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पलक का हांथ आगे और हाथ में हवा का तेज तूफान। आर्यमणि का कंधा उसी हवा की मजबूत दीवार से भिड़ा और जैसे विस्फोट सा हुआ हो। पलक हवा का शील्ड लगाने के बावजूद भी इतना तेज धक्का खाकर दीवार से टकराई की उसकी हड्डियां चटक गयी.... “क्या हुआ छुई मुई, कहीं कोई हड्डी तो न छिटक गयी”
पलक गुस्से में खड़ी होती झटके से अपने दोनो हाथ खोली। जैसे ही अपने दोनो हाथ खोले उसके दोनो हाथ में 2 फिट लंबी और 4 इंच चौड़ी मजबूत चमचमाती धारदार तलवार थी। अदभुत और अकल्पनीय। हर कोई बस उसके हाथ ही देख रहे थे, कैसे उसने ये तलवार निकाल लिया...
आर्यमणि, अलबेली को घूरते.... “ये हमारा पहनाया कपड़ा था न, फिर इसके नीचे हथियार कहां से आ गया”...
पलक चुटकी बजाकर आर्यमणि का ध्यान अपनी ओर खींचती.... “ओ हेल्लो भेड़ियों के राजा, ज्यादा दिमाग मत लगाओ। ये तलवार मेरे शरीर में इन बिल्ट है। जब बात मेरे तलवार की हो ही रही है तो बता दूं कि ये तलवार यूनिवर्स में भट्टी कहे जाने वाले ग्रह हुर्रीएंट प्लेनेट के सूरज की विकराल तप्ती आग में बनी है। इकलौती हाइबर धातु जो उस जगह के तापमान को झेल सकती है। और उसके एक खंजर का कमाल तो पहले ही देख चुके हो।”
अलबेली:– तो क्या तुम दूसरे ग्रह पर गयी हो?
रूही:– ये क्या लगा रखा है। ऐसे रुक–रुक कर फाइट क्यों कर रहे....
पलक:– मैं तो कबसे तैयार हूं। पूछ लो अपने जान से, वो डर तो न गया...
आर्यमणि अपने पंजे का क्ला दिखाते.... “शायद ये क्ला उस से भी कहीं ज्यादा तपते भट्टी में बना है”...
“ये तो वक्त ही बतायेगा”.... कहते हुये पलक ने दौड़ लगा दिया... आर्यमणि भी तैयार। जैसे ही पलक नजदीक पहुंची, आर्यमणि के बस हाथों के इशारे थे, और अगले ही पल तेज गति से दौड़ती पलक जड़ों के जाल में फंसकर ऐसे लड़खड़ाई की वो जबतक संभलती, आर्यमणि का मुक्का था और पलक की नाक। आर्यमणि ने कोई रहम नहीं किया। शायद कुछ ज्यादा ही जोड़ से उसने मार दिया था।
कुछ मिनट के लिये पलक उठी ही नही। सर झुकाकर बैठी रही और नीचे फर्श पर खून बह रहा था। तकरीबन 5 मिनट तक उसी अवस्था में रहने के बाद पलक अपनी नाक पकड़कर खड़ी हुई.... “दिमाग हिला दिया पंच ने”... और इतना कहकर एक बार फिर वह दौड़ लगा चुकी थी।
पलक को पता था कि यदि उसके पाऊं जमीन पर रहे तब इस बार भी वही होगा इसलिए कुछ कदम दौड़ने के बाद वह हवा के रथ पर पुनः सवार होकर, आर्यमणि के ऊपर ही छलांग लगा चुकी थी। बेचारी को पता न था की पलक झपकने से पहले जड़े कितनी दूर हवा में ऊपर उठती है। पलक आर्यमणि से कुछ फिट फासले पर रही होगी। उसके दोनो हाथ की तलवार आर्यमणि से इंच भर की दूरी पर थी। पलक लगभग हमला कर चुकी थी, लेकिन तभी क्षण भर में जड़ें जमीन से निकली। आर्यमणि जड़ों में कहीं गायब और पलक भी जड़ों के बीच ऐसी लपेटी गयी की उसमे उलझकर बस आर्यमणि के ऊपर लैंड हो रही थी।
झाड़ में फंसकर पलक, आर्यमणि के ठीक सामने आ रही थी और आर्यमणि झाड़ के बीच कहीं नजर नहीं आ रहा था। तभी झाड़ के बीच से एक लात जमकर पड़ी और हवा से आर्यमणि के ऊपर लैंड होती हुई पलक, सीधा दीवारों से जा टकराई। लात का प्रहार इतना तेज था कि रूही गुस्से से चिल्लाई “आर्य”.... वहीं आर्यमणि झाड़ के बीच से निकलकर एक बार रूही को देखा और तेज दौड़ लगा चुका था।
पलक अब तक संभली भी नही थी, लेकिन काफी तेज और जानलेवा आंधी को मेहसूस कर वह भी जान बचाने वाली तेजी दिखाती हुई अपने जगह से हटी। आर्यमणि सीधा दीवार पर टक्कर दे मारा। और दीवार के जिस हिस्से में टक्कर पड़ी, वह हिस्सा ढह गया।
पलक ने भी यह नजारा देखा। खुद की घायल अवस्था देखी। और देखते ही देखते वहां का माहोल ही बदल गया। पलक अपने दोनो हाथ हवा में की हुई थी। कड़कती बिजीली आसमान से जैसे छत फाड़कर उस घर में आ रही थी और पलक के दोनो हाथों से कनेक्ट होकर वह पलक के पूरे शरीर में घुस रही थी।
देखते ही देखते पलक के बदन के अंदर से बिजली चमकने लगी। पूरी की पूरी पलक चमकने लगी और बिजली की तेज रफ्तार से ही पलक दौड़ी। आर्यमणि खड़ा होकर यह अचंभित करने वाला नजारा देख रहा था। देखने में ऐसा गुम हुआ की उसे ध्यान न रहा की अभी–अभी उसने पलक को बहुत ही गंदे तरीके से घायल किया था। और आखरी वाले लात ने तो शायद पलक के पेट की अंतरियों को ही फाड़ दिया था।
पलक दौड़ी और जबतक आर्यमणि को ख्याल आया की उसपर हमला हो रहा है, बहुत देर हो चुकी थी। पलक दौड़ती हुई पहुंची और अपना जोरदार मुक्के से आर्यमणि के सीने पर प्रहार की। बचाव में आर्यमणि ने अपना पंजा आगे किया और उसका पंजा लटक कर झूलने लगा।
आर्यमणि हाथ के दर्द से बिलबिला गया। उसका थोड़ा सा ध्यान भटका और इसी बीच पलक मौके का फायदा उठाते हुये, आर्यमणि को अपने दोनो हाथों से हवा में उठा ली और खींचकर ऐसा फेंकी की उस बड़े से हॉल के एक दीवार से सीधा दूसरे दीवार पर धराम से टकराया। पलक उसे फेंकने के साथ ही अपने दोनो हाथ आगे कर ली। उसके दोनो हाथ से चंघारती हुई बिजली की दो चौड़ी पट्टियां निकल रही थी। उन दोनो पट्टियों ने आर्यमणि को पूरा जकड़ लिया। बिजली का इतने तेज झटका लगा था कि आर्यमणि उसे झेल न पाया और बेसुध होकर बिजली के उस जकड़न में झूलने लगा।
बिजली की चौड़ी पट्टियों में जकड़ने के बाद पलक कभी आर्यमणि को दाएं तो कभी बाएं पटक रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे पलक अपने हाथ से बिजली की रस्सी को पकड़ी हो। रस्सी जो तकरीबन 300 फिट दूर खड़े आर्यमणि को जकड़े हुई थी और उसे किसी बोरे के समान उठा–उठा कर पटक रही थी। ये ठीक वैसे ही था जैसे फर्ज कीजिए की छोटे ने रस्सी के निचले सिरे पर कुछ ठोस बांधकर तेजी से उसे उठा–उठा कर जमीन पर पटक रहा हो।
10–12 पटखनी खाने के बाद, आर्यमणि ने बस इवान से नजरे मिलाई और उसने पलक को प्लास्टिक में कैद कर दिया। पलक झपकते ही पलक कैद हो गयी और अगले ही पल वह प्लास्टिक बस धुवां बनकर हवा में उड़ गया और पलक के नजर डालने मात्र से इवान का लैपटॉप भी धुवां बनकर हवा में था और उसके बिखड़े पार्ट्स वहीं डायनिंग टेबल पर पड़े थे। पलक की आंखों से कुछ निकला हो ऐसा दिखा नही, तुलना यदि करे अन्य नायजो से जिनकी आंखों से लेजर नुमा रौशनी निकलते साफ देखी जा सकती थी।
पलक सहायकों को छोड़ एक बार फिर आर्यमणि पर ध्यान लगाई। गुस्से से बिलबिलाती.... “हारने पर चीटिंग हां। रुक भेड़िया तुझे मैं अभी बताती हूं।”.... पलक अपने गुस्से का इजहार करती आर्यमणि को झटके से खींची। बिजली की पट्टियों में बंधा आर्यमणि बिजली की तेजी खींचा आया और पलक का लात खाकर वापस दीवार से टकराया।
पलक के बिजली का संपर्क टूटा था। इसलिए पुनः वह अपने दोनो हाथ सामने की। बिजली की चौड़ी पट्टियां पुनः से आर्यमणि के ओर बढ़ी। किंतु इस बार आर्यमणि पकड़ में नहीं आया क्योंकि आर्यमणि के हाथ से भी जड़ों की विशाल पट्टियां निकल रही थी, जो सीधा बिजली से टकरा रही थी।
दोनो लगभग 300 फिट लंबी हॉल के दोनो किनारे से अपने–अपने हाथ से बिजली और जड़ निकाल रहे थे। ठीक मध्य में बिजली से जड़े टकराई। टक्कर जहां हुई वहां पर जड़ बिजली के ऊपर हावी होते हुये धीरे–धीरे बिजली को समेटकर पलक के हाथ तक वापसी का रास्ता दिखाने लगा।
पलक ने अपने दोनो हाथ का पूरा जोर लगाया। बिजली के कड़कड़ाने की आवाज तेज हो गयी। जिस पॉइंट पर जड़, बिजली से टकराया था, वहां जड़ों में आग लग गयी और वह जलकर धुवां होने लगा। पलक की बिजली आर्यमणि की जड़ों को जलाते हुये मध्य हॉल से आगे बढ़ गया। आर्यमणि ने भी अपने दोनो हाथ का जोड़ लगाया। जड़े अब जल तो रही थी लेकिन मजबूती से वह आगे बढ़ने लगी और बिजली को वापस धकेलने लगी।
पलक थोड़ा सा झुकी। अपने एक पाऊं आगे इस प्रकार की जैसे वो थोड़ा झुककर दौड़ने वाली हो। इसी मुद्रा में आने के बाद, अपने दोनो हाथ के कनेक्ट बिजली को अपने सीने तक लेकर आयी और ऐसा लगा जैसे उस बिजली को सीने से चिपका दी हो। जैसे ही बिजली सीने से चिपकी पलक खिसक कर एक कदम पीछे हुई। शायद इसलिए वह दौड़ने की मुद्रा में आयी थी ताकि संतुलन न बिगड़े।
जैसे बिजली सीने से चिपका पलक के पूरे शरीर पर ही बिजली रेंगने लगी। उसकी आंखे पूरी बिजली समान दिखने लगी। उसके बाद तो जैसे पलक के सीने से बिजली का बवंडर निकलने लगा हो। जड़ें जो जलने के बावजूद भी आगे बढ़ रही थी, इतने तेज बिजली के प्रभाव से तेजी से जली और देखते ही देखते बिजली ने जड़ों को ऐसा समेटा था की महज 10 फिट जड़ की लाइन दिख रही थी, और 290 फिट बिजली की लंबी लाइन, जो आर्यमणि से बचे फासले को भी मिटाने को तैयार थी।
बाहर खड़े दर्शक अपनी नजरें गड़ाए थे। हर किसी का दिल यह सोचकर धड़क रहा था कि इतनी तेज बिजली के एक सेकंड का झटका भी क्या आर्यमणि बर्दास्त कर पायेगा। आर्यमणि पहले से वायु विघ्न मंत्र पढ़ रहा था, लेकिन बिजली पलक के शरीर से कनेक्ट होने के कारण वायु विघ्न मंत्र काम करना बंद कर चुकी थी।
दूरी अब मात्र एक फिट रह गयी थी। सभी दर्शक दांतो तले उंगलियां चबाने लगे। तभी आर्यमणि ने अपने स्थिर पंजों की उंगलियां चलाना शुरू कर दिया। जड़े और बिजली जहां भिड़ी थी उसके ऊपर और नीचे से जड़ों ने फैलना शुरू कर दिया। बीच से जड़े धू–धू करके जल रही थी लेकिन ऊपर और नीचे से बढ़ी जड़ें तेजी से पलक के करीब पहुंच गये। पलक अपने दोनो हाथ इस्तमाल करती ऊपर और नीचे से फैल रही जड़ों पर हाथ से निकल रही बिजली का हमला की। आर्यमणि के उंगली के इशारे से निकलने वाली जड़े पलक तक पहुंचने से पहले ही रुक गयी किंतु पलक के हाथ में वो शक्ति नही थी कि जोड़ लगाकर इन जड़ों को पीछे धकेल सके क्योंकि उसकी ज्यादातर ऊर्जा तो सीने से निकल रही थी। कुछ भी न सूझ पाने की परिस्थिति में पलक भी अपने उंगली के इशारे करने लगी। उसके उंगली के इशारे पर छोटे छोटे ब्लेड निकल रहे थे, जो जड़ों को काफी तेजी से काटते हुये पीछे की ओर ले गये।
दोनो ही अपने शक्ति का प्रदर्शन कर रहे थे। पलक एक बार फिर पुनः हावी हो चुकी थी। 10 फिट की दूरी वापस से बन गयी। पलक कुछ और ज्यादा हावी होकर इस बार तो जैसे बिजली के साथ–साथ छोटे–छोटे ब्लेड की बारिश भी करवा रही थी। और उस बारिश में जड़ें ऐसी कटी जैसे मुलायम घास। पल भर में बिजली आर्यमणि के ऊपर हावी। अल्फा पैक ने अपने आंखे मूंद ली। बिजली लगभग टकरा ही गयी थी, लेकिन आर्यमणि ने तेजी से अपने हाथ के पोजिशन को बदला। पहले जहां ट्रैफिक हवलदार की तरह दोनो हथेली को आगे किया था, वहीं तुरंत बदलाव करते दोनो हथेली को ऐसे जोड़ा जैसे किसी गेंद को कैच करने वाला हो।
दोनो हथेली के बीच की खाली जगह से तुरंत ही मोटी जड़े निकली जो आर्यमणि के हाथ से निकलकर पहले तो फर्श पर गिरी, उसके बाद क्षण भर में ही वह जमीनी सतह से ऊपर हवा में उठकर बिजली के लाइन को पीछे धकेलने लगी। जड़ें नीचे फ्लोर पर भी तेजी से फैलते हुये पलक के पाऊं तक पहुंच गयी।
कैच लेने की पोजिशन वाली हथेली के ऊपर की उंगलियां काफी तेजी से मुड़ रही थी। उन्ही मुड़ती हुई उंगलियों से जड़ों के लहराते रेशे भी निकल रहे थे। उंगलियों के मुड़ने के इशारे से जड़ों के रेशे भीमकाय बिजली की सीधी लाइन को चारो ओर से घेर रहे थे। ये आड़ा तिरछा जड़ों के रेशे जब मजबूत हो जाती, फिर वह बिजली की लाइन के कुछ हिस्से को ऐसे ढकते की वह गायब हो जाता। इसका नतीजा यह हुआ की जो बिजली आर्यमणि से इंच भर की दूर पर थी, एक पल में फिट की दूरी में बदली और देखते ही देखते जड़ों ने बिजली को एक बार फिर पीछे धकेलना शुरू कर दिया।
नीचे फर्श से बढ़ने वाली जड़ें पलक के पाऊं को कवर कर चुकी थी। लेकिन पलक के शरीर से उत्पन्न होने वाली बिजली के कारण वह विस्फोट के साथ छूट जाती। तभी पलक ने अपने पाऊं के जूते खोल लिये... घन घन जैसे आवाज हुई। ऐसा लगा जैसे बिजली के प्रवाह से पूरा फ्लोर ही भिनभिना गया हो। पलक जहां खड़ी थी उसके आसपास का कुछ इलाका बिजली के कोहरे से ढक गया।
देखते ही देखते इस बार पलक बिजली के कोहरे में कही छिपी थी और ऊसके आस–पास जमीन से लेकर तीसरे माले की छत तक फैले धुंधले बिलजी के कोहरे को देखा जा सकता था।.... “लो मजा तुम भी बिजली का आर्य”.... और जैसे ही पलक अपनी बात पूरी की, पूरा वुल्फ हाउस ही बिजली के कोहरे में जैसे डूब गया हो... चिंह्हग, चिंह्हग, चिंह्हग, चिंह्हग, चिंह्हग की आवाज चारो ओर से आ रही थी। बाढ़ के पानी में जैसे सैकड़ों फिट ऊंचा मकान डूब जाता है ठीक उसी प्रकार 80 फिट ऊंची इमारत पूरे बिजली में डूबी हुई थी।
उसी डूबे बिजली के बीच से रूही की आवाज आयी.... “ओ कम अक्ल बिजली की रानी, सबको बिजली में डुबाकर ही मारने वाली है क्या? बंद कर ये बिजली, कुछ दिख ना रहा है।”....
पलक:– तुम लोगों के वायु सुरक्षा मंत्र कबके काट चुकी हूं, इसका मजा ले पहले...
जैसे ही पलक चुप हुई, केवल रूही के चिल्लाने की आवाज निकली। बिजली के छोटे झटके लगने के कारण रूही के मुंह से चीख निकली चुकी थी। बिजली के झटके का मजा लेने के बाद रूही गुस्से में चिल्लाती.... “कामिनी शौत, मुझे मारकर मेरे पति को हथियाना चाहती है क्या? कोई दूसरा न मिला अब तक, जो बिस्तर में मेरे पति जैसा हाहाकारी हो।”
“हिहिहिहि... हहाकारी... मेरे पास एक है चल उसका ट्राय कर ले। उसके बाद अपने होने वाले पति के लिये कहेगी, अब तो ये लाचारी है।”...
“क्यों री अपनी लाचारी में हाहाकारी ढूंढने कहीं गधे के पास तो नही चली गयी?”
“तुम दोनो बीमारी हो। अपना अश्लील शीत युद्ध बंद करके चुपचाप ये जगह को दिखने लायक बनाओ।” अलबेली चिल्लाते हुये कहने लगी।
पलक:– संन्यासी सर माफ कीजिएगा आपका मंत्र इस वायुमंडल को नही बदल सकते। ये नायजो तिलिस्म है और किसी नायजो को ही मंत्र फूंकने होंगे। बहरहाल पूरी सभा हम दोनो (पलक और रूही) को माफ करे और बस एक सवाल के साथ युद्ध विराम कर दूंगी.... “क्या मेरी शक्तियों को परखने के लिये तुम दोनो (आर्य और रूही) ने महज नाटक किया था?”
रूही:– बड़ी जल्दी समझ गयी? पता कब चला तुम्हे...
पलक:– जब आर्य ने लात मारकर मेरी पेट की अंतरियां फाड़ दी और तुम उसपर चिल्ला दी। ऐसा लगा जैसे कह रही हो, आर्य इतनी जोड़ से क्यों मारे? और उसके बाद आर्य के वो इशारे, जैसे कह रहा हो थोड़ा गुस्सा दिलाने दो...
रूही:– हां तो जब इतनी समझदारी आ ही गयी थी, फिर रोक देना था लड़ाई...
पलक:– नाक से खून अब भी निकल रहा है।अंदर की अंतरियां अब भी फटी है और इंटरनल ब्लीडिंग से मैं पागल हुई जा रही। गुस्सा तो निकालना ही था न...
रूही:– पागल कहीं की, तो अब खड़े–खड़े बात क्या कर रही है। ये कोहरा हटाओ..
पलक:– मुझे वो आर्य कहीं मिल न रहा है। कोहरे के बीच खुद को गायब किये है। उसको जबतक जोरदार झटका न दे दूं, तब तक चैन न आयेगा।
“मैं जमीनी सतह पर आ गया पलक। लो अपना गुस्सा निकाल लो... पलक.. पलक”... आर्यमणि जड़ों के बीच खुद को छिपाकर फर्श के 10 फिट नीचे था। पलक को सुनने के बाद वो भी ऊपर आया।
सब लोग उस कोहरे में पलक–पलक चिल्लाने लगे। लेकिन पलक तो बेहोश कहीं पड़ी थी। आर्यमणि तेजी से दौड़ा। उस संभावित जगह पहुंचा जहां पलक थी। लेकिन फर्श पर कितना भी हाथ टटोला पलक नही मिली। पूरा वुल्फ पैक हॉल को छान मारने लगा। कोहरे के बीच 300 फिट लंबा और 60 फिट चौड़ा हॉल में पलक को ढूंढा जा रहा था।
देखते ही देखते धीरे–धीरे पूरा बिजली का कोहरा छंटने लगा। पलक डायनिंग टेबल के नीचे बेहोश थी, जिस वजह से किसी को नहीं मिली। तुरंत ही उसे बाहर निकाला गया। रूही उसके पेट पर हाथ रखकर तुरंत हील करना शुरू कर चुकी थी।
खून लगातार पलक के मुंह से बाहर आ रहे थे।वह हील तो हो रही थी लेकिन इंटरनल ब्लीडिंग रुक नही रही थी.... “जान ऐसे तो ये मर जायेगी”...
खून लगातार पलक के मुंह से बाहर आ रहा था। वह हील तो हो रही थी लेकिन इंटरनल ब्लीडिंग रुक नही रही थी.... “जान ऐसे तो ये मर जायेगी”...
आर्यमणि:– भूल गयी मैं एक डॉक्टर भी हूं।शिवम सर कोई हॉस्पिटल जो आपके ध्यान में में हो। वहां हमे अंतर्ध्यान कीजिए...
संन्यासी शिवम दोनो को लेकर तुरंत ही अंतर्ध्यान हो गये। अंतर्ध्यान होकर सीधा किसी ऑपरेशन थिएटर में पहुंचे, जहां पहले से कुछ लोग मौजूद थे। हालांकि वहां कोई ऑपरेशन तो नही चल रहा था, लेकिन ऑपरेशन से पहले की तैयारी चल रही थी।
एक नर्स... “तुमलोग सीधा अंदर कैसे घुस गये।”
“सॉरी नर्स” कहते हुये आर्यमणि ने ओटी के सारे स्टाफ को जड़ों में पैक किया। तेजी से सारे प्रोसीजर को फॉलो करते यानी की दवाइया वगैरह देकर पेट को खोल दिया। पेट खोलने के बाद पेट के पूरे हिस्से को जांच किया। अंतरियाें के 3–4 हिस्सों से इंटरनल ब्लीडिंग हो रहा था। आर्यमणि उन सभी हिस्सों को ठीक भी कर रहा था और संन्यासी शिवम को वह हिस्सा दिखा भी रहा था।
संन्यासी शिवम:– गुरुदेव उस लड़के एकलाफ के सीने में घुसे चाकू के जख्म को अंदरूनी रूप से जब हील कर सकते हैं। तब पलक का तो ये पेट का मामला था।
आर्यमणि अपना काम जारी रखते.... “शिवम् सर पेट की अंतरियां और दिमाग के अंदरूनी हिस्से दो ऐसी जगह है जहां के इंटरनल ब्लीडिंग कभी–कभी हमारे हाथों से भी हील नही हो सकते। इसलिए तो बिना वक्त गवाए मेडिकल प्रोसीजर करना पड़ा। चलिए अपना काम भी खत्म हो गया।
जहा–जहां से इंटरनल ब्लीडिंग हो रही थी, उन जगहों को ठीक करने के बाद स्टीचेस करके दोनो वापस लौट आये। पलक को डायनिंग टेबल पर ही लिटाया गया। रूही उसे तुरंत ही हील करना शुरू की। कुछ ही समय में पलक पहले की तरह हील हो चुकी थी। थोड़ी कमजोर थी, लेकिन उठकर बैठ चुकी थी।
जितनी देर में ये सब हुआ उतनी ही देर में नेपाल से एक न्यूज वायरल हो रही थी। ओटी में फैले जड़ें और जड़ों में लिपटे लोगों को दिखाया जा रहा था। किसी के हाथ दिख रहे थे तो किसी के पाऊं... जड़ों को काटने की कोशिश की जा रही थी परंतु जितना काटते उतना ही उग आता.... इवान ने जैसे ही यह वायरल न्यूज देखा, डायनिंग टेबल के ऊपर बंधे बड़े से परदे को खोला और उसपर यह वायरल न्यूज चला दिया...
हर कोई उस न्यूज को देख और सुन रहा था.... “जान जल्दी–जल्दी में ये क्या कर आये?”
आर्यमणि:– पलक की हालत के कारण यह भूल हो गयी...
रूही:– ओह हो, पलक को घायल देख सब कुछ भूल गये। कहीं पुराना प्यार तो न जाग गया। इतनी हड़बड़ी...
आर्यमणि:– ताना देना बंद करो। अभी सब ठीक किये देता हूं।
रूही:– उनकी यादस्त मिटाना मत भूलना...
संन्यासी शिवम:– क्या हमें अंतर्ध्यान होकर वापस जाना होगा। मुझे नही लगता की इस वक्त ऐसा करना सही होगा।
आर्यमणि:– नही ये मेरी जड़ें है। यहीं से सब कर लूंगा...
आर्यमणि अपने काम में लग गया। इधर रूही, पलक को घूरती... “क्या मरकर सबक सिखाती”...
पलक रूही के गले लगती.... “तुम लोगों के बीच मैं मर सकती थी क्या, मेरी शौत”..
रूही:– पागल ही है सब... इतनी घायल थी फिर भी लड़े जा रही थी। कामिनी तू मर जाती तो मेरे एंटरटेनमेंट का क्या होता?
दूसरी ओर आर्यमणि अपनी जगह से बैठे–बैठे वो कारनामा भी कर चुका था, जिसे करने से पहले आर्यमणि भी दुविधा में था.... “क्या जड़ें नीचे जायेंगी? क्या उनकी यादस्त मिटा पाऊंगा?”... लेकिन कमाल के प्रशिक्षण और अपने संपूर्ण मनोबल से आर्यमणि यह कारनामा कर चुका था।
डायनिंग टेबल से खुसुर–फुसुर की आवाज आने लगी। माहोल पूरा सामान्य था और एक दूसरे से खींचा–तानी भी शुरू हो चुकी थी। इसी बीच इवान सबका ध्यान अपनी ओर खींचते... “बातें तो होती ही रहेगी, लेकिन काम पर ध्यान दे दे। डंपिंग ग्राउंड में अभी भी हजारों नायजो पड़े है।”
आर्यमणि:– हां उसी पर आ रहे हैं इवान। बस पलक से उसकी अनोखी और इतनी ताकतवर शक्ति का राज तो जान लूं...
पलक:– नही, बहुत बकवास कर लिये। पहले मेरे लोगों को दीवार से उतारो और मुझे कम से कम अनंत कीर्ति की किताब तो दे दो ताकि मैं अपना सर ऊंचा रख सकूं...
पलक:– ओरिजनल कौन मांग रहा है, उसका डुप्लीकेट दे दो। और जरा वो किताब भी दिखाओ, जिसके खुलने के बाद महा ने ऐसा क्या पढ़ लिया जो मुझे गालियां देते आया। मतलब नायजो को...
महा:– क्यों तुम्हे गाली नही देनी चाहिए क्या?
पलक:– मैं क्या कहूं, ये 4 बेवकूफ जैसे कर्म में लिखा गये हो। मोबाइल नेटवर्क की तरह पीछे पड़ गये हैं। मेरी सुरक्षा के नाम पर मेरे पल्ले इन चार नमूनों को बांध दिया गया है। मैं मजबूर थी महा, लेकिन मुझे बहुत बुरा लगा था। प्लीज मुझे माफ कर दो महा। अब से हम दोनो दोस्त है ना..
महा:– एक शर्त पर माफ करूंगा, मुझे उस चुतिये एकलाफ को तमाचा मारना है।
पलक:– क्यों पहले तू आर्य से नही पूछेगा, उसने एकलाफ को क्यों मेरे साथ बुलाया...
महा:– हां भाव... ये मदरचोद है कौन जिसे पलक के साथ आने कहे, और मुझे न बुलाया..
आर्यमणि:– इसने मुझे भी फोन पर बहुत गंदी और भद्दी गालियां दी थी। खून खौल गया था इसलिए बुला लिया।
महा:– तो क्या अब मैं उसे मार लूं...
पलक:– रुक महा, रूही प्लास्टिक की कैद से रिहाई के साथ–साथ क्या तुम इस चुतिये एकलाफ का शरीर को नॉर्मल कर दोगी, ताकि मार का असर पड़े...
महा:– क्या मतलब नॉर्मल करना..
रूही:– वुल्फ शरीर से कहीं ज्यादा खतरनाक नायजो का एक्सपेरिमेंट शरीर है। इसके अंदर चाकू घुसा के छोड़ दो तो वो चाकू शरीर के अंदर ही गल जायेगा..
महा:– ओ तेरी कतई खतरनाक... साला तभी जोर से कह रहा था, हम मारने पर उतरे तो मर जाना चाहिए... अब बोल ना भोसडी के...
रूही:– जुबान काहे गंदा कर रहे महा... लो ये मार खाने को तैयार है....
महा, उस एकलाफ के ओर बढ़ते.... “और कुछ है जो हमे इनके शरीर के बारे में जानना चाहिए।”...
पलक:– यहां से हम साथ निकलेंगे। सब बता दूंगी। पहले मारकर भड़ास निकाल लो...
“कामिनी गद्दार”.... एकलाफ अपनी बात कहकर अपने हाथ से आग, बिजली का बवंडर उठा दिया जो हवा में आते ही फुस्स हो गया। महा के अंदर खून में आया उबाल। दे लाफा पर लाफा मार–मार कर गाल और मुंह सुजा दिया। आर्यमणि उसका चिल्लाना सुनकर मुंह को पूरा ही जड़ से पैक कर दिया। इधर ओजल, पलक के 30 लोगों को दीवार से उतार चुकी थी, जो वहीं डायनिंग टेबल से लगे कुर्सियों पर बैठे चुके थे।
आर्यमणि:– तुम्हारे लोगों को छोड़ दिया है। और किसी को छोड़ना है...
पलक:– हां वो कांटों की चिता पर 22 लोग और है, उन्हे भी छोड़ दो। वो हमारे ट्रेनी है।
आर्यमणि:– रूही क्या उनके पास समय बचा है।
रूही:– 5 घंटे हुये होंगे.... सब बच जायेंगे...
आर्यमणि, पलक के ओर लैपटॉप करते.... अपने 22 लोगों के चेहरे पहचानो... इवान और अलबेली तुम दोनो उन 22 को ले आओ। ये बताओ तुम्हारे इन चारो नमूनों का क्या करना है?”...
पलक:– चारो इंसानी मांस के बहुत प्रेमी है। विकृत नायजो के हर पाप में इन लोगों ने हिस्सा लिया है। सबको भट्टी में झोंक देना...
आर्यमणि और रूही दोनो पलक को हैरानी से देखते.... “तुम्हे कैसे पता?”...
पलक, अपना सर उठाकर एक बार दोनो को देखी और वापस से लैपटॉप में घुसती.... “तुमने तो गुरु निशि और उनके शिष्यों के मौत की भट्टी के बारे में सुना होगा, मैने तो देखा था। वो चिंखते लोग... रोते, बिलखते, जलन के दर्द से छटपटाते बच्चे... मैं उस भट्टी को कैसे भुल सकती हूं। मैं डंपिंग ग्राउंड गयी थी, देखकर ही समझ गयी की ये भी जिंदा जलेंगे”...
“वैसे तुमने गुरु निशि के दोषियों को जब उनके अंजाम तक पहुंचा ही रहे हो, तो एक नाम के बारे में तुम्हे बता दूं। हालांकि इस नाम की चर्चा तो मैं करती ही। किंतु बात जब चल ही रही है, तो यही उपयुक्त समय है कि तुम अपने एक अंजान दुश्मन के बारे में अच्छी तरह से जान लो।”
“गुरु निशि के आश्रम के कांड की मुखिया का नाम अजुर्मी है। योजना बनाने से लेकर उसे अंजाम तक पहुंचाने का बीड़ा इसी अजुर्मी ने उठाया था। इस वक्त वह किसी अन्य ग्रह पर है, लेकिन तुम ध्यान से रहना। क्योंकि आज के कांड के बाद अब तुम्हारे पीछे कोई नही आयेगा... बस उसी के लोग आयेंगे। पृथ्वी पर जितने नायजो है, उसकी गॉडमदर। पृथ्वी के कई नरसंहार की दोषी। अब वो तुम्हारे पीछे होगी। विश्वास मानो यदि यमराज मौत के देवता है, तो अजुर्मी ऊसे भी मौत देने का कलेजा रखती है। शातिर उतनी ही। जरूरी नही की तुम्हे मारने वो नायजो को ही भेजे। वो किसी को भी भेज सकती है। तुम जरा होशियार रहना। ये लो मेरा काम भी हो गया, उन 22 लोगों को अब जल्दी से अच्छा करके मेरे सामने ले आओ”..
पलक के सभी 22 ट्रेनी भारती के तरह ही मृत्यु के कांटों पर लेटे थे। शरीर में भयानक पीड़ा को मेहसूस करते कई घंटों से पड़े थे। उन सभी 22 ट्रेनी को कांटों के अर्थी समेत ही हॉल में लाया गया। हॉल में जैसे ही वो पहुंचे, आर्यमणि ने अपनी आंखे मूंद ली। सभी 22 एक साथ जड़ की एक चेन में कनेक्ट हो गये। अल्फा पैक के सभी वुल्फ ने आर्यमणि का हाथ थाम लिया। वहां मौजूद हर कोई देख सकता था, जड़ों की ऊपरी सतह पर काला द्रव्य बह रहा था और वो बहते हुये धीरे–धीरे अल्फा पैक के नब्ज में उतरने लगा। अल्फा पैक के सभी वुल्फ ने पहले कैस्टर के जहर को झेला था, इसलिए अब ये टॉक्सिक उनके लिये आम टॉक्सिक जैसा ही था। उन्हे हील करने में लगभग एक घंटा का वक्त लग गया।
ये सभी 22 लोग केवल कैस्टर के जहर को नही झेल रहे थे। इन 22 नायजो में एक भी एक्सपेरिमेंट बॉडी नही था। ऊपर से उनके सामान्य शरीर में 100 मोटे काटो का घुसा होना। इन्हे लाया भी गया था तो कांटा के अर्थी सहित लाया गया था, क्योंकि अल्फा पैक को पता था कांटा हटा, और सबकी मौत हुई। काटो की चपेट मे जो भी अंग थे वो धीरे–धीरे हील होते और उस जगह से कांटा हील होने दौरान ही धीरे–धीरे बाहर आ जाता। और इन्ही सब प्रोसेस से उन्हे हील करने में काफी वक्त लगा, किंतु जान बच गयी।
अद्भुत नजारा था जिसे आज तक किसी संन्यासी तक ने नही देखा था। सभी एक साथ नतमस्तक हो गये। उन 22 लोगों को हील करने के बाद सबको फिर जड़ों में लपेटकर दूसरे मंजिल के कमरों में भेज दिया गया, जहां उनके शरीर तक जरूरी औषधि पहुंचाने के बाद जड़ें अपने आप गायब हो जाती।
महा:– अरे बाबा रेरे बाबा... भाव वोल्फ ये भी कर सकते है क्या?
आर्यमणि:– तुम्हे तो वुल्फ हंटर बनाया गया था न... फिर वुल्फ के कारनामों पर अचरज..
महा:– भाव जो दिखाया वही देखे, जो सिखाया वही सीखे लेकिन जब मैदान में आये तो जो सही था और न्यायपूर्ण वही किया। सोलापुर से लेकर कोल्हापुर तक एक भी वुल्फ का शिकर नही होने दिया मैं। अपनी दोनो ओर बराबर जिम्मेदारी है, वुल्फ हो या इंसान। इंसान में भी कपटी होते है, इसका ये मतलब तो नही की सभी इंसान को मार दो। वैसे ही वुल्फ है...
आर्यमणि:– भूमि का चेला...
पलक:– भूमि दीदी है ही ऐसी..
आर्यमणि अपने हाथ जोड़ते... “तुमने मेरे भांजे को बचाया, छोटे (अपस्यु) को बचाया, तुम खामोशी से कितने काम करती रही। तुम्हारा आभार रहेगा।”
पलक:– ओ गुरु भेड़िया, भूलो मत दुश्मनी अभी खत्म नहीं हुई। और मिस अलबेली, क्या अब आप मुझे मेरा सामान दे देंगी, जो आप लोगों से वास्ता नहीं रखता...
अलबेली:– तुम एक नंबर की चोरनी हो ना। कपड़ों के नीचे इतना सारा खजाना। ये बताओ एनर्जी फायर को कहां छिपा कर रखी थी।
पलक:– एनर्जी फायर क्या?
अलबेली:– वही जिसमे जादूगर महान की आत्मा कैद थी...
पलक:– ऐसा सीधा कहो ना। नया नाम रख दी तो मैं दुविधा में आ गयी की शूकेश अपने घर में और कितने राज छिपाए है। चोरी के समान में क्या सब था मुझे उसकी पूरी जानकारी नही। और न ही कोर प्रहरी के बहुत से राज पता है। मैने अपने शरीर पर एक्सपेरिमेंट नही करवाया ना, इसलिए ये लोग मुझे अलग तरह से ट्रीट करते है।
अलबेली:– अलग तरह से ट्रीट मतलब...
पलक:– मतलब उन्हे मुझ पर पूरा विश्वास नही..
अलबेली:– एक्सपेरिमेंट के पहले और बाद क्या अंतर होगा, उल्टा तुम्हे कोई नुकसान भी नही पहुंचा सकता। फिर क्यों न करवाई एक्सपेरिमेंट..
पलक:– कैसे समझाऊं क्यों न करवाई... ऐसे समझो की वो एक्सपेरिमेंट दरिंदा बनाने के लिये किया जाता है। शरीर के अंदर की आत्मा को मारकर बस एक उद्देश्य के लिये प्रेरित करता है।
अलबेली:– कौन सा उद्देश्य?
पलक:– जो है सो हम ही है, और हमारे जैसे लोग... बाकी सब आंडू–गांडू.. पैरों की जूती... जब चाहो रौंद डालो... अब बहुत सवाल कर ली, जा मेरा समान ला, मुझे पूरा खाली कर दी है...
अलबेली:– हां लेकिन पहले ये तो बताओ आधे फिट की वो पत्थर की माला छिपाई कहां थी...
पलक:– तू जब उसे हाथ में ली होगी तो पता चल गया होगा कहां था। अब मुंह मत खुलवाओ और समान लेकर आओ... और आर्य वो अनंत कीर्ति की खुली किताब तो दिखाओ, जिसके पीछे पूरे कोर प्रहरी व्याकुल है...
आर्यमणि, अनंत कीर्ति की पुस्तक को खोलकर दिखाते... “लो देख लो”...
पलक:– क्या मजाक है, यहां तो कुछ न लिखा।
आर्यमणि:– ये किताब है, इसे पढ़ा जाता है। ये किताब उतना ही उत्तर देगा, जितना इसने देखा है।
पलक:– इसने राजदीप (पलक का वही भाई जो आईपीएस है) को देखा ही होगा ना। उसी के बारे में बताओ किताब?
महा:– आंख मूंदकर राजदीप के बारे में सोचो, फिर आंख खोलो...
पलक, स्मरण करके आंखे खोली। जो किताब पर आ रहा था, उसे पढ़कर तो वह हैरान हो गयी। उसने उज्जवल, यानी अपने पिता का स्मरण किया। आंखें खोली तो इंसानी उज्जवल और बहरूपिया उज्जवल, सबकी जानकारी थी। पलक इस बार फिर आंखे मूंदी। उसके आंखों में आंसू थे। नम आखें खोली और बड़े ध्यान से पढ़ने लगी। पढ़ने के दौरान ही उसने थोड़ा और फिल्टर किया। इस बार आंखे खोलकर जब पढ़ी तो आंखें नम थी और चेहरे पर सुकून। वह किताब पर हाथ फेरने लगी.... “आर्य क्या यहां जो भी लिखा है उसे अलग से दे सकते हो”
आर्यमणि:– अपनी मां के बारे में सोची क्या?
पलक हां में सर हिलाने लगी। आर्यमणि, भी मुस्कुराते हुये हां कहा। अनंत कीर्ति पुस्तक के सामने उसने एक पूरा बंडल कोड़ा पन्ना रख दिया। कुछ मंत्र पढ़े और कोड़े पन्नो पर एक बार हाथ फेरते हुये वह पूरा बंडल पलक के हाथ में थमा दिया। पलक के साथ कई और ऐसे नायजो थे, जिन्हे अपने माता या पिता के बचपन का स्पर्श तो याद था, पर उसके बाद उन्हें निपटा दिया गया। एक–एक करके सभी आते गये और अपने प्रियजन की जानकारी लेकर जाते रहे। हर कोई भावुक होकर बस इतना ही कहता.... “दुनिया की सबसे अनमोल और कीमती उपहार दिये हो भाई।”
पलक के सभी साथी अपने हाथों में अपने माता–पिता की जीवनी समेटे थे। काम खत्म होते ही रूही जैसे ही किताब बंद करने आगे बढ़ी, पलक जिद करती.... “प्लीज मुझे मेरे बचपन के दोस्तों को ढूंढने दो। सार्थक और प्रिया।”
रूही मुस्कुराते हुये हामी भर दी पलक ने स्मरण किया और आंखें खोली। लेकिन आखें खोलने के बाद जैसे ही नजर पन्नो पर गयी..... “आर्य ये क्या है। किताब की जानकारी सही तो है न।”...
आर्यमणि ने किताब देखा... “पलक इसकी जानकारी सही है। सार्थक और प्रिया, गुरु निशि के मृत्यु के वक्त कहां थे और किन लोगों से मिले, पहले इसे जान लेते है?”...
किताब की पूरी जानकारी को देखने के बाद आर्यमणि.... “इन दोनो को तुम जिंदा जलाओगी, या मुझे जाना होगा।”...
पलक:– अब तो दिल पर बोझ सा हो गया है आर्य। सही जगह सूचना देती तो शायद सबकी जान बच जाती। यही दोनो थे जिन्होंने मुझसे कहा था कि मैं गुरु निशि या किसी को कुछ न बताऊं। यही दोनो थे, जिन्होंने मुझसे पैरालिसिस वाली बूटी ली थी और कही थी.... “इलाज के दौरान गुरु निशि अपने विश्वसनीय लोगों के साथ होंगे तब उनसे मिलने के बहाने उन्हे खतरे से आगाह किया जाएगा। वरना अभी गये आगाह करने तो हो सकता है उनके आस पास कुछ ऐसे दुश्मन हो जो मेरी बात को मनगढ़ंत साबित कर दे।”.... उनकी एक–एक चालबाजी याद आ रही। साले कपटी लोग। आर्यमणि इन्हे तो मैं अपने हाथों से जलाऊंगी... लेकिन उस से पहले कैस्टर ऑयल के फूल का जहर का मजा दूंगी। मौत से पहले इन्हे अपने किये पर ऐसा पछतावा होगा की इनकी रूहे दोबारा फिर कभी जन्म ही न लेगी। बस मेरे कुछ लोगों के लिये फर्जी पासपोर्ट का बदोबस्त कर दो।
आर्यमणि:– हो जायेगा... बस तुम चूकना मत। तो सभा समाप्त किया जाये...
पलक, आर्यमणि के गले लगती.... “अपना ख्याल रखना। आने वाला वक्त तुम पर बहुत भारी होने वाला है।”...
आर्यमणि:– सभा समाप्त मतलब अभी अपनी बातचीत की सभा समाप्त करते है। इसके आगे तो बहुत से काम है। वैसे भी अभी तक तो तुमने बड़ी सफाई से अपने शक्तियों के राज से पर्दा उठाने के बदले डिस्कशन को कहीं और मोड़ चुकी हो। बैठकर पहले मेरे आज के मीटिंग के मकसद को देखो, उसके बाद विस्तृत चर्चा होगी।
पलक, आर्यमणि से अलग होती.... “करने क्या वाले हो?”...
इस बार अकेला आर्यमणि नही बल्कि पूरा अल्फा पैक एक साथ... पूरा अल्फा पैक मतलब निशांत और संन्यासी शिवम भी... सभी एक साथ एक सुर में बोले..... “आज सात्त्विक आश्रम का भय वहां तक स्थापित होगा, जहां तक ये विकृत नायजो फैले है। आज पूरे ब्रह्मांड में हम अपनी उपस्थिति का प्रमाण देंगे”
इस बार अकेला आर्यमणि नही बल्कि पूरा अल्फा पैक एक साथ... पूरा अल्फा पैक मतलब निशांत और संन्यासी शिवम भी... सभी एक साथ एक सुर में बोले..... “आज सात्त्विक आश्रम का भय वहां तक स्थापित होगा, जहां तक ये विकृत नायजो फैले है। आज पूरे ब्रह्मांड में हम अपनी उपस्थिति का प्रमाण देंगे।”
पलक उत्साह से उछलकर, एक बार फिर आर्यमणि के गले लगती.... “मैं भी इस पल का साक्षी होना चाहूंगी।”...
पलक उत्साह में अपनी बात तो कह रही थी लेकिन उसका सामना रूही के गुस्सैल आंखों से हो गया। पलक, आर्यमणि से अलग होकर..... “ओह .... सॉरी रूही बाहिनी, ये दोस्ती के हिसाब से गले लगी थी। सोलस जिंदा तो है। इन सबमें तुम्हे देखना ही भूल गयी”...
रूही, पलक का हाथ खींचकर अपने करीब लायी और फुसफुसाती आवाज में..... “कुछ बचा भी था दोनो के बीच..... बड़ी आयी दोस्ती वाली... दुश्मनी ही निभाना”..
पलक, रूही के भी गले पड़ती.... “इतना क्लारिफिकेशन के बाद अपना हक छोड़ दी, ये खुशी न है।”...
रूही:– क्या तुम्हे बर्दास्त हो रहा, मेरा आर्यमणि के साथ होना...
पलक:– क्या कर सकती हूं। हां दिल जला था, पर इसी को नियति कहते है। हम दोनो का रिश्ता एक दूसरे को झांसे में लेने से शुरू हुआ था, फिर आर्य मुझे धोका देता या मैं आर्य को, लेकिन देते तो जरूर... किसने सोचा था बीच में मैं ही दिल हार बैठूंगी... पर तुम्हारे लिये बेहद खुश हूं। तुम ये बिलकुल डिजर्व करती हो। तुम धोखे की बिसाद पर नही जुड़ी। परछाई की तरह आर्य का साथ दी। तुम्हारे बिना वो नागपुर से नही निकलता। तुन्हते बिना वो इतना नही निखरता। तुम्हारे बिना वो कुछ नही होता। सबसे पहला हक तुम्हारा है...
रूही:– बहुत प्यारा बोली लेकिन फिर भी मेरे मर्द के गले मत लगना... पूरा मैटेरियल टच होता है और फिर कहीं उसके अरमान जाग गये तो...
पलक:– छी.. गंदी...
आर्यमणि:– अब सब जरा खामोश हो जाओ.. पलक के इन चार चमचों का मुंह बांधकर एक दीवार के बीच से बांधो। और पलक के बाकी साथी को उसके दाएं और बाएं से अरेंज करो। सॉरी पलक...
इतना कहकर आर्यमणि ने छोटा सा कमांड दिया और पलक वापस से सिकुड़ गयी। उसके चेहरे से केवल प्लास्टिक को हटाया गया।... “अरे यार ये अजूबा प्लास्टिक किसकी खोज है। परेशान कर रखा है। हड्डियां तक कड़कड़ा जाती है।”...
ओजल:– है ना मस्त ट्रैप...
पलक:– पागल, इसे सबसे शानदार ट्रैप कहते है। आर्य वैसे करने क्या वाले हो...
आर्यमणि:– आश्रम का भय कायम करने की तैयारी है। पहले तो इस भय के खेल में कोई नाम नहीं था, बस कोई औहदा ही होता, लेकिन अब हमारे पास एक नाम है। थोड़ी देर में सब साफ हो जायेगा। निशांत और महा तुम दोनो दूसरी मंजिल पर चले जाओ। वहां से तुम दोनो ये पूरा शो लाइव देख लेना। ओजल और शिवम् सर, दोनो तैयार...
ओजल:– कबसे तैयार हूं...
संन्यासी शिवम्:– बिलकुल गुरुदेव आप शुरू कीजिए...
आर्यमणि ने फिर एक बार अक्षरा को कॉल लगा दिया। अक्षरा फिर एक बार तमतमायी बात करने लगी... “तुम्हारे फोन पर एक लिंक है, बेटी को जिंदा देखना चाहती है तो अपने पति को बता दे। मैं ऑनलाइन इंतजार कर रहा हूं।” इतना कहकर आर्यमणि ने फोन काट दिया।... “अल्फा पैक तैयार हो ना”... सभी एक साथ हां कहने लगे...
आर्यमणि लैपटॉप ऑन करके बैठा था। सामने स्क्रीन पर धीरे–धीरे नायजो के अधिकारी दिखने लगे... डायनिंग टेबल के पर लगे बड़े से परदे पर सबकी एचडी फूटेज आ रही थी। आर्य ने सबको म्यूट कर रखा था, लेकिन आज सब अपने स्क्रीन पर दूसरों को देख सकते थे।
आर्यमणि, कनेक्ट हुये सभी नायजो को संबोधित करते..... “देखो सब शांत रहो... यहां की दीवारों पर देख रहे हो। ये नायजो दीवार की सोभा बढ़ा रहे... अब एक लायक नायजो हाथ उठाओ, जिस से मैं बात कर सकूं”...
स्क्रीन पर बहुत सारे हाथ उठ गये। आर्यमणि का एक इशारा हुआ और चार में से एक चमचा ट्रिस्किस को ओजल ने बीचोबीच चीड़ दिया। पलक की तेज चींख निकल गयी... आर्यमणि, पलक को खींचकर एक थप्पड़ मारते... “अनुशासन सिखाओ सबको। एक लायक को बोला हाथ उठाने, सभी नालायक एक साथ आ गये।”.....
फिर आर्यमणि अपना स्क्रीन पर देखते.... “लगता है परिस्थिति का अंदाजा नहीं तुम्हे... तो ये देखो। और रूही तुमने जितने को कल उस नित्या और तेजस की तरह कांटों की अर्थी पर जहर दिया था, उनका मुंह खोल दो।”..
इतनी बात कहकर आर्यमणि ने स्क्रीन पर डंपिंग ग्राउंड का नजारा दिखाया। एचडी वाइस क्वालिटी एक्सपीरियंस के लिये डंपिंग ग्राउंड के चप्पे–चप्पे पर बिछे माइक को ऑन कर दिया गया था। कैस्टर ऑयल प्लांट फ्लावर के जहर का असर पागल बनाने वाला था। भयावाह... पूर्णतः भयावाह... चारो ओर से आ रही दर्द की भयावह आवाज सुन कर रूह कांप जाये। इस नजारे के साथ बोनस नजारा था, डंपिंग ग्राउंड पर कटे फटे कई नायजो के बीच सैकड़ों पैक किये जिंदा नायजो... वहां का नजारा दिखाने के बाद....
“हां तो नलायकों वो नरभक्षी भारती मुझे आगे की बहुत जानकारी दे चुकी है, जो कल तेजस और नित्या न दे पाये थे। क्या करे मेरे दिये जहर का दर्द ही ऐसा है... मौत आती नही और मौत की ये खौफनाक दर्द जाती नही। दोबारा से, कोई एक लायक नायजो, जिस से मैं बात कर सकूं”... इस बार पृथ्वी नायजो का मुखिया जयदेव अपना हाथ उठाया, आर्यमणि जैसे ही उसका माइक ऑन किया.... “मैं बात करूंगा”... आर्यमणि वापस से उसका माइक बंद करते... “नालायक तू किसी काम का नही है। ओजल”...
आर्यमणि ने जैसे ही ओजल कहा, इस बार एक और चमची सुरैया की लाश 2 टुकड़ों में विभाजित थी। पलक की एक और दर्दनाक चींख, और एक और तमाचा... पलक चिल्लाती हुई कहने लगी.... “किसी पागल को बुलाओ इस पागल से बात करने। तुमलोग समझ क्यों नही रहे। ये 600 नायजो को काट चुका है, जिनमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी और प्रथम श्रेणी के नायजो थे। 200 को मौत से बदतर दर्द दे रहा... हम 400 को तो बचा लो। या सबको मरते देखोगे”...
पलक की आवाज सुनकर विश्वा देसाई और उज्जवल हड़बड़ा कर आगे आया, आर्यमणि उनका माइक ऑन करते.... “हां बुढ़ाऊ बोल, तू लायक है।”
विश्वा:– भारती को ठीक कर दो, मैं एक पूरे प्लेनेट के राजा से तुम्हारी बात करवा दूंगा।
उज्जवल:– हां विश्वा सही कह रहा है।
आर्यमणि:– हां बुढ़ऊ, अब तो राजा क्या महाराजा से भी बात करवा सकते हो। दोनो की नाजायज औलादे (भारती और पलक) की जान फंसी जो है। वैसे आज कल मेरा मौसा कुछ नही बोलता। मेरी मौसी गुमसुम रहती है...
सुकेश और मीनाक्षी दोनो कुछ–कुछ बड़बड़ाने लगे। चेहरे को भावना से तो लग रहा था गाड़िया रहे हैं। आर्यमणि ने उनका माइक जैसे ही ऑन करके कहा.... “हां मौसा, मौसी”... तभी उधर से गलियों के साथ दोनो कहने लगे.... “तुझे जान से मार देंगे”...... “ओजल”... एक बार फिर ओजल को पुकारा गया और ओजल ने चमचे पारस की लाश गिरा दी। पलक एक बार फिर पागलों की तरह चीख दी। आर्यमणि इस बार स्क्रीन देखते.... “यार बकवास तुम कर रहे, दोस्त पलक के मर रहे। बेचारी मासूम लड़की कितने थप्पड़ खायेगी। अनुसासन ही नही किसी में...लो भारती सुरक्षित आ गयी। अब कनेक्ट करो एक पूरा ग्रह के राजा से.... मैं भी देखूं राजा कैसा दिखता है?”
आर्यमणि जबतक बात में लगा था, रूही, इवान और अलबेली ने मिलकर भारती को हील करके हॉल में ले आयी। भारती के आंख पर चस्मा था और उसके हाथ और पाऊं कुर्सी से बांधकर बिठा दिया गया।
विश्वा:– क्या मैं अपनी बेटी से बात कर लूं..
आर्यमणि:– तुम तो इमोशनल हो गये बुढऊ... करो...
विश्वा:– भारती... भारती...
भारती:– बाबा मुझे मरना है... जिंदा नही रहना...
विश्वा:– क्या जहर अब भी शरीर के अंदर है...
भारती:– नही बाबा, उसका भयानक खौफ है। जिंदा रहना अच्छी बात नहीं होती बाबा। तुम भी मर जाओ, वरना ये आर्यमणि तुमको भी जिंदगी देगा। जिंदगी अच्छी चीज नही होती और जिंदा रहना बिलकुल गलत होता है।
राजा करेनाराय, लाइन पर आ चुका था.... “ये कैसी बातें कर रही है भारती।”... कह तो उधर से वो कुछ रहा था, लेकिन माइक ऑफ थी... इधर उसके लाइन पर आते ही इवान घुस चुका था कंप्यूटर में। करेनाराय को कुछ समझ में नही आया। वो अपनी ओर से बोले जा रहा था, लेकिन कोई जवाब नही मिल रहा था।... “अब ये चुतिया कौन है?” आर्यमणि जान बूझकर अपमान करते हुये पूछा जिसे सबने सुना...
विश्वा:– आर्यमणि ये कैसी बात कर रहे हो। यही तो है, पूरे ग्रह के राजा।
आर्यमणि उसका माइक जैसे ही ऑन किया... “तू है कौन बे”...
आर्यमणि:– मैं वो हूं जिसके वजह से तेरे एक घटिया साथी भारती को जिंदगी अब गलत लगने लगी है और मौत सही। ज्यादा बे, बा, बू, किया तो तेरा हाल भी भारती की तरह कर दूंगा। अब पहले ध्यान से देख उसके बाद बात करते है।
इतना कहकर आर्यमणि हॉल की दीवार से लेकर डंपिंग ग्राउंड का एक टूर करवा दिया। फिर उसके बाद... “हां बे चुतिये देखा मैं कौन हूं।”..
करेनाराय:– तू तू तू...
आर्यमणि:– ओजल...
ओजल ने इस बार रॉयल ब्लड भारती का सर डायनिंग टेबल पर बिछा दिया। एक बार फिर पलक की दर्द भरी चींख निकल गयी। विश्वा अपना सर पीटते हुये स्क्रीन बंद करने ही वाला था... “विश्वा दादा, तुम्हारे और भी बच्चे है और अपने चुतिया राजा से कहो स्वांस की फुफकार से तू, तू, तू करके तू तू तारा गीत न गाये। मुझे बस बात करनी है। लेकिन अनुशासन बिगड़ा तो लाश गिरेगी... हो सकता है अगली लाश तुम लोगों के उभरते नेता पलक की हो। आगे बढ़ते हैं... तो क्या मैं बात कर सकता हूं...
करेनाराय, गुस्से का घूंट पीते.... “बोलो...”
आर्यमणि:– ये बताओ की तुम लोग पृथ्वी से अपना कारोबार बंद करके कब जा रहे?
करेनाराय:– मैं नही जानता...
आर्यमणि:– ये भी चुतिया निकला.. इसे भी नही पता...
करेनाराय:– बदतमीज लड़के तुझे चाहिए क्या?
आर्यमणि:– तू भी नालायक निकला किसी और से बात करवा...
करेनाराय:– रुक तेरे काल के दर्शन करवाता हूं। ब्रह्मांड के तुझ जैसे मामले वही देखती है।
आर्यमणि:– ओह... जल्दी बात करा उस से... तब तक लोगों के मनोरंजन के लिये ओजल ...
आर्यमणि ने ओजल पुकारा और अगले ही पल एकलाफ का धर दो भागों में विभाजित था। और इस घटना को देखकर स्क्रीन पर नई जुड़ी, करेनाराय की आठवी बीवी और उसकी पहली बीवी की बड़ी बेटी से कम उम्र की बाला अजुर्मी जुड़ चुकी थी। आंखों के आगे ऐसा नजारा देखकर वह भन्ना गयी। माहोल को तो पहले ही भांप चुकी थी।
करेनाराय:– वो कुछ बोल रही है माइक ऑन करो उसका...
जैसे ही माइक ऑन हुआ, कान फाड़ बला, बला, बला होने लगा। आर्यमणि एक बार फिर पुकारा, पर इस बार केवल ओजल ही नही बल्कि संन्यासी शिवम् भी मुख से निकला। पलक अपना सर उठा कर देखने लगी, क्योंकि वह वाकई डरी थी। उसे लग रहा था, सबको डराने के चक्कर में कहीं उसके 2–4 साथी शाहिद न हो जाये।
किंतु इस बार ऐसा कुछ न हुआ, बल्कि चमत्कार सा हुआ। चमत्कार वो भी एक बार नही बल्कि 2 बार हुआ। जैसे ही आर्यमणि ने संन्यासी शिवम् और ओजल कहा, तीनो इकट्ठा हुये और अगले ही पल तीनो अजूर्मी के स्क्रीन से दिख रहे थे। एक झलक उसके स्क्रीन से दिखे और अगले ही पल वापस अपनी जगह पर। बस बदलाव में उनके साथ अजुर्मी भी जर्मनी पहुंच चुकी थी।
संन्यासी शिवम् को कुछ ही वक्त हुये थे टेलीपोर्टेशन सीखे। दूसरे ग्रह पर तो क्या अभी पृथ्वी के एक छोड़ से दूसरे छोड़ तक जाना संभव नही था। लेकिन कल्पवृक्ष दंश एक एम्प्लीफायर था जो मंत्र की शक्ति बढ़ा देता। वहीं जादूगर महान की आत्मा जिस स्टोन की माला में कैद थी, एनर्जी फायर, वह तो कल्पवृक्ष दंश से भी बड़ा एम्प्लीफायर था। 2 एम्प्लीफायर पर मंत्र की शक्ति ने वह कमाल किया की तीनो मिलकर गुरु निशि के कत्ल के सबसे बड़े साजिसकर्ता को पृथ्वी ला चुके थे।
अजुर्मी ने आते ही अपने दोनो हाथ और आंख से 2 मिनिट का शो किया। लेकिन वायु विघ्न मंत्र के आगे सब बेकार था। वैसे अब तक टकराए नायजो में अजुर्मी थी सबसे खतरनाक। जितना भू–भाग ये खुली आंखों देख सकती थी, वह पूरा भू–भाग ही लेजर की खतरनाक लाल रौशनी की चपेट में होता। इतना ही नहीं बल्कि पूरे भू–भाग को लेजर मे डुबाने के बाद मात्र अजुर्मी के हाथों के इशारे होते और वह लेजर सैकडों किलोमीटर के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले चुका होता।
इसे यदि थोड़ा आसान करके समझे और लेजर को पानी मान ले तो... अजुर्मी की नजरें उठी और जितनी दूर देख सकती थी, फिर देखने में पूरा ही हिस्सा आता था, लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई... जिसे की सामान्य आंखों से देख सकते थे। तो अजुर्मी की नजरें उठी और जितना हिस्सा उसके आंखों ने कैप्चर किया, उस पूरे हिस्से में पानी ही पानी। फिर अपने हाथ के इशारे से जैसे ही उसे धकेला, वह पानी बिलकुल अपनी ऊंचाई बनाते हुये पल भर में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर लेता था।
ऐसी खतरनाक शक्ति से होने वाली तबाही का अंदाजा ही लगाया जा सकता था। मानो अजुर्मी अपने नजरों में एटम बॉम्ब समेटे घूम रही थी। अब ऐसी शक्ति जिसके पास हो वो यदि गुमान करे तो कोई अचरज वाली बात नही। अजुर्मी की वास्तविक उम्र 78 साल थी और अब तक कुल 1 करोड़ लोगों को मार चुकी थी, जिनमे 90% तो इंसान थे।
पृथ्वी पर उसके मुख्य कारनामों में, नायजो को एक पूरे टापू पर बसाने के लिये वहां के समस्त जीवों को वह पलक झपकने से पहले मार चुकी थी। भारत से लेकर समस्त एशिया और अफ्रीका तक में वह कुल 8500 गांव को सिर्फ इसलिए वीरान कर चुकी थी, क्योंकि उस जमीन पर नायजो को बसाना था तथा कारोबार खड़ा करने के लिये जमीन खाली करवाना था। अजूर्मी खुद में एक तबाही थी, जिसके आगे सभी नायजो सर झुका लेते थे। 5 ग्रहों में अजुर्मी के ऊपर बस कुछ चंद नायजो ही बचते थे, जिनसे अजुर्मी हुक्म लिया करती थी।
पहले तो अल्फा पैक के पास कोई नाम नहीं था। आज की प्रस्तावित मीटिंग में किसी बड़े औहदे वाले विकृत नायजो को टेलीपॉर्ट करके लाना था। किंतु गुरु निशि के मुख्य साजिशकर्ता का नाम जबसे बाहर आया था, पूरा अल्फा पैक बिना उस साजिशकर्ता का इतिहास जाने, उसे ही मिट्टी में मिलाने का फैसला कर चुकी थी। शायद अजुर्मी अपने खौफनाक शक्ति से सबको मिट्टी में भी मिला सकती थी, किंतु अस्त्र और शस्त्र के खेल में उलझकर उसकी सारी शक्तियां फिसड्डी साबित हो गयी।
अस्त्र जिन्हे फेंककर हमला किया जाता है। जैसे बंदूक से निकली गोली, कोई तीर, या हाथों से फेंका गया भला। जितने भी अस्त्र होते है, वह चलाने वाले के शरीर के किसी भी हिस्से से जुड़े नही होते और लगभग सभी अस्त्रों का हमला हवाई मार्ग से होता है। ऐसे हमलों को वायु विघ्न मंत्र पल भर में काट देता। जबकि शस्त्र को पकड़कर उस से हमला किया जाता है। जैसे की लाठी, तलवार, भला या अन्य हथियार जिन्हे हाथ में लेकर हमला किया जाता है। अजुर्मी के आंखों का लेजर वाकई बहुत ज्यादा खरनाक था। लेकिन संन्यासियों और अल्फा पैक के बीच उसकी ये शक्ति दम तोड़ चुकी थी।
आर्यमणि लाइव स्क्रीन पर अजुर्मी को एक थप्पड़ मारते... “ओ बेवकूफ प्राणी, ये सब तिलिस्मी शक्ति यहां काम ना आया, तभी तो तुम्हारे जैसे कीड़े कुछ दीवारों से टंगे है, तो बहुत सारे पीछे कचरे की तरह फेंके गये है। इसे भी पैक करो जरा मैं बात कर लूं।”...
पैक का ऑर्डर होते ही अजुर्मी पहले प्लास्टिक से, फिर उसके ऊपर मजबूत जड़ों में पैक हो गयी और उसे भी डंपिंग ग्राउंड में फेंक दिया गया। आर्यमणि वापस से स्क्रीन पर आते.... “क्यों बे चूतियो तुम वहां से कुछ भी धमकी दोगे और हम सुन लेंगे। कुछ देखा, कुछ सुना, कुछ समझा”....
तभी बीच में करेनाराय टोकते... “मेरी बीवी... वो, वो कैसे ले गये उसे यहां से पृथ्वी पर”...
आर्यमणि:– कब, कहां, क्यों, और कैसे का जवाब तु अपने लोगों से बाद में ले लेना फिलहाल....
करेनाराय:– मेरी बीवी को ऐसे जानवरों की तरह पैक करके कहां ले जा रहे?
आर्यमणि:– साला अनुशासन ही नही है। शिवम सर, ओजल... (मन में विश्वा कह दिया)..
दोनो अंतर्ध्यान होकर विश्वा के पास पहुंचे और ओजल उसे, उसी के घर पर चीरकर संन्यासी शिवम् के साथ लौट आयी।..... “अब देखो अनुसासन का परिचय न दोगे, और ऐसे बीच में बात काटते रहोगे तो क्या मैं केवल यहां प्यादों को मारने का शो दिखाता रहूं। अब सब शांत होकर पहले देखो, सुनना बाद में”...
करेनाराय:– कुछ भी करने से पहले मेरा प्रस्ताव सुन लो...
आर्यमणि:– हां बोल...
करेनाराय:– हम पृथ्वी छोड़ देंगे... तुम अजुर्मी के साथ बाकियों को भी छोड़ दो...
आर्यमणि, सबको म्यूट करते..... “तू शो इंजॉय कर चुतिये। यहां जिसे मैंने बात करने बुलाया था, पलक और पलक अपने जिन 56 साथियों (30 पलक के लोग+ 22 पलक के ट्रेनी + 4 चमचे) के साथ आयी थी, उनमें से 52 ही जिंदा जायेंगे। हालांकि इसके 4 दोस्त जो स्क्रीन पर कट गये, उसकी वजह तुम लोगों की अनुशासनहीनता थी, वरना वो भी जीवित रहते.. तो पहले शो इंजॉय करो उसके बाद पृथ्वी छोड़ने पर बात होगी...
स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।
स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।
बड़े बड़े फोकस लाइट उस गड्ढे को पूरा रौशन कर रहे थे, जहां नायजो की फंसी अपार भीड़ को देखा जा सकता था। अचानक ही चारो ओर से जड़ें फैलनी शुरू हो गयी। मोटे–मोटे कांटों वाली जड़ें हर नायजो के शरीर मे घुस रहा था। एक के ऊपर एक चारो ओर से गोल–गोल घुमाकर नायजो के ऊपर नायजो को कांटों की अर्थी पर लीटा दीया गया।
सभी जिंदा नायजो 40 फिट के गड्ढे में कांटों की अर्थी पर लेटे थे। रूही ने उनके दर्द पर तड़का लगाते हुये सबको एक जैसा ट्रीटमेंट दिया। और कैस्टर ऑयल के जहर का स्वाद सबने एक साथ चखा। सभी पीड़ित नायजो एक जैसा दर्द महसूस कर रहे थे। छोटे–छोटे मक्खी कैमरा उड़ते हुये नीचे फसे नाजयो के चेहरे पर फोकस कर रहे थे। स्क्रीन देख रहे लोग स्क्रीन क्या देखेंगे, चारो ओर से आती चींख पर अपना कलेजा पकड़कर बैठ गये। लागातार आधे घंटे तक सबको चींख सुनाने के बाद खेल शुरू हुआ सबको जिंदा जलाने का।
इसके लिये आर्यमणि खुद भी डंपिंग ग्राउंड तक गया। अल्फा पैक के हर वुल्फ ने जमीन पर पड़े एक जड़ को छू रखा था। साफ देखा जा सकता था की अल्फा पैक के सभी वुल्फ की नब्ज से काला द्रव्य बहते हुये जड़ों में उतर रहा था। और वहां से नीचे पूरे कांटों की अर्थी में फैलता जा रहा था। स्क्रीन पर तो मात्र बड़ा सा विशालकाय गड्ढा दिख रहा था, जहां से पागल कर देने वाली चिंखे निकल रही थी। कैमरा इतने क्लोज एंगल में था कि सैकड़ों नयजो का बड़ा खुला मुंह कैप्चर हो रहा था। खासकर अजुर्मी के ऊपर तो 4 कैमरा अलग–अलग एंगल से फोकस था।
तभी लोगों ने देखा बड़े से कुवानुमा गड्ढे में एक पतली लाइन जलते जा रही थी। सबको समझते देर न लगी की यह आग थी। वह आग जैसे ही नीचे पहुंची, धू–धू–धू करती लपटें कुएं के बाहर तक 40–45 फिट ऊंची उठ रही थी। वुल्फ पैक के टॉक्सिक इतने ज्यादा प्रजवलनशील थे कि उसके सामने एलपीजी भी फेल हो जाये। और नीचे लिपटी जड़ें, जलने के बाद पहले कोयला बनती फिर कोयला जलकर राख बनता। इतने में तो सब स्वाहा हो जाना था।
10 मिनट तक उन्हे लगातार जलाते दिखाने के बाद आर्यमणि पुनः स्क्रीन पकड़ते.... “तो जैसा की आप सबने देखा और मेहसूस किया की, गुरु निशि और उसके शिष्यों को जलकर कैसा लगा होगा। कैसा लगा होगा उनके अभिभावक को, जिनके पास उनके बच्चों के मरने की सूचना तो थी, पर उस जगह साबूत कुछ न बचा था। तुम सब कान खोलकर सुन लो... पृथ्वी खाली करने के लिये मैं तुम सबको 3 साल का वक्त देता हूं। यहां जितने काम अधूरे है, उन्हे समेटो और चलते बनो। हां लेकिन कई अपराधिक मामलों में जितने विकृत नायजो नेता दोषी है, उनके पास भी केवल 3 साल का वक्त है। खुद को दर्द भरी मौत से बचाना है तो आसान मौत का तरीका खुद ढूंढ लेना। वरना भागकर ब्रह्मांड के किसी भी कोने में छिप जाओ, वहां जाकर केवल तुम्हे ही नही मारूंगा, बल्कि विश्वास मानो उस जगह से समस्त नायजो को ही साफ कर दूंगा।”
“जो 3 साल का वक्त मैने तुम्हे दिया है, उन 3 साल में यदि एक भी इंसान को तुम्हारे वजह से खरोच भी आयी तो फिर मैं काल बनकर आऊंगा। फिर तुम्हे मौत नही दूंगा बल्कि दर्द भरी जिंदगी दूंगा। मेरे कांटे तुम्हे बदन के हर हिस्से में घुसे होंगे। तुम अपनी हीलिग की वजह से मारोगे नही और जड़ों के पोषण से तुम भूखे रहोगे नही। बस कांटों के दर्द का मजा अपने अनंत काल के जीवन तक लेते रहोगे। और इस पूरे संधि का गवाह बना तू करेनाराय, खास ख्याल रखना की संधि टूटे न वरना मेरा पहला शिकार तू होगा।”
करेनाराय, इशारों में माइक ऑन करने कहा। आर्यमणि ने जैसे ही माइक ऑन किया..... “तू कितने मार सकता है। हमारी संख्या भी जनता है? तुझे पहले ही कहा था, मेरो बीवी को छोड़ दे, लेकिन तु नही माना। अब तेरी इस बदसुलूकी का अंजाम पृथ्वी के समस्त इंसान भुगतेंगे। उन्हे जब पता चलेगा की हम कौन है और क्या कर सकते है, तब वो थर–थर मूतेंगे। हमारे कदमों में बिछ जायेंगे।”..
आर्यमणि:– हमारे माथे पर क्या कुछ लिखा है। मैं तेरी बीवी को छोड़ देता और कुछ दिन शांत होकर मेरे खिलाफ ही साजिश रचती। और ये जो तू धमकी दे रहा है ना इंसान भुगतेंगे... नाना ऐसे मामलों में जवाब तो अपनी अलबेली ही देगी... अलबेली इस चुतिये राजा को जरा ठीक से समझाओ...
अलबेली:– “सुन बे फटे दूध की खट्टी औलाद, चुतिये पृथ्वी के इंसान तो तेरे जुल्म पहले से भुगत रहे। तू इस बात का डर क्यों दिखा रहा की भुगतेंगे। हां पर तू शायद इंसान को ठीक से समझता न है। तो पहले तुझे मैं इंसान से परिचय करवा दूं। इंसान की उत्पत्ति के पहले, उनकी उत्पत्ति के वक्त और उनकी उत्तपत्ति के बाद भी पृथ्वी जो था, कई विशाल और खूंखार जानवर का घर हुआ करता था। ये बड़े–बड़े डायनाशोर जो अकेले ही लाखो इंसानों को मार सकते थे। उस दौर में शायद मारे भी होंगे लेकिन आज विलुप्त है।”
“जंगल का राजा शेर, इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर होता है। आज वो विलुप्त के कगार पर है और इंसान उनका संरक्षण कर रहे। साले फटे ढोल के बेसुरा नतीजा ठीक से जानता भी है क्या इंसान को? इंसान वो है जो अपने उत्पात मचाने की ताकत से ईश्वर तक को पृथ्वी पर आने के लिये विवश कर चुके। उतना ही नही उन उत्तपाती इंसानों को ईश्वर अपने ईश्वरीय रूप में नही मार सकते थे, इसलिए इंसान को मारने के लिये ईश्वर तक को इंसान बनकर जन्म लेना पड़ा। तू ऐसे इंसान को घुटनों पर लायेगा जिनकी दुनिया में हम जैसे वेयरवोल्फ, इक्छाधरी नाग, अनेकों तरह के सुपरनैचुरल अपना अस्तित्व छिपाकर जीते है। कसम से एक बार अपने अस्तित्व का प्रमाण तू इंसानों के बीच दे दे, फिर तो हम छुट्टियां मनाने जायेंगे और तुझे जो अपने समुदाय के संख्या पर गुमान है, उसे फिर वही इंसान संरक्षित करके कहेंगे... “विलुप्त नायजो को मारना कानूनन अपराध होगा।” कुछ समझ में आया की नही मंद बुद्धि। इंसान जो है वो तेरे बाप है और पृथ्वी पर बाप बेटे के सामने झुकते नहीं।”
आर्यमणि:– कुछ समझ में आया बेसुरा नतीजा। इसलिए जहां है वहां शांति से राज कर और यहां पृथ्वी से अपने जैसों को समेटकर चलता बन। नही, यदि चुलक ज्यादा मची हो तो आज के बाद तुम में से कोई भी किसी इंसान को खरोच देकर बताना... पहले तो मैं ही इंसानो के सामने तुम्हारे अस्तित्व को उजागर कर दूंगा। साथ ही साथ करेनाराय तुझे मैं कांटों की ऐसी चिता पर लिटाऊंगा जिसके दर्द से तुझे भी जिंदा रहना गलती लगने लगेगा।
आर्यमणि अपनी बात कहकर लाइन डिस्कनेक्ट कर दिया। सभी सिस्टम समेट लिये। पलक तेजी से खुद को आजाद करती गुस्से में आर्यमणि पर चिल्लाने लगी...
आर्यमणि, पलक का गुस्सा समझते... “धीरे से थप्पड़ मारने पर वो रिएक्शन नहीं आता, जो तुम दे रही थी। क्या समझी?”
पलक, खुद को पूरा शांत करती.... “मैं थप्पड़ के लिये नही चिल्लाई। खैर, मैं समझ रही हूं, क्यों तुमने कहा था कि “पहले हमारे पास कोई नाम नहीं, लेकिन अब है।”... यदि मैं अजुर्मी का नाम नही बताती तो शायद यहां करेनाराय को टेलीपोर्ट करके लाते...
आर्यमणि:– हां बिलकुल सही समझी...
पलक:– सही वक्त पर मेरे मुंह से एक नाम निकल गया वर्ना दुश्मन को ठीक से न पहचान पाने के भूल की सजा भुगत रहे होते..
रूही:– क्या मतलब सजा भुगत रहे होते?
पलक:– आर्य ने तो टेलीपोर्ट करके अजुर्मी जैसे पापी को कोई मौका नहीं दिया, सीधा यहां ले आया। नतीजा पक्ष में रहा। पर करेनाराय बिलकुल उसका उलट शिकार होता। उसके पास अचानक पहुंचकर अजुर्मी की तरह टेलीपोर्ट नही कर सकते थे।
रूही:– ऐसा क्यों..
पलक:– “गुरियन नामक एक पूरा प्लेनेट है। शायद पृथ्वी से भी बहुत बड़ा प्लेनेट होगा। उस प्लेनेट पर 300 करोड़ नायजो आबादी बसती है। उस पूरी आबादी को अकेला करेनाराय नियंत्रित करता है। पृथ्वी का पहला एक्सपेरिमेंटेड बॉडी और लगभग 450 वर्ष की आयु। नायजो की कुछ खास बातें तुम सबको समझनी जरूरी है। नायजो की शक्तियां कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ी है और प्रकृति से जुड़े रहस्य को खोज निकालने में वो माहिर होते है। सोलस, नायजो इतिहास और रहस्य की पुस्तक ले आओ”...
“तुम सब इस पुस्तक को जरूर पढ़ना। बाकी संक्षिप्त जानकारी मैं करेनाराय के बारे में दे देती हुं। वह अनोखे पत्थरों का जानकर है और उनके इस्तमाल करने में महारत हासिल किया है। कोई भी यदि करेनाराय को बिना उसकी मर्जी के छूने जायेगा तो वह एक अभेद जाल में फंसकर रह जायेगा। उसके सीने पर लटक रहा सौभाग्य पत्थर वह पत्थर है, जिसका सौदा तो हुर्रीयेंट और विषपर प्लेनेट पर बसने वाले नायजो के मुखिया भी करना चाहते है।”
“इन दो ग्रहों के नायजो आज भी अपने पुराने धरोहर को गुप्त रूप से आगे बढ़ाते है जिनमे... जड़ी–बूटी विज्ञान, दुर्लभ पत्थर विज्ञान, कंबाइंड नेचुरल एंड आर्टिफिशियल साइंस और हाई–टेक मॉडर्न साइंस आते है। यूं समझ लो की विषपर और हुर्रीयेंट के नायजो ऊंचे दर्जे के नायजो है, जो अपने बारे में किसी से बात नही करते। अपने किसी भी टेक्नोलॉजी का राज नही खोलते। हमे बस उनका बनाया समान मिलता है जिन्हे हम इस्तमाल कर सकते है, लेकिन वह बनता कैसे है इस बात को जान नही सकते।”
“करेनाराय ने वह सौभाग्य पत्थर कहां से पाया किसी को नही पता। लेकिन उस पत्थर के गुण अजूबे है। ये पत्थर न तो किसी प्रकार का विध्वंश फैलता है ना ही इसके कोई वास्तविक प्रत्यक्ष गुण है। केवल अप्रत्यक्ष गुण है और उस गुण के चलते यह पत्थर ऊंचे कुल वाले विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट के नायजो को भी चाहिए। सौभाग्य पत्थर सौभाग्य लाता है। अप्रत्यक्ष रूप से तो इसके बहुत फायदे हैं लेकिन यदि बात करे किसी हमले की तो”...
“किसी भी प्रकार का हमला क्यों न हो। घटना छोटी, मध्यम या कितनी ही बड़ी क्यों न हो... सौभाग्य पत्थर अपने धारक को हर घटना से दूर रखता है। अब करेनाराय को सुई चुभोने जाओ या उसे एटम बॉम्ब से मारो, सौभाग्य पत्थर दोनो ही घटना को निष्क्रिय कर देगा। निर्जीव चीज निष्क्रिय हो तो किसी को पता नही चलता। किंतु सोचकर देखो यदि तुम करेनाराय के ऊपर हाथ रखे और हाथ रखते ही निष्क्रिय अवस्था में आ जाओ तब”..
आर्यमणि:– हम्मम... मतलब वो करेनाराय डरा नही बल्कि उल्टा वो हमले की तैयारी कर रहा होगा। मैने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी...
पलक:– अंदर से खून उबाल मार रहा है। क्या कहूं तुम्हारे इस बेवकूफी पर। फिर से एकतरफा योजना जहां दुश्मन को पूर्ण रूप से जाने बगैर फैसला किये। इस बार इंसानों की जान वाकई खतरे में है। अब तो आमने–सामने की लड़ाई होगी, जिसमे पता न कितना जान जायेगा।
ओजल:– थोड़े बेवकूफ है तो अब पूरा बेवकूफ बना जाये... चलो करेनाराय को वाकई में डराया जाये। जो पत्थर करेनाराय से ऊंचे खून वाले, न जाने किस–किस ग्रह के नायजो न ले पाये उसे हम लेकर आते हैं।
सभी एक साथ.... “मतलब”..
ओजल:– मतलब साफ है कि आज यहां से करेनाराय को बिना डराये गये, तब वह इंसानों के लिये और खासकर अपने परिवार के लिये बड़ा खतरा बन जायेगा। तो चलो उसके सौभाग्य पत्थर को छीनकर न सिर्फ करेनाराय को डराए, बल्कि समस्त नायजो के उन सभी वीर को डरा दे, जो अलौकिक वस्तु अपने पास रखकर खुद को वीर समझते हैं। करेनाराय आज एक उधारहण बनकर उभरेगा जिसकी हालत देख दूसरे नायजो कितना भी बलवान क्यों न हो, खौफ में आ जायेगा...
आर्यमणि:– हां लेकिन ये होगा कैसे... अभी–अभी तो उसकी बीवी को उसके प्लेनेट से टेलीपोर्ट किया था। अभी तो वो पूरे सुरक्षा का इंतजाम कर चुका होगा। ऊपर से करेनाराय के पास वो पत्थर भी है... वहां जाने का मतलब खुद की जान ऐसे फेंक कर आ जाना..
रूही:– ये लड़की ना हाथ से निकल गयी है। पता न इसके दिमाग में क्या चलते रहता है। ठीक है जा, लेकिन जिंदा आना...
आर्यमणि:– रूही.... ये क्या कह रही हो.... हम कोई और रास्ता देखते है। इतना खतरा उठाकर नही जाना...
ओजल:– ओ जीजू भरोसा रखो.... उसे डराना जरूरी है। शिवम् सर और निशांत मेरे साथ चल रहे। आपलोग इंतजार करो...
निशांत जो अब तक सेकंड फ्लोर पर छिपा सब कुछ लाइव देख रहा था, वह नीचे आया। आर्यमणि अपने बाजू से एनर्जी फायर निकालकर संन्यासी शिवम् के हाथ में दे दिया। तीनो ही सीधा टेलीपोर्ट होकर करेनाराय के महल के बड़े से उस कमरे में थे, जहां करेनाराय अपने बड़े–बड़े आला अधिकारियों के साथ बैठा हुआ था।
जैसे ही तीनो टेलीपोर्ट होकर पहुंचे, तीनो जिस स्थान पर थे, उसके चारो ओर पॉइंट बन गये, और देखते ही देखते उन पॉइंट्स से तेज रौशनी सिलिंग तक गयी। यह पॉइंट्स एक गोल घेरे का निर्माण कर रहे थे जिसमे संन्यासी शिवम्, ओजल और निशांत फ्रीज हो चुके थे। पर ये क्या रौशनी के बने एक गोले में तीनो ही फ्रिज थे और उस हॉल के दूसरे हिस्से में भी तीनो नजर आ रहे थे।
इधर तीनो जैसे टेलीपोर्ट होकर उस स्थान पर पहुंचे, निशांत का भ्रम जाल उसी वक्त फैल चुका था। हां लेकिन वो लोग भी तब चौंक गये, जब उनके भ्रम को ही फ्रिज कर दिया गया और वास्तविक रूप में तीनो कहां थे ये सबको नजर आने लगा था।
निशांत:– ओजल जो भी सोचकर आयी थी उसे अभी ही कर दो। इनकी शक्ति तो देखो, मेरे भ्रम तक को कैद कर लिये।
“बस हो ही गया”.... कहते हुये ओजल अपने नब्ज काट चुकी थी। बहते खून के साथ फ्रीज होने के मंत्र वो पढ़ चुकी थी। और चूंकि ओजल एक नायजो थी, इसलिए उसके मंत्र के प्रभाव से वहां माजूद हर नायजो फ्रीज हो चुका था, सिवाय करेनाराय के...
कारेनाराय:– हरामजादी मुझे फ्रीज तो नही कर पायी, लेकिन अब देख मैं क्या करता हूं...
कारेनाराय की बात समाप्त हुई और अगले ही पल वापस से कई बिंदु तीनो को चारो ओर से घेर लिये। हां लेकिन इस से पहले की आगे उन्हे फ्रीज किया जाता, करेनाराय खुद ही फ्रिज हो चुका था। हुआ ये की कल्पवृक्ष दंश की मदद से ओजल पूरा माहोल फ्रीज कर चुकी थी। बस 2 सेकंड का वक्त चाहिए था करेनाराय को जड़ों में जकड़ने के लिये, जिसका मौका खुद करेनाराय ने दे चुका था, अपना डायलॉग मारकर। बस उतने ही वक्त में करेनाराय जड़ों की चपेट में था और जड़ों की कई साखा पर न सिर्फ वह सौभाग्य पत्थर लटक रहा था बल्कि 112 और अनोखे पत्थर थे...
ओजल और निशांत तेजी दिखाते हुये उन पत्थरों को इकट्ठा करने लगे।.... “तुम्हे कैसे यकीन था कि करेनाराय जड़ों ने लिपटा जायेगा”..
ओजल:– जड़े तो प्रकृति है, और भाला प्रकृति किसी के बदन को छुए तो इसमें मुझे नही लगता की कोई भी पत्थर उसे दुश्मन समझेगा...
निशांत:– कम समय में कमाल की समीक्षा... चलो यहां से चला जाये...
बिना वक्त गवाए ओजल अपना काम पूरा करके सबके साथ वापस लौट आयी। जैसे ही वह पहुंची, रूही ओजल के कलाई को पकड़कर.... “शिवम भैया, इस लड़की को जल्दी से अपने साथ ले जाओ वरना बली प्रथा से जादू के चक्कर में ये एक दिन अपनी जान ले लेगी”...
ओजल बड़े प्यार से अपनी दीदी के गले लगी। ये स्पर्श और एहसास ही कुछ अलग था।... “जा रही हूं दीदी, और बली प्रथा से जादू को अलविदा कहकर लौटूंगी।”..
पलक तालियां बजाती... “कमाल का विश्वास और कमाल का काम.. जब इतना कर लिये तो कारेनाराय को लेते ही चले आते। उसकी जिंदगी समाप्त कर देते फिर तो सब एलियन पृथ्वी छोड़ आज ही भाग जाते”...
संन्यासी शिवम्:– या पृथ्वी पर अनचाहा युद्ध का खतरा आ जाता। किसी को अपने क्षेत्र से भागना हो तो उन्हे डराना चाहिए। और यदि युद्ध चाहिए तो जान से मार देना चाहिए। यह ठीक उसी प्रकार से था पलक जैसे मरते हुये विकृत नायजो को तुमने चाकू मारने का विचार दिया। वह मर तो रहे ही थे। खोने को कुछ न था, फिर क्या चाकू चलाए, उनका नतीजा सबके सामने था। करेनाराय अब पूर्ण रूप से डरा होगा। उसके साथ–साथ वो लोग भी सकते में आ गये होंगे जिन्हें लगता होगा की अपने तिलिस्म के दम पर वह कुछ भी कर सकते है। आज के मीटिंग का मकसद ही डराना था जो पूरा हुआ।
आर्यमणि:– सही कहे शिवम् सर.. हम सब भी यहीं सभा समाप्त करते है, लेकिन इतने सारे दुर्लभ पत्थर का करे क्या? चूंकि पलक इसकी जानकर है इसलिए इसे समझने के बाद अभी ही इसपर कोई फैसला लेकर चलेंगे.....
पालन ने अपने खास साथी सोलस को इशारा किया। वह तुरंत ही एक बैग के साथ लौटा। पलक बैग से एक छोटी सी चमचमाती छेनी, हथौड़ी और एक चिमटा निकाली। एक पत्थर को सोलस ने चिमटे से पकड़ा और पलक ने छेनी से उस पत्थर को तराशना शुरू किया। एक इंच लंबे, चौड़े और मोटे पत्थर के बीच से चमकता हुआ छोटा मोती जैसा हिस्सा निकाली। सोलस के लाये बैग से 4 इंच चौड़ा और 12 इंच लम्बा एक प्लेन पत्थर के टुकड़े की सतह पर उस मोती से पत्थर को कुछ देर घिसने के बाद.... “लो ये पत्थर अपने सबसे प्रबल रूप में आ गया है। देखना चाहोगे कमाल”.....
इतना कहकर पलक ने वह पत्थर मुट्ठी में दबाया और दौड़ लगा दी... वह ऐसे दौड़ी जैसे अदृश्य हो गयी हो। लोगों ने जब भी उसे देखा अपनी जगह पर ही देखा, लेकिन उनके आस पास की चीजें कब अस्त व्यस्त हुई पता भी नही चला। रुक कर जब वो अपनी मुट्ठी खोली, उसके हाथ में बस धूल ही धूल थे..
पूरा अल्फा पैक बड़े ध्यान देखने लगा। मन में जिज्ञासा आना लाजमी था, और सवाल अपने आप होटों पर... “अभी इस पत्थर की मदद से कोई जादू हुआ था क्या? और ये पत्थर कणों में कैसे तब्दील हो गया?
पलक:– “आराम से सब बताती हूं। पत्थर की शक्तियों को जितना इस्तमाल करेंगे, वह पत्थर उतना ही अपने अंत के करीब जायेगी। पत्थर का मूल रूप उसके मध्य में होता है, जिसके ऊपर पत्थर की कठोड़ परत पड़ी होती है। जैसे की अभी लाये पत्थर में से ये पत्थर गति को इतना बढ़ा देता है कि लोग अदृश्य लगने लगते है। परंतु यह पत्थर एक बार इस्तमाल में लाये जाने के बाद ध्वस्त हो गया।”
“प्रयोग में लाये जाने के हिसाब से पत्थर की शक्ति निर्भर करती है। अब जैसे ओजल के दंश का पत्थर, वह एक अलौकिक और अंतहीन पत्थर है। इसका कितना भी प्रयोग करो कहीं से भी क्रैक नही होगा। उसके बड़े से आकर को देखो। मूल रूप से पत्थर का मध्य भाग जो मोती से ज्यादा बड़ा नहीं होता बस उतना ही काम का हिस्सा रहता है, और वो हिस्सा जितना कवर रहेगा उतना ही असर कम दिखाएगा। परंतु ओजल के दंश का पत्थर जो है वह अपने मूल रूप में है। इतना बड़ा दुर्लभ पत्थर पूरे ब्रह्मांड में बहुत ही मुश्किल से मिलेंगे।”
“अंतहीन पत्थर काफी दुर्लभ होते है, मिलना मुश्किल और मिल गया तो संभालना मुश्किल और संभाल लिये तो दुश्मनों से अपना जान बचाना मुश्किल... उसके अलावा निचले स्तर के पत्थर आते है, जिन्हे मैं कैटिगरी 1, 2, और 3 में बांटे हूं... कटीगरी 3 के पत्थर एक बार ही प्रयोग में लाये जा सकते है। जिस पत्थर को अभी सबने देखा। कैटोगरी 2 के पत्थर 10 साल तक चलते है, लेकिन जैसे–जैसे प्रयोग में आता जायेगा, उसका असर धीरे–धीरे कम होता जायेगा और फिर दम तोड़ देगा। पहले कैटोगेरी के प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर का कितना भी इस्तमाल करो उसका असर कभी कम नही होता, लेकिन कोई निश्चित नही की कब उन पत्थरों में क्रैक आ जाये और वो नष्ट हो जाये। हां लेकिन ऐसे पत्थर को पौराणिक तरीके से बचाने का उपाय पहले से है। आस्था के कई अलौकिक रूप को ऐसे ही संरक्षित किया जाता है। उन विधि को यदि पूरे नियम से माने जाये तो कैटिगरी 1 के पत्थर को अंतहीन पत्थर को तरह इस्तमाल कर सकते हैं। फिर उनसे मिलने वाले लाभ कभी कम न होंगे न कभी खत्म होंगे और कैटोगारी 1 के पत्थर मिलने में थोड़े आसान भी होते हैं।
आर्यमणि:– पत्थरों की अद्भुत जानकारी तुम्हे मिली कहां से...
पलक:– मैं पिछले कई महीनों से बस इसी पर रिसर्च तो कर रही हूं। दुनियाभर के बड़े–बड़े पुस्तकालय को ही छान रही थी। जितनी जानकारी जहां से भी मिली, बटोर रही थी।
संन्यासी शिवम:– पलक तुम सभी पत्थरों को यहां तरासो। उनके गुण और अवगुण सभी को बताओ। किस वर्ग का कौन सा पत्थर है, वो भी बताना। फिर मैं बताऊंगा की उन पत्थरों को आसानी से संरक्षित कैसे रख सकते हैं और प्रयोग में लाये जाने वाले एक भी पत्थर कैसे प्रयोग करने वाले से कभी चुराया नही जा सकता...
पलक खुशी से उछल गयी। उछलकर वह सीधे संन्यासी शिवम के गले लग गयी। रूही पलक को उनसे अलग करती.... “मतलब अब शिवम् सर पर डोरे डाल रही।”..
पलक:– अब क्या दूसरों पर भी डोरे न डालूं.. क्या चाहती है, तेरे पति पर ही डोरे डालूं...
रूही:– नाना मैं तो तुझे तेरी उस हाहाकारी की याद दिला रही थी जिसके बारे में तुमने बताया था... एक पहले से है, तब क्यों सबके गले पड़ रही...
आर्यमणि:– चुप हो जाओ रे तुम सब। इन लड़कियों की बात समाप्त ही नही होती... लो पत्थरों का ढेर लग गया।
पत्थरों के ढेर में वह पत्थर भी था जो आचार्य जी निकलते वक्त आर्यमणि और अपस्यु को दिये थे। डायनिंग टेबल पर कुल मिलाकर 848 पत्थर थे। सब लोगों की मदद से काम जल्द ही समाप्त हो गया। एनर्जी फायर और नागमणि को छोड़कर कुल 22 पत्थर थे जो अंतहीन पत्थर थे। ज्यादातर अंतहीन पत्थर सुकेश के घर से चोरी की हुई पत्थरों में से था। कुछ पलक पास अंतहीन पत्थर थे तो कुछ पत्थर करेनाराय से मिला था।
128 पत्थर जो थे वह कैटोगारी 1 के पत्थर थे, जिन्हे संभाल कर रखते तो अंतहीन इस्तमाल किया जा सकता था। इन पत्थरों में वह पत्थर भी सामिल थे जो अल्फा पैक को मंत्र सिद्ध करने दिये गये थे। बचे हुये पत्थर को भी अलग–अलग कैटोगारी में बांटा जा चुका था।
संन्यासी शिवम वहां मजूद जितने भी आज के साथी थे, महा से लेकर 52 नायजो और अल्फा पैक, सबको तरासे हुये पत्थर मिले। लेकिन उन्हें यूं ही हाथ में नही दिया गया। बल्कि सन्यासी शिवम् के बड़े से योजन में ओजल और निशांत ने हिस्सा लिया। उन लोगों ने पलक से वह अनोखी धातु मांगी जिसे हाइवर मेटल कहते थे और जो सूरज की भट्टी में तपकर तैयार होता था।
उनकी मदद से तीनो ने मिलकर सबके लिये एमुलेट बनाया। अभिमंत्रित एमुलेट जिसके मध्य में एक बड़ा पत्थर लगा सकते थे और धातु के उस गोलाकार बॉक्स के बीच में कई सारे मोती जैसे पत्थरों को भी रखा जा सकता था। हर एमुलेट उसके पहनने वाले के नाम से अभिमंत्रित किया गया। यदि किसी कारणवश किसी भी वायक्ति की मृत्यु हुई फिर वह एमुलेट स्वतः ही आश्रम पहुंच जाएगी।
कोई चोर एमुलेट को एक क्षण के लिये चुरा जरूर सकता था, लेकिन अगले ही क्षण वो एमुलेट गायब होकर उसके धारक के पास पहुंच जायेगी। कोई ऐसा मंत्र नही था जो एमुलेट को उसके मंत्र से अलग कर सके क्योंकि एक संपूर्ण सुरक्षा घेरे के बीच मंत्र को सिद्ध किया गया था। कोई साधक उसे तोड़ने की कोशिश करता तो पहले सुरक्षा मंत्र को तोड़ना पड़ता, जिसके लिये उसे खुद सामने आकर आश्रम के विरुद्ध लड़ाई लड़नी पड़ती। कई अलौकिक एमुलेट की रचना की गयी जिसमे कम से कम एक पत्थर डालकर सबको सौंप दी गयी।
सबसे ज्यादा मेहनत अल्फा पैक और पलक के एमुलेट पर किया गया। जिसे हर मानक चिह्न को सिद्ध करते, ग्रहों की संपूर्ण दिशा को साधकर वह एमुलेट बनाया गया था। सबसे ज्यादा पत्थर आर्यमणि के एमुलेट में ही थे, जिसमे 25 तराशे हुये अंतहीन एनर्जी स्टोन को एक चेन में लगाया गया था, जिसके बीच एक रक्षा स्टोन था, जिसे आचार्य जी ने दिया था। ठीक वैसे ही एमुलेट की रचना बाकियों के लिये भी किया गया था, जिसमे पत्थर की संख्या कम या ज्यादा हो सकती थी।
सबको अपना अपना एमुलेट मिल गया था। तराशा हुआ सौभाग्य पत्थर संन्यासी शिवम ने ओजल को उसकी सूझ–बूझ और बुद्धिमता के लिये दे दिये। पलक के पास जो 5 स्टोन थे वह भी अंतहीन स्टोन ही थे, जिसे उसके एमुलेट में डाल दिया गया था। इसके अलावा पलक के एमुलेट में 6 कैटोग्री 1 वाले तराशे पत्थर भी थे, जिन्हे सन्यासी शिवम् अपनी स्वेक्षा से पलक को सौंपे थे। सबसे ज्यादा खतरे के बीच पलक ही थी, इस बात को ध्यान में रख कर।
इतनी अलौकिक वस्तु पाकर पलक और उसकी टीम काफी खुश थी। सबके एमुलेट में तराशे हुये कई नये पत्थरों को रखा जा सकता था। पलक ने एमुलेट के तर्ज पर ही एक बड़ा बॉक्स बनवाया, जिसके अंदर जो पत्थर एक बार गयी, फिर कभी चोरी न हो सके। क्योंकि उसे पता था, नायजो के पास अलौकिक पत्थरों की कमी नहीं थी।
बातों के दौरान ही पलक अपनी शक्तियों के राज से पर्दा उठाती हुई कहने लगी... “मैं शक्ति के पीछे नही थी और न ही मैं प्रथम श्रेणी की नायजो हूं। मेरे पास तो केवल बिजली की शक्ति थी, जिसका ज्ञान मुझे गुरु निशि के आश्रम से लौटने के बाद हुआ था। तुम सब विश्वास नही करोगे, उस छोटी उम्र में मैं कितनी विचलित थी और दिमाग पर पूरे समाज से ही अपनी मां के खोने का बदला लेना था। मैने वैसा किया भी। अपने बाप को बिजली के झटके दिये। अपनी मां को दिया। दोनो मुंह फाड़कर मुझ पर ऐसे हंसे जैसे मेरे विचलित मन की खिल्ली उड़ा रहे हो।”
वह मेरे गुस्से का कारण पूछते रहे पर मैं पूछ न सकी की मेरी मां, अब मुझे मां क्यों नही लगती। धीरे–धीरे वक्त बिता और मैं अपनी शक्ति को अपना अभिशाप समझने लगी, जो मेरे पास तो थी पर किसी काम की नही थी। क्या करूं क्या न करूं कुछ समझ ने नही आ रहा था। मायूसी ने ऐसा घेर रखा था कि मैं पूरी दुनिया से ही अलग–थलग हो गयी। मेरी 10 वर्ष की आयु रही होगी जब अमरावती में मैने किसी महात्मा के मुख से गुरु निशि की एक बहुप्रचलित बात सुनी.... “शक्ति का पास में होना किसी को बलवान नही बनता। शक्तियों के साथ धैर्य और संतुलन ही आपको बलवान बनाता है।”...
“इस छोटे से वाक्य ने मेरी जिंदगी को जैसे बदल दिया हो। 10 साल की आयु के बाद से ही मैं अपने बिजली की ताकत को निखारती रही। बस फिर धीरे–धीरे वही शक्तियां निखरती चली गयी। मेरे आंखों में कौन सी शक्ति है, वो मैं नही बता सकती, क्योंकि उसका ज्ञान मुझे भी नही। जो चीज कहीं दूर से इरिटेट करती है, उसे उड़ाने के ख्याल से देख लो और बूम।”..
पलक की बात को सभी ने बड़े ध्यान से सुना। आर्यमणि ने वहीं से अपस्यु को भी कॉल लगा दिया। वो भारत तो पहुंच चुका था लेकिन अभी योजनाबद्ध काम शुरू करने से पहले बाकी चीजों पर ध्यान दे रहा था। आर्यमणि के कहने पर अपस्यु ने पलक के साथ एक साल काम करने पर राजी हो गया। हालांकि अपस्यु का कहना था... “मैं तो मात्र कुछ इंसान से भिड़ने जा रहा है, राह ज्यादा मुश्किल नही होगी।”
जबकि आर्यमणि का कहना था कि... “सबसे ज्यादा खतरे के बीच वही जा रहा क्योंकि इंसान से बड़ा धूर्त कोई नही और धूर्त के बीच जीत चाहिए तो धैर्य जरूरी है। धैर्य किसे कहते हैं वो पलक से सीखना साथ में उस से पत्थर के रहस्य को भी समझाना।”
हालांकि आर्यमणि का अपस्यु से संपर्क करने के पीछे एक छिपा मकसद भी था। बात जब आखरी चरण में थी तब आर्यमणि ने इशारा दिया और अपस्यु टेलीपैथी के जरिए आर्यमणि से मन के भीतर संवाद करने लगा, जहां आर्यमणि ने अपनी मनसा जाहिर करते हुये कहा.... “पलक की परख करनी जरूरी है। मैं भरोसा करके बार–बार धोखा नही खाना चाहता। इसके अलावा पलक यदि सही है तो पलक और तुम्हारी कहानी लगभग एक सी है। दोनो के पिता ने ही मां का साया बड़ी बेरहमी से छीन लिया। पलक को जब अपने मां के कातिलों के बीच धार्य से काम करते देखोगे तब तुम्हे भी बुरे से बुरे परिस्थिति में धैर्य रखने का साहस मिलेगा।
आर्यमणि और अपस्यु की बातें समाप्त हो चुकी थी। इधर पलक भी सब पैक करके तैयार थी। वह महा और कुछ लोगों के साथ पोलैंड निकलती, जहां उसके दो विश्वशघाती दोस्त प्रिया और सार्थक से हिसाब लेने के बाद भारत पहुंचती... जाने से पहले आर्यमणि ने नकली अनंतकीर्ति की पुस्तक पलक को दे दिया। अंततः जर्मनी की सभा समाप्त हुई। अल्फा पैक पलक और महा को छोड़ने वुल्फ हाउस की सीमा तक पैदल ही निकले।
कुछ दूर चलते ही पलक आर्यमणि से कहने लगी.... “अच्छा हुआ याद आ गया। तुमने जब समान ढूंढने वालों को साफ किया था, उसमे कोई मोनक नाम का लड़का मिला था...
आर्यमणि:– नही जानता, मतलब मर गया है।
पलक:– 220 में अपने काम के 2 ही लोग थे। उसके बचने को भी सभावना नही लगती... चलो कोई न, किसी और को ढूंढना होगा।
आर्यमणि:– मैने एक एलियन को कैद में अब तक रखा है, नाम है जुल...
पलक:– क्या कहा तुमने...
आर्यमणि:– जुल...
पलक एक बार फिर उछली। उसे देख रूही ने जैसे भांप लिया और आर्यमणि को खींचकर अपने पीछे करती... “जुल के आगे बोल जूली”...
पलक खुश होकर रूही के ही गले लगती... “अरे वही तो अपने काम का बंदा है।”
आर्यमणि:– लेकिन वो तो एक्सपेरिमेंट बॉडी वाला नायजो है।
पलक:– उसे सोलस ने सेलेक्स्ट किया था, आंख मूंदकर भरोसा कर सकती हूं।...
आर्यमणि:– 80 इंसान और एक नाजयो का पता भेज दिया हूं। छुड़ा लेना... चलो अब तुम्हे निकालना चाहिए... हम भी यहां से सब समेटकर निकलेंगे...
पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।
पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।
सबको छोड़ने के बाद अल्फा पैक वुल्फ हाउस में आ गया। रूही की घूरती नजर और उसके गुस्से से बचने के लिये आर्यमणि सबको बातों में ही उलझाकर रखा था। लेकिन फिर भी बीच–बीच में रूही तंज मार ही देती। सभी मेहमान चले गये थे, सिवाय स्थानीय रेंजर मैक्स और उसकी टीम। वह जड़ों में लिपटे तीसरे फ्लोर पर आराम कर रहे थे।
आर्यमणि ने उन सबकी कुछ पल की यादस्स्त मिटाई। कुछ औपचारिक मेल–मिलाप हुआ और वहां से वो लोग भी विदा लिये। एक दिन विश्राम के बाद संन्यासी शिवम और निशांत भी जाने के लिये तैयार थे। उन दोनो के साथ ओजल भी निकल रही थी। थोड़े भावनात्मक क्षण थे, नम आंखों से ओजल भी विदा हुई।
अलबेली:– माहोल पूरा शांत, अब आगे क्या?
इवान:– आगे अब मुख्य काम में शादी ही है।
रूही:– किसकी दिलफेक गुरुदेव की, जो सबकी चुम्मी लिया करता है।
आर्यमणि:– रूही अब बस भी करो। पलक ने जबरदस्ती किया था, तुम वहीं थी।
रूही:– हां मैं थी आर्य। उसने जबरदस्ती किया और तुमसे तो पीछे हटा ही नही गया न। तुम्हे तो बड़ा मजा आ रहा था क्यों...
आर्यमणि:– अच्छा सुनो मैं क्या कह रहा था...
रूही:– हां आचार्य जी ने २१ दिसंबर का डेट निकाला है, तब तक कुछ अय्यासी ही कर लेता हूं।
आर्यमणि:– काहे रूही काहे.. काहे इतना ओवररीक्ट कर रही हो?
रूही:– चुम्मा तो छोटा–मोटा मैटर है, सबके मुंह में मुंह लगाए घूमते रहो। मैं हूं ही मूर्ख जो इतनी पिद्दी जैसी बात पर रिएक्ट करने लगी। हूं कौन मैं, गांव की एक गंवार और तुम अमेरिकन सिटीजन...
8 मार्च देर शाम की घटना थी। 9 मार्च बीता, 10 मार्च बीता, 12 मार्च बीता... जर्मनी गया कैलिफोर्निया आया पर रूही का गुस्सा और ताने में एक प्रतिसत की भी कमी नही आयी। सब बहुत दिनों बाद अपने कॉटेज पहुंचे थे। अल्फा पैक आते ही साफ सफाई में लग गया जबकि आर्यमणि बर्कले की स्थानीय खबर लेने निकला।
बर्कले छोड़ने के ठीक एक रात पहले जो घटना हुई थी। वही घटना जिसमे अल्फा पैक को एक अलग ही तरह का नशा दिया गया था और कुछ अजीब से प्राणियों से अल्फा पैक भिड़ी थी। उसी संदर्भ में जानकारी लेने निकला। कुछ देर स्कूल, और जंगल का दक्षिणी हिस्सा छानबीन करने के बाद आर्यमणि सीधा रूही की मासी नेरमिन के इलाके में घुसा। चूंकि उस रात नेरमिन पैक के 10 वुल्फ भी मारे गए थे, इसलिए नेरमिन का पूरा पैक ही आर्यमणि को घूर रहा था...
आर्यमणि:– आज तुम्हारे पैक के हाव–भाव बदले हुये है नेरमिन...
नेरमिन:– अभी तो जंग होनी बाकी है। लूकस और हमारे 9 वुल्फ को क्यों मारा...
ओशुन:– बात ही क्यों करना, सीधा साफ कर दो... वैसे भी अकेला आया है...
तभी अल्फा पैक की दहाड़ एक साथ गूंजी.... “मेरी जान को सीधा साफ कर दोगी, इतनी हिम्मत.... जो दूसरों का शरीर नोचकर उनसे नशा का समान बनाते हो, उनमें इतना गुरुर”...
रूही चिल्लाती हुई अपनी बात कही और आर्यमणि को ऐसा घुसा मारी की उसका नाक टूट गया.... “हम पैक है और किसी वुल्फ के इलाके में घुसना हो तो पैक लेकर घुसा करो। फिर वो दोस्त हो या दुश्मन।”..
नेरमिन:– मतलब मैं तुम्हारी दुश्मन हो गयी? तुम्हे तमीज सीखने की जरूरत है रूही।
रूही:– और अपने बहन की बेटी और उसके परिवार के साथ जो साजिश रची थी, वो तो बड़ा तमीज वाला था न नेरमिन।
रूही की बातें नेरमिन से बर्दास्त न हुई। आवेश में आकर रूही को खींचकर एक तमाचा मारती.... “मेरे 10 लोगों को बर्बरता से मारने के बाद मुझे ही सुना रही है। मैं तो खुद कही थी ना जो भी अल्फा पैक से भिड़ने जायेगा, वो अपनी हालत का खुद जिम्मेदार होगा। फिर यदि लूकस और उसके दोस्त तुमसे भिड़े तो तुम लोग बेशक जो चाहे करते, लेकिन उसके सर को यूं कुचल कर हटाना नही चाहिए था। मुझे भी देखना था कि किसकी गलती थी।”..
रूही:– किसकी गलती थी, उसका पता तक नहीं लगा पायी या सब पहले से ही पता था। वो वाहियात नशीली दवा तुम्हारे पैक के वुल्फ ने दी थी, जिसके असर के कारण मेरी बहन ओजल नब्ज काटे खून को भूमि पर बहा रही थी। मैं और आर्य पूरे स्कूल के बीच एक दूसरे को ऐसे चूमे जैसे कोई आवारा जिस्म की आग में पागल हो गये थे। मेरा भाई इवान और अलबेली इतनी बेसुध थी कि कोई भी इन्हे लतों से मार रहा था और दोनो नग्न अवस्था में पड़े हुये थे।
ओशुन:– तो क्या अब तुम्हारे नशे के भी जिम्मेदार हमारे पैक के बीटा ही थे, जिन्हे तुमलोगाें ने ऐसे मारा की उसके दिमाग से कुछ यादें भी नही लीया जा सके। मूर्ख तो नही समझी हमें, जो ये न समझ सके की कौन नशे का समान बना भी रहा था और इस्तमाल भी कर रहा था। और सजा तो उन्हे मिली, जिसने इस राज का पता लगाया होगा। मां मेरी बातों पर गौर करो...
रूही की भीषण तेज दहाड़ जो चारो ओर गूंज रही थी। इसी के साथ रूही, अलबेली और इवान तीनो एक साथ पंजे झटक कर अपने क्ला बाहर निकालते..... “तो फिर इतनी बातें ही क्यों? चलो एक दूसरे को मारकर सीधा फैसला ही कर लेते है।”
रूही की दहाड़ पर अल्फा पैक जोश में और आज तो रूही की दहाड़ फर्स्ट अल्फा नेरमिन को भी जैसे चुनौती दे रही हो। उसकी दहाड़ से सभी शून्न पड़ गये, सिवाय ओशुन के।.... “मैं इकलौती वेयरकायोटी हूं, जो इतना सक्षम हो चुकी हूं कि तुम जैसों की आवाज से कंट्रोल में न आऊं।”
आर्यमणि:– जब रूही तुम्हे चीड़ रही होगी तब अपने वेयरकायोटी होने का धौंस देना। बहरहाल मैं यहां नेरमिन और उसके पैक की राय जानना चाहता हूं कि पूरे मामले वो क्या सोच रहे है?
नेरमिन के पैक का एक अल्फा.... “आग दोनो ही पैक के सीने में बराबर लगी है। हमने 10 बीटा खोये तो अल्फा पैक के अंदर भी अपने सदस्य को कहीं खो न देते उसका अक्रोश देखा जा सकता है।
दूसरा अल्फा:– हां हम दोनो के ही सीने में एक जैसी आग लगी हुई है।
नेरमिन का पूरा पैक एक साथ.... “दो साथी पैक ही एक दूसरे के जान के दुश्मन बने है, पूरा मामला क्या है?”...
आर्यमणि:– रूही तुम सबको लेकर पीछे हटो और थोड़ी शांत हो जाओ। नेरमिन चलो पहले विश्वास जगाते हैं।
नेरमिन ने सहमति में अपना सर हिलाया और दोनो कदम आगे बढ़ाकर एक दूसरे के सामने आये। क्ला एक दूसरे के गर्दन में घुसे थे और दोनो एक दूसरे की यादों में देख रहे थे। आर्यमणि अपनी यादों में सीधा उस दिन को दिखा रहा था, जिस दिन यह पूरी घटना हुई थी। जबकि आर्यमणि, नेरमिन के दिमाग में बचपन के 8 भाई–बहनों को देख रहा था, जिसमें रूही की मां फेहरीन भी थी। क्या अद्भुत प्रेम था, वर्णन कर पाना मुश्किल। जितनी देर में नेरमिन आर्यमणि के एक दिन की यादाश्त ली, आर्यमणि नेरमिन की पूरी याद को खंगाल चुका था।
नेरमिन झटके के साथ आर्यमणि से अलग होती.... “राजकुमारी कैरोलिन को मार डाले।”... ये वही राजकुमारी थी, जिसे उस रात ओजल ने अपने कल्पवृक्ष दंश से चीड़ दिया था।
आर्यमणि:– जो मर गये उनपर बाद में चर्चा करेंगे, पहले उस रात की घटना पर बात कर ले।
नेरमिन:– हां वो रात... शायद हम दोनो सहयोगी पैक को आखरी चरण तक पहुंचाने की साजिश किसी तीसरे ने रची थी, जो कामयाब रहा। यही नहीं बल्कि उस साजिशकर्ता ने न जाने कितने वुल्फ पैक को बेवजह की दुश्मनी में फंसा दिया वो तो आने वाले वाला वक्त ही बताएगा। अब तो लाशों का खेल शुरू होगा। वेयरवोल्फ और वेमपायर एक बार फिर आमने–सामने होंगे।
आर्यमणि:– वेमपायर हां... तो वो ठंडे बेजान शरीर वाले वेमपायर थे। और वो साजिशकर्ता कौन था, क्योंकि लूकस की भागीदारी यही कहती है कि भेदी तुम नही तो तुम्हारे पैक से कोई होगा...
नेरमिन:– मेरे पैक में इतने होशियार वुल्फ नही जो किसी के खून और अंदुरूनी अंग से किसी प्रकार का नशा बनाने की जानकारी रखते हो। सिवाय एक के जो हम दोनो को अच्छे से जनता था। हम दोनो को तो अच्छे से जानता ही था साथ में पृथ्वी पर पाए जाने वाले अन्य सुपरनेचुरल के बारे में भी अच्छी जानकारी रखता है।
आर्यमणि, नेरमिन को बड़ी ही हैरानी से देखते हुये.... “तुम्हारे इशारे किसके ओर है नेरमिन”..
नेरमिन:– वही जिसका नाम तुम्हारे दिमाग में गूंज रहा है, लेकिन मुंह से लेना नही चाहते... बॉब...
आर्यमणि:– बॉब.. क्या कहा तुमने बॉब... खैर पहली बात तो ये बॉब ने किया नही होगा और यदि बॉब ने किया भी होगा तो ये समझ लो की उसे किसी ने अपने वश में किया था....
नेरमिन:– इतना भरोसा...
आर्यमणि:– आज–कल बहुत कम लोगों पर यकीन होता है। पर जिनपर यकीन होता है फिर वो सामने से भी कुछ गलत करते हुये नजर आये, तो दिमाग में यही चलता रहेगा की पीछे से कोई और करवा रहा है।
नेरमिन:– अब ये तो बॉब के मिलने के बाद ही पता चलेगा।
आर्यमणि:– बॉब यदि जिंदा होगा तो आज ना कल मिल ही जायेगा।
नेरमिन:– क्यों जिसपर इतना यकीन है, उसे ढूंढने भी नही जाओगे...
आर्यमणि:– मामूली चाबुक के दम पर एक शेर से इंसान तमाशा करवा सकता है। मैं ताकतवर के पीछे जा सकता हूं, लेकिन एक दिमाग वाले के पीछे कभी नही। जो भी साजिशकर्ता है, उसे पता होगा की मुझे बॉब चाहिए और बॉब मुझे उसी स्वरूप में चाहिए जैसा मैं उसे जानता हूं। इसलिए बॉब की फिकर नही है, मैं जबतक फसूंगा नही या मर नही जाता तबतक बॉब को कुछ नही होगा। बाकी जिसे दुश्मनी निकालनी है, वो मेरे पीछे आये।
नेरमिन:– दिमाग की कमी तो तुम्हारे पास भी नहीं। इसलिए शायद उस राजकुमारी कैरोलिन को चिड़ने के बाद गायब हो गये थे।
आर्यमणि:– गायब हुआ नही था, बल्कि कुछ निजी काम से गया था।
नेरमिन:– चलो मान लिया, तो क्या जब साजिशकर्ता के ऊपर बात हो गयी है, तो हम वेमपायर के बारे में बात कर ले।
आर्यमणि:– हां बिलकुल...
नेरमिन:– “वेयरवोल्फ और वेमपायर उत्पत्ति के समय से ही एक दूसरे के दुश्मन रहे है। हालांकि वेमपायर शुरू से ही वेयरवोल्फ का इस्तमाल करते आया था, लेकिन बाद में जबसे वेयरवोल्फ हावी हुये वेमपायर को छिपना पड़ गया। हमे अर्जेंटीना से बर्कले भी इसलिए बुलाया गया था, ताकि वेमपायर पर शिकंजा कसा जा सके। लगभग 40 वर्ष पूर्व एक संधि हुई, जिसमे वेमपायर काउंसिल अपनी दुनिया समेटकर फिर कभी किसी के रास्ते में न आने का करार किये। बदले में उन्हें भी कोई परेशान न करे।”
“राजकुमारी कैरोलिन दरअसल इंसानी दुनिया में न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट की डिटेक्टिव थी, वो भी सबसे कम उम्र की। उसका पिता, भुआन, एक यूएस सीनेटर है। यूं समझ लो कैरोलिन का बड़ा सा परिवार, वेमपायर और बाकी दुनिया के बीच की दीवार है और उस दीवार में तुमने सुराख कर दिया है। सायद उन्हे अब तक कातिल मिले नही या तुम्हारे गायब होने के कारण वह तुम्हे ढूंढ न पाए, वजह जो भी हो। लेकिन वो लोग कुछ महीनो से शांत है, इसका मतलब जरूर किसी जलजले की तैयारी कर रहे है।”
आर्यमणि:– तुम लोग अपनी जान बचाओ। बाकी देखते है, ये दुश्मनी का जलजला क्या रंग लाता है? वैसे वेमपायर के बारे में मैने सुना था कि वह दिन की रौशनी में नही निकल सकते। फिर ये किस प्रकार के वेमपायर है जो दिन में निकल सकते हैं?
नेरमीन:– तुमने वेमपायर के बारे में जब सुना होगा, तब साथ में एक अल्केमिस्ट का जिक्र भी हुआ होगा। उसी अल्केमिस्ट का कमाल है जो आज के वक्त के बहुत से वेमपायर खुद को मोडिफाई कर चुके है।
“अब ये क्या है? लगता है तुम्हारा कहा जलजला आज ही तो नही आ गया।?”... आर्यमणि ऊपर आसमान में हुई हलचल को देखते हुये कहने लगा।
बात किसी नतीजे पर पहुंचती उस से पहले ही 4–5 हेलीकॉप्टर सर के ऊपर मंडराने लगे। धूल के आंधी के बीच सभी हेलीकॉप्टर लैंड हो रहा था। कड़क काली वर्दी, वर्दी पर तरह–तरह के हथियार टंगे हुये। हाथों में कमाल के एसल्ट–राइफल, जिसकी लाल रौशनी केवल अल्फा पैक के ऊपर ही थी। सबकी वर्दी के पीछे एफबीआई लिखा हुआ था। बस 2 लोगों को छोड़कर जो काले टैक्सिडो में थे।
“सबकी नली तुम्हारे पैक के ऊपर ही है आर्य। शायद ये वो जलजला नही जो तुम सोच रहे। क्या कांड कर आये जो एफबीआई आयी है?”... नेरमिन फुसफुसाई...
आर्यमणि:– तुम्हे कैसे पता ये वो जलजला नही है..
नेरमिन:– यहां दिमाग नही चला रहे। इतने लोगों में बस चार लोगों को छांटे है। यदि वेमपायर द्वारा प्रायोजित ये घटना होती तो बंदूक की नली हम सब पर होती। क्योंकि जब लूकस नशे के खेल में सामिल था तो पहले उसके बारे में ही जानकारी खंगालते न।
आर्यमणि:– हम्म... बात तो तुम्हारी सही है। वैसे मैं बता दूं कि ये कैरोलिन और उसके साथ जितने भी लोग थे, वो थे बहुत खतरनाक मोडिफाइड। हो सके तो अपनी जान बचाओ और अपने पैतृक पैक के पास एमेजोन की जंगल लौट जाओ। उन्हे मेरी तलाश ही करने दो। अपने और अपने पैक को बचाओ।
नेरमिन:– और लूकस की संदिग्ध मौत से जैसे उन्हे कुछ पता ही नही चलेगा। किसी ने हम दोनो को बुरी तरह फसाया है।
आर्यमणि:– लूकस का पाता लगाने के बाद यदि तुम तक पहुंचे तो उनसे कह देना तुम्हे कुछ खबर नही की वह किन लोगों के साथ क्या कर रहा था। आशंका की सुई हमारे पैक पर डालना। और उन्हे डायवर्ट करते हुये भी कह देना की जिसने भी लूकस और साथ में तुम्हारे 9 लोगों को मारा था, वही असली दोषी है। उसकी तलाश तुम भी कर रही। जो की सत्य है और उन्हें यकीन करना होगा।
नेरमिन:– हां सुझाव अच्छा है लेकिन तुम्हे क्या लगता है, क्या मैं ऐसा करूंगी?
आर्यमणि:– चिंता मत करो, रूही तक उनके हाथ नही पहुंचेंगे... मैं जानता हूं कि तुम फेहरीन के एक भी बच्चो को कुछ नही होने दे सकती। पर ये भी मत भूलो की वो किसके पैक का हिस्सा है। वैसे भी दिसंबर में हमारी शादी है, उसकी तैयारी करनी है या नही?...
नेरमिन:– और इन दूसरी ससुराल वालों का क्या, जो तुम सबको अभी लेने आये है? दिसंबर तक फ्री हो पाओगे या हम बिना दूल्हा और दुल्हन के ही शादी की तैयारी करे?
आर्यमणि:– वादा रहा अपने समय से पहुंचेंगे... तुम बस तैयारी करके रखो...
नेरमिन:– हेल्लो मेरे होने वाले दामाद, मेरी बेटी को शादी से कम से कम 2 हफ्ते पहले भेज देना। क्या समझे... और हां ये अलग से फोन करके न कहना पड़े की उसके भाई को भी... दोनो की शादी होनी है न..
“एडम ये सब अपने घुटनों पर क्यों नही। सबको हथकड़ी पहनाओ और लेकर चलो।”.... हेलीकॉप्टर लैंड कर चुकी थी। बिलकुल फिल्मी अंदाज में वुल्फ पैक को तुरंत ही गन पॉइंट पर घेर लिया गया था। आर्यमणि और नेरमिन की बात पर विराम लगाते हुये एक टैक्सीडो वाला हाई–क्लास व्यक्ति पहुंचा और कमांडिंग एजेंट को हथकड़ी पहनाने का हुक्म दे डाला।
“हथकड़ी पहनाओ” सुनकर ही रूही पूरा भड़क गयी। ठीक उस टैक्सिडों वाले के सामने खड़ी होकर, गुस्से से लाल आंखें दिखाती.... “हथकड़ी पहना लिये फिर तो बात तुम्हारे हाथ से निकल जायेगी। जहां ले चलना है ले चलो, पर कोई बदतमीजी बर्दास्त नही करेंगे।”..
"पीछे खड़ी हो जाओ... सुना नही तुमने पीछे खड़ी हो जाओ।”.... रूही जब अपनी बात कह रही थी, ठीक उस वक्त एक एफबीआई एजेंट भी रूही के करीब पहुंचकर 2 बार माना किया। रूही जब नही मानी तब वह जैसे ही रूही को हाथ लगाने गया, इवान ने उसे ऐसा लात मारा की वह ऑफिसर कई फिट पीछे चला गया।
जैसे ही यह घटना हुई, हर गण का सेफ्टी लॉक खुल चुका था। उधर उनका सेफ्टी लॉक खुला इधर आर्यमणि गण निकालकर उस टैक्सिडो वाले के ऊपर तानते..... “मुझे नही पता की तुम लोग यहां क्यों आये हो। लेकिन जब मेरी होने वाली पत्नी ने कुछ बोल दिया और वो मैं कर सकता हूं, तो जरूर करूंगा। दम है तो हथकड़ी पहनाकर ले जाकर दिखा।”..
वहां का पूरा माहोल ही जैसे इंटेंस हो चला हो। चारो ओर से हवाएं भी जैसे गंभीर ध्वनि निकाल रही थी। जो जिस अवस्था में थे वहीं जैसे जम गये थे और हमला करने को लगभग तैयार।
वहां का पूरा माहोल ही जैसे इंटेंस हो चला हो। चारो ओर से हवाएं भी जैसे गंभीर ध्वनि निकाल रही थी। जो जिस अवस्था में थे वहीं जैसे जम गये थे और हमला करने को लगभग तैयार।
बॉम्ब की पिन जैसे खींच दी गयी हो और धमाका कभी भी हो सकता था। किंतु अक्सर ही ऐसी परिस्थिति में कोई न कोई समझदार तो आगे आता ही है। ठीक वही यहां भी हुआ। 2 टैक्सिडो पहने अधिकारी पहुंचे थे। एक ने तो हथकड़ी पहनाने कह दिया लेकिन दूसरी वो अर्ध–वृद्ध महिला जो पीछे खड़ी थी.... “रिलैक्स ब्वॉयज अपने हथियार नीचे करो। और तुम भी आर्यमणि, तुम भी अपना हथियार नीचे करो।”..
रूही:– हमारा नाम जानती हो मतलब पूरी रिसर्च करके आयी हो?
महिला:– हां पूरी रिसर्च की हूं। तुम सब कौन हो और क्या कर सकते हो, ये हम जानते है। कोई भी तुम में से किसी को हथकड़ी नही पहना रहा इसलिए अब तुम सब भी रिलैक्स हो जाओ।
नेरमिन:– तुम सब के मामले में दखलंदाजी के लिये माफ करना। तो क्या मैं और मेरी टीम यहां रुके या जायें?
महिला:– हां तुम जा सकती हो और आर्यमणि तुम अपने लोगों को लेकर मेरे साथ चलो...
आर्यमणि:– कहां जाना है?
महिला:– तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे.... अभी फिलहाल बिना किसी सवाल के चलो...
आर्यमणि अल्फा पैक के ओर देखते..... “चलो फिर”
रूही:– चलने से पहले हमे जरा आपस में बात करनी है। तुमलोग जरा हमे जगह दोगे...
महिला:– हां क्यों नही... ब्वॉयज चार कदम पीछे।
रूही सबको लेकर छोटा सा घेरा बनाती... “हमारे अपने पंगे कम है क्या, जो इनके साथ जाएं?”
इवान:– हां दीदी सही कह रही है। जीजू मना कर दो इन एफबीआई वालों को...
अलबेली:– अरे ये शासन–प्रशासन के लोग है। इनका काम नही करोगे तो ये हमारा जीना हराम कर देंगे...
इवान:– जब मैं इन्हे चीड़ दूंगा, तब भी ये परेशान करेंगे क्या?
रूही:– शाबाश, अब कुछ–कुछ तू मर्दों जैसी बातें करने लगा है।
अलबेली:– किस ग्रह से आये हो दोनो। पागलों 6 अरब से ज्यादा की इंसानी आबादी है, कितने को चिड़ोगे।
इवान:– हम इतने लोगों को क्यों चिड़ने लगे। बस यहां कुछ लोगों को चीड़ देंगे। या जड़ों में लपेटकर यादाश्त मिटा देते हैं।
आर्यमणि:– 9 महीने खाली ही तो बैठे हैं। शादी दिसंबर में है और हमारा नया बना दुश्मन वेमपायर जो है, उनकी पकड़ अमेरिका के शासन–प्रशासन के भीतर है। हम भी देखते हैं कि एफबीआई वालों को हमसे क्या काम है। काम करने लायक हुआ तो कुछ दोस्त हम भी बना लेंगे। क्या कोई बुराई है?
रूही:– नही कोई बुराई तो नही है, लेकिन फ्री में कोई काम नही करेंगे।
आर्यमणि:– हां ठीक है वो बाद में देखते है। पहले पता तो चले की हमसे करवाना क्या चाहते हैं?
रूही:– ठीक है फिर चलो देखते है।
आर्यमणि ने इशारा किया और सभी हेलीकॉप्टर में लोड हो गये। हेलीकॉप्टर कैलिफोर्निया के एक मिलिट्री बेस पर लैंड हुई। वहां से अल्फा पैक को एक मीटिंग हॉल में बिठाया गया। आर्यमणि मन के संवादों में पहले ही समझा चुका था कि अपने हर सेंसेज प्रयोग करने सिवाय आंखें। और इस मीटिंग हॉल में एनिमल इंस्टिंक्ट वाली आंखों की ही जरूरत थी, क्योंकि वह मीटिंग हॉल लगभग अंधेरा था।
अल्फा पैक तकरीबन आधा घंटा उस मीटिंग हॉल में थे। जहां बिठाया गया था, वहीं बैठे रहे। मुंह से एक शब्द नही निकल रहे थे किंतु दिमाग के अंदर संवाद जारी था। कुछ लोग इन पर बाहर से नजर बनाए थे लेकिन वह भी अचंभित थे। चारो (आर्यमणि, रूही, अलबेली और इवान) किसी प्रोफेशनल की तरह पेश आ रहे थे।
आधे घंटे बाद उस मीटिंग हॉल की लाइट जली और उस हॉल में एक जाना पहचाना चेहरा दाखिल हुआ। आते ही अपना परिचय देते हुये कहने लगा.... “मैं कर्नल नयोबी हूं। मैंने ही तुम सबको यहां बुलाने की सिफारिश की थी।”
अल्फा पैक उसे हैरानी से देख रहा था। मुख से कुछ न निकला लेकिन मन के संवादों में.... “ये तो उस रात कैरोलिन के साथ था न। उनके प्रशिक्षित सेना का मुखिया।”
आर्यमणि:– शांत रहो और मुझे बात करने दो..
नयोबि:– क्या हुआ, इतने हैरान क्यों हो?
आर्यमणि:– कहीं बाहर चलकर बात करे...
नायोबी:– बाद में बहुत मौके मिलेंगे... अभी फिलहाल उस मामले को समझ ले, जिसकी वजह से तुम्हे यहां बुलवाया है।
आर्यमणि ने सहमति जताया, तभी मीटिंग हॉल के प्रोजेक्ट पर बर्फ में ढका एक पूरा भू–भाग दिखाया जाने लगा। उस बड़े से भू–भाग के बीच एक बड़े निर्माण का थ्रीडी इमेज चलने लगा। फिर निर्माण की बारीकियां समझाया गया। इमारत का जितना निर्माण ऊपर होना था, उस से कहीं ज्यादा पेंचीदा उसके नीचे का निर्माण था। 3 तल भू–तल निर्माण था।
पूरा निर्माण अच्छे से समझाने के बाद नयोबी.... “हम यह निर्माण कार्य अंटार्टिका महाद्वीप में करना चाह रहे थे। 6 बार कई लोग सर्वे के लिये वहां गये। कुछ लोग लौटकर आये और बहुत से लोग रहशमयी तरीके से गायब हो गये। किसी को कुछ पता नही की वहां क्या हुआ था? और न ही बर्फ पर किसी इंसान या जानवर के पाऊं के निशान पाये गये थे। तुम्हारा काम होगा उस रहश्मयी चीज का पता लगाना और निर्माण कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आने देना।”...
आर्यमणि:– इतना बड़ा निर्माण करना वो भी अंटार्टिका जैसे महाद्वीप में, मुझे नही लगता की 10 वर्ष से पहले निर्माण कार्य पूर्ण होगा। मुझे माफ करो और अपने काम के लिये किसी और को ढूंढ लो।
नयोबि:– मैं यहां तुम्हारे सामने कोई प्रस्ताव नहीं रख रहा। मैने तुम्हे काम समझाया दिया है और तुम्हे ये करना होगा।
आर्यमणि:– पूरे निर्माण तक मैं वहां रहूं, सवाल ही पैदा नही होता। फिर यूएस के मिलिट्री एजेंसी का ऑर्डर हो या एफबीआई एजेंसी का....
आर्यमणि साफ मना कर चुका था। नयोबि आगे कुछ कहता उस से पहले ही एफबीआई की महिला अधिकारी मीटिंग हॉल में शिरकत करती.... “बात शुरू करने से पहले मैं अपना परिचय दे दूं। मेरा नाम जूलिया है और मैं एफबीआई की ज्वाइंट डायरेक्टर हूं। आर्यमणि तुम समझ सकते हो मामला कितना गंभीर है, जो एफबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर को ही सीधे ऑर्डर मिले है। हम अपना काम सही–गलत हर तरीके से करवाना जानते है। तुम्हे काम की जानकारी हो गयी है। पूरे निर्माण कार्य तक तुम मत रुको, बस मेरे काम की बात सुना दो।”
आर्यमणि:– मैं नवंबर के आखरी हफ्ते तक कैलिफोर्निया लौट आऊंगा। इस बीच मैं वहां के रहस्य को सुलझाकर मै लौट आऊंगा। यदि रहस्य नही सुलझा तो भी मैं नवंबर में लौटूंगा और अगले साल जनवरी से रहस्य को सुलझाने की कोशिश करूंगा। 2 बातें मैं साफ कर दूं, पहला ये की विषम परिस्थिति में मैं अपने और अपने लोगों की जान बचाऊंगा, तुम्हारे लोग मेरी जिम्मेदारी नही है। दूसरा यदि मै रहस्य सुलझाने में कामयाब रहा तो मुझे अपनी पसंद का एक क्रूज शिप चाहिए।
नयोबि:– एक क्रूज शिप??? उसका क्या करोगे?
आर्यमणि:– महासागर की सैर पर निकलूंगा...
ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया.... “क्या कहा तुमने, तुम्हे एक ऐसा क्रूज चाहिए जो महासागर की लंबी दूरी तय कर सके। कीमत भी जानते हो क्या होगी?”
आर्यमणि:– उस कीमत से तो कम ही होगी जिसमे कई बार लोग पूरे तैयारी के साथ अंटार्टिका जाते हो और कुछ लोग अपनी जान बचाकर वहां से भागते हो। एक बार का ही कितना नुकसान हुआ होगा। फिर तो ये नुकसान 6 बार हो चुका है। कीमत तो सही है।
रूही:– अब तुम जरा चुप रहो। ये लोग तुमसे मोल–भाव कर सकते हैं, लेकिन मुझसे नही। 50 मिलियन फाइनल...
ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– होश में भी हो कितना मांग रही। इतने में तो प्राइवेट आर्मी आ जायेगी... इतना नही दे सकते...
आर्यमणि:– तो हमारी पसंद का एक क्रूज ही दे दो...
ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– अब कोई एक ही बात कर लो। मैं किसकी सुनु...
रूही:– आर्य अब तुम बीच में नही बोलोगे। 50 मिलियन यूएसडी फाइनल...
ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– इतना नही दे पाऊंगी। मैं बजट बहुत ज्यादा खिंचूंगी तो भी 50000 डॉलर से ज्यादा नही दे सकती...
रूही:– क्या??? मेंहतना सीधा 1% कर दी... स्त्री हो मोल भाव अच्छे से आता है। लेकिन मैं भी नागपुर की बस्तियों में पली हूं, अपना हक छोड़ने वाली नही। 50 मिलियन से एक पैसा कम नही।
मोल भाव चलता रहा। जूलिया यहां तक कह चुकी थी कि यदि ज्यादा पैसे मांगते रहे तो अंटार्टिका में ही अटका देंगे और पैसे तो भूल ही जाओ। एक लंबे से डिस्कशन के बाद 1 मिलियन यूएसडी में रूही ने फाइनल कर लिया। फाइनल करने के बाद आर्य को देखती हुई कहने लगी.... “4–5 करोड़ में तुम्हारा जहाज बन जायेगा। अब मुंह मत लटकाओ, मैने कुछ पैसे ज्यादा ही मांगे है।”...
आर्यमणि अपने दोनो हाथ जोड़ते.... “हां तुम सर्वज्ञाता हो।”...
जूलिया:– क्या हुआ, खुश नही हुये क्या? कीमत कम लग रही है क्या?
आर्यमणि:– कहां एक क्रूज की बात चल रही थी और कहां तुमने एक मिलियन में निपटा दिया।
जूलिया:– तुम्हे क्या लगता है, क्या तुम बात करते तो अलग नतीजा निकलता। हां लेकिन यदि तुमने प्रोजेक्ट शुरू करवा दिया तब तुम्हारे क्रूज का जो भी बिल होगा उसका 50% भुगतान की जिम्मेदारी मैं निजी तौर पर देख लूंगी। लेकिन इसके लिये पहले तुम्हे...
आर्यमणि:– हां बिलकुल... बिना किसी बाधा के निर्माण कार्य शुरू हो जाये। तो कब निकलना है...
जूलिया:– जितनी देर में तुम सब अपनी पैकिंग करके यहां पहुंचोगे, रवाना होने में उतनी ही देर है। बिना वक्त गवाये पैकिंग करके लौटो। और हां अपने साथ आर्म्स एंड एम्यूनेशन मत लाना। उसकी हमारे पास कोई कमी नही।
आर्यमणि:– हमे बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती भी नही। घर तक किसी को छोड़ने बोलोगी या पैकिंग करने पैदल ही जाना होगा।
जूलिया:– इतना वक्त नहीं है, तुम हेलीकॉप्टर से जाओ...
लगभग एक घंटे में अल्फा पैक अपने समान के साथ वापस आ चुके थे। बड़ा सा विमान उनकी प्रतीक्षा में रनवे पर ही खड़ा था। लगभग 500 लोगों को लेकर वह विमान उड़ गया। उसके पीछे 2 बड़े–बड़े कार्गो विमान भी उड़े। यूनाइटेड स्टेट से उड़ान भरकर चिली देश में कुछ देर का हाल्ट लिया और वहां से अंटार्टिका के लिये उड़ान भर चुके थे।
अंटार्टिका वर्क स्टेशन पर तीनो विमान लैंड हुये। यहां से लगभग 400 मिल की दूरी पर वह जगह थी जहां निर्माण कार्य संपन्न होना था। एक छोटे से औपचारिक मीटिंग के बाद कर्नल नयोबी अपने 18 लोग की टीम और अल्फा पैक के साथ उस जगह के लिये रवाना हो गये। जरूरत के पर्याप्त सामान और 2 मालवाहक हेलीकॉप्टर में सभी लोग सवार होकर उस स्थान तक पहुंचे।
मध्य में एक बड़ा सा टेंट लगाकर पाल चढ़ाया गया। यहां सबका मीटिंग हॉल, खाने की जगह जो कह लीजिए। उसी के चारो ओर, 10 छोटे–छोटे टेंट लगाये गये थे। कुछ देर विश्राम करने के बाद फिर आगे की रणनीतियों पर चर्चा होती। बाकी सब तो गये विश्राम करने लेकिन अल्फा पैक जो पिछले कुछ दिन से कई सवालों के साथ सफर कर रहे थे, वह सीधा नयोबी के टेंट में घुसे।
नयोबि:– हां मुझे उम्मीद थी की वक्त मिलते ही पहले तुम लोग मेरे पास ही आओगे।
आर्यमणि:– हमे तुम्हारे बेमपायर काउंसिल और करार के बारे में पता है। तो क्या मैं ये मान लूं की तुम इतनी दूर केवल अपना बदला लेने आये हो?
नयोबि:– देखो बदला मुझे नही चाहिए लेकिन मेरे समुदाय के लोग जब तुम्हारे बारे में पता लगा लेंगे, तब मजबूरी में मैं भी उनके साथ खड़ा रहूंगा। फिलहाल कोई बदला नही। मै शुद्ध रूप से यहां यूएस गवर्नमेंट का काम करने आया हूं।
आर्यमणि:– मैं समझा नही... तुम्हारे समुदाय के लोग मेरे बारे में क्यों पता लगाएंगे...
नयोबि:– हमारे समुदाय को पता है कि राजकुमारी कैरोलिन की जान किसी अज्ञात ग्रुप ने लिया, जिसकी पहचान हम कर नही सके। मैं और मेरे साथ आये सभी 48 लड़ाका ने यही कहा था।
आर्यमणि:– इतनी मेहरबानी की वजह...
नयोबि:– मैने तुम्हारे बारे में पता किया। गलती हमारी थी, जो पूरा मामला पता लगाये बिना किसी को भी दोषी समझ लिये। इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा। हां लेकिन अब मामला फसा हुआ है। हमारे समुदाय (वेमपायर) को इस से फर्क नही पड़ता की कैरोलिन की जान किन हालातों में गयी। उन्हे तो बस बदला चाहिए, जिसे मैं और मेरे लोगों ने कुछ देर के लिये रोक दिया है। बाकी आगे का नही कह सकता...
आर्यमणि:– आगे फिर वही होगा, खून–खराबा। खैर धन्यवाद दोस्त।
आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर वहां से जाने लगा। तभी नयोबि रोकते.... “सुनो आर्यमणि”..
आर्यमणि:– हां...
नयोबि:– हमारे तकनीक और प्रशिक्षित लड़ाके को तुमने हरा कैसे दिया? वो भी 5 वेयरवोल्फ हम 50 पर भरी पड़ गये?
आर्यमणि:– कुछ चीजें बताकर नही समझाया जा सकता। उसके लिये खुद की बुद्धि और सामने वाले को परखना पड़ता है।
एक सवाल जो अल्फा पैक के मन में घर कर बैठा था, उसका जवाब तो मिल चुका था। अब जिस काम के लिये यहां आये थे, उसे जल्द से जल्द समाप्त कर अंटार्टिका के बाहर निकलना था। एक महीने तक आर्यमणि और अल्फा पैक इसी काम पर लगे रहे। अंटार्टिका के विषम जलवायु में मात्र बर्फीले जगह को झेलने वाले जानवर जैसे की सील, पेंगुइन इत्यादि ही मिलते, वो भी तटिया क्षेत्र में मिला करते थे। जिस जगह निर्माण कार्य होना था वहां से तो तट दूर–दूर तक नही था। जिस जगह अल्फा पैक ठहरे थे, वहां उनके अलावा वेमपायर को छोड़कर किसी अन्य जीवों का कहीं कोई संकेत नहीं था।
जांच परताल करते हुये लगभग महीने दिन के ऊपर बीत चुके थे। मार्च गया अप्रैल भी जाने वाला था, लेकिन जिस खतरे की बात कही गयी थी वह इतने दिनो में कहीं नही दिखा। नयोबि ऊबकर एक छोटा सा मीटिंग बुलाते... “लगता है हमें या तो गलत जानकारी मिली थी या फिर हमारा सामना जिन दुश्मनों से है वह काफी शातिर है।”
आर्यमणि:– क्या बात है... इतने दिन बाद दिमाग की बत्ती जली है। वैसे यदि ये मान ले की दुश्मन बहुत शातिर है, तो तुम्हारे इस समीक्षा की वजह.....
नयोबि:– शातिर इसलिए क्योंकी जिन 6 बार हमला हुआ था, यहां पूरा क्रू पूरे समान के साथ पहुंचे थे। निर्माण कार्य जिस दिन शुरू किये, उसी रात बहुत से लोग समान सहित गायब हो गये।
आर्यमणि:– नही... पहली बात वो हमारे दुश्मन नही, बल्कि हम उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने आये है, इसलिए हम दुश्मन हुये।
नयोबि:– जो भी कहना चाह रहे हो खुलकर कहो...
आर्यमणि:– महीने दिन से ऊपर हम यहां किसी टूरिस्ट की तरह है, इस बात से यहां के मूल निवासी को कोई परेशानी नही। वहीं जैसे ही उन्हें आभाष होगा कि हम उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर रहे। कुछ निर्माण करना चाह रहे है। ऐसी परिस्थिति में वो लोग हरकत में आ जायेंगे।
नयोबि:– तुमने अभी लोग कहा। तो क्या वो इंसान की कोई प्रजाति है, जो यहां के जलवायु को एडॉप्ट कर चुके हैं?
आर्यमणि:– नही... शायद ये जलवायु ही उनके लिये बनाया गया था। हां लेकिन आगे कुछ भी उनके बारे में कहने से पहले उनसे एक मुलाकात करना तो बनता है।
नयोबि:– वो जो छिपकर शिकार करते हैं, उनसे मिलने की चाहत... कहीं मौत से मिलना तो नही चाह रहे आर्यमणि...
आर्यमणि:– क्यों तुम 18 प्रशिक्षित वेमपायर होकर डर रहे। जबकि तुम्हारे शरीर मे ही पता न इन–बिल्ट कितने फीचर्स हो।
नयोबि:– वीरता और पागलपन में अंतर होता है। दुश्मन जिन्हे हम जानते नही वह हमेशा चौंका जाते है। हाल में ही हम ये भुगत चुके है।
आर्यमणि:– इस मामले में अपनी तो किस्मत ही खराब रही है नयोबि। हर बार मामला उलझने के बाद ही हमें दुश्मन की ताकत का पता चलता है। भले ही पहले से हम कितना भी होमवर्क करने की कोशिश क्यों न करे, साला दुश्मन का पूरा पता लगा ही नहीं पाते। इसलिए बिना जाने ही सही आज उनसे मुलाकात तो करनी ही होगी।
नयोबि:– चलो फिर हम भी तुम्हारे पीछे ही लटक जाते है। लेकिन उनसे मुलाकात करने के लिये तुम क्या करने वाले हो...
आर्यमणि:– बस देखते जाओ....
आर्यमणि का इशारा हुआ। पूरा अल्फा पैक एक साथ टेंट के बाहर आया। आर्यमणि ने रूही, अलबेली और इवान को कुछ समझाया। तीनो एक साथ मुस्कुराते.... “ये कुछ ढंग का काम हुआ, वरना पिछले कई दिनों से बस छानबीन वाला फालतू काम कर रहे थे।”..
आर्यमणि:– तो फिर जाओ छा जाओ...
तीनो ने मिलकर एक बड़े इलाके को अपने क्ला से मार्क कर दिया। उनके चार छोड़ पर चार वुल्फ। आर्यमणि का इशारा होते ही सभी ने अपने एम्यूलेट को पकड़कर मंत्र पढ़ा और मंत्र पढ़ने के बाद पूरे जोड़ का पंच बर्फ के ऊपर दे मारा। ऐसा आवाज आया जैसे कई किलो आरडीएक्स एक साथ ब्लास्ट हो गया हो।
अंटार्टिका के सतह पर लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की मोटी बर्फ की परत होती है। चारो के एमुलेट में एनर्जी स्टोन लगे थे। इनका चलाया मुक्का जादुई रूप से काम किया और जिस जगह इनका मुक्का पड़ा वहां ढांचा ही ढह गया था। आर्यमणि के कोने पर तो और भी ज्यादा असर देखने मिला। चुकी उसके पास तो 25 एनर्जी स्टोन एक क्रम में जुड़ा था। आर्यमणि सब बात को ध्यान में रखकर मात्र नपा–तुला मुक्का मारा था, किंतु वहां की बर्फ जैसे फटकर चकनाचूर हो गयी हो और बड़ा सा गड्ढा दिखने लगा था।
नयोबि जब तक बाहर आता तब तक तो ये लोग पंच चला चुके थे। किसी ने देखा ही नहीं की वहां पंच चला या बॉम्ब फटा। हां जैसा इंपैक्ट था उसे देखकर वेमपायर को यही लगा की चारो ने चार पॉइंट पर ब्लास्ट किया था। नयोबि अपने टीम के साथ गुस्से में बाहर आते..... “तुम्हे पता भी है, अंटार्टिका में पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचा सकते। फिर यहां ब्लास्ट क्यों किये।”...
रूही:– जाकर अंदर छिप जाओ बच्चे क्योंकि यहां असली एक्शन शुरू होने वाला है।
नयोबि:– यहां चल क्या रहा है आर्यमणि? मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम और तुम्हारे लोग बहुत कुछ जानते हुये भी हमसे जानकारी छिपा रहे हो।
आर्यमणि:– अपने हथियार नीचे डाल दो नयोबि वरना तुम अपने और अपने लोगों के मौत के जिम्मेदार स्वयं होगे..
नयोबि:– ये कैसा जलजला और तूफान आया है?
बातों के दौरान ही वहां की सतह पर भूकंप जैसे झटके महसूस होने लगे थे। बर्फीली हवाएं इतनी तेज बह रही थी कि कुछ भी देख पाना मुश्किल था। अल्फा पैक शायद खतरे को भांप चुकी थी, लेकिन नयोबि और उसके लोगों को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनका सामना किनसे है।
बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।
बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।
15 फिट ऊंचा 4 फिट चौड़ा विशालकाय शरीर। हाथों में जब 1 फिट चौड़ा और 5 फिट लंबा तलवार लिये दौड़ते हुये सामने आया, ऐसा लगा विशाल मौत सबकी ओर दौड़ रही थी। ये हिम–मानव की प्रजाति थी, जिन्हे हिमालय के सुदूर क्षेत्र से लेकर बिग–फूट के नाम से अमेरिका में भी देखे जाने के दावे किये जाते थे, किंतु आज तक कोई प्रत्यक्ष प्रमाण नहीं मिला था।
आर्यमणि और पूरा अल्फा पैक तुरंत ही अपने घुटनों पर आकर सर झुका लिये। उनके ओर दौड़ रहा हिम–मानव तलवार लहराता हुआ करीब पहुंचा और अपने सम्मान में झुके निहत्थे लोगों को देखकर रुक गया। आर्यमणि के ही देखा–देखी नयोबि और उसके लोग भी घुटनों पर आकर सर झुका लिये।
हां लेकिन कुछ लोग इतने डरे हुये थे कि चिल्लाते हुये भागे और भागने के क्रम में अंधाधुन फायरिंग भी करते हुये भागे। हिम–मानव को गुस्सा आ गया और वो एक छलांग लगाकर उनके सामने। डर ने ऐसा घेरा की वो वेमपायर यह तक भूल गये की वो क्या कर सकते थे। बेबस और असहाय की तरह सामने खड़े मृत्यु को देख रहे थे।
आर्यमणि को जब एहसास हुआ की कुछ लोगों की जान खतरे में है। फिर बिना वक्त गवाए आर्यमणि अपना सर ऊपर किया और सामने खड़े हिम–मानव के आंखों से आंखें मिला, तेज दहाड़ लगाया। दहाड़ इतनी तेज और लंबी थी कि जिसने भी सुना स्थूल पड़ गया। आर्यमणि के दहाड़ निकलने भर की देरी थी, फिर तो पूरा अल्फा पैक ही दहाड़ निकाल रहा था।
अल्फा पैक की दहाड़ सुनकर हिम–मानव घूरती नजरों से अल्फा पैक को देखे। मुख से निकला... “ऐसा क्या?” और अगले ही पल चारो ओर से एक सुर में ऐसा भयानक चिल्लाने की आवाज आयी, कि आर्यमणि तक हैरान। जब तक कुछ समझ में आता हर कोई मेहसूस कर रहा था कि वह किसी गड्ढे में गिर रहा है। सबकी आंखें बंद हो गयी। और जब आंखें खुली तब आंखों के आगे अद्भुत दृश्य था। ऐसा लग रहा था नीचे गिरने के कारण मृत्यु हो गयी और जब आंख खुली तो स्वप्न नगरी में थे।
चारो ओर चकाचक बड़ी–बड़ी हीरे समान चमचमाती इमारतें। शहर भी ऐसा बना था मानो फुरसत से बैठकर प्लान करके बनाया गया हो। ना कोई इमारत सड़क पर इंच भर भी आगे और न ही कोई इमारत दूसरे इमारत से एक भी इंच छोटा या बड़ा। जितनी आधुनिकता उतनी ही हरियाली थी। पेड़ भी इस कदर श्रेणी क्रम में लगे थे कि देखने वाले हैरान हो जाये।
सड़क इतनी चौड़ी थी कि एक किनारे से चार एरोप्लेन एक साथ उड़ान भर सकते थे। वहीं बीच का हिस्सा जो डिवाइडर का काम करता था वह किसी एक किनारे के मुकाबले 2 गुना बड़ा था, जिसमें खाने वाली फसलें, जैसे धान, गेंहू, मक्का, बाजरा इत्यादि की खेती की जा रही थी।
खुद की हालत पर जब गौर किये तब पता चला की सभी लोगों को बहुत ही ऊंचे टावर की छत पर रखा गया था। ये टावर भी कमाल की इंजीनियरिंग का बेहद खूबसूरत नजारा था। 15 फिट मोटे टावर की लंबाई लगभग 1200 फिट थी, जिसके ऊपरी सिरे पर 500 मीटर की रेडियस का खुला छत था। उस छत पर आर्यमणि, नयोबि और उनके साथी ही नही बल्कि 200 से 300 और भी लोग थे। बस फर्क सिर्फ इतना था कि ये लोग बौने थे, और वो लोग 15 फिट के हैकल शरीर वाले।
आर्यमणि:– ये हम आसमान से गिड़कर किस प्रकार के खजूर पर लटक गये।
रूही:– मुझे नही पता। हम जहां कहीं भी है, है ये कमाल की जगह। कोई विशेष टिप्पणी, कर्नल नयोबि।
नयोबि:– क्या तुम इन जैसे प्रजाति से पहले भी मिल चुके हो?
आर्यमणि:– नही बस मुझे अंदाजा हो गया था कि बर्फ की सतह के नीचे जीवन बसता है। ऐसे जलवायु में कौन रह सकते हैं, उसका भी अंदाजा था। जिसे अमेरिका में बिग–फूट और भारत में हिम–मानव कहते है, वही समुदाय। मैं भी पहली बार ही मिल रहा हूं।
“ज्यादा मच–मच नही करने का बौनो। वरना अदालत के फैसले से पहले कहीं हम न फैसला कर ले।”.... वहां मौजूद हिम–मानव की भिड़ से एक हिम–मानव बोला..
आर्यमणि:– अदालत... मतलब...
हिम–मानव:– अबे घोंचू अदालत मतलब अदालत जहां अपराधियों को सजा सुनाई जाती है।
रूही:– अपराधी??? तो क्या हम किसी प्रकार की जेल में है...
हिम–मानव:– हां ये टावर ट्रायल एरिया है। तुम सब रोलफेल देश की राजधानी पीक सिटी में हो। अब ज्यादा सवाल–जवाब नही वरना अपना मगज गरम हो जायेगा।
रूही:– वैसे यहां तुम लोगों का नाम भी है या एक दूसरे को पुकारने का कोई अलग तरीका है?
हिम–मानव:– ए सटकेली, बिना नाम के कैसे किसी को पुकारेंगे... हम सबका नाम है। मेरा नाम हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8 है।
रूही:– इतना बड़े नाम से बुलाते हैं तुम्हे... हिम–भोसला–गज्जक–जूनियर–8..
भोसला:– अरे नही रे, पूरा नाम था वो। बुलाते तो भोसला के नाम से ही है। हिम का मतलब है हमारे पूर्वज हिमालय की नगरी से थे। गज्जक अपने पूज्य पिताजी का नाम है और अपन उनकी आठवें नंबर की संतान है इसलिए जूनियर–8.. लो मामू लोग की टोली भी आ गयी, चलो अपन चलता है। जेल में मुलाकात होगी...
पुलिस की 8–10 उड़न तस्तरी वैन टावर के ऊपर लग गया। जिस किसी कैदी को उठाना होता, उसके ऊपर ट्रैप वेब किरणे पड़ती और वह खींचकर सीधा पुलिस की उड़न तस्तरी वैन में। अल्फा पैक और नयोबि की टीम को छोड़कर बाकी सबको उठा ले गये।
नयोबि:– बहुत खतरनाक लोग है आर्यमणि। और इनकी सभ्यता काफी विकसित मालूम पड़ती है।
आर्यमणि:– अब पता चला गायब लोग कहां गये।
नयोबि:– हां खुद को लापता करवाकर पता लगा ही लिया। ये बताओ इनकी अदालत में क्या फैसला ले सकते है?
आर्यमणि:– ठीक वैसा ही फैसला लेंगे जैसे यूएसए की जमीन पर किसी दूसरे देश के निवासी जबरदस्ती जमीन पर कब्जा करते पकड़े गये हो।
नयोबि:– यूएसए के नागरिक जबरदस्ती कब्जा करते पाये जाये, तो उसे नही छोड़ते। विदेशी तो बहुत दूर की बात कर दिये। घुसपैठियों के लिये तो कानून और दोगुना शख्त हो जाता है।
आर्यमणि:– बस फिर हमारा भी यहां वही हाल होना है। अल्फा पैक यहां से निकलने का कोई रास्ता समझ में आ रहा है?
रूही:– ऊपर आसमान नही है। वुल्फ आई से देखो तो पता चलेगा की सर के ऊपर किसी प्रकार के किरणों का घेरा है, जो आसमान जैसा दिखता है। यहां के प्रत्येक घर हीरे की भांति चमकते पत्थर से बने हैं, इसलिए दिन जैसा माहौल लग रहा है। इनका पूरा देश सतह से 10 किलोमीटर नीचे बसा हुआ होगा।
अलबेली:– कमाल की टेक्नोलॉजी है। किसी एक पॉइंट से ये लोग सूर्य की रौशनी को इकट्ठा करते होंगे और वहीं से पूरे देश में सूर्य की रौशनी फैला रहे है। जितने भी चमकते पत्थर है, उनका तापमान ग्रीन हाउस के तापमान को मैच कर रहा है।
इवान:– यदि हमें यहां से बाहर निकलना है तो इन हिम–मानव के साथ कुछ बेहतर टेक्नोलॉजी का सौदा करना होगा। वरना हमे यहां से कभी बाहर नही जाने देंगे...
नयोबि:– हां लेकिन बड़ा सवाल ये है कि 6 महादेश में बसने वाले देश सतह पर है। उनकी छिपी हुई दुनिया नहीं। हमने तो इनकी छिपी दुनिया देख लिया, कुछ भी कर लो ये हमे यहां से नही जाने देंगे। ये ठीक बिलकुल वैसा ही है जैसे किसी ने मिलिट्री के सीक्रेट वेपन को देख लिया हो। अब वह इंसान अच्छा हो या बुरा, फर्क नही पड़ता। समझ ही सकते हो उसके साथ क्या होगा।
रूही:– हां बस थोड़ा सा अंतर है। हम अल्फा पैक है। बस अपना मुंह बंद रखना और तमाशा देखो।
काफी लंबी बातें हुई। हिम–मानव की छिपी नगरी आंखों के सामने थी और उनकी विकसित सभ्यता को सब देख रहे थे। अलग तरह के टावर में इतनी देर तक कैद रहे की अब तो इन सबकी बातें भी समाप्त हो चुकी थी। भले ही ये लोग वेयरवोल्फ या वेमपायर थे, लेकिन सबको भूख तो लगती ही थी।
अल्फा पैक भूखे रहने के सिवा कुछ कर नही सकते थे, जबकि नयोबि और उसके 18 पंटर एक गोल घेरा बना लिये। भिड़ से किसी 2 वेमपायर ने खून के 2 पाउच निकाल लिये और सभी मिल बांटकर उसे पी गये। खून की गंध जैसे ही अल्फा पैक के नाक तक पहुंची, अजीब सा घृणित मुंह बनाकर वेमपायर के झुंड को देखने लगे।
नयोबि जैसे ही मुड़ा.... “अरे तुम्हे तो भूल ही गये। तुम्हे भी थोड़ा खून चखना है क्या? भूख और प्यार मिट जायेगी।”
आर्यमणि:– नही तुम ही पियो.. हम ठीक है।
नयोबि:– क्या हुआ, इतना शर्मा क्यों रहे? हमें तो लगा की खून की खुशबू सूंघकर जानवर को बेकाबू होते देखेंगे...
नयोबि अपनी बात कहकर हंसने लगा। नयोबि के साथ–साथ उसके सभी वेमपायर साथी भी हंसने लगे। आर्यमणि अल्फा पैक को नजरों से ही समझा गया... “बिलकुल शांत और एक भी शब्द जवाब मत देना।”
अल्फा पैक बेज्जती बर्दास्त कर अपनी जगह बैठ गये। आज तो पहले दिन का भूख था। धीरे–धीरे कई और दिन बीते। उस टावर पर बिना भोजन–पानी के 30 दिन बीत चुके थे। अल्फा पैक पिछले 30 दिनो से बिना अन्न और जल का एक भी कतरा लिये, भूखे प्यासे बैठे थे। शरीर बिलकुल सुख गया था। आंखों की पुतलियां धंस गयी थी। नयोबि और उसके लोग हर दिन 4 बार तो उनका मजाक उड़ाते ही।
३१वें दिन वेमपायर के पास का खून भी समाप्त हो चुका था। किसी तरह एक दिन तो भूखे–प्यास से काट लिये, लेकिन ३२वें दिन हर वेमपायर भूख से पागल हो उठे थे। नयोबि किसी तरह उन्हे नियंत्रित कर तो रहा था लेकिन सच्चाई यही थी कि अपने लोगों की तरह वह भी अल्फा पैक को भोजन के रूप में देख रहा था।
जैसे–जैसे ३२वा दिन चढ़ता गया, सभी वेमपायर भूख और प्यास से पागल हो उठे। आखिरकार रात में वही हुआ जो भूखे जानवर अपने शिकार के साथ करते थे, भोजन के लिये हमला। अल्फा पैक पर हमला हो चुका था। आर्यमणि ने अभी केवल बचाव के संकेत दिये थे इसलिए उनपर हमला कर रहे वेमपायर को केवल खुद से दूर रख रहे थे।
रूही:– आर्य ये लोग ऐसे मानने वाले नही। क्या कहते हो...
आर्यमणि तेज दहाड़ के साथ अपने मुक्के का एक जोरदार प्रहार करते... “सबको अधमरा कर दो।”...
अल्फा पैक तेज दहाड़ के साथ शेप शिफ्ट कर चुके थे। वेमपायर अपने शरीर में कई तरह के बदलाव तो कर चुके थे, लेकिन भूख और प्यास में उनका वास्तविक प्रकृति ही उभरकर बाहर आ रहा था। वेमपायर ने जो भी कृत्रिम प्रारूप को अपने अंदर समा रखा था, वह सब भूल चुके थे। केवल वेयरवोल्फ की तरह शेप नही शिफ्ट किये थे बाकी क्ला और फेंग उनके भी निकल आये थे।
वेमपायर भूख प्यास से बिलबिलाते हुये अपने शिकार को झपटने आगे बढ़ते और अल्फा पैक का पावर पंच खाकर दूर कर्राह रहे होते। फिर अल्फा पैक ने कोई रहम नहीं दिखाया। जो भी उनके नजदीक पहुंचते उन्हे इतना तेज जोरदार मुक्का लगता की अंग भंग हो जाता। हां लेकिन भूख प्यास ने सबको अंधा नही किया था। नयोबि अपने कुछ साथियों के साथ एक फॉर्मेशन बनाया और अपने शरीर के आर्मर को ऑन कर दिया।
ठीक उस रात की तरह आज भी वेमपायर का शरीर किसी मैटेलिक शरीर के समान दिख रहा था, जो भट्टी से निकले धातु की समान लाल था। नयोबि का इशारा हुआ और सभी वेमपायर के हाथ से दूधिया रौशनी निकलने लगी। आर्यमणि तो इस रौशनी पर पहले ही प्रयोग कर चुका था। अल्फा पैक भी जानती थी कि इनसे कैसे निपटा जाये। लिहाजा सभी वुल्फ ने अपने पंजे आगे कर लिये और उस रौशनी को हवा का कोई टॉक्सिक मानते हुये खुद में ही समाने लगे।
देखते ही देखते वेमपायर की वो कृत्रिम रौशनी अल्फा पैक को बांधने के बदले खुद उसी के अंदर समाने लगी। काफी देर तक यह तमाशा चलता रहा। अंत में जब वेमपायर ने अपने हथियार को लगातार विफल होते हुये देखा, तब एक बार फिर अपना आपा खो बैठे। भूखे वेमपायर कतार तोड़कर अपने शिकार पर सीधा हमला करने निकल गये।
3–4 वेमपायर हवा में छलांग लगा चुके थे। ठीक उसी वक्त अलबेली और इवान भी हवा में के छलांग लगाकर वेमपायर से ऊंचा गये और हवा में ही इतने तेज और जोरदार लात से प्रहार किया की सभी वेमपायर फुटबॉल की तरह उछलकर काफी दूर जाकर गिड़े। इधर आर्यमणि और रूही के बीच नजरों का संपर्क हुआ। रूही, आर्यमणि के इशारों की भाषा को समझती आर्यमणि के साथ तेज दौड़ लगा दी। दोनो ही इतना तेज दौरे की सामने खड़े वेमपायर को उनके कंधे का तेज धक्का लगा और सभी वेमपायर एक साथ हवा में थे।
19 घायल वेमपायर दर्द से कर्राह रहे थे। अल्फा पैक रात भर उन्हे कर्राहते छोड़ अपनी नींद में मस्त हो गये। सुबह उठकर सभी बेहोश घायलों का उपचार किया और वापस से अपनी जगह बैठ गये। उपचार के बाद भी वेमपायर बेहोश पड़े रहे। दिन चढ़ते–चढ़ते भूख से बिलबिला कर सभी वेमपायर उठे और पिछले दिन की मार को भूलकर एक बार फिर अल्फा पैक को मारने के लिये दौड़े। होना क्या था... अल्फा पैक का मुक्का और लात बरसा। मेटलिक कवच के पीछे छिपे शरीर को भी इन लोगों ने अपने लात और घुसे के प्रहार से घायल कर दिया।
लगभग 10 दिनो तक यही खेल चलता रहा। हर दिन वेमपायर पहले से ज्यादा आक्रमक होते और अल्फा पैक के पास उनके लिये हर दिन एक जैसा उपचार होता। हां वो अलग बात थी कि एक महीने तक अल्फा पैक यातनाएं झेलने के बाद, हर रात जब अंधेरा घना होता तब नीचे शहर में लगे बहुत सारे पेड़–पौधों की जड़ें अल्फा पैक से कनेक्ट हो जाती और पूरे दिन का वो पोषण एक वक्त में ही समेट लिया करते थे।
डेढ़ महीने अजीब से कैद में बीते होंगे, जहां रोज शाम को अल्फा पैक वेमपायर को घायल कर दिया करते थे और सुबह उन्हे हील करते थे। चूंकि वेमपायर पूरी तरह से खून के पोषण पर जीते थे, इसलिए अल्फा पैक उनकी भूख तो नही मिटा पाते थे किंतु उनके अक्रमता को जरूर मिटा देते थे।
डेढ़ महीने बाद पुलिस की एक बड़ी सी उड़न तस्तरी वैन के लेजर वेब किरणों में सभी कैद थे। सभी लोग पोर्ट होकर सीधा वैन की सलाखों के पीछे गये। सलाखों के ऊपर एक बड़ा सा बोर्ड भी टंगा था.... “सलाखों से 1 फिट की दूरी बनाए रखे।”...
वेमपायर पिछले 15 दिनो से भूखे थे इसलिए इतनी हिम्मत बची नही थी कि उठ भी पाते। अल्फा पैक को वैसे भी कहीं भागना नहीं था इसलिए चुपचाप उनके साथ चले जा रहे थे। वैन कई जगहों से होते हुये उन्हे कहीं ले जाकर सीधा ड्राप कर दिया। एक बार फिर सब के सब नीचे गिड़ रहे थे। आंख जब खुली तब सभी लोग किसी अंडरग्राउंड जेल में थे। सर के ऊपर लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर छत था, जो खुलता और बंद होता था।
जैसे ही वो लोग जेल में गिरे लेजर किरणों के वेब में जकर लिये गये और उन्हे ले जाकर कॉफिन से कुछ ही बड़े सेल में पटक दिया गया। हर सेल में एक छोटा बेड, बेड के ऊपर कुछ किताबे, दीवार पर छोटा सा टीवी और कोने में एक छोटा सा कमोड था। जैसे ही आर्यमणि अपने सेल में पहुंचा टीवी पर एक बड़ा सा चेहरा आने लगा.... “मेरा नाम डीवी–कोको–मारुयान–जूनियर–1 है। तुम मुझे कोको कह सकते हो। मैं इस जेल का वार्डन हूं और तुम सब यहां मेरी देख–रेख में हो। 3–3 घंटे की शिफ्ट में तुम लोग माइनिंग करोगे। 1 घंटे का आध्यात्मिक सेशन होगा। 4 घंटे तुम लोग वॉकिंग एरिया में अपने रिस्क पर घूम सकते हो और बाकी के वक्त तुम अपने सेल में रहोगे।”..
आर्यमणि:– मेरे कुछ सवाल है।
जैसे ही आर्यमणि बोला उसके अगले ही पल पूरे सेल के अंदर से घुसे निकले और धमाधाम आर्यमणि को पीट दिया। टीवी पर फिर एक बार वार्डन कोको की आवाज गूंजी.... “और हां यहां तुम्हे चुप रहना का पूरा अधिकार है। जेल के किसी भी अधिकारी से किसी भी प्रकार की बात करने की कोशिश को नियम का उलंघन माना जायेगा और ऐसी सूरत में सजा के तौर पर आपको 8–8 घंटे की शिफ्ट में माइनिंग करनी होगी। पहली बार था इसलिए तुम्हे छोड़ रहा हूं बौने।”
स्क्रीन की आकाशवाणी बंद हो गयी और आर्यमणि खुद से ही बात करते..... “किस मनहूश घड़ी में मैने इनसे मिलने का सोचा।”.... कुछ ही पल में बीते उन एक महीने की कहानी याद आ गयी जब अल्फा पैक अंटार्टिका निर्माण क्षेत्र में पहुंचा था। कुछ दिन की जांच पड़ताल के बाद आर्यमणि ने यही नतीजा निकाला कि... “जमीन के नीचे कोई छिपी दुनिया है और वहां हो सकता है एक विलुप्त प्रजाति, जिसे देखने के दावे आधुनिक वक्त में भी होते रहे है किंतु किसी के पास कोई प्रमाण नहीं।”
पूरा अल्फा पैक ही फिर हिम–मानव और उसकी छिपी दुनिया को देखने के लिये इच्छुक हो गया। कुछ दिन और समय बिताकर कुछ और तथ्य बटोरे गये। पता यह चला की जितने भी टीम अब तक गायब हुई थी, वह निर्माण करने के लिये कुछ न कुछ खुदाई जरूर किये थे। जब तक वहां निर्माण कार्य की शुरवात नही हुई किसी भी प्रकार का हमला नही हुआ था।
तकरीबन महीना दिन तक सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर अल्फा पैक ने अंततः हिम–मानवों से मिलने की योजना बना लिया। योजना के अंतर्गत ही चारो ने बर्फ की मोटी सतह पर विस्फोट किया था। हां लेकिन पूर्वानुमान सबका ही पूरी तरह गलत हो गया। अल्फा पैक को लगता था कि हिम–मानव खोह और कंदराओं में छिपकर रहने वाले समुदाय है जो किसी भी सूरत में अपने अस्तित्व को जाहिर नही होने देते।
बाकी सारे तथ्यों का आकलन तो लगभग सही था सिवाय एक के... “हिम–मानव खोह और कंदराओं में रहने वाले लोग है जो आधुनिक सभ्यता से कोसों दूर है।”...हालांकि जब पहली मुलाकात हुई थी और हाथों में ये बड़े–बड़े तलवार लेकर हिम–मानव को हमला करते देखे, फिर कुछ वक्त के लिये आर्यमणि को अपनी थ्योरी पर यकीन हुआ। किंतु यह यकीन ज्यादा देर नहीं टीका। कुछ ही वक्त में पता चल गया की हिम–मानव का समुदाय कितना विकसित है।
पहले तो अजीब से कैद में लगभग डेढ़ महीने बिताये, जहां शायद अल्फा पैक और वेमपायर को परखा गया था। आर्यमणि ने यह भी सह लिया। उसे यकीन था कि जब वह कानूनी प्रक्रिया के लिये अदालत पहुंचेगा तब हिम–मानव समुदाय गंभीरता से उसकी बात सुनेगा। किंतु सारे अरमान मिट्टी में मिल गये क्योंकि बिना किसी सुनवाई के ही सजा हो गयी।
जेल के पहले दिन किसी से कोई काम नही करवाया गया। शाम के 5 बजे सबके सेल खुल गये और हॉल में 4 घंटे घूमने की खुली छूट भी मिली। जिस फ्लोर पर आर्यमणि और बाकियों का सेल था, वहां सभी बौने ही थे। मतलब इंसान थे। अंडाकार बने फ्लोर पर मिलों दूर जहां तक नजर जाये केवल और केवल इंसान ही थे। सभी अपने सेल से एक बार बाहर आये, नीचे हॉल को देखा और वापस अपने सेल में चले गये।
आर्यमणि के ठीक बाजू वाला जो इंसान था, वह उन्ही में से एक था जो पिछले साल अंटार्टिका सर्वे के लिये आया और रहश्मयि तरीके से गायब हो गया था। आर्यमणि अपने दिमाग पर थोड़ा जोड़ डालते.... “ओय सुनो पेड्रो रफ्ता।”.. आर्यमणि 3–4 बार चिल्लाया, कोई सुनवाई नही। आश्चर्य तो यह भी था कि जितने इंसान बाहर निकले थे वो सब एक बार नीचे हॉल को देखने के बाद वापस अपने सेल में घुस चुके थे। सिवाय अल्फा पैक और वेमपायर के, जो पूरा मामला समझना चाह रहे थे। आर्यमणि के आगे जितने भी सेल थी, वहां अल्फा पैक और वेमपायर को रखा गया था।
रूही, आर्यमणि की आवाज सुनकर उसके ओर आयी लेकिन आर्यमणि आंखों के इशारे से उसे चुपचाप हॉल में जाने कहा और खुद उस पेड्रो रफ्ता के सेल के सामने खड़ा हो गया। आर्यमणि जैसे ही खड़ा हुआ बिजली के वेब ने आर्यमणि को जकड़ लिया और सेल के किनारे से कई सारे मुक्के निकालकर आर्यमणि पर धमाधम हमला कर दिया। आर्यमणि मुक्के खाते.... “हेल्लो पेड्रो मैं आर्यमणि हूं। वहीं निर्माण करने आया था जहां से तुम गायब हुये थे।”...
पेड्रो, आर्यमणि को इशारों में समझाया की वह कुछ बोल नहीं सकता। आर्यमणि उसकी मजबूरी समझते.... “देखो मैं नही जानता की तुम किस मजबूरी से नीचे हॉल में नही जा रहे। लेकिन विश्वास मानो, यदि हॉल में अपनी मर्जी से घूमना रिस्क है तो आज ये रिस्क दूसरे उठाएंगे। यदि इस जेल से बाहर निकलना चाहते हो तो नीचे हॉल तक चलो।”...
आर्यमणि को लगातार मुक्के पड़ते रहे। वह फिर भी पेड्रो से बात करता रहा। अपना प्रस्ताव रखने के बाद आर्यमणि कुछ देर और वहां खड़ा होकर मुक्का खाता रहा, लेकिन पेड्रो बाहर आने की हिम्मत नही जुटा पाया। अंत में आर्यमणि उस से एक बार नजर मिलाया और जैसे ही वहां से आगे बढ़ने लगा, पेड्रो भी अपने सेल से निकला और चुपचाप आर्यमणि के आगे बढ़ गया।
दोनो जब सीढ़ियों पर थे तब पेड्रो अपना मुंह खोला.... “संभवतः तुम लोग आज ही इस जेल में आये होगे और नीचे तुम्हारे साथी होंगे।”...
पेड्रो हॉल के उस हिस्से को दिखा रहा था जहां हिम–मानव की भिड़ लगी हुई थी और उस भिड़ के बीच न तो अल्फा पैक और न ही बेमपायर कहीं नजर आ रहे थे। आर्यमणि उस ओर देखते..... “पुराने कैदी, हम नए कैदियों की रैगिंग ले रहे है क्या?”..
पेड्रो:– हां खतरनाक तरीके की रैगिंग जो तब तक झेलनी होगी जब तक हम यहां की जेल में है। यहां से निकलने के बाद किसी बिग–फूट (हिम–मानव का अमेरिकन नाम) के घर पर जिल्लत भरी नौकरी करनी होगी।
आर्यमणि:– अच्छा तुम अदालत गये थे क्या?
पेड्रो:– नही... एक बड़े से टावर पर 4 दिन भूखे–प्यासे रखने के बाद सीधा इस जेल में पटक दिया। यहां महीने दिन की सजा काटने के बाद कोर्ट का ऑर्डर डाकिया लेकर आया था, जिसमे मुझे 5 साल की कैद मिली और उसके बाद सीधा एक पते पर जाना होगा जिसके घर में मुझे नौकर का काम मिला है। वहां साफ लिखा था जेल से निकलने के बाद हम पूरे देश में आजादी से रह सकते हैं, बस अपने जैसे बौने इंसान पैदा नही कर सकते।
आर्यमणि:– हम्मम... और नीचे हॉल की क्या कहानी है?
पेड्रो:– जब तक मुंह बंद रखोगे तब तक बेज्जत करते रहेंगे। यदि कहीं मुंह खुल गया तो बेज्जत करने के साथ–साथ मारते भी है। इनका मारना तब तक नही रुकता जब तक मरने की नौबत नही आ जाती।
दोनो बात करते हुये हॉल के विभिन्न हिस्सों से गुजर रहे थे। जहां से भी गुजरे हिम–मानव उन्हे घूर रहे थे। आर्यमणि भिड़ के बीच से रास्ता बनाते पेड्रो के साथ कुर्सी पर बैठा। बैठने के बाद पेड्रो से एक मिनट की इजाजत लेते..... “रूही इतनी भीड़ क्यों है।”...
“ये लो इन बौनों का मुखिया आ गया। तेरी ये छमिया रूही सबसे पहले स्ट्रिप डांस करेगी। उसके बाद जितनी भी लड़कियां हैं वो एक–एक करके सामने आयेगी। तू इन सबके कपड़े बटोरेगा।”.... भिड़ से एक हिम–मानव बोला और बाकी सब हंसने लगे।
आर्यमणि:– अल्फा पैक मुझे पेड्रो के साथ इत्मीनान से बात करनी है, आसपास की भिड़ खाली करो....
“ए चुतिये तू क्या बोला?”.... कोई हिम–मानव बोला। इधर उसकी आवाज बंद हुई उधर इवान ने हिम मानव के पाऊं पर ऐसा लात जमाया की उसके हाथी समान मोटे पाऊं के हड्डियां टूटने की आवाज सबको सुनाई दी। दर्द बिलबिलाते जैसे ही वह नीचे बैठा, अलबेली अपने दोनो पंजे से उसके थुलथुला पेट के मांस को जकड़ ली और पूरी ताकत से अपने सर के ऊपर उठाकर दूर फेकती.... “मेरे बॉस ने कहा तुम चूतियो को दूर फेकना है।”
“मारो... मारो... मारो... मारो इन बौनों को।”..... भिड़ चिल्लाई... अल्फा पैक दहाड़े और फिर जो ही लात और घुसे की बारिश हुई। साइज में इतने बड़े थे की रूही, अलबेली और इवान उनके लात–हाथ के नीचे से निकलकर लात और घुसे बरसा रहे थे। जहां कहीं भी उनका लात और घुसा पड़ता अंग भंग हो जाता। दर्द से बिलबिलाने की आवाज चारो ओर से आने लगी।
उनका दर्द से बिलबिलाना सुनकर दूसरे फ्लोर के सारे इंसानी कैदी अपने सेल से बाहर आ गये और वहां का नजारा देखकर तेजी से हॉल के ओर दौड़ लगा दिये। हॉल के चारो ओर सिटियां बजने लगी। लोगों की हूटिंग होने लगी। वैसे यहां हिम–मानव कैदियों की कमी नही थी लेकिन अल्फा पैक अपने चैरिटी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।
आर्यमणि अपने पास निर्जीव समान बैठे सभी वेमपायर को देखते...... “नयोबि तुम्हे और तुम्हारी टीम को क्या हो गया?”...
नयोबि:– हम किस मुंह से माफी मांगे। तुम हम पर भरी थे। तुम सब भी भूखे थे। मांस फाड़कर उन्हे कच्चा चबा जाना तुम्हारा नेचर है। बावजूद इसके हमें जिंदा छोड़ दिये।
आर्यमणि:– सुनो नयोबि, पहली बात तो ये की अल्फा पैक वेजिटेरियन है। दूसरी बात हम तुम्हारे खून की प्यास को समझ सकते थे। अल्फा पैक जानती थी कि तुम जो खून पी रहे उसे तुम अपने लैब में कृत्रिम तरीके से बनाते हो। न की किसी इंसान या जानवर का खून पीते हो। इसलिए चिल मारो और जाकर अल्फा पैक की मदद करो यार। तोड़ो सालों को, और तोड़ने में कोई रहम मत करना... तब तक मैं अपने मेहमान पेड्रो से कुछ बात कर लूं। हां पेड्रो आगे कोई जानकारी...
पेड्रो:– बस इतना ही की ये लोग हमें किसी भी सूरत में अपनी दुनिया से बाहर नही जाने देंगे।
आर्यमणि:– ऐसे कैसे यहां से जाने नही देंगे, वो तुम मुझ पर छोड़ दो। तुम तो बस यहां की जानकारी साझा करो...
पेड्रो:– “हम लोग जहां है वह हीरो की खान है। यहां पर नायब किस्म के हीरे पाये जाते है, जिनका इस्तमाल ये लोग बड़े–बड़े बिल्डिंग बनाने में करते हैं। यूं समझ लो पूरे अंटार्टिका महाद्वीप ही इनका पूरा देश है। इनके पूरे देश में केवल गोमेद नदी के तट से लगे हिस्से से सूरज की रौशनी आती है, और वही रौशनी फिर इन हीरे के जरिए पूरे देश में फैलता है। यूं समझ लो की इन लोगों के पास सूर्य ऊर्जा को फैलाने का कृत्रिम टेक्नोलॉजी है।”
“पूरे देश को 5 हिस्से में बांट दिया गया है। मध्य हिस्सा को पीक राज्य कहते है। क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और रोलफेल देश की राजधानी।मध्य भाग के अलावा चार और भाग है, जो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ में बटे है। ईस्ट राज्य को वॉल ईस्ट राज्य पुकारते है। वेस्ट राज्य को डुडम राज्य, नॉर्थ को हिमगिरि और साउथ को ब्रुजानो। यहां कुल 78 करोड़ बिग–फूट आबादी बसती है। यहां एक लाख इंसानी आबादी भी है, लेकिन वो सब अंटार्टिका में रिसर्च करने आये टीम के बंधक है, जिन्हे फिर कभी अपने प्रांत का मुंह देखना नसीब नही होगा।”
“बात यदि बिग–फूट की करे तो बस ये लोग इंसानों के मुकाबले बड़े साइज के है बाकी है ये भी इंसान ही और तकनीक रूप से काफी उन्नत। वैसे बाहुबल और सुरक्षा के लिहाज से भी रोलफेल देश काफी उन्नत है। क्राइम यहां काफी कम है इसलिए पूरे देश में मात्र 26 जेल है, जिसमे सबसे बड़ा जेल यही है। मेरे पास जितनी जानकारी थी वह मैने साझा कर दिया।”
आर्यमणि उसे हैरानी से देखते.... “भाई तू भी मेरी तरह टावर से सीधा जेल आ गया फिर इतनी जानकारी कहां से जुटा लिया।”..
पेड्रो:– मैं सीआईए का एक इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर हूं। मेरी एजेंसी मुझे जानकारी जुटाने के ही पैसे देती है। दरसल साल में 60 दिन बिग–फूट कैदी जेल से बाहर जाते है। उन 60 दिनो में बहुत से पुराने इंसानी कैदीयों से मुलाकात हुई। उनमें से कुछ तो तीसरी या चौथी बार सजा काट रहे थे... बस उन्ही लोगों से सारी जानकारी जुटाई है...
आर्यमणि:– कमाल ही कर दिया। अब जरा बैठ जाओ, और खेल का आनंद लो...
आर्यमणि पेड्रो को छोड़ा और रण में कूदा। अल्फा पैक पहले से ही कइयों की चीख निकाल चुके थे। लेकिन वो कई हिम–मानव इकट्ठा भिड़ के मुकाबले चंद ही थे। आर्यमणि अपनी तेज दहाड़ से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और उसके बाद तो बड़े–बड़े साइज के वजनी मानव ताश के पत्तों की तरह पहले हवा में उड़े और फिर नीचे जमीन पर बिछ गये।
आर्यमणि उनके मुकाबले साइज में इतना छोटा था की मात्र उनके कमर तक आ रहा था। लेकिन दौड़ते हुये रास्ते में आने वाले हर हिम–मानव को अपने कंधे से इतना तेज धक्का मरता की वह हवा में ऊपर उड़ जाते और कर्राहते हुये नीचे लैंड करते। अगले चार घंटे तक यही खेल चलता रहा। और जब हॉल में घूमने का समय समाप्त हुआ तब लगभग 40 हजार हिम–मानव घायल कर्राह रहे थे। वहां की हालत किसी उजड़े स्थान से कम न था।
जैसे ही समय समाप्त होने की घोषणा हुई। सभी कैदी अपने–अपने सेल में चले गये। सिवाय घायल हिम–मानव और अल्फा पैक के। आर्यमणि अपने पैक को एक नजर देखते..... “जड़ों के बीच से सबको हील करो ताकि इनकी ये फालतू लेजर वाली बेब हमें कहीं भी पोर्ट न कर सके।”
आर्यमणि का हुक्म और अगले ही पल पूरे अल्फा पैक जड़ों में ढंके थे। लगभग 4 किलोमीटर लंबा जेल का वह पूरा हिस्सा था जिसमे चारो ओर जड़ें फैल गयी और फैलने के बाद हर घायल को जकड़ लिया। जैसे–जैसे घायल हील होते जा रहे थे उनके ऊपर से जड़ें हटती जा रही थी। वो लोग जैसे ही खड़े होते सीधा भागकर अपने सेल में पहुंचते।
लगभग एक घंटे तक सबको हील करने के बाद अल्फा पैक भी अपने सेल में थे। अगले दिन सुबह के ठीक 6 बजे सबके सेल खुल गये। एक बार फिर तकनीकी गुणवत्ता का परिचय देते हुये सभी कैदियों को लाइट द्वारा पोर्ट करके सीधा माइनिंग एरिया में भेज दिया गया।
प्रचुर मात्रा में धातु और खनिज के भंडार थे। किंतु वहां न तो किसी भी प्रकार के खनिज और न ही धातु की खुदाई करनी थी। बल्कि माइनिंग एरिया के किसी एक पॉइंट पर पटक दिया गया था। वहां से करीब 8 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद जहां पहुंचे वहां का नजारा देखकर आंखें चौंधिया गयी। बड़े–बड़े क्रिस्टलनुमा पहाड़ खड़े थे। उन पहाड़ों को ही तोड़कर जमा करना था। अल्फा पैक बड़ी ही तेजी के साथ खुदाई कर रहे थे। चारो अन्य मजदूरों के मुकाबले 10 गुणा ज्यादा तेज गति से काम कर रहे थे।
काम करते हुये 3 घंटे पूरे हो गये लेकिन ये चारो अभी और काम करना चाह रहे थे इसलिए वापस गये ही नही। शिफ्ट जब बदल रही थी इसी बीच सबसे नजरें चुराकर आर्यमणि खुदाई के दौरान चुराये हुये अलग तरह के दिख रहे क्रिस्टल के बड़े टुकड़े को अपने पास से निकाला और पलक जिस हिसाब से सिखाई थी, बिलकुल उसी हिसाब से 2 जोड़ी पत्थर तराशकर सबके एमुलेट में डाल दिया।
रूही:– ये किस प्रकार का पत्थर है, आर्य।
आर्यमणि:– मुझे नही पता की यह किस प्रकार का पत्थर है, लेकिन जिस प्रकार का भी है, है यह दुर्लभ पत्थर। सबके एमुलेट में 2 जोड़ी पत्थर डाल दिया हूं। चलो देखा जाये इन पत्थरों के प्रयोग से क्या नया देखने मिलता है?
आर्यमणि ने जैसे ही शक्ति परीक्षण के लिये कहा अल्फा पैक के सभी सदस्य तैयार हो गये। हर कोई अपने एम्यूलेट को हाथ लगाकर मंत्र पढ़ा और फोकस केवल नये पत्थर ही थे।मंत्र पढ़ने के बाद हर किसी ने सभी विधि कोशिश कर लिया लेकिन कोई भी जान न सके की उन पत्थरों में ऐसा क्या खास था। किसी भी प्रकार की नई चीज उभरकर सामने नही आयी।
खैर वक्त कम था इसलिए बचे हुये लगभग 150 तराशे पत्थर को सबने अपने–अपने एम्यूलेट में छिपाया और काम पर लग गये। अल्फा पैक अपना दूसरा शिफ्ट भी शुरू कर चुके थे। बिना रुके लगातार काम करते रहे और 6 घंटे की ड्यूटी बजाने के बाद लगभग 1 बजे अपने सेल में थे।
रोज की तरह ही शाम को 5 बजे सबके सेल खुले। आज भी कल जैसा ही नजारा था। सभी इंसान बाहर आये एक बार हॉल के देखा और वापस अपने सेल मे। केवल वह सीआईए ऑफिसर पेड्रो ही था जो अल्फा पैक और वेमपायर के साथ नीचे हॉल तक जाने की हम्मत जुटा सका। आज जितने भी हिम–मानव थे इनसे दूरियां बनाकर ही चल रहे थे।