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Incest Anutha prem kahani

Yogibaba00007

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शाही परिवार प्रणाली प्रथा से ठीक पौने आठ बजे शाही खाने की मेज में खना लगा दिया गया शाही रसोइया के द्वारा…………


जब आप अपनी बृत्तिया स्थिति की समीक्षा हे तो कैसा लगता है……।।अगर आपने ठीक ठाक धन जुटा लिया तो क्या आपको संतुष्ट का एहसास होता है……शोध बास्तबिकत्या बयां करता हे बोहोत से ब्यक्ति वृत्तिया से असुंतसी और असुरक्षित महसूस करते है…।अधिक्तर लग ये मानते हे की वो बेहतर कर सकते थे या उन्होंने अभी बोहोत अच्छा नही किया हे……




हम पैसे और संपत्ति के बारे ने कैसे सोचते हे ये कोई उपादान पर निर्भर करता हे……अपने अनुभब के आधार पर हम पैसे से जुड़ी कोई धारणा भी बनाते हे हमारे हाथ में हलाकि कुछ सूत्र होते हे की ऐसा करते तो और बेहतर हो सकता था या हम इस तरीके की मदत से बेहतर धन दौलत शोहरत कमा सकते थे……ऐसे बोहोत से लग हे जिनके उम्मीदे बास्तबिक स्थिति में मेल नही खाती…



बोहोत से धनि लाग भय असुरक्षित के माहॉल में जिते हे…।साथ में वो अपनी अभिग्रहण को पर्याप्त नही मानते…।।हुम जान पहचान वाले चेहरे और पसंदीदा बात चित के दाएरे में रेहना पसंद करते हे…… हमारे ास पास के लोगो का ब्यवहार हमारी बृत्तिया सुरक्षा या असुरक्षा पैदा करने में महत्वया भूमिका निभाता है…।कोइ पेरेंट्स जब बच्चे को उसकी समता के हिसाब से प्रदर्शन ना करने के लिए दांते हे, या जब कोई बच्चा पड़सी की के घर के सुख सुबिधाओं की बात करता हे या जब कोई दोस्त ज़रूरत पर साथ नही दे पता तो बृत्तिया सुरक्षा या असुरक्षा का भाव जन्म लेता हे……



मिस्टर शुरजित कुमार बलादेव दुनिया के लिए सज्जन ब्यक्ति थे……समुदाहिक संस्था से जुड़े रेहना रीति रिवाज़, संस्कृति साम्प्रदाइक परपमरा उसके लिए महत्व्यपूर्ण तत्त्व थे………जितना अपने बेटे से प्यार करता था उतना ही गर्व्शाली था और उसे बेटे के जवान खून से डर लाग्ने लगा था की कही उसका बारिस अपने वंश की परंपरा को खंडित ना कर दे……।।



बालादेव परिवार १५ लोगो की डाइनिंग टेबल के एक सिरे में डिनर करने बैठे थे…।।नौकर चाकर भद्रों कलाप्रवीण से डिनर करवा रहा था…।




मिचेच बालादेव………।" बेबी आज काल इतने लेट क्यों आते हो……।"



शान……। " कहा लेट आता हूँ…।।८ ही तो बजा हे…।।"




मिसेज बालादेव……।। " ज़माना ख़राब है……।आज सुबह ही न्यूज़ में दो बच्चे गायब होने की खबर पढ़े जा रहे थे…।प्रशासन को पुख्ता सबूत मिला हे की दोनों बच्चे आखिरी बार इसी सेहर में देखा गया था……।बरदाद भी इसी सेहर में हुआ हे……।।अपनी नही तो हमें तो ऐसे सताया मत करो…।।"



शान……।" गुड माइंड, गुड फाइंड……।जब तक में किसी का कुछ बिगाड़ू नही तो कोई मेरा क्यों कुछ बिगडेगा…।।"


मिसेज बालादेव……" ऑलवेज रेमेम्बेर ऑन थिंग ! ईट इस नेवर तू लेट तु करेक्ट आवर मिस्टेक्स। एंड इफ वे दु नोट, वी रिस्क रिपिटिंग डेम……"


शान मुस्कुरा के बोलै……।।" मैंने ऐसा कोई गलती नही की जो पछतावा हो…।"



मिस्टर बालादेव………।" शान बेटा…।तुम उस क्लब में करते क्या हो……।"



शान……" डैडी बस टाइम पास……सबसेक्शन्स ऑफ़ डे तु डे लाइफ……"



मिस्टर बालादेव……।"आई हीयार्ड यू गाइस प्ले गेम्स देयर आल डे लांग…।।क्या ये सच हे…।।"



शान झेप गया……वो सोचने लगा की डैडी को आखिर पता चल ही गया……वो उलझन पे पर गया…।।हमेसा अपने बाप की सवाल जवाब में वो निरुत्तर हो जाता हे……।।कभी उसके और उसके बाप की बिचार मेल नही कहते……


शान……।" नही आपको पूरी बात नही पता हे……।असल में हम गेम डेवलपर का काम करते हे……।"



मिस्टर बालादेव……।।" एम.बी.ए. कर के गुमनाम १५×१८ स्क्वायर फीट कमरे के क्लब में दो कंप्यूटर में गेम बनाते हो……।"




शान को बोहोत गुस्सा आया……।लकिन किसी सेहेनशीलता का घुट पि गया हमेसा की तरह…।।

मिस्टर बालादेव……।" गेम बना के करते क्या हो……लोकल कंपनी को बेचते हो…।।या खुद इल्लिगल्ली ट्रेड करते हो…।।आज काल के बच्चो का क्या हो गया हे……। दिगीतेल टेक्नोलॉजी बने हे ज़िन्दगी बेहतर करने के लिए और आज काल के बच्चे शॉर्टकट के सक्कर में हैकिंग बेकिंग धंदा चला रहा हे……।ये सब छोडो अपनी मॉम के साथ काम शिखो और अपना करियर बनाओ……दू नॉट डिस्ट्रॉय दा अबुज़र फॉउन्ड इन दा इनहेरिटेंस……।"



शान इतना गुसा हो गया की पित्त शरीर झनझना गया…।अपने हाथ से चम्मच डाइनिंग टेबल पे दे मारा और झट्ट से खड़ा हो गया……चेयर ओंधे मुँह कछु दूर गिर गया……


अपनी कमरे की तरफ पेड़ पटकते हुए चले गए चिढिया चढ़ते हुए……।।



मिस्टर बालादेव……।" क्या ज़रूरी था इस तमाचे की…।।आई एम फेड आप विथ यू…। थोरा टाइम दो…।।जब मन होगा तब अपने आप समझ जायेगा……"


मिस्टर बालादेव……। " तुम्ही ने बिगड़ के रखा हे उसे……उसकी उम्र में अपने परिवार को भर पेट् खाना खिलता था खुद कमा के…।।"



मिसेज बालादेव भी चिढ गयी और मिस्टर बालादेव को घूरते हुए उठ गयी……।वो अपने लादले बेटे के कमरे में गयी……दरवाज़ा नॉक की……




शान दरवाज़ा खोल के बापच अपनी रोक्किंग रेक्लिने फ़ूटेरस्ट वाली चेयर पे बैठ गया………मिसेज बालादेव उसके पास फुटोन पे बैठ गया……


रीना अपने बेटे के ग़ुस्से से लाल मुँह फुलाये चेहरे को देखति रही अंतराय…।।शान ग़ुस्से में अपनी मॉम की तरफ नज़र नही मिला रहा था……



मिसेज बलादेव……।" यू हाईद मि तू……अगर में तुम्हरे अड्डे पे न जाती तो पता ही नही चलता……"


शान हैरान था……" क्या आप वहा गयी थी……।आप मुझपे नज़र रख रही थी…।।"


मिसेज बालादेव मुस्कुराई……।" अब मेरे बेटे की ख्याल का सवाल था…।।तो नज़र तो रखनी पड़ेगी न……"


शान अभिमान से बोलै……" क्या मॉम……क्यों क्यों…।।मे शांति से जीना चाहता हूँ…।"


मिसेज बालादेव…।।" हाँ तो जी शांति से…।।आई वास् डूइंग माय ड्यूटी……।।"




शान…।।" कौनसी ड्यूटी बेटे पे चोरी छुपे नज़र रखने की ड्यूटी बोलते हो……डैडी की तरह आप भी मुझे वही नाकारा समझते हो ना…।।"


रीना भाबुक हो गयी……बेटे की हथेली अपनी चाती पे रख के प्यार झता के बोली……" नही ऐसा मत बोलो बेबी……।।यो नौ हाउ मच आई लव यू ना…।।मुझे बस तुम्हारी फ़िक्र लगी रहती हे…।।आज काल तुम मुझे कुछ भी नही बताते…।।"…


शान…।।" क्या नही बताता में…।।मे क्या कोई स्कूल जाता बच्चा हूँ जो…।।मम आज मुझे टीचर ने मारा इससे उसे जगरा हुआ ये किया वो किया……आप चाहते हे वैसा तोता बन जाऊ……मेरी भी कुछ प्राइवेसी हे……"



मिसेज बलदेव……" नो बेबी व्हेन दीद आई से डेट…।मे चाहता हूँ तुम जो भी काम करो वो मुझे बताओ इसी बहाने हमें कुछ टाइम स्पेंड करने का मौका तो मिलेगा…।।आज काल हम बात भी नही कर पते गुड मॉर्निंग गूद नाइट के आलावा……। आई डो'त वांट तु बी ए बोरिंग मॉम……ठीक हे अगर तुंहारी केयर करना तुम्हारी प्राइवेसी में ताक झाँक करना हे तो गॉड प्रॉमिस आज के बाद तुमसे दो फीट दूर रह के बात किया करुँगी……"…।


रीना शान से हाथ छुड़ा के उठ खड़ी हुई और जाने को दो कदम बढ़ाये ही थे……शान बन्दर की फुर्तीले बन के अपनी मॉम को पीछे से पकड़ा और रेक्लिने चेयर पे बिठा दिया…।।रीना मंद मंद मुस्कुराने लगी……शान निचे कारपेट पे बैठ के पीछे झुक गया जिस्से उसका शिर अपनी माँ गॉड मे आ गया…।



रीना उसकी पेशानी पे चूम के उसके शिर पे प्यार से हाथ फेरने लगी……

शान……।।" इमोशनल ब्लैकमेल करना कोई आपसे शिखे……। ओके सॉरी मैंने नही बताया……पर हो डैडी की ओबेडिएंट वाइफ…।।सब उनके कान में भर देती हो…।।"



मिसेज बालादेव मुस्कुराई……।।" हर बात नही बताती जैसे क्लास १०थ में तेरी एक टिंडे जैसी गर्लफ्रेंड थी वो सब तो कभी नही बतायी…।"…


शान शर्माने लगा…।।" अब बॉस भी करो…।"


मिसेज बालादेव…।" अच्छा यहा कोई मिली…।।सुना हे यहा की लड़कियां बोहोत गोरी होती हे…।।"




शान मुस्कुराया…।" नही अभी तक नही…।।मिलिगी तो आपको बता दूंगा……"


मिसेज बालादेव……।" हर बार अपने नए नए गर्लफ्रेंड के बारे में बताते हो…।।लकिन कभी मिलवटे नही हो…।मे क्या ड्राकुला हूँ जो खा जाउंगी तेरी गर्लफ्रेंड को…।।"
Jhakkas bidu......... fantastic
 

Golu_nd

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jayantaDS

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शान और तृप्ति शाम ६ बजे घर पोहोचा ……शाम तो जैसे तैसे गुजर गयी लेकिन रात शान के लिए जटिल रहा……।




पुरा परिवार डिनर टेबल घेरे में भोजन उपभोग कर रहे थे ……तृत्पि अपनी शॉपिंग की चीज़ो को बढा चढा के तारीफ़ें बतर रही थी सबको सुना सुना के…। उसी बीच मिस्टर शुरजित कुमार बालादेव ने बात छेड़ दी ………




मिस्टर। बालादेव …।।" तो एक्शन हीरो अब अपनी रंग दिखाने शुरू कर दिए यहा भी…।"




शान निवाला मुँह में डालने ही वाला था बापच थाली में रख दिया ……



शान…।" मतलब डैडी।।"


मिस्टर। बालादेव…।।" जो लाड साहब तूने किया आज……जब एक्शन सीन दे रहा था थें your Live telecast was happening in front of the whole world……।शब्बाश बेटे शब्बास"


मिसेज बालादेव अपनी पति को शांत रेहने का इसरा करती है ……।लकिन मिस्टर बालादेव और ग़ुस्से में डहर पड़े उसने डाइनिंग टेबल पे पंजा मारा जिस्से चारी बर्तने बिखर गयी…।।सभी सकीट रह गए सिवाय शान के ……।




मिस्टर बालादेव……।" बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर्स इन कॉर्पोरेट गवर्नेंस के साथ मीटिंग चल रही थी और न्यूज़ चैनल में आपके लाडले के धांसू एक्शन फिल्म चल रही थी …… ज़िन्दगी में कभी इतना शर्मिदा नही हुआ में जीतना आज शर्मिदा हुआ में …।।सच में मेरा ही खून हे न रीना …।सच सच बताना …।"



शान भी आज ऐसे गुस्सा हुए जैसे आज तक कभी उसने कभी उतना गुस्सा नही हुआ और डाइनिंग टेबल को लात मार के अपने कमरे में चला गया …।सभी लॉग सन्न्न रह गए जैसे सर्द हवा का झोका चूह गयी हो …।। पास खड़े सर्वेन्ट थर थर कांप उठे …।





एक ही थी जो अब शान को संभल सकती थी……रीना भी आज डर रही थी शान के ग़ुस्से को शांत करवाने में ……



ओ संकोच भरे कदमों के साथ शान के कमरे में गयी …।।, दरवाज़ा लॉक नही था …। शान बेद पे बैठा था सायेद उसके आसू निकले थे नम आँखे बयां कर रही थी ……





रीना उसके करीब बैठ गयी और शान के कंधे पे अपनी हाथ रख दी जिसकी रेसम एहसास से शांत प्रकृतिस्थ हो जाया करता था ……


शान की आवाज बैठ गयी थी अपनी रूखे आवाज़ के साथ बोला…।" मॉम डैडी को लगता हे में उसने नफरत करता हूँ "



रीना उसे गैल से लगा ली …।" नहीं नही बेबी…।।ऐसा नही हे वो बस तुम्हारी बोहोत फ़िक्र करते हे …। कभी कभी काम के टेंशन में गुसा हमपे निकल देते हे…।"



शान…" हां जनता हूँ मॉम…। डैडी मेरा फ़िक्र करता हे …। क्यूं न करे एक लौटा औलाद हूँ…।"



रीना…।।" हां…।। बस वो तुम्हे सख्ति दिखा के तुम्हे सख्त बानाना चाहते हे ताकि तुम अपने पेड़ों पे खड़े हो जाओ…"


शान…।" Your are absolutely right mom……।।आज भी मैंने गलती कर दी …।वो बदमाश मेरी दोस्त के साथ बत्तमीज़ी कर रहे थे……अगर मेरी जगह कोई समझदार लड़का होता तो वो पुलिस बुलाता या कुछ ऐसा करता जो कानून के दाएरे में हो …।।मानता हूँ मेरी गलती हे लेकिन डैडी मुझे प्यार से समझा भी तो सकते थे । इसी वज़ह से…।।इसी वज़ह से में उनके साथ काम नही करना चाहता …।।"


रीना अपने लादले को कस के गले लगा ली…।" नो बेबी…।मे तुम्हारे डैडी को समझाऊँगा……।मुझे बस एक ही डर हे …।तुमहारा गुस्सा…।।जिस ग़ुस्से की वज़ह से तुम्हे यहा ले आना पड़ा वो फिर न हो……"



शान रोने लगा……"हा मॉम।मैने आप दोनों को बोहोत दुःख पोहोचाया न……में बार बार बोलता हूँ की में कशिश कर रहा हूँ सुधरने की लेकिन बार बार वही गलती करता हूँ न…।। मॉम आई ऍम नॉट योर गुड सोन……"



रीना तड़प उठी …।। कैसे एक माँ अपने बेटे को ऐसे टूटते देख पायेगी बेचारी……।खुड चाहे जितनी भी दरी हुई हो कमजोर हो लेकिन बच्चे की होसला अवजाई में दो पल के लिए शेरनी बन ही जाती हे माये……।



रीना…।।" नहीं ऐसा नही हे……ऐसा बिलकुल नही हे …।।तुम मेरे अच्छे बेटे हो …।।डैडी की बात अभी भूल जाओ उसका गुस्सा सुबह तक ठण्डा भी हो जायेगा देखना…।।आच्चा अब सो जाओ …।।"




रीना ने शान को बेड पे लेता दी और कम्बल ओढ़ दिए चाती तक और झुक के बेटे के चेहरे को चुमने लगी ……पहले ललाट पे फिर गाल फिर उसकी चुम्बन अनायास ही शान के गीले लबों पे कुछ पल के लिए थम गयी ……।।



दोनो की आँखे कुछ पल के लिए बंद रही ……।लोबों की एहसास एक दूसरे की रूह चूह गयी …। वक्त वही रुक गया कुछ पल के लिए ……।।दो विपरित लिंग का सबसे संबेदनशील अंग हे होंठ और वो जब आपस में जुड़ते हे तो मानो वो एहसास चारी कायनात भूल के एक भ्रम की तबस्सुम में बिलिन हो जाये………।।




जेसे कोई आतुर नही कोई मानसिक ब्येस्टता नही और धीमी शेस्ता से दोनों की पलकें खुल गयी एक दूसरे की आँखों में खो गए जैसे समुन्दर की गहराई में पर कोई डर नही कोई आशंका नही ………।




रीना अपने बेटे के झुल्फों में ऊँगली सेहलते हुए प्यार से बोली…।।" आज एहि सो जाऊ में "


शान बस शिर हाँ में हिला दिया…।।



रीना…।।" ठीक हे थोरा वेट करो …।।मे बाकि सबको गुड नाईट बोल के आती हू"







वो रात शान की ज़िन्दगी में यादगार हसीन रात में से एक रात बन गयी…।।अकसर रीना अपने बेटे की दुःख दूर करने के लिए अपने सीने से लगा के सुलाती थी ……।बचपन में शान को तारा जगत की कहानिया सुना के सुलाया करती थी ……।
 

jayantaDS

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Shaan aur tripti shaam 6 baje ghar pohocha ……shaam to jeise teise guzar gayi lekin raat shaan ke liye Jatil raha…….







Pura pariwar dinner table ghere me bhojan upbhog kar rahe the ……tritpi apni shopping ki chizo ko badha chadha ke tarifen batar rahi thi sabko suna suna ke….usi bich Mr.shurjit kr baladev ne baat ched di ………







Mr.baladev ….." To action hero ab apni rang dikhane shuru kar diye yeha bhi…."







Shaan nivala muh me dalne hi wala tha bapach thali me rakh diya ……





Shaan…." Matlab daddy.."



Mr.baladev….." Jo laad sahab tune kiya aaj……jab action seen de raha tha Then your live telecast was happening in front of the whole world…….shabbash bete shabbash"





Mrs.baladev apni pati ko shant rehne ka isara karti he …….lekin Mr.baladev aur gusse me dahar pade usne dinning table pe haath patka jisse sari bartane bikhar gayi…..sabhi sakit reh gaye sivay shaan ke …….







Mr.baladev……." Board of directors in corporate governance ke saath meeting chal rahi thi aur news channel me aapke laadle dhasu action film chal rahe the…… zindegi me kabhi itna sarmida nehi huya me jitna aaj sarmida huya me …..sach me mera hi khoon he na reena ….sach sach batana …."





Shaan bhi aaj aise gussa huya jeise aaj tak kabhi usne kabhi utna gussa nehi huya aur dinning tabel ko laat maar ke apne kamre me chala gaya ….sabhi log sannh reh gaye jeise sard hawa ka jhoka chuh gayi ho ….. Paas khade servent thar thar kanp uthe ….









Ek hi thi jo ab shaan ko sambhal sakti thi……reena bhi aaj dar rahi thi shaan ke gusse ko shant karwane me ……





Wo sankoch bhare kadmo ke saath shaan ke kamre me gayi ….., darwaza lock nehi tha …. shaan bed pe baitha tha sayed uske asoon nikle the nam aankhe bayan kar rahi thi ……









Reena uske karib baith gayi aur shaan ke kandhe pe apni hath rakh di jiski resam ehsaas se shant prakrtisth ho jaya karta tha ……



Shaan ki awaz baith gayi thi apni rukhe awaaz ke saath bola…." Mom daddy ko lagta he me usne nafrat karta hoon "





Reena use gale se laga li …." Nehi nehi baby…..aisa nehi he wo bas tumhari bohot fikr karte he …. kabhi kabhi kaam ke tension me gusaa humpe nikal dete he…."





Shaan…" Haa janta hoon mom….daddy mera fikr karta he ….kyu na kare ek louta aulad hoon…."





Reena….." Haa….. bas wo tumhe sakhti dikha ke tumhe sakht banana chahte he taki tum apne pedo pe khade ho jao…"



Shaan…." Your are absolutely right mom…..aaj bhi meine galti kar di ….wo badmaas meri dost ke saath battamizi kar rahe the……agar meri jagah koi samjhdar ladka hota to wo police bulata ya kuch aisa karta jo kanoon ke dayere me ho …..manta hoon meri galti he lekin daddy mujhe pyaar se samjha bhi to sakte the isi wazah se…..isi wazah se me unke saath kaam nehi karna chahta ….."



Reena apne ladle ko kas ke gale laga li…." No baby….me tumhare daddy ko samjhaunga…….mujhe bas ek hi dar he ….tumhara gussa…..jis gusse ki wazah se tumhe yeha le aana pada wo phir na ho……"





Shaan rone laga……"haa mom….maine aap dono ko bobot dukh pohochaya na……me baar baar bolta hoon ki me kashish kar raha hoon sudharne ki lekin baar baar wohi galti karta hoon na…..mom I I I I'm not your good son……"





Reena tadap uthi …..koun maa apne bete ko aise tutte huye dekh payegi bechari…….khud chahe jitni bhi dari hui ho komjor ho lekin bachche ki hosla abjai me do pal ke liye sherni ban jati he maaye…….





Reena….." Nehi aisa nehi he……aisa bilkul nehi he …..tum mere achche bete ho …..daddy ki baat abhi bhool jao uska gussa subah tak thanda bhi ho jayega dekhna…..achcha abhi so jaao ….."







Reena ne shaan ko bed pe leita di aur kambal odh diye chaati tak aur jhuk ke bate ki chehre ko chumne lagi ……pehle lalat pe phir gaal phir uski chumban anayas hi shaan ke gile labon pe kuch pal ke liye tham gayi ……..





Dono ki aankhe kuch pal ke liye band rahi …….lobon ki ehsaas ek dusre ki ruh chuh gayi ….waqt wohi ruk gaya kuch pal ke liye ……..do viprit ling ka sabse sanbedanshil ang he honth aur wo jab aapas me judte he to mano wo ehsaas sari duniya bhool ke ek bhram ki tabassum me bilin ho jaye………..







Jeise koi aatur nehi koi mansik baystata nehi aur dhimi sesta se dono ki palke khul gayi ek dusre ki aankho me kho gaye jeise samundar ki gehrai me par koi dar nehi koi aashnka nehi ……….







reena apne bete ke jhulfon me ungli sehlate huye pyaar se boli….." Aaj yehi so jau me "



Shaan bas shir haan me hila diya…..





Reena….." Thik he thora wait karo …..me baki sabko goodnight bol ke aati hoon"













Wo raat shaan ki zindagi me yaadgar haseen raat me se ek raat ban gayi…..aksar reena apne bete ki dukh door karne ke liye apne seene se laga ke sulati thi …….bachpan me shaan ko tara jagat ki kahaniya suna ke sulaya karti thi …….
 

jayantaDS

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" Rahul…..rahul……"



Rahul kaano me headphone laga ke folding staircase pe 3 step chadh ke rack me mithaiya saja ke rakh raha tha ….wo hamesa ki tarah apne dhun me madmast tha …….







Jab kisi ne jab uske upar kalam pheka to usne dekha uske sohoyogi usse kuch keh raha he aur isara kar raha he …..tab wo piche mud ke dekha aur jaldi se apni headphone utar ke apna nameplate aur apron thik kiya aur grahak ki taraf muskura ke swagat kiya …..







Rahul……." Sorry ji sorry ji sorry……wo me thora …… please boliye aapko kya chahiye…."







Ek aisi muskaan jisme sari duniya bhoola de ...jeise kisi rahshyamay safar ki romance ka ehsaas kara de ….rahul us muskaan ki chakravaat me gum ho gaya ……….







" Ji mujhe kuch nehi chahiye "



Rahul bimodh sa kuch samajh nehi paya aur haklane laga……" Ji ji….aapko kuch….kuch nehi…..kuch nehi chahiye…."





Wo aur gehrai se muskurai rahul ka bholapan dekh ke uski haasi nehi ruk rahi thi ……..







" Haa mujhe kuch nehi chahiye"



Rahul….." To phir aap…….aap ….aap…."





" Hihihi…..If I am not wrong then you are Rahul, aren't you?…."





Rahul sharma gaya …." Madam ji mujhe angregi nehi aata……thora thora aata he….aap ye puch rahi he naa me rahul hoon ki nehi…."







Wo muh pe haath rakh ke haasne lagi……." Haa ….me yehi puch rahi hoon……tum hi rahul ho na….."





Rahul apni battisi nikal ke bola……." haa me hi rahul hoon…..aapko mujhse koi kaam tha……aapko mobile ka recharge karwana he…."





Rahul ka part time job tha networkoing recharge ka ….wo samjh baitha ki wo mahila grahak recharge karwane aaye he ….lekin wo bas haase jaa rahi thi najane kis baat pe haas rahi thi itna….kya rahul ki sakal pe koi haasi chutne wali ankan tha …..





" Ok ok…..cool….you are so cutest boy….let me introduce…. I'm naina….naina avasthi …."





Rahul….." Avasthi ….mera bhi sir name avasthi he …kya sanyog hai naa……"





Naina….." Haa ye to coincidence hi he…..achcha do mahine pehle kuch huya tha tumhe kuch yaad he"





Rahul……" Do mahine pehle….do mahine pahle ….kya huya tha….."







Us halwai ki dukan me jitne bhi karmsari the sab ke sab taak jhak kar rahe the rahul aur naina ki bich me kya baat ho rahi uske jaan ke liye koi pas se koi idhar udhar ghum rahe the kaan khade aur nazre gadhaye…..us waqt jagan lal nehi tha store pe nehi to sabki class lagata …..





Naina……" Okay to tumhe kuch yaad nehi aa raha he ……lagta he bohoton ki jaan bachai he accident se isliye bhool gaye kab kisko bachaya tha …"





Rahul ke dimaag me balaghatpurn yaaden dourne lage aur wo utchukt ho utha achanak ….." Oh accident wali……aap …aap zinda bas gayi…."



Rahul ke belagum juban se phir kuch galat bol nikal gaya aur use afsos hone lage …nazre jhukay bola…." Sorry' wo mera wo matlab nehi tha……"





Naina phir has padi…." Haa me bach gayi…..god Blessings aur khas kar tumhari wazah se….."







Rahul ke dil me khalbali hone laga …..uske purane yaade taza ho gaye ….khoon se lat path chehre pe itni nayan husn pari jeisi chehron ko bade naseebon me dekh paa raha tha …. Achnak dil dhadak utha joro se aur aavesh me rahul phir bachkani harkat kar baitha…….







Naina ki mathe pe ek gehri chot ki nisan thi beherhaal usi durghanta ka shinh tha …..aur rahul us nisaan pe hath lagane ki kashish karte huye bola….." Usi chot ka nisaan he ye…"







Naina ko bhi ummid nehi thi aur tvarit pratikriya usko do kadam piche layi……koi aur hota to wo jute nikal ke pitai shuru karti …..lekin rahul ka nature dekh ke samajh gaya ki rahul keisa he aur uske pati ne bhi bataya tha ki rahul ek dum bachcha he……







Rahul embarrassed ho kar hath khinch ke man me bolne laga " me bhi na kya karta hoon….wo mere baare me kya soch rahi hogi…"



Naina……." Haa usi accident ki chot ka nisaan he…..me ab bilkul thik hoon….. actually me tumhe thankyou kehne aaya hoon"





Rahul…." Iski kya zarurat he ….koi bhi hota yehi karta ….meine to bas ambulance bulaya he…doctor ne aapki jaan bachai he…"







Naina….." Agar murgi ande nehi deta to sunja keise hota …."



Rahul muskuraya…." Haa ye bhi sahi he ……ab aap thik he puri tarah se.""





Naina…." Haan bilkul….koi dino se me tum se mil ke thanks kehne ka soch rahi thi …..lekin sochti thi ki sirf thanks tumhara karz aada nehi kar sakti islye aane me der ho gayi….. bohot bohot shukriya rahul…."





Rahul….." Koi baat nehi….. rukiye aapko me kuch deta hoon humari store ki taraf se aur aap puri tarah se thik hone ki khushi me"





Rahul ne do sweet pack kar diya ….." Ye humari khas dish he rabri aur mohan thaal sweet "





Naina…." Oh iski kya zarurat thi ….thik he me ye ek hi sart le jaungi……tumhe aaj raat mere ghar dinner me aana hoga…"





Rahul kuch sochne laga aur asehej ho gaya….." Par …..me aap…thik he agar aap kehte he to …."





Naina…." Ok done…..me aur mere husband tumhara intezar karenge ….."





Rahul…." Thik he ….. par aap rehti kaha he…."



Naina….." Yehi 2 km ki area me …..35 street sarwali colony house no wing D 567 …..ek minute mera number lo rasta bhatak jaao to mujhe call kar lena.."





Naina rahul ki di hui pecket le ke chali gayi…………rahul mobile me naina ki number ko dekh ke muskurane laga……….









Uske baad baki karmasarion ne use gher liya aur sawal pe sawal karne lage …….









" Rahul koun thi"



" Accident wali thi kya "



" Kya khubsurat he"



" Kya baat ki itni der tumse"



" Are bol na kuch"



Rahul……" Wo mujhe thank you kehne aayi thi……aur dinner pe bulaya"





" Dekha maine kaha tha tum sabko….rahul ko line de rahi he"





Rahul….." Hattt keisi baatein kar rahe ho ….wo bas thank you kehne aayi thi…..uska husband police inspector he "



" Kya……police…..a to phir mat jana ……..pata he na mamu log keise pelte he….."

 
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