दोनों का प्लान था।
मतलब कि मेरी बीवी मुझसे अपनी भाभी को भी चुदवाना चाहती थी।

मेरी तो जैसे लॉटरी ही निकल पड़ी थी।
लेकिन मैं समझ नहीं पा रहा था कि आखिर मेरी बीवी अपनी मर्जी से और अपने ही सामने अपनी भाभी को मेरे साथ चोदा चोदी क्यों करने देने को राजी है।

मैं सोचने में खोया था कि अचानक मेरी बीवी की आवाज आयी- अजी कहां खो गये?
फिर मेरे पास आकर बोली- दिमाग पर ज्यादा जोर डालने की जरूरत नहीं है! मैं सब समझाती हूं। पहले आप कुर्सी पर बैठिये।

इतना बोलकर वो मुझे कुर्सी पर बैठाने लगी।
मैं कुर्सी पर बैठ गया।

फिर वो दोनों भी अपनी अपनी कुर्सी पर बैठ गयी।
लेकिन वो दोनों अब भी मेरी तरफ देखकर हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी।

मैं उन दोनों की तरफ देख तो रहा था लेकिन थोड़ा थोड़ा शरमा भी रहा था।

फिर मेरी बीवी ने कॉल्ड ड्रिंक के गिलास ट्रे से बाहर निकाले और तीनों ने एक एक ले लिया।

लेकिन ये क्या … उन दोनों के गिलास में कॉल्ड ड्रिंक था लेकिन मेरे गिलास में व्हिस्की थी।
बीवी ने मुझे प्यार और शरारत से देखते हुए पीने का इशारा किया।

मैं धीरे धीरे ड्रिंक पीने लगा।
वो दोनों भी अपने अपने कॉल्ड ड्रिंक पीने लगी।

फिर मेरी बीवी बोली- आप इसलिए हैरान हैं ना कि आज ये सब क्यों और कैसे हुआ? तो सुनिए‌ … जब मैं कमरे में आकर आपका लंड चूसकर पानी निकाल रही थी, तभी भाभी ने हमें चुपके से ये सब करते देख लिया था। भाभी को आपका लंड बहुत पसंद आया। और दूसरी बात मेरी भाभी को भी लंड चूसने का बहुत शौक है। पिछले दो महीने से भैया को उनके ऑफिस से छुट्टी नहीं मिली इसलिए भैया दिल्ली से नहीं आ पाये हैं। लेकिन जब भैया घर पर आये होते हैं तब मेरी भाभी उनका लंड दिन में दस बार से भी ज्यादा चूस लेती है।

वो आगे बताने लगी- हां, पानी तो वो भाभी की चूत में ही निकालते हैं लेकिन भाभी की खुशी के लिए वो अपना लंड चुसवाने में कोई आनाकानी नहीं करते. इसलिए आज जब भाभी ने आपका लंड देखा तो उनका फिर से लंड चूसने को करने लगा! भाभी ने मुझसे आपका लंड चूसने की रिक्वेस्ट की तो मैंने भी उनकी हालत समझ कर उन्हें हां कर दी। फिर मैंने भाभी से कहा कि लंड चूसने से ही क्या होगा! आप तो आज मेरे पति के लंड से चुदवा भी लो! मेरे ऐसा कहने पर भाभी ने मारे खुशी के मुझे अपने गले से लगा लिया। और इस तरह आज हम दोनों ने आपको सरप्राइज करने का प्लान बनाया था।

ऐसा बोलने के बाद मेरी बीवी मुस्कुराने लगी।
उसकी भाभी भी मुस्कुरायी।

फिर मेरी बीवी अपनी कुर्सी से उठी और मेरे पास आकर मेरी पैन्ट खोलकर नीचे कर दी; फिर मुझे टेबल पर लेटने को कहा।
मैं मजे से टेबल पर लेट गया।

मेरी बीवी ने मेरी पैन्ट सरका के पैरों से बाहर निकाल दी।
अब मैं अंडरवियर में आ गया था।

फिर मेरी बीवी ने मेरी टी-शर्ट भी खोल दी।
उसकी भाभी मेरे तने हुए अंडरवियर को ललचायी नजरों से देख रही थी।

फिर मेरी बीवी ने जैसे ही मेरा अंडरवियर उतारना चाहा, तभी उसकी भाभी खड़ी होकर जल्दी से आयी और मेरी बीवी का हाथ पकड़कर बोली- दीदी, अब मेरी बारी!
मेरी बीवी मुस्कुरा कर हट गयी।

उसकी भाभी ने मेरा अंडरवियर एक ही बार में खोलकर टांगों से बाहर निकाल दिया।

अब वो मेरे खड़े लंड को देखने लगी।

मेरी बीवी बोली- अरे भाभी! देख क्या रही हो? आज की रात जो चाहे करो। आज मेरे पति का लंड आपकी सारी प्यास बुझा देगा। हम दोनों मिलकर चूसेंगी और अपनी चूत में भी डलवाएंगी।

मैं उसकी बात सुनकर जैसे मस्ती से उड़ने लगा।

उसकी भाभी ने गप्प से मेरा लंड अपने मुंह में डाला और एक झटके से पूरा लंड अपने गले तक घुसा लिया।

मेरी टांगें मस्ती से कंपकंपाने लगी।

उसकी भाभी वाकयी में बहुत ही शानदार तरीके से लंड चूसती थी, हर बार वो मेरा लंड जड़ तक मुंह के अंदर घुसा रही थी।
उधर मेरी बीवी धीरे धीरे अपने कपड़े भी उतारने लगी।

लगभग एक मिनट में मेरी बीवी ने अपने सारे कपड़े खोल दिये।
अब वो सिर्फ पेंटी थी।

इधर उसकी भाभी गपागप मेरा लंड चूस रही थी, उधर मेरी बीवी मेरे सामने नंगी खड़ी थी।

मारे उत्तेजना के मेरी हालत खराब होने लगी।

उसकी भाभी को मेरा लंड चूसते 6-7 मिनट हो चुके थे.

तभी मेरी बीवी बोली- भाभी, बस करो यार! थोड़ा मुझे भी तो चूसने दो। फिर अपन दोनों को चुदवाना भी तो इसी लंड से है। कहीं पानी ना छूट जाये! आप भी अपने कपड़े खोल दो। इतनी देर में भी लोड़ा चूस लूं।

उसकी भाभी ने मेरे लंड को एक जोरदार ‘पुच्च’ की आवाज करते हुए अपने मुंह से बाहर निकाला।
मस्ती से मेरे मुंह से भी ‘आहह’ की जोरदार आवाज निकली।

अब मेरी बीवी मेरी गोलियाँ अपने मुंह में डालकर चूसने लगी।
उसकी भाभी अपने कपड़े खोलने लग गयी।

मेरी बीवी बारी बारी से मेरी दोनों गोलियाँ चूस रही थी।

एक दो मिनट मेरी गोलियाँ चूसने के बाद उसने मेरा लंड अपने मुंह में दबा लिया और जीभ से मुंह के अंदर अंदर ही मेरे लंड के सुपारे को गोल गोल रगड़ने लगी।

मैं मस्ती से जैसे सातवें आसमान पर पहुँच गया था।

अब उसकी भाभी पूरी नंगी हो चुकी थी।
वो अपना आखिर वस्त्र यानी अपनी पेंटी उतारते हुए बोली- दीदी! अब कंट्रोल नहीं हो रहा है! अब मुझे इस लोड़े को अपनी प्यासी चूत के अंदर लेना है!

उसके इतना बोलते ही मेरी बीवी ने अपना मुंह मेरे लोड़े से हटाया और सरककर मेरे सीने आ गयी।
उसकी टांगें मेरे कंधे के दोनो तरफ फैली थी और वो घुटनों पर बठी थी।

उसकी भाभी भी घुटनों के बल मेरे लंड पर आ गयी, फिर अपनी चूत को मेरे लंड पर टिका लिया।

फिर उसने अपने सामने पीठ किये बैठी मेरी बीवी के दोनों कंधों को पकड़ा और कस कसके मेरे लंड पर अपनी चूत को धकेला।
तीन चार झटकों में उसने मेरा लंड अपनी चूत में डाल लिया।

उसके झटकों से मेरी बीवी सरक कर बिल्कुल मेरे चेहरे के पास आ गयी।
उसकी चूत मेरे होठों से बस दो तीन इंच ही दूर रह गयी थी।

भाभी ने अब मेरे लंड को अपनी चूत के अंदर बाहर लेना शुरू कर दिया था, वो बढ़िया झटके लगा रही थी।

मैंने अपनी बीवी की कमर को पकड़ा और उसे बिल्कुल चेहरे के पास ले आया।
अब उसकी चूत बिल्कुल मेरे होठों के पास आ गयी।

मैं अपनी जीभ बाहर निकाल कर उसकी ठीठनी को चाटने लगा।
फिर मैंने अपनी जीभ उसकी चूत के अंदर घुसा दी।

मस्ती से भरकर मेरी बीवी ने मेरा सिर पकड़ कर मेरे होठों को अपनी चूत पर कसकर दबा लिया।
अब वह अपनी चूत को आराम आराम से मेरे चेहरे पर धकेल रही थी और मैं अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर घुमा रहा था।

मेरी बीवी पूरी तरह मस्त हो रही थी।

उधर उसकी भाभी मेरे लंड पर कूद रही थी।

मैं मस्त होकर उसके झटकों का मजा ले रहा था।
लंड को मजा आ रहा था तो मस्ती में मैं उसकी चूत को खूब दबा दबा कर चोद रहा था।
हम तीनों ही अपनी अपनी पोजिशन पर चुदाई का मजा ले रहे थे।

अचानक उसकी भाभी ने अपनी स्पीड बढ़ा दी।
उसने मेरी बीवी के बॉल अपने हाथों से कसके पकड़े और तेजी से मेरे लंड पर कूदने लगी।

धीरे धीरे उसके मुंह से निकलती सिसकारियां अब तेज हो गयी- आहह हह आऊच … उफ्फ!
वो चिल्लाते चिल्लाते और तेज धक्के मारने लगी।

एक मिनट के बाद उसने मेरे लंड को कसके अपनी चूत डालना शुरू किया और अगले ही पल वो एक तेज झटके के साथ कंपकंपायी और ‘आहहहह’ की आवाज के साथ अपनी चूत को मेरे लंड पर कस लिया।

अपने सामने पीठ करके बैठी मेरी बीवी को अपने सीने से कसकर जकड़ लिया।
अब वो बिना हिले झड़ रही थी।

लगभग एक मिनट तक बिना हिले डुले वो मेरे लंड पर झड़ती रही।
फिर वो मेरे उपर से उतर कर कुर्सी पर जा बैठी।

मेरी बीवी मेरे चेहरे के आगे से हटी और अब मेरे लंड पर मेरी बीवी की चूत का कब्जा हो चुका था।

मेरी बीवी ने मेरा लंड अपनी चूत में डाला और अगले ही पल तेज तेज धक्के मारने लगी।

लंड चूत में लेते ही बेताब सी होकर मेरे लंड पर कूदने लगी।
मेरे से अपनी चूत चुसवाकर वो पहले ही खूब गर्म हो चुकी थी। लग रहा था कि ज्यादा देर कंट्रोल नहीं रख पायेगी।

और हुआ भी ऐसा ही … सिर्फ 8-10 तेज तेज झटकों के बाद उसकी चूत ने भी पानी छोड़ दिया।
कसकर अपनी चूत को मेरे लंड पर दबाया और ‘आहह हह आहह हहह’ करके झड़ने लगी।

फिर एक मिनट के बाद वो भी मेरे उपर से उतर गयी, नीचे उतर कर लंबी लंबी सांसे लेते हुए कुर्सी पर बैठ गयी।
कुछ सेकेण्ड वो ऐसे ही लंबी लंबी सांसे लेती रही, फिर बोली- क्यों जी! अब आपका लंड हम दोनों में से किसकी चूत में अपना पानी छोड़ना चाहता है?

मैं कुछ बोलता इससे पहले ही उसकी भाभी बोल पड़ी- दीदी, ये आपकी चूत में तो रोज ही पानी निकालते हैं! आज तो मेरी चूत में निकलना चाहिए! है कि नहीं?
मेरी बीवी मुस्कुराते हुए बोली- जरूर भाभी!

फिर मुझसे बोली- चलिए, आज तो अपने लंड का पानी नयी चूत में ही निकालिये। जाइये जाइये!

मैं मुस्कुराते हुए उठा और जाकर उसकी भाभी के पास खड़ा हो गया, फिर अपना लंड उसके मुंह में डाल दिया।
वो फिर से मेरे लंड को गपागप गले तक अंदर डालने लग गयी।

दो तीन मिनट लंड चुसवाकर उसे घोड़ी बना लिया।

फिर पिछे से उसकी चूत पर अपना लंड रखा और सटाक से एक ही जोरदार धक्के में अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक घुसा दिया।
धीरे धीरे अब मेरा लंड उसकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था, मैं सामान्य गति से धक्के लगा रहा था।

लेकिन मेरी ये सामान्य गति ज्यादा देर सामान्य ना रही क्योंकि उन दोनों ने पहले तो बारी बारी से मेरा लंड चूसा था; फिर दोनों ने बारी बारी से मेरे लंड पर अपनी चूत को ‌भी कुदाया था।
तो मेरी ये सामान्य गति सिर्फ तीन चार मिनट के बाद ही तेज धक्कों में बदल गयी; मेरे धक्के तेजी पकड़ने लगे।

मेरे तेज धक्कों की वजह से मेरी बीवी की भाभी भी जोर जोर से हिल रही थी।

अब बस में भी जाने ही वाला था, मेरे लंड का पानी जैसे किनारे पर आकर अटका हुआ था।
मेरा शरीर मस्ती से अकड़ने लगा।

फच्च फच! की तेज आवाज आ रही थी।
अगले ही पल दो तीन जोरदार धक्कों के बाद मेरा लंड भी पानी छोड़ने वाला था।

लास्ट झटके में मैंने अपने लंड को उसकी चूत की बिल्कुल गहराई में उतार दिया और उसको कसकर अपने चिपका लिया।

मेरे मुंह से ‘आह … आहह’ की आवाज आ रही थी।

और मेरे लंड ने उसकी चूत में एक तेज पिचकारी मारी।
मेरा गरमागरम वीर्य फच्च से उसकी चूत में भरने लगा।

एक मिनट तक मैं उसकी चूत में झड़ता रहा।
मैंने उसको तब तक नहीं हिलने दिया जब तक मेरे लंड का एक एक बूंद पानी उसकी चूत में नहीं निकल गया था।

आखिर दो मिनट के बाद मैंने अपनी पकड़ ढीली की।
अब मेरा लंड पूरी तरह झड़ चुका था, वो अब ढीला होकर खुद ही फच्च से उसकी चूत से बाहर निकल आया।

मैं खड़ा हो गया।

उसकी चूत से मेरे लंड का पानी बाहर टपकने लगा।
वह पीछे से पूरी तरह मेरे वीर्य से गीली हो चुकी थी।

Xxx पोर्न के पश्चात मैं टेबल पर जाकर लेट गया।
उसकी भाभी भी अपनी झरती चूत के साथ उठी और कुर्सी पर बैठ गयी।

हम तीनों की नजरें आपस में टकरायी। हम तीनों मुस्कुराने लगे।

थोड़ी देर की चुप्पी के बाद मेरी बीवी बोली- अब एक चुदाई का दौर नीचे बैडरुम में भी लगा लें?
मैंने और उसकी भाभी ने जल्दी से एक साथ जवाब दिया- हां हां! क्यों नहीं!

मेरी बीवी ये सुनकर शरारत से मुस्कुरायी।
फिर हम तीनों उठे और आपस में एक साथ ही गले लगने लगे।
हम तीनों ही एक दूसरे को चूमने लगे।
 

junglecouple1984

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भाभी की चूत से टपकता पेशाब पीया



मैं अपनी पूरी फैमिली के साथ इंदौर में रहता हूँ.

इस पिस सेक्स यूरिन स्टोरी में उस घटना का जिक्र है कि कैसे मुझे एक कमाल की माल भाभी मिली और उसने अपनी गांड और चूत के रस से सना ब्रश कराया व पेशाब पिलाई.

मेरे घर के सामने एक भाभी रहती थी जो कि थोड़ी सी सांवली थी पर सही मायने में वो किसी मॉडल से कम नहीं थी.
उसकी मोटी मोटी चूचियां, पतली बलखाती सी कमर और तोप सी उठी हुई गांड किसी का भी लंड एक झटके में खड़ा कर सकती थी.

मैं हर वक्त ऐसे ही कोशिश करता रहता था कि किसी तरह भाभी दिख जाए, मैं मौका पाते ही बस भाभी को देखता रहता था.

कमाल की बात ये थी कि वो भी मुझे हमेशा देखती रहती थी.
हम दोनों की नजरें अक्सर मिल जाया करती थीं.

एक दिन मैंने हिमत करके भाभी से उसका नंबर मांगा तो उसने साफ मना कर दिया.

भाभी- मुझे अच्छे से पता है आजकल के लड़कों के दिमाग़ में क्या चलता रहता है.
मैं- मैं कुछ समझा नहीं भाभी … मैं तो बस आपसे फ्रेंडशिप करना चाह रहा था.

भाभी- मुझको किसी से भी फ्रेंडशिप नहीं करना … कुछ और करना हो तो बोलो?
मैं- मतलब?

भाभी उस टाइम कुछ नहीं बोली, बस इतना बोला कि तुझसे किसी बात के लिए पूछा जाए, तो बस तू हां बोल देना.

मैं कुछ नहीं समझा कि किस बात के लिए हां करना है.

उसके अगले दिन ही मम्मी ने मुझसे कहा- सामने वाली भाभी के घर ट्यूशन पढ़ने जाएगा क्या … वो मुझसे पूछ रही थी.

मुझको समझ आ गया कि भाभी किस बात के लिए हां बोलने का बोल रही थी.
मैंने मम्मी से हां कह दी और मैं अगले ही दिन भाभी के घर ट्यूशन पढ़ने चला गया.

भाभी ने गेट खोला तो मैंने देखा कि भाभी ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी और उस पर उसके गीले बाल क़यामत ढा रहे थे.
वो शायद नहा कर आई थी.

मैं- भाभी जी, मैंने हां बोल दिया.
भाभी मुस्कुरा कर बोली- तो आ जा अन्दर और बुक खोल कर पढ़ने बैठ जा.

उसकी पढ़ने बैठने की बात से मैं थोड़ा मायूस हुआ और बैठ गया.
मैं बस भाभी की तरफ देखने लगा और पढ़ने का कुछ भी उपक्रम नहीं किया.
करता भी कैसे, किताब आदि तो मैं लाया ही नहीं था.

भाभी ने मुझे उदास सा देखा तो उसने कहा कि फ्रेंडशिप करना है ना तुझको?
मैं- हां भाभी जी.

भाभी- तो एक काम करना पड़ेगा.
मैं- क्या?

भाभी- दो मिनट रुक, मैं अभी आई.
फिर भाभी उठी और जाने लगी.

मैं उसकी गांड की तरफ ही देख रहा था.
उधर की साड़ी उसकी गांड की दरार में घुसी हुई थी.
मैं वहां बहुत ध्यान से देख रहा था.

उसने मुझे देखा और वहां पर अपने हाथ की 4 उंगली डाल कर खुजलाते हुए अपनी साड़ी को बाहर निकाला.
फिर मुझे देख कर मुस्कुराती हुई अन्दर चली गई.

मैं तो बस भाभी को देखता ही रह गया कि ये मैंने क्या देख लिया.

भाभी थोड़ी देर में चाय लेकर आई और उसने मुझसे कहा- फ्रेंडशिप करनी है तो तुझको मेरा एक काम करना होगा.

मुझको तो बस कैसे भी भाभी को चोदना था क्योंकि उसकी ऐसी हरकत देख कर मुझको ये तो पता चल गया था कि भाभी मुझसे कुछ चाह रही थी.

मैंने कहा- जी भाभी जी बोलिए, आपके लिए तो मैं कुछ भी कर सकता हूँ.

भाभी ने अपने हाथ की वही 4 उंगलियां मेरे गाल पर रखीं और बोली कि इनको सूँघ कर बता, कैसी खुशबू है?

मैं समझ गया कि ये वही हाथ है.
मैंने कहा- भाभी हाथ को क्या सूँघना, आप बोलो तो सीधे वहीं सूंघ लेता हूँ.
मेरा मतलब उसकी गांड से था.

भाभी ने कहा- वो सूंघना नहीं है, वहां तो तेरा मुँह जाएगा, पहले ये कर जो बोला है.

मुझको ऐसी ही भाभी पसन्द है, जो सब मुँह पर बोल दे.
मैंने तुरंत भाभी की वो उंगली सूंघ ली.

भाभी ने कहा- अब अपना मुँह खोल!
मैंने मुँह खोला ही था कि भाभी ने जो चाय उनके मुँह में थी, वो मेरे मुँह में थूक दी.

फिर जैसे ही मैंने मुँह बंद किया तो भाभी ने कहा- अभी मुँह खोले रखो देवर जी.

मैंने मुँह खोला तो भाभी ने वही 4 उंगलियां एक एक करके मेरे मुँह में डाल कर घुमाईं ओर बोली- अब पी.

मैं सही बताऊं तो मुझको उसमें भाभी की लिपस्टिक का स्वाद आया और चाय के साथ उनकी गांड का भी स्वाद आया.

उसने मेरी तरफ देखा और बोली- कैसी लगी मेरे हाथ की चाय?
मैंने कहा- सही में आपके हाथ में जादू है.

उसने पूछा- और पिएगा क्या?
मैंने कहा- हां पर अब तो हाथ का जादू खत्म हो गया.

तभी भाभी ने बोला- तू मुँह खोल, मैं सब कर दूँगी.
मैंने मुँह खोला, भाभी ने चाय पी और फिर से मेरे मुँह में उंगल दी.

फिर साड़ी ऊपर करके चूत और गांड दोनों में उंगली डाली.
मैं वो सब देखता ही रह गया. उसकी चूत काली थी पर अन्दर से पूरी गुलाबी दिख रही थी. और गांड तो पूरी काले गुलाबजामुन की तरह थी.

उसने मेरे मुँह में फिर से उंगली डाल कर घुमाई और इस बार आखिरी में थूक कर कहा- अब पी जा!
इस बार मुझको चाय थोड़ी सी खट्टी सी लगी, शायद उसमें चूत के रस से सनी हुई उंगली गई थी, इसलिए ऐसा लगा.

भाभी ने पूरी चाय ऐसे ही मुझको पिलाई.

फिर टाइम हो गया था तो मैं अपने घर आ गया क्योंकि मैंने घर पर भाभी के यहां जाने का टाइम 4 से 6 का ही बताया था.

मैंने घर आकर सबसे पहले भाभी जी की नाम की मुठ मारी और उसको चोदने के सपने सजाने लगा.
पूरी रात मेरे मुँह में मुझे उसकी गांड का स्वाद और चूत का स्वाद आता रहा था.

अगले दिन जब मैंने सुबह चाय पी, तो कप को उठा कर उसमें थोड़ा सा नमक डाला ताकि मुझको ये चाय भी उनकी गांड और चूत की चाय जैसी नमकीन लगे.

मैं बस अब 4 बजने का इंतजार करने लगा कि कब 4 बजें और मैं भाभी के घर जाऊं.

फिर जब मैं भाभी के घर गया और मैंने डोर बेल बजाई, तो कोई आया ही नहीं.
मैंने सोचा कि क्या पता भाभी को कुछ हो तो नहीं गया.
तो मैंने एक और बार आवाज़ दी तो भाभी आ गई.

उसके बाल पूरे बिखरे हुए थे ओर उसके मुँह से लार निकल रही थी.
उसका मुँह भरा हुआ सा था.
शायद वो सो कर उठी थी.

वो दरवाजा खोल कर अलग हटी और इशारे से मुझको बैठने के लिए बोला
उसका मुँह थूक से भरा था इसलिए वो बोल नहीं रही थी.

मैं समझ नहीं पाया तो उसने एक और बार इशारा किया.
मुझको कुछ समझ नहीं आया.

मैंने एक बार पूछा कि क्या बोल रही हो?
उसने आगे बढ़ कर मुझको किस किया और सारा थूक मेरे मुँह डाल दिया.

मुझको उसका थूक थोड़ा सा अजीब लगा, पर मैं सारा पी गया.
मुझको उसके मुँह की बास भी आ रही थी, मगर जब तक भाभी जी ने लिप्स नहीं हटाए, मैं धीरे धीरे उसका सारा थूक पीता चला गया.

फिर जैसे ही मैं थूक पी गया उसने कहा- उधर बैठ जा!
आज का ये वेलकम तो मेरे लिए बहुत ही ज्यादा मस्त था.

मैं सोफे पर बैठा तो भाभी भी मेरे बाजू में आकर बैठ गई.
तो मैंने कहा- भाभी, आज चाय नहीं पिलाओगी?
इस पर भाभी मुस्कुराई और बोली- क्यों तू चाय के लिए आया था क्या?

मैंने भी हंसते हुए कहा- नहीं, पर फिर भी!
भाभी ने कहा- यार अभी तो सो कर उठी हूँ.

मैंने बोला- अरे भाभी प्लीज़ जल्दी करो ना … मुझको आपकी मस्त वाली चाय पीनी है.
उसने कहा- आ आज तुझको पहले ब्रश करना सिखाती हूँ.

उसने मुझको पीछे पीछे आने को कहा
मैंने उनकी गांड से लंड सटाया और उसके पीछे पीछे जाने लगा.

उसने कहा कि आराम से चल न … मुझको तेरा वो गड़ रहा है.
मैंने कहा- सॉरी भाभी जी, मेरा ये बड़ा शैतान हो गया है.

उसने कहा- इसका एक इलाज है, रुक बाथरूम में चलते हैं.
बाथरूम में आते ही उसने कहा- चल अब अपना लंड निकाल.

मैंने पहली बार भाभी के मुँह से लंड सुना था, मैंने तुरंत लंड निकाल दिया.

भाभी ने लंड पर क्लोज़अप पेस्ट लगा दिया.
मेरी तो जान निकल गई वो पेस्ट मैन्थोल के कारण बड़ा ठंडा लग रहा था.

मगर जैसे ही भाभी जी ने मुँह में लंड को रखा, तो उसका मुँह इतना गर्म था कि क्या बताऊं.
मैंने भाभी का मुँह पकड़ा तो भाभी ने कहा- अरे रुक न … मैं कर सब लूँगी, तू बस आज मज़े ले.

भाभी ज़ोर ज़ोर से लंड को मुँह में अन्दर बाहर कर रही थी.
कुछ ही मिनट में मेरा काम होने की पोजीशन में आ गया था.

मैंने कहा- भाभी बस करो.
ये कह कर मैंने उसके बाल पकड़ लिए.

भाभी ने लंड बाहर निकाल दिया और बोली- अब ऐसी हरकत की तो याद रखना.
मैंने साफ़ कहा- पर मेरे से कंट्रोल नहीं हुआ था भाभी. मैं आपकी चूत की सेवा करना चाहता हूँ.

उसने बोला- मुझको सेक्स की कोई कमी नहीं है. मैं तेरे साथ ये सब नया नया ट्राई करने के लिए कर रही हूँ.
मैंने समझ लिया कि भाभी को उसकी मर्जी का खेल करने दो. आज नहीं तो कल भाभी चूत दे ही देगी.

मैंने उसको सॉरी बोला.
उसने कहा- सॉरी नहीं, अब तेरी बारी है.

मैं तो सुनकर खुश हो गया कि भाभी की चूत चाटने को मिलेगी.
भाभी ने एक ब्रश लिया और उसको अपनी गांड में डाल कर निकाला और उसको अपनी टपकती चूत पर रखा.

इतना करके उसने मेरे बाल ज़ोर से पकड़ लिए और मादक सीत्कार करने लगी.
उसके मुँह से बेहद गर्म आवाज निकलने लगी थी.

भाभी की काली चूत उसके पानी से और भी ज्यादा चमकने लगी थी. मेरा मन कर रहा था कि उसकी काली चूत को खा जाऊं.

भाभी ने ब्रश को अपनी चूत के ऊपर की तरफ घिसा शायद उसको ब्रश गड़ रहा होगा.
फिर उसने वो ब्रश मेरे हाथ में पकड़ा दिया और उस पर थूक कर मेरे मुँह दे दिया.

उस ब्रश पर साफ साफ भाभी की चूत का पानी दिख रहा था. मेरे मुँह से तो तत्काल पानी टपकने लगा था.

मुझको उसकी चूत का स्वाद एकदम अजीब सा लगा. थोड़ा नमकीन और थोड़ा सा उसके मुँह की बू जैसा लग रहा था.
फिर मैंने जैसे ही थूकने के लिए मुँह आगे किया, भाभी ने मेरे बाल फिर से पकड़े और बोला- थूकना नहीं है.

मैंने उसकी तरफ देखा तो उसने चूत आगे कर दी और उसमें एक उंगली डाल कर मेरे मुँह खोला.
मैंने भी उसकी चूत के आगे मुँह खोल दिया.
उसने मेरे मुँह में मूतना चालू कर दिया.

मुझको ऐसा लग रहा था जैसे मैं गर्म पानी पी रहा हूँ.
उसने मुझसे कहा कि इस अमृत को थूकना नहीं है, पीना है.

वो अपनी पेशाब को बहुत अच्छे से पिला रही थी.
थोड़ा थोड़ा करके वो मेरे मुँह में मूत रही थी.

मैंने सारा का सारा पेशाब पी लिया.
तब भाभी ने कहा कि बस आज के लिए इतना ही.

मैं कुछ बोलता, उससे पहले ही भाभी ने मुझको जाने के लिए बोल दिया.
मैं इतने में ही संतुष्ट हो गया था. भाभी ने आज लंड भी चूसा था और अपनी चूत से मूता भी था, तो कल चूत में लंड भी ले ही लेगी. वैसे भी भाभी से मैं दोस्ती इसीलिए तो करना चाह रहा था.
 

junglecouple1984

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चाची को अब्बू से चुदने के लिए मनाया



मेरा नाम जमील है और ये मेरी सच्ची Xxx फॅमिली चुदाई कहानी है.

मेरे अब्बू एक नंबर के चोदू इंसान थे वो मेरी अम्मी के अलावा बाहर भी संबंध रखा करते थे.

वो मेरी चाची के साथ भी सो चुके थे. अब्बू ने चाची को चोदा था और उनकी कोख से एक लड़की को पैदा कर दिया था.

चाचा के एक एक्सीडेंट में मर जाने मेरी चाची अकेली हो गयी थीं. अब उनको कुछ भी काम होता, तो वो मेरे अब्बू के पास ही आती थीं.

मेरी चाची एक भरे हुए बदन की माल औरत हैं.
मेरे अब्बू को भरे हुए बदन की औरतें बहुत पसंद आती थीं.

वैसे भी चाची अब अकेली थीं और उनके सर पर दो बच्चों की ज़िम्मेदारी थी. उनका एक लड़का और एक लड़की थी.

चाची को ये लड़की अब्बू से ही चुदकर हुई थी. ये मैंने आपको पहले ही बताया तो ये लड़की एक तरीके से अब्बू की बेटी थी.

चाचा के मर जाने के बाद में जब अब्बू ने चाची को चोदना बंद कर दिया था तो चाची ने भी अब्बू के पास चुदने आना बंद कर दिया था.

इस दौरान मेरे अब्बू का चुदक्कड़पन भी बढ़ गया था.
मेरी अम्मी गांव में रहती थीं और अब्बू के लंड में चूत के लिए आग बढ़ने लगी थी.

अब्बू जहां जॉब करते थे, उन्होंने अब वहीं की एक औरत के साथ अपने सेक्स सम्बन्ध चालू कर लिए थे.
इस बात की भनक हम लोगों को लग गयी थी.

वो औरत बहुत बड़ी रांड थी.
अब्बू की तनख्वाह के लगभग सारे पैसे खर्च करवा देती थी.

इससे हम दोनों भाइयों को दिक्कत होने लगी थी.
मैं सोचने लगा था कि क्या किया जाए.

अब्बू ने अपने ऑफिस वाली उस अनजान औरत के चक्कर में हमारे ऊपर ध्यान देना ही छोड़ दिया था.

अब इस वक्त तक मेरे अब्बू और चाची के बीच कुछ नहीं चल रहा था.
चाची अपने हिस्से में रहती थीं और हम दोनों भाइयों के लिए खाना बनाने आ जाती थीं.

मैंने एक दिन एक बात सोची कि मेरी चाची अब्बू के साथ पहले भी सेक्स कर चुकी थीं और आजकल भी उनको लंड नहीं मिल रहा था तो क्यों न वापिस से अब्बू की उनसे सैटिंग करवा के घर बचाया जाए.
चाची को अब्बू की तरफ मोड़ा जाए.

मुझे एक डर ये भी था कि कहीं वो अनजान औरत अब्बू से बच्चा पैदा करके घर में ही न आ जाए.
इसलिए मैंने अपने आइडिया को जल्द अमल में लाने का सोचा.

एक दिन मैं अपनी चाची को किसी काम के सिलसिले में बाहर ले गया था.
रास्ते मैं मैंने हिम्मत करके चाची से बात की कि वो अब्बू से सैट हो जाएं.

पहले तो वो बोलने लगीं कि कैसी बात कर रहा है.
वो गुस्सा करने लगीं.

पर बाद में मैंने उनसे उनके रिश्ते अब्बू से होने की … और उनसे बेटी पैदा होने की बात पता होने की बात कही तो वो चौंक गईं.
वो पूछने लगीं- तुझे ये सब कैसे मालूम?

तब मैंने कहा- एक दिन मैंने आप दोनों की बात सुन ली थी. तब चाचाजी जिंदा थे. आप अब्बू से चुदवाती थीं और बाद में किसी वजह से आपने इस रिश्ते पर फुल स्टॉप लगा दिया था.
अब चाची कुछ नहीं बोलीं.

बाद मैं मैंने उनको अब्बू के ऑफिस के चक्कर के बारे में बताया और कहा- अगर आप वापिस अब्बू को अपना लो, तो हम चारों भाई बहन की जिंदगी बन जाएगी. इससे आपके बच्चों को भी फायदा होगा.
सारी बात सुनने के बाद वो मान गईं.

अब हमें मौके की तलाश थी.
मैंने चाची को बोल दिया था कि आप कुछ ऐसा करो कि वो उस औरत को भूल जाएं और आपके पीछे पागल हो जाएं.

एक दिन मौका मिल गया.
उस समय हमारा त्यौहार चल रहा था.

हमारे शहर वाले घर में अब्बू और हम दो भाई ही रहते थे.

मम्मी गांव में रहती थीं.
उधर उन्हें खेती किसानी और अब्बू के अब्बू अम्मी की देखभाल करनी पड़ती थी.

इधर मैंने अपनी प्लानिंग की और हम सब बच्चों ने बाहर घूमने जाने का प्लान बना लिया.

अब्बू को घूमने का शौक नहीं था तो उन्होंने मना कर दिया.
चाची भी नहीं आना चाहती थी तो उनको छोड़ कर हम चारों भाई बहन बाहर निकल गए.

मैं जाने से पहले चाची के कमरे में गया और उनको बताया कि आज आपके पास पूरा मौका है. हम दोनों 3-4 बजे से पहले नहीं आने वाले हैं. आप अब्बू को पटा लो.
ये कह कर मैंने उनको सेक्स की गोलियां दे दीं. एक उनको खाने को बोला और दो अब्बू को खिलाने का कह दिया.

मैंने कहा- अब्बू को दूध गर्म करके दो तो उन्हें उसी में मिलाकर गोली खिला देना.
चाची ने मुस्कुरा कर हां बोला और मैं वहां से चला गया.

चाची ने अब्बू के दूध में एक गोली मिला दीं.

अब आगे की कहानी चाची की ज़ुबानी सुनें.

जमील ने जैसा मुझे कहा था, मैंने वैसा किया और उसके अब्बू का दूध मेज पर रख कर आवाज़ लगाई- सुनिए … जमील के अब्बू आपका दूध टेबल पर रखा है. पी लीजिए, वरना ठंडा हो जाएगा.
उन्होंने बोला- हां ठीक है.

जमील के अब्बू को दूध देकर मैं दूसरे कमरे में आ गई और मैंने भी एक गोली ले ली.
अब मैं उनके आने का इन्तजार करने लगी.

जमील ने अब्बू ने दूध पिया और हॉल में चले गए.
थोड़ी देर बाद गोली ने अपना असर दिखाना शुरू कर दिया.

मुझे भी बेचैनी होने लगी, सेक्स की तड़फ़ जागने लगी.
मैंने सोचा कि उसके अब्बू को भी सेक्स की ठरक चढ़ गई होगी.

मैं अभी ऐसा सोच ही रही थी कि जमील के अब्बू मेरे रूम में आए.
उन्होंने अपने लौड़े के आगे तकिया लगा रखा था.
मैं समझ गईं कि गोली का असर हो गया है.

वो बोले- मुझे बहुत बेचैनी हो रही है, मुझे पानी दो.
मैंने पानी दिया और पूछा- अब कैसा लग रहा है?

वो मेरे पास बैठे और बोले- तुमने दूध में कुछ मिलाया था क्या?
मैंने कहा- कैसी बात कर रहे हो. मैं क्यों कुछ मिलाऊंगी?

तब उन्होंने तकिया हटाया और मुझे अपना लंड दिखाया.
उनका तना हुआ लंड पैंट में से बाहर निकलने को फड़फड़ा रहा था.
वो बोले- ये जाग गया है, अब सहन नहीं हो रहा.

मैंने अपनी हंसी दबाई और कहा- आप बताएं, मैं क्या कर सकती हूँ?
उन्होंने कहा- अब तुम ही मेरी हेल्प कर सकती हो.

मैंने कहा- कैसे?
तो वो बोले- तुम्हें इसको चूसना होगा और मुझे चोदने देना होगा.

मैंने कहा- ये आप कैसी बात कर रहे हो. अब हमारे बीच ऐसा कुछ नहीं है.
तो वो बोले- पहले मेरे भाई की वजह से मुझसे दूर थी, पर अब वो नहीं है, तो तुम्हें किस बात का डर है.

ऐसा बोलकर उन्होंने पैंट उतार दी और अंडरवियर नीचे कर दी.
वो बोले- सकीना मेरी जान, अब मुझसे सहन नहीं होता. मुझे चोद लेने दे.

ऐसा कहकर जमील के अब्बू मेरे ऊपर चढ़ गए.
मैं भी उनका तना हुआ लंड देख कर मस्त हो गयी और मैंने उनका लंड मुँह में ले लिया.

उनका लंड मेरे गले तक जा रहा था.
बड़ा सख्त लंड था, मेरी जान जा रही थी ऐसा लग रहा था.

बाद में उन्होंने मुझे नंगी कर दिया और मेरी चूत को चाटने लगे.
मैं गर्म तो पहले से ही थी, उनके चूत चाटने से तो आग ही लग गई.

कुछ देर बाद उन्होंने मेरी चूत पर लंड रखा और मुझे पेलना शुरू कर दिया.
मुझे चुदे हुए काफ़ी दिन हो चुके थे तो दर्द हो रहा था.
मेरी आवाज़ से रूम गूँज रहा था.

उन्होंने रिमोट से टीवी चला दी और वॉल्यूम तेज कर दिया ताकि मेरी आवाज़ कोई सुन न ले.

अब वो मेरी चूत में अपना मोटा सख्त लंड पेलने लगे और मेरे दूध चूसने लगे.
मुझे भी चुदवाने में मजा आने लगा और मैं भी मस्ती से अपनी चूत की सर्विसिंग करवाने लगी.

बाद में उन्होंने मुझे अपने ऊपर लेकर चोदा और फिर लंड निकाल कर बोले- अब घोड़ी बन जाओ, पीछे की लूंगा.

मैं समझ गयी कि वो मेरी गांड मारने वाले हैं.
मुझे पता था कि उन्हें मेरी गांड मारना बहुत पसंद है.

मैंने भी इसकी तैयारी की हुई थी.
वो जब भी मेरी गांड मारते हैं, मुझे बहुत दर्द होता है.
उसी वजह से मैंने दवा ले रखी थी, साथ ही एक स्पेशल जैल भी साथ में रखा था.

मैंने उनको जैल दे दिया और कहा कि आप अपने लंड पर लगा लें, आपको ज्यादा मजा आएगा.
उन्होंने अपने लंड पर जैल लगा लिया.
मैंने भी थोड़ा सा जैल अपनी गांड के छेद पर लगा लिया.

अब उन्होंने अपने लंड को मेरी गांड में पेला.
पहले तो मेरी चीख निकल गयी, बाद में दर्द कम ही गया और वो मुझे ताबड़तोड़ चोदने लगे.

पूरे रूम में फ़छ फ़छ की आवाजें आने लगीं.
वो मेरी चूचियां पकड़ कर बड़ी मस्ती से मेरी गांड का बाजा बजा रहे थे.

उस दिन गोली की वजह से बहुत देर तक हम दोनों ने सेक्स किया.
बाद में वो मेरी गांड मारते मारते ही सो गए.

मैं भी उनका लंड अपनी गांड में लिए लिए सो गयी.

बाद में जमील आया और उसने मुझे जगाया.
उस वक्त मैं जमील के अब्बू की बांहों में नंगी पड़ी थी और उनका लंड मेरी गांड में घुसा हुआ था.

हम दोनों ने कम्बल ओढ़ रखा था.
मैंने जमील से कहा- मेरे रूम से अपने अब्बू की अंडरवियर और पैंट ले आओ.

वो ले आया.
बाद मैं मैंने जमील को बाहर भेजा और मैंने धीरे से जमील के अब्बू का लंड अपनी गांड से निकाला, सफाई की और उनको अंडरवियर पहनाया, पैंट पहनाई.

वो तब तक सोए ही रहे थे.
तब तक जमील अन्दर आ गया.

मैंने उससे पानी लाने का कहा.
वो ले आया.

मैंने पानी पिया और उसके सामने उसके अब्बू को किस करके बोली- अब तुम्हारे अब्बू मेरे हुए.

उसने पूछा- काम मजे से हुआ?
मैं बोली- हां.

फिर मैं हॉल से अपने कमरे में आ गयी.
अगले दिन सुबह सब लोग उठे, तो मैं सबके लिए नाश्ता बनाने लगी.

जमील के अब्बू मेरे पास पानी पीने के बहाने से आए और मेरी गांड पर थपकी देकर मुझे किस किया.
मैंने कहा- सब घर में हैं, ये क्या कर रहे हो?

फिर वो हंस कर चले गए.
इस तरह से जमील के अब्बू वापस मेरे हो गए थे.

कुछ दिन बाद जमील की अम्मी को मेरे और जमील के अब्बू के बीच सेक्स सम्बन्ध की जानकारी हुई.

पहले तो वो मुझसे काफी लड़ीं, बाद में जमील ने अपनी अम्मी को अब्बू के ठरकीपने की बात बताई और उनको समझाया तो उसकी अम्मी ने मुझे भी अपना लिया.

अब मैं जमील के अब्बू से निकाह करके जमील की जायज अम्मी बन गई हूँ.

मैं शहर में जमील के अब्बू की रातें रंगीन करती हूँ और गांव में उनकी बड़ी वाले बीवी उनका बिस्तर गर्म करती है.
जमील के अब्बू को मेरी गांड मारने में बड़ा मजा आता है तो वो हर रोज मेरी गांड में मक्खन या आईसक्रीम लगा कर मेरी लेते हैं.

हालत ये हो गई है कि जमील घर में मक्खन या आइसक्रीम लाता है तो उसे खाने को मिल ही नहीं पाता है, उसके अब्बू सारा का सारा मक्खन या आइसक्रीम मेरी गांड में डालकर मजा ले लेते हैं.

अब जमील के अब्बू का सारा पैसा घर में खर्च होने लगा है. उनकी उस ऑफिस वाली छिनाल से भी निजात मिल गई है.

मैं जमील को बहुत पसंद करने लगी हूँ क्योंकि उसने मेरे लिए अपने अब्बू की बेगम बनने की राह खोल दी है.
 
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