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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Anky@123

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Ha to ye sab hi Nate rishtedar hai. Bhumi ka role pasand aaya. Ek pawarful back ground ka hona saf pata chal rha tha, dusra character rajdeep ke bap ka pasand aaya, halaki abhi keval nam bataya per jis tarah MLA ne react Kiya wo thoda alag tha. 3 update me kahi aarya ka jikra nahi tha ki beete samaya me usne kya Kiya kese Kiya aur ab kis stage per pehucha. Halaki nagpur ki 1/4 kahani samaz aa gayi hai jo 3-4 pariwaron ke ird gird ghumegi. Ek aur palak apne bhai behno se alag hai. Dusri aur kai parte usne apne charo aur lapeti hui hai.jo bhi ho Muzay lagta h palak ko samazna aasan nahi hai aur ye bahut intresting hone wala hai... Muzay yakin hai ki aarya bhi is bich apne naye jiwan ko samazne me kamyab ho gaya hoga.. baki agle update ke intzar me ... Aur update ka size thoda aur badane ki kripa kare
 

Parthh123

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Gajab amazing outstanding updates. Ummid hai aise hi updates har dusre din milte rahenge. Hahahah. Maza a gya update pdhkar but kuch cnfusion si hai ki palak chitra nishant aur ense related baki logo ka background kya hai but pta hai aage clear ho jana hai esliye koi na. Bus thoda bura lga aryamani ka kahi koi jikra na mila 3 updates me. Waiting 4 next 4-5 updates till 17 august. Thank you. 😂😂😂😂😂😂😂
 

Parthh123

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Bhai aap update par comment kab tak karoge... I mean... Dude update chhapne me bhi tabhi maza aata hai jo log pratikriya dete hain... Main mehnat se likhun aur log sust hokar kuch comment likhe hi na to main bhi sust ho jata hun dost ..

Khair back to back 3 update de diye hai... Apne comment jaroor dete jana...
Bhai comment de diya hai waise to mai apka fan ho gya tha jab fantacy story ye kaisa isq hai ajb sa risk hai tb se wo story hme itni psnd ayi ki 4 times read kr chuka hu. Aur apke 3 wo update pdh liye comment bhi kr diya. Kosis rahegi comment ki bharmar kar saku bus ap update dete rahiyega. Aur hme ye pta hai ki likhne me time lgta hai to uske liye hm kuch kah nhi sakte sirf ye kahne ke alawa ki jaldi update dijiye. Hahahaha baki ap apne hisaab se update dijiye apne time ke according. Bus hm next update ka wait kr rhe hai. Hahaha
 

Parthh123

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Diye gye 3 updates behtareen rahe hai hmne enjoy kiya bus aryamni ke bare me thoda sa bhi info hoti to aur maza ata. Lekin koi bat nhi next updates me pta chal hi jana hai story suru hone ke pahle kuch jhalkiya di gyi thi uske hisab se to aryamani ki entry to ab college me honi hai but uske pahle matlb en 3 salo me usne kya kiya kaise kiya ye bhi janna hai. Mast updates ke liye thank you. Keep writing
 

Itachi_Uchiha

अंतःअस्ति प्रारंभः
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भाग:–6



"कॉलेज में नाबालिक लड़की के साथ छेड़छाड़, बीच बचाव करने पुलिस पहुंची तो उसपर भी हमले। 4 कांस्टेबल और एक एस.आई घायल।"..

"नेशनल कॉलेज में एक और रैगिंग का मामला। पीड़ित ने अपनी प्राथमिकता दर्ज करवाई।"

"दिन दहाड़े 2 बाइक सवार ने एक महिला के गले से उसके मंगलसूत्र उड़ा कर फरार हो गए। पुलिस अभियुक्तों कि तलाश में जुटी।"

"दो गुटों में झड़प, मुख्य मार्ग 6 घंटे तक रहा जाम। डीएम मौके पर पहुंचकर मामले का संज्ञान लिए और दोनो पक्षों को शांत करवाकर वहां से हटाया।"

___________________________________________



कमिश्नर कार्यालय, नागपुर… महाराष्ट्र होम मिनिस्टर और नागपुर के नए पुलिस कमिश्नर राकेश नाईक की बैठक।


तकरीबन 3 घंटे की बैठक और बढ़ते क्राइम को देखते हुए लिया गया अहम फैसला। मंत्री जी के जाने के बाद कमिश्नर राकेश नाईक की प्रेस मीटिंग। प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुखातिर होते हुए, कमिश्नर साहब रिपोर्टर्स के सभी सवालों पर विराम लगाते… "हम लोग जिला एसपी का कार्यभार बदल रहे है, आने वाले एक महीने में इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल जाएंगे।"


तकरीबन 3 दिन बाद, नागपुर पुलिस एसपी ऑफस का मीटिंग हाल। सामने 28 साल के बिल्कुल यंग आईपीएस, राजदीप भारद्वाज। जिले के सभी थाना अधिकारी सामने कुर्सी पर बैठे हुए। छोटी सी जान पहचान कि फॉर्मल मीटिंग।


राजदीप, छोटी सी फॉर्मल मीटिंग करने के बाद…. "यहां पहले क्या होता था वो मै नहीं जानता। लेकिन अब से मेरे कानो में केवल एक ही बात आनी चाहिए, नागपुर पुलिस बहुत सक्रिय है। और ये बात आपमें से किसी को बताने की जरूरत नहीं है, लोगों के दिल से निकलनी चाहिए ये बात। जो भी इस सोच के साथ काम करना चाहते है उनका स्वागत है। और जो खुद को बदल नहीं सकते, उनके लिए केवल इतना ही, जल्द से जल्द नई नौकरी ढूंढ़ना शुरू कर दो।"


एसपी ऑफिस से बाहर निकलते वक़्त लगभग सभी थाना अधिकारी ऐसे हंस रहे थे, मानो एसपी ऑफिस से कोई कॉमेडी शो देखकर निकले हैं। हां शायद यही सोच रहे हो, अकेला एसपी कर भी क्या सकता है। लेकिन वो भुल गए की उस 28 साल के लड़के के पास आईपीएस का दिमाग है। उसी शाम चैन स्नैचिंग के लगभग 800 मामले को राजदीप ने अपने हाथ में लिया। अपनी अगुवाई में टीम बनाई जिसमें 20 एस आई और 200 सिपाही थे। सभी के सभी फ्रस्ट्रेट पुलिस वाले जिनका सर्विस बुक में इन डिसिप्लिन होने का दाग लगा हुआ था।


4 दिन की कार्यवाही, और जो ही चोर उचक्कों को पुलिस ने दौरा-दौरा कर मारा। यहां तो केवल राजदीप ने 800 मामले को अपने हाथ में लिया था और जब पुलिस की ठुकाई हुई तो 1800 मामलों में इनका नाम आया। पूरे नागपुर में 12 चैन स्नेचर की गैंग और 108 लोगो की गिरफ्तारी हुई थी। इसके अलावा 17 दुकानों को चोरी का माल खरीदने के लिए सील कर दिया गया था और उनके मालिकों को भी हिरासत में ले लिया गया था।


आते ही हर सुर्खियों में केवल राजदीप ही राजदीप छाए रहे। जिस डिपार्टमेंट को काम ना करने की आदत सी पड़ चुकी थी। जिनकी लापरवाही और मिली भगत का यह नतीजा था कि क्रिमिनल थाने के सामने से चोरी करने से नहीं कतराते थे, उन सब पुलिस वालों पर गाज गिरना शुरू हो गया था। नौकरी तो बचानी ही थी अपनी, इसलिए जो भी क्रिमिनल अरेस्ट होते थे सब के सब पुखते सबूतों के साथ।


एक महीने के पूरी ड्यूटी के बाद तो जैसे नागपुर शहर का क्राइम ग्राफ ही लुढ़क गया हो। जितने भी टपोरी थे या तो उन्होंने धंधा बदल लिया या शहर। जो समय कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया था, उसके खत्म होते ही उन्होंने फिर एक कॉन्फ्रेंस किया, लेकिन इस बार सवाल कम और तारीफ ज्यादा बटोर रही थी नागपुर पुलिस।


सुप्रीटेंडेंट साहब जितने मशहूर नागपुर में हुए, उतने ही अपने परिवार के भी चहेते थे। पिताजी हाई स्कूल में प्रिंसिपल के पोस्ट से रिटायर किए थे और माताजी भी उसी स्कूल में शिक्षिका थी। राजदीप का एक बड़ा भाई कमल भारद्वाज जो यूएस में सॉफ्टवेर इंजिनियर है अपने बीवी बच्चों के साथ वहीं रहता था।


दूसरा राजदीप जो सुप्रीटेंडेंट ऑफ पोलिस है। राजदीप से छोटी उसकी एक बहन नम्रता, जो पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद पीएचडी करना चाह रही थी, लेकिन राजदीप के नागपुर पोस्टिंग के बाद अपने दोस्तों को छोड़कर यहां के यूनिवर्सिटी में अप्लाई करना पड़ा। और सबसे आखरी में पलक भारद्वाज, 1 साल की तैयारी के बाद अपने इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट देकर उसके परिणाम का इंतजार कर रही थी।


शुरू से ही घर का माहौल पठन-पाठन वाला रहा, इसलिए राजदीप को पढ़ने का अनुकूल माहौल मिला और वो 24 साल की उम्र में अपना आईपीएस क्लियर करके ट्रेनिंग के लिए चला गया। ट्रेनिंग के बाद उसे 26 साल में पहली फील्ड पोस्टिंग मिली थी, और 2 साल बाद ही महाराष्ट्र के प्रमुख शहर नागपुर की जिम्मेदारी।


रविवार की सुबह थी। राजदीप बाहर लॉन में बैठकर पेपर पढ़ रहा था, उसकी पहली छोटी बहन नम्रता चाय लेकर उसके पास पहुंची… "क्या पढ़ रहे हो दादा, अखबार में तो केवल आपके ही चर्चे हैं। अब एक काम करो शादी कर लो।"..


राजदीप:- कितने पैसे चाहिए।


नम्रता:- क्या दादा, आपको क्यों ऐसा लग रहा है कि मै आपसे पैसे मांगने आयी हूं।


राजदीप:- फिर क्या बात है।


नम्रता:- दादा पलक ने नेशनल कॉलेज में एडमिशन ले लिया है, वो तो पता ही होगा ना।


राजदीप:- हां पता है, उसने इंट्रेस में टॉप मार्क्स मिले थे, मैंने अपने साथियों में मिठाई भी बंटवाई थी।


नम्रता:- दादा वो कॉलेज रैगिंग के लिए मशहूर है और मुझे बहुत डर लग रहा है। आप तो पलक को जानते ही हो, इसलिए क्या आप पुरा हफ्ता उसे कॉलेज ड्रॉप कर सकते हैं?


राजदीप:- नम्रता वो कॉलेज है, वहां पुलिस का क्या काम। देखो मै पलक को केवल वहां एक हफ्ते छोड़ने जाऊंगा, लेकिन वो अगले 4 साल उस कॉलेज में जाने वाली है। थोड़ा बहुत रैगिंग से जूनियर्स, सीनियर्स के पास आते हैं, वो जायज है। हां उसके ऊपर जब जाए तब मैं हूं, चिंता मत करो। कल पहला दिन है तो मै ही चला जाऊंगा। वैसे ये रहती कहां है आजकल।


नम्रता:- घर में ही होगी जाएगी कहां, रुको बुला देता हूं।


राजदीप:- नहीं रहने दे, उसका यहां बैठना और ना बैठना दोनो एक जैसा होगा। मुझे तो कभी-कभी लगता है आई–बाबा का एक बच्चा हॉस्पिटल में बदल गया था।


नम्रता:- क्या दादा, सुनेगी तो बुरा लगेगा।


राजदीप:- हां लेकिन गुस्सा तो हो, झगड़ा तो करे। वो बस इतना ही कहेगी हर किसी का स्वभाव एक जैसा नहीं होता और बात खत्म।


अगले दिन सुबह-सुबह राजदीप पलक के साथ नेशनल कॉलेज के लिए निकला।..


राजदीप:- सो क्या ख्याल चल रहे है पहले दिन को लेकर।


पलक:- कुछ नहीं दादा, थैंक्स आप साथ आए।


राजदीप:- हद है, अब भाई को भी थैंक्स कहेगी। अच्छा सुन कोई रैगिंग करे तो मुझे बताना।


पलक:- हां बिल्कुल।


राजदीप कुछ दूर आगे चला होगा तभी उसे लंबा जाम दिखा।… "पलक 2 मिनिट गाड़ी में बैठ मै अभी आया।".. लगभग 200 मीटर जाम को पार करने के बाद राजदीप जैसे ही चौराहे पर पहुंचा, वहां का माहौल देखकर वो दंग रह गया। ऊपर से जब वो आगे बढ़ने लगा, तभी एक आदमी उसके सीने पर हाथ रखते… "साले तेरेको दिख नहीं रहा, भाई इधर धरना दे रयले है।"


राजदीप ने ऐसा तमाचा दिया कि उसके गाल पर पंजे का निशान छप गया। कुछ देर तक तो उसका सर नाचने लगा और तमाचा इतना जोरदार था कि वहां तमाचा की आवाज गूंज गई। सभी गुंडे उठकर खड़े हो गए। इसी बीच थाने और कंट्रोल रूम से पुलिस का भारी जत्था पहुंच गया। राजदीप एक कार के बोनट पर अपनी तशरीफ़ को टिकाते हुए, अपने आखों पर चस्मा डाला…. "जबतक रुकने के लिए ना कहूं, ठोकते रहो इनको।"


चारो ओर से घिरे होने के कारण भाग पाना काफी मुश्किल हो रहा था। इसी बीच पुलिस की टीम ने आदेश मिलते ही जो ही डंडे बरसाने शुरू किए, तबतक नहीं रुके जबतक राजदीप ने रुकने का इशारा नहीं किया।… "इसके गैंग लीडर को सामने लेकर आओ"…


सामने लोकल एरिया का मशहूर गुंडा और यहां के लोकल एमएलए का खास आदमी, इमरान कुरैशी को लाकर खड़ा कर दिया… "साले ज्यादा फिल्मी हो रहा है। अगली बार कहीं सड़क जाम करता हुआ दिखा ना तो किसी काम का नहीं छोडूंगा। इंस्पेक्टर यहां का ट्रैफिक क्लियर करो और इन सबको हॉस्पिटल लेकर जाओ।"


राजदीप जाम क्लियर करवाकर वापस अपने गाड़ी में आया और पलक के साथ उसे कॉलेज छोड़ने के लिए चल दिया। कॉलेज का कैंपस देखकर राजदीप कहने पर मजबूर हो गया… "ये लोग कॉलेज चला रहे है या 5 स्टार होटल। तभी आजकल इंजिनियरिंग इतनी मेंहगी हो गई है।"..


पलक:- दादा आप जाओ, मै अपना क्लास ढूंढ लूंगी।


राजदीप:- क्या है पलक, मै यहां तेरे लिए आया हूं और तू है कि मुझे ही भगा रही है। चल आज मै तुम्हारी हेल्प कर देता हूं।


पलक:- ठीक है दादा।


राजदीप वहां से ऑफिस गया और ऑफिस से पलक के सारे क्लास का पता लगाकर उसे दोबारा रैगिंग के विषय में समझाकर, वहां से वापस अपने ऑफिस पहुंचा। राजदीप जैसे ही अपने केबिन में पहुंचा ठीक उसके पीछे संदेशा भी पहुंचा… "एमएलए साहब मिलना चाह रहे थे।"..


राजदीप कुछ फाइल पर साइन करने के बाद एमएलए आवास पर पहुंचा। सामने से उसे सैल्यूट करते हुए… "सर आपने मुझे यहां बुलाया।"..


एमएलए:- सुना है सड़क पर तुमने आज खूब एक्शन दिखाया।


राजदीप:- गलत सुना है सर। आज अपनी बहन को कॉलेज ड्रॉप करने गया था तो थोड़ा जल्दी में था इसलिए केवल वार्निग देकर छोड़ा दिया, कहीं वर्दी में होता तो उसे काल के दर्शन करवाता।


एमएलए:- जवान खून हो और तन पर सुप्रीटेंडेंट की वर्दी। नतीजा तो ऐसा ही होना है। तुम्हे पता है महाराष्ट्र के असेम्बली में मेरा क्या योगदान है। मेरे 72 एमएलए सपोर्ट के साथ ये असेम्बली चल रही है, इधर मैंने अपना हाथ खींचा और उधर इलेक्शन शुरू। तू जानता नहीं मै क्या करवा सकता हूं?


राजदीप:- आराम से बैठकर बातें करें या अपनी कुर्सी का सॉलिड अकड़ है?


एमएलए:- पॉलिटिक्स में अकड़ नहीं बल्कि अक्ल काम आती है, आओ मेरे साथ।


दोनो एमएलए के प्राइवेट चैंबर में बैठते हुए… "हां अभी कहो।"..


राजदीप:- सुनो कृपा शंकर गोडबोले, मुझे शहर कि सड़कें साफ चाहिए। आम जनता परेशान होते नजर नहीं आने चाहिए। मर्डर मतलब उस क्राइम को रिवर्स नहीं किया जा सकता, किसी की जिंदगी नहीं लौटाया जा सकती, इसलिए किसी का मर्डर नहीं चाहिए। ड्रग्स जैसे कारोबार नहीं चाहिए। इसके अलावा कुछ भी करो मै कुछ नहीं कहने आऊंगा। बात समझ में आ गई हो तो 10 करोड़ के एनुअल बजट के साथ डील फाइनल करो वरना बौधायन भारद्वाज के वंशज के बारे में एक बार पता कर लेना।


एमएलए, ने जैसे ही बौधायन भारद्वाज का नाम सुना, राजदीप को आंखे फाड़कर देखते, "उज्ज्वल भारद्वाज के बेटे हो क्या?"… राजदीप ने जैसे ही हां मे सर हिलाया, एमएलए... "मुझे माफ़ कर दो, मै तुम्हे पहचान नहीं पाया। मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है। लेकिन 10 करोड़ थोड़ा ज्यादा नहीं लग रहा, अब थोड़े बहुत काम से मै कितना पैसा बना पाऊंगा। इसे 5 करोड़ कर दो प्लीज।"


राजदीप:- कृपा शंकर सर, ये चिंदी काम से आपका पेट थोड़े ना भरता है। मुझे मजबूर ना करे अपने रिस्ट्रिक्शन के दायरे बढ़ाने में वरना फिर मै पहले मिलावटी चीजों पर ध्यान दूंगा। फिर शिकंजा बढ़ेगा बैटिंग पर। फिर दायरा बढ़ेगा ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के पायरेसी के धंधे पर। और वो जो नेशनल कॉलेज को चकाचक करवाकर जो इतना डोनेशन कमा रहे, उस जैसे फिर ना जाने कितने सरकारी कॉलेज है, जहां तुमने एडवांस फीचर्स के नाम पर बैक डोर से मोटी रकम वसूली है, और वसूलते रहोगे...


एमएलए:- आप तो ज्ञानी है प्रभु। ठीक है डील तय कर दिया, आज से पुरा नागपुर आपका। जो आप कहेंगे वहीं होगा।


राजदीप:- मै तो पूरे भारत में जो कहूंगा वो होगा, लेकिन वो क्या है ना कृपाशंकर, हम यदि अपनी मांगे नाजायज रखेंगे तो अपना वैल्यू ही खत्म हो जाएगा। बाकी पुलिस और पॉलिटिक्स में तो पॉलिटीशियन को इतनी सेवा पुलिस की करनी ही पड़ती है।


एमएलए:- हव साहेब.. आप जैसा बोलो।


राजदीप:- ठीक है सर अब मै चलता हूं, आपके वाहट्स ऐप पर मैंने अपनी बहन की तस्वीर भेज दी है, आपकी छत्र छाया वाले कॉलेज में है, देखिएगा कोई हरासशमेंट का केस ना आए, बाकी छोटी मोटी रैगिंग के लिए मै पढ़ने वालों को परेशान नहीं करता।


एमएलए:- आप जाइए राजदीप सर, कॉलेज में इन्हे कोई परेशानी नहीं होगी।


शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त राजदीप अपनी बहनों के लिए कुछ खरीदारी करता हुआ चला। वो जब रास्ते में था तभी कमिश्नर राकेश का फोन आ गया… "जी सर कहिए।"


राकेश:- क्यों रे मैंने सुना है आज एमएलए से मिलकर आया। ये तो कमाल ही हो गया। मतलब हम कमिश्नर ऑफिस में और तू पॉलिटीशियन की गोद में। वो भी पॉलिटीशियन कौन तो कृपाशंकर।


राजदीप:- मै आता हूं ना सर आपके घर।


राकेश:- छोड़ मै ही आता हूं तेरे घर। वैसे भी आजकल डीसी ऑफिस से ज्यादा तो एसपी ऑफिस छाया हुआ है नागपुर में।


राकेश:- जैसा आप सही समझो साहेब। मै भी ऑफिस से निकल गया।


राजदीप अपना सारा प्लान कैंसल करते हुए, नागपुर के सबसे मशहूर रेस्त्रां से मटन, नान और नाना प्रकार के व्यंजन पैक करवाकर सीधा घर पहुंचा। रात के ठीक 8 बजे नए प्रमोटेड कमिश्नर साहब अपने पूरे परिवार के साथ राजदीप के घर पहुंचे।
Wahhhh Matlb yaha bhi corruption kya hi bolu. Ab dekhna hoga ye ache ke liye ho raha hai ya sb hi mile hue hai. Aur ye to Rakesh bhi aisa niklega nahi pata tha. Dekhte hai aage aur kya kya gul khilate hai ye dono mil kar.
Aur iski dono sister ka story me kitna aur kya role hai ye bhi dekhna baki hai. Dekhte hai kab is bare me pata chlega.

भाग:–7


जैसे ही वो घर पहुंचे राजदीप समेत उसकी दोनो बहने जाकर उनके पाऊं छू ली। इधर राकेश और उसकी पत्नी निलांजना भी जाकर राजदीप के माता पिता से मिलने लगे। राजदीप की मां और राकेश की पत्नी दोनो सगी बहने थी और कमिश्नर साहब राजदीप के मौसा जी। पुलिस का काम ऐसा था कि पूरे परिवार का मिल पाना नहीं हो पता था, हां लेकिन फोन पर अक्सर ही बातें हुआ करती थी। राजदीप अपने मौसा से ही इंस्पायर्ड होकर आईपीएस को तैयारी करने गया था। बड़े से डाइनिंग टेबल पर दोनो परिवार बैठा हुए था। चित्रा और निशांत भी वहीं बैठे हुए थे और खामोशी से सबकी बातें सुन रहे थे।…


नम्रता, खाने का प्लेट लगाती…. "दादा फोन पर तो ये निशांत और चित्रा आधा घंटा कान खा जाते थे, आज दोनो मूर्ति बनकर बैठे है। चित्रा, निशांत सब ठीक तो है ना।"…


राकेश:- इन दोनों को कुलकर्णी कीड़े ने काटा है, इसलिए कुछ नहीं बोल रहे।


राजदीप:- कौन वो डीएम केशव कुलकर्णी।


राकेश:- हां उसी का नकारा बेटे के सोक में दोनो सालों से पागल हुए जा रहे है।


राजदीप की मां अक्षरा भारद्वाज…. "छी छी, उस घटिया परिवार से तुमलोग रिश्ता भी कैसे रख सकते हो।"


"पापा हमे ये सब सुनाने के लिए लाए थे। तुझे मटन का स्वाद लेना है तो लेते रह निशांत, मै जा रही।"… चित्रा गुस्से में अपनी बात कहकर खाने के टेबल से उठ गई। उसी के साथ निशांत भी खड़ा होते.… "रुक चित्रा मै भी चलता हूं।"..


पलक:- "बैठ जाओ दोनो आराम से। जिस बात की वजह नहीं जानते उस बात को पहले पूछ लो। पीछे की कहानी जान लो, ताकि तुम्हे उसमे अपना कुछ विचार देना हो तो विचार दे दो और फिर ये कहकर उठो की आप बड़े है, मै उल्टे शब्दों में आपको जवाब नहीं दे सकता इसलिए मजबूरी में उठकर जाना पड़ रहा है।"

"देखा जाए तो तुमने आई की बात का जवाब इसलिए नहीं दिया, क्योंकि तुम्हे रिश्ते ने खटास नहीं चाहिए, लेकिन ऐसे उठकर चले गए तो तुम्हारे पापा को बेज्जती झेलनी होगी। उनसे सवाल किए जाएंगे कि कैसे संस्कार दिए अपने बच्चो को। तुमने इज्जत के कारण उठकर जाने का निर्णय लिया, किन्तु यहां बात कुछ और हो जाएगी। इसलिए आराम से बैठ जाओ और सवाल करो, जवाब दो, फिर विनम्रता से उठकर चले जाना।"


पलक की बात सुनकर दोनो भाई बहन बैठ गए। और निशांत अपनी मासी को सॉरी कहते हुए कहते पूछने लगा… "मासी आप उस परिवार के बारे में क्या जानते है।"..


अक्षरा भारद्वाज:- "बेटा उस केशव कुलकर्णी की पत्नी जो है ना जया, उसकी एक बड़ी बहन है यहीं नागपुर में रहते है, मीनाक्षी भारद्वाज और उसके पति का नाम है सुकेश भारद्वाज। सुकेश भारद्वाज जो है वो और राजदीप के बाबा उज्जवल दोनो खास चचेरे भाई है।"

"तेरे 3 मामा है। जिसमें से तेरे जो सबसे छोटे वाले मामा थे, उनकी मौत का कारण वही उसकी बहन जया है। तेरे छोटे मामा और जया का लगन तय हो गया था, लेकिन शादी के एक दिन पहले उसकी बड़ी बहन मीनाक्षी ने अपनी बहन जया को भगा दिया। तेरे छोटे मामा बेज्जती का ये घूंट पी नहीं पाए और उन्होंने आत्महत्या कर ली। नफरत है हमे उस परिवार से। उसका नाम सुनती हूं तो तेरे छोटे मामा याद आ जाते है।"


चित्रा:- पलक तुम्हारा धन्यवाद, तुमने सही वक़्त पर बिल्कुल सही बातें बताई। मासी आपको जो मानना है वो आप मानती रहे, और यहां बैठे जितने भी लोग है। मै इसपर कुछ नही कहूंगी, नहीं तो आप सबकी भावनाओ को ठेस पहुंचेगा। आर्यमणि हमारा दोस्त है और जिंदगी भर हमारा दोस्त रहेगा।


राजदीप:- सिर्फ दोस्त ही है ना..


चित्रा:- हमे साथ देखकर शायद आपको कन्फ्यूजन हो सकता है लेकिन हम दोनों के बीच कोई कन्फ्यूजन नहीं है भईया। वैसे हमने एक बार सोचा था रिलेशनशिप स्टेटस बदलने का। लेकिन फिर समझ में आया, हम पहले ही अच्छे थे।


राजदीप:- अच्छा हम से तो वजह जान लिए तुम बताओ कि तुम दोनो उसके लिए इतने मायूस क्यों हो?


निशांत:- मेरे पापा गंगटोक के अस्सिटेंट कमिश्नर रह चुके है, उनसे पूछ लीजिएगा डिटेल कहानी आपको पता चल जाएगा। हमारा दोस्त आर्यमणि बोलने में विश्वास नहीं रखता, केवल करने में विश्वास रखता है।


खाने के टेबल पर फिर बातों का दौड़ चलता रहा। काफी लंबे अरसे के बाद दोनो परिवार मिल रहे थे। सब एक दूसरे से घुलने मिलने लगे। चित्रा और निशांत के मन का विकार भी लगभग निकल चुका था, वो भी अपने मौसेरे भाई बहन से मिलकर काफी खुश हुए।


बातों के दौरान यह भी पता चला की पलक, निशांत और चित्रा तीनों एक ही कॉलेज में एडमिशन लिए है। जहां पलक और निशांत दोनो मैकेनिकल इंजिनियरिंग कर रहे है वहीं चित्रा कंप्यूटर साइंस पढ़ रही थी।


रात के लगभग 12 बज रहे थे। चित्रा, निशांत के कमरे में आकर उसके बिस्तर पर बैठ गई… "सालों बित गए, आर्यमणि ने एक बार भी फोन नहीं किया।"


निशांत:- कल अंकल (आर्यमणि के पापा) ने फोन किया था, रो रहे थे। आर्यमणि जबसे गया, किसी से एक बार भी संपर्क नहीं किया।


चित्रा:- कमाल की बात है ना निशांत, आर्य नहीं है तो हम सालों से झगड़े भी नहीं।


निशांत:- मन ही नहीं होता तुझे परेशान करने का चित्रा। अंकल बता रहे थे मैत्री के मरने का गहरा सदमा लगा था उसे।


चित्रा:- कहीं वो सारे रिश्ते नाते तोड़कर विदेश में सैटल तो नहीं हो गया। निशांत एफबी प्रोफाइल चेक कर तो आर्य की। कहीं कोई तस्वीर पोस्ट तो नहीं किया वो?


निशांत:- कर चुका हूं, नहीं है कोई पिक शेयर। वैसे एक बात बता, केमिकल इंजीनियरिंग के लिए तुमने आर्य का माइंड डायवर्ट किया था ना?


चित्रा:- नहीं मै तो केमिकल इंजिनियरिंग लेने वाली थी, उसी ने मुझसे कहा कि कंप्यूटर साइंस करते है। तकरीबन 5 महीने तक मुझे समझता रहा मै फिर भी नहीं मानी।


निशांत:- फिर क्यों ले ली..


चित्रा:- एक छोटा सा सरप्राइज। बस इसी खातिर ले ली।


निशांत:- तू भी ना पूरे पागल है।


चित्रा:- हां लेकिन तुम दोनो से कम… वो अजगर वाला वीडियो लगा ना.. उसका एक्शन देखते है।


दोनो भाई बहन फिर एक के बाद एक ड्रोन कि रेकॉर्डेड वीडियो देखने लगे। वीडियो देखते देखते दोनो को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। दोनो भाई बहन सुबह-सुबह उठे और आराम से नेशनल कॉलेज के ओर चल दिए। कैंपस के अंदर कदम रखते ही चारो ओर का नजारा देखकर… "हाय इतनी सारी तितलियां.. सुन ना चित्रा एक हॉट आइटम को अपनी दोस्त बना लेना और उससे मेरा इंट्रो करवा देना।"


चित्रा:- मै भी उस आइटम से पहले इंक्वायरी कर लूंगी उसका कोई भाई है कि नहीं जिसने उससे भी ऐसा ही कुछ कहा हो। थू, कमीना…


निशांत:- जा जा, मत कर हेल्प, वैसे भी यहां का माहौल देखकर लगता नहीं कि तेरे हेल्प की जरूरत भी होगी।


चित्रा:- अब किसी को हर जगह जूते खाने के शौक है तो मै क्या कर सकती हूं। बेस्ट ऑफ लक।


दोनो भाई–बहन बात करने में इतने मशगूल थे कि सामने चल रहे रैगिंग पर ध्यान ही नहीं गया, और जब ध्यान गया तो वहां का नजारा देखकर… "ये उड़ते गिरते लोग क्या कर रहे है यहां।"..


निशांत:- इसे रैगिंग कहते है।


चित्रा, निशांत का कांधा जोर से पकड़ती… "भाई मुझे ये सब नहीं करना है, प्लीज मुझे बचा ले ना।"..


निशांत:- अब तू आज इतने प्यार से कह रही है तो तेरी हेल्प तो बनती है। चल..


चित्रा:- नहीं तू आगे जाकर रास्ता क्लियर कर मै पीछे से आती हूं।


निशांत:- चल ठीक है मै आगे जाता हूं तू पीछे से आ।


निशांत आगे गया, वहां खड़े लड़के लड़कियों से थोड़ी सी बात हुई और उंगली के इशारे से चित्रा को दिखाने लगा। चित्रा को देखकर तो कुछ सीनियर्स ध्यान मुद्रा में ही आ गए। निशांत, चित्रा को प्वाइंट करके फिर आगे निकल गया। जैसे ही चित्रा, निशांत को वहां से निकलते देखी… "कितना भी झगड़ा कर ले, लेकिन निशांत मेरे से प्यार भी उतना ही करता है।"… चित्रा खुद से बातें करती हुई आगे बढ़ी। तभी वहां खड़े लड़के लड़कियां उसका रास्ता रोकते… "फर्स्ट ईयर ना"..


चित्रा:- येस सर


एक लड़का:- चलो बेबी अब जारा बेली डांस करके दिखाओ..


"हांय.. बेली डांस, लेकिन निशांत ने तो सब क्लियर कर दिया था यहां"… चित्रा अपने मन में सोचती हुई, सामने खड़े लड़के से कहने लगी… "सर जरूर कोई कन्फ्यूजन है, अभी-अभी जो मेरा भाई गया है यहां से, उसने आपसे कुछ नहीं कहा क्या?"


एक सीनियर:- कौन वो चिरकुट। हम तो उससे भी रैगिंग करवा लेते लेकिन बोला मै यहां थोड़े ना पढ़ता हूं, अपनी बहन को छोड़ने आया हूं। वो तुम्हारे क्लास वाइग्रह देखने गया है अभी। चल अब बेली डांस करके दिखा।


चित्रा अपनी आखें बड़ी करती… "कुत्ता कहीं का, इसे तो घर पर देखूंगी।"..


सीनियर:- क्या सोच रही है, चल बेली डांस कर।


चित्रा, नीचे से अपनी जीन्स 4 इंच ऊपर करती…. "सर नकली पाऊं से बेली डांस करूंगी तो मै गिर जाऊंगी, फिर लोग क्या कहेंगे। देखो पहले ही दिन कॉलेज में गिर गई।"..


एक लड़की:- तो क्या दूसरे दिन गिरेगी।


चित्रा:- मिस क्या पहला, क्या दूसरा, अब जब पाऊं ही नहीं है तो कभी भी गिरा दो क्या फर्क पड़ता है। जिस बाप को अपना सरनेम देना था उसने अनाथालय की सीढ़ियां दे दी, सिर्फ इस वजह से कि मेरा एक पाऊं है ही नहीं। जब अपना खुद का बाप एक अपाहिज का दर्द नहीं समझा तो तुम लोग क्या समझोगे। अकेला छोड़ दिया ऐसे दुनिया में जहां किसी अनाथ और खुस्बसूरत लड़की को हर नजर नोचना चाहता हो। बेली डांस के बदला ब्रेक डांस ही करवा लो, जब मेरे नकली पाऊं बाहर निकल आएंगे तो तुम सब जोड़-जोड़ से हंसना।


सामने से एक लड़का फुट फुट कर रोते हुए… "सिस्टर, दबाकी मेरा नाम है, यहां मै सबको दबा कर रखता हूं। तुम बिंदास अपने क्लास जाओ, तुम्हे पूरे कॉलेज में कोई आंख उठाकर भी नहीं देखेगा।"


इधर निशांत उन लड़कों को झांसा देकर जैसे ही आगे बढ़ा, उसे पलक मिल गईं… "कैसी हो पलक"


पलक:- अच्छी हूं।


निशांत:- तुम्हारी रैगिंग नहीं हुई क्या?


पलक:- शायद दादा ने यहां सबको पहले से वार्निग दे दिया हो। कॉलेज के गेट से लेकर यहां तक सब सलाम ठोकते ही आए है।


निशांत:- हा हा हा हा.. सुप्रीटेंडेंट साहब की बहन आयी है। वो भी कोई ऐसा वैसा पुलिस वाला नहीं बल्कि सिंघम के अवतार है राजदीप भारद्वाज।


पलक:- हेय वो तुम्हारी बहन के साथ रैगिंग कर रहे है।


निशांत:- कास रैगिंग कर पाए, मै तो विनायक को पूरे 101 रुपए की लड्डू चढ़ाऊंगा।


पलक:- ऐसा क्यों कह रहे हो, वो तुम्हारी बहन है।


निशांत:- मेरी तो बहन है लेकिन इन सबकी मां निकलेगी। इसकी रैगिंग कोई लेकर तो दिखाए।


पलक, निशांत की बातें सुनकर जिज्ञासावश सबकुछ देखने लगी। जैसे-जैसे चित्रा का एक्ट आगे बढ़ रहा था, उसकी हसी ही नहीं रुक रही थी। निशांत पीछे से पलक के दोनो कंधे पर हाथ देकर अपना चेहरा आगे लाते हुए… "देखी मैंने क्या कहा था।"..


पलक ने जैसे ही देखा की निशांत उसके कंधे पर हाथ रखे हुए है वो हंसते हंसते ख़ामोश हो गई और अपनी नजरे टेढ़ी करके निशांत की बातें सुनने लगी। निशांत को ख्याल आया कि उसने पलक के कंधे पर हाथ दिया है… "सॉरी मैंने कैजुअली कंधे पर हाथ रख दिया।"..


पलक:- कोई बात नहीं, बस मुझे दादा का ख्याल आ गया।


तभी इनके पास चित्रा भी पहुंच गई… "कमिने खुद तो मुझे छोड़ने का बहाना बनाकर बच गया, और मुझे फसा दिया। तू देख लेना यहां किसी भी लड़की से तूने बात तक की ना तो तेरी ठरकी देवदास की डीवीडी ना रिलीज कर दी तो तू देख लेना।"


पलक:- क्यों दोनो झगड रहे हो, चलो क्लास अटेंड करने। अभी तो शायद हम सब की क्लास साथ ही होगी ना।


चित्रा:- क्लास साथ हो या अलग पलक, लेकिन इसके साथ मत रहना। भाई के नाम पर कलंक है ये।


निशांत:- वो तो पलक ने भी सुना क्या-क्या साजिशें तुम कर रही। जलकुकड़ी कहीं की। तुझे इस बात से दिक्कत नहीं थी कि तेरा रैगिंग के लिए इन लोगो ने रोका। इनसे निपटने की तैयारी तो तू घर से करके आयी थी। तुझे तो इस बात का गुस्सा ज्यादा आया की मुझे क्यों नहीं रोका, मेरी रैगिंग क्यों नहीं ली?


पलक:- क्लास चले, बाकी बातें क्लास के बाद पूरी कर लेना।


तीनों ही क्लास में चले गए। पलक इन दोनों से मिलकर काफी खुश नजर आ रही थी। अंदर से मेहसूस हो रहा था चलो फॉर्मल लोग नहीं है। हालांकि एक खयाल पलक के मन में बार-बार आता रहा की आखिर मेरा भाई तो केवल एसपी है फिर किसी ने नहीं रोका, और इसके पापा तो कमिश्नर है, फिर क्यों इनकी रैगिंग हो रही है।"..
Wahhh College ke dino ki yaad aa gayi bhai bahut hi maja aaya ye padh kar aur kuch secret bhi pata chle ki aakhir kyu nishant aur ayramani ke ghr wale ek dusre se nafrat karte hai. Aur chitra ne bhi yaha kafi kuch clear kr diya hai. Lakin fir bhi ya ye baat last tak bani
भाग:–8

साथ में ये तीसरा दिन था कॉलेज का, जब पलक ने यह सवाल दोनो से पूछ ही लिया… सवाल सुनकर दोनो हंसने लगे। पलक दोनो का चेहरा देखती हुई… "क्या हुआ, कुछ गलत पूछ ली क्या?"


चित्रा:- नहीं कुछ गलत नहीं पूछी। निशांत पलक को इसका जवाब दे…


निशांत:- बस कभी ये ख्याल ही नहीं रहता की हम किसी पुलिस अधिकारी के बच्चे है। यहां तो स्टूडेंट है और हर स्टूडेंट की तरह हमारे भी एक परेंट है।


क्लास, पढ़ाई और भागती हुई ज़िन्दगी, यूं तो निशांत और चित्रा के पास ध्यान भटकाने के कई सारे साधन मिल चुके थे, लेकिन किसी ना किसी बातों से हर वक़्त आर्यमणि की यादें ताज़ा हो ही जाती थी। कॉलेज आकर दोनो भाई बहन के चेहरे के भाव बदले थे लेकिन अंदर की भावना नहीं।


गंगटोक से आए लगभग 3 साल से ऊपर हो गए थे और इतने लंबे वक्त में एक छोटी सी खबर नहीं आर्यमणि कि। कॉलेज शुरू हुए 2 महीने हो गए थे। 2 क्लास के बीच में इतना गैप था कि कम से 1 घंटा तो इनका कैंटीन में जरूर बिता करता था। चित्रा, पलक और निशांत तीनों बैठे थे.…


चित्रा:- अभी देखना हम लोग को सरप्राइज देते हुए आर्य सामने से आएगा।


निशांत:- पिछले 10 दिन से तू यहीं बोल रही है। अब कहेगी नहीं आज मेरी स्ट्रॉन्ग वाली फीलिंग कह रही है।


पलक:- वो देखो तुम्हारा दोस्त आर्य आ गया।


चित्रा और निशांत दोनो एक साथ सामने देखते… "क्या यार पलक, इसे भावनाओ के साथ खेलना कहते है। निशांत उस माधव को बुला जरा।"


ऊपर वाले की फैक्टरी में बाना विचित्र रचना। उम्र 18-19 साल लगभग, हाइट 5 फिट 9 इंच, वजह 38 किलो। निशांत उसे आवाज़ लगाते… "ए माधव इधर आ।"..


माधव ने एक नजर टेबल पर डाली और फिर अपनी नजरें नीची करते चुपचाप जाने लगा…. "क्या यार माधव नाराज है क्या"… माधव ने अब भी नजरदांज किया।


चित्रा:- माधव यहां आओ वरना हम तुम्हारे बाबूजी को फोन अभिए लगा देंगे हां।


माधव, उन तीनों के पास बैठते…. "काहे आपलोग हमको तंग करते है। हमे जाने दीजिए ना।"..


चित्रा:- सुन ना माधव, मझे फिजिक्स और मैथमेटिक्स में हेल्प कर दे ना।


माधव:- देखिए भगवान ने हमको कुरूप बनाया है, कोई बॉडी पर्सनैलिटी नहीं दी है, इसका ये मतलब नहीं कि आप सब हमरा मज़ाक उड़ाए।


चित्रा:- अबे ओय घोंचू, तेरा कब मज़ाक उड़ाये बे।


माधव:- कल यहीं पास वाला टेबल पर बैठे थे। अपने क्लास की वो निधि और उसके दोस्तों ने आप लोगो की तरह ही बुलाया था। और हम बस रोए नहीं, भरी महफिल में ऐसा मज़ाक बनाया। कल वो थी आज आप है।


निशांत:- मज़ाक तो हम भी तुम्हारा बनाते माधव। आखिर कांड ही ऐसे किए थे। प्रेम पत्री दिए मेरी बहन को, हां।


माधव:- सॉरी खाली दोस्ती का लेटर था। पहले कभी इतनी सुंदर लड़की से बात नहीं किए थे। जिससे भी करने कि कोशिश किए, सबने खाली मज़ाक ही उड़ाया। चित्रा से 2-4 बार बात हुई थी सब्जेक्ट को लेकर, तो हम सोचे कहीं हमसे दोस्ती कर ले। अकेले रहते है ना, इसलिए फील होता है। हमारा तो रूममेट भी हमसे बात नहीं करता।


चित्रा:- दोस्ती में तो कोई हर्ज नहीं है माधव, लेकिन मै करूंगी मज़ाक और तुम हो जाओगे सीरियस, और किसी भोले इंसान का दिल नहीं दुखाना चाहती, इसलिए जवाब नहीं दी, वरना तुम तो हीरा हो माधव हीरा। फिजिक्स और मैथमेटिक्स में क्या पकड़ है तुम्हारी।


माधव:- हमारे बाबूजी कहते थे, पाऊं उतना ही पसारना चाहिए जितनी चादर हो। हम तो बिलो एवरेज से भी एक पायदान नीचे है और आप तो मिस वर्ल्ड है।


निशांत:- आज से तुम हमारे दोस्त। हम तुमसे मज़ाक करेंगे और तुम हम सब से मज़ाक करना लेकिन कोई तुम्हे बेइज्जत करे तो हमसे शेयर करना, फिर उनका ग्रुप बेज्जत्ती की कहानी हम लिखेंगे। समझे बुरबक..


माधव:- हां समझ गए। इसी खुशी में आज की काफी मेरी तरफ से।


निशांत:- तू तो बड़ा दिलदार निकला चल पिला, पिला…


कॉलेज आते हुए सभी को लगभग महीनो बीत गए थे। 2 क्लास के बीच में इनके पास लगभग 1 घंटे का गैप होता था जहां चित्रा, निशांत, पलक और माधव कैंटीन में बैठकर बातें किया करते थे।


ऐसे ही एक दिन चारो बैठे हुए थे, तभी एक लड़का उनके बीच आ बैठा।… "मैंने कॉलेज में पुरा सर्वे किया, कैंटीन का बेहतरीन खूबसूरत टेबल यही है। लेकिन इन 2 खूबसूरत तितलियों के साथ 2 बेकार जैसे लोग बैठे रहते है, ये किसी को भी समझ में नहीं आता।"..


माधव:- समझिएगा भी नहीं, ये आउट ऑफ स्लैब्स वाला सवाल है।


चित्रा:- तुम्हे क्या चाहिए मिस्टर, किसपर ट्राय करने आए हो। आए तो हो, लेकिन अपना नाम भी नहीं बताए।


लड़का:- मेरा नाम नीरज है, और पलक मुझे बहुत अच्छी लगती है। सिर्फ दोस्ती करने आया हूं।


पलक, अपना हाथ बढाती…. "नीरज जी हमारी दोस्ती हो गई, अब क्या हमे परेशान करना बंद करेंगे।"


तभी वहां पर एक और लड़का पहुंच गया… "अरे नीरज तूने तो 2 मिनट में दोस्ती भी कर ली, मुझे भी चित्रा से दोस्ती करवा दे कसम से कितनी हॉट है।"..


चित्रा:- तुम भी अपना परिचय दे ही दो।


लड़का:- मै हूं विनीत, हम दोनों सेकंड ईयर में है।


चित्रा भी अपनी हाथ बढ़ाती… "तुम से भी दोस्ती हो गई विनीत अब खुश"


दोनो ही लड़के ठीक चित्रा और पलक के बाजू में अपना टेबल लगाते हुए उससे चिपक कर बैठ गए।…. "ओ ओ !! चित्रा, पलक, लगता है हम सबको यहां से चलना चाहिए। पहले दिन में ही काफी गहरी दोस्ती बनाने के इरादे से आए है।"… माधव कहते हुए खड़ा हो गया।


निशांत:- माधव सही कह रहा है, चलो चलते है।


चित्रा और पलक भी दोनो के बात से सहमत होती खड़ी हो गई। दोनो लड़कियां जैसे ही खड़ी हुई, उन दोनों लड़को ने उसका हाथ पकड़ लिया।… "देखिए सर, आपने दोस्ती कहीं करने, हमने कर ली। लेकिन जबरदस्ती हाथ पकड़ना गलत है। हाथ छोड़िए।"..


दोनो लड़को ने हाथ छोड़ दिया। चित्रा और पलक वहां से जाने लगी। पीछे से वो लड़का नीरज कहने लगा… "अब तो दोस्ती हो गई है, आज नहीं तो कल हाथ थाम ही लेंगे।"..


कुछ दिन और बीते, चारो ने नीरज और विनीत की हरकतों को लगभग अनदेखा ही किया। जबदस्ती कुछ देर के लिए आते, फालतू की बकवास करते और चले जाते। कभी चारो मिलकर उन्हें छिल देते तो कभी चारो कुछ मिनट में ही इरिटेट होकर वहां से उठकर चले आते। लेकिन उस दिन ये लड़के अपने और 4 दोस्तो के साथ आए थे और आते ही सीधा चित्रा और पलक को परपोज कर दिया।


पलक:- सॉरी, मेरी ऐसी कोई फीलिंग नहीं है।

चित्रा:- और मेरी भी।


विनीत जिसने चित्रा को परपोज किया था… "इस डेढ़ पसली वाले कुत्ते (माधव) के साथ तो तुम ना जाने क्या-क्या करती होगी, जब तुम्हे ये पसंद आ सकता है फिर मै क्यों नही?"


उसकी बात सुनकर निशांत और माधव आगे बढ़े ही थे कि पलक…. "तुम दोनो ध्यान मत दो, चलो चलते है यहां से।"..


"साली कामिनी हमे इनकार करेगी, तुझसे तो हां करवाकर रहूंगा"… पीछे से नीरज ने कहा।


चित्रा और पलक आगे जा रही थी, माधव और निशांत पीछे–पीछे। दोनो ने एक दूसरे को देखकर सहमति बनाई और पीछे की ओर मुड़ गए। माधव ने टेबल पर परा हुआ कप उठाया और सीधा नीरज के कनपटी पर दे मारा। कप के इतने टुकड़े उसके सर में घुसे की ब्लीडिंग शुरू हो गई।


वहीं निशांत, विनीत के मुंह पर ऐसा पंच मारा कि उसके नाक और मुंह से खून बहने लगा। वो भी अपने 4 दोस्तो के साथ आया था। उन चारो ने निशांत पर ध्यान दिया और माधव को भुल गए। माधव भी इस लड़ाई में चार चांद लगाते हुए टेबल पर परे बचे हुए कप किसी के गाल पर मार कर ऐसा फोड़ा की उसका जबड़ा हिल गया तो किसी के सर पर कप तोड़कर उसका सर फोड़ डाला।


जैसे ही 2 लड़के निशांत के पास से हटे, निशांत को भी पाऊं चलाने का मौका मिल गया। जिसने पूरी उम्र जंगल और पहाड़ों में गुजरी हो, स्वाभाविक है उसके हाथ और पाऊं में उतना ही बल होगा। निशांत ने जब मारना शुरू किया, फिर तो जबतक वो सब भाग नहीं गए तबतक मारता रहा।


सभी लड़के टूटी-फूटी हालत में कैंटीन से निकल रहे थे। जाते-जाते कहते गए, सेकंड ईयर से पंगा लेकर तुमने गलत किया है… "कुत्ते के पिल्ले दोबारा कभी सामने आया तो फोर्थ ईयर वाले तुम्हे नहीं बचा पाएंगे।"


पलक और चित्रा दोनो किनारे खड़ी होकर ये सब देख रही थी। दोनो को ही यहां उनको मारने में कुछ गलत नहीं लगा बस ये लड़ाई आगे ना बढ़े इस बारे में सोच रही थी। चारो ने बाकी के क्लास अटेंड किए और जाते वक़्त पलक कहने लगी… "मै क्या सोच रही थी, 4-5 दिन कॉलेज ड्रॉप कर देते है, जबतक मौसा जी (निशांत और चित्रा के पापा) और दादा (राजदीप) मुंबई की मीटिंग खत्म करके चले आएंगे।"


चित्रा:- दादा या पापा नहीं पढ़ते है इस कॉलेज में, तुम चिंता नहीं करो, माधव तो हर रोज अपने गांव में मार खाता था और निशांत को लड़कियों के सैंडल ने इतना मजबूत बना दिया है कि दोनो की कल कुटाई भी हो गई, तो भी कुछ फर्क नहीं पड़ेगा।


माधव:- ऐसे दोस्त से अच्छा तो उ दुश्मन होंगे जो हमारे बल के हिसाब से रणनीति बाना रहे होंगे। कोई कमी ना छोड़ी बेज्जाती में।


निशांत:- सही कहा माधव। चल चलकर कल इनकी कुटाई की प्लांनिंग हम भी करते है।


माधव:- प्लांनिंग क्या करना है उ आकाश और सुरेश दोनो है ना, जो क्लास में पलक और चित्रा को ही देखते रहते है, उनको उकसा देंगे। हीरो बनने का अच्छा मौका है साला खुद ही 8-10 हॉस्टल के लड़के लेकर चले आएंगे।


माधव की बात सुनकर चित्रा और पलक दोनो ही हसने लगी… "बहुत बड़े वाले कमिने हो दोनो। चलो अब क्लास अटेंड करते है।"..


चारो क्लास अटेंड करने चल दिए। शाम का वक्त था जब पहले खबर निशांत के पास गई। निशांत से चित्रा और चित्रा से पलक तक खबर पहुंची। तीनों ही सिटी हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में पहुंचे।… "अरे निशांत आ गए। सालों ने रणनीति बदल दी रे। सालों ने मुझे हॉस्टल में ही धो दिए। कुत्ते की तरह मरा।"


निशांत:- कुछ टूटा फूटा तो नहीं है ना।


माधव:- हाथ ही तोड़ दिया सालो ने।


दोनो बात कर ही रहे थे तभी माधव को जनरल वार्ड से उठाकर प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया। पलक और चित्रा भी उसके पीछे गई। कुछ देर मिलने के बाद तीनों वहां से निकल गए।


पलक के सीने में अलग आग लगी थी। चित्रा के सीने में अलग और निशांत के सीने में अलग, और तीनों अलग-अलग आग लिए, अलग-अलग निकले और एक ही बंगलो पर आगे–पीछे पहुंचे।…. सबसे पहले निशांत पहुंचा।


ये बंगलो आर्यमणि की मौसेरी बहन भूमि का ससुराल था। भूमि की मां मीनाक्षी और आर्यमणि की मां जया दोनो अपनी सगी बहन थी। वहीं भूमि के बाबा सुकेश भारद्वाज और पलक के बाबा उज्जवल भारद्वाज दोनो अपने चचेरे भाई थे। भूमि के परिवार का लगाव आर्यमणि के परिवार के साथ अलग ही लेवल का था, ये सबको पता था। उसमे भी भूमि, आर्य को अपने बच्चे जैसा मानती थी। यही वजह थी कि चित्रा और निशांत भी भूमि के काफी क्लोज थे।


बंगलो में भूमि, पलक की बड़ी बहन नम्रता के साथ थी और कुछ बातें कर रही थी। तभी वहां निशांत पहुंच गया। निशांत को देखते ही भूमि… "अरे मेरे छोटे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने में इतनी देर लगा दी।"..


नम्रता:- दीदी आप निशांत को जानती हो।


भूमि:- क्यों तेरी मां तुम लोगों को कहीं नहीं भेजती तो क्या मेरी भी अाई कहीं नहीं भेजे। बस 2 लोगों का दिमाग खराब है, एक तेरी अाई और दूसरा इसका बाप, बाकी सब मस्त है।


निशांत:- दीदी कॉलेज में एक लफड़ा हुआ है और मुझे 50-60 लोगों को टूटी-फूटी हालत में हॉस्पिटल भेजना है।


निशांत अपनी बात खत्म किया ही था कि पीछे से चित्रा भी पहुंच गई। निशांत को वहां देखकर चित्रा उससे पूछने लगी क्या वो माधव के लिए आया है? निशांत ने उसे हां में जवाब दिया। कॉलेज के लफड़े के लिए केवल निशांत आता तो भूमि कॉम्प्रोमाइज का रास्ता अपनाती क्योंकि लड़कों के बीच लड़ाई होना आम बात थी, लेकिन चित्रा का आना, भूमि के लिए चिंता का विषय था।


भूमि ने दोनो भाई बहन को बिठाकर पूरी कहानी सुनी। पूरी कहानी सुनने के बाद… "हम्मम ! गलत किया है उन लड़को ने, बहुत गलत"..


भूमि इतना कह ही रही थी कि तभी पीछे से पलक भी वहां पहुंच गई। पलक को देखकर नम्रता और भूमि दोनो आश्चर्य करती हुई…. "पलक और यहां"..


चित्रा और निशांत दोनो एक साथ… "वो भी इसी मुद्दे के लिए आयी है।"..


पलक आते ही… "शायद हर किसी के दिल में आग लगी है।"


भूमि को यूं तो तीनों से बहुत सी बातें करने थी, लेकिन तीनों ही उसके सामने बच्चे थे और इनके परेशानी को देखते हुए, भूमि ने सिर्फ इतना पूछा… "पलक तुम क्या चाहती हो।"


पलक:- सबको तोड़ना है, सिवाय नीरज और विनीत के। क्योंकि उनकी चमरी मै अपने हाथो से कल उधेड़ दूंगी।


भूमि:- नम्रता ये काम मै तुम्हे दे रही हूं। सुनो स्टूडेंट है तो थोड़ा हिसाब से तोड़ना 2-3 महीने में पढ़ाई करने लगे ऐसा।


नम्रता:- मज़ा आएगा दीदी।


अगले दिन पलक ने अपना बैग खुद तैयार किया। नम्रता तो पहले ही अपने लोगो को भेज चुकी थी, जो पलक के कैंटीन आने से पहले पता लगा कर रखते की कौन सा ग्रुप पलक, चित्रा और निशांत को मारने वाले है, ताकि तोड़ते वक़्त कोई कन्फ्यूजन ना हो।


नीरज और विनीत ने कल शाम 10 लड़को के साथ पिटने गया था, लेकिन आज 40 लड़के लेकर आया था, यह सोचकर कि कॉलेज का माहौल है और पाता नहीं शायद 10-15 दोस्त निशांत भी लेकर आए। जैसे ही नम्रता को पुष्टि हो गई 40 लड़के है, उसके 60 लोग पहले से ही कैंटीन के आसपास जाकर फ़ैल गए।


पहला क्लास खत्म होने के बाद पलक अपने बैग का चैन खोली और नजरे बस प्रतीक्षा कर रही थी कि कब ये लोग आए। ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा था और कैंटीन आने वाले रास्ते पर ही दूर से वो दिख गये।


पलक तेजी से दौड़ लगती अपने बैग से 1 मीटर की चाबुक निकल ली। जिसके चमड़े के ऊपर कांटेदार पतली तार लगी हुई थी। नीरज और विनीत कुछ कह पाते उससे पहले ही पलक ने आधे मीटर की दूरी से चाबुक चलना शुरू कर दिया।


जब वो चाबुक चला रही थी, देखने वाले स्टूडेंट ने अपने दातों तले उंगलियां दबा ली। सटाक की आवाज के साथ चाबुक पड़ते और अंदर का मांस लेकर निकल आते। पलक ने तबीयत से नीरज और वीनित को चाबुक मारना शुरू कर दिया था।


नीरज और वीनीत हर चाबुक पड़ने के बाद छिलमिलाते हुए दर्द भारी चींख निकालते और मदद के लिए अपने दोस्तो को गुहार लगाते। लेकिन चाबुक का दर्द इतना अशहनिया था कि नीरज और विनीत को पता ही नहीं चला कि जब उन्हें पलक के हाथ का पहला हंटर लग रहा था, ठीक उसी वक़्त उसके पीछे नम्रता के भेजे सभी लोगो ने नीरज के साथ आए मार करने वाले स्टूडेंट को तोड़ दिया था।


पलक दोनो को उसके औक़ाद अनुसार हंटर मारकर, हंटर को वापस बैग में रखी। पलक की नजर साफ देख पा रही थी कि जब वो हंटर चला रही थी, कैसे कॉलेज का एक समूह उसे घुरे जा रहा था। पलक अपना काम खत्म करके नीरज और विनीत के पास पहुंची और उसके मुंह पर अपना लात रखती हुई कहने लगी… "अगली बार हमारे आसपास भी नजर आए तो फिर से मारूंगी।"..


निशांत, पलक के पास पहुंचते…. "एक को तो छोड़ देती, मै ठुकाई कर देता, कम से कम इसी बहाने कोई लड़की तो इंप्रेस हो जाती।"..


पलक:- कल तुम्हे वो सीएस वाली लड़की हरप्रीत बड़े गौर से देख रही थी। तुमने ध्यान नहीं दिया। निशांत खुशी से उसके दोनो गाल खिंचते… "यू आर सो स्वीट। तुम्हे कोई पसंद हो तो बताना मै हेल्प कर दूंगा।"


चित्रा:- ये तो गया काम से अब हफ्तों तक दिखेगा नहीं।


चित्रा और पलक बातें करती वहां से जा ही रही थी कि तभी वहां प्रिंसिपल अपनी पूरी टीम के साथ पहुंच गए। प्रिंसीपल जैसे ही वहां पहुंचा, पीछे से नम्रता और भूमि भी वहां पहुंच गई।


भूमि प्रिंसिपल को देखते हुए कहने लगी…. "क्या देख रहे हो मसूद, ये हमारी नेक्स्ट जेनरेशन है। तुम कुछ सोचकर तो नहीं आए थे इनके पास।"..


मसूद:- भूमि ये कॉलेज है। छोटे मोटे झगड़े तक तो ठीक है लेकिन आज जो इस कैंपस में हुआ…


भूमि:- पलक, चित्रा तुम दोनो जाओ। जो भी हुआ उसमे उन लौडों की गलती थी। उनके गार्डियन को संदेश भेज दो, उनके बच्चे ग्रुप बनाकर बाहर लड़को की पिटाई करते है, जिसका नतीजा ये हुआ है कि यहां के लोकल लोग कॉलेज में घुसकर मार कर रहे है। पुलिस कार्यवाही होती तो मजबूरन उन्हें रस्टीकेट करना पड़ता इसलिए कोई एक्शन नहीं ले पाए।


मसूद:- हम्मम ! ठीक है ऐसा ही होगा। भूमि वो सरदार ने तेजस से कुछ कहा था, उसपर तुम लोगों का क्या विचार बना।


भूमि:- मसूद हम दोनों ही बंधे है। अगर सरदार चाहता है तो हम मदद के लिए आएंगे। लेकिन सोच लो तुम दूसरे के इलाके में घुसोगे, फिर वो तुम्हारे इलाके में घुसेंगे और यदि आम लोग परेशान हुए तो हम तुम दोनो के इलाके में घुसेंगे। जो भी फैसला हो बता देना।


मसूद:- ठीक है मै सरदार से बात करता हूं।


भूमि प्रिंसिपल से बात करके वहां से निकल गई। दोनो लड़कियां भी आराम से बैठकर कॉफी पीने लगी।…
To ye bawala tha fight wala. Lagta hai ab bahut jldi apna hero bhi wapas aane wala hai. Mujhe to uske waha seniklne ki story janane me jayada intrest hai. Aur ye palak hi to kahi apne hero ki heroin to nahi hai. Ab ye sb to aage hi pata chlega. Bs wait hi kar skte hai dekhte hai kya hoga.
Tino Updates bahut hi mast awsm the bhai maja aa gaya.
 
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