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आप केसी सेक्स स्टोरी पढना चाहते है. ??

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junglecouple1984

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बुआ की चुदाई-2




तो दोस्तों लो आ गया मैं राजू अपनी बुआ की चुदाई कहानी का अगला पार्ट लेकर। पहले भाग में पढ़े कि किस तरह मैं और मेरी बुआ एक-दूसरे की हवस मिटाते थे। किस तरह मैं अपनी बुआ को रंडियों की तरह चोदा करता था। पर बुआ की शादी के बाद वो फूफा जी के साथ बेंगलोर चली गई।

मैं भी अपने कॉलेज में चला गया। वहां कई रंडियों को अपने लंड पर झूला झुलाया। फिर 4 साल बाद मेरा भी जॉब बेंगलोर लग गया। इतने समय बाद मैं भी बुआ से मिला। काफी अच्छा लगा उनको देख कर। काफी बदल गई थी वो। बुआ के बोबे और गांड काफी बड़े हो गए थे।

बुआ ने पूरे ही शरीर पर वजन बड़ा लिया था। उनकी जांघें भी काफी मोटी हो गई थी, और उनका पेट भी थोड़ा बढ़ चुका था। साउथ की एक्ट्रेस तमन्ना से कम नहीं लग रही थी। वहां बुआ और फूफा जी अकेले ही रहते थे, और कोई परिवार वाला नहीं था। फूफा जी भी दिन भर ऑफिस चले जाते थे। उनका ऑफिस काफी दूर था, आने-जाने में ही 2 घंटा लग जाता था।

मेरा ऑफिस उनके घर के काफी पास था, और मैं वहीं आस-पास फ्लैट देख रहा था। शुरुआत का एक हफ्ता मैं बुआ के यहां ही रुक गया। बेचारे फूफा जी को क्या पता मेरे और बुआ के बारे में। जैसे ही में बेंगलोर पहुंचा, वो मुझे लेने आए और घर ले गए। शाम का समय था। हमने बैठ कर डिनर करा। फिर थोड़ी देर बात करके सोने चले गए।

बुआ मुझे मेरा कमरा दिखाने आई। कमरे में जाते ही मैंने मौका देख कर बुआ को झपट लिया। कस कर गले लगा लिया, और पहले की तरह उनकी गांड दबाने लगा।

बुआ ने मुझे धक्का देकर दूर झटका और बोली: पागल है क्या? वो देख लेंगे। सो जा चुप-चाप,‌ज्यादा उत्तेजित मत हो।

फिर बुआ फूफा जी के कमरे में चली गई। और मैं बुआ के बारे में सोचते-सोचते सो गया। अगली सुबह जब उठा तो फूफा जी ऑफिस जाने के लिए तयार हो रहे थे। वो 8:30 तक ही निकल जाते थे। मैं भी रूम में बैठ कर उनके जाने का इंतजार करने लगा।

जाते-जाते उन्होंने मुझे भी आकर बोला: मैं अभी जा रहा हू़ं। तुमको कोई भी जरूरत हो तो बुआ को बोल देना।

मैंने भी बोला: हां फूफा जी, यह भी कोई कहने की बात है। बुआ को तो मैं हक से बोल सकता हूं।

फिर फूफा जी चले गए। मैंने अंदर से ही गेट लगाने की आवाज सुनी। बुआ ने गेट बंद करके चिटकनी लगाई। मेरा खुराफाती दिमाग भी चला। मैं अपने रूम में पूरा नंगा हो गया। बुआ गेट लगा कर रसोई में काम समेटने चले गई थी। मैं भी पीछे से गया और चुपके से जा कर उनको जकड़ लिया अपनी बाहों में।

बुआ ने मेरे हात छुड़ाए और पलटते हुए बोली: ये क्या कर रहा है?

और मुझे नंगा देख चौक गई।

राजू: क्या हुआ बुआ, पहले भी तो देखा है।

बुआ: तू ये क्या कर रहा है?

राजू: क्या बुआ, आप तो ऐसे कर रही हो जैसे पहली बार चुदने वाली हो मुझसे।

बुआ: चुदने वाली कोई नई हूं मैं। अब मेरी शादी हो गई है। ये सब गलत है।

राजू: अरे देसी छिनाल शादी के जोड़े तक में चुदी है तू मुझसे। रंडी कही की।

बुआ: राजू ऐसी बाते मत कर। और तब हम नादान थे। समझ नहीं थी कि क्या कर रहे थे।

राजू: अरे मेरी नादान रांड। कोई एक बार तो करा नहीं है जो नादानी हो गई हो।

बुआ: राजू मुझसे ऐसे बदतमीजी से बात मत कर।

राजू: हां मैं भी यही सोच रहा हूं कि मैं बात में समय क्यूं बर्बाद के रहा हूं। जब मैं आपको अभी चोद सकता हूं तो।

बुआ: तू ऐसा कुछ नहीं कर सकता।

बुआ ये बोल ही रही थी इतने में मैंने उनके बाल पकड़े और उनके होंठ चूमने लगा। बुआ छूटने की कोशिश में थी, पर कर नहीं पाई।

मैं बुआ के होंठ,‌ गाल, गर्दन, कंधे सब चूमने लगा। उनके बड़े-बड़े बोबे भी मसलने लगा। फिर उस रंडी के बाल पकड़ कर उसे जमीन पर बिठा दिया, और अपना लंड उसके मुंह पर मारने लगा।

बुआ: राजू नहीं, मत कर ऐसा।

राजू: याद करो आपने कसम खाई थी कि आप मेरी रांड बने रहोगे। मैं जब चाहूं तब आपको चोद सकता हूं।

बुआ: वो पुरानी बात है।

राजू: पर बोला तो था ना, ये तो मानती हो ना?

यह बोल कर मैंने अपना लंड बुआ के मुंह में ठूंस दिया, और जोरों से चोदने लगा। 15 मिनट तक रसोई में लंड चूसने के बाद मैंने बुआ के कपड़े उतारने चालू करे, और उनको उठा कर हाल में लाकर सोफा पर पटक दिया। मैं बुआ की गोरी गांड पर चट चट करके मारने लगा। बुआ चीख रही थी।

राजू: बुआ ज्यादा आवाज मत निकालो, पड़ोसी समझेंगे कि आपका अफेयर चल रहा है।

बुआ ने ये सुन कर अपने मुंह पर हाथ रख लिया। बुआ की अभी भी हमम-हमम की आवाज आ रही थी पर पहले से काफी कम हो गई थी। बुआ की गांड लाल हो चुकी थी। उस पर मेरे हाथों के अनगिनत निशान पड़ चुके थे। मैंने बुआ के बाल खींचे और और उनकी पीठ पर हाथ रख कर उनको सोफे में दबा दिया, और पीछे से अपना मोटा लंबा लंड बुआ की चूत में डाल दिया। मेरा लंड अंदर जाते ही बुआ चीख पड़ी।

राजू: क्या बुआ, फूफा जी रोज नहीं चोदते क्या?

बुआ: चोदते तो है, पर उनका इतना बड़ा नहीं है।

राजू: कोई बात नहीं बुआ। अब तो मैं आ गया हूं ना, रोज चोदूंगा आपको।

उसके बाद मैंने बुआ को डॉगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया। मेरा 7 इंच लंबा और ढाई इंच मोटा लंड बुआ की चूत को फाड़े जा रहा था। 10 मिनट तक ऐसे ही चोदने के बाद मैंने बुआ को पलटाया, और उनकी मुलायम मखमली चूत को अपनी गरम जुबान से चाटने लगा।

बुआ ने अपनी जांघो से मेरा मुंह पकड़ लिया था, और अपने घुटने मोड़ कर मुझे पूरी तरह अपनी टांगो से जकड़ लिया था। मेरी पुरानी बुआ वापिस आ चुकी थी। मैंने भी और जोर से उनकी चूत चाटना शुरू कर दिया था। मैंने अपने दोनों हाथों से बुआ के नरम मुलायम बड़े-बड़े बोबे दबाने शुरू कर दिए, और कुत्ते की तरह बुआ की चूत चाटे जा रहा था। बुआ ने भी मेरे बाल पकड़ लिए, और अपनी चूत जोरों से मेरे उपर रगड़ने लगी।

थोड़ी देर के लिए तो मुझे सांस ही नहीं आ रही थी। बुआ इतनी उत्तेजीत हो गई थी कि रुक ही नहीं रही थी। आखिर कार बुआ ने मुझे छोड़ा और मैंने एक गहरी सांस ली। उसके बाद मैंने बुआ की दोनों टांगे उपर करी और अपना लंड उनकी चूत में डाल कर चोदने लगा।

काफी देर सोफे पर ही चोदने के बाद मैंने बुआ को चोदते-चोदते ही अपनी गोद में उठा लिया। बुआ मेरे लंड पर लटकी हुई थी। मेरा लंड उनकी चूत की गहराइयों में जा चुका था। मैंने उन्हें खड़े-खड़े ही पहले गोद में उछाल-उछाल कर चोदना चालू करा। फिर उन्हें चोदते हुए ही उनके कमरे में ले गया। वहा जाकर मैंने उन्हें बिस्तर पर पटक दिया।

बुआ शेरनी की तरह आई और मेरा लंड चूसने लगी। इतना खतरनाक तरीके से उन्होंने मेरा लंड चूसा। ऐसा लग रहा था उखड़ ही ना दे। फिर उन्होंने मुझे पकड़ कर बेड पर लेटा दिया, और मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ने लगी। मैं भी अपनी जुबान से उनकी चूत चाट रहा था। करीबन 15-20 मिनट तक वो अपनी चूत मेरे मुंह पर रगड़ते रही। फिर उनकी चरम-सीमा आ गई। बुआ की जांघें कांपने लगी थी। उनकी गांड की थिरकन भी काफी बढ़ गई थी।

बुआ ने मेरे बाल पकड़े, और अपनी चूत मेरे मुंह पर लगा दी।

वो आह-आह चिल्लाते हुए बोली: मुंह खोल।

मैंने अपना मुंह पूरी तरह खोल दिया, और जुबान जितनी बाहर निकाल सकता था निकाल दी। फिर बुआ की चूत में उसे घुमाने लगा। बुआ की चूत से एक-दम से कुछ पानी छूटा, और फिर बुआ झटके मारने लगी। हर झटके में बुआ की चूत से पानी की पिचकारी आ रही थी।

बुआ की चूत के पानी से मेरा मुंह भरे जा रहा था, और बाहर निकलने की जगह भी नहीं दे रही थी। तो मैं उसे पिए जा रहा था। कम से कम 5 घूंट गटकने के बाद बुआ ने मेरे बाल छोड़े, और आखरी पिचकारी मेरे पूरे मुंह पर उड़ा दी। मैं बुआ की चूत के पानी में तरबतर था।

राजू: बुआ ये आपने केसे सीखा? पहले तो कभी ऐसा नहीं करा।

बुआ: राजू अभी तो तुझे बहुत कुछ सीखना है। अब बोल कि तू मेरा रंडवा है। और बुआ जब चाहे अपनी चूत का पानी पिला सकती है।

राजू: हां बुआ मैं आपका रंडवा हूं। आप मुझे जैसे इस्तेमाल करना चाहो कर सकती हो। मैं आपकी चूत तो क्या, गांड भी चाट लूंगा।

बुआ: तू ना होता तो मेरे बदन की ये प्यास केसे बुझती?

राजू: बुआ हम बने ही एक-दूसरे के लिए है।

फिर बुआ मेरे उपर से उठी और पलट कर बैठ गई। वो बोली-

बुआ: गांड चाटने की बात कर रहा था ना? देखू जरा तू अपनी जुबान का कितना पक्का है।

राजू: अभी बता हूं बुआ।

ये कह कर मैंने अपने दोनों हाथों से बुआ की गांड पकड़ कर दूर-दूर कर दी। इससे उनकी गांड का छेद दिखने लगा। मैंने पहले आस-पास चूमा, थोड़ा यहां-वहां चाटा, फिर अपनी जुबान बुआ की गांड के छेद पर लगा दी, और गोल-गोल घुमाने लगा। बुआ भी आहें भरने लगी और गांड का गड्ढा भी अंदर-बाहर करने लगी, जैसे कि सांस ले रहा हो।

वहां बुआ ने मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया था, और अपने हाथों से मेरे गोटे मसल रही थी। मैं यहां बुआ की गांड चाट रहा था। थोड़ी देर में बुआ की गांड का गड्ढा काफी बड़ा हो गया और अंदर से वो गुलाबी बहुत ही सुंदर लग रहा था। मैंने भी दोनों हाथों से उसे खींचा और अपना मुंह चिपका कर उसमे अपनी जुबान घुसा कर चाटने लगा। बुआ की आहें बहुत बढ़ गई।

बुआ मेरे मुंह पर बैठ कर उछलने लग गई। मेरी जुबान उनकी गांड के अंदर बाहर जा रही थी। बुआ को मजा आता देख मेरा लंड और तने जा रहा था। ये देख बुआ ने अपने दोनों हाथों से मेरा लंड पकड़ लिया, और उसे हिलाने लगी।

बुआ समझ गई थी कि मेरी पिचकारी भी छूटने वाली थी। उन्होंने झट से मेरे लंड मुंह में लेकर निचोड़ना शुरू कर दिया, और मेरा स्पर्म जैसे ही निकलना शुरू हुआ। बुआ ने अपने होंठ बंद कर लिए, और मुंह के अंदर ही अपनी जुबान से मेरा लंड सहलाने लगी। मैंने अपनी पूरी पिचकारी बुआ के मुंह में निकल दी। बुआ ने भी उसका एक एक बूंद पी लिया।

फिर बुआ उठी और बाथरूम की तरफ जाने लगी। उनकी बड़ी-बड़ी गांड थिरकती हुई जा रही थी। बहुत ही सुंदर दृश्य था वो।

बाथरूम के दरवाजे पर जाकर वो बोली: नहाना नहीं है क्या तुझे? जल्दी आजा नहीं तो ऑफिस के लिए लेट हो जायेगा।

तो दोस्तों बेंगलोर की शुरुआत ऐसे हुई। फिर तो मेरा और बुआ का रोजाना यहीं रूटीन रहता था। अपना फ्लैट लेने के बाद भी ऑफिस के पहले, फिर लंच टाइम पर, और शाम को फूफा जी के ऑफिस से आने के पहले बुआ को चोदने उनके घर चला जाता था।

और जब कभी फूफा जी बाहर जाते, तो मैं भी ऑफिस से छुट्टी लेकर बुआ के घर चले जाता, और दिन रात चोदा करता। हमारी चुदाई इतनी बढ़ गई थी, कि दोनों को ही सप्लीमेंट्स लेने पड़ते।

जब फूफा जी ना होते, तब तो मैं लंड खड़ा करने की गोली लेकर जाता। दिन में 5-6 बार जो चुदाई करनी होती थी।
 

junglecouple1984

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बुआ की चुदाई - 3




तो दोस्तों, जैसा कि आपने मेरी बुआ की चुदाई कहानी के पिछले भाग में पढ़ा कि बेंगलुरु जाने के बाद मैंने फिर से अपनी बुआ की चुदाई शुरू कर दी थी। हां यह वही बुआ है, जिनको मैं तब से चोदता आया हूं, जब मेरा लंड पहली बार खड़ा हुआ था। बस अब फरक इतना था कि बुआ शादी-शुदा थी, और मैं फूफा जी की गैर-हाजरी में बुआ की आग बुझाता था।

हमारे दिन काफी बढ़िया चल रहे थे, और तब ही अचानक करोना बीमारी आ गई और लॉकडाऊन हो गया। इस वजह से मैं बुआ को चोद भी नहीं पा रहा था। क्योंकि एक तो बार-बार बाहर आना-जाना मुश्किल था, और फूफा जी भी घर पर रहते थे।

पर इसी बीच बुआ के साथ एक बहुत बड़ी दुर्घटना हो गई। फूफा जी को करोना हो गया, और वो काफी बीमार पड़ गए। इतना कि उन्हें हॉस्पिटल भर्ती कराना पड़ा। वहां ना हमारा, ना फूफा जी का कोई रिश्तेदार था, तो बुआ एक-दम अकेली पढ़ गई।

मैंने भी मौके का फायदा उठाया और किसी तरह बुआ के घर चला गया। बुआ ने जैसे ही मुझे देखा, वो मेरे गले लग कर रोने लगी। वो फूफा जी को लेकर बहुत ही चिंतित थी। मैं उन्हें पुचकार रहा था और समझा रहा था कि सब ठीक हो जायेगा।

अंदर ही अंदर तो यहीं चल रहा था कि कब मैं बुआ को चोदूं, पर बुआ को इतना इमोशनल देख मुझे कुछ करने का मन नहीं हुआ। पर मेरी हवस काफी बढ़ चुकी थी। रोजाना 3 दफा सेक्स करने वाले का सेक्स एक-दम बंद हो जाए, तो उसकी आग तो भड़केगी ही ना। मैं धीरे से माहोल जमाने लग गया। बुआ को पीछे से पकड़ कर बोला-

राजू: अब मैं आ गया हूं ना बुआ, सब ठीक हो जायेगा। मैं हूं ना आपका ध्यान रखने के लिए।

बुआ ने मुझसे हाथ छुड़ाते हुए कहा-

बुआ: राजू अभी सही समय नहीं है ये सब करने का। मैं सच में बहुत परेशान हूं।

राजू: आपकी परेशानी ही तो मिटाने आया हूं (बुआ का हाथ पकड़ कर अपनी और खींचते हुए)।

बुआ: और तू केसे मिटाएगा मेरी परेशानी?

राजू: फूफा जी बीमार है तो आपके बदन की आग तो भड़क रही होगी? उसको भी तो मिटाना पड़ेगा ना।

बुआ: राजू तू ना और भी कुछ सोचता है? तेरे फूफा जी वहां इतने बीमार है, कुछ भी हो सकता है, और तू ये सब बात कर रहा है।

राजू: ये भी तो जरूरी है ना बुआ। और वैसे भी फूफा जी कहां ही खुश कर पाते है। क्यों इतना परेशान हो रही हो?

बुआ: पति है वो मेरे, ऐसा कैसे बोल सकता है तू?

राजू: मुझसे चुदवाते समय भूल जाती हो कि पति भी है।

बुआ: वो बात अलग है। अभी तू जा वापिस अगर तुझे यही सब बात करनी है तो।

राजू: बुआ आज तक आप सीखी नहीं, मुझे जब आपको चोदना होता है, मैं चोद कर रहता हूं (बुआ के ब्लाउज में हाथ डाल कर उनके बोबे मसलते हुए)।

बुआ मुझे धक्का मार कर अपने कमरे की जाने लगी, और गेट बंद करने ही जा रही थी, कि मैंने अपने हाथ से गेट को धक्का मारा, और बुआ को दोनों हाथों से पकड़ कर चूमने लगा। बुआ ने बचने के लिए मेरे होंठो पर काट लिया।

उनके काटते ही मैंने उन्हें पलंग पर उल्टा करके फैंक दिया। फिर पीछे से उनकी सलवार उतारी, और अपना मोटा लंबा लंड पैंट से निकाल कर उनकी गांड में भर दिया। यह सब इतनी जल्दी में करा, कि उनके कपड़े तक नहीं उतारे मैंने पूरे, और चोदना शुरू कर दिया।

मैं पूरी तरह से बुआ के उपर चढ़ गया और अपने शरीर के वजन से उन्हें नीचे दबा लिया। उसके बाद मेरे हर एक झटके के साथ बुआ के आंसू और चीखें निकल रही थी। मैंने कोई तेल का भी उपयोग नहीं करा था। मेरा लंड बुआ की गांड में घुसा रहा था।

मुझे भी काफी दर्द हो रहा था। बुआ की गांड में झटके मार-मार कर मेरा लंड भी घिसा चुका था। पर हवास इतनी थी कि उसके बाद भी मैं नहीं रुका। करीबन 15 से 20 मिनट तक मैं बुआ को इसी तरह चोदता रहा, और वो बस दर्द से कराहती रही। आखिरकार मेरा पानी छूट गया बुआ की गांड में, और मैं बुआ के उपर ही गिर कर लेट गया। उसके बाद सब एक-दम शांत हो गया, और बस बुआ की सिसकियों की आवाज थी।

कुछ देर बाद मैंने अपना लंड बुआ की गांड से बाहर निकाला, और साइड में लेट गया। मेरा लंड खून से लथपथ था। छिल जाने की वजह से उसे खून आ रहा था। बुआ की गांड से भी मेरा स्पर्म और खून टपक रहे थे। मैंने प्यार से बुआ के बाल सहलाए। बुआ कुछ नहीं बोल रही थी।

मैं फिर उठा, और तेल की बॉटल लेकर आया, और बुआ की गांड पर तेल लगाने लगा। अच्छे से गांड में उंगली डाल कर लगा रहा था। बुआ को काफी जलन भी हो रही थी। फिर मैंने अपने लंड पर भी तेल लगाया, और आराम से बुआ के साथ लेट गया।

राजू: देखा बुआ, मैं आपका ध्यान रख सकता हूं।

बुआ: तकलीफ भी तो तूने ही दी।

राजू: बुआ उसके लिए मुझे माफ कर दो, वो गलती से हो गया।

बुआ: ये बहुत गलत किया तूने।

राजू: बुआ मैं बहुत गरम हो रहा था। आगे से कभी नहीं होगा।

बुआ: गलती तो करी है, अब सजा भी मिलेगी।

राजू: बुआ आप जो बोलो वो करूंगा।

बुआ: जिस तरह तूने मुझे इतना दर्द दिया है। मैं भी तुझे उतना ही दर्द दूंगी।

राजू: बुआ आपको जो करना है वो कर लो, पर मुझसे गुस्सा मत हो।

फिर बुआ जैसे-तैसे उठ कर लंगड़ाते हुए अपनी अलमारी तक गई, और वहां से कुछ निकालने लगी। बुआ की गांड इतनी बुरी तरह से मारी थी, कि बुआ ठीक से खड़ी भी नहीं हो पा रही थी।

फिर बुआ हाथकड़ियां लेकर आई और मुझे बेड से बांधने लग गई। मैं भी बुआ को चुप-चाप देख रहा था। बुआ ने बिस्तर के चार कोनों में मेरे हाथ और पाव बांध दिए। फिर उन्होंने मेरी नंगी गांड पर अपने हाथों से चांटे मारना शुरू करे।

उसके थोड़ी देर बाद फिर उन्होंने कुछ निकाला। इस बार बुआ बैट लेकर आई, और उससे मेरी गांड सुजाने लगी। आधे घंटे तक बुआ ने मुझे जानवरों की तरह पीटा। मेरी गांड सुन्न पढ़ चुकी थी। उसके बाद बुआ ने अलमारी से एक चड्डी निकाली जिसमें आगे से लंड बना हुआ था, और वो पहनने लगी।

मैंने जैसे ही वो देखा, मैं बोला: बुआ ये क्या कर रही हो? सॉरी बुआ गलती हो गई।

बुआ कुछ नहीं बोली और उसे पहन कर मेरी तरफ मुड़ी। बुआ के आगे मेरे लंड से भी बड़ा नकली लंड लटक रहा था। करीबन 8 इंच लंबा होगा, और पीछे तक जाते हुए मेरी मुट्ठी की साइज का मोटा होगा।

बुआ ने वो लंड मेरी गांड के छेद पर रखा, और उसे अंदर धकेलने लगी। इस बार मेरी चीखे निकल रही थी, और मैं बंधे होने की वजह से हिल भी नहीं पा रहा था। देखते ही देखते बुआ ने वो पूरा का पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया था। यह पहली बार था कि मेरी गांड मारी जा रही थी।

मैं दर्द से कराह रहा था, और बुआ ने वो मोटे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। असली लंड तो एक बार पिचकारी मार कर रुक जाता है, पर ये तो नकली था। इसे तो बुआ जितनी देर चाहे उतनी देर चला सकती है। उसके बाद बुआ ने तब तक मेरी गांड मारी, जब तक वो खुद थक के चूर नहीं हो गई। उसके बाद भी बुआ ने मुझे नहीं छोड़ा।

बुआ कई घंटे तक रुक-रुक कर मेरी गांड मारे जा रही थी। मेरी गांड फट कर बड़ी हो चुकी थी। बुआ ने मुझे एक-दम सस्ती रांड की तरह चोदा। रंडी का भोसड़ा भी इतना बड़ा नहीं होता होगा जितना मेरा हो चुका था। पीछे से लंड लेते समय कई बार मेरा लंड भी खड़ा हो जाता, और उत्तेजित हो कर पिचकारी निकल देता। आखिरकार कई घंटे की सजा के बाद बुआ ने बोला-

बुआ: बोल, रुक जाऊं या करती रहूं?

राजू: बुआ प्लीज रुक जाओ, बहुत दर्द हो रहा है।

बुआ: मुझे भी ऐसा ही दर्द हुआ था, तब तो नहीं रुका तू। अब सजा से भी बच रहा है।

राजू: नहीं बुआ मुझे सबक मिल गया।

बुआ: अगर तू मुझसे प्यार करता है तो पूरी सजा लेगा।

बस बुआ ने यह बोलते ही मैं बोल पड़ा-

राजू: बुआ आपके लिए तो कुछ भी करूंगा। आपको और जितनी सजा देनी है दो। मैं नहीं रोकूंगा।

बुआ: सच्ची बोल, एक बार मैं शुरू हो गई तो रुकूंगी नहीं।

राजू: आपके लिए कुछ भी बुआ। आई लव यू।

बुआ ने फिर से मेरी गांड में लंड डाला, और मुझे चोदना शुरू कर दिया। मैं इस बार चुप-चाप सब सह रहा था। बुआ को लगा कि मैं थोड़ी देर में मना कर दूंगा। पर मैं चुप-चाप सहता रहा। यह देख बुआ को मुझ पर प्यार आ गया, और वो बोली-

बुआ: इतना प्यार करता है तू मुझसे?

राजू: आप ही मेरा सच्चा प्यार हो।

बुआ ने मुझे आकर चूम लिया, और गले लगा लिया। फिर मुझे खोल दिया और हम एक-दूसरे की बाहों में पढ़े-पढ़े एक-दूसरे को चूमते हुए सो गए। इतनी चुदाई से हम दोनों ही खूब थक गए थे।

अगले दिन जब हम उठे, तो हॉस्पिटल से कॉल आया कि फूफा जी नहीं रहे। बुआ यह सुन कर जमीन पर बैठ कर रोने लग गई। मैंने भी उन्हें संभाला, और आगे के सारे कामों में उनकी पूरी मदद करी। मेरी प्यारी बुआ विधवा हो चुकी थी। अब मेरा उन पर पूरा हक था। अब वो सिर्फ मेरी थी।

सब काम समेटने की बाद मैं अपना सारा सामान लेकर बुआ के यह चला गया, और उनके साथ ही रहने लग गया। अब से मैं ही उनका पति भी था। फूफा जी के जाने के बाद वो घर बुआ के नाम हो चुका था, और बुआ मेरी हो चुकी थी।

ये बुरा वक्त भी निकल ही गया और मैं और मेरा बचपन का प्यार मेरी बुआ पति-पत्नी की तरह साथ रहते और घूमते-फिरते थे। जब कभी घर जाते तो सब के सामने एक-दम सीधे बन जाते और बेंगलुरु आते ही हमारी चुदाई शुरू हो जाती।
 

junglecouple1984

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छोटी बहन को चोद कर सील खोली




मेरा नाम साहिल है और मैं 25 साल का हूँ.
अभी मैं बीएड कर रहा हूँ.
मैं अपनी पढ़ाई बाहर जाकर एक शहर में कर रहा हूं.

यह कहानी उस समय की है जब मैं छुट्टियों के दिनों में अपने घर आया था.

मेरे घर वालों ने बहुत दिनों के बाद घर आने पर मुझे बहुत लाड़-प्यार दिया.
सब लोग मुझसे बहुत प्यार से मिले.

मैं भी अपने घर आकर बहुत खुश था और मुझे अपने परिवार वालों से मिलकर बेहद अच्छा लग रहा था.
उस दिन अहसास हुआ था कि अपना घर अपना ही होता है.

मेरी एक छोटी बहन है. उसका बदला हुआ नाम रेखा है.
रेखा की उम्र तब 18 साल हो गई थी और उस वक्त वह बारहवीं कक्षा में पढ़ाई कर रही थी.

वह अपनी जवानी में बहुत ही मस्त बन कर निखरी थी.
मैं उसका सगा भाई था पर मुझे भी वह दिखने में बहुत हॉट लगी थी.

अभी मेरी बहन के बूब्स मध्यम आकार के ही हुए थे क्योंकि अभी तक उसकी चूचियों को किसी ने दबाया नहीं था और जब दूध किसी ने नहीं मसले थे तो इस बात की पूरी गारंटी थी कि उसकी चूत को भी किसी ने अब तक नहीं रगड़ा होगा.

यह सोच कर मेरे अन्दर वासना भड़कने लगी थी.

एक दिन मैं घर में अपनी एक किताब खोज रहा था.
तभी मेरी बहन आ गई और उसने मुझसे पूछा- भईया आप क्या खोज रहे हो?

मैंने कहा- कुछ नहीं बहन, बस मेरी किताब कहीं मिल नहीं रही है तो उसे ही खोज रहा हूं.
उसने कहा- मैं भी खोजने में आपकी मदद करूं भैया?
मैंने कहा- ठीक है छोटी, आ जा!

फिर हम दोनों ने मिलकर किताब खोजी और पढ़ाई करने लगे.

रेखा ने मुझसे पूछा- भैया आप से मैं एक बात पूछूं, आप बुरा तो नहीं मानेंगे?
मैंने कहा- नहीं, रेखा पूछो!

उसने कहा- भैया, आपकी वहां कोई गर्लफ्रेंड है क्या?
मैंने हड़बड़ाते हुए कहा- अरे छोटी, तुम ये क्या पूछ रही हो? इसके बारे में तुम क्या जानती हो?
उसने कहा- भैया, पहले आप बताइए न कि आपकी कोई गर्लफ्रेंड है या नहीं!
मैंने कहा- नहीं, मैं इन सब बातों में अपना समय खराब नहीं करता.

उसने कहा- पर भैया आप तो बहुत हैंडसम हैं, सच सच बताइए न!
जब उसने मुझे हैंडसम कहा तो मैंने उससे इस विषय में खुलने की बात सोची और थोड़ी सी हिम्मत करके कहा- हां एक है तो सही!

फिर रेखा ने पूछा- कैसी लगती है वह … आपने उसके साथ कुछ किया है या नहीं?
मैंने समझ लिया कि मेरी बहन को सेक्स की जानकारी हो गई है और यह मुझसे सेक्स के बारे में खुल कर बात करना चाहती है.

मैंने कहा- नहीं, मैं उसके साथ कुछ नहीं किया है. हम दोनों केवल बातें करते हैं और साथ में घूमते हैं.
वह बोली- आप मुझे बताना नहीं चाहते हैं तो मत बताइए. पर ऐसा होता नहीं है. जब किसी लड़की से दोस्ती हो जाती है तो कम से कम किस तो किया ही होगा?

मैंने उससे पूछा- छुटकी तू तो इस सब्जेक्ट में बड़ी जानकारी रखने लगी है. क्या तूने भी कुछ किया है!
वह मेरे सवाल पर मुस्कुरा दी और बोली- नहीं भैया, मैंने अब तक ऐसा कुछ नहीं किया है.

मैंने कहा- अच्छा, किया नहीं है या करना नहीं चाहती है?
वह हंसने लगी.

मैंने कहा- बता न!
वह बोली- भैया मुझे शर्म आती है!

मैंने उसे अपने पास खींचते हुए कहा- किससे शर्म आती है, मुझसे … या करवाने में शर्म आती है?

वह हंस दी और एक झटके से मुझे चूम कर उधर से उठ कर चली गई.
उसका चुंबन मेरे गाल पर हुआ था तो मैं एकदम से गनगना उठा था.

दोस्तो, अब मैं उसके साथ ऐसे ही बातें करने लगा था.
वह भी मेरे साथ चिपक कर बैठ जाती और अपने दूध मेरे जिस्म से रगड़ने लगती.

एक दिन शाम को हम सबने खाना खाया और सोने जाने लगे.
उस दिन रेखा भी मेरे कमरे में आ गई.

मैंने पूछा- क्या हुआ?
उसने कहा- भैया, मेरे कमरे का फैन खराब हो गया है, आज मैं यहीं आपके पास सोऊंगी. अगर आपको दिक्कत न हो तो!
मैंने भी कहा- ठीक है सो जा!

फिर लाइट ऑफ करके हम दोनों सोने लगे.
रेखा ने मुझसे कहा- भईया क्या आपने सच में अपनी गर्लफ्रेंड को कभी कुछ नहीं किया है!
मैंने कहा- नहीं, यार वह बस मेरे साथ बात करती है.

वह ऐसे ही बातें करते करते मेरे पास आने लगी और मैं भी उसे अपने साथ चिपका कर धीरे धीरे बातें करने लगा.

उसके बदन से चिपकने से मुझे वासना चढ़ने लगी थी.
मैं उसे बूब्स का स्पर्श पाते हुए अन्दर ही अन्दर सुलगने लगा और उसे अपने साथ चिपका कर सो गया.

रात के लगभग दो बजे जब मैं जगा तो मैंने देखा कि रेखा ने मेरा लंड अपने हाथ से पकड़ रखा था और वह सो रही थी.
उस वक्त मुझे बड़ी सनसनी हुई कि मेरे लौड़े को मेरी छोटी बहन ने अपने हाथ में पकड़ रखा है.

उसके हाथ में में लौड़े ने अंगड़ाई लेनी शुरू कर दी.
लंड फूलने लगा था और मेरे बहन ने उसे बदस्तूर अपने हाथ में पकड़ा हुआ था.

अब मैंने अपने लौड़े को उसके हाथ में ही आगे पीछे करने की कोशिश की.
मेरी कमर खुद ब खुद आगे पीछे होने लगी और मेरी बहन के हाथ से मेरे लंड की मुठ मारी जाने लगी.

कुछ ही देर में मेरी बहन के हाथ में मेरे लौड़े ने अपना पूरा आकार ले लिया था और लंड के मुँह से प्रीकम वाला चिकना रस टपकने लगा था.

मैंने अपनी आंखें इस डर से बंद कर लीं कि कहीं मेरी बहन रस के स्पर्श से जाग न जाए.

मैं बस बंद आंखों से धीरे धीरे अपनी कमर को हिलाता रहा और अपनी बहन के हाथ को उसकी बुर समझ कर चोदता रहा.

कुछ ही देर में मेरे लंड ने पानी छोड़ने की सीमा प्राप्त कर ली.
तो मैं एकदम से घबरा गया कि कहीं मेरे लंड के वीर्य की पिचकारी मेरी बहन के ऊपर न जा गिरे.

इसी लिए मैंने अपना लंड उसके हाथ से छुड़ाया और जींस में लंड घुसेड़ कर झड़ गया.
मेरी जींस में ही मेरे लौड़े ने उल्टी कर दी थी, तो मेरी पैंट गीली हो गई थी.

अब मैं उससे अलग होकर करवट लेकर सो गया.
रात बीत गई.

अगले दिन रेखा उठ कर चली गई.

मैंने उसके जाने के बाद आंखें खोलीं और रात की घटना को सोचने लगा कि यह सब क्या हुआ था.

उस दिन मैंने उसके चेहरे को गौर से देखा तो वह मुझे खिली हुई कली सी लगी और मुझे उसके साथ अपना भाई बहन वाला रिश्ता टूटता सा नजर आया.

मैं भूल गया कि रेखा मेरी छोटी बहन है … मैं बस उसके हुस्न के दीदार में खो गया और उसे अपने लंड से चोदने के सपने देखने लगा.

उस दिन फिर से रात हुई तो वह फिर से मेरे कमरे में मेरे साथ सोने आ गई.

हम दोनों ने फिर से सेक्स को लेकर गर्लफ्रेंड ब्वॉयफ्रेंड की चर्चा की.
उस रात उसने अपनी एक सहेली की बात मुझसे कही कि उसकी सहेली सुप्रिया ने अपने भाई को ही अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाया हुआ है.

जब उसने यह बात कही तो मैं समझ गया कि इसके मन में भी शायद यही बात है कि यह मुझे अपना ब्वॉयफ्रेंड बनाना चाहती है.

यही सब सोचते हुए मेरे लंड ने हरकत की और मुझे मजबूरी में अपने लंड की मुठ मारनी पड़ी, मैं पैंट में ही झड़ गया.

अब हम दोनों सो गए.

रात के बारह बजे उसने मुझसे जगाकर पूछा- भईया ये आपकी जींस में गीला गीला क्या है?
मैंने कहा- कुछ नहीं बस ऐसे ही!

उसने धीरे से मेरी जींस में हाथ डाला और मेरा लंड पकड़ लिया.
मैंने कहा- अरे ये क्या कर रही हो?

उसने कहा- भईया मुझे पता है आप मुझे चोदना चाहते हैं, इसलिए आपके लौड़े से पानी निकल गया है न!
मैंने डरते हुए कहा- नहीं.
उसने कहा- कोई बात नहीं भैया, मैं किसी को नहीं बताऊंगी … आप मेरे साथ सेक्स कर सकते हैं!

उस रात हम दोनों ने एक दूसरे को अपनी बांहों में भरा और चुंबन का मजा लेने लगे.

वह बोली- भैया, मुझे आपके साथ सेक्स करना है!
मैंने कहा- क्या तुमने अभी तक सेक्स किया है?

वह बोली- नहीं मैं अभी कुँवारी कली हूँ.
मैंने कहा- तो तुझे मालूम भी है कि पहली बार सेक्स करने में दर्द होता है?

वह बोली- हां, मैंने सेक्स कहानी में पढ़ा है.
मैंने कहा- कौन सी सेक्स कहानी में?

वह बोली- आपको मोबाइल में बताऊं?
मैंने कहा- हां दिखाओ!

उसने मेरे मोबाइल में Xforum का पेज खोला और भाई बहन सेक्स की कहानी खोल कर मुझे पढ़वाने लगी.

उसमें सगे भाई ने अपनी कुंवारी बहन की सील तोड़ चुदाई की थी, जिससे उसकी बहन बहुत चीखी थी.
मैंने कहा- यदि तुम दर्द से चीखीं तो मम्मी पापा को मालूम पड़ जाएगा!

वह बोली- हां यह तो है. पर चौबीस तारीख को मम्मी पापा मामा के घर जा रहे हैं. उधर छोटे मामा की शादी की सालगिरह का कार्यक्रम है. हम दोनों को भी उधर चलना है. पर मैं पेट दर्द का बहाना बना कर जाने से मना कर दूँगी और आप भी पढ़ाई का कह कर रुक जाना.
मैंने उसे चूमा और कहा- ओके.

उस दिन बाईस तारीख थी.
दो दिन बाद मम्मी पापा को दो दिन के लिए जाना था.

पर मम्मी ने पापा से अगले दिन ही चलने की बात कह दी.
शाम को मम्मी ने मुझसे कहा- तुम रेखा को साथ लेकर आ जाना!

मैं अभी कुछ कह पाता कि रेखा बोल उठी- मम्मी, मुझे पेट में दर्द हो रहा है. यदि कल तक मेरी तबीयत सही हुई, तो ही मैं आ पाऊंगी.

मम्मी ने कहा- क्या हुआ है पेट में?
रेखा बोली- मरोड़ सी उठ रही है.

मम्मी ने मुझसे कहा- तुम अपनी बहन को डॉक्टर के यहां ले जाओ और दवा दिला लाओ.

इसी संबंध में पापा ने भी कुछ निर्देश दिए और कहा- यदि रेखा कि तबीयत ठीक हो जाए, तभी इसे लेकर आना। वर्ना तुम इसकी देखभाल करना.
मैंने ओके पापा कहा और वे दोनों चले गए.

अब घर में हम दोनों ही थे.

रेखा बाथरूम में जाने लगी और उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा- बस अभी साफ सफाई करके आती हूँ, आप मेरी लेने के लिए तैयार रहना!

उसकी इस खुली बात को लेकर मैंने भी अपने लंड की झांटों को साफ करने की बात कही और मैं अपने कमरे में आ गया.

मैं उसी के चोदने के सपने देखते हुए अपनी झांटों की सफाई करने लगा और झांटें साफ करते करते मैंने एक बार मुठ मार ली ताकि लंड को बहन की बुर के अन्दर देर तक रहने में सुविधा रहे.

कुछ देर बाद रेखा बाहर आई और मैं उसे देखकर बहुत खुश हो गया.

वह बोली- ओपनिंग सेरेमनी के लिए कुछ पार्टी का इंतजाम नहीं करोगे भैया?
मैं समझ गया और मैंने कहा- क्या लोगी?

वह हंस कर बोली- मैं सिर्फ बियर ले लूँगी!
मैंने ओके कहा और अपने व उसके लिए सामान लेने बाजार चला गया.

कुछ ही देर बाद शाम ढल चुकी थी.

मैंने एक बार में जाकर दो पैग लगाए और सिगरेट फूंकते हुए सोचने लगा कि आज की रात को अपनी बहन की कुंवारी बुर की चुदाई का मजा ही मजा आने वाला है.

आप तो जानते ही हैं दोस्तों कि एक मर्द को कुंवारी लड़की की चूत चोदने से ज्यादा मजा और भला किस चीज में आ सकता है!

रात को जब मैं घर आया तो वह मेरे कमरे में थी.
मैं घर के सारे दरवाजे खिड़की बंद करके कमरे में आया तो उसे देखा.

वह किसी मस्त अभिनेत्री जैसी सजी हुई थी और उसने एक वन पीस ड्रेस पहना हुआ था, जो उसकी जांघों तक आ रहा था.
वह बहुत खुश थी और मैं भी.

फिर हम दोनों ने बियर पीते हुए एक दूसरे से बातें की और उसके बाद रेखा मेरे ऊपर आने लगी.
मैं भी उससे चिपकने लगा और उसे किस करने लगा. उसके बूब्स दबाने लगा.

रेखा भी मादक सिसकारियां भरने लगी- ऊह भैया आह … मेरी प्यास बुझा दो!

मैंने उसके एक दूध को मसलते हुए उससे पूछा- तुम मुझसे ही क्यों चुदवाना चाहती हो, मैं तो तुम्हारा भाई हूं!
उसने मुस्कुराते हुए कहा- ये भाई बहन का रिश्ता तो बाहर के लिए है भैया … मैं तुम्हें प्यार करती हूँ. इस अंधेरे कमरे में मैं तुम्हारी रंडी हूँ, मुझे खूब चोदो.

दोस्तो, मुझे यकीन नहीं हो रहा था कि मेरी अपनी सगी बहन इतनी ज्यादा उत्तेजित क्यों थी.
शायद इसलिए क्योंकि उसकी बुर आज तक किसी ने नहीं चोदी थी!

मैंने सोचना छोड़ दिया और उसके दूध चूसने लगा.
जब अंधेरी सुनसान रात में दो जिस्म मिलते हैं तो रिश्ता कुछ और ही हो जाता है.

मैं अपनी बहन के कपड़े उतारने लगा और उसकी चूचियों को दबाते हुए पीने लगा. उसके होंठों को चूसने लगा.
मेरी बहन बहुत हॉट थी.

जब मैंने उसकी चूत देखी तो ‘आह यार … कितनी मासूम और चिकनी थी … एकदम रूई की तरह मुलायम चूत थी!’

उसकी बुर को मैं अपनी जीभ से चाटने लगा और कुछ ही पलों मे उसकी बुर ने पानी छोड़ दिया.
मैंने उसकी बुर चाट कर एकदम साफ कर दी.

उस कमरे में हम दोनों के अलावा और कोई नहीं था.
उसने मेरे लौड़े को जब देखा तो वह बोली- जान, इतना बड़ा लौड़ा … बाप रे … मैं तो मर ही जाऊंगी!
मेरा लौड़ा सामान्य से ज्यादा लंबा और मोटा है.

कुछ पल तक वह मेरे लंड को देखती रही फिर मैंने उसके सर को अपने हाथ दबाते हुए लौड़े पर झुकाया तो मेरी बहन मेरे लौड़े को अपने मुँह में लेकर चूसने लगी.
वह लंड को एकदम आइसक्रीम की तरह चूस रही थी.

अब मैंने उसको बेड पर चित लिटाया और उसकी बुर की दोनों फाँकों को खोल कर अन्दर का गुलाबी नजारा देखने लगा.

वह अपनी गांड उठाती हुई बोली- इस छेद में थूक दो भैया और अपना लंड पेल दो.
मैं अपना गर्म लौड़ा उसकी गर्म चूत में पेल दिया.

वह दर्द के मारे छटपटा उठी और बोली- आह मर गई … बस करो भैया बहुत दर्द हो रहा है … फट गई मेरी बुर आह हरामी साले बहन के लौड़े छोड़ दे आह!

मैंने कहा- साली बहन की लौड़ी छिनाल … आज तू मेरी रंडी है मादरचोद … मैं आज तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा. कुतिया आज तेरी चूत को फ़ाड़ डालूंगा.

मैं अपने घातक लौड़े से उसकी चूत में जोरदार प्रहार करने लगा.

वह दर्द के मारे चिल्ला रही थी.
पर कुछ देर बाद उसकी चूत ने लंड से दोस्ती कर ली और घपाघप चुदवाने लगी.

दोस्तो उस रात मैंने अपनी बहन को खूब चोदा और उसकी बुर फाड़ डाली.

मैंने अब तक उसके कई बार साथ सेक्स किया है.
जब तक मैं घर पर रहा, अपनी बहन को खूब चोदा.

उसकी चूत मेरे लौड़े की दीवानी हो चुकी थी.
वह भी रोज रात को मेरे कमरे में आ जाती और रोज चुदाई करवाती.
मैं भी उसे मस्ती से चोदता.

एक दिन वह एक मोटी गाजर लाई और उसने मुझसे वह गाजर अपनी गांड में डलवा कर चुत चुदवाई.

उसके बाद मैंने अपना खीरा जैसा लंड उसकी गांड में डाला और उसकी गांड भी मारी.
मेरी बहन अपनी गांड में कुछ कुछ लेती रहती थी तो उसकी गांड खुली हुई थी.

मेरी 18 साल की बहन की गर्म चूत और नर्म गांड को मैंने अपने लौड़े की दीवानी बना दिया था.
इरोटिक Xxx सिस्टर सेक्स से मेरा लौड़ा भी उसके हर छेद का दीवाना हो गया था.

मैंने उसे बहुत बार दारू पिला कर भी चोदा, वह अपने मुँह में सिगरेट दबा कर मेरे लौड़े पर गजब उछलती थी.
सारी सारी रात मैं उसकी बुर में अपना लौड़ा डाले पड़ा रहता था.

मगर दोस्तो, मेरी प्यारी छोटी बहन अब घर में नहीं है. वह एक लड़के के साथ घर छोड़ कर भाग गई है.
 
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सासू मां की चुदाई-1



मेरा नाम दिलीप है। मैं फिर से नई चुदाई की अपनी असली कहानी लेकर आया हूं।

वैसे मैं 40 साल का हूं, और मेरी बीवी 35 साल की है। हमारे बीच में अच्छा खासा सेक्स होता है। लेकिन मुझे ज्यादा उम्र की औरत चोदने का सर पर नशा हमेशा से ही रहा है। कहानी 1 साल पहले की है, जब मैं किसी काम से नासिक गया हुआ था, जो कि मेरा ससुराल भी है। और मेरे ससुराल में मेरी सास ममताबाई और साला जिसकी शादी नहीं हुई थी, वह लोग रहते थे।

वैसे मेरी‌ सास 58 साल की है। वह बहुत धार्मिक है, और मेरे ससुर का निधन हमारी शादी के 1 साल पहले हो गया था। वह मोटी और हाइट 5 फुट के करीब है। दिखने में एक-दम सीधी-सादी और सावला रंग होने के कारण ज्यादा अट्रैक्टिव नहीं दिखती। लेकिन वह काफी समझदार है, और मुझे ऐसा लगता है कि वह थोड़ी खुले विचारों वाली महिला है। लेकिन एक बात कहूं, उनके मम्मे काफी बड़े-बड़े है। अगर मेरी वाइफ के मम्मे संतरे है, तो उनके पपीते के बराबर है।

चलो मैं कहानी की ओर आता हूं। मेरा कुछ झगड़ा सा हो गया था मेरी सास के साथ कुछ महीने पहले। इसी वजह से मैं नासिक तो जाता था, लेकिन उनके घर नहीं रूकता था। कहीं होटल लेकर वहीं रहा जाता था। लेकिन जब इस बार मैं नासिक जा रहा था, तब मेरी वाइफ ने मेरी सास के साथ बात करते हुए मुझे अपने घर पर रहने के लिए मना लिया था।

मेरी सांस मुझसे माफी मांगना चाहती थी, कि जो हुआ उसे भूल जाए। तब मैं भी सब झगड़ा भुला कर उनके यहां रहने चला गया। जब मैं अपने ससुराल पहुंचा, उस समय रात के करीब 10:00 बज रहे थे। तब जाकर वहां पता चला कि मेरा साला किसी काम के लिए दूसरे शहर गया था चार दिनों के लिए।

जब मैं घर आया तब मुस्कुराते हुए मेरी सास ने मेरा स्वागत किया, और मुझसे कहने लगी-

सास: जो हुआ वह भूल जाओ, अब जब तक आप यहां हो, तब तक आप यही रहेंगे।

तो मैं भी हां कह दी, और हाथ-पैर धोने चला गया। बाथरूम में हाथ पैर धोते समय मैंने देखा मेरी सास का ब्लाउज वहां धोने के लिए रखा हुआ था। ना चाहते हुए भी मेरा हाथ उस ब्लाउज को छूने लगा, और अचानक मैं ब्लाउज की कटोरी को अपने मुंह से लगा कर सूंघने लगा। उसमें से आ रही पसीने के बास में मेरे लंड में सनसनी पैदा कर दी। अब तो हाल यह हो रहा था, या तो मुठ मार लो, या तो चूत मार लूं।

मैं दूसरे ऑप्शन की और बढ़ने के लिए कुछ सोचने लगा। वैसे भी मैं चोदूं भगत हूं। मेरे लिए मेरी वाइफ क्या और मेरी सास क्या। मुझे तो बस अभी एक चूत की जरूरत थी। यह सोचते हुए मैं बाहर आ गया और खाना खाने के बाद सोचने लगा की अब अपनी सास की चूत के मजे कैसे ले।

वैसे ही मेरे ससुराल में कोई ज्यादा बड़ा रूम नहीं है। एक किचन, एक हाल, और टॉयलेट बाथरूम। इसलिए हमें हाल में ही सोना था। हाल में एक लोहे की चारपाई थी, जिस पर मेरी सास सोया करती थी, और मेरे लिए जमीन पर नीचे बिस्तर लगा दिया। फिर सोने से पहले मेरी और सास की बातें होने लगी, जिसमें पुराने झगड़े की बातों से लेकर सब कुछ बातें हो रही थी।

तब मैंने उनसे कहा: आपकी लड़की वैसे तो बहुत अच्छी है, लेकिन कभी-कभी नाटक करती है। अब मैं मर्द हूं। उसे भी तो समझना चाहिए कि मर्द की जरूरत क्या है।

वैसे मेरी सास अनपढ़ है। लेकिन बातें अच्छे से समझ लेती है।

उन्होंने मुझसे कहा: मैं नेहा से बात करूंगी, और उसे समझाऊंगी।

लेकिन मैंने कहा: शादी के आज 15 साल हो गए हैं। लेकिन वह समझते नहीं है। अब मैं क्या करूं? मैं तो सोच रहा हूं कहीं बाहर दूसरी औरत रख लू, जो मेरी मनोकामनाएं पूरी करेगी।

मैंने अपनी सास से डायरेक्ट दूसरी औरत के बारे में इसलिए कहा था, क्योंकि मेरा झगड़ा मेरी सास के साथ इसी बात पर हुई थी कि आपकी लड़की मुझे ज्यादा खुश नहीं रखती, आप उसे समझाएं। लेकिन मेरी सास ने यह कहा था कि मर्द से होने की बात करता है, और मेरी बेटी आपको कितना सहन करेगी। तब मैंने उनसे कहा था यह मेरी वाइफ है और मैं रोज-रोज कहां कहता हूं। लेकिन जब भी मेरा मन हो तब तो तैयार रहे।

बस इसी बात पर झगड़ा हो गया था। इसलिए मैंने अपनी सास के सामने बिंदास होकर दूसरी औरत की बात कही, तांकि मेरी सास मेरी वाइफ को समझ सके, कि अगर मर्द को घर में सुख नहीं मिलेगा, तो वह बाहर जा सकता है, यानि एक तीर से दो शिकार मैं कर रहा था।

तब मेरी सास ने कहा: नहीं-नहीं दामाद जी, आप कहीं दूसरी औरत के पास मत जाईए। इससे मेरी बेटी का घर बर्बाद होगा।

तो मैं उनसे कहा: आप लाख समझा दे मेरी वाइफ को, वह नहीं सुनेंगी। उसे जैसा करना होगा वह तभी करेगी, लेकिन मैं ज्यादा बर्दाश्त नहीं कर सकता। मुझे तो बाहर ही जाना होगा।

तब मेरी सास ने कहा: तो आप मुझे वचन दीजिए कि आप अगर कहीं किसी दूसरी औरत के पास चले गए, तो आप मेरी बेटी को कभी छोड़ेंगे नहीं।

तब मैंने उनसे कहा: सेक्स के अलावा मैं आपकी बेटी से बहुत प्यार करता हूं, और उसे कभी छोड़ नहीं सकता। तो आप इस बात से बेफिक्र रहे।

तब मेरी सास ने कहा: आपको कैसी लड़की चाहिए, जो आपके साथ आपका साथ दे?

तब मैंने उनसे कहा: मुझे लड़कियों में कोई इंटरेस्ट नहीं है, मुझे तो बड़ी उमर के औरत चाहिये।

तब सास ने पूछा: ऐसा क्यूं?

तब मैंने कहा: बड़ी उम्र की औरतों के फायदे ऐसे हैं कि अगर हम उनके साथ सोते भी है, तो वह भविष्य में कभी मेरे गले नहीं पड़ेगी, और दूसरी बात वह इतनी खेली खिलाई होगी कि उसे सब पता होगा कि मर्द को क्या चाहिए।

तब मैंने अपनी सास को कहा: आपकी नज़र में ऐसी कोई औरत है क्या जो भरोसेमंद हो? और मैं यह आपसे बिना डरे इसलिए पूछ रहा हूं कि हमारे बीच में कहने-सुनने के लिए अब कुछ बचा ही नहीं है।

तब मेरी सास ने कहा: मैं अपनी बेटी का घर अपने हाथों से कैसे बर्बाद करूं?

तब मैंने उनसे कहा: आपकी बेटी का घर बचाने के लिए मैं यह सब सोच रहा हूं।

तब बात करते-करते मेरी सास का पल्लू नीचे गिर गया, और उनके बड़े पपीते के दर्शन हो गए, जिसे देख कर मैं पागल हो गया था। मेरी सास का ध्यान जब मेरी ओर गया, तब उन्होंने देखा कि मैं उनके बॉल को घूर रहा था। मेरी आंखों में अलग ही चमक दिख रही थी‌।

तब अपने पल्लू को संभालते हुए उन्होंने कहा: आप सो जाइए, कल बात करेंगे।

तब मैंने उनसे सीधे कहा कि: अब इतनी बातें हो गई है, और मैं गर्म भी हो गया हूं। अब मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा।

वो बोली: एक कम कीजिए, आप बाथरूम में जाकर हिला लीजिए।

मैंने कहा: देखिए सासू मां अब तो हालत ऐसी है कि अपनी खुद की औरत होते हुए भी मुझे हिलाना पड़ता है। क्या करूं ऐसी जिंदगी का? अब तो मुझे हिलाना ही पड़ेगा, वरना नींद नहीं आएगी। आप मेरे लिए एक काम करोगे? आप अपना पल्लू हटा लीजिए, और मैं आपके बॉल देखते हुए हिला लूंगा, ताकि पानी जल्दी बाहर आए।

तब सास ने डांटते हुए मुझे: ये क्या बोल रहे है आप? मैं आपसे कितनी भी खुल कर बात कर लूं, लेकिन हमारा रिश्ता एक मां-बेटे के समान है‌। और यह सब पाप है।

तब मैंने उनसे कहा: जब मुझसे यह सब बातें कर रही थी, तब क्या वह पाप नहीं था?

तब उन्होंने कहा: वह पाप नहीं हो सकता, क्योंकि मैं किसी का घर बचा रही थी।

तब मैंने उनसे कहा: अगर आपको लगता है कि आपकी बेटी का घर बच सकता है, तो मुझे सिर्फ देखने दीजिए आपके बॉल कैसे है।

तब उन्होंने कहा: यह गलत है और यह हो नहीं सकता। आप बाथरुम में जा कर हिला लीजिए।

तब मैंने उनसे कहा: ठीक है मैं अपने कपड़े अपने सूटकेस में डाल देता हूं, और निकल जाता हूं यहां से, और कहीं जा कर होटल में रह लेता हूं। और आज वहीं किसी औरत का जुगाड़ करके उसके साथ रात गुजार लूंगा।
 

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सासू मां की चुदाई-2




जब मैंने होटल जाने की बात की, तब मेरी सास थोड़ी डर गई, और उन्होंने कहा-

सास: ठीक है, मैं अपना पल्लू हटा लेती हूं। लेकिन आप सिर्फ उसे देखेंगे, और कुछ नहीं करेंगे। क्योंकि पाप है यह।

तब मैंने कहा: ठीक है, जल्दी से पल्लू हटा लीजिए। मेरा सामान बहुत गर्म हो गया है।

मेरी सास ने पल्लू हटाया, और मुझे देखने लगी।

तब मैंने उनसे कहा: ब्लाउज तो खोल दीजिए।

तब उन्होंने कहा: नहीं-नहीं, यह हो नहीं सकता।

मैंने कहा: या तो ऊपर के तीन बटन खोल दीजिए, या तो मैं चला।

तब मेरी सास ने चार गालियां देते हुए, मुझे गुस्से से देखते हुए एक-एक करके अपने ब्लाउज के ऊपर के तीन बटन खोल दिए।

झट से मैंने अपनी शॉर्ट्स उतार दी। तब मेरी सास ने दूसरी तरफ अपना मुंह कर दिया। शर्ट उतारने के बाद मैंने उनकी गोद में अपना सर रख दिया, और उनके बूब्स को देखते हुए अपना लंड सहलाने लगा। पता नहीं आज मेरे लंड में बहुत खुजली हो रही थी।

मैं अपने एक हाथ से अपना लंड सहला रहा था, और दूसरा हाथ मेरी सास के बूब्स की तरफ बढ़ गया, और उन्हें मैंने दबा दिया।

मेरी सास अचानक से बोली: यह क्या कर रहे हो? बात तो हमारी देखने की हुई है। यह गलत है।

तब मैंने उनसे कहा: थोड़ा सा सहलाने दीजिए, दबाने दीजिए, तब पानी जल्द से जल्द निकल जाएगा।

तब उन्होंने कहा: ठीक है ठीक है, लेकिन जल्दी करो।

फिर मैंने उनसे कहा: अब तीन बटन खोल दिए हैं,

तो चौथा भी खोल दो, और इन पंछियों को आजाद कर दो।

तब उन्होंने कहा: प्लीज ऐसा मत कीजिए।

फिर मैंने अपने हाथों से ही उनका चौथा बटन खोल दिया चौथे बटन के खुलते ही दोनों बूब्स तेजी से नीचे गिर गए, और लटकने लगे। मेरी सास ने उसे वक्त चार गालियां देदी मुझे, लेकिन वह मजबूर थी। मैं उनके दोनों बूब्स को दबा रहा था, और निप्पल के आस-पास अपनी उंगलियां फेर रहा था।

तब मुझे पता चला मेरी सास आंखे बंद करके सिसकियां ले रही थी। मैंने सोचा शायद मेरी सास भी गरम होना शुरू हो गई थी। तब मैंने अपने मुंह को उनके निप्पल से जोड़ दिया, और चूसने लगा। एक हाथ से उनका एक बूब दबा रहा था। दूसरे बूब का निप्पल चूस रहा था।‌ मेरी सास ने आहे लेते हुए कहा-

सास: जल्दी पानी निकाल दो, मुझे सोने जाना है।

तब मैंने उनसे कहा: रुकिये ना, अभी तो मजा आना शुरू हुआ है।

तब मैंने अपनी सास से कहा: आप कब तक ऐसे बैठी रहेंगी। आप एक कम कीजिए,‌ आप यहां लेट जाइए। मैं आपके निप्पल को चूसते हुए अपना पानी निकाल दूंगा।

उन्होंने वैसा ही किया। मैंने उनके निप्पल चूसते-चूसते उनके पैरों पर हाथ रख दिया, और धीरे-धीरे उनकी साड़ी ऊपर करने लगा। वह आहें ले रही थी, लेकिन उनकी साड़ी जांघों तक आ गई। तब जाकर उन्हें पता चला।

उन्होंने कहा: यह क्या कर रहे हो? यह सब मत करो।

मैंने कहा: मैं कुछ नहीं करूंगा, बस हाथ ही फिरा रहा हूं ताकि पानी जल्द से जल्द निकल जाए।

तब उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा, और चुप-चाप पड़ी रही। मैंने धीरे-धीरे उनकी साड़ी जांघों के ऊपर कर ली। अब मेरा हाथ उनके दोनों जांघों के बीच में यहां से वहां चल रहा था, और अचानक मुझे जांघों के पास कुछ चिपचिपा सा पानी महसूस हुआ। मैं समझ गया मेरी सास की चूत से पानी रिसना शुरू हो गया था। मैं समझ गया लोहा गरम था, तो हथोड़ा मारना ही होगा। तब मैंने मेरी सास से कहा-

मैं: सासू मां,‌ मेरा पानी तो निकल नहीं रहा है। एक कम कीजिए, मुझे आपकी चूत के दर्शन करवाइए। कम से कम वह देखने के बाद मेरा पानी निकल जाएगा।

मेरी सास ने डरते हुए मुझे यह कहा: नहीं-नहीं यह तो बहुत बड़ा पाप है। यह नहीं हो सकता, नहीं हो सकता।

तब मैंने कहा: सासू मां मुझे सिर्फ आपकी चूत के दर्शन करने हैं। उसे चोदना नहीं है। अब इतना कुछ हो चुका है कि अब चूत के दर्शन भी हो जाएंगे तो कुछ गलत नहीं है। सिर्फ देखना है मुझे।

तो उन्होंने कहा: ठीक है ठीक है देख लो। लेकिन तुम्हें मेरी बेटी की कसम है तुम उसके आगे कुछ नहीं करोगे।

मैंने कहा: ठीक है।

तब मैंने उनसे कहा: थोड़ी सी कमर उठा लीजिए,‌ ताकि आपकी साड़ी को ऊपर कर सकूं।

तब उन्होंने अपनी कमर उठा ली। मैं झट से उनकी साड़ी उनके पेट तक ले गया। वैसे एक बात बता दूं, गांव की बूढ़ी औरतें पैंटी नहीं पहनती है, और इन्होंने भी नहीं पहनी थी। उनकी चूत मुझे नजर नहीं आ रही थी, क्योंकि पूरी चूत झांटो से भरी पड़ी थी। मैंने अपनी सास से कहा-

मैं: क्या आप अपनी झांट कभी निकालती नहीं?

तब उन्होंने कहा: किसके लिए निकालूं? तुम्हारे ससुर जी थे तब तक ठीक था। लेकिन उनके जीते जी ही वह मेरे पास नहीं आते थे। उनका एक्सीडेंट होने के बाद उनमें कभी सेक्स के प्रति इंटरेस्ट नहीं रहा। मुझे भी सेक्स की जरूरत नहीं है। मैं अपने भगवान का नाम लेकर अपनी जिंदगी निकाल सकती हूं।

तब मैंने कहा: सासू मां आपकी चूत तो दिखाई नहीं दे रही है। अब क्या करूं?

तब उन्होंने कहा: अब जो भी है, जैसी भी है, यही है।

तब मैंने उनसे कहा: मुझे थोड़ा नजदीक आकर देखना पड़ेगा।

तब उन्होंने कहा: नहीं दूर से ही देखो।

मैंने कहा: नहीं दिख रही, प्लीज एक बार नजदीक आकर मुझे देखने दो।

तब उन्होंने कहा: ठीक है ठीक है।

फिर मैं उनकी दोनों जांघों की बीच आकर उनकी चूत के दर्शन करने लगा। जैसे ही मैं उनकी चूत के करीब गया, मुझे एक भीनी-भीनी से खुशबू आने लगी, जिससे मैं और भी पागल हो गया।

मैं अपने उंगलियों से उनकी झांटो के बीच में जाकर उनकी चूत को टटोलने लगा। वह मादक खुशबू मेरे सर पर चढ़ कर बातें करने लगी। ना जाने कब मेरी जुबान बाहर आई और उनकी चूत की फांकों के बीच चल गई।
 

junglecouple1984

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सासू मां की चुदाई-3





जैसे ही मेरी जुबान उनकी चूत से टच हो गई, मेरी सास बोली: यह क्या कर रहे हो? यह गलत है। यह पाप है। और वह गंदी जगह है। ऐसा नहीं करते, छोड़ दो मुझे। बस हुआ, बहुत हुआ।

मैं उनकी बातों को अनसुना करते हुए अपनी जुबान को और गहराई तक ले जाकर चाटने लगा। मेरी सास ने मेरा सर पकड़ कर दूसरी और ले जाने की कोशिश की, लेकिन मैं कहां मानने वाला था। मैं चपर-चपर करते हुए पागलों की तरह उनके चूत को चाट रहा था। मेरी जुबान उनकी चूत की दरारों के बीच में गहराईयां तक चल रही थी, और मुझे उनके पानी का स्वाद आने लग गया था।

उन्होंने कहा: बस हुआ, बहुत हुआ, अब जाने दो, मैं तुम्हारी बीवी की मां हूं। और यह सब करना गलत है, पाप है। मैं बस आपकी तकलीफ के लिए थोड़ा-थोड़ा साथ दे रही थी। लेकिन यह कुछ ज्यादा ही हो रहा है।

लेकिन मैं कहां सुनने वाला था। मैंने अपने लंड को सहलाना शुरू कर दिया, और ऊपर अपनी जुबान से अपनी सास की चूत की चुदाई कर रहा था। अब वह जो भी कह रही थी, आहें भरते हुए, हांफते हुए कह रही थी, कि छोड़ दो बस हुआ। तब यह सब कर कहते हुए उन्होंने अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पे दबा दिया।

मैं समझ गया इनका पानी निकलने वाला था, और मैंने अपनी जुबान की रफ्तार और बढ़ा दी। वह पागलों की तरह मेरा सर अपनी चूत के ऊपर दबा रही थी, और नीचे से अपनी कमर उछाल-उछाल कर मेरे मुंह में दे रही थी।

मेरा भी लंड तन कर रॉड बन गया था। मैंने सोचा यही मौका था। मैंने अपना सर उनकी चूत पर से हटाया, और अपने शरीर को उनके शरीर के ऊपर ले जाकर अपने लंड को उनके चूत से सटाते हुए, अपनी कमर को पूरे ताकत से साथ नीचे ले जाकर, अपने लंड को उनकी चूत की गहराइयों में घुसा दिया। उनके मुंह से तो चीख ही निकल गई। उन्होंने मुझे गालियां देते हुए कस के पड़ा हुआ था।

वो मुझसे कह रही थी: यह तो पाप हो गया है। अब मैं अपनी बेटी को अपना मुंह कैसे दिखाऊंगी?

तब मैंने उनसे कहा: क्या जरूरत है मुंह दिखाने की? चूत ही दिखा देना, और बता देना की तू चुदवाती नहीं है, इसलिए दामाद जी ने पेल दिया।

उन्होंने कहा: मुझे छोड़ दो, यह सब पाप है। यह गलत है।

मैंने उनसे कहा: अब तो लंड आपकी चूत के मजे ले रहा है, और आगे भी लेगा। तो चुप-चाप आप भी मजे लीजिए, और मुझे भी मजे लेने दीजिए।

उनकी चूत में से इतना रस बाहर आ रहा था कि मेरा लंड सटा-सट अंदर-बाहर हो रहा था, और दोनों जांघों के टकराव से जो आवाज़ आ रही थी, वह माहौल को और रंगीन बना रही थी‌। मैं उन्हें धक्के मारते हुए उनसे यह कहा-

मैं: देखिए सासू जी, अब जो होना था हो गया। आप भी मजे लीजिए, और मुझे भी मजे देने दीजिए, और यकीन कीजिए यह बात हम दोनों के बीच रहेगी।

तब मेरी सास ने मुझसे कहा: दामाद जी आप सच में बहुत मजे देते हैं। लेकिन थोड़ा ताकत कम लगाइए, मेरी चूत को लंड लिए कम से कम 18 साल हो गए। एक बार इसे आपके लंड की आदत हो जाएगी, तब और मजा आएगा तो थोड़ा प्यार से मुझे चोदिए है।

तब मैंने उनसे कहा: सासू मां, लेकिन एक काम करना, झांटो को हटा दीजिए। तांंकि आपके चूत का रस मैं और अच्छे से पी सकू।

तो उन्होंने कहा: ठीक है मेरे प्यारे दामाद। आप जैसा कहें मैं वैसा ही करूंगी।

अब चुदाई का नशा हम दोनों के सिर चढ़ कर बोल रहा था। वह मुझे अपने और अपनी चूत में समाने के लिए मुझे खींच रही थी, मुझे दबा रही थी।

तब मेरी सास ने मुझसे कहा: दामाद जी, मेरा पानी आने वाला है, और बहुत ज्यादा आने वाला है।

तब मैंने उनसे कहा: सासू मां, मेरा भी पानी आने वाला है, कहां निकालूं?

तब उन्होंने मुझसे कहा: मेरी चूत के अंदर ही निकाल देना, मेरी माहवारी बंद है। जिसके कारण खतरा भी नहीं होगा।

यह सुनते ही मैंने अपने होठों को उनके होठों पर रखते हुए चूसना चालू किया। कभी उनकी जुबान मेरे मुंह के अंदर तो कब कभी मेरी जुबान उनके मुंह के अंदर। इस तरीके से चूमते हुए मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। दोनों पसीने से पूरी तरीके से भीग गए थे, और जांघों की टकराने की आवाज़ पूरे रूम में पहुंच रही थी। उनकी दोनों टांगे मेरी कमर के आस-पास हवा में आ गई। उनका पेट थोड़ा मोटा होने के कारण मेरा शरीर एडजस्ट करते हुए लंड को चूत के अंदर और मुंह को मुंह के अंदर रखते हुए जोरदार धक्के दे रहा था

मैंने उनकी आंखों में आंखें डालते हुए उन्हें देखा। उनकी आंखों में चुदाई के मजे दिख रहे थे। हम बात तो कर नहीं सकते थे, क्योंकि हम एक-दूसरे के मुंह में मुंह डाल कर पूरी‌ रफ्तार के साथ चुदाई चालू रखे थे। उन्होंने अपनी आंखों से इशारा किया, कि उनका पानी निकल रहा था,‌ और मैं भी अपना पानी निकाल दूं।

तब मैंने पूरी ताकत लगाते हुए, उनके दोनों बॉल को दबाते हुए, मुंह से उनकी थूक का रस पीते हुए, कमर को झटका देते हुए, उनकी चूत में अपने लंड का पानी निकाल दिया। पसीने की खुशबू, साथ में चूत और लंड से निकले हुए पानी का मदहोश करने वाला रस, और उसकी खुशबू से हम दोनों पागल हो गए थे।

ऐसा लगा कि सच में बहुत बड़ी जंग लड़के आए थे हम। सच कहो तो इतना मजा मुझे मेरी वाइफ के साथ भी नहीं आया था।

मेरी सास ने मुझे चूमते हुए कहा: बड़े हरामी हो, मेरी भी चूत की चटनी बना दी, और मेरी बेटी के भी मजे ले रहे हो।

मैंने उनसे कहा: अब तो ऐसा कुछ करुंगा कि तुम मां बेटी को एक ही बिस्तर पर एक ही समय पर पूरी तरह से नंगी करके तुम दोनों की चुदाई करूंगा।

इस बात पर मेरी सास हंसने लगी, और मुझसे कहा: इसके आगे तुम जब कभी यहां आओगे तो मैं कभी भी तुम्हे चूत की कमी होने नहीं दूंगी। बस शर्त यही रहेगी तुम्हें नई-नई चूत मिलती रहेगी, लेकिन मेरी चुदाई रुकनी नहीं चाहिए।
 

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सासू मां की चुदाई-4





दोस्तों इसके पहले पार्ट में मैंने आप सभी को बताया कि किस तरीके से मैंने अपनी सगी सास के साथ चुदाई की। मेरी और मेरी सास के बीच में किसी बात को लेकर झगड़ा हुआ था, लेकिन वह झगड़ा खत्म करने के लिए मेरी सांस ने मुझे अपने घर बुलाया था। और मैं अपनी कंपनी के काम से अपने ससुराल के इलाके में गया हुआ था। लेकिन किस्मत में जो होता है, वहीं मिलता है। तो मैं अब कहानी को आगे बढ़ता हूं।

उसे रात की गरमा-गरम चुदाई के बाद मैं थक के सो गया था। लेकिन सुबह मुझे कुछ हलचल महसूस हुई, और मुझे पता चला कि मेरी सास नहाने के लिए गई थी, और नहाने के बाद पूजा-पाठ करने बैठ गई थी। पूजा खत्म होने के बाद वह मेरे पास आई और मेरे सर पर हाथ फेरते हुए बड़े प्यार से कहा-

सासू मां: दामाद जी अब उठ जाइए आपको काम पर भी तो जाना होगा।

तब मैंने धीरे से उनके पास मुस्कुराते हुए देख कर उनका एक बॉल दबाते हुए कहां: आज मैं घर को छोड़ कर कहीं नहीं जाऊंगा। आज पूरा दिन और पूरी रात आपके साथ रहूंगा।

तो मेरी सास ने मुस्कुराते हुए कहा: मैं कहां जाने वाली हूं? मैं तो अब तुम्हारी हो गई हूं। चलो ठीक है आज काम पर मत जाइए, लेकिन पहले जाकर नहा के आ जाइए। मैं नाश्ता तैयार करती हूं।

और वह यह कह कर किचन की ओर चली गई। मैं भी रात की बातें सोच कर उठ गया, और बाथरूम की तरफ अपने कदम बढ़ा ही रहा था, तभी मुझे ख्याल आया अरे मैंने तो कोई भी कपड़ा पहना नहीं है, मैं पूरी तरीके से नंगा हूं।

अगर इस हालत में मुझे मेरी सासू मां देख ले तो क्या सोचेंगी।

फिर मैंने सोचा कि जिसको मैंने कल रात टांगे उठा-उठा कर उसकी चूत का बाजा बजा दिया, उसके सामने नंगे जाने में कौन सी शर्म? तो मैं बिंदास होकर उनके सामने से गुजर रहा था। तब वो मुझे इस हाल में देख कर पहले तो डर गई। फिर वो शर्मा गई और अपना मुंह फेर दिया।

तब मैंने अपनी सास से कहा: मैं नहाने जा रहा हूं, मेरी इच्छा है कि आप मुझे नहला दें।

तो यह बात सुन‌ कर उन्होंने मेरे पास आकर कहा: ठीक है, चलो बाथरूम में।

हम दोनों बाथरूम के अंदर चले गए। मैं पूरी तरीके से नंगा और मेरी सासू मां साड़ी में थी। फिर उन्होंने मुझे नहलाना शुरू कर दिया। वो मेरा अंग-अंग रगड़ कर मुझे नहला रही थी, और मैं उनके बॉल दबाते हुए मजे ले रहा था। फिर उन्होंने अपने हाथों में अच्छे से साबुन मला, और मेरे लंड को रगड़ने लगी। मुझे तो बहुत मजा आ रहा था।

मैंने अपने सास से कहा: चलो बैड पर जाते हैं।

तब उन्होंने मुझसे कहा: कल रात को ही मुझे रगड़ा था, और अभी फिर से रगड़ना है क्या?

तब मैंने कहा: वह रात की बात थी, अब सुबह हो गई है। चलो एक और राउंड मार लेते हैं।

वह मुस्कुराते हुए बोली: अब पता चला कि मेरी बेटी मेरे दामाद से दूर क्यूं भागती है।

तब उन्होंने मुझ पर अच्छे से पानी डाल कर मुझे तौलिये से पोंछते हुए कहा: आप चलिए मैं आती हूं।

मैंने कहा: ज़रा जल्दी आईये, मेरे लंड से अब सब्र नहीं हो रहा।

यह कह कर मैं बेड की और चला गया। अब 2 मिनट बाद मेरी सास मेरे पास आकर बोली: कहिए दामाद जी, क्या सेवा करूं?

तब बेड पर मैं नंगा ही अपने पैर लटका कर बैठा हुआ था। तब अपनी सास को अपने करीब खींचते हुए उनकी आंखों में देख रहा था। वह शर्मा रही थी, लेकिन बेशर्मी उनके अंग-अंग से झलक रही थी। मैंने उन्हें अपने पास लेते हुए उनके ब्लाउज का एक-एक हूक खोल दिया। जैसे ही आखरी हूक खुला, उनके दोनों पपीते नीचे लटक गए। सही मायनो में कहां जाए तो वह पपीते नहीं तरबूज थे। मैंने उनके दोनों तरबूजों को अपने हाथ में मसलते हुए उनसे कहा-

मैं: आपकी बेटी के तो मौसम्मी जैसे है। लेकिन आपने तो तरबूज लटका रखे है अपनी छाती पर।

यह कहते हुए मैं उनके दोनों तरबूजों को बहुत अच्छे से देख रहा था। उनके निप्पलों के आजू-बाजू का जो गोल घेरा होता है, वह पूरा काला था और निप्पल उनसे भी ज्यादा काले थे। रात को चुदाई के नशे में और उस समय कम रोशनी होने के कारण मैं ठीक से देख नहीं पाया था, तो वह काम अभी कर रहा था।

मैंने उनके एक तरबूज को मसलते हुए उसको अपने मुंह में भर लिया और उसे चूसने लगा। जैसे ही मैंने चूसना शुरू किया मेरी सासु मां ने धीरे-धीरे सिसकियां लेना शुरू कर दिया। मैं कभी उनका दाया तरबूज चूस रहा था, तो कभी बाया तरबूज चूस रहा था। कम से कम 5 मिनट चूसने के बाद मैंने देखा कि उनके निप्पल काफी तन गए थे, और पूरी तरीके से गीले हो चुके थे।

तब मैंने अपनी सासू मां की साड़ी उतार कर बेड पर लिटा दिया, और उनके सिर के बाल खोल कर उनके मुंह में अपनी जुबान डाल कर किस करना शुरू कर दिया। वह भी उसी तरीके से मुझे किस करने की कोशिश कर रही थी। क्योंकि जिंदगी में कभी उन्होंने इस तरीके से कभी किस नहीं किया था।

उन्होंने मुझसे कहा कि मेरे स्वर्गवासी ससुर जी जब भी सासू मां की चुदाई करने आते थे, तब सिर्फ साड़ी उठा कर अपना लंड उनकी चूत में डाल कर 10-15 धक्के मार कर अपना पानी चूत में छोड़ कर चले जाते थे। लेकिन कल रात उन्हें मालूम पड़ा कि असली मर्द और असली चुदाई क्या होती है।

अब हालात कुछ ऐसे थे कि मैं पूरी तरीके से नंगा था। मेरी सासू मां का ब्लाउज खुला और साड़ी गायब थी, और वह सिर्फ पेटीकोट में थी। मैं उनकी जांघों पर अपना हाथ चलाते हुए किस करे जा रहा था, और उनके तरबूज़ दबा रहा था। तब मैंने उनके पेटिकोट का नाड़ा खोलने की कोशिश की।

तब उन्होंने मुझे मना करते हुए कहा: प्लीज इसे मत निकालो, मुझे शर्म आती है।

तब मैंने उनसे कहा: कल रात को अपनी चूत में मेरा लंड ले रही थी तब शर्म नहीं आ रही थी तुझे?

तब उन्होंने कहा: वह तो अचानक हो गया था और उस वक्त रोशनी भी कम थी। लेकिन अब सुबह है और रोशनी भी अच्छी है। इसलिए मुझे शर्म आ रही है।

तब मैंने उनसे कहा: आज तुझे मैं पूरी नंगी करके ही चोदूंगा, चाहे कुछ भी हो।
 

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सासू मां की चुदाई-5




तभी मेरी सासू मां ने झिझकते हुए अपने हाथों से अपने पेटीकोट का नाड़ा निकाल कर पेटिकोट को कमर से निकाल कर मेरे चेहरे पर ढक दिया, और कहां-

सासू मां: अब क्या निकालने को बाकी है?

तब मैंने उन्हें हंसते हुए जवाब दिया: अब आएगा चुदाई का असली मजा।

जैसे मैंने कहा कि रात को ठीक से मैं उन्हें देख नहीं पाया था, तो अभी देख रहा था। मैंने उन्हें बिस्तर पर ही खड़ा कर दिया, और मैं घुटनों के बल आकर उन्हें और उनके शरीर को निहार रहा था। 5 फुट हाइट, मोटा शरीर, जिसमें उनके पेट की तोंद बाहर निकली हुई थी, दोनों जांघें काफी मोटी थी। उनकी जांघों के बीच में और पेट के तोंद की वजह से उनकी चूत छिप गई थी।

मैंने उनसे कहा: अब थोड़ा सा घूम जाइए।

वह जब घूमी तब उनके दो बड़े-बड़े चूतड़ों के दर्शन मुझे मिले, जो सही में काफी बड़े-बड़े थे। मैंने उनकी गांड को मसलते हुए उनकी गांड पर अपनी जुबान फेर रहा था।

तब मेरी सासू मां बोली: यह क्या कर रहे हैं? यह भी कोई चाटने वाली चीज है?

तब मैंने उनसे कहा: मुझे क्या चाटना है, क्या चटवाना है, इसका फैसला मैं करता हूं।

यह कह कर मैं उनको घुमा कर उनकी चूत की साइड को अपने मुंह के सामने ले आया। उनकी चूत के दर्शन बड़े मुश्किल से हो रहे थे।

तब मैंने उनसे कहा: मेरी जान, तुम अपनी एक टांग इस खटिया के कोने में ऊपर करके खड़ी हो जाओ, तांकि दोनों टांगों के बीच गैप आ जाएगा तो मुझे आपकी चूत दिखाई देगी।

मेरी बात सुन के मेरी सासू मां ने वैसा ही किया। अब मुझे सीधा उनकी चूत के दर्शन होने लगे‌।

तब मैंने उनसे कहा: रात को तो मैंने कहा था ना कि अपने झांट के बाल निकाल लेना, तो निकाले क्यों नहीं?

सासू मां बोली: बेटा वक्त ही मिला नहीं। और दूसरी बात यह है कि मेरे पास शेविंग किट नहीं है। मुझे क्या पता था कि मेरा दामाद रात को आएगा, मेरी दोनों टांगें उठाएगा, और मेरी चूत में लंड डाल कर मुझे जन्नत की सैर करवाएगा‌। लेकिन इस राउंड के बाद आप मेरे लिए शेविंग किट ले आना। तब मैं अपने और आपके दोनों की झांट के बाल साफ़ कर दूंगी।

मैंने कहा: ठीक है, जैसा आप कहे।

और यह बोल कर मैं अपनी जुबान को झांटो के बीच में से उनकी चूत की फाकों पर फेरने लग गया। उनकी चूत को दोनों उंगलियों से फैला कर जुबान को और अंदर तक ले जाकर चाट रहा था। कभी उनकी चूत के दानों को चाटता तो कभी उनकी चूत पर ऊपर से लेकर नीचे तक अपनी जुबान घुमा लेता।

मेरी सासू मां जोर-जोर से सिसकियां लेने लग गई, और अपने दोनों हाथों से मेरे सर को अपनी चूत के अंदर दबाने लगी, और मुझसे कहने लगी-

सासू मां: बेटा बस कर, मेरी जान ही निकाल देगा तू। इस बुढ़िया पर थोड़ा सा रहम खाले। कहीं मेरी जान ना निकल जाए।

यह कहते हुए आहे भर रही थी। तब उन्होंने मुझसे कहा: बेटा पैरों में काफी दर्द हो रहा है, मैं लेट जाती हूं।

तब मैंने उनसे कहा: कल रात को जैसे चुदाई की थी, अब वैसे नहीं करते है। नए तरीके से चुदाई करेंगे‌।

तब मेरी सासू मां ने कहा: नया तरीका, कौन सा नया तरीका?

मैंने कहा: तुझे घोड़ी बनना है।

तब उन्होंने डरते हुए कहा: ना बाबा ना, मुझे अपनी गांड नहीं मरवानी है। उसमें काफी दर्द होता है।

तब मैंने उनसे कहा: देखो मुझे आपकी गांड मारनी तो है। लेकिन वह फिर कभी। आज तो सिर्फ घोड़ी बना कर तेरी चूत के मजे लेने है।

जब मैंने उन्हें पूरे तरीके से यकीन दिलाया कि मैं उनकी गांड नहीं मारूंगा, सिर्फ घोड़ी बना कर उनकी चूत चोदूंगा, तब जा कर वह मानी।‌ तब मैंने बेड के किनारे पर मेरी सासू मां को घोड़ी बनने को कहा, और मैं खुद नीचे उतर कर उनके पीछे आ गया। वाह क्या सीन था। उनकी बड़ी गांड मेरे लवड़े के सामने थी, और वो गांड का काला छेद काफी टाइट मालूम हो रहा था।

मैं उनकी गांड के काले छेद पर अपने अंगूठे से सहलाते हुए उनकी गांड के मजे ले रहा था। तभी मुझे उनकी बड़ी गांड के बीच में उनकी चूत झांट के बीच में से उभर कर बाहर नजर आ रही थी, और इससे भी उनकी चूत का जो दाना था, वह चमड़े के साथ थोड़ा बाहर लटकते हुए मुझे नज़र आया। उस पर पानी के बूंद टपक रही थी। यह देखते हुए मैं और भी पागल हो गया।

मैंने अपने सासू मां से कहा: अपने दोनों घुटने थोड़े से और फैला दो। मुझे आपकी चूत और एक बार चाटने का दिल कर रहा है।

तभी मेरी सास ने कहा: अब बस भी करो, मत तड़पाओ, और अपना लंड मेरी चूत में डाल दो और मुझे तगड़े झटके मारो। प्लीज और मत तरसाओ मेरी जान।

तब मैंने उनसे कहा: तुझे चोद भी दूंगा, लेकिन अभी तेरा रस पीना है मुझे।

यह कह कर उसे घोड़ी स्टाइल में ही रखते हुए मैं उनके घुटनों के बीच में आकर, अपने सर को उनकी चूत पर ले जाकर, पहले तो उनके चमड़े सी लटकी हुई चूत के दाने को अपने दोनों होंठो के बीच में रख कर चाटने लगा। उनकी चूत घोड़ी बनने की वजह से काफी फैल गई थी, और इसी वजह से मेरी जुबान उनकी चूत के बहुत अंदर तक जा रही थी।

अब तो सासू मां ने भी मजे लेना शुरू कर दिया। पहले धीरे-धीरे वह अपनी चूत को मेरे मुंह पर रगड़ने लगी, और उसके बाद वह मेरे मुंह पर अपनी चूत को रख कर मेरे मुंह को चोदने लगी। उनका पानी निकलना शुरू हो रहा था। वह हांफ रही थी, लेकिन रुकने का नाम नहीं ले रहीं थी। धीरे-धीरे मेरे मुंह पर उनकी चूत की रफ्तार बढ़ने लगी।

हांफते हुए उन्होंने मुझसे कहां: बेटा अपनी जुबान को रोकना नहीं, तुझे मेरी कसम। जिंदगी में पहली बार ऐसा सुख मिला है। तेरे ससुर ने तो मुझे चोदना क्या होता है कभी नहीं बताया।

अचानक से मेरी सासू मां जोर-जोर से हांफते हुए और उतने ही जोर से मेरे मुंह पर अपनी चूत रगड़ते हुए बोली-

सासू मां: मेरी जान, और जुबान डालो अंदर तक। मेरी चूत को खा जाओ। लेकिन छोड़ो मत अब मुझे।

मैं अपने दोनों हाथों से उसके बॉल दबा रहा था, और थोड़ा सा मुंह बाजू में करके कहा-

मैं: सासू मां आपके लिए तो जान हाजिर है, यह जुबान क्या चीज है!

यह सुनते ही वह काफी जोश में आ गई और अपनी चूत को और जोर से रगड़ के दबाने लग गई।‌ फिर एक पल ऐसा आया कि उनकी चूत से पानी का फवारा निकल गया, जो मेरे मुंह में जाकर पूरे चेहरे पर भी फैल गया। मेरी सासू मां यह भूल गई कि उनकी चूत मेरे मुंह के ऊपर थी, और पानी निकलते ही उन्होंने पूरी ताकत से अपनी चूत को मेरे मुंह में ठूंस दिया। शायद वह चाहती थी कि उनके पानी का कतरा-कतरा मैं पी जाऊं। लेकिन उनकी चूत मेरे मुंह पे दबाने की वजह से मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी।

वह अपनी चूत को ऊपर से नीचे तक मेरे मुंह पर ऐसे रगड़ रही थी, कि जैसे वह चाहती थी कि मैं उनका पूरा पानी चाट जाऊं। उसके बाद वह 15-20 सेकंड तक चुप-चाप अपनी चूत को मेरे मुंह पर रख कर हाफ रही थी। मैं नीचे से बाहर आया और उनको पलट कर देखने लगा। उनका चेहरा पूरी तरीके से लाल दिख रहा था।

आंखों में एक अजब नशा दिख रहा था। उनकी झांटो पर हर जगह चिपचिपा सा पानी दिख रहा था, और उनकी चूत का दाना अपने चमड़े के साथ बाहर नजर आ रहा था। यह सब देख कर मुझसे रहा नहीं गया।

मैंने उनसे कहा: सासू मां जल्दी से अपनी टांगे खोल लीजिए। मुझे सच में आपकी चुदाई करनी है।

तब मेरी सासू मां ने कहा: बेटा मैं थक गई, थोड़ी देर बाद आ जाना।

लेकिन मैंने उनसे कहा: ऐसा तो होगा नहीं।

और यह कह कर मैंने अपने खड़े लंड को घुटनों के बल बैठ कर उनकी चूत से सटा दिया, और उनकी दोनों टांगों को दोनों हाथों से पकड़ कर फैलाते हुए अपने लंड को उनके चूत की गहराइयों अंदर डाल दिया।
 

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सासू मां की चुदाई-6




उन्होंने इतना पानी छोड़ा था, कि मेरा लंड एक ही झटके में पूरा का पूरा अंदर चला गया। मैंने आगे पीछे होते हुए उनकी दोनों टांगों को अपने हाथ से पकड़ कर चोदना शुरू कर दिया।

तब मेरी सासू मां मुझसे बोली: बहुत जलन हो रही है चूत में थोड़ा आराम से ही करना।

और ऐसा कह कर मुझे एक आंख मार दी। उनकी यह हरकत ने मुझे और भड़का दिया। मैंने अपना पूरा लंड बाहर निकाल दिया, और एक ही झटके में पूरी ताकत के साथ मैंने अपना पूरा लंड सासू मां की चूत में दे दिया। उनके मुंह से तो चीख निकल गई, लेकिन मुझे कहां दया आने वाली थी।

मैंने गाली देते हुए उनसे कहा: तेरी मां का भोसड़ा, आंख मारेगी मुझे! मैं तुझे और तेरी बेटी को एक ही बिस्तर पर एक दिन पूरी तरह से नंगी करके चोदूंगा, यह वादा है मेरा। तब मूझसे मत कहना कि ऐसा क्यों किया, एक ही बिस्तर पर एक ही लंड के साथ हम मां बेटी को चोद दिया।

मेरी सासू मां हंसते हुए मुझे यह कहने लगी: बड़ी-बड़ी ख्वाहिश रखता है तू, लेकिन जरूर एक दिन ऐसा आएगा, और मुझे उसे वक्त बहुत शर्म आएगी कि अपनी बेटी के सामने नंगी होकर अपने दामाद का लंड अपनी चूत में ले रही हूंगी।

तब मैंने उनसे कहा: यह तो कुछ भी नहीं है। मैं तो तुम दोनों को 69 पोज में लाकर एक-दूसरे की चूत चटवाऊंगा।

तब मेरी सासू मां ने मुझसे कहा: दामाद जी कब तक अपने घुटनों के बल खड़े होकर मेरी चूत चोदोगे। आ जाओ मेरे ऊपर।

तब मैंने उनसे कहा: पहले अपना पेट भी तो देख लो कितना बाहर आया हुआ है। अगर मैं आप पर सो कर चोदने की कोशिश करूंगा, या तो मेरा मुंह तेरे मुंह में होगा। लेकिन तब मेरा लंड तेरी चूत के बाहर होगा। फिर मैं ना तो तेरे होंठ के मजे ले सकूंगा, ना तेरी चूत के। मैं सिर्फ एक टाइम एक ही चीज का मजा ले सकता हूं।

तब मेरी सासू मां ने मुझे कहा: बेटा तुम्हें मेरी चूत मेरे बॉल और मेरे होठों के एक साथ मजे दिलाऊंगी। बस एक काम करो, वह मोटा वाला तकिया मेरी गांड के नीचे लगा दो, और फिर चढ़ जाओ मुझ पर। आज दामाद जी आपको असली औरत का जलवा दिखाती हूं।

उनके यह कहने के बाद मैंने वह मोटा वाला तकिया उनके गांड के नीचे लगा दिया, और उन्होंने तभी अपनी दोनों टांगें खोल कर अपनी चूत के दरवाजे मेरे लंड के लिए खोल दिए। सच में तकिया वाला आइडिया काम में आ गया। उनका पेट और चूत थोड़े से लेवल में हो गए। मेरी सासू मां ने मेरे लौड़े को पकड़ कर अपनी चूत के दाने पर रगड़ना शुरू किया, और मुझे अपने ऊपर खींच कर कहा-

सासू मां: चोद अपनी सासू मां को।

मैंने उनसे कहा: अभी जो आपने हरकत की है, वो देख कर आप पर जबरदस्ती करने का दिल करता है।

तो उन्होंने कहा: जो करना है करो, लेकिन अब रुकना नहीं।

फिर मैंने उनके दोनों हाथों को उनके सिर के पास अपने दोनों हाथों से दबा दिया, और पूरी ताकत के साथ अपने लोड़े को उनकी चूत में धकेल दिया। उनके मुंह से चीख निकल गई। मैं तुरंत अपने होठों को उनके होठों पर रख कर चूमने लगा, और जितना हो सके उतना तेज़ झटके मारने लगा। उनके मुंह से उम उम उम करके आवाज़ें आ रही थी। आंखों से आंसू बहने शुरू हो गये थे।

हम दोनों की जांघों के टकराव से जो थप थप थप की आवाज़ें उठ रही थी, वह मुझमें और जोश भर रही थी। मेरी सासू मां आंखों के इशारे से कहा उनके हाथ छोड़ने के लिए। मैं उनके हाथ छोड़ कर उनके बॉल दबाने की कोशिश करने लगा, लेकिन उस पोजीशन में वह संभव नहीं था। उसके बॉल मेरे छाती से रगड़ रहे थे। हम एक-दूसरे के मुंह में एक-दूसरे का थूक चाट रहे थे।

पसीना बहाना शुरू हो गया था, और थप थप और उम उम की आवाज़ों ने माहौल को और रंगीन बना दिया। मेरी सासू मां ने अपने होठों को मेरे होठों से अलग करते हुए, अपनी दोनों टांगों को मेरी कमर पे लपेट कर, दोनों हाथों से मुझे अपनी छाती से दबाते हुए, और हांफते हुए बड़े नशीले अंदाज में कहा-

सासू मां: मादरचोद,‌ अपनी सासू मां को चोदते हुए तुझे शर्म नहीं आती? तू जिस तरह से मुझे चोद रहा है, जैसे मैं तेरी गुलाम हूं।

तब मैंने उनसे कहा: तू अपने दामाद के मुंह पर अपनी चूत रगड़ते हुए अपनी चूत का पानी पिला रही थी, तब तुझे शर्म नहीं आई?

तब सासू मां ने कहा: जो भी करना है भड़वे जल्दी कर। मेरा पानी निकलने वाला है।

तब मैंने उससे कहा: छिनाल साली अपनी ही बेटी की सौतन बन कर तू जो मजे ले रही है, इस बात की शर्म आना चाहिए। लेकिन जो भी हो, एक ही घर की मां-बेटी की चूत मिल जाए, इससे बड़ा नसीब क्या होगा?

यह सुनते ही मेरी सासू मां नीचे से अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे लोड़े पर मार रही थी। इस हरकत की वजह से मेरा लौड़ा अब पानी छोड़ने के लिए उतावला हो गया।

मैंने अपनी सासू मां से कहा: मम्मी मेरा पानी निकलने वाला है, और मैं चाहता हूं कि यह पानी तेरे मुंह पर निकालूं।

सासू मां ने कहा: वह सब अगली बार देखेंगे, इस वक्त मेरा भी पानी आ रहा है, तो अपने लोड़े से जोर-जोर से झटके देकर मेरी चूत में अपना पानी छोड़ दे।

यह कह कर उन्होंने अपनी टांगों से मेरी कमर को जकड़ लिया, और दोनों हाथों से मुझे अपनी तरफ दबा कर जकड़ लिया। मेरा मुंह उनके कान के पास और उनका मेरे कान के पास आ गया। गरम-गरम भाप एक-दूसरे के मुंह से निकल रही थी। वह मेरे कान के पास उम उम करके अपने चूतड़ को मेरे लोड़े के ऊपर दबा रही थी, और मैं भी पागलों की तरह उनको जकड़ते हुए झटके मारते हुए आखरी पल तक पहुंच गया था।

मैं: सासू मां,‌ सासू मां, मेरा पानी निकल रहा है मुझे छोड़ना नहीं।

तब सासू मां ने कहा: मेरा भी पानी निकल रहा है, आजा भड़वे साथ में ही निकालते है।

और फिर वह पल आ गया जब मेरे लोड़े ने उसकी चूत में पानी छोड़ा, और उसकी चूत के पानी ने मेरे लोड़े को भी भिगो दिया।‌ फिर जो आखिरी के 10-12 झटके होते हैं ना पानी निकालने के बाद, वह तो मानो ऐसे लग रहे थे जैसे गरम मक्खन पर छुरी चलती है। उन आखिरी झटकों में मेरा लौडा दो बार मेरी सासू मां की चूत से बाहर आ गया था। क्योंकि मेरी सासू मां की चूत में हम दोनों का पानी जमा था।

लेकिन वह आखरी 10-12 झटकों के बीच में जब दो बार मेरा लौड़ा मेरी सासू मां की चूत से बाहर आया, तब उन्होंने ही मेरा लौड़ा पकड़ के दोनों बार अपनी चूत में अपने हाथ से डाल कर मुझे मजा दे रही थी। आखिर में हम दोनों थक कर उसी पोजीशन में लेटे रहे। जब होश आया तब मैंने अपनी सासू मां को देखा। वह पसीने में पूरी तरीके से भीगी हुई थी। बाल बिखरे हुए थे। होठों पर हल्की सी सूजन नज़र आ रही थी।

वह धीरे-धीरे हांफ रही थी, और हांफने की वजह से उसके दोनों तरबूज और बड़ा पेट ऊपर-नीचे हो रहे थे। लेकिन उन्होंने अपनी दोनों टांगों को घुटनों से मोड़ ऊपर कर रखा था। जब मैंने नीचे देखा तो उनकी झांटो पर जैसे किसी ने पानी का टैंकर छोड़ दिया था, और चूत से होते हुए झांट के सहारे हम दोनों का मिला हुआ पानी टप-टप करके बिस्तर पर गिर रहा था।

उसमें से आने वाली महक बहुत अच्छी लग रही थी। मैंने अपने दो उंगलियों से उनकी चूत को खोल कर देखा। वह ऊपर से काली, लेकिन अंदर से पूरी तरीके से गुलाबी थी, और जस्ट चुदाई होने के कारण थोड़ी सी फैल भी गई थी। तब मेरी सासू मां उठी और मुझे किस किया। फिर मेरा माथा चूमा और मेरी छाती पर अपना सर रख कर मेरे लोड़े को हाथ में लेकर सहलाते हुए मुझे कहा-

सासू मां: कल रात से लेकर अब तक दामाद जी आप मुझे जीते जी स्वर्ग की सैर करा लाए। मैं गुलाम हो गई आपकी। इसके बाद आप जैसा कहोगे वैसा करूंगी‌। आपको मेरी गांड चोदनी है, वह भी चुदवाऊंगी। बस कभी मुझे छोड़ कर मत जाना।

मैंने उनसे कहा: मेरी जान, जितना मजा तेरी बेटी नहीं दे सकती, उससे कहीं ज्यादा मजा तुमने मुझे दिया है।

फिर उसके बाद हम तीन-चार घंटे तक उसी हालत में सोए रहे। दोपहर को उठ कर बिना नहाए बिना धोए हम खाना खाकर एक बार फिर एक-दूसरे की चुदाई में व्यस्त हो गए।

 

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सासू मां की चुदाई-7





मैंने अपने पहले पार्ट में बताया किस तरीके से मैंने अपनी सासू मां को चोदा था। तो दोस्तों मैं इस बारे में बताऊंगा कि कैसे मैंने अपनी सासू मां की गांड का गुलदस्ता बनाया। फिर चलते है अगले पार्ट की ओर।

सुबह की गरमा-गरम तगड़ी चोदम-पट्टी के बाद एक राउंड दोपहर को भी मार लिया था। अब इतनी तगड़ी चुदाई के बाद हम रात का खाना खा कर एक-दूसरे की बाहों में सो गये। मैं तो पूरा नंगा ही सो गया, लेकिन सासु मां अपने पेटिकोट को कमर से ऊपर अपने दोनों तरबूजों को ढक कर सोई थी। जब 2:00 बजे के करीब मेरी आंखें खुली, तब मैंने पाया मेरी सासू मां मेरे पास नहीं थी, और मैं यहां-वहां उन्हें ढूंढने लग गया‌।

तब मुझे सूं सूं की आवाज आई। तब मुझे पता चला मेरी सासू मां मूत रही थी। अब मुझे भी मूतने का एहसास होने लगा। मैं उठ कर सीधे बाथरूम में चला गया। वहां मैंने देखा मेरी सासू मां अपना पेटिकोट ऊपर उठा कर बैठ के मूत रही थी। पीछे से उनका मोटा‌‌ पिछवाड़ा नज़र आ रहा था। मैं यह देख कर बाथरूम के अंदर चला गया, और अपने लंड को पकड़ के मूतने लगा। मैं उनकी चूत को देख रहा था, जिसमें से मूत की तेज धार बाहर आ रही थी। जब मेरी सासू मां ने मुझे देखा कि मैं क्या देख रहा था, तो उसने मुस्कुराते हुए मुझसे कहा-

सासू मां: दामाद जी क्या हुआ? नींद तो खराब नहीं हुई आपकी?

तब मैंने उनसे कहा: आपने चाहा तो आप मुझे रात भर सोने नहीं देंगी।

यह बातें करके हम बाहर आ गए, और फ्रिज में से पानी निकाल कर हम दोनों ने पिया। फिर बिस्तर की ओर चल पड़े।

तब मेरी सासू मां बोल पड़ी: अब तो नींद नहीं आएगी मुझे, आपका लंड जो देख लिया।

तब मैंने कहा: सिर्फ देखेंगी या अपने अंदर लेने का भी प्लान है?

तब उन्होंने मेरे लोड़े को मसलते हुए कहा: यह तो कभी भी मेरी चूत में जाने को तैयार रहता है। इसे किसी की इजाजत की जरूरत नहीं है‌।

यह कहते हुए हम दोनों बिस्तर पर लेट गए। मैंने उनका पेटिकोट खोल कर बाजू में कर दिया, और उनके तरबूजों को दबाते हुए चूसने लगा।

तब मेरी सासू मां ने कहा: दामाद जी अपने लोड़े को मेरी चूत मे अभी धीरे-धीरे ही पेलना। क्योंकि 2 दिन की चुदाई के कारण मेरे चूत में दर्द हो रहा है। इसलिए आराम से चोदना मुझे।

मैंने उनसे कहा: हां मेरी जान, तू डर मत। चुदाई मैं बहुत आराम से करूंगा।

यह सुनते ही मेरी सासू मां ने मेरे होठों पर अपने होठ लगा कर चुम्मा-चाटी शुरु कर दी। हमने यह भी नहीं देखा कि रात के 2:00 बज रहे थे। हम तो बस लंड और चूत का खेल खेलने के लिए उतावले हो रहे थे। मैं धीरे से उनके तरबूजों के पास गया। उनमें से एक निप्पल अपने मुंह में लेकर चूसने लगा, और दूसरे हाथों से उनके दूसरे निप्पल को मसल रहा था। अब मैंने अपनी सासू मां के गांड के नीचे तकिया लगा दिया। यह देख कर मेरी सासू मां ने मेरा सिर को पकड़ कर अपनी दोनों टांगों के बीच ले जाकर कर कहा-

सासू मां: जरा धीरे से ही चाटना मेरी चूत को।

मैंने उनको आंखों से इशारा करते हुए कहा: डर मत, बहुत प्यार से ही चाटूंगा।

और यह कह कर मैंने अपनी पूरी जुबान उनकी चूत में घुसा दी, और कुत्तों की तरह उनकी चूत को चाटने लगा। उनके मुंह से मादक आवाज आनी शुरू हो गयी।

सासू मां: हे भगवान, ऐसा दामाद हर किसी को मिले। उफ्फ कितना मस्त चाट रहा है। बेटा मेरी चूत की गहराइयों तक अपनी जुबान चलाओ। आह मर गई, और तेज, और तेज।

यह कहते हुए अपनी गांड को ऊपर-नीचे हिला रही थी। तब उन्होंने मेरे सर को बहुत जोर से अपनी दोनों टांगों के बीच पकड़ लिया,‌ और उन्होंने अपने पानी का फवारा मेरे मुंह पर छोड़ दिया। 1 मिनट तक उन्होंने मुझे छोड़ा नहीं। वो अपने चूत को ऊपर से नीचे तक मेरे मुंह पर रगड़ रही थी। फिर मैं उनके ऊपर आ गया, और उनकी दोनों टांगों को फैला कर अपने लोड़े को उनकी चूत पर सेट करके एक धक्का लगा दिया। मेरा लौड़ा दनदनाते हुए उनकी चूत की गहराइयों में पूरी तरीके से समा गया।

मैंने उनसे कहा: सासू मां आपकी चूत ने तो मेरा पूरा लौड़ा एक ही बारी में खा लिया।

तब वह सिसकियां लेते हुए बोली: अब इस उमर में मेरी चूत तुम्हें टाइट कहां से मिलेगी? अगर टाइट चूत चाहिए तो मेरी बेटी है ना तुम्हारे लिए। मैं तो ऐसे ही मिलूंगी।

तब मैंने उनसे धक्के मारते हुए कहा: सासू मां सच-सच बताना, तुम्हें अपनी चूत मुझे चटवा कर मजा आता है ना?

तब उन्होंने कहा: हां मजा तो बहुत आता है‌। अब तुमने मुझे इसकी आदत लगा दी‌। अब यह आदत कभी नहीं जा सकती।

तब मैंने उन्हें जोर का धक्का लगा कर कहां: सासू मां मेरा लोड़ा कब मुंह में लेकर चूसोगी?

तब उन्होंने कहा: देखते हैं, लेकिन अभी नहीं। अभी जो तुम कर रहे हो वही करो। लेकिन थोड़े प्यार से, जानवरों की तरह नहीं।

मैंने अपना लोड़ा उनकी चूत से बाहर निकाला और उनसे कहां: चलो सासू मां, घोड़ी बन जाओ। अभी तुम्हारी चूत पीछे से चोदूंगा।

तब वह गुस्से में मुझे गालियां देते हुए कहने लगी: मादरचोद मेरा पानी आने वाला था, और इस वक्त तूने अपना लोड़ा बाहर निकाल दिया।

मैंने उनसे कहा: साली छिनाल, सब मजे तू ही करेगी तो मैं क्या करूंगा?

तब वह बिस्तर के किनारे आ कर घोड़ी बन गई। मैं बिस्तर से नीचे उतर कर उनकी गांड के पास आ गया। तब मेरी सासू मां क्या लग रही थी। पूरी कयामत ढा रही थी। उन्होंने अपने सर को बिस्तर पर चिपक कर एक तरफ किया, और अपने घुटनों पर आकर जांघों को फैला कर अपनी गांड को उठा दिया।

फिर मुझसे कहा: देखो दामाद जी, जरा धीरे ही चुदाई करना। क्योंकि पहली बार कोई मुझे घोड़ी बना कर चोद रहा है।

मैं अपने लंड को पीछे से उनकी चूत पर ले जाकर अपने लोड़े का टोपा उनकी चूत पर रगड़ने लगा। फिर उनकी गांड को पकड़ कर धीरे से अपने लोड़े को उनकी चूत के अंदर ठेल दिया। तब उनके मुंह से हल्की सी चीख निकली। लेकिन मैंने उस पर ध्यान नहीं दिया, और मैं अपना काम करता चला गया।

उनकी गांड को पकड़ कर मैं आगे-पीछे हो रहा था। क्या बताऊं उस वक्त जो मजा आ रहा था, वह तो मुझे अपनी पहले चुदाई के वक्त भी नही आया था। अब मुझे एहसास होने लगा कि मेरी सासू मां भी मजे ले रही थी। क्योंकि जब मैं चुप-चाप खड़ा हो जाता तो वह अपनी गांड खुद आगे-पीछे करके मेरा लोड़ा अपनी चूत में ले रही थी।

अचानक मेरा ध्यान उनकी गांड के छेद पर गया। वह पूरी तरीके से काली थी, और काफी टाइट लग रही थी। मैं उनकी गांड पकड़ कर उन्हें जब धक्के मार रहा था। तब मुझे उनकी सुबह वाली बात याद आ गई। उन्होंने कहा था

कि दामाद जी अगर आपको मेरी गांड मारनी हो तो कभी भी मार सकते हो।

तब अचानक से मेरी सासू मां बोल पड़ी: दामाद जी जल्दी करो, मेरा पानी निकलने वाला है, और मेरी चूत में बहुत जलन हो रही है।

और यह कहते हुए मेरी सासू मां खुद अपनी गांड को आगे-पीछे करने लगी। मैं समझ गया अब यह झड़ने वाली थी। उनके दोनों तरबूज काफी तेजी से आगे-पीछे हो रहे थे, और एक-दूसरे पर टकरा रहे थे। तब मैं अपने अंगूठे पर थूक लगा कर उनकी गांड के छेद पर फेरने लगा, और धीरे-धीरे अंगूठे को उनकी गांड के अंदर डालना शुरू किया। मुझे पता था मेरी यह हरकत अब उन्हें पता नहीं चलेगी। क्योंकि वह बहुत जोश में दिख रही थी, और अगले ही पल उन्होंने अपने चूत में मेरे लोड़े को पूरी तरीके से भिगो दिया।

अब सासू मां इस घोड़ी वाली पोजीशन में शांति के साथ पड़ी रही और मुझसे कहने लगी: दामाद जी प्लीज आप अपना लोड़ा मेरी चूत से बाहर निकाल दीजिए। मैं अपने हाथों से आपकी मुठ मार कर पानी निकालती हूं। लेकिन चूत में आपका लौड़ा लेने की ताकत नहीं बची है।

मैंने उनसे कहा: आप चुप-चाप ऐसे ही रहो। मैं अपना काम खुद कर लूंगा।

और यह कह कर मैंने अपना लोड़ा बाहर निकाला और उनकी गांड की छेद पर रगड़ने लगा। मेरा लोड़ा मेरी सासू मां के पानी से पूरा भीगा हुआ था, और फिर मैंने अपने लोड़े के टोपे को उनकी गांड के छेद पर दबा दिया। मेरे लोड़े का टोपा उनकी गांड के छेद के अंदर और चीख उनके मुंह से बाहर आई, और वो मुझे कहने लगी-

सासू मां: नहीं दामाद जी, ऐसा मत करो। मैं मर जाऊंगी। चाहे तो आप मेरी चूत को चोदो, लेकिन मेरी गांड मत मारो।

यह कह कर वह उठने की कोशिश करने लगी, लेकिन मैंने उनकी गांड को बड़े ताकत के साथ पकड़ के रखा था।
 
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