कहानी में आर्य और कहानी के बाहर
nain11ster भईया क्या ही गोली दे देते है, जैसे की tv वाली बात को घुमाकर रीछ स्त्री वाली बात पर और वहां से किताब तक जो घुमाया है वो तो गजब ही था। साथ में सबको मक्खन भी लगा दिया और सबके सामने पलक से प्यार का इजहार भी कर दिया। सही खेला रे आर्य।
उसके बाद ये लाइब्रेरी और फिर वो किताब, अब यहां लोचा ये है कि आर्य का हाथ लगते ही किताब ने रंग क्यों बदला, कहीं इस किताब का आर्य के दादा से तो कोई संबंध नहीं है और उनका वंशज होने के नाते, किताब आर्य को भी पहचान गई है या फिर आर्य का एक अलग श्रेणी का प्राणी होने के नाते किताब उसको अपना संरक्षक मानती है?
आखिर में कुत्ते की पूंछ अरुण और उसका परिवार जो अपनी औकात दिखाए बिना बाज नहीं आए। इस अरुण के पिछवाड़े में छाता डाल कर खोल देना चाहिए और फिर इसको मोर बना कर नचाना चाहिए। अब देखना है की इसकी खाट सुकेश खड़ी करता है या भूमि? अगर भूमि ने किया तो सच में मोर ही बना देगी।
क्या ही मस्त अपडेट दे डाला वाह, बस स्परिवार अरुण का बैंड बज जाता तो और भी मजा आ जाता। मगर हम अगले अपडेट तक वेट कर लेंगे।