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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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The king

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भाग:–6



"कॉलेज में नाबालिक लड़की के साथ छेड़छाड़, बीच बचाव करने पुलिस पहुंची तो उसपर भी हमले। 4 कांस्टेबल और एक एस.आई घायल।"..

"नेशनल कॉलेज में एक और रैगिंग का मामला। पीड़ित ने अपनी प्राथमिकता दर्ज करवाई।"

"दिन दहाड़े 2 बाइक सवार ने एक महिला के गले से उसके मंगलसूत्र उड़ा कर फरार हो गए। पुलिस अभियुक्तों कि तलाश में जुटी।"

"दो गुटों में झड़प, मुख्य मार्ग 6 घंटे तक रहा जाम। डीएम मौके पर पहुंचकर मामले का संज्ञान लिए और दोनो पक्षों को शांत करवाकर वहां से हटाया।"

___________________________________________



कमिश्नर कार्यालय, नागपुर… महाराष्ट्र होम मिनिस्टर और नागपुर के नए पुलिस कमिश्नर राकेश नाईक की बैठक।


तकरीबन 3 घंटे की बैठक और बढ़ते क्राइम को देखते हुए लिया गया अहम फैसला। मंत्री जी के जाने के बाद कमिश्नर राकेश नाईक की प्रेस मीटिंग। प्रेस कॉन्फ्रेंस के मुखातिर होते हुए, कमिश्नर साहब रिपोर्टर्स के सभी सवालों पर विराम लगाते… "हम लोग जिला एसपी का कार्यभार बदल रहे है, आने वाले एक महीने में इसके सकारात्मक परिणाम भी देखने को मिल जाएंगे।"


तकरीबन 3 दिन बाद, नागपुर पुलिस एसपी ऑफस का मीटिंग हाल। सामने 28 साल के बिल्कुल यंग आईपीएस, राजदीप भारद्वाज। जिले के सभी थाना अधिकारी सामने कुर्सी पर बैठे हुए। छोटी सी जान पहचान कि फॉर्मल मीटिंग।


राजदीप, छोटी सी फॉर्मल मीटिंग करने के बाद…. "यहां पहले क्या होता था वो मै नहीं जानता। लेकिन अब से मेरे कानो में केवल एक ही बात आनी चाहिए, नागपुर पुलिस बहुत सक्रिय है। और ये बात आपमें से किसी को बताने की जरूरत नहीं है, लोगों के दिल से निकलनी चाहिए ये बात। जो भी इस सोच के साथ काम करना चाहते है उनका स्वागत है। और जो खुद को बदल नहीं सकते, उनके लिए केवल इतना ही, जल्द से जल्द नई नौकरी ढूंढ़ना शुरू कर दो।"


एसपी ऑफिस से बाहर निकलते वक़्त लगभग सभी थाना अधिकारी ऐसे हंस रहे थे, मानो एसपी ऑफिस से कोई कॉमेडी शो देखकर निकले हैं। हां शायद यही सोच रहे हो, अकेला एसपी कर भी क्या सकता है। लेकिन वो भुल गए की उस 28 साल के लड़के के पास आईपीएस का दिमाग है। उसी शाम चैन स्नैचिंग के लगभग 800 मामले को राजदीप ने अपने हाथ में लिया। अपनी अगुवाई में टीम बनाई जिसमें 20 एस आई और 200 सिपाही थे। सभी के सभी फ्रस्ट्रेट पुलिस वाले जिनका सर्विस बुक में इन डिसिप्लिन होने का दाग लगा हुआ था।


4 दिन की कार्यवाही, और जो ही चोर उचक्कों को पुलिस ने दौरा-दौरा कर मारा। यहां तो केवल राजदीप ने 800 मामले को अपने हाथ में लिया था और जब पुलिस की ठुकाई हुई तो 1800 मामलों में इनका नाम आया। पूरे नागपुर में 12 चैन स्नेचर की गैंग और 108 लोगो की गिरफ्तारी हुई थी। इसके अलावा 17 दुकानों को चोरी का माल खरीदने के लिए सील कर दिया गया था और उनके मालिकों को भी हिरासत में ले लिया गया था।


आते ही हर सुर्खियों में केवल राजदीप ही राजदीप छाए रहे। जिस डिपार्टमेंट को काम ना करने की आदत सी पड़ चुकी थी। जिनकी लापरवाही और मिली भगत का यह नतीजा था कि क्रिमिनल थाने के सामने से चोरी करने से नहीं कतराते थे, उन सब पुलिस वालों पर गाज गिरना शुरू हो गया था। नौकरी तो बचानी ही थी अपनी, इसलिए जो भी क्रिमिनल अरेस्ट होते थे सब के सब पुखते सबूतों के साथ।


एक महीने के पूरी ड्यूटी के बाद तो जैसे नागपुर शहर का क्राइम ग्राफ ही लुढ़क गया हो। जितने भी टपोरी थे या तो उन्होंने धंधा बदल लिया या शहर। जो समय कमिश्नर ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिया था, उसके खत्म होते ही उन्होंने फिर एक कॉन्फ्रेंस किया, लेकिन इस बार सवाल कम और तारीफ ज्यादा बटोर रही थी नागपुर पुलिस।


सुप्रीटेंडेंट साहब जितने मशहूर नागपुर में हुए, उतने ही अपने परिवार के भी चहेते थे। पिताजी हाई स्कूल में प्रिंसिपल के पोस्ट से रिटायर किए थे और माताजी भी उसी स्कूल में शिक्षिका थी। राजदीप का एक बड़ा भाई कमल भारद्वाज जो यूएस में सॉफ्टवेर इंजिनियर है अपने बीवी बच्चों के साथ वहीं रहता था।


दूसरा राजदीप जो सुप्रीटेंडेंट ऑफ पोलिस है। राजदीप से छोटी उसकी एक बहन नम्रता, जो पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद पीएचडी करना चाह रही थी, लेकिन राजदीप के नागपुर पोस्टिंग के बाद अपने दोस्तों को छोड़कर यहां के यूनिवर्सिटी में अप्लाई करना पड़ा। और सबसे आखरी में पलक भारद्वाज, 1 साल की तैयारी के बाद अपने इंजीनियरिंग एंट्रेंस टेस्ट देकर उसके परिणाम का इंतजार कर रही थी।


शुरू से ही घर का माहौल पठन-पाठन वाला रहा, इसलिए राजदीप को पढ़ने का अनुकूल माहौल मिला और वो 24 साल की उम्र में अपना आईपीएस क्लियर करके ट्रेनिंग के लिए चला गया। ट्रेनिंग के बाद उसे 26 साल में पहली फील्ड पोस्टिंग मिली थी, और 2 साल बाद ही महाराष्ट्र के प्रमुख शहर नागपुर की जिम्मेदारी।


रविवार की सुबह थी। राजदीप बाहर लॉन में बैठकर पेपर पढ़ रहा था, उसकी पहली छोटी बहन नम्रता चाय लेकर उसके पास पहुंची… "क्या पढ़ रहे हो दादा, अखबार में तो केवल आपके ही चर्चे हैं। अब एक काम करो शादी कर लो।"..


राजदीप:- कितने पैसे चाहिए।


नम्रता:- क्या दादा, आपको क्यों ऐसा लग रहा है कि मै आपसे पैसे मांगने आयी हूं।


राजदीप:- फिर क्या बात है।


नम्रता:- दादा पलक ने नेशनल कॉलेज में एडमिशन ले लिया है, वो तो पता ही होगा ना।


राजदीप:- हां पता है, उसने इंट्रेस में टॉप मार्क्स मिले थे, मैंने अपने साथियों में मिठाई भी बंटवाई थी।


नम्रता:- दादा वो कॉलेज रैगिंग के लिए मशहूर है और मुझे बहुत डर लग रहा है। आप तो पलक को जानते ही हो, इसलिए क्या आप पुरा हफ्ता उसे कॉलेज ड्रॉप कर सकते हैं?


राजदीप:- नम्रता वो कॉलेज है, वहां पुलिस का क्या काम। देखो मै पलक को केवल वहां एक हफ्ते छोड़ने जाऊंगा, लेकिन वो अगले 4 साल उस कॉलेज में जाने वाली है। थोड़ा बहुत रैगिंग से जूनियर्स, सीनियर्स के पास आते हैं, वो जायज है। हां उसके ऊपर जब जाए तब मैं हूं, चिंता मत करो। कल पहला दिन है तो मै ही चला जाऊंगा। वैसे ये रहती कहां है आजकल।


नम्रता:- घर में ही होगी जाएगी कहां, रुको बुला देता हूं।


राजदीप:- नहीं रहने दे, उसका यहां बैठना और ना बैठना दोनो एक जैसा होगा। मुझे तो कभी-कभी लगता है आई–बाबा का एक बच्चा हॉस्पिटल में बदल गया था।


नम्रता:- क्या दादा, सुनेगी तो बुरा लगेगा।


राजदीप:- हां लेकिन गुस्सा तो हो, झगड़ा तो करे। वो बस इतना ही कहेगी हर किसी का स्वभाव एक जैसा नहीं होता और बात खत्म।


अगले दिन सुबह-सुबह राजदीप पलक के साथ नेशनल कॉलेज के लिए निकला।..


राजदीप:- सो क्या ख्याल चल रहे है पहले दिन को लेकर।


पलक:- कुछ नहीं दादा, थैंक्स आप साथ आए।


राजदीप:- हद है, अब भाई को भी थैंक्स कहेगी। अच्छा सुन कोई रैगिंग करे तो मुझे बताना।


पलक:- हां बिल्कुल।


राजदीप कुछ दूर आगे चला होगा तभी उसे लंबा जाम दिखा।… "पलक 2 मिनिट गाड़ी में बैठ मै अभी आया।".. लगभग 200 मीटर जाम को पार करने के बाद राजदीप जैसे ही चौराहे पर पहुंचा, वहां का माहौल देखकर वो दंग रह गया। ऊपर से जब वो आगे बढ़ने लगा, तभी एक आदमी उसके सीने पर हाथ रखते… "साले तेरेको दिख नहीं रहा, भाई इधर धरना दे रयले है।"


राजदीप ने ऐसा तमाचा दिया कि उसके गाल पर पंजे का निशान छप गया। कुछ देर तक तो उसका सर नाचने लगा और तमाचा इतना जोरदार था कि वहां तमाचा की आवाज गूंज गई। सभी गुंडे उठकर खड़े हो गए। इसी बीच थाने और कंट्रोल रूम से पुलिस का भारी जत्था पहुंच गया। राजदीप एक कार के बोनट पर अपनी तशरीफ़ को टिकाते हुए, अपने आखों पर चस्मा डाला…. "जबतक रुकने के लिए ना कहूं, ठोकते रहो इनको।"


चारो ओर से घिरे होने के कारण भाग पाना काफी मुश्किल हो रहा था। इसी बीच पुलिस की टीम ने आदेश मिलते ही जो ही डंडे बरसाने शुरू किए, तबतक नहीं रुके जबतक राजदीप ने रुकने का इशारा नहीं किया।… "इसके गैंग लीडर को सामने लेकर आओ"…


सामने लोकल एरिया का मशहूर गुंडा और यहां के लोकल एमएलए का खास आदमी, इमरान कुरैशी को लाकर खड़ा कर दिया… "साले ज्यादा फिल्मी हो रहा है। अगली बार कहीं सड़क जाम करता हुआ दिखा ना तो किसी काम का नहीं छोडूंगा। इंस्पेक्टर यहां का ट्रैफिक क्लियर करो और इन सबको हॉस्पिटल लेकर जाओ।"


राजदीप जाम क्लियर करवाकर वापस अपने गाड़ी में आया और पलक के साथ उसे कॉलेज छोड़ने के लिए चल दिया। कॉलेज का कैंपस देखकर राजदीप कहने पर मजबूर हो गया… "ये लोग कॉलेज चला रहे है या 5 स्टार होटल। तभी आजकल इंजिनियरिंग इतनी मेंहगी हो गई है।"..


पलक:- दादा आप जाओ, मै अपना क्लास ढूंढ लूंगी।


राजदीप:- क्या है पलक, मै यहां तेरे लिए आया हूं और तू है कि मुझे ही भगा रही है। चल आज मै तुम्हारी हेल्प कर देता हूं।


पलक:- ठीक है दादा।


राजदीप वहां से ऑफिस गया और ऑफिस से पलक के सारे क्लास का पता लगाकर उसे दोबारा रैगिंग के विषय में समझाकर, वहां से वापस अपने ऑफिस पहुंचा। राजदीप जैसे ही अपने केबिन में पहुंचा ठीक उसके पीछे संदेशा भी पहुंचा… "एमएलए साहब मिलना चाह रहे थे।"..


राजदीप कुछ फाइल पर साइन करने के बाद एमएलए आवास पर पहुंचा। सामने से उसे सैल्यूट करते हुए… "सर आपने मुझे यहां बुलाया।"..


एमएलए:- सुना है सड़क पर तुमने आज खूब एक्शन दिखाया।


राजदीप:- गलत सुना है सर। आज अपनी बहन को कॉलेज ड्रॉप करने गया था तो थोड़ा जल्दी में था इसलिए केवल वार्निग देकर छोड़ा दिया, कहीं वर्दी में होता तो उसे काल के दर्शन करवाता।


एमएलए:- जवान खून हो और तन पर सुप्रीटेंडेंट की वर्दी। नतीजा तो ऐसा ही होना है। तुम्हे पता है महाराष्ट्र के असेम्बली में मेरा क्या योगदान है। मेरे 72 एमएलए सपोर्ट के साथ ये असेम्बली चल रही है, इधर मैंने अपना हाथ खींचा और उधर इलेक्शन शुरू। तू जानता नहीं मै क्या करवा सकता हूं?


राजदीप:- आराम से बैठकर बातें करें या अपनी कुर्सी का सॉलिड अकड़ है?


एमएलए:- पॉलिटिक्स में अकड़ नहीं बल्कि अक्ल काम आती है, आओ मेरे साथ।


दोनो एमएलए के प्राइवेट चैंबर में बैठते हुए… "हां अभी कहो।"..


राजदीप:- सुनो कृपा शंकर गोडबोले, मुझे शहर कि सड़कें साफ चाहिए। आम जनता परेशान होते नजर नहीं आने चाहिए। मर्डर मतलब उस क्राइम को रिवर्स नहीं किया जा सकता, किसी की जिंदगी नहीं लौटाया जा सकती, इसलिए किसी का मर्डर नहीं चाहिए। ड्रग्स जैसे कारोबार नहीं चाहिए। इसके अलावा कुछ भी करो मै कुछ नहीं कहने आऊंगा। बात समझ में आ गई हो तो 10 करोड़ के एनुअल बजट के साथ डील फाइनल करो वरना बौधायन भारद्वाज के वंशज के बारे में एक बार पता कर लेना।


एमएलए, ने जैसे ही बौधायन भारद्वाज का नाम सुना, राजदीप को आंखे फाड़कर देखते, "उज्ज्वल भारद्वाज के बेटे हो क्या?"… राजदीप ने जैसे ही हां मे सर हिलाया, एमएलए... "मुझे माफ़ कर दो, मै तुम्हे पहचान नहीं पाया। मुझे तुम्हारी हर शर्त मंज़ूर है। लेकिन 10 करोड़ थोड़ा ज्यादा नहीं लग रहा, अब थोड़े बहुत काम से मै कितना पैसा बना पाऊंगा। इसे 5 करोड़ कर दो प्लीज।"


राजदीप:- कृपा शंकर सर, ये चिंदी काम से आपका पेट थोड़े ना भरता है। मुझे मजबूर ना करे अपने रिस्ट्रिक्शन के दायरे बढ़ाने में वरना फिर मै पहले मिलावटी चीजों पर ध्यान दूंगा। फिर शिकंजा बढ़ेगा बैटिंग पर। फिर दायरा बढ़ेगा ब्रांडेड प्रोडक्ट्स के पायरेसी के धंधे पर। और वो जो नेशनल कॉलेज को चकाचक करवाकर जो इतना डोनेशन कमा रहे, उस जैसे फिर ना जाने कितने सरकारी कॉलेज है, जहां तुमने एडवांस फीचर्स के नाम पर बैक डोर से मोटी रकम वसूली है, और वसूलते रहोगे...


एमएलए:- आप तो ज्ञानी है प्रभु। ठीक है डील तय कर दिया, आज से पुरा नागपुर आपका। जो आप कहेंगे वहीं होगा।


राजदीप:- मै तो पूरे भारत में जो कहूंगा वो होगा, लेकिन वो क्या है ना कृपाशंकर, हम यदि अपनी मांगे नाजायज रखेंगे तो अपना वैल्यू ही खत्म हो जाएगा। बाकी पुलिस और पॉलिटिक्स में तो पॉलिटीशियन को इतनी सेवा पुलिस की करनी ही पड़ती है।


एमएलए:- हव साहेब.. आप जैसा बोलो।


राजदीप:- ठीक है सर अब मै चलता हूं, आपके वाहट्स ऐप पर मैंने अपनी बहन की तस्वीर भेज दी है, आपकी छत्र छाया वाले कॉलेज में है, देखिएगा कोई हरासशमेंट का केस ना आए, बाकी छोटी मोटी रैगिंग के लिए मै पढ़ने वालों को परेशान नहीं करता।


एमएलए:- आप जाइए राजदीप सर, कॉलेज में इन्हे कोई परेशानी नहीं होगी।


शाम को ऑफिस से लौटते वक़्त राजदीप अपनी बहनों के लिए कुछ खरीदारी करता हुआ चला। वो जब रास्ते में था तभी कमिश्नर राकेश का फोन आ गया… "जी सर कहिए।"


राकेश:- क्यों रे मैंने सुना है आज एमएलए से मिलकर आया। ये तो कमाल ही हो गया। मतलब हम कमिश्नर ऑफिस में और तू पॉलिटीशियन की गोद में। वो भी पॉलिटीशियन कौन तो कृपाशंकर।


राजदीप:- मै आता हूं ना सर आपके घर।


राकेश:- छोड़ मै ही आता हूं तेरे घर। वैसे भी आजकल डीसी ऑफिस से ज्यादा तो एसपी ऑफिस छाया हुआ है नागपुर में।


राकेश:- जैसा आप सही समझो साहेब। मै भी ऑफिस से निकल गया।


राजदीप अपना सारा प्लान कैंसल करते हुए, नागपुर के सबसे मशहूर रेस्त्रां से मटन, नान और नाना प्रकार के व्यंजन पैक करवाकर सीधा घर पहुंचा। रात के ठीक 8 बजे नए प्रमोटेड कमिश्नर साहब अपने पूरे परिवार के साथ राजदीप के घर पहुंचे।
Nice update bhai
 

The king

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भाग:–7


जैसे ही वो घर पहुंचे राजदीप समेत उसकी दोनो बहने जाकर उनके पाऊं छू ली। इधर राकेश और उसकी पत्नी निलांजना भी जाकर राजदीप के माता पिता से मिलने लगे। राजदीप की मां और राकेश की पत्नी दोनो सगी बहने थी और कमिश्नर साहब राजदीप के मौसा जी। पुलिस का काम ऐसा था कि पूरे परिवार का मिल पाना नहीं हो पता था, हां लेकिन फोन पर अक्सर ही बातें हुआ करती थी। राजदीप अपने मौसा से ही इंस्पायर्ड होकर आईपीएस को तैयारी करने गया था। बड़े से डाइनिंग टेबल पर दोनो परिवार बैठा हुए था। चित्रा और निशांत भी वहीं बैठे हुए थे और खामोशी से सबकी बातें सुन रहे थे।…


नम्रता, खाने का प्लेट लगाती…. "दादा फोन पर तो ये निशांत और चित्रा आधा घंटा कान खा जाते थे, आज दोनो मूर्ति बनकर बैठे है। चित्रा, निशांत सब ठीक तो है ना।"…


राकेश:- इन दोनों को कुलकर्णी कीड़े ने काटा है, इसलिए कुछ नहीं बोल रहे।


राजदीप:- कौन वो डीएम केशव कुलकर्णी।


राकेश:- हां उसी का नकारा बेटे के सोक में दोनो सालों से पागल हुए जा रहे है।


राजदीप की मां अक्षरा भारद्वाज…. "छी छी, उस घटिया परिवार से तुमलोग रिश्ता भी कैसे रख सकते हो।"


"पापा हमे ये सब सुनाने के लिए लाए थे। तुझे मटन का स्वाद लेना है तो लेते रह निशांत, मै जा रही।"… चित्रा गुस्से में अपनी बात कहकर खाने के टेबल से उठ गई। उसी के साथ निशांत भी खड़ा होते.… "रुक चित्रा मै भी चलता हूं।"..


पलक:- "बैठ जाओ दोनो आराम से। जिस बात की वजह नहीं जानते उस बात को पहले पूछ लो। पीछे की कहानी जान लो, ताकि तुम्हे उसमे अपना कुछ विचार देना हो तो विचार दे दो और फिर ये कहकर उठो की आप बड़े है, मै उल्टे शब्दों में आपको जवाब नहीं दे सकता इसलिए मजबूरी में उठकर जाना पड़ रहा है।"

"देखा जाए तो तुमने आई की बात का जवाब इसलिए नहीं दिया, क्योंकि तुम्हे रिश्ते ने खटास नहीं चाहिए, लेकिन ऐसे उठकर चले गए तो तुम्हारे पापा को बेज्जती झेलनी होगी। उनसे सवाल किए जाएंगे कि कैसे संस्कार दिए अपने बच्चो को। तुमने इज्जत के कारण उठकर जाने का निर्णय लिया, किन्तु यहां बात कुछ और हो जाएगी। इसलिए आराम से बैठ जाओ और सवाल करो, जवाब दो, फिर विनम्रता से उठकर चले जाना।"


पलक की बात सुनकर दोनो भाई बहन बैठ गए। और निशांत अपनी मासी को सॉरी कहते हुए कहते पूछने लगा… "मासी आप उस परिवार के बारे में क्या जानते है।"..


अक्षरा भारद्वाज:- "बेटा उस केशव कुलकर्णी की पत्नी जो है ना जया, उसकी एक बड़ी बहन है यहीं नागपुर में रहते है, मीनाक्षी भारद्वाज और उसके पति का नाम है सुकेश भारद्वाज। सुकेश भारद्वाज जो है वो और राजदीप के बाबा उज्जवल दोनो खास चचेरे भाई है।"

"तेरे 3 मामा है। जिसमें से तेरे जो सबसे छोटे वाले मामा थे, उनकी मौत का कारण वही उसकी बहन जया है। तेरे छोटे मामा और जया का लगन तय हो गया था, लेकिन शादी के एक दिन पहले उसकी बड़ी बहन मीनाक्षी ने अपनी बहन जया को भगा दिया। तेरे छोटे मामा बेज्जती का ये घूंट पी नहीं पाए और उन्होंने आत्महत्या कर ली। नफरत है हमे उस परिवार से। उसका नाम सुनती हूं तो तेरे छोटे मामा याद आ जाते है।"


चित्रा:- पलक तुम्हारा धन्यवाद, तुमने सही वक़्त पर बिल्कुल सही बातें बताई। मासी आपको जो मानना है वो आप मानती रहे, और यहां बैठे जितने भी लोग है। मै इसपर कुछ नही कहूंगी, नहीं तो आप सबकी भावनाओ को ठेस पहुंचेगा। आर्यमणि हमारा दोस्त है और जिंदगी भर हमारा दोस्त रहेगा।


राजदीप:- सिर्फ दोस्त ही है ना..


चित्रा:- हमे साथ देखकर शायद आपको कन्फ्यूजन हो सकता है लेकिन हम दोनों के बीच कोई कन्फ्यूजन नहीं है भईया। वैसे हमने एक बार सोचा था रिलेशनशिप स्टेटस बदलने का। लेकिन फिर समझ में आया, हम पहले ही अच्छे थे।


राजदीप:- अच्छा हम से तो वजह जान लिए तुम बताओ कि तुम दोनो उसके लिए इतने मायूस क्यों हो?


निशांत:- मेरे पापा गंगटोक के अस्सिटेंट कमिश्नर रह चुके है, उनसे पूछ लीजिएगा डिटेल कहानी आपको पता चल जाएगा। हमारा दोस्त आर्यमणि बोलने में विश्वास नहीं रखता, केवल करने में विश्वास रखता है।


खाने के टेबल पर फिर बातों का दौड़ चलता रहा। काफी लंबे अरसे के बाद दोनो परिवार मिल रहे थे। सब एक दूसरे से घुलने मिलने लगे। चित्रा और निशांत के मन का विकार भी लगभग निकल चुका था, वो भी अपने मौसेरे भाई बहन से मिलकर काफी खुश हुए।


बातों के दौरान यह भी पता चला की पलक, निशांत और चित्रा तीनों एक ही कॉलेज में एडमिशन लिए है। जहां पलक और निशांत दोनो मैकेनिकल इंजिनियरिंग कर रहे है वहीं चित्रा कंप्यूटर साइंस पढ़ रही थी।


रात के लगभग 12 बज रहे थे। चित्रा, निशांत के कमरे में आकर उसके बिस्तर पर बैठ गई… "सालों बित गए, आर्यमणि ने एक बार भी फोन नहीं किया।"


निशांत:- कल अंकल (आर्यमणि के पापा) ने फोन किया था, रो रहे थे। आर्यमणि जबसे गया, किसी से एक बार भी संपर्क नहीं किया।


चित्रा:- कमाल की बात है ना निशांत, आर्य नहीं है तो हम सालों से झगड़े भी नहीं।


निशांत:- मन ही नहीं होता तुझे परेशान करने का चित्रा। अंकल बता रहे थे मैत्री के मरने का गहरा सदमा लगा था उसे।


चित्रा:- कहीं वो सारे रिश्ते नाते तोड़कर विदेश में सैटल तो नहीं हो गया। निशांत एफबी प्रोफाइल चेक कर तो आर्य की। कहीं कोई तस्वीर पोस्ट तो नहीं किया वो?


निशांत:- कर चुका हूं, नहीं है कोई पिक शेयर। वैसे एक बात बता, केमिकल इंजीनियरिंग के लिए तुमने आर्य का माइंड डायवर्ट किया था ना?


चित्रा:- नहीं मै तो केमिकल इंजिनियरिंग लेने वाली थी, उसी ने मुझसे कहा कि कंप्यूटर साइंस करते है। तकरीबन 5 महीने तक मुझे समझता रहा मै फिर भी नहीं मानी।


निशांत:- फिर क्यों ले ली..


चित्रा:- एक छोटा सा सरप्राइज। बस इसी खातिर ले ली।


निशांत:- तू भी ना पूरे पागल है।


चित्रा:- हां लेकिन तुम दोनो से कम… वो अजगर वाला वीडियो लगा ना.. उसका एक्शन देखते है।


दोनो भाई बहन फिर एक के बाद एक ड्रोन कि रेकॉर्डेड वीडियो देखने लगे। वीडियो देखते देखते दोनो को कब नींद आ गई पता ही नहीं चला। दोनो भाई बहन सुबह-सुबह उठे और आराम से नेशनल कॉलेज के ओर चल दिए। कैंपस के अंदर कदम रखते ही चारो ओर का नजारा देखकर… "हाय इतनी सारी तितलियां.. सुन ना चित्रा एक हॉट आइटम को अपनी दोस्त बना लेना और उससे मेरा इंट्रो करवा देना।"


चित्रा:- मै भी उस आइटम से पहले इंक्वायरी कर लूंगी उसका कोई भाई है कि नहीं जिसने उससे भी ऐसा ही कुछ कहा हो। थू, कमीना…


निशांत:- जा जा, मत कर हेल्प, वैसे भी यहां का माहौल देखकर लगता नहीं कि तेरे हेल्प की जरूरत भी होगी।


चित्रा:- अब किसी को हर जगह जूते खाने के शौक है तो मै क्या कर सकती हूं। बेस्ट ऑफ लक।


दोनो भाई–बहन बात करने में इतने मशगूल थे कि सामने चल रहे रैगिंग पर ध्यान ही नहीं गया, और जब ध्यान गया तो वहां का नजारा देखकर… "ये उड़ते गिरते लोग क्या कर रहे है यहां।"..


निशांत:- इसे रैगिंग कहते है।


चित्रा, निशांत का कांधा जोर से पकड़ती… "भाई मुझे ये सब नहीं करना है, प्लीज मुझे बचा ले ना।"..


निशांत:- अब तू आज इतने प्यार से कह रही है तो तेरी हेल्प तो बनती है। चल..


चित्रा:- नहीं तू आगे जाकर रास्ता क्लियर कर मै पीछे से आती हूं।


निशांत:- चल ठीक है मै आगे जाता हूं तू पीछे से आ।


निशांत आगे गया, वहां खड़े लड़के लड़कियों से थोड़ी सी बात हुई और उंगली के इशारे से चित्रा को दिखाने लगा। चित्रा को देखकर तो कुछ सीनियर्स ध्यान मुद्रा में ही आ गए। निशांत, चित्रा को प्वाइंट करके फिर आगे निकल गया। जैसे ही चित्रा, निशांत को वहां से निकलते देखी… "कितना भी झगड़ा कर ले, लेकिन निशांत मेरे से प्यार भी उतना ही करता है।"… चित्रा खुद से बातें करती हुई आगे बढ़ी। तभी वहां खड़े लड़के लड़कियां उसका रास्ता रोकते… "फर्स्ट ईयर ना"..


चित्रा:- येस सर


एक लड़का:- चलो बेबी अब जारा बेली डांस करके दिखाओ..


"हांय.. बेली डांस, लेकिन निशांत ने तो सब क्लियर कर दिया था यहां"… चित्रा अपने मन में सोचती हुई, सामने खड़े लड़के से कहने लगी… "सर जरूर कोई कन्फ्यूजन है, अभी-अभी जो मेरा भाई गया है यहां से, उसने आपसे कुछ नहीं कहा क्या?"


एक सीनियर:- कौन वो चिरकुट। हम तो उससे भी रैगिंग करवा लेते लेकिन बोला मै यहां थोड़े ना पढ़ता हूं, अपनी बहन को छोड़ने आया हूं। वो तुम्हारे क्लास वाइग्रह देखने गया है अभी। चल अब बेली डांस करके दिखा।


चित्रा अपनी आखें बड़ी करती… "कुत्ता कहीं का, इसे तो घर पर देखूंगी।"..


सीनियर:- क्या सोच रही है, चल बेली डांस कर।


चित्रा, नीचे से अपनी जीन्स 4 इंच ऊपर करती…. "सर नकली पाऊं से बेली डांस करूंगी तो मै गिर जाऊंगी, फिर लोग क्या कहेंगे। देखो पहले ही दिन कॉलेज में गिर गई।"..


एक लड़की:- तो क्या दूसरे दिन गिरेगी।


चित्रा:- मिस क्या पहला, क्या दूसरा, अब जब पाऊं ही नहीं है तो कभी भी गिरा दो क्या फर्क पड़ता है। जिस बाप को अपना सरनेम देना था उसने अनाथालय की सीढ़ियां दे दी, सिर्फ इस वजह से कि मेरा एक पाऊं है ही नहीं। जब अपना खुद का बाप एक अपाहिज का दर्द नहीं समझा तो तुम लोग क्या समझोगे। अकेला छोड़ दिया ऐसे दुनिया में जहां किसी अनाथ और खुस्बसूरत लड़की को हर नजर नोचना चाहता हो। बेली डांस के बदला ब्रेक डांस ही करवा लो, जब मेरे नकली पाऊं बाहर निकल आएंगे तो तुम सब जोड़-जोड़ से हंसना।


सामने से एक लड़का फुट फुट कर रोते हुए… "सिस्टर, दबाकी मेरा नाम है, यहां मै सबको दबा कर रखता हूं। तुम बिंदास अपने क्लास जाओ, तुम्हे पूरे कॉलेज में कोई आंख उठाकर भी नहीं देखेगा।"


इधर निशांत उन लड़कों को झांसा देकर जैसे ही आगे बढ़ा, उसे पलक मिल गईं… "कैसी हो पलक"


पलक:- अच्छी हूं।


निशांत:- तुम्हारी रैगिंग नहीं हुई क्या?


पलक:- शायद दादा ने यहां सबको पहले से वार्निग दे दिया हो। कॉलेज के गेट से लेकर यहां तक सब सलाम ठोकते ही आए है।


निशांत:- हा हा हा हा.. सुप्रीटेंडेंट साहब की बहन आयी है। वो भी कोई ऐसा वैसा पुलिस वाला नहीं बल्कि सिंघम के अवतार है राजदीप भारद्वाज।


पलक:- हेय वो तुम्हारी बहन के साथ रैगिंग कर रहे है।


निशांत:- कास रैगिंग कर पाए, मै तो विनायक को पूरे 101 रुपए की लड्डू चढ़ाऊंगा।


पलक:- ऐसा क्यों कह रहे हो, वो तुम्हारी बहन है।


निशांत:- मेरी तो बहन है लेकिन इन सबकी मां निकलेगी। इसकी रैगिंग कोई लेकर तो दिखाए।


पलक, निशांत की बातें सुनकर जिज्ञासावश सबकुछ देखने लगी। जैसे-जैसे चित्रा का एक्ट आगे बढ़ रहा था, उसकी हसी ही नहीं रुक रही थी। निशांत पीछे से पलक के दोनो कंधे पर हाथ देकर अपना चेहरा आगे लाते हुए… "देखी मैंने क्या कहा था।"..


पलक ने जैसे ही देखा की निशांत उसके कंधे पर हाथ रखे हुए है वो हंसते हंसते ख़ामोश हो गई और अपनी नजरे टेढ़ी करके निशांत की बातें सुनने लगी। निशांत को ख्याल आया कि उसने पलक के कंधे पर हाथ दिया है… "सॉरी मैंने कैजुअली कंधे पर हाथ रख दिया।"..


पलक:- कोई बात नहीं, बस मुझे दादा का ख्याल आ गया।


तभी इनके पास चित्रा भी पहुंच गई… "कमिने खुद तो मुझे छोड़ने का बहाना बनाकर बच गया, और मुझे फसा दिया। तू देख लेना यहां किसी भी लड़की से तूने बात तक की ना तो तेरी ठरकी देवदास की डीवीडी ना रिलीज कर दी तो तू देख लेना।"


पलक:- क्यों दोनो झगड रहे हो, चलो क्लास अटेंड करने। अभी तो शायद हम सब की क्लास साथ ही होगी ना।


चित्रा:- क्लास साथ हो या अलग पलक, लेकिन इसके साथ मत रहना। भाई के नाम पर कलंक है ये।


निशांत:- वो तो पलक ने भी सुना क्या-क्या साजिशें तुम कर रही। जलकुकड़ी कहीं की। तुझे इस बात से दिक्कत नहीं थी कि तेरा रैगिंग के लिए इन लोगो ने रोका। इनसे निपटने की तैयारी तो तू घर से करके आयी थी। तुझे तो इस बात का गुस्सा ज्यादा आया की मुझे क्यों नहीं रोका, मेरी रैगिंग क्यों नहीं ली?


पलक:- क्लास चले, बाकी बातें क्लास के बाद पूरी कर लेना।


तीनों ही क्लास में चले गए। पलक इन दोनों से मिलकर काफी खुश नजर आ रही थी। अंदर से मेहसूस हो रहा था चलो फॉर्मल लोग नहीं है। हालांकि एक खयाल पलक के मन में बार-बार आता रहा की आखिर मेरा भाई तो केवल एसपी है फिर किसी ने नहीं रोका, और इसके पापा तो कमिश्नर है, फिर क्यों इनकी रैगिंग हो रही है।"..
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The king

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भाग:–8

साथ में ये तीसरा दिन था कॉलेज का, जब पलक ने यह सवाल दोनो से पूछ ही लिया… सवाल सुनकर दोनो हंसने लगे। पलक दोनो का चेहरा देखती हुई… "क्या हुआ, कुछ गलत पूछ ली क्या?"


चित्रा:- नहीं कुछ गलत नहीं पूछी। निशांत पलक को इसका जवाब दे…


निशांत:- बस कभी ये ख्याल ही नहीं रहता की हम किसी पुलिस अधिकारी के बच्चे है। यहां तो स्टूडेंट है और हर स्टूडेंट की तरह हमारे भी एक परेंट है।


क्लास, पढ़ाई और भागती हुई ज़िन्दगी, यूं तो निशांत और चित्रा के पास ध्यान भटकाने के कई सारे साधन मिल चुके थे, लेकिन किसी ना किसी बातों से हर वक़्त आर्यमणि की यादें ताज़ा हो ही जाती थी। कॉलेज आकर दोनो भाई बहन के चेहरे के भाव बदले थे लेकिन अंदर की भावना नहीं।


गंगटोक से आए लगभग 3 साल से ऊपर हो गए थे और इतने लंबे वक्त में एक छोटी सी खबर नहीं आर्यमणि कि। कॉलेज शुरू हुए 2 महीने हो गए थे। 2 क्लास के बीच में इतना गैप था कि कम से 1 घंटा तो इनका कैंटीन में जरूर बिता करता था। चित्रा, पलक और निशांत तीनों बैठे थे.…


चित्रा:- अभी देखना हम लोग को सरप्राइज देते हुए आर्य सामने से आएगा।


निशांत:- पिछले 10 दिन से तू यहीं बोल रही है। अब कहेगी नहीं आज मेरी स्ट्रॉन्ग वाली फीलिंग कह रही है।


पलक:- वो देखो तुम्हारा दोस्त आर्य आ गया।


चित्रा और निशांत दोनो एक साथ सामने देखते… "क्या यार पलक, इसे भावनाओ के साथ खेलना कहते है। निशांत उस माधव को बुला जरा।"


ऊपर वाले की फैक्टरी में बाना विचित्र रचना। उम्र 18-19 साल लगभग, हाइट 5 फिट 9 इंच, वजह 38 किलो। निशांत उसे आवाज़ लगाते… "ए माधव इधर आ।"..


माधव ने एक नजर टेबल पर डाली और फिर अपनी नजरें नीची करते चुपचाप जाने लगा…. "क्या यार माधव नाराज है क्या"… माधव ने अब भी नजरदांज किया।


चित्रा:- माधव यहां आओ वरना हम तुम्हारे बाबूजी को फोन अभिए लगा देंगे हां।


माधव, उन तीनों के पास बैठते…. "काहे आपलोग हमको तंग करते है। हमे जाने दीजिए ना।"..


चित्रा:- सुन ना माधव, मझे फिजिक्स और मैथमेटिक्स में हेल्प कर दे ना।


माधव:- देखिए भगवान ने हमको कुरूप बनाया है, कोई बॉडी पर्सनैलिटी नहीं दी है, इसका ये मतलब नहीं कि आप सब हमरा मज़ाक उड़ाए।


चित्रा:- अबे ओय घोंचू, तेरा कब मज़ाक उड़ाये बे।


माधव:- कल यहीं पास वाला टेबल पर बैठे थे। अपने क्लास की वो निधि और उसके दोस्तों ने आप लोगो की तरह ही बुलाया था। और हम बस रोए नहीं, भरी महफिल में ऐसा मज़ाक बनाया। कल वो थी आज आप है।


निशांत:- मज़ाक तो हम भी तुम्हारा बनाते माधव। आखिर कांड ही ऐसे किए थे। प्रेम पत्री दिए मेरी बहन को, हां।


माधव:- सॉरी खाली दोस्ती का लेटर था। पहले कभी इतनी सुंदर लड़की से बात नहीं किए थे। जिससे भी करने कि कोशिश किए, सबने खाली मज़ाक ही उड़ाया। चित्रा से 2-4 बार बात हुई थी सब्जेक्ट को लेकर, तो हम सोचे कहीं हमसे दोस्ती कर ले। अकेले रहते है ना, इसलिए फील होता है। हमारा तो रूममेट भी हमसे बात नहीं करता।


चित्रा:- दोस्ती में तो कोई हर्ज नहीं है माधव, लेकिन मै करूंगी मज़ाक और तुम हो जाओगे सीरियस, और किसी भोले इंसान का दिल नहीं दुखाना चाहती, इसलिए जवाब नहीं दी, वरना तुम तो हीरा हो माधव हीरा। फिजिक्स और मैथमेटिक्स में क्या पकड़ है तुम्हारी।


माधव:- हमारे बाबूजी कहते थे, पाऊं उतना ही पसारना चाहिए जितनी चादर हो। हम तो बिलो एवरेज से भी एक पायदान नीचे है और आप तो मिस वर्ल्ड है।


निशांत:- आज से तुम हमारे दोस्त। हम तुमसे मज़ाक करेंगे और तुम हम सब से मज़ाक करना लेकिन कोई तुम्हे बेइज्जत करे तो हमसे शेयर करना, फिर उनका ग्रुप बेज्जत्ती की कहानी हम लिखेंगे। समझे बुरबक..


माधव:- हां समझ गए। इसी खुशी में आज की काफी मेरी तरफ से।


निशांत:- तू तो बड़ा दिलदार निकला चल पिला, पिला…


कॉलेज आते हुए सभी को लगभग महीनो बीत गए थे। 2 क्लास के बीच में इनके पास लगभग 1 घंटे का गैप होता था जहां चित्रा, निशांत, पलक और माधव कैंटीन में बैठकर बातें किया करते थे।


ऐसे ही एक दिन चारो बैठे हुए थे, तभी एक लड़का उनके बीच आ बैठा।… "मैंने कॉलेज में पुरा सर्वे किया, कैंटीन का बेहतरीन खूबसूरत टेबल यही है। लेकिन इन 2 खूबसूरत तितलियों के साथ 2 बेकार जैसे लोग बैठे रहते है, ये किसी को भी समझ में नहीं आता।"..


माधव:- समझिएगा भी नहीं, ये आउट ऑफ स्लैब्स वाला सवाल है।


चित्रा:- तुम्हे क्या चाहिए मिस्टर, किसपर ट्राय करने आए हो। आए तो हो, लेकिन अपना नाम भी नहीं बताए।


लड़का:- मेरा नाम नीरज है, और पलक मुझे बहुत अच्छी लगती है। सिर्फ दोस्ती करने आया हूं।


पलक, अपना हाथ बढाती…. "नीरज जी हमारी दोस्ती हो गई, अब क्या हमे परेशान करना बंद करेंगे।"


तभी वहां पर एक और लड़का पहुंच गया… "अरे नीरज तूने तो 2 मिनट में दोस्ती भी कर ली, मुझे भी चित्रा से दोस्ती करवा दे कसम से कितनी हॉट है।"..


चित्रा:- तुम भी अपना परिचय दे ही दो।


लड़का:- मै हूं विनीत, हम दोनों सेकंड ईयर में है।


चित्रा भी अपनी हाथ बढ़ाती… "तुम से भी दोस्ती हो गई विनीत अब खुश"


दोनो ही लड़के ठीक चित्रा और पलक के बाजू में अपना टेबल लगाते हुए उससे चिपक कर बैठ गए।…. "ओ ओ !! चित्रा, पलक, लगता है हम सबको यहां से चलना चाहिए। पहले दिन में ही काफी गहरी दोस्ती बनाने के इरादे से आए है।"… माधव कहते हुए खड़ा हो गया।


निशांत:- माधव सही कह रहा है, चलो चलते है।


चित्रा और पलक भी दोनो के बात से सहमत होती खड़ी हो गई। दोनो लड़कियां जैसे ही खड़ी हुई, उन दोनों लड़को ने उसका हाथ पकड़ लिया।… "देखिए सर, आपने दोस्ती कहीं करने, हमने कर ली। लेकिन जबरदस्ती हाथ पकड़ना गलत है। हाथ छोड़िए।"..


दोनो लड़को ने हाथ छोड़ दिया। चित्रा और पलक वहां से जाने लगी। पीछे से वो लड़का नीरज कहने लगा… "अब तो दोस्ती हो गई है, आज नहीं तो कल हाथ थाम ही लेंगे।"..


कुछ दिन और बीते, चारो ने नीरज और विनीत की हरकतों को लगभग अनदेखा ही किया। जबदस्ती कुछ देर के लिए आते, फालतू की बकवास करते और चले जाते। कभी चारो मिलकर उन्हें छिल देते तो कभी चारो कुछ मिनट में ही इरिटेट होकर वहां से उठकर चले आते। लेकिन उस दिन ये लड़के अपने और 4 दोस्तो के साथ आए थे और आते ही सीधा चित्रा और पलक को परपोज कर दिया।


पलक:- सॉरी, मेरी ऐसी कोई फीलिंग नहीं है।

चित्रा:- और मेरी भी।


विनीत जिसने चित्रा को परपोज किया था… "इस डेढ़ पसली वाले कुत्ते (माधव) के साथ तो तुम ना जाने क्या-क्या करती होगी, जब तुम्हे ये पसंद आ सकता है फिर मै क्यों नही?"


उसकी बात सुनकर निशांत और माधव आगे बढ़े ही थे कि पलक…. "तुम दोनो ध्यान मत दो, चलो चलते है यहां से।"..


"साली कामिनी हमे इनकार करेगी, तुझसे तो हां करवाकर रहूंगा"… पीछे से नीरज ने कहा।


चित्रा और पलक आगे जा रही थी, माधव और निशांत पीछे–पीछे। दोनो ने एक दूसरे को देखकर सहमति बनाई और पीछे की ओर मुड़ गए। माधव ने टेबल पर परा हुआ कप उठाया और सीधा नीरज के कनपटी पर दे मारा। कप के इतने टुकड़े उसके सर में घुसे की ब्लीडिंग शुरू हो गई।


वहीं निशांत, विनीत के मुंह पर ऐसा पंच मारा कि उसके नाक और मुंह से खून बहने लगा। वो भी अपने 4 दोस्तो के साथ आया था। उन चारो ने निशांत पर ध्यान दिया और माधव को भुल गए। माधव भी इस लड़ाई में चार चांद लगाते हुए टेबल पर परे बचे हुए कप किसी के गाल पर मार कर ऐसा फोड़ा की उसका जबड़ा हिल गया तो किसी के सर पर कप तोड़कर उसका सर फोड़ डाला।


जैसे ही 2 लड़के निशांत के पास से हटे, निशांत को भी पाऊं चलाने का मौका मिल गया। जिसने पूरी उम्र जंगल और पहाड़ों में गुजरी हो, स्वाभाविक है उसके हाथ और पाऊं में उतना ही बल होगा। निशांत ने जब मारना शुरू किया, फिर तो जबतक वो सब भाग नहीं गए तबतक मारता रहा।


सभी लड़के टूटी-फूटी हालत में कैंटीन से निकल रहे थे। जाते-जाते कहते गए, सेकंड ईयर से पंगा लेकर तुमने गलत किया है… "कुत्ते के पिल्ले दोबारा कभी सामने आया तो फोर्थ ईयर वाले तुम्हे नहीं बचा पाएंगे।"


पलक और चित्रा दोनो किनारे खड़ी होकर ये सब देख रही थी। दोनो को ही यहां उनको मारने में कुछ गलत नहीं लगा बस ये लड़ाई आगे ना बढ़े इस बारे में सोच रही थी। चारो ने बाकी के क्लास अटेंड किए और जाते वक़्त पलक कहने लगी… "मै क्या सोच रही थी, 4-5 दिन कॉलेज ड्रॉप कर देते है, जबतक मौसा जी (निशांत और चित्रा के पापा) और दादा (राजदीप) मुंबई की मीटिंग खत्म करके चले आएंगे।"


चित्रा:- दादा या पापा नहीं पढ़ते है इस कॉलेज में, तुम चिंता नहीं करो, माधव तो हर रोज अपने गांव में मार खाता था और निशांत को लड़कियों के सैंडल ने इतना मजबूत बना दिया है कि दोनो की कल कुटाई भी हो गई, तो भी कुछ फर्क नहीं पड़ेगा।


माधव:- ऐसे दोस्त से अच्छा तो उ दुश्मन होंगे जो हमारे बल के हिसाब से रणनीति बाना रहे होंगे। कोई कमी ना छोड़ी बेज्जाती में।


निशांत:- सही कहा माधव। चल चलकर कल इनकी कुटाई की प्लांनिंग हम भी करते है।


माधव:- प्लांनिंग क्या करना है उ आकाश और सुरेश दोनो है ना, जो क्लास में पलक और चित्रा को ही देखते रहते है, उनको उकसा देंगे। हीरो बनने का अच्छा मौका है साला खुद ही 8-10 हॉस्टल के लड़के लेकर चले आएंगे।


माधव की बात सुनकर चित्रा और पलक दोनो ही हसने लगी… "बहुत बड़े वाले कमिने हो दोनो। चलो अब क्लास अटेंड करते है।"..


चारो क्लास अटेंड करने चल दिए। शाम का वक्त था जब पहले खबर निशांत के पास गई। निशांत से चित्रा और चित्रा से पलक तक खबर पहुंची। तीनों ही सिटी हॉस्पिटल के जनरल वार्ड में पहुंचे।… "अरे निशांत आ गए। सालों ने रणनीति बदल दी रे। सालों ने मुझे हॉस्टल में ही धो दिए। कुत्ते की तरह मरा।"


निशांत:- कुछ टूटा फूटा तो नहीं है ना।


माधव:- हाथ ही तोड़ दिया सालो ने।


दोनो बात कर ही रहे थे तभी माधव को जनरल वार्ड से उठाकर प्राइवेट वार्ड में शिफ्ट कर दिया। पलक और चित्रा भी उसके पीछे गई। कुछ देर मिलने के बाद तीनों वहां से निकल गए।


पलक के सीने में अलग आग लगी थी। चित्रा के सीने में अलग और निशांत के सीने में अलग, और तीनों अलग-अलग आग लिए, अलग-अलग निकले और एक ही बंगलो पर आगे–पीछे पहुंचे।…. सबसे पहले निशांत पहुंचा।


ये बंगलो आर्यमणि की मौसेरी बहन भूमि का ससुराल था। भूमि की मां मीनाक्षी और आर्यमणि की मां जया दोनो अपनी सगी बहन थी। वहीं भूमि के बाबा सुकेश भारद्वाज और पलक के बाबा उज्जवल भारद्वाज दोनो अपने चचेरे भाई थे। भूमि के परिवार का लगाव आर्यमणि के परिवार के साथ अलग ही लेवल का था, ये सबको पता था। उसमे भी भूमि, आर्य को अपने बच्चे जैसा मानती थी। यही वजह थी कि चित्रा और निशांत भी भूमि के काफी क्लोज थे।


बंगलो में भूमि, पलक की बड़ी बहन नम्रता के साथ थी और कुछ बातें कर रही थी। तभी वहां निशांत पहुंच गया। निशांत को देखते ही भूमि… "अरे मेरे छोटे बॉयफ्रेंड, अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने में इतनी देर लगा दी।"..


नम्रता:- दीदी आप निशांत को जानती हो।


भूमि:- क्यों तेरी मां तुम लोगों को कहीं नहीं भेजती तो क्या मेरी भी अाई कहीं नहीं भेजे। बस 2 लोगों का दिमाग खराब है, एक तेरी अाई और दूसरा इसका बाप, बाकी सब मस्त है।


निशांत:- दीदी कॉलेज में एक लफड़ा हुआ है और मुझे 50-60 लोगों को टूटी-फूटी हालत में हॉस्पिटल भेजना है।


निशांत अपनी बात खत्म किया ही था कि पीछे से चित्रा भी पहुंच गई। निशांत को वहां देखकर चित्रा उससे पूछने लगी क्या वो माधव के लिए आया है? निशांत ने उसे हां में जवाब दिया। कॉलेज के लफड़े के लिए केवल निशांत आता तो भूमि कॉम्प्रोमाइज का रास्ता अपनाती क्योंकि लड़कों के बीच लड़ाई होना आम बात थी, लेकिन चित्रा का आना, भूमि के लिए चिंता का विषय था।


भूमि ने दोनो भाई बहन को बिठाकर पूरी कहानी सुनी। पूरी कहानी सुनने के बाद… "हम्मम ! गलत किया है उन लड़को ने, बहुत गलत"..


भूमि इतना कह ही रही थी कि तभी पीछे से पलक भी वहां पहुंच गई। पलक को देखकर नम्रता और भूमि दोनो आश्चर्य करती हुई…. "पलक और यहां"..


चित्रा और निशांत दोनो एक साथ… "वो भी इसी मुद्दे के लिए आयी है।"..


पलक आते ही… "शायद हर किसी के दिल में आग लगी है।"


भूमि को यूं तो तीनों से बहुत सी बातें करने थी, लेकिन तीनों ही उसके सामने बच्चे थे और इनके परेशानी को देखते हुए, भूमि ने सिर्फ इतना पूछा… "पलक तुम क्या चाहती हो।"


पलक:- सबको तोड़ना है, सिवाय नीरज और विनीत के। क्योंकि उनकी चमरी मै अपने हाथो से कल उधेड़ दूंगी।


भूमि:- नम्रता ये काम मै तुम्हे दे रही हूं। सुनो स्टूडेंट है तो थोड़ा हिसाब से तोड़ना 2-3 महीने में पढ़ाई करने लगे ऐसा।


नम्रता:- मज़ा आएगा दीदी।


अगले दिन पलक ने अपना बैग खुद तैयार किया। नम्रता तो पहले ही अपने लोगो को भेज चुकी थी, जो पलक के कैंटीन आने से पहले पता लगा कर रखते की कौन सा ग्रुप पलक, चित्रा और निशांत को मारने वाले है, ताकि तोड़ते वक़्त कोई कन्फ्यूजन ना हो।


नीरज और विनीत ने कल शाम 10 लड़को के साथ पिटने गया था, लेकिन आज 40 लड़के लेकर आया था, यह सोचकर कि कॉलेज का माहौल है और पाता नहीं शायद 10-15 दोस्त निशांत भी लेकर आए। जैसे ही नम्रता को पुष्टि हो गई 40 लड़के है, उसके 60 लोग पहले से ही कैंटीन के आसपास जाकर फ़ैल गए।


पहला क्लास खत्म होने के बाद पलक अपने बैग का चैन खोली और नजरे बस प्रतीक्षा कर रही थी कि कब ये लोग आए। ज्यादा इंतजार भी नहीं करना पड़ा था और कैंटीन आने वाले रास्ते पर ही दूर से वो दिख गये।


पलक तेजी से दौड़ लगती अपने बैग से 1 मीटर की चाबुक निकल ली। जिसके चमड़े के ऊपर कांटेदार पतली तार लगी हुई थी। नीरज और विनीत कुछ कह पाते उससे पहले ही पलक ने आधे मीटर की दूरी से चाबुक चलना शुरू कर दिया।


जब वो चाबुक चला रही थी, देखने वाले स्टूडेंट ने अपने दातों तले उंगलियां दबा ली। सटाक की आवाज के साथ चाबुक पड़ते और अंदर का मांस लेकर निकल आते। पलक ने तबीयत से नीरज और वीनित को चाबुक मारना शुरू कर दिया था।


नीरज और वीनीत हर चाबुक पड़ने के बाद छिलमिलाते हुए दर्द भारी चींख निकालते और मदद के लिए अपने दोस्तो को गुहार लगाते। लेकिन चाबुक का दर्द इतना अशहनिया था कि नीरज और विनीत को पता ही नहीं चला कि जब उन्हें पलक के हाथ का पहला हंटर लग रहा था, ठीक उसी वक़्त उसके पीछे नम्रता के भेजे सभी लोगो ने नीरज के साथ आए मार करने वाले स्टूडेंट को तोड़ दिया था।


पलक दोनो को उसके औक़ाद अनुसार हंटर मारकर, हंटर को वापस बैग में रखी। पलक की नजर साफ देख पा रही थी कि जब वो हंटर चला रही थी, कैसे कॉलेज का एक समूह उसे घुरे जा रहा था। पलक अपना काम खत्म करके नीरज और विनीत के पास पहुंची और उसके मुंह पर अपना लात रखती हुई कहने लगी… "अगली बार हमारे आसपास भी नजर आए तो फिर से मारूंगी।"..


निशांत, पलक के पास पहुंचते…. "एक को तो छोड़ देती, मै ठुकाई कर देता, कम से कम इसी बहाने कोई लड़की तो इंप्रेस हो जाती।"..


पलक:- कल तुम्हे वो सीएस वाली लड़की हरप्रीत बड़े गौर से देख रही थी। तुमने ध्यान नहीं दिया। निशांत खुशी से उसके दोनो गाल खिंचते… "यू आर सो स्वीट। तुम्हे कोई पसंद हो तो बताना मै हेल्प कर दूंगा।"


चित्रा:- ये तो गया काम से अब हफ्तों तक दिखेगा नहीं।


चित्रा और पलक बातें करती वहां से जा ही रही थी कि तभी वहां प्रिंसिपल अपनी पूरी टीम के साथ पहुंच गए। प्रिंसीपल जैसे ही वहां पहुंचा, पीछे से नम्रता और भूमि भी वहां पहुंच गई।


भूमि प्रिंसिपल को देखते हुए कहने लगी…. "क्या देख रहे हो मसूद, ये हमारी नेक्स्ट जेनरेशन है। तुम कुछ सोचकर तो नहीं आए थे इनके पास।"..


मसूद:- भूमि ये कॉलेज है। छोटे मोटे झगड़े तक तो ठीक है लेकिन आज जो इस कैंपस में हुआ…


भूमि:- पलक, चित्रा तुम दोनो जाओ। जो भी हुआ उसमे उन लौडों की गलती थी। उनके गार्डियन को संदेश भेज दो, उनके बच्चे ग्रुप बनाकर बाहर लड़को की पिटाई करते है, जिसका नतीजा ये हुआ है कि यहां के लोकल लोग कॉलेज में घुसकर मार कर रहे है। पुलिस कार्यवाही होती तो मजबूरन उन्हें रस्टीकेट करना पड़ता इसलिए कोई एक्शन नहीं ले पाए।


मसूद:- हम्मम ! ठीक है ऐसा ही होगा। भूमि वो सरदार ने तेजस से कुछ कहा था, उसपर तुम लोगों का क्या विचार बना।


भूमि:- मसूद हम दोनों ही बंधे है। अगर सरदार चाहता है तो हम मदद के लिए आएंगे। लेकिन सोच लो तुम दूसरे के इलाके में घुसोगे, फिर वो तुम्हारे इलाके में घुसेंगे और यदि आम लोग परेशान हुए तो हम तुम दोनो के इलाके में घुसेंगे। जो भी फैसला हो बता देना।


मसूद:- ठीक है मै सरदार से बात करता हूं।


भूमि प्रिंसिपल से बात करके वहां से निकल गई। दोनो लड़कियां भी आराम से बैठकर कॉफी पीने लगी।…
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पात्र परिचय -

केशव कुलकर्णी - D.M.
जया कुलकर्णी - Wife
आर्य मणि - Son & Hero.

मिनाक्षी भारद्वाज - Sister of Jaya Kulkarni.
सुकेश भारद्वाज - husband
भूमि भारद्वाज - daughter

उज्जवल भारद्वाज -
अक्षरा भारद्वाज -
कमल भारद्वाज - 1st son of Ujjwal bhardwaj. ( USA )
राजदीप भारद्वाज - S P. & 2 nd son of Ujjwal bhardwaj.
नम्रता भारद्वाज - 1st daughter of U. Bhardwaj.
पलक भारद्वाज - 2nd daughter of U Bhardwaj.


राकेश नाइक - commissioner of police.
निलांजना नाइक - wife
चित्रा नाइक - daughter
निशांत नाइक - son & friend of hero.

Werewolf family -
जीतन लोपचे -
मैत्री लोपचे -
शूहोत्र लोपचे -
ईडन -
ओशुन -
रोज -


अन्य किरदार -

दिव्य अग्रवाल , डॉ इंद्रू गजमेर , काव्या , माधव , नीरज , विनीत , विधायक साहब , प्रिंसिपल मसूद , आदि ।


कहानी में सभी पात्रों का एक तालिका होना जरूरी होता है जब पात्रों की तादाद ज्यादा हो । समझने में मदद मिलती है ।

तीनों अपडेट्स बहुत ही बेहतरीन थे । खासकर चित्रा और निशांत का कालेज में हुआ रैगिंग दृश्य । कामेडी से भरपूर अपडेट था वो सीन ।
इस कहानी में एक तरफ जहां हमें विचित्रताओं से भरे हुए जानवरों के साथ रोंगटे खड़े करने वाले अपडेट्स देखने की सम्भावना है वहीं एक फेमिली सागा भी पैरेलल देखने को मिल सकता है ।

शुरुआत तो , नो डाउट गजब का हुआ है और आगे भी ऐसा ही होने का उम्मीद भी है ।

तीन साल हो गए आर्य मणि को जर्मनी में भेड़ियों के चंगुल में फंसे हुए । इन तीनों सालों में ऐसा एक दिन भी नहीं गया जब निशांत और चित्रा ने उसे याद नहीं किया हो ! बचपन की दोस्ती ऐसी ही होती है । इसी दोस्ती की वजह से ही तो आर्य ने खुद को संकटों में डाल दिया ।

बहुत ही खूबसूरत और जबरदस्त अपडेट्स नैन भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 

Parthh123

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Nain11ster bhai update likh lijiye aur jaldi se post kr dijiye bahut besabri se intzar kr rhe hai 3-4 back to back dhamakedar update ka.
 
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Lib am

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भाग:–१





जंगल का इलाका। कोहरा इतना गहरा की दिन को भी सांझ में बदल दे। दिन के वक़्त का माहौल भी इतना शांत की एक छोटी सी आहट भयभीत कर दे। यदि दिल कमजोर हो तो इन जंगली इलाकों से अकेले ना गुजरे।


हिमालय की ऊंचाई पर बसा एक शहर गंगटोक, जहां प्रकृति सौंदर्य के साथ-साथ वहां के विभिन्न इलाकों में भय के ऐसे मंजर भी होते है, जिसके देखने मात्र से प्राण हलख में आ जाए। दूर तक फैले जंगलों में कोहरा घना ऐसे मानो कोई अनहोनी होने का संकेत दे रहा हो।



2 पक्के दोस्त, आर्यमणि और निशांत रोज के तरह जंगल के रास्ते से लौट रहे थे। दोनो साथ-साथ चल रहे थे इसलिए एक दूसरे को देख भी पा रहे थे, अन्यथा कुछ मीटर की दूरी होती तो पहचान पाना भी मुश्किल होता। रोज की तरह बातें करते हुए घने जंगल से गुजर रहे थे।


"कथाएं, लोक कथाएं और परीकथाएं। कितने सच कितने झूट किसे पता। पहले प्रकृति आयी, फिर जीवन का सृजन हुआ। फिर ज्ञान हुआ और अंत में विज्ञान आया। प्रकृति रहस्य है तो विज्ञान उसकी कुंजी, और जिन रहस्यों को विज्ञान सुलझा नहीं पता उसे चमत्कार कहते हैं।"

"ऑक्सीजन और कार्बन डाय ऑक्साइड के खोज से पहले भी ये दोनो गैस यहां के वातावरण में उपलब्ध थे। किसी वैज्ञानिक ने इन रहस्यों को ढूंढा और हम ऑक्सीजन और कार्बन डाय ऑक्साइड के बारे में जानते है। कोई ना भी पता लगता तो भी हम शवांस द्वारा ऑक्सीजन ही लेते और यही कहते भगवान ने ऐसा ही बनाया है। सो जिन चीजों का अस्तित्व विज्ञान में नहीं है, इसका मतलब यह नहीं कि वो चीजें ना हो।"..


"सही है आर्य। जैसे कि नेगेटिव सेक्स अट्रैक्शन। हाय क्लास में आज अंजलि को देखा था। ऐसा लग रहा था साइज 32 हो गए है। साला उसके ऊपर कौन हाथ साफ कर रहा पता नहीं, लेकिन साइज बराबर बढ़ रहे है। और जितनी बढ़ रही है, वो दिन प्रतिदिन उतनी ही सेक्सी हुई जा रही है।"…


दोनो दोस्त बात करते हुए जंगल से गुजर रहे थे, तभी पुलिस रेडियो से आती आवाज ने उन्हे चौकाया…. "ऑल टीम अलर्ट, कंचनजंगा जाने वाले रास्ते से एक सैलानी गायब हो गई है। सभी फोर्स वहां के जंगल में छानबीन करें। रिपीट, एक सैलानी गायब है, तुरंत पूरी फोर्स जंगल में छानबीन करे।"… पुलिस कंट्रोल रूम से एक सूचना जारी किया जा रहा था।


निशांत, गंगटोक अस्सिटेंट कमिश्नर राकेश नाईक का बेटा था। अक्सर वो अपने साथ पुलिस की एक वाकी रखता था। वाकी पर अलर्ट जारी होते ही….


निशांत:— आर्य, हम तो 15 मिनट से इन्हीं रास्तों पर है, तुमने कोई हलचल देखी क्या?"..


आर्यमणि, अपनी साइकिल में ब्रेक लगाते… "हो सकता है पश्चिम में गए हो, लोपचे के इलाके में, और वहीं से गायब हो गए हो।"


निशांत:- हां लेकिन उस ओर जाना तो प्रतिबंधित है, फिर ये सैलानी क्यों गए?


आर्यमणि और निशांत दोनो एक दूसरे का चेहरा देखे, और तेजी से साइकिल को पश्चिम के ओर ले गए। दोनो 2 अलग-अलग रास्ते से उस सैलानी को ढूंढने लगे और 1 किलोमीटर की रेंज वाली वाकी से दोनो एक दूसरे से कनेक्ट थे। दोनो लोपचे के इलाके में प्रवेश करते ही अपने साइकिल किनारे लगाकर पैदल रस्तो की छानबीन करने लगे।


"रूट 3 पर किसी लड़की का स्काफ है आर्य"…. निशांत रास्ते में पड़ी एक स्काफ़ उठाकर देखते हुए आर्य को सूचना दिया और धीरे-धीरे आगे बढ़ने लगा। तभी निशांत को अपने आसपास कुछ आहट सुनाई दी। एक जानी पहचानी आहट और निशांत अपनी जगह खड़ा हो गया। वाकी के दूसरे ओर से आर्यमणि भी वो आहट सुन सकता था। आर्यमणि निशांत को आगाह करते.…. "निशांत, बिल्कुल हिलना मत। मै इन्हे डायवर्ट करता हूं।"…


निशांत बिलकुल शांत खड़ा आहटो के ओर देख रहा था। घने जंगल के इस हिस्से के खतरनाक शिकारी, लोमड़ी, गस्त लगाती निशांत के ओर बढ़ रही थी, शायद उसे भी अपने शिकार की गंध लग गई थी। तभी उन शांत फिजाओं में लोमड़ी कि आवाज़ गूंजने लगी। यह आवाज कहीं दूर से आ रही थी जो आर्यमणि ने निकाली थी। निशांत खुद से 5 फिट आगे लोमड़ियों के झुंड को वापस मुड़ते देख पा रहा था।


जैसे ही आर्यमणि ने लोमड़ी की आवाज निकाली पूरे झुंड के कान उसी दिशा में खड़े हो गए, और देखते ही देखते सभी लोमड़ियां आवाज की दिशा में दौड़ लगा दी।… जैसे ही लोमड़ियां हटी, आर्यमणि वाकी के दूसरे ओर से चिल्लाया.…. "निशांत, तेजी से लोपचे के खंडहर काॅटेज के ओर भागो... अभी।"


निशांत ने आंख मूंदकर दौड़ा। लोपचे के इलाके से होते हुए उसके खंडहर में पहुंचा। वहां पहुंचते ही वो बाहर के दरवाजे पर बैठ गया और वहीं अपनी श्वांस सामान्य करने लगा। तभी पीछे से कंधे पर हाथ परी और निशांत घबराकर पीछे मुड़ा…. "अरे यार मार ही डाला तूने। कितनी बार कहूं, जंगल में ऐसे पीछे से हाथ मत दिया कर।"


आर्यमणि ने उसे शांत रहने का इशारा करके सुनने के लिए कहा। कानो तक बहुत ही धीमी आवाज़ पहुंच रही थी, हवा मात्र चलने की आवाज।… दोनो दोस्तों के कानो तक किसी के मदद की पुकार पहुंच रही थी और इसी के साथ दोनो की फुर्ती भी देखने लायक थी... "रस्सी निकाल आर्य, आज इसकी किस्मत बुलंदियों पर है।"..


दोनो आवाज़ के ओर बढ़ते चले गए, जैसे-जैसे आगे बढ़ रहे थे आवाज़ साफ होती जा रही थी।… "आर्य ये तो किसी लड़की की आवाज़ है, लगता है आज रात के मस्ती का इंतजाम हो गया।".. आर्यमणि, निशांत के सर पर एक हाथ मारते तेजी से आगे बढ़ गया। दोनो दोस्त जंगल के पश्चिमी छोड़ पर पहुंच गए थे, जिसके आगे गहरी खाई थी।


ऊंचाई पर बसा ये जंगल के छोड़ था, नीचे कई हजार फीट गहरी खाई बनाता था, और पुरे इलाके में केवल पेड़ ही पेड़। दोनो खाई के नजदीक पहुंचते ही अपना अपना बैग नीचे रखकर उसके अंदर से सामान निकालने लगे। इधर उस लड़की के लगातार चिल्लाने की आवाज़ आ रही थी….. "सम बॉडी हेल्प, सम बॉडी हेल्प, हेल्प मी प्लीज।"…


निशांत:- आप का नाम क्या है मिस।


लड़की:- मिस नहीं मै मिसेज हूं, दिव्य अग्रवाल, प्लीज मेरी हेल्प करो।


निशांत, आर्यमणि के कान में धीमे से…. "ये तो अनुभवी है रे। मज़ा आएगा।"


आर्यमनी, बिना उसकी बातों पर ध्यान दिए हुए रस्सी के हुक को पेड़ से फसाने लगा। इधर जबतक निशांत ड्रोन कैमरा से दिव्य की वर्तमान परिस्थिति का जायजा लेने लगा। लगभग 12 फिट नीचे वो एक पेड़ की साखा पर बैठी हुई थी। निशांत ने फिर उसके आसपास का जायजा लिया।… "ओ ओ.… जल्दी कर आर्य, एक बड़ा शिकारी मैडम के ओर बढ़ रहा है।"..


आर्यमणि, निशांत की बात सुनकर मॉनिटर स्क्रीन को जैसे ही देखा, एक बड़ा अजगर दिव्या की ओर बढ़ रहा था। आर्यमणि रस्सी का दूसरा सिरा पकड़कर तुरंत ही खाई में उतरने के लिए आगे बढ़ गया। निशांत ड्रोन की सहायता से आर्यमणि को दिशा देते हुए दिव्या तक पहुंचा दिया। दिव्या यूं तो उस डाल पर सुरक्षित थी, लेकिन कितनी देर वहां और जीवित रहती ये तो उसे भी पता नहीं था।


किसी इंसान को अपने आसपास देखकर दिव्या के डर को भी थोड़ी राहत मिली। लेकिन अगले ही पल उसकी श्वांस फुल गई दम घुटने लगा, और मुंह ऐसे खुल गया मानो प्राण मुंह के रास्ते ही निकलने वाले हो। जबतक आर्यमणि दिव्या के पास पहुंचता, अजगर उसकी आखों के सामने ही दिव्या को कुंडली में जकड़ना शुरू कर चुका था। अजगर अपना फन दिव्या के चेहरे के ऊपर ले गया और एक ही बार में इतना बड़ा मुंह खोला, जिसमे दिव्या के सर से लेकर ऊपर का धर तक अजगर के मुंह में समा जाए।


आर्यमणि ने तुरंत उसके मुंह पर करंट गन (स्टन गन) फायर किया। लगभग 1200 वोल्ट का करंट उस अजगर के मुंह में गया और वो उसी क्षण बेहोश होकर दिव्या को अपने साथ लिए खाई में गिरने लगा। अर्यमानी तेजी दिखाते हुए वृक्ष के साख पर अपने पाऊं जमाया और दिव्या के कंधे को मजबूती से पकड़ा।


वाजनी अजगर दिव्या के साथ साथ आर्यमणि को भी नीचे ले जा रहा था। आर्यमणि तेजी के साथ नीचे जा रहा था। निशांत ने जैसे ही यह नजारा देखा ड्रोन को फिक्स किया और रस्सी के हुक को सेट करते हुए…. "आर्य, कुंडली खुलते ही बताना।"


आर्यमणि का कांधा पुरा खींचा जा रहा था, और तभी निशांत के कान में आवाज़ सुनाई दी… "अभी"… जैसे ही निशांत ने आवाज़ सुनी उसने हुक को लॉक किया। अजगर की कुंडली खुलते ही वो अजगर कई हजार फीट नीचे की खाई में था और आर्यमणि दिव्या का कांधा पकड़े झुल रहा था।


निशांत ने हुक को खींचकर दोनो को ऊपर किया। ऊपर आते ही आर्यमणि जमीन पर दोनो हाथ फैलाकर लेट गया और निशांत दिव्या के सीने को पुश करके उसकी धड़कन को सपोर्ट करने लगा।… "आर्य, शॉक के कारण श्वांस नहीं ले पा रही है।"..


आर्यमानी:- मुंह से हवा दो, मै सीने को पुश करता हूं।


निशांत ने मुंह से फूंककर हवा देना शुरू किया और आर्यमणि उसके सीने को पुश करके स्वांस बाहर छोड़ने में मदद करने लगा। चौंककर दिव्या उठकर बैठ गई और हैरानी से चारो ओर देखने लगी। निशांत उसके ओर थरमस बढ़ाते हुए… "ग्लूकोज पी लो एनर्जी मिलेगी।"..


दिव्या अब भी हैरानी से चारो ओर देख रही थी। उसकी धड़कने अब भी बढ़ी हुई थी। उसकी हालत को देखते हुए… "आर्य ये गहरे सदमे में है, इसे मेडिकल सपोर्ट चाहिए वरना कोलेप्स कर जाएगी।"


आर्यमणि:- हम्मम । मै कॉटेज के पास जाकर वायरलेस करता हूं, तुम इसे कुछ पिलाओ और शांत करने की कोशिश करो।


निशांत:- इसे सुला ही देते है आर्य, जितनी देर जागेगी उतना ही इसके लिए रिस्क हैं। सदमे से कहीं ब्रेन हम्मोरेज ना कर जाए।


आर्यमणि:- हम्मम। ठीक है तुम बेहोश करो मै वायरलेस भेजता हूं।


निशांत ने अपने बैग से क्लोरोफॉर्म निकाला और दिव्या के नाक से लगाकर उसे बेहोश कर दिया। कॉटेज के पास पहुंचकर आर्यमणि ने वायरलेस से संदेश भेज दिया, और वापस निशांत के पास आ गया।


निशांत:- आर्य ये मैडम तो बहुत ही सेक्सी है यार।


आर्यमणि:- मैंने शुहोत्र को देखा, लोपचे कॉटेज में। घर के पीछे किसी को दफनाया भी है शायद।


निशांत, चौंकते हुए… "शूहोत्र लोपचे, लेकिन वो यहां क्या कर रहा है। तू कन्फर्म कह रहा है ना, क्योंकि 6 साल से उसका परिवार का कोई भी गंगटोक नहीं आया है। और आते भी तो एम जी मार्केट में होते, यहां क्या लोमड़ी का शिकार करने आया है।"


"तुम दोनो को यहां आते डर नहीं लगता क्या?"… पुलिस के एक अधिकारी ने दोनो का ध्यान अपनी ओर खींचा।


निशांत:- अजगर का निवाला बन गई थी ये मैडम, बचा लिया हमने। आप सब अपना काम कीजिए हम जा रहे है। वैसे भी यहां हमारा 1 घंटा बर्बाद हो गया।


पुलिस की पूरी टीम पहुंचते ही आर्यमणि और निशांत वहां से निकल गए। रास्ते भर निशांत और आर्यमणि, सुहोत्र लोपचे और लोपचे का जला खंडहर के बारे में सोचते हुए ही घर पहुंचा। दिमाग में यही ख्याल चलता रहा की आखिर वहां दफनाया किसे है?


दोनो जबतक घर पहुंचते, दोनो के घर में उनके कारनामे की खबर पहुंच चुकी थी। सिविल लाइन सड़क पर बिल्कुल मध्य में डीएम आवास था जो कि आर्यमणि का घर था और उसके पापा केशव कुलकर्णी गंगटोक के डीएम। उसके ठीक बाजू में गंगटोक एसीपी राकेश नईक का आवास, जो की निशांत का घर था।
बेहतरीन शुरुआत कहानी की, रहस्य, दिलेरी और थोड़ा हंसी मजाक तीनों का सुंदर मिश्रण है। पात्र परिचय में भी ज्यादा समय नहीं गवाया है। उत्तम, अब आगे देखना है की कहानी आगे किस तरह और किस तरफ बढ़ती है?
 
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