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बीते रात का खौफनाक नशा और किसी साजिश के तहत उत्पन्न हुई दुश्मनी को पीछे छोड़कर आर्यमणि अपने पैक के साथ मियामी उड़ान भर चुका था। योजना के हिसाब से इवान और ओजल संन्यासी शिवम् और निशांत के पास चले गये। वहीं आर्यमणि, रूहि और अलबेली एक साथ काम करते।
संन्यासी शिवम् और निशांत पहले से मियामी में थे। छोटे गुरु अर्थात अपस्यु को मदद से हर एलियन शिकारी की पहचान हो चुकी थी। कुल 30 शिकारियों की टीम थी, जिसमे 8 इंसान और 22 एलियन थे। ये 30 शिकारी 3 टुकड़ियों में बंटे थे। 8 इंसान शिकारी की एक अलग टुकड़ी और 11 की टुकड़ियों में एलियन शिकारी बंटे थे। जबसे उन शिकारियों को चोरी के माल से एक पत्थर के बिकने की खबर मिली थी तबसे वो बिनबिनाये घूम रहे थे।
आते ही आर्यमणि ने एक छोटी सी मीटिंग रखी जहां संन्यासी शिवम् और निशांत ने सारी अहम जानकारियां साझा कर दिये। पूरी जानकारी समेटने के बाद आर्यमणि अगले कदम का खुलासा करते..... “निशांत तुम सीधा उन 8 इंसानी शिकारी से टकरा जाओगे। उनमें से जिन 2 लोगों को तुम जानते हो, उनसे कुछ बातें करोगे और आगे बढ़ जाओगे। निशांत जैसे ही वहां से जायेगा, वो शिकारी आपस में कुछ बात–चित करेंगे। उनकी पूरी बातचीत को कान लगाकर सुनने का काम अलबेली का होगा।”
“यदि मेरा अंदाजा सही है तो वो लोग निशांत को देखकर बहुत सी बातों को लिंक करेंगे.. जैसे की निशांत यहां है और चोरी के माल का पत्थर भी। या फिर निशांत यहां है तो आर्यमणि भी यहां हो सकता है। उनकी जो भी समीक्षा होगी लेकिन वो लोग निशांत को देखने के बाद रुकेंगे नही, सीधा अपने आला अधिकारियों से संपर्क करेंगे। और उनके संपर्क करने से पहले ही ओजल और इवान तुम दोनो उनके सारे कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक करोगे। पहले उनके सिस्टम में घुसेंगे उसके बाद आगे की प्लानिंग बनेगी। सब लोग समझ गये।”
अलबेली:– हां हम लोग समझ गये। लेकिन इस योजना में आर्यमणि और रूही कहां है?
रूही:– हम पीछे रहकर सबको बैक अप देंगे। और कोई सवाल...
ओजल:– हां एक ही, जो शायद अलबेली सीधा न पूछ पायी...
आर्यमणि:– क्या?
ओजल:– कल कहीं आप दोनो अकेले एक्शन करने का तो नही सोच रहे...
आर्यमणि:– सारा काम योजनाबद्ध तरीके से ही होगा। और जैसा मैंने कहा, कल मैं और रूही तुम सबको बैकअप देंगे। हां उस बैकअप के दौरान किसी से लड़ना पड़ जाये तो कह नही सकते...
निशांत:– तू और तेरी बातें... हमेशा ही संदेहस्पद रही है। अब तो तुम्हारी अनकही बातों को तुम्हारी टीम भी समझने लगी है।
रूही:– इसी को तो परिवार कहते हैं। सबको उनका काम मिल गया है इसलिए सभी जाकर अपने–अपने कामों की तैयारी करे....
रात भर सबने अपने काम को पुख्ता किया और सुबह देर तक सोते रहे। दोपहर को जब सबकी आंख खुली, उन्हे आर्यमणि का छोटा सा संदेश मिला.... “हम दोनो (आर्यमणि और रूही) बैकअप प्लान करनें फील्ड में जा रहे है, तुम लोग प्लानिंग के हिसाब से आगे बढ़ो”.... आर्यमणि के इस संदेश को पढ़कर सभी सोच में पड़ गये की आखिर इन दोनो की असली योजना क्या है? और इधर ये दोनो..
रात भर चैन की नींद लेने के बाद आर्यमणि और रूही सुबह–सुबह ही निकल गये। दोनो सीधा अपस्यु के घर पहुंचे, जहां अपस्यु तो नही था, लेकिन उसने आर्यमणि के कहे अनुसार सभी सामानों का प्रबंध कर दिया था। लेदर की स्ट्रेचेबल आउटफिट, थर्मल वायर, एसिड बुलेट, स्टन–गण, हुल्यूसिनेशन पाउडर, धारदार खंजर, इत्यादि–इत्यादि समान थे।
रूही:– जान सबको अकेले छोड़ हम यहां क्या कर रहे हैं?
आर्यमणि:– उन्हे बैकअप देने की प्लानिंग...
रूही:– कैसे?
आर्यमणि:– एलियन की दोनो टुकड़ी को शाम होने से पहले साफ कर करना... न रहेगा बांस, न बजेगी बांसुरी...
रूही चौंकती हुई.... "मांझे"
आर्यमणि:– जेंव्हा धोका निर्माण करतात ते हयात नसतील, तेव्हा कोणताही धोका उरणार नाही। (जब खतरा पैदा करने वाले जिंदा नहीं रहेंगे तो कोई खतरा नहीं बचेगा)। तुला काय समजले (तुम क्या समझी)
रूही:– हाव सब समझ गयी।
आर्यमणि, रूही को कमर से पकड़कर खींचा और उसे चूमते.... “तो फिर चले मेरी जान आज शिकार पर”...
रूही:– हां क्यों नही....
दोनो ने शिकारियों वाली सूट पहना। चुस्त पैन्ट, चुस्त जैकेट... जांघ के दोनो किनारे खंजर लटक रहे। कमर के ऊपर दोनो किनारे से खंजर लटक रहे। आर्यमणि की पीठ पर स्टन–रॉड था, जो एक बार में 1200 वोल्ट वाले झटके देता था। रूही के पास एसिड बुलेट से भरी एक गन थी और उसके बैरल कमर में बेल्ट की तरह लगे थे। दोनो पूरी तरह से तैयार होने के बाद ऊपर एक लंबा ओवरकोट डाल लिये।
“चले जान शिकार पर”...
“हां क्यों नही”...
दोनो के बीच एक छोटा सा संवाद हुआ, उसके बाद दोनो के कदम उस ओर बढ़ गये जहां ये एलियन ठहरे थे। किसी सुनसान छोटे से बीच पर एक कॉटेज अनलोगों ने रेंट किया था। थोड़ी ही देर में दोनो उस कॉटेज के सामने थे। दोनो कॉटेज के सामने तो थे, लेकिन अब ऐसा जरूरी तो था नहीं की सभी 22 शिकारी कॉटेज के अंदर सो रहे हो। कॉटेज के बाहर बीच की रेत पर कुछ शिकारी आग पर मांस को भून रहे थे। जले मांस की अजीब सी बु चारो ओर से आ रही थी।
ओवरकोट पहने 2 लोगों को अपने दरवाजे पर देख बाहर बैठे शिकारियों के झुंड में एक चिल्लाकर पूछने लगा.... “कौन हो तुम दोनो”...
आर्यमणि और रूही दोनो उनके ओर मुड़े और सर पर से अपना हुड हटाते.... “मुझे नही लगता की परिचय की कोई आवश्यकता है।”
“शौर्य... शौर्य”... बाहर खड़े एलियन में से किसी ने चिल्लाया। आवाज सुनकर पहले एक एलियन निकला, जिसका नाम शौर्य था और उसके चिल्लाने पर बाकी के सभी एलियन बाहर खड़े थे।
शौर्य:– तुम्हे मारने के लिये जर्मनी में सभी इकट्ठा हो रहे। तुम यहां मेरे हाथों मरने चले आये।
रूही:– हूं... हूं... हमे मारोगे... और वो भला कैसे...
शौर्य:– न ना, तुझे नही... तेरा इतिहास पता है। तुझे जिंदा रखेंगे और नंगी ही तू हमारी गलियों में घुमा करेगी, किसी २ कौड़ी के छीनाल की तरह... मरेगा तो ये... कुलकर्णी का आखरी चिराग...
उस शौर्य की पूरी बातों के दौरान रूही आर्यमणि का हाथ थामे रही। उसे शांत रहने का इशारा करती रही। और जब उस शौर्य की बातें समाप्त हुई.... “चल ठीक है फिर तू आर्य को मारकर मुझे नंगा करके दिखा बे छक्के”
शौर्य:– क्या बोली तू?
आर्यमणि के ठीक सामने बस 10 कदम पर वह एलियन शौर्य खड़ा था। आर्यमणि का बस एक छलांग और पलक झपकने से पहले ही आर्यमणि ने शौर्य को अपनी गति और जोरदार मुक्के का ऐसा मजा दिया की वह कई फिट पीछे जाकर सीधा कॉटेज की दीवार से टकरा गया। अपनी पसली पकड़कर वह खड़ा हुआ और उसके आंखों से इशारे मात्र से 12 एलियन उन्हे घेरे खड़े थे...
शौर्य चिंखा... “मार डालो”... उसके लोग भी तैयार अपने हाथ हवा में किये और अगले ही पल हवा जैसे मौत का परिचायक थी। ऐसा बवंडर उठा की देख पाना मुश्किल। उस बवंडर के ठीक मध्य में थे आर्यमणि और रूही। और बवंडर के बीच से मौत का समान निकलना शुरू हो गया। तीर और भाले की बरसात शुरू हो चुकी थी।
हां लेकिन वो वक्त और था जब आर्यमणि या रूही ऐसे हमलों से चौंक जाते। जबसे अल्फा पैक सफर पर निकला था, बस खुद को हर हमले से बचने के लिए प्रशिक्षित कर रहे थे। आर्यमणि ने मात्र अपनी आवाज को दिशा दी और पूरा बवंडर, उसमे से निकली हर वस्तु, उल्टा उन्ही के ओर दुगनी रफ्तार से हमला कर चुकी थी, जो आर्यमणि पर हमला कर रहे थे।
घेरकर बवंडर उठानेवाले 12 एलियन बीच पर बिछ चुके थे। किसी के शरीर में भला घुसा तो किसी के शरीर में तीर। जैसे ही 12 लोगों की जगह खाली हुई, उसके अगले ही पल 6 एलियन ने दोनो को घेर लिया। रूही भी पूरे जोश से हुंकार भरती.... “अपने घायल साथियों की दुर्दशा नही देखे जो हमे फिर से घेर लिया”.... उन 6 में से किसी ने कुछ नहीं बोला, बस जवाब में अपने हाथ ऊपर कर लिये। उनके हाथ ऊपर होते ही जैसे ही स्पार्क हुआ, आर्यमणि का दिल ही बैठ गया।
गति और बुद्धि का परिचय देते हुये आर्यमणि ने झटके के साथ रूही को गिराया और उसके पूरे चेहरे को अपने पीठ से पूरा ढक दिया। चेहरे को ढकने के साथ ही उसके क्ला जमीन में थे और उतनी ही तेजी से जड़ों के रेशे जमीन से निकलकर आर्यमणि और रूही को कवर कर लिया।
उधर 6 लोग हाथ उठाए थे। उनके हाथों से स्पार्क हुआ और अगले ही पल तेज करेंट उनकी उंगलियों से निकल रहा था। चूंकि लेदर आउटफिट किसी भी प्रकार के करेंट और आग के निश्चित तापमान को रोकने में सक्षम थे, इसलिए शरीर के किसी भी अंग पर करेंट लगने का डर नही था, सिवाय सर के। दोनो ने ही इस शिकारी आउटफिट के स्पेशल डिजाइन हेलमेट को ऐसे अनदेखा किया जैसे वह किसी काम की ही नही थी।
बस एक ही अच्छी बात थी, सही वक्त पर सही फैसला और उस सही फैसले पर वक्त रहते काम करना। वोल्फ के लिये करेंट मानो किसी जानलेवा खतरे से कम नही। आर्यमणि का शरीर तो फिर भी करेंट को झेल जाता पर रूही का बचना मुश्किल था। जड़ों के रेशों की दीवार पर लगातार बिजली के झटकों की आवाज आ रही थी। अंदर रूही, आर्यमणि को हिलाती.... “बेबी तुम ठीक हो। आर्य... आर्य”
आर्यमणि, अपना सर पकड़कर बैठते.... “रात में अचानक इनका हमला होता, फिर तो बहुत मुश्किल हो जाती। अच्छा हुआ जो हम सबको साथ नही लाये, वरना तब भी समस्या हो जाती”...
रूही:– हेलमेट नहीं छोड़ना चाहिए था। ओओ आर्य... जल्दी कुछ सोचो वरना हमे ये लोग भून डालेंगे।
जड़ों के रेशे में ये लोग सुरक्षित तो थे लेकिन बचे 4 एलियन जो हमले में शामिल नही थे, वो भी हमला करना शुरू कर चुके थे और उनके हथेली से आग का भयानक बवंडर उठ रहा था, जो जड़ों के रेशों को जला चुकी थी। बाहरी दीवार पर आग लग चुकी थी और जल्द ही आग के बवंडर के बीच दोनो फसने वाले थे।
आर्यमणि:– तो ठीक है हम अपना हमला शुरु करते है। सबको जड़ों में लपेटो....
आर्यमणि ने अपने ओर से हमला करने का मन बना लिया और अगले ही पल दोनो के क्ला भूमि में थे। बस एक पल पहले जो पूरी आजादी से हमला कर रहे थे, अगले ही पल सभी जड़ों के रेशे के बीच जमे थे। जैसे ही हमला बंद हुआ जड़ों के रेशों को फाड़कर दोनो खड़े हो गये। बड़े आराम से चलते हुये दोनो एक–एक एलियन के पास खड़े हो गये। दोनो एलियन के मुंह पर से जड़ों के रेशे हटाते.... “आखरी समय में कुछ कहना है”
एलियन:– पहले मारकर तो दिखाओ। जब मरने लगूंगा तब अपने आखरी वक्त में कुछ शब्द भी कहूंगा। अभी तो इतना ही कहूंगा... मां चुदाओ...
आर्यमणि का छोटा सा इशारा और दोनो ने अपने हाथ में खंजर ले लिया। खंजर को बड़े आराम से उनके सीने पर रखकर दवाब बनाया। दर्द से दोनो एलियन छटपटा गये। मुंह से दर्द भरी चीख निकलने लगी और सीने से खून की धार। खंजर पूरा घोपने के बाद आहिस्ता से उसे नीचे लेकर आये। जैसे ही खंजर एक इंच नीचे आया आर्यमणि और रूही दोनो ही चौंक गये।
खंजर जैसे–जैसे नीचे आ रहा था, ऊपर के कट आंखों के सामने ही भर गये। ऊपर से एक इंच नीचे आते–आते पूरा का पूरा खंजर ही शरीर के अंदर जैसे गल गया हो। घोर आश्चर्य था और दोनो (आर्यमणि और रूही) को उन एलियन की बातों का मतलब भी समझ में आ रहा था। जो दर्द की चीख खंजर घुसाते वक्त थी, वह हर सेकंड के साथ कम होते गया और महज 5 सेकंड में उनकी चीख हंसी में बदल गयी और खंजर गलकर शरीर के अंदर गायब हो गया।
फिर तो स्टन–रॉड का हाई वोल्टेज करेंट भी दिया गया और एसिड बुलेट भी मारे गये। अगले 5 मिनिट तक दोनो किसी को मारने के जितने भी परंपरागत तरीके थे, सब आजमा लिये, किंतु किसी भी तरीके से दोनो मरे नही। हां लेकिन उन्हें मारने के चक्कर में यह भूल गये की वहां २० और एलियन है। जो चार एलियन सबसे आखरी में लड़े, उन्ही मे से एक इनका मुखिया शौर्य भी था, वह चारो जड़ों की रेशों से छूट चुके थे।
जैसे ही आर्यमणि को आभाष हुआ की कुछ लोग उसके पीछे खड़े हैं, वह तुरंत मुड़ गया। शौर्य उसे देख हंसते हुये कहने लगा..... “निकल गयी सारी हेंकड़ी। अब मैं तुझे दिखाता हूं कि मारते कैसे है?
आर्यमणि:– चलो ठीक है दिखाओ मारते कैसे हैं। केवल मुझे ही मारना है ना, क्योंकि तुमने रूही के बारे में कुछ और योजना बताई थी।
रूही, गुस्से में अपनी आंखें लाल करती... “क्या बोला तुमने”...
आर्यमणि:– वही जो तुमने सुना। अब कुछ भी हो जाये तुम बीच में नही आओगी। बस आराम से देखो...
रूही:– लेकिन आर्य...
रूही ने इतना ही बोला था कि रूही को अपने अल्फा के गुस्से भरी नजरों का सामना करना पड़ गया और वह अपनी नजरें नीची करती बस हां में अपना सर हिला दी। उधर वो चारो चार कोनों पर फैलकर... “अबे तेरी लैला अब रण्डी बनेगी। जल्दी आ वरना पहले तेरी आंखों के सामने उसे ही नंगा करेंगे बाद में तुझे मारेंगे।”....
“वैसे भी तो पहले ये सरदार खान के गली की रण्डी ही थी। एक बार तो मैंने भी इसे पेला था। क्या मस्त माल है।”...
आर्यमणि दोबारा रूही के ओर देखा। वह अब भी अपनी नजरें नीची की हुई थी। उसके आंखों से आंसू बह रहे थे। आर्यमणि अपने मन में कहा.... “बस मेरी जान तुम घबराना मत, और मुझे देखती रहना। अब मैं चलूं”
रूही भी अपने मन के संवादों से..... “बॉस सबके प्राण निकाल लो तभी अब चैन मिलेगा”..
आर्यमणि:– बस तुम हौसला रखो... और ध्यान देना...
आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर उन चारों के मध्य में पहुंच गया। शौर्य अपने लोगों की समझाते... “थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी के वार को ये उल्टा हम पर इस्तमाल कर सकता है, इसलिए सेकंड लाइन और अपना वार करो इसपर”
आर्यमणि:– क्या 2 मिनट का वक्त मिलेगा... कुछ मन की शंका है उसे दूर कर लूं...
शौर्य:– हां पूछो...
आर्यमणि:– थर्ड लाइन शिकारी यानी...
एक एलियन बीच में ही टोकते... “2 कौड़ी के नामुराद इंसान, सुपीरियर क्या तेरा बाप लगाएगा”...
आर्यमणि:– माफ करना... थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी यानी वो जो हवा का बवंडर उठाते है और उनसे तीर–भला निकालते।
शौर्य:– हां...
आर्यमणि:– सेकंड लाइन वो जो हाथ से करेंट निकाल सकते है, और थर्ड लाइन की तरह हमला कर सकते है।
शौर्य:– बिलकुल नहीं... फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी ही केवल ऐसा कर सकते है। हम फर्स्ट लाइन ही इसलिए कहलाते है क्योंकि हमारे अंदर थर्ड और सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी वाली सभी ऊर्जा होती है।
आर्यमणि:– अच्छा... और वो जो तुम्हारे नेता लोग है, जैसे उज्जवल, सुकेश, अक्षरा.. ये सब भी फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी है क्या?
कोई एक एलियन.... “बस बहुत हुआ शौर्य। अब क्या बात ही करते रहोगे?”
शौर्य:– मरने से पहले ये कीड़ा अपनी कुछ शंका मिटा रहा है, तो मिटा लेने दो ना। वैसे भी ये हमे एलियन तो कह ही रहा। अब पृथ्वी पर हम जैसे इनके बाप कितने सक्षम है, मरने से पहले जानना चाहता है, जानने दो... पूछ बेटा पूछ...
आर्यमणि:– नही वही पूछ रहा था, तुम लोगों के जो नेता हैं, क्या वो भी फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी थे पहले। बाद में लोकप्रियता के हिसाब से नेता बने...
शौर्य:– नही मुन्ना वो जन्म से ही हमारे नेता होते है, क्योंकि वह हमसे ऊपर होते है। वो प्रथम श्रेणी के एपेक्स सुपरनेचुरल (एलियन) है। अपनी लोकप्रियता से केवल एक ही सुपीरियर शिकारी ने मुकाम हासिल किया था वो है पलक। जिसे सब सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी समझ रहे रहे थे, वह 25 फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी से लड़ी और बिना खून का एक कतरा गिराए जीत हासिल की। उसकी जैसी लोकप्रियता किसी ने भी हासिल नही किया। तुझे तो गर्व होना चाहिए बे कीड़े, झूठा ही सही पर किसी वक्त वो तेरी गर्लफ्रेंड थी।
आर्यमणि:– तब तो नही हुआ, लेकिन अब थोड़ा–थोड़ा हो रहा है। तो क्या ये जो तुमसे ऊपर के श्रेणी के लोग है, उनमें तुम जैसी ही शक्तियां होती है।
शौर्य:– उन्हे कभी अपनी पावर इस्तमाल ही नही करनी पड़ती। कभी इमरजेंसी में पावर इस्तमाल करना भी हुआ तो पहले थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी का पावर इस्तमाल करते है। वैसे कभी–कभी लगता है पलक इकलौती सही नेता है, बाकी सारे चुतिये बैठे है। बताओ तुझ जैसे चुतिये के लिये जर्मनी में 1000 से ऊपर शिकारी इकट्ठा हो रहे है। तेरी और कोई शंका है बे कीड़े...
आर्यमणि:– कोई शंका नहीं है, लेकिन एक बात पूछनी थी, क्या तुम लोगों में से किसी ने भक्त प्रह्लाद, हृणकस्याप और उसकी बहन होलिका के बारे में सुना है क्या?
शौर्य:– वो कौन है बे...
आर्यमणि:– आज जान जाओगे। चलो मेरी शंका दूर हो गयी अब तुम लोग शुरू हो जाओ...
आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।
आर्यमणि ने जैसे ही उन्हें शुरू होने कहा चारो शिकारी चार दिशा में खड़े हो गये और उनके मध्य में आर्यमणि खड़ा था। सबके हाथ हवा में और अगले ही पल उनके हाथों से बिजली और आग दोनो निकलने लगे। पूरा शरीर तो सुरक्षित था सिवाय सर के। पूरा हमला सर पर हुआ और नतीजा.... आर्यमणि के पूरे चेहरे पर आग लगी थी। आग की लपटें सर से एक फिट ऊपर तक उठ रही थी, जिसमे से बिजली की चिंगारी फूट रही थी।
आर्यमणि का सर धू–धू–धू करके जल रहा था। एक मिनट तक आर्यमणि अपनी जगह से हिला तक नही। आर्यमणि के चेहरे की चमरी जलकर ऐसे गली की वह नीचे चुने लगा। बाल जलकर हवा हो गया। ऊपर से आर्यमणि का सर भट्टी में जले लोहे के समान दिखने लगा। उन चार एलियन को अपनी आंखों पर यकीन न हुआ की आर्यमणि खड़ा कैसे है? किंतु प्रकृति के रहस्य को अभी उन एलियन ने जाना ही कितना था? अभी तो आगे और भी हैरतंगेज घटनाओं को वह देखने वाले थे।
जैसे उन एलियन ने आर्यमणि को पहली बार अपने समुदाय की विस्तृत जानकारी दी थी, ठीक उसी प्रकार आर्यमणि अपना शेप शिफ्ट करके उन्हे प्योर अल्फा से परिचय करवा गया। एलियन बहुत ज्यादा इस नए प्रकार के वेयरवोल्फ के बारे में सोचते, उस से पहले ही वहां जलजला आ चुका था। मौत को भी भयभीत कर दे ऐसी दहाड़। दहाड़ जिसका असर पीछे के रिहायशी इलाकों पर तो नही हुआ, किंतु आगे सैकड़ों मिलों दूर समुद्र तक भयभीत हो उठा।
तेज दहाड़ आर्यमणि के मुख से निकली और वहां का सारा माहोल थर्रा गया। भूमि में जैसे भूकंप समान कंपन हो गयी थी। सागर का पानी ज्वार भाटा बनकर इतने ऊपर उछला की अपने तेज बहाव में वह कॉटेज तक को बहा ले गया। सभी हाथ जो बिजली और आग उगल रहे थे, तेज बहाव में कहां बह गये पता ही नही चला। लेकिन एक गुस्साया भेड़िया अपने शिकार को कैसे छोड़ दे। आज तो क्ला जमीन में भी नही घुसा और जड़ों के रेशों ने चारो एलियन को बांधकर उसके सामने ला खड़ा किया।
जैसा उनकी किस्मत में एक ही वक्त पर कई आश्चर्यचकित घटनाओं को देखना लिखा था। चारो जड़ों में लिपटे ठीक आर्यमणि के सामने थे। आश्चर्य से पड़े नजारा था। जहां आर्यमणि खड़ा था, वहां कुछ दूर तक पानी का नामो निशान नही था। उस जगह के चारो ओर जैसे पानी की ऊंची और बड़ी–बड़ी दीवार बनी थी। एलियन कभी यह करिश्मा देख रहे थे, तो कभी आंखों के सामने खड़े आर्यमणि को। वह अब भी वैसा ही जल रहा था जैसे उन एलियन ने जलाया था। उल्टा आर्यमणि के सर से अग्नि की उफान पहले से और भी ज्यादा जोरों पर थी।
“!!श्री हरि!! के सरण में एक अबोध बालक थे, भक्त प्रह्लाद। और तुम सब सोच भी नही सकते, उस अमर जीवन को जो भक्त प्रह्लाद के पिता हृणकश्यप ने प्राप्त किया था। कहानी पढ़े होते तो पता चलता की कैसे भगवान !!श्रीमन नारायण!! ने नरसिम्हा अवतार लेकर उसे मारा था। तुम्हे जानकर हैरानी होगी की मेरा जन्म और भगवान नरसिम्हा में बहुत बड़ा कनेक्शन है। शायद इसलिए क्योंकि तुम जैसों की लीला मेरे ही हाथों ही समाप्त होनी है।”
“और हां उसी हृणकस्यप की एक बहन थी होलिका। होलिका ने जब वर मांगा था, तब वरदान में अग्नि ही मांग ली। अग्नि पर काबू तो उसने मांग लिया, लेकिन भूल गयी की अग्नि से वो भी नही बच पाये जो इसे काबू में रखना चाहते थे। तू देखेगा... तू देखेगा... तू देखेगा... कैसे अग्नि उन्हे भी नही छोड़ती जो सोचते है उन्होंने अग्नि पर काबू पा लिया.. तो ये देख”...
“आआआ... आआआ... आआआआ.... आआआआ... आआआआआ”..
आर्यमणि जब बोल रहा था तब महज वह इतिहास में वर्णित एक अमर शासक की कहानी नही बता रहा था, बल्कि उसके हर शब्द आने वाले भीषण मौत का एहसास करवा रहा था। उसके हर शब्द कलेजे में जैसे मौत का भय पैदा करवा रहा था। और जब आखरी में उसने अपनी दहाड़ती आवाज के साथ उन्हे मौत के नजारे दिखाने की बात कहा, उसके बाद तो वहां चारो ओर लंबी और गहरी मौत की चीख गूंजती रही। फिर तो उन एलियन के बदन की फास्ट हीलिंग जैसे अभिशाप बन गये हो। वह दर्द भरी खौफनाक चीख अगले 1 घंटे तक गूंजती रही और वो चारो एलियन बस जल्द से जल्द खुद के मृत्यु की कामना करने लगे।
1 घंटे के दर्दनाक धीमी मौत देने के बाद आर्यमणि रूही के ओर शान से देखते.... “क्या मेरी जान को इनकी निकलती चीख सुनकर कुछ सुकून मिला?”
रूही:– उम्ममह... जान जितने इन्होने अपने शब्दों के जख्म दिये थे, उनका हिसाब हो गया।
आर्यमणि:– पूरे सुकून में हो क्या?
रूही:– नही जान अभी तो ये 18 नामुराद और जिंदा है, जिनके शब्द और हंसी मेरे सीने में किसी तीर की तरह चुभ रहे....
आर्यमणि:– हां तो उन्हे तुम अपने हाथों से जिंदा चिता पर लिटा दो।
रूही:– बस इसी के लिये रुकी थी आर्य। सबको मारना है या कुछ पूछने के लिये एक को जिंदा रखना है। वैसे वो दोनो एलियन जिनका मुंह पहले खोले थे, उनमें से एक जिसने तब कुछ नही बोला, वह कुछ ज्यादा फरफरा रहा, जरा उसे भी सुन ले.... बोल बे क्या बोलना है...
रूही ने जैसे ही मुंह पर से बंधन हटाई, वह एलियन गिड़गिड़ाते.... “मुझे ऐसे नही मरना। हमे मारने का आसान तरीका बता देता हूं..
रूही:– ठीक है बताओ...
वह एलियन:– तुम अपने फेंग (जबड़े के कोने पर निकले बड़े–बड़े दांत) से जैसे ही मुझे नोचोगी, मेरा बॉडी मोडिफिकेशन होगा और मैं भी एक वेयरवोल्फ बन जाऊंगा। इसके बाद तुम जैसे चाहो वैसे मार देना।
रूही:– तुम सेकंड लाइन चुतिया हो या थर्ड लाइन।
वह एलियन:– सेकंड लाइन...
रूही:– तुम्हे इनका मुखिया होना चाहिए था। तुम्हे समझ में आ गया हम यहां इनफॉर्मेशन बटोर रहे...
वह एलियन:– मतलब...
रूही:– मतलब ये तेरा चुतिया मुखिया शौर्य जो न समझ पाया, वो तू समझ गया। और हमारे इंट्रेस्ट को देखते हुये तूने भी ऐसा प्रस्ताव दिया, जिसमे हम फंस जाये।
वह एलियन:– क्या कहना चाह रही हो?
रूही:– यही की तेरे अंदर मात्र हीलिंग कैपिसिटी ही नही है, बल्कि शरीर के अंदर कई सारे एसिड दौड़ते हैं। जहां तक मैं समझ पा रही और सरदार खान की बस्ती में जिस हिसाब से तुम एलियन चूतियो का आना जाना था, तुम लोगों ने वेयरवोल्फ ब्लड से अपने शरीर पर कुछ घटिया तरीके का एक्सपेरिमेंट किया है। मैं फेंग तेरे शरीर में घुसाऊंगी और हो सकता है तेरा शरीर मुझे ही पूरा चूस डाले और सूखा छुहारा अवशेष बनकर मैं जमीन पर गिरी मिलूं।
आर्यमणि:– कितनी बातें कर रही हो। काम खत्म करो..
रूही, उस एलियन को कैद से छोड़ती.... “मेरे साथ आओ”... दोनो आर्यमणि के पास पहुंचे। रूही उसे वहीं बैठने बोलकर आर्य के चेहरे को देखने लगी.... “घोस्ट राइडर के जॉनी केज दिख रहे हो। दर्द नही हो रहा क्या? पूरा चेहरा कबसे झुलसा रखा है।”
आर्यमणि:– तो जल्दी काम खत्म करो ना।
“अभी करती हूं बॉस”... रूही अपने हाथ पर चढ़ा दस्ताना नीचे उतार दी। हथेली के ऊपर टॉक्सिक दौड़ने लगा। हथेली जैसे ही आग के संपर्क में आया, पूरा हथेली में आग पकड़ लिया। आर्यमणि की तरह रूही की हथेली से भी आग की लपटें उठ रही थी। दोनो ने अपने दूसरे हथेली से कमांड दिया और जमीन से जड़ बाहर निकलने लगी। जड़ों के ऊपर आधे फिट के मोटे और नुकीले कांटे निकले हुये थे। देखते ही देखते बचे हुए हर एलियन के शरीर में कम से कम २०० कांटे घुस चुके थे। उन सबका शरीर हवा में कांटों के ऊपर बिछा था। दर्द की लंबी और गहरी चीख एलियन के मुख से निकलने लगी।
कांटे की मृत्यु सैल्या पर लिटाने के बाद दोनो ने उसी हथेली से एक और कमांड दिया। कांटेदार जड़ के ऊपर गहरे नीले रंग के जहर को फैलते साफ देखा जा सकता था, जो तेजी से आगे बढ़ते हुये उन कांटों के ऊपर फैल गया जो एलियन के शरीर के अंदर घुसे थे। गला जितना फाड़कर चीख सकते थे, वह तो पहले से ही चीख रहे थे। जहर शरीर के अंदर घुसने के बाद उनके चीख में कोई इजाफा तो नही हो सकता था। किंतु जब उनके शरीर में जहर फैला तब बढ़ते बेइंतहा दर्द की पुकार साफ सुनी जा सकती थी। दर्द से चिंखते और बिलबिलाते एलियन गिड़गिड़ा रहे थे लेकिन आज कुदरत बेरहम थी।
और सबसे आखरी में जहर फैले उन जड़ों पर दोनो ने अपना आग वाला हथेली रख दिया। धू करके आग जली और तुरंत ही पूरी आग जड़ों की रेशों से होते हुये शरीर के अंदर घुसे कांटों तक पहुंच गयी। आग उन सभी एलियन के शरीर के अंदर पहुंच चुकी थी। उन एलियन के शरीर में जिस प्रकार की भी क्षमता थी, लेकिन लकड़ी को गलाने की क्षमता उनके अंदर नही थी। उनके शरीर के अंदर जो भी टॉक्सिक बहते हो, लेकिन लकड़ी और माटी में पाये जाने वाले टॉक्सिक का जवाब उनके पास नही था। और सबसे आखरी में पहुंचा अग्नि जिसे किसी भी विधि से शांत नही किया जा सकता था।
एलियन के शरीर के अंदर हीलिंग और जलिंग मतलब हील होना और जलने का खेल शुरू हो चुका था। तकरीबन डेढ़–दो घंटे बाद आग जंग जीत चुकी थी। धीमी वो मौत इतनी भयवह थी कि मरने से पहले सभी एलियन की मूत लगातार निकल रही थी। और वही हाल उस बचे एलियन का भी था जो अकेला बचा था।
जैसे ही दोनो का काम खत्म हुआ, आर्यमणि ने उस बचे एलियन को अपने पंजे में दबोचा और तेज दौड़ लगा दिया। उसके पीछे रूही भी दौड़ी। पानी का जमाव अब भी 10 फिट से ऊपर का था और आर्यमणि पानी को बीच से चीरकर दो भागों में विभाजित कर, तेजी से भागा। तीनो उस जगह से जब काफी दूर आ गये तब रूही, आर्यमणि के हाथ से उस एलियन को दूर झटक दी और आर्यमणि का चेहरा दोनो हाथ से थामकर उसे देखने लगी।
आर्यमणि:– ऐसे व्याकुलता से क्या देख रही हो..
रूही:– मेरी श्वास अटकी थी। पूरा चेहरा पर आग लगवा लिये...
आर्यमणि, रूही के आंसू पोंछते..... “पगली तुमने भी तो अपनी हथेली में आग लगा ली थी। पर हथेली जली क्या?
रूही:– वही तो मैं भी पूछना चाहती हूं, कौन सा मंत्र फूंक दिये जो हथेली जली नही?
आर्यमणि:– धिक्कार है तुम्हारे 3 साले के इंजीनियरिंग की पढ़ाई पर जो बेसिक साइंस नही समझ सकी...
एक झन्नाटेदार घुसा और आर्यमणि की नाक टूट गयी.... “ताने मारोगे तो मैं ऐसे ही तुम्हारा नाक तोड़ दूंगी। अब बताओ”...
आर्यमणि:– टॉक्सिक जो है वो किसी तेल की तरह काम कर रहा था। पहले तेल जलता है उसके बाद उसके नीचे का तल...
रूही, आर्यमणि को गुस्से से घूरती.... “चलो कागज के ऊपर तेल डालकर यह एक्सपेरिमेंट करके दिखाओ”..
आर्यमणि:– अच्छा मैने जो ताना मारा उसका बदला ले रही हो। तुम्हारा दिमाग तो यही कह रहा होगा, किसी तरह नीचा दिखा दो। तो मेरी बुलबुल कागज को मोम की मोटी परत के नीचे होने की कल्पना करो और सोचकर बताओ की आग लगाने के साथ ही कागज राख हो जायेगा...
रूही:– हां ठीक है समझ गयी। ज्यादा ज्ञान बाद में देना, पहले इकलौते जिंदे एलियन से कुछ पूछ लें...
आर्यमणि:– नेकी और पूछ पूछ... क्यों भाई एपेक्स सुपरनैचुरल..... मेरी जान को कहां नंगा घुमाओगे...
एलियन:– मैं पूरे मामले में चुप ही था... केवल आखरी में बोला था... वो भी अपनी जान बचाने के लिये...
रूही:– हां ये सही कह रहा है आर्य... लेकिन पूछो इस से, हमने इसे जिंदा छोड़ दिया तो ये हमारे लिये क्या कर सकता है?
एलियन:– मेरा नाम जुल है। सेकंड लाइन सुपीरियर शिकारी का कमांडर इन चीफ... आप दोनो के बहुत काम आ सकता हूं।
आर्यमणि:– कैसे?
जुल:– पूरी जानकारी... आपके खिलाफ होने वाले हर एक्शन से लेकर हमारे समुदाय की पूरी जानकारी...
आर्यमणि:– जानकारी... हम्म्म... तो चलो पहले यही बता दो की तुम एलियन पृथ्वी से इतना मोह क्यों है?
जुल:– पूरा इतिहास नही पता लेकिन हमारे यहां होने की वजह है इंसान। हम आपस में संभोग करके नए संतान की उत्पत्ति नही कर सकते, इसलिए हम पृथ्वी पर बसे नर और मादा की जरूरत पड़ती है।
आर्यमणि:– इंट्रेस्टिंग.... तो क्या एक एलियन और इंसान के मिलन से जन्म लिया बच्चा एलियन ही होता है?
जुल:– नही... कुछ इंसान होते है तो कुछ एलियन...
आर्यमणि:– हम्मम !!! दोनो की पहचान कैसे होती है। क्या यह पहचान पैदा होते वक्त हो जाती है, या थोड़ा बड़ा होने के बाद।
जुल:– नही पैदा होने के वक्त ही पहचान हो जाती है। इंसानी शिशु में जन्म के वक्त लगभग ३०० हड्डियां होती है, जबकि हमारे शिशु 10३ हड्डियों के साथ जन्म लेते है। बाद में हमारी हड्डियां बढ़कर 206 हो जाती है जबकि इंसानों में घटकर 206 हड्डियां होती है।
आर्यमणि:– ये जो तुम हमारे–हमारे कर रहे हो, ये हमारे ग्रुप है कौन और इसकी उत्पत्ति कहां हुई थी।
जुल:– हमे नायजो कहते है। हमारे होम प्लैनेट विषपर है। वहां से हम हुर्रियंट, शिल्फर, गुरियन और पृथ्वी पर फैले। पृथ्वी वाशी ब्रह्मांड में हो रहे हलचल को जानते तक नहीं, जबकि सकड़ों प्लेनेट एक दूसरे के यहां ऐसे सफर करते है जैसे पृथ्वी पर एक देश से दूसरे देश जाते हो। वैसे हमारे यहां के स्टेशन में यह पूरी सूचना रहती है कि चुपके से कौन एलियन विमान पृथ्वी पर उतरा और वो कहां है। विश्वास मानो नयजो की जितनी जानकारी आपके पास आ चुकी है, उतनी किसी प्लेनेट वालों के पास नही।
रूही:– हम्मम... वाकई काफी रोचक जानकारी है जुल। एक बात बताओ विषपर प्लेनेट से यहां आकर तुम लोग बसे ही क्यों?
जुल:– नए संतान उत्पत्ति के लिये। ज्यादा तो नही पता लेकिन आज भी शुद्ध रूप से नायजो नर और मादा के मिलन से बच्चे पैदा नहीं होते। होते भी है तो वह इतने कमजोर होते है कि जन्म के 2 मिनिट तक भी जिंदा नही रह पाते। जबसे हाइब्रिड आबादी फैली है, तब कहीं जाकर इस समस्या का समाधान हुआ है।
आर्यमणि:– तुम्हे नही लगता की तुम्हारे इस जवाब में एक बहुत बड़ा लेकिन है?
जुल:– हां मैं समझता हूं आप क्या पूछना चाहते हो। हमारे समस्या का जब समाधान हो चुका था, उसके बाद भी नायजो ने पृथ्वी क्यों नही छोड़ा? इसका जवाब थोड़ा विचित्र और बहुत ही ज्यादा घिनौना होने वाला है। विषपर से जिन 4 प्लेनेट पर हमारी आबादी हाइब्रिड के लिये पहुंचे, उनमें से मात्र पृथ्वी ही ऐसा था जिसपर इंसानों के मिलन से नए नायजो की उत्पत्ति हुई। वह नए तो थे ही, साथ में क्षमताओं में पहले से कहीं ज्यादा विकसित भी थे। यहां के हाइब्रिड को फिर बाकी सारे प्लेनेट पर बसाया गया। उनसे संतान उत्पत्ति तो हुई लेकिन जितने क्षमतावान बच्चे इंसानों के मिलन से होते थे, उतने हाइब्रिड नायजो और शुद्ध नायजो के मिलन से नही होते, इसलिए ये लोग पृथ्वी नही छोड़ रहे।
आर्यमणि:– विचित्र वजह का पता चल गया। अब घिनौना वजह भी बता दो...
जुल:– ये लोग इंसानी मांस के भक्षक है। खासकर शिशुओं के। इनके मिलन से जो इंसानी बच्चे पैदा होते है, उनमें से ज्यादातर को ये लोग पकाकर खा जाते है। चाहत ऐसी की विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट तक से लोग इसे खाने पृथ्वी चले आते है। शुरवात में जब नयजो समुदाय पृथ्वी पर बसे और यह घिनौना काम शुरू किया था, तब यहां के आश्रम वालों को यह बात पता चल गयी थी। उन्होंने सबका पृथ्वी पर रहना मुश्किल कर दिया था। फिर बाद में तिक्रम लगाकर हमारे समुदाय के लोगों ने उस आश्रम को ही खत्म कर दिया। आप जिनके पास रहते थे, उनका गला पकड़ोगे तो पूरा इतिहास भी पता चल जायेगा।
आर्यमणि:– कितना घिनौना चेहरा है इन नायजो वालों का। तुम्हे कभी लगा नही की तुम्हे डूब मरना चाहिए...
जुल:– इसमें मैं भी पक्ष रख सकता हूं, लेकिन जाने दो, पक्ष रखने से घटियापन में कोई कमी तो नहीं आयेगी। उम्मीद है पूरी जानकारी मिल गयी होगी।
आर्यमणि:– अभी कहां... अभी तो पहले तुम मुझे अपनी उम्र बताओ। उसके बाद ये बताओ की उज्जवल–अक्षरा, शुकेश–मीनाक्षी ये लोग आपस में शादी किये है और इनके कुछ बच्चे एलियन और कुछ इंसान कैसे?
जुल:– “हां ये दोनो नायजो ही है। वो भी शुद्ध नायजो, जिनकी उम्र 500 साल से भी ज्यादा होगी। मैं पक्का नही जानता लेकिन जो होता है वो बता देता हूं। अभी की जो अक्षरा है, उसी सूरत की एक स्त्री रही होगी। जब उस स्त्री के गर्भ से सभी बच्चों ने जन्म ले लिया होगा, तब उज्जवल की माशूका ने उस इंसानी अक्षरा का शक्ल लिया और उसको मार दिया होगा। 8 साल बाद ये उज्जवल–अक्षरा या शुकेश–मीनाक्षी मारे जायेंगे। फिर ये सभी किसी और नाम और चेहरे से जाने जायेंगे। हां लेकिन होंगे ये सभी किसी न किसी प्रहरी के घर में ही।”
“वैसे दूसरा ये भी हो सकता है कि उज्जवल और अक्षरा नाम से ये दोनो शुरू से कपल थे। हां बस किसी बच्चे का बाप उज्जवल न होगा तो किसी बच्चे की मां अक्षरा।”
आर्यमणि:– बहुत झोल है, इसे इत्मीनान से समझूंगा। खैर, तुमने अपनी उम्र नही बताई रे..
जुल:– मेरी उम्र 27 वर्ष है।
आर्यमणि:– यकीन करना मुश्किल है, लेकिन फिर भी मान लेते है। चलो नायज़ो की जानकारी तो मिली। अब तुम ये बताओ की मैं कैसे मान लूं की तुम मेरे खिलाफ होने वाले गतिविधि की सूचना मुझ तक पहुंचाओगे? मुझे चीट नही करोगे?
जुल:– न तो मैं बताकर आपको यकीन दिला सकता और न ही आप सुनकर यकीन करने वाले हो। मैं तो बस बता रहा था कि मैं क्या कर सकता हूं। आप भी बता दो मुझे मार रहे या हमारे बीच सौदा तय हो गया।
आर्यमणि:– हम्मम... ठीक हैं जुल, तो सौदा तय हुआ... मैं तुम्हे जाने दे रहा हूं, बाकी आगे अब देखते है, तुम अपनी जुबान पर कितने खड़े उतरते हो। रूही कॉन्टैक्ट डिटेल लो और आज शाम के बैकअप प्लान में इसे अपने साथ रखना। इनके कम्युनिकेशन सिस्टम में घुसने में ये मदद करेगा। साथ ही ये 27 साल का लड़का, वो 500 साल पुराने एलियन का राज पूरा परिवार सुनेगे। क्यों पलक के अंदर क्ला डालने पर मेरे क्ला उसके शरीर में गलना नही शुरू किये इसे भी जानेंगे। और सबसे अहम की जो एलियन दूसरों का रूप लेते है उनकी पहचान कैसे होगी, इन सब पर चर्चा करेंगे।
रूही:– कॉन्टैक्ट डिटेल क्या लेना शाम हो ही गयी है, इसे भी साथ लिये चलते है। अब चलो यहां से, बच्चों के मैसेज पर मैसेज आ रहे हैं।
आर्यमणि:– क्या कह रहे है...
“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया? यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”
“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...
“तुम्हारा तूफान उठाओ कार्यक्रम टीवी पर आ चुका है। आपदा प्रबंधन वाले पता लगाने में जुटे है कि भीषण पानी के बीच आखिर इतनी झुलसी लाश कैसे सुरक्षित बच गयी, जिसे छूने मात्र पर वह भरभरा कर गिर गया। यह समाचार मिलते ही बच्चों ने पता लगा लिया की यह कैसे हुआ और अब वो लोग मैसेज पर मैसेज भेज रहे।”
“लगता है एक्शन में न सामिल करने की वजह से दिल टूट गया होगा। पता ना अब कितना भड़के होंगे। चलो जल्दी”...
तीनो घूम फिर कर फिर से कॉटेज से कुछ दूर पहुंचे। अमेरिकन आपदा प्रबंधन के साथ–साथ कई सारे डिपार्टमेंट की गाड़ी वहां लगी हुई थी। वो लोग समुद्र में उठे तूफान की जांच तथा जान–माल की हानी को देख रहे थे। कॉटेज से काफी दूर आर्यमणि ने कार को पार्क किया था, लेकिन समुद्री तूफान ने तो कार को भी नही बक्शा। आस–पास बाढ़ की परिस्थिति उत्पन्न हो चुकी थी। कई मकानों में पानी घुसा था, लेकिन किसी भी इंसान को किसी तरह का नुकसान नही हुआ था।
थोड़ी सी मेहनत के बाद कार शुरू हुई और जैसे ही उस क्षेत्र को पार किये, रूही, आर्यमणि के सर पर ऐसा मारी की उसका सर स्टेयरिंग से जोरदार टकराया।
आर्यमणि, रूही पर गुर्राते.... “तुम्हे नही लगता की तुम्हारा हाथ आजकल काफी ज्यादा चलने लगा है।”
रूही:– अपनी बॉसगिड़ी कहीं और झाड़ना। एक पल के लिये भी ये ख्याल आया की तुम्हारी हरकत से किसी की जान जा सकती थी?
आर्यमणि:– हां पानी का जमावड़ा देखकर मुझे भी अफसोस हुआ। मुझे इस तूफान और समुद्री ज्वार भाटा पर काम करना होगा। ताकि पूर्ण नियंत्रण में नपा–तुला और सुनिश्चित परिणाम मिले।
रूही:– अच्छी बात है। हम कुछ दिन मियामी में ही ट्रेनिंग करेंगे और आगे की योजना में कुछ बदलाव लाने होंगे।
आर्यमणि:– जी बॉस समझ गया। वैसे बात क्या है, आज तुम भी कुछ ज्यादा ही बॉसगिड़ी दिखा रही।
रूही:– ऐसी कोई बात नही है आर्य। तुम्हारी होने वाली पत्नी हूं न, इसलिए तुम्हारा आधा बोझ खुद पर ले रही।
आर्यमणि:– मतलब..
रूही:– जब तुम्हारे सर पर आग लगी तब दिमाग में एक ही ख्याल आया, यदि हर योजना में रिस्क को मैं भी कैलकुलेट करूं तो शायद हम कई तरह के रिस्क पर बात कर सकते है। बस उसके बाद से ही मैने अपना एक कदम आगे बढ़ा दिया। अब सवाल–जवाब बंद, क्योंकि ये बच्चे मैसेज कर–कर के परेशान कर रहे। लो एक और मैसेज...
आर्यमणि:– क्या लिखा है?
रूही:– अगले १० मिनट में नही पहुंचे तो हम लोग उस जगह पहुंच जायेंगे जहां कांड हुआ है।
आर्यमणि:– हम तो अब 5 मिनट की दूरी पर है। चलो जल्दी से पहुंचा जाये।
5 मिनट में ही दोनो पहुंचे। घर के अंदर का माहोल थोड़ा गरम था। सभी लोग एक ही जगह मौजूद थे। दोनो के पहुंचते ही जो ही बरसे। अलबेली, इवान और ओजल तीनो एक सुर में कहते ही रह गये.... “जब एक्शन के वक्त साथ ले ही नही जाना, तो इतनी ट्रेनिंग करवाने का क्या फायदा।”... गुस्सा थे, रूठे थे, और दोनो (आर्यमणि और रूही) के किसी भी बात का कोई असर ही नही हो रहा था।
जबतक आर्यमणि और रूही ने यह कहा नही की अर्जेंटीना में केवल वही तीनो मिशन को लीड करेंगे, तब तक तीनो का गुस्सा शांत ही नही हुआ। और जब तीनो का गुस्सा शांत हुआ तब उनकी नजर घर आये एक नए मेहमान पर गयी, जिसे आर्यमणि और रूही लेकर पहुंचे थे।
अलबेली:– वैसे साथ में ये कौन है?
रूही:– ये जुल है। एक प्रहरी एलियन.....
जैसे ही रूही ने “एक प्रहरी एलियन” कहा, ठीक उसी वक्त कान फाड़ दहाड़ गूंज गयी। निशांत और संन्यासी शिवम् ने तो अपने कान बंद कर लिये।..... “दीदी इसके सामने से हटो। इसे फाड़कर मैं एलियन को मारने की प्रैक्टिस शुरू करूंगी”... ओजल चिंखती हुई कहने लगी।
ओजल के समर्थन में इवान और अलबेली भी खड़े हो गये। माहोल अब पहले से भी ज्यादा गरम था। आर्यमणि ने इशारा किया और रूही जुल के सामने से हट गयी।.... “हम्मम... तो ठीक है, तुम तीनो मिलकर इसे मार सकते हो तो मार दो।”
आगे फिर कौन बात करता है। तीनो के क्ला बाहर आ चुके थे। तीनो ही अपना शेप शिफ्ट कर चुके थे। जुल को अपने क्ला से फाड़ने के लिये तीनो एक बार में ही कूद गये। कूद तो गये लेकिन जब तीनो हवा में थे, तभी जुल ने बिजली का झटका दे दिया। बिजली का झटका खाकर अलबेली बेसुध नीचे गिरी जा रही थी। किंतु आज ओजल और इवान पर इस बिजली का कोई असर ही नही हुआ।
अलबेली के जमीन पर गिरने से पहले ही आर्यमणि उसे अपने हाथों में ले चुका था। चेहरे पर आये उसके बाल को हटा, प्यार से अलबेली के सर पर हाथ फेरकर हील करते हुये.... “तुम ठीक हो अलबेली”.... अलबेली सुकून से अपना सर आर्यमणि के सीने से लगाती.... “अच्छा लग रहा है दादा। सॉरी दादा आप यहां थे तब भी मैं गुस्से में आ गयी।” उधर इवान और ओजल जैसे ही जुल के सामने खड़े हुये, रूही उन्हे रोकती.... “बस बहुत हुआ। तुम दोनो शांत हो जाओ”...
रूही उन्हे शांत होने क्या कही, दोनो ही रूही को आंख गुर्राते तेज दहाड़े और अपने पंजे को जुल के सीने तक लेकर गये ही थे कि रूही ने वुल्फ कंट्रोल की वह दहाड़ निकाली, जिसे सुन ओजल और इवान सुन्न पड़ गये। दोनो अपना सर पकड़कर बैठते.... “हमे क्यों कंट्रोल कर रही हो। ये मेरे आई के कातिल है। हमे तहखाने पर जीने के लिये इन्होंने ही मजबूर किया था।”
रूही:– दोनो एक दम शांत हो जाओ। वो मेरी भी आई थी।
ओजल:– हां तो तुम इनके साथियों को मारकर अपना दिल हल्का कर आयी हो। मुझे इसे मारना है।
रूही:– ठीक है जाओ...
जैसे ही रूही ने अपना कंट्रोल हटाया वैसे ही ओजल और इवान जुल पर झपट पड़े। आश्चर्य तो तब हो गया जब दोनो अपना पंजा तो जुल पर चलाते, लेकिन वह जुल को न लगकर खाली वार हवा में हो रहा था। दोनो को समझते देर न लगी की यह करस्तानी किसकी है। दोनो तेज गुर्राते हुये निशांत को देखने लगे... “अपना भ्रम जाल हटाओ निशांत”
निशांत:– शिवम् भैया दोनो को शांत तो करो...
जैसे ही ओजल के कान तक यह बात पहुंची ओजल अपनी कलाई की नब्ज को दंश के मणि से काटकर माहोल को फ्रिज करने वाला जादुई मंत्र जोड़ से पढ़ने लगी। अगले ही पल वहां का पूरा माहोल ही फ्रिज हो चुका था। बस जागते हुये वहां 3 लोग ही थे.... ओजल, संन्यासी शिवम् और निशांत...
ओजल:– तुम दोनो जमे क्यों नही...
निशांत:–तुम मंत्रों को बिना सिद्ध किये हुये बलि के माध्यम से खेल रही हो और हमने सारे मंत्र सिद्ध किये है। तुम्हे क्या लगता है तुम्हारा जादू हम पर असर करेगा?
“तुम्हारा तरीका गलत है।” कहते हुये संन्यासी शिवम् ने वहां जल का छिड़काव किया और पूरा माहोल फिर से जीवंत हो गया। बहस का लंबा दौड़ चला। ओजल और इवान का मन जब शांत हुआ, तब अपने किये पर पछताने लगे। लेकिन अभी हुई घटनाओं में ओजल और इवान के हाव–भाव देखते संन्यासी शिवम्...
“गुरुदेव, दोनो का प्रशिक्षण तो आपने किया, लेकिन दोनो में बहुत ज्यादा विलक्षण दिख रहा है। दोनो ही शक्तियों के अधीन होकर शक्ति को खुद पर हावी हो जाने दे रहे है, जबकि आपको इन्हे शक्ति को अपने अधीन कर उस पर काबू रखना सीखाना चाहिए था।”
आर्यमणि:– माफ करना मुझे। आज इनके वजह से मैं वाकई ही शर्मिंदा हूं... आप ओजल और इवान दोनो को अपने साथ लेते जाएं...
इवान:– नही बॉस ऐसा मत कहो... आज ही हमने बस आपा खोया था। वो भी पहली बार जब एलियन को अपने सामने देखा तो काबू न रख पाया..... दिमाग मे बस मां का कातिल ही घूम रहा था।
आर्यमणि:– कुछ इंसान वेयरवोल्फ का शिकर करते है, इसका मतलब जो भी इंसान दिखे उसे मार दो....
कुछ वक्त तक आर्यमणि दोनो को देखता रहा और दोनो अपनी नजरे नीची कर आंख चुराते रहे। कुछ पल की खामोशी के बाद..... “सीधा किसी को भी मारने के नतीजे पर पहुंचना। पैक में से कोई रोके तो उन्हे घूरना और बाली प्रथा से जादू करना.... ऐसा तो मैंने नही सिखाया था।”
जुल:– क्या मुझे कुछ कहने की अनुमति है।
आर्यमणि:– हां बोलो...
जुल:– आप सब में से कभी किसी ने खुद में मेहसूस किया है, या किसी ऐसी घटना को सुना है कि... यदि शक्तियां पास में हो और उसे नियंत्रित करना नही सिख पाये, तो वह शक्तियां दिमाग पर ऐसे हावी हो जाती है कि फिर उस मनुष्य के विलक्षण की गणना भी नही कर सकते। वह अपने आप में एक बॉम्ब की तरह होते है, जो कहां और किस पर फट जाये किसी को भी पता नहीं होता।
संन्यासी शिवम्:– हां मैं इस से भली भांति परिचित हूं। ऐसे मनुष्य जो शक्तियों के साथ जन्म ले, किंतु उन्हे कभी भी न तो अपनी शक्तियों का ज्ञान हो और न ही प्रशिक्षण मिला हो, वह अपनी मृत्यु अपने साथ लिये घूमते है। ये बात हमारे गुरुदेव आर्यमणि भी भली भांति जानते है। वह स्वयं भी इस दौड़ से गुजर चुके थे, जब वो वुल्फ में तब्दील नही हो पा रहे थे। गुरुदेव आपको कुछ कहना है?
आर्यमणि:– हम्मम!!! मैं ये बात क्यों नही समझ पाया। मुझे एहसास था कि शुकेश के अनुवांशिक गुण ओजल और इवान में है। मुझे लगा जब खुद से ये लोग अपनी शक्ति दिखाएंगे, तब उनके प्रशिक्षण के बारे में सोचूंगा लेकिन यहां तो कुछ और ही परिणाम सामने आ गया। दोषी मैं ही हूं।
ओजल:– बॉस आप ऐसे दुखी न हो। दोषी कोई भी नही। हमे अब उपाय पर काम करना है। लेकिन अभी पहले हमे अपने योजना पर ध्यान देना चाहिए। एलियन का कम्युनिकेशन सिस्टम में हमे घुसना है।
रूही:– ओजल सही कह रही है आर्य... हम आज का काम पूरा खत्म करने के बाद ओजल और इवान के बारे में आराम से सोचेंगे।
आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के ओर देखने लगा। संन्यासी शिवम मुस्कुराते... “यहां मुझसे भी गलती हुई है। बिना कारण जाने मैं गलत नतीजे पर पहुंचा था। अंदर के अनियंत्रित शक्ति के साथ भी दोनो इतने संयम में थे, यह सिर्फ आपके ही प्रशिक्षण का नतीजा है गुरुदेव। ओजल सही कह रही है, हमे पहले अपने योजना अनुसार आगे बढ़ना चाहिए।”
सहमति होते ही सभी लोगों ने जाल बिछा दिया। करना यह था कि सभी इंसानी शिकारी को उनके किराये के घर से बाहर बुलाना था। जब वो लोग बाहर आते तब निशांत उस से टकरा जाता। वो लोग बाहर जब तक निशांत के विषय कुछ भी राय बनाकर वापस घर में अपने आला अधिकारियों से संपर्क करने जाते, इस बीच ओजल और इवान, संन्यासी शिवम् के साथ टेलीपोर्ट होकर सीधा उनके घर में होते और उनके कम्युनिकेशन सिस्टम को हैक कर लेते।
उन इंसानी शिकारी के घर के बाहर जाल तो बिछ चुका था, लेकिन कोई भी सदस्य बाहर नही निकला था। अलबेली जब ध्यान लगाकर उनके घर के अंदर हो रही बातों को सुनी तब पता चला की 4 शिकारी जयदेव से बात कर रहे थे और बचे 4 शिकारी कॉटेज के पास छानबीन के लिये गये थे।
अलबेली ने जैसे ही पूरा ब्योरा दिया, आर्यमणि... “ठीक है ये ऐसे तो बाहर नही आयेंगे। मैं उन्हे बाहर बुलाने की कोशिश करता हूं, और तुम अलबेली कान लगाकर रखो। देखो क्या बातचीत हो रही।
आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर “वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ, वूऊऊऊ” करके भेड़ियों वाला दहाड़ लगाया। पीछे से अल्फा पैक ने भी एक साथ सुर मिला दिये। अंदर उन चार शिकारियों की जयदेव से बात चल रही थी। इसी बीच वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर जयदेव के भी कान खड़े हो गये.... “ये तो पूरा एक वुल्फ पैक लगता है। जाकर देखो कौन है और कॉटेज की घटना में कहीं इनका हाथ तो नही।”
जयदेव के आदेश मिलते ही सभी शिकारी अपने घर से बाहर निकले। इधर अलबेली सबको अलर्ट भेज चुकी थी। सब काफी दूर जाकर फैल गये। शिकारियों के बाहर निकलते ही योजना अनुसार संन्यासी शिवम् के साथ ओजल और इवान अंतर्ध्यान होकर सीधा उस जगह पहुंचे जहां से उस घर का करंट सप्लाई था। पूरे घर के करेंट सप्लाई को जैसे ही बंद किया गया, अंदर पूरा अंधेरा।
इवान:– नाइट विजन सीसी टीवी कैमरा लगा है। हमे सीधा इनके काम करने वाली जगह तक लेकर चलिए शिवम् सर।
शिवम्:– वहां भी तो सीसी टीवी कैमरा कवर कर रहा होगा। मुंह ढक लो। हम लोग चोर बनकर घुसेंगे। घर की सारी चीजें गायब कर देंगे। इसी दौरान तुम उनके सिस्टम को हैक भी कर लेना।
ओजल:– अच्छा आइडिया है...
तीनो किसी चोर की तरह ही सामने से घुसे। तीनो पूरे घर में तूफान मचाए थे। घर में जितनी भी उठाने वाली चीजें थी वो सब एक साथ गायब कर चुके थे। वुल्फ कॉलिंग साउंड सुनकर सभी शिकारी हड़बड़ी में निकले थे, और उनका मोबाइल भी घर में ही रह गया था, वह भी गायब।
तीनो अपना काम खत्म करके वहां से सीधा गायब। ओजल और इवान ने मिलकर तुरंत लैपटॉप से काम की चीजों का डेटा बैकअप लिया और सारा सामान किसी चोर को बेचकर निकल गये। वहीं जब वह शिकारी आवाज की दिशा में आगे बढ़ते, घर से कुछ दूर आगे निकले, तभी उनसे निशांत टकरा गया।
निशांत को देखकर वो सभी थोड़े हैरान हुये और निशांत अपने पहचान के एक शिकारी को टोकते.... “अरे जितेंद्र, क्या बात है, इतने बड़े देश में हम टकरा गये? कहीं मेरा पीछा तो नही कर रहे?”
जितेंद्र:– ठीक यही सवाल तो मेरे मन में भी चल रहा है। कहीं तुम तो मेरा पीछा नहीं कर रहे?
निशांत:– तुम क्या हॉट बिकनी गर्ल हो जो मैं तुम्हारा पीछा करूंगा।
जितेंद्र:– तो तुम यहां क्या कर रहे?
निशांत:– मियामी के जन्नत का मजा ले रहे है। और तुम???
जितेंद्र:– कोई चुतिया, प्रहरी का कीमती सामान चोरी कर यहां बेचने की कोशिश कर रहा था, उसी को ढूंढने आये है। तुम यहां हो, चोर यहां है, तो क्या तुम्हारा दोस्त आर्यमणि भी यहां है?
निशांत:– क्या बकवास कर रहे हो बे... ज्यादा होशियार हो गये हो तो बताओ, सारी होशियारी तुम्हारी गांड़ में घुसेड़ दूंगा। मदरचोद कुछ भी कह रहा...
जितेंद्र गुस्से से आगे बढ़ा ही था कि उसके साथी रोकते हुये.... “तुम जाओ निशांत। आज एक लड़की इसका चुटिया काट गयी इसलिए पागल बना है।”
“तो दिमाग ठिकाने लाओ इसके। ज्यादा बोलेगा तो गांड़ में सरिया डालकर मुंह से निकाल दूंगा।”... निशांत चलते–चलते अपनी बात कहा और चलता बना... उसके जाते ही वह जितेंद्र.... “तूने रोक क्यों लिया?”
एक शिकारी:– चोरी का माल मियामी में बिकने के लिये आना, कॉटेज की घटना, वुल्फ पैक की दहाड़, और उसके बाद इसका (निशांत) मिलना। यह मात्र एक संयोग नही हो सकता। इसका दोस्त आर्यमणि जो वुल्फ का पैक बनाकर भागा था, वो यहीं है। और उसने न सिर्फ अनंत कीर्ति की किताब को चुराया था, बल्कि स्वामी के द्वारा चोरी किया हुआ सारा माल यही आर्यमणि लेकर उड़ा था। मदरचोद अकेला लड़का पूरे प्रहरी को पानी पिला दिया।
जितेंद्र:– बात में दम तो है। वर्धराज का पोता ही अलौकिक पत्थर से निकलने वाले संकेत को बंद कर सकता है, यह हमने पहले क्यों नहीं सोचा।
(सुकेश के घर से चोरी के समान में मिला पत्थर जो अपने पीछे निशानी छोड़ता था, जिस संकेत के जरिए प्रहरी वाले अपने पत्थर का पता लगा सकते थे। उसे अपस्यु और आचार्य जी ने निष्क्रिय किया था।)
दूसरा शिकारी:– इसका मतलब ये हुआ कि पिछले 7–8 दिन से ये लोग हम पर नजर रखे थे, और आज मौका मिलते ही हमारे 22 लोगों को जिंदा जला दिया। साले ने कौन सा मंत्र पढ़ा होगा जो समुद्र में तूफान उठा दिया?
(इन प्रहरी शिकारियों को एलियन के विषय में जरा भी ज्ञान नही था। उन्हे मारे गये सभी शिकारी अपनी तरह इंसान ही लगते थे)
तीसरा शिकारी:– जो 22 लोगों को मार सकता है वह हम 4 को क्यों नही मारा? हमे उनके विषय में नही पता था, लेकिन वो अपनी योजना अनुसार ही हमें यहां तक लेकर आये होंगे। जब उन्हे हमे मारना नही था, फिर योजनाबद्ध तरीके से हमे यहां तक लेकर क्यों आया?
जितेंद्र:– कहीं ये हमारे घर में तो नही घुसे?
एक शिकारी:– घर में क्या करने घुसेंगे...
जितेंद्र:– हां वहां तेरी बीवी भी तो नही जो ये डर रहता की उसे पेल देंगे। मदरचोद जब उन्हे हमे मारना नही था तो एक ही कारण बनता है ना, उन्हे हमसे कुछ चाहिए।
दूसरा शिकारी:– उन्होंने यहां न तो हमे मारा और न ही घेरकर कोई पूछताछ किया। मतलब साफ है, हमारे घर में घुसपैठ हुई है। सब घर चलो।
प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।
प्रहरी के खोजी शिकारी। अब तक कंटेनर के लोकेशन के हिसाब से छानबीन कर रहे थे। आज एक छोटा सा सुराग हाथ लगा और चोरी के समान की गुत्थी सुलझा चुके थे। अलबेली कान लगाकर सब सुन रही थी। खोजी शिकारियों की समीक्षा सुन वह दंग रह गयी। वहीं जब ये लोग अपने घर के पास पहुंचे और घर की बिजली गुल देखे, तभी पूरी समीक्षा पर आपरूपी सत्यापन का मोहर लग गया।
अलबेली ने जो सुना, वह तुरंत आ कर आर्यमणि को बताई। आर्यमणि ओजल और इवान को देखते.... “क्या तुम लोग अगले 5 मिनट में उन्हे हैक कर पाओगे।”
दोनो एक साथ.... “नही...”
आर्यमणि:– फिर तो कोई उपाय नहीं बचा। उन शिकारियों को गायब करना पड़ेगा...
ओजल:– हां लेकिन सोचने वाली बात यह है कि अगले 5 मिनट में वो संपर्क कैसे करेंगे? उनका मोबाइल, लैपटॉप, पासपोर्ट, रुपया, पैसा, क्रेडिट कार्ड सब तो चुरा लाये है। उन्हे यहां ब्लैंक कर दिया है।
आर्यमणि:– पर हमे तो हैक करना था न...
इवान:– इतना आसान नहीं है हैक करना। ये लोग अपने सिक्योर चैनल से सूचना प्रणाली चलाते है। बाहर से यदि हैक करेंगे तो उन्हे तुरंत पता चल जायेगा। हमे इनके सर्वर तक पहुंचना होगा।
आर्यमणि:– और इस चक्कर में बेवकूफी कर आये। 4 शिकारी जो उस घर में थे, केवल उन्हे ही तुमलोगों ने ब्लैंक किया है ना, उनके बाकी के 4 साथी तो अब भी बाहर घूम रहे।
ओजल:– उतना ही तो वक्त चाहिए। वो 4 लोग जबतक पहुंचेंगे और उन्हें पूरे मामले की जानकारी होगी, तब तक अपना काम हो जायेगा। अपने सुरक्षित चैनल से अपने आकाओं को संपर्क करेंगे, उस से पहले हम इनके सर्वर तक पहुंचकर इनका पूरा सिस्टम हैक कर चुके होंगे...
आर्यमणि:– लेकिन कब...
ओजल और इवान अपने लैपटॉप पर इंटर बटन प्रेस करते.... “अब.. हम दोनो रशिया के इस लोकेशन पर जायेंगे, जहां इनका सर्वर स्टेशन है। इसी जगह के सिस्टम में इनका सिक्योर कम्युनिकेशन चैनल का पूरा सॉफ्टवेयर ऑपरेट होता है। पूरा काम करके डिटेल देते हैं।”
संन्यासी शिवम् के साथ वो दोनो उस लोकेशन तक जाने के लिये तैयार थे। संन्यासी शिवम् दोनो को लेकर अंतर्ध्यान होते, उस से पहले ही आर्यमणि अनंत कीर्ति की किताब संन्यासी शिवम के हाथ में देते.... “इनके सर्वर स्टेशन की पूरी जानकारी इस पुस्तक में होगी। काम समाप्त कर जल्दी लौटिएगा”..
संन्यासी शिवम् ने सहमति जता दिया। चलने से पहले संन्यासी शिवम् आश्रम के अपने सिक्योर सिस्टम यानी अनंत कीर्ति के पुस्तक को ऑपरेट किये और उस जगह की पूरी जानकारी लेने के बाद, दोनो को लेकर अंतर्ध्यान हो गये। तीनो ही मुख्य सर्वर चेंबर में थे जहां कंप्यूटर का भव्य स्वरूप के बड़े–बड़े पुर्जे लगे थे। इवान और अलबेली ने सही पुर्जे को ढूंढकर वहां के लाल, काली, पीली कई तरह के वायर को छील दिया। उसमे अपना बग को लगाने के बाद छोटे से कमांड डिवाइस से बग में जैसे ही कमांड दिया, वहां केवल अंधेरा ही अंधेरा था और उनके (ओजल और इवान) डिवाइस पर लिखा आ रहा था... “सिस्टम रिस्टार्ट इन थ्री मिनट”... चलिए शिवम् सर अपना काम हो गया।
लगभग आधे घंटे में अपना पूरा काम समाप्त कर ये लोग लौट आये और उनके लौटने के एक घंटे बाद सभी शिकारी जयदेव से संपर्क कर रहे थे। जैसे ही उन लोगों ने जयदेव को पूरी बात बताई, जयदेव को उनकी बात पर यकीन नही हुआ। उसने मामले को पूरी छानबीन करने तथा पता लगाने के आदेश दे दिये। साथ ही साथ 21 लाश का ही ब्योरा मिला था, एक गायब शिकारी का भी पता लगाने का आदेश मिला था।”
इधर जयदेव अपने लोगों से बात कर रहा था और उधर उनकी पूरी बात अल्फा पैक सुन रही थी। आर्यमणि खुशी से ओजल और इवान को गले लगाते... “क्या बात है तुम दोनो ने कमल कर दिखाया”....
अलबेली:– बॉस सबासी देने के बहाने अपनी साली से खूब चिपक रहे...
ओजल:– हां तो मेरे इकलौते जीजा और मैं उनकी इकलौती साली... मुझसे न चिपकेंगे तो क्या तुझसे चिपकेंगे, जलकुकरी... वैसे तू चिंता मत कर, इवान से शादी के बाद जब तू भी जीजू के साले की पत्नी बनेगी... क्या कहते है उसे कोई बताएगा..
निशांत:– सलहज...
ओजल:– हां जब तू वही बनेगी सलहज, तब बॉस तुझे भी खुद से चिपकाए रखेंगे...
आर्यमणि, ओजल को आंख दिखाते... “क्या पागलों जैसी बातें कर रही हो। वो मुझे दादा पुकारती है।”
रूही:– अच्छा जब अलबेली बोली तब तो मुंह से कुछ नही निकला, लेकिन जैसे ही ओजल ने अपनी बात कही, तुमने मेरी बहन को आंखें दिखा दिये। देख रही हूं कैसे तुम मेरे सगे संबंधी को अभी से ट्रीट कर रहे...
आर्यमणि:– तुम मजाक कर रही हो न...
रूही, आर्यमणि को धक्का देकर अपने कमरे के ओर निकलती.... “मेरे भाई–बहन को नीचा दिखाने में तुम्हे मजा आता है ना आर्य, भार में जाओ।”
निशांत, आर्यमणि के कंधे पर हाथ डालते.... “तेरे तो पांचों उंगलियां घी में और सर कढ़ाई में है। मजे कर”...
आर्यमणि:– हां मजे तो कर रहा। चलो 2 पेग लगाकर आते है। शिवम् सर तब तक आप क्या उस एलियन जुल के साथ मिलकर ओजल और इवान के नायजो शक्तियों पर काम कर सकते है?
संन्यासी शिवम्:– हां ये मैं कर लूंगा...
आर्यमणि:– आपका आभार... अलबेली तुम तो अकेली रह जाओगी... हमारे साथ आओ..
अलबेली:– नही दादा तुम दोनो जाओ... मैं रूही के पास जाती हूं...
दोनो दोस्त पहुंचे मयखाने। दारू के पेग हाथ में उठाकर शाम का लुफ्त उठाने लगे। यूं तो दोनो कुछ रोज से साथ थे, लेकिन फुरसत से मिले नही थे। आज मिल रहे थे। नई–पुरानी फुरसत की बातें शुरू हो गयी थी। बातों के दौड़ान चित्रा और माधव की याद भी आ गयी। कुछ दिन पहले परिवार से तो बात हो गयी थी, बस दोस्त रह गये थे। आज दोस्तों से बात का लंबा दौड़ चला।
रात के 10 बजे से 2 बजे तक जाम और बातचीत। एक बार फिर माधव सबके निशाने पर था। चित्रा तो पहले ही माधव के बाबूजी की चहेती बनी थी, इसलिए माधव को प्यार से एंकी पुकारे जाने पर उसके बाबूजी ने कोई प्रतिक्रिया ना देते हुये उल्टा वो भी माधव को एंकी कह कर ही पुकारने लगे। बस फिर क्या था, माधव ने पहली बार अपने बाबूजी से सवाल किया.... “बहु ने यह नाम दिया इसलिए हंसकर स्वीकार किये, यही मैने किया होता तब”.... माधव ने मुंह से सवाल पूछा बाबूजी ने थप्पड़ लगाकर जवाब दिया... "तू करता तो यही होता"...
फिर बात दहेज के पैसे जोड़ने पर आ गयी। इस बात पर चित्रा ने तो निशांत और आर्यमणि की खड़े–खड़े क्लास ले ली। वहीं माधव “खी–खी” करते बड़ा सा दांत फाड़े था। बातें चलती रही और ऐसा मेहसूस होने लगा सभी प्रियजन आस–पास ही है। बातें समाप्त कर रात के 3 बजे तक दोनो दोस्त अपने गंतव्य पहुंच चुके थे।
सुबह यूं तो आर्यमणि को उठने की इच्छा नही हो रही थी, लेकिन गुस्साई पत्नी के आगे एक न चली और मजबूरी में उठना ही पड़ा। संन्यासी शिवम् रात को ही जुल से सारी प्रक्रिया को समझे। 2–4 बार शक्ति प्रदर्शन का डेमो भी लिया और जुल को वहीं छोड़, संन्यासी शिवम् दोनो (ओजल और इवान) को लेकर अंतर्ध्यान हो गये। सभी सीधा कैलाश पर्वत मार्ग के मठ में पहुंच गये जहां अगले कुछ दिन तक ओजल और इवान यहीं प्रशिक्षण करते।
इधर रूही ने एलियन की शक्तियों का विवरण कर, उसी हिसाब की नई ट्रेनिंग शुरू करने की बात कही, जिसमे बिजली और आग से कैसे पाया जा सकता था, उसके उपाय पर काम करना था। आग से तो बचने के उपाय थे। बदन के जिस हिस्से में आग लगी हो उसके सतह पर टॉक्सिक को दौड़ाना। बस बिजली से बचने का कोई कारगर उपाय नहीं सूझ रहा था।
सब अलग–अलग मंथन करने के बाद निशांत ने कठिन, किंतु कारगर उपाय का सुझाव दे दिया, जो हर प्रकार के बाहरी हमले का समाधान था। पहले तो निशांत ने आर्यमणि से सुरक्षा मंत्र के प्रयोग न करने के विषय में पूछा। सुरक्षा मंत्र वह मंत्र था, जिसे सिद्ध करने के बाद हवा के मजबूत सुरक्षा घेरे के अंदर शरीर रहता है। जैसा की सतपुरा के जंगलों में संन्यासी शिवम् ने करके दिखाया था।
आर्यमणि का इसपर साफ कहना था कि उसका पैक सुरक्षा मंत्र को सिद्ध नहीं कर सकते, इसलिए वह भी किसी प्रकार के मंत्र का प्रयोग नहीं करता। आर्यमणि का जवाब सुनने के बाद निशांत ने ही सुझाव दिया की शुकेश के घर से चोरी किये हुये अलौकिक पत्थर को पास में रखकर यदि सुरक्षा मंत्र पढ़ा जाये तो वह मंत्र काम करेगा। जैसे की खुद निशांत के साथ हुआ था। बिना इस मंत्र को सिद्ध किये निशांत ने भ्रमित अंगूठी के साथ मंत्र जाप किया, और मंत्र काम कर गयी थी।
सुझाव अच्छा था इसलिए बिना देर किये 2 काले हीरानुमा पत्थर को निकालकर रूही और अलबेली के हाथ में थमाने के बाद, मंत्र का प्रयोग करने कहा गया। दोनो को शुद्ध रूप से पूरा मंत्र उच्चारण करने में काफी समय लगा, किंतु जैसे ही पहली बार उनके मुख से शुद्ध रूप से पूरा मंत्र निकला, दोनो ही सुरक्षा घेरे में थी। फिर क्या था, पूरा दिन रूही और अलबेली सुरक्षा मंत्र को शुद्ध रूप से पढ़ने का अभ्यास करते रहे। यही सूचना संन्यासी शिवम् के पास भी पहुंचा दी गयी। एक पत्थर इवान के पास भी पहुंच चुका था। वहीं ओजल के पास पहले से अलौकिक नागमणि और दंश थी, इसलिए उसे अलग से पत्थर की जरूरत नहीं पड़ी।
एक हफ्ते तक सबका नया अभ्यास चलता रहा। दूसरी तरफ आर्यमणि ने अगले दिन ही उन सभी 8 इंसानी खोजी शिकारी को कैद कर लिया, ताकि अल्फा पैक सुनिश्चित होकर अभ्यास करता रहे। एक बचा था एलियन जुल, उस से थोड़ी सी जानकारी और निकालनी बाकी थी। इसलिए था तो वो आर्यमणि के साथ ही, लेकिन किसी कैदी से कम नही। अल्फा पैक क्या कर रहे है, उसकी भनक तक नहीं वह ले सकता था। अनंत कीर्ति किताब भी अलर्ट मोड पर थी। वह एलियन जुल, अल्फा पैक के ओर देखता भी था, तो आर्यमणि को खबर लग जाती।
हां लेकिन कब तक उस एलियन को भी साथ रखते। जिंदगी के अनुभव ने विश्वास न करना ही सिखाया था। और खासकर उस इंसान पर जिसने खुद की जान बचाने के लिये अपने समुदाय का पूरा राज उगल दिया हो। वैसा इंसान कब मौका देखकर डश ले कह नही सकते। 4 दिन तक साथ रखने के बाद आर्यमणि ने अपना बचा सवाल भी पूछ लिया।
पहला तो पलक को लेकर ही था कि क्यों जब आर्यमणि ने क्ला घुसाया तब पलक के अंदर उस तरह की फीलिंग नही आयी जैसे वह तेजी से हील हो रही हो। जुल ने खुलासा किया की... “18 की व्यस्क उम्र के बाद, हर एलियन को साइंस लैब ले जाया जाता है। वहां वेयरवॉल्फ के खून के साथ कई सारे टॉक्सिक नशों में चढ़ाया जाता है। उसके उपरांत कई तरह के प्रयोग उनके शरीर पर किये जाते है, तब जाकर उन्हें अमर जीवन प्राप्त होता है।”
“लैब में एक बार शरीर को पूर्ण रूप से परिवर्तित करने के बाद किसी भी एलियन के शरीर की कोशिका मनचाहा आकर बदलकर, किसी का भी रूप आसानी से ले सकती थी। हर 5 साल में एक बार मात्र वेयरवोल्फ के खून को नशों में चढ़ाने से सारी कोशिकाएं पुनः जवान हो जाती थी। बिलकुल नई और सुचारू रूप से काम करने वाली कोशिकाएं। जिस वजह से एलियन सदा जवां रहते थे।”
यही रूप बदल का प्रयोग तब काम आता था, जब किसी परिवार के मुखिया को मृत घोषित करना होता था। महानायकों के बूढ़े चेहरे कोई भी एलियन अपना लेते और उन्हें बलि चढ़ा दिया जाता। वहीं उनके महानायक अपना बूढ़ा रूप छोड़कर किसी अन्य प्रहरी परिवार में उनके इंसानी बच्चों का रूप ले लेते और जिनका भी वो रूप बदलते, उन्हें भी मारकर रास्ते से हटा देते है।”
“किसी एलियन ने अपनी कोशिकाओं के आकार को बदलकर जिसका भी रूप लिया हो, उसे पहचानने का साधारण सा रास्ता है, मैक्रोस्कोपिक लेंस। मैक्रोस्कोपिक लेंस से यदि किसी भी एलियन को देखा जाये तो हर क्षण कोशिकाएं बदलते हुये नजर आ जाती है। यह नंगी आंखों से कैप्चर नही हो सकता, लेकिन मैक्रोस्कोप के लेंस से देखने पर असली चेहरा से परिवर्तित चेहरा, और परिवर्तित चेहरा से असली चेहरा बनने की प्रक्रिया को देखा भी जा सकता है, और कैप्चर भी किया जा सकता है।”
पलक के केस में उसने इतना ही बताया की अब तक वह साइंस लैब नही गयी। 2 बार उसपर दवाब भी बना लेकिन उसने जाने से इंकार कर दिया था। अभी वर्तमान समय में उसके शरीर पर एक्सपेरिमेंट हुआ या नहीं यह जुल को पता नही था।
फिर आर्यमणि ने जुल से आखरी सवाल पूछा... “सैकड़ों वर्षों से यहां हो, तुम एलियन की कुल कितनी आबादी पृथ्वी पर बसती है और कहां–कहां?”
जुल, आर्यमणि का सवाल सुन मुस्कुराया और जवाब में कहने लगा... “ठंडी जगह पर ज्यादा बच्चे पैदा नहीं कर सकते, इसलिए ज्यादातर आबादी एशिया और अफ्रीका महाद्वीप के गरम इलाको में बसती है। कुछ वीरान गरम आइलैंड पर हमारी पूरी आबादी बसती है। पृथ्वी की आखरी जनगणना के हिसाब से कुल 6 करोड़ की आबादी है हमारी। अकेला भारत में 1 करोड़ की आबादी है और हर साल 2 करोड़ शिशु हम अन्य ग्रह पर भेजते है, जिस वजह से पृथ्वी पर हमारी आबादी नियंत्रित है।”
आर्यमणि जवाब सुनकर कुछ सोचते हुये.... “पिछले सवाल को आखरी के ठीक पहले का सवाल मानो और ये आखरी सवाल, तो बताओ पृथ्वी की आबादी को कब अनियंत्रित करने का फैसला लिया गया है?”
जुल:– आने वाले 20 वर्षों में अन्य ग्रह पर इतने हाइब्रिड हो जायेंगे की आगे की आबादी आप रूपी बढ़ती रहेगी। उन सब ग्रहों पर एक बार पारिवारिक वर्गीकरण हो जाये, उसके 10 साल बाद के समय तक में पूरे पृथ्वी पर नायजो की हाइब्रिड आबादी बसेगी।
आर्यमणि एलियन जुल से सारी जानकारी निकाल चुका था। बदले में जुल उम्मीद भरी नजरों से देख रहा था कि उसके जानकारी के बदले उसे अब छोड़ दिया जायेगा। किंतु ऐसा हुआ नही। पहले तो आर्यमणि, रूही और अलबेली ने मिलकर उसके शरीर के हर टॉक्सिक, शरीर में बहने वाले वुल्फ ब्लड, सब पूरा का पूरा खींच लिया। तीनो को ही ऐसा मेहसूस हो रहा था जैसे 10 हजार पेड़ के बराबर उसके अंदर टॉक्सिक भरा हुआ था। जुल के शरीर से सारा एक्सपेरिमेंट बाहर निकालने के बाद, जब खंजर को घुसाया गया, तब वह खंजर अंदर गला नही और जुल दर्द से बिलबिला गया। रूही उसका चेहरा देखकर हंसती हुई कहने लगी.... “तुम्हारे शरीर को समझने के बाद हमें पता था कि तुम जैसों को आसान मौत कैसे दे सकते है, लेकिन उसमे मजा नही आता। कैद के दिनो को एंजॉय करना।”
जुल:– मैने तुमसे सारी जानकारी साझा किया। 2 नायजो वेयरवोल्फ के विकृति का कारण भी बताया वरना एक वक्त ऐसा आता की या तो तुम उसे मार देते या वो तुम्हे। फिर भी तुमने मुझे जड़ों में जकड़ा हुआ है।
आर्यमणि:– तुम्हारा एहसान है मुझपर, इसलिए तो मारा नही। सिर्फ कुछ दिन के लिये कैद कर रहा हूं। जल्द ही किसी अच्छी जगह पर छोड़ भी दूंगा।
जुल:– कब और कहां छोड़ने का प्लान बनाए हो। और ये क्ला तुम इनके गले के पीछे क्यों घुसा रहे?
आर्यमणि सभी इंसानी शिकारी के दिमाग से कुछ वक्त पूर्व की याद मिटा चुका था। साथ ही दिमाग ने निशांत से मिलने की घटना को थोड़ा बदल चुका था। 8 इंसानी शिकारी के साथ जुल को एक तहखाने में कैद दिया गया था, जहां सब के सब जड़ों के मजबूत जेल में पूरा कैद थे। उनके पोषण के लिये जड़ों के रेशे ही काम रहे थे। तहखाने में उन्हे जड़ों में अच्छे से लपेटने के अलावा सिक्योरिटी अलर्ट, और निशांत का भ्रम जाल भी फैला था, जो उन सभी कैदियों को जड़ों से छूटने के बाद भी उस जगह पर रहने के लिये विवश कर देते।
आर्यमणि सभी इंसानी शिकारी के दिमाग से कुछ वक्त पूर्व की याद मिटा चुका था। साथ ही दिमाग ने निशांत से मिलने की घटना को थोड़ा बदल चुका था। 8 इंसानी शिकारी के साथ जुल को एक तहखाने में कैद दिया गया था, जहां सब के सब जड़ों के मजबूत जेल में पूरा कैद थे। उनके पोषण के लिये जड़ों के रेशे ही काम रहे थे। तहखाने में उन्हे जड़ों में अच्छे से लपेटने के अलावा सिक्योरिटी अलर्ट, और निशांत का भ्रम जाल भी फैला था, जो उन सभी कैदियों को जड़ों से छूटने के बाद भी उस जगह पर रहने के लिये विवश कर देते।
7 दिन के अभ्यास के बाद ओजल और इवान भी वापस लौट आये थे। दोनो पहले से ज्यादा नियंत्रित और उतने ही धैर्यवान नजर आये। थोड़े से मेल मिलाप के बाद पहला संयुक्त अभ्यास शुरू हुआ। बटन ऑन–ऑफ करने जितना तो प्रशिक्षित नही हुये थे। अर्थात ऐसा प्रशिक्षण जिसमे करेंट के फ्लो चला और झट से सुरक्षा घेरे में, उसके अगले ही पल हमला करने के लिये सुरक्षा घेरा खुला और तुरंत हमला करके वापस से मंत्र के संरक्षण में।
इतनी जल्दी मंत्रो के प्रयोग में अभी समय था लेकिन जितना भी प्रशिक्षण लिये थे, वह संतोषजनक था। नींद में भी पूरे मंत्रों का शुद्ध उच्चारण कर लेते थे। वहीं ओजल और इवान के नए प्रशिक्षण के बाद वह राज भी खुल चुका था, जिसका खुलासा जुल नही कर पाया था। प्रथम श्रेणी के नायजो वालों के पास कैसी शक्तियां होती है। इसका जवाब ओजल और इवान लेकर आ रहे थे।
प्रथम श्रेणी वालों आंखें ही उनका प्रमुख हथियार थे, जिनसे भीषण किरणे निकलती थी,लेजर की भांति खतरनाक किरणें। और आंखों से केवल लेजर किरण ही नही निकल रहे थे, बल्कि उस से भी और ज्यादा खतरनाक कुछ था।
जैसे ओजल के आंख से निकलने वाली किरणे जिस स्थान पर पड़ती, उस स्थान को भेदने के साथ–साथ, एक मीटर के रेडियस को एक पल में इतना गरम कर सकती थी कि लोहे के एक फिट का मोटा चादर पिघलने के कगार पर आ जाये। वहीं इवान की आंखों से जो किरण निकलती थी, वह पड़ने वाले स्थान को जहां भी भेदती थी, वहां विशेष प्रकार का जहरीला एसिड साथ में छोड़ती थी, जो एक सेकंड में ही एक मीटर के रेडियस को गलाकर उसके अस्तित्व को खत्म करने की क्षमता रखती थी।
ऐसा बिलकुल नहीं था कि ओजल, इवान या कोई भी प्रथम श्रेणी का एलियन आंख से लेजर नुमा कण चलाये, तो किसी भी इंसान की सीधा मृत्यु हो जाये। उनके आंखों की किरणे, उनके मस्तिष्क की गुलाम थी। यदि किसी इंसान को घायल करने की सोच है, तो आंखों से निकलने वाली किरणे और उसका दूसरा प्रभाव जैसे की हिट या एसिड उत्पन्न करना या कुछ और, ये सब केवल उस इंसान को घायल ही करेंगे। यदि डराने की सोच रहे तो केवल भय ही पैदा करेंगे। और यदि मारने का सोचे रहे,तब आंखों की किरणे पूरा प्रभावी होती है। फिर तो मौत कब निगल गयी पता भी नही चलता।
एलियन से जुड़ी लगभग सारी जानकारी आ चुकी थी। कई विचित्र तो कई चौकाने वाले तथ्य सामने आये थे। हां लेकिन इनका घिनौना करतूत इन्हे हैवान की श्रेणी में लाकर खड़ा कर चुका था। कुछ दिनों तक मियामी से जब किसी भी खोजी शिकारी ने संपर्क नही किया, तब एक बार जयदेव भी यह सोचने पर मजबूर हो गया की क्या सच में आर्यमणि मियामी में है? जयदेव ने तुरंत नित्या से संपर्क किया और उसे सारी बात बताकर तुरंत मियामी निकलने बोल दिया।
इधर नित्या मियामी पहुंच रही थी और ठीक उसी दिन पूरी अल्फा टीम टेलीपोर्ट होकर अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स (buenos aires) पहुंच चुके थे। यहां का मिशन तीनो टीन वुल्फ लीड कर रहे थे, इसलिए बाकी सब इन्ही तीनो को सुन रहे थे। तीनो का एक ही फरमान आया, जितने भी इंसानी खोजी शिकारी है, उन्हे बाकी के लोग कैद करेंगे। एलियन को ठीक वैसे ही मौत मिलेगी जैसा मियामी में हुआ था और इस काम को तीनो टीन वुल्फ ही अंजाम देंगे।
अब तो ज्यादा छानबीन की जरूरत ही न थी। इंसानी खोजी शिकारियों को दिन में कैद किया गया और ठीक रात में मौत की लंबी और गहरी चीख अर्जेंटीना के उस शहर में गूंज रही थी। यहां भी एलियन और इंसानों की उतनी ही संख्या थी, बस फर्क इतना था कि यहां किसी भी एलियन को जिंदा नही छोड़ा गया। अल्फा पैक ऑपरेटिंग सिस्टम में घुसने का पूरा फायदा ले रही थी।
चोरी का समान ढूंढने निकले हर खोजी यूनिट शाम में अपने सिक्योर चैनल से बात करते ही थे, और उन सब की खबर अब अल्फा पैक को थी। मियामी की तरह ही ब्यूनस आयर्स (buenos aires) में भी वैसे ही लाशें बिछी थी। टीवी के माध्यम से यह सूचना जयदेव तक भी पहुंची और वह भन्नाने के सिवा और कुछ नही कर सकता था।
जयदेव ने नित्या को मियामी से फिर ब्यूनस आयर्स (buenos aires) भेजा। जिस शाम नित्या ब्यूनस आयर्स (buenos aires) पहुंची, उसी शाम फिर से मौत की खबर आ रही थी। इस बार मौत की खबर अर्जेंटीना के विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) शहर से आ रही थी। एक संन्यासी की मौत (वही संन्यासी जो आर्यमणि के पिता की जान बचाने की वजह से मारा गया था) के बदले आर्यमणि लाशों के ढेर लगा रहा था।
नित्या एयरपोर्ट पर लैंड की और वहीं से फ्लैट लेकर सीधा विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) पहुंची। नित्या उधर विसेंट लोपेज (Vicente Lopez) में एक दिन तक छानबीन करती रही और ठीक अगली शाम को यूएसए के एक और शहर से झुलसी हुई लाश की खबर आने लगी। जयदेव को लगने लगा की वह परछाई का पीछा कर रहा है।
मात्र 1 महीने के अंदर ही 10 जगह पर खोज रहे 219 एलियन की भुनी लाश की खबरें हर शहर से आ चुकी थी। 80 इंसानी शिकारी आउट ऑफ कॉन्टैक्ट हो चुके थे। और पूरी घटना में मियामी से मात्र एक एलियन के बचने की खबर थी, लेकिन वह कौन था इसकी पहचान नहीं हो पायी थी। आज तक जो छिपकर शिकार करते आ रहे थे, आज जब कोई छिपकर उनका बड़ी बेरहमी से शिकार कर रहा था, तब इनका पूरा समुदाय ही बिलबिला गया।
समान की खोज पर निकली पूरी एलियन टीम ही गायब थी और जयदेव पर इतना दबाव था कि वह फिर कोई दूसरी टीम नही भेज पाया। सभी मुखिया ने मिलकर यह फैसला लिया की आर्यमणि के लिये अब से जिस टीम का गठन होगा, उसमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी के साथ प्रथम श्रेणी के नायजो भी होने चाहिए। वही श्रेणी जिसमे जयदेव, उज्जवल इत्यादि आते थे। जितने भी एलियन टीम मरी थी, उनमें एक भी प्रथम श्रेणी का नायजो नही था और इसे ही हर कोई कमजोरी मान रहा था। हालांकि उनका सोचना भी एक हद तक सही था। यदि प्रथम श्रेणी के नायजो उनके साथ होते, तब एक नजर ही काफी थी अपने दुश्मनों को स्वाहा करने के लिये।
बिलबिलाया नायजो समुदाय अब अपनी नजर जर्मनी पर गड़ाए था, जहां पलक से मिलने आर्यमणि पहुंचता। कोई भी एलियन सुनिश्चित तो नही था, लेकिन मियामी की जानकारी के आधार पर सभी घटनाओं के पीछे आर्यमणि का ही हाथ मान रहे थे। जर्मनी तो जैसे नायजो का दूसरा घर बन गया था। पिछले डेढ़ महीने में हुये हमलों को देखते हुये जर्मनी में प्रथम श्रेणी के नायजो की तादात भी कुछ ज्यादा ही बढ़ गयी थी। कुल 1200 नायजो शिकारी वहां जमा हो चुके थे, जिनमे से 400 प्रथम श्रेणी के नायजो थे। वैसे जयदेव भी कच्चा खिलाड़ी नही था। जैसे ही उसने पाया की अमेरिका और अर्जेंटीना में एक भी इंसान प्रहरी की लाश नही मिली थी, 400 इंसान प्रहरी को भी जर्मनी भेज दिया।
और बेचारी पलक.... जर्मनी आकर पलक हर पल पजल ही हो रही थी। बार–बार उसे एक ही ख्याल आता की आखिर जर्मनी में किस स्थान पर मीटिंग करेगा? सोचना भी वाजिफ ही था, क्योंकि जर्मनी किसी कस्बे का नाम तो था नही, था तो पूरा देश। कुछ महीने पूर्व जब फोन पर आर्यमणि से बात हुई थी तब 8 मार्च को होने वाली मुलाकात किस स्थान पर होगी, उस स्थान को न तो आर्यमणि ने बताया और न ही गुस्से से भड़की पलक पूछ पायी।
बेचारी जनवरी में जर्मनी पहुंची और जर्मनी के अलग–अलग शहर में रुक कर यही सोचती की आर्यमणि मुझे यहां बुला सकता है, या मुझे यहां बुला सकता है। 2 महीने का वक्त मिला है यह सोचकर पलक काफी उत्साहित थी, किंतु खुद की बेवकूफी किसी को बता भी नही सकती थी। और जो सोचकर स्वीडन से भागकर आयी थी कि जर्मनी की धरती उसके अनुकूल काम करे, उसका पहला कदम भी नही उठा पायी थी।
एक महीने तक जर्मनी के 3–4 शहर की खाक छानने के बाद पलक ने खुद को जर्मनी की राजधानी बर्लिन में सेटल कर लिया और दूर दराज से जर्मनी पहुंच रहे एलियन को पलक अलग–अलग शहर भेजकर वहां आर्यमणि का पता लगाने कह रही थी। पलक को यकीन था कि आर्यमणि जर्मनी में ही कहीं है और उसकी टीम को ट्रैप करने के लिये ग्राउंड तैयार कर रहा है।
और इस बात यकीन भी क्यों न हो। एक पलक ही तो थी जो आर्यमणि के दूरदर्शिता और महीनो पहले के बनाए योजना को आंखों के सामने सफल होते देखी थी। वो अलग बात थी कि जबतक आर्यमणि उसके साथ था, तब तक पलक को आर्यमणि की योजना का भनक भी नही लगा और जब तक पलक को समझ में आया तब तक तो पूरा नागपुर समझ चुका था। तब भी पलक बेचारी थी और आज भी बेचारी निकली।
उसे यकीन था आर्यमणि जर्मनी में है लेकिन कहां ये पता नही। और पलक का इतना विश्वास एक बड़ी वजह थी जो जयदेव को मियामी के शिकारियों की सूचना पर यकीन नही हुआ। पलक के हिसाब से आर्यमणि जर्मनी में था और वो लोग आर्यमणि को मियामी में बता रहे थे। लेकिन जिस हिसाब से अमेरिका और जर्मनी में लाशें बिछाई गयी, पूरे एलियन महकमे के दिमाग की बत्ती गुल हो चुकी थी। इतने बड़े कांड के बाद किसी न किसी पर तो दोष मढ़ना ही था। ऊपर से कुछ शिकारियों ने पूरे तथ्य के साथ आर्यमणि के मियामी में होने की बात कही थी। तो हो गया फैसला आर्यमणि जर्मनी में नही है।
तैयारी के नाम पर तो हो गये थे लूल बस एलियन की अलग–अलग टुकड़ी जर्मनी के अलग–अलग शहर की खाक छान रहे थे। भारत में अफवाहों का बाजार भी गरम था। इंसानी प्रहरी के बीच तो आर्यमणि को एक हीरो की तरह बताया गया था, जो सरदार खान जैसे सिर दर्द को मार कर शहर को वोल्फ के हमले से तब बचाया था, जब शहर के सारे प्रहरी बाहर शादी में गये थे। इसलिए इनसे जवाब देते नही बन रहा था कि आर्यमणि को पकड़ने के लिये इतनी बड़ी फौज को क्यों जर्मनी भेज रहे? अनंत कीर्ति की किताब ही वापस लाना था तो बैठकर बातचीत करके वापस मांग लेते। जब देने से इंकार करे फिर न एक्शन की सोचे। और जब एक्शन लेना ही है तो एक के खिलाफ 1000 से ज्यादा प्रहरी, आखिर करने क्या वाले है इतने लोगों का?”
प्रहरी के मुखिया के पास पहले कोई जवाब नही था। हां उन्हे तब थोड़ी राहत हुई जब कुछ दिन बाद मियामी की घटना हुई। सभी मुखिया एक सुर में गाने लगे की मियामी का कांड आर्यमणि का किया था। जब सबूत मांगा गया तो मियामी में जो समीक्षा शिकारियों ने दिया था, वही बताने लगे। लेकिन सबूत के नाम पर ढेला नही था और प्रहरी सदस्य, खासकर जिन लोगों ने भूमि से प्रशिक्षण लिया था, वो तो अपने मुखिया का दिमाग तक छिल डाले।
खैर प्रहरी के मुखिया से जब जवाब देते नही बना तो चिल्लकर शांत करवा दिये। तय समय से 4 दिन पूर्व अर्थात 4 मार्च को 400 इंसान प्रहरी बर्लिन लैंड कर चुके थे। इस पूरे 400 के समूह को एक इकलौता महा नमक प्रहरी लीड कर रहा था, जो भूमि का काफी करीबी माना जाता था। एयरपोर्ट पर महा की मुलाकात पलक से हुई जो अपने 4 चमचों के साथ पहुंची थी।
महा, पलक के गले लगते.... “बाहिनी नाशिक पहुंचकर बड़ा नाम कमाया”..
पलक:– नाम तो तुम्हारा भी कम नही महा। 400 लोगों को लीड कर रहे।
महा:– पर यहां 1600 प्रहरी (1200 एलियन और 400 इंसान) को तो तुम ही लीड कर रही। तो बताओ हमे क्या करना है?
पलक:– होटल चलते है, वहां और भी लोग है। सबके बीच समझाती हूं...
महा:– और मेरे साथ जो पहुंचे है, उनका क्या?
पलक:– एकलाफ उन्हे सही जगह पहुंचा देगा..
महा:– ऐसा होने से रहा... मैने बर्लिन में इनके रहने का इंतजाम पहले कर रखा है। रुको एक मिनट...
इतना कहकर महा भिड़ की ओर देखते... “हारनी सामने आओ”
वह लड़की हारनी सामने आते... “बोलो महा”
महा:– हारनी, यहां से तुम अपनी टीम के साथ सबको लीड करोगी। एक घंटे बाद की फ्लाइट से हमारे बचे 200 लोग भी पहुंच जायेंगे.. उनसे कॉर्डिनेट कर लेना और सबको लेकर होटल पहुंचो.... मैं रणनीति सुनने के बाद सबको काम बताऊंगा...
हारनी:– ठीक है महा...
महा, हारनी से विदा लेकर पलक के पास पहुंचते.... “हां अब चलो”
पलक, उसे आंख दिखाती.... “महा उन्हे मैं बर्लिन से कहीं और भेजने वाली थी। प्लेन रनवे पर खड़ी है।”..
महा:– लीडर तुम ही हो लेकिन बिना रणनीति सुने मैं किसी को भी कही नही जाने दे सकता... पहले ही 80 प्रहरी गायब हो चुके है और 220 मारे जा चुके है।
पलक:– ठीक है तुम जीते.... अब चलो..
महा और अपने चमचों को लेकर पलक होटल पहुंची, जहां नित्या समेत 12 प्रथम श्रेणी के एलियन थे और महा इकलौता इंसान।
पलक:– 8 मार्च को आर्यमणि मुझसे मिलेगा। चोरी का समान ढूंढने गये खोजी शिकारी का जिस प्रकार से शिकार हुआ है, उस से 2 बातें साफ है। एक तो आर्यमणि पिछले एक साल में खुद को ऐसा तैयार किया है कि वह किसी भीषण खतरे से कम नही। दूसरा वह अकेला भी नही...
सब तो चुप चाप सुन लिये बस महा था जिसका सवाल आया... “किस आधार पर कह रही हो की सारे कत्ल को आर्यमणि और उसकी टीम ने अंजाम दिया। एक–डेढ़ महीने पहले तक तो प्रहरी के कीमती सामान का चोर कोई और था। कहीं ऐसा तो नहीं की जब लोग मरने लगे तो इल्जाम आर्यमणि पर डाल रही।”
पलक:– महा खबर पक्की है...
महा:– खबर पक्की है लेकिन कोई सबूत नहीं। कहीं ऐसा तो नहीं की आर्यमणि और उसकी टीम को बोलने का मौका भी न मिले और उसे सीधा मार डालो। इसलिए इतने लोगों को इक्कट्ठा की हो।
नित्या:– तुम्हे ज्यादा सवाल जवाब करना है तो बाहर जाओ। सीधा–सीधा सुनो, सीधा–सीधा हुक्म मानो...
महा:– तुम्हारी बातें भड़काऊ है लेकिन मुझे इस वक्त भटकना नहीं। तुम्हे मै बाद में जवाब दूंगा, पलक तुम मेरे सवाल का जवाब दो।
पलक:– परिस्थिति देखकर फैसला करेंगे। हम उसे बात करने का मौका क्यों नही देंगे। लेकिन यदि वो बात करने के लिये तैयार न हुआ तो... ये मीटिंग भी उसी संदर्व में है।
महा:– हम्मम!!! ठीक है कहो..
पलक:– 8 मार्च को वह मुझसे और एकलाफ़ से कहां मिलेगा, यह अभी तय नहीं हुआ है।
महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?
महा:– फिर कहोगी सवाल क्यों कर रहे। अब ये एकलाफ कौन है, जिस से आर्यमणि मिलना चाहता है? उसे मैं नही जानता फिर वो कैसे जानने लगा? वह मुझसे क्यों नही मिलने की बात किया?
पलक:– वो जब आर्य मिलेगा तब पूछ लेना। अब प्लीज कुछ देर शांत रहो। एक बार मैं पूरा खत्म कर लूं, फिर सारे सवाल एक साथ कर लेना...
महा:– हम्मम... ठीक है..
पलक:– “8 मार्च को आर्यमणि कब और कहां मिलेगा वो पता नही चल पाया है। पहले से पहुंचे प्रहरी लगभग 30 शहरों की जांच कर चुके, लेकिन किसी भी जगह ऐसे कोई प्रमाण न मिले, जहां लगा हो की किसी ने जाल बिछाकर रखा है। और मुझे यकीन है कि आर्यमणि ने 2 महीने का वक्त इसलिए मांगा था, ताकि वह पूरी तैयारी कर सके”...
“शिकार फसाने और शिकार करने में कोई भी प्रहरी उसका मुकाबला नहीं कर सकता। मैं आर्यमणि को भली भांति जानती हूं, वह कितने दिन पहले से कितना कैलकुलेटिव प्लान कर सकता है। यदि उसने 2 महीने का समय लिया है तो विश्वास मानो वह 1000 प्रहरी तो क्या, 5000 प्रहरी को मारने के हिसाब से प्लान करेगा। इसलिए मैं चाहती हूं कि बचे 3 दिन में यानी 7 मार्च तक हम ये पता लगा ले की आर्यमणि हमसे किस जगह मिलने की योजना बना रहा।
सभी एलियन एक साथ, एक सुर में... “हां हमे तुरंत ये काम करना होगा।”
महा:– 2 महीने में नही कर पाये और 3 दिन में कर लोगे। चुतिये है सब के सब। और जो कोई भी अपना मुंह खोल रहा है, अभी बंद कर ले। अभी मेरी बात पूरी नही हुई। साला सभी उल्लू ही पहुंचे थे क्या जर्मनी जो अब तक पता न कर पाये की आर्यमणि कहां मीटिंग रख सकता है?...
पलक:– इतना सुनाने की जरूरत है क्या? या मैं तुम्हारी हम उम्र होकर तुमसे आगे निकल गयी, इस बात को लेकर मुझे नीचा दिखा रहे...
महा:– लड़ाई में निपुणता हासिल कर लेने से कोई दिमाग वाला नही होता। और फालतू बात करके टॉपिक से भटकाने वाला कभी सच्चा नेता नही होता। 2 महीने काफी है एक देश में किसी के भी होने का पता लगाने के लिये। और जैसा तुम कह रही हो की तुम्हारे पास आर्यमणि की पक्की खबर थी कि वो जर्मनी के बाहर हमारे लोगों का शिकर कर रहा, इसका साफ मतलब होता है कि वह किसी और के हाथों जर्मनी में किसी जगह पर अपना जाल बिछा रहा होगा। क्या तुमने यहां के स्थानीय शिकारी और जंगल के रेंजर्स से पता किया है...
पलक:– उन्हे क्या पता होगा...
महा:– “अंधेर नगरी और चौपट राजा। 2 देश के बीच लड़ाई नही हो रही जो जंग के मैदान में लड़ोगे। और न ही ये कोई फिल्म है, जहां सड़कों पर खुले आम लाश गिरेगी वो भी बेगाने देश में। तो लड़ाई का स्थान ऐसा होगा जो काफी बड़ा हो और वहां कितनी भी लाश क्यों न गिर जाये, मिलों दूर तक कोई खबर लेने वाला भी नहीं हो। यदि किसी को भनक भी लगी तो वह 2–4 या 10 आदमी से 1000 की भिड़ से नही उलझेगा और इतनी भीड़ को कंट्रोल करने के लिये जितनी फोर्स चाहिए, उसे परमिशन लेने से आने तक में कम से कम 3–4 घंटे का वक्त लगना चाहिए... ऐसे जगह को ध्यान में रखकर ढूंढते तो 10 दिन में कुछ जगह मिल जाती। तुम लोग अभी तक जगह नही ढूंढ पाये तो आगे किस समझदारी की उम्मीद करूं।”
“खैर, ऐसी जगह रेगिस्तान, जंगल, या फिर मिलिट्री ट्रेनिंग की वह जगह हो सकती है, जो अब उपयोग में नही आती। इन सब जगहों पर लोगों को भेज कर वहां के स्थानीय लोगों से, जंगल के रेंजर से, यहां के स्थानीय शिकारी से पता लगाते तो अब तक पता भी चल चुका होता। उसके बाद जिसे टारगेट कर रहे उसकी क्षमता को समझते की यह आदमी किस हद तक सोच सकता है। ऐसा तो नहीं की 5–6 वीरान जगहों पर एक साथ काम चल रहा है और उसने अपनी योजना कहीं और बना रखी है।”
“क्योंकि यहां शिकार उसका करने जा रहे जो भागा था तो तुम्हे अपने पीछे इतने जगह दौड़ा चुका है कि आज तक उसकी परछाई का पता न लगा पाये। वैसा आदमी जब जाल बिछाए तो क्या इतना नही सोचेगा की हम किन–किन जगहों पर पता लगा सकते हैं, या हमारे काम करने का क्या तरीका है। चूहे बिल्ली का खेल ऐसे ही चलता है। हर संभावना पर काम करना पड़ता है। मैं अपनी टीम को लेकर वापस जा रहा हूं। बेहतर होगा की तुम भी अपनी टीम को वापस ले जाओ। क्योंकि 2 महीने तक यदि मैं ट्रैप बिछाऊं और उस ट्रैप का पता दुश्मन को अंत तक न चले फिर तादात कितनी भी हो दम तोड़ देगी।
पलक:– महा ऐसे बीच में छोड़कर न जाओ...
महा:– ठीक है नही जाता। हमारा काम बताओ, हम वही करेंगे। लेकिन एक बात मैं अभी कह देता हूं, यदि ये बात सत्य है कि पिछले डेढ़ महीने में आर्यमणि ने ही हमारे लोगों मारा और गायब किया है, फिर विश्वास मानो इस मुलाकात में बात करने की ही सोचना... शायद कुछ लोगों की जान बच जाये तो आगे जाकर बदला भी ले सकते हो, वरना तुम्हारी मौत के साथ ही तुम्हारा बदला भी दम तोड़ देगा।
पलक:– हम्मम... तो अब क्या योजना है।
महा:– जर्मनी का मैप निकालो और लैपटॉप खोलो...
अगले एक घंटे में 25 इलाकों की लिस्ट तैयार हो चुकी थी। लोग तो थे ही इनके पास और कई टुकड़ी तो उन्ही इलाकों के आसपास थी। अगले 12 घंटे में उन सभी 25 इलाकों को 4 भाग में बांटकर 100 जगहों पर छानबीन करने शिकारी पहुंच चुके थे। हर 100 जगहों पर पहुंचे शिकारीयों में एक न एक महा की टीम का था, जो बाकियों को लीड कर रहा था।
अलग–अलग कोनो से खबरे निकल कर बाहर आयी। अब इतने जगह जब गये हो तो भला ब्लैक फॉरेस्ट के इलाके में कैसे नही पहुंचते। एक ओर से निकली टीम मिले ब्लैक फॉरेस्ट के रेंजर मैक्स से, जो की वहां का स्थानीय वेयरवोल्फ हंटर भी था। वो अलग बात थी कि आर्यमणि जब ब्लैक फॉरेस्ट से निकला तब ब्लैक फॉरेस्ट को वेयरवॉल्फ फ्री जोन बनाकर निकला था। मैक्स से मिलना किसी जैकपॉट के लगने से कम नही था। आर्यमणि की जो विस्तृत जानकारियां मिली और मैक्स में मुंह से धराधर तारीफ, सुनकर महा की टीम का वह शिकारी गदगद हो गया।
वह खुद में ही समीक्षा करने लगा, जब आर्यमणि नागपुर से गया तब सभी वुल्फ को नही मारा, बल्कि सरदार खान और उसके गुर्गों को मारकर निकला। यहां भी सरदार खान के जैसा ही एक वेयरवोल्फ था, उसके पैक को मारकर गया। ये कर तो प्रहरी वाला काम ही रहा है, फिर प्रहरी के अंदर इतना बदनाम क्यों?
वह इंसानी शिकारी अपनी सोच में था, जबतक एलियंस पूरी खबर पलक को दे चुके थे। पलक खुद में ऐसा मेहसूस कर रही थी जैसे वह अभी से जंग जीत चुकी है। वहीं ब्लैक फॉरेस्ट के दूसरी ओर से पता करने गये लोग वुल्फ हाउस की दहलीज तक पहुंच चुके थे। (वही बड़ा सा बंगलो जहां आर्यमणि पहली बार वेयरवोल्फ बना था। जहां पहली बार उसे ओशून मिली थी। जहां पहली बार आर्यमणि की भिडंत एक कुरूर फर्स्ट अल्फा ईडेन से हुआ था)
वुल्फ हाउस यूं तो टूरिस्ट प्लेस की तरह इस्तमाल किया जाता था, लेकिन मालिकाना हक आर्यमणि के पास था और उसके दरवाजे लगभग 2 महीने से बंद थे। बिलकुल वीरान जगह पर और किसी से उस जगह के बारे में पता कर सके, ऐसा एक भी इंसान दूर–दूर तक नही था। कुछ देर बाद पलक के पास ये खबर भी पहुंच चुकी थी।
ऐसा नहीं था की केवल ब्लैक फॉरेस्ट से ही खबरे आ रही थी। मांट ब्लैंक (Mont Blanc), ओर माउंटेन (ore mountain) और हार्ड (Harz) जैसे जगहों से भी मिलता जुलता खबर मिला। इन तीन जगहों के घने जंगल के बीच आधिकारिक तौर पर पिछले २ महीने से कुछ लोग काम कर रहे थे, इसलिए पूरा इलाका ही टूरिस्टों के लिये बंद कर दिया गया था। इसके लिये अच्छी खासी रकम सरकार तक पहुंचाने के अलावा कई सरकारी लोगों को ऊपर से पैसे मिले थे।
5 मार्च की शाम तक पूरी रिपोर्ट आ चुकी थी। मैक्स से मिली जानकारी और अपनी समीक्षा को इंसानी शिकारी महा तक पहुंचा चुका था। महा को यहां कुछ गलत होने की बू तो आ चुकी थी इसलिए उसने भी आगे चुपचाप तमाशा देखने की ठान चुका था। ग्राउंड रिपोर्ट आने के बाद उत्साहित पलक एक बार फिर मीटिंग ले रही थी और कल की तरह आज भी उतने ही लोग साथ में थे...
पलक:– महा कल के व्यवहार के लिये मैं माफी चाहती हूं। तो बताओ आगे क्या करना है।
महा:– मैं एक खोजी शिकारी हूं। पैड़ों के निशान से वुल्फ के पीछे जाता हूं। मैने तुम्हारे शिकार के ठिकाने को ढूंढ दिया। आगे का रणनीति तुम तय करो या जो भी इन मामलों का स्पेशलिस्ट हो। मैं जिसमे स्पेशलिस्ट था, वह करके दे दिया।
पलक:– अजुरी मुझे लगता है तुम इसमें कुछ मदद कर सको।
(नित्या का परिवारिवर्तित नाम। नित्या नाम से आम प्रहरी के सामने उसे नही पुकार सकते थे, क्योंकि वह कई मामलों में प्रहरी की दोषी थी। खैर ये बात तो पलक तक नही जानती थी की वह नित्य है। वो भी उसे अजुरी के नाम से ही जानती थी)
नित्या:– हां बिलकुल... 6 मार्च अहम दिन है। जो लोग 4 टारगेट की जगह पर है, उन्हे जितने लोग हायर करने है करे, जितने इक्विपमेंट में पैसे लगाने है लगाए। सरकारी अधिकारी को खरीद ले और 2 किलोमीटर पीछे से सुरंग खोदना शुरू कर दे। सुरंग बिलकुल गुप्त तरीके से खोदी जायेगी जो हर उस जगह के मध्य में खुलेगा जहां–जहां वह आर्यमणि हमारे लिये ट्रैप बिछा रहा।
7 या 8 मार्च को जब भी वह मिलने की जगह सुनिश्चित करे, पलक मात्र अपने दोस्तों के साथ उस से मिलने जायेगी। वहां 500 लोग आस–पास फैले होंगे और बाकी के सभी लोग सुरंग के अंदर घात लगाये। पलक के साथ गये लोग अपने साथ हिडेन कैमरा लेकर जाएंगे। मैक्रो मिनी कैमरा के बहुत सारे बग उसके घर में इस तरह से छोड़ेंगे की किसी की नजर में न आये। उसे हम बाहर रिमोट से एसेस करके पूरी जगह की छानबीन कर लेंगे और एक बार जब सुनिश्चित हो गये, फिर कहानी आर्यमणि के हाथ में होगी। आत्मसमर्पण करता है तो ठीक वरना टीम तो वैसे भी तैयार है। तो बताओ कैसा लगा प्लान...
बिनार (एक प्रथम श्रेणी का एलियन)... बस एक कमी है। सुरंग का रास्ता का निकासी 4 जगह होना चाहिए, ताकि चारो ओर से घेर सके। इसके अलावा एक निकासी को मध्य जगह से थोड़ा दूर रखना, ताकि यदि रास्ते में कोई जाल बिछा हो और वो कैमरा में नजर आ जाये, तो हमारी टीम चुपके से उस जाल को हटाकर बाहर खड़ी टीम के लिये रास्ता साफ कर देगी।
नित्या:– ये हुई न बात। अब सब कुछ परफेक्ट लग रहा है।
महा जो पूरे योजना बनने के दौरान चेहरे पर कोइ भवना नही लाया था, वह मन के भीतर खुद से ही बात कर रहा था.... “क्या चुतिये लोग है। ये पलक नागपुर में कितने सही नतीजों पड़ पहुंचती थी। नागपुर छोड़ते ही इसे किस कीड़े ने काट लिया? मदरचोद ये इनका प्लान है। ओ भोसडीवाले चाचा लोग, आर्यमणि तक तो आज ही खबर पहुंच चुकी होगी की हम लोग उसके ट्रैप वाले एरिया में पहुंच चुके है। साले वो पहले से सब प्लान करके बैठा है और तू केजी के बच्चों से भी घटिया प्लान बनाकर वाह वाही लूट रहा। मेरी टीम सतह पर ही रहेगी... पता चला सुरंग इसने खोदा और सुरंग के अंदर आर्यमणि पूरा जाल बिछाए है। आज कल तो वो सीधा चिता ही जला रहा। चिल्लाने की आवाज तक बाहर नहीं आयेगी।
पलक 3 बार पुकारी, महा अपनी खोई चेतना से बाहर आते.... “माफ करना बीवी की याद आ गयी थी। 6 महीने से मायके में थी और जब लौटी तो मैं यहां आ गया। उस से मिला तक नही”...
पलक:– तो तुमने प्लान नही सुना....
महा:– नाना कान वहां भी था। सब सुना मैने। बैंक रॉबरी वाला पुराना प्लान है, लेकिन कारगर साबित होगा। मैं अपनी टीम के साथ आईटी संभालूंगा, इसलिए मेरे सभी लोग सतह पर ही रहेंगे.....
पलक:– तो तय रहा मैं, एकलाफ, सुरैया, ट्रिस्कस और पारस.. हम पांच लोग आर्यमणि से सीधा मिलने जाएंगे। महा अपने 400 लोगों के साथ सतह से आईटी संभालेगा। वहीं से वह अजुरी (नित्या का परिवर्तित नाम) के कॉन्टैक्ट में रहेगा। अजुरी बाकी के 1200 की टीम को लीड करेगी। जिसे 50 के ग्रुप में बांटकर, उसके ग्रुप लीडर के साथ कॉर्डिनेट करेगी। सब कुछ ठीक रहा तो हम या तो अनंत कीर्ति की किताब के साथ चोरी का सारा सामान बिना किसी लड़ाई के साथ ले आयेंगे, वरना किसी को मारकर तो वैसे भी ले आयेंगे।
महा:– वैसे पलक तुमने तो 25 हथियारबंद लोग जो 25 अलग–अलग तरह के हथियार लिये थे, उन्हे हराया है। वो भी बिना खून का एक कतरा गिराए। फिर जब आर्यमणि तुम्हारे सामने होगा और वो तुम्हारी बात नही मानेगा तो मुझे उम्मीद है कि तुम अकेली ही उसे धूल चटा दोगी। बाकी की पूरी टीम को मेरी सुभकमना। मुझे इजाजत दीजिए।
महा अपनी बात कहकर वहां से निकल गया। कुछ पल खामोश रहकर सभी महा को बाहर जाते देख रहे थे। जैसे ही वह दरवाजे से बाहर निकला नित्या हंसती हुई कहने लगी.... “आखरी वाली बात उस बदजात कीड़े ने सही बोला, हमारी पलक अकेली ही काफी है। अच्छा हुआ जो उसने खुद ही सतह को चुना वरना हमारे बीच सुरंग में उसे कहां आने देती। आंखों से निकले लेजर को देखकर कहीं वो पागल न हो जाता और अपना राज छिपाने के लिये कहीं हमे उसे मारना न पड़ता। खैर सतह पर उसके 400 लोगों के साथ अपने 100 लोग भी होंगे, जिसे मलाली लीड करेगी। उसे मैं सारा काम समझा दूंगी। मेरे बाद भारती कमांड में होगी, जो सबको हुकुम देगी और पहला हमला भी वही करेगी, क्यों भारती?
भारती (देवगिरी पाठक की बेटी और धीरेन स्वामी की पत्नी).... “मैने पिछले एक महीने से अपना लजीज भोजन नहीं किया है। मैं कहती हूं, पलक के साथ मैं अपने 4 लोगों को लेकर चलती हूं, 5 मिनट में ही मामला साफ।
पलक:– नही... पहले मुझे कुछ देर तक उस से बात करनी है, उसके बाद ही कोई कुछ करेगा। और इसलिए मेरे साथ जाने वाले लोग फिक्स है। मीटिंग यहीं समाप्त करते है।
नित्या:– तुम लोग सोने जाओ मैं जरा 2 दिन घूम आऊं। भारती सबको काम समझा देना। अब सीधा युद्ध के मैदान में मुलाकात होगी।
लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।
लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।
20 फरवरी की शाम तक वुल्फ पैक चोरी के समान ढूंढने निकली सभी प्रहरी टीम को गायब कर चुकी थी। काम खत्म करने के बाद जयदेव को देखने का अपना ही मजा था। एलियन का नेटवर्क हैक करने के बाद तो जैसे सारे राज से परदे उठ गये हो।
जयदेव अपने लोगों के बीच एक मीटिंग करके और खोजी भेजने की मांग कर रहा था। और बाकी के लोगों ने ऐसा धुतकारा की जयदेव अपने बाल खुद ही नोचते कह दिया, “अब समान ढूंढने कोई भी खोजी टुकड़ी नही जायेगी।”...
आर्यमणि को जब वह दृश्य दिखाया गया, आर्यमणि हंसते हुये कहने लगा.... “अभी तक तो सुकून से जीते आये थे। अब पता चलेगा पृथ्वी पर जिंदगी जीना कितना कठिन होता है।”
रूही:– हम न्यूयॉर्क में क्या कर रहे है आर्य? जर्मनी में 8 मार्च की मीटिंग जो फिक्स किये हो, उसपर नही सोचना क्या?
आर्यमणि:– सब अपने तय समय से होगा रूही, धैर्य रखो। फिलहाल मैं संन्यासी शिवम् सर के साथ कुछ दिनों के सफर पर निकल रहा हूं, जब तक तुम लोग भी मौज–मस्ती करो। एक भाग–दौड़ वाला काम समाप्त किया है, आगे एक सर दर्द वाला काम शुरू होने वाला है। बीच में थोड़ा वक्त मिला है तो मौज–मस्ती कर लो। जब दिमाग से चिंतन और बोझ निकलेगा तब जाकर काम करने में भी मजा आयेगा।
रूही:– बॉस ये थ्योरी तुम पर भी लागू होती है। तुम भी आओ मस्ती करने। (रूही बिलकुल धीमे होती) वैसे भी बहुत दिनों से हमारे बीच कुछ हुआ भी नही। मन में कैसी–कैसी उमंगे जगी है, कैसे समझाऊं...
अलबेली:– धीरे से क्या बुदबुदाई... कान लगाने पर भी नही सुन सके...
निशांत:– होने वाले मियां–बीवी है, जिस्म की उफनती प्यास पर ही चर्चा किये होंगे...
आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के साथ वहां से हड़बड़ी में निकलते.... “अल्फा पैक के साथ तुम्हारा समय भी मौज मस्ती में कटे निशांत।”
आर्यमणि अपनी बात कहकर संन्यासी शिवम् के साथ अंतर्ध्यान हो गया। दोनो टेलीपोर्ट होकर सीधा बर्कले, कैलिफोर्निया पहुंचे। सुकेश के घर से चोरी का सारा सामान को मिनी–पिकअप ट्रक में इकट्ठा किया, और पूरे ट्रक को टेलीपोर्ट करके सीधा कैलाश मठ पहुंच गये। कैलाश मठ में आचार्य जी के अलावा अपस्यु भी मौजूद था। दोनो की नजरें जैसे ही मिली, एक दूसरे के गले लगते हाल–चाल पूछने लगे।
आर्यमणि:– छोटे, जर्मनी का काम पूरा हो गया?
अपस्यु:– हां बड़े पूरा हो गया।
अपस्यु अपनी बात कहने के साथ ही वुल्फ हाउस का ले–आउट निकाला, साथ में अपना लैपटॉप भी खोल लिया। अपस्यु अपने लैपटॉप पर हर छोटे हिस्से को बड़ा करके दिखाते...
“वुल्फ हाउस के चारो ओर की जितनी भी प्रॉपर्टी को तुमने खरीदा था, वहां ट्रैप बिछा दिया गया है। हमने लगभग 5 किलोमीटर के एरिया को कवर कर लिया है। जमीन के नीचे हर 5 फिट की गहराई पर छोटे एक्सप्लोसिव लगाये है, जो 4o फिट नीचे गहराई तक जाते है।
आर्यमणि:– मतलब एक पॉइंट की गहराई में ऊपर से लेकर नीचे तक 8 एक्सप्लोसिव होंगे...
अपस्यु:– हां, एक पॉइंट पर 8 छोटे एक्सप्लोसिव है और हर 2 फिट की दूरी पर एक पॉइंट है। 10 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को यदि डेटोनेट करते हो तो 20 फिट का पूरा एरिया 40 फिट नीचे घुस जायेगा। इतना ही डिमांड था न बड़े...
आर्यमणि:– हां बस इतना ही डिमांड था छोटे। लेकिन एक सवाल है। नही–नही कुछ सवाल है छोटे... जैसे की मैने 100 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ाया और बाकी के एक्सप्लोसिव कोई इस्तमाल में ही नही आया, उसका क्या करेंगे...
अपस्यु:– बड़े ये एक्सप्लोसिव इतने छोटे है कि एक पॉइंट के एक या दो एक्सप्लोसिव खुद से भी फट गये तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। फर्क लाने के लिये एक साथ 4 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ना होगा तब इंपैक्ट आयेगा। दूसरा ये है कि ये जितने भी एक्सप्लोसिव है, उसका कवर घुलने वाली सामग्री से बनाया गया है। एक कमांड दोगे और बचा हुआ पूरा एक्सप्लोसिव का मैटेरियल मिट्टी में मिल जायेगा।
आर्यमणि:– शानदार छोटे... महल के अंदर की व्यवस्था बताओ...
अपस्यु:– बड़े जैसी तुम्हारी मांग थी, उसे पूरा कर दिया गया है। वैसे इतने बड़े महल की दीवार और फ्लोर को 3 इंच छिलवाने में 2000 मजदूरों की जरूरत आन पड़ी थी, लेकिन 3 दिन के अंदर काम पूरा हो गया। जाकर देखो तुम्हारा पूरा महल ही अब बाहर और अंदर से चमकने लगा है।
आर्यमणि:– महल तो नया हो गया लेकिन जो काम कहा था वो पूरा हुआ या नहीं?
अपस्यु:– पूरे घर में ही जाल बिछा दिया है।
आर्यमणि:– खुलकर पूरा बता छोटे...
अपस्यु:– तुम्हारी क्या डिमांड थी बड़े, तुम या अल्फा पैक किसी को देखो और वो एयर टाइड पैकिंग की तरह किसी पलस्टिक में ऐसे चिपके की बस आकर समझ में आये।
आर्यमणि:– हां बिलकुल...
अपस्यु:– वही तो बता रहा हूं बड़े। पूरे घर की हर दीवार, फ्लोर, फिर वो बाहरी दीवार या फ्लोर या फिर घर के अंदर की दीवार हो या फ्लोर उसे 4 इंच छिलवा दिया। छिले हुये हिस्से में पूरा मैकेनिकल सिस्टम इंस्टॉल कर दिया। सिस्टम की वायरिंग कंप्लीट कर दिया और फिर सबको अच्छे से पैक करवा दिया।
आर्यमणि:– इस से क्या होगा????
अपस्यु:– इस से ट्रैप होगा। पूरे घर और बाहर, हर 10 इंच के दूरी पर एक 5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा शटर लगा है। शटर खुलेगा और उसके अंदर से 1 सेंटीमीटर मोटा बड़ा सा प्लास्टिक चादर उछल कर बाहर निकलेगा और अपने शिकार के ऊपर चिपक जाएगा।
आर्यमणि:– और वो शिकार अपने हाथ से उस प्लास्टिक चादर को उतार देगा।
अपस्यु:– बिलकुल नहीं... पहली बात एक टारगेट पर एक नही बल्कि 2 प्लास्टिक चादर उछलकर जायेगा। एक आगे और एक पीछे से। वह पास्टिक चादर जैसे ही हवा के कॉन्टैक्ट में आयेगा, वैसे ही सिकुड़ जायेगा।
आर्यमणि:– कितना सिकुड़ सकता है चादर...
अपस्यु:– 8 फिट की चादर सिकुड़ कर 1 या 2 सेंटीमीटर (1mm) का बन जायेगा। अब सोचकर देखो कितना टाइट पैकिंग होगी।
आर्यमणि:– वाह... कमाल... अद्भुत... हां लेकिन स्वांस न लेने के कारण दम घुटकर मरेगा तो नहीं...
अपस्यु:– यही तो कमाल है, किसी का दम घुटने की वजह से मौत न होगी। नाक की छेद पर जब प्लास्टिक टाइट होगा तो वहां कोई भी सपोर्टिंग सतह नही मिलेगा और वह प्लास्टिक टूटकर खुद–ब–खुद नाक के बाहरी और भीतरी दीवार से चिपक जायेगा।
आर्यमणि:– अच्छा और किसी के आंख से लेजर किरण निकलती हो, उसका क्या?
अपस्यु:– आंख खोलने का वक्त नहीं मिलेगा। जैसे ही पलक झपके उतना वक्त में तो चिपक चुके होंगे। और यदि कोई वीर आंख बंद नही किया, फिर वो कभी देख नही पायेगा। क्योंकि उसकी आंख से लेजर निकले उस से पहले ही वो प्लास्टिक आंखों पर किसी स्किन की तरह चिपक चुकी होगी। जैसे किसी की आंख पर पलक को स्थाई रूप से चढ़ा दिया गया हो।
आर्यमणि:– कमाल कर दिया छोटे... अब ये बता की हमारे देखने मात्र से अपना टारगेट एयर टाइट पैक कैसे होगा? ये ऑटो कमांड काम कैसे करेगा...
अपस्यु:– क्या बड़े, मजाक कर रहा था। ऐसा सिस्टम अभी डिवेलप कर पाना मुश्किल है। वैसे भी एक वक्त पर 100 लोग सामने है तो कितनो को देख लोगे...
आर्यमणि:– ठीक है समझ गया छोटे... तू कमांडिंग सिस्टम बता...
अपस्यु:– 4000 कैमरा पूरे 10 किलोमीटर के इलाके को कवर कर रहा है। सबको फेस रिकॉग्नाइजेशन मोड पर डाल देना। भिड़ यदि उमड़े तो एक साथ ट्रैप कमांड दे देना। वो लोग जैसे ही रेंज में आयेंगे, सब के सब चिपक जायेंगे। फिर यदि उनमें से किसी को छोड़ना हो तो फेस रिकॉग्नाइजेशन में सबकी तस्वीर पड़ी मिलेगी। वहां देखना, सर्च में डाल देना, कैमरा उसकी लोकेशन बता देगा।
आर्यमणि:– छोड़ेंगे कैसे...
अपस्यु:– आसान है.. हाथ में चाकू या ब्लेड न हो तो अपने पंजे से... जैसे दूसरे एयर टाइट पैक खोलते है।
आर्यमणि:– छोटे वैसे एक झोल है... यदि 20 लोग भिड़ लगाकर आयेंगे तब तो वो प्लास्टिक किनारे के लोगों को ही लपेटेगी, बीच के लोगों का क्या?
अपस्यु:– बड़े पलक झपकते ही जिन्हे चिपका दिया गया हो। जो अपनी उंगली तक को हिला नही पायेंगे, वह कितना देर पाऊं पर खड़े रहेंगे। अब जरा कल्पना करो। 100 लोगों की भिड़। कमांड दिये और पलक झपकते ही 20 लोग गिरे। फिर पलक झपके और फिर 20 लोग गिरे... फिर 20... और ऐसे ही, 10 –12 बार पलक झपकते ही काम खत्म...
आर्यमणि:– एक ही जगह पर होंगे तो कैसे काम खत्म। 5 इंच लंबे और 3 इंच चौड़ा शटर है। उसकी गहराई एक इंच से ज्यादा न होगी क्योंकि 3 इंच गहराई में मैकेनिकल काम भी हुआ है। उसके अलावा फ्लोर पर चलने से या दीवार को हाथ लगाने से कोई भी ट्रैपर बाहर न निकले, ये सिस्टम भी दिये होगे। तो एक जगह पर मात्र 2 प्लास्टिक होगा। हमला करने वाले रेंज में यदि 25 शटर हुये तब तो 10 लोग भी ट्रैप न होंगे।
अपस्यु:– बड़े ये कैसा कैलकुलेशन है? 25 शटर भी खुले तो 50 प्लास्टिक हुआ न...
आर्यमणि:– अच्छा और क्या गारंटी है कि एक के शरीर पर एक्स्ट्रा चादर न चढ़ेंगे। क्योंकि पलक झपकते उछल कर निकलने वाली चीज रिपीट होगी ही होगी।
अपस्यु:– बड़े तुम्हे क्या लग रहा है,उस पूरे घर में कितने ट्रैपर लगे होंगे..
आर्यमणि:– कितने... 500 या 1000...
अपस्यु:– 12लाख 85हजार 3सौ 72 (1285372) ट्रैपर लगे हैं। यदि 2 शिकार के ऊपर प्लास्टिक की चादर ओवरलैप कर गयी और वो ठीक से पैक न हो पाये, तो भी वो दूसरी बार में, तीसरी बार में कभी न कभी ट्रैप होंगे ही। पूरा काम करवाने में ऐसे ही नही मैने 1 करोड़ 56 लाख यूरो खर्च किये है।
आर्यमणि:– भारतीय रुपयों में बता...
अपस्यु:– 140 से 150 करोड़ के बीच...
आर्यमणि:– काफी ज्यादा खर्च हो गया छोटे। भरपाई करनी होगी। खैर कोई न... 8 मार्च को या तो सारा पैसा वसूल हो जायेगा। नही तो अपनी फिजूल खर्ची पर आंसू बहाने के लिये मैं न रहूंगा...
अपस्यु:– बड़े, ऐसा न कहो... कहो तो मैं भी अपनी टीम साथ ले लूं..
आर्यमणि:– नही छोटे... अभी सात्त्विक आश्रम के एक गुरु का भय उनके सामने आने दो। हम दोनो को उसने देख लिया तो दोनो के पीछे लग जायेंगे। मैं नही चाहता की आश्रम अब कमजोर हो।
अब तक जो मूक दर्शक बने आचार्य जी सुन रहे थे.... “गुरुजी फैसला तो सही है किंतु इसका परिणाम सोचा है। जर्मनी से निकल भी गये तो उसके बाद क्या होगा? मंत्र सिद्ध करने नही। कुंडलिनी चक्र जागृत नही करना और 6 करोड़ की आबादी से सीधा दुश्मनी। मुट्ठी भर लोग कितने भी ताकतवर क्यों न हो, अचानक उमरी भिड़ के आगे दम तोड़ ही देते है। तुम एक बार योजना बनाकर उन्हें मारने जा रहे हो लेकिन उसके बाद क्या? वो लोग हर पल तुम्हे मारने की योजना बनायेंगे... एक बात याद रखिए, बचने वाले को हर बार तकदीर की जरूरत पड़ती है लेकिन मारने वाले को बस एक मौका चाहिए। लागातार कोशिश के दौरान क्या उसका नसीब एक बार न लगेगा...
आर्यमणि:– इतनी जल्दी नही मारूंगा आचार्य जी। मैने अपने अभ्यास और मंत्र सिद्धि का स्थान ढूंढ लिया है। जर्मनी में आश्रम का अस्तित्व दिखाने के बाद मैं पूरी अल्फा टीम को लेकर ऐसे आइलैंड पर जाऊंगा जहां टेलीपोर्ट होकर भी नही आ सकते। वहीं मैं अपने अंदर के निहित ज्ञान को निखारूंगा और तब वापिस आऊंगा। तब तक आप लोग गुप्त रूप से सारा काम संभाल लोगे न।
अपस्यु:– मैं बेकार में चिंता कर रहा था। बड़े अच्छा सोचा है। यहां पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद मैं भी दिल्ली निकल जाऊंगा। सही वक्त आ गया है।
आर्यमणि:– मेरी सुभकामनाएं है। चलो तो फिर युद्ध अभ्यास किया जाये।..
आचार्य जी दोनो के गले में (आर्यमणि और अपस्यु) अभिमंत्रित मणि की माला डालकर.... “अब आश्रम की पूरी जिम्मेदारी आप दोनो पर है।”.... फिर आर्यमणि के हाथ में एनर्जी फायर (एनर्जी स्टोन से बनी वही माला जिसमे जादूगर महान की आत्मा कैद थी) रखते.... “इसे अपने बाजुओं में धारण कर लीजिए। जब भी किसी को ताकत का भय दिखाना हो अथवा कहीं भिड़ में घिरे हो, आपको पता ही क्या करना है। अब अभ्यास शुरू कीजिए।”
अगले 7 दिनो तक अभ्यास चला। कैलाश पर्वत के मार्ग पर जमा देने वाली ठंडी और ऊबड़–खाबड़ पर्वतों के पथरीली जमीन पर चलती तेज तूफानों के बीच आत्मा तक को थका देने वाला अभ्यास चला। तेज हवाएं कदमों को लड़खड़ाने पर मजबूर कर दे। पर्वत के संकड़े आकर और उसका ऊबड़–खाबड़ होना, कदम को ठहरने न दे। कई तरह के जहरीले हर्ब और नशीले पदार्थ जब श्वांस द्वारा अंदर शरीर में जाता, तब बचा संतुलन भी कहीं हवा हो जाता। ऐसे विषम परिस्थिति में दोनो नंगे पाऊं अभ्यास कर रहे थे।
एक बार जब अभ्यास शुरू हुआ, फिर न तो रुके और न ही खुद को थकने दिया। ना ही सोए और न ही नींद को खुद पर हावी होने दिया। न भूख लगी न प्यास। रक्त से भूमि लाल होती रही, किंतु कदम रुके नहीं। बस एक दूसरे के साथ लड़ते रहे, अभ्यास करते रहे।
7 दिन बाद जब अभ्यास विराम हुआ, दोनो सीधा पर्वत के संकड़ी भूमि पर गिर गये। गिरे भी ऐसे की सीधा हजार फिट नीचे खाई की गोद में आराम करते। किंतु दोनो सिर्फ इतने होश में की एक दूसरे का हाथ थाम लिया। संकरे पर्वत के एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर अपस्यु लटक रहा था। और अचेत अवस्था में भी दोनो के हाथ छूटे नहीं।
दोनो की जब आंखे खुली, दोनो आश्रम में लेटे थे। होश तो आ गया था, किंतु शरीर को अभी और आराम की जरूरत थी। 3 दिन फिर दोनो ने पूर्ण रूप से आराम किया। पौष्टिक सेवन और तरह–तरह की जादीबूटीयों से शारीरिक ऊर्जा और क्षमता को एक अलग ही स्तर दिया जा चुका था।
2 मार्च को दोनो (आर्यमणि और अपस्यु) आचार्य जी से विदा ले रहे थे। आर्यमणि, गुरु निशि और उनके शिष्य को जिंदा जलाने वालों के साजिशकर्ता एलियन से हिसाब लेने निकल रहा था, तो वहीं अपस्यु गुरु निशि और अपने सहपाठियों के कत्ल को जिन्होंने अंजाम दिया था, उनसे हिसाब लेने निकल रहा था। आर्यमणि और अपस्यु गले मिलकर एक दूसरे से विदा लिये।
संन्यासी शिवम् संग आर्यमणि 3 मार्च को अल्फा पैक से मिल रहा था। सभी फ्रांस की राजधानी पेरिस में थे। पेरिस के एक बड़े से होटल का ऊपरी मंजिल इन लोगों ने बुक कर रखा था। ऊपरी मंजिल पर 5 वीआईपी स्वीट्स थे। एक स्वीट में इनका डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम था। बाकी के 4 स्वीट्स में से एक निशांत, एक अलबेली, ओजल और रूही का था। एक इवान का और एक आर्यमणि के लिये छोड़ रखा था।
थे तो सबके अलग–अलग स्वीट्स, लेकिन पूरा अल्फा पैक रूही वाले स्वीट्स में ही था और सब मिलकर निशांत पर अत्याचार कर रहे थे। अंतर्ध्यान होकर आर्यमणि और संन्यासी शिवम् वहीं पहुंचे। चारो ओर सिरहाने की रूई फैली हुई थी। बिस्तर का पूरा चिथरा उड़ा हुआ था। स्वीट में रखे सोफे को नोच डाले थे। और उसी नोचे हुये सोफे पर निशांत लेटा था। अलबेली और रूही उसके दोनो हाथ पकड़े थे। ओजल और इवान उसके दोनो पाऊं और निशांत के तेज–तेज चिल्लाने की आवाज... “जालिम वुल्फ्स तुम सब मिलकर मेरा शिकार नही कर सकते”...
“यहां हो क्या रहा है?”.... आर्यमणि वहां का नजारा देखकर पूछने लगा...
निशांत:– मेरे दोस्त तू आ गया। भाई जान बचा ले वरना आज तो तेरा दोस्त गियो...
आर्यमणि:– यहां हो क्या रहा है। तुमलोग निशांत को ऐसे पकड़ क्यों रखे हो...
रूही:– जान तुम जरा दूर ही रहो। पहले हमारा काम हो जाने दो फिर बात करते है।
आर्यमणि:– अभी के अभी उसे छोड़ दो। मस्ती मजाक का समय समाप्त हो गया है, अब हमें काम पर ध्यान देंगे...
रूही:– हमारा समय अभी समाप्त नहीं हुआ है।
आर्यमणि:– पर हुआ क्या वो तो बताओ?
रूही:– वो मैं नही बता सकती।
आर्यमणि:– जो भी पहले बताएगा वो मेरे साथ एक्शन करेगा...
“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...
अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।
“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...
अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।
आर्यमणि किसी तरह अपनी हंसी रोकते.... “तो तुम लोग अभी निशांत के साथ क्या करने जा रहे थे?”
इवान:– उसके हथियार को निरस्त करने जा रहे थे...
आर्यमणि:– हे भगवान!!! ये सब क्या सुनना पड़ रहा हा? मतलब एक तो रूही उसे चूम ली, और उल्टा निशांत को ही सजा दे रही है?
रूही:– होने वाली बीवी का लिप किस हो गया इस बात से बदन में आग नही लगी, उल्टा तुम्हारी छिछोड़ों जैसी हंसी निकल रही है। तुम्हे तो मैं बाद में देखती हूं। अलबेली तू मेरा मुंह मत देख, इसकी भ्रमित अंगूठी निकाल।
आर्यमणि:– अरे वो निशांत जबरदस्ती चूम लेता फिर न मैं एक्शन लेता। यहां तो तुम ही उसे चूमकर उल्टा उसे सजा दे रही ..
“हां मैने ही चूमा। लेकिन मेरा रोम–रोम तक जानता था, मैं किसे चूमी। मैने अपने आर्य को चूमा था। लेकिन वो आर्य एक भ्रम था और उस भ्रम के पीछे ये निशांत था। मैं अपने आर्य के अलावा किसी को चूम लूं, उस से पहले मुझे मौत न आ जाए। मेरे भावनाओ का मजाक उड़ाने वाला ये होता कौन है?”... रूही बड़े गुस्से में अपनी बात कही।
अलबेली रूही का हाथ थामकर उसे निशांत से अलग करती..... “माफ कर दो। मजाक–मजाक में भूल हो गयी। सारी गलती मेरी ही है। निशांत ने तो बस वही किया जो मै उसे कही थी। हमे नही पता था कि तुम दादा (आर्यमणि) को इतना मिस कर रही थी।”
आर्यमणि:– तुम दोनो (ओजल और इवान) भी निशांत को छोड़ो। निशांत तू बता...
निशांत:– हां गलती हम दोनो की है। मैं और अलबेली संयुक्त अभ्यास पर थे। उसी समय हमने रूही को चौकाने का सोचा था। मैने भ्रम पैदा किया जिस से मैं तुम्हारी तरह दिखने लगा। उसके बाद मैने सोचा...
अलबेली बीच में रोकती... “नही दादा केवल निशांत ने नही बल्कि हम दोनो ने सोचा की रूही को थोड़ा चौकाया जाये। हम दोनो ही एक साथ रूही के रूम में घुसे और रूही शायद आपके ही सपने संजोए बैठी थी। आपको सामने देख व्याकुल होकर भागी चली आयी। जबतक मैं पूरी बात बताई तब तक रूही एक बार चूम चुकी थी। हम दोनो ही दोषी है।”
आर्यमणि:– दोषी तो मैं हूं। शायद कुछ दिनों से रूही पर ध्यान नहीं दे रहा था। देखो जान मैने अपने दोनो कान पकड़ लिये। माफ कर दो अब से एक पल के लिये भी तुम्हारा साथ न छोड़ेंगे....
रूही रोते–रोते हंस दी। दौड़कर आकर आर्यमणि के गले लगती.... “हां सारी गलती तुम्हारी ही है। मुझमें एक पत्नी की भावना जगाकर, उसके साथ रहते हुये भी दूर रहते हो ये अच्छा नही लगता।”
आर्यमणि, रूही की पीठ पर प्यार से हाथ फेरते, उसे खुद से चिपका लिया और अपनी ललाट ऊपर कर, अपने नीले आंख के रंग को अल्फा के गहरी लाल आंखों में तब्दील कर ओजल और इवान को देखने लगा। ओजल और इवान सवालिया नजरों से आर्यमणि को देखते.... “क्या????”
आर्यमणि:– इस कहानी में तुम दोनो कहां थे?
इवान:– छोटी सी यात्रा पूरी करके जब लौटे तब रूही दीदी और निशांत के बीच कांड हो चुका था। जिस वक्त हम पहुंचे उस वक्त दीदी अपने पंजों से कमरे को कबाड़ रही थी और चिंखती हुई इतना ही कहती... “एक बार अपना भ्रम हटाओ, फिर देखो क्या होता है।”
आर्यमणि:– फिर निशांत पकड़ में कैसे आया?
ओजल:– मैने पकड़वाया... कमरा है ही कितना बड़ा, करते रहो भ्रम। हमने भी चादर पकड़ा और इस कोना से उस कोना तक नाप दिया। पकड़ा गया...
आर्यमणि:– क्या बात है। कमाल कर दिया। चलो इस कमरे से, और इवान रूम सर्विस को कॉल लगाकर यहां का हुलिया ठीक करवाओ।
वहां से सभी निशांत के कमरे में आ गये। बातें फिर शुरू हुई की अल्फा पैक आर्यमणि के गैर–मौजूदगी में क्या कर रही थी? वाकई इन लोगों ने अपने खाली समय का पूरा फायदा उठाया था। यूरोप भ्रमण पर निकले थे। यात्रा के दौरान निशांत के साथ रोज सुबह सुरक्षा मंत्र का अभ्यास तो करते ही थे, साथ में निशांत ने “वायु विघ्न” मंत्र का भी अभ्यास करवाया। “वायु विघ्न” यानी हवा के माध्यम से यदि कोई खतरा सीधा उनके ओर चला आ रहा हो तो इस मंत्र के प्रभाव से वह खतरा टल जायेगा।
इसके अलावा निशांत के साथ पूरे अल्फा पैक ने तरह–तरह के हथियार चलाने का भी अभ्यास किया, जैसे की लाठी, छोटी कुल्हाड़ी, खंजर और बंदूक। सभी को मात्र 7 दिन में ही निशांत ने खतरनाक हथियार चलाने वाला बना दिया था। और वुल्फ तो जैसे पैदाइशी निशानची हो। बंदूक से क्या निशाना लगाते थे, निशांत भी देखकर दंग। जिस अचूक निशाने को निशांत पिछले 1 साल से पाने की कोशिश में जुटा था, उसे तो इन लोगों ने मात्र 7 दिन में हासिल कर लिया।
बातों के दौरान ही पता चला की 2 दिन पहले रूही, अलबेली और निशांत फ्रांस पहुंचे, जबकि रूही ने ओजल और इवान को जर्मनी भेज दिया। चूंकि ओजल और इवान को कोई नहीं जानता था, इसलिए इनका काम था चुपके से पलक के होटल पहुंचना और वहां के चप्पे–चप्पे पर ऑडियो–वीडियो बग फिक्स कर देना, ताकि विपक्ष की पूरी योजना दिखाई तथा सुनाई दे।
दोनो कामयाब होकर लौट रहे थे। दोनो की कामयाबी उस स्वीट्स में दिख रही थी, जहां इनका सिस्टम लगा था। पलक जिस होटल में ठहरी थी, उसके अलावा उन 3–4 होटल में भी सारे बग फिक्स किये जा चुके थे जहां दूसरे एलियन को ठहराया गया था।
आर्यमणि तो सारा हिसाब किताब जान लिया। फिर बात उठने लगी की आर्यमणि ने इतने दिनो तक क्या किया और जर्मनी के लिये उसने क्या योजना बनाई है? तब आर्यमणि अपने योजना का खुलासा करते हुये कहने लगा.... “हमारी योजना उनकी योजना पर निर्भर करती है। यदि वुल्फ हाउस को ये लोग घेर लेंगे और वहां खतरा ज्यादा हुआ, तब मिलने की जगह मांट ब्लैंक (Mont Blanc) होगी। बाकी की योजना बताने नही दिखाने वाली है, इसलिए जर्मनी पहुंचकर सबका खुलासा होगा। तब तक रूही निशांत और अलबेली एक साथ अपना अभ्यास जारी रखेंगे, इसमें उनके साथ संन्यासी शिवम् भी जुड़ेंगे। इधर मैं अपने साला और साली के साथ अपने विपक्षी पर नजर डालेंगे।”
रूही चुटकी लेती.... “ए जी अपनी आधी घरवाली और खुदाई से ऊपर रहने वाले अपने जोरू के भाई का ख्याल रखना।”
रूही की बात पर सब हंसने लगे। 5 मार्च तक वहां का माहोल ऐसा रहा की रूही और आर्यमणि एक दूसरे की झलक तक नही देख पाये। 5 मार्च की सुबह सभी इकट्ठा हुये। ओजल और इवान को फ्लाइट से जर्मनी भेजा गया, वहीं आर्यमणि पूरी टुकड़ी के साथ पानी के रास्ते जर्मनी पहुंचता...
ओजल और इवान दोनो दोपहर के 3 बजे बर्लिन लैंड कर रहे थे। जैसे ही एयरपोर्ट से निकले बाहर पलक खड़ी थी। दोनो ने एक नजर पलक को देखा और हाथ हिलाते उसके करीब पहुंच गये.... “तो क्या खबर लाये हो दोनो।”
ओजल एक पत्र पलक के हाथ में थमा दी। पलक उस पत्र को पढ़ने लगी... “ये लोग खुद को अल्फा पैक कहते है। टेक्नोलॉजी तो इनकी गुलाम हो जैसे। पहले हमे ऊपर से लेकर नीचे तक स्कैन करो। हमारे कपड़ों में कहीं कोई बग तो नही छिपाया, फिर बात करेंगे”..
पलक, अपनी पलक झपकाकर सहमति दी और बिना कोई बात किये तीनो चले जा रहे थे। कार एक बंगलो के सामने रुकी जहां की सुरक्षा तो किसी देश के मुखिया के सुरक्षा से कम नही थी। उसी बंगलो के प्रवेश द्वार पर ही जांचने के सारे उपकरण लगे थे। उनकी जांच जब पूरी हो गयी, उसके बाद उनके मोबाइल को ऑफ करके वहीं बाहर रख दिये और तीनो बंगलो के अंदर।
सभी अपना स्थान ग्रहण करते.... “हां अब बताओ क्या खबर है?”
ओजल:– खबर कुछ अच्छी नहीं है। उन्हे आपकी और महा के बीच हुई कल (4 मार्च) की मीटिंग का पूरा पता है। दोनो भाई–बहन ने सच कहा था कि वो जासूसी करने आये है, बस ये नही बताया था कि हमारे मीटिंग हॉल में इन्होंने ऑडियो–वीडियो बग पहले से लगा चुके थे। हम सोचते रहे की ये लोग छिपकर जासूसी करने आये थे पर ये तो टेक्नोलॉजी वाले निकले।
पलक:– साला ढोंगी... हर चीज में निपुण है वो आर्य। तो वो हमारी मीटिंग के बारे में जानता है, इसका मतलब ये हुआ कि उसे ये भी पता होगा की हम उसके ठिकाने ढूंढ रहे। ठीक है ये बताओ आर्यमणि की क्या योजना है..
इवान:– उसे हमारी संख्या का पता है। डरा हुआ भी है, इसलिए कह रहा था यदि वुल्फ हाउस में ज्यादा खतरा दिखा तो फिर मिलने की जगह मांट ब्लैंक (Mont Blanc) रखेगा। दोनो जगह उसने ट्रैप बिछा रखा है।
पलक:– चलो अभी हमारे शिकारियों को पता करके खुश हो जाने दो की आर्यमणि का ठिकाना कहां है, मुझे तो पहले पता चल चुका है कि उसका ठिकाना क्या हो सकता है। मैं अपनी योजना खुद से बनाऊंगी, बांकी के चुतिये कुछ भी प्लान बनाए मेरे लिये माइंडब्लोइंग प्लान ही होगा। खैर ये बताओ आर्यमणि ने किस प्रकार का ट्रैप लगा रखा है?
इवान:– वो तो पता नही। सिर्फ इतना पता है की उस ट्रैप को जुबान से एक्सप्लेन न करके सीधा डेमो दिखाने की बात कर रहा था।
पलक:– हम्मम... ऐसा नहीं हो सकता की जर्मनी में कदम रखते ही हम अल्फा टीम को दबोच ले..
ओजल:– ये तो बड़ी आसानी से हो सकता है। वो लोग पानी के रास्ते आ रहे है। और पानी से होकर आने वाला एकमात्र रास्ता है, राइन नदी। नदी के रास्ते में पड़ने वाले सिटी पर यदि पहरा बिछा दीये तो वो लोग पकड़ में आ सकते है।
इवान:– और एक बात, आर्यमणि के साथ निशांत भी था। तो मियामी के शिकारी की जो
समीक्षा थी, वह सही थी। आर्यमणि को कम मत आंकना, वह 219 सुपीरियर शिकारी का शिकार कर चुका है।
पलक:– जानती हूं, लेकिन ये भी मत भूलो की उसने सामने से किसी को भी नही मारा, बल्कि छिपकर हमला किया था।
ओजल:– हां सो तो है.. आगे हम क्या करे?
पलक:– जर्मनी पहुंचने के बाद तुम दोनो को क्या करना था?
ओजल:– हमे तो वुल्फ हाउस पहुंचने के ऑर्डर मिले है।
पलक:– ठीक है तुम दोनो वहां निकलो। तुम दोनों के मोबाइल पर बग फिक्स किया जा चुका है। अब जो–जो तुम दोनो देखोगे और सुनोगे, वह सब मैं भी देख सुन रही होंगी...
इवान:– दो दिन से हमने पलक भी नही झपकी है। आर्यमणि तो भूत हो जैसे, सोता ही नही है। पहले आराम करेंगे फिर वुल्फ हाउस के लिये निकलेंगे...
पलक हामी भरकर वहां से निकल गयी और आराम से महा के खोजी दस्ते की रिपोर्ट आने का इंतजार करने लगी। इधर जबतक पलक ने राइन नदी के किनारे बसने वाले हर गांव, हर कस्बे और जर्रे–जर्रे तक यह खबर पहुंचा चुकी थी कि आर्यमणि का पता बताने वाले को 20000 यूरो का इनाम दिया जायेगा।
दरअसल एक सच्चाई तो यह भी थी पलक को जब अपनी बेवकूफी का पता चला की क्यों उसने आर्यमणि से मिलने की जगह नहीं पूछी, उसके बाद ही उसने आर्यमणि को ढूंढने की कभी कोशिश ही नही की। उसे बस आकलन किया था कि जैसे मिलने से पहले मैं उसके बारे में खबर रखना चाहती हूं, ठीक वैसे ही आर्यमणि भी कोशिश करेगा और बस उसके इसी एक गलती का इंतजार था।
यूं तो ओजल और इवान ने सारा काम बड़ी सफाई से किया था। इनके सिक्योर चैनल के हैक की मदद से सारे ठिकानों का पता लगाना। उन ठिकानों पर बग फिक्स करना। सबसे आखरी में ये दोनो भाई–बहन पलक के होटल पहुंचे थे। ये 2 मार्च की ही कहानी थी।
पलक तो पहले से ही उस होटल के हर स्टाफ से लेकर एक–एक कमरे में रुके गेस्ट पर नजर बनाए थी। उसके अपने निजी 30 विश्वसनीय लोग काम कर रहे थे, जिसका पता तो पलक के साथ रहने वाले 4 चमचों को भी नही था। 2 भारतीय मूल के अनजान टीनेजर चेहरे घुसे। घुसने के साथ ही दोनो के गतिविधि पर नजर रखी गयी। बग फिक्स करने से लेकर ताका–झांकी तक सब पलक की नजरों में था।
जैसे ही ओजल और इवान ने अपना काम खत्म किया, वैसे ही होटल प्रबंधन ने बड़ी चालाकी से दोनो को एक कमरे में भेज दिया। दोनो जैसे ही उस कमरे में घुसे, चारो ओर से धुएं ने ऐसा घेरा की सुरक्षा मंत्र तक पढ़ने का समय नहीं दिया। जब आंखें खुली तो ओजल और इवान खुद को ऐसे अंधेरे तहखाने में बंद पाये जहां उनकी वुल्फ विजन भी नही काम कर रही थी। बस एक दूसरे की आवाज सुन सकते थे, लेकिन वह भी संभव नही था। दोनो के मुंह बंधे थे। श्वान्स लेते तो अंदर अजीब सी बु आती, जो इनके दिमाग को बिलकुल स्थूल कर गई थी। दिमाग जैसे हर पल भारी हो रहा हो और किसी काम का ही न रह गया हो।
फिर ओजल और इवान से शुरू हुई थी पलक की पूछताछ। पूछताछ के दौरान यूं तो ओजल और इवान ने बहुत ज्यादा धैर्य का परिचय दिया। उनका प्रशिक्षण काम आया और जुबान नही खुले। जब पलक कुछ भी पता नहीं कर पायी तब बस अल्फा पैक के संपर्क करने का इंतजार करने लगी। बहुत ज्यादा इंतजार करना नही पड़ा और 2 मार्च की देर रात तक रूही ने दोनो से संपर्क कर लिया।
इधर ओजल और इवान के 2 ड्यूलिकेट एलियन तैयार थे। हां लेकिन पलक ने उन्ही 30 एलियन को अपने साथ रखा था, जो अपने शरीर पर एक्सपेरिमेंट करने से इंकार कर चुके थे। बाहर से 2 एलियन बुलाया गया, जिसे पलक ने इतना ही बताया था कि दोनो भाई बहन छिपकर जासूसी करने आये थे।
फिर पलक ने ओजल और इवान का मोबाइल दोनो को थमा कर, कैमरे में कैद दोनो भाई बहन के हाव भाव को दिखाई और उन दोनो एलियन को ओजल और इवान की जगह भेज दिया। वो तो शुक्र था कि आर्यमणि ने 2 दिनो तक केवल ओजल और इवान के बग को देखा था। यदि उनके सिक्योर चैनल को देखते, फिर इनका हैकिंग नजर में आ जाता।
पलक के हाथ 5 मार्च तक बहुत सारा इनफॉर्मेशन लग चुका था और उसे ये भी पता था कि आर्यमणि किस प्रकार के दुश्मन के खिलाफ तैयारी कर रहा होगा। जितना पलक आर्यमणि को समझती थी, उस हिसाब से वह तय कर चुकी थी कि आर्यमणि को एलियन के हर ताकत का पता होगा।
5 मार्च की मीटिंग जिसमें सुरंग खोदने की बात कही गयी। उसपर तो पलक की भी हंसी छूट गयी थी, लेकिन महा की तरह वह भी खामोश थी। पलक को समझते देर नहीं लगी कि महा भी वही सोच रहा था, जो पलक खुद सोच रही थी। लेकिन उसने महा के सामने खुद को बेवकूफ बनाए रखने का ही फैसला किया। भले ही एलियन ने आकर 2 जगह का वर्णन किया हो, लेकिन अब पलक सुनिश्चित थी कि आर्यमणि उनसे कहां मिलने वाला है। दोनो ओर से चूहे बिल्ली का जानदार खेल चल रहा था। मोहरों की बिसाद बिछ चुकी थी और अब बस सह और मात होना बाकी था।
5 मार्च की मीटिंग जिसमें सुरंग खोदने की बात कही गयी। उसपर तो पलक की भी हंसी छूट गयी थी, लेकिन महा की तरह वह भी खामोश थी। पलक को समझते देर नहीं लगी कि महा भी वही सोच रहा था, जो पलक खुद सोच रही थी। लेकिन उसने महा के सामने खुद को बेवकूफ बनाए रखने का ही फैसला किया। भले ही एलियन ने आकर 2 जगह का वर्णन किया हो, लेकिन अब पलक सुनिश्चित थी कि आर्यमणि उनसे कहां मिलने वाला है। दोनो ओर से चूहे बिल्ली का जानदार खेल चल रहा था। मोहरों की बिसाद बिछ चुकी थी और अब बस सह और मात होना बाकी था।
7 मार्च की शाम 5 बजे, पलक की मुलाकात से ठीक एक दिन पहले... पलक को तो रायन नदी के किनारे अल्फा पैक नही मिला, लेकिन अल्फा पैक को नित्या का पता मिल चुका था, जो 2 दिन मौज मस्ती के लिये निकली थी। अल्फा पैक जर्मनी पहुंचकर आधिकारिक मुलाकात से पहले अपना अस्तित्व दिखाना चाह रही थी। वहीं पलक होटल के कमरे में पड़ी फोन की घंटी बजने का इंतजार कर रही थी।
दक्षिण–पश्चिम जर्मनी का एक शहर एन्ज, जिसमे ब्लैक फॉरेस्ट के बहुत सारे हिस्से आते थे। उस शांत शहर के एक निर्जन कॉटेज, जिसके आस–पास कोई दूसरा घर नही था, उसके छत की दीवार पर बने एक झरोखे से आर्यमणि और रूही नजरें गड़ाए हुये थे।
जाने–आने के एकमात्र दरवाजे पर 200 मीटर की दूरी से अलबेली नजर बनाये हुई थी। वहीं निशांत भ्रम जाल के माध्यम से खुद को काली बिल्ली प्रतीत करता, उस जगह के चारो ओर के क्षेत्र का मुआयना कर रहा था। अंदर नजरों के सामने जो नजारे चल रहे थे, उसे कैमरे के हर एंगल में कैद करती रूही, अपने मन में ही कहने लगी.... “इन घिनौने लोगों की कैसी–कैसी फैंटेसी है।”
अंदर जो चल रहा था वह रंगारंग क्रायक्रम से कम न था। अंदर पूरा नंगा होकर हवस का नया ही खेल चल रहा था, जिसमे 2 नंगे जिस्म में से एक पलक का जिस्म था और दूसरा उसके चचेरे भाई तेजस भारद्वाज का। यूं तो दोनो थर्ड जेनरेशन थे। यानी की पलक और तेजस के दादा अपने सगे भाई थे और उन्ही दो भाई के वंश वृक्ष के नीचे एक घर से पलक तो दूसरे घर से तेजस था।
क्या ही दोनो उधम–पटक और उत्पात मचा रखे थे। पूरे कॉटेज की दीवारें तक चरमरा उठी थी। पोर्न वीडियो के जितने भी एक्शन थे, दोनो पूरे जोश के साथ निभा रहे थे, और पलक के मुंह से जो आवाज आ रही थी...... “आह तेजस भैया... ओह तेजस भैया... आह भैया, प्यास मिटा दो... उफ्फ कबसे जली जा रही”...
और तेजस भी उतने ही जोश में.... “आह पलक... उफ्फ कितनी कसी है तेरी चूत... उफ्फ अपने भाई को गदगद कर दी... आ गांड़ भी मरवा ले”...
“मार ले भाई गांड़ क्या हर छेद मार ले... जहां इच्छा वहां घुसा दे... आह्ह्ह भैया, तुम बहुत मस्त चोदते हो... आह्ह्ह्ह मार लो.. ओह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है।”
फिर दोनो की एक साथ चिंघाड़ निकल गयी और हांफते हुये अलग हो गये।.... “क्या बात है अपनी चचेरी बहन का रूप देखकर तो मेरी हालत खराब कर दिये”.... नित्या अपने रूप में वापस आती हुई कहने लगी...
“बहुत ही चुलबुली है। और जब भी उसके टांगों के बीच का सोचता हूं, नशा चढ़ जाता है।”... तेजस, नित्या के ऊपर आकर उसके योनि पर अपना लिंग घिसते कहने लगा...
“उफ्फ बहुत ज्यादा जोश में हो। अब किसका”... नित्या मचलती हुई कहने लगी...
तेजस उसके होंटो को काटकर अलग होते.... “इस बार भूमि”...
“हाहाहाहाहा... अपनी सगी बहन”... नित्या लन्ड को पूरे मुट्ठी में भींचते कहने लगी....
तेजस:– आह्ह्ह्ह्ह... तू भी बहन के नाम पर जोश में गयी क्या? भूमि तो नायजो की और ओरिजनल मीनाक्षी की बेटी है। और मैं उसकी भाई की जगह आया एक नायजो हूं, जिसने कबसे भूमि के सपने सजा रखे थे। अब बर्दास्त न हो रहा, जल्दी रूप बदल मैं पेलूंगा...
“नहीईईईई... तू धरती का बोझ है।”.... आर्यमणि आवेश में आकर छत की दीवार तोड़कर नीचे आ गया। ठीक दोनो के मुंह के सामने खड़ा होकर चिल्लाने लगा।
नित्या और उसका पुराना आशिक तेजस दोनो हड़बड़ा कर खड़े हो गये। दोनो आर्यमणि को घूरते.... “तो तुझे तेरी मौत यहां खींच लायी है?”
“किसकी मौत किसको कहां खींच लायी है, वह तो बस थोड़े ही वक्त की बात है। लेकिन उस से पहले कपड़े तो पहन ले, या नंगा ही लड़ेगा”....
“तुझे मारना में वक्त ही कितना लगना है”... तेजस अपनी बात कहकर आंखों से लेजर चलाया। खतरनाक किरणे उसके आंखों से निकली। आर्यमणि तो पहले से जानता था कि ये एलियन नायजो क्या कर सकते है, इसलिए तेजस के हाव–भाव देखकर ही आर्यमणि मूव कर चुका था। कॉटेज के जिस हिस्से में तेजस के आंखों का लेजर टकराया, उस हिस्से की 16 फिट ऊंची और 22 फिट लंबी दीवार किरणों के टकराने के साथ ही पूरा ढह गया।
पता न तेजस की आंखों से लेजर के साथ कौन सा खतरनाक चीज जुड़ा था, जो पल भर में ही उस पूरे कॉटेज को ही धराशाही कर गया। 2 दीवार के गिरते ही ऊपर का छत पूरा भारभरा कर गिर गया। रूही भी छत पर थी। छत के साथ वह भी नीचे आयी। लेकिन वह जमीन पर गिरती उस से पहले ही आर्यमणि दौड़ते हुये रूही को पकड़ा और एक छलांग में कॉटेज के सीमा से बाहर था।
तेजस और नित्या ने मिलकर फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी जैसे ही तूफान को उठा दिया। उस तूफान में पूरा कॉटेज तीतर बितर हो गया और दोनो मलवे के बीच में खड़े हो गये.... “कहां भाग गया मदरचोद। एक घंटे पहले आता तो मैं तेरी मां जया की गांड़ मार रहा था। और तुझे पता है, तेरी जो पहली गर्लफ्रेंड मैत्री थी ना उसे लोपचे के खंडहर में मैने तीन दिन तक खूब पेला था, और उसके बाद कमर से काट दिया। साले तेरे दादा वर्घराज को मैने ही जहर दिया था। बुड्ढे को हमारे बार में पता लगाने की कुछ ज्यादा ही चूल मची थी। कितना छिपेगा हां.. आज तेरी गांड़ मारकर तुझे भी बीच से चीड़ दूंगा”...
तेजस बौखलाया था। दिमागी संतुलन खो बैठा हो जैसे। तेज आवाज में अपनी बात कह रहा था और आंखों से लगातार लेजर किरण निकाल रहा था। जैसे ही तेजस की बात समाप्त हुई... आर्यमणि ठीक उसके सामने कुछ दूरी पर खड़ा दिख गया.... “तू घिनौना है। धरती का बोझ है। तू मेरा और मेरे परिवार का दोषी है। तुझे क्या लगा तू अमर जीवन लेकर आया है। तो चल ये भी देख लेते है, आज कौन किसकी मारता है।”
नित्या:– आज तो तू मरा बच्चे। वैसे मैं तो तेरे साथ खेलना चाहती थी, लेकिन मेरा आशिक को ये मंजूर नहीं...
आर्यमणि:– काश मैं भी तुम्हारे बारे में भी ऐसा कह सकता। लेकिन विश्वास मानो जब मैं तुम दोनो को धीमा मारना शुरू करूंगा, तब अपनी जान बक्शने की भीख नहीं मांगोगे... बल्कि हर पल यही कहोगे, प्लीज मुझे अभी मार दो...
तेजस:– हमे मारना बाद में मदरचोद, पहले तो ये दिखा की मौत से बचकर तू कितना भाग सकता है...
आर्यमणि:– बोल बच्चन क्या दे रहा है बे नंगे, मारकर दिखा...
आर्यमणि सीना तान दोनो के सामने खड़ा, मानो निमंत्रण दे रहा हो। नित्या और तेजस दोनो ही एक साथ लेजर चलाना शुरू कर चुके थे और आर्यमणि... आर्यमणि ने उनके अचूक और प्राणघाती लेजर को मिट्टी का ढेला समझ लिया था। प्योर अल्फा की गति का तो ये मुकाबला भी नही कर सकते थे, लेकिन इस बार कदम तो आहिस्ता बढ़ रहा था पर हाथ उतना ही तेज।
जो भी लेजर की किरण उसके ओर आती, हर किरण पर आर्यमणि जैसे टफली मारकर कह रहा हो... “तू दाएं जा, तू बाएं जा”... जैसे हाथ हिलाकर चेहरे या बदन के आगे से मच्छर–मक्खी को भागते है, ठीक उसी प्रकार लेजर की किरणे थी, जिसे आर्यमणि अपने हाथों से झटक रहा था।
अलबेली और रूही अपने बारी की प्रतीक्षा में, जिसे आर्यमणि अपने मन के संवाद से रोक रखा था.... “अभी रुको”...
किसी भी बलवान से यदि उसका बल छीन लिया जाये, फिर वो खुद को असहाय समझने लगता है, जैसे उस से बड़ा कमजोर इस संसार में नही। आर्यमणि अपने सुरक्षा मंत्र और हाथ के झटके से तेजस और नित्या को लगातार असहाय साबित करने में लगा हुआ था। बाहर से अपनी बारी आने की प्रतीक्षा में रूही और अलबेली घात लगाए बैठी थी। उन दोनो को आर्यमणि अपने मस्तिष्क संवाद से रोक रखा था।
आहिस्ते चलते हुये आर्यमणि तेजस और नित्या के करीब पहुंच गया। फासले एक फिट से भी कम के थे। अब नित्या और तेजस में से किसी के मुंह से शब्द नही फूट रहे थे, बस पागलों की तरह अपने आंख से लेजर चला रहे थे। पाऊं आहिस्ते थे, किंतु हाथ नही। वह अब भी इतने तेज थे कि इतना नजदीक होने के बावजूद एक भी किरण आर्यमणि को छू नही पायी।
फिर शुरू हुआ मौत को भी भयभीत कर देने वाली खौफ और दर्दनाक चींखों का खेल। आर्यमणि सामने सीना ताने खड़ा। उसके एक इशारे पर रूही और अलबेली, दोनो (तेजस और नित्या) के ठीक पीछे खड़ी थी। रूही और अलबेली ने पीछे से तेजस और नित्या के हाथ को पीछे खींचकर उनके शरीर का सारा टॉक्सिक खींचने लगे।
यूं तो तेजस और नित्या दोनो ही पलटना चाह रहे थे, लेकिन सामने खड़ा आर्यमणि ने हाथों के मात्र एक इशारे से दोनो के पाऊं को जड़ों से जकड़ दिया था। ऐसा लग रहा था जमीन से निकली जड़ों ने दोनो को पैंट पहना दिया हो। वहीं रूही ने बचा हुआ कसर भी पूरा कर दिया। ऊपर टॉप भी पहना चुकी थी। सिवाय उनके चेहरे और कलाई के पूरे बदन पर जड़ चढ़ चुका था।
“य्य्य्य, इय्य्य.. ये तुऊऊऊ.. तुमने, कौन सा तिलिस्म किया है?”.... तेजस घबराते हुये पूछने लगा...
आर्यमणि अपने पंजे में पूरा जहर उतारकर एक झन्नाटेदार तमाचा तेजस के गाल पर चिपका दिया। तेजस को ऐसा लगा जैसे भट्टी से अभी–अभी निकले तवे को उसके गाल से चिपका दिया गया हो। ऊपर से जहर का असर इतना दर्दनाक था कि तेजस की चींख रुकी ही नही।
नित्या, तेजस का हाल देखकर तुरंत पाला बदलती.... “देखो आर्यमणि मैं तुम्हारी दुश्मन नही बल्कि अपना दोस्त समझो। मैं तो बस अपने बॉस लोगों का हुक्म बजा रही थी। इसी के बाप सुकेश भारद्वाज ने तुम्हारे दादा को बेज्जत किया था, लेकिन उनके बेइज्जती में मेरा कोई हाथ ना था, मैं बस जरिया थी। उल्टा सजा के तौर पर मुझे कई वर्षों तक जंगल में भटकने छोड़ दिया।”
आर्यमणि:– तुम वही जरिया हो ना, जिसने ओशुज नाम के एक अल्फा वेयरकायोटी को मैक्सिको में कैद करवाई थी। (मैक्सिको की जंगल वाली घटना। जहां वेयरवोल्फ के खून से ड्रग्स के पौधों की सिंचाई करते थे)
नित्या:– तुम्हे कैसे पता...
आर्यमणि:– क्योंकि उस कांड का असर मेरे पूरे अल्फा पैक पर पड़ा था, इसलिए मुझे पता है। तुम सब के कांड तो मुझे शुरू से पता थे, बस जो तब पता नही था वो अब पता कर चुका हूं। तुम्हारा भेद खुल चुका है नायजो... अब न तो पृथ्वी पर तुम्हारी नाजायज हरकतें बर्दास्त हो रही और न ही तुम सब का यहां नाजायज तरीके से रहना। क्या सोचा था, हार–मांस का शरीर होता है इंसान और तुम सब एपेक्स हो। आज मजा लो अपने बोए बीज का...
तेजस का दर्द जब कुछ कम हुआ... “देखो आर्यमणि हजारों की फौज तुम्हे मारने आयी है। उनसे बच गये तो लाख आयेंगे, उनसे भी बचे तो करोड़ों। तब तक वो हमला करते रहेंगे जबतक तुम मर नही जाते...”
“मरना... मरना... मरना... हां मरना... मरने का डर क्यों... वैसे ये मरने का डर तुम दोनो को तो नही होगा क्योंकि अमर जीवन तो तुम्हारे साइंस लैब में मिलता है। है की नही?”.... आर्यमणि दाएं से बाएं गस्त लगाते हुये किसी खौफ की तरह अपनी बात रखा। उसे सुनकर तेजस और भी ज्यादा भयभीत होते... “तुम्हे साइंस लैब के बारे में कैसे पता?”
आर्यमणि:– मुझे क्या पता वो जरूरी नहीं। इस वक्त जो ज्यादा जरूरी है, वो ये की तुम्हे जिंदा रहना है या नही..
दोनो हरबरी में एक साथ... “जिंदा, जिंदा, जिंदा रहना है।”
आर्यमणि:– हम्मम.... ठीक है तो दिया तुम दोनो को जिंदगी। आज तुम्हे एहसास होगा की जीना कितना मुश्किल होता है और मृत्यु कितना सुखद। रूही, अलबेली हो गया क्या?
रूही:– हो गया है बॉस। लेकिन आगे कुछ करने से पहले मुझे अपनी भड़ास निकालनी है।
अलबेली:– और मुझे भी...
दूर से नजर आ रही बिल्ली भी अपने असली स्वरूप में दिखने लगी और निशांत भी जोड़ों से चिल्लाया... “पहले मैं..”
रूही:– ठीक है देवरजी आपको पहला मौका मिलेगा, लेकिन उसके लिये आपको इस नित्या को चूमना होगा...
नित्या:– मुझे छोड़ दो तो चूमना क्या सब करने दूंगी। वो भी जिस लड़की का रूप कहो मैं उस लड़की में बदल सकती हूं। हर रात तुम अलग लड़की के साथ सो सकते हो।
निशांत:– क्या अब भी मुझे चूमना चाहिए...
रूही:– जाने दो, चूमने का हिसाब हम फिर कभी करेंगे...अभी इन एपेक्स सुपरनेचुरल पर हाथ साफ करते है।
निशांत हामी भरते तेजस और नित्या के सामने खड़ा हो गया।.... “तुम लोग गंदे और घिनौने हो। एक ही कुल के लड़कियों के साथ जिस हिसाब से संभोग की इच्छा रखते हो, उस से तुम्हारे समुदाय के विलुप्त होने की कहानी समझ में आती है। तुम्हे जीने का कोई अधिकार नही”..
निशांत अपनी बात पूरी कर जो ही जोरदार थप्पड़ दोनो के गाल पर मारा, दिमाग से “सबसे बढ़कर हम” होने का भूत उतर गया। किसी असहाय इंसान की तरह खड़े थे, और गाल टमाटर की तरह लाल हो गया था।
निशांत अपनी बात पूरी कर जो ही जोरदार थप्पड़ दोनो के गाल पर मारा, दिमाग से “सबसे बढ़कर हम” होने का भूत उतर गया। किसी असहाय इंसान की तरह खड़े थे, और गाल टमाटर की तरह लाल हो गया था।
निशांत मारकर जैसे ही पीछे मुड़ा, ठीक उसी वक्त नित्या और तेजस ने लेजर किरणों से हमला कर दिया। निशांत बिना किसी बात की परवाह किये बस चलता रहा। पलटकर नित्या और तेजस के भौंचक्के चेहरे को देखा तक नहीं। एक गया और दूसरे की बारी थी। निशांत के हटते ही वहां रूही पहुंची।
किरणों का निशाने पर न लगना दोनो को घोर आश्चर्य में डाल चुका था। रूही के झन्नाटेदार गरम तवा वाला तमाचा पड़ते ही दोनो वास्तविकता में लौट आये। कुछ तो दोनो ही बोलना चाह रहे थे, लेकिन रूही थी की तप्पड़ मार मारकर न सिर्फ दोनो के गाल सुजा दी, बल्कि गालों पर पंजे के निशान के गड्ढे पड़ गये थे। अब दोनो के मुंह से आवाज की जगह दर्द भरी चीख निकल रही थी।
अलबेली उनका हुलिया देखकर नाकी धुनते हुये.... “मैं कहां मारूं”...
आर्यमणि:– पहले हील होने का सुख दो। उन्हे एहसास करवाओ की दर्द में जब तड़पते रहे तब उस वक्त कोई दर्द और घाव कम करे तो कैसा लगता है...
अलबेली हामी भरी और दोनो के नजदीक जाकर दोनो के गाल पर हाथ रख दी। टॉक्सिक वाला तमाचा पड़ा था, दर्द से दोनो की पहचान हो गयी थी। जैसे ही अलबेली ने हाथ लगाया, दोनो का दर्द कम होने लगा। एक नजर खोलकर दोनो अलबेली को देखे और उनके आंखों से आंसुओं की धार फुट गयी।.... “दादा ये तो बच्चों की तरह रो रहे हैं।”
आर्यमणि:– पहली बार दर्द और सुकून को साथ में मेहसूस किया है ना... जज्बात तो बाहर आएंगे ही...
नित्या:– अब तो हो गया न... अब हमें जाने... आआआआआ...
इस से पहले कहती की “जाने दो” अलबेली ने ऐसा थप्पड़ मारा की मुंह से “दो” शब्द निकलने की जगह पहले 2 दांत निकल आये बाद में दर्द भरी चीख। फिर तो अलबेली का गाल सुजाओ और गाल की चमरी छिल दो अभियान शुरू हो गया। दे थप्पड़, दे थप्पड़ दोनो के गाल के मांस को ही पंजा आकर से गायब कर दिया। एक किनारे का जबड़ा साफ देखा जा सकता था और चीख... दोनो तो दर्द से जैसे बिलबिला गये हो। अपने दर्द से बिलबिलाते आवाज में तेजस गिड़गिड़ाते हुये कहने लगा.... “हां जिंदगी कठिन होती है, हम समझ गये। अब किसी को परेशान नहीं करेंगे”...
आर्यमणि, दोनो को एक साथ पूरा हील करते.... “अभी तो इनके दिल का भड़ास निकला है। मेरे दादा वर्घराज कुलकर्णी, मेरे बचपन की पहली साथी मैत्री, सात्त्विक आश्रम के न जाने कितने अनुयाई, इन सबका हिसाब बाकी है। और अभी कुछ देर पहले जो तूने मेरी मां के बारे में कहा था न, उसे सुनकर मेरी आत्मा धिक्कार रही है कि मैने सुन कैसे लिया।
नित्या:– इनमे से मैने कुछ भी नही किया... सच कह रही हूं।
तेजस:– ये झूठ बोल रही है आर्य।
आर्यमणि तो था ही गुस्से में। ऊपर से तेजस की आवाज दिल में टीस पैदा कर गयी। आर्यमणि, तेजस के मुंह को दोनो मुक्के के बीच ऐसा बजाया की उसके आगे के 16 दांत बाहर आ गये और होंठ का पूरा हिस्सा कचूमर बन गया। दर्द से इस बार तेजस बेहोश ही हो गया। आर्यमणि उसे वापस से हील किया और होश में लाया। हील तो हो गया पर आगे से, ऊपर और नीचे के 16 दांत गायब हो गये.... “मुझे मेरे दोस्त आर्य कहते है। अंजान लोग भी कह सकते है। लेकिन तुझ जैसा नीच मुझसे इतना फ्रेंडली रहे, अजीब लगता है। मां के लिये कहे अपशब्द याद आ गये और उसी का इमोशन बाहर ले आया। हां बकना शुरू कर और बता”
तेजस:– हर काम में नित्या भी बराबर की भागीदारी है। लेकिन तुम सात्त्विक आश्रम को कैसे जानते हो?
आर्यमणि:– उसपर आराम से चर्चा होगी। हम दोनों के पास बहुत समय होगा। हां लेकिन वो तुम्हारी जान बक्शने की जो मैने बात कही थी, वो मैं कर सकता हूं.... लेकिन..
तेजस:– लेकिन क्या???
आर्यमणि:– अम्म्म बताने का मन नहीं हो रहा। पहले तुम बताओ...
तेजस:– क्या???
आर्यमणि:– वही अपने समुदाय के बारे में कुछ जिसे सुनकर मैं तुम्हे ये बता दूं, की तुम्हे छोड़ा कैसे जाये....
तेजस:– हमारे आंखों के साथ–साथ हाथ में भी शक्ति होती है।
आर्यमणि:– जानता हूं, तुम्हारे थर्ड लाइन सुपीरियर शिकारी ने पूरा बका है। अब तुम उनके नेताओं में से एक हो तो कुछ ऐसा बताओ जो तुम्हारा थर्ड लाइन वाले नही जानते हो।
तेजस:– साले गद्दार... उन्ही के वजह से हमारी ये हालत हुई..
आर्यमणि:– सो तो तुम भी हो। अपनी जान फसी तो तुम भी सब बकने को राजी हो गये। अब कुछ ऐसा बताओ जिसे सुनकर मैं तुम्हारे जिंदा रहने का तरीका बता सकूं।
तेजस:– “ठीक है तो सुनो, हम पृथ्वी पर हजारों वर्षों से है। पृथ्वी पर हाइब्रिड जेनरेशन विकसित होने के साथ ही विलुप्त के कगार पर खड़ा हमारा समुदाय अब 5 ग्रहों पर फल फूल रहा है। अब पांचों ग्रह मिलाकर हमारी 800 करोड़ से ज्यादा की आबादी है। देखा जाये तो पृथ्वी पर कोई आबादी ही नही। सभी आबादी दूसरे ग्रहों पर है। वो इसलिए भी शायद क्योंकि पृथ्वी पर आबादी बढ़ाना सबसे आसान है, इसलिए इसे अंत के लिये छोड़ा है।”
“इन सब में जो सबसे अहम बात है, वो यह कि सात्विक आश्रम पर कभी हमला नायजो ने नही करवाया था। उसका एक अपना पुराना दुश्मन था, शुर्पमारीच। उसी ने हमे पृथ्वी पर बसाया था और वही इकलौता था जो वक्त–वक्त पर सात्विक आश्रम को भी तबाह करता था। उसी के सबसे पहले हमले के बाद प्रहरी संस्था बनी थी। देखा जाये तो उस जैसा दुश्मन कभी सात्विक आश्रम वालों ने देखा ही नहीं था।
आर्यमणि:– शुर्पमारीच हां... तो ये मारीच जो है, उसने तुम्हे पृथ्वी पर क्यों बसाया था?
तेजस:– पहले वादा करो की हमे जान से नही मारोगे, तभी इस सवाल का जवाब दूंगा।
आर्यमणि:– मैं वादा करता हूं कि मेरा कहा मानोगे तो मैं तुम्हे जान से नही मारूंगा। अब बताओ...
तेजस:– नायजो पेड़ पौधे के रखवाले होते है। हमे इस ब्रह्माण्ड के हर जड़ी बूटी, औषधि और पेड़ पौधों का ज्ञान है। इसी ज्ञान में कई रहस्य छिपे है,जैसे की किसी को वश में करना, किसी की सीमित यादें मिटाना, किसी की यादों में झांकना, शरीर में पैरालिसिस जैसी स्थिति उत्पन्न कर देना, इत्यादि–इत्यादि। यूं समझ लो की किसी भी शरीर को हम जब चाहे गुलाम बना सकते है। इस पूरी विद्या में हमने शुर्पमारीच को निपुण किया और बदले में उसने हमे 4 प्लेनेट पर बसाया था। जिनमे से एक पृथ्वी भी था।
आर्यमणि:– तू उस वक्त था क्या?
तेजस:– नही मै तो नही था। वास्तविकता तो ये है कि उस वक्त का कोई भी नही। लेकिन 20 शाही खानदान के 40 परिवार पृथ्वी पर है, उन्हे इतिहास से लेकर आने वाले भविष्य की सारी योजना पता रहती है, उनमें से एक हम दोनो भी है।
रूही:– शाही परिवार या नीच परिवार जहां घर के ही लोगों को देखकर जोश जागता है। पलक भी एक शाही परिवार से ही होगी, रिश्ते में तेरी बहन, भतीजी या पोती लगेगी चुतिये।
आर्यमणि:– रूही छोड़ो भी इनके घिनौने वयभिचार की कहानी। तुम्हारी जानकारी से मेरा दिल पिघल गया। सुनो मैं तुम्हे एक इंजेक्शन दूंगा। ये धीमे जहर का इंजेक्शन है। तुम दोनो को मरने में लगभग 8 घंटे से 10 घंटे लगेंगे। जाहिर सी बात है, एंटीडॉट भी है मेरे पास। तो तुम दोनो करना ये है कि अगले 3 घंटे में यदि तुमने खुद को मारने की इच्छा जाहिर नही किये, तब एंटीडोट मैं तुम्हे एंटीडोट लगा दूंगा। तुम तो जड़ी बूटी के ज्ञानी हो, चाहो तो जहर और एंटीडॉट दिखा सकता हूं...
तेजस और नित्या तिरछी नजरों से एक बार एक दूसरे को देखकर मुस्कुराए और बड़े यकीन से कहने लगे.... “तुमने हमे क्या लगाया उसकी जानकारी तीन घंटे बाद ले लेंगे। अभी सीधा इंजेक्शन ठोको”
आर्यमणि:– जैसे तुम्हारी मर्जी। निशांत इंजेक्शन लाओ...
इंजेक्शन आर्यमणि के हाथ मे था। यह वही जहर था जो मैक्सिको में आर्यमणि को जगाने के लिये रूही, अलबेली, ओजल और इवान ने लिया था। इस जहर से मौत तो 8 से 10 घंटे में होती है, लेकिन पहले मिनट से ही ये मौत के दर्द का अनुभव करवाने लगता है। आज तक जितने भी इंसान इस जहर के संपर्क में आये, बेइंतहा दर्द के कारण 5 मिनट से ज्यादा कभी कोई दर्द बर्दास्त न कर पाये और खुद की जान ले लेते थे।
इस जहर का खौफनाक असर ऐसा था कि आर्यमणि जब अपने पैक को हील किया, तब हील के दौरान ही उसकी मरने जैसे हालात हो गईं थी। चारो को किसी तरह हील करने के बाद आर्यमणि जब बेहोश हुआ तब उसके शरीर का हीलिंग प्रोसेस इतना स्लो हो चुका था कि उसे आंख खोलने में लगभग 2 महीने लग गये थे। आर्यमणि और उसके पैक ने कैस्टर ऑयल प्लांट के फूल के जहर का स्वाद चखा था। वही जहर अब आर्यमणि तेजस और नित्या को देने जा रहा था।
तेजस और नित्या भी कम न थे। लैब में शरीर पर एक्सपेरिमेंट करने के बाद तो अमर हो जाते हैं, दोनो इसी भ्रम में थे। उन्हें अभी तक पता भी नही चला था कि रूही और अलबेली उनकी कलाई क्यों पकड़ी थे। तेजस और नित्या अब भी सोच रहे थे कि 8 घंटे में असर करने वाला मामूली जहर उनका क्या बिगाड़ लेगा, जबकि उन गधों ने ये तक गौर न किया की थप्पड़ पड़ने से वो हिल न हुये थे। उनके शरीर से सारा एक्सपेरिमेंट निकाल लिया गया था।
पूरा माहोल तैयार था। आर्यमणि बिना कोई देर किये दोनो को इंजेक्शन लगाकर पीछे अपने साथियों के पास खड़ा हो गया। उन सबको कतार में देख तेजस हंसते हुये कहने लगा.... “आर्यमणि तुमने मेहनत तो बहुत की लेकिन हमारे बारे में पूरी जानकारी नही निकाल पाये। ये जहर हमारा क्या बिगाड़ लेगा। लेकिन डर ये है कि कहीं तुम मुकर न जाओ”...
नित्या:– हिहिहिही... अब ये मूर्ख कैसे मुकड़ सकता है। सबके सामने ही उसने वादा... वादा किया है...
नित्या जब वादा बोल रही थी तब पहला मिनट गुजर चुका था। जहर बदन के जिस हिस्से में लगता वहां से वह खून के साथ सर्कुलेट होकर हृदय तक नही पहुंचता था, बल्कि काफी स्लो बढ़ते हुये खून को ही जहर बनाते चलता था। नित्या जब वादा बोल रही थी तभी से पीड़ा शुरू हुई। किसी तरह अपनी बात पूरी करके वह तेजस को देखने लगी।
तेजस के भी चेहरे का रंग उड़ चुका था। दर्द बर्दास्त करने की जद्दो जेहद उसके चेहरे पर भी साफ देखी जा सकती थी। दूसरा मिनट गुजरा तो दोनो को छटपटाते देखा जा सकता था। बदन को तो हिला नही सकते थे लेकिन चेहरे की दर्द भरी सिकन सारी कहानी बयां कर रही थी। जैसे ही दोनो तीसरे मिनट में प्रवेश किये आर्यमणि प्यारी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते.... “जिंदा रहना कितना मुश्किल होता है शायद ये पता चलना शुरू हो गया होगा। अभी तो तीसरा मिनट ही है। बस 3 घंटे इसके साथ जूझते रहो फिर तुम दोनो को जाने दूंगा”..
आर्यमणि की बात सुनकर दोनो के आंखों से आंसू का सैलाब उमड़ गया। गले से जितना तेज चीख सकते थे, चीखने लगे। बौखलाहट में आंखों से लेजर किरणे निकालने लगे। अगले 2 मिनट तक यही तमाशा चलता रहा उसके बाद हवा हो चुकी थी सारी हेकड़ी... दर्द से बिलखती आवाज में दोनो चिल्लाने लगे.... “ये कैसा बदला ले रहे। अब बर्दास्त नही हो रहा”..
आर्यमणि:– हां क्या कहे, जरा दोहराना...
तेजस पागलों की तरह अपना गर्दन को घुमाते.... “रोक दो इसे... भगवान के लिये रोक दो”
आर्यमणि:– जब मैत्री के साथ बलात्कार करके उसे मार रहे थे तब ये ख्याल नही आया की उसे भी सम्मान के साथ जीने का हक है...
नित्या:– मैं बहुत बड़ी पापी हूं। ना जाने कितने इंसानों को खा चुकी हूं... मुझे नही जिंदा रहना... मार दो मुझे... प्लीज मार दो मुझे...
आर्यमणि:– ठीक से 10 मिनट भी न गुजरे और जिंदगी हार गये... क्या कहा था मैने जो मरने का भय तुम मुझे दिखा रहे, उसके बदले मैं तुम्हे जीने का भय दिखाऊंगा...
तेजस, गला फाड़ चिल्लाते.... “आखिर मेरा लेजर तुम्हे लग क्यों नही रहा। कौन सा तिलिस्म किये हो जो निशाना तुम सबको बनाता हूं, और लेजर कहीं और लग रहा।”
निशांत:– अबे घोंचू, तू सात्त्विक आश्रम के एक गुरु के सामने खड़ा है। गुरु होने के साथ–साथ ये आश्रम का रक्षक भी है। तुम्हे क्या लगता है, सामने से आश्रम के अनुयाई को छूने की औकद भी है तुम्हारी। भूल गये आश्रम वालों को कैसे पीछे से मारते थे? आज सामना हुआ तो फटने लगी...
दोनो ही गिड़गिड़ाते... “हमे मार दो... प्लीज हमे मार दो... अब और ज्यादा दर्द बर्दास्त नही हो रहा। मार दो ना... खड़े क्यों हो।”
आर्यमणि ने आंखों से मात्र इशारा किया और नित्या और तेजस पूरे जड़ों में जकड़े हुये थे। अब तो उनके भयानक दर्द भरी चीख उनके हलख के नीचे दब गयी। ठीक उसी वक्त आर्यमणि ने पलक से संपर्क किया। पलक तो होटल के फोन को ही देख रही थी। जैसे ही रिंग हुआ, पलक एक बार में फोन उठाती.... “हेल्लो”..
आर्यमणि:– लगता है बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रही थी। अपना पुराना ईमेल चेक करो...
पलक, लैपटॉप पर अपना ईमेल खोलती..... “मैं नया और पुराना नही करती, एक ही ईमेल है। कमाल है, ईमेल तो अब तक तुमने भी नही बदला... इस लिंक का क्या करूं?”
आर्यमणि:– अपने समुदाय, यानी नायजो समुदाय के ही लोगों से ये लिंक शेयर करो और जल्दी से जुड़ जाओ... सबको एक साथ बताऊंगा...
पलक:– तुम बस मुझसे मिलने की जगह बताओ... मैं इसके अलावा कुछ नही करने वाली....
आर्यमणि, बातों के दौरान ही नित्या और तेजस की मौत के भीख मांगने वाला छोटा क्लिप सेंड करते.... “ईमेल चेक करो”..
पलक:– हां वही देख रही हूं...
और जैसे ही वह क्लिप चला पलक बौखलाती... “ये सब क्या है?”
आर्यमणि:– नायजो के 2 रॉयल ब्लड मुझसे मौत की भीख मांग रहे... क्या करना है इनका यही पूछने के लिये सबको जोड़ने कह रहा था, लेकिन 800 करोड़ के समुदाय वालों को अपने 2 बंदों की फिकर नही...
पलक, वह लिंक अपने निजी सिक्योर लाइन से शेयर की। साथ में वीडियो क्लिप भी, जिसके नीचे लिखा था, “आर्यमणि हमसे जुड़ेगा और उसके पास नायजो की जानकारी है, इसलिए केवल नायजो को ही कनेक्ट करे”...
कुछ ही देर में बहुत सारे नाजयो एक साथ वीडियो कांफ्रेंस के जरिए जुड़ चुके थे। वीडियो ऑन करके सभी देखने लगे। सबके स्क्रीन के आगे बस काला आ रहा था। जितने भी जुड़े लोग थे, वह आपस में एक दूसरे को नही देख सकते थे। तभी स्क्रीन के आगे नायजो के सबसे बड़े अपराधी का चेहरा सामने आया।
आर्यमणि मुस्कुराते हुये.... “उम्मीद है इस चेहरे को किसी ने भुला नहीं होगा। मैं अभी जल्दी में निपटाऊंगा, क्योंकि असली मजा तो कल आने वाले है। जो लोग मुझे जानते है अथवा नहीं जानते है। उन्हे मैं अपना छोटा सा परिचय दे दूं। मेरा नाम आर्यमणि है। मैं दुर्लभ पाये जाने वाले वेयरवॉल्फ प्योर अल्फा हूं, जिसके पास अपना एक अल्फा पैक है। अल्फा पैक मेहमानो को अपना परिचय दो...
रूही:– मैं रूही। प्योर अल्फा पैक की एक अल्फा हीलर।
अलबेली:– मैं अलबेली। प्योर अल्फा पैक की
आर्यमणि:– तो जैसे की तुम सब अपने आंखों के आगे २ पुतले देख रहे हो, वह महज दो पुतले नही बल्कि 2 रॉयल ब्लड है। तुम सब पहले उन्हे देख और सुन लो, उसके बाद बात करेंगे...