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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Kala Nag

Mr. X
Prime
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nain11ster भाई कहानी बढ़िया है पर मेरे विचार पर आप कोई विचार बनाने से पहले कुछ तथ्यों को आपके समक्ष ला रहा हूँ l
चूंकि कहानी के उपस्थापक आप हैं इस लिए मैं यह कहानी पढ़ रहा हूँ l बेशक आपने फैंटेसी बेस्ड थीम पर प्रस्तुत किया है l पर इसमें कोई संदेह ही नहीं रह जाता
कहानी में भावनायें हैं
रहस्य है
रोमांस है
और कहानी प्रतिशोधात्मक भी है l
मैं पहली बार कोई फैंटेसी कहानी को पढ़ रहा हूँ वह भी वैरवुल्फ वाली थीम ज्यादातर हॉलिवुड फ़िल्मों में देखा है l ऐसा कभी भारतीय दंत कथाओं में या मिथकों में या लोक कथाओं में सुना या पढ़ा नहीं है l
फिर भी आपकी प्रस्तुतिकरण अद्भुत है पाठकों को बांधे रखता है l
मेरे ना समझने का आशय यह था कि यह वैरवुल्फ वाली चरित्रों से और संस्कृति से मैं पूर्णतः अवगत नहीं हूँ
इसलिए कहा समझ में नहीं आया
पर यह नहीं कहा के मैं पढ़ नहीं रहा था l पढ़ा पर जिस अंक से प्रभावित हुआ उसी अंक के उपरांत अपना मंतव्य दिया I
आशा है मेरी उपरोक्त वक्तव्य को आप सकारात्मक भाव से स्वीकारेंगे
☺️😊😁
 

Parthh123

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Mast update nain bhai. Abhi busy hu apki story bhanvar padhne me bahut mast story hai. Comedy action imotions love sb kuch to hai ek bhi aisi cheez nhi jo miss hui ho story se aur unhe jo apne likha hai wo tarika kmal ka hai. Maza a gya story pdh kr jitna abhi tk pdha abhi pdh hi rha hu. Bus apse vinti hai ki es story pe updates badhaiye agr ho sake to. Baki apke upar hai. Dhanyabad
 
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ये सही फितरत है आप की । कभी महीनों तक गायब तो कभी दो तीन दिनों में ही अपडेट्स की बाढ़ लगा देते हो आप ।
और इसीलिए प्रत्येक अपडेट पर रिव्यू देना थोड़ा कठीन हो जाता है ।

वैसे सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे नैन भाई । लेकिन लास्ट अपडेट से मैं थोड़ा कन्फ्यूज हो गया ।
जहां तक मुझे याद है भूमि की मां मिनाक्षी भारद्वाज और पिता सुकेत भारद्वाज साहब थे । लेकिन इस अपडेट में भूमि के पिता के रूप में उज्ज्वल भारद्वाज का जिक्र हुआ ।
और जहां हमें ज्ञात है उज्जवल भारद्वाज और सुकेत भारद्वाज चचेरे भाई हैं । उज्जवल साहब के संतानों में कमल , सुपरिटेंडेंट राजदीप , नम्रता और पलक हैं ।

कहानी में पात्रों की तादाद बहुत ज्यादा हो गई है और सबसे जरूरी फिलहाल इनके रिश्ते को पहचानना हो गया है । अभी भी अन्य बहुत से किरदारों को एंट्री हो ही रही है ।
केशव भारद्वाज
देसाई फेमिली
रक्षकों का पुरा कुनबा
सरदार खान और उनके लोग
शुरुआत में ही इतने किरदार रीडर्स की दिमाग की पेंच हिला देते हैं । कुछेक अन्तराल पर इनका एंट्री होना चाहिए था ।

आर्य मणि इंडिया वापस आ गया है और आने के साथ ही अपनी विलक्षण शक्तियों का भी ट्रेलर दिखा गया है । फिलहाल वो अपने मौसी मिनाक्षी भारद्वाज और मौसेरी बहन भूमि की खिदमतगारी का लुत्फ उठा रहा है और महंगे महंगे गिफ्ट्स का भी ।
पर जो भी हो भूमि ही उसका सबसे बेस्ट शुभचिंतक है । वो उसके माता पिता और बाकी सभी रिश्तेदारों से लाख दर्जा अच्छी है । एक वही थी जो लड़की होकर भी महीनों तक उसके लिए विदेशी सरजमीं पर सड़कों एवं जंगलों की छान मारती रही ।
इस लड़की ने मेरा दिल जीत लिया ।

फिलहाल तो हमें यह जानने को उत्सूकता है कि आर्य भेड़ियों के चंगुल से आजाद कैसे हुआ । ओशुन ( सफेद लोमड़ी ) ने जरूर उसे मदद की होगी ।

सभी अपडेट्स बेहद ही खूबसूरत थे नैन भाई ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 
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The king

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भाग:–11



आश्चर्य से उसकी आंखें फैल चुकी थी। चेहरे के भाव ऐसे थे मानो जिंदगी की कितनी बड़ी खुशी आंखों के सामने खड़ी हो। भूमि की नम आंखें एक टक आर्यमणि को ही देख रही थी और आर्यमणि अपनी प्यारी दीदी को देखकर, खड़ा बस मुस्कुरा रहा था।


भूमि, आर्यमणि को देखती ही उससे लिपट गई, कभी उसके गाल चूमती तो कभी, उसका चेहरा छूती। आखों से आंसू सराबोर थे। वो लगातार रोए ही जा रही थी।…. "दीदी चूमकर मेरा पूरा चेहरा गीला कर दी, ऊपर से आशु से भी भिगो रही। जीवन को तो बोल दो की तुम मेरी गर्लफ्रेंड हो।


"हां वो समझ गया, तू चल अंदर।"..


भूमि उसे लेकर घर में पहुंची। जैसे ही भूमि अंदर आयी, एक लड़की उसके करीब पहुंचती… "मैम, 10 मिनट बाद.." इतना ही कही थी वो, तभी भूमि उसे हाथ दिखती… "छाया, तुम ऑफिस चली जाओ और जय से कहना सारे क्लाइंट के साथ ऑफिशियल मीटिंग कर लो। मैं एक वीक हॉलिडे पर हूं।"..


छाया:- लेकिन मैम वो कल तो टेंडर होने वाला है।


आर्यमणि:- ये पागल हो गई है। आज आप काम संभाल लीजिए। दीदी कल से सारे ऑफिशियल मीटिंग अटेंड करेगी।


भूमि:- छाया जो मै बोली वो करो। जरूरी काम के लिए मै आ जाऊंगी। अब तुम ऑफिस जाओ और जय से मिल लेना।


जैसे ही वो लड़की गई… "ये क्या नाटक किया आर्य। सबको कितना परेशान किया है। मै क्या रिएक्ट करूं, इतने साल बिना किसी से कॉन्टैक्ट किए तू गायब कैसे रह सकता है?"


आर्यमणि:- मासी के पास चलो ना। एक हफ्ते कि छुट्टी तो ले ही ली हो ना।


भूमि:- मै पागल हूं क्या जो इतनी देर से तुमसे कुछ कह रही हूं, उसपर जवाब ना देकर, इधर-उधर की बात कर रहा है।


आर्यमणि:- सॉरी दीदी, अब दोबारा नहीं होगा।


भूमि:- मुझे ये जानने में इंट्रेस्ट नहीं की क्या होगा, मुझे अभी जानना है कि ऐसा हुआ क्या था जो तुमने एक फोन करना, एक मेल करना, या छोटा सा भी संदेश देना जरूरी नहीं समझा। 2.5 महीने मैं यूरोप और अमेरिका के चक्कर काटती रही.. जनता है तू, जो दर्द तेरे जाने का पहले दिन था वो कभी घटा नहीं, उल्टा वक्त के साथ बढ़ता रहा है...



आर्यमणि, एक झूठी कहानी बनाते…. "दीदी यूएस में एक टूर कॉर्डिनेटर ने मुझे 2 दिन के एडवेंचर टूर का झांसा दिया और मुझे टोंगास नेशनल फॉरेस्ट, अलास्का लेकर गया। बहुत बड़ा टूर ग्रुप था। रात को मै पूरे ग्रुप के साथ सोया था और सुबह जागने जैसा कुछ भी नहीं था। बदन में बिल्कुल भी जान नहीं थी, ऐसा लग रहा था शरीर कटे-फटे थे और शरद हवा मुझे जमा रही थी। धुंधली सी आखें खुली, फिर बंद। फिर खुली, फिर बंद। मुझे जब होश आया तो मै जंगलों के बीच बसे कुछ आदिवासी के बीच था। जिसकी भाषा मुझे समझ में नहीं आती और उनको मेरी भाषा।"

"मैं उनके लिए लकी था। वो मुझे रोज चारे की तरह जंगल में बांध देते और छिपकर जंगली भालू का शिकार करते थे। काफी खौफनाक मंजर था। कभी–कभी तो ऐसा महसूस होता की आज ये भालू मुझे फाड़कर यहीं मेरी कहानी समाप्त कर देगा। हां लेकिन शुक्र है भगवान का हर बार मैं बच गया। मैं धीरे–धीरे ठीक हो रहा था, साथ ही साथ उनसे कैसे पिछा छूटे उस पर काम भी कर रहा था। मेरी चोट ठीक होने के बाद, जैसे ही मुझे पहला मौका मिला, वहां से भाग गया। दीदी एक गाड़ी नहीं, एक इंसान नहीं। ऐसा लग रहा था मै किसी दूसरे ग्रह पर हूं, बिल्कुल ठंडा और जंगल से घिरा।"

"चलते गया, चलते गया और जब पहली बार किसी कार को देखा तो मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। ऐसा लगा जैसे अब मै जिंदा बच जाऊंगा। ऐसा लगा जैसे अब मै सबसे मिल पाऊंगा। उस आदमी से मुझे पता चला कि मै रशिया के बोरियल जंगल में हूं और जब उसने तारीख बताई तो पता चला मै पिछले 8 महीने से केवल और केवल चल रहा हूं।"

"अच्छा आदमी था वो। उसने मुझे सरण दी। फिर मै कैसा पहुंचा उसके बारे में बताया। उसे भी हैरानी हुई मैं 8 महीनों से चल रहा था। फिर उसी ने मुझसे कहा कि मै जंगल के मध्य से पश्चिम दिशा में चला था, जो शहरी क्षेत्र से दूर ले जा रहा था। इसी वजह से कोई नहीं मिला। ना पासपोर्ट ना ही कोई लीगल डॉक्यूमेंट। और जानती हो दीदी, पैसा क्या चीज होती है ये भी मुझे एहसास हो गया। फिर उस आदमी बॉब के साथ मैं काम करके पैसे जमा करता रहा। जब फर्जी पासपोर्ट और टिकट के लिए पूरे पैसे जमा हो गए तब पहली फुरसत में वापस लौट आया।"


भूमि:- मै ज़िन्दगी में किसी के लिए इतना नहीं रोई, लेकिन तेरी लिए बहुत रोई। तुझे जहां जाना है, वहां जा। दुनिया का जो कोना घूमना है, घूम। नहीं आने का मन हो मत आ, पर अपनी खबर तो देते रह ताकि हम सब सुकून में रहे। अब जारा मुझे उस आदमी की डिटेल दे जो तुझे अलास्का ले गया था।


आर्यमणि:- दीदी उसका नाम एड्रू रॉबर्ट था, कोई "न्यू रेड फील्ड एडवेंचर ट्रिप" करके उसकी कंपनी थी।


भूमि:- तेरे साथ और कोई था क्या? या तू जिस फ्लाइट में था, वहां कोई ऐसा जो संदिग्ध लगे।


आर्यमणि:- याद नहीं दीदी। पता नहीं कैसे लेकिन जिंदा बच गया। और दीदी मुझे थैंक्स तो कह दो। मेरे बहाने कम से कम ढाई महीने आप यूरोप और अमेरिका तो घूमी।


भूमि:- कुता तू मुझसे चप्पल खाएगा, समझा। मेरी एरिया घिस गई तुझे ढूंढ़ते-ढूंढ़ते। लेकिन तू यूरोप या अमेरिका में होता तो ना मिलता। वैसे तेरी मेहनत का फल दिख रहा है । चल जारा कपड़े उतार के दिखा कैसी बॉडी बनी है तेरी।


आर्यमणि अपना शर्ट उतारकर दिखाने लगा। भूमि उसके बदन को देखती… "इसे कहते है ना मेहनत वाली एथलीट बॉडी। गधे जिम जाकर लड़कियों कि तरह छाती फुला लेते है और बैल की तरह पुरा बदन। ये बॉडी सबसे तंदरुस्त और एक्टिव लोगो की होती है, इसे मेंटेन करना।


आर्यमणि:- बिल्कुल दीदी। दीदी एक बात और है।


भूमि:- क्या ?


आर्यमणि:- दीदी मैंने कोई इंजिनियरिंग इंट्रेस एग्जाम नहीं दिया लेकिन मुझे नेशनल कॉलेज में एडमिशन लेना है।


भूमि:– बहरवी कब पास किए जो इंजीनियरिंग में तुझे एडमिशन चाहिए।


आर्यमणि:– मेरे पास बारहवी के समतुल्य सर्टिफिकेट है। हां लेकिन वो रसियन सर्टिफिकेट है, चलेगा न...


भूमि:- वो मासी (आर्य की मां जया) ने जब मुझे बताया कि तू आ गया है, तभी मैंने तेरे लिए उस कॉलेज में एडमिशन का बंदोबस्त कर दिया था, बस सर्टिफिकेट को लेकर ही रुकी थी। अभी चलकर बस एक आदमी से मिलेंगे और आराम से तू सोमवार से कॉलेज जाना।


"किसे कॉलेज भेज रही हो दीदी"… भूमि का चचेरा भाई एसपी राजदीप पीछे से आते हुए कहने लगा।


भूमि:- आर्य के एडमिशन की बात कह रही थी। अब चित्रा और निशांत नेशनल कॉलेज में है तो ये कहीं और कैसे पढ़ सकता है।


राजदीप ने जैसे ही आर्य सुना वो हैरानी से देखते हुए उसे गले से लगा लिया। काफी टाईट हग करने के बाद…. "इसका बदन तो सॉलिड है दीदी। सुनो आर्य वैसे मेरी आई जानेगी की मै तुम्हारे गले लगा हूं तो हो सकता है वो मेरा गला काट दे।"..


आर्य:- ओह आप अक्षरा आंटी के बेटे राजदीप है।


राजदीप:- तुम मुझे कैसे जानते हो।


आर्य:- नीलांजना आंटी आप सबके बारे में बात करते रहती थी।


राजदीप:- और राकेश मौसा वो कुछ नहीं कहते थे मेरे बारे में।


आर्य:- गुलाब के साथ कितने काटें है उन पर कौन ध्यान देता है सर। कभी अच्छा या बुरा आपके बारे में कहा भी हो, लेकिन मै नहीं जानता।


राजदीप:- दीदी ये आपका पुरा भक्त है और शागिर्द भी। अब ये आ गया है तो आप कुछ सुनने से रही। मै आराम से कुछ दिन बाद मिलता हूं।


भूमि:- हम्मम ! थैंक्स राजदीप। कुछ दिन इसके साथ वक़्त बिताने के बाद मै मिलती हूं। आर्य सुन नीचे का वो दूसरा कमरा तेरा है। मासी ने तुझे वहां नहीं बताया, कहीं तू हंगामा ना करे। यहां तू मेरे साथ रहेगा।


आर्यमणि:- नहीं, मै तो अपनी मासी के साथ ही रहूंगा।


भूमि:- लेकिन मेरे साथ रहने में क्या बुराई है?


आर्यमणि:- बहन के ससुराल में रहने से इज्जत कम हो जाती है। ऐसा मुझे किसी ने सिखाया था।


भूमि:- नालायक कहीं का, भुल गया जब मुझे फोन करता था.. दीदी ट्रैक रोप, दीदी ड्रोन, दीदी, चस्मा.. तब इज्जत कम नहीं हुई, अभी कम हो जाएगी। अच्छा सुन, तू यहां मेरे पास रह, मै तुझे बाइक दिलवा दूंगी।


आर्यमणि:- बाइक, हुंह ! जो बाइक आप दिलवाओगी वो तो मुझे कोई भी दिलवा सकता है, और मुझे फालतू बाइक नहीं चाहिए।


भूमि, मुस्कुराती हुई… "हां ठीक है तुझे जो बाइक चाहिए वही दिलवा दूंगी, जाकर फ्रेश हो जा.. दोनो साथ खाना खाते है, तब तक रिचा भी आ जाएगी, फिर हम सब साथ शॉपिंग के लिए चलेंगे।"


आर्यमणि:- नाह, मै सिर्फ आपके साथ शॉपिंग चलूंगा, और फिर रात को मासी के पास रुकेंगे।


भूमि:- मै इतना प्रेशर लेकर काम नहीं करती। आज हम दोनों शॉपिंग करते है। कल फिर तेरे बाइक पर सवार होकर चलेंगे आई के पास। मंजूर..


आर्यमणि:- हां लेकिन शॉपिंग में दादा को लूटेंगे।


भूमि:- हिहिहीही… हां ये अच्छा है। रुक मै जय को बता देती हूं।


दोनो लगभग 3 बजे के करीब निकले। सबसे पहले पहुंचे एमएलए कृपाशंकर के पास। भले ही वह एमएलए राजदीप को न जनता हो, लेकिन भूमि का नाम सुनकर ही वह खुद बाहर उसे लेने चला आया। आर्यमणि को बाहर बिठाकर दोनो ऑफिस में पहुंचे जहां भूमि, आर्यमणि के इंजीनियर दाखिले की बात करने लगी। छोटा सा पेपर वर्क फॉर्मुलिट हुई और मैनेजमेंट कोटा से एडमिशन। बस कुछ पेपर साइन करने थे जो 2 घंटे बाद आकार कभी भी कर सकते थे।


वहीं भूमि को यह भी पता चला कि राजदीप एमएलए से मिलने पहुंचा था। वहां का काम निपटाकर भूमि, आर्यमणि के साथ सीधा शॉपिंग पर निकल गई। दोनो पहुंचे बिग सिटी मॉल।… "अच्छा सुन आर्य, यहां एसेसरीज सेक्शन में बहुत सारी इलेक्ट्रॉनिक आइटम है, तू अपने काम का देख ले।


आर्यमणि:- दीदी यहां कौन सा जंगल है और जंगली जानवर, जो मुझे वो करंट वाली गन या फिर ड्रोन या अन्य सामानों की जरूरत होगी।


भूमि:- जरूरत वक़्त बताकर थोड़े ना आती है। वैसे भी दुनिया में इंसानों से बड़ा भी कोई जानवर है क्या? जाकर देख तो ले।


आर्यमणि:- दीदी वो दादा कहीं गुस्सा ना हो जाए।


भूमि:- दादा गुस्सा होगा तो पैसे लेगा, तू बस शॉपिंग कर। और सुन मै कुछ अपने पसंद से तेरे लिए ले रही हूं.. यहां से शॉपिंग खत्म करके सीधा कपड़ों के सेक्शन में आ जाना।


भूमि:- ठीक है दीदी।


आर्य एक्सेसरीज सेक्शन में गया और अपने काम की चीजें ढूंढने लगा। वह एक शेल्फ से दूसरे शेल्फ तक नजर दौरा ही रहा था, तभी मानो पीछे से कोई बिलकुल चिपक सा गया हो। वह अपने होंठ आर्यमणि के कान पास लाते.… "मेरी जेब में एक पिस्तौल है, जिसकी नली तुम पर है। बिना कोई होशियारी किए चलो"…


आर्यमणि चुपचाप उनके साथ निकला। वो लोग मॉल से बाहर निकलकर उसके पार्किंग में चले आए, जहां एक गाड़ी के बोनट पर एक आदमी बैठा था और उसके आस–पास 8–10 लोग थे। जैसे ही वह आदमी आर्यमणि को पार्किंग के उस जगह तक लेकर आया जहां गुंडे सरीखे लोग थे.… "इसे ले आया छपड़ी भाई"…


आर्यमणि को जो साथ लेकर आया था वह शायद बोनट पर बैठा उस बॉस से कह रहा था, जिसका नाम छापड़ी था.… छपड़ी हाथ के इशारे से अपने पास बुलाया और आर्यमणि को घुरकर देखते.… "हां यही लड़का है। जल्दी मार कर काम खत्म करो।"


छपड़ी ने हुकुम दिया और पीछे खड़ा आदमी ने तुरंत ही एक राउंड फायर कर दिया। आर्यमणि को कमर के ऊपर गोली लगी और वह दर्द से बिलबिला गया। लेकिन गोली लगने के बावजूद भी आर्यमणि खड़ा रहा। जिसे देख छपड़ी हंसते हुए.… "लड़के में दम है बे, जल्दी से गिरा"… इतना कहना था कि फिर सामने से 2 और राउंड फायर हो गए। आर्यमणि को दर्द तो बेहिसाब हो रहा था लेकिन फिर भी वह खड़ा था।


छपड़ी अपनी बड़ी सी आंखें फाड़े... "अबे ये किसकी सुपाड़ी उठा लिया। कहीं रजनीकांत का फैन तो नही"...


छपड़ी ने जैसे ही अपनी बातें पूर्ण किया तभी फिर से लोग फायरिंग करने को तैयार। लेकिन इस बार छपड़ी उन्हे रोकते.… "अबे 3 राउंड तो मार ही दिए। अब क्या बदन में पूरा छेद ही कर दोगे। रुको जरा इसके स्टेमिना का राज भी पूछ ले। क्यों बे चूजे तू है कौन और ये कैसे कर रहा है?"..


आर्यमणि एक नजर दौड़ाकर चारो ओर देखा और अगले ही पल सामने बोनट पर बैठे छपड़ी को बाल से पकड़ कर बोनट पर ऐसा मारा की उसका सिर ही बोनट को फाड़कर अंदर घुस गया। उसके अगले ही पल अपने पीछे खड़े उस आदमी को गर्दन से पकड़ा और कुछ फिट दूर खड़े किसी दूसरे आदमी के ओर फेंक दिया। ऐसा लगा जैसे काफी तेज गति से 2 तरबूज टकराए हो और टकराने के बाद बिखड़ गए। ठीक वैसा ही हाल उन दोनो के सिर का भी था।


महज चंद सेकेंड में तीन लोग की कुरूरता पूर्ण तरीके से हत्या देखकर, बाकी के लोग भय से मूत दिए। हलख से बचाओ, बचाओ की चीख निकल रही थी। और पार्किंग में जो भी लोग उनकी दर्दनाक चीख सुनते, वह पहले खुद अपनी जान बचाकर भागते। और इधर आर्यमणि उन सबको अपना परिचय देने में व्यस्त था। आखरी का एक लड़का बचा जो हाथ पाऊं जोड़े नीचे जमीन पर बैठा था.…


आर्यमणि:– नागपुर में पहले दिन ही मेरा बड़े ही गर्म जोशी के साथ स्वागत हुआ है। ऐसा स्वागत करने वाला कौन था..


वह लड़का अपने कांपते होटों से.… "अ.. क.. क.. छ.."


आर्यमणि:– ओह तो इन्होंने इतने गर्मजोशी से स्वागत किया गया है... खैर अब तू ध्यान से सुन, तुझे क्या करना है। यहां से जा और अपने मालिक से कहना की उनका पाला किसी भूत से पड़ा है, तैयारी उसी हिसाब से करे। हां लेकिन 2 बात बिलकुल भी नहीं होनी चाहिए...


लड़का:– क… क... कौन सी.. बा... त


आर्यमणि:– पहली मुझे यह बिलकुल भी नहीं पता की तुम लोगों को किसने भेजा और दुसरी पुलिस को मेरे खिलाफ एक भी सबूत न मिले... दोनो में से किसी एक में भी चूक हुई, तो मैं तुम्हे दिखाऊंगा कि कैसा लगता है अपने शरीर की चमड़ी को अपने आंखों से उतरते देखना। कैसा लगता है जब तुम दर्द से 10 दिन तक लगातार बिलबिलाते रहो और हर पल ये सोचो की तुम्हे मौत क्यों नही आती?


लड़का:– स.. समझ.. गया..


लड़का वहां से भाग गया। आर्यमणि अपने बड़े से नाखून से अपने शरीर में घुसी गोली को निकाला और वापस शॉपिंग मॉल चला आया। शाम 7 बजे तक आर्यमणि अपने सबसे बड़े भाई तेजस के शॉपिंग मॉल से लाखों का शॉपिंग कर चुका था। बिल देने कि जब बारी आयी तब भूमि जान बूझकर आर्यमणि को बिल काउंटर पर भेज दी, और खुद अपने बड़े भाई तेजस के चेंबर के ओर चल दी। बिल काउंटर पर 11 लाख 22 हजार का बिल बन गया। पेमेंट की जब बारी आयी तब आर्यमणि ने साफ कह दिया, बिल उसके दादा पेमेंट करेंगे। लोग पेमेंट के लिए कहते रहे लेकिन आर्यमणि जिद पर अड़ा रहा।


माहौल बिगड़ता देख मैनेजर, आर्यमणि को अपने साथ ले जाते हुए, केबिन में बिठाया…. "सर, आप अपने दादा की डिटेल दे दीजिए, मै उनसे ही बात कर लूंगा।"..


आर्यमणि एक बार फिर उस मैनेजर के सब्र का इम्तिहान लेते हुए कह दिया.… "मैं अपने दादा की डिटेल मैनेजर को क्यों दूं... मैं केवल यहां के मालिक को हो दूंगा।"


मैनेजर ने लाख मिन्नतें किए। जब बात न बनी तो पुलिस बुलाने अथवा सारा सामान छोड़कर जाने तक की बात भी कह डाली, लेकिन आर्यमणि शायद बड़े से फाइट के बाद थोड़े मस्ती के मूड में था और लगातार मैनेजर को चिढ़ाते हुए एक ही रट लगाए था.… "वह मैनेजर की एक कही बात न मानेगा। जो भी बात होगी अब तो मॉल के मालिक से ही बात होगी"…
Awesome update bhai is update me action comedy emotions drama sab tha maja aa gaya padhke waiting next update
 

The king

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भाग:–12




मैनेजर ने लाख मिन्नतें किए। जब बात न बनी तो पुलिस बुलाने अथवा सारा सामान छोड़कर जाने तक की बात भी कह डाली, लेकिन आर्यमणि शायद बड़े से फाइट के बाद थोड़े मस्ती के मूड में था और लगातार मैनेजर को चिढ़ाते हुए एक ही रट लगाए था.… "वह मैनेजर की एक कही बात न मानेगा। जो भी बात होगी अब तो मॉल के मालिक से ही बात होगी"…


मैनेजर:- सर मै हूं ना मुझसे कहिए। एमडी सर बहुत व्यस्त रहते है, उनसे बात नहीं हो पाएगी।


काफी देर बहस हुई, अंत में जब बात नहीं बनी तब मैनेजर मजबूरन मालिक के चेंबर के ओर चल दिया। लेकिन बाहर खड़े एक पुराने मुलाजिम ने मैनेजर को साफ मना करते हुए कहने लगा… "भूमि बहन आयी है रे, जाओ बाद में आना"..


"ना अक्ल है ना सकल, बस पूरे बदन में एक ही चीज है, तेरा पेट शामलाल"… आर्यमणि ने जैसे ही ये बात कही, शामलाल सर ऊपर करके सोचने लग गया… "ये मैंने कहीं तो सुना है रे बाबा, पन किधर को सुना, याद नहीं आ रहा।"..


शामलाल अपने सोच में ही था तभी मैनेजर हड़बड़ी में दरवाजे तक आया, शामलाल उसे रोकते… "कहां जा रहा है।"..


मैनेजर:- बेवकूफ हो क्या, वो लड़का अंदर चला गया और तुम उपर सीलिंग देख रहे हो।


शामलाल:- तू सूट बुट और टाई लगाकर खुद को बड़ा समझदार मानस समझे आहे। जा अंदर जा…


मैनेजर तेजी से अंदर घुसते… "सॉरी सर मै इन्हे बहुत देर से समझा रहा था कि पेमेंट का जो भी इश्यू है मुझसे कह दे, लेकीन ये लड़का आपसे मिलने की जिद पकड़े हुआ था।"


तेजस:- हम्मम ! ठीक है प्रोडक्ट डिटेल दो, क्या क्या पर्चेज किया है..


मैनेजर ने अपने हाथ का बिल तेजस को दे दिया… 2 मीटर वाले बिल की लंबाई देखकर… "बस इतना छोटा बिल है। ये एलइडी 56 इंच वाला.. ये क्या है। स्टन गन, इसका क्या होगा।"


मैनेजर:- जाने दीजिए ना सर वो करंट छोड़ने वाली गन है। ज्यादा नुकसान नहीं करती है और मै तो कहता हूं सर को 56 क्या उससे भी बड़ा साइज का टीवी लेले।


तेजस:- आईफोन और आईपैड दोनो…


भूमि:- दादा बिल की डिटेल देखकर बच्चे को परेशान ना करो। पेमेंट करना है तो करो, वरना बहुत दुकान है शहर में।


तेजस भूमि के ओर मुड़ते… "मतलब मुफ्त का लेना हो तो दादा के मॉल याद आता है और पैसे से कहीं और जाकर खरीदोगे।"


आर्यमणि, भूमि के कान में कुछ कहा, तभी तेजस… "क्या कहा इसने तुझसे"..


भूमि:- कह रहा है लैपटॉप भुल गया लेना।


तेजस:- गुरुदेव और कुछ तो नहीं रह गया..


आर्यमणि, तेजस के पास पहुंचकर उसे गले लगाते…. "थैंक्स दादा। आप बहुत स्वीट हो।"..


तेजस:- हां मस्का पॉलिश। अच्छा सुन आर्य कल सुबह ही घर चले आना। सुनो कदम, ये अपने छोटे दादा है इनका सारा बिल मेरे अकाउंट पर डाल देना। और सुनो ये अब यहीं रहने वाला है तो अपने या अपनी गर्लफ्रेंड के लिए 20000 तक का शॉपिंग करे तो बिल मेरे अकाउंट पर डाल देना, 20000 से ज्यादा का हो तो इसे कहना एक बार मुझसे बात कर लेने। इसके अलावा रेस्त्रां में दोस्तों के साथ छोटी बड़ी जो भी पार्टी हो उसका भी बिल मेरे अकाउंट पर। खुश है ना तू आर्य।


आर्यमणि:- थैंक्स दादा।


तेजस:- बेटा अब तू जाकर और भी कुछ देख ले, भूमि आयी है तो कुछ बातें डिस्कस कर लूं। अगर तू इजाजत दे तो।


आर्यमणि जाते हुए… "दीदी बस 5 मिनट लेना। मै नीचे बिल काउंटर पर ही हूं।"..


जैसे ही आर्यमणि निकला… "ये मुझसे बात क्यों नहीं करता, तुझसे तो हर बात बताता है।"


भूमि:- आर्य आपसे बात तो करता है दादा। वैसे आपको मुझसे कुछ बात करनी थी ना।


तेजस:- मीटिंग की बात तो घर पर करता हूं, लेकिन राजदीप के बारे में कुछ खबर लगी कि नहीं।


भूमि:- जब से पोस्टिंग हुई है अच्छा काम कर रहा है। मै तो बहुत खुश हूं।


तेजस:- ज्वाइन करने के कुछ दिन बाद ही एमएलए कृपाशंकर से मिला था। राजदीप ने तब एमएलए के पास वैधायान भारद्वाज का नाम इस्तमाल किया था, अपने काले कमाई के परिचय में।


भूमि:- दादा आप बहुत जल्दी परेशान हो जाते हो। वैधायन भारद्वाज का नाम लेकर राजदीप ने उस कृपाशंकर की अकड़ बस निकाली होगी। वरना वो अपना काम अच्छे से जनता है। वो कभी भी ऐसा नहीं करेगा।


तेजस:- हम्मम !!! मै मिलूंगा राजदीप से तो खुलकर बताएगा नहीं, तू मिलकर बात कर लेना और कह देना कि कोई अकड़ दिखाए तो पहले 2 चप्पल मारे बाद में बात करे, बाकी मै सब देख लूंगा।


भूमि:- ठीक है दादा, अब मै जा रही हूं। आई–बाबा को बोलना कल आर्य के साथ आऊंगी। आज हम दोनों शॉपिंग पर निकले है।


तेजस:- चल मै भी चलता हूं।


भूमि:- सोचना भी मत, साफ कह दिया है सिर्फ वो मेरे साथ शॉपिंग करेगा।


तेजस:- हां जनता हूं.. तेरा चमचा है वो।


भूमि:- मेरा बच्चा है वो, चमचा नहीं। जा रही हूं अब मै।


भूमि कैश काउंटर पर पहुंची। सारा सामान कार में और दोनो वहां से चल दिए बाइक खरीदने। भूमि ने कार को आर्यमणि के बोले पते पर लगाई और जब नजर उठा कर देखी तो बीएमडब्लू बाइक शो रूम।


भूमि:- मेरे भाई मैंने आज तक एक भी बीएमडब्लू कार नहीं ली, और तू बाइक बोलकर कार के शोरूम ले आया।


आर्यमणि:- दीदी कार से उतरकर देखो ना, ये बाइक का ही शोरूम है।


भूमि:- हां दिख गया। बेटा तू बीएमडब्लू ही लेगा क्या?


आर्यमणि अपनी आंखें दिखाते… "चलो भी टाइम पास कर रही हो।"..


भूमि, चली अंदर… "आर्य मुझे आज पता चला कि बीएमडब्लू की बाइक भी आती है। वो लाल वाली मस्त है.. वही ले। (भूमि बीएमडब्ल्यू S1000XR मॉडल पसंद करती हुई कहने लगी)


आर्यमणि, हंसते हुए भूमि को गले लगा लिया… "चलो यहां से, मै तो बस छेड़ रहा था।"


भूमि:- मुझे यही बाइक राइड करनी है, ड्राइवर गाड़ी लेकर तुम घर जाओ। हां तू कुछ बोल रहा था आर्य।


आर्यमणि:- दीदी मुझे ये बाइक नहीं चाहिए। कहा तो आपको छेड़ रहा था मै।


भूमि:- मतलब यहां सीन क्रिएट करोगे तुम।


अर्यामानी:- सॉरी, ठीक है वही बाइक लेते है, अब खुश।


भूमि:- तू पागल है क्या? मै क्या इतने पैसे लाद कर ले जाऊंगी। वैसे भी तू तो मेरा लाडला है। तेरे लिए 20 लाख क्या 20 करोड़ की बाइक खरीद सकती हूं। बाकी बातें बाद में होगी चल अब मुझे बाइक पर घुमा।


2 मिनट में बाइक पसंद 10 मिनट में बाइक सड़क पर और दोनो हवा से बातें करते हुए पहले एमएलए कृपा शंकर के पास पहुंचे, जहां आर्यमणि ने एडमिशन के कुछ पेपर पर साइन किया, उसके बाद दोनो घर पहुंच गए। आर्यमणि अपनी बाइक खड़ी करके जैसे ही जाने लगा, भूमि उसे रोकती हुई अंदर का गराज खोल दी।


अंदर का नजारा देखकर आर्यमणि का मुंह खुला का खुला ही रह गया… "दीदी ये तो कार का शानदार कलेक्शन है। और झूठी यहां तो बीएमडब्ल्यू की कार भी है।".. कुल 21 कार थी उस गराज में। एक से बढ़कर एक लग्जरियस कार, स्पोर्ट्स कार, 5 तो एसयूवी जितने बड़े शानदार लुक की मिनी ट्रक खड़ी थी।"


भूमि:- ये ले गराज की चाभी। तेरे लेफ्ट में बोर्ड पर सभी कार की चाभी है, उसके नीचे मॉडल लिखा है, आगे समझाने कि जरूरत ना है। और हां, बस एक गलती कभी ना करना, किसी और मॉडल पर कोई दूसरी चाभी मत चिपका देना। वैसे तेरी बाइक देखकर अब लगता है मुझे बाइक कलेक्शन भी कर ही लेना चाहिए।


आर्यमणि:- थैंक्स दीदी।


दोनो गराज से निकलकर घर के अंदर पहुंचे। दिन में जिन 2 सदस्य से मुलाकात नहीं हो पाई थी, भूमि के पति जयदेव और उसकी बहन रिचा से, दोनो हॉल में ही बैठे थे। सभी खाने के टेबल पर जमा हुए और बातो का सिलसिला शुरू हो गया।


शनिवार की शुबह थी, भूमि आर्यमणि के साथ अपने पैतृक मकान पहुंची, जहां उसकी माता मीनाक्षी भारद्वाज और पिता उज्जवल भारद्वाज रहते थे। उनके साथ भूमि का बड़ा भाई तेजस अपनी बीवी वैदेही और 2 बच्चों मयंक और शैली भारद्वाज के साथ रहते थे।


भूमि के साथ जैसे ही आर्यमणि घर में घुसा, स्वागत के लिए उसकी मासी दरवाजे पर ही खड़ी थी। आर्यमणि के अंदर आते ही, वो उसको साथ लेकर जाकर सोफे पर बिठाई… "शांताराम जल्दी से ले आओ मेरे बच्चे का गिफ्ट। क्यों रे पहले मासी या पहले दीदी जो सीधा भूमि के ससुराल पहुंच गया। ऊपर से तूने वहीं रहने का फैसला भी कर लिया, वो भी बिना मुझसे पूछे। जया ने तुझे परिवार के बारे में नहीं बताया था क्या? बहन के ससुरल रहने से इज्जत कम हो जाती है।"


भूमि:- आई सुन लो इस बात पर झगड़ा हो जाएगा। आर्य के कान भरना बंद करो।


मीनाक्षी:- मेरी बात बुरी लग रही है तो चली जा। मेरा बच्चा मेरे पास रहेगा न की तेरे पास।


भूमि:- ठीक है रख लो, सुबह-सुबह मेरा दिमाग मत खाओ। बाबा काम काज से रिटायरमेंट लिए हो या परिवार से भी। आकर आई को चुप करवाओ वरना झगड़ा हो जायेगा।


मीनाक्षी:- वो क्या बोलेंगे, घर की मुखिया मै हूं। यहां वही होगा जो मै चाहूंगी।


तेजस:- क्या है आई, ऐसे कौन बात करता है। भूमि तू बैठ ना। तू भी तो जबरदस्ती आई के बात पर ध्यान देती है।


भूमि:- कब से कह रही हूं जाकर किसी अच्छे डॉक्टर से इनका इलाज करवाओ, लेकिन कोई मेरी सुने तब ना।


भूमि के पिता उज्जवल, अपने कमरे से बाहर निकलते…. "मीनाक्षी बस भी करो। भूमि से गुस्सा हो तुम, हम सब जान रहे है। वो भी जानती है। एक ही बात के लिए कब तक नाराज़ रहोगी।


मीनाक्षी:- जबतक वो पाऊं पकड़कर ये नहीं कह देती की मुझसे गलती हो गई। मै गलत थी। मेरा ना आना गलत था। मेरा मुंह लगाना गलत था। अब से जो बोलोगी वो होगा।


भूमि:- जब मै गलत हूं ही नहीं तो माफी किस बात की। आर्य का मन था इसलिए चली भी आयी, वरना इतने ड्रामे मुझे पसंद नहीं।


आर्यमणि:- मासी मै वापस गंगटोक जा रहा हूं कल। अगले साल एडमिशन लूंगा।


मीनाक्षी:- क्यों ?


आर्यमणि:- क्योंकि अब मै अपने पापा की तरह आईएएस बनूंगा।


मीनाक्षी:- चमचा कहीं का। भूमि के यहां रहता तो इंजिनियरिंग तेरी अच्छे से होती, मेरे पास आते ही तुझे आईएएस बनने का ख्याल आ गया। सही है बेटा। आजा, तू क्यों मुंह फुलाए है, मुझे तो पता ही था ये यहां नहीं रुकेगा।


भूमि:- हां और आपको बिना मेरे से झगड़ा किए खाना नहीं पचेगा।


मीनाक्षी:- तू ही तो मेरा मनोरंजन है, वरना घर में पड़े-पड़े बोर हो जाती हूं।


भूमि:- तो अपनी बहू से झगड़ा किया करो ना। मेरा खून जला कर कौन सा सुख पा लोगी।


मीनाक्षी:- बहुत कोशिश की झगड़ा करने कि। अभी मै अपनी बहू को बोलूं पाऊं पकड़ कर माफी मांग तो पूछेगी भी नहीं क्यों कह रही हूं ऐसा। वो तो 100 लोगों के भिड़ में भी ऐसा कर लेगी। वो मेरी बहू नहीं मेरी दोस्त है।


भूमि:- लो शुरू हो गया इनका बहू पुराण। कहां है दिख तो नहीं रही।


मीनाक्षी:- उसके पापा की तबीयत कल रात अचानक ही खराब हो गई। इसलिए कल रात ही बच्चो के साथ वो निकल गई।


भूमि:- हरिवंश काका को क्या हुआ, किसी ने मुझे बताया क्यों नहीं?


मीनाक्षी:- मैंने ही मना किया तेजस को। उसने बताया कि कल तुम दोनो शॉपिंग पर निकले हो। वैसे भी तू खुद को काम में इतना मसरूफ कर चुकी है, हमे लगा इसी बहाने कुछ तो काम से ध्यान हटे।


भूमि:- आई काम से ध्यान हटना अलग बात है, अपने लोगो की जरूरत को देखना दूसरी बात है। आप लोगो को भी वहां जाना चाहिए था, वो भी नहीं गए।


तेजस:- वैदेही ने कहा है कुछ जरूरत होगी तो सूचना दे देगी, अब तू इतना मत सोच।


"तुम लोग की पंचायत में आर्य को तो सब भुल ही गए। शांताराम दे मुझे"… मीनाक्षी शांताराम के हाथ से एक डिब्बा ली उसे खोलकर एक शानदार घड़ी आर्य के हांथ पर बांध दी। "हां अब अच्छा लग रहा है।"…


फिर हाथ में एक बॉक्स देती हुई कहने लगी… "इसमें एटीएम और क्रेडिट कार्ड है। किसी से पैसे मांगने नहीं, और इस कंजूस भूमि से बिल्कुल नहीं। और हां मै अपने बेटे को दे रही इसलिए खर्च करने में कोई भी झिझक मत रखना। समझ गया।".. आर्य हां में अपना सर हिला दिया।


शनिवार से लेकर रविवार तक आर्यमणि अपनी मासी के यहां ही रुका। पूरे नागपुर की सैर इन्हीं 2 दिनों में हो गया। सोमवार की सुबह कॉलेज का पहला दिन। बड़े ही खुशी के साथ आर्यमणि कॉलेज जाने के लिए तैयार हो रहा था।
Nice update bhai waiting for next update
 

Anky@123

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Ye to saaf hai hai ki aarya yaha kisi maksad se aaya hai, pariwar me aarya kafi lokpriya hai aese peso aur pyar ki barish ho rhi hai ki koi kya hi kahe, pariwar me bhi bahut pyar hai aur unke bich tikhi nok jhok dikhana nain bhai ki speciality hai, kher aarya Khushi 2 ready to ho rha hai, magar college me hangama jabardast hone ki ummid hai ab ja bhi BMW se rha hai to centre of attraction to banega hi, dekhte hai kaha le chalti ye kahani aage
 
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